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________________ 100 अनुसन्धान 44 पंचम होज्ज सुदंसण 5 आणंदो 6 नंदणो य 7 पउमो य 8 / संखसेणो य 9 पच्छिमओ पडिसत्तू भणामि इत्तो य / / 159 // पांचमो छइ सुदर्शन. आणंद. नंदन. पद्म. संखसेन बलदेव नवमओ. हिवइ एहना वैरी प्रतिवासुदेव नाम कहइ छइ. // 159|| ७३-भरतना आगला प्रतिवासुदेव तिलओ य 1 लोहजंघो 2 तईओ तह होज्ज वयरजंघो य 3 / केसरि 4 पहराओ 5 खलु अवराइय 6 भीमसेणो य 7 // 160|| 73. आगला प्रतिवासुदेवनाम होसी ते. तिलक पहिलो. लोहगंध. त्रीजओ तिमज छइ वज्रजंघ, केसरी, प्रह्लाद, निश्चइ. अपराजित. भीमसेन. // 160 / / महभीमसेण 8 सुग्गीओ 9 पच्छिमओए होज्ज पडिसत्तू / भावी भरहे वासे अक्खाया जिणवरिंदेहिं / / 161 / / महाभीमसेन आठमओ. सुग्रीव नवमओ छेहलो छइ. वैरीराजा होसी भरतक्षेत्रनइ विषइ कह्या जिनवरेंद्रई // 161 / / ७४-ऐरवते आगला जिननाम सुमंगले 1 अत्थसिद्ध य 2 निव्वाणे य 3 महाजसे 4 / धम्मज्झए ५[य] अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति // 162 / / ७४-एरवत क्षेत्रइ आगला जिननाम कहइ छइ. सुमंगल नामइं. अर्थसिद्धनाम. निर्वाण नाम. महाजस. धर्मध्वज. अरिहंत आगलि उत्सर्पिणीयई होसी. 162 / / सिरिचंदे पुष्फकेउ य महाचंदे य केवली। सुयसायरे य अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति // 163 / / श्रीचंद छट्ठो. पुप्फकेतु सातमो. महाचंद्र केवली. श्रुतसागर अरिहंत आगलि कालइ होसी. // 163 // सिद्धत्थे पुण(ण्ण)घोसे य महाघोसे य केवली। सव्वसेणे य अरहा अणंतविजएई य // 164 // सिद्धार्थ नामा. पूर्णघोष. महाघोष केवली. सत्यसेन अरिहंत. अनंतविजय नार्मि. // 164 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.229364
Book TitleShatpanchashitika Sangrahini
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmkirtivijay
PublisherZZ_Anusandhan
Publication Year
Total Pages18
LanguageHindi
ClassificationArticle & 0_not_categorized
File Size623 KB
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