Book Title: Shakun Shastra
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तक्रियाच्या मोर मोक्षः VARDAN AVAN CRIMIMARY नो ज्ञानकि XXXXXX Punch nanew S Ja SAR MSBN MARS Fli 000000WANAINAwakarma MOHANT दादा साहेब श्रीजिनदत्त सूरि विरचित शकुनशास्त्र. सर्वे सजनोने माटे उपयोगी जाणी सुधारो वधारो करी पावी प्रसिद्ध करनार श्रावक नीमसिंह माणेक, पुस्तक प्रसिद्ध करनार तथा वेचनार. मांम्वी, शाकगढी, मुंबर. निर्णयसागर गपखानामां उपावी प्रसिद्ध करी. वीर संवत् २४४५, विक्रम संवत् १९७५, सने १९१९. SM SY E SELLITERNMEIndian S ad_TIMERNAMAARI EMAIMERIKNE PAHMEANMAnnHRS PRATARTHERI TAGS FIRHA AKESESEARNATANELHARELI Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तावना. आर्य प्रजामां शकुन जोवानो रीवाज आज खांबा काळथी चाले जे. शकुनने दीपक तुट्य गणवामां आवे . अमुक कार्यनुं शुं परिणाम आवशे, श्रा कार्यज प्रवृति वखते थतां शकुन उपरथी जोवानुं बनी शके . श्रत्यारे शकुनो जोवानी पञ्चति मोटे नागे परंपरा मुजब चाले . आ परंपरामां व्यवस्था नरहेवाथी शकुन- फळ नथी मळतुं. आधी शकुन खोटां ने एम केटलाक अश्रघा करे . अन्य दर्शनोमां पण शकुन संबंधी नानां नानां पुस्तको श्रमे जोयां, पण सशास्त्र पुस्तक अमे शोधता हता. हालमा जथी हजारेक वर्ष पर श्रयेला आचार्य श्रीजिनदत्त सूरिकृत शकुनशास्त्र श्रमारा हाथमां श्राव्यु. या पुस्तकमां व्यवहारमा आवाज दरेक बाबतनां शकुनोज विस्तारथी श्रने समज पोए रीते उलेख करेलां जे. जे अवश्य जाणवा अने मनन करी उपयोगमा सेवा योग्य होवाथी सर्व आर्य नाडने उपयोगी थाय एवा हेतुथी सरल नाषांतर करावी श्रमे या पुस्तक अगीयार वर्ष पहेलां प्रसिद्ध करेल हतुं, पण तेनी तमाम नकल खपी जवाथी तेमां गर्गाचार्य कृत पाश शकुनावलीनुं नाषांतर तथा परदेश गमनादि विषयक शकुन विचारनो वधारो करीश्रा बीजी श्रावृत्ति उपावी . इति शम् । संवत् १ए७५ ली. प्रकाशक. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ... : : : ::: ॥ शकुनशास्त्रनी अनुक्रमणिका ॥ प्रस्ताव १ पुत्र अथवा पुत्रीना जन्म संबंधी शकुनो. प्रस्ताव २ विवाह संबंधी शकुनोनां शुजाशुल फळो. ... निमित्तिाने त्यां विवाह माटे लग्न जोवराववा जतां अकां शुनाशुल शकुनो. ... ... . ... ... ... लग्न जोवराववा घरनी बहार नीकळतां जोवानां शकुनो. माबी बाजुनां शुल शकुनो. ... . जमणी बाजुए थतां अशुल शकुनो. ... ... ... जमणी बाजुए अतां शुल शकुनो. ... लग्न जोवराववा माटे ज्योतिषीने घेर जतां जे दिशा तरफ जq होय ते दिशानां शकुनो. .... सन्मुखनां श्रशुल शकुनोनुं वर्णन. ... प्रस्ताव ३ शय्या पर जती वेळानां शकुनो.... जाग्रत थती वेळानां शकुनो. ... दातण करती वेळानां शकुनो. ... स्नान करती वेळानां शकुनो. ... प्रस्ताव ४ . देशांतर जती वेळानां शुजाशुल शकुनो..... देशांतर जती वेळाए सन्मुख जोवानां शकुनो.... नगरमां दाखल थती वेळानां शकुनो. ... ... - प्रस्ताव ५ वरसाद संबंधी परीक्षा. ... ... ... ... :: :: :: :: :: :: : : :: : Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रनी अनुक्रमणिका. प्रस्ताव ६ एक वर्ष सुधीना व्यापारमां जावोना फेरफार माटे थता बनावो माटे चैत्र मासनी सुदि बीजे चंद्रमामां थतां लक्षणो जोवां ते. प्रस्ताव ७ न घर बांधती वेळा यतां शुभाशुभ शकुनो. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जे वस्तु नीकळे ते उपरथी शुभाशुभ ज्ञान.... ... प्रस्ताव ८ स्त्रीने गर्भ रहेवा संबंधी शकुनो. संताननो जन्म थया बाद बाल्य अवस्थामांज तेनुं मुत्यु थाय बे ते संबंधी अधिकार. ... Jain Educationa International ... ... ... मोतीनी परीक्षानुं स्वरूप. हीराना गुण दोषो तथा तेथी थतां शुभाशुभ फळोना स्वरूपनुं वर्णन. प्रशस्ति प्रस्ताव ९ ... शकुन अपशकुन विषेनी समज. दिशाशूळ जावानो कोगे. दिवस तथा रात्रिनां चोघमीयां. शकुनविद्यानुं स्वरूप... परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुन विचार. ... ... For Personal and Private Use Only ... ... ... ... ... 0990 ... ... ::: ५३ ए ६७ ७५ 66 ८३ 69 ८. Ua ए १ १०० Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥ श्रीजिनेंघाय नमः॥ श्रीजिनदत्तसूरिविरचितं शकुनशास्त्रम्. ॥प्रथमः प्रस्तावः प्रारच्यते॥ प्रणम्य श्रीजिनाधीश, स्याहादामृतवर्षिणं । रहस्यं हि प्रवदयामि, शकुनानां विशेषतः॥१॥ अर्थ–स्याफादरूपी अमृतने वरसनारा एवा श्री जिनेश्वर प्रनुने नमस्कार करीने विशेष प्रकारे शकुनोना रहस्यने हुँ (श्री जिनदत्त सूरि ) कहीश. पुत्र अथवा पुत्रीना जन्म संबंधी शकुनो कहे छे. बाळकना जन्मसमये सूतिकागृहनी उपर जो कागमो आवीने बोले तो तेनां मात पितानो उ मासनी अंदर नाश थाय . जो पोपट आवीने बोले तो जन्मनार बाळक विधान् थाय जे. जो कोकिल आवीने बोले तो बाळकनी मातानुं एक मासनी अंदर मृत्यु नीपजे . जो त्यां बाज पदी बेसीने शब्द करे तो पितार्नु तुरत मृत्यु थाय बे. जो त्यां गीध पदी बेसीने शब्द करे तो तेना सर्व कुटुंबचें तुरत मृत्यु थाय ने. त्यां जो बिलामी श्रावीने बोले तो ते संतान रतांधळु थाय बे. जो त्यां सुंदर भावीने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे बोले तो ते संतान पोतानां नाइ बहेनोनो नाश करनारुं थाय ने. त्यां जो रुपारेल नामनुं पदी बेसीने शब्द करे तो ते संतान बेरुं तथा मुंगु थाय ने. त्यां जो बगढुं बेसीने शब्द करे तो ते संतान महा पराक्रमी थाय बे. त्यां जो पारापत (पारेवु) बेसीने शब्द करे तो ते संतान धर्मानुरागी थाय . त्यां जो मयूर पही बेसीने शब्द करे तो ते संतानने राज्यपदवी मळे बे. जो त्यां चकली आवीने शब्द करे तोते संतान लदमीनी वृद्धि करनालं थाय . त्यां जो क्रौंच पक्षी बेसीने शब्द करे तो ते संतान आंखे आंधळु थाय . जो त्यां को कुतरो चमीने नसवा लागे तो ते संतानने आगामी काळमां चोरी करवानुं व्यसन लागुपके बे. जो त्यां कोई पुरुष अथवा स्त्री ते घर पर उन्नेल होय तो ते संताननी मातार्नु उ मासनी अंदरज मृत्यु नीपजे जे. ते सूतिकागृहमां जो बिलामी दाखल थाय तो ते संतानत्रण दिवसनी अंदरज मृत्युथाय . जो कोइ स्त्री पोतानी कटी पर रुदन करता बाळकने लश्ने त्यां दाखल थाय तो ते संताननुं श्राप दिवसनी अंदरज मृत्यु श्राय जे. अकस्मात् ते घरमां जो गाय प्रवेश करती जणाय तो ते संतान पोतानां मात पिताने घणीज लदमी मेळवी आपे बे. जो कोई स्त्री पोताना मस्तक पर जळथी, दहींथी अथवा मद्यथी नरेलु माटीनुं वासण लश्ने अकस्मात् त्यां दाखल थाय तो ते संतान महा नाग्यशाळी नीवमे वे. कोइ स्त्री पोतार्नु मुख वस्त्रधी आबादन करीने त्यां जो दाखल थाय तो ते संतान दरिखी थाय बे. जो कोइ स्त्री खुदा मस्तकथी त्यां दाखल थाय तो ते संतान विषयी थाय जे. जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमः प्रस्तावः। त्यां को पुरुष दाखल थाय तो ते संताननी मातार्नु दश दिवसनी अंदर मृत्यु थाय . जो त्यां कोई स्त्री पोताना मस्तक पर अथवा हाथमां जमदथी नरेलुं वासण लश्ने दाखल थाय तो ते संतान तथा तेनी माताने पिशाच श्रादिक मुष्ट सत्त्वोनो उपनव थाय . जो त्यां को स्त्री रुदन करती दाखल थाय तो ते संतान- चार मासनी अंदर मृत्यु थाय बे. जो त्यां कोई विधवा स्त्री दाखल थाय तोते संतान लमीनो नाश करनारूं थाय बे. त्यां जो कोश् स्त्री घृतथी नरेलु पात्र लश्ने दाखल थाय तो ते संतान पोतानां मात पितानी कीर्तिनी वृद्धि करे बे. त्यां जो कोइ स्त्री घणी नींको खाती थकी दाखल थाय तो ते संतानतुं श्राप दिवसनी अंदरज मृत्यु नीपजे . त्यां जो कोश्स्त्री पोताना हाथमां उधथी नरेलुं पात्र लश्ने दाखल थाय तो ते संतान मात पिताने मोटो क्लेश उत्पन्न करे जे. त्यां जो कोइ स्त्री पोताना मस्तक पर खाली माटीनुं वासण लश्ने दाखल थाय तो ते संतान लदमीनी वृद्धि करे . प्रसव थती वखते माताने जो गक आवे तो ते पुत्र अथवा पुत्री जन्मतांज मृत्यु पामे . त्यां उन्जेली अथवा बेठेली को बीजी स्त्रीने जो बींक आवे तो ते संतान कुटुंबनी लदमीनो नाश करे बे. माताने जो खांसी आवे तो ते संताननुं लांचं आयुष्य श्राय जे. माताने जो बगासुं आवे तो ते संतान आळसु थाय ने. माताने जो गईलनो शब्द संनळाय तो ते संतान मूर्ख नीव जे. माताने जो उंटनो शब्द संजळाय तो ते संतान चपळ गतिवाढुं श्राय जे. जो माताने गायनो शब्द संजळाय तो ते संतान सुशील Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४ शकुनशास्त्रे थाय बे. माताने जो घोमानो हेषारव संजळाय तो ते संतानने राज्यलक्ष्मी मळे बे. जो माताने मेघनी गर्जनानो शब्द संजळाय तो ते संतान बधिर थाय बे. जो शनो शब्द संजकाय तो ते संतान कुल ( कुबरुं ) थाय बे. माताने जो कुतराना जसवानो शब्द संजळाय तो ते संतान बहुबोलुं थाय बे. माताने जो अकस्मात् कोइ कविता संजळाय तो ते संतान महाकविधाय बे. माताने जो त्यां कोइ धातुनुं वासण पकवानो शब्द संजळाय तो ते संताननुं ब मासनी अंदर मृत्यु थाय बे. माताने जो शियाळनो शब्द संजळाय तो ते संतानथी मात पिताने बहु आपदा सहन करवी पके बे. • प्रसव थती वेळा मातानी दृष्टि जो शेलमीना सांग पर पके तो ते संतान उत्तम गुणोने धारण करनारुं थाय बे. मातानी दृष्टि जो पुष्पनी माळा पर पके तो ते संताननुं आठ दिवसनी अंदर सर्पना दंशथी मृत्यु थाय बे. मातानी दृष्टि जो सांबेला पर पके तो ते संतान नपुंसक थाय बे. मातानी दृष्टि जो खांणी पर पके तो ते संतान अर्शना रोगथी पीमित थाय छे. मातानी दृष्टि जो घृतना दीपक पर पके तो ते संतान महा तेजस्वी थाय बे. मातानी दृष्टि जो सूर्य सन्मुख परे तो ते संतानने चक्षुरोग थाय बे. मातानी दृष्टि चंद्र तरफ पमे तो ते संताननी खो तेजस्वी थाय .बे. मातानी दृष्टि जो तारा उपर पके तो ते संतानने कुष्ठनो रोग थाय बे. मातानी दृष्टि जो मोदक पर पके तो ते संताननुं दुधाथी मृत्यु थाय बे. वळी ते समये जो सूर्यग्रहण अथवा चंद्रग्रहण यतुं होय अथवा थयेलुं होय तो ते संतान गांगुं थाय वे अथवा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमः प्रस्तावः। तेनी माता गांमी थाय बे. मातानी दृष्टि को वृक्ष पर पमे तोते संतानने जगंदर आदि असाध्य रोगनी उत्पत्ति थाय ले. मातानी दृष्टि को पुस्तक पर पोतो ते संतान महा वैराग्यवाळु थाय . मातानी दृष्टि जो कोश् अश्व पर पझेतो ते संतान वामन श्राकारनुं थाय जे. मातानी दृष्टि जोजळथी नरेला कोश् वासण पर पके तो आगामी काळमां ते संतान- जळमां मुबवाथी मृत्यु थाय बे. मातानी दृष्टि जो वहाण पर पमे तो ते संतानने आगामी काळमां जळपर्यटन करवू पमे. मातानी दृष्टि जो साकरथी नरेला कोई वासण पर पझेतो ते संतान वायुना रोगथी पीमित थाय . मातानी दृष्टि जो गोळथी जरेला कोई वासण पर पझेतो ते संतान महा लाग्यशाळी थाय . मातानी दृष्टि जो कोनिक्कुक स्त्री पर पझे तोते संतान महा दानेश्वरी थाय . मातानी दृष्टि जो कोश नोलीश्रा पर पमे तोते संतान कुटुंब- प्रोही थाय बे. मातानी दृष्टि जो ऽधथी नरेला वासण पर पझेतो ते संतान अत्यंत कामविकारी थाय . मातानी दृष्टि जोको बीजी स्त्रीनी योनि पर पोतो ते संतान नपुंसक थाय . मातानी दृष्टि जो कोइ हिंसक पशु पर अथवा तेवा पशुना चित्र पर पड़े तो ते संतानतुं तथा तेनी माता, पण पंदर दिवसनी अंदरज मृत्यु नीपजे . मातानी दृष्टि जो कोश् स्त्रीना खुला रहेला केश पर पझेतो ते संतान नूत आदिकथी उपजव पामे . मातानी दृष्टि जो कोश् स्त्रीनां खुल्ला रहेलां स्तन पर पड़े तोते संतानतुं एक मासनी अंदर मृत्यु नीपजे .मातानी दृष्टि जो कोइ सिक्का पर पमे तो ते संताननुं वीजळीना पमवाथी मृत्यु थाय . मातानी दृष्टि जो कोइ देवालय Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . शकुनशाने पर पसे तो ते संतान की विरक्त थाय जे. मातानी दृष्टि जो पोपट पर पझे तो ते संतानने पांगु रोगनी उत्पत्ति थाय जे. मातानी दृष्टि जो समुझ पर पमती होय तो ते संतान अत्यंत क्रोधी स्वजाववाढु थाय बे. मातानी दृष्टि जो कोई गरुक पक्षी पर पमे तो ते संतान आकाशगामी विद्यामां कुशळ थाय . मातानी दृष्टि जो पोताना स्वामी पर पमे तो ते संतान मात पितानो नाश करनारुं थाय . मातानी दृष्टि जो गईल पर पमे तो ते संतान महा दरिषी थाय . मातानी दृष्टि जो कोई शंख पर पमे तो ते महा कीर्तिवंत थाय . मातानी दृष्टि जो वींचा जाय तो ते संतानने नेत्ररोग थाय . पुत्रनो जन्म जो पूनमने दिवसे थाय तोते लदमी तथा कीर्तिनो नाश करनारो थाय , पण ते दिवसे जो मध्याह्नकाळे अथवा मध्य रात्रिए पुत्रनो जन्म थाय तोते लदमीनी वृद्धि करे . वळी पुत्रीनो जन्म जो पूर्णिमाने दिवसे थाय तो ते पोतानांमात पिताने चिंता उत्पन्न करे . वळी पुत्र अथवा पुत्रीनो जन्म जो अष्टमीने दिवसे थाय अने ते दिवसे जो शुक्रवार होय तो ते पुत्र अथवा पुत्री पोतानां मात पिताने राज्य तरफनो जय उपजावे वे. वळी जे संताननो जन्म शुक्ल पक्षनी चतुर्थीने दिवसे थाय तथा मातानी दृष्टि ते दिवसे प्रसव श्रया पहेलां अथवा प्रसव थती वखते अथवा प्रसव या पठी पण जोरात्रिए चंड पर पके तो ते संतान प्रव्य, कीर्ति अने कुटुंबना माणसोनो पण विनाश करनारुं थाय ने, केमके कोई पण स्त्री अथवा पुरुषे शुक्ल पक्षनी चतुर्थीना चं तरफ दृष्टि करवी नहीं, केमके व्यवहारकटपमा श्री.हरिजन सूरि महाराजे पण कां ने के: Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमः प्रस्तावः। पुरुषेणाथवा नार्या, दृष्टव्यं न कदाचन । . चंद्रबिंब निशि शुक्ल,-चतुर्थीसंनवं किल ॥१॥ अर्थ-पुरुष अथवा स्त्रीए शुक्ल पक्षनी चतुर्थीने दिवसे रात्रिए जगेला चंजना बिंबने खरेखर कोइपण दिवसे जोवु नहीं. वळी जे संताननो जन्म अमावास्याना संध्याकाळे थाय ते संतान पोताना बन्ने पदोनो नाश करे . __ संतानना जन्मसमये कोइ माणस जो आजूषणनी नेट देवा आवे तो ते संतान निर्धन थाय बे. जो कोइ माणस कोइ खावानी वस्तुनी नेट देवा आवे तो ते संतान पोताना कुटुंबने मुकाळनी आपदामां नाखनातं श्राय बे. संतानना जन्म पनी अंतर्मुहूर्त्तनी अंदरज जो कोश् वैद्य तेनी मातानी खबर लेवा आवे तो ते संतान अने तेनी मातानुं त्रण दिवसनी अंदरज मृत्यु नीपजे जे.वळी संतानना जन्म पनी तुरतज जो आकाशमां अकस्मात् वीजळी श्रवा लागे अने मेघनी गर्जना संजळाय तो ते संतान पोताना कुटुंबनो नाश करना थाय . वळी पुत्रीना जन्म पनी बे घटिकानी अंदरज माताने जो घणी हुधा व्यापेतो तेपुत्री पोताना पतिनो आगामी काळमां नाश करनारी श्राय . वळी पुत्रना जन्म पनी तुरतज माताने जो दुधा व्यापे तो ते पुत्र माता, मृत्युनीपजावनारो थाय . वळी पुत्रना जन्म पठी चार घटिकानी अंदर जोमाताने अत्यंत तृषा लागे तो ते पुत्र महा तेजस्वी तथा दयालु थाय .वळी पुत्रीना जन्म पनी माताने एक दिवस सुधी जो तृषा न लागे तो ते पुत्रीना जन्मश्री Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे कुटुंबचेंजळना जयश्री मृत्यु थाय जे. वळी पुत्रीना जन्म पनी एक घटिका बाद माता जो रमवा लागे तो ते पुत्री, श्राप दिवसनी अंदरज मृत्यु नीपजे जे. वळी पुत्रना जन्म पनी चार घटिका गया बाद माताने जो रमवू आवे तो ते पुत्रनुं एक मासनी अंदर मृत्यु नीपजे . वळी संताननो जन्म थया बाद तुरतज माता जो हास्य करवा लागे तो जाणवू के ते संताननुं तथा ते मातानुं पण त्रण दिवसनी अंदरज मृत्यु थशे. जे संतान जन्म थया पी बीलकुल रमतुं नथी ते संतान अत्यंत रोगीष्ट थाय बे.जे संतानना जन्म पनी माताने पांच दिवस सुधीमां बीलकुल दुधाखागती नथी ते संतान-श्राप दिवसनी अंदरमृत्यु नीपजे . वळी जे संतानना जन्मसमये माताने कां पण कष्ट थतुं नथी ते संतान महानाग्यशाळी नीपजे .वळी जे संतानना मुखमा जन्मती वखतेज दांतो फुटेला होय तेवू संतान अव्यनी हानि करावे. वळी जे संतानना मस्तक पर जन्मती वखतेज त्रण आंगुलथी वधारे लांबा केशो होय तेवू संतान कुटुंबनो क्य करनालं थाय .जे संतान सामा नव मासथी पण वधारे मुदत सुधीमाताना उदरमा रहे डे ते संतान कुटुंबनी लदमी तथा कुटुंबनां मनुव्योनो पण नाश करनारुंनीवमे . जे संताननो जन्म नवमासनी अंदरमांज थाय तेवू संतान पोतानां मात पिताने जयंकर रोगनी उत्पत्ति करे जे. जे संतानना जन्मसमये आकाशमांथी तारा खरवा मांझे तेवा संतानना जन्मथी देश पर मोटी आपदा पझे . जे संतानना जन्मसमये मातानुं मुख जो दक्षिण दिशा सन्मुख होय तो ते संताननुं सात दिवसनीअंदर मृत्यु नीपजे जे. जे संता Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथमः प्रस्तावः । नना जन्मसमये कुटुंबनुं कोइ माणस जो मृत्यु पामे तो ते संतान श्रागामी काळमां पोताना समस्त कुटुंबना नाशने सूचवे बे. संतानना जन्म पीतमुहूर्त्तमांज माताने जो मिष्टान्न जमवानी रुचि थाय तो ते संतानने क्षयना रोगनी उत्पत्ति थाय बे. प्रसव थया पी माताने तुरत जो अत्यंत कटु ( करुवा) पदार्थो खावानी रुचि थाय तो ते संतानने चक्षुरोग थाय बे. प्रसव थया पनी तुरतज माताने जो अत्यंत खाटा अथवा खारा पदार्थो खावानी रुचि थाय तो ते संतानने कुष्ठनो रोग थाय बे. 2 प्रसव या बाद बाळकने स्नान करावतां थकां ते स्नान करावनार स्त्रीने उपरा उपर जो वे बींको आवे तो ते बाळकनुं दश दिवसनी अंदर मृत्यु नीपजे बे. वळी ते वखते ते संताननी माताने जो एक बींक आवे तो ते बाळक तथा ते मातानुं पण दिवसनी अंदरज मृत्यु नीपजे बे. ते समये ते स्नान करावनार स्त्रीने जो पेशाब करवानी शंका याय तो ते संतान नपुंसक थाय बे. ते समये ते स्नान करावनार स्त्रीने जो जामानी बाधा थाय तो ते संतानने अर्शनो व्याधि थाय बे. संतानना जन्मसमये घरमा रहेलो दीपक जो अकस्मात् वरी जाय तो जाणवुं के ते संतानना जन्मथी कुटुंबनी लक्ष्मीनो नाश थशे. ते समये दीपकमांथी जो तकतक अवाज नीकळतो मालुम परे तो जाणवुं के ते संताननुं दश दिवसनी अंदर मृत्यु थशे. ते समये ते दीपक जो वायु विना कंपायमान थतो देखाय तो जाणवुं के ते संतानथी कुटुंबने मोटो जय उत्पन्न थशे. ते समये दीपक जो स्थिर ने तेजस्वी मालुम पमे तो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० शकुनशास्त्रे जावं के ते संतानथी कुलनो उदार थशे. ते समये अकस्मात् ते दीपकनुं वासण जो नीचे पकी जाय तो जाणवुं के ते संताननुं वे दिवसनी अंदरज मृत्यु थशे. ॥ इति परकायप्रवेश विद्याप्रवीणे आचार्यश्री जिनदत्तसूरिविरचिते शकुनशास्त्रे प्रथमः प्रस्तावः ॥ ॥ श्रीजिनेंद्राय नमः ॥ ॥ द्वितीयः प्रस्तावः प्रारज्यते ॥ विवाह संबंधी शकुनोनां शुभाशुभ फळो. पुरुष अथवा कन्याना विवाह माटे पोताने घेर निमित्ति - याने तेमावीने लग्न पूनवाथी अशुभ थाय बे, पण ते माटे वर कन्याना पिता आदिक कुटुंबीए निमित्तिश्राने घेर चालतां जने लग्नो जोवराववां ते कल्याणकारी बे. निमित्तिआने त्यां विवाह माटे लग्न जोवराववा जतां थकां शुभाशुभ शकुनो. जती वेळा एकी संख्याना पुरुषोने साथे लेवाथी श्रेय थाय बे, पण ते वखते साथे जो बेकी संख्याना पुरुषो होय तो ते शुने सूचवे बे. त्यां जती वेळाए साथे कोइ स्त्री अथवा बाळिका जो वे तो ते पण अशुजनेज सूचवे बे. तेम ते वेळाए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बळमा कुंकुम अथवज नहीं. ते समय गण थाय वितीयः प्रस्तावः। साथे जो कोइ नपुंसक आवे तो ते पण अशुजनेज सूचवे . ते समये जे वर अथवा कन्यानां लग्न जोवराववानां होय तेने जो साथे सेवामां आवे तो ते पण अशुलनेज सूचवे . ते वखते साथे जनार कोइ पण माणसे श्याम वस्त्र पहेरवु नहीं. तेमां पण मुख्यत्वे करीने मस्तक पर तो श्याम वस्त्र पहेरवुज नहीं. ते समये सर्वपुरुषोए पोतानां खलाटस्थळमां कुंकुम अथवा केशरनो चांटो करवाथी कट्याण थाय बे. ते समये साथे श्रावेल कोइ पण माएस जो उघामे माथे होय तो ते पण अशुलनेज सूचवे . ते वखते कोश्पण आंखे अपंग अथवा लंगमा अथवा काणा माणसने साथे सेवाथी अशुन थाय ने. ते वखते साथे आवेल कोइ पुरुष अथवा नोकरो कंश कारणसर अकस्मात् जो रमवा लागे तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. ते समये साथे आवता कोइ माणसने अकस्मात् जो एक गक श्रावे तो ते पण अशुजनेज सूचवे , पण तेने उपरा उपर जो वधारे बीको आवे तो ते शुक्ल अथवा अशुन कंइ पण सूचवती नथी. लग्न जोवराववा माटे उग अने काळ नामनां चोघमीये प्रयाण करवू नहीं, पण जेम बने तेम अमृत नामना चोघमीये लग्न जोवराववा माटे जq. संध्याकाळे लग्न जोवराववा माटे बीलकुल निमित्तिाने घेर जq नहीं. लग्न जोवराववा माटे घरमांथी बहार नीकळतां वर अथवा कन्याना पिताने जो घरना उंबर पर पगमा ठेस लागे तो जरा वखत श्रोनीने जq. लग्न जोवराववा माटे घरमांथी बहार नीकळती वेळाए वर कन्याए तथा तेमनां मात पिताए मूतरवू नहीं. ते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे समये कुटुंबमां कोइ माणसवें मृत्यु श्रवाना जो खबर संनळाय तो ते वखते लग्न जोवराववा जवू नहीं. ते समये जो वर अथवा कन्या कोश् कारणथी रमवा लागे तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. ते समये वर अथवा कन्याना वमीले हाथमा चोटलीवालु श्रीफळ राखq तथा ते पर कुंकुमनो स्वस्तिक करवो. जो स्वस्तिक रहित श्रीफळ हाथमा राखवामां आवे तो ते अशुनने सूचवे . ते समये घरमांथी बहार नीकळतां अकस्मात् जो सुध अथवा पाणीनुं वासण घरमां ढोळा जाय तो ते पण अशुजनेज सूचवे ने, माटे ते समये पण जरा थोजीने जq. ते समये वमिलना हाथमा रहेलुं नाळीयेर जो अकस्मात् नीचे पमी जाय तो ते पण अशुननेज सूचवे . ते समये साथे आवता कोइ पण कुटुंबीए जलपान करवू नहीं. ते समये जेनां लग्न जोवानां होय ते वर अथवा कन्याए निजा, लोजन, स्नान तथा हास्य करवू नहीं. ते समये जेनां लग्न जोवानां होय ते वर अथवा कन्यानो चहेरो प्रफुखित, गंजीर अने आनंददायक जो होय तो ते शुलने सूचवे बे. ते समये वर अथवा कन्यानी माताए स्नान करवू नहीं तेम घरना लंबर पर बेसवु नहीं. ते समये घरमां अकस्मात् जो शाहीन वासण ढोळा जाय तो ते महा शुलने सूचवे . ते समये वर अथवा कन्याना शरीर पर अकस्मात् जो घीलोमी भावीने पके तो ते पण शुजनेज सूचवे . ते समये वर अथवा कन्याना मस्तक पर अकस्मात् दधि (दही), शेखमीरस अथवा मद्यनां जो बिंदु पझे तो ते पण महा शुलनेज सूचवे . ते समये परदेशश्री जो कोइ परोणो त्यां आवी चमे तो ते पण शुननेज सूचवे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वितीयः प्रस्तावः। बे. ते समये साथे आवता पुरुषोने जो तांबुल श्रापवामां आवे तो ते पण शुलनेज सूचवे ने. लग्न जोवराववा जती वेळाए वर अथवा कन्याए पोताना केशोने कांकसी वती ओळवा नहीं. लग्न जोवराववा जती वेळाए वर अथवा कन्याए सूर्यना तमकामां बेसबुं नहीं. ते समये वरनुं मार्बु अंग अने कन्यानुं जमणुं अंग जो स्फुरायमान थाय तो ते महा अशुनने सूचवे . ते समये अकस्मात् वर अथवा कन्यानो पिता जो जूलथी उघामे मस्तके घरमांथी बहार नीकळीने रस्ते चालवा लागे तो जाणवु के निश्चे करीने ते वर अथवा कन्यानुं