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श्रीउत्तमऋषिविरचितश्रीशतपञ्चाशितिका संग्रहणी
सं. मुनि धर्मकीर्तिविजय
(भूमिका) साहित्यना क्षेत्रमा जैन मुनिओए अपूर्व प्रदान कर्यु छे. ते पछी प्राकृत भाषा विषयक होय, संस्कृतभाषा विषयक होय, के गुर्जरभाषा विषयक होय. प्रत्येक भाषामां जैनमुनिओए गद्य-पद्यात्मक विपुल साहित्य- सर्जन कर्यु छे. एज रीते जैनमुनि रचित 'श्रीशतपञ्चाशितिका' नामक प्राकृतभाषामय नानकडो ग्रन्थ उपलब्ध थयो छे, तेनुं यथामति सम्पादन करुं छु.
जैनो माटे २४ तीर्थङ्कर परम आराध्य तत्त्व छे. तेथी तेओने माटे अद्य पर्यन्त घणुं लखायुं छे, लखातुं रह्यं छे. पूर्वे भावनगरस्थ श्रीजैन-आत्मानन्दसभा द्वारा बृहत्तपागच्छीय श्रीसोमतिलकसरिप्रणीत, राजसरिंगच्छीय पण्डित श्रीदेवविजय विरचित वृत्तिथी अलङ्कत 'सप्ततिशतस्थानप्रकरणम्' नामनो ग्रन्थ प्रकाशित थयो छे. तेमां ऋषभादि २४ तीर्थङ्करना च्यवनादि पांच कल्याणकने आश्रयीने १७० स्थान देखाडवामां आव्या छे. ज्यारे प्रस्तुत ग्रन्थमां तेमांनां २७ स्थान वर्णववामां आव्यां छे. तदुपरांत, चक्रवर्ती, बलदेव-वासुदेव-प्रतिवासुदेव-अर्थात् ६३ शलाकापुरुषनी विशिष्ट माहिती, एवं ऐरवतक्षेत्रनां वर्तमान तथा आगामी २४ तीर्थङ्करोनां नाम, भरत क्षेत्रमा थनारा आगामी ६३ शलाकापुरुषनां नाम, २० विहरमान जिन, नारद, कुलकर विषयक अनेक स्थानोनुं निरूपण करवामां आव्युं छे. साथे ज स्वोपज्ञ टबो पण छे. तेथी आ कृतिनुं महत्त्व छे. आ ग्रन्थमां छन्द-अलङ्कार के काव्यनी विशिष्ट चमत्कृति जोवा नथी मळती. छतां जेओने शलाका पुरुषनी सामान्य जाणकारी मेळववी छे तेओने माटे आ उपयोगी ग्रन्थ छे.
प्रस्तुत ग्रन्थमां वर्णवायेलां स्थानोनो आ क्रम छे. - श्लोक स्थान ३-८२ वर्तमान २४ तीर्थङ्करोनां माता-पिता नाम, वर्ण-एवं २७ स्थानोनुं
निरूपण.
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८३-१०१
१०२ - ११४
११५ - १३५
१३६-१३८
१३९ - १४१
१४२ - १४६
१४९ - १५०
१५१ - १५३
१५८ - १६१
१६२-१६८
१६९-१७१
महावीरप्रभुना ११ गणधरोनां १२ द्वारोनुं निरूपण. १२ चक्रवर्तीओनां स्थानोनुं वर्णन.
९-९ बलदेव - वासुदेवनां स्थानोनुं वर्णन. चक्रवर्तिओ कया तीर्थङ्करना शासनमां थया. वासुदेवो कया तीर्थङ्करना शासनमां थया. ऐरवतक्षेत्रमां वर्तता २४ तीर्थङ्करनां नाम.
भरतक्षेत्रमां थनारा २४ तीर्थङ्करनां नाम.
भरत क्षेत्रमां वर्तमान २४ तीर्थंङ्करना पूर्वभवनां नाम भरतक्षेत्रमां थनारा चक्रवर्ति- बलदेव - वासुदेव-प्रतिवासुदेवनां नाम.
ऐरवतक्षेत्रमां थनारा २४ तीर्थङ्करोनां नाम.
महाविदेहमां वर्तमान २० विहरमाननां नाम.
९ नारदनां नाम.
१७२
१७३ - १७४ ११ रुद्रनां नाम.
१७८-१८४ ७ कुलकरोनुं निरूपण.
अन्ते, आ बधां ज स्थानों समवाय- आवश्यकादि अनेक ग्रन्थोमांथी उद्धरीने अत्र एकत्रित कर्या छे, एम कर्ता लख्ने छे.
अनुसन्धान ४४
आ ग्रन्थनी रचना श्रीउत्तमऋषि नामना मुनिए विक्रमना १६८७ना वर्षे चैत्रशुद तेरसना दिवसे करी छे, तेम ग्रन्थनी आ गाथा
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विक्कमवच्छराओ य वसुअट्टकालेण महुमासेणं । सियपक्खे तेरसी रइया उत्तमेण सुद्धेण ॥ १८६॥ द्वारा स्पष्ट थाय छे.
ग्रन्थकारनां नाम सिवाय तेमना गुरुनुं नाम, तेमनी परम्परा, कया स्थाने रचना करी - इत्यादि कोई ज वातनो उल्लेख मळतो नथी.
आ प्रति मुनिभक्तिविजय ज्ञानभण्डार (श्रीजैन - आत्मानन्द सभा) भावनगरथी प्राप्त थयेल छे. प्रतिनी झेरोक्स आपवा बदल भण्डारना कार्यकर्तानो आभार मानीए छीए.
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जून २००८ 11६०॥
उसभ१ अजिओर संभव३ अभिनंदण४ सुमई५ सुप्पभसुपासी ७ । ससि ८ पुप्फदंत ९ सीयल १० सिज्जंसो ११ वासुपुज्जो य १२ ॥१॥
ऋषभ अजित संभवनाथ अभिनन्दन सुमतिनाथ पद्मप्रभ सुपार्श्व चन्द्रप्रभ सुविधिनाथ शीतलनाथ श्रेयांस वासुपूज्य ॥१॥ विमल१३ मणंत य १४ धम्मो १५, संती १६ कुंथु १७ अरो य १८ मल्ली य १९ । मुणिसुव्वय २० नमि २१ नेमी २२, पासो २३ तह वद्धमाणो य २४ ॥२॥
विमलनाथ अनन्तनाथ धर्मनाथ शान्तिनाथ कुन्थुनाथ अरनाथ मल्लिनाथ मुनिसुव्रत नमिनाथ नेमिनाथ पार्श्वनाथ तथा वर्द्धमान चउवीसमा ।।२।। १. जन्म-जिननगरीनाम - इखागभूमि१ ओज्जा२ सावत्थी३ विणीय ४ कोसलपुरं च ५। कोसंबि६ वाणारसी७ चंद्राणण८ तह य कायंदी ९ ॥३॥
१. जिहां जिहां जन्म हूओ ते नगरी कहई छई. इक्षुनई क्षेत्रमांहि जन्म, अयोध्याइं जन्म, सावत्थीइं जन्म, विनीताई जन्म, कोशलपुरनगरई जन्म, कोसम्बीनगरीइं जन्म, वाणारसीइं जन्म, चन्द्राननपुरई जन्म, तथा काकन्दीइं जन्म. ।।३।।
भद्दिलपुरं १० सीहपुरं ११ चंपा १२ कंपिल्ल १३ अज्ज १४ रयणपुरं १५ । तिण्णेव गयपुरंमि १८ मिहिला १९ तह चेव रायगिहं २० ||४||
भद्दिलपुरई जन्म, सीहपुरई जन्म, चम्पानगरी जन्म, कम्पिल्लपुर जन्म, अयोध्याई जन्म, रतनपुरनगरई जन्म, १६,१७,१८ मानो गजपुरनगरइ जन्म, मिथिलाई जन्म, तथा निश्चइ राजगृहनगर जन्म. ॥८॥
मिहिला २१ सोरियनयरं २२ वाणारसी २३ तह य होइ कुंडपुरं २४ । उसभाईण जिणाणं जम्मणभूमी जहासंखं ॥५॥
मिथिलाई जन्म, सोरीपुर नगरई जन्म, वाणारसी जन्म, तथा छ। कुण्डणपुरइं जन्म, ऋषभादि २४ तीर्थंकरनी ए जन्मभूमि कही, यथा अनुक्रमइ. |५||
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२ -मातानाम
मरुदेवी १ विजयार सेणा३ सिद्धत्था ४ मंगला ५ सुसीमा य ६ । पुहवी ७ लखणा ८ रामा ९ नंदा १० विष्णु ११ जया १२ सामा १३ || ६ || २- २४ जिननी माताना नाम कहइ छइ. मरुदेवीराणी, विजयाराणी, सेनाराणी, सिद्धार्थाराणी, मंगलाराणी, सुसीभाराणी, पृथिवीराणी, लक्ष्मणाराणी, रामाराणी, नंदाराणी, विष्णुराणी, जयाराणी, श्यामाराणी ॥६॥
अनुसन्धान ४४
सुजसा १४ सुव्वय १५ अइरा १६ सिरि १७ देवी य १८ पभावई १९ । पउमावई य २० वप्पा २१ सिवा २२ वामा २३ तिसलाई य २४ ॥ ७ ॥
सुजसाराणी, सुव्रताराणी, अचिराराणी, श्रीराणी, देवीराणी, प्रभावतीराणी, पद्मावतीराणी, वप्राराणी, शिवाराणी, वामाराणी, त्रिसलानामा राणी ॥७॥
३- पितानाम
नाभी १ जियसत्तु य २ जियारी ३ संवरे य ४ मेहे ५ धरे ६ पइट्ठे य ७ । महसेण य ८ खत्तिए सुग्गीवे ९ दढरहे १० विण्डु ११ ॥८॥
३ - जिनना पिताना नाम कहइ छइ. नाभिराजा, जितसत्तुराजा, जितारी राजा, संवरराजा, मेघराजा, धरराजा, प्रतिष्ठितराजा, महसेनराजा क्षत्री, सुग्रीवराजा, दृढरथराजा, विष्णुराजा ॥८॥
वसुपुज्जे य १२ खत्तिए कयवम्मो १३ सीहसेणे य १४ भाणू १५ । विस्ससेणे य १६ सूरे १७ सुदंसणे १८ कुंभे १९. ॥९॥
वसुपूज्यराजा क्षत्री, कृतवर्मनाम राजा, सहसेनराजा, भानुराजा, विश्वसेनराजा, सूरराजा, सुदर्शनराजा, कुंभराजा ॥९॥
सुमित्त २० विजए २१ समुद्दविजए य २२ ।
राया य अस्ससेणे २३ य सिद्धत्थे वि य २४ खत्तिए ॥१०॥
सुमित्रराजा, विजयराजा, समुद्रविजयराजा, राजा अश्वसेननामा, सिद्धार्थनामा क्षत्री ॥ १० ॥
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४. जिनवर्णनाम
पउमाभा वासुपुज्जा रत्ता ससिपुप्फुदंत गोरा य । सुव्वयनेमी काला पासो मल्ली पियंगाभा ॥११॥
४-जिन २४ना वर्ण कहइ छइ. पद्मप्रभ छट्ठा वासुपूज्य बारमा ए २ राति वर्ण. चंद्रप्रभ सुविधिनाथ ए २ चंद्रमानी परि श्वेतवर्ण, मुनिसुव्रत नेमिनाथ कालइ वर्णइ. पार्श्वनाथ मल्लिनाथ ए २ नीलइ वर्ण. ॥११॥
वरकणगतवियगोरा सोलस तित्थयरा मुणेयव्वा । एसो वनविभागो चउवीसाए जिणवराणं ।।१२।।
प्रधान सुवर्ण तपाव्यो तेहनी परिं पीलइ वर्ण शेष सोलसइ तीर्थंकरना देहनां वर्ण जाणिवा. ए वर्ण विचार सर्व चउवीस जिनवरना कह्या. ॥१२॥ ५-जिनावगाहनानाम
उसभो १ पंचधणुस्सय नव पासो २३ सत्त रयणिओ वीरो २४ । • सेस? ८ पंच ५ अट्ठय ८ पन्ना ५ दस १० पंच ५ राहीणा ॥१३।।
