________________
चतुर्थः प्रस्तावः।
३५ पमे, सन्मुख जो कोई पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाथमां पचरंगी नामां लश्ने आवतां मालुम पमे, जो कोई पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाथमां बीजोरं लश्ने सन्मुख आवतां मालुम पमे, जो को पुरुष अथवा सधवा स्त्री पोताना हाश्रमां अथवा मस्तक पर आम्रफळोश्री नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख श्रावतां मालुम पमे, सन्मुख जो कोश् पुरुष पोताना हाश्रमां श्वेत अथवा लीली पताका लश्ने आवतो मालुम पमे, जो को पुरुष पोताना मस्तक पर रुनो समूह लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पमे, सन्मुख जो कोई पुरुष पोताना हाथमां शंख लश्ने आवतो मालुम पमे, जो कोई पुरुष पोताना हाथमां शेलमीनो सांगे लश्ने सन्मुख आवतोमालुम पमे, जो कोइ पुरुष पोताना मस्तक पर नागरवतीनां पांदमाउथीनरेलुं वासण लश्ने सन्मुख श्रावतो मालुम पके, सन्मुख जो कोई पुरुष पोताना हाथमां रूपानुं अथवा त्रांबानुं खाली वासण लश्ने आवतो मालुम पमे, सन्मुख जो कोइ पुरुष पोताना हाश्रमांकमळनुं पुष्प लश्ने
आवतो मालुम पझे, जो कोई पुरुष पोताना हाश्रमां मींढोळनां फळो लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पमे, जो कोइ पुरुष पोताना हाश्रमां गोळयी नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पके, जो कोश् पुरुष पोताना हाश्रमां हाथीदांतनां अखंग वलयो लश्ने सन्मुख श्रावतो मालुम पमे, जो कोई पुरुष पोताना हाथमा कर्पूरथी नरेलुं वासण लश्ने सन्मुख आवतो मालुम पके तो ते सर्व शुजनेज सूचवे ने अर्थात् ते सर्व शुल शकुन गणाय ने.
जो को रंमा स्त्री सन्मुख पावती मालुम पमे, जो कोश
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org