श्रोमाज दिवसनी अंदर मृत्यु थशे. वळी ते समये जो मेघनी गर्जना अकस्मात् संजळाय अथवा वीजळी श्रवा लागे तो ते पण अशुजनेज सूचवे बे. ते समये जो कन्याने रजोदर्शन थाय तो ते पण महा अशुजनेज सूचवे जे. ते समये वर अथवा कन्या जो जळ वती पोताना हाथ प्रदाखन करवा लोगे तो ते पण अशुननेज सूचवे . ते समये वर अथवा कन्या जो पोतानुं मुख दर्पणमां जोवा लागे तो ते शुलने सूचवे . ते समये वर जो शिरमुंडन कराववा बेसे तो ते महा अशुनने सूचवे . ते समये वर अथवा कन्या जो पुष्पोनी माळा पहेरतां मालुम पमे तो ते शुलने सूचवे . लग्न जोवराववा घरनी बहार नीकळतां जोवानां शकुनो. ते समये माबी बाजुए जो कागमो शब्द करतो जणाय तो ते अशुजने सूचवे . जो मयूर पक्षी, कोकिल, पारापत अने लक्कमखोद नामर्नु पदी जो माबी बाजुए बेसीने शब्द करतुं तथा पोतानी पांखो फफमावतुं मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ : शकुनशास्त्रे जे. माबी बाजुए जो गीध पदी मुखमां मांसनी पेशी लश्ने बेग्लु देखाय तो ते पण महा अशुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो रुपारेल नामनुं पदी शब्द करतुं तथा पोतानी पांखो फफमावतुं जणाय तो ते पण अशुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो बाज पदी पोताना मुखमां कंश खावानी वस्तु लश्ने बेठेलुं मालुम पके तो ते पण अशुजनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो क्रौंच नामर्नु पक्षी पोतानी चांच वती पोतानां पीगंने स्पर्श करतुं मालुम पके तो ते पण अशुजनेज सूचवे . घुवम पदी माबी बाजुए बेसीने जो घुत्कार करतुं मालुम पमे तो ते पण अशुलनेज सूचवे . सारस नामर्नु पक्षी माबी बाजुए बेसीने पोतानी चांच वती पोताना पगोने स्पर्श करतुं जो मालुम पमे तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. हंस पक्षी जो पोतानी चांच खुल्ली करीने माबी बाजुए बेग्लुं मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोर देमकुं बेठेलुं अने शब्द करतुं मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोश् सर्प चाट्यो जतो मालुम पमे तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो गधेमो शब्द करतो मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो उंट जनेलो अने शब्द करतो मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोइ बाळक रमतुं अथवा हसतुं उन्नेलु मालुम पमे तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोइ स्त्री पोतानुं मस्तक उघाउँ मूकीने उन्लेली अथवा बेठेली मालुम पमे तो ते पण अशुननेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोइ स्त्री दंतधावन (दातण) करती मालुम पमे तो ते पण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वितीयः प्रस्तावः। १५ अशुननेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोसधवा स्त्री रुदन करती बेठेती मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोइ पण पक्षीनुं मुमडे पमेलु होय तो ते पण अशुजनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोइ स्त्री पोतार्नु मुख प्रदालन करती मालुम पके तो ते पण अशुजनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोइ कुतरो बेसीने पोतानी जील वती पोतानुं शरीर चाटतो मालुम पमे तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोश् बिलामी शब्द करती उन्लेली मालुम पड़े तो ते पण अशुलनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोई खीसकोली पोतानी जील वती स्पर्श करती उजेली मालुम पमे तो ते पण अशुलनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोई बकरी पोतानां स्तनमांश्रीज धावती मालुम पमे तो ते पण अशुनने सूचवे . हवे डाबी बाजुनां शुभ शकुनो कहे छे. लग्न जोवराववा जती वेळाए घरमांथी बहार नीकळतां माबी बाजुए जो श्वेत रंगनां पारेवांनो समूह कंश अनाजना दाणाउने चरतो मालुम पमे तो ते शुजने सूचवे . माबी बाजुए जो कागमो अथवा मयूर पक्षी विष्टा करता मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो गरुम नामर्नु पदी शब्द करतुं मालुम पमे तो ते पण शुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो पोपट पदीनुं जोड़ें मैथुन सेवतुं मालुम पमे तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो टिटिम नामर्नु पक्षी शब्द करतुं थकुं उन्लेलु मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो मयूर पहीजें जोड़ें एक बीजाने पोतानी चांचो वती स्पर्श करतुंमाबुम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ शकुनशाने पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोकिल पदीनुं जोहुँ मैथुन सेवतुं अथवा विष्टा करतुं मालुम पके तोते पण शुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो चकोर पदी शब्द करतुं मालुम पमे तो ते पण शुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कागमानुं जोमलुं मैथुन सेवतुं मालुम पड़े तो ते पण शुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोई हंस पदी पोताना मुखमां का पुष्प खस्ने उल्लेलुं मालुम पमे तोते पण शुननेज सूचवे .माबी बाजुए जो कोइ लंदर चाट्यो जतो मालुम पमे तोते पण शुननेज सूचवे बे.माबी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना हाथमांदहीं वासण लश्ने उनेली मालुम पमे तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो वृषन शब्द करतो थको उनेलो मालुम पड़े तो ते पण शुलनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर दधि अथवा मधअथवा पाणीथी जरेलु माटीनुं वासण सश्ने उजेली मालुम पमे तो ते पण शुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोई सधवा स्त्री पोताना जमणा हाथनी आंगळीए बाळकने वळगामीने उजेली मालुम पके तोते पण शुजनेज सूचवे वे. मावी बाजुए जो कोसधवा स्त्री पोताना हाथमां मग अथवा खवणथी जरेलुं वासण लश्ने उजेली मालुम पझे तो ते पण शुलनेज सूचवे . माबी बाजुए को कुमारिका पोताना हाश्रमां पुष्पथी नरेलुं वासण लश्ने उल्लेली होय तो ते पण महा शुलनेज सूचवे बे. माबी बाजुए जो कोइ पुरुष पोताना हाथमां कई पुस्तक खश्ने उनेलो होय तो ते पण शुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो को पुरुष ढोल वगामतो उन्नेलो होय तो ते पण शुजनेज Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वितीयः प्रस्तावः। सूचवे जे. माबी बाजुए जो कोहथियारबंध पुरुष उजेलो मालुम पसे तो ते पण शुजनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोइ पुरुष पोताना मस्तक पर बत्र धरीने उन्जेलो मालुम पड़े तो ते पण शुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोइ पुरुष पोताना हाथमां कुंकुमथी नरेलुं वासण लश्ने उनेलो मालुम पके तोते पण शुलनेज सूचवे . माबी बाजुए जो कोइ पुरुष पोताना हाश्रमां कमळy पुष्प लश्ने जजेलो मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे . . जमणी बाजुए थतां अशुभ शकुनो. लग्न जोवराववा माटे घरमांधी बहार नीकळती वेळाए जमणी बाजुए जो पारापत पही शब्द करतुं अथवा विष्टा करतुं उन्लेलुं मालुम पमे तोते अशुनने सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ खीसकोलीजें जोड़ें मैथुन सेवतुं मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे जे. जमणी बाजुए जो कोइ सर्प पोतानी फणो चमावीने स्थिर उन्नेलो मालुम पमे तो ते पण अशुननेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोकिल पदी पोतानी चांच वती पोतानी पांखोने स्पर्श करतुं मालुम पमेतोते पण अशुननेज सूचवे ने जमणी बाजुए जो कृष्णकलिका नामनुं पदी शब्द करतुं शकुंजलेलुं मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे. जमणी बाजुए जो रुपारेल नामर्नु पक्षी विष्टा करतुं अथवा पोतानी पांखो फफमावतुं मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे जे. जमणी बाजुए जो कोश् बगलुं पोतानी चांचमां मत्स्यने लश्ने उन्जेलुं मालुम पड़े तो ते पण अशुननेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोश राधा नामानुं पदी शब्द करतुं मालुम पझे तोते पण अशुननेज सूचवे जे. जमणी बाजुए जो कोश शकु. २ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ शकुनशास्त्रे तुंम उबुं मालुम पमे तो ते पण अशुलनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोश् गर्दननुं जोमुमैथुन सेवतुं मालुम पड़े तो ते पण अशुननेज सूचवे . जमणी बाजुए जो गीध पदीनुं जोड़ें मैथुन सेवतुं मालुम पमे तोते पण अशुलनेज सूचवे . जो जमणी बाजुए को उटणी पोताना बच्चाने धवरावती मालुम पमे तोते पण अशुजनेज सूचवे बे.जो जमणी बाजुए कोश् गर्दल मूत्र करतो मालुम पके तोते पण अशुजनेज सूचवे जे. जमणी बाजुए जो कोई स्त्री मृदंग वगामती थकी उन्नेली मालुम पमे तो ते पण अशुलनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ स्त्री मूत्र करती थकी मालुम पके तोते पण अशुजनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ स्त्री पोतार्नु हृदय कुटती श्रकी तथा रुदन करती थकी उनेली मालुम पमे तोते पण अशुजनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ स्त्री पोताना बाळकने तामन करती थकी उन्नेली मालुम पमेतो ते पण अशुजनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना हाथ वती मस्तकमां खरज करती थकी उन्लेली मालुम पके तोते पण अशुननेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोश् स्त्री पोताना जमणा हाथमा उमदश्री नरेलुं वासण लश्ने नली मालुम पमे तोते पण अशुलनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ पुरुष शिरमुंमन करावतो श्रको मालुम पझे तो ते पण अशुननेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ स्त्री पोतानी केक पर पोतानो माबो हाथ मूकीने उन्नेली मालुम पझे तोते पण अशुलनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ स्त्रीना मस्तक पर रहेलुं जळथी अथवा दहींथी नरेलु वासण अकस्मात् पमी जाय अने तेमांश्री जळ अथवा दहीं नीचे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वितीयः प्रस्तावः। जनमी पर जो ढोळा जाय तो ते पण अशुननेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ स्त्री पोताना गाल पर पोतानो हाथ राखीने उन्लेली अथवा बेठेली मालुम पमे तो ते पण अशुजनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ स्त्री वमन करती थकी जलेली अथवा बेठेली मालुम पमे तोते पण अशुननेज सूचवे जे. जमणी बाजुए थतां शुभ शकुनो. लग्न जोवराववा जती वेळाए घरमांथी बहार नीकळती वेळाए जमणी बाजुए जो कागमानुं टोळु शब्द करतुं शकुं मालुम पमे तो ते शुनने सूचवे . घरमांधी बहार नीकळती वेळाए जमणी बाजुए जो चकलानुं जोड़ें मैथुन सेवतुं मालुम पमे तो ते पण शुननेज सूचवे जे. जमणी बाजुए जो पोपट पदीन जोड़ें पोतानी चांचो वती एक बीजाना मुखमां कंश खावानी वस्तु मेलतुं मालुम पड़े तो ते पण शुननेज सूचवे वे. जमणी बाजुए जो कोश् मयूर पदी पोतानां पीगं जंचां करीने नृत्य करतुं मालुम पड़े तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोश् बाज पदीनुं जोड़ें मैथुन सेवतुं मालुम पमे तो ते पण शुजनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोगीध पदी पोतानी चांचमां कंश वस्त्रनो ककमो लश्ने उनेलु मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे . वळी ते समये जमणी बाजुए जो कोई बगलुं पोतानी पांखो पहोळी करीने उन्लेलुं मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोश् सारस पदी पोतानी चांचमां कमलना पुष्पनो टुकमो लश्ने उन्लेढुं मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे जे. जमणी बाजुए जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० शकुनशास्त्रे कोइ कुकमानुं जो मैथुन सेवतुं अथवा विष्टा करतुं मालुम पके तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ श्वेत रंगनी गाय पोतानी जीजथी पोताना बच्चाने चाटती मालुम पके तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ अश्व विष्ठा करतो थको उजेलो मालुम परे तो ते पण शुननेज सूचवे बे. जमली बाजुए जो कोइ श पोताना बच्चाने स्तनपान करावती मालुम परे तो ते पण शुननेज सूचवे बे. जमी बाजुए जो कोइ हरिणी उजेली मालुम परे तो ते पण शुननेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ वांदरो कं फल खातो थको उजेलो मालुम पके तो ते पण शुननेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ बळद पोतानां शींगमांउंथी धूली उमारुतो मालुम पके तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मुखमां तांबूल चावती थकी उजेली मालुम पके तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना हाथमां दर्पण लइने उजेली मालुम परे तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मावा हाथमां गुलाबनां पुष्पो लइने उजेली मालुम परे तो ते पशुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर खाली माटीनुं अथवा त्रांबानुं पात्र लइने उजेली मालुम परे तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना बाळकने स्तनपान करावती थकी बेवेली मालुम पके तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना दाथमां कर्पूर अथवा कुंकुमथी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दितीयः प्रस्तावः। १ जरेलुं वासण वस्ने उजेली मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोइ सधवा स्त्री पोताना हाथमा शेलमीना टुकमा लश्ने उनेली मालुम पके तो ते पण शुननेज सूजवे . जमणी बाजुए जो कोश् सधवा स्त्री पोताना हायमा कस्तूरीश्री नरेलुं का पात्र लश्ने उनेली मालुम पमे तो ते पण गुननेज सूचवे . जमणी बाजुए जो कोश् पुरुष पोताना हाथमां पंचरंगी नामु लश्ने उजेलो होय तो ते पण शुननेज सूचवे के. जमणी बाजुए जो कोइ पुरुष पोताना हाश्रमां लवणथी नरेलु माटीनुं वासण लश्ने उनेलो मालुम पड़े तो ते पण शुजनेज सूचवे . जमणी बाजुए जो को पुरुष पोताना हाश्रमां मधश्री जरेलुं तुंबहुं लश्ने उनेलो मालुम पमे तो ते पण शुलनेज सूचवे जे. .. लग्न जोवराववा माटे ज्योतिषीने घेर जतां जे... दिशा तरफ जर्बु होय ते दिशानां शकुनो. लग्न जोवराववा ज्योतिषीने घेर जती वेळाए सन्मुख जो कोश् सधवा स्त्री मस्तक पर जळथी नरेलु बासण लश्ने तथा पोताना बन्ने हाथोने फुलावती श्रकी श्रावती मालुम पमे तो ते शुन्न शकुन जाणवू. जो कोइ सधवा स्त्री षोताना हाथमा अथवा मस्तक पर गोळश्री नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख श्रावती मालुम पके तो ते पण शुल शकुन जाणवू. जो कोइ सधवा स्त्री पोताना जमणा हाश्रमां श्रीफल लश्ने सन्मुख आवती मालुम पमे तो ते पण शुन शकुन जाणवू. जो कोइ सधवा स्त्री पोताना. मस्तक पर मधथी नरेलु माटीनुं वासण अथवा तुंबर्नु लश्ने सन्मुख श्रावती मालुम पड़े तो ते पण शुज शकुन जागवू. जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे कोई सधवा स्त्री पोताना हाथमां दर्पण लश्ने सन्मुख आवती मालुम पमे तो ते पण शुत्न शकुन जाणवू. जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर मगथी नरेलुं त्रांबार्नु वासण अथवा माटीनुं वासण लश्ने सन्मुख श्रावती मालुम पमे तोते पण शुलशकुन जाणवं. जो कोश् सधवा स्त्री पोताना हाथमां पुष्पथी नरेलु वांसनुं पात्र लश्ने सन्मुख श्रावती मालुम पड़े तो ते पण शुन शकुन जाणवू. जो कोइ सधवा स्त्री पोताना माबा हाथमां दामिमर्नु अखंमित फळ लश्ने सन्मुख आवती मालुम पमे तो ते पण शुन शकुन जाणवू. सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर लवगथी नरेलुं वासण लश्ने जो सन्मुख आवती मालुम पके तोते पण शुज शकुन जाणवू. को हथियारबंध पुरुष सन्मुख श्रावतो मालुम पमे तो ते पण शुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो को वाणंद पोतानां हथियारो सहित आवतो मालुम पमे तो ते पण शुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोश् वेश्या स्त्री आवती मालुम पोतो ते पण शुज शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोई मुमधु आवतुं मालुम पमे अने ते मुमदा साना माणसो जो रुदन करता न होय तो ते पण शुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोश् पुरुष पोताना हाथमा मृत्यु पामेला मत्स्यने लश्ने आवतो मालुम पमे तो ते पण शुन शकुन जाणवू. जो कोश् पुरुष पोताना मस्तक पर जादयी नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पमे तो ते पण शुन शकुन जाणवू. जो कोश् पुरुष पोताना हाथमां कंश पुस्तक लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पड़े तो ते पण शुन शकुन जाणवू. जो कोइ बाळक पोताना हाथमांजण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ वितीयः प्रस्तावः। वानां साधनो लश्ने सन्मुख श्रावतो मालुम पमे तो ते पण शुन शकुन जाणवू. जो कोश् कुमारिका सन्मुख आवती मालुम पके तोते पण शुल शकुन जाणवू. जो कोश् कुमारिका पोताना मस्तक पर जळश्री अथवा दहींथी नरेलुं माटीनुं वासण लश्ने सन्मुख आवती मालुम पमे तो ते महा शुल शकुन जाणवू. ते शकुनने माटे हरिना सूरि महाराज पण व्यवहारकटपमां कहे ने के:दना वा सलिलेन संनृतमहोपात्रं समुछाहिनी । शीर्षे वै मृतिकाविनिर्मितमुपायांतीमनुत्से किनी ॥ दृष्ट्वा मुग्धकुमारिकां जनमनोहारिप्रफुल्खाननां । गछेबग्नविनिश्चयाय चपलं नैमित्तिकस्यांगणं ॥ अर्थ-दहीं अथवा पाणीथी नरेखा माटीना वासणने मस्तक पर धारण करती तथा चपळता विनानी अने माणसोनां मनने हरनार एवं विकस्वर श्रयेल ले मुख जेणीनुं एवी मुग्ध कुमारिकाने सन्मुख आवती जोड्ने तुरत खननो निश्चय करवा माटे निमित्तिाने श्रांगणे जवु. सन्मुख जो कोई वृषन पोतानुं पुग्नु उंचुं करीने दोस्तो थको श्रावतो मालुम पमे तो ते पण शुल शकुन जाणवू. कोश श्वेत रंगनो हस्ती जो सन्मुख श्रावतो मालुम पमे तो ते महा उत्तम प्रकारनुं शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोइ हरिणी श्रावती मालुम पमे तो ते पण शुन शकुन जाणवू. . सन्मुखनां अशुभ शकुनोनुं वर्णन. लग्न जोवराववा माटे निमित्तिाने घेर जतां श्रकां सन्मुख Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ शकुनशास्त्रे जो गर्दन आवतो मालुम पमे तो ते अशुल्न शकुन जाणq. सन्मुख जो कोइरंमा स्त्री आवती मालुम पके तोते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर उधश्री नरेलु पात्र लश्ने प्रावती मालुम पड़े तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोइ नग्न बाळक आवतुं मालुम पके तो ते पण अशुन शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोई स्त्री हाथमा पोपटर्नु पीजरं लश्ने श्रावती मालुम पड़े तो ते पण अशुन शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोश् चांडाल आवतो मालुम पसे तो तेपण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोइ कोढनारोगवाळो आवतो मालुम पमे तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो बिलामो अथवा बिलामी आवती मालुम पमे तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोइपुरुष अथवा स्त्री काष्ठनो समूह मस्तक पर लश्ने श्रावती मालुम पड़े तो ते पण अशुज शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोई पुरुष अथवा स्त्री उघामेमाणे आवतां मालुम पड़े तो ते पण अशुन शकुन जाणवू. सन्मुख जो सर्प आवतो मालुम पमे तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो लुग आवतुं मालुम पमे तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोइ रथ आवतो मालुम पझे तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोई पुरुष अथवा स्त्री को पशु अथवा पदीनुं मुझउँ लश्ने आवतां मालुम पमे तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोश्वांदरी पोतानां बच्चांउ सहित आवती मालुम पके तोते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जोनेंशनु टोळु श्रावतुं मालुम पमे तो ते पण अशुन शकुन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वितीयः प्रस्तावः। जाणवू. सन्मुख जो शियाळ श्रावतुं मालुम पमे तो ते पण अशुभ शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोई स्त्री अथवा पुरुष मस्तक पर गोधूमश्री (घलंथी) नरेलुं वासण लश्ने वतां मालुम पमे तो ते पण अशुल शकुन जाणवू. सन्मुख जो कोश पुरुष घृतश्री नरेलुं कं पण वासण लश्ने आवतो मालुम पके तो ते पण अशुन शकुन जाणवू. ___ हवे उपर जणावेलां कोइ पण शुल शकुन जो श्राय तो तेज वखते विलंब रहित प्रयाण करवं अने जो अशुल शकुनो थाय तो अंतर्मुहूर्त्त विश्राम लश्ने पण शुल शकुन जोश्ने जवाथी लाल थाय . . वळी ते समये अकस्मात् जो शुल शकुनो थाय तो ते वधारे लानकारक ने अने तेम जो न थाय तो थोमो वखत विश्राम लश्ने पण शुल शकुन जोड्ने जq के जेथी कंइ पण विघ्न श्राय नहीं. __ केमके श्री हरिना सूरि पण पोताना व्यवहारकटपमा कहे जे के नक्षत्रस्य मुहर्तस्य, तिथेश्च करणस्य च ॥ चतुर्णामपि चैतेषां, शकुनो दंमनायकः ॥ १॥ अपि सर्वगुणोपेतं, न ग्राह्य शकुन विना॥.. लग्नं यस्मानिमित्तानां, शकुनो दंगनायकः ॥२॥ अर्थ-नक्षत्र, मुहूर्त, तिथि अने करण ए चारेश्री पण शकुन सर्वोपरी . वळी सघळा गुणोए करीने सहित एवं लग्ने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २६ शकुनशास्त्रे पण शकुन विना ग्रहण करवू नहीं, केमके सघळां निमित्तोमां शकुन मुख्य . ॥इति परकायप्रवेशविद्याप्रवीणे आचार्यश्रीजिनदत्तसूरीश्वरविरचिते शकुनशास्त्रे वितीयः प्रस्तावः ॥ ॥श्रीजिनेत्राय नमः॥ ॥ तृतीयः प्रस्तावः प्रारज्यते ॥ शय्या पर जती वेळानां शकुनो. शयन माटे शय्या पर जती वेळाए स्त्रीनी जो चंड नामी अने पुरुषनी जो सूर्य नामी वहेती होय, जो शंखनो नाद संजळाय, जो सिंहनी गर्जना संजळाय, जो वीणानो शब्द संजळाय, जो वृषननो शब्द संजळाय, जो घोमानो हेपारव संजळाय, जो अकस्मात् पोतानां रोमांच स्फुरायमान थाय, जो शय्या पर उंदर बेठेखो मालुम पमे तो ते सर्व शुननेज सूचवे . __ शय्या पर सुती वेळाए पोतानुं मस्तक पूर्व दिशातरफ राखq ते उत्तम . पश्चिम दिशा तरफ राखq ते मध्यम जे. उत्तर, दक्षिण अने खूणा तरफ राखq ते महा कनिष्ठ बे. पोताना मस्तक तरफ तथा पग तरफ दीपक राखवो नहीं. पण माबी अथवा जमणी बाजुए उगमां उगे शय्याथी पांच हायने बेटे दीपक राखवो. सुती वखते पोताना मस्तकनी बाजुए उगमा उंग त्रण हाथथी वधारे नजदीक नींत होवीन जोश्ए. पोताना पग तरफ खांमणी तथा सांबेलुं राखवु नहीं. वस्त्र रहित शय्यामां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तृतीयः प्रस्तावः। सुवं, श्याम रंगनुं वस्त्र पहेरीने सुq, शय्या पर बेग बेग निषा लेवी, संध्या वखते निजा लेवी, घारना उंबर पर मस्तक राखीने निजा लेवी, पोताना हृदय पर हाथ राखीने सुबुं, पोताना एक पग पर बीजो पग राखीने सुई, सूर्यास्त श्रया पहेलां नित्रा करवी, पोताना पगनी बाजुए जो शय्या उंची होय, चर्मनी शय्या पर सुबुं, शय्या पर सुगंधी पुष्पो राखीने सुई, पोताना शरीर पर पुष्पोनी माळा पहेरीने सुवं, शय्या पर बेसीनेज कंश खा, अथवा पीवु, निषा लेती वखते पोतानुं मुख जो खुट्वं रहेतुं होय, शय्या पर जो श्याम अथवा पीळा रंगनुं वस्त्र पाथरवामां श्रावे, फाटेलु अथवा जीर्ण वस्त्र पहेरीने सुबुं, पोताना मस्तक परना केशो बूटा राखीने सुq, शय्या पर सुश्ने कंश पुस्तक वांचवू, शय्या पर सुतां अकांज धुंकवू, शय्या पर सुतां थकांज मुखमां तांबूल चाव, शय्या पर रहेली धूळ अथवा कचराने सावरणीथी दूर करवो, शय्या पर सुतां थकांज अथवा बेग थकांज शस्त्र वती सोपारीना टुकमा करवा, शय्या पर सुश्ने ते पर पोताना हाथ पगो अफाळवा, शय्या पर सुती वेळाए पोताना ललाटमा रहेलु तिलक जो रहेवा देवामां आवे, शय्या पर सुती वेळाए अकस्मात् जो पोताना शरीर पर उधनां बिंडळ पके तो ते सर्व अशुजनां चिह्न जे. शय्या पर प्राये मार्बु पर दबावीने सुq ते शुजने सूचवे बे. जाग्रत थती वेळानां शकुनो. - प्रनाते जाग्रत थतां पोतानी जे नासिकामांथी वायु वहेतो होय ते तरफनो पग प्रश्रम जूमि पर मूकवो ते शुलने सूचवे . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० शकुनशास्त्रे " पोताने जो एक ठीक यावे तो ते शुने सूचवे बे. प्रथमज जो कोइ रंका स्त्रीना मुख पर कागमा पर, सावरणी पर, मुसल पर अथवा पगरखां पर पोतानी दृष्टि परे तो ते महा शुजने सूचवे छे. प्रथमज शंख, मयूर, हंस, देककुं, दहींथी नरेलुं पात्र, श्रीफळ, पुष्प, लवण, सूर्य, गाय, हस्ती, ललाटमां कुंकुमना तिलकवाळी सधवा स्त्री, कुमारिका अथवा मत्स्य पर जो पोतानी दृष्टि पके तो ते महा शुजने सूचवे बे. प्रजाते जाग्रत थतांज प्रथम जो शंख अथवा फालरनो शब्द संजळाय तो ते पण शुननेज सूचवे बे. प्रजाते जाग्रत थतांज को लघुनीत ( पेशाब ) करती स्त्री पर पोतानी दृष्टि पके तो ते शुजने सूचवे बे. प्रभाते जाग्रत थतांज अकस्मात् जो प्रथम शेलमी पर पोतानी दृष्टि परे तो जाणवुं के ते दिवसे पोताने राज्य तरफथी द्रव्यनो लाज थशे. जो कोइ पुरुष अथवा स्त्रीना रवानो शब्द संजळाय तो ते शुने सूचवे बे. प्रजाते जाग्रत थतांज जो गायनो शब्द संजळाय अथवा तेना पर प्रथमज पोतानी हमि पके तो ते शुभने सूचवे बे. प्रजाते जाग्रत थतांज पोताना देव गुरुना मुख पर जो पोतानी दृष्टि परे तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. प्रजाते जाग्रत थतांज अकस्मात् पोताना गुह्य स्थानक पर जो पोतानी दृष्टि परे तो ते शुने सूचवे d. प्रजाते जाग्रत थतांज लघुनीत (पेशाब) करतां थकां मूत्रश्राव, विष्टाश्राव तथा वीर्यश्राव ए त्रणे एकी वखते जो थाय तो जावं के ब मासनी अंदर पोतानुं मृत्यु थशे. प्रजाते सूर्य या पी मैथुन सेववाथी लक्ष्मीनो नाश थाय बे. प्रजाते सूर्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तृतीयः प्रस्तावः। ए जग्या पली जो शय्या परथी उठीए तो पोताने जयंकर रोगनी उत्पत्ति श्राय . प्रनाते सूर्य उग्या पली वमीनीत करती वेळाए अकस्मात् मुख धाराए जो विष्टाश्राव थाय तो जाणवू के पोतानुं सात दिवसनी अंदर मृत्यु थशे. प्रजाते जाग्रत थतांज जे जळपान करवं ते पण महा अपशकुन बे. दातण करती वेळानां शकुनो. :: बावळ, लींबमो, आम्र वृद तथा जंबीर वृक्षनी माळीनुं दातण उत्तम प्रकार, जाणवू. दंतधावन करवाने पूर्व दिशा तथा उत्तर दिशा सन्मुख बेसवं ते उत्तम , पण पश्चिम दिशा सन्मुख दंतधावन करवाने बेस नहीं, केमके ते लक्ष्मीना नाशने सूचवे . दक्षिण दिशा तथा विदिशा सन्मुख दातण करवाने बेसवु ते संतानना नाशने सूचवे . वळी वांकुं, फाटेलु, अत्यंत टुंकुं,अत्यंत जासु तथा अत्यंत पातळ दातण करवायी पोताना व्यनोनाश थाय के. घारना जंबर पर बेसीने दातण करवाथी अव्यनी हानि तथा कुटुंबमां क्लेश थाय ने. उनमक पगे बेसीने दंतधावन करवाश्री पोताने जयंकर रोगनी उत्पत्ति थाय बे. दातण करती वेळाए पोताना शरीर पर जो कपोत पदीनी विष्टा पमे तो ते महा अशुलने सूचवे . ते वखते पोताना शरीर पर जो अकस्मात् को पुष्प श्रावीने पके तो जाणवु के पोताने उत्तम संततिनो साल थशे. ते समये पोताना शरीर पर जो अकस्मात् शेलमीना रसनां बिंध पमे तो जाणवू के ते दिवसे पोताने कोश माणसनी साथे क्वेश थशे. ते समये पोताना मस्तक पर श्रक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे स्मात् जो गरोळी श्रावीने पसे तो जाणवू के ते दिवसे पोताने व्यापार करवाथी घणुं अव्य मळशे. ते समये गाय पर धुंकवाथी पोताना व्यनी हानि थाय जे. मैथुन सेवता एवा कोई कुतराना जोमा पर जो पोतानी दृष्टि पड़े तो जाणवु के ते दिवसे पोताने व्यापार करवायी लाल श्रशे नहीं. सन्मुख कोइ कागमो आवीने जो शब्द करवा लागे तो ते अशुलने सूचवे . पत्र अथवा पुस्तक वाचवाथी जव्यनी हानि थाय . पोतानी सन्मुख जो बिलामी आवीने विष्टा करवा लागे तो जाणवु के ते दिवसे पोताने राज्य तरफनो जय थशे. सन्मुख कोइ गर्दल आवीने जो जूंकवा लागे तो जाणवू के ते दिवसे पोतानां कुटुंबी साथे पोताने क्लेश थशे. वळी दातणनी चीर फेंकतांथकां ते जो चत्ती पमे तो ते शुलने सूचवे . लान करती वेळानां शकुनो. स्नान करवाने पूर्व सन्मुख बेसवाश्री लाल थाय , पण ते सिवाय बीजी कोइ पण दिशा तरफ स्नान करवाने बेस, ते अशुन्नने सूचवे . स्नान करती वेळाए घोमानो हेषारव तथा सिंहनी गजेना जो संजळाय तो ते शुजने सूचवे . स्नान करती वेळाए प्रथम पोताना हृदय परनो नाग जो पोतानी मेळेज सुका जाय तो जाणवू के उ मासनी अंदरज पोतार्नु मृत्यु थशे. ते समये प्रथमज पोतानी पीठ पर जो जळ रेमवामां आवे तो ते अशुलनेज सूचवे . जळना वासणमांथी कागमो आवीने पाणी पीवा लागे तो ते पण अशुलनेज सूचवे वे. अकस्मात् ते जळनुं वासण पोतानो हाथ अथवा पग लाग Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तृतीयः प्रस्तावः। वाथी जो ढोळा जाय तो ते पण अशुलनेज सूचवे . वस्त्र रहित थश्ने स्नान करवाथी अव्य तथा संततिनो नाश थाय . स्नान करती वेळाए मुख द्वारा जो रुधिरनुं वमन थाय तो जाणवू के त्रण मासनी अंदर पोतानुं मृत्यु थशे. स्नान करती वेळाए अकस्मात् मूत्रश्राव तथा विष्टाश्राव एकी वखते अश् जाय तो जाणवू के पोतानुं एक मासनी अंदरज मृत्यु थशे. ते वेळाए अकस्मात् पोताने जो घणी नींको आववा लागे तो जाणवू के ते दिवसे व्यापार करवाथी पोताने अव्यनी हानि थशे. वृदनी नीचे बेसीने स्नान करवाथी पिशाच श्रादिक पुष्ट सत्त्वोनो पोताने उपत्रव थाय . जो श्याम वस्त्र पहेरवामां आवे तो ते पण अपशकुन . वळी ते समये अकस्मात् पोताने जो बगासुं आवे तो ते पण अशुननेज सूचवे . ॥ इति परकायप्रवेशविद्याप्रवीणे आचार्यश्रीजिनदत्तसूरीश्वर विरचिते शकुनशास्त्रे तृतीयः प्रस्तावः ॥ ॥श्रीजिनेत्राय नमः॥ ॥ चतुर्थः प्रस्तावः प्रारज्यते ॥ देशांतर जती वेळानां शुभाशुभ शकुनो. . देशांतर जती वेळाए श्याम वस्त्रो पहेरवां नहीं. तेमां पण मुख्यत्वे करीने मस्तक पर तो श्याम वस्त्र पहेरवुज नहीं. पोताना हाथमां श्रीफल प्रमुख फळने राखq. पोताना खलाटमा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१ शकुनशास्त्रे कुंकुम अथवा चंदननुं तिलक कर. उघाने माथे प्रयाण कर नहीं. कोइनी साथे क्लेश करवो नहीं. देशांतर जती वेळाए पोतानी काबी बाजुए जो वृषजनो, मयूरनो, रुपारेलनो, शंखनो, कालरनो, पारापतनो, पोपटनो, कोयलनो तथा कं पण वाजित्रनो जो शब्द संजळाय तो ते शुभ शकुन जावां ते वेळाए जमणी बाजुए जो सिंहनो, जंटनो, अश्वनो, हस्तीनो, क्रौंच पक्षीनो, कागमानो, टिटिक नामना पीनो तथा कृष्णकलिका नामना पछीनो शब्द जो संजळाय तो ते पण शुननेज सूचवे बे. घरमाथी बहार नी कळया बाद पातुं वाळीने जोवुं नहीं तथा पानुं घरमां पण पोते दाखल थ नहीं, केमके तेम करवुं ए अपशकुन बे. ते समये पोताना 健 मुखमा ( दिवस होय तो ) तांबूल चाववुं ते शुजने सूचवे बे. पोताने अथवा पासे रहेला कोइ पण मनुष्यने जो बींक आवे तो थोको वखत विश्राम लइने जनुं पाणी पीने घरनी बहार नीकळवूं नहीं. घरना गणा पर पाणी ढोळवुं नहीं. घरना यांगणा पर थुंककुंपण नहीं. लघुनीत करवाने पण बेसवुं नहीं. मस्तक पर खरज करवी नहीं. रुदन पण करवुं नहीं. वळी जे दिवसे देशांतर जवानुं होय ते दिवसे शिरमुंरुन कराववुं नहीं तथा धनुं जोजन पण करवुं नहीं. जे दिवसे देशांतर जवानुं होय ते दिवसे काळ तथा उद्वेग नामनां चोघमीयां वखते प्रयाण कर नहीं. जे दिवसे देशांतर जवानुं होय ते दिवसे कुटुंबमां जो कोइ माणसनुं मृत्यु थाय तो ते दिवसे प्रयाण कर नहीं. जे दिवमे देशांतर जवानुं होय ते दिवसे मैथुन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चतुर्थः प्रस्तावः। सेवq नहीं. जे दिवसे देशांतर जq होय ते दिवसे गाय श्रादिक पशुउने तामन करवू नहीं. देशांतर जती वेळाए सन्मुख जोवानां शकुनो. देशांतर जती वेळाए घरथी बहार नीकळती वेळाए आमी जो बिलामी उतरे अथवा जो सर्प उतरे तो विश्राम लीधा विना बीलकुल प्रयाण करवू नहीं. सन्मुख जो अश्व पर नेसीने को हथियारबंध माणस अवतो मालुम पमे तो ते शुलने सूचवे . सन्मुख जो स्वार विना अश्व आवतो मालुम पमे अने ते जो हेषारव करे तो ते पण शुलनेज सूचवे . वळी पोतानो स्वारी करवानो अश्व जो हेपारव करे तो ते पण शुलनेज सूचवे . सन्मुख श्रावतो कोइ अश्व जो पोतानी पासे आवीने उनो रहे अने पोताना पग वती जो नूमि खोदवा लागे तो ते अशुनने सूचवे . सन्मुख जो कोइ हस्ती आवतो मालुम पमे, सन्मुख जो गाय आवती मालुम पमे, कोश् कुमारिका पोताना मस्तक पर दहीं, पाणी अथवा मधथी लरेलु माटीनुं वासण लश्ने सन्मुख आवती जो मालुम पमे, जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर पाणीनुं वासण लश्ने तथा पोताना बन्ने हाथ कुलावती अकी श्रावती मालुम पमे, जो कोइ गर्दन माटीना बोजा सहित सन्मुख आवतो मालुम पके, कोइ बळद अथवा महिष (पामो) पाणीनी पखालश्री लादेलो सन्मुख श्रावतो मालुम पमे, कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर मग अथवा लवणथी नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख आवती जोमालुम पमे, सन्मुख जो कोश् सधवा स्त्री अथवा कुमारिका पोताना शकु. ३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३४ शकुनशास्त्र हाथमां चोखाथी जरेलुं वासण लश्ने आवती मालुम पमे, सन्मुख जो कोइ नापिक ( वाणंद) पोतानां हथियार सहित आवतो मालुम पमे, जो कोश् कुंजार पोताना मस्तक पर पोतार्नु चाक अथवा माटीनुं वासण लश्ने जो सन्मुख आवतो मालुम पसे, लीलु वस्त्र पहेरीने तथा ललाटमां कुंकुमना तिलकवाळी अने धारण करेल रे हाथमां श्रीफल जेणीए एवी कोइ सधवा स्त्री अथवा कुमारिका जो सन्मुख आवती मालुम पके, जो को वेश्या स्त्री कटाक्ष मारती श्रकी सन्मुख आवती मालुम पके, सन्मुख कोइ घोमी पोताना बच्चा सहित स्वार विनानी श्रावती मालुम पमे, जो कोइ सधवा स्त्री पोतानी केम पर मुग्ध बाळकने लश्ने सन्मुख आवती मालुम पड़े, कोहरिणी सन्मुख थावती अथवा सन्मुख उनेली जो मालुम पमे, कोइ सधवा स्त्री पोताना हायमां पुष्यश्री नरेलुं वांसर्नु अथवा त्रांबार्नु वासण लश्ने जो सन्मुख आवती मालुम पमे, सन्मुख जो कोश सधवा स्त्री पोताना हाथमां कुंकुमश्री नरेलुं वासण लश्ने श्रावती मालुम पमे, जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर रूपानो जळथी नरेलो कलश लश्ने सन्मुख आवती मालुम पमे, जो कोइ सधवा स्त्री पोताना पगमां ऊंकार शब्द करतां कांफर पहेरीने सन्मुख श्रावती मालुम पड़े, सन्मुख जो कोई बाळक दोमतो थको आवतो मालुम पमे, जो कोइ सधवा स्त्री पोताना जमणा हाथनी यांगळीए कोई बाळकने वळगामीने सन्मुख आवती मालुम पके, जो कोइ चांमालिणी पोताना मस्तक पर विष्टाश्री नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख आवती मालुम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चतुर्थः प्रस्तावः। ३५ पमे, सन्मुख जो कोई पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाथमां पचरंगी नामां लश्ने आवतां मालुम पमे, जो कोई पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाथमां बीजोरं लश्ने सन्मुख आवतां मालुम पमे, जो को पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाश्रमां अथवा मस्तक पर आम्रफळोश्री नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख श्रावतां मालुम पमे, सन्मुख जो कोश् पुरुष पोताना हाश्रमां श्वेत अथवा लीली पताका लश्ने आवतो मालुम पमे, जो को पुरुष पोताना मस्तक पर रुनो समूह लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पमे, सन्मुख जो कोई पुरुष पोताना हाथमां शंख लश्ने आवतो मालुम पमे, जो कोई पुरुष पोताना हाथमां शेलमीनो सांगे लश्ने सन्मुख आवतोमालुम पमे, जो कोइ पुरुष पोताना मस्तक पर नागरवतीनां पांदमाउथीनरेलुं वासण लश्ने सन्मुख श्रावतो मालुम पके, सन्मुख जो कोई पुरुष पोताना हाथमां रूपानुं अथवा त्रांबानुं खाली वासण लश्ने आवतो मालुम पमे, सन्मुख जो कोइ पुरुष पोताना हाश्रमांकमळनुं पुष्प लश्ने आवतो मालुम पझे, जो कोई पुरुष पोताना हाश्रमां मींढोळनां फळो लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पमे, जो कोइ पुरुष पोताना हाश्रमां गोळयी नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पके, जो कोश् पुरुष पोताना हाश्रमां हाथीदांतनां अखंग वलयो लश्ने सन्मुख श्रावतो मालुम पमे, जो कोई पुरुष पोताना हाथमा कर्पूरथी नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पके तो ते सर्व शुजनेज सूचवे ने अर्थात् ते सर्व शुल शकुन गणाय ने. जो को रंमा स्त्री सन्मुख पावती मालुम पमे, जो कोश Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३६ शकुनशास्त्रे त्रिदंगी योगी सन्मुख श्रवतो मालुम पके, सन्मुख जो कोइ निक्षुकवतो मालुम पके, सन्मुख जो कोइ गर्दन शब्द करतो थको आवतो मालुम पके, जो कोइ कुतरो पोतानी सन्मुख वने जसवा लागे, सन्मुख जो नोळीयुं श्रावतुं मालुम परे, सन्मुख जो कोइ कुमारिका रोती थकी श्रावती मालुम परे, जो कोइ महिषी ( जेंश ) सन्मुख वती मालुम पके, जो कोइ बकरी अथवा बकरो शब्द करतो थको सन्मुख श्रवतो मालुम पके, जो कोइ सधवा स्त्री अथवा पुरुष पोताना हाथमा अथवा मस्तक पर जमदश्री नरेलुं वासण लइने श्रावतां मालुम परे, जो कोइ सधवा स्त्री पोताना मस्तक पर जळथी रेलुं वास लइने सन्मुख यवती मालुम पके अने ते वासण कस्मात् नीचे पमी जइ तेमांथी जो पाणी ढोळा जाय, जो कोइ सधवा स्त्री अथवा पुरुष खुल्ला मस्तकथी सन्मुख श्रवतां मालुम परे, जो सम्मुख कोइ वांदरो श्रावतो मालुम परें, जो कोइ कुतरी पोतानां बच्चां सहित सन्मुख यवती मालुम पके, जो कोइ पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाथमां अथवा मस्तक पर घृत अथवा तैलथी नरेलुं कं पण वास लइने सन्मुख श्रवतां मालुम पके, सन्मुख जो कोइ स्त्री अथवा पुरुष हाथमां दीपक लइने श्रावतां मालुम पके, जो कोइ सधवा स्त्री वस्त्रथी पोतानुं मुख ढांकीने सन्मुख यवती मालुम पके, जो कोइ पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना कान खोतरतां अथवा मस्तक पर खरज करतां थकां सन्मुख श्रावतां मालुम पके, जो कोइ उंट सन्मुख श्रवतो मालुम परे, सन्मुख जो मनुष्यनुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चतुर्थः प्रस्तावः। मुमधुश्रावतुं मालुम पमे अने तेनी साथेना मनुष्यो जो रमता होय, जो सूर्य अस्त थतो मालुम पमे, अकस्मात् जो मेघनी गर्जना थाय, अकस्मात् जो घुवमनो घुत्कार शब्द संजळाय, जो शियाळनो शब्द संजळाय, जो कोश् पुरुष अथवा स्त्रीना रमवानो शब्द संनळाय, पोताने जो कोई चमर आवीने अकस्मात् मंख मारे, अकस्मात् पोताना शरीर पर जो कागमानी विष्टा पके, पोताना हाथमां लीधेलुं फळ जो अकस्मात् नीचे पमी जाय, पोते शस्त्र वती सोपारी आदिक फळने कापवू, अकस्मात् पोताना शरीर पर जो मुधनां अथवा घृतनांबिंदु पमे, पोताना कंठमां पहेरेली पुष्पनी माळा अकस्मात् जो त्रुटी जाय, पोताने जो तृषा लागे, कोई मित्र अथवा संबंधी पोताना पृष्ट नागमां जो हाथ वती तामना करे, अकस्मात् पोताना शरीर पर जो रुधिर पमे, पोताने जो वमन थाय, अकस्मात पोताना ललाटमा रहेढं तिलक जो नुसार जाय, जो कोई मित्र अथवा संबंधीना पगथी अकस्मात् पोतानो पग जो दबाइजाय, अकस्मात् खीसकोली जो पोताना शरीर पर आवीने पमे, अकस्मात् जो कोइ माणस पोताने तुन्छ फळनी नेट देवा श्रावे, जो कोई सधवा स्त्री अथवा कोइपुरुष पोतानी सन्मुख आवीने माटीनुं वासण फेंकीने नांगी नाखे, जो पोताना शरीर पर अंगारो (कोलसो) पमे, जो पोताना शरीर पर अकस्मात् पकावेलु कर अनाज पझे तो ते सर्व अशुजसूचक . पोते पोताना हाथमा रहेलु फळ बीजाने श्रापq ते पण अशुल बे. ___ शुल शकुनो थती वेळाए विलंब रहित प्रयाण करवू, तथा जाय भागमा जोरप, पाल जो जुस Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० शकुनशास्त्रे शुभ शकुनो थती वेळाए पासेनी कोइ जगो पर विश्राम सइने उपर जावेलां कोइ पण शुभ शकुन याय त्यारेज त्यांथी प्रयाण करवु; वळी अशुभ शकुन थती वेळा पण पाठा वळी पोताना घरमां जवुं नहीं. व्यापार यदि कोइ पण कार्य माटे जे गाम अथवा नगरमां जवुं होय त्यां पहोंचती वेळा ते गाम अथवा नगरनी आसपास जघन्यथी चाळीश हाथ सुधीनी भूमि पर पेशाब करवो नहीं. नगरमां दाखल थती वेळाए नीचे प्रमाणे शकुनो जोवां. गाम अथवा नगरनी अंदर प्रवेश करती वेळा पोतानी जमणी बाजुए जो मयूर, बगलुं, टिटिक पक्षी, लकमखोद नामनुं पक्षी, बाज नामनुं पक्षी तथा पारापत ( पारेवुं ), एटलांमांथी कोइ पण पक्षी जो शब्द करतुं यकुं बेठेलुं मालुम पके, तो ते शुजने सूचवे बे. पोतानी माबी बाजुए जो रुपारेल नामनुं पक्षी, राधा नामनुं पक्षी, हंस पक्षी, कागको, कुकको, क्रौंच नामनुं पक्षी तथा कोकिल, एटलांमांथी कोइ पण पक्षी शब्द करतुं यकुं बेठेलुं मालुम परे तो ते पण शुननेज सूचवे बे. पोतानी जमणी बाजुए जो घुवक, सारस, चकली, चर्मचिटिका तथा श्वेत रंगनुं कबुतर, एटलांमांथी कोइ पण पक्षी शब्द करतुं कुं बेठेलुं मालुम पमे तो ते शुने सूचवे बे. माबी बाजुए काबर, समरी, तित्तर ने पद्मरेखा नामनुं पक्षी, एटलां पक्षीमांथी जो कोइ पण पक्षी शब्द करतुं यकुं बेठेलुं मालुम पके तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३ए पञ्चमः प्रस्तावः। हवे ते गाम अथवा नगरनी अंदर प्रवेश करती वेळाए पाळ वाळीने जोवु ते पण श्रशुलनेज सूचवे . पोताने जो बीक आवे अथवा सन्मुख आवता कोश् पण मनुष्यने जो क श्रावे तो ते वखते प्रवेश करवो ते अपशकुन ने. पोताना मस्तक परनुं वस्त्र उतारवू नहीं. सन्मुख जो कोईत्रिदंमी, उघामाथे पुरुष अथवा स्त्री, गर्दन, रंमा स्त्री ने महिष श्रावतां मालुम पमे तोते पण अशुजनेज सूचवे , माटे ते वखते प्रवेश करवो नहीं. गाय, हस्ती, हरिणी, अश्व, कुमारिका अने हथियारबंध पुरुष जो सन्मुख श्रावतां मालुम पमे तो ते उत्तम प्रकारर्नु शकुन जाणवू, माटे ते वखते विलंब रहित त्यां प्रवेश करवो. ॥ इति परकायप्रवेशविद्याप्रवीणाचार्यश्रीजिनदत्तसूरीश्वरविरचिते शकुनशास्त्रे चतुर्थः प्रस्तावः ॥ ॥ श्रीजिनेंताय नमः॥ . ॥पञ्चमः प्रस्तावः प्रारज्यते ॥ शुक्ख परमासना शुक्ला जो सूर्यनी भाजाणवू के वरसाद संबंधी परीक्षा. चतुर्मासमां वरसाद अशे के नहीं ते माटे ज्येष्ठ मासना शुक्ख पदमां नीचे प्रमाणे जोवू. - ज्येष्ठ मासना शुक्ल पक्षना परवाने दिवसे प्रजातमा सूर्योदयसमये पूर्व दिशामां जो सूर्यनी आसपास कंकणाकारे पीळा रंगनो चळकाट श्रयेलो मालुम पड़े तो जाणवू के ते चतुर्मासमां घणो वरसाद श्रशे. सूर्योदय पहेखां प्रजातमा पूर्व दिशामां जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४० शकुनशास्त्र लीला रंगर्नु मत्स्यना आकारनुं वादळु स्थिर रहेलुं मालुम पके अने सूर्योदय श्रया पली एक घटिकानी अंदर ते वादळु जो ते पूर्व दिशामांज गुप्त श्रश् जाय तो जाणवु के ते चतुर्मासमां एक बिंछ पण वरसाद- पमशे नहीं. प्रत्नातमां सूर्य जो श्याम रंगनां वादळांथी घेरायो श्रकोज उदय पामे अने पनी एक घटिकानी अंदर ते वादळु जो ईशान दिशामां जश्ने अदृश्य थश जाय तो जाणवू के ते चतुर्मासमां खेतीने अनुकूळ वरसाद श्रशे नहीं. ज्येष्ठ मासनी बीजने दिवसे संध्याकाळे आकाशमां पूर्व दिशा तरफ जो लाल रंगनुं हस्तीना आकारनुं वादळ दीगमां आवे तो जाणवू के ते दिवसथी आठ दिवसनी अंदर जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे प्रजातमां आकाशमां अग्नि खूणा तरफ सूर्योदय थती वखतेज जो वीजळी यती मालुम पमे तो जाणवू के तेज दिवसे घणो वरसाद थशे. ते दिवसे सूर्यास्त थवाने हजु एक घटिकानो विलंब होय अने ते समये आकाशमां पूर्व दिशामां जो कोइ तारो दृष्टिगोचर थाय तो जाणवू के ते चतुर्मासमां एटलो बधो वरसाद अशे के जेथी अनाज पाकी शकशे नहीं. ते दिवसे सूर्य लीला रंगनां वादळांथी श्राबादन श्रश्नेज जो अस्त थाय तो जाणवू के तेज रात्रिए मुसलधार वरसाद थशे. ते दिवसे संध्याकाळे जो गाय पर वीजळी पझे तो जाणवू के ते देशमां एवो वरसाद थाय के जेथी मरकी श्रादिक उपवनी त्यां उत्पत्ति थाय. ते दिवसे प्रजातमा सूर्योदयसमये दक्षिण दिशामांश्री प्रचंम वायुावीने जो धूलीना समूहथी सूर्यने आबादन करी मूके तो जाणवू के Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चमः प्रस्तावः। ४१ त्यां अंतर्मुहूर्त्तमां जरुर वरसाद श्रशे. ज्येष्ठ मासनी त्रीजने दिवसे कोई पीळा रंगनी वादळी संध्याकाळे अग्नि खूणामांथी श्रावीने जो पश्चिम दिशामां अदृश्य श्रश् जाय तो जाणवू के त्यां चतुर्मासमां खेतीने अनुकूळ सारो वरसाद थशे. तेज दिवसे कोश् लाल रंगनी वादळी प्रजातमा सूर्योदयसमये पश्चिम दिशामांश्री आवीने सूर्यनां बिंबने जो आबादन करे तो जाणवू के ते चतुर्मासमांघणोज थोमो वरसाद थशे. ते दिवसे मध्याह्नकाळे आकाशमां ईशान दिशामांथी जो धीमी धीमी गर्जना संजळाय तो जाणवू के ते रात्रिए वरसाद थशे. ते दिवसे नैत्य अथवा पश्चिम दिशा तरफ संध्याकाळे जो श्याम रंगर्नु वादळु देखाय तो जाणवू के ते वर्षमा बीलकुल वरसाद श्रशे नहीं. ज्येष्ठ मासनी चतुर्थी तिथिए आकाशमां जो दक्षिण दिशा तरफ मध्याह्नकाळे धीमी गर्जना श्रती मालुम पके तो जाणवू के बे दिवसनी अंदर त्यां घणो वरसाद थशे. ज्येष्ठ मासनी पंचमीने दिवसे प्रत्नातमा सूर्योदयसमये सूर्यनी आसपास जो लाल रंगनुं कुमाळ श्रयेलुं मालुम पमे तो जाणवू के तेज दिवसे वरसाद श्रशे. तेज दिवसे बे घटिका दिवस चड्या बाद आकाशमां जो श्वेत रंगनां वादळां देखवामां आवे तो जाणवू के ते वर्षमा बीलकुल वरसाद श्रशे नहीं अने मोटो उकाळ पमशे. तेज दिवसे संध्याकाळे आकाशमां जो लाल रंगनां वादळां अग्नि दिशामां जोवामां आवे तो जाणवू के पांच दिसवनी अंदर घणो वरसाद थशे. तेज दिवसे जो मंगळवार