पू-२४ जिननउ देहमान कहइ छइ. ऋषभ पांचसय धनुष उत्सेध आंगुल ऊँचा. नव हाथना ऊँचा पार्श्वनाथ. सात हाथना ऊँचा श्रीमहावीरदेव चउवीसमा, बीजाथी आठलगि, तथा दशमाथी पांच लगि, पनरमाथी वली आठ जिन लर्गिपंचास धनुष, दश धनुष, पांच धनुष. अनुक्रमइ त्रिहुं ठामे ओछा करीइं ॥१३॥ ६-जिनायु:
चउरासीई १ बिसत्तरि २ सट्ठी ३ पन्नास ४ मे(चे)व लक्खाई । चत्ता ५ तीसा ६ वीसा ७ दस ८ दो ९ एगं च १० पुव्वाई ।।१४।।
६-२४ जिनना आऊषो कहइ छइ. चउरासी लाख पूर्वनो आयु ऋषभनो, ७२ लाख पूर्वना आयुः, ६० लाख पूर्वनउ, पचास लाख पूर्वनउ आऊषओ निश्चइ, चालीस लाख पूर्वनउ, ३० लाख पूर्वनउ, २० लाख पूर्वनउ, दसलाख पूर्वनो, २ लाख पूर्वनो, एक लाख पूर्वनउ आयु दशमानो. !!१४।।
चउरासीई ११ बावत्तरी य १२ सट्ठी य १३ होइ वासाणं । तीसा य १४ दस १५ एगं १६ एवम(मे)ए सयसहस्सा ॥१५॥
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अनुसन्धान ४४
८४ लाख वरसनो, ७२ लाख वरसनो, ६० लाख वरसनउ आयुषओ होइ. ३० लाख वरसनउ, १० लाख वरसनउ, एक लाख वरसनो, इम एतलांनइ लाख वरसनो कहीय. ॥ १५ ॥
पंचाणइ सहस्सा १७ चउरासीई य १८ पंचवन्ना य १९ । तीसा य २० दस य २१ एगं २२ सयं च २३ बावत्तरी २४ चेव ||१६||
पंचाणु सहस्त्र वरसनउ, चउरासी हजार वरसनउ, पंचावन हजार वरसनउ, ३० हजार वरसनउ, १० हजार वरसनउ, १ हजार वरसनउ, १०० वरसनउ, बहुत्तर वरसनो श्री महावीरनो निश्चइ ॥१६॥
७- दीक्षातप
सुमतित्थ निच्चभत्तो निग्गओ वासुपुज्जो जिणो उत्थे । पासो २३ मल्ली विय १९ अट्ठमेण सेसाओ छट्ठेणं ||१७||
७. दीक्षा लेता तप कितो कीधो. सुमतिनाथ जीमीनइ दीक्षा लीधी. नीकल्या वासुपूज्यजिन एक उपवास करीनइ. पार्श्वनाथ अनइ मल्लिनाथ अट्ठम करीनइ दीक्षा लीधी. शेष २० तीर्थंकरे बि उपवासे दीक्षा लीधी. ॥१७॥ ८. दीक्षाठाम -
उसभो य १ विणीयाए बारवईए अरिट्ठवरनेमी |२२| अवसेसा तित्थयरा निक्खंता जम्मभूमीसु ॥१८॥
८. दीक्षा केणइ ठामिं लोधी ते कहइ छइ. ऋषभइ विनीतानगरीइ दीक्षा लीधी. द्वारिकानगरी नेमिनाथ दीक्षा लोधी. शेष बावीस तीर्थंकर नीकल्या जिहां जन्म हुआ तिणं नगरइ. ॥१८॥
९- दीक्षावननाम
उसभो १ सिद्धत्थवणं - मि वासुपुज्जो १२ विहारगेहमि । धम्मो य १५ वप्पगाए नीलगुहाए मुणि २० नामो ॥ १९ ॥
९ - दीक्षा जेणइ वनखंड लोधी तेहना नाम ऋषभइ सिद्धार्थवनइ. वासुपूज्यइ विहारगृहनइ विषइ. धर्मनाथ [----], नीलगुहानगरमइ वनखंडे मुनिसुव्रतइ दीक्षा लीधी ॥१९॥
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आसमपयंमि पासो २३ वीरजिणंदो य२४ नायसंडंमि | अवसेसा निक्खता सहसांबवणंमि उज्जाणे ॥२०॥
आश्रमपदवनखंड पार्श्वनाथइ. वीरजिनइ ज्ञातवनखंडनइ विषइ. शेष १८ तीर्थंकर नीकल्या सहस्रांबवन उद्याननइ विषइ ॥२०॥
१० - दीक्षावेला
पासो २३ अरिनेमी २२ सेज्जंसो ११ सुमई ५ मल्लिनामो य १९ । पुव्वन्हे निक्खंता सेसा पुण पच्छिमन्हंमि ॥२१॥
१० - दीक्षा किण वेलाई लीधी. पार्श्वनाथ, अरिट्ठनेमि, श्रेयांस, सुमतिनाथ, मल्लिनाथ एतला तीर्थंकर प्रभाते दीक्षा लीधी. शेष १९ तीर्थंकरइ वली पाछलि पहुरइ दीक्षा लीधी. ॥२१॥
११- दीक्षापरिवार
एगो भगवं वीरो २४ पासो २३ मल्ली य १९ तिहिं २ सहिं भगवं पि वासुपूज्जो १२ छहि पुरिससएहि निक्खतो ॥२॥
केतला संघात दीक्षा लीधी ते कहइ छड़. एकाकीपण दीक्षा लीधी श्रीमहावीरदेवइ पार्श्वनाथ मल्लिनाथ ए २ त्रिण- त्रिण सय पुरुष साथइ. भगवंत वासुपूज्य छसय पुरुष संघाति नीकल्या. ॥२॥
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७३
उग्गाणं भोगाणं रायन्नाणं च खत्तियाणं च ।
चउहिं सहसेहिं उसभी १ सेसाओ सहस्सपरिवारा ||२३||
उग्रकुलना १०००, भोगकुलना १०००, राजाना कुलना १०००, क्षत्रीना कुलना १०००, ए च्यारि हजार संघातइ ऋषभदेवइ दीक्षा लीधी. शेष १९ जिन एकेक सहस्र नइ परिवारिं दीक्षा लीधी. ॥२३॥
१२- दीक्षावय
वीरो २४ अरिट्ठनेमी २२ पासो २३ मल्ली य १९ वासुपुज्जो य १२ | पढमव पव्वईया सेसा पुण पच्छिमवयंमि ||२४||
१२ - केही वय दीक्षा लीधी ते कहइ. श्रीवीर, नेमिनाथइ, पार्श्वनाथ, मल्लिनाथ, वासुपूज्य ए ५ जिन प्रथमवयनइ विषइ दीक्षा लोधी. शेष १९ तीर्थंकरे
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छेहली वयइ दीक्षा लीधी. ॥२४॥
१३- छद्मस्थकाल
वाससहस्सं १ बारस २ चउद्दस ३ अट्ठार ४ वीस ५ वरिसाई । मासा छ ६ नव ७ तिनि य ८ च ९, तिग १० दुग ११ मेकग १२ दुगं च १३ ॥२५॥
१३- २४ना छद्मस्थकाल कहइ छइ. एक हजार वरसनो ऋषभदेवनो. बार वरस बीजानो, १४ वरस छदमस्थपणो ३, १८ वरस ४नो, वीस वरसनो छद्मस्थपणओ पांचमानइ, छ मासनो, नवमासनो, त्रिणि मासनो, च्यार मासनओ, त्रिणि मासनओ, बि मासनो, एक मासनओ, दोय मासनो छद्मस्थपणो १३ नइ.
॥२५॥
ति १४ दु १५ एक्कम १६ सोलसगं १७ वासर तिन्नि य १८ तहेवहोरत्तं १९ । मासिक्कारस २० नवगं २१ चउप्पण्णदिणं य २२ चुलसीई २३ ||२६||
३ मासनो २, मासनओ, एक मासनओ, सोलइ मासनओ, त्रिणि दिननओ, तिमज एक दिननओ, मास इग्यारनो छद्मस्थपणओ, नव मासनो, चउप्पन दिननओ, चउरासी दिननओ. ||२६||
तह बारसवरिसाई २४ जिणाण छउमत्थकालपरिमाणं । उग्गं च तवोकम्मं विसेसओ वद्धमाणस्स ||२७||
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तथा बार वरसनओ छद्मस्थपणओ महावीरदेवनओ. ए २४ जिननओ छद्मस्थपणाना कालनओ प्रमाण कहाओ. उत्कृष्ट तप कीधो विशेष थकी वर्द्धमानजिननो तप जाणिवओ. ||२७||
१४- केवलोत्पत्तिवेला
तेवीसाए नाणं उप्पन्नं जिणवराण पुव्वन्हे |
वीरस्स पच्छिमन्हे पमाणपत्ताए चरिभाए ॥२८॥
१४ - केवलज्ञान केणी वेलाई उपनो ते कहइ. प्रथम तेवीस जिननइ केवलज्ञान ऊपनो बि पुहर पहिला. श्रीमहावीरनइ बि पहर पछी ज्ञान ऊपनओ. पुरुषप्रमाण प्राप्त चरमपोरसीइं ऊपनो. ॥२८॥
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१५-केवलज्ञानस्थानम्
उसभस्स पुरिमताले वीरस्स जुवालीयानईतीरे । सेसाण केवलाइं जेसुज्जाणेसु पव्वईया ||२९||
केवलज्ञान केवइ ठामि ऊपनो ते कहइ छइ. ऋषभनइ पुरिमतालनगरइ ऊपनो. श्रीवीरनइ ऋजूवालिकानदीनइं कांठइ. शेष २२ तीर्थंकरनइ केवलज्ञान जे उद्याननइ विषइ दीक्षा लीधी तिहां ऊपनो केवल. ॥२९॥ १६-केवलज्ञानतप
अट्ठमभत्तंमि य पासो २३ सह १ मल्ली १९ रिट्ठनेमीणं च २२ । वसुपुज्जस्स १२ चउत्थेणं छट्ठभत्तेणं सेसाणं ॥३०॥
१६-केवलज्ञान ऊपजतां केतलो तप हुँतो. अट्ठमभक्ततप पार्श्वनाथनइ, ऋषभनइ, मल्लिनइ, अरिट्ठनेमिनइ तथा वासुपूज्यनइ चतुर्थभक्ततपइ केवल ऊपनो शेष १९ तीर्थंकरनइ छट्ठभक्ततपइ केवल ऊपनो. ॥३०|| १७-साधुसंख्या
चुलसीइं च सहसा(स्सा) १ एगं च २ दुवे य ३ तिन्नि लक्खाई ४ । तिन्नि य वीसहियाई ५ तीसहियाई च तिन्नेव ६ ॥३१।।
१७-२४नी साधुसंख्या कहइ छइ. चउरासी हजार साधु श्रीऋषभदेव नइ. एक लाख २ नइ. बि लाख ३ नइ. त्रिणि लाख साधु ४ नइ. त्रिणि लाख ऊपरि वीस हजार साधु पांचमानइ. तीस हजार सहित त्रिणिलाख छट्ठानइ. ॥३१॥ तिन्नि य ७ अढा(ड्ढा)इज्जा ८ दुवे य ९ एगं च सयसहसा(स्सा)इं १० । चुलसीइं च सहसा(स्सा) ११ बिसत्तरि १२ अट्ठस४ि च १३ ॥३२॥
तीन लाख साधु [७मानइ] अढाइ लाख साधु ८ मानइ, बि लाख साधु ९ मानइ, एक लाख साधु दशमानइ, चउरासी हजार साधु इग्यारमानइ, ७२ हजार साधु, अडसठहजार साधु. ॥३२॥ छावढेि १४ चउसट्टि १५ बावढेि १६ सर्द्वि १७ मे(चे)व पन्नासं १८ । चत्ता १९ तीसा २० वीसा २१ अट्ठारस २२ सोलसहसा य २३ ।। ३३||
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अनुसन्धान ४४
छासहि हजार साधु, चउसठ्ठि हजार साधु, बासठ्ठि हजार साधु, साठी हजार साधु, इम पचीस हजार साधु, ४० हजार, २० हजार, अट्ठारइ हजार, सोलइ हजार साधु ॥३३॥
चउद्दसयसहसाई जिणाण जईसीससंग्गहपमाणं । अज्जीसंग्गहमाणं उसभाईण अओ वुच्छं ॥३४!!
चउदइ हजार साधु श्रीवीरनइ. जिन २४ना यतिनी संख्या जाणिवी.
