________________ जून 2008 सूरसेणे महासेणे देवसेणे य केवली। सव्वाणंदे य अरहा देवदत्ते य होक्खत्ति ||165|| सूरसेन. महासेन. देवसेन. केवली. सर्वानंद नामइ अरिहंत. देवदत्त नामा होसी. // 165 // सुपासे सुव्यए अरहा महासुक्के य कोसले। देवाणंदे य अरहा अणंतविजएई य // 166 // सुपार्श्व. सुव्रत अरिहंत. महाशुक्र केवली. देवानंदा नाम अरिहंत. अनंतविजय / / 166 / / विमले उत्तरे अरहा अरहा य महाबले / देवोवाए अरहा आगमिस्साण होक्खत्ति // 167 // विमल आगलिं अरिहंत. महाबलनामइ. देवोपपात अरिहंत. आगलि कालइ होसी. // 167 // एए वुत्ता चउवीस एरवए वासंति केवली। आगमिस्साण होक्खत्ति धम्मतित्थोपदेसगा॥१६८।। ए पूर्वोक्त कह्या चउवीस एरवतक्षेत्रइ केवली आगलि कालइ होसी धर्मतीर्थना उपदेशक. // 168 / / ७५-महाविदेह वीसविहरमाण नाम सीमंधरं तु पढमं 1 जुगंधर 2 बाहु 3 सुबाहु 4 सुजाए य 5 / सयंपभं 6 उषभाणण ७-मणंतवीरिय 8 ट्ठम चेव // 169 / / ७५-वीस महाविदेह विहरमानना नाम कहइ छइ. सीमंधर प्रथम जिन. जुगधर. बाहु. सुबाहु. सुजात. स्वयंप्रभ. ऋषभानन. अनंतवीर्य आठमो. // 169 / / सूरपहं 9 विसालं च 10 वइरधरं 11 चंदाणण 12 नमस्सामि / चंदबाहु 13 भुजंगम १४-मीसर 15 नेमिप्पहं 16 वीरं 17 // 170|| सूरप्रभ. विसालनामि. वज्रधर. चंद्रानन हुं वांदूं. चंद्राहु. भुजगंमनामा. ईसर. नेमिसर. वीरसेन. // 170|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org