Book Title: Agam 21 Upang 10 Pushpika Sutra Puffiyao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवंगसुत्ताणि [ खण्ड २] , चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निस्यावलियाओ, कप्पवाडिसिया, पुप्फयाओं, पु FOREENEEEEE वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी वहिदाओ संपादक युवाचार्य महाप्रज्ञ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रज्ञापर्व वर्ष के उपलक्ष्य में निग्गंथं पावयणं उवंगसुत्ताणि (खण्ड २) पण्णवण्णा • जंबुद्दीवपण्णत्ती • चंदपण्णत्ती. सूरपण्णत्ती • उवंगा निरयावलियाओ • कप्पडिसियाओ • पुफियाओ. पुफिचूलियाओ • वहिदसाओ वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी सम्पादक युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशक जैन विश्व भारती लाडनूं [राजस्थान Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक : जैन विश्व भारती लाडनूं [ राजस्थान ] प्रबन्ध-सम्पादक : श्रीचंद रामपुरिया अर्थ सौजन्य : श्री रामलाल हंसराज गोलछा विराटनगर (नेपाल) प्रकाशन तिथि: विक्रम सम्वत् २०४५ ( मर्यादा महोत्सव ) ईस्वी सन् १९८६ पृष्ठांक ११७० : जैन विश्व भारती मूल्य ६००/ मुद्रक : मित्र परिषद्, कलकत्ता के आर्थिक सौजन्य से स्थापित जैन विश्व भारती प्रेस, लाडनूं (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ On the occasion of Pragyapray Year Niggantham Pāvayanam UVANGA SUTTĀNI IV (PART II) PAŅŅAVAŅĀ . JAMBUDDĪVAPAŅŅATTI. CANDAPANNATTT . SURAPAŅŅATTI. NIRAYĀVALIYO, KAPPAVADIMSIYÃO, PUPPHIYAO. PUPPHACŪLIYÃO. VANHIDASÃO (Original Text Critically Edited) Vâcana-pramukha : ĀCĀRYA TULSI Editor! YUVĀCĀRYA MAHĀPRAJNA Publisher : JAIN VISHVA BHARATI LADNUN (RAJASTHAN) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Publisher : JAIN VISHVA BHARATI. Ladnun-341 306 Managing Editor : Shrichand Rampuria, By Munificence : Shri Ramlal Hansraj Golchha Viratnagar (Nepal) Year of Publication : Vikram Samvat 2045 (Maryada Mahotsava) 1989 A.D. Pages : 1170 जैन विश्व भारती TĘOOM Printers : JAIN VISHVA BHARATI PRESS, [Established through the financial co-operation of Mitra Parishad, Calcutta) Ladnun (Rajasthan) Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्तस्तोष अन्तस्तोष अनिर्वचनीय होता है उस माली का जो अपने हाथों से उप्त और सिंचित द्रुमनिकुंज को पल्लवित, पुष्पित और फलित हुआ देखता है, उस कलाकार का जो अपनी तूलिका से निराकार को साकार हुआ देखता है और उस कल्पनाकार का जो अपनी कल्पना को अपने प्रयत्नों से प्राणवान् बना देखता है। चिरकाल से मेरा मन इस कल्पना से भरा था कि जैन आगमों का शोधपूर्ण सम्पादन हो और मेरे जीवन के बहश्रमी क्षण उसमें लगे । संकल्प फलवान् बना और वैसा ही हुआ। मुझे केन्द्र मान मेरा धर्म-परिवार उस कार्य में संलग्न हो गया। अत: मेरे इस अन्तस्तोष में मैं उन सबको समभागी बनाना चाहता हूं, जो इस प्रवृत्ति में संविभागी रहें हैं ! संक्षेप में वह संविभाग इस प्रकार हैसंपादक : युवाचार्य महाप्रज्ञ पाठ-संशोधन सहयोगी : मुनि सुदर्शन ___ मुनि हीरालाल शब्दकोश ___ मुनि श्रीचन्द्र 'कमल' संविभाग हमारा धर्म है। जिन-जिनने इस गुरुतर प्रवृत्ति में उन्मुक्त भाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूं और कामना करता है कि उनका भविष्य इस महान् कार्य का भविष्य बने । आचार्य तुलसी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समर्पण पुट्ठो वि पण्णा-पुरिसो सुदक्खो, आणा-पहाणो जणि जस्स निच्चं । सच्चप्पओगे पवरासयस्स, भिक्खुस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं ॥ जिसका प्रज्ञा-पुरुष पुष्ट पटु; होकर भी आगम-प्रधान था । सत्य-योग में प्रवर चित्त था, उसी भिक्षु को विमल भाव से ।। विलोडियं आगमदुद्धमेव, लद्धं सुलद्धं णवणीयमच्छं । सज्झाय-सज्झाण-रयस्स निच्चं, जयस्स तस्स पणिहाणपुव्वं ॥ जिसने आगम-दोहन कर कर, पाया प्रवर प्रचुर नवनीत । श्रुत-सद्ध्यान लीन चिर चिन्तन, जयाचार्य को विमल भाव से। पवाहिया जेण सुयस्स धारा, गणे समत्थे मम माणसे वि। जो हेउभूओ स्स पवायणस्स, कालुस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं । जिसने श्रुत की धार बहाई, सकल संघ में मेरे मन में। हेतुभूत श्रुत-सम्पादन में, कालुगणी को विमल भाव से। Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तुत ग्रन्थ उवांगसुत्ताणि ४ का द्वितीय खण्ड है । इस में नौ आगम समाहित हैं- १. पण्णवणा २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पवाडसियाओ ७ पुष्फियाओ ८ पुष्कचूलियाओ है वहिदसाओ । आगम संपादन एवं प्रकाशन की योजना इस प्रकार है १. आगम-सुत्त ग्रन्थमाला - मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का प्रस्तुती करण । २. आगम - अनुसंधान ग्रन्थमाला -- मूलपाठ, संस्कृत छाया, अनुवाद, पद्यानुक्रम, सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण ! ३. आगम-अनुशीलन ग्रंथमाला --- आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण । ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला --- आगमों से संबंधित कथाओं का संकलन और अनुवाद | ५. वर्गीकृत आगम ग्रन्थमाला - आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण । ६. आगमों के केवल हिंदी अनुवाद के संस्करण । प्रकाशकीय प्रथम आगम-सुत्त ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं' ( १ ) अंगसुत्ताणि ( १ ) - इसमें आयारो, सुयगडो, ठाणं, समवाओ ये चार अंग समाहित हैं । ( २ ) अंगसुताणि ( २ ) - इसमें पंचम अंग भगवई प्रकाशित है । (३) अंगसुत्ताणि ( ३ ) - इसमें नायाधम्मकहाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुथं-ये ६ अंग हैं । (४) उवंगसुत्ताणि ( ४ ) ( खं० १ ) ) – इसमें (१) ओवाइयं ( २ ) रायपसेणियं और ( ३ ) जीवाजीवाभिगमे ये तीन आगम ग्रन्थ हैं । (५) उवंगसुत्ताणि ( ४ ) ( खण्ड २ ) - प्रस्तुत ग्रन्थ । इसमें पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरयावलियाओ, कप्पवडिसियाओ तुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, साओ प्रकाशित हो रहे हैं । (६) नवसुत्ताणि ( ५ ) - इसमें आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्भयपाणि, नंदी, अणुओगदाराई, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहज्भयणं-ये नौ आगम ग्रन्थ हैं। द्वितीय आगम अनुसंधान ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं— (१) दसवेलियं - १. इस ग्रंथमाला के अर्न्तगत ( १ ) दसवेआलियं सह उत्तरज्भयणाणि, (२) आयरो तह आयारचूला, (३) निसीहज्झणं, (४) ओवाइयं, (५) समवाओ ये ग्रंथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा भी प्रकाशित हुए थे । Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १० (२) उत्तरज्भयणाणि (भाग १ और २ ) (३) ठाणं (४) समयाओ (५) सूयगडो (भाग १ ओर भाग २ ) उक्त में से द्वितीय ग्रंथ जैन दवेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित हुआ है। तीसरी आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला में निम्न दो ग्रन्थ निकल चुके हैं (१) दशवेकालिक एक समीक्षात्मक अध्ययन (२) उत्तराध्ययन: एक समीक्षात्मक अध्ययन चौथी आगम-कथा ग्रन्थमाला में अभी तक कोई ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हो पाया है । पांचवी वर्गीकृत -आगम ग्रन्थमाला में दो ग्रन्थ निकल चुके हैं। (१) दसर्वकालिक वर्गीकृत (धर्म प्रशस्ति खं० १) (२) उत्तराध्ययन] वर्गीकृत (धर्मप्राप्ति बं० २ ) छठी केवल आगम हिंदी अनुवाद ग्रन्थमाला में एक 'दशकालिक और उत्तराध्ययन' ग्रन्थ का प्रकाशन हुआ है । उक्त प्रकाशनों के अतिरिक्त दसर्वकालिक एवं उत्तराध्ययन (मूल पाठ मात्र) गुटकों के रूप में प्रकाशित किए जा चुके हैं । उक्त विवरण से पाठकों को विदित होगा कि भूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित ३२ आगम ग्रंथ आगमसुत्त ग्रंथमाला के अर्न्तगत प्रकाशित हो चुके हैं । ३२ आगमों का इस प्रकार का आलोचनात्मक प्रकाशन आगम प्रकाशन के इतिहास में प्रथम बार ही सम्मुख आया है। आगम प्रकाशन कार्य की योजना में निम्न महानुभावों का सहयोग रहा--- (१) सरावगी बेरिटेबल फण्ड, कलकत्ता (ट्रस्टी रामकुमारजी सरावगी, गोविंदालालजी सरावगी एवं कमलनयनजी सरावगी ) । (२) रामलालजी हंसराजजी गोलछा, विराटनगर । (३) स्व० जयचंदलालजी गोठी, सरदारशहर (४) रामपुरिया चेरिटेबल ट्रस्ट, कलकत्ता । (५) बेगराज भंवरलाल चोरडिया चेरिटेबल ट्रस्ट । यह ग्रन्थ जैन विश्व भारती के निजी मुद्रणालय में मुद्रित होकर प्रकाशित हो रहा है। मुद्रणा लय के स्थापना में मित्र-परिषद्, कलकत्ता के आर्थिक सहयोग का सौजन्य रहा, जिसके लिए उक्त संस्था को अनेक धन्यवाद । आगम-संपादन के विविध आयामों के वाचना- प्रमुख हैं आचार्य श्री तुलसी और प्रधान संपादक तथा विवेचक हैं युवाचार्यश्री महाप्रजी इस कार्य में अनेक साधु-साध्वी सहयोगी रहे हैं। Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११ इस तरह अथक परिश्रम के द्वारा प्रस्तुत इस ग्रन्थ के प्रकाशन का सुयोग पाकर जैन विश्व भारती अत्यंत कृतज्ञ है। जैन विश्व भारती २६-६-८७ लाडनूं (राज.) श्रीचंद रामपुरिया कुलपति Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तुत ग्रन्थ में नौ उपांग हैं १. पण्णवणा २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पवाडसियाओ ७. पुष्फियाओ ८. पुष्कचूलियाओ . वहिदसाओ । उपांग बारह हैं । उवंगसुत्ताणि भाग ४ खण्ड १ में तीन उपांग प्रकाशित हैं । प्रस्तुत ग्रन्थ में शेष नौ उपांगों का मूल पाठ पाठान्तरसहित सम्मिलित है । अंगसुतापि की शब्दसूची एक स्वतन्त्र पुस्तक ( आगम शब्दकोश ) में मुद्रित है । पाठक और शोधकर्त्ताओं की सुविधा की दृष्टि से इस खण्ड में उपर्युक्त नौ आगमों की संयुक्त शब्दसूची संलग्न है । सम्पादकीय प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन के साथ बत्तीस आगमों के प्रकाशन का कार्य सम्पन्न हो जाता है । इस आगम सुत्त ग्रन्थमाला के सात ग्रन्थ सम्पन्न हो रहे हैं: १. अंगसुत्ताणि भाग - १ आयारो, सूयगड, ठाणं, समवाओ । २. अंगसुत्ताणि भाग-२ भगवई ! ३. अंगसुत्ताणि भाग-३ नायाधम्मक हाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुयं । ४. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड १ ओवाइयं, रायपसेणियं, जीवाजीवाभिगमे । ५. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड २ पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरियावलियाओ, कप्पवडिसियाओ, पुम्फियाओ, पुप्फचूलियाओ, वहिदसाओ । ६. नवसुत्ताणि भाग-५ आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्भयणाणि, नंदी, अणुओगदाराई, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहज्झयणं । ७. आगम शब्दकोश ( अंगसुत्ताणि शब्दसूची) इस मूलपाठ की ग्रन्थमाला के अन्तर्गत अन्य ग्रन्थों के सम्पादन का कार्य अभी चल रहा है । उनमें प्रकीर्णक, निर्युक्ति और भाष्य सम्भावित हैं । विक्रम संवत् २०१२ ( सन् १९५५) महावीर जयन्ती के दिन आचार्य श्री ने आगम सम्पादन की घोषणा की । सम्पादन का कार्य उसी वर्ष चतुर्मास में प्रारम्भ हुआ । शुद्ध पाठ के बिना सम्पादनकार्य में अवरोध आए । तब पाठ-शोधन की ओर ध्यान गया । पाठ-शोधन का कार्य वि० सं० Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१४ (सन् १९५७) में प्रारम्भ हुआ। यह कार्य वि० सं० २०३७ (सन् १९८०) में सम्पन्न हुआ। इसका विवरण इस प्रकार है: .... दसवेआलियं उत्तरज्झयणाणि नंदी, अनुओगदाराई ओवाइय, रायपसेणियं ठाणं समवाओ सूयगडो नायाधम्मकहाओ आयारो, आयारचूला उवासगदसाओ, अंतगडदसामो अनुत्तरोववाइयदसाओ विपाक पण्हावागरणाई निरयावलियाओ भगवई पपणवणा दसाओ, पज्जोसवणाकप्पो कप्पो ववहारो जीवाजीवाभिगमे जंबूद्दीवपण्णत्ती निसीहज्झयणं चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती वि० सं० २०१४ वि० सं० २०१६ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१६ वि० सं० २०२० वि० सं० २०२२ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०२८ वि० सं० २०२८ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०३० वि० सं० २०३१ वि० सं० २०३२ वि० सं० २०३३ वि० सं० २०३३ वि० सं० २०३४ वि० सं० २०३५ वि० सं० २०३५ वि० सं० २०३७ सम्पादन का कार्य सरल नहीं है-यह उन्हें सुविदित है, जिन्होंने इस दिशा में कोई प्रयत्न किया है । दो-ढाई हजार वर्ष पुराने ग्रन्थों के सम्पादन का कार्य और भी जटिल है, जिनकी भाषा और भाव-धारा आज की भाषा और भाव-धारा से बहुत व्यवधान पा चुकी है। इतिहास की यह अपवाद-शून्य गति है कि जो विचार या आचार जिस आकार में आरब्ध होता है, वह उसी आकार में स्थिर नहीं रहता। या तो वह बड़ा हो जाता है या छोटा । यह ह्रास और विकास की कहानी ही परिवर्तन की कहानी है। और कोई भी आकार ऐसा नहीं है, जो कृत है और परिवर्तनशील नहीं है । परिवर्तनशील घटनाओं, तथ्यों, विचारों और आचारों के प्रति अपरिवर्तनशीलता का आग्रह मनुष्य को असत्य की ओर ले जाता है। सत्य का केन्द्र-बिन्दु यह है कि जो कृत है, वह सब परिवर्तनशील है । कृत या शाश्वत भी ऐसा क्या है जहां परिवर्तन का स्पर्श न हो। इस विश्व में जो है, वह वही है जिसकी सत्ता शाश्वत और परिवर्तन की धारा से सर्वथा विभक्त नहीं है। Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शब्द की परिधि में बंधने वाला कोई भी सत्य क्या ऐसा हो सकता है जो तीनों कालों में समान रूप से प्रकाशित रह सके ? शब्द के अर्थ का उत्कर्ष या अपकर्ष होता है भाषा शास्त्र के इस नियम को जानने वाला यह आग्रह नहीं रख सकता कि दो हजार वर्ष पुराने शब्द का आज वही अर्थ सही है, जो आज प्रचलित है। 'पाषण्ड' शब्द का जो अर्थ आगमनाथों और अशोक के शिलालेखों में है, वह आज के श्रमण-साहित्य में नहीं है । आज उसका अपकर्ष हो चुका है । आगम साहित्य के सैंकड़ों शब्दों की यही कहानी है कि वे आज अपने मौलिक अर्थ का प्रकाश नहीं दे रहे हैं । इस स्थिति में हर चिन्तनशील व्यक्ति अनुभव कर सकता है कि प्राचीन साहित्य के सम्पादन का काम कितना दुरूह है। १५ मनुष्य अपनी शक्ति में विश्वास करता है और अपने पौरुष से खेलता है, अत: वह किसी भी कार्य को इसलिए नहीं छोड़ देता कि वह दुरूह है । यदि यह पलायन की प्रवृत्ति होती तो प्राप्य की सम्भावना नष्ट ही नहीं हो जाती किन्तु आज जो प्राप्त है, वह अतीत के किसी भी क्षण में विलुप्त हो जाता । आज से हजार वर्ष पहले नवांगी टीकाकार ( अभयदेव सूरि ) के सामने अनेक कठिनाइयां थीं। उन्होंने उनकी चर्चा करते हुए लिखा है १. सतु सम्प्रदाय (अर्थबोध की सम्यक् गुरु-परम्परा) प्राप्त नहीं है। २. सत् ऊह (अर्थ की आलोचनात्मक कृति या स्थिति) प्राप्त नहीं है। ३. अनेक वाचनाएं (आगमिक अध्यापन की पद्धतियां ) हैं । ४. पुस्तकें अशुद्ध हैं । ५. कृतियां सूत्रात्मक होने के कारण बहुत गंभीर हैं । ६. अर्थ विषयक मतभेद भी हैं । इन सारी कठिनाइयों के उपरान्त भी उन्होंने अपना प्रयत्न नहीं छोड़ा और वे कुछ कर गए। कठिनाइयां आज भी कम नहीं हैं। किन्तु उनके होते हुए भी आचार्यश्री तुलसी ने आगम सम्पादन के कार्य को अपने हाथों में ले लिया । उनके शक्तिशाली हाथों का स्पर्श पाकर निष्प्राण भी प्राणवान् बन जाता है तो भला आगम साहित्य जो स्वयं प्राणवान् है, उसमें प्राण-संचार करना क्या बडी बात है ? बडी बात यह है कि आचार्यश्री ने उसमें प्राण-संचार मेरी और मेरे सहयोगी साधु-साध्वियों की असमर्थ अंगुलियों द्वारा कराने का प्रयत्न किया है। संपादन कार्य में हमें आचार्यश्री का आशीर्वाद ही प्राप्त नहीं है किन्तु मार्ग-दर्शन और सक्रिय योग भी प्राप्त है । आचार्यवर ने इस कार्य को प्राथमिकता दी है और इसकी परिपूर्णता के लिए अपना पर्याप्त समय दिया है। उनके मार्ग-दर्शन, चिन्तन और प्रोत्साहन का संबल पर हम अनेक दुस्तर धाराओं का पार पाने में समर्थ हुए हैं । पाठ सम्पादन पद्धति पण्णवणा प्रज्ञापना के पाठ-शोधन में चार हस्त लिखित आदर्श काम में लिए गए । आचार्य मलयगिरि की वृत्ति का भी उसमें उपयोग किया गया। मुनि पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित प्रज्ञापना भी हमारे सामने रही । किन्तु हम किसी एक प्रति को आधार मानकर नहीं चलते। टीका की व्याख्या, अन्य आगम तथा शब्दों का अर्थ ये सब पाठ-शोधन के महत्त्वपूर्ण आधार बिन्दु रहे हैं। इसलिए हमारे सम्पादन में पाठ-शुद्धि के अनेक विशेष विमर्श उपलब्ध हैं । उदाहरण के लिए गण्ठी शब्द प्रस्तुत है: "वत्थुल कच्छुल सेवाल गण्ठी"। यहां 'गण्ठी' पद अशुद्ध है । शुद्ध पाठ है 'गत्थी' । पाठ-शोधन Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ में प्रयुक्त हस्तलिखित आदर्शों तथा मुनिश्री पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित आगमों में 'गण्ठी' पाठ ही उपलब्ध है। इस पाठ का शोधन जीवीजीवाभिगम और जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति के आधार पर किया गया है। इसके लिए प्रस्तुत आगम का ११३८ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य है। दुसरा उदाहरण है-.-'तिट्टाणवडिते' । इसके स्थान पर कुछ आदशों में 'चउट्ठाणवडिते' पाठ मिलता है। मुनिश्री पुण्यविजयजी ने भी 'चउट्ठाणवडिते' पाठ स्वीकार किया है। किन्तु हमने 'तिट्ठाणवडिते' पाठ वृत्ति के आधार पर मान्य किया है। इसका समर्थन पण्णवणा ५११५, ११६, की वृत्ति से होता है। प्रज्ञापनावृत्ति पत्र १९५-१९६ तथा पण्णवणा ५॥११५ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य है। जम्बद्वीपप्रज्ञप्ति इसके पाठ-शोधन में सात प्रतियों और तीन टीकाओं का उपयोग किया गया है। उपाध्याय शान्तिचन्द्र की वृत्ति तथा हीरविजय वृत्ति में अनेक पाठान्तर और उनकी टिषणियां मिलती हैं । देखें ---४११५६ का पाद-टिप्पण। यह पाठान्तर-बहुल आगम है। उपाध्याय शान्तिचन्द्र ने वाचना-भेद की विस्तृत चर्चा की है। उदाहरण के लिए ११२ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य हैं। कहीं-कहीं अशुद्ध पाठ के कारण व्याख्या भी अशुद्ध हुई है। देखें---४।४६ का पाद-टिप्पण । चन्द्रप्राप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति इनके पाठ-शोधन में पांच हस्तलिखित आदशों तथा चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति की वृत्तियों का उपयोग किया गया है। एक आदर्श का क्वचित् प्रयोग किया गया है। चन्द्रप्रज्ञप्ति का पूर्ण रूप उपलब्ध नहीं है। उसका सूर्यप्रज्ञप्ति से जो भेद है वह एक परिशिष्ट में दिया गया है। कुछ हस्तलिखित आदर्श चन्द्रप्रज्ञप्ति के नाम से उपलब्ध हैं। उनके पाठ-भेद सूर्यप्रज्ञप्ति के पाद-टिप्पण में दिए हुए हैं। निरयावलिका निरयावलिका आदि पांच वर्गों के पाठ-शोधन में तीन हस्तलिखित आदशों तथा श्रीचन्द्रसूरिकृत वृत्ति का प्रयोग किया गया है। १. शान्तिचन्द्रीयवृत्ति पत्र ६७ : पाठान्तरं-वाचनाभेदस्तगतपरिमाणान्तरमाह-मूले द्वादश योजनानि विष्कम्भेन मध्येऽष्ट योजनानि विष्कम्भेन उपरि चत्वारि योजनानि विष्कम्भेन, अत्रापि विष्कम्भायामतः साधिकत्रिगुणं मूलमध्यान्तपरिधिमानं सूत्रोक्तं सुबोधं । अत्राह परः- एकस्य वस्तुनो विष्कम्भाविपरिमाणे द्वैरुप्यासम्भवेन प्रस्तुतग्रन्थस्य च सातिशयस्थविरप्रणीतत्वेन कथं नान्यतरनिर्णयः ? यदेव स्यापि ऋषभकटपर्वतस्य मूलादावष्टादियोजनविस्तृतत्वादि पुनस्तत्रैवास्य द्वादशादियोजनविस्तृतत्वादीति, सत्यं, जिनभट्टारकरणां सर्वेषां क्षायिकज्ञानवतामेकमेव मतं मूलतः पश्चात्तु कालान्तरेण विस्मृत्यादिनाऽयं वाचनाभेदः, यदुक्तं श्रीमलयगिरिसूरिभिज्योतिष्करण्डकवृत्तौ - "इह स्कन्दिलाचार्य प्रवृ (तिप) तौ दुषमानुभावतो दुभिक्षप्रवृत्त्या साधूनां पठनगुणनादिकं सर्वमप्यनेशत्, ततो दुभिक्षातिकमे सुभिक्षप्रवृत्तौ द्वयोः संघमेलापकोऽभवत्, तद्यथा---एको वलभ्यामेको मथुरायां, तत्र च सूत्रार्थसंघटने परस्परं वाचनाभेदो जातः, विस्मृतयोहि सूत्रार्थयोः स्मृत्वा संघटने भवत्यवश्यं वाचनाभेद" इत्यादि, ततोऽत्रापि दुष्करोऽन्यतरनिर्णयः द्वयोः पक्षयोरुपस्थितयोरनतिशायिज्ञानिभिरनभिनिविष्ट मतिभिः प्रवचनाशातनाभीरुभिः पुण्यपुरुरिति न काचिदनुपपत्तिः । Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १७ शब्दान्तर और रूपान्तर पण्णवणा श१४ १११४ ०२३ श२६ ११३५ ११३८ ११४८१४७ १९३४ २।१० २२१३ २।४० बैदियः तेंदिय ओसा वायमंडलिया अंकोल्ल कोरंटय बलिमोडओ वीइभयं पडीण तडागेसु चोट्ठि विसेसाहिया दाहिणेणं विभंगणाणीण अहेलोए अस्साता जहा मकसाई एगणवीस पणुवीस (क,ग) (क) (घ) (घ) (क,घ) (क,घ) (ख,म,प) (क) ३१ (क,ग,ध) (घ) (ख,ग) ३७ ३३१०२ ३।१२७ ३।१७४ ३।१८२ ३३१८३ ४।२५५ ४।२७५ ५॥५ ५१५ ५१५ बेइन्दिय तेइन्दिय उस्सा बाउमंडलिया अंकुल्ल कोरिटय (क); कोरेंट पलिमोडओ वीय भयं पयोण (क); पईण तलागेसु चोट्टि विसेसाधिया दक्खिणेणं विहंगणाणीण अहोलोए (ग); अधेलोए असाता जधा सकसादी एकूणवीसं (क,घ); एक्कूणवीस पंचवीसं (ख,घ); पणवीसं जइ (ख,ग,घ); जति मधुर अभइए (क); अब्भतिए 'पडिए मणसे बुढिजति एणठेणं अहिलावो उस्सण्ण आणवणी बिगे सतणं सरीरप्पभवा वोगड अन्वोगडा जदि (पु) (क,ख,घ) (क,ग,घ) अब्भहिए वडिए मणुस्से वढिज्जति एएणछेणं अभिलावो ओसण्ण आणमणी वगे सयण सरीरपहवा वोयड अव्वोयडा ५२१०१ ५.१७६ १२४२ ६।४६ ८८ १११६ ११०२१ १०२५ १११३० १०३७ (ख,घ) (ख,ग,घ) (क,ख,ग,घ) (क,ख,ग,घ) Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ ११३७ ११२७२ ११७५ १८४ ११५८८ ११३८८ १२२७ १२१७ १५१३५ आणमणी परिवड्ढमाणाई कदलीथं भाण णिसरति बिति भासज्जायं बद्धेल्लया मुक्केल्लया ओसप्पिणीहि अणागारो णग्गोह सादी पेहमाणे पेहति 'थिम्गले °ओवचए अहवेगे पच्चथिमिल्लं आयरियं सेयंसि माउलंगाण तिदुयाण इणछे समभिलोएमाणे PEO. १५१५० १५।५३ १५१५८ १६३१५ १६३३४ याणमणी परिवड्ढे माणाई (ख,घ) कदलीखंभाण णिस्सरति (ख); णिस्सिरति (ग); निसरति (घ) बीयं भासजाय बद्धिल्लया मुक्किल्लया (क,ख,ग,घ) अवसप्पिणीहि (म) अणायारो णिग्गोह साती पेहेमाणे पेहेति "थिग्गिले ओवचते (ख,ष) अहवेते पच्छिमिल्लं आयरितं से इंसि (क,ग) मातुलिंगाण तिडुयाण इणमढे (क); तिणठे (ख,घ) समभिलोतेमाणे (क,ध) हलहर (क,ग,घ) कयरसारए (ख,ग); कतरसारए बालेंदगोये बलाहते अपक्काणं (क,ख,घ) आगारभावमायाए (क,ग) वेए (क,ग); देते वयजोगी (ख,घ,पु) सकसादी (क); सकसाती सवणयाते (क,घ) धणुहपुहत्तं समाति (क,घ); सयाई (ग) (ग) कण्ह १६१५१ १६३५४ १६१५५ १६.५५ १७।२४ १७।१०६ १७१११६ १७।१२४ १७११२५ १७११२६ १७१२८ १७११३२ १७११५० १८१ १८.५६ १८१६४ २०१२८ २१२५ २११४७ २११६२ हलधर काइरसारे बालिदगोवे 'बलाहए अपिक्काणं आगारभावमाताए वेदे वइजोगी सकसाई सवणताए धणुपुहत्तं सगाई Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णियच्छति कडस्स णीयागोयस्स (ख,ग) (क,घ) खवए २३।३ २३३१३ २३२२२ २३३१६१ २८।४४ ३३११ ३३।१७ ३४।१ ३४।६ ३४/१५ अफासाइज्ज अपडिवाई सगाई परियाइयणया जाणंति सपरियारा निगच्छति (क,घ) निग्गच्छति कतस्स (क,घ); कयस्स णीतागोतस्स खमए अप्फासाइज्ज अपडिवादी सताई (क,घ) सयाति परियादिणया (ख); परियायणया याणंति सपरिचारा जंबुद्दीवपण्णत्ती (क,घ) (क,घ) (ख) (क,ख,ग,घ) (ख,ग) (अ,ख) श८ १११८ ११२३ श२६ श२८ ११४८ विच्छिण्णा °णउय घणुपट्टे पडोयारे पासिं दुहा विस्थिण्णा °णोत° धणुवढें (अ); धणुपुळं पडोगारे पस्सिं दुधा हिस्स उडू (त्रि); उऊ पडोकारे (त्रि,ब) (अ,त्रि,ब) (ख,स) (क,ख) (प) २१४ २।४ मेतिणि वेइगा यत्थ (अ,ब); एस्थ कधक २११४ २।१५ २२२० २।२० २१३२ २१७० २१७८ २।१३१ २११३३ २११३३ पडोयारे मेइणि वेइया इत्थ कहग 'हास वाकरेमाणाणं हाहाभूए वलीविगय टोलाकिति (त्रि,ब) (अ,ब) (क,ख,स) (अ,ख,ब) (म,ख,ब) (प) (अ,क,ख,ब,स) वागरमाणाणं हाहाब्भूते पलीविगय डोलाकिति (अ); डोलागिति टोलागित्ति (त्रि, स); टोलागति सीय उण्ह सीउण्ह २११३३ ३।३ जूय (प) (क,ख,त्रि,ब,स) (क,ख,प,स) (क,ख,प,स) (अ,ब) (अ,ब) ३।११ ३।११ पउसियाओ बब्बरी बहलि व उसीयाओ पप्परी पहलि Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० कडिच्छुय (ख); °कडेच्छुय (अ,ब,स) °कडुच्छ्य दुखहइ बंभयारी (अ,त्रि,ब) दुरुढे ३।११ ३३२० ३१२० ३३२१ ३१२२ ३१२३ ३१२४ ३३२६ ३३३५ ३१३५ ३२३५ बोल 'बालचंद (स) (क,प,स) (क,ख) अंतवाले ° पट्टसंगहिय खिखिणी अयोझ पम्हचारी रूढे (अ); द्रुढे पोल °बालयंद 'तोंड अंतपाले (अ,त्रि,ब); अंतेवाले वसंगहिय किकिणी अजोझ (अ,ब); अओझं अवोझ सोतामणि (क); सोदामणि प्पकासं विस्सुतं (क,ख,स) (क,ख,प,म); (त्रि) (ख,स) (अ,क,ख,त्रि,ब,स) (क,स) ३१३५ ३३३५ ३१३५ ३१७७ ३.११७ ३।११७ ३।१३८ सोयामणि प्पगासं वीसुतं चिधपट्टे সিংহ चिंधवट्टे उऊण हिदय मरीई (त्रि) उदूण (अ,ख,ब); रिदूण (क ,स) हियय (अत्रि,प,ब); हितय' (क,स); हदय निहितो (अ,त्रि,ब); °निहओ (ख,स) अभिसेयपेढं गंठिम (त्रि,प) तिसोमाण (अ,ब) काकिणि (अ); कागिणि” (व); काकणि° (स) (अ,ब) पुवकड ३११७८ ३२१६४ ३।२११ ३।२१४ ३१२२० ३१२२१ ३।२२३ ४१३६ ४१५४ ४१५५ ४१७७ ४१८५ ४१८६ ४१८७ ४।६१ ४१४३ निहिओ अभिसेयपीढं गंथिम तिसोवाण कागणि पुवकय° ईहापोह बावट्टि हस्सतराए दक्खिणेणं हरिवासं संखतल' बायाले णिसहस्स सीतोदा विउत्तरे (त्रि) ईहापुह (अ,क,ख,स); ईहावूह (पुर्व) बासद्धि हस्सतराए दाहिणेणं हरिवस्सं (अ,प,ब) संखदल° (प,शाव,पुवृपा) पायाले (अ,ब) बायालीसे (त्रि) णिसअस्स सीओता (अ,ब); सीओदा (त्रि); सीओआ (प) पिउत्तरे Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६ ४।१०२ णिसढ हेमवय-हेरण्णवय दह ४११०३ ४।१०६ ४।१४० ४११४० ४११४२ ४११५७ ४।१८० ४२१० ४॥२३१ श२५ णीलवंतस्स सणिच्चारी उववायसभाए जमगाओ दस णियया परुप्परति सयज्जल पलासो घंटापडेसुया णिसभ° (अ,ब); णिसह (क,ख,स) हेमवएरण्णवय (क,ख,ब,स); हेमवय एरण्णवय (त्रि) णेलवंतस्स (अ,क,ख,ब,स) सणिच्चारी ओतावसभाए (क) जवगाओ (अ,ब); जमिगाओ (अ,क,ख,ब,स) णितिया (अ,क,ख,त्रि,ब,स) परोप्परति (अ,त्रि,ब) सयंजल (त्रि) वलास घंटापर्डेसुका (अ,ब); घंटापडिसुका (क,ख); घंटापडिस्सुया (त्रि); घंटापडंसुया गत्ताई (क,ख); गताई (ब) जाणु उड्ढंमुह (अ,ब); उद्धीमुह (क,ख,प) भावियाया अभिजिदाइया (अ,ब); अभिजादिया (क,स); अभिजादीया समणे (अ,ब) मगसिर अभिती (अ,ब,स); अभिवी (क,ख) पहस्सती (अ,ब); वहप्फई कत्तिकी (अ); कित्तिकी (ख,ब); कित्तिगी (स) आसिणी लांगूलाणं १५८ १५८ ७.३१ ७.१२२ ७:१२६ गायाई जण्णु उड्ढीमुह भावियप्पा अभिजियाइया ७।१२८ ७.१२८ ७।१२६ ७/१३० ७:१५५ ७।१५६ ७.१७८ सवणो मियसर अभिई वहस्सई कत्तिगी अस्सिणी गंगूला सूरपण्णतो (ग,घ) (ट) इहगतस्स चउरुत्तरे पिहला पोग्गला ओयसंठिती ओयाए रयणिखेत्तस्स इदगतस्स चउत्तरे पिधुला (क); पुहुलो पुग्गला तोतसंठिती ओताए रतणिखेत्तस्स (क,ग,प); रातिखेत्तस्स (ट,व) (ट) Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ १०१२ १०१५ १०१७ १०१० १०७७ १०७८ १०७६ १०८७ १०1८६ १०११३६ १०११४७ १०.१७३ १४१२ १॥३१ १८१३४ २०११ २०१२ सदा वयं....वदामो सवणे सायं आसोई अमोइण्णं आदिच्चेहि बम्ह सवणे बितिया दुविहा तिही पातो उवाइणावेत्ता सयावि कहं अहियं मेहणवत्तियं अहे वइयरिए सता (ग,घ,ट,) वतं....वतामो (ब) समणो (ग,घ) साग अस्सोती अस्सोदिपण आतिच्चे हि (व) बंभ (क,ग,घ) समणे (ट,व) बिदिया दुविधा तिधी पादो (क,घ,व) उवादिणावेत्ता (क,ग,घ); उवातिणावेत्ता (ट,व) सताधि (क,ग,घ,ब); सदावि (ग) कधं (क,ग,घ) अधियं (क,ग,घ); अहितं मेधुणवत्तियं (क) वतिचरिए अधो निरयावलियाओ अण्णया जणवदं ऊसए पिइसोएणं पट्टे अंदोलावेइ निच्छुहावेद लेच्छा सुब्धयाओ (ग) ११४२ ११६६ ११७२ १९९१ श६७ १९६७ १२११७ १११२७ ३।११५ ३११३४ ४१६ ४१२१ ५२६ ५११० (क) अण्णदा (क); अण्णता जणवयं ऊसवे पितसोएण प्पिळे (क); पुढे अंदोडावेइ निच्छुभावेइ लेच्छती सुब्वदाओ जुवलं (ख); जुगलं तिट्ठा "पाओसिया सव्वोय आधेवच्चं (क) जुयल इट्ठा (ग) 'बाओसिया सव्वोउय आहेबच्च (क,ग) (क,ग) Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ पण्णवणा प्रति- परिचय क) पण्णवणा मूलपाठ (हस्तलिखित ) यह प्रति पूनमचन्दजी बुधमलजी दूघोड़िया 'छापर' के संग्रहालय की है। इसकी पत्र संख्या ३०२ है | इसकी लम्बाई १०१ इन्च व चौड़ाई ४ || इन्च है । लगभग प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ३३ से ४१ अक्षर हैं। प्रति सुन्दरतम व शुद्ध है । यह प्रति लगभग १५ वीं शताब्दी की लिखी हुई है। प्रति के अन्त में केवल प्रस्थान ७७८७ लिखा हुआ है। (ख) पण्णवणा टम्बा (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्वभारती हस्तलिखित ग्रंथालय, लाडनूं की है । इसमें मूल पाठ तथा स्तबक लिखा हुआ है । इसकी पत्र संख्या ४६५ है । इसकी लम्बाई 8 || इंच तथा चौड़ाई ४ इंच है । प्रत्येक पत्र में भूल पाठ की पंक्तियां ७ व प्रत्येक पंक्ति में ३५ से ३९ अक्षर हैं। प्रति अति सुन्दर लिखी हुई है। प्रति के अन्त में 'प्रत्यक्षरगणनया अनुष्ठपच्छंदः समानमिदं ग्रन्थाग्रं ७७८७ प्रमाणं' लिखा हुआ है। आगे स्तबककर के ६ श्लोक हैं संवत् १७७८ वर्षे फाल्गुन मासे शुक्ल पक्ष प्रतिपदा तिचौ रविवारे पंडित ईश्वरेण लिपी चक्रे श्री वेन्नातट नगर मध्ये..... श्री रस्तु कल्याणमस्तुः शुभं भूयास्लेषक पाठकयो: । । (ग) पण्णवणा त्रिपाठी (हस्तलिखित) मूलपाठ सहित वृत्ति यह प्रति हमारे संघीय हस्तलिखित ग्रंथ भंडार लाडनूं' की है। इसमें मध्य में नूल पाठ व ऊपर नीचे वृत्ति लिखी हुई है। इसकी पत्र संख्या ४४८ है इसकी लम्बाई ६ ||| इंच तथा चौड़ाई ४ इंच है । प्रत्येक पत्र में मूल पाठ की पंक्तियां १ से १६ तक है । कुछ पत्रों में केवल वृत्ति ही है । प्रत्येक पंक्ति में ३७ से ४५ तक अक्षर हैं । ग्रंथाग्र मूल पाठ ७७८७ तथा वृत्ति का ग्रन्थाय १६००० । प्रति सुन्दर व शुद्ध है । लगभग १७ वीं शताब्दी की प्रति होनी चाहिए । (घ) पण्णवणा मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्दजी गणेशदासजी वर्धया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। इसकी पत्र संख्या १३८ है । इसकी लम्बाई १३|| इंच तथा चौड़ाई ५ इंच है। प्रत्येक पत्र में बीच में तथा हासिए के बाहर चित्र सा किया हुआ है। प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ६० से ६५ के लगभग अक्षर हैं । प्रति सुन्दर तथा शुद्ध है । यह १६ वीं शताब्दी की लिखी हुई प्रतीत होती है । ग्रंथाग्रं ७७८७ के सिवाय अन्त में कुछ लिखा हुआ नहीं है । ( गव्) 'ग' संकेतित प्रति में लिखित वृत्ति के पाठान्तर (वृ) हस्तलिखित वृत्ति I यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गया सरदारशहर' की है। इसकी पत्र संख्या १५९ लिपि संवत् १५७७ । वैशाख शुक्ला १० । (मवृ) मलयगिरि वृत्ति -- प्रकाशक आगमोदय समिति (मवृपा ) मलयगिरि द्वारा गृहीत पाठान्तर ( हव) श्री हरिभद्र सूरि सूत्रित प्रदेश व्याख्या संकलितं प्रकाशक श्री ऋषभदेव केशरीमलजी रतलाम पूर्व भाग पर ११ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ जंबद्दीवपण्णत्ती प्रति-परिचय (अ) जंबुद्दीवपण्णत्ती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार की ताडपत्रीय (फोटोप्रिंट) मदनचन्द जी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र १६४ और पृष्ठ ३२८ हैं। प्रत्येक पत्र में २ से ६ तक पंक्तियां है। कहीं-कहीं पंक्तियां अधूरी लिखी हुई हैं। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३० से ३५ तक हैं। अन्त में ग्रंथान ४१४६ इतना ही लिखा हुआ है । इसके साथवाली प्रति के आधार पर यह प्रति १४ वीं शती की होनी चाहिए। (ब) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) __यह प्रति जेसलमेर भंडार ताडपत्रीय (फोटोप्रिन्ट) मदनचन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ६७ व पृष्ठ १६४ हैं। प्रत्येक पत्र में २ से ६ तक पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में ४७ से ५० तक अक्षर हैं। लिपि सं० १३७८ लिखा हुआ है। (स) जंबुद्दोवपण्णत्ती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार पत्राकार (फोटोप्रिन्ट) मदन चन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ४६ व पृ. ६२ हैं। प्रत्येक पत्र में २० पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में ७० से ७४ तक अक्षर हैं। लिपि सं. १६४६ लिखा हुआ है। प्रति बहत महीन लिखी हुई है। (क) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) पत्र संख्या ७३ श्रीचंद गणेशदास गधया संग्रहालय (सरदारशहर) (ख) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रंथालय 'लाडनूं' की है। इसके पत्र १०१ व पृष्ठ २०२ हैं। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ५० से ५५ तक अक्षर हैं। प्रति प्राचीन व सुंदर लिखी हुई है। लिपि संवत् नहीं है । (ग) जंबुद्दोवपण्णत्ती त्रिपाठी, मूलपाठ व वृत्ति (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रन्थालय 'लाइन' की है। इसके पत्र ३५८ व पृष्ठ ७१६ है। प्रति के मध्य में मूलपाठ व ऊपर नीचे टीका लिखी हुई है। लिपि संवत् १९१३ अंकित है । प्रति सुंदर लिखी हुई है। इसके ६६-७० दो पत्र प्राप्त नहीं हैं। (होवृ) हीरविजयसूरि विरचित वृत्ति त्रिपाठी (हस्तलिखित) (हीवृपा) हीरविजय सूरि द्वारा गृहीत पाठान्तर यह प्रति शासन ग्रंथ भंडार 'लाडनू' की है। इसकी पत्र संख्या ५८२ है । बीच में मूलपाठ व ऊपर नीचे वृत्ति लिखी हुई है । लिपि संवत् १६१६ । (पुव) खरतरगच्छीय जिनहंसगणि शिष्य महोपाध्याय पुण्यसागर विरचित वृत्ति (हस्तलिखित) (पुवृपा) पुण्यसागर द्वारा गृहीत पाठान्तर यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधैया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र २४३ व पृष्ठ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ ४८६ हैं । लिपि सं. १५७५ । प्रति सुन्दर लिखी हुई है। (शाव) तपागच्छीय होरविजयसूरि परशिष्य शान्त्याचार्य विरचित वृत्ति (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधैया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। लिपि सं. १५५१ (शावृपा) शान्त्याचाय द्वारा गृहीत पाठान्तर सूरपण्णत्तो प्रति-परिचय (क) सूरपण्णत्ती मूल यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदाबाद' की है। इसकी क्रमांक डा. २-५७ है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई १२ 11 x ५ इंच है। इसकी पत्र संख्या ६२ है । प्रथम पत्र नहीं है। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्ति के प्रत्येक पंक्ति में ४८ से ७० तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर व सुवाच्य है। प्रति के बीच में हरी व लाल स्याही से चित्र-चित्रण किया हुआ है। लिपि संवत नहीं दिया है। परन्तु प्रति प्राचीन है लगभग १७ वीं शताब्दी की होनी चाहिए। प्रति के अन्त में प्रशस्ति के २५ श्लोक प्राकृत में लिखे हुए हैं। (ग) सूरपण्णत्ती मूल नंबर ६० (हस्तलिखित) यह प्रति भी पूर्व उल्लिखित 'अहमदाबाद' की है। इसकी पत्र संख्या ८७ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १०॥४४इंच है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३३ से ४१ तक है । प्रति की लिपि सुन्दर है पर अशुद्धि बहुल प्रति है । लिपि सं. १५७० । (घ) सूरपण्णत्ती मूल नम्बर ६०७ (हस्तलिखित) यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदावाद' की है। इसकी पत्र संख्या ६६ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १०४४ इंच है। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां है। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३४ से ४२ तक हैं । प्रति की लिपि सुंदर पर अशुद्धि बहुल है। लिपि सं. १६७३ है। ___ उपर्युक्त तीनों प्रतियों के बीच में बावड़ी है। (सूवृ) सूरपण्णत्तो टोका नं. ४८ यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, 'अहमदावाद' की है। इसकी लम्बाई चौडाई १२॥१४५ इंच है। पत्र संख्या २२४ है। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ४४-६० अक्षर हैं। प्रति सुन्दर व स्पष्ट लिखी हुई है। लिपि संम्बत् १५७४ है। चन्द्रप्रज्ञप्ति प्रति-परिचय (क) चंदपण्णत्ती मूल नं. ६०० (हस्तलिखित) यह प्रति भी लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदावाद' की है। इसकी पत्र संख्या ६८ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १०1४ ४ । इंच है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ३२ से ४१ तक अक्षर है । यह प्रति भी सुन्दर है पर अशुद्धि बहुल है। इसमें पत्र के बीच में बावडी है। लिपि संवत् १५७० है। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( चंवृ) चंदपण्णत्ती टीका (हस्तलिखित) यह प्रति हमारे संघीय हस्तलिखित भण्डार 'लाइन' की है इसकी पत्र संख्या १७६ है । इसकी लम्बाई-चौड़ाई १०x४ ॥ इच की है । प्रत्येक पत्र में पंक्ति ६ व प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ५० करीब है | प्रति सुन्दर है । लिपि संवत् १७६२ । (ट) चंदपण्णत्तो टब्बा (हस्तलिखित ) जैन विश्व भारती लाडनूं हस्तलिखित ग्रंथालय । पत्र ५७ । निरयावलियाओ प्रति- परिचय २६ (क) निरयावलियाओ मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार की ताडपत्रीय ( फोटोप्रिन्ट) मदनचन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है । इसके पत्र २५ व पृष्ठ ५० हैं । फोटो प्रिंट के पत्र है है । एक पत्र में ६ पृष्ठों के फोटो है। किसी में न्यूनाधिक भी है । प्रत्येक पत्र १२ इंच लम्बा व 3 इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ में पाठ की पांच पंक्तियां हैं, किसी पत्र में दो-दो तीन-तीन पंक्तियां भी हैं । कहीं-कहीं पंक्तियां अधूरी भी हैं । प्रत्येक पंक्ति में करीब ४५ से ५० तक अक्षर है। प्रति के अंत में प्रशस्ति नहीं है । (ख) निश्यावलियाओ मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधेया पुस्तकालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र १६ तथा पृष्ठ ३८ हैं । प्रति १३३ इंच लम्बी व ५ इंच चौड़ी है । प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तिया तथा प्रत्येक पंक्ति में करीब ७१ से ७५ तक अक्षर हैं। प्रति काली स्याही से लिखी हुई है। प्रति के मध्य भाग में बावड़ी व उसके बीच में लाल स्याही का टीका लगा हुआ है । लेखन संवत् नहीं है । परन्तु उसके साथ की प्रति के आधार पर अनुमानित १६ वीं शताब्दी की है । प्रति सुंदर, स्पष्ट तथा शुद्ध लिखी हुई है । (ग) निरयावलियाओ टब्बा (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रन्थालय, लाडनूं की है । इसके पत्र ६३ तथा पृष्ठ १२६ है । प्रत्येक पत्र पाठ की ७ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में अक्षर करीब ३५ से ४५ तक हैं । यह प्रति १०३ इंच लम्बी तथा ४३ इंच चौड़ी है । लिपि सं० १८३३ । (a) निरयावलियाओ वृत्ति (हस्तलिखित ) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधेया पुस्तकालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र ८ हैं । यह १३३ इंच लंबी ५ इंच चौड़ी है । लिपि संम्वत् १५७५ है ! ( मुवृ) मुद्रित वृत्ति ए. एस. गोपाणी एण्ड वी. जे. चोकसी। प्रकाशित - शंभूभाईजगसीशाह, गुर्जर ग्रन्थरस्न कार्यालय, गांधी रोड़ अहमदाबाद प्रकाशन १९३४ सहयोगानुभूति जैन परम्परा में वाचना का इतिहास बहुत प्राचीन है। आज से १५०० वर्ष पूर्व तक आगम Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ की चार वाचनाएं हो चुकी हैं । देवद्धि गणि के बाद कोई सुनियोजित आगम-वाचना नहीं हुई। अनेक वाचना-काल में जो आगम लिखे गए थे, वे इस लम्बी अवधि में बहुत ही अव्यवस्थित हो गए हैं। उनकी पुनर्व्यवस्था के लिए आज फिर एक सुनियोजित वाचना की अपेक्षा थी। आचार्य श्री तुलसी ने सुनियोजित सामूहिक बाचना के लिए प्रयत्न भी किया था। परंतु वह पूर्ण नहीं हो सका । अन्तत हम उसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमारी वाचना अनुसंधानपूर्ण, गवेषणापूर्ण, तटस्थ दृष्टि-समन्वित तथा सपरिश्रम होगी तो वह अपने आप सामूहिक हो जाएगी। इसी निर्णय के आधार पर हमारा यह आगमवाचना का कार्य आरंभ हुआ। हमारी इस वाचना के प्रमुख आचार्य श्री तुलसी हैं। वाचना का अर्थ अध्यापन है। हमारी इस प्रवृत्ति में अध्यापन कर्म के अनेक अंग हैं .. पाठ का अनुसंधान, भाषान्तर, समीक्षात्मक अध्ययन, तुलनात्मक अध्ययन आदि-आदि। इन सभी प्रवृत्तियों में हमें आचार्य श्री का सक्रिय योग, मार्ग-दर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त है। यही हमारा गुरुतर कार्य में प्रवृत होने का शक्ति-बीज है । मैं आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन कर भार मुक्त होऊ, उसकी अपेक्षा अच्छा है कि अग्रिम कार्य के लिए उनके आशीर्वाद का शक्ति-संबल पा और अधिक भारी बनूं । प्रस्तुत पुस्तक के अन्तर्गत नौ उपांगो के पाठ-शोधन में मुनि सुदर्शनजी, मुनि हीरालालजी, का पर्याप्त योग रहा है। पण्णवणा में मुनि बालचंदजी, निरयावलियाओ में मुनि मधुकरजी का भी योग रहा है। प्रतिलिपि शोधन में स्व. मन्नालालाजी बोरड़ भी इसमें सहयोगी रहे हैं। पष्णवणा की शब्दसूची मुनि श्रीचन्द जी, जंबुद्दीवपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती की मुनि सुदर्शन जी तथा निरयावलियाओ की मुनि हीरालालजी ने तैयार की है। इस ग्रन्थ के प्रथम परिशिष्ट व इसका ग्रन्थ परिमाण मुनि हीरालाल जी ने तैयार किया है। पण्णवणा व जंबुद्दीवपण्णत्ती की शब्दसूची में क्रमश: साध्वी जिनप्रभाजी व साध्वी चन्दनबालाजी का भी योग रहा है। प्रूफ निरीक्षण में मुनि सुदर्शनजी, मुनि हीरालालजी. मुनि दुलहराजजी तथा समणी कुसुमप्रज्ञा संलग्न रही है। कहीं मुनि विमलकुमारजी, मुनि सम्पतमलजी भी सहयोगी रहे हैं । पाठ के पुननिरीक्षण के समय मुनि हीरालालजी विशेषतः संलग्न रहे हैं । __ आगम बत्तीसी के पाठ-सम्पादन कार्य में नामोल्लेख के अतिरिक्त जिनका यत्किञ्चित् योग रहा है, उन सबके प्रति हम कृतज्ञता वा भाव व्यक्त करते हैं। सम्पादन कार्य में संघीयभंडार के अतिरिक्त एल० डी० इन्स्टीट्यूट अहमदाबाद, श्रीचंद गणेशदास गधैया पुस्तक भंडार सरदाशहर, तेरापंथी सभा सरदारशहर, पूनमचंद बुद्ध मल दूधोडिया छापर, घेवर पुस्तकालय सुजानगढ़, जैन विश्व भारती ग्रंथालय लाडनूं , जेसलमेर भंडार, इन सब संस्थानों से प्राप्त हस्तलिखित आदर्शों का हमने प्रयोग किया। मुनिश्री पुण्यविजयजी ने 'नन्दी' की संशोषित प्रति भी हमें उपलब्ध कराई थी। इन सबका योग हमारे कार्य में मूल्यवान बना। आचार्य श्री के वाचना-प्रमुखत्व में आगम-वाचना का जो कार्य प्रारंभ हुआ था उसका एक पर्व संशोधित पाठयुक्त आगम बत्तीसी के साथ सम्पन्न हो रहा है । बत्तीस आगमों का संशोधित पाठ पहली बार विद्वान् पाठकों के लिए सुलभ हो रहा है । यह हमारे लिए उल्लास का विषय है। Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९ वि. सं. २०१२ उज्जैन में आगम-सम्पादन का कार्य प्रारंभ हुआ। उसी वर्ष प्रायः बत्तीस आगमों की शब्द सूचियां तैयार हो गई। इस कार्य में अनेक साधु और साध्वियां संलग्न हुए । चारचार या तीन-तीन साधु-साध्वियों के वर्ग बने और उन्होंने इस कार्य को शीघ्रता से सम्पन्न किया । मुनि चौथमलजी, सोहनलालजी (चूरू) जैसे प्रौढ़ सन्त इस कार्य में लगे, वहां उनके सहयोगी के रूप में छोटे-छोटे साधु भी जुट गए। एक अभियान जैसा कार्य चला और सब में एक नयी भावना जागृत हो गई । पहले पाठ-शोधन नहीं हुआ था इसलिए उनका पूरा उपयोग नहीं हो सका। शब्द-सूचियां फिर से बनानी पड़ी, किन्तु जो काम हुआ वह अत्यंत श्लाघनीय है। इस सम्पादन की एक उल्लेखनीय बात यह है कि यह सारा कार्य साधु-साध्वियों के द्वारा ही सम्पादित हुआ, किसी गृहस्थ विद्वान् का इसमें योग नहीं रहा । आचार्यश्री का नेतृत्व और तेरापंथ धर्मसंघ का संगठन ही इसके लिए श्रेयोभागी बनता है। आगमविद् और संपादन के कार्य में सहयोगी स्व. श्री मदनचंदजी गोठी को इस अवसर पर विस्मृत नहीं किया जा सकता । यदि वे आज होते तो इस कार्य पर उन्हें परम हर्ष होता। आगम के प्रबन्ध सम्पादक श्री श्रीचन्दजी रामपुरिया (कुलपति, जैन विश्व भारती) प्रारंभ से ही आगम कार्य में संलग्न रहे हैं। आगम साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे कृत-संकल्प और प्रयत्नशील हैं। अपने सुव्यवस्थित वकालात कार्य से पूर्ण निवृत्त होकर वे अपना अधिकांश समय आगम-सेवा में लगा रहे हैं। जैन विश्व भारती के अध्यक्ष खेमचंदजी सेठिया और मंत्री श्रीचंद बैंगानी का भी इस कार्य में योग रहा है। संपादकीय और भूमिका का अंग्रेजी अनुवाद डा. नथमल टाटिया ने तैयार किया है। एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की सम प्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारपूर्ति मात्र है। वास्तव में यह हम सबका पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है। अणुव्रत भवन (दिल्ली) २२ अक्टूबर, १९८७ युवाचार्य महाप्रज्ञ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नाम-बोध प्रस्तुत ग्रन्थ में नौ उपांग हैं। उसमें पहला है पण्णवणा (प्रज्ञापना) । इसमें जीव और अजीव इन दो तत्त्वों का विस्तार से प्रज्ञापन किया गया है।' इसके प्रथम पद का नाम प्रज्ञापना है । संभवतः इस आदि पद के कारण ही इसका नाम प्रज्ञापना रखा गया है ! प्रज्ञापना का एक कार्य प्रश्नोत्तर के माध्यम से तत्त्व का प्रतिपादन करना है । प्रस्तुत आगम में प्रश्नोत्तर के द्वारा तत्त्व का प्रतिपादन किया गया है । इसलिए भी इसका नाम प्रज्ञापना हो सकता है। प्रारंभिक गाथाओं में इस आगम को "अध्ययन" भी कहा गया है। इससे प्रतीत होता है कि इसका एक नाम 'अध्ययन" रहा है। इसका संबंध दृष्टिवाद (वारहवें अंग) से है इसलिए इसे दृष्टिवाद का निःस्यन्द या सार कहा गया है ।" विषयवस्तु १. पवना, गा० २ २. बही ३ ३. वही, १०३२ ४. नन्दी, ७३-७७ भूमिका प्रस्तुत आगम के ३६ पद हैं । उनमें जीव और अजीव के विभिन्न पर्यायों का प्रतिपादन किया गया है । यह तत्त्व-विद्या का अर्णव ग्रन्थ है। इसके अध्ययन से भारतीय तत्त्व-विद्या के गहन स्वरूप को समझा जा सकता है। प्रथम पद में वनस्पति जीवों के दो वर्गीकरण उपलब्ध हैं:- प्रत्येकशरीरी और साधारणशरीरी साधारणशरीरी का चित्र समाजवाद का ऐसा अनूठा चित्र है जिसकी मनुष्यसमाज में कल्पना नहीं की जा सकती । इसमें आर्य और म्लेच्छ का विशद वर्णन है । प्रस्तुत आगम तत्व ज्ञान का आकर-ग्रन्थ है भगवती अंगप्रविष्ट आगम है और यह उपांग कोटि का आगम है । ये दोनों तत्व-ज्ञान की दृष्टि से परस्पर जुड़े हुए हैं । देवधिगणी ने भगवती में प्रज्ञापना के अधिकांश भाग का समावेश किया है वहां बार-बार "जहा पण्णवणार" का उल्लेख है। प्रस्तुत आगम के प्रत्येक पद में गूढ़ तत्त्वों की एक व्यूह-रचना सी उपलब्ध है । इसमें लेश्या और कर्म के विषय में अनेक महत्वपूर्ण सूत्र मिलते हैं । नन्दीसूत्र में आगमों के दो वर्गीकरण किए गए हैं अंगप्रविष्ट और अंगका अंगवार के दो प्रकार है आवश्यक और आवश्यकव्यतिरिक्त आवश्यकव्यतिरिक्त के फिर दो प्रकार बनाए गए हैकालिक और उत्कालिक प्रस्तुत आगम अंगवा ह्य, आवश्यकव्यतिरिक्त और उत्कालिक है। नंदी में अंग और अंगबाह्य के संबंध की कोई चर्चा नहीं है। आगम व्यवस्था के उत्तरकाल में अंग और पण्णवणा 37 Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० अंगबाह्य की संबंध-योजना निर्धारित की गई। उसके अनुसार प्रज्ञापना समवायांग का उपांग है। यह सम्बन्ध-योजना किस आधार पर की गई, यह अन्वेषण का विषय है । यदि प्रज्ञापना को "भगवती" का उपांग माना जाता तो अधिक बुद्धिगम्य होता। रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत आगम "दृष्टिवाद" का निःस्यन्द है, इस उक्ति से यह अनुमान किया जा सकता है कि इसका विषय "दृष्टिवाद" से संग्रहीत किया गया है। इसके रचनाकार आर्य श्याम हैं। वे सुधर्मास्वामी के तेवीसवें पद्रधर थे। वे वाचकवंश की परंपरा के शक्तिशाली वाचक थे। उनका अस्तित्वकाल वीर-निर्वाण की चौथी शताब्दी है। प्रस्तुत आगम का रचनाकाल वीर-निर्वाण के ३३५ से ३७५ के बीच का संभव है। नंदी में महाप्रज्ञापना का उल्लेख किया गया है । वह अभी अनुपलब्ध है। महाप्रज्ञापना और प्रज्ञापना दोनों स्वतंत्र हैं। प्रज्ञापना महाप्रज्ञापना का अवतरण है अथवा इसमें कोई नया विषय है, यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता । बारह उपांगों में प्रज्ञापना का एक विशिष्ट स्थान है। इससे प्रतीत होता है कि इसका रचनाकाल वह है जब पूर्वो की विस्मति हो रही थी और उसके अवशिष्ट अंशों को स्मति शेष थी। वैसे ही समय में “षट्खण्डागम" की रचना हुई थी। शेष उपांग प्रज्ञापना की रचना के उत्तरकाल में लिखे गए थे। उनकी विषयवस्तु के आधार पर यह संभावना की जा सकती है। उमास्वाति का अस्तित्व-काल वीर निर्वाण की पांचवी शताब्दी है । उन्होंने तत्वार्थसूत्र में "आर्या म्लेच्छाश्च" सूत्र लिया है। उसका आधार प्रज्ञापना का पहला पद हो सकता है। वहां जो आर्य और म्लेच्छ की स्पष्ट अवधारणा एवं परिभाषा है वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं है। इस आधार पर इसका रचनाकाल उमास्वाति से पूर्ववर्ती है। व्याख्या-ग्रंथ प्रस्तुत आगम के व्याख्या-ग्रंथ अनेक हैं। सबसे पहला ग्रन्थ हरिभद्रसूरि का है ! व्याख्या-ग्रन्थ की तालिका इस प्रकार है:व्याख्या-ग्रंथ ग्रन्थान ग्रन्थकर्ता समय (वि० सं०) १. प्रदेशव्याख्या ३७२८ हरिभद्रसूरि ८ वीं शताब्दी २. तृतीय पद संग्रहणी १३३ अभयदेवसूरि १२ वीं शताब्दी का पूर्वाध ३. विवृति १४५०० मलयगिरि १३ वीं शताब्दी ४. अभयदेवसूरि कृत तृतीयपद कुलमण्डनगणी १८ वीं शताब्दी संग्रहणी अवचूणि ५. बृत्ति সকান १. प्रज्ञापना, वृ०प० ४७-१. आर्यश्यामो यदेव ग्रन्थान्तरेष आसालिगा प्रतिपादकं गौतमप्रश्न भगवन्निर्वचनरूपं सूत्रमस्ति तदेवागम बहुमानतः पठति । प्रज्ञापना, ३० प०७२–भगवान् आर्यश्यामोऽपि इत्थमेव सूत्रं रचयति ।" २. तस्वार्थ सूत्र ३।३६ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६. वनस्पति सप्ततिका अथवा वनस्पति विचार मुनिचन्द्र पद्मसूरि धनविमल अनुमानित १७ वीं शताब्दी जीवविजय १७८४ १८७६ ५५० १८७८ इनके अतिरिक्त प्रज्ञापना से संबद्ध कुछ लघुकाय ग्रन्थों का विवरण मिलता है। मुनि पुण्यविजयजी ने हर्षं कुलगणी द्वारा विरचित "बीजक" का उल्लेख किया है ।' मुनिपुण्यविजयजी द्वारा लिखित प्रज्ञापना की प्रस्तावना तथा "जिनरत्नकोश" में "पर्याय" का भी उल्लेख मिलता है। "जिनरत्न कोश" में प्रज्ञापना सूत्र सारोद्धार' का भी उल्लेख मिलता है । ७. अवचूरी ८. बालावबोध ६. बालावबोध १०. स्तबक ११. पण्णवणानी जोड़ ३१ ७१ परमानन्द जयाचार्य आचार्य मलयगिरि ने अपनी विवृति में चूर्णि और 'वृद्धव्याख्या' का उल्लेख किया है । चूर्णि अभी अनुपलब्ध है । उपलब्ध व्याख्याओं में सबसे बड़ी व्याख्या आचार्य मलयगिरि की है । मौलिक और आधारभूत व्याख्या आचार्य हरिभद्रसूरि की है । जंबुद्दीपण्णत्ती १२ वीं शताब्दी नाम-बोध प्रस्तुत आगम का नाम जंबुद्दीवपण्णत्ती ( जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ) है । प्रज्ञप्ति का अर्थ है व्याकरण, उत्तर या निरूपण । इसमें जम्बूद्वीप का व्याकरण है इसलिए इसका नाम जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति है। स्थानांग में चार अंगबाह्य प्रज्ञप्तियों का उल्लेख है. १. चन्द्रप्रज्ञप्ति, २. सूरप्रज्ञप्ति, ३. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ४. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति 'कसायपाहुड' में प्रज्ञप्तियों को 'दृष्टिवाद' के प्रथम भेद 'परिकर्म' के पांच अधिकार माना गया है- १. चन्द्रप्रज्ञप्ति २. सूरप्रज्ञप्ति ३. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ४. द्वीपसागर प्रज्ञप्ति ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति । नंदी में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति को कालिक आगम के वर्गीकरण में रखा गया है ।" १. पण्णवणा सुत्तं, भाग २, प्रस्तावना पृ० १५८ २. वृत्ति प० २६६ - आह च चूर्णिकृत् । वृ० प० २७१ - आह च चूर्णिकृतोऽपि । वृ० प० २७२ यत आह चूर्णिकृत् । वृ० प० २७७ आह च चूर्णिकृत् । वृ० प० ५१७ - 'प्रज्ञापनायाश्चूणौं । वृ० प० ६०० – तत्रैवं वृद्धव्याख्या । ३. ठाणं, ४११८६ ४. कसा पाहुड़, प्रथम अधिकार – पेज्जदोसविहत्ती, पृ० १३७ “परियम्मे पंच अत्याहियारा - चंदपण्णत्ती सूरपण्णत्ती जंबुद्दीवपण्णत्ती दीवसायरपण्णत्ती विमाहपण्णत्ती चेदि ।" ५. नन्वी, ७८ Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ विषय-वस्तु - इसका मुख्य प्रतिपाद्य जम्बुद्वीप है। पारिपार्श्विक विषयों की सूची बहत लंबी है। भगवान ऋषभ, कुलकर, भरत चक्रवर्ती, कालचक्र, सौरमण्डल आदि अनेक विषय इसमें प्रतिपादित हैं। इनमें भरत चक्रवर्ती का वर्णन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। चक्रवर्ती के चौदह रत्नों और नौ निधियों का वर्णन बहुत ही सजीव है। कालचक्र के वर्णन में वर्तमान अवसर्पिणी के छठे अर का जो वर्णन है वह बहुत रोमाञ्चक है । प्रलय की जितनी भविष्य वाणियां उपलब्ध हैं, उनमें यह सर्वाधिक ध्यानाकर्षण करने वाली है। इसे पढ़ते-पढ़ते अणुयुद्ध की विभीषिका सामने आ जाती है। भगवान् ऋषभ और भगवान् महावीर में बहुत एकरूपता रही है। भगवान् ऋषभ को आदिकाश्यप और भगवान् महावीर को अन्त्यकाश्यप कहा जाता है। भगवान् ऋषभ और भगवान् महावीर दोनों ने पंच महाव्रत धर्म का प्रतिपादन किया था। भगवान महावीर की भांति भगवान् ऋषभ भी एक वर्ष से कुछ अधिक समय तब सवस्त्र रहे. फिर अचेल हो गए। भरत चक्रवर्ती काच के महल में बैठे थे। वे काच में अपना प्रतिबिंब देख रहे थे । देखते-देखते उन्हें कैवल्य प्राप्त हो गया। उत्तरवर्ती ग्रन्थों में इस कथा का विकास हुआ है। अंगुली की अंगूठी गिर जाने पर सौन्दर्य की कमी का अनुभव हुआ और उस चितन की गहराई में गए, अन्तत: केवली हो गए। योगलिक व्यवस्था की समाप्ति, समाज और राज्य-व्यवस्था के प्रारंभ का सुन्दर चित्र प्रस्तुत आगम में उपलब्ध है। भगवान् ऋषभ के सर्वतोमुखी व्यक्तित्व को समझने के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसका "श्रीमद्भागवत" में वणित ऋषभ के साथ तुलनात्मक अध्ययन करना बहुत महत्त्वपूर्ण प्रस्तुत आगम सात अध्यायों में विभक्त है । इन अध्यायों को "वक्खारो" या "वक्षस्कार" कहा गया है। उनके विषय इस प्रकार हैं---- १. जम्बूद्वीप २. कालचक्र और ऋषभ-चरित ३. भरत-चरित १. जंबुद्दीवपण्णत्ती, २११३०-१३७ २. धनञ्जय नाममाला, ११४, पृ० ५७ वर्षीयान् वृषभो ज्यायान् पुनराधः प्रजापतिः । ऐक्ष्वाकुः काश्यपो ब्रह्मा गौतमो नाभिजोऽग्रजः ॥ धनञ्जय नाम माला, ११५, पृ० ५८ सन्मतिमहती:रो महावीरोऽन्त्यकाश्यपः । नाथान्वयो वर्षमानो यत्तीर्थमिह साम्प्रतम् ।। ३. जंबुद्दीवपण्णत्ती, २१६६ ४. वही, ३१२१२, २२२ ५. आवश्यक चूणि, पृ० २२७ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३ ४. जम्बूद्वीप का विस्तृत वर्णन ५. तीर्थकर का जन्माभिषेक ६. जम्बूद्वीप की भौगोलिक स्थिति ७. ज्योतिश्चक्र रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत आगम उपांग के वर्गीकरण का ग्रन्थ है। इससे यह स्पष्ट है कि इसकी रचना भगवान् महावीर के निर्वाणोत्तर काल में हुई है । इसके रचनाकार कोई स्थविर थे । उनका नाम अज्ञात है। रचना का काल भी ज्ञात नहीं है। जीवाजीवाभिगम स्थविरों द्वारा कृत है। उसमें कल्पवृक्षों का विस्तृत वर्णन है। इसमें उनका संक्षिप्त रूप उपलब्ध है । विस्तार की सूचना 'जाव' पद के द्वारा दी गई है। ____ इससे प्रतीत होता है कि यह जीवाजीवाभिगम के उत्तरकाल की रचना है। संभवतः श्वेताम्बर और दिगम्बर का स्पष्ट भेद होने के पूर्व काल की रचना है । जंबुद्वीप के विषय में दोनों परंपराओं में प्रायः ऐकमत्य है। इस आधार पर इसका रचनाकाल वीर निर्वाण की चौथी-पांच वीं शताब्दी के आस-पास अनुमित किया जा सकता है। व्याख्या-ग्रन्थ प्रस्तुत आगम पर नो व्याख्याएं उपलब्ध हैं। उनमें केवल शांतिचन्द्रीयवृत्ति मुद्रित है, शेष अप्रकाशित हैं । शान्तिचन्द्र ने यह उल्लेख किया है कि मलयगिरि की टीका काल-दोष से विच्छिन्न हो गई है। किन्तु आधुनिक विद्वानों ने उसे खोज निकाला है। वह जैसलमेर के भण्डार में उपलब्ध है। शान्तिचन्द्रीय और पुण्यसागरीय वृत्ति में चणि का भी उल्लेख है।' इन व्याख्या-ग्रन्थों की तालिका इस प्रकार है-- ग्रन्थ সথায় कर्ता रचनाकाल १. चूणि अज्ञातकर्तृक २. टीका (प्राकृतभाषा) हरिभद्रसूरि ३. टीका मलयगिरि ४. वृत्ति १४२५२ हीरविजयसूरि वि० सं० १६३६ ५. वृत्ति १३२७५ पुण्यसागर ६. टीका (प्रमेयरत्नमञ्जूषा) १८००० शान्तिचन्द्र १. शान्ति चन्द्रोया वृत्ति पत्र २ --तत्र प्रस्तुतोपाङ्गस्य वृत्तिः श्रीमलयगिरिकृताऽपि संप्रति काल दोषेण व्यवच्छिन्ना। २. द्रष्टव्य, जैन रत्नकोश, पृ० १३० ३. शान्तिचन्द्रीया वृत्ति, पत्र १६, परिध्यानयनोपायस्त्वयं चणिकारोक्तः । वृ० ५० ५३, २५२, २७८ । पुण्यसागरीयवृत्ति, पत्र १२२-.-."एतच्चू! च।" Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७. टीका १५००० ब्रह्ममुनि ८. वृत्ति १८३५२ धर्मसागर और वानरऋषि " १६३६ ६. वृत्ति अज्ञातकर्तृक __गुजराती भाषा में धर्मसीमुनि ने इस पर स्तबक (टब्बा या बालावबोध) भी लिखा है। इन व्याख्या-ग्रन्थों की अधिकता से प्रतीत होता है कि प्रस्तुत आगम बहुत पठनीय रहा है। चन्दपण्णत्ती और सूरपण्णत्ती नाम बोध स्थानांग में चार अंगबाह्य प्रज्ञप्तियां बतलाई गई हैं। उनमें प्रथम प्रज्ञप्ति का नाम चन्द्रप्रज्ञप्ति और दूसरी का सूरप्रज्ञप्ति है । कषायपाहुड में भी इसी क्रम से नामोल्लेख मिलता है। प्रथम प्रज्ञप्ति में चन्द्र की वक्तव्यता है, इसलिए उसका नाम चन्द्रप्रज्ञप्ति है और द्वितीय प्रज्ञप्ति में सूर्य की वक्तव्यता है, इसलिए उसका नाम सूरप्रज्ञप्ति है। विषय-वस्तु आगम की प्राचीन सूचियों से पता चलता है कि चन्द्रप्रज्ञप्ति और सुरप्रज्ञप्ति दो आगम हैं। 'नन्दी' की आगम सूची में चन्द्रप्रज्ञप्ति को कालिक और सूरप्रज्ञप्ति को उत्कालिक बतलाया गया है।' इस भेद का हेतु क्या है, यह अभी अन्वेषणीय है । चन्द्रप्रज्ञप्ति वर्तमान में प्राय: उपलब्ध नहीं है। उसका थोड़ा-सा प्रारंभिक भाग मिलता है । यद्यपि कुछ हस्तलिखित आदर्श 'चन्द्रप्रज्ञप्ति' के नाम से उपलब्ध होते हैं और कुछ आदर्श सूर्यप्रज्ञप्ति के नाम से मिलते हैं, किन्तु प्रारंभिक सूत्र को छोड़कर इनका पाठ एक जैसा है । आचार्य मलयगिरि ने इन दोनों की व्याख्याएं लिखी हैं, उनमें भी प्रायः समानता है। वर्तमान धारणा के अनुसार चन्द्रप्रज्ञप्ति आज उपलब्ध नहीं है । जो उपलब्ध है, वह सूरप्रज्ञप्ति है । डा. वाल्टर शुकिंग ने एक प्रकल्पना प्रस्तुत की है--सूरप्रज्ञप्ति के १० वें पाहड़ से आगे सूर्य की अपेक्षा चन्द्र और ताराओं को अधिक महत्त्व दिया गया है अतः हम यह अनुमान करते हैं कि दसवे पाहुड़' से चन्द्रप्रज्ञप्ति का प्रारम्भ हुआ है।" किन्तु चन्द्रप्रज्ञप्ति की समग्र विषयवस्तु की जानकारी के अभाव में शुब्रिग के निष्कर्ष को सहसा निर्णायक नहीं माना जा सकता । फिर भी उसमें विचार के लिए अवकाश है। व्याख्या-ग्रंथ चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूरप्रज्ञप्ति दोनों पर मलयगिरि-कृत टीकाएं उपलब्ध हैं। दोनों टीकाएं प्राय: समान हैं। उनमें जो अन्तर है, वह परिशिष्ट में दिया हुआ है। जिनरत्नकोश' के अनुसार चन्द्रप्रज्ञप्ति की टीका का ग्रन्थाग्र ६५००" तथा सूरप्रज्ञप्ति की टीका का ग्रन्थाग्र ६००० है। भद्रबाह-कृत १. ठाणं, ४११८६ २. कषायपाहुड़, प्रथम अधिकार, पेज्जदोसविहत्ती, पृ० १३७ ३. नंदी, ७७, ७८ ४. Doctrine of the Jains P. 102 ५. जिनरत्नकोश, पृ० ११८ ६. वही पृ० ४५२ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नियुक्तियों में सूरप्रज्ञप्ति की नियुक्ति का उल्लेख है। किन्तु वह मलयगिरि के समय में अनुपलब्ध थी। उन्होंने अपनी टीका में पूर्वाचार्यों के मत का भी उल्लेख किया है।' निरयावलियाओ नाम-बोध प्रस्तुत आगम एक श्रुतस्कन्ध है । इस का प्राचीनतम नाम उपांग प्रतीत होता है । जम्बूस्वामी ने उपांग का क्या अर्थ है, यह प्रश्न पूछा । सुधर्मा स्वामी ने इसके उत्तर में कहा-उपांग के पांच वर्ग हैं -निरयावलिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका, वृष्णिदशा ।। 'उपांग' शब्द का बहुवचन में प्रयोग किया गया है। उपांग पांच वर्गों का एक श्रुतस्कन्ध है। इसलिए संभवत: बहुवचन का प्रयोग किया गया है। इसका मूल अंग कौन-सा है, इसके बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं है । वर्तमान में प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध के लिए "उपांग' शब्द प्रचलित नहीं है। अभी 'उपांग' शब्द के द्वारा बारह आगमों का संग्रहण है। 'नन्दी' सूत्र की आगमसूची में 'उपांग' शब्द का उल्लेख नहीं है। वहां 'निरयावलिया' आदि पांचों स्वतंत्र आगम के रूप में उल्लिखित हैं । अनुमान किया जा सकता है कि 'नन्दी' सूत्र की रचना के उत्तरकाल में पांचों आगमों की एक श्रुतस्कन्ध के रूप में व्यवस्था की गई और श्रुतस्कन्ध का नाम 'उपांग' रखा गया। प्रो. विन्टरनित्ज के अनुसार ये पांचों आगम निरयावलिका के नाम से प्रसिद्ध थे। अंग और उपांग की व्यवस्था के समय से वे अलग-अलग गिने जाने लगे। 'निरयावलिया' का दूसरा नाम ‘कल्पिका' मिलता है। नंदी के कुछ आदर्शों में वह उपलब्ध है । आचार्य हरिभद्रसूरि और आचार्य मलयगिरि ने नंदी की वृत्ति में 'कल्पिका' का ही उल्लेख किया है।' यह संभावना की जा सकती है कि 'उदंगा' के प्रथम वर्ग का नाम 'कल्पिका' था, किन्तु नरक-परिणाम वाले कमों का वर्णन होने के कारण इसका दूसरा नाम 'निरयावलिका' रख दिया गया । इस प्रकार प्रथम वर्ग के दो नाम हो गए--निरयावलिका और कल्पिका। विषय-वस्तु निरयावलिका श्रुतस्कन्ध का प्रतिपाद्य विषय है—शुभ-अशुभ आचरण, शुभ-अशुभ कर्म और उनका विपाक । १. आवश्यक नियुक्ति, गाथा ८५ २. सूर्यप्रज्ञप्ति, वृत्ति पत्र, १, गाथा ५ अस्या नियुक्तिरभूत् पूर्व श्रीभद्रबाहुसूरिकृता। कलिदोषात् साऽनेशद्, व्याचक्षे केवलं सूत्रम् ॥ ३. सूर्यप्रज्ञप्ति, व. प०१६८.-."तदेवं यथा पूर्वाचायरिदमेव पर्वसूत्रमवलम्ब्य पर्वविषयं व्याख्यानं कृतं तथा मया विनेयजनानुग्रहाय स्वमत्यनुसारेणोपदशितम ।" ४. निरयावलियाओ १४, ५ ५. History of Indian Literature, Second edition, Vol II PP. 457-458 ६. नन्दी, सूत्र ७८ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथम वर्ग में चेटक और कोणिक के भयंकर युद्ध का वर्णन है। इसका उल्लेख भगवती और आवश्यक चणि' में भी मिलता है। बौद्ध साहित्य में भी इस युद्ध का उल्लेख मिलता है। यह आश्चर्य का विषय है कि इतिहास में इस युद्ध का कोई उल्लेख नहीं है। युद्ध आत्मरक्षा से लिए अनिवार्य हो सकता है ! उस हिंसा को एक गृहस्थ के लिए आवश्यक कहा जा सकता है। फिर भी हिंसा हिंसा है, उसे अहिंसा नहीं माना जा सकता । प्रस्तुत वर्ग में यह युद्धविरोधी स्वर उभरकर सामने आया है और वह युद्ध को धार्मिक रूप देने के प्रतिपक्ष में एक सशक्त उद्घोष है। दूसरे वर्ग में धर्म की आराधना करने वाले श्रेणिक के दस पौत्रों की सद्गति का वर्णन है। तीसरे वर्ग में संयम और सम्यक्त्व की आराधना और विराधना का प्रतिपादन है। चौथे वर्ग में पार्श्वनाथ की दश शिष्याओं का निरूपण है। पांचवें वर्ग में वृष्णि-वंश के बारह राजकुमारों की चारित्र-आराधना और 'सर्वार्थसिद्धि' में उत्पत्ति का निरूपण है। इस प्रकार इस लघुकाय उपांग या निरयावलिका श्रुतस्कन्ध में अनेक रुचिपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण विषयों का प्रतिपादन हुआ है। रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध के रचनाकार और रचनाकाल के बारे में कोई निश्चित जानकारी प्राप्त नहीं है। यह अंगबाह्य श्रुतस्कन्ध है। इससे यह निश्चित है कि यह किसी स्थविर की रचना है। इसमें भगवती, ज्ञाता, उपासकदशा, औपपातिक और राजप्रश्नीय से संबंधित विषयों की चर्चा मिलती है। किन्तु इस आधार पर रचनाकाल का निर्णय नहीं किया जा सकता। आगमसूत्रों के व्यवस्थाकाल में पूर्ववर्ती आगमों में उत्तरवर्ती आगमों के नाम उल्लिखित किए गए हैं, अतः वे रचनाकाल के पौर्वापर्य के निर्णायक नहीं बनते । व्याख्या-ग्रन्थ प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध पर एक संस्कृत व्याख्या उपलब्ध है । विक्रम संवत् १२२८ में श्री चन्द्र सूरि ने इसकी व्याख्या लिखी थी। वह बहत संक्षिप्त है। मुनि धर्मसी (धर्मसिंह) ने इस पर गुजराती में एक टब्बा (स्तबक) लिखा था। कार्य-संपूर्ति प्रस्तुत ग्रन्थ के संपादन का बहुत कुछ श्रेय युवाचार्य महाप्रज्ञ को है, क्योंकि इस कार्य में अहनिश वे जिस मनोयोग से लगे हैं, उसी से यह कार्य संपन्न हो सका है, अन्यथा यह गुरुतर कार्य बड़ा दुरूह होता । इनकी वृत्ति मूलत: योगनिष्ठ होने से मन की एकाग्रता सहज बनी रहती है। सहज ही आगम का कार्य करते-करते अन्तर्रहस्य पकड़ने में इनकी मेधा काफी पैनी हो गई है। विनयशीलता, श्रमपरायणता, और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण-भाव ने इनकी प्रगति में बड़ा सहयोग दिया है। यह वृत्ति इनकी बचपन से ही है। जब से मेरे पास आए, मैंने इनकी इस वत्ति में क्रमशः वर्धमानता ही पाई है। इनकी कार्यक्षमता और कर्तव्यपरता ने मुझे बहुत संतोष दिया है। १. भगवती, ७.१७३, २१० २. आवश्यकचूणि, भाग २, पृ० १७४ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३७ मैंने अपने संघ के ऐसे शिष्य साधु-साध्वियों के बलबूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया था। प्रस्तुत आगमों के पाठ संसोधन में अनेक मुनियों का योग रहा। उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूं कि उनकी कार्येजा शक्ति और अधिक विकसित हो । यह बृहत् कार्य सम्यत् रूप से सम्पन्न हो सका, इसका मुझे परम हर्ष है। अणुव्रत भवन (नई दिल्ली) २२ अक्टूबर १९८७ -आचार्य तुलसी Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ The present volume consists of nine Agamas -1. Pappavana, 2. Jambuddivapannattl, 3. Candapappatti, 4. Sürapanpatti, 5. Nirayavaliyão, 6. Kappavadithsiyão. 7. Puppliyão, 8. Pupphacüliyão, and 9. Vaphidasão. The upangas are twelve in number. Three upangas have already been included in the Uvangasuttaņi", Part 4, Volume 1. The original text of the remaining nine upangas, with variant readings, has been incorporated in the present volume. The word-index of Angasuttani has already been published as a separate book (Agama-sabda-kosa). To provide convenience to readers as well as the research scholars a joint word-index of the above-mentioned nine agamas is appended in this volume. Editorial With the publication of this volume, the publication work of all the 32 canons is now over. This Agama-sutra series at present contains seven volumes as under :-- 1. Angasuttani, Part I: Ayaro, Süyagado, Thanam, Samavão. 2. Angasuttāni, Part II: Bhagaval. 3. Angasuttani, Part III: Näyādhammakahão, Uväsagadasão, Antagadadasão, Aguttarovavaiyadasão, Paphāvāgaraṇaim, Vivagasuyam. 4. Uvangasuttani, Part IV, Volume I: Ovaiyam, Rayapaseṇiyam, Jiväjlvabhigame. 5. Uvangasuttäni, Part IV, Volume II: Pappavana, Jambuddivapanṇatt!, Candapanpatt!, Sarapannattl, Nirayavaliyão, Kappavadithsiyão, Pupphiyão, Pupphacûliyão, Vaphidasão. 6. Navasuttāni, Part V: Ävassayam, Dasaveäliyam, Uttarajjhayaṇāņi, Dasão, Kappo, Vavaharo, Nisthajjhayanam. 7. Agama Sabda Kosa (Angasuttäni Sabdasūcī). Under this series of original texts, the work of editing the other canons too is in progress. They are likely to contain prakirṇaka, niryukti and bhasya. On Mahavira Jayanti of 2012 Vikram Sathvat (1955 A.D.), Acaryafri Nandi, Nandi, Apuogadārām, Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ declared his intention to edit the agamas, and the assignment was taken up in the caturmasa of the same year. Many obstacles were faced in the work of editing for want of the correct versions. Consequently we thought of correcting the text to begin with. The work was actually started in 2014 V.S. (1957 A D.) and brought to completion in 2037 V.S. (1980 A D.) as follows: Vikram Samvat Dasave liyam Uttarajjhayapāņ! Nandi, Apuogadáráim Ovaiyam, Rayapaseniyam Thanam Samavão Süyagado Näyädhammakahão Ayaro, Ayāracula Uvasagadasão, Antagadadasão Anuttarovaväiyadação Vipäka Panhavägaraṇāim Nirayavaliyão Bhagavai Pannavaṇā Dasão, Pajjosavapäkappo Kappo Vavaharo JIvājlvabhigame Jambuddiva pannattl Nisthajjhayapam Candapappatti, Surapappatti 33 33 19 23 97 "3 37 33 35 33 53 39 33 33 2014 2016 2018 2018 2018 2018 2019 2020 2022 2026 2026 2028 2028 2029 2030 2031 2032 2033 2033 2034 2035 It is well known to all working in this field that editing is the most difficult job, specially when the texts to be edited are separated by a gap of several millennia in respect of language, style and thought. It is unexceptionally true that a thought or a custom does not continue in its original shape through the ages. It invariably expands or contracts. The story of expansion and contraction is the story of change. 'What is made up' is necessarily amenable to change. The insistence on the eternality of events, facts, thoughts and customs that are subject to change leads one to untruth and false imagination. The truth is 'what is made up' is necessarily transient. Whether 'made up' or 'eternal', it must needs be susceptible of change. Whatever there is must be of a nature that is not absolutely divorced from the stream of eternity and change. It is possible that an idea or truth expressed by a particular word is capable 2035 2037 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8? of being expressed with its original connotation at all times? The semantic change is a necessary phenomenon and so no one with a knowledge of linguistics will insist that a word continues to have the same connotation through a period of two thousand years. For example, the expression păṣaṇḍa has not the same meaning in modern frumonic literature as it had in the times of the Agamas and Ashoka's inscriptions. It has acquired a derogatory nuance. Hundreds of words in the ancient Agama literature have shared the same fate. Under the circumstances, any thoughtful person will appreciate the difficulties in the task of an editor of ancient literature. Self-confidence is an innate virtue of human beings who take great pride in the exercise of their courage, and do not shirk from responsibility however ardous. Were escapism a human virtue, not only the achievement of any enduring value would have been impossible, but whatever had been achieved in the past would have been lost at any time. About a millennium ago, Abhayadevasuri, the great commentator of the nine Angas was confronted with a great many obstacles which he had detailed as follows: (i) Absence of authentic tradition (sampradaya, about the meaning of the texts). (ii) Lack of authentic ratiocination (uh). (iii) Conflicting modes of recitation (vdcand). (iv) Vitiated manuscripts. (v) Unfathomable depth of the sutras. (vi) Differences of opinion (about the readings and the meaning). In spite of all these difficulties and hurdles, he did not draw back from the Herculean task, but on the contrary achieved something that was of a permanent value. Even today the difficulties are not fewer, but as the work of editing has been taken up by Acaryasri Tulsi himself, the task has acquired a new dimension. Any programme that is undertaken by him opens up new vistas, what to speak of the editing of the canonical literature which is by itself full of new possibilities. What is most conspicuous is that Acaryaśri has infused life in the programme through me and my colleagues, monks and nuns, who were quite tyros in the field. Not only are his inarticulate blessings with us but also his concrete guidance and active co-operation are always available to us. He has given priority to the work and devoted plenty of time to it. Under his direction, deliberative counsel and encouragement, we could solve the problems, however formidable, that cropped up from time to time in the course of our difficult enterprise. Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ** Procedure adopted in editing the text Pannavana In editing the text of Prajñapana, four Ms. Adarśas were consulted, Acarya Malayagiri's Vṛtti was also used for this purpose. Muni Punyavijaya's edition was also before us. But we do not take for granted a single particular edition or manuscript for our work. The important basic points for us are the critical exposition of the commentary, other parallel agamic texts and the meanings of words. Accordingly, the reader will find many a deliberation in our edition. for the purpose of arriving at correct readings. For example, take the word "ganthi" in 'vatthula kaochula sevala ganthi. Here 'ganth' is incorrect. The correct version should be 'gatthi'. We have come across the reading 'ganthi' alone in all the available manuscripts as also in the agamas edited by Muni Punyavijayaji. This reading has been revised on the basis of Jiväjiväbhigama and Jambudvipaprajñapti. Please refer to the footnote of 1/38 of this agama. Another instance is 'titthagavadite', in place of which some âdaršas contain. the reading as "cautthagavadite", and Muni Punyavijayaji too has accepted the latter reading. But on the basis of the Vitti, we have preferred 'titthäpavadite", which is endorsed by the viti of Pappavana, 5/115,116. Please refer to Prajñāpana Vitti patra 195-196 as also the footnote of Pappavana, 5/115. Jambudvipaprajñapti Seven different texts and three commentaries were consulted in the revision of the text. We find many variant readings and notes thereon in the vṛttis of Upadhyaya Santicandra and Hiravijaya. Please refer to the footnote of 4/159. This agama abounds in variant readings. Upadhyaya Santicandra has described in detail the variant readings, as is evident from the footnote of 2/12. At other 1. Santicandryavṛtti, patra 87: Variation of text-vacanābhedastadgata paripämäntaramaha-mü e dvādaśa yojanāni viskambhena madhye'stayojanani viskambhena upari catvari yojanani viskambhena, atrapi viskambhāyāmatab sadhikatrigupam múlamadhyäntaparidhimanar sūtroktam subodham. atraha paraḥ-ekasya vastuno viskambhādiparimane dvairupyasambhavena prastutagranthasya ca sätiśayasthavirapranitatvena katham nanyataranirnayah ? yadekasyäpi rşabhakutaparvatarya mülădăvaştädiyojanavistṛtatvädi punastraiväsya dvādaśädiyojanavistṛtatvadīti, satyam jinabhaṭṭārakapām sarveṣām kṣāyikajñānavatāmekameva matam mülatab paścāttu kālāntarepa vismrtyädipa'yam vacanābhedab, yaduktam śrimalayagirisüribhirjyotiskarandakavṛttau-"ha skandilācārya pravṛ (tipa)ttau duşşamanubhavato durbhikṣapravṛttyä sädhūnām pathanagunanadikam sarvamapyanesat, tato durbhikşätikrame subhikşapravṛttau dvayoh sanghamelǎpako' bhavat, tadyatha-eko valabhyameko mathurāyām, tatra ca süträrthasaraghatane parasparar vacanābhedo jätab, vismṛtayorhi sūtrarthayoḥ smrtva sanghaṭane bhavatyavasyam vācanābheda" ityadi, tato'trápi duşkaro'nyataranis payah dvayoh paksayorupasthitayoranatiéyijäänibhiranabbinivistamatibhiḥ pravacanãsátanābhtrubhib punyapuruşairiti na käcidanupa pattib. Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ places we come across incorrect explanation due to faulty text, as is given in footnote 4:49. Cundraprajñapti and Suryaprajñapri In order to revise the text, we consulted five manuscripts and the vșttis of these agamas. We rarely depended on a particular ādarśa. The complete text of Candraprajñapti is not available. Its variation from Suryaprajñapti has been given in an Appendix. We come across some manuscripts which have passed for Candraprajñapti. Their variant readings are contained in the footnotes of Süryaprajñapti. Nirayavalikā Three manuscripts and the Vitti by Sricandra sūri have been consulted in revising the text of the five chapters of Nirayávaliki. Transformation of Words and Metamorphosis PAŅŅAVAŅĀ 1/14 bendiya beindiya (ka, kha) 1/14 tendiyao teindiya (kha) 1/23 os ussa (ka, ga) 1/29 vāyamandaliya vāumandaliya (ka) 1/35 aikolla aokulla (gha) 1/38 koranțaya korinţaya (ka) korenţa (gha) 1/48/47 balimodao palimodao (ka, gha) 11934 viibhayari viyabhayam (ka, gha) 2/10 padiņa payīņa (ka) paina (kha, ga, gha) 2/13 tadāgesu talāgesu (ka) covathin cosatthim visesahiya visesadhiya (gha, pu) 317 dāhinena dakkhipenam (ka, kha, gha) 3102 vibhangaạånina vibanganāņiņa (ka, ga, gha) 3/127 aheloe aholoe (ga) adheioe (gha) 31174 asātā (kha, ga) 3/182 jaha jadhā (kha, gha) 3/183 sakasai sakasādi (ka) 4255 egunavisam ekūņavisam (ka, gha) ekkūnavisam (kha) 4/275 panuvīsam pancavisam (kha, gha) 2/40 3/1 assātā Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5/5 panavisam jai jadi gati 5/5 315 mahurao abbhanie 5/7 5/101 3/179 5/242 6/46 818 11/6 11/21 11/25 11/30 11/37 11/37 11/72 11/75 11/84 ovadie matusse vaddhijjanti eenatthenam abhilāvo osanna Panamani vage sayanam sarirapahavā voyada avvoyadā anamani parivaddhamāņāim kadalithambhana Disarati madhuro abbhaie abbhatie padie maņuse vuddhijjanti enasthenam ahilão ussanna Pāņavani vige satanam satirappabhavā vogada avvogadā yānamaņi parivado hemāņāim kadalikhambhāpa pissarati nissirati nisarati biyam bhāsajāya baddhillayā mukkillaya (ga) (kha, ga, gha) (pu) (ka, kha) (ka) (pu) (ka) (ka, kha, gha) (ka, ga, gha) (ka, kha) (kha, gha) (ka) (kha, ga, gha) (ka, kha, ga, gha) (ka) (ka, kha, ga, gha) (ka) (gha) (kha, gha) (ga) (kha) (ga) (gha) (ka, ga) 11/88 11/88 12/7 (ga) (ka, kha, ga, gha) 12/7 1318 15/35 15/35 15/50 15/53 15,58 16/15 16/34 16/51 16/54 16/55 16/55 1724 bitiyam bhāsajjāyam baddhellaya mukkellayā osappiņīhi aņāgaroo paggohao sadi pehamăge pehati othiggale ovacaye ahavege paccatthimillam ayariyam seyansi māulungāņa tinduyāna inatthe avasappinihi aņāyāroo Diggohao sāti pehemāne peheti 'thiggile ovacate ahavete pacchimillam ayaritam seinsi mātulingana tiņduyāna . ipamatthe (ga) (ka, kba) (ga) (pu) (ga) (kha) (kha, gha) (ka, kha) (pu) (ka) (ka, ga) (ga) (ga) (ka) Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17/106 17/119 17/124 17/125 17/126 17/128 17/132 17/150 18/1 18/56 18/64 suio 20/28 21/25 21/47 21/92 (kha, gha) (ka) (ka, gha) (ka, ga, gha) (kha, ga) (gha) (ga) (gha) (ka, kha, gha) (ka, ga) (ka, ga) (kha, gha) (kha, gha, pu) (ka) (gha) (kha) (ka, gha) (kha) (ka, gha) (ga) (ka, gha) (ka) (ka, gha) (kha, ga) (ka, gha) (kha) (ka, gha) (ka, gha) (ka, gha) (kha) (kha) (ka, ga) (ka, kha, ga, gha) (kha, ga) tinaţthe samabhiloemäņe samabhilotemäße kisha kapha haladharao halahara kairasāre kayarasārae katarasärae bālindagove bålendagope balāhae "balahate apikkānam apakkāņam agarabhāvamätze āgārabhävamayac vede vee vete vaijogi vayajogi sakasai saka sādi sakasāti savanate savapayāte sūyio dhapupuhattam dhanuha puhattam sagāim sagāti sayāim niyacchati nigacchati niggacchati kadassa katassa kayassa niyāgoyassa nitāgotassa khavae khamae aphāsāijja apphāsäijja apadivai apadivādi sagāim sataim sayātim pariyāiyanayā pariyādiņayā pariyâyanaya jāņanti yāṇanti sapariyātā saparicārā JAMBUDDIVAPAŅŅATTI vicchinnä vitthiņņā onauya naotao dhapupaţtham dhapuvattham dhanuputtham 'padoyāre 'padogāre pāsim passim duhā dudhā 2313 23/13 23/22 23/191 28/44 33/1 33/17 34/1 3416 34/15 1/8 1/18 1/23 (a, kha) (a, ka, ba) (a) (kha) (tri, ba) (a, tri, ba) (kha, sa) 1/26 1/28 1/48 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214 hatthassa udú (ka, kha) (tri) 2/4 (pa) 2/14 2/15 2/20 padoyāre meini ittha 2/32 2/70 2/78 2/131 2/133 2/133 (ba) (tri, ba) (a, ba) (ka, kha, sa) (a, kha, ba) (a, kha, ba) (pa) (a, ka, kha, ba, sa) kahaga 'hāsa väkaremāņānam hähàbhüe valīvigaya tolākiti (a) (ka, kha) (tri, sa) (pa) siunha juva 2/133 3/3 3/11 3/11 3/11 3/11 pausiyão babbari bahali kaducchuyao hitthassa udú ūu paçokāre metini yattha ettha kadhaka hassa vāgaramāņāņam hāhābbhūte palivigaya dolākiti dolāgiti tolāgitti rolagati siyaunha jūya vausīyāo pappar! pahali okadicchuya kadecchuya druhai pamhacări rūdhe drudhe pola obālayanda 'tondam antapäle antevāle ovațiasangahiya kinkiņio ajojjham aojjham avojjham sotamani sodāmaņi 'ppakäsam vissuttam 3/20 3/20 3/21 duruhai bambhayāri durúdhe 3/22 3/23 3/24 3/26 bola bālacanda otundam antavāle (ka, kha, tri, ba, sa) (ka, kha, pa, sa) (ka, kha, pa, sa) (a, ba) (a, ba) (kha) (a, ba, sa) (a, ba) (a, tri, ba) (a) (ba) (a, ba) (sa) (ka, pa, sa) (a, tri, ba) (ka, kha) (a, ba) (ka, kha, sa) (a, ba) (ka, kha, pa, sa) (tri) (ka) (kha, sa) (a, ka, kha, tri. ba, sa) (ka, sa) 3/35 3/35 3/35 Spaţtasangahiya okhinkhinio ayojjham 3/35 soyāmaņi 3/35 3/35 oppagāsamo visutam Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3/77 3/117 3/117 3/138 3/178 3/194 3/211 3/214 3/220 3/221 3/223 4/36 4/54 4/55 4/77 4/85 4/86 4/87 4/91 4/93 4/96 4/102 4/103 4/109 4/140 4/140 4/142 4/157 'cindhapatte *mirli uūņa "hidaya" nihie abhiseyapidham ganthim tisovana kāgani puvvakaya ihapoha bāva thim hrassatarãe dakkhinenam harivāsam sankhatala bāyāle Disahassa sītodā viuttare Disadba" pilavantassa saniocări uvavāyasabhāe jamagão ४७ dasa piyaya *cindhavatte *marli udüna riduna hiyaya "hitaya "hadaya" °nihito nihao abhiseyapedham ganthim tisomāna kākini kägini käkani puvvakada Thapaha Jhâvüha basalihim hassatarãe dāhinepam harivassam sankhadala pāyāle bäyälise nisaassa hemavaya-herappavaya hemavaraṇavaya hemavaya eranṇavaya nelavantassa sani mccārī otāvasabhie slotā slodā sioā piuttare nisabha pisaha javagão jamigão daha pitiya (ba) (tri) (a, kha, ba) (ka, sa) (a, tri, pa, ba) (ka, sa) (kha) (a, tri, ba) (kha, sa) (a, ba) (tri, pa) (a, ba) (a) (b) (sa) (ka, sa) (a, ka, kha, sa) (pu, vṛ) (pa) (pa) (tri) (a, pa, ba) (pa, savṛ, puvṛpā) (a, ba) (tri) (a, ba) (a, ba) (tri) (pa) (ba) (a, ba) (ka, kha, sa) (ka, kha, ba, sa) (tri) (a, ka, kha, ba, sa) (pa) (ka) (a, ba) (kha) (a, ka, kha, ba, sa) (a, ka, kha, tri, ba, są) Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 85 4/180 4/210 4/231 5/25 (a, tri, ba) (tri) (ba) (a, ba) (ka, kha) (tri) (sa) 5/58 5/58 7/31 7/122 7/126 (ka, kha) (ba) (tri) (a, ba) (ka, kha, pa) (kha) (a, ba) (ka, sa) (kha) (a, ba) (ba) (a, ba, sa) (ka, kha) (a, ba) (tri) (a) (kha, ba) 7/128 8/128 71129 parupparanti paropparanti sayajjala sayañjala palaso valāsa ghanţāpadensuyão ghanţăpadensukā ghanțāpačinsukao ghantāpadissuyā ghanţāpadaysuyao gāyāim gattâm gatäim janpu° jāņuo uddhimuha uddhammuha uddhimuhao bhāviyappa bhāviyāyā abhijiyāiyā abhijidāiya abhijādiya abhijadiya savano samane miyasara magasirao abhii abhiti abivi vahassai pahassati vahapphal kattigi kattiki kittiki kittigi assiņi asini nangulāņam lâögūlānam SURAPANNATTI ihagatassa idagatassa cauruttare caut tare pihula pidhulā puhulo poggala puggalā oyasanthiti totasanthiti oyãe otāe rayanikhettassa ratapikhettassa rātikhettassa sada sata vayam...vadāmo vatam... vatāmo savane samaño sāyam sagam 7/130 7/155 (sa) 7/159 7/178 (ba) (pa) 2/3 2/3 4/3 611 (ga, gha) (ta) (ka) (ta) (ka, ga, gha) (ta, va) (ta) (ka, ga, gha) 6/1 611 811 9/3 10/2 1015 (ga, gha, ţa, va) (va) (ga, gha) (va) Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ (ka) sadāvi 10/7 ãsoi assoti (va) 10/10 asoinnam assodinnam (ga, gha) 10/77 ādiccehim àticcehim (va) 10178 bambao bambhao (ka, ga, gha) 10/79 savage samane (ta, va) 10/87 bitiya bidiya (ka, gha) 10,89 duvihā tihi duvidhā tidhi 10/136 pāto pădo (ka, gha, va) 10/147 uvaiņāvetta uvādināvettā (ka, ga, gha) uvätiņāvettä (ta, ba) 10/173 sayāvi satāvi (ka, ga, gha, va) (ga) 1412 kaham kadham (ka, ga, gha) 15/31 ahiyam adhiyam (ka, ga, gha) ahitam (ta) 18/34 mehu avattiyam medhunavattiyam (ka, ga, gha) 20/1 ahe adho (ka) 2012 vaiyarie vaticarie (ta) NIRAYAVALIYAO 1/42 arpayā annada (ka) annatä (kha) 1/66 janavadam janavayam (kha) 1/72 usae üsave (kha) 1/91 piisoenam pitasoepam (kha) 1/97 patthe ppitthe (ka) putthe (ga) 1/97 andolāvei andodāvei (ka) 1/117 nicchuhāvei nicchubhāvei 1/127 lecchai lecchati 3/115 suvvayão suvvadão 3/134 juyalam juvalam (kha) jugalam (ga) 4/19 ittha (ka) 4/21 bãosiya opāosiyā (ka, ga) 516 savvouya savvoduya (ka, ga) 5/10 åhevaccam adhevaccam (kha) DESCRIPTION OF MANUSCRIPTS AND PRINTED VERSIONS PAŅŅAVAŅĀ (5) PAŅNAVAŅĀ Text (manuscript) Place Punamchand Budhmal Dudhoria, Chhāpar. (ka) (ka) (ka) itthā Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Size 101 x 41 No. of folios 302 patras Lines per page 11 No. of letters per line 33 to 41 Script Most beautiful and correct. Special information It belongs to 15th century approximately. It ends only with the mention of granthā. gra 7787. PANNAVANA Tabbā (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun. Size 94" x 4" No. of folios 465 patras Lines per page No. of letters per line 35 to 39 Script Beautiful Colophon "Pratyakaşaragañanaya anusthapacchandah samānamida granthāgram 7787 pramanam". Six verses of stabaka :-- "Samvat 1778 varșe phālguna mase suklapakse pratipadā tithau ravivāre pandita īśvareņa lipi cakre éri vennātața nagara madhye"-śrirastu kalyanamastu : Subham bhūyallekhakapāthakayoh.” Special Information It contains the text and stabaka. Ms. PANNAVAŅĀ TRIPATHI with Text and Vstti Place Order's Ms. Grantha Bhandara, Ladnun, Size 9% x 411 No. of folios 448 patras Lipes per page 1 to 16 No. of letters per line 37 to 45 Special Information Text is given in the middle, with vịtti up and down. Some pages have vitti alone. Granthägra of text is 7787 and that of vštti is 16000. The Ms. is beautiful and faultless. It must belong to 17th cen. approximately. PANNAVAŅĀ Text (Manuscript) Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. 131" x 5" (c) Size Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ No. of folios 138 patras. Lines per page 15 No. of letters per line 60 to 65 Script Beautiful and correct. Special Information Every patra is illustrated in the middle and out of the margin too. It appears to belong to 16th cen. Nothing else is mentioned at the end except 'grantbågram 7787). (a) Variations of Výtti written in Ms. bearing sign. (a) Vğiti (Manuscript) Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of folios 159 patras. Special Information Manuscript, Scribing year 1977, Vai. sākha Sukla 10 (99) Variation as approved by Malayagiri. (6) Compliled with 'Pradeśa' commentary by Haribhadra süri'. Publisher --Shri Rşabhadeva Kesarimal, Ratlam, Part I; verses 11 JAMBUDDIVAPAŅŅATTI (3) Jambuddivapaņgatti Text (Manuscript) Place Palm-leaf (photoprint) Ms. of Jaisalmer. Bhandāra, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 164, 328 Lines per page 2 to 6 No. of letters per line 30 to 35 Special Information Some of the lines are incomplete. The Ms. ends only with the mention of Granthāgra 4146. It must be belonging to 14th century in view of its accompany. ing ms. Jambuddivapaņpatti Text (Manuscript) Place Palm-leaf (Photoprint) Ms. belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 97 and 194 Lines per page 2 to 6 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (स) (क) (a) (T) Letters per line Script year Jambuddivapappatti Text (Manuscript) Place No. of folios & pages Lines per page Letters per lines Script year Special Information Place Place No. of folios & pages Jambuddivapanpatti Text (Manuscript) Lines per page Letters per line Special Information ५२ Place No. of folios & pages 47 to 50 Samvat 1378 73 No. of patras Jambuddivapappatt! Text (Manuscript) Scribing year Special Information Paim-leaf (Photoprint) of Jaisalmer Bhandara, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. 46 & 92 20 70 to 74 No. of patras Scribing year Sepecial Information Samvat 1646 The size of letters is very small. Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. Jambuddivapappatti Tripathi, Text and Vrtti (Manuscript) Ms. Section, JVB Library, Ladnun 101 & 202 13 50 to 55 Ms. is antiquated and beautifully scribed. Script year is not mentioned. Ms. Section, JVB Library, Ladoun. 358 & 716 Pages 69-70 missing. () Vitti Tripathi by Hiravijaya Süri (Manuscript) (1) Variant readings as approved by Hiravijaya Suri Place Samvat 1913 Original text scribed in the middle, with commentary at top and bottom margin. Script beautifully written. Order's Library, Ladnun. 582 Samvat 1919 Original text scribed in the middle and Vṛtti at top and bottom margin (5) Vitti by Mahopadhyaya Punyasagara, the disciple of Jinahansagani of (पुवृ) Kharataragaccha (Manuscript). Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Place (999) Variant readings as approved by Punyasāgara. Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of folios & pages 243 and 486 Scribing year Samvat 1575 Special Information Beautifully scribed. ( a) Vrtti by Säntyācārya, the disciple of Hiravijaya Sūri of 'Tapāgaccha Order (Manuscript). Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library Sardarshanar. Scribing year Sarvat 1551 (straf) Variant readings as approved by Santyacārya. SORAPANNATTI 13 Ink sūrapanpatti Text Place L D. Institute of Indology, Ahmedabad. Serial No. of Ms. Dā 2/57 Size 121" x 50 No. of folios 62 [The first leaf is missing). Lines in each page Letters in each line 48 to 70 Picture drawing in Green and Red ink in the centre of each page. Scribing year Not mentioned. Special Information It is beautiful and easily legible. It is a very antiquated Ms. belonging to about 17th century. It ends with 25 verses in Prakrit language. Sūrapannatti, Original, No. 60 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 101" x 4.1 No. of patras 87 Line in each page Letters in each line 33 to 41 Scribing year Samvat 1570 Special Information Script is beautiful, but abounds in mis takes. Sūrapannatti, Original, No. 607 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 10" x 4" No. of patras (T) 66 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Place 11 Lines per page 13 Letters per line 34 to 42 Scribing year Samvat 1673 Special Information Beautiful script but abounds in mistakes. (9) Sürapannatti, Commentary, No. 48. L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 125" x 5 No. of patras 224 Lines per page 13 Letters per line 44 to 60 Scribing year Samvat 1574 Special Information Script beautiful and distinct. CANDRAPRAJN APTI Candapannatti Original No. 600 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 101" x 17" No. of patras 68 Lines per page Letters per line 32 to 41 Scribing year Samvat 1570 Special Information Beautiful script, but abounds in errors. A bävadi in the middle of the page. (a) Candapannatti Commentary (Manuscript) Place Order's Ms. Library, Ladnun. Size 10" X 4' No. of patras 179 Lines per page Letters per line about 50 Scribing year Samvat 1762 Special Information Script beautiful Caadapannatti Țabbá (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnu. No. of patras NIRAYĀVALIYÃO Nirayāvaliyão Text (Manuscript) Place Palin-leaf (Photoprint) copy of Jaisalmer Bhandara, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshanar. Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 44 No. of folios & pages 25 & 50. Nine patras are photoprinted. Each page contains photos of six pages. Somewhere it is less or more. Size 12 x Lines per page 5 lines of the text. Some patra contains 2 or 3 lines also. Some lines are even incomplete. Letters per line 45 to 50 Special Information No colophon at the end. Nirayāyaliyão Text (Manuscript) Place Srichand Ganesh dass Gadhaiya Library, Sardarshahar. Size 131x 5' No. of folios & pages 19 & 38 Lines per page 15 Letters per line 71 to 75 Ink Black colour. A bävadi in the middle portion and a thojn Red ink in its centre. Scribing year Not mentioned Special Information It should belong to 16th cen. approximately on the basis of the copy accompanying Nirayāvaliyão Tabbá (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun. No. of folios & pages 63 and 126 Lines per page Letters per line 35 to 45 Size 103" x 41 Scribing year Samvat 1833 Nirayāvaliyão Vịtti (Manuscript) Place Srichand Ganesbdass Gadhaiya Library, Sardarshahar No. of patras Size 13}" x 5" Soribing year Samvat 1575 Printed Vitti Editors A.S. Gopani & V.J. Choksi Publisher Shambubhai J. Shah, Gurjar Granthratna Karyalaya, Gandhi Road, Ahmedabad. Year of publication 1934 A.D. (2) Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acknowledgement of Collaboration The tradition of councils in Jainism is very old. As many as four councils had been held before the period that ended ere a millennium and a half from now. After the time of Devardhigani no well-organised council was held. The Agamas committed to writing in his time were disorganised to a very great extent in this long interval. A fresh council was therefore a desideratum. Ācārya Sri Tulsi made an attempt at holding a Comprehensive Consentaneous Council, but could not succeed. Ultimately we arrived at the view that our Council will serve the same purpose, if it was based on impartial research and complete dedication to the cause of truth. We started our work in accordance with this resolution. The chief inspiration to this council is the Acarya Sri. The council is a deliberative assembly headed by an eminent personality who combines in him. self a variety of functions, the chief among them being teaching and instruction, translation, investigation, critical study, sorting out correct reading and so on. We enjoyed the active cooperation, guidance and encouragement in all these activities from the Acārya Sri. This indeed was our strength and support for undertaking such an arduous task Instead of feeling relieved of the burden by expressing my gratitude to the Acārya Sri, it would be better for me to feel more burdened by the support of his blessing for the future work and responsibility. In editing the text of the nine upãngas in the present volume I received sufficient cooperation from Muni Sudarshanji and Muni Hiralalji. In the work of ascertaining the readings in Pannavanā and Nirayāvaliyão, Muni Balchandji and Muni Madhukarji respectively offered assistance. In preparing the press copy, Late Mannala lji Borad also proved helpful. The work index of Pannavaņā has been prepared by Muni Srichandji, of Jambuddivapannatti, Sūrapannaiti and Candapannatti by Muni Sudarshanji and of Nirayāvaliyão by Muni Hiralalji. The first Appendix and the extent of the text was determined by Muni Hiralalji. In preparing the word indexes of Pannavanā and Jambuddivapaņgatti, Sadhvi Jinaprabhā and Sadhvi Chandanbālā respectively contributed a lot. In proof-reading Muni Sudarshanji, Muni Hiralalji, Muni Dulaharajji and Samaņi Kusumprajña actively cooperated. At certain stages Muni Vimalkumarji and Muni Sampatmalji also proved helpful. Muni Hiralalji was specially engaged in revising the text again. I express sentiments of gratitude for all those, in addition to the names already mentioned, who contributed whatever little they could in editing the text of the 32 agamas. In this task we utilised the muss. belonging to the institutions such as L. D. Institute of Indology, Ahmedabad, Shrichand Ganeshdass Gadhaiya Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Pustak Bhandara, Sardarshahar, Terapantha Sabha, Sardarshahar, Punamchand Buddhamal Dudhoriya, Chhapar, Ghewar Pustakalaya, Sujangarh, Jain Vishva Bharti, Ladnun and Jaisalmer Bhandāra, in addition to Order's Bhandāra. The text of Nandi revised by Muni Punyavijayaji was also made available to us. All this provei a valuable assistance to us. An important stage of the publication of the revised text of 32 āgamas, which began under the able stewardship of Ācārya Si Tulsi as Vācanā-pramukha, is completing today. For the first time the revised and authorised version of the 32 āgamas is being made available to the scholars. It is a matter of ineffable joy for us. The work of the editing of agamas first started in V.S. 2012 at Ujjain. In that year the word indexes of almost all the 32 agamas had been prepared. Several monks and nuns were actively engaged in it. Groups, each containing three or four monks or nuns, were formed and they finished the assignment without any loss of time. On the one hand the aged monks like Muni Chauthmalji, Muni Sohanlalji (Churu) etc. were actively engaged in it while on the other hand the younger monks too devoted themselves wholeheartedly to this job, which was like a campaign and every participant was full of the awakening of a new spirit. The text was unrevised so far, so it could not be utilised fully weli. Word-indexes had got to be prepared anew, but whatever line of action was chalked out, was quite commendable. One special and worth-mentioning characteristic of this editing is that everything was done by the monks themselves and no external help from any scholar-householder was required. The whole credit goes to the leadership of Acărya Sri as also to the Terapanth Religious Order. I cannot afford to forget on this occasion the services rendered by the late Madanchandji Gothi who had a very sound knowledge of agamas and was exceedingly helpful in revising the text of agamas. Had he been alive, he would have felt satisfied on the publication of this volume. The Managing Director of the Agama series, Sri Srichand Rampuria (Vice-Chancellor, Jain Vishva Bharti) has been taking interest in this work since its inception. He is ever devoted to the task of popularising the Agamic lore. After retiring completely from his well-established profession, he has been devot. ing a major part of his time to the service of Agama literature. Sri Khemchand Sethia and Sri Srichand Bengani, the President and the Secretary respectively of Jain Vishva Bhart i have cooperated a lot towards the successful completion of this task. The English rendering of 'Editorial' and 'Introduction' has been made by Dr. Nathmal Tatia. The mention of the cooperation of the co-workers in a common enterprise is only a formality. In fact it was a sacred duty of all of us and that we have fulfilled. Anuvrata Bhawan, Delhi. Yuvācārya Mahaprajña 22nd Oct., 1987. Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Introduction The present volume consists of nine āgamas -uvangas-Pannavaņā, Jambuddivapannatti, Candapannatti, Surapannattī, Nirayāyaliyão (five in number). PAŅŅAVAŅA The canon under review is Pannavaņā (Prajñāpanā). It treats extensively the two substances-sentient being (jīva) and insentient being (ajīva)." The term used in the beginning is'prajñāpanā, hence the whole canon bears the name * Prajñāpanā'. One of its aims is to interpret the Reality through QuestionAnswer method, and the same thing has been done in this canonical text. That also justifies its nomenclature as Prajñāpanā. In the opening gāthás, this agama has been named as 'Adhyayana' which shows that one of its names is 'Adhyayana' also. It relates to Drștivada, the twelfth anga, so it has been called as the essence or nihsyanda of Drstivāda. Subject-Matter It contains 36 topics (padas) which discuss the various aspects (paryāyas) of soul (jiva) and non-soul (ajīva). It is like an ocean of the Science of Reality (iativa vidya) through which the deeper meaning of Indian Science of Reality can be appreciated. The first topic (pada) provides two classifications of vegetable-bodied beings-the individual-bodied (pratyekaśarīri) and commonbodied (sādharanasariri). The common-bodied presents such a unique picture of Socialism which cannot even be imagined in human society. It deals in greater details with the aryas and the mlecchas. This canon is the source book of the Science of Truth (tattvajñana). Whereas the Bhagavati is an arga-pravista canon, the Pannavanā is an Upanga. Both these Āgamas are inter-related on account of their common theme of the Science of Truth. Most of the Prajñāpanā has been included in Bhagavati by Devarddhigați, as is evident from the use of 'jahā pannavanae' time and again. Its every pada is like the embodiment of abstruse metaphysical problems. It contains various important sūtras about leśyā and karma. Nandisutra gives us the two classifications of Agamas-angapravista and 1. Paanayanā, gatha 2 3. 1/32 Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० angabahya. The former is again twofold-Avasyaka and Avasyaka-vyatirikta. The latter is again classified as kālika and utkálika. Thus Pannṇavaṇā is Angobahya, Avatyaka-vyatirikta and Utkäliku. Nandi does not contain any reference to Anga and Angubahya. In the latter part of the Agama age the interrelation between Anga and Angabahya was determined. Accordingly, Prajñāpana turns to be the upanga of Samaväyänga. On what basis this interrelationship was determined is a matter of research. It would have been all the more intelligible if Prajñāpand had been recognised as Upäriga of Bhagavati. Author and the Period of Composition Pannavand is the sum and substance (nibsyanda) of Drşivdda. We can thus infer that its subject-matter has been derived from Drapivada. Its author is Arya Syama 2 He was the 23rd in lineage from Acarya Sudharmasvami He was a powerful vacaka in the tradition of the lineage of vacakas. He flourished in the 4th century of Vira-nirvana. The date of composition of Punnavand is probably between the year 335 and 375 of Vira-nirvana. Nandi mentions the 'Mahaprajñāpand" which is now extinct. Both Mahaprajñāpand and Prajñāpană are independent works. It cannot be said definitely whether the former is the progenitor of the latter or the latter contains any new topic. Among the twelve updñgas, Prajñāpand holds a unique position. We can guess from this that it was composed at the period when the Purvas were passing into oblivion and their remaining portions alone were in memory Şatkhaṇḍagama too came into existence at such a period. The remaining upangas were composed in the period subsequent to the composition of Prajñapand. All this conjecture has been made on the basis of their subjectmatter. Umāsvāti flourished in 5th century of Vira-nirvana. His Tattvärthasūtra mentions the sutra "äryä mlecchaśca", which must be based on the first 'pada' of Prajñapand. The clearcut idea and definition of 'årya' and 'mleccha' appearing there is net to be found elsewhere. On this basis Pannavaṇā precedes the period of Umåsväti. Commentaries Many commentaries of Pannavana are available. They are as follows:Commentaries Author Haribhadrasūri Abhayadevasūri 1. Pradeśa-commentary 2 Triya-pada-Sangrahant Granthågra 3728 133 1. Nandi, 73-77 2. Prajñāpana Vr, patra, 471, äryasyamo yadeva granthantareşu asaliga pratipädakam gautamapraśnabhagavannirvacanarupam sūtramasti tadevāgama bahumānataḥ pathati. Prajñapana Vr. Patra, 72; bhagavan āryasyamo'pi itthameva sütram racayati. 3. Tattvärthasutra, 3/36 Date 8th Cen. First half of 12th Cen. Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3. Vivrti 4. Abhayadeva's Trtien-pada-ngrahaṇī avacārni 5. Vrti 6. Vanaspati-suptika or Vanaspatlledra 7 Avacuri 3. Balavabodha 10. Stabaka 11. Pannavana ni Juda 33 35 St 14500 71 31 1. Pannavana Suttam, Part II, Introduction, p. 158 1. Vrtti patra, 269: dha ca cirņikṛt. 11 271: āha ca clirnikɣto'pi. 272: yadah cürnikṛt. 23 Malayagiri 550 In addition to this, we also find some smaller commentaries of Pannavaṇā. Muni Punyavijaya Punyavijaya has mentioned the commentary named 'Bijaka' by Harsakulagani. Ia Muni Punyavijaya's "Introduction to Prajñopand" and in "Jinaratnakośn we find mention of paryayu". "Prajñāpand-sutra-saroddhāra" is also mentioned in Jinaratnakośa'. Kulamandanagapi Anonymous Acarya Malayagiri mentions carni and Vṛddhavṛakhya in his Vrtti Cürni is untraceable at present. Malayagiri's commentary is the most elaborate among all the available commentaries. Acarya Haribhadra Suri's commentary is the most original and basic too. Municandra Padmasūri Dhanavimala Jivavijaya Parmananda Jayācārya 277: aha ca curnikṛt. 517: prajñāpanāyācūrno. 600 tatraivam vṛddhavyäkhyā. JAMBUDDIVAPANNATTI Nomenclature This canon is known as Jambuddivapannotti (Jambudvipaprajñopri). Projñāpt means exposition, information or treatment. It contains the exposition of Jambudvipa, hence it is called Jambudvipap ajñopti. Sthänänga särra mentions four ungubahya prajñaptis-(1) Candraprujupti, (2) Süryoprajñapti, (3) Jambudvipaprajñapti, and (4) Dvipasagaraprajñapti. In Kasayopahudu, projñaptis have been classified as the five arthadhikdras of 'parikarma' which is the first division of Drstivada (1) Candraprajapti, (2) Süryaprajapil, (3) Jambudvipaprajñapti, (4) Dvipasagara prajñapti and (5) Vyakhyaprujñapti. In Nandi, Jambudvipaprajñapti 13th Cen 15th Cen. 17th Cen 17th Cen Year 1785 1876 1878 1. Thanam, 4/189 2. Kasǎyupuhuçla, Adhikāra I, pejjadosavihatti, p. 137; parivamme pañca atthāhivārā—candapanṇattṛ sarapannat jambáddivapangatti divasayarapannatti viyahapannati cedi Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ has been categorised as Kālika āgama. Subject matter Its main theme is Jambūdvipa. The list of peripheral and incidental topics is very long. Lord Rşabha, Kulakara, Bharata Cakravarti, Kālacakra, Sauramandala, and many others are the subjects dealt with in it. The description about Bharata Cakravarti's fourteen jewels and nine treasures has been described here in a lively manner. Under the 'wheel of eternity' (kalacakra), thrilling account has been given about the sixth spoke of the present descending cycle. Of all the available forecasts about the universal annihilation, it invites our attention most effect ively. By going through it one is confronted with the horrors of the atomic warfare. Both Lord Rşabha and Lord Mahavira have similarity in various respects. The former is called Adi Kāśyapa while the latter is called Antyakāśyapa. Both propounded the path of five Great Vows. Like Lord Mahavira, Lord Rşabha also put on garment for more than a year, followed by absolute nudity.. Bharata Cakravarti was seated in his palace of glass. While he was looking at his reflection in the mirror, he attained liberation. In later literature this incident is developed in a number of ways. At the loss of his finger-ring he felt the diminution of his beauty, which led him to deeper thought culminating into the attainment of a kevalihood. The canon gives us a beautiful picture of the termination of the 'yaugalika' state, and the beginning of social life and political administration, It is a very important document to get a clear idea of the multifaceted personality of Lord Rşabha. A comparative study of the delineation of Rşabha in the present text with that in the Srimadbhagavata is bound to be very fruitful. The canon is divided into seven chapters which are called 'vakkhäro' or ‘vakşaskāra'. Some of the topics are :-- 1. Jambůdvipa 2. Kālacakra & Rşabha-carita 3. Bharata-Carita 4. Jambūdvipa : detailed description 1. Nandi, 78 2. Jambuddivapannatli, 2/130-137 3. Dhananjaya-namamala, 114, page 57 : vharsiyan vrşabho jyäyän punaradyah prajapatih / aik svakuh kasyapo brahma gautamo nabhijo'grajah // Ibid, 115, p. 58: sarmalirmahatirviro mahaviro'ntyakaśyapah/ nathanvayo vardhamano yatirthamika sampratam // 4. Jambuddivapannatti, 2/66 5. Ibid, 3/221,222 6. Avasyakacūrni, p. 227 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5 Birth Celebration of Tirthankara 7. Jyotiścakra. Author and Date This canon has been categorised as Upanga which shows that it was composed at a later period after Lord Mahavira's nirvana. Its author must be some anonymous elderly monk. The date of composition too is unknown. Jivājīvābhigame, containing detailed accounts of the Kalpavrksas, was also composed by the elders. Jambudvipaprojňupti gives only a brief account of them indicating the details through 'java'. This shows that Jambudvipaprajñapti was composed at a later period than that of Jivājīvābhigume. Possibly we may ascribe it to an earlier date than the emergence of a clear-cut distinction between Svetambara and Digambara schools which are mostly unanimous about the contents of Jambudvipaprajñapti. On this basis we can guess it to belong to the 4th-5th century of Vīranirvana. SN. Canon i. Carni 2. Tika (in Prakrit) 3. Commentaries Out of them, the About nine commentaries are available on this canon. Vrtti by Santicandra alone, has been printed; the remaining ones are unpublished. Santicandra has mentioned that Malayagiri's commentary was lost with the passage of time, but modern scholars have traced it out in the Jaisalmer Bhandara The Vṛttis by Santicandra and Punyasagara bear the mention of Curni. These Commentaries are as follows:-- Granthigra 4. Vriti 5. Yriti 6. Tika (Prameyaratnamañjāṣā) 7. Tikā 8. Vrti ६३ 14252 13275 18000 6. Geographical condition of Jambudvipa 15000 18352 Author Anonymous Haribhadrasüri Malayagiri Hiravijayasuri Punyasigara Sânticandra Brahma Muni Dharmasagara and Vanara Ṛşi Anonymous 9. Vriti 1. Sänticandra: Vrtti patra 2: "tatra prastuto pangasya vrttiḥ śrimalayagirikṛtä'pi sampratikāladosena vyavacchinna." 2. See, Jinaratnakośa, p. 130. 3. (a) Santicandra. Vrtti patra, 19: "paridhyānayanopâyastvayam cürṇikāroktaḥ." (b) Vr. p. 53,252,278. (c) Punyasagari vrtti, patra, 122: "etaccurņo ca." Date 1639 (Vikram Sath) 1645 1660 1639 Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Muni Dharmasi has composed stubaka (labbā or bālavabodha) on it ul Gujarati. The abundance of commentaries reveals that this ca.101 was síudied very frequently CANDAPANNATTI AND SŪRAPANNATTI Nomenclature Shānanga mentions four angababya prajñaptis, of which the first is Candraprajñapri and the second is Súrraprujnapti. Kusayapähuda also mentions them in the same order. As the name comiotes, the first prajñapti deals with the moon while the second one deals with the sun, so they are named as Candruprajiapti and Sūryoprajñupti respectively, Subject Matter The list of ūgumes contains both these águmas--Candraprajñupti and Süryaprajñpti. Nandi's Agama-list too tells of Candraprajñapri as Kalika and Süryapruji-pri as Uikalika.“ 'The cause of this distinction demands investigation. The former is not available at prese it but for a very small portion of its beginning. We come across some manuscripts entitled Candrup ajñapri and Süryoprojñapti but their text throughout is identical except the initial sutra. Acārya Maluyagiri has composed cominentaries on both of them did they are almost identical "The general impressio, prevailing at present is that Cundruprujñopri is not at all available these days. Whatever is available is Süryaprajñupti alonc. Dr. Walter Schubring has put forward a conjectureSuryaprajñapti, from its 71 puhuda Ojiwards, ascribes more importance to the moon and ihe stars, so we imagine thui! Candraprajñupri begins from the 10th pāludu.' But in the absence of the whole subject matter of Candruprojiupti, Schubring's conclusions cannot be taken as authoritative outright. Even then there is much toom for consideration. Commentaries Malayagiri's commentaries are availabic On boin-Cund aprajñopli and Süty prujñopii. The commentaries are identical and whatever iheir difference is has been noted in the Appendix. According to Jinaratnak ośu, the granthägra of the commentaries of these agamus is 9300 and 9000% respectively. Bhadrabāhu's Nirvukiis mention the Niryukti on Sú paprajñop i,? which was, liowever, 1101 1. Thunani, 41189. 2 Kasayapāhida, Chapter 1-"pejjuulosa rihatti". p. 137 3. Nandi, 77,78 4. Schutring : The Doctrine of the Juina, p. 102 5. Jinaratnakosa, p. 118 6 Ibid, P 452 7. Avasyaka-niryukti, gatha, 85 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५ traceable in Malayagiri's period. He has mentioned the views of his foregoing acāryas also in his commentary. Nomenclature This agama is a frutaskandhu- Its oldest name seems to be upanga Jambusvami enquired of Sudharmäsvami the meaning of upånga, whereon the latter replied "Upanga is fivefold-Nirayavalika, Kolpavatamšikā, Puspikā, Puspacalika, Vrspidasā. NIRAYAVALIYÃO The term 'upanga is here used in plural number. It is a śrutaskandha consisting of five sections. The plural number is probably used on this. reason. We do not know about its original änga. The term 'upangu' is not in vogue at present for the text. Upanga stands for the 'collection of twelve agamas.' Nandi's list of canons does not mention the term 'upanga', but only *Nirayavallyão' etc. are mentioned as five independent aganas. It may be supposed that the five canons were regarded as a śrutaskundha in later times after the composition of the Nandi, and the śrutaskandha was named as upangu. According to Prof. Winternitz, these five agamas were earlier known as 'Nirayavalika'. They were regarded as separate entities when the contents of angas and upangas were determined.4 Nirayavaliyão is also known as kalpika, as we find this in some manuscripts of Nandi. The same term has been used in the vṛtti of Nandi by Acarya Haribhadrasuri and Acarya Malayagiri It is just possible that the first group of the 'uranga was named as "kulpikä, but as it related to the karmas leading to heli, it was given the second name Nirāyāvalikā. In this way, the two names viz. 'Nirayavalika' and 'kalpika originated. Subject-matter The main theme of the Niruyavalika frutaskandha is the auspicious and inauspicious conduct and karma. and their vipäku. In the first section we find the description of fierce battle between Cetaka 1. Vrtti p. 1, gathā 5 usya niryuktirabhatpurvam śribhadrabähusűrikṛtā | kaliloşat sa nesada vyacakse kevalam sütram || 2. Suryaprajñāpti, Vrutip 168: tadevam yathā pūrvácâryairidumeva purvasütramavalamibya purvavişayam vyakhyānam krtam tatha maya vineyajanānugrahāya s.amatyanusarenopadarsitam || 3. Nirayúvaliyão, 1/4,5 4. History of Indian Literature, II Edn, Vol. II, pp. 457-458 5. Nandi, 78 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६ and Srenika, which has been referred to not only in the Bhagavati1 and the Avasyaka cūrņi", but in the Buddhist literature too. It is surprising that history does not record this battle. Battle may be indispensable for self-protection, and the consequent violence may be regarded as inevitable for a householder. Even then none can deny that violence is, for all purposes, but violence and it can never masquerade as nonviolence. In the section under review, this anti-war attitude has come to the forefront, and it is a spiritual edict against the religious justification of boly wars. The second section contains the description of the salvation of Srepika's ten grandchildren, who adopted the path of religious austerities. The third section propounds the observance and non-observance of restraint and equanimity. The fourth section contains the description of the ten nuns (disciples) of Parsvanatha. We find the description of the observance of conduct by the twelve princes of Vrsni dynasty and their birth in 'Survärthasiddhi' in the fifth section. Thus various interesting and important topics have been propounded in this small-sized upanga, that is, Nirayavalika śrutaskandha. Author and Date of Composition No definite information is available about the author and the date of composition of this angahahya frutaskandha. It is, however, certain that some elderly monk composed it. It deals with the topics related with Bhagavati, Jñātā, Upāsakadasā, Aupapätika and Rajaprośniya, but this is not a sufficient ground to determine the date of its composition. When the Agamas were analysed, it was found that the earlier agamas contain the names of the later agamas, so they cannot determine which agamas were composed earlier and which at a later date. Commentaries A Sanskrit commentary is available on this śrutuskandha. Sricandrasūri wrote its commentary, a very abridged piece of composition, in the Vikram era 1228. A tabla (stabaka) was composed on it in Gujarati by Muni Dharmasi (Dharmasingh). Completion of the Assignment The overall credit of its editing goes to Yuvackrya Mahaprajña. The work has come to successful completion due to the single-mindedness with which he applied himself to the task day and night, without which this gigantic task would have been insurmountable Being a yogi basically, he is able to ever maintain concentration of mind. Engaged as he has been in the cditing of the agamas for a 1. Bhagavati, 7/173,210 2. Avasyaka curņi, part II, p. 174 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ very long period, he is eminently endowed with the power to penetrate into the deeper mysteries of the canonical texts. Modesty, perseverance and complete dedication to the guru have contributed to the development of these merits in him. Such merits were inherent in him since childhood. Since the time he came to me, I have found gradual intensification of these merits. I have derived utmost satisfaction from his capability and wholehearted devotion to duty. Many other mo: ks also contributed towards the editing of the text of these canons 1 bless them all with the wish that their working capacity may be all the more developed. I had embarked upon this Herculean work of agamas, having complete faith in my disciples--the monks and nuts of the Order. I feel highly satisfied that this gigantic task has been accomplished successfully in a right way. Anuvrata Bhawan, New Delhi, - Acharya Tulsi 22nd October, 1987 Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयणं बीअं अभयणं तइयं अभयणं पुष्फियाओ सू० १ से १६ सू० २० से २२ ० २३ से ८७ सू० पंचमं अभय छट्ठ अभयणं ७- १० अज्झयणाणि उकखेत्र- पदं २३, सोमिलस्त अरह्या पासेण संवाद-पदं २७, सोमिलस्स सावगधम्मग्रहण-पदं ४५, सोमिलस्स मिच्छत्त-पदं ४७, सोमिलस्स ताबसपव्वज्जा-पदं ५०, सोमिलस्स साधना-पदं ५१, सोमिलस्म देवेण परिणोत्तर - पदं ७८, सोमिलस्स पुणो सावगधम्मग्रहण-पदं ८२. सोमिलस्स सुक्क महग्गहत्ताए उववत्ति-पदं ८३, निक्लेव पदं ८७. चजत्थं अजभयणं पृ० ७४४ से ७४६ पृ० ७४६ पृ० ७४७ से ७५८ सू०८८ से १५३ उक्खेव पदं पृ० ७५८ से ७७० बहुपुत्तिया -पदं ६०, सुभद्दाए संताणपिवासा पदं ६५, सुभद्दागिहे अज्जागमणपदं ६६, सुभद्दाए संताणला भोवायपुच्छ पदं १०१ अज्जाए धम्मकहा-पदं १०६, सुभद्दाए अज्जाए संताणपिवासाणुभव पद ११४, सुभद्दाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उववत्ति-पदं १२० सोमाए संताणुप्पत्तिपदं १२५, सोमाए बहुसंताणजणियखेद-पदं १३०, सोमागिहे अज्जागमण-पदं १३२, सोमाए धम्मपडिवत्ति-पदं १३५, सोमाए पव्वज्जा - पदं १४५, सोमाए सामाणियदेवत्ताए उववत्ति-पदं १५०, निक्खेव - पदं १५३. सू० १५४ से १६६ सू० १६७ १७० सू० १७१ पृ० ७७०, ७७१ पृ० ७७२ पृ० ७७२ Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइओ वग्गो पुफियाओ पढमं अज्झयणं १. जइ णं भंते ! समणेणं भगतया पहावीरेणं जाव संपत्तेणं उवंगाणं दोच्चस्स वग्गस्स कप्पडिसियाणं अयमठे पण्णत्ते, लुच्चस्स गं भंते ! वग्गस्स उवंगाणं पूष्फियाणं के अट्ठे पण्णत्ते? २. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महाबोरेणं जाव' संपत्तेणं उगाणं तच्चस्स वग्गस्स पुल्फियाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा .. चंदे सूरे सुक्के, वहुपुत्तिय पुण्ण'-माणिभद्दे य । दत्ते सिवे बले या, अणाढिए चेव बोद्धव्वे ।।१।। ३. जइ णं भंते ! सभणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुफियाणे दस अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स पुफियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं के अट्टे पण्णत्ते ? ४. एवं खलु जंबु ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे। गुणसिलए चेइए । सेणिए राया। ५. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे । परिसा निरगया। ६. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंदे जोइसिदे जोइसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुहम्माए चंदंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहि जाव' विहरइ ।। ७. इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे-आभोएमाणे पासइ. पच्छा समयं भगवं महावीरं जहा सरियाभे आभियोगं देवं सहावेत्ता जाव" सुरिंदाभिगमणजोग्गं करेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति । सूसरा घंटा जाव विउव्वणा, नवरं-जाणविमाणं जोयणसहस्सविच्छिण्णं अद्धतेवट्ठिजोयणमूसियं महिंदज्झओ पणुवीसं १. ना० १११७. ४,५. ना० ११११७ ॥ २. ना० ११२७ । ६. राय० सू० ७ । ३. पुण्णभद्दे (ख,ग)। ७. राय० सू० ८-१२ । ७४४ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयण जोमिओ से जहा सूरियाभस्प जाव' आगओ नट्टविही तहेव पडिगओ || ८. भंते ! ति भगवं गोवमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा । कूडागारसाला दिट्ठतो सरीरं अणुपविट्ठा' || ६. पुव्वभवो एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नयरी | कोट्टए चेइए ॥ १०. तत्थ णं सावत्थीए नयरीए अंगई नामं गाहावई होत्था अड्ढे जाव अपरिभूए ॥ ११. तए णं से अंगई गाहावई सावत्योए नयरीए बहूणं राईसर- तलवर-माइंबिय - कोडुंबिय इभ सेट्टि सेगावइ-सत्थवाहाणं बहुसु कज्जेसु य कारणेसु य कुडुंबेसु य मंतेसु य गुझे य रहस् य निच्छएसु य बवहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे, सस्स कुटुंबस मेढी पमाण आहारे आलंबणं चक्खू मेढीभूए पमाणभूए आहारभूए आलंबणभूए चक्खुभूए सव्वकज्जवढावए यात्रि होत्था' | १२. तेणं काले तेणं समएणं पासे ण* अरहा पुरिसादाणीए आइगरे जहा " महावीरो नवस्सेहे सोलनहिं समणसास्वीहि अदुवा अज्जियासहस्सेहिं जाव कोट्टए समोसढे । परिसा निग्या | १३. तए गं से अंगई महावई इमोसे कहाए लट्ठे समाजे हट्ठतुट्ठे जहा कत्तिओ सेट्ठी निग्गच्छइ जाव पज्जुवासइ धम्मं सोच्चा निसम्म जं, नवरं देवाणुप्पिया ! जट्टपुत्तं कुटुंबे ठामि तणं अहं देवाणुष्पिणाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयामि, जहां गंगदत्ते तहा पव्वइए" । अणगारे जाए इरियासमिए जाव" गुत्तबंभयारी ॥ १४. तए णं से अंगई अणगारे पासस्स अरहओ तहारूवाणं येराणं अंतिए सामाइयमाझ्याई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ अहिज्जित्ता बहूहि चउत्थ छट्ठम- दसम दुवालसेहि मासमासखमणेहि विचितेहि तवोकम्मेहि अप्पानं भावेमाणे बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउण वाउगिता अमासिवाए संलेहणाए तीस भत्ताई अणसणाए छेदित्ता विराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा वंदडियर विमाणे उववातसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूतरिए चंदजोइसिंदत्ताए उववणे || १३. છતા १. राय० सू० १३-१२० । २. पू० राय० सू० १२१-१२३ । ३. ओ० सू० १४१ । ६. भग० १८१४२ । ४. सं० पा० बहु नगर-नियन जहा आणंदो । वृत्ती जस्व तिरेवं दृश्यते 'जहा आणंदो' त्ति उपासकदशांगोक्तः श्रावकजानन्दनामा, सच बहूगं ईश्वर तलवर भाडं बिपको वियनगरनिगमसेतवाहा कज्जेषु य कार- ११. पु० भग० १६।७१ । जेसु य मंते हुवे तिच्य १२. ओ० ० २७ । ववहारे यच्छणिज्जे बजरड्डावर १३. सं० पा० च १० पू० सस्स वि य णं कुटुंबस्स मेढीभूए होत्था | ५. x (क, ख) 1 ६. आदिगरे ( क, ख ) | ७. पू० ओ० सू० १९; वाचनान्तरम् । ८. ओ० सू० ११-२२ । भग० १६७०, १८ ।४४ । जात्र भावेमाणे । Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुफियाओ १५. तए णं से चंदे जोइसिंदे जोइसराया अहुणोववण्णे समाणे पंचविहाए पज्जत्तीएआहारपज्जत्तीए' सरीरपज्जत्तीए इंदियपज्जत्तीए आण-पाणपज्जत्तीए भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए ॥ १६. चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! पलिओवमं वाससयसहस्समब्भहियं ।।। १७. एवं खलु गोयमा ! चंदस्स जोइसिंदस्स जोइसरण्णो सा दिव्या देविड्डी ।। १८. चंदे णं भंते ! जोइसिंदे जोइसराया ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं चयं चइत्ता कहि गच्छिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ ।। १६. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पुफियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते ----त्ति बेमि ।। बीअं अज्झयणं २०. जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं पुप्फियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते, दोच्चस्स गं भंते ! अज्झयणस्स पुफियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? २१. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नयरे । गुणसिलए चेइए। सेणिए राया। समोसरणं । जहा चंदो तहा सूरोवि आगओ जाव नट्टविहिं उवदासत्ता पडिगओ। पूव्वभवपूच्छा । सावत्थी नयरी | सुपइछे नाम गाहावई होत्थाअड्ढे जहेव अंगई जाव विहरइ। पासो समोसढो, जहा अंगई तहेव पब्वइए, तहेव विराहियसामण्णे जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव' अंतं करेहिइ ।। २२. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पुप्फियाणं दोच्चस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते ----त्ति बेमि ॥ १. सं० पा० --आहारपज्जत्तीए जाब भासमण- पज्जत्तीए। २.३. ना० २०७। ४. उ० ३१६-८ । ५. उ० ३१६-१८ । Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं अज्झयणं तइयं अज्झयणं सुक्के उक्खेव पदं २३. जइ णं भंते! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं' 'पुष्फियाणं दोच्चस अझयणस्स अयमट्ठे पण्णत्ते तच्चस्स णं भंते! अज्झयणस्स पुष्फियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? २४. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं° रायगिहे नयरे । गुणसिलए चेइए । सेणिए राया । सामी समोसढे । परिसा निम्गया || २५. ते काणं तेणं समएणं सुक्के महग्गहे सुक्कवडिसए विमाणे सुक्कंसि सीहासांसि चउहिं सामाणियसाहस्सोहिं जहेव चंदो तहेव आगओ, नट्टविहि उवदसित्ता पडिगओ || २६. भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं पुच्छा । कूडागारसाला दिट्ठतो' । पुव्वभवपुच्छा ! सोमिलस्स अरहया पासेण संवाद-पदं १. ना० १।१७ / २. सं० पा० - उक्खेवओ भाषियन्वो । ३. ना० १।१।७ / ४. उ० ३।६,७ । ५. राय० सू० १२१-१२३ । ६. ओ० सू० १४१ । ७. रिव्वेय ( क ) 1 ८. ओ० सु० ६७ । tele २७. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणारसी नामं नयरी होत्था ॥ २८. तत्थ णं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे परिवसर, अड्ढे जाव' अपरिभूए, रिउव्वेय" जाव' बहूसु बंभण्णएसु य सत्थेसु सुपरिनिट्ठिए । पासे समोसढे । परिसा पज्जुवास || २६. तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लट्ठस्स समाणस्स इमे यावे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था – एवं खलु पासे अरहा पुरिसादाणीए पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दृइज्जमाणे इहमागए इहसंपत्ते इहसमोसढे इहेव वाणारसीए नयरीए बहिया अंबसालवणे चेइए अहापडिरूवं ओहं ओगिहित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं गच्छामि णं पासस्स अरहओ अंतिए पाउब्भवामि, इमाई च णं एयारूवाइं अट्ठाई हेऊई" पसिणाई कारणाई वागरणाई पुच्छिस्सामि, तं जइ मे से इमाई एयारूवाई अट्ठाई जाव बागरणाई वागरेहिति ततो गं हामि नमसीहामि जाव पज्जुवासी हामि, अह मे से इमाई अट्ठाई जाव वागरणाई नो वागहिती तो णं अहं एएहिं चेव अट्ठेहि य जाव वागरणेहि य निष्पट्टपसिणवागरणं ६. सं० पा० - अज्झत्थिए । १०. सं० पा० – पुग्वाणुपुव्वि जाव अंबसालवणे विहरइ । ११. सं० पा० - जहा पण्णत्तीए । सोमिलो निगओ खंडियfण जाव एवं वयासी— जत्ता ते मंते ! जवणिज्जं च ते ? पुच्छा सरिसवया मासा कुलत्या एमे भवं जाव संबुद्धे । Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४८ पुफियाओ करेस्सामोतिकटु एवं संपेहेइ, संपेहेता हाए जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे साओ गिदाओ पडिनिक्खमति. पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं वाणारसि नरि मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव अंबसालवणे चेइए जेणेव पासे अरहा पुरिसादाणीए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासस्स अरहओ पुरिसादाणियस्स अदूरसामंते ठिच्चा पासं अरहं पुरिसादाणियं एवं वयासी-- ३०. जत्ता ते भंते ? जवणिज्ज [ते भंते ?] ? अव्वाबाहं [ते भंते ? ] ? फासुयविहारं [ते भंते ?] ? सोमिला ! जत्ता वि मे, जवणिज्ज पि मे, अव्वाबाहं पि मे, फासुयविहारं पि मे ।। ३१. कि ते भंते ! जत्ता? सोमिला! जं मे तव-नियम-संजम-सज्झाय--झाणावस्सगमादीएसु जोगेसु जयणा । सेत्तं जत्ता॥ ३२. कि ते भंते ! जवणिज्जं? सोमिला! जवणिज्जे दुविहे पण्णते, तं जहा--- इंदियजवणिज्जे य नोइंदियजवणिज्जे य ।। ३३. से कि तं इंदियजवणिज्जे? इंदियजवणिज्जे-जं मे सोइंदिय-चक्खिंदियपाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियाई निरुवयाई वसे बट्टति । सेतं इंदियजवणिज्जे । ३४. से कि तं नोइंदियजवणिज्जे? नोइंदियजवणिज्जे ..जं में कोह-माण-मायालोभा वोच्छिण्णा नो उदोरेंति । सेत्तं नोइंदियजवणिज्जे । सेत्तं जवणिज्जे ।। ३५. किं ते भंते ! अव्वाबाहं ? सोमिला ! जं मे वातिय-पित्तिय-संभिय-सन्निवाइया विविहा रोगायका सरोरगया दौसा उवसंता नो उदोरेंति । से तं अव्वाबाहं । ३६. किं ते भंते ! फासुथविहारं ? सोमिला ! जण्णं आरामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सभासु पवासु इत्थी-पसु-पंडगविवज्जियासु वसहीसु फासु-एसणिज्ज पीढ-फलगसेज्जा-संथारगं उसंपज्जित्ताणं विहरामि । सेत्तं फासुयविहारं ।।। ३७. सरिसवया ते भंते ! कि भक्खेया? अभक्खेया ? सोमिला! सरिसवया [मे ? ] भक्खेया वि अभक्खेवा वि ॥ ३८. से केणठेणं भंते ! एवं त्रुच्चइ ---सरितवया भे भक्वेया वि अभक्खेया वि ? से नणं भे सोमिला! बंभण्ण एसु नएसु दुविहा सरिसवथा चण्णत्ता, तं जहा मित्तसरिसवया य, धन्नसरिसक्या य । तत्थ णं जेते भित्तसरिसवया ते तिविहा पण्णता, तं जहासहजायया, सहड्डियया, सहपंसुकीलियया, ते णं समणाणं निग्गंधाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धन्नसरिसवया ते दुविहा पण्णता, तं जहा --सत्थपरिणया य असत्थपरिणया य । तत्थ णं जेते असत्थपरिणया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेगा। तत्थ णं जेते सत्थपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा---एसणिज्जा य, अणेसणिज्जाय। तत्थ णं जेते अणेसणिज्जा ते समणाण निग्गंथाणं अभक्खेपा। तत्य णं जेते एसणिज्जा ते विहा पण्णत्ता तं जहा -जाइया य, अजाइया या तत्थ ण जेते अजाइया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ ण जेते जाइया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-लद्धा य, अलद्धा य । तत्थ णं जेते अलद्धा ते णं समणाणं निगाथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते लद्धा १. भग० २७। Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं अज्झयणं ७४६ ताप ते णं समणाणं निग्गंथाणं भक्खेया । से तेणठेणं सोमिला! एवं वुच्चइ-सरिसक्या मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ॥ ३६. मासा ते भंते ! किं भक्खेया ? अभक्खेया ? सोमिला ! मासा मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ।। ४०. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ. मासा मे भक्खेया वि अभक्खेया वि? से नूणं भे सोमिला ! बंभण्णएसु नए सु दुविहा मासा पण्णत्ता, तं जहा–दव्वमासा य, कालमासा य । तत्थ णं जेते कालमासा ते णं सावणादीया आसाढपज्जवसाणा दुवालस पण्णत्ता, तं जहा · सावणे, भद्दवए, आसोए, कत्तिए, मरगसिरे, पोसे, माहे, फग्गुणे, चेत्ते, वइसाहे, जेट्टामूले, आसाढे । ते णं समणाणं निरगंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते दव्वमासा ते विहा पण्णत्ता, तं जहा अत्थमामा न घण्णमासा य। तत्थ णं जेते अत्थमासा पण्णत्ता, तं जहा सवण्णमासा य रुप्पमासा य । ते ण समणाणं निरगंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धण्णमासा ते विहा पण्णत्ता, तं जहा- सत्थपरिणया य, असत्थपरिणया य। एवं जहा धण्णमरिसक्या जाव से तेणछेण जाव अभक्खेया वि ।। ४१. कुलत्था ते भंते ! कि भक्खेया? अभक्खेया ? सोमिला ! कुलत्था मे भक्खेया वि अभक्खेया वि। ४२. से केणठेणं जाव अभक्खेया वि ? से नणं भे सोमिला ! बंभण्णएसु नएसु दुविहा कुलत्था पण्णत्ता, तं जहा- इत्थिकुलत्था य, धण्णकुलत्था य । तत्थ णं जेते इत्थिकुलत्था ते ति विहा पण्णत्ता, तं जहा—कुलवधुया इ वा, कुलमाउया इ वा, कुलधुया इ वा। ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धण्णकुलत्था एवं जहा धण्णसरिसवया। से तेणढेणं जाव अभक्खेया वि ॥ ४३. एगे भवं ? दुवे भवं ? अक्खए भवं? अव्वए भवं ? अवट्ठिए भवं? अणेगभूयभाव-भविए भवं ? सोमिला ! एगे वि अहं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं ।। ४४. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ---एगे वि अहं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं ? सोमिला ! दव्वट्ठयाए एगे अहं, नाणदसणट्ठयाए दुविहे अहं, पएसट्टयाए अक्खए वि अहं, अव्वए वि अहं, अवट्ठिए वि अहं, उवयोगट्ठयाए अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं । से तेणठेणं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं ॥ सोमिलस्स सावगधम्मगहण-पदं ४५. एत्थ णं से सोमिले माहणे° संबुद्धे सावगधम्म पडिव ज्जित्ता पडिगए । ४६. तए णं पासे अरहा अण्णया कयाइ वाणारसीओ नयरीओ अंबसालवणाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। सोमिलस्स मिच्छत्त-पदं ४७. तए णं से सोमिले माहणे अण्णया कयाइ असाहुदंसणेण य अपज्जुवासणयाए य मिच्छत्तपज्जवेहिं परिवड्डमाणेहिं', सम्मत्तपज्जवेहि परिहायमाणेहि मिच्छत्तं विप्पडिवणे ।। १. परिवड्ढमाणेहिं २ (ग)। ३. पडिवण्णे (ग)। २. परिहायमाणे हि २ (ग)। Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुफियाओ ४८. तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णया कयाइ पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए' 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समप्पज्जित्था -एवं खल अहं बाणारसीए नयरी सोमिले नाम माहणे अच्चंतमारणकुलप्पसूए, तए णं मए वयाई चिण्णाइं, 'वेदा य" अधीया', दारा आहूया, पुत्ता जणिया, इड्डीओ समाणीताओ, पसुवधा कया, जण्णा जट्टा, दक्खिणा दिण्णा, अतिही पूजिता', अग्गी हुता, जूवा' निक्खित्ता, तं सेयं खलु मम इयाणि कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते बाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामे य 'माउलिंगारामे य बिल्लारामे य कविट्ठारामे य चिचारामे य पुप्फारामे य" रोवावित्तए". . एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तयसा जलंते वाणारसीए नयरीए बहिया अंबारामे य जाव पुप्फारामे य रोवावेइ।। ४६. तए णं बहवे अंबारामा य जाव' पुप्फारामा य अणुपुव्वेणं सारक्खिज्जमाणा संगोविज्जमाणा संवड्डिज्जमाणा आरामा जाया- किण्हा किण्होभासा जाव रम्मा महामेहनिकुरंबभूया पत्तिया पुफिया फलिया हरियगरेरिज्जमाणसिरीया अईव-अईव उवसोभेमाणा चिट्ठति ।। सोमिलस्स तावसपनवज्जा-पदं ५०. तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुंबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए" चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणे अच्चंतमाहणकुलप्पसूए, तए णं मए बयाई चिण्णाई,२ 'वेदा य अधीया, दारा आहूया, पुत्ता जणिया, इड्डीओ समाणीताओ, पसुवधा कया, जण्णा जट्टा, दक्खिणा दिण्णा, अतिही पूजिता, अग्गी हुता', जूवा निक्खित्ता, तए णं मए वाणारसीए नयरीए बहिया बहवे अंबारामा जाव" पुष्फारामा य रोवाविया, तं सेयं खलु ममं इयाणि कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहुं लोहकडाहकडुच्छुयं तंबियं" तावसभंडं घडावेत्ता, विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेत्ता, मित्तनाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं आमंतेत्ता, तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं १.सं० पा०- अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ८. रोक्यिा वित्तए (क); रोवेत्तए (ख) । २. वेदाई (ग)। ६. उ० ३१४८ । ३. अहिया (ग)। १०. ओ० सू० ४। ४. पूरिता (क) ११. सं० पा० - अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ५. जूय (ग)। १२. सं० पा०.-चिण्णाइं जाव जूवा । ६. ओ० सू० २२ 1 १३. उ० ३।४८ । ७. एवं मालिंगा बिल्ला कविट्ठा चिचा पुप्फा- १४. ओ० सू० २२ । रामा (क,ख,ग)। १५. संतियं (ख)। Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं अज्झयण विउलेणं असण'- पाण-खाइम - साइमेणं धूव - पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव मित्त-नाइ नियग-सयण-संबंधि-परियणस्स पुरओ जेदुपुत्तं कुडुंबे ठावेत्ता, तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं [ जेट्टपुत्तं च ? ] आपुच्छित्ता, सुबहं लोहाच्छु' तंबियं तावसभंडगं गहाय जे इमे गंगाकूला वाणपत्था तावसा भवंति, तं जहा होत्तिया 'पोत्तिया कोत्तिया" जण्णई सड्ढई थालई हुंबउट्टा' दंतुक्खलिया' उम् मज्जगा संमज्जगा निमज्जगा संपक्खालगा दक्खिणकूला उत्तरला संखधमा कुलधमा मियलुद्धा हत्थितावसा उद्दंडगा दिसापोक्खिणो वक्कवासिणो बिलवासिणो जलवासिणो रुक्मूलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कंदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडिय कंद-मूल-तय- पत्त- पुप्फ-फलाहारा जला भिसे कढण गायभूया आयावणाहि पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं * सोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा विहति । तत्थ णं जेते दिसापोक्खिया तावसा, सि अंतिए दिसापक्खिय [ तावस ? ]त्ताए पव्वइत्तए, पव्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिस्सामि" कप्पइ मे जावज्जीवाए छट्ठछट्ठेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढ वाहाओ परिज्झिय परिज्झिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणी जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहु लोह " • कडाहक डुच्छ्रयं तंबियं तावसभंड घडावेत्ता, विउलं असणं पाणं खाइमं साइमंउवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि-परियणं आमंतेत्ता, तं मित्त-नाइ नियग-सयणसंबंधि-परियणं विउलेणं असण- पाण- खाइम - साइमेणं धूव- पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि- परियणस्स पुरओ जेदृत्तं कुटुंबे ठावेत्ता, तं मित्त-नाइ - नियग-सयण-संबंधि - परियणं [ जेट्ठपुत्तं च ? ] आपुच्छित्ता, सुबहु लोहकडाहकडुच्छ्रयं तंबियं तावसभंडगं गहाय तत्थ णं जेते दिसापोविखया तावसा, तेसि अंतिए दिसापोक्खियतावसत्ताए पथ्वइए । पव्वइए वि य णं समाणे " इमं एयारूवं अभिहं अभिहिता पढमं छट्टक्खमणं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ ॥ सोमिलस्स साधना-पदं ५१. तए णं सोमिले माहणरिसी पढमछट्ठक्खमणपारणगंसि आयावणभूमीओ पच्चो8. किढिण ( ख ), जलाभिसेय कढिणगाया (वृ); जलाभिसेयक ढिणगायभूया (वृपा ) | १०. x ( क ख ) ; कंडुसोल्लियं ( ग ) । १. सं० पा असण जाव सम्मणेत्ता । २. कडेच्छु (क, ख ) । ३. गोत्तिया बोहिया ( क ) 1 ४. बड्ढइ (क) 1 ५. पट्टा (क); हुंपउट्टा (ख); हुंपउट्टा (ग); हुंबउट्टा (ओ० सू० ६४) । ६. दंतुज्जलिया ( क ) ७. वाकवासिणी (ओ० सू० १४ ) | ८. वेलवासिणो (वृपा ) | ७५१ ११. कटुसोल्लियं ( क ) ; x ( ग ) । १२ समाणे उड्ढ बाहाओ ( क ख ) । १३. अभिहिता (कख) । १४. सं० पा० - लोह जाव दिसापोक्खिय' । १५. × (क, ख ) 1 Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५२ पुल्फियाओ रुहइ, पच्चोरुहिता वगलवस्थ नियत्थे जेणेव साः उडए" तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयं गेहइ, गेप्हित्ता पर स्थिमं दिसि पोखे इ. पुरथिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरखउ सोमलमारिसि-अभिरहरू उ सोमिलमाणरिसि जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउत्तिकट्ट पुरथिमं दिसं पसरड, पसरित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेण्हइ, गेण्हित्ता किढिण-संकाइयं भरेइ, भरेत्ता दब्भे य कुसे य पत्तामोडं च समिहाकट्ठाणि य गेण्हइ. गे रिहत्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं ठवेइ, ठवेत्ता वेदि बडढेइ, वडढेत्ता उवलेवणसंमज्जणं करेइ, करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महाणई तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गंगं महाणइं ओगाहइ, ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ, करेत्ता 'जलाभिसेयं करेइ, करेत्ता जलकिड्ड करेइ, करेत्ता आयते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउकयकज्जे दमकलसहत्थ गए गंगाओ महाणईओ पच्चत्तरइ, पच्चत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उबागच्छइ, उवागच्छित्ता दम्भे य कुसे य वालुयाए य वेदि रएइ, रएत्ता सरयं करेइ, करेत्ता अरगि करेइ, करेत्ता सर एणं अरणि महेइ, महेता अग्गि पाडेइ, पाडेता अग्गि संधुक्के इ, संधुक्केत्ता समिहाकट्टाणि पविखवइ, पविखवित्ता अग्गि उज्जालेइ, उज्जालेत्ता अग्गिस्स" दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादहे, [तं जहा सकथं वक्कलं ठाणं, सेज्ज भंडं कमंडलं । दंडदारु" तहप्पाणं, अहे ताई" समादहे ॥१॥] महुणा य घएण य तंदुलेहि य अरिंग हुणइ, 'चरुं साहेइ", साहेत्ता बलिं वइस्सदेवं करेइ, करेत्ता अतिहिपूयं करेइ, करेत्ता तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ ।। ५२. तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चं टुवखमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ।। ५३. तए णं से सोमिले माहणरिसी दोच्चवखमणपारणगंसि आयावणभूमीओ १. साए उडव (क) । ehekshi द्वारा सम्पादितवत्तिपत्र ३२) । २. दिसं (क)। ११. भगवं (क); सगधं (ख) । ३. कढिण (क)। १२. मकलं (क)। ४. पत्तमोडं (क)। १३. डंडदारुं (क) ; दंडदारं (ख) । ५. उडवए (क)। १४. ताई समिते (क,ख ग); भगवत्यामपि ६. दमकलसाहत्थगए (वृपा)। (१११६४) च नैतत् पदं लभ्यते। ७. जलकिड्ड करेइ, करेत्ता जलाभिसेयं (ब)। १५. असौ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांश: प्रतीयते । ८. अगणि (क)। १६. वेतंसावेइ (क) । ६. अग्गी (क)। १७. सं० पाः . तं चेव सव्वं भाणियब्वं जाव १०. प्रस्तुतसूत्रस्य वृत्तौ भगवतीवृत्तावपि (पत्र आहार आहारेइ, नवर इमं नाणत्तं - दाहि५२०) च सार्धश्लोकस्य उल्लेखो लभ्यते-- गाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं 'अग्गिस्स दाहिणे' इत्यादि सार्धश्लोकः अभिरबखउ सोमिल भाहपरिसि, जाणि य तद्यथा शब्दवर्जम् (A. S. Gopani, V.J. तत्थ कंदाणि य जाव अणु जाणउ ति कट्ट Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं अज्झयणं ७५३ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयं गेण्हइ, गेण्हिता दाहिणं दिसि पोक्खे इ, दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं-अभिरक्ख उ सोमिलमाहणरिसि, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउत्तिक१ दाहिणं दिसि पसरइ जाव' तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ । ५४. एवं तच्चछटुक्खमणपारणगंसि पच्चत्थिमेणं वरुणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं जाव तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ । एवं चउत्थछट्टक्खमणपारणगंसि उत्तरेणं वेसमणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सोमिलमाहणरिसिं जाव' तओ पच्छा अप्पणा आहारं आहारेइ ।। ५५. तए ण तस्स सोमलमाहणारासस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अणिच्चजागरियं जागरमाणस्स' अयमेयारूवे अज्झथिए" 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था-- एवं खलु अहं वाणारसीए नयरीए सोमिले नामं माहणरिसी अच्चतमाहणकुलप्पसूए, तए णं मए वयाई चिण्णाई जाव' जूवा निक्खित्ता, तए णं मए वाणारसीए 'नयरीए वहिया वहवे अंबारामा य माउलिंगारामा य बिल्लारामा य कविटारामा य चिंचारामा य° पुप्फारामा य रोवाविया, तए णं मए सुबहुं लोह 'कडाहकडच्छयं तंबियं तावसभंडं घडावेत्ता, विउलं असणं पाणं खाइमं साइम उवक्खडावेत्ता जाव' जेपत्तं कुटुंबे ठवेत्ता जाव जेट्टपुत्त आपुच्छित्ता, सुबहुं लोह" कडाहकडुच्छुयं तंबियं तावसभंड गहाय तत्थ णं जेते दिसापोक्खिया तावसा तेसिं दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए, पठ्वइए वि य णं समाणे छठेंछठेणं जाव२ विहरिए", तं सेयं खलु ममं इयाणि कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव" उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते बहवे तावसे दिट्टाभट्ठे य पुव्वसंगइए य परियायसंगइए" य आपुच्छित्ता आसमसंसियाणि य दाहिणं दिसि पसरइ । एवं पच्चत्थिमेणं ७. सं० पा०–वाणारसीए जाव पुष्फारामा य वरुणे महाराया जाव पच्चस्थिम दिसि जाब रोविया (क,ख,ग)। पसरइ । उत्तरेणं वेसमणे महाराया जाव ८. सं० पा.... लोह जाव घडावेत्ता जाव उत्तरं दिसि पसरइ । पुष्वदिसागमेणं चत्तारि उवक्खडावेत्ता। दिसाओ भाणियव्वाओ जाव आहारं ६. उ० ३१५० । आहारेइ। १०. उ० ३१५० । १. उ० ३१५१ । ११. सं० पा० ....लोह जाव गहाय मुंडे जाव २. उ० ३३५२,५३ । पव्वइए। ३. उ. ३.५२,५३। १२. उ० ३३५०-५४1 ४. जागरेमाणे (क) । १३. विहरइ (क,ग)। ५. सं० पा०- अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्या। १४. ओ० सू० २२ । ६. उ० ३४८॥ १५. परिसासंगइए (क); x (ख)। Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५४ पुफियाओ बहई सत्तसयाइं अणुमाणइत्ता वागलवत्थनियत्थस्स किढिण'-संकाइय-'गहितग्गिहोत्त-सभंडो. वगरणस्स" कट्रम्हाए' मुहं बंधित्ता उत्तरदिसाए उत्तराभिमूहस्स महप्पत्थाणं पत्थाइत्तए —एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाब उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते बहवे तावसे य दिट्ठाभठे य पुव्वसंगइए य "परियायसंगइए य आपुच्छित्ता आसमसंसियाणि य बहूई सत्तसयाइं अणुमाणइत्ता वागलवत्थनियत्थे किढिणसंकाइय-गहितग्गिहोत्त-सभंडोवगरणे कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ, बंधित्ता अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ---जत्थेव णं अहं जलंसि वा थलंसि वा दुग्गंसि वा निन्नंसि वा पव्वयंसि वा विसमंसि वा गड्डाए वा दरीए वा पक्खलेज्ज वा पवडेज्ज वा, नो खलु मे कप्पइ पच्चुट्ठित्तएत्तिक? अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ, उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहे महप्पत्थाणं पत्थिए॥ ५६. तए णं से सोमिले माहणरिसी पच्चावरण्हकालसमयंसि' जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागए, असोगवरपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं" ठवेइ, ठवेत्ता वेदि वड्ढेइ, वड्ढेत्ता उवलेवण-संमज्जणं करेइ, करेत्ता दब्भकलसहत्थगए जेणेव गंगा महाणई 'तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गंगं महाणइं ओगाहइ, ओगाहित्ता जलमज्जणं करेइ, करेत्ता जलाभिसेयं करेइ, करेत्ता जलकिड्ड करेइ, करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए देवपिउकयकज्जे दब्भकलसहत्थगए गंगाओ महाणईओ पच्चुत्तरइ, पच्चुत्तरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव 'उवागच्छइ, उवागच्छित्ता" दब्भेहि य कुसेहि य वालुयाए य वेदि रएइ, रएत्ता सरगं करेइ, करेत्ता जाव" बलिं व इस्सदेवं करेइ, करेत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ, बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ॥ ५७. तए णं तस्स सोमिलमाहणरिसिस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अंतियं पाउब्भूए । ५८. तए णं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासी-हंभो सोमिल माहणा! पव्वइया ! दुप्पव्व इयं ते ॥ ५६. 'तए णं से सोमिले तस्स देवस्स एयमट्ठ नो आढाइ नो परिजाणइ, अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे तुसिणीए संचिट्ठई" । ६०. 'ततेणं से देवे सोमिलं माहणं दोच्चंपि तच्चपि एवं बयासी-हंभो सोमिलमाहणा! पव्वइया! दुप्पव्वइयं ते" ६१. तए णं से सोमिले तस्स देवस्स दोच्चपि तच्चपि एयमझें नो आढाइ नो परि १. कढिण (क,ख)। २. गिहितग्निहोत्तस्सभ (क); गहितग्निहोत्त- स्समं° (ख); गिहितसमंडोवगरणस्स (वृ)। ३. कट्ठमुंडाते (क)। ४. सं० पा०-तं चेव जाव कट्ठमुद्दाए। ५. वा एवं (क,ख,ग)। ६. पुव्वावरण्ह' (क,ख,ग)। ७. संकाइयग (क,ख,ग)। ८. सं० पा.- जहा सिवो जाव गंगाओ। ६. उवागए (क,ख)। १०. उ० ३३५१। ११. ४ (क)। १२. ४ (ख)। Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७५५ तइयं अज्झयणं जाणइ', 'अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे तुसिणीए संचिट्ठइ । ६२. तए णं से देवे सोमिलेणं माहणरिसिणा अणाढाइज्जमाणे जामेव दिसि पाउन्भुए तामेव दिसि पडिगए ।। ६३. तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते वागलवत्थनियत्थे किढिण-संकाइय-गहियग्गिहोत्त-भंडोवगरणे कट्टमुहाए मुहं बंधइ, बंधित्ता [उत्तराए दिसाए ? ] उत्तराभिमुहे संपत्थिए। ६४. तए णं से सोमिले बिइयदिवसम्मि पच्चावरण्हकालसमयंसि जेणेव सत्तिवण्णे तेणेव उवागए, सत्तिवण्णस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ, ठवेत्ता वेदि वड्ढेइ जहा असोगवरपायवे जाव' अग्गि हुणइ, 'चरु साहेइ, बलि वइस्सदेवं करेइ", कटुमुद्दाए मुहं बंधइ, तुसिणीए संचिट्ठइ ।। ६५. तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए । ६६. तए णं से देवे अंतलिक्खपडिवण्णे जहा असोगवरपायवे जाव पडिगए । ६७. तए णं से सोगिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते वागलवथनियत्थे किढिण-संकाइयं गेण्हइ, गेण्हित्ता कट्टमुद्दाए मुहं बंधइ, बंधित्ता उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहे संपत्थिए । ६८. तए णं से सोमिले तइयदिवसम्मि पच्चावरणहकालसमयंसि जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छ इ, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ, ठवेत्ता वेदि वड्ढेइ जाव' 'गंगाओ महाणईओ पच्चुत्तरइ, पच्चुत्तरित्ता जेणेव असोगवरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता" वेदि रएइ, रएत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ, बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ ६६. तए णं तस्स सोमिलस्स पुवरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउन्भूए, तं चेव भणइ जाव" पडिगए। ७०. तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव" उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते वागल वत्थनियत्थे किढिण-संकाइय-'गहियरिगहोत्तभंडोवगरणे कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ, बंधित्ता उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहे संपत्थिए। ७१. तए णं से सोमिले च उत्थदिवसम्मि पच्चावरणहकालसमयंसि जेणेव वडपायवे १. सं० पा०-परिजाणइ जाव तुसिणीए। ८. ओ० सू० २२। २. अतोने 'अपरिजाणिज्जमाणे' इति पाठः १. उ० ३१५६ । प्रासङ्गिकोस्ति, किन्तु आदर्शष नोपलभ्यते। १०. गंगं महानई (क,ख,) ३. ओ० सू० २२ । ११. पू०-उ० ३३५६ । ४. समंडो (उ० ३१५५) । १२. पाउभवित्था (क,ग,) । ५. उ० ३११६ । १३. उ० ६१५८-३२ । ६. ४ (काख,ग,)। १४. ओ० सू० २२ । ७. उ० ३१५८-६२ । १५. जाव अग्निहोत्तं (क,ख)। Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुफियाओ तेणेव उवागए, वडपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ, ठवेत्ता वेदि वड्ढेइ, उवलेवणसंमज्जणं करेइ जाव' कट्टमुद्दाए मुहं बंधइ, तुसिणीए संचिट्ठइ ।। ७२. तए णं तस्स सोमिलस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अंतियं पाउब्भूए', तं चेव भणइ जाव' पडिगए ।। ७३. तए णं से सोमिले कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियस्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते वागलवत्थ नियत्थे किढिण-संकाइय- *गयि ग्गिहोत्तभंडोवगरणे कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ, बंधित्ता उत्तराए दिसाए उत्तराभिमुहे संपत्थिए । ताणसे सोमिले पंचमदिवसम्मि पच्चावरण्ढकालसमयंसि जेणेव उंबरपायवे तेणेव उवागच्छइ, उंबरपायवस्स अहे किढिण-संकाइयं ठवेइ, ठवेत्ता वेदि वड्ढेइ जाव' कट्ठमुद्दाए मुहं बंधइ, बंधित्ता तुसिणीए संचिट्ठइ ।। ७५. तए णं तस्स सोमिलमाणस्स पुठवरत्तावरत्तकाले एगे देवे' 'अंतियं पाउन्भूए॥ ७६. तए णं से देवे सोमिलं माहणं° एवं वयासी--हंभो' सोमिला! पव्वइया ! दुप्पव्वइयं ते ॥ ७७. •तए णं से सोमिले तस्स देवस्स एयमठें नो आढाइ नो परिजाणइ, अणाढायमाणे अपरिजाणमाणे तुसिणीए संचिट्ठइ । देवो दोच्चपि तच्चपि वदइ--- सोमिला! पव्वइया! दुप्पव्वइयं ते ।। सोमिलस्स देवेण पसिणोत्तर-पदं ७८. तए णं से सोमिले तेणं देवेणं दोच्चपि तच्चपि एवं वृत्ते समाणे तं देवं एवं वयासी- कहं णं देवाणुप्पिया! मम दुप्पव्वइयं? । ७६. तए णं से देवे सोमिलं माहणं एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया! तुम पासस्स अरहओ पुरिसादाणीयस्स अंतियं पंचाणुव्वइए सत्तसिक्खावइए दुवालसविहे सावगधम्मे पडिवणे, तए णं तव अण्णया कयाइ असाहुदंसणेण पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणस्स जाव पुवचिंतियं देवो उच्चारेइ जाव जेणेव १. उ० ३.५६ । २. x (क)। ३. उ० ३१५८-६२। ४. ओ० सू० २२। ५. सं० पा०.- संकाइय जाव कटुमुद्दाए । ६. उ० ३१५६ । ७. सं० पा०-देवे जाव एवं । ८. हंहो (क)। ६. सं० पा०- पढम भणइ तहेव ! १०. अंतिए (ख)। ११. ४५ सूत्रे 'सावगधम्म पडिवज्जित्ता' इति पाठो स्ति, अत्र पंचाणुब्वइए सत्तसिक्खावइए दुवालसविहे सावगधम्मे पडिवणे' इति पाठोस्ति । ८१,८२ सूत्रयो : 'पुवपडिवण्णाइं पंच अणुब्बयाई' इति पाटोस्ति । अनयो : सप्तशिक्षावताना उल्लेखो नास्ति । एतत् परिवर्तन भगवतो महावीरय परम्परानुसारि कृतं स्थविरै : । द्रष्टव्यम्....ना० १२०४५ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । १२. पू०-- उ० ३१४७;x (क,ख)। Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तइयं अज्झयणं ७५७ असोगवरपायवे तेणेब उवागच्छसि', उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयं जाव' तुसिणीए संचिदसि । तए णं अहं पुव्वरत्तावरत्तकाले तव अंतियं पाउन्भवामि, हंभो सोमिला! पव्वइया ! दुप्पव्व इयं ते। तह चचेव देवो निरवयवं' भणइ जाव पंचमदिवसम्मि पच्चावरणहकालसमयंसि जेणेव उंबरपायवे तेणेव उवागए किढिण-संकाइयं ठवेसि वेदि वड्ढेसि उवलेवण-संमज्जणं करेसि', करेत्ता कट्ठमुद्दाए मुहं बंधेसि, बंधेत्ता तुसिणीए संचिट्ठसि, तं एवं खलु देवाणु प्पिया! तव दुप्पव्वइयं । ८०. 'तए णं से सोमिले तं देवं एवं वयासी कह णं देवाणुप्पिया ! मम सुपव्व इयं?'' ८१. तए ण से देवे सोमिलं एवं वयासी. जइ णं तुमं देवाणुप्पिया ! इयाणि पुव्वपडिवण्णाई पंच अण व्वयाई सयमेव उवसंपज्जित्ता णं विहरसि" तो णं तब्भं इयाणि सुपव्व इयं भवेज्जा । तए णं से देवे सोमिलं वंद इ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए। सोमिलस्स पुणो सावगधम्मगहण-पदं ८२. तए णं से सोमिले माहणरिसी तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे पुन्वपडिवण्णाई पंच अणब्बयाई सयमेव उवसंपज्जित्ता णं विहरइ॥ सोमिलस्स सुक्कसहग्गत्ताए उववत्ति-पदं ८३. तए णं से सोमिले बहूहिं चउत्थ-छट्ठट्ठम - दसम-दुवालसेहिं मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहिं तवोवहाणेहि अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसे इ, झूसेत्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कते विराहियसम्मत्ते कालमासे कालं किच्चा सुक्कवडिसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि" 'देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्ताए ओगाहणाए सुक्कमहम्गहत्ताए उववण्णे ।। ८४. तए णं से सुक्के महग्गहे अहुणोववण्णे समाणे" पंचविहाए पज्जत्तीए..... आहारपज्जत्तीए सरीरपज्जत्तीए इंदिथपज्जत्तीए आणपाणपज्जत्तीए° भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए। ८५. एवं खलु गोयमा! सुक्केणं महागहेणं सा दिव्या 'देविड्डी दिव्वा देवजुती दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते" अभिसमण्णागए । एगं पलिओवमं ठिई ।। १. उवागए (क); उवा (ख) । ८. विहरइ (क)। २. ३१४८-५६ । ६. हवेज्जा (क)। ३. निययं (ग)। १०. ४ (ख)। ४. उ० ३१५६-७७ । ११. सं० ११०.--ट्ठट्ठम जाव मासद्ध । ५. ठवेहि (क); ठवेइ (ख,ग) । १२. तवविहाणेहिं (क) । ६. x (क,ख); करेइ (ग)। १३. सं० पा०. देवसयणिज्जसि जाव ओगाहणाए। ७. x (क.ग); तए णं मे सोमिले तं देवं एवं १४. सं० पा....समाणे जाव भासमणपज्जत्तीए । वयासी (ख)। १५. सं० पा० दिव्वा जाव अभिसमण्णागया। Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुप्फियाओ ८६. सुक्के णं भंते ! महग्गहे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं' कहि गच्छिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ मुच्चिहिइ परिणिव्वाहिइ सव्वदुक्खाणमंतं काहिइ ।। निक्खेव-पदं ८७. "एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं पुफियाणं तच्चस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते त्ति बेमि॥ चउत्थं अज्झयणं बहुपुत्तिया उक्खेव-पदं ८८. जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं' पुप्फियाणं तच्चस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते, चउत्थस्स एं भंते ! अज्झयणस्स पुप्फियाणं समजेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? ८६. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे। गुणसिलए चेइए । सेणिए राया। सामी समोसढे । परिसा निग्गया ।। बहुपुत्तिया-पदं ६०. तेणं कालेणं तेणं समएणं बहुपुत्तिया देवी सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तिए विमाणे सभाए सुहम्माए बहुपुत्तियंसि सोहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहि चहि महत्तरियाहिं जहा सुरियाभे जाव भुजमाणी विहरइ ।। ६१. इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणी-आभोएमाणी पासइ पच्छा समणं भगवं महावीरं जहा सूरियाभो जाव' नमंसित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहा संनिसण्णा । आभिओगा जहा सूरियाभस्स, सूसरा घंटा, आभिओगं" देवं सद्दावेइ, जाणविमाणं जोयणसहस्सवित्थिणं, जाणविमाणवण्णओ जाव उत्तरिल्लेणं निज्जाणमग्गेणं जोयणसाहस्सिएहि विम्गहेहिं तहा आगया जहा सूरियाभो, धम्मकहा समत्ता ॥ ६२. तए णं सा बहुपुत्तिया देवी दाहिणं भुयं पसारेइ. -देवकुमाराणं अट्ठसयं, देवकुमारियाण य वामाओ भुयाओ। तयाणंतरं च णं बहवे दारगा य दारियाओ य डिभए य डिभियाओ य विउव्वइ, नट्टविहिं जहा" सूरियाभो उवदंसित्ता पडिगया ॥ १. पू०---उ० ३११८1 ८. आ (क); ४ (ग)। २. सं० पा----निक्खेवो। ६. राय० सू० ८। ३. सं० पा.. -- उक्खेवओ। १०. "मुही (ख)। ४. ना० १२१२७ । ११. आभिओगियं (क्व)। ५. संपाविउकामेणं (व) । १२. सहस्सिएहिं (क) । ६. ना० ११११७ । १३. पू० ----राय० सू० ६-६१ । ७. राय० सू०७। १४. राय० सू० ६६-१२० । Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं अयणं ३. भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीर वंदइ नमसइ । कूडागारसाला दिट्ठतो ॥ ४. बहुपुत्तिया णं भंते ! देवीए सा दिव्वा देविड्डी पुच्छा जाव' अभिसमण्णा गया ? सुभद्दाए संताण पिवासा-पदं ५. एवं खलु गोयमा ! तेणं काले तेणं समएणं वाणारसी नाम नयरी, अंबसालवणे चेइए | ६६. तत्थ णं वाणारसीए नयरीए भद्दे नाम सत्थवाहे होत्था अड्ढे जाव' अपरिभूए ॥ ६७. तस्स णं भद्दस्स' सुभद्दा नामं भारिया -- सूमाला वंझा अवियाउरी जाणुकोप्परमाया यावि होत्या ॥ ६८. तए में तीसे सुभद्दाए सत्यवाहीए अण्णया कयाइं पुव्वरत्तावरत्तकाल समयंसि कुडुंब जागरियं जागरमाणीए इमेयारूवे' 'अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपज्जत्था एवं खलु अहं भद्देणं सत्यवाहेणं सद्धि विजलाई भोगभोगाई भुजमाणी विहरामि, नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं घण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव' सुलद्धे णं तासि अम्मयाणं मणुए जम्मजीवियफले, जासि मण्णे नियगकुच्छिसंभूयगाई थणदुद्धलुद्धगाई महुरसमुल्लावगाणि मम्मणपजंपियाणि' 'थणमूला कक्खदेस भागं" अभिसरमाणाणि" "पण्हयं पियंति", पुणो य कोमल कमलोवमेहिं हत्थेहिं गिहिऊणं उच्छंगनिवेसियाणि देंति समुल्लावए सुमहुरे पुणो-पुणो मंजुलप्पभणिए", अहं णं अण्णा अण्णा अण्णा तो एगमवि न पत्ता, ओहय" मणसंकप्पा करयलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया ओमंथियवयणनयणकमला दीणविवण्णवयणा' झियाइ ॥ सुभद्दागिहे अज्जागमण-पदं ६६. तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ णं अज्जाओ इरियासमियाओ भासासमियाओ एसणासमियाओ आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमियाओ उच्चारपासवणखेल सिंघाणजल्लपारिट्ठावणियासमियाओ मणगुसीओ वयगुत्तीओ कायगुत्तीओ गुत्तिदियाओ गुत्तबंभचारिणीओ बहुस्सुयाओ बहुपरियाराओ पुव्वाणुपुव्वि चरमाणीओ गामाणुगामं दूइज्माणीओ जेणेव वाणारसी नयरी तेणेव उवागयाओ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओहं ओगिहित्ता संजमेणं तवसा " अप्पाणं भावेमाणीओ' विहरति ॥ १. पू० राय० सू० १२१-१२३ । २. राय० सू० ६६७ । ३. ओ० सू० १४१ । ४. भदस् य ( क, ख, ग ) । ५. सं० पा० इमेयारूवे जाव संकप्पे | ६. उ० ११३४ । ७. मणुयजम्म० ( वृ ) । ८. मंजुलपजंपियाणि ( क, ख, ग ) । ६. थणमूलकक्ख० (क,ख,ग ) । १०. अतिसरमाणाणि (क,ग) । ११. पति (वृ) १२. मम्मण प० १३. सं० पा० १४. सं० पा० ७५६ - ( क, ख, ग ) । ओहय जाव कियाइ । तवसा जाव विहरति । Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६० पुफियाओ १००. तए णं तासि सुव्वयाणं अज्जाणं एगे संघाडए वाणारसीए नयरीए उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे भद्दस्स सत्थवाहस्स गिहं अणुपविठे ।। सुभद्दाए संताणलाभोवायपुच्छा-पदं १०१. तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही ताओ अज्जाओ एज्जमाणीओ पास इ, पासित्ता हतुटा खिप्पामेव आसणाओ अन्भुट्टेइ, अब्भुठेत्ता सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता एवं वयासी एवं खलु अहं अज्जाओ! भद्देणं सत्थवाहेण सद्धि विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरामि, नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि', तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव' सूलद्धे णं तासि अम्मयाण मणए जम्मजीविपफले'. अहं णं अधण्णा अपुण्णा अकयपुण्णा एत्तो एगमवि न पत्ता, तं तुब्भे अज्जाओ! बहुणायाओ बहुपढियाओं बहूणि गामागर'- णयर-णिगम-रायहाणि-खेड-कब्बड-दोणमुह-मडंब-पट्टणासमसंबाह-सण्णिवेसाई आहिंडह, बहूणं राईसर-तलवर - माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठिसेणावइ -सत्थवाहप्पभिईणं गिहाई अणुपविसह, अत्थि से केइ कहिचि विज्जापओए वा मंतप्पओए वा बमणं वा विरेयणं वा वत्थिकम्मे वा ओसहे वा भेसज्जे वा उवलद्धे, जेणं अहं दारगं वा दारियं वा पयाएज्जा? अज्जाए धम्मकहा-पदं १०२. तए णं ताओ अज्जाओ सुभट्ट सत्यवाहि एवं क्यासी---अम्हे णं देवाणु प्पिए ! समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव गुत्तबंभचारिणीओ, नो खलु कप्पइ अम्हं एयमझें कण्णेहिं वि निसामेत्तए, किमंग पुण उवदंसित्तए' वा समायरित्तए वा ? अम्हे गं देवाणु प्पिए ! पुणं तव विचित्तं केवलिपण्णत्तं धम्म परिकहेमो।। सुभद्दाए धम्मपडिवत्ति-पदं १०३. तए णं सा सुभद्दा सस्थवाही तासि अज्जाणं अंतिए" धम्म सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा ताओ अज्जाओ तिक्खुत्तो वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी. सद्दहामि णं अज्जाओ ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि गं अज्जाओ! निगंथं पावयणं, रोएमि णं अज्जाओ ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं तहमेयं अवितहमेयं जाव से जहेयं तुब्भे वयह । इच्छामि णं अहं तुब्भं अंतिए सावगधम्म पडिवज्जित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंधं करेहि ।। १०४. तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही तासि अज्जाणं अंतिए" सावगधम्म पडिवज्जइ, १. पयायामि (क्व०)। ८. उ०३६६ । २. सं० पा०---अम्मयाओ जाव एत्तो । ९. उवएसियत्तए (क)। ३. उ० १३४ । १०. ४ (क); णं (ग); नवरं (क्व०) । ४. पू०----उ० ३१६८। ११. अंतियं (क)। ५. बहुसिविखताओ बहुपढिताओ (क) । १२. ना० २११४१४७। ६. सं० पा०—गामागर जाव सण्णिवेसाई। १३. अंतियं (क); सं० पा०---अंतिए जाव ७. सं० पा... तलवर जाव सत्थवाहः । पडिवज्जइ। Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ घउत्थं अज्झयणं पडिवज्जित्ता ताओ अज्जाओ वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता पडिविसज्जइ । १०५. तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही समणोवासिया जाया जाव' विहरइ । सुभद्दाए पव्वज्जा-पदं १०६. तए णं तीसे सुभद्दाए समणोवासिया ए अण्णया कयाइ पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे' 'अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे" समुप्पज्जित्था.. एवं खलु अहं भद्देणं सत्थवाहेणं सद्धि विउलाई भोगभोगाई भंजमाणी विहरामि, नो चेव णं अहं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं सेयं खलु मम कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते 'भई सत्थवाह" आपुच्छित्ता सुटवयाणं अज्जाणं अंतिए' मुंडा भवित्ता अगाराओ 'अणगारियं पञ्व इत्तए... एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्ले जेणेव भद्दे सत्थवाहे तेणेव उवागया करयल" "परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी एवं खलु अहं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहि सद्धि बहूई वासाई विउलाई भोगभोगाई • जमाणी विहरामि, नो चेव णं दारगं वा दारियं वा पयामि, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहि अब्भणुण्णाया समाणी सुव्वयाणं अज्जाणं•अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए ।। १०७. तए णं से भद्दे सत्थवाहे सुभई सत्थवाहि एवं वयासी--मा णं तुमं देवाणुप्पिए ! इयाणि" मुंडा" भवित्ता अगाराओ अणगारियं° पव्वयाहि भुंजाहि ताव देवाणप्पिए ! मए सद्धि विउलाई भोगभोगाई, तओ पच्छा भुत्तभोई सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए मुंडा५ भवित्ता अगाराओ अणगारियं° पब्वयाहि ॥ १०८. तए णं सुभद्दा सत्थवाही भद्दस्स एयमझें नो आढाइ नो परियाणइ। दोच्चंपि तच्चपि [सुभद्दा सत्थवाही ? ] भई सत्थवाहं एवं वयासी- - इच्छामि गं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाया समाणी 'सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं° पव्वइत्तए । १०६. तए णं से भद्दे सत्थवाहे जाहे नो संचाएइ बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य आघवित्तए वा 'पण्णवित्तए वा सण्णवित्तए वा १. ना० १११४१४६ ११. सं० पा०-भोगभोगाई जाव विहरामि । २. सं० पा.....अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । १२. सं० पा०---अज्जाणं जाव पब्व इत्तए । ३. सं० पा० .... विउलाई जाव विहरामि । १३. इदाणी (क,ख)। ४. ओ० सू० २२ । १४,१५. सं० पा० --मुंडा जाव पव्वयाहि । ५. भद्दस्स (ख,ग)। १६. पव्वइएहिसि (क); पव्वइहिसि (ख); ६. अंतियं (क)। पवहिसिति (ग)। ७. अज्जा (ग)। १७. सं० पा०- समाणी जाव पव्व इत्तए। ८. सं० पा०-- अगाराओ जाव पव्वइत्तए । १८. एवं पण्ण (क,खग)। ६. कल्लं (ख)। १६. सं० पा०-आपवित्तए वा जाव विष्णवित्तए । १०.सं० पा०—करयल० । Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ पुफियाओ विण्णवित्तए वा ताहे अकामए चेव सुभद्दाए निक्खमणं अणुमण्णित्था । ११०. ताणं से भड़े सत्थवाहे विउलं असणं पाणं खाइमं साइम उवक्खडावेड. मित्तनाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं आमंतेइ, तओ पच्छा भोयणवेलाए जाव' मित्तनाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं विपुलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं धूव-पुप्फ-वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणे इ, सुभई सत्थवाहिं व्हायं' 'कयवलिकम्मं कयकोउयमंगल-पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरूहेइ ।। १११. तए णं से भद्दे सत्थवाहे मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणेण सद्धि संपरिवुडे सब्बिड्डीए जाव' दुंदुहि-णिग्घोसणाइयरवेणं वाणारसीनयरीए मज्झमज्झेणं जेणेव सुन्वयाणं अज्जाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छि ता पुरिससहस्सवाहिणि सीयं ठवेइ, सुभई सत्थवाहि सीयाओ पच्चोरुहेइ॥ ११२. तए णं भद्दे सत्थवाहे सुभई सत्थवाहिं पुरओ काउं जेणेव 'सुव्वया अज्जा" तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुव्वयाओ अज्जाओ वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी—-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सुभद्दा सत्यवाही मम भारिया इट्ठा कता जाव' मा णं वाइया पित्तिया सिभिया सण्णिवाइया विविहा रोगायंका फ़संतु । एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउब्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडा भवित्ता' 'अगाराओ अणगारियं° पव्वयाइ। तं एयं णं अहं देवाणुप्पियाणं सो सिणिभिक्खं दलयामि । पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सीसि णिभिक्खं । अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहि ॥ ११३. तए णं सा सुभद्दा सत्थवाही सुव्वयाहि अज्जाहिं एवं वुत्ता समाणी हट्ठतुट्ठा [उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता?] सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ, ओमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करेत्ता जेणेव सुव्वयाओ अज्जाओ तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुव्वयाओ अज्जाओ तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- आलित्ते णं अज्जा" ! लोए जहा देवाणंदा तहा पव्वइया जाव अज्जा जाया . इरियासमिया जाव' गुत्तबंभयारिणी ॥ सुभद्दाए अज्जाए संताणपिवासाणुभव-पदं ११४. तए णं सा सुभद्दा अज्जा अण्णया कयाइ बहुजणस्स चेडरूवेसु मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्झोववण्णा अभंगणं च उव्वट्टणं च फासुयपाणं च अलत्तगं च कंकणाणि य अंजणं च वण्णगं च चुण्णगं च खेल्लणगाणि य खज्जल्लगाणि य खीरं च पूप्फाणि य गवेसइ, गवेसित्ता बहुजणस्स दारए य दारियाओ य कुमारे य कुमारियाओ य १. उवा०११५७ २. सं० पा०—हायं जाव पायच्छित्त। ३. ओ० सू० ६७ । ४. सुब्बयज्जा (ख) ! ५. उ० ३०१२८ । ६. सं० पा० –भवित्ता जाव पव्वयाइ । ७. भंते (क,ख ग)। ८. भग० ६१५२-१५४ । ६. उ० ३९६ । १०. सं० पाo.-मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा । ११. खेल्लणाणि (क); खेल्लगाणि (ग)। Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं अज्झयणं ७६३ " डिंभए य डिभियाओ य अप्पेगइयाओ अब्भंगेइ अप्पेगइयाओ उब्वट्टेइ अप्पेगइयाओ' फासूयपाणएणं व्हावेइ, अप्पेगइयाणं पाए रयई, अप्पेगइयाणं ओट्ठे रयइ, अप्पेगइयाणं अच्छीणि अंजेइ अप्पेगइयाणं उसुए करेइ, अप्पेगइयाणं तिलए करेइ, अप्पेगइयाओ दिगिदलए करेइ अप्पेगइयाणं पंतियाओ करेइ अप्पेगइयाई छिज्जाई करेइ, अप्पेगइया वण्णएवं समालभइ, अप्पेगइया चुण्णएणं समालभइ अप्पेगइयाणं खेल्लणगाई दलयइ, अप्पेगइयाणं खज्जलगाई दलयइ, अप्पेगइयाओ खीरभोयणं भुंजावेइ, अप्पेगाणं पुप्फाई ओमुयइ', अप्पेगइयाओ पाएसु ठवेइ, अप्पेगइयाओ जंघासु ठवेइ, एवंऊरुसु उच्छंगे कडीए पिट्ठीए' पिट्टे उरसि बंधे सीसे य करयलपुडेणं गहाय 'हलउलेमाणीहलउलेमाणी" 'आगायमाणी - आगायमाणी परिगायमाणी परिमायमाणी पुत्तपिवासं च धूयपिवासं च नत्तुयपिवासं च नत्तिपिवासं च पच्चणुभवमाणी विहरइ || ११५. तए णं ताओ सुब्वयाओ अज्जाओ सुभद्दं अज्जं एवं वयासी अम्हे णं देवाणप्पिए ! समणीओ निग्गंथीओ इरियासमियाओ जाव" गुत्तबंभयारिणीओ, नो खलु अम्ह कप्पइ धाइकम्मं करेत्तए । तुमं च णं देवाणुप्पिए ! बहुजणस्स चेडरूवेसु मुच्छिया " • गिद्धा गढिया अज्झोववण्णा अभंगणं जाव नत्तिपिवास वा पच्चणुभवमाणी विहरसि । तं गं तुमं देवाणुप्पिए । एयस्स ठाणस्स आलोएहि" "पडिकम्मेहि णिदेहि गरिहहि विउहि विसोहि अकरणयाए अब्भुट्ठेहि अहारिहं° पायच्छित्तं" पडिवज्जाहि ॥ ११६. तए णं सा सुभद्दा अज्जा सुव्वयाणं अज्जाणं एयमट्ठ नो आढाइ तो परिजाणइ, अणाढायमाणी अपरिजाणमाणी विहरइ ॥ ११७. तए णं ताओ समणीओ निग्गंथीओ सुभद्दं अज्जं होलेंति" निदति खिति गरहंति" अभिक्खणं- अभिक्खणं एयमट्ठ निवारेति ॥ ११८. तए णं तीसे सुभद्दाए अज्जाए समणीहि निग्गंथीहि हीलिज्जमाणीए • निंदिज्ज माणीए खिसिज्जमाणीए गरहिज्जमाणीए अभिक्खणं अभिक्खणं एयमट्ठ निवारिज्जमाणीए अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - जया णं अहं अगारवास आवसामि " तया णं अहं अप्पवसा, जप्पभिदं च णं अहं मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया तप्पभिदं च णं अहं परवसा पुवि च मम १. एवं अप्पे ० ( क, ख, ग ) । २. एति ( ख ) । ३. आमुयइ (क, ख ) ; असुयंति ( ग ) । ४. करेइ (ख,ग ) । ५. पट्टीए ( क ) ; पिट्ठे ( ग ) । ६. पेट्टे ( क ) ; x ( ग ) । ७. हलओतेमाणी २ (क) 1 ८. गायमाणी ( ख ) । ६. सुव्वदाओ ( क ) । १०. उ० ३१६६ ११. सं० पा०- मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा १२. उ० ३।११४ । १३. सं० पा० - आलोएहि जाव पायच्छित्तं । १४. पच्छितं ( ख ) | १५. हि ंति ( क ग ) । १६. गरिहंति ( ख ) । १७. सं० पा० - हीलिज्जमाणीए जाव अभिक्खणं । १८. वसामि ( ग ) । Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६४ पुफियाओ समणीओ निग्गंथीओ आति परिजाणेति, इयाणि नो आति नो परिजाणंति, तं सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सम्बयाणं अजाणं अंतियाओ पडिनिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए- एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीप जाव उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणय रे तेयसा जलंते सुव्वयाणं अज्जाणं अंतियाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पाडिएक्कं उवस्सयं उवसंपज्जित्ता' णं विहरइ ।। ११६.तए णं सा सुभद्दा अज्जा अज्जाहिं अणोहट्टिया अणिवारिया सच्छंदमई बहुजणस्स चेडरूवेसु मुच्छिया 'गिद्धा गढिया अज्झोववण्णा अब्भंगणं च जाव नत्तिपिवास च पच्चणुभवमाणी विहरइ ।। सुभद्दाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उववत्ति-पदं १२०. तए णं सा सुभद्दा अज्जा पासत्था पासत्थविहारी 'ओसण्णा ओसण्णविहारी कुसीला कुसीलविहारी' संसत्ता संसत्तविहारी अहाछंदा अहाछंदविहारी बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता, तोसं भत्ताई अणसाए छेदेत्ता, तस्स ठाणस्स अणालोइयपडिक्कंता' कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे बहुपुत्तियाविमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिया अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्ताए' ओगाहणाए बहुपुत्तियदेवित्ताए उबवण्णा ॥ १२१ तए णं सा बहुपुत्तिया देवी अहुणोववण्णमेत्ता समाणी पंचविहाए पज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गया । १२२. एवं खलु गोयमा ! बहुपुत्तियाए देवीए सा दिव्वा देविड्डी' • दिव्वा देवजुती दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए ।। १२३. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ---बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी ? गोयमा! बहपत्तिया णं देवी जाहे-जाहे सक्कस्स देविंदस्स देवरपणो उवत्थाणियं करेड ताहे-ताहे बहवे दारए य दारियाओ य डिभए य डिभियाओ य विउब्वइ, विउव्वित्ता जेणेव सक्के देविदे देवराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो दिव्वं देविड्वि दिव्वं देवज्जुइं दिव्वं देवाणुभाव उवदसेइ । से तेणठेणं गोयमा! एवं वुच्चइ - बहुपुत्तिया देवी बहुपुत्तिया देवी ।। १२४. बहुपुत्तियाए णं भंते ! देवीए केवइयं कालं ठिई पण्णता ? गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णता ॥ १. आढयति (क); आढ़ति (ख,ग)। २. ओ० सू० २२ । ३. जाइत्ता (ग)। ४. सं पा०.--मुच्छिया जाव अभंगण । ५. उ० ३३११४। ६. विहारिणी (क्व)। ७. एवं ओसण्णा कुसीला (क,ख,ग)। ८. 'अपडिक्कंता (क,ख,ग)। ६. मित्ताए (क,ख)। १०. उ०३८४ ११. सं० पा० ---देविड्ढी जाव अभिसमण्णागया। १२. उवस्थाणियाणं (क,ख,ग)। Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६५ चउत्थं अज्झयणं सोमाए संताणुप्पत्ति-पदं १२५. बहुपुत्तिया णं भंते ! देवी ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं 'भवक्खएणं ठिइक्खएणं' अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ ? कहि उववज्जिहिइ ? गोयमा ! इहेव जंबुहीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले विभेलसण्णिवेसे' माहणकुलंसि दारियत्ताए पच्चायाहिइ ॥ १२६. तए णं तीसे दारियाए अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे 'वीइक्कते णिवत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे" अयमेयारूवं नामधेज्जं करेहिति'. होउ णं अम्हे इमीसे दारियाए नामधेज्ज सोमा ॥ १२७. तए णं सा सोमा उम्मुक्कबालभावा विण्णय-परिणयमेत्ता जोव्वणगमणुप्पत्ता रूवेण य जोव्वणेण य लावण्णेण य उक्किट्ठा उक्किट्टसरीरा वि भविस्सइ ।। १२८. तए णं तं सोमं दारियं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं "विष्णय-परिणयमेत्तं जोव्वणगमणुप्पत्तं" पडिरूविएणं सुक्केणं 'पडिरूविएण य विणएणं नियगस्स भाइणेज्जस्स रट्टकडस्स भारियत्ताए दलइस्संति । सा णं तस्स भारिया भविस्सइ -इट्ठा कंता' •पिया मणुण्णा मणामा येज्जा वेसासिया सम्मया बहुमया अणुमया' भंडकरंडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया चेलपेला इव सुसंपरिहिया' रयणकरंडगो विव सुसारक्खिया सुसंगोविया, मा णं सीय० मा णं उण्हं मा णं खुहा मा णं पिवासा मा णं चोरा मा णं वाला मा णं दंसा मा णं मसगा मा णं वाइय-वित्तिय-सिभिय-सण्णिवाइया विविहा रोयायंका फुसंतु ।। १२६. तए णं सा सोमा माहणी रटुकडेणं" सद्धि विउलाई भोगभोगाइं भुजमाणी संवच्छरे-संवच्छरे जुयलगं पयायमाणी सोलसेहिं संवच्छरेहि बत्तीसं दार गरूवे" पयाहिइ। सोमाए बहुसंताणजणियखेद-पदं १३०. तए णं सा सोमा माहणी तेहिं बहूहिं दारगेहि य दारियाहि य कुमारेहि य कुमारियाहि य डिभएहि य डिभियाहि य-अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहिं", 'अप्पेगइएहिं १. ठितिक्खएणं भवक्खएणं (ख)। ७. पडिकूविएणं (वृ)। २. बेभेल (क,ख); विभले नाम (ग)। ८. पडिरूविएणं (ख); पडिरूवएणं (ग)। ३. वीइक्कते जाव बारसहि दिवसेहिं वीइक्कतेहि ६. सं० पा०-- कंता जाव मंड० } (क, ग); बीइवकंते बारसहि दिवसेहि १०. सुसंगोफिता (क)। वीइक्कतेहि (ख); अयं पाठ: प्रासङ्गिकार्थ- ११. सुसंपरिग्गहिता (ग)। शन्योस्ति । लिपिदोषेण एवं जातमिति १२. सं० पा०-सीयं जाव विविहा । सम्भाव्यते। स्वीकृतः पाठः 'ओवाइय' १३. रटूकूडे हि (क)। (१४४) सूत्रानुसारी विद्यते। १४. चेडगरूवे (ग)। ४. करेंति (क,ख)। १५. पया इही (क,ग)। ५. या वि (क)। १६. °सेज्जाहि (ख)। ६. उदिण्णजोवणमणुप्पत्तं (क) । Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ पुफियाओ थणपाएहिं", अप्पेगइएहिं पोहगपाएहि', अप्पे गइएहिं परंगण एहिं', अप्पेगइएहिं परक्कममाणेहि, अप्पेगइएहि पक्खोलण एहि, अप्पेगइएहिं थणं मम्गमाहिं, अप्पेगइएहिं खीरं मग्गमाणेहि, अप्पेगइएहिं तेल्लं मग्गमाणेहि, अप्पेगइएहि खेल्लणयं मग्गमाणेहि, अप्पेगइएहिं खज्जगं मग्गमाणेहि, अप्पेगइएहिं कुरं मग्गमाणेहि, अप्पेगइएहिं पाणियं मग्गमाणेहि, अप्पेगइएहिं हसमाणेहि, अप्पेगइएहिं रूसमाणेहि, अप्पेगइएहिं अक्कोसमाणेहिं', अप्पेगइएहि अक्कुस्समाणेहिं, अप्पेगइएहिं हणमाणेहि, अप्पेगइएहिं हम्ममाणेहिं, अप्पेगइएहिं विप्पलायमाणेहिं, अप्पेगइएहि अणुगम्ममाणेहि, अप्पेगइएहिं रोयमाणेहि, अप्पेगइएहि कंदमाणेहिं, अप्पेगइएहिं विलवमाणेहिं, अप्पेगइएहिं कूवमाणेहिं, अप्पेगइएहि उक्कूवमाणेहि", अप्पेगइएहिं निदायमाहिं, अप्पेगइएहिं पलवमाणेहि', अप्पेगइएहिं हदमाणेहि, अप्पेगइएहि वममाणेहि, अप्पेगइएहि छेरमाणेहि, अप्पेगइएहि मुत्तमाणे हिं मुत्त-पुरीस-वमिय-सुलित्तोवलित्ता मइलवसणपोच्चडा असुइबीभच्छा" परमदुग्गंधा नो संचाएहिइ" रटकूडेणं सद्धि विउलाइं भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए ॥ १३१. तए णं तीसे सोमाए माहणीए अण्णया कयाइ पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था –एवं खलु अहं इमेहि बहूहिं दारगेहि य जाव" डिभियाहि य अप्पेगइएहिं १. अप्पेगइएहि य थणपाएहि (क); अप्पेगइ. ६. अकोस (क,ग); आकोस० (ख)। एहिं थणियपाएहि (ख,ग)! ७. उक्कूवमाणेहि निज्जायमाणेहिं (ख)। २. पीयगयाएहिं (क)। ८. पवलमाणे हिं (क) । ३. परंगणेहिं (वृ)। ६. पुच्चडा (ख,ग)। ४. पचंकमणेहिं (क)। १०. वीसका (क)। ५. खज्जगे (ख)। ११. संचाएति (क)। १२. अतः पूर्वं 'बहपुत्तिया' भाविजन्मवर्णने सर्वत्र भविष्यक्रियापदप्रयोगो दृश्यते, किन्तु अत्र अत: परं च सर्वत्रापि वर्तमानक्रियापदप्रयोगो लभ्यते । एतत् परिवर्तनं निश्चितं कयाचित विस्मत्या जातमस्ति । अर्थप्रसङ्गानुसारेण उत्तरवर्तीनि क्रियापदानि यन्त्रे द्रष्टव्यानिसू० १३१ समुप्पज्जित्था समुप्पज्जिहिइ , १३२ उवागच्छंति विहरंति उवागच्छिहिति विहरिस्संति , १३३ अणुपविट्ठे अणुपविस्सिहिद ,, १३४ पासइ अब्भुलैइ अणु गच्छइ वंदइ पासिहिइ अब्भुठेहिइ अणुगच्छिहिइ वंदिस्सइ नमसइ पडिलाभेइ क्यासी नमंसिस्सइ पडिलाभेहिइ वइस्सइ ॥ १३५ परिकहेंति परिकहेहिति ॥ १३६ वंदइ नमसइ बयासी पव्वयामि बंदिस्सइ नमंसिस्सइ वइस्सइ पव्वइस्सामि , १३७ वंदइ नमसइ पडिविसज्जेइ व दिस्सइ नमंसिस्सइ पडिविसज्जिहिइ ॥ १३८ वयासी वइस्सइ " १३६ वयासी वइस्सइ ।। १४० पडिसुणेइ पडिसुणिस्सइ Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चत्यं अयणं ७६७ उत्ताणसेज्जएहिं जाव' अप्पेगइएहिं मुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं दुज्जम्मएहिं हयविप्पहयभग्गे हिं एगप्पहारपडिएहिं जेणं मुत्त-पुरीस वमिय- सुलित्तोवलित्ता जाव' परमदुग्गंधा' नो संचाएमि कूडेणं सद्धि विजलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए, तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव' सुलद्धे णं तासि अम्मयाणं मणुए जम्मजीवियफले जाओ णं वंझाओ अवियाउरियाओ' जाणुकोप्परमायाओ सुरभिसुगंधगंधियाओ विउलाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणीओ विहरति, अहं णं अधण्णा अपुष्णा अकयपुण्णा नो संचाएमिरकूडेणं सद्धि विजलाई "माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए || सोमागिहे अज्जागमण-पदं १३२. . तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ नाम अज्जाओ इरियासमियाओ जाव' बहुपरिवाराओ पुष्वापुव्वि चरमाणीओ गामाणुगामं दृइज्जमाणीओ जेणेव विभेले" सणिवेसे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं" "ओगिव्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणीओ विहरति ॥ १३३. तए णं तासि सुव्वयाणं अज्जाणं एगे संघाडए विभेले सण्णिवेसे उच्च-नीय"• मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे रट्ठकूडस्स हिं अपविट्ठे || सू० १४१ पडिनिक्खमइ उवागच्छइ वंदइ नमं- पडिनिक्खमिस्स इ उवागच्छिहि वंदिस्स इ सइ पज्जुवासइ नमसिस्सइ पज्जुवासिहिइ १४२ परिकहेंति परिकहिति ,, १४३ पडिवज्ज्ञइ बंदइ नमसइ पाउन्भूया पडिवज्जिहिइ वं दिस्सइ न मंसिस्सइ पाउन्भविस्सइ पडिगया fsoftens भविस्सइ विहरिस्सइ पडिनिक्खमिस्संति विहरिस्संति विहरिस्संति वं दिस्सर नमसिस्सइ पव्वइस्सामि " १४४ जाया विहरइ " १४५ पडिनिक्खमंति विहरति , १४६ विहति " १४७ वंदइ नमसइ पव्वयामि १४८. वंदइ नमसइ पडिनिक्खमइ उवाग- वंदिस्सइ न मंसिस्सइ पडिनिक्खमिस्सइ उवागच्छि च्छइ आपुच्छइ हि आपुच्छिरसइ भविस्सइ अहिज्जिस्सइ ܐ 77 72 १४९ जाया १५० अहिज्जइ १३. उ० ३११३० । १. उ० ३।१३० २. उ० ३।१३० ३. दुब्भगंधा ( ख ) ! ४. सं० पा०--सद्धि जाव मुंजमाणी । ५. उ० ११३४ 1 ६. अवियाउरीओ ( क ) 1 ७. सुगंधसुगंधियाओ ( ख ) 1 ८. सं० पा०-विउलाई जाव विहरित्तए । ६. उ० ३।६६ । १०. वेभेले (क, ख ) ; वेभले ( ग ) । ११. सं० पा० - ओम्यहं जाव विहति । १२. सं० पा०नीय जाव अडमाणे । Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६८ पुफियाओ १३४. तए णं सा सोमा माहणी ताओ अज्जाओ एज्जमाणीओ पासइ, पासित्ता हट्टा खिप्पामेव आसणाओ अब्भुठेइ, अब्भुठेत्ता सत्तट्ठपयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेइ, पडिलाभत्ता एवं वयासी एवं खलु अहं अज्जाओ ! रटुकडेणं सद्धि विउलाइं भोगभोगाइं भुंजमाणी विहरामि, संवच्छरे-संवच्छरे जुयलं' पयामि, सोलसहि संवच्छरेहिं बत्तीसं दारगरूवे पयाया। तए णं अहं तेहिं बहूहिं दारएहि य जाव' डिभियाहि य अप्पेगइएहिं उत्ताणसेज्जएहिं जाव' मुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं 'दुज्जम्मएहिं हयविप्पहयभग्गेहिं एगप्पहारपडिएहिं जेणं मुत्त-पुरीस-वमिय-सुलित्तोवलित्ता जाव' परमदुग्गंधा नो संचाएमि रट्टकूडेणं सद्धि विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणी' विहरित्तए, तं इच्छामि णं अहं अज्जाओ! तुम्हं अंतिए धम्म निसामेत्तए॥ सोमाए धम्मपडिवत्ति-पदं १३५. तए णं ताओ अज्जाओ सोमाए माहणीए विचित्तं केवलिपण्णत्तं धम्म परिकहेंति ॥ १३६. तए णं सा सोमा माहणी तासि अज्जावं अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ट'तुटूचित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया ताओ अज्जाओ वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-सहामिणं अज्जाओ! निग्गंथं पावयणं जाव' अब्भुठेमि णं अज्जाओ! निग्गंथं पावयणं, एवमेयं अज्जाओ! जाव" से जहेयं तुब्भे वयह जं, नवरं --अज्जाओ ! रट्टकडं आपुच्छामि । तए ण अहं देवाणुप्पियाण अंतिए मंडा" 'भवित्ता अगाराओ अणगारियं° पव्वयामि। अहासुहं देवाणप्पिए ! मा पडिबंधं ।। १३७. तए णं सा सोमा माहणी ताओ अज्जाओ वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता पडिविसज्जेइ।। १३८. तए णं सा सोमा माहणी जेणेव स्टूकडे तेणेव उवागया करयल २- परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी एवं खलु मए देवाणुप्पिया ! अज्जाणं अंतिए धम्मे निसंते, से वि य णं धम्मे इच्छिए" •पडिच्छिए° अभिरुइए । तए णं अहं [इच्छामि ?] देवाणुप्पिया ! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाया सुव्वयाणं अज्जाणं' अंतिए मुंडा १. जुवलं (ख); जुगलं (ग) । भाति । २. उ० ३३१३० । ८. सं० पा०-हटु जाव हियया । ३. उ० ३।१३० । ६. ना० १६१०१०१। ४. सं० पा० ..दुज्जाएहिं जाव नो संचाएमि १०. ना० १११५१०१ । विहरित्तए। ११. सं० पा.....मुंडा जाव पव्वयामि । ५. उ० ३।१३० । १२. सं० पा०---करयल० । ६. अंतियं (क)। १३. सं० पा०—इच्छिए जाव अभिरुइए। ७. विचित्तं जाव (क,ख,ग); उ० ३३११२ १३, सं० पा०---अज्जाणं जाव पब्वइत्तए। सूत्रानुसारेण 'जाव' इति पदं नावश्यक प्रति Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउत्थं अज्झयणं ७६६ भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइत्तए । १३६. तए णं से रट्ठकूडे सोमं माहणिं एवं वयासी—मा णं तुमं देवाणुप्पिए ! इयाणि मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वयाहि, भुजाहि ताव देवाणुप्पिए ! मए सद्धि विउलाई भोगभोगाई। तओ पच्छा भुत्तभोई सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए मुंडा' 'भवित्ता अगाराओ अणगारियं° पव्वयाहि ।। १४०. तए णं सा सोमा माहणी रटुकूडस्स एयमट्ठ पडिसुणेइ ।। १४१. तए णं सा सोमा माहणी व्हाया जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा चेडियाचक्कवालपरिकिण्णा साओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता विभेलं सण्णिवेसं मज्झमज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं अज्जाणं उबस्सए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुव्वयाओ अज्जाओ वंदइ नमसइ पज्जुवासइ ।। १४२. तए णं ताओ सुव्वयाओं अज्जाओ सोमाए माहणीए विचित्तं केवलिपण्णत्तं धम्म परिकहेंति -जहा' जीवा बज्झंति, 'जहा जीवा मुच्चंति ॥ १४३. तए णं सा सोमा माहणी सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए" दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जइ, पडिवज्जित्ता सुव्वायाओ अज्जाओ वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया ।। १४४. तए णं सा सोमा माहणी समणोवासिया जाया--अभिगयजीवाजीवा जाव" अप्पाणं भावेमाणी विहरइ ॥ सोमाए पव्वज्जा-पवं १४५. तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अण्णया कयाइ विभेलाओ सण्णिवेसाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणक्यविहारं विहरंति ॥ १४६. तए णं ताओ सुव्वयाओ अज्जाओ अण्णया कयाइ पुवाणुपुब्धि चरमाणीओ जाव' विहरंति॥ १४७. तए णं सा सोमा माहणी इमीसे कहाए लट्ठा समाणी हट्ठा व्हाया तहेव निग्गया जाव" वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता धम्म सोच्चा जाव" जं, नवरं--रटकूडं आपुच्छामि, तए णं पव्वयामि । अहासुहं ।। १४८. तए णं सा सोमा माहणी 'सुव्वयाओ अज्जाओ" वंदइ नमसंइ, वंदित्ता नमसित्ता सुन्वयाणं अंतियाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सए गिहे जेणेव रटुकडे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहिया तहेव आपुच्छइ जाव" पव्वइत्तए । १. सं० फा०-भवित्ता जाव पव्वयाहि । २.सं० पाo-मुंडा जाव पव्वयाहि । ३. उ० ११६ । ४. x (ख,ग)। ५. जाव जहा (ख)। ६. ४ (क)। ७. अंतिए जाव (ख)। ८. ओ० सू० १२० । ६. उ० ३३१३२ । १०. उ० ३३१४१ । ११. ना० १११।१०१। १२. सुव्वयं अज्ज (क,ख,ग)। १३. उ० ३.१३८ । Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७० पुल्फियाओ अहासुहं देवाणुप्पिए ! मा पडिबंधं ॥ १४६. तए णं से रटकूडे विउलं असणं तहेव जहा पुन्वभवे सुभद्दा जाव' अज्जा जाया-इरियासमिया जाव गुत्तबंभयारिणी ॥ सोमाए सामाणियदेवत्ताए उववत्ति-पदं । १५०. तए णं सा सोमा अज्जा सुव्वयाणं अज्जाणं अंतिए सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं छट्टट्ठम-दसम-दुवालसेहिं जाव' भावेमाणी बहूइं वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेत्ता, सट्टि भत्ताई अणसणाए छेइत्ता, आलोइय-पडिक्कता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उववाज्जाहई। १५१. तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं दो सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता! तत्थ णं सोमस्सवि देवस्स दो सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता॥ १५२. से णं भंते ! सोमे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्ख एणं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे जाव' अंतं काहिइ ।। निक्खेव-पदं १५३. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं पुफियाणं चउत्थस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते -त्ति बेमि ।। पंचमं अज्झयणं पुण्णभद्दे १५४. जइ णं भंते ! समणेणं भगक्या महावीरेणं 'पुफियाणं चउत्थस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते, पंचमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स पुप्फियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? १५५. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे। गुणसिलए चेइए । सेणिए राया। सामी समोसरिए । परिसा निग्गया । १५६. तेणं कालेणं तेणं समएणं पुण्णभद्दे देवे सोहम्मे कप्पे पुण्णभद्दे विमाणे सभाए सुहम्माए पुण्णभदंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जहा सूरियाभे जाव बत्तीस इविहं नट्टविहिं उवदंसित्ता जाव जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसि पडिगए। कूडागार१. उ० ३१११०-११३ ६. ना० १११७ । २. उ० ३।६६ ७. सं० पा०-उखेवओ। ३. उ० २।१०। ८. ना० ११७ ४. गमिहिति (ख)। ६. राय० सू० ७-१२० । ५. उ० १३१४१। १०. दिसं, (ख)। Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचमं अज्झयणं साला' । पुव्वभवपुच्छा ॥ १५७. एवं खलु गोयमा! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे मणिवइया नाम नयरी होत्था-रिद्ध-स्थिमिय-समिद्धा । चंदोतारायणे' चेइए॥ १५८. तत्थ णं मणिवइयाए' नयरीए पुण्णभद्दे नाम गाहावई परिवसई---- अड्ढे ॥ १५६. तेणं कालेणं तेणं समएणं थेरा भगवंतो जाइसंपण्णा जाव' जीवियासमरणभय-विप्पमुक्का बहुस्सुया बहुपरियारा पुन्वाणुपुर्दिव चरमाणा जाव" समोसढा । परिसा निग्गया। १६०. तए णं से पुण्णभद्दे गाहावई इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्ठतुठे जाव जहा पण्णत्तीए गंगदत्ते तहेव निग्गच्छइ जाव निक्खंतो जाव' गुत्तबंभयारी ॥ १६१. तए णं से पुण्णभद्दे अणगारे 'तहारूवाणं थेराणं" भगवंताणं अंतिए सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ-छट्ठट्ठम-दसम-दुवालसेहि जाव भावित्ता बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झोसेत्ता, सर्द्वि भत्ताई अणसणाए छेदित्ता, आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे पुण्णभद्दे विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जसि' 'देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्ताए ओगाहणाए पुण्णभद्ददेवत्ताए उववणे ॥ १६२. तए णं से पुण्णभद्दे देवे अहुणोववण्णे समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए जाव ° भासमणपज्जत्तीए पज्जत्तभावं गए। १६३. एवं खलु गोयमा ! पुण्णभद्देणं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव" अभिसमण्णागया ।। १६४. पुण्णभद्दस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? गोयमा ! दो सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता ॥ १६५. पुण्णभद्दे णं भंते ! देवे ताओ देवलोगाओ जाव कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव" अंतं काहिइ । १६६. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेण जाव" संपत्तेणं "पूप्फियाणं पंचमस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते –त्ति बेमि ॥ १.पू०–राय० सू० १२१-१२३ 1 २. तारायण (ख); तारा इण (ग)। ३. मणिवयाए (क)। ४. राय० सू० ६८६ । ५. उ० २२। ६. भग० १६१६८-७१। ७. ४ (क,ख)। ८. उ०२।१०। है. सं० पा० - देवसयणिज्जंसि जाव भासमण पज्जत्तीए। १०. उ० ३१८४। ११. उ० ३१८५। १२. उ० ३८६। १३. उ० ३१८६ । १४. ना० ११३७ ! १५. सं० पा०-~-निक्लेवओ। Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७७२ पुस्फियाओ छठें अज्झयणं माणिभद्दे १६७ जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं "पुफियाणं पंचमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते, छट्ठस्स णं भंते ! अज्झयणस्स पुफियाणं समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं के अट्ठे पण्णत्ते ? १६८. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे ! गुणसिलए चेइए । सेणिय राया । सामी समोसरिए । १६६. तेणं कालेणं तेणं समएणं माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभदंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुण्णभद्दो तहेव आगमणं नट्टविही पुव्वभवपुच्छा । मणिवई नयरी, माणिभद्दे गाहावई, थेराणं अंतिए पव्यज्जा, एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, बहूई वासाई परियाओ, 'मासिया संलेहणा", सर्टि भत्ताई, माणिभद्दे विमाणे उववाओ, दो सागरोवमाइं ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ ।। १७०. एवं खलु जंबू ! “समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं पुफियाणं छट्ठस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते —त्ति बेमि ।। ७-१० अज्झयणाणि १७१. एवं दत्ते ७, सिवे ८, बले ६, अणाढिए १०, सव्वे जहा पुण्णभद्दे देवे! दो सागरोवमाइं ठिई। विमाणा देवसरिनामा। पुव्वभवे दत्ते चंदणानामाए, सिवे मिहिलाए" बले हत्थिणपुरे नयरे, अणाढिए काकंदीए"। चेइयाई-जहा संगहणीए॥ १. ना० १।१७। २. स. पा.--उक्खेवओ। ३. ना० ११७। ४. समोसढे (ख,ग)। ५. उ० ३११५६-१६५ । ६. मासियाए संलेहणाए (क,ख,ग)। ७. संपा-निक्खेवओ। ८. ना० ११७ । है. उ० ३११५४-१६४ ॥ १०. महिलाए (क,ख,ग)। ११. काकिंदीए (क)। Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट-१ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति आधार-स्थल पूसं-स्थल ३०१२७,२८ १७११३० १७११२५ २३१६८,७४ ३०.२६ पूर्ति मापार-स्थल ३०१२८ १७११२३ १७११२३ २३६० ३०१२५ संक्षिप्त-पाठ अणागारहिं जाव पासति अणितरिया चेव जाव अमणामतरिया अणिटुतरिया जाव अमणामतरिया अबाहा जाव णिसेगो आगारेहिं जाव जं आभिणिबोहियणाण एवं जहेव कण्हलेस्साणं तहेव भाणियव्वं जाव चाहिं इट्तरिया चेव जाव मणामतरिया उट्टे जाव एलए उदएणं जाव अविहे उववेया जाव फासेणं एत्तो जाव अमणामतरिया एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे भणियं तहा भाणियब्वं जाव से तेणठेणं एवं जहा नेरइयाणं एवं मणूसाण वि कंता जाव मणामा कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुतोवउत्ता कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुतोवउत्ते कालं जाव खेत्तओ खेत्तं जाव पासति जाव इत्तरिय गोयमा जाव णण्णत्थ गोयमा जाव रोएज्जा जहा पंचेंदियतिरिक्खजोगिएस जाव जेणं १७:११३ १७:१२६,१२७,१३४ १११७,१६,२० २३।२१,२२ १७.१३४ १७११३१,१३२ १७१११२ १७।१३८ ११०१६ २३१३ १७११३३ १७४१२३ ३४११२ २८१३६ ३४१६ २८.१०५ २३।२०० २३॥२०१ १८१११७ १७।१०७ ११११६,२० २०१३४ २०१८ १०४६ २८१२२ ३४॥ . २८२४ २३३१६६ २३३१६६ १८२६ १७११०६ १११११ २०१७ २०१७ Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८॥३३ १५.४७ १२५१ १७।१०६ १७।१०६ १७११५१ १५१५२ ३४११५ ३४|१८ २३॥१३ २३.१५ ३०१२६ १७११३२ १७।१०८ अहा भासुद्देसए जाव पियमा २८११२.१६ जहेव नेरइया तहेव २८.३५ जाणंति जाव अत्येगइया ११४६ जावतियं तं चेव ११५१ रइए जाव पासति १७११०७ रइए तं चेव जाव इत्तरिय १७११०७ तं चेव १७१५४ तं चेव जाव चिट्ठति १२५२ तं चेव जाव णो ३४३१६ तं चेव जाव मणपरियारणा ३४११८ तहेव पुच्छा २३.१६ तहेव पुच्छा उत्तरं च, णवरं-अमणुण्णा सद्दा जाव कायदुहता २३३१६ तेणठेणं जाव णो ३०१२६ पसत्येणं जाव फासेणं जाव एत्तो १७.१३३ पासइ जाव विसुद्धतरागं १७४११० पुच्छा १५.१७,१८,२०-२३,२६-३६,३६, ४२-४४,४६,४६-५१,५७,६२,६३, ६५,६६,६८,७०-७५,७७,७८,८०, १२,८४,८५,८७-६०,६३,९४,९७, ६८,१००-१११,११३,११४,११६, ११७,११६,१२०,१२२,१२३,१२५१२७ २११४० २३।१६,२१,२३ पुच्छा २३२२८,३०,४० पुच्छा २४१११ २८.४१,४३,४८ पुच्छा । गोयमा ! एवं चेव, णवरं---अणिद्रा सद्दा जाव होणस्सरता दोणस्सरता अणिदुस्सरता अकंतस्सरता 5 वेदेते सेसं तं वेब जाव चोद्दसविहे २३३२० पुच्छा । गोयमा! एवं चेव, णवरं—जातिविहीणया जाव इस्सरियविहीणय २३२२२ बस्स जाव कतिविहे २३३१७ पुच्छा पुच्छा १८११ २११३८ २३३१३ २३३२५ २४१४ २८।२४ पुच्छा २३.१६ २३१२१ २३६१३ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९ २३३१४,१५ २०१३ बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम मणुस्सा एवं चेव, णवरं-आभोगणिन्वत्तिए जहष्णेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेणं अट्ठमभत्तस्स आहारट्टे समुपज्जति २८१४६-७१ २८१४-१६,३२,२१, २२,४०,४३-४५ ३६.१० ३६६८० २३३६६ मणसस्स अतीता वि पुरेक्खडा वि जहा रइयस्स पुरेक्खडा माहिड्ढीए जाव महासोक्खे वाससताइं जाव णिसेगो सपज्जवसिए जाव अवड्ठं समझें एत्तो जाव अमणामतरिया सम्मुच्छिमसामण्णपुच्छाकायव्वा सिझति जाव अंतं सीलं वा जाव पडिवज्जित्तए सेसं जहा नेरइयाणं जाव आहच्च ३६९ २०३० २३३६० १९५६ १७११२३ १७६१२४ ४११३४ ३६१६२ २०१३४ २८/३२,३३ ३६६८५ २०१७ २८।२०,२१ जंबुद्दोवपण्णत्ती २०६८ अंचेइ जाव पणाम ३११२ अंचेता जाव करयलपरिग्गहियं ५।५८ अंतलिक्खपडिवण्णे जाव उत्तरपुरस्थिमं ३३१३० अंतलिक्खपडिवण्णे जाव पूरेते ३४३ अंतवाले जाव पडिच्छइ ३६१३३,१३४ अकोहे जाव अलोहे अच्छरगणसंघसंविकिण्णा जाव पडिरूवा अणंते जाव समुप्पन्ने २१८५ अणुपविसइ जाव णमि ३११३७ अणुसज्जिस्संति जाव सणिचारी २।१६३ अणेगखंभसयसण्णि विठे जाव सुहसंकमे ३११०० अणेगखंभसयसण्णिविठेहि जाव सुहसंकमेहि ३१०१ अणेगरायवरसहस्साणुयायमग्गे जाव समुद्दरव ३११८० अदंडकोदंडिम जाव सपूरजणजाणवयं ३१२१२ अपत्थियपत्थगा जाव परिवज्जिया ३।१२४ अयमेयारूवे जाव संकप्पे अवक्कमित्ता जाव अब्भवद्दलए विउन्वंति २ जाव तं णिहयरयं १७ अहोरत्तंसि जाव चारं ७.२७ ३१६ ५२२१ ३१४३ ३१३० ३१२६,२७ पज्जो० ७८ पण्ण० २३० पज्जो० ८१ ३।२० २।४६ ३६६ ३६६ ३१२२ ३३१२ ५१२२ ५२२० राय० स० १२ ७१२६ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ ३।४३ राय० सू०४० ३११५,१६ २१४१ ३७ आउहघरमालाओ तहेब जाव उत्तरपुरत्थिमं आपुरेमाणा जाव अतीव आभिसेक्कं जाव पच्चप्पिणंति आयामेणं जाव वासं आसत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ आसयंति जाव भुंजमाणा आसयंति जाव विहरति आसोए जाव आसाढे इट्टत्तराए चेव जाव आसाए इत्तरिया चेब जाव मणामतरिया इटाहि जहा पविसंतस्स भणिया जाव विहराहित्तिकट्ट इट्ठाहिं जाव जयजयसई इड्ढी एवं चेव जाव अभिसमण्णागए इत्थिरयणेणं जाव णाडगसहस्से हिं इमं जाव विणमी इमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था इव जाव ससिव्व ईरियासमिए जाव पारिद्रावणियासमिए ईसर जाव पभितयो उक्करं जाव मागह उक्किट्ठाए जाव अट्टाहियं जाव पच्चप्पिणति उक्किट्ठाए जाव उत्तरेणं उक्किट्ठाए जाव एवं उक्किट्ठाए जाव तिरियमसंखेज्जाणं उक्किट्ठाए जाव देवगईए उक्किट्ठाए जाव वीईवयमाणे उक्किट्ठाए जाव सक्कारेइ सम्माणेइ, २ ता पडिविसज्जेइ जाव भोयणमंडवे, तहेव महामहिमा कयमालस्स पच्चप्पिणंति उक्किट्ठिसीहणाय जाव करेमाणे उत्तरेणं जाव चउणवई उप्पलहत्थ गया जाव अप्पेगइया उल्ला जाब पीइदाणं से, णवरं चुडामणि च दिवं उरत्थगे विज्जग सोणियसुत्तगं कडगाणि य .... तुडियाणि य जाव दाहिणिल्ले अंतवाले जाव अद्राहियं ३२६० ५॥३८ ३०१७३,१७४ २२१४४,१४५ ३.८८ ११३३ ४१२ ७।१०३ २।१८ २०१६ ३१२०६ श५८ ३३१२६ ३३२१४ ३११३८ ३१८८ ३२६,१७ २१६८ १११३ १११३ भ० १८१२१६ जी. ३५६६ जी० ३३२७६ ३१८५ ३११८५; शाव ३६१२६ ३२२०४ ३१२६ ३१२६ ओ० सू० ६३ पज्जो०७८ ओ० सू० ५२ ३११२ ३२८ ३१६४-६७ ३११३३ ३६५६ २।१० २५,४४ ५१४७ ३।२६ ३१२६ जी० ३४४३ ३।२६ ३।२६ ३१७२-७५ ३२९६ ४१८६ ३११० ३।२२ १३२० शाव ३१३७-४२ ३१२३-२६ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४५-५० ३१२१६ ७८४ ३१२३-२६ ३१८६ ७१७८ २५ ४१ उल्ला जाव पौइदागं से, णवरं माल मडि मुत्ताजालं हेमजालं कडगाणि य तुडयाणि य आभरणाणि य सरं च णामाहा पभासतित्थोदगं च गिण्हइ २ ता जाव पच्चत्थिमेणं पभासतिस्थमेराए अहण्णं देवाणुप्पियाणं विसयवासी जाव पच्चत्थि मिल्ले अंतवाले, सेसं तहेब जाव अट्ठा हिया निव्वत्ता उवट्ठाणसाला जाव सीहासणवरगए उवाएणं जाव संकममाणे उवागच्छित्ता जाव आगायमाणीओ उवायच्छित्ता जाव ससिव्व एज्जमाणा जाव निव्वु इक रेणं एयारूवाए जाव अभिसमण्णागए एवं ओववाइयगमेणं जाव तस्स एवं पच्चथिमिल्लाए जाव पच्चथिमिल्लं कटु जाव पडिसुणेइ कडगाणि य जाव आभरणाणि कडगाणि य जाव मागह कडगाणि य जाव सो चेव गमो जाव पडिविसज्जेइ कत्तिइण्णं जाव वत्तव्वं करयल जाव अंजलि करयल जाव एवं करयल जाव कटु करयल जाव जएणं करयल जाव मत्थए करयलपरिम्गहियं जाव अंजलि करयलपरिग्गहियं जाव मत्थए करेइ अवसिझें तं चेव जाव निहिरयणाणं करेत्ता जाव गट्टविहिं करेत्ता जाव वेयड्ढगिरिकुमारस्स करेता जाव सिंधूए कामगमाणं जाव मणोरमाणं किण्हचामरझया जाव सुक्किल' केणठेणं जाव सासए कोटुपुडाण वा जाव पीसिज्जमामाण कोडीए जाव दोहिवि पुढे ३१२२२ ३६ ५।३८ रायः सू० ४० ३२१२२ ३१२६ ३३१७८,१७६ शाव, हीवृ, ओ० सू० ६४ ४११०८ ३१८४ ३११६ ३२७२ ३१२६ ३२२६ २२६ ३१५६,५७ ३२६,२७ ७१४२ ७१४१ ३६,२०४ ሃ ५॥४६ ३२५ ओ० सू० २० ओ० सू० २० ३८८ ३१५१ ३२११४,१२६,५१५८ ३६१६४-१६६ ३३१८-२० ५१५८ शा ३६१८-२० ३१५२-५४ ३।१८-२० ७११७५ ७११७५ ४१२६ जी० ३१२८८ ४१३४ ४१२२, पुत्र, हीव ४११०७ जी० ३२२८३ ४११७२ ४११०८ ३२५ ३१५ ३१५ ३२५ ३.५ Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९४ कोहे वा जाव लोहे २०६६ पज्जो०७४ गच्छंति जाव नियमा ७१४०-४८ भ० ११२५८-२६६, शावृ गयवई जाव दुरुढे ३१२१५ ३१७ मामाइ वा जाव सण्णिवेसाइ २१२१ ठाणं ॥३६० गाहावइकुडप्पमाणं जाव मंगलावत्त ४।१६५ ४११८३; ही गुणेत्ता जाव तं चेत्र ७.३३ ७१३१ घडमुहपवत्तिएणं जाव साइरेग' ४११०,६१ ४॥२३ घाइय जाव दिसोदिसिं ३३११० ३३१०८ चंदिम जाव तारारूवा ७१५८ ७१५५ चंदे जाव संकममाणे ७७५,७८ ७१६६ चक्करयणदेसियमम्गे जाव खंडगप्पवायगुहाओ ३।१६३ ३३९३ चच्चर जाव महापह ३३२१२ ३॥१८५ चरइ जाव केवइयं ७.८० ७७६ चेव जाव गंधे ४११०७ जी० ३२८१ छत्तपडामा जाव संपट्ठिया ३३१७८ ओ० सू० ६४ जा पढममज्झिमेसु वत्तब्धया ओसिप्पिणीए सा भाणियन्वा २०१५८ २१५५ जुगमुसलमुट्टि जाव वासं ३।१२२ ३१११५ जुगमुसलमुट्ठि जाव सत्तरत्त २११४२ २११४१ जोएइ जाव कुलोबकुलं ७.१३६ ७.१३६ जोयणंतरिएहिं जाव जोयणज्जोयकरेहि ३६६ ३१६५ णरवई जाव सव्वे ३१३१ ३।२४ णवजोयणविच्छिण्णं जाव कयमालस्स ३१६६-७१ ३११८-२० णवजोयणविच्छिण्णं जाव खंधावारणिवेसं ३११८० ३११८ णवजोयणविच्छिण्णं जाब विजयखंधावारणिसं ३११६४ ३।१८ णवरं पम्हलसूमालाए जाव मउड ३२११ जी० ३।४४६ णाणामणिपंच जाव कित्तिमेहि २।१२७ २१५७ णिक्खममाणस्सवि जाव अप्पडिव ज्झमाणे ३।२०४ ३३१८६ णिरयगामी जाव अंत ११५१ ११२२ णिरयगामी जाव अप्पेगइया २११४८,४११०१ ११२२ णिरयगामी जाव देवगामी २२१२३ १।२२ णिरयगामी जाव सव्वदुक्खाणमंत २११२८ १२२२ णेया वेढो भरहस्स ३१७७ णो चेव णं तेसि मणुयाणं आबाहं वाबाहं वा जाव पगइभद्दया २१४१ २०३६ तयणतराओ जाव संकममाणे ७१६६ तलवर जाब सत्यवाह ३।१७८,१८८,२१६,२२१ ३।१० तहेव पविसंतो मंडलाई आलिहइ ३।१५८-१६० ३१६४-६६ तहेव सेसं जाव विजयखंधावार' ३११८ ७१८१ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्य गरचियगं जाव अणगारचियग तित्थगरचियग जाव णिव्वाति तित्थगरचियगाए जाव अणगारचियगाए तित्थगरचियगाए जाव विउव्वं ति तिस्थगरसरीरगं जाव अणगारसरीरमाणि तित्थयरस्स जाव फुट्टिहीतिकटु तिसोवाणपडिरूवएणं जाव पज्जुवासंति तुरग जाव वणलयभत्तिचित्ताओ तुरियाए जाव उद्ध् याए तुरियाए जाव वीतिवयमाणा तेणेव जाव पच्चप्पिणं ति तेरसहिं जाव छेत्ता तोरणेणं जाव पवूढा दंडणायग जाव दूय दंडणायग जाव सद्धि दिब्बतुडिय जाव आपूरेते दिव्वा वा जाव पडिलोमा दुरंतपंतलक्खणे जाव परिवज्जिए दुरंतपंतलक्खणे जाव हिरिसिरि दुरुहिता जाव सीहासणंसि दुरुहित्ता तहेव जाव णिसीयंति दुस्समदुस्समाकाले जाव सुसमसुसमाकाले देवराया जाव पच्चप्पिणइ देवाणुप्पिया जाव अम्हे देवा य जाव विहरति देविड़ित जाव उवदंसेमाणे देविड़िढ जाव दिव्वं देवेण वा जाव अग्गिपओमेण वा जाव उद्दवित्तए नाणेणं जाव चरितणं पउंजित्ता जाव पम्हसूमालाए पउमवरवेइयाए जाव संपरिक्खित्ता पंड्यए जाव संखे पकरेंति जाव जहणणं पगिण्हित्ता जाव अट्ठम भतं पच्चत्यिमाभिमुहे जाव समप्पेइ पच्चथिमिल्लाए जाव पुढा २११११ २१११२ २।१०५-१०७, १०६ २।१०८ २०१०८ ५७३ श२०६ २।१०१ ३११३८ ३।११३ ५७० ७८०,८१,५३ ४१७७ ३९ ३१७७ ३।१७२ २६७ ३।१२२ ३३११४ ५१४१ ५४२ २।३ ५७१ ३११३८ ११३६ ५१४४ २६५ २११११ २९५ २।१०७ २।१०७ ५७२ ३१२०५ ११३७ ३।२६ ३।२६ ३।१३ ७.७६ ४१३५ शा ३६ ३।१४ पज्जो०७७ ३१२६ ३३५ राय० सू० ४७ ५२४२ २२ ३।१३ ३१२६ १.१३ राय. सू० ५६ राय० सू० ५६ ३।११५ पज्जो० ८१ शाव, जी० ३१४६६ ४१३ ३।१६७ ७५६,५७ ३३२० ६।२४ ४१ ३।१२५ २०७१ ५।५८ ४१२४२ ३११७८ ७।५६,६० ३।१८२ ६२४ ४१५५ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ ११४८ ३३३३,३४ ३१२०० १०२० ३१२०,२१ पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुढे पच्चप्पिणइ सेसं तहेव जाव मज्जणघराओ पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति . पच्चुवसमंति एवं पुप्फवद्दलगंसि पुप्फवासं वासंति, वासित्ता जाव कालागुरुपवर जाव सुरवराभिगमणजोग्गं पडिणिक्खमित्ता जाव उत्तरपुरस्थिमं पडिणिक्खमित्ता जाव गंगाए पडिणिक्खमित्ता जाव दाहिणं पडिणिक्खमित्ता जाव पूरते पडिसाहरेमाणे जाव जेणेव पण्णत्ते सयणिज्जवण्णओ भाणियव्यो पतणतणाइस्सइ जाव खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव वासं पत्तेयं जाव अंजलि परामुसइ वेढो जाव छत्तरयणस्स परिगरणियरियमझो जाव तए परिभुज्जमाणाण वा जाव ओराला पवरवाहण जाव सेणाए "पवरवीर जाव दिसोदिसिं पाईणपडीणायया जाव पच्चस्थिमिल्लाए पाउप्पभाए जाव जलते पारेत्ता जाव सीहासणवरगए पासाईयाओ जाब पडिरूवाओ पामादीया जाव पडिरूवा पिंडिम जाव पासादीयाओ पीइमणे जाव अंजलि पुष्फारुहणं जाव वत्थारुहणं पुरथिम जाव पुढे पेच्छिज्जमाणे एवं जाव णिग्गच्छइ जहा ओववाइए जाव आउलबोल बहुलं ५७ राय० सू०१२ ३११४० ३।४३ ३।१४६ ३१४३ ३।१३६ ३१४३ ३३५१ ३४३ राय० सू०५६ ४१३ जी० ३.४०७; शावृ २११४२ २१४१ २११४३ २११४१ ३३२०६ जी० ३।४४६ ३२११६ ३६२ ३।१३१ ३।२४ ४११०७ जी० ३।२८१ ३२२१ ३३१७ ३।१०६ ३११०५ ४११ १।१२० ३११८८ ओ० सू० २२ ३१५८ ३।२८ २।१५ १८ २।१४ २।१२ ओ० सू०७ ३।१६ ३॥८८ ३।१२ ४११८ श २०६५ पोसहसालाए जाव अट्ठमभत्तिए पोसहसालाए जाव णमि पोमहसालाए जाव णिहिरयणे पभिइओ तेवि तह चेव णवरं दाहिणिल्लेणं फामपज्जवेहिं जाव परिहायमाणे वंभयारी जाव अट्ठमभत्तिए ३१६३ ३११३७ ३११६६ ३१२०६ २।१३० ३२८४,८५ ओ० सू० ६६ वाचनान्तर; वृतित्रय ३१५४ ३१५४ ३१५४ ३।२०५ २१५१ ३२०,२१ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६७ ३१२० २।११४ ३३१७८ ३।६७ ११२२ बंभयारी जाव कयमालगं ३७१ बंभयारी जाव दन्भसंथारोवगए बहवे जाव करेंति २।११५ बहवे जाव सत्यवाह ३३१० बहुमझदेसभाए जाव उम्मुग्ग ३११६१ बहुसंघयणा जाव अप्पेगइया ११५० बहसमरमणिज्जे जाव भविस्सइ, मणयाणं जा चेव ओसप्पिणीए पच्छिमे तिभागे वत्तन्वया सा भाणियव्वा, कुलगरवज्जा उसभमामिवज्जा २११५६,१५७ भगिणी में जाव संगथसंथुया २०६६ भवण जाव वेमाणिएहिं ४१२४८ भवणवइ जाव अट्ठाहियाओ २।१२० भवणवइ जाव जे ५७३ भत्रणव इ जाव तित्थगर जाव भारग्गसो २१११० भवणवइ जाव देवेहि ४।२५२ भवणवइ जाव भारहगा ४१२५० भवणवइ जाव वेमाणिए २।१०१,१०६,११४ भवणवइ जाव वेमाणिया २।६६,१००,१०२,१०४,११३,११६ मंसाहारा जाव कहि २११३७ मग्गे जाव समुद्दरवभूयं ३।१०६ मडंब जाव जोयणंतरियाहिं ३११८० मणगुत्ते जाव गुत्तबंभयारी ३।६८ मणुण्णा जाव गंधा ४११०७ महज्जुईए जाव पलिओवमट्ठिईए ३१२५६ महज्जुईए जाव महासोक्खे ३१११५ महज्जुईया जाद महासोक्खा महया जाव आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहराहित्तिक? ३११८५ महया जाव भुजमाणे ३।१८७ महाणईओ सहेव णवरं पच्चथिमिल्लाओ ३।१६१ महामेहणिग्गए जाव मज्जणघराओ ३।२१ महिड्ढीए जाव णो ३।१२५ महिड्ढीयं जाव उद्दवित्तए ३।१२४ माडंबिय जाव सत्थवाह ३८६ य जाव छेत्ता ७.८२ रयणकुच्छिधारिए एवं जहा दिसाकुमारीओ जाव धण्णासि ०४६ २२५७,५८ सू० २१११५१; शावृ ४१२४६ २.११६ ५७२ ११०६ ४१२४८ ४।२४८ २०६५ २०६५ ११३५ ३।२२ ३११८ पज्जो० ७८ जी० ३२८१ ११२४ १०२४ श२४ शाव ३१८२ ३१६ ३।११५ ३।११५ ३.१० ७७६ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रयणाणं जाव संवट्टगवाए रययाम यकूले जाव पासाईए जाव पडिवे राईसर जाव सत्थवाह रायधम्मे जाव धम्मचरणे राया जाव तमाणत्तियं राया जाव पच्चष्पिणंति राया जाव पडिविसज्जेइ राया जाव पास इ रुट्ठे जाव पीइदाणं सव्वोसहि च मालं गोसीसचंदणं कढगाणि जाव दहोदगं रूवेहिं जाव णिओगेहि रोहिया णं जहा रोहियंसा पवहे य मुहे य भाणियव्वा जाव संपरिक्खित्ता लवणं जाव समप्पेइ लूहेता एवं जाव कप्परुक्खगं लोगपालेहिं जाव चउहिं वंदणघडसुकय जाव गंधुद्ध याभिरामं वंदेज्ज वा जाव पज्जुवासेज्ज वणसंडेणं जाव संपरिक्खित्ते वणसंडेहि जाव संपरिक्खित्ते वष्णपज्जवेहि जाव अनंत गुण वण्णपज्जवेहिं जाव परिवड्ढेमाणे वण्णपज्जवेहिं तहेव जाव अणतेहि उद्वाणकम्म जाव परिहायमाणे वण्णपज्जवेहि तहेव जाव परिहाणीए arade जाव फासेणुववेए वाइय जाव दिव्वाइं वाइय जाव भुंजमाणा वाइय जाव भोगभोगाई वालग्गे एवं हेमवयएरण्णवयाणं मणुस्साणं पुब्वविदेह अवरविदेहाणं मणुस्साणं वित्थडा तं चैव जाव तीसे विमलदंडं जाव अहाणुपुवीए विसयवासी जाव अहण्णं विसुद्धरुक्खमूलाई जाव चिट्ठति ७६८ ५।५ ४१३८ ३३१८६ २।१५७ ३।३२ ३३१६८ ३।१३६ ३।१७३ ४।७२ ४/३७ ५५८ २६० ३७ २/६७ ४१७६ ४८६ २५४, १३८, १४०, १५३ २१४६ ३।१३३ ३।२६ ५२४३ ( राय० सू० ५४, शावृ २।१२१ २।१२६ २ १८ ७१८२ ७५८ ५।१ रा० सू० १२ ४१२५ २६ ७/३३ ३।१७८ ३१३३ २६ ३११० २१२८ ३।१३ ३|१३ ३।२७ ३।३१ ४१४३ ४३५ शाव, जी० ३।४४६ ५१६ ओ० सू० ५५ शाव ४३१ ४|३१ २५१ २१५१ २१५१ २१५१ जी० ३१५६६ ५।१८ ५।१८ ५.१८ २६ ७/३१ ओ० सू० ६४ ३।२६ २६ Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २।८८ ३११८८ ३।१६२ ३१२११ २०६७ ३८८ ३२८४ ३६ ५२२२ ३३९८ ५।२१ ५।२६ ३३१३८ ३।१४१-१४८ २१८६ ३३१८८ ३।१६२ जी० ३१४४६ शा ३.१२ ३१२० ओ० सू० ६३ श२० ३१६८ श२० ५१२२ ३३२६ ३।५२-५६ वीइक्कते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे बीरिय जाव केवलकप्पे वेउब्विय जाव समोहण्णंति वेढिम जाव विभूसियं वेत्तेण वा जाव कसेण वेरुलियविमलदंडं जाव धूवं संथरइ जाव कयमालस्स सकोरंट जाव चाउचामर सक्कस्स जाव अंतियं सक्करा वा जाव मणुस्से सक्के जाव आसणं सक्के तं चेव जाव अंतियं सखिखिणीयाइं जाव जएणं सच्चेव सब्बा सिंधुवत्तव्वया जाव णवरं कुभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगरयण भत्तिचित्ताणि य दुवे कणगसीहासणाई सेसं तं चेव जाव महिमत्ति सपणद्धबद्धवम्मियकवया जाव गहियाउह सद्दावेत्ता जाव अट्ठाहियाए महामहिमाए सहावेत्ता जाव पोसहसालं समचउरसे जाव तिक्खुत्तो आदाहिणपयाहिणं करेइ वंदति वंदित्ता जाव एवं समाणीए जाव पच्चत्थिमं समाणे जाव सरसगोसीस समाणे सेसं तहेव सम्माणेता जाव पुरोहियरयणं सयंति जाव फलवित्तिविसेसं सव्वज्जुईए जाव णिग्योसणाइयरवेणं सव्वबलेणं जाव निग्घोसनाइएणं सहइ जाव अहियासेइ सहस्सा जाव समति सासया जाव णिच्चा सिंगारागार जाव जुत्तोवयारकुसलं सिंघाडग जाव एवं सिंघाडग जाव महापह सिझंति जाव अंतं सिझति जाव सव्वदुक्खाणमंतं ३।१२४ ३३५८,५६ ३११८०-१५२ ३१७७ ३२८,२६ ३११८-२० ११५,६ ३२६८ ३८२ ३३३६ ३२२१६ ११३० ३११८० ३१७८ २०६७ ६।२६ १२११ ३११३८ ५७३ ३।१८५,५७२ ४११०१ १२५०,२१५८ भ० ११६,१० ३१४३ शा ३२२२ ३।१८६ १४१३ ३३१२ ३१० पज्जो०७७ ६१२६ ११४७ २०१५ ५१७२ ओ० सू० ५२ १।२२ १।२२ Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिया जाव तहेब जं सिरियच्छ जाव कम गह सिरिवच्छ जाव दप्पणे सिरिवच्छ जान पडदा सिरिवच्छसरिसरूवं वेढो भणियन्वो जाव दुवालस सुरभिवरवारिपणेहि जान महया सुवणं मे जाव उवगरणं सुसमा तहेव सुसमासमा सहय सुस्सुसमाणा जाव पज्जुवासंति सुस्सुसमागे जाव पज्जुवासइ सूरिय जाव तारारूवा सेणावरयणे जाव पुरोहियरयणे सेणावहरवणे जाय सत्यवाह० सेणिप से सिह सद्दावणया जाव णिहिरयणाणं अट्ठाहियं महामहिम करेइ हट्ट करयल जाव एवं हट्ठ जाव सोमणस्सिए टुटुटुचिमादिए जाव करयल तुट्टचितमादिए जाव विणएवं हद्दुचित्तमाणंदिया जाय हिथया हट्ट जाव को बिय हट्ट जाव पोसहसालाओ हट्ट जाव हियए हट्ट जावहिया हत्थिसंधवरगया जाव घोसंति हयगय जव सण्णाता गरह तव अंजणगिरि हयगयरपवर जाय चाउरंगिणि हयमहिय जाव परिसेहिया हरिय जाव सुहोवभोगे हारोत्ययसुकपरइयवच्छे जाव अमरबद्द ८०० सूरपण्णत्ती सम्वतराए जाव परिक्खेवेणं एवं एवं दीवं एवं समुदं अणमण्णस्स अंतरंकट्टु ५१५ ३१८८ ३११७८ ४१२८ ३।११६ २२०६ २१६६ २.१५१-१६१ २।१६२,१६३ ३।२०५ २१६०,५५८ ७५५ ३१५८,२१० ३१२०६,२१५ ३।१६८,१६६ ३७७,८४ ३ १०० ३।११४ २।३१,१७३ ३१६६ ३११५ ५२७ ३।२१३ REE ३।१७५-१७७ ३।७७ ३।१११ २१४६ ६।१३,१५० राय० सू० १२ ३।१२ ३।१२ जी० ३२८७ ३।७६ जी० ३०४४४ सू० २।१।५० २१५०-५२ २५०,७ ३।५०, ५१ ३८ ३५ ओ० सू० ५६ ३६ ३३५ ३१५ १।१४ १२० १४६ १/६ ७५५ ३।१७८ ३३१८८ ३।१६ ३१५ ३३५ ३१५ ३१५ ३५ ३।२१२ ३|१५ ३३१५-१७ ३।१५ ३१०८ २११४५ ३।१८ जं० ११७ १२० Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०१ ११२४ ४४ ४१६,७ ११२४ ४।३ ४६३,४ ४१७ १५।१४ राइंदिए तहेव तीसे तहेव जाव सव्वबाहिरिया उड्ढीमुहकलंबुयापुष्फसंटिता तहेव जाव वाहिरिया सेसं तहेव अणुपरियट्टित्ता जाब विगतजोई गह जाव तारारूवा वाइय जाव रवेणं सव्व जाव चिट्ठति ममचकवालसंठिते जाव णो सव्वतो जाव चिट्ठति ममचक्कवाल जाव णो १६।२६ १६१२६ १६२८ १५१० १६॥२३ १६।२३ १९४२ १६॥३ १६२६ १६।२ १६.३२ १९८३३ १६।३ उवंगा अंतरं वा जाव मम्म १६६६ अंतराणि जाव पडिजागरमाणे १११०५ अंतिए जाव पडिबज्जइ ३।१०४ अगाराओ जाव पव्व इत्तए ३।१०६ अज्जग जाब उवसंपज्जित्ता १२११६ अज्जाणं जाव पब इत्तए ३।१०६,१३८ अज्झथिए ३।२६ अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था ११५३।४८,५०२५५३५ अज्झत्थियं जाव वियाणित्ता ॥३७ अणगारे जाव अप्पाणं ५१३२ अत्तए जाव वेहल्लं ११११४ अपत्थियपत्थए जाव परिवज्जए १८१ अम्प्रयाओ जाव अंगपडिचारियाओ निरवसेसं भाणियव्वं जाव जाहे वि य णं तुमं वेयणाए अभिभुए महया जाव तुसिणीए ११७४-८७ अम्मयाओ जाव एत्तो ३११०१ अम्मयाओ जाव जम्म १२३४ अयमेय रूवे जाव समुप्पज्जित्था ११५१,६६,३।१०६ असण जाव सम्माणेत्ता ३१५० अहं जाव पवइत्तए ४११४ अहापडिरूवं जाव विहरति श२६ आएहि जाव ठिई ११४३ १२६५ १।६५ ३११०३ ३।११८ १५१०६ ३३१०६ १२१५ रायः सू०६ १११५ भ० ११५१ ११११० उवा० २०२२ ११३४-६२ ३१६८ ना० ११११३३ १११५ ना० १७।६ ३३१२८ ३।६६ ११४१ Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ वृत्ति २।३ आघवित्तए वा जाव विण्णवित्तए ३१०६ ३३१०६ आरंभेहि जाव एरिसरण १।१४० ११२७ आलोएहि जाव पायच्छित्तं ३१११५ ठाणं ३१३३८ आसाएमाणीओ जाव परिमाएभाणीओ ११३४ वि० ११।२६ आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धण ११२२ आहारपज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए ३११५ राय० सू० ७६७ आहेवच्च जाब विहरइ ५११० ना० १६५६ इच्छिए जाव अभिरुइए ३३१३ ना० १११।१०२ इट्ठाहिं जाव वगृहिं १४४ ११४१ इमेयारूवे जाव संकप्पे ३।६८ १३१५ उखेवओ ३८८,१५४,१६७ ३२२० उक्खेवओ ४।३।५।३ उक्खेवओ जाव दस ४११,२ २१,२ उक्खेवओ भाणियचो ३१२३,२४ ३।२०,२१ उड्ढे जाणू जाव विहरइ ओ० सू०८२ उबट्टवेत्ता जाब पच्चप्पिणंति १।१७,१८ राय० सू० ६६०,६९१ उवट्ठवेत्ता जाव पच्चप्पिणह ४।१६ १११७ एयारूवे जाव समुपज्जित्था ११५४ १५१५ एवं मारेउ बंधेउ २७३ एवमाइक्खइ जाब परुवेइ १९९८ ओ० सू० ५२ ओग्गहं जाव विहरंति ३११३२ ३११ ओहय जाव झियाइ ३१६८ १४१५ ओहयमण जाव झियाइ १११५ वृत्ति कंता जाव भंड ३०१२८ ना० ११०२०६ कयवलिकम्मा जाव अप्प० श१६ ओ० सू० २० करयल० ११३६:५८ ; ३१०६१३८, ५११६ करयल० १६४५,४।१५ १४५ करयल० १५१०७ ओ० सू० २० करयल जाव एवं १६६ करयल जाव कटु करयल जाव पडिसुणेता ११४५ ओ० सू० ५६ करयल जाव बद्धावेंति ११२२ १।१०७ करयल जाव वद्धावेत्ता श११६ १२१०७ काणि जाव वेहल्लं १६११२ १११११ कुणिएणं करयल जाव पडिसुणेत्ता ११४५ गामागर जाव सविणवेसाई ३।१०१ ओ० सू० ८६ चउत्थ जाव अप्पाण ५।२८ २०१० १७३ वृत्ति १२१०८ Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०३ २०१० राय० सू० ६८६ ३।४८ २०१० ५१३६ २११० ११० ना० ११११२०१ ४११८ १११५ १११०६ भग० १२०५-२२१ चउत्थ जाव भावेमाणे ३.१४ चरमाणे जेणेव रायगिहे नयरे जाव अहापडिरूवं श२ चिण्णाई जाव जुवा ३१५० छ? ४/२४ टुट्ठम जाव मासद्ध ३।८३ हम जाव विचित्तेहि छट्टम जाव विहर २११० छत्तादीए जाव धम्मियं १६ जइस्सइ जाव कालं श२१ जहा पढम जाव वेहल्लं ११११३ जहा पण्णत्तीए । सामिलो निग्गओ खंडियविहणो जाव एवं वयासी.-- जता ते भंते ! जवणिज्जं च ते भंते ! पुच्छा । सरिसवया मासा कुलत्था एगे भवं जाव संबुद्धे ३।२६-४५ जहा भगवया कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियाओ ववरोविए १।१४० जहा सिवो जाव गंगाओ ३१५६ व्हाए जाव सव्वालंकार' १२७० व्हायं जाव पायच्छित्तं ३३११० पहाया जहा कालादीया जाव जएण' १२१२६,१३० व्हाया जाव पायच्छित्ता १।१२१,५११६ तं चेव जाव कट्ठमुद्दाए ३२५५ तं चेव जाव निवेयणे तं चेव भाणियव्व जाव वेहल्लं ११११० त चेव सखंधावारे ११११६ तं चेव सव्व भाणियब्वं जाव आहारं अहारेइ, नवरं इमं नाणत्तं -दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्यियं अभिरक्खउ सोमिलं महापरिसिं, जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव अणुजाणउ त्ति कट्ट दाहिणं दिसि पसरइ। एवं पच्चत्थिमेणं वरुणे महाराया जाव पच्चत्थिमं दिसि पसरइ । उत्तरेणं वेसमणे महाराया जाव उत्तरं दिसिं पसरइ। पुवदिसागमेणं चत्तारि वि दिसाओ भाणियब्वाओ जाव आहार आहारेइ ३१५३, ५४ तलवर जाव संधिवाल श६२ तलवर जाव सत्यवाह ३।१०१ तवसा जाब विहरंति ३२९६ ११२२ ३३५१, भग० १११६४ ओ० सू०७० ११७० ११२१,१२२ ११७० ३।५५ ११६१ १।१०६ १२११५ ३१५१ ओ० सू० ६३ ११६२ Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हावा जाव विउलस्स तब भागिय जाव हल तितो जान एवं ते जाव पच्चप्पिणंति दंतिसहस्सेहिं जाव ओयाए दंतिसहस्सेहि जान मणुस्तकोटीह दं तिसहस्सेहि जाव रहमुसलं दतिसहस्सेहि जाव सत्तावण्णाए दिव्वा जाव अभिसमण्णगया दुज्जा एहि जाव नो संचामि विहरितए दुरंत जान परिवज्जिया देवसयणिज्जंसि जाव ओगाहणाए देवसमणिगि जाव भासमणपती देविड्ढी जाव अभिसमण्णागया देवी जाव कहि देवे जाव एवं नमसंति व पशुवासंति इयत्ताए नरए जाय नाइ जाव रवेणं निवसेव निसम्म जान हिया नीय जाव अडमाणे पढमं भइ तहेव परिमाणइ जान तुमिणीए पवर जाव पच्चपिणं नि पासादीए जाव पडिरूवे पुप्फ जाब दरिसणिज्जे पुवरता जाव समुप्पज्जित्या वाजिव बसालवणे विहरद बहुपदिष्णणं जाव माल बहूणं नगरनिगम जहा आनंदो बुझिदि जाव अंत बुझिदि जाव सम्व भगवं जाव पज्जुवासानि भविता जाव पब्वाइ भवित्ता जाव पव्वयाहि ८०४ १।१७ १११०६ १:२१ ४१७ १।१५ १११३६ १।२१ १।१३७ ३१८५ ३११३४ ११११५ ३८३ ४२४ ३।१६१: १६२ ३१२२ ४१२६ ३७५.७६ ५/३६ १।१४० ४|१८ ३८७, १६६ १७० ४२७ ५४३ १।२१ ३।१३२ ३।७७ ३।६१ ५११८ ५।५ ५६६ ११६५ ३।२६ १।५३ ६।११ १११४१ ५३४३ १११७ ३।११२ ३।१३६ ओ० ० ५२ १११०७ ओ० सू० ८१ १११५ १११४ १।१४ १।१४ १११४ राय० सू० ७६७ ३।१११ १८६ ३।१२० ३१८३, ८४ ३१८४ ३११२५ ३५७,५८ ० ० ५२ १।२६ ३११११ ३।१६ ओ० सू० ८१ ३.१०० ३1५६ aixe १११२३ ५।३ ना० ११५२४ ११५१ ओ० सू० ५२ ओ० सू० १४३ उवा० १|१३ ओ० सू० १५४ ओ० सू० १५४ ओ० सू० ५२ ३११०६ ३।१०६ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०५ ना० १११।१६० ३१११२ ३३९८ २१२४ ३।१०६ ३११०६ ३।१०६ ३।१०६ ना० १४१६२८ ३१११४ भीए जाव संजायभए भीया जाव देवाणुप्पियाणं भोगभोगाइ जाब विहरामि मज्जणघरे जाव दुरुढे मुंडा जाव पन्बयाई मुंडा जाव पब्वयामि मुंडा जाव पव्वयाहि मुंडे जाव पव्वइत्तए मुच्छिया जाव अज्झोववण्णा मुच्छ्यिा जाव अभंगणं रज्ज च जाव जणवयं रज्जसिरि जाव विहामि रज्जेण वा जाव जणवएण राईमर जाव मत्थवाह' लोह जाव गहाय मुडे जाव पन्चइए लोह जाव घडावेत्ता जाब उवक्खडावेत्ता लोह जाव दिसापोक्खिय वसही जाव वद्धावेता वाणारसीए जाव पुप्फारामा य जाव रोविया विउलाई जाव विहरामि विउलाई जाव विहरित्तए संकाय जाद कट्ठमुद्दाए संजमेणं जाव विहार सण्णद्ध जाव गहियाउह. सद्द जाव विहरइ सद्धि जाव भुंजमाणी समाणी जाव पवइत्तए समाणे जाव भासमणपज्जत्तीए सीय जाव विविहा सुरं च जाव पसण्ण मोल्लेहि य जाव दोहलं हट्ठ जाव हियया हीलिज्जमाणीए जाव अभिक्खण श६६ ४।१६ ३।१०६ श१६ ४१६ ३११३६ ३।१०७,१३६ ३२ ३३११४,११५ ३।११६ १।१४ ११७१ १९६ ५२२० ३२५५ ३१५५ ३५० १।११० ३१५५ ३३१०६ ३३१३१ ११६५ श६६ १९२ ३२५० ३५० ३३५० राय० सू० ६८३ ३१४८ ३११८ ३।१३१ ३.७३ राय० सू० ६८६ राय० सू० ६६४ ओ० सू० १५ ३११३० ३।१०६ ३।१५ ना० १२१२२०६ वि० ११२१२६ श२ १११३८ ५।२० ३।१३१ ३।१०८ ३१८४ ३११२८ १३४ ११४६ ११४२, ३३१२८ ३।११८ ओ० सू० २० ३११७ Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट ३ Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रमाणविधि • अव्यय, सर्वनाम का साक्ष्य-स्थल का निर्देश प्राय: एक बार दिया है। • रूट (1) अंकित शब्द धातुएं हैं । उनके रूप भी दिए गए हैं । ० शब्द के बाद साक्ष्यस्थल .. पण्णवणा पहला प्रमाण पद का, दूसरा सूत्र का और तीसरा श्लोक का परिचायक है। जंबुद्दीवपणती... पहला प्रमाण वक्खार का, दूसरा सूत्र का, तीसरा श्लोक का परिचायक चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती -पहला प्रमाण पाहुड का, दूसरा सूत्र का, तीसरा प्रलोक का परिचायक है। उवंग अंक १ निरयावलियाओ, अंक २ कापडिसियाओ, अंक ३ पुपियाओ, अंक ४ पुष्फलियाओ, अंक ५ वण्हिदसाओ का परिचायक है। दूसरा सूत्र का प्रमाण, तीसरा श्लोक का है। अध्ययन (पद, वखार) आदि के परिवर्तन का संकेत (B) सेमिकोलन है। जहां एक सूत्र में अनेक श्लोक आ गए हैं वहां आगे के सूत्र की संख्या से पहले अध्ययन की संख्या भी दी गई है। जैसे उप्पल (उत्पल) पा० ११४६, १४४८१४४. १२६२ । शब्द पहले सूत्र में आया फिर उसी सूत्र के श्लोकों में आया तो उसके दोनों प्रमाण दिए हैं, जैसे --अइकाय (अतिकाय) प० २।४५, २०४५।२। Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ (अ) प ११६६७ अइ (अपि) प २१६४७ अइ (अयि) उ ११२६; ५।४० अइकंत (अतिकान्त) ज २।१५ अइकाय (अतिकाय) ५ २१४५,२१४शर अइगच्छमाण (अतिगच्छत् ) ज ३।२१७ अइगय (अतिगत) ज ३८१ अइछत्त (अतिछत्र) प २।४८ अइतेया (अतितेजा) ज ७१२०१२ अइदूर (अतिदर) ज २१६०; ३।२०५,२०६; अइपडागा (अतिपताका) ज ३१७ अइमुत्तग (अतिमुक्तक) ५ ११४ अइमुत्तय (अतिमुक्तक) १ १४४०१३ अइमुत्तय (लता) (अतिमुक्तकलता) प १३६१ अइरत (अतिरात्र) सू १२॥१७११ अइरित (अतिरिक्त) उ ५६४५ अइरेक (अतिरेरु) ज २११५ अइवइत्ताण (अतिव्रज्य) प ३४११६ अइविकिट्ठ (अतिविकृष्ट) उश११० अइविगिट्ठ (अतिविकृष्ट) उ १११२६,१३३ अइसीय (अतिशीत) ज ७।११२११ अइ (अति- इ) अईइ ज ३.१५७,१८६ अईव (अतीव) ज २१८,६; ७।२१३ उ ३.४६ अउज्झ (अयोध्य) प २।३०,३१,४१ अउणतीस (एकोनत्रिंशत्) सू २१३ अउणत्तर (एकोनसप्तति) ज ६:१० अउणत्तरि (एकोनगप्तति) ज ७८२ अउणपणास (गकोनपञ्चाशत्) सू० १६७२२२ अउणाउति (एकोननवति) सू १२७ अउणागति (एकोननवति) सू १९।१४,१५११ अउणाणवइ (एकोननवति) ज ७७३ अउणापण्ण (एकोनपञ्चाशत्) ज ४।२४० सू० १०.१६३ अउणावीस (एकोनविंशति) सू २।३ अउणासीई (एकोनाशीति) ज १७११ अउणासीत (एकोनाशीति) सू श२७ अउणासीति (एकोनाशीति) सू २१२१३ अउणासीय (एकोनाशीति) ज ४।२३४; ७।१६ अउण्णापण्ण (एकोनपञ्चाशत) १ २०६४ अउय (अयुत) ज २।४; ७.१७८ अउयंग (अयुतांग) ज २४ अउल (अतुल) ज ३।६५,१५६ अओज्झ (अयोध्य) ज ३६११७, ४२१२ अंक (अंक) प १॥२०॥३, २।३०,४८,४६; १७।१२८ ज २११५, ४२१२,२५५, ५१५ अंकमय (अंकमय) ज ७।१७८ अंकमुहसं ठित (अंकमुखसंस्थित) ज ७१३१, ३३ सू ४१३,४,६,७ अंकलिवि (अंकलिपि) प १९८ अंकवडेंसय (अंकावतंसक) प २१५१,५६ अंकावई (अंकावती) ज ४२०२१२,२११; ७।१७८ अंकिय (अंकित) प २।३० अंकुर (अंकुर) ५ ३६१६४ ज २११३१,१४४ से १४६ अंकुस (अंकुश) ज २११५; ३१३; ५॥३८; ७।१७८ अंकेल्लण (दे०) ज ३१०६ अंकोल्ल (अंकोल, अंकोठ, अंकोट) प १३५॥१, ११३७१५ अंग (अंग) प १९३।१,१११०१।६,८ ज २११४; ३१६,३५,१०६, २२१,२२२ उ १११२२,१२६; २११०; १२; ३।१४, १५०,१६१,१६६; २२८,३६,४१ अंगइ (अंगजित्) उ ३११०,११,१३,१४,२१ अंगण (अंगन) १ १११२५ ज २१६६%; ५५,७ Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंगद-अंतरगत अंगद (अंगद) प २१३०,४६ १८३,२०१,२१४ अंगपडियारिया (अंगपरिचारिका) उ ११३६,३७ अंजणा (अजना) ज ४:१५५।२,२२३३१ अंगमंग (अंगांग) ज २१६,११३ अंजणागिरि (अजनगिरि) ज ४१२२५२१ अंगय (अंगद) प २।३१,४१ ज ३१६,२११, अंजलि (अञ्जलि ) ज २१६५, ३३५,६,८,१२, २२२ १६,२६,३६,४७,५३,५६,६२,६४,७०,७२, अंगलोय (अंगलोक) ज ३८१ ७७,८१,८४,८८,६०,१००:११४,१२६,१३३, अंगा (अंग) उ १:१२२ १३८,१४२,१४५,१५१,१५७,१६५,१८१, अंगारग (अंगारक) प १४८ १८६, १८६,२०४ से २०६,२०६; ५१५, अंगुढ़ (अंगुष्ट) ज ३३१०६ २१,४६,५८ उ ११३६,४५,५५,५८,८०,८३, अंगुल (अंगुल) प ११७४,७५,८४, २०६४, १६,१०७,१०८,११६,११८,१२२; ३।१०६, २१६४।८; १२:१२,१६,२७,३१,३२,३७,३८%; १३८, ४११५, ५/१७ १५७ से ६,२२,४० से ४२; १८।४१,४३,६५, अंजलिपुट (अलिपुट) ज ३८१ ११७, २११३८,४० से ४३, ४८,६३ से ७१,८४, अंडग (अण्डज) ज ५।३२ ८६,६० से १२; ३३.१२,१३,१६,१७; अंत (अन्त) प ६.११०; २०१८; २११६०; ३६।६६,७०,७२ से ७४,८१ ज १७, २१६ ३६।८८,६२ जे श२२,२७,५०; २१५८, सू १।१४; १०।६३ से ७३; १६२२१७. ८४,१२३,१२८,१५१,१५७; ४११०१,१०३, उ ३८३,१२०,१६१, ४।२४ १७१,१७८,२०० सू ४।४,७, २०१२,७ अंगुलपुहत्तिय (अंगुलपृथक्विक) प १९७५ उ ११४२,१४१,१४७; ११३; ३१२१, अंगुलि (अंगुलि) प २।३०,३१,४१ ज २।१५; ८६,१५२,१६५, ५१४३ ३।६,१८४,१८६,२०४,२२२ अंतकड (अन्तकृत) ज २१८८,८६ अंगुलिज्जग (अंगुलीयक) ज ३।६,२२२ अंतकम्म (अन्त कर्मन्) ज ५१५८ अंगुलितल (अंगुलितल) ज ३१७,८८ अंतकर (अन्तकर) उ ११५४,७६ अंतकिरिया (अन्तक्रिया) प ११११५; २०११।१, अंगुलिय (अंगुलिक) ज ५५८ अंच (कृष्) अंचेइ ज ३१६ २००१ से ४,६ से १३,४०,४४,४६,४८ अंचिय (अञ्चित) ज ५१५७ अंतक्खरिया (अन्त्याक्षरिका) प ११६८ अंचेता (कृष्ट्वा ) ज ३१६ अंतगड (अन्तकृत) ज ३१२२५ अंज (अङ्ग्) अंजेइ उ ३३११४ अंतगमण (अन्तगमन) उ ११४२ अंतर (अन्तर) ५ २१३०,३१,४१, ११७० अंजण (अजन) प १०२०१२; १३१, १७।१२३ ज १:१७, ३१३,३५,२२१, ४।२७,४६, ज ४२०२; ५१५,२१ सू २०१२ उ ३.११४ १४०१२; ७।६,६५,८६,१६८,१७८,१८२ अंजणई (अजनकी) प ११४०१५ च ३११ मू० ११७।१,१५१६,२०,२१,२४,२७; अंजणकेसियाकुसुम (अजनकेशिकाकुसुम) १२, ११, १८।२०; १६।२२२८ प १७११२४ उ ११२४,४७,६५,६६,६८,९०,६२,१०५, अंजणग (अञ्जनक) ज २१११७,११६,१२० अंजणगिरि (अजनगिरि) ज ३११७ अंतरकंद (अन्तरकन्द) ५१४८६४२ अंजणगिरिकूड (अञ्जन गिरिकूट) ज ३।६१,१७७, अंतरगत (अन्तर्गत) सू ५११; ७।१ Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंतरणई-अंतोमुहुत्त ८११ चं १० सू ११५ उ ११२,३; ५।२०,४०,४१ अंतरणई (अन्तर्नदी) ज ४।२१२; ५१५५ अंतरदीव (अन्तर्वीप) ११२६ ६।१४ अंतरदीवग (अन्तपिज, द्वीपक) प १८५,८६; ६७२, ८१,६७,१०८; १७१७२, २११७२ अंतरदीवय (अन्तर्वीपज, 'द्वीपक) प ११८४,८६; ६७६; १७११६२, २११५४ अंतरवीहिय (अन्तर्वाथिक) ज ३१७ अंतराइय (आन्तरायिक) प २२॥२८; २३३१, ८,१२,२३,२४,५९,१३३,१५४,१५६,१६३, १६६,१७५ १५६,१६०,२०२; २४११; २५॥१, ३; २६११,७; २७।१,४ अंतरापह (अन्तरापथ) प १६।२२ अंतराय (अन्तराय) प २४११५ अंतरावास (अन्तरावास) उ १३१००,१२६,१३३ अंतरिय (अन्तरित) ज ३३१८,३१६५,९६,१५६, १६०,१८० उ १११३४; ३३१४,८३,१२०, १६१, ४१२४ अंतरिया (अन्तरिका) सू १६२२।३० अंतलिक्ख (अन्तरिक्ष) ज ३११४,२६,३०,३६, ४३,४७,५१,५६,६०,६४,६८,७२,११३,१३६, १३८,१४०,१४५ १४६,१७२ उ ३१६६ अंतवाल (अन्तपाल) ज ३१२६,३६,४७,११३ अंतिय (अन्तिक) प ३४११६,२१ ज ३६,८,१३, ७७,८४,६१,१०७,११३ से ११५,१२५, १३८,१५३,१६६ ५१२२,२३,२६ से २८७३ उ १२१,२३,३७,४१,४५,८८,११५ ११७, ११६,१२१,१२६; २११०,१२; ३।१३,१४, २६,५०,५५,५७,६५,६९,७२,७५,७६,१०३, १०४,१०६ से १०८,११२,११८,१३४,१३६, १३८,१३६,१४८,१५०,१६१,१६६; ४११४, १६,२०,२८, ५१२८,३२,३६,४१,४३ अंतियाओ (अन्तिकतस्) उ ३।११० अंतेउर (अन्तःपुर) ज २१६४; ३।२२४; १५, ७ उ १।१६,६३,९७,६८,१०५ से १०७,११६ अंतेवासि (अन्तेवासिन्) ज ११५, २।८२,८३ अंतो (अन्तर् ) प ११७४,९४; २१७,२० से २७, २६ से ३५,४१,४८; २३।११,१२६,१७७, १८२,१८६,१६०; ३३१२७ से २६ ज १।१३,१४,३१,३६, ३६८; ४११,४६, ५०,११४,११७,१३१,२३४,२४०; ५।३२; ७।३१,३३,५५,१६८११ सू ४३,४,६,७, १६।२२।१५,२१, १९२३२०१७ अंतोमुहत्त (अन्तमहत) प ४२,३,५,६,८,९,११, १२,१४,१५,१७,१८,२०,२१,२३,२४,२६, २७,२६,३०,३२,३३,३५,३६,३८,३६,४१,४२, ४४,४५,४७,४८,५०,५१,५३,५४,५६ से ६७, ६६ से १६४,१६६,१६७,१६६,१७०,१७२, १७३,१७५,१७६,१७८,१७६,१८१,१८२, १-४१८५,१८७,१८८,१६०,१६१,१६३, १६४,१६६,१६७,१६६,२००,२०२,२०३, २०५,२०६,२०८,२०६,२११,२१२,२१४, २१५,२१७,२१८,२२०,२२१,२२३,२२४, २२६,२२७,२२६,२३०,२३२,२३३,२३५, २३६,२३८,२३६,२४१,२४२,२४४,२४५, २४७,२४०,२५०,२५१.२५३,२५४,२५६, २५७,२५६,२६०,२६२,२६३,२६५,२६६, २६८,२६६,२७१,२७२,२७४,२७५,२७१, २७८,२८०,२८१,२८३,२८४,२८६,२८७, २८६,२६०,२६२,२६३,२६५,२६६,२६८, २६६६२०,२१:१८।३,४,८,९,१०,१२, १४ से १६.१८ से २४,२६ से २८,३० से ३६,४१ से ५४,५६,५७,५६,६१,६३ से ६७, ६६ से ७४,७६ से ७६,८३,८५,६०,६१,६३, ६६,१०३ से १०५,१०७,१०८,११०,११३, ११४,११६,११७,११६,१२०,२०१६३; २३३६०,६२,६५,६७,७२,७८,७६,१३३,१४७, १५८,१६२,१६५,१६६,१७०,१३६,१८४; २८१४७,५०, ३६०६१,७६ जं २१८४,१२३, १२८,१४८,१५१; ४११०१ Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ अंतोमुत्तग-अकिरिय अंतोमुहत्तग (अन्तर्मुहूर्तक) य १११७१ अंतोमुहुत्तद्धाउय (अन्तर्मुहूर्ताद्धायुष्फ) प ११७४ अंतोमुहुत्ताउय (अन्तर्मुहूर्तायुष्क) ५ ११८४ अंतोमुहुत्तिय (आन्तर्मुहूर्तिक) प १५।६१; २८१४,३:; ३६।२,८४,६२ अंतोवाहिणी (अन्तर्वाहिनी) ज ४।२१२ 'अंदोलाव (आन्दोलय) अंदोलावेइ उ ११६७ अंधकार (अन्धकार) ज ३६३,६५,१५७,१५६, १६३ सू १४१५ से ८; १६६५,६ अंधकारपक्ख (अन्धका रपक्ष) सू १३:१; १४१२, ३,५ से ८ अंधयार (अन्धकार) प २०२० मे २७ ज ११२४; अकंत (अकान्त) ज २११३३ अकंततरिया (अकान्ततरका) प १७११२३ से १२५, १३० से १३२ अकंतत्त (अकान्तत्व) प २८।२४ अकं तस्सर (अकान्तस्वर) ज २।१३३ अकंतस्सरता (अकान्तस्वरता) प २३१२० अकंप (अरम्प) ज २१६८,३७६.६ से १०१ अज्ज (अकार्य) ज २१३३ अकण्ण (अकर्ण) प ११८६ अकतिम (अकृत्रिम) ज २११२२,१२७, ४११००, १७० अकम्मभूमग (अकर्म भूमज) प ११८५,८७; ६७२ ८१८४,६५,६७,१०८,२१:५४,७२ अकम्मभूमय (अकर्मभूमज) १६७६; १७११६२, अकम्मभूमि (अकर्मभूमि) प ११८४,२१२६ अकयपुण्य (अकृतघुण्य) उ १११२३३१८,१०१ अंधयारसंठिति (अन्धकारसंस्थिति) ज ७।३३, से ३५ सू ४।६,७,६ अंधिया (अन्धिक!) प ११५१११ अंब (आम्र) प १३३५११; १६॥५५; १७:१३२, १३३ ज ३।११६ अंबट (अम्बष्ठ) प ११६४११ अंबर (अम्बर) ज ७१७८ अंबरतल (अम्बरतल) ज ३।१४,३०,४३,५१,६० ६८,१३०,१३६,१४०,१४६,१७२ अंबसालदण (अम्रशालवन) उ ३।२६,६,९५ अंबाडग (आम्रातक) प ११३६६१,१६।५५; १७११३२ अंबाराम (आम्राराम) उ ३४८ से ५०,५५ अंबिल (अम्ल) प १४ से ६,५१५,७,२०५; २८१२६,३२,६६ ज २।१४५ अंबिलसाय (अम्लशाक) ५११४४०२ अंबिलिया (अस्तिका) ज ३१११६ अंबिलोदय (अम्लोदकः) प ११२३ अंबुभक्खि (अम्बुर्भाक्षन् ) उ ३.५० अंस (अंस) उ १११३८ अंसु (अश्रु) ज २१६०, १०३,१०६,१०८ अकंटय (अकण्टक) ज २११२ अकरंडुय (अकर"डक) ज २२१५ अफरणया (अकारणता) उ ३.११५ अकविल (अकपिल) ज २११५ अकसाइ (स्क्रपायिन्) प ३१६८; १३.१६; १८१६७२८११३८ अकसायसमुग्धाय (अकषायसमुद्घात) १ ३६:४८ अकसायि (अकपायिन्) प ३९८ अकाइय (अकायिक) प ३१५०; १८२६ अकामय (अकामक) उ ३।१०६ अकामिय (अकामित) उ १४५२,७७ अकाल (अकाल) ज ३.१०४,१०५ अकालतालु (अकालतालु) ज ३।१०६ अकालपरिहीण (अकालपरिहीन) जं ५१२२,२६ से २८ अकित्तिम (अकृत्रिम) जं ११२१,२६,४६; २६५७, १४७,१५०,१५६ अकिरिय (अक्रिय) प १७१२५, २२।७,८,२६,३० Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अकुडिल-अम्गमहिसी ८१३ ३२ से ३४,३६,३७,४५ अक्खीण (अक्षीण) प ३६.८२ अकुडिल (अकुटिल) ज २०१५ अक्खोड (अक्षोट) प १६:५५ अकुश्वमाण (अकुर्वत्) मू २०१७ अक्खोस्य (अक्षोटक) प १७११३२ अकेसर (अकेसर) प २४८।४६ अक्खोभ (अक्षोभ) ज ३१३ अकोह (अक्रोध) ज २१६ अगंतूण (अगत्वा) प ३६।८३१२ अक्क (अर्क) प ११३७।३ अगंथ (अग्रन्थ) ज २१७० अक्कबोंदी (दे०) प ११४०१५ अगक्छमाण (अगच्छत्) सू २।२ V अक्कम (आ- अम्) अक्कमइ उ १।११६ अग (दे०) ५२१४,१३.१६ से १६,२८,१११७७ अक्कमाहि उ ११११५ ज २३१ अक्कमित्ता (आरम्य) उ ११११५ अगणि (अग्नि) प ११४८१५६; २०२० से २५ अक्किज्ज (अक्रेय) ज ३।१६७११३ अगणिकाय (अग्निकाय) ज २११०५ से १०८ अक्किट्ठ (अक्लिष्ट) ज २०४६ अगस्थि (अगस्ति) प १३८१२ ज २११० सू अक्कुस्समाण (आक्रोशत्) उ ३:१३० २०१८,२०८।४ अक्कोप्प (अकोप्य) ज २।१५ अगलहुय (अगुरुलघुक) प १५१५७ ज २।५१,५४, अक्कोसमाण (आक्रोशत्) उ ३१३० १२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४९,१५४,१६०, अवख (अक्ष) ज २६,१३४ ।। अक्खय (अक्षय) ज ११११,४७ ; ३।१६७,२२६; अगस्यलहुयपज्जव (अगुरुलघुकपर्यव) ज २११४६, ४१२२,५४,६४,१०२,१५६; २१ ७२१० उ ३४३,४४ अगरुयलहुयपरिणाम (अगुरुलघुकपरिणाम) अक्खर (अक्षर) ज २१६,१३४ प १३१२१,३० अक्खरपुठिया (अक्षरपुष्टिका, "पृष्टिका) १९८ " _ अगार (अगार) प २०११७,१८ ज २१६५,६७,८५, अक्खाइया (आख्यायिका) प १११३४११ ८७ उ ३।१३,१०६ से १०८, ११२,११८, अक्खाइयाणिस्सिया (आख्याधिकानिश्रिता) १३६,१३८,१३६,४१४,१६, ५॥३२,४३ प११३४ अगारवास (अगारवास) ज २१८७ ; ३।२२५ अक्खात (आख्यात) प ११४६,६६,७५,८१ उ ३।११८ २।२१ से २६,३०,३२ से ३६,४१,४३,४६, अगुरु (अगुरु) ज २११०६,११० ४० से ५२,५५ से ५७.६० ये ६२ सू अगरलघुअणाम (अगुरुलघुक नामन्) १ २३५१ ३२१,१३३२ अगुरुलहुणाम (अगुरु लघुनामन् ) प २३।३८,११ अक्खाय (आख्यात) प ११५०,५१,६०,७६; अग्ग (अग्र) प २।३१ ज ११३७ , २०१२०,३३१२, २२०,३१,५०,५६ ज , १२६; ४१२१; १८,२२,३१,७६,८८,१०७,१२५ से १२८, ६.१०,११,१४,१५,१८ से २२,२६४,६३ १५१,१५२,१५६,१८० ८७ सू१०।१२७ अग्गंगुलिया (अग्रांगुलिका) उ ११५६,६१ से ६३ अक्खिव (आ-+-क्षिप्) अक्खिक्इ उ १५१०५ ८४,८६,८७ अक्खिविउकाम (आक्षेप्तुकाम) उ १६१०५ अग्गभाव (अग्रभाव) ज ७।१३२११. सू १०६४ १. टीका में अक्षस्प्टिका है। अग्गमहिसी (अ महिपी) प २।३० से ३३,३५, Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१४ अग्गर-अच्चुय ४१, ४३,४८ से ५२ ज ११४५; २१६०, अचरित्ति (अचरित्रिन्) प १३३१४,१८,१६ ४.१५१; ५:१६,३६,४१,४४,५०,५२,५३; अचरिम (अचरम) प १११०३,१०६,१०७ १०६ ७।१६८१२,१८३,१८६ सू १८२१,२३,२४, ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२, २०१६ १२३,३।१२३,१०।२ से १३,२१,२६ से ५३; अग्गर (दे०) प ११८६ १८११२७ अग्गल (अर्गल) सू २०१८ अचरिमंत (अचरमान्त) प १०।२ से ५,२१,२६,से अग्गसाला अग्रशाला) ज २।१०।४।१६६ अग्गसिहर (अग्रशिखर) ज ११३७ अचल (अचल) ज ३१६ से १०१,५१२१ अग्गहत्य (अग्रहस्त) ज २०१५ अचवल (अचपल) ज ५१५,७ अग्गाणीय (अग्रणीक) ज ३३१०७ से १०६ अचित्त (अचित्त) प ६१३ से १७,१६ ज २१६६ अन्गि (अग्नि) प २।३०।१,२।४०।२,६,११; अचित्तजोणीय (अचित्तयोनिक) प ६।१६ ३६।६४ ज २१६ ; ३।३,६५,११५,१२४,१२५ अचित्ताहार (अचित्ताहार) १२८।१,२ १५६; ५॥१६,५२,७१३०,१८६।३ उ ३४८, अचिरयत्त विवाह (अचिरवृत्तविवाह) सू २०१७ ५०,५१,६४ अचेलय (अचेलक) ज २०६६ अग्गिकुमार (अग्निकुमार) प १४१३१; १३ अचोक्ख (दे०) ज ५१५ ६.१८ ज २११०५,१०६ अच्च (अर्च ) अच्चे इ उ ५।अच्चेति ज० २११२० अग्मिदेवया (अग्निदेवता) सू १०१८३ अच्चंत (अत्यन्त) उ ११७२,७३,८७,८८,६२, अग्गिमाणव (अग्लिमानव) प २१४०१७ ३।४८,५०,५५ अग्गिमेह (अग्निमेघ) ज २।१३१ अञ्चणिज्ज (अर्चनीय) ज ७११८५ सू० १८१२३ अग्गिल (अग्निल) सू २०१८।५ अच्चणिया (अनिका) ज ४११४०११ अग्गिवेस (अग्निवेश्मन्) ज ७१११७,१२२१३, अच्चसण (अत्यशन) ज ७.११७१२ सू १०।८६४२ १३२।३ सू १०८४।३,१०।८६।३ अच्चासण्ण (अत्यामन्त्र) ज २१६०३।२०५,२०६, अग्गिसीह (अग्निसिंह) प २१४०१६ ५५८ अग्गिहोत्त (अग्निहोत्र) उ ३।५५,६३,७०,७३ अच्चासन्न (अत्यासन्न) ज ११६ अग्गिहोम (अग्निहोम) ज ५११६ अग्धा (आना )-अग्याति प १५।३८,४२ अच्चि (अचिस्) प १।२६२१३०,३१,४१,४६ अच्चिणेत्ता (अर्चयित्वा) ज ३८८ अग्घाडग (दे० अपामार्ग) प १।३७१४ अच्चिमालि (अचिर्मालिन् ) प २१५०,५४,५८ से६० अचंचल (अचञ्चल) ज ३।१०६ अचंडपाडिय (अचण्डपातित) ज ३।१०६ ज ७१८३ सू १८।२१,२४,२०१६ अच्चिसहस्तमालणीय (अचिस्सहस्रमालनीक) अचक्खदसण (अचक्षुर्दशन) प ५१५,७,१०,१२, ज४।२७,५२८ १४,१६,१८,२०,२१,४५,५३,५६,५६,६३, अच्च इंद (अच्युतेन्द्र) ज ५१५८ ६८,७१,७४,७८,६३,६७,२६।३,७.१०, १३,१४,१७,१६ से २१ अच्चुण्ह (अत्युषण) ज ७११२।१ सू१०।१२६।१ अचक्खुदंसणावरण (अचक्षुदर्शनावरण) प २३।१४ । अच्चुत (अच्युत) प १४१३५२१४६,५६,६०,३११८३ अचक्खुदंसमि (अचक्षदर्श निन् ) प ३।१०४; अच्चुतव.सय (अच्युतावतंसक) प २६५६ ५१४७,६५,८०,६६,११७,१८१८६ अच्चुय (अच्युत) प २१४६,५६,५६२,६३,४१२६४ Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अच्चुयग-अजीवपज्जव ८१५ से २६६६१३८,५६,६६,८५,८६,१८.७।१६; अजसोकित्तिणाम (अयश:कीर्तिनामन ) प २३१३८, १५८८,२०।६१,२११६१,३०,६१,६२२८८६; १२८ ३०।२६:३३।१६,२४,३४११६,१८ ज १९४; अजहण्ण (अजघन्य) प २३.१६१ से १६३ ज २११५ ५१४६,५४,५६,५८,५६ उ0000४१ अजहणशमणुक्कोस (अजघन्यानुत्कर्ष)प ४।२६७, अच्चुयग (अच्युतक) ज ५१४६ २६६; १।४२,४६,६४,७६,११२,११६,२४४; अच्चेत्ता (अर्चयित्वा) ज २।१२० ७।३०,१८:१०२,२३।६३;२८।६७ अच्छ (रुक्ष) प ११६६।११।२१ ज २॥३६,१३६ अजहण्णमणुक्कोसगुण (अजघन्यानुत्कर्पगुण) अच्छ (अच्छ) प १९३।४:२१३०,३१,४१,८६,५० प ५।३८,६०,७५,१०,१०८,१२१,१६८,२०१, ५२,५८,५६,९३,६४ ज से १०,०३,३१, २०४,२०८,२१२,२१५,२१६,२२२,२२५,२४३ ३५,५१:३।१२,८८,१०६,१६४,४११,३,७.१२, अजहष्णमणुक्कोसद्वितिय (अजघन्यानुत्कपस्थितिक) १५,२४,२५,२८ से ३१, ३ से ४१,४५,५७, प १।३५,५७,७२,८७,१०५,१७५,१७८,१८२, ६२,६४,६६ से १८,७४ से ३६,८६,८८,६१ १८५,१८८,२४० से १३,१०३,११०,११४,५१८,१४३,१५६ अजहण्णमणुक्कोसपदेसिय (अजघन्यानुत्कपंप्रदेशिक) १७८,२०३,२०६,१३,१८,२४२,२४५, प ५१-३१,२३२ २५१,२५२,२६०१:५१५८,७५५ म् ॥3 अजहण्णमणुक कोसमति (अजघन्यानुत्क मति) १६२३ प ५१६४ अिच्छ (आस् ) अच्छेज्ज प २०६४।१६ अजहण्णमणुक्कोसोगाणग (अजघन्यानुत्कर्ष वगाहअच्छत्तय (अछत्रक) उ ५।४३ नक) प ५१७१,१७२,२३६,२३७ अच्छरगण (अप्सरोगण) प १३०,३१,४१ ज १।३१ " अजहण्णमणुक्कोसोगाहणय (अजघन्यानुत्कर्षावगा हनक) प ५१५०,५४,६६,८४,१०२,१५५,१५८ अच्छरसातंडुल (अप्सन सतण्डुल') ज ३११२,८८; ५।५८ १६०,१६४,१६७,१७२,२३७ अच्छरा (दे०) प ३६१८१ अजहष्णुक्कोस (अजघन्योत्कर्ष) प ४६४,६८ अच्छरा (अप्सरम्) प ३४।१६ से २४ उ ५१५ अजहण्णुक्कोसोगाहणग (अजघन्योत्कर्षावगाह्नक) अच्छि (अक्षि) प ११४१४७,१२२५ च १३१ ज प ५१३१,३२ अजहण्णकोसोगाहणय (अजघन्योत्कपीवगाहनक) २१४३,३११७८,७१७८ उ० ३.११४ अच्छिण्ण (अच्छिन्न) प १५१४० से ४२ प ५।३२,१६१ अच्छिद्द (अछिद्र) ज २११५ अजाइय (अयाचित) उ० ३।३८ अच्छिरोड (अक्षिरोट) प ११५१ अजावणिज्ज (अयापनीय) ज२११३१ अच्छिवेह (अक्षिवेध) प ११५१ अजिण (अजिन) ज २७८ अच्छी (ऋक्षी) प १११२३ अजिम्ह (अजिह्म) ज २०१५ अच्छेरग (आश्चर्य) ज २११५ अजिय (अजित ) ज० ३।१८५,२०६ अजीरग (अजीरक) ज २४३ अजर (अजर) प २१६४।२१ अजीव (अजीव) प १३१०१।२,१५१५७ ज २१७१ १ अच्छो 'रसो येषां ते अच्छरमाः प्रत्यासन्नवस्तु २०११उ ३।१४४५॥३४ प्रतिबिम्बाधारभूताइवातिनिर्मला इतिभावः अजीवपज्जव (अजीवपर्यव) T५१,१२३से १२५, टीका पत्र १६२ २४४ Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अजीवषण्णवणा-अट्ट अजीवपण्णवणा (अजीवप्रज्ञापना) प ११ ४,९ अजीवपरिणाम (अजीवपरिणाम) प १३।१,२१,३१ अजीवमिस्सिया (अजीव मिथिता) ५११६३६ अजोगया (अयोगता) ३६६२ अजोगि (अयोगिन् ) प ३।६६:१३।१६,१८५८; २८११३८ अजोगिकेवली (अयोगिकेवलिन ) प १५१०८,११०, अजोगिभवत्थकेवलि (अयोगिभवस्थकेवलिन) प१८११०१:१०३ अजोणि (अयोनि) प ६१६ अजोणिय (अयोनिक) प ६१२,१६,२५ अज्ज (अद्य) ज २११४६ सू १०।१६२ से १६६ अज्ज (आय) ज ३।१२४७।२१४ अज्जग (अर्जक) ज ५७२,७३ अज्जग (आर्यक) उ १।१०५ से १०७,११६ अज्जम (अर्थमन्) ज ७.१३०,१८६।४ अज्जमदेवता (अर्यमदेवता) मू १०१८३ अज्जय (अर्जक) प ११४४१३ अज्जल (आर्यल) प ११८६ अज्जव (आर्जव) ज २०७१ अज्जसुहुम्म (आर्य सुधमन् ) उ ११२,३ अज्जा (आर्या) उ ३१६६ से १०४,१०६ से १०८, १११ से १२०, १३२ से १३६,१४१,१४२ १४३,१४५,१४६,१४८ से १५०,४।२१ से २४ अज्जिय (अजित) ॐ ३।१७५ अज्जिया (आयिका) ज २१७५,८२ उ ३.१२ अज्जुण (अर्जुन) प ११३६१३,४२११ ज ३१११७ अज्झत्थवयण (अध्यात्मवचन) प १११८६ अज्झस्थिय (आध्यात्मिक) ज ३।२६,३६,४७,५६, १२२,१२३,१३३,१४५,१८८:५२२ उ ११५ १७.५१,५४,६५,७६,७६,६६,१०५,३१२६ ४८,५०,५५,६८,१०६,११८,१३१:५।३६,३७ अज्झयण (अध्ययन) प शश३ ज ७११४ च ५१२ मु ११३।२।१०।७८ उ ११६ से ८, १४२,१४३, १४८; १ मे ३,१४,१५,२१:३।२,३,१६,२०, २२,२३,८७,८८,१५३,१५४,१६६,१६७,१७०, ४१ से ३,२७,५२,३,४४,४५ अज्झवसाण (अध्यवयान) प ३४११११,३४।१३ ज ३२२२३ अज्झावस (अधि: आ. वम् )-अज्झावमइ ज २६४ अज्झावसमाण (अध्यावमत्) ज ६४ अज्झावसित्ता (अध्योप्य) जश६४ अज्झोववण्ण (अध्यापपन्न) उ ३१११४,११५,११६ अझुसिर (अशुषिर) ज ३।३ अट्ट (आत ) उ ११५२,७७ अट्टइ (दे०) १०११३७३ अदृज्झाण (आर्तध्यान) ज ३।१०५ उ १।१५:३।१८ अट्टालग (अट्टालक) ज २१२० अट्टालय (अट्टालक) ५ २१३०,३१,४१ अट्ठ (अष्टन ) प १५० ज शांचं ३२ अठ्ठ (अर्थ) प ५६३,५,७,१०,१२,१४,१६,१८,२०, २४,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६, ५.६,६३,६८,७१,७४,७८,८३,८६,८६,६३,६७, १०१,१०४,१०७,१११,११५,११६,१२७,१२६, १३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७, १५०,१५४,१५,१६३,१६६,१६६,१७२,१७४, १७७,१८१,१८४,१८७,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४२; १११३,११ से २०,३६,४१,१५१४४,४८,४६; १७।१ से ६,८ से १७,२०,२२,२४,२५,२७, १०७,१०६,१११,११६,११६,१२३ से १२८, १३० से १३२,१३५,१५०,१५२,१५५:२०१२ ३,१४ से १७,१६ से २५,२७ से ३०,३३,३४, ३६ से ४८,५० से ५२,५५,५६,२२१८,७६, ८०,८२,६२,६४,६५:२८१४,२५,२७,२६,३८, ४७,५०,७३ से ७५,८७,२६१३,१६ से २१; ३०११६,१६,२१,२३,२५,२६,२८:३४.१२. Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठअसीय-अट्ठहत्तर ८१७ १६,१८,३५११८,२०,२३; ३६१८०,८१,८३, ८८६२,६४, ज १११,४५,४७,५१; २११७,१८,२१ से २३,२५,२६,३० से ३३, ३८ से ४०,४२,४३,५२,५६,१५६.१६१,३।१ ६,६१,६८,१०६.१०७,११३,११४,१८६, १६६,२०९,२२६,४।१६,२२,३४,३७,४१,५१, ५३,५४,६०,६१,६४,७०,७६,७६,८१,८५, ८६,८६,६०,६३,६७,१०२,१०७,१०८,११०, ११३,१४१,१४२,१४६,१५१,१५६,१६१,१६६, १७७,१८०,१८४,१८६,१८८,१६३,१६६, १६६,२००,२०३,२०५,२०६,२०६ से २११,२६१,२६४,२६६,२७०,२७२,२७३, २७६,२७७,२७,७५१६६,१८४,१८५,२०६, २१३,२१४ सू १६।२,४,६,१८१२२ उ ११४, ८,१७,२३,२४,३७ से ४०,४२,४३,५५,५७, ५८,६७,८०,८२,८३,८८,६६,१००,१०२, १०४,१०७,११५,११७,११६,१२०,१२२, १२७.१४२,१४३,२।१,३,१४,१५,२१,३३१, ३,१३,१६,२०,२२,२३,२६,३८,४०,४२,४४, ५६,६१,७७,८७,८८,१०२,१०७,११६ से ११८,१२३,१४०,१४७,१५३,१५४,१६०, १६६,१६७,१७०,४।१,११,२७,५१,३,१५, ३८,४३,४४ अट्ठअसीय (अष्टाशीति) सू १८।१ अट्ठक (अप्टक) सू १३०५,६ अट्ठकणिय (अप्टकणिक) ज ३४६४,१३५,१५८ अद्वछत्ताल (अष्टचत्वारिंशत् ) सू १०।१४६ अट्ठजोयणिय (अप्टयोज निक) प २१६४ अट्ठतरि (अप्टसप्तति) सू ४।५ अट्ठतीस (अष्टत्रिशन् ) प २।३८ ज ११२० सू. १०११५२ उ ३.१२ अट्ठपंचासत (अप्टपञ्चाशीति) सू १२३ अठ्ठपदेसिय (अष्टप्रदेशिक) प १०।१३,१४ अपिणिठ्ठिया (अष्टपिटनिष्ठिता) ५१७११३४ अट्ठभाग (अष्टभाग) प ४११७१,१७३,१७४, १७६,२०१,२०३,२०४,२०६, ज २।५९; ४१२१५,७।१६५,१६६ सू १८१२५,२६,३४,३६ अट्ठम (अष्टम) प ३६।८५,८७ ज २१७१,४।२११ ५।१०।७१६७ मू १०७७:१२।१७,१३१८ उ २०१०,२२, ३११४,८३.१५०,१६१,४१२४; ५।२८,३६,४३ अट्ठमंगलग (अष्टमंगलक) ज ३।१७८,२०२, २१७,४।२८,११५,१३८,१५८,५१४३,५८ अट्ठमंगलय (अप्टमंगलक) ज ३१२,८८,४।१२५ अट्ठमभत्त (अष्टमभक्त) प २८१५० ज ३२०, २१,२८,३३,३४,४१,४६,५४,५५,५८,६३, ६४,६६,७१,७२,७४,८४,८५,१११,११२, ११३,१३१, १३७ से १३६,१४३,१४४, १४७,१६६,१६८,१८२,१८३,१८७,१६१, २१८ अट्ठमभत्तिय (अष्टमभक्तिक) ज ३।५४,६३,७१, १११,११३,१३७,१४३,१६७,१६० अट्ठमी (अष्टमी) ज ७।१२५ अट्ठया (अर्थ) सू १७११;२०११ उ ३१४४ अट्ठविह (अष्टविध) प ११४,१३२,१३१२६; २११५५:२२०२१ से २३,२८,८३,८४,८६,८७ १०:२३।१५,१६,२१,२२,३०,३१,५०,५८%; २४।२ से ८,१० से १३,२५।४.५:२६१२ से ६, ८ से १०,२७१२,३; २६।२ सू ६३५ अट्ठवीस (अष्टविंशति) प २१५६।१ अठ्ठसइय (अष्टशतिक) ज २१६४ अठ्ठसठ (अष्टपप्टि) ज ७३१ सू ४।४ अट्ठसठ्ठि (अप्टषष्टि) ज ६।१५ अट्ठसमइय (अप्टसामयिक) प ३६१३,८५ अठ्ठसयमंगुलमायत (अष्टशताङ्गुलायत) ज ३।१०६ अट्ठसुवण्ण (अप्टसुवर्ण) ज ३।६५,१५६ अट्ठसोवपिणय (अप्टगौवणिक) ज ३१६४,१५८ अट्ठहत्तर (अष्टसप्तति) प २।२१ Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१८ अदृहत्तरि-अणंत अठहत्तरि (अष्टसप्तति) ज ७३२,३४ अड (दे०) प ११७६ अट्ठा (अष्टा) ज २१६५ अडड (अटट) ज २१४ अट्ठाणउइ (अष्टनवति) ज ७६८ अडडंग (अटटाङ्ग) ज २१४ अट्ठानउति (अष्टनवति) सू १०११६५ अडतालीस (अष्टचत्वारिंशत् ) सू ११२३ अट्ठाणउय (अप्टनवति) सू १०११७३ अडमाण (अटत् ) उ ३।१००,१३३ अट्ठार (अष्टादशन) प १०।१४।४ से ६ ज ४।६२ अडयाल (दे०) ५२।३० अटठारस (अष्टादशन् ) प २१२४ जं ११४८ स अडयाल (अष्टचत्वारिंशत् ) ज ११२० सू ११२४ १११३ उ १५१०४ अडयालीस (अप्टचत्वारिंशत् ) ज २१६ सू ११२४ अडवीबहुल (अटवीबहुल) ज १११८ अट्ठारसवंक (अष्टादशवक्र) उश६६,१०२ से अडसदिछ (अष्टषष्टि) सू १५।२ ११७,११६,१२७,१२८ अडिल (अटिल) ११७८ अठारसविह (अष्टादशविध) प १६८ अड्ढ (आढ्य) ज ३।१०३ उ १६१४१:३।१०,२१ अट्ठावण्ण (अष्टपञ्चाशत) ज ४११४२ २८,६६,१५८,४७ अट्ठावय (अष्टापद) ज २॥१५,८८,६०,३१२२४ अठ्ठावीस (अष्टाविशति) प २१२३ ज ११७ ११४ अड्ढाइज्ज (अर्धतृतीय) प ११३४,८४,२७,२६; १८१४५;२११६६,६७,३३१५,६ ज ११३८,४३; अट्ठवीसइभाग (अष्टाविंशतिभाग) सू १०११४२ ४।१०,१२,४३,४५,५७,७२,७८,११०,१४७, अट्ठावीसइविह (अप्टविशतिविध) ज ७।११३ सू १८३,२१५,२२१,२४५,२४८,५१५.२ सू ११२३ १०।१३० १८१ अठ्ठावीसतिभाग (अष्टविंशतिभाग) प २३११०२ अणंगसेणा (अननसेना) उ ५।१०,१७ से १०४,१५२ मू १२१३० अणंत (अनन्त) ११५१३,४८,११४८७,८, १० से अठावीसतिविह (अष्टाविंशतिविध) प ११८६; १६,३० से ३३,३८ से ४२,५०,५२,५७,५८, ६०,२२६४।१०,११,१३,१५,१६:५२ से ७, अठ्ठावीसविमाणसयसहस्साहिवइ (अष्टाविंशति ६ से २०,२३,२४,२७ से ३४,३६,३७,४०, विमानशतसहस्राधिपति) ज २६१ ४१,४४,४५,४८,४६,५२,५३,५५,५६,५८,५६, अटासोइ (अष्टाशीति) सू २०१८16 ६२,६३,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७७,८२,८३ अट्ठासोति (अष्टाशीति) सू १८१४,२०१८ ८५,८८,६२,६६,१००,१०१,१०३,१०६,११० अट्ठासीय (अप्टाशीति) ज ११२३ सू १०११४१ ११४,११८,११६,१२६ से १३०,१३३,१३५, अठ्ठाहिय (अष्टाहिक) ज २१११७ से १२०७३।१२ १३७,१३६,१४२,१४४,१४६,१४६ से १५४ से १४,२८,३०,४१,४२,४३,४६ से ५१,५८ से ६०, १५६,१६२,१६५,१६८,१७१,१७३,१७६, ६६ से६८,७४ से ७६,१३६,१३६,१४७ १८०,१८३,१८६,१८६,१६२,१९६,१६६,२०२ से १५१,१६८ से १७०, ५७४ २०६:२१०,२१३,२१७,२२०,२२३,२२७, अछि (अर्थिन् ) ५२८.११,२८१३,२५,२८,३७, २२६,२३१,२३३,२३८,२४१,६४६३,१०।१६, ४६, ज ३।१०६ १८ से २०,१२१७ से ११,२०१५।१४,१५, अदिठकच्छभ (अस्थिकच्छप) प १४५७ २७,३२,५७,८३,८४,८७,८६ से १६, १०३, अट्ठिय (अस्थित) प १११८० से ८३ १०४,१०६,११२,११५,११८,११६,१२१, अठिय (अस्थित) प१०४१ १ अडयाल शब्दो देशीवचनत्वात् प्रशंसायाची , રા: Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणंतक-अणघ १२२,१२६,१२६,१३०,१३५ से १३७, १३६ से १४२,१६:३७,१७११४२,१८।३,१४, २७,४५,५६,६४,७७,८३,६०,१०८:३६५८, १२,१४,१६,१८ से २६ ३२ से ३४,४४ से ४७,८३१२ ज २१६,५१,५४,७१,८५,१२१ १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०, १६३;३।२२३:५।२१,५८ अणंतक (अनन्तक) ज ३१२११ अणंतखुत्तो (अनन्तकृत्वस्) ज ७१२१२ अणंतगण (अनन्तगुण) प २०६४1१५,३।३८ स ४२ ४६ से ५२,६० से ६३, ७१ से १४,८४ से ८७,६५ से १०२,१०५ से ११५,११८,१२२, से १२४,१७५,१७७ से १७६,१८२,१८३; ५१५,१२६,१५१,१५२,६।१२,१६,२५,१०१४, ५,२९,३०,१११५४,५६,५८,६०,६१,७२,७८, १०।१२।७,१०,२०,१५:१३,१६,२६,२८,३१, ३३,१७१५६,५६,६६,१४४,१४६,२१।१०४; २८1७,१०,११,४१,४४,५३,५६,५७,७०; ३६।३५,४८ ज २१५१,५४,१४६,१५४,१६०, १६३ सू २०१७ अणंतनाणि (अनन्तज्ञानिन् ) ज ६४।३ अणंतपएसिय (अनन्तप्रदेशिक) प ५११३७,१३८, १६८,१६६,१७१,१७२,१८७,२०२,२०३, २०६,२०७,२२४;१०११४,१७,२०,२४,२६, ३०,१११४६;१५।११,२४,१६।४३ । अणंतपदेसिय (अनन्तप्रदेशिक) प ३११७६; ५।१२७,१७२,१८६,२०७,२२३,२२४१०१७, २५,१६३३६,१७।१४०:२८१२,५१,३०॥२६, १७ से २५ २७,२६,३२,३४,३८ से ४०,४५ ५२,३४।१।१३४।१ से ३; ३६३६२ ज ३।१७८ २११:४।३६,७२,७८,६५,१०३,१४३,१७८, २००,२०२,२१२,५४४३,७।६,१०,१२,१३,१५ १६,१८ से ३० ४२,५०,६८,६६,७१,७२,७४ ७५,७७,७८,८०,८३,८४, सू१।१४,१६,१७, २१,२४,२७,२।२,३;६।१८।१६।१:१३।१४; १६।२२।२५ उ ११४१:३१६२,१२५,४।२६, २८,३०,४३ अणंतरपच्छाकड (अनन्तरपश्चात्कृत) सू८०१, ११२ से ६ अणंतरपुरक्खड (अनन्तरपुरस्कृत) सू८।१; १११२ से ६ अणंतरसिद्ध (अनन्तरसिद्ध) प १११,१२, १६३५,३६ अणंतरोवगाढ (अनन्तरावगाढ) प १११६३,६४, २८।१३,१४,५६,६० अणंतरोववण्णग (अनन्तरोपपन्नक) प १५१४६ ३४.१२ अणंतसमयसिद्ध (अनन्तसमयसिद्ध) पश१३ अणंताणुबंधि (अनन्तानुबन्धिन् ) प १४।७; १८।१; २३।३५ अणंसुपाति (अनथुपातिन् ) ज ३१०६ अणगार (अनगार) ५ १५.११,१५१४३; ३६।७६ ज १३५; १६५,६७,८३,८५,८७, ८८,६५,९६,१०० से १०२,१०४,११४,चं १० सू१।५ उ १।२,३२६ से १२,३११३, १४,१६१,५।२१,२२,२७,२८,३२,३८ से ४१ २८ ४३ अणगारचियगा (अनगारचितका) जं २।१०५ से अणंतभाग (अनन्तभाग) प ५१५,१२६,१२१७,१०, २०:१५।५७२८।२२,३४,३६,६८ अणंतमिस्सिया (अनन्तमिश्रिता) प १११३६ अणंतय (अनन्तक) प १२४८।५२ अणंतर (अनन्तर) प २१६४:६१९६,१०१,१०३, १०५,११०,१११६६।१,२०११।१:२०१६ से १५ अणगारिया (अनगारित!) प २०११७,१८ उ ३।१३,१०६ से १०८,११२,११८,१३६, १३८,१३६४१४,१९,५३२,४३ अपघ (दे०अक्षत) ज० ३८१ Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२० अणगघाइज्जमाण-अगाहारग अणागार (अनाकार) प २१६४।१२।२६।११; ३०१२६ से २८ अणागारपस्सि (अनाकरदर्शिन् ) प ३०।१५ से१८ २०,२२,२३ अणागारपासणता (अनाकार दर्शन, पश्यत्ता) प३०१७ अणागारपासणया (अनाकारदर्शन, पश्यत्ता) ५३०११,३,५,७,१२,१३ अणागारोवउत्त (अनाकारोपयुक्त) प ३३१०६, १७४; १३।१४; १८१६३, २६१६ से २१ अणागारोवओग (अनाकारोपयोग) १ १३१८,२६११ ३,५,७,८,१०,१३,१४ अणाघाइज्जमाण (अनाघ्रायमाण) प २८१४४,७० अणाढाइज्जमाण (अनाद्रियमाण) उ ३१६२ अणाढायमाण (अनाद्रियमाण) उ ३.५६,६१,७७, अणग्घाइज्जमाण (अनाघ्रायमाण) प २८॥४३, ४४,६६,७० अणग्घिय (अनधित) ज ३।६२,११६ अणतिवर (अनतिवर) ज ३.११६ अणदभवाह (अदभ्रवाह) ज ३११०६ अणभिम्गहिय (अनभिग हीत) प ११०१११ अणभिग्गहिया (अनभिगहीता) प ११३७।२ अणरिह (अनह) उ १४०,४३ अणव (ऋणवत्) ज ७।१२२।३ सू१०८४१३ अणवकंखमाण (अनवकाङ्क्षत् ) ज ३।२२४ उ० २।११ अणवगल्ल (अनवकल्प) ज २।४।१ अणवति (अनवस्थित) सू ६।१०८११०; १३।१७,१६३२२।१०,२७ अणवठ्यि (अनवस्थित) प ३३.३५,३६ ज ७१३१,३३ सू ४३ से ७ अणवष्णिद (अणपन्निकेंद्र) प २१४६ अणवणिय (अणपलिक) प २१४१,४६ अणवण्णियकुमारराय (अणपन्निककुमारराज) प २०४६ अणवन्निय (अणपन्त्रिक) १२१४६,४७११ अणवरय (अनवरत) ज २१६४; ३।१८५,२०६ अणसम (अनशन) उस१२,३३१४,८३,१२०, १५०,१६१,५२८,३६,४१,४३ अणस्साइज्जमाण (अनास्वाद्यमान) प २८१४३,४४ ६६,७० अणह (अनघ) सू२०१७ अणह (दे० अक्षत) ज ३१८१ अणाईय (अनादिक) प १८११३,१०५ अणाएज्जणाम (अनादेयनामन्) प २३५१२६ अणागतद्धा (अनागताध्वन्) २०६४,३६।६३ अणागय (अनागत)ज १६०, ३१२६,३६,४७, ५६,१३३,१३८,१४५; ५॥३,२२, ७।३६,५२ अणागयद्धा (अनागताध्वन ) प ३६।६४ अणागयवयण (अनागतवचन) प १११८६ अणाढिय (अनादत) ज ४।१५०,१५६,१६०; ७.२१३ उ ३१२,१७१ अणाणत्त (अनानात्व) प २१३,६,६,१२,१५ अणाणुगामिय (अनानुगामिक) प ३३१३५ अणाणुयुव्य (अनानुपूर्व्य) ज ७४७ अणाणपुल्वी (अनानुपूर्वी) प ११४६८,२८1१८, ६४ अणादि (अनादि) सू११६,१२१ अणादीय (अनादिक) प १८।२५,५५,५६,६४,६८ ७७,८३,८६,६०,१११,१२२,१२३,१२६, १२७ अणादेज्ज (अनादेय) ज २११३३ अणादेज्जणाम (अनादेयनामन्) प २३३३८ अणाभोगणिवत्तिय (अनाभोगनिर्वतित) ५१४।९% २८१४,५०, ३४१५ अणारिय (अनार्य) ज २१४३ अणालोइय (अनालोचित) उ ३१८३१२०, ४१२४ अणाबुटिठबहुल (अनावृष्टिबहुल) ज १२१८ अणासाइज्जमाण (अनास्वाद्यमान) ५२८१४०, अणाहारग (अनाहारक) ५३।१०७, २८।१०८ Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणाहारय-अणुत्तर ५२१ से ११०,११२,११४ से ११६,११५११६, १२१,१२३ मे १२५,१३०,१३१,१३६ से १३६,१४१,१४२ अणाहारय (अनाहारक) प १८९७ से १०३; २८।१०६ से १०८,१११,११३,११७,११६, १२०,१२२,१२५,१२७ से १२६,१३२,१४३ अणिद (अनिन्द्र) प १६०,६३ ।। अणिदिय (अनिन्द्रिय) प ३।४०; १३१६; १८११७ अणिदिया (अनिन्दिता) ज ५११ अणि क्खित्त (अनिक्षिप्त) उ० ३५० अणिगण (अनग्न) ज २०१३ अणिच्चजागरिया (अनित्यजागरिका) उ० ३१५५ अणिच्छियत्त (अनिष्टत्व) प २८।२४ अणिज्जिण्ण (अनिर्जीर्ण) प ३६८२ अणिट्ठ (अनिष्ट) प २३।२० ज २११३३ अणितरिया (अनिष्टतरका) ११७४१२३ से १२५,१३० से १३२ अणिद्वत्त (अनिष्टत्व) १२८१२ अणिट्ठस्सर (अनिष्टस्वर) ज २११३३ अणिट्ठस्सरता (अनिष्टस्वरता) प २३।२० अणिढि (अद्धि) प ६१६८२११७२ अणिढिपतारिय (अनद्धिप्राप्तार्य) प ११६०,६२, १२६ अणित्थंथ (अनित्यंस्थ) प २१६४३६ अणिदा (दे०) १३५।१।१,३५१६ अणिदाया (दे०) प ३५११७ मे २०,२२,२३ अणिमिस (अनिमेष) ज ५।६७ अणिय (अनीक) १३० मे ३३,३५,४१,४३,४८ से ५१ ज ११४५, २१६०३१२५५१,१६, ४३,४४,५०,५६, सू १८१२३ अणियट्टि (अनिवृत्ति) मू २०१८,२०1८1८ अणियत (अनियत) सू ११२६ अणियय (अनियत) प १७२० अणियाधिवति (अनीकाधिपति) प २।३७ में ३३ ४१,४३,४८ से ५१ अणियाहिव (अनीकाधिप) ज ४।१५२२ अणियाहिबई (अनीकाधिपति) ज ११४५; १९० ४।१६,१५१,५१,१६,३६,४३,४८,५०,५२, ५३,५६ मू १८।२३ अणियाहिवति (अनीकाधिपति) प १३० अणिल (अनिल) ज २१६८ अणिवारिय (अनिवारित)उ ३.११६४१२२ अणीय (अनीक) उ १११४६; १४७ अणु (अणु) प १११६४,६५,६६।१२८।१४,१५, ६०,६१ ज ७१४३,५०,१६८ मू ६।१६।२; १७१,१८१२,३, १६२१ अणुउ (अन्तु) सू १०११२६।३ अणुकतनुक (दे०) ज ३.१०६ अणुगंतव्य (अनुगन्तव्य) ५११४८; १४०१५१५५ ज ७।१३४ 4 अणुगच्छ (अनु गम्) अणुगच्छइ ज ३१६:५।२१ उ ३।१०१ अणुगच्छति ज ३१०,११,५१,८६,८७ अणुगच्छति प १६१४८ अणुगच्छमाण (अनुगच्छत् ) ज ३।१८,३१,१८० अणुगच्छित्ता (अनुगम्य) ज ३१६ उ ३११०१ अणुगम्ममाण (अनुगम्यमान) उ ३११३० अणुगिण्हमाण (अनुगृण्हान) उ ११०७,१०८ 4 अणुचर (अनु+चर) ___ अणुचरंति सू १६।२२।११ अणुचरंत (अनुचरत्) सू १९४२२।११ अणुचरिय (अनुचरित) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ 1 अणुजाण (अनु-ज्ञा) अणुजाणउ उ ३१५१ अणुजाय (अनुयात) ज ३।२२,३५,३६ अणुडिया (अनुतटिका) र १११७७ अणुतष्ठियाभेद (अनुतटिकाभेद) प ११७७,७६ अणुडियाभेय (अनुतटिकाभेद ) 4 १११७३ अणुत्त (अणुत्व) ज ७।१६६ सू १८।३ अणुत्तर (अनुतर) परा२७,२७।८।४६,६३; Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२ अणुत्तरविमाण-अणुलित २११५५, ३४।२३,२४ ज २०७१,८५, ३।२२३ अणुत्तरविमाण (अनुत्तरविमान) प २१६२।१; १०१२,३०।२६ अणुत्तरोववाइय (अनुतरोपपातिक) प १११३६, १३८, २।४६.६३ ; ३११८३, ६१४६,६६,६६, २८,११३ ; २०१५.७:२११५५,७१,८३,६३, ९४,३३११८,२६,३४।१६,१८ ज०२।८१ अणुत्तरोववातिय (अनुत्तरोपपातिक) ५२०५६; २११६२ अणुदु (अनृतु) ज ७.११२।३ अणुद्धय (अनुद्धृत) जं ३।१२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ ; ५५ अणुपरियट्ट (अनु--परि + वृत) अगुपरिट्टइ ज ७.१५६ से १६७ सू१०१६७ अणुपरियति ज ७१५५ सू १६।२३ अणुपरियट्टति सू १०५ अणुपरियट्टित्ता (अनुपरिवृत्य) सू १०५ अणुपरिट्टित्ताणं (अनुपरिवृत्य) प ३६८१ अणुपरिवाडीय (अनुपरिपाटीक) ज ७१३० अणुपविट्ठ (अनुप्रविष्ट) ज ३३८१ उ १।३३, ३८,१००,१३३ अणुपविस (अनु -प्र+विश्) अणुपविसइ ज ३१६,१७,२०,२१,२८,३१ से ३४,४१,४६,५४,६३,७१,७७,६५,१३७,१३६, १४३,१५६,१६६,१७७,१८२,२०१,२०४, २१८,२२२ सू२।१ अनुपविसंति ज ३१२०५, २०६ अणुपविमति ज ३.१८३,१८४ अणुपविसह उ ३।१०१ अणुपविसमाण (अनुप्रविशत) ज ३११८४,१८५ अणुपविसित्ता (अनुप्रविश्य) ज ३।६ मू २।१ अणुपुत्व (अनुपूर्व) ज २११५, ४१३।२५,३५ सू ६.१ उ ११५७,५८,८२,८३:३१४६ अणुप्पत्त (अनुप्राप्त) उ ३११२७,१२८,५१४३ अणुप्पयाहिणीकरेमाण (अनुप्रदक्षिणीकुर्वत्) ज ३१२०४ से २०६,२०८,५१४१ अणुप्पवाएमाण (अनुप्रवाचयत्) ज ३१२६,३६, ४७,१४३ अणुप्पवाय (अनु-प्र- वाचय) अणुप्पवाएइ ज ३।२६,३६,४७,१३३ अणुबंध (अनुवन्ध) ज २४२ अणुबद्धचारि (अनुवद्ध चारिन् ) सू २०१२ अणुब्भड (अनुभट) ज २११५ अणुभाव (अनुभाव) प २३५१३१,२३।१३ से २३ ज ४१८३ च १५ १६६१५१६२२११६,२० अणभावणामणिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुष्क) प६।११८ अणुभावणामनिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुक) ५६।११६,१२२ अणुभावनिहत्ताउय (अनुभावनिधत्तायुप्क) १६१२३ अणुमण्ण (अनु। मन्) अणुमण्णित्थ; उ ३३१०६ अणुमय (अनुमत) प १११३०३१,२ ज २०१५ उ ३.१२८ अणुमाण (अनुमान) सू ।३ अणुमाणइत्ता (अनुमान्य) उ ३५५ अणुयाय (अनुयात) ज ३१६३,९६,१०६,१६३, १७५,१८० अणुरंगिणी (अनुरङ्गिनी) सू १०१७४ अणुरंजिएल्लिय (अनुरञ्जित) ज ३१११७ अणुरत्त (अनुरक्त) सू २०१७ उ १५१३६ अणुराग (अनुराग) प २१४०।११ उ ११७२,७३, ८७,८८,६२ अणुराधा (अनुराधा) सू १०१२ से ३, १८ अणुराहा (अनुराधा) ज ७.१२८,१२६,१३६।१, १४०,१४६,१५२,१६६, सू १०१२ से ६,१८, २३,५०,६२,७३,७५,८३,११५,१२०,१३१, अणुलिप (अनु ।-लिप) अलिपइ ज २१९९%3B ३॥१२ अणुलिपति ज २१००३।१२,२११, ५१५८ अणुलिपित्ता (अनुलिप्प) ज २NEE अणुलित्त (अनुलिप्त ) प २।३१ ज ३१६,२२२ Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणुलिह-अण्णतरठितिय ८२३ अणुलिह (अनु + लिह) अणुलिहंति ज ३१७८५४३ अणुलिहंत (अनुलिहत्) उ ५१५ अणुलिहमाण (अनुलिखत्) प २०४८ अणुलेवण (अनुलेपन) प २१२० से २७,३०,३१, ४१,४६ ज २७० अणुलोम (अनुलोम) ज २।१६,६७ अणुलोमच्छाया (अनुलोमछाया) सू ६।४ अणवत्त (अनुपयुक्त) प १५१४८,४६ ; ३४११२ अणुवत्तमाण (अनुवर्तमान) ज ५।२७ अणुवम (अनुपम) प ३०१२७,२८ अणुवरयकाइया (अनुपरतकायिकी) प २२१२ अणुक्वेत (अनुपेत) प १७।१३२ अणुवसंत (अनुपशान्त) प १४।६ अणुवसंपज्जमाणगति (अनुपसंपद्यमान गति) प १६१३८,४२ अणुवसंपज्जित्ताणं (अनुपसंपद्य) प १६४२ अणुवाय (अनुवाद) ज ४१०१ अणुवायगइ (अनुपातगति) सू १:१४ अणुवासिय (अनुवासित) ज ५।५ अणविद्ध (अनुविद्ध) ज ३.१२,८८५.५८ अणुव्वय (अणुव्रत) उ ३८१,८२ अणुसज्जमाण (अनुसजत् ) ज ४१२०५ अणुसज्ज (अनु | पंज) अणुसज्जित्था ज २१५० अणुमजिस्म ति ज २११६२, १६४ अणुसमवयणोववत्तीय (अनुसमवदनोपपत्तिक) ज ३।१६७।१२ अणुसमय (अनुसमय) प ६।१६,६२,६३ ; १११७०; २८१४,२६.५० अणुसार (अनुमार) प २११८० ज० ५१५७ उ ५.४५ अणुहर (अनु+ह) __ अणुहरंति ज ३११३८ अणुहो (अनु ! भु) अणुहोति प २१६४।२२ अणूण (अनून) सू १९०२११८, १९४२२०२८ अणेग (अनेक) प १३८३३,११४८१६,४७:११०११ ७; २।४१,६४ ज ११३७,२।१२,११३,१४६; ३१३,६,१२,२२,२४,२८,३१,३६,४१,४६,५८, ६६,७४,७७,६३,६६से१०१,१०६,१११,११६, १२०,१४७,१६३,१६८,१६३,२१२, २१३, २२२, ४।३,६,२५,३३,१२०,१४७,२१६, २४२; ५।३,४,२८,३२,३३,४३ उ श६७ से १६; ३।४३,४४,५१०,१७ अणेगजीविय (अनेकजीवित जीवक) प १३५,३६ अणेगविह (अनेकविध) प १।१३,२०,२३,२६,२६, ३५ से ५१,५६,६३ से ६६,७०,७१,७५,७६, ७८,७६.८६,६६,१६।३०,३७ अणेगसिद्ध (अनेकसिद्ध) पश१२,१६॥३६ अगिदिय (अनेकेन्द्रिय) प १११३८ अणेरइय (अनैरयिक) प१७१६०,६१ अणेसणिज्ज (अनेषणीय) उ ३।३८ अणोगाढ (अनवगाढ) प १११६२,२८।१२,५८ अणोवम (अनुपम ) ज ३१६२,१०६,११६ अणोवमा (अनुपम!) प २१६४११८,१७।१३५ अणोवमा (दे०) ज २।१७ अणोवाहणय (अनुपानत्क) उ ५१४३ अणोहद्रिय (दे०) उ ३३११९४१२३ अण्ण (अन्य) प १२०,२३,२६,२६,३५ से ३७,३६ से ४७,४८१७.१० से २६% ११४८ से ५१,५६, ६०,७८,६६,६७,२२३० से ३३,४८ से ५५; १०२१ से २५, ३६.६४ ज ११४५,४६; २।२०,७१,६०,३८१,१८६,१८८,२०६, २१०,२१६,२२१; ४११३,१४,५२,११४,१४६, १५६,१६५,२०६,२१६,२१६,२२१; ५:१,५, १६,२४,३८,४७,५०,६७, ७।५६,५६,१८३, १८५ सू ६.१:१०।१६२ से १६४,१६६; १७११,१८१२१,२३,१६६११,२४, २०११ उ ५।१०,१७ अण्णतर (अन्यतर) मू ६३१ अण्णतरठितिय (अन्यत रस्थितिक) प २८१५०,५१ Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२४ अण्णत्थ-अस्थि अण्णत्थ (अन्यत्र) प ११।११ से २०,४६ र १।१४, अतिवतित्ताणं (अतिव्रज्य) प २८।१०५ ; ३४।१६ - १७,१०११३६; २०१७ अतिसीत (अतिशीत) सू १०११२६।१ अण्णमण्ण (अन्योन्य) प१६।३६,४२ ज २।३६, अतिहि (अतिथि) उ ३१४८,५०,५१ ४१,१४६,३।१०५,१०७,११३ से १३८; अति (अति-!-इ) अतीति ज ३।६३,६५ ५१३,२७,३८ सू १११८ से २१ उ ११४७,६८, अतीत (अतीत) प १५१८३,८४,८६ से ६७,६६ १३८,१३६ से १०१,१०३ से १०६,१०६,११०,११२ अण्णयर (अन्यतर) प २२१६१ से ६५:२३।१६१ से ११७,११६,१२०,१२२,१२३,१२५ १६२ ज २६६ में १३२,१३५,१३६,१४०,१४१,१४३, ३६१८ अण्णया (अन्यदा) ज ३।४,८३,१०४,१३०,१५४, से २६,३० से ३४,४४, से ४७ १७२,१८८,२२२ उ १११४; १८, ३१४६; अतीय (अतीत) प १५१०८,११८,३६१३४ ४।२१:५।१३ अतीव (अतीव) ज ५।३८ अण्णलिंगसिद्ध (अन्यलिङ्गसिद्ध ) प ११२ अतुरिय (अत्वरित) ज ५१५,७ अण्णहा (अन्यथा) प ११०११३,५ उ १।१०६ ___ अतुल (अतुल) प २१६४।२० अण्णाण (अज्ञान) प ५१२४,२८,३०,३२,३४,३७, अत्त (आत्मन) प १५१५० ज ३।२२२ उ ३८३, ४३,४५,४६,५३,५६,६८,७१,७४,८०,८३,८४ १२०, १५०५२८,४३ ८६,८७,८६,६७,६६,१०१,१०२,१०४,१०५, अत्तय (आत्मज) उ १२१०,३१,६५,१०६,११०, १०७,११७ ११३,११४, २६ अण्णाणपरिणाम (अज्ञानपरिणाम) प १३।१४,१६ । अत्तया (आत्मजा) उ ४ाह १७,१६, अत्थ (अत्र) ज ४१४२,३ सू ।१ उ ३.१५१ अण्णाणि (अज्ञानिन्) प११७४,८४,५२६४,१८।८३ अत्थ (अर्थ) ज ५।२६ चं ११३ म २०१७ उ ३.४० २३१२००,२८११३७ अत्थ (अस्त्र) ज ३१७७,१०६ अण्णाणुपुवी (अनानुपूर्वी) प २८.१८,६४ स २६ अत्थओ (अर्थतस्) प १११०१८ अण्णोष्ण (अन्योन्य) प २१६४११० ज ७५८ अत्थजुत्त (अर्थयुक्त) ज ५१५८ सू १६।२६ अत्थणिउर (अर्थनिकुर) ज २।२४ अण्हाणय (अस्नानक) उ ५१४३ अस्थणिउरंग (अर्थनिकुराङ्ग) ज २०४ अतसी (अतसी) प १६३७१२ अत्यस्थि (अर्थाथिन ) सू २०१७ अतिक्कम (अतिक्रम) ज २११३३ अत्यस्थिय (अर्थाथिक) जे ३।१८५ अतितेया (अतितेजा) सू १०८८२ अस्थमंत (अस्तवत् ) ज ३.१६ अतित्थगरसिद्ध ((अतीथंकरसिद्ध) प ११२ अस्थमण (अस्तमयन) ज ७।३६ से ३८ च ४११ अतिथसिद्ध (अतीर्थ सिद्ध) प११२ गू श८।१२।३६।२ अतिदूर (अतिदूर) ज ११६ अत्थसत्य (अर्थशास्त्र) उ ११३१ अतिभाग (अतिभाग) सू ४।८ अत्यसिद्ध (अर्थ गिड) ज १११२ सू १०८६।२ अतिमास (अतिमास) सू १५१३७ अत्थाम (अस्थामन्) ज ३।१११ अतिराउल (दे०) प ११:१४,१६ अस्थि (अस्ति) प १७५२१६४।१४,५८०, अतिरेग (अतिरेक) ज ३१३५,२११; ५१५८ १९६११०,१२।६; १५१४५,४७ मे ४६, Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अत्थकायधम्म-अद्धजोयण ६०,६२,६३,६५,६६,८७,९४ से १०१,१०३ से १०६,१०८,११२ से ११४,११६,१३८, १४१:१७३१३,३५; १६।१।२ : २०११, ४, १७ १८,२२,२५,२८,२६,३४,३८,३६,४६,५०,५३, ५८ २१६८ मे १००, १०३; २२१६, ११, १२, १४,१६,१८,५८,५६,७७,७६,८१,८२, २३६; २८।१२३,१३६,१४१, १४५; ३४।७ से ६, ११, १२,१५,१६,२०,३६१८ से ११,१७ से २३, २५, २६,२६ से ३२,३४,४४ ज ११४७, सू १/३; ६११ उ ३११०१४१५ ; ५।२६ अथिकाधम्म ( अस्तिकायधर्म ) प १।१०१११२ अथ (अस्थिक ) प १।३६।१३।१।२ अत्थोग्गह (अर्थावग्रह ) प १५४६८,७० से ७२,७४, ७५ अरिणाम (अस्थिरनामन् ) प २३१३८,१२२ अद (अदस्) म् ११४ अदंड (अदण्ड) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६,७४ १४७, १६८,२१२,२१३ अदंतवणय (दे० अदन्तधावनक) उ ५ ४३ अदि (अपि) उ५/४१ अदि ( अदीति ) ज ७।१८६३ अदिज्ज ( अदेय ) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, ७४, १४७, १६८,२१२,२१३ अदिट्ठ (अदृष्ट) सू ५११ ; ७३१ अदित ( अदृष्टान्त ) प ३०।२७, २८ अण्णादाण ( अदत्तादान ) प २२१४,१५,८० अदिति (अदिति) ज ७ १३० अदितिदेवया (अदितिदेवता ) सू १०१८३ अदुवखमसुह ( अदुःखामुख ) प ३५।११२३५।१० १२ अदुत्तर (दे० ) ज २१४७, १३१ ; ३१२२६४।२२, ३४,५४,६४,१०२, १०५,११३,१५६,१६१, १६६,२०८,२१०,२६११।११६ अदुवा (दे० ) ज ७।२१२ अदूरसामंत ( अदूरसामन्त ) प ३४१२२,२३ ११५३।१८,३१,५२,६६,१३१, ८२५ १४१,१८०; ५१५,७ उ११३ ३१२६; ५२६ अदेवीय (अदेवीक ) प ३४११५, १६ अ ( आई ) प २३१ अद्दस (अटरूपक, अटरूपक) प १३७१४ अद्दा (आर्द्रा ) ज ७ १२८, १२६१,१३४ से १३६, १३६।१,१४०,१४६,१६१, सू १०१३ से ६, १३,२४,३६,६२,६८,७५,८३,१०४, १२०, १३१ से १३४१२,१३५१२,१६० अद्दाय (दे० ) प १५ १।१ ; १५.५० अद्दारिट्ठय (आर्द्रारिप्टक) प १७।१२३ अद्ध ( अर्ध ) ज १११६; ३।१०६ ४१२०८ ५३८ ७।१७६, १७७/३ सू २।२६।३ उ १११०३, १०६,११०,११३,११४ अद्धअउठि (अर्द्धकोनषष्टि) स् ६ ३ अद्धअट्ठारस (अर्धाष्टादश) सू १८ ।१ अद्ध एकोणवीस (अर्धकोनविंशाति) सू १८/१ अद्धएकवीस (अर्धकविशति ) सू १८ ।१ अएकरस (अर्धकादश ) सू १८ |१ अर्द्धगुल (अर्धागुल ) प ३६।८१ ज १११७ ३।१०६७/२०७सू १।५४ अद्धकविट्ठग (अर्द्धकपित्थक ) प २१४८ सू १८१८ अद्धकुंभिक (अर्द्धकुम्भक ) ज ५३८ अद्धकोस (अर्द्धकोश) ज ११३७, ४२, ५१,४६, १५,२४,३३,३६,११४, ११८, १२८, १४७, १५४, १५५, २४२, सू १८ ।१२,१३ अद्धगाउय (अर्द्धगव्यूत) प ३३२,६ ज ७ ६० अद्धचवीस (अर्द्ध चतुर्विंशति ) सू १८११ अद्धचंद (अर्द्धचन्द्र) प २४८, ५०, ५६, ज १।२० ; ३१२४,७६,११६; ४१४६, १०८, २४५ अद्धचंद ठाणसंठित (अर्द्धचंद्रसंस्थानसंस्थित ) प २५८ अद्धचोट्स (अर्धचतुर्दश) सू १८११ अद्धछट्ट (अर्द्धषष्ठ) सू १८ । १ अद्धछब्बीस (अर्द्धविशति ) सू १ = |१ अद्धवसति वह (अर्द्धविशतिविध ) प १।६३ अजोयण (अर्द्धयोजन ) ज १७११, ११९, १०, १७, २३,२५,४६,७,१४,२४,३६,४२,४६,५६,७१, Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ अद्धट्रम अधिपति ७४,७८,११२,११४,१११,११६,१२३, अद्धमंडलसंठिति (अर्द्धमण्डलसंस्थिति) सू १७।१, १२६,१२७,१४६ सू १८११.२० १.१५ से १७ अट्ठम (अष्टिम) ज २१७८,४।११०,११६, अद्धमागहा (अर्द्धमागधी) प ६८ १२८ सू१८।१ उ १३५३,७८ अद्धमास (अर्द्धमास) प ६।१२; २३७१,१८४ अट्ठारस (अप्टिादश) प २३।१०४ __ सू १३।४,५,११ अद्धणवम (अर्द्धनकम) सू १८१ अद्धमासिया (अर्द्धमासिकी) उ ३३१४,८३,१२० अद्धणाराय (अर्द्धनाराच) प २३।४५,६७ अद्धवीस (अर्द्धविंशति) सू १८१ अद्धतिवण्ण (अत्रिपञ्चाशत् ) पश२७।३ अद्धसत्तम (अर्द्धसप्तम) स १८।१ अद्ध तेरस (अर्द्ध त्रयोदश) प ११६०,८११; अद्धमत्तरस (अर्द्धसप्तदश) सू १८।१ २३।१०२ ज ४१३६,४३,६६,७२,११४,१२०, अद्ध सीतालीस (अर्द्धसप्तचत्वारिश) सू श२३ १२२ स १८१ अद्धसोलस (अर्द्धषोडश) ज ४।११६ सू १८।१ अद्धतेवट्ठि (अर्द्ध त्रिषप्टि) ज ४।२४०३७ अद्धहार (अर्धहार) ज ३।६,२११,२२२:५॥३८ अद्धतेवण्ण (अद्धं त्रिपञ्चाशत् ) प २।२७ अद्धतेवीस (अर्द्ध त्रयोविंगति) प६३१ स. १८।१।। अद्धा (अद्धा, अध्वन्) प १६४।१५,१६,१५। अद्धदसम (अर्द्धदश) सू १८१ ५८।१:१५॥६३,६४; १८.१,१२५; ३६।१२, अद्धद्धमिस्सिया (अद्धि मिथिता) प १२३६ ६४, मू१११,१२,२७ से ३१; रा२; ६३; अद्ध पंचम (अर्द्धपञ्चम) ५४३४,३६,४०,४२ १२।२ से ६,१० से १२ सू १८१ अद्धामिस्सिया (अर्द्धमिश्रिता) ५ १११३६ अद्धपण्णवीस (अर्द्धपञ्चविंशति) म १८१ अद्धासमय ('अद्धा'समय) प १५३,३।११४,११५, अद्धपण्णरस (अर्द्धपञ्चदशन ) स १८१ १२१,१२२,१२४; ५।१२४,१५५३ से ५५, अद्धपलिओवम (अर्द्धपल्योपम) प ४११६८,१७०, ५७,१८।१२५ १७४,१७६,१८०,१८२,१८६,१८८,१६२, अद्भुट्ठ (दे०) प ३३३३,४ ज ४११६ सू ११२३, १६४,१६५,१६७ ज ७।१८८,१६०,१६२, ३।१; १८११ उ ५।१० १६३ सू १८।२६,२८,३०,३२,३३ अधरण (अधन्य) उ ११६२, ३।९८,१०१,१३१ अद्धपलियंकसंठित (अपर्यक संस्थित) स १०॥४४ ।। अधमस्थिकाय (अधर्मास्तिकाय) प ११३ ; ३१११४, अद्धपोरिसी (अर्द्धपौमषी) सू ।३ ११५, ११७.१२२, ५११२४; १५१५३,५४ अद्धबारस (अर्द्रद्वादश) सू १८।१ अधर (अधर) ज २११५ अद्धबयालीस अर्द्धवाचत्वारिंश) स ११२३ अधरिम (अधरिम) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, अद्ध बाबण्ण (अर्द्धद्विपञ्चाशत् ) सू ११२३ ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अद्धबावीस (अद्वंद्वाविशति) स १८।१ अधाजोग (यथायोग) सू १५:१० अद्धभरह (अदभरत) ज ३१६५ अधाजोय (यथायोग) मू १५१३ अद्धभाग (अर्धभाग) ज १।२३,४८, ४।१,६२,८१ अधातच्च (यथातथ्य) सू १२११३ अधारणिज्ज (अधारणीय) ज ३११११ अद्धमंडल (अर्द्ध मडल) च ३३१ सू १६१८; १३१७ अधिगय (अधिगत) प १३१०११२ से ११,१४ से १६:१५।२६ से ३१ अधिपति (अधिपति) ज ३१२५,४६ Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अधिय-अपत्यपत्थग अधि ( अधिक) सू १३।११.१४ अधिवति (अधिपति) २१५०,५१ अपेसमा (अधः सप्तमी ) प ३१८३ अनिल (अनिल) ज २२६८,१३१ अपइट्ठाण (अप्रतिष्ठान ) प २२७ अच्चखाण (अपत्य स्थान ) प १४७ २३०३५ अपच्चक्खाणकिरिया ( अप्रत्याख्यानक्रिया ) प १७।११,२२,२३,२५ २२६०,६४,६६, ७२.७४,६८,६९ अपच्चवखाणि (अप्रत्याख्यानिन् ) प २२१६४ अपचवाय (अप्रत्याख्यात) ११८ अपज्जत (अपर्याप्त ) प १।१७.२२,३१,४९ से ५१,६०,६६,७५,७६,८१२।१७.२० से ३१,४१ से ४३,४८ से ६३२०४३ से ४१, ५३ से ६०,६४ से ३१,७५ से ८४,८५ से ६५, ११०,१७४ ४५५,०६,०१, ११, १३, १६,१९, २३८,२४१,२४४,२४७, २५०, २५३, २५६, २५, २६२,२६५, २६६, २७४, २७७, २८०, २०३, २०६, २८६,२१२, २५, २१० २१०६. १६.१०,२३ से ३२,२६,४०,४१,४८,५०,५३, ५५ अपज्जत्तग ( अपर्याप्तक ) प ११२०,२३,२५,२६,२६ २१,४८११० १२४६ मे ५१.५३,०४, १३१ से १३२,१३५,१३७.१३५२१२,३,५, ६,८,९,११,१२.१४ से १६:३४४१,४३ से ४१,५१,५३ से ६०,६२,६४ से ७१,७२,७५ ८४६१.९३ से १२११०,१४२, १४५,१५१, १८३३६७१,७२,८३,१०२ : ११.३९,४१: १५४१ १८४० २१०५.१०. १३,२०,३३,३४,२६,४१,५२५५.०२ " ३४।१२ अपन्जलगणाम (अपलकनामन् ) २३३८,१२० अपजलय (अपर्याप्तक) प १।२१ ३२०६२.६६ से ६८,८६,८६,६०, १, ६२, ६३, ६५, १४५, १५.४, १५७,१६०,१६२,१६,१६६,१७२,१७४, ८२७ १८३४१२, ५, ८, ११.१४,१७,२०,२३,२६,२१, ३२,३५,३८,४१,४४,४७,५०,५३,५७,६०,६२, ६६,६८,७०,७१,७५,७७.८०, ८३, १०२, १०५, १०८.१११.११४,११७.१२०, १२३.१२६, १२६,१३२,१३२,१३८, १४१.१४४,१४७. १५०,१५३,१५६,१५९,१६३,१६६,१६९. १७२.१७४, १७८,१०१.१८४, १८७,१९०. १६३,१६,१६,२०२,२०५,२०८, २११,२१४, २१०,२२०, २२३,२२६,२२६,२३२,२३५. २७१६७१,७२,७९,८२,८४,६७.१०२. ११०३१.३५,२९,१८२८,१८,३०,२६,११४; २११४०, ४२ : २३।११३ २०१४३ मे १४५; ३६।५२ अपज्जत्ति (अपर्याप्त ) प २८३१४३ अपज्जवसित (अपर्यवसित) २०६४ अपजवसिय पर्यवसित) प १८७,१३,१७, २५.२१, ५५,५६,५६,६१,६४,९७,६८,७५ से ७७,७६,८२,८३,०६,८८, १०, १२, १००, १०५,१११, ११२,११५.११८,१२१.१२३. १२४,१२७ अपज्जुवाणा (पर्युपासना) उ ३।४७ अकिंत (अप्रतिक्रान्त) उ २८३, १२०, ४२४ अपडिबद्ध (अप्रतिबद) ज २०७० अपविद्धानि (अप्रतिगामिन् २६६ अपामा ( अप्रतिबुध्यमान) ज २२६५; ३।१०६ अपडिवाद (अप्रतिपातिन् ) प ३३१०१ २३०३५ अपडिवाति (अप्रतिपातिन् ) प १।११४ अपणिमाण (अप्रतिशृण्वत् उ ११२७ अपविय (अप्रतिहत) ११०१ अपडीवार (अप्रत्थवतार) प ३०।२७, २८ अपदम (अप्रथम ) प ११३,१०३, १०६,१०७. १०६,११०, ११३, ११४,११६,११६,१२०, १२२, १२३:१६३७ अपत्यपथ (अप्राचितार्थक ) ३।१२४ उ १।११५.११६ Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२८ अपत्थियपत्य ( अप्रार्थित प्रार्थक ) ज ३।२६,३६, ४७,१०७,११४, १२२,१३३ उ ११८६ अपदेसया (अप्रदेशार्थ ) प ३३१७६,१८१ अपमत्त ( अप्रमत्त ) प १७ ३३२१/७२ अपमससंजत (अप्रमत्तसंयन ) प ६६८ अपमत्तसंजय ( अप्रमत्तसंयत ) प ६६८; १७१२५, २२/६३ अपमाण ( अप्रमाण ) प ३०।२७, २८ अपराइय (अपराजित ) ज ३ | ३ अपराइया (अपराजिता ) ज ४१२१२ अपराजित (अपराजित ) प १२१३८ २२६३ ६।५६७२६ ज १११५ अपराजिता (अपराजिता ) ज ४।२०२७११८६ अपराजिय ( अपराजित ) प ४।२६४ से २६६; ६२४२१५/६६,६२,१००,१०५, १०८,१०६, ११४,११६,१२०,१२१,१२३, १२५,१२६, १३१,१३९; २८/६६ अपराजियत (अपराजितत्व ) प १५।११३ अपराजिया (अपराजित) ज ४५२१२।४; ५८११ ; ७/१२०/२ सू १०८८ २ अपरिह (अपरिगृहीत) प ४।२२२ से २२४, २३४, से २३६, अपरिमाणमाण (अपरिजानत् ) उ ३१५६,६१,७७, ११६ अपरिताविय (अपरितापित ) ज २४६ अपरित्त (अपरीत ) प ३।१०६; १८११०६ अपरिभुंजमाण (अपरिभुञ्जत् ) उ १।३५ अपरिभूय (अपरिभूत) ज ३११०३ उ ३११०, २८ ६६ अपरिमिय (अपरिमित ) ज ३।१६७ अपरियाग ( अपरिपाक, अपर्याय ) प १७।१३२ अपरियार (अपरिवार ) प ३४।१५,१६ अपरियार (अपरिचारक ) प ३४।१८,२५ अपरिसेस (अपरिशेष ) प २८१४०, ६६ ज४।८३, २७४ अपत्थियपत्थय- अप्प अपरिसेसि (अपरिशेषित) २८१२३ अपविट्ठ (अप्रविष्ट ) प १५/३६, ४१ अपसत्य ( अप्रशस्त ) प १७ । ११४ १ २३५६, १०६,११७,१२८ अपाणय ( अपानक) ज २२६५, ७१,६८ ३१२२५ अपि (अपि) ज १।२२ ११६७, ३।६० ५ १७ अपिक्क ( अपक्व ) प १७ १३२ अपुट्ठे ( अस्पृष्ट ) प ११६१, १५१३६ से ३८, ४१; २२१५६ २८१११,५७ ज ७१४०, ५३ अपुणरावित्ति ( अपुनरावृत्ति) ज ५।२१ अपुणरुत्त (अपुनरुक्त) ज २२६४, ५३५८ अपुण्ण ( अपुण्य) उ १६२: ३१८,१०१,१३१ अरिसक्कार ( अपुरुपकार) ज ३।१११ अपुरोहिय ( अपुरोहित) १ २६०,६३ अपुब्व (अपूर्व) २८१२०,३२,६६ अवकरण (अपूर्वकरण ) ज ३।२२३ अपोह ( अपोह ) ज ३१२२३ अप्प ( आत्मन् ) प० १२४०१४, २२१४ से ६ ज ११५ २०७१, ८३, ३१८८ ५१५७ सू१।१६; १३।१२,१४ से १७१६८ २०४ उ १।२,३,४६,६५,६८,७२, २११०,१२, ३११४, २६, ५०, ५१, ५३, ५४, ८३,६६, १३२, १४४,१६१, ४२४, २८, ५२६, २८,३२,३६, ४३ अप्प ( अल्प ) प ३1३८ से ११६, ११७ १,११८ से १२०,१२२ से १२४, १७४, १७९ से १८३; ६।१२३ ८१५,७,६,११, ६ १२, १६, २५, १०1३ से ५,२६ से २६, ११७६,६०, १५।१३,१६,२६,२८,३१,३३,६४, १७२५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से ५३,१४४ से १४६; २०१६४; २१३१०४, १०५, २२११०१, २८/४१, ४४,७०, ३४।२५ ३६ ३५ से ४१, ४८, ४६ ज १५० २१५८, ८३, १२३, १२८, १४८, १५१, १५७; ३।१०,११,८५,८७,११७२१, १८४; ४११०१; ५१५२७,५७,७१११२१४, १६८, १६७ सु १०११२६।४ १५ १६ १८१८, ३७, १६८ Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अप्प - अबाहा २३,२६; २०१७ उ १।१६,४२, ६३, ३।२६, १४१, ४।१२ अप्प (अल्प ) जवासा प ११४०१४ अपकपिय ( आत्मकल्पित ) उ १९४६ अप्पकम्मतराग (अल्पकर्मतरक ) प १७३, १६ अप्प चक्खाण (अप्रत्यख्यान ) प १४१७ पचखाकिरिया (अप्रत्यास्थान किया. ) प २२/६४,६६,७४, १७, १०१ अप्पच्चकखाणवत्तया ( अप्रत्याख्यानप्रत्यया) प २२/६४ अप्पfsबुज्झमाण (अप्रतिबुध्यमान) ज ३३२०४ अपsि (अप्रतिहत ) ज ३१८१,८८, १०६,१५१; ५/२१ अपणया (आत्मन् ) प २८/२०,३२,६६ अप्पतराय (अल्पतरक ) प १७१२, २५ अप्पतिट्ठिय (अप्रतिष्ठित ) प १४ ३ अप्पत्त (अप्राप्त) सू १६१२२।१७ अप्पत्थियपत्थय ( अप्रार्थितप्रार्थक ) ज ३११०७ अप्प (अल्पबहु ) प १७ ११४|१; २१।१।१; ३४१११२ ज ७ ११६८२ अप्पमेय ( अप्रमेय ) ज ५।५८ अप्पस (आत्मवश ) उ ३।११८ अप्पवेदणतराग (अल्पवेदनतरक) व १७६, २७ अप्पसत्य ( अप्रशस्त ) प १७/१३८ २३।११६, १३२, ३४।१३ अप्पसरीर (अल्पशरीर ) प १७/२, २५ अप्पसोय (अल्पशोक ) उ ११६३ अप्पयगति ( अप्रहतगति ) ज २२६८ अप्पाas (अल्पबहु ) प ६।१२३; १५।१।१ अप्पा बहुग (अल्पबहुक ) प १७३६,७० अपाबहुय (अल्पबहुक) १० १०२८ ११।८०; १५.१८, १६, १५।५८ १ १७।७७ अपिच्छ (अल्पेच्छ ) ज २०१६ affset (अल्प ) प १७१८४ से ८७,८६ ज० ७ १८१ १८ १६ अप्पिण (अर्पय्) अप्पिणइ उ० १।११८ अप्पिणामि उ० १।११७ अप्पिणित्ता (अपयित्वा ) ज ३२८१ अप्पिय (अप्रिय ) ज २।१३३ ८२६ अप्पियतरिया (अप्रियतरका ) प १७ १२३ से १२५, १३० से १३२ अपित्त (अप्रियत्व ) प ० २८ । १४ अप्पियस्सर (अप्रियस्वर) ज २११३३ अप्पुस्य (अल्पीत्सुक्य ) ज ३।२६,३६,४७,१३३ अप्पेस (अप्रेष्य ) प० २३६०,६३ अष्कुण्ण (दे) उ ११२३,६१ अप्फोड ( आ + स्फोटच ) - अप्फोडेंति ज ५७ अल्फोडिय (आस्फोटित ) ज ३।३१, ७ १७८ अल्फोया (आस्फोता ) मल्लिका, अपराजिता प ११४०१३ अफासाइज्जमाण ( अस्पृश्यमान ) प २८|४०, ४१, ४३,४४,६६,७० अफुण्ण (दे० ) प ३६ ५६, ६०, ६६ से ६८,७०,७१, ७३ से ७५ असमाण (अस्पृशत् ) प १३।२३ असमानगति (अस्पृशद्गति ) प १६०३८, ४०; ३६।६२ अफुसिता (अस्पृष्ट्वा ) प १६१४० अबंध (अन्धक ) प ३११७४; २२८४; २६६ अबंध ( अबन्धक ) प २२८३ ८४ ८६ २६८ से १० अबल ( अबल) ज ३।१११ अबस्य ( अबहुश्रुत ) सू २०६२ अबाधा (अवाचा ) सू २८/२० अबाहा (अबाधा ) प २१६४; २३।६० से ६४,६६, ६८,६६,७३ से ७७, ८१, ८३,८५ से ६०,६२, ६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११६ से ११८, १२७,१३०,१३१,१७६, १७७, १८२,१८३,१८७,१६० ज १।१७ ३१; *४।११०,११६,१४१,१४२, २०६, २०७ ७५, Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अबाहूणिया-अभवसिद्धिय ६,८ से १३,६४,६५,६७ से ७२,८८,८६,६१, ७४,८४; २३५८,७६,१६६; २६२१ ६२,१६८८१,१७१ से १७४,१८२ सू १८१५,६ ज ३११८,६३,१८०; ७१८७ से १६० अबाहूणिया (अबाधोनिका) प २३१६० से ६४,६६ सू १८१२५ से ३० उ ३३१६ ६८,६६,७३ से ७७,८१,८३,८५, से ६०,९२, अदिभतर (आभ्यन्तर) प १३५५३३०१ ६५ से १६,१०१ से १०४,१११ से ११४, जे १७, २११२, ४,२१, ५।३६सू १११४, ११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३,१७६, १६,२१,२४,२७ से २६,३१; २१३; ४।६; १७७,१८२,१८३,१८७,१६० ६११; ८।१, १६।२१।१ अबीय (अद्वितीय) ज ३१२०,३३,८४,१८२ अभिंतरओ (अभ्यन्तरतस् ) ज ३।२४।२,१३१२ अभइय (अभ्यधिक) प १८:४ उश अभंग (अभि । अञ्ज ) अब्भंगेइ उ ३१११४ अभिंतरग (आभ्यन्तरक) प ११४८।४५ ___ अभंगेति ज ५११४ अभिंतरय (आभ्यंत रक) उ ११४४ अभंगण (अभ्यञ्जन) उ ३।११४,११५,११६ अभिंतरिय (आभ्यंतरक) ज ४।१६ अभंगेत्ता (अभ्यज्य) ज ५११४ अब्भुक्ख (अभि+ उक्ष ) अब्भुक्खेइ ज ३११२, अभंतर (आभ्यन्तर) प ३६८१ ज ३।१८४; ८८ उ०४।२१ ४।१५२, ७।५,८,९,१०,१३ से १६,१६ से अब्भुक्खेत्ता (अभ्युक्ष्य) ज ३।१२ २२,२५ से २७,३०,३१,३३,६४,६७ से ६६, अन्भुग्गय (अभ्युदगत) प ४।४८ ज ११४२, २।१५; ७२ से ७५,७८ से ८१,८४,८८,६१,६३,६५, ४.४६, २२१, ७.१७६,१७८ सू १८१८ १७५ सू १११,१२,१४,१६,१७,२१,२४, अब्भुट्ठ (अभि-1-उत्-+-ष्ठा) अब्भुद ठेइ २७,३०; २।३; ३११,२; ४१७; ६.१ ६२; ज ३१६,२६,३६,४७,१३३, २१४; ५१२१ १०११३२; १३।१३, १९४१, १६।२२।१२ उ ३६१०१--अब्भुट्ठमि उ ३११३६, ४११४ -~-अभुळेहि उ ३।११५ अभंतर पुरक्खरद्ध (आभ्यन्तर पुस्करार्द्ध) सू ८१ अब्भुठ्ठिय (अभ्युत्थित) ज २१७० १६.१६ स १६ अब्भुठेत्ता (अभ्युत्थाय) ज ३१६ उ ३३१०१, अभंतरिय (आभ्यन्तरिक) सू ४१३,४,६,७ अभंतरिल्ल (आभ्यंतरिक) ज ७।१७५ सू१८१७ अब्भुण्णय (अभ्युन्नत) ज २११५, ७११७८ अब्भक्खाण (अभ्याख्यान) प २२०२० अब्भुवगम (अभ्युपगम) प ३५।११ अभणुण्णाय (अभ्यनुज्ञात) उ ३३१०६,१०८,१३८; अन्भोरुह (अभ्यवरुह) प ११४४०१ ४।११ अन्भोवगमिया (आभ्युपगमिकी) प ३५।१२,१३ अभपडल (अध्रपटल) प १।२०।२; ११७५ अभंगय (अभङ्गक) प २६९; २८११६ अब्भवद्दलय (अभ्रवादलक) ज ५१७ अभवखेय (अभक्ष्य) उ ३१३७ से ४० अब्भवग्लुया (अभ्रवालुका) प १।२०।२ अभड (अभट) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, अन्भहिय (अभ्यधिक) प ४११७१,१७३,१७४,१७६, १४७,१६८,२१२,२१३ १७७,१७६,१८०,१८२,१८३,१८५,१८६, अभय (अभय) उ १३१,४२ से ४६,४८ १८८; ५१५,१०,२०,३०,३२,७२,८१,१०२, अभयदय (अभयदय) ज ५।२१ १२६,१३१,१३२,१३४,१६०,१७७,१६३, अभवसिद्धिय (अभवसिद्धिक) प ३.११३,१८३; २१४,२२८; १७॥६३; १८२८,४७,६०,६६ से १२७,२०; १८११२३, २८।११२ Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभव्वजण अभिरूव अभव्वजण ( अभव्यजन ) सू २०१६१ अभायण (अभाजन ) सू २०१६ | ३ अभाव (अभाव) प ३।१२१ अभाग (अभाषक ) प ३।१०८ ११३८ से ४१, ६० अभास (अभाषक ) प० १८ । १०५ अभिइ (अभिजित् ) ज ७।१९३।१, १२८ से १३१, १३३,१३४ ११, १३५, १३६,१३८, १४१, १४६, १५६, १७५ १०।१ से ६,८,२०,२३,२७,५५, ६३,७५,७८,६२,१२०,१२२,१२३,१३० से १३६, १२।१६; १५८, ११, १८७; अभिओग (अभियोग ) उ ३१६१ अभिक्a (अभीक्ष्ण) ज २२१३१ अभिक्खण ( अभीक्ष्ण) प १७२, २५, २६१२१,३३, ६७ ज० १।१८, २३१३१,१३३, ३।१०४, १०५ ११५६,८४,६७ ३।११७, ४२१ अभिगम ( अभिगम ) प ३४।१।२ अभिगमण ( अभिगमन) ज ५।७, ४१ सू० १३११७ उ १।१७ ३ ७ अभिगय ( अभिगत ) उ ३।१४४; ५।३४ V अभिगह ( अभि + ग्रह ) अभिगिण्हइ उ ३।५५ अभिगहिस्सा मिउ ३१५० अभिगिता ( अभिगृह्य ) उ ३२५० अभिग्गह (अभिग्रह ) प ११३७।२ ३० ३१५० अभिचंद (अभिचन्द्र ) ज २५६, ६१, ७ १२२११ सू १०२८४।१ अभिजात (अभिजात ) सू १०८६ २ अभिनय (अभिजात ) ज ३।३; ७ ११७/२ अभिजिणमाण (अभिजयत् ) ज ३।१८,३१,१८० अभिजिय ( अभिजित ) ज ३।३६, ३६,४७,५६,६४, ७२, १२६१४, १३३,१३८, १४५, १८८ ७।१२६ अभिजेतुं (अभिजेतुम् ) ज ३१९५ अभिज्झित्त (अभिध्या तत्व) २८१२४,२६ अभिनंद ( अभि + द ) अभिनंदति ज २१६४ अभिनंद (अभिनन्द) सू १०११२४ ११ अभिदत (अभिनन्दत् ) ज २०६४ ३।१८५, २०६ अभिनंदिज्जमाण (अभिनन्द्यमान) ज २२६५ अभिनंदिय ( अभिनन्दित ) ज ७ ११४।१ अभिय (अभिनय) ज ५।५७ अभिसि (अभिनित ) सू ६१, ३ अभिfee (अभि + नि । स्र) अभिणिस्यवंति ज ४।१०७ अभिणिति (अभिनिश्रित ) सू २३ अभिणी ( अभि + णी) अभिनेति ज ५।५७ अभिष्ण (अभिन्न ) प ११।७२ अमिथुन (अभि: प्टु) अभितिज २६४ ३ । २१० अभित (अभिष्टुत् ) ज २१६४ : ३।१८५, २०६ अभिवमाण (अभिष्यमान ) ज २२६५; ३११८६ २०४ अभिनिविट्ठ (अभिनिविष्ट ) प २०१३६ / अभिनित्सव ( अभि +नि+ख) ८३१ अभि निस्सवेइ उ ११५६ अभिभूय (अभिभूत) ज २ १३३ उ ११६०,६२,८५, ८७,६३ अभिमुह ( ( अभिमुख ) ज ११६ : २० : ३२१४, १५,२२,३०,३१,३६,४३,४४,५१, ५२,६० ६१,६८,६९,१३०, १३१,१३६, १३७, १४०, १४११४५, १४६,१५०, १७२, १७३, २०५,२०६, ४११,३७,३८,६५,७१,७३, ६०, ६१,६४ ; ५।५८, ६।२३ से २६ उ १।१६; ३।४३ अभिरक्ख (अभिरक्ष ) अभिरक्रवउ उ ३।५१ अभिरममाण (अभिरममाण ) ज २।१४६ : ५१६७ अभिराम ( अभिराम ) प २१३०,३१,४१ ज ३३१, ७,६,१७,२१,३४,८८, १०६, १७७,२२२; ४१२७:५७, २८,४३ सू २०१७ उ ५ ५ अभिरुse (अभिरुचित) उ३।१३८ अभिरू (अभिरूप ) प २१३०,३१,४१,४८,४६, Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३२ अभिलंघमाण-अमणुण्ण ५६,६३,६४ ज ११८,२३,३१,४२; २।१२,१४, अभिसिचाव (अभि+सेचय) अभिसिचावेइ १५, ४१३,६,१३,२५,२७,२६,३३,४६,१४६; उ ११६८ अभिसिंचावेसि उ १।७२ ५६२ सु०१११ उ०५।४ से ६ अभिसिंचावित्तए (अभिपिञ्चयितुम) ज ३११८८ अभिलंघमाण (अभिलङ्घमान) ज ४१४६ उ० ११६५ अभिलाव (अभिलाप) ५४।५५; ६।४६.५६,६९,७८ अभिसिचित्ता (अभिपिच्य) ज २१६४ १११,१२३,१११८३ १५३३८,५०; १७८८, अभिसिंचिय (अभिषिञ्चित) ज ३।२१२ ६१,६६,११७,१४५,१४६२११५५; २२१५८; अभिसित्त (अभिषिक्त) ज ३१२१४ २३६१६१ ; ३६६६५ ज ३१२११ : ४।२३८; अभिसेक (अभिषेक) ज ३।२०४,२१४,२१७, ४।१४० ७.१५५ सू ५।१ ; ६।१; ७११ ; ६१२,३ ; १०।२३, १४८,१५०; १५१६; १८।११६१,३१, २०१२ अभिसेवक (अभिषेक्य) उ १११२३,१३१ अभिवंदिऊण (अभिवन्द्य) प १११ अभिसेय (अभिषेक) ज २०१५, ३१२०६; ४११४०११ अभिवढि (अभिवृद्धि) ज ७।१३० १६०,२४४,२४८, ५१५७,५८,६१,६५ अभिवडिढत (अभिवधिन) सू १०।१२८,१२६% अभिसेयपीढ (अभिषेकपीठ) ज ३११९४ से १९६, ११११,१२१,६,१२,१५।२६से २८ २०४ से २०६,२१४ से २१६ पनि अभिनय ११ अभिसेयमंडव (अभिषेकमण्डप) ज ३१६१,१६३, से ६,१२१६ १६४,१६८,२०४ से २०६,२०८,२१४ अभिवडिढत्ता (अभिवयं ) सू ६।१ अभिसेयसभा (अभिषेकसभा) ज ४११४० अभिवढिदेवया (अभिवृद्धिदेवता) सू०१०१८३ अभिसेयसिला (अभिषेकशिला) ज ४१२४४,५१४७ अभिवढिय (अभिवधित) ज ७१०५,११० से अभिसेयसिहासण (अभिषेकसिंहासन) ज ४१२४८%3 ११२।५ सू १०१२७,१२६।५ ५.४७ अभिवढियसंवच्छर (अभिवधितसंवत्सर) सू अभिहण (अभि+ हन्) १०1१२७ ___अभिहणंति प ३६।६२,७७ अभिवता (अभिवयं ) ज ७।२७ सू६।१ अभिहणमाण (अभिघ्नत् ) ज ३११०६ अभिवड्ढेमाण (अभिवर्धमान) ज ७.१०, अभिहिय (अभिहित) प १११०१।१२ १६,२२,२५,२७,३०, ६६,७५,८१, सू१२०, अभीइ (अभिजित् ) ज २१८५,८८,१३८,७११३६।१ २१,२७,६।१६२ सू १६।२२१२७ अभिवुड्ढ (अभि + वृध) अभिवुड्ढइ सू ६१ अभीय (अभीत) ज २०६४ अभिवुढिड्त्ता (अभिवयं) सू ११४ अभेज्ज (अभेद्य) ज ३७६,६६ से १०१,११६, अभिवुड्ढेमाण (अभिवर्धमान) सू १११४ ; २१३; हा२ अमेल (अभेल) ज ३।१०९ अभिसमण्णागय (अभिसमन्वागत) प २०१३६ मू अमच्च (अमात्य) ज ३१,६,७७,२२२ ३।२६,३६,४७,१२२,१२६,१३३ उ ३.८५, अमणाम (दे०) ज २।१३३ १४,१२२,१६३,५।३१।। अमणामतरिया ('अमणाम' तरका) प १७११२३ अभिसरमाण (अभिसरत् ) उ ३६८ से १२५,१३० से १३२ अभिसिंच (अभि ।-सिंच) अभिसिंचइ ज २१६४ अमणामत्त ('अमणाम' त्व) प २८२४ अभिसिंचंति ज ३।२१० ; ४१२४८,२५० से अमणुण्ण (अमनोज्ञ) प २३।१६,३१॥ २१३१, २५२:५।५६ अभिसिंचति ज ३१२०६५६० १ ३३ Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमणुण्णतरिया-अरतिरति ८३३ अमणण्णतरिया (अमनोज्ञ तरका) प १७११२३ से १२५,१३० मे १३२ अमणुण्णत्त (अमनोज्ञत्व) प २८१२४ अमणूस (अमनुष्य) प २१७२ अमम (अमम) ज २।५०,१६४,४।१०६ २०५, ७१२२६३ सू १०८४।३ अमयमेह (अमृतमेघ) ज २६१४४,१४५ अमर (अमर) प २१३०,३१,४१, २०६४।२१; ज०७१, ३।३५,१०६,१३८ अमरपति (अमरपति) ज ३१३१ अमरवइ (अमरपति) प २१४५२ ज ३।३.१८, ६३,१८० अमल (अमल) ज ४।२६ अमाइसम्मपिठिउववण्णग (अमायिसम्यक दृष्ट्यु पपन्नक) प १७४२७,२६ अमाइसम्मद्दिठी (अमायिसम्यकदष्टि) प१५।४६; ३४।१२,३५॥३ अमाइसम्महिठी उबवण्णग(अमायि सम्यकदृष्ट्युप पन्नक) प १७।२७ अमाण (अमान) ज २१६८ अमाय (अमाय) ज २१६८ अमावासा (अमावास्या) ज ७।१२५,१३७,१४७, १४८.१५०,१५१,१५४,१५५, सू १०७,२३ से २६,१३६,१३७,१४८ मे १५१,१५७ से १६१, १३.१ से ३,६, अमिज्ज (अमेय) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, ७४,१४७,१६८ २१२,२१३ अमित्त (अमित्र).ज ३।२२१ अमिय (अमृत) प २१६४११६ अमिय (अमित) प२१४०१७ ज ७१७८ अमियवाहण (अमितवाहन) प २१४०१७ अमिलाय (अम्लान) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अमिलाव (अमिलाप) ज ४१२३८ अमूढदिदिठ (अमूढदृष्टि) | ११०१।१४ अमोहा (अमोहा) ज ४११५७।१ अम्मता (अम्बा) उ ४१११ अम्मया (अम्बा) उ १२३४,४०,४३,७४, ३६८, १०१,१३१ अम्मा (अम्बा) प १११३,१८ उ १७१,७३,८८ अम्मापिइ (अम्बापितृ) उ राह अम्मापियर (अम्बापितृ) उ ११६३ ; ३११२६,१२८ ४।११,१४,१५,१६, २७,३८ अम्ह (अस्मत्) प ११३ ज ५।३ सू ११२० उश१५ अय (अज) प.१६४; ११।१६ से २० ज २१३४, ३५७।१८६।३ अय (अयस्) प १२०१ ज १७ अयकरय (अजकरक) ज ७:१८६।२ स २०१८,८।२ अयखंड (अयस्खण्ड) प ११।७४ अयगर (अजगर) ११४६८,७२ ज २०४१ अयगोल (अयोगोल) ११४८१५६ अयण (अयन) ज २१४,६६७१२६,१२७ सू ६.१८१११३७,६,१२ से १४ अयदेवया (अजदेवता) स १०।८२ अयमाण (अयमान) ज ७१२०,२३,२६,२८ सू १११४,१६,२१,२४,२७, २॥३,६६१,१३११ १४॥३,७ अयल (अचल) ज ३७६,११६ अयसिकुसुम (अतसीकुसुम) प १७।१२४ अयसी (अतसी) ५११४५२२।३१ ज १३७ अयाणंत (अजानत्) प १।१०१५ अयोझ (अयोध्य) ज ३१३५ अयोमुह (अयोमुख) प ११८६ अर (अर) ज ३१३५ अरइ (अरति) प २३७७ जं २७० अरजा (अरजा) ज ४१२१२ अरणि (अरणि) ज ५११६ उ ०३१५१ अरण्ण (अरण्य) ज २२६६,१३१ अरति (अरति) प २३१३६,१४५ अरतिरति (अरतिरति) प २२०२० Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अरत्त-अवज्झा अरत (अरक्त) प २१७० ६४,७२,७८,१५०,१८०,२०६,२२४;५।१४, अरय (अरक) ज ३।३० २२,३६,४१,४३ उ ११३५,७०,३१५०,११०, अरय (अरजस्) सू २०१८१७ ११३; ४११८,२०, ५।१७ अरयंबर (अरजोम्बर) प १५० से ५३,५४ अलंकारिय (अलंकारिक) ज ४।१४० ज २१६१ अलंकित (अलङ्कृत) सू २०१७ अरयंबरवत्थधर (अरजोम्बरवस्त्रधर) ज ५१८, अलंकिय (अलङ्कृत) प २१४८ ज ३१६,८५,२११, ४५ २२२,४१४६,५१५८ उ १।१६,४२,३३२६, अरया (अरजा) ज ४।२१२१२ १४१ ; ४.१२ अरबाक (अरबक) प ११८६ अलंबुसा (अलम्बुसा) ज ५१११११ अरविंद (अरविन्द) प ११४६.११४८।४४ अलकापुरी (अलकापुरी) ज ३।१ ज ३११७ अलत्तग (अलक्तक) उ ३३११४, अरसमेघ (अरसमेघ) ज २।१३१ अलद्ध (अलब्ध) उ ३.३८ अरह (अर्हत्) ज २१६३ से ६७,७३ से १०; अलभमाण (अलभमान) उ ११६६ ५३५८,६५ उ ३।१२,१४,२९,४६,७६,४।१०, अलसंडविसयवासी (अलसण्ड विपयवासिन) ११,१३,१४,१६,२०,५।१४,२०,३२,३३,३६, ज३८१ ३७,३६ से ४१ अलाय (अलात) ५११२६ अरहंत (अर्हत्) प ११६१ ६।२६ ज ११:५।२१ अलिय (अलीक) उ ११४७ सू० २०१९४४ उ १६१७ अलेस्स (अलेश्य) प ३१६६,१३।१६, १७१५६, अरहंतवंस (अर्ह वंश) ज २११२४ ५८,१८७५, २८११२४ अरि (अरि) ज २।२८ अलोग (अलोक) प १०१२,४,५; १५:१२ अरिट्ठ (अरिष्ट) ५१३५।२ अलोय (अलोक) प २१६४१३,१५।५७,३३३१३ अरिठ्ठनेमि (अरिष्टनेमि) उ ५११४,२०,३२,३३, अलोवेमाण (अलोपयत् ) उ १११११,११२ ३६,३७,३६, से ४१ अमोह (अलोभ) ज २१६८ अरिस (अर्शस ) ज २१४३ अल्ल (आद्र) उ ११४४ से ४६ अरिह (अह) ज १२ उ ११३६,४२ अल्लइकुसुम (आद्र कीकुसुम) प २७।१२७ अरुण (अरुण) ज ४।८४,८५ सू २०१८,८१५ अल्लग (आद्रक) ज ३१११६ अरुणवर (अरुणवर) प १५।५५।१ सू १६६३१ अल्लोण (आलीन) ज २११५,१६, ७।१७८ अरुणवरोभास (अरुणवरावभास) सू १९३१ अवक्कम (अव- क्रम्) अवक्कमइ उ ३।११३, अरुणोभास (अरुणावभास) ज ४१८५ अवक्कमति ज ३११११,११५.१६२,२०८; अरुणाभ (अरुणाभ) सू २०१२ ५५,७,५५ अवक्कमह ज ३१२४,४१२० अरुणोद (अरुणोद) सू १६३१ अवक्कमित्ता (अवक्रम्य) ज ३।१११, उ ३१११३; अरुय (अरुज) ज ५।२१ ४१२० अरूवि (अरूपिन् ) प ११२,३,५।१२,३,१२४ अवगाह (अवगाह) प १७१११४।१ अरुह (अह.) अवचिज्ज (अव: चि) अवचिज्जति अरुहत ज ३११२६ प २११६७ अलंकार (अलङ्कार) ज २१६५,६६,१००,३।१२ अवज्झा (अवध्या) ज ४१२१२,२१२१४ Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवट्टित अवाय अवट्ठित ( अवस्थित ) भु ६।११६।२२।११ अवट्ठित्ता ( अवस्थाय) मु १६।२२।२२ अवट्ठिय ( अवस्थित ) प ३३३२५ ज ११११,४७; ३।६२, ११६,२२६ : ४१२२,५४,६४,१०२,१५,६, २१२,७१३१,३३,१०१,१०२,२१० सू ४१३ ४,६,७,८ ११ उ ३१४३, ४४ अवड्ढ ( अपार्ध ) प १८५६,६४,७७.८३,६०,१०८ सू १।२२; १३ अवड्ढखेत्त (अपार्धक्षेत्र ) मु १० ४, ५ अवड्ढगोल गोलच्छाया ( अपार्धगोलगोल छाया ) सू ६.५ अवड्ढगोलच्छाया (अर्धगोलच्छाय ) सू २५ अवड्ढगोलपुंजच्छाया ( अपार्धगोल पुंजछाया) म ११५ अवड्ढगोलावलिच्छाया ( अपार्धगोलावलिछाया) सू ६५ अवढभाग ( अपार्धभाग ) सू १२५ अवड़ढवाविठिय (अपार्श्ववापीसंस्थित) सू १०1३१ satara ( अपनीततोपनीतवचन) प ११३८६ raftaar (अपनीतवचन ) प ११३८६ अवण ( अवर्ण ) प ३०।२७, २८ अवतंस (अवतंस ) सू ५।१ अवत्तव्य (अवक्तव्यक ) प १०१६ से १३ • अवदाल (अव + दलय् ) अवदालेति प ३६/८१ अवदात्ता ( अवदल्य ) प ३६।८१ अवद्दार ( अपद्वार) उ ११११७ से ११६ अवमंस (दे० अमावास्या) ज ७।१२७११, १६७।१ अवय ( अवका ) प ११४६, ११४८११, ११६२ शैवाल अवर ( अपर ) प १११६, ११४८ ४ ८ ११६१ ज ४ १७ १३७,१५१,५३६ च ५।२ सु१शहार २ १ ३।११०१५, १२७१३१५, १७, १८१, २१ अवरक (अप-क) यू १३।१२ अवरत ( अपरात्र ) उ ११५१,६५,७६, ३४४८१० ५५,५७,६५,६८,७२,७५,७६, ६८, १०६,१३१; ५।३६ अरविदेह ( अपर विदेह ) प १६ । ३०; १७।१६१ ज २६ ; ४१६४, ६६,२१३, २६३।१ अवरविदेहकूड ( अपरविदेहकूट ) ज ४।६६ अवरवेयालि ( अपर 'वेयाली' ) प १६।४५ अवराइया ( अपराजिता ) ज ४।२०२२,२१२, २१२।२ अवलद्ध ( अपलब्ध ) ५२४३ अवव (अवव) ज २१४ अववंग (अववाङ्ग ) ज २०४ ८३५ अवस ( अवश ) उ ११५२,७७ अवसण ( अवसन ) ज ३११११, ११३ अवसान (अवसान ) प ८३ ज ३६, २१७,२२२ अवसिद्ध ( अवशिष्ट ) प २३।१७५ ज ४।१६२ से १६४,२०४,२०८,२१०, २६२,२७१, २७४ ५१४६, ५० अवसेय ( अवशेष ) प २०५४ ३३१८२५ ३७,३६, ७४, ८६,१०७, १४६,१५६,१६०, १६३, १६७, २००,२०३,२०५,२०७, २२४,२४२; १७/१७ ; २०१२३; २२/२४; २४१११२६४, ८ २७१२; २८११२५,१३३,१३६, १३७,१४१ से १४३ ; ३०१२४; ३६ २० ज २१४६, ५६,६२,६५,६६, १०१, १०२, ११३, ११४, ४ ५३, १४०, १६५, २६५,२६८; ५।४२, ४५, ७११३४१४, १३५३४, १५३ १० २२:१३११; २०१३ अवहाय ( अपहाय ) ज २।६ अवहार ( अपहार ) प १२/३२ अव ( अपहृत ) प १२ २४,३३ ~ अवहीर (अप | ह) अवहीरंति प १२७,८,१०, १२,१६,२०,२४,२७,३२ अवहीरति प१२।२७,३२ अवहीरमाण (अपह्रियमाण ) प १२।२४,३३ Carrers (वायुकायिक ) प २११५० अवाय (अवाय ) प १५।५८।२; १५/६६ Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अधि-असंखेज्ज अवि (अपि) प २११३ ज ४२०० सू १।२५,५1१। उ ११३१, ३१११,४१६५४५ अविदमाण (अविन्दान) उ १२४१,४३ अविग्गह (अविग्रह) प ३६।६२ अविग्ध (अविघ्न) ज २०६४ अविणिज्जमाण (अविनीयमान) उ १५३५,४०,४३ अविणीय (अविनीत) ज ३१०६ २०१६१६ अवितह (अवितथ) ज २७८ उ ११२४,४२ ३।१०३ अवियाउरिया (दे० अविजनयित्री) उ ३११३१ अवियाउरी (दे० अविजनयित्री) उ ३६७ अविरत (अविरत) प ३।१८३ अविरत्त (अविरक्त) सू २०१७ अविरय (अविरत) प ११८६ अविरल (अविरल) ज २१५ अविरहिय (अविरहित) प ६१९,६२,६३, ११। ७०,२८१४,२६,५० सू १०७७; १६३२२।१७ अविराहियसंजम (अविराधितसंयम) प २०१६१ । अविराहियसंजमासंजम (अविराधितसंयमासंयम) प २०६१ अविसय (अविषय) प १११६७,२८३१७,६३ ज ७१४६ अविसारय (अविशारद) १० १११०१।११ अविसुद्ध (अविशुद्ध) प १७:१३८ अविसुद्धलेस्सतराग (अविशुद्धलेश्यतरक) प १७७ अविसुद्धवण्णतराग (अविशुद्ध वर्णतरक) प १७।६, १७ अविसेस (अविशेष) प २।३,६,६,१२,१५ अविसेसिय (अविशेषित) ज १५१ अविस्साम (अविश्वाम) प २१४८ अवीरिय (अवीर्य) ज ३.१११ अवे (अप-। इ) अवेति प २८५१०५; ३४।१६ अवेद (अवेद) प २६४।१ अवेदग (अवेदक) प ३।६७:१३६१६ अवेदणा (अवेदना) प २१६४।१ अवेदय (अवेदक) प १८१६३; २८।१४० अवेदिय (अवेदित) प ३६८२ अब्वय (अव्यय) ज ११११,४७,३३१६७,२२६; ४।२२,५४,६४,१०२,७।२१० उ ३१४३,४४ अन्वहिय (अव्यथित) ज २१४६ अव्वाबाह (अव्याबाध) प २१६४११४,२०,२२; ३६४६४११ ज ५१२१ उ ३.३०,३५ अश्वोच्छिण्ण (अव्यवच्छिन्न) ज ३१३ अन्योच्छित्तिणय (अव्यवच्छित्तिनय) सू १७११ २०११ अन्वोयड (अव्याकृत) प १११३७ार अस (अस्) अत्थि प ११७५,८०,५।६६; १२।६,१५१६५,६६,१७३३,२८।१२३,१३६, १४१,१४२,१४५ ज ११४७ आसि ज २४७ आसीप २६४१५ सिया स१०।२५ असइ (असकृत) ज ७१२१२ असंकिलिट्ठ (असंक्लिष्ट) प २।३१,१७११३८ असंख (असंख्य) प ११४८।६० असंखभाग (असंख्यभाग) प ११४८६० असंखिज्जइभाग (असंख्येयभाग) प २३.१०१, १५१,१५७ असं खिज्जगुण (असंख्येयगुण) ५१८१६३,२११४० असंखिज्जतिभाग (असंख्येयभाग) प २१४८ असंखिज्जसमइय (असंख्येयसामयिक) प १५।६१ असंखेज्ज (असंख्येय) प १११३,२०,२३,२६,२६, ४८,११४८१८,४०,५६,२।१०,११,४१ से ४३, ४६,४८५०,५६३११८०:५२,३,५,१२६, १२७,१४४,१४५,१५१,६१४२,६० से ६४,६८, १०।१६.१८ से २०,२३,२५,२८,३०,११।५०, ७०,७२,१२१७,८,१२,१६,२०,२४,२७,३१, ३२,१५.१२,२५,५८११:१५८३,८४,८७,६१, ६२,६४ से ६६,१०३,१०४,११८,१२० से १२३,१२५ से १२८,१३५ से १३७,१४० से १४२,१७११४१,१४३:१८१३,२६,२७,३७ Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असंखेज्जइभाग असंविदित ३८,४१,४३,९५, १०७,११७, २८५, ५१:३३ । १०,१२,१३,१६,१७; ३४ १३,३६१८, १३ से १५, १७ से २०, २२, २३, २५, २६,३३,३४,४४, ६६,६८,९२ ज ११४६, २२४,५८,८४,६०,१५७; ३।३;४।५२,१६५;५।४४ १३१२, १४/४, ८; १८/१; १६१२२१; १६१३४, ३५, ३७, ३८ असंखेज्जइभाग (असंख्येयभाग ) प १।७४, ८४; २११,२,४,५,७,८,१३,१६ से ३२,३४३५, ३७. ३८, ४१ से ४३,४६,४६, ५०, ५२, ५८ से ६०; ४।१४६,१५१,१५७;१५।२२; १८१२७,७० से ७२,६५,११७,२०१६३,२१।३८, ४० से ४२, ४८,६३ से ६७,७०,७१,८४,८६,६० से ६२; २३।६१,६४,६६,६८,७३,७५ से ७७,८३ से ८६८८ से ६०,६२,६५ से ६६, १०२ से १०४, १११ से ११४,११७,११८,१३४,१३५,१३८, १४०,१४२,१४३,१५१ से १५३, १५५,१५६, १६०,१६१,१६४,१६६ से १६६,१७१ से १७३,२८।४०,६६ उ ३८३, १२०,१६१; ४२४ असंखेज्जग (असंख्येयक) ६१२७ असंखेज्जगुण ( असंख्येयगुण ) प २०६४ | ११,३ | १० से २३,२६,२६ से ३६, ३८,३६,४५ से ५२,५६ से ६३,७१ से ६६,१०१, १०३ से १०५, १०७, १११,११६,११७,११६,१२०,१२२,१२५ से १२६,१३१ से १७३, १७५ से १७७, १८२, १८३, ५१५, १०, २०, ३२, १२६, १५१,६११२, १६,२५१०३ से ५; ११ ६० : १५।१३; १७।५७,६०,६३,६४,६७, ६८, ७१,७३,७४,७६, ७६ से ८३,१४४ से १४६ : २०१६४; २१।१०४, १०५ २८१७,५३, ३४।२५,३६।३५ से ४१, ५२, ६२ असंखेज्जजीविय (असंख्येयजीविक ) प ११३५, ३६ असंखेज्जतिभाग (असंख्येयभाग ) प २१५१,६१,६३, ६४ ४ ११५५; १२१८, १२, १६, २४, २७, ३१; १५७, ८, ४०, ४२: १८१३,४१,४३; २३३८१ २८ २२,३४,३६,६८,३३१२,१३,१६,१७१ ३६।६६,७०,७३,७४ ८३७ असंखेज्जपएसिय (असंख्येयप्रदेशिक ) प ५ १३५, १३६,१६५,१६६,१८३, १८४, १६६,२००, २२०, २२१; १०११७,२२,२७,१११४६ असंखेज्जपदेसिय (असंख्येयप्रदेशिक ) प ३३१७६; ५११२७,१८४१०११७,१६,२३,२८ असंखेज्जभाग (असंख्येयभाग ) प ५१५, १०, २०,३०, ३२,१०२,१२६ असंखेज्जवासाउय (असंख्येयवर्षायुष्क ) प ६।७१, ७२,७६,८१,६४,६५, ६७, १०७, १०८, ११६ २१।५३, ५४,७२ असंखेज्जसमइय (असंख्येयसामयिक ) प ११ ७१ ; २८१४,३८,३६१२,८४,६२ असंखेज्जसमयदिट्ठतिय (असंख्येय समय स्थितिक) प५।१४८, ११३५१ असंखेज्जसमयठतीय (असंख्येय समय स्थितिक ) प ३।१८१ असंखेपद्धपविट्ठ (असंक्षेप्याध्वप्रविष्ट) प २३।१६३ असंग (असङ्ग ) प २२६४।१,२१ असंत ( असंयत ) प ३।१०५; ६२६७, ९८ असंजय ( असंयत ) प ३।१०५ १७ २३,२५,३०; १८ १०; २०१६०; २१।७२ ३२ १ से ४, ६ असंजयभवियदव्वदेव (असंयतभविकद्रव्यदेव) प २०१६१ असंठाण (असंस्थान ) प ३० २७, २८ असंत (असत् ) प २६४११७ असंतप्पमाण ( असंतप्यमान ) सू २१ असंदिद्ध (असंदिग्ध ) उ० ११२४, ४२ असंपत्त (असंप्राप्त ) प १२०, २३, २६, २६, ४८; २३१; १६।२२ ज ४१४२,७१,७७,६४,२६२; ५१५,३८,४४ सू १०।१४२, १४७, १२।३० असंभंत (असम्भ्रान्त) ज ५१५,७ असंविदित (असंविदित) उ १११०७, १०८, ११६, १२७ Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३८ असंसारसनावण्ण ( असंसारसमापन्न ) प ११० से १३ असंसारसमावण्णन (असंसारसमापन्नक) प ११३६, २२८ असकण्णी ( अश्वकर्णी ) प ११४८ । १ अक्काfरय (असत्कारित) उ ११११७ से ११६ असच्चामोसभासम (असत्यमृषाभाषक ) प ११ ६० असच वामोसमण (असत्य मृषामनस् ) प १६११,७ असच्चामो समणजोग (असत्यमृषा मनोयोग ) प ३६४५६ असच्चामोसवइ (असत्यमृषावाक् ) प १६ ३, ६, १३ असच्चामोसवइजोग (असत्यमृषावारयोग ) प ३६६० असच्चामोसा (असत्यमृषा ) प १११२,२,३५,३७, ४२ से ४६,८३ से ८५,८८,८६ असण ( अशन ) प १३५१३ उ ३१५०,५५, १०१, ११०,१३४, १४६ असण ( अशनि ) प ११२६ नू २०११ असणिमेह ( अशनिमेघ ) ज २।१३१ असण्णि (असंज्ञित् ) प ११८४ ३११२ १७/२०; १८१२०:२०१६१,६३, २३१६७,१७१ २८/११७ से ११६; ३१११ से ३, ५, ६,६११ः ३५।२० असणिआउय (असंज्ञयायुष्क ) प २०१६२ असणभूत (असंज्ञिभूत ) प ३५।२० असणिभूय (असंज्ञिभूत ) प १५३४८, १७१६; ३५।१८ असणिहि (असन्निधि) ज २११६ असणिभूय (असंज्ञिभूत ) प १७।२० अथ (अगस्त्र ) ज ३६२, ११६ उ ३३८,४० असमोहत (असमवहत ) प ३१७४ असमोहय ( अममवहत ) प ३११७४ ३६।३५ से ४१,४८ से ५१ असम्मानिय ( असम्मानित ) उ० १।११७ से ११६ असरीर (अशरीर ) प २६४ १२:३६ १३,६४ असरीरि (अशरीरिन् ) प २८ ११४१ असंसारसमावण्ण असुरकुमार असाढ (अपादक ) प ११४२१ असात (असात ) प ३५।११२; ३५८, ६ असातवेद (असातवेदक ) १ ३११७४ असातावेयणिज्ज ( असातावेदनीय ) प २३१२६,१८० ternoon ( असामान्यक ) सू १३१५, ६, १२,१३,१७ असाय ( असात ) १२२५ असायावेदणिज्ज (असातावेदनीय ) प २३|१६ असायावेयणिज्ज ( असात वेदनीय ) प २३ १६,६४, १३६ असासय ( अशाश्वत ) ज ७२०८, २०६ असाहुदंसण ( असाधुदर्शन) उ ३१४७,७६ असि (असि ) प २२४१; १५।१।२३१५१५० ज २।२३,३१,१७८ ३।१७८ उ १।१३८ असि (असित ) प २३१ असिरयण ( असिरत्न ) ज ३।१०६१७८, २२० असिरयणत्त ( असि रत्नत्व) प २०६० असिलेस (अश्लेष ) ज ७ १२६११,१६२ असीड ( अशीति ) प २२५६१३ retsमंगुलसि (अशीत्यङ्गुलोच्छ्रित) ज ३।१०६ असीति ( अशीति) प० २१५११।२२१२१५, १२ असुइ (अशुचि ) प २२० से २७ ज २।१३३; ५५ उ १।६३;३।१२६,१३० असुइजाय कम्मकरण ( अशुचिजातकर्मकरण ) उ० ११६३, ३११२६ असुइय ( अशुचिक ) प १३८४ असुभ (अशुभ) १२/२० से २७; २२२४ अभणाम (अशुभनामन् ) प २३।३८,१२३ अभत्त (अशुभत्व ) प २८१२४ उ १।२७,१४० असुर (असुर) प० २१३० १.२१४० १, ५, १०; ५।३३६।४६ ज २१६४ ३।२४/१,२, १३१११,२,३ १८५, २०६६ ५५२; चं ११२ असुरकुमार (असुरकुमार ) प १।१३१; २/३१ से ३३,४०१८ ४१३७ से ३६५६ से ८,४८ से ५०, १२१; ६।१७, ५२,६१,८१,८५,६३,१०१, १०६,१११, ११२, ११४ ७ २ ८ ३ ; ६३, Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असुरकुमारत अहवणं १५, १८ ११४४; १२१२,१५,१६,३१; १३।१५,२०;१५ १६,३५,७१,७८,८४,८७, १०२१३६,१३८ १६३,११,१६ १७ १४ से १७,२६,३०,३३,३४,६३,६८,६६,१०१, १०२, १०५ १६ १ : २०१३, ५, ८, ११,१२,१५, २० से २४, २७, ३५, ३७,४४,६०; २११५५, ६१,७०,६०; २२/२३,३७,४५, २८११,२५, ७४,१०६; ३१।२ ३३।१०, २०, ३४१२,४,५ ; ३५/३६३६।५, ८, १९, २०, २३, २४, २६,३७, ४१,५०,५५,६९,७२ उ २०१७ असुरकुमारत (असुरकुमारत्व ) प १५ ६५, ६, ११६,१४१; ३६।१८, २०, २२ से २४ असुरकुमारराय (असुरकुमारराज ) प २।३१,३२ ज २१११३; ५१५०, ५१ असुरकुमारिद (असुरकुमारेन्द्र ) प २।३१,३२ असुरकुमारी (असुरकुमारी ) प ४१४० से ४२; २०१२ असुरद (असुरेन्द्र ) ज २१११३५।५० से ५२ सू २०१७ असुह (अशुभ) प २२० से २७ असेलेसि पडिवण्णग (अशैलेशी प्रतिपन्नक) ११/३६२२८ असेस (अशेष ) ज ७।१३५३२ असोग (अशोक) प० १।३५।३ ज २१६५; ३।१२, ३५,८८,१८८४२१२/२; ५/५८ सू २०१८, २०१८ ७ उ १११ ; ३ ५६,६४,६६,६८,७६ असोग (लता) ( अशोकलता ) प १।३६११ असगवडेंस (अशोकावतंस ) प २५०, ५२ असोगणिया (अशोकवनिका) उ १।५५ से ५७, ८० से ८२ असोगवण (अशोकवन ) ज ४|११६ असोगा ( अशोका ) ज ४१२१२ अस्स (अश्व ) प ११६३ अस्संजत ( असंयत ) प ३२२६११ अस्संजय ( असंयत ) प ११८६; २८।१२६६ ३२६११ ८३६ अस्संजय भवियदश्वदेव ( असंयत भविकद्रव्यदेव ) प २०१६१ अस्तष्णि (असंज्ञिन् ) प ११७४; ६ |८०|१ अस्तर (अश्वतर ) प ११६३ अस्संदेवया (अश्वदेवता ) सू १०३८३ अस्सपुरा ( अश्वपुरा ) प ४।२११ अस्सरह (अश्वरथ ) प ३२१,२२,३४ अस्सातावेदग (असातवेदक ) प ३११७४ अस्सातावेदणिज्ज (असातावेदनीय ) प २३|१६ असातावेय णिज्ज (असात वेदनीय ) प २३|१६ / अस्साय ( आ - ! - स्वादय् ) अस्साएइ प १५३.८ अस्साएति प २८।२२,३६,६८ अस्सायण ( अश्वायन ) ज ७।१३२ सू० १०६ अस्सायावेदणिज्ज (असातावेदनीय ) प २३|३१ अस्सिणी ( अश्विनी) ज ७।११३३१,१२८, १२६, १३६,१४३,१४६,१५५, १५८, १५६, सू १०1१ से ६,१०,२२,२३,३४,६२,६५,६६, ७५, ८३, ६६,१२०, १३१ से १३३,१५४ अस्सेसा (अश्लेषा ) ज ७ । १२८,१३४,१३६, १४०, १४७, १५० सू १०११ से ६,१४,२३,२५,४२, ६२,६६,७५,८३,१०७, १२०, १३१ से १३४।२, १५७ अस्सोई (आश्वयुजी ) ज ७ १४०, १४३, १४६ सू १०१२३ अस्सोय (आश्वयुज) सू १०।१२४ अह (अथ ) प ५/५ उ० ३१२६ अह (अधस् ) ज ३११८८ अहवाय ( यथाख्यात ) प १११२४, १२६ अहरवायच रित्तपरिणाम ( यथाख्यात चरित्रपरिणाम ) प० १३।१२ अहत ( अहत ) ज २1१००; ३१३५,२११५५८ अहता (अवस्ता ) प० २८ २४, २६ अहमिद ( अहमिन्द्र ) प २६०,६१,६२१,६३ अहय ( अहत ) ज ३६, ११७ १२,२२ अहर (अधर ) प २।३१ अहवणं ( अथवा ) प० १२ १२ Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४० अहवा ( अथवा ) प १।१०३ ज २।६६ सू १०।१२० उ १।११५ अहा छंद ( यथाछन्द) उ३।१२० अहाछंदविहारि ( यथाछंदविहारिन् ) उ ३ । १२० अहापडिव ( यथाप्रतिरूप ) उ ११२३/२६,६६, १३२; ५।२६ अहावी ( यथानुपूर्वी) ज ३३१७८, १७६,२०२, २१७:५।४३ अहाबायर ( यथावादर ) ज ३११२२; ५३५, ७ अहमालय ( यथामालिक ) ज ३१६ अहारिह ( यथार्ह) उ ३।११५ अासु ( यथासुख) उ ३११०३, ११२,१३६, १४७, १४८४१११, १४, १५, १६ अहाम (यथासूक्ष्म ) ज ३३१९२ अहि (अहि) प १६८,६६, ७१ ज० २।४१ अहिंग ( अधिक ) सू ११२७१५।२४, २५ अहिगम ( रुइ ) ( अधिगमरुचि ) प १।१०१।१ अहिंगमes ( अधिगमरुचि ) प १।१०१८ अहिरणिया (आधिकरणिकी ) प २२३१,३,४८, ५३ से ५६,५८,५६ अहिगरणिसंठिय (अधिकरणीसंस्थित) ज ३१६४, १३५,१५८ अहिगरणी (अधिकरणी ) प २२१४८ अहिछत्ता (अहिछत्रा ) प १९३२ ( अहिज्ज ( अधि + इ ) अहिज्जइ उ २1१० ; ३११४; ५२८ अज्जित (अधीयान) प ११०१/६ अहिज्जिता (अधीत्य ) उ २ १०६३।१४;५|३६ a (अधिक ) प २२७/२; १३१२२/२ : २३/१४७, १५८,१६२, १६५ ज २ १३१३/३६,७६,११७, २२२;४११४६;७।२७, २९, ३० सू १११४, १६ २१,२४६।१; १५/२८,३१,३२; १६।११।१ अहियास (अधि + सह, आस्) अहियासिज्जति उ ५१४३ अहिया सेइ ज २२६७ अहिलाण (दे० ) ज ३ | १०६,१७८ घोड़े के मुंह पर अहवा अहोसिर बांधे जानेकला अहिवइ ( अधिपति) ज ३१२६,३६,१५६ ५।१८,४६ अहिसलाग (दे० ) प ११७१ अहीण ( अहीन) उ५३४५ अहोय (अधीत ) उ ३१४८,५० अणोववरण (अधुनोपपन्न) उ३११५, ८४, १२१, १६२ आहे (अधस् ) प २२० से २७,२७१३, २।३०,३१, ४१; ११।६५,६६,६६११; १६५५ २१३८७, ६०,६१,२८।१५,१६,६१,६२,३३।१६ ज २१६५, ७१ ७ ५४,१६८ ।१ २११ ; ४ १०; १६१२२; २०११ २ १।४६; ३५६, ६४,६८,७१,७४ आहे (अथ ) ३।५१११ अहेतु (अहेतु) प ३०/२७,२३ अहेदिसा (अधोदिशा ) प ३।१७६, १७८ अलोइय (अधोलौकिक ) प २१/६२, ६३ अहेलोय (अधोलोक ) १० ३।१२५ से १७३, १७५, १७७ असत्तमा ( अधः सप्तमी ) प ३।१७,१८ ४१२२ से २४;६/१६,५१,६०,८०,८८, ६१, १२, १००, १०६, १०१२,३,१६२६, २०१७, ४३,५७; २१५२,५६,६७,८७ ३०१२६; ३३१६, १७ असत्तमापुढवि (अधः सप्तमी पृथ्वी) प० २०५२ अहो ( अहो ) ज ३११२६ उ ११६२५१२२ अहोरत (अहोरात्र ) ज २२४,६६,७२० से २४, २६ से २६,१२२१२६, १२७,१३४११, १३५।१ से ४,१५६,१५७,१६० सू १११४, १६,२१,२४, २७, २३ : ६१; ८।११०१३,६३ से ७४,८४,१३४; १२२ से ५, १२, १५/११, १२,२६ से ३१,३४ अहोलोग (अधोलोक ) ज ५११ से ३, ५ अहोलोय (अधोलोक ) प २११,४,१०,१६ से १६,२८ अहोवाय (अधोवात ) प १२६ अहोसिर ( अधः शिरस् ) ज ११५, २१८३ उ० ११३ Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आइ-आउहघरसाला ८४१ आ आइ (आदि) प ५१४,१४३,२१८, २५।४ ज २१२१:५१२७,४०,५५,५७, ७/४५,५० उ २२२२, ५।४५ Vआइक्ख (आख्या ) आइक्खइ ज ७२१४ उ१६८ आइक्खग (आख्यायक) ज २०६४ आइगर (आदिकर) ज ११ उ ३।१२,५११४ आइच्च (आदित्य) ज ३१३,७४२५,३०,१११, ११२१४,५ सू १६।३।१०।१२८,१२६१४,५ आइच्चचार (आदित्यचार) च ५१३ आइणग (आजिनक) ज ४।१३ आइण्ण (आकीर्ण) ज २१३४, ३.१०३,१७८ आइय (आदिक) ५ ११५०,५१,६०,७५,७६,८१, २४।८ ज १३५,६४,१४४,३११८५; ४१२४८,२५१, ५.३८,५७,७११२६ उ २११०, १२३३१४,१६१,२५०२८,३६,४१ आइय (आचित) १७११६ आइल्ल (आदिम) प ५.१०२, २२।३५,५१,५४ आइल्लिग (आदिम) प १७।३० आइल्लिय (आदिम) प २२।७३,७४ आईणग (आजिनक) सू २०६७ आईय (आदिक) ५ १४।१८, २८।११६; उ १६६,६७,६४,४११३३ आउ (दे० अप) प ६६१०२,१०४,११५; ६।४; १११२६ से २८; १३१६:१७।३३१८१२६, ३२,२०१८,२२,२८,२११८५:२२।२४:२८।१२३ आउ (आयुष) ज ११२२,२७,५०,२१४६,५१,५३, ५४,५८,१३३ से १३५,१६१; ३१३; ७११३०, १८६।४,२११ आउ (काइय) (दे० अकायिक) प १७१४० आउकाइय (अप्कायिक) प ११५, ३१५० से ५२, ५५, ६० से ६३,६६,७१ से ७४, ७७,८४ से ८७,६०,६५,१५६ से १६१,१८३,४।६५ से आउकाइयत्त (अकायिकत्व) ज ७।२१२ ७०,५॥३,११,१२,६.१६,१०२,१५११३७ आउक्काइय (अप्कायिक) प ११२१:२।४ से ६ ३।३।६।८६,१२।२२,१५।२६,८५,१७१६०, ६६,१०२,१८।३८,४०,४२,५०,२०११३,२५, २६,४४:२११२४,४०; २२॥३१ आउकाय (अप्काय) सू २।१ आउक्खय (आयुःक्षय) उ० २११३; ३३१८,८६, १२५,१५२,४१२६, ५।३०,४३ आउज्जीकरण (आवर्जीकरण) प ३६१८४ आउट्ट (आ+वृत्) आउज्जा ज २१६७ आउट्टि (आवृत्ति) सू १२।१८ से २८ आउड (आ.कुट ) आउडेइ ज ३१८८,१३५, १५५ आउडिय (आकुटित) ज ३।८६,१५६ आउत्त (आयुक्त) प १११८६ ज ३३१७८ आउदेवया (अब्देवता) सू१०।८३ आउपज्जव (आयुषपर्यव) ज २१५१,५४,१२१, १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ आउय (आयुष्क) ए ३३१७४; २०१६१,६३; २२।२८, २३११,१२,१८,३७,१४६,१६६,१८५ १६१,१६३,१६७ से २०१; २४११४:२६:११; २७१५,३६.८२,८३।१,६२ ज २१४६,५८,१२३, १२८,१४८,१५१,१५७, ३१२२५४।१०१ आउयबंध (आयुष्कबन्ध) प ६।११८,११६ आउयबंधद्धा (आयुष्कबन्धाध्वन् ) प २३।१६३ आउल (आकुल) प० २।४१ ज० २०६५ सू २०१७ आउस (आयुष्मत् ) प २।३,६,९,१२,१५,२० से २७, ६० से ६३; ३।३६, १५६४३,४५,३६७६, ८१ ज ११६.१६ से २१,२३,२५,२६,२८, ३० से ३६,३६ से ४३,४८,४६,५१,५४,१२१, १२६,१३०,१३३,१३८,१४०,१४६,१५४,१५६, १६०,१६३, ७.१०१,१०२,१२६, सू ८।१०; २०१७ आउह (आयुध) ज ३७७,१०७,१२४ उ ११३८ आउहघरसाला (आयुधगृहशाला) ज ३१४,५,६,१२, Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४२ आउपरिय-आणंदकड १४,३०,४३,५१,६०,६८,१३०,१३६,१४०, ___ आगायमाण (आगायत्) ज ५१५,७ से १२,१७ १४६,१७२,२२० उ० ३।११४ आउधरिय (आयुधगृहिक) ज ३१५,६ आगार (आकार) ५११३८१३; ३३।१६,२४ आएज्जणाम (आदेयनामन्) प २३।१२६ आगार (आगार) प ३०.२५,२६ आएस (आदेश) ज ३।१६७।६ आगारभाव (आकारभाव) ज १७,२१,२६,२७, आओग (आयोग) ज ३११०३ २६,३३,४६,५०; २५.१४,१५,२०,५२,५६ से आओजित (आयोजित) प २२२५७ ५८,६५,१२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३३, आओजिय (आयोजित) प २२१५८ १३६,१४७,१४८,१५०,१५१,१५६,१५७,१५६ /आओस (आ+ क्रुश्) आओसइ उ ११५७ १६१,१६४,४१५६,८२,१००,१०१,१०६,१७०, आओसणा (आक्रोशना) उ १६५७,८२ १७१ आकासिया (आकाशिका) ज २११७ आगारभावमाता (आकारभावमात्रा) प १७:१५०, आकुल (आकुल) ज ३१६,२२२ १५२,१५५ आकोसायंत (आक्रोशायमान ) ज २०१५ आगरिस (आकर्ष) प६।१।१६।१२०,१२१,१२३ आगइ (गति) ज २०७१ आगास (आकाश) प २१६४११६१५१५३,५४, आगच्छ (आ। गम् ) आगज्छइ ज २१२४, ५७ ज ३३१०४,१०५,१०७,२११,५१५८ ३.१०७,११४;७/२० से २५,७६,८२ सू २०३ सू २१६ उ १७० आगच्छति प१११७२,२८/४०, आगासस्थिकाय (आकाशास्तिकाय) प ११३; ४३.६६ ज २१३४,३५,३७,१०१,७१०१, ३१११४,११५.११८,१२२,५१२४; १५:५३, १०२,२०२,२०४,२०६ सू ८।१ आगच्छति ५४,५७ सू २३ आगच्छेज्ज प ३६१६१ आगच्छेज्जा आगासथिग्गल (आकाशथिग्गल) प १५।५३,५६ प३६।८१ ज २२६ १४।१२३ आगासफलोवम (आकाशफलोपम) ज २१७ आगच्छमाण (आगच्छत् ) सू २०१२ आगासफालिओवमा (दे०) प १७११३५ आगत (आगत) प२०१६,१० आघवणा (आख्यान) उ ३।१०६ /आगम (आ+ गम् ) आगमेसि ज २८१ आघवित्तए (आख्यातुम् ) उ ३३१०६ आगमण (आगमन) उ ३.१६६ आचिट्ठ (आ- स्था) आचिट्ठामो ज ३१११३ आगमेस्स (आगमिष्यत्) ज २११३८,१६१ आजीविय (आजीविक) ५ २०६१ आगम्म (आगम्य) ज ५१५५ उ ५७ आजोजित (आयोजित) प २२२५७ आगय (आगत) प २०१६ से १,११ से १३; आडोव (आटोप) ज ७१७८ ३४।१।१ ज ३१८२ सू २०१७ उ० १२१७,२२, आढई (आढकी) १६३७११ १०७,१०८,१२७,१२८,१३८,१४०, ३१७,२१, आढत्त (आरब्ध) प १७११४८ २५,२६,६१ आढा (आ--द) आढाइ उ ११३८, ३१५६ आगर (आकर) प १।५४ ज २१२२,१३१; आति उ ३११८ ३।१८,३१,८१,१६७।२,८,३११८०,१८५,२०६, आणद (आनन्द) ज ७/१२२।२ सु १०।८४१२ २२१ उ० ३।१०१:५३३६ उ १७१,७२,२१२१ आगरपति (आकरपति) ज ३१८१ आणंदकड (आनन्दकूट) ज ४।१०५ Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आणंदा-आदरिस ८४३ आणंदा (आनन्दा) ज ५।८।१ आणा (आज्ञा) प ११०१।५ ज ११४५,३१८, आणंदिय (आनन्दित) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१, १६,५३,६२,७०,७७,८४,१००,१४२,१६५, ५२,५३,६१,६२,६६,७०,७७,८४,६१,१००, १८१,१८५,१६२,२०६,२२१:५।१६,२३,७३ १३४,१३७,१४१,१४२,१५०,१६५.१७३, उश२०,४५,१०८ १८१,१८६,१६६,२१३,५१५,१५,२१,२३,२७, आणाईसर (आज्ञेश्वर) प२१३०,३१,४१,४९ २८,२६,४१,५५,५७,७० उ ११२१,४२; उ ५.१० ३११३६ आणापाणु (आनप्राण, आनापान) सू ८११:२०१५ आणण (आनन) ५२१४६ ज ३।६,१८,६३,१८०, आणापाणुचरिम (आनप्राणचरम, आनापानचरम) २२२ प१०।४०,४१ आणत (आनत) प १११३५ आणापाणुपज्जत्ति (आनप्राणपर्याप्ति, आनापानआिणत्त (अन्यत्व) प १५।४४,४५ पर्याप्ति) प २८।१४२ आणत्ति (आज्ञप्ति) ज ३।२६,३६,४७,५६,६४, आणामिय (आनमित) ज २०१५ ७२,१३३,१३८,१४५५६६१ उ १११६ आणारुड (आज्ञारुचि) प ११०१११,५ आणत्तिया (आज्ञप्तिका) ज २१०५,३७,६,१२, आणु (आन) प ११४८।५३ १३,१५,१८,१६,२८,२६,३१,३२,४१,४२, आणुगामिय (आनुगामिक) प ३३१३५,३६ ४७,४६,५०,५२,५३,५८,५६,६१,६२,६४, आणुपाण (आनप्राण, आनापान) प ११४८।५५ ६६,६७,६६,७०,७४ से ७६,८३,६६,१००, आणुपुटिवणाम (आनुपूर्वीनामन्) प २३।५४,१११, १२८,१४१,१४२,१४५,१४७,१४८,१५१, ११३,११४,१४६ १५४,१६४,१६५,१६८ से १७१,१७३,१७५, आणुपुवी (आनुपूर्वी) प ४४७।३।११।६८,६६, १८०,१८१,१६१,१६८,१६६,२१२,२१३,५।३, ६६।१२३३११२,११५,१७५,१६०; २८.१८, २८,६८,६६ से ७३ उ १।१७,१८,१२३,३।७; १६,६४,६५ ज ७४७,५० सू २०१८ उ २।१२, ४।१६,१७,५१८ २२:५॥३६ आणपाणपज्जत्ति (आनप्राणपर्याप्ति, आनापान आणुपुत्वीणाम (आनुपूर्वीनामन ) प २३१३८ पर्याप्ति) उ ३११५८४ | आणे (आतुम्) उ ११०७ आणपाणु (आन प्राण, आनापान) प १०५३।१ आणेत्ता (आनीय) उ ४११६ आणम (आ+ नम ) आणमंति, ७४१ से ४,६ आणेयव्य (आनेतव्य) ज २६४ आयपत्त (आतपत्र) ज ३।३ आणमणी (आज्ञापनी) प १११६,६,२७,३७१ आतरक्ख (आत्म-क्ष) प २१३१,४३ आणय (आनत) ५२१४६.५८,५६,५६।२,६३,३।१५३; आतव (आतप) ज २।१३४,३।११७ सू १६॥३,४ ४१२५५ से २५७, ६।३५,५६,६६,८६,६६, आतवा (आतपा) सू१८१२४ ११३;७१६:१५।८८,२११७०,६२:२८१८३; आतीय (आदिक) उ ४।१८ ३३।१६३४११६,१८ ज ४।२४६,५१४६; आस (आदर्श) ज ३१११,५१८ ७.१७८ आदंसघर (आदर्शगृह) ज ३१२२२,२२४ आणव (आज्ञापय ) आदसिया (दे०) प १७११३५ ज २०१७ आणवेइ ज ५।२२,२६ उ ११११० आदरिस (आदर्श) ज २१६८ Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ आदाण-आभिणिबोहियणाणि से ६ आदाण (आदान) सू१२।१५ आपुच्छित्ता (आपृच्छ्य ) उ २०११; ३१५०,५॥३८ आदाय (आदाय) ज २०६५ आपूरेत (आपूरयत्) ज ३३१४,१७२ आदि (आदि) प ११६४,७६,८९२५,४६,१३१, आपूरेमाण (आपूर्यमाण) ज ४।३५,४२,६४,१७४, १३४,१३६,१४०,१४७,१६३,१६६,१६६, २६२,५१३८ १७२,१७४,१७७,१८१,१८४,१८७,१६३, आबाहा (आबाधा) ज २३०,३६,४१ १६७,२००,२०३,२०५,२२१,२२४,२३०,२३२, आभकर (आभङ्कर) सू २०१८,२०८७ २३४,२३७,२३६,१०।२:११६६,६७,६६।१; । आभरण (आभरण) प २१३०,३१,४१,४६% २०१२५,२३।१०८:२४१८; २६१६; २८११२, ११।२५,१५१५५।२ ज २१६५, ३।६,११,१२, २८.१६,१७,६२,६३,१२३,१३३,१३६,१३७, २६,३६,४७,५६,६४,७२,७८,८१,८५,१३३, १४०३६।२०,४६ ज २।६।१,२१७१,१३१, १४५,१८४,२२२,२२४; सू २०१७ उ १११६ १४५ च १३ सू११६।३।५।११०१५,११२२ ४२,३।२६,११३,१४१,४११२,२० आभरण (वासा) (आभरणवर्षा) ज ५१५७ आदिच्च (आदित्य) सू १।१३,१४,१६,१७,२१, आभरणयिहि (आभरणविधि) ज ३११६७४ २४,२७, २०३६।११०५,१०,११,७७, आभरणारहण (आभरणारोहण आभरणारोपण) ज३।१२ १२।१,५,१० से १२,१३१५:१५।२३ से २५; आभासिय (आभाषिक) प ११८६,८६ १६।२२१४,७,८,२२, २०१५ आभिओग (आभियोग) प २०१६१ ज २१२६,६७, आदिच्चचार (आदित्यचार) सू १०।१२१,१२३ आदिपदेस (आदिप्रदेश) सू १३१६ ९८५११४,१५,५३,६१,७२,७३ उ ३१३७,६१ आभिओगसेढी (आभियोगश्रेणी) ज ४।१७२ आदिय (आदिक) प ११४६,६६,२८१४५ आभिओगिय (आभियोगिक) प २०१६१ ज ५।३, सू १०११,१३१, २०१५ ४,२८,४३,५० आदिल्ल (आदिम) प ५१०५, २२१५१ आमिओग्ग (आभियोग्य) ज १११३,३।१६१, सू१६।२२।२५ आदिल्लिय (आदिम) प १७१९७ १६२,१६६,२०७,२०८५१२८,५४,५५ आभिओग्गसेढी (आभियोग्यश्रेणी) ज १२२८ से आदीय (आदिक) प ६१२३,१११३०,२२१४५; ३२, ६६५ २४।९ से ११२६१८,२८.१२३,१२६,१३७, आभिणिबोहिय (आभिनिबोधिक) प १७।११२, १४०,१४५,३६।२० उ १११६,११६ से १२२, १२५, ३।३१,४० आभिणिबोहियणाण (आभिनिबोधिकज्ञान) प ५१५, आदेज्ज (आदेय) ज २०१५ ७,२०,२४,४१,४२,४६,७८,६३,६७,१११, आदेज्जणाम (आदेयनामन्) प २३१३८ ११२,१७।११२,११३,२०।१७,१८,३४; आदेस (आदेश) प १८१६० २६२,१२,१७,१६,२१ आधाव (आ+धाव) आधाति ज ५१५७ आमिणिबोहियणाणारिय (आभिनिबोधिकज्ञानार्य) आपडिपुच्छमाण (आप्रतिपृच्छत् ) ज २१६५ प१९९६ आपुच्छ (आ+प्रच्छ) आपुच्छइ उ ३११४८% आभिणिबोहियणाणावरणिज्ज (आभिनिबोधिक ४१५ आपुच्छामि उ ३३१३६, ४।४५।२७ ज्ञानावरणीय) प २३।२५ आपुच्छणा (आप्रच्छना) उ २६ आभिणिबोहियणाणि (आभिणिबोधिकज्ञानिन) आपुच्छणिज्ज (आप्रच्छनीय) उ ३६११ प ३.१०१,१०३,५१४० से ४२,७७ से ७६, Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आभिणिबोहियनाणपरिणाम-आयाम ५४५ ६२ से १४,६६,१०० से ११२,११७:१३३१४, १७,१६,१८१८०; २८११३६ आभिणिबोहियनाणपरिणाम (आभिनि बोधिज्ञान परिणाम) प० १३६ आभियोगसेढी (आभियोगश्रेणी) ज ४१२०० आभिसेक्क (आभिषेक्य) ज ३।१५,१७,२०,३१, ३३,५४,६३,६४,७१,७७,६१,१४३,१५१,१६६, १७३,१७५,१७७,१७८,१५२,१८३,१८५, १६६,२०२,२०४,२१४,२१७,४११४० उ ५:१८ आभिसेय (आभिषेक) ज ३।१०६ आभूय (आभूत) उ १७४ आभोएत्ता (आभोग्य) ज २१६० आभोएमाण (आभोगयत्) उ ३७,६१ आभोग (आभोग) प १४११८१ आभोगणिबत्तिय (आभोगनिवर्तित) प १४१६% २८१४,२५,२७,३७,४७,५०,७३ से ७५; ३४१५ आभोय (आ+ भोगय) आभोएइ ज २१६०,६३; ३१५६,१४५,५२१ आभोएंति ज३।११३; आयंक (आतङ्क) ज २१४३,५१५ उ ३।३५,११२, १२८ आयंत (आचान्त) ज ३८२ उ ३१५१,५६ आयंस (आदर्श) ज २।१५,५१५५ आयंसमुह (आदर्शमुख) प ११८६ आयंसलिवि (आदर्श लिपि) प १०६८ आयत (आयत) प ११४ से ६२२५० से ५२,५७, ५८,६१,६२,१०११५ से २५,२७ से ३०; १५१५२ ज ३।२४,१०६,१३१,१३८।१ आयय (आतत) १७,२॥३१,५३ से ५६,५६, ६०१०।२६:१३।२४ ज १।१८,२०,२३,२५, २८,३२,४८,४।८१,६८,१०३,१०८,१७२, १६१,२०३,२०५,२१४,२४५,२५१,२५२, २६८ उ ११२२,१४० आयर (आदर) ज ३११२,७८,१८०,२०६:५।२२, २६ आयरक्ख (आत्मरक्ष) प २१३० से ३३,३५:४०।५; २०४१,४८ से ५६ ज २४५२।१०४२०, ११२,१५११२२११५६११,१६,४०,४६ से ५१,५२।२,५३,५६ सू १८।२३ आयरिय (आचार्य) प१६५१ ज ३१३५ च १२ उ ५१२६,२८ आयव (आतप) ज ७/१२२।३ सू १०८४१३ आयवणाम (आतपनामन्) प २३।३८,११५ आयसरीर (आत्मशरीर) १२८१२०,३२,६६ आयाए (आदाय) उ १६३ आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमित (आदानभाण्डामत्रनिक्षेपणासमित) उ ३.66 आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिय (आदानभाण्डामत्रनिक्षेपणासमित) ज ३१६८ आयाम (आयाम) ५२१५०,५.६,६४, २११८४,८६, ५७,६० से १३,३६१६६,६८,७०,७२ से ७४, ८१ ज १७,२०,२३ से २५,२८,३२,३७,४०, ४३,४८,५१, २१६,१५,१४१ से १४५:३११, १८,३१,५२,६१,६६,६५,६६,१३१,१३७, १३८,१४१,१५६,१६०,१६४,१८०४११,३, आमोयण (आभोगन) प ३४।१।१ आमंत (आ+ मंत्रय) आमतेइ उ ३।११० ४.१६ आमंतणी (आमन्त्रणी) प १११३७११ आमंतेत्ता (आमन्त्र्य) उ ३१५०, ४११६ आमलग (आमलक) प ११३६।१ आमलगसारिय (आमलकसारिक) सू १०।१२० ५ आमुस (आ - मृश्) आमुसइ उ १६१ आमुह (आमुख) सू१६१२३ आमेल (आपीड) प २१४१ ।। आमेलग (आमेलक) ज २११५:)३.१०६ आय (दे०) प १।४७ आय (आत्मन्) प १४१३ ; १४।१८१ आय (आय) उ १४१,४३ Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४६ ६, ७, ६, १२, १४, १५, १६, २४, २५,३१,३३,३६ से ४१,४७, ५२ से ५४,५७,५६,६२,६४,६६ से ६८,७०,७४ से ७६,८०,८१,८६,८८,८६,६१ से ९३,६८,१०२,१०३,१०८, ११०,११२, ११४, ११६,११० से १२०,१२२ से १२७,१३२, १३६,१४०,१४३,१४५ से १४७, १५३ से १५६, १६५,१६७,१६६, १७२, १७४, १७६,१७८, २००,२१५,२१६,२१८,२१६,२२१,२४२, २४५,२४८; ५।३५;७७, १४, १६,३१,३२३१, ३३,३४,६६,७३ से ७८,६०,६३,६४,१०७, २०७१।१४,२६,२७:४१३, ५ से ८१८६ से १३, १६ २०,३०३५/४ आयारभाव ( आकारभाव) ज १।२२ आघावण ( आतापन) उ३१५० आयावणभूमी (आतापनभूमी) उ ३१५०,५१,५३ आयामाण (आतापयत् ) उ ३१५० आयाहिण (आदक्षिण) ज ११६ ; २१६; ३१५; ५१५,४४,४६ उ १।१६,२१३ ११३४॥१३ आरंभ (आरम्भ ) उ १।२७, १४० आरंभिया (आरम्भिक ) प १७ ११, २२, २३, २५; २२/६०,६१,६६ से ६६,७६,६१,६८,१०१ आरंभिया किरिया (आरम्भिकी क्रिया ) प २२ ६७ से ६६ आरण (आरण ) प १।१३५ २४६,५६,५६१२, ६०,६३,३।१८३,४१२६१ से २६३, ६/३७,५६, ६६,७११८, १५।८८ २१ ७०, ९२,२८८५; ३३/१६; ३४/१६, १८ ज ५२४६ आरद्ध (आरब्ध ) प २०१६० आरबक ( अरब ) ज ३१८१ आरबी (आरवी) ज ३१११।२ आरम्भ (आरब्ध ) प १७।३२ आरभड (आरभट ) ज ५१५७ / आरस (आ+रस् ) आरसइ उ ११६० आरससि उ १६८५ आरसिया (आरमित) उ ११६१, ८६ आराम (आराम ) ज २२६५:५५ ७ ३ ३३३६,३६ आयारभाव - आलोअंत / आराह (आ· - राध) आराहेहिति उ ५ ४३ अ राहणविराहणी (आराधनविराधनी) १ ११३ आराहणी ( आराधनी ) प ११३८ आराहय ( आराधक ) प ११८६ उ १२० आराहेत्ता ( आराध्य ) ३५१४३ आरिय (आर्य ) प १३८८,६०,६३६, १११२६ उ १११७ आरूढ ( आरूढ ) ज ३।३५, १२१ आरुभित्ता (आरुह्य ) सू ६१४ / आरुह ( आ :- रुह ) आरुहेति ज २।१०३, १०४ आरुहेत्ता (आरुह्य ) ज २।१०३ आरोग्य (आरोग्य) ज ३१९२, ११६ आरोहग (आरोहक ) ज ३११७८ आलइय (आलगित ) प २१५० ज ५११८ आलंकारिय ( आलंकारिक) ज ३११५० आलंबन (आलम्बन) ज ४२६ आलंबणभूय (आलम्वनभूत) उ३१११ आलय (आलय) ज २०७१ आलावग (आलापक) प १७ । १६७ से १७२; २११३१ सू८।१ लिंगट्टिय (आलिङ्गनवर्तिक) ज ४|१३ सू २०१७ आलिंगgक्खर (अलिङ्गपुष्कर ) ज १११३,२१,२६, ३३,३६,३६,४६, २७, ३८,५२,५७,११२, १२७, १४७, १५०,१५६,१६१,१६४,३।१६२, ४१२, ८, ११५।३२ आलित्त (आदीप्त) उ ३।११३ आलिसंद (दे० ) प ११४५१ आलिसंदग (दे० ) ज २३७ / आलिह (आ -: लिख ) आलिहइ ज ३११२,८८ ५।५८ आहिमाण ( अलिखत् ) ज ३।६५, १५६ आलिहिज्जमाण (आलिख्यमान) ज ३१६६,१६० आलिहिता (आलिख्य ) ज ३।१२ आलुग ( आलुक ) प ११४८।२ आलोअंत (आलोकमान ) ज ३ । १७८ Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आलोइय-आसय ८४७ आवास (आवास) ५१५२५५।३ ज ३११८,५२,६१, ६६,७७,८४,१४१,१५३,१६४,१६७।१३,१८० उ ५।४१ आविद्ध (आविद्ध) ज ३१९,७७,१०७,१०६,१२४, २२२; ५५६ उ १११३८ आविद्धकंठ (आविद्धकण्ठ) ज ३।२०६ आवीकम्म (आविष्कर्मन्) ज २०७१ आवेढिय (आवेष्टित) प १५३५१ आस (अश्व) प २१४०।१०।११।२१ ज २।३५ ३।६८,१६७१४,१७८,१७६,२२१,७४१३, १८६।३ उ १३१४,१५,२१,१२१,१२६,१३३, आलोइय (आलोचित) उ०१२;३।१५०,१६१, ५२८,३६,४१ आलोगभूय (आलोकभूत) ज ३९६,१६० आलोय (आलोक) ज ३१६,१२,१८,७७,८८,६३, ६५,१५६,१७८,१८०,२२२, ५१४३,४६ आलोय (आ+ लोच ) आलोएहि उ ३.११५; ४।२२ आवकहिय (यावत्कथिक) प १११२५ आवज्ज (आ+पद) आवज्जति प १११७२ आवड (आवर्त) ज ५१३२ आवडिय (आपतित) ज ५।२५ आवण (आपण) ज ३१३२ आवणगिह (आपणगृह) ज ३।१६७२ आवत्त (आवतं) प ११६३ ज ३१३,४१२३,३५, ३७,४२,७१,७७,६४,१८८ से १६१,२६२; ७।५५ सू१६।२२११०,११,१६१२३ आवत्तकूड (आवर्तकूट) ज ४।१६२ आवत्तग (आवर्तक) ज ३।१०६ आवरण (आवरण) ज ३१३५,११६,१६७।६,१७८ आवरित्ता (आवृत्य) सू २०१२ आवरिस (आ+वष ) आवरिसेज्जा ज ५७ आवरेत्ता (आवृत्य) सू २०१२ आवरेमाण (आवृन्वत्) सू २०१३ आवलि (आवलि) ज ५१२८ आवलिया (आवलिका) प १२।२७,१८१३,२७ ज २।४ चं ५११ सू १।९।१८११ २०१५ आवलियाणिवात (आवलिकानिपात) सू१०१ आवस (आ । वस्) आवसामि उ ३।११८ आवसह (आवसथ) ज ३११६,३१,३२।२,५३,६२, ७०,१४२,१६५,१८१ आवसित्ता (ओस्य) ज ३१२२५ आवस्सग (आवश्यक) उ ३१३१ आवाग (आपाक) प २३११३ से २३ आवाड (आपात) ज ३३१०३ से १०५,१०७ से ११५,१२५ से १२७ आस (आस्य) प २।४०११० आस (आम्) आसि ११४७ आसकरण (अश्वकर्ण) प १८६ आसक्खंधसंठिय (अश्वस्कन्धसंस्थित) सू१०॥३४, आसखंध (अश्वस्कन्ध) ज ४११७८ आसखंधग (अश्वस्कन्धक) ज ७।१३३।१ आसग (आस्यक) उ १८६,६० आसण (आसन) प १११२५ ज २८६,६०,६२, ६३; ३,५५,५६,६४,७२,१०३,११२,११३, १४४,१४५; १२,३,७,२०,२१ सू २०१४ उ ३।१०१,१३४ आसत्त (आसक्त) प २।३०,३१,४१ ज २१७,३०, ३५,८८ आसत्थ (आश्वस्त)उ १२४,६२ आसधर (अश्वघर) ज० ३।१७६ आसपुरा (अश्वपुरा) ज ४१२१२२२ आसम (आश्रम) प १७४ ज २।२२,१३१; ३१८,३१,३२,१८०,१८५,२०६ उ ३१५५,१०१ आसमुह (अश्वमुख) प ११८६ आसय (आस्यक) उ ११६१,६२,८६,८७ आसय (आस्) आसयंति ज १११३,३०,३३,३६; २।७,४१२,६४,८७,१०४,१७६,१८५,१६१, १९७,२००,२०१,२०६,२१४,२३४,२४०, २४१,२४७ Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आसरयण-आहारगसरीर आसरयण (अश्वरत्न) ज ३३१०६,२२० सू१०१२६२,५ आसरयणत्त (अश्वरत्नत्व) प २०१५६ आहच्च (दे०) प १७१२,२५,२८।२१,३३,३८,६७ आसरह (अश्वरथ) ज ३३३४ से ३६ उ ११११०, आहत (आहत) प २१३०,३१,४१,४६ सू १६०२३, ५३८ आसल (दे०) प १७।१३४ आय (आहत) ज ११४५; ३१२६,८२,१३३ : ५१, आसव (आथव) प १११०११२; १७:१३४ १६७१५५,५८ सू १८१२३ आसा (आशा) उ ३.१५६ आहर (आ+ह) आहरेइ उ ३५१ आसाएमाण (आस्वादयत् ) उ १३४,४६,७४ आहार (आ+ह) आहारिस्सइ ज २११४६ आसाढ (आपाढ) ज २१६५७।१०४,११३,११४, आहारिस्संति ज २६१३४,१४६ आहारेइ १२६ सू १०।१२४,१२६ उ ३४० उ ३१५० आहारेंति प १५१४६ से ४६१७१२, आसाढा (आषाढा) सू१०७५,१२०,१५५,१५६ ; २५ ; २८५ से ७,६ से २३,३० से ३५,३६, ११.२ से ६,१२।२४ से २८ ४०,५१,५२,५३,५५ से ६६,६८ से १०१, आसाढी (आषाढी) ज ७१३७,१४०,१४६,१४६, ३४१६ से १,११,१२ आहारेमि प ११।१२,१७ १५३,१५५ सू १०७,१६,२४,२५,२६ आहार (आहार) ११।१७,११४८५५३।१।१ आसाय (आस्वाद) प १७।१३० से १३५ १०१५३।१,११५१२:१५:१११,१७।११ ज २०१७,१८ १७:१५,१८१११२८।१११, २८१३ से ५, आसाय (आ+स्वाद) आसाएंति प २८१२२, २०,२७ से ३०,३२,३७,३८,४०,४७,४६ से ३४,६८ ५१,६६,६६,७३ से ७५,६७,१०६।१ ३४।१।१,३४१ से ३,५,३६।१११ ज २।१६, आसायणिज्ज (आस्वादनीय) प १७।१३४ ज २०१८ आसालिय (आशालिक, आसालिग) प ११६८,७३, १६,५२,५६,१४६,१५६,१६१ उ ३.५१,५३,५४ आहार (आधार) उ ३।११ आसासग (अश्वास्यक) प २१४०१० आहारग (आहारक) प ३।१०७:१२।१३,२८, आसासण (आश्वसन) ज ७१८६२ सू २०१८, ३६, २१.१०४,१०५:२३:४२,६१,६२,१४६, २०१दार १७४, २८१०८ से ११०,११२,११४ से ११६, आसिय (आसिक्त) ज २१६५; ३१७,१८४,५७ ११८,११६,१२१,१२३,१२४,१३०,१३१,१३६, आसीत (आशीत) १ २२७१ १३७,१४१,१४२ आसीत्तिय (दे०) सू १०११२० आहारगमीसगसरीर (आहारकमिश्रकशरीर) आसीविस (आशीविष) प १७० ज ४१२१२ प १६.१५ आसुरुत्त (आशुरक्त) ज ३।२६,३६,४७,१०७, आहारगमीससरीर (आहारकमिश्रशरीर) १६६१, १०६,१३३ उ ११२२,५७,८२,११५ से ११७, १०,१५,३६८७ ११६,१४० आहारगमीसासरीर (आहा रकमिश्रकशरीर) आसोइ (आश्वयुजी) ज ७।१३७ सू१०१७,१०,२२, प १६॥१०,१५, ३६८७ २३,२६ आहारगसमुग्धात (आहारकसमुद्घात) प ३६१३३ आसोत्थ (अश्वत्थ) प ११३६.१ आहारगसमुग्धाय (आहारकसमुद्घात) प ३६१ आसोय (आश्वयुज) ज ७१०४ उ ३।४० २,७,६,१०,१३,१४,३०,३५,५३,५८,७४ आह (ब्र.) आहंसु सू ११२० आहु ज ७।११२।२,५ आहारगसरीर (आहारकशरीर) प १२।१३,२१, Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहारगसरीरय इंदियपरिणाम ३४; १६।१,१०,१५,२१।७२ से ७४,६६,६६, १०१,१०२,१०४,१०५ २३/१८६; ३६ ८७ आहारगसरीरय ( आरारकशरीरक ) प १२६ आहारगसरीर ( आहारकशरीरिन् ) प २८।१४१ आहारचरिम (आहारचरम ) प १०।४२,४३ आहारत (आहारत्व ) प २८१२२ से २४,३४ से ३६,३६,४०, ४२,४५,४८,६८,६६, ७१ ३४१६ आहारपज्जत्ति (आहारपर्याप्ति ) १२८/१४२, १४३, उ ३।१५,८४ आहारपय (आहारपद) ज ७१५० आहारभूय (आधारभूत) उ ३३११ आहार ( आहारक ) प १२ १,५,२५; १८६४ से ९७२१११ ; २८|१०६ से १०८,१११,११३, ११७,११६,१२०,१२२,१२५.१२७ से १२६, १३२,१४३ आहार यसरीर (आहारकशरीर ) ११२।१७ आहारसण्णा (आहारसंज्ञा ) प ८।१ से ११ आहारेता (आहार्य ) ज २१६ आहारमाण (आहारयत् ) प ११।१२,१७ आहिंड ( आ + हिण्ड् ) आहिंडह उ ३।१०१ आहित (आयात) सू १।१०,११,१५ से १८,२०, २२,२३,२५; १११२२३ आहिय ( आख्यात ) प ३४११।१ ज २४२; ७/३१,३३ चं २।३,५ सू ११६३३, ५ अहिवच्च (आधिपत्य ) ज ३।१६७|१३ आट्ठि (दे०, अर्ध चतुर्थ ) सू १६/१ अयि ( आधुनिक ) ज ३१६८; ५८५ ७ १८६१ आहूय (आहूत ) उ३।४८५० सू २०१८, २०५११ आहेवच्च (पत्य ) प २१३० से ३३,३५,३६, ४१, ४३, ४८ से ५१,५७,५६ ज ११४५३ १८५, २०६,२२१; ५/१६ उ५।१० इ इ (इति) प १।४८२ ज ११२६ मू १८ इ (चित् ) उ १३६ : ३।११ इइ (इति) २०११ इंगाल (अङ्गार ) प १।२६ उ ३५० इंगालभूय (अंगारभूत) ज २११३२,१४१ इंगालय (अंगारक ) ज ७ १८६।१ २०१८, २०१८१ इंगिय ( इङ्गित) ज ३१८७ इंद (इन्द्र) प २४०, ४५४७३१ ज २६४३ ।२४१३, ३७११,४५१११३१३, १८५,२०६५/४६, ५२,५७७३५६,५७,५६,६०,१३०, १८६१४ सू १६ २४,२७ ईदगोवय ( इन्द्रगोपक ) प १०५० इंग्ग (इन्द्रग्रह ) ज २।४३ इंदग्गि (इन्द्राग्नि) ज ७।१३०,१८६१२,४ ८४६ सू २०१८, २०१८२४ इंदग्गिदेवया ( इन्द्राग्निदेवता ) सू १०१८३ इंदज्य ( इन्द्रध्वज ) ज ३।३ इंदट्ठाण ) इन्द्रस्थान ) सू १६२५ इंदणील (इन्द्रनील ) ३।३५ इंददेवया ( इन्द्रदेवता ) सू १०१८३ इंदणु (इन्द्रधनुष ) ज ३।२४ इंदनील ( इन्द्रनील ) प १२०३ ज ३३१०६ इंदभूइ ( इन्द्रभूति) ज ११५ इंदभूति ( इन्द्रभूति) चं ११४,१० सू ११५ इंदभूय ( इन्द्रभूत ) सू २०७ इंदमह (इन्द्रमह) ज २१३१ इंदमुद्धा भित्ति (इन्द्रमूर्धाभिपिक्त) ज ७ | ११७२ सु १०८६।२ इंदिओवत्त (इन्द्रियोपयुक्त ) प ३११७४ इंदिकाइय (दे० ) प ११५० इंदिय (इन्द्रिय) प १११।५३ । १ १ १३।१७; २५१,१७,१६,२०,३०,३४,५८११, १५३५ से ६०,६२,६३,६५,६६,६७,७५,७६,१३४, १४३; १७।१३४; १८११।१३ २८/१०१ इंदियउवउत्त (इन्द्रियोपयुक्त ) प ३११७४ इंदियजवणिज्ज ( इन्द्रिययापनीय) उ ३३२,३३ इंदियपज्जत्ति (इन्द्रियपर्याप्ति) २८१४२ उ ३३१५,८४ इंदियपरिणाम ( इन्द्रियपरिणाम ) प० १३१२, १४ Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५० १६,१७,१६ इंदीवर ( इन्दीवर ) प १४४३ इक्क (एक) ज १।२० सू १६१२५ इक्कड (इक्कड) सरकंडा, पानी का पौधा ११४८|४६ strate ( एकविंशति) ज २ १३४ इक्कार ( एकादशन् ) ज ४।२७५ इकारसम ( एकादश ) सू १० ७७ इक्कारसी (एकादशी) ज २२७१ इक्कावण्ण ( एकपञ्चाशत् ) सू ११२१ इक्क्क्कि (एक) ज ७ १७८१२ इक्aाग ( इक्ष्वाकु ) प १६५ (इ) १/४१११, ११४८।४६ क्वाडिया ( इक्षुवाटिका ) प ११४८।४६ इक्खुवाडी ( इक्षुवाटी ) प ११४१।१ इगतालीस ( एकचत्वारिंशत् ) ज ७ ७५ सू ११।३ इगुणापण ( एकोनपञ्चाशत् ) ज ७।७५ इगुणालीस ( एकोनचत्वारिंशत् ) ज ७।२४ √ इच्छ (इब्) इच्छइ उ १।५१ इच्छंति १६४६ इच्छसि स १६ । २२२६ इच्छामि उ १२७६, ३ १०६४।११ इच्छामो प २८ । १०५ ३४।१६, २१ से २४ इच्छा ( इच्छा ) ज ७।१२०२१०१६८२ इच्छानुलोम (इच्छानुलोम ) प ११ |३७|१ इच्छामण ( इच्छा मनस) प २८ । १०५ ३४ । १६, २१ से २४ इच्छिय (इष्ट, ईत्सित ) ज ३१८८, १३८ उ ३।१३८ इच्छित्त (इष्टत्व ) प २८।२६ इच्छियव्व (एष्टव्य, एषितव्य ) ज ३८१ इट्ठ ( इप्ट ) प २३/१६:२८ ११०५ ज २४६४; ३१२४,८२,१८५, १८७, २०६,२१८, ५३५८ सू २०१७ उ ११४१, ४४, ३।११२, १२८, ४१६; ५१२२, २५ इट्ठतर ( इष्टतर ) ज २११८४ १०७ इंदीवर - इत्थी इट्ठतरिय (इष्टतरक) प १७ १२६ से १२८,१३३ से १४५ ज २।१७ इट्ठत्त (इष्टत्व ) प ३४१२० इट्ठस्सरता ( इष्टस्वरता ) प २३|१९ इड्ढि ( ऋद्धि ) प २३०, ३१, ४१, ४६; ६६८, १७८६२११७२ ज २२२५; ३११२,१८,३१, ७८,८८,६३,१२६, १८०, १८६,२०६,२१६; ४११४०;५।२२,२६,२७,४३,४४,४६,४७,५६, ६७ उ ११६२,१२१,१२२,१२६,१३३,१३४, १३८,३४६,५०,१११, १२२:४१८५ । १७, १९,२३,३१ पित्तारि ( ऋद्धिप्राप्तार्थ ) प १६०, ६१ इमिंत (ऋद्धिमत् ) ज ७।१६८।२ इढिसय (दे० ) ज ३।१८५ इणं ( एतत् ) प १ १ ३ ज २११७ सू १८।२२ इतर (इतर) सू ११२५ ; २१२:४२ इति (इति) प १ ७५ ज ११२६; ३।३२११ सू १० १० १ १७ इतरिय ( इत्वरिक ) प १११२५; १७ १०६ १०७ इत्तो ( इतस् ) प २२६४।१८ ज ३११२४ इत्थ (अत्र ) प २ ३१ ज ४।१४७ इत्थं (अत्र) ज २२० इथि (स्त्री) प १६०,६६,७५,७६,८१६ ७९, ८०८०३२१११५ से १०,२३,२६ से २८ १७११६६ से १७२ ज ३।२२१ इत्थिरयण ( स्त्रीरत्न ) प ६।२६ ज ३।७२,१३८, १७८, १८६, २०४, २१४,२२० इत्रियणत ( स्त्रीरत्नत्व) प २०५८ इत्थवयण (स्त्रीवचन ) प ११२६,८६ इथिवेद ( स्त्रीवेद ) प १८६०; २३७३; २८ । १४० इथिवेदग (स्त्रीवेदक ) प १३११४, १६ इथिवे (स्त्रीवेद ) प २३।३६,१४१ इत्थवेयपरिणाम ( स्त्रीवेदपरिणाम ) प १३११३ इथिवेग ( स्त्रीवेदक ) प १३०१५ इत्थी (स्त्री) उ ३३६,४२ Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इत्थीलिंगसिंद्ध-उउ ८५१ इत्थीलिंगसिद्ध (स्त्रीलिंगसिद्ध) प ११२ ईसर (ईश्वर) प २।४७।२:१६.४१ ज २१२५; इत्थीवेदग (स्त्रीवेदक) प ३।६७१३।१८ ३११२६:३;५।१६ उ ११२।१० इम (इभ्य) ११६।४१ ज २२५,३१०,८६, ईसर (ऐश्वर्य) ज ११४५,३।१०,१८५,२०६,२२१ १७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६,२१६, ईसाण (ईशान) प ११३५२१४६,५१,५३,६३; २२१ उ ११६२,३१११,१०१,५१० ३१३०,१८३,४।२२५ से २३६,६।२८,५६,६५, इन्भजाति (इभ्यजाति) ५११९४१ ८५,१११,१५११३८:२०१६०;२८१७६:३४।१६, इम (इदम्) प ११४८ सू १४१५ उ २१५२६ १८ ज २९१ से ६३,११३,११६;४।१७२, इय (इति) प श६४।१८ ज १७ सू११६ २००,२२१,२२४११,२३५,२४०,२४२,२४३; इयर (इतर) प २११३५ ५।४८,५६,६०,७१२२११ सू १०१८४।१ इयाणि (इदानीम् ) सू १६२४ उ ३१५५ उ १२०,२२,५१४१ इरियावहियबंधग (ईर्यापथिकबन्धक) प २३।६३ ईसाणकप्पवासि (ईशानकल्पवासिन) प २१५१ इरियावहियबंधय (ईपिथिकबन्धक) प २३.१७६ ईसाणग (ईशानज) प २१५१,६।६५७१६१५१८७% इरियासमिय (ईर्यासमित) उ २९३३१३,६६, २११७०,६०,३३.१६ ज ५१४६ १०२,११३,११५,१३२,१४६,४१२२,५१३८,४३ ईसाणवडेंसग (ईशानावतंसक) प २२५५,५७ इलादेवी (इलादेवी) ज ५११०११ उ ४।२।१ ईसाणवडेंसय (ईशानावतंसक) प २१५१ इलादेवीकूड (इलादेवीकूट) ४१४४,२७५ ईसि (ईषत् ) प २।३१,६४,१७।१३४,२३३१६५ इव (इव) ५ २।४८ उ ३११२८ ज ३११०६,१७८,४१५४,५१५,२१,३८,५८; इसि (ऋषि) प २१४७२ ज ३।१०६ उ १२० ७/१७८ इसिपाल (ऋषिपाल) प २१४७१२ ईसिउच्छंग (ईषदुत्सङ्ग) ज ३११७८ इसिवाइय (ऋषिवादिक) प २।४१,२।४७११ ईसिणिया (ईशानिका) ज ३।११०१ इसीपब्भारा (ईषत्प्रागभारा) २६१,२१४९० ईसितुंग (ईषत्तुङ्ग) ज ३।१७८ इस्सरियविसिठ्ठया (ऐश्वर्यविशिष्टता)प २३२१, ईसिदंत (ईषदान्त) ज ३।१७८ ईसिमत्त (ईषन्मत्त) ज ३११७८ इस्सरियविहीणया (ऐश्वर्यविहीनता) प २३१२२, ईसीपमारा (ईषत्प्रागभारा) प २१६४:१०.१,२; २११६०,३०।२६,२८ इह (इह) ज २।६६ उ १९ ईसीहस्सपंचक्खरुच्चारणद्धा (ईषद हस्वपञ्चाक्षरोइहं (इह) प १७५ उ ११७ च्चारणाध्वन् ) प ३६.९२ इहगय (इहगत) ज ५१२१,७४२०,२२ से २५,७६, ईहा (ईहा) ११५१५८।२,१५१६७ ज ३१२२३ ईहामइ (ईहामति) उ ११३१ ईहामिग (ईहामृग) ज २१३७,१०१:४।२७ ईतिबहुल (ईतिबहुल) ज ११८ ईताल (एकचत्वारिंशत् ) सू १९८१ ईतालीस (एकचत्वारिंशत् ) सू १३।१४ ईतालीसक (एकचत्वारिंशत्क) सू १३११७ ईरियासमिय (ईर्यासमित) ज २११६५ उ (तु) प १४४८१६ ज ११४७ सू ११७ उ ११७ उईर (उदीरण) प १४।१८।१ उउ (ऋतु) ज २१६६३१११७१७।१११,११२१५, १२६, १२७ उ ५४२५ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५२ उउय-उक्कोसपय उउय (ऋतुक) प २१४१ उंबर (उदुम्बर) प ११३६१ उ ३७४,७६ उंबेभरिया (दे०) प १।३५१२ उक्कड (उत्कट) प १५० ज ३।३१ उक्कर (उत्कर) ज ३।१२, १३,२८,४१,४६,५८, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उक्करिया (उत्करिका) प ११७८,१३१२५ उक्करियाभेद (उत्करिकाभेद) १ १११७८,७६ उक्तरियामेय (उत्करिकाभेद) प १११७३ उक्कलिया (उत्कलिका) ५११५० उक्कलियावाय (उत्कलिकावात) प ११२६ उक्का (उल्का) प २६ उक्कामुह (उल्कामुख) प १८६ उक्कालिय (उत्कालिक) ज७ उक्किट्ठ (उत्कृष्ट) ज २६०३।१२,२६,२८,३६, ४१,४७,४६,५६,५८,६४,६६,७२,७४,११३, १३८,१४५,१४७,१६८,२१२,२१३;५।५,४४, ४७,६७,७१५५ उ ११३८,३।१२७ उक्किट्ठि (उत्कृष्टि) ज ३१२२,३६,७८,६३,९६, १०६,१३३,१६३,१८० उक्किण्ण (उत्कीर्ण) प २।३०,३१,४१ ज ३१८२ उक्कित्तिता (उत्कीर्तिता) मू २०१६।१ उक्किरिज्जमाण (उत्कीर्यमाण) ज ४।१०७ उक्कुट्ठ (उत्कृष्ट ) स. १६।२३ उक्कुडुठ्ठिय (उत्कुट कस्थित') ज २।१३३ उक्कुरुडिया (दे०) उ १५४ से ५७,५६,६३,७६ से १७/१४५,१४६;१८२ से ४,६,८ से १०,१२, १४ से १६,१८ से २४,२६ से २८,३० से ३६, ४१ से ५४,५६,५७,५६ मे ६७.६६ से ७४, ७६ से ७६,८१,८३ से ५,८७,८६ से ११, ६३,६५,६६,६८,१०३ से १०५, १०७,१०८, ११०,११३,११४.११६,११७,११६,१२०, २०१६ से १३,६१,६३,२११३८,४० से ४४, ४६ से ४८,६३ से७१,७४,८४,८६,८७,६० से ६३,२३।६० मे ७६,८१,८३ से १२,६५ से ६६, १०१ से १०४,१११ से ११४,११६ मे ११८,१२७,१२६ से १३१,१३३ से १३५, १३८,१४०.१४२,१४३,१४७१५१ से १५५, १५७,१५८,१६० मे १६२,१६४ से १६६, १०१ से १७३,१७६,१७,१८२,१८३,१८६, १८७,१६०,२८२,२७,८७,५०,७३ से १६; ३३१२ से १३,१५ से १७:३६१८ से १०,१७, १८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८,७०,७२,७४, ७६ ज १६,४८,४५,५८.१२३,१२८,१३३, १४८,१५१,१५७४।१०१,७१५७,६०,१८२, १८७ से १६६,२०६ सू १८१२०,२५,३६; १६२५ उ २२०,२२,३६१३० उक्कोसकालठिईय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३१२०० उक्कोसकालठितीय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३।१६४ से १९६,१६८ मे २०१ उक्कोसग (उत्कर्षक) प १७११४५,१४६; २३।१८४ उक्कोसगुण (उत्कर्ष गुण) प ५।३८,६०,७५,६०, १०८,१६१,१६४,१६८,२०१,२०४,२०८, २१२,२१५,२१६,२२२.२२५,२४३ उक्कोसटिईय (उत्कर्षस्थितिक) १८५ उक्कोसद्वितीय (उत्कर्षस्थितिक) प ५१३५,५७, ७२,८३.१०५.१७५,१७८,१२२,१८८,२४० उक्कोसपएसिय (उत्कर्षप्रदेशिक) ५ ५।२२६,२३० उकोसयद (उत्कर्षपद) प १२॥३२ उक्कोसपय (उत्कर्षपद) ज ७१६८,१९६,२०२, उक्कुला (उत्कूला) सू १०१६ उक्कूवमाण (उत्क्रूजत्) उ ३११३० उक्कोस (उत्कर्प) प ११७४ ; रा६८।६ ४११ से ६७,६६ से २९६,२६८,५१४२,४६, ७६,६४, १८,११२,११६६१ से १८,२० से ४५,६०, ६१.६४,६६ से ६८,१२०,१२१,१२३,२,३, ६ से २६११।७०,७१:१२२९१५:४० से ४२; १. अस्थिक इत्यपि भवति विकल्पेन । Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्कोसमति-उच्छोल ८५३ उक्कोसमति (उत्कर्यमति) प ५६४ ५७,५६,६२,८०,८४,८६,६६,१०१,१०३, उक्कोसमदपत्त (उत्कर्षमदप्राप्त) १ १७।१३४ ११०,११२,११४,११५.११६ से १२२,१२५, उक्कोसय (उत्कर्षक) प १५६४२११०५ १२८,१३६,१४२,१४६,१४७,१४६,१५५, जे ७।२६ सू१११६,१७,२१,२२,२४,२७,२।३; १५६,१६३ से १६५,१७२,१७५,१७८,२०३, ३१२:६।१८११, ६।२, २०१३ २१२,२१६,२१७,२१६,२२१,२२६,२४२; उक्कोसा (उत्कधक) प १७:१४६ ११३८,४६,७२,७३:३७,३८,२०७२१५ उक्कोसिया (उत्कपिका) ज २१७४ से ८०,७१२८ सू १६५९१२,३,१८१ सू११४,२१,३,४।६६.१ उच्चत्तच्छाया (उच्चत्वछाया) मू ६।४ उक्कोसोगाहग (उत्कर्षावगाहनक) प ५।३० उच्चत्तपज्जव (उच्चत्वपर्यव) ज २५१,५४,१२१, उक्कोसोगाहणय (उत्पविगाहनक) प ५२९, १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०, ३०,५०,५४,६६,८४,१०२,१५५,१५८,१६०, १६४,१६७,१७०,२३५ उच्चत्तुद्देस (उच्चत्वोदेश) मू हार उक्खित्त (उत्क्षिप्त) ज ५१५७ उच्चागोय (उच्चगोत्र) प २३१२१,५७,५८, उक्खेव (उत्क्षेप) ज ५१४६,६०,६ १३१,१५३,१८८ उग्ग (उम्र) प ११६५ ज २,१६५ उच्चार (उच्चार) प ११८४ उम्गच्छ (उद्गत्य) ज ७।१०१,१०२ मू८११ (उच्चार (उन्:-चारय) उच्चारेइ उ ३.७६ उम्गतव (उग्रतपम् ) जे १५ उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघापपरिवणियासमिय उग्गमण (उद्गमन) ज १३६ से ३८ सू २।३; (उच्चारप्रस्रवणश्वेल 'जल्ल' 'सिंघाण' परिष्ठापनिकासमित) ज २१६८ उग्गममाण (उद्गच्छन्) प १८८५२ उच्चारपासवणखेलसिंघागजल्लपरिट्ठावणियासमिय उग्गय (उद्गन) १३७३१२४,४१२७,५१२८ (उच्चारप्रस्रवणश्वेल 'सिंघाण' 'जल्ल' परिष्ठाउग्गवई (उपवती) ज १२१ मू १०६१ पनिकासमित) 3 ३६६ उग्गविस (उनविए) प ११७० उग्गसेण (उनमेन) उ ५१० उच्चारतव्व (उच्चारयितव्य) मू१०११३५ उग्गह (अवग्रह) ११५१६८,७१,७२ उच्चारेयव्व (उच्चारयितव्य) ज ७११६८ उग्गा (दे०) २१७ सू१०।१३४ उग्घोस (उद्घोप) ज २१६५ उच्चावय (उच्चावच) ५३४।२३,२४ उ ११५७, उग्घोसेमाण (उद्घोषयन्) ३।२१२,२१३; ८२,५४३ ५३२२,२६ उच्चाविय (उच्च कृत्वा) प १७।१११ उच्च (उच्च) उ ३११००,१३३ उच्छंग (उत्सङ्ग) उ ३६८,११४ उच्चंतय (उच्चंतग) प? १२४ उच्छण्णा (उत्सन्न) ज २१८,६ उच्चत्त (उच्चत्व) ॥ २१॥८॥२ ज ११८ उच्छण्णणाणि (उत्सन्नज्ञानिन्) प २३।१३ से १०,१६,२२ से २४,२,३५,३७,३८,४०, उच्छप गदसणि (उत्सन्नदर्श निन् ) प २३।१४ ४२,४६,५१:२६,१५,४५,५१,५४,५६,५८, उच्छाह (उत्माह) सू २०१६।३,५ ८६,१२३,१२८,१३८,१४०,१४८,१५१,१५७, उच्छूढसरीर (उत्क्षिप्तशरीर) ज ११५ १५६४११,६,१०,१४,३३,४५,४७ से ४६,५४, उच्छोल (दे० उतक्षालय) उच्छोलेंति Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५४ ज ५।५७ उजुसेद (ऋजुश्रेणि ) प ३६।१२ उज्जय ( उद्यत ) ज २११३३ उज्जल ( उज्ज्वल ) ज ११३७ ७ १७८ उज्जाण ( उद्यान) ज २।६५,७१,५१५,७३१३६; __५१६,७,२४,२६,३७ उज्जाणसंठित (उद्यानसंस्थित) सू ४ ३ / उज्जाल ( उत् + ज्वालय् ) उज्जालंति ज ५।१६ उज्जालेइ उ ३१५१ उज्जालेंति ज २।१०५ उज्जालेह ज २११०७ उज्जालिता ( उज्ज्वल्य ) ज ५११६ उज्जालेत्ता ( उज्ज्वाल्य ) उ३।५१ उज्जु (ऋजु ) प २ ३१ ज २११५ ज ११८, ३१, ३१६३, १२१,५/३२ V उज्जोय ( उद् - - द्योतय् ) उज्जोए ति सू १६ १ उज्जोएति सू १६११ उज्जोकर (उद्योतकर ) ज ३६५,६६, १५६,१६० उज्जोयणाम (उद्योतनामन् ) प २३३३८ उज्जोयभूय (उद्योत भूत) ज ३/६६,१६० उज्जोव ( उत् । द्युत्) उज्जोवेइ ज ४।२११ उज्जोर्वेति ज ७५१, ५८ सू ३।१ उज्जोवेति सू ३।२ उज्जोवणाम (उद्योतनामन् ) प २३।११५ उज्जोविय ( उद्योतित ) ज २।१६ उ १५६,६१ उज्जोवेमाण ( उद्योतयत् ) प २३०,३१,४१,४६ / उज्झ (उज्झ ) उज्झइ उ ११५५ उज्झाहि उ ११५४ उज्झर (उज्झर ) प २४,१३,१६ से १६,२८ उ ५८५ उजुसे दि-उ उज्झरबहुल (निर्भर बहुल ) ज १।१८ / उज्झाव ( उज्झय् ) उज्झावेसि उ ११५७ उज्मावित्तए ( उज्झयितुम् ) उ ११५४,५६ उज्जमाण ( उज्भ्यमान ) उ ११५६,६३,८४ उज्झित ( उज्झित) उ ११५६,८१ उज्झिय ( उज्झित) उ ११५७,८२ उट्ट (उष्ट्र ) प १६४; ११।१६ से २० ज २१३५ ( उट्ठा ( उत् + ष्ठा) उठेइ उ ११२४ उट्ठेति ज ३।११४,१२६ उट्ठेति ज ११६ उट्ठा (उत्था ) उ ११२४ उट्ठाण ( उत्थान ) प २३।१६, २० ज २१५१,५४, उज्जय ( ऋजुक) ज २०१५ उज्जसुय ( ऋजुसूत्र ) प १६४६ उज्जोइय ( उद्योतित ) प २१४६ ज ३१६,१८, ६३, उट्ठेत ( उत्तिष्ठत् ) ज ३१३५ १८०,२२२ उट्ठेत्ता (उत्थाय ) ज ११६ उ ११२४ उज्जोत (उद्योत ) प० २२४१,५६,६६ उडय ( उटज) उ ३३५१, ५३ उज्जोय ( उद्योत ) प २ ३०, ३१,४६,५६,६३ उडिय (दे०) ज ७ १७८ उडु (ऋतु) सू ६११ ८ १ १०८१२८, १२६, १२१, ४, ११, १२, १४, १५; १५/२० से २२ उडु ( उडु) सू १०।१२६।१,५ उडुकल्लाणिया ( ऋतुकल्याणिका) ज ३।१७८, १२१,१२६,१३०,१३५, १३८, १४०, १४६, १५४,१६०,१६३ सू २०११, ७, ६२३, ५ उट्ठाय ( उत्थाय ) ज १६ उट्ठिय ( उत्थित ) ज ३११८८६ उ ३२४८, ५०, ५५, ६३, ६५, ७०, ७४,१०६,११८ १८६,२०४, २१४,२२१ उडुपण ( उडान ) प १५।१।२१५१५० उड्ड (उड़ ) प १८e उड्ढ (ऊर्ध्व ) प २१४, ४८ से ५३,६०,६३,६४; ११/६५,६६,११।६६।१६ १५ ५२ २१३८७, ६० से ६३; २८।१५,१६,६१,६२,३३११६, १७; ३६१६२ ज १८ से १०,२५,२८,३२, ३५,३७,३८, ४०, ४२,५१, २२६,५६,८६,१२३, १२८,१४८;३।१३१, १३२,४१,६,१०,२३, ४५,४७,५७,५६,६२,८६,१०१, १०३, ११०, ११२,११४,११५,११६ से १२२,१२८,१३६, १. उडु (जलम् ) आप्टे पृ० ४०१ Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उड्डजाणु-उत्तरडकच्छ ८५५ १४२,१४६,१४७,१५५,१५६,१६३ से १६५, १७५,१७८,२०३,२१२,२१६,२१७,२१६, २२१,२२६,२३४,२४० से २४२५१६४; ७१४४,५४,१६८११,२०७ सू २११४११०; ६१३;१८।१:१६२२११२,१६१२३ उ १९७; २।१२,३१५०:५१४१ उड्ढजाणु (ऊर्ध्वजानु) ज ११५,२१८३ उ ११३ उड्ढत्त (ऊर्ध्वत्व) प २८१२४,२६ उड्ढदिसा (ऊर्ध्व दिशा) प ३६१७६,१७८ उड्ढमुह (ऊर्ध्वमुख) ज ३।३; १७:१६८ उड्ढलोग (ऊर्वलोक) ज ५१६,६७ उड्ढलोय (ऊर्ध्व लोक) १ २११,४,१०,१३,१६ से १६,२८,३११२५,१२७ से १७३,१७५,१७७ उड्ढवाय (ऊध्वंवात) पश२६ उड्ढामुहकलंबुयापुप्फसंठाणसंठित ('उद्धी'मुखकलम्बुकपुष्पसंस्थानसंस्थित) सू १६।२३ उड्ढीमुहकलयापुप्फसंठित ('उद्धी'मुखकलम्बुक पुष्पसंस्थित) ज ७३३१,३३,३५ सू४।३,४,६, ७,६ उड्ढोबवण्णग (ऊवोपपत्रग) ज ७५५५ सू १६।२३, उत्तमपुरिस (उत्तमपुरु) प६।२६ उत्तमा (उत्तमा) ज ७।१२०११ सू ५११,१०८८१ उत्तर (उत्तर) प २।२१ से २७, २७११,२,२१३० से ३६,४४,४८,५१,६०,६१,६२।१२।६३; ३१ से ३७,१७६,१७८,१५१८५१८१६० ज १११८,२०,२३,४८,३११,८२,१२६।४,१३१, १३३,१३८,१५१,४।१,१७,३८,५५,६२,७३, ७६,८१,९६,६१,६३,६८,१०३,१०८,११४, १२६,१४१ से १४३,१५०,१५६,१६०,१६५, १६७,१६६,१७२,१७३,१७५,१७७,१७८, १८०,१८१,१८४,१८५,१८७,१६०,१६१, १६३,१६६,१६७,१६६ से २०३,२०५,२०८, २०६,२१३,२२६,२३१,२३४,२३७,२३८, २४६,२५२,२६२,२६५,२६८,२६६,२७१, २७२,२७४,२७५,५।११,३६,४२,६।११, १४,२४७१५,१५,१७,२४,२५,६४,७४,७६, ७८,८३,८४,८८,६४,१२७,१२६,१३४।३, १३५।३,१७४,१७८,२०१,२०४ सू१।१५ से १७,२४,२६ से ३१,१३,१०७५,१३५, १२।१२,१३१६,१०,१८।१४ से १७:१६८१, ११।१२०१२ उ ३.५४,५५,६३,६७,७०,७३, ४।१६,५१४१ उत्तर (उत्+तु) उत्तरइ ज ३११०१,१२६ उत्तरओ (उत्तरतस्) ५२१४०१४ ज १११८ उत्तरकुरा (उत्तरकुरु) ज ४।६६,१०३,१०८ से ११०,१४१,१४३,१६१,१६२,२०५,२१३ उत्तरकुरु (उत्तरकुरु) प १८७१६३०१७३१६४ ज २१६,४११४२१३.१६११२,१६२,२०७, २६२,५२५५ उत्तरकुरुकूड (उत्तरकुरुकूट) ज ४११०५,१६३ उत्तरकूल (उत्तरकूल) उ ३५० उत्तरगुण (उत्तरगुण) प १११४६ उत्तरड्ढ (उत्तरार्द्ध) प २१५१,८।१ उत्तरड्ढकच्छ (उत्तरार्द्धकच्छ) ज ४११६८,१७२, १७३ से १७६ उण्णं दिज्जमाण (उन्नन्द्यमान) ज ३३१८६,२०४ उग्णय (उन्नत) ज २।१५ ३1१०६,१३८,४।१३; ७।१७८ सू २०१७ उण्णाय (उन्नाक) उ ५।४३ उण्ह (उष्ण) प १७।११४११,१७।१३८,२८१२६ उ ३३१२८ उतालीस (एकोनचत्वारिंशत् ) सू १२१२० उत्तत्त (उत्तप्त) प २।४०६ उत्तम (उत्तम) प २१४६ ज २०१५, ३१३,१२, १२५,४१२६०।१५।५८ सू ५१ । उत्तमकठ्ठपत्त (उत्तमकाष्ठाप्राप्त) ज २१७,५२, । १३१,१६१,१६४,७।२६,२८ सू ११४,१६, १७,२१,२२,२४,२७, २।३,३१२,४८,९; ६।१६२ Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५६ उत्तरढभरह (उत्तरार्द्धभरत) ज १११६,४७ से ५१,३।१०२,११३ ; ४१३५ उत्तरड्ढभरहकूड (उत्तरार्द्ध भरतकूट ) ज ११३४ उत्तरलवणसमुद्द (उत्तरलवणसमुद्र ) ज ४।२७७ उत्तरढलोकाहिवइ (उत्तरार्द्ध लोकाधिपति) ज ५४८ उत्तरण ( उत्तरण ) ज ३१७६,११६ उत्तरदारिया (उत्तरद्वारिका ) सू १०।३१ उत्तरदाहिण ( उत्तरदक्षिण ) ज १।२४; ४११०६, १६४,१६७,१६६,१७८, १८०, १८१,१८५, १८७,१६१,१६६ से २०१,२०३, २०६,२१५, २४५,२४८, २५१, २५२ सू८११ उत्तरदाहिणाया (उत्तरदक्षिणायता) ज १।२४; ४११०३,१६२,१६७,१६६,१७८, १८१, १८७ १६१,२००,२०३, २४५, २५१ उत्तर (उत्तरार्द्ध) ज २९१ उत्तरभरह (उत्तरा भरत ) ज १।२३ उत्तरपच्चस्थिम ( उत्तरपाश्चात्य ) प ३११७६,१७८ ज ३।४३,४४;४११०३,१०६,१५०,२२४,२३१, २३२सू२११,२०१२ उत्तरपतत्थिमिल्ल ( उत्तरपाश्चात्य ) ज ४२३८ स १ १६ २११,२०२ उत्तरपाई (उत्तरप्राची) ज ३।१२६ उत्तरपुर स्थिम ( उत्तरपौरस्त्य ) प ३।१७६, १७८ ज १।३;३।६०,६१,१३०,१३१,१४०,१४१, १९१,१६२,२०४,२०८, ४११७,१२०, १३६, १३६,१५०,१५४,१६२ से १६४,२२१,२२६, २३३,२३६,५/५,७,३६,४४,५५ चं ७ सू ११२ २०१२ उ ३।११३; ४ २०; ५१५ उत्तरपुरथिमिल्ल ( उत्तरपौरस्त्य ) ज ४।१५६, २३७,२३८५/४८,४६ सू १।१६ उत्तरपोट्ट्वया (उत्तरप्रोष्ठपदा) ज ३।२०६ सू १०/६४ उत्तरगुणी (उत्तरफल्गुनी) ज ७ १२८,१२६, १३६ उत्तरढभरह उत्तरिल्ल उत्तरभवया ( उत्तरभद्रपदा) ज ७११२८, १२६, १३६,१३६,१४२ उत्तरवेउब्विय ( उत्तरवैकयिक ) प १५/१८,१६; २११५८,५६,६१,६५ से ६७,७० ; ३४ १६,२१ से २३ ज ३।२०६ ; ५२४१ उत्तरवेयड्ढ (उत्तरताढ्य ) ज ३३८१ उत्तरा (उत्तर) सू १०/३२,४५,६०,६२,१२०, १५३,१५५,१५६,१५८११२,४ से ६ १२/२४ से २८ ज ७१११३ ३।५५,६३,६५, ६७,७०,७४ उत्तरापोवा (उत्तरप्रोष्ठपदा) सू १०५, ६,२१, २३,६५,७५,८३,६७, १३१ से १३५ उत्तराफग्गुणी (उत्तरफल्गुनी) ज ७।१४०, १४८, १५१,१६३,१६४ सू १०।२ से ६,१५,२३,७०, ७१,७५,८३,११०,१३१ से १३३ उत्तराभवया (उत्तरभद्रपदा ) ज ७ १४६, १५७, १५८ १०२ से ६,१३१ उत्तराभिमुह (उत्तराभिमुख ) ३३२५५,६३,६७, ७०,७३ उत्तरासंग (उत्तरासङ्ग) ज ३१६६५२१ उत्तरासाढा (उत्तरापाढा ) ज २१७१८५३ ७ १२८, १३०,१३६,१४०,१४६, १५६, १६७ १०११ से ६,१६,२३, ५४,६२,६३,७४,८३,११६, १२२,१२३,१३० से १३५; १५५६, १२ उत्तरिज्ज (उत्तरीय) ज ३१६,२२२ उत्तरित्त (उत्तीर्थ ) ज १११८१ उत्तरिय ( औतरिक ) प ३६१२१, २२, २४, २६, २७, ४६ उत्तरिल्ल ( औदीच्य ) प २३३,३६,३६,४०, ४४, ४७ ; १६।३४ ज ११२६; २।११६; ३३१०२, १०६,१३३,१३७,१५४ से १५७,२०५,२१५, २२०, ४१३८, ४२,७३,७७, ९१, ९४, १७२, १६ से २०२,२०६,२०७,२१२,२३२, २३३, २३८,२४८,२५१,५३११,१४,४४,४५,४६, ५२, ७।१७८ उ ३६१ Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्तरोट्ठ-उद्धय उत्तरोठ (उत्तरौष्ठ) ज २।१५ उत्ताण ( उत्तान ) उ३।१३० उत्ताणग ( उत्तानक) ज ३११११, ११३ उ १४६ उत्तणय ( उत्तानक ) प २०६४१।४६ उत्ताणसेज्ज ( उत्तानशय ) उ३।१३०,१३१,१३४ उत्तासण ( उत्त्रासन ) प २।२० से २६ उत्तासणय ( उत्त्रासनक ) प २०२७ उत्तिण ( उत्तीर्ण) ज ३१८१ उत्तिमंग ( उत्तमाङ्ग ) ज २११५ उदग (उदक) २।१३१,३१२६,३६,४७,१०६, १३३,२२१:५१५५. उदगधारा (उदकधारा) ज ३८ उदय (उदय) प २३१३,१३ से २३ सू ११६१२, ११८३१ उदय (उदक ) प ११४११२, ११४६,१०११७१ १६।५४ ज ३१६, २०६,५११४,५६,७१११२/१, २ चं २।२४।१, ३ सू १०।१२६।१,२ उदयसंठिति ( उदयसंस्थिति ) सू १ १६ २, ११८११,३ उदर (उदर) उ ११४३ उहि (उदधि ) प २३०१, २२४०१२,८,१०; १५ ११२ ज २११५; ५१५२ उदहिकुमार (उदधिकुमार ) प ११३१,५३,६१८ उदार (उदार ) ज ३१२४,१३१ उदाहु ( उताहो ) प २०१६,१५१४६,४७,३४१६ उ १११२७ उदिष्ण ( उदीर्ण ) प २०१३६,२३३, १३ से २३ उदीण ( उदीचीन ) प २११०,५० से ५२,५४,५६, ५८ से ६० ज ११८,२०,२३,२५,२८,३२, ४८, ३११,४११, ३,५५६२,८६,८८, १०८,१७२,२०५,२१४,२५२, २६२,२६८; ७११०१,१०२ ८१ उदीर्णदाहिनायता ( उदीच्यदक्षिणायता ) सू १११६, २१:१० ११४२.१४३,१२/३० उदीर्णवाय ( उदीचीनबात ) प ११२६ ( उदोर (उद् ईर् ) उदीरति प १४/१५ उदीरिस्सति प १४|१८ उदीरेति उ ३।३४ ८५७ उदीरें १४।१८ उदीरेति प २२१५ उदीरण ( उदीरण ) ज २।१३१ उदीरिज्माण ( उदीर्यमाण ) प २३।१३ से २३ उदीरिय ( उदीरित) प २३।१३ से २३ उदु (ऋतु) ज २२४७१११२।१ उद्दंडग (उद्दण्डक ) उ ३१५० उडिय ( उद्दण्ड ) ज ३१३२ उद्दव ( उ ) उद्दति प ३६/६२,०७ उवित्त (द्रवयितुं ) ज ३।११५ उद्दात्ता (उद्भुत्य ) ज ६६४ उद्दाल ( उद्दाल) जरा उद्दाल (अवदाल ) ज ४११३ सू २०१७ उद्दाल' (आ छिन् ) उदा उ १।१०५ उहाले काम (काम) उ ११०५ उद्दि (दे० ) सू १६४२२१२५ उद्दिस ( उत् + दिश् ) उद्दिसंति उ ५ ४५ उद्दिस्यि (उद्दिश्य ) प १६।५१ उद्दिपविभत्तगति ( उद्दिश्यप्रविभक्तगति) १६६३८,२१ उद्देश ( उद्देश ) ज ७ १०१,१०२ उद्देग (देशक) १४५ उद्देश्य (क ) प १७/१४ उद्देहिया (३०) प ११५० उद्ध (ऊ) ३३२४ ज १११६, २३, २४; २१६, ५८,६५,१५७ ११५७,८२ उस (उन् वृष) उस उ १५७ उणा (उद्धर्पणा) उद्धसेत्ता (उद्वयं) ११५७ उद्धत (उद्धत ) ज २६५ उद्धिय (उद्धृत) ज ३१२२१ उद्भुत ( उ ) २४८ उद्धय (उद्धृत ) प २३०, ३१, ४१ ज २६०, ३७; २४१३,२६,३७११, ३६.४५।१,४७,५६,६४, ७२,८८,११३,१३११३,१३८, १४५,१७८; १. हेम ४११२५ Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उद्धर-उम्मुग्गजला ४१४६, १५,७,४३,४४,४७,६७ सू २०१७ उप्पलिणीकंद (उत्पलिनीकन्द) प ११४८९४२ उद्धर (उद्धर) ज ५१५; ७१७८ उप्पलगुम्मा (उत्पलगुल्मा) ज ४।११।१,२२२ उद्धृब्वमाण (उद्धूयमान) ज ३१८,३१,६३,१८० उप्पलुज्जला (उत्पलोज्वला) ज ४।११५३१,२२२ उ ५११६ उप्पाइय (औत्पातिक) ज ३३१०४,१०५,१०६ उपगच्छ (उपगम्) उपगच्छंति ज ३।१६७।१४ उपाएत्ता (उत्पाद्य) १२८२०,३२,६६ उपचयंकर (उपचयङ्कर) ज ३११६७ उप्पाड (उत्+पादय) उप्पाडेज्जा प २०११७, उपरिल्ल (उपरितन) सू १८७ १८,३२ से ३४,४७ उपसंत (उपशान्त) ५ २०३६ उपाय (उत्पाद) प १५० उप्पइत्ता (उत्पत्य) प २।४८ से ६३ ज ११२५ उप्याय (उत्। पादय) उप्पाएंति ज २१३६,४१ सू २२१,१८०१ उपि (उपरि) प २१५२ से ६२ ज १११०,१२, उप्पज्ज (उत्+पद्) उप्पज्जइ सू ६.१ १४,१६ सू १२।३०१८।२,३ उ १।४६;रा उप्पज्जति ज २६७ ५।१३,२०,२७,३१ उप्पज्जंत (उत्प द्यमान) ज ३।१६७।५ उप्पीलिय (उत्पीडित) ज ३१७७,१०७,१२४ उप्पज्जय (उत्पद्यक) ज ३।३ उ ११३८ उप्पड (उत्पट) प ११५० उप्फिडिय (उतफिट्य) प १६:४४ उप्पण्णमिस्सिया (उत्पन्न मिश्रिता) प १११३६ उप्फेस (दे०) प २।३० उप्पण्णबिगमिस्सिया (उत्पन्न विगतमिश्रिता) उब्बहिया (उद्वाह्य) प १६।५४ प११।३६ उन्भड (उद्भट) ज २११३३ उत्पत्ति (उत्पत्ति) प ११६३१६:१४।५,३६१६४ उब्मिज्जमाण (उद्भिद्यमान) ज ४११०७ ज ३.१६७/३,६,८,९,१० उभओ (उभयतस्) ज ११२३,२५,२८,३२; उत्पत्तिया (औत्पत्तिकी) उ ११४१,४३ ३.१७६४।१,१३,३६,४३,६२,७२,७८,८६, उत्पन्न (उत्पन्न) ज ३.२६,३६,४७,५६,१३३, ६५,६८,१०३,११०,१८३,२००,२०१,२०६; १३८,१४५,१७५,५५३,२२ ५।४६,६०,६६७१३१,३३ सू ४१३,४,६,२०१७ उप्पन्नकोउहल्ल (उत्पन्नकुतूहल) ज ११६ उभय (उभय) ज ३।३ उत्पन्नसंसय (उत्पन्नसंशय) ज १२६ उभयभाग (उभयभाग) सू १०॥४,५ उत्पन्नसड्ढ (उत्पन्नश्रद्धा) ज ११६ उम्मज्जग (उन्मज्जक) उ ३१५० उपयनिवय (उत्पातनिपात) ज ५५७ उम्मत्तजला (उन्मत्तजला) ज ४।२०२ उपय (उत् + पत) उप्पयंति ज ५१५७,६४ उम्माण (उन्मान) ज ३१६५,१३८,१५६,१६७१३ उप्पल (उत्पल) प ११४६,११४८।४४,११६२, उम्मिमालिणी (ऊमिमालिनी) ज ४।२१२ १५१५५१२ ज ११५१, २२४,१६,३।३,८६, उम्मिलिय (उन्मीलित) प २१४८ ज ३१८८%, १८८,२०६४।३,२२,२५,३०,३४,६०,११३, ४।४६ २६६,२७२,५१५५,५६,७।१७८ उम्मुक्क (उन्मुक्त) पश६४।२१ ज ३१२०,३३, उप्पलंग (उत्पलाङ्ग) ज १४ ५४,६३,७१,८४,१३७,१४३,१६७,१८२ उप्पलहत्यगय (हस्तगतोत्पल) ज ३१० उम्मुग्गजला (उन्मुक्तजला) ज ३६७ से १०१, उप्पला (उत्पला) ज ४११५५६१,२२२ Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपर-उवट्टेत्ता जर (उदर) उ १ ३४, ४०, ४६,४८,४६,५१,५४, ७४,७६,७६ उर (उरस् ) ज ५।५ उ ३।११४ उरग (उरग ) प ६८०३१ ज ३३२४ उरत्थ (उरःस्थ ) ज ३१३६ उरपरिसप्प ( उरः परिसर्प ) प १३६७,६८,७५; ४१३१ से १३६,६७१; २१।१४ से १६,३५, ४५,६० उबंग (उपाङ्ग) उ ११४ से ८,२|१; ३११,२; ४११,२,५५१,३,४५ उवकुल ( उपकुल ) ज ७।१३६।१,१४१,१४३ से १४६,१५० से १५३ सू १०१६, २० से २२,२५ / वक्खड (उपस्कारय् ) उवक्खडावेइ उ ३१११०; ४११६ उक्खडावेत्ता ( उपस्कार्यं ) उ ३।५० √ उबगच्छ (उप + गम् ) उवगच्छइ ज ३।४१ उवगच्छत्ता (उपगम्य ) ज ३१४१ उम्भरुहिर ( उरभ्ररुधिर ) प १७।१२६ उराल (उदार ) प १४४१३ गुलू नामक वृक्ष उराल (दे०) ज ५।३८ उरु ( उरु) ज २ १५,१६,५१५;७ १७८ उरुलुंग (दे० ) प १।५० उवाय (उपगत ) प २१६४ १४, २० ज ३१२०,३३, ५४,५६,८४,१०५, १०८ से १११,११३,१३७; ५३५,७ उ ११५,२५; ३२६८, १०६ ५ ३५ उवगरण ( उपकरण ) ज २१६६ सू २०१४ उ ११९३, १०५, १०६ ३।५५,६३,७०,७३ उवगिज्जमाण ( उवगीयममान ) ज ३१८२, १८७, √ उलंघ ( उत् + लघु ) उलंघेज्ज प ३६।६१ उल्ल (आर्द्र ) ज ३।२२,३६,४४,१२५,१२६ / उल्लाल ( उत् + लालय् ) उल्लालेइ ज ५।२३ उल्लालिय (उल्लाल्य) ज ५।२४ उल्लालेमाण ( उल्ललायत्) ज ५१२२ १८८ उ५/२५ उबग्गच्छाया (उपाग्रछाया ) सू २४ उवधाइय ( उपघातिक ) १० ११।३४।१ उल्लोइय (उल्लोचित ) प २०३०,३१,४१ ज ११३७ उवग्गहिय ( औपग्रहिक ) प २३३६ ३।७,१८४ उल्लोय (उल्लोच ) ज ४।११६; ५/३४,६७ सू २०१७ उल्लोयण ( उल्लोचन ) उ १०४६ उवइथ (उपचित) ज ४।२७ उवजज्जिऊण ( उपयुज्य ) प १६:२०; २२३४५ ; ३६/३२ उवउक्त (उपयुक्त ) प २/६४।१२,१३८ ।४ से ११ ; १५/४८, ४६, २६११७,१६,२०,३४।१२ ज ५।२६ ८५६ उवघाणाम ( उपघातनामन् ) प २३।३८, ५२,११० उवधायणिस्सिया ( उपघात निश्रिता ) प ११।३४ उवचय ( उपचय ) प १५/५८११, १५३५८,५६ ~ उवचय ( उप - चि) उवचयंति प २६ √ उवचिण ( उप चि) उदचिण प १४ १५ १ उवचिज्जंति प १४।१८ १;२११६७ उवचिति प १४/१५ उवचिणि प १४।१४ उचविणिस्संति प १४/१६ उarees ( उपदेशरुचि ) प ११०१११, ४ उवओग ( उपयोग ) १३१ ७३ | १११ : १५ ५ ८१ ; १५/६३,६४, १८।१।१३ २८।१०६।१:२६ १, ५, ८,११,१५ उवज्झाय ( उपाध्याय ) प १६१५१ चं १२ उवओगपरिणाम (उपयोगपरिणाम ) प १३२, १४, √ उबट्ट ( उद् + वृत्) उट्ठेति ज ५।१४ १६ उट्टे (उद्धृत्य ) ज ५११४ उचित (उपचित) प २३१,४१ उवचिय ( उपचित) प २।३०,२३०१३ से २३ ज २।१४५, १४६; ३१७, ४१३,२५,२७,७/१७८ उवज्जिय (उपार्जित ) ज ३२१८५,२०६ Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० उवटुव-उवलालिज्जमाण Vउवठ्ठव (स्थापय ) उवट्ठति ज ३१२०८, उबभोग (उपभोग) ११४६ १५. उबट्ठति ज ३११२० उपट्ठवह उवभोगतराय (उपभोगान्तराय) प २३१२३ म २१५.४:३।२०७ उ११७ उवमा (उपमा) प २६४।१७:३५।२५,२६ उववेत्ता (उपस्थाप्य) ११७ ज ३१२४।४३०२,४५१२,१३१४ उ ३१६८ उवाइ (उपस्थायिन् ) ज ३।३२१ उवयार (उपचार) प २३०,३१,४१ ज २।१०, उववासाला (जस्थानशाला) ५,१२,१७, १५.६५:३७,१२,८८,१३८,४११६६,५१७, २१,२८,३४,४१, ४६५८,६६,३४,७७,१३५, ५८,७१३३११ मू २०१७ १४७,१५१,१७७,१८८,२१६ उश१६,४१, उवयारियालयण (उपकारिकालयन) ज ४१११८ ४२,१२४,४।१२:११६ उवरक्खिय (उपरक्षित) प२।३०,३१,४१ उदिव्य (उपस्थित) ११२० उरि (उपरि) प २२१ से २७,३० से ३६,४१ उवणी (उमणी ) उवर्ण६ ज ३१२६,३६,४०, मे ४३,४५१२१३२ ज ११३५,४।१५६।१, ४७,५६,६४,७२,१३३,१४५,१५१ उवणेति ब ३८१,१२६:१६१ । १।४५ उवह उरितल (उपरितल) ४।१४२६१,२,४।२१३ उरिम (उपरितन) प २१२७।३,६२११ उवणीयअवगीयवयण (उपनीतापनीत वचन) उरिमउवरिमगवेज्जग (उपरितनोपरितनग्रेवेयक) प११८६ प१११३७,४१२६१ से २६३७१२८,२८१६५ उवणीयवयण (उपनीतवचन) प ११८६ उवरिमगवेज्जग (उपरितनग्रंवेयक) प २१६२ उवणेत्ता (उपनीथ) 1३।१२६ ३११८३,६।४१,५६,२०१६१:३३:१७ उवत्या मिया (स्थानिका) । ३१२६,३६,४७, उपरिमगेवेज्जय (उपरितनग्न व्यक) ५ २०६१ उरिममज्झिम (उपरितनमध्यम) प२८१९४ Vउवः (- ) उवदमहज 21५७,५८, १२.१४ : ११२३ उवाति) ज ५१५७ उरिममजिसमगेवेज्जग (उपरितनमध्यमग्रेवेयक) "वदराति गू२०१२ प११३७४१२८८ मे २६०७।२७ उपसण (दन २६१ उरिमठिम (उपरितनाधस्तन) १२८१९३ उपसाप (दशयितुम् ) 3 ३१११२ उरिमठिमगवेज्जग (उपरितनाधस्तनप्रैवे. क) उत्तिा (उपदश्य) उ३।२१५ प१११३७४२८५ मे २८७७१२६ उबदस्यि (उपदोस) ५१।११२ उरिल्ल (उपरितन) प २१६४:५११३१.१३४, उतरता (पद) प ५१५८ १३६,१४०,१४३,१६६,१६६,१८१,१८४, उवयंसेमाण (उपदशंयत्) ३४१२२ ज ५१४४ १६३,१६७,२००,२२८,२३४:१६।३४; सु २०१३ २२१५१,२०,७१.२४ ज २१११३;४१२५३, उतक्टिठ (जगदिष्ट) प ११०१४ च ४३ २५६,२५६१७३ से १७५ सू १८६१ Vउदिम (उस दिश) उवदिगई प २१६४ ।। उरिल्लय (उपरितन) प २८११४३ उदणि सिता उपदिश्व) पश६४ उवल (उपल) प १२०१ ज ४।२५४ उपदा (उपद्रव) २१४०।३।१०५ उवलद्ध (उपलब्ध) प ११०११६ उ ३।१०१ उवप्पयाण (उपादान) १३१ उवलालिज्जमाण (उपलाल्यमान) ज ३१८२,१८७, उयबूह (प ) ११०१:१४ २१८ Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवलित्त-उवागच्छ उलित्त (उपलिप्त) ज ३११८४:५।५७ उ ३११३०, उववेत (उपेत) प १७।१३: १३१,१३४ उववेय (उपेत) प १७१३४ ज २११४,१८ उवलेवण (उपलेपन) उ३।५१,५६,७१,७६ उ ५५ 1/उववज्ज (उप-!- पद्) उववज्जइ ॥ १७१६५ उवसंकम (उप । सं। क्रम) उवगंवार नि उज्जति प ६।४७ मे ५६,६० मे ६४,६६ स १।१७ ७० से ७२,७८ ११०,११२,११३ ज २०४६ उवसंकमित्ता (उपगम्य) ,१६,१६; मू १७१ उववज्जति प १६५०;१७१६०,६२, सू १।११:१४ ६४,६५,६९ से १०४ उवज्जिहिइ उ १।१४१; उवसंत (उपशान्त) प १४१३; 20128 12, ३।१८,४।२६ उववजिहिति ज २११३५ से ६८; १७. उ ३३५ १३७ उवसंतकसाय (उपशान्तकपाय११०,१०३. उववज्जमाण (उपपद्यमान) १२०१६१ उववज्जावेयब (उपपादयितव्य) १६६२,६४ उवसंपज्जमाणगति (उपमनानगनि) उववण्ण (उपपन्न) ज ७५६,५६,२१२ सू१६। प१६।३८४१ २२१२१,१६।२४ ३ ११२५ से २७,१८०; उवसंपज्जिका उपपद्य) ९८1. २११२,३।१४,८३,१०,१६१,४२८५१२८, ज७५६५.६.१६१२४. १२२ ३०,४०,४१ उवसम्ग (उपसर्ग) जरा६४,६५, ६६२.११५, उववण्णग (उपपन्नक) प ३।३६:१५१४६,३४११२ ११६,१२५ ३५२३ उवसम (उपगम) ज ७११७,१२२।२. उववण्णपुर (उपपन्नपूर्व) ज ७१२१२ स १०१८४१२, ८२ उबन्नग (उपपन्नक) प १५१४६,३४।१२ उदसामय (उपशामक) १६१,१६२ उववाइय (औपपातिक) प ६७३ उपसोभिय (उप भित) ११३,२१,२६,२६, उवदाएयव्य (उपपादयितव्य) प६७३,७४ ३३,४६,२१,५७,१२२,१२७,१७,१५०, उवात (उपप त) प २०१६०. चं १५. स १५,१६४, ३५१७८,६६२,४।१६६३ ८२; १६।५१७।१ ५।३२,३८१७।१७८ उववातगति (उपपातगति) प १६।३७ उवसोभाण (उपगोभमान) ३४३ उवातसभा (उपपातगभा) ३३।१४ उवदाय (उपपात) ५२।१,२,४,५,७,८,१०,११, उक्सोभेमा (पभमान) 15.123 १३,१४,१६, से ३०,४६ ; ६।१ से ४,१० से ७१२१३ २३,२७,४३,५६,६३,६६,८०२,८१,५३, उवसोहिय (उपशोभित) ४१ १४; १६७ ८६,६२,१००,१०३,०७,१०८ ; २०१६१. उदस्य (जलाशय) ६११११,११८,१४१४१२२ ज २१७२:४।१४०।१,१६०; १५१,६० उवहाण (उपधान) ज ४११३ उ १२०,२२३३१६६ उहि (उपधि) प १४।५ उपवायगति (उपपाताति) ५ १६:१७,२४ से ३.. उवहित (उपहित) सू ६।४ उववायसभा (उपयातसभा) ज ४।१४० उ ३1८३; उवाइणावेत्ता (उजातिकम्य) सू १०।१३८ १२०,१६१,४१२४ उवागच्छ (34; आ गम्) बागच्छद उववास (उपवास) ज०२।१३५ ज ११६; २।१०।३।५.६,१२,१७,१८,४१ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ उवागच्छित्ता-उस्सासणाम उ ११२३१२६४।११।५।१६ - उवागच्छति उव्वेहलिया (दे०) प ११४८५० प ३४१२२,२३. ज २१११६. उ १।४५५।१७ उसभ (ऋषभ) प २।४६ ज० ११३७,५१, २।१५, -उबागच्छति. ज २।१६५, ३१२८,३२,४१, ५६,६२,६४ से ६७,७३ से ८६,१०१, ४६,२१६ उवागच्छसि. उ ३७६ ४६७, ५।२८ उवागच्छित्ता (उपागत्य उपागम्य) प३४१२२, उसभकूट (ऋषभकूट) ज० १:५१३।१३५; ज ११६. उ० ११६, ३१२६, ४१११:५११६ ४।१७४,१७५, ६.१६ उवागय (उपागत) उ १।१२२,१३०, ३७१,७६, उसभणाराय (ऋषभनाराच) प २३:४५,६५ ६६,१०६,१३८,४।१५,१८,१६ ५।२६ उसभसेण (ऋषभसेन ) ज० २।७४ उवाय (उपाय) प० १११७१, ३६६२ ज १०, उसह (ऋषभ) ज २६३,६०४।२७ १३,१६,१६,२२ से २५,२७,३०,६९,७२,७५, उसहक ड (ऋषभकूट) ज० ११५१,१३५,४।१७५, ७८,८१,८४ सू १११४,१६,१७,२१,२४,२७, उसहच्छाया (ऋषभछाया) ११६४७ २१३, ६।१।१०।१४१,१४६,१४८,१५० उसहसंधयण (ऋषभसंहनन) ज ३।३ उ १४१,४३ उसिण (उष्ण) प ११४ से ६५१५,७,१२६,१५४, उवागय (उपागत) ज २१६५,७१,८८, ३१२२५ २११,२१४,२१८,२२१,२२६६१ से ११ उवे (उप-1 इ) उवेइ प १३१२२२२. उ ३११११ ११।५६,६०, २८।३२,६६,१०५, ३४११६ उति ज २१६, ३।१२६ उवेह ज' ३.१२५ ३५१ से ३ उन्वट्ट (उद्+वृत्) उव्वति प ६१५८,६८ उसिणजोणिय (उष्णयोनिक) प १२ उव्वट्टति प १७६१,६२,६४,६५,१००,१०२ उसिणोदय (उष्णोदक) प १२३ से १०४ उन्वटे इ उ०३।११४ उसीरपुड (उशीरपुट) ज ४।१०७ उव्वट्ट (उद्वर्त) प २०११ उसु (इषु) ज ३१२४,३७,४५,१३१ उ ११२२, उव्वट्टण (उद्वर्तन) प ६१.१. उ० ३१११४ १४० उन्वट्टणया (उद्वर्तन) प ६१६,७ उसुय (इषुक) उ ३।११४ उव्वट्टणा (उद्वर्तना) १६८,६,४५,४६,५६,६६, उस्सक (उत्+वष्क) उस्सक्कति १००,१०२,१०३,१०७,१०८ प १७।१५०,१५२ उव्वट्टिता (उद्वर्त्य) १६६६ उ १११४१ उस्सण्हसहिया (उत्श्लक्षणश्लक्षिणका) ज २१६ उव्विग्ग (उद्विग्न) प २।२० से २७ ज ३।१११, उस्सप्पिणी (उत्सपिणी) प १२१७,८,१०,१२, १२५ उ ११८६; ३१११२; ४११६ १६,२०,२७,३२,१८१३,२६,२७,३७,३८,४१, उम्बिद्ध (उद्विद्ध) ज २६५,३।३१,५१२८ ४३,४५,५६,६४,७७,८३,६०,९५,१०७, जिविह (उद्-व्यध्) उबिहइ उ ११६१ १०८. ज २११,३,६,१३८,१६१,१६४; उब्वेह (उदवेध) ज० ११२३,५१,४११,३,६,१४; ७१०१ सू ६५१८।१६।२; १७१;२०१५ २५,३६,४०,४३,५४,५७,६२,६४,६७,७२, उस्सास (उच्छ्वास) प १२११४१७११११ ७८,८०,८४,८६,८८,६०,६५,१०३,११०, उ ५१४३ १२८,१४६,१५४,१५६,१७२,१७८.१८३, उस्सासणाम (उच्छ्वासनामन्) प २३॥३८,५५, २०३,२१३,२२१,२२६७२०७ Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उस्सासखाएक्कहत्तर ८६३ उस्सासद्धा (उच्छ्वास अद्धा') ज १४ उस्सासविस (उच्छ्वासविष) प १७० उस्सिय (उच्छ्रित) ज ३११८४. सू १८१३ उस्सीसग (उच्छीर्षक) ज ५१६७ उस्सुक्क (उच्छुल्क) ज ३११२,१३,२८,४१,४६, ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उस्सेह (उत्सेध) ज ११४०,३।१२,८८,१६७।११; ४।१०३,१७८,५१५७,५८ च १० उ १३; ३।१२ उस्सेहंगुल (उत्सेधाङ्गुल) ज २१६ ८८,६०,६२,१०४,११७,११५,१३४,१३५, १३८,१४०,१४२,१४३,१५१,१५३,१५५, १५७,१६०,१६१,१६४,१६६ से १६८,१७१ से १७३ ज २।६,१२६,१२४ ऊताल (एकोनचत्वारिंशत्) सू१९१४ ऊतालीस (एकोन चत्वारिंशत्) सू २३ ऊर (ऊरु) उ ११३८,३।११४ ऊस (ऊष) प ११२०१ ऊसय (उत्सव) उ १९७१,७२ ऊसविय (उच्छित) ज ५२१ सू १८१८ ऊसस (उत् +-श्वस्) ऊससंति प ७१ रो३; १७४२२८।२१,३३,६७ ऊसास (उच्छवास) प११४८।५३ ज० २।४।१ ऊसिय (उच्छित) प २१४८,१५१५२ ज ११४२; २११५,१६,५२,१६१,३७,३५,१०६,१७८; ४१६,१४,३१,४१,४६,६८,७६,६३,२२१; ५१४३;७।१६६,१७६,१७८ सू १८८. उ०३७ ऊण (ऊन) १२२६,२७१४,२१६४।७,४।३,६,६, १२,१५,१८,२१,२४,२७,३०,३३,३६,३६, ४२,४३,४५,४६,४८,४६,५१,५२,५४,५८,६४, ६७,७१,७४,७८,८१,८७,६०,६४,६७,१००, १०३,१०६,१०६,११२,११५,११८,१२१, १२४,१२७,१३०,१३३,१३६,१४२,१४५, १४८,१५१,१५४,१५७,१६०,१६४,१६७, १७०,१७३,१७६,१७६,१८२,१८५,१८८, १९१,१६४,१६७,२००,२०३,२०६,२०६, २१२,२१५,२१८,२२१,२२४,२२७,२३०, २३३,२३६,२३६,२४२,२४५,२४८,२५१, २५४,२५७,२६०,२६३,२६६,२६६,२७२, २७५,२७८,२८१,२८४,२८७,२६०,२६३, २६६,२६६।१२।१०।१५१५७,१८१६,१०,१२, ५६,६४,७७,८१,८३,८४,८९ से ११,६५, ६६,१०८,२११७४:२३।७६,१५६ ज १११७६१,२१८८४१५५,६२,७४२७,२६, ३० सू १११४,१६,२१,२३,२४;६:१:१५।१८, १६,२९,३४ ऊणक (ऊनक) सू १३।२।। ऊणग (ऊनक) प २३१६६,८१,८३ से ८६,८६, ६५ से १६,१०१ से १०३,१११ से ११४, १५२ ज ३१२२५,१५१२७ ऊणय (ऊनक) प २३१६१,६४,६८,७३,७५,७७, एकादसम (एकादश) सू १०११२४१२ एकावलि (एकावलि) ज ३१२११ एकासीइ (एकाशीति) ज ४।११० एकणवीसतिम (एकोनविंशतितम) सू० १२।१६ एक्क (एक) प ११४८1५४ ज १।३२ सू १०।१५७ एक्कग (एक) ज ७१३१४१ एक्कड (इक्कट) प ११४११ एक तरह का सरकंडा जिसकी चटाई बनाई जाती है। एक्कतीस (एकत्रिशत्) प ४२९१ ज ४।११३ सू २।३ एक्कतीसधा (एकत्रिंशद्धा) सू १३।१४,१६,१७ एक्कमेक्क (एकक) ज ५१ एक्कवीस (एकविंशति) १७१६. ज २६ सू २१३. उ ५:१० एक्कवीस (एकविंशतितम) प १०११४।४ एक्कहत्तर (एकसप्तति) ज ११४८ Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६४ एक्काणउति ( कनवनि) सू १|१६ एक्कार ( एकादश ) व १०।१४१३ एक्कार ( एकादशन् ) सू १८१६ एक्कार ( एकादशन् ) ११।१०१ ज ११४८. सू १२१६ र ११६६ एक्कारस ( एकादश ) प २०११४।२ एक्कारसंग ( एकादश ) ज ७।१३१।२ एक्कारसम ( एकादश ) १ १०।१४।१ ज ७६७ सू १० १७७१३ १० १११४,१५,२१,१४०: ३११२६ एक्कारसी (एकादशी) एक्कारसविह ( एकादशवित्र ) प १६३,२० १२५ एक्कावरण (एकपात् ७ १६ ११२७ एक्कासी ( एकाशीति) सू २३1८ एक्कासी ( एकाशीति) ज ४११४३ एक्कासीत ( एकाशीति) सू १९१५ एक्कासीतिविह ( एकाशीतिविध ) प० १७।१३६ एrिafra (एकक) सू १६२२८ एकूणवीस ( एकोनविंशतितम ) प ११४८१६२ एक्क्क (एक) प १।४८८७ १७८१,२. सू८ । ११६।२२।४ से ६ एग (एक) प ११२० ज ११७. सू १।१४ उ १११७ एगइय (एकक) प ११७५:१५४५, ४७ से ४६; १७।१३,२०११,४,१७,१८.२२,२५,२८,२६, ३४,३८,३६,४६, ५०, ५३, ५८, २२१५६, २३१६६ ३४१७ से ६,११,१२,१५,१६ ११२२,५०, २२५८,८३,१२३, १२८,१४८, १५१,१५.७; ३३१०,११,८६,८७,१४४४११०१,१८४, ५।२७,५७,६१४ उ ११६७३।११४,१३०, १३१,१३४,१५१,५।१७,२६ एगओवत्त ( एकतोवृत्त ) प ११४६ एगंत ( एकान्त ) ज ३।१८५१५, २६. सू २० / ७. उ ११५४ से ५७,५६,६३,७६ से ८२,८४ एगर ( एकखुर ) प १६२,६३ एक्काणउति - एगवउ गुण ( एकगुण ) प ३।१८२,५११४६,१५०; १११५४.५६,५८,६०,२८७,१०,५३,५६ एगग्ग ( एकात्र ) ज ५१२५ एगजडि ( एकटिन् ) सू २०/८ एगजीब ( एक जीव ) प ११४७।१ एकजीव (एकजीवका ) प ११४७।१ एग ( एकार्थ ) सू १६१२,४,६ एमट्ठिभाग (एकटिभाग) सू १११४,१६,२०, २१,१३ एग (एकास्थिक ) प १०३४, ३५ एमट्ठिा (एकपटिधा ) सू २३ एमपासा ( एकनासा) ज ५।१०।१ एगतओ ( एकततस् ) ३ १११२५ एकतारा (एकतारा ) सू २०१६२ एगति (एकक) प ६।११० सू । १ एक्तीस ( एकत्रिशत् ) ज ४।६२ सू १३१११ एगतोनिसहसंठिया ( एकता निषश्वसंस्थित) सू ४३ एगत ( एकत्व ) प १११८३,८५,२२२२५,२८, २३१८,१२,२४।६; २५१४; २७/२; २८११२४; १३०,१३१,१३६,१४३, १४५ एगदिसि ( एकदिश् ) ज ७४८ एगपए लिय (एकप्रदेशिक ) प ११।४६ एगमेग ( एकैक ) प १०५ १५८३, ८४,८६,६४ स ६७,१००, १०३ से १०६,१०६,११४,११५, ११७,१३५,१४१,३६१८ से ११,१८ से २२, ३०,३१,४४,४६ ज २२४,४१६४, ११५,२६२; ६।१४,१६,२१,२२,७१३,१६,१६ से २५, ६६,३२,७५,३८ से ८२,८४,६५,६६,६८ से १००,११४ से ११६,११६,१७० सू १११८, २०,२१,२३,२४,२७:२१३ ६।११०१८४,८५, ८७,६०,११,१२४; १५/२ से ४,२६ से ३४; १८४, २१ एगयओ ( एकततस् ) ज ३११११ एगराइय (एकरात्रिक) प २७० एगलवण (एकलक्षण ) सू १६ २,४,६ एगas (एकवचस् ) प ११।२१ Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवयण-एत ८६५ एगवयण (एकवचन) प ११३८६,८७ ५०,५७,६४,७५,७६,७६,८०,८५,९४; एगविह (एकविध) ५ २१३,६,९,१२,१५,२२१८३, २२।२५,८२,२३।४०,८५,१३४,१३५,१३७ ८४,८६,२४।१० से १२:२६१२,४,६,८ से १० से १४०,१४२,१४३,१५०,१५६,१५६; एगवीस (एकविंशति) १४।२,६१ सू २३ २४।१३:२६।४,५,६:२८.११२,२८१६८,६६, एगसट्ठि (एकषष्टि) ज ७७ १०२,१०६,११२,११५.११६,१२३,१२६, एगस ट्ठिभाग (एकषष्टिभाग) ज ७१२७,२६,३०, १२७,१२६,१३२,१३३,१३७ से १४१,१४३; ६६.७२,७५ ३४१५,१४,३५७,३६०५६,६६ ज ३।१६७१५, एगसदिठमाय (एकषष्टिभाग) ज ७.६५,६६,७१, १७८ ७२,७५,७७ एगिदियरयण (एकेन्द्रियरत्न) ज ३११७८,२२०; एगसटिठहा (एकषष्टिधा) ज०७२१,२२,२४,२५ ७।२०५,२०६ एगसत्तर (एकसप्तति) ज ४११६६ सू १२११२ एगूणणउद (एकोननवति) ज ७१४ एगसमइय (एकसामायिक) प ३६।६०,६७,६८, । एगणणउति (एकोनवति) ज २१८८ सू ११२७ ७१,७५ एगणतालीस (एकोनचत्वारिंशत्) सू २१३ एगसमइयद्वितीय (एकसमयस्थितिक) प ५।१४६, एगूणतीस (एकोनत्रिंशत् ) प ४१२८५ सू २३ १४७,१११४१ एगूणपण्ण (एकोनपञ्चाशत् ) ज २०४६ सू २।३ एगसमयठितीय (एकसमयस्थितिक) प ३१३८१ एगणवण्ण (एकोनपञ्चाशत् ) प ४६८ एगसाडिय (एकशाटिक) ज ३१६:५२१ एगणवीस (एकोनविंशति) प ४१२५७ ज ७१४ एगसिद्ध (एगसिद्ध ) प ११२ सू१।१० एगसेल (एकशेल) ज ४११६६,१६७ एगणवीसइ (एकोनविंशति) ज ११८ एगसेलकूड (एकशेलकूट) ज ४।१६८ एगूणवीसइभाग (एकोनविंशतिभाग) ज ११२३; एगागार (एकाकार) पश६०,७२,७३,८०,८१, ४।८१,६०,६८,१६६ ८४;१३.२०,२१७२२३०५१ से ५३,५५,५६, एगणवीसइभाय (एकोनविंशतिभाग) ज १११८,२०, ज ४१२५६ एगारस (एकादशन्) ज ३।१ ४८,४६८,२००,२०१ एगावण्ण (एकपञ्चाशत् ) ज ७।२० एगणवीसति (एकोनविंशति) ज २८८ एगावलि (एकावलि) ज ७१३३ एगूणसट्ठि (एकोनषष्टि) सू १२।६ एगावलिसठिय (एकावलिसंस्थित) सू १०॥५० एगणासीइ (एकोनाशीति) ज २१५६ एगासीति (एकाशीति) ज ३१३२ एगेंदिय (एकेन्द्रिय) प १२१५,३।४६ एगाहच्च (एगाहत्य) उ १२२,२५,२६,१४० एगोरुय (एकोरुक) प ११८६ एगाहय (एकाहिक) ज २।६,४३,७१२५ सूरा३ एज्जमाण (एजमान) ज ३४१०७ एगिदिय (एकेन्द्रिय)प १११४,४८,३१४० से ४२,४४, एज्जमाण (आयत्) उ १२२,८६,१४० ४६,१४१ से १४३,१८३;६।७१,८३,८६,६२, एज्जेमाण (आयत्) ज ४१३५,४२,७१,७७,६४ १००,१०२,१०७,११२; १०१३६:१११३६, एड (एड्) एडेइ ज ३१९८ एडेंति ज ५१५ ४१,८०,८४,१३।१६१५:१०३;१६२७, एउता (एलित्वा, एडित्वा) ज ५१५ १७।३६,५६,६०,६२,८७,१८।१४,२०; एणी (एणी) ज ३३१०६ २०१३५२१२ से ५,२२ से २५,३६,४०४६, एत (एतद् ) प १२० Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६६ एताव ( एतद्रूप ) प १७ १२३ से १२४, १२७, १२५, १३० से १३२,१३४,१३५ एताब ( एतावत् ) ज २१४ एलात ( एतावत् ) सू १३।१०,१३ से १६ एतो (इतर) प १७ १३५ उ ३।१०१ एत्थ (अत्र ) प १।७४ ज १३३ चं ७ १।२ उ ३१४५ १८,१०६,११८,१२६,१३१५।२३,३१,३६, ३७ एरंड (एरण्ड ) प १४२१२; ११४८४६ एरंडबी ( एरण्डबीज ) प ११।७८ एरणवय (ऐरण्यवत ) प १७।१६३ ज २।६ एरवत ( ऐरवत ) प १८८ एरव (ऐरवत ) प १६ ३०,१७ १६० ज ४।१०२; ५५५ ६१६,१३,१६,२० सू १११८, १६ एरवकूड (ऐरवतकूट ) ज ४।२७५ एरावण (ऐरावण ) ज ४११४२१३,२०७,२६२; एवइ ( एतावत् ) प ३६१६० एमेव ( एवमेव ) प १।१०१३ एवय ( एतावत् ) प ३६१५६,६६,७४ ए ( एतद् ) प १२६ ज ३।१०७ चं २५ सू ११६ एवं ( एवं ) प १६० ज ११६ च २५ सू ११५ उ १११७ उ ११४ एयारूव ( एतद्रूप ) प १७ १२६ ज ११११ ; २१७, १८३१२६, २७, ३६, ४०, ४७, ४८,५६, ५७,६४,६५,७२,७३,११२,१२२,१२३, १३३, १३४,१३८,१३६,१४५, १४६, १८८, १६५, १६७,४१७,१५,२६,१०७,१४६, ५१३, २२ उ १।१५,१७,३४, ४०, ४३,५१,५४,६३,६५, ७४,७६,७६,६६,१०५ ३२६,४८,५०,५५, ५।१८ रावणवाहण (ऐरावणवाहन ) प २१५० एराति (ऐरावतिक) सू १।१६ एराय (ऐरावत) ज ४।२७४,२८७ एराग ( ऐरावतक) ज ४१२५२ एरिस ( ईदृशक ) प २३१६५, १६६,२०० सू २०१७ उ १।१४० एरिसिथ ( ईदृशक ) प २३१२०१ एल (एलक ) प ११६४ ज २१३४,३५ एतारूव ओगहण ट्ठया एलय (एलक) प ११।१६ से २० एलबालु (दे० ) प ११४८।४८ एलवालुंको (दे० ) प १।४०।१ एलापुड (एलापुट) ज ४।१०७ एलावच्चा ( एलापत्या ) ज ७ १२० सू १०८८११ एवं (एव) ज १।१६ सू १६।१११।२ एवंकरणया ( एवंकरण ) ज ३११२६ एवंभाग ( एवंभाग) सू ११६; १०/४ एवंभूय ( एवंभूत) प १६ ४६ एवति ( इयत्, एतावत् ) प ३६६७,७१,७५ एवतिय ( एतावत्, इयत् ) प ३६१६६,६८,७०,७३ सू २१२:१६ २२१२,३ एवमेव ( एवमेव ) प ३४११६ एवामेव ( एवमेव ) प २८।१०५ १।२६ सू ३०१; १०।१२७१।६३ एससमय (एषणास मित) ज २२६८ ३६६ एसणिज्ज (एपणीय) उ ३१३६,३८ ओ ओअवण (दे० साधन, स्वायत्तीकरण ) ज ४।२७७ ओइण्ण (अवतीर्ण) उ ११६०, ६१ ओगाढ ( अवगाढ ) प ३।१८०, १८२५११३९ से १४५१०११८ से ३०,१११५०,६२ से ६४, ६६।१, १५११११; १५११२,२५; १७११४१ ; २८१५,१२,१३,२०,३२,५१,५८,५६,६६ जे ७ ४१, ४२,५०,५८ / ओगाह (अव + गाह) ओगाहइ ज ३१२२,२६ चं ३१२ सू १।७।२ उ ३१५१ ओगाहई प ११०१६ ओगाहेइ ज ३०४४ गाहट्ठया ( अवगाहनार्थ ) प ५१५, ७, १०, १२, १४,१६,१८,२०,२४,२५,२८,३०,३२,३४, ३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६,६३,६८,७१, Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओगाहणसंठाण-ओय विय ८६७ ७४,७८,८३,८४,८६,८६,६३,६७,१०१,१०२, १०४.१०५,१०७,१११,११५,११६,११७, ११६,१२६,१३१,१३२,१३४,१३६,१३८, १४०,१४३,१४५,१४७,१५०,१५४,१६०, १६३,१६६,१६६,१७२,१७४,१७७,१७९, १८१,१८४,१८७,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४३; १५।१३,२६,३१ ओगाहणसंठाण (अवगाहनासंस्थान ) प १।११६ ओगाहणा (अवगाहना) १७४,८४, २१६४१४, ६ से १५१६६,१३२,१६५,११।७२, १५।१३,२६,३०,३१,५८।२,६५,२१।१।१, २१॥३८,४० से ४२,४८,६३ से ६६,६८ से ७१,७४,८४ से ६४,१०५ उ ३।८३,१२०, १६१,४१२४ ओगाहणाणामणिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प ६।११८ ओगाहणाणामनिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प६।११२ ओगाहणानामनिहनाउय (अवगाहनानामनिधत्ता- युष्क) प६।११६ ओगाहिऊण (अवगाह्य) ज ४।२४० ओगाहित्ता (अवगाह्य) प २२१,२२,२४ से २७, ३० से ३२,४१ से ४३; १५१४३,४५,५२ ज ११४६, ४।२२१; सू ११२२ उ ३१५१ ओगाहेत्ता (अवगाह्य) २।२३,३३,३५,३६ ओगिहित्ता (अवगृह्य) उ ११२,३१२६, ५१२६ ओगुंडिय (अवगुण्डित) २११३३ ओग्गह (अवग्रह) ११२:३१२६,६६,१३२; ५.२६ ओघ (ओघ) ज ५२२ से २४ ओघमेघ (ओधमेघ) २११४१,१४२,१४५; ३१११५.११६,१२२,१२४ ओघसण्णा (ओषसंज्ञा) प ८.१,२,३ ओघस्सर (ओघस्वर) ज ५१५२,५६ ओचूलग (अवचूलक) ज ३११२५,१२६,१७८; ७१७८ ओच्छपण (अवच्छन्न) ज २११२,१३,३।१२१ ओट्ठ (ओष्ठ) प २।३१,३२ ज २१४३,७१७८ उ ३१११४ ओठावलं विणी (ओष्ठावलम्बिनी) प १७११३४ ओणय (अवनत) ज २१६० ओत्थय (अवस्तृत) ज ३।६,१८,६३,१८०,२२२ ओभंजलिया (दे०) १५१ ओभास (अव-भास्) ओभासइ ज ४।२१० चं २११ सू १९६।१ ओभासंति सू०३।१ ओभासति सू ३१२ ओभासें ति ज ७।४६,५८ ओभास (अवभास) ज ११२३,२११२:४।२०१, २१४,२४०,२६४,२७० सू २०१८,२०८१६ ओम (अवम) सू ६३ ओमंथिय (दे० अवमस्तिक) उ १२१५,३५, ३।६८ ओमज्जायण (अव मज्जायन) ज ७१३२११; सू १०११०६ ओमत्त (अनमत्व) १५४४,४५ ओमरत्त (अवमरात्र) सू १२११६,१७११ ओमइत्ता (अवमुच्य) ज २१६५ उ ३।११३ Vओमुय (अव + मुच् ) ओमुयइ ज २१६५,२२४; ५१२१ ३ ३१११३,४१२० ओमोय (दे०) ज ३१६ ओम्मिमालिणी (मिमालिनी) ज ४२११ ओय (ओजस्) चं ।२ सू १।६।२;६।१;६३ ओयमि (ओजस्विन) ज ३७७,१०६ 1 ओधर (अब ' त) ओयरइ उ १६७ ओयव (द०) ओयवेइ ज ३११७५ ओयवेहि ज ३१७६,१२८,१५१,१७० ओयवण (दे०, साधन, स्वायत्तीकरण) ज ३।१२६;४११७७ ओयविता (दे० अधीनीकृत्य) ज ३१७१ ओयविय (दे० परिकर्मित) प २।३१ ज ४.१३ स् २०१५ Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ ओयवेऊण (दे० स्वायत्तीकर्तुं ) ज ३।८१ ओयवेत्ता (दे० अधीनीकृत्य ) ज ३३७६ ओयसंठिति (ओजः संस्थिति ) सू ११६; ६ १६ शर ओयाय (उपयात ) उ १११४,१५,२१,१३६, १३७ ओयाहार (ओज आहार ) प २८११०४,१०५ ओराल (दे०, उदार ) प ३४११६,२१,२२ ज ११५; २१६४३।१८५४।१०७ सू २०१७ उ ११४०, ४१, ४३, ४४ २१११ ओरालिय ( औदारिक) प १२१, ३ से ५, ८, ६, ११ से १३, १५ से १७,२१,२३,२७ से २६, ३२,३३,३५,३६,२१११,३६,८०,८२,१०२, १०४,१०५२३।४१ से ४४,८६,६२,३६।१२ ओरालियामीसगसरीर ( औदारिकमिश्रकशरीर ) १६।१५ ३६८७ ओरालियमीससरीर ( औदारिक मिश्रशरीर) १६।१,४ से ७ ओरालियमीसासरीर ( औदारिक मिश्रकशरीर ) क १६।१२ से १५; ३६८७ ओरालियसरीर ( औदारिकशरीर ) प १२/२३,२७, ३२,१६।१,४ से ७,१२ से १५,२११२ से ५, १६ से २५,२८ से ३२,३६,३५,४० से ४२, ४८,७६,७७,६५,६८ से १००,१०४,१०५; २२१३७,४४,४५,२८११०४,१४१,३६१८७ ओरालियरीरग (औदारिकशरीरक) प १२१२० ओरालियसरीरय ( औदारिकशरीरक ) प १२७ ओरालियसरि ( औदारिकशरीरिन् ) प २८१२,१४१ ओरोह (अवरोध ) ज ५।२२,२६ ओलंग ( अवलम्ब) ज ७ १७८ ओलुग्ग ( अवरुग्ण ) उ १।३५ ओवय (दे० ) प ११५० ओवक्कमिया ( औपक्रमिकी ] प ३५ | १|१:३५ ।१२, १३ ओमिय (ओमिक) ज २०४, ५ ओयवेऊण - ओहडिय ओवन ( औपम्य ) प २६४।१८ ओवम्मसच्च ( औपम्यसत्य ) प ११।३३।१, ११:३३ / ओवय ( अव + पत्) अवयंति ज ५।५७ ओयवमाण (अवपतत् ) ज ५१४४ ओववाइय ( औपपातिक) ज २१८३५।५७ ओवाय (अवपात) ज २२३८ ओवासंतर ( अवकाशान्तर ) प १५१५१ ओविय (दे० ) ज ३६,२४; ५१२१,२८ / ओक्क ( अव + ष्वप्क् ) ओसक्कति प १७ १५२, १५५ ओसक्कत्ता ( अवष्वष्क्य) सू १०।१४८ ओसण्ण ( अवसन्न ) प ६१४,६,८,१०२८१२०, २६,३२,६६ ज २।१३३,१३५ से १३७ उ ३।१२० ओसण्णविहारि ( अवसन्नविहारिन् ) उ३।१२० ओसत्त ( अवसक्त ) प २ ३०, ३१, ४१ ज ३७,८८ ओसधि ( ओषधि ) प १०३३।११।४५ ज २३१३१, १४४ से १४६; ३।१३३,२०,२११५ ॥५५, ५६ ओपिणी ( अवसर्पिणी ) ११२७, ८, १०,१२,१६, २०,२७,३२; १८१३, २६, २७, ३७, ३८,४१,४३, ४५,५६,६४,७७, ८३, ६०, ६५, १०७, १०८ ज २११,२,६,७,५२,५६,१३५३१ सू८११; ६६२; १७११;२०१५ ओसरिता ( अपसृत्य ) ज ५।५८ ओसह ( ओषध) उ ३।१०१ ओसही ( ओषधी) ज ४२००११ नगरी का नाम ओसा (दे० ) प १।२३ ओसारिय ( उत्सारित) उ ११३८ ओसोवणी (अवस्वापिनी ) ज ५/४६,६७ ओहय ( उपहत, अवहत ) ज ३३१०५, १०६, २२१ उ १।१५,३५,४१ स े ४४,७१३३६८ ओहस्सर ( ओघस्वर) ज २०१६ : ५|५१ ओहडिय ( अवघटित ) ज १।२४ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओहारिणी-कंतरिय ८६६ ओहारिणी (अवधारिणी) प ११११ से ३ ओहि (अवधिप ११७१७।१०६ से १०८, ११०; ३३।१।१; ३३.१ से १३,१५ से १६, २६,२७,३५ ज २१६०,६३, ३।१२,५६,८८, ११३,१४५, ५.३,७।२१,५८ उ ३७,६१ ओहिणाण (अवधिज्ञान) प ५१५,७,२४,४१,४६, ६७,११५,१७१११२,११३, २०१७,१८,३४; २८.१३६,२६२,६,१७,१६,३०।२,६ ओहिणाणारिय (अवधिज्ञानार्य) प १९६ ओहिणाणि (अवधिज्ञानिन्) प ३।१०१,१०३; ५६४३,६६ मे १६,११४ से ११७; १३।१४; १८१८०२८।१३६, ३०1१६ ज २१७६ ओहिदसण (अवधिदर्शन) प ५१५,७,४५,६७; २६॥३,७,१७,१६,३०१३,७ ओहिदसणावरण (अवधिदर्शनावरण) प २३।१४ ओहिदंसणि (अवधिदशं निन्) प ३.१०४:५।४७, ६६,११७,१८१८७,३०१६ ओहिनाणपरिणाम (अवधिज्ञानपरिणाम) प १३१६ ओहिनिगर (अवधिनिकर) ज ३३१२,८८ ओहिय (औधिक) प २।३४,३७,४२,४३,५०%; ४।५५,६८,७५,६१,६७३,७४;१११८२,८३; १२२६,२८,२६,३२ से ३४,३६:१५.१८, १६,३०; १७।२८ से ३०,३२,३३,३५,५८, ६०,६२,६३,२११३१,३६,४२,४४ से ४७, ६१,७०:२२१२४,२३।१७६,१८१,१६५,१६०, २६१५ कओ (कुतस्) प ६८२,६३,१११३०११ ज ७।३१ कंक (कक) प १७६ ज २११३७ कंकरगहणी (कङ्कग्रणी) ज २०१६ कंकडग (कंकटक) ज ३1३५,१७८ कंकण (कडकण) उ ३।११४ कंकावंस (दे०) प ११४११२ कंग (कङ्गु ) प ११४५१२ ज २१३७,३।११६ कंगुया (कंग) प ११४०१२ कंचण (काञ्चन) ज ११३७२११५,७०,३११२, २४,३५,८८,१०६.११७:५१५८,७१७८ कंचणकूट (काञ्चनकूट) ज ४।२०४११ कंचणकोसी (काञ्चनकोशी) ज ३१७८ कंचणग (काञ्चनक) ज ४।१४२२१ कंचणगपव्यय (काञ्चनकपर्वत) ज ४।१४२ ६१० कंचणपुर (काञ्चनपुर) प ११६३१ कंटक (कण्टक) ज ४।२७७ कंटकबहुल (कण्टकबहुल) ज ११८ कंटग (कण्टक) ज २६३६ कंटय (कण्टक) ज ३१२२१ कंठ (कण्ठ) ज ५।५६७।१७८ कंठाणुवादिणी (कण्ठानुवादिनी) सू ११४ कंड (काण्ड) प २६४१ से ४३,४६ कंडावेलु (कण्डावेणु) प ११४१।२ कंडुइय (कण्डू यित) ज १११३३ कंडक्क (कंडुक) प ११४८१५०,६२ भिलावा, तमाल कंडुरिया (कंडुर) प ११४८१२ एक तरह का सरकंडा कंत (कान्त) प २१४१,२८।१०५ ज २।१५,६४, ६५;३।६२,११६,१८५,२०६:५।२८,५८ सू २०१४ उ ११४१,४४,३।११२,१२८,५२२ कंततर (कान्ततर) ज २११८,४।१०७ कंततरिय (कान्ततरक) प १७११२६,१२७,१३३ ___ से १३५ ज २११७ कंतत्त (कान्तत्व) प ३४।२० कंतयरिय (कान्ततरक) प १७१२८ क क (किम् ) प ११ ज ११४५ सू ११६ उ ११४ कइ (कति) प १५१५३,१५।१४१,२२।४०,४१, ६०,२५१४ ज ११३४,४१२१४ चं ११.३ सू ११६।१,३ उ ११६; २।१,४।१ कइविह (कविविध) प १६११:२११७,१३,३०२ __ ज २।५७११०४,१०५,१११ से ११३ कइरसार (करीरसार) प १७११२५ Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० कंतस्सरता-कट्ट कंतस्तरता (कान्तस्वरता) प २३११६ कंति (कान्ति) ज २६५:३।१८६,२०४ कंद (क-द) प ११३५,३६,४८७,११,२१,३१,३५, ६१,१११०१,१२८ ज ४७ उ ३३५०,५१,५३ कंदप्प (कन्दर्य) १ १४१ कंदपिय (कान्दर्पिक) २०१६१ ज ३।१७८ कंदमाण (क्रन्दत्) उ ११९२३.१३० कंदमूल (कन्दमूल) प ११४८१८,६१ कंदर (कन्दर) ज २१६५ ; ३१३५ कंदल (कन्दल) ज ३३५ कंदलग (कन्दलक) प ११६३ कंदील (कन्दली) प ३७२,१।४३३१ कंदली (कंद) (कन्दलीकन्द) प ११४८०४३ कंदलीथंभ (कन्दलीस्तम्भ ) प १११७५ कंदाहार (कन्दाहार) उ ३.५० कंदित (ऋन्दित) प २१४१ कंदिय (ऋन्दित) प २।४।१ कंदु (कन्दु) उ ३१५० कंदुक्क (कंदुक) ब ११४८.५० कंपण (कम्पन) ज ३।३५ कंपिल्ल (काम्पिल्य) प ११९३२ कंबल (कम्बल) प १५१११२,१५१५१ कंबु (कम्बु) प ११४८३ कंस (कांस्य) प १११२५ ज २।२४,६६ सू २०१८ कंसणाभ (कंसनाभ) सू२०१८, २०१३ कंसताल (कांस्यताल) ज ३।२१ कंसवण्णाभ (कांस्यवर्णाभ) सू २०१८ कसोय (कंसीय) प १११२५ ककुह (ककुद) ज ७।१७८ कक्कस (कर्कश) उ ३१९८ कक्केयण (कतन) ज ३१३५,१०६ कक्कोडइ (कर्कोटकी) प १४०।२ कक्ख (कक्ष) ज० २।१५ उ० ३।६८ कक्खंतर (कक्षान्तर) उ ४१२१ कक्खड (कवखट) प ११४ से ६; २।२० से २७; ३११८२,५५,७,२०६ से २०८:१३।२६) १५११४,१६,२७,२८,३२,३३,२३३१०२८९ १०,२०,३२,५५,५६,६६ कच्चायण (कात्यायन) ज ७१३२१४ सू १०।११७ कच्छ (कक्ष) ज ४।२४८ कच्छ (कच्छ) ज १८१,४।१६२२१,१६७,१७२।१, १७७,१७८,१८१,१८४,१८७,१६०,२००; ७.१७८ कच्छकूड (कच्छकूट) में ४।१६३,१६४,१८० कच्छगावइ (कच्छकावती) ज ४।१८५ से १८६ कच्छगावइकूट (कच्कावतीकूट) ज ४।१८७ कच्छगावती (कच्छकावती) ज ४११८७ कच्छभ (कच्छप) प ११५५,५७ ज २११३४; ४१३,२५ सू २०१२ कच्छभी (कच्छभी) ज ३।३१ कच्छविजय (कच्छविजय) ज ४।१६३,१६६,१६६ कच्छा (कक्षा) वराही नामक पौधा, भींगुर प११४६,११४८१६२ कच्छ (कच्छू) ज २११३३ कच्छुल (कच्छुरा) प ११३८१२ कच्छुरी (कच्छुरा) ५१३७११ कज्ज (कृ) कज्जाइप २२।१०,१५,१६,१८,४८, ५०,५२,६७ से ६६,७२,८२,६१ से ६३,६८, ६९ ७५२,५३ कज्जति ११७।११,२२, २३,२५,२२।५१,७१,७३।७४ कन्जति प १७१२५,२२१६,११ से १४,१७,१६,४८ से ५०,५२ से ५६,६१ से १५.६७ से ६६,७१ से ७४,७६ से ७६,८१,६१,६४,६७ से ६६ कज्ज (कार्य) सू१०११२० उ ३।११,५१,५६ कज्जल (कमल)५१७४१२३ कज्जलप्पभा (कज्जलप्रभा) ज ४।१५५।२, २२३०१ फज्जोक्य (कार्योपग) ज ७१८६।२ सू २०१८; २०१८२ कटु (कृत्वा) प ११७० ज श६४ सू १२०, २१ उ १११७ Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कटु-कण्णपाउरण कट्ठ (काष्ठ) प ११४८ । ३० से ३७ ज २६५, १६,२८,१३१, २०१८ ५१५, १४ से १६ उ ३५०, ५१ कपाउयार (काष्ठकाकार) १६७ कट्ठमुद्दा (काठमुद्रा ) उ ३।५५,५६,६३,६४,६७, ६८,७०,७१,७३,७४,७६ कट्ठेसेज्जा (काठच्या ४५४३ कट्ठा (काष्ठा) सू २२६२३:११९११ से ३ कट्ठाहार (काष्ठाहार ) प १०५० कड (कृत ) प २०१३९; २३।१३ से २३ ज १११३, ३०,३३,३६:२०७१४२१२।२६,१० से १२१।२७,१४० कटक्छ (कटाल) १७ कडग (कटक) २०३०३६,६,१७,२६,३६, ४७,५६,६४,७२,६७,१०१,१३१, १३५,१३८, १४५,१५०, १६१,२११,२२२:५०२१,५८ उ ५।५ कहय ( कटक) प २०३१,४१,४१ ज ११२,३३६५, १५९,४१६ कडाह ( कटाह ) प १४४६ कटाहवृक्ष कडि ( कटि ) ज ३|१७८७३१७८ उ ३।११४ कडित (कटिसूत्र) ३२.२२२ कमी (कट्कतुम्बी) १७१२० कडुगलुंबीफल ( कटुकतुम्बीफल ) प १७।१३० (दे०) १४४०४११३९,२४२ (०) २०११.१२.००४१२१२३ ५।५५,५७,५८ उ ३५०, ५५ ४५.७.२०१ २८३२०,३२,६६, ज २०१४५७।११२१२ मू १०।१२।२ कठिण ( कठिन ) उ ३१५० कण कण ) सू २०14 कमर ( करवीर ) प ११३८ ।१ ज २११० कणिकार का पेड कणकण ( कणकण ) ज ५।२४ कहुय (कटुक) प १४ से कणकण (कणकणक) सू २०१८ कणग (दे०) ज ३३३५ बाण कग ( कनक ) प ११५१ २२४०२८६ २४८ ज ११५.१६,२८ २११५,६४,६८,६६ ३६, २४,३५,५६,८१,१४४.१००, २११,२२२६ ४११०,१११: ४१२१०१.२१७ ५५८ ७१७८ कणगमय ( कनकमय) २०१६७१२ कजगरयणदंड (कनकरत्नदण्ड) ज ३।१०६ कणगसणाम ( कनकसनामन् ) ज ७।१८६१ स २०१८१ कणगामई ( कनकावती) ज ४१७,१५,२४५ कणगामय ( कनकमय ) ज ११४६, ३११०६, १६७ ४११, ११०,१५६ कणगावलि ( कनकावलि) ज ३१२११ कलय (कनक) प १२४१२ ला धनूरा क (दे०) ज ३।३१ कणय (दे०) सू २०१६ एक ग्रह का नाम horiडियार ( कनकदण्डकार ) ज ३।३५ कणयमय ( कनकमय ) ज ११४६ । १ कविता ८७१ (कवितानक) सू २०१८ ग्रह का नाम ताण (कनकसंतानक) सू २०१८ ग्रह का नाम कणवीर (करवीर' ) ज २११५, ३११२,८८,५५८ कणिक्कामच्छ ( कणिका मत्स्य ) प १५६ trotra ( कनीयस् ) उ ११६५ कण्ण (कर्ण) ज २१४३,६४, ५१२६,३८,७१७८ उ ३।१०२ कण्णकला (कणकला ) सू १/८/१२/२ कण्णगा ( कन्यका) उ५।१३,२५ कण्णत्तिय (दे० ) प ११७८ कण्णपाउरण (कर्णप्रावरण ) प ११८६ १. हे० १०२५३ Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७२ कण्णपीढ-कतिविह कण्णपीढ़ (कर्णपीठ) प२३०,३१,४१,४६ ७,६,११,६।१२,१६,२५,१०१३ से ५,२६, कण्णमूल (कर्णमूल) ज ५११६ २८,२६११७६,६०,१५:१३,१६,२६,२८, कण्णा (कन्या) ज ३१३२ ३१,३३,६४,१७१५६ से ६६,७१ से ७६,७८ कण्णायत (कर्णायत) ज ३।२४,१३१ से ८३,१४५,१४६,२०१६४;२१११०४,१०५; कण्णायय (कर्णायत) उ ११२२,१४० २८१४१,४४,७०,३४१२५:३६।३५ से ३७,३६ कण्णिमा (कणिका) ज ४७ से ४१,४८,४६ सू १३१६,८,१०,१३,१८१७, कणिया (कणिका) प ११४८१४५ ज ३२११७; ४१८,१५,१६ कति (कति) प ६१२०,१२१:८1१ से ३,१०११ कणियारकुसुम (कणिकारकुमुम) प १७१२७ ,१५,१११३०१११११४२,८८,१२११ से ५; कणिलायण (कणिलायन) सू १०६५ १४.१ से ३,५,११ से १४,१७; १५३१११, कण्णिल्ल (कणिल) ज ७१३२१६ १५.१,१२,१७,१६,२०,२५,३०,५४,५६, ५७,७७ से ८०,१३३,१३४,१७१३६ से कण्ह (कृष्ण) प ११४४१३:११४८१७,११६३१६; ४०,११२ से ११४,१२६,१३६,१३७, २।२०:१७।२६,५६ से ६६,७१ से ७६,८१ १४७,१५६,१५७,१५६ से १६१,१६३; से ८७,९४,१०० से १०४,१०६,१०६,११२, २१।१,६५,६६,२२११,२१ से २३,२६,२७, १६६,१६७,१६६ से १७२ उ १७; ५१६,१५, २६,३०,३२ से ३६,४२ से ४७,५७,६६,८३, १७ से १६ ८४,८६,८७,८६,६०२३११।१,२३३१,२,६,७, कण्ह (बल्ली) (कृष्णवल्ली) प १४०।३ २४,२४११ से ५,१० से १५:२५.१,२,५; कण्हकंदय (कृष्णकंदक) प १७।१३० २६.१ से ४,८,९,२७११ से ३,५,६:२८।३१; कण्हकडबु (दे०) प १४८।३ ३६।१,४ से ७,४२,४३,५३,५४,५८,६२ से कण्हलेस (कृष्णलेश्य) प १३३१५; १७१८३,६२, ६४,७७,७८ ज ११५,४।२६० चं ॥३,५ ६४,६५,१०३,१०४,१०७,१०८,१२१,१२६, सू ११६१३,१।९१ से ३:१०।८ से १६,६३ से १७०,१७२,१८१६६,२३:१६५,२०० ७४,७६,१२११,१३१४,५,१५ से ३७,१८११४ कण्हलेसट्ठाण (कृष्णलेश्यास्थान) प १७।१४६ से १७१६१ कण्हलेसा (कृष्णलेश्या) प १७:१२१:२८११२३ कतिपएसिय (कतिप्रदेशिक ) ११५१११,२४ कण्हलेस्स (कृष्णलेश्य) प १३३१४,१६ कतिपदेसिय (कतिप्रदेशिक) प १७१४० कण्हलेस्सट्ठाण (कृष्णलेश्यास्थान) प १७:१४६ कतिप्पगार (कतिप्रकार) प ११।३०।१ कण्हलेस्सा (कृष्णलेश्या) प १३३१४,१६,१६१४६, कतिभाग (कतिभाग) ५२८1१।१,२८।२२,३४,३६ ५०;१७१३६,३८,३६,४१,४३,४७,५०,८२, ११४ से ११६,११८,१२१,१२३,१३०,१३६ कतिभागावसेसाउय (कतिभागावशेषायुष्क) से १४५,१४७ से १५०,१५६ से १६४ प६११४ से ११६ कण्टलेसापरिणाम (कृष्णलेश्यापरिणाम) ११३१६ कतिविध (कतिविध) प ६१११८,१७१३६ कण्हसप्प (कृष्णसर्प) प ११७० सू २००२ कतिविह (कतिविध) प ५।१,१२३ से १२५; कत (कृत) प २८११०५,३४११६ सू २०१७ ६।११६६।१,१३,२०,२६:११॥३१ से ३७, कतर (कतर) प ३३८ से ४८,५० से १२०,१२२ ७३,८६,१३१ से १३,२१ से ३१,१४७,६; से १२४,१७४,१७९ से १८२६।१२३,८१५, ११५८ से ६०,६२,६३,६५ से ७४,७६; Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कतिसमइय कब्बडय १६१२,३,१७,१६,२०,२०६२ २१।२ से ६, मे १२, १४, १५, १६,२०,४६,७२, ७५ से ७७,६४,२२१२ से ६; २३३१११,२३।१३ से २३, २५ से ४७,४७ से ५६; २६।१ से ३, ५ से ७,६,१०,१२,१३,३०१, ३, ५ से ११,१३; ३३।१,३४।१७:३५ १,४,६,८,१०,१२,१६ ज २१ से ३४।२५४,२५५ सू १०।१२६; २०१३ कतिसमय ( कतिसामयिक ) प १५१६१ : ३६२, ३,८४,८५ कतो ( कुतस् ) प० ६।७० सू ४/४ कत्तिई (कार्तिकी) ज ७ १४०,१४४,१४६ सू १०/२६ कत्तिगी (कार्तिकी) ज ७।१३७,१५५ कत्तिम (कृत्रिम) ज २।१२२, १२७, ४११००, १७० कत्तिय (कार्तिक) ज ७।१०४,११३११,१३७ उ ३१३,४० कतिया ( कृत्तिका ) ज० ७ १२८, १२६,१३६, १४०,१४४,१४६,१५,१६० सू १०।१ से ६, ११,२३,३६,६२,६६,६७,७५,८३,१०१,१२०, १२४,१३१ से १३३,१२/२८ कत्तिया ( कार्तिकी) सू १०1७,११,२३,२६ कत्तो ( कुतस् ) प ६।१।१६।७५,७८,८०,८१,८७, ६०,६४,६६ ज ३।१२७ कत्थ (कुत्र ) प २१६४२ कत्थइ ( कुत्रचित् ) ज २ ६६ सू २०१७ कत्थुल ( कस्तुल) ज २।१० कवलीथंभ (कदलीस्तंभ ) प ११।७५ कद्दम ( कर्दम ) ज० ३।१०६ उ ११३६ कदुइया (दे० ) प ११४०१२ ai ( कथं ) सू १९ । २४ कथ्य ( कल्प ) प ० २११,४,१०,१३,५० से ५६, ५६१२२३६०,६३,३।२६ से ३६, १८३४।२१३ से २४०, २४३, २४६, २५८, २६४,६२८,६५, ६८,१०६,२०१६१,२११७०, ६१,६२,३०।२६; ८७३ ३४/१६,१८ ज ५।१८, २४ मे २६, ४४, ४६ उ २२०, २२ : ३१६०, १२०, १५६, १६१,४/५, २४.२८ v कप्प ( कृप् ) – कप्पइ उ ३।५०,४१२२कप्पेंति ज ५ १३,१८,२४,२५ Veer ( कल्पय् ) कप्पेह उ५११८ कप्पकार (कल्पकार ) ज ३१११७ कपणा (कल्पना) ज ३१३५ कप्पणी (कल्पनी) ज ३१३१ कप्पणिrयि (कल्पनीकल्पित) उ ११४६ कपरुक्ख (कल्पवृक्ष,कल्परूक्ष ) ज ३६, २११,२२२ कप्परुषखग (कल्परूक्षक ) ज ५।५८ पडसिया (कल्पातंसिका ) उ ११५ : २११ से ३,१४,१५,२१,३११ कपाईय (कल्पातीत ) प १।१३८ कप्पातीत (कल्पातीत ) प १।१३४; २१ ५५,७१ कप्पातीतग (कल्पातीतक ) प ६६५,६२ कप्पातीय (कल्पातीत ) प १११३६, २१।६२ कपाससमजिया (कार्पासास्थिसमज्जिका) प ११५० कप्पासिय ( कार्पासिक ) प १६६ कप्पिद ( कल्पेन्द्र ) प १५५५।२ कप्पिय (कल्पित ) ज ३३६,२२२ कप्पूरपुड ( कर्पूरपुट) ज ४११०७ कप्पेत्ता ( कल्पयित्वा ) ज ५।१२ कप्पेमाण ( कल्पमान) ज १।१३४ कप्पोवग ( कल्पोपग ) प १।१३४, १३५ ६८५ ८६, ६५; २१।५५ कप्पोववण्णग (कल्पोपपन्नक) ज ७ ५५ सू १६१२३ २६ बंध (कवन्ध ) उ १११३६ कब्बड (कर्बट) प १।७४ ज २१२२,१३१,३११८, ३१, १८०,१८५,२०६,२२१ उ ३१०१ कब्बडय ( कर्बटक) ज ७ १८६२सू२०१८, २०१८/२ Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७४ कम-कयपुण्ण कम (क्रम) ज ३।३१,१०६,२१७ ; ४१२०२,७१३० कम्मपगडि (कर्मप्रकृति) प १४।११ से १४,१७; सू १६२२।१४ २२।२१ से २३.२८,८३,८४,८६.८७,८६, किम (क्रम्) कमइ २१६, ४।२०२७।१३० ६०।२३।१ से ५,२४,२४।१ से ५.१० से १५; कमंडलु (कमण्डलु) ज २०१५ उ ३१५१११ २५.१.२.४५,२६।१ रो ४८६;२७११ से ३, कमल (कमल) ज २११५,३१३,६,१८८,२०६, २१०,५।२१,५६ उ १११५,३५,३१६८ कम्मबीय (कमबीज) प ३६।१४ कमलमाला (कमलमाला) उ ११३५ कम्मभूमग (कर्मभूमिक) १११८५,८८,१२६; कमलागर (कमलाकर) ज ३।१८८ ६।७२,८४ ६७.६८,११३,२११५४,७२ कमलामेल (कमलामेल) ज ३.१०६ कम्मभूमग (कर्मभूमिज) य २३।२०० कम्म (कर्मन् ) प १११६:२१६४।२५,३।१७४; कम्मभूमगपलिभागि (कर्मभुमिकपरिभागिन्) १११८६; १७।१।१:१७११८:२०१३६; प२३।१६६,१६६ स २०१ २१११०२:२२२६,२७,२३१३,६,७,६ मे ११, कम्मभूमय (कर्मभूमज) प ६७६;१७।१५६,१६१, १३ से २३,२५,२६,२६ से ४१,४७,४८,५७ १७१,२३।१६६.१६६ से ६४,६६,६८,६९,७३ से ७७,८१,८३,८५ कम्मभूमि (कर्मभूमि) प १।७४,८४,२७,२१ से १०,६२,६३,६५ मे १६.१०१ से १०४, कम्मभूमिग (कर्मभूमिज) प २३१२०१ १११ से ११४,११६ से ११८,१२७,२३०, कम्मय (कर्मक) प १२०१ से ५,३५,३६,२१११ १३१,१३३ से १३५,१३७.१३८,१४२,१४३, काम कम्मवेदय (कर्मवेदक) प १३१६६ १५५,१६१,१६५,१६७,१७१,१७६,१७७, कम्मसरीर (कर्मशरीर) प १२८ १८२,१८३,१८७.१६१ से २०१:२४१२ मे ५, कम्मा (कर्मक) प १२।२५२११०२ ११,१२,१४:२५।२,४,५,२६१२ से ४,८,९ कम्मार (कार) ज २६ २७२,३.६:३६।८२,८३३१,३६॥६२ ज १२१३, कम्मारिय (कार्य) ९२,६६ ३०,३३,३६; २१५१,५४,६४.७०,१२१.१२६, कम्मासरीर (कर्मकशरीर) ५ १६।१ से ८.१० से १३०.१३८,१४०,१४६,१५४.१६०.१६३ १ ५.१६ ३।३।२,३५,१२५.१६७७.१७८,२११,२२३; कम्मिया (काभिकी) उ११४१,४३ ४।२७।११२।३ सू १०११२६।३२०११,२, कम्हा (कस्मात् ) ज७३८ २०१६।३,५ उ ११२७,१४० कय (कृत) २।३०,३१,४१ ज ३६,१८,५८, कम्मंस (कमांश) ५३६१२,६२ ६६.७२.७४.७७८१.८२,८५,६२,६३, कम्मकर (कर्मकर) ज ३।१७८ ११७११,११६ १२१,१२५,१४७,१८० २२१, कम्नखंध (कर्मस्कन्ध) प ३६।९२ २२२.२२६; १२६,५६ उ ११६,७०,८८, कम्मग (कर्मक) प १२।१४.२१,२६,२६; २१६६, ६२.१२१३४८,५०,५१,५६,११०,५१७ १०५:२३।४१,४३,४४,३६।१२ कयंब (कदम्ब) प ११३६।३ कम्मगर (कर्मकर) ज ५१५७ कयकज्ज (कृतकार्य) सू २०१७ कम्मगसरीर (कर्मकारीर) प १२११०,१६.१५, कयग्गह (कच ग्रह) ३।१२,८८,५७,५८ १८.२१:२११६४.१०० १०३ से १०५,३६।८७ कयत्य (कृतार्थ ज ५१५.४६ उ २३४ कम्मगारोरि कर्मकशरीरिक प २८।१४१ कयपुण्ण (कृतपुण्य) उ १३४ Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कयमाल-करीर ८७५ कयमाल (कृतमाल) ज २१८, ३७१ से ७४,७६, १६।५०; ३६१८२११३६८५,६२ ज २१६६, ८४ ११७ करेमि ज २।९०३।२६,३६,४७,५६ . कयमालक (कृतमालक) ज ३७१,१५० १३३,१४५ ; ५३२२ उ १।४२ करेमो कयमालय (कृतमालक) ज ११२४,४६, ६.१६ ज ३।११३,११५,१३८,५१३ करेसि उ ३७६ कयर (कतर) ३१४६; १७।१४४ ; २२६१०१, करेस्सामी उ ३१२६ करेह ज २११४,३७, ३६।३८ ज ७।१२६,१७५,१८०,१८१,१६७ १२,२८,४१,४६,५८,६१,६६,७४,१४७,१६८ सू १०।२ से ४,७५,७७,१३३ से १३ करेहि ज ३।१८,१६.३१,५२.६६,६६,१४१, १८१८,१६ १६४,१८० सू३।१०३ करेहिइ उ ३१२१ करेहिति ज २११५१.१५७ उ ३११२६ काहिइ कयलक्खण (कृतलक्षण) उ ११३४ उ११४१३१८६ कीरइ उ ५।४३ कयलोखंभ (कदलीस्तंभ) ज २११५ कर (कर) ज २११५,७१, ३१३,१३८ उ १।१३६ कयलीहर (कदलीगृह) ज ५।१४ करंज (करञ्ज) प ११३५१ कंजा जिसके फल कयलीहरम (कदलीगृहक) ज ५११३ आदि दवा के काम आते हैं कयवर (कचवर) ज २।३६, ५५ करंडग (करण्डक) उ ३३१२८ कयविहब (कृतविभव) उ १२३४ करंडुग (दे०) ज २०१६ कया (कदा) ज ७४१२५ च १४ सू ११६।४;१४११ करंत (कुर्वत्) उ १८८,१२ कयाइ (कदाचित् ) ज ११४७३।४,८३,१०४, करकर (करकर,अकरकरा) प ११४२१२,११४८।४६ १५४,१७२,१८८,२२२,२२६, ४।२२,५४, अकरकरा १०२ उ २१४३१४६,४।२१,५१३ करकरय (करकरक) सू २०१८18 कयाई (कदाचित् ) उ१८ करकरिय (करकरिक) सू २०१८ कर (कृ) अकासी ज २१८४ करवाणि ज ३१३२११ करण (करण) ज १११३८१३२१२६,२०६; करण करिस्सामि ज १६,५१४६ करिस्सामो ५१५; ७११२३ से १२६ ज ५१५,७ करेइ प ७४३६८८ ज १६; करतल (करतल) ज ३१२०६ १६५.६०३३५,६,१२,१८ १६,३१.३२१२, करधाण (करध्मान) ३१३१ ४६.५२,५२ ६१,६२ ६६,७०,८८,६५.१००, करमद्द (करमर्द) प ११३७।४ करौंदा,आंवला १३१,१३७.१४१ १४२,१५६,१६४,१६५, करय (क रक) प ११२३ १८०,१८१.२२४; १२१,२६,४४,४६ ४८ करयल (करतल) ३१५,६,८,१२,१६,२६.३६, सू २११ उ १।१६,३१५१:४।१३ करेंति ४७,५३.५६,६२६४,७०,७२,७७,८४,८८, प १८४, ६।११०.२०१६ से ८३४।१६,२१ ६०,१००,१०५,११४,१२६,१३३,१३८ १४२, से २४ ज ११२२,२७,५०; २।१०.५८,१००, १४५,१५१,१५७ १६५,१८१.१८६,२०५, ११५.११६,११८,१२०,१२३,१२८, ३११३, २०६:५१५७,,२१,४६,५८ उ १११५,३५, २८,४२,४७,५० ५६,६७,७५,६२.११६,१३६. ३६,४५.५५.५७,५८,६१,६२,८०,८२,८३ १४८ १६६.१८४,२११, ४।१०१,१६६.१७१; ८६,८७,६६,१७,१०८,११६,११८,१२२; ५५.७,१४,१६,४६.५७,६०,६६,७४ ३६८,१०६,११४,१३८,१४८,४११५,५।१७ सू २१ उ११६३ करेजा प२०११ से ४,१८, करयलपुर (करतलपुट) ज ५११४,१७,६०६६ ४०,४४,४६,४८ ज ५७, करेति प ११७१ करिय (कृत्वा) ज ५१५८ Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७६ करिए (कर्तुम् ) प २८।१०५५।२२ करीर (करीर ) प १०३७२४ करील करें (कुर्वत्) २४६५ करेलए ( कर्तुम् ) प ३४।११, २१ से २४ ज २११० उ ३।११५ करेत्ता ( कृत्वा ) प ३६१६२ ज ११६ सू २११ उ १११६; ३ ७ ४।१३ करेभाण ( कुर्वत्) ज २२६५, ७८ ३२२, २८, ३१, ३२,३४ से ३६,५४,७८,८६,६३,६६.१०२ १०६,१११.११३,१३७, १४३, १५६, १६२. १६३,१००, २०४ से २०६,२०८.२०१,२२३ उ १।२२,६५,६६,७१,९४,१११, ११२.१३८, १४० ३।५० कल ( कल ) प १२४५०१ ज २२७ सामवृक्ष कलंकलोभाव ( कलंकलीभाव ) प २२६४ कलंबुया ( कदम्बक ) प ११४६; १५/२,१८ सू ४१३, ४,६,७,६,१६१२२१२, १५, ११/२३ कलकल ( कलकल ) ज २२६५; ३।२२,३६,७८,१३, १२.१०६.१६३.१८०७ ४५.१७८ सू १६ २३ उ ११३८ कलकुसुम ( फल कुसुम) प १७।१२५ कलताल (कलताल ) ज ३१३१ कलस (कलश) प २।३०,३१४१ ज २११५; ३१७८, २०६४।२६ ५५६ से ५० उ ३।५१.५६ कलह ( कलह ) प २।४११२२।२० ज २१४२.१३३ कलहंस ( कलहंस ) प १।७२।१२ कला (कला) ज २१६४७११३४।१ सु १०।१४२, १४७, १२।३० उ ५ १३ कलाव (कलाप ) प २१३०, ३१, ४१; १५/२६; २११२५३७,८६,११७ कलिंग (कलिङ्ग) प १।२३११ कलिद (कलिन्द ) प १४९४९१ कलिय (कलित ) प २०२०२१४१,४८ ३३१०, १५.६५३७ १२.१५, २१.२२.२८, ३१. ३२२.३४ से ३६,४१ ४९,४८,६६,७४,७७, करिए कसरि ७८,८५,६१,१४७, १६८, १७३, १७५, १८४, १६६.२१२,२१३ ४।२७, ४९ १६६५०७ २८,४३ सू २०१७ उ १।१२२३५।१८ कलय (कलुक ) प १४४६ कलुस (कलुष) २।१३१ कलेवर ( कलेवर ) प ११८४ २०८१ कल्ल ( कल्य) ज ३३१८८३३१४८, ५०, ५५,६३, ६७,७०,७३, १०६,११० कल्लाण (कल्यानी ) प ११४१२ जंगली ३३८ कल्लाज (कल्याण) ज १।१३,३०,३३,२६६ २/१८,६४,६७,४१२ सू १८।२३ उ १११७, ४१, ४४; ५।३६ कल्लाग ( कल्याणक ) प २ ३०, ३१, ४१, ४६ ज ३६,२२२ कल्हार (कल्हार ) प १।४६ सफेद कोइ, एक पुष्प कवठ ( कपट) ज २११३३ कवय (कवच ) प २१६४२१ ज १।३७६३।३१. ७७.७६, १६, १००,१०१, १०७,११६,१२४ उ ११३८ कवाड ( कपाट ) प २१८,३०,३१,४१ ज ११२४; ३३८५०,१०२,१५४ से १५७. १६२.१६७/१२ कविजल ( कपिञ्जल ) प १७६ कविट्ठ ( कपित्थ ) प १०३६ १६ १६ ५५ १७११३२ ज ३।११९; ७।१७६ कैथ कविट्ठाराम ( कपित्थाराम) उ३।४८, ४५ कवित (कपिल) ज २११२,६५,१३३ कविलय ( कपिलक) सू २०१२ राहु का नाम कविसीस ( कपिशीर्षक) ज ३११३४।११४ atara ( कपिशीर्षक) ज ४।११४ कवोय ( कपोत ) प १।७६ ज २।१६ कवोल ( कपोल) ज २।१५ कव्व ( काव्य ) ज ३ | १६७|१० कस ( कष) ज २२६७; ३११०६ कसरि (दे०) सू १० १२० Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कसाय-कामभोग कसा ( कषाय ) प १।१।५, १४ से ६; ३ १११ ; ५१५, ७, २०५ १४१, २, १८ १ १६ २३६८, १४०, १८३, १८४; २८१३२,६६,१०६।१; ३६।१।१ ज २।१४५ कसायपरिणाम ( कषायपरिणाम ) प १३१२, ५, १४ १६ कसायवेयणिज्ज ( कषायवेदनीय) व २३१७,३४, ३५ कसायसमुग्धात (कपायसमुद्घात ) प ३६।६५ कसायसमुग्धाय (कपायसमुद्घात ) प ३६।१४,५, ६,७,२१,२२२८,३५ से ४३,४६, ५३ से ५८ साहिया (दे० ) प १३७१ कसिण (कृष्ण) प २१३१ ज २११५ कणिपुग्गल ( कृष्णपुद्गल ) सू २०१२ करुया (कशेरुक ) प ११४६ एक तरह का घास कह (कथं ) प २३|१|१ कह ( कथम् ) कहेइ उ २ १२ कहं ( कथं ) ज ७ ५६ चं २२४ सू ११६ उ १।७२, ३३७८ कहग ( कथक) ज २३२ कहा ( कथा ) उ १।१७,५७,८२,६६, १०७, १२७; ३।१३, २६, १४७, १६०, ४|११ ५११५,३८ कहि (क्व ) प १।७४ ज १७ कह (क्व ) प ६| ज २११८ चं २२ सू ११६।२ उ ११२५ कहिचि ( कुत्रचित् ) उ३।१०१ कहिय ( कथित ) ज ११४ चं हसू ११४ उ १२ काइय ( कायिक ) ज २१७१ काइया ( कायिकी) प २२।१२,२२१४५ से ५०,५३ से ५६ काउ (कापोत) प १३६,१७१२२ काउं ( कृत्वा) उ३।१११ ; ४ १६ कगणिरयणत्त ( काकिणीरत्नत्व) प २०१६० काणण ( कानन ) ज २१६५ काव्य (कर्तव्य) ५।१६१,१७६;६।५६,६६, ७४ से ३८,८०,१११ कामंजुग ( कामयुग ) प ११७९ कामकाम ( कामकाम ) प २२४१ कामकाम ( कामका मिन्) ज २११६ कामगम ( कामगम ) ज ५/४६|३७|१७८ कामगामि ( कामकामिन्) ज २१२२ कामगुणित ( कामगुणित ) प २।६४।१६ काउंबरी (काकोदुम्बरिका ) प ११३६।२ काउलेस ( कापोत लेश्य ) प १७/६२, ९४, ९५, १०३, कामत्थिय ( कामार्थिक ) ज ३३१८५ ११०,१११,१६८ कामभोग ( कामभोग) ज ३२८२,१८७,२१६ ८७७ काउट्ठाण (कापोत लेश्यास्थान ) प १६ । १४६ काउलेसा ( कापोतश्या ) प १७११२१:२८११२३ काउलेस्स) कापोतलेश्य ) प ३६६; १३ १४; १६/४६; १७१३२,५६,५७,५ से ६१,६३,६४, ६६ से ९४,७१ से ७४,७६,८१ से ८५,८७, २४,१००, १०२, १०३,१११,१६७,१८७१ काउलेस्ट्ठाण (कापोललेश्यास्थान ) प १७०१४६ काउलेस्सा (कापतिलेश्या ) प १६/४६; १७३३६, ३७,११७, ११८, १२१, १२२, १२५, १२६,१३२. १३६,१४४, १४५,१५१ से १५३ काउलेसा परिणाम (कापोत लेश्यापरिणाम ) प १३।६ काऊ (कागोती ) प २१२० से २५ काऊण ( कृत्वा) ज ३।१२ काओदर ( काकोदर ) प १७० काओली (काकोली ) प ११४८३५ एक वनौषधि जो अष्टवर्ग के अन्तर्गत है, जीवंती काकंदी ( काकन्दी ) उ३।१७१ काकंध ( काकन्ध ) सू २०१८ २०१८ ३ काग ( काक ) प ११७६ कागणि ( काकिणी ) प ११४० १५ ज ३१६५, १५६, कागणिरयण ( काकिणीरत्न ) ज ३६४, १३५,१५८, १७८,२२० Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७८ कामभोय-काल सू २०१७ उ १११ कारियल्लइ (कारवल्ली) ५११४०।२ करेला कामभोय (कामभोग) ३५२५ कारिया (दे० प ११३७५ कामरूव (कामरूप) प २।४१ कारिल्लय (दे०) सू १०।१२० काय (काक) प ११४७ कारेमाण (कान्यत्) प २।३०,३१,४१,४६,५७ काय (काय) प ११८६३११११,१५१५३,५४,५६, ज ११४५:३११८५,२०५,२०६,२११:५४१६ ५७:१६३१ से ८,१० से १५,१८,१६,२१,५४; उ ५११० १८११११२३३१५,१६,२०,३१,३४१११२ कारोडिय (कारोटिक) ज ३।१०५ जश६७,६१६७ सू१०७४२०१८२०८३ काल (काल) प ११४ से ६४,८४२१२० से २७, कायअपरित्त (कायअपरीत) प १८।१०६,११० ३१ से ३३,४०1८२२४२,४३,४५११:२।४६,४७, कायगुल (काय गुप्त) ज श६८ उ ३६६ ६४,४.१ से ४६,५६ से ५८,६५,७२,७६,८८, कायजोग (काययोग) प ३६।१६ से ८८,६१,६२ ६५,१८,१०१,१०४,११३,१३१,१४०,१४६, कायजोगपरिणाम (काययोगपरिणाम) प १३७ १५८,१६५,१६८,१७१,१७४,१८३,२०७, कायजोगि (काययोगिन्) प ३९६,१३३१४,१६; २१०,२१३,२६४,२६७,२६६:५२५,७,३७,३८, १८१५७; २८॥१३८ ७४,१०७,१२६,१५०,१५२,१५४,१६०,१६३, १६७,२००,२०३,२४२,२४४६।१ से २३, काठिइ (कायस्थिति) प ११।५,१८१११२ २७,४२ से ४५,७।१ से ४,६ से ३०,१११५३, कायपरित्त (कायपरीत) प १८३१०६,१०७ ५४;१२२४,३२,३३,१३।२६;१६१५०;१८१३, कायपरियार (कायपरिचार) १३४।१६ १४,१५,२६,२७,३७,३८,४१,४३,४५,५७, कायपरियारग (कायपरिचारक) प ३४।१८,१६, ५६,६२,६४,७७,८३,६०,९५,१०५,१०७, २१,२५ १०८,११०,११६,११७,१२०,२३:४७,६० से कायपरियारणा (कायपरिचारणा) प ३४।१७ से ६२,१०५,१६३ से १६६,१६८ से २०१; २८१४,६,७,२०,२६,३२,३८,५०,५२,५३, कायमाई (काकमाची) प ११३४४२ मकोय ६६,३६१६०,६१,६७,७१,७२,७५,७६,६३, काययोगि (काययोगिन) प १३।१७ १४ ज १५२,४,५,२६१ से ३,६,४४,४६,५१, कायव्य (कर्तव्य ) प ५११३२,२२६;६।४६,११०; ५४,६६,७१,८८,८६,६१,१२१,१२६,१३०, १३११७,१५।३४,३८,७५,१३६१; २८।११२ १३१,१३३ से १४१,१४६,१५४,१६०,१६३; ज ४।१७२ ३१३,२४,३१,३२,६२,६५,१०३,११६,१३८।१, कायसत्रिय (कायामित) २०६८ १५६,१६७४१,७,१७८,२२४;११,६,८ से कारंडव (कापगड़क) ज २११२ १३,१८,४८,५० से ५२,७।५७,६०,१०१, कारण (कारण) प ८।४,६,८,१०,२८१२०,२६, १०२,१८७,२१० चं ६,६,१० सू १११,४,५; ३२,६६ ज ७।२१४ उ ११३६,११६,१२७; २।२८।११७।११८२५ से ३४;१६।२५; ३।११,२६ २०१७ उ १११ से ३,७,६,१३ से १६,२१.२२, कारभरिय (कारभारिक) ज ३११८५ २५ से २८,५१,६५ से ६७,७६,६३,६४,११६ कारव (कारय) कारति ज ३.१३ कारवेह से १२२.१२५,१४०,१४१,१४४,१४७;२।४,६, ज ३१७ ७,६,११,१६,२२,३१४ से ६,६,१२,१४,१६, कारवेत्ता (कारयित्वा) ज ३७ २१,२४,२५,२७,४०,४८,५०,५५ से ५.७,६४, Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काल-किंपुरिस ७६ ६५,६८,६६,७१,७२,७४,७५,७६,८३,८६, कालिंग (कालिङ्ग) प ११४८।४८ ज ३।११६ ६०,६५,६८,६६,१०६,१२०,१२४,१३१,१३२, कालिंगी (कालिङ्गी) प ११४०।१ १५०,१५५ से १५७,१५६,१६१,१६४,१६८, काली (काली) १११२,१३,१५,१७,१६ गे २४; १६६,४१४ से ६,१०,१६,२४:५१४,१४.२१, १५,६ २४,२५,२६ २८,३६,४०,४१ कारोदधि (कालोद) सू १६।११।१ काल (काल) सू २०१७२०८१५ कालोदहि (कालोदधि १११।२,४ काल (दे० कृष्ण) म १६।२२११६,१८,२० काय कालो) ५ १५१५५,५५५१ सू॥१ कालओ (कालतस्) प १११४८,५१,१२।७.८,१०, कागोषसमुह (कालोदामुद्र) प १६३० १०.१०.२०.०७.२२:१८। ११०,१२ १७, कादिसाय (कापिसाचनः प१७१३४ १६ से ३६,४१ से ४७४६ मे ५१, ५४ से। कास (काश, कास) प ११३७१४ सहिजन का पेड, ५६,६१ से १०,६३ मे १११,११३,११४, एक घास ११६,११७.११६,१२०.१२२.१२३,१२५ से कास (कास), २४३ १२७:३५।४ ज २६६ काम (काश) सू२०१८:२०८।४ कालग (कालक) ३३१८२,१३७,५६,८८,८६, कासपात कामपकाश) ३३५ १०७,५४६,१५०.१६०,१६३,१६,२०० कासव (काश्यप) ७।१३।३ कालगय (कालगत) अ २१८८,८६,३।२२५ कासवगोत (काश्यपगोत्र) उ ११३ उश२२,६२,२।१२,५।३६,४० कासित्ता (कातित्वा) ज २०४६ कालण्णाण (कालज्ञान) ज ३११६७१७ कासी (काशी) १ १९३१ उ १११२७ से १३०, कालनाण (कालज्ञान) ज ३१३२ १३२ कालतो (कालतस्) प १२।२०१८१३,१८,४१, काह (कथय) काहिइ उ २११३,१४३ ४३,६०,६५,२८।५,५१ काहार (दे०) ज७१३३११ कालमास (कालमास) ज २१४६,१३५ से १३७ काहारसंठिय 'काहार'सस्थित) सू१०।२७ उ ११२५ से २७,१४०।३।१४,८३,१२०,१५०, कि (किम) ५११ ज १७चं ॥ १११६ १६१,४१२४।५।२८,४०,४१ कालमुह (काल मुख) ज ३८? फि.कर (विकर) प २१३०,३१,४१ व ३१२६,३६, कालय (कालक) प ३३१८२,५१३६ से ३८,५८ से ४७,५६,६४,९२,१३३,१३८,१४५,१७८ ६०,७३ से ७५,८६,९०,१०६ से १०८,१५०, किचि (किञ्चित् ) २६४।१८ ज १७ १५१,१८१ मे १६४,१६६ से २०४,२४१ से। सू१३१४,२०,२७ २४३,१७११२६ सू २०१२ किंचिविसेशण (किचितविक्षपोन) ११४८; काललोहिय (काललोहित) ३१७४१२६ ४।१,४०,५५,६७,१६७,१६६ सू ११२७; कालहेसि (कालहेपिन्) १५१६६४,५६१,१११६७,८१ काला (काला) १३३ किथुग्ध (किंस्तुध्न) ज ७।१२३ से १२५ कालागरु (कालागुरु) ५ ६१३०,३१,४१ ज २६५; किपज्जवसिय (पर्यवसित) ष १११३० ३।१२:५७,५८ किंपहव (शिप्रभव) प ११।३० कालागुरु (कालागुरु) ज ३३७,८८ सू २०१७ किंपुरिस (frपुरुष) प १११३२,४१,४५, कालायस (कालायस) ज ३।१०६,१७८ ४५।२ ज ३१११५,१२४,१२५ Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म८० किसठिय-कीलंत किसठिय (सिंस्थित) १११३० किण्हा (कृष्णा) ज ११२३,२११२ किसुय (किंशुक) ज ३।१८८ किण्हासोय (कृष्णाशोक) प १७४१२३ किसुयपुप्फ (किंशुकपुष्प) ५१७४१२६ किण्होमास (कृष्णावभास) ज ४१२१५ उ ३.४६ किच्च (कृत्य) उ १।६२ कित्ति (कोति) ज ३,१७,१८,२१,३१,६३,१७७, किच्चा (कृत्वा ) ज २१४६ उ १२२५, ३.१४; १८० उ ४।२।१ ४।२४,५२८ कित्ति (कूड) (कीतिकूट) ज ४२६३३१ किच्छ (कृच्छ) ज ३११०८ से १११ कित्तिम (कृत्रिम) ज ११२१,२६,४६, २१५७,१४७, किटिभ (किटिभ) ज २११३३ १५०,१५६ किट्टि (किट्टी) प ११४८।४ कित्तिय (कीर्तित) प १४४८१६३ किट्ठीय (किट्टिया) प ११४८।२ किन्नर (किन्नर) प १११३२,०४१ किढिण (किठिण) उ ३१५१,५३,५५,५६,६३,६४, किन्नरछाया (किन्नरछाया) प १६:४७ ६७,६८,७०,७१,७३,७४,७६ किब्बिसिय (किल्विषिक) प २०१६१ ज ३।१८५ किणा (कथं) प १५१५३ किमंग (किमङ्ग) उ १११७; ३।१०२ किण्णं (किंनं) ज ३११२४ उ १६६ किमिरागकंबल (कृमिरायकम्बल) प १७६१२६ किण्णर (किन्नर) प २।४५,४५१२ ज ११३७; किमिरासि (कृमिराशि) प ११४८६ २१०१३३११५,१२४,१२५,४।२७,५२८ ।। किर (किल) ज २१६ सू २०१६।४ किण्णा (कथं) उ ५२२३ फिरण (किरण) ज २०१५३।२४ किण्ह (कृष्ण) प०४८१६ कालीमीर्च, करौदा किरिया (क्रिया) प १३१६:१७:११,२२,२३, किण्ह (कृष्ण) प २२१ से २७ ज २१३,१४, २५,३०,३३,२२११ से ५,६ से १६,२६,२७, २१७,१२,२३,१६४,४१२६,११४,११६,१२६, २६,३०,३२ से ५०,५२ से ६३,६५ से ६६, २०१,२१५,२४०,२४१ सू १६।२२।१७ ७१ से ७४,७६,६१ से १४,६७ से ८६,१०१; २०१२ उ ३१४६ २६६१०,३६।६२ से ६४,६७,६८,७१,७७,७८ किण्हकणवीरय (कृष्णकरवीरक) प १७११२३ ज ७१५२ किण्णकेसर (कृष्णकेशर) प १७११२३ किरिया (रुइ) (क्रियारुचि) प ११०१११,१० किण्हपत्त (कृष्णपत्र) प ११५१ किरियारइ (क्रियारुचि) प १११०१११० किण्हबंधुजीवय (कृष्ण बन्धुजीवक) प १७:१२३ किलकिलाइय (किलकिलायित) ज ७।१७६ किण्हब्भ (कृष्णाभ्र) ज २१५ इकिलाव (क्लम्) किलावेंति प ३६.६२ किण्हमत्तिया (कृष्णमृत्तिका) १११६ किवणबहुल (कृपणबहुल) ज ११८ किण्हय (कृष्णक) प ११४८।६२ किलेस (क्लेश) चं १।२ सू २०६६ किण्हलेसा (कृष्णलेश्या) प १७:२१ किसलय (किसलय) प ११४८।५२ किण्हलेस्स (कृष्णलेश्य) प ३९६,१७३१,८४; किसि (कृषि) ज २३ २३।१६६ कोड (कीट) प १३५११ किण्हलेस्सा (कृष्णलेश्या) प १७।३७,११६,१२०, 1 कोड (क्रीड्) कीडंति ज ११३०,३३ १२२,१२३,१३६ Vकील (क्रीड्) कोलंति ज १११३४१२ किण्हसुत्तय (कृष्णसूत्रक) प १७/११६ कोलंत (क्रीडत्) ज ३१७८ Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कीलग-कुप्पर ८८१ कोलग (कोलक.) ज ५१३२ कीलण (क्रीडन) प २१४१ कोलायण (क्रीडन) उ १163 से ६६ कीस (स्मिात् ३१५७८२ कीसत (शी शता) प २८१२४,३६,४२,४५,७१ कुंकुन (ककुम) ज ३१३५ कुंकुमपुड (ककुमपट) - ४११०७ कंजर (कुमार) ब ११३७२११०१, ३१३ ; ४।२७; ५२८ कुंड (कुण्ड) म ११॥२५ ज ४।२५,४०,६७,६८, ७१,७५,६०,६२,१३४ ने २७६,१८२,१८३, १८८,१८६१६४६१८ कुंडल (वृण्डल) २१३०,२१,४१,४६.५०%3 १५०५५.? ३.६.१८,२६,६३,१८०, २११,२२२,४१२०२५३१८,२१.६७ सू १६।३१ कुंडलवर (कुंडलवर) सू १६६३१ कुंडलवरोद (कुडलवरोद) सू १६।३१ कुंडलवरोभास (डलबरावनाम) सू १६।३१,३२ कुंडलोद (कुण्डलोद) सू १६६३१ कुंत (कुत्त) प१४१ ज ३।१७८ कुंदग्ग (कुन्नार) उ २१११५,११६ कुंतम्गाह (कुताह) ज ३१७८ कुंथु (कुथु) प १२० कुंद (कुन्द) प १।३।३, २१३१,१७११२८ जरा१०.१५३1३.१२.३५, ८ ५८ कुंद (लता) (वृन्दलता) प ११३९१ कुंदरुक : (दश).२६५,३८८ एक कर __ और उन सिकी तबीयानी है कंदुरुक्क ( वा) ॥ ३०, ३ १ ज ३१७.१८८५13:५८ सू २०१७ कुंभ (कुम) ज ३,५६,१२०,१४५,७१७८ उ १६७ कुंभगत (भा प्रस्) ११०६.११० कंभिक्क (कम्भिक, भात) ज ५१३८ कुंभी (कुम्भी) ज ३१६२ कुक्कुड (कुक्कुट ! प ११५१११,१७६ कुक्कुडि (कृकुटी) उ ११६:३,८४ कुक्कुह (दे.) ११५१११ कुच्च (वर्च प ११३७५ 1 कुच्छ (कुल) कुच्छेजा ज २१६ कुच्छि (कुक्षि) । ११७५२ २१६.६३ सू २०१२ उ ३१९८५॥३० कुच्छि (कुक्षि) २०४३ अडतालीस आंगुल का मान कुच्छितिरिय (कृक्षिकृमिक) प ११४६ कुच्छियहत्तय (कुक्षिपृथक्त्वि क) प १७५ कुज्जय (ब्जा.) प १३८११ कुज्जाय ( ) ज २११० कुमा (हातल) ज ३१६,२२२ कुठायाण (कुस्थानामन) २२१३३ कुडगछल्ली (कुटज छल्ली) प १७११३० कुडगपुष्फरालि (कूट अपुप्पराशि) प १७११२८ कुडगफल (कुट फल) १७११३० कुडगफाणिय (टफाणित) प ११३० कुडभी (कुडमी) ५.४३ कुडय (कुटको पश३६।३,१६४२१७४१३० ज३३५ कुडुंब (कुटुम्व) 3 ३१११,१३,५०,५५ कुडंबजारिया (कूटम्बजागति) १११५ २४८, ०.७६,६८,१०६,१३१ कुडुमय (कर) (कुम्बादप ११४८०४३ कुक (दुण) प ११४७ कशाला (वृणाला) ११६५ लिम (दे णप) ज २११४६ कुराहार ('वृणिः'माहार) ज१३५ ते १३७ कुत्युंभार (कुस्तुमरी) प ११३६१२,३७१२ कुदंतण (कुदर्शन ) ए १११०१।१३ कट्टि (कुदृष्टि) प ११०१।११ कुपमाप (कुत्रमाण) ज २:१३३ कुष्पर (नयर) ज ३१२२,३५,३६,४५ Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८२ कुबेर-कुसील कुबेर (कुवेर) ज ३३१८६,२१७ कुभोइ (कुभोजिन् ) ज २११३३ कुमार (कुमार) उ १११३ से १५,२१,२२,२५ से २७,३१,४२ से ४६,४८,६४ से ६६,६४ से १६,१०२ से ११७,११६ से १२२,१२५, १२७,१२८,१४०,१४१,१४६,१४७,२१६,७, ६,१८,१६,३।११४,१२०५।१०,२०,२२, २३,२७,३१,३२,३४ से ३८ कुमार (कुमार) उ १८६ कुमारग्गह (कुमारग्रह) ज २१४३ कुमारावास (कुमारावास) ज २१६४,८७, ३।२२५ कुमारिया (कुमारिका) उ ३।११४,१३० कुमुद (कुमुद) प ११४६ ज ३।११७,४।१५४, १५५,२१२,२२५११,२३० कुमुददल (कुमुददल) प १४६१२८ कुमुदप्पभा (कुमुदप्रभा) ज ४।२२१११ कुमुदप्पहा (कुमुदप्रभा) ज ४।१५५११ कुमुदा (कुमुद) ज ४।१५५।१,२२१ कमय (कुमुद) ज २१५,४१३,२५,२१०१ कुमुयहत्थगय (हस्तगत कुमुद) ज ३११० कम्म (कम) ज २।१४,१५,६८,३१३;७।१७८ कुम्मुण्णया (कर्मोन्नता) प २६ कुरंग (कुरङ्ग) प ११६४ ज २।३५ कुरज्ज (कुराज्य) ज ३१२२१ कुरय (कुरब) प ११४७ लालफूलवाली कटसरैया कुरल (कुरल) प १७६ कुरा (कुरु) ज ४।१०८,१४१,१४३,२०५,२०७ ३४८,५०,५५,१००,१३३५५ कुल कोडि (कुलकोटि) ५११४६ से ५१,६०,६६, ७५,७६,८१,८१।१ कुलक्ख (कुलाक्ष) १८६ कुलक्षय (कुलक्षय) ज २१४३ कुलगर (कुलकर) ज २१५६ से ६३ कुलत्थ (कुलत्थ) प ११४५११ ज २१३७, ३.११६ उ ३३४१,४२ कुलत्था (कुलस्था) उ ३.४२ कुलदेव (कुलदेव) ज ३।११३ कुलदेवया (कुलदेवता) ज ३।१११,११३ कुलधुया (कुलदुहित) उ ३१४२ कुलमाउया (कुलमातृका) ल ३।४२ कुलरोग (कुल रोग) ज २१४३ कुलवधुया (कुलवधु) उ ३६४२ कुलविसिट्ठिया (कुल विशिष्टता) प २३।२१ कुलविहीणया (कुलविहीनता) प २३।२२ कुलारिय (कुलार्य) प १६५ कुलोवकुल (कुलोपकुल) ज ७११३६,१४१ से १४६,१५० से १५३ सू १०१६,२० से २२,२५ कुवधा (दे०) प १२४०।२ कुवलय (कुवलय) चं १५१ कुविदवल्ली (कुविन्दवल्ली) प ११४०१३ कुविय (कुपित) ज ३१२६,३६,४७,१०७,१०६, १३३ उ ११२२,१४० कुथुट्ठिबहुल (कुवृष्टिबहुल) ज ११८ कुव्वमाण (कुर्वत्) प २।३३,५०,५१,५६ कुव्वर (कूबर) ज ३।३५ कुस (कुश) प ११४२११ ज २८.६उ ३१५१,५६ फुसंधयण (कुसंहनन) ज २११३३ कुसंठिय (कुसंस्थित) ज २११३३ कुसट्ट (कुशावर्त) प ११६३१२ कुसल (कुशल) ज २१३ ३३३२,७७,८७,१०६, ११६,१३८,१७८,५३५ सू २०१७ कुसील (कुशील) उ ३।१२० २०८ कुरु (कुरु) प ११६३।२; १५१५५।३ कुरुर्विद (कुरुविन्द) प १४२।२ कुरूव (कुरूप) ज २११३३ कुल (कुल) ज ३१३,६,१७,२१,२४,३४,१०६, १७७,४।२१२,५१५,४६,५५७१२७१, १३६।१,१४१ से १४६.१५० से १५३, १६७४१ च ५।१ सू ११६१:१०६,२०,२१, २२,२५,२०६४ उ११५४,७६,१४१; Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुसीलविहारी- केवइय कुसील बिहारी ( कुशीलविहारिन् ) उ ३११२० कुसुंभ (कुसुम्भ ) प ११४५।२ ज २३७ कुसुम ( कुसुम ) प २३३१,४१ ज २२१०,५३,६५, १६२; ३।१२,३०,३५,८८, २२१,४१६६; ५५,७,२१,५८ स २०/७ कुसुम (कुसुम) कुसुमेति ज २।१० ४।१६६ कुसुमसंभव (कुसुमसंभव) ज ७३११४।२ सू १०।१२४।२ कुसुमासव ( कुसुमासव) ज २।१२ कुसुमिय ( कुसुमित ) ज २ ।११;७।२१३ कुसेज्जा ( कुशय्या) ज २१३३ कुहंड ( कुष्माण्ड ) ज २२४१,४७।१ कुडियाकुसुम ( कुष्म) ण्डिका कुसुम ) प १७।२७ कुण (कुण ) प १३३११, ११४७ कुहर ( कुहर ) ज २२३५ कूड ( कूट ) प २ १ १५३५५।३ ज १ ३४, ३५, ४१, ४६।१२।१३३,४।४४ से ४६, ४८,५३,७६, १६,९७,१०५, १०६,१५६।१,१६२ से १६५, १६७,१६६,१७२११,१८०,१८६, १६२, १६८, २०४,२१०,२१२,२३६ से २४०, २६३, २६६, २७५, २७६५/१६ से ८,१३,६ ६ १,६।११, १६७५८ १९ २६ कूडसामली ( कूटशाल्मली ) ज ४१२०८ कूडसामलीपेठ ( कूटशाल्मलीपीठ) ज ४१२०८ कूडागार ( कूटागार) ज २१२० कूडागारसाला ( कूटावारशाला ) ३३८,२६,९३, १५६ कूडाहच्च ( कूटा हत्य) उ ११२२, २५, २६, १४० कूणिय ( कूणिक ) उ १।१० से १२, १४, १५, २१, २२,६३ से ७४,८८,८६,६१ से ५,६८ से १२६,१३१,१३४,१३६,१४०, १४४, १४५, २२४, ५,६,१६,१७,५१६ कूर (कूर) ३ १३० कूल (कूल ) ज ३।१४,१५.१८,५१,५२,६६, १४६, १५०, १६१,१६४,४३,२५,६४,८८, ११०. १४३,२०६,२११ कूलधमा (कूलध्मायक ) उ३३५० कूवग्गह (कूपग्राह) ज ३११७८ paमाण ( कुप्यत्) उ ३११३० केइ (केचित् ) प ११४८।४१ ज २।११३ बहुल ( केतु बहुल) ज २।१२ भूय (केतुभूत) ज २३१२ केऊर (केयूर ) ज ३१६५।२१ केषक ( केकय ) प ११८६ इ ( केनचित् ) पू १३/५ hafe पुड (केतकीपुट) ज ४११०७ केतु (केतु) प २४८ ८८३ महालय (महत्) ज ११७७।२६ से ३० केमहालय ( कियत् महत् ) प २१३८, ४० से ४२, ४८, ६३ से ६६,६६ से ७१,७४,८४ से ६३ has ( केतकी) प १|३७|५,११४३।१ अद्ध ( केकयार्द्ध) प ११६३६ केयूर (केयूर ) ज ३।२११ केरिस (कीदृश) सू २०७ केरिसिय ( कीदृशक ) प २३/१६५, १९६, १९६ से २०१ ज १।२१,२२,२६,२७,२६,३३,४६, ५०; २७, १४, १५, १७, १८, २०, ५२, ५६ से ५८, १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३३,१३६, १४७, १४८, १५०,१५१,१५६,१५७,१५६, १६१,१६४;४/५६,१००, १०१, १०६, १७०, १७१ उ १।२७ रिसिय ( कीदृशक ) प १७ १२३ से १२८,१३०, १३५ केलास ( कैलाश) ज ३११८६,२१७ केलास ( कैलाश) सू २०१२ राहु का नाम केलि (केलि ) प २४१ has (कियत् ) प ७६; ३६१६०,६१,७५ has ( कियत् ) प ५८२६१३; १२ ११,१२; १५।३२:२०१११; ३६।४४ ज १।१७:२४, ४४,४५; ४।२५७; ६७, ८, १०, ११,१५ से Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८४ केचिर-केवनिसमुग्याय १८,२३ से २५, ७११,३ से २५,३२,५४,५७, केवल (केवा) प २०११७,१८,२६.३४ अ २०७१, ६०.६२ ६४ से ७३.७६७६ से ८२,८६ से ८५३।२२३, १३५११,१८५ सू १८१२३ १६,९८ मे १००.१२७,१७० से १७२,१७४, केवल एप्प (के ) प ३६८११२६,२६, १८२.१८७,१६८,१६६,२०१ से २०७ ४३,५,६४,१२,१३३.१३८,१४५,१७५, चं १,३१२ ग १।६।१:१।७१२ उ ३.१६, १८५,१८८,२०६,२११5215६१ १२४,१६४ केवल (माण) (के ज्ञान) प ९१७ केवचिर (यच्चिरं) प१८१ से १०,१२ से ३७, केवलणाण (केद, ज्ञान) १६.४.१३,५:२४, ४१ ४५,४६ से५१,५४ मे ८२,८४ मे २०. १०२,१०,११,११११३; २०१८,३३; १३ मे १११,११३,११४,११६,११७.११६, २६२३०१२ १२०.१२२,१२३,१२५ मे १२७ ज ७१२१० केवलणाणारिय (केनिज्ञाना) १९६ केवति (कियत्) ५७।१ से ४,६ मे ८,१० से ३०ः केवलणावादरणिज्ज (केवलज्ञानावणी} २८।१।१,२८१४,२६,३८,५०,३६।६७,७१,७२, १२३४२५ केवलणाणि (केशरज्ञानिन ) ३१०१,१०३; केमिय (कियत्) व ४१ मे ४६,५६ मे १८,६५, ५।१,११८,११६:2318:१८१८२; ७२.७६,८८,६२,६८,१०१,१०४,११३,१३१, २८।१३६,१४०, ३०१,१ १४०,१४६,१५८,१६५,१६८,१७१,१७४, केवलदसण (केवलदर्शन) प ५१२८१२,१०५, १८३,२०७,२१०,२१३,२६४,२६७,२६६, १०७,११६; २६१३,१७, ३०।३,१७ ५१४,६,६,११,१७,२३,२७,२६,३१,३३,३६, केवलदसणावरण (केरलदर्शनाःण) प २३।१४ ४०,४४,४८,५२,८५,६२,१००,१०३,१०६, केवलदसणावरणिज्ज (केवलदर्शनावणी:) ११०,११४,११५.१२८,२३१,२४१,६।१,२, प२३२२८ ४ से २३,२७,४३ से ४५,६० से ६४,६७,६८; केवलदंसणि (केवलदर्श निन्) ३.१०४:५।१२०%, १२.७ से १०,१३,१५,१६,२०,२१,२३,२७, १८८८,३०१६ ३१.३२,१५७,८,१४,१५,२२,२३,२७,४०, केबलादिछि (केवर दृष्टि) १२१६४।१३ ४१,८३ से ८५,८६,६१,६४ से ६८,१००, केवलनाण (केवलज्ञान) प ५१०५ १०३ से १०६,१०८,१०६,११३ से १२०, केवलनाणपरिणाम (केवलज्ञानपरिणाम) प १३१६ १२३,१२६,१२७,१२६,१३१,१३२,१३५, केबलनाणि (केवाज्ञानिन्) प ५११६ १३६ से १४१,१४३,१७.१०६,१०८,११०, केलकोहि (केवर चोधि) उ ५१४३ १४२,१४३; २०१६,१०,१२,१३; २३१६० से केवलि (केनि ) पश१०४,१०८,१२१,१२६; ६२,३३१२,३,१०,१२,१३ १५ से १८; १८१६,६६,६७,६६;२०१७,१८,२२,२५,२८ ३४।१३,३६।८ मे २२,३० से ३४,४४ से २६,३४,४५,३०२५ से २८,३६८२,८३, ४७,५६,६६,७०,७३,७४ ज ७१७३३ ८३१२ ज २६३,७१, ३।२२४,२२५ सू ११२०,२२,२३,२६,२८ से ३१२३; ३३१४,५,८,१०:१२१२ मे १४,८, केबलिपरियाय (केलिपर) जरा८८,२२५ १५२ से ७:१८१४ मे ६,६,१०,१२,१३,२०, केलिय (क ) ५३६१११ २५ मे ३४; १९१४,५,७,८,१०,११,१४,१५, केलिसमुरघाय (के वलीसमुद्घात) प ३६.१३७ १८ मे २१,२५,३०,३१,३४,३५,३७,३८ ११,१५ मे १७,३१.३४,३५,८१.७६.८... Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ केस-कोडिंग केस (केश ) प २१३१ व २।१३३,३०२६, ३९, ४७, ९२,११६ heatre (केशानस्थितनख ) ज ३ | १३८ केस (कीदृश) २३११२२ केसर ( कैमर ) प ११४८२४५, ४६ ज २१२४:४१३, ७, २५.७ । १७८ केसरद्दह (केसरिद्रह ) ४४२६२ केलोय (केशन ) ३५२८३ केसि (क्रेशि ) १२:२६ केसु (शु) ३१२५ कोइल (कॉफिन) ११५३३५ ३५१५ कच्छ (कुसुम) प १७।१२५ कोइला (कला) ५१७६ कोड (क) ३३,८२,८५,१९२५,१२६, ०२२ १ १३,७०,१२१,३।११०,५१७ को हल्ल (कौतुहल) २१३२ कोहल (ह) १२६ कोवत्तिय ( कौतून प्रत्यय) ज ५२७ कोंग (क) ११८६ कोंच (कोच) प १७६,८६ उ ५ ५ कोंचार ( क्रौञ्चार ) ज ३१८६, १०२, १५६,१६२ स्तर ( क्रौञ्चस्वर) ज २।१६; ५।५२ कोंडलग (कुण्ड नक) ज २११२ कोत (कुन्त) ३,३५ कोकंति (दे० ) ज २१३६ लोमड़ी कोकणद (कोकनद ) प १२४६, ११४८१४४ कासि (द० विकसित ) ज ३११०६ कोकुइय (कीकुचिक ) ज ३१७ बलिया (द) ११६६६ १११२१,२३ कोज्जय ( कुब्जक) ज ३११२८८ कोटेज्जमान ( कुट्टन् ) ज ४।१०७ कोट्टणी (दे०) ३३२ कोट्ठ (कोप्ठ) ज ३३२ फोग (कोलक) प २०३०,३१,४१ कोठवुड ( कोष्ठपुट) ज ४।१०७ १. ६० १२६ कोट्टय ( कोष्ठक) उ ३६,१२ कोट्ठसमुग्ग (कोठसमुद्ग ) ज ३।११।३ कोयत्यय ( हस्तगतकोष्ठसमुद्ग ) ज ३।११ कोट्ठागार (कोठागार) ज २२६४ उ १२६६,६४, && ८८५ कोडा कोडि ( कोटिकोटि ) प २२४६, ५०, ५२,५३० ५५,५६,६३; १२।२७, ३२; १८१४२,४४,४६, - ३६० से ६४,६६,६८,६६,७३ से ७७, ८१,८३,८५ से ६२,६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८, १२७,१२६ से १३१,१३३,१७६, १७७, १८२,१८३,१८६, १८७,१६० ज २२६, ५१,५४,१२१,१२६,१५४, १६०,१६३,७११, १७० कोडि (कोटि ) प २३०, ४९, ५०, ५२,६२,६३,६४ ज १४२०,२३,४८, २२६ ३१२४, १७८, २२१; ४११,२१,५५,६२,८१,८६,६८,१०८, १७२; ५६८ से ७०; ६।८।१७।१।११।१४, १५, २१,१२१,१२२,१२६,१३३,१३६, १३७, १४०; ५।१० कोडिकोडि ( कोटिकोटि) यू १८२४; १६ १११, ५१३, ८ १३,१११४, १५१४, १६१६,२११५, ८, १६१२२१३,१६१३१,३५,३८ कोडिगार ( कोटिकार ) प १।६७ पेडो (कोट) सु १९११४,१५१,१८,२११२ कोडीवरिस (कोटिय) १६३१५. कोटुंबिय (क) प १६४४१ उ १११७, १८, ६२,१२३,१३१, ३ ११,१०१४११६, १७; ५११०,१५,१६,१८ कोतुक ( कौतूक) सू २०१७ कोत्तिय (दे० ) उ ३१५० कत्थंभरि ( कुस्तुम्बरी) ज ३३११६ कोयलवाहा (दे० ) प ११५० कोदंडिम (कुदण्डिम) ज ३११२,२८,४१,४६,५८, Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८६ कोदुसा-खंडाभेद कोसागार (कोशागर) ज ३१८१ कोसिय (कौशिक) ज७१३२१३ सू १०११११ कोसेज्ज (कौशेर) ज ३१२४१३,३७.१,४५११ १३११३ कोह (क्रोध) प १११३४११,१४१३,५,७,६,११ से १५,१७,२२।२०।२६।६,३५,७० से ७२,१८४ ज २।१६,६६,१३३ उ ३१३४ कोहकसाइ (क्रोधकतान्)ि प ३६८,१३,१४, १६; १८१६५, २८१३३ कोहकसाय (क्रोधकषाय) प १४११,२ कोहकसायपरिणाम (क्रोधकषा परिणाम) प १३।५ कोहकसायि (कोधकषानिन ) प ३९८ कोहणिस्तिया (क्रोधनिश्रिता) प ११:३४ कोहसंजलना (क्रोधसंज्वलन) १२३।६६,१४० कोहसण्णा (क्रोधसंज्ञा) प ८.१,२ कोहसमुग्धाय (कोधसमुद्घात) ५३६।४२,४४ से ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ कोदूसा (कोरदूष?) ५११४५।२ कोद्दव (कोद्रव) प ११४५२ ज २१३७,३।११६ कोद्दाल (दे०) ज २१८ कोमल (कोमल) ज २।१५; ३।१०६,२८८ उ ३६८ कोमुई (कौमुदी) ज २११५ कोरंट (कोरण्ट) ज ३।१७८,५१५८ कोरंटय (कोरण्टक) प १३८।१ ज २।१०; ३।१२,८८ कोरग (कोरक) ज २१२ कोरव (कौरव्य) ५११६५ कोरेंटमल्लदाम (कोरण्ट माल्यदामन ) प १७११२७ कोलठिय (कोलास्थिक) सू१०।१२० कोलव (कौलव) ज ७११२३ से १२५ कोलसुणग (कोलशुनक) प ११६६ ज २॥३६,१३६ कोलसुणय (कोलशुनक) १ १११२१ कोलसुणिया (कोलशुनिका) प ११।२३ कोलालिय (कौलालिक) प १०६६ कोलाह (कोलाभ) प १९७० कोलाहल (कोलाहल) प २१४१; ज २११३१ कोस (क्रोश) प ३६८१ ज १७,३५,३७,४२,५१, ४१७,६,१४,१५,२४,३१,३३,३६,३६,४१,४३, ४६,५६,६६,६८,७०,७२,७६,६३,११२,११४, ११५,११६,१२०,१२२,१३४,१३७,१४७, १५३ से १५५,२४२,७१७७१३,२०७ सू११४,१८,११,१२ कोस (कोष) ज २१६४,३१३,१७५, ४१६७।१७७ उ ११६६,६४,६८ कोसंब (कोशाम्र) प ११३५११ कोसंबी (कौशाम्बी) प ११६३।३ कोसल (कौशल) प ११६३१२ कोसलग (कौशलक) उ १११२७ से १३०,१३२ कोसलिय (कौशलिक) ज २६३ से ६७,७३ से ८२,८६ से ६० खइरसार (खदिरसारक) प १७।१२५ खओवसमिय (वायोपशभिक) प ३३११ खंजण (खजन) प १७:१२३ खंजण (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खंजणवणाभ (खजनवर्णाभ) सू २०१२ खंड (खण्ड) प १३१२५; १७४१३५३३११३ खंड (खण्टा __ ज २।१७, ६।६।१,६७ उ १।१४,१५,२१ खंडग (खण्डक) ज ४।१७२।१,६७ खंडगप्पवायगुहा (खण्डप्रपात गुफा)ज ३१५४,१६१ खंडप्पदायकूड (खण्डप्रपातकट) ज १।४१ खंडप्पवायगुहा (खण्डप्रपातगुफा) ज १।२४; ३।१४६,१५०,१५५ से १५७,१५६ से १६१ ४।३५, ६।१६ खंडप्पवायगुहाकड (खण्डप्रपातगुहाकट) ज ११३४ खंडय (खण्डक) ५११६७४ खंडाभेद (खण्डभेद) प १११७६ Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खंडाभेय-खाइम खंडामेय (खण्डभेद) प १११७३,७४ खंडिय (खण्डित) ज ७४१३४।१ खंति (क्षान्ति) ज २१६४,७१:३।१०६ खंतुं (क्षन्तुम् ) ज ३११२६ खंद (स्कन्द) ज २१३१ खंदग्गह (स्कन्दग्रह) ज २०४३ खंध (स्कन्ध) प ११४,३५,३६,४७११,११४८३१२, २२,३२,३६,३।१७६; १२५,१२७,१३४, १३६,१३८,१५४,१६६,१६६,१७२,१८१,२२७ से २३२,१०७ से १४,१०११४१५.६; १३१२२।१,१६५३६,४३ : ३०।२६,२८ ज ३११८,७८,९३,२१२,२१३ ; ४११४६,५५५ ७१७८ उ १६७,१२१,१४०,३१११४ खंधावार (स्कन्धावार) ५११७४ ज ३।१८,२८, ३१,३२१२,४१,४६,५२,६१,६६,८१,८८,६५, १०१,११५ से ११७,११६,१२१११,१२२, १२४,१३१,१३५,१३७,१४१,१५१,१५६, १६४,१६७।२,१७२,१८० उ ११११५,११६, १३३,१३४ खंभ (स्तम्भ) ज ११३७, ३१६६ से १०१,१६३; ४।६,२६,२७,३३,१२०,१४७,२१६,२४२; ५३३,४,२८,३२ सू २०१४ खंभच्छाया (स्तम्भछाया) सू ६।४ खग्ग (खड्ग) पश६५,२२४६ ज ३।३१ ४१२००१ खम्गपुरा (खड्गपुरा) ज ४।२१२,२१२।४ खग्गरयण (खड्गरत्न) ३.१०६ खचिय (खचित) ज २३७, ३१२११५१५८ खज्जग (खाद्यक) उ ३.१३० खज्जलग (दे०) उ ३१११४ खज्जूरसारय (खजूरसारक) प १७।१३४ खज्जरी (खरी) प ११४३१३ खज्जूरीवण (खजूरीवन) ज २६ खट्टोदय ('खट्ट' उदक) प ११२३ खड्डाबहुल ('खड्डा' बहुल) ज ११८ खण (क्षण) ज ७/११२ सू १०११२६५ इखण (खन्) खणंति ज ५११३ खणित्ता (खनित्वा) ज ५१३ खतय (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खत्तमेघ ('खत्त'मेघ) उ २११३१ खत्तिय (क्षत्रिय) ज २१६५, ५१५,४६ खिम (क्षम्) खमई ज २१६७ खमंतु ज ३।१२६ खामेमु ज ३११२६ खम (क्षम) ज २१६४ खमा (क्षमा) ज ३११०६ खय (क्षय) प ३३१११ ज ३११२३ उ १११३६ खयकर (क्षयकर) ज ३।११७ खर (खर) प २१८,२०,१११६ से २० ज २११३३ खरमुही (स्वरमुखी) ज ३।१२,३१,७८,१८०,२०६ खरय (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खरोट्ठी (खरोष्ट्रिका) प ११९८ खल (खल) ज २१६६ खलंत (स्खलत्) ज २११३३ खलु (खलु) प ११४८।५२,६१८०।११७४१५०, १५२,१५५;२३।३,६,३६८२ ज १४६ सू१।१२ उ १५, १२,३।२४।२,५२ खल्लू ड (खल्लूट) प११४८७ खव (क्षपय्) खवेइ सू १६१२२ खवइत्ता (क्षपयित्वा) प ३६।१२ खवय (क्षपय्) खवयति प ३६१६२ खवेइ सू १६।२२।१८ खवेति प ३६४१२ खवय (क्षपक) प २३११६१,१६२ खवल्लमच्छ (दे०) ५ ११५६ खवेता (क्षपयित्वा) प ३६६६२ खस (खस) प ११८६ खसर खसर) ज २११३३ खहचर (खेचर) प ११५४,७७,६१३१८३; ४।१४६ से १५७, ६७१,७६,७८,६४,२११८, १७,३५,४७,५३,६० ज २११३१ खाइम (खाद्य) उ ३.५०,५५,१०१,११०,१३४; ४१६ Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८८ खाइय-खेत्त खाइय (खादित) उ ११५१,५४,७६,७६ खाणु (स्था) जे १३६४।२७७ खाणुबहुल (स्थाणुबल) १।१८ खात (खात) प २१३० खाय (खात) प १३१,४१ ज ३३२ खार (क्षार) प १७६ खारतउसी (क्षारयुपी) प १७११३० खारतउसीफल (क्षारत्रपुपीफल) प १७१३० खारमेघ (क्षारमेघ) ज २१४२,१३१ खारोदय (क्षारोदक) प ११२३ खासीय (खाशिक) प ११८६ खिखिणी (किंकणी) ३१३५ अखिल (खिन) खिसति उ ३।११७ खिज्जिमाण (खिस्यमान) उ ३३११८,१२३ खिप्पामेव (क्षिप्रमेव) प २८।१०५; ३४।१६,२१, २४ ज २१६५,६७,१०१,१०५,१०७,१०६, १११११४,११५,१४१ से १४५, ६७,१२, १५,१८.१६,२१,२५,२८,३१,३२,३८,३८, ३६ ४६,४६,५२,५३,५८,६१,६२,६६,६६, ७०,७४, ७७,८०,८३,६१६६.६६.१००. ११५.११८.१२१.१२४,१२८,१३२.१८१, १४२१४३,१६० से १६१.१६८,१७३.१७१ १८०,१८१.१८३,१६१.१६६.२०७.१९२, २१३,५१३,७,१४,१५२५,२८,५४,६८ रो खीरोद (क्षीरोद) ज २६७,६८ खीरोग (क्षीदक) जरा९७ से १००,१११, ११२:५१५५ खीरोदय (क्षीदक) ग ११२३ ज ५१५५ खीरोदा (क्षीरोदा) ज ४२१२ खीरोया (धीरोदा) ज ४ा२१२ खोलग (कीलक) ज ७।१३३१३ खीलगसंठिय (कीलकसं स्थित) सु १०।४८ खोलच्छाया (कीलछायः) सूहा। खोलिया (कीलिका) प २६१४५.६८ खु (खलु) ल ३।२४ खुज्ज (कुटज) प १५.३५२३।४६ ज ३११११,८७ खुज्जा (कुटजा) १:१६ खुड्ड (९) प ३६१ ज १७, ४१६०,८३,११३ खुड्डग (शुद्रक) ज४।१३६ खुड्डार (शुदतर) ज ४१५४ खुड्डाग (क्षुद्रक) प १८९५ खुड्डाय (धुक) सू १।१४ खुड्डिया (धुद्रिका) ज ४।६०,८३,११३ खुभिय (अमित) २०६५ खुर (बु.) ३१३०, ११७८ खुरप (अरप्र) प २१२० से २७; १५२५ ज ३१३० खुल्ला (क्षुल्लक) ५१।४६ खुहा (क्षुधा) ३१२२१११३.१२८ खेड (खेट) प ११७४ ज २१२२,१३१, ३।१८,३१, ८१,१८०,१८५,२०६,९२१ उ ३३१०१ खेडग (खटक) ३३५ खेडय (खेटक) ३१३१ खेड्डकारग (खलकारक.) ३११७८ खेत (क्षेत्र) प २६८,३३११२१२१३२, १४१५, १४११८११५१५२,१७४१०६ से १११; २८।२०,३२,६६,३३१२,३,१०,१२,१३,१५ से १८; ३६:५६,६०,६६ से ६८,७० से ७४ ज१६३१३, ७२० से २५,२६,५२,५४, ७६ में ८२,६५,९६ सू १११४; २१३,३।१; खीण (क्षीण) २१६३१२२५ खीणकषाय (क्षीण पाय) प ११०२,१०४ स ११०,११५.११७ से १३ खोर (खीर) प ११४२११ लोकी खीर (वीर) प १५०५५।११।११६,१२८ सू १०१२० उ ३.११४,९३० खीरकाओती (श्रीरकाकोली) १११४१५ खीरपूर (क्षी पूर) प १७१२८ खीरमेह (श्री मेघ) २२१४२,१४३ खीरवार ) सू १६६३१ खीरिणी (बोरिणी) ११३५२ Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खेत्तओ-गंव ६ १ ६१ १०१४, ५, १७३११२२१२५ खेत्तओ ( क्षेत्रतस् ) प ११४८, ५० १२७, ८, १०, १२,१६,२०,२७,३२:१८१३,२६,२७,३७,३८, ४१,४३,४५,५६,६४,७७,८३,१०८, ११७; २८।५,५१३५२४ ज २१६६ खेततो ( क्षेत्रतस् ) प १८०,६२,६५ खेतावाय ( क्षेत्रानुपात ) प ३।१२५ से १७३, १७५, १७७ खेत्तारिय (क्षेत्रार्य ) प १४६२,६३ खेत्तोववातगति ( क्षेत्रोपपातगति ) प १६६२५ खेत्तोववायगति ( क्षेत्रोपपातगति ) प १६ २४ से ३०/३२ खेम (म) २१३०,३१,४१ खेमकर (क्षेमंकर) ज २२५६,६० सू २०१८,२०१८ ७ गंगाकूड (गंगाकूट ) ज ४४४ खेमंधर (क्षंमंधर) ज २१५६,६१ गंगाकूल (गंगाकूल ) ३५० खेमपुरा (क्षेमपुरा) ज ४।१८१,२००११ गंगादीव (गंगाद्वीप) ज ४१३१,३२ गंगादेवी (गंगादेवी) ज ३।१४०,१४१, १४३, १४५, खेमा (क्षमा) ज ४।१७७,२०० १ खेल (क्ष्वेल ) प १६४ खेल्लणग ( खेलनक) उ ३।११४ खेल्लणय ( खेलनक) उ३।१३० खेवणी (क्षेपणी) ज ३१३१ खोत ( क्षोद) प १५५५११ खोतोदय ( क्षोदोदक ) प ११२३ खोदवर ( क्षोदवर) सू १६३१ खोदोद ( क्षोदोद) सू १९३१ खोद्दाहार ( क्षौद्राहार) ज २।१३५ से १३७ खोम (क्षीम ) ज ४।१३ ५।६७ सू २०१७ खोमिय ( श्रमिक) सु २०१७ ग गइ (गति) ४२११५,७१,१३३,३३, १३८,१७८ ५१२१ ३१२१,२५,५५, ५८,८१, १७५,१७८ च ४।१ सू ११६,१८ १; १६१२२१२२ गइकल्याण (गतिकल्याण ) ज २२८१ गइनामणिहताउ (गविनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११ गइपरिणाम (गतिपरिणाम ) प १३२३ इवाय (गतिप्रपात ) प १६ १७,५५ गइरइय (गतिरतिक) ज ७।५५, ५८ गंगदत्त (गङ्गदत्त ) उ३।१३,१६० गंगवायकुंड (गंगाप्रगातकुण्ड) ज ४१२५, २६,३१, ३५ गंगा (गंगा) ज १११८,२०,४६ २११३१,१३३, १३४, ३११,१४,१३,१८,१४१,१४३ स १५१, १६१,१६४,१७०; ४११३,२३ से २६,३३ से ३६, १६७,१७७,२७४५१५५६।१६ सू २०१७ उ १।६७ ३१५१,५६,६८ गंगाकुंड (गंगाकुण्ड ) ज ११५१; ४।१७५ १७६ १४६ गंगावत ( गंगावत्तं ) ज २११५ गंगावत्तणकूड (गङ्गावर्तनकूट ) ज ४।२३ गंज ( गञ्जा ) प १३७५ गंठि (प्रन्थि ) प ११४८३८ ईख गंड (गण्ड ) प १६५:२५० ४।१३; ५६७; 31835 मंडल (गण्डतल ) प २१२०, ४६ गंडयल ( गण्डतल ) प २३१.४१ गंडलेहा (गण्डरखा) २।१५ गंडीपद (गण्डद ) प ११६२ गंडी (गण्डीद ) प ११६५ ८८६ गंडूघलग (गण्डूपदक ) प १४६ गंता ( गत्वा ) प ११।७२ ३६।९२ ज ३।२५,३८, ४६.१३२ गंण (गत्वा) प ६४१२, ३ गंध (गन्ध) ४ ६२३०३१,४१,४६, ३।१८२.११०,१२.१४.१६.१८.२०,२४,२८, Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० गंधओनाच्छ ३०,३२,३४,३७,३६,४१,४५,५३,५६ ५६, ६१.६३,६८,७१,७४,७६,७८,८३,८६,८६, ९१ ९३,६७,१०१,१०४,१०७.१०६,१११, ११५,११६,१२६,१३८,१५०,१५२,१५४, १६०,२०७,२११,२१४,२२८.२४२,२४४; १०॥५३।११११५५,१५३८,४२,१५१५५१२ १७१११४११,१७:१३२ से १३४; २३।१५ १६. १६,२०,१६०,२८१२०,३२,६६,३६८०,८१ ज ११३,२१७,१६,१८,१२०,१४२१६४, २११:३१३,७.६.११.१२,२१,३४.७८,८२, ८५,८८.१०६,१८०,१८७,२०६,२११,२१८, २२२,४।८२,१०७,१०६:५।५,७,२२,२६, ३२,५५,५८,७।२०६ सू २०१७ उ ११३५; ३१५०,११०।५।२५ गंधओ (गन्धतस्) प१५ से६१११५६२८१८, २०,२६.३२,५४,५६ गंधकासाइय (गन्धकासायिक) ज ३।६,२११,२२२; ५५८ गंधचरिम (गन्धचरम) प १०१४८४६ गंधट्टय (गन्धाट्टक) ज ५११४ गंधणाम (गन्धनामन्) प २३॥३८,४८,१०६,१०७ गंधतो (गन्धतस्) प १७ सेह गंधदेवो (गन्धदेवी) उ ४।२१ गंधदधुणि (गन्धध्राणि) ज २११२ गंधपज्जब (गन्धपर्यव) ज २१५१.५४,१२१,१२६, १३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ गंधपरिणाम (गन्धपरिणाम) प १३१२१,२७ गंधमंत (गन्धवत् ) प १११५.२,५५,२८१५,५१ गंधमायण (गन्धमादन) ज ४।१०२,१०४ से १०८, १६२,२०४,२१५ गंधमायणकूड (गन्धमादनकूट) ज ४११०५ गंधवट्टिभूत (गन्धवर्तिभूत) प २।३०,३१,४१ ज ३७,८८,१८४,१६३,५५७ सू २०१७ गंधवाट्टिभूय (गन्धवतिभूत) ज ५७ गंध (वासा) (गन्धर्षा) ज ५१५७ गंधव (गन्धर्व) प १११३२,२१४१,४५,६१८५ ज ३।११५.१२४,१२५७।१२२।३ सू१०१८४१३ गंधव्वछाया (गन्धर्वछाया) प १६१४७ गंधवलिवि (गन्धर्व लिपि) प १९८ गंधव्वाणीय (गन्धर्वानीक) ज ५१४१,४४ गंधहत्थि (गन्धहस्तिन) उ ११९६ से १६,१०२ से २ १११२१ गंधादेस (गन्धादेश) प ११२०,२३,२६ २६,४८ गंधावइ (गन्धापातिन) ज ४२६६ गंधावइवट्टवेयड्ढपव्वय (गन्धापातिवृत्तवैतादय पर्वत) ज ४।२६२ गंधावति (गन्धापातिन् ) प १६।३० गंधाहारग (गन्धारक) प १३८६ गंधिल (गन्धिल) ज ४।२१२,२१२।३ गंधिय (गन्धिक) प २।३०,३१,४१ ज ३१७,१२, ८८,२११,२२१,४।२६,५१७,५८ उ ३।१३१ गंधिलाबई (गन्धिलावती) ज ४११०३,२१२, २१२१३ गधिलायइकर (गन्धिलावतीकूट) ज ४।१०५ गंधोदग (गन्धोदक) ज ५७ गंधोदय (गन्धोदक) ज ३१६,२२२ गंभीर (गम्भीर) प ११५१:२१२० से २७,३०,३१, ४१ ज २०१५,६८,३१३५,१३८।१,४।३,१३, २५:०२२ से २४७।१७८ सू २०१७ गंभीरमालिणी (गम्भीरमालिनी) ज ४।२१२ गगण (गगन) ल ११२६,२।६८,३।१७८,४।४६ गगनतल (गगनतल) प २१४८ ज ३३१७८,५१४३ गग्गर (गद्गद) ज १७८ गच्छ (गम् ) गच्छ ज ३१८३,१७० उ ११५४ गच्छइ ज ४।२६८ २७४; १२२,२६,७।२० से २५,७६ से ८४,९५६८ से १००,१३५; ७।१३५११ च ११ सू ११६११ गच्छं ज ३।१५४,१७० गच्छति प ६१६६.१०५, ११०,३६३८३ ज २१४६,७१३६ से ४८ गच्छति प १६३४,४१,४२,४४,४५,४७,५१, ५४,३६.८२,८३।१ सू २१२ Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गच्छमाण-ब्भवतिय ८९१ गच्छह ज ३।१२५,१२७ उ ११४४ गच्छामि गत (गत) प २१३०,३१,६३ ; १७१०७,१५१, ज २०६०,३१२६,३६,४७,५६,१३३,१४५; १५४,२११५२,५५,७७,३४१२०,३६१८३१२, ५।२२ उ १:१७,३।२६ गच्छामो ज ३।१३८; ३६।८६,८८ सू २१३,६।३; १३७,६,१२,१४ ५१३ गच्छाहि ज ३।७६,१२७,१२८,१५१ से १६:२०१७ गच्छिहिइ उ १११४१;३।१८,४।२६,५१४३ गति (गति) प ३३१११,३१३८,३६१०१५३११ गच्छिहिति ज २११३५ से १३७ गच्छेज्ज १६.३६,४०,४३,४६,५५,१७।११४।१; प ३६९१ १८।१।१२३३१३ से २३, ३६८३१२ सू गच्छमाण (गच्छत् ) सू २२, २०१२ २।३१५।१,३७,१८१८ गच्छित्ता (गत्वा) ज ५११४ गतिचरिम (गतिचरम) १०३१ से ३३ गज्ज (गर्ज ) गज्जति ज ५१७ गतिणाम (गतिनामन्) प २३१३८,३६,८१ से गज्जिय (गजित) ज ३.१०४,१०५७११७८ ८४,१४६,१४८,१४६,१७१,१७२ गड्ड (गर्त) ज २१३८,१३१३१८८ उ ३१५५ गतिणामनिहत्ताउय (गतिनामनिधात्तायुष्क) गढिय (ग्रथित) उ ३११४,११५,११६ प६११६,१२२ गण (गण) प २१३०,३१,४१,४८,६० से ६३; गतिपरिणाम (गतिपरिणाम) प १३१२,३,१४,१६ २१६४११५ ज ११३१, २।८,१२,१३,२०,३६ से २१,२३ ४१,६४,४।३,२५ सू १६।२२।१०,२१, २०१६।४ यतिमाता (गतिमात्रा) सू १५१५ से ७ उ ४।११,५१५ गतिरतिय (गतिरतिक) सू १६२३,२६ गणग (गणक) ज ३।६,७७,२२२ गतिसमावण्ण (गतिसमापन्न) सू१०।१७०,१५।५ गणणा (गणना) चं ११३ गणधम्म (गणधर्म) ज २।१२६ गतिसमावण्णग (गतिसमापन्नक) सू १६।२३,२६ गणनायग (गणनायक) ज ३१६,७७,२२२ गत्त (गात्र) प २१३१ ज ३।६,२२२,४।१३; गणराय (गणराज) उ १।१२७ से १३०,१३२ १५७।१७८ गणहर (गणधर) प १६१५१ ज २।७३,६५,९६, गद्दभ (गर्दभ) प ११६३ १०० से १०२,१०४ सू २०१६।४ गब्भ (गर्भ) प ६।२६, १७/१६६,१६७,१६६ गणहरचियगा (गणधरचितका) ज २११०५ से से १७२ ज २१८५,३१३ उ १५० से ५२, ११२,११४ ५४,७४,७६,७७,७९ गणावच्छेइय (गणाव च्छेदक) ५ १६:५१ गम्भवक्कंतिय (गर्भावक्रान्तिक) प ११६०,६६, गणि (गणिन ) प १६.५१ ज ३१३५, १६७ च १३३ ७५,७६,८१,८२,८४,८५,१२६; ३३१८३; गणिज्जमाण (गण्यमान) सू १२।३ से ६,१५ ४।११० से ११२,११६ रो १२१,१२८ से गणितलिवि (गणितलिपि) प ११६८ १३०,१३७ से १३६,१४६ से १४८,१५५ से गणिय (गणित) ज २१४,६४,३।१६७३,६७,८ १५७,१६२ से १६४, ६१२२,२४,६५,६६, गणियपय (गणितपद) ज ६।८।१ ७१,७२,८४,६७,६८,१०८,११३,६७,१०, गणिया (गणिका) ज ३११२,२८,४१,४६,५८, १७,२३, १६।२८,१७१४३,४७,६३,६४,६६, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उ ५.१०, ६७,८६२११६,१०,१२,१३,१५ से २०,३१, १७ ३४,३६,४३ से ४८,५३,५४,७२ Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ गमवसहि-गवेसित्ता 21१६ गयवति (गपति) ज ३।१२६।२ गयवर (बर) जा६१ गयविक्कम (गनविक्रम) १३३।३ गयविकामसंठिय (जविक्रमथित) सु १०१५३ गरह (गई.) रति उ ३३११७ गरहेहि उ३।११५ गरहिज्जमाण (गई यमान) उ ३१११८ गराइ (गर) ज १२३ मे १२५ गरुय (गुरुक) प ११४ से ६:३।१८२:५॥५,७, २०६१५।१४,१६,२७,२८,३२,३३,२८४२०, गब्भवसहि (गर्भवमति) प २१६४ गभिणी (गभिगी) ज ३।३२ गम (गम) प १५१४३,२३।१६७ ज २५६, १५६:३१३,१८३,२०३,२१७४११३६, १४०११,१६७,२४३,५१४० मू का? गमण (गमन) ज ३१६,३५,८५.१८३ उ ११४२, ८८,१२६:३।१२७,१२८ गमणिज्ज (गमनीय) ज २६४,३११८५,२०६ ५॥५८ गमय (गमक) प ५११७६१७1८,३५. गमित्तए (गन्तुम्) उ ४३११ गय (गज) प १३० ज १५.६५,३११५,१७, २१,२२,३१,३४ से ३६,७७,७८,६१,१७३, १७५,१७७,१७८,१६६ उ१११२३,१३८, ५११८ गय (गत) १६४१:१७।१०६,१११:२११५५ ज २१५३१८,१३८७।१३३१३,१३५ चं १।१,२ उ ११२५,४६,५१,५४,६४,७६,७६ ८८,८६,६१,१११.११२,१२१,१३८, ३.१५,३५,५१,५६,८४,१२१,१६२:४।२४; ५.१३,२०,२७,३१,४० गयंद (गजेन्द्र) चं १११ गयकण्ण (गवाण) प १९८६ गयकलभ (गजकलभ) प १३।१२३ गयछाया (गजछाया) ११६१४७ गयण (गगन) ज ३१३ गयणलल (गगनतल) ज ५।४३ गयतालुय (गमतालुक) प १७४१२६ गयदंत (गजदन्त) ज ३।३५,४११०३,७।१३३।३ गजदतठय (मजदतगस्थित) सू १०५१ गयपुर (गपुर) प १९३२ गयमारिणी (जमारिणी) प ११३७५ गयरूवारि (नजरूपधारिन् ) ज १७८ म् १८।१४ गयव३ ( पति) प २१४६ ज ६।१७,१२६१२, १७७,१८३,२०१,२१८७१११२४,१३१; गरुयत्त (गुरुकरका) प १५३४४,४५ गरुयलहुयपज्जव (गुरुक रघु पयंत्र) ज २१५१, ५४,१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४, १६०,१६३ गरुल (रुड) प २।३०,३१ ज ३।१०६४१२०८ च १२ गरुलम्वूह (माटव्यूह) उ १।१४,१५,२१,१३६, गल (पल) ज २११५७१७८ गल (गत्) चं १११ गिल (ल) इ उ १५१ गलय () ज १७८ गललाय (गालात) ज ३११७८,१७८ गल्ल (गल्ल) ज ५१% गवक्ख (वाक्ष) जे १९२०४१६ गवय (गबय) प ११६४ ज २१३५ गवल (गवल) प २१३१,१७।१२३ ज ३१२४ गवलवलय (गवलवलय) प १७११२३ गवेलग ( वेलक) ज ३११०३ गवेलय (विलक) ज २११३१ गवेस (वेम्) वेसइ उ ३६११४ गवेसग (गवेपक) ज ३११०६ गयेसणा (वेपणा) ज ३१२२३ सु २०१७ गवेसित्ता (वेपयित्वा) उ ३३११४ Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गविय-गाहेत्ता ८६३ गम्विय ( वित) ज ७११:०८ १६७१२,१८०.१८५,२०६.२२१ उ३११०१: गह (ग्रह) प १४१३३; २. मे २७,४८ से ५१, ५१३६ ६३ ज ११२४,७११७७१३,१८०,१८१,१८६, गामकंटय (कामकण्टर) उ ५.४३ १६७ सू १०।१७१ से १५३; १५१,१०,१३; गामणिमण (सामणिद्धमण') प ११८४ १८१४,१८,१६,३७,१३११,५५२,८१२, माममारी (ग्राममारी) ज २१४३ १६।२२१३,८,९,१०,२१.२०,२६,३१, २०१८ गामरोग (ग्राम ) २।४३ गहगण (ग्र ण) 13,१७,२१,३४,१७७,२२२; गाय (गो) ११५४ ७) ५,५८,१८०,१८१.१६७, सू १८।१८ गामाणुगाम (नामानुपाम) उ ११२,१७३।०६,६६, १६२२,२३,२६,२०1९२११२,५१४१ १३२,५१३६ गहण (पइन) ५११४८१५३ से ५५,१११५३,५५, गामि (मामिन) उ १११११,११२ ५७,५६,०१:१८१६५,२२।१५.८० १७१ गाय (गो) प १२४ महणया (ग्रहण) उ१११७ गाय (ब), १७१३४ ज २०१५,१८,३८२, गहत्त (महत्व) उ ३१८३ २११,५१५८ उ ३१५० गहर (दे०) प १७६ गायंत (प्रयत्) ३३१७८ गहदिगा (कहाँ गान) प.१८६ १६४ गारव (और) ३३ ज १७८११,१६१,१६२ मू १८८,११,१५, गारविय (गौरवित) सू २०१६।२ गालण (गालन) ट ११५१,७६ गहाय (गृहीत्वा) प ३६८१ ज ३१८८ उ ११६७; गालित्तए (जापयितुम् ) उ ११५१,७६,७७ ३.५० यालेमाण (गालात) उ ५।२५ गहिऊण (गृहीत्ला) ज ३।२४ गावी (गो) ज २३४ गहित (गृहीत) सू२०१२,६२३३१५५ गाह (ग्राह) प ११५५,५८ गहिय (गहीत) प २०४१११७१,७२ ज ३.१२, गाह ह )माहेहिति) ज २११३४ ७७,८८ १०७,१२४,१७,५.८ उ १।१३८ गाहा (गाथा) प ११४८:२१४०,१५१५५ सू १११७, ३१६३,७०,७३ १६,२५ गहिर (गंभीर) प २८ गाहावइ (गहनि) ज ४।१८१,१,३,१८४,१८६, गा (ग) ज ५१५७ १६५ उ ३.१०,११,१३,२१.१५८,१६०,१६६; गाउय (व्यूत) प:५२१६४:२१।४२,४४,४६, ४१७ से ८,१६,१८ ४३१.२२४८३३१ मे हज २१,४५; गाहा इकुण्ड (गृहपतिकुण्ड), ४५१८२,१६४ ४१८,१०३,११०,१४३,१७८.२०३,२२६; गाहावइणी (गृहपत्नी) उ ४१६ अ६०,१८२ गाहावइदीप (गृहपतिद्वीप) ज ४१८२ गाउयधुहत्तिय (व्यतपथवित्वा) १५ गाहावइरयण (गृहगिरत्न) ज ३३११६,१२०, गागर (दे) प ११.६ ।। १७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६,२१६, गाल (ब) ज ३।२११११५८ गाम (TH) प ११७४११२८२११६२.६३ गाहावइरयणत (गहपतिरलतः ) ५२००५८ ज श२२.६६७०,१३१:३।१६,३१,३२,८१, गाहेत्ता (ग्राहयित्या) ज २११३४ Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ गिण्ह-गुत्ति गिण्ह (ग्रह.) गिण्हइ ज ५१६०,६६ उ ११५७ किण्हति ज ५।१४,१७,५५ उ ११४५ गिण्हह उ ११४४ गिगहेइ उ ११४८ गिण्हउकाम (ग्रहीतुकाम) उ १११०५ गिण्हमाण (गह णत् ) प १११७० गिण्हित्तए (ग्रहीतुम्) उ ११११६ गिरिहत्ता (गृहीत्वा) ज ५११४ सू २००२ उ ११४५ गिण्हेऊणं (गृहीत्वा) उ ३६८ गिण्हेत्ता (गहीत्वा) उ ११४८ गिम्ह (ग्रीम) ज २१६४,७०,७११६४,१६७ सू८।११०।७१ से ७४;१२।१४ उ ५।२५ गिरिकुमार (गिरिकुमार) ज ३११३३,१३६ गिरा (गिरा,गिर्) ज २०१५ गिरि (गिरि) ज २.१५,६५,१३१,१३३,१३४; ३।३२,७६,७७,१०६,१२६.४,१२८,१३८, १५१,१७०,१८५,२०६,२२१,४।२३४,२४० गिरिकण्णइ (गिरिकर्णी) प ११४०१५ अपराजिता गिरिदरी (गिरिदरी) ज ३।१०६ गिरिराय (गिरिराज) ज ४२६०।१सू ५१ गिरिवर (गिरिवर) ज २१६५,३।३,८८ गिल्लि (दे०) ज २१३३ गिह (गृह) ज ३।३२,१८३,१८६ उ ११४२,४४, १०८,३१२६,१००,१०१,१३१,१४१,१४८; ४११२,१३ गिहिलिगसिद्ध (गहलिङ्गसिद्ध) प १११२ गीत (गीत) प २१३०,३१,४१ सू १८१२३; १६१२३,२६ गीतजस (गीतयशस्) प २१४५,४५।२ गीतरति (गीतरति) प २१४५ गीय (गीत) ५ २१४१,४६ ज ११४५,२०६५; ३.८२,१८५.१८७,२०४,२०६,२१८,५१, १६.७५५,५८,१८४ गीयरइ (गीतरति) प२४२ गोवा (ग्रीवा) ज २०१५ गुंजत (गुञ्जत् ) ज २११२ गुंजद्ध (गुजार्ध) ज ३।३५,१८८ गुंजद्धराम (गुजार्ध राग) प १७।१२६ गुंजालिया (गुजालिका) प २।४,१३,१६ से १६, २८,१११७७ गुंजावल्ली (गुञ्जावल्ली) प १।४०१४ चूंघची गुंजावाय (गुञ्जावात) प १।२६ गुच्छ (गुच्छ)प १३३।१,३७१।४८१६,६१ ज २।१२,१३१,१४४,१४६ उ ५१५ गुच्छवहुल (गुच्छबहुल) ज ११८ गुज्म (गुह्म) उ ३११ गुझंतर (गुह्यान्तर) ज ४१२१ गुण (गुण) ५२१६४११३,१७,५१३६ से ३८,५८ से ६०,७३ से ७५,८८ से १०,१०६ से १०८, १४६,१५०,१५१४ से १६,२७,२८,३२,३३, ५७,२०१७,१८,३४,२८१२०,२६,३२,६६, ३४/२० ज २०१५,६५,३।३,३२,११७११, ११६,१८६,२०४,२०६५५६,६८,७० ‘गुणड (गुणाढ्य) ज ३३२।१ गुणनिष्फपण (गुणनिष्पन्न) उ १२६३ गुणरयण (गुणरत्न) ज ५१५८ गुणसिलय (गुणशिलक) उ १११,२,३१४,२१,२४, ८६,१५५,१६८,४।४,६,१३,१८ गुणसेढि (गुणश्रेणि) १ ३६१६२ गुणसेढीय (गुणश्रेणिक) प ३६१६२ गुणहर (गुणधर) ज ३११२६.१ गुणित (गुणित) सू १६।२२।२६ गुणिय (गुणित) ज २६ गुणेत्ता (गुणयित्वा) ज ७।३१ सू ४।४,७ गुणोववेय (गुणोपेत) ज २।१४ गुत्त (गुप्त) प १३०,३१,४१ ज २१६८, ३२३५ गुत्तबंभयारि (गुप्तब्रह्मचारिन् ) ज २१६८ उ २१६%3 ३३१३,८६,१०२,११३,११५,१४६,१६०; ४१२०,२२; ५।२७,३८,४३ गुत्ति (गुप्ति) प ११० १११० ज २०७१ Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुत्तिदिय-गोयम ८९५ गुत्तिदिय (गुप्तेन्द्रिय) ज २१६८ उ ३६६ गुमगुमंत (गुमगुमायमान) ज २।१२ गुम्म (गुल्म) प ११३३।११।३८१३,११४८१६१ ज २।१०,१२,१३१,१४४ मे १४६,३।२२१; ४।१६६ उ ५५ गुम्मबहुल (गुल्मबहुल) ज ११८ गुरु (गुरु) प १११११ २११३३ गुरुजण (गुरुजन) उ १७२ गुरुजणग (गुरुजनक) उ १८८,६२ गुल (गुड) प १७।१३५ ज २०१७ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज २१६५,३।३१; ५१५७ गुलिया (गुलिका) प २१३१ ज ७१७८ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज ७।१३८ गुहा (गुफा) ज १।२४,३।३२ गूढदंत (गूढदन्त ) प १८६ गूढछिराग (गूढशिराक) प ११४८१३६ गण्ह (ग्रह ) गेण्हइ प १११७१ ज २१११३; ३१२६,३६,४७,५६,६४,७२,१३३,१३८, १४५,५।५५ उ ३।५१ गेहंति प ११८१ २८१२२ से २४,३४ से ३६,३६,४०,४२,४५, ६८,६६,७१,३४।६ ज २।११३,५१५५ गेण्हति प १११४७ से ७०,८०,८१,८३,८५ सू २०१२ गेण्हमाण (गह णत) सू २०१२ गेण्हित्ता (गृहीत्वा) ३१२६,३६ उ ३१५१ गेय (गेय) ज ५१५७ गेरुय (गरिक) प ११२०१४ गेविज्ज (वेय) उ ११३८ गविज्जग (वेयक) ज ३१६,३६,२२२ गेविज्जविमाण (ग्रेवेयकविमान) 3 ५।४१ गेवज्ज (ग्रेवेय) प २१४६,६३,३४।१६,१८ ज ३१७७,१०७.१२४,७११७८ गेवेज्जग (वेयक) ११३६,१३७२।४६,६० से ६२,६।६६,९८,१५।८८,६१,६६,१०४,१०८, ११२,११५,११६,१२२,१२५,१२७,१२६, १३६२११५५,६२,७१,९३,३३१२५ गेवेज्जगविमाण (वेयकविमान) पश६०, ३०१२६ गेह (गेह) ज ६६ र ४।२,३ गेहावण (गेहायतन') ज २१२१ गेहावणसंठित (गेहापणसंस्थित) सू ४।२ गो (गो) ज ३११०३ गोकण्ण (गोकर्ण) प ११६४,८६ ज २१३५ गोक्खीर (गोक्षीर) प २०६४ गोखीर (गोक्षीर) १ २।३१ ज ४११२५:५१६२; ७।१७८ गोजलोय (गोजलौका) प१४६ गोड (गोड) प १८६ गोण (गौण) प ११६४,११११६ से २० ज २१३५ गोणस (गोनस) प १७१ गोतम (गौतम) प ३६।१२,८१ च ११४ गोत्त (मोत्र) प ३६३६२ ज ११५,७१२७११, १३२।४,१६७१ च ५।३,१० सू १६५६१४; १०६२ से ११६; १९४२२१३ गोत्तफुसिया (गोत्रस्पर्शिका) प ११४०१५ मोध (गोध) प ११८६ गोधूम (गोधूम) प ११४५।१ गोपुच्छ (गोपुच्छ) ज १:१८,३५,५१:२।१५; ४१४५,११०,२१३, २४२ गोपुर (गोपुर) ज २२० सू ४।२ गोमयकीडग (गोमयकीटक) प ११५१ गोमाणसिया (दे०) ज ४११३० मोमुह (गोमुख) प १८६ गोमेज्जय (गोमेदक) प १५२०१३ गोम्ही (दे०) प ११५० गोय (गोत्र) ५ २२१२८,२३.१,२,५७,२४११५; २६।११:२७१५,३६१५२ ज ३१२२५ उ १११७ , गोयम (गौतम) प ११७४,८४,२११ से ३६,४१ से १.गेहेषु आपतनानि वा उपभोगार्थमागमनानि । Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EES ४४,४६, ४८ से ६४,३३० १२०,१२२ से १२४, १७४,१७२ से १२४११ से ५४, ५६.६२ ७४.१०.२ २६६ ५।१ से ७.६ से २०,२१,२४,२७ से ३४,३६,२७,४०,८१,४८,४५, ८०, ८६,५२, ४३.५१.५६.५८.५२.६२.९३.६.६,३०, ७१,७३,७४,७७,७८२३८५,८६,८८, १.६२,१३,६६,२७.१००१०१.१०३.२०८, १०६,१०७.११०,१११.११४.११५, ११८, १११,१२३ मे १३१,१३३ से १४०,१४२ मे १४७, १४६, १५०, १५३,१५४,१५६.१५७. १५९,१२,१६३.१६५.१९६,१६०.१६६, १०१ १७४,१७९,१७७१८०१०१.१६२, १८४,१०,१८३.१८६,१०,११२,१६३, १६,१७,१६,२००,२०२, २०३,२०६ २००,२१०, २११,२१३,२१४,२१७,२१८. २२०,२२१,२२३,२२४,२२७ से २३४, २३६२३६२४१२४१६३१ से ४५. ४७ मे ५५,५७,५५,६० से ६४,६७,६८,७० से ७२.७४ से ६५५ ६१,६३,९४,९६ से १०३,१०५ ते ११०,११२,११४ से ११६, ११८ से १०१,१२३७०१ से ४.६ से ३० ११:२१ से ४ से १६.१६ ४ २२. २५,२६१०११ से ५,७ से १३,१५ से २४, २६ से २८,३१ से ५३१२०२४४,४६, ७३,७६०१२११२.१५, २६.२०,२१,२२,२४,२७,३१२३१३०१ मे १३,२१ से ३१,१४११ से ३.५,७,६११ से १५.१७१५१ २०२०३२३ से ५४, ५७ से ७४,७६ से ८४,५६,६१ से १८,१००, १०२ से १०६.१०८१०२,११३ से ११८, १२६,१२,१३२ से १३५,१४०,१४१:१६०१ से ४,६ से ८, १० से १३,१५,१७,१६ से २१:१७११ से ६ से १७१६ मे २२.२४, २५,२७,२६,३३,३६ से ६१,६३ से ६६,७१ गोयम से ७९.७ मे ८,६० मे १२,६४,६५,१००, १०२ से १०४,१०६ से ११६,९१ से १३७, १३ मे १८७,९४६ मे १५२.१५४ मे १६४, १९६.१६७१६ मे १७२:११ मे १०.१२ मे ३७,३९,४१ ४७.४९ मे २०१२ ने १२७१६१ ३,५,२०७१ से ४,६,७,६ मे २५, २७ मे ३०.३२ मे ३४,३८ से ५४,६१ से ९४,२१।१ से १५.१२ से २५,२३ मे ३२. ३५ से ३८४० से ४२४ मे १८३ से २४.१० से १०१.१०३ से १०५२२१ से ११.१३, १५, १७.११.२१ से २३.२६,२७. २६,३०,३२ से ५०,५२,५३,५७,५२ से ६१. ७८.७६८२ से ६४,६,७,९ से १५,६७ मे २६,१०१२१७२ से १२,१३ से ५०,५० से ६२,६५,६६७६८१८३ मे ८६,०९,१०,१५,१६,१६,१०१ मे १०४, १०६,१११ से ११८,१२८,१२,१३१ से १३५,१३७ से १४०,१५४, १५५,१५७,१६०, १६१,१६४,१६७,१७१,१७३, १७६,१७७, ११ मे १९६,१९८ से २०१३२४११ से ६,८, १० से १५:२५।१,२,४,५:२६।१ से ४,६८ से १०,२७।१ से ३,५.६ २०१२ मे ७,१० से १६,२१ से २४,२९,३१,३१ से ३७.३२ से ४२,४४,४५,४६ से ५३,५५ से ६५,६७ से ३१,७६ से ९२,१०२,१०४,१०६ से १२०, १२२,१२३.१२५,१२७ से १२६,१३२२९।१ से ३,५ से १३,१६ मे २१:३०११ से ३,५ मे १३,१५ से २३,२५ से २८,३१।१ से ३,६६३२०१ से ४,६:३३०१ से ३.७ से १०, १२,१३,१५ से २६,३१ से ३३,३५,३६, ३४१ से ३५ से ६,११ से १८,२०,२५; ३५१ से १३,१६ से २०,२२,२३३६११ से २२.३० से ५१.५३ से ६४,६६,६७,७०,७१, ७४ मे १०,१२,६४११५ मे ७,१५ से १५,२० से २३,२६,२०,२६,१३ मे २५,४१, Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोयम- घणघणाइय ४५ से ५१,२११ से ४,७,१४, १५, १७ से २३, २५,४२,४४ से ४८, ५०, ५२, ५६ से ५८, १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३६, १४७, १५०,१५१.१५६,१५७,१५६,१६१, १६४:३११,६८,२२६,४१,२२,३४,४४,४५, ४८,५१, ५२, ५४ से १७.६० से ६२,६४,७६, मे २,८४,८६,६ से ८, १०० से १०३,१०५ से ११०, ११३, ११४,१४१, १४३, १५ से १६७१६६ से १७८, १५० से १८२, १८४,१८५, १८७, १८८, १६० से १९४,१६६, १६७,१६६,२००,२०२ से २१०,२१२ से २१४,२२५,२२६.२३४,२३६,२३७,२३६, २४१,२४५,२४६,२५१ से २७७,६१२,४,७ से २६,७/१ से ३३ से ४८, ५२ से ४७, ५६ से १०८,१११ से १४४, १४७, १४८, १५०,१५४ से १६७,१७० से १७८, १८० से १८५,१८७,१६७ से १६६,२०१ से २१३, चं १० सू० ११५१०११०२ उ ११२५,२६,२८, १४०,१४१,२।१२.१३,३५,६,१६ से १८, २६,२७,८५,८६,६३,६५,१२२ से १२५,१५२, १५७,१६३ से १६५,४१६,२५,२६ गोयम (गोतम ) ज ७ १३२१२ गोयर ( गोचर ) ज २१३२ गोर (गौर) प २१४०८, २१४६ ज ११५ गोरखखर ( गौरखर ) प १।६३ गदर्भ की एक जाति गोलगोलच्छाया (गोलगोलच्छाया) सू ६५ गोलच्छाया (गोलच्छाया ) सू ६१४,५ गोलपुंजच्छाया (गोलपुच्छाया ) सू ६१५ गोलवट्टसमुग्गय ( गालवृत्तममुद्ग ) २।१२० ७।१८५ गोलव्वायण (गोलव्यायन) ज ७।१३२|४ मू १०।११५ गोलावलिच्छाया (बोलावलिच्छाया ) सू ६५ गोलोम (गोलोमन् ) १ ११४६ गोवग ( गोपक) ज ३१३५ गोवल्ल (गोवल ) ज ७।१३२१३ गोवल्लायण (गोवलायन ) सू १०३१०९ गोवल्ली (दे० ) प ११४०१४ गोसीस (गोशीपं ) प २३०,३१,४१ ज २६५, १६,६६,१०० ३१७,६,१२,८२,८८, १३३, १८४,२११,२२२; ५।१४ से १६,५५, ५८ गोसीसावलि (गोशीर्षावलि) ज ७ । १३३।१ गोसीसावलिसठिय (गोशीर्षावलिसंस्थित) सु १०।२७ गोहा (गोधा ) प १७६ गोहूम (गोधूम ) ज २ ३७:३।११६ ८६७ घ (घृतोदक) प १।२३ १३७८३१३५, १७८४१३०; ५।२२ से २६,२८,४८ से ५३७ १७८ घओ घंटा ( घण्टा ) उ १।१३८, ३३७, ६१ घंटिया ( घण्टिका) ज २६४७११७८ घंटियाजाल ( घण्टिकाजाल ) ज ३२४, ३०,१०६; ५।२६ घट्टया (घट्टता ) प १६१५३ घट्ट (घृष्ट ) प २३०, ३१, ४१, ४६,५६,६३,६४ ज ११८,२३, ३१ सू २०१७ घड (घट) प २१३०, ३१, ४१ ज ३७४१२३,३८, ६५,७३, ६०, ६१ √ घड (घटय् ) घडेंति ज ५११६ घडावेता (घटयित्वा ) उ३१५० घडिया ( घटिका ) ज ४११२६ घडेत्ता (घटयित्वा ) ज ५।१६ घन (घन ) प २४८१३८, २१३०, ३१, ४१, ४६: १२।१२,३८ ज ११२४,४५, ६५, ३२३, २४, ८२, १६७,१८५, १८७,२०६,२१८,२२४; ४११२५,५११, ५, १६, ५७, ६२, ७५५, ५८, १७८,१८४ सू १८/२३; १६।२३,२६ घणघण ( घनघन ) ज २१६५ घणघणाय ( घनघनायित ) ० ५१५७ Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ घणघणेत-चउक्कय घणघणेत (धनघनायमान) ज ३।३१ घणदंत (घनदन्त) प १८६ घणवाय (धनवात) प १।२६२११० घणवायवलय (घनवातवलय) १ २११० घणसंमद्द (धनसंमर्द } सू १२।२६ घणोदधि (धनोदधि) १ २१२४ घणोदधिवलय (घनोदधिवलय) प २१४ घणोदहि (घनोदधि) प २०१३ घणोदहिवलय (घनोदधिवलय) प २११३ घत (घृत) प १५।५५।१ सू १०।१२० घतवर (घृतवर) सू १६३१ घतोद (घतोद) सू १९१३१ चित्त (ग्रह ) घत्तामोज ३।१०७ घतिहामि उ१४१ धत्तेह ज ३।११४ पत्थ (ग्रस्त) सू २०१२ घय (घृत) ज २०१०६११० उ ३३५१ घयमेह (धृतमेघ) ज २११४३,१४४ घर (गृह) सू२०१७ उ ३.१०० घरग (गृहक) ज १११३ घरधरग (घरघरक) ज ७.१७८ अनुकरणशब्द । घरोइला (गृहकोकिला) प १७६ घाइय (घातित) ज ३३१०८ से १११ उ श२२; १४० घाएउकाम (हन्तुकाम) उ१७२ घाडिय (घाटिक) ज २१२६ घाण (घ्राण) प १५७७,८१,८२, ३६८१ ज ४।१०७ घाणविण्णाणवरण (घ्राणविज्ञानावरण) प २३३१३ घाणावरण (घाणावरण) प २३३१३ घाणिदिय (प्राणेन्द्रिय) प १३।४,१५११,४,८, १३,१६,४२,५८,६४,६९,७०,२८.४५,४६, ७१ उ ३।३३ घाणिदियत्त (घाणेन्द्रियत्व) प ३४१२० घाणिदियपरिणाम (घ्राणेन्द्रियपरिणाम) प १३१४ घाणेदिय (ध्राणेन्द्रिय) प १५॥३४ घायय (घातक) ज २।२८ घुल्ला (दे०) ११:४६ घेत्तूण (गृहीत्वा) ज ३८१ घोडग (घोटक) ५ १६३ घोडय (घोटक) ५ ११११६ से २० घोणा (घोणा) ज ३।१०६ घोर (घोर) ज ११५ घोरगुण (घोरगुण) ज ११५ घोरतवस्सि (घोरतपस्विन्) ज ११५ घोरबंभचेरवासि (घोरब्रह्मर्यवासिन ) ज १२५ घोलंत (घोलत) ज ३१६; २१ घोस (घोष) प० २१४०१६ ज २१६५,३१३५, १८६,२०४ घोस (घोषय) घोसंति ल ३१२१३ घोमेंति ज ५७३ घोसेह ज ३१२१२,५१७२,७३ घोसणा (घोषणा) ज ५१२६,७२,७३ घोसाडइफल (कोशातकीफल) ११७।१३० घोसाडई (कोशातकी) प ११४०१ घोसडय (कोशातक) प ११४८१४८ घोसाडिय (कोशातकी) प १७१३० घोसेत्ता (घोषयित्या) ज ३१२१२ च (च) प ११ ज १७ सू १७ उ १७, ३१७; ४११० चइत्ता (त्यक्त्वा ) प २०१४६ ज २१६४ उ ३३१८, १२५,१५२,४१२६,२८:१३०,४३ चइत्ता (च्यत्वा) ज २८५ चउ (चतुर) प १११३ ज ११८ चं ४।३ सु ११८ उ २।२२ चउक्क (चतुप्क) प २१।१६:२३।२६,२८,६२, १३४,१७८ ज २१६५,३११८५,२१२,२१३: ५१७२,७३,७।१३१२२ उ १११८ चउक्कग (चतुष्क) ज ७१३१२ चउक्कय (चतुष्क) प६८३:२३१२८ Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउगुण-चउम्मुह 488 चउगुण (चतुर्गुण) १२१५६ ज ५५१ चउदस (चतुर्दशन) ज ३१२२१ चउग्गुण (चतुर्गुण) प २१४०१५ ज ५५४६,५२।१।। चउदसव्वि (चतुर्दशदिन ) ज २१७८ म १६।२२।२३ चउद्दस (चतुर्दशन्) ज ७१५६ सू बा१ चउजमलपय (चतुर्यमलपद) प १२१३२ चउद्दसपुचि (चतुर्दशपूर्विन्) ज २१७८ चउठाणवडित (चनु.स्थानपतित) प ५।१२,१४, चउद्दसम (चतुर्दश) सू १०७७,१३।८ १६,१८,२४,२८,३४,३५,३७,४१,४५,४६, चउद्दसी (चतुर्दशी) ज ७।१२५ ५०,५४,५६,५६,६३,६६,७१,७४,७८,८६, चउद्दिसि (चतुर्दिश्) ज ४।४,२०,११८,१२६, ५७,८६,६३,६४,६७,१०२,१०४,१०५,१०७, १४४,१४७,१५११२,२१६,२३५,२४६; १११,११२,११६,११६,१३१,१३४,१३६, ५१४०,६१ १३८,१४०,१४३,१४५,१४७,१४८,१५०, चउनाणोवगय (चतुर्ज्ञानोपगत) ज ११५ १५१,१५४,१६६१६७,१६३,१७२,१७५, चउपएसिय (चतुःप्रदेशिक) प ५१५६,१०१६ १७८,१८२,१८४,१८५,१८७,१८८,१६०,१६३, चउपण्ण (चतु पञ्चाशत् ) ज २१७७ १६७,२००,२०३,२००,२११,२१४,२१८, चउपण्णग (चतु.पञ्चाशत्क) सू १३।१७ २२१,२२४,२२८,२३०,२३२,२३४,२३७, चउपुरिसपविभक्तगति (चतुःपुरुषप्रविभक्तगति) चउप्पएसिय (चःतुप्रदेशिक) ५११६० चउठाणवडिय (चतुःस्थानपतित) प ५७,२५, चउप्पगार (चतुःप्रकार) प ११॥३०॥२ चउप्पण्ण (चतुःपञ्चाशत् ) ज ४१२३४ चउणउत (चतुर्नवति) सु १६।१४,१५१ चउप्पदेस (चतुःप्रदेशिक) प १०११४।२ चउणउति (चतुर्नवति) सू ४।४ चउप्पय (चतुष्पद) प ११६१,६२,६६,४।१२२ से चउणउय (चतुर्नवति) ज ४।२४१ १३०,६।७१,७७;२११११ से १३,३५,४४, चउणवइ (चतुर्नवति) ज ४१८६ ५३,६० ज २११३१७१२३ से १२५ चउतीस (चतुत्रिशत् ) सु ११२० चउम्पाइया (चतुष्पादिका) प १७६ चउत्तीस (चतुत्रिंशत् ) सू ११२२ चउभाग (चतुर्भाग) ज ७१६० से १६५ सू चउत्य (चतुर्थ) प ३।२०,१८३,६१८०1१; १११६:१०११४२,१४७,१२।३०,१८१२७ से १०११४।४,५,६,११।३,४२,८८,१५।१४३; १७.१४८,३३॥१६,३६०८५,८७ ज ४।१८०, चउभंग (चतुर्भङ) प १६।१०:२६.६,६ २०२; ११०६,१५६,१६३ सू १०७०,७४, चउभंगि (चतुर्भङ्गिन्) प १०१६ ७७,१२७ ; ११५५,६,१२१५,१७,२७,१३१८, चउभाग (चतुर्भाग) प ४.१७७,१७६,१८०,१८२, १६ उ १०,१२,३११४,५४,७१,८३,८८, १८३,१८५,१८६,१८८,१८६,१६१,१६२, १५३,१५.४१६१,४।१,३,२४:५६१,२८,३६,४३ १६४,१६५,१६७१६८,२००,२०१,२०३ चउत्थभत्त (चतुर्थ भक्त) १२८।२५ ज २।५६,१५६ ७१८७,१८८ सू१।१६,२११,६१३; चउत्था (चतुर्थी) सू १२०२२ १०1४७,१२।३०।१३।४।१५।१७ से १६,२४। चउत्थाहिय (चतुर्थाहिक) ज २१४३ चउत्थी (चतुर्थी) १२५ ३ ११२६,२७. चउम्मुह (चतुर्मुख) ज ३११८५,२१२,२१३; १४०,१४१ ५।७२.७३ ३ १९८ २५ Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०० चउरंगुल-चंद चउरंगुल (चतुरङ्गुल) सू १०६३१६१२२ चउरंगुलकण्णाक (चतुरङ्गुलकर्णक) ज ३।१०६ चउरंगुलजण्णुक (चतुरङ्गुलजानुक) ज ३।१०६ चउरंगुलमूसियखुर (चतुरमुलोच्छितषुर) ज३।१०६ चउरंस (चतुरस्र) प १४ से ६२०२० से २७, ३१ से ३५,४१,१०।१५,२६,२११६२ ज ११३१२।१५:३१६५,१५६,४।११४ चउरासीई (चतुरशीति) ६ २१४६ ज २१४ चउरासीति (चतुरशीति) प २१२० ज २१७३ चरिदिय (चतुरिन्द्रिय) प १३१४,५१,२।१८) ३।६,४० से ४२,४७,४६,१५० से १५२, १८३,४११०१ से १०३,५१३,८१,६।२०,६५, ७१,८३,१००,१०२,१०४,११५, ६१४,१६, २२११।४५१२१३,३०,१३।१७:१५।३४,७५, ८२,८६,१३७:१६१६,१३,१७४२२,४०,६२, ८८,६६,१०३,१८१५,२३,२०१८,१६,२३, २५,२८,३३,४७,२११६,२८,४२,७६,८०,८६; २२।३१,७३,२३३८८,१५१,१६४,२८।४३, ४६,१०१,१२५,१३६,२६।१४,२१:३०।१२, १३,२२,२३,३११३,३२१२,३४,३,७,३५।१३, २०३६।६,३६ चरिदियत्त (चतुरिन्द्रियत्व) प १५/६७,१४२ चउरेंदिय (चतुरिन्द्रिय) प६८६;१६१३ चउवत्तर (चतुःसप्तति) ज ४१५५ चउवीस (चतुर्विशति) प६।११ ज २६ सू ४१७ चउवीसतिम (चतुविशतितम) सू १२११७ चउवीसय (चतुर्विशति) सू १।१६ चउब्विह (चतुर्विध) प ११४,५२,६२,६८,७७, १०११३,१३०,५२१२५१३१३,५,१४१७,६; १५१६६,७५:१६६,२६,३१,५३,१७११३; २०१६२,२११७७,२३।१८,२८,३७,३६,५४; २५२४,५,२६१३,१२:३०१६,३५१४ ज २२५३, ६६,१६२,३।१६७१०,२११:४।६६,२५४, २५५:५१५७ चउन्वीस (चतुविशति) प ६।१० सू२११ चउव्वीस (चतुविशतितम) प १०।१४।३ चउसट्ठि (चतुःषप्टि) प २।३२ ज २०५२ चउसमइय (चतु:सामयिक) १३६१६७,६८ चउहा (चतुर्धा) प १६.१ चंकमिय (चंक्रम्य) ज ७१७८ चंगेरी (चंगेरी) ज ३।११:५७,५५ चंचल (चञ्चल) प २१४१,५० ज ३।१०६,१७८, ५।१८,७१७८ चंचलायमाण (चंचलायमान) ज ३१२४१३,३७१, ४५११,१३१३३ चंचुच्चिय (दे०) ज ३।१७८६७।१७८ कुटिलगमन चंचुमलइय (दे०) ज ५।२१ चंड (चण्ड) २६०,१३१ चंडिक्किय (दे०) अत्यधिक कुपित ज ३।२६,३६, ४७,१०७,१०६,१३३ उ १।२२,१४० चंडी (चण्डा) ५११४८।४ चंद (चन्द्र) प ११३३;२१२० से २७,४८,१५१३, ४,२१,५५।३,१७४१२८,२११२३,८० ११२४२।१५,६८,१३१,३।३,२४।४,३२१, ३५,३७४२,४२,४५।२,७६,८५,६५,१३१।४, १५६,१८५,२०६; ४।१४२,२११:७१,७२, ७५,७८ से ८२,८४,६८,१०५.१११, ११२।२,१२६,१२७११,१२६,१३४११,४, १६७।१,१७०,१७७।१,१७८।१,१८०,१८१, १८३ से १८५,२०७,२१२,२६२ सू १०।२, ५,७५,१२२,१२७ से १२६२,१३२,१३३, १३६,१३८ से १४२,१४८,१४६,१५२ से १६५,१७०,१७२,१७३;११११ से ६:१२।३, १५,१७११,१६ से २८,३०,१३३१,३ से १७; १४।३,७,१५॥१,२,५,६,८ से १०,१४,१७ से २०,२६,२६,३२,३५,१८।१४,१८,१६,२१ मे २४,३७, १६१११,५।२,८,११६२,१५।२, १६,२१।३,६,१६।२२।४,७,१०,१५ से २५, २७,२८,३०,१६३३१,३५,३८, २०१२,३,४,६ उ ११६३;३।२।१,३।६.१४ से १८,२१,२५ Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंदचार चक्कट्ट चंदचार (चंद्रचार) सू १०।१२१,१२२ चंदण ( चन्दन ) प १ २०२४; ११३६१३, ११४६; २१३०,३१,४१ ज २७०,६५,६६,६६,१००: ३१६,१२,८२,८८, १३३,२०६, २११,२२१, २२२:५३१४ से १६,५५,५६,५८ चंदणकयचच्चाय (चन्दनकृत चर्चा ) ज ३।२०६ चंदणys ( चन्दनपुट) ज ४।१०७ चंदा ( चन्दना) उ ३।१७१ चंदद्दह ( चन्द्रद्रह ) ज ४।१४२।३,२६२ चंदवण्णत्ति ( चन्द्रप्रज्ञप्ति) ज ७।१०२ चंदव्य ( चन्द्रपर्वत) ज ४२२२ चंदप्पभ ( चन्द्रप्रभ ) प ११२० ४ ज २ १३; ३१२,८८५५८ चंदप्पा (चंद्रप्रभा ) प १७।१३४ ज ७।१८३ सू १८/२१:२०६ चंदमंडल ( चन्द्रमण्डल) ज ३१५, ११७,१५६, १७८७६१ से ७३,७६,७८, ६७,१७७ सू १०१७६,७७ चंदमग्ग (चन्द्रमार्ग) चं ५१२ सू १।६।२; १०/७५ चंदमस (चन्द्रमम्) चं २१४ ; सू १।६।४; १३।१,१७ चंदमा (चन्द्र) ११६; १३।१,१७ चंदमात ( चन्द्रमास ) सू १२।१० से १२ चंदलेस्सा (चन्द्रा ) सू १६/१,२ चंदवडिस (चन्द्रावतंसक ) सू १८१२२,२३ उ ३६, १४ चंदविमाण ( चन्द्रविमान ) प ४ १७७ से १८२; ६१८५ ज ७११७३,१७४, १७६ से १७८१८८ सू १८१,८,९,१४,२७,२८ चंदसंवच्छर (चन्द्र पंवत्सर) ज ७ १०६, १०७ सू १०।१२७११।२ से ६,१२।१,३,१० से १३ चंदा (चन्द्राभ) ज २१५.६,६२ चंद्रायण ( चन्द्रायण) सू १३।१०,१३ ६०१ चंदिम ( चन्द्रमम् ) प २०४८ से ५१,६३ ज ७१५.५, ५८,१६८, १८०, १८१,१६७ सू ३१; ६ १ ; १५ ११७११ ; १८१२,३,१८,१६,३७; १६ १, २६, २०११,७ उ २११२६५१४१ चंदमसूरियसंठिति ( चन्द्रमर सूर्यमस्थिति ) सु४१,२ चंदिमा (चन्द्रिका) ज ७।१०२ चंदोतारायण (चन्द्रावताराचन) उ ३।१५७ चंप (चम्पक) प १७ २७ चंपकवण (चम्पकवन ) ज ४।११६ चंपग (चम्पक) ज २११०३।१२,८८१२३, ६१ चंपगजाति (चम्पकजाति) प ११३८ । ३ चंपकवडेय (चम्पकावतंसक) २३५०, ५२ चंपछल्ली (चम्पक छल्ली ) प १७ १२७ चंपभेद (चम्पकभेद ) प १७।१२७ चंपकुसुम (चम्पक कुसुम ) प १७ १२७ चंपलता (चम्पकलता ) प १।३६।१ चंपा (चम्पा ) प १९३१; १७ १२७ उ ११६,१०, १२,१६,६३,९५, ६७, ६८, १०५, १०६, ११०, ११६,१२२, १२५,१४४,१४५ २०४, ५, १६, १७ चंपापुर (चम्पकपुट) ज ४१ : ०७ चक्क ( चक्र ) ज २११५,३३,३५,६५,१५६, १६७ ११,१२ सू ३२ चक्रुद्धचक्कवालसंठित ( चक्रार्धचक्रवालसंस्थित ) सू १/२५,४२ चक्कपुरा ( चक्रपुरा ) ज ४१२१२,२१२१४ चक्करयण ( चक्ररत्न) ज ३१४ से ६, ६, १२, १४, १५,१८,२२,३०,३१,३६,४३,४४,५१,५२, ६०,६१,६८,६६,६३,६६,१०६,१३०,१३१, १३६,१३७, १४०,१४१, १४६, १५०, १६३, १७२,१७३,१७५,१७८, १८०,२२० चक्करयणत्त (चक्ररत्नत्व) प २०१६० चक्कट्टि (चक्रवर्तिन् ) प ११७४,६१,६३२६ ज २१८,६३,१२५; १५३, ३१२,३,२६,३६, Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ चक्कट्टित्त-चर ४७,५६,७६,६५,११५.११६,१२४,१३३, चक्षुहर (चक्षुहर) ज ३१२११:५१५८ १३५॥१,१३६,१३८,१४५,१५६,१६७।५,१४; चच्चपुड (चर्चपुट) ज ३३१०६ ४।६४,१६२,२७७,५।२१,५८,७११६६,२०० चच्चय (पर्चक) ज ३१८८ चक्कवट्टित्त (चक्रवर्तित्व) १२०१५०,५२ चच्चर (चत्वर) ज २१६५,३३१८५,२१२,२१३; चक्कट्टिवंस (चक्रवर्तिवंश) ज २२१२४,१५२ ५७२,७३ उ १६८ चक्कट्टिविजय (चक्रातिविजय) ज ४।१६६, चच्चा (दे०) ज ५१५६ २६२,५१,५८,६११४,१६ चच्चिय (चचित) ज ३१२११ चक्कयाग (चक्रवाक) उ ५५ चडकर (दे०) ज १६५ चकवाय (चक्रात) ज २१२ चड़गर (दे०) ज ३१७,२१,२२,३६,७८,१७७ चक्कवाल (चक्रवाल) ज ११६५,४१२३४,२४०, चणग (चणक) ज ३१११६ २४१ सू १६४,७,१४,१८,३०,३४,३७ चत्ताल (चत्वारिंशत् ) ज ४।५५ सू१।२१ उ ३११२,१४१,४.१२,१३ चत्तालीस (चत्वारिंशत् ) प २३६ ज ५।४६ चक्काग (चक्रवाक) प ११४८१३८,१७६ सू १०।१५७ चक्कि (चक्रिन्) प ११६३१६,२०१११ चमर (चमर) प ११६४, २१३१,३२,४०१६ चक्किय (चक्रिक) ज २६४ ज ११३७,२१३५,१०१,११३,११६,३११८५, चक्किया (शक्नुयात् ) ज ३१८५ २०६।४।२७; ५।२८,५० चविखदिय (चक्षुरिन्द्रि) प १५॥१,३,८,१३,१६, चमरचंचा (चमरचञ्चा ) ज ४।१६५,२१०२५२५० ३४,४१,५८,६४,७०,२८।४६,७१ उ ३३३ चमरोगंड (चमरगण्ड) ज ३।१७८ चविखदियत्त (चक्षुरिन्द्रित्व) ५३४२० चम्म (चर्मन् ) ज ५।३२ चक्खिदियपरिणाम (चक्षुरिन्द्रियपरिणाम) चम्मपक्खि (चर्मपक्षिन् ) प ७७,७८ प १३४ चम्मरयण (चर्मरल) ज ३१७८ से ८१,११६, चक्खु (चक्षुप) ज २५,४६ ११७,१२१,१५१,१७८,२२० चक्खुदंसण (चक्षुर्दर्शन) प ५१५,७,२१,४५,८१, चम्नरयणत (चर्मरत्नत्व) प२०६० ६३,६७,२६४३,७,१४,१७,१६,२१,३०१३,७, चम्मेछग (चर्मेप्टक) ज चय (चय, च्यव) प २०१४६ ३ ३।१८,१२५,१५२; ४।२६,२८,५१३०,४३ चक्खदंसबाबरण (चक्षुर्दशनाबरण) १२३६१४ चय (श.) चाइ प २१६४।१७ चक्खुदंसणावरणिज्ज (चक्षुर्दर्शनावरणीय) चय (च्यव) चयंति प६.१११६।२६,१७१६६ प२३३२८ सू १७१ चयति सू १६।२४ चक्खुदंसणि (चक्षुर्द शिन्) ५ ३११०४ चयंत (त्यजत् ) प २०६४१५ चक्खुदय (चक्षुर्द) ज ५१२१ चयण (च्यवन) प ६.४६,५६,६६, १७६१,१०५ चक्लुप्फास (चक्षुःस्पर्श) ज २० से २५,७६,८१ चं २१५ सू ११६।५ : १७६१ धक्खुफास (चक्षुःस्परां) सू २।३ चयोवचय (चयापचय) सू१।१४ चक्खूभूय (चक्षुर्भूत) उ ३।११ चर (चर) चरइ ज ७१०,१३,१६,१६ से ३०, चक्खुन (चक्षुष्मत् ) ज २५६,६१ २५,६६,७२,७५.७८ से ८२,८४,६५,६६,६८ चक्खुल्लोयणलेत (चक्षुर्लोकनलेश) ज ४।२७; ५।२८ से १००,१७१,१७३,१७५ सू १।११ चरंति Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चर-चामरहत्यगव प१७५, २०४८ ज ३.९५,१२५,७११ च ३११ चल (चल) ज ३।१७५, ७११७८ सू १७११:१६६१,१११२,१५।२,२१॥३,६ चल (चल्) चलइ ज २१६२,३१५५,६४,७२, चरति सू १३१५, १६।२२१२,१७ चरिति १४४,१२० चलंति ज ३।२,१११,११२,५२,७ सू १६८ चरिंसु ज ३३६५७।१ सू १६१ चलंत (चलत् ज ३।३१,७१७८ चरिस्संति ज ३१६५७१ सू १६१ चरेंति चलचवल (चलचपल) प २१४१ सू १६६११ चलण (चरण) ज २११४,१५,३।३५,१०६७।१७८ चर (चर) ज ७।१२४,१२५ चलणीबहुल (चलनी' बहुल) ज २११३२ चरग (चरक) प २०१६१ ज ३.१०६ चलिय (चलित) ज २१८६,६०,६३, ३१५६,११३, चरण (चरण) ज ३१३,१३८ १४५, ५६३,२१,२८ चरम (चरम) सू ७।११०१५६ , २०१३ चवल (चपल) ज २६०,३३६,२६,३५,३६,४७, चरमाण (चरत्) उ ११२,१७,३।२६,६६,१३२, ५६,६४,७२,१०६,११३,१३८,१४५,१७८; १४६,१५६,४।११:५१३६ ५।५,२१,२६,४४,४७,६७,७११७८ चरित्त (चरित्र) प १।१०१११० ज २०७१ चवलायंत (चपलायमान) ज २११५ चरित्तधम्म (चरित्रधर्म) प १११०१।१२ चविया (चव्य) प १७:१३१ चरित्तपरिणाम (चरित्रपरिणाम) १३।२,१२, चाउग्घंट (चतुर्घण्ट) ज ३।२१,२२,३४ से ३६ १४,१८,१६ उ ५१३८ चरितमोहणिज्ज (चरित्रमोहनीय) प २३१३२,३४ चाउघंट (चतुर्घण्ट) उ १।११० चरित्ताचरिति (चरित्राचरित्रिन्) प १३११४,१८, चाउरंगिणी (चतुरङ्गिणी) ज ३।१५,२१,३१,३४, ७८,६१,१७३,१७५,१६६ उ १११२३ १२७, चरितारिय (चरित्रार्य) पश६२,१११ से १२६ १२८,५११८ चरित्ति (चरित्रिन) प १३।१४,१८,१६ चाउरंत (चतुरन्त) ज २।१८३।२,२६,३६,४७, चरिम (चरम) प १११४,१०३,१०६,१०७,१०६, ५६,११५,१२४,१३३,१३८,१४५,५१२१,५८ ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२,१२३, चाउस्सालग (चतुःशालक) ज ५१३ २०६४।५।३।१।२,३।१२३:१०१२ से १३, चाउस्सालय (चतु:शालक) ज ५११३,१४ २१ से २४,२६ से २६, ३१ से ५३; चाडुकारग (चाटुकारक) ज ३।७८ १५१४३;१८।११२,१८११२६; २३१६३, चामर (चामर) प १११२५ ज २०१५,३६,१८, ३६.७६ ज ४११४३;७।१५६ से १६७ सू ५१; २४,३१,३५,६३,१०६,१७८,१८०,२२२; १०१६३ से ७४,१३८,१४२,१४३,१४७ से ४।२६,३०,५१११,४३,४६,५५,५७,६०,६६, १५१,१५६,१६१,१११५,६,१२१२४ से २८, ७/१७८ ३०,१३।१ उ ५।४३ चामरग्गाह (चामरग्राह) ज ३११७८ चामरच्छाय (चामरच्छायन) ज ७१३२१३ चरिमंत (नरमान्त) प २१६४,१०१२ से ५,२१, चामरच्छायण (नामरच्छायन) सू १०११३ २६,२७ से २६; १६।३४, २१।१०३३।१६, चामरहत्थगय (हस्तमतचामर) ज ३१११ १७ ज ४११०,१४१,२०६,२०७,२५२ चरिमभव (चरमभव) १ २१६४।४ चरु (चरु) उ ३१५१,६४ १ चलनप्रमाण कर्दम: चलनीत्युच्यते Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०४ चामीकर-चित्त चामीकर (चामीकर) ज ३११ चार (चार) प २१४८,१६:५५ ज ७११,१०,१३, १६, १६ से ३१, ३५, ६६,७२,७५,७८ से ८२,८४,६५,६६,९८ से १००,१७१,१७३ से १७५ सू श६,११,१४,१६,१७,१६ से २४, २७:२२२,३,३१२:४।४,७,६६।१६।२ १०।१२१,१२२,१३।५ से १०,१२,१३,१७; १५१२ से ४,१८१,५,७,१६.१,५,८,११,१५, १६,२१,१६३२२१२,१३,२२,१६।२३ चारगसाला (चारकशाला) उ १८८,६१ चारद्विइय (चारस्थितिक) ज ७५५,५८ चारद्वितिय (चारस्थितिक) सू १९३२३,२६ चारण (चारण) प १९१ चारि (चारिन् ) प २०४८ चारिय (चारिक) प १७६३१ चारियत्व (चारयितव्य) प १७:३१,६७ चार (चारु) प २।४१,५० ज २११४,१५,३११०६, ११६,१३८,५१८ चारुभासि (चारुभासिन् ) ज ३७७,१०६ चारेयव्व (चारयितव्य) प २१।१०२; २२१७० चारोवग (चारोपण) सू १६॥२२२२१ चारोववष्णग (चारोपपन्नक) ज ७१५५,५८ सू १६१२३,३६ चाव (चाप) ज २।१५,३।३१,१७८ चावग्गाह (चापग्राह) ज ३।१७८ चाववंस (दे०) प ११४१२२ चास (चाष) प ११७६१७४१२४ चासपिच्छ (चाषपिच्छ) प १७।१२४ चि (चि) चिज्जति १२११९५,९६ चिउर (चिकुर) प १७११२७ चिउरराग (चिकुरराग) प १७१२७ चिचाराम (चिञ्चाराम) उ ३।४८,५५ चित (चित्) चितेमि प ११११ चितय (चिन्तक) उ ११३१ चिता (चिन्ता) ज ३१०५ उ २।११ चितिय (चिन्तित) ज ३१२६,३६,४७,५६,८७, १२२,१३३,१४५,१८८,५१२२ उ १११५,५१, ५४,६५,७६,७६,६६,१०५:३३२६,४८,५०, ५५,९८,१०६,११८,१३१,५१३६,३७ चितेमाण (चिन्तयत्) ज ३११८८ चिध (चिह्न) प २१३०,३१,४१,४८,४६ ज' ३३२४,३१,७७,१०७ से १११,११७,१२४, १७८ उ १।१२,१४० चिक्खिल्ल (दे०) प १२० से २७ चिट्ठ (स्था) चिट्टइ उ १।४७ चिट्ठई ज ११६, ४०,४७,३१५४,६३,७२,१३७,१४३,१६७, २२२,४११४०,१६८,२३४,२४०,२४१,५१६७, ६८ चिट्ठति प० २१६४;२।६४१२०१५।४३, ४५,२८.१०५:३४।१६,२२ से २४,३६,७६, ८१,६३,६४।१ ज १११३,३०,२१७ से ६,१३, ६० से ६२, ३।१११,११३;४१२,१२६,१३७; ५१५,७ से १२,३८,५७,६०,६७७।१८५,२१३ सू १८१२३ उ ३.४६ चिट्ठति प १५२५१,५२ सू १६२ चिट्ठह ।।११३ चिट्ठामि उ १.११७ चिट्ठाहि उ १।११५ चिट्ठज्ज प ३६१६१ चिठ्ठित (स्थित) सु २०१७ चिठ्ठिय (चेष्टित) ज २।१५, ३११३८ चिडग (चटक) प १७९ चिणण (चयन) प २१११११ *चिण (चि) चिण १४॥१८१ चिति प१४५१२ पिणियु, १४१११ चिणिस्संति प १४।१३ चिण्ण (चीर्ण) चं ३।१ सू १७,१८,१६,१३३१२, १४ से १७ उ ३३४८,५.०,५५ चित्त (चित्त) २८१ ज ६५,६,८,१५,१६,३१,५२, ५३,६१,६२,६६.७०,७७,८४,६१,१००,१०६, ११४,१३७,१४१,१४२,१५०,१६५,१७३, १८१,१६६,२०८,२१३,५१५,१५.१८,२१, २६,२७,२६,४१,५५,५७,७० उ ११२१,३१, Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चित्त-चुलसी ४२,१०८ ३ १३६;५/२० चित्त (चित्र) प १।११३, २०३०,३१,४१,४८,५० ज ३१२४१३,३७११, ४५२१, ७६, ११६, १२४, १३१३,१४५,१७८७११७८ चित्त (चैत्र) सू १० १२४ चित्तंतरलेस ( चित्रान्तरलेश्य ) ज ७ ५८ सू १६/२६ चित्तंतरले साग ( चित्रान्तरलेश्याक) सू १६१२२/३० चित्तकणगा ( चित्रकनका ) ज ५३१२ चित्तकूड ( चित्रकूट ) ज ४ १६६, १६६,१७२,१७३, १७६,१७८ से १८१, १८५, १६१, १६७, २००, २०६, २०७६ १० चित्तग (चित्रक ) प ११६६ चित्तगुत्ता (चित्रगुप्ता) ज ५६ १ चित्तपक्ख (चित्रपक्ष ) प ११५१ चित्तहुल ( चित्रकबहुल) ज २६४ चित्तय ( चित्रक ) प ११।२१ चित्तलंगमंग (चित्रलाङ्गाङ्ग) ज २११३३ चित्तलग (चित्रलक ) प १/६६ ज २३१३६ चितल (चित्र, चित्रलिन् ) प १।७१ चित्तविचितकूड (चित्रविचित्रकूट) ज ४१६४ चित्ता (चित्रा) ज ५।१२७ १२८, १२६,१३६, १४०,१४६,१६४,१६५ सू १०१२ से ६,१६, २३,४७,६२,७१,७२,७५,८३,११२,१२०, १३१ से १३३,१५४; १२।३० चित्तामूलय (चित्तामूलक ) प १७।१३१ चितार (चित्रकार ) प ११६७ चितिया ( चित्रिका ) प ११।२३ चिय (चित) प २३|१३ से २३ ज ३।२१७ चिय (एक) सू १०।१३६ चियेगा ( चितका) ज २६५, १६, १०३, १०४,११४ चियत्तदेह (रक्तदेह ) ज २२६७ चिरं (चिरम् ) ज ३।१२६ १,२ चिरंजीव ( चिरंजीव) ज ३।१२६ चिराईय ( चिरातीत ) चं ७ उ ५ ७ चिलाइ (किराती) ज ३३११११ चिलाइया ( किरातिका) ज ३१८७ चिलाय (किरात) ज ३११०३ से १०५,१०७, ११५,१२५ से १२७ चिलाविसवासि (किरात विषय वासिन् ) प११८६ चिल्लम (दे० ) प २१४१ चिल्लल (दे० ) प ११८६ २४, १३, १६ से १६,२८ चिल्ललग (दे० ) प ११ २२ चिल्ललय (दे० ) प ११०२१, २४ चिल्ललिया (दे० ) प ११०२३ चिल्लाय (किरात ) प १८६ चिल्लियतल (दे० ) सू २०१७ देदीप्पमान तल चौण (चीन) १८६ चपरासि (चीनपिष्टराशि ) प १७ १२६ चीवरधारि (चीवरधारिन् ) ज २२६६ ०५ चंचुंण (चुञ्चुण ) प १।६४।१ चंचुय (चुञ्चुक ) प १८ चुच्चु (दे० ) प १|३७|२ चुष्ण (चूर्ण) प १२४८ ३८ ज २२६५;३।११,१२, ८८ २०७ चुण्णग ( चूर्णक) उ३।११४ चुण्णवास ( चूर्णवास) ज ५।५७ चुणविहि ( चूर्ण विधि) ज ५३५७ चुणिया ( चूर्णिका ) प ११।७६ ज ७ २१,२५,६५, ६८,६६,७१,७२,७४२।३; १० १५२ से १६०,१६२,१६३,११।२ से ६ १२७, ८, १६ से २५ चुणियाभाग ( चूर्णिकाभाग) ज ७ २१,६६, ७४, ७५ चुण्णियाभाय ( चूर्णिकाभाग ) ज ७।२५,६५,६८, ७१,७२,७५,७७, ७८ चुणियाभेद ( चूर्णिकाभेद ) प ११७६,७९ चुणियाभेय (चूर्णिकाभेद ) प ११।७३,७६ चुय (च्युत) ज २८५ ७१५६,५६ चुलसीई ( चतुरशीति ) प २३४ ज २०७४ चं ४२ Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०६ चुलसीति ( चतुरशीति ) प २१४० १ सू २३ चुलसीय (चतुरशीति) सू १।१२ चेडरूव (चेटरूप) उ ३।११४ चेडिया ( चेटिका ) उ ३।१४१ चुल्लमाया ( क्षुल्लमातृका ) उ१।१२,४३,४४, चेडी (चेटी) ३ ११५४,५५,७६,८०,४११२,१३ चेतियखंभ ( चैत्यस्तम्भ ) सू १८३ १४५, २१५, १७ चुल्लहिमवंत ( क्षुल्ल हिभवत् ) प १६।३० ज ११४८; चेत्त (चैत्र) ज ७ १०४३६४० चेती ( चैत्री) ज ७|१३७,१४०,१४६,१५५ सू १०७,१६,२३,३६ ४।४८ चुल्लहिमवंतकूड (चुल्लहिमवत्कूट) ज ४१४४,४५, ४८,५१,५२, ७६, ६६,२२६ चुल्लहिमवंतगिरिकुमार ( क्षुल्ल हिमवगिरिकुमार ) ज ३ १३१ से १३४, १३६,४५२ चूचुय (चूचुक ( ज २।१५ चूडामणि (चूडामणि ) प २।३० ३१ ज ३१३६, २११ चूतलता ( चूतलता ) प ११३६६१ चूयमंजरी ( चूतमञ्जरी) ज ३११२,८८ ५५८ चूयवण ( चूतवन) ज ४। ११६ चूयवडेंस ( चूतावतंसक ) प २५०,५२ चूलासोइ ( चतुरशीति ) सू ११८/२ चूलियंग ( चूलिकाङ्ग) ज २१४ चूलिय ( चूलिक) ज २१४; ४।२४२ चेइय ( चैत्य ) ज १३:२।३१,६७,७१२२४ चं ७,६ सू ११२, ४, १८/२३ उ १११.२,६,१७,१६, १४४; २।४, १६ : ३१४, ६, २१, २४,२६,४६,६६, ६५,१५५,१५७,१६८, १७१,४४,६,१३,१८, २८,५/३६ चेइमखंभ (चैत्यस्तम्भ ) जे २।१२०, ४। १३३; ७१८५ चेयभ (चैत्यस्तूप) ज २२११४,११५ चेइरुक्ख (चैत्य रूक्ष, चैत्यवृक्ष ) ज ४ १२६, १२७ चेट्ठा ( चेष्टा ) ज २१३३ चेड (चेट) ज ३६,७७,२२२ चेडग (चेटक ) उ ११२२,१०७,१११, ११५,११६, ११६,१२८, १३७, १४० चेड (चेटक ) उ ११२२,२५,२६,१०५ से १०७, १०६,११०,११३,११४,११६ से ११६,१२७, १२ से १३४,१४० चुलसीति चोरग चेदि (चेदि ) प १३६३४ v चेय ( त्यज्) एइ उ० ४।२१ चेएसि उ ४।२२ चेलपेला (पेटा) उ ३११२८ चेल्लणा ( चलना) उ १११०,३२ से ४१, ४३, ४४, ४६,४८ से ५५,५७,५८,७० से ७४,८८, ६५, १०६, ११०, ११३, ११४ वेव (चैव ) प ११११७ चोsयम (चोदितमति) ज ३४१३८ चोक्ख ( चोक्ष) ज ३८२,१०६३।५१,५६ चौताल ( चत्वारिंशत् ) सू १२ १२:१६ । १५१२ चोत्तालीस ( चत्वारिंशत् ) सू १०।१३६ चोत्तीस ( चतु: त्रिशत् ) प २३६ ज ४।११० सू १।२२ चोट्स ( चतुर्दशन् ) प २२६६ ज १४८ सू ३|१,१०१६३ चोपुयि (चतुर्दशपूवि) ज ११५ चोदम ( चतुर्दश) ज सरणीसर ( चतुर्दशरत्नेश्वर ) ज ३११२६३ चोसहि ( चतुर्दशविध ) प २३१६,२० चोपाल (दे० ) ज ४,१३७ आयुधशाला चोप्पालंग (दे०) ज २१२० वरण्ड चोय (दे०) ज ३१११।३ चोयड ( 'चोय' पुट) ज ४११०७ चोयाल (चतुश्चत्वारिंशत् ) प २१४०३३ ज ७७६ सू १।१८ चोयालीस (चतुश्चत्वारिंशत् ) प २३५ ज ७८ चोयासव (चोयासव ) प १७ । १३४ चोर (चोर) प १७/१३२ ३०१२८ चोरग (चोर) प ११४४१३ असबरक, एक बढ़िया Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवट्ठि-छप्पण्ण घास जो रेशम रंगने के काम आता है। चोर्वा (चतुष्यष्टि) १२३१ चोत्तर (चतुरसप्तति) ज ७० चोवीस ( चतुर्विंशति) ज ७।१०६ चोसट्ठि (चतुष्षष्टि) २०६४ छ छ ( षष् ) प ११६४।१ ज १।१८ चं ३२३ सू १/७ उ ५।२५ छमत्थ ( छद्यमस्थ ) प १।१०१ ४,१११०४ से १०७, ११७ से १२०, १२१३११८३: १५४४४,४५ १८६४,६५,६७,९८६३६८०,८१ उमरथपरिया (छद्मस्थय ज २६६ छक्क ( षट्क) ज ७।१३१।१ छवखुत्तो ( षट्कृत्वस् ) सू १२११० छगल (छगल ) प २०४६ छज्ज (राजु) छज्जद्द व ३२१२४१४, २७२, ४५२, १३१।४ छठ ( पष्ठ ) प ३११८, १८३ ६८०२; १०।१४|४ से ६:१२।३२; १७१६५३३१६३६८५,८७ २६५८५७१७.११७११०१७७ १३८ ३ २१०, २२:३१४,५०,५५,८३,१५० १६१, १६७,१७० ४ १२४ ५ २८, ३९, ४३ छठमण (पक्षपण) उ ३१५० से ५४ इभक्त (पष्टभक्त) प २८६४७ ज २१५२.१६१ छाडि (पधानपतित ) प ५१५.७, १०, १२ १४,१६,१८,२०,२४,२५,२८,३०,३२,३४, ३७,३८,४१,४२,४५,४६, ४१, ४३,४६,४९, ६०,६२,६४,६८,७१,७४,७१,७८,७६,८२, ८४,०६,८१,१०,१३, १४, १७, १०१, १०२, १०४, १०५१०७,१०,१११, ११२.११६,१२६, १३१,१३४,१३६,१३८, १४०, १४३, १४५, १४७, १५०,१५१,१५४,१६२.१६६,१६९.१७२, १७४.१०७,१८१,१०४, १८७, ११०,१९१. ११३,१४,१६७, १६८, २००, २०१.२०३,२०४, २०७,२०८,२११, २१२,२१४,२१५,२१८, २१६,२२१,२२२, २२४, २२५, २२८,२३०, २३२,२३४,२३७,२३६,२४२ से २४४ उट्ठाणचडिय (पदस्थानपतित ) प २५ ७ ११५. ११६,१६६ छट्ठी ( पष्ठी ) प २२७/२ ज ७।१२५ छण्ण ( छन्न) ज ३।३ छण्णउइ ( षण्णवति) प २४०११; १२ ३२ ज २६; ३११७८ छण्णउत ( पण्णवति) सू १९१२१ छण्णउति ( पष्णवति) सू २१३ छष्णउप (पण्णवति) toy १६।११।३:२११७ (छ) प २०४८, ६४११०२५ ज २०१५, २० ३१३,६,१८,३१,३५,७७, ७८, ६३, १७८, १८०, २२२,५०४३,५५,५७१२।२६ उ १०१६ ४।१३.१८ सहयगय (हस्तगतछ ज ३।११ छाया (छत्रछाया) प १६॥४७ छत्तरयण ( छत्ररत्न ) ज ३।११७।१, ११८, ११६, १२१,१७६,२२० छत्तरयणत्त (छत्र रत्नत्व) प २०१६० छत्तल (पाल) ३०२३,१३५,१५० छत्ताइच्छत (तिच्छत्र) ४३०, ४९, ५०४३ छत्तागारसंठित (छत्राकारसंस्थित) सू ११२५, ४२ छत्तातिच्छत (छत्रातिच्छत्र) सू१२।२१,१० छत्ता (छत्राक ) प १४७ कुकुरमुत्ता, धनिया, सोया, जाल ववूर का वृक्ष छत्तार ( छत्रकार ) प १६७ छत्तालीस (पद्मत्वारिंशत् ) १२२५ छत्तीस (पशित् ) प २२४०२४ २०२ सू १०।१६९ छत्तोह (छत्रौष ) प १०३६३ छप्पएस (पप्रदेशिक) ए १०।११ छप्पण्ण ( पट्पञ्चाशत् ) प ११८४ ज ४१८६ सू ३०१ छप्पण्ण (दे० षट् प्राज्ञक) ज २११६ Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छप्पय-छत्तुं छप्पय (षट्पद) ज २०१२ १०१६३ से ७४:१६।५.६ छन्भंग (षट्भङ्ग) प २८६११६,१२३,१२५,१३३, छायागति (छायागति) प १६१३८,४७ १३६,१४३ से १४५ छायाणुमाणप्पमाण (छायानुमानप्रमाण) सू ६.३ छम्भाग (पभाग) प २१६४ ज १११८६३२।१।। छायाणुवादिणी (छायानुवादिनी) सू ६।४ छमास (पण्मास) सू १:१६ | छायाणुवायगति (छायानुपातमति) ५ १६:३८,४८ छम्मास (पण्मास) ज २१४६७।२३,२५,२८,३०, छायाल (पट्चत्वारिंशत् ) ५ २।४०।४ ज ४।८६ ५७,६० सू १११३,१४,१७,२१,२४,२७,२।३; छायालीस (पट चत्वारिंशत् ) सू१४१७ ६.१,१६।२५,२७ छायाविकंप (छायाविकम्प) सू ६।४ छम्मासावसेसाउय (छामासावशेषायुष्क) छारियभूय (क्षारिक भूत) ज २११३२,१४१ प६११४ छावट्ठ (षट्पष्टि) ज७।२७ छल (षष्) ज ७२०१ सू १२।१२ छावठ्ठि (पटपष्टि) प १८७६ ज १२० छलस (षडस्र) ज ३१६२,११६ सू १।११,१२१३ छलसीय (षडशीति) ज ४।४५७।३१ सू ४।४; छावत्तर (षट्सप्तति) ज ७१ सू१६।११,१११३ १५।२६ छावत्तरि (षट् सप्तति) प २१४०।२।। छल्ली (छल्ली) प ११४८१३० से ३७,६३ छिद (छिद) छिदति ज ५१५७ किमि उ १८८ छवि (छवि) ज २११६,३६,४१,१३३, ३११०६ छिज्ज (छेद्य) 3 ३१११४ छविच्छेय (छविच्छेद) ज २१३६,४१ छिण्ण (छिन्न) ज २१८८,८६३१२२५ छविधर (छविधर) ज ७१७८ छिण्णरहा (छिन्नरुहा) १११४८।३ गुडुची छविहर (छविधर) ज ७१७८ छिद्द (छिद्र) प २११० उ१६५,६६,१०५ छविध (षड्विध) प ६१११८ छिपणलेसा (छिन्नलेश्या) सू ६१ छविय (दे०) प ११६७ कट आदि बनाने वाला छिन्नसोय (छिन्नस्रोतस, छन्नशोक) ज २१६८ छविह (षडविध) प ११६१,६४,६५,६११६ छिप्पतूर (क्षिप्रतूर्य) उ ११३८ १३।६,१५१३५,७०,२११२६,३१,३२,३४,३६, छिया (दे०) ज २०६७ २२।८३,८४,८६;२३१४५,४६; २४।२,४,८, छोइत्ता (क्षुत्वा) ज२४६ १० से १२;२६१२,४,६,८ से १०:२६१६; छोरविरालिया (क्षीर विडालिका) प १७६ ३०।२ ज २।२,३,५०,५८,१२३,१२८,१४८, छोरविराली (क्षीरविदारी) प १४०१४; १५१,१५७,१६४,४।१०१,१७१ ११४८।२ सफेद और अधिक दूध वाली छब्बीस (पविशति) ५२।२३ ज ७।१०८ विदारी सू श२१ छाउद्देस (छायोद्देश) सू ६।२ छुरघरगसंठिय (क्षुरगृहकसं स्थित) सू १०३६ छाउमत्थिय (छाद्मस्थिक) प ३६।५३ से ५६,५८ छुरघरय (क्षुरगृहक) ज ७३१३३११ छाणविच्छ्य (छगणवृश्चिक) प ११५१ छुहा (क्षुधा) प २१६४।१६ छायच्छाय (छायाछाया) सू ६४ छेइत्ता (छित्त्वा) उ ३।१५०५१२८,४१ छाया (छाया) प२।३०,३१,४१,४६१६१४८ छेज्ज (छेद्य) ज ३१३२ ज ११८,२३,३१,२।१६,२०,१४६ ; ३१३,११७।१ छेत्ता (छित्त्वा) ज ७२२ सू १।१६ १२७,५।३२७।१५६ से १६७।१ सू ६१४; छेत्तुं (छेत्तुम् ) ज २१६११ Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छेद-जभग १०६ छेद (छिद् ) छेदेइ उ ३।८३ छेदेहिइ उ ५।४३ छेदित्ता (छित्वा) उ २०१२;३।१४ छेदेत्ता (छित्त्वा) उ ३१८३ । छेदोवठावणिय (छेदोपस्थापनीय) प१।१२४, १२६ छेदोवठावणियचरिस्परिणाम (दोपस्थानीय चरित्रपरिणाम) प १३११२ छेय (छेद) ज २३६,४१,६०,३११७८,५१५ छेय (छिद्) छेएइ उ ५१३६ छयणगदाइ (छेदनकदायिन्) प १२।३२ छेरमाण (रिच्यमान) उ ३।१३० छेलिय (दे०) ज ३।३१ छेवट (सेवार्त) ५२३१४५,९६,१०५,१०७.१०६, छोड़े (क्षिप्त्वा ) सू ६३ ज (यत्) प १४ ज १२६ सू ११४ उ ११२,३३१; ५।३६ जइ (यदा) प १२ जइ (यदि) प २६४।१६ सू १११३ उ १६; २।१,३३१,४:१;५१ जइ (यत्र) प२३.१६० जइण (जविन्) ज २।१०३।२,३५,३६,४७,६४, ७२,१०६,११३,१३८,१४५,५१५,२८,४४,४७, ६७७१७८ जइया (यावत् ) ज ७।१३१ जंगम (जङ्गम) ज ३।१०६ जंगल (जग) प ११६३।२ जंघा (जङ्घा) २११५ उ ३१११४ जंत (यंत्र) १२१३०,३१,८१ ज ३१३२,७६,१०६, ११६,१७८,४१२:७,५।२८ जंतु (जन्तु) ज २१४।१ जंपमाण (जल्पत्) ज ३१८१ जंबु (जन्तु, जम्बू) प १।३३।१।१३१ उ १३ से १. हे० ४।१४३ क्षिप्-छुह ५,७,९,१४२,१४४,२।२,४,१४,१६,२१,३१२, ४,१६,२१,२२,२४,८७,८६,१५३,१५५,१६६, १६८,१७०,४।२,४,२७,५२,४,४४ जंबुद्दीव (जम्बूद्वीप) प २३२,३३,३५,३६,४३,५०, ५१,१५१५४,५५१,१६।३०,३६।८१ ज १७, १५,१६,१७।१,१८,२०,२३,३४,३५,४६,४८, ५१,२।१,७,१६,५२,५६,६०,१६१,१६४,३३२६, ३६,४७,५६,११३,१३३,१३८,१४५,४।१,६, ५२,५५,६२,८१,८६,६८,११४,१५६,१६०, १६५,१६७,१६६,१७२ से १७४,१७८,१८१, १८२,२०१ से २०३,२०६,२१३,२६२,२६५, २६८,२७१,२१७४,२७७,२३,२२,२६,६३१,५,७ से २६;७१,४,८ से १४,३१,३३,३६ से ३६, ५२,५४,६२६३,६७ से ७२,८६,८७,६१,६२, १०१,१०२,१७५,१८२,१९८ से २०८,२१० से २१३ सू १११४,१६,१७,१६,२१,२२,२४, २७:२।१,३,३११,२,४।३,४,७,१०,६।१८११; १०।१३२,१४२,१४७,१२१३०,१८७,२०, १६।१,२,१६।२२।२३ उ ११९३७,६१,१२५, १५७:५।२४,४३ जंबुद्दीवपण्णत्ति (जम्बूद्वीपज्ञप्ति) ज ७।१०१,१०२, २१४ सू ३११ जंबू (जम्बू) ज ४।१४६ से १५०; १५१।१,२,१५.२ से १५४,१५६,१५७१२,१५८,१५६,२०८% ७२१३ जंबूणय (जाम्बूनद) ज ३।३०,३५ जंबणयामय (जाम्बूनदमय) ज ११५१,४१७,१३, ११८,१४३,२५६ जंबूपेढ (जम्बूपीठ) ज ४।१४३ से १४५ जंबूफल (जम्बूफल) प १७.१२३ जंबूफलकालिया (जम्बूफलकालिका) प १७:१३४ जंबूरुषख (जंक्ष) ज ७२१३ जंबूवण (जम्बूवन) ज ७।२१३ जंबूवणसंड (जम्बूक्नषण्ड) ज ७।२१३ जंभग (जुम्भक) ज २६६ Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१० जंभय-जम्म जंभय (जम्भक) ज ५७० १८६,२०४,२१४.२२१ जंभाइत्ता (जम्भयित्वा) ज २०४६ अणवयविहार (जनपदविहार) उ ३.४६,१४५,५१३३ जक्ख (यक्ष) प १११३२,२२४१.४५,१५१५५।३ जणक्यसच्च (जनपदसत्य) प १११३३ ज २१३१,३३१४,१८,३०,३१,४३,५१.६०,६८, जणिय (जनित) उ ३।४८,५० ६३,१३०.१३६,१४०,१४६.१७२,१८० जग्ण (यज्ञ) ज २१३० उ ३१४८,५० सू १६३८ उ ५।७,२४,२६ जण्णइ (यज्ञकिन् ) उ ३१५० जक्खग्गह (यक्ष ग्रह) ज २१४३ जण्णु (जानु) ज ३।१२.८८,५७,५८ जक्खाययण (यक्षायतन) उ ५७,८,२४,२६ जण्हवी (जाह्नवी) ज ३।१६७१११ जक्खोद (यक्षोद) सू १९३८ जत (यत) प २१३०,४१ जग (जगत्) ज ५५,४६ जति (यदा) प ५१२०५१३४ सू १९४२२१२६ जगई (जगती) ज १७ से ६.१२,१४,४।६,३५, जति (यत्र) प २३११६७ ३७,४२,४५,७१.७७,६०,९४,२६२ जतिविह (यतिविध) प १६४२० जगईसमिया (जगतीस मिका) ज १११० जत्ता (यात्रा) उ ३।३०,३१ जगती (जगती) सू ३।१ जत्तिय (यावत्) प १५।६६,१०३; २३११७५ जगप्पईवदाइय (जगत्प्रदीपदायिका) ज ५१५,४६ ज ७१२०० जघण (जधन) ज ३११३८ जत्थ (यत्र) ज ३१७६ उ ३।५५; ४१२१; ५३६ जच्च (जात्य) ज २१५,३३१०६,१७८ जदा (यदा) ज ७१२० जच्चकणग (जात्यकनक) ज २१६८ जदि (यदि) प ५१५ जठ्ठ (इष्ट) उ ३।४८,५० जप्पभिइ (यत्प्रभृति) ज २।६७ उ ३।११८ जडि (जटिन्) ज ३११७८ जम (यम) ज ७१३०,१८६।३ उ ३१५३ जडियाइलय (जटिकादिलक) सु २०१८१५ जम (काइय) (यमकायिक) ज ११३१ जडियायलय (दे० जटिकायिलक) सू २०१८।५ जमग (यमक) ज ४।११२ से ११५.११७,१२०, जढिलय (जटिलक) सू २०१२ १४०।२,१४१,१६५ जद (त्यक्त) ज ३।१२७ जमगपव्वय (यमकपर्वत) ज४।१११,११३,२०६, Vजण (जन्) जगइस्सइ ज २११४२,१४३,१४५ २६२, ६।१० जणेज्जा प १७१६६,१६७.१६६ से १७२ जमगवण्णाभ (यमकवर्णाभ) ज ४।११३ जण (जन) प १।१२ ज ११२६, २०६५,३।१,६५, जमगसंठाणसंठिय (यमकसंस्थानसं स्थित) ज४११० १०६ ११६,१३८,१५६ सू१११।६८, जमगसगम (दे०) ज ३११२.३१,७८,१०६,१८० १३६; ३।११४,११५,११६:५७,२०,२७ २०६:५१२४ जणक्खय (जनक्षय) ज २०४३ जमदेवया (वमदेवता) सू१०८३ जणणी (जननी) ज ५१५,४६ जमय (यमक) ज ४।११६ जणवद (जनपद) उ १५६६ जमल (कमल) ज १।२४, २११५,४१२७:५३५,२८ जणवय (जनपद) प ११।३३११ ज २११३१,३८१, जमालि (जमालि) ४११५; ५।२०,२७,३८ १८६,२०४,२२१ उ ११६४,६६,१०३ १०६, जमिगा (मिका) ज ४।१६० ११०,११३,११४,१२२,१२६,१३३ जम्म (जन्मन्) ५३६।१४ ज २०१०३,,१०४ जणवयकल्लाणिया (जनपदकल्याणिका) ज ३११७८, उ ११३४,३१६८,१०१,१३१ Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जम्मण-जसंसि जम्मण (जन्मन् ) ज ५१३,५,७.१७,२२,२६,४४, ४६,६७ से ७०,७२ से ७४ उ २।३.११२; ४।१६५२५ जम्हा (स्मात् ) उ १।६३,२।६ जय (त) प २१३१ जय (ज) ज २११५.६४.६५, ३।५,६.१८,२६,३६. ४७,५६,६४,७२.७७.६०,६३ ११४,१३३, १३८,१४५,१५१.१५७.१७८,१८०,१८५, २०५,२०६,२२२, ५१५८, ७।११८ उ ११०७, ११०.११६,११८,१२२.१३०,५।१७ जिय (जि) जइस्स इ उ १।१५ जयंति उ ११३५ जयंत (जान्त) प १११३८ । २०६३,४।२६४ से २६६।६।४२,५६;७।२६, १५८६,६२,१००, १०२.१०५,१०८,१०९.११३,११४,११६, १२०,१२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६; २८९६ ज ११५,४१६४ जयंती (जबन्ती) ज ४१२१२, २१२।४।५1८1१; ७।१२०१२,१८६ सू १०८।२ जयणा (यतना) उ ३३३१ जयहर (जधर) ज ३११२६११ जया (यदा) ज ५१ सू ११११ उ ३३११८ जया (जया) सू १०६०,१७०,१७२ जर (जरा) प १११११; ३६।८३।२ सू २०१६।६।। जर (ज्वर) ज २१४३ जरा (जरा) प २१६४,२०६४।६,२२,३६।१४।१ ज २८८,८६.१०३,१०४,१३३,३।२२५ जरुला (दे० प १५१ जल (गल) प ११७५ ज २११३४३६३२,८१,६८, १५१:४१३,२५ उ ३१५५ जिल (ज्वल ) जल ति ज ५७ जलंत (ज्वलत) ज ३११८८,४।६.१४,३१,४१,६८, ७६.६३ उ ३।४८,५०,५५६३,.६७.७०,७३, १०६,११८ जलकंत (जलकान्त ) प १५२०।४।२।४७१६ जलकिड्डा (जलक्रीडा) उ ३॥५.१,५६ जलचारिया (जलचारिका) प ११५१ जलट्ठाण (जलस्थान) प २१४,१३,१६ से १६.२८ जलण (ज्वलन) ज ३१३५ जलपह (जलपथ) प १६।४५ जलप्पह (जलप्रभ) प २१४०1७ जलमज्जण (जलमज्जन) उ ३१५१,५६ जलय (जलज) प ११४८।४० ज ४२६५७ जलय (जलग) ज ३।३२ जलयर (जलचर) प ११५४,५५,६०,३।१८३; ४।११३ से १२१,६७१.७८,८३,२१८ से १०,३२ से ३४,४३,५३.६० सू १०।१२० जलरुह (जरूरुह) प १।३३१,११४६ जलवासि (जनवासिन्) उ ३.५० जलविच्छ्य (जलवृश्चिक) ५ ११५१ जलाभिसेय (जलाभिषेक) र ३१५०,५१,५६ जलासय (जलाशय) प २।४,१३,१६ से १६,२८ जलिय (ज्वलित) ज ३१३५ जलोउय (जलोतुक) प ११४६ जलोया (जलौका) प ११४६,७८ जल्ल (दे०) ज २१३२ जल्लेस (यत्लेश्य) प १७१६२,१०२ जल्ललेस्स (गत्लेश्य) प १७१६२,१०२ जव (यव) प ११४५।१ ज २११५,३७, ३३११६ जवजव (यवयव) प ११४५।१ ज २।३७ जवण (पवन) प ११८६ जवणदीव (यवनद्वीप) ज ३।८१ जवणाणिया (यवनानिका) प ११८ जवणालिया (वनालिका) प ३३।२६ जवणिज्ज (यापनीय) ज ३।३०,३२,३४ जवमज्श (यवमध्य) ज २१६ जवसय (यवासक) प११३७।३ जवासा नामक पौधा, एक तरह का खदिर जवासाकुसुम (यवासककुसुम) प १७।१२५ जस (यशस् ) ज ३।३५,७७,१०६,१२६,१२६, १६७,१८५,२०६ जसंसि (यशस्विन्) ज ३१३,१२६१३ Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जसधर-जहाणोगाहणग जसधर (यशोधर) ज ७११७।१ ७३ से १६,३३१२ से १३,१५ से १७:३६।८ जसभद्द (यशोभद्र) ज ७।११७।१ सू १०८६।१ से १०,१७,१८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८, जसम (यशस्वत्) ज २१५६,६१ ७०७२ से ७४,७६,६२ ज २१४४,४५,५८, जसवई (यशस्वती) ज ७६१२१ सू१०।६१ १२३,१२८,१४८,१५१,१५७,४११०१,७२८, जसोकित्ति (यशःकीर्ति) ५ २३.१६,२०,१५३ ५७,६०,१८२,१८७ से १९६,२०६ सू १।१४; जसोकित्तिणाम (यश:कीर्तिनामन्) २३१३८, १८।२०,२५ से ३४,१६१२,२०१३ १२७,१८८ जहण्णग (जघन्यक) १७११४४,१४६,२३५१५२, जसोधर (यशोधर) सू १०८६१,८८।१ १८४ जशोहरा (यशोधरा) ज ४।१५७।१:५६।१; जहण्णगुण (जघन्यगुण) १ ५१३६,३७,५८,५६,७३, ७/१२०११ ७४,८८,८६,१०६,१०७,१८६,१६०,१६२, जस्संठित (यत्संस्थित) सू ४१३ १६३,१६६,१६७,१६६,२००,२०२,२०३, जह (यथा) प ११११३ उ १.१०६ २०६,२०७,२१०,२११,२१३,२१४,२१७, जहण (जघन) ज २१५ २१८,२२०,२२१,२२३,२२४,२४१,२४२ जहण्ण द्वितीय (जधान स्थितिक) प ५१२३,३४,५५, जहण्ण (जघन्य) प १७४, २१६४१८,४१ से ५४, ५६,७०,७१,८५,८६,१०३,१०४,१७३,१७४, ५६ से ६७,६६ से ८६,६१ से १३३,१३५ से १७६,१७७,१८०,१८१,१८३,१८४,१८६, २६६,२६८,५१४०,४१,४४,४५,७७,७८,६२, १८७,२३५,२३६ ६३.९६,६७,११०,१११,११४,११५,१५३, जहण्णठितीय (जघन्य स्थितिक) प ५१५६ १५४,१५६,१५७,१५६,१६२,१६३,१६५,१६६, १६८,१६६६.१ से १८,२० से ४५,६०,६१, जहण्णपएसिय (जघन्यप्रदेशिक) प ५२२८ ६४,६६ से६८,१२०,१२१,१२३ ;७४२,३,६ से जहण्णपदेशित (जघन्यप्रदेशिक) १५॥२२८ २९,१११७०,७१:१२१६,१३१२२१२,१५१४० से जहण्णपदासय (जघन्यप्रदाशक) प ५१२२७ ४२,१७१४६:१८०२ से ४,६,८ से १०,१२,१४ जहण्णपय (जघन्यपद) ज ७।१६८,१६६,२०२, से १६,१८ से २४,२६ से २८.३० से ३६,४१ २०४,२०६:१२१३२ से ५४,५६,५७,५६ से ६७,६६ से ७४,७६ से जहण्णमति (जघन्यभति) प ५१६२,६३ ८१,८३ से ८५,८७,८६ से ६१,६३,६५,६६, जहण्णय (जघन्यक) प १५२६४,१७।१४४; १८,१०३,१०४,१०५,१०७.१०८,११०,११३, २१११०५:२३।१६३ ज ७।२६ सू श१४,१६, ११४,११६,११७,११६,१२०,२०१६ से १३, १७,१६,२१,२२,२४,२७२।३।३।२:४१७,६; ६१,६३,२११३८,४० से ४२,४८,६३ से ७१, ६।१८।१;६२ ७४,८४,८६,८७,६० से ६३;२३१६० से ७६, जहण्णुक्कोसग (जघन्योत्कर्षक) प १७।१४६ ८१,८३ से ६२,६५ से ६६,१०१ से १०४, जहण्णुक्कोसय (जघन्योत्कर्षक) प १५।६४; १११ से ११४,११६ से ११८,१२७,१२६, २१४१०५ १३१,१३३ से १३५,१३८,१४०,१४२,१४३; जहण्णोगाहणग (जधन्यावगाहनक) प ५।२७:२८, १४७,१५१ से १५३,१५५,१५७,१५८,१६० ४८,४६,५२,५३,६७,६८,८२,८३,१००,१०१, से १६२,१६४ से १७३,१७६,१७७,१८२,१८३ १५३,१५४,१६२ १६३,१६५,१६६,१६८. १८६ से १८८,१६० से १९३,२८१२५,४७,५०, १६९,२३३,२३४ Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहण्णोगाहणय-जातरूववडेंसग जहण्णोगाहणय (जघन्यावगाहनक) प ५२८,४६, जाउकणिया (जातुकणिका) सू १०१६६ ५३,६८,६६.८३,१००,१५४,१५६,१५६, जाउलग (जातुक) प ११३७१५ जागर (जागर) प ३।१७४२३।१६५,१६६ से जहन्न (जघन्य) प४।१०,१३४ जहा (यथा) प ११ ज १११ सू १।१२ उ १।२; २ १०२ जागरमाण (जाग्रत् ) उ ११५,३१४८,५०,५५,८७, २०२३१२४१२.५ ६८,१०६,१३१, ५१३६ जहाणाम (यथानामन्) सू २०१७ जागरिया (जागरिका) उ ११६३ जहाणामय (यथानामक) १६५२,५४; जाण (ज्ञा) जाण प ११४८१५६ ज ७।११२१५ १३१०७,१०६,१११,११६,११६,१२३ से जाणइ प १११११,१७।१०८ से ११०:२३११३ १२८,१३० से १३५:२८।१०५,३४।१६; ३०।२७,२८ ज २१७१:७१११२ उ १६८ ३६।१४ ज १।१३,२१,२६,३३,३८,४६२।७, जाणंति प २१६४।१३१५४६ से ४६,३३।२ १७.१८,३८,५२,५७,१२२,१२.७,१४७,१५०, से १३,१५ से १८,३४११११,३४१६ से ६,११, १५६,१६१,१६४; ३।१६२:४२,८,११,१०७; १२ जाणति प ११११२ से २०११४४,४५; ५१५.७.३२ १७४१०६ से १०८,११०,१११;३०।२५ से जहाभूय (यथाभुत) 3 १४२ २८,३६८०,८१ जाणाहि सू १०।२२६ जहारिह (यथाई) ज २१११३:३८१ जाण (यान) ज २।१२,३३:३।१०३ ३ १२१७,१६, जहाविभव (यथा विभव) उ ५११७,२५ २४,४११२,१३,१५ जहिच्छिय (यथेष्ट) ज २१६,२२ जाणमाण (जानत्) ज २१७१ जहेव (यथव) सू१७१३ ३१२१ जाणय (ज्ञ) ज ३१३२ जहोचिय (यथोचित) उ १३५ जाणवय (जानपद) ज १२२६;३।१,१२,४१,४६, जा (या) जति प ६१८०१ ज ७१३५।४ ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२ से २१४ जाइ (जाति) प ११३८२ छोटा आंवला. चमेली, सू ११ जायफल जाणविमाण (पानविमान) ज ५१३,५,२२,२६,२८, जाइ (जाति) प ११४६,६०,६६,७५,७६११९ ३०,३२,४४,४५ उ ३७,६१ ज २।८८,८६,२२५,३१३,१०६५१५,४६ जाणविमाणकारि (मानविमानकारिन) ज ५१४६ सू१।१६।१२।१५ १०,१२ से १७:१४।३७ । जाणिउकाम (ज्ञातुकाम) प २३।१३ उ१२,३४,४६,४:३।१५१५२६ जाणिता (ज्ञात्वा) प २३।१३ ज ३११२३ उ श६८%; जाइज्जमाण ( च्यमान) १३१०५ ५४० जाहणाम (जातिनामन } ५२३।३८,४०,८५,८७ जाणियत्व (ज्ञातव्य) प १५।१४३;१६।१५।२३।१३ मे ८६,१५० जाणु (आनु) ३६,१२,८८,५१२१,५८ जाइनामनिहलाउय (नातिनाम निश्चत्तायुक) जाणुकोपरमाया (जानुकूपरमात, लानुकूपरगाव) ६.१२१ उ ३९७,१३१,३।१०५,१३१ जाइय (याचिन) ३१३८ जात (यात) प ११७५ जाइविटिया (जातिविशिष्टता) १ २३।५८ जात (जात) ज २११४६३१३ जाहहिंगुलय (जातिशिल मादक प १७॥१२६ जातकस्म (जातकर्मन्) उ १।६३,३।१२६ जाउकषण (नाक) १३२।१ जातरूवब.सग (जातरूपावतंसक) प ५१ Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४ जाति (जाति) प १।५०,५१,८१,८१११, २२६४, २२६४२२११८ से १०:३६ ९४ । १ ज २ १०; ५३५ जातिरिय ( जात्या ) प ११६२,६४ जातिणाम ( जातिनामन् ) प २३१८६,१५०,१५१ जातिणामणित्ताय ( जातिनामनिधत्तायुष्क ) ६ ११८,१२०, १२३ जातिनाम निहताय ( जातिनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११६,१२३ जातिपुड ( जातिपुट) ज ४।१०७ जातिविसिद्धया (जातिविशिष्टता ) प २३1२१ जातिविहीणया ( जातिविहीनता ) प २३।२२.५८ जातीय ( जातीय ) ज ३।१०६ जा ( यदा) सू १९२४ जाय (जात) ज ११६, २०७१,८५,१२८,१४६; ३१८०,६४,६६,१०३ उ १।६६, ६३, २६; ३।१३,४६,१०५, ११३,१४४, १४६४१२१, २७, ३४, ३८ / जाय ( जन्) जायद ज ३।६२,११६ जायंति ज ३१६२,११६ जाय (याच्) जाये उ १।१०२ जायको हल्ल (जातकौतूहल ) ज १।६ जायणी (शचनी ) प ११३७११ जायतेय ( जाततेजस् ) ज २।१२६,१५८ जायय (जातक) उ ३३८ जाधव ( जातरूप ) ज २।६८४१२५५ ५३५ जायख्वखंड ( जातरूपखण्ड ) प ११।७४ जायवर्डस ( जातरूपावतंसक ) प २५६ जायसंजय ( जातसंशय ) व ११६ जायसढ (जातश्रद्ध) ज ११६ उ १४; ५।२२ जार (जार) ज ५३३२ जारु (चार) प ११४८२ जाल (जाल) प ११।१५ ज ३६,१७,२१,३४,३५, १७७,१२२,१७८५२६ जालंतर ( जालान्तर ) प २२४६ जाति- जिणवर जालघरग ( जालगृहक) ज २३१३ जाला ( ज्वाला ) प ११२६ जाव ( यावत् ) प १।१३; २१३२ से ४०, ४२ से ४६,४८,५० से ६३,४।५५; ७१६ से ३०; ८३,४,६ से ११,६२२:१० १६ मे २५,२७ से ३०,३२ से ४३,४५ से ५३:२०१५२,५६, ६०,६३,६४ ज ११६ व १० सू ११ उ १२; २११:३|१,४११; ५१ जावई ( यावी ) प १३७१५ जावइय ( यावत् ) ज २६ ४१४०१२ जावज्जीव ( यावज्जीव) उ ३१५० जाति ( यावी ) प १/४३११ जावतिय ( यावत् ) प १५१५१, ५२ ६ ३ १३२ जावय ( ज्ञापक) ज ५।२१ जावेंत ( श्रापयत् ) ज ३२१७८ जामण ( जपासुमनस् ) प १|३७|१ ज ३।३५ जासुमणकुसुम (जपा सुमनस्कुसुम ) प १७३१२६ जासुवण ( जपासुमनस् ) प १/४०१३ जाहा ( जाहक ) प १७६ जाहिं (त्र) २४१ जाहे (यदा) ज ७।५६ सू १६।२७ उ ११५२; ३।१०६ / जि (जि) जयति च १।१ जिण (जिन ) प १६३१६; १११०११३,४,१२; ३६८३१२ ज ११४० २१६३,७१,७८,50, ५१५,२१,४६, सू १६२२११ जिण (जि) जिणाहि ज ३।१८५ जिणanar ( जिन सकधा') सू १८।२३ जिणसकहा ( जिन 'सकहा' ) ज २।१२०,४ । १३४; ७।१८५ जिणघर ( जिनगृह) ज ४।१३६ जिणपडिमा ( जिनप्रतिमा) ज ११४०, ४/४७,१२६, १३६, १४७,२१६ जिणभक्ति (जिनभक्ति) ज २।११३ जिणवर ( जिनवर ) प १११२ ११४ Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिणवरिंद-जीविय ६१५ जिणवरिद (जिणवरेन्द्र) प ११ ज ५१५८ जिणिद (मिनेन्द्र) प ५१४१ जिन्भगार (जिह्वाकार) प १६७ जिभिदिय (जिह्वन्द्रिय) प १५१,२,६,१३,१६, ३० से ३३,४२,५८,६४,६६,७०,८०:२८।४२, जिभिदियपरिणाम (मिनियपरिणाम) प १३।४ जिभिया (जिटिका) ज ४।२४,३६,६६,७४,६०, जिमिय (जिमित) ज ३१८२ उ ४११६ जिय (जित) ज ३११३५१२,१८५,२०६ जियंतय (जीवन्तक) प ११४४।२ जीवंत शाक जियंति (जीवन्ती) प ११४०।४ अन्न, वृक्षों पर रहकर फैलने वाली लता जियनिद्द (जितनिद्र) ज ३।१०६ जियपरीसह (जितपरीषह) ज ३।१०६ जियसत्तु (जितशत्रु) ज ११३ च ८ सू ११३ उ ४१६ जीमूय (जीमूत) प १७१५२३ जीय (जीत) ज २१६०.११३; ३१२६.३६.४७,५६, १३३,१३८,१४५,५।३,२२,२७ जीव (जीव) प १४७१,१।४८१७ से ४३,४५, ४७,४६ से ५१.५५ रो ५६,१८४,१०११२ २१६४,३।११२,३।१,६६ मे ११३.१२३ से १२५.१४१ १४३.१५० से १५२,१७४, १८३,६।१२०,१२३, ६।१२,१६,२५.२६, १०।३१,११।३०,३८.३६,४३.४६,४७.७० मे ७२,८० से ८२,८४,८५,६०;१२।१०।। १४।११ से १५.१७,१८,१६१२.१०,१६. २१,२३:१७।५६ ८४.८६,११२,११३; । १८।१।१,१८:११६५१, २०११,६३, २११८४; २२१७ से १०.१२ से २२.२४ मे २७,२६ से ४०;४२ से ४५,४८ से ५०,५२ से ५६,५८, ५६,६७ से ६६७५ से ८६.८८ से १४,६६, ६.७.१००; २३:१।१.२३।३.५ से ७,६ से ११, १३ से २३,१३४ १३५,१३७ से १३६,१५५, १५७.१६०,१६१,१६४.१६७,१७१,१७६. १६३; २४१२ से ४,६ से ११,१३ से १५%; २५।२,३,५; २६।२से ४,८,९,२७१२,३,६; २८।१०६,१०८,१०६,१११ से ११८,१२० से १२६,१२८ से १३३,१३६ से १४५,२६४, १६,१७,२२,३०१४,१४ से १६,२४,३१११,४; ३२१.६.१ : ३५।६; ३६११११,३६।३०,३२, ३५,४६ से ४८,५२,५६.६२ से ६६,६९,७०,७२, ७३,७४,७७,७८,६४ ज २१६८,७१,५१५,४६, ६।४;७२११,२१२ उ ११६०,६१,३।१४२, १४४; ५।३४ जीव (जीव) जीव ज ३।१२६६२ जीविस्सइ उ१११५ जीवंजीव (जीवंजीव) प ११७८ जीवंजीदग (जीवंजीवक) ज २।१२ जीवंत (जीवत्) उ १११०६,११०,११४ जीवंतय (जीवत्क) उ ११६६,१०३,१३३ जीवधण (जीवधन) प १६४११२३६।६३,६४ जीवणिकाय (जीवनिकाय) प २२११०,७८ ज २०७२ जीवस्थिकाय (जीवास्ति काय) ५३१११४,११५, ११६,१२२ जीवदय (जीवदय) ज ५१२१ जीवपज्जब (जीवपर्यव) प ५१ से ३,१२२ जीवपण्णवणा (जीवप्रज्ञापना) प १११,१० से १५, ४६ से ५२,१३८ जीवपरिणाम (जीवपरिणाम) प १३११,२,२० जीवमाण (जीवत् ) उ १।१५.२१,२२ जीवमिस्सिया (जीवमिश्रिता) प १११३६ जीवलोक (जीवलोक) ज २१६५;३१३१,१२४ जीवा (जीया) ज १२०,२३,४८, ३१२४,४।५५, ६२,८१,९६,६८,१०८,१७२,२६२,२६५,२७१, २७४ सू १११६२।१,१०११४२,१४७:१२।३०; २०११ उ १११३८ जीवाजीवमिस्सिया (जीवाजीवमिथिता) प १११३६ जीवाभिगम (जीवाभिगम) ज ११११,५४६,५१ जीविय (जीति) प ११४८५,४१:२२१६ ज २०७० २११२२,२५,२६,३४,१४०:३१६८,१०१, Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ १३१,१५६ जीवितकरण ( जीवितान्तकरण ) ज ३१२४ जीवियारिह ( जीवितार्ह ) ज ३१६ जोहा ( जिह्वा ) प २१३११५। ७७,८१,८२ ज २११५; ३११०६७ १७८ जुइ ( द्युति ) प २ । ३१ ज ३३१२,७८,८८,६२,११६, १२६,१८० ५१२२,२६ जुंज (युज्) जुंजइ ३६८६,८७,८६,६० जुजति प ३६।८६ से १० सू १५।१० जुंजमाण ( युञ्जान ) प ३६८७,८ से १ जुंजिता ( युक्त्वा ) सू १५।१० जुग ( युग ) ज २४, ६, १४१ से १४५; ३।३, ११५, ६ १ ८ १ ; १०११२२,१२३,१२७, १२१६; १३३; १५१३५ से ३७ ११६,१२२,१२४,७१२७ तरभूमि ( युगान्तकरभूमि ) ज २१८४ जुगप्पत्त ( युगप्राप्त) सु १२८ जुगमच्छ ( युगमत्स्य ) प ११५६ जुगव ( युगपत् ) प ३६ ६२ ज ५१५ जुगसंच्छर ( युगसंवत्सर) ज ७।१०३, १०५, ११० सू १०।१२५, १२७ जुग्ग ( युग्य) ज २।१२,३३ जुज्झसज्ज ( युद्धसज्ज ) उ १।१२७,१२८,१३३ जुज्झ ( युध् ) जुज्भंति उ ११३६ जुज्झह उ १११२६ जुज्झामो उ १।१२८ जुज्झित्था उ १११२७ जुण्णकुमारी ( जीर्णकुमारी) उ ४१६ जुष्णा ( जीर्णा ) उ४| जुति (द्युति) प २३३०,३१,४१,४६ ज ५।२०६ जुत्त ( युक्त) ज २।१५ ३।३,३५,७७, ६५, १०६, १३८,१५६,२११, ४१२७ ५२८ ५८७११४१ से १४४,१५० से १५२,१७८ सू १०।२० से २२,२५,१७२,१७३, १६२२१२७; २०१७ उ १।१७,११६,१२८ जुति (युक्ति) ज ३।२०६ जुति (युक्ति, द्युति) उ५१२।१ जुद्धणी ( युद्धनीति) ज ३११६७१६, १७८ जीवित करण-जो इस जुद्धसज्ज ( युद्धसज्ज ) उ ११११५ से ११७ जुम्ह ( युष्मत् ) सू १६ उ ११२२,३२६, ४१११ जय (ग) ज ७।११० जयगद्ध ( युगन ) सू १२ १२६ जुयल ( युगल) ज ११२४; २।१५,१००, ३।२११; ४ २७,३०५१५,२८,५६,६७६७ १७८ उ ३।१३४ जुथलग ( युगलक ) ज २०४६ उ ३११२६ जुवराय ( युवराज ) प १६।४१ ज २।२५ जुवलय ( युगलक ) प २२४०१२ जुवाण ( युवन् ) ज ५१५ जुवण ( यौवन ) ज ३|१३८ जू (यूप) ज २।१५ जया ( यूका ) प १५० ज २२६,४० जूब (ग्रुप) ज ३।३ उ ३२४८, ५०, ५५ जूस (यूष ) सू १०/१२० जूहिया ( यूथिका ) प १३८।२ ज २११०३।३ जूहियापुड (यूथिकापुट ) ज ४११०७ जेठ (ज्येष्ठ) ज ११५;३।१०६ चं १० सू ११५ जेट्ठपुत्त ( ज्येष्ठपुत्र) उ ३११३,५०,५५ जेठा ( ज्येष्ठा) ज ७११२८,१२६,१३४१२, १३५।२,१३६,१४०,१४६, १५२,१६६ स १०/२ से ६,१८,२३,५१,६२,७३,७५,८३,११६, १२०, १३१ से १३५ जेट्ठामूल (ज्येष्ठामूल) ज ७|१०४,१४६,१४६, १५५ १०११२४ उ ३१४० जेट्ठामूली (ज्येष्ठामूली ) ज ७ १३७,१४० सू १०७,१८,२२,२३,२६ जेणामेव (यव) प ३४।२२ ज ३।५ जोअ ( द्योत ) सू १९१२२१२७ जोइ (ज्योतिष) सू १४८, ६, ११ से १३ जोइस ( ज्योतिस्, ज्योतिष ) प २२४८ ३४।१८ ज १।२४; २३६४ से ६६,१००,१०२,१०४, १०६, ११०,११३ से ११७५/४७,६७, ७२ से ७४,७३१७१ से १७४ चं ५/४ सू ११६१४; १६२२१२ Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जो इस गणरायपण्णत्त-जोय जोइसगणरायपण्णत्ति ( ज्योतिर्गणराजप्रज्ञप्ति ) चं १।३ जोइसपह ( ज्योति: पथ ) प २१२०, २४, २५, २७ ज ११२४ जोइसव्ह ( ज्योतिः पथ ) प २।२२, २३, २६ जोइसराय ( ज्योतीराज ) ज ७।१८३ से १८५ जोइसरायपण्णत्त ( ज्योतीराजप्रज्ञप्ति) चं ११४ जोइसिंद ( ज्योतिरिन्द्र ) प २१४८ ज ७।१८३ से १८५३१६, १५ से १८ जोइसिंदत्त ( ज्योतिरिन्द्रत्व) उ ३११४ जोइसिणी (ज्योतिपी ) प ३११३८, १८३४११७४ से १७६१७।५३,७८,८२,८३,२०१३ जोइसिय ( ज्यौतिधिक ) प १।१३०, १३३ २ ४८; ३२८, १३७, १८३,४।१७१ से १७३ ५ ३, २६,१२२;६।२६,४६,५६,५६,६५,६६, ८५,६४, १०६,१११,११७;७३६;६।११, १८, २४, १५:३५, ४८,८७,६६,१२४; १६।१६ १७ २७, ३०,५३, ७८,८१,८३,६६,१०५,२०१३,१६,२५,३०, ४८,५४,६०,२१।५५,६१,७०,६० २२/३१, ३६,८८, १००, २८१७३, ११७२६।१५;३११५; ३३।१५,३०,३५।१५, २२, २३ ज २६४ ४२४८, २५० से २५२ ५। ५३, ५६, ७२ से ७४ ; ७१८५ जोइसियत्त ( ज्योतिषिकत्व ) प १५ १२६ जोइसियराय ( ज्योतीराज ) प २२४८ जोईरस ( ज्योतीरस) ज ५१५ जोएअव्व ( योजयितव्य ) प १०३२६ जोएत्ता ( युक्त्वा ) सू १०२५; १५८६ जोएमाण (युज्जत् ) ज ७ १४१ से १४५, १५०, १५१ जोग (योग) प ३|१|१|११|३३|११८११११; २८।१०६११:३६।१२ ज २२६५, ७१,८८, ६५; ३।१५६,२२५७।१, ११२१२, १२७।१,१२६, १३०,१३४।१,४,१३५,१३८ से १४०,१६७ १ चं २३५३१ ११६१३, १६।११०११, ५, १७२, ६१७ १७३; १२ २६; १५११०१६।२२।१० उ ३।३१ जोगपरिणाम (योगपरिणाम ) प १३२, १४,१६, १७,१६ जोगसच्च (योगसत्य ) प ११1३३ जोगि ( योगिन् ) प ३६६२ जोग (योग्य) ज ३|१०६,५७,४१ उ ३ ७ जोणय ( जोनक ) ज ३१८१ म्लेच्छ जोणि (योनि) प ११२४, १३४८२६३, २२६४;६१ से ४, ६ से ११,१३ से १७,१६ से २३,२६ ज २ १३५ से १३७;३।३ जोणिमुह (योनिप्रमुख ) प १२०, २३, २६,२६, ४८,५०,५१,६०,६६,७५,८१ जोणिन्भूय (योनिभूत ) प ११४८५१ जोणिय ( योनिक) ज ३।११३१ जोणिसूल ( योनिशूल ) ज २१४३ जोणीपमुह (योनिप्रमुख ) प ११४६,७६ जोन्ह ( ज्योत्स्न) सु १०1१३१; १८११,५,६; १२२१६,२०१६ ३१ जोतिस (ज्योतिष) प २।४८३१।६।१३४।१६ सु १०११३१,१८ । १, ५, ६,१९:३१ जोतिसराय ( ज्योतीराज ) सू १८।२१ से २४; २०१४, ६, ७, ६९।१ जोतिसिद ( ज्यौतिरिन्द्र, ज्यौतिषेन्द्र ) सू १८/२१ से २४,२०१४,६,७ जोतिसिपी ( ज्यौतिषी) मू १८३२६ जोतिसिय ( ज्योतिषिक ) ११२१६, ३७, १३३२०; १५।१०४, १०७ १६१६; १७/३३, ३४,६१; १६१४, २०१३५, ३७; २२ ७५; २६१२२:३२१५; ३३।२३, ३४,३७,३४ ४, १०, ३५ २३,३६/२६, ४१,७२ १८१२३, २५,१६।२२ जोतिसियत्त ( ज्योतिषिकत्व ) प १५।१११,३६२२ जोत्तम (योक्त्रक) ज ७।१७८ जोय (योग) ज ३|१७८७ १२६ १० २,३,५, ७५,१२२,१२३,१२६ १,१३२ से १३४, १३६, १६२ से १६६:१२।२६,३०१५८,११,१२, १३, १६१, ५, ८, १५, १६, २१, १६२२ २१ Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ जोय (युज् ) जोइति ज ७/१२६ जोईसु ज ७११२९ जोइस्संति ज ७ १२६ १६ १ जोएइ ज ७ । १२६ जोएंति ज ७।१, ११२/२ सू १०१५,१२६ १,२ जोएंसु ज ७।१ सू १०।७५ जोएति पू १० १२० जोएस्संति ज ७११ सु १०।७५ जोयंति ज ७ । ११२ ११ जोयण (योजन ) प १ ७४,७५,८४,२२१ से २७, २६ से ३६,३८,४१ से ४३,४६,४८ से ५५, ५६,६३,६४;११।७२; १२/२७, ३६, १५३४० से ४२,२११३८, ४१ से ४३,४५,४७११,२,२११६३, ६८ से ७०, ८७, ३३।१०, ११:३६/६६,६८, ७०,७२, ७४ ८१ ज ११७,८,१२,१४,१६, १७१, १८, २०, २३.२८,३२,३५,४६, ४८, ५१; २१६; ३११,१८,२५,३१,३८,४६,५२,६१,६६, ७६,८१,६५,६६,१११,११६, ११८, १३१,१३२, १३७, १४१,१५६,१६०,१६४,१८०,१६२; ४११, ३, ६, ७,१४,२३ से २५,३१,३६,३८ से ४३,४५,४७,४६,५२, ५५, ५७,५६,६२,६४ से ६८, ७२ से ७८,८१,८६,८६० से ६५,६८, १०३,१०८, ११०,११२,११४ से ११६,११८ से १२८,१३२,१३६ से १४११४२/१,१४३, १४५,१४६,१५३,१५४,१५६,१६३ से १६५, १६६,१७४ से १७६ १७८, १८३,२००, २०१, २०३,२०५ से २०७,२१३,२१५ से २१६, २२१,२२६,२३४,२४० से २४३,२४५, २५७ से २५६,२६२, ५३, ५, ७,२२ से २४,२८,३५, ४३, ४४, ४९, ५०, ५३ ६१६/१,६८,७१३ से २४, ३१ से ३४,५८,६२ से ८४,८६,८६ ६१ से ६६,१७१ से १७४,१८२,२०७ सू १११४,२० से २४,२६ से ३१,२।१,३; ४ | ३ से ५, ७, ८, १०, १८१, ५, ६, ६ से ११,२०; १६१४, ७, १०, १४,१८,२०,२२१२६,२६, १६२३,२६,३०,३४, ३७, उ १ १३४ ; ३७, ६१;५४४ जोयणपुहत्तिय (योजनपृथक्त्वक ) ६ १।७५ जोयणसत्तपुत्तिय ( योजनशत पृथक्त्वक ) प १७५ जोय-भूषणा जोयणसहस्वहत्तिय (योजन सहस्रपृथक्तिक) प १३७५ जोन्वण ( यौवन ) प २३१,३४।२० ज २११५; ३६२,११६,१३८५२६८, ७० २०१७ उ ३।१२७ जोव्वणग (यौनक ) ३३११२७१२८,५१४३ जोह ( योध ) ज ३।१५,२१,२२,३१,३४,३६,७७, ७८,६१,६८,१६७१६, १७३, १७५,१६६ उ १।१२३ ५।१८ झ झंझावाय (भावात ) प ११२६ झय ( ध्वज ) ज १३७, २०१५, २०, ३१७,३१,३५, १७८, १७६ शया ( ध्वजा ) उ ११२२,१४० झल्लरि (भल्लरी ) प ३३।२३ ज ३११२,७८, १८०,२०६ झस (झस) ज ३१३ / झा ( ) भियाइ र ११५३८ भवामि उ १।४० भियासि उ ११३७ हिउ १४२ हिउ ११४१ झाण ( ध्यान ) उ३१३१ झाणंतरिया (ध्यानान्तरिका ) ज २१७१ झाणकोट्ठोवगय (ध्यानको प्रोपगत) ज ११५ ; २८३ उ ११३ / झाम (दह ) भामेति ज २१०८ मह ज २३१०७ गिर (दे० ) प ११५० झिगिरिड (६०) प ११५० ( शिया (ध्यै ध्मा ) भियायंति ज ३।१०५ झियायमाण ( ध्यायत् ) उ ११३६,३७,४२,७१ झिल्लिया ( झिल्लिका) १५० झिल्ली ( झिल्ली ) प ११४८१४२ सिर ( शुषिर ) ज ५।५७ २०१ झूस (शोपय् ) भूसेइ उ ३८३ महि उ ५१४३ झणा ( जोषणा ) ज ३१२२४ Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिता-ठिवि सूसिता (कोपर) २०१८ भूमि (जुष्ट) ज ३१२२४ झूसेता (शोपथिला) उ३१८३,५४४३ झोसेत्ता (शोपयित्वा ) उ २११२:३।१० ट टंक ( प ११ टिट्टिय (दे० ) ज ५११६ टोलकिति (दे० ) ज २११३३ 5 √ ठेव ( स्थापय) व २०६५ विस्त २१४६ २६५ ४१८२१०४ उवेसि उहि प १४६५८,५६ ठवणा (स्थापना) प ११।३३।१ उपवास (स्थापनासत्य ) प ११।३३ √ठवाव ( स्थापय् ) ठ १४६ वित्ता (स्थापयित्वा ) उ ११४६ ठवेत्ता (स्थापयित्वा ) उ १११६ ठविय ( स्थापित ) ज ३१८१ ठवेत्ता ( स्थापयित्वा ) २२६५ ठा (छ) १२२ ठाकण ( स्थित्वा ) ३२०२४ ठाण (स्थान) ११४६४२१३६,४१ से ४३,४६, ४८ से ५.२,५४ से ६४३६।११० १४१५,११ से १५, १७ १७ ११४११, १७ १४३ से १४५२३०१०१:२३३६.७.१६० ३।२४, १०१६; ३।५१ २०७ ८१,१०२,१५६,१६२: ५।२१७५६ ६० सू १०।१३० से १४१,१४३ से १४६,१४८ से १५१,१६१२४,२७१।२२,१४०५३।५१।१६ ३२८३, ११५.१२०:४।२१,२२,२४ ठाणति (स्थानस्थित ) सू १९२६ ठाणमग्गण ( स्थानमार्गण ) प २८१६,५२ ठापित (स्वानी) १२४४, ४५ ठाय ( स्थापय् ) ठामि ३१३ ठावेता (स्थापयित्वा ) उ ३१५० ६१६ टि (स्थिति) प १३१२४४२५५०५.०४.११५, १४८,२१४; २३।१६३ ज २१५६,७१,१५६; ७१६६२,१८७३ ११४१, ४३ २११२.२२: १६.०५.१२४,१५०,१६४,१६९,१७१; ४१२५५२६,४२ ठिकाण ( स्थितिका) ज २०१ ठिक्य (स्थितिक्षय ) उ३११८, १२५, १५२,४२६; ५/३० ठि (स्थितिक) १।२६,१४०२२० ठिईय (स्थितिक ) ज ११२४, ३१, ४६, ४७;२।४४; ३१२२५,४१२२,३४, ५४,६०,६१,६४,८०,०५, ८६, १७, १०२, १४१,१४२,१६१.१६७. १७७, २०६,११६,२०८, २६१,२७०,२७२७०१५. ५८, २१३ ठिच्चा ( स्थित्वा ) प १७१०७३४१२२,२३ उ १४२०:३।२६ ठितलेस्स ( स्थित लेश्य ) प २०४८ ठिति (स्थिति) प ४१ से ४,६४६,५६ से ५८, ६५,७१,७९,८८,१५,१६,१०१.१०४, ११२, १३१,१४०, १४६,१५८, १६५,१६८, १७१. १७४, १०३,२०७, २१०, २१३,२६४,२९७. २११:५०, १०, १२,१४,१६,१८,२०,२४ से २६,२८,३०,३२,२४,२७,४१,४५,४६,५०,५२, ४६,५६,६३,६८,७१,७२,७४,७८,८३,०६० ६३,९४,९७,१०१,१०२.१०४, १०५. १०७, १११,११२,११६,१२२,१२६.१३१.१३४, १२६,१३८, १४०,१४३, १४५, १४७, १४८, १५०,१५४,१६२,१६६.१६९,१७०, १७२ १७४, १७५.१७७.१७५१०१, १०२, १०४, १०५. १०७.१००, ११०,१९२.१९७,२००, २०३,२०७,२११,२१८,२२१,२२४,२२८, २३०,२३२,२३४, २३५, २३७, २३६,२४०, २४२: १०।५३।१:२३०१३ से २३,६० से ६४, ६६,६८,६६,७२ से ७७,६०,२१,८३,८५ से १०,१२,१३,९५ से ६२,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८, १२७, १३०, १३१,१३३, Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० १७६,१७७, १७६, १८१,१०२, १८३, १८५, १८७,१९० से १९३२८१५; ३६१८२११,८३११ गु १८।२५,२६ से ३४ ठितिणामनिहताय ( स्थितिनामनिधत्तानुष्क) प ६।१२२ ठितिनामणिहत्ताउय ( स्थितिनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११८ ठितिपडिया ( स्थितिपतिता ) उ ११६३ ठितीचरिम ( स्थितिचरम ) प १०३४,३५ ठितीणामणिहत्ताज्य ( स्थितिनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११६ ठिय ( स्थित ) प ११ ४७,४८,८० से ८३ ज ३।१२, ११६,१३८, ५३३, २८, ७१५८ सू १११७ उ १११६ डंस (देश) ज २/४० डब्भ (दर्भ ) प ११४२ १ ड उमर (डमर ) ज २१४२ उमरबहुल ( उमरबहुल) ज १११८ डह (दह) बहेज्जा ज २६ डाब (दे०) उ ११३८ डिंब (डिम्ब) ज २१४२ बिबहुल (डिम्बबहुल) ज १११८ डिभय (डिम्मक ) उ३।६२,११४,१२३,१३० डिभिया ( डिम्भका ) उ३।६२, ११४, १२३, १३०, १३१,१३४ डोंगरू (दे० ) ज २।१३१ डोंब (दे० ) प ११८६ डोंबिलग (दे० ) प १८६ ढ ढंक (ध्वांक्ष ) प ११७६ ज २२४०,१३७ ढिकुण (दे० ) प ११५१११ ज २२४० ण ण (न) १।१०१।३ ज १।६ १३१४१०११२६ ठितिपडिया-णक्ख पई (नदी) ज ४।२००,२०२,२१२ गति ( नवति ) १८११ णय ( नवति) ज ११८ ४२५; ६८७१८२, १७३ उल ( नकुल ) प १३७६ णं (दे० ) प ११२० १३ सू ११२ ११५ : २१; ३११,४११:५११ मंगल (लाङ्गल) ज ३।३ मंगलई (लाङ्गलिकी) १४८६ गंगलिय ( लाङ्गलिक) ज २०६४,३११८५ गंगूल ( लाङ्गूल) ज ७ १७८ गंगोलि (लाङ्गुलिन) १९८६ णंद (नन्द ) ज | ११८ णंदणवण (नन्दनवन) ज २६५,६६, ४१२१४, २३४,२३६,२३७,२३६, २४०, ५१५५ दवणकूड (नन्दनवनकूट ) ज ४१२,३६ दवविरचारिणी ( नन्दनवनविवरचारिणी ) ज २।१५ नंदा ( नन्दा ) ज ४।१४०५६१,६८७११८. सू १० १६० दक्खरिणी (तन्दाकणी) ४२२१ दात्त (नन्दात्त ) प ११५१११ ज ३३,३२ दिघोष (नन्दिघोष ) १६३०२ मंदिपुर ( नन्दिपुर ) प ११६३/३ दिय (नन्दित) २१ दयावत ( नया ) प ११४६ ३१७; ४१२६५१४६१३ दिक् ( नन्दिक्ष) प ११३६२ दिवद्धणा ( नन्दिवर्धना ) ५१८११ दिस्सर (नंदिस्वर ) ) ज २११६,५१४४,५२,७४ सु. १९३१ दुत्तरा ( नन्दोत्तरा ) ज ५८ ११ व (नत्र ) प १०५६ पक्क (नक्त ) प ११८६ क्ख (नख ) ज २१५, १३३००१०० Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्सत्त-णसगवयण ६२१ णक्खत्त (नक्षत्र) प १२० से २२,४६,५१, ज १२६,४११७२ १५१५५।३ ज १५२४२१६५,७१,५८,१३८; णग्गोह (न्यग्रोध) प ११३६१२ ज २०७१ ३।२०६,२२५७।१,५५,५८,६५,६६,१००, गरगोहपरिमंडल (न्यग्रोधपरिमण्डल) प १५१३५; १०३,१०४,१११,११२।१,२,११३,१२६, २३।४६ ज ७१६७ सू १०७४ १२८,१२६१,१३० से १३३,१३४।२,३,४, पणच्च (नत) पच्चंति ज ३।१०४,१०५:५।५७ १३५४४,१३८ से १४५,१४७,१४८,१५०, णच्चण (नर्तन) प २१४१ १५१,१५२,१५६ से १६७,१७०,१७५, णिज्ज (ज्ञा) णज्जइ ज ३११०५ १७७१३,१७८१२,१८०,१८१,१६७ च ५।४ पट्ट (नाट्य) प ६३१,४१ ज २१३२,३८२, सू १०११ से ५,८ से २५,२७ से ३१,३३ से १६७।१०,१८५,१८७,२०६,२१८,५१,१६, ४२,४४,४६ से ५६,६१ से ७५,७७ से ८३, ५७,७१५५,५८,१८४ सू १८१२३:१६४२३,२६ १२ से १०७,१०६ से १२०,१२२,१२३,१२८, णमुमालग (नाट्यमालक) ज ३११५०,१५१ १२६।१,२,१३० से १३५,१५२ से १६६, णमालय (नाट्यमालक) ज १५२४,४६, ६.१६ १७१ से १७३,१११२ से ६१२।१६ से २८, मद्रमाल (नाट्यमाल) ज २।८ ३०; १३।११,१४,१५.१,२,४,६ से ६,११, णट्रविहि (नाट्यविधि) ज ३।१६७।१०,५१५७,५८ १२,१४ से १६,१६ २२,२५,२८,३४,३७, णट्टाणीय (नाट्यानीक) ज ५१४१,४४ १८१४,७,१८,१६,३७, १६।१।१,५२,८१२, गट्ठरय (नष्टरजस्) ज ५७ ११४३,१५॥३,१६,१६४२१४,७,२२।३,२२,३१, णडपेच्छा (नटप्रेक्षा) ज २१३२ १६२३,२६,२०१७ उ ५।४१, णत (नत) सू २०१७,२०।६।६ णक्खत्तमंडल (नक्षत्रमण्डल) ज ७९८५ से ६४,६७, णतंभाग (नक्तंभाग) सू १०१४,५ ११३ सू १०।१२६,१३० पत्तु (नप्त) ज २११३३ णक्खत्तमास (नक्षत्रमास) म १२।२,१२ णत्थि (नास्ति) ५ १७५,८०,२६५२,६४।१८, णक्खत्तविजय (नक्षत्रविजय) सू १।६।४; १०११३२, ५१४३,६६,८०,६६,१८०,१२१६,११,२१,२८; १७३ १३।१६१५२८७,६४ से १०१,१०३ से १०६, णक्खतविमाण (नक्षत्रविमान) प ४।१६५ से २०० १०८ से ११०,११२ से ११७,११६ से १२३, ज७।१६३,१६४ मू १८१८,१२,१६,३३,३४ १२५,१२६,१२८ से १३२,१३८ से १४१, णक्खत्तसंठिति (नक्षत्रसंस्थिति) म १०१२७ १४३,१७७०,२११६२ से १०१, २२॥४२; णक्खत्तसंवच्छर (नक्षत्रसंवत्सर) ज ७।१०३,१०४ २३११३७,१३६२८११४२,१४५:३०।१७; सू १०११२५,१२६,१२६,१२।२ ३६.८ से ११,१५ से २३,२५,२६,२८,३०, णख (नख) सू २०१२ ३१,३३,३४,४४ सू १११३,१४,१०।२२,२५ णखीमंस (नखीमांस) सू१०।१२० कथारी की जड णगर (नगर) प ६४१ मे ४३,२२६४।१७; दि (नद्) गदति ज ५१५७ णदी (नदी) प ११७७ ज २१३१ ज १२६:२।२२,६६,७०,१३१,३।१८,३१,५२, णदीबहुल (नदीबहुल) ज ११८ ६१,६६,८१,१३१,१३७,१४१,१६४,१६७१२, १८०,१८५,२०६;५१५,४४ णपुंसग (नपुंसक) प ११६६,७६११६५ से १०,२५ गरणिमण (नगर गिद्धमण') प १।८४ से २८ णगरावास (नगरावास) प २।४१,४२,४६ णपुंसगवयण (नपुंसकवचन) ५ ११२६,८६ Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२२ पुंगवेद (नपुंसकवेद ) प १८६२२३३६, ८२, १४३, १४८, १५० पुंगवेद (नपुंसकवेदक ) १३ १४, १५, १८ पुंगवेद (नपुंसक वेदक ) प २८११४० पुंगवेय (नपुंसक वेद ) प २३३१४५ णरवति (नरपति) ज ३११२६१२ णपुंसगवेयपरिणाम (नपुंसकवेदपरिणाम ) प १३ १३ णरवरिद (नरवरेन्द्र ) २।१३५२ गरसभ (नखूपन ) ज ३११८,६३,१८० परसीह (नरसिंह) ज ३१६,६३,१८० रिंद (नरेन्द्र ) ज ३१६.६,१८,३२१,२,६३,११७ १२६।१,१८०,२२१,२२२ पुंसय (नपुंसक ) प ३।१८३ णभ ( नभ ) ज २१६५ सू २०१२ भसूरय ( नभः शू-क) नू २०१२ / णमंस ( नमस्य् ) नमसइ ज २६० ५।२१,५८,६८ णमंसति उ १।२१ णमंसामि उ १।१७ सण ( नमस्यन) उ १।१७ णमंसमाण (नमस्यत्) ज ११६, २१६०, ३१२०५, २०६५/५८ मंसित्ता ( नमस्थित्वा ) २१६० उ ११२१ मि (नमि) ज ३ १३७ से १३६ मिय ( नत ) ज २११५. णमो ( नमस्) ज १।१९३।२४११, १३१ मोत्थु ( नमोस्तु ) ज ५१५,२१,४६,५८,६५ णय (नय ) प १६।४६ णय ( नल) ज ४ १३ जयगति (नवगति ) प १६३८, ४६ जयट्ठया (नयार्थता) सू १२/१३ जयण (नयन) वेद-व णरवइ ( नरपति) ज ३६, १७, १८, २१, २४४, ३१२८,३०,३४,३५,३७२, ४१, ४५२,४६,८८, ६१ से ६३,१०६,१३१४४, १३६,१४१,१७७, १८०,१८३,२०१,२१४,२२२ जल (नल ) प १।४१।१ ल (नड,नल ) प ११४१।१,११४८१४६; ११।७५ लिण ( नलिन) ज २१४ ४१३, २५, २१२,२१२।१ च १।१ गलिग ( नलिनांग ) ज २२४ णिकूड ( नलिनकूट ) ज ४।१६० से १९३ पलिया ( नलिना ) ज ४६१५५ १,२२२।१ ra ( नवन् ) प ११५१ ज १।२० सू १०।२ जव (नव ) प २१५० ज ५।१८ चं १।१ गवड ( नवनि) ज ४।२१३ rai ( नवक ) प ११८१ ranउमंगुलपरिणाह ( नवनवतत्यङ्गुलपरिणाह ) ज ३।१०६ वणवति ( नवनवत ) ज ४१२१३ जव जहति ( नवनिविपति) ज १२६१२, १७५ पवगोइया ( नवनीतिका ) प ११३८ । ३ ज २।१० वणीत ( नवनीत ) नू १०।१२०, २०७ वणीय ( नवनीत ) प १११२५ ज ४।१३ वम ( नवम ) प १७६६ ज ७।११४२ सू १०/७७, १२४।२; १३।१० नवमालिया ( नवमालिका) ज ३।१२,८८, १०६; २३१ ज २२१४,१०,१०३,१०६, १०८,१३३,३३,६,३५,१०६,१३८६ ५१२१ tयणमाला (नयनमाला) २६५; ३३१५६,२०४ नयर (नगर) ज ५। ७०,७२३।१०१ जयरी (नगरी) ११६३।६ ज ११२,३,७१२१४ यहि (विधि) प ११०११६ पर (नर) ज १।३७; २११०१,१३३,३१६२,११६, १७८,१८६,२०४ ४१२७, ५२८ ५।५८ परकंता ( नरकान्ता) ज ४/२६६, २६६,२६६१२ ६/२१ मिक्स (नवपक्ष ) ज २४६४ पर) २० से २७ ज २।१३५ से १३७ (क) ज ५।१०।१ पदमा (काल) १२६ पवमी (नववी) ११२५ परदार्याणय ( नदापनिक) ११६६ व (२५०४०,८३,४४ Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गवरं-जाणावरण ६२३ णवरं (दे०) प २।४५,५२ से ५६,६१ : ५।२१,२६, ७३,५:२८१७२,३३१११,१४:३६.२० ३५,३८,४३,५७,६०,६६,७२,७५,८०,११,८४, ज ३११११ से ३१५,१२४ से १२६, ४।१४१ १०,६४,१०२,११६,१५१,१६०,१६१,१६४, णामकुमारत्त (नागकुमारत्व) प ३६।२० १६१,१६५,२०१६६६,६५,६८,१०४,११३; जागकुमारराय (नागकुमारराज) प २१३४,३५ १०१३०१११८५,१२।२६,३१,३६ से ३८, णागकुमारिद (नागकूमारेन्द्र) ५२।३४ से ३६ १३।१६ से १८,२०,१५१८,१६,२६,३०,३४, णागधर (नागधर) ज ३।१७६ ३५,३८,४६,५५,६३,६५,६७,७५,८५,८६,६१ णागफड (नागस्फटा) प २३० ६७,६८,१०२,१०३,११५,१२१,१२२,१२५, णागपुष्फ (नागपुष्प) ज ३१३ १२६,१३६,१३७,१३८,१४०,१४१,१४२; जागरुक्ख (नागरूक्ष) प ११३५।३ १६६४,१२; १७१२३,२५,२७,२९,३०,३२,३३, णागलया (नागलता) प १४०।३ ३५,५८,६०,६३,७०,६१,६३,६६,१०५,२४५, गागोद (नागोद) सू १६।३८ १७२:१८/८०:२०१४३२,५४५५,५७,५८, णाडइज्ज (नाटकी) ज ३.१२,२८,४१,४६,५८, २१।३५,६१,७०,७१.६२,२२।४१,४२,४४, ६६,१४७,१६८,२१२,२१३,२२१ ७६,८०.८२,६०२३।१०,१२,५६.५८,१५६, णाडग (नाटक) ज ३३१७८,२०४,२१४,२२१ १६६,१६७,१७०,१७२,१७५,१८८,१६०; गाडगविहि (नाटकविधि) ज ३११६७।१० २४१३,११,२६।६।२८।२७,३१,३८,४३,४७, णाडय (नाटक) ज ३१८२,१८६.१८७,२१८; ७३,७४,१०६,११५,१३३,१३८,२६।१४,२१, २२,२६ ३०११७:३३११६:३४।३,५,१४,३५७,३६१६, णाण (ज्ञान) ११११०१।१०,३३१११,३१५,२८,३०, ७,११,१३,१५,२४,२६,२८ से ३४,३८,४६, ३२,३४,३७,४३,४५,६८,६६,७२,७४,८०,८३, ५२,५६,६५,६८,६६,७२,७३ ज २१५२ सू ८४,८७,८६,६४,६६,१०१,१०२,१०१,१०७, २१७,१०१२५,१८१२४ ११२,११७; १७१११२,११३,१८।१।१; गरि (दे०) ज ३१५० २८।१०६।१,३०२६,२८ सू २०१६।४,५ णवविह (नवविध) प ११६२,१३७,२११५५; णाणत (नानात्व) प १४५, ६१६८१५१४४,४५; २३३१४३६ २३।१६०३६।१४,१५ ज २५२५६,१५६, णह (नख) ज २११५,४३,१३३, ३१६२,११६,१४५ पहिया (नखिका) प १४७ १६१:४।१३६,१४१,१६२,२६२,५५४८ से ५०; ७३५,५८ णही (नखी) प १४८५ णाइ (न) ज ३११२६ णाणपरिणाम (ज्ञानपरिणाम) प १३१२,६,१४,१६, णाइ (ज्ञाति) ज ३।१८७ १७,१६ णाइय (नादित) उ १।१२१,१२२,१२५,१२६, णाणा (नाना) ११४८१५१६,१६,२६२१२१, १३३,१३४,१३८,३।१११:४११८,५३१६ २२,२७,५६,६०,६१,७८,७६,३३।२१, गाउं (ज्ञातुम् ) सू १६।२२।२६ ज ११३७,३११६,३०,५६,१०६,१४५,२२२, णाग (नाग) २।४०।१,८,५१३१५५५॥३; ४।३,५,७,१३,२५ से २७,४६,६३,११४; ज २।३१,३१२४।१,२,१३१११,२,१७६; ५।१६,३८,६७१७८ ४१२१२,५१५२,७।१२३ से १२५ सू १६॥३८ णाणारिय (ज्ञानार्य) ५११९२,86 णागकुमार (नागकुमार) प १३४ से ३६,३८,३६; णाणावरण (ज्ञानावरण) प २८१६,११ Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णाणावरणिज्ज-णास णाणावरणिज्ज (ज्ञानावरणीय) प २२२२६,२७, २६८,२७२,२७४,२७७ : ५११८,२८,४६,५७; २३३१,३,६,७,६ से १३,२४,२५,६०,१३४, ७।११४,२१३,२१४ चं ११४ सू १०।१२४; १३६,१५४,१५५,१६०,१६४,१६७,१७६, १२।२६; १९३२,६,६,१२,१६, २२॥३,२८,३६ १७८,१८६,१६१,१६४ से १६६,२०२,२४।१ से ५,८,१५:२५।१,२,२६।१ से ४,७,१२, णामक (नामक) ज ३।२६,३६,४७,१३३,१३५ २७।१ से ३ णामग (नामक) ज ४।२०० जाणाविध (नानाविध) ज २१७:३।१८६ से १६२ पास गज णाणाविह (नानाविध) प ११४७११,२।४१ २२६,४१२२,३४,५४,६४,१०२,१०७,११३, ज १११३,२१,२६,३३,३७,४६,२।१२,५७, १५७/२,१७७.२६०७/११४,११७.१२० १२२,१२७,१४७,१५०,१५६,१६४३।७, सू १०१८६,८८,१२४;२०१२ १०६,१८४,१६२,४१६३,५।३२ णामधेय (नामधेय) ज ५२१ गाणि (ज्ञानिन्) प १८१७६; २३।२००; २८.१३५ णामय (नामक) ज १२४६२११७४११०६,१६३, २०४,२१०,२११ णाणोव उत्त (ज्ञानोपयुक्त) प ३६।६३,६४ णामसच्च (नामसत्य) प १११३३ णात (ज्ञात) ११६५ णामसूरय (दे०) सु २०१२ णाम (नाम) ज २०१५ णामाहयक (नामाहतक) ज ३१२६,३६,४७,१३३ णाभि (नाभि) ज २।५६,६२,६३, ४१२६०११:५११३ णायग (ज्ञायक) ज ५५५,४६ णाभिणाल (नाभिनाल) ज ५११३ णायय (ज्ञातक) ज २६ णाम (नामन्) ११०१०१।१०,२१४८,५० से ५२ णायव (ज्ञातव्य) प १३१०११३,६,७,६,११ ५४ से ५७,५६,६०,६२ से ६४,६४।१७,११३, १८।१।२३५।११ १११३३११, २२१२८:२३।१,१२,३८,२४।१५ णारग (नारक) प १२६,२४।१०,११:२६।८६ २६.११:२७।५३६।२,६२ ज ११२,३,५,१६, णाराय (नाराच) प २३१४५,४६ ज ३१३,३१ १८ से २०,२३,३५,४१,४५,४६,४८,५१,०८, पारिकता (नारीकान्ता) ज ४।२६२,६१२१ १३,५१,५४,६० से ६३,१२१,१२६,१३०, णारी (नारी) ज ३।१८६,२०४ १४१ से १४५,१४६,१५४,१६०,१६३; ३११, णारीकंता (नारीकान्ता) ज ४१२१६६ २,२६,३०,३५,३६,४७.५६,६७,१०३,१०६, णारीकूड (नारीकूट) ज ४२६३।१ १११,११५:१३३,१४५,१६१,१६७।३,२२५, णाल (नाल) ज ४७ ४११,३,२५,३१,३४,४०,४१,४५,४८,४६,५१, णालबद्ध (नालबद्ध) प १४८१४० ५२,५५,५१,६२,६४,६७,६८,७५,७६,८१,८४, णालिएरीवण (नालिकेरीवन) ज राक्ष ८६,८८,६२,६८,१०३,१०६,१०८,११०,१४१, णालिया (नालिका) ज २१६ १४३,१५६ से १६५,१६७ से १६६,१७२ से णालिया (नालिका, नाडीका) ५ १२४०।१ १७८,१८० से १८२,१८४,१८५,१८७,१८८ णाबा (नौ) प १६:४५ ज ३१८०,८१,१५१, १६०,१६१,१६३,१६४,१६६,१६७,१६० से ७१३३।१ सू १०१३३ २०३,२०५ से २०६,२१०११,२१२,२१३, गावागति (नौगति) प १६।३८,४५ २१४,२२६,२३४,२३७,२३६ से २४२.२४५, पावासंठिय (नीलपित) १०३३ २४६,२५१,२५२,२६१,२६२,२६५,२६६, मास (ना) णासेंति ज ३१६५ १५६ Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णासा-णिज्जुत्त ६२५ णासा (नासा) प १३१ ज २।१५.१३३ णिगोद (निगोद) प ३१६२,८६,१८१३८ णिइय (नित्य) ज ७२१० णिगोय (निगोद) प १८४४५,५३ ज २।१३३ णिउण (निपुण) ज २।१५:३१६,२४,८७,१३८, णिगंथी (निर्ग्रन्थी) ज २०७२ २२२,५१५,२१,२८ र २०१७ णिग्गय (निर्गत) ज ११४; ३१६,१७,२१,३१,३४, णिओग (नियोग) ज २११३३,५१४३ १७७,२२२ णिओय (निगोद) प ३१६१.६३ णिग्गुंडी (निर्गुण्डी) प १३७।३ इणिद (निन्द् ) णिदेहि उ ३।११५ णिग्गुण (निर्गुण) ज २११३५ णिब (निम्ब) ११॥३५१:१७।१३० णिग्याय (निर्धात) प १।२६ णिबछल्ली (निम्बछल्ली) प १७.१३० णिग्घायण (निर्घातन) ज २१७० णिबफाणिय (निम्बफाणित) १ १७।१३० पिग्घोस (निर्घोष) ज ३१८८,१८०,१८३,३५, णिबसार (निम्बसार) प १७११३० २६,४६,४७,५६,६७ उ १।१२१,१२२ १२५, णिकुरंब (निकुरम्ब) ज २०१० १२६,१३३,१३४,१३८,३।१११४१८% णिक्कंकड (निष्ककट) ज १८,२३,३१ ५।१६ निक्कंकडछाया (निकट छाया) प २।३१४१ णिचिय (निचित) ज ३।३; ५१५७११७८ णिक्खमंत (निष्कामत ) म १९२२११४ णिच्च (नित्य) प २१२० से २७ ज ११११,२४, णिक्खमण (निष्क्रमण) ज ४१२७७ मू १३११७ । ४७, २।११,६७,१३३, ३।२२६,४।२२,५४, णिक्खममाण (निष्कामत्) ज ३।२०३;७।१०,१६, ६१,६४,१०२,१६६,१६७,१७७,२०३,२१०, २० से २२,२६,२७,६६,७५,८१ च ४१२ २६४,२७३,५।२६;७।२१०,२१३ सू १३३६,१२ सू १६।२२।१७ मिक्खित्त (निक्षिप्त) ज ३१२०,३३,५४,६३,७१, णिच्चमंडिया (नित्यमण्डिता) ज ४११५७११ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२ णिच्चालोय नित्यालोक) सू २०१८ ‘णिक्खिय (नि-क्षिप्) णिविखवइ ज ३१६२; णिच्चुजोत (नित्योद्योत) सू २०१८ ५।६७ णिच्चुज्जोय (नित्योद्योत) सू २०६८।६ णिक्कुड (दे०, निष्कुट) प २६१० ज ३७६,७७, णिच्छिण्ण (निश्छिन्न) प १६४।२२३६।१४।१ १०६,१२८.१५१,१७० , ५२२५ णिच्छीर (निःक्षीर) प ११४८१३६ इणिगच्छ (नि : गम् ) णिगच्छइ ज २१६५ : ३३१४, णिच्छुभ (नि-क्षिप) णिच्छुभइ प ३६।७३,७४ १७२.२०४,२२६ णिगच्छति ज ५१६३ णिच्छुमति प ३६।५६६१,६६,७०,७६ णिगच्छित्ता (निर्गत्य) ज २१६५ णिच्छद (निक्षिप्त) प ३६।६२,७७ णिगम (निगम) ज २१२२ उ ३३१०१ णिजुत्त (नियुक्त) प २४१ णिगर (निकर) ज ३।१२,३५,८८,६५,१५६; णिज्जरा (निर्जरा) प १५१४३ से ४७,४६; ३६७६ ४११२५,५१५८ से ८१ णिगरिय (निकरित निगडित) ज ३।२४।३, णिज्जाणभूमि (निर्याणभूमि) ज ५१४६ ३७।१,४५।१.१३१३ णिज्जाणमग (निर्याणमार्ग) ज ५१४६ vणिगिण्ह (नि । ग्रह ) णिगिरहइ) ज ३२८ णिज्जिय (निजित) ज ३।१७५,२२१ णिगिरिहत्ता (निगृह्य) ज ३।२८ णिज्जुत्त (निर्युक्त) ज ३।१५८ Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ णिज्भर बहुल (निर्भर बहुल) ज १।१८ निट्ठियट्ठ ( निष्टितार्थ ) प ३६/६३, ९४ णिडाल ( ललाट) ज २।१५,३।३६, ३६.४७, १३३ णिण्ग ( निन्नग ) प १८६ णिण्णथल ( निम्नस्थल ) ज ७ । ११२१५ निष्णथलय ( निम्नस्थलक) सु १०।१२९५ णिण्णुष्णय ( निम्नोन्नत) ज २११३१ णिण्हझ्या (निह्नविका ) प ११६८ नितंब ( नितम्ब ) ज १।५१३।६१,१३७; ४ १७४, १७२१७६.१८२,१८८ णित्यारण ( निस्तारण ) ज ३३१०६ गिदा (दे० ) प ३५ | १११,३५११६ णिदाया (दे० ) प ३५११७,१८,२०,२२,२३ विवाह ( निदाघ ) सु १०।१२४१२ निद्दा ( निद्रा ) प २३१४, २६, २७,१३४१५५, १७७, १८० णिप्पंक (निष्पंक) ज ११८, २३ णिप्वच्चक्खाणपोसहोववास (निष्प्रत्याख्यानपौषधोपवास) ज २२१३५ फिज्म (निर्+ पद्) गिप्फज्जइ ज २६ जिम्फत्ति (निष्पत्ति) ज ३११६७/६ णिष्फाइय (निष्पादित ) ज ३११२० णिकायय (निष्पादक) ज ३।११६ रिफाaa (निष्पावक) ज २।३७ जिन्भय (निर्भय) ज ३११२६६५।५८ गिभिज्ज माण (निर्भिद्यमान) ज ४।१०७ णिभ ( निभ) ज ३।३०,१७८ णिज्झरबहुल-गिरड ~णिमज्जाव ( नि | मज्जय् ) णिमज्जावेइ ज ३६८ णिमुग्गजला ( निमग्नजला ) ज ३।६७ से १०१, णिद्दाणिद्दा ( निद्रानिद्रा ) प २३|१४ गिद्ध (स्निग्ध ) प १६:२/३१ ५ १५४,२११; १११५६,६०; १३/२२१,२२८/२६,३२,६६ ज २११५;३१३,२४,३५७ १७८ द्धिंत ( निर्मात ) प २।३१ पिया (स्निग्धता ) प १३।२२११ गिद्ध इत्ता (निर्धाव्य ) ज २।१३४ Nfद्धाव ( निर् - - - धाव् ) णिउाइांति ज २ १३४, १४६ १६१ णिम्मम ( निर्मम ) ज २१७०; ५१५,४६,५८ णिम्मल ( निर्मल ) प २१३०,३१ ज ११८,२३,३१६ २११५; ४।१२५; ५६२; ७ १७८ निम्माणणाम (निर्माणनामन् ) प २३३८,१२८ जिम्माय ( निर्मात ) ज ३११ णिम्मिय ( निर्मित) ज ३।३५ जिम्मेर ( निर्मर्याद) ज २११३५ पियंस ( नि :- वस् ) नियंसंति ज २१०० णियंसेइज २६ नियंत्रण ( निवसन ) प २४१ / नियंसाव ( नि |- वासय् ) नियंसावेंति ज ३१२११ नियंसावेता ( निवास्य) ज ३।२११ नियंसेत्ता (न्युष्य ) ज २६६ जियग (निजक) ज २१६४; ३१३, १८७,१८८ सू २०/७ / णिच्छ ( निर् + दा) नियच्छति प २३१३ नियत (नियत) ज ३८१ णियतिया ( नैयतिकी) प १७।११,२२,२३ णियत्थ (दे० ) ज ३।१२५,१२६ नियम (नियम) प १२०, २३, २६, २६; ६ ११४, ११६,१०।२:१११५३, ५७, ५६, ६६,६६३१ ; २११६६,६६,१००, १०३; २२४८, ५१,६८, ६६,७१ से ७४; २३।१०,१२:२४/१४२५१२, ४:२७।६;२८११६,३८,६५,६८ से १०१,३६।५६ ज ७ ५०, ५३, १६६ सू १८।३ णियमा ( नियमा) ज ७१३२ ।१ सू २०१६ णियय (नियत) ज ११११,४७३।२२६ ४१२२, ५४,६४,१०२, १५६, ५२२,२६ णियय ( निजक) सू १९।२२।१४ णियया ( नियता) ज ४३१५७।१ णियर ( निकर ) ज २११५ णिरह (निर्ऋति) ज ७।१२०,१३०,१८६३४ सू १०१८३ Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परदेवता- णिव्वाणमा णिरइदेवता ( निविदेवता ) सू १०१८३ निरइयार (निरतिचार ) प १११२६ निरंतर ( निरन्तर ) प १ ० १३२ से ३४,४०,१११४१० ७१:२०१२५,३१,५३२२१३, १५, १७, १९ से २१, ३६८, ६ ज २११५ रिय ( निय) २१,१०६२३३६,८१.१११, ११३१ १४६, १७१ पिरय (खि) निरयगतिपरिणाम ( निरयगतिपरिणाम ) प १३३३ णिरयगतिय ( निरयगतिक ) प १३३१४ रिमामि ( निरयगामिन् ) व ११२२, ५०, २१५८, १२३, १२८, १४८, १५१,१५७, ४११०१ पिरयावास ( निरयावास ) प २१२० से २४ निरवसेस (निरवशेष ) प ६६२१०१२८ : १७२८ २१।६४,३४।२४:३६२८,४६,६५,६१,७२ रिहंकार (निरहुकार ) ३२७० णिराणंद (निरानन्द) ज २१६०;१०३, १०६,१०८ णिरातंक ( निरातङ्क) ज २०१६ णिरालय ( निरालय ) ज २२६६ णिरालोय ( निरालोक) ज २।१३१ णिरावरण ( निरावरण) ज २२७१८५ णिरंभ ( नि + रुध् ) पिभइ प ३६६२ भिति ३६।९२ रिंभित्ता (विख्य) ३६६२ णिरुद्ध (निरुद्ध ) प २३।१६३ freanट्ठ ( निस्पक्लष्ट) ज २२४११ पिरुच्छाह (निम्याह) न २।१३३ freeda (निरूप ) २३ freuse (free) ज ११५ णिरुविग्य ( निग्नि) निरुहा (नीरुहा ) प ११४८३ शिरेयण ( निरेजन ) प ३६६३,६४ निरोगय (नीरोगक) ज २।१२ णिरोह (निरोध ) प ३६।१२ पिल्लज्ज ( निर्लज्ज ) ज २।३३ १९१६ जिल्लेव ( निर्लेप) ज २१६ विद्दय ( निपतित ) ज ३१२६, ३६ निवदेत्ता (निवृधा) ज ७।३० विड्ढेमाण (निवर्धमान ) ज ७ १३,१६,२२,७२, ७८,८४ णिवण्ण (निषण्ण ) ज ७।१७८ पिवतित ( निपतित ) ज २।१४२ मे १४५ वित्त (निवृत्त) ३११२६ √ णिवय ( नि पत्) णिवयंति ज ५१६४ विह (निवह) ज ३।१०६ निवात ( निपात) प ३६१६१ ज २११३१ शिवाय ( निपात) ज ३।३५,१०६ णि विट्ठ (निविष्ट ) प २०१३६ णिबुढि ( निवृद्धि ) सू १३ । १७ fasढेत्ता (fra) सू ६१ विड्ढेमाण (निवर्धमान ) सुहार णिवेत्ता (निवेद्य) ज ३१८१ ६२७ / णिवेद ( नि + वेदय् ) णिवेएइ ज ३२८१३५।५८ णिवेदम ज ३५ णिवेदेमो ज ३१६० fat (निवेश ) प १।७४ ज ३१२८,३१,४१,४६, ५.२,११५,१३५,१४१.१५१,१६४,१६७३२, १८० वेस ( नि ! वेगय् ) णिवेसेइ ज ५।२१,५८ निवेसेता (निवेश्य ) ज ५१२१ पियण (निर्व्रण) ज २१५३११७७७ १७८ व्वित ( निर्वृत्) सुहार वित्तंति प २३।१६३ मू ६।१ निव्वत्त (निवृत्त) ज ३।३०,४३,५१.६०,६८,७६, १३६,१५१,१७०, १७८,२१६ वित्तपया (निर्वर्तन ) प ३४१२,३ जिध्वत्तणा (निर्वर्तना) प १५५६११, ११६१ व्वित्तिय (निर्वर्तित) प २३/१३ से २३ णिव्वय (निर्व्रत ) ज २।१३५ णिवाद्याय (निर्व्याघात ) प १६।५५ ; २१ । ६५; २८।३१ ज २ ७१,८३ णिव्वाणमग्ग (निर्वाणमार्ग ) ज २२७१ Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२८ णिवाण-णीलय vणिव्वाण (निर-वापय) णिवाविस्सति हिस्संग (निःसङ्ग) ज ५।५८ ज २११४१ णिवाहि ज ५१२८ णिवावेंति हिस्सग्गरुइ (निसर्गरुचि) प ११०११३ ज २।११२ णिवावेह ज २११११ णिस्सा (निश्रा) प ११२०,२३,२६,२६,४८ णिध्वुइकर (निर्वतिकर) ज २१६४,३३, ४११४६ णिस्साय (निश्राय) ज ३११०६ णिवइकरण (निर्वतिकरण) प १११२ णिस्सील (निःशील) ज ११३५ णिवृतिकर (निर्वतिकर) ज ४।१०७ णिस्सेस (निःश्रेयस् ) ज २१७१ णिसंत (निशान्त) ज ५१२६ णिहटु (निहृत्य) ज ३।६ जिसम्म (निसर्ग) १११०११२ इणिहण (नि+ हन् ) णिहणंति ज ५११३ णिसट्ठ (निःसृष्ट) जे ३१२५,३८,४६,४७,१३२ णिहणित्ता (निहत्य) ज ५॥१३ मिसढ (निषध) प १६५३० ज ४।९६ णि हयरय (निहतरजस्) ज ५१७ णिसढकूड (निषधकूट) ज ४।६६ णिहि (निधि) प १५३५५१२ ज ३१६७११३,१४, णिसष्ण (निषण्ण') ज २१८८; ३।६,८१,२२२ णिसम्म (निशम्य) ज ३१६ णिहिय (निहित) ज ३१११९,२२१ णिसह (निषध) ज ४८१,८६,८७,६७,६८,२०१ ।। णिहिरयण (निधि रत्न) ज ३११६७,१७०,७/२०१, से २०३,२०६,२०७,२०६,२३८,२६२ २०२ णिसहकूड (निषधकूट) ज ४१२३६ णिहुय (स्निहूक) प ११४८।४१ णिसहद्दह (निषधद्रह) ज ४१२०७ इणी (नी) णेइज ७/१५६,१५७,१६१,१६५, Vणिसिर (नि+सृज्) णिसिरइ ज ३।२४,२६, १६६ ; ३।१६३ गेति ज ७१५६ सू १०१६३ ३७,३६,४५,४७,१३१,१३३ णिसिरंति णेति सू १०६३ ३११६२,४१५,७,५५,७ णिसिरति भणी (गम्) णीति ज ३।१०६ प ११६७१,७२,८४,८५ गीइ (नीति) ज ३।१६७ णिसिरण (निसजन) १ ११७१ णोणिया (नीनिका) प ११५१ मिसिरमाण (निमृजत् ) प १११७१ णीम (नीप) प १।३६६३ जिसीइत्ता (निषद्य) ज ३४६ णीय (नीत) प १५५१०२ इणिसीय (नि+पद) णिसीएज्ज प ३६।११ णीयतर (नीचतर) ज ४।५४ णिसीयइ ज ३१८,४१,४६,५८,६६,७४,१४७, णीयागोय (नीचगोत्र) प २३१२२,५७,५८,१३२ २१५,२२२ णिसीयंति ज ११३,३०,३३; जीरय (नीरजस्) प २१३०,३१,६३, ३६।६३,६४ ७,४१२,५४२ णिसीयति ज ३१८८ ज १५१८,२३,३१,२०६५।५८ इणिसीयाव (नि+पादय) णिसीयाति णीरागदोस (नीरागदोष) ज ५१५८ ज ५।१४,१७ णील (नील) प १६ से ८,२१३१,२१४०।११; णिसीयवेत्ता (निषाद्य) ज ५।१४ ५।५,७,१३१६१७१९४२३११०४,२८१३२, णिसेग (निषेक) २३१६० से ६४,६६,६८,६६, ६६ ज ३१३१,४१२६४ सू २०१२,८,२०१३) ७३,७५ से ७७,८१,५३,८५ से १०,६२,६५, णीलकणवीरय (नीलकरवीरक) प १७।१२४ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ णीलकूड (नीलकूट) ज ४।२६३११ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३,१७६,१७७, पीलबंधुजीवय (नीलबन्धुजीवक) ५१७११२४ १८२,१८३.१८७ गीलय (नीलक) प १७.१२६ सू २०१२ Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णीललेसणे इय ६२६ गीललेस (नील ) प १७८३,६२,६४,६५, णेग (नंक) प २८१४०,४३,६६ ज ३१३,३२ १००,१०३.१०८,१:८; १९७० णेगम (नगम) प १६।४६ णीलले ठाण (नील लेश्यास्थान) प १७१४६ दव (नेतव्य) सू६१८।१६।३१०।२३,२५; णीललेत (नीललेश्या) १७।१२१.१२४; १५१६, १८:११९४१,३५,२०१८ २८११२३ णेतु (नेतृ) सू १०॥६३ णीललेस्स (नीम इत्या ) प ३९६,१३११४:१७।३१, णेत्त (नेत्र) प १५१७७,८२ .1328,६५६४,६ ६८,७१ से ७४, तविण्णाणावरण (नेत्रविज्ञानावरण) १२३११३ 3६८१ मे ८५,८७,१००,१०३,१०६ से १११, णेत्तावरण (नेत्रावरण) प २३११३ णद्दर (दे० नेहर) प १८९ णीललेस्सठाण (नीललेश्यास्थान) प१७११४६ णेम (नेम) ज १।११ णीललेस्सा (नील नेत्या) T१६६४६; १७.३६, णेमि (नेमि) ज ३।३०,६५,१५६,१७८ ११५ से १-१२४,१२६,१३१,१३६,१४४, णेमिपास (नेमिपाव) ज ३१२२ १४५,१४८ से १५२ जेम्म (नेम) ४१२६ णीदले जाकर जान नीलामापरिणाम) १३१६ णेय (जेय) प २११५३ ज ३७७,१०६,१२६, होती . ४९८,१०३, ७१२७११,१६७१ च ५२ १२ १०८:१०,१८० १.१ से १४३,१६२,१६५, यतिया (नवतिकी) १७१२५ १६७,१७३ से १७६,७८,१८० से १८२, णयब्द (नेता) ४।५५,५११६१८।३१११८१; १८४,१८५,१८७,१८८,१६०,१६१,१६३, १५.१०२,१०८,१४३,१७।८८,२११५२; १९४,१६६,१६७,१६३,२००,२२५२१,२२७, २२१७६; ३६।२२,२६,३२,४६ ज १११२ से २६२ से २६५ १४,२५,४६:२।४,६,४६,५६,६४,१३६,१५६; णोलसुत्तय (नीलसूत्रक) प १७११६ ३॥६४,१५०,१५१,२१७,४११०,४७,५३,५६, णोली (नीली) ३।२४ ६०,६४,७६,८४,६०,६२,६६,१०६,१४१, पीलुप्पल (नीलोत्पल), १७१२४ १४७,१६०,१६३ से १६५,१७३,१७४,१६७, णीसंद (निप्यन्द) : ११३ चं १११ २०७,२१०,२३८,२४३,२६२.२६८,२७४, णीसल्ल (नि:शप) ५८ २७७, ५१५३ : ६१५७१३५,५०,५८१३०, पीसस (निर: वीरागंलिप १७॥२,२५, १३१ १३५.१५५,१७६ सू ७१,६।२,१०१२२ यु (गत) सू १६ णीसास (नि: ::२११६ गरइअत्त (नैरकत्व) प १५।१४ मोहम्ममाणा ( निज ६६३१ त्य (नरक) प २।२०,२१, ३११६,२२,४।३; गीहारिन (मिला). १२ १०३२ से ३८,४० से ४२,४४ से ५२; णीह (स्निह) प? ११॥४४,८०,११२,११ से १३,१५,३६; णणं (जन) 2212:१:४९५ से १०४, १३११४,१६ रो १६; १४१२,३,५,७,६,११ से ११५.१२.१: ० ४८,१४६,१५१,१५.४; १५,१८,१५११७,१८,३५,४६,४८,५६,६२, ३६१८१ ६३,६५,६६,७१,७५,७८,८२,८३,६१,६४ से उर (दे०) १४६१ ६,१००,१०२,१०७.१०८,११८ से १२०० Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रइयअसण्णिआउय-णोराहमणोवादर १२४,१३४,१३५,१३८,१४०,१४१,१६३,६, सप्प (नसर्प) ३।१६७१२,१७८ ११,१४,२०,२५,२६,३१,३२,१७११ से ६, णो (नो) प १११६८ ज २१६ सु ८१ ८ से १४,१७,१८,२३,२५,२८,२६,३२,३७, ___णोअपरित्त (नाअपरीत) १८।११२ ४०,४२,४६,५७,८५,६० से ६२,१००,१०६ णोअसंजय (नोअसंयत) प १८१६२ से १११,१८।२,५,८,६,११,१६।१,२०११११; णोअसण्णि (नोअसंज्ञिन् ) प ३१५,६ २०११ से ३,६,७,९,१०,१४,१५,१७ से २०, णोइंदिय (नोइन्द्रि) प १५७० २३ से २५,२७,३२,३४,३५,३८ से ४२,४६, णोसायवेयणिज्ज (नोकषायवेदनी :) २३:१७, ५२,२११५१,५२,५८,५६,६५,६६,७७,८१, ८७; २२।११.१३,१५,१७,१६ से २१,२३, णोपज्जत्तयणोअपज्जत्तय २४,२६.२७,३०,३१,३३,३५,३७ से ४५,४७, (नोपर्याप्तकनोअपर्याप्तक) प १८१११५ ५३,५७.६६,७३,७५,७६,७६,८२,८७,८८, गोपरित्त (नोपरीत) प१८११२ १०,१८,१००,२३१२,४,६,७,१०,१८,३७,५४, णोभवसिद्धियणोप्रभवसिद्धिय ७८.८०.१४६,१६४ से १६६,१६८,२४।१,३, (नोभवसिद्धिानोअभवसिद्धिक) ५.८,१४,१५:२५॥१,२,४,२६११,३,२७११,६; प१८।१२४, २८।११३,११४ २८।१,३ से ५,२१ से २६,३०३८,६८,१०१, गोभवोवातगति (नामोपपातमति) प १६१३७ १०२,१०४,१०६,११७,११६.१३३,१४३ से गोभवोववायगति (नोभवोपपातगति) प १६॥२४, १४५; २६।५ से ७,१५,१८,१६,२२; ३०५ से ७,१४,१७,२४,३११२,४,६६१,३२१२, जोमालिया (नवमालिका) प ११३८१ ज २१०% ३३।१ से ७,१६,२७,३०,३१,३४,३५,३७, ३४११,३,५,६,१०,१३,१४,३५१२,५,७,६,११, गोमालियाधुड (नवमालिकापुट) ज ४११०३ १३,१५,१७,१८,२१:३६।४,८,९,११ से १३, गोसंजतण असंजतकोसंजयासंजय १५,१८,२० से २२,२४,३० से ३४,३६,४३ (नोगतनोअसं तनोरायतासंबत) से ४७,४६,५४,६५,६८,६६,७२ ज २१७१ प३२.१,२ परइयअपिणआउय (नैरयिकासंज्ञयायुष) गोसंजतणोअसंजयणोसंजतासंजय प २०१६२,६४ (नोस तनोअसंतनोस तासंत) ५ ३२१४ रइयत्त (नर कित्य) प १५०१०३,१०४,१०६, जोसंजय (नोगत) प १८१६२ १११.११५,११८,१२२,१२६,१२६,१४१, गोसंजयण असंजयणोसंजयासंजय ३६।१८,१६,२१,२३,२५,२६.३० रो ३४,४६, (नोसं तनोअसंयतनीसंवतासंत) रइयाउय (नरयिका राष्) प २३.१८,३७,७८, प२८॥१३१,३२॥३,६ ८०,१४६.१६६.१७० णोसंजयासंजय (नोसंतासंयत) प १८६२ रतिय (नरयिक) प १०३६ णोरुपिणणोअसलि (जोसजिन्नाअसंजिन) वच्छ (नेपथ्य) प २१४१ प १८।१२१,२८.१२०,१२१,१३४,१३६ णवत्थ (नेपथ्य) ज ५१४३,७१०१ ३१११ से ३,५,६ णेवाण (निर्वाण) पश६४१२० णोसुहमणोवादर (नोनुक्ष्मनोवादर) प १८॥११८ Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ व्हाण-तछु Vi व्हाण (ष्णा) पहाणे ज २१०० हाति व्हाणपीढ ( स्नानपीठ ) upta ( स्वानमण्डप) व्हाण मल्लिया पहाता ( स्नात्वा ) २२६६ हा ( स्नात ) सू २०१७ व्हाय ( स्नात) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२,८५, १२५,१२६, १४७, १५३३ १११६,४२, ७७, १२१,१२२,१२६; ३१२६, ११०, १४१, ४ १२, १८५११७ हारु ( स्नायु ) ज २११३३, ३१२४ हा (स्वापय्, स्नपय् ) वेद ३।११४ व्हावेता (स्नप स्वापति) ज २२१०० १६७ व्हार्णेति २१६६ ३१६,२२२ ३१६,२२२ (स्नानमल्लिकापुट) ज ४।१०७ त त (तत्) प १११ सू १।११।१ इ (तृतीय) प ३२१ ६८०११; १५६१४३ ३|१३५११ ; ४१५६, १७, १४२३७११०८, १५८ चं ४/३ सू ११८३ उ २२२२३१६८ ४|१ तया ( तृतीया) ज ७।१२५ १० १४८, १५० तहविह (ततिविध ) प १५५६ उखंड (खण्ड ) प ११७४ तय ( क ) प ११२ १ उस ( स ) प ११४४८३१११६ खीरा तमिजिया (त्रसमिनिका ) प ११५० उसी (पु) १११ खीरा की लता ए ( ततस् ) ११४ २८३।११,२३१३ ओ (तत्) ३४१ से ३,३६१७७,६२ उ ३।५१.५३,४४,२६,१०७,११०,१३६; ४१२१ तंजा (११२ तंड (ट) ५१५७ तंडुल (ल) नंत (तान्त ) उ ११५ २१२६८५१५८३ ३१५१ dar (तन्त्रक) प ११५१ तंती (तन्त्री ) प २३०, ३१, ४१, ४६ ज ११४५ ; २२६५,३३८२, १८५ से १८७, २०४,२०६, २१८५११, १६७१५५, ५८,१६४ सू १८।२३; १६।२३,२६ तंतु (तन्तु) ज ३|१०६ तंतुवाय (तन्तुवाय) प ११६७ तंदुल ( तण्डुल ) उ ३१५१ तंदुलमच्छ ( तण्डुलमत्स्य ) प १३५६ तंदुलेज्जग (तन्दुलीय) प ११४४|१ वायविडंग, चोलाई का साग तंब (ताम्र ) प १।२०।१२।३१; १७११२५ ज २११५;३११३८११ तंबकरोड (ताम्र करोडय' ) प १७ १२५ तं खंड (ताम्रखण्ड ) प ११७४ बकरण (ताम्रादिकरण ) प १७ १३४ तंबधिवाडिया (ताम्र' छिवाडिया' ) प १७।१२५ तंबिय (ताम्रिक ) उ ३।५०, ५५ तंस ( स ) प ११४ से ६; १०३१५, १६ तक (तत्) ज ३६५,१५६ तक्करबहुल ( तस्कर बहुल ) ज १।१८ तक्कलि (तकिल ) प १।४३११ चक्रमर्द वृक्ष, ९३१ चकवड तगरमेला ( तगरमेल 1 ) ज ३।११।३ तगरपुड ( तगरपुट) ज ४११०७ तच्च (तृतीय) प ३।१८३; २१/६०; ३३ । १६; ३६/१२ ज ७ । १६२ सू १११४, १६, १७, २१ उ ११३९, ४०, ११५, ११६; ३।१, २,२३,५४,६०,६१,७७, ७८,८७,६८,१०८ तच्चा (तृतीया) सू १२ । २१ तच्छण (तक्षण ) ज २१७० तट्ट (दे०, स्थल ) प २८ तट्ठ ( त्रस्त ) ज ७।१२२/२ सू १०/६४१२ तदेवया ( त्वष्टृदेवता ) सू १०१८३ तट्ठ (त्व) ज ७११३०,१८६४ Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३२ तड (तट) ज ३३१०६ उ ५ डाग (तटाक ) प २११३ तडित (तडित) ज ३१२४ तण (तृण ) प १३३११, ११४२, ४४११, ११४८१४६ ३८६१ ज १११३,२१,२६,२६,३३,४६, २७, २६,५७,१२२,१२७, १४४ से १४७, १५०, १५६, १६४ ३६८, १६२,४६३, ८२ : ५/५ तणमूल (तृणमूल ) प १४६८ तणय ( तृणक) ज २।३६ तणवणसइइ (तृणवनस्पतिकायिक) ज २११३१ तवटिय (तृणवृन्तक ) प १५० तणविहूण ( तृणविहीन) ज १।१४ तणसोल्लिया (दे०मल्लिका) ज ३१३५ तणाहार (तृणाहार ) प १५० तणु (तनु ) प २६४ ज १।५१२।१५,१३३; ४१४५, १५६,७१७८ तणुक ( तनुक) ज ३।१०६ तणुतणु ( तनुतनु ) प २६४ तणय ( तनुक) ज १२८,३५,५१२११५; ३१३८।१४१४५, ११०, ११४, १५६,२१३, २४२ तणुयतर ( तनुकतर ) प १३४८ ३४ से ३७ तनुयरी (तनुतरी ) प २६४ तणुवाय ( तनुवात ) प ११२६; २११० तवायवलय (तनुवासवलय ) प २२१० हा (तृष्णा) प २६४।१६ ज ३११२१।१ तत (तत ) ज ५२५७ ततगति ( ततगति ) प १६११७,२२ तति (तति ) प १५ | १३४ ततिय (तृतीय) प १०१४११ से ३११ ४२,८८ १०/६५,६६,७३, १२१३२,३८३६।८५,८७ ७७,१२/१६,१३११० उ १।६३ ततिविह ( ततिवित्र ) प १६३२० तते ( ततस् ) ज ११६ नड-तयणंतर ततो ( ततस् ) प ३४१, ३,३६१८५ ज ३।३५ तत्त (तप्त ) प ११४८३५६, २२३१, ४८ ज ३३११७ ततरुवेल्लुयभूय (तप्त 'कवेल्लुय'भूत) ज २।१३२, १४१ तसजला (तप्तजला ) ज ४ २०२ तसतव (तप्ततपस्) ज ११५ तत्तसमजो भूय ( तप्त समज्योतिर्भुत) ज २।१३२, १४१ तत्तिय ( तावत् ) प १५/१०३ ज ७ २०० सू १०१६५, ६६,७३,७७, १२१६:१३११० तत्तो ( ततस् ) प १११।७, १४८११२१६४१४; २११४७।१, २, ३४।१,२ तत्थ ( तत्र ) प ११२० ज १११३ सू १।१४ उ ११० तत् (स्त) प २१२० से २७ ज ३।१११.१२५ उ ११८६ तत्थगय ( तत्रगत ) ज ५। २१ तदणुरूव ( तदनुरूप ) ज २।१४१ से १४५ तदुभय ( तदुभय) प १४ । ३; २२४ से ६२३|१३ से २३ तप्प (तप्र ) प ३३ १६ तप्पभिइ ( तत्प्रभृति) ज २२६७३३।११८ तप्पाउग्य ( तत्प्रायोग्य ) प २३१२००,२०१ तम ( तमस् ) ज २११३१ तमतमप्पभा ( तमस्तमः प्रभा ) प ११५३, २११,२०; १०११ तमतमा ( तमस्तमा ) प २।२७,२१२७१३ तमप्पभा ( तमः प्रभा ) प ११५३ २१,२०,२६ ३।१६; ४।१६ से २१; १०।१ तमस ( तमस् ) प २२० से २७ तमा (तमा ) प ३१८,१६,१८३६११५,७८,६१, २०१४२२११६७, ३३८, १६ तमाल ( तमाल ) प ११४३।१ तय ( त्वच् ) उ ३।५०,५१,५३ तयनंतर ( तदनन्तर ) ज ४।२१३ Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तयगुरूव तहम्पगार तणुरुव ( तदनुरूप ) प १।७४ तथा (त्वच् ) प १३५, ३६१।४८।१३,२३,६३; १।४८ ज २६७, १४५, १४६ तया ( तदा ) सू ११४; १०।२६ उ ३६२ तयानंतर ( तदनन्तर ) सू १।१४,१६,२१,२४,२७; २३ तयावरणिज्ज ( तदावरणीय) ज ३१२२३ तथाविस ( त्वग्विष ) प १७० तयाहार ( त्वगाहार) उ ३१५० तरंग ( तरङ्ग ) २०१५, १३३: ५।३२ तरच्छ (तरक्ष ) प १९६६:११।२१ ज २ ३६,१३६ तरच्छी (तरक्षी ) प १११२३ तर मल्लिहायण (तरोमल्लिहायन) ज ७३१७८ तरण (तरुण) ज २ १५; ३१३,२४,३०,१७८ ५।५,७ तरुणी (तरुणी) ज ३१८२,१८७,२१८ तल (तल ) प २।२० से २७,३०,३१,४१,४६ ज ११४५; २।६५;३।७,८२,१७८, १८४, १८६, १८७,२०४,२०६,२१८, ४३, २५,४६,६७,८२, ८५, १२५,१४२,५११, ५, १६,६२,७५५,५८, १७४,१७८, १८४ सू १८/२३ ११/२३,२६ तलऊडा (त्रपुटी ) प १।३७ ३ छोटी इलायची तलभंग ( तलभङ्गक ) प २।३१ तलवर ( तलवर ) प १६/४१ ज २१२५; ३६, १०, ७७,८६,१७८, १८६,१८८, २०६,२१०,२१६, २१६,२२१,२२२ उ१।६२ ३ ११,१०१; ५१० तलाम ( तडाग ) प ११।७७ ज २ ३१ तलाय ( तडाग ) प २४,१६ से १६,२८ तलिण ( तलिन ) ज २।१५ तलिय ( तलित ) उ ११३४,४६,७४ तल्लेस (तल्लेश्य ) प १७ ६२,१०२ से १०४ तव (तपस्) प १।१०१।१० ज १२५ २ ७१,८३ ३।३२।१,११७,२२१,७११६६ उ ११२,३; ३।२६,३१,६६,१३२,५/२६,३२ ६३३ तव (तत्) तवइति सू १६ १ तवइंसु ज ७ । १ सू १६/१ तवइस्संति सू १६ १ तवंत्रि ज ५।५७ तवयंति ज ७।५४ सू ४।१० तविसु सू १९३१ विस्संति ज २११३१ सु १०११३२ तवेंति ज ७।१ यु ३।१ वेंसु सु १६ तवेति सू ३१२ तवणिज्ज ( तपनीय ) प ११४८५६२/२१,४८ ज ३।२४, ३५, १०६,११७, ४१४६ ५।३८,६७, ७।१७८ तवणिज्जमय ( तपनी मय) ज ४७,१३,८६,२०६, २५१,२५२, ५३३४ तवविसिया (तपोविशिष्टता ) प २३१२१ विहीणया (तपोविहीनता ) प २३३२२ तविय ( तप्त ) ज ३।३५, १०६७ ११२१५ सू १०११२६५ तवोकम्म ( तपः कर्मन) उ२०१०, ३।१४,५०, ४१२४, ५४२८, ३६, ४३ तवोवहाण ( तपउपधान) उ१८३ तव्वइरित्त (तद्व्यतिरिक्त ) प २३।१६१, १९३ तव्यतिरिक्त (तद्व्यतिरिक्त) प २३।१९२ तसकाइ (सायिक ) प ३३५० से ५२,५६,६०, ७२ मे ७४,८३ से ८७,६५,१७१ से १७३; १८३२८, ३०, ३६, ४७, ५४ तसकाय ( सकाय ) प १५।५३, ५४ तणाम (सनामन् ) प २३१३८, ११७ तसरेणु (त्रसरेणु) ज २१६ तसित (तृषित) प २२३ तयि ( तृषित ) प २२० से २२,२४ से २७ उ ११८६ तह ( तथा ) प १|१| ३ ज ३३११ चं ४११ गू १८ उ ३१७६ तह (तथ्य ) उ १।२४३।१०३ तस्संठित ( तत्संस्थित) ज ४१३ तहत्ति ( तथेति ) ज ३३५३,१०० तहपगार ( तथाप्रकार ) प ११२०, २३, २६,२६, Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ ३५ से ३७,३८ से ५१,५६,६०,६३ से ६६, ७०,७१,७५,७६,७८,६६,६६,११।२१ से २५ तहा ( तथा ) प १।३५।३ ज ३३१०७ सु ८१ उ ११७ तहारूव ( तथारूप ) उ १।१७:२०१० १२:३०१४, १६१, ५१३६, ४१, ४३ ताविह ( तथाविध) ए ११४८७ १० से ३७,४१, ४३ तहिं ( तत्र ) प २६४५ तहेब (तथैव ) प १६४८२ १०५१ १।१७ उ १८७ ता (तावत्) नू ११० ताओ ( ततस् ) ज १२० उ २।१३,३१८ तागंधत्त (तद्गन्धत्व ) प १६/४६; १७।११५, ११६, ११८, १४८, १४९ तादिज्नमाण (मान) २३ ताण (त्राण) ज ५।२१ साफासल (तत्स्पर्शत्व ) प १६।४९ १७११५. ११६.११८, १४८, १४९ तामरस (दे० ) प ११४६ तामलित्ति (ताम्रलिप्ति ) प १।२३।१ ताय (टात) उ ११४२ से ४४ लायतीसा (त्रयस्त्रिंशत् ) प २०३२,१२,३५,५०,५१ ज २६० तार (तार) प ११।२५ तारंतर (तारान्तर) ज ७ १६८६६२ तारयण ( तारका) चं ५२ १११२ तारग (तारक) सू १९।२२।११ तारग्ग ( ताराग्र) ज ७।१२७/१,१३११२,१६७।१ १०१५५; १६२२/२,२६ तारया ( तारका ) प २४८ ५।२१ यू १०.५५१९ २२ तारसत ( तदसत्व) प १६ ४६ १७ ११५,११६, ११८,१४८, १४९ पगार वालियंट तारा (तारा) प ११२३७६,११,१५, २०६७१३१,१७७२१६२१०१५५. ५६,५७,५६,६१,६२०१५११८१४, १५, १६, ३७३१६४२२११,१६१२२,३१ तारायण (तारागण ३६,१७,२१,२४,१७७, २२२७११६१,१७० सू १८१४६१२११, ५१३, ८०३, ११०४, १५८,१६,२११५,६,१९२२।३२, १९०३१,२४,३० तारापिण्ड (ताश पिण्ड ) १९१२२११ तारास्व ( तारारूप ) १२/४२ से ४१.६३ ज ४।२७७२५४.५०, १६०,१७२,१७४, १७८/२,१७६ से १८२,१६७ सू १५ १६ १८३२ से २१ से २०,२७,१६२३,२६: २०१७ २।१२५४१ ताराविमा (सत्यपि ४०१ २०६ ६८५७११९५,११६१०१,८,१२, १७,३५,३६ तारिस ( तादृश ) १०।१६४; २०१७ तारिसग ( तादृशक) ५।१३,१५,३१ २०७१।३३२२८, २०६ (रूपत्व) प १६४४६ १७ ११५, ११६० ११० से १२८,१४८ से १५२,१५४,१५५ ताल (ताल) प ११४७११; १३०,३१,४१,४६ १९४५ २६५३१०२, १८६, २०४, २०६६ २१८,२२२५११, १९७५५,५८,१६४ सू १६।१३, १६०२३,२६ ताल (ताड ) प २०४६४१ ताल (ताड) २१६ उ ५।१५ ताल (सावन) ज ७११७८ तालपुव (ताल) १२०१९० तातावार ( तालाकर) २६.७४, १४७, १६०.११९.२१३ ३३१२,२८,४१,४६,५८ तात्रय (तारित) ५१७ तालियंट (ताजयुक्त) ३०११५१०५५ Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तालु-तित्थगरत्त तालु (तालु) प २।३१ ज २११५, ३।३५,१०६, ४४,४६,५८ उ १११६,२१,३११०३,११३, ७११७८ ४।१३,१६ ताव (तायत्) प २४।७ उ ११५१ तिग (त्रिक) ज २६५, ३११८५,२१२,२१३, ताव (ताप) ज ५१३२ उ ३।५० ५७२,७३,७४१३१।१ उ १९८ तावइय (ताक्त) ज १११६,३।८४।१२१,१४०।२, तिगिछद्दह (तिगिच्छद्रह) ज ४1८८ से ११ २१७ तिगिच्छकूड (तिगिच्छकूट) ज ४।२७५ तावक्खेत (तापक्षेत्र) सू २१३ ; ४।५ ; ६३१; तिगिच्छायण (चिकित्सायन) सू १०१११६ १९४२२११४,१६१२३,२६ तिगुण (त्रिगुण) ज २१६, ७७,६६,६०,११८,१२१, तावक्षेत्तसंठिति (तापक्षेत्रमंस्थिति) ज ७।३१,३५, सू १०।६०,६१,१८१६ से १३ सू४।१,३,४,६ तिगुणित (त्रिगुणित) सू १६।२२।२३,२५ तावखेत (तापक्षेत्र) ज ७३२,५५,५८,१६८,२१२, तिजमलपय (त्रियमलपद) प १२१३२ तिछाणवडित (त्रिस्थानपतित) प ५१२,१४,१६, ताखेत्तयह (तापक्षेत्रपथ) सू १६।२२१५ २०,२६,५३,५७,१६,६३,६८,७२,७४,७८,८३, तावण्णत्त (तद्वत्व) प १६४६१७११५, १४,६७,१०१,११२,११५.११६,१२२ ११६,११८,१४८,१४६ हिट्ठाणवडिय (त्रिस्थानपतित) ५ ५।१८ तावतिय (तावत् ) प १५३५१,५२,६२ ज ४।१० तिणिस (तिनिश) ज ३।३५,१७८ तावत्तीस (वात्रिंश) ज ५५० तिण्ण (तीर्ण) ज ५।२१ तावत्तीसग (बायस्त्रिंशक) प २१३२,३३,३५,४६ ििततिक्ख (तितिक्ष) तितिक्खइ ज २१६७ से ५१ ज ५११६ तित्त (तप्त) प श६४११६ तावतीसय (बायस्त्रिंशक) ज २६६० तित्त (विक्त) प १४ से ६५1५,७,२०५:११।५८, तावत्तीसा (त्रायस्त्रिंशक) १२।३० से ३२ १३।२८२३४६,२८१२०,३२,६६ ज २१४५ तावस (तापस) प २०१६१ उ ३१५०,५५ तित्तिर (तित्तिरि) प १७६ सू १०११२० तावसत्त (तापसल) उ ३१५०,५५ तित्तीस (त्रयस्त्रिंशत् ) ज ४८ ताहि (तत्र) प २४१६ तित्थ (वीथं) ज ३३१४,१५,१८,२०,२२,३०,३१; तम्हे (तदा) ज ७५६ उ ११५२, ३।१२३ ४।३,२५,५५५,६।६,१२ से १४ ति (त्रि) प १११३ ज ११७ च ३।३ सू १७ तित्थकर (तीर्थकर) ज २६३,१२५ १।१४ तित्थगर (तीर्थकर) प २०११।१ ज २१६०,६५, तिउड (द०) ज ४।२०२ १०१ से १०३,११३ ११४,११६,१५३; तिदु (तिन्दु) प ११३६।१ ५१७,२२,७०,७३ तिदुय (निन्दुम) प १६३५५ तित्थगरचियगा (तीर्थकरचिनया) ज २११०५ से तिदूय (निन्दुक) प ११४८१४८ ११२ हिक्ख (तीक्ष्ण) २१३३७।१७८ तित्थगरणाम (नीर्थकरनामन ) प २३।३८,५६, तिक्खरग (तीक्ष्णाग्र) ज ७१७८ १२६,१४६,१७४,१८६ शिक्खधार (तीक्षार) ज २११३१,३।१०६ रिस्थगरणामगोय (तीर्थकरनामगोत्र ) प २०१३६ तिक्खुतो (विल) ज१६; २१६०, ३५,८८,८६, तित्यगरत्त (तीर्थकरत्व) ५२०३८ से ४०,४५, ६८,१३१,१३५,१५५,१५६,५।५,२१ से २४, ४६,५१ Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्वगरव-तिरिक्खजाणिवत्त तित्थगरवंस (नीर्थकरवंश) ज २।१२४,१५२ ८३,८५८८६,६३,६५ ले ९० १०२, तित्थगरलरीरग (तीर्थकरशरीरक) ज २१६६ १०६,१५५:४।३७.१७२।१.१७८,६।१६ तित्थगरसिद्ध (तीर्थकरसिद्ध) प १३१२ तिमिसगुहाकड (निभिसागुहाट) । ११३४ तित्ययर (तीर्थकर) ज ४१२४८,२५० से २५२, लिय (वि:) १६११५ ७१३१११ ११.३.५,८ से १४,१६,१७,२१.२२,४४,४६: लिय (इदिय) प्रीमियम १७१६६ ६०,६२,६४,६६ से ६६.७२,७३,७११६८ सियभंग (विभः) ५२४७,१३,२६,६; तिस्थयरमाउ (तीर्थक रमात) ज ५९ से १२ २८।११२,११६,११६,१२१,१२३,१२५,१२६, तित्ययरमायरा (तीर्थकरमात) ५५,१४,१७ १२८,१२६,१२,१३६,४३६ से १४५ तित्थयरमाया (तीर्थकरमात) ज ५॥७,८,४६,६७ तिरिक्ख (तिच) ॥ १७॥३३,२१७ तित्थयराइसय (तीर्थक रातिशय) उ४।१३ लिरिक्खजोनिधी (पर्याय) प३।६८,१२८, तित्थयरातिसय (तीर्थकराशिय) उ १।१६,४१८ १८३:१७166,:.६ ,९१८।४,१०; तित्थयराभिसेय (तीर्थकराभिषेक) ज ५०५४ से ५६ २०११३:२३।१६४,१०६.१६८ तित्यप्तिद्ध (तीर्थ सिद्ध) ५ १:१२,१६॥३६ हिरिजोणिय लिया ११५२,६४,५५., सिधा (त्रिधा) ज ११८ ६० से ६२, ६ ७ ,७,८१२।२८, तिपएसिय (त्रिप्रदेशिक) प ५११३१,१५६;१०८ २४,३५,२६१२७,१८६ ४.१०४ से १५७; तिपडोयार (त्रिप्रत्यवतार,त्रिपदावतार) सू १९१३५ ५.३,२२,२२,८३,८५.८६,८८,८६,६२,६३, तिपदेस (त्रिप्रदेशिक) प १०६१४३१ ६६.६७६२१,२०४८,५८,६५,७०,७१,७८, तिभाग (त्रिभाग) प २१६४१४,६,७,९;६.११६; ८१,८२,८३,८८,८६,९२,६६,६६ से १०३, २११६१,२३१७८,७६,१४७,१६२,१६६, १०५,१०,११:.११६, ८६,६१६,७,१६: जे १२०,४८,२१५८,१२६,१५५,९५७,१५६, १७,२२,२६, ११:४६,१२१४.२१:१६।१८; ३११,७१३२,३४ सू ११२३,४१५८६३ १५॥३.५,५६,६७,१०,१२,१३८,१६७,१४, तिभागतिभाग (त्रिभागत्रिभाग) ५६।११६ २५,२७; ११२९५,३८,८१ से ४३,५८, तिभातिभागतिभागावसेसाउय ६३ से ६६८ ७,८६,६७.१०४:१८।३,१० (विभागत्रिभागत्रिभागावशेपा बुक) ५६।११५, १९१४,२०११३,१३,२६,२५,२६,३४,३५,४८, २११८ स १८,६ स ३२,४३,५३,६०,६८, तिभागतिभागावसेसाउय (विभागत्रिभागावशेषायुक) ७७,८२,८८२३१,०८,८७.९८२७६, प६।११५ १६४,१०६,१६८,१६६२४७२८१४७,४८, तिभागावसेसाउय (त्रिभागावशेपायुक) प ६.११५, ११६,१३०,१३,१६७,१४४,२६१५,२२, ३११४;३२११, २२११,१२,२१,२८,३२,३६ तिभागूण (त्रिभागान) परा६४१७ सू १२३ ३४।३,८,६५४१८,२१ १७.४०,५१,५७, तिभाय (विभाग) ज २१५५ से ५७,५६,१५६,१५८ ७२.७३ ज 2,१३५ से १३७ तिमि (तिमि) प ११५६ तिरिक्खजो गयअस आज्य हिर्शमगिल (तिमिङ्गिल) ५ ११५६ (तिर्यनिवासया ५) ५६१६४ तिमिर (तिमिर) पश४१।१ ज ३१६५,१५६ तिरिक्खजोषियत्त (तियंग्यौनिकत्व) १५११७, तिमिसगुहा (तिमिस्रागुहा) ११२४३१६८,६६, Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिरिक्खजोणियाउय-तुच्छ तिरिक्खजोणियाउय (तिर्यग्योनिकायुष) तिवण्ण (त्रिवर्ण) प ७.१७८ प २०१६३,२३१७६,१४७,१५८,१६२,१६५, लिवलि (त्रिवलि) ज ३११३८११ १७० तिवलियवलिय (त्रिपालिकवलित) ज २११५ तिरिच्छ (तिर्यच) सू १।६।१ तिवलिया (त्रिवलिका) ज ३१२६,३६,४७ तिरिच्छगति (तिर्यगति) सू २।१ च २१ उ १२२,११५,११७,१४० तिरिय (तिर्यच) १ २१४१ से ४३,४६,४८; तिविह (विविध) प १११११,११५४.६०.६६,७५, ११६६५,६६:१५१५२:२०१५३,२११८७,६० से ७६,८१,८५;६।१,६,१३,२०,२६,१३७,१०, ६३,२३१३६,८२,११२,११५,१४८,२८११५, ११,१३,१५७५१६१४,२४;१७।११,२५, १६,६१,६२,३१६६।१,३२१६।१,३३३१६,१७ ३०,१३६ १८१५६,६४,७७६०,१०५२११८; ज २१४६,७१,६०,१३७,३७६.११६,११८%, २२।४ से ६२३१३३,४२,२६७,३०१३; ४१५२,५१५,४४,७।४४ ५४ सू २।१४।१०; ३५१,६,८ से १० चं ११४ उ ३।३८,४२ १८।११६।२२।१२ तिव्व (तोत्र) परा२७,२६ तिरियगति (तिर्यगति) प ६२.७,२३।१७२ तिसत्तखत्तो (त्रिसप्तकृत्वस्) प ३६.८१ तिरियगतिपरिणाम (तिर्यग्गतिपरिणाम) ५ १३.३ तिसमइय (त्रिसामयिक) प ३६.६०,६७ से ६६, तिरियगतिय (तिर्यग्गतिक) ५१३।१६ से १८ तिरियगामि (तिर्यगगामिन्) ज ११२२,५०,२१५८, तिसरय (त्रिसरक) ज ३१६,२२२ तिहा (विधा) ज १।२०२५५१५५ १२३,१२८.१४८,१५१ १५७,४११०१ तिहि (तिथि) ज ३।२०६७।११८,१२१ सू श६ तिरियलोग (तिर्यक्लोक) प २११८६ तीत (अतीत) ज ७१३६ सिरियलोय (तिर्यक् लोक) प ११.४,८,१०,१३, तीतवयण (अतीतवचन) प १११८६ १६ से १६.२८३।१२५ से १७३,१७५,१७७ तिरियवाय (तिर्यग्वात) प ११२६ तीय (अनीत) प १५:५८२ ज २।६०,३।२६,३६, तिरियाउय (तिर्यगायुप) प २३११८ ४७,५६,१३३,१३८,१४५, ५॥३,२२,७५२ तिरोड (किरीट) प २।४६ ज ६।३१ तीर (तीर) ज ४।३,२५,६७ तिल (तिल) प ११४५॥१.१२४७१३ ज १३७,११६ तीस (त्रिशत्) प १८४ ज ११२० सू१११८ तिलक (तिलक) ज ३।१०६ उ ३।१४ तिलग (तिलक) ज ३११२,८८,१७२,५१५८; तीसइ (त्रिंशत्) सू १०।४ ७/१७८ तीसति (त्रिंशत्) सू १०३५ तिलचुण्ण (निलचूर्ण) प ११७६ तीसतिविह (त्रिंशद्विध) प १३८७ तिलतंदुलग (तिलतण्डुलक) सू १०।१२० तु (तु) मु १६।२२ तिलपप्पडिया (तिलपर्प टिका) प १।४७१३ संग (तुङ्ग) ५२।३१,४८ ज २११५,३८१,१५१, तिलपुष्फवण्ण (तिलपुष्पवर्ण) सू२०१८.२०।८३ ४१४६५।४३ उ ५५५ तिलय (तिलक) प ११३६:३;२०४८१५।५५१२ तुंड (तुण्ड) ज ३१२४ ज ४१४६ उ ३.११४ तुंब (तुम्ब) प ११४८१४८ उ ३।३०,३५,११६ तिलसिंगा (तिलसिला') प १११७८ तिल की फली तुंबी (तुम्बी) प १४०१ तिवई (त्रिपदी) ज ३।१७८,५१५७ तुच्छ (तुच्छ) ज ७११८ Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३८ तुच्छत (तुच्छत्र) प १५१४४,४५ तुच्छा (तुच्छ) यू १० २० तुट्ठ (तुष्ट) ज २११४६ ३१२,६.८, १५, १६, २६, ३१,४२, ५०, ५२, ५३, ५९,६१,६२,६७,६९, ७०,७५,७७,८४,९१.१००,११४, १३७, १४१, १४२, १४८, १५०, १६५,१६९.१७२, १८१. १८९.१९२, ११९.२००,२१३ ५५.१५, २१, २३,२७ से २९,४१,५५,५७,००१।२१. ४२.४५, १०६ ३०१३,१०१.१०३,११२.१३६, १६०३४१११.१४,२०५५,३८ तुट्ठि (तुष्टि) ज २७१ उ ११७१,७२ डित ( तूर्य ) प २३०,३१,४६ सुति (त्रुटिक) ज ११३१,३०२६ सुति (त्रुटि) २३०,३१ तुडिय (त्रुटित ) प २१३०,३१,४१ ज ३१६,६,२६, ३६,४७,५६,६४,७२.१३३,१३८, १४५.२११. २२१५१२१,१८ तुहिय (दे० त्रुटित) व २०४ संह विशेष ड) २२०,३१,४१,४१ ज १११४५३ २०६५ २०१४,३०,४३,५१,६०,६८,८२,१३०, १३६,१४०,१४६, १७२,१८०, १८५, १८६, १८०२०४,२१८५१११६,२२,२६; ७५५, ५८.१८४ यि (दे०) ७१६८२ १८२२ अन्तः पुर (दे०) २४ तुडियंग (तूङ्गि ) ज ३११६७३१० (झ) १२६७ तुट्ट (१० ३३ २०७४।२ सुरग (ग) वृत्) तिज ११२.३० प ३६।२१ १३७६२११०१३३४२,२३,२८, ३५,२७,४१,४५,६७,४६, १७८४२७५२८ तुरगरूवधर (तुररूपधारिन् ) १८३१४ से १७ तुच्छत-तूनी ५६,६४,७१,७८.११३, १२२, १३८, १४५,१८०, २०१५१५,१६,२६.२८, ४४, ४७,६७ तुरुप २०३०,११,४१ ४ २२६५,१०६, ११०३०.१२,८८५७,५८२०१७ तुल (तुला) ज ७:१३३२ तुलसी (पी) ११३७४१२२४४१२ तुलासंडिय (तुनास्थित ) ५ १०१८० तुल्ल (तु) प ३८ से १२०,१२२ से १२४, १७८,१७६,१७२ से १८२,५५,७,१०,१२,१६, १८,२०,२४,२८,३०,२२,२४,३७,४१,४५,४६, २३,५६,१६,६२,६८.७१.७४,७०,०३,०६, ६,९३,९७,१०१.१०२, १०४,१०७,१११, ११५, ११६,१५६,१३२,१३४,१३६,१३८, १४०,१४२,१०,१४७, १५०,१५४, १६२, १६६,१३,१०,१२,१७४, १७७,१०४, १८७, १०, ११६,११७.२००,२०३, २०७० २११,२१४,२१८,२२१.२२४,२२८,२३४, २३५,२३७,२३६,२४२६६२३८५७६, ११.१२.१६,२५१०३ से ५.२६ से २६: ११४७६, २०१५११६,१६,२६,२०,२१,३२, ६४१५६ ६६,७१७६.७६ सेपरे १४४ मे १४६ २०६७ २१११०४.१०५ २२/१०१,२६१४१,४४,७०,३४।२५,३६१३५ से ४२,४८,८२,८३१ ज ३०३,३५,७११६८,११७ १६२,२,३७ तुल्ल (द) ७१६६१२१३ तुवर (तुर) ३१२०३,५१५५,२६ तुवरी (तु) २ १० १२० तुसार ( तुपार ) प ६४ सिषीय (कृष्णी ) २२६०३१२३८,६१,६२, ६६,८७,१०० ३१५.६.५६.६१,६४,६८,७१, 38.up ga (pr) Reg (ग) ३१११.१२५ षि (पूर्व) श१२,७८ तूप १३ तुरिय (ति) ६५,२०६३०६,२६,३६४७, तूली (मी) ज ४।१३ Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तूवरी-तेया ६३६ तूवरी (तुवरी) प ११३७१३ १५३,१६२ से १६४,२८११२३ तेइंदिय (त्रीन्द्रिय) प ११५०,२१७:३।८,४० से तेउलेस्सापरिणाम (तेजोलेश्णापरिणाम प १३१६ ४२,४६,४६,१४७ से १४६,१८३,४१६८ से तेदिय (त्रीन्द्रिय) प १११४५०,३१४२,४६,४६ १००,५३,२१,८१,६।२०,६५,७१,८३,८६, तेंदुय (तिन्दुक) प १७:१३२,१३३ १०४,११५६।४;१११४५,१५१३४,७५,८१, तेंदूस (तिन्दुस) ५ ११४८।४८ ८६,१३७ ; १७।४०,६२,१०३,१८।१५,२२; तेगिच्छायण (चिकित्सायन) ज ७।१३२६४ २०१८,२३,२८,३३,४७,२११६,२८,४२; तेणबहुल (स्तेनवहुल) ज १।१८ २२१३१,२३१८७,१५१,१६०,१६१,२८।४५ तेण (तेन) सू ६।१ से ४७,१०१,१२५,१३६,२६।१३,३०।११, तेणउति (त्रिनवति) सू १२।१२ २१,३११३,३४१६ तेणउय (त्रिनवति) ज ४१६२ तेइंदियत्त (त्रीन्द्रियत्व) प १५१६७.१४२ तेणामेव (तत्रैव) ३४१२२ ज ३१५ तेउ (तेजस्) प ६१८६,६२,१०४.११५१३१६, तेतलि (तेजस्तलिन् तेतलिन्) ज २१५०,१६४; १६,१७४४०,६६,१८१२६,२०१८.२३,२८, ४११०६,२०५ ५७,२११८५:२।२४ तेतालीस (त्रिचत्वारिंशत्) सू१११६ तेउकाइय (तेजस्कायिक) ५ १११५:२७ से ९:३१५० तेत्तीस (यत्रिशत्) प २१६४।६ ज ४१६८ से ५२,५६,६० से ६३,६७,७१ से ७४,७८,८४ सू ११२० उ १११२६ से ८७,६१,६५,१६२ से १६४,१८३४१७२,७५ तंदुरणमज्जिया (दे०) प११५० से ७७,५१३,१३,१४,६१६,१०२ तेपण्ण (विपञ्चाशत्) सू १२।२० तेउकाइयत्त (तेजस्कायिकत्व) ज ७२१२ तेय (तेजस्) प २२०,३१,४१.४६,२८१४१ तेउक्काइय (तेजस्कायिक) प श२४२१७, ३१४, ज२११३३,३३३,१८,६३,१८०,१८८७।११२१५ १६४,१८३;६।५,१२१२२; १५।२६,८५,१३७; सू१०।८८,१२९५ उ ३।४८,५०,२५,६३, १७६१ से ६३,१०३ ; १८१३,३८,४०,५१; ६७,७०,७३,१०६,११८ २०।२७,२६,३१,४५,२११२५,४०,२२॥३१ तेयंसि (तेजस्थिन् ) ज ३१७७,१०६ तेउलेस (तेजोलश्य) प १३।१५; १७१६५,६६, तेयग (तेजस) प २११७६;३६॥३२ १०२,१६८ तेयगसमुग्धाय (तैजससमुद्घात) प ३६।८,१२,२६, तेउलेसट्ठाण (तेजोलेश्यास्थान) प १७६१४६ ३२,३५,३७,४१,५३,५५,५७,५८,७३ तेउलेसा (तेजोलेश्या) प १७।५५,१२१,१४६ तेयगसरीर (तैजसशरीर) प २११७५ से ८१,८३, तेउलेस्स (तेजोलेश्य) प ३१६६; १३।१६,२०; ६०.६४,१००,१०३,१०४ १७१३३,५६,५६,६०,६२,६४,६६ से ६८,७१ तेयगसरीरय (तेजसशरीरक) प१२२० से ७६,७८ से ८४,८७,८६,६५,१०१,१०२, तेयय (तेजस) प १२।१ से ५,२१११;३६।१।१ १६७१८७२, २८।१२३ तेयलि (दे०) प ११४३३१ तेउलेस्प्लट्ठाण (तेजोलेश्यास्थान) प १७१४६ तयलेस्स (तेजोलेश्य) ज ११५ तेउलेस्सा (तेजनश्या) प १६.४६% १७१३४ से तेयरिस (ते स्विन्) २१६८,१३८ ३६,३६,५०,५३,५४,६३,१६,११७,११८, तेया (नजम) प १२।१४,१८,२१.२१.२६.२६,३५. १२१,१२२,१२६,१२६,१३३,१३७.१४४, २११६६,१०२,१०४,१०५,२३११२:३६१६२ Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४० १०८८२ तेया (तेजा ) ज ७।१२०१२ तेयाल ( त्रिचत्वारिंशत् ) ज १।२३ तेयालीस ( त्रिचत्वारिंशत् ) सू १०/१५६ तेयासमुग्धाय (+जससमुद्घात ) प ३६११, ५, ७, ४० तो (तुण ) प ३१३१,३५,१७८ ज ३१३१,३५. तेहिय ( व्याहिक) ज २०६ तो ( ततस् ) प २२७३ तोट्ठ (दे० ) प ११५१ तेयासरीर (तैजसशरीर ) प २११८४ से ६३ १७८ उ ११३८ तेयाहिय ( त्र्याहिक) ज २१४३ तेरस (त्रयोदशन् ) प ३६।८१ ज १७ सू १।१४ तेरसक (त्रयोदशक ) सू १३३१२,१३,१७ तेरसम ( त्रयोदश ) प १० | १४ | ३ सु १० ७७; १३।१० तोमर (तोमर) ज ३३५,१७८ तोयधारा (तायधारा ) ज ५४१११,६३,६४ तोरण (तोरण ) प २१,३०,३१,४१ ज ११३७ २।१५,२०,३७,१७८, १६५,४५, २३, २७ से ३०, ३५, ३७, ३८, ४०, ४२, ६५, ६७,७१,७३, ७५,७७,६० से ६२,६४, ११८, १२८, १४४, १७४,१८३,१८६,१६५,२२१,२४६ : ५१३१ त्ति (इति) प १११ चं १४ स्थिभंग (स्तिभक ) प ११४८।१ रिथमिय ( स्तिमित) ज ११२,२६,३१,३,१८,३१, १८० चं ६ सू १।१ उ १११,६, २८, ३।१५७; ५१२४ त्थिहु ( स्तिभु ) प ११४८१ तेरसविह (त्रयोदशविध ) प १६ | ७ तेरसी (त्रयोदशी) ज २२८८७ १२५ तेरिच्छिय (तैरश्चिक ) प २०१६१ ज ३६२,११६ तेलापूर (तैलापूप ) प ३६।८१ ज १३७ सू १/४ तेलोक्क (त्रैलोक्य) प १|१|१३ । १२५ से १७३, १७५,१७७ तेल्ल (ल) प ११०११७,१५।१।२; १५।५० ज ३।११।३, ५११४ उ ३११३० तेल्लकेला (तलकेला ) उ ३११२८ तेल्लसमुग्ग ( समुद्ग ) ज ५१५५ तेल्लसमुग्गहयगय ( हस्तगत तैलसमुद्ग ) ज ३।११ तेल्लोक (त्रैलोक्य) उ५१५ तेवट्ठ (त्रिपष्टि ) ज ७ २० २/३ तेवट्ठि (त्रिषष्टि) ज २२६४ तेवण्ण (त्रिपञ्चाशत् ) प ४।१३४ ज ४१६२ सू १११३ तेवर्त्तार ( त्रिसप्तति ) ज २४ तेवीस ( त्रिविशति ) प २१४६ ज २।१२५ सू २/३ तेवीस (त्रिविशतितम) प १०३१४१३ तेवीसइम (त्रिविशतितम ) प १०१४१२ तेवीसतिम (त्रिविशतितम) सू १२।१६ तेसट्ठि (त्रिषष्टि) ज ७।३३ तेसीइ ( व्यशीति) ज २१६४ तेसीत ( त्र्यशीति) सू ११२३ सीति (यशीति) सु ११२३ तेसीय (व्यशीनि ) मू ११४ तेया धणिय कुमार थ थंभणया ( स्तम्भन ) प १६५३ थं भय ( स्तम्भिन ) प २१३०, ३१, ४१, ४६ ज ३३६, २२२:५१२१,२८ / थक्कार (दे० ) थक्कारेति ज ५।५७ ण (स्व) ज २११५:३११३८ उ ३।१८,१३०, ४६ गंतर (स्वनकान्तर) उ४४२१ थणपाय ( स्तपाय ) उ ३।१३० थणभूल ( स्तनमूल) उ ३३६८ यणित ( स्वनित) सू २०११ णिय ( स्तति ) प २२३०११,२१४०१२, ८, १० ज ५।२२ यणियकुमार ( स्तनितकुमार ) प ११३१,४।५५; ५१३,८,५१,६।१८,५२,६१,८१,८५,१०२,१०९, ११४; ७/३८२३,६१३, १५, ११/४४; १२२, १६,१३।१५; १५।१६,७१,७८,८४,१३६, Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यणिय कुमारत्त - दंडपति १६।३,११,१७११७, ६३, १०१:१६।१,२०१८, १२,२१,२३,२४,२७,३५,२११५५,६१,७०,६०; २२१२३,३०,३६,७३,६८,२४१५२८२७,६८, ११६, २६७, १६, ३०१७,१७,३११२३३११, २०,२७,३१,३५:३४।२, ३५।१८ ; ३६।५, २४, थूम ( स्तूप ) प १११२५ ज २३१५, २०, ३१; ४१२५,१२६ ३७,७२ थणियकुमारत (स्तनितकुमारत्व ) प १५ ६५, १४१६ थेज्ज ( स्थैर्य) उ ३११२८ थवईरयण ( स्थपतिरत्न ) ज ३१३२११ थाल ( स्थाल ) प ११।२५ ज २११५; ३३११; ५।५५ थालइ ( स्थालकिन् ) उ ३।५० यारुकिणिया (थारुकिनिका ) ज ३।११।१ थालीपाक ( स्थालीपाक) सु २०१७ थालीपाग ( स्थालीपाक) ज २।३० थावरणाम (स्थावरनामन् ) प २३३८,११७ थासग ( स्थासक ) ज ३३१०६,१७८७३१७८ free (दे० ) प १५११२ faबुग (स्तिक ) प १५३२६,२१।२४ थिर (स्थिर) ज ७।१२४, १२५, १७८ थिरणाम ( स्थिरतान् ) प २३।३८,१२२ थिरीकरण ( स्थिरीकरण ) प १०१०१३१४ थिल्ली (दे०) २३३ थी (स्त्री) प १८४ थीद्धि (स्थान) प २३|१४, २७ थीविलोयण (त्रविलोचन ) ज ७।१२३ से १२५ थुर (दे० ) प १४२२ थू (स्थूणा ) १५१ ।२.१५।५२ ३६।२२,२५ द्ध ( स्तब्ध ) ज ३|१०६ सु २०२ थल (स्थल) प १६७५ ज २११३१,१३४:३।३२, ६६ थेरग ( स्थविरक) ज २११३३ उ ३।५५ थलय (स्थलज ) प ११४८१४० लय (स्थलक) ज ५।७ लयर ( स्थलचर ) प ११५४,६१,६२,६६ से ६८ ७६, ३१८३४।१२२ से १४८६७१,७८; २१८,११ से १६,३५,४४,५३,६० भियग्ग (स्तूपिकाग्र ) प २०६४ यूमिया ( स्तूपका ) प १११६,३७,४।१०,४६ थुभियाग (स्तुपिका ) प २२४८ ज ११३८ ४ १०, ११५,२१७,२२६ ४१ थेर ( स्थविर ) प १६।५१ सू २०६४ उ २११०, १२:३११४,१५६,१६१, १६७,५३६४१, ४३ थोव ( स्तोक ) प ३।१ से १७,२४ से १२०,१२२ से १८१,१८३ ६ १२३, ७ २, ३, ८५, ७, ६, ११; १२,१६.२५:१० १३ से ५, २६, २७,११७६, ६०,१५/१३,१६,२६,२८,३१,३३,३४,६४, १७/५६ से ५६,६१,६४,६६ से ६८, ७१ से ७४,७६,७८ से ८३,१४४ से १४६, २०१६४; २१।१०४, १०५, २२११०१, २८ ४१, ४४, ७०; ३४।२५ ३६ ३५ से ४१, ४८ से ५१, ८२ ज२४२, ६६ सु८१; २०१५ थोक्तराग ( स्तोकत रक ) प ३५३२ थोवूण ( स्तोकोन ) ज २०१५ व दओदर ( दकोदर) ज २१४३ दंड ( दण्ड ) प २१३०, ३१, ४१, ३६।८५ ज २६, ६० से ६२,३३,१२,८८, ११७, १७८, १६२; ४:२६,५।५,७,५८; ७ १७८ उ १।३१ दंडग ( दण्डक) १६।१२३, १९८३, ८५, १४१६,८, १०,१८,२०१५, २२१२०, २५, २८, ४५,५६,५८ ७६,२३१८, १२:२८।१४५, ३६८, १२, २०, २६ से ३१,३३,३४,४४,४५ दंडाग ( दण्डनायक ) ज ३१६,७७, २२२ दंडणी ( दण्डनीति) ज २१६० से ६२ : ३३ १६७/६ दंडदारु ( दण्डदारु) उ ३१५११ दंडपति ( दण्डपति) ज ३०१०६ Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ दंडय ददुर दंडय (दण्डक) प १११८०,८२ से ८४,१४१३४; सणावरणिज्ज (दर्शनावरणीय) प २३।१,३,८, १५॥१०२.१४०,१७१८६,२२१३३,३५,४१.५४ दंडरयण (दण्ड रत्न) ज ३१८८,८६,१५५,१५६, दक्ख (दक्ष) ज ५१५,५२ १७८,२२० दक्षिण (दक्षिण) ज ११८६,४१५२,५५,८१,८६, दंडरधमत्त (दण्ड रत्नम) प २०१६० ६८,१०८,१४३,१५१।१,१५६,१६४,१६५, दंडि (दण्डिन ) ज ३११७८ ।। १८५,१६३,१६७,१६६,२००,२०४,२०६ दंडिया (दण्डिका) ज १३५ से २०८,२१३,२२७,२३०,२३७,२३८,२४६, दंत (द-1} प २।३१ ज २।४३,१३३,१३४; २६२,२६५,२६८,२७१,२७७,५१४८,६१२३; ३३१०६,१७८७।१७८ ७।१२६ दंतंतर (दन्तान्तर) उ १३९७ दक्षिण कूल (दक्षिणकूल) उ ३५० दंतरंग (दन्तान) ज ७।१७८ दक्खिणा (दक्षिणा) उ ३१४८,५० दंतमाल (दन्तमाल) जरा दक्खिणिल्ल (दाक्षिणात्य) ज ११२६, ३५१६३; दंतमूसल (दन्त मुगल) उ ११९७ ४१३५,६५,७१,६०,११०,१४१,२०२,२१२, दंतार (दन्तकार) प १९७ २२८,२२६,२३८,५१४६७११७८ दंति (दन्तिन) प ११४८।४ ज ३१२२१ उ १११४, दग (दक) प१७११२८ ज ३३१२५७, १५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२५,१२६,१३२, ७११२।४ १०११२६४,२०1८,२०८।३ १३३,१३६,१३७,१४०,१४७ दगकलसग (दककलशक) ज ५७ दंतक्खलिय (दन्त'उक्खलि।') उ ३।५० दगभग (दककुम्भक) ज ५७ दंस (दंश) 3 ३११२८ दगथालग (दकस्थालक) ज ५७ दंसण (दर्शन) प ११०१११०, २०६४।१२, दगपणदण्ण (दकपंचवर्ण) २०1८,२०१८३ ३।१।१५।२१,२४,२८,३०,३२,३४,३७,४१, दगपिप्पली (दक पिप्पली) प ११४४१२ ४६,८०,८३,८४,८६,८७,८६,६४,६६,१०१, दगरय (दकरजस्) प २।३१,६४,१७४१२८ १०२,१०४,१०५,१०७,१११,११२,११५, ज २११५ ११७,१३.१६१८११११,२०६६१, २३।२६, दमवण्ण (दकवर्ण) सू २०१८ २८,६२,१३४,१७८,३०१२६,२८ ज १७१, दगवारग (दकवारक) ज ५७ ८५; ३११७८,२२३,५।४३ उ ३१४४,५।१३, दठच्व (द्रष्टव्य) प १५२६ दड्ढ (दग्ध) प ३६।१४ दसण (उपउत्त) (दर्शनोपयुक्त) प ३६।६३,६४ दढ (दृढ) ज ३१२४;५१५;७।१७८ दसणधर (दर्शनवर) ज २१ दढपइण्ण (दृढप्रतिज्ञ) उ १११४१२।१३ दसणपरिणाम (दर्शनपरिणाम) प १३१२,१४,१६, दढरह (दृढरथ) उ ५१२११ १५,१६ दत्त (दत्त) उ ३।२।१,३।१७१ दसणमोहणिज्ज (दर्शनमोहनीय) प २३१३,३२,३३ दद्दर (दे०) प २।३०,३१,४१ ज ३७,२४,१८४, दसणवत्तिय (दर्शन प्रत्यय) ज ५।२७ २२१,५५५ दसणारिय (दर्शनार्य) प ११९२,१०० से ११० ददु (दद्रु) ज २।१३३ दसणावरण (दर्शनावरण) प २४१६ ददुर (दर्दुर) सू २००२ प २१४६ २००२ Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दधि-दव्वीकर दधि ( द ) ४११२५:४६२१०।१२० २१८ पण (दर्पण) व ३१२१७६४१२८ २३५८ दप्पणिज्ज (दर्पणी ) प १७ १३४ दप्पिय ( दर्पित) ज ३१२४; ७१३८ दम्भ (दर्भ ) ज ७११३२२ २१५१५६ ११.०० पुष्क (द) संचार (स्वर) २२०३३,५४,६३, ७१.८४, १३७,१६७,१०२३४४४३ दभसंधारण (दस्तारक) व ३१२०,३३,५४, ६२,०१,६४,१३७.१४१,१९६ भयाण (दान) १०१११२ दरग (द) १४४४३५२ दावृक्ष शेणलता दमणगड (क) दमण (द) १ दमिल (वि) प दमिली (वि) ज ३।१११२ दरि (दर) २३८३१८१०१ ४१०७ दरित (दविहुल) ११६ दरिय] (दुष्त ) २ १२:३०३४ परिणावरण (प) २२४२०६ २३।१४,२६२६४७२७४ दरिसणिज्ज (दर्शनी : २१३०,३१,४१,४८, ४९, ५६.६३.६४ ९४.२३.३६ ४२.२।१२. १४, १५:३१९७८४३२.१३,२५.२७,२६, ३३,४१,११६,१२८४३.६२ ११५४ से ६ दरी (दरी) उ ३१५९ बल (दाल) २०१५ ११०२१०१ दलइत्ता ( दत्वा ) ज ४१२६ १६४९१.५४४६ १११०२.२०११४ दल ि५५० ६लयह ११०२११०३:३।११२ दलयानो उ ४|१ दलयित्ता ( दत्वा ) ३८८ दलिय ( दलिक) ज ३०३५ (च) २२४१ दवार (द्रवकारक ) ज ३।१७८ Exa द (द्रव्य ) प १११०११६ : ३२१२४, १७७, १७८ १०१५: १११४७,५३,५५,४७,५६,७० से ७३,७६ से ८५, १५०५७,१६।५०,२१११।१,२१।२२: २२।१३,१५,१७,११,८०८२२८१५ ३५।१।१ उ ११४० दव्यओ (व्यतम् ) १ ११०४०, ४११२७,१०: २६१५,५१३५१४, ५ ज २२६६ दबजाय (जस) ज २२६१ बच्चड (द्रव्यार्थ ) प ३११६ से १२०,१२२, १७६ से १८२; १०३ से ५,२६ से २६; १७।१४४ से १४६:२१०१०४ दव्यता (द्रव्यार्थ ) प ३।११६ ग्रे ११८ दव्या (व्या) प ३३११४,११६.१२०,१२२, १७९ मे १८२५५, ७, १२, १४, १६, १८, २०, २४, २८, ३०, ३२, ३४,३७,४१,४५, ४९, ५३, ५६,५६,६३,६८,७१,७४,७८,८३,८६,८१, १३,६७,१०१, १०४, १०७,१११, ११५, ११६, १२९,१३१,१३४,१३६,१३८, १४०, १४३, १४५० १४७, १५०,१५४,१६३, १६६,१६६,१७२. १७४, १७७,१८१,१०४, १०७, ११०, १९३, १६७,२००,२०३, २०७, २११,२१४,२१८, २२१,२२४,२२६,२३०,२३२,२३४, २३७, २३६,२४२; १०१३ से ५,२६ से २६, १७।१४४ से १४६ ; २१।१०४ ज ७।२०६ ३ ३१४४ हरिया (हलिका) प १४७ बिपि १५५० २,१५७६ से ८४,८६,११,६४ से १७,१००, १०४ से १०६. १०८,१०६,११४,११५,११७ से १२०,१२३, १३१,१३२. १४०, १४२, १४३ दवी (दार्थी ) प ११४४२ दारुहरिया दल्लीकर (दवकर ) प १२६६,७० Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ दब्वेंदिय-दार दव्य दिय (द्रव्येन्द्रिय) प १५.१०३,१२६,१२६, दहफुल्लइ (दे०) प ११४०।५ १४३ दहबहुल (द्रहबहुल) ज १५१८ दस (दशन्) प ११६६ ज ११२३ सू १।२४ दहावई (दहावती) ज ४।१८८,,१८६ उ११७ दहावईकूड (दहावतीकूट) ज ४।१८८ दस (दशम) प १०।१४३ दहावती (द्रहावती) ज ४।१८७,१६० दसगुण (दशगुण) प ५११५१,२८॥७,५३ दहि (दधि) प १०२५:१७।१२८ ज २०१५ दसण (दशन) ज २११५,३।३५,१३८,५।२१ ७११७८ दसणह (दशनख) ज ३।२६,३६,४७,५६,६४,७२, दहित्ता (दग्ध्वा) ज ३१२ ७७ १३३,१८५,५।२१ दहियण (दधिधन) ज २।३११७१२८ दसण्ण (दशार्ण) प ११६३।४ दहिमुह (दधिमुख) ज २।११६ दहिमुहपदवय (दधिमुखपर्वत) ज २१११८,११६ दसवण्ण (दशार्धवर्ण) ज २११०,३६१२,८८; दहिवण्ण (दधिपर्ण) प१॥३६॥३ ४११६६,५७,५८ पदा (दा) दिति सू १०।१२६ देइ ज ७११२१४ दसघणु (दशधनुष्) उ ५:२२१ सू१०।१२६ उ ११११०देंति ज ७।११।३3B दसपएसिय (दशप्रदेशिक) प ५।१३०,१६१,१७६, उ ३1४८ १६५,२१६ दाइज्जमाण (दर्शयमान) ज ३।१८६,२०४ दसपदेसिय (दशप्रदेशिक) प ५१२७,१७६ दाइय (दायिक) ज २१६४ दसम (दशम) प १०११४१२,११२३३११,१११३४११ दाऊण (दत्वा) ज ५२५८ ज ७४६७,१०२,११४।२ च २४ सू ११६; दाडिम (दाडिम) प०३६।१ ज २११५ १०१७७.१२४/२०१२।२६,१३१८ उ १७; दाढा (दंष्ट्रा) ज ७१७८ २।१०,२२,३३१४,८३,१५०,१६१,४।२४; दाण (दान) ज ३११९७१ ५।२८,३६,४३ दाणंतराइय (दानान्तरायिक) ब २३१५६ दसमी (दशमी) ज ७१११८,१२५ सू १०१६० दाणंतराय (दानान्तराय) प २३।२३ दसरह (दशरथ) उ ५२२१ दाणकम्म (दानकर्मन्) ज ३।३२ दसविध (दशविध) सू १२।२६ दागव (दानव) ज ३।११५,१२४,१२५ दसविह (दशविध) प १३,१०१,१३१:५।१२४; दाम (दामन्) प २१४८ ज ३.१६७,४१४६,१२६% ११।३३,३४,३६,१३।२,२१,२३।१३ ५.३८ दससमयदिईय (दडसमयस्थितिक) प ५११४८ दामणिसंठिय (दामनीसंस्थित) सू १०।४६ दसहा (दशधा) प २।३०१ दामणी (दामनी) ज७।१३३।३ सू १०1४६ दसार (दसार) उ ५१५,१०,१७,१६ दामिणी (दामिनी) ज २।१५ दसारवंस (दसारवंश) ज २११२४,१५२ दामिली (द्राविडी) प ११६८ दह (द्रह) प २१४,१३,१६ से १६,२८,१११७७; दाय (दाय) ज २०६४ उ २०६५।१३,२५,५२ १५॥५५॥२ ज २१३१,३२१३३,४।३,६४,८८, दायव्य (दातव्य) सू २०६५ १४०।२,१४१,१४२,२०७,२६८,२७४।५।५५; । दार (द्वार) प २६१ ज १:१५ से १७,३८; ६१६१ ३।१०६,१६३, ४११०,६४,११५,१२१,१२२, दिह (दह.) दहइ ज ३।१२ १४७.२१७,२६२ च ५।४ भू ११६०४१०११३१ Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दार-दाहिणिल्ल ९४५ दार (दार) ३३१४८,५० २०१२ उ ३१५१,५३,६२ दारग (दारक) 3 ११५३ से ५५,५७ से ५६,६१ दाहिणअवर (दक्षिणापर) ज ३८१ से ६३,७८,८६,८२,२२६३३६२.६८.१०१, दाहिण उत्तराय। (दक्षिणोत्तरायता) ज ४।१४१ १०६,१३०,१३१ दाहिणओ (दक्षिणनस्) प २१४०१३ दारगरूव (दातरूप) 3३३१२६.१३४ दाहिण ड्ढ (दक्षिणार्ध) १२।५० सू २११,८११ दारय (दार) ५.५७ उ ११५१.५४,५६,६० दाहिण ड्ढच्छ (दक्षिणार्धकच्छ) ज ४.१६८ से से ६२.७६ ७६;२६.१०,३११४.१२३.१२४ १७४ दारियत्त (दानिकात्व) उ३।१२५ बाहिणड्ढभरह (दक्षिणार्धभरन) ज १११६,२१ से दारिया (दारिका) 3 ३६२,१८,१०१.१०६ ११४, २३ ४५ से ४७,३।१,२०८,४।३५ उ ५।१० १२३,१२६.१२८,१३०:४।५,६,११ से १६,१८, दाहिणभरहकड (दक्षिणाई भरनकूट) ज ११३४, १६,२० ४१,४५,४६ दारु (दारु) ज ३1३२ दाहिण दारिया (दक्षिणद्रारिका) सु १०।१३१ दारुग (दारुक) ज ३१७८ वाहिण द्धभरह (दक्षिणाईभरत) ज ११२० दालयित्ता (या वित्या) ज ४।३५ दाहिए पदमि (दक्षिणपाश्चात्य) १ ३११७६, दालित्ताणं (दलयित्वा) ए १७४ १७८ ज ३१३०,३१,१७२,१७३,४११६,१६३, दालिम (दाडिम) प १६।५५; १७।१३२ २०८.२०६.२२३,२२६.२३०,५१३६,४६ सू २०१२ दास (दास) ज २।२६३।१०३ उ ११५४,५५.७६, दाहिण पच्चस्थिमिल्ल (दक्षिणपाश्चात्य) ८० ज ४१२३८ दासी (दासी) प ११३७५ काकजंघा, नीलाम्ला, नीलभिटी दाहिण गडीण (दक्षिणापाचीन) सु १११६ दाहिणपुरस्थिम (दक्षिणपौरस्त्य) प ३११७६,१७८ दासी (दासी) ज ३।१०३ ज ४।१६,१०६.२०३,२२२,२२७,२२८,३६, दाह (दाह) ज २१४३ ४६ सू २१,२०।२ दाहिण (दक्षिण) प २११०,३२.३३.३५,४३.५.० दाहिण पुरथिमिल्ल (दक्षिणपौरत) ज ४।२३८%; से ५२.५४,५६५८से ६०३१ से ३०,१७६, १७८ ज ११८,२०,२३.२५.२८,३२,४६,४८, ५।४४,४६ सू १११६२।१,१२१३० ५.१,२।६५.११३,३।१६.१२,३६ १३६,१३७, दाहिणभुयंत (दक्षिणभुज न्त) सू २०१२ १४६.१५०,१८६.२०४।४।१,३,१६.२३,२६, हिमाय (दक्षिणवत) प ११२६ ३७,५१,२,६५.८१,८६.८६,८६,६०,६८. दाहिणव्यालि (दक्षिण वेयाली') प १६.४५ १०३.१०६,१०८.१२६,१६२,१६७ मे १६६ दाहिफिल (दाक्षिणात्य) प १३२,३३,३५,३६, १७२ ले १७४.१७,१७८ १८० १८१,१८३, ३८,४३,४४,४७,३।१८ से २३:१६६३४ १८७,१८६ मे १६१,१६४,१९६ २०१ मे ज ११२६,५१:२।११६,३११४ ज १२२६,५१, २०३, ०५.२१०,२१४,२२० २३८,२६२, २।११९३३१४,१५,१८,३६,५१,५०,६१,८३, २६८.२९१, २ ३ .२१.३६.६:८; ८५.८८ से १०,६२,६३,१२६,१६२,२०६,२१६; ७।१०१.१०२.१६६ १७८६, १५१५ मे १७, ४।१७४ से १७६,१८२,१८३,१८८,१६५, १६:२१:८११:१०।1:१३15,८,१८।१४: २०१.२०२,२१२,२४८,२५१:५११४,४२,४५, Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६ ५२ १० १४२, १४७ दिदिलय (दे० ) उ ३१११४ दिट्ठ ( दृष्ट ) प ११०१३, ८ ज३।१२६ दिट्ठत ( दृष्टान्त ) प १७११४८३१८,२६,६३ दिट्ठेतिय (दान्तिक ) ज ५।५७ दिट्ठाभट्ठ (दृष्टाभाषित) उ ३२५५ दिठि (दृष्टि ) प २८ । १०६ । १ ज ३३१०५५/६७ दिट्ठिवाय ( दृष्टिवाद ) प १११।३१।१०१८ दिट्ठीविस ( दृष्टिविष ) प ११७० दिणकर ( दिनकर ) सू १६।१११२, १६१२११३, १६।२२।१२,१३ दियर (दिनकर ) ज ३१८८ १६।२२३० उ ३।४८,५०,५५,६३,६७,७०,७३, १०६,११२ दिण्ण (दत्त ) प २३३०,३१ ज ३३७, १८४५/२६ उ ११६६, १०३, १०९, ११०,११३, ११४; ३१४८, ५० दित्त ( दीप्त ) प २२४६ ज ३१६,१८, ६३,१०३, १८०,२२२७/१७८ सू १६/११/२,२११३, १६।२२।३० दित्त (दृप्त) ज ३|१०३ दित्ततव ( दीप्ततपस्) ज ११५ वित्तसिर ( दीप्तशिरस्क ) ज ३१६,१८ दिन्न (दत्त ) प २/४१ दिपंत ( दीप्यमान ) ज ३१६,१७,२१,३४,१७७, २२२ दिप्यमान (दीप्यमान ) ज ३११८,६३,१८० दिल्ली (दे० ) प ११५८ frase (द्वर्धद्वयपाधं ) १२३।७३,८३,१३५, १५२,१७२३३७,८ ज ६१८ १ ३१२:३; १८११ दिवड्ढखेत ( द्वयपार्धक्षेत्र ) सू १०/४, ५ दिवस (दिवस) २८ २७,७३ से ७६ ज २२६४; ३७६,६५,६६,११६,१२०,१३६,१६०,२०६; ७१२६ से ३०,११२।५,११७, ११८, १२६, १५६ से १६७ चं ५।३ सू ११६।३,१।१३,१४,१६, दिगिंदलय - दिसाणुवाय २१,२२,२४,२७,२१३, ३१२,४१८, ६, ६११, ८१,६२,३,१०१५,६३ से ७४,८६३, १२६६५ १६२२/१८ उ १६३,३१६४,६८,७१,७४, ७६,१२६,५।१३,४५ दिवसखेत ( दिवसक्षेत्र ) ज ७ २७, ३० दिवसतिहि ( दिवसतिथि ) सू १०१८६, १० दिवा (दिवा) ज ७।१२५ दिव्व (दिव्य ) प २ ३०,३१,४१,४६ ज ११३१, ४५,२१६७,६०,१००, ३१४, ५, १२, १४, १५, १८, २६,३०,३१,३६, ४३, ४४, ४७, ५१, ५२, ५६, ६०,६१,६४,६८,६६,७२,७६,८८,६२,६५, १०६,११३,११६,११७, ११६,१२२,१२३,१२६, १३०,१३१,१३३,१३६ से १३८, १४०, १४१, १४५, १४, १५०,१५६,१७२, १७३,१७८, १८०,२०६, २११, ५३१, ३, ५, ७,१६,२२,२६, २८,३०,४१,४३ से ४५,४७,५५,५७,५८, ६७,७।५५,५८,१८४, १८५ १८/२२, २३, १६।२६ उ ३ १७, ८५, १४, १२२, १२३,१६३; ४२५ दिवा (दिव्याक) प १३७१ दिसा (दिशा) प २/३०,३१,२४०१२, ८, १०, २१४१, ४६ ज १।३८ २ १३१ ३ १४, १५, २२,३०,३१,४३,४४,५१,५२,६०,६१,६८,६६, १०० से १११,१२५, १३०, १३१,१३६, १३७, १४०, १४१, १४९, १५०, १७२,१७३, १६५, २११६४।१०,१२१,१५३, १६३,२१२,२१७, २३८५१५२, ७४, ७ १७८ सू १२४; ५०१ उ ११२२, १४० ; ३५१, ५३, ५५,६३,६७,७०, ७३ दिसाकुमार ( दिशाकुमार ) प १११३१५।३; ६।१८ दिसाकुमारी (दिशा कुमारी) ज ५।१ से ३, ५ से १०,१२ से १७ दिसाचक्कवाल ( दिशा चक्रवाल ) ३१५० दिसावाय ( दिशानुपात ) प ३१ से १७,२४ से Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिसादि-दुक्ख ६४७ ३७,१७६,१७८ १०२.१७५,१८२.१६८ से २०८,२१० से २१३ दिसादि (दिशादि) ज ४२६०१२ मेरुपर्वत सु १३१४,१६,१७,१६ से २२,२४,२७, २१, दिशापोक्खि (दिशाप्रोक्षिन) उ ३५० ३,३११.२:४।३.४,७,१०।६।१८।१:१०११३२, दिसापोक्खिय (दिशाप्रोक्षिक) उ ३१५०,५५ १४२,१४७; १२।३०:१८१७,२०; १९३१.२,६, दिसापोक्खिय (तावस) (दिशाप्रोक्षिकतःपन) ७८।३,६,१२ मे १४,१५१३,१६१६,१६२२, उ ३२५० २४,१६१२८,३१ से ३४३ ११९३७,६१, दिसाहत्यिकूड (दिशाहस्तिकूट) ज ४।२२५ से २३३ १२५,१५७; ५१२४.४३ दिसि (दिश) प १२७,२३०११:२०६३,३।११, दीवकुमार (दीपकुमार) प१११३१,५३,६१८ १११६६,६६।१२१६५,६६,२८१६,३१.६५ दीवग (ढीपिक) सू १०।१२० ३६।५६,६६,६८,७०,७२ से ७४ ज ४२०४, दीवणिज्ज (दीपनीय) प १७।१३४ ज २०१८ दीवणिजबीपी २१०,२१६,२२०:५।३०,७१४८,५०,५२,५३ दीविग (द्वीपिक) ज २१३६ उ११२४३।५१,५३,६२,८१,१४३,१५६ दोबिय (दीपिक) प ११६६११।२१ ज ३।१३६; दिसौभाग (दिग्भाग) ज ३।२०८:५।५,४४,४५ उ ३।११३:४२० दोवियगाह (दीपिकमाह) ३।१७८ दिसोभाय (दिग्भाग) ज १।३३।१६२,२०४, दीपिया (दीपिका) प १११२३ २०८,४।१२०,१३६,५१५,७ चं सू ११२ दीवियाहत्यगय (हरतगतदीपिका) ज ५११२ उ ५५ दीस (दश) दीनति प ११४८१५७ ज ७।३६,३८ दोण (दीन) उ १५१५,३५, ३१६८ दोह (दीन) प २१६४१४; १३।२३ ज २११५,६६; दोणस्सर (दीनस्वर) ज २११३३ ३३१०६.१६७।११ दीणस्सरता (दीनरवरता) प २३१२० दोहार (दीर्घदर) ज ४८० दीव (द्वीप) प १५४,७५,८०,८१,८४;२।१,४,७, दोहदेयड्ढ (दीर्घवैत ढ्य) ज ६१० १३,१६ से १६,२८,२६,३०।१,२१३२,३३,३५, दोहिया (दीधिकः) प २१४,१३,१६ से १६,२८; ३६,४०१२,६,११,२१४३,५०,५१,१५११२, ११103 ज २।१२।। १५।५४,५५,१६।३०,३३।१० से १२,१५ से दु (दि) प ११३ सू१।१४ १७ ; ३६।८१ ज १७,१५ से १८,२०,२३, दुइय (द्वितीय) प ३१२२ ३४,३५,४६.४८,५१,२।१,७,५२,५६,६०,११६, दुंदुभय (दुल्दुधक) ज ७११८६।२ मू २०१८ १६१,१६४,३१६,३६,४७,५६,११६,१३३, हय (दुन्दुभकः) सू २०१८२ १३८,४११,३१,२२,३४,४१,५२,५१,६२,६८, दहि दिन्द्रमि) अ ३११२,७८,१८०,२०६५।५, ६६,७६,८१,८६,६०,६३,१८,११४,१५६, २२८६,४६,४७.५६,६७ उ १।१२१,१२२, १६०,१६५,१६७,१६६,१७२ से १७४,१७८, १२५ १२६,१३३.१३४,१३८,३११११,४११८; १८१,१८२,२०१ से २०३,२०६.२१३,२६२. ५१६ २६५,२६८,२.१.२७४,२७८ : ५।३,२१,२२, दुक्कालदहुल (दुरकालबहुल) ज १११८ २६.४४,५२,७४,६१ से ५ से २६७12 दुक्त (दुःख) १ २१६४।२२:६१११०,२०११८; ३.४,८ से १४,३१,३३,३६ से ३६.५२.५४, १६१,२,३५११०,११,३६४८८,६२,६४१ ६२,६३,६७ से ७२,८६,८७.६१,१२,१०१. ज १॥२२,२७.५०:२१५८,७१,८८,८६,१२३, Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९४८ दुवखत्त-दुरूव दुपदेसिय (द्विपदेगिक) प ५१२७,१३०,१३१; १२८,१५१,१५७; ३।७७,६२,१०६.११६, १२१११,१२५,४११०१,१७१ सू १६०२२।१३ उ ११६३,१४१:३१८६५१४३ दुक्खत्त (दुःखत्व) प २८१२४ दुक्खभागि (दुःखभागिन् ) ज २११३३ दुक्खुत्तो (द्विम् ) सू १११२ दुखुर (द्विखुर) प ११६२.६४ दुग (द्विक) ज ७१३११२ दुगुंछा (जुगुप्सा) प २३१३६,७७,१४५ दुगुण (द्विगुण) सू १६३२२।२३ दुगुणिय (द्विगुणित) ज १२५ दुगूल (दुकूल) सू २०१७ दुग्ग (दुर्ग) उ ३१५५ दुग्गइगामि (दुर्गतिगामिन्) प १७११३८ दुग्गंध (दुर्गन्ध) ज २१३३ उ ३३१३०,१३१,१३४ दुग्गम (दुर्गम) ज ३१७७,१०६ दुग्गबहुल (दुर्गबहुल) ज ११८ दुग्गुल (दुकूल) ज ४११३ दुषण (छैधण) ज ५१५ दुजडि (द्विजटिन्) सू २०१८ दुज्जम्मय (दुर्जन्मक) उ ३११३१,१३४ दुज्जाय (दुर्जात) उ ३११३१,१३४ दुटठाणवडित (द्विस्थानपतित) प ५११३४,१४३, १४८,१५१,१६३,१६४,१८१,१६७,२१८ दुठ्ठ (दुष्टु) उ १८८,६२ दुतीस (द्वात्रिंशत्) ज ४१६४ दुईत (दुर्दान्त) उ ५१० दुईसणिज्ज (दुर्दर्शनीय) ज २११३३ दुद्ध (दुग्ध) प १११२५ उ ३१६८ दुधा (द्विधा) सू १९१६ दुन्निकम्म (दुनिष्क्रम) ज २१३२ दुपएसिय (द्विप्रदेशिक) प ५१५३,१५४,१५७, १५६,१६०,१७६,१७७,१६२,१६३,२१३, २१४,१०।७:११:४६ ; ३०१२६ दुपदेस (द्विप्रदेशिवः) प १०११४१ दुप्पउत्तकाइया (दुष्प्रयुक्ताायिकी) प २२२२ दुप्पव्वइय (दुप्प वजित) उ ३१५८,६०,७६ से ७६ दुप्पवेस (दुप्पवेश) ज ११२४ दुफास (दुम्पर्श) ज २११३३ दुबत्तीस (द्वि द्वात्रिंशत् ) सू १०११३८ से १४१, १४८,१५२,१२।२२ दुब्बल (दुबल) ज २१३३ दुभि (दुर्) प १३१२७,३१,२३।१०७ दुरिभक्खबहुल (दुर्भिक्षवहुल) ज ११८ दुबिभगंध (दुर्गन्ध) प ११४ से ६२०२० से २७; ५१५,७,२०५; १११५६:१७।१३६२८।२०, ३२,६६ ज ५५ दुब्भूय (दुर्भूत) ज २१४३ दूभागमंडल (द्विभागमण्डल) सू १५॥३७ दुम (द्रुम) ज २१८,१३,२०,५५० दुय (द्रुत) ज ५१५७ अभिनय का प्रकार दुरंतपन्तलक्खण (दुरन्तप्रान्तलक्षण) ज ३१२६, ३६,४७,१०७,११४,१२२,१२४,१३३ उ १८६,११५,११६ दुरभि (दुरभि) प२३१४८ दुरस (दूरस) ज २११३३ दुरहियास (दुरध्यास,दुरधिसह) प २०२० से २७ दुरुढ (आरूढ) ज ३।१७,२१,२२,३५,३६,७७, ६१,१७७,१७८,१८३,२०१,२०२,२१४,२१७; ५।२२,२६,४३ दुरुह (आ- रुह) दुरुहइ ज ३१२०,३३,५४,६३, ७१,८१,८४,१०६,११७,१३७,१४३,१६६, २०४,२२४;५१४१,४२३ १११६ दुरुहति ज ३।१११।४।५:१५ दुरुहति प १७।१०६, दुरुहिता (आम्ह य) ५ १७११०६ ज ३।२० उ १३१६ दुरुढ (वारूढ) उ १६१२४,१३१४।१२:५1१४ दुरूव (दुरूप) २११३३ Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुरुह समसमा दुरूह ( आ--- रुह ) दुरूहइ उ १।११०६४।१५ दुरुहेइ उ ४।१८ दुरूहित्ता (आरुह्य ) उ १ । ११० ४। १५ दुरुत्ता (आरुह्य ) उ४१८ दुल्लह (दुर्लभ) ज ३।११७ सू २०१ दुव ( द्वि) ज ११२५ चं ४३ सू १८१३ उ १।१११ दुवण ( द्विवचन ) प ११८६ दुवण (दुर्वण ) ज २।१५,१३३ दुबार (द्वार ) ज ३८३,८५,८८ से ६०,६३,१०३, १५४,१५७,१६२,१८६ दुवाल ( द्वादशन् ) प २६४ ज १२० सू ११३ उ २१० दुवालसंसिय ( द्वादशास्त्रिक) ज ३६४, १३५,१५८ दुवालसक्खुतो ( द्वादशकृत्वस् ) गू १२२ से ६, ११ दुवालसमा ( द्वादशी) सू १० १४१, १४६, १४८, १५५, १६० दुवालसमी ( द्वादशी) ३ १०११४८, १५० दुवालसविह ( द्वादशविध ) प १३४; १२।३७ ज ७ । १०४ सु १०।१२६ उ ३१७६, १४३ दुविध ( द्विविध ) सू ४११ दुविह (द्विविध ) प ११,२,४,१०,११,१६ मे १८ २० से ३२,३४,४८ से ५१,५३,५७,५६ से ६१,६६,६७,६६,७५,७६, ८१, ८२, ८, १०, १००.१०२ से १२३.१२५ मे १२६,१३१ से १३८,५१,१२३६।११५, ११६,१११३१,३२, ३५,३६,४१,१२।७ से १३,१६ से १८, २० २१,२३, २४, २७.३१ से ३३,१३१,८,२२ २३,२७.३१,१५।१८,१६,४८.४६.६८,७१, ७२,७५,७६,१६१५,२८,३३,३५,१७१२,४,६, ९.१६,२३,२५.२७, १८३१३, २५, ५५.६३,६७ ६८,७६,७६,८६,६४.६७, ६६ १०१.१०६. १०६.१११.१२७, २१०४ से ७६ से २०,४६. ५५.५८,५६,६१.६५,६६,७०६२२१२,३.८ २३१६,२६,२६,३२, ३४, ४८, ५६, ५७, २८१४, ४०,५०,६६, २६११.५, ८, ९, ११, १४:३०११,५, ७,११,१२,३३११:३४११२; ३५।११२,३५/१२, २४६ १४,१६,१८,२३ ज २११,५,६,५।१६६ ७ ११४ सू १०१६६, १२१, १२४; १८ २०; २०१३ उ ३१३१,३८, ४०, ४२, ४४ दुव्विसय (दुर्विपत्र ) ज २।३१ दुसमय ( द्विसामयिक ) प ११ ७१,३६।६०,६७, ६८,७१,७५ दुसमयतिीय ( द्विसमयस्थितिक) १ ११ ५१ दुसमसुसमा ( दुष्षम सुपमा ) ज २२१४६ दुस्समदुस्समा (दुष्पम दुष्षमा ) ज २१२,३,६ दुस्समसुसमा (दुप्पमसुसमा ) ज २२, ३,६,४६ दुस्समा (दुष्पमा) ज २१२,३,६ दुहओ (द्वितस् द्वय) ज ४ ६१ सू १० १३६ २०१७ दुहओवत्त ( द्वितआवर्त ) प १४६ दुहणाम ( दुःखनामन् ) प २३।२० दुहट्ट (दुधाट्ट) उ ११५२,७७ दुहता ( दुःखता ) प २३१६ दुहतो ( द्वितम्, द्वय) सू १० १७३ हलोनिसहसंठि (द्वितोनिपसंस्थित) सू ४१३ दुहत्त ( दुःखत्व ) प २८।२६ दुहया ( दुःखता ) प २३१३१ दुहा ( द्विधा ) ज ११६,२०,२३,४११,४२,६२,९४, १०८, १७२ दूइज्माण ( द्र्यमाण ) ज ३११०६ उ ११२,१७; ३।२६,६६,१३२,५/३६ दुभगणाम (दुर्भगनामन् ) प २३३८,१२४ दूमिय (दे० धवलित ) सू २०१७ दूमिय (दूत) उ ११५६,६३,८४ दूय (दूत) ज ३६, ७७,२२२११९२, १०७ से ११६,१२७ दूर (दूर) प २२४६, ५०, ५२, ५३, ६३, १७।१०६ ज ७।३६, ३८ | २१ दूरतराग ( दूरतरक ) प १७ १०८, ११० दूस ( दूष्य ) ज २१२४,६५,६६;३१६,२२२ दूसमसमा ( दुष्षमदुष्षमा ) ज २३१३०, १३, १३६ Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५० दूसमदुसमा-देवगतिपरिणाम दूसमसुसमा (दुष्पमसुसमा ) ज २११२१ दूसमा (दुष्षमा) ज २।१२६,१४० दूसरणाम (दुःस्वरनामन्) प २३।३८,१२५ सि (दूष्य) प १७।११६ देय (देय) सू २०६२ देयड (दे० दृतिकार) प ११६७ देव (देव) प ११५२,१३०,१३८, २०३० से ३६, ४१ से ४३,४६,४७४१,४८ से ६३,२०६४।१४; ३।२६ से ३६,३८,३६,१३१,१३३,१३५,१३७, १३६,१८३:४१२५ से २७,३१ से ३३,३७ से ३६,४३ से ४५,४६,५५,१६५ से १६७,१७१, १७७ से १७६,१८३ से १८५,१८६ से १६१, १६५ से १६७,२०१ से २०३,२०७,२१३ से २१५,२२५ से २२७,२३७ से २४३,२४६, २४६,२५२,२५५ से २६६;६१२७ से ३८,४१ से ४३,५०,५२,५६,६५,७०,८१,८२,८५ से ८७,८६,९०,६२,६३,६५,६६,९८,६६,१०१, १०३,१०५,१०६,११०,११२,११३,७१८ से ३०८११०,११,६११११२१४५,५५॥३,८७ से ६३,१०८,१०६,११४,११५,११७,१२५,१२६, १३२,१३६,१४३;१६।२५,२६,३१,१७१४६, ५१,५२,७१:७३,७४,७६,७८ से ८१,८३,८६; १८१५,११:२०।४६,२११५१,५५,६१,६२,७०, ७१,७७,८३,६१ से ६३,२२६४१,४२,४५,७६; २३१३६,५४,८४,११४,१४६,१७२, १६४, १६६,१६८,२८९७,१०२,१०५,१३३,१४३ से १४५,३३३१,१६ से १८,२४,२५,३४।१५, १६,१८ से २५;३६।५०,८१ ज १११३,२४, ३०,३१,३३,३६,४५ से ४७,५१,२१६४,६०, ६५ से १६,१०० से १०२,१०४ से ११६, १२०,३।२०२४११,२,२५ से २८,३०,३२१२, ३३,३८ से ४१,४३,४६ से ४६,५१,६३ से ६५,६८,७१ से ७४,७६,८४,६२,१११ से ११५,११६,१२३ से १२५,१३१११,२,१३२ से १३४,१३६,१५०,१५१,१६७।१३,१७८,१८४, से १८६,१८८,१८६,१६१,१६२,१६८,१६६, २०७ से २१०,२१६,२२१,२२४,२२६;४।२, १३,१६,२०,५१ से ५४,६०,६१,८०,८४,८५, ६७,१०२,१०६,१०७,११२.११३,११४,१२०, १४१,१४२,१५०,१५६ से १६१,१६३,१६५, १६६,१७७,१८०,१८४,१८६,१८७,१६३, १६६ से २००,२०३,२०४,२०८ से २१२, २१५,२२६ से २३४,२३६,२४७,२४८,२५० से २५२,२६१,२६४,२६६,२६७,२७०,२७२, २७३,२७६,२७७, ५११,३ से ५,१४,१५,१६, २२,२३,२६ से २६,३६,४२,४३,४५,४७,४६, ५०,५.३ रो ५६,६१,६७,६६ से ७४,६।१६; ७।५५,५,६,५६,१६६,१७८।१,१८५,१८७, १८६,१६१,१६३,१६५,२१३,२१४ सू ६१; १३।१७,१७११:१८।२ से ४,१४ से १७,२१, २३,२५,२७,२६,३१,३३,३५,१६२३,२४, २६,२७,२०११,२,४,७ उ २।१३,३३५१,५६ से ६२,६५,६६,६६,७२,७५ से ६१,१५१, १५२,१५६,१६२ से १६५,५।५,२६,३०,४२, देव (देव) स १६।३६,३८ देव नामक द्वीप देवमण्णिआउय (देवासंज्ञवायुष्) ५ २०१६२,६४ देवउत (देवकुल) ज ५१५,७ देवकहरूहम (द कहकहक) ल ५१५७ देवकुमार (देवकुमार) उ ३१६२ देवकुमारिया (देवकुमारिका) उ ३१६२ देवकुरा (देव कुरु) ज ४।६४,६६,२०३,२०६ से २०८,२१३ देवकुरु (देवयुरु) प १८७,१६।३०,१७१६४ ज २।६।४।२०४११,२०७,२०८,२१०।१ देवकुल (देवकुल) ज २६५ उ ३३६ देवगइ (देवगति) ज २१६०३।२६,३६,४७,५६, ६४,७२,११३,१३३,१४५:५५५,४४,४७,६७ देवगइय (देवगतिक) प १३१२० देवगति (देव ति) प ६४,६ देवगतिपरिणाम (देवगतिपरिणाम) प १३।३ Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवगतिय-देविंद १५० देवगतिय (देवगतिक) प १३।१५ देवगामि (देवगामिन्) ज १।२२,५०,२१५८,१२३, १२८,१४८,१५१,१५७,४११०१ देवच्छंदग (देवच्छंदक) ज ४२१६ देवच्छंदय (देवच्छंदक) ज ११४०,४।१३६,१४७, २१६ देवजुइ (देवद्युति) ज ३।२६,३६,४७,१२२,१२६, देवजुति (देवद्युति) ज ५।४४ उ ३.८५,१२२ देवज्जुइ (देवद्युति) उ ३।१२३ देवड्ढि (देवद्धि) ज ३१२६,३६,४७,१२२,१३३ ।। देवता (देवता) च ५२ सू हार देवत्त (देवत्व) प १५६६ से १०१,१०४ से १०६, १०८,११२,११४ से ११७,११६ से १२३, १२५,१२७ से १२६,१३१,१३२,१४३, उ २११२;३।१५०,१६१,५२८,४१ देवदारु (देवदारु) प ११४०।२ देवदाली (देवदाली) प ११३६१२,१७११३० देवदालिपुप्फ (देवदालीपुष्प) प १७.१३० देवदुहदुहग (देवदुहदुहक) ज ५१५७ देवदूस (देवदुप्य) ज २६५,१००,२११,५१५८ उ ३।१४,८३,१२०,१६१,४।२४ देवपव्वय (देवपर्वत) ज ४२१२ देवमइ (देवमति) ज ३।१०६ देवय (देवता) प १४८ ज ७/१२७११,१६७११ देवय (दैवत) ज २१६७,३१८१ सू १८१२३, उ १११७,७२,८८,६२,५।३६ देवया (देवता) ज ३३२,१०४,१०५,४१५३, १०६,२०४,२१०,७३० सू १०७८ से ८३ देवराय (देवराज प २१५० से ५६ ज १३१; १८६ से ६३,६५,६७,६६,१०१,१०३,१०५, १०७,१०६,१११,११३,११४,११७ से ११६, १८६,२१७,४१२२१,५।१८,२० से २३,२६ से २६,३६ से ४१,४३ से ४८,५४,५६,६०, ६१,६२,६५ से ६८,७१ से ७३ उ ३३१२२, देवलोग (देवलोक) प २०१६१ ज २०४६,१५६; ३।१ उ २।१३;३।१८,८६,१२५,१५२,१६५; ४।२६:५।३०,४३ देवलोय (देवलोक) ज २।४६ उ ५१४ देवसंघाय (देवसंघात) ज ७१७६ देवसयणिज्ज (देवशयनीय) उ ३१४,८३,१२०, १६१,४।२४ देवसयसहस्सीसर (देवशतसहस्रेश्वर) ज ३११२६।३ देवसिरि (देवश्री) उ ३११७१ देवाउय (देवायुषक) प २०१६३,२३३१८,३७,८०, १४६,१७० देवाणंदा (देवानन्दा) ज ७/१२० सू१०८८।३ उ ३.११३; ४१२० देवाणुप्पिय (देवानुप्रिय) ज ६५,६७,१०१, १०५,१०७,१०६,१११,११४,१४६, ३३५,७, १२,१५,१८,२१,२६,२८,३१,३४,३६,४१, ४७,४६,५२,५६,५८,६१,६४,६६,६६,७२, ७४,७६,७७,८३,६०,६१,६६,१०५,१०७, ११३,११४,१२५,१२६१४,१२८,१३३,१३८, १४१,१४५,१४७,१५१,१५४,१५७,१६४, १६८,१७०,१७३,१७५,१८०,१८३,१८८, १६१,१६६,२०७,२१२:५॥३,५,७,१४,२२, २६,२८,४६,५४,६८,६६,७२,७३ उ १११७, ३७,३६,४१,४४,५४,५७,६६,७६,८८,६८, १०७,१०६,१११,११३,११५,११६,१२१, १२३,१२७,१२६,१३१,३११३,७८ से ८१, १०२,१०३,१०६,१०८,११२,११५,१३६, १३८,१३६,१४८,४।११,१४ से १६,१६,२२, ५।१५,१८,२७,३२,४० देवाणुभाग (देवानुभाग) ज ३११२६ देवाणभाव (देवानुभाव) ज ३१२६,३६,४७,१२२, १३३,५१४४ उ ३.८५,१२२,१२३ देवाहिव (देवाधिप) ज ५१५४ देविंद (देवेन्द्र) परा५० से ५६ ज ११३१२१८६ से ६५,६७,६६,१०१,१०३,१०५,१०७,१०६, Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५२ देविडि-दोणमुह १११,११३,११४,११८,११६४।२२१५१८, २० से २३,२६ से २६,३६,४०,४३ से ४८, ५४,५६,६० से ६२,६५ से ६८,७१ से ७३ उ ३१२३,१५० देविढि (देवद्धि) ज ५।४४ उ ३।१७,८५,६४, १२२,१२३,१६३, ४१२५ देवित्त (देवीत्व) उ ३११२० देवी (देवी) प २।३० से ३३,३५,४१,४३,४८ से ५१,३।३६,१३२,१३४,१३६,१३८,१४०, १८३,४१२८ से ३०,३४ से ३६,४० से ४२, ४६ से ४८,५२,५५,१६८ से १७०,१७४,१८० से १८२,१८६ से १८८,१६२ से १६४,१६८ से २००,२०४ से २०६,२१० से २१२,२१६ से २२४,२२८ से २३६:१७१५०,७२,७३,७५, ७६,७८,८०,८२,८३,१८।६,८,१२:२३॥ १६४,१६६,१६८ ज २३,१३,३०,३३,३६, ४५:२।१०,३१५२ से ५८,६०,१४०,१४१, १४३ से १४७,१४६,४१२,१७ से २०,२२,३३, ३४,५३,६४,८६,१५६,१६४,२०३,२३७, २३८,२४८,२५० से २५२,५१,५,१६,२६ से । २८,४२,४३,४५,४७,६७,७२,७३७१८३, १८५,१८८,१६०,१६२,१६४,१६६,२१४ चं ८ सू ११३;१८।२१,२३,२६,२८ ३०,३२, ३४,३६,२०६४ उ ११० से १३,१५,१७,१६ से २४,३० से ४१,४३,४४,४६,४८ से ५५, ५७,५८,७० से ७४,८८,६५,९७,६६ १०२, १०६,११०,११३,११४,१४६ से १४६,२।४ से ६,१६,१७,१६,२०,३६०,६२,९४,१२१ से १२५, ४१२५,२६,५।१०,१२,१३,१७,२५,३०, ६१,६६,१०८,२१।७४,२२१५५,५६,५८,७६ ज ११३०,३३,२२४:४१२२,३४,८३,११३, ११४,१६६,५१२६,७२१३ सू१।१६६.१; है।३।१०।१३८ से १५१,१६२ से १६६; १२।३०:१३।२ देसपंत (देशप्रान्त) उ १११३३,१३४ देसभाग (देशभाग) प २०१६.१७,३०,३१,४१,५०, ५२ ज २०१२,६५:३१३,११७,५।३५ सू ३९८ देसभाय (देशभास) प ११८.१६,२८,५१,५६,६४ ज ३।७,५१३३,३८ देसमाण (दिशत्) ज २०७२ देसि (देशिन्) प २१४१ देसिय (देशित) ज ३१२२,३६,६३,६६१०६,१६३, १८० देसूण (देशोन) ११२,१४,१७,२३,३५,३७,५१; २६४४,४५,४१११४ देसुणग (देशोनक) ज ३१२२५४।६,३३,१४७, १५५,२४२ देसोहि (देशावधि) प ३३।१।१,३३।३१ से ३३ देह (देह) ज ३।१०६ देहधारि (देहधारिन ) प ४१ ज ३१३ देहमाण (दे० पश्यत्) - ३१२२२, ५१६७ दो (दि) प२०१५६ १७.१११४ उ १११३५ दोच्च (द्वितीय ६८०१३३।१६,३६१६२ ३।१२८,१५१.१६२३.२५,२८ से ३०,१५७.१६१,१६५.१७० सू १११३.१४, १६.१७.२१.२४,२७,९१३, ६११; १०१६४.६८, १२७.१३६.१४०,१८४.१४५,१५८,१११२ से ४,१२१३,२०,२५; १३।१,१२,१३ उ ११३६, ४०.१११,१४३, २११,१५.२१,३३१,२०,२२ २३.५१.५३ ६०,६१.७७,७८.१०८ दोच्चा (द्वितीया) प३।१८३ दोणमुह (द्रोण मुख) प १७४ ज २२,१३१; ३११८,३१,३२,१६७१२,१८०:१८५.२०६, २२१ उ ३११०१ देवलिया (देवोत्कलिका) ज ५१५७ देवोद (देवोद) सू १६:३८ देस (देश) प ११३,४,२१६४।११,४१४३,४५,४६, ४८,४६,५१,५२,५४,५३१२४,१२५,१५३५३; ५४,५७,१८१५६,६४,७७,८१,८३,८४,५६ से Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दोला-धम्मवर ६५३ दोला (दे०) १५१ २३,२४,३५,३७,६५,१३१,१५६,१६०,१७८; दोवारिय (दौवारिक) ज ३।६,७७,२२२ ४।१०,१२,५५,६२,८१,८६,६८,१०१,१०८, दोस (दोष) प ११॥३४१, २२१२०, २३१६ ११०,११४,१४७, ५४,२४८,२६२,२६५, ज ३१३२,११७ सू २२, २०।६।६ उ ३१३५ २६८,२७१,२७४ ७.१८२,२०७ सू १११४; दोसपिस्सिया (दोषनिधिता) प १११३४ १८।१३,२० उ १२२,१३८,१४० दोसपुरिया (दोषपूरिका) प ११६८ धणुगह (धनुर्ग्रह) ज २१४३ दोसिणा (दे० ज्योत्ना ) चं २।४ सू ११६।४; धणुप्पट्ठ (धनुष्पृष्ठ) ज १।१८,२०,२३,४८, १४।१ से ४,१६॥१,२ ४।१,१७२ जापाव (दोसिडाप्रल - 319.9818 से धणु हत्तिय (धनुःपृथकिवक) ५७५ धणु वर (धनुर्वर) ज २१६६,३७६,११६,११६, दोसिणाभा ('दोसिणा'आभा) ज ७१८३ १२०,१६७।३,१८५,२०६ सू १८१२१,२०१६ धणुह (धनु) ज ३१३१ दोसिणलक्खण (दोसिणा'लक्षण) चं ॥४ धण्ण (धान्य) प ११०२६ से २८ ज २१६६;३७६, सू १६४ ११६,११६,१२०,१६७।३,१८५,२०६ दोसिणालक्खण (दोगिणा'लक्षण) सू १६१ उ ३१४०५१४ धण्ण (धन्य) ज ५१५,४६,५८ उ ११३४,४०,४१, दोस्सिय (दौगिक) प ११६६ ४३,४४,७४,३।६८,१०१,१३१:५।३६ दोहाग (दीर्भाग्य ) ज २०१५ धन्न (धन्य) ज २१६४ उ ३१३८ दोहल (दोहद) उ ११३४,३५,४०,४१,४३,४४, धमाससार (धमाससार) प १७।१२५ धम्म (धर्म) प २०१७,१८:२२,२५,२८,२६,३४, ४५ ज ११४,२०६४,७२,११३,१३३ च ६ सू ११४ धंत (ध्मात) प ११४८१५६ ज २४ उ १२,२०,२१,३।१३,१०२,१०३,१३४ से धंतधोयरुप्पपट्ट (ध्मात धोतरूप पट्ट) प १७:१२८ १३६,१३८,१४२,१४७, ४.१४:५१२०,२७ धण (धन) २६६४,६६,३३१०३, १६७११४ धम्मत (ध्मा मान) जे ३३११७ धणंजय (धनञ्जय) ज ११७॥२.१३२॥१ धम्मकहा (धर्मकथा) उ ३७१ सू १०८६।२६७ धम्मचरण (धमंचरण) ज २१२६,१५८ घणवइ (घ. पति) ज ३१३,१८,६१,६३,१८० धम्मजामरिया (धर्मजागरिका) उ २।११,५१३६ धम्मणायग (धर्मनायक) ज ५।२१ धणिट्ठा (धनिष्ठा) ज ७११३।१,१२८ से १३०, भर धम्मस्थिकाय (धारितकाब) प ११३,३३११४ से १३६,१३८,१४१,१४६,१५६,१५७ सू १०११ ११६,१२२,५११२४,१५१५३,५४,५७; से ६,८,२०,२३,२६,५७,६३,६४,७५,८०,६४, १८.१२५ १२०,१३१ से १३३,१५२ धम्मदय (धर्मदय) ज ५।२१ घणु (धनुप) प ११७५२१६४।६।२१।४६,४७, धम्मदेसय (धर्मदेशक) ज ५२१ ४७।१,२,२११६५ से ६७,३६८१ ज १७,६, धम्मरुइ (धर्मरुचि) प १११०१।१,१२ १०,२३,२५,३८,४०,४३:२।६,१६,५२,५६, धम्मरक्ख (धर्मरूक्ष) प १६४३।१ ५८,८६,१२३,१५१,१५७,१५६,१६१, ३१३, धम्मवर (धर्मवर) ज २१६३:५।२१,२८ Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धम्मसरहि-धोव धम्मसारहि (धर्मसारथि) ज ५।२१, धम्मिय (धार्मिक) उ १४१७,१६,२४:४।१२,१३, धय (ध्वज) उ ३३१०८,१८४ धर (घर) प २१३०,३१,४०११०,२१४१,४६ से ५४ 1धर (५) धरेइ ज ५१४६,६०,६६ धरण (धरण) ज २३४,३५,४०६ ज ३।१८५, २०६५५२ धरणि (धरणि) ज २०१३२ धरणिखील (धरणिकील) सू ५१ धरणितल (धरणितल) ११७१०७,१०६,१११ ज ३।६।१२,३५,१०६ ; ४१२१३,२१५, ५।२१, ५८ धरणिसिंग (धरणिशृंग) सू ५।१ धरणीयल (धरणीतल) ज ३।१०६,११७५।५,४४ उ ११२३,६१ धरिज्जमाण (ध्रियमाण) ज ३।६,१८,७७,७८,६३, १८०,२२२ घरेत (धरत्) ज ३६२ धब (धव) प १३६।३ धवल (धवल) प २१३१ ज ११३७,२०१५३३६, १७,२१,३१,३४,३५,११७,१७७,१७८,२११, २२२,५१५८,७१७८ धवलक्सभ (धवलवृषभ) ज ५.६२,६३ धस (दे०) उ ११२३,६१ धाइकम्म (धातृकर्म) उ ३१११५ धाई (धातृ) उ १६४ धाय (धात) प २१४७१२ धायइसंड (धातकीषण्ड) प १५३५५१६३३०; १७।१६५ सू ८.१,१६।७,८११,२,१६४९% १६।२२।२५ धायई (धातकी) प ११३५१२,१५१५५११ धायईसंड (धातकीषण्ड) सू १६।२२।२३,२४ Vधार (धारय्) धारे ज ३।१२६।१ धारणा (धारणा) ज ३१३ धारणिज्ज (धारणीय) प २२११५,८० धारा (धारा) ज २११४१ से १४५३।१२,११५; ११६,१२२,१२४ धाराहय (धाराहत) ज ५१२१ धारि (धारिन् ) प २१३०,३१,४१,४६ धारिणी (धारिणी) ज ११३, २०१५ चं ८ सू ११३ धारिणी धारेयव्व (धर्तव्य) सू २०६५ धावण (धावन) ज ३।१७८,७११७८ धिइ (धृति) ज ४१८६ उ ४१२११ धिइकूड (धृतिकूट) ज ४१६६ धिक्कार (धिक्कार) ज २६२ धिति (धृति) सू २०६१३,५ धुर (धुर) सू २०१८ धुरय (धुरक) सू २०१८।५ धुरा (धूर) ज ३।३५,१७८,१८८ धुव (ध्रुव) ज ११११,४७,३।१६७,२२६, ४।२२, ५४,६४,१०२,१५६, ७४२१० धुवराहु (ध्रुवराहु) सू २०१३ धूमकेउ (धूमकेतु) प २।४८ सू २०१८।४ धूमकेतु (धूमकेतु) सू २०१८ धूमप्पभा (धूमप्रभा) प १।५३,२।१,२०,२५; ३११५,१६,२०,१८३;४।१६ से १५; ६३१४,७७,७८,१०११; २०१७,४१, २१४६७; ३३१७,१६ धूमट्टि (धूमवति) ज ३।१२,८८,५२५८ धूमाय (धूमाय) धूमाहिति) ज २११३१ धूया (दुहित) ज २।२७,६६ उ ३।११४,४१८,१६ धूलि (धुलि} ज २१३१,१३२ धूव (धूप) प २३०,३१,४१ ज २४०,२६५ ३१७.६.११,१२,२१,३४,८५,८८,४।१३०, १३६,२१८,२४२,५७,५७,५८ सू २०१७ उ ३१५०,११० धोत (धौत) ज ३।११७ धोय (धौत) प २१३१ ज ३१२४ धोरण (दे०) ज ३३१७८,७।१७८ Vधोय (धाव) धोवइ उ ४१२१ धोवसि उ ४१२२ Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धोवन लिणिगुम्म योग्य (दे० ) ज ३ | १६७/६ त न (न) उ ११३७ नजय (नयुत) ज २४ नउयंग ( नयुताङ्ग) ज २४ नंद (नन्द) ज २६४३।१८५,२०६ नंदण (नन्दन) उ २२१ नंदणवण ( नन्दनवन) उ५।६, ७,३६३७ नंदा (नन्दा ) उ १ ३०, ३१ नंदि ( नन्दि ) प १५ ५५।१ नंदिघोस ( नन्दिघोष ) ज ३२१७८ नंदिय (नन्दित ) ज ३१५,६,८,१५,१६३१, ५३, ६२,७०,७७,८४,६१.१००, ११४,१४२, १६५, १७३, १८१,१८६,११६.२१३,५।२७ नंदीमुह ( नन्दिमुख) ज २।१२ नंदीसरवर ( नन्दीश्वरवर ) ज २।११६ नखत (नक्षत्र) प १।१३३ २ २३ से २७,४८,५०, ६३ उ २११२ नगर ( नगर ) प १९७४ ज २७१ ३२६,७७, २२२ नगरावास ( नगरावास ) प २२४३ नगरी (नगरी) उ ११११० नग्गभाव (नग्नभाव ) उ ५ ४३ नवंत ( नृत्यत्) ज ३११७८ उ ११३९ नज्ज (ज्ञा ) नज्जइ उ १।५४ नट्ट (नाट्य ) प २१३०, ३१, ४६ ज १४५ नट्टविहि (नाट्यविधि) उ३१७,२१,२५,६२,१५६, १६६; ४/५ नट्ठ ( नष्ट ) ज २।१३३ नती (नत्री) उ३।११४,११५,११६ नतु ( नप्तृ ) ज २२६६२१२२ नतुय ( नप्तृक) उ १।१०६.११०, ११३, ११४; ३।११४ नत्थि ( नास्ति ) प १८१५।१५५; ३६।३३ नदी (नदी) प २१४, १३.१६ से १६,२८; १५।५५।२ नपुंसकलिगसिद्ध (नपुंसकलिङ्गसिद्ध ) प १1१२ नपुंसंग (नपुंसक ) प १३४६ से ५१,६०,७५,७६, ८ १:११।२७ नपुंगवेद (नपुंसकवेद ) प १८१६२ : २३१७५ नपुंगवेद (नपुंसक वेदक ) प ३६७१३।१६ नपुंसय (नपुंसक ) प ६७६ नभ ( नभस् ) ज २२६५ (नमंस ( नमस्य् ) नमसइ ज ११६,५१५८ उ १।१६; ३१८१४ । १३:५।२० नमसंति उ ४।१६,५१३६ नमसीहामि उ ३।२६ नमसेज्ज ज २।६७ नमसमाण (नमस्यत्) उ १११६ नमंसित्ता ( नमस्थित्वा ) ज ११६ उ १३१६६ ३१८१ ४१४५ २० नमिऊण ( नत्वा ) चं ११२ ५५ नय ( नय ) सु १।२५; २१२४१२ उ ११३८, ४०, ४२ नयण (नयन) उ १।१५,३५,३।६८ नयर (नगर) उ १११२,२८,२६.१२१,१२२,३१४, २१, २४, ८६, १५५, १६८, १७१, ४१४,६.७,१३, १५,१८,२८५१२४ से २६, ४३ नयरी (नगरी) चं ६,७,८ सू ११ से ३ उ ११६, १०.१२.१६ ९३,६५६७, ६८, १०५ से १०७, ११०,१११, ११५, १२२, १२५, १२६,१३०. १३२,१४४.१४५,२२४, ५, १६, १७,३१६, ११, २१२७ से २६,४६, ४८, ५०, ५५, ६५, ६६,६६, १००,१११,१५७, १५८, १६६,१७१,५४४, ५, ६, ११,१६,३०, ३३ नर (नर) ज २६५, ७१ नरग (नरक) प २।२२ से २७,२१२७१३,४ उ ११२६ नरच्छाया (नरच्छाया ) प १६१४७ नरय (नरक) प २।२३६।८०१२ १।१४० नरवइ ( नरपति) उ १।१२४, १३१,५।१६ नलिण ( नलिन ) प १।४६, ११४८१४४ ननिहत्थग ( हस्तगतनलिन) ज ३|१० नलिणिशुम्म ( नलिनीगुल्म) उ२।२।१ Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नव-निक्कट्ठ नव (नवन्) प ११८११ ज ३।१०६ सू श१४ उ११५३ नव (नवम) प १०।१४।३ नवणउति (नवनवति) सू ११२१ नक्ण उय (नवनवति) सू १२६ नवणवति (नवनवति) सु ११२१ नवति (नवति) सू २१३ नबम (नवम) ५ १०११४।१,२ उ १ २२ नयरं (दे०) प २।४०,४४,६२,५१४२,४३,४६, ५०,५४,६४,८७,९८,१०२,१०५,१०८.११२, ११७,१२२,१३२.१४८,१५१,१६७,१७०, १७५,१७८,१७६,१८२,१८५,१८८,१६४, १६८,२०४,२०,२०८,२१३,२१५.२१६, २१६,२२२,२२५,२३५,२४०,२४३, ६।४६, ५६,७४ से ७८.८०,८१,८३,८४,८६,८६,६२, ६४,१००,१०७,१०८,११२,११८२,८३, १२॥३१, १३।१५,१५।६०,६२,६६,६७,१४३; १७.६६, ३६।६ सू११२२ उ १११४८,२१२०; ३१७,१३, ४१५५११३ नवविह (नवविध) प १७:१३६ नह (नख) उ ११३६,५५,५८,८०,८३,६६,११६ ११८,३।१०६,१३८,५१७ नाइ (ज्ञाति) उ ३.४२,११०,१११:४११६,१८ नाइय (नादित) ज ३७८,५।२२ नाग (ग) प २३०११,२१४०।१० ज ३११८५, २०६ नागकुमार (गकुमार) प १११३१,२।३५,४१४३ से ४५.५५,५८,६१८.६१ नागकुमारत्त (नागकुमारत्व) प ३६।२४ नागकुमारराय (नागकुमारराज) प २१३६ नागकुमारी (नागकुमारी) प ४१४६ से ४८ नागपव्यय (नागपर्वत) ज ४१२१२ नागमाल (नाममाल) ज २१८ नागलता (नारलता) प ११३६१ नाडइज्ज (नाटकीर) ज ३१७४ नाण (ज्ञान) प २१६४।१२।४३,८७,१०२,१०५, ११५ ज २१७१,८५,३।२२३:५।२१ उ ३।४४ नाणत्त (नानात्व) प २४० नाणा (नाना) ज ४।१३ नाणाविह (नानाविध) उ ५१५ नादित (नादित) ज ३।२०६ नाम (नामन्) ५१।१०११५, २१३०११,२१५८,६१; २३३१५१ ज ११४६,३।२४४।२६२ च ६,७, ८,१० सू ११ मे ३,५,६ उ १११ से ३,९ से १३,२८ से ३२,६५,१४४ से १४६, १४८; २।४ से ७.१६ से २०,२२, ३1४,६,१०,२१, २७.२८,४८,५०,५५,८६,६५ से १७,१३२, १५५,१५७,१५८,१७१,४७ से ६.२८; ५।२।१,४ से ७,६.११ से १३,२१,२४ से २६, ४०,४१ नामधिज्ज (नामधेय) प २१६४ नामधज्ज (नामधेय) ज ३।१३५.१ सू १०।८४ उ ११६३; २६।३।१२६ नामय (नामक) च ५२ सू १६२ नायव्य (ज्ञातव्य) ५११४८६.१६१०११४,१२ सूश२५:२।२ नारी (नारी) ज १६५ नालिएरी (नालि केरी) प ११४३१२,११४७११ नालियावद्ध (नालिकाबद्ध) प १४८१४१ नासा (नासा) ज ३१२११:५५८ निउण (पुण) प २१४१ ज ५७ निओय (नियोग) ज ३११७८ इनिंद (निन्द) निदंति उ ३.११६ निदिज्जमाण (निन्द्यमान) उ ३।११८ निबकरय (निम्बकरज) ११३५३ निकुरंब (निकुरम्ब) उ ३।४६ निक्कंकड (निष्कङ्कट) ज २३१ निक्कंकडछाया (निकट छाया) प २।३०,४६. निक्कंखिय (निष्कासित प १११०१।१४ निक्कठ (निकृष्ट) उ १११३८ Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निक्खंत - निमंच्छणा निक्खंत (निष्क्रान्त) उ ३११७०४।२८५।२७ निक्खम ( निर् + क्रम् ) निक्खमइ उ १ ११६ निक्खमण (निष्क्रमण ) ज ४।१७७ उ ३३१०६; ४११६ निक्खमाण (निष्क्रामत् ) सू १८१२, १११२.१४, १६,१८,१६,२१२४,२७; २।३६११ निक्खमित्ता (निष्क्रम्य ) उ १।११६ निक्खित्त ( निक्षिप्त) उ३।४८.५०,५५ निक्लेव (निक्षेप) उ १३१४८ निगम ( निगम ) प १७४ ज ३१६,७७,२२२ निगर ( निकर ) ज ३।१२,८८५५८ / निगिण्ह ( नि + ग्रह ) निभिष्हइ ज ३।२३,३७, ४४ निगिव्हित्ता ( निगृहय ) ज ३१२३ निगोद (नगद) प ३६१ से ६३,७० से ७४,८२, ८४ से ८७,६४,६५,१८३; १८४६ निगोय ( निगोद ) प ११४८।५६ से १८३२८७ निग्गंथ ( निर्ग्रन्थ) ज २१७२३३१३८, ४०, ४२, १०३,१३६ ; ४।१४; ५।२० निम्गंथी (निर्ग्रन्थी) ज ३।१०२, ११५, ११७,११८; ४१२२ ३ १०२, ११५, ११७,११८६४१२२ / निमाच्छ ( निर् + गम् ) विग्गच्छइ उ १११६; ३।१३:४११३५।१६ निम्गच्छित्ता (निर्गत्य ) उ १११६, ३३२६, ४ । १३ निग्गय ( निर्गत ) चं ६ सू १४ उ १२.१६, २०६६ ३१५,१२,२४,८६. १४७ १५५, १५६, ४१४, १० : ५१४, २६, २७, ३७,३८८ निग्घोस ( निर्घोष ) ज ३११२.७८ निघस ( निकष ) ज ११५ निचिय ( निचित) ज ५१५ निच्च (निस) २२४,२६,२७ निच्चच्छणय ( चित्यासक, वित्यक्षणक) उ५१५ निच्चालोय (लोक) सू २०१८/६ निच्चिट्ठ (निष्चेष्ट ) ११६०.६१ निच्छुकाम (निक्षेपकाम) उ११७३ ६५७ निच्छय ( निश्चय ) उ ३१११ निच्छुहाव ( नि ! क्षेपय् ) निच्छु वेड उ १।११७ निच्छुहाबिय (निक्षेपित ) उ १।११६ निच्छूद ( निक्षिप्त) उ १।११८ निज्जर (र्ज्)ि निज्जरंति प १४।१८ निज्जरि १४/१८ जिरिस्सति १४१८ निजरेंसु प १४।१८ निज्जरा (निर्जग ) प १४।१८११ निज्जाणसंठिया ( निर्याणसंस्थित) सु४|३ निज्जाणभूमि (निर्याणभूमि) ज ५४८ निज्जाणमा (निर्माणमार्ग ) ज ५।४४ उ ३३६१ निज्जत (निर्युक्त ) प २।३० निज्झर ( निर्भर) ज २४,१३१६ से १६,२८ निट्टियट्ठ (निष्टतार्थ ) प ३६६४ निष्ण ( निम्न ) ज ३२७७, १०६ नितंब ( नितम्ब ) ज ४१६४ नित्तेय ( निस्तेजस् ) उ ११३५ निदाया (दे० ) प ३५।१८,१६ निदाह ( निदाघ ) ज ७ ११४१२ निद्दा ( निद्रा ) प २३६१ निहाय माण ( निद्रायमान) उ३।१३० निद्ध (स्निग्ध ) प १४ से ६६५१५,७,१२६.२१४, २१८,२२१,२२६; १३/२२; १७/१३८ ज ३।१०६ निन्न ( निम्न ) उ ३३५५ निष्पंक ( निप्प ) प २३०, ३१,४६,५६,६३, ६४ ज ११३१ निष्पट्ट्पािगरण (निःस्पृष्टप्रश्नव्याकरण) उ ३२६ निप्पाण (निष्प्राण ) उ १२६०.११ V निष्कज्ज ( निर् + षद् ) निष्फज्जए ज ७ ११२/४ सू १०।१२२२४ निष्फज्जति प ९२६ निष्पन्न (निष्पन्न ) ज २११८ निष्काव (निष्पाव ) प १।४५।१ ज ३ । ११६ सेम / निर्भछ ( निर् + भत्सं ) निव्भच्छेइ उ ११५७ निच्छणा ( निर्भर्त्सना ) उ ११५७,८२ Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५८ निभ ( निभ ) ज ३|१०६ निमज्जग (निमज्जक) उ३१५० निमित्त ( निमित्त ) उ ११४१, ४३ निम्मंस ( निर्मास ) उ ११३५ निम्मम ( निर्मम ) प २१६४।१ निम्मल ( निर्मल ) प २१३१,४१,४६,५६.६३,६४ ज ७ १७८ नियम (निजक) ज २३६३ उ १११६,१३६, ३५०, ६८.११०,१११,१२८४११३,१६,१८ निलाड (लाट) उ १।२२, ११५, ११७,१४० निवइय ( निपतित ) ज ३।२५,३८,४६ / निवज्जाव ( ति | सादय्) निवज्जावेइ उ ११४६ निवज्जावेत्ता ( निपद्य ) उ १/४६ निवडिय ( निपतित ) उ ११२२, १४० निवड्ढेत्ता (निवर्ध्य ) ज ७१२७ नियत ( निकृत्त) उ १।२३,६१ नियत्थ (दे०निवसित) उ ३१५१, ५३, ५५,६३,६७, निवडढेमाण ( निवर्धयत् ) ज ७ २५,२७,३० ७०,७३ नियम (नियम) प ६।११६; १० ६,२१; ११ ५५ ; २११०३; २२१५० से ५२,६७६ २७ २ उ ३।३१ नियमसो ( नियमशस् ) प २१६४१११ नियमा ( नियमा) ज ७४८ नियल ( निगड ) उ ११६५,६६, ६८,७२,८८, ६२ निरंगण ( निरङ्गण ) प १११२५ निरंजण ( निरञ्जन ) ज २१६८ निरंतर ( निरन्तर ) प ६।४७ से ५८, १०६,११०; १०।३५ से ३६,४१ से ५३, ११।७०, २०११६, ४४,६०; २२ ११,२७,५३ ; ३६।२४ ज ५।५, ७ निरय ( निरय) प २१,१० ज २११३३ निरयगति ( निरयगति ) प ६ १,६ निभ- निव्विट्ट निरुवक्कमाज्य ( निरुपक्रमायुष्क ) प ६ । ११५, ११६ निरुवलेव ( निरुपलेप ) ज २१६८ निरुar ( निरुपहत) उ ३१३२ निरोदर ( निरुदर ) ज २०१५ उ १११४७ निरालंबण ( निरालम्बन) ज २२६८ निरालोय (निरालोक) उ ११२२,१४० निरावरण ( तिरावरण) ज ३१२२३ सू ११२० निवत्त (निवृत्त) उ १६३ निवयउप्पथ ( निपातोत्पात) ज ५५७ निवह (निवह) ज २२६५;३।६३,१५७,१६३ /निवार ( नि + वारय् ) निवारेंति उ ३।११७ निवारिज्जमाण (निवार्यमाण) उ३।११८ निवुत्ता ( निवर्ध्य ) सू १११४ निवुड्ढेत्ता (निवध्यं ) सू ६।१ निवुड्ढेमाण (निवर्धमान ) स १ १४,२१,२७,२/३; ६।१ निरयपत्थड (निरयप्रस्तर ) प २1१ निरावलिया ( निरयावलिका ) प २११,१० उ ११५ निव्वरुणया (निर्वर्तन ) प ३४११,२,३ से ८, १४२, १४३, १४८; २१; ५४५ निवेदण (निवेदन) ज २३० निवेस ( निवेश ) प १।७४ ज ३।१८,६१,६६, १३१,१३७ उ १।१३३,१३४ निवेसिय ( निवेशित) उ ३६८ निव्वत्त (निर्वृत्त) प २२६७३१ ज ३११४,४३,१४६ निरयावास ( निरयावास ) प २।२५ निरवख ( निरवकाङक्ष ) ज २७० निरवयव ( निरवयव ) उ ३२७६ निवृत्ति (निर्वृत्ति) प ११४८५३ निरवसेस ( निरवशेष ) प ३४।२१ ज ४ १६०, २७७ निव्वाघाइय (निर्व्याघातिक ) ज ७ १८२ निवघातिम (निर्वाघातिन्, निर्व्याघातिम) निव्यत्तणा (निर्वर्तना) प १५१६०,६५ वित्तणाहिकरणिया (निर्वर्तनाधिकरणिकी) प२२।३ सू १८/२० निवाघाय ( निर्व्याघात) ज २१७ ज ३।२२३ निविट्ठ (निविष्ट) ज ३।३२ १,२२१ Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निविट्टकाइय-नोइंदियउवउत्त निविठकाइय (निविष्टकायिक) प १११२७ निविण्ण (निर्विण) उ ११५२,७७ निम्वितिगिच्छा (निविचिकित्सा) प११०१११४ निविसमाण (निविशमान) प ११२७ निव्वुइकर (निर्वृतिकर) ज ५१३८ निवडढ़ ( निर्धय) निबुड्ढेइ सू ६.१ नित्य (निर्वत) उ १।६१,६२,८६,८७ निवेड्ढ (निर्+ वेष्टय) निवेड्ढे इ सू २।२ निव्वेढेति सू २।२ निव्वेयण (निर्बेदन) 3 १६१,६२,८६,८७ निसंत (निशान्त) उ ३११३८ निसढ (निषध) ज ४१९४ उ ५।२६१,५।१३,२०, २२,२३,३१,३२,३४ से ४३ निसम्म (निशम्य) ज ३।६१ उ १२१:३११३; ४११४:५/३० निसामत्तए (निशमितुं) उ ३३१०२,१३४ निसास (निःश्वास) ज ३।२२१ उ ५६४३ निसीय ( निषद्) निसीयइ उ ११४१ निसीयित्ता (निषद्य) उ ११४१ निसीहिया (निषाधिका,नषेधिकी) उ ४॥२१ से २३ निसेग (निषेक) प २३।७४ निस्संकिय (नि:शंकित) प११०१।१४ निस्सग्ग (निसर्ग) प ११०१११ निस्सासविस (निःश्वासविष) ५ १७० निहाण (निधान) प १।११२ निहिरयण (निधि रत्न) ज ३।१६६ से १६८ इनीण (ती) नीणेइ उ ११६७ नीय (नीच) उ३११००,१३३ नीरय (नीरजस) प १४१,४६,५६,६३,६४ नील (नील) प ११४ से ६; ५।२०५:१११५३; २८।२० ज ४२६ नीलपत्त (नीलपत्र) प ११५१ नीलमत्तिया (नीलमत्तिका) प १११६ नोललेस्स (नीललेश्य) प १७१६४ नोललेस्सा (नीललेश्या) प १७३७ नीलवंत (नीलवत्) ज ४११४२।३,१७८,१८०,२०७ २२७ नीलासोय (नीलाशोक) १७।१२४ नोली (नीली) प ११३७।१ नील नीव (नीप) ज ५।२१ इनीसस (निरन श्वस्) नीससंति प ७१ से ४, १ से ३०; १७१२५ नीसा (निश्रा) ज २।१३३ नीसास (नि:श्वास) प ११४८८५३ ज २१४१; ५८ नीहरण (निर्हरण) उ १६२ नूणं (नूनम् ) उ ३।३८ ने उर (नुपूर) ज ११२६ नेमि (नेमि) ज ३।३५ नेयत्व (नेतन्य) प २।४७१३, ३६.२७ ज ४।७५ सू २।२४।२ उ ११४८, २।२२,५१४५ नेरइय (नरयिक) प ११५२,५३,२।२० से २७; ३।१० से २३ ३८,३६,१२६,१८३,४।१,.. से २४,५२३ से ५,८,२२,२७ से ३४,३६,३७, ४०,४१,४४,४५,६।१० से १६,४५,४६.५१, ५८,६०,६५,६८,७०,७३ से ७८,८०८:, ८७,८८,६० से ६३,६६,६६,१०१ से १०३, १०५,१०६,११०,११४,११७,११६,१२१ ७१,८१२,४,५,६२,१४,२१,२४,१०१ : ५१; १११४०,४१,१५१६०,६१,८८; ११::: १७१६,१०१,१८१२,२०१६३;२०१३ २८।१०६,३६१२२ उ १।२६,१४० नेरइयअसपिणआउय (नरयिकासंज्ञयानक प २०१६४ नेरइयत्त (नरयिकत्व) उ ११२६,२७,१० नेवत्थ (नेपथ्य) ज ३३१७८ नेसप्प (नंसर्प) ज ३।१६७१ नेह (स्नेह) उ ११७२,७३,८७,८८.६२ नो (नो) पश२ सू १११८ उ १।१५८ ४१२२ नोइंदियउवउत्त (नोइन्द्रियोपयुक्त) ५ ३।१७० Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नोइंदियजवणिज्ज-पउस. नोइंदियजवणिज्ज (नाइन्द्रिययापनीय)3३।३२, ३०,६०,६४,८४,१५४,१५५,२६६,२७२; ५।५५ ५६७।१७८ उ२१२,६ से १३ नोजुग (नोयुग) सू १२१७ पउम (कंद) (पद्मकन्द) ५११४८।४२ नोपज्जत्तगनोअपज्जत्लग (नोप निकनोअपर्याप्तक) पउमंग (पद्गाङ्ग) जरा४ प३।११० पउमगुम्म (पद्मगुल्म) उ २१२११ नोपज्जत्तनोअपज्जत (नाप प्तिनो पर्याप्त) पउमद्दह (पद्मद्रह) ज ४।३,४,६,२२,२३.३७, प३१११० ३८,६४.८६,१४१,५४५५ नोपरिर नोअपरित (नोपरीतनो अपरीत) प३।१०६ पउमपरा (पद्मपत्र) ज ५१३२ नोभवसिद्धियोअभवसिद्रिय यमप्पभा (पत्रमा) ज ४।१५४,१५५।१,२२१ (नोम सिद्धिकनोभवमिडिक) प ३।११३ पउमभद्द (पद्मभद्र) २२.१ नोसंजतनोअसंजतनोसंजतासंजत पउमलता (पद्मलता) प ११३६१ (नोनयननो संयतनो दामन) प३।१०५ पउमलया (पदमलता) ज १३७,२।११,१०१; ४।०७।२८,३२३४;७।१७८ नोसंजयनोअसंजयनोसंजतासंजत पउमबरोइया (पद् गवरवेदिका) ज ११० से १२, (ोतं तनातनोगयतागयत) प ३३१०५ १४,२३,२५,२८,३२,३५,५१:४३१,३,२५,३१, नोसणि नोअसष्णि (नोगंज्ञिनोसंजिन) प ३१११२ २६,४३,४५,५७,६२,६८,७२,७६.७८,८६, नोसुहुमनोबादर (नोसूक्ष्मनोबादर) ५ ३।१११ ६५,१०३,११०,११८,१४१,१४३,१४८,१४६, १७८,१८३,२००,२०१,२१३,२१५,२३४,२४० पइठ्ठ (प्रतिष्ठ) ज ७/११४।१ से २४२ पइट्ठा (प्रतिष्ठा) ज ५१२१ पउमसेण (पद्मसेन) उ २।२।१ पइट्ठाण (तिष्ठान) ज ३।१६७।११,३।२०६, पउमा (पद्मा) प ११४८४ ज ४११५५११,२२१ २१०।४।२६:५१५६ पउमहत्थगय (हस्नगतपद्म) ज३।१० पइति ( : तिष्ठित) प २६४१२ पउमावई (पदमावती) ज ५।१०११उ ११११, पइट्टिय (अतिटित) १२१६४।३ ; १४१८।१ १६ से १.२,१४४२।४,७ से १,१६:५।२५ पइण्ण (कीर्ण ) ज ३।१२० पउमुत्तर (पदमोत्तर) प १७।१३५ ज ४१२२५॥१, पइण्णग (प्रकीर्णक) प १११०१।८ पिउंज ( गुज) पउंजइज २१६०,६३,३१५६, १४५५॥२१,५८ पउंज ति ज २११८३।११३; पउनुपलपिधाण (पद्मोत्पल पिधान) ज ३।२०६ १८५,२०६३ पउय (प्रयुत)ज २१४ पउंजमाण (प्रमुजान) ज ३।१७८ पउयंग (प्रताङ्ग) ज २१४ पउंजिता (प्रयुज्य) ज २०१० पउर (प्रचुर) ज २३१३१,३११०३ उ ५५ पउट्ठ (कोष्ठ) ज ७११५८ पउरजंघा (प्रचुरजंघा) ज २१५३,१६२ पउम (पद्म) प ११४६,११४८१४१,४४,६२, पउरजण (पौरजन) ज २१६५ २।४६११।२५ ज ११५१,२१४,१५,१६,३१३, पउल (दे०) प ११४८।६ १०,१०६:२०६;४१६,७,१४,१५,१७ से २२, पउस (पओम) पर Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पउसीया-पंचवीस ९६१ पउसिया (बकुसिका) ज ३।११०१ पंचगुमितल (पंचांगुलितल) ज ३१५६ पएस (प्रदेश) प १४,११४८१५८,५९२१६४, पंचोलिया (पञ्चाङ्गुलिका) प १४०।१ २०६४।११:३।१८०।५।१३२,१३६ से १४५, पंचगि ((गच्चाग्नि) उ ३०५० १६०,१६१,१७६ १६५,२१४,२१६:१०१२ से पंदण उय (पञ्चनवति) ज ४।११८ १,१८ से २४,२६ से ३०,१११५०; १५।१११; पंचतीत (पञ्चविंशत् ) सू १३१२५ १५॥१२,२५,५४ ; १५११४१ ; २०१।१; पंचपएसिय (पञ्चप्रदेशिक) प १०१० २२१५६,३६८२ ज २१५:३।११७,५१३८%, पंचम (पञ्चमी पंचम (पञ्चय) प ३।१६,१८३,६८०१; ६६१,३,७१७८ १०११४।३;१२१३२:१७१६५; २२१४१,४२, पएसठ्ठया (प्रदेशार्थ) प ३।१२२,१८०,५१२४, ३३११८:३६१८५,८७ ज १८८,४११०६; २८,६८,७८,८६,११५,१३६,१३८,१४०,१४३, ७।१०१ से ११०,१३११ सू१०७७.१२७; १४७,१५०,१५४,१६३,१६६,१६३,१६७ ६३३१११२,६,१२१६,१३१० उ २।२२, २००,२१४,२१८,२२१,२३०,२४२:१०॥३,२७ 1७४,७६,१५४,१६६,१६७,५११,३,४५ से २६:१५॥१३,२६,३१,१७१४४ से १४६, पंचमी (पटनमी) ज ३१२४१४ १२:४५२,११८, २११०४ उ ३१४४ १२५,१२११४ सु १०।६०; १२१२८ पओग (प्रयोग) प ११११५,१६११ से १८ पंचमठिय (परमप्टिक) ज ३।२२४ उ ३।११३ __ ज ३।१०३,११५,१२४,१२५ पंचय (पञ्चक) प २३।२६,२७,६१ पओगगति (प्रयोगगति) प १६।१७ से २१ । पंचराइय (पञ्चरात्रिक) ज २७० पओगि (प्रयोगिन् ) १६१० से १५ पंचलइया (चलतिकर) ज ३१८८ पओय (प्रयोग) उ ३।१०१ पंचम (चवर्ण) ज १।१३,२१,२६,३३,३७, पंक (पङ्क) प १६।५.४ ३६,२७,५७,१२२,१२७,१४७,१५०,१५.६, पंकगति (पङ्कगति) प १६१३८,५४ १६४:३१,७,२६,३६,४७,५६,६४,७२,८८, पंकरपभा (पङ्कप्रभा) प १५३,२१,२०,२४; ११३,१३३,१३८,१४५,१६२,४१६३,११४; ३.१४,२०,२१,१८३:४११३ से १५६१३, ५१३२,४३ सू २०१२ ७६,७७,१०११;२०१६,१०,४०,२१६७:३३१६, if पंच पिणय (पंचणिक) ज ३।११७ काज १६ उ ११२६,२७,१४० पंचध (पञ्चविध) सू २०१७ पंकबहुत (पङ्कवहुल) ज २११३२ पंचविह (पञ्चविध) प १४,१४,१५,५५,५८,६६, पंकय (पङ्कज) ज ३।३५ १२४,१३३,१३८,१११७३;१३१४,६,१२,२४ पंकावई (पावती) ज४।१९३ से १६६ से २६,२८; १५॥१८ से ६०,६२,६३,६.५ से पंकावती (पावती) ज ४१६५ ६७; १६।५,१७,२५,२७,२११२,३,५५,७५,७६, पंच (पञ्नन्) प ११७४१९ च ३।३ सू १० १४:२३।१७,२३,२५,२७,४०,४१,४३,४४,४६, उ १२ ५६३४।१७,१८ ज २२१४५:३१८२,१८७, पंच (पंचम) प १०१४।४ से ६ २१८,७।१०५,१११,११२ सू १०।१२७ से पंचक (पञ्चक) प २३।१.४ १२६:१६।२२।२१ उ ३३१५,८४,१२१,१६२ः पंचग (पञ्चक) प २३११५५,१३७,१८० ४१२४:५१२५ ज७१३१२ पंचवीस (पञ्चविंशति) सू ११२१ Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ε६२ पंचसय ( पञ्चशतिक) ज ४११६२, १६८, २०४, २१०,२३७,२६३,२६६, २७५ पंचस्तर (पञ्चसप्तति ) सू १९।२२।३२ पंचसत्तर ( पञ्जसप्तति ) सू १८२४ पंचाणुत्वइय ( पञ्चानुव्रतिक) उ ३७६ पंचाल (पाञ्चाल ) प ११६३३२ पंचावण्ण (दे० पञ्चपञ्चाशत् ) ज ७१८१, ८४ पंचासी (पञ्चाशीति ) ज ७१२५ पंचासीत ( पञ्चाशीति) सू १३११ पंचासीति ( पञ्चाशीति ) सू २३ पंचिदिय (पञ्चेन्द्रिय) प ११५२,५४,५५,६६, १३८ २३१६, २८, ३११५३ से १५५.१८३ ४।१०५;५।३;६।१०७;१२।५; १३ १४; १५१३५; १७।२३, २०१३४, ३५; २११४३, ७०; २२१३१; २३।१६५ ज ३।१६७/५ पंचिदियरयण (पञ्चेन्द्रियरत्न ) ज ३१२२०; ७१२०३, २०४ पंचेंद्रिय (पञ्चेन्द्रिय) प १।१४,६० से ६२,६६ से ६८,७६,७७,८१; ३।२४,४० से ४२,४८,४६, १८३४।१०४,१०६ से १५७, ५२२, ८२, ८३, ८५,८६,८८,८६,६२,६३,६६,६७६२१,२२, ५४,६५,७१,७८,८३,८७,८६, १२, १००, १०२, १०५, १०७, ११६; ६६,७,१६,१७,२२,२३, ११।४६; १२।३१; १३०१८,१६,१५११७,४६, ८७,६७, १०२, १०३, १०६,१२१,१३८, १६२७, १४,२७,१७।३३,३५,४१ से ४३,६३ से ६८, ८६,६७,१०४, १८११६,१८,२४; १६४; २०११३,१७,२३,२५,२६,३४,४८,२११२,७ से १६,१६,२०,२६ से ३२,३६,४६, ५१ से ५५, ५८ से ६२,६५,६८,६६,७१,७७,८२,८८,६४, २२/७४, ८७, ६६, २३१४०, ८६, १५०, १६७, १७१,१७६, १७७, १९६, १९६ से २०१; २४७; २८।४७,४८,६८,११६,१३०, १३६, १३७, १४२,१४४; २६।१५,२२:३११४३२१३,३३११, १२,२१,२८,३२,३६,३४१३,८,३५११४, २१: पंचसइय-पक्कणी ३६७,४०,५१,५७,७२,७३, ६२ पंजर ( पञ्जर ) प २।४८ ज ३१११७४|४ पंजलिउड (प्राञ्जलिपुट) ज ३।१२५, १२६; ५/५७ उ १११६ पंजलियड (प्राञ्जलिपुट ) ज १३६ : २६० ३।२०५, २०६५।५८ पंडग (पण्डक) उ ३१३६ पंडगवण (पण्डकवन ) प २१८७३।२०८; ४२१४,२४१,२४२, २४४, २४५, २४६,२५१, २५२,५१४७,५५ पंडर (पाण्डुर ) प २३१४०१८ पंडिय (पण्डित) ज ३१३२ पंडुकंबलसिला ( पाण्डुकम्बल शिला) ज ४१२४४, २४६ पंडुमत्तिया (पाण्डुमुत्तिका) व ११६ पंडु (पाण्डुक) ज ३।१६७३ पंडुयय ( पाण्डुक ) ज ३।१६७|१,१७८ पंडुर ( पाण्डुर ) ज ३ | ११७,१८८ पंडुरोग ( पाण्डुरोग) ज २१४३ पंडुलइयमही ( पाण्डुरकित मुखी) उ ११३५ पंडुसिला (पाण्डुशिला ) ज ४।२४४ से २४७ पंति (पङ्क्ति) ज २२६५;३।२०४;४।११६ सू १६१२२७, ८, ६ पंतिया (पङ्क्तिका) उ ३१११४ पं (पांशु, पांसु) ज २११३३;३।१०६ सुकीलियय ( प्रांशुक्रीडितक ) उ३१३८ ( पकड्ढ ( प्र + कृष् ) पकड्ढइ ज ५१४६ पकड्ढिज्जमाण ( प्रकृष्यमाण) ज५।४४ / पकर ( प्र + कृ ) पक रेंति प ६ । ११४ से ११६; २०१६ से १३ ज ७५६ सू १६ २४ पकरेति प २०१६३ पकरेमाण ( प्रकुर्वत् ) प ६।१२३, २०१६३ पक्क (पक्व ) प १६।५५ पक्कणिय (दे० ) प ११८६ पक्कणी (दे० ) ज ३१११ २ Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्कमंत-पच्चत्थिम पक्कमंत (प्रकामत् ) ज ३।१०६ पगास ( प्रकाश) पगासइ ज ४१६१,२७३, पक्किमृगसंठाणसंठित (पक्वेष्टकसंस्थानसंस्थित) ७.१७८ पगासेति मू ३.१ पगासेति सू ३१२ सू १६.२६ पगिझिय (प्रगृह्य) उ ३।४२ पक्किट्टगसंठाणसंठिय (पक्वेष्टकसंस्थानसंस्थित) पगिण्ह (प्र+गह ) पगिण्हइ ज ३।२०,३३,५४, ज ७:५८ ६३,७१,८४,१३१,१३७,१४३,१६६,१८२ पक्कोलिय (प्रकीडित) ज ३११,१२,२८,४१,४६, पगिण्हं ति ज ३।१११ ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ पगिरिहत्ता (प्रगृह्य) ज ३।२० पक्ख (पक्ष) प ७२,७ से ३० ज २०४,६४,६६, पग्गहेत्तु (प्रगृह्य) ज ३।१२,८८,५१५८ ८८,७११५,११६,११८,११६,१२६,१२७ पघसिय (प्रर्षित) ज ३१३५ सू६।१८।१:१०८५,२७,६०,६१ पच्चक्ख (प्रत्यक्ष) ज ३११,२४१३,३७११,४५११, पक्खच्छाया (पक्षच्छाया) सू ६।४ १३११३ उ ५४४ पिक्खल (प्र+स्खल) पक्खलेज्ज उ ३।५५ पच्चक्खयाविणीय (प्रत्यक्षविनीत) ज ३१०६ पक्खि (पक्षिन) ५६१८०।१११४, २११४७।१ पच्चक्खवयण (प्रत्यक्षवचन) प ११८६ . ज २११३१ सू २०१२ पच्चक्खाण (प्रत्याख्यान) ५ २०१७,१८,३४ पक्खित्त (प्रक्षिप्त) प १२।३२ उ १५६० पच्चक्खाणावरण (प्रत्याख्यानावरण) प १४७; पविखप्प (प्रक्षिप) पक्खिप्पई ज ३११८ पिक्खिव (प्र+क्षिप) पक्खिवइ उ ११४६३३५१ २३।३५ पच्चक्खाणी (प्रत्याख्यानिनी) प १११३७।१ पक्खिवंति ज २।१२०५।१६ पक्खिवेज्जाहि पच्चणुभवमाण (प्रत्यनुभवत्) प २१२० से २७ सू २०१६।३ पक्खिवित्ता (प्रक्षिप्य) ज २।१२० उ ११६१; पच्चणुभवमाण (प्रत्यनुभवत्) ज १:१३,३०,३६; ३१४१ ३।१२६,४।२ सू२०१७ उ ११११,९८,६९; पक्खिविराली (पक्षिविराली) प ११७८ ३१११४,११५,११६ पक्खुभिय (प्रक्षुभित) ज ३।२२,३६,७८,६३,६६, पच्चत्थाभिमुहि (पश्चिमाभिमुखिन्) ज ४।४२,७७, १०६,१६३,१८० २६२ पक्खेवाहार (प्रक्षेपाहार) प २८१४०,६६,१०२,१०३ पच्चस्थिम (पाश्चात्य) प ३.१ से ३७,१७६ १७८, पक्खेवाहारत्त (प्रक्षेपाहारत्व) प २८१४०,६६ ज १११६,१८,२०,२३,२४,३५,४१,४६,४८, पक्खोलणय (प्रस्खलत्) उ ३।१३० ५१,३१,४४,६८,६६,६७,१२८,४।१,१६, पगइ (प्रकृति) ज २११६,३१३,११७,७।१८० २६,३७,४२,४५,४८,५५,५७,६२,७७,८१,८४, उ ५१४०,४१ ८६,६४,६८,१०३,१०८,१२६,१३५,१४३, पगइभद्द (प्रकृतिभद्र) ज ११४१:२।३६,४१ १५१०२,१६२,१६७,१६६,१७२ से १७८,१८१, पगडि (प्रकृति) प २३३१०१ १८२,१८४,१८५,१६०,१६१,१६३,१६४, पगय (प्रगत) उ ५२।१ १६६.१६७,१९८,२०० से २०३,२०५,२०६, पगरेमाण (प्रकुर्वत्) प ६११२३ २०८,२०६,२१३,२१५,२२६,२३२,२३८, पगार (प्रकार) ज ३१८१ २५१,२६२,२६५,२६६,२७१,२७२,२७४, पगास (प्रकाश) पश३१ ज २१५,३१३५.११७, ५।१०,३६, ६.१६ से २४,२६,७।१७८ १८८,४११२५,५१६२७१७८ उ ५१६ सू २।१८।१:१३३३२,१४,१६,१८११४; Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૬૪ २०१२ ३३५४ पच्चत्थिम लवणसमुह (पाश्वात्यलवणसमुद्र ) ज ४।२६८, २७७ पच्चरिथमिल्ल ( पाश्चात्य ) प १६०३४ ज ११२०, २३,४८२।११६,३२४७,७६, ६५, १४६. १५०, १५६,१६१,१६४; ४१३७,५५,६२,८१,८६.६८, १०८,१७२,२१२,२१३,२३०.२३१,२३८; ७१७८ २ ११०११४२ १३ १४,१६ पच्चत्य ( प्रत्यवस्तृत) ज ३१११७ / पच्चष्पिण ( प्रति + अर्पय् ) पच्चलिइ ज ३।३२,१७१ ५।७१ पच्चष्पिणंति ज ३८, १३,१६,२६,४२,५०,५६,६७, ७५, १४८, १६६, १७४,१७६,१६८,२००, २१३,५१७०, ७३ पच्चपिणति ज ३।१६,५३,६२,७०,१४२, १६५,१८१ ५५ पच्चपिणह ज २१०५ ; ३७,१२,१५,४१,४६,५८,६६,७४, १३०, १४७, १६८, १७३, १७५. १६१, १६६,२१२; १५१६६ ७२ उ १।१७, ४११६,५११८ मच्च पिणामि उ १११०६ पच्चपिणामो उ १११२७ पच्चपिणाहि ज ३११८,३१,४२,६१.६९,७६, ८३,६८,१२८,१४१,१५१,१५४, १६४, १७०, १८०५/२८, ६८ उ १।११५ पच्चपिणिज्जद उ ११२८ पच्चपिज्जा प ३६६१ ६४ पच्चय (प्रत्यय) ज ३११०६ पच्चामित (प्रत्यमित्र ) ज २२८ पचाया ( प्रति + आन जन्) पच्चाति पञ्चायति ज २६४ पच्चाबाहिर उ ५१४३ पच्चयात ( प्रत्याजात) ज २।१३३ पच्चावड ( प्रत्यावर्त) ज ५। ३२ पच्चावरह (प्रत्यपराण्ह) उ ३१५६,६४,६८,७१, ७४, ७६ पच्चट्ठित्तर (प्रत्युत्थातुम् ) उ३१५५ पण ( प्रति + उत् णम् ) पच्चण्णभइ ज ५१२१,५८ पण मत्ता (प्रत्युन्नम्य ) ५१२१ पच्चत्थिम लवणसमुद्द- पच्छिमदारिया / पच्चुत्तर ( प्रति + उत् + तु ) पच्चुत्तरई ज २३२८, ४१,४६ उ ३।५१ पच्चुतरिता ( प्रत्युत्तीयं ) ज ३२८ उ ३१५१ परचुप्पण्ण (प्रत्युत्पन्न ) ज २६० ३।२६,३६,४७, ५६,१३३,१३८, १४५, ५१३, २२ पच्चुवसम (प्रति 1 उप - धम्) पच्चुवसमंति ज ५६७ पच्चुवसमित्ता (प्रत्युपशम्य ) ज ५७ / पच्चुवेक्ख ( प्रति + उप :- ईक्ष ) पच्चुवेक्खइ ज ३११८७ पच्चुवेक्खित्ता (प्रत्युप्रेक्ष्य ) ज ३।१८७ पच्चोयड (दे० ) ज ४३,२५ पच्चभित्ता (प्रत्यवरुह्य ) ज ४११३ ( पच्चोव्ह (प्रति अब 1 रुह ) पच्चोरुहइ ज ३१६,२०,३३,५४,६३,७१, १४३, १५१,१६६, १८२,१८६,२०४,२१४५।२१,४४ उ १११६, ३१५१ पच्चरुति ३१२१५५, १५,४५ पच्चरुहृतिज ३२८, ४१ पच्चीरुहेइ ज ३ । १११६४।१८ पहिला (प्रत्यवरुह्य ) ज २२६५ उ १११६, ३१५१,४।१५ /पन्चोक ( प्रति - अब व्यक) पच्चोसक्कइ उ ३११२,८८,१५५ पच्चीसक्कति मु २०१२ पच्चीस विकत्था ज ३१६१, १०२, १५६, १६२ पच्चीस विकता ( प्रत्यवकप्क्य ) ज ३।१२ भाग (पश्चाद्भाग) सू १०४, ५ पच्छा (पश्चात् ) प ३४११,२३६८५८सू १०१५ उ ३१७,५१,५३,५४,६१,१०७,११८,१३६; ४।२१ पच्छाकड (पश्चात्कृत ) सू८ । १ पच्छिम (पश्चिम) ज २२५५, ५७ से ५६,६४,१२६, १५५,१५६, ३११३५।१ परमकं भाओवगता ( पश्चिम कण्ठभागोपगता ) सू २२४ पच्छिमदारिया ( पश्चिमद्वारिका ) सू १०११३१ Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पच्छिमग-बज्जुवट्ठिय पच्छिमग (पश्चिमक) प १७७० १३६,१४२,१४५,१४८,१५१,१५४,१५७, पच्छिमड्ड (पश्चिमाध) प १६।३० १६०,१६४,१६७,१७०,१७३,१७६,१७६, पच्छिमद्ध (पश्चिमार्ध) प १६।३०,१७११६५ १८२,१८५,१८८,१६१,१६४,१६७,२००, पिच्छोल (प्र+क्षालय) पछोलेंति ज ५१५७ २०३,२०६,२०६,२१२,२१५,२१८,२२१,२२४, पच्छोववण्णग (पश्चादुपपन्नक) प १७१४,६,१६,१७ २२७,२३०,२३३,२३६,६७१,७२,७६,८३, पजंपिय (प्रजल्पित) उ ३।६८ ६७,६८,१०२,१११३१ से ३४,१८१६ से १२, पज्जत्त (पर्याप्त) प १४१७,२२.३१,४८१६०, १६ से २४,३१ से ३६,४०,४६ से ५१,५३. ११४६ से ५१,६०,६६,७५,७६,८१२।१६ से ५४,११३,२११४०,४२,४४,४५,२३११६६, ३६,४१ से ४३,४८ से ६३; ३१११२,४३ से १६६ से २०१२८११४२,३६।१२ ४६,५३ से ६०,६४ से ७१.७५ से ८४,८८ पज्जत्ति (पर्याप्ति) प २८४,२३।१९५,१६६, से ६५,११०,१७४,४१५५,७८,८७,६०,६१, १६६ से २०१२८११०६।१,२८।१४२ ६४,६७,१००,२३६,२४२,२४५,२४८,२५१, उ ३.१५,८४,१२१,१६२,४।२४ ।। २५४,२५७,२६०.२६३,२६६,२६६,२७२, पज्जव (पर्यव) १३।१२४,५११ से ७,६ से २०, २७५,२७८,२८१,२८४,२८७,२६०,२६३, २३,२४,२७ से ३४,३६ से ३८,४० से ४२, २६६,२६६।६।६८,१८११२२११६,१६,१८, ४४,४५,४८,४६,५२,५३,५५,५६,५८,५६, २३ से ३४,३६,४०,४१,४४,४८,५०,५३,५५; ६२,६३,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७७,७८, २३।१६३,१६५ ८२,८३,८५,८८,८६,६२,६३,६६,६७,१०० पज्जत्तग (पर्याप्तक) प ११२०,२३,२५,२६,२८, से १०७,११० से ११२,११४,११५,११८, २६,४८ मे ५१,५३,१३१ से १३३,१३५, ११६,१२८ से १३०,१३३ १३७ से १३६, १३७,१३८,२१ से १६, ३४२ से ४६,५२ से . १४४,१४६,१४६,१५०,१५४,१५६,१६३, ६०,६३ से ७१,७४ से ८४,८७ से ८६,६१,६२, १६०,१६३,१६७,२००,२०३,२०५,२०७, ६४,६५.११०,१४३,१४६,१८३; ६७१,७२, २११,२१४,२१८,२२१,२२४,२२८,२३० से ८३,६७.१०२,११३,१११३६,४१:१५।४९; २३२,२३७,२३६.२४१,२४२,२४४,१०१५ २११५,१०,१३,२०,४१,५२ से ५५,७२; ज २।५१,५४,७१,१२१,१२६,१३०,१३८, ३४।१२; ३६१६२ १४०,१४६,१५४,१६०,१६३,७१२०६ पज्जत्तगणाम (पर्याप्तकनामन ) प २३१३८,१२० उ ३।४७ पज्जत्तभाव (पर्याप्तभाव) उ ३।१५,८४,१२१, पज्जवसाण (पर्यवसान) प ११४६६,६७,१४११८; १६२,४१२४ २८.१६,१७,६२,६३,३६.२० ज २१६४,५२५६; पज्जत्तय (पर्याप्तक) प ३७४,८७,८६,६०,६२, ७।२३,२५,२८,३०,४५ सू २१४,१६,१७, ६३,६५,१४६,१५२,१५५,१५८,१६१,१६४, २१,२४,२७,२।३,६।११०।१,१११२ से ६ १६७.१७०,१७३,१७४,१८३,४।३,६,६,१२, उ ३१४० १५,१:-,२१,२४,२७,३०,३३,३६,३६,४२, पज्जवसित (पर्यवसित) सू १११२ से ६ ४५,४८,५१,५४,५८,६१,६४,६७,६८,७१,७४, पज्जवसिय (पर्यवसित) प ११:३० ७५.८१,८४,१०३,१०६,१०६,११२,११५, पज्जुण्ण (प्रद्युम्न) प ५१० ११८,१२१,१२४,१२७,१३०,१३३,१३६, पज्जुवट्ठिय (प्रत्युपस्थित) ५ १६।५२ Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पज्जुवास-पडिणिक्खम पिज्जुवास (परि+उप+आस्) पज्जुवासइ ५७ ज ३१३५,१०८ से १११,१७६४|४९%3 ज २१६०,६३,५१४८,५०,५८,६५ उ १११६; ५।४३,७१३३१२,१८४ उ ११२२,१४० ३३१३:४:१३:५११६ पज्जुवासंति ज ३।२०५, पडागाइपडागा (पताकातिपताका) ज ३१७,१८४; २०६:५४६ उ ५।३६ पज्जुवासामि उ १११७ ४१३० पज्जुवासिज्जा उ ५१३६ पज्जुवासीहामि पडागातिपडागा (पताकातिपताका) १३५६ उ ३।२६ पज्जुवासेज्ज ज २१६७ पडिसुया (प्रतिश्रुत्) ज २१६५ पज्जुवासणया (पर्युपासन) उ १।१७ पिडिकल्प (प्रति+कृप) पडिकप्पेइ ज ३११५, २१,३३ पडिकप्पेह ज ३।२१,३४,७७,६१, पज्जुवासणिज्ज (पर्युपासनीय) ज ७:१८५ सू १८।२३ १७३,१७५,१६६उ १११२३ पष्टिकंत (प्रतिक्रान्त) उ २११२३३१५०,१६१; पज्जुवासमाण (पर्युपासीन) ज १६ चं १० ५।२८,३६,४१ उ ११४,५२२ पिडिक्कम (प्रति+क्रम्) पडिक्कमेहि उ ३३११५ पज्झंझमाण (प्रमझमान) ज ५१३८ पडिगय (प्रतिगत) ज १४;३।१२५:५७४ च ६ पट्ट (पट्ट) ज ३१२४,३५,७७,१०७,११७,१२४; सू ११४ उ ११२,२४;३।७,२१,२५,४५,६२, ___४।१३ सू २०१७ उ १११३८ ६६,६६,७२,८१,१४३,१५६:४१५५१२० पट्टगार (पट्टकार) प १६७ पडिचर (प्रति+चर्) पडिचरइ सू १११८ पट्टण (पत्तन) प ११७४ ज २१२२,१३१, ३।१८, पडिचरंति सू १११८ पडिचरति सू१३।१२ ३१,३२,८१.१६७४२,१८०,१५५,२०६,२२१ । पिडिच्छ (प्रति--इष्) पडिच्छइ ज ३१४०,४८, उ३।१०१ ५७,६५,७३,१३४,१३६,१४६,१५१,१५२ पट्टणपति (पत्तनपति) ज ३१८१ पडिच्छति ज ५११५ पडिच्छंतु ज ३१२६,३६, पट्टिया (पट्टिका) ज ३७७,१०७,१२४ उ ११३८ । ४७,५६,६४,७२,१३३,१३८,१४५ उ ३१११२, पट्ठ (पृष्ट) ज २११५;३।१०६।११७ उ ११९७ ४१६ पडिच्छाहि ज ३७६,१२८,१५१ पछविय (प्रस्थापित) प २०३६ पडिच्छण्ण (प्रतिच्छन्न) ज २१८,६,१३ पछित (प्रस्थित) प १६:५२ पडिच्छमाण (प्रतीच्छत्) ज २।६५,३।१८,३१, पठिय (प्रस्थित) प १६५२ १८०,१८६,२०४ पड (पट) ज ३।६,८१,१२५,१२६,२२२ पडिच्छायण (प्रतिच्छादन) ज ४।१३ सू २०१७ पिड (पत्) पडइ उ ११५१ पडिच्छित्ता (प्रतीष्य) ज ३७६ उ १३३ पडमंडव (पटमण्डप) ज ३१८१ पडिच्छिय (प्रतीष्ट) उ ३११३८ पडल (पटल) ज २६१३१, ३३११,४१३,२५ पडिजागरमाण (प्रति जाग्रत् ) ज ३१२०,३३,८४, पडलग (पटलक) ज ५।५५ १८२,१६० उ११६५१०५ पडलहत्थग (पटलहस्तक) ज ३।११ पडसाडय (पटशाटक) ज २६६ पडिण (प्रतीचीन) सू १११६ पडह (पटह) ३३.२२ ज३।१२,७८,१८०,२०६ पडिणिकास (प्रति निकाश) ज ३२९५,१५६ पडाग (पताका) परा४१,४८ ज ११३७ २०१५, पिडिणिक्खम (प्रति+निर्+क्रम) पडिरिएक्समाइ ३१३,३१ ज ३१५,१२,१४,१७,२१,२८,३०,३४,४१,४३, पडागसंठिय (पताकासंस्थित) सू १०१४२ ४६,५१,५८,६०,६६,६८,७४,७७,८४,८५, पडागा (पताका) प ११५६,७१,१५१२६२१०२६, १३६,१३६,१४०,१४७,१४६,१६८,१७२, Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडिणिक्खमित्ता-पडिवज्जितए १७७,१८७,१८८, १६६,२१४,२१८, २१६, २२२, २२४५।२३ पडिणिक्खमंति ज ३२८, १५३५१७३ पडिणिक्खमेंति ज ३|१३ पडिणिक्खमित्ता (प्रतिनिष्क्रम्य ) ज ३।५ पडिणिक्खमेत्ता (प्रतिनिष्क्रम्य ) ज ३११३ पडिणियत (प्रतिनियत) ज ३१५१ पडिणिड (प्रतिनिवृत ) ज २२६६ परिणीय ( प्रत्यनीक) ज २२८२०१६१२ पडिदिसि (प्रतिदिश्) सू २०/२ पsिदुवार (प्रतिद्वार ) प २१३०, ३१, ४१ ज ३१७, १८३ डिनिक्खम ( प्रति + निर् + क्रम् ) पडिनिक्खमइ उ १।४२; ३१४६४।१२ पडिनिक्खमंति उ १४५;३।१४५ पडिनिक्खमति उ ३।२६ पडिनिक्खमह उ १।१२१ पक्खिमिता (प्रतिनिष्क्रम्य ) उ ११४२ : ३१२६; ४१२ पडिनिग्ग च्छित्ता ( प्रति निर्गत्य ) उ १।१२४; ५१६ / पडिनियत्त ( प्रति + नि + वृत् ) पडिनियत्तति प ३६।८८ पडिनियत्तित्ता (प्रतिनिवृत्य ) प ३६३८८ परिपाति (प्रतिपातिन् ) प २३/१३४,१३५, १३८, १४०,१४२,१४३,१५१ मे १५५, १५७,१६०, १६१,१६४,१६६ से १६८,१७१ से १७३ पडिपाद ( प्रतिपाद) ज ४।१३ पडिपुच्छण ( प्रतिप्रच्छन) उ १।१७ पडिपुच्छणिज्ज ( प्रतिप्रच्छनीय ) उ ३।११ पडिपुष्ण ( प्रतिपूर्ण ) प २१।७४ ज २।१५,७१, ८५; ३।११७,१६७/१२,२०६,२२३,२२५; ५१५६, ७/१७८ परिपुण्णचंद ( प्रतिपूर्णचन्द्र ) प २१५४,६०,३६८१ ज ११७ सू १।१४ परिबंध ( प्रतिबन्ध ) ज २२६६ उ ३।१०३,११२, १३६,१४८४१११ परिबुद्ध ( प्रतिबुद्ध) उ ११३३; २१८५/१३ ६६७ पडिबोहण (प्रतिबोधन ) ज ५।२६ पडिमंजरी (प्रतिमंजरी) ज ७१२१३ पडिमोयण ( प्रतिमोचन ) ज २११२ पडिय ( पतित ) उ ३।१३१,१३४४।६ पडियाsक्खिय ( प्रत्याख्यात) ज ३१२२४ / पडिय गच्छ ( प्रति + आ + गम् ) पडियागच्छइ सू २११ पडियागच्छित्ता (प्रत्यागत्य ) सू २०१ परिह (प्रतिरथ) उ ११२२, १४० पडिव (प्रतिरूप ) प २१३० से ३२,३४,३५,३७, ३८,४१ से ४३,४५,४५१,२,४६, ४८ से ५२, ५८ से ६१,६३,६४ ज १८ से १०,२३, २४, २६. ३१,३५,४२,५१, २।१२, १४, १५ : ३११. १६५४१, ३, ६, १३, २५, २७ से ३०,३३,४६, १४६.१७८, २०३५।३१,३३,३४,६२ सू ११: १८५१४ से ६ परूिवग ( प्रतिरूपक) ज ३।१६५४१४,५, २६, २७,८६,११८, १४४, २४६ ५ ३०, ३१,४६,६७ पडिरूवय ( प्रतिरूपक) ज ३।१६५,२०४ से २०६, २१४,२१६:५/४१,४२,४४,४५ परुिविय ( प्रतिरूपित ) ज ३११२० / पडिलाम ( प्रति + लाभय् ) पडिलाइ उ ३।१३४ पडिलाता ( प्रतिलाभ्य) उ३।१०१ / पडिलेह ( प्रति + लिख) पडिलेइ ज ३१२२४ पडिलेहिता (प्रतिलिख्य ) ज ३।२२४ पडिलोम ( प्रतिलोम ) ज २२६,६७ पडिलोमच्छाया ( प्रतिलोमच्छाया) सु १/४ पक्खि ( प्रतिपक्ष ) प ५।२२६ / पडिदज्ज ( प्रति + पद्) पडिवज्जइ प ३६४९२ उ ३ । १०४५।२० पडिवज्जति सू८ ।१ पडिवज्जाहि उ ३३११५ पडिवज्जिसु ज २१५१,५४,१२१ पडिवज्जिस्सइ ज २११२६,१३०,१३८, १४०,१४६,१५४, १६०, १६३;३।१३४ पडि वज्जित्तए ( प्रतिप्रत्तुम् ) प २०१७,१८,३४ उ ३।१११ Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ पडिपज्जिता-पड पडिवज्जित्ता (प्रतिपद्य) ३.४५,१०४,१४३;५२० पिडिसुण (प्रति+श्रु) पडिमुणति ज ५१७३ पडिवडितसम्मद्दिछि (प्रतिपतितसम् दृष्टि) पडिसुइ ज ३११६,५३.६२,७०,७७,८४, प ३।१८३ १००,१४२,१६५,१८१,५३२३,६६ उ ११५५; पडिवण (प्रतिपन्न) १३६१६२ ज ३।१४,२६, ३.१४० पडिसुणति ज ३१८,१३,१०७,११३ ३०,३६,४३,४७,५१,५६,६०,६४,६८,७२, १८६,१६२ उ ११४५ पडिसुणेमि उ ११८३ ११३,१३०,१३६,१३८,१४०,१४५,१४६, पटिमणेत्ता (प्रतिश्रुत्य) ज ३१८ उ ११४५ १७२ सू ८१ उ ३१६६,७६ परिसेविय (प्रतिसेवित) ज २१७१ परिवति (प्रतिपत्ति) चंद सू १७३३,१।८।१,२, पिडिसेह (प्रतिषेध) १६७४ से ७८,८०,११०%; ३,१०२० से २३,२५,२६,२।१ से ३,३२१:४।२, २०१२५ ३:५११६३१७१८।१,६११ से ३,१०११, पडिसेह (प्रति सेध) पडिसेहेइ ज ३१११० १३१:१७१११८११,१६०१,२०११,२ उ १११६ पडिसेहेति ज ३११०८ पश्विया (प्रतिपत्) ज २११३८ पडिसेहित्तए (प्रतिपेद्धभ्) ज ३।११५,१२४,१२५ पहिवा (प्रतिपत्) ज ७११२५ पटिसेहिता (प्रनिपिः ) उ ११११६ पहिवाइ (प्रतिपातिन् ) प ३३६११,३३३३५ पडिसेहिय (प्रनिषिद्ध) ज ३१६५,१०६,१११,१५६ पडिवाति (प्रतिपातिन् ) प ११११४ उश२७ पहिवादिवस (प्रतिपदिवस) ज ७११६ सू १०८५ पडिसेटेयव (प्रतिपेशवा); पडिसेहेयध्व (प्रतिषेधव्य) प ६१९८१०१६ से : पडिवाराइ (प्रतिपत्रात्रि) ज ७।११६ पडिस्सुइ (प्रतिश्रुति) ज २१५६,६० परिवाराति (प्रतिपात्रि) सू १०1८७ पडिहण (प्रति --हन्) पडिहमति सू ५१ पडिवालेमाण (प्रतिपालयत्) उ १११३३ पडिहत (प्रतिहत) प २६४१२,३ ज ४१२५ पिडिविसज्ज (प्रति वि+सजय्) पडिविसज्जइ पडिहता (प्रतिहता) सू ९१४ उ३।१०४ पडिविसज्जेइ ज ३६,२,७,४०, पदिय (प्रतिहत) चं २ मू ११६:५१ ४८,५७,६५,७३,१२७,१३४,१३६,१४६,१५२, पडीण (प्रतीचीन) प २।१०,५० से ६२ ज १११८, १७१,१८६,२१६ उ ११०६:३११३७ २०,२४,३११:४।१,३,८६,८८,६८,१०३,१०८, पडिविसज्जिय (प्रतिविजित) ज ३११७१ १४१,१६२,१६७,१६६,१७८,१८५,१८७, उ १३३,११० १६१,२००,२०३,२४५,२५१;७१०१ पडिनिसज्जेत्ता (प्रतिविसयं) ज ३१६ सु १११६२११ परिसंवेमाण (प्रतिसंक्षिपमाण) ज ५१४४ पडीणउदीण (प्रतीचीनोदीचीन) सूसा पिदिसंवेद (प्रति संवेद) पडिसंवेदेति पडोणवाय (प्रतीचीनवात) प ११२६ प १५॥३८ पडीणा (प्रतीची) ज ११८,२०,२३,२५, पडिसत्तु (प्रनिशत्रु) ज ३११३५१ २८,३२,४८,३।१४।१,३,५५,६२,८१,८६,८८, पिडिसाहर (प्रति+संह) पडिसाहरइ ज ५१६७ १८,१०३,१०८,१७२,२०५.२१४,२४६, पहिसाहरंति ज ३।१२५ पडिसाहरति २५२.२६२,३६८ प ३६१८५ पडु (पटु ) प २।३०,३१,४१,४६ ज ११४५,३१८२, पडिसाहरित्ता (प्रतिमहत्य) प ३६१८५ ज ३११२५ १८५,१८७,२८६,२१८,५१,१६७१५ पडिसाहरेमाण (प्रतिसंहरत्) ज ५१४४ . ५८,१८४ सू १८१२३:१६७१६३२३,२६ Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडुच्च-पणिवय पडुच्च (प्रतीग) प १७४।२।७६।६३,८।४,६, पण (पञ्चन्) सू १०१५७ ८,१०,१११४६,५३,५.१,१७,५६१४१५ पणगजीव (पनकजीव) ५ ३६१६२ १८.१,२१६५२३१६३,१७६२८१६,६,२० पणगमत्तिया (पन कमृत्तिका) ५ ११६ २६,३१,५२.५५.९ से १०१ ज ४१५४ पिणच्च (प्र- नृत्) पणच्चति जे ५१५७ पणट्ठ (प्रनष्ट) प११४८१३६ पडताच्च (पती मा प११॥३३,११।३३३१ पणतालीस (पञ्चचत्वारिंशत) पश८४ पडप्रपण ( पन) प १२२१२,३२,३८ सू १६०२० ज'३६,५२ १२७ पणतीस (पञ्चत्रिंशत्) सू १।२० पडप्प भाव (मला पन्नभाव) प२८/१८ से १०१ पणतीसतिभाग (पत्रिशतभाग) प २३१८६,८८, पडुप्पण्मानयण ( पनवचन) ५ १११८६ ६५ से १८:११८,१५१ पपया (प्रतिथन) ज ५१२५ पणपण्ण (दे० पञ्चपञ्चाशत् ) प ४१२८ ज ४११७२ पडोयार (प्रावतार) ५ ३०।२५,२६ ज १७,२१, सु १२१७ २२,२६,२७,२६,३३,४६,५०,२।७,१४,१५, पणय (दे०) प ११४६,१४८११,११६५ ज २११३३ २०,५२,५६,५८,१२२,१२३,१२७,१२८,१३१, पणय (प्रणत) ज ३८१,१०६ १३२,१३३,१३,१४७,१४८,१५०,१५१, पणयबहुल ('पन"बहुल) ज २।१३२ १५.६,११७.१५६,१६४:४१५६,८२,६६ से पणयाल (पञ्चचत्वारिंशत् ) ज ७१३४ सु ११२१ १०१,१०६.१७०,१७१ पणयालीस (पञ्चचत्वारिंशत्) ज ११६ मू ४१३ पडोल (पटोल) प १।३१२,११४०।१,११४८।४८ उ २८ पढम (प्रथम) १५१०३,१०६,१०७.१०६,११०, पणव (प्रणव) ज ३।१२,७८,१८०,२०६५१५ ११३,११४,११६,११६,१२०.१२२,१२३; पणवण्ण (पञ्चपञ्चाशत् ) ज ४१५५ २।३१,६८०११;१०।१४।१ से ३,१२११२, पणण्णिय (पणपनिक) प २१४१ १६,३१,३२:२३३,४१,३६८५,८७,६२ पणवन्निय (पणपन्निक) प|४७१ ज २१५५,५६,६३,६४,१३८,१५५ से १५५%; पणवीस (पञ्चविंशति) प २२२ ज १२३ ३१३०,१३५,२१७, ४११४२६३,१५३,१५४, सू११२१ १८०; १८,२०,२३,२६,२८,६७,१०१,१०६, पणवीसतिविध (पञ्चविंशतिविध) सू ६४ १५६,१६०,१६४ च ३३ सू १७,१३,१४, पणाम (प्रणाम) ज ३१५,६,१२,८८ १६,२१,२४,२७, २१३,६१८६११०।६३, पिणाव (प्र- नामय्) पणावेइ उ ११११६ ६७,७७,१७,१३८,१३६,१४३,१४४,१४८, पणावेहि उ ११११५ १५०,१५:११२.३,१२,१६,२०,२४, पणावेत्ता (प्रणाम्य) उ १२११५ १३३१,७६,०; १४॥३,७ उ १६ से ८,६३, । पणासित (प्रणाशित) सू २०१७ १४२,१४३,१८८११,३,१४,१५,२२,३१३, पणिधाय (प्रणिधान) प १७१११ सू ६३१ १६.२०५०,१ ३,२७५॥३,४४ पणिय (पगिन) ज २१२३ पढनणरीसर (प्रथम नरेश्वर) ज ३।१२६।३ पणिवस्य (प्रणिपतित) ज ३।१२५ पहमला (प्रथम) T21४८५१ पणिवय (प्रणि पत) पणिवयामि ज ३।२४।१, पदमया (प्रथम) १२११:४१८०,५१५८ १३११ १. पनक: प्रतलः कदमः-टीका Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० पणिहार-मत्तिय पण्णास (पञ्चाशत) प २१ ज ११२३ र १२१३, ८ उ ५.१३ पण्य (प्रस्नन) ३ ३९८ पितणतण (प्र+तनतनाय)नणतणाइस्सइ ज २११४१,१४५ तणतणानि ज ३१११५; ५७ पणिहाय (प्रणिधाय) प १७।१०६ से १११ ज ४१५४,८०, ७२७,३० सु१।१४,२४ पणुवीस (पञ्चविंशति) प ४१२७३ उ ३७ पणुवीसइम (पंचविंशतितम) प १०.१४१३ पण्णट्ठ (प्रणष्ट) ज ३१३ पण्ण (पञ्चषष्टि) ज ७१६५,६६ पण्णट्टि (पञ्चपप्टि) ज ४११६५ मु १०।१५२ पण्णत्त (प्रज्ञप्त) प १११ ज १७ सू१।१४ उ ११४ पण्णत्तर (पञ्चसप्तति) ज ४१४५ पण्णत्तरि (१ञ्चसप्तति) ज ४.१४२ पण्णत्ति (प्रज्ञरित) सू २०१६।१ उ ३।१६० पण्णर (पञ्चदशन्) प १०।१४१४,५ पण्णरस (पञ्चदशन्) १ १७४ ज ११२३ सू १५१३ पण्णरसइ (पञ्चदशन्) सू १६।२२।१६ पण्णरसति (पञ्चदशन्) सु २०६३ पष्णरसम (पञ्चदश) ज ७।६७ सू १०१७७; १२१६१३।१,१०६; १४१३,७:१६।२२, २०१३ पण्णरसविह (पञ्चदशविध) प ११८८१६११,२, पतणतणाइत्ता (प्रतनतनाट ) २११४१ पतर (प्रतर) प १२११२,१६ १. पतव (प्र तर) पतवनि ५५७ पिताव (प्र- तापम् ) पताओंति सूहा? पतिट्ठिय (प्रतिष्ठित) प १४३ पतिसम (प्रतिराम) ज ३।६२,११६ पत्त (प्राप्त) ५ २१६४।२०६।१८१७२२३१३ - से २३,३६१६४१ ज २१८५२:३६,४३, १२२,१२६,१३३, ४153 ,९८,१०१, १२२,१५०,१६१; ४१२५,२३,२८,३१,३६, पण्णरसी (पञ्चदशी) सू १०१६०;१३।११४।३,७ पण्णरसीदिवस (पञ्चदशीदिवस) ज ७११६ सू १०८५ पण्णरसोराइ (पञ्चदशीरात्रि) ज७११६ पण्णरसीराति (पञ्चदशीरात्रि) सु १०।८७ पिण्णव (प्र+ ज्ञापय) पण्णवेइ ज ७१२१४ उ १२६८ पण्णवेहिति सू १६।२२।३ पण्णवणा (प्रज्ञापना) ५ १११४२,४,४६,१३८%; २८1९८ से १०१ उ ३३१०६ पण्णवणी (प्रज्ञापनी) प ११।४ से १०,२६ से २६, ३७।१,८७ पण वित्तए (प्रज्ञप्तुम् ) उ ३.१०६ पण्णवीस (पञ्चविंशति) प २७।४ पण्णा (दे०) ५२।४०।३ ज ५१४६ पिण्णा (प्र + ज्ञा) पण्णायए ज ७११६९ पण्णावग (प्रज्ञापक) ज ३।६५,१५६ पत्त (पत्र) ११३५,३६,४७१,१६४८१६,१६,२६, ३६,४५,४७,४६,५१,६३ ज २१८,६,१२,१५, ६८,१४५,१४६ ; ३।११३,३।१२,८८,६८, १०६,४३,२५,५५,५८, ७/१७८ उ ३५०, ५१,५५ पत्त (प्राप्त, पात्र) उ १११२८ पत्तउर (पत्तूर) प १।३७१३ पत्तकयवर (पत्रकचार) ज २१३६ पत्तच्छष्ण (पत्राच्छन्न) ज २११२ पत्तळ (दे०) ज ५१५ पत्तपुड (पत्रपुट) ज ४।१०७ पत्तल (पत्रल) ज २११५,३११०६७/१७८ १११ पत्त (वासा) (पत्रवर्पा) ज ५१५७ पत्तविच्छय (पत्रवृश्चिकः) प ११५१ पत्तामोड (पत्रामोट) उ ३१५१ पत्तासव (पत्रासब) प १७।१३४ पताहार (पकाहार) प ११५० उ ३१५० पत्तिय (पत्रित) उ ३३४६ Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्तिय-यभंकरा / पत्तिय ( प्रति - इ) पतिएज्जा प २०१७, १८.३४ पत्तियामि उ ३३१०३ पत्तेय (प्रत्येक ) ११४८१८०, ४७,४६, ६०, २२४८; ६।१८,६४,१०।१४; १६।१५ ज १।४६; ३।२०६४१५,२७,११०, ११४,११६, ११८, १२२,१२५,१२८,१३९; ५१ से ३, ५, ७, ३१, ४२,५६ उ १११२१,१२२,१२६ पत्तेयजिय ( प्रत्येकजीव ) प ११४८६ पत्तेयजीविय ( प्रत्येकजीवित ) ५ ११३५, ३६ पत्ते बुद्ध सिद्ध (प्रत्येकबुद्धसिद्ध ) ११।१२ पत्तेयसरीर (प्रत्येक शरीर ) - ११३२,३३,४७; ४७ २, ३ ३ ७२ से ७४,५१, ८४ से ८७, ६५, १८३१५१४४, ५२ पसरीरणाम (रीनामन् ) प २३१३८, १२१ पत्थ (मथ्य ) ज ४१३, २५ पत्थड (प्रस्तट ) प २१,४,१०,१३,४८,६० से ६२ ज ४१४६ पत्थर (प्रस्थातुम् ) उ ३।५५ पस्थाण (प्रस्थान ) उ ३१५१,५३,५५ परिथज्जमा (प्रार्थ्यमान) ज २२६१ ३१८६,२०४ पथिय ( प्रार्थित) ३१२६,४७,४६,८७,१२२, ات १२३, १३३, १४५, १८६५।२२ उ १।१५,५१, ४४,६५,७६,७६,६६, १०५ ३२६,४८,५०, ५५,६८,१०६, ११८, १३१५/३६, ३७ परिथय ( प्रस्थित) उ ३।५१,५३,५५ पथिक (पार्थिव) ज ३३३ पद ( द ) १।१०११७, १२ ३२१८१२; २८।१४५;३६।७२ ज ३१३२ सू १०/६३ से ७४ पदाहिण ( प्रदक्षिण) १६२२ १०, ११; १६१२३ पदीस ( प्र दृश) पदीस प ११४८/१० से ¡ १७,१६ से २३ पदीसए प १।४८।११ से १३ पदीसति प १।४८।२५ से २६ पदीसती ५१।४८।१८,२४ पदेस ( प्रदेश ) प १३,४, २१६४११, ११, ३ १२४, ६७१ १८०,१८२५ १२४, १२५, १३१, १६१, १७७, १७६,१६३,२१६,२१८, १०१२, ४, ५,१८,१६, २१ से २३,२५,२६; १२ ३०, ५३, ५७; १७।११४|१, २२।५८,७६, २८१५, ५१ ज २६५; ४|१४३ सू १६/२६ पदेसघण ( प्रदेशघन ) प २२६४१५ पदेसता ( प्रदेशार्थ ) प ३१११६ से १२०, १२२ पदेसया ( प्रदेशार्थं ) प ३।११५, ११६, १२०,१२२, १७६ से १८२५१५, ७, १०, १४, १६, १८, २०, ३०, ३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६,६३,७१, ७४,८३,८६,६३,६७, १०१, १०४, १०७,१११, ११६,१२६,१३१,१३४, १४५, १६६, १७२, १७४, १७७, १८१,१८४, १८७, १६०, २०३, २०७,२११,२२४,२२८, २३२,२३४, २३७, २३६; १०१३, ४, ५. २६, २७ १७ १४४, १४६ ; २१११०४ पदेसणामणिहत्ता उय ( प्रदेशनामनिधत्तायुष्क ) प ६११८ पणामनिहताय ( प्रदेशनामनिधत्तायुष्क ) प ६।११६१२२ √ पधार ( प्र + धृ) पधारेइ ज ५।७२, ७३ पवारेति प २२/४ पघात (प्रधौत) ज ३।१०६ पन्नरस ( पञ्चदशन् ) प १८४ पन्चरसविह (पञ्चदशविध ) प ११२१६।३६ पप ( प्राप्य ) प १६४६; १७३११५ से १२२, १४८, १५४; २३३१३ से २३:२८ । १०५; ३४।१६ पपडमोदय ( पर्पटमोदक ) प १७३१३५ पप्पडमोयय ( पर्पटमोदक ) ज २।१७ पफ्फुल ( प्रफुल्ल ) ज ४३, २५ पन्भट्ठ ( प्रभ्रष्ट ) ज ३११२,८८,५७,५८ पकभार ( प्राग्भार ) प २ ।१ ज ३८८ १०६ उ ११२७, १४० ५१५ पकर ( प्रभङ्कर) सू २०१८,२०२८१७ पभंकरा ( प्रभङ्करा ) ज ४।२०२; ७११८३ Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७२ पभजण-पम्हगंध सू १८२१,२४,२०१६ पमज्जित्ता (प्रमृज्य) ज ३।१२ पभंजण (प्रभञ्जन) प २१४०१७ पमत्त (प्रमत्त) प १७६३३२१७२ ज २६ पणिय (प्रभणित) उ ३९८ पमत्तसंजत (प्रमत्तगयन):६१६८ पमत्तसंजय (प्रमत्तमयत) प ६१९८१७२५२२१६१ पभव (प्रभव) प १११३०१२ पमद्द (प्रमदं) ज ७११२६ १०७५ उ १११३६ पिभव (प्रभू) भवति ११३०११ पमद्दण (प्रमर्दन) ज ५१५ पभा (प्रभा) प २१३०,३१,४०।१०,२१४१,४६ पमाण (प्रमाण) प ११०१।९।१२।१२,८; ज ३१३५,२११:४१२२,३४,६०,२७२,५।१८, १५.१०,२३,२१।११,२१८४,८६,८७,६० से ६३;३०।२५,२६:३३।१३,३६।५६,६६,७०, पभाव (प्रभाव) ज ३१६५,१५६,२२१ ७४ ज ११३२,३५,४१:२१४,६१,१५,१३३, पभावई (प्रभावती) उ १६३३ १३८,१४१ से १४५,३११०६,११७,१३८, पभावणा (प्रभावना) प ११०१।१४ १६७।३;४११,६,२५,६४,७०,७६,८६,६०, पभास (प्रभास) ज ४१२७२९६.१२ से १४ १०६.१२३,१३३,१३६,१४०१२,१३४ से १६०, पिभास (प्र-भाष) पभासइ ज ४१२११ १६२ से १६५,१७४,१७५,१६४,२०२,२२२११, पभास (प्र+भास्) पभासंति ज ७१ २३५,२३६,२४६,२७.०,२५.१,५४४६,४६; पभासिसु ज ७१ सू १९१६ पभासिस्नति ७।३५,१६८१२,१७८ १।२७, २१३४16 ज ७१ सू १९६१ पभासे ति ज ७५१,५८ उ १।१३८,३१११ सू. १९६१ पभासेंसू सू १६।१ पमासेति मू १९०१ पमाणभूय (प्रमाणभूत) उ ३३११ पभासंत (प्रभासमान) सू१६।१२ पमाणमित्त (प्रमाणाव) ३१६५,११५,११६, पभासतित्य (प्रभासतीर्थ) ज ३१४३,४४,४६ १५६।३८ पभासतित्थाधिपति (प्रभासतीर्थाधिपति) ज ३४६ पमाणमेत्त (प्रमाणमात्र) ज ११४०,२११३३,१३४, पभासतित्थाहिवइ (प्रभासतीर्थाधिपनि) ज ३१४७ १४१ से १४५:३११,८८,६२,११६,११६, पभासतित्थकुमार (प्रभासतीर्थकुमार) ज ३१४७ से १२२,१२४,४।१०,213,५८,६७ ४६,५१ पमाणसंवच्छर (प्रमाण-पत्रार) ज ७।१०३,१११ पभासेमाण (प्रभासमान) प २१३० से ३३,३५,३६, १०१२५,१२८ ४१,४८ से ५२,५८ पमुइय (प्रमुदिन) २६४१, ११२६,२१६५:३११, पभिद (प्रभति) ज २।१४६,३१८६.१७८,१८६, १२,२८,४१,४६,५८,६६,७४,१४७,१६८, १८८,१८६,२००,२१०,२१६,२१६,२२१ २१२,२१३ २ ११ उ ३।१०१,५१०,१७,१६,३६ पमुह (प्रमुख) ज ७।१७८ २०१८,२०/८१५ पभिति (प्रभूति) ज ३३१० सू १६२।२५ पमोय (प्रमोद) ज ३१२१२,२१३,२१६ पभु (प्रभु) ज ५५,४६,७।१८३,१८४,१८५ पम्ह (१क्ष्मन्) ॥ २॥४६,४१२०९,२१०,२१२ सू१५ से २३ उ ५।३२ २१२११ पभूय (प्रभूत) ज ३१८१,१०३,१६७।१४; ५१७ पम्ह (पदग) ज १५,२५१ पिमज्ज (प्र+मज) पमज्जइ ज ३११२,२०,३३, पम्हकूड (पक्ष्मकूट) ज ४।१८४ से १८७,२१० ५४,६३,७१,८८,१३७,१४३,१६६ पम्हगंध (पद्मगंध) ज २२५०,१:४:४११०६,२०५ Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पम्हगावई-परक्कम ६७३ पम्हगावई (पक्षमावती)ज ४१२१२,२१२।१ पम्हल (क्ष्मल) ज ३१६,२११,२१२:१५८ पम्हलेस (पदमलेशस) १७१६८ पम्हलेसट्ठाण (पद् लेन्यास्थान) १७.१४६ पम्हलेसा (पद्मश्रा) : १७:१२१ पम्हलेस्स (पद्मले ), ३६६१३।२०:१६६४६; १७३५,५६,६४,६६ से ६८,७१.७३,७६ से ८१,८३,८४,११२,१६७,१८१७३:२८११२३ पम्हलेस्सट्ठाण (पद्मलेश्यास्थान) १७.१४६ पम्हलेस्सा (दमा ) प१६।४६,१७।३५,३६, ५४,११७,११८,१२१,२२५,१२७,१२६,१३४, १३७,१४४,१५३ से १५५ पम्हलेस्सापरिणाम (पदमप्यारिणाम) १३१६ पम्हावई (पक्षमावती) ज ४२०२१२,२१२ पय (पद) प १।१०११३,२२१४५; २३।१४६; २८।१।२,२८११२३,३६१६६,७२ ज ३१६,१२, ८८,१५५,१६७७,२१,५८,७११५६ से १६७ उ ३।१०१,१३४ पयंग (पतङ्ग) प १:५११ पयग (पतग, पदक) ज २०४१,२१४७११ पयडि (प्रकृति) ५ २३।१।१ पयणु (प्रानु) ज २१६ पयत (पतग,पदग) ८ २२४१३ पयत (प्रत) ३.१२८८11८ पयत्त (प्रवृत्त) ज ५।२४,५७ पययपद (पलगपति,पदगपनि ) प ६४७३ पयर (प्रसर) प ११४८।६० : १२१८,२७,३६,३७ पयरग (प्रत ) ३.१०६१३८,६७ पयरय (प्रतरक) प ११७५ पपराभेद (प्रारद) प१११७५,७६ पयराभेय (प्रारद) ११५७३ पयला (प्रचला) प२३।१४ पयलाइय (दे०) व १९७६ पयलापयला (च पच५ २३।१४ पर्यालय (प्रचलित प्रगनित) ३६, ५३२१ पयल्ल (प्रकल्प) मू २०१८,२०१८४५ पया (प्रजा) ज २१६४,३११८५,२०६ पिया (प्र-जन ) पाएज्जा उ ३११०१ पामि उ१७८३१६८ पयाहिइ उ ३।१३६ पयात (प्रयात) ज ३११४,१५,३१,४३,४४,५१, ५२,६०,६१,६१,६६,१३०,१३१,१३६, १३७,१४०,१४१,१४६,१५०,१७३ पयाय (प्रगत) ज ३१३०,१४६,१६७,१७२ फ्याय (प्रजात) उ ११५३ ; ३३१३४ पयायमाण (प्रजनयत्) उ ३।१२६ पयार (प्रचार) ज २।१३१ पयालवण' (प्रालवन) ज २६ पयावइ (प्रजापति) ज ७।१३०,१८६३ पयावइदेवया (प्रजापतिदेवता) मू१०८३ पयाहिण (प्रदक्षिण) ज ११६; २१६०; ३१५, ५१५, ४४,४६ उ १।१६,२१, ३१११३; ४।१३ पयाहिणावत्त (प्रदक्षिणावर्त) ज २।१५; ७।५५ पयोहर (पयोधर) ज २११५ पर (पर) प १११०११४, २०६३,३१३६,६८०१२; १४१३;२२१४ से ६:२३११३ से २३ सु ११६; ६६१:१३३१२, १४ मे १७ पर (पर) प ११८१ परंगण्य (पर्यङ्गत्) उ ३।१३० परंपर (परम्पर) प २०१६ से ८ ज ७१४२ परंपरगत (परम्परगत) प २६४।२१ परंपरसिद्ध (परम्परसिद्ध) प १।११,१३,१६।३५, परंपरा (परम्परा) उ श१११,११२ परंपराघाय (परम्पराघात) प ३६१६४,७८ परंपरोगाढ (परम्पर वगाढ) प १११६३ परंपरोबवण्णग (परम्परोपपन्नक) प १५:४६; ३४१२ परक्कम (पराक्रम) प २३११६,२० ज २१५१,५४, १२१,१२६,१३०,१३८,१४०.१४६,१५४, १. पिकालवण इति कल्पनापि जाते। Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७४ परक्कममाण-परिग्गहिय १६०,१६३,३१३,७७,१०६,१११,१२६,१२६, १८८,७११७८ सू २०११ परावत्तेत्ता (परावृत्य) ज ३१२८ परकाममाण (पराक्रममाण) उ ३११३० पिरिकह (परि कथम्) परिकहेइ उ ११२०:४।१४ परधर (परगृह) उ ५१४३ परिकति उ ३११३५ परिकहेमो उ ३११०२ परट्ठाण (परस्थान) प ६।६३,१५।१२१,३६१२०, परिकहेह उ११४२ २४,२७,४७ परिकण (परिकथन ) उ ५।१३ परपरिवाय (परपरिवाद) प २२२२० परिकहेउं (परिकार तुम) २१६४।१७ परपुछ (परपुष्ट) प १७११२३ परिकिष्ण (परिकीर्ण) उ ३३१४१,४३१२,१३ परभवियाउय (परभविकायुक) प ६।१११,११४ ।। परिक्खित्त (परिक्षिप्त) ज ३१२२,२४,३०,३६,७६, से ११६ ७८,१७८, ४१११०,११६,११८,५१२८,४४ परम (परम) प २१२० से २७; २३।१६६ ज २।४, उ १११६:५१७ ६६,७१,१३३, ३३,५,६,८,१५,१६,३१,५३, परिवखेव (परिक्षेप) प २१५०,५६,६४, ३६८१ ६२,७०,७७,८१,८२,८४,६१,१००,११४, १४२,१६५,१७३,१८१.१८६,१९६,२१३, ज १७,१०,१२,१४,२०,२३,३५,४८,५१; २।६,४।१,२१,२५,३१४०,४१,४५,४८,५३ ५२१,२७ उश२१,४२,३१५१,५६,१३०, से ५५,५७,६२,६७,६८,७५,७६.८०,८१,८४, १३१,१३४,१४४ परमत्य (परमार्थ) ५११०१।१३ ८६,६२,६३,६६,६८,१०८,११०,११४,११८, १४३,१६५,२१३,२२६,२४१,२४२,७१७,१४ परमाणु (परमाणु) प १०११४११ ज २।६।३ से १६,३१,३३,६६,७३ से ७८,१०,६३,६४, परमाणुपोगग्ल (परमाणुपुद्गल) प ११४; ३।१७६, १८ से १००,२०७१।१४,१६,१७,१६,२१, १८२,५११२५,१२७ से १२६,१७३,१७४,१८६, २४,२६,२७,२१३;३।१,४४,७,६:११०११३२; १६०,२०२,२१०,२११,२२६; १०१६;१६।३४, १५॥२ से ४,१८१६१६१,४,५११,७,१०,१४, ३६,४३,३०१२६,२८ १८,२०,३०.३१,३४,३५,३७ परलोय (परलोक) ज २१७० परिगय (परिगत) ज ३।३०,११७:४।२७,५।२८ परवस (परवश) उ ३३१२६ परसु (परशु) उ ११२३,८८,८६,६१ परिगर (परिकर) ज ३१२४६३,३१,३७१,४५१, परस्सर (पराशर) प ११६६,१११२१ ज २।१३६ । परस्सरी (पराशरी) प १११२३ १३१३३ परहुय (परभृत) ज ३।२४ परिगायमाण (परिगागन ) ज ५१५,७ से १२,१७ पराघायणाम (पराघातनामन्) प २३।३८,५३,११० उ ३१११४ पिराजय (परा : जि) पराजिणिस्सइ उ १११५ परिग्गह (परिग्रह) प २२।१५,१६ ज २०४६ परामुठ्ठ (परामृष्ट) ज ३।७६,८०,११६,११८ परिग्गहसण्णा (परिग्रहसंज्ञा) प ८।१,२,४ से ११ पिरामुस (परा+मृश) परामुसइ ज ३११२,२३, परिग्गहिय (परिगृहीत) ५ ४।२१६ से २२१,२३१ ३७,४५,७८,८८,६४,११६,११७,११६,१३१, से २३३ ज २।१५६,३१५,६,८,१२,१६,२६, १३५ उ १२२ ३६,४७,५३,५६,६२,६४,७०,७२,७७,८४,८८, परामुसित्ता (परामृश्य) ज ३।१२ उ ११२२ ६०,१००,११४,१२६,१२७,१३३,१३८,१४२, पिरावत (परा+वृत्) परावत्तेइ ज ३१२८,४१, १४५,१५१,१५७.१६५,१७८,१८१,१८६, Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिग्गहिया-परियच्छिय ६७५ २०५,२०६,२०६,५१५,२१,४६,५८ उ ११३६, परिणित्वा (परि+नि |-वा) परिणिव्वंति ४५,५५,५८,६४,८०,८३,६६,१०७,१०८, ज ११२२,५०,२१५८,१२३,१२८,४११०१ ११६,११८,१२२:३।१०६,१३८,१४८,४।१५; परिणिताइप ३६८८ परिणिवायंति १६.११० परिणिव्वाति प ३६१६२ परिग्गहिया (पारिग्रहिकी) प १७११,२२,२३, परिणिवाहिति ज २।१५१,१५७ २५,२२१६०,६२,६७,७०,७६,६२,१०१ परिणिव्वाण (परिनिर्वाण) ज २१११६ परिघट्ट (परिवृष्ट) ज ४।१२८:५१४३ ।। परिणिव्वुड (परिनिर्वृत ) ज २१६८;३।२२५ परिछण्ण (परिच्छन्न) ज २०१२ परिणिव्वुय (परिनिर्वृत) ज २१८५,६० परिजाण (परि-+ज्ञा) परिजाणइ उ ११३८; परितंत (परितान्त) उ ११५५,७७ ३१५८ पनिजाणाइ उ १११०० परिजाणेति परित्त (परीत) १६४८।२० से २६,३४ से ३७, उ ३।११८ ४३,५२,५६ ; ३३११२,१०६,१८१०२.१०६; परिज्जय (दे०) सू २०१२ मू १३१२,१४।४,८ परिणत (परिणत)१४ से ६,११४८५६ परित्तमिस्सिया (परीतमिश्रिता) ११११३६ पिरिणम मरि-णम् ) पिणमति २८।२४ परित्तास (परित्रास) ज २१७० से २६,३६,४२,४५,४६,७१,७४,१०५:३४।२०, परिधान रियाद) परिधाति ज ५१५७ २२ से २४ ज ७१११२।१,३,५ १०११२६१, परिनिव्वा (परि+निवा) परिनिवाहिद ३,५ परिणमति प १६।४६,१७।११५ से १२२, उ ५॥४३ १३६,१४८ से १५२,१५४,१५५ परिनिव्वुड (परिनिर्वृत) ज २१८८,८६ परिपीलइत्ता (परिपीड्य) प २८१२०,३२,६६ परिणममाण (परिणमल ) ज ३।२१,३४,५५,६४, परिपीलिय (परिपीडित) ज २११३३ ५२,८५,११२,१३८,१४४.१६८,१८३,१६१ परिपुछणा (परिप्रच्छन) ज ७११७८ उ ११६० परिभट्ठ (परिभ्रष्ट) ज २११३३ परिणय (परिणत) प १४,६ से १ ज २।१६५१५ परिभाएत्ता (परिभाज्य) ज २०६४ उ ३।३८,४०,१२७,१२८; ५।४३ परिभाएमाण (परिभाजपत्) उ १४३४,४६,७४ परिणयन्द (रिणन्तब्य) ज २११३३ परिभाग (परिभाग) सू १०११७३ परिणाम (परिणाम) + १५११५१३।१:१७.११४११, परिभंजेमाण (परिभुजान) उ ११३४,४६,७४ १३९; २३३१३ से २३,१६५,१६६ मे २०१ परिभुज्जमाण (रिभुजामान) ज ४११०७ २८.११ ज २।१६,१३१, ३।२२३,७।१३६.१, परिभोगत्त (परिभोगत्व) ज २१२४,३४,३५,३७; ७।२०२,२०४,२०७ परिणाम (परि-नमय) परिणामें ति । १७.२ परिमंडल (परिमण्डल) प ११४ रो६१०।१५ से २८१२१,३३,६७ २४,२६ से ३०; ११:२५:१३।२४ ज ५१५,७, परिणामणया (परिणामन) ५ ३४.१ से ३ २२ से २४ परिणामिय (f णामित) २३३१३ से २३ परिमंडिय (परिमण्डित) ज ११३७, ३११,३५, परिणामेमाण (रिणमयत ) उ ११४१,४३ १०६,११७.११८,१७८:५२४३,७।१७८ परिणाह (परिणाह) ज ४११०२ परिमाण (परिमाण) ज २१६४।१६८,२४३ परिणिट्ठिय (परिनिष्ठित) ज ३।३५ परियच्छिय (परिकक्षित) ज ५१४३ २११ Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७६ परिषण-परिवुडि परियण (परिजन) ज ३।१८५ सू १६४२२११८ रिवद्भिज्जति प ५११६१ परियर (रि ! चर) गरिमारइ च ३३१ परिषड्ढमाण (रिवधान) १२७२ ज ४१३६, सू १७१ ४३,३२,७८,९५,१०३,१७८ उ ३१४६ परियाइत्ता (यादाय) १६।२० परिवडिट (परिवद्धि) ज११३८,१४०.१४६, परियाइयणया (पदिान) ३४।१ से ३ १५४.१६०.१६१ परियाग ( य) २११२, ३३१४,८३,१२०, परिवढेमाण (पबिधमान) ज २।१६८,१४०, १५०,१६१; ४।२४; ५१२८,३६,४१,४३ १४६.१५८.१६६ १६३ परियागय (पांगत) १६६५५ परिचय बनपन्विति ५१५७ परियाण (गरि- ज्ञा) परिणइ उ ३।१०८ परिवस (... ग) परिवगइ प २।३८ पिरियादि (गरि : आ. दा) परियादियंति ज ११४५.४७:३।१२१४१५१.५४.६०.६१,' ज ३११६२ ६४८०८६.६७.१०२ १०७.१६१,१६६, परियादित्ता (पदा) ज ३६१६२ १८६.१३३.१६६,१६६.२०३,२०८,२१०, परियाय (पर्याय) ज २८३,८४,४१२७२ उ २।२२, २६१.२६४.२६६,२६७,२७०,२७२.२७३, ३।१६६ परियायतकरभूमि (पीयान्तकरभूमि) ज २१८४ २७६; २१३ उ ३१२८ परिवमई उ ३।१५८%; ४७ परिवति । १२० मे २७,३० से ३६. परियायसंगइय (व साङ्गतिक) ३ ३।५५ ४१ मे ४३.४८,४६,५१ से६४ ज ११२४,२६, परियारणया (परिचारण) प ३४१ से ३ परियारणा (परिचारणा) १ ३४१२, ३४।१ से ३, ३१:३११०३,४११०२ परिवसति प २१३२,३३, १७,१८ ३५.३६.३६,४४,५१,५३ से ५५,५७ से ५६ परियारणिढि (परिचारणद्धि) सू १८.२३ परिवगह ज ३।१२७ परिवसामो ज ३११२६१४ परियारिड्ढि (परिचारद्धि) ज ७।१८५ परिवसण (परिवमन) ज २०१६ परिमारिय (रिवारित) प २।३१ १. परिवह (रि चर) परिवहइ उ १५० परियारेमाण (परिचार पत्) सू २०१२ परिवहति ज १७८: सु ११४ परिवहति परियाल (रिवार) ज २११३३;५।२२,२६ शु १८६१६ गरि हामि उ १६७५ उ १६१९,६३,९७,६८,१०५ से १०७ परिवाडी (सिटी) ६१५१५५,२३.१०८ परियाव (परि-तापय्) परिवेंति प ३६।६२ परिवायणी (रिवाउनी) ३३१ परियावण्य (पर्यापन्न) ६१७।१३३ परिवार (परिवर) ज २।६३,९४,५५६ परियावण्णग (पपिन्नक) प २१३.६,६,१२,१५ ७।१८८.१.१७०.१८३ सू १८१४,२१.२३; परिरय (परिरय) ज४।१४२१२,१५६।१,२३४, १६२२३१.६२ उ १११६; ४१५.१३ २४०७.१६,१६,७५,७८ सू ११२७,१८१६ से परिवारणारिवारणा) ज ४१४०११ १३, १९०८।१,११११,१५१,२११२ परिवारिय (रिकारित) २३०,४१ परिलित (परिलीयमान) ज २१२ परिविक्षस (- वि.! ध्वंस) परिविद्धसेज्जा परिली (दे०) १११३७१५ ।। परिवदिय (परिवन्दित) चं शर परिविद्धंसइत्ता (परिविध्यस्य) ५२८।२०,३२ परिवज्जिय (परिवजित) उ ४६ परिवड (पवित)ज ५१४४ उ ४१११,१३ “परिवड्ढ़ (परि + वृध्) परिवति परिवुड्ढि (रिद्धि ) । ५।१३२,१६१,१७६, Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिवेदिय पलिओवम १६५, २१६११।७२,१३११७; १५।३४,७५ ज ४११०३,१७८ परिवेदिय (रिवेष्टित ) १५५१ ज २।१३३ परिव्वाय ( परिवाजक) ५ २०१६१ ज ३४१०६ परिसडिय (परिशटित ) ज ३।१३३ उ ३।५० परिसप्प (परिसर्प ) प २६१,६७,७६; ६ ७१; २१।११,१४,५३,६० परिसा (परिषत् ) प २।३० से ३३,३५,४१,४३, ४८ से ५१ ज ११४,४५ ; २६४६०४१६; ५११६,३६,४६ से ५१.५६, ७ ५५, ५८ चं ६ सू ११४:१८/२३३११/२३,२६ उ ११२,१६, २०:२६; ३१५,१२,२४,२८,८६,१५५, १५६; ४१४, १०, १४; ५८१४,२६,३७ परिसाड (गरियाट) १८४ / परिसाउ (परि + शादय् ) परिसाउँति ज ३११६२५१५,७ परिसाडइत्ता (परिशाट्य ) २८१२०,३२,६६ परिसाडेत्ता ( परिशाट्य ) ज ३११६२५५ परिहत्थ (दे० ) ज ४१३,२५ गरिवेति सू २१२ परिहव ( परि + परिहा (रिखा) परिहा ( परि--हा) परिहायति सू १६।२२११४ २३३०,३१,४१ ज ३१३२ परिहाण (परिधान ) प २४० परिहाणि (परिहाणि ) प २६४ ज २५१,५४, १२१,१२६,१३०, ४११०३, १४३ सु १६।२२।१६,२० परिहायमाण (रिहीयमाण ) १२६४ ज २१५१, ५४, १२१,१२६,१३० ४।१०३,१४३, २००, २१०,२१३ उ ३१४७ परिहारविसुद्धिय (परिहारविशुद्धिक) १।१२४, १२७ परिहारविसुद्धियचरित परिणाम (परिहारविशुद्धिकचरित्रपरिणाम ) प १३।१२ परिहावेत (परिहारयितव्य ) सू८ ।१ परिहित (परिहित ) सू २०१७ परिहिय ( परिहित ) प २१३१, ४१, ४६ ज ३३२६, ३६.४७,५६,६४,७२,८५,११३,१३३,१३८, १४५ उ १।१६ परिहोण (परिहीण ) २२६४६; ३६/६२ ज ५।२२,२६ से २८ सू १६८११ ; २०१६१४ परीसह ( परीषह ) ज २६४ ६७७ परुप्पर (परस्पर) ज ४ । १८० परूढ (प्ररूढ ) ज २१६,१३३,१४५,१४६ √ परुव ( प्र + रूपय् ) परूवेइ ज ७ २१४ उ १६८ पवण (प्ररूपण ) ज २६ परेंत (दे० पर्यन्त ) ज ३।१२६ परोक्खवयण (परोक्षवचन ) प ११८६,८७ परोप्पर (परस्पर) प २२१५१, ७३ ७४ ज ११४६ ( लंघ ( प्र + लङ्घ्) पलंघेज्ज प ३६।९१ पलं'डु (कन्द ) ( पलाण्डुकन्द ) प ११४८१४३ लंब ( प्रलम्ब) प २०३०, ३१, ४१, ४६ ज २११५; |३|१७८५११८७ १७८ सू २०१८ लंबमाण ( प्रलम्बमान) ज ३१६, ६.२२२५१२१, ३८ पलवमाण ( प्रलपत्) उ ३।१३० पलास (पाश) प १।३५।१ ज ४।२२५।१ पलिओम (पल्योपम ) प ११२४, ४१३०, ३४,३६. ४०,४२,४३,४५,४६,४८,४६, ५१, ५२, ५४, १०४,१०६, ११०,११२, १२४, १४६, १५१, १५५,१५७.१५८,१६०,१६२, १६४, १६५, १६७,१७१,१७३, १७७, १७६,१८०, १८२, १८३.१८५,१८६,१८८, १८६, १६१,१६२, १६४,१६५, १६७, १९८, २००, २०१,२०३, २०४,२०६,२०७, २०६, २१०, २१२,२१३, २१५,२१६,२१८, २१६,२२१,२२२, २२४, २२५, २२७.२२८,२३०,२३१,२३३, २३४, २३६,६।४३; १२।२४; १८४, ६, १०, १२,६०, ७० से ७२ २०६३ २३/६१,६४,६६.६८,७३, ७५ से ७७,७६,८१,८३ से ५६८८ से १०, ६२, ६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११७,११८,१३४,१३५, १३८, १४०,१४२. Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ पलिभाग-पविज्जुयाइत्ता १४३,१५१ से १५३,१५५ से १५७,१६०, ४०,५५ पवत्तति प १६१४३ १६१,१६४,१६६ से १६६,१७१ से १७३ पवत्त (प्रवृत्त) ज ३।११५,१२३ ज ११२४,३१,४५ से ४७, २१५,६,४४,५२, पत्ति (प्रवनिन्) प १६६५१ ५६,५६,१५६,१६१, ३.१६७,२२६;४।२२, पवत्ति (प्रवृत्ति) ज ४१२३,३८,६५,७३,६०,६१ ३४,५४,६०,६१,६४,८०.८५,८६,६७,१०२, पवयण (प्रवचन) प १।१०१५५,११ सू २०१६।४ १४२,१६१,१६६,१६७१३,१७७,१८६,१६६, पवर (प्रवर) | २३०,३१,४१,४६ ज ३७,६, २०८,२६१,२६६,२७०,२७२,७१८७ से १६६ १२,१५,१७,२१,२२,२४,२६,३१.३२,३४ मू ६।१८११८१२५ से ३६ उ ३.१६,८५, से ३६,३६,४७,५६,६४,७२,७७,७८,८१, १२४,४।२५ ८५.८८,६१,१०८ से १११.११३,१३३,१३८, पलिभाग (प्रतिभाग) प १२।२७,३६,३७,१५३५० १४५,१६७।५,१७३,१७५, १७७,१७८,१६६, ज २६५ २२२, ५३५,७,४६,५८ सू २०७२ ११७, पलिभागभाव (प्रतिभागभाव) प १७१५०,१५२ १६,२२,२४,१२३,१४०।४।१२,१३,१५; पलिमंथ (परिमन्थ') प ११४५११ ५११८ पलिय (पलित) ज २११५,१३३ पवह (प्रवह) ज ४।३६,४३,७२,७८,६०,६५, पलियंक (पर्यङ्क) ज ११८,४८,४।५५,६२,६८, १७४,१८३,२६२, ६।१८ १६७,१६६,७१३३१२ पवा (प्रपा) ज २१६५,५१५७3 ३१३६ पलुम (पलुआ) प १४४८१६ सन की जाति का एक पवाइत (प्रवादित) प २१३१,४६ पौधा पल्ल (पल्य) ज २६ पवाइय (प्रवादित) प २१३०,३१,४१ ज ११४५, पल्लग (पल्यक) प ३३।२० ज ४१५७ ३.१२,७८,५२,१८०,१८५,१८७,२०६,२१८; पल्लल (पल्वल) २१४,१३,१६ से १६,२८ ५।१,५१६७१५५,५८,१८४ सू १८६१३, पल्हत्थ (पर्यस्त) ज ३३१०५ १६।२३.२६ पल्हत्थमुह (पर्यस्तमुख) उ १११५, ३१६८ पवात (प्रपात) उ ५५ पल्हव (पल्हव) प ११८६ पवादित (प्रवादित) ज ३.२०६ पल्हविया (पल्हविका) ज ३।११।१ पवाय (प्रभात) ज २।३८,३१८८४२३,३८,४२. पल्हायणिज्ज (प्रह्न दनीय) १७११३४ ज २।१८, ६५.६७,६८,७१,७३,६० से १४ १८५ पवायबहुल (प्रपातबहुल) ज १११८ पवंच (प्रपञ्च) प २१६४ पवाल (प्रवालय ११२०१२,११३५,३६:११४८।१५, पवग (प्लवक) ज २१३२ २५,६३; २१३१ ज २१२४,६४,६६,१३१,१४४, पिवड (प्र-+पन्) पवडइ ज ४।२३ से २५,३८ १४५,१४६,३।३५,११७,१६७।८ से ४०,६५ से ६७,७३ से ७५९९० से १२ पवालंकुर (प्रवालाकुर) प १७.१२६ पवडेज्ज उ ३१५५ पवालि (प्रवालिन) ज ७।११३ सू १०११२६।३ पवडणया (प्रपतन) प १६:५३ पविचरिय (प्रविचरित) ज ४१३ पवण (पवन) प २।३०।१ ज ३।३५ १०६; २५ पिविज्जुय (प्र- विद्युत्) पविजुयाइस्सइ पिवत्त ( प्रयतंय्) पवत्तड १६८,१६५३६ ज ११४१ से १४५ पविजुयायंलि ज ३।११५ १. वनस्पतिकोश में हरिमन्थ शब्द मिलना है। पविजुयाइत्ता (प्रविद्युत्य) ज २११४१ Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पविजुयायित्ता-पसत्य ६७६ पविज्जुयायित्ता (प्रविद्युत्य) ज ३।११५ पविट्ठ (प्रविष्ट) प१५११११,१५१३६,४०,४२ ज ३।१०५,१७८.२२३;७।१७८ पविठित्ता (प्रविश्य) सू १०।१३६,१३१५,६ पवित्थर (प्र--वि- स्त) पवित्थरइ ज ३७६, ११६,११८ पविभत्त (प्रविभक्त) ज १११८,२०,४८,४११६७, २१५ पविभत्ति (प्रविभक्ति) सू १५:३७ पवियरिय (प्रविचरित) ज ४१३,२५ पवियारण (प्रविचारण) प १३१७ पविरल (प्रविरल) ज २६१३३; ५७ पिविस (प्र-विश) पविसं ति ज ३।१८३ पविसंत (प्रविशत्) च ४।२ सू १८१२; १९४२२१४ पविसमाण (प्रविशत्) ज ३१२०३११३,१६,२३ से २५,२८ से ३०,७२,७८,८४ सू १११२,१४, १६,१८,१६,२१.२४,२७,२६३, ६।११३१६ से १०,१४ से १६ पिवुच्च (प्र- वच्) पवुच्चइ सू ५१ पढ़ (प्रव्यूढ) ज ३।६७,१६१,४१२३,३५,३५,४२, ६५.७१,७३,७७,६०,६१,६४,१७४,१८३, १६५,२६२ पवेस (प्रवेश) ज ११६,३८,३।१२,४१,४६,५८, ६६,७४,७७,१०६,१४७,१६८,२१२,२१३; ४११०,११५,१२१,२१७ उ ५।४३ पव्व (पर्वन् ) प ११४८।४७,११।२५ ज ७।१०६ से ११० सू १०.१२७:१२।१६,१७,१३३१,२ पव्वइत्तए (प्रवजितुम) प २०१७,१८ उ ३१५०; ५॥३२ पवइय (प्रवजित) ज २६५.६७,६५,८७ उ २१६; ३३१३,२१,५०,५५,५८,६०,७६,७७,७६,११३, ११८, ५॥३८ पव्वंस (दे०) उ ५२२५ मिशिर ऋतु पव्वग (पर्वक) प १४३३११:११४१,११४८।४६ ___ ज २११४४ से १४६, ३।३१ पिन्वज (प्र-व्रज्) प जिहिइ उ ५४३ पन्वज्जा (प्रव्रज्या) उ ३११६६ पब्बत (पर्वत) प २।३२,३६,५०,५१,१७११११ ज ११४६;३।२२४ सू ५।११६२६ पव्वतराय (पर्वतराज) सू १६४२३ पवतिद (पर्वतेन्द्र) सू ॥१ पव्वय (पर्वक) ५ ११४२११ पन्वय (पर्वत) ६२३३,३५,४३,४४,१६।३०; १७४१०६ ज १११६,१६,२०,२३ से २५,२८, ३२,३३,४६।१,४७,४८,५१:२१३१,१०,११७, ११८,११६,१३१,१३३,३।१,६१,८१,१३०, १३१,१३५ से १३७,२२४;४।२३,३८,४८, ५७,५९,६०,६५,७१,७३,८४,६०,६१,६४, १०३,१०६,११०,१११,११३,११४,१४२, १६०,१६२,१६३,१६७,१६८,१७२,१७३, १७५,१७६,२००,२०५ से २०८,२१२ से २१६,२२०,२२१,२२५,२२६,२३४,२३५, २३७,२३६ से २४१,२५३,२५४,२५७,२५६, २६० से २६२९५१४४,४७,४८,४६,५५,६।६।१; ६।१०,१६,२३,२४,७१८ से १३,३१,३३,५५, ५८,६७ से ७२,६१,९२,१७१ सू ४१४,७,७११; ८.१,१८।५ उ ३३५५,५५,६ पिन्वय ( प्रव्रज) पव्वयाइ उ ३.११२ पव्वयामि उ ३११३;४।१४ पन्वयाहि उ ३।१०७ पव्वयग (पर्वतक) ज १११३ पन्वयबहुल (पर्वतबहुल) ज ११८ पवयराय (पर्वतराज) ज ७।५५ सू ५।१,७११ पवयसमिया (पर्वतसमिका) ज ११२३,२५,२८ पत्रयाउय (एवनायुप् ) ज ५॥१६ पव्यराहु (पर्वराहु) सू २०१३ पसंत (प्रशान्त ) ज २१६८,५७,२६ पसदिल (प्रशिथिल) १२१४६ पसष्णा (प्रसन्ना) उ११३४,४६,७४ पसत्त (प्रसक्त) ज ५१२६ पसत्थ (प्रशस्त ) प १७१३३,१३४,१३८,२३४५६, १०६,११६:३४।१३ ज ११३७२।१५:३।३,६ Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० पसय- उन्भूय १८,३५,६३,१०६,१८०,२२२,२२३;७११७८ पसय (दे०) प ११६४ ज २१३५ पसर (प्र स) पसरइ उ ३.५१ पसरई १११०१७ पसरित्ता (प्रमृत्य) उ २५१ पिसव (प्र+स) पसवंति ज २०४६ पसार (प्रसारय) पसारेइ उ ३६२ पसासेमाण (प्रशासयत्) ज ३१२ उ ५१६,११ पसिण (प्रश्न) ज ७।२१४ उ ३१२९ पसिय (प्रमृत) ज ३१३५ पसु (पशु) प १११४ उ ३१३६,४८,५० पसूय (प्रसूत) ज ३१०६ उ ३।४८,५०,५५ पसेढी (प्रश्रेणी) ज ५।३२ पसेणइ (प्रसेनजित्) ज २१५६,६२ पसेणी (प्रश्रेणी) ज ३.१२,१३,२८,२६,४१,४२, ४६,५०,५८,५६,६६,६७,७४,७५,१४७,१४८, १६८,१६६,१७८,१८६,१८८,२०६,२१०, २१६,२१६,२२१ पह (पथ) ज ३१८५,१८८,२१२,२१३,५७२, ७३ सू १६।२२।१५ उ १६८ पहंकरा (प्रभङ्करा) ज ४।२०२।२ पहकर (दे०) ज २११२६५,३।१७,२१,१७७ पहगर (दे०) ज ३१२२,३६,७८ पहत (प्रहत) ज २११३१ पहरण (प्रहरण) ज ३३३१,३५,७७,१०७,१२४, १६७१६,१७८,४।१३७ उ १११३८ पहरणरयण (प्रहरणरत्न) ज ३३५ पहराइया (प्रभाराजिका, प्रहारातिगा) प ११८ पहव (प्रभव) ५ १११३० पद्दसिय (प्रहसित) प २१४८ ज ११४२,४१४६, २२१ : ७६१७६ सू १८८ पहा (प्रभा) प २१३१ ज ११२४ पहाण (प्रधान) ज २।१५,६४,१३३,३१३,३२, ११७६१,१३८,१७५७।१७८ पहार (प्रहार) ज ३।१०६ उ ३।१३१,१३४ पहार (प्र. धारय) पहारेत्थ ज २६३18, १८३ उ १८८ पहारेमाण (प्रधारयत्) प ३४०२४ पहाविय (प्रधावित) ज १६५ पहिय (प्रथित) ज ३११७,१८,२१.३१,६३,१७७. १८० पहीण (पहीण) ज २१८८,८६,३१२२५ पहु (प्रभु) ज ७११६८१२ पाई (पाची) प ११४४।१ एकलता, मरकतपत्री पाइक्क (दे०) ज २०६५ पाईण (प्राचीन) प २१०,५० से ५२,५४ से ६२ ज ११२०,२३ से २५,२८,३२,४८,३११, १२६।४।४।१,३,५५,६२,८१,८६,८८,६८, १०३.१०८,१४१,१६२.१६७.१६६,१७२, १७८,१८५,१८३,१६१,२००,०३,०५, २१५,२४५,२४६,२५१,२६२,६८,१११०१, १०२ सू८।१ पाईणपडिणायता (प्राचीनापाचीनायता) सू१।१९; २।११०११४२,१४७,१२१३० पाईणपडीणायता (प्राचीगापाचीनायता) प २।५० से ६२ ज ११२० । पाईणपडीणायया (प्राचीनापाचीनायता)ज ११२०% ३.१:४।१,३,८६,८८,९८,१०८ पाईणवाय (प्राचीनवात) प २६ पाउण (प्र+आप) पाउणइ उ ३११४,५।३६ पाउणति प ३६.९२ पाउणि सई उ ५।४३ पाउणित्ता (प्राय) प३६९२ ज २१८८,३१२२५ उ २।१२३।१४,४१२४:५१२ पाउप्पभाय (प्रादुष्प्रभात) ज ३।१८८३३१४८, ५०५५,६३,६७,७०.७३,१०६,११८ पाउब्भव (प्रादुन्। भू) पाउभभंति ज ५१२७ पाउन्भवह ज ५२२,२६ उ १११२१ पाउभवामि उ ३।२६ पाउमविस्था ज ३.१०४ पाउभविस्थाइ ज २११४१ मे १४५ पाउभवमाण (प्रादुर्भवत्) ज ५१२८ पाउन्भूय (प्रादुर्भत) ज ३११०५.११३,१२५; Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाउभवित्ता-पादुम्भ ९८१ ५१७४ सू ११४ उ १।२४,३४,४०,४३,७४; ३३५७,६२,६५,६९,७२,७५,८१,१४३,१५६ पाउभवितए (प्रादुर्भवितुम्) ३११३ पाउया (पादु) ज ३१६,१७५; श२१ पाउस (प्रावृष) ज७१२६ १२११४ उ ५२५ पाओ (प्रारम्) - १ पाओवगध (प्रोपगा) उ ।११ पाओसिया (प्रादोपिकी) २२१४६,५६ पागड (प्रट) ज ३१३ च ११३ पागडभाव (कटभाव) ज २१६८ पागडिय (प्रकटित) २१४८,४६ पागढि (प्रापिन् ) ज ५॥५,४६ पागत (कृत) सू १६२२१३ पागलग (पा शासन) । २।५० ज ५११८ पागार कार) प२३०,३१,४१ ज ३११; ४।११४,११६, ७।१३३१२ पागारच्छाया (प्राकारच्छाया) सू ६१४ पाभारसंठिय (का संस्थिः ) सू १०।४३ पाड (पालय) पाडेइ उ ३१५१ पाडेंति ज ५११६ पाडण (वन) उ११५१,८६ पाडल (माटल) ज ३।१२,८८,५१५८ पाहता(टला)६ १३७५ पापुडाटलिपुट) ज ४।१०७ पाधिएकक (प्रक) ३१११८,४१२२ पउिसए ( विनुम) उ ११५१,७६.७७ पाडियंतिथ (प्रात्यधिक) ज २५७ पाउिवया (हिप) सू २०६३ पाडिहारिय (पानिहारिक) । ३६।६१ पाडेता (पातयित्वा) ज ५११६ उ ३१५१ पाढा (ठा) १९८८१४, १७।१३१ पा (प्राण) पश६४, ३६।६२,७७ ज २।१३१, ३११०८ से १११, २१२ पाण (प्राण, न) ज २१४११,२ पाण (पान) उ ३५०, ५५,१०१,११०,११४,१३४; पाणक्खय (प्राणक्षय) ज २।४३ पाणत (प्राणत) ११११३५ पाणम (प्र-+अन्) याणमंति ॥ ७१ से ४,६ पाणय (प्राणत) १२१४६,५८,५९,५९।२,६३; ३।१८३, ४१२५८ से २६०।६।३६,५६,६६; ७.१७:१५1८८,२११७०२८1८४;३३।१६; ३४११६,१८ ज ५१४६ उ २१२२ पाणय (पानक) उ ३।११४:४।२१ पाणयग (प्राणतज) ज ५१४६ पाणयव.सय (प्राणतावतंसक) प २५८ पाणाइवातकिरिया (प्राणातिपातक्रिया) प २२.१ पाणाइवाय (प्राणातिपात) प २२१६ से ११,२१ से २३ पाणाइवायकिरिया (प्राणातिपातक्रिया) प २२१६, ४६,४७,५०,५२,५७,५६ पाणाइवायविरत (प्राणातिपातविरत) प २२१८३, ___ ८४,६१ से १४,६६ पाणाइवायरमण (प्राणातिशतविरमण) प२२२७७ से ७६ पाणातिवालकिरिया (प्राणातितक्रिया) प २२१६ पाणि (प्राणिन ) ज ३.१७८ पाणि (पाणि) ज ५१५ उ ११११ से १३,३०,३२; २१७,४१८,५।१२,२५ पाणिग्गहण (पाणिग्रहण) उश१३ पाणिय (पानीय) उ ३।१३० पाणियग (पानीयक) ज २११३१ पाणिलेहा (पाणिरेखा) ज ११५ पाणी (पाणि) प ११४०।४ पात (प्रातस्) सू १०१५,१३६ पाती (पात्री) ज ३१११,५१५ पाद (पाद) १७.१११ ज ४११३ पादपीढ (पादपीठ) ज ३११७८ उ११११५ पादीणपडीणायया (प्राचीनााचीनायता) ज १११८ पाभ (पा-दुर् : भू) दुष्यति १३४।१६,२१ Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ पादो-पास पादो (प्रातस) सू २१ पारगामि (पारगामिन् ) ज ३७० पादोसिया (प्रादोषिकी) प २२॥१,४,५६ पारणग (पारणक) उ ३१५१,५३,५४ पामोक्ख (प्रमुख,प्रमुख्य) ज ११२६; २१७४,७७; पारस (नारस) प २८६ ४११३७ उ ५११०,१७,१६। पारसी (पारसी) ज ३३१०२ पाय (पाद) ज ३११२५,१२६,२२०,२२४:५१५,७।। पारिणामिया (पारिणामिकी) उ ११४१,४३ सू २०१६१६ उ १.११,१३,३० से ३२,७१, पारिप्पन (पारिप्लक) ५११७६ १४:४।८.२१:५।१२ पारियावणिया (पारितापनिकी) प २२११,५,५०, पाय (प्रातस्) सू १०।१३६ । ५२,५६ पायचारविहार (पादचारविहार) ज २१३३ पारेत्ता (पारयित्वा) ज ३१२८ पायच्छित (प्रायश्चित्त) ज ३७७,८१,८२,८५, पारेवत (पारापत) ११६५५, १७१३२ १२५,१२६ सू २०१७ उ १११६,७०,१२१ पारेवय (पारापत) ६११५९ ज ३३५ ३।११०,११५,५११७ पारेवयगोवा (पारापतग्रीवा), १७।१२४ पायत्त (पादात) ज ३।१७८ पाल (पालय) पानयाहि ज ३।१८५ पालेंति पायताणीय (पादातानीक,पादात्यनीक) ज ३११७८ ज १२२,५०,५८,१२३,१२८:४११०१ पायत्ताणीयाहिवई (पादातानीकाधिपति, पाले हिति ज २११४८ पादात्यनीकाधिपति)ज २२,२३,२६,४८ पालइत्ता (पालयित्वा) ज १८८ से ५२,५३ पालंब (प्रालम्ब) ज ३१६,६,२२२:५।२१ पायत्तिय (पादातिक) उ १११३८ पालक्का (पालका) प ११४४११ पायददरय (पाददर्द रक) ज ५१५७ पालण (पालन) ज ३१८५,२०६ पायपीढ (पादपीठ) ज ३१६५२१ उ १५११५ पालय (पालक) ज ५।२८,२६,४६३ पायमूल (पादमूल) उ ३।१२५ पालियायकुसुम (पारिजातकुमुम) १७१२६ पायरास (प्रातराश) उ १११०,१२६,१३३ पालेत्ता (पालयित्वा) ज १।२२ पायव (पादप) ज २।६५,७१, ३।१०४,१०५ पालेमाण (पालयत् ) ए २१३०,३१,४१,४६ उ १११,६१,३१५६,६४,६६,६८,७१,७४,७६ ज श४५,३।१८५,२०६,२२१:५११६ पायवंदय (पादवन्दक) उ १७०४।११ उ १६५,६६,७१,६४,१११,११२,५।१० पायविहारचार (पादविहारचार) उ ३।२६ पाव (प्र+आप) पाये प २१६४।१५ पायसीस (पादशीर्ष) ज ४११३ पाव (पाप) म १११०११२,१११८६ पायहंस (पादहंस) प १७६ पास्यण (प्रवचन) उ ३३१०३,१३६,४।१४।५।२० पायाल (पाताल) ५२११,४,१०,१३ पाववल्ली (पावकवल्ली) ८ ११४०१२ पायावच्च (प्राजापत्य) ज ७/१२२१२ सू १०१८४१२ पावा (पावा) प ११६३३५ पायीण (प्राचीन) ज २१५३ कपास (दश) पासइ ११७१०८ से ११०, पायोवगय (प्रायोपगत) ज ३१२२४ ३०१२८ ज २१७१,६०,६३,३३५,१५,२६,३१, पार (पारय) पारेइ ज ३१२८,४१,४६,५८,६६, ३६,४४,४७,५२,५.६,६१,१०६,११६.१३१, ७४,१३६,१४७,१८७ १३७,१४१.१७३,५१३,२१,२८,६३ उ १११६; पारगत (पारगत) प २१६४१२१ ३।