SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 45
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ | संगीत व वास्तु पुस्तक ( PDF ) मुफ्त डाउनलोड करें 35 देखें www.dwarkadheeshvatu.com के निर्माण में संक / जाता है, जिसमें से गन्दे पानी के पाईप रसोई का स्थान कपूर में से ले जाते हैं। इससे भवन का वह भाग मोटा और वजनी हो जाता है। जिस दिशा में इस तरह से निर्माण होता है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं। इसलिए संक / गढ़दा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं। दिशा प्लॉट W उत्तर, पूर्व, दक्षिण या पश्चिम फेसिंग भवन में रसोई को किसी भी भाग में बना सकते हैं। स्लैब बनाते समय नीचे दिए गए नियमों का ध्यान रखें । N स्लैब, अलमारी, सिंक का स्थान N W N W स्लैब, अलमारी, सिंक F का स्थान रसोई शीट S S S S रसोई में दरवाजे दिखाई गई जगह में बना सकते हैं। स्लैब / अलमारी / सिंक, रसोई की दक्षिण और पश्चिम दीवारों पर ही बनाएँ। यह उत्तर और पूर्व की दीवार पर नहीं बननी चाहिए। लेकिन अलग से कांउटर, अलमारी या सिंक बनाकर जमीन पर दीवार से न सटते हुए कम से कम एक इंच दूर किसी भी दिशा में रख सकते हैं। भवन विदिशा प्लॉट नार्थ-ईस्ट, साउथ-ईस्ट, साउथ-वेस्ट या नार्थ-वेस्ट फेसिंग भवन में रसोई को किसी भी भाग में बना सकते हैं। स्लैब बनाते समय नीचे दिए गए नियमों का ध्यान रखें। E N E N रसोई S शीट E W टॉयलेट HOL भवन N स्लैब, अलमारी, सिंक का स्थान E W टॉयलेट E N स्लैब, अलमारी, सिंक का स्थान S W W S W S W S W S रसोई में दरवाजे दिखाई गई जगह में बना सकते हैं। स्लैब / अलमारी / सिंक रसोई की साउथ-वेस्ट की दीवार पर ही बनाएँ। यह नार्थ-ईस्ट, नार्थ-वेस्ट व साउथ-ईस्ट की दीवार पर नहीं बननी चाहिए । लेकिन अलग से कांउटर, अलमारी या सिंक बनाकर जमीन पर दीवार से न सटते हुए कम से कम एक इंच दूर किसी भी दिशा में रख सकते हैं। टॉयलेट का स्थान पाईप फर्श में से ले जाते हैं। इससे भवन का वह भाग मोटा और वजनी हो जाता है। जिस दिशा में ऊपरी मंजिल पर टॉयलेट / बॉथरूम के निर्माण में संक / गढ्ढा बनाया जाता है, जिसमें से गन्दे पानी इस तरह से निर्माण होता है, उसके भारी होने के प्रभाव लागू होते हैं। इसलिए संक / गढ़ढ़ा न करें। भवन के केवल दक्षिण, पश्चिम व साउथ-वेस्ट भाग में ही मोटा व भारी कर सकते हैं। नार्थ-ईस्ट में गंदगी वर्जित है टॉयलेट का निर्माण नहीं | आजकल आधुनिक तरीके से टॉयलेट का निर्माण किया जाता है जिसमें गंदगी नहीं होती इसलिए टॉयलेट को भवन के किसी भी भाग में बना सकते हैं। टॉयलेट की षीट इस प्रकार लगाएँ कि सूर्यदेव (पूर्व) की तरफ मल-मूत्र का त्याग नहीं करना चाहिए। सूर्यदेव की तरफ मुख करके मल-मूत्र का त्याग करने पर जीवन के अन्तिम समय में अत्यधिक कष्ट होते हैं। दिशा प्लॉट N N N N रसोई भवन शीट रसोई S भवन E W शीट टॉयलेट N स्लैब, अलमारी, सिंक का रसोई स्थान टॉयलेट रसोई E W स्लैब अलमारी. सिंक का स्थान Is W भवन विदिशा प्लॉट E N टॉयलेट E W - शीट S E N भवन टॉयलेट1 शीट रसोई E रसोई E S N स्लैब, अलमारी, E • सिंक का स्थान W N W स्लैब, अलमारी, सिंक का स्थान टॉयलेट शीट भवन E S 14- शीट टॉयलेट् भवन E E S
SR No.009394
Book TitleVaastu Principles Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnkit Mishra
PublisherAnkit Mishra
Publication Year2016
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy