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शकुनविद्यानुं स्वरूप. विचारी राखेल कामने तुं जोश अथवा देवमंदिरने अथवा मूर्त्तिने अथवा चंप्रमाने जोश्श.
११-हे पूबनार ! तें तारा मनमा एक मोटा कार्यनो विचार कर्यो ने तथा तने धन संबंधी चिंता ने ते तारे माटे सर्व सारं अशे तथा व्हाला नाठनी मुलाकात अशे. श्रा वातनी सत्यतार्नु ए प्रमाण के स्वप्नमां जंचा मकान पर पहार पर तुं चढ्यो एम तें जोयुं बे अथवा जोश्श.
१५-हे पूबनार ! तने सर्व बाबतनी वृद्धि थशे, मित्रोनी साथे मुलाकात श्रशे, संसारथी लाल थशे, विवाह करवाश्री कुळनी वृद्धि अशे तथा सोनु, चांदी विगेरे सर्वे संपत्ति अशे.
आ वातनो पूरावो ए के स्वप्नमां तें गाय अथवा बळद जोयेल ने अथवा जोश्श. तुं परदेशमां पण जवानो विचार करे बे. तुं कुळदेवीने मान, तारे माटे सारं थशे.
२१३-हे पूग्नार ! तारा मनमां बे पगवाळानी चिंता अने तें सारा कामनो विचार कर्यो तेनो साल तने एक महीनामां श्रशे, ना तथा सजन मळशे, शरीरमां प्रसन्नता रहेशे अने तारुं मनमानतुं कार्य थशे, परंतु जे तारा गोत्रदेव ने तेनी आराधना तथा सन्मान कर, तुं माता, पिता, नाश अने पुत्र विगेरेथी जे कांश कामनी चाहना राखे नेते तारा मनोरथ सिफ श्रशे. आ वातनो पूरावो ए के तें रात्रिमा प्रत्यद अथवा स्वप्नमां स्त्री साये समागम कर्यो .
२१४ हे पूछनार ! जे कां तारं काम बगमी गयुं ले अर्थात् जे कांइ नुकशान विगेरे श्रयेल ने अथवा कोश्नी
शकु०७
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