७,४११३,५१२२ पासउ ज २१ मंति Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पास-पिंगायण १८३ प २१६४।१३,१५१४६ से ४६,३३.२ से १३, २४३,५११,६,२५ उ ११४६,६४,२१६५।१३, १५ से १८,३४१६ से ६,११,१२ ज ३११०५, २०,२७,३१ ११३ उ १५३६ पासति र १२३७,४१,४४, पासायव.सय (प्रासादावतंसक) ज ४।१०२,११६, ४५,१७१०६ से १११:२३।१४;३०।२५ से । २२१,२२२,२२३११,२२४।१।। २८,३६१८०,८१ पासह ज ३।१२४ पासि (पाव) ज २३,२५,२८,३२,३।१७६; पासिज्जा उ ११५ पासिहिति ज २।१४६ ४.१,४३,६२,७२,७८,८६,६५,६६,१०३,१७८, पासिहिसि उ ११२२ पासे इ उ ११५७ पासेज्जा १८३,२००,२०१:५१४६,६०,६६ उ १२१ पासिङ (द्रष्टुम्) १ ११४८।५७ पास (पास) १८६ पासिउकाम (द्रष्टुकाम) प २३।१४ पास (पाश्च) ज २।१५,३१३२,४।१४२,२०२,२१२, पासित्ता (दृष्ट्वा ) १२३३१४ ज २०६० उ ११६ ५।१७,४३,४६,६०,६६, ७१३१,३३ सू ४।३,४ ३३१०१,४११३:५११३ २०१२ उ ३।१२,१४,२१,२८,९६,४६,५१,७६; पासित्ताणं (दृष्ट्वा ) उ ११३३,२१८ ४११०,११,१३,१५,१६,२०,२८ पासियत्व (द्रष्टव्य) प २३।१४ पाश (पाश) ज ३.१०६ पासेत्ता (दृष्ट्वा ) उ ११५७ पासंडबहुल (पापण्डबहुल) ज १११८ पाहाण (पाषाण') ज ५११६ पासंडधम्म (पापण्डधर्म) ज २११२६ पाहुड (प्राभूत) ज ३८१ च ३१२,३,५१४ सु ११७; पासग (पाशक) ज ७१७८ ___६१४,२५,१०।१७३ पासग्गाह (पाशग्राह) ज ३।१७८ पाहुडत्थ (प्राभृतस्थ) सू २०६ पासणया (दर्शन,पश्यत्ता) प १११।७,३०।१,५,८,१० पाहुडपाहुड (प्राभृतप्राभूत) च ५।४ स ११६ पासथविहारि (पाश्चस्थविहारिन्) उ ३११२० पाहुणिय (प्राधुनिक) ज ७१८६।१ सू २०१८ पासमण (श्यत्) ज २१७१ पाहुय (प्राभूत) प १२५० पासवण (प्रस्रवण) : १८४ पि (अपि) उ ३३० पासाईय (प्रासादीय प्रासादिक) प २१३१,४८,५६, पिड़ (पितृ) उ १६१,५४३ ६३ १२३,४१,२।१५:४३,६,१३,२५,२६, पिइदेवया (पिलदेवता) सू१०।८३ ३३,४६,१४६; १६२ उ ५१६ पिउ (पितृ) ज ७१३०,१८६।४ उ ११५२,५४, पासाण (पाषाण) ज ३।१०६४।३,२५,७४१७८ पासाद (पासाद) १६५ पिउसेणकण्ह (त्रिसेनकृष्ण) उ ११७ पासादच्छाया (प्रसादच्छाया) मू ६४ पिंगल (पिङ्गल) ज ३१६,१६७१४,२२२ पासासठित (प्रासादसंस्थित) सू४१२ पिंगलक्ख (गिलाक्ष) ज ७।१७८ पासादीय (प्रासादीय,प्रासादिक) प २।३०,४१,४६, पिंगलक्खग (पिंगलाक्षक) ज २।१२ ६४ ज ११८,३१,२।१२,१४,४।२७ मू १११ पिंगलग (चिंगल क) ज ३।१६७ उ५४,५ पिंगलय (सिंगलक) ज ३३१६७४१,१७८ सू २०१२, पासाय (प्रासाद) ज ११४२,४३ ; २।२०,६५,३।३२, ८,२०१८४ ८२,१८७,२१८,२१६,४१३,४६,५०,५३,५६, पिंगायण ( गायन) ज ७१३२।३ सू १०११०८ १०६,११२,११६,११६१२०,१४७,१५५,१५६। २२१ से २२४,२२६,२३५,२३७,२३५,२४०, १.दे ११२६२ Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ विजय ( पिण्डक) ज ६।६।१ पिंडवाय ( निण्डपात) उ५/४३ पिडित ( ण्डित ) प २२६४।१५,१६ पिंडिस (पिण्डिम ) ज २११२५१५ पिक्क (पत्र) प १७११३३ पिक्खुर (दे० ) ज ३१८१ पिच्छय ( विच्छक) उ १ ५६, ६३, ८४ पिच्छि ( पिच्छिन्) ज ३११७८ पिट्ट (दे० ) उ ३।११४ पिट्ठओ ( पृष्ठतम् ) ज ३ १०,११,८६,८७,१७६; ५१४६,६०,६६ पिट्ठओउदग्गा ( पृष्ठत उदग्रा ) सू ६२४ पिटत ( पृष्ठान्त) उ ३१३ पितर ( पृष्ठान्तर ) उ २०१६;५।५ पिट्ठीय ( पृष्ठ ) उ ३१११४ पिट्ठिकरंडक (पृष्ठकरण्डक) ज २११६ पिट्ठिकरंड ( पृष्ठकरंडक ) ज २०४८, १५६ पिट्ठिकरंडक (पृष्ठकरण्डक) ज २१५२,१६१ पिट्ठिकरंडुय ( पृष्ठकरण्डक) ज २१५६ पिडग (क) सू १६ २२२४, ५, ६ पिड (क) सू १६।२२ ४, ५ पिषद्ध (विद्ध) ज ३६,७७,१०७, १२४,२२२ उ ११३८ विद्ध ( प | नह) द्धेति ज ३।२११ / पिणाव (नाय्, पि+नि+धाय्) पणद्धावेइ ज ५१५८ पणद्धावित्ता ( पिनाह्य विनिधाप्य) ज ५१५८ पित्ता (ना) ज ३।२११ पितिपिंड (पितृपिण्ड ) ज २१३० पित्त (पित्त) प १८४ वित्तिय ( पैत्तिक) उ ३।३५,११२,१२८ पिप्पर (वली ) प १।३६३२ पिपलचण (पलचूर्ण ) प ११।७६ १७ १३१ पिप्पलिया (पलिका) प ११३७ २ पिप्पली ( दिप्पली ) प १७ १३१ पिप्पलीमूलय ( पिप्पलीमूलक) १७।१३१ पिंडय - गीइदाण पिप्पीलिया ( पिपीलिका) व ११५० पिय (प्रिय ) प २१४१ ; २८।१०५ ज २२६४; ३०५, ६०,१५७, १८५, २०६५३५८ उ १२४१, ४४; ३।१२८५।२२ √ पिय (पा) पियंति उ ३६८ पिय (पितृ) उ १७२,८८,१२४१२८ पियंगाल (दे० ) १।५१ पियंगु ( प्रियङ्गु ) प २४०१६ पियट्ट्या ( प्रियार्थ ) ज ३१५, ११५, १२५ पियतर ( प्रियतर ) ज २११८ ४ १०७ पितरिया ( प्रियतरका ) प १७।१२६ से १२८, १३३ से १३५ ज २२१७ पियदंसण ( प्रियदर्शन ) ज ३१६,१७,२१,२८,३४, ४१,४६,१३६, १७७,२२२ सू २०१४ उ ५ ५,२२ पियर ( पितृ) प ११।१३, १८ पियस्सरता (प्रिवस्वरता ) प २३।१६ पिया ( पितृ) ज २२७ पिया (प्रिया) ज २२६६३४६, ६ पियाल ( प्रियाल ) ज ११३५२ पिरिली (पिरिली) ज ३।३१ पिलंग (पिलक) ज २।१३७ पिक्खक्ख (प्लक्षरूक्ष ) १/३६/२ पिल्लण ( प्रेरण ) ज ३११०६९ पिव ( इव) ज ३१२२१११३८३।५० पिवासा ( पिपासा) उ ३।११४,११५, ११६,१२८ पिसाय ( पिशाच ) १।१३२ २१४१ से ४३,४५ ४६; ६८५ पिसायइंद (पिश चेन्द्र) १२१४२ से ४४ पिसायराय (पिशाचराज ) प २१४२ से ४४ पिसुय ( विशुक) प ११५० ज २१४० पिधान ( विधान ) ज ५।५६ पिहजण ( पृथक्जन) १ २६ पिहुल ( पृथुल ) ज २११५७१३१,३३ सू ४३,४, ६,७ पोइगम ( प्रीतिगम ) ज ५|४|३७|१७८ पोइदाण (प्रीतिदान) ज ३६, २६, २७, ३६, ४०, Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पीइमण-पूच्छा ४७,४८,५६,५७,६४,६५,७२,७३,१३३,१३४, ३६८१ ज १७ सू १११४ १३८,१३६,१४५,१४६ पुक्खरद्ध (पुष्करार्ध) प १५२५५:१७११६५ पीइमण (प्रीतिमनस्) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१,५३, सू१६२०२,५ ६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४,१४२,१६५, पुक्खरवर (पुष्करवर)सू १९१२ से १६:२११३,२८ १७३,१८१.१८६,१९६,२१३,५।२१,२७ पुक्खरवरदीवड्ढ (पुष्करवरद्वीपार्ध) ५ १६।३० उ ११२१,४२,३।१३६ म १६०२१ पीइवद्धण (प्रीतिवर्धन) ज ७.११४।१ पुक्खरवरोद (पुष्करबरोद) सू १६०२८ से ३१ पीढ (पीठ) १३६६१ उ ३१३६ पुक्खरसारिया (पुष्करसारिका) प १६८ पीढग्गाह (पीठग्राह) ज ३.१७८ पुषखरिणी (पुष्करिणी) प २।४,१३,१६ से १६, पीढमद्द (पीठमद) ज ३१९,७७ २८,१११७७;२११८७ ज १।१३,३३,२११२; पीण (प्रीणय ) पीणेति ज ५१५७ ४।१४०,१५४,२२१ से २२४,२३५,२४३ पीण (पीन) ज २०१५ पुवखरोद (पुष्करोद) ज ५।५५ सू १६।२८ से ३१ पीणणिज्ज (प्रीणनीय) १ १७११३४ पुक्खल (पुष्कल) ज ४११६६ पीणित (प्रीणित) सू १२।२६ पीतय (पीतक) सू २०१२ पुक्खलकूड (पुष्कलकूट) ज ४११६८ पीति (प्रीति) उ १११११,११२ पुक्खलचक्कट्टिविजय (पुष्कलचक्रवति विजय) ज४।१६४,१६५ पीतिदाण (प्रीतिदान) ज ३।१५० पुक्खल विजय (पुष्कलविजय) ज ४११६७ पोतिवद्धण (प्रीति वर्धन) सू १०।१२४११ पीय (पीत) ज ३१२४,३१ पुक्खलसंवट्टय (पुष्कलसंवर्तक) ज २।१४१,१४२ पीयकणवीरय (पीतकरवीर) प १७११२७ पुक्खलावइचक्कवट्टीविजय (पुष्कलावतीचक्रवर्ति पीयबंधुजीवय (पीतबन्धुजीवक) ५ १७११२७ विजय) ज ४।२०० पीयासोग (पीताशोक) र १७११२७ पुखलाई (पुष्कलावती) ज ४१६६ पीलु (पीलु) 4 ११३५११ पुक्खलावईकूड (पुष्कलावतीकूट) ज ४११६६ पीवर (पीपर) ज २१५७.१०८ पुग्गल (पुद्गल) ५ २८॥३५ पीसिज्जमाण (विष्यमाण) ज ४११०७ पुच्छ (प्रच्छ) पुच्छड चं ११४ उ २०१२ पोहगपाय ('पोहग'पान) उ ३।१३० पुच्छिज्जति सू १०।६२ पूच्छित्सामि उ १११७,३२६ पुंख (पुख) ज ३।२४ पुंज (पुञ्ज) प २।३०,३१,४१ ज २।१०:३७,८८ पुच्छणी (प्रच्छनी) ५१११३७।१ ४।१६६:५७ पुच्छा (पृच्छा) प २१४४,४१५० से ५४,५४ से ६४, पुंडरीका (पुण्डरीका) ज ५१११११ ६६,६७,६६,७०,७१,७३,७४,७६,७७,८०,८१ पुंडरोगिणी (पुण्डरीकिणी) ज ४०२००११ से ८७.८६,६०,६२ से ६४,६६,६७,६६,१००, पंडरीय (पुण्डरीक) ५ २१४८ ज ३।१०:४१४६,२७४ १०२.१०३,१०५ से ११२,११४ से १३०, पुक्कार (पुक्का रय) पुक्कारेंति ज ५१५७ १३२ से १३६,१४१ से १४८,१५० से १५७, पुक्खर (पुष्कर) ५ १५६५५३१ ज २१६८ १५६ से १६४,१६६,१६७,१६६,१७०,१७२, सू १६२१३१ १७३,१७५ से १८२,१८४ से २०६,२०८, पुक्खरकणिया (पुष्करकणिका) परा३०,३१,४१, २०६,२११,२१२,२१४ से २६३,२९५,२६६, Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुच्छिज्ज-युद्धविच्काइय .६६६१,१५१,१५१३६ से ४०,४५,२०१३६; २२१५६२३।१३ से २३:२८।११,१२,५७,५८ ज०१८,२०,२३,४८3३३३५,४१,५५,६२, ८१,८६,६८,१०८,१७२, ६।१,३,७१४०,५०, २९८५१३,१५,१६,५५.५८,६२,६७,७०, ७३,८८,६६,१३०,१३३,१३५,१३७,१३६, १४२,१४४,१४६,१४६,१५३,१५६,१५६, १६२,१६५,१६८,१७१,१७३,१७६,१८०,१८३, १८६,१८६,१६२,१६६,१६६,२०२,२०६, २१०,२१३,२१७,२२०,२२३,२२७,२२६, २३३,२३६,२३८,६१२४ से २६,२८ से ४२, ७४,७६,७७,११०,११२,६४२२;१०१७ से १३, २२ से २४;१२।२४,३३,१४।१५,१५१४ से ६, ६,१०,४२,५७,८१,८२,८५,८६,६२,६३; १६.४,६ से ८,१७:१४,१७,२८,२६,३३,४१ से ५५,६५,१०२,१०४,१३१ से १३४,१५८, १६२,१६४,१८१२६,६२,११२,११८,१२१, १२३,१२४,१२७:१६।२,३,५,२०१४.७,१६, ३०,३५,४१ से ४४,४६ से ४८,५३,५४; २११३७,६७, २२१६८,६६,६५,६८२३६४८ से ५०,६५,६६ से ७६,८१,८३ से ८६,८८ से ९०,६५,९८,६६,१०१ से १०४,१०६,१११ से ११८,१२८,१२६,१३१ से १३३,१५४,१७३; २४।६,८,२६।६,१०,२८७६ से ६७,६६, १०६,११०,१२६,१४५,२६१८,११,२०,२१; ३०।१२,१८,२०,२२,३१।२,३,६,३२१३,४,६, ३३१७ में ६,२० से २६,२८,२६,३२,३३,३६, ३४।७ से ६,११,३५।३.११,१६,२२,३६१३४, ५०,५१.५५ से ५७ ज ४।२०४,२१०,२५८, २५६७।६३.७४,७७,८३,८४,१०८,१४२ से १४४ सू ९३१०।१५१,१८११० से १३,३५, ३६:१९३५,८,११,१५,१६,२१,३१,३५,३८ उ २०१३;३१८,२१,२६,६४,१५६,१६६ ; ४।५; ५१२३ पुच्छिज्ज (प्रच्छ) पुच्छिज्जइ प ३।१२१ पुच्छिज्जति प १११८२,८३,८५,१७।३०; २११६१,२८।११५,११७ पुच्छिज्जति प२८॥१४५ पुठ्ठ (स्पृष्ट) ५ २६४११०,११,१११६१,६२, पुड (पुट) ज ५११४,१७ उ १५५,५७,६१,६२, ८०,८२,८६,८७,३।११४ पुढवि (पृथ्वी) प ११२०११,११४८३८११५३, २।१,२० से २७,३० से ३७,४१ से ४३,४६, ४८ से ५१,६३,६४,३१११ से २३,१८३:४।४ से २४,६१० से १६,४५,५१,७३ से ७८,८०; ८०१,२,६।८८,६१,६२,१००,१०६:१०१ से ३,११।२६ से २८,१५॥५५२,१६१२६; १७१३३१८११०७.११६.२०१६ से १०,३८ से ४२,४६,५६,२११५२,५६,६६,८५,८७, ६०:२२२२४; २८१२३,३०१२५ से २८, ३३१३ से ८,१६,१७ ज २।१६,१७,६८; ३१२२४; ४।२५४,७११२१४,२११,२१२ सू१०।१२६१४ पढधिकाइय (पृथ्वीकायिक) प १४१५,१६, २१ से ३,३१२,५० से ५२,५४,६० से ६३,६५ ७१ से ७४,७६,८४ से ८७,८६,६५,१५६ से १५८.१८३,४१५६ से ६४,६८,५१३,६,१०, ५२,५३,५५,५६,५८,५६,६२,६३,६।१६.५३, ६२,८२,८३,८६,८६,१०२,१०३,११५; ७।४;८१३;६।४,१६:१२१२०,२१,२३,२५,२६, १३.१६,१५१२० से २८,५३,५४,७२ से ७४, ७६.१३७;१६।१२,१७१६५.१०२,२०१२४; २।३७, २८१२८,२६।२० ज २०७२ सू २१ पुढधिकाइयत्त (पृथ्वीका कत्व) प १५।६६,३६।२२ ज ७१२१२ पुढविक्काइय (पृथ्वीकाक) प १२।३,२४; १५१५७,८५,१६।४१७।१८ से २२,४०,६०, ८७,६४,६५,६७,१०२,१८१२६,३२.३८,४०, पुढविकाय (पृथती माय) सू ११ Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुढविक्काइयत्त-पुष्फबद्दलय १८७ ४२,५०।१६।२:२०६१३,२२,२४ से २६,२८, १४२ च ५१ सू १।६।११०२१ ३२,३५, २११३ से ५,२३,४०,७६,८० पुण्णा (पूर्णा) सू १०१६० २२॥३१,७३,२४१६:२८१२६.३० ३३ से ३६, पुण्णाग (पुन्नाग) ११॥३५१३ ज ३।१२,८८,५८ ३८,६६२६८ से १०,२०:३०।८,६,१८,१६ पुण्णिमा (पूर्णिमा) ज ७:१२५,१२७११,१३७ से ३११३,३४।३;३५१६.२०,३६१६,२५.२६, १४५,१५४,१५५,१६७।१ सु १०१६ से १७, १६ से २२,२६ पुढविक्काइयत्त (पृथ्वीकाविकत्व) प १५३१४१; पुण्णिमासी (पौर्णमासी) ज ७४१३८,१४१ च ५१ ३६१२६ सू१०७,८,१८,२०,२२,१२६२,१३६ से पुढविसिलापट्टक (पृथ्वीशिलापट्टक) उ ५।८ । १५६,१३।१ से ३,६ पूढविसिलापट्टग (पृथ्वीशिलापट्टक) ज ३।२२३ पुत (पुत) उ ४६ पुढविसिलापट्टय (पृथ्वीशिलापट्टक) उ ११ पुत्त (पुत्र) ज २१२७,६४,६६,१३३ उ ११०,१३, पुढविसिलावट्टय (पृथ्वीशिलापट्टक) ज १११३ १५,२१ से २३,३१,४३,९७,७२,७४,८२,८७, पुढवी (पृथ्वी) सू २।१,६१३,१८११ उ ११२६,२७, ६५,१०६,११०,११३,११४,१४६२१६,६,१८, १४०,१४१ २२,३१४८,५०,५५,११४ पुण (पुनर्) प६१८०।१ सू ११२० उ ११७ पुत्तंजीवय (पुत्रजीवक) प ११३५१२ पुणं (पुनर्) उ ३।१०२ पुत्तत्त (पुत्रत्व) उ ५३०,४३ पुणब्भव (पुनर्भव) प २०६४ पुष्फ (पुष्प) प १३५,३६:१।४८।१७,२७,४०,४१, पुणरवि (पुनरपि) प ३६१६४ ज २१६,३१८१; ४७,६३,२।३०,३१,४०।१०,४१,१५।२ ज २१८ ७११८,१२१ सू२।१ से १०,१२,१५ से १८,६५,१४५,१४६ ; ३।७, पुणव्वसु (पुनर्वसु) ज ७/१२८,१२६१३४ से ११,१२,२१,३४,७८,८५,८८,१०६,१८०, १३६,१४०,१४६,१६१ सू१०२ से ६.१३, २०६४।१६६,५७,२२,२६,४८,४६,५५% २४,४०,६२,६८,७५,८३,१०५,१२०,१३१ ७।३१,३३,३५,५५,११२१३,४ सू ४।३,४,६, से १३३,१५५,१६१,१११२ से ४ ७,६१०२०,१२६६३,४;१६।२२।२,१५; पुणो (पुनर्) ज ३।१०६ सू १६।२२ उ ३१६८ १६।२३,२०1८।६ उ ११३५,३१५०,५१,५३, ११०,११४:५६ पुण्ण (पूर्ण) प १४०१६ ज २१६०,१०३,१०६, पुष्फ (पुष्प) पुप्फति ज ३११०४,१०५ १०८,१७८,३१६,२२२, ४।३,२५,१७२११ १४६७४१७८ पुष्फकेतु (पुष्पकेतु) सू २०१८ पुण्ण (पुण) प ११०१२ ज ३१११७१५५,४६ पुष्फचंगरी (पुष्प 'चंगेरी') ३३१२५ ज ३।११; पुण्णकलस (पुर्णकलश) प २।३० ज २४३ ५७,५५ पुण्णचंद (पूर्णचन्द्र ) ज ३।३,११७ पुष्फचूला (पुष्पचूला) उ ४।२०,२२,२८ पुण्ण (भद्द) (पूर्णभद्र) उ ३१२११ पुप्फलिया (पुप्पलिका) उ ११५४।१ से ३, पुण्णभद्द (पूर्णभद्र) ए २१४५.४५।१ ज ४११६२११, २७,५१ १६५ उ १६.१६,१४४; २।१४,१६:३।१५६, पुष्फछज्जिया (पुष्पछादिका) ज ५१७ १५८,१६० से १६५.१६९.१७१,५१८ पुप्फपटलहत्थगय (हस्तगतपुष्पपटल) ज ३।११ पुषणभद्दकूड (पूर्णभद्रकूट) ज ११३४,४६:४।१६५ पुष्फपडलग (पुष्पपटलक) ज ५७ पुण्णमासी (पौर्णमासी पूर्णमासी) ज ७११२।२, पुष्फबद्दलय (पुष्पवादलक) ज २७ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४।१ ८१ ६८८ पुष्फमाला-पुरिस पुष्फमाला (पुष्पमाला) ज ५१।१ ज १११६,१८,२०,२३,२४,३५,४१,४६,४८, पुप्फय (पुष्पक) ज ५१४६।३ ५१,३११,१४,१५,२२,२६,५१,५२,१६१,४११, पुप्फ (वासा) (पुष्पवर्षा) ज ५१५७ १८,२६,३५,४५,५५,५७,६२,७१,८१,८४,८६, पुष्फविटिय (पुष्पवृन्तक) प ११५० ६०,१०३,१०६,१०८,१२६,१५१११,१५३, युएफाराम (पुष्पाराम) उ ३।४८ से ५०,५५ १६२,१६७,१६६.१७२,१७८,१८१,१८२, पुप्फारुहा (पुष्पारोहण पुष्पारोपण) ज ३११२,८८ १८४,१८५,१६०,१६१,१६३,१६४,१६६, पुरफासव (पुष्पासव) प १७६१३४ १६७,१९६ से २०३.२०५,२०६,२०८,२०६, पुप्फाहार (पुष्पाहार) उ ३५० २१३,२१५,२१६,२२८,२३३,२३५,२३८, पुफिय (पुष्पित) उ ३१४६ २४३,२४५,२६२,२६५,२६६,२७१,२७२, पुफिया (पुष्पिका) उ ११५:३११ से ३,१६,२०, २७४,२७७,५८.१०,३६,४७,६।१६ से २४; २२,२३,८७,८८,१५३,१५४,१६६,१६७,१७०; ७.१७८ सू२।१८।१:१३।१२,१५,१५।८ से १३:१८११४ से १७, २०१२ उ ३१५१ पुप्फुत्तर (पुष्पोत्तर) प १७११३५ पुरस्थिमपच्चत्थिम (पौरस्त्यपाश्चाल) सू २१ पुरफुत्तरा (पुष्पोत्तरा) ज २११७ शक्कर की जाति पुष्फोदय (पुष्पोदक) ज ३१६,२२२% पुरस्थिमलवणसमुह (पौरस्त्यलवणसमुद्र) ज ४।२६८ पुष्फोवयार (पुष्षोपचार) ज ७१३३११ पुरथिमिल्ल (पौरस्तर) प १६१३४ ज ११२०,२३, पुष्फोवयारसंठिय (पुष्पोपचारसंस्थित) सू १०११३० ४८,२।११७,३।२६.६५,६७,६६,१३५,१५१, पुम (पुंस्) प १११५ से १०,२४,२६ से २८ १५६.१७०,२०४,२१४,४।१,२३.५५,६२,८१, पुमवयण (पुंस्वचन) प ११।२६,८६ ८६,९८.१०८,१४३.१४७,१५६.१७२,२२६, पुर (पुर) ज २१६४ २२७,२३७,२३८,२६२,५।१४,४४,७११७८ पुरओ (पुरतस्) ज ३।१२,८८,१७८,१७६,२०२, सू २।११०।१४७:१३।१३ २१७,४।५,२७,१२२,१२४,१२७,५१३१,४३, पुरवर (पुवर) ज ३१३२.३५,२२१ ४४,४६,५७,५८,६०,६६ उ ३१५०,११२:४११६ पुरा (पुरा) ॥ १।१३,३०,३३,३७,४१२ पुरओउदग्गा (पूरत उदगा) सू६।४ पुराण (पुराण) ज ३।१६७ पुरंदर (पुरन्दर) प २१५० ज ५:१८ परिभकंठमाओवगता (पूर्वकण्ठगापमता) सूहा४ पुरक्खड (पुरस्कृत) स ८१ पुरिमड्ढ (पूर्वाद्धं) प १६।३० पुरजण (पुरजन) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, पुरिमाल (पुरिमताल) ज २७१ ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ पुरिमद्ध (पूर्वाद्ध ) प १६:३०;१७।१६५ पुरतो (पुरतम्) सू २।२ पुरिस (पुरुष) पश६०,६६,७५,७६,८१,८४; पुरत्याभिमुह (पौरस्त्याभिमुख) ज ३१६,१२,२८, २१६४११६,३।१८३,६७६;१६४८,५२,५४; ४१,४६,५८,६६,७४,१४७,१८८,२०४,२१६ १७.१०८,१०६,१११ ज ३१७,८,१५,१६,२१, २२२,५।२१,४१,४७,६० उ१।४१,३१६१ ३१,३४,३५,७,८१,१२५,१६७६४,१७३, पुरस्थाभिमुहि (पौरस्त्याभिमुखिन् ) ज ४।२३,३५, १७६,१७८,१८३,१६६,२००,२१२,२१३ चं ४। २ ८।२,२०७ उ १११७,१८,४४, पुरस्थिम (पौरस्त्य,पूर्व) प ३१ से ३७,१७६,१७८ ४५,१२३,१३१,३११०,१११।४।१६ से १८; Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिसकर-पुव्ववेयाली ५१५,१५ से १८ पुरिसकार (पुरुषकार) गु २०६।३ पुरिसक्कार (पुरुपकार) ५ २३११६,२० ज २०५१, ५४,१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४, १६०,२६३,३।१२६,१८८,७१७८ म २०११ पुरिसच्छाया (पुरुपच्छाया) ज २२,२५ मु २।३ पुरिसजुग (युरुपयुग) ज २८४ परिसवरगंधहस्थि (पुरुषवरगन्ध हस्तिन ) ज १२१ पुरिसवरपुंडरीय (पुरुष रपुण्डरीक) ज ५१२१ । परिसलिगसिद्ध (पुरुषङ्गिनिद्ध) ५१११२ पुरिसवेद ( पुरुषवेद) प १८१६१,२३३१४२,१८७; २८।१४० परिसवेदग (पुरुषवेदक) प ३३९७:१३।१४,१८,१६ पुरिसवेय (पुरुषवेद) प २३:१६,७४,८४,१४४ पुरिसबेयग (पुरुषवेदक) T१३।१५ पुरिसवेयपरिणाम (पुरुषवेदपरिणाम) प १३.१३ पुरिससीह (पुरुषसिंह) ज ५।२१ पुरिसादाणीय (पुरुषादानीय) उ ३।१२,२६,७६ ४।१०,११,१३,१४,१६ परिसोत्तम (पुरुषोत्तम) ज ५२१ पुरोष (पुनीप) उ ३३१३०,१३१,१३४ पुरेक्खड़ (पुरस्कृत) प १५८३ से ८५,८७,८६ से १०१,१०३ से १०६,१०८ से ११०,११२ से १२३,१२५ से १३२,१६५ से १४३,३६८ से पुव (पूर्व) प १६।२१:३६१६२ ज २१४,१६१; ३११८५,२०६,२२१,४।१३५,२३८७१३८, २१२ च ११३ सू ३।१:८।११८।१,२१ उ ११६६,१०६,११०,११३,११४ पुत्वंग (पूर्वाङ्ग) ज २४,७११७१ सु८११; १०१८६१ पुचंभाग (पूर्वभाग) गु १०१४,५ पुवकोडाकोडि (पूर्वकोटिकोटि) ज ३११८५,२०६ पव्वकोडि (पूर्वकोटि) प ४११७७,१०६,११३.११५, ११६,११८,११६,१२१,१३१,१३३,१३७,१३६, १४०,१४२,१४६.१४८:१८।४,६०,८१,८४, ८६.६६:२३७८,७६,१४७,१५८,१६२,१६५, १६६ ज २।१२३,१५१:३।१८५,२०६४।१०१ पुब्बग (पूर्वक) ११।४६ पुचितिय (पूरचिन्तित) उ ३१७६ पुषण्णस्थ (पूर्वन्यस्त) ज ५१४२ पुवण्ह (पूर्वह्नि) ज २०७१,८८ पुव्वदारिया (पूर्वद्वारिका) सू१०।१३१ पुब्बपडिवण्ण (पूर्वप्रतिपन्न) उ ३.८१,८२ पुब्बपोट्ठवया (पूर्वप्रीष्ठादा) मू १०।६४ पुब्बफग्गुणी (पूर्वफल्गुनी) ज ७१२८,१२६,१३६ पुदभद्दवया (पूर्वभाद्रपदा) ज ७।१२८, १२६,१३६, १३६,१४२ सू १०१६ पुत्वभव (पूर्वभव) उ ३१६,२१,२६,१४६,१५६, १६६,१७१४।५,२८ पुब्वभाव (पूर्व भाव) प २८१६८ से १०१ पुब्दरहतगुणसेढीय (पूर्वरचितगुणश्रेणिक) प ३६।६२ पुस्थरत (पूर्वर.) उ ११५१,६५,७६,३१४८,५०, ५५,५७.६६,७२,७५,७६,६८,१०६,१३१ पुववण्णिय (पूर्ववणित) ज २।५२,१६१,३११७१; ४।६६,१०१,१०६,१६०,२३७,२४३,५६,७; ७।३५,१६७ पुनविदेह (पूर्वविदेह) प १६।३०१७३१६१ __ज २१६, ४।६६,६६,२१३,२६३११ पुन्ववेयाली (पूर्व 'वेयाली') प १६१४५ पुरेडिय (पुरस्कृतक) प १५३५८१२ पुरोहियरयण (राहिसार) ज ३३१७८,१८६, १८८,२०६,२१०,२१६,२१६,२२० पुरोहियरयणत (पुरोहितल) २०५८ पुलग (दुलक) ११५८ ज १५:१५ पुलय (पुलक) : १।२०।४ ज ३.३५ पुलाकिमिया (दे०) प १४६ पुलिद (जिन्द) ११८६ पलिदी (हिन्दी) ज ३३१११२ पुलिण (पुलिन) ज ४।१३ । २०१७ पुलिय (पुलित) ज ३।१७८,७।१७८ Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० पुवसंगइय-पेच्छाघरमंडव पुब्वसंगइय (पूर्वसांगतिक) उ ३१५५ ६०,६१,११३,११६; २११४४ से ४७,४७११, पुश्वसयसहस्स (पूर्वशतसहस्र) ज २१६४,८७,८८; २,६.२११६८,२४।१४,१५, २५२,४,२७१२,६; ३।१८५,२२५ २८।२७,७३ से ७६,१२१,१२४,१२७ से पृन्दाण पूवी (पूर्वानुपूर्वी) उ ११२,१७,३।२६,६६, १३२,१३६,१४३,१४५.;३६११७,३४ १३२,१४६,१५६; ४।११,५१३६ पुहत्तय (पार्थक्त्विक) घ १११८५ पुवा (पूर्व) सू १०१५,१२०,१११३;१२२२३ पुहवी (पृथ्वी) ज ३१३,३५, ५११०११ पुवापोट्ठवता (पूर्वप्रौष्ठपदा) सू १०॥५६ पूअफलीवण (पम्फलीवन) ज २६ पुवापोवया (पूर्वग्रीष्ठपदा) सू १०१४,५,६,२१, पूइ (पोई) प ११३५४३ २३,३१,८२,६६,१३१,१३२ पूइत्त (पुतित्व) ज २१६ पुवाफग्गुणी (पूर्व फल्गुनी) ज ७.१४०,१४८, पूइय (पूर्जित) ज ३।८१५१५ १५१,१६३ सु १०।२ से ६,१५,२३,४४,६२, पूजित (पूजित)उ ३१४८,५० ७०,७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५२; पूय (पूर्व) प १८४;२२० से २७ ज ३१२० १२।२३ उ ११५६,६१,६२८४,८६,८७ पुटवाभद्दक्या (पूर्व भद्र'दा) ज ७१४६,१५७ पूयथय (दे०) १११६५ सू१०।२,३,५,७५,१३१,१३३ पूयणवत्तिय (पूजनप्रत्यय) ज ५१२७ पुव्वामेव (पूर्व मेव) प ३६६२ उ ४।२१ पूणिज्ज (पूजनीय) सू १८१२३ पुवावर (पूर्वापर) ज १।२६,४१२१,१४२,२५६; पूयफली (पूगफली) ५ ११४३।२ ६।१०.११,१४,१५,१८ से २२,२६,७१४,६३, पूया (पूजा) उ ३१५१ ८७,११०,१८३ कपूर (पूरय्) पूरयंते ज ३१३१ पूरेड प ३६१८५ ज ७।११२१५ पुरेति ज ५११३ पूरेति पुत्वासाढा (पूर्वाषाढा) ज ७।१२८,१३६,१४०, मु १०1१२६५ १४६,१६७ सू १०।२ से ६,१६,२३,५३,६२, पूरग (पूरक) ज ३१८८ ७४,८३,११८,१३१ से १३५ पूरयंत (पूरयत्) ज २१६५,३१३१ पुटिव (पूर्वम् ) उ ३१११८ पूरिम (परिम,पूर्य) ज ३।२११ पुबिल्ल (पूर्वीय) ज ५।४१ पूरेत (रयत) ज ३१३०,४३,५१,६०,६८,१३०, पुयोववण्णग (पूर्वोपपन्नक) ६१७४४,६,१६,१७ १३८ से १४०,१४६,७११७८ पुस (पुष्प) ज ७।१२६।१ पूरेता (पूरयित्वा) ज ५।१३ पुस्स (पुष्य) ज ११३६,१४०,१४६,१६१,१६२ पूस (पुरुष) ज७।१२८.१३०,१८६।३ यु १०१४; सु १०।२,३,५,६,१३,२४,४१,६२,६८,६६, १२११६ से २३,२६ ७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५६; पूसफली (पुरुफली) ५११४०११ १११६१६।२२।१७ पूसमाणय (पुष्यमाणव) ज ३११८५ पुस्सदेवया (पुष्यदेवता) सू १०८३ पूसमाणव (पुष्यमाणव) २१६४,५३२ पुस्सफल (पुष्यफल) प १।४८४८ पेच्छणिज्ज (प्रेक्षणी) ज २०१५ पुस्सायण (पुप्यायण) ज ७/१३२१२ सू १०११८ पेच्छा (प्रेक्षा) ज २१२०,३२ पुहत्त (पृथक्त्व) प ७१३,६ से १११८१,८३,८४, पेच्छाघरसंठित (प्रेक्षागृहसं स्थित) मु४१२ १२।६१५।६,१८१४,१६,२४,३१,३६,४९,५४, पेच्छाघरमंडव (प्रेक्षागृहमण्डप) ज ३।१६३; Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पेच्छिज्जमाह-पोलिंदो ९६१ ४।१२३,१२४;५।३३ १६:३३,३४,१७।२,२५, २१:१।१,६५,६६; पेच्छिज्जमाण (प्रेक्ष्यमान) ज २१६५:३।१८६,२०४ २३।१३ से २३:२८।२०,२२ से २४,३२,३४, पेज्ज (प्रेम) प १११३४।१।२२।२० ३६,३६ से ४२,४४,४५,४८,६६,६८ से ७१. पेज्जणिस्सिया (प्रयोनिधिता) १११३४ १०५,३४११११,३४१६.१६,२०,३६।५६,६१, पेढ (पीठ) ज ४११४३,२०८; ५१३ ६२,६६.७०,७३,७४,७६,७७.७६ से ८१; पेम्म (मेमन्) ज २१२७ ज १६, ३१६२,५२१,७,७।२११ सू ५।१; पेरंत (पर्यन्त) ज ११६ ; ३११२६।४।४।१४३, ७१,६१,२०१२ २४५,२४६,२५१७१७८ पोग्गलगति (पूद्गन्दगति) प १६१३८,४३ पेलव (पे१५) ज ३१२११:५।५८ पोग्गल स्थिकाय (पुद्गलास्तिका) ५३१११४ पेस (प्रेः) ज २२६ ११५,१२०,१२२ पेस (प्र. इ) पेसिज्ज इ उ ११२८ पेसेइ पोग्गलपरियट (पुदगल परिवर्त) प १८१३,२७,४५, उ १।११० पेसेमि उ १।१०६ पेसेमो ५६,६४.७७,८३,६०,१०८ उ ११२७ पसेह उ १११०७ पेमेहि उ ११११५ पोच्चइ (दे०) उ ३.१३० पेसल (पेशल) प १७११३४ पोट्ट (दे०) २४३ पेसित्तए (पितुम्) १।१०७ पोलिया (पोट्टालिका) ज ५११६ पेसिय (प्रेपित) उ १३११६,१२७ पोवई (प्रौष्ठादी) ज ७४१३६,१४२,१४८,१५१, १५५ पेसुग्ण (पशुन्य) प २२१२० पोवती (प्रौष्ठपदी) सू १०७,६,२१,२३,२६ / पेह (प्र- ईक्ष् ) पेहति प १५५० पोट्टक्य (प्रौष्ठपद) मू १०१५,१२०,१५३ पेहमाण (प्रेक्षमाण ) प १५:५० पोडइल (पोटगल) प ११४२११ तल तृण पेहुणमिजिया (पेहुण' मजिका) १७.१२८ पोतिया (दे०) ११५११ पोंडरीय (पौण्डरीक) प ११४६,७६ ज ४।३,२५ पोत्तिय (पौत्रिक) उ ३१५० पोंडरीयदल (पौण्डरीकदल) प १७।१२८ पोत्थगग्गाह (पुस्तकग्राह) ज ३।१७८ पोक्ख (प्र-+उक्ष) पोखेद उ ३५१ पोत्थयरयण (पुस्तकरत्न) ज ४।१४० पोक्खरस्थिभय (पुष्करास्थिभार) ज ४७ पोत्थार (पुस्तकार) प ११६७ पोक्खरपत्त (पुस्करपत्र) ज ३।१०६ पोरग (पोर) ११४४।१ इक्षु पोक्खरवर (पुष्करवर) सू१९६१५३१,२ पोराण (पुराण) प २८१२०,२६,३२,६६ पोक्खरवरदीव (पुष्करवरद्वीप) सू १६११५ ज १११३,३०,३३,३६,४२ पोक्खल (पुष्कर) प ११४६ पोरिसिच्छाया (ौरुषीच्छाया)म् ११६। ३१ से ३ पोक्खलस्थिभय (पुष्करास्थिभाग) प ११४६ पोरिसी (पौरुषी) ज ७११५६ से १६७ मु १०।६४ पोक्खलावतीचक्करदिविजय से ७४ (पुष्कलावतीचक्रवति विजय) ज ४११६७ पोरिसीच्छाया (पौरुषीच्छाया) चं २३ पोग्गल (पदगल) १९८४:३।११२,१२४,१७५, पोरेवच्च (पौरपत्र पौरोवत्य) प २।३० से ३३, १७६,१८० से १८२,५३१४०,१४३,१४५, ३५,४१,४८ से ५१ ज १।४५; ३।१८५.२०६. १४७.१५०.१५४.२३३,२३४,२३६ से २३६, २२१,५।१६ उ ५।१० २४१,२४२,६२६१५१४० से ४७.४६: पोलिंदी (पोलिन्दी) ५ १६८ Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६२ पोस (पौष) ज २११६७|१०४ सु १०११२४ उ ३१४० पोसह (पौषध) ज २११३५ पोसहघर (गृह) ज ३१३२ पोसहसाला (पौषधशाला ) ३।१८ से २१,३१, ३३, ३४, ५२ से ५४ ५८,६१,६३,६६,६६,७०, ७१,७४,८४,८५, १३७, १३६,१४१ से १४३, १४७,१६४ से १६८, १८० से १८३,१६०, १६६ उ ५ ३५ पोसहिय ( पोपधिक) ज ३।२०,३३,३५,५४,६३, ७१,८४,१३७,१४३, १६७,१८२ पोसहवास (पौषधोपवास) प २०१७,१८,३४, पोसो (पौषी) ज ७।१३७, १४०, १४६, १४६, १५५, लु १०१७,१३,२२,२३,२६ पोहत ( पृथक्त्व ) प १५१।१,१५ ८ से १०,२३, ३०.१४०२४।६ पोहत्तिय (पार्थ क्विक ) प २२२५, २८:२३८, १२ फ फग्गुण (फाल्गुन) ज २२७१७३१०४ स १० । १२४ उ ३१४० फग्गुणी ( फल्गुनी) ज ७ १३७,१४०,१४६, १५३, १५५; १० ११२०:१२/२३ तु १०१७,१५,२३. _२५,२६,१२०,१५३,१५८,१२।२३ फणस ( स ) प १३६३१:१६।५५; १७।१३२ फणिज्जय ( फणिज्भक ) व ११४४१३ मरुआ फरिस (स्पर्श) ज ३०२,१८७, २११,२१८५३५८ ग्रु २०१७ उ ५ २५ फरस ( रुप ) ज २३१३१,१३३ फल (फल) ११३३५,३६,१४८६,१८,२८,६३, २३।१३ से २३ ज १११३,३०,३३,३६,२८, ६,१२,१६,१७,१८,७१, १४५, १४६; ३०११७, २२१:४/२७/११२।३, ४ १०।१२०, १२६/३,४ उ ११३४,१८, ६६, ३५०, ५३, ६८, १०१,१३१; ५१६ फलग (फलक) ५ ३६।६१ ज ३।३१ उ ३।३६ पोस- फासचरिम फलगग्गाह (फलक ग्राह) ज ३११७८ फलय ( फलक ) ज ४१२६ उ १।१३८ फल (वासा) ( फलवर्षा ) ज ५:५७ फलविटि ( फलवृन्तक ) प ११५० फलहसेज्जा ( फलका) उ५१४३ फलासव (फलासव ) ६ १७ १३४ फलाहार ( फलाहार ) उ३१५० फलिय ( फलित ) उ ३०४६ फलिहकूड ( स्फटिककूट) २१५१,५६ 'फलिहामय (स्फटिकमय ) सु १८८ फाणिय ( फाणित) ५ १५।११२,१५५० फालिय (स्फटिक) ज ४१३, २५ फालियामय ( स्फटिकमय ) प २१४८ ज ७।१७६, १७८ फास (स्पर्श) प ११४ से ६, २२० से २७,३०,३१, ४१, ४८, ४६; ३११८२५१५, ७, १०, १२, १४,१६, १८,२०,२४,२८,३०,३२,३४,३७३६, ४१, ४५. ५३,५६,५६,६१,६३,६८,७१,७४,७६,७८, ८३, ८६,८६,६१,६३,६७,१०१, १०४, १०७, १०६,१११, ११५,११६,१२६,१३१,१३४, १३६,१३८, १४०, १४३, १४५, १४७, १५०, १५२,१५४,१६३,१६६, १६६,१७२, १७४, १७७, १८१, १८४, १८७, १६०, १६३, १६७, २००,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४२, २४४; १० । ५३।१; ११५६; १५१३८, ७७,८१, ८२,१७११३२ से १३४,२३।१३ से २३,१०६, २८१६,१०,२०,३२,५५,५६,६६, ३४१११२; ३६।८०,८१ ज १११३,२७,१८, ६८, १४२; ३।१३८; ४।२७,४६,८२५३२७ २०६ सू २०१७,८,२०१८,४ फासओ ( स्पर्शतम् ) प १५ से ६; ११/६०; २८११०,२०,२६,५६ फासचरिम ( स्पर्शचरम ) प १०३५२, ५३ १० १११६७ Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फासणाम - बंधणविमोयणगति फासणाम ( स्पर्शनामन् ) प २३३८,५० फासतो ( स्पर्शनस् ) प ११६ से ९; २८१३२,६६ फासपज्जव ( स्पर्शपयंव) ज २१५१,५४,१२१, १२६, १३०,१३८, १४०, १४६, १५४, १६०, १६३; ७/२०६ फासपरिणाम (स्पर्शपरिणाम ) ५१३२१, २६ फासपरियार (स्पर्शपरिवार ) प ३४।२१ फासपरियार (स्पर्श रिचारक) ५३४।२८, २१, २५ फासपरियारणा (स्पर्शपरिचारणा ) १ ३४।१७, २१ फासत (स्पर्शवत् ) प ११५२,५६,२८५,६, ५१; ५५ फासविण्णाणावरण (स्पर्श विज्ञानावरण) प २३|१३ फासादेस ( स्पर्शादेश ) प ११२०, २३, २६,२६,४६ फासावरण (स्वरण ) प २३|१३ फासिदिय ( स्वन्द्रिय ) ११५१,६,७,१० से १८, २० से २७,३०,३१,३५,४२, ५८ से ६४,६९,७०, ७३,७४,८०, ८५, १३३,२८१४२,४५,४६,७१ उ ३१३३ फासत्ति ( स्पर्श द्रियत्व ) १२८१२४, २६, ३४१२० फासिदियपरिणाम ( स्पर्शेन्द्रियपरिणाम ) प १३१४ फासु ( प्रासु ) उ ३ | ३६ फाय (प्राक, स्पर्शक) उ३।११४ फायविहार ( प्रासुकविहार) उ ३१३०,३६ फार्सेदिय ( स्पर्शेन्द्रिय) १ १५/१६, २८, ३१ से ३३, ६४ से ६७,७६,१३४; २८१३६ फुट्ट (दे०) ज २२१३३ √ फुट्ट ( फुट) फुट्टउ उ ५१७२ फुट्टिहि ज ५।७३ फुट्टमाण (स्फुटत्) ज ३८२,१८७,२१८ फुड ( स्पृष्ट ) प १५।५३ से ५७, ३६१५६,६०,६६ से ६८,७०,७१,७४,७५,८१ चं ११३ फुडिता (स्फुटित्वा ) प ११७८ फुडिय (स्फुटित ) प २।१३३ फुल्ल ( फुल्ल ) ज ३।१८८ फुलावलि (फुलावलि) ज ५१३२ / फुस ( स्पृश् ) फुसइ ज ३।१३१ फुसई प २६४|११ फुसंति प ११।७२ ५।१ फुतु ज ३।११२ ६६३ फुसमाण ( स्पृशत् ) प १३१२३ सम्गणगति ( स्पृशद्गति ) प १६३८, ३६ फुसिता ( स्पृष्ट्वा ) प १५:५१, १६ । ३६, ३६ । ७६, ८१ ज ३ १३१ फुसिय ( स्पृष्ट) ज ५.१७ फेण (फेन) ज ३१३५४११२५ ५/६ २७ १७८ फेणमालिनी ( फेनमालिनी) ज ४१२१२ ब बडल ( बकुल ) प ११३५।१ बस (कुश ) प १३८६ बंध (बन्ध ) १ ३३११२; १३१२२।१,२,१४११८|१; २६।१२ ज २११३३ / बंध (बन्धु) बंध २३३,१९८ २४।१३ से १५ ३५५ बंधति १४:१८, २२०२२, २३, ८६,६०,२३।५, ७,१३४, १३५,१३७ से १४०, १४२,१४३,१४६,१४७, १५१ से १५८,१६० से १६२,१६४,१६६,१६७, १६६,१७१ से १७४,१७६, १७७, १८१,१८५, १८६,११० ; २४०४, ५, १० से १२, १५:२६१४, ६ ज ५।१३ बंधति प २२२१,८३,८६,८७,२३११११, २३४,६,१९४ से १६६,१६ से २०१,२४५२, ३,१०,१५,२६।२, ३, बंधिसु प १४१७ बंधिस्त १४३१८ बंधेसु प १४११८ बंधेसि उ ३७६ बंध (बन्धक ) प ३ | १७४, २२१२२,२३,८४,२०; २३६३; २४१४ से ८, १० से १३,२६१४ से ६, ८ से १०; २७५ बंध ( बन्धन) २२६४४२२; १६१५५,३६८२११, ८३११,६४१ ज २१२७,२६,८६,८६,१३३; ३।२२५ उ १/६६,६६,७२,८६,६२ बंधछेद गति ( बन्धनछेदन गति ) प १६ १७,२३ बंध परिणाम ( बन्धनपरिणाम ) प १३ ।२१,२२ बंधनविमोयणगति ( बंधन विमोचन गति ) १६३८,५५ Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६४ बंधगाण-बल विसिट ठया बंधमाण (बध्नत् ) प २२२६,२७:२४।२ से ५,६ बत्तीसमंगुलमूसियसिर (द्वात्रिंशदङ्गलोच्छित शिरस्क) से १५:२५।२,४,५ ज ३३१०६ बंधय (बन्धक) प १३१६२,२२१२१ ८३.८६,८७, बत्तीसविह (द्वात्रिशविध) ज ३।१५६ २३।१।१,२३.१६१ से १९३,२४१२,३,७,८, बदर (बदरा) प ११३७।२ कपास का पौधा १०,१२:२६।२ से ४,६,८ से १० बद्ध (बद) प १५१५८१२;२०३६, २३।१३ से २३ बंधिता (बद्वा) ज ५११३ उ ३।५५ ज ३१२४,३५,७७,८२,१०७.१२४,१७८,१८६, बंधुजीदग (वन्धुजीवक) १ ११३८।१ ज २६१०, १८७,२०४,२१४,२१८,२२१४१३.२५ ३१३५ उ ११३८ बंधेउकाम (बद्धकाम) उ ११७३ बद्धग (दे०) ज ७!१७८ एक आभूषण बंधेत्ता (बद्ध्वा ) ज ५।१६ उ ३७६ बद्धेल्लग (दे०) प १२२८ से १३,१६,२०,२१,२३, बंभ (ब्रह्मन्) प २१५४,१५१८८ ज ७१२२।१ २४,२७,२८.३१ से ३३,१५१८३ से ८६,८६ गू १०१८४१ से ६३,६५ से ६७,६६ से १०६,१०८ से १२३, बंभचेर (ब्रह्मचर्य) ज ७११६६ गु १८१३ १२५ से १३२,१३५,१३६ से १४१,१४३ बंभचेरवास (ब्रह्मचर्यवास) उ ५।४३ बद्धेल्लय (दे०) प १२१७,८,१२,२०; १५१९४ बंभग्णय (ब्राह्मण्यक) उ ३।२८,३८,४०,४२ बंभयारि (ब्रह्मचारिन् ) ज ३१२०,३३,५४,६३,७१, बब्बर (वर्वर) प ११८६३८१ बब्बरी (बर्बरी) अ ३।११।१ ८४,१३७.१४३,१६७,१८२ बम्ह (ब्रह्मन्) ब ७।१३०,१७६,१८६१३ बंभलोग (ब्रह्मलोक) प २२४६,५४,५५,६०,७११२; बम्हदेवया (ब्रहादेवता) १०७८ ३३.१६,३४११६ बरग (दे०) ज ३।११६ शालि विशेष बंभलोय (ब्रह्मलोक) म १११३५,२।४६,५४ से ५७, ६३,३।३३,१८३,४१२४३ से २४५,६।३१,५६, बरहिण (वहिन) प १७६ ६५; २०१६१;२११७०,२८१७६; ३४।१८ बल (बल) प २०११६१,२३।१६,२० ज २।५१,५४, 3२।२२५२८ ६४,७१.१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६, बंभलोयग (ब्रह्मलोकज) ज ५/४६ १५४,१६०,१६३; ३३३,१२,३१,७७,७८,८१, बंभलीयडिसय (ब्रह्मलोकावतंसक) ५ २१५४ १०१.१०३,१०६,११७.१२६,१२६,१५१, बंभी (ब्राह्मी) ६११६८ ज २७५ १८०,१८८,२०६४।२३६ ५।५,२२, बकुल (बकुल) ज ३।१२,८८,५१५८ २६,७१७८ २०११,७,६१३,५ उ १२६६, बग (बक) १७६ ६६,११५.११६३।२।१,१७१ बज्झ (बंध) बज्झति उ ३.१४२ बलफर (वलकर) ज ३११३८ बत्तीस (द्वात्रिशन्) ।२२ गुरा३ ड ३११२६; यलफूड विलकूट) ४१२३६,२३६ बलदेव (ब ) प ११७४,६१, ६।२६ ज २११२५, बत्तीसइ (द्वात्रिशन) ज ३११८६,२०४ १५३; १२०० उ ५१० से १२.३० बत्तीस इविह (द्वात्रिशविध) ज ५१५७ उ ३११५६ बलदेवत्त (बलदेव) प२०१५५ बत्तीसग (द्वात्रिंशन्) ज ७।१३१११ बलव (बलवन्) ज ५१५७।१२२६१ रु १०।८४११ बत्तीसजणवयसहस्सराय (द्वात्रिशद जनपदसहस्र- बलवग (बल क) उ:१५ राजन्) ३।१२६२ बलविसिठ्ठया (वलविशिष्टता) प २३।२१ Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बलविहीणया-बहुबीया ९६५ बलविहीणया (वलविहीनता) प २३.२२ ६१,६३,६४,३।१८३६।२६११२२२,१७ बलाग (बलाक) ज ३।३५ १३६,२२२१०१,३६८२ ज ११४५; बलागा (बलाका) प १७६ २१११,१२,५८,६५,८३,८८,६०,१२३, बलावलोय (बलावलोक) ज ३१८१ १२८१३३,१३४,१४५,१४८,१५१,१५७; बलाहगा (बलाहका) ज ५।६३१ ३१६,११.२४,३२।१,८१,८७,१०३,१०४ बलाहया (बलाहका) ज ४।२१०.२३८ १०५,११७,१७८,१८५,१८६.१८८,२०४, बलि (बलि) प २१३१,३३,४०७ ज २११३, २०६.२१६,२१६.२२१,२२२.२२५,४१२,३, ११६; ५।५१ उ ३१५१,५६,६४ २५,२८ से ३०,३४,६०,१४०,१५६,२४८, बलिकम्म (बलिकर्मन्) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२, २५०,२५१,२५२,५३१.५,१६,४३,४६,४७, ८५,१२५,१२६,१४७ सू २०१७ २१११६, ६७,७/११२१,२,७१६८,१८५,१६७,२१३, ७०,१२१ : ३।११०,५३१७ २१४ चं २।४ सू १२६१४,२६११०।१२६।१, बलिपेढ़ (बलिपीठ) ज ४।१४० २,१४।१ से ८:१८२३; १९१६, २०१७ बलिमोडय (दे०) प ११४८:४७ उ१।१६,४१,४३,५१,५२.७६.७७,६३,९८; बव (वब) ज ७१२३ मे १२५ २।१०,१२,३।११,१४.२८,५५,८३,१०१,१०६, बहल (बहल) ज ३११०६ १०६,११४,११५,११६,१२०.१३० से १३२, बहलतर (बहलतर) प ११४८१३० से ३३ १३४,१५०,१६१,१६६४।२४:५७.१० बहलिय (बहलीक) ११८६ बहुआउपज्जव (वह वायुःपर्यव) ज १।२२,२७,५० बहली (बहली) ज ३१११ बहुउच्चत्तपज्जव (बहुच्चत्वपर्यव) ज ११२२,२७,५० बहव (बहु) ज १।१३,३१,२७,१०,२०,६५,१०१, बहुम (बहुक) प २।४६,५०,५२,५३,५५,६३ १०२,१०४,१०६,११४ से ११६,१२०,३।१०, बहुजण (बहुजन) ज ३।१०३ ८६,१०३,१७८,१८५,२०६,२१०,४१२२,८३, बहुणाय (बहुज्ञात) उ ३३१०१ ६७,११३,१३७,१६६,२०३,२६६,२७६,५।२६, बहुतराग (बहुत रक) प १७।१०८ से १११ ७२ से ३४ म् १८।२३ उ ३१४८ से ५०,५५, बहुतराय (बहुतरक) प १७.२,२५ ६२,१२३ , ५।१७ बहुपडिपुण्ण (बहुप्रतिपूर्ण) ज २१८८, ३१२२५ बहस्सइ (बृहस्पति) सु २०१८,२०।८।४ उ १३४,४०,४३,५३,७४,७८,२।१२:५।२८, बहस्सइदेवया (बृहस्पतिदेवता) १०८३ ३६,४१ बहस्सति (बृहस्पति) प २।४८ बहुपदिय (बहुपठित) उ ३३१०१ बहस्सतिमहग्गह (बृहस्पतिमहाग्रह) सू १०।१२६ बहुपरियार (बहुपरिचार) उ ३१६६,१५६५१२६ बहिं (बहिर) प २।४८ बहुपरिवार (बहुपरिवार) उ ३.१३२ बहिता (बहिस्तात्,बहिम्) सू १६१२२।२७ बहुपुत्तिय (बहुपुत्रिक) उ ३६०,१२० बहिया (बहि-तात,बहिस्) ज ११३ २१७१७।५८ वहुपुत्तिया (बहुपुत्रिका) उ ३१२११,६०,६२,६४, सू १।२६।१.३,१९४२२२१ उ २२; ३१२६, १२०,१२५,४१५ ४६,४८.५०.५५,१४५, ५१५,३३ बहुप्पयार (बहुप्रकार) ज २।१३१ बहु (बहु) प १।४८॥५४, २१२० से २७,३० से ३५, बहुबीयग (बहुबीजक) प ११३४,३६ ३७ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ५५,५८ से बहुबीया (बहुबीजक) प १३६ Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६६ बहुमप्रदेसभाग (बहुमध्यदेशभाग ) ज १1३७ ; ४१३५ १६ १६ बहुमदेसभा (बहुमध्यदेशभाग ) ज १११०,१६, ४०,४२,४३,३१,६७,१६१,१६३,१६४, १६७; ४३,६,६,१२,३१, ३३, ४१, ४७,४६,५७,५६, ६४,६८,७०,७६,८४,८८.६३,६८, ११२, ११८, ११६,१३,१४१, १४३, १४५ से १४७, १५६, १६८,१७७,२०७,२०८,२१३,२१८,२२१,२४२, बाणउय (द्वानवति) ज ११४८ २४८, २५०,२५२,२६६,२७२५।१३ बहुमय ( बहुमत ) उ ३११२८ बहु ( बहुक) १४७३, ११४८ ५४ ३३८ से १२०० १२२ से १२४, १७४, १७६ से १५२,६११२३; ८/५.७,६,११,६।१२,१६,२५१०१३ से ५,२६ से २६,११/७६,६०,१५।१३, १६.२६,२८,३१, ३३,६४,१७।५६ से ६६,७१ से ७६.७८ से ८३,१०६, १०७, १४४ से १४६; २०/६४; २१।१०४,१०५, २८१४१, ४४, ७०, ३४।२५; ३६।३५ से ४१, ४८, ४१ सु १८२३७ बहुल (बहुल ) प २०४१ ज २।१२,६४,६५,७१, ८८,१३३,१३४,१३८ ४ २७७ ७ १२६ बहुलक्ख ( बहुलपक्ष ) ज ७।११५, १२५ सू २०१३ बहुत (बहुत) प १११२४ aar (बहुवचन) प ११८६ बहुविह ( बहुविध ) प २।६४।१७ १७ १३६ ज ३१६,२२२ बहुसंघण ( बहुसंहनन ) ज ११२२,२७,५० बहुसंठाण ( बहुसंस्थान ) ज ११२२,२७,५० बहुतच्च (बहुत्त्र) ज ७११२२ ।१ मू १०२८४।१ बहुसम ( बहुसम ) प २४८ से ५१,६३,३३३६; १७ १०७,१०६,१११ ज १११३,२१,२५,२६, २८,२६,३२,३३,३६,३७,३६,४०, ४२, ४६; २७,१०,३८, ५२,५६,५७, १२२, १२७, १४७, १५०,१५६,१५६,१६१,१६४ ३३८१,१९२ १९३,१६६,१९७; ४२, ३, ५, ६, ११, १२, १६, ३२,४६,४७,४६,५०,५६,५८,५६,६३,६६,७०, ८२,८७,८८, १००, १०४, १०६, १११, ११२, बहुमज्भदेस भाग - बारवती ११७,११८, १३१,१६६,१७०,१७६,२३४, २४० से २४२, २४७, २४८, २५०, ५१३२, ३५ २/१; १३,१८११, २०१७ बहुस्सु ( बहुश्रुत ) उ ३।६६,१५६; ५१२६ बाउच्चा ( वाकुची ) प १३७१२ बाण (बाण) प ११३८।२ वाण का फल बाणउति ( द्वानवति) सु १।१६ १६ १६।१५।१ बाणकुसुम (वाणकुसुम ) प १७ १२४ बाताल ( द्विचत्वारिंशत् ) गु १३११ बातालीस ( द्विचत्वारिंशत् ) १६ | १२१।२ बादर (बादर ) प २११,२,४,५.७, ८, १०, ११,१३, १४३ / ७२ से ६५,१११, १८३ ४ ६२ से ६४, ६६,७०,७६,७७,८५ ८७,६२ से ६४,६१८३, १०२; ११ । ६४; १८/४१ से ४४, ४६, ४७, ४६, ५०, ५४.११७; २१ ४, ५, २५.४०, ४१५०; २८१४,१५,६०,६१ सू २०११ बादरआउवकाइ (बादरअप्कायिक ) प १।२१,२३ बादरकाय (बादरकाय ) प १।२०१२ बादरणाम (बादरनामन् ) प २३१३८, ११६ बादरतेकाइय (बादरतेजस्कायिक ) प १।२४,२६ बादरवणस्स इकाइय (बादरवनस्पतिकायिक) प १३०,३२,३३,४७, ४८ बादरवाजाइय (बादरवायुकायिक) प १२७, २६ बादरसंपराय (बादरसं पराय ) प १।११४ बायर (वादर ) प ६ १०२,११।६५,६६।१; १८१५२; २१।२३,२४,२६,२७ ज ७१४३ बायरसंपराय (बादरसम्पराय ) प ११११२:२३।१६२ बायाल (द्विशत् ) ज ४१५६, १०८ सू ३११ बयालीस (द्विचत्वरिंशत् ) प २६४ ज २६ सू ३११ उ ५ ६ बयालीसहि (द्विचत्वारिंशत्वध ) प २३।३८ () १०।१४।३ बारबई ( द्वारवती ) उ५०४, ५, ६, ११, १६, ३०, ३३ बारवती (द्वारवती ) प ११६३१३ Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारस-बिइय बारस (द्वादशन् ) प ११७४ ज ११८ सू ३११ २४८,२५७,२५८,२५६,५१३५७७.६६,९० उ ५२४५ १७७।१,२,३ सू ११२६,२७:१८११,६ से १३ बारस (द्वादश) ज ७३११४।२ र १०1१२४१२ बाहा (बाहु) ज ११२३,४८,२११५,३।६६ से १०१, बारसग (द्वादशक) प २३२६८,१४०,१८३,१८४ ४।१,२६,५५,६२,८१,८६,६८,११५,१७२; बारसम (द्वादश) प १०११४.२ मू १०७७; ५।१४,१७,७१३१,३३,१६८११,१७८ सू ४।३, १२।१७,१३८ ४,६,७ उ ३३५० बाहाओ (बाहुतस्) सू४१३,४,६,७ बारसविह (द्वादशविध) प१:१३५, २११५५ बाहि (बहिस्) प २२० से २७,३० से ३६,४१ बारसाह (द्वादशाह) उ ११६३, ३३१२६ से ४३,३३२७ से २६ ज १२१२,३१,४।४६, बारसी (द्वादशी) ज७१२५ ११४,२३४,२४०,७१३१,३३,१६८।१सू ४१३, बाल (बाल) ज २१६५,३१२४,७।१७८ ४,६,७:१६।२२११५,१६ बालग (बालक) ज ११३७ बालचंद (बालचन्द्र) उ ३।२४ बाहिर (बाह्य) १ ११४८१४५; १।१०११६; बालदिवागर (वालदिवाकर) प १७४१२६ १५।५५३३।११ ज २२१२,४७.२१:५।३६% बालभाव (बालभाव) उ ३।१२७,१२८, ५१४३ ७।१० से १३.१६,१८.१६,२२,२५.२७ से बालब (बालक) ज २११३८,७।१२३ से १२६ ३०,३५,५५,५८,६६ से ७२,७५,७७,७८,८१, बालिदगोव (बालेन्द्रगोप) प १७:१२६ से ८४,६६,१२६।१,१७५ सु ११११,१२,१४, बालुया (वालुका) ज ४.१३ १६,१७,२१,२२.२४,२७ से ३१,२३३१२, बावट्ठ (द्वाषष्टि) ज ४१४७ ४।६; ६१,६१,२,१०७५;१३।१३ से १६; बावछि (द्विषष्टि) प २१४६७ सू १०।१३७ १६॥२२११२; १६२३,२६,२०१७ बावण्ण (द्विपञ्चाशत् ) ज १।१७ सू १।२१ बाहिरओ (बाह्यतस ) ज ३१२४११,१३१११; बावत्तर (द्वासप्तति) ज ४११० ७।१२६ बावत्तरि (द्वासप्तति) ५।३० ज २०६४ सू २।३; बाहिरपुक्खरद्ध (बाह्यपुष्करार्द्ध) सू १९१६ १६११:२११३ बाहिरय (बाहिरक, वाह्यक) । १।७५.८०,८१ बावीस (द्वाविंशति) प ४.१६ ज २१८१ च १४ ज ७५,१७,६४,७६,८८ २ १।१२ बाहिरिया (बाहिरिका) ज ३१५,७,१२,१७,२१, बावीसइम (द्वाविंशतितम) प १०३१४१५ २८,३४,४१,४६,५८,६६.७४,७७,१३५,१४७, बावीसग (द्वाविंशतितम) प १०।१४।४ १५१,१७७,१८४,१८८,२१६:४।१६;७।३१, बासीत (द्वयशीति) सु१।१२ ३३ सू ४३,४,६,७ उ १११६,४१,४२,१२४, ४.१२,५।१६ बाहल्ल (वाहल्य) प १७४;२।२१ से २७,३० से ३६,४१ से ४३,४६,४८,६४,१५,११,१५७, बाहिरिल्ल (बाह्य) प २१११० सू१८७ २२.३०,२११८४,८६,८७,६० से ६३,३६.५६, बाहु (बाहु) ज ३।१२७,५१५ ६६.७०,७४ ज ११४३:२।१४१ से १४५; वि (द्वितीय) प १०।१४।४ से ६ सू॥२६ ४६,७,१२,१४,१५,२४,३६,६६,७४,६१, बि (द्वि) ज ४।६३,६५१४ सू १२६ ११४,११८,१२३,१२४,१२६ से १२८,१३२, बिइंदिय (द्वीन्द्रिय) प १७।६६ १३६,१४०,१४३,१४५,१४७.२१७,२४५, बिइय (द्वितीय) प २१३१,३६।८५ ज ३१३; सू १६ Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ बिइया-वेइंदिय ७१०७ उ २१२२,३१६४ बीयय (वीजक) प १३८१ बिजौरानीवु बिइया (द्विनीया) ज ७४११७,१२५ सू १०११४८, बीयरुइ (दीजरुचि) १ १११०१११,७ १५० बीयरुह (जीजरुह) प १।४८१३ बिइयादिवस (द्विनी दिवस) ज ७११६ बीय (वासा) (बीज र्षा) ज ५१५७ विदु (विन्दु) प ११०१७,१२६,२१२४ बीविटिय (वीजतन्तक) प ११५० ___ ज ३।१०६;७१३३।२ बीयाहार (वीजाहार) 3 ३५० बिंब (विम्ब) प २१३१,३२ बुक्कार (दे०) वुक्का ति ज ५।५७ बिबफल (बिम्बफल) प २।३१ ज ३१३५ बुज्झ (बुध) बुज्झइ प ३६८८ बुज्झति बिहणिज्ज (बंदणीय) ज २०१८ ६.११० ज ११२२,५०, २०५८,१२३,१२८% बिगुण (द्विगुण) ज २।४ । ४११०१ युज्झति प ३६१६१ बिडाल (विडाल) प ११६६ ज २६३६ बुज्झिहिइ उ १११४१,३८६,५१४३ बितिय (द्वितीय) १११४२,८८,१२११२,३८% बुझिहिति ज २१५१,१५७ बुज्झज्जा २२१३३,४१,३६१८७ ज ३१६५, ४११४२२३ प २०।१७,१८,२६,३४ सू १०७२,७७,८५,८७,१३।१,८,१४१३,७ बुज्झित्ता (बुवा) उ ५१४३ उ १२६३ बुद्ध (बुद्ध) प २६४।२१ ज २१८८,८६,३३२२५; बितियादिवस (द्वितीनदिवस) मू १०८५ ५।५,२१,४६,५८ बितियाराति (द्वितीयरात्रि) सू १०१८७ बुद्धंत (बुध्नान्स) सू २०१२ बिब्बोयण (दे०) ज ४।१३ बुद्धबोहिय (बुद्धबोधित) प १३१०५,१०७,१०८, बिभेलय (विभीनक) पश३५२ १२० बिराल (विंडल) ज २११३६ बुद्धबोहियसिद्ध (बुद्ध बोधितसिद्ध ) प १११२ बिल (विल) प २१४,१३,१६ से १६,२८ बुद्धि (बुद्धि) ज ३१३,३२,४१२६६।१३ ४।२।१ ज २१३४,१४६ बुध (बुध) सू २०१६ बिलतिया (क्लिपडितका) प २४,१३,१६ से। ‘बुय (ब्रू) वुयापि प ११।११,१६ १६,२८ ज ४१६०,११३ बुयमाण (ब्रुवाण) प १११११.१६ चिलवासि (विलवासिन्) ज २१३३ उ ३.५० बुह (बुध) प २१४८ सू २०।८।४ बिल्ल (बिल्ब) प ११३६११,१६५५१७१३२ ब (ब) वेमि सू १०।१७३ उ १६१४२२।१४; गु१०।१२० ३।१६२४४ बिल्लाराम (दे०) उ ३।४८,५५ बूर (दे०) २०१७ बिल्ली (चिल्ली) प ११३७१२ एकसण, वथुया बे (द्वि) प १२।३७ सू १३१६ बिल्ली (विल्पी) प११४४।१ बेइंदिय (द्वीन्द्रिय) प ११४६; २।१६:३७,४० से बीभच्छ (शीभत्स) उ ३।१३० ४२,४५,४६,१४४,१४५,१८३,४।६५ से १५ बीय (बीज) ११४५।२,११४८।१६,२६,५१,६३ ; ५१३,१६,२०,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७८% ३६१६४ ज२।१०,१३३,३२१६७।३ उ ३१५१, ६।२०,५४,६४,७१,८३,८६,१०२.१०४,११५; ९।४,२२,१११४५:१२।२७,१३।१७.१५।३० से बीय (द्वितीय) प १२।१२ भु १०७७ ३३,७५,८०,८६,१३७:१६।६,१३,१७१८०,६२, Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बेइंदियत्त-भंत ९९९ १०३,१८१५,२१,१६।३;२०१८,२३,२८,३२, ४७:२११६,२८,४२,८६.८८,२२१३१:२३१८६, १५१,१५५ से १५७,१६३,१६,१६७.१७५ २८१३७ से ४०,४२,१००,१०३.११६,१२५, १३६,२६१११ से १३,२१,३०११० से १२, २०,२१:३१॥३:३६१३६,६२ बेइंदियत्त (द्वीन्द्रित्व) प १५१९७,१४२ बॅटट्ठाइ (वृन्तस्थायिन् ) ज ५७ बॅदिय (द्वीन्द्रिय) प १११४,४६,३१४२,४५,४६, १४६,५१५७,६।७१ बेतेयालसतविह (द्वित्रिचत्वारिंशत्शत विध) प १७:१३६ बेयाहिय (दव्याहिक) ज २१४३ बेहिय (दू याहिक) ज २६ बोंडइ (दे०) प ११३७११ बौदि (दे०) प २१३०,३१,४१,४६,६४।२,३ ज ५११८ बोद्धव्व (बोद्धव्य) प १०।१४।२,३४११०२ ज ४।१५६६१,१६२।१,२०४:१,२१०।१; ७।११७।२,१२०।१,१३२।१,१६७।१, १७७३१,२,१८६।४ १०८६,८८,२०1८1८ उ १११७, ३।२।१,४१२६१ बोधव (बोद्धव्य) प १।२०।४,३३३१,३५।२, ३६१२,३७४३,४२१२,४३१२,४८१८,४०, ११८१।१; २१६४।६,७,६१८०१२,१०५३।१; ११३७।२,१७१।१२८।१११ २०१८1७ बोर (बदर) प १६१५५,१७:१३२ बोल (दे०) प २४१ ज २१४२,६५,३।२२,३६, ७८,६३,६६,१०६,१६३,१८०५।२६,७१५५, १७८ सू १६२३ उ १११३८ बोहग (बोधक) ज ५१५,४६ बोहय (बोधक) ज ३।१८८,५।२१ बोहि (बोधि) प २०११७,१८,२६,३४ बोहिदय (बोधिदय) ज ५१२१ बोहिय (बोधित) ज २६१५३१३ भइज्ज (भज) भइज्जति प २०७४ भइन्जति प २२४७३ भइत्ता (भक्त्वा ) सू१।१० से १२ भइत्त (भक्त) प २०६४।१६ भंग (भङ्ग) प ११४८1१० से २०१०१६ से १; १४।२१६१६१०,१५,२१:२२।२५,८४,८६; २४१५,८,१२,२६।४,६,६,१०,२८६११८ भंगुर (भङगुर) ज २१५ भंगी (भृङ्गी) १४८१५,१७।१३१ भंगी (भनी) प १९३५ भंगीरय (भृङ्गिरजम् ) प १७।१३१ भंड (भाण्ड) ज ३।७२,१५०,४।१०७.१४० सू २०१४ उ ११६३,१०५,१०६,११६:३१५०, ५५,६३,७०,७३,१२८ भंडग (भाण्डक) उ ३१५०,५५ भंडवेयालिय (भाण्डवैचारिक) प १११६ भंडार (भाण्डकार) प १९७ भंडी (भण्डी) प १३७।५ शिरीष का पेड़ भंत (भदन्त) प ११७४,८४,२११ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ६४३।३८ से १२०,१२२ से १२४,१७४,१७६ से १८३,४।१ से ४६,५२, ५६ से ५८,६५,७२,७६,८८,६५,६८,१०१, १०४,११३,१३१,१४०,१४६,१५८,१६५, १६८ से १७१,१७४,१७७,१७८,१८०,१८१, १०३,२०७,२१०,२१३,२६४,२९७५१ से ७,६ से १२,१४,१६ से १८,२०,२३,२४,२७ से ३४,३६,३७,४०,४१,४४,४५.४८,४६,५२, ५३,५५,५६,५८,५६.६२,६३,६७,६८,७०,७१, ७७,७८,८२,८३,८५,८६,८८,८६,६२,६३, ६६,६७,१००,१०१.१०३,१०४,१०६,१०७, ११०,१११,११४,११५,११८,११६,१२३ से १२६,१३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३, १४५,१४७,१५०,१५३,१५४,१५६,१५७, १६२,१६३,१६५,१६६,१६८,१६६,१७१, Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000 १७३.१००, १९२, ११६, ११६,२०२, २०३, २१०,२१७,२२७,२२६,२३१,२३२,२३६, २३८,२४१३६।१ से २३,२७,४३ से ४५, ४७ से ५५,५७,५८,६० से ६४,६७,६८,७०,७५, ७८,८०८२,८७,६०,६३,१४,६६,६६, १०१.१०३,१०४, ११०,११४ से ११६,११८ से १२१,१२३७३१ से ४,६ से ३००१ से ११:२१ से ४६ से १६,१६ से २१,२५,२६० १०।१ से १३,१५ से २४,२६ से ५३; ११ १ से ४४,४६ से ४८,६१ से ७३,७६ से ९०; १२।१ से ५,७ से १२,१५,१६,२०,२१, २३,२७,३१ से ३३:१३।१ से ३१; १४०१ से ३,५,७,६,११ से १५,१७३१५१ से ३,७,८,११ से २८, ३० से ३३,३६ से ४१.४३ से ५४,५६ से ७४,७६ से ८०,८३,८४,८६, ६१,६४ से ६७,१००,१०३ से १०६,१०६, ११४,११५, ११७.११० से १२०,१२३,१२६, १२६,१३२ से १३५, १४०, १४१; १६।१ से ३,१० से १३,१५,१७.१२ से २११७।१ से ६८ से १६,१६ से २१,२४,२८,२९,२३,३६ से ४०,५१,५६ से ६६७१ से ७६७५ से ७ ६० से ६२,६४,६५,६६ से १०४,१०६ से ११६.११० से १२०,१२२ से १३०,१३५ से १३७,१३ से १५२.१५४ से १५७,१५९ से १६१, १६६, १६७,१६९ से १७२१८११ से १०, १२ से ३७, ३६, ४१ से ४७,४६ से ५१, ५४ से २,६४ से १०,१३ से १११,११३. ११४,११६ से १२०,१२२.१२३.१२५ से १२७ १९०१ २०११ से ३,६.७६ से १५.१७ से २५,२७ से २९.३२ से ३४,३५ से ४०, ४५.४६ से ५१,६१ से ६४; २११ से १५, १६ से २५,२८ से ३२.३६,३८,४० से ४२, ४८, ४९, ५६ से ६६.६६ से ८१, ८३ से १६,१० मे १०१.१०३ से १०५ २२११ से ११,२१ से २३,२६,२७,२६,३०, ३२ से ५०,५२ से ६६,७६ से ७६,८१ से अंत ८४,८६,७,८ से ६४,६७ से ६६,१०१; २३१ से ७,९,११,१३ से ४०, ५७ से १२, ८१,१०,१३४,१३५,१३७ से १४०,१५४, १५५,१५७, ११०,१६१, १६४, १६७,१७१. १७६,१७७,१११ से १६६,१६८ से २०१ २४१ से ५,६,११,१२,१४:२५ १,२, ४,५२६११ से ४,८,१२७१ से ३,६ २८११,३ से ५,११ से १६,२१ से २५,२८ से ३१,३३ से ४२,४४,४५, ४८ से ५०, ५१,५७ से ६०,६२ से ६४,६७ से ७१, १८,१०२,१०४,१०६ से १०८,१११ से १२०, १२२,१२३.१२५, १२७,१२८,१३२/ २९।१ से ३५ से ७,६,१०,१२,१३,१६ से १६,३०२१ से ३,५ से ११.१३, १५ से १७, १९,२१.२५ से २०३११:३२१,२,४३३१ से ३,५,६,१२ से १८,२०,२२,१५०१,२,४ से १३.१६ से १८,२०,२३,३६११ से २२,३० से ४२,५३,५४,५८ से ६७,७०,७१,७२ से ८८,६२,६४ ज १७, १५ से १८,२० से २३, २६,२७,२६,३३ से ३५,४१,४५ से ५१:२११, ४,७, १४, १५, १७,४३,५२,५६,५७,५८,१२२. १२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३९, १४७, १४८, १२०, १५१,१५६, १५७, १६१,१६४, ३।१,६८४।१,२२,३४,४४,४५,४८,५१, ५२, ५४. ५५,५६,५७,६०,६२,७६ से ८२,८४ से ८६,९६ से ९८५१०० से १०३,१०६ से ११०, ११३,११४,१४१,१४३.१५९ से १६७, १६६ से १७८,१५० से १५२,१०४, १०५, १८७, १८८११० से ११४,११६, १६७,१६६ से २०३,२०५ से २०६,२११ से २१५,२२५, २२६,२३४,२३६,२३७,२३२ से २४१,२४४, २४५, २४६, २५१ से २५५, २५७, २६० से २७७६४१,२,४,७ से २६७१ ४०, ५०, ५२७३७६.७८ से १०७,१११ से १४५. १४७ से १५१.१५४ से १६७१६९ से १७८, १८० से १५५, १८७, १६७ से १९६,२०१ से Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संत-भट् २१३ १४,६,८,२१,२४,२५,१४१, १४३ २१, ३,१३,१५,३१,२,८,१६,१८,२०२३, २६.३० से ३२,३५ से ४१,४४,०६,८८, १३, ४,१२३ से १२५, १५२, १५४, १६४, १६५. १६७४११.३.१४,२६,५११, ३,२०,२२,२३, ३२,४०,४३ अंतसंमंत ( प्रान्त सम्भ्रान्त ) ज ५।५७ मंभा (दे० ) ज ३१३१ मंभानूय (भंभभूत) ज २।१३१,१२९ मक्वेय ( भक्ष्य ) उ ३३३७ से ४२ मग (भग) ज ७ । १३०,१३३,१८६४ सु १०/३५ भगंदर ( भगंदर ) ज २१४३ भगदेवया ( भगदेवता ) सू २०६३ भगव ( भगवत् ) प १११।३३६।०१ ज ११५,६६ २१६८, ७०,७२,६०,६३,६५,६६,१०१ से १०३,११२, ११४; ५१३,५,७ से १४,२१,२२. २६,४४,४६,१८,६०,६२,६४,६७ से ७०,७२ से ७४; ७।२१४ चं १० १५ २०६६ उ ११२,४ से ८,१६,१७,१६ से २६,१४२, १४३२१ से ३,१० से १२,१४,१५,२१,३०१ से ३,७,८,११,२०,२२,२३,२६,८७,८८, १०, १२.१५३, १५४,१५६,१६१.१९६६,१६७,१७० ४१ से २,२७५।१ से २,४४ भगवंत ( भगवत् ) प २६४ ज २२६६,७१, ८३ ५।१.२११।१७ भगवती ( भगवती ) सू २०१६ | १ भगसंख्यि (भगसंस्थित) सू २०१३५ भगिणी ( भगिनी) ज २।२७,६६ १०।१०० भाग ( भग्न ) प १२४८।१० से २९ उ ३३१३१,१३४ भग्गवेस ( भाग वेश) ज ७।१२।२ भज्जमाण ( भज्यमान) प ११४८३८ मज्जा ( भार्या) ज २०२७,६९११२१४५; २१५,१७ मज्जिय (भजित ) उ ११२४,४६,७४ मट्टित (भर्तृत्व) ए २१३०,३१,४१,४१ ज १०४५ ३१८५२०१,२२१५।१६ ५।१० १००१ भट्टिवार (भर्तृदारक) १११०१५, २० भट्ठर ( भ्रष्टरजस्) ज ५७ भड (दे०) ज २११३१ भड (भट) ज ३०१७,२१,२२,३६,७८, १७७ भडग (भटक) प ११८१ भण ( भण्) भणइ उ ३३६६ भणति प १७८ भणित ( भणित) प १२४८१२४७१६६२२४०६ ३११८२५१२४४; ६५६,६६, ८३, ८६, ६२, १००;१५।५५ २१।७७ सू १०११४८; २०१७ भणितव ( भणितव्य ) सू ८११; १० १४८, १५०; १५४६ मणिय ( भणित ) प १२४८१५२२१२७३,४७ ६४ ४.६,८५।१५२११८० १२।१२.१५, २१:१५११८,३०,१४० १६।१८ १७७ ९७; २०१२६.३५ २१७६.९४; २२/५४; २३।१००, १०८, १५६, १७, १८१,१८५, १६०,२४४८, ६; २१।१५;३६।२०,२४,४६ ज २२४१३, २०१५ ३।१०६,१३८; १६७।३,४,४।२०० चं ४ | ३ सू ११८ ३ १० १५० १६।२२१,२ भण्ण ( भण्) भण्णइ प ५१२२६ ज ७।१४६ भण्णंति प ५। २०५ भण्णति प ५।२०५,२११; ३६६६ भक्त (भक्त) ज २२६५,७१८८३१२२५३२/१२ ३११४,१२०, १५०,१६१,१६९ ५२८,३६,४१, ४३ भत्तपाण (भक्तपान ) ज ३।१०३,२२४ भत्तसाला ( भक्तशाला ) ज ३१३२ भक्ति ( भक्ति ) ज ३।१६७/६ भत्तिचित्त ( भक्तिचित्र) २०४८१२७ २१०१३०३१,१२,४६.८५१०१११७, १४५,२२२:४१२७, ४९, ५११६, २८, ३२, ३४, ५६ १८ १९ २२१, २ भतिय' (दे० ) प १।४२।१ भद्द (भद्र ) प २।३१ ज २६४.०१:३२.१२,५६, ८८, ११७,१३०, १८५, २०६४/४६ ५।२५ १. वनस्पति कोष में भूतीक शब्द मिलता है । Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००२ ७ ११८ उ २२; ३९६ से १८,१००,१०१ १०६ से ११२ भग (भद्रक) ज २।१६ भद्दमुत्था ( भद्रमुस्ता ) ज १२४८२६ भय (भक ) ३।१०९३५४४०, ४१ भवत (भाद्रपद) सू १०।१२४ भद्दवय (भाद्रपद) ज ७ १०४, ११३११,११४ सू १०/१२६ उ ३१४० भालवण (भद्रशालवन) ज ४९४, २१४, २१५, २१६,२२०,२२१,२२५,२२६,२३४,२६२ भद्दसेण (भद्रसेन ) ज ५१५२ भद्दा (भद्रा ) ज ५। १०३१५१६८७ ११८ सू१०/२, ६० भद्दासण ( भद्रासन ) ज ३१३,५६,१७८४२८, ११२:५।३६,४२ महिलपुर (महिलपुर ) प ११९३३ भ्रमंत ( भ्रमत् भ्रत्) ज ४३, २५ ममर ( अमर ) प ११५१: १७।१२३ भमरावली (अमरावती) प १७१२३ भमास (दे० ) प ११४१११, ११४८।४६ [भ] (भय) प १।१।१:२१२० से २७:११।३४।१ २३/३६,७७, १४५ ज २०६६,७०३१९२, १११. ११६,१२१।१,१२५,१२७ उ ११८६३।११२, २।१२:३३२४ १५६;४।११ भयंकर ( भयङ्कर ) ज २१३१ भग (भृतक ) ज २२६ भषणा (भजन) प ११४८५० भयणस्सिया (भयनिचिता) प ११३४ भयमेश्व ( भयभैरव) ज २०६४ भयव ( भगवत् ) प ११११२ ज २१६०,५१३, १४, १६.१७,२१.१६ भवसण्णा (भयसंज्ञा ) प ६११.२,४,५,७,६,११ भर () भरे ३५१ भरणी ( भरणी) ज ७१११३१.१२८, १२९, १३४१२, १३५१२,१३६,१४०, १४४, १४६, १५६, १७५ १०११ से ६,११,२३,२५,६२,६६, भहग-भव ७५,८३,१००, १२०,१३१ से १३४; १८१७ भरह ( भारत ) प १८८; १६।३०१७ १६० ज ११८ से २०,२३,४६,४७,५१२०७ से १५.२१ से ४५,५०,५२,५६,५७,५८,६०, १२२, १२३, १२०, १२५,१३१,१३२.१३३,१३८, १४१ से १४७, १५०, १५६. १५७,१५९, १६१, १६४, ३१ से १३,१४,१७,१२ से २२, २५ से ३४, ३६ से ४२, ४४ से ५०, ५२ से ५६, ६१ से ६७, ६६,७७, ८३, ८४, ६० से ६४,६६, ६६,१००,१०१.१०२,१०६ से १०६,११५ से १२६,१३१ से १३५।१,१३७,१३८, १३६,१४१ से १४८, १५० से १५४,१५७, १५८. १६०. १६३ से १७०, १७३.१७५, १७७.१७८ १७६, १८१ से १९२, १९०, ११९,२०१,२०२,२०४ से २२६,४१,४८,५३.१०२,१७२,१७४, १७७, २७७ ५:५५ ६७,६,१२,१६ भरहकूड ( भरतकूट ) ज ४४४,४८ भरवास ( भरतवर्ष) ज २१५४।३५ भरवास पढमवति (भरतवर्ष प्रथमपति ) ३।१२६२ भराहिव ( भरत घि) ३१८,८१,१३,१२१११, १३५।२,१६७११४,१८०,२२१ भरिय (भृत) ज २२६६३११७८ भरिली ( भरिली) प १०५१ भरा (भरु) प १२८ भरेता (भूत्वा उ ३१५१ भल्लाय ( भल्लात ) प १।३५।२ भल्ली (भल्ली ) प १२४०१४ भव (भव ) प २०६४१५१ ३ १ २ १०१५३०१: १८११२, १८१६५ २३।१३ से २३ ज ३१२४, १३१ भव भवत्) उ ३२४३ भव (भू) अवद ज ११४७ २६ ११३ उ १।२० भवउ ज २१६४, १५७ भवंति १४१ से ५१,६०,८०,०१,५०४२.१६।१५) २११८४; २३।१५२, ३६।२०,८२,६३ Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'भवंत-भाणितव्य '००३ ज ४.१५१११ सू ३११ उ १५१४१,३।५० भवधारणिज्ज (भवधारणीय) प १५१८,१६; भवति ५१४।५ २८,३२,६६,६४७१३; • २११५८,५६,६१,६२.६५ से ६७,७०,७१ १५५८११,३६।११ ज ११२६ सू श१३ भवपच्चइय (मवप्रत्ययिक) ३३१ भवतु ज २१६४ भवह उ १६४२ भविस्सइ भवसिद्धिय (भवसिद्धिक) प ३११३,१८३; ज ११४७,१२७, २०७१,१३१ उ ११४१,५१४३ १८/१२२,२८।१११,११२ भविरसंति ज २११३३ भवे प ११४८३० से भवित्ता (भूत्वा) प २०११७ ज २१६५ उ ३.१३ ३८ ज २१६ सू १६११:५१३,१५.१,४, ४११४:५॥३२ १६॥२२॥१३,१५,२११४,५ भवेज्जा उ ३.८१ भविय (भविक) प ११२,२८1१०६।१ भवंत (भवत् ) ज ३१२४६१,२,१३१३१,२ भविय (भव्य) ज ५।५८ उ ३१४३,४४ भवक्खय (भवक्षय) प २१६४।१० उ ३३१८,१२५, भवोवग्गह (भवोपग्रह) प ३६१८३११ १५२,४।२६:५।३०,४३ भवोववायगति (भवोपघातगति) प १६१२४,३१, भवचरिम (भवचरम) प १०॥३६,३७ ३२ भवण (भवन) प २।१,४,१०,१३,३० से ४०, भन्द (भव्य) प १६१५५; १७१३२ कमरख, ४०३,४,२१४२,४३,१११२५ ज १।३१,५१; करेला २।१५,२०,६५,१२०, ३१३,२५,२६,३२१२, भवपुरा (भव्यपुरा) ज ३११६७७ ३८,३६,४६,४७,५१,५२,१०३,१४०,१४१, भसोल (दे०) ज ५१५७ १८३,१८६,२०४:४।६,१०,११,३३,४१,७०, भाइणज्ज (भागिनेय) उ ३३१२८ ६०,६३,१४७,१५३,१५६,१७४,१८२,२३८, भाइयत्व (भेतव्य) ज ५१५,७ से १०,१२,१३,४६ २४३,५१,५ से ७,१७,४४,६७,७० उश३३ भाइल्लय (दे०) ज २२२६ भवणपति (भवनपति) ज ३.१८६,२०४ भाग (भाग) प २११०,११:२३।१६०,१६४,१६७,. भवणपत्थड (भवन प्रस्तट) प २११ १७५, २८५४०,४३,६६ ज २१६४ च ५११ सू१११६,२४.२६,२७,२६,३०२।१३,३३२ भवणवइ (भवनपति) प १६।२६,२०१५४ ज २६५, ४१४,५,७,१०,६.१,६।३:१०।२,१३३,१३५, ९६ १०० से १०२,१०४,१०६,११०,११३ से १३८ से १४२,१४४ से १६३,१११२ से ६; ११६,१२०४।२४८,२५०,२५१:५१४७,५६, १२।२,३.६ से ६,१२.१३,१६ से २८,३०; ६७,७२ से ७४ १३.१,३,४,७ से १२,१४ से १७१४१३,७; भवणवति (भवनपति) प६१०६,३४११६,१८ १५।२ से २०,२२ से २६३१,३२,३४,१८१६, भवणवासि (भवनवासिन्) प १।१३०,१३१,२१३०, १०,२५,२६,१६॥२२॥१६,२०१३ ३०११,२।३२, ३।२६,१३३,१८३,४।३१ से भागसय (भागशत) ज ७८१,८४,६८,६६,१०० ३३,६५८५१७।५१,७४,७६,७७,८१,८३; भागसहस्स (भागसहस्र) ज ७१८१,६५,६६ २०१६१:२११५५,६१,७० ज २१६४; ५।५२ भाणितब्व (भणितव्य) प २।३२,४०,४२,५०; सू२०१७ ३.१८२,४।६८,५१२२.३६,४३,६१,७६,६६, भवणवासिणी (भवनवासिनी) १३.१३४,१८३; १०६,११७,१२२.१५२,२०६,२२६,२४४; ४१३४ से ३६:१७५.१,७५,७६,८२,८३ ६:४६,५६.६६,८१,८३,८६,८६,६२,९५, भवणावास (भवनावास) प २१३० से ३६ १००.१०२.१०३ १०७,१०८,१०११४,१६।२० भवत्थकेवलि (नवस्थकेवलिन् ) प १८१६६,१०१ सू१२१४,२२,२५ Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००४ भाणिय-भावेमाण ५१२४ भाणिय (भणित) ज ३१२४,१३१ भायण (भाजन) ज ३।३२ उ ११४६ भाणियव्य (भणितव्य) प १४३,४५,४७,६२; भारंडपक्खि (भारण्डपक्षिन) प १७८ ५।६१,११७,१२०,२०५,६६६१,१२३,६३४; भारग्गस (भाराग्रशस्) ज २११०६,११० १०१२८११:४१,४६,८३,८५,१२१८ से १३. भारद्दाय (भारद्वाज) ज ७.१३२२ सू १०।१०३ १५ से १७,२१,२५,१५।३०,५६,६२,८४, भारह (भारत) ज २३४,३५,२।१३।१३५२२ १०२,१०३,१२१,१३४,१३८,१४०।१६।१८, सू११८,१६,४१३ उ १२६,३२१२५,१५७; २१,३२,१७७,२८,२६,३३,३५,६५,७०,७७, ८६,६७,१०२,१०३,१०५,१४६,१४८,१६५, भारहग (भारतक) ज ४१२५० १६७,२०१२५,२६,२११३५,४३,७७,८०,९४; भारहय (भारतक) सू ११६ २२२०,२५,२८,३३,३५,४१,४५,५४,५८, मारियत्त (भार्यत्व) उ ३११२८ ५३,८४,८६२३३१००,१०८,१५२,१५६, भारिया (भार्या) ज २१६३ सू २०१७ उ ३६७, १६०,१६४,१६७,१७५,१७६,१६०,१६१; ११२,१२८,४१८ भाव (भाव) प १३१२,१०१॥३,४,६,२१६४।१३; ५,२८।१०,२५,५६,८७,१०२,१४५:२६।१५, १११३३।१ ज २२६६,७१ उ ३१४३,४४ ३४।२१,३६।२०,२४,२६ से ३०,३२,३४,४६, भावओ (भावनस्) प १११४८,५२,५३,५५; ४७,६५ ज १५१६,२३,२६,४४,४६,२१७, २८।५,६,६,५१,५२,५५,३५४४,५ ज २१६६ ७२,६३,३।१२६,१५५,१७१४१३,४,२५,३१, भावकेउ (भावकेतु) ज ७१८६ भावकेतु (भावकेतु) उ २०१८,२०1८18 ३६,४१,५२,५७,७०,७६,८२,८४,६०,६३, भावचरिम (भादचरम) प १०।४४,४५५३११ १०६,११०,११२,११६,११८,१२८,१६५, १७५,१७७,१८४,१६३,१६६,२०१,२०२, भावणा (भावना) ज २१७१ २०४,२०८,२१२,२१५,२१७,२२० से भावणागम' (भावनागम) ज २१७२ २२२,२२६,२३७,२४०,२४८,२४६.२६२, भावतो (भावतस्) प ११:५७,५६ २६५,२७१,५३,७,१३,३२,४६,५५,५६६५; भावरुई (भावरुचि) प ११०१११८ ६१३;७।१८६ सू ४।६१८११,१५१११; भावसच्च (भावसत्य) ज १११३३ २०१६ उ १११४७,१४८;२।२२:४१२८; भाविअप्प (भावितात्मन् ) प १५१४३ ५।१७,२५ भाविदिय (भावेन्द्रिय) प १५४५८१२,१५७६,१३३ भाणी (दे०) प ११४६,११४८१६२ से १३५,१४०,१४१,१४३ भाय (भाज) भाएंति ज ५।५७ मावित्ता (भावयित्वा) उ ३।१६१ भाय (भाग) ज ११८,४८,३११,१३५४१,४१, भाविय (भावित) प १७1८८ २३,३८,५५,६२,६५,८१,८६,९१,९८,१०३, भावियप्प (भावितात्मन्) प ३६७६ ज ७/१२२१२ १०८,११०,१४१,१६७,१७८,२००,२०५,२०७, सू१०।८४१२ २१२,२१४,२४०,७७,९,१०,१२,१३,१५, भावेमाण (भावयत्) ज १५,२१७१,८३ उ ११२, १६,१८ से २५,३१,३३,५४,६५,६६.६८,६६, ३;२११०३३१४,२६,८३,६६,१३२,१४४,१५०% ७१,७२,७६,१३४,१७७३१,२ उ १६६६,६४ ४१२४; ५२६,२८,३२,३६,४३ भाय (भ्रातृ) ज २।२७.६६ उ ११९५ १. आयारचला पञ्चदशाध्ययनानुसारी Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भावेयव-मुज्जो भावयन्व ( भावयितव्य ) प २२।४५ / भास (भाष ) भासइ ज ७।२१४ उ १६८ भासंति प ११।४३ से ४६ भासती प ११३०१, २ भासिति प ११६८ भास ( भस्मन् ) सु २०१६,२०६६ भात ( भाषमाण ) प ११३८६ भाग ( भापक) १८ मा २ भासज्जात ( भाषाजात ) प ११।४२ भासज्जाय ( भाषाजात ) प १११८८८ भारत ( भाषात्व ) प ११।४७,७० से ७२,८० से ८५ भासमणपज्जति ( भाषामनः पर्याप्ति) उ३।१५,८४ १२१;४।२४ भासमाण ( भाषमाण ) प १६१८६ भासय ( भाषक ) प १८ । १०४ भासरासि ( भस्मराशि ) प २१५०, ५६, ६० सू २०१८ भाससिप्पन ( भस्मराशिप्रभ ) प २२५४,५८ भासरा सिवण्णाभ ( भस्मराशिवर्णाभ) सू २०१२ मासा ( भाषा) प ११११५, ११६८२।३१; १०५३।१११।१ से १०,२६ से ३०, ३०११, २,११।३१ से ३७,३७ १,२,११।४३ से ४६, ८२, ८३,८७,८६ २८ ।१४२, १४४, १४५ ज ३७७,१०९ भासाचरिम (भाषाचरम ) प १०३८,३९ भासारिय ( भाषा) प १६२,६८ भासासमिय ( भाषासमित) ज २२६८ उ ३१६६ मासुर ( भासुर ) प २३०,३१,४१,४६ ज ५१७, १८ भिउडि (भृकुटि ) ज ३३२६,३६,४७,१३३ उ १।२२,११५,११७,१४० भिंग (भृङ्ग) प १७११२४ feafter (भृङ्गनिभा ) ज ४१२२३३१ भिगपत्त (भृङ्गपत्र ) प १७ । १२४ भिंगमा ( भृङ्गप्रभा) ज ४११५५।२ मंगा (भृङ्गा) ज ४११५५/२,२२३११ ज ३।३१,१७८ भिखारिया (भिक्षाचर्या) उ ३११००,१३३ ३०१/२१०८ ११३८ से ४१; भिज्जमाण ( भिद्यमान) प ११/७२ भिण्ण (भिन्न ) प ११।७२ सू २०१२ fefaesa ( भित्तिकटक) ज ३२६७ भित्तुं ( भेत्तुम् ) ज २६१ मिमिमाण ( बाभाष्यमाण) ज ४।२७५।२८ मिस (विस) प ११४६, ११४८१४२ ज २।१७; ४३,२५ भिंगार (भृङ्गार ) प ११।२५ ज ३१३,११,१७८; ५१६,४३,५५ भिंगारग (भृङ्गारक) ज २९१२ fभfडमाल (भिण्डिमाल, भिन्दिपाल ) १००५ भिसंत (दे० भासमान ) ज ३११७८७ १७८ मिसकंद (विषकंद ) प १७/१३५ भिसमाण (दे० ) ज ४।२७५।२८ भीत भीत ) प २२० से २७ मीम (भीम) प २।२० से २७,४५,४५ । १ उ १।१३६ भीय (भीत) ज २६० : ३।१११,१२५ ३ ११८६; ३।११२४|१६ √ मुंज (भुज् ) भुंजइ ज ३ ३ भुंजए ज ४। १७७ भुंजाहि उ ३३१०७ मुंजमाण (भुञ्जान ) प २३० से ३२,४१,४६ ज १।३३, ४५; २६१, १२० १ ३८२,१७१, १८५, १८७,२०६,२१८ ४ ११३ ; ५ १,१६; ७।५५,५८,१८४, १८५ १८।२२,२३; १६२६ उ ३६०,६८,१०१, १०६, १२६ से १३१,१३४;५।२५ V मुंजाव (भोजय्) भुजावेइ उ ३१११४ कंड (दे०) भुकंडेति ज ३१२११ मुक्खा (दे० वुभुक्षा) उ १।३५ से ३७,४० भुजंग (भुजङ्ग) ज २।१५ भुज्जो (भूयस् ) प १६४६; १७ ११५ से १२२, १५४; २८ । २४ से २६,३६,४२,४५,४६,७१, ७४३४१२०, २२ से २४ ज ३।१२६७/२१४ Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भुत्त (भुक्त) ज २१७१३१८२ सू २०१७ उ ४११६ भुत्तभोइ (भुक्तभोगिन् ) उ ३.१०७,१३६ भुमगा (भू) ज २।१५ भुयग (भुजग) प २२४६ चं ११२ भुयगवड़ (भुजगपति) प २१४१ भयपरिसप्प (भजपरिसप) १६७,७६,४११४० से १४८,६७१.७५ २०१४,१६,३५,४६,६० भुयमोयग (भुजमोचक) १ १२००३ भुयय (भुजग) प २११४७.१ भुयस्वख (भूतवृक्ष) प ११४३।२ भुया (भुजा) प २१३०,३१,४१,४६ ज २१,५८, उ ३६२ भुस (बुश) ५ १६४२११ भू (भू) मू २।१ भूत (भूत) प॥६४ सू१९३८ भूतिकम्म (भूतिकमन्) ज ५११६ भूतोद (भूतोद) सू १६३८ भूमि (भूमि) प ११७४ ज १।२६ भूमिगय (भूमिगत) ज ३।१०५ भूमिचवेडा (भूमिचपेटा) ज ५१७ भूमितल (भूमितल) ज ५१५ भूमिभाग (भूमिभाग) प २।४८ से ५१,६३; १७११०७,१०६,१११ ज १३१३,२१,२५,२६, २८,२६,३२,३३,३६,२७,३६,४०,४२,४६; २१७,१०,३८,५.२,५६,५७,१२२,१२७,१४१, १४.७,१५०,१५६,१५६,१६१,१६४ ; ३१८१, १६२,१६३,१६६,१६७,४१२,३,८,९,११,१२, १६,३२,४६,४७,४६,५०,५६.५८,५६,६३,६६, ७०,८२,८७,८८,९३,१००,१०४,१०६,१११, ११२,११७,११८,११६,१२२,१२३,१३१, १६६,१७०,१७६,२१७,२३४,२४० से २४२, २४७,२४८,२५०,५१३२,३३,३५,७३३ सू २।१६।३।१८।१:२०१७ भूमिया (भूमिका) ज ३१३२ भूमी (भूमि) ज ११२।१३२,१४२,१४३,४।११६ भूय (भूत) प १११३२,२१४१,४५,६४,१५१५५:३; ३६.६२,७७ उ २।१०,३१,१३१,३११,६,२२, ३६,७८,८०,८१,६२,६३,६५,६६,११६,१२१, १५१,१५६,१०,१६३,१८०,२२२७४२१२ उ ११३८,३१४३.४४,४६,५१४ भूय (भूयर) ज ३१ भूयग्गह (भूतग्रह) ज २१४३ भूयणय (भूतृणक) प ११४४१३ भूयस्थ (भूतार्थ) प ११०१२ भूयवाइय (भूतादिक) १ २१४१,२।४७११ भूया (भूता) र ४४६,११ से १६,१८ से २४ भूयाणंद (भूतानंद) प २१३४,३६,४०।७ भूसण (भूपण) प २३०,३१,४१ ज ३८१,१८८; ७१७८ भूसणधर (भूपरणधर) ज ३।६,२२१,५।२१ भूसिय (भूषित) ज ३१३०,३५,१७८ भे (भोस् ) उ ३।३८,४०,४२,४४ भेद (भेद) प १४८१३८,६८३;११।७४,७६ से ७८%3; १५१५३,२१११६,४०,४३,४४,५२,५५,७६,७७, ६४,२२२०३३१११ भेदल (भेदक) ज ३११०६ भेदपरिणाम (भेदपरिणाम) प १३३२१,२५ भेय (भेद) प १११७२,७३,७५,१६।३२,२११७७ उ ११३१ भेयघाय (भेदघात) चं ४।१,३ सू श८।१,३, २२ भेयपरिणाम (भदपरिणाम) प १३१२५ भेरि (भरि) ज ३।१२,७८,१८०,२०० भेरी (भरी) उ१५ से १७ भेरुतालवण (भेरुतालवन) ज २१६ भेसज्ज (भैषज्य) उ ३३१०१ भेसण (भीषण) ज २।१३३ भो (भोस्) ज २१६५,६७,१०१,१०५,१०७,१०६, १११,११४:३।७,१२,२६,३६,४७,४६,५२, ५६,६१,६६,८३,६१,६६,११३,११५,१२२, १२४,१२७,१२८,१३३,१४१,१४७,१५१, १५४,१६८,१७०,१७५,१८०,१६६,२०७, Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भोग- मंजूस। २१२, ५१३, १४,२२,२६,५४,६८,६६,७२ उ १।१७,१२३, १३१४ । १६ ५।१५,१८५ भोग ( भोग ) प १।६५ ज २३६५३३ भु १८।२२, २३:१६२६ उ १४२७,६३,१४०३३।६८,१०१, १०६,१०७,१२६ से १३११३४,१३६ भोगंकरा (भोगङ्करा ) ज ४ । १०६; ५|१|१ भोगंतराय (भोगान्तराय) प २३२३ भोत्थिय ( भोगार्थिक ) ज ३।१८५ भोगभोग ( भोकभोग ) प २१३०,३१,४१,४६ 3 ज २१६१.१२०, ३११७१,१८५,२०६; ५1१,१६; ७५५, ५८, १८४, १८५ भोगमालिणी ( भोगमालिनी) ज ४। १६४; ५ १११ भोगवइया ( भोगवतिका) प १६८ भोगवई (भोगवती ) ज ४११ ०६:५२ १२ १७।१२१ सू १०/६१ भोगविस ( भोगविध ) प १७० भोच्चा ( भुक्त्वा ) सू १०।१२० भोसूण ( भुक्ला ) प २।६४।१६ भोम (भौम ) ज ७।१२२/३ गु १०२८४।३ भोमेज्ज ( भौमेय ) प २०४१,४३ ज ३१२०६६ ५१५५,५६ भोमेज्जग ( भोमेयक ) प २/४१,४३,४६ भोमेज्जा ( भौमेयक ) प २१४१,४२ भोयण (भोजन) प २२६४|११ ज २१८ च ५।३ सु १/२१३; १०।१२०,२०१७ उ ३१११०,११४ भोणजाय ( भोजनजात ) ज २११८ भोयणमंडव ( भांजन मण्डप ) ज ३१२८, ४१,४६, ५८,६६,७४, १३९.१४७, १४६, १८७,२१८ म मइ (मति ) ज ३।३२ मइअण्णाणि (त्यज्ञानिन् ) प ३।१०२, १०३; १८८३ २८।१३७ मइल (दे० गलिन) ज २।१३१३।१३० मड (मुकुट ) प २३१२०,४८ से ५०५३१८ ज ३।३,६,६,१८,२६,३१,४७,६३,१८०,२११, १००७ २२१,२२२:५११८,२१ मउय (मृदुक ) प १।४ से ६, ३११८२५ । ५७,२०६; १५/१५, १६, २७, २८,३२,३३,२८१२६,३२,६६ ज २।१५ ३३ ; ५१५,७,१७८ मल (मुकुट ) प २१४१ मडल ( मुकुल ) ज २।१५;३।१७८७३१७८ मउलि (मुकुलिन् ) प ११६६,७१ मउलि ( मौलि ) प २३३०,३१,४१,४६ मउलिघ ( मुकुलित ) ज ३१६५२१ मंकुणत्थि ( मत्कुणस्तिन् ) प १६५ मंख (मङ्ख) ज २२६४; ३३१८५ मंगल (मंगल) ज २२६७,३१६, १२, १८,७७,८२, ८५,८८, ६३, १२५, १२६,१६०,२२२:५५, ४६ सू १८१२३, २०१७ उ १।१७,१६७०.१२१; ३१११०:५।१७,३६ मंगलग ( मंगलक ) ज ३११७८४१५८, ५२५८. उ ५।१६ मंगलावई ( मंगलावती) ज ४।१६१,२०२१२, २०३ मंगलावईकूड (मंगलावतीकूट ) ज ४।२०४|१ मंगलवत्त (मंगलावर्त) ज ४।१६३,१६५ मंगलावत्तकूड (मङ्गलावर्तकूट ) ज ४।१९२ मंगल ( गांगल्प ) ज २२६४३२८५, १८५, २०६; ५।५८ उ ११४१,४४ मंगुस (दे० ) १ १ ७६ मंच (म) सू १२ २६ मंचाइमंच (मञ्चातिमञ्च) ज ३१७, १८४ मंचातिमंच ( मञ्चातिमञ्च) सू १२६ मंजरिका (मञ्जरिका ) ज ५१७२,७३ मंजिट्ठावण्णाभ ( मञ्जिष्ठावर्णाभ) सू २०१२ मंजु (मञ्जु ) ज २२६५; ३१८६,२०४ मंजुघोसा ( मंजुघोपा ) ज ५१५२, ५३ मंजुपाउयार (मञ्जुपादुकाकार ) प ११६७ मंजुल (मञ्जुल ) उ३६८ मंजुस्सर ( मंजुस्वर ) ज ५।५२, ५३ मंजूसा ( मञ्जूषा ) ज ३११६७; ४२००११ Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००८ मंडण-मगदंतिया मंडण (मण्डन) ज ३११०६ मंद (मन्द) ज २१६५:५१३८,५७,७१५८ सू २१३; मंडल (मण्डल) ज ३।३०,३५,६५,६६,१०६,१५६, १८१८ १६०२७।२,१०,१३,१६,१६ से ३१,३५,५५, मंदकुमारय (मन्दकुमारक) प १११११ से १५ ५६,७२,७५,७८ से ८४,६५,६६,९८,६६, मंदकुमारिया (मन्दकुमारिका) प ११।११ से १५ १००,१०४,१२६१ च ११,३१२९ ११६३१मंदगइ (मन्दगति) चं ४२ सू शका२ १७।२,१३११,१२,१४,१८ से २५,२७,२११ ।। मंदर (मन्दर) ५२१३२,३३,३५,३६,४३,४४,५०, से ३,३१२,४१४,७,६६।१६।२१०७५, ५११५॥५५१३:१६६३० ज १११६,२६,४६,५१; १३८ से १५१,१७३।१२।३०:१३१४,५,१३; २६८,३२,४१६४,१०३,१०६,१०८,११४, १५।२ से ४,१४ से ३६,१६।२२११० से १२, १४३,१६०.१६२,१६३,२०३,२०५,२०८, १६०२३ २०६,२१२ से २१६,२१६ से २२२,२२५, मंडलगइ (मण्डलगति) प २।४८ २३३ से २३५.२३७ से २४१,२५३.२५४, मंडलम्ग (मण्डलान) ज ३३५ २५७,२५६,२६०।१,२६१,२६२,५०४७ से ५०, मंडलपति (मण्डलपति) ज ३।८१ ५.३;६।१०,२३,२४,७३८ से १३,३१,३३,६७ मंडलरोग (मण्डल रोग) ज २०४३ से ७२,६१,६२,१६८।१,१७१ सू ४।४,७; मंडलवत (मण्डलवत्) सू ११२५ से ३१ ५११७१८११,१८१५ उ ११०,२६.६६ मंडलसंठिति (मण्डलसंस्थिति) सू ११२५ मंदरकूड (मन्दरकूट) ज ४१२३६,६१११ मंडलि (मण्डलिन् ) प १७१ मंदरचूलिया (मन्दरचूलिका) ज ४।२४१,२४२, मंडलिय (माण्डलिक) प १।७४,२०११ २४३,२४५,२४६,२५१,२५२ मंडलियत्त (मण्डलिकत्व) प २०५७ मंदरपब्वय (मन्दरपर्वत) प १६।३० सू ४।४,७ मंडलियराय (माण्डलिकराज) ज ३१२२५ मंदलेस (मन्दलेश्य) सू १९२२१३०,१९२६ मंडलियावाय (मण्डलिकावात) प १२६ मंदायवलेस (मन्दातपलेश्य) ज ७५८ सू १६।२६ मंडव (मण्डप) ज ३१८१५१३५ मंदिर (मन्दिर) सू ७१ मंडवग (मण्डपक) ज १११३,२३१२ मंस (मांस) प ११४८/४६२।२० से २७ मंडव्वायण (माण्डव्यायन) ज ७।१३२।३ सू१०।१२० उ११३४,४०,४३ से ४६,४८, मू १०।१०७ ४६,५१,५४,७४,७६,७६ मंडित (मण्डित) प २१३१ ज ३।१८४ मंसकच्छभ (मांसकच्छप) प ११५७ मंडिय (मण्डित) प २।३१ ज ३१७,१८,३१,१८०; मंसल (मांसल) ज २११५;७।१७८ ५।२१,३८ मंसाहार (मांसाहार) ज २११३५ से १३७ मंडुक्को (मण्डूकी) प ११४४२ मंसु (श्मश्रु) ज २११३३ मंडूकपुत्त (मण्डूकपुत्र) सू १२।२६ मक्कार (माकार) ज रा६१ मंड्य (मण्डूक) प १६॥४४ मगइत (दे०) उ १११३८ मंडूयगति (मण्डूकगति) ५ १६:३८,४४ मगइय (दे०) ज ३।३१ मंत (मन्त्र) ज ३.११५,१२४,१२५ उ ३३११,१०१ मगत (दे०) उ १११३८ मंति (मन्त्रिन ) ज ३६,७७,२२२ मगवंतिया (मदयंतिका) प ११३८।२ ज २११० मंथ (मन्थ) प ३६१८५ मेंहदी Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मगर-मज्झिमउवरिम १००६ मगर (कर) ११५५,५६,२।३० ज ११३७; २११०१,४१२४,२७,३६,६६,६१,५५३२ सु २००२ मगरंडग (रकराण्डका) ज ५।३२ मगरज्मय (मकरध्वज) ज २०१५ मारमुहविउट्टसंठाणसंठिय (मकरमुखनिवृतसंस्थान गरिधत) ज ४१२४,७४ मगसिरी (मार्गगिरी) सू१०१७,१२ मगसीसावलिसंटिय (मगशीविनिमंस्थित) सू१०३८ मगह (मगध) प १६३।१ मगूस (दे०) प ११७८ मग्ग (मार्ग) ज १६४:३१२२,३६,६३,६६,१०६, १६३,१७५,१८० मगओ (दे० पृष्ठत ) ज ५१४३ मगण (गर्गण) ज ३१२२३ सग्गदय (मार्गदय) ज ५।२१ मग्गदेसिय (मार्गदेशिक) ज ५१५,४६ मम्गमाण (मार्ग:त्) उ ३११३० मगरिमच्छ (मकरीपत्स्य) प ११५६ मांगसिर (मार्गशी) ज ७।१०४,१४५,१४६ सू १०।१२४ उ ३१४० मग्गसिर (मृगशिरस) ज ७१४०,१४५,१४६ मग्गसिरी (मागं शिरी) ज ७।१३७,१४०,१४५, १४६,१५२,१५५ सू१०१७,१२,२३,२५,२६ मग्गिज्ज (मार्गय) मज्जिद ५ १२।३२ मघमत (दे० प्रसरत् ) ॥ २॥३०,३१.४१ ज ३७, ८८,५७ २०१७ मघव (मघवन् ) प २१५० ज ५११८ मघा (मघा) ज ७१२८,१२६,१३६,१४० सू १०१५,६२ मच्छ (मराय) प ११५५.५६:६।८०।२ ज २१५, १३४,३१७८४१३,२५,२८५४३२,५८ सू २०१२ मच्छंडग (मत्स्याण्डवः) ५।३२ मच्छडिया (मत्सण्डिका) ५ १७४१३५२११७ मच्छाहार (मत्स्याहार) ज २।१३५ से १३७ मच्छिय (मक्षिका) प १५०१ मच्छियपत्त (मक्षिकापत्र) प २१६४ मज्जण (मज्जन) ज ३१९,२२२ मज्जणघर (मज्जनगह) ज ३।६,१७,२१,२८,३१, ३४,४१,४६,५८,६६,७४,७७,५५,१३६,१४७, १५३,१६८,१७७,१८७,१८८,२०१,२१८, २१९,२२२ उ १।१२४;५१६ मज्जणय (मज्जनक) उ १६७ मज्जणविहि (मज्जन विधि) ज ३१९,२२२ मज्जाया (मर्यादा) ज २११३३ मज्जार (मार्जार) प१४४।१ चित्रक मिज्जाव (मज्जय ) मज्जावेंति ज ५११४ मज्जावेत्ता (मज्जयित्वा) ज ५११४ मज्जिय (ज्जित) ज ३२६,२२२ मज्झ (मध्य) प ११४८१६३, २०२१ से २७,२७।३, २०३० से ३६,३८,४१ से ४३,४६,५० से ५६, ६४,१११६६,६७,२८1१६,१७,६२,६३ ज १८,३५,४६,४७१,५१,३१६,१७,२१, २४१३,३४,३७११,४५११,१०६,१३११३,१७७, १८५,२०६,२२२,२२४,२२५,४।१३,४५, ११०,११४,१२३,१४२।१,२,१५५,१५६.१, २१३,२२२,२४२,२६०११,५३१४,१५,१७,३३, ३८,७४५,२२२११ सू १२।३०,२०१७ मझमज्झ (मध्यमध्य) ज २१६५,६०,३११४, १७२,१८३,१८४,१८५,२०४,२२४;॥४४ सू २०१२ उ १२१६,६७,११०,१२५,१२६, १३२,१३३,३।२६,१११,१४१,४।१३,१५, १८५१६ मज्झंतिय (मध्यान्तिक) ज ७.३६,३७,३८ मज्झगय (मध्यगत) ज ७१२१४ मज्झयार (दे० मध्य) ज ७।३२११ मज्झिम (मध्यम) प २०६४।७:२३३१६५ ज २१५५, ५६,१५५,१५.६४/१६,२१,५।१३,१६,३६ सू २१३ उ ३.१००,१३३ मज्झिमउवरिम (मध्यम उपरितन ) प २८६२ Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१० मज्झिमउवरिमगेवेज्जग ( मध्यम उपरितन ग्रैवेयक ) प ११३७ ४ । २८२ से २८४७१२५ मज्झिमग ( मध्यमक) प२२६१ मज्झिमवेज्ज ( मध्यमत्रैवेयक ) प ६१४० मज्झिमगेवेज्जग ( मध्यम ग्रैवेयक ) प २०६१,६२, ३११८३६/५६; ३३।१६ मज्झिमझिम ( मध्यममध्यम ) प १८६१ मज्झिमज्झिमवेज्जग ( मध्य मध्यमवेयक ) १।१३७,४१२७६ से २८१९७१२४ मज्झिमय ( मध्यमक ) प २२६२११ मज्झिमठिम ( मध्यमाधस्तन ) प २८६० मज्झिममिवेज्जय (मध्यमाधस्तनवेधक) प ११३७,४१२७६ से २७८७।२३ मज्झिमल्ल ( मध्यम ) ज ४।२५३, २५५, २५८ मज्झिय ( मध्यक) ज २११५ मझिल्ल ( मध्यम ) ज ३।१ मट्टिया ( मृत्तिका ) ज ३।२०६,५१५५,५६ मट्ठ (मृष्ट) प २/३०,३१,४१,४६,५६,६३,६४ ज ११८,२३,३१,२ १५, ४११२८५।४३ सू २०/७ मट्ठमगर (मृष्टमकर ) प १५६ मडंब ( मडम्ब ) प १।७४ ज २।२२,१३१,३३१८, ३१,८१,१६७।२,१८०,१८५,२०६,२२१ उ ३।१०१ मण (मनस् ) प २२/४; २३११५, १६ : ३४ १/२, ३४।२४ ज २२६४,७१,३३,३५,१०५, १०६; ४११०७, १४६ ५ ३८,७२, ७३ सू २०१७ उ १११५, ३५, ४१ से ४४,७१,३६८ मणगुत्त ( मनोगुप्त ) ज २२६८ उ३।६६ मणजोग (मनोयोग ) प ३६८६,८८,८६,६२ मणजोग परिणाम ( मनोयोगपरिणाम ) प १३/७ मणजोगि (मनोयोगिन् ) प ३ ९६; १३११४, १६; १८१५६६२८१३८ मणपज्जत्ति (मनःपर्याप्ति ) प २८।१४२, १४४, १४५ मण (पज्जवणाण ) ( गनः पर्यवज्ञान ) प २६११७ मणपज्जवणाण (मनः पर्यवज्ञान ) प ५२४, ११५, मज्झिमउवरिम गेवेज्जग-मणि १७१११२,११३,२०११८,३२,४७ २६१२; ३०/२ मजवणाणारि (मनः पर्यवज्ञानार्य ) प १६६ मणपज्जवणाणि (मनः पर्यवज्ञानिन् ) प ३।१०१, १०३५।११७ १८८१२८१३६३०११६,१७ मणपज्जवमाण (मनः पर्यवज्ञान ) प २०१३३ मणपज्जवनाणपरिणाम (मनः पर्यवज्ञानपरिणाम ) म १३१६ मणपरियार (मनः परिचारक ) प ३४१८, २४, २५ मण परियारणा (मनः परिचारणा ) प ३४ १७, १८, २४ मणक्खण ( मनोभक्षण ) प २८।१०५ मणभक्त्त ( मनोभक्षत्व ) प २८ । १०५ मणक्खि ( मनोभक्षिन् ) प २०१२, २०१०४, १०५ मणसमय ( मनः समित) ज २२६६ मसाइ (मनः स्वादित) ज ३।११३ मणसीकत (मनीकृत ) प २८।१०५ मणसीकय ( मनीकृत ) प ३४।१६, २१ से २४ मणसीकरेमाण ( मनीकुर्वत्) ज ३१५४,६३,७१, १११, ११३,१३७, १४३, १६७ मणहर ( मनोहर ) ज २।१२,६५,३११३८, १८६, २०४ ४ १०७ ५१५,२८,३८,७११७८ मणाभिराम (मनोभिराम ) ज ३।१०६ सणाम (दे० 'मन' आप ) प २८११०५ ज २२६४; ३११८५, २०६५।५८ उ ११४१, ४४ ३ । १२८६ ५१२२ मणामतर (मनः आपतर) ज २०१८ ४ १०७ मणामतरिय ('मन' आपतरक ) प १७ १२६ से १२८,१३३ से १३५ ज २।१७ मणामत ( 'मन' आपल ) प २८/२६, ३४१२० मणि (मणि ) प १|२०१२,२१३११४१, ४८, १५११२, १५।५० ज १।१३,२१,२६,३३,४६, २७, २४, ५७,६४,६६, १२२, १२७, १४७, १५०, १५६, १६४,३१,६, २०, २४, ३०, ३३,३५,५४,५६, १. भिक्षुशब्दानुशासन ८।२।१६ अरुर्मनश्चक्षु.." Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मणिकंचण-मणुस्सलोय ६३,७१,८१,८४,६५,१०६,११७,१३७,१४३, १४५.१५६,१६७८.१२,१७८,१८२,१६२, २२२:४१३.१६,२५.४६,६३,८२,११४:५:१६, ३२.३८ सू२०१७,१८ मणिकंचण (मणिकाञ्चन) ज ४।२६६१ मणिदत्त (मणिदत्त) उ ५१२४,२६ मणिपेढिया (मणिपीठिका) ज ११४३,४४,४।१२, १३,३३,१२३,१२४,१२६.१२७,१३२,१३३, १३६,१३६,१४५,१४६,१४७,२१८,२१६% मणिमय (मणिय) प २१४८ ज ११४३,३।२०६; ४१५,७,१२,१३,२६,२७.४६,११४,१२३, १२४;५।३५.५५ मणिरयण (मणिरत्न ज ३१६,१२,२४,३०,८८, ६२,६३,११६.१२१,१७८,२२०,२२२,४।१६, ४६,६७, ५।२८,५८,७१७८ मणिरयणक (मणिरत्नक) ज ११३७,३।६३ मणिरयणत्त (मणिरत्तत्य) प २०१६० मणिवइया (मणिमती) उ ३३१५०,१५८ मणिवई (मणिमती) उ ३।१६६ मणिवर (मणिवर) ज ३१६२,११६ मणिसिलागा (मणिशलाका) प १७:१३४ मणुई (मनुजी) ज २११५ मणु ण (मनोज्ञ) प २३।१५,३०२८।१०५; ३४.१३,२१ ज २१६४, ३।१८५,२००; ४।१०७; ५५३८.५८ सू २०१७ उ ११४१,४४, ३११२८,५१२२ मणण्णतर (मनोज्ञतर) ज २११८४११०७ मणुण्णतरिय (मनोज्ञतरक) प१७११२६ से १२८, १३३ से १३५ ज २१७ मणुण्णत्त (मनोज्ञत्व) १ ३४।२० मणुणस्सरता (मनोज्ञस्वरता) प २३।१६ मणुय (मनुज) प ६१८०२,६८१;२०१५३, २३।३६,८३.११३,१४६,१७२,२८!१४४, १४५:३१।६।१,३२।६।१ ज ११२२,२७,५०; २२१४,१६,१६,२१ से २६,२८ से ३७,४१ से ४६,५६,५८,६४,१२३,१२८,१३३,१३४, १३५,१४६,१४८,१५१,१५७,१५६,४१८५, १०१,१७१ उ १२१४,१५,२१,३१६८,१०१, १३१,५१२३,३१ मणुयअसणिआउय (मनुजासंज्ञयायुषक) प २०६४ मणुयगति (मनुजगति) प ६३,८ मणुयगतिय (मनुजगतिक) प १३.१६ मणुयगामि (मनुजगामिन् ) जे १२२,५०:२।१२३, १२८,१४८,१५१,१५७,४।१०१ मणुयगतिपरिणाम (मनुजगतिपरिणाम) प १३१३ मणुयरयण (मनुजरत्न) ज ३१२२० मणुयलोग (मनुजलोक) सू १६।२१।८ मणुयलोय (मनुजलोक) सू १९१२२३१,३ से है मणुयदइ (मनुजपति) ज ३१३ मणुयाउय (मनुजायुष्क) प २०१६३,२३।१८,१५८ मणुस्स (मनुप्य) प११५२,८२ से ८५.१२६; २।२६,३।२५,३८,३६,१२६,१८३,४१५८ से १६४,५३३,२३,२४,१००,१०१,१०३,१०४, १०६,१०७,११०,१११,११४,११५.११८ से १२०,६१२३,२४,४६,५५,६५,६६,७०,७२, ७६.८१,८२,८४,९०,६२,६४,९६,६७,६९ से १०४,१०८,११०,११३,११६,७१४८1८,६; 810 से १०,१६,१७,२२,२३,१११२१,२२, २४,२६,१२१५,३२,१३।१६:१।१२२; १७१४५,४६.१२६.१६४,१७१:१६।४,२१७, ४८,२२१३६२३.१६४,१६८; २६६१५; ३४॥३,३६।१।१,३६.४१,५२ ज २१६,७,५०, ५३,१६२,१६४,३१६८,१७८,२२१ सू २।३; १६।२२।१३,२०१२ उ १११२१,१२२,१२६, १३३,१३६,१३७,१४० मणुस्सखित्त (मनुष्यक्षेत्र) ५११७४ मणुस्सखेत्त (मनुष्यक्षेत्र) प १३८४,२१७,२६ सू१६॥२२॥२१ मणुस्सगामि (मनुष्पगामिन् ) ज २१५८ मणुस्सरुहिर (मनुष्यरुधिर) प १७११२६ मणुस्सलोय (मनुष्यलोक) सू २०१२ Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१२ मस्साउय-मत्थय मणुस्साउय (मनुष्याप्क) प २३३१४७,१६२,१६५, मणोणुकूल (गनोनुकूल) मु २०१७ १७० मणोमाणसिय (मनोमानसिक) उ १५१३ मणुस्सी (मानुषी) प ३।३६,१३०,१८३।११।२३; मणोरम (मनोम) प ३४११६,२१,२२ १७.४८,१६०; २३।१६४,१६८,२०१ ज २७ ज ४२६०१,५३४६।३,७१७८ ५११ मणस (मनुष्य) प६८४,८७,१५१३५,४४,४५, उ ५।२८ ४७ मे ५०८७,६१,९८,१०३ से १०६,११५, मणोरह (मनोरथ) ज ३८८,२२१ १२११२३,१२६,१३८,१६१८,१५,२५,२८, मणोहरमाला (मनोरथमाला) ज २१६५,३११८६, १७।२४,२५,३०,३३,३५.४७,७०,६७,१०४, २०४ १५७,१५६ से १६३,१६६,१६७.१७०,१७२; मगोसिला (मन शिला) पश२०१२ ज ३।१११३ १८१४,१०,२०१४,१३ १८,२५,३०,३२.३५, मणोहर (मनोहर) प ३४११६,२१ ज २११२; ३६,४८, २१११६,२०,३६,५४,६०,६६,७२, ७११७१ सू१०८६१ ७७,८२,८६,२२॥३१,४५,७५,७६८०,८३ से मिण (मन्) मण्णामि प १११ मण्णे १२१५; ८५,८८,६०,६६,१००।२३।१०,१२,७६, ३९८ १६६,२००,२४१३,८,१०,१२,२५।४,५, मति (मति) प १३।१० ज ३११ २६॥३,४,६,८,१०,२७।२,३,२८१२,४६ से मतिअण्णाण (मत्यज्ञान) प ५१५,७,१०,१२,१४, ५१.६७ से ६६,७१,१०३,११६ से १२१, १६,१८,२०,५६,६३,२६४२,६,६,१२,१७,१६ १२४,१२८,१३०,१३६ से १३८,१४१ से से २१ १४३,२६।२२,३०।१४,२४,३११४,३२१४; मतिअण्णाणपरिणाम (मत्यज्ञानपरिणाम) १३.१० ३३११,१३,२१,२६,३३,३६,३४१६;३५१४, मतिअण्णाणि (मत्यज्ञानिन्) प ३.१०३:५१८०,६६, २१,३६७,१०,११,१३ से १५,१७,२६,३०, ११७:१३३१४,१६,१७:१८८३ ३१,३३,३४,५८,७२,८०,८१ ज ४।१०२, मतिणाण (मतिज्ञान) प २६६ ७.२० से २५,७६,८२ सू २१३ मत्त (मत्त) ज २।१२ मणूसखेत्त (मनुप्यक्षेत्र) प २११६२,६३ मत्त (अमत्र) म् २०१४ उ १६३,१०५,१०६ मणूसत्त (मनुष्यत्व) प १५।१८,१०४,११०,११५, मत्तंग (मत्ताङ्ग) ज २।१३ १२६,१३०,३६।२२,२६३०,३१,३३,३४ मत्तजला (मत्तजला) ज ४।२०२ मणूसाउय (मनुष्पायुष्क) प २३७६ मत्तियावई (मत्तिकावती) प १६३।४ मणसी (मनुष्यणी) २७१५८,१५६,१६१ ले मत्थगसूल (मस्तकशूल) ज २०४३ । १६४,१८१४,१०,२०११३:२३।१६६,२०१ मत्थय (पस्तक) ज ३१५,६,८,१२,१६,२६,३६, मणोगम (मनोगम) ज ७१७८ ४७,५३,५६,६२,६४,७०,७७,८१,६२,८४, मणोगय (मनोगत) ज ३।२६,३६,४७,५६,१२२, ८८,६०,१००,११४,१२६,१३३,१३८,१४२, १२३,१३३,१४५,१८८५२२ उ १।१५,५१, १४५,१५१,१५७,१६५,१८१,१८७,१८६, ५४,६५,७६,७६,६६,१०५:३३२६,४८,५०, २०५,२०६,२०६,२१८,५१५,२१,४६,५८ ५५,६८,१०६,११८,१३१,५१३६,३७ उ ११३६,४५,५.५,५८,८०,८३,६६.१०७, मणोगुलिया (मनोगुलिका) ज ४१२६ १०८,११६,११८,१२२,३११०६,१३८,४११५; मणोज्ज (मनोज्ञ) प ११३८.१ ज २०१० ५.१७ Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मदणसलागा-महंत मदणसलागा (देनशलाका) प १७६ मदणसाला (मदन शाला) उ ५१५५ मद्दम (दे०) १ ११३७६४ मद्दव (मार्दव) ज २०१६,७१ मदुग (मद्गुक) ज २।१३७ मधु (मधु) प १७४१३४ ज २।१०६,११० मधुर (मधुर) ज ३।१८६,२०४ मिन्न (मन्) मन्ने ज ३।१०५ मम्म (मर्मन) उ १६६ मम्मण (मन्मन) उ ३६८ मय (पद) च ११ मयकिच्च (मृतकृत्य) उ ११६२ मयणिज्ज (मदनीय) प १७:१३४ ज २०१८ मयूर (भयर) प १७६ ज २११५ उ ५।५५ मरगय (मरकत) ११२०१३ ज ३११०६ मरण (मरण) प १४११२१६४;२१६४१६,२२; ३६।१।१,३६१८३१२,६४।१ ज २७०,८८, ८६,१०३,१०४,३१२२५ सू २०६६ उ ३३११२,१५६;४।१६ मरीइ (मरीचि) ज ११३७ मरीइया (मरीचिका) ज १३२ मरुदेव (मरुदेव) ज २१५६.६२ मरदेवा (मरुदेवा) ज २६३ मरुय (मरुक) प १८६ मरुयग (रुबक) प ११४४।३ मरुआ मरयरायवसभरुप्प (मरुद राजवृपभकल्प) ज ३११८,६३,१८० मरुयापुड (मरुबकपुट) ज ४११०७ मलय (मलय) प ११८६,१।६३१३ ज ११२६,३।२) २११:५१५५ उ १११०,२६.६६५११ मलयगिरि (लागिरि) ज ३१२४ मलिण (मलिन) ज २११३३ भलिय (मदित) ज ३१२२१ उ ११३५,३१५०, ११०,११३:४२० मल्ल (माल) ५२१३०,३१,४१,४६ ज २११२०: ३१६,११,१२,२१,३४,५५५,५७ उ ११३५; ३१५०,११० मल्ल (मल्ल) ज २१३२,३७८,८५,८८,१८०, २०६,२११,२२१,५।२२,२६ मल्लई (मल्लवि) उ ११२७ से १३०,१३२ मल्लदाम (माल्यदामन ) प २१३०,३१,४१ ज ३७,६,१२,१८,२८,३०,३५,४१,४६,५८) ६६,७४,७७,७८,८८,६३,११७.११६,१४७, १६८,१७८,१८०,२१२,२१३,२२२ मल्ल (वासा) (माल्यवर्षा) ज १५७ मल्लि (मल्लि) ज ३।१०६ मल्लिया (मालिका) ५ ११३८२ ज २।१०; ३.१२,८८,१७८,५१५,५८,७४१७८ महिलयापुड (पल्लिकापुट) ज ४।१०७ मविज्जमाण (माप्यमान) प ११४८।५६ मवेज्जमाण (माप्यमान) प ११४८।५८ मसग (मशक) प ११५११ ज ६४० उ ३१२८ मसारगल्ल (दे०) प ११२०१३ ज ३।१०६५ मसि (मसि, मपि) ज २१२३ मसूर (मसूर) ११४५।१,१७६१५१३,२१; २११२३,८० ज २।३७ मह (महत) प २१३०,३१,४१,४६,६२,२३११९३ ३६.८१ ज १।१२,१४,३७,४०,४२,४३; २३१,३।२४,१६१,१६३,१६४,१६७,४१३, ६,६,१२,१३,२४,२५,३१,३३,३६ से ४१,४७, ४६,५६,६६ से ६८,७०,७४,७५,७६,८८,६३, १५६,२१६,२१८,२२१,२३५,२४३,२५०; ५।५,,३५ से ३८,५४,६७,७१५० मह (स्थ) पहिति ज ५११६ महेइ उ ३१५१ महाल (महाश्व) ३१७६ महइ (महती) प २१२७ ज १११०; २१११४,११५; महइमहालिय (महती हत) ११२०:४।१४ महंत हा प २३।१३३१६,२६, ३२ ११०,२६.६६; १११ Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१४ महंत तर ( महत्तर ) ज ४८०, १०२ महग्गय ( महाग्रह ) ज ७।११३ महाह ( महाग्रह ) ज ७३१, १०४,१७० सू १०११३०; १६१५,८ १११३,१५१३, १६, २११४, ७, १६२२१६, १३, २०१८ उ ३२५, ८४ से ८६ महग्गहत्त ( महाग्रहत्व ) उ ३१८३ महग्घ ( महार्घ ) ३८५, २०७, २०८, २२२; ५५५४ सू २०१७ उ १।१६,४२, ३१२६, १४१, ४।१२ महज्जुइ ( महाद्युति) ज ११२४, ३१: ३ ११५, १२४, १२५,२२६; ४।१६५६५११८ महज्जुइय ( महाद्युतिक ) प २०४६ महज्जुतीय (महाद्युतिक ) प २२३०, ४१३६।८१ महढिय (महद्धिक ) प २१४६ महड्ढीय (महद्धिक) ज ४।१७७ महण ( मथन ) ज ३।२२१ महत (महत्) सू १८।२३ महति ( महती ) ज ३१३१ महतिमहालय (महती महत् ) प २२६३ महत्तरंग ( महत्तरक) उ १११६ महत्तरगत ( महत्त रकत्व ) प २१३०,३१,४१,४६ ज ३११८५,२०६,२२१५।१६ उ ५ १० महत्तरिया ( महत्तरिका ) ज ४।१८६५।१ से ३, ५ से १०,१२ से १७ उ ३६० ४/५ महत्थ ( महार्थ ) ज ३।२०७, २०६५/५४,५५ महदंडय ( महादण्डक ) प ३।११२ महद्दह (महाद्रह ) ज ५।५५; ६।१७ महत्था ( महाप्रस्थान ) उ ३२५५ महत्व ( महात्मन् ) ज ३ ७७, १०६ महम्बल ( महाबल ) प २।३०,३१,३६।८१ उ ५३२५ महया (महत्) ज ११२६,४५,२२१२,६५,३२,१२, २२,३६,७८,८२,८८,८६,६३,६६, १०२, १०६, १५५,१५६,१८०, १८५, १८७,२१२, २१३, २१४,२१८; ४।२३,३८,६५,७३,९०,६१,१७७; महंत तर महाण ५१२२,२६,५६,५७,५८,७२,७३,७।५५,५८, १७८१८४ सू १६/२३,२६ उ १।१०,२३, २६,६०,६२,६५,६८,६६,७२,८५,८७,९१ से ६३,१३८, १३६, ५८, ११,१६,२०,२७ महरिह ( महार्ह ) ज ३१६,८१,११७, २०७, २०८, २२२; ५।५४ महव्वय ( महाव्रत ) ज २१७२ महा ( मघा ) ज ७ १४७, १५०, १६२,१६३ १० ११ से ४,६,१४,२३,६६,७०,७५,८३.१२०,१३१ से १३३ महाओहस्सर ( महौघस्वर ) ज ५।५१ महाकंदिय ( महाऋन्दित ) प २१४१,४२,४७१ महाकण्ह ( महाकृष्ण ) उ १७ महाकच्छ ( महाकच्छ) ज ४११८२ से १८५ महाकच्छकूड ( महाकच्छकूट ) ज ४।१८६ महाकम्मतराग ( महाकमंत रक ) प १७१४, १६ महाकाय ( महाकाय ) प २१४१,४५, ४५१२ महाकाल ( महाकाल ) प २२२७, ४४, ४५, ४५११, २/४६, ४७ ज ३।१६७११,८,१७८ २०१८, २०१८/५ उ ११७ महाघोस ( महाघोष ) प २२४०१७ ज ५१४८, ४६ महाचाव (महाचाप) ३१२४१४, ३७२, ४५१२, १३१।४ महाजस ( महायशस् ) स १७।१;२०११, २ महाजाइ ( महाजाति) १|३८|३२|१० महाजुतिय ( महाद्युतिक ) प १७।१२० १,२ महाजुतीय (महाद्युतिक ) प २१३४ महाजुद्ध ( महायुद्ध ) ज २१४२ महाण (महानदी) ज १११६,१८,२०,४८,२११३३; १३४,३८१,१४,१५,१८,५१,५२, ७६.७८,८१, ६७ से १०१,१११,११३, १२८, १४६ से १५१, १६१,१६४,१७०,४।२३, २४, २५,३५,३६,३८ से ४०, ४२,५७,६५ से ६७,७१,७३,७४,७७, ७८,६४,६० से १२, १४, १५, ११०, १४१, १४३, १६७, १६६, १७४, १७७,१७८, १८१,१८३ से १८५,१८७, १८६, ११०, २००, २०१,२०२, Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाणक्खत्त महावीर २०६,२०८,२१२,२१५.२३२,२६२; ५ १५५; ६।१ से २२ उ १।६७,३१५१,५६,५८ महाणखत (महानक्षत्र ) स १० २५,४३,१०८ महानदी ( महानदी ) ज ४ । १६५,२६८ महाणिरय ( महानिरय) प २।२७ महाणिहि ( महानिधि ) ज ३।१७८, १८३,२२०, २२१ महाणुभाग ( महानुभाग ) प २३०, ३१, ४१, ४६; ३६१८१ ज ११२४, ३१, ३१११५, १२४, १२५, २२६; ४।६०;५।१८ १७११ २०११, २ महाणुभाव ( महानुभाव ) सू १७/१ २०११, २ महातव ( महातपस्) ज ११५ महादंडय ( महादण्डक ) प ३३१८३ महाद्दुम ( महाद्रुम ) ज ५१५१ महाधनु ( महाबनुप् ) उ५१२११ महानिहि ( महानिधि ) ज ३।१६७११,१० महानील ( महानील) प २०३१ से ३३ महापउम (हापद्म) २।१६७१,६,१७८ उ २१२,२० महापमद्दह (महापद्मद्रह् ) ज ४१६४, ६५, ७३,८६ महावउमा ( महापद्मा ) उ २११६, २० महापम्ह ( महापक्ष ) ४२१२,२१२।१ महापह ( महापथ) ज ३११८५ २१२,२१३, ५।७२, ७३ उ ११६८ महापाताल ( महापाताल ) प २१६१ महापुंडरी ( महापुण्डरीक ) ज ४१२६८ महापुंडरीमहत्यय ( हस्तगत महापुंडरीक ) ज ३३१० महापुरा ( महापुरा ) ज ४।२१२२ महापुरिस ( महापुरुप ) प २२४५२२४५२ महापुरिसपडण ( महापुरुषपतन ) ज २२४२ महापोंडरीय (महारौण्डरीक ) प ११४६ ज ४१३,२५ महाफल ( महाफल) उ १११७ महाबल ( महाबल ) प २१३१, ४१, ४६ ज ११२४, ३१३७७, १०, ११५, १२४, १२५, १२६, २२६:५१ १७११, २०११.२ उ २६ ५/१३,२५ १०१५ महाभीम ( महाभीम ) प २१४५ २०४५।१ महामंडलिय (महामाण्डलिक ) प १२७४ महामंति ( महामन्त्रिन्) ज ३१६,७७,२२२ महामहिम ( महामहिमन् ) ज २१११७, ११८, ३।१२,१३,१४,२८,३०,४१,४२,४६ से ५१, ५८ से ६०,६६ से ६८, ७४ से ७६ १३६,१३६, १४७ से १५१,१६८, १६६,१७० ५।७४ महामेह ( महामेघ) ज २११०,१४१,१४२,१४५ ; ३६, १७,२१,३१,३४,३५,१७७,२२२३।४६ महास ( महायशस् ) प २/३०,३१,४१,४६, ३६।५१ ज १।२४,३१,३१११५, १२४, १२५, २२६;५।१८ महारह ( महारथ ) ज ३१३५ महाराय (महाराज) ३१२०७,२०८, २२५ उ ३१५१, ५३,५४ महारावास ( महाराजवास) ज २१६४ महारुधिरपडण (महारुचिरपतन ) ज २२४२ महारोष्य (महारोरुक ) प २२७ महालय (महत्, महालय ) प २२२७,६३ ज २।११४,११५;५१४३ महावच्छ (महावत्स ) ज ४/२०२।१,२०३ महाव ( महाव) ज ४।२१२,२१२१३ महाविजय ( महाविजय ) ज २।१७ महावित्त ( महावृत्त) ज ५. । ५८ महाविदेह (महाविदेह ) प १७४८८२१७ ज ४८६,६८ से १०३,१०८,१६२,१६७, १६६,१७२ से १७४, १७८. १८१,१८२, १८४, १८५, १८७,१८८, १६०,१६१,१६३,१६४, १६६, १६७,१६६,२०० से २०३, २०५,२०६, २१३,२६२,६१६,१४,२२ उ १११४१, १४७; २११३,२२,३।१८,२१,८६,१५२.१६५, १६६, ४२६, २८; ५१४३ महाविमाण ( महाविधान ) प २६४ महावीर (महावीर ) प १११११११५,६,७३२१४ चं १० सू २५ ७ ११२.४८,१६,१७,१६ से २६,१४२,१४३,२११ से ३,१० से १२,१४, Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१६ ईमहावेदणतराग-महेसर १५,२१,३११ से ३,७,८,१२,१९.२०,२२, महिंदज्झय (महेन्द्रध्वज) ज ४११२८,१३३,१३६; २३.२६,८७,८८,६१,६३,१५३,१५४,१६६, ५।४३,४४,४६,५०,५२,५३ उ ३।७ १६७,१७०४१ से ३,२७,५११ से ३,४४ महिड्ढीय (महद्धिक) परा३०,३४.३५ से ३७, महावेदणतराग (महावेदनतरक) प १७६,२७ ३६,४१,४६,४६,५०,५८ महासंगाम (महासंग्राम) ज २।४२ महित्ता (मथित्वा) ज ५:१६ महासत्थपडण (महाशस्त्रपतन) ज २१४२ महित्य (दे०) प ११३७६४ महासमुह (महासमुद्र) ज ३२२,३६,७८,६३,६६, महिमा (महिमन) ५ २१६१,६०,११६,५३,७,२२, १०६,१६३,१८० ४६,७४ ज २।३१,६०,११६,५३,७,२२,४६, महासरीर (महाशरीर) प १७.२,२५ महासुक्क (महाशुक्र) प २१४६,५६,५७, ३१३५, महिय (महित) प २३०,३१,४१ ज ११३७,३७, १८३ ; ४।२४६ से २५१,६।३३,५६, ७।१४; । १०८ से १११ २११७०; २८।८१, ३३।१६३४११६,१८ महिय (मथित) उ ११२२,१४० उ २।२२ मह्यिा (महिका) प ११२३ महासुक्कग (महाशुक्रज) ज ५।४६ महिला (महिला) ज ११५,६४; ३११३८,१६७४ महासुक्कवडेंसय (महाशुक्रावतंसक) प २१५६ महिलिया (महिलिका) ज३।१२६।३ महासुमिण (महास्वप्न) उ१४० ४३ महिवड (महीपति) ज ३।११७ महासेणकण्ह (महासेनकृष्ण) उ ११७ महिस (हिष) प ११६४; २।४६,१११२१ महासेत (महाश्वेत) प २१४७१३ ज ३।२४,१०३ महासोक्ख (महासौख्य) प १३०,३१,४१,४६; महिती (महिषी) प १०२३ ज २।३४,७।१६८१२ ३६८१ ज १।२४.३१, ३।११५,१२४,१२५, महु (मधु) ज ७।१७८ उ १३४,४६,७४; ३।५१ २२६; ५११८ सू १७।१,२०११ महु (मधुः) प ११४८३ महाहिमवंत (महाहिमवत् ) प १६३३० ज ४१५४, महुयरी (मधुकरी) ज २०१२ १५,६१ से ६३,७६ से ८१,२६८ महुर (मधुर) प ११४ से ६ ५,७,२०५; महिड्ढिय (महद्धिक) परा३१,३७,३६.४२,४३, १११५८,१३१२८२३६४६,१०८, २८।२६, ४८,५०,५२; १७८४ से ८७,८६, ३६१८१ ३२,६६ ज २।१२,१५.६५,१४५,४।३,२५; ज ११२४,३१,४५,४७,५१,३१११५,१२४, ५२८,७१७८१४१,४४,३१६८ १२५,२२६; ४१२२,३४,५१,५४,६०,६१,६४, महुरतण (धुरतृण) प ११४२।२ ८०,८४,८५,६७,१०२,१०७,११३,१५६, महुरयर (मधुरतर) ज ५१२२ से २४ १६१,१६५,१६६,१७७,१८०,१८४,१८६, महुररस (मधुर रस) प ११४८१४ १९६,१६८,२०३,२११,२६१,२६४,२६६, महुरा (मथुरा) प ११६३५ २७२,५१८,७१८१,२१३ सू १७।१; मसिंगी (मधुशृङ्गी) प १४८३ १८।१६,२०११,२ महुस्सर (मधुस्वर) प ५१५२ महिंद (महेन्द्र) ज १२६,३१२ उ ११०,२६,६६; महेत्ता (मथित्वा) उ ३१५१ महेसर (महेश्वर) प २।४७।२ Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महोरग-मायणि १०१७ महोरग (पहोरग) प ११६८,७५,१३२, २१४५ ज ३३११५.१२४,१२५ माणकसाई (मानकपायिन्) प ३१६८:२८।१३३ महोरगच्छाया (महोरगच्छाया) घ १६१४७ माणकलाय (मानकपाय) प १४।१ मा (मा) उ ११४१३।१०३,११२ ; ४।११ भाणकतायपरिणाम (मानकषायपरिणाम) प १३१५ माइ (मात) उ ११४८, २२,४१२८; ५।४३ माणसायि (पानकपायिन्) प ३९८ माइमिच्छद्दिदिठ (मायिथ्यावृष्टि) ११५१४६; माणणिस्तिया (माननिश्रिता) ११११३४ १७२२; ३४६१२; ३५।२३ मामूरण (मानभजन') ज ५१५८ माइमिच्छहिटिउवद गहरा भाणवग (माणवक) ज २०१२०,३११६७११,६, (मायिमिथ्यादष्ट्युपपन्नक) प १७.२७,२६ ३३१७८,४।१३५ सू २०१८ माइमिच्छद्दिट्ठीउववष्णग माणवय (मानवक) ज ४११३३७१८५ (मागिमिथ्यादृष्ट युपपन्नक) प १७१२७ सू १८१२३, २०१८४ माइय (मात्रिक) ज २११५ माणस (मानस) ३५.११२,३५१६,७ ज ५१२६ माईवाह (मातवाह) प ११४६ माणसंजलणा (भानसंज्वलना) प २३१७० माउय (मातक) ज ५६ से १२,१७,४६,७२,७३ मागसपणा (भानसंज्ञा) प८१,२ माउलिंग (पातुनिङ्ग) प ११३६११ माण सभुग्धाय (भान समुद्घात) प ३६४४२,४६, ४८ से ५२ मालिगाराम (मातुलिगाराम) उ ३४८,५५ माणि (मानिन्) ज ४११७२।१ सू २०१२ माउलिंगी (मातुलिङ्गी) प ११३७१ माउलुंग (मालुलिङ्ग) ५१६१५५१७।१३२ माणिक्क (माणिक्य) ज ३।१०६ माणिभद्द (माणिभद्र) प २।४५,२१४५१ ज ११३; मागह (मागध) ज ५१५५;६।१२ से १४ ७।२१४ चं ७,६ सू ११२,४ उ ३।२।१,३।१६६ मागहकुमार (मागधकुमार) ज ३।१६१ माणिभड्कड (माणिभद्र कूट) ज १२३४,४६ मागहतित्य (मागधतीर्थ ) ज ३११४,१५,१८,२२, माणस (मानुष) प २०६४।१४ ज २।१५,६७, २६:५५५ ३१६२,११६,४११७७ सू १९२२।२२०१२ मागहतित्थकुमार (गवतीर्थकुमार) ३।२०, माणुसमेत मानुषक्षेत्र) - १६।२१।१,२,१६०२६ २६,२७,२८.३० मागहतित्थाधिपति (मारघतीर्थाधिपति) १२५. माणुग (मानुष) १९२२५२७,२६ SAVध (मानुपलोकः) सु १६२११६,२०१२ मागहतित्याहिवाई (मागधतीर्थाधिपति) ३१२६ माघी (माघी) ज ७१४० मासुत्तर (बानुषोत्तर) अ ७।५५,५८ सु १६३१६ माडंबिय (माउम्बिक) प १६४१ ज २२५,३६, ___मास्लग (मनुष्य) उ ३।१३७ १०,७७,८६,१७८,१८६,१२८,२०६,२१०, माणुसब (मनुष्य) ज ३८२,१८७,२१८, २२१:४११७७ २८ २०१७ उ १।११,३४,५२२५ २१६,२१६,२२१,२२२१६२३१११, माता (जात्रा) प १६४ १०१,५११० माढरी (नाठरी) प ११४८।४ माय (मा) माजा परा६४।१६ माढी (माठी) ज ३।३१ भायंजन (पाताञ्जन ज ४।२०२ माण (मान) प ११४३४११:१४१४,६,८,१०१४; मायापायिन) १३१६८,१८१६५ मायण (भादनि) उपा२१ २२।२०,२३१६,३५,१८४ ज २११६,६६,१३३; ३१६५,१३८,१५६,१६७१३,२२१ सू१२।१७।१ १.० ४।१०६ Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८ माया-माह माया (माया) प ११३४।१।१४।४,६,१० से १४:२२।१०२३।६,३५,१८४ ज २१६,६६, १३३ ३ ३।३४ माया (मात) जरा२७,६९५५,७ से १०,१२, १४,१७,४६.६७ उ १।१४८ माया (मात्रा) ज ४१३६,४३,७२,७८,६५,१०३, १४३,१७८,२००,२१३ मायाकसाइ (मायाकपायिन्) ५ २८१३३ मायाकसाय (मायाकपाय) १४११ मायाकसायपरिणाम (मायाकपायपरिणाम) १३१५ मायानिस्सिया (मायानिश्रिता) ११३४ मायामोस (मायामषा) प २२१२०,८० मायामोसविरय (मायामपाविरत) प २२१८५,६६ मायावत्तिया (मायाप्रत्यया) प १७।११,२२,२३, २५, २२२६०,६३,६८,७१,६३,६६,१०१ मायासंजलण (मायासंज्वलन) प २३७१ मायासण्णा (मायासंज्ञा) प ८।१,२ मायासमुग्घात (मायासमुद्घात) प ३६।४६ मायासमुग्घाय (मायासमुद्घात) ५ ३६१४२,४८ से ५१ मारणंसियसमुग्घाय (मारणःन्तिकममुद्घात) प १५१४३; २११८४ से ६३३६१,४,७,२७, २६,३५ से ४१.४६,५३ से ५८,६६ मार (मार) ज ५१३२ मार (मारय) मारिस्सइ उ १८६ मारिबहुल (मारिबहुल) ज ११८ मारुय (मारुत) ज ५१५ मारेउकाम (मारयितुकाम) उ १०३ माल (मालक) ५११३७।५ नीम माल (माला) प २१५० ज ५१८ मालक (मालव) प १८६ मालवंत (माल्यवत) ज ४/१०८,१४२१३,१४३, १६२११,१६३ से १६७,१६६,१७२ से १७४, २०३,२०७,२०६,२१०,२१५,२६२ मालवंतकड (माल्यवत्कट) ज ४११६३ मालवंतद्दह (माल्यवद्रह) ज ४२६२ मालवंतपरियाय (माल्यवतपर्याय) प १६।३० ज ४।२७२ माला (माला) प २।३०,३१,४१,४६ ज ३१६,२०, ३३,४७,५४,६३,७१,८४,११३,१३७,१४३, १६७,१८२,१८६,२०४,२२२ मालागार (मालाकार) ज ५१७ मालि (मा लिन ) प ११७१ सांग विशेष मालिया (मालिका) ज ७१७८ मालुय (मालुक) प ११३५.१ मालुया (मालुका) प ११४०।५,११५० मास (मास) घ ४११०१,१०३, ६१५,१३ से १६, ३५,३६,४४:१८१२३ ; २३१६६,७०,१६५, १८४ ज २१४,६४,६६,८३,८८,३।११६; ७११४१२,११५,१२६,१२७,१३६३१,१५६ से १६७ च ५।३ सू १३६६.१ ८.१; १०१६३ से ७४,१२४,१२।३ से ६,१० से १२,१५; १३१३,१४,१७,१५.१४ से २८, २०१३ उ १६३६,४०,४३,५३,७४,७८,३१४० मास (माष) प ११४५१ ज २१३७, ३।११६ उ ३१३६.४० मासखमण (मासक्षपण) उ२।१०।३।१४,८३; ४।२४५।२८,३६,४३ मासचुण्ण (माषचूर्ण) प १११७६ मासद्ध (मासा) उ २११०३.१४ ८३,४।२४; ५।२८,३६,४३ मासपण्णी (मापपर्णी) प ११४८१५ मासपुरी (मासपुरी) प १६६३।५ मासल (मांराल) प १७।१३४ माससिंगा (मास 'सिंगा') प ११७८ उडद की फली मासवल्ली (मापवल्ली) प १४०१४ मासिय (मासिक) ज ३१२२५ मासिया (मासिकी) उ२।१२:३१५०,१६१,१६६ ५२८,४३ माह (गाघ) ज २।८८,७।१०४ सू १०।१२४ Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माहण-मिसिमिसेत १०१६ माहण (माहन) उ ३।२८,२६,४५,४७,४८,५०, ६६,७२ से ७४,६४,६५,६७ से ६६.१०१ ५५,५८,६०,७५,७६.७६ मिच्छादसणसल्ल (मिलादर्शन शल्य) प २२।२०,२५ माहणकुल (माहनकुल) उ ३३१२५ मिच्छादसणसल्लविरय (मिध्यादर्शनशल्यविरत) माहणरिसी (मानषि) उ३१५१ से ५७,६२,८२ प २२।८६,८७,८६,६०,६७ से १६ माहणी (माहनी) उ ३।१२६ से १३१,१३४ से मिच्छादसणसल्लवेरमण (मिथ्यादर्शनशल्यविरमण) १४४,१४७,१४८ प २१०८१,८२ माहिद (माहेन्द्र ) प १११३५२१४६,५३,५४,६३; मिच्छादंसणि (मिथ्यादर्शनिन ) प २२१६५ ३।३२,१८३,४१२४० से २४२,६१३०,५६.६५, मिच्छादिट्ठि (निश्यादृष्टि) प २३:१६५ १५।८८२१८७०,२८७८,३४।१६,१: मिज्जमाण (मीयभान) सू १२।२ ज ५१४६७१२२।१ सू १०1८४१ उ २।२२ मित (मित) उ १४१,४४ माहिदग (माहेन्द्रक) ५ २१५३; ७१११,३३।१६ मित्त (मित्र) ज २।२६,३१८७,७।१२२२१, माहिंदवडेंसय (माहेन्द्रावतंसक) प २०५३ १३०.१८६.४ सू १०१८४१ उ ३१३८,५०, माही (माघी) ज ७.१३७,१४६,१५३,१५४ ११०,१११:४।१६,१८ सू १०७.१४,२३,२५,२६ मित्तदेवया (मित्रदेवत।) सू १०३ माहेसरी (माहेश्वरी) प १६८ मिय (मृग) प ११६४१११४ ज २।३५ उ ५१५ मिउ (मृदु) ज २११६,३।११७७।१७८ मिय (मित) ज २०१५ मिजा (मज्जा) प ११४८१४५,४६ मियंक (मृगाङ्क) म २०१४ भिग (मृग) प २१४६ सू १०।१२० मियगंध (मृगगन्ध) ज २१५०,१६४,४११०६,२०५ मिगसिरा (मृगशिरा) ज ७।१३६,१६०,१६१ मियलुद्ध (मृगलुब्ध) उ ३१५० सू १०१२ से ५.१२,२३,३८ मियवालंकी (मृगवालुकी) पश४८।४; १७:१३० मिगसीसावलि (मृगशीर्षावलि) ज ७१३३११ पियवालुंकीफल (मृगवालुकीफल) प १७।१३० मिच्छत्त (मिथ्यात्व) प २३१३ उ ३।४७ मिरिय (परिच) प १७।१३१ मिच्छत्तवेदणिज्ज (मिथ्यात्ववेदनीय) प २३११६८, मिरियचुण्ण (मरिचचूर्ण) प १११७६; १७।१३१ १८२ मियसिर (मृगशीर्ष) ज ७।१२८ मिच्छतवेयणिज्ज (मिथ्यात्ववेदनीय) १२३११७. मिरीइ (रीचि) ज ३१११७ ३३,६६,१३८,१५७,१६१,१६६ मिरीचि (मरीचि) सू २११ मिच्छत्ताभिगमि (मिथ्यात्वाभिगमन ) प३४११४ मिरीया (मरीचि) सू २१ मिच्छद्दिछि (मिथ्यादृष्टि) प १७४,८४; मिलक्ख (म्लेच्छ) प १८८,८१ ज ३१७७,१०६ ३११००,१८३ : ६।६७,१३।१४,१६,१७; मिलाइता (भिलित्वा) ज ५।६४ १७।११,२३,२५; १८७७; १९१से ५ मिलाय (मिलय) भिलाइ उ १११२५ मिलायंति २१४७२२३।१६६,२००,२८।१२६ ज ३१११ मिच्छादसणपरिणाम (मिथादर्शनपरिणाम) मिलायित्ता (मिलित्वा) ज ३११११ १३.११ मिलिय (मिलित) ५१६१५२२१८४ मिच्छादसणवत्तिया (मिथ्यादर्शन प्रत्यया) मिसिसित (दे०) ज ३११०६,५१२१ ५ १७११,२२,२३,२५, २२१६०,६५,६६, मिसिमिसेंत (दे०) ज ३१६,२४,२२२:५।२८ Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२० मिसिमिसेमाण-मुद्दा मिसिमिसेमाण (दे०) ज ३१२६,३६,४७,१०७, १०६,१३३ उ ११२२,५७,८२,११५,१४० मिस्स (मिथ) प १४४७१२ मिस्सकेसी (मिश्रकेशी) ज ५१११११ मिस्तार (मिथाकूर) सू १०२० मिहिला (मिथिला) पश६३१३ ज ११२,३; ७२१४ च ६ से ८ सू १।१ से ३ उ ३११७१ मिहुण (मिथुन) ज २११२; ४१३,२५ उ ५१५ मीसग (मिथक) ५ ३२१६१ मौसजोणि (मिथयोनि) प ६१६ मौसजोणिय (मिश्रोनिक) प ६।१६ मोसय (मिश्रक) ज २१६५,६६ मीसाहार (मिश्राहार) प २८।१.२ मीसिय (मिश्रित) प ६३१३ से १७ मुइंग (मृदंग) प २१३०,३१,४१,४६,३३।२४ ज ११४५;३.१२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, ७८,८२,१४७,१६८,१८०,१८५,१८७,२०६, २१२,२१३,२१८,५१,५,१६, ७५५,५८, १८४ सू१८।२३,१६१२३,२६ मुइंगपुक्खर (मृदंगपुष्कर) ज २६१२७ मुंच (मुच्) कोच्छिहिति ज २११३१ मुंजपाउयार (मुजपादुककार) प श६७ मुंड (मुण्ड) प २०११७,१८ ज २१६५,६७,८५,८७ उ ३३१३,१०६ से १०८,११२,११८,१३६, १३८,१३६,४।१४,१९:५३२ मुंडभाव (मुण्टभाव) उ२२४३ मुंडि (मुण्डिन् ) ज ३३१७८ मुक्क (मुक्त) प २१३०,३१,४१ ज २११०,१५; ३७,८८,४११६६५७ मुक्केलम (दे०) प १२१८ से १३.१६,२०,२१, २३,२४,२७,२८,३१ से ३३ मुक्केलय (दे०) प १२।७ से १०,१६,२०,२४,२७, २८,३६ मुगुंद (मुकुन्द) ३।३१ मुग्ग (मुद्ग) प ११४५३१ ज २१३७,३१११६ मुग्गचुण्ण (मुद्गचूर्ण) प ११७६ मुग्गपण्णी (मुद्गपर्णी) प १:४८५ मुग्गसिंगा (मुद्ग सिंगा') प १११७८ मूग की फली मुग्गसूव (मुद् गसूप) सू १०११२० मुच्च (मुच्) मुच्चइ प ३६.८८ मुच्चंति प६११० ज ११२२,५०,२१५८,१२३,१२८; ४११०१ उ ३११४२ मुच्चति प ३६।११ मुच्चिहिइ उ १११४१,३।४६:५१४३ मुच्चिहिति २।१५१ गुच्चेज्जा प २०१८ मुच्छिय (मूच्छित) ज ५१२६ उ ११४७,३।११४ ११५,११६ मुछि (मुष्टि) ज २११४१ से १४५,३।११५, ११६,१२२,१२४ मुठ्ठिय (मौष्टिम,मुप्टिक) ज २।३२; ५,५ मुणाल (मृणाल) प ११४६,११४८।४२,२०६४ ल ३११०६४३,२५ मुणालिया (मृणालिका) प २।३१ मुणेयव (ज्ञात य) प १३८१३,२१४०१६,११; १५६१४३ ज ४।१४२।३,७४१३४१४ सू१६२२१११,२२ मुत्त (मुक्त) २१८८,८६,३७६,११६,११७,२२५ १५,२१,४६ मुत्त (मूत्र) उ ३३१३०.१३१,१३४ मुत्तजाल (मुक्तजाल) ज ३३१७७ मुत्तमाण (मुद्रयत्) उ ३।१३०,१३१,१३४ मुता (मुक्ता) ज ४।२७ मुत्ताजाल (मुक्ताजाल) ज ३।३०,४७,२२२ सुतादास (मुक्तादामन्) ज ५१३८ मुत्तालय (मुक्तालय) प २१६४ मुत्तालि (मुक्तावनि) ज ३।२११,४१२३,३८, ६५,७३,६०,६१ मुत्ति (मुक्ति) प २१६४ ज २०७१ मुत्तियाजालय (मौक्तिकजालक) ज ३।१०६ मुत्तिसुह (मुक्तिमुख) प २१६४११५ मुत्तोली (दे०) ज ३११०६ मुद्दा (मुद्रा) प २१३१ Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुद्दिया-मेंढमुह १०२१ मुद्दिया (मृद्वीका) प ११४०१४ ६५,९६,६८ से १००,१२२,१२६,१२७, मुद्दिया (मुद्रिका) ज ३१६,२११,२२२ १३४।१,२,३,१३५१ से ४ च ३३१४११:५।२ मुद्दियासारय (मृद वोरासारक) प १७१३४ सू१।७।१,११८।१,११६२,११०,१३,१४,१६ मुद्ध (मुर्धन् ) ज ५१२१,५८,६४,७२,७३,७१७८ से १८,२१,२२,२४,२७,२१३,३१२,४८,९; मुद्धत (मूर्द्धान्त) सु २०१२ ६।१८:१; ६।२;१०।२ से ५,८४,१३३,१३४, मुद्धय (दे०) प ११५८ १५२ से १६५,१११२ से६१२१२ से ६, मुद्धागय (मूर्द्धगत) ज ३९२,११६ १२,१३,१६ से २८,१३॥१.३,१४१३,७; १५२ मुम्मुर (मुर्मुर) प ११२६ से ४,८,६,११,१२,३७:१७.१ उ श२४,४७, मुम्मुरभूय (मुर्मुरभूत) ज २११३२,१४१ ९०,६२ मुय (मुच्) मु ति कु २०१२ मुहत्तगइ (मुहूर्त गति) चं ४।३ मुयंत (मुञ्चन्) ज २:१२ मुहत्तरंग (मुहूर्ताग्र) च ५११ सू १।६।११०१२; मुरव (मुरज) ज ३।१२,७८,१८०,२०६ १२॥२ से । मुरुंड (मुरुण्ड) प ११८६ मूल (मूल) प १३५,३६,११४८।१०,२०,३०,३४, मुरुंडी (मुरुण्डी) ज ३।१११२ ५१ ज १८,३५,५१,२१६३१२२२०,४७,१५, मुसल (मुसल) प २१३०,३१.४१ ज २१६,१४१, ४३,४५,७२,७८,६०,६५,११०,११४:१२०, १४५, ३१३,२०,३३.५४,६३,७१८४,११५, १४२११,१४६,१५६।१,१७४,२१३,२४२; ११६,१२२,१२४,१३७,१४३,१६७,१८२; ५६७,७१३६,३८,६२४११,१२८,१२६, ७.१७८ १३२।४,१३६,१४०,१४६,१५२,१६६,१६७, मुसावाय (मृषावाद) प २२।१२,१३,८० १७५ सू१०।२ से ६,१८,२३,५२,६२,७३ से मुसावायविरय (मषावादविरत) प २२१८५ ७५,८३,११७,१२०,१३१ से १३३,१२।२७; मुसंढी (दे०) प ११४८।१२।३०,३१,४१ १८१७ 3 ३१५०,५१,५३ मुह (मुख) ज २०७१,१३३,३।१०५,१०६, यूलग (मूलक) प ११४४।२,११४५१२ ज ३१११६ १६७१११४१२३,३६,३८,३६,४३,६५,६६, मूलांग (मूलाग्र) प ११४८१६३ ७२,७३,७८,६०,६१,६५,१८३.२६२७।१७८ मूलपासायव.सय (मुरुप्रासादावतंसक) ज ४।१२० उ ३१५५,५६,६३,६४,६७,६८,७०,७१,७३, भूलय (मूलक) प १।४८।२ ७४,७६, ४।२१ मूलाग (मूलक) उ १९६२ मुहफुल्लय (मुखफुल्लक) ज ७१३३१२ मूलाषण्ण (मूतकपर्ण) १०११२० मुहफुल्लसंठिय (मुख'फुल्ल'स स्थित) सू१०४७ मूलाबीय (मुलना वीज) ज २१३७ मुहभंडग (मुखभाण्डम.) ज ३११७८ मूलाहार (मूलाहार) उ ३५० मुहमंगलिय (मुखमाङ्गलिक) ज २१६४;३३१८५ मुसग (मुषक) प ११७८ मुहमंडव (मुखमण्डप) ज ४.१२२ मूसा (भूषक) प १७६ मुहुत्त (मुहूर्त) ६१ से ४,६ से १०,१७,१८,२२ मेइणी (मेदिनी) ज २११५ से ३०,४५७१३,६ से ६२३१६३,१२७,१३१, मेइणीय (मेदिनीक) ज ३११८,३१,१८० १८८ ज २१४१२,३,२१६६,१३४,३३३२१२, मेंढक (मेंढक) सू १०।१२० मेढानिंगी लता २०६७।२० से ३०,३६ से ३८,७६ से ८२, मेंढमुह (मेंढमुख) प ११८६ Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२२ मेघ-या मेहा (मेघा) ज ३३ मेहाणीय (मेघानीक) ज ३।११५,१२४,१२५ मेहावि (मेधाविन्) ज ३।१०६ मेहुण (मथन) २८१६,१७,८० मेहुणवक्तिय (मशनर) ज ७११८५ १८।२३, २४;२०१६ मेहुणसण्णा (मथुनसंज्ञा) प ८११ से ५,७ से १,११ मोढ (दे०) ३ ११८६ मोक्ख (मोक्ष) ज २।७१ मोगली (गली) एक जंगली पेड । १४०।५ मोग्गर (मुद्गर) ११३८१२; २१४१ ज २।१० मोग्गलयण (मौद्गलायन) ज ७।१३२२१ सू १०१६२ मोत्ति (मौक्तिक) ज ३११६७।८ मोत्तिय (मौक्तिक) २४६ ज २।२४,६४,६६) मेघ (मेघ) ज ३।२२४ मेघमालिनी (मेघमालिनी) ज ४१२३८ मेघस्सर (मेघस्वर) ज ५१५२ मेच्छ (म्लेच्छ) प २१६४१७ मेच्छजाइ (म्लेच्छजाति) ज ३१८१ मेढी (मेढी) उ ३।११ मेढीभूय (मेढीभूत) उ ३१११ मेत्त (मात्र) प ११४८६०,११७४,८४; १२११२, २४,३८,१५१०,२३,२११८४,८६,८७,६० से ६३,३३३१३,३६।५६,६६,७०,७४ ज २।१३४ उ ३।८३,१२०,१२१,१२७,१२८,१६१; ४१२४;५१२३ मेद (मेदस्) प २।२० से २७ मेधावि (मेधाविन्) ज ५१५ मेय (मेद) १८६ मेरग (मैरेय) उ ११३४,४९,७४ मेरय (मैरेय) प १७:१३४ मेरा (मर्यादा) ज ३१२६,३६,४७,७६,१३२,१३३, १३८,१५१,१८८ सू २०१६।४ मेराग (मर्यादाक) ज ३।१२८,१५१,१७०,१८५, २०६,२२१ उ ५.१० मेरु (मेरु) ज ४१२६०।१७।३२११,७१५५ सू ५।१; ७।१:१६२२११०,११,१६१२३ मेरुतालवण (मेरुतालवन) ज राह मेलिमिद (दे०) ५११७० मेसर (दे०) प १७९ मेह (मेघ) ज २१३१, ३१७.६३,१०६,१२५, १७,१६३,५१२२ से २४ उ ११ मेहंकरा (मेघकरा) ज ४।२३७,५०६१ मेहकुमार (मेषकुमार) उ २११११,११२ मेहमालिणी (मेघमालिनी) ज ५१६१ मेहमुह (मेघमुख) २ १८६ ज ३१११ से ११५ १२४ से १२६ मेहबई (मेघवती) ज ४२३८; ५।६।१ मेहवण्ण (मेघवर्ण) उ ५१२४,२६ मोद्दाल (दे०) ज २१८ मोयई (मोची) १३५१ हिलमोचिका साग मोयग (मोचक) ज ५।२१ मोरगीवा (मयू रग्रीवा) प १७६१३४ मोसभासग (मपाभाषक) प ११०१० मोसमण (मृपामनम् ) प १६:१,७ मोसमणजोग (मृपामनोयोग) प ३६१८६ मोसवइजोग (मपावाक्योग) ५ ३६.६० मोसा (मृपा) ११११२ से १०२६ से २६,३२, ३४,४२,४३,४५,४६,८२,८४,८५,८७ से ८६ मोह (मोह) प २३११६१ ज २१२३३ मोह (माहय् ) मोह ति ज ११३ मोहणिज्ज (मोहनीय) प २२१२८,२३११,१२, १७,३२,१६२, २४।१३:२६।१२, २७१६ मोहरिय (मौखरिक) ज ३११७८ य (च) ५१।१० ज १७ सू १७ उ १७, ३।२।१४।२। १ २।१ या (च) उ ३१२११ Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याण-रत्या १०२३ याण (ज्ञा) याणंति प १५।४६,४८,४६% रठ्ठ (राष्ट्र) उ ११६६,६४,६६ ३४.११.१२ याणति प २३११३ याणामो रट्ठकूड (राष्ट्र कूट) उ ३३१२८ से १३१.१३३, उ १।३६ १३६,१३८ से १४०,१४७,१४६ याव (यावत्) प ११२०,२३,२६,२६,३६.३७,३६ रणभूमि (रणभूमि) उ १११३५ से ४७,११४८७.१० से ३७,४१,४३,१४४८ से रतण (रत्न) ५२१४८ ५१,५६,६०.६० से६६,७०,७१,७५,७६,७८, रतणप्पभा (रत्नप्रभा) प २१४८,४६३३१८३; रतणम्पमा रत्नप्रभा) ६६.६७ ६।६११०१२,३ रतणबडेंसय (ग्लावतंसक) १२१५१ रतणामय (रत्नमक) २०४६ रई (रति) १४१ ज ५१२६ रति (रति) २३६३६,७६,१४४ रइकरग (रतिकर क) ज ५१४८,४६ रतिणाम (रतिनामन्) प २३१६४ रइकरगपन्वय (रनिकर कपर्वत) उ ५१४४ रतिपसत्त (रतिप्रसक्त) सू २०१७ रइत (रचित) ए ३६१६२ रत्त (रक्त) प २१३१,२१४०।१० ज ३७,२४,२५, रइत्त (रतिद) ज ३१३५ १८४,१८८७१७८ सू १३.१,२०१३,७ रइय (रचित) १ २।३०,३१,४१ ज ११३७,२१५, उ१९७२,७३,८७,८८,६२ ३१६,६,१८,२४,३५,६३,१०६,११७,१७८, रत्त (रात्र) ज २६.१,२।१४१ से १४५,३३११५, १८०,२२१,२२२,५१४३०१५५ ११६,१२१,१२२,१२४ रइय (रतिक) प २१४८ रत्तंसुय (रक्तांशुक) ज ४११३ सू २०१७ रइय (रतिद) ज २११५ रत्तकंबलसिला (रक्तकम्बल शिला) ज ४१२४४, रइयामय (रजत मय) ज ४११३ २५२ रउस्सल (रजस्वल) ज २।१३१ रएत्ता (रचयित्वा) उ१।१३७, ३१५१ रत्तकणवीरय (रक्तकरवीरक) प १७१२६ रंग (रङ्ग) ज ३।१६७१६ रत्तचंदण (रक्तचन्दन) प २१३०,३१,४१ रक्खस (राक्षस) ५ १५१३२, २१४१,४५ ज ७१२२ रत्तबंधुजीवय (रक्तवन्धुजीवक) प१७११२६ रत्तरयण (रक्तरत्न) ज २१२४,६४,६६,३।१६७ रक्खा (रक्षा) ज ५११६ रत्तवई (रक्तवती) ज ४१२७४।६।१६ रज्ज (राज्य) ज २१६४;३१२,१७५,१८८ उश६६. रत्तवईकूड (रक्तवतीकुट) ज ४।२७५ १४,६६,१०३,१०६,११०,११३,११४,१२१, रत्तसिला (रक्तशिला) ज ४१२४४,२५१ १२२,१२६,५९,११ रत्ता (रक्ता) ज ४१२७४; ६.१६ रिज्ज (रञ्ज) रज्जति सु १३३१ रत्ताकूड (रत्ताकूट) ज ४।२७५ रज्जधुरा (राजधूर्) उ १।३१ रत्ताभ (रक्ताभ) प २१४६ रज्जवास (राज वास) ज २१८७ रत्तासोग (रक्ताशोक) ११७६१२६ रज्जसिरि (राज्यश्री) उ ११६५,६६,७१,६४,९८, रत्ति (त्रि) ज ३१६५,१५६ ६९,१११,११२ रस्तुप्पल (रक्तोत्पल) प १७:१२६ ज २।१५; रज्जु (रज्जु) ज ३३१०६७।१७८ ७११७८ रज्जुच्छाया (रज्जुच्छाया) गू६१४ रत्था (रथ्या) ज ३७ सू १०८४१३ Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२४ रम (रम्) रमंति ज १११३,३०,३३३३७४१२ रमंत ( रममाण ) ज ३११७८ रमण ( रमण ) ज ३|१३८ रमणि ( रमणी) २०३१,४० से ५१.६३३ १७ १०७, १०२ १११ १.१३.२१,२५,२६, २८,२६.३२.३३.३०, ३७, ३२४०, ४२, ४६; २३,१०,१४,१८,४२,५६,५७,१२२, १२७ १४७,१५०,१५६,१५,१६१.१६४३१२,८१ १९२, १९३,११६,११७,२२२४१२.३.०९.११. १२.११,३२,४६,४६,४७, ४९, ५०, ५६,५८,५६, ६३,६१,७०,६२,८७,८८,१००,१०४,१०६. १११, ११२,११७, ११८, १३१,१६६,१७०, १७१,२०२११,२३४,२४० २ २४२,२४७, २४८, २५०, २६७५।३२,३५७ १७८ यू २१६०३. १८११ रम्म ( रम्य ) ज २२१०, १२; ३३८१; ४।२०२११ उ ३४९;५१६ रम्मग ( रम्यक) ज ४।१०२,२०२ रम्गकूड ( रम्यककूट) ज ४/२६३|१,२६६११ रम्भगवास (रम्पकवर्ष ) प १३८७,१६३० [ज] ४४१०२,१६२,२६६ से २६८,६६,११ रम्य ( रम्बक ) प १७११६४ ज ४।२०२११,२६५ से २६७ रम्यास ( रम्यकवर्ष) २२६ (ज) २।२२३६५१७ / रय (रचय) रएइ उ १११३७,३१५१ रति ज २१६ गृह ज २६५ २ ३।११४ रण (रत्न ) प १।१।२; ११३,४८,२१३०,३१,४१, ४८ ११।२५ १५०५५/२, २०११११ व २२६४, ६६; ३६,१२,१८,२४,३०,३१,३२/१,३५, ५६,६४,७६,७७,८१,११७.१२५ से १२८, १३८, १४५,१५१,१५२.१६७११.५,१२,१४: ३१६८१७५ १७८१८०,१५४, १६२,२११. २२१,२२२,४८४६, १३७ ५१५, ७,१३,१६, ३८५५७१७८ १८८ २०७१।१११. ११२,१२३,१३१ रयणकरंड ( रत्नकरण्ड ) ज ३१११ श्यक) ५१५५ ३०१२८ कुविधारिय ( रत्नकुक्षिश्राविका ) ज ५१५, ४६ रणचित (चित्र) व ३१५६,१४५ यत्पा (भा) ११५३२१२०,२१, ३० से ४०, ४१ से ४३,४५, ५०, ५१,६३; २११२१४६० से ९६।१०,४५,४१,७२, ८१,१०११०११ से ३,२८,३०६१६१२६ २०१, २, ३८.२६.४१, ५०, ५.६, २११५२,५१, ६६ ३० २५ से २०३३०३,१६ २०१३ ०३:१०११ रयणप्यभविणे (पृथिवीनरक) रम-रयणी १ २०१५०.५१ रयणडेय (वतंस ) प २५६ रण (वासा) ( रत्नवर्षा ) ज ५।५७ रयणमय (सनम ) २/३०,३१,४१ से ४३, ४६,५० से ५२.५८ से ६०,६२ १२.१०. ३१,३५,४०,४६११:२०११४.११४, २०१६, १००,१०१४१२८, ३०, ४१,४५, ५७,६२,७४, ७६, १०३, ११४.१३९,१७८.२१२.२१७, २७६ ५.१३७ रयणसं (नया) ज ४१२०२१२ (रत्नावली ) ज ३।२११ रण रणि (नि) १४७५ २२६४७, ८, २१।६६,६७, ७०,७१,७४ ज २।१३३ रण (नि) १६१४६६१ रविकर (रनिकर) ३।१०९ मू १९२२११२. १३ त) न ७२७,३० पियर (जनिकर) ज ३।११७ १७५ (नि) ४११० रणियर ( रजनिकर) ज २११५;३।११७ री (रनि २६, १२५,१३३,१४८ Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रयणी - रहवर रयणी (रजनी) ज २१२८, १३३,३६१८८, ७ १२० सू १०८८१३ उ ३२४८, ५०, ५५,६३,६७,७०, ७२,१०६,११८ रयणुच्चय ( रत्तोच्चय ) सू५४१ रयणोच्चय ( रत्नोच्चय ) ज ४२६०११ रत्ताण ( रजस्त्राण ) ज ४११३ सू २०१७ रयमत्त ( रतमत्त) ज २।१२ रथ (रजत) ज ३ | १०३,४१२५, १२५, १४६; १६२१,२३८,२५.५ ५१५,६२; ७११७८ रययकूड (रजतकूट ) ज ४।१६४,२३६ रखंड ( रजतखण्ड ) ११/७४ वालुवा (रजतवालुका) ज ४१३ रययामय ( रजतमय ) ज १२३ ३ १२,८८४३ १३,२५,६४,८८,२०३५१५८ ७ १७८ रव (ख) २३०,३१,४१,४६ ज ११४५ २२६५ ३१२२,३६,७८,८३,६३,६६,१६३, १८०, १८३, १८५, १८७, २०४,२०६,२१३,२१६,५११, ५, ६,२२,२६,४४,४६, ४७,५६,६७, ७१५५,५८, १७८१८४ १८१२३; १९ २३, २६ उ १।१२१,१२२, १२५, १२६,१३३,१३४,१३८; ३।१११, ४११८५ १६ रवभूय ( रवभूत) ज ३११०६ रवि (रवि) ज २०१५; ३१३,३०,७११२७।१,१६७ सू १०९७७ १६८।२:२२/३ रविकिरण ( रविकिरण ) ज २२१५ रस (रस) प ११४ से ६ ३ १८२५१५,७,१०,१२, १४,१६,१८,२०,२४,२८,३०, ३२, ३४, ३७, ३६, ४१,४५,५३,५६,५६,६१,६३,६८, ७१.७४, ७६,७८.८३,८६,८६,६१,६३,९७,१०१, १०४, १०७.१०६,१११,११५, ११६,१२६,१३८, १५०,१५२, १५४,१६०, २०५, २०७, २११. २१४,२२८,२४२,२४४, १० १५३११:११ ५७, १८१५/३८; १७३११४।१, २३११५,१६,१९, २०,१०८ २६१२०,३२.६६; ३६/८०, ८१ २११८,४५, १४२, ३३८२,१८७,२१८; १०२५ ७ ११२२४, २०६ सू १०/१२६२४; २०१७ उ ५।२५ सओ (रस) प ११५ से ६,२८।२६,३२,६६ रसचरिम (रराचरम ) प १०३५०, ५१ रणाम (रसनामन् ) प २३३३८,४६ रसतो ( सतस् ) प १६, ६, ६ ११५८२८८, २०, ५४ रसदेवी ( रसदेवी ) उ ४२१ रसपज्जव ( रसपर्यव) ज २१५१,५४, १२१, १२६, १३०,१३८, १४०,१४६,१५४, १६०,१६३ रसपरिणाम ( रसपरिणाम ) प १३।२१,२८ रसभेय (द) प १।४८।५ समंत (वत्) प १११५२,५७२८१५,५१ रमेह (घ) ज २१४५ रसविण्णाणावरण (सविज्ञान ) प २३।१३ रसादेस (रसादेश ) प ११२०,२३,२६,२६,४८ रसावरण ( रसावरण ) प २३१३ सिदिय (सेन्द्रियत्व ) प ३४१२० रशिय (सित ) ज ३।३५: ५। २२ से २४, २६ रोदय ( रसोदक ) प १२३ रसि (२) ज ३१३,१८८ रह ( 25 ) ज १२६,२।१२,३३,६५,१३४,३३, १४,१७,२१ से २३,२८,३१,३६,३७,४१,४५, ४६,७७,७८,६१,६८,१०६, १३१,१३५, १७३, १७५,१७७ से १७६,१६६,२२१५।५७ उ १११४,१५,२१,२२,१२१,१२६,१३३,१३६ से १३८४११५: ५११८ रहचक्कवाल ( रथचक्रवाल ) प ३६।८१ ज १७ सू ११४ रहच्छाया (रथच्छाया ) प १६/४७ रहनेउ रचक्कवाल (रथनूपुरचक्रवाल) ज १९।२६ रह (रथाथ ) ज २११३४ रहमुसल ( रथमुसल) उ १११४, १५, २१, २२, २५, २६,१३६, १३७,१४० रहरेणु (रथरेणु) ज २१६ रहवर ( रथवर ) ज २।१५; ३।२२.३६,४४ Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२६ रहसि र-रायहंस रहसिर (रशिरस्) ज ३।१३१,१३५ रहस्स (रहस्य ) उ ३।११ रहस्सियग (राहसिक) उ११४६ रहस्सियय (राहसिक) उ ११४४ रहस्सीकर (रहस्यीकृ) रहस्सीकरेसि उ ११३६ रहिय (रहित) ए३२१६।१,३५३१२ ज २११५, १३३ सु २०६६ रहोकम्म (रहःकर्मन्) ज २१७१ राई (रात्रि) ज २११५,३।११७,७१२६ से ३०, १२०,१२१ च ५२ सू १९३२।१,३, १६.११.१ राइ (राजन) उ ५.१० राइंदिय (रात्रिदिव) प ६३०; १८।३३,५१; २३११६२ ज २१४६,५२,५६,१५६.१६१ ७.२७,३०,१५८,१६१से १६७ सू ११११, १४,२२ से २४,२७, २॥३,६।१८।१ १०।१६६ से १६६१२२ से ६,१३,१५; १५:३२,३४,३७ उ १५३,७८ राइदियग्ग (रात्रिंदिवान) सू ११११,१२।२ से ६, से २६,३१ से ३४,३६ से ४२,४४ से ५०,५२ से ५.६,६१ मे ६७,६६ से ७४,७६,८३,८८, ६० से ६४,९६,६६ से १०१,१०६ से १०६, ११५ से १२०,१२१११,१२२ से १२५; १२६६१,१२७,१२८,१३१ से १३४,१३५११, १३७ से १३६,१४१,१४३,१४५ से १४७. १५० से १५४,१५७ से १६०,१६३ से १६७, १७०,१७३,१७५.१७७,१८१ से १८३,१८५ से १६२,१६८,१६६,२०१,२०२,२०४ से २१२,२१४,२१५,२१८,२१६,२२१ से २२३; ४।१७७,१८१,२००:५१५,७ चं ८ सू ११३,४ उ ११० से १२,१४,१५,२१,२२,२५,२६,२६ से ३२,३४,३६ से ४४,४६,४९,५७,५८,६१, ६२,६५,६६,६८ से ७४,८२,८३,८६ से १६, १८ से ११६,१२१,१२७,१२६ से १४५; २।४,५,१६,१७,३१४,१५ से १८,२१,२४,८६, १५५,१६८,४१४,६:५६,११ से १३,२५,३० रायकुल (राजकुल) उ १११११,११२:५१४३ रायगिह (राजगह) प १६३।