________________
६६
शकुनशास्त्रे
कुटुंबनां संतानोनो नाश थाय छे. जे जूमिनी धूळीमांथी घृतना सरखी वास आवती मालुम परे तेवी भूमिमां वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबनो नाश थाय बे. जे जूमिनी धूळी नो रंग लीला रंगनो होय तेवी भूमि पर वसवा माटे बांधवाथी कुटुंबनी लक्ष्मीत्यंत वृद्धि पामे बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग श्याम रंगनो होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबमां उत्तम संताननी प्राप्ति थाय बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग आकाशना रंग सरखो होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबनां माणसो विधान् थाय बे. जे भूमिनी धूळीनो रंग लाल होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंबमां क्लेशनी उत्पत्ति थाय बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग श्वेत होय तेवी भूमि पर वसवा माटे घर बांधवाथी कुटुंवमां धन धान्यनी वृद्धि थाय बे. जे जूमिनी धूळीनो रंग पीळो होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी कुटुंबने राज्य तरफथी बहु धननी प्राप्ति थाय.
हवे जे भूमि पर नोळीयुं पोतानुं दर करीने रहेतुं होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी धननी प्राप्ति थाय बे. जे भूमि पर सर्प रदेतो होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी
शुज थाय बे. जे भूमि पर चमर पोतानुं दर करीने रहेतो मालुम परे तेवी जूमि पर घर बांधीने वसवाथी घणा प्रव्यनो नाश थाय बे. जे भूमि पर लोंकमी नामनुं प्राणी पोतानुं बिल करीने रहेतुं होय तेवी भूमि पर घर बांधीने वसवाथी अग्निनो जय माय बे. जे भूमि पर घणां पतंगीयां उकतां मालुम पके
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org