हिवइ आर्याना संग्रहनो प्रमाण कहइ. ऋषभादि २४ जिनना आगलि कहस्यउं. ॥३४॥ १८. साध्वीसंख्या -
तिन्नेव य लक्खाइं १ तिन्नि य तीसाई २ तिन्नि छत्तीसा ३ । तीसा य छच्च ४ पंच य तीसा ५ चउरो य वीसाई ॥३५॥
१८-आर्यानी संख्या कहइ छइ. त्रिणि लाख आर्या ऋषभदेवनी. त्रिणि लाख तीस हजार आर्या अजितनी, त्रिणि लाख छत्रीस हजार. त्रीस हजार सहित छ लाख. पांच लाख त्रीस हजार. च्यार लाख वीस हजार साधवी ६ नइ. ॥३५॥
चत्तारि य तीसाई ७ तिन्नि य असीयाई ८ तिन्हमत्तो य ९ । वीसुत्तर १० छलहियं ११ तिसहसहियं च १२ लक्खं च १३ ॥ ३५।।
च्यार लाख त्रीस हजार आर्या ७ नइ. त्रिणि लाख अनइ असी हजार. त्रिणि लाख साधवी ९ नइ. ३ लाख वीस हजार. ३ लाख छ हजार. त्रिण हजार सहित त्रिणि लाख. एक लाख १३मा नइ. ॥३६।।
लक्खं अट्ठसयाणि य १४ बावट्ठीसहस चउसय समग्गा १५। एगट्ठी छच्चसया १६ सट्ठिसहसा सया छच्च १७ ॥३७||
एक लाख अनइ आठ सय १४मा नइ. बासठि हजार ऊपरि च्यारि सय साधवी १५मा नइ. इकसठि हजार अनइ छ सय. साठि हजार अनइ ६०० साधवी १७मा नइ. ॥३७|| सट्ठि १८ पणपन्न १९ पन्ने २० गं २१ चत्तचत्ता २२ तहय अद्रुतीसं २३ च । छत्तीसं च सहसा २४ अज्जाणं संग्गहो एसो ।।३८।।
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साठि हजार, पंचावन हजार, ५० हजार एकतालीस हजार चालीस हजार. तिमज अत्रीस हजार. छत्रीस हजार आर्या चडवीसमा नइ. आर्यानओ संग्रह जाणिवो. ||३८||
चउयालीसं लक्खा बायालसहस चउसय समग्गा | छच्चेव अज्जियाओ अज्जाणं संग्गहो एसो ||३९||
सर्वजिननी आर्या केती - चउयालीस लाख बइतालीस हजार ऊपरि च्यारि सय ऊपरि वली छ आर्या. सर्वजिननी आर्यानओ संग्रह जाणिवउ. ||३९||
१९ - गणधर संख्या
चुलसीई १ पंचनउई २ बिउत्तरं ३ सोलसुत्तर ४ सयं च ५ । सत्तहियं ६ पणनउई ७ तेणउई असीई य ९ ||४०|
१९ - हिव २४ जिनना गणधरनी संख्या ८४ गणधर ऋषभनइ. पंचाणु गणधर २ नइ. १०२ गणधर ३ नइ. ११६ गणधर ४ नइ एकसउ गणधर ५. नइ. एक्सो सात गणधर ६. पंचाणु गणधर ७ नइ त्रेयाणुं गणधर ८ अट्ठयासी गणधर ९मा नइ ॥४०॥
एक्कासीइ १० छावत्त- री य ११ छावडी १२ सत्तवन्ना य १३ । पन्ना १४ तेयालीसा १५ छत्तीसा १६ चेव पणतीसा १७ ॥४१॥
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८१ गणधर १० मा नइ छहुत्तर गणधर ११मा नइ छासठि गणधर . सत्तावन गणधर १३मा नइ. पंचास गणधर तेयालीस गणधर १५ मा नइ. छत्रीस गणधर तथा पइंत्रीस गणधर ॥ ४१ ॥
तित्तीस १८ ऽट्ठावीसा १९ अट्ठारस २० चेव तहय सत्तरस २१ । इकारस २२ दस २३ नवगं २४ गणाण माणं जिणिदाणं ॥४२॥
तेत्रीस गणधर अट्ठावीस गणधर १९मा नई. अट्ठाइस गणधर २० तिमज. सत्तरि गणधर २१मा नइ. इग्यारस गणधर २२मा नइ. दश गणधर. नव गणधर वीर नइ. ए गणनो मान जिनेंद्रना ॥४२॥
इकारसउ गणहरा जिणस्स वीरस्स सेसयाणं तु । जावइया जस्स गणा तावइया गणहरा तस्स ||४३||
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अनुसन्धान ४४
इग्यारइ गणधर श्रीजिनवीरनइ. शेष तीर्थकरनइ जेतला जेहनि गण तेतला ज गणधर तेहना. ||४३||
२०- प्रथम भिक्षाठाम
हस्थिपुरंमि १ अओज्जा २ सावत्थी ३ चैव तह य साएयं ४ | विजयपुर ५ बंभथलयं ६ पाडलिसंड ७ पउमसंडं च ८ ||४४||
२० - दीक्षा लेई प्रथमभिक्षा केणइ ठामि लीधी ते कहइ. हस्तिपुर नगरनइ विषइ १. अयोध्यानगरइ. सावत्थीइं तिमज साकेतपुरइ. विजयपुरनगरइ. ब्रह्मस्थल नगरइ. पाडलीखंडग्रामइ. पद्मखंडग्राम ॥ ४४ ॥
सीहपुरं ९ रिट्ठपुरं १० सिद्धत्थपुरं ११ महापुरं १२ चेव । धन्नकड १३ वद्धमाणं ९४ सोमणसं १५ मंदरं १६ चेव || ४५ ॥
सिंहपुरनगर. रिष्टपुरनगर. सिद्धार्थपुरनगरइ. महापुरनगरइ. निश्चइ, धनकटकपुरइ. वर्धमानपुरइ. सोमनसनगरइ. मंदरपुरइ निश्चय ||४५ ||
चक्कपुरं १७ रायपुरं १८ मिहिला १९ रायगिह २० मेव बोधव्वं । वीरपुरं २१ बारवई २२ कोइकडं २३ कुल्लयग्रामो २४ ||४६||
चक्रपुरइ. राजपुरइ. मिथिलाई राजगृहनगर पारणो कीधो. वीरपुरइ. द्वारकाइं. कोइकटनगरइ. कुलाकग्रामइ पारणो कीधो. ॥४६॥
एएस पढमभिक्खा लद्धा उ जिणवरेहिं सव्वेहिं । दिन्नाओ जेहि पढमं तेसिं नामाणि वुच्छामि ॥८७॥
ए पूर्वोक्त नगरनइ विषइ प्रथमभिक्षा लोधी सगले तीर्थंकरे. दीधी जेण कुमारइ तेहना नाम कहुं ॥८७॥
२१- प्रथमभिक्षादातारः
सिज्जंस १ बंभदत्तो २ सुरिंददत्तो ३ इंददत्तो य ४ ।
पउमे य पू सोमदेवे ६ महिंद ७ तह सोमदत्ते य ८ ॥ ४८ ॥
२१- प्रथमभिक्षाना दातार कहइ छइ. प्रथम श्रेयांस कुमरइ. ब्रह्मदत्तकुमर. सुरिंद्रदत्तकुमर. इंद्रदत्तकुमर. पदमकुमर. सोमदेवकुमर. माहिद्रकुमर. सोमदत्तकुमर.
॥४८॥
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पुस्से ९ पुणव्वसू १० पुण नंद ११ सुदंसणे १२ जए य १३ विजए य १४ । तत्तो य धम्मसीहे १५ सुमित्त १६ तह वग्घसीहे य १७ १४९।।
पुष्पकुमर. पुनर्वसूकुमर. वली नंदकुमर. सुनंदकुमर. जयकुमर. विजयकुमर. तिवार पछी धर्मसिंहकुमर. सुमित्रकुमर. तिमज व्याघ्रसिंहकुमर. ॥४९॥
अपराजिय १८ विससेणे १९ वीसइमे होइ बंभदत्ते य २० । दिने २१ चरदिने २२ पुण धन्ने २३ बहुले य २४ बोधव्वे ॥५०॥
अपराजितकुमर, विश्वसेनराजाई. वीसमानइ ब्रह्मदत्तकुमरइ भिक्षा दीधी. दिनकुमार, वरदिन्नकुमार. वली धनकुमार. बहुल ब्राह्मण ए २४ना नाम ॥५०॥
सव्वेहि पि जिणेहि य जहियं लद्धाओ पढमभिक्खाओ । तहिय वसुहाराओ वुट्ठाओ पुष्पवुट्ठीओ ॥५१||
सगले तीर्थंकरे जिहां लीधी प्रथमभिक्षा तिहां सौवर्णधारानओ वरसात फूलवरसात हूओ. ॥५१॥
अद्धतेरसकोडी उक्कोसा तत्थ होइ वसुहारा । अद्धतेरसलक्खा जहनिया होइ वसुहारा ॥५२॥
साडा बार क्रोड सोनईया उत्कृष्टा तिहां होई सोवर्णनी धारा. साडी बार लाख सोनईयानी जघन्य एहिं होइ सोवर्णनी धारा. ॥५२॥
सव्वेसि पि जिणाणं जेहि दिन्नाओ पढमभिक्खाओ। ते पयणुपेज्जदोसा दिव्वपरक्कमा जाया ॥५३।।
सगले प्रथम दातारे जिननइ जिहां दीधी प्रथमभिक्षा ते सर्वदातार पातला राग-द्वेषना धणी देवता संबंधी प्रधान प्राक्रमवंत हुआ. ॥५३।।
केई तेणेव भवेण निव्वुया सव्वकम्मओ मुक्का । केई तईयभवेणं सिज्झिसं(स्स)ति जिणसगासे ॥५४॥
केतलाएक दातार तेणिज भवि सीध्या, सर्व कर्मथी विमुक्त थया. केईएक त्रीजइ भविं सीझसीइ तीर्थंकरनइ समीपइ. ||५४|| २२-निर्वाणतप:
निव्वाणमंतकिरिया सा चउदसमेण पढमनाहस्स १ । सेसाणं मासिएणं २२ वीरजिणिदस्स छटेणं ।।५५।।
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अनुसन्धान ४४
२२. संथारो केटलां कीधो. मुक्ति जातां अंतक्रियानओ तप. ते सात दिननी अंतक्रिया प्रथम तीर्थंकर कीधो. शेष २२ तीर्थंकरो मासनो तप. श्रीवीरजिनेंद्रइ बि दिन संथारो. ॥५५॥ २३-निर्वाणस्थान
अट्ठावयं १ चंपु २ज्जल पावा २ सम्मेय ४ सेलसिहरेसु । उसभ १ वसुपुज्ज १२ नेमी २२ वीरो २४ सेसा य २० सिद्धिगया ||५६।।
२३-किण ठामि मुक्ति पहुता. अष्टापद पर्वतई ऋषभदेव. चंपाई वासुपूज्य. गिरनार नेमिनाथ. पावाइं वीर. समेतशिखर पर्वतइ वीस जिन सीधा. ऋषभ १. वासुपूज्य १२. नेमिनाथ २२. वीर २४. शेष २० एतला. एतला अनुक्रमि पूर्वला पदिसूं मेलीइं. ॥५६॥ २४
एगो भगवं वीरो २४ तेत्तीसाए सह निव्वुओ पासो २३ । बत्तीसाएहि पंचहि सएहिं नेमी गओ सिद्धि ।।५७।।
एकला भगवंत वीर मुक्ति पोहता. तेत्रीस मुनि संघाति पार्श्वनाथ सीधा. पांच सय बत्रीस संघाति नेमिनाथ पाम्या सिद्धिनइ. 1॥५७।।
पंचहिं समणसएहि मल्ली १९ संती उ १६ नव सएहिं तु । अट्ठसएणं धम्मो १५ सएहिं छहिं वासुपुज्जजिणो ।।५८।।
पांच सय मुनि संघातइ मल्लिनइ मुक्ति. शांतिनाथ नव सय मुनि साथइ. आठ सय मुनि साथि धर्मनाथ मोक्ष पोहता. छ सय मुनि संघातइ वासुपूज्यजिन मोक्ष पोहता. १५८॥
सत्तसहसा णंतईय जिणस्स १४ विमलस्स १३ छसहसाई । पंचसयाई सुपासे ७ पउमाभे ६ तिन्नि अट्ठसया ॥५९।।
सात सहस्र मुनि साथइ अनंतनाथ १४मा मोक्ष पोहता. विमलनाथ छ हजार मुनि साथइ मोक्ष पोहता. पांच सय मुनि साथि सुपार्श्व मोक्ष पोहता. पद्मप्रभु त्रिणि हजार अनइ आठसय साथइ मोक्ष पोहता ॥५९॥
दसहि सहसेहिं उसहो १ सेसाओ सहसपरिवुडा सिद्धा । कालाई जं न भणियं पढमाणुओगतो नेयं ॥६०||
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दस हजार संघात श्रीऋषभदेव संथारो कीधो. शेष १२ तीर्थंकर ऐकेका सहस्र साथि सीधा. आउषादि सहू नाम कह्या (न कह्या ?) जे ते प्रथमानुयोग सूत्रथी जाणिवा. ॥६०॥ २५. जिनानाम् अंतरकालप्रमाणम्
पन्नासा लखेहि कोडीणं सागराणं उसभाओ । उप्पनो अजियजिणो तईओ तीसाइ लक्खेहिं ॥६१||
२५. सर्वजिनना आंतरा कहइ छइ. पचास लाख क्रोड सागरनइ आंतरइ श्रीऋषभथी उपना अजितनाथ. बीजा थकी त्रीजो त्रीस लाख] कोडि सागर हुआ.
