SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ११२ परदेश जवा विगेरे संबंधी शकुन विचार. चांत थने माबी बाजु तरफ बोलतो होय तो जय ने क्लेश उत्पन्न थाय बे. २६ जो नीलकंठ पक्षी सामे अथवा जमणी बाजु तरफ क्षीर वृक्ष उपर बेतुं बोलतुं होय तो सुख ने लाज थाय बे, जो ते जमणी बाजुए थइने तोरण पर वे तो अत्यंत लाज अने कार्यनी सिद्धि थाय बे, जो ते माबी बाजु तरफ अने स्थिर चित्तथी बोलतुं होय एम देखाय तो उत्तम फळ याय बे तथा जो चुप बेतुं होय एम देखाय तो उत्तम फळ श्रतुं नथी. २७ नीलकंठ ने नीलिया पक्षीनुं देखवुं पण शुभकारी थाय छे, कारण के चालती वखते तेनुं देखवं थवाथी सर्व संपत्तिनी प्राप्ति थाय बे. २० ग्राम जती वखते अथवा कोई शुभ कार्य करती वखते जो जोर पक्षी काबी बाजु तरफ फुल उपर बेतुं होय एम देखाय तो हर्ष ने कल्याणनुं करवावालुं याय बे, जो सामे फुलनी उपर बेतुं होय एम देखाय तोपण शुभकारक थाय बे तथा जो लगाइ करतां बे जोर पक्षी शरीर उपर चवीने पके तो अथाय बे, तेथी आवे वखते वस्त्रो सहित स्नान कर जोए ने काळा पदार्थ नुं दान करवुं जोइए. एम करवायी सर्व दोष निवृत्त थाय बे. २० गाम जती वखते जो मकमी माबी बाजु तरफथी जमली बाजु तरफ उतरे तो ते दिवस चालवु नहीं, जो माबी बाजु तरफ जाळ नाखती होय एम देखाई जाय तो कार्यनी सिद्धि लान ने कुशल थाय बे, जो जमणी बाजु तरफथी काबी बाजु Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003841
Book TitleShakun Shastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1919
Total Pages120
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy