________________ 104 अनुसन्धान 44 संख्याता जाणिवा. // 180|| जं चेव आउयं कुलगराणं तं चेव होइ तासंपि / जं पढमगस्स आउं तावईयं होइ हत्थिस्स / / 181 / / जेतलो आऊषो कुलगरनो कहाओ. तेतलो तेहनी स्त्रीनो. जे प्रथम आऊषो कहुं तेतलोज होइ हाथीनओ. // 181|| जंजस्स आउय खलु तं दशभाए समं विभईऊणं / मज्झिलट्ठतिभाए कुलगरकालं वियाणाहिं // 182 // जेतलो जेहनो होइ आऊषो निश्चइ ते आउ दशभाग संघातइ विहिंचीइं. विचला 8 भाग कुलगरनो काल जाणिवो. // 182 // ८३-कुलगरगति - दो चेव सुवनेसु 2 उदधिकुमारेसु होति दो चेव / दो दीवकुमारेसु एगो नागेसु उववन्नो // 183 // . ८३-कुलगर ७नी गति कहइ छइ. प्रथम 2 कुलगर सुवर्णकुमार नइ विषइ गया. उदधिकुमार नइ गया बे कुलगर. बि कुलगर दीपकुमारनइ विषइ गया. एक कुलगर नागकुमार नइ विषइ गयो. // 183 / / ८४-हस्ती तथा स्त्री गति हत्थी छट्टित्थीओ नागकुमारेसु हुंति उववण्णा ! एगा सिद्धि पत्ता मरुदेवी नाभिणो पत्ती / / 184 / / ८४-हस्ती तथा स्त्रीनी गति कहइ छइ. हाथी 7 अनइ 6 प्रथम स्त्री नागकुमारनइ विषइ ऊपना. एक मरुदेवी सिद्धि पामी. मरुदेवी नाभि कुलगरनी स्त्री. // 184 / / सिरिसमवायसुयाओ निउत्तिपमुहाओ णेगसत्थाओ। पिंडीकयाओ एसा अत्ताणं पड्ढणट्ठाए // 185 / / श्रीसमवायसूत्रथी नियुक्ति अनेरा अनेक शास्त्रथी एकठी कीधी गाथा संघयणी. पोतनइ भणवानइ अर्थइ. // 185 / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org