________________ 86 अनुसन्धान 44 अश्विनी. पुष्पनक्षत्र. // 89 / / ३२-पिता नाम - वसुभूई 3 धणमित्ते 4 धमिल 5 धणदेव 6 मोरिए 7 चेव / देवे 8 वसू य 9 दत्ते 10. बले य 11 पियरो गणहराणं // 90 // धनदेव, मोरिय, निश्चई. देवनाम, वसूनाम. दत्तनाम. बलनामि ए पिता गणधरोना. / / 90 // ३३-माता नाम पुहवी य 3 वारुणी 4 भद्दिला य 5 विजयादेवी 6 तहा जयंती य 8 / नंदा य 9 वरुणदेवी 10 अइभद्दा य 11 मायरो // 91 // ३३-माताना नाम कहइ छइ. पृथिवीमाता 3 नी माता. वारुणी. भद्दिलामाता. विजयादेवी माता, तथा जयंतीनामइ. नंदामाता. वारुणीदेवी, अतिभद्रामाता ए 11 गणधरनी माता. // 91|| ३४-गणधरगोत्र - तिन्नि य गोयमगोत्ता 3 भारदा 4 अग्गिवेस 5 वासिट्ठा 6 / कासव 7 गोयम 8 हारीय 9 कोडिन्नदुगं च 11 गोत्ताई // 92 / / __ ३४-गणधर 11 ना गोत्र कहइ छइ. प्रथम त्रिणना गौतम गोत्र, भारदायन गोत्र. अग्निवैश्य गोत्र. वाशिष्ट गोत्र. काश्यपगोत्र. गौतम गोत्र. हारीत गोत्र. छेहला 2 ना कौडिन्य गोत्र कहाओ. // 92 / / ३५-गृहवासकालमानं पन्ना 1 बायालीसा 2 बायाला 3 होइ पनपन्ना य 4 / तेवण 5 पंचसट्ठी 6 अडयालीसा य 7 बायाला 8 / / 93|| 35. घरमां केतला काल रह्या ते कहइ छइ. 50 वरस गौतम. बइतालीस वरस. बइतालीस वरस होइ. पंचावन वरस. त्रेपन्न वरस. पइंसट्ठि छत्तीसा 10 सोलसग्गं 11 अगारवासो भवे गणहराणं / छउमत्थपरियागं अहकम्मं कित्तइस्सामि / / 94 / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org