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________________ ११० परदेश जवा विगैरे संबंधी शकुनविचार. १५ गाम जती वखते जो बगलो मावा पगने ऊंचो उग-. वेल तथा जमणा पगनी सहायथी उनो रहेलो देखाय तो खदमीनो लाल श्राय . १६ जो प्रसन्न श्रयेल बगलो बोलतो होय एम देखाय अथवा उंचे उमतो होय एम देखाय तो कन्या अने अव्यनो लाल तथा संतोष थाय ने अने जो ते जयनीत अश्ने जमतो होय तेम देखाय तो जय उत्पन्न श्राय डे. १७ गाम जती वखते घणा चकवा एका मळेल बेग देखाय तो मोटो लाल अने संतोष थाय ने तथा जो जयजीत श्रश्ने जमता होय तेम देखाय तो जय उत्पन्न बाय बे. १७ जो सारस माबी बाजु तरफ देखाय तो महा सुख, लाल अने संतोष थाय , जो एक एक बेठेल देखाय तो मित्रसमागम थाय , जो सन्मुख बोलतुं देखाय तो राजानी कृपा थाय बे तथा जो जोमा सहित बोलतुं देखाय तो स्त्रीनो लान थाय बे, परंतु जमणी तरफ सारसर्नु मळवू निषिद्ध (अशुलसूचक) थाय . १ए गाम जती वखते जो टिंटोमी सन्मुख बोले तो कार्यनी सिछि थाय ने तथा जो माबी बाजु तरफ बोले तो निकृष्ट फळ थाय . २० जती वखते जो जळकुकमी पाणीमां बोलती होय तो उत्तम फळ थाय तथा जो जळनी बहार बोलती होय तो निकृष्ट फळ थाय . २१ गाम जती वखते जो मोर एक वार बोले तो लाल, बे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003841
Book TitleShakun Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1919
Total Pages120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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