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शकुनशास्त्रे
रनी होय तो तेथी कीर्तिनो नाश थाय बे. जे भूमिका पर घर aaj होय ते भूमिका जो अर्धचंद्र सरखा आकारवाळी होय तो ते जळना जयने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका जो वच्चेथी उपसेली होय तो ते अग्निना जयने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिकानां मध्य नागमां जो खामो होय तो जाणवुं के कुटुंबनी स्त्रीने वंध्यत्व प्राप्त थशे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिका पर मध्याह्नकाळे जो कोइ देवमंदिरनी बाया पकती होय तो जाणवु के पोतानी लक्ष्मीनो नाश थशे. जे भूमिका पर घण मशकोनी उत्पत्ति यती होय तेवी जूमि पर घर बांधीने वसवाथी प्रव्यनो नाश थाय बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिकानो आकार जो उंटनी पीठना सरखो उंचो नीचो होय तो तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी राज्य तरफना जयनी प्राप्ति थाय बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिकानो आकार जो कमळनां पुष्प सरखो होय तो ते लीना नाशने सूचवे बे. जे भूमिका पर घर बांध होय ते भूमिमां जो घणी फाटो परेली होय तो तेवी भूमिमां घर बांधीने वसवाथी कुटुंबमां क्लेशनी उत्पत्ति थाय बे.
॥ इति परकायाप्रवेश विद्याप्रवीणाचार्यश्री जिनदत्तसूरीश्वरविरचिते शकुनशास्त्रे सप्तमः प्रस्तावः ॥
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