जिणवसभसंभवाओ दसहिओ लखेहि अयरकोडीणं । अभिनंदणाओ भगवं एवईकालेण उप्पन्नो ॥६२॥
जिनमध्ये वृषभसमान संभव थकी दश लाख कोडि सागरनइ अंतरइ हूया श्रीअभिनंदन भगवंत ४ एतति कालिं ऊपना ॥६२॥
अभिनंदणाओ सुमई नवहि उ लक्खेहिं अयरकोडीणं । उप्पन्नो सुहपुत्तो सुप्पभनामस्स वुच्छामि ॥६३।।
अभिनंदन थकी सुमतिनाथ नव लाख कोडि सागरनइ अंतरइ ऊपनो. शुभपुण्यना धणी पद्मप्रभनाम जिननओ कहू. ॥६३।।
नउई य सहसे(स्से)हिं कोडीणं सागराणं पुन्नाणं । सुमईजिणाओ पउमो एवईकालेण उप्पन्नो ॥६४||
नेऊ हजार कोडिसागरइ जाते हुतई संपूर्ण सुमतिनाथ थकी पद्मप्रभु एतलइकालिं ऊपनो. ॥६॥
पउमपहनामाओ नवहिं सहसेहि अयरकोडीणं । कालेणेवइएणं सुवासनामो समुप्पनो ॥६५।।
पद्मप्रभ छट्ठा जिन थकी नव हजार कोडी सागर एतलइ काल जाता सुपार्श्वनामा सातमा तीर्थंकर ऊपना. ॥६५।।
कोडीसएहिं नवहिं सुपासनामो जिणो समुप्पन्नो । चंदप्पभो पभाए पभासयंतो य तिलुक्कं ॥६६।।
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अनुसन्धान ४४
नव सय कोडि सागर सुपार्श्व सातमा तीर्थंकर थकी ऊपना. चंद्रप्रभ आठमा तीर्थंकर प्रभाई करी प्रकास करता हूया त्रिणि लोकनइ. ॥६६।।
नउईहिं कोडीहि ससीओ सुविही जिणो समुप्पन्नो । सुविहि जिणाओ नेवहिं कोडीहिं सीयलो जाओ ॥६७||
नेऊ कोडि सागरे चंद्रप्रभ थकी सुविधिनाथ तीर्थंकर हूया. सुविधिनाथ थकी नव कोडी सागर सीतलनाथ हूया. ॥६७||
सीयलजिणाओ भगवं सिज्जंसो सागराण कोडीए । सागरसयऊणाए वरिसेहिं तहा इमेहिं च ।।६८।।
सीतलनाथ जिन थकी भगवंत श्रेयांस कोडि सागर ते मध्ये एतला ऊणा कीजइ. एकसओ सागर अनइ वरस केतला ते आगलि कहिस्सइ. ॥६८||
छव्वीसाए सहसेहिं चेव छावट्ठिसयसहसेहि । एएहिं ऊणिया खलु कोडीमग्गिलि(ल्लि)या होइ ॥६९।।
छव्वीस हजार वरसे ऊणा वली बासठि लाख वरसे करी एतले वरसे ऊणा निश्चइ कोडि १ सागर पूर्वलानो अंतरो होइ. ६९।।
चउप्पना अयराणं सिज्जंसाओ जिणाओ वसुपुज्जो । वसुपुज्जाओ विमलो तीसहिं अयरेहिं उप्पन्नो ७०।।
चउपन्न सागर अंतरो श्रेयांसनाथ थकी जिन वासुपूज्य हूवा. वासुपूज्य थकी विमलनाथ त्रीसे सागरे ऊपना. ||७०||
विमलजिणो उप्पन्नो नवहि य अयरेहिं णतई जिणाओ । चउसागरनामेहि अणंतईओ जिणो धम्मो ॥७१॥
विमलजिन थकी ऊपना नव सागरे अनंतनाथ जिन हूया. चिहुं सागरे अनंतनाथ थकी धर्मनाथ हूया. ॥७१।।
धम्मजिणाओ संती तिहिओ तिचउभागपलियऊणेहिं । अयरेहिं समुप्पन्नो पलियद्धेणं तु कुंथुजिणो ||७२।।
धर्मनाथ थकी शांतिनाथ पल्यना ४ भाग करीइं तेमांहि लइ एक चउथिं भाग ऊणो एटलिं कुणो पल्यनो तीन सागर अनइ, एतले सागर ऊपना शांतिनाथ.
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शांतिनाथ थकी अद्धपल्य कुंथुनाथ हूया. ॥७२॥
पलियचउब्भागेणं कोडीसहस्सूणएण वासाणं । कुंथुओ अरनामा कोडीसहस्सेण मल्लिजिणो |७३।।
पल्य १ नो चउथो भाग एतलाइ कालइ एक हजार कोडि वरसे ऊणा कुंथु थकी अरनाथ हूया. अर थकी एक हजार कोडि वरसे मल्लिनाथ हूवा. ॥७३॥
मल्लिजिणाओ मुणि सु-व्वओ य चउप्पन्नवासलक्खेहि । सुव्वयनामाओ नमी लक्नेहिं छहिं उप्पनो ७४||
मल्लिनाथ थकी मुनिसुव्रत चउपन्न लाख वरसे हूया. सुव्रत थकी नमिनाथ छ लाख वरसे ऊपनो. ॥७४||
पंचहि लक्खेहिं तओ अरिट्ठनेमीजिणो समुप्पन्नो । तेसीहिं सहसेहिं सएहि अट्ठमेहिं च {१७५।।
नेमिनाथ थकी पंचलाख वरसे तिहाथी नेमिनाथ २२ जिन ऊपनो. नेमिनाथ थकी त्र्यासी हजार वरसे उपरि साढा सात सय वरसे गयई हुंतइ. १७५।।
नेमीओ पासजिणो पासजिणाओ य होइ वीरजिणो !
अड्डाइच्चसएहिं गएहि चरिमो समुप्पन्नो ।।७६।। __नेमिनाथ थकी पार्श्वनाथ हूवा. पार्श्वजिन थकी हूया श्रीवीरजिन अढाइसय वरसे गए हुंतइ चरमजिन ऊपना. ॥७६॥ २६. प्रथमशिष्यनाम
चउवीसजिणवराणं पढमसीसा य उसभसेणो य १ । बीओ य सीहसेणो २ चारू ३ पुण वज्र(ज्ज)नाभो य ४ ७७॥
२६-प्रथम शिष्यना नाम कहइ छइ. चउवीस जिनवरना प्रथम शिष्यना नाम. ऋषभसेन पहिलो १ बीजओ सिंहसेनमुनि. चारुमुनि ३. वली व्रजनाभ ४.
॥७७॥
चमरो ५ सुव्वय ६ छट्टो विदब्भ ७ दिन्नो ८ वराह ९ आणंदो १० । गोत्थूभ ११ सुहम १२ मंदिर १३ जसो १४ रिट्ठो य १५ पंचदसओ ।।७८||
चमरमुनि ५. सुव्रतनामा ६. वैदर्भमुनि ७. दिनमुनि ८. वाराह ९.
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________________ 84 अनुसन्धानं 44 आणंदमुनि 10. गोस्तूभमूनि 11. सौधर्ममुनि 12. मंदिरमुनि 13. जसवंतमुनि 14. रिष्टमुनि पंदरमओ. // 78 / / चक्का१६ऽऽउह 17 सयंभू 18 कुंभो 19 भिसओ य 20 इंदकुंभो य 21 / वरदत्त 22 अज्जदिनो 23 चरमस्स य इंदभूई य 24 / / 74|| चक्रमुनि. आउधमुनि, स्वयंभूमुनि. कुंभमुनि. भिषकमुनि. इंदकुंभमुनि. वरदत्तमुनि. आर्यदिनमुनि. चरमतीर्थकरनइ इंद्रभूतिमुनि. 79 / / २७-प्रथमशिष्यणीनाम चउवीसजिणवराणं पढमा सिसिणी अहाणुपुव्वीए / बंभी 1 फागू 2 सामा 3 अइराणी 4 कासवी 5 रईया 6 // 80 / / २७-प्रथमशिष्यणी नाम कहइ छइ. चउवीस तीर्थंकरनी प्रथम शिष्यणीना नाम यथा अनुक्रमइ. ब्राह्मी. फल्गु. श्यामा. अतिराणी. काश्यपी. रंजिता. ||80 // सोमा 7 सुमणा 8 वारुणी 9 सुलसा 10 धारणी 11 भवे य धरणी य 12 / धरणिधरा तेरसमा 13 पउमा य 14 सिवा 15 सूई 16 अज्जू 17 // 81 / / सोमा. सुमनासाधवी. वारुणी. सुलसा साध्वी. धारणी होइ. धरणी साधवी. धरणीधरा तेरमी. पद्मा. सिवा. सूची. अंजू. // 8 // भावियप्पा रक्खिय 18 बंधू 19 पुष्पवई 20 होइ वीसइमो। अज्जा धणिला 21 जक्खिणि 22 पुप्फचूलाओ 23 चंदणया 24 // 82 / / भाव्यो छि आत्मा जेणीइ रक्षिका. बंधू. पुष्पवती वीसमी होइ. साधवी धनिला यक्षिणी साधवी, पुष्पचूला साधवी. चउवीसमी चंदनबाला. // 82|| 28. इदानीं श्रीवीरगणधरनामानि नाम 1 गाम 2 नक्खत्ता 3 पिउ 4 गत्त 5 मगार 6 छउमत्थ 7 / परियाओ 8 केवलीयाओ 9 आगम 10 परिनिव्वाण 11 तवो 12 कमेणं / / 83 / / 28 हिवइ गणधरना 12 द्वार अनुक्रमइ कहइ छइ. नामद्वार. ग्रामद्वार. केणइ नक्षत्रइ जन्म ते द्वार. पिता द्वार. गोत्रद्वार. गृहवासकाल. छद्मस्थकालद्वार. प्रव्रज्याकाल. केवलप्रव्रज्याकाल. सिद्धांत भण्यानो. निर्वाणद्वार. तपप्रमाण. अनुक्रमइ. ||83||
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________________ जून 2008 29 श्रीवीरगणधर सिरिवद्धमाणगणा इंद 1 अग्गी 2 वाउभूई 3 तीओ य / होइ वियत्तो 4 सुहमो 5 मंडिय 6 मोरिय 7 भवे पुत्ता // 84|| 29. श्रीवर्धमानस्वामीना गणधर. श्रीवर्धमानना गण. इंद्रभूति. अग्निभूति. वायुभूति त्रीजओ. व्यक्तस्वामी. सुधर्मास्वामी. मंडित. मौर्यपुत्र हूया. // 84|| अट्ठमओ अकंपिओ पि य 8 नवमो भवे तह अचलभाया य 9 / मेयज्जो य 10 पहासो 11 गणहरा हुंति वीरस्स // 85 // ३०-ग्रामनाम मगहा 1 गोबरग्रा(ग्गा)मे जाया तिन्नेव गोयमसगुत्ता / कुल्लागसनिवेसे 3 जाओ वियत्तो 4 सुहमो(म्मो) य 5 // 85 / / ३०-ग्राम नाम कहइ छइ. मगधदेश-गोबरग्रामइ त्रिणि भाई हूया. त्रिणि भाई गौतमगोत्रना. चउथो कोलाकसन्निवेसइ जन्म व्यक्तस्वामी सुधर्मास्वामी. 186 / / मोरीयसन्निवेसे दो भायरो मंडियमोरिया 7 जाया। अचलो य 8 कोसलाए मिहिलाए 9 अकंपिओ जाओ // 87 / / मोरीय सन्निवेसइ बे भाई मंडित-मौरीपुत्र जन्म हूया. एक अचल ग्रामइ बीजो कोशलापुरइ. मिथिलाई अकंपित जन्म्या. // 87 / / तुंगीइ सन्निवेसो(से) मेयज्जो 10 वच्छभूमीए जाओ / भयवं पि [य] प्पभासो 11 रायगिहे गणहरो जाओ / / 88 / / तुंगीया नगरीइं मेतार्यस्वामी वच्छभूमिकाई जन्म. भगवंत प्रभास नामि गणधर राजगृहनगरीइं गणधर जन्म्या . // 88 // ३१-जन्मनक्षत्र जेट्ठा 1 कित्तिय 2 साई 3 सवणो 4 हत्थुत्तरा 5 महाओ य 6 / रोहिणी 7 उत्तरासाढा 8 मिगसिरि 9 तहय असणि 10 पुस्सो 11 // 89|| ३१-नक्षत्रनाम कहइ छइ. जयेष्टा नक्षत्रइ जन्म. कृत्तिकाई. स्वाति. श्रवण. उत्तराफाल्गुनी. मघानक्षत्रइं. रोहिणी. उत्तराषाढानक्षत्रइ. मृगशिर. तिमज
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________________ 86 अनुसन्धान 44 अश्विनी. पुष्पनक्षत्र. // 89 / / ३२-पिता नाम - वसुभूई 3 धणमित्ते 4 धमिल 5 धणदेव 6 मोरिए 7 चेव / देवे 8 वसू य 9 दत्ते 10. बले य 11 पियरो गणहराणं // 90 // धनदेव, मोरिय, निश्चई. देवनाम, वसूनाम. दत्तनाम. बलनामि ए पिता गणधरोना. / / 90 // ३३-माता नाम पुहवी य 3 वारुणी 4 भद्दिला य 5 विजयादेवी 6 तहा जयंती य 8 / नंदा य 9 वरुणदेवी 10 अइभद्दा य 11 मायरो // 91 // ३३-माताना नाम कहइ छइ. पृथिवीमाता 3 नी माता. वारुणी. भद्दिलामाता. विजयादेवी माता, तथा जयंतीनामइ. नंदामाता. वारुणीदेवी, अतिभद्रामाता ए 11 गणधरनी माता. // 91|| ३४-गणधरगोत्र - तिन्नि य गोयमगोत्ता 3 भारदा 4 अग्गिवेस 5 वासिट्ठा 6 / कासव 7 गोयम 8 हारीय 9 कोडिन्नदुगं च 11 गोत्ताई // 92 / / __ ३४-गणधर 11 ना गोत्र कहइ छइ. प्रथम त्रिणना गौतम गोत्र, भारदायन गोत्र. अग्निवैश्य गोत्र. वाशिष्ट गोत्र. काश्यपगोत्र. गौतम गोत्र. हारीत गोत्र. छेहला 2 ना कौडिन्य गोत्र कहाओ. // 92 / / ३५-गृहवासकालमानं पन्ना 1 बायालीसा 2 बायाला 3 होइ पनपन्ना य 4 / तेवण 5 पंचसट्ठी 6 अडयालीसा य 7 बायाला 8 / / 93|| 35. घरमां केतला काल रह्या ते कहइ छइ. 50 वरस गौतम. बइतालीस वरस. बइतालीस वरस होइ. पंचावन वरस. त्रेपन्न वरस. पइंसट्ठि छत्तीसा 10 सोलसग्गं 11 अगारवासो भवे गणहराणं / छउमत्थपरियागं अहकम्मं कित्तइस्सामि / / 94 / /
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________________ जून 2008 87 छत्रीसवरस, सोलइवरस. एतलो घरमांहे रहवानो काल गणधरोनो. हिवइ छद्मस्थ प्रव्रज्या यथाक्रमइ कहिस्यउं // 94|| ३६-छद्मस्थकालमान तीसा 1 बारस 2 दसगं 3 बारस 4 बायाल 5 चउदसदुगं च 7 / नवगं 8 बारस 9 दस 10 अट्टगं च 11 छउमत्थपरियाओ / / 95 / / ३६-छद्मस्थ द्वार कहइ छइ. तीस वरस. बार वरस. दश वरस. बार वरस. बइतालीस वरस. छेवट्ठा-सातमानइं 14 वरस. नव वरस. बार वरस. दश वरस. आठ वरस. एतलो काल छद्मस्थपणइ रह्या. // 95 // 37 केवलपर्यायप्रमाणं बारस 1 सोल 2 अट्ठार 3 अट्ठारसेव 4 अट्टेव 5 सोलस 6 / सोलसि 7 गवासा 8 चउ-दस 9 सोले य 10 सोले य 11 // 96 / / ३७-केवलपर्याय द्वार कहइ छइ. बार वरस लगि. सोल वरस. अढार वरस. आठ वरसलगि. आठ वरस. सोलइ वरस. सोलइ वरस. लगि. इगवीस वरस लगइं. चउदस वरस लगई. सोलइ वरस लगि. सोलवरस लगइ. // 96 / / ३८.-सर्वायु बाणउई चउहत्तरि 2 सत्तरि 3 ततो भवे असिईया 4 / एगं च सयं 5 ततो तेसीइ 6 पंचनउई य 7 // 97|| ३८-सर्व आऊषो केतलो. बाणुं वरस पहिलानउ. चउत्तरि वरस. सत्तर वरस. तिवार पछी असी वरस. एकसो वरस. तिवार पछी त्र्यासी वरस. पंचाणु वरस सातमानो. / / 97 // अठ्ठत्तरं च 8 वासा ततो बावत्तरं च 9 वासाइं / बावट्ठी 10 चत्त 11 खलु सव्वे गणहराऊय एय // 98|| अट्ठहुत्तरि वरस. तिवार पछी बहुत्तरि वरस. बासट्टि वरस. चालीस वरस निश्चइ. सर्वगणधरना आऊषो कह्या. // 98 // सव्वे वि माहणा जच्चा सव्वे अज्झावया विऊ / सव्वे दुवालसंगी य सव्वे चउद(६)सव्विणो // 99 / /
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________________ 88 अनुसन्धान 44 सगलाई गणधर ब्राह्मण जातिना. सगलाई अध्यापक, पंडित. सगलाई बार अंगना जाण. चउदस पूर्वना जाण. // 19 // परिनिव्वुया गणहरा जीवंते नायए नवजणाओ / इंदभूई सुहम्मे य रायगिहे निव्वुए वीरे // 100 / / सगलाई सीधा गणधर जीवतां न्यातिपुत्र वर्धमानने नव गणधर. इंद्रभूति सुधर्म राजगृह नगरइ सघलाइ मुक्ति पोहता. // 10 // मासं पाओवगया सव्वे वि य सव्वलद्धिसंपन्ना / वज्जरिसहसंघयणा समचउरंसा य संठाणा / / 101 // एकमासनो पादोपगमन संथारो कीधओ. सगलाई सर्वलबद्धिं करी सहित. सगलाई वऋषभनाराच संघवणना धणी. समचउरंस संस्थानना धणी. // 101 // ३९-हिवइ चक्रवर्तिनो स्वरूप कहूं. प्रथम नाम द्वार भरहो 1 सगरो 2 मघवं 3, सणंकुमारो 4 रायसङ्कलो / संती 5 कुंथु य 6 अरो 6, हवई सुभूमो य 8 कौरवो(कोरव्वो) // 102 // ___३९-वली चक्रवर्तिनओ द्वार कहइ छइ. पहिलो नाम द्वार. भरतचक्री. संगरचक्री. मघव. सनत्कुमार राजा शार्दूलनी उपमाइ. शांति. कुंथु. अरचक्री. होइ सुभूम कौरवजातिना. // 102 / / नवमो य महापउमो 9 हरिसेणो 10 चेव रायसठूलो / जयनामो य 11 नरवई बारसमो बंभदत्तो य 12 // 103 / / नवमो महापद्मचक्री. हरिषेण 10 निश्चइ राजाशार्दूल समान. जयनामा नरपती. बारमो ब्रह्मदत्तचक्री. // 103 / / ४०-चक्रीपिता उसभे 1 सुमितविजए 2 समुद्दविजए य 3 अस(स्स)सेणे य 4 / तह विससेणे य 5 सूरे 6 सुदंसणे 7 कत्तवीरिए य 8 // 104|| 40. चक्री पिता द्वार. ऋषभ. सुमित्रविजय. समुद्रविजय. अश्वसेन राजा. तथा विश्वसेन राजा. सूर राजा. सुदर्शन. कार्तवीर्यराजा. // 104 //
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________________ जून 2008 पउमुत्तरे 9 महाहरि 10 विजए राया 11 तहेव बंभे य 12 / उसप्पिणीइमीसे पिउनामा चक्कवट्टीणं // 105 // पद्मोत्तर राजा. महाहरी राजा, विजय राजा. तिम ज ब्रह्मराजा. ए अवसर्पिणीनइ विषइ पितानाम चक्रवर्तिना. // 105 / / ४१-चक्रीमाता सुमंगला 1 जस्सवई 2 भद्दा 3 सहदेवि 4 अइर 5 सिरि 6 देवी 7 ! तारा 8 जाला 9 मेरा य 10 वप्पगा 11 तह य चुलणी य 12 // 106 / / 81. चक्रीनी माता. सुमंगला माता 1. जसवती. भद्रा. सहदेवी. अचिरा 5. श्रीराणी 6. देवी 7. तारा 8, ज्वाला 9. मेरा माता 10. वप्रा राणी 11. तथा चुल्लणी राणी 12. // 106 // 42. चक्री आयु: चउरासीई 1 बावत्तरी य 2 पुव्वाणं सयसहसाइं / पंच य 3 तिन्नि य 4 एगं च 5 सयसहसाओ वासाणं // 107 / / 42. चक्रीनो आऊषो कहइ छइ. चउरासी लाख पूर्व. बहुत्तरी लाख आऊषो अनुक्रमि कहीइं // 107|| पंचाणउई सहसा 6 चउरासीई य 7 अट्ठमे सट्ठी 8 / . . तीसा य 9 दुसय 10 तिन्नि य 11 अप्पच्छिमे सत्तवाससया 12 / / 108 // पंचाणुहजार वरस. चउरासी हजार वरस. आठमानो साठि हजार वरस. तीस हजार वरस. वीस हजार वरस. तीन हजार वरस. ब्रह्मदत्तनो सातसय वरसनओ आऊषओ. // 10 // 43. चक्रीनगर वाणारसी 9 कंप्पिल्ले 10 रायगिहे 11 चेव कंपिल्ले 12 // 109 / / 43. चक्रीना नगरनाम कहइ छइ. विनीतानगरीइं जन्म भरतनओ 1. अयोध्याइं. सावत्थीइं. पांच चक्रीनो जन्म हस्तिनागपुर नगरई. वाणारसी जन्म,
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________________ अनुसन्धान 44 कंपिलपुरइ. राजगृहनगरइ. वली कंपिलपुरइ. // 109 / / ४४-देहवर्ण सव्वे वि एगवण्णा निम्मलकणगप्पहा मुणेयव्वा / छखं(क्खं)डभरहसामी तेसिं पमाणं अओ वुच्छं // 110 / / 44. देहना वर्ण कहइ छइ. सर्व चक्रीना एक वर्ण निर्मला सौवर्णनी कांति सरीखा जाणिवा. छखंडनो भरतसामी. तेहना देहनो प्रमाण आगलि कहस्यउं. // 110 // ४५-चक्रीशरीर पंचसय 1 अद्धपंचम 2 बायालीसा य 3 अद्धधणुयं च / इगुयालधणुसद्धं च 4 चउत्थे पंचमे चत्ता 5 // 111 / / 45. चक्रीना शरीरनो प्रमाण कहे. पांच सय धनुषनो भरत 1. साढा 400 सय धनुष ऊंचा. बइतालीस धनुष ऊंचा. ऊपरि वली आधो धनुष. साढा इंगतालीस धनुष ऊंचो चउथो चक्री. पांचमा 40 धनुष ऊंचा. // 111 / / पन्नत्तीसा 6 तीसा पुण 7 अट्ठावीसा य 8 वीस य 9 धणूणि / पन्नरस 10 बारसेव य 11 अप्पच्छिमो सत्त य धणूणि 12 // 112 / / पइंत्रीस धनुष ऊंचा. त्रीस धनुष ऊंचा. वली अट्ठावीस धनुषना ऊंचा. वीस धनुषना ऊंचा. पनरइ धनुषना ऊंचा. बार धनुष ऊंचा. छेहलो चक्री सात सय धनुषना ऊंचा. // 112 / / ४६-चक्रीगोत्र कासवगोत्ता सव्वे चउद्दसरयणाहिवा समक्खाया / देविदवंदिएहिं जिणेहिं जियरागदोसेहिं // 113 / / 46. चक्रीनी गोत्र कहइ छड्. काश्यपगोत्री सगलाई. चउद रत्नना अधिपती कह्या. देवता इंद्र शकेंद्रादिना वंदनीक तेणि तीर्थंकरइ, जेण जीता राग-द्वेष. // 113 / /
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________________ जून 2008 ४७-स्त्रीरत्वनाम पढमा होइ सुभद्दा 1 भद्द 3 सुनंदा 3 जया [य] 4 विजया य 5 / किण्हसिरी 6 सूरसिरी 7 पउमसिरी 8 वसुंधरा 9 देवी 10 // लच्छिमती 11 कुरुमती 12 इत्थीरयणाण नामाणि // 114|| 47. स्त्रीरत्न कहइ छइ. प्रथम स्त्री सुभद्रा 1. भद्रा. सुनंदा. जया. विजया. कृष्णश्री. सूरश्री. पद्मश्री. वसुंधरा देवीनाम. लक्ष्मीवती. कुरुमती स्त्री. स्त्रीरत्नना ए 12 नाम कह्या. // 114 // 48. हिवइ वासुदेव-बलदेवादि अधिकार: तिवि य१ दुव य 2 सयंभू 3 पुरिसुत्तमे 4 पुरिससीहे य 5 / तह पुरिसपुंडरीए 6 दत्ते 7 नारायण(णे) 8 कण्हे 9 // 115 / / ____48. हिवइ वासुदेवनओ अधिकार कहइ छइ. त्रिपृष्ट वासुदेव, द्विपृष्ट वासुदेव. स्वयंभू. पुरुषोत्तम. पुरुषसिंह वासुदेव. तथा पुरुषपुंडरीक. दत्तनाम. लखमणनाम. कृष्ण वासुदेव. // 115 / / 49. रामनाम अयले 1 विजए 2 भद्दे 3 सुप्पभे य 4 सुदंसणे 5 आणंदे 6 / नंदणे 7 पउमे 8 रामे आवि 9 अपच्छिमे / / 116 / / 49. बलदेवनाम. अचलनाम 1. विजय. भद्द. सुप्रभनाम. सुदर्शननाम. आणंदनाम. नंदननाम. पद्मनाम. नवमो बलदेव[राम] नाम. // 116|| ५०-प्रतिवासुदेव आसग्गीवे 1 तारए 2 मेरए 3 महु 4 केटवे 5 निसुंभे य 6 / बलिप(प्प)हराए 7 तह रावणए 8 नवमे जरासिंधू // 117 / / 50. तेहना वैरी प्रतिवासुदेव. अश्वग्रीव. तारकनाम. मेरक. मधु. कैटभ. निशुंभ. बलिप्रह्लाद. तथा रावण. नवमो जरासिंधु // 117 // ५१-नगरीनाम पोय 1 बारवई तिग 4 अस्सपुरं 5 तह य होइ चक्कपुरं 6 / वाणारसी 7 रायगिहं 8 अपच्छिमो जाओ महुराए 9 // 118 / /
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________________ अनुसन्धान 44 51. वासुदेव जन्मनगरी कहइ. पोतनपुर. बारवती नगरी त्रिणि वासुदेवनी. अश्वपुरनगर. तथा छइ चक्रपुरनगर. वाणारसीइं. राजगृहनगर, छेहलो वासुदेव जन्म्यो मथुरानइ विषइ. // 118 // ५२-पितानाम हवइ पयावई 1 बंभो 2 रुद्दो 3 सोमो 4 सिवो 5 महसिवो 6 य / अग्गिसीहे 7 दड्ढरहे 8 नवमे भणिए य वसुदेवे 9 // 119 / / .. ५२-वासुदेव पिता छइ. प्रजापति. ब्रह्म. रुद्र. सोम. शिव. महाशिव. अग्निसिंह. दशरथ. नवमो कह्यो वसुदेव. // 119 // 53. वासुदेव माता मिगावई 1 उमा चेव 2 पुहवी 3 सीया य 4 अमया 5 लच्छिवई 6 / सेसवई 7 केगई 8 देवई य - - - - - - ||120 / / 53. वासुदेवनी माता नाम. मृगावती. उमादेवी. पृथिवी. सीता. अमयानाम. लच्छिवती. शेषवती. केकई. देवकी. // 120 / / 54. राममाता भद्द 1 सुभद्दा 2 सुप्पभ 3 सुदंसणा 4 विजया 5 वेजयंती 6 / तह जयंती य 7 अपरा-जिया य 8 तह य रोहिणी चेव / / 12 / / 54. बलभद्रनी माता. भद्रा. सुभद्रा. सुप्रभा. सुदर्शना. विजया. वैजयंती. तथा जयंती. अपराजिता. तथा रोहिणी निश्चइ. // 121 // ५५-हरिपूर्वभव वसुभूई 1 पव्वइए 2 धणदत्त 3 समुद्ददत्त 4 सेवाले 5 / पियमित्त 6 ललियमित्ते 7 पुणव(व्व)सू 8 गंगदत्ते य 9 // 122|| 55. वासुदेव पूर्वभव नाम कहई छइ. वसुभूति. पर्वत. धनदत्त. समुद्रदत्त. सैवाल. प्रियमित्र. ललियमित्र. पुनर्वसू. गंगदत्त. // 122 / / एयाइं नामाइं पुन्वभवे आसि वासुदेवाणं / एत्तो बलदेवाणं जहक्कमंमि(क्कम) कित्तइस्सामि // 123 / /
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________________ जून 2008 ___ ए पूर्वोक्त नवनाम पूर्वभवइ हूया वासुदेवना नाम. हिवइ बलदेवनाम कहिस्यउं. जिम अनुक्रमइ कहूं छउं. // 123 / / ५६-राम पूर्वभवनाम विसनंदी 1 सुबंधूए 2 सागरदत्ते 3 असोग 4 ललिए य 5 / वाराहे 6 धणसेणे 7 अपराइय 8 रायललिए य 9 // 124 // ५६-नव बलदेवना पूर्वभव कहइ. विश्वनंदी नामइ. सुबंधुक. सागरदत्त. असोग. ललितांग. वाराह. धनुसेन. अपराजित. राजा ललितांग नामि // 124 // ५७-हरि-राम पूर्वगुरु नाम संभूय 1 सुभद्द 2 सुदंसणेय 3 सेयंस 4 कण्ह 5 गंगदत्ते य 6 / सागर 7 समुद्दनामे 8 दुमसेणे य 9 अपराइ पच्छिमे // 125 / / ५७-वासुदेव-बलदेव पूर्वभवना गुरु नाम. संभूत नामा आचार्य. सुभद्र. सुदर्शन. श्रेयांस. कृष्ण. गंगदत्त. सागरनाम. समुद्रनाम. द्रुमसेन. अपराजित नवमो. // 125 // एए पुव्वायरिया कित्तीपुरिसाण वासुदेवाणं / पुव्वभवे आसि(सी)या जत्थ नियाणाइ कासीय // 126|| ए पूर्वोक्त आचार्य कीर्तिवंतपुरुष वासुदेव पूर्वभवनइ विषइ जिहां रहीनइ जिहां नियाणा कीधा. // 126 / / 58. नियाणाना ठाम महुराए 1 कणगवत्थु 2 सावत्थी 3 पोयणं च 4 रायगिहं 5 / कायंदी 6 मिहिला वि य 7 वाणारसी 8 हत्थिणपुरं च 9 // 127 / / 58. नियाणाना ठाम कहइ छइ. मथुरानगरी. कनकवस्तु. सावत्थी. पोतनपुर. राजगृहनगर. काकंदी. मिथिला नगरी, वाणारसी. हस्तिनागपुर नगर. ||127 // 59. नियाणाकारणं गावी 1 जूए य 2 संगामे 3 इत्थी 4 पाराईए य रंगंमि 5 / भज्जाणु 6 रागगुट्ठी 7 परइड्ढी 8 माउगाइ य 9 // 128 / / टि.१ सागर अने समुद्र बंने एकज नाम होय एम लागे छे.
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________________ अनुसन्धान 44 ५९-नियाणाना कारण कहूं. गायनइ प्रयोगइ. जूयनइ प्रयोगि. संग्रामनइ प्रयोगि. स्त्रीना पगथी. भार्याना प्रयोगथी. रागनी गोष्टिनइ प्रयोग. पारकी ऋद्धि देखीनइ. माताना द्वेष थकी. // 128 // ६०-आगति नाम महसुक्का 1 पाणय 2 लं-तगाओ 3 सहसारओ य 4 माहिंदा 5 / बंभा 5 सोहम्म 7 सणं-कुमार 8 नवमो महासुक्को 9 // 129 / / ६०-नव वासुदेव किहां थकी आव्या. महाशुक्र सातमाथी. प्राणत दशमाथी. लांतक छट्ठाथी. सहस्रार ८मा हुँती. माहेंद्र चउथा हुंती. ब्रह्म हुंती. सुधर्म हुंती. सनत्कुमार हुंती. नवमो महाशुक्र हुंती. // 129 / / 61. राम पूर्वगति नाम तिन्नेव अणुत्तरेहिं 3 तित्रेव भवे तहा महासुक्का 6 / अवसेसा 3 बलदेवा अणंतरं बंभलोगचुया 9 // 130 / / ६१-बलदेवनी पूर्वगतिना किहां हुंती आव्या. प्रथम त्रिणि बलदेव अनुत्तर विमान हुंती. आगिला तीन बलदेव महाशुक्र देवलोक हुँती. शेष त्रिणि बलदेव आंतरा रहित ब्रह्मदेवलोक पांचमा हुंती आव्या. // 130|| 62 परियाओ पव्वया(ज्जा) भावाओ नत्थि वासुदेवाणं / होइ बलाणं सो पुण पढमाणुओगाओ नायव्वो // 131 // ६२-दीक्षानओ कालमान कहइ छइ. दीक्षा लेवाना अभाव माटइ न होइ वासुदेवनइ. अनइ बलभद्र दीक्षा कालिमान प्रथमाणुयोग पूर्वगति सूत्रथी जाणिवा. // 131 // ६३-वासुदेव गति नाम एगो य सत्तमाए 1 पंच य छट्ठी 6 पंचमी एगो 7 / एगो य चउत्थीए 8 किण्हो पुण तच्चपुढवीए 9 // 132 / / ६३-वासुदेव 9 किहां गया ते कहइ छइ. प्रथम वासुदेव सातमी नरक गयओ. आगला पांच वासुदेव छट्ठी नरक. सातमो पांचमी नरक गयओ. आठमो
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________________ जून 2008 वासुदेव चउथी नरक गयओ. कृष्ण वली त्रीजी नरक गयओ. // 132 // ६४-बलदेवगति - अटुंतकडा रामा एगो पुण बंभलोगकप्पंमि / उववन्नो तत्थ भोए भुत्तं अयरोपमा दसओ // 133|| ६४-बलदेव मरीनइ किहां गया ते कहुं. आठ बलभद्र मुक्ति पोहता. एक नवमो वली ब्रह्मलोकइ पोहतओ ऊपनो. तिहां भोग नइ भोगवीनइ सागर दशनो आऊषओ. 1133 // तत्तो य चइत्ताणं इहेव ओसप्पिणीइ भरहमि / भवसिद्धिओ य भगवं सिज्झिस्सइ किण्हतित्थंमि // 134 // तिहांथी छांडीनइ एहज अवप्पिणी भरतक्षेत्रनइ विषइ मुक्ति पामवा योग्य भगवंत सीझिस्यइ बलभद्र. 134 // अनियाणकडा रामा सव्वे वि य केसवा नियाणकडा। उढुंगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी // 135 / / नियाणाना अकरणहार बलदेव सगलाई, सगलाई वासुदेव नियाणा कीधा. ऊंचीगतना जाणहार सगलाई बलदेव, वासुदेव सगलाई अधोगामी जाणिवा. // 135 / / ६५-चक्री जे वारिं हूया ते कहुं उसभे भरहो 1 अजिय सगरो 2 मघवं सणंकुमारो य 4 / धम्मस्स य संतिस्स य जिणंतरे चक्कवट्टिदुगं // 136 // 65. चक्रवर्ति जेहनइ वारइ हूया ते कहइ छइ. ऋषभनइ वारइ भरतचक्रवर्ति. अजितनइ वारनइ सगर. मघवा चक्रवर्ति सनत्कुमार ए बे धर्मनाथ शांतिनाथ जिणनइ आंतरइ बे चक्रवर्ति हूया. / / 136 // / संती कुंथु अरो अरहंता चेव चक्कवट्टी य / अर-मल्लिअंतरे हवइ सुभूमो कौरवो(व्वो) // 137 // शांतिनाथ कुंथुनाथ अरनाथ तीर्थंकर निश्चइ हूया, अनइ चक्रवर्तिपणि हूया. अरनाथ अनइ मल्लिनइ अंतरइ वली होइ सुभूम आठमो चक्री कौरव. // 137||
