________________ 88 अनुसन्धान 44 सगलाई गणधर ब्राह्मण जातिना. सगलाई अध्यापक, पंडित. सगलाई बार अंगना जाण. चउदस पूर्वना जाण. // 19 // परिनिव्वुया गणहरा जीवंते नायए नवजणाओ / इंदभूई सुहम्मे य रायगिहे निव्वुए वीरे // 100 / / सगलाई सीधा गणधर जीवतां न्यातिपुत्र वर्धमानने नव गणधर. इंद्रभूति सुधर्म राजगृह नगरइ सघलाइ मुक्ति पोहता. // 10 // मासं पाओवगया सव्वे वि य सव्वलद्धिसंपन्ना / वज्जरिसहसंघयणा समचउरंसा य संठाणा / / 101 // एकमासनो पादोपगमन संथारो कीधओ. सगलाई सर्वलबद्धिं करी सहित. सगलाई वऋषभनाराच संघवणना धणी. समचउरंस संस्थानना धणी. // 101 // ३९-हिवइ चक्रवर्तिनो स्वरूप कहूं. प्रथम नाम द्वार भरहो 1 सगरो 2 मघवं 3, सणंकुमारो 4 रायसङ्कलो / संती 5 कुंथु य 6 अरो 6, हवई सुभूमो य 8 कौरवो(कोरव्वो) // 102 // ___३९-वली चक्रवर्तिनओ द्वार कहइ छइ. पहिलो नाम द्वार. भरतचक्री. संगरचक्री. मघव. सनत्कुमार राजा शार्दूलनी उपमाइ. शांति. कुंथु. अरचक्री. होइ सुभूम कौरवजातिना. // 102 / / नवमो य महापउमो 9 हरिसेणो 10 चेव रायसठूलो / जयनामो य 11 नरवई बारसमो बंभदत्तो य 12 // 103 / / नवमो महापद्मचक्री. हरिषेण 10 निश्चइ राजाशार्दूल समान. जयनामा नरपती. बारमो ब्रह्मदत्तचक्री. // 103 / / ४०-चक्रीपिता उसभे 1 सुमितविजए 2 समुद्दविजए य 3 अस(स्स)सेणे य 4 / तह विससेणे य 5 सूरे 6 सुदंसणे 7 कत्तवीरिए य 8 // 104|| 40. चक्री पिता द्वार. ऋषभ. सुमित्रविजय. समुद्रविजय. अश्वसेन राजा. तथा विश्वसेन राजा. सूर राजा. सुदर्शन. कार्तवीर्यराजा. // 104 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org