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________________ जून 2008 व्रतधारी. // 142 // सत्तमय सामचंदो 7 अट्ठमओ आसी ज्जु(जुज्ज)सेणो य / नवमो य अजियसेणो 9 सिवसेणो 10 देवसेणो य 11 // 143 / / सातमओ श्यामचंद्र नामि, आठमओ हूओ युक्तसेन नामइ. नवमो अजितसेन तीर्थंकर. शिवसेन दशमो. देवसेन इग्यारमओ. // 143 / / नवरत्तं 12 सत्थसंजल 13 अणंत 14 उवसंत 15 गुत्तसेणो य 16 // अतिपासो य 17 सुवासो 18 मरुदेव 19 धरो य 20 वीसइमो // 144 / / नक्षत्र. शस्त्रसंजल तेरमो. अनंत चउदमओ. उपशांत पनरमो. गुप्तसेन सोलमो तीर्थंकर, अतिवास नामइ सतरमो. सुपार्श्व अठारमओ. मरुदेव नामइ. धरनामइ वीसमओ. // 144|| इगवीस सामकोट्ठो 21 बावीसमो य अग्गिसेणो य 22 / तेवीसमग्गिउत्तो 23 चरिमो तह वारिसेणो य 24 // 145 / / इकवीसमो श्यामकोष्टनामइ. बावीसमो अग्निसेन नामइ. त्रेवीसमा अग्निपुत्र नामा. छेहलो तिमज वारिषेन नामइ. / / 145|| एए जिन चउवीसा ऐरवए आसी इहकाले य। ते वंदामि य सिरसा जरामरणविप्पमुक्का य॥१४६।। ए पूर्वोक्त जिन चउवीस ऐरवतक्षेत्रइ हूया वर्तमान कालइ. तेहनइ वांदू मस्तकइ करी. ते जिन जरामरणथी विप्रमुक्त हूया. // 146|| ६८-आगली चउवीसी - भरहे भावियजिणा महपउमो 1 सुरादेव य 2 सुपासो 3.1 होज्ज सयंपभ 4 सव्वा-णुभूई 5 तह देवउत्तो य 6 // 147 / / ६८-भरतक्षेत्रना आगामीया कालना 24 जिन कहं. भरतक्षेत्रि होसी 24 जिन. महापद्म. सुरादेव. सुपार्श्व होय. स्वयंप्रभ. सर्वानुभूति पांचमओ. तथा देवगुप्त * छट्ठो. // 147 // उदओ सत्तम 7 पेढालपुत्त 8 अट्ठमय जा पोट्टिल 9 सयसो 10 / मुणिसुव्वय 11 अममो तह होज्ज बारसमो 12 // 148 / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229364
Book TitleShatpanchashitika Sangrahini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmkirtivijay
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages18
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size623 KB
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