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शकुनशास्त्रे दिवसे पारखी रात्रिए जो पश्चिम दिशामां वीजळी यती माखुम पर्छ भने गर्जनाउं जो थती न होय तो जाणवु के ते मासमां बीलकुल वृष्टि थशे नहीं. ते दिवसे प्रजातमां सूर्योदयवखते सूर्यनो रंग जो श्वेत रंगनो फांखो मालुम पमे तो जाणवू के ते चतुर्मासमां बीलकुल वरसाद थशे नहीं. ते दिवसे सूर्योदय पहेलां श्राकाशनो रंग पूर्व दिशा तरफ जो गुलाब सरखो मालुम पमे तो जाणवू के एक पखवामीया सुधी हजु वरसाद वरसशे नहीं. ते दिवसे सूर्योदय पगी एक घटिका गया बाद सूर्य जो सोनेरी रंगनां वादळांउथी घेरायेलो मालुम पमे अने तेमां जो अदृश्य थप जाय अने बेक सूर्यास्त वेळा सुधी तेवीज रीतनां वादळांमां अदृश्य रहीनेज जो अस्त थर जाय तो जाणवु के ते चतुर्मासमां एटलो तो जयंकर वरसाद वरसशे के श्राखी बुनियानो प्रलय थाय अने कोश्कज प्राणी फक्त जीवी शके. ते दिवसे जो सूर्योदयसमये आकाशमां श्वेत रंगनां त्रुटेलां वादळां श्रयेला मालुम पझे तो जाणवु के ते दिवसथी त्रण दिवसनी अंदर वरसाद श्राय. ते दिवसे जो सूर्यास्त पहेला एक घटिकाए जो सूर्यनो रंग फांखो लाल रंगनो मालुम पके तो जाणवु के सूर्यास्तसमये जरुर वरसाद श्राय. ते दिवसे जो बे घटिका रात्रि गया बाद पश्चिम दिशामांथी वीजळी अने गर्जना थती मालुम पमे तथा चंग जो फांखो थर गयेलो मालुम पमे तो जाणवू के अंतर्मुहूर्त्तमां जरुर वरसाद थशे. ते दिवसे मध्य रात्रिए चंजनोरंग जो कांखोलाखरंगनो मालुम पके तो जाणवू के ते चतुर्मासमां खेतीने अनुकूळ नहीं थाय एवो
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