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________________ अनुसन्धान 44 मुणिसुव्वए नर्मिमि य हुंति दुवे पउमनाम हरिषेणो। नमि-नेमीसु जयनामा अरिट्ठ-पासंतरे बंभो // 138|| मुनिसुव्रत वीसमा नमिनाथ इकवीसमा बिचइ होइ बे पद्मनाम चक्रवर्ति अनइ हरिषेण चक्रवर्ति, नमिनाथ-नेमिनाथ बिचइ जयनामा चक्रवर्ति हूया. नेमिनाथ अनइ पार्श्वनाथ बिचइ ब्रह्मदत्त चक्री हूया. // 138 / / ६६-वासुदेव जिननइ वारइ पंचऽरहंते वंदंति केसवा पंच आणुपुव्वीए / सिज्जंस तिविधइ (तिविट्ठाइ) धम्म पुरिससीहपेरंता // 139 // ६६-वासुदेव जे जेहनइ वारइ हूया ते कहइ छइ. पांच अरिहंत ११माथी तेहनइ वारइ वासुदेव त्रिपृष्ठादि पांच अनुक्रमइ. धुरि श्रेयांस ११माथी मांडि त्रिपृष्ठादि वासुदेव धर्मनाथ लगइ अनइ पुरुषसिंघ लगि क्रमइ 2 हूया. // 139 / / अर-मल्लिअंतरं दुन्नि केसवा पुरिसपुंडरीय-दत्ता। * मुणिसुव्वय-नमिअंतरे नारायण कन्ह नेमिमि // 140 // अरनाथ मल्लिनाथनइ आंतरइ बि वासुदेव पुरुषपुंडरीक वासुदेव अनइ दत्त वासुदेव हूया. मुनिसुव्रत अनइ नमिनाथनइ आंतरइ लखमणवासुदेव हूया. कृष्णवासुदेव नेमिनइ सासनइ / / 140 // चक्किदुगं 2 हरिपणगं 5 पणगं 5 चक्कीण केसवो 1 चक्की 1 // केसव 1 चक्की 1 केसव 1 दु चक्की 2 केसव 1 चक्की य 1 // 141 // प्रथम बे चक्री हूया. पछइ पांच वासुदेव अनुक्रमइ. पछइ पांच चक्रवर्ति. वली वासुदेव. वली चक्रवर्ति. वली वासुदेव. वली चक्रवर्ति. वली वासुदेव. बे वली चक्रवर्ति. वली वासुदेव. वली चक्रवर्तिः / / 141 / / ६७-ऐवत्तक्षेत्र - चंदाणणो 1 सुचंदो 2 तईओ तह आसि अग्गनिसेणो य 3 / तुरिओ य नंदसेणो 4 इसिदिन्नो 5 पंचमो वयहारी 6 // 142 / / 67. हिवइ ऐरवतक्षेत्रना 24 जिन कहुं छु. चंद्रानन नामइ. सुचंद्र नामइ. त्रीजो तथा अग्निसेन नामइ. चउथओ नंदसेण. ऋषभदत्त पांचमओ, छट्ठो
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________________ जून 2008 व्रतधारी. // 142 // सत्तमय सामचंदो 7 अट्ठमओ आसी ज्जु(जुज्ज)सेणो य / नवमो य अजियसेणो 9 सिवसेणो 10 देवसेणो य 11 // 143 / / सातमओ श्यामचंद्र नामि, आठमओ हूओ युक्तसेन नामइ. नवमो अजितसेन तीर्थंकर. शिवसेन दशमो. देवसेन इग्यारमओ. // 143 / / नवरत्तं 12 सत्थसंजल 13 अणंत 14 उवसंत 15 गुत्तसेणो य 16 // अतिपासो य 17 सुवासो 18 मरुदेव 19 धरो य 20 वीसइमो // 144 / / नक्षत्र. शस्त्रसंजल तेरमो. अनंत चउदमओ. उपशांत पनरमो. गुप्तसेन सोलमो तीर्थंकर, अतिवास नामइ सतरमो. सुपार्श्व अठारमओ. मरुदेव नामइ. धरनामइ वीसमओ. // 144|| इगवीस सामकोट्ठो 21 बावीसमो य अग्गिसेणो य 22 / तेवीसमग्गिउत्तो 23 चरिमो तह वारिसेणो य 24 // 145 / / इकवीसमो श्यामकोष्टनामइ. बावीसमो अग्निसेन नामइ. त्रेवीसमा अग्निपुत्र नामा. छेहलो तिमज वारिषेन नामइ. / / 145|| एए जिन चउवीसा ऐरवए आसी इहकाले य। ते वंदामि य सिरसा जरामरणविप्पमुक्का य॥१४६।। ए पूर्वोक्त जिन चउवीस ऐरवतक्षेत्रइ हूया वर्तमान कालइ. तेहनइ वांदू मस्तकइ करी. ते जिन जरामरणथी विप्रमुक्त हूया. // 146|| ६८-आगली चउवीसी - भरहे भावियजिणा महपउमो 1 सुरादेव य 2 सुपासो 3.1 होज्ज सयंपभ 4 सव्वा-णुभूई 5 तह देवउत्तो य 6 // 147 / / ६८-भरतक्षेत्रना आगामीया कालना 24 जिन कहं. भरतक्षेत्रि होसी 24 जिन. महापद्म. सुरादेव. सुपार्श्व होय. स्वयंप्रभ. सर्वानुभूति पांचमओ. तथा देवगुप्त * छट्ठो. // 147 // उदओ सत्तम 7 पेढालपुत्त 8 अट्ठमय जा पोट्टिल 9 सयसो 10 / मुणिसुव्वय 11 अममो तह होज्ज बारसमो 12 // 148 / /
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________________ अनुसन्धान 44 उदक नामि सातमो. पेढालपुत्र नामि आठमओ. पोट्टिल. शतक दशमओ. मुनिसुव्रत. अममनाथ तथा होइ बारमो जिन. // 148|| तेरसम निक(क्क)साओ 13 चउद्दसमो निपु(प्पु)लाय बोधव्वो 14 / निम्मम 15 होज्ज पन्नरस सोलसमो चित्तउत्तो य 16 // 149 // तेरमो निःकषायनामि. चउदमो निःपुलाकनामि जाणिवो. निर्ममनामइ छइ पनरमो. सोलमो चित्रगुप्त नामइ. // 149 / / होही समाहि 17 संवर 18 अनियट्टि 19 विजय 20 होज्ज विमलो य / 21 देवोववाय 22 णंतो 23 भदंति 24. भावियभरहंमि // 150 // होसी समाधिनामि. संवरनामइ. अनिवृत्तनामि. विजयनामइ वीसमओ. होसी विमलनामइ. देवोपपात नामइ. अनंत नामइ. भद्रकृत चउवीसमो. होसी 24 जिन भरतक्षेत्रनइ. // 150 // ६९-ए 24 जिननाम पूर्वभवना सेणिय 1 सुपास 2 उदओ 3 पोट्टिल य 4 दढाऊय 5 पंचमओ। कत्तिय 6 संखो य 7 तहा सुनंदो 8 चेव अट्ठमओ // 151 // 69. ए पूर्वोक्त चउवीसीना पूर्वभवना नाम कहइ छइ. श्रेणिकराजा. सुपास-वीरनो काको. उदक नामइ. पोट्टिल नामइ. दढआउयो पांचमओ. कार्तिकसेठ. संख सातमो. तथा सुनंद निश्चइ आठमो. // 151 // सयओ 9 देवइ 10 सेच्चई 11 बारसमो वासुदेव 12 बलदेवो 13 / / रोहिणी 14 सुलसा 15 रेवई 16 तओ सिंगाली 17 तह भयाली य 18 // 152|| __ शतक नवमो. देवकी. सत्यकी विद्याघर. बारमो वासुदेव कृष्ण. तेरमो बलदेव. रोहिणी. सुलसा. रेवतीनो जीव. तिवार पछी सिंगाली. तथा भयाली नाम. // 152 // दीपायण च(णो य) 19 कण्हो 20 नारय 21 अंबड 22 भवे य बावीसो। दारुय 23 सो वि य बुद्धो 24 पुव्वभवनामाई भविस्संति / / 153 / / द्वैपायननो जीव. कृष्ण. नारद. अंबडसंन्यासी होसी बावीसमो. दारुक. ते वली बुद्ध चउवीसमो तीर्थंकर होसी. पूर्वभवनां नाम 24 कह्या. // 15311
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________________ जून 2008 ७०-आगला 12 चक्रवर्तिनाम भरह अणागयकाले बारस चक्की इमे भविस्संति / भरहोइ(य?) 1 दीहदंतो 2 सुगूढदंतो 3 भवे तईओ // 154 / / 70. आगला 12 चक्रवर्तिना नाम कहइ छइ. भरतमध्ये अनागतकालनइ विषइ बार चक्रवर्ति आगलिं कहीस ते. होसी भरतनामि प्रथम. दीर्घदंत. सुगूढदंत छइ त्रीजो. // 154 // तत्तो य सुद्धदंतो 4 सिरिउत्तो 5 होज्ज तह य सिरिभूई 6 / सिरिसोमो 7 पउमो वि य 8 महपउमो 9 विमलवाहणे चेव 10 // 155 / / तिवार पछी शुद्धदंत. श्रीगुप्त ५मो होइ. तथा श्रीभूति छट्ठो. श्रीसौम्य सातमो. पद्म आठमो. महापद्म. विमलवाहण निश्चइ. // 155 / इक्कारस विउलवाहणो य 11 रिट्ठो य बारसो 12 चेव / केसवनामाणि इत्तो अहकम्मं कित्तइस्सामि // 156 / / इग्यारमओ विम(पु?)लवाहण चक्री. रिष्ट चक्री बारमो वली. हिवइ वासुदेवनाम कहइ छइ. तथा अनुक्रमइ कहिस्यउं. // 156|| ७१-भरति आगलि वासुदेव नंदो य 1 नंदमित्तो 2 तईओ तह होज्ज दीहबाहु य 3 / महाबाहु य 4 अइबलो 5 महब्बलो 6 होज्ज बलभद्दो 7 // 157 / / ___७१-भरत आगलि 9 वासुदेव कहइ छइ. नंदनाम. नंदमित्र नाम. बीजो तथा छइ दीर्घबाहु. महाबाहु. अतिबल नामा वासुदेव. महाबल. छइ बलभद्र. // 157 / / अट्ठमओ य दुविट्ठ 8 नवम तिविठू ईओ य बलदेवा। आठमो त्रि(द्वि) पृष्टवासुदेव. नवमो द्वि(त्रि)पृष्ट. हिवइ बलदेव कहिस्यउं. ७२-आगला बलदेवनामपढमो जयंतो 1 विजओ 2 भद्दो 3 सुपभो य 4 चउत्थो य // 158 / / 72. आगला बलदेवनाम कहइ छइ. पहिलो जयंत. विजय. भद्र. सुप्रभ चउथो. // 158||