आवेलो होय तो जाणवु के दुनिया पर पाणीनी मोटी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२ शकुनशास्त्रे रेल श्रवशे. तेज दिवसे प्रजातमां जो दक्षिण दिशामां सूर्योदय पहेलां वीजळी यती मालुम परे तो जाणवु के त्रण दिवसनी अंदर निश्चे करीने वरसाद थशे. तेज दिवसे मध्याह्नकाळे ईशान दिशा तरफ एक घटिका रात्रि गया बाद जो वीजळी अने गर्जना यती मालुम पके तो तेज रात्रिए घणो वरसाद वे. ते दिवसे पश्चिम दिशामांश्री संध्याकाळे पीळा सोनेरी रंगनी कोइ वादळी आवती जो मालुम पके तो जावं के ते वर्षमां बीलकुल वरसाद अशे नहीं. ते दिवसे दक्षिण दिशामांथी संध्याकाळे लीला रंगनी वादळी जो आवती मालुम परे तो जाए के एक अठवामीयामां जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे गुरुवार होय ने पूर्व दिशामांथी जो गर्जना संजळाती होय तो तेज दिवसे वरसाद थाय छे. ते दिवसे शनिवार होय अने उत्तर दिशामां संध्याकाळे जो वीजळी थती होय तो जावं के चार दिवसनी अंदर घणो वरसाद थशे. ते दिवसे रविवार होय ने दक्षिण दिशामांथी जो प्रजातमां टंको वायु श्रावतो मालुम परे तो अंतर्मुहूर्तमां घणो वरसाद थाय. ते दिवसे मध्याह्नकाळे आकाशमां वादळां जो श्वेत रंगनां फाटेलां मालुम परे तो जाणवुं के ते मासमां बीलकुल वरसाद a नहीं. ते दिवसे संध्याकाळे जो चातक पक्षी शब्द करतां मालुम परे तो तेज रात्रिए वरसाद थाय. ते दिवसे सूर्योदयसमये सूर्य जो श्याम रंगनां वादळांन्थी घेरायेलो ने अदृश्य होय तो जावं के तेज दिवसे घणो वरसाद थशे. ते दिवसे सूर्यास्तसमये सूर्य जो पीळा रंगनां वादळांउंथी अदृश्य रही - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चमः प्रस्तावः। ४३ नेज आश्रमी जाय तो जाणवू के आठ दिवस पी वरसाद पमशे. ज्येष्ठ मासनी अष्टमीने दिवसे आकाशमांश्री संध्याकाळे जो घणा तारा खरता मालुम पके तो जाणवू के ते चतुर्मासमां वरसाद श्रशे नहीं. ते दिवसे जो शनिवार होय अने आकाशमां जो श्वेत रंगनां वादळां मध्याह्नकाळे जोवामां आवे तो जाणवू के त्रण दिवसनी अंदर जरुर वरसाद श्रशे. ते दिवसे मध्याह्नकाळे आकाशमांधी जो वीजळी पके अने जयंकर गर्जना जो थाय तो जाणवू के ते वर्षमा बीलकुट वरसाद थशे नहीं. ते दिवसे संध्याकाळे जो नैत्य दिशामा वीजळी यती मालुम पझे अने जो ते वखते गर्जना न अती होय तो जाणवू के अंतर्मुहूर्त्तमां घणो वरसाद थशे. ते दिवसे प्रजातमां सूर्यनी आसपास पीळा रंगनां वादळां जो मालुम पमे तो जाणवू के ते दिवसथी दिवसनी अंदर जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे संध्याकाळे जो जयंकर गर्जना थती मालुम पमे अने तेनी साथे जो थोमा गंटा पमे तो जाणवु के पड़ी ते मासमां बीलकुल वरसाद थशे नहीं. ते दिवसे रविवार होय अने प्रजातमां जो वीजळी पझे तो जाणवू के ते रात्रिए वरसादयी समस्त उनियानो प्रलय अशे. ज्येष्ठ मासनी नवमीने दिवसे शनिवार होय अने प्रजातमांज जो वरसाद वरसवो शरु थाय तो जाणवू के एकी वखते ते आठ दिवस सुधी अविचिन्न रीते वरस्या करशे. ते दिवसे पाउली रात्रिए जो वीजळी तथा गर्जना यती मालुम पड़े तो जाणवू के ते चतुमोसमां बाजकारक वरसाद वरसशे. ते दिवसे श्राकाशमा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे प्रजातमां जो घणी धूली जमती मालुम पमे तो जाणवू के अंतर्मुहूर्त्तनी अंदर घणो वरसाद थशे. ते दिवसे आकाशमां प्रजातमां जो दक्षिण दिशा तरफ वीजळी थती मालुम पमे तो जाणवू के संध्याकाळ सुधीमां ते दिवसे घणो वरसाद वरसशे. ते दिवसे संध्याकाळे जो आकाशमांथी तारा खरता मालुम पमे अने ते दिवसे जो मंगळवार होय तो जाणवू के ते चतुमासमां घणो वरसाद पमशे. ते दिवसे मध्याह्नकाळे सूर्य जो श्याम रंगनां वादळांथी ग्वायेलो होय अने अग्नि दिशामांधी जो धीमी गर्जना संनळाती होय तो जाणवू के ते दिवसेज घणो वरसाद पमशे. ते दिवसे संध्याकाळे श्राकाशमां जो वंटोळी श्रश्ने घणी धूली उमे तथा साज जो वरसादना गंटार्ट पण पमवा लागे अने गर्जना पण थवा लागे तो जाणवू के ते सघळु फोकट , केमके तेश्री ते चतुर्मासमां पीथी बीलकुल वरसाद श्रतो नथी. ते दिवसे त्रण घटिका रात्रि गया बाद आकाशमांथी जो उटकापात थाय तो जाणवू के समस्त जगतनो ते चतुर्मासमा थनारा वरसादश्री प्रलय थशे. ते दिवसे एक पहोर दिवस चड्या बाद जो घणां मयूर पक्षी बोलतां मालुम पड़े तो जाणवू के एक पहोरनी अंदर घणो वरसाद श्रशे. ते दिवसे चार घटिका दिवस चड्या बाद प्रचंम वायु जो वावा लागे तथा वीजळी अने गर्जनाउँ पण थाय तो जाणवू के ते दिवसथी त्रण दिवसनी अंदर जरुर वरसाद थशे. ज्येष्ठ मासनी दशमीने दिवसे संध्याकाळे जो गर्जना थवा लागे तो जाणवू के ते मासमां वरसाद श्रशे नहीं. ते दिवसे जो रवि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चमः प्रस्तावः । ४५ अथवा जोमवार होय तो ते दिवसथी त्रण दिवसनी अंदर जरुर वरसाद थाय. वळी ते दिवसे जो बुधवार होय अने प्रजातमां जो श्वेत रंगनां वादळां पश्चिम दिशामां आवे तो ते माससां बीलकुल वरसाद याय नहीं. ते दिवसे संध्याकाळे जो न दिशामांथी लाल रंगनी वादळी यवती मालुम परे तो के ते रात्रए घणो वरसाद परुशे. दिवसे संध्याकाळे जो नैत्य दिशामांश्री काळा रंगनी वादळी यवती मालुम पतो ते दिवसथी व दिवसनी अंदर वरसाद वरसे बे. ते दिवसे प्रजातमांज जो वरसाद वरसवो शरु थाय अने वळी ते दिवसे जो गुरुवार होय तो ते दिवसे अंतर्मुहूर्त सुधीज ते वरसाद वरसीने पाठो ते समस्त चतुर्मासमां वरसतो नथी. ते दिवसे मध्याह्नकाळे सूर्य जो श्वेत रंगनां वादळांथी श्रष्ठादन थयेलो मालुम परे तो जाणवुं के ते चतुर्मासमां घणो वरसाद थशे. ते दिवसे संध्याकाळे सूर्य जो लाल रंगनां वादळां थी विंटायेलो मालुम पमे तो तेथी जाणवुं के ते दिवसथी त्रण दिवसनी अंदर घणो वरसाद थशे. ते दिवसे प्रजातमां जो सूर्यनी आसपास लीला रंगनुं कुंमाळु थयेलुं मालुम पके तो जाके ते दिवसे घणोज वरसाद थशे. ते दिवसे मध्याह्नकाळे दक्षिण दिशामांथी जो पीळा सोनेरी रंगनी वादळी यावती मालुम पाने तेज वादळी जो ईशान दिशामां पाठी श्रश्य थ जाय तो जावं के ते वर्षमां हृद उपरांत वरसाद थइने खेतीना पाकनो नाश करशे. ते दिवसे प्रजातमांज पश्चिम दिशामांश्री लाल रंगनी वादळी आवती मालुम परे ने तेज Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ शकुनशास्त्रे वादळी जो पूर्व दिशामां जश्ने अदृश्य थाय तो जाणवुं के ते वर्षमां खेतीने अनुकूल एवो घणो सारो वरसाद परुशे ते दिवसे वे घटीका रात्रि गया बाद ईशान दिशामां जो वीजळी थवा लागे ने तेज दिशामां जो घणा ताराने खरता मालुम प्रके तो जाए के ते पावली रात्रि घणो वरसाद थशे. ते दिवसे एक पहोर दिवस चढ्या वाद नैर्रुत्य दिशामांश्री श्वेत रंगनी वादळी जो श्रावती मालुम पके अने ते वादळी जो दक्षिण दिशामां दृश्य थ जाय तो जाए के ते दिवसथी दिवसनी अंदर जरुर घणो वरसाद थशे. ते दिवसे सूर्यास्तसमये घणी जयंकर गर्जनार्ज जो थती मालुम परे तो जावं के ते रात्रि घणो वरसाद थशे. ते दिवसे सूर्यास्तसमये आकाशमांथी जो उल्कापात थाय तो जाणवुं के ते वर्षमा खेतीने अनुकूळ वरसाद परुशे नहीं. ते दिवसे पाबले पोरे सूर्य जो श्वेत रंगनां वादळांउथी बायेलो मालुम पके छाने तेवीज रीते संध्याकाळ सुधी पण अदृश्य रहीने जो अस्त थ जाय तो जाएवं के ते चतुर्मासमां बीलकुल वरसाद थशे नहीं. ते दिवसे मध्याह्नकाळे आकाशमां पश्चिम दिशामांथी जंबूफळ सरखा रंगनी वादळी यवती मालुम परे छाने ते वादळी जो ईशान दिशामां जश्ने अदृश्य थ‍ जाय तो जाणवुं के ते दिवसथी पांच दिवसनी अंदर जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे चार घटिका रात्रि गया बाद आकाशमां जो शुक्रना तारानुं ग्रहण यतुं मालुम पके तो जाणवुं के ते चतुर्मासमां एक बिंदु पण वरसादर्नु परो नहीं. ते दिवसे जो जोमवार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चमः प्रस्तावः । होय तथा मंगळy मध्य रात्रिए जो ग्रहण श्रवान होय तो जाणवू के ते दिवसभी बार वर्ष सुधी ते देशमां मोटो उकाळ पमशे. ते दिवसे मध्य रात्रिए जो आकाशमांथी दक्षिण दिशामां घणा तारा खरवा लागे तो जाणवू के ते चतुर्मासमांते देशमा पाणीनी मोटी रेल आवशे तथा तेमां घणां प्राणीउनो नाश थशे. ते दिवसे पाली रात्रिए जो घणीज जयंकर गर्जना थाय अने जो जीणा वरसादना गंटा आववा लागे तथा ते रात्रिए जो शनिवार होय तो वरसाद अविछिन्न रीते पंदर दिवस सुधी पके बे. ते दिवसे संध्याकाळे जो दक्षिण दिशामांधी जयंकर पवन आवीने तेनी साथे वरसाद वरसवा लागे अने ते दिवसे सोमवार होय तो जाणवू के ते आखी रात्रि सुधी घणो सारो वरसाद पमशे. ज्येष्ठ मासनी एकादशीने दिवसे मध्य रात्रिए श्राकाशमांथी जो तारा पूर्व दिशा तरफ खरता मालुम पमे तो जाणवू के ते दिवसभी एक मास सुधीमां बीलकुल वरसाद थशे नहीं. ते दिवसे संध्याकाळे दक्षिण दिशामांथी केसर सरखा रंगनी वादळी श्रावती मालुम पमे अने ते वादळी जो पूर्व दिशामां अदृश्य थइ जाय तो जाणवू के ते चतुर्मासमां खेतीने अनुकूळ वरसाद पमशे. ते दिवसे प्रजातमां श्याम रंगनी वादळी पश्चिम दिशामांथी श्रावती मालुम पके अने ते वादळी पानी जो पूर्व दिशामां सूर्यने ढांकीने अदृश्य थ जाय तो जाणवू के ते चतुर्मासमां घणो वरसाद थशे नहीं.ते दिवसे मध्याह्नकाळे श्वेत रंगनी वादळी अग्नि दिशामांश्री आवीने दक्षिण दिशामां जो अदृश्य श्रश् जाय तो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रप शकुनशास्त्रे जाणवू के ते दिवसथी बे दिवसनी अंदर घणो वरसाद श्रशे. ते दिवसे बे घटिका दिवस चड्या बाद आकाशमां ईशान दिशामांथी पीळा सोनेरी रंगनी वादळी पावती मालुम पमे अने तेज वादळी जो पानी दक्षिण दिशमां अदृश्य अश् जाय तो जाणवू के ते चतुर्मासमां थोमो वरसाद पमशे. ते दिवसे प्रजातमा सूर्योदय पहेलां जो आकाशमांथी तारा खरता मालुम पझे तो जाणवू के ते चतुर्मासमां वरसादचें एक बिंदु पण पम्शे नहीं. ते दिवसे जो रविवार होय अने मध्याह्नकाळे जो न सहन अश् शके एवो ताप परतो होय तो जाणवू के ते दिवसथी बे दिवसनी अंदर जरुर सारो वरसाद थशे. ते दिवसे सूर्यास्तसमये सूर्यनो रंग पीळो अने तेज विनानो जो मालुम पके तो जाणवू के ते रात्रिए जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे सूर्योदय पनी त्रण घटिका बाद आकाशमां पूर्व दिशा तरफ जो वीजळी यती मालुम पझे तो जाणवू के ते दिवसे सूर्यास्त पहेलांज घणो वरसाद पमशे. ते दिवसे सूर्योदय पनी बे घटिका बाद पश्चिम दिशामांथी लीला रंगनी वादळी आवती जो मालुम पमे अने ते वादळी एकदम जो ईशान दिशामां अदृश्य थर जाय तो जाणवू के तेज मासमां फक्त वरसाद वरसशे, पण पसीना आखा चतुर्मासमां बीलकुल वरसाद वरसशे नहीं. ते दिवसे सूर्योदय पनी एक पहोर गया बाद सूर्य जो श्याम रंगनां वादळांउथी घेराइ जश् अदृश्य श्रश् जाय तथा ते दिवसे जो जोमवार होय तो ते चतुर्मासमां खेतीने अनुकूळ सारो वरसाद वरसशे. ते दिवसे सूर्यास्त पगी बे घटिका Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चमः प्रस्तावः । पूए रात्रि गया बाद नैत्य दिशामां जो वीजळी छाने गर्जना थवा मां तो जावं के ते रात्रिए घणो सारो वरसाद थशे. ते दिवसे संध्याकाळे पश्चिम दिशामां आकाशमां सोनेरी रंगनां चळकतां वादळां जो मालुम परे तो प्रजातमां वळते दिवसे जरुर वरसाद थाय. ते दिवसे मध्याह्नकाळे जो उत्तर दिशामां वीजळी थाय ने जयंकर गर्जना पण थती जो मालुम परे तो जाए के ते मासमां बीलकुल वरसाद थशे नहीं. ते दिवसे एक पहोर दिवस चढ्या बाद ईशान दिशामांथी गुलाब सरखा रंगनी वादळी जो आवती मालुम पके अने तेज वादळी पाठी जो पश्चिम दिशामां जश्ने अदृश्य थ जाय तो जाए के ते दिवसे सूर्यास्त पलां जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे एक पहोर दिवस चढ्या बाद अनि दिशामांथी जो श्वेत रंगनी वादळी आवती मालुम पके अने तेज वादळी पाठी जो वायव्य दिशामां वामी दृश्य थ जाय तो जाणवु के ते दिवसथी एक यानी अंदर जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे चार घटिका दिवस चढ्या बाद उत्तर दिशामांथी जो जोसबंध पवन श्रवीने श्राकाशमां धूलीना वंटोळीच्या थवा मांगे तो जाणवुं के तेज दिवसे सारो वरसाद थशे. ते दिवसे मध्याह्नकाळे जो नैत्य दिशा तरफ वीजळीने तथा गर्जनार्ज थवा लागे तो जाएवं के ते दिवसे सूर्यास्तसमये जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे जो गुरुवार होय ने मध्य रात्रिए जो दक्षिण दिशामां ताराज खरता मालुम पके तो जाणवुं के प्रजातमां घणो वरसाद थशे, पण तेमां बहु प्राणीने टंकी थी दुःख सहन कर परुशे ते शकु० ४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे दिवसे पारखी रात्रिए जो पश्चिम दिशामां वीजळी यती माखुम पर्छ भने गर्जनाउं जो थती न होय तो जाणवु के ते मासमां बीलकुल वृष्टि थशे नहीं. ते दिवसे प्रजातमां सूर्योदयवखते सूर्यनो रंग जो श्वेत रंगनो फांखो मालुम पमे तो जाणवू के ते चतुर्मासमां बीलकुल वरसाद थशे नहीं. ते दिवसे सूर्योदय पहेलां श्राकाशनो रंग पूर्व दिशा तरफ जो गुलाब सरखो मालुम पमे तो जाणवू के एक पखवामीया सुधी हजु वरसाद वरसशे नहीं. ते दिवसे सूर्योदय पगी एक घटिका गया बाद सूर्य जो सोनेरी रंगनां वादळांउथी घेरायेलो मालुम पमे अने तेमां जो अदृश्य थप जाय अने बेक सूर्यास्त वेळा सुधी तेवीज रीतनां वादळांमां अदृश्य रहीनेज जो अस्त थर जाय तो जाणवु के ते चतुर्मासमां एटलो तो जयंकर वरसाद वरसशे के श्राखी बुनियानो प्रलय थाय अने कोश्कज प्राणी फक्त जीवी शके. ते दिवसे जो सूर्योदयसमये आकाशमां श्वेत रंगनां त्रुटेलां वादळां श्रयेला मालुम पझे तो जाणवु के ते दिवसथी त्रण दिवसनी अंदर वरसाद श्राय. ते दिवसे जो सूर्यास्त पहेला एक घटिकाए जो सूर्यनो रंग फांखो लाल रंगनो मालुम पके तो जाणवु के सूर्यास्तसमये जरुर वरसाद श्राय. ते दिवसे जो बे घटिका रात्रि गया बाद पश्चिम दिशामांथी वीजळी अने गर्जना थती मालुम पमे तथा चंग जो फांखो थर गयेलो मालुम पमे तो जाणवू के अंतर्मुहूर्त्तमां जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे मध्य रात्रिए चंजनोरंग जो कांखोलाखरंगनो मालुम पके तो जाणवू के ते चतुर्मासमां खेतीने अनुकूळ नहीं थाय एवो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पञ्चमः प्रस्तावः। वरसाद पमशे. ते दिवसे संध्याकाळे जो घणां चातक पक्षी तथा मयूर पदी एकां श्रश्ने शब्द करवा लागे तथा ते दिवसे जो शनिवार होय तो ते चतुर्मासमा खेतीने अनुकूळ एवो घणो वरसाद थाय. ते दिवसे संध्याकाळे जो घणां बगला उमतां मालुम पमे तथा मेघनी गर्जना पण धीमी धीमी उत्तर दिशामां जो थती मालुम पके तो ते रात्रिए जरुर वरसाद थाय बे. ते दिवसे मध्याह्नकाळे आकाशमां श्याम रंगनां वादळां चमी श्रावीने जो जयंकर गर्जना थाय तथा बगखां पण जो उमतां मालुम पमे तो अंतर्मुहूर्त्तमां जरुर वरसाद थाय. ते दिवसे मध्याह्नकाळे सूर्यनां किरणो अत्यंत तापवाळां होय तथा श्राकाशमां पश्चिम दिशामां घणे दूर जंमी उंमी गर्जना जो संजळाती होय तो जाणवु के सूर्यास्त पहेला जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे जो शनिवार होय श्रने प्रनातमा सूर्योदयवखते पण सूर्य जो श्वेत रंगनां वादळांथी आबादित श्रयेलो होय तो जाणवू के मध्याह्न पहेखां जरुर वरसाद श्रशे. ज्येष्ठ मासनी बादशीने दिवसे जो जोमवार होय तथा सूर्योदय पजी बे घटिका गया बाद जो आकाशमांदक्षिण दिशामांथी सोनेरी रंगनी वादळी आवीने तुरत उत्तर दिशामा जोश्रदृश्य थ जाय तो जाणवू के ते दिवसथी चार दिवस गया बाद जरुर त्यां वरसाद थशे. ते दिवसे जो सोमवार होय अने वळी ते दिवसे मध्य रात्रिए जो वायव्य दिशा तरफ तारा खरता मालुम पड़े तो जाणवू के ते चतुर्मासमां घणोज वरसाद पमशे के जेथी खेतीने मोटुं नुकशान थशे. ते दिवसे जोशुक्रवार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे होय श्रने संध्यासमये जो चंजनो रंग पीला रंगनो मालुम पके तो जाणवू के ते दिवसथी एक अग्वामीयानी अंदर जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे जो बुधवार होय अने एक पहोर रात्रि गया बाद पूर्व दिशामांथी जो वीजळी अने गर्जना थवा मांगे तो जाणवु के तुरत वरसाद थशे. ते दिवसे जो शनिवार होय अने दिवसना पानला पहोरे उत्तर दिशामांथी श्वेत रंगनी वादळी आवीने पश्चिम दिशामां जो ते पानी तुरत अदृश्य थ जाय तो जाणवू के सूर्यास्त पहेलां जरुर वरसाद वरसशे. ते दिवसे संध्याकाळे जो मयूर पदी मैथुन सेवतुं जणाय तथा तेज वखते आकाशमा नैईत्य दिशा तरफ जो गर्जना थाय तो जाणवू के ते दिवसथी त्रीजे दिवसे जरुर वरसाद थाय. ते दिवसे संध्याकाळे जो सूर्यनो रंगलीलारंगनोकांखो कांखो मालुम पमे तो जाणवू के ते चतुर्मासमां एटलो बधो वरसाद वरसशे के तेथी सघळी खेतीनो नाश थशे. ते दिवसे प्रजातमां सूर्योदयवखते सूर्यनी आसपास सोनेरी रंगनां त्रुटेलां वादळां जो मालुम पमे तो जाणवू के ते दिवसे मध्याह्नकाळ पहेलांज वरसाद थशे. ते दिवसे सूर्योदय पठी एक घटिका गया बाद आकाशमां जो सफेद रंगनां घणां वादळां श्रयेलां होय तथा ऊर्ध्व नागमां धीमी धीमी गर्जना जो संजळावा लागे तो जाणवू के ते गर्जना फोकट ने अने ते मासमां बीलकुल वरसाद श्रशे नहीं. ते दिवसे सूर्योदय थवाने हजु बे घटिकानो वखत होय त्यारे पूर्व दिशानो रंग जो श्वेत मालुम पझे तो जाणवू के ते चतुर्मासमां घणोज थोमो वरसाद श्रशे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ षष्ठः प्रस्तावः। ५३ ___एवी रीते वरसाद माटे ज्येष्ठ मासनी शुक्स पहनी एकमथी मांमीने ( श्रने सातम सिवाय ) शुक्ल पक्षनी बारस सुधी उपर प्रमाणे वादळां आदिकनी चेष्टा जोवी. तेमां पण पाळनी तिथिए बनतो बनाव तेनी पहेलांनी तिथिना बनावनो विनाश करे . ॥ इति परकायप्रवेशविद्याप्रवीणाचार्यश्रीजिनदत्तसूरीश्वर विरचिते शकुनशास्त्रे पंचमः प्रस्तावः॥ ॥ श्रीजिनेंजाय नमः ॥ ॥ षष्ठः प्रस्तावः प्रारज्यते ॥ हवे एक वर्ष सुधीना व्यापारना भावोमां थनारा फेरफार माटे तथा ते वर्षमा थनारा बीजा बनावो माटे पण चैत्र मासनी शुक्ल पक्षनी बीजने दिवसे नीचे प्रमाणे चंद्रनां लक्षणो जोवां. चैत्र मासनी शुक्ल पक्षनी बीजने दिवसे संध्याकाळे चं जो लाल रंगनां वादळांउमा अदृश्य थयेलो मालुम पझे तो जाणवू के ते वर्षमां घनी किमत धीरे धीरे वृद्धि पामशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब जो श्वेत रंगनां वादळांउमां अदृश्य रहीनेज अस्त थ जाय तो जाणवू के ते वर्षमा कपास तथा रु आदिक कापम बनाववानी वस्तुऊनी किमतमां घणो घटामो थशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब जो कांखा लाल रंगनुं मालुम पमे तो जाणवू Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૫૪ शकुनशास्त्रे के ते वर्षमा पशुउंना उपयोगर्नु घास घणुं थशे नहीं. संध्याकाळे चंपर्नु बिंब जो कंकण आकारनुं गोळ मालुम पमे तो जाणवू के ते वर्षमां जगत परनां प्राणीउने घणुं कष्ट सहन करवूपमशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब क अस्तकाळ सुधी जो पीळा रंगनां वादळांथी ढंका रहे तो जाणवू के ते वर्षमा रुनी किमत घणीज वधी जशे. संध्याकाळे चंजना बिंबनो फक्त उत्तर दिशा तरफनो थोमोज नाग मालुम पके तो जाणवु के ते वर्षमा मरकी आदिक पुष्ट रोगनो उपभव थशे. संध्याकाळे चंजन बिंब उत्तर तथा दक्षिण बन्ने बाजुए जो सर मालुम पमे तो जाणवू के ते वर्षमां गोळ आदिक रसनी वस्तुऊनी किमत घटी जशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब फक्त तेना ऊर्ध्व नागमांज मालुम पमे तो जाणवु के त्यां वरसादयी मोटी रेल आवीने घणां प्राणीनो तेमां नाश करशे. संध्याकाळे चंजना बिंबनो थोमो नाग जो दक्षिण तरफनी बाजुएज जोवामां आवे तो जाणवू के ते वर्षमा अनाजनी किमत घणी वधी जशे. संध्याकाळे चंजना बिंबनो नाग जो खंमित श्रयेलो मालुम पमे तो जाणवू के ते वर्षमा मोटो चुकाळ पम्शे अने तेथी घणां प्राणी सुधाथीज मृत्यु पामशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब जो चळकाट विनानुं तथा रूपा सरखा सफेद रंगनुं मालुम पमे तो जाणतुं के ते वर्षमां लोकोने राज्य तरफनो उपजव सहन करवोपमशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब जो तेज विनानुं पीळा रंगनुं मालुम पके तो जाणवू के ते वर्षमां श्याम रंगवाळी वस्तुनी किमतमां घणो वधारो थशे. संध्याकाळे चंजना बिंबनी आसपास जो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ षष्ठः प्रस्तावः। खीला रंगनां वादळां जोवामां श्रावे तो जाणवु के ते वर्षमा सास रंगनी वस्तुऊनी किमतमां घटामो थशे. संध्याकाळे चंपर्नु बिंब जो दक्षिण दिशा तरफ वधारे चमतुं मालुम पड़े तो जाणवू के ते वर्षमां खजुर आदिक मिष्ट फळोनी किमतमां घणो घटामो थशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब अत्यंत तेजस्वी ने उत्तर दिशा तरफ वधारे चमतुं जो मालुम पड़े तो जाणवू ते वर्षमा अनाजना लावो मध्यमसरना रहेशे. संध्याकाळे चंजनुं बिन कांखा आकाशना रंग सरखं जो मालुम पझे तो जाणवु के ते वर्षमा शिशिर ऋतुमा घणी मी अने हिम पम्शे अने तेथी ते शतुमां थता पाकनो विनाश थशे. संध्याकाळे चंजन बिंब जो श्याम रंगनां वादळांथी ढंकाइ रहेडं होय अने ठेक अस्तसमयेज जो दीगमां आवे तो जाणवू के ते वर्षमां घृत श्रादिक रसनी वस्तुनी किमत घणी वृद्धि पामशे, केमके हरिजन सूरि महाराज पण पोताना व्यवहारकटपमां कहे के: चैत्रशुक्ल द्वितीयायां, संध्याकाले जवेद्यदि ॥ मेधै उन्नो निशानाथः श्यामरागोपरं जितैः ॥१॥ अस्तकाले पुनदृष्टि, पथं यद्येति देहिनां ॥ मूल्यं घृतादिवस्तूनां, तदब्दे वर्धते तदा ॥२॥ अर्थ-चैत्र सुदि बीजने दिवसे संध्याकाळे चंड जो श्याम रंगनां वादळांथी ढंकायेलो होय अने अस्तसमये जो फरीने प्राणीउनी दृष्टिए पझे तो जाणवु के ते वर्षमां घृत श्रादिक रसनी वस्तुनी किमतमा वृद्धि थशे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे __संध्याकाळे चंजनुं बिंब नैईत्य दिशा तरफज जो थोर्नु उदय पामेलुं मालुम पमे तो जाणवू के ते वर्षमा सूर्यना अत्यंत तापथी अनाज आदिक पाकनो नाश श्रशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब जो श्वेत रंगनां वीखराइ गयेलां वादळांउंथी छां कां मालुम पमें तो जाणवू के ते वर्षमा तेलनी वस्तुनी किमत घणी वधशे. संध्याकाळे चंजना बिंब तरफ कुतरां जो नसतां मालुम पमे तो जाणवू के ते वर्षमा मोती आदिक श्वेत रत्नोनी किमतमा घणो वधारो थशे. संध्याकाळे चंजना बिंब तरफ दृष्टि करतां आपणी आंखोमां जो अश्रु आवे तो जाणवू के ते वर्षमां पक्षीउश्री अनाजना पाकने मोटुं नुकशान थशे. संध्याकाळे चंजनुं बिंब जो सूर्यास्त थती वखतेज दृष्टिए पसे तो जाणवू के ते वर्षमा मनुष्योने अग्नि तरफनो जय सहन करवो पमशे. संध्यासमये चंजनुं बिंब जो त्रण जगोएथी खंमित थयेटुं मालुम पमे तो जाणवू के तेज मासने मे जरुर सुवर्ण आदिक धातुउनी किमतमां घणो घटामो थशे. संध्याकाळे सूर्यास्त पली एक घटिका गया बाद जो चंजनुं बिंब निर्मळ आकाश उतां दृष्टिए न पमे तो जाणवू के ते वर्षमां श्वेत वस्तुनी किमतमा घणो वधारो थशे. संध्यासमये चंजनुं बिंब जो पाटल सरखा गुलाबी रंगनुं मालुम पमे तो जाणवू के ते वर्षमा खोकोनी आरोग्यतामा वृद्धि थशे. ॥