________________ जून 2008 ७०-आगला 12 चक्रवर्तिनाम भरह अणागयकाले बारस चक्की इमे भविस्संति / भरहोइ(य?) 1 दीहदंतो 2 सुगूढदंतो 3 भवे तईओ // 154 / / 70. आगला 12 चक्रवर्तिना नाम कहइ छइ. भरतमध्ये अनागतकालनइ विषइ बार चक्रवर्ति आगलिं कहीस ते. होसी भरतनामि प्रथम. दीर्घदंत. सुगूढदंत छइ त्रीजो. // 154 // तत्तो य सुद्धदंतो 4 सिरिउत्तो 5 होज्ज तह य सिरिभूई 6 / सिरिसोमो 7 पउमो वि य 8 महपउमो 9 विमलवाहणे चेव 10 // 155 / / तिवार पछी शुद्धदंत. श्रीगुप्त ५मो होइ. तथा श्रीभूति छट्ठो. श्रीसौम्य सातमो. पद्म आठमो. महापद्म. विमलवाहण निश्चइ. // 155 / इक्कारस विउलवाहणो य 11 रिट्ठो य बारसो 12 चेव / केसवनामाणि इत्तो अहकम्मं कित्तइस्सामि // 156 / / इग्यारमओ विम(पु?)लवाहण चक्री. रिष्ट चक्री बारमो वली. हिवइ वासुदेवनाम कहइ छइ. तथा अनुक्रमइ कहिस्यउं. // 156|| ७१-भरति आगलि वासुदेव नंदो य 1 नंदमित्तो 2 तईओ तह होज्ज दीहबाहु य 3 / महाबाहु य 4 अइबलो 5 महब्बलो 6 होज्ज बलभद्दो 7 // 157 / / ___७१-भरत आगलि 9 वासुदेव कहइ छइ. नंदनाम. नंदमित्र नाम. बीजो तथा छइ दीर्घबाहु. महाबाहु. अतिबल नामा वासुदेव. महाबल. छइ बलभद्र. // 157 / / अट्ठमओ य दुविट्ठ 8 नवम तिविठू ईओ य बलदेवा। आठमो त्रि(द्वि) पृष्टवासुदेव. नवमो द्वि(त्रि)पृष्ट. हिवइ बलदेव कहिस्यउं. ७२-आगला बलदेवनामपढमो जयंतो 1 विजओ 2 भद्दो 3 सुपभो य 4 चउत्थो य // 158 / / 72. आगला बलदेवनाम कहइ छइ. पहिलो जयंत. विजय. भद्र. सुप्रभ चउथो. // 158|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org