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________________ 100 अनुसन्धान 44 पंचम होज्ज सुदंसण 5 आणंदो 6 नंदणो य 7 पउमो य 8 / संखसेणो य 9 पच्छिमओ पडिसत्तू भणामि इत्तो य / / 159 // पांचमो छइ सुदर्शन. आणंद. नंदन. पद्म. संखसेन बलदेव नवमओ. हिवइ एहना वैरी प्रतिवासुदेव नाम कहइ छइ. // 159|| ७३-भरतना आगला प्रतिवासुदेव तिलओ य 1 लोहजंघो 2 तईओ तह होज्ज वयरजंघो य 3 / केसरि 4 पहराओ 5 खलु अवराइय 6 भीमसेणो य 7 // 160|| 73. आगला प्रतिवासुदेवनाम होसी ते. तिलक पहिलो. लोहगंध. त्रीजओ तिमज छइ वज्रजंघ, केसरी, प्रह्लाद, निश्चइ. अपराजित. भीमसेन. // 160 / / महभीमसेण 8 सुग्गीओ 9 पच्छिमओए होज्ज पडिसत्तू / भावी भरहे वासे अक्खाया जिणवरिंदेहिं / / 161 / / महाभीमसेन आठमओ. सुग्रीव नवमओ छेहलो छइ. वैरीराजा होसी भरतक्षेत्रनइ विषइ कह्या जिनवरेंद्रई // 161 / / ७४-ऐरवते आगला जिननाम सुमंगले 1 अत्थसिद्ध य 2 निव्वाणे य 3 महाजसे 4 / धम्मज्झए ५[य] अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति // 162 / / ७४-एरवत क्षेत्रइ आगला जिननाम कहइ छइ. सुमंगल नामइं. अर्थसिद्धनाम. निर्वाण नाम. महाजस. धर्मध्वज. अरिहंत आगलि उत्सर्पिणीयई होसी. 162 / / सिरिचंदे पुष्फकेउ य महाचंदे य केवली। सुयसायरे य अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति // 163 / / श्रीचंद छट्ठो. पुप्फकेतु सातमो. महाचंद्र केवली. श्रुतसागर अरिहंत आगलि कालइ होसी. // 163 // सिद्धत्थे पुण(ण्ण)घोसे य महाघोसे य केवली। सव्वसेणे य अरहा अणंतविजएई य // 164 // सिद्धार्थ नामा. पूर्णघोष. महाघोष केवली. सत्यसेन अरिहंत. अनंतविजय नार्मि. // 164 //
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________________ जून 2008 सूरसेणे महासेणे देवसेणे य केवली। सव्वाणंदे य अरहा देवदत्ते य होक्खत्ति ||165|| सूरसेन. महासेन. देवसेन. केवली. सर्वानंद नामइ अरिहंत. देवदत्त नामा होसी. // 165 // सुपासे सुव्यए अरहा महासुक्के य कोसले। देवाणंदे य अरहा अणंतविजएई य // 166 // सुपार्श्व. सुव्रत अरिहंत. महाशुक्र केवली. देवानंदा नाम अरिहंत. अनंतविजय / / 166 / / विमले उत्तरे अरहा अरहा य महाबले / देवोवाए अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति // 167 // विमल आगलिं अरिहंत. महाबलनामइ. देवोपपात अरिहंत. आगलि कालइ होसी. // 167 // एए वुत्ता चउवीस एरवए वासंति केवली। आगमिस्साण होक्खत्ति धम्मतित्थोपदेसगा॥१६८।। ए पूर्वोक्त कह्या चउवीस एरवतक्षेत्रइ केवली आगलि कालइ होसी धर्मतीर्थना उपदेशक. // 168 / / ७५-महाविदेह वीसविहरमाण नाम सीमंधरं तु पढमं 1 जुगंधर 2 बाहु 3 सुबाहु 4 सुजाए य 5 / सयंपभं 6 उषभाणण ७-मणंतवीरिय 8 ट्ठम चेव // 169 / / ७५-वीस महाविदेह विहरमानना नाम कहइ छइ. सीमंधर प्रथम जिन. जुगधर. बाहु. सुबाहु. सुजात. स्वयंप्रभ. ऋषभानन. अनंतवीर्य आठमो. // 169 / / सूरपहं 9 विसालं च 10 वइरधरं 11 चंदाणण 12 नमस्सामि / चंदबाहु 13 भुजंगम १४-मीसर 15 नेमिप्पहं 16 वीरं 17 // 170|| सूरप्रभ. विसालनामि. वज्रधर. चंद्रानन हुं वांदूं. चंद्राहु. भुजगंमनामा. ईसर. नेमिसर. वीरसेन. // 170||
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________________ 102 अनुसन्धान 44 महभदं 18 देवजसं 19 अजियवीरियं 20 वीसइमं वंदे / एए उ विहरमाणा होति लहुपए वि विदेहेसु // 171 / / महाभद्र देवजस. अजितवीर्य वीसमानइ वांदूं. ए पूर्वोक्त विहरमान छइ जघन्यपदइ महाविदेहक्षेत्रइ. // 171 / / ७६-नारदनाम भीमेय 1 महाभीमे 2 काल 3 महकाल 4 रुद्द 5 महारुद्दे 6 / चउम्मुह 7 नरमुह 8 अणमुह 9 कच्छूलनामा इमे भणिया // 172 / / ७६-नव नारद नाम कहइ. भीम. महाभीम. काल. महाकाल. रुद्र. महारुद्र. चतुर्मुख. नरमुख. अनिमुख. कुत्सित आचारना नारद नाम. // 172 // 77-11 रुद्र नाम भीमावलि 1 जियसत्तु 2 रुद्दो 3 विसानलो 4 सुपइट्ठो य 5 / अयलो य 6 पुंडरीओ 7 अजियधरो 8 अजियनाभो य 9 / / 1735 77-11 रुद्र नाम कहइ छइ. भीमावली. जितशत्रु. रुद्र. विश्वानल. प्रतिष्ठित. अचल. पुंडरीक. अजितधर. अजितनाभ नामा. // 173|| पेढालो 11 तह सच्चई 11 एए रुद्द एक्कारसंगधरा / उसहो 1 जिय 2 सुविहाई 8 अडजिण सिरिवीरतित्थभवा // 174 / / पेढाल. तथा सत्यकी. ए पूर्वोक्त रुद्र 11 अंगना जाण. ऋषभनइ वारइ 1 अजित वारइ 2 सुविधिनइ वारइ वीर आदिदेई नइ शांति लगइ 8 रुद्र वीरनइ तीर्थइ // 174 // ७८-वर्तमानकुलगर पढमित्थ विमलवाहण 1 चक्खुम 2 जससमं 3 चउत्थमभिचंदे 4 / तत्तो य पसेणईए 5 मरुदेवे 6 चेव नाभी य 7 // 175 / / ७८-वर्तमान अवसर्पिणीना कुलगर. प्रथम विमलवाहन कुलगर. चक्षुषमान्. यशस्वी. चउथा अभिचंद्र. तिवार पछी प्रसेनजित. मरुदेव. नाभि कुलगर सातमो. // 175 //
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________________ जून 2008 103 ७९-कुलगर अवगाहना नवधणसयाई पढमो 1 अद्य 2 सत्त३ अद्धसत्तमाई च 4 / छच्चेव 5 अद्धछट्ठा 6 पंचसया 7 पणवीसा य / / 176|| ___७९-ए पूर्वोक्त कुलगरना शरीरनो मान कहूं छउं. नव सय धनुषनओ ऊंचो प्रथम कुलगर. आठ धनुष. सात धनुष. साढा छ सय धनुष. छ सय धनुष. साढा पांच सय धनुष. पांच सय धनुष ऊपरवली 25 धनुष ऊंचा. // 176 / / ८०-कुलगर वर्ण चखुम 1 जससमं च 2 पसेणईए य 3 पियंगुवन्नाभा। अभिचंदो 4 ससिगोरो निम्मलकणयप्पहा सेसा // 177 // ८०-ए ७नी देहमान कहइ छइ. चक्षुषमान बीजो. यशस्वी त्रीजो कुलगर. प्रसेनजित पांचमो एतला नीलइ वर्णइ. अभिचंद्र चउथो चंद्रवत् गोरो. शेष निर्मल सोनानइ वर्णइ. // 177 // 81. कुलगरभार्या - चंदजस 1 चंदकंता 2 सरूव 3 पडिरूव 4 चखु(क्खु)कंता य 5 / सिरिकता 6 मरुदेवी 7 कुलगरपत्तीण नामाणि // 178 / / ८१-कुलगर ७नी स्त्रीना नाम कहइ छइ. चंद्रयशा 1 चंद्रकान्ता 2 सरूपा. प्रतिरूपा. चक्षुकान्ता. श्रीकान्ता. मरुदेवी. ए७ कुलगरनी स्त्रीना नाम कह्या. // 178 / / __संघयणसंठाणं उच्चत्तं चेव कुलगरेहि समं। वनेण एगवन्ना सव्वाओ पियंगुवण्णाभा / / 179 / / संघयण तथा संस्थान ऊंचपणुं. वली कुलगरनी परि सरिखा जाणिवा. वणि करी सर्वनो एकवर्ण, सगलीनी नीलावर्णनी कांति. // 179 / / ८२-कुलगर आयु: पलिओवमदसभागो पढमस्साओ तओ असंखिज्जा। ते आणुपुव्वी हीणा पुव्वा नाभिस्स संखिज्जा // 180 / / ८२-आउषानो प्रमाण कहइ छइ. पल्यनो दशमो भाग प्रथम कुलगरनो आउष. तिवार पछी असंख्याता पूर्व. तिहांथी अनुक्रमइ ओछा कहीइं पूर्वना नाभिनइ
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________________ 104 अनुसन्धान 44 संख्याता जाणिवा. // 180|| जं चेव आउयं कुलगराणं तं चेव होइ तासंपि / जं पढमगस्स आउं तावईयं होइ हत्थिस्स / / 181 / / जेतलो आऊषो कुलगरनो कहाओ. तेतलो तेहनी स्त्रीनो. जे प्रथम आऊषो कहुं तेतलोज होइ हाथीनओ. // 181|| जंजस्स आउय खलु तं दशभाए समं विभईऊणं / मज्झिलट्ठतिभाए कुलगरकालं वियाणाहिं // 182 // जेतलो जेहनो होइ आऊषो निश्चइ ते आउ दशभाग संघातइ विहिंचीइं. विचला 8 भाग कुलगरनो काल जाणिवो. // 182 // ८३-कुलगरगति - दो चेव सुवनेसु 2 उदधिकुमारेसु होति दो चेव / दो दीवकुमारेसु एगो नागेसु उववन्नो // 183 // . ८३-कुलगर ७नी गति कहइ छइ. प्रथम 2 कुलगर सुवर्णकुमार नइ विषइ गया. उदधिकुमार नइ गया बे कुलगर. बि कुलगर दीपकुमारनइ विषइ गया. एक कुलगर नागकुमार नइ विषइ गयो. // 183 / / ८४-हस्ती तथा स्त्री गति हत्थी छट्टित्थीओ नागकुमारेसु हुंति उववण्णा ! एगा सिद्धि पत्ता मरुदेवी नाभिणो पत्ती / / 184 / / ८४-हस्ती तथा स्त्रीनी गति कहइ छइ. हाथी 7 अनइ 6 प्रथम स्त्री नागकुमारनइ विषइ ऊपना. एक मरुदेवी सिद्धि पामी. मरुदेवी नाभि कुलगरनी स्त्री. // 184 / / सिरिसमवायसुयाओ निउत्तिपमुहाओ णेगसत्थाओ। पिंडीकयाओ एसा अत्ताणं पड्ढणट्ठाए // 185 / / श्रीसमवायसूत्रथी नियुक्ति अनेरा अनेक शास्त्रथी एकठी कीधी गाथा संघयणी. पोतनइ भणवानइ अर्थइ. // 185 / /
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________________ जून 2008 105 विक्कमवच्छराओ य वसुअट्ठकालेण महुमासेणं / सियपक्खे तेरसी[ए] रइया उत्तमेण सुद्धेण // 186 / / विक्रमादित्यना संवच्छर थकी 9-8. संवत 1689 वर्षे चैत्रमासइ शुक्लपक्षनी तेरसनइ दिनइ उद्धरी ऋषि उत्तमइ, निर्दोष आचारनइ धणी, निर्दोष प्रणामइ करी. // 186 // ___ इति श्रीशतपंचाशितिकासंग्रहणी आवश्यकादि-अनेकशास्त्रत उद्धारीकृताः। इति श्रीशतपंचाशितिका संग्रहणी समाप्ता / ऋष्युत्तमेनाऽऽत्मार्थे कृता / ग्रंथाग्रं 651 श्लोकार्थः। लिखितम्-लद्धाजी. फतेपुरमध्ये. फागणसुदी 7. C/o. जैन उपाश्रय पांजरापोल, रिलीफ रोड, अमदावाद-- 380001