इति परकायप्रवेशविद्याप्रवीणाचार्यश्रीजिनदत्तसूरीश्वर विरचिते शकुनशास्त्रे षष्ठः प्रस्तावः ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७ सप्तमः प्रस्तावः। ॥ श्रीजिनेंजाय नमः॥ ॥ सप्तमः प्रस्तावः प्रारभ्यते ॥ नवु घर बांधती वेळाए थतां शुभाशुभ शकुनो. नवं घर बांधवा माटे केवी रीतनी जूमिका जोइए तेनुप्रथम स्वरूप कहे . अर्थात् नूमिका संबंधी गुण दोषना स्वरूपर्नु व्याख्यान करे . नवीन घर बनाववा माटे जे भूमि पर पीपळो, जंबरो, नागरवट वृक्ष अथवा रायण, वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि वापरवादी पोतानां संताननो नाश थाय जे. जे नूमि पर श्रांब. लीन वृक्ष उगेलुं होय ते जूमि पर जो पोतानुं नवीन घर बांधवामां आवे तो पोताना अव्यनो नाश थाय जे. जे नूमि पर एरंगनुं वृक्ष उगेलुं होय ते नूमि पर पोतार्नु नवीन घर बांधवाथी कीर्तिनो नाश थाय बे. जे नूमि पर कदंबर्नु वृद उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी राज्य तरफनो जय श्राय . जे नूमि पर कदलीनुं वृक्ष जगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनो क्ष्य थाय . जे नूमि पर वर्षाकाळमां सतावरीना बगेम उगता होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी संताननी वृद्धि थाय जे. जे नूमि पर कंधेरनुं वृक्ष जगेलुं होय तेवी नूमि पर नवु घर बांधवाश्री शत्रुनो नाश थाय वे. जे नूमि पर निबंध वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाश्री पोताना कुटुंबनी आरोग्यतानी वृद्धि श्राय जे. जे जूमि पर सरमानुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांध Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ...शकुनशास्त्रे वाथी कुटुंबनो मरकीना रोगथी नाश थाय . जे जूमि पर दामिमनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी जळनो जय थाय जे. जे नूमि पर पाटलनुं वृक्ष जगेडं होय तेवी नमि पर घर बांधवाथी पोतानी कीर्तिनी वृद्धि थाय . जे नूमि पर बोरमीन वृक्ष जगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाश्री पोतानां संतानने रोगनी उत्पत्ति थाय . जे जूमि पर खींबुनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी धननी प्राप्ति थाय बे. जे नूमि पर नागरवसी उगेली होय तेवी भूमि पर घर बांधवाथी धन, संतान तथा कीर्तिनी वृद्धि पाय . जे नूमि पर मायफळनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाश्री राज्य तरफना नयनी प्राप्ति थाय जे. जे भूमि पर जानी वेलमी उगेली होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी समीनी प्राप्ति थाय जे. जे नूमि पर कचुरानुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाश्री पोतानां संतानोनी कीर्तिनो नाश थाय वे. जे नूमि पर सालमनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी पोतानां कुटुंबीउने सुख मळे जे. जे जूमि पर सीसमर्नु वृद उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी पोताने घणी चिंता थाय जे. जे भूमि पर आकमानुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबीउने अर्शनो व्याधि थाय वे. जे नूमि पर धत्तुरनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबने अहिलपणुं प्राप्त थाय . जे नूमिका पर कमळनां पुष्पो उगतां मालुम पड़े तेवी नूमि पर घर बांधवाश्री लक्ष्मीनी तुरत प्राप्ति थाय जे. जे जूमिका पर कणेरनुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः। वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी जूत आदिक उष्ट सत्त्वोनो उपजव श्राय बे. जे नूमिका पर थाम्रनुं वृक्ष गेलुं होय तेवी जूमिका पर घर बांधवाथी कुटुंबी रसेंजियना सोलुपी थाय जे. जे नूमिका पर हरीतकीनुं वृक्ष उगेलु होय तेवी जूमि पर घर बांधवाश्री शत्रु तरफथी जय प्राय ने. जे नूमिका पर खर्जुरनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी भूमि पर घर बांधवाथी जंतुनो उपजव थाय . जे नूमिका पर बावळर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाथी शूला रोगनी प्राप्ति थाय जे. जे नूमिका पर नाळीयेरनां वृदनी उत्पत्ति श्रयेली होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनी स्त्रीऊनो नाश थाय बे. जे नूमिका पर इंगुदी नामनां वृक्षनी उत्पत्ति श्रयेली होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबना स्नेहनी वृद्धि थाय जे. जे नूमिका पर तिलर्नु वृक्ष उगेटुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाश्री कुटुंबमां क्लेशनी उत्पत्ति श्राय . जे नूमिका पर कोरमजनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी संताननी उत्पत्ति थती नथी. जे नूमिका पर शतपर्णी नामनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवीनूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबमां शोकनी उत्पत्ति थाय बे.जे नूमिका पर कुंजक नामर्नु वृक्ष जगेर्बु होय तेवीनूमि पर घर बांधवाथी पोताने वैराग्यनी उत्पत्ति थाय बे. जे नूमिका पर लवंगर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबचें रोगीष्टपणुंमटी जाय जे.जे नूमिका पर तमालपत्रनुं वृक्ष उगेलु होय तेवीनूमि पर घर बांधवाथी निरंतर सुखनी प्राप्ति थाय . जे नूमिका पर देवदारुनु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६. शकुनशास्त्रे घरबांधवाश्री व्यंतरनो उपजव थाय जे.जे नूमिका पर शेलमीनु वृक्ष उगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाथी वायुनो प्रकोप थाय . जे नूमिका पर मधुक वृक्ष जगेलुं होय तेवी जूमिका पर घर बांधवाथी कुटुंबमां विविध प्रकारना रोगनी प्राप्ति थाय जे. जे नूमिका पर लोध्र नामनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनां माणसोने अहंकारनी प्राप्ति थाय जे. जे नूमिका पर सुरंगीनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबना स्नेहनो नाश थाय बे. जे नूमिका पर कपिल वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबमां पांगु रोगनी उत्पत्ति थाय जे. जे नूमिका पर जंबीर नामर्नु वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधवाथी कुटुंबमां क्लेशनी उत्पत्ति अती नथी. जे नूमिका पर केसर नामनां वृक्षनी उत्पत्ति थयेली होय ते नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनी कीर्तिनी वृद्धि थती नथी. जे नूमिका पर मंदार नामर्नु वृक्ष नगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधवाथी उत्तम संततिनी प्राप्ति थाय जे. जे नूमिका पर पीलु नामनुं वृक्ष जगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी उष्ट संतानोनी प्राप्ति थाय जे. जे जूमिका पर नेतर नामनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनां माणसोने दयनो रोग थाय बे. जे नूमिका पर चंपक नामर्नु वृद उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनी कीर्तिनो फेलावो थाय जे. जे नूमिका पर पलाश नामर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी शाकिनी आदिकनो उपजय श्राय जे. जे जूमिका पर बिलीनुं वृद उगेलु होय Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः। तेवी जूमि पर घर बांधवाथी नूतनो उपजव कुटुंबने थाय . जे भूमिका पर गुग्गल नामनुं वृद उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबमां नेत्र रोगनी प्राप्ति थाय . जे जूमिका पर गंजारी नामनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबने आरोग्यता रहे . जे नूमि पर कुमारीनुं वृद उगेलु होय तेवी भूमि पर घर बांधवाथी कुटुंबनी कन्याउनो नाश थाय . जे नूमिका पर जंबू नामनुं वृक्ष नगेलुं होय तेवीनूमि पर घर बांधीने रहेवाथी कुटुंबमां नासिकाना रोगनी प्राप्ति थाय . जे जूमिका पर तिलक नामर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां माणसोमां कामनी उत्पत्ति विशेषे करीने थाय जे. जेजूमिका पर अशोक नामनुं वृक्ष उगेलं होय तेवी जूमि पर घर बांधीने वसवाथी वैराग्यनी उत्पत्ति , थाय . जे नूमिका पर श्रीपर्णिका ( कायफळ ) नामर्नु वृद नगेलुं होय तेवी नूमि पर जो घर बांधीने वसवामां आवे तो कुटुंबमा मस्तकना रोगनी उत्पत्ति विशेष करीने श्राय . जे नूमिका पर लाद वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने रहेवाथी जगंदर रोगनी कुटुंबमा उत्पत्ति थाय जे. जे नूमिका पर पारस पीपळानुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी जूमिका पर घर बांधीने रहेवाथी कुटुंबमां अजीर्णना रोगनी उत्पत्ति थाय वे. जे नूमिका पर निलंज नामनां वृदनी उत्पत्ति श्रयेली होय तेवीनूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां वीस्फोटक नामना रोगनी उत्पत्ति थाय . जे नूमिका पर अर्जुन नामनुं वृद जगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबने राज्य तर. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खाना होय तेवाती नथी. जे जा शकुनशास्त्रे फना नयनी प्राप्ति थती नथी. जे नूमिका पर खदिर नामर्नु वृक्ष उगेलं होय तेवी जूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनी स्त्रीने यनो रोग थाय जे. जे नूमिका पर शमी नामनुं वृक्ष जगेर्बु होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाथी शत्रुनो जय करी शकाय . जे नूमिका पर मदनफळनुं वृद उगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां नपुंसक संतानोनी प्राप्ति थाय जे. जे जूमिका पर लिकुच नामनुं वृद उगेलु होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां माणसो क्रोधी स्वनाववाला नीपजे जे. जे नूमिका पर आमळांनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां माणसो नीरोगी रहे जे. जे नूमिका पर कलिगुम नामर्नु वृद जगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाथी शाकिनी, जूत, पिशाच श्रादिक नीच सत्त्वोथी कुटुंबने परालव सहन करवो पके जे. जे नूमिका पर शिरीष नामर्नु वृक्ष उगेलु होय तेवी जूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंब निर्धन श्राय बे. वळी जे भूमिका पर बकुल नामनुं वृद नगेलुं होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनी स्त्री व्यजिचारी थाय . जे भूमिका पर अरणि नामनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी जूमिका पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां राज्य आदिकथी अव्यनो खाल थाय . जे नूमिका पर गुटम नामर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनो अग्निथी नाश थाय जे. जे नूमिका पर गोकर्णी नामर्नु वृक्ष जगेलुं होय तेवी जगो पर घर बांधीने वसवाथी पोताना घरमांथी धान्य आदि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः। ६३ कनो नाश थाय . जे नूमिका पर मंजिष्ट नामनां वृक्षनी उत्पत्ति श्रयेली होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाश्री चौर श्रादिकनो उपजव थाय जे. जे जूमिका पर सिंहपुची (पीपवनी) नामर्नु वृक्ष जगेलुं होय तेवी जूमिका पर घर बांधीने वसवाश्री कुटुंबनो पित्तविकारथी नाश थाय जे. जे नूमिका पर थरमुसानुं वृद उगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमा कफप्रकोपनो व्याधि थाय . जे नूमिका पर शालेव नामर्नु वृक्ष जगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां माणसो मूर्ख थाय जे. जे नूमिका पर और नामर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां श्वासना रोगनी उत्पत्ति थाय जे. जे नूमिका पर जेठीमधन वृक्ष नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाश्री कुटुंबनां माणसो शांत स्वनावनां थाय बे. जे जूमिका पर काकमुजा नामनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी चूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां संतानोनां बाळपणामांज मृत्यु थाय . जे नूमिका पर शालपर्णी नामर्नु वृत जगेर्बु होय तेवी जूमिका पर घर बांधीने वसवाश्री कुटुंबनां माणसोने तुरत धमपण आवे जे. जे जूमिका पर सोपारीनुं वृद उगेलुं होय तेवी जूमि पर घर बांधीने वस. नामनु वृदं उंगलुहाये तवालाम पर घरे बघिान वसवाथा कुटुंबमां संतानोनां बाळपणामांज मृत्यु थाय . जे नूमिका पर शालपर्णी नामर्नु वृह उगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने Prerana mयो aa Trum गाने ने ले जा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४ शकुनशास्त्रे इंशावरुणी नामनुं वृक्ष उगेलुं मावुम पमे तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमा मोहनी उत्पत्ति थाय जे. जे नूमिका पर बीजोरानुं वृक्ष उगेलु होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबर्नु कल्याण थाय जे. जे नूमिका पर पनश नामर्नु वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां कंपवायुनो रोग थाय ने. जे नूमि पर आवळनुं वृक्ष उगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनी व्याधिनो नाश थाय जे. जे नूमिका पर केवमार्नु वृद उगेलु होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां बाळकोनो नाश श्राय . जे चूमिका पर कोळांनुं वृक्ष उगेलं होय तेवी नूमिका पर घर बांधीने वसवाश्री कुटुंबनी वंध्या स्त्रीने पण गर्न रहे . जे नूमिका पर जमीनमां तैलकंद नामना कंदनी उत्पत्ति थती होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी घणा सुवर्णनी प्राप्ति थाय . जे नूमिका पर नूमिनी अंदर सूरण नामनां कंदनी उत्पत्ति थती होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां माणसोमां उदरनी व्याधिनो रोग थाय . जे नूमि पर हाथलां नामनां वृदनी उत्पत्ति थती होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाश्री कुटुंबमां जोह उत्पन्न श्राय जे. जे चूमिका पर मरमाशिंगीन वृद नगेलुं होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां माणसोनुं युवावस्थामांज मृत्यु थाय बे. (उपर प्रमाणे जे वृक्षोनुं स्वरूप कह्यं ते वृदोनी हद घरबी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः । ६५ त्रीश हाथ सुधीनी जाणवी. अर्थात् पोताना घरथी त्रीश हाथ सुधीमां उपर जणावेलुं जे वृक्ष होय तेनुं फळ उपर प्रमाणे जाणवुं.) वळी कोइ पण वृक्षने कापीने ते जगोए पोताने वसवा माटे जो घर बांधवामां आवे तो पोताना कुटुंबनां उत्तम माणसनो युवावस्थामांज नाश थाय बे. हवे जे भूमिका परनी धूळीमां अबरखनां कणो मालुम पके तेवी भूमि पर घर बांधवाथी अग्निनो जय थाय बे. जे भूमिका परनी धूळीमां सुवर्णनां रजकणो मालुम परे तेवी भूमिका पर वसवा माटे घर बांधवार्थी प्रव्यनी हानि थाय छे. जे भूमिका परनी धूळीमां सिंदूरनां रजकणो मालुम परे तेवी जूमिका पर वसवा माटे घर बांधवाथी कीर्तिनो नाश थाय बे. जे भूमिका परनी धूळीमां त्रांबानां रजकणो मालुम पके तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबना सुखनी वृद्धि थाय बे. जे भूमिका परनी धूळीमां अंगासनां रजकणो मालुम पमे तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंब पर राज्य तरफनो जय श्रावे ते. जे जूमिनी धूळीमां कर्पूर सरखी सुगंधी मालुम पमे तेवी भूमि पर वसवा माटे घर करवाथी कुटुंबमां कोढना रोगनी उत्पत्ति थाय बे. जे जूमिनी धूळीमांथी मुरुदा सरखी वास नीकळती मालुम परे तेवी जूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबमां मरकीनो उपअव थाय बे. जे जूमिनी धूळीमांथी मोगराना सरखी सुगंधी नकळत मालुम पफे तेवी भूमिमां वसवा माटे घर बांधवाथी शकु० ५ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ शकुनशास्त्रे कुटुंबनां संतानोनो नाश थाय छे. जे जूमिनी धूळीमांथी घृतना सरखी वास आवती मालुम परे तेवी भूमिमां वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबनो नाश थाय बे. जे जूमिनी धूळी नो रंग लीला रंगनो होय तेवी भूमि पर वसवा माटे बांधवाथी कुटुंबनी लक्ष्मीत्यंत वृद्धि पामे बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग श्याम रंगनो होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबमां उत्तम संताननी प्राप्ति थाय बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग आकाशना रंग सरखो होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबनां माणसो विधान् थाय बे. जे भूमिनी धूळीनो रंग लाल होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबमां क्लेशनी उत्पत्ति थाय बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग श्वेत होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंवमां धन धान्यनी वृद्धि थाय बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग पीळो होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबने राज्य तरफथी बहु धननी प्राप्ति थाय. हवे जे भूमि पर नोळीयुं पोतानुं दर करीने रहेतुं होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी धननी प्राप्ति थाय बे. जे भूमि पर सर्प रदेतो होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी शुज थाय बे. जे भूमि पर चमर पोतानुं दर करीने रहेतो मालुम परे तेवी जूमि पर घर बांधीने वसवाथी घणा प्रव्यनो नाश थाय बे. जे भूमि पर लोंकमी नामनुं प्राणी पोतानुं बिल करीने रहेतुं होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी अग्निनो जय माय बे. जे भूमि पर घणां पतंगीयां उकतां मालुम पके Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः। तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी परिवारनो नाश थाय ने. जे जूमि पर कोई पण देवमंदिरनी ध्वजानो पमनायो मध्याह्नकाळे पमतो होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी लमीनो निश्चे नाश थाय जे. जे नूमि पर घणां गीध पदी बेसतां मालुम पमे तेवी नूमि पर घर करीने वसवाथी संपत्तिनो विनाश श्राय जे. जे जूमि पर कोइ पण मनुष्यनुं मुम दाटवामां आवेलुं होय तेवी चूमि पर घर बांधीने रहेवाश्री संताननो विनाश थाय . जे नूमि पर संध्याकाळे कागमा वारं. वार आवीने पोतानी चांचो मारता होय तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी घणुं जव्य मळे जे. जे नूमि पर मयूर पक्षी श्रावीने पोताना पगो वती खोदतुं मालुम पमे तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाश्री बहु सुवर्णनी प्राप्ति श्राय . जे नूमि पर कागमा श्रावीने वारंवार शब्द करता मालुम पड़े तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबनां घणां माणसोनां मृत्यु थाय बे. जे जूमि पर पारापत नामर्नु पदी वारंवार आवीने पोतानी पांखो फफमावतुं मालुम पमे तेवी नूमि पर घर बांधीने वसवाथी कीर्तिनो नाश श्राय . - हवे घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमी नमांथी जो पशुर्नु हामकुं नीकळे तो ते व्यना नाशने सूचवे जे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी एक हाथ खोदतांज जो पाणी नीकळे तो ते अशुलने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी एक हाथ खोदतांज जो मनुष्य, हामकुं नीकळे तो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० . शकुनशास्त्रे ते कुटुंबना नाशने सूचवे जे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जो कोइ पदीनु हामकुं नीकळे तो ते कीर्तिना नाशने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांधी जो ताम्रनो टुकमो अथवा ताम्रपात्र नीकळे तो ते लक्ष्मीनी प्राप्तिने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो सुवर्णनो टुकमो अथवा सुवर्णतुं कंश पात्र नीकळे तो ते अशुजने सूचवे जे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो कांस्यनो टुकमो अथवा कांस्यनुं कंश पात्र नीकळे तो ते कीर्तिना नाशने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी त्रण हाथनी नीचे जो लवएनो समूह मालुम पसे तो जाणवू के तेथी पोताने अत्यंत जवाहीरनी प्राप्ति थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी बे हाथनी नीचे जो मनुष्यना वाळ मालुम पड़े तो जाणवू के ते घरमां वसवाथी जूतनो जपत्रव थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो लोहनो टुकमो अथवा लोहन पात्र नीकळे तो ते शुनने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो कुंकुमथी जरेलु मृत्पात्र नीकळे तो ते पण शुलनेज सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो पारदनी धातु नीकळे तो ते महा अशुजने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांधी जो काचनो ककमो अथवा काचर्नु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः । पात्र नीकळे तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. घर बांधवा माठे 'जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी जो कोइ पशुं शिंगरुं नीकळे तो ते शुभने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा त्रण हाथनी नीचेथी जो कोइ वृहनी बाल नी कळे तो ते पण शुजनेज सूचवे बे. घर बांधवा साडे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी बे हाथनी नीचेथी जो नाळीयेरनी काचली नीकळे तो ते अशुने सूचवे बे. . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमां श्री एक हाथनी नीचेथी जो शंख नीकळे तो ते महा शुजने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी वे हाथनी नीचेथी जो कोइ ताम्रना अथवा रूपाना सिक्का नीकळे तो ते पण शुननेज सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी सवा बे हाथनी नीचे थी जो सीसाना अथवा सुवर्णना सिक्का नीकळे तो ते शुजने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी जो चर्मनो टुकको नीकळे तो ते पण अशुजनेज सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी जो हाथीदांतनो ककमो नीकळे तो ते शुजने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी एक हाथनी नीचे जो कोइ काष्ठनो कटको ६५ अवा काष्ठं पात्र नीकळे तो ते पण शुजनेज सूचवे छे. घर बांधवा माठे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी त्रण हानी नीचेथी जो कं हथियार नीकळे तो ते पण शुजनेज . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७० शकुनशास्त्रे सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी वे हाथनी नीचेथी जो लीला रंगनी जिनप्रतिमा नीकळे तो ते महा शुजने सूचवे बे, पण तेने काढती वेळाए जो ते खंकित थ‍ जाय तो जाए के घर मांहेथी कोइ पण मनुष्य ग्रहिल ( गांऊं ) थइ जशे घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी दोढ हाथनी नीचेथी जो श्याम रंगनी जिनप्रतिमा नीकळे तो जाएवं के पोताना घरमा अत्यंत लक्ष्मीनी वृद्धि थशे, पण ते प्रतिमा बहार काढती. वेळा अकस्मात् जो खंमित थ‍ जाय तो जाणवुं के पोतानां संताननो नाश थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी एक हाथनी नीचेथी जो श्वेत रंगनी जिनप्रतिमा नीकळे तो जावं के पोताने द्रव्य संबंधीनी चिंता रहेशे नहीं, पण ते प्रतिमा बहार काढती वेळाए जो अकस्मात् ति जाय तो जाणवुं के पोतानी कीर्तिनो नाश थे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए एक हाथ नीचेथी जमीनमांथी अकस्मात् जो शिवनुं लिंग नीकळे तो जावं के पोताने वंध्यत्व प्राप्त थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए दोढ हाथ नीचे जमीनमांथी अकस्मात् जो काखं फळनी गोटी नीकळे तो ते महा शुचने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा त्रण हाथ नीचे जमीनमांथी अकस्मात् जो कं वस्त्र नीकळे तो जाणवु के पोताना कुटुंबने राज्य तरफथी द्रव्यनी प्राप्ति थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः। चार हाथ नीचेथी जो विष्णुनी मूर्ति नीकळे तो जाणवू के कुटुंबी विषयी थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो अंगारा नीकळे तो ते महा शुलने सूचवे वे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो कंश सुवर्णन आजूषण नीकळे तो ते पण अशुजनेज सूचवे जे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो कोइ श्वेत रंगनो मृत्यु पामेलो अथवा जीवतो सर्प नीकळे तो ते महा शुलने सूचवे चे, पण ते वखते जो को बीजा रंगनो सर्प नीकळे तो ते महा अशुलने सूचवे ने. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए अर्धा हाथनी नीचे जो परवाळु नीकळे तो ते शुलने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए एक हाथनी नीचेथी जो मृत्यु पामेला मत्स्यनुं मुझडं नीकळे तो ते अशुजने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो श्वेत रंगनुं पाणी सामा त्रण हानी नीचेथी मळे तो ते महा शुनने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो सिंहनो नख नीकळे तो ते पण शुलनेज सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायोखोदती वेळाए जमीनमांधी जोगर्दननोकर्ण बेहाथनी नीचेथीनीकळे तो ते अशुलने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो अश्वनी खुरी एक हायनी नीचेथी नीकळे तो ते अशुलने सूचवे बे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांधी त्रण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे हाथनी नीचेथी जो पाराना नेळवाळु पाणी नीकळे तो ते पण श्रशुजनेज सूचवे जे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी एक हाथनी नीचेथी जो उंटर्नु पुन नीकळे तो ते पण अशुलनेज सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी सवा हाथनी नीचेथी जो सुवर्णना सिकाउँथी जरेलुं लोहपात्र मळे तो ते पण अशुननेज सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो पोणा त्रए हाथनी नीचेश्री तेलना लेगवाळु पाणी नीकळे तो ते घरमा वसवाशी पोताना कुटुंबनो नाश थाय जे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो दोढ हाथनी नीचेथी मृदंगनो अवाज संजळाय तो ते जगोए घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां पिशाचनो उपजव थाय ने ता तेथी घणां माणसोनां मृत्यु नीपजे जे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो त्रण हानी नीचेथी श्याम रंगनी पताका नीकळे तो जाणवू के ते नगरमां ते वर्षे मोटी मरकीनो उपजव थशे तथा तेमांपोताना समस्त कुटुंबनो नाश थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो अर्धा हाथनी नीचेथी कळश नीकळे तो ते महा कल्याणने सूचवे . घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो सामा त्रण हाथनी नीचेश्री मनोहर सुगंधी श्रावती मालुम पमें तो जाणवू के ते घरमां वसवाथी बाळकोनां मृत्यु थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी जो बे हाथनी नीचेथी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सप्तमः प्रस्तावः । ७३ धूम्रनो समूह नीकळतो मालुम पमे तो जाणवुं के तेज वखते कोइ राक्षस तेमांथी नीकळी पोतानुं तथा कुटुंबनुं नक्षण करशे, माटे तेम थतां तुरत ते जमीन पर धूळी नाखीने तेने पूरी मूकवी तथा तेवी भूमि पर बीलकुल घर बांधीने वस पण नहीं. घर बांधवा माटे जमीननी अंदर पायो खोदती वेळा जमीनमांथी पोणा हाथनी नीचेथी जो अकस्मात् अग्निना जमका नीकळता मालुम परे तो जाणवु के ते घरमां वसवाथी समस्त कुटुंबनो व मासनी अंदर नाश थशे. घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळाए जमीनमांथी पोला बे हाथनी नीचेथी जो बळतो दीपक नीकळे तो ते महा शुने सूचवे बे. पर घर बांधवा माटे जमीनमां पायो खोदती वेळा जमीनमांथी एक हाथनी नीचेथी जो ब्रह्मानी मूर्ति नीकळे तो जाणवुं के कुटुंबमां कोढना रोगनी उत्पत्ति थशे. हवे जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो कोइ जळाशयनी घणीज पासे होय तो ते अशुने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो वर्तुल आकारनी होय तो ते पण अशुननेज सूचवे बे. जे जूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो समचोरस आकारनी होय तो ते शुजने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो त्रिकोण आकारनी होय तो ते लक्ष्मीना नाशने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो लांबी घणी अने पहोळी थोमी होय तो ते संततिना नाशने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो ऋष्ट कोण आका Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४ शकुनशास्त्रे रनी होय तो तेथी कीर्तिनो नाश थाय बे. जे भूमिका पर घर aaj होय ते भूमिका जो अर्धचंद्र सरखा आकारवाळी होय तो ते जळना जयने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो वच्चेथी उपसेली होय तो ते अग्निना जयने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिकानां मध्य नागमां जो खामो होय तो जाणवुं के कुटुंबनी स्त्रीने वंध्यत्व प्राप्त थशे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका पर मध्याह्नकाळे जो कोइ देवमंदिरनी बाया पकती होय तो जाणवु के पोतानी लक्ष्मीनो नाश थशे. जे भूमिका पर घण मशकोनी उत्पत्ति यती होय तेवी जूमि पर घर बांधीने वसवाथी प्रव्यनो नाश थाय बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिकानो आकार जो उंटनी पीठना सरखो उंचो नीचो होय तो तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी राज्य तरफना जयनी प्राप्ति थाय बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिकानो आकार जो कमळनां पुष्प सरखो होय तो ते लीना नाशने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिमां जो घणी फाटो परेली होय तो तेवी भूमिमां घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां क्लेशनी उत्पत्ति थाय बे. ॥ इति परकायाप्रवेश विद्याप्रवीणाचार्यश्री जिनदत्तसूरीश्वरविरचिते शकुनशास्त्रे सप्तमः प्रस्तावः ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अष्टमः प्रस्तावः। gu ॥श्रीजिनेजाय नमः ॥ ... ॥ अष्टमः प्रस्तावः प्रारज्यते ॥ . हवे स्त्रीने गर्भ रहेवा संबंधी शकुनो कहे छे. ऋतुवंती स्त्री जो संध्याकाळे निता करे तो तेने गर्न रहेतो नथी. ऋतुवंती स्त्री जो कांस्यना अथवा ताम्रना पात्रमा नोजन करे तोपण तेने गर्न रहेतो नथी. शतुवंती स्त्रीने जो कंदमूळनुं जोजन देवामां आवे तोपण तेणीने गर्न रहेतो नथी. शतुवंती स्त्री जो नागरवतीनां पत्रनुं लक्षण करे तोपणं तेणीने गर्न रहेतो नश्री. शतुवंती स्त्री जो वरसादनी पमती धाराना पाणीथी स्नान करे तोपण तेणीने गर्न रही शकतो नथी. ऋतुवंती स्त्रीने अत्यंत तैलवाळु जोजन देवामां आवे तोपण तेणीने गर्न रहेतो नश्री. शेतुर्वती स्त्रीने दधि श्रादिक अत्यंत खाटा पदार्थोनुं जोजन देवामां आवे तोपण तेणीने गर्न रहेतो नथी. ऋतुवंती स्त्री पगेथी चालीने जो घणो पंथ करें तोपण तेणीने गर्न रहेतो नश्री. ऋतुवंती स्त्री रात्रिए चंजनी चांदनीमां जो निषा करे तोपण तेणीने गर्न रहेतो नथी. शतुवंती स्त्री दिवसे घणो वखत सुधी जो सूर्यना तमकामां बेसे अथवा फरे तोपण तेणीने गर्न रहेतो नथी. शतुवंती स्त्री जो अग्निश्री पोतानुं शरीर तपावे तोपण तेणीने गर्न रहेतो नश्री. सतुवंती स्त्रीने तुरत नहीं पचे एवं जो नोजन श्रापवामा श्रावे तोपण तेणीने गर्न रही शकतो नथी. शतुवंती स्त्री जो मद्यपान करे तोपण तेणीने गर्ल रही शकतो नथी. शतुवंती Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ शकुनशास्त्रे ... स्त्री जो लींबो, थांबली अथवा शिरीषनां वृक्ष नीचे लघुशंका अथवा शंका माटे बेसे तोपण तेषीने गर्भ रहेतो नथी. रुतुवंती स्त्रीने जो माटी, केळां, जेमां खटारा होय तेवा पदार्थो अने फळो, अथवा अत्यंत खारा पदार्थो खावानी इवा थाय तो जावं के ते स्त्रीने वंध्यत्व प्राप्त थशे. अर्थात् तेवी स्त्रीने बीलकुल गर्न रहेशे नहीं. जे रुतुवंती स्त्रीने अत्यंत मैथुन सेववानी इछा थाय तेवी स्त्रीने पण गर्भ रहेतो नयी. जे तुवंती स्त्री सुगंधी पुष्पनी माळार्ड पहेरे अथवा सुगंधी पुष्पोने सुघे तेवी स्त्रीने पण गर्भ रही शकतो नथी. जे ऋतुवंती स्त्री नहीं पकावेलुं अनाज खाय तेवी स्त्रीने पण गर्न रहेतो नथी. जे कतुवंती स्त्री अत्यंत लुखुं भोजन करे तेवी स्त्रीने पण गर्भ रहेतो नथी. जे शतुवंती स्त्री अत्यंत रुदन करे तेलीने पण गर्भ रहेतो नथी. जे शतुवंती स्त्री श्राखा दिवसमां कं पण जोजन कर्या विना उपोषित रहे तेलीने पण गर्न रहेतो नथी. जे शतुवंती स्त्री जळमां, दर्पणमां अथवा तैलमां पोतानुं मुख जुवे तेणीने पण गर्भ रहेतो नथी. कोइ जगोए एमप कहे बे के जे तुवंती स्त्री दर्पणमां पोतानुं मुख जुवे तो तीनो गर्भ गांगो थाय बे. जे कतुवंती स्त्री पोताना ललाटमां कुंकमनो चांदलो करे अथवा काजळथी पोतानी खोमां अंजन करे तेवी स्त्रीने पण गर्भ रहेतो नथी. जे तुवंती स्त्री वाजित्र वगाने अथवा गायन के नृत्य करे तेवी स्त्रीने पण गर्भ रहेतो नथी. जे तुवंती स्त्री गाय, मुनि, देवमूर्ति तथा पोताना पतिने स्पर्श करे तेणीने निश्चे करीने Jain Educationa International " For Personal and Private Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अष्टमः प्रस्तावः । 99 वंध्यत्व प्राप्त थाय बे. जे शतुवंती स्त्री वाव, नदी अथवा तळामां जइ जळकीका करे तेलीने पण प्राये गर्भ रही शकतो नथी. जे शतुवंती स्त्री सूर्य अथवा चंद्रना ग्रहणने जुवे के तेवी स्त्रीनां संतानो प्राये गांमां थाय बे. तुवंती स्त्रीए दुधपाकनुं प जोजन करवुं ते लाजकारक बे. एवी रीते गर्भ रहेवा संबंधी अधिकार संक्षेपथी कह्यो. तेनुं वधारे वर्णन लोककल्प तथा व्यवहारकल्पथी जाणवुं. हवे संताननो जन्म थया बाद बाल्य अवस्थामांज तेमनुं मृत्यु थाय छे ते संबंधी अधिकार संक्षेपथी वर्णवे छे. स्त्रीने गर्भ रह्या बाद नए मास पबी जो ते स्त्री संध्याकाळे कं वस्तु मुसल वती खांगे अथवा घंटीथी दळे तो तेणीनुं संतान अप आयुष्यवाळु थाय बे. गर्भवती स्त्री गर्भ रह्या बाद त्र मास पबी जो अत्यंत खाटा, अत्यंत करुवा, अत्यंत तीखा ने अत्यंत खारा पदार्थोनुं जोजन करे तोपण तेणीनां संतान अप आयुष्यवाळां थाय छे. गर्भवती स्त्री गर्भ रह्या बाद मास पढी जो बहुज उतावळथी चाले, अथवा बहुज उंचा स्थानक पर चके, अथवा वारंवार जो गोदोहिका आसनथ बेसे, अथवा वारंवार मस्तक भूमि पर कामी नमस्कार करे, अथवा कसरत करे तोपण तेणीनां संतानो अप श्रायुव्यवाळां थाय बे. जे गर्भवती स्त्री गर्भ रह्या बाद त्रण मास पती बे प्रहर करतां वधारे वखत सुधी हुधा खाग्या बतां पण धातुर रहे तेणीनां संतानो पण दुर्बळ ने अप श्रायुष्यवाळा थाय बे. जे गर्भवती स्त्री गर्भ रह्या बाद त्रण मास पनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे मस्तक पर अथवा खन्ना पर अथवा हाथमां घणो नार उपामे तेवी स्त्रीनां संतानो अस्प आयुष्यवाळां थाय जे. जे गर्नवंती बी गर्ल रह्या बाद त्रण मास पठी उंट, घोमो, हाथी अथवा गामामां बेसी पंथ करे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अटप आयुष्यवाळां श्राय जे. जे गर्नवंती स्त्री निजामां पोताना दांत एक बीजा साथे घसती मालुम पड़े तेवी स्त्रीनुं संतान लमीनो नाश करनारुं तथा अल्प आयुष्यवाळु श्राय जे. जे गर्नवंती स्त्री गर्न रह्या बाद त्रण मास पी तैलनुं मर्दन करावे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अड्प आयुष्यवाळां थाय जे. जे गर्नवंती स्त्री गर्न रह्या बाद त्रण मास पनी शनि नामना रत्ननुं आजूषण पहेरे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अल्प आयुष्यवाळां थाय बे. जे गर्नवंती स्त्री गाय पर धुंके तेवी स्त्रीनां संतानो पण अटप आयुष्यवाळां थाय . जे गर्नवंती स्त्री लघुशंका करती वेळाए पोताना मूत्रमांज धुंके तेवी स्त्रीनां संतानो पण अल्प आयुष्यवाळां थाय . जे गर्नवंती स्त्री घरना उंबर पर वारंवार बेसे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अटप आयुष्यवाळां थाय के. जे गर्नवंती स्त्री अत्यंत वायुवाळा घरमा रहे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अल्प आयुष्यवाळां थाय जे. जे गर्नवंती स्त्री पोताना शरीर पर कस्तूरीन लेपन करे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अटप आयुष्यवाळां थाय . जे गर्लवंती स्त्री तुरतनी प्रसूत श्रयेसी गाय अश्रवा लेंसनुं बुध खाय तेणीनां संतानो पण अटप आयुष्यवाळां थाय . जे गर्नवंती स्त्री केवळ जूमि पर अथवा कर्कशशय्या पर शयन करे तेवी स्त्रीनां संतानो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमः प्रस्तावः। पण अटप आयुष्यवाळां थाय जे. जे गर्जवंती स्त्री अत्यंत शीतळ अथवा अत्यंत उष्ण जळथी स्नान करे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अटप आयुष्यवाळां थाय . जे गर्जवंती स्त्री सूर्यास्तसमये जळपान करे तेवी स्त्रीनां संतानो पण अप आयुष्यवाळां थाय . ॥ इति परकायप्रवेशविद्याप्रवीणाचार्यश्रीजिनदत्तसूरीश्वर विरचिते शकुनशास्त्रे अष्टमः प्रस्तावः॥ ॥श्रीजिनेंत्राय नमः॥ ॥ नवमः प्रस्तावः प्रारज्यते ॥ हवे मोतीओनी परीक्षार्नु खरूप कहे छे, तथा तेमां रहेलां चिहोनां शुभाशुभ फळोनुं पण खरूप कहे छे. - जे मोतीनो आकार गोळ होय ते मोती उत्तम प्रकारनुं जाणवू. जे मोतीना मध्य नागमां सूक्ष्म एवो मदिकाना पगना आकारनो लीसोटो होय तेवं मोती ग्रहण करवायी पोताना अव्यनो विनाश श्राय जे. जे मोतीनो आकार लंबगोळ होय तथा तेना मध्य नागमां जो आकाशना रंग सरखं वलयाकारे चिह्न होय तो तेवं मोती ग्रहण करवानी पोताने उत्तम पुत्रनी प्राप्ति श्राय जे. जे मोतीनो आकार चपटो होय तथा तेनो रंग जो पीळाश मारतो होय तो तेर्बु मोती ग्रहण करवाश्री परिवारमा रोगनी उत्पत्ति थाय जे. जे मोतीनो आकार गोळ होय, पण तेनो रंग जो चंजना रंग सरखो होय तो तेवं मोती Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे ग्रहण करवाथी 5ष्ट ग्रहोनी पोताने पीमा आय जे. जे मोतीनो श्राकार एक तरफ अणीदार अने बीजी तरफ चपटो होय तथा तेनो रंग जो सेहेज आकाशना रंग सरखो होय तो तेवं मोती ग्रहण करवायी पोताना अन्यनी वृद्धि थाय जे. जे मोती मध्य नागमांथी पातळु तथा बन्ने बाजुए गोळ आकारर्नु होय तेवं मोती ग्रहण करवाथी पोतानां संतानो जीवी शकतां नथी. जे मोतीनो आकार मध्य नागमांथी जामो तथा बन्ने बाजुठना लागमांधी पातळो एवो लंबगोळ आकार होय तेवू मोती ग्रहण करवाथी पोतानी स्त्रीनें तत्काळ मृत्यु थाय ने. जे मोतीनो आकार गोळ होय, पण तेनो रंग जो जरा पीळाश पर होय तो तेवं मोती ग्रहण करवाथी पोते विधान् थाय . जे मोतीनो आकार उपरथी भणीवाळो तथा नीचेथी गोळ होय थने तेनो रंग अत्यंत तेजस्वी अने सफेद होय तो ते, मोती ग्रहण करवाथी पोताना वंध्यत्वनो पण नाश थाय 3. जे मोतीनो श्राकार गोळ होय, पण ते पर जो कंश सूक्ष्म स्फोटक सरखो आकार मालुम पमे तो जाणवू के तेवू मोती ग्रहण करवाश्री पोताने कुष्ठ नामना कुष्ट रोगनी प्राप्ति थशे. जे मोतीनो आकार लंबगोळ होय अने तेना बेमा पर जो श्याम रंगनुं बिंदु होय तो जाणवू के तेवं मोती ग्रहण करवाथी पोताने तुरत दरिजीपणुं श्रावीने नेटशे. जे मोतीनो आकार गोळ होय, पण तेना मध्य जागमां लीला रंगनुं सूक्ष्म मत्स्यना आकारनुं जो त्रिह होय तो जाणवू के तेवु मोती ग्रहण करवाश्री पोताना अव्यनो तुरत विनाश थशे. जे मोतीनो आकार For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमः प्रस्तावः। गोळ होय अने रंग पण जेनो तेजस्वी ने सफेद होय, पण तेमां जो लाल रंगनो सूक्ष्म माघो मालुम पड़े तो जाणवु के तेवु मोती ग्रहण करवाश्री पोताना परिवारने तथा पोताने पण कोश् व्यंतर तरफथी उपजव अशे. जे मोतीनो आकार गोळ होय, पण तेनो रंग जो चळकाट विनानो सफेद होय तो जाणवू के तेवू मोती ग्रहण करवाश्री पोताने अंधत्व प्राप्त थशे. वळी जे मोतीनो आकार गोळ होय, पण तेनो रंग जो जरा लालाश मारतो होय तो जाणवू के तेवू मोती ग्रहण करवाश्री अने पहेरवाश्री पोताने जो मंगळ ग्रहनो उपजव नमतो होशे तो ते दूर अशे. जे मोतीनो आकार गोळ होय अने तेनो रंग पण तेजस्वी अने सफेद होय, पण तेमां जो लीला रंगनुं वलयना श्राकारनुं खंमित थयेलु चिह्न होय तो जाणवू के तेथी पोतानी स्त्रीने सौलाग्यपणुं दूर जशे अर्थात पोतानुं तुरत मृत्यु थशे. जे मोतीनो आकार गोळ होय, पण तेमां जो मशकना आकार, सूक्ष्म एवं पीळा रंगनुं चिह्न मालुम पमे तो तेवू मोती ग्रहण करवाथी पोताना पर राज्य तरफनी आपदा आवी पमे जे. जे मोतीनो आकार जो गोळ होय, पण तेमां जो भ्रमरना आकारनुं सूक्ष्म श्याम रंगनुं चिह्न मालुम पमे तो जाणवू के तेवु मोती ग्रहण करवाश्री पोताने देशाटन करवू पमशे. जे मोतीनो श्राकार गोळ होय अने रंग पण सफेद अने तेजस्वी होय, पण तेमां लाल रंगर्नु सिंहना नखना आकारनुं जो चिह्न मालुम पमे तो जाणवू के तेवू मोती ग्रहण करवाथी पोतानुं मृत्यु निश्चे करीने सिंहथी श्रशे. जे मोतीनो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .. शकुन शास्त्रे आकार जो गोळ होय अने रंग पण सफेद अने तेजस्वी होय, पण तेमां पीळा रंगनुं काचबाना आकारनुं जो सूक्ष्म चिह्न होय तो जाणवू के तेवं मोती ग्रहण करवाथी पोतानुं जळमां पवाथी मृत्यु श्रशे. जे मोतीनो आकार लंबगोळ होय अने तेनो रंग पण सफेद अने तेजस्वी होय, पण तेमां जो लाल रंगनुं ध्वजना आकार- सूक्ष्म चिह्न मालुम पमे तो जाणवू के ते, मोती ग्रहण करवाश्री तुरत पोताने राज्य तरफश्री लक्ष्मीनो लाल श्रशे. जे मोतीनो आकार गोळ होय अने रंग पण जेनो तेजस्वी अने सफेद होय, पण तेमां लीला रंगनुं कमळना पुष्पना श्राकारनुं जो सूक्ष्म चिह्न होय तो तेवू मोती ग्रहण करवाथी पोताने अत्यंत लमीनी प्राप्ति श्राय बे. जे मोतीनो आकार गोळ होय अने रंग पण जेनो सफेद अने तेजस्वी होय, पण तेमां श्याम रंगनुं कागमानी चांचना आकारनुं जो सूदन चिह्न होय तो जाणवू के तेवु मोती ग्रहण करवायी घोताने अग्निनो जय प्राप्त थशे. जे मोतीनो आकार गोळ होय अने रंग पण जेनो सफेद अने तेजस्वी होय, पण तेमां जो पीळा रंगनुं खद्योतना आकारनुं सूक्ष्म चिह्न होय तो जाणवू के तेवं मोती ग्रहण करवाथी पोताने घणी चिंतामा पमq पमो. जे. मोतीनो आकार अने रंग उपर कह्या प्रमाणेज होय, प्रण तेमां जो श्याम रंगर्नु मुजलना आकार- चिह्न मालुम पो तो जाणवू के तेवू मोती ग्रहण करवाश्री पोतानां संतानो बळवान् तथा उद्यमी अशे. जे मोतीनो रंग तथा श्राकार उपर कह्या प्रमाणेज होय, पण तेमां लीला रंगनुं जो चामरना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमः प्रस्तावः। आकारनुं सूक्ष्म चिह्न होय तो तेवू मोती ग्रहण करवाश्री पोताने जरुर राज्यपदवी अथवा तो घणुं अव्य मळे जे. जे मोतीनो रंग तथा श्राकार उपर कह्या प्रमाणेज होय, पण तेमां जो पांढरा रंगनुं पद्मकोशना आकार, चिह्न होय तो जाणवू के तेवू मोती ग्रहण करवाश्री पोताने घणी लक्ष्मी मळशे, पण तेथी करीने पोताना लोजनी वृद्धि थशे.. हवे हीराना गुण दोषो तथा तेथी थतां शुभाशुभ . फळोना खरूपनुं वर्णन करे छे. जे हीरानो आकार गोळ अथवा चोरस होय तेने उत्तम जातिनो हीरा जाणवो. वळी जे हीरानो रंग चळकतो, स्फटिक सरखो निर्मळ तथा जरा फांखा श्राकाशी रंगना आलासवाको होय तेने पण उत्तम जातिनो हीरो जाणवो. जे गोळ हीराना मध्य नागमां बीजना चंजना आकारनुं श्याम रंगनुं सूक्ष्म चिह्न होय तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोताना कुटुंवर्नु तथा पोतार्नु पण कल्याण श्राय . जे गोळ हीराना मध्य नागमां लाल रंगनुं मक्षिकाना आकार, सूक्ष्म चिह्न होय तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोताने असाध्य रोगनी उत्पत्ति थाय बे. जे गोळ हीराना मध्य नागमां श्याम रंगनुं वोजीना आकारनुं सूदम चिह्न मालुम पो तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोतानी विद्यानो नाश श्राय जे. जे गोळ हीराना मध्य भागमा पीळा रंगर्नु क्रकचना आकार, सूक्ष्म चिह्न मालुम पमे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोतानां संतानोनुं मृत्यु थाय बे. जे गोळ हीराना मध्य नागमां चक्रना आकार, लीला रंगनुं सूक्ष्म चिह्न जोवामां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनशास्त्रे. श्रावे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने अतिशय लक्ष्मीनी प्राप्ति थाय . जे गोळ हीराना मध्य नागमां लाल रंगनुं मुसखना आकारनुं सूक्ष्म चिह्न जोवामां आवे तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोताने घणी आपदा सहन करवी पमे जे. जे गोळ हीराना मध्य नागमां श्याम रंगनुं शंखना आकारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पमे तेवो हीरो ग्रहण करवायी पोतानुं तथा पोताना नुकुंटुबं अत्यंत कट्याण श्राय . जे गोळ हीराना मध्य नागमां लाल रंगनुं कपिंजल नामना पदीना पगना आकारसूक्ष्म चिह्न मालुम पमे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोतानां संतानो आंखे आंधळां नीपजे जे. जे गोळ हीराना मध्य नागमां श्याम रंगनुं खद्योतना आकार- सूक्ष्म चिह्न मालुम पझे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने अग्निनो नय उपजे जे. जे गोळ हीराना मध्य नागमां श्याम रंगर्नु कमळना पुष्पना श्राकारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पमे तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोतानी लक्ष्मीनो नाश थाय बे, पण जे गोळ हीरामां लाल रंगनुं कमळना पुष्पना कारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पके तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री अखूट लक्ष्मीनी पोताने प्राप्ति थाय वे. जे गोळ हीराना बेमा पर कंकणना आकार, सूक्ष्म श्याम रंगर्नु चिह्न मालुम पमे तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोताना कुटुंबनी स्त्री विषयांध थाय . जे गोळ हीराना बेमा पर पीळा रंगनुं मनुष्यना मुखनी आकृतिनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पके तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोताना कुटुंबने नूतनो अथवा राह ग्रहनो उपभव पाय जे. जे गोळ हीरानी किनारी पर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमः प्रस्तावः । ८५ श्याम रंगनुं गर्दनना मुखना आकारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पक तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोतानी कीर्तिनो नाश थाय बे. जे गोळ हीरानी किनारी पर लाल रंगनुं पारापत पक्षीना पंजाना कानुं सूक्ष्म चिह्न मालुम परे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने घणा व्यनी प्राप्ति थाय बे. जे गोळ हीरानी किनारी पर खास रंगनुं इंद्रगोप नामना जंतुना आकारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पमे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताना कुटुंबनां संतानो दुर्बळ थाय बे. जे गोळ हीरानी किनारी पर पीळा रंगनुं हस्तीनी सुंढना आकारनं सूक्ष्म चिह्न मालुम पके तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने निश्चे करीने राज्यपदवी मळे बे. जे गोळ हीरानी किनारी पर श्याम रंगना मत्स्य अथवा मगरना कानुं सूक्ष्म चिह्न मालुम परे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने जलपर्यटन करयुं पदे बे तथा तेमां बहु अव्यनी हानि आय बे. जे गोळ हीरानी किनारी पर लीला रंगनुं कळशना कारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पके तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने उत्तम स्त्रीनो लाज थाय बे जे गोळ दीरानी किनारी पर श्याम रंगनुं स्वस्तिकना आकारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम प तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने कोइ दिवसे पण संताप अतो नथी. जे गोळ हीरानी किनारी पर लाल रंगनुं जंदरना मुखना आकारनं सूका चिह्न जोवामां आवे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने चोरनो उपश्व माय बे. जे गोळ हीरानी किनारी पर लाल रंगनुं मनुष्यनी आंखना आकारनुं सूका चिह्न जोवामां आवे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने अंधत्व Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ . शकुनशास्त्रे प्राप्त थशे. जे गोळ हीरानी किनारी पर श्याम रंगर्नु कागमानी आंखना आकारनुं सूक्ष्म चिह्न मालुम पमे तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोतानी बुद्धि अत्यंत तीव्र थाय जे. जे गोळ ही. रानी किनारी पर पीळा रंगनुं मनुष्यना पंजाना आकारनुं सूदम चिह्न मालुम पो तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोतानुं मान घणुंज वृद्धि पामे . जे गोळ हीरानी किनारी पर श्याम रंगर्नु घुवम पदीना मुखना आकार- सूक्ष्म चिह्न मालुम पड़े तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने रात्रिअंधपणुं प्राप्त श्राय . हवे चोरस हीराना मध्य नागनां तथा किनारी परनां चिह्नोनुं फळ पण उपर प्रमाणेज जाणवू. वळी जे हीरानो आकार त्रिकोण होय तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने असाध्य रोगनी उत्पत्ति थाय . जे हीरानो आकार मोतीनी पेठे गोळ होय तथा जेनो घेरावो त्रण अने चार आंगुलनी वच्चे होय तेवो हीरो प्राप्त अवाश्री पोताने उत्तम राज्य मळे जे. जे हीरानो आकार चार खूणा करतां वधारे खूणावाळो होय तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने बहु प्रव्यनी हानि श्राय जे. जे हीरानो आकार एक बाजुए श्रेणीवाळो तथा बीजी सघळी बाजुए गोळ होय तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने अत्यंत लक्ष्मीनी तथा उत्तम परिवारनी प्राप्ति श्राय जे. वळी जे हीरानो आकार बन्ने बाजुए अणीदार तथा मध्य भागमा गोळ होय तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोतानुं वंध्यत्व पण नाश पामे के. जे हीरानो श्राकार वचमांथी उंचो तथा किनारीनी बाजुए पातळो होय Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवमः प्रस्तावः। तेवो हीरो ग्रहण करवायी पोताने उत्तम संताननी प्राप्ति पाय बे. जे हीरानो आकार अरधी बाजुए जामो तथा अरधी बाजुए पातळो होय तेवो हीरो ग्रहण करवाथी पोताने अहिलपणुं प्राप्त थाय बे. जे हीरानो आकार लंबगोळ होय तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोताने उत्तम स्त्रीनो लाल थाय जे. जे हीरानो आकार एक बाजुश्री उपसेलो तथा तेनी उलटी बाजुए खामावाळो होय तेवो हीरो ग्रहण करवाश्री पोताना कुटुंब- जळथी मृत्यु नीपजे . . __एवी रीते हीरानां लक्षणोश्री श्रतां शुनाशुन फळोनुं स्वरूप कडं. __हवे माणिक्य विगेरे सघळा प्रकारनां रत्नोनां लदाणोनां पण शुनाशुन शकुनोनां फळोनुं स्वरूप उपर वर्णवेला हीरानां लक्षणोनी पेठेज जाणी लेवं. ॥ इति परकायप्रवेशविद्याप्रवीणाचार्यश्रीजिनदत्तसूरीश्वर विरचिते शकुनशास्त्रे नवमः प्रस्तावः ॥ - - ॥ प्रशस्तिः ॥ श्रीवीरक्रमतो बनूव विबुधाधारो धषाविश्रुतो। गलोऽयं त्रिदशालयोपम इह श्रीवायटीयाह्वयंः ॥ तस्मिन्निंग वालवद्यतिवरो विद्यार्णवाजो महान् । सूरिः श्रीजिनदत्त इत्यनिधया ख्यातोमहीममले ॥१॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रशस्तिः। परकायप्रवेशाद्या,-स्तीव्रयोगमहाबलाः। विद्या ह्यधिगता येन, योगिनामपि पुर्खलाः॥२॥ समंतभद्रनामानः श्रुतकेवखिनः पुरा । बनूवुर्नुवि विख्याताः पूर्वसागरपारगाः ॥ ३ ॥ निर्मितं लोककल्पाख्यं, शास्त्रं तेन हितैषिणा । विद्याप्रवादपूर्वात्तु, समुद्धृत्य निजेन्बया ॥४॥ तस्मादपि समुद्धृत्य, जनानां हितहेतवे । मयैतद्गुंफितं शास्त्रं, शकुनानां प्रबोधकं ॥ ५॥ विज्ञाय शकुनान्येवं, निजकार्य प्रकुर्वतां । जनानां स्खलनं कापि, नो नविष्यति निश्चितं ॥ ६॥ अर्थ-एवी रीते शकुनो जोश्ने पोतानुं कार्य करनारा माणसोने कोइ पण जगोए (पोताना कार्यमां) निश्चे करी विघ्न थशे नहीं. (एवीरीते श्री जिनदत्त सूरि महाराज कहे जे.) ॥ समाप्तमिदं शकुनशास्त्रं ॥ - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुन तथा अपशकुन विषेनी समज. ए व्यवहारना अर्थे घरमांथी बहार नीकळतां के परदेश जतां अथवा वरघोमो काढतां के शत्रु उपर चढाइ करवाने गाम बहार नीकळतां जो नीचे दर्शावेला पदार्थो वगेरे सामा मळे तो ते शकुन थयां एम गणाय :-ब्राह्मण, गाय, फळ, दुध, मोती, माणेक, वेश्या, हाथी, बत्र, चम्मर, धूमामा विनानो अग्नि, दारु, मांस, माग्लुं, तलवार, ढाल, बंक, कटार, आरसी, कन्या, हरण, नोळीयो, कळा चमावेखो मोर, केमे बाळकवाळी सुवासण स्त्री, गाती बाल, वाजां अने धोयेलां वस्त्रोनी गांसमी उंचकनारो धोबी. या उपरांत शकुनना बीजा असंख्य पदार्थो के. परंतु नीचला पदार्थो अपशकुन तरीके मनाय -लाकमां, चाम, घास, गेम, धुंधघातो अग्नि, तेल, गोळ, वांजणी, शत्रु, टंटो करनाराउनु टोळु, कपाळमां चांहो करेलो नहीं होय एवी सुवासण स्त्री, गकटो, तेलना मर्दनवाळो, हीजमो, हलालखोर, गश, कादव, नीनां कपमां, जोगी, गोसांझ, वेरागी, फकीर, संन्यासी, शेवमो विगेरे, श्रमद, शेर, मुनमो, कंगाळ, बेफीकरो, घेलो, आ बधा अपशकुनमां गणाय ने. __दिशाशूल जोवानो कोठो. साम अन शनिवारे ........................पूर्व दिशामां. गुरुवारे ........................दक्षिण दिशामां. बुध तथा मंगळवारे............................उत्तर दिशामां. रवि तथा शुक्रवारे............................पश्चिम दिशामां. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिवसनां चोधनीयां. __रवि. सोम. मंगळ. बुध. गुरु. शुक्र. शनि. १ उग. अमृत. रोग. लाल. शुल. चळ. काळ. २ चळ. काळ. उग. अमृत. रोग. लान. शुल. ३ लान. शुन. चळ. काळ. उग. अमृत. रोग. ४ अमृत. रोग.. वान. शुन. चळ. काळ. जग. ५ काळ. जग. अमृत. रोग. खान. शुन. चळ. ६ शुन. चळ. काळ. उग. अमृत. रोग. लाल. ७ रोग. लाल. शुन्न. चळ. काळ. उग. अमृत. छ उग. अमृत. रोग. लाल. शुल. चळ. काळ. समज-उपला कोगनुं समजबुंए के जे दहा जेवार होय तेनुं पहेलु चोघमीयुं बेसे अने तेथी उन वारनुं चोघमीयुं होय ते बीजुं श्रावे. रात्रिनां चोघडीयां. रवि. सोम. मंगळ. बुध. गुरु. शुक्र. शनि. १ शुनः चळ. काळ. उपेग. अमृत. रोग. लाल. ३ अमृत. रोग. लाल. शुल. चळ, काळ. उग. ३ चळ काळ. जग. अमृत. रोग. लाल. शुन. ५ रोग. लान. शुन. चळ. काळ. जग. अमृत. ५ काळ. उग. अमृत. रोग. लान. शुन, चळ. ६ लाल. शुन. चळ. काळ. मग. अमृत. रोग. ७ जग. अमृत. रोग. लाल. शुज. चळ. काळ. छ शुन. चळ. काळ. उपेग. अमृत. रोग. लाल. समजा-उपला कोगनुं समजवु ए के जे दहा जे वार होय तेनुं चोघमायु पहेलुं बेसे अने तेथी पांचमा वारनुं चोधमीयुं होय ते रातनुं बीजुं चोघमायुं जाणवू. सारां चोघमीयां-अमृत, शुन, साच अने चळ. मागं चोघमीयां-उधेग, रोग अने काळ. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनविद्यानुं स्वरूप. शकुंन विद्यानुं स्वरूप. विद्या घणी उपयोगी होवाने सीधे अगाउना वखतमां श्री विद्यानो बहुज प्रचार हतो अर्थात् अगाउना लोको या विद्या द्वारा कार्यसिद्धिनुं शकुन लइने दरेक कार्यनो प्रारंभ करता हता. तेनुं कारण मात्र एज हतुं के तेज॑नां बधां कार्य प्रायः सफळ छाने शुभकारी थतां दतां, परंतु बीजी विद्याउंनी माफक धीमे धीमे विद्यानो पण प्रचार घटतो गयो तथा बी बुद्धिवाळा लोको श्री विद्याने बच्चानो खेल समजवा लाग्या छाने विशेषे करीने इंग्रेजी जणेला लोकोनो विश्वास श्री विद्या उपर नाम मात्र कंइ पण रह्यो नहीं. कयुं वे के "न वेत्ति यो यस्य गुणप्रकर्षं स तस्य निन्दां सततं करोति" अर्थात् जे माणस जेना गुणने नथी जाणतो ते माणस तेनी निरंतर निंदा कर्या करे बे. अस्तु या विद्याना विषयमां कोइनो विचार गमे तेम होय, परंतु गाउमा सिद्धांतथी एटलुं तो खुले खुटुं कही शकाय a के आ विद्या प्राचीन समयमां घणो आदर पामी चुकी हती तथा अगाउना विधानोए या विद्याना पोते बनावेला ग्रंथोमां घणो उल्लेख कर्यो . १ अगाना वखतमां या विद्यानो प्रचार जो के प्रायः बधा देशोमां हतो तोपण मारवारुमां तो या विद्या घणा उत्कृष्ट प्रकारे प्रचलित हती. जुर्ज, थोमा वखत पहेलां मारवाकमां नाटी आदि रजपूत लोक जे परदेश जवावाळा लोकोना सहायक तरीके जता हता ते लोक जनावरोनी भाषा विगेरेनां शुभाशुभ शकुनो सारी रीते जाणता हता. हरुबूकी नामना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनविद्यानुं स्वरूप. सांखला रजपूत श्रश् गया , जेईए परदेशगमनादिनां शुलाशुज शकुनोना विषयमां सेंकमो दोहा बनाव्या . वर्तमान समयमां रेहवे आदि धारा यात्रा करवानो प्रचार थइ गयो ने, तेथी मारवाममां पण शकुनोनो प्रचार घटी गयो ने अने घटतो चाट्यो बे. घणालोको एटलुं पण जाणता नथी के शुल शकुन शाथी थाय ने तथा अशुन शकुन शाथी थाय ने ए घणीज शरमावनारी हकीकत बे, कारण के शुलाशुल शकुनोने जाणवां तथा यात्राने वखते तेने जोवां ए घjज जरुरनुं जे. शकुन ने ते आगामी शुलाशुजनां अथवा समजो के कार्यनी सिद्धि के असिधि तथा सुख के मुःखनां सूचवनारां. शकुन बे प्रकारनांजोवामां आवे . एक तो रमल अथवा पाशा आदिघारा कार्यना विषयमा जोवामां आवे अने बीजा परदेश विगेरे वेकाणे गमन करवाने वखते शुन्नाशुल फळना विषयमां जोवामां श्रावे . आबे प्रकारनां शकुनोना विषयमा संहेपथी आ प्रकरणमा लखवामां आवशे. तेमांथी पहेला प्रकारनां शकुनोना विषयमां गर्गाचार्य मुनिए संस्कृतमां बनावेली पाशशकुनावलिनो अनुवाद करीने वर्णन करवामां आवशे अने तेनी पी परदेश आदि जवाना विषयमांशुलाशुप्न शकुनोनुं संदेपथी वर्णन करवामां आवशे. जे कांइ कार्य करवानुं होय तेनो प्रथम स्थिर मनश्री विचार करवो. पनी थोमा चोखा, एक सोपारी अने बेबानी के रूपानाणुं विगेरेने पुस्तकनी उपर लेट तरीके राखीने पासाने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ए३ शकुन विद्यार्नु स्वरूप. हाथमां लश्ने आ नीचे लखेलो मंत्र सात वार बोलवो. पनी पासा त्रण वार नाखवा तथा त्रण वारना जेटला अंक थाय तेनुं फळ जो, परंतु एटलुं याद राखवानुं के एक वार शकुन सीधा पळी फरी बीजी वखत शकुन लेवू नहीं. ___ मंत्र-ॐ नमो नगवति कूष्मांमनि सर्वकार्यप्रसाधिनि सर्व निमित्तप्रकाशिनि एह्येहि एह्येहि वरं देहि देहि हलि हलि मातङ्गिनि सत्यं ब्रूहि ब्रूहि स्वाहा । आ मंत्रने सात वार बोलीने "सत्य नाषे असत्यने परिहार करे" एवी रीते मुखथी कहीने पासा नाखवा. जो पासा हाजर न होय तो नीचे जे पासावलिका यंत्र लखेल ने तेनी नपर त्रण वार आंगळीने फेरवीने मरजी पमे ते अंक उपर आंगळी राखी देवी तथा आगळ जे तेनुं फळ लखेल ने ते जोइ लेवु. पासावलिका यंत्र. १११ ११२ ११३ ११६ ११ १२ १३ १४ १३१ १३२ १३३ १३४ १४१ १४२ १४३ १४४ २११ १२ १३ १४ १२१ २२ २३ २४ २३१ २३२ १३३ ३३४ २४१ २२ २४३ २४४ ३११ ३१३ ३१३ ३१४ ३२१ ३२२ ३२३ ३२४ ३३१ ३३३ ३३३ ३३४ ३४१ ३४५ ३४३ ३४४ १११ ४१३ ४१३ ४१४ ४२१ ४२२ ४२३ ४२४ ४३१ ४३२ ४३३ ४३५ ४४१ ४४२ ४३ ४ पासावलिकानुं क्रमानुसार फळ. १११-हे पूछनार ! श्रा पासा घणा शुल ने, तारा दिन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनविद्यानुं स्वरूप.. साराचे, तें विलक्षण वात विचारी राखी ने ते बधी सिघशे, व्यापारमा लान थशे अने युधमां जीत थशे. .. ११२-हे पूबनार ! तारुं काम सिद्ध श्रशे नहीं, तेथी विचार करी राखेल कामने गेमीने बीजुं काम कर तथा देवाधिदेवतुं ध्यान धर. या शकुननो ए पूरावो ने के रात्रे स्वप्नमां कौआ, घुग्घू , गीध, माखी, मन्चर जोयेल ने अथवा शरीर पर तेल लगामेल ने अथवा काळो सर्प देखेल ने एवं तुं जोश्श. ११३-हे पूछनार! तें जे विचार कयों ने तेनुं फळ सांजळ. तुं को स्थानने अथवा पैसाना लाजने अथवा कोई सजननी मुलाकातने चाहे जे ते सघळु तने मळशे, तारा क्लेश अने चिंताना दिन घणा खरा वीती गया , हवे तारा सारा दिन आव्या . श्रा वातनी सत्यतानुं प्रमाण ए के तारी कांख उपर तिल अथवा मसो अथवा कोई घावनुं चिह्न . ११४-हे पूछनार ! श्रा पासा बहु कल्याणकारी ने, कुळनी वृद्धि अशे, जमीननो लान अशे, धननो लाल श्रशे, पुत्रनो पण लाज देखाय ने अने व्हाला मित्रनुं दर्शन श्रशे, कोश्नी साथे संबंध अशे तथा त्रण महीनानी अंदर विचारेल कामनो लाल श्रशे, गुरुनी नक्ति अने कुळदेवीनुं पूजन कर. आवातनी सत्यतानुं प्रमाण एबे के तारा शरीर उपर बने बाजुए मसा, तिल अथवा घावनुं चिह्न बे. ११-हे पूछनार! ते काणानो लाज तथा साननी मुलाकात विचारी ने, धातु, धन, संपत्ति अने नाबंधनी वृद्धि तथा अगाउनी माफक सन्मान मळवा, विचार्यु ते सर्वे कोश्पण जा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुन विद्यार्नु स्वरूप. एए तना विघ्न सिवाय तारे माटे सुखदायी थशे. श्रानो निश्चय तने श्रा प्रमाणे अशके ने के तुं स्वममां आपणा मोटा लोकोने जोश. . १२२-हे पूबनार ! तने धन अने यशनो लाल श्रशे, ठेकाणुं अने सन्मान मळशे तया मनमा धारेली चीज मळशे. या बाबतमा शंका न कर, हवे तारां पाप अने मुख नाश पाम्यां ने, तेथी तने कल्याणनी प्राप्ति अशे. आनो पूरावो एने के तुं रातमां स्वप्नमां अथवा प्रत्यक्ष लमाइकरवी देखीश. १२३-हे पूछनार ! तारां कार्य अने धननी सिद्धि थशे, तें विचारी राखेल सर्व बाबत सिद्ध थशे, कुटुंबनी वृद्धि, स्त्रीनो लाल तथा स्वजननी मुलाकात थशे, तारा मनमा घणा दिवस श्रयां जे विचार ते हवे जहदी पूर्ण थशे. या वातनो ए पूरावो बे के तारा घरमा लमाइ तथा स्त्री संबंधी चिंता आजश्री पांच दिवसनी अंदर अक्ष हशे. १२५-हे पूचनार ! जालनी साधे तारी जहदी मुलाकात अशे. तारुं सुकृत सारंबे, ग्रहy बळ पण सारं , तेश्री तारां सर्वे काम थ जशे. तुं तारी कुळदेवीनुं पूजन कर.. ... १३१-हे पूबनार ! तने काणानो लान, धननो लाल तथा चित्तमां चेन थशे, जे कांइ काम तारु बगली गयुं ने ते पण सुधरी जशे तथा जे काश् चीज चोरागते पण मळी जशे. आ वातनोए पूरावो के तें स्वप्नमां वृद जोयुं अथवा जोश. ......१३५-हे पूनार ! जे कामनो तें विचार कर्यो ने ते सर्व घर जशे. श्रा वातनो ए पूरावो ने के तारी स्त्रीनी साथे तारे बहु प्रीति बे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ शकुनविद्यानुं स्वरूप. १३३ - हे पूनार ! श्र शकुनधी तारा धननो नाश थवानो तथा शरीरमां रोग थवानो संभव बे तेमज कोइ पण प्रकारनुं बंधन बे. जाए के धोखानो खतरो बे, तें जारे कामनो विचार कर्यो बे ते काम मोटी मुश्केलीथी पूरुं थशे. १३४ - हे पूनार ! तुंने राजकाजनी, सरकारनी अथवा सोना चांदीनी ने परदेशनी चिंता बे, तुं कोई इश्मनथी जीत मेळवावा चाहे वे ते सर्व जेम तें विचारी वे तेम धीमे धीमे तने प्राप्त थशे, हवे नुकशान थशे नहीं, तारां पाप नाश पाम्यां बे. तुं वीतराग देवनुं ध्यान कर, तारां सर्व कार्य सिद्ध थशे. १४१ - हे पूछनार ! तारो विचार कोइ व्यापारनो बे तथा तने वीजी पण कोइ चिंता बे बधां कष्टमांथी बुटीने आज सात दिवस तने मंगळ थशे अथवा तो तने कांइ लाज थशे अथवा सारी बुद्धि उत्पन्न थशे. १४२ - दे पूछनार ! तारा मनमां धन, धान्य अथवा घर संबंधी चिंता ने ते सर्व दूर थशे, तारा कुटुंबनी वृद्धि यशे, कृष्याण थशे, सानोनी साथे तने मुलाकात थशे तथा गयेली वस्तु पण मळशे. या वातनो ए पूरावो बे के तारा घरमा - थवा बहार लाइ थर वे अथवा थशे. १४३ - हे पूनार ! तें विचारी राखेल सर्व काम सिद्ध यशे, कल्याण यशे तथा बोकरीनो लाज थशे. या वातनो पूरावो ए बे के तुं स्वममां कोइ गाममां जतो तने पोताने देखीश. १४४ - हे पूनार ! तारां सर्वे कामोनी सिद्धि यशे अने तने संपत्ति मळशे श्र वातनो ए पूरावो बे के स्वप्नमां तें Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनविद्यानुं स्वरूप. विचारी राखेल कामने तुं जोश अथवा देवमंदिरने अथवा मूर्त्तिने अथवा चंप्रमाने जोश्श. ११-हे पूबनार ! तें तारा मनमा एक मोटा कार्यनो विचार कर्यो ने तथा तने धन संबंधी चिंता ने ते तारे माटे सर्व सारं अशे तथा व्हाला नाठनी मुलाकात अशे. श्रा वातनी सत्यतार्नु ए प्रमाण के स्वप्नमां जंचा मकान पर पहार पर तुं चढ्यो एम तें जोयुं बे अथवा जोश्श. १५-हे पूबनार ! तने सर्व बाबतनी वृद्धि थशे, मित्रोनी साथे मुलाकात श्रशे, संसारथी लाल थशे, विवाह करवाश्री कुळनी वृद्धि अशे तथा सोनु, चांदी विगेरे सर्वे संपत्ति अशे. आ वातनो पूरावो ए के स्वप्नमां तें गाय अथवा बळद जोयेल ने अथवा जोश्श. तुं परदेशमां पण जवानो विचार करे बे. तुं कुळदेवीने मान, तारे माटे सारं थशे. २१३-हे पूग्नार ! तारा मनमां बे पगवाळानी चिंता अने तें सारा कामनो विचार कर्यो तेनो साल तने एक महीनामां श्रशे, ना तथा सजन मळशे, शरीरमां प्रसन्नता रहेशे अने तारुं मनमानतुं कार्य थशे, परंतु जे तारा गोत्रदेव ने तेनी आराधना तथा सन्मान कर, तुं माता, पिता, नाश अने पुत्र विगेरेथी जे कांश कामनी चाहना राखे नेते तारा मनोरथ सिफ श्रशे. आ वातनो पूरावो ए के तें रात्रिमा प्रत्यद अथवा स्वप्नमां स्त्री साये समागम कर्यो . २१४ हे पूछनार ! जे कां तारं काम बगमी गयुं ले अर्थात् जे कांइ नुकशान विगेरे श्रयेल ने अथवा कोश्नी शकु०७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एG शकुन विद्यार्नु स्वरूप. पासेथी जे कां तने लेवानुं वे अथवा जे कोइए तारी साथे दगाबाजी करी ने तेने तुं मूली जा, अहींथी थोमे दूर जवाथी तने लाल थशे. आज तें स्वममां देवने अथवा देवीने अथवा कुळना मोटा माणसोने अथवा नदी विगेरेने जोयेल ने अथवा सङनोनी सा तारी मुलाकात श्र. २२१-हे पूजनार ! श्राज दिवस सुधी जे कांश कार्य तें कर्यु तेमां तने बराबर क्लेश श्रयो अर्थात् तने सुख नहीं मळयु. हवे तुं तारा मनमां कांकट्याणने चाहे ने तथा धननी श्वा राखे , तने मोटा ठेकाणानी चिंता तथा तारं चित्त चंचळ ने ते हवे तारां मुःखनो नाश थर गयो अने कट्याणनी प्राप्ति अइ एम समजी ले. श्रा वातनी सत्यतानुं ए प्रमाण के के तुं स्वममां वृदने जोश्श. २२२-हे पूछनार ! सऊनोनी साथे तारे विरोध ने अने खराब मित्रनी साथे मित्रता जे. जे तारा मनमां चिंता ने तथा जे मोटुं काम ते उगवी राख्युं ने तेनी सिधि घणा दिवसमां थशे तथा तारं थोड़ें पाप बाकी ले तेनो नाश श्रवाथी तने ठेकाणानो लान थशे. २५३-हे पूछनार ! आ वखते तें खराब कामनो मनोरथ कों ने तथा तुं बीजाना धननी मददथी व्यापार करीने तारी मतलब काढवाने चाहे वे तो ते संपत्ति मळवी कवण . तुं व्यापार कर, तने लाल थशे, परंतु तें मनमां जे खराब विचार कों ने तेने गेमी दश्ने बीजाकामनो विचार कर. या वातनी सत्यतानुं ए प्रमाण के तुं स्वप्नमां तारा खोटा दिवस देखीश. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुन विद्यानुं स्वरूप. एए २२४-हे पूनार ! तारा मनमां परस्त्रीनी चिंता , तुं घणा दिवसथी तकलीफने देखी रह्यो , तुं अहीं तहीं लटकी रह्यो ने तथा तारी सांथे अहीं लगाइ विगेरे घणा दिवस श्रयां चाली रहेल ने ते सर्व विरोध शांत अश् जशे, हवे तारी तकलीफ गइ, कल्याण श्रशे तथा पाप अने मुःख बधां नाश पाम्यां, तुं गुरुदेवनी नक्ति कर तथा कुळदेवनी पूजा कर. एम करवायी तारा मननां विचारी राखेल सर्वे काम ठीक थश्जशे. २३१-हे पूछनार ! तुंने दोषोनो विचार कर्या विना धननो लाल अशे, एक महीनामां तारो विचारी राखेल मनोरथ सिद्ध थशे अने तने मोटुं फळ मळशे. आ वातनी सत्यतार्नु ए प्रमाण बे के तें स्त्रीनी कथा करी अथवा तुं स्वप्नमां वृदने, शून्य घरोने अथवा शून्य देशने अथवा सूका तळावने जोश. २३२-हे पूनार ! तें बहु कठण कामनो विचार कर्यो बे, तने फायदो थशे नहीं, तारुं काम सिद्ध थशे नहीं तथा तने सुख मळवू कवण . आ वातनी सत्यतानुं ए प्रमाण ने के तुं स्वप्नमां नेसने देखीश. २३३-हे पूछनार ! तारा मनमां एकाएक काम उत्पन्न श्रश् गयुं , तुं बीजाना कामने माटे चिंता करे , तारा मनमां विलक्षण तथा कवण चिंता, तें अनर्थ करवो धार्यों ने, तेथी कार्यनी चिंताने गेमीने तुं बीजुं काम कर तथागोत्रदेवींनी आराधना कर, तेथी तारं नर्बु श्रशे. श्रा वातनी सत्य-तानुं प्रमाण ए के तारा घरमां कलह , अथवा तुं बहार फरे ने एवं जोश अथवा स्वप्नमां तने देवताउनुं दर्शन अशे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुनविद्यानुं स्वरूप. - २३४ हे पूछनार ! तने काम घj , तने धननो लान अशे, तुं कुटुंबनी चिंतामां वारंवार मुंहाय ने, तने ठेकाणा अने जमीन जग्यानी पण चिंता ने, तारा मनमां पाप नथी, तेथी तारी चिंता जल्दी दूर थशे. तुं स्वप्नमां गायने, जेसने तथा पाणीमां तैरनेने देखीश, तारांमुखनो अंत आवी गयो ,तारी बुद्धि सारी, तेथी शुध नक्ति वझे तुं कुळदेवता, ध्यान कर. २४१-हे पूछनार ! तने विवाह संबंधी चिंता ने तथा तुं क्या लालने माटे जवा चाहे , तें विचारेल कार्यनी जट्दी सिधि थशे तथा तारा पदनी वृद्धि थशे. आवातनो ए पूरावो ने के मैथुनने माटे तें वात करेली बे. - २४२ हे पूनार ! तने घणा दिवस थयां परदेशमां गयेल मनुष्यनी चिंता ने, तुं तेने बोलाववाने चाहे तथा ते जे काम विचार्यु जे ते सारं , परंतु जावी बळवान् , तेत्री ए बाबत श्रा वखते सिद्ध थती मालुम पमती नथी. ५४३-हे पूनार ! तारा रोग अने मुख मटी गयां, तारा सुखना दिवस श्रावी गया, तने मनगमतुं फळ मळशे, तारा सर्व उपत्रव नाश पाम्या तथा वा वखते जवाथी तने खानथशे. २४४-हे पूछनार ! तारा चित्तमा जे चिंताजे ते दूर थशे, कट्याण थशे तथा तारां सर्व काम सिद्ध थशे. श्रा वातनो ए पूरावो बे के तारा गुप्त अंग उपर तल . . ३११--हे पूछनार ! तुं ए वातनो विचार करे के के हुं परदेशमां जालं, मने ठेका' मळशे के नहीं मळे तो तुं कुळ. देवीने अथवा गुरुदेवने याद कर, तारां सर्वे विघ्न दूर अशे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुन विद्यार्नु स्वरूप.. तथा तने सारो लान अशे अने कार्यमां सिद्धि थशे. श्रा वातनी सत्यतामा ए प्रमाण दे के तुं स्वप्नमां पहाम अथवा कोई जंचा स्थळने जोश. ३१५-हे पूनार ! तारा मनोरथ पूर्ण थशे, तारे माटे धननो लाल देखाय , तारा कुटुंबनी वृद्धि तथा शरीरमां सुख धीमे धीमे अशे, देवतानी तथा ग्रहोनी जे पूर्वनी पीमा ने तेनी शांतिने माटे देवता-आराधन कर. एम करवाशी तुं जे कामनो आरंन करीश ते सर्व सिद्ध थशे. आ वातनी सत्यतार्नु ए प्रमाण ने के तुं स्वप्नमां गाय, घोमा अने हाथी विगे रेने जोश.. ३१३हे पूछनार ! तारा मनमा धननी चिंता ने अने तुं कांक दिलनो नरम , तारा कुश्मने तने दबावी राख्यो , तारा मित्र पण तने सहायता करता नथी, तुं घणा सजानने राखे बे, तेश्री तारुं धन लोक खाय , तेटवा माटे थोमो वखत श्रोजी जा, परिणामे तारुं जलु थशे अर्थात् तारां सर्वे मुःख मटी जशे. या वातनो ए पूरावो ने के तारा घरमां लमा थर ने अथवा थशे. __३१४-हे पूजनार ! था शकुन कट्याण तथा गुणधी नरेख , तुं निश्चिंततानी साथ जदीश्री सर्वे कामो सिघ थाय एम चाहे वे ते सर्वे काम धीमे धीमे सिद्ध थशे. श्रा वातनी सत्यतानुं ए प्रमाण दे के तुं स्वप्नमां वृष्टि श्रवी, संपत्ति, तळाव अथवा माउली एमांथी कोइ पण वस्तुने देखीश. . ३१-हे पूछनार ! आ शकुन सारु नथी, जे काम तें Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३ शकुन विद्यार्नु स्वरूप.. विचार्य ने ते निरर्थक , एक महीना सुधी तारां पापनो उदय जे, तेथी तेनी आशा गेमीने तुं बीजुं काम कर, कारण के ते काम हमणां थशे नहीं. आ वातनी सत्यतानुं ए प्रमाण ने के तुं स्वप्नमां प्रोल अथवा गवैया लोकोने अथवा नगरने देखीश, सरकारथी तने तकलीफ थशे, तेथी अहींथी बीजे स्थाने चाट्यो जा के जेथी करीने तने तकलीफ थशे नहीं... ___ ३२५–हे पूबनार ! एक महीनो थयां धनने माटे तारा चित्तमां उपेग श्रया करे , परंतु हाल तारा शत्रु पण मित्र थर जशे, सुख संपत्तिनी वृद्धि श्रशे, धननो लाल अवश्य अशे अने सरकारथी पण तने कांश सन्मान मळशे.आ वातनो ए पूरावो बे के तें मैथुननी वातचित करी जे. .. ३५३-हे पूग्नार ! जो के तारा लाग्यनो थोमो उदय बे, परंतु तकलीफ तो तने बेज नहीं, तने सारी रीते रहेवाने माटे ठेका' मळशे, धननो लाल अशे, व्हाला सजनोनी मुलाकात थशे तथा सर्वे मुःखनो नाश श्रशे, तुं मनमां चिंता कर नहीं. आ वातनो ए पूरावो के तुं स्वममां व्हालानी साथे मुलाकातने जोश्श. .. ३२४-हे पूग्नार ! तारां मकान अने जमीननी वृद्धि थशे, तुं व्यापारमा संपत्तिने पामीश तथा जे विचार तें मनमां को बे ते जो के सर्व सिद्ध तो थर जशे, परंतु तारा मनमां को खटको तथा चिंता जे. श्रा वातनी सत्यतानुं ए प्रमाण ने के तारा माथामां जखमनुं निशान ने अथवा तुं रातमां लमा करीने सुतो होश्श. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुन विद्यानुं स्वरूप.. ३३१-हे पूछनार ! तुं तारा चित्तमां काम, कुटुंब, घर, संपत्ति अने धननी वृद्धि, प्रजाथी लाल तथा वस्त्रलाल विगेरेनो विचार करे ने तो तुं कुळदेव तथा गुरुनी नक्ति कर. एम करवाथी तने सारो लाल थशे. श्रा वातनो ए पूरावो ने के तुं स्वप्नमां गायने देखीश. ३३२-हे पूछनार ! तने तकलीफ , तारा लाइ अने मित्र पण ताराथी बदलीने चाली रह्या बे तथा जे तुं तारा मनमा विचार करे जे ते तरफथी तने साल मळवो देखातो नश्री, तेथी तुं देशान्तर चाट्यो जा, त्यां तने लाल थशे, तुं आम वातमा पारका धनथी वर्ताव करे . श्रा वातनी सत्यतार्नु ए प्रमाण जे के तुं स्वप्नमां जाइ तथा मित्रोने देखीश. ३३३-हे पूछनार ! तुं तारा मनमा विचार करी राखेल फळने पामीश, तने व्यवहारनी तथा नाश्थने मित्रोनी चिंता ने ते सर्व तें विचारी राखेल काम सिह थशे. ३३४-हे पूनार ! तुं चिंता कर नहीं, तने सारा श्रादमीनी साथे मुलाकात अशे, हवे तारां सर्वे मुखिनो नाश थशे, ते विचारी राखेल सर्वे काम सिह थशे. ____३४१-हे पूनार ! तारा मनमां को पराया आदमीनी साथे प्रीति करवानी श्वाने ते तारे माटे सारी थशे, तु गजराश्श नहीं, तने सुख थशे, धननो खान थशे तथा सारा श्रादमीनी सारे मुलाकात थशे. .. ३४२-हे पूनार ! तारा मनमां पराया श्रादमीनी साथे मुलाकात करवानी चिंता , तारा ठेकाणानी वृद्धि अशे, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४ शकुन विद्यानुं स्वरूप. कल्याण श्रशे, प्रजानी वृद्धि तथा आरोग्यता थशे. आवातनो ए पूरावो ने के तुं स्वप्नमां वृदने देखीश. ३५३-हे पूलनार ! तने वैरीनी अथवा जे कोइए तारी साथे विश्वासघात कों ने तेनी चिंता ने तो आ शकुनथी एम मालुम पमे बे के तारा घणा दिवसो क्लेशमां जशे अने तारी जे चीज चाली ग ने ते पानी नहीं आवे, परंतु थोमा दिवस पनी तारं कल्याण थशे. ३वध हे पूछनार ! तारां सर्वे काम सारां ने, तने जल्दीज मनोवांछित फळ मळशे, तने जे व्यापार तथा लाइबंधनी चिंता ने ते सर्व दूर थशे. या वातनो ए पूरावो ने के तारा माथामां घार्नु चिह्न , तुं उद्यम कर, अवश्य लाल थशे. ११-हे पूछनार ! तारा धननी हानि, शरीरमा रोग अने चित्तनी चंचळता ए त्रणे वात सात वर्षथी चाली रही , जे काम तें अत्यार सुधी कर्यु ने तेमां नुकशान थयां कर्यु बे, परंतु हवे तुं खुशी था, कारण के हवे तारी तकलीफ चाली गइ बे, तुं हवे चिंता कर नहीं, कारण के हवे कल्याण श्रशे, धन, धान्यनी आमदानी थशे तथा सुख थशे...... ___५१५-हे पूलनार ! तारा मनमां स्त्री संबंधी चिंता ने, तारी कांरकम पण लोकोमां दबा रही अने ज्यारे तुं मागे के त्यारे मात्र हा, ना थाय , धनना विषयमां तकरार श्रवामां पण तने लाल देखातो नथी, हजु पण तुं तारा मनमा शुन समय समजी रह्यो बे, परंतु तेमां श्रोमा दिवसनी ढील ने अर्थात् प्रोमा दिवस पनी तारी मतलब सिच थशे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शकुन विद्यानुं स्वरूप. १०५ ४१३-हे पूछनार ! तारा मनमां धनलालनी चिंता ने अने तुं को व्हाला मित्रनी मुलाकातनी श्छा राखे ने तो तारी जीत थशे, अचळ ठेकाणुं मळशे, पुत्रनो लाल थशे, परदेश जवाथी कुशळ देम रहेशे तथा थोमा दिवसो पनी तारी घणीज वृद्धि थशे. आ वातनी सत्यतार्नु ए प्रमाण बे के तुं स्वममां दर्पण देखीश. ४१५-हे पूनार ! आ बहु सारं शकुन , तने विपद अर्थात् कोइ आदमीनी चिंता ने ते एक महीनामां मटी जशे, धननो लाल थशे, मित्रनी साथे मुलाकात थशे तथा मनमा विचारी राखेख सर्व काम जल्दी सिद्ध थशे. ४१-हे पूछनार ! तुंधनने चाहे जे, संसारमां तारी प्रतिष्ठा थशे, परदेशमां जवाथी मनोवांछित लान थशे तथा सजननी मुलाकात अशे, ते स्वप्नमां धन जोडे अथवा स्त्रीनी वात करी बे. श्रा अनुमानथी सर्व कांश सारं थशे, तुं माताने शरणे जा. एम करवाथी कोइ पण विघ्न नहीं श्रावे. ४२२-हे पूबनार ! तारा मनमा उकुराश्नी चिंता , परंतु तारी पारळ तो दरिता पमी रही , तुं बीजाना काममा लागी रह्यो , मनमां मोटी तकलीफ श्रश्रही तथा त्रण वर्ष थयां तने क्लेश थइ रह्यो बे अर्थात् सुख नथी, तेथी तारा मन- विचारी राखेख काम गेमी दश्ने बीजुं काम कर, तेसफळ थशे, तुं कवण स्वप्नने जुए बे तथा तेनुं ज्ञान तने श्रतुं नथी, तेथी जे तारो कुळधर्म ने ते कर, गुरुनी सेवा कर तथा कुळदेवनुं ध्यान कर. एम करवाथी सिद्धि थशे.. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६ शकुनविद्यानुं स्वरूप. ४२३-हे पूछनार ! तारो विजय अशे, शत्रुनो क्ष्य अशे, धन संपत्तिनो लाल श्रशे, सजनोनी साथे प्रीति थशे, कुशळ देम श्रशे तथा उसम करवा विगेरेथी लाल थशे, हवे तारां पापनो नाश थयो , तेथी जे कामनो तुं विचार करे ने ते सर्व सिह थशे. श्रा वातनोए पूरावो के तुं स्वप्नमां वृदने जोश्श. ४२४-हे पूछनार ! तारा मनमा घणी नारे चिंता ने, तने अर्थनो लाल अशे, तारी जीत थशे, सऊननी मुलाकात थशे, सर्वे काम सफळ थशे तथा चित्तमां आनंद श्रशे. ४३१-हे पूछनार ! आ शकुन दीर्घायु करवावाळु , तने बीजा ठेकाणानी चिंता , तुं नाबंधना आगमनने चाहे , तुं तारा मनमां जे कामनो विचार करे ने ते सर्व सिख श्रशे, हवे तारां पुःखनो नाश थर गयो बे, परंतु तने देशांतरमां जवाथी धननो लान थशे अने कुशळ देम आवीश. या वातनो ए पूरावो दे के तुं स्वप्नमां पहाग पर चढवु तथा मकान विगेरे देखीश अथवा तारा पग उपर पचफामोर्नु चिह्न बे.. ___४३३-हे पूछनार ! हवे तारां सघळां दुःख खलास थयां तथा तने कल्याण प्राप्त श्रयेल , तने ठेकाणानी चिंता ने तथा तुं कोश्नी मुलाकातने चाहे नेते तथा जे कांइ काम तें विचारी राखेल मे ते सर्व श्रशे, देशांतरमांजवाथी धननी प्राप्ति थशे तथा त्यांथी कुशळ हेम तुं आवीश.. ४३३-हे पूजनार ! ज्यारे तारी पासे अगाउ धन इतुं त्यारे तो मित्र, पुत्र अने लाइ आदि सर्वे लोक तारो दुकम मानता हता, परंतु खोटां कर्मना प्रत्नावथी हवे ते सर्व धन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शंकुनविद्यानुं स्वरूप. १०७ नष्ट अश् गयुं , खेर ! तुं चिंता कर नहीं, फरीथी तारी पासे धन अशे, मन खुश थशे तथा मनमां विचारी राखेल सर्वे काम सिघ थशे. ४३४ हे पूनार ! जेनुं तुं मृत्यु विचारे ने ते हाल नहीं थशे अने ते जे श्रा विचार कर्यो बे के मारुं श्रा काम क्यारे थशे तो ते तारं काम श्रोमा दिवस पनी थशे. ___४४१-हे पूछनार ! तारा नाश्नो नाश श्रयो ने तथा तारा क्लेश, पीमा अने कष्टना घणा दिवस वीती गया के हवे तारा ग्रहनी पीमा मात्र पांच पद के पांच दिवसनी ने, जे कामनो तुं विचार करे ने तेमां तने फायदो नथी, तेथी बीजा कामनो विचार कर, तेमां तने कांइक फळ मळशे. ___ -हे पूछनार ! जे कामनो तुं प्रारंज करे ने ते काम यत्न करवाथी पण सिद्ध थर्बु देखातुं नथी अर्थात् श्रा शकुनश्री या काम सिम थवानी प्रतीति थती नथी, तेथी तुं बीजुं काम कर. ___४५३-हे पूरनार ! जे कामनो तुं प्रारंन करे ने ते काम सिह थशे नहीं, तुं बीजाने माटे तारा प्राण आपे ने ते सर्वे तारा उपाय व्यर्थ मे, तेथी तुं बीजी वातनो विचार कर, तेमां सिधि थशे. ___ -हे पूछनार ! जे कामनो तुं वारंवार विचार करे ने ते तने जस्दीश्री प्राप्त अशे अर्थात् पुत्रनो लाल, ठेकाणानो लाल, गयेली वस्तुनो लाल तथा धननो लाल-आ बधां कार्य घणी जल्दीथी थशे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०० परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुन विचार. _ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुनविचार. १ जो गाम जती वखते कुमारी कन्या, सधवा स्त्री, गाय, नरेखो घमो, दही, नेरी, शंख, उत्तम फळ, पुष्पमाळा, धूमामा विनानो अग्नि, घोमा, हाथी, रथ, बेल, राजा, माटी, चंवर, सोपारी, उत्र, तैयार करी राखेल लोजनथी जरी राखेल थाळ, वेश्या, चोरोनो समूह, गमुआ, पारसी, सिकोरा, दोना, मांस, मद्य, मुकुट, चकमोळ, मधु सहित घृत, गोरोचन, चावल, रत्न, वीणा, कमळ, सिंहासन, संपूर्ण हथियार, मृदंग आदि संपूर्ण वाजित्र, गीतनो ध्वनि, पुत्र सहित स्त्री, वाउमा सहित गाय, धोयेलां कपमां लीधेल धोबी, उघा अथवा मुहपत्ति सहित साधु, तिलक सहित ब्राह्मण, वगामवानुं नगारुं तथा ध्वजा पताका विगेरे शुल पदार्थ सामे देखाय अथवा जवानी वखते 'जाउँ जाउँ' 'नीकळो' 'गेम दो' 'जय पामो' 'सिद्धि करो' 'वांछित फळने प्राप्त करो'ए प्रकारना शुन शब्द संजळावी देवाय तो कार्यनी सिद्धि समजी लेवी अर्थात् श्रा शकुन थवाथी अवश्य कार्य सिद्ध थाय ने. २ गाम जती वखते जो सामे अथवा जमणी बाजुए मेक थाय, कांटाथी वस्त्र फाटी जाय अथवा उलक आवे अथवा कांटो लागी जाय अथवा कराहनेनो शब्द संजळाय अथवा सापर्नु अवथा बिलाव- दर्शन थाय तो जवू नहीं.. ३ चालती वखते जो नीलचास, मोर, नाराज अने नेउला नजरे पके तो ते उत्तम समजवा. ४ चालती वखते कुकमो माबी बाजु बोले ते उत्तम बे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुनविचार. १०० ए चाखती वखते माबी बाजु तरफ राजानुं दर्शन थवाथी सर्व कष्ट दूर पाय . ६ चाखती वखते माबी बाजु तरफ गधेमानुं मळवू थवाथी मनोवांचित कार्य सिद्ध थाय ने. ___चालती वखते जमणी बाजु तरफ नाहरनुं मळवू थवाथी उत्तम शधि सिद्धि श्राय जे. चालती वखते संपूर्ण नखायुधोनुं माबी बाजु तरफ मळवू तथा अंदर जती वखते जमणी बाजु तरफ मळवू मंगळकारी थाय बे. ए चालती वखते गधेमार्नु माबी बाजु तरफ मळवू अने अंदर जती वखते जमणी बाजु तरफ मळवू उत्तम थाय . - १० पळवामे तथा सामे गधेमो बोलतो होय ते वखत गमन करवू जोइए. ११ चालती वखते जो गधेमो मैथुन करतो मळे तो धननो लाल तथा कार्यनी सिद्धि जाणी लेवी. १५ चालती वखते जो गधेमो माबी बाजु तरफ शिनने हलावतो देखाय तो ते कुशळसूचक थाय ने. १३ जो सुश्रा ( तोता) माबी बाजु तरफ बोले तो जय, जमणी बाजु तरफ बोले तो महा लान, सूका लाकमा उपर बेगे बोले तो जय तथा सन्मुख बोले तो बंधन थाय . - १४ जो मेना सन्मुख बोले तो कलह, जमणी बाजु तरफ बोले तो लाल ने सुख, डाबी बाजु तरफ बोले तो अशुन तथा पीठ पारळ बोले तो मित्रनो समागम थाय " Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११० परदेश जवा विगैरे संबंधी शकुनविचार. १५ गाम जती वखते जो बगलो मावा पगने ऊंचो उग-. वेल तथा जमणा पगनी सहायथी उनो रहेलो देखाय तो खदमीनो लाल श्राय . १६ जो प्रसन्न श्रयेल बगलो बोलतो होय एम देखाय अथवा उंचे उमतो होय एम देखाय तो कन्या अने अव्यनो लाल तथा संतोष थाय ने अने जो ते जयनीत अश्ने जमतो होय तेम देखाय तो जय उत्पन्न श्राय डे. १७ गाम जती वखते घणा चकवा एका मळेल बेग देखाय तो मोटो लाल अने संतोष थाय ने तथा जो जयजीत श्रश्ने जमता होय तेम देखाय तो जय उत्पन्न बाय बे. १७ जो सारस माबी बाजु तरफ देखाय तो महा सुख, लाल अने संतोष थाय , जो एक एक बेठेल देखाय तो मित्रसमागम थाय , जो सन्मुख बोलतुं देखाय तो राजानी कृपा थाय बे तथा जो जोमा सहित बोलतुं देखाय तो स्त्रीनो लान थाय बे, परंतु जमणी तरफ सारसर्नु मळवू निषिद्ध (अशुलसूचक) थाय . १ए गाम जती वखते जो टिंटोमी सन्मुख बोले तो कार्यनी सिछि थाय ने तथा जो माबी बाजु तरफ बोले तो निकृष्ट फळ थाय . २० जती वखते जो जळकुकमी पाणीमां बोलती होय तो उत्तम फळ थाय तथा जो जळनी बहार बोलती होय तो निकृष्ट फळ थाय . २१ गाम जती वखते जो मोर एक वार बोले तो लाल, बे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुनविचार. १११. वार बोले तो स्त्रीनो लाल, त्रण वार बोले तो व्यनो लाल, चार वार बोले तोराजानी कृपा तथा पांच वार बोले तो कट्याण थाय . जो नाचतो मोर देखाय तो उत्साह उत्पन्न श्राय डे तथा ते मंगळकारी अने अधिक लालदायक थाय . २२ जती वखते जो समळी आहार सहित कामनी उपर बेली देखाय तो मोटो लाल श्राय , जो आहार विना बेठी होय तो जq निष्फळ थाय , जो माबी बाजु तरफ बोलती होय तो उत्तम फळ श्राय तथा जो जमणी तरफ बोलती होय तो उत्तम फळ अतुं नथी. २३ गाम जती वखते जो घुग्घू (घुवम) मावी बाजु तरफ बोलतुं होय तो उत्तम फळ थाय , जो जमणी बाजु तरफ बोलतुं होय तो जय उत्पन्न श्राय , जो पीउनी पळवामे बोलतुं होय तो वैरी वश थाय , जो सामे बोलतुं होय तो जय उत्पन्न थाय बे, जो अधिक शब्द करतुं होय तो अधिक वैरी उत्पन्न थाय ने, जो घरनी उपर बोलतुं होय तो स्त्रीनें मृत्यु थाय ने अथवा बीजा को घरना माणसनुं मृत्यु थाय ने तथा जो त्रण दिवस सुखी बोलतुं रहे तो चोरीनुं सूचक थाय बे. २५ चालती वखते कबूतर जमणी बाजु तरफ होवाश्री लानकारी थाय , माबी बाजु तरफ होवाथी लाइ अथवा परिजनने कष्ट उत्पन्न थाय ने तथा पळवामे बोलतुं होवाथी उत्तम फळ थाय .. __ २५ जो कुकमो स्थिरता सहित माबी बाजु तरफ शब्द करतो होय तो लाल अने सुख थाय दे तथा जो जयश्री Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११२ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुन विचार. चांत थने माबी बाजु तरफ बोलतो होय तो जय ने क्लेश उत्पन्न थाय बे. २६ जो नीलकंठ पक्षी सामे अथवा जमणी बाजु तरफ क्षीर वृक्ष उपर बेतुं बोलतुं होय तो सुख ने लाज थाय बे, जो ते जमणी बाजुए थइने तोरण पर वे तो अत्यंत लाज अने कार्यनी सिद्धि थाय बे, जो ते माबी बाजु तरफ अने स्थिर चित्तथी बोलतुं होय एम देखाय तो उत्तम फळ याय बे तथा जो चुप बेतुं होय एम देखाय तो उत्तम फळ श्रतुं नथी. २७ नीलकंठ ने नीलिया पक्षीनुं देखवुं पण शुभकारी थाय छे, कारण के चालती वखते तेनुं देखवं थवाथी सर्व संपत्तिनी प्राप्ति थाय बे. २० ग्राम जती वखते अथवा कोई शुभ कार्य करती वखते जो जोर पक्षी काबी बाजु तरफ फुल उपर बेतुं होय एम देखाय तो हर्ष ने कल्याणनुं करवावालुं याय बे, जो सामे फुलनी उपर बेतुं होय एम देखाय तोपण शुभकारक थाय बे तथा जो लगाइ करतां बे जोर पक्षी शरीर उपर चवीने पके तो अथाय बे, तेथी आवे वखते वस्त्रो सहित स्नान कर जोए ने काळा पदार्थ नुं दान करवुं जोइए. एम करवायी सर्व दोष निवृत्त थाय बे. २० गाम जती वखते जो मकमी माबी बाजु तरफथी जमली बाजु तरफ उतरे तो ते दिवस चालवु नहीं, जो माबी बाजु तरफ जाळ नाखती होय एम देखाई जाय तो कार्यनी सिद्धि लान ने कुशल थाय बे, जो जमणी बाजु तरफथी काबी बाजु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुन विचार. ११३ तरफ उतरे तोपण शुल थाय , जो पग तरफथी उपर जांग उपर चढे तो घोमानी प्राप्ति थाय ने, जो कंठ सुधी चढे तो वस्त्र श्रने आजूषणनी प्राप्ति थाय ने, जो मस्तक सुधी चढे तो राजमान प्राप्त थाय ने तथा जो शरीर उपर चढे तो वस्त्रनी प्राप्ति थाय ने, मकमीन उपर चढवू शुलकारी तथा नीचे उतरवू अशुनकारी थाय ने. ३० गाम जती वखते कानखजुरानुं माबी बाजु तरफ उतरवु शुन थाय ने तथा जमणी बाजु तरफ उतरतुं तेमज मस्तक अने शरीर उपर चढवं ए अशुन थाय बे. ३१ गाम जती वखते जो हाथी जमणा दांतनी उपर सुंढने राखतो अथवा सुंढने उगळतो सामे श्रावतो देखा जाय तो सुख, लाल अने संतोष थाय रे तथा माबी बाजु तरफ अथवा बीजी को बाजु तरफ सुंढने करेली देखाय तो सामान्य फळ थाय बे, आथी जूदी जातना हाथीनी सामे मळवू ए सारं बे. . ३३ जो घोमो आगळना जमणा पगथी पृथिवीने खोदतो अथवा दांतथी जमणा अंगने खंजवाळतो देखाय तो सर्वे कार्योनी सिद्धि थाय ने, जो मावा पगने पसारतो देखाय तो क्लेश थाय ने तथा जो सामे मळी जाय तो शुनकारी थाय ने. ' ३३ उंटर्नु माबी बाजु तरफ बोलवू सारं , जमणी बाजु तरफ बोल, क्लेशकारी थाय बे. जो सांढणी सामी मळे तो शुल पाय बे. ३४ जो चाखती वखते बळद मावा शींगमाश्री अथवा माबा वाकु०० For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ परदेश जवा विगैरे संबंधी शकुन विचार. पगश्री धरती खोदतो देखाय तो सारं थाय ने अर्थात् तेथी सुख अने लाल थाय ने, जो जमणा अंगथी पृथिवीने खोदतो देखाय तो खराब थाय , जो बळद अने पामो एकग उजा होय एम देखाय तो अशुल थाय ने. एवी दशामां गाम नहीं जवू जोइए, जो जाय तो प्राणनो संदेह रहे , जो बरामा पामतो सांढ सामे देखाय तो सारुं थाय ने. __३५ जो गाय माबी बाजु तरफ शब्द करती अथवा वालमाने सुध पीवामती देखाय तो लाल, सुख अने संतोष थाय बे, तथा जो पापली रातमां गाय बोले तो क्लेश उत्पन्न बाय . ३६ जो गधेमो माबी बाजु तरफ जाय तो सुख श्रने संतोष थाय बे, पळवामे अथवा जमणी बाजु तरफ जाय तो क्लेश. थाय , जो बे गधेमा परस्पर कांधने खंजोळावे अथवा दांतने देखामे अथवा इंजियने तेज करे अथवा माबी बाजु तरफ जाय तो घणो लाल अने सुख थाय , जो गधमा माथाने धुणावे अथवा राखमां श्राळोटे अथवा परस्पर समाश् करता देखाय तो अशुल अने क्लेशकारी थाय ने तथा जो चालती वखते गधेमो माबी बाजु तरफ बोले अने दाखल थती वखते जमणी बाजु तरफ बोले तो शुजकारी थाय ने. ३७ गाम जती वखते वांदरानुं जमणी बाजु तरफ मळवू सारं वे तथा मध्याह्न पनी माबी बाजु तरफ मळवू सारं बे. ३ जो कुतरो जमणी कोख चाटतो देखाय अथवा मोढामां कोइ जदय पदार्थ लीधेलो होय एवी रीते सामे मळे तो सुख, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुनविश्वार. ११५ कार्यसिद्धि ने घणोज लाज थाय बे, वामीमां फळेला छाने फुलेला वृक्षनी नीचे, लीली क्यारीजंमां, लीला तीनक उपर, धारनी इंट उपर तथा धान्यना ढगला उपर जो कुतरो पेशाब करतो देखाय तो मोटो लाम ने सुख थाय बे, जो कुतरो nial बाजु तरफ उतरे अथवा जांग, पेट अने हृदयने पाठळना जमणा पगथी चाटतो अथवा खंजवाळतो देखाय तो मोटो लाज थाय बे, जो कुतरो सुपनी उपर, उखलीनी जमणी बाजु तरफ, श्मशानमां अथवा पथर उपर मूतरतो देखाय तो मोटुं कष्ट उत्पन्न याय बे. बुं शकुन जोड्ने गाम नहीं जनुं जोइए. गाम जती वखते जो कुतरो जंचे बेठो बेठो कान, माधुं हृदय खंजवाळतो अथवा चाटतो देखाय अथवा बे कुतरा खेलता देखाय तो कार्यनी सिद्धि थाय बे तथा जो कुतरो भूमि उपर लोटतो अथवा स्वामीनी साथे लाम करतो खाट उपर बठेलो मालुम परे तो मोटो क्लेश उत्पन्न थाय बे. ३० जो गाम जती वखते मोढामां जक्ष्य पदार्थ सीधेल बिलामी सामी देखाय तो लाज श्रने कुशळ थाय बे, जो बे बिलामी लगती होय अथवा घुर घुर शब्द करी रही होय तो अशुभ थाय बे तथा जो बिलामी रस्तामां मी उतरे तो गाम जवुं नहीं. ४० गाम जती वखते बबुंदरनुं माबी बाजु तरफ होवुं उत्तम बे तथा जमणी बाजु तरफ होवुं खराब बे. ४१ गाम जती वखते जो प्रातःकाळे हरिण जमणी बाजु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 116 परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुन विचार. तरफ जाय तो सारु थाय , परंतु जो हरिण शींगमाने ठोके, माथाने हलावे, मूत्र करे, मळ करे अथवा के तो जमणी तरफ पण जवू सारं नथी. 42 गाम जती वखते शीयाळनु माबी बाजु तरफ बोलवू तथा दाखल अती वखते जमणी तरफ बोलवु उत्तम . - - Printed by Ramchandra Yesu Shodge, at the Nirnaya sagar Press, 23, Kolbhat Lane, Bombay. Published by Bhanji Maya for Bhimsi Maneck, 225-231, Mandvi, Sackgalli, Bombay. - - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only