१ उ १६१,२,२८,२६, ९३,३३४,२१,२४,८६,१५५,१६८,४४,६,७, राइण्ण (राजन्य) प ११९५ ज १६५ राईसर (राजेश्वर) ज ३१६,७७,८६,१७८,१८६, १८८,२०६,२१०,२१६,२१६,२२१,२२२ उ ३।११,१०१:५।१०,१७,३६ । राग (सग) प २१४१,१७१११६; २३१६ ज २१२६, ३७,३५,१८४,१८८ ९ १३१२ राति (रात्रि) सू १६१३,१४,१६,२१,२२,२४,२७, २१३; ३१२,४।८,६६।१८।१६।२; १०५, ८८३ रातिदिय (रात्रिदिव) १४।७२,७४,७६,७८,९८, १००,६।११,२६,३१ से ३४,१८१२२ रातोतिहि (रात्रितिथि) मू १०।८६,६१ राम (राम) १६३६ रामकण्ह (गमकृष्ण) उ ११७ राय (राजन) प १६।४१ ज ११३,२६,२।१६,२५, ६३:३।२ से ७,६ से १३,१५,१७ से २४,२६ रायग्गल (राजार्गल) र २०१८,२०1८६ रायत (राजत) ज ३।११७ रायतेय (राजतेजस्) ज ३.१८,६३,१८०,१८७ रायधम्म (राजधर्म) ज २११२६,१५८ रायपवर (राजप्रवर) ज ३१६५,६६,१५६ रायप्पसेणइज्ज (राजप्रतीय) ज ४।११५,५५३२ रायबहुल (राजबहुल) ज ११८ रायमग (राजमार्ग) ज २६५ रायलच्छी (राजलक्ष्मी) ज ३१११७ रायवण्णय (राजवर्णक) ज १२२६;३३३ रायवर (राजवर) ज ३९२,३६,६३,६६,१०६, १६३,१७५,१७८,१८०,१८८,२१६,२२४ रायवल्ली (राजवल्ली)११४८१४ रायसरिस (राजसदृश) उ १११३८ रायहंस (राजहंस)पश७६ Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यहाणी -कहिर रायहाणी (राजधानी) प ११७४ ज १११६,४५, ४६,५१ ; २।२२,६५; ३।१, २, ७, ८, १४, १७२. १७३, १८०,१५२ से १८५, १६१, १६२,२०४, २०८,२०६,२१२,२२०, २२१,२२४, ४५२, ५३,६०,८४,६६,१०६,११४ से ११७,१५६, १६०,१६३ से १६५, १७४, १७५, १७७१८०, १८१,१६२,२००,२०२,२०४, २०६, २०७, २०८,२१०,२१२,२२६ से २३३,२३७ से २३६, २६३, २६६, २६६२७२,२७५ ५१५०; ६।१६,७११८४,१८५ उ ३।१०१ रायाभिसेय (राज्याभिषेक) ज २२८५ ३३१८८, २०६,२१२,२१४ उ १२६५,६८,७२ रायारिह ( राजार्ह ) ज ३३८१ राग ( रालक) प ११४५।२ ज २।३७३।११६ दक्षिण भारत के जंगलों में मिलने वाला एक सदावहार पेड़ / राव (रावय्) रावेंति ज ५।५७ रावत (रावयत् ) ज ३११७८ रासि (राशि) प २२६४११६; १२ ३२ १७११२६ राहु ( राहु ) प २४८ सू २०१२, ८, २०१८१४ राहुम्म ( राहुकर्म ) सू २०१२ राहुदेव ( राहुदेव) सू २०/२ राहुविमाण (राहुविमान ) सू १६ । २२ १७ ; २०१२ रिध्वे (ऋजुर्वेद) उ३१२८ रिक्ख (ऋक्ष ) ज ३६, १७,२१,३४, १७७,२२२ सू १५/३७; १९ २२ २६ रिगिसिगि (दे० ) ज ३।३१ वाद्य विशेष रिट्ठ ( रिष्ट) ज ३१६२५।५,७, २१ रिट्ठपुर (रिष्टपुरा ) ज ४१२०० | १ रिट्ठा (रिटा ) ज ४२००११ रिट्ठामय ( रिष्टमय ) ज ४।७, २६ रिद्ध (ऋद्ध ) ज ११२, २६:३१ चं ६ सु ११ उ १११, ६, २८, ३३१५७५।२४ रिसह ( कृाभ ) ज ७३१२२।३ सु १०८४१३ रुइल ( रुचिर ) प २०४८ ज २११५३।३५४(४६; १०२७ ७१७८ रुंद (दे० ) ज ७ ३२ १ रुक्ख ( रूक्ष ) प १।३३।१,११३४,३६,४७११; १७ १११ ज २१२०,३१,१३१,१४४ से १४६; ३१३२,१०६,१२६ उ ५ ।५ raiहालय ( रूक्षगेहालय ) ज २१९, २१ रुक्खमूल (रुक्षमूल ) प ११४८६१ ज २८, ६ बहुल ( रूक्षबहुल) ज १११८ रुक्मूलिय ( रूक्ष मूलिक) उ३।५० रुट्ठ (रुप्ट) ज ३।२६,३६,४७,१०७, १०६,१३३ उ १२२,१४० रुद्द (रुद्र) ज ७ १३०,१८६।३ रुदेवया ( रुद्रदेवता ) सु १०/८३ रूप्प (रूप्य ) प १ २०११ ज ३११६७८ उ ३ ॥४० रूप्पकला ( रूप्यकला ) ज ४ २६८,२६६।१,२७२; ६/२० रुपपट्ट (रूप्यपट्ट) ज ४।२६, २७० रुपमणिमय (रूप्यमणिमय ) ज ५।५५ रुष्पमय (रूप्यमय ) ज ४।२६ ; ५३५५ रुप्पामय (रूप्यमय ) ज ३।२०६४।२७० रुप्पि ( रुक्मिन् ) प १६३० ज ४।२६५,२६८, २६६ १,२७०,२७१ सू २०१८, २०१८१३ रुपिणी ( रुक्मिणी) उ ५ १० रूप्पोभास (रूप्यावभास) सू २०१८ रुग ( रुचक ) प २ ३१ ज ११२३,२११५३।३२; ४११,६२,८६,२३८५८ से १७ सू१६।३५ कूड ( रुचककूट) ज ४९६, २३६ रुगवर ( रुचकवर ) सू १९१३५ रुयगवरोद ( रुचकवरोद ) सू १९१३५ रुययवरोभास ( रुचकवरावभास) सू १६।३५ रुयय ( रुचक ) प १ २०१३ सू १९३२ से ३४ रुरु ( रुरु) प १२४८२ ज १३७, २३५, १०१; ४१२७५२८ रुहिर ( रुधिर ) प २२० से २७ ज ३।३१ १४४ से ४६ Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२८ रुहि रकम-रोहियंसा रुहिरकद्दम (रुधिरकर्दम) उ ११३६ रेवयग (रेवतक) उ ५१६ रुहिरबिंदु (रुधिर विन्दु) ज ७:१३३१२ रोइंदग (ोविन्दक) ज ५१५७ रुहिरबिंदुसंठिय (रुधिरबिन्दुसंस्थित) सू १०।३६ रोग (रो:) ज २१४३,१३१ उ १३५,११२ रूत (रूत) ज ४।१३ सू २०१७ रोगबहुल ( बहुल) ज १११८ रूयंता (रूपांशा) ज ५११३ रोज्झ (दे०) प१६६४ रूयगावई (रूपकावती) ज ५११३ रोद्द (रौद्र) ज ७।१२२।१,१२६ १०१८४।१ ख्या (रूपा) ज ५।१३ रोग (रोमन्) १११८६ ज २१५,१३३ रूव (रूप) ११॥२५,३३।१:१२।३२,१५।३७, रोमक (रोम) ज ३१८१ ४१:२२।१७,८०; २३।१५,१६,१६,२०, रोमकूद (रोगका) ज २२१ ३४।१,२,३४।२० से २२ ज २।१५,१३३; रोमग ( क) र ११८६ ३१३,६,७६,८२,१०३,१०६,११६,११७,११६, रोमराइ (रोमराजि) ज २११५ १३८,१७८,१८६,१८७,२०४,२१८,२२२; रोय (रुच) रोएइ १११०११२ रोएज्जा ४।२७,४६,५१२८,४१,४३,५७,६८,७० २०११७१८,२४ सेयर : १।१०११५ सू २०१७ उ ३।१२७,५१२५ रोय (रोचय) रोएमि उ ३३१०३ रूवग (रूपक) ज ४१२७,५२८,७११७८ रोय (रोग) उ ३।१२८ रूवपरियारग (रूपपरिचारक) प ३४५१८,२२,२५ रोयणागिरि (ोवनगिरि) : ४३२२५३१,२३३ रूवपरियारणा (रूपपरिचारणा) ५३४११७,२२ रोयमाण (रुदत) उ १९२३११३० रूवविसिठ्या (रूपविशिष्टता) प २३१२१ रोख्य (रोहक,नैः) २२७ रूवविहीणया (रूपविहीनता) प२३१२२ रोबाव (रोय) शेवग्वेइ उ ३१४८ रोजावित्तए (योगनितुम्) उ ३१४८ रूबसच्च (रूपसत्य) ११.३३ रोवाविय (रोहित) उ ३१५०,५५ रूवि (रूपिन ) प ११२.४,६ ; ५:१२३.१२५,१४४ रोह (रुह) रोहति ज ३७६,११६ सू १३११७ रोहिणिय (रोहिणीक): १५० रूवी (रूपिका) पश३७४१ सफेद आक का वृक्ष रूसमाण (रुष्यत्) उ ३।१३० रोहिणी (रोहिणी) ज ७११३।१,१२८,१२६, रेणु (रेणु) ज २१६,६५,१३१:५७ १३४१३,१३५३,१३६,१४०,१४५,१४६,१६० रेणु बहुल (रेणुवहुल) ज २।१३२ सू १०.२ ६.१२,२३,३७,६२.६७,७५,८३, रेणया (रेणकः) पश४८.५ रेणका, संभाल के बीज १०२,१२०,१३१ से १३३ रेरिज्जमाण (र: राज्यमान) उ ३।४६ रोहियंस (रोहितांज) १६८२१ एक प्रकार का रेवई (रेवती) ज ७१११३११,१२८,१२६,१३६, तण १४०,१४३,१४६,१५८ सू १०.१ उ ५।१२, रोहियं तकूड (रोहिताशकूट) ज ४१४४ रोहियं सदीर (रोहितांशही ) अ ४१४१ रेवतय (रैक्तक) उ ५।५ रोहियं सप्पयायकुंड (रोहितांशाप्रपात कुण्ड) रेवती (रेवती) सू १०।२ से ६,१०,२२,२३,३३, ज ४।४० से ४२ ६१,६५,७५,८३,९८,१२०,१३१ से १३३; रोहियंसा (रोहितांशा) ४।३८ मे ४०,४२,४३, १२।२२ ५७,१८२,२७०६।२० Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६।२० रोहियकूड-लयाबहुल १०२६ रोहियकूड (रोहितकूट) ज ४७९ लक्खणसंवच्छर (लक्षणसंवत्सर) ज ७१०३,११२ रोहियदीव (रोहितद्वी7) ज ४१६८,६६ सू १०११२५,१२६ रोहियप्पवायकुंड (रोहितप्रातकुंड) ज ४१६७,६८, । लक्खणसहस्सधारक (लक्षणसहस्रधारक) ज ३।१२६।१ रोहियमच्छ (रोहितमत्स्य) ? ११५६ लक्खारस (नाक्षारस) प १७११२६ रोहिया (रोहिता) ज ४१६५ से ६७,७१,७२,२६८; लख (लक्ष) ज ३।३१ लच्छिकड़ (लक्ष्मीकूट) ज ४।२७५ रोहीडय (रोहितक) उ ५।२४ से २६ लच्छिमई (लक्ष्मीमती) जह? लच्छी (लक्ष्मी ) ज ३११८,६३,१८० उ ४१२११ लज्जिय (लज्जित) ज २१६० उ०५८,८३ लउड (लकुट) ज ३१११ लठ्ठ (लष्ट) ज ११३७,२।१५, ३१६,३५,११७, लउय (नकुच) प ११३६।३ २२२,४।१२८,२४३,७११७८ लउल (लकुट) ज ३११७८ लउस (लकुश) प ८६ लठ्ठदंत (लष्टदंत) १८६ लउसिया (कुशिकी) ज ३११११२ लठ्ठि (यष्टि) ज २०१५ लेख (लख) ज २१६४,३।१८५ लग्गिाह (यष्टिग्राह) ज ३११७८ लंघण (लङ्घन) ज ३३१०६,१७८; १५,७१७८ ।। लडह (दे०) ज २०१५ लंतग (लान्तक) २१४६.५५,६३, ६।३२,५६, लव्ह (श्लक्षण) ५२१३०,३१,४१,४६,५६.६३,६४ ६५:७।१३,१५३८८,२११७०३३।१६,३४।१६, ज १८,२३,३१,४११ १८ ज ५४६ लता (लता) प ११३३१ लंतगवडेंसय (लान्तकावतंसक) २५५ लद्ध (लब्ध) ज ३१२६,३६,४७,१०३,११७,१२२, लंतय (लान्तक) र १११३५२२५५,५६, ३।३४, १२६,१३३,१८५,२०६ उ १११७.५७,८२,६६, १८३; ४१२४६ से २४८; २०१६१; २८१८० १०७,१२७,३।१३,२६,३८,८५,१२२.१४७. उ २१२२ १६०४।११,२५,५११५,२३,३१,३८,४२ लंबिय (लम्बित) ज ७१७८ लट्ठ (लब्धार्थ) सू २०१७ लंबूसग (लम्सा ) ज ५१३८,६७ लद्धि (लब्धि) प ११४६:१५१५८1१,१५१६२ लंभ (लभ) लभंनिज ३१३५ लिब्भ (लभ) लभइ ज ७१४३ लंभणमच्छ (लम्भनम स्य) प ११५६ लिभ (लम्) लभइ ज ७।१५१ लभति गु १०।५ लक्ख (लक्ष) १८११ ज ३।१०३ लभज्जा प २०१७,१८,२२२५,२८,२९,३४, लक्खण (लक्षण) २४८५५,२६४११२ ३८,३६,४१ से ४३,४५,४६ से ५२,५४,५५, ज २११४,१५,१६,३१३,३५,७७,१०६,१३८, १६७।१२,७११७८ च २।४ सू ११६:४१६॥२, लय (लता) ७१७८ ४,६ उ ११३४ लया (लता) प ११३६ ज २।११,६७,१३१,१४४ लक्खणधर (लक्षणधर) ज २१५ मे १४६,३।१०६ उ ११२३,५१५ लक्खणधारि (लक्षणधारिन् ) ज २११५ लयाबहुल (लताबहुल) ज १११८ Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३० लावण्ण (लताव) ज २२११ /लल (लल्लड् ) ललति ज १३१३, ३०, ३२, २१७ ललंत (ललत्) ज ३११७८७११७८ ललाड ( ललाट) ज ७११७८ ललित (ललित) ज ३१६,२२ ललिय (ललित) ज ३६,१७८, २२२७११७८ बिरहा ( 'ललित बाहु ) ज २११५ लव ( लव) २४२, २१६६६७ ११२३५ सू ८1१; १०११२६६५ लव (लप्) लवंति सू २०३१ लबंग ( लवङ्गरूक्ष ) प ११४३२ लवण ( लवण ) प १५५५ १ ज ६११, २, ४,७१४, ३२/१,६३,८७८६११; १६१२,३, ५ १६१२२१२३ लवणजल ( लवणजल ) सू १६/५/३ लवणतोय ( लवणतोय ) सू १९१५१२; १६/२२ २४ लवणसमुद्द ( लवणसमुद्र ) प १५५५; १६।३० ज ११६, १८, २०, २३, ३५.४८, ४६ ३१,२२, २८,३६,४१,४४,४६, ४११, ३५, ३७, ४२,४५, ५५,६२,७१,७७,८१.८६, ६०, ६४,६८,२००, २०१,२६२,२६५,२७१, २७४ ६/३, ५, १६ से २६,७३१,३३,८७ १ २२ ४१४,७८११ १९१३ से ६ लवणोदधि ( लवणोदधि) सू १९५११ लवणोदय ( लवणोदक ) प १।२३ लहू (लघु) ज ३३३५, ४८, ४६; ७ १७८ लहुपरक्कम ( लघुपराक्रम) ज ५३४८, ४६ लहुभूय ( लघुभूत) ज २७० लहु (लघुक ) प १४ से ६, ३११८२५१५, ७, २०६; १५।१५ से १७,२८,३२,३३,२८/२६, ३२,६६ लहुयत (लघुकत्व ) प १५३४४, ४५ लाइय (दे० ) प २/३०, ३१, ४१ ज ११३७३।७१८४ लाउय ( अलाबुक) ज ३।११६ १. टीका' में 'ललिनो बाहु' है । लावण्ण-लूहेता लाउयवण्णाभ ( अलाबुकवर्णाभ) सू २०1२ लाघव ( लाघव) ज २२७१ लाढ ( लाढ ) प ११६३५ लाभ (लाभ) ज ३।१७८७ १७८ लाभंतराय ( लाभान्तराय) प २३२३ लाभस्थिय ( लाभार्थिक ) ज ३१ १८५ लाभविसिट्ट्या (लाभविशिष्टता ) प २३।२१ लाभविहीणया ( लाभविहीनता ) प २३।२२ लायण्णत्त ( लावण्यत्व ) प ३४१२० लाला (लाल ) ज ७११७८ लालाविस ( लाल विष ) प १७० लावग (लावक ) प ११७६ लावणग ( लावणिक) सु १६ २२ २३ लावण्ण ( लावण्य ) प २३१६, २० ज २११५; ५६८,७० उ ३।१२७ / लास (लासय् ) लानेंति ज ५१५७ लासग ( लासक) ज २१३२ लासिया (लासिका,ल्हासिका) ज ३।११।२ लिक्खा ( लिक्षा) ज २६,४० वित्त ( लिप्त ) प २।२० से २७ लिवि (लिपि) प१185 लिहिय ( लिखित ) ज ७।१७८ लीला ( लीला ) ज ५१३,२८ क्ख ( रूक्ष ) प १४ से ६, ५५, ७, १२६,१५२, १५४,२११,२१८,२२१,२२६,२४४; १११५६ से ६१,१३२२ २,१३२२,२६,१७११३८; २३।५०; २८६ से ११,२०,३२,५५ से ५७,६६ लक्खत्तण ( रूक्षत्व ) प १३।२२।१ लुक्खा ( रूक्षता ) प १३।२२।१ ज २३१३१ लुद्धग ( लुब्धक) उ ३३६८ √ लूह (मृज्,रूक्षय् ) लूहेइ ज ५६५८ लूहेंति ज ३।२११ लूहिय ( मृष्ट, रूक्षित ) ज ३६,२२२ लहेता (मृष्ट्वा, मार्जयित्वा रूक्षयित्वा ) ज ३१२११; ५।५८ Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेक्ख-लोभसमुग्धात लेख (लेख्य ) १९८ लेच्छइ (निच्छवि, नेच्छवि) उ १११२७ से १३०, १३२ लेट्ठ (लेष्ट) ज २१७०, ७१ ३।३५,६५ लेप्पार ( लेप्यकार ) प १६७ / लेस (लिश ) लेमेंति प ३६ ६२ लेसणया (श्लेषण ) प १६१५३ लेसा (लेश्या) ५ १|१|५, २१३०, ३१, ४६; ३११११ ; १७।४३ से ४५,४७, ६६,६७, ११४, १४७, १५६ से १५८, १६१,१७२ च २२ ज ३६५, १५६, २२३,७/३८, ५८ ११६२; ११७३१ ६१ से ३,१६१२६, २०१२,३ लेसरगति (लेखागति ) ११६।३८ सापरिघाय ( लेश्याप्रतिघात) ज ७ ३८ लेसापरिणाम (लेश्या परिणाम ) प १३१२ लेसाहिताव ( लेश्याभिताप ) ज ७३८ लेसुद्देस (देश) सू २ लेस्सा (लेश्या) २४१,१६१५०; १७२१११,१७/७, १७,१८,३०,३६ से ४१, ८८,६७, ११४,१२६, १३६,१३७,१४७,१५६,१५७,१५६,१६० से १६३,१५११११;२८।१०६।१ लेस्सागति ( लेश्यागति ) व १६/४६ meergaraगति (श्यानुपातगति ) प १६२८,५० लेस्सापरिणाम ( लेश्य परिणाम ) प १३६, १४, १६, १८ से २० लेह (लेख) ज २२६४ उ १।११५.११६ हट्ठ ( रेखास्थ ) ज ७३१५८, १६१,१६४,१६७ सू १० ६५,६८,७१,७४ लोअण (लोचन) ज २११५ लोइय ( लौकिक ) ज ७ ११४ सू १०।१२४ लोक (लोक) ज ३११०९,१६७ लोग ( लोक ) प १२४८१६०; २३१०,१६,३०,३२. ३४,३५,३७,३८, ४१ से ४३,४८,५० से ५२, १०३१ ५८ से ६१,६३,१०२, ३, ५, १२७,१०,२०; १५।१।२; १५/४३,४५,५६,१६१३४; १८३, २६,२७,३७,३८,३६७६, ८१, ८५ ज २।६५, ७१३।३५,६५,१५६, १६७,४/२६०।१ सू १६१२२ लोगंत ( लोकान्त ) प २६४११०३०२१८४,८६, ८१ ज ७ १,६८,१६८१,१७२ लोगणाली (लोकनाली, लोकनाडी ) प ३३१८ लोगणाह (लोकनाथ ) ज ५१५, २१,४६ लोगपईव ( लोकप्रदीप ) ज ५१२१ लोगपज्जोयगर ( लोकप्रद्योतकर) ५२१ लोगपाल (लोकपाल ) प २१३० से ३३,३५,४६ से ५१ ज २६०, ११८, ११६,५/१६,५०,५६ लोगमज्झ ( लोक मध्य ) ज ४२६० लोगमज्झावसायि ( लोकमध्यावसानिक) ज ५१५७ लोगसणा (लोकसंज्ञा ) प ८१,२ लोगहिय ( लोकहित ) ज ५।२१ लोगागास ( लोकाकाश ) प ११४८५८ २ १० लोगाधिवति ( लोकाधिपति ) प २५०, ५१ लोगालोग (लोकालोक ) प १०१५ लोग हिवs ( लोकाधिपति) ज २६१; ५३१८,४८ लोगुत्तम ( लोकोत्तम ) ज ५१५, २१,४६ लोण ( लवण ) प १।२०११ लोद्ध (लोभ) प १३६१३ लोभ (लोभ) प ११।३४।१,१४०४,६,८,१० से १५,१७; २२।२०; २३३६, ३५, १८४ ज २११६, १३३ उ ३२३४ लोभकसाई (लोभकषायिन् ) प ३८ १३ १४; उ ११६२ लोउतरिय ( लोकोत्तरिक) ज ७ ११४ १० १२४ लोभणिस्सिया ( लोभनिश्रिता ) प ११३४ लोभसंजलणा ( लोभसंज्वलना) २३७२,१४० लोभसण्णा ( लोभसंज्ञा ) प ८१,२ लोभसमुग्धात ( लोभसमुद्घात ) प ३६/४७ १८/६६२८११३३ लोभकसाय (लोभकपाय ) १४५१,२,३६१४६ लोभकसाय परिणाम (लोभकषायपरिणाम ) प १३।५ Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३२ लोभसमुग्घाय-वइर(वासा) लोभसमुग्धाय (लोमस मुद्यात) प ३६.४२,४४ से लोहित (लोहित) प ५१२०५ सू २०१२ लोहितक्ख (लोहिताक्ष) ज७।१८६१ सू २०१८ लोम (लोमन) १ २०२० से २७ ज ३१३,१०६; लोहिय (लोहित) प ११४ से ६५1५,७,१११५३; ७.१७८ १७.१२६; २३।१०३:२८।३२,६६ ज ४।२६ लोमपक्खि (जोमपक्षिन् ) प ११७७,७६ सू २०१२ लोमहत्थ (लामहस्त) ज ३८८ लोहियक्ख (लोहिताक्ष) ११२०१३,२१३१,३२ लोमहत्यम (लोमहस्तक) ज ३.१२ ज ४११०६,५।५ सू २०१८।१ लोमहत्यगपटलहत्यगय (हस्तगत लोमहातकपटत) लोहियक्खकूड (लोहिताक्षकूट) ज ४।१०५ ज ३।११ लोहियक्खमणि (लोहिताक्षमणि) प १७:१२६ लोमाहार (लोमाहार) प २८।१।२,२८१४०,६६, लोहियक्खमय (लोहिताक्षम4) ज ४१२६ १०२,१०३ लोहियक्खामय (लोहिताक्षमय) ज ३।३० लोमाहारत्त (लोमाहारत्व) प २८16०,६६ लोहियपत्त (लोहितपत्र) प १३५१ लोय (लोक) १४४८१५८,५६,२१ से ३१,४६, लोहियमत्तिया (लोहितमृत्तिका) प ११६ ४६;३३।१३ सू २।१।१६।१,२१ उ ३६१३ लोहियसुत्तय (लोहितसूत्रक) प १७।११६ लोय (लोच) ज २१६५, ३१२२४ उ ३३११३ ल्हसणकंद (लगुनकन्द) प ११४८१४३ लोयंत (लोकान्त) प २६४११०,११६७२ सू २०१० ल्हसिय (तहासिक,लासिक) प ११८६ १८।६ लोयग्ग (लोकाग्र) प श६४,२१६४।३ लोयग्गथूमिया (लोकास्तूपिक:) प २६४ व (वा) प ११०१।६ ज ३१११३ – २११ सू १६ लोयग्गपडि बुज्झणा (लोक अप्रतिबोधना) ५ २०६४ वई (वाच) प १६६१,७:२३।१५,१६ ज २१६८ लोयण (कोन) ज ७:१७८ वइउल (दे० व्याल) प १७१ लोयणाभि (लोकनाभि) सू ५१ वइगुत्त (वारगुप्त) ज २१६८ लोयमज्झ (ोकमध्य) सू ५११ वइजोग (वाम्योग) प २का१३८,३६।८६,८८,६०, लोयाणों (दे०) प ११४८१६ ६२ लोल (लोल) ज २०१२ वइजोगपरिणाम (वाम्भोगपरिणाम) प १३१७ लोह (लोभ) ज २१६६ वइजोगि (सम्बोगिन) प ३९६:१३।१४,१८१५६; लोह (लोह) ज ३।३,३५,१६७८ २८।१३८ लोहकडाह (लोहाटाह) उ ३१५०,५५ वइत्ता (वदित्वा) ज २३ लोहकसाइ (लोभकपायिन) प ३९८ वइयरिय (व्यतिचरित) सु २०१२ लोहदंडग (लोहृदण्डक) ज ३.१०६ वइयोगि (वाग्योगिन्) प १३३१७ लोहबद्ध (नोहवर्ध) ज ३।३:: वहर (वन) ५ ११२०६१ ; २३३० ज ३।१२,१८, लोहयक्खमय (लोहिताक्षम।) ज ४।१३ २४,३५,८८,१०६,१८४,२१६४१३,२५,४६, लोहि (लोह) प ११४८।१ सफेद सुहागा ६७,२३८,२५४,५।५,१३,२८,५८,७११७८ लोहिच्च (लौहित्य) ज ७१३३।२ वइरउसह (वज्रऋषभ) ज ३१३ लोहिच्चायण (लोहित्यामग) सू१०।१०४ वइरकूड (वज्रकूट) ज ४।२३६ १. लोचनी-बड़ी गोरखमुण्डी। बइर (वासा) ( व र्षा ) ज ५१५७ Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वइरवेइया-वग्ग १०३३ वहरवेइया (वज्रवेदिका) ज ११३७,४१२७,५२८ वइरसारमइया (बज्रसारमतिका) ज ३८८ वइरसेणा (वज्रसेना ) ज ४।२३८ वइराड (वैराट) प ११६३४ वइरामय (वज्र मय) ज १७,८,११,२४,२।१२०; ३१३०,४१३,७,१३,१५,२४ से २६,२६,३१, ३६,६६,६८,७४,६१,६३,१२८,१४६ ५।३८, ४३,७।१७८,१८५ सू १८।२३ वइरोयणराय (वैरोचनराज) प २३३ ज २१११३ वहरोयणिद (वरोचनेन्द्र) प॥३३ ज २१११३ वइरोसभणाराय (वज ऋषभनाराच) प २३।४५, ६४ ज २४६ वइसमिय (वाक्समित)ज १६८ बइसाह (वैशाख) ज ३१२४;७।१०४,१४६,१५५ सू १०११२४ उ ११२२,१४०,३१४० बइसाही (वैशाखी) ज ७।१३७ सू १०१७,१७,२३, २६ वइस्सदेव (वैश्वदेव) उ ३१५१,५६.६४ वउ (वाच्) प १११५,८,२१ से २६ वंक (वक्रयङ्क) ज २।१३३ वंकगति (वङ्कगति, वक्रगति) प १६१३८,५३ बंग (वन) प ११६३।१ ज २०१५ बंजण (व्य ञ्जन) ज २११४ सू २०१७ वंजणोग्गह (पञ्जनावग्रह) प १५५८१२, १५॥६८,६६,७१ से ७३,७५ वंजुलग (वजुलक) प ११७६ वंझा (वन्ध्या) उ ३६७,१३१ वंत (वान्त) प १८४ सू २०१२ विंद (वन्द्) बंदइ ज ११६२।६०, २१,६५ उ१३१६३८१,४।१३, ५१२० वंदंति उ ४११६,५१३६ वदामि प ११११ ज ५।२१ सू २०६६ उ ११७ वंदिज्जा उ ५१३६ वंदीहामि उ ३१२६ वंदेज्ज ज २१६७ वंद (बन्द) ज ३१२२,३६,७८ उ १३१६ वंदण (बन्दन) उ १११७ वदणकलस (वन्दनकलश) ज ३७,८७,५।५५ वंदणकलसहत्यगय (हस्तगतवन्दनकलश) ज ३।११ वंदणवत्तिय (वन्दनप्रत्यय) ज ५२७ बंदणिज्ज (वन्दनीय) सू १८.२३ वंदिऊण (वन्दित्वा) चं ११४ वंदित्ता (वन्दित्वा) ज ११६ उ १११६,३।८१; ४१४:५४२० वंदिया (वन्दिका) उ४।११ वंस (वंश) ११४१०२ वास वस (वश) १११७५ ज २।१२४,१५२,३१३१, १०६ उ ५१४३ वंसमूल (वंशमूल) ५११४८८ वंसी (वंशी) प ११४७ बंसीपत्त (वंशीपत्र) प ६।२६ वंसीमुह (वंशीमुख) प ११४६ वक्कंत (अवक्रान्त) प ११४८.५३ ज २८५ वक्कंति (अबक्रान्ति) प १११४ बिक्कम (अव--ऋम्) वक्कमइ ५ ११४८१५१ वक्कमति प ११२०,२३,२६,२६,४८६२६ वक्कमति म १६॥२२॥१६ बक्कल (वल्कल) उ ३।५१११ बकवासि (वल्लवासिन्) उ ३१५० वक्ख (वक्षस्) ज २११५ वक्खार (वक्षस्कार) १ २१११५५५२ ज ४१२१२: ६.१० वक्खारकूड (वक्षस्कारकूट) ज ४।२०२, ६.११ वक्खारपव्वय (वक्षस्कारपर्वत) ज ४१६४,१०३ से १०८,१४३,१६२,१६३,१६६,१६७,१६६, १७२ से १७४,१७६,१७८ से १८१,१८४, १८५.१६०,१६१,१६६,१६७,१६६,२००, २०२ से २०५,२०८ से २१२,२१५,२६२, ५.५५;६१० वग (वृक) प११२१ ज २।१३६ वगी (वकी) ५१११२३ वग्ग (वर्ग) प २।६४११५,१६,१२११०,३२,३६, ३७ उ २५ से ८3११,३११,२,४।१,३:५।१, Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वग्ग-वट्टमाण ११७ १२६१६:३२,१७१५८२०५६ से ५८; विग्ग (कल्प) वग्गति ज ५१५५ २२१२५,२३।१६१,१६७; २४।१३, २५।३; वग्गण (वल्गन) ज ३।१७८ २६।४२८११२,१२३,१२६,१२७,१२६, वग्गणा (वर्गणा) प १११७२१७१११४११,१४२ १३२,१३३,१३७ से १४१,१४३ ज २१७०, वग्गमूल (वर्गमूल) ॥ १२॥१२,१६,२७,३१,३२,३८ १३१,३।६,४।१७७,२१०,२४०,२४८,५।१३, वग्गु (वल्गु) प २६४।१५ ज २१६४,३११८५, ४६,५११ २०६४१२१२,४१२१२।३ : ५।५८ वज्ज (वाद्य) ज ५२५७ वग्गु (वाच) उ ११४१,४४ वज्जकंदय (बज्रकंदक) व १७११३० वग्गुरा (वागुरा) उ ५।१७ वज्जण (वर्जन) प ११०११३ वग्गुलि (वल्गुलि ) प १७८ वज्जणिज्ज (वर्जनीय) ज २११४६ वग्ध (व्याघ्र) ११६६:१११२१ ज २१३६,१३६ वज्जपाणि (बज्रपाणि) १२५० ज ५।१८,४६,६६ वग्घमुह (माघ्रमुख) प ११८६ वज्जमाण (वाद्यमान) उ १११३८ वग्धारिम (दे०) ज ३1८८ बज्जरिसभणाराय (वज्रऋषभनाराच) ज ११५; वग्धारिय (दे०) प २१३०,३१,४६ ज २१७,८८, २१४६ वज्जरिसहणाराय (वजऋषभनाराच) ज २।१६,८६ वग्धावच्च (व्याघ्रापत्य) ज ७/१३२१४ सु १०।११६ बरिसनाराय (बज्रऋषभनाराच) सु ११५ वग्घी (व्याघ्री) प १११२३ वज्जसंठिय (बज्रसंस्थित) प १११३० विच्च (वच्) वच्चंति ज ७।१३५२,३ वज्जसूलपाणि (वज्रशूलपाणि) ज ५।५७ विच्च (वज्) वच्चइ सू १६ बज्जिऊण (वर्जयित्वा) प १२७।३ वच्छ (वक्षम् ) प १३०,३१,४१,४६ ज ३1३,६, वज्जित्ता (बर्जयित्वा) प २१२२,३२,३४ ज ४।१३४ १,१८,१३,१८०,२२१,२२२:५।२१ ।। वज्जिय (वर्जित) प १०।१४।६ ज ५।५२ सू २०१७ बच्छ (वत्स) प ११६३१४ ज ४/२०१,२०२।१,२४८ वज्जेता (वर्जस्त्विा ) प२।२१,२३ से २७,३०, वच्छगावई (वत्सकावती) ज ४।२०२।१ ३१,३३,३५,३६,४१ से ४३,४६ वच्छमित्ता (वत्समित्रा) ज ४।२०४,२३८,५६ वज्झ (वा) ज ३६२,११६ वच्छल (वत्सल) प ३११२५; १।५,४६ वज्झार (वर्धकार) प ११६७ वच्छल्ल (वात्सल्प) प १।१०१।१४ वज्झियायण (ध्यान) ज ७१३२।४ सू १०१११८ वच्छाणी (वत्सादनी) प ११४०।४ सू १०११२० विट्ट (वृत्) वट्ट ति उ ३।३३ वट्टति प १६१२२ गजपीपल, गुडूची वट्ट (वृत्त) १११४ से ६,११६३।१२।२० से २७, वच्छावई (वत्सावती) ज ४२०२ ३० से ३६,४१ से ४३,१०।१५,२६,३६१५१ वज्ज (वन)५११४८७ वनकंद, कोकिलाक्षवृक्ष, ज १७,३१:२११५:३७,८८,११७,४१३,२५, तालमखाना ६७,११४,१२८,२३४,२४०,२४१:५।५,४३; । बज्ज (वर्जय) बज्जेज्ज प १०११४।४ ७।३१,३३,१६७,१७८ सू१।१४:४१३ से ७; बज्ज (वज्र) ज २०१५ १०७४,१६८२,६,६,१२,१६,२८,३२,३६ वज्ज (वयं ) प २१४०।५,२१५२,६१४६,५६,६६, बट्टग (वर्तक) प११७६ ज ५।१६ ८६,६४,६५,१०२,१०४,१०१३६,१११४१,८०, वट्टगमंस (वर्नकमांस)-१०१२० कमलकंद ८४१२१३,१३।२२।२,१५४९८,११५,१२१, वट्टमाण (वर्तमान) १ २१३१ ज २१७१३।१३८, Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वट्टवेयड्ड-वणस्सई ५१५७ वट्टवेयड्ढ (वृत्तवैताद य) प १६।३० ज ४४२, ५७,५८,६०,७१,७७,८४,२६६,२७२, ५९५५; ६।१० बट्टि (वर्ति) प ११४७।२ वट्टिय (वर्तित) ज २११५,७१७८ वट्टिया (वर्तिका) प ११४७१२ वड (क्ट) ५ ११३६११ उ ३७१ वड (दे०) प ११५६ मत्स्य विशेष वडगर (दे०) प ११५६ मत्स्य विशेष वडभी (वडभी) ज ३।११।१ डिसग (अवतंसक) प २१५४,५८ वडिय (पतित) ज ३।१२५,१२६ वडेंस (अवतंस) ज ४।२२५,२३२,२६०११ व.सग (अवतंसक) प २।५०,५२,५५ से ५६ ज ११४३,३।१७८,१८३;४१५०,१०६,११२, ११६,१५५,१५६,२३७,२३८,२४०,२४३ बडेंसगधर (अवतंसकधर) ज ७१२१३ वडेंसय (अवतंसक) प २५० से ५३,५६ ज ११४२:३११८६,४१४६,५६,१०२,११६, १२०,१४७,२२१ से २२४,२३७,५१,६,१८, ७१८४,१८५ विड्ड (वृध्) वड्डति सू १६१२२।१६,२० वडते म् १९।२२।१४ वड्डिजति प १७६, बड्ढेत्ता (वर्धयित्वा) उ ३१५१ वड्ढोवुड्ढि (वृद्ध यपवृद्धि) च ३३१ सू ११७१, ११०,१४,१३१ वण (वन) ज ४१२००,२०१,२१२,२१४,२१५, २३४,२३६,२३७,२४०,२४१,२४४,२४५, २४६,२५१,२५२,५१५५,५७, ७.११४ वणप्फइ (वनस्पति) प १८।१४,१०५,११०,१२०; २०१२२ बणप्फइकाइय (वनस्पतिकायिक) ५६।१६,८३; १२।२६:१३,१६,१५२६,५३,५५,७४;१४०; १६१४१७९६२,६६,१०२,१८।३८,१६२, २०११३,२६,४६,२११३,२७,७६,८५,२२।२४; २८१३६,१२३,२६१०,२०,३०१९३६।१३ से १६,३४,३८ वणप्फइकाइयत्त (वनस्पतिकायिकत्व) ५ १५९६ वणप्फतिकाइय (वनस्पतिकायिक) १६१२; १७/४० वणमाला (वनमाला) प ३०,३१,४१,४६ ज ११३८,४।१०,१२१,१४७,२१७, १८ वणयर (वनचर) ३११६१ वणराइ (वन राजि) प १७:१२४ ज २०१२ वणलय (वनलता) प २३६१ वणलया (वनलता) ज ११३७,२६१०१,४।२७; ५२८ वणविरोह (वनविरोध) ज ७।११४१२ वणविरोहि (वनविरोधिन् ) सू १०।१२४१२ वणसंड (वनषण्ड) ज श१२ से १४,२३,२५,२८, ३२,३५,४।१,३,२५,३१,३६,४३,४५.५७,६२, ६८,७२,७६,७८,८६६०,६३,६५,१०३,११०, ११६,११८,१४१,१४३,१५२ १५३,१५४, १५६,१७४,१७६,१७८,१८३,२००,२१२, २१३,२१५,२२१,२३४,२४०,२४१,२४२, २४५;७१२१३ उ ५८ वणस्सइ (वनस्पति) प६१०४,१७६३३ १८१५७,६२,२०१२८ बिड्ढ (वर्धय) वड्ढे इ उ ३।५१ वड्ढे सि उ ३.७६ बड्ढइरयण (वर्द्धकिरत्न) ज ३११८,१६,३१,५२, ५३,६१,६२,६६,७०,६६,१००,१४१,१४२, १६४,१६५,१७८,१८०,१८१,१८६,१८८, २०६,२१०,२१६,२१६,२२० वढइरयणत्त (वर्द्धकिरत्नत्व) प २०१५८ वड्ढमाणय (वर्धमानक) प ३३१३५ वड्ढावय (वर्धापक) उ ३३११ बढियय (वधितक) उ ३३८ Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३६ Treasers (वनस्पतिकायिक ) प १११५, ३०, २०१३ से १५:३६, ५० से ५२,५८,६० से ६३० ६८.७१ से ७४,८०६१४ से ६७९३.९५. १६८ से १७०, १८३४००६० से ९४५०३. १७,१८.६६६।५३.०६, १०२, ११५ ९०२१ १५१८५१२१,१३७,१८१२७, ३५, ४०, ४३, ४४,५२,२०१८,२११५,४१:२२०३१,३६१३३ ज २।१३१.१४४ aणसइकाइयत ( वनस्पतिकायिकत्व) ज ७।२१२ वणस्पति (वनस्पति) प ६।१०२ २०४ वसतिकाय ( वनस्पतिकाधिक ) प ३।५०,५१, ६०, १३, १५, १०३ ४१०२५१६१६३.८३ १५७६ २४१६३०।१९ वणिज (वणिज) ज ७।१२३ से १२५ करण नाम वर्णिम (वणिज् ) ज २०२३ atra (नीबहुल ज १०१० Naण्ण (वर्णय् ) वण्णइस्सामि प १।१।३ वण (वर्ण) प १३४ से ६, २२० से २७.३०,३१, ४०, ४०१६:२२४१,४८,४१,६४, ३१८२, ५५, ७,१०,१२.१४.११.१८, २०, २४.२५,२८,३०, ३२,३४,३७ से ३६, ४१,४५,४१,५३,५६,५६, ६१,६३,६८,७१,७४,७६,७८,८३,८६,८६,६१, १३,१७,१०१, १०४,१०७, १०२, १११.११५. १११,१२,१३१,१३४, १३१.१३८, १४०, १४३.१४५, १४७, १४०, १५२, १५४, १६३, १६६,१६,१७२, १७४, १७७, १८१,१८४, १८७,११०, ११३,११७,२००,२०३, २०७ २११, २१४,२१८, २२१,२२४,२२८,२३०, २३२,२३४,२३७,२३१,२४२, २४४, १०१५३११, ११।५३,१७।१११,१७२७,१७,१८; ११४११, १२३ से १२६,१३२ से १३४; २३।१०८,१६०,२८६,७,२०,२६,३२,५२, ५२,६६२०१२५, २६:३६६००१ १।१२, २६ २७,१८,१३३,१४२३३,११,१२,८८, २११,४१२२,२४,३६,६०,८२.८४,८९,९४, वणस्स इकाइय-वष्णिय १३५, १६६, २६६, २७२: ५।३२,५८७ १७८ वण्णओ (वर्णवस्) १५ से ११११५४ २८७ २०,२६,५३ वण्णग (दे०वर्णक) उ ३।११४ वण्णग (वर्णक) ज ११३२,३६,२०,३३,५४,६३, ७१.८४, १३७,१४२,१६७,१०२,१११,१२७, २२२,४१,११७,५३१३, ७।५५ वष्णचरिम (वर्णवरम ) प १०३४६,४७ वष्णणाम (वर्णनामन् ) प २३०३८,४७,१०१ से १०६,१०१ तो ( वर्णतस् ) प ११८, ६, २८१३२,६६ वण्णनाम (वर्णनामन् ) प २३१०१ चणपज्जव (पर्यव) ज २१५१,५४, १२१,१२६, १३०.१४०, १४६,१५४, १६०,१६३, ७/२०१ वण्णपरिणाम (वर्णरिणाम ) प १३ २१, २६ वणमंत (वर्णवत् ११३५२, ५३ २८/५.६.५१. ५२ aura (वर्ण) प २१३२,४२,४३ ज ११२,३,१२, १६,२३,२५,२०,३१,३५,३०२११.०३ ४१३,२५,३१,३९,४०, ४७.५७,६७, ७६.११०, ११२,११५ से १२०,१२६, १२८,१३५,१३१, १४१ से १४४,१४७ से १४६, १५३ से १५६, १७८, १८३,२००, २०१.२१३,२१४, २१९. २२१,२३४,२४०,२४४, २४६, २४८ ५३, २१ से २२,२५ से ३७ नं ६.७.८ १२.३ उ १४१: ३।२१, ४११०३५६१४ वण्णय (दे०वर्ण क) उ ३।११४ वण्ण (वासा) (वर्णवर्षा ) ज ५।५७ वष्णादेस (देश) प ११२०,२३,२६,२६,४८ यण्णाभ (वर्ण) १२३२० से २५,५०,५९,६० ४।२२,३४,६०,६४,०४, ११३, २६६, २७२ वणवास (वर्ण) १।११.४६.३ । १९५. १७:४१४७.१५, २६,८४,१४६ ५।१२ वण्णिय ( वर्णित ) प १११ ३; १६१२१ Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वहिदसा-वय १०३७ २५. वहिदसा (वृष्णिदशा) उ ११५,६:५११ से ३ वदित्ता (उदित्वा) ज ३।१२५ वित्त (वर्तय) बत्तइस्सामि प ३।१८३ वर्तेति बद्ध (वर्ध) ज ३।३५ प ३६१६२ वद्धमाण (वर्धमान) प २।३० ज ३३२ वत्तमंडल (वृत्तमण्डल) ज ३११७८ बद्धमाणग (वधानक) ज २१६४,३।३,१२,१७८%; वत्तव्व (वक्त०) ज ४।२६६७।१४१ से १४५, ४।२८,५:३२, ७।१३३१२ २०८,२०१६ १५० से १५२,१५४,१८६ सू१०।२० से २२ वद्धमाणगसंठिय (बद्ध मानकरा स्थित) सू १०१४१ वद्धमाणय (वर्धमानक) ज ३।१८५ बत्तन्वया (वक्तव्यता) प २।४०,४४,५११५२, वहाव (वर्धय्) बद्धावेइ ज ३।५,२६,३६,४७, २०५,२४४१११८०१५।१८ ज ३११५०. ५६,६४,७२,९०,१३३,१४५,१५१,१५७ १६१,२७७,४१५३,६४,७५,७६,८३,८६,६०, उ १।११० वद्धाति ज ३।११४,१२६,१३८, ६२,१०६,११५,१२६,२००,२०५,२०७,२२८, २०५,२०६ उ १११२२५४१७ वद्धावेहि २४०,२४६,२६२,२६८,२७७,७११०२ उ १११०७ वस्थ (वस्त्र) प २१३०,६१,४१,४६ से ५४; बद्धावेत्ता (व त्वा) ज ३१५ उ १५१०७ १५५५१२, १७११६ ज ३१६,११,१२,२६, वध (वध) उ ३१४८,५० ३६,४७,५६,६४,३२,७८,८१,८५,११३,१३३, वप्प (वत्र) ज ४१३,२५,२१२,२१२।३,२५१ १३८,१४५,१६७।६,१८०,२९१ सू २०१७, वरपगावई (वप्रकावती) ज ४।२१२।३ उश१६,३५:३१५१,५३,६३,६७,७०, बप्पावई (वप्रावती) ज ४।२११ वष्पिण (दे०), २१४,१३,१६ से १६,२८ वत्थधर (वस्त्रधर) ज २१६१५१४८ वमण (वमन) उ ३।१०१ वत्थव्व (वास्तव्य) ज ५१ से ३,५ से ७ वममाण (वमत् ) उ ३३१३० वत्थारुहण (वस्मारोहण, वस्त्रारोपण) ज ३।१२,८८ बमिय (वमित,वान्त) उ ३।१३०,१३१,१३४ वस्थि (वस्ति) ज २१५, ३१११७ वम्म वमन्) ज ३३१ वत्थिकम्म (वस्तिकर्मन) उ ३११०१ वम्मिय (अमित) ३७७,१०७,१२४ उ १११३८ वस्थिपुडग (दे०) उ ११४४ से ४६ । बय (पच्) बुच्चइ च २११ वोच्छं प २१६४११८ वस्थिभाग (वस्तिभाग) ज ३१११६ वत्थु (वस्तु) १४१५ ज ३१३२७।१०१,१०२ बिय (द्) यएज्जा ज ७।३१ सू १०११० श्यंति सू १०।१:१५॥१,३७ ज श६५१,६४ वयह उ ३.१०३;४११४ व मि वत्थुपरिच्छा (वस्तुपरीक्षा) ज ३।३२ उ १७६ कामो सू ११२०-यासी जशक्षा वत्थुप्पएस (वस्तृप्रदेश) ज ३।३२ २१६४,६०,६५,६७,१०१,१०५,१०७,१०६, वस्थुल (वास्तुक) प १।३७।२,३८।२,४४०१ १११,११४,३१५,७,१२,१८,२१,२६,२८,३१ ज २०१० से ३४,३६,४१,४७,४६,५२,५६,५८,६१,६४, विद (वद) वदा र ३१७७ वदंति सू २०१२ ६६.६६,७२ ७४,७६.७७,५३,६०,६१,६६, वदह ज ३।११३:५७२११२४ बदामो १०५,१०७,११३ से ११५,१२४,१२५,१२७, मू५११ वदिस्थति ज २११४६ वदेज्जा १२८,१३३,१३८,१४१,१४५,११,१५४, सू ६३१२ १५७.१६४,१६८,१७०,१७३,१७५,१८०,१८५, Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३८ वय-वरुण १८८,१६१,१६६,२०६:५२३,५,१४,२१,२२,२६ वरगंधघर (वरगन्धधर) सू १७१ २८,४६,५४,६६,७२ चं १० सू ११५ उ ११४; वरगंधित (वरगन्धिक) सू २०१७ ३।२६४११४,५१५ वयाहि ज १२२ वरगय (वरगत) ज ३१६,१२,१८,२८,४१,४६, उ १११०७ ५८,६६,७४,७८,८२,६३,१३६,१४७,१८०, वय (जयस) ज २।३१ १८७,१८८,२१२,२१३,२१८,२१६,२२२, वय (व्रत) प २०।१७,१८,३४ उ ३१४८,५०,५५ ५१४७,६० वयंस (बस्य) ज २१२६ वरचंपग (वरचम्पक) ज ३१३ राजचंपक वयगुत्त (वचोगुप्त) उ ३६६ वरण (वरण) प १६३।४ वयण (वचन) प १११८६ ज २११३३, ३।३,८, वरदत्त (वरदत्त) उ ५१२१,२२,२४,३१,४०,४१,४३ १३.१६,२४,३२१२,५३,६२,७०,७७,८४, वरदाम (बरदामन्) ज ३।३०,३१,३३,३६,३६,४१, १००,१३१,१४२,१६५,१८१.१६२,२१३; ६।१२ से १४ ५।१५,२३,२६,२७,६९,७३ उ ११३३,४५,१०८ वरदामतित्थकूमार (बरदामतीर्थ कुमार) ज ३१३३, वयण (वदा) ज २।१५,१६,३६,५१२१ ३६ से ४१,४३ उ १:१५,३५,३१६० वरदामतित्थाधिपति (वरदामतीर्थ धिपति) ज ३१३८ क्यणमाला (वदनमाला) ज २१६५३।१८६,२०४ बरपसण्णा (वरपसन्ना) प १७४१३४ वयमाण (बदत्) प १११२६,८७ वरपुरिसवसण (वरपुरुषवसन) प १७११२७ वर (वर) १ २।४०1८,२१४६,३६१८३१२ वरबोंदिधर (वर बोंदि'धर) सू १७.१,२०११ ज ११६,३७,३८,२।१५,२०,६५,७१,८५, वरमल्लधर (वरमाल्यधर) सू १७:१;२०११,२ ६५,६६,१००,१२०, ३।३,६,७,१२,१८,२२, वरवत्थधर (वरवस्त्रधर) सू १७।१:२०११,२ २४,२८,३१,३२,३५,४१,४६,५२,५८,६१, वरवारुणी (वरवारुणी) प१७४१३४ ६६,६६,७४,७६,७७,७८,८२,८८,६३,१०७, वरसीधु (वरसीधु)प १७११३४ १०६,१२४,१२५,१२८,१३१,१३७,१३५, वराडा (वराटक) व १४६ १४१,१४७,१५१,१५२,१६३,१६४,१६८; बराभरणधर (वराभरणधर) सू१७११ १७५,१७८,१८३,१८६,१८७,२०६,२१०, दराभरणधारि (वराभरणधारिन्) सू २०११,२ २१३,२१८,२२१,२२३, ४११०,११५,२१७; वराह (वराह) प ११६४२।४६ उ २१३५ ५७,२१,४३,५६,५८,७१७८ सू १६।११।१ वराहमंस (वराहमांस) सू १०।१२० वाराहीकंद उ ११,४१,४६,६४,६१,१२१,१३८,२।६; बराहरुधिर (वराहरुधिर) प १७१२६ ३।५६,६४,६६,६८,७६,८१,५१५,१३,१६, वरिठ्ठ (वरिष्ठ) ज ३१८१,५१२१ २०,२५,२७,३१ बरिस (वर्ष) ज ३११७५ वर (चरक)प १६४५२ तण धान्य, चीनाधान वरिसारत्त (वर्षरात्र) सू १२११४ उ ५१२५ वर (वरय) वरति सू १६२२॥१६ वरयंति वरुट्र (वरुड) प ११९७ पिच्छिकार, बेंत का काम चं २।२ मू ११६२ वरयति सू ७/१ करने वाला वरकणगणिहस (परकनकनिकष) प १७:१२७ वरुण (वरुण) प १५१५५१ ज ७११३०,१८६६३ वरग (वरक) ज २।३७ तृणधान्य उ ३.५४ वरम (वरक) उ ४६ वरगंध (वरगन्ध) प २१३०,३१,४१ १. अतोऽनेकस्वरात् इति इक प्रत्ययः । Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वरुण-वहिय १०३६ वरुण (काइय) (वरुणकायिक) ज ११३१ ७७,८४,६१,१००,११४,१४२,१६५, वरुणदेवया (वरुणदेवता) मु १०।८१ १६७।१४,१७३,१८१,१८६,१९६,२१३; वरुणवर (वरुणवर) सू १६३१ ५२१,२७,४१ उ ११२१,४२, ३।३३,१३६ वरुणोद (वरुणोद) सू १६३१ वसंत (बसन्त) प ७।१४४।२ सू १२११४ उ ५.२५ वरेल्लग (दे०) १७६ वसंतमास (बसन्तगास) सू१०।१२४।२ वलभीधर (वलभीगृह) ज २१२० वसंतलय (बामन्तीलता) ज ५१३२ वलभीसंठित (वलभीसंस्थित) म ४१२ वसट्ट (वसात) उ १२५२,७७ वलय (वलय) प ११३३।१,११४३ ज ३।६,२२२ वसण (दमन) ५ २।४०।१०,११ ज ३१७,१८४ उ ३११३० वलयाकारसंठाणसंठिय (वलयाकारसंथानमंस्थित) ज ४१२३४,२४०,२४१ वसणभूय (बसनभूत) ज २।४३ वलयागार (वलयाकार) सू१६२,६,६,१२,१६, वसभर्मस (वृषभमांस) सू १०।१२० २८,३२,३६ वसभवाहण (वृषभ वाहन) प २१५१ ज २१६१;; वलवा (वडवा) ५ १११२३ ५१४८ वलि (वलि) ज २११५,१३३ उ १।३४,४०,४३, वसभाणुजात (वृषभानुजात) सू १२।२६ ४६,४८,४६,५१,५४,७४,७६,७६ वसमाण (वसत्) प ३३१८,३१,१८० उ ११११०, बलिय (वलित) ज २११५, ३११०६; २५ १२६,१३३ वल्लभ (वल्लभ) ज ११२६ वसह (वृषभ) ज २६१,७१७८ च १४ बल्लि (वल्ली) ज २११३१,१४४ से १४६:३३२ वसहरूवधारि (बषभरूपधारिन् ) ज ७११७८ सू१८।१४ वल्ली (वल्ली) प ११३३११ ११४०,११४८१६१ वसहि (वसति) ज २।१६,३।१८,३१,१४० वल्लीबहुल (वल्लीबहुल) ज १११८ उ १११०,१२६,१३३,३३३६ ववगय (व्यपगत) प १११।१२।२० से २७ वसा (सा) परा२० से २७:१५३११२,१५१५० ज ११२४ ; २।१५,२३,२५,२६,२८,३० से ३२, बसिट्ठक ड (वाशिष्ठकूट) ज ४१२०४११ ३६,४०,४२,४३,७०,३१२०,३३,५४,६३,७१, बसु (वसु) ज ७।१३०,१८६।३ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२ वसुंधरा (वसुन्धरा) जाला? Vबवरोव (कि- अप-1 रोपय ) ववरोवेइ प २२१६ वसुदेवया (वसुदेवता) सू १०८० उ ११२२ वसुहर (सुधर) ज ३११२६।१ ववरोविय (व्यपरोपित) उ ११२५,२६ वसुहा (वसुधा) ज ३११८,३१,१८० ववसाय (व्यवसाय) ज ४।१४०।१ वह (वध्) बहंति ज ७।१६८।२ बवसायसभा (व्यवसायसभा) ब ४११४० यह (बध) उ १११३६, ३।४८,५० ववहार (वहार) प ११।३३।१:१६।४६ उ ३१११ वह (व्यथ) उ ५२।१ ववहारसच्च (व्यवहारसत्य) प ११३३३ ।। वह (वह) उ ५।२।१ विस (वस्) वसइ ज ३।१२२ बसाहि वय (वधक) ज २८ ज ३११८५ वहस्सइ (बृहस्पति) : ७/१३०,११।३ वस (वश) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१,५३,६२,७०, बाह्य (व्यथिन) ज ३११११,१२५ Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४० वा-वाणमंतरी वा (वा) ११११८७ ज २१३९ सू१।१४ उ ११२७; वाउभक्खि (वायुभक्षिन्) उ ३.५० ३।१०१ वाउल (व्याकुल) ज २११३१ वा (वा) वाहिति ज रा१३१ वाकरेमाण (व्यागणत्) ज १७८ वाइ (वादिन्) ज १८० वागरा (वि+आ-कृ) वागरेहिति उ ३१२६ बागरेहिती उ ३।२६ वाइंगण (दे० वातिकुण) प १।३७११ बैंगन का गाछ वागरण (व्याकरण) ज ७२१४ सू३ उ १६१७, वाइंगणिकुसुम ('वाइंगणि'कुसुम) प १७१२५ ३२६ वाइत (वादित) प २।३०,३१,४६ बागल (वाल्कल) उ ३१५१,५३,५५,६३,६६,७०, वाइय (वादित) प २१४१ वाइय (वाद्य) ज ११४५,२१६५,३८२,१५५, बागली (दे०) प १४०२ बागुची, एक औषधि १८६,१८७,२०४,२०६,२१८,५११,१६,७१५५, वाघाइय (व्याघातिक) ज ७१८२ ५८,१८४ सू १८१२३;१९२३,२६ वाघात (व्याघात) प ११७४; २११६५ वाइय (वातिक) उ ३३११२,१२८ वाघातिम ('व्याधातिम,व्याघातिन् ) सू १८२० वाउ (वायु) प६८६,१०४,११५६।४१३।१६, वाघाय (व्याध.त) प २१७२८।३१ उ ११६५,६६ १७१४०,६६, २०१८,२३,२८,५७; २११८५; वाण (वाण) प ११३७६४ २२।२४ ज २१६३११७८,४१४६५१४३,५२; वाणपत्थ (दानप्रस्थ) उ ३१५० ७१२२११,१३०,१८६१४ सू १०१८४११ वाणमंतर (वानव्यन्तर) ११२१३०,१३१:२।४१, वाउकाइय (वायुकायिक) ११५:२।१० से १२; ४३; ३।२७,१३५,१८३;४।१६५ से १६७%, ३।५,५० से ५२,५७,६० से ६३,६८,७१ से ५१३,२५,१२१,६।२५,५६,६५,८५,६३,१०६, ७४,७६,८४ से ८७,६२,६५,१६५ से १६७, १११,११७,७१५,६११,१८,२४;१२२६,३६; १८३,४७६,८०,८२,८३,८५ से ८७,५१३, १३।२०१५॥३५,४५,८७,६६,१०४,१०७, १५,१६,६।१६,६२,६२,१०२ १११,१२४;१६१६,१६,१७।२६,३०,३२,३४, ५२,७७,८१,८३,६८,१०५,१६।४।२०।१३, वाउकाय (वायुकाय) सू २०११ १६,२५,३०,३५,३७,४८,५४,६१,२११५५,६१, वाउकुमार (वायकुमार) प १११३१,२।४०१, ७७,६०,२२।३१,३६,७५,८८,१००,२४१८; ६,११:५१३;६।१८ ज २।१०७.१०८ २८1७२,११७,११६; २६।१५,२२,३११४; वाउक्क लिया (बातोत्कलिका) प श२६ ३२॥५३३३१४,२२,३०,३४,३७, ३४।४,१०, वाउक्काइय (वायुकायिक) प १।२७; २।११; १६,१८३५१५,२१:३६।२५,४१.७२ १२॥३,४,२३; १५२६,८५,१३७,१६१५,१२; ज १११३,३०,३३,३६ ; २।६४,६५,६६,१०० १७।६१,१०३,१८।२६,३४,३८,४०.४२,५२; से १०२,१०४,१०६,११०,११३ से ११६, २०१३१,४५,२११२६,४०,५०,५७,६४,२२।३१; १२०,४१२,२४८,२५० से २५२, ५।४७, ३४१३; ३६१६,३८,५६,७२.७५ ५३,५६,६७,७२ से ७४ सू २०१७ वाउकाइयत्त (वायुकायिकत्व) ज ७।२१२ वाणमंतरत्त (बानव्यन्तरत्व) ३६।२२,२६ वाउक्काय (आयुकाय) ज २११०७,१०८ बाणमंतरी (वानव्यन्तरी) प ३३१३६,१८३, वाउन्भाम (वातोद्भाम) प ११२६ १. भावादिमः इति सूत्रेण इमः , Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाणारसी वास ४।१६८ से १७०; १७१५२, ८२, ८३; २०१३ वाणारसी (सी) प ११६३ । १ ३ २७ से २६४६,४८,५०,५१, ६५, ६६, ६६, १००,१११ वाणिज्ज (वाणिज्य) ज २१२३ वातिय (कार्तिक) उ ३।३५ वायाध ( व्यावाध) ज २१३६,४१ वाम ( कम ) ज २१११३ ३१६ १२, २४/४, ३७२, ४५१२,८८,११७,१३११४; ५।२१.५८ उ १।११५, ११६; ३६२ दामण ( वामन ) प १५१३५; २३।४६ वामणी ( वागनी) ज ३१११११ वामभुयंत (समभुजान्त) सू २०१२ वामेय ( मे ) प २१३१ वाय (वान) १२४ ज २१६.१०,१३१,१३३; ३१११,२४१३,३७।१,४५१,११७,१३१३, २११; ४ । १६६ ; ५१३८, ५८ (वाय ( वाचय् ) बाएंति ज ५।५७ वायंत (वाद) ज ३।१७८ वायकरण (वःतकरक) ज ३१११;५।५५ वायमंडलिया ( वातमण्डलिका ) प ११२६ वायस (वास) प १७६ वायुदेवा (वायुदेवता ) सू १०१८३ वारि (रि) ज ३।२०६; ५/५६ वारिसेणा (दारिषेणा ) ज ४।२१०; ५।६।१ वारुण (वरुण) ज ७११२२२१०२८४।२ वारुणी ( वारुणी ) ज ५।११।१ वारुणोदय ( वारुणोदक) ११।२३ वाल ( व्याल) ज ३२२२ उ३।१२८ वाल (बल) ज ७११७८ वालग (व्यास) ज ११३७ २/४१,१०१३३३२०; ४१२७५१२८ वालग्ग (वालाग्र ) ज २२६७३१७८ वालग्गपोइया (दे० ) ज २१२० वालग्गपोतियासंठित ('वालाग्रपोतिका' संस्थित) यू ४१२,३ वालपुच्छ ( व्यालपुच्छ) ज ७ १७८ वालिघाण ( बालधान) ज ७ १७८ वालिहर ( वालिधर ) ज ७ १७८ वाली (पाली) ज ३१३० वाक (बालुक ) प ११४८१४८ कविष्य की छाल वालुपा (वालुकाप्रभा ) प ११५३; २११,२०, २३;३११३,२१,२२,१८३४।१० से १२; ६।१२,७५,७६६१०११, २०१६, ३६; २११६७; ३३१५ १०४१ वालुया (बालुका) प ११२० ११२१४८ ज ३११११, ११३; ४ १३, २५,४६ सू २०१७ उ ३१५१,५६ वावण्ण (व्यापन्न) ११०१।१३ वावण्णम ( व्यापन्नक) प २०१६१ वावहारिय ( व्यावहारिक ) ज २२६ वादिय ( व्यापित ) ज ३१७६ ११६ वावी ( वापी) प २४,१३,१६ से १६, २८, ११।७७ ज १।३३; २।१२,१५,४१६०, ११३; ७११३३।१ वास ( वर्ष ) प १४६, २११, ४११, ३, ४,६, २५, २७, २८,३०,३१,३३,३४, ३६, ३७, ३६, ४०, ४२, ४३,४५,४६, ४८, ४६, ५१ ५२, ५४,५६,५८, ६२,६४,६५,६७,६६,७१,७६, ८१, ८५,८७, ८८, ६०, ६४, १२५, १२७, १३४, १३६, १४३, १४५, १५२, १५४, १६५, १६७, १६८, १७०, १७१,१७३, १७४, १७६, १७७, १७६, १८०, १८२,१८३,१८५, १८६,१८८६/३७ से ४१; १६।३०; १८/२,६,६,१२,२०,२१,२८,३२, ३४,३५,४७,५०,५२,२०१६३, २३।६० से ६४, ६६.६८,६६,७३ से ७८,८१,८३,८५ से ६०, ६२, ६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११६ से ११८, १२७,१३०, १३१,१३३, १४७, १५८, १६६,१७६, १७७, १८२,१८३, १८७, २८१२५, ७४ से ८७, १७ ज ११८ से २३, ३४,३५,४७ से ५१,२१,४,६ से १५, २१ से ४५,५०,५२,५६ से ५८,६५,७१,८८,६०, १२२,१२३,१२६ से १२८,१३० से १३४, Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४२ बास-विउल १३८ से १५०,१५४,१५६,१५७,१५६,१६१, वासहरकूड (वर्षधरकट) ज ६.११ १६४।३।१,३,२६,३२,३६,४७,५६,६४,७२, वासहरपव्वय (वर्षधर पर्वत) प २१:१६६३० ७७,७६,१०३,१०६,११३,१२४,१२६,१३३, ज ११८,४८,५१:३११३१,४३१.२,४४,४५. १३५।२,१४५,१६७.१७५,१८५,१८८,२०६, ४८,५४,५५,६१ से ३,७६ से ८१.८६,८७, २२१,२२५,२२६;४।१,३५,४२,५५,५६,६१, १६ से १८,१०२,१०३,१०८,११०.१४३, ६२,७१,७७,८१ से २३,८५.८६,६४,६८, १६२,१६६,१७३ मे १७६.१७८,१८०.१८४, ६६ से १०३,१०८,१६२,१६७७,१६६ १७२ १६०,२०० से २०६,२०८,०६२६२ से २६४ से १७४,१७८,१८१,१८२,१८५,१८७,१६३. २६८ से २७०,२७३ से २७६५।१४.१५; १६४,१६६,१६६ से २०३,२०५,२०६,२१३, ६.१०,१८ २६२,२६५,२६६,२७१ से २७३,२७७, वासावास (वर्षावास) ज७० ५१५५,६४६।१,६१६,१२,१३,१४,१६, ७१५६ वासिङ (वषितुम ) ज ३।११५ से १५६,१८७ से १६० मू ४.३;६।११०।६३ वासिकी (वाषिकी) सु १२।१८ से २३ से ६६८1१:१८।२५ से ३०,२०१७ उ १६, वासिट्ठ (वाशिष्ठ) ज ७।१३२। सू१०।१५ १४१,१४७ , २०१२,१३,२२, ३३१४,१६,१८, वासित्ता (वर्षयित्वा) ब ७ २१,८३,८६,१०४,११८,१२५,१५०,१५२, वासी (वामी) ज २१७० १५७,१६१,१६५,१६६४।२४,२६,२८ वासुदेव (नासुदेव) प १,४,६१,६।२६२०११ ५।२४,२८,३६,४१,४३ ज २।१२५ १५३,७।२०० उ ५।६.१५,१७ से वास (वर्ष) वर्षा ज ३१११५,११६५७; १६ ७११२।३,४ सू १०११२६३,४ वासुदेवत्त (वासुदेवत्व), २००५६ विास (वृष ) वासंति ज ३।१८४,५१७,५७ वाहण (वाहन) ज २१६४,३।१७,२१,३१,३२, वासति सू १०।१२६३ वासह ज ३११२४ ८१,१०३,१०६,१७७:५१८,२२,२६ बासिस्सइ ज २॥१४१ से १४५ वासिहिति उ १६६,६४,६६,११५,११६ वाहि (व्याधि) ज २६१५,१३१,१३३ ज २०१३१ वाहिनी (वाहिनी) उ ३३११०,४।१६,१८ वासंतिय (वासन्तिक) ज २०१० वि (अपि) प १३५ ज १११६ सू ११६ उ ११७ वासंतिलता (वासन्तीलता) प ११३६१ विइक्कंत (तित्रान्त) ज २१७१,१३८,१४० वासंती (वासन्ती) प ११३८१२ ज २०१५ विउक्कम (वि । उन् !- क्रम) विउक्कमति वासघर (वामगृह) ज ३१३२ सू २०१७ उ ११३३; प ६१२६ विउ (वि : वृत) उहि उ ३३११५ वासपुड (वासपुट) ज ४।१०७ दिउट्ट (निवृत्त) ज ८:३६,६६,६१ वासमाण (वर्षत) ज ३।११६ विउल (बिल) परा३०,३१,४१ ज ११५; वासयंत (वासयत्) ज २१६५ २०६४,६५.६१.१२०.३।३.६७.१०३ १८५, वासरेणु (बासरेणु) ज २६५ २०६:५२६,५४७१७८१३१७.६३; वासहर (वर्षधर) प १५१५५।२ ज २१६५,३।१३१: २१११,३।७,५०,५५,६११८.१०१.१०६ ४११०३,१०८,११०,१४३,१६२,१६७,१८१. १०७.११०.१२९,१३१,१३४,१३६,१४६; १८२,१८४,१६०,२००६.१०.१८ ४११६ २०२८ Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विउलमइ-विग्गह १०४३ विउलमइ (विपुलमति) ज १८० विउ (वि - कृ) विउव्य इ ज ५१४१,४६,६०, ६६३।१२ विउब्बति प ३४.१६ २१ से २३ ज २११०२,१०६,१०८,३१११५,१६२,१६४, १६५,१६७,१९८५१५५,५७ विउवह ज २११०१,१०५:१३ विउब्वाहि ज ५१२८ विउब्वेह ज ३३१६१ विउव्वणगिडिढपत्त (विकिद्धिप्राप्त) सू१३:१७ विउवणया (विकरण) उ ३४१ से ३ विउदणा (विकारणा) उ ३१७ विउव्वमाण (विकुर्बाण) सू २०१२ विउवित्तए (किर्तम) ज ७१८३ मू १८।२१ विउव्वित्ता (दिकृत्य) प ३४।१६,२१ से २३ १२३ विउविय (विकृत) प २१४१ विउब्वेत्ता (विकृत्य) ज ३।१६१ विउसमण (व्यवशमन) सू २०१७ विझगिरि (विन्ध्यगिरि) उ ३३१२५ विंट (वृन्त) प ११४८१४६ विहणिज्ज (बृहणीय) प १७४१३४ /विकंप (वि-+कम्प ) त्रिकंपइ च ३।२ सू १७२ विकंपइत्ता (विकम्प्य) सू१२४ विकंपमाण (विकम्पमान) सू ११२४ विकप्प (विकल्प) ज ३१३२ विकप्पिय (विकलित) ज ३११०९ विकल (विकल) ज २११३३ विकिण्ठ (विकीर्ण) ज ७।१७८ विकिय पूय (विकृत भूत) ज ५१५७ रिगर (निकिरणकर) ज ३।२२३ विकिरिज्जमाण (विकीर्यमाण) ज ४११०७ विकुस (विकुरा) ज २१८,६ विक्कत (विक्रांत) ज ३।१०३ विक्कम (का) ज ३।३:७११७८ च १११ विक्खंभ (विष्कम्म) प १७४, २१५०,५६,६४; २१८४,८६,८७,६० से ६३,३६.५६,६६, ७०,७४,८१ ज १७ से १०,१२,१४,१६,१८, २०,२३ से २५,२८,३२,३५,३७,३८,४०,४२, ४३,४८,५१,२१६,१४१ से १४५,३३६५,९६, १५६,१६०.१६७:४११.३,६,७,९,१०,१२,१४, २४,२५,३१,३२,३६,३६ से ४१,४३,४५,४७, ४८,५६,५२ से ५५,५७,५६,६२,६४,६६ से ६६,७२,७४,७५,७६,७८,८०,८१,८४ से ६६, ८८,८६,६१ से १३,६५,६६,६८,१०२,१०३, १०८,११०,११४ से ११६,११८ से १२७, १३२,१३६,१४०,१४३,१४५ से १४७,१५४ से १५६,१६२,१६५,१६७११,१६६,१७२ १७४,१७६,१७८,१८३,२००,२०१,२०५, २१३,२१५ से २१६.२२१,२२६,२३४,२४० से २४२,२४५,२४८; १६५७७,१४ से १६, ६६,७३ से ७८,६०,६३,६४,१७७,२०७ चं ३१२ मू १७२१।१४,२६,२७,१८१६ से १३; १९६४,७,१०,१४,१८,२०,२१५१,३०, ३१,३४,३५,३७ विक्खंभसइ (विष्कम्भः ) १२११२,१६,२७, विक्खय (विक्षत) ज २११३३ विवखुर (दे०) प ७१७८ विग (वृक) ज २१३६ विगत (विगत) प १८४ विगतजोइ (विगतज्योतिस्) म १४११०,१५१८ से विगय (विकृत) ज २११३३ विगयमिस्सिया (विगतमिश्रिता) प १११३६ विलिदिय (निकलेन्द्रिय) ११८३ से ८५; १५५१०३, २०१३५:२२।८२:२८११११,१२७, १३८,३११६।१,३४११४;३५।११२,३५१७; ३६।५६ विगलेदिय (विकलेन्द्रिय) प १११८२ विगोवइत्ता (विगोप्य) ज २६४ विगह (विग्रह) । ३६१६०,६७ से ६६,७१,७५ ज़ ५॥४४ उ ३३६१ Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४४ विचारि (विचारिन् ) सु १६११ विचित (विचित्र ) प २३०, ३१, ४१, ४६ ज २११२; ३६.१०६,२२२,७३१७८ मु २०६७ उ २११०; ३११४, ८३, १०२, १३५,१४२ ४१२४,५२८, ३६,४३ विचित्तकूड (विचित्रकूट) उ ६।१० fafarera ( विचित्रपक्ष ) प ११५१ विचित्ता (विचित्रा ) ज ५११११ विच्छड्डति (विच्छ् ) २१६४ विच्छडिय ( विच्छादित ) ज ३११०३ विष्णि ( विस्तीर्ण) १२३५१, ५२, ५४,५६,६० ज ११८.१८, २०, २३, २५,३२,३५,४८,५१; २२१५,३१,१८,३१,३५,५२,६१,६६,१०३, १०६,१३१, १३७, १३८१,१४१ १६४,१८०; ४१,३,४५,५५,६२,८६,८८,६८,१०३.१०८, ११०,११४,१४१,१५६,१६२.१६७.१६६, १७२, १७८, १८५, १८७, १६१.२००,२०३, २०५,२१३,२१५, २४२, २४५,२४६, २५१, २४.२,२६२,२६८ ५१३,२८,४६,७११७७ १,२ उ ३१३७ विच्छिण्णतर (दितीनंतर ) ज ४११०२ पण (विस्पृश्यमान' ) ज २१६५६ ३१८६, २०४ विच्छुत (वृश्चिक) प ११५१ विच्छुअल ( वृश्चिकाल ) ज ७२१३३।३ विच्छुगोलसंठिय ( वृश्चिक लांगूलस्थित ) सू १०१५२ विजडि ( द्विजटिन् ) सू २०१८, २०१६८ विजय ( विजय ) प १११३८, २११,४८.६३; ४१२६४ से २६६,६३४२,५६७२६६ १५५५१२, १५८६,६२,१००,१०५, १०८ १०६,११३,११४,११६,१२०, १२१,१२३, १२५,१२६,१३१,१३६ २८९६ ज १।१५, १६,४६,५१६२११७ ३१५, १६, २४१४,२६, १. हे० ४।२५७ ३१,३५,३७१२,३६,४५१२,४७,५२,५६,६१, ६४,६६,७२,८१,१०,११४ से ११६,१२२, १२४,१२६, १३११४,१३३.१३५,१३०,१३८ १४१, १४५,१५१,१५७, १६४, १७२, १३८, १८०,२०५,२०६,२०८, २०६४१४६५२, १०३,१६२,१६७ से १७०,१८१ मे १८४, १८७ से १६१,१३,१४.१६७,१६३ विचार-विज्जुष्णभगृह २०३,२०६,२१२,२६२,५१४३, ५५, ४२७,५८१ ६।६।१७।१९४,१२२१२५१४ १०१८४४ २१२४१११११०७, ११०, ११६,११८, १२२,१३०,५११७ विजय (विजय) C विजयबंधवार (f) ३१७२ विजय () विजयपुरा (नियम) विजयवेजइया (विजय) ३।१२,२८. ४१,४६,५६.६६,७८४७१६८ विजया (विया) व ४२२२२१२२४१६१ ४११७२१६।१५ विज्जु (विद्यु) १२१२ ७/१२०१२,१५६ विजह (वि: हा) व १८ √विज्ज (वि) विज्ज ३११२२११ विज्जल (दे०, विज) ४३ विज्जा (विद्या) ३३९०१ विज्जाहर ( विद्याधर ) ११६२,२११९३ ज ३११३७ से १३६,२६००:४१७१७२३५१५ विज्जाहरसेठी (विद्या मेथी) व ११२५ से २८ १२६ २६११, २४०६, ११ ज ४।२१०११ सू ११ विज्जुकुमार (कु.) १११३१६५३; ६।१८ विज्जुकुमार (कु) सम्पर विबंध (द्युत) भन्द age (fr) ते २१० fugees (४२१० विज्जुपभद्दह (विद्युत) ४४ Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विज्जुपविद्ध हि (वि) ज ४।२१५ रज्जुप्पहार (युत्प्रभवक्षस्कार ) ज ४।२०५ विज्ह (विमुख ) प १८६ विषेश (वि) ज २१३१,४ । २११ ; शर दिज्जु ( () विज्जुयाति ज ५७ विज्gare (विद्युत्यत्वा ) ज ५७ विज्झडिय (३०, मिश्रित ) ज २।१३३ विज्झिडियमच्छ (सिडिय मत्स्य ) प १।५६ विद्धि (विष्टि ) ५११२३ से १२५ fastu (f) ७२१७८ विडिय (२० प ) २४६ ४१४६ विमिंदर (६०, पिटपान्तर ) ज २०१६ दिड्डा (त्रीडा) ११५८,८३ विण (निप्ट) ज २११०३.१०४ विर्णामि (निमि) ३११३७,१३८,१३६ विजय (विनय ) प १११०१।१० ज ११६, २२६०, ६०,१३३, ३१८,१३,१९५३,६२७०,७७,८४, १००,१४२.१४७,१६५, १८१,१८६,१९२ २०५,२०६२१३५११५,२३,५८,६६,७३ यू २०१६ उ १११६,४५,५५,५६.६७ ८०,०३,१०८.११६,१२०,३११२० विणास (नाम) प १७४ विभासण (विजन ३८८१०९५७ विनियमं (विच्छा) ३११०६ विणित (त्) ११३७३।१२, ६८४१५८ वणी (वणी) वि२०४६ वर्णेति उ ११३४ निमि १।७४ विणीला ( विनीतः) ज ३११८२ विणीय (त्रित) उ५१४०, ४१ footer (२/१६,६५,३११२७,८, १४,८७,८५,१०६,१७२, १७३, १८०, १८३ से ܬܘ &o3 ex Po,> ?, ?, . ܔܔ २१२२२०२६१२४११०० विore (विशक) २०१२७, १२७३५४४३ √ विष्णव (वि + ज्ञपय् ) विष्णवे उ ११०१ बिष्णवणा (विज्ञान) उ ३३१०६ विगविज्जना (विज्ञप्यमान ) उ१।१०२ विवि (विज्ञपयितुम् ) उ १६६ विve (विष्णु) ज ७।१३०,१८६१३ faughar (foदेवता ) सू १०१७९ वितत (वि) ज ५३२, ५७ तिपक्खि (तितपक्षिन् ) प १७७,८१ वित्त ( वितृप्त ) सू २०१८,२०1८1८ वितत्य ( वित्रस्त ) सू २०१८, २०१८ तिथि ( वितरित) ज २१६ वितिमिर (वितिभिः ) प २/६३३६६३,९४ वितिरितराग (वितिमिरतरक) ५१७ १०८, ११० वित्त (वित्त) ज ३११०३, ५५८ वित्त (वेव) ज ३ | १०६ विति (वृत्ति) ज १११३.३०,३३,३६,२११३४; ४२ वित्थड (विस्तृत) ज ३।११७,७१३०,३१,३३ मु ४५३, ४, ६, ७,१६/२२११५ वित्थय (विस्तृत) ज ३१३२,१०६ विस्थर ( विस्तर) ज २।१३४ fararves (विताररुचि ) प १।१०१।१,६ वित्थिष्ण (ती) प २२५०,४६,५८ ज ११२४, २८ ३१२१,५१४ विदिशा (विदिशा ) ज ४११०६,१५५,२०४,२१०, २१२.२३५.२३७५।१२ विदिसि (विदिश् ) प ३६।७०,७२ ज ५।१२ विसिवाय (विदित) ५१।२६ विदेह (देह) प ११६३३,६४१११।१२६, १३३ विदेहजंबू (विदेहजम्बू) ज ४११५७।१ विदुम (वि) ज ३।३५ वि (विद्ध) ज ३।२५ (ध्वंस) १०४५ : विद्धरोहित सरदर १११७२२८१४०,४३,६६ २११५१ Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६ विद्वंसइत्ता ( विध्वस्व ) प २८|६६ विद्वंसण ( विध्वंसन) उ ११५१,५२,७६,७७ विद्वेत्ति (रिध्वंसितुम् ) उ११५१, ५२.७६, ७७ विद्धि ( वृद्धि) ज ७११८६१३ सू १५१८ विष्पण (महाण ) ४३६१६२ free हित्ता ( विप्रहाय ) प ३६।६२ विपचिण (विप्रतिपन्न) उ३२४७ विधाउ (विधा ) प २४७२ विधुय (विधुत ) ज २३१०:४।१६६ विपुल ( विपुल ) ज २२६६; ३३८८, १०६ विपुलतर ( विपुलतर) ज ४।१०२ विप्पजद ( विप्रहीण ) उ ११२०, ६१ / विप्पजह (विप्र हा) विप्पजहति प ३६६२ विभु ( विभु ) ज ५१५, ४६ fareyes ( विमुक्त ) प २१६४११, ६, १६:२५; ३६/८३१२ ज ३११२,८८,६२,११६; ५७, ५८ ३।१५६ विपरिणामइता (परिणम् ) २८१२०,३२,६६ विमान (प्रलयत् ) उ ३११३० विपति (विप्रोषित) सू २०१७ विषय (विज) उ ३३१३१,१३४ विबुद्ध (विबुद्ध) ज ३०३ विलोम (३०) सू २०१७ उपधान विभल (विह्वल) २०१३३ विभंग अण्णाणपरिणाम ( विभंग ज्ञानपरिणाम ) प १३।१० विभंगणाण ( विभङ्गज्ञान ) प ५१५७२६ २,६, १७,१६,३०१६ विभंगणाणि ( विभंगज्ञानिन् ) १ ३१०२,१०३; ५६६,१०७ १३ १४, १७, १८१८४; २८११३७, ३०।१६ विभंगनाण (विभंगज्ञान ) प ३०|२ १/४२/२ विभंगु (दे०) v विभज (वि- 1 - भज् ) विभज्जइज २१५५ विभजिस्सइ ज २११५५ विभत्त ( विभक्त) ज २११५,१३३ विभयमाण (विभजमान, विभजत् ) ज १११६,४७; ४१४२,७१,७७,६४, १६८, १८३,१८६, ११५. २६२ सू १६/१६ विभाग ( विभाग ) ज ३३२ विभावणा (विभावना) १२८१२ / विभास (वि + भाष्) विभासिज्जा ज ५।५५ विभासेज्जा ज ५१५७ विद्वंसता- विमाण विभावि (विभापितव्य ) ज ५।४०,५७ विभूइ ( विभूति) ज ३।१२,७८, १८०, ५१२२,२६ विभूति ( विभूति) ज ३।२०६ विभूसा ( विभूषा ) ज ३ १२,७८, १८०,२०६; ५१२२,२६ विभूतिय ( विभूषित) ज २१६६, १००, ३१६, ३५, ७८,१०६,२११,२२२, ५११४, ४१, ४३, ५८ ७ १७८ ११७०३३।११०,४।१८५ १७ विभेल ( विभेल) उ३।१२५, १३२,१३३,१४१,१४५ विमण (विमनम् ) ज २६०,१०३,१०६, १०८ उ ११३५ विमय (दे० ) प १।४१।२ विमल ( विमल ) प २३१,६४ ज ११३७ २११५; ३२,१२,१८,७७,८१,८८, १०७,११७, १२४, १५१,१७८, २२२, ४१३,२५, १२५, २०४/१९ ५१५,४११३,५८,६२,७१७८ सू २० दाद उ १११३८ विमलवाहण (विमलवाहन ) ज २१५६,६१ विमाण ( विमान ) ६ २११,४,१०,१३,४८ से ५२, ५६२, २५ से ६३,७१२६; ११२५, २१/६२, ६३, ३३,१६,१७ व २।१२०६३।३,११७; ४।११५,५१३,५,१८,२२,२५,२६,२८,३०,३२, ४१, ४३ से ४५,४६, ५०, ५२, ५३, ७२१७८१, १७६,१८४ से १६६ ६।१,१८।२२ से २४; २०१२ से ४ उ ३६, ७, १४, २५,८३,९०, १२०, १५६,१६१,१६६,१७१ : ४५, २४, २८, ५१२८, ४१ Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विमाणकारि विव विणकर (विमानकारिन् ) ज ५४८ से ५०, ५३ विरल्लिय ( तत' ) प १५/५१ विमाणवास ( विमानवास ) ज ३।११७ विमाणावलिया ( विधानावलिका ) प २११, ४, १०, १३ विमाणात (विवनाम ) प २४८ से ६३ ज ५ १५, १६, २४,४८ विमाणववण्णग ( विमानोपपन्नक) सू १६१२३, २६ विमुक्क (विमुक्त ) प ६४ १०,१६,२२:३६ ६४।१ विमोक्षण (विमोक्षण ) ज २२७१ विट्टछउम ( विवृत्तछद्मन्) ज ५१२१ aिrs ( विकट ) प २० से २३ ज २९१५ चं १।३ सू २०१८,२०१८ विडजोणिय (कटयोनिक) प ६२५ fastas ( विकटान्)ि ज ४७७,८४,२६६ विडावति (टापातिन् ) । १६।३० वियस्थि ( वितस्ति ) प १।७५ वित्तिय ( वितस्तिपृथक्त्वक) १२७५ / वियर (वि: 1 ) वियरह ज ३११६८ वियरम (दे० ) ज ५|१३ वियरय (विचरित) ज २१२ विल ( विकल ) प २४१७ विवसंत ( विकारात् ) प २०४९ विर्याय (क) १२३१,४८ ज ३६; ४१४६ ५८२१ विषाण(क) विराणाहि ५ १२४८१३८,३६ वियत (वित्) १२२६४।१७ विणय (वि) ज ३।३२,७७,१०२ विषिता (शि) उ५३७ वियाणिय ( विज्ञत) ज ३१५७ विद्यालय (निकाल) ज ११८६१ सू २०१८१ विरइय (विरचित) ज ३४३,६,२२२ / विरज्ज (वि) विरज्जति सू १३।१ विरत (परत) २६ १० विरति (पिरति ) २०४१ विरत ( ) विरय (ज) १३।१,२०१३ रेगन, २०१७ विरयाविरति (विरताविरति ) प २०१४२ १०४७ √ विश्व (वि + रचय् ) विवेइ उ १।४६ विरवेत्ता ( विरव्य ) उ ११४६ विरसमेह ( विरसमेघ) ज २ १३१ विरह (विरह) उ ११६५,६६,१०५ विरहित (विरहित ) प ६।५ से ७,४३ विरहिय ( विरहित ) प ६।१ से ४,८ से २३,२७, ४४,४५ ज २१४०; ७१५७,६० सू १०७७ विराइय ( विराजित ) प २।३०,३१,४१,४६ १६२५ ज २।१५; ३।११७७ १७८ विराग (विराग ) सू १३।२ विरायंत ( विराजमान, विराजत् ) ज ३२६ : ५१२१ विराल ( विडाल ) प ११:२१ विराली ( विडाली ) प ११।२३ √ विराय (वि + रावय् ) विरावेहिति ज २।१३१ विराहणी (विराधनी ) प ११।३ विराय ( विराधक ) प ११८६ विराहिय ( विराधित) उ३।१४,२१,८३ विराहियसंजम (विराधितसंगम ) प २०१६१ विराहियसंजमा संजम ( विराधितसंयमासंयम ) प २०१६१ विरिच (वि + भज्) विश्चिइ उ ११६४ विरिचित्ता ( विभज ) उ ११६६,९४ विरिय (वीर्य) प २३३१९, २० ज ३३१०७, ११४ विशेषण (विरेचन) उ ३११०१ विलंब ( विलम्ब) प २४०१६ विलवाण ( विलपत् ) उ ११६२,३११३० विलास (विलास ) ज २।१५,३।१३८ सू २०७ विलिय ( व्रीडित ) ज २१६० उ ११५८,८३ विलिहिज्ज माण (विलिख्यमान ) प २३५० ज ५।१८ विलेवण ( विलेपन) ज ३१६,२०,३३,५४,६३,७१, ८४, १३७, १४३, १६७,१८२,२२२ बिन (इ) ११३८, ६८ उ ११२३३११२८ १. हे० ४।१३७ Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४८ विवंचि-विसुद्धतर विवंचि (विपञ्ची) ज ३१३१ सू ११२५,४१२,१६॥३,६,१३,१७,२६,३३,३६ विवज्जिय (विजित) उ ३.३६ विसमचारि (विषमचारिन्) ज ७११२।२ विवडिय (निपतित) ज ३११०८ से १११ सू १०६१२६२ विषड्ढ (वि-- वृध) विवड्दति ज ३१६५,१५६ विसमबहुल (विषमबहुल) १११८ विवड्ढेत (विवर्धमान) प ११४८१५२ विसमाउय (विषमायुप्क) प १७:१३ विवण (विवर्ण) उ १२१५,३३९८ विसमेह (विषमेघ) ज २११३१ विवत्थ (विवस्त्र) सू २०१८ विसमोववण्णग (विषमोपपन्नक) प १७/१३ विदर (विवर) ज २१६५ उ ५१५ विसय (विषय) ५२।४८,१२६६११,१५।१११, विवरीत (विपरीत) म २०१६।२ १५१४०,४१,३३११।१ ज २१४;३।१०४,१०५, विवरीय (विपरीत) ज ३।११७११ १०७,११४,१२६।४,५१४६७।१७८ सू१८११ विवाग (विपाक) २३।१३ से २३ विसय (विशद) ज २।४,६५,१२६ विवाह (विवाह) सू २०१७ विसयवासि (विषयासिन्) ज ३।२४।२,३।२६, विविह (विविध) प २।४१,४८ ज ३१२४,११७, ३६,४७,५६,६४,७२,१३११२,१३३.१३८,१४५ १६७।१२,४२७,४६,५॥३८,६७,७११७८ विसयाणपुव्वी (विषयानुदूर्वी) ज ७५० मू १८८ उ ३६३५,११२,१२८ विसह (विषय) जरा६८ विस (विष) उ १८६,६० विसहरण (विषहरण) ज ३।६५,१५६ विसंधि (विसन्धि) २०१८1५ विसाएमाण (निस्वादयत् ) उ ११३४,४६,७४ विसंधिकप्प (विसन्धिकल्प) सु २०१८ विसायणिज्ज (स्विादनी) ज १८ विसज्जिय (विजित) ज ३१८१ विसारय (विशारद) ज ३१७७,१०६ उ १३१ विसम्पमाण (विसर्पत) ज २११५, ३.५,६,८,१५, विसाल (विशाल) प २१४७२ ज २११५; ३११७८%; १६,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४, ४११५७।२,७१७८ सू२०१८,२०८।८ १४२,१६५,१७३,१८१,१८६,१६६,२१३; विसाहा (विशाखा) ज १२८,१२६,१३४१३, ५।२१,२७,४१ उ ११२१,४२,३।१३६ १३५३३,१३६,१४०,१४६,१६५,१६६ विसम (चिपा) प १३१२२।२:१६:५२:३६८२११ सु १०।२ से ६,१७,२३,८६,६२,७२,७३,७५, ज २।३८,१३६,१३३,३१७६,८८,१०६,१२८, ८३,११४,१२०,१३१ से १६३,१२१२१ १५.१,१७०७।११।३ सू१०११२६।३ विसाही (वैशाखी) ज७१४० उ ३१५५ विसिठ (विशिष्ट) ५२।४७७ ज ११३७, २०१५, विसमचउक्कोणसंठित (विषमचतुष्कोणसं स्थित) २०३१६,३५,१०६,११७ २२१,२२२:५४३; सू श२५:४१२ ७१७८ विसमचउरंससंठाणसंठित (विषमचतुरस्रसंस्थान विसिट्ठतर (विशिष्टतर) सू२०१७ संस्थित) सु ११२५ विसुज्झमाद (विशुधमान) ११३,१२८; विसमचउरंससंठित (विषभचतुरस्रस स्थित) सू ४१२ २३१२००,२०१ ज ३१२२३ विसमचकावालसंठाणसंठित (विषमचक्रवालसंस्थान- विसुद्ध (विशुद्ध) ८ २१६३; १७४१३८,३६६६३,६४ संस्थित) सू १६६ ज २१८,६३१३,१०६५५८ उ ५१४३ विसमचक्कवालसंठित (विषमचक्रवालसंस्थित) विसुद्धतर (विशुद्धतर) ज २०७१ Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विसुद्धतराग-वीइक्कत १०४६ विसुद्धतराग (विशुद्धतरक) ११७।१०८ से १११ विसुद्धलेस्सतराग (विशुद्धलेश्यातरक) १ १७१७ विसुद्धवष्णतरग (विशुद्ध र्णतरक) प १७१६,१७ विसेस (विशेष) प ११११४२१६४११८,१२६३१ १५।२६,३०; १७१३०,१४६ ज २१३,३० ३३,३६,२।४५,१४५,३१३२,४१२,२५ सू २।२,४१४,७; १५५ से ७:१९८२२११३ विसेसाहिय (विशेषाधिक) पश६४,३११ से ६, २४ से ३२,३७ से १२०,१२२ से १२५,१२७, १४१ से १४३,१५६ से १७०,१७४ से १८३, ६।१२३,८५,७,६,११६१२,१६,२५,१०१३ से ५,२६ से २६११७६,६०,१५।१३,१६, । २६ से २८,३१,३३,१५।५८/१,१५।६४; १७१५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से ८३,१४४ से १४६; २०६४, २११०४,१०५; २२११०१२८।४१,४४,७०:३४।२५,३६६३५ से ४१,४८,४६,५१,८१ ज १७,२०,४१४५, ५७,६२,६८,११०,१४३,२१३,२३४,२४१; ७१४,१६,७३ से ७५.६३,१६७,२०७।। मु१६१४,२७,१८३७:१६६१० विसोह (वि-!-शोधय) विसाहेहर३।११५ विस्स (विश्व) ज ७।१३०, ८।४ विस्संभर (विश्वम्भर) ५१७६ विस्तदेवया (विश्वदेवता) १..३ विस्सुत (विश्रुत) ज ३।३५ विस्सुथ (विश्रुत) ज ३१७७,१०६,१२६,१६७ दिहंगु (दे०) प ११४८९४६ विहग (हिग) ११३७, २१६८,१०१,४।२७; २८ विहाफइ (बृहस्पति) ज ७१०४ विहर (वि-ह) विहरइ प १५० से ५३ ज१५,४५,२।७० ६१,३१२,२०,२३,३३, ८२,८४,१५३,१७१,१८२,१८६,२१८,२१६, २२४; ४११५६,१६ उ ११२,२७,३१६, ४।११:५१६ विहरति प १२० से २७,३० से ३७,३६ से ४२,४६,४८ से ५२,५४,५५,५७ से ५६ ज १११३,३०,३३,२।८३,१२०,४।२, ११३; ५११,३,८ से १३,६८, ७५६,५६ सू १९२४ उ ३.५०, ५१२६ विहरति प २।३२,३३,३५,३६,४३ से ४५,४८,५१ ५३ से ५६ ज २१७२; ३।१२६; १८ से १३ सु २०१७ विहरसि उ ३८१ विहरामि उ ११७१, ३१३६ विहराहि ज ३३१८५,२०६ विहरिस्संति ज ११३४,१४६ विहरेज्जा सू २०१७ उ ५१३६ विहरमाण (विहरत्) ज २१७१ उ ११२,२० विहरित्तए (विहर्तम) ज ७।१८४,१८५ सु १८।२२ उ ११६५,३१५० विहरिय (विहत) उ ३१५५ विहव (विभव) ज २४३ विहाड (वि-घटय) विहाडेइ ज ३३९०.१५७ विहाडेहि ज ३।८३,१५४ बिहाडिय (विघटित) ज ३।६० विहाडेता (विघटा) ज ३१८३ विहाण (विधान) पश२०१२,११२०,२३.२६,२६, ४८,६८ विहाणमग्गण (विधानमाण) ५२८१६,६,५२,५५ विहायगति (बिहायोगति) ५१६१७,३८,५५ विहायगतिणाम (विहानगतिमान) प २३।३८, ५.६,११६,११७,११६,१२८,१३२ विहार (बिहार) ज २१७१ विहि (विधि) प २१४५; २१।११ ज ३१२४२, म १९४२२ विहिण्णु (विधिज्ञ) ज ३१३२ विहूण (विहीन) प १०।१४१५ ज ४१६४,८६,१३६, २०८ दिहूसण (विभूषण) ज ४।१४०।१ वीइ (वीचि) ज ३।१५१ वीइक्कंत (व्यतिक्रान्त) ज २१५१,५४,७१,८८, ८६,१२१,१२६,१३०,१४६,१५४,१६०,१६३; ३२२२५ उ ११५३,७८,३११२६ Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५० वोsभय ( वीतभय ) प १६३२४ वीइय ( वीजित ) ज ३६,२२२ attasar (व्यतित्रज) १११६,४६, ४१५२ उ ५४१ वीईवप्रमाण ( व्यतित्रजत् ) ज २१६०; ३३२६,३६, ४७,५६६४,७२,१३३, १४५,५।४४, ४७,६७ वीचि (वीचि ) ज २१५३८१ वीणग्गाह ( वीणाग्रह) ज ३११७८ वीतराग (जीएम) प १११०७ से ११०, ११५, ११७ से १२३ रासंजय ( वीतरागमंत) प १७।२५ ataसोग ( वीतशोक) यू २०१८ वीतिमिर (वितिभिर) ६३ वोतिया (व्यतित्रत्) ज ३।११३,५१४४ / वीतीय (वि - अति - व्रज्) वीतिव्यति २०१२ वतीवत्ता (जि. ) प २१६३ वणी (बीजनी ) ज ३१३ बीयराग (राग) प ११००, १०४ से १०७, १०६ से १११,११५,११६.११८,१२१ से १२३ वीराय (वीतराग ) प १1१०२ से १०४,११६, ११७,११,१२०.१२२ वीसोय (क) ज ४।२१२,२१२२ सू २०१८ाउ वीर (वीर) ३१६,१०३,१०८ से १११.२२२ चं १११ उ १।२२,१४०१ २१५,१० वीरंग (बीराङ्गद) उ५।२५, २७ से ३० वीरकण्ह (कृष्ण) उ५।१० वीरण (वीरण ) प ११४१ १ वीरवर (वीरखर) सू २०१६६ वीरसेन (वीरसेन) उ ५ १० वीरिय (तीर्थ) २३०६ २१५१,५४,७१, १२१, १२६,१३०,१३,१४०, १४६, १५४, १६०, १६३,३३,१२६,१८८७१७८ सू २०११, २०१६१३,५ वीरभय-वुच्न वीरियंतराय ( वीन्तरायिक ) प २३।५६ वीरियंतराय (वीर्यान्तराय) प २३।२३ वीवाह (विवाह) ज २।१३० बीस ( ) प २२० से २७ वीस (विशति ) प २।२४ ज १।२३ मू ७।१ उ ५।२८ वीस (विशतितम) व १०१४१४ ates ( विंशति) ज ३।१०६ च २२५ सू ११६१५ atesअंगुलवहाक (विशन्यं गुलबाहुक) ज ३|१०६ वीसति (विशति ) प २३।७५ वीसतिम (विशतितम) सू १२/१७ बीधा (विशतिधा ) सू १२३० areer (fr) ११६/५५ २३|१३ से २३ वीतसेण ( विश्वसेन ) ज ७।१२२१२ सू १०८४ २ वीसा (विशतिधा ) सु १०११४२,१४७ वीसायणिज्ज ( विस्वादनी) प १७/१३४ वीसुत ( विश्रुत) ज ३१३५, ११९ वीहि (व्रीहि ) प ११४५।१ ज २।३७ √ बुच्च ( वच्) बुच्चइ प ५१७,३४, १०२, ११६,१६६; १११३,४१; १७१२, १३,२०,२७,११६,११६, १५२,१५५;२०३९ ज ११४५,४७ २२४१; ३।१,६८,२२६४।२२,३४,५१,५४,६०,६१, ८०,८१,८६,६७,१०२, १०७,११३,१५६, १६१, १६६,१७७,२०८, २११,२६१, २६४,२७०, २७३, २७६, ७ १६६, १८५, २०६, २१३,२२६ उ २३८ दुच्चति प २२|४५, ३०११७ बुच्चति प ५३,५,७,१०,१२,१४,१६,१८,२०,२४, २८,३०,३२,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६, ६३,६८,७१,७४,७६,८३,८६,८६,६३,६७, १०४, १०७, १११,११५, १२७, १२६, १३१, १३४,१३६,१३८,१४०, १४३, १४५, १४७, १५०,१५४,१५७,१६३, १६६,२०३, २४२; १०१३, १११३,३६,४१ १५१४५,४६, १८ १७।२, ४, ६,६,११,१६,१७,२०,१०७,१०६, १११,११११६,१५०, १५५; २०१३६,५१६ २२१८,४५, २३।११०, २६/१७, १६ से २१ ; Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुट्टि-वेद ३०११६,१६,२१,२३,२६,२८,३४११२, १६, १८:३५११८, २०, २३, ३६१२८, ८१,६४ बुट्ठि ( वृष्टि) ज ३१११७ वृड्ढकुमारी ( वृद्धकुमारी) उ ४१६ वृड्ढय ( वृद्धक) ज २१६५ बुड्ढा (वृद्धा ) उ४ वुद्धि ( वृद्धि ) प ३३।१०१ ज ७११,१०,१३,१६, १६,६६,७२,७५,७८ चं २०४ १२६१४, १ २७; १३।१७ (उक्त ) ३१८, १३, १६, २६, ४२, ५०, ५३, ५६, ६२,६८,७०,७५,७७,८४,१००, १२५, १२६, १४२.१४८, १६५,१६६,१८१,१८६,१६२; ५१५,२२,२६,७० च २१४,५, ५१२ सू ११६१४, ११६१३ उ ११४०, ४५, ५५,५८,८०, ८२,१०८३७८,८२,११३४१२० वेअ (त्रि + इ) वेअति सू ६।१ वेगा ( वेदिका) ज ४१२८ वेइया ( वेदिका ) प २१:२१।६० ज २१२०; ४१३, २५,३६,५७,६३,११०,१४८, १५६, २२१.२४५ afa ( ) प २४६ dafaan (वैयिक ) प १२१, २, ४, ५, ८, १४, १८, २४,२८,३३,३६,१६१५, २११, ८३, १०४, १०५,२३।४२,६०,६२,१४६,१७३,३६ । १११, ३६।३२ ज २८० ५१४०, ५६७१५५,५८ १६२३२६ वेउव्वियमीससरीर (वेक्रियमिश्रशरीर ) प १६ | १, ३,७,१० उव्वयमोसासरीर ( क्रिमिश्रकशरीर ) १६ ११, १२, १५; ३६१८७ asarसमुग्धाय ( कि समुद्घात ) प ३६ १,४ से ७,२८,३५ से ३८, ४०, ४९, ५३ से ५८,७० ७३ ज ३।११५,१६२,२०८,५५,७, २६, ५५ वेव्वितरीर ( क्रियशरीर ) प १२ १२,१६; १६।१, ३, ७, १२, १५, २१३४६ से ६५,६८ से ७१,७७,८१,६६,६८,१०१,१०४, १०५; १०५१ ३६३८७ defornar ( पिशरीरक ) प १२/३६ daforate ( वैकि शरीरक) प १२८, २१.३१ यसरि (यशरीरिन् ) प २८।१४१ वेंट ( वृन्त ) प १/४८४५ टबद्ध ( वृत्तबद्ध ) प १२४८ ४० वेग ( वेग ) प २१२१ से २७,३० ज २।१६ वेगच्छिग (वैकक्षिक) ज ७ १७८ वेच्च (दे०, व्युत, व्यूत) ज ४११३ वेजयंत ( वैजयन्त ) प ११३८ २/६३४१२६४ से २६६६/४२,५६,७१२६, १५६६,६२,१००, १०५, १०८, १०६, ११३, ११४, ११६, १२०, १२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६,२८/६६ ज १११५ बेजयंती ( वैजयन्ती ) प २।४८ ज ३१३१,१७८; ४१४६, २१२५८११,५१४३ ७ १२०१२. १८६ घेझ ( वेध्य ) ज ३।३२ ड्ड (दे० व्रीडित) ज २६० ढ (वेष्ट ) ज २३१३६ ढ (वेष्ट्) वेढेइ उ १४६ aar (वेष्टक ) ज २११३६ वेढल (दे० ) प ११५८ वेदिम (वेष्टिम) ज ३।१११ वेदिय (वेष्टित ) ज ३१३२ वेढेत्ता (वेष्टित्ला ) उ ११४६ dusar (वैनयिकी, वैण किया) प १६८ उ ११४१, ४३ वेदा ( वेणुदा)ि प २३७,३६,४०७ वेणुदेव ( वेणुदेव ) प २३७, ३८४०१६ ज ४।२०८ जात ( वेणुकानुजात) भू १२ २६ वेत्त ( वेत्र ) प १।४१।१,१११७५ ज २२६७ वेद (वेदय्) वेदे प २३|१|१६ २५/४ वेदेति प१७।२०२३।११२५ ४, ५, २७/२, ३, ३५/२, ३,५,७,६,११,१३,१४,१७ से २०,२२,२३ वेदेति प २३६, १०, १२ से २३:२५२: २७१२, ५,६ Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५२ वेद-वेयणा वेद (वेद) पश१६,३।११।१८११ ८,१०,११,१४,१५, २५४१,२,४,२६.१,३,४, २८.१०६।१ उ ३।४८,५० ८,६; २७।१.२,६; २८१,७४,१०१.१०२, वेदग (वेदक) प ११९४११:२५२७।३ १०५.१०६,१०६,१११,११५ से ११७,१२२, वेदणा (वेदना) प २।२३,२६,१७११७.२०,२७, १२७,१३२,२६।१५,२२,३०।१४,२४; २६,३२,३३,२२१५,३५३१११,३५.१ से ७,६, ३११५,६११३२।५३३१३०,३४,३७; ११ से १४,१६ से २०,२२,२३ ज २।१३१ ३४।४,५,११ से १४,३५६३,५,७,६,१११५, वेदणासभुग्घाय (बेदनासघात ) ५ ३६।१,२,४ २३; ३६१७ से १,११ से १३,१५,२०, से ८,१२,१८ से २०,३२,३६ से ४१,४६,५३ . . २६,२७,३०,३२ से ३४,४१,४३ से ४५,४७, से ५६,६५ ५०,६५,६६,१२,७३ ज ११९०,९५,६६, वेदणिज्ज (वेदनीय) प २३११,१२:२४११२:२५१५: १००,१०१,१०२.१०४,१०६,११०,११३ से २६.६.११:२७५,३६६८२,६२ ११६,१२०,४१२४८,२५० से २५.२,५।१६, वेदपरिणाम (वेदपरिणाम ). १३।२,१४,१५,१८, २६,२८,४७,६७,७२,७३.७४ वेमाणियत्त (वैमानिकत्व) प ३६.१८,२०,२२,२४, वेदय (वेदक) ! २२ २६,२७,३० से ३४,४६,४७ वेदि (देदि) उ ३५१,५६,६४,६८,७१,७४,७६ वेमायत्त ( वित्रत्व) प २८।३६,४२,४५,४६,७१ वेदिया (वेदिका) ज १।१४ बेमाया (विमाना) प ७/४; १३।२२।१२८१३८ वेदमाण (दद त्) प २६१२ से ४,८,६,१२,२७२, वय (विद्) वइसु प १४।१८ वइस्सति प १४११८ वेएइ प २३।१५,१६,१८ से २० वेमापिणी वानिकी) प३।१४०४।२१० से वेएंति ५१४११८ २१२; १७५५,८०,८२,८३, २०१३ बेय (वेत्र) ५११४२।१ वेय (वेद) १४।१८।१ वेमाणिय (वैमानि), १११३०,१३४,१३८; वेधग (वेदक) प २७५ २४६ से १३:१३६,४।२०७ से २०६; वेयड्ढ (बंता) ११५ से २०,२३ से २५, ५॥३,२६,१२२:६।४६.५६,६६,८५,८६,६२, २८,३२,३३,४६।१,४७,४८% २११३३ ; ३३१, ६५.१०६,१११.११७,११६,१२१,७७; ६१.१३७.२२०७४।१६७ से १६९,१७२।१, ८।३६।११,१८,२४,१०३२ से ५३,१११४६, ८०,८१,८४,१२२६.३६, १३१२०,१४१२,३, यड्डकड (वैताड्ट ) ज ११३४,४६,६।११ ५,७,६,११ से १५,१८,१५१३५,४६,५६ से वेयगिरि (वता गिरि) ज २१३१,३१२२० ६३.६५ से ६७,७५,८२,१३४; १६।६,१६, उ५।१० २०,२१.२६१७२७,२८,३०,३४,३५,५४,७६ वेयडढगिरिकुमार (वैतादयगिरिकुमार) ज ११४७; से ८१,८३,८६ ६१.६६.१०५; १९६४; ३१६३ से ६६,६८,७२ २०६१,४,५,१३,१६.२५,३०,३५,३३,५४,५६; वेयड्ढपध्वय (ताड़यविन) ज ११३४,३५,४१, २११५५,६२,७१, २२११ १३,१५,१७,१६, ३१६०,६१,१३६,१३७,४१३५,३७,१६७,१७४ २०,२६,२७ ३५,३५,३७.३६.४१,४२,४४, देयणा (वेदना) प ११११७:२।२० से २२,२४,२५, ४७,५३ से ५८.६६,७५.७६,७६,८२,८८, २०३५८,१०,२०२६।१। १ २।४३ ६०,१००; २३१२,४ से ७,१०,११,२४११,३, उ११६०,६२,८५,८७ Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेयणासमुग्धाय-स १०५३ वेयणासमुग्धाय (वेदनासमुद्घात) प ३६१३५,३७, बेसासिय (श्वासिक) उ ३।१२८ वेहल्ल (मेल) ९५ से १६,१०२ से ११७, वेयणिज्ज (वेदनी) प २२१२८२३१२६२४११०, ११६,११५.१२८ राया श्रमिक का एक पुत्र । ११,२५॥३,४,२६८; ३६८२ ज ३।२२५ बेहास (भास में ३।१३१,१३२:५१६४ वेयय (वेद) प२५१४ १९७ वेयवेयय (वेदवेदक) प ११११६ बेहातवाडच्या मिहा स्वाहा ।) सू ६४ वेर (वै) ज २४२,१३३ वोका दि० प ११८६ वेरमण (विरण) प २०११७,१८,३४ वोच्छ ( अच्छ.जि ७१३५१ वेराण बंध (वैर नुबन्ध) ज २०४२ सू १६१३१ बोच्छिद (F: : अ- छिद) बोच्छिजिस्सइ वेराणुमय (वैरानुगय) ज २१२८ वेरिय (वैगिक) ज २०२८ ज २२१२६.१५८ वेरुलिय (वैडय) प ११२०१४ ज ११३७,३११२, वोच्छिण्ण (न्य च्छिग सू ८१३ ३१३४ ८८,६२,११६,१६७१२,१७८; ४।२४२, वोच्छिा मोह नच्छिन्नदोहद) ११५०,७५ २६४:५५,१५८,31१3८ बोयडाड (व्यवच्छेद की। ए १७१३४ योज्य ( मािति ३४ वेरुलिया (यकट) ४७९ योज्य (उह्य) ज ३१२१११५८ वेरुलियमणि (वैडमणि) प १७।११६,१४८ वोडाप (दे०) प ११४४११ वेरुलियमय (वैड्यंत) ज ३३१२,८८,४१७,२६, वोयड (व्य.वृत) ५ १११३७।२ ओलीण (') गु २०१६।४ १६२,२४२,२६४,५१५८ बोरछकाय (जस्यष्टकाय) ज २१६७ वेलंबग (विडम्बक) ज २।३२ वैसाह (वैशाख) ज ७११०४ वेलंबय (विडम्बक) ज २६३२ व्व (इ.) प११०१७; २१४८ ज २११५; वेला (ला) प २११ 3 ३१११० ३२४३,३७११,४५१,१३१।३ उ १३५ वेलु (वेणु) प ११४११२ वेलुय (वेणुक) प ११४८१६१ वेस (वय) प२०४१ ज २।१५, ३११३८,१५८ स (ब) प २१३०,३१,४१४६,५०,५८ ज १११६; सू २० २११२०३१२.१७८ १०७४ उ ३२६, वेसमण (वंशाण ज ३१८,२१,९३,१८०; ४११७॥१५३६८ से ७१७११२सार भाग) T१४८१४९; २३०,३१.३२,४१,४६,५६, सू १०८४१२ ३६१५४ ६३,६६ ज १८,१६,२३,२६.३१,३५२१६४, देसमण भाइय) (वंशः णकाधिक) ज ११३१ ७५,७२,५७ से २२,१६,१७,१८,२१,२८, वेसमणकर ( वै ट ) ज ११३४,४६,४।४४, ३०,३५,४१,४६,५८,६६,४४,७६,८१,१०१, ११६ से ११८,१२८,१४७,१५१,१६७,१६८, वेशाणिय (वैवाणिक) प १८६ १८०,२१२,२१३.२२०; ४३.१३.२१,२५, वेसाली (वैशाली) उ १.१०५ से १०७,११०,१११, . ३६,४०,८१,५०,५१,५९,२,१२,११४, ११५.११६,१२६,१३०,१३२ Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५४ ११६,१३५, १४७, १५५,१५६,२२१ से २२४, २५६,२७७,५१,२१,३२.४१, ४३, ५०, ५८; ६११०, ११, १४, १५,१८,१६,२१,२२,२६; ७१४,४६,६३,६६,८७,६०,११०, ११४, १३२, १६७, १८३,१६४ सू १८।२१:२०१२, ७ ११२६.४४ से ४६, ६३, १०५, १०६, ११५, ११६.११६,१३८, १४८४१५५१२८ अंतर ( सान्तर ) प ६ | १|१ लई ( सकृत् ) सू १११२,१४ सइंदिय (सेन्द्रिय ) प ३१४० से ४३, ४६; १८११३, १८,१६ सइय ( शतिक) ज ४११६२,१६८, २०४, २१०, २३६,२६६,२७५ सण ( शकुन) ज २।१२:४३३, २५ सउणस्य ( शत्रुनरुत) ज २१६४ सउणि ( शकुनि ) ज २।१६६७ १२३ से १२५, १३३।१ सउणिपली गठिय (शकुनिप्रलीन कसं स्थित ) सू १०/२६ संकड (संकट) ज ३।२११ संकष्प (संकल्प) ज ३१२६, ३९, ४७,५६,१०५, १२२,१२३,१३३,१४५, १८८ ४११४० ११ ; ५१२२१११५, ३५, ४१ से ४४,५१,५४,६५, ७१,७६,७६, ६६.१०५; ३१२६,४८,५०,५५, ६,१०६,११८,१३१,५१३६, ३७ संकम (संक्रम) प १०३० ज ३।६६ से १०१,१६१ १६१२२/१२ / संक्रम ( + क्रम ) संकमति सू २१२ संमण ( संक्रमण) गु १६१२२।१२ संकममाण (संक्रामत्) ज ७११०,१३,१६,१६,२२, २५,२७,३०,६६,७२,७५,७८, ८१, ८४ सू १।१४,१६,१७, २१, २४, २७, २१२,३,६११ संकला ( श्रृंखला) ज ३१३ संकाय (दे०) ३३५१,५३,५५,५६,६३,६४,६७,६८, ७१,७३,७४,७६ अंतर-मुखेज्ज संकाइयग (दे० ) उ ३१५१ संकास ( संकाश ) प १।४८।५६ ज २७८ ३११ संकिलिट्ठ ( संक्लिष्ट ) १७ ११४ १,१३८० २३/१६५ संकि लिस्समाण ( संक्लिदयमान ) १११११३, १२८ संकिलेसब हुल ( संक्लेशबहुल) ज १११८ संकुचियपसारिय (संकुचितप्रसारित) ज ५२५७ संकुड (दे० संकुच ) सू १६२२/१५ संकुडिय (दे० संकुचित ) ज २११३३ संकुय (संकुच ) ज ७।३१,३३४१३,४,६,७ संकुल ( संकुल ) ज २१६५३।१७, २१, १७७३ ५।२५ संख (शंख) प ११४६ : २३११७ १२८ ज २११५, २४,६४,६८,६६, ३१३,१२,७८, १६७११,१०, १७८.१८०,२०६, ४१६५, १२५.२१२,२१२३१; ५/६२७।१७८ मू २०१६, २०१८२ संखणग (शंखनक ) प १४६ संखणाम ( शङ्खनाभ ) सू २०१८ संखदल (शङ्खदल ) प २०६४ संघमा (शंखध्मायक ) उ३१५० संखमाल (शङ्खमाल) ज २८ संखवण्णाभ ( शङ्खवर्णाभ ) सु २०६ संखसणाम ( शंखसनामन् ) ज ७।१८६।२ संखायण (शंखायन ) ज ७ १३२ ।१ मु १०१६३ संखार (शंखकार ) प १६७ संखावत ( शंखावर्त ) प ६२६ संखिज्ज ( संख्येय) ज ३ । १६२५१५ संखित ( संक्षिप्त ) ज ११८, ३५, ५१, ४१४५, ११०, ११४,१५६,२१३,२४२ संखित्तविजलतेयस ( संक्षिप्त विपुलतेजोलेश्य ) ज ११५, उ १।३ संखिय (शांखिक) ज २६४; ३१३१,१८५ संखेज्ज ( संख्येय) प १११३, २०, २३, २६, २६, ४०, ४८,११४८१८,४०,५७,३११८०५१२, ३, ५,१२६, १२७,१४२,१४३; ६/३५ से ४१,६०,६१,६४, ६६,६८,१०११६,१८ से २७,२६,११ ५०, ७२/१२/३२,३३,३६:१५८३,८४,८७, Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संखेज्जइभाग-संघयणपज्जव १०५५ ६.१,६३ से ६६,१०३,१०४,११०,११२,१२२, संखेवरुचि (संक्षेपरुचि) प १११०११११ १२३,१३० से १३२,१३५ से १३७,१३६ संखोहबहुल (मक्ष भवहुल) ज १११८ १४२,१४३,१८११५,२० से २३,२८,३२ से संग (राङ्ग) ज २०७० ३५,४७,५.० से ५२;३३।११,१५,३६१८,१४, संगइय (साङ्गतिक) ज २६ १७ से २०,२२,२३,२५,३३,४४,७०,७२,७४ संगंय (मग्रन्थ) ज २।६६ २॥४,५८,१५७,५७११६६३०,३१ संगत (मङ्गत) सू २०१७ संखेज्जइभाग (संख्येयभार) प|४३२११६५ से संचय (मङ्गा)ज २।१४,१५३।१०६,१३८ ७०,३६७२ ७.१७८ संखेज्जगुण (संख्येयगुण) प ३३४ २५,३७,३६,४३, संगह (मंग्रह) प १६१४६ ४४,४६,५३ से ५८,६०,६४ से ७१,८८ से संगहणिगाहा (मंग्रहणीगाथा) प २४.७:२११४७ ६५,६३,६६,१०६,११०,१२८ से १४०,१४४ संगहणी (संग्रहणी) १११७६१६।१,७११६७ से १५५,१७१ से १७४,१७,१७६ से १८३; गु १६६१ उ ३।१७१, ४।२८,५४५ ५१५,१०,२०,३२,१२६,१३४,१५१:६११२३; संगहणीगाहा (संग्रहणीगाथा) प १०५३ ८.५,७,६,११,१०।२६,२७,१५११३,३१; संगहिय (गहीत) ज ३१३५ १७॥५६,६३,६४,६६ से १८,७१ से ७३,७६, संगाम (संग्राम) ज ३।६२.११६ उ ।१४,१५, ७८,८० से ८३,२१।१०५,२८७,५३; २१,२२,२५,२६,१२६,१३७,१४० ३४।२५:३६।३५ से ४१,४० से ५१ ज ७११६७ सगामेमाण (सङ्ग्रामात्) उ श२२,२५,२६,१४० म् १८१३७ संगल्लि (दे०) ज ३।१७६ सिंगोव ( गुपसंगांवेंति ज २१४६,५६ संसेज्जजीविय (संख्येयजीवित) प ११४८१४१ संगवेस्संति ज २१५६ संखेज्जतिभाग (मंख्येयभाग) प १२।१६,१५१४१ संगोविज्जमाण (मंगोप्यमान) ३४६ संखेज्जपएसिय (संख्येयप्रदेशिक) प ५।१३४,१६२, संगोवेत्ता (संगोप्य) ज २१४६ १६३,१८१,१६६,१६७,२१७,२१८,१०११४, संगोवेमाण (मनीपयत) उ ११५७,५८,८२,८३ १७,२६,२६ संघ (सइ) प|३०,३१,४१ ज ११३१ ११२१ संखेज्जपदेसिय (संख्येयप्रदेशिक) प ३११७६; उ ५५ ५।१२७,१३३,१८०.१८१,१०।१८,२१,२६ संघट्ट (मं. घट ) गंध ति ५३६१६२ संखेज्जभाग (संख्येयभाग) प ५१५,१०,२०,३०, संघट्टा (संघद्रा) प ११४०।३ इरा नाम की लाा ३२,१२६,१३४ संघबाहिर (संघबाह्य) २०१६।४ संखेज्जवासाउग (गरुयेयवर्याक) प ६७१ संघयण (गहनन) प२३०,६१,४१,४६२३।६८, संखेज्जवासाउय (संख्येयवक) प६७१,७२. १०५,१०७,१६० न १,११६,४६,२८,८६, ७६,६७,६८,११३,११,२१५.३,५४,७२ १२३,१२६,१२८,१४८,१५१,१५७,४११०१, संखेज्जसमयद्वितीय (संख्येयसमयस्थिलिक) १७१ ११५ प३।१८१,५।१४८ संघयणणाम (पहननामन ) प २२३८,४५६४ संखेज्जसमयठितीय (संख्ये समयस्थितिक) -गे ६७,६६,१०० । प ३११८१ संघयणपज्जव (संहनगपर्यय) १,१४,१२१. संखेव (संक्षेप) प १।१०१।१ १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५६ संघरिससमुट्ठिय-संठित संघरिससमुठिय (संघर्पसमुत्थित) प ११२६ संजायसढ़ (मंजातश्रद्ध) ज ११६ संघाइम (संघातिम) ज ३१२११ संजुत्त (संयुक्त) प १५१५७ संघाड (संघाट) प११४८९६२ संजोग (संप्रोग) प २१११ ज ५१५७;७।१३४१२.३ संघाडय (संघाटक) ऊ ३११००,१३३ संजोय (संयोग) प १८४; १६।१५। सिंघात (सं !-घालय) संघातेंति सू १११८ संजोयणाहिकरणिया (मयोजनाधिकरणिकी) संघाय (गघात) प १४७।२,३ ज ७.१७८ प २२।३ सिंघाय (सं घाय) संघाएंति व ३६६२ संझन्भराग (सन्ध्याघ्र राग) प १७१२६ संचय (मंच .) ज २११; ३११६७११४ संझा (सन्ध्या) ५२१४०।११ संचय (मनक) संचाएइ उ ११५२,३।१०६ संठाण (संस्थान) प ११४ से ६,४७११, २०२० से चामा १२०११७.१८,३४ संचाए मि २७,३०,३१,४१,४८ से ५०,५४,५८ से ६०, उश६५३३१३१ संचाएमो उ १६६ ६४,६४११,४,५,६,१०।१५ से २४,२६ से संचाहिइ उ ३।१३० ३०,१५१३१,१५।२ से ६,१८,१६,२१,२६, संचारिम संचालिज ३।११७ ३०,३५:२१।१।१,२११२१ से ३७.५६ से ६२, Vसंचिठ्ठ (सं : ष्टा) संचिट्ठइ उ ११३८,३१५६ ७३,७८ से ८०,१४, २३३१००,१६०;३०२५, चिटुनि उ ११८६:३१७६ २६; ३३।१११,३३१२१ से २३,३६६८१ ज १५, संचिय (सञ्चित) प २३२१२ से २३ ज ३१२२१ ७,८,१८,२०,२३,३५,५१:२।१६,२०,४७, संछण्ण (संछन्न) ज ४१३,२५ ८६,१२३,१२८,१४८,१५१,१५७,३३३,६५, संजत (नंयत) १३।१०५,६।६७,६८,२११७२; १५६,४११,३६,४५,५५,५७,६२,६६,७४,८४, ३२।६।१ ५६,६१,६७,६८,१०१,१०२,१०३,१०८,११०, संजतासंजत (संयतासंत) प ६१६८,२१७२; १६७,१७८,२१३,२४२,२४५,७१३१,३२११, ३२॥१३ ३३,३५,५५,१२७११,१२६११,१३३३३.१६७११; संजतासंजय (संपतासंयत) प ३२१४ १६८।२,१७६ च ३१२ सू ११७।२,१११४; संजम (संयम) प ११११७ ज ११५, २१८३,३६३२।१ १०१६; १३॥१७,१८।८ उ ११३ उ११२,३,३१२६,३१,६६,१३२,५।२६ संठाणओ (संस्थानतम् ) प११५ से ६ संजाय (यत) प ३३१११,१०५,६१६८; १७।२५, संठाणतो (संस्था तस्) १ ११७ से ६ ३०,३३,१८११११,१८१८६२१।७२; संठाणणाम (संस्थाननामन्) प २३।३८,४६ २८११०६।१,२८११२८,३२११ से ४,६६।१।। संठाणपज्जव (मंस्थानपर्यव) ज २१५१,५४,१२१, संजयासंजय (संयतायत) प ३११०५; ६१९७; १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ १७।२३,२५,३०:१८।६१,२१।७२,२२१६२; संठाणपरिणाम (संस्थान:रिणाम) प १३१२१,२४ २८११३०,३२२१,२,६ संठाणा (दे०) सू१०१६,६२,६७,६८,७५,८३, संजलण (संज्वलन) प १४।७; २३१३५ १०३,१२०,१३१ से १३३, १२।२० मृगशिरा संजलणा (संज्वलना) प २३।१८४ नक्षत्र संजार (सजात, ज ३११११,१२५ उ १८६ संठिइ (संस्थिति) ज ७।३१,३३,३५ च २।१३।१, संजाय उहाल (संजातकौतूहल) ज ११६ १ सू ११६११,११७११,१६१ संजायसंसय (संजातसंशय) ज ११६ संठित (संस्थित) प २१२० से २७,३०,३१,४१, Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संठिति-संपण्ण १०५७ संथरिता (संस्तृत्य, संस्तीय) ज ३१२० संथरेता (संस्तृत्य, संस्तीर्य) ज ३।१११ संथव (संस्तव) प ११०२३ संथार (संस्तार) ज ३।११३ संयारग (संस्तारक) ज ३११११ संथारय (संस्तारक) ज ३।१११ सिंथुण (सं+स्तु) संथगइ ज ५१५८ संथुणित्ता (संस्तुत्य) ज ५१५८ संथुय (संस्तुत) ज २१६६ संथुव्वमाण (संस्तूयमान) ज ३११८,६३,१८० संदमाणिया (स्यन्दमानिका) ज २।१२,३३ संधि (सन्धि) ५२४८३६ ज २६१५,१३३,४।१३, ४८ से ५०,५४,५६,६०,६४ सू११२५३१२, ४.२ से ४,६,७,६,३३,३६,१०।२७ से ३१, ३३,३४ से ४४,४६ से ५४:१८।८।१६।२,३, ६.६,१२,१३,१६,१७,२२१२,१५ संठिति (संस्थिति) ज २१४६ सू १।१५,१६,१७, २५;४१ से ४,६,७,६६.१११ २ १३३१७ संठिय (मंस्थित) प २१४८,६४, १५२ से ६.१८, १६,२१,२६,३०,३५, २१०२१ से ३७,५६ से ६२.७३,७८ से ८१,८३३३।१६ से २६; ३६।८१ ज १५,७,८,१८,२०,२३,३५,३७, ४८,५१, २।१५,१६,२०.४७,८६,३।६,६४, ६५,१३३,१३५,१५८,१५६,१६७.२२२,४१, २३,३८,३६,४५,५५,५७.६२,६५,६६,७३७४, ८६,६०,६१,६७,६८,१०३,१०८,११०,१२८; १६७१११.१६६,१७८,२१३,२४२,२४५, ५१४३,७१३१ से ३३,३५,५५,१३३,१६७, १७६,१७८ सू११५.१४,४१६ उ ११३ संड (षण्ड) ज ३१११७,१८८ संडिल्ल (शाण्डिल्य) प ११६३।३ संणय (सन्नत) ज ३११०६ संत (सत्) १११४७१३ ज २१६४,६९ सू २०१२ संत (शान्त) ज २६८ संत (श्रान्त) उ १३५२,७७ संतइभाव (संततिभाव) १८१४,६ संततिभाव (सन्ततिभाव) प ८८,१० संतप्प (सं:-तप) संतप्पंति सू ।१ संतपमाण (पंतप्यमान) सू !१ संतय (सन्तत) प ७१ संतर (सान्तर) प ६४७ से ५८,१११७०,७१ संताणय (सन्तानक) सु २०१८ संताव (मं : तापय् ) संत.वेति सू ।१ संतिकर (शान्निकर) ज ३८८ सिंथर (मं स्न) संथरइ ज ३१२०,३३,५४,६३, ७१,६४,१३७,१४३,१६६ संथति ज ३।१११ संधिकम्म (सन्धिकर्मन) ज ३१३५ संधिवाल (सन्धिपाल) ज ३१६,७७,२२२ उ श६२ सिंधुक्क (सं+-धुक्ष्) संधुक्के इ उ ३३५१ संधुक्केत्ता (संधुक्ष्य) उ ३५१ सिंधुक्ख (सं+ धुक्ष्) संधुक्खंति ज ५११६ संधुक्खित्ता (संधुदय) ज ५१६ संनिक्खित्त (सन्निक्षिप्त) ज ११४० संनिचित (सन्निचित) उ ५१५ संनिवडिय (संनिपतित) उ १२३,६१ संनिविट्ठ (संनिविष्ट) ज ४२७, १४ संनिसण्ण (संनिषण्ण) उ ३६१ संपउत्त (संप्रयुक्त) ज ३1३५,८२,१०३,१७८, १८७,२१८ संपक्खालग (सम्प्रक्षालक) उ ३१५० संपग्गहिय (सम्प्रगृहीत) ज ३१३५,१७८ संपठित (सम्प्रस्थित) प १६।२२ संपटिठय (सम्प्रस्थित) ज ३३१७८,१७६,२०२, २१७,५४४३ संपणदित्त (संप्रणदित) प १३०,४१ संपण दिय (संप्रणदित) प १३१ संपणादित (संप्रणादित) ज ११३१ संवण (संपन्न) उ ११२३।१५६:५२२६ Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५९ संपत्त-संलाव संपत्त (सम्प्राप्त) ज २१ सू २१३ उ ११४ से संपुष्णदोहल (सम्पूर्णदोहद) उ ११५०.७५ ८,६३,६३,१४२,१४३, ११ से ३,१४,१५, सिंह (सं+प्र-1ईक्ष ) संपेहेइ ज ३१२६,३६,४७ २१:३।१ से ३,२०,२३,२६,८८,१२६,१५३, उश१७, ३१२६ संपेहेति ज ३।१८८ १५४,१६६,१६७,१७०,४१ से ३,२७,५११, संपेहेमि उ १७६ संपेहेत्ता (सम्प्रेक्ष्य) ज ३२६ उ १११७:३१२६ संपत्ति (सम्प्राप्ति) उ १२४१,४३,४४ संब (शम्ब) उ ५:१० संपत्थिय (सम्प्रस्थित) उ ३१६३,६७,७०,७३ संबंधि (सम्बन्धिन) ज ३।१८७ उ ३१५०,११०, संपन्न (सम्पन्न) ज २०१६ १११;४।१६,१८ सिंपमज्ज (सं+-प्र--मृज) संपमज्जेज्जा ज ५५, संबद्ध (संबद्ध) ज २२० से २७ ७५ से ७६ संबद्धलेसाग (संबद्ध लेश्याक) सू १६।१११२ संपया (संपदा) ज २।७४ । संबररुहिर (शम्बररुधिर), १७१२६ संपराइयबंधग (साम्परायिकबन्धक) प २३१६३ संबाह (सम्बाध) ज २१२२:३।१८,३१,१८०,२२१ संपराइयबंधय (साम्परायिक बन्धक) प २३६१७६ संपराय (सम्पराघ) ज ३।१०३ संबुद्ध (सम्बुद्ध) उ ३१४५ संपरिक्खित्त (सम्परिक्षिप्त) ज १७,६,२३,२५, संमंत (सम्भ्रान्त) उ ११३७ २८,३२,३५,४११,३,६,१४,२५,३१,३६,४३, संभम (सम्भ्रम) ज ३।२०६५।२२,२६ ४५,५७,६२,६८,७२,७६,७८,८६,६०,६५, संभव (सम्भव) ज ७.११४ १०३,१४१,१४३,१४८,१४६,१५२,१७४, संभिन्न (सम्भिन्न ) प ३३.१८ १७६,१७८,१८३,२००,२१३,२१५,२३४, संभिय (श्लेष्मिक) उ ३१३५ २४०,२४१,२४२,२४५,५।३८ सू ३।१:१६२, संभूयग (सम्भूतक) उ ३९८ १२,२८,३२,३६ उ ५१८ संभोग (सम्भोग) उ १२२७,१४० संपरिवुड (सम्परिवत) ज २१८८,६०३१६,१४, संमज्जग (सम्मज्जक) उ ३१५० १८,२२,३०,३१,३६,४३,५१,६०,६८,७७, संमज्जण (सम्मार्जन) उ३१५१,५६,७१,७६ ७८,९३,१३०,१३६,१४०,१४६,१७२,१८०, राजिया सम्मानित) ज २६५ : 3310.१८४: १८६,२०४,२१४,२२१,२२२,२२४; ५।१,५, ५।५७ २२,४६,४७,५६,६७ उ ११२,१६,६२,६३,६७, संमठ (सम्मृष्ट) ज २१६; ३७,५१५७ ६८,१०५ से १०७.१२१,१२२,१२६ से १२८, संमुच्छ (+ मुर्छ, ) समुच्छंति सू ६।१ संमुच्छति १३३, ३११११; ४११८५१६ गु२०११ संपलग्ग (सम्प्रलग्न) ज ३।१०७,१०६ उ १११३८ समुच्छित्ता (सम्मूर्छ य) सु २०६१ संपलियंक (संपर्यडू) ज २८८ संमुच्छिय (सम्मूच्छित ) सू ६१ संपाविउकाम (सम्प्राप्तुकाम) जे ५।२१ सम्माण (स गानय्) सम्माण इ उ १।१०६; संपिडिय (सम्पिण्डित) प १६४१५ ज १२ ३१११० सम्माणति उ ५१३६ सम्मामि संपिणद्ध (संमिनद्ध) ज २११३३,३।२४ उ १११७ संपुच्छण (सम्प्रच्छन) ज ५१५ संलवमाण (संलगत् ) उ ११४७ संपुण्ण (सम्पूर्ण) ज ३१२२१ उ ११३४ संलाव (संलाप) ज २११५:३।१३८ सू २०१७ Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संलेहणा-सवकरप्पभा १०५६ संलेहणा (संलेखना) ज ३।२२४ उ २११२,३।१४, संसत्त (संसक्त) उ ३११२० ८३,१२०,१५०,१६१,१६६५२८,४३ संसत्तविहारि (मंसक्तविहारिन्) उ ३।१२० संवच्छर (संवत्सर) प ४६५,९७; २३१७४,१८७ संसार (संसार) प २०६४,६४।१ ज २७० __ ज २।४,६६,६६;७२०,२५,२६,३७,१०३, उ ३१११२ १०४,११२१२,३,११३,११४,१२६ संसारअपरित्त (संसारापरीत) प १५६१०६,१११ चं २३३,५३ सू १।६।३,१६,१३,१४,१६, संसारत्य (संसारस्थ) प ३३१८३ १७,२१,२४,२७,२६३, ६।१८1११०।१२४ संसारपरित्त (संसारपरीत) प १८१०६,१०८ से १२७,१२६४२,३,१३०,१३८ से १६१, संसारपारगामि (संसारपारगामिन) ज २१७० ११११ से ६ ,१२११ से ६,१० से १३,१६ से संसारसमावण्ण (संसारसमापन्नक) पश१०,१४, २८,३०; १३।२;२०१३ ३ ३।१२६,१३४ १५,४६ से ५२,१३८ संवच्छरण (संवत्सरण) सू ११६३ संसारसमावण्णग (संसारसमापन्नक) प ११३३६; संवच्छरिय (सांवत्सरिक, ज २१४,३१२१२,२१३, २२८ २१६;७१११०,१२७ सू १०११२२,१२३ संसिय (संश्रित) ज ३१८१ उ ३३५५ संवट्टकप्प (संवर्तकल्प) उ १११३६ संहित (मंहित) प ११४७१३ संवट्टग (मंवर्तक) ज २११३१ संहिय (मंहित) ज २१५ संवट्टगवाय (संवतंकवात) प ११२६ ज ५१५ + संवड्ढ़ (सं+वृध) संबड्ढेइ उ ११५८ संवडम सकथा (सकथा) उ ३१५१११ सकसाइ (सकषायिन् ) प ३९८,१८३,१८१६४; उ ११५३ संवड्ढे हि उ ११५७ २८१३२ संबड्ढमाण (संवर्धमान) उ १८५४ सकहा (दे०) ज २१११३ संवड्ढिज्जमाण (संवय॑मान) उ ३.४६ सकाइय (सकायिक) प ३३५० से ५३,६०,१८।२५% संवत्त (संवृत्त) ज ३।१०६ संवद्धिय (मंद्धित) ज ३३५ संवर (शंकर) ५११६४ मृग की जाति सकिरिय (सक्रिय) प २२१७,८ संवर (संवर) पश१०१।२ सकोरंट (सकोरण्ट) ज ३१६,१८,७७,७८,९३, संवाह (संवाह) प ११७४ ज २।२२ १८०,२२२ संविकिरण (मविकीर्ण) ५ २६४१ ज ११३१ सक्क (शक्य) प ११४८१५७ ज २१६१ सदिगिण (मविकीर्ण) प २।३०,३१ सक्क (शक) प २१५०,५१ ज ११३१,२१८६,९०, सविणद्ध (भविनद्ध) ज ३१३१ ६३,६५,९७,६६,१०१,१०३,१०५,१०७,१०६, संवुक्क (दे०) प ११४६ १११,११३,११८,३१११५,१२४,१२५; संवुड (संवृत) प ६२० से २३ सू २०१७ ४।१७२,२२२,२२३३१,२३५,२४०,२४३; संबुडजोगिय (मंवृतयोनिक) प ६।२५ ५१८,२० से २३,२७ से २६,३६,४१,४३, संवुडवियड (गवृत विवृत) प ६।२० से २३ ४५ से ५०,६१,६२,६५ से ६६,७२,७३ संवुडवियडजोणिय (संवृतविवृतयोनिक) प ६२५ । उ ३३१२३,१५० संवृत्त (मवृत्त) ज ४११३ सक्करप्पभा (शर्कराप्रभा) प १३५३;२२१,२०,२२, संवुय (रावृत्त) ज ३।२२२ ३।१२,२२,२३,१८३,४७,८,९६११,७४, संसयकरणी (संशयकरणी) प ११॥३७।२ ७५:१०११, २०५१,५४:२११६७,३३१४,१६ Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सक्करप्पभापुढविणेरइय-सट्ठाण सक्करप्पभापुढविणेरइय (शर्कराप्रभापृथिवीनरयिक) सचित्तजोणिय (सचित्तयोनिक) प६।१६ प २०१५२,५५ सचित्ताहार (सचित्ताहार) प २८.१,२ सक्करा (शर्करा) प११२०११७१३५ समच (सत्य) प १११०१११० उ १।२४ ज २१७,६८,४।२५४ सश्चमासग (सत्यभाषक) प ११६० सक्कार (सत्कार)ज २।२५; ३।२१७ उ ११६२; सच्चमण (सत्यमनम् ) प १६।१ से ३,७,८,१०, ५१७ ११,१५,१८ से २१ सिक्कार (सत्कारय् ) सक्कारेइ ज ३१६,२७,४०, सच्चमणजोग (सामनोयोग) प ३६८६ ४८,५३,५७,६५,७३,६१,१२७,१३४,१३६, सञ्चवइजोग (सत्यवाक्योग) प ३६१६० १४६,१५१,१५२,१८६,२१६ उ १:१०६ सच्चा (सत्य) प १११२,३,३२,३३,४२ से ४६,६२, ३।११० सक्कारेंति उ ५३६ सक्कारेज्ज ८४,८५,८८,८९ ज २१६७ सक्कारेमिउ ११७ सच्चामोस (सत्यामृषा) प १११२,३,३५,३६,४२, सक्कारणिज्ज (सत्कारणीय) सू १८।२३ ४३,४५,४६,८२,८४,८५,८८,८६ सक्कारवत्तिय (सत्कारप्रत्यय) ज ५१२७ सच्चामोसमासग (सत्यामृपाभाषक) प ११।९० सक्कारिय (सलारित) ज ३८१ सच्चामोसमण (सत्वामृषापना) प१६६१,७ सक्कारेत्ता (सत्कार्य ) ज ३।६ उ ३३५० सच्चामोसमणजोग (सत्यामृषामनोरोग) प ३६८९ सक्कुलिकण्ण (शप्कुलिकर्ण) प ११८६ सच्चामोसवइजोग (सत्यामृपावायोग) प ३६१६० सक्कोत (सक्रोश) जे २३,३५ सच्चित्त (सचित्त) प २८।१।१ सखिखिणी (सकिंकिणी) ज ३१२६,३०,३६,४७, सच्छंद (स्वच्छन्द) प २।४१ ५६,६४,७२,११३,१३३,१३८,१४५,१७८ सच्छंदमइ (स्वच्छन्दमति) उ ३१११६४१२२ सग (स्वक) ५ २१६२,६३, ३३११६,१७ सच्छीर (सक्षीर) प १४८।३६ ज २११२०,३१८१,८६,१०२,१५६,१६२ सजोगि (सयोगिन् ) प ३१६६,१८३१८५५ सग (शक) प १८६ सगंय (सग्रन्थ) ज २१६६ २८१३८,३६१६२ सगड (शकट) ज २११२,३३,७१, ७३१ सजोगिकेवलि (सयोगिकेदलिन् ) प १३१०८,१०६, सगडवूह (गकटव्यूह) उ ११३७ १२१,१२२ सगडुद्धिसंठिय (सकट 'उद्धि' संस्थित) सू १०३७ सजोगिभवत्थकेवलि (सोगिभरस्थकेबलिन) सगडुद्धी (शकट 'उद्धि') ज ७१३३.१ प १८।१०१,१०२ सगडुद्धीमुहसंठिय (शकट 'उद्धि' मुखसंस्थित) सज्ज (सज्ज) ज ३।१७८ सज्जाय (सर्जक) ५ ११४८१४६ पीत शालवृक्ष सगडद्धीसंठिय (शकट'उद्धि' संस्थित) ज ७१३२११ सज्जाव (सञ्जय) समावेति उ १११३५ सगल (शकल) प २४७१२; २।३१ ज ७११७५ सज्जावेत्ता (सञ्जयित्वा) उ११३५ सू.१,१३१३ सज्झाय (स्वाध्याय) उ ३३१ सगोत (सगोत्र) सू १०1१२ से ११६ सट्ठ (षष्ठ) ज ३११७८ मु१६२१ सचित्त (सचित्त) ५ १३ से १७ ज २०६६ सट्ठाण (स्वस्थान) म ११,२,४,५,७,८,१०,११, सचित्तकम्म (सचित्तकर्मन्) मू २०१७ उ २८ १३,१४,१६ से ३१,४६, ५॥३५,४२,४६,५४, सचित्तजोणि (सचित्तयोनि) प६१६ ५७,६०,६४,६६,७५,७६,६०,६४,६८,१०८, Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिणिसी ११२,११६,१२२,१५१,१६४, १६७,१६१, १९४,१६८,२०१,२०४,२०८, २१२,२१५: २१६,२२२,२२५, २४३,२४४६।६३; १४।१०२.१२१,१२२, १२७३६।२०, २४, २६, सर्णकुमारग (सनत्कुमारज) ६।१५ ज ५।४६ सकुमारवडेंस ( सनत्कुमारावतंसक ) प २२५२ सजद (रानख:द ) प १६२,६६ सक्मिण (सनिष्क्रमण ) ज ४।२७७ समिति (निक्षिप्त) ज ७११८५ स १८।२३ सपिच्चरदच्छर ( शनैश्चरसंवत्सर) ज ७।१३३ सच्चिरि ( शनैश्चारिन् ) ज २१५०, १६४; २७,४७ सट्ठि (पष्टि ) प २३३ ज ११२६ उ २३१२ सट्ठिग (पष्टिक ) ज ३१११६ ५१८ सट्ठिभाग ( षष्टिभाग) ज ७ २१, २२, २५ सू १।१० सण्णि (संज्ञिन् ) प १।१।७३।१।२, ११२ ११३११ सभाय ( षष्टिभाग ) ज ७।२४ सद्दिय (पष्टिक ) गु १११८ (सड ( शट्) सइ उ ११५१ से २०१८ ।१ २,१८ ११६,२३।१७६, १७७, १६५,१६६.१६६ से २०१:२८ १०६११, २८/११५, ११६; ३११ से ३, ५, ६,६१; ३६/६२ सढइ ( धाद्ध किन् ) ३१५० सण (राण. सण ) प १।३७१४, ११४५२ ज २/३७; ३७६,११६ सकुमार ( सनत्कुमार ) प १११३५, २०४९, ५२ से ५८.६३;३।३१,१८३४१२३७ से २३६; ६।२६, ५६, ६५ ८५, ११२,७११०,१५८८, १३८,२११७०, ६१,२८७७; ३३।१६,३४११६, १५ उ २१२ ४।१०६, २०५ समिच्छर ( शनैश्चर) प २२४८ ज ७११८६ | १ मु १०११३०, २०१८/१ सणिच्छरसंवच्छर ( शनैश्चरसंवत्सर) ज ७।१०३, ११३ १० १२५, १३० सणिय ( शनस् ) ज ३३२२४ सण सिउं ( सन्नद्ध) ज ३११२३ सण्णव (सलव) ज ३।१०७.१२४ उ १११३८ समय (तन्नत) ज ७ १७८ सष्णवणा ( संज्ञपना ) उ३।१०६ सणवित्तए ( संज्ञपयितुम् ) उ ३११०६ सण (संज्ञा ) प १|१|४९ ८|११३ ज १११३३ सणसण (संज्ञामंज्ञिन् ) प ३११६।१ साह (मं + नाहय् ) सण्णाह ज ३।१५, २१ ३१,३४,७७,६१,१७३, १७५, १६६ उ १।१२३ ; १०६१ सणिकास ( सन्निकाश) ज ३।२२३,४१८५ सणिवित्त (संनिक्षिप्त) ज ७।१८५ सणिचिय ( सन्निचित) ज २२६ सण्णिणाद (संनिनाद) ज ३।३०,३१,४३,५१,६०, ६८,७८,१३०,१३६, १४०, १४६ सणिणाय ( सन्निनाद ) ज ३।१२, १४, १७२, १८०, २०६, २२४ ५ २२,२६,७११२७/१ सण्णिभ (सन्निभ ) ज ३१३,१७,१८,३१,८१,६१, ६३,१७७, १८०, १८३, २०१,२१४ सणिभूय ( संशिभूत) ५ १५/४८; १७ ६; ३५१८ सणवाइय (सन्निपातिक) उ३।११२,१२८ सण्णिवात ( सन्निपात ) सू १० १२६ सण्णिवाय ( सन्निपात ) चं ५११ सु १||१ सनिविट्ठ (सन्निविष्ट) ज ११३७, ३६९ से १०१,१६३, ४१६,३३,१२०, १४७,२१६, २४२, ५१३,२८,३३ सण्णिवेस ( सन्निवेश ) प १६।२२ ज २१२२; ३१३२,१८५,२०६ उ ३।१०१,१२५, १३२, १३३,१४१, १४५, ५३६ सणसमारी (सन्निवेशमारी ) ज २१४३ सणसण ( सन्निषण्ण ) ज ३६, २०४५।२१, ४१,४७,६० सणी ( सं ! नि बद्) सि ज ३।१२ Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ सण्णिसीयित्ता-सत्तर सण्णिसीयित्ता (संनिषद्य) ज ३.१२ सणिहिय (सन्निहित) प २१४७१२ सण्ह (श्लक्ष्ण) प १११८,१९,२।३०,३१,४१,४८, ४६,५६,६३,६४ ज ११८,२३,३१,३५,५१; ३।१२,८८,१६४,४१२४,२५,२६.४६,६७, ८८,११०,१७८,२१३, ४११०,५१५८ सोहमच्छ (श्लक्ष्णमत्स्य) प ११५६ सण्हसण्हिय (श्लक्षणश्लक्षिणक) ज २२६ सत (सत्) सू १३।२ सत (शत) प २१४१ से ४३,४६,४८ से ५२,५८ से ६४,४११८६,१८८६१३४,३६,६७, १८:१९,२४,४६,५४,६०,६१,११६,२०१३; २११६७,६८; २३१६३,६८,६६,७३,७५ से ७७,८१,८३,८५,८७,६०,६२,९६,६७,११२, ११४,११६,१२७,१६४,१६६:३६.१७,३४, ४१ सू श१५ से २०,२४,२१३:३।१६।१ ६१३;१०११२७,१६५,१२।२ से ६,१२,१३, ३०१३।१ से ३,१४१७:१५२ से ४,१७ से १९,२२,२५ से २६,३१,३२,३४ से ३७, १८११,४ से ६,१७,२०७१६६१,४,५।३.१६७, ८,१०, ११,२,४,१६१८ से २०,२११४; १९४२२१३२ सतक्कतु (शतक्रतु) प २१५० सतक्खुत्तो (शतकृत्वस्) सू० १२।१२ सतत (सतत) प ७१ सतपोरग (शतपोरक) १ ११४११ सतभिसत (शतभिषग) सू १०।६४ सतभिसय (शतभिषग्) सू २०१२ से ६.६,२१,२३, ३०,५८,७५,८१,६५,१२०,१३१ से १३५; १२१२५ सतरा (सप्तति) मू १६।१११ सतवच्छ (शतवत्स) प ११७६ सतवत्त (शतपत्र) प ११४८१४४ सतवाइया (शतपादिका) प १५० सतसहस्स (शतसहस्र) प १२०,४६,५०,७५,७६, ८१२।२० से २७.२७४२,२६ से ३३,३६ से ३९४०१२,२०४१ से ४३,४८ से ५३,५४, ५६१,२६६३,६४,४११७१,१७३,१७७,१७६; ६।४१,२१।६३,६६,७० सू १५१२:१८१२५; १६१२१,३१६८।१,३,१६।२१११,८, १९४२२१६ सतहा (सप्तधा) ज ५।७२,७३ सता (सदा) सू १६११ सतीणा (दे०) प ११४५।१ सतेरा (शतेगा) ज ५११२ मन (मान सत्त (सप्तन्) प१४६ ज ११२० चं ३।३ सू १७ उ ३३१०१ सत्त (सत्त्व) प १६४; ३६।६२,७७ ज २११३२; ३१३,७।२१२ उ ११३;३१५१ सत्तंग (सप्ताङ्ग) उ ३१५१ सत्तग (सप्तक) ज ७१३०२ सत्तछि (सप्तषष्टि) सू १०२ सत्तद्विधा (सप्तषष्टिधा) मू १०।१५२ से १६०, १६२,१६३,१११२ से६१२१७,८,१६ से २८ सत्तट्टिहा (सप्तपष्टिधा) म ११०२ सत्तणउत्ति (सप्तनवति) मू १८१ सत्तत्तरि (सप्तसप्तति) ज ३।२२५ सत्ततीस (सप्तत्रिंशत्) ज ४१५५ सत्तत्तीस (सप्तत्रिंशत् ) ज ४.१४२।२ सत्तघणु (सप्तधनुष्) उ ५।२।१ सत्तपएसिय (सप्तप्रदेशिक) प १०।१२ सत्तपदेस (सप्तप्रदेशिक) प १०।१४१५ सत्तभाग (सप्तभाग) प २३१६१,६४,६८,७३,७५ से ७७,८१,८३ से ८५,८६,६०,६२,६६, १०१,१११ से ११४,११७,१२१,१२२,१३०, १३४,१३५,१४०,१४२,१४३,१५२,१५३, १५५,१६०,१६४,१६७,१७१ से १७३ सत्तम (सप्तम) ५६१८०१२,१०११४१३,३६०८५, ८६ ज ७६७ सू १०७७१२१६,१३।१० उ २१२२ सत्तमी (सप्तमी) ज ७।१२५ सत्तर (सप्तदशन् ) प १०११४१४ से ६ ज ७।२०२ Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरस-सहाव सत्तरस (सप्तदशन् ) प ४१६ ज ३१७६ सू ८१ सत्तरसविह (सप्तदशविध) '१६॥३८ सत्तरि (सप्तति) प २।५३ ज ५४६ सू १६।१४ सत्तविह (सप्त विध) प १११६,५३,१६।२६,३२, २।२१ से २३,८३,८४,८६,८७,६०; २४।२ से ८.१० से १३:२५१४,५,२६२ से ६,८ से १०;२७२,३,३६।७ सत्तसठ्ठ (सप्तपष्टि) ज ४१६८ सत्तसठ्ठि (सप्तपप्टि) सू १०।२२ सत्तसिक्खावइय (सप्तशिक्षावतिक) उ ३।७६ सत्तहत्तरि (सप्लसप्तति) ज २१४१२ सत्तहा (सप्तधा) ७६५,६८,६६,७१,७२,७४, ७५,७७.७८,५१७२.७३ सत्ताणउइ (सप्तनवनि) २४६ सत्ताणउत (सप्तनवति) प २१४८ सत्ताणउय (सप्तन वति) ज ७१८ सू ११२७ सत्तातीस (सप्तत्रिंशत् ) प ४.२७६ सत्तालीस (सप्तचत्वारिंशत् ) म १०११५१ सत्तावण्ण (सप्तपञ्चाशत् ) ज ४१६२;७।२१; म २१३ उ ११३ सत्तावीस (सप्तविंशति) प ४।२७६ ज १७ सू १६१० सत्तावीसतिविह (सप्तविशतिविध) प १७१३६ ससासीय (सप्ताशीति) ज ७७७ सति (शतिः) प २१४१ ज ३।३५,१७८ सत्तिषण (सप्तरण) प ११३६।३ उ ३१६४ सत्तिवण्णवडेंसय (सप्तपर्णावतंसक) प २।५०,५२ सत्तिवण्णवण (सप्तपर्णवन) ज २१६;४१११६ सत्तु (शत्रु) ज ३१३,३५,८८,१०६,१७५,२२१ सत्तुस्सेह (सप्तोत्सेध) ज ११५ सू ११५ सस्थ (शस्त्र) ज २१६।१,३।२०,३३,५४,६३,७१, ७७,८४.१०६,११५,१२४,१२५,१३७.१४३, १६७,१८२ उ ३२३८,४० सत्थ (शास्त्र) उ ३३२८ सस्थवाह (मार्थवाः १६१४१ ज १२५:३१६, १०,७७,८६,१७८,१८६.१८८,१८६,२०६, २१०,२१६,२१६,२२१,२२२ उ ११६२; ३१११,९६,६८,१००,१०१,१०६ से ११२; ११०,१७,१६,३६ सत्यवाही (सार्थवाही) उ ३६८,१०१ से १०५, १०७,१०८,११० से ११३ सत्थीमुहसंठित (स्वस्तिमुखसंस्थित) सू ४।३,४,६,७ सदा (सदा) प १३०,३१,४१ सदेवीय (सदेवीक) प २०११२,३४।१५,१६ सद्द (शब्द) प २।३०,३१,४१,१५१३६,३६,४०; १६.४६,२३११५,१६,१६,२०,३०,३१, ३४।११२,३४१२३ ज १११३,२६,३१,२१७, १२.६५,३१६,१२,१४,१८,३० से ३२,४३, ५१,६०,६८,७७,७८,८२,८८,८६,६३,१३०, १३६ १४०,१४६,१५५,१५६,१७२,१७८,१८०, १८५,१८७,२०६,२१२,२१३,२१८,२२२; ४।३,२५,८२,५।२२,२६,३८,५७,५८,७२,७३, ७११७८ सू २०१७ उ १६० से ६२,८५ से ८७: श१६,१७,२०,२५,२७ सपरिणाम (शब्दपरिणाम) प १३१२१,३१ सहपरियारग (शब्दपरिचारक) ५३४११८,२३,२५ सहपरियारणा (शब्दपरिचारणा) प ३४१७,२३ सहव्वया (सद्व्य ता) ज ३।३ सिद्दह (श्रत् +धा) सहइ ५ १११०१।४,१२ सद्दहाइ प ११०१।३ सद्दहामि उ ३११०३; ४।१४५:२० सद्दहेज्जा प २०११७,१८,३४ सद्दहणा (श्रद्धान) ५०१०१११३ सिद्दाव (शब्दय) सद्दाविस्तंति ज २११४६ सद्दावेइ ज २१६७,१८५,१०७,१११:३७, १२.१५,१८,२१,२८,३१,३४.४१,४६,५२, ५८,६१,६६,६६,७४,७६,७७,८३,६१,६६, १७०,१७३,१७५,१८०,१८३,१८८,१६१, १६६,२०७,२१२,५२२,२८,५४,६१,६८,६६, ७२,१२८,१४१,१४७,१५१,१५४,१६४,१६८ १।१७,३१९१४।१६५।१५ पहाति .३३१०५.१०७,११३,५१३,१४ महामि उपल Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६४ सद्दावइ-समकम्म सहावइ (शब्दापातिन्) ज ४१४२,५७,५८,६०,७१ सद्दावति (शब्दापातिन) प १६३० सहाविता (शब्दयित्वा) ज ११४६ सहावेत्ता (शब्दयित्वा) ज २१९७१।१७:३१७ ४११६:५११५ सदुण्णइय (शब्दोन्नतिक) ज २११२,४१३,२५ सद्ध (श्राद्ध) ज २१३० सद्धा (श्रद्धा) सू २००६।३ सद्धि (सार्धम् ) प ३४११६,२१ से २४ ज २१६५, ५८,६०,३१९,२२,३६,७७,७८,१८६,२०४, २२२,२२४;५१,५,४१,४४,४६,४७,५६, ६७,१३४,७११३५,१८४ सु १०।२ उ ११२ ३३९८,४११८,५।१६ उ १२२,३।६८,४११८; ५१६ सन्नद्ध (सन्नद्ध) ज ३७७ सन्निकास (सन्निकाश) ज ३१२४ सन्निभ (सन्निभ) प २१३१ सन्निवाइय (सानिपातिक) उ ३.३५ सन्निहिय (सन्निहित) प २।४६,४७ सपक्ख (स्वपक्ष) उ १२२,१४० सपक्खि (स्वपक्षिन् ) उ ११४६ सपक्खि (सपक्षम् ) १ २।५२ से ५६,६१,१६।३० सपज्जवसिय (सपर्यवसित) ११८१३,२५,५५, ५६,६३,६४,६७,६८,७६,७७,७६,८३,८६, ६०,१०५,१११,१२२,१२६ सपडिदिसि (सप्रतिदिश्) प २१५२ से ५६,६१ १६।३० उ १५२२,४६,१४० सपरिनिव्वाण (सपरिनिर्वाण) ज ४।२७७ सपरियार (सपरिचार) ३४११५.१६ सपरिवार (सपरिवार) प २१३२,३३,३५,४३, ४८ से ५१ ज ११४४,४५२१६०;४१५०,५६, १०२,११२,१३५,१४७,१५५,२२१,२२२, २२३३१,२२४११:५१,१६,४१,५०.५८ सपुव्वावर (सपूर्वापर) ज ४१२१,२५६ सू ३३१; १०१२७,१८६१,२१ सप्प (सर्प) ज ७१३०,१८६।३ सप्पदेवया (सर्पदेवता) सू १०१८३ सप्पभ (सप्रभ) प २१३१,४१,४६,५६,६३,६६ ज ११८,२३,५।३२ सप्पसुयंधा (सर्पसुगन्धा) प १।४८३ धवलवा सप्पह (सप्रभ) ५ २।३० ज ११२१ सप्पुरिस (सत्पुरुष) प २।४५,४५।२ सरफाय (दे०) प १४८।५० सबर (शबर) ५११८६ सबरी (शबरी) ज ३।१११२ सभितर (साभ्यन्तर) ज ३१७,१८४ सभा (सभा) ज २१६५,१२०,४१२०,१२१,१२६, १३१,१४०,५३५,७,१८,२२,२३,५०,७१८४, १८५ सू १८१२२,२३ उ ३१६,३६,६०,१५६, १६६४१५:५।१५,१६ सभाव (स्वभाव) ज २११५ सभावणग (सभावनाक) ज २१७२ सम (सम) १ ११४८१० से १६:१३१२२११,२, १७१।१२११०२:२२१६६,७०,२३५१६७; २६।६,६; ३६१८२।१ ज २१७१,३।३५,१३८, १५१,१७०,२११:४१३.२५,५७.६७,१८०; १८३;५।१८,४३,७।३७,३८,१३५।१,४,१६८, १७८ समइक्कंत (समतिकान्त) ५ १३१ समइच्छमाण (समतिकामत्) ज २१६५,३।१८६, २०४ समंतओ (समन्ततस्) ज २१६५ समंता (समन्तात्) प १७१०६ से १११ ज १७, ६,२३,३२,३५२।१३१,४।३,६,१४,२०,२१, २५,३१,४५,४७,५७,६८,७६,८६,१०३,१०७, १३१,१४३,१४८,१४६,१५२,२११,२१३, २१५,२३४,२४० से २४२,२४५, ५४५,७,३८, ५७,७।५८ सू ३११ उ ५८ समकम्म (समकर्मन्) प १७१३,४,१५,१६ Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समकिरिय-समय मू२०१७ समकिरिय (समक्रिय) प १७११११,१७।१०,११,२१ १३८,१४०,१४६,१५४,१५६,१६०,१६३; समक्खेत (समक्षेत्र) सू१०१४,५ ५।५८७१०१,१०२,१२६,२१४ चं १० समग (समक) ५१६३५२ ज ११२३,२५,३२, सू १५,८११:२०१७ उ ११२,४ से ८,१६, ३१७८,७।११२।२ सू १०।१२६६१,२ १७.१६ से २६,१४२,१४३ ; २११ से ३.१०, समग्ग (समग्र) ज ३१२२१,४१३५,३७,४२,७१, १२,१४,१५,२१३११ से ३,७,८,१२,१६,२०, ७७,६०,६४,१७४,१८३,२६२,६।१६ से २२; २२,२३,२६,३८,४०,४४,८७,८८,६१,६३, १५३,१५४,१६६ १६७,१७० ४.१ से ३,२७, समचउक्कोणसंठित (समचतुष्कोणसंस्थित) ५१ से ३,३७,४४ सृ ११२५,४२ समणी (श्रमणी) ज ७।२१४ उ ३.१०२,११५, समचउरंस (समचतुरस्र) प २।३०:१५:१६,३५; ११७,११८,४१२२ २११२६,३१,३२,३६,६१,७३,२३१४६ समणुगम्ममाण (समनुगम्यमान) ज २१६४ ज ११५, २।१६,४७,८६, ७१६७ उ १३ समणोवासम (श्रमणोपासक) ज २१७६ उ ३१८३ समणोवासय (श्रमणोपासक) उ १२०:५॥३४ समचउरंससंठाणसंठिय (समचतुरस्रसंस्थानसंस्थित) समणोवासिया (श्रमणोपासिका)ज २२७७ उ ११२०% सू १५,२५ ३।१०५,१०६,१४४ समचउरंससंठित (समचतुरस्रसंस्थित) सू ४०२ समण्णागय (समन्वागत) ज ५१५ उ ११६३ १०७४ समतल (समतल) ज ३३६५,१५६ समचक्कवालसंठित (समचक्रवालसंस्थित) समतिक्कंत (समतिक्रान्त) प २०६७ सू ११२५,४१२,१६१३,१३,१७,१९,२३ समत्त (समस्त) घ २१६४।१५ ज ३११७५ उ ३१६१ समजस (समयशस्) प २१६० समत्त (समाप्त) ज ३११६७,४१२००,५०५८; समजोगि (समयोगिन् ) ज ५१५८ ७/१०१,१०२ सू १३।१०,१३,१४ से १६ समजुतीय (समद्युतिक) १ २१६० उ ११४८,३१६१ समठ्ठ (समर्थ) प ११।११ से २०; १५।४४; समत्थ (समर्थ) ज ३।१०६:५५ सू २०१७ १७११,३,५.८,१०,१२,१४,१५,२४,१२३ से समपज्जवसिय (समपर्यवसित) सू १२११० से १२ १२८,१३० से १३२,१३४,१३५,२०१२,३.१४ सिमप्प (मं+अर्पय) ममप्पेइ ज ३११३८:४।३५, से १७.१६ से २५,२७ से ३०,३३,३४,४० ३७,४२,७१,७७,६०,१७४,१८३,१८६,२६२; से ४८,५२,५३,५६,६०,२२१७६,८०,८२,६२, ६।२१ से २४ समति ज ३।६७,१६१ ६४,६५,३०१२५,३६८०,८१,८३,८८,६२ ६.१६,२५,२६,४।६४ सू१०१५ समप्पेति ज २०१७,१८,२१ से २३,२५,२८,३० से ३३, सू १०५ ३० से ४०,४२,४३,४११०७,७११८४ समबल (समबल) प २१६०,६३ सू १८०२२ समभिरुढ (समभिरूढ) प १६:४६ ज ३.१०६ समण (श्रमण) प १३,६,६,१२,१५,२० से २७,६० समभिलोएमाण (समभिलोकमान) ५१७१०६ से से ६३,३।३६;१५४३,४५,३६७६,८१ १११ ज ११५,६:२११६,१६ से २१,२३,२५,२६, सिमभिलोय (सं+अभि+लोक) २८,३० से ३३,३६,३६ से ४३,४८,४६,५१, समभिलोएज्जा प १७।१०७,१०६,१११ ५४,५६,६८,७२,७४,८२,१२१,१२६,१३०, समय (समय) प १३१३,१०३,१०६.१०७,१०६, Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समय-समासतो ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२, १२३,२१६४।५।६।११,६५१ से १८,२० से ४५,६० से ६४,६७,६८,१०।३०११,२, १०७०,७१,१२२४,३३,१५१५८११,१६।३४, ३७,१८१५६,६०,६२,६३,६७,८०,८१,८४, ८७,८६,६५,६८,१०२.१०४, २०।१।१,२०१६ से १३; २२१५४,५६.५८,५६,७६:२३।६३, १६३,३०।२५,२६,३६.८५,८७,६२ ज ११२, ४,५,१४,१४,७१,८८,८६६१,१३१,१३४, १३८,१४१,३११०३,५१,६,८,९ से १३,१८, ४८,५० से ५२७।५७,६०,११२।१ च ६१६, १०१।१,४,५,६११:८1१६१२,१०११५२ से १६११११२ से ६,१६ से २८,३०; १३.१,२७१७११,१६।२५, २०१३,५,७ उ ११ से ३,६,१६,२८,५१,६५,७६,१४४; २१४,१७,३१४ से ६,६,१२,२१,२४,२५,२७, ४८,५०,५५ से ५७,६४,६८,७१,७४,७६,८६, ६०,६५,६८,६६,१०६,१३१,१३२,१५५ से १५७.१५६,१६८,१६६४१४ से ६,१०,५१४, १४,२१,२४,२६,३६,४०,४१ समय (समक) ज १।१४ । समयक्खेत्त (समयक्षेत्र) सू १६२०,२१ समयखेत (समयक्षेत्र) प २११८६ समर (समर) ज ३।३,३५.१०३ समवण्ण (समवर्ण) प १७४५,६,१७ समवेदण (समवेदन) १७११११,१७१८,६,१६,२० समसरीर (समशीर) प १७:१,२,२८,२६ समसोक्ख (समसौख्य) १६०,६३ समा (समा) जरा७ से १५,२१ से ४५,५० से ५६,८८,१२१ से १३३,१३८ से १४०,१४७ से १५०,१५२ से १६४,३११३५६१,४।१८०, १८३,७३७ सू ६।४।१८।२,३ समाउय (सम्मानुष्य) प १७११११,१७।१२,१३ समागम (सागः:) ज २४, समाण (सत् ) प १५१५१,५२,१७।११६ 2. २८.१०५,३४११६,२१ से २४,३६१६२,७७ ज २०६० से ६२,७१,१४२ से १४५,३३,., १३,१४,१६,२२,२५,२६,३०,३६,३८,४२, ४३,४६,५०,५१,५३,५९,६०,६२,६७,६८, ७०,७५,७७,८०,८२,८४,८६,६७,१००, १११,११८,१२५,१२६,१३२.१३६,१४२, १४८,१४६,१५६,१६१,१६५,१६६,१७८, १५१,१८६,१९२,२०२,२०८,२१२ से २१४, २१७,२१६,४।२३,२५,३५,३७,३८,४२,६५, ७१,७३,७७,६०,६१,६४,१७४,१८३,१८६, १६५,२६२:५११५,२२,२४,२६,२६,४३.७० सू ६।१ उ १११७,२३ से २६,३७,४०,४५, ५२,५५ से ५८,६०,६२,७४,७७,८० से ५३, ८५,६० से १३,६६,१०७.१०८,११०,११८, १२७, ३.१३,१५,२६,५०,५५,७८,८२,८४, १०६,१०८,११२,१२१,१४७,१६०,१६२; ४|११,२०,५।१५,१७,३८ समाण (समान) ज ३।११७ सू २०१७ उ ३।१२८ सिमाण (सं--आप्) समाणे इ ज ७१०४ सू १०।१३० समातिम् १०११२६ समाणीत (समानीत) उ ३१४८,५० समाणु भाव (समानुभाव) २१६०,६३ ज २११३१; ४१५६ सिमादह (मं+आ-!-धा) समादहे उ ३१५१ समादीय (समादिक) सू १२।१० से १२ समायरित्तए (समाचरितुम् ) उ ३।१०२ समारंभ (समारम्भ) उ १।२७,१४० समारूढ (समारूढ) ज ३११२१ समालभ (सं+आ--लम्) समालभइ उ३।११४ समावण्णग (समापन्नक) ज ७१५५,५८ समास (समास) प ३३८,३६ ज ७.१०१,१०२ सू १६।२।१ समासओ (समासतस्) प ११४८१५४:११४८ ... ज २१६६ समासतो (समासतस्) प ११४,२०,२३,२६,२६, Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समासाद-समुष्पण १०६७ समन्याय समु५५ समुद्घात) प १।११७२।१,२,४,५,७,८, १०,११,१३,१४,१६ से २०,२२ से ३१,४६; ३६।१,४ से ७,४७,५३ से ५८,८२,८३,८३११ २,३६६८६,८८ समुज्जाय (समुद्रात) ज १८८,८६,३१२२५ समुट्ठ (सं+उत् । ष्ठा) समुछेति प ११७४ समुत्त (समुक्त) ज ३।६,१७,२१,३४,१७७,२२२ समुत्तिण्ण (समुत्तीर्ण) ज ३।८१ समुदय (समुदय) ज २१४,६,३१३,१२,३१,७८, १८०,२०६:५२२,२६,३८,६७ उ ११६२ ४६ से ५१,५३,६०,६६,७५,७६,८१,८६, १३१ से १३३,१३५,१३७,१३८ सिमासाद (सं+आ+सादय्) समासादेति सू ११८ समासादेत्ता (समासाद्य) सू१५१८ से १३ समासादेमाण (समासादयत् ) सू २१३ सिमासास (सं+आ+श्वासय्) __ समासासेइ उ ११४१ समासासेता (समाश्वास्य) उ ११४१ समाय (समाहत) ज ५१५ समाहार (समाहार) १७.१,२,१४,२४,२५,२८, २६ समाहारा (समाहारा) ज ५।६।१७।१२०१२ सू१०1८८२ समाहि (समाधि) उ ३.१५०,१६१,५।२८,३६,४१ समाहिय (समाहित) ज ५१५८ समिइ (समिति) प १११०१११० ज २१४,६:३१२२१ उ १६३ समिडिढय (सद्धिक) प २१६०,६३ समित (समित) मू ६१ समिद्ध (समृद्ध)ज १२,२६, २११२,३।१,८१, १६७१४,१७५ चं ६ सू ११ उ १३१,६,२८%; ३६१५७; ५१६,२४ समिरीय (समरीचिक) प २३०,३१,४१.४६,५६, ६३,६६ ज ११८,२३,३१ समिहा (समिध्) ज ५.१६ ।। समिहाकट्ठ (समिकाष्ठ) उ ३५१ समीकर (समी+कृ) समीकरहिंति ज २११३१ समीकरण (समीकरण) ज ३१८८ समीकरणया (समीकरण) प ३६१८२११ समुइय (समुदित) ज २।१४५,१४६ समुक्खित्त (समुत्क्षिप्त) उ १११३८ समुग्गपक्खि (समुद्गपक्षिन्) प १७७,८० समुग्गय (समुद्गत) प ३६१८१ समुग्गयभूय (समुद्गतभूत) ज ३११२१ समुग्धात (समुद्धात) प २१२१ समुदाण (समुदान) उ ३३१००,१३३ समुदीरेमाण (समुदीरयत्) प ३४१२३ समुद्द (समुद्र) प १३८४; २॥१,४७,१३,१६ से १६, २८,२६; १५१५५,२१८७,६०,६१:३३१० से १२,१५ से १७:३६.८१ ज १७,४६,४८; २११०,६७,६८,३।१,३६,४१५२,५१४४.५५; ६।१,२,४,७१४,६३,८७ सू १११४,१६,१७, १६ से २२,२४,२७,२६३,३११,४१४,७,६।१; ८।१:१०।१३२,१६०१ से ३,५,६ से १२; १९२२।२६:१६।२८,२६ से ३२,३५,३६,३० उ १११३८ समुद्दय (समुद्रक) प १७५,८०,८१ समुद्दलिक्खा (समुद्रलिक्षा) प ११४६ समुद्दवायस (समुद्रवास) प १७८ समुद्दविजय (समुद्रविजय) उ ५॥१०,१७,१६ सिमुप्पज्ज (सं+उत् + पद्) समुपज्जइ प २८/७५,१०५:३४११९,२१ से २४ ज २।२७; २६,५६:४११७७,१८१ समुप्पज्जति ज ५१ उ १११११ समुप्पज्जति प २८१४,२५,२७,२६, ३८,४७,५०,७३,७४,६७,३४।२३ समुप्पज्जित्था ज २१५६,६३,१२४,१२५; ३१२,४,२६,३६,४७,५६,१२२,१३३,१४५, १८५५२२ समुपज्जिस्सइ ज २१५६ समुप्पज्जिस्सं तिज २११५,२१,५३ समुप्पण्ण (समुत्पन्न) ज ३।१२३,२१६ Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ समुप्पन्न-सम्मामिच्छत्तवेयणिज्ज समुप्पन्न (समुत्पन्न) ज १७१,८५३।५ से ६३;३६१३५ से ४१,४८ से ५२,५६,६५, उ १११११,११२ ६६,७०,७३,७४,७६ समुत्पन्न कोउहल्ल (समुत्पन्नकौतुहल) ज ११६ सम्म (सम्पा) सू १०११२६४ उ ११११,११२ सम्म (सम्यक् ) ज २१६७, ३.१८५,१८६,२०६%; समुप्पन्नसंसय (समुत्पन्न शिव) ज ११६ ७११२१३,४ समुप्पन्नसड्ढ (ममुत्पन्नश्रद्ध) ज १६ सम्मट्ठरत्यंतरावणवीहिय सपुभव (समुद्भव) ज ५१५,४६ (मंमृष्ट रथ्यान रापणवीथिक) ज ५१५७ समुल्लालिय (समुल्लालित) उ १११३८ सम्मत (सम्मत) प १११३३११ समुल्लावग (समुल्लापक) उ ३९८ सम्मतसच्च (सम्मतसत्य) प ११३३ समुल्लावय (समुल्लापक) उ ३।६८ सम्मत्त (सम्यक्त्व) प १११५,१११०११६,७,१३; समुवगूढ (समुपगूढ) ज ४।६१,२७३ ३।१११,१८५१०१,२०।३६२३११७४;३४।११२ समुस्सासणिस्तास (समुच्छवासनि:श्वास) प१७१, जरा१३३ उ ३१४७,८३ २,२८,२६ सम्मत्तवेदणिज्ज (सम्यक्त्ववेदनीय) प २३११८१ समुस्सासणीसास (समुच्छ्वासनिःश्वास) प १७१२ सम्मत्तवेर्याणज्ज (सम्यक्त्तवेदनीय) प २३।१७,३३, समूसिय (समुच्छित) ज ३११७८; ५।४३ समोगाढ (भभवगाढ) प २१६४११० सू १६।२६ सम्मत्ताभिगमि (सम्यक्त्वाभिगमिन) १३४।१४ समोच्छण्ण (सभवच्छन्न) जे ३.१२१ सम्मइंसणपरिणाम (सम्यकदर्शनपरिणाम) समोप्पणा (समर्पणा) ज ३१११७ प १३।११ समोयर (सं+ अ त) समोय रंति ज ७६७ सम्मद्दिछि (सम्यक्ष्टि ) ५ ३११००६।९७,६८%; सलोवण्णग (समोपपन्नक) ५१७।१३ १३.१४,१७:१७११,२३,२५,१८१७६१६१ समोराड (समरसत) ज ११४ चं हसू ११४ से ५२११७२, २३१२००,२०१;२८।१२५,१३५ उ ३१५,१२,२१,२४,२८,२६,८६,१५६,४१४; सम्मय (सम्पत) उ ३११२८ सम्मा (सम्यक् ) प १३।११ समोसर (-- ) समोसरह ज ५।५० सम्माण (२-मानय्) सम्माणे इ ज ३१६,२७,४०, सासरंति ज ५१४६ ४८,५७,६५,७३,६१,१२७,१३३,१३६,१४६, समोसरण (समवसरण) ज ५१५३ उ ३।२१,४१० १५२,१८६,२१६ सम्माणेज्ज ज २१६७ समोप्तरिय (सवात) ज ५१४८ उ १११६:२।६३; सम्माणणिज्ज (सम्माननीय) सू १८१२३ ३।१५५,१६८; १४ सम्मापवत्तिय (सम्मान प्रत्यय) ज ५१२७ समोहणित्ता (समबहत्य) प ३६१५६,६६,७०,७३, सम्माणियदोहद (समानीतदोहद) 'उ ११५०,७५ ७४ ज ३१११५ सम्माणेता (सम्मान्य) ज ३।६ उ ३५० सिमोहण (2 - -हन) समोहष्णं नि प सम्मामिच्छत्त (सम्य मिथ्या:व) प २३।१७४ ३६८३ ज ३।११५,१६२,२०८,५१५,७ सम्माभिच्छसवेदणिज्ज (सम्यक मिथ्यात्ववेदनीय) समोणति १ ३६१८२ प२३१६७,१८१ समोहल (सवहत) प ३३१७४ सम्मामिछत्तयधिज्ज (सम्यक मिथ्यात्ववेदीय) समोहय (सभवहत) प ३।१७४,१५६४३, २११८४ प२३।१७,३३,१३६ Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्मामिच्छताभिगमि-सयणिज्ज १०६६ सम्मामिच्छत्ताभिगमि (सम्यकमि वाभिगमिन ) २४१,२४५,२४८;५।३,४,२८,३३,५२,५३,५८%; प३४।१४ ६७.६.११,१४,१५, ७१।१,७१२ से ४,१०, सम्मामिच्छद्दिटिठ (सम्मिथ्यादृष्टि) प ६।६७; १२,१४ से २५,२७,३०,३२,३४,५४,६२ से १३।१४,१७,१७.११,२३,२५,१८१७८१६१ ६४,६७ से ८१,८४,८६,८७,८८,६१ से १६,९८ से ५,२११७२,२८११२७,१३८ से १०२,११०,१२७,१३१११,१७१ से १७४, सम्मामिच्छादं सणपरिणाम १६०,२०१ से २०७ सू ११८१२.१५१० से १२, (गम्यमितादर्शनपरिणाम) प १३।११ १४,१६ से २४,२६ से ३१:२११,३,४१४,५, सम्मामिच्छादिदिठ (मा, मिथ्याष्टि) प ३३१०० ७,८,१०,६१,८११:१०११३८ से १५१, Vसम्मुच्छ (+- मुच्छ) सम्मुच्छंति प १८४ १६२ से १६४,१६६ से १६६१२।२,५; सम्मुच्छति प १३:४ १३।४।१४।३।१८।१,१३,३०,१६५२, सम्मुच्छिम (संमूच्छिम् ) प २४६ से ५१,६०,६६, १६००।१,२,१६।२११५,१६१२-१६,६३ ११२; ७५,७६,८१ से ८४;३।१८३,४।१०७ से ३।५५,६२,५१२८,४१ १०६,११६ से ११८,१२५ से १२७,१३४ से सय (स्वक) ज ३७७,८४,१०२,१५३,१६२, १३६,१४३ से १४५,१५२ से १५४,१६१; १७८,१८३.१८६.२२४५।१,६,८,१०,१३, ६.२१,२३,६५,७१,७२,७४,८४,६४,९७,१००, २२.२६,४३,५६ उ १।३३.४२,४४,१०८, १०२,१०८।९।६:१६,२२:१६।२८; १७१४२, १२१,१२२,१२६, ३।११,४३,५३,१४८,४।१५ ४६,६३ से ६५,६७,८६२११६,१०,१२,१३, सय (शी,स्वप् ) सयंति ज १११३,३०,३३, २१७; १५ से १६.३०,३३,३५,३७,४३ से ४७; ४१२,८७,२१५,२४७,६१८ २११४७१२,२११४८,५३,५४,७२ सयं (स्वयं) प १५१०११३,२३।१३ से २३ सम्मुति (सन्मति) ज २१५६,६० सू १६।११।३ सय (शत) ५ २०४१ से ४३,४६,५५,५८,५६।२, सयंजय (शतञ्जय) ज ७.११७१२ सू १०१८६२ ६२।१२।६३,२१६४।६।१२।३६,३७,१८१३१, सयंपन (स्वयंप्रभ) ज ४१२६०११ सू ५।१२०१८, ३६,६०,११३,२१४६५,२२।४५,२३७४,८६, २०1८६ ८८,८६,९५,६८,६६,१०१ से १०४,१११, सयंबुद्ध (स्वयंवुद्ध) प १६१०५,१०६,११८,११६ ११३,११७,११८,१३०,१३१,१६४,१८३,१८७ सयंबुद्धसिद्ध (कम बुद्ध गिढ़) ॥ १।१२ ज १७,९,१०,१८,२०,२३,२६,३७,३८,४०, सयंभुरमण (वभूरमण) 4 २११८७,६०.६१ ४८; २१४१३.१६,४८,५२,६४,७५,७७.७८, सयंकरमण (स्वयम्भूरण) १५१५५,५५।३ ८०,८६,१२८,१४८,१५,१६१,३।१,१८.३१, १६।३८ ३५,६३,६५,९६ से १०१,१०४,१०५,१०६, सयंसंबुद्ध (स्वयंभवुद्ध) ५।२१ १२६,१५६.१७८,१८०,१६३,२०६,२१०, सयकाउ (शतक्रनु) ज ५'८ २१६,२२१.२२२,४।६,१०,१२.१३,२३,२५, सयग्घी (दे०) प २१३०,३१,४१ ३२,४६,५५,५७,६२,६५,६७,७२,७३,७५, सयज्जल (शतज्वल) ज ४१२१०११; ७६,८१,८६,६०,६१,६३,६५,६८,१०३,११०, सयण (शयन) प १११२५ ज ३११०३ सू २००४,७ १२०,१४१,१४२११,२,१४३,१४७,१५४,१६३ उ ३३५०,११०,१११।४।१६,१८ से १६५,१६७,१६६,१७८,१८३,२००,२०५ से सयण (स्वजन) ज २१६६ २०७,२१३ से २१६,२२१,२२६,२३४,२४०, सयणिज्ज (शयनीय) ज ४।१३,३३,७६,९३,१३५, Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७० १३६,१४०, १४७, १५३,५।१७ सू २०१७ उ १४६; ५।१३, २५, ३१ सयधणु ( शतधनुष्) उ५२२१ सयपत्त ( शतपत्र ) प १।४६ ज ४।३,२५ सयपत्त हत्थगय ( हस्तगतशतपत्र) ज ३।१० सयपाग ( शतपाक) ज ५।१४ सयपुरका ( शतपुष्पा ) प ११४४१३ सौंफ सयभितया ( शतभिषग् ) ज ७।११३।१,१२८; १३४।२; १३५।२.१३६.१३६,१४२,१४६, १५७ सयमेव (स्वमेव ) प १।१०११३ ज २६५; ३११०२,१६२,२२४ सू १३५,६,१२,१३,१७ उ १३६५,६६, ७१,८८, ६४ ३१८१, ८२, ११३; ४२० सरसह ( शतवृषभ) सू १०८४ | ३ सयरी ( शतावरी ) प १३६१२ सयल (सकल) ज ३।३१ सू १६।२१।६ यवत ( शतपत्र ) प २३१,४८ ज ४।४६ सयवसह ( शतवृषभ) ज ७ । १२२१३ ससस्स ( शतसहस्र ) प १२३, २६, २६, ४८, ४६, ५१,६०,६६,८४; २२२,२५,२२२७१४, २३३०, ३३ से ३५, ४०३३,४,२१४६, ४६; १५४१; ३६ ८ १ ज ११७; २४,१८, ६४, ८७ ८८ ; ३११७८, १८५,२०६,२२१, २२५; ४१२५६,२६२; ५३१८,२४, २५, २८, ४४, ४८, ४६१२६/८/१, २० से २६७।१११,७११४ से १६,७३,७४, ७८,६३,६४,६८ से १००,१८७, २०७ सू १।१४,२१,२७,२१३;३|१,६।१;८।१ ; १०११६५,१७३; १२२६; १८१२७; १६ १३१, १६१४, ८, ११,१४,१५१४,१८,२०,२१।१,५ उ ३।१६ सयसाहस्तिय ( शतसाहस्रिक) सु १९/२६ साहस्ती ( शतसाहस्री) ज ४।२१६८ ७५८ सया (मदा) ज ७ १२६,१७० १०२७५, ७७, १३६,१७३, १९४१,११,२१,२०१२ मयावरण (सदावरण) ज ३।१०६ मसहरी सधणु-सरि सर (शर ) प १।४१।१ ज ३।२४।१, २, ३ २५, २६, ३१,३५,३८,३९,४६, ४७, १३१३१, २, १३२, १३३,१३५, १७८ उ ११३८ सर (सरस् ) प २४, १३, १६ से १६, २८; ११ ७७ सर (स्वर) ज २।१२, १३३ ३ ३ ४१३, २५५२८; ७१७८ सरंड (दे० ) प १७६ सरग (शरक) ज ५११६ उ ३३५६ सरड (सरट ) प १1७६ सरण (शरण) ज ३११२५,१२६,५।२१ सरणदय ( शरणदय) ज ५।२१ सरणागय ( शरणागत) ज ३१८११।१२८ सरद (शरद् ) सू १२।१४ सरपंतिया ( सरः पंक्तिका ) प २१४,१३,१६ से १६, २८१११७७ सरभ ( शरभ ) प ११६४ ज ११३७६२१३५, १०१; ४१२७५|२८ सरय (शरक) उ ३१५१ सरय (शरद् ) उ५१२५ सरल (सरल) प १।४३।१, ११४७११ सरलवण ( सरलवन) ज २६ सरस ( सरस ) प २३०, ३१, ४१ ज २२६५,६६,६६, १००:३७, ६, १२,८२,८८, १८४, २११,२२२; ५।१४,१५,५५, ५८ सरसर (मरःसरस् ) ज ३११०२,१५६,१६२ सरसरपंतिया (सरःसरः पंक्तिका ) प २०४, १३, १६ से १६,२८,११ ७७ सराग ( सराग ) प १ १००,१०१,१११ से ११४; १७/३३ सरागसंजय ( सरागसंयत ) प १७/२५ सरासण ( शरासन ) ज ३१७७ १०७,१२४ उ १।३८ सरि (सदृक् ) ज ३११६७।१३ उ ३।१७१:४१२८ सरिच्छ ( सदृश ) ज ३|१८,५२,६१,६६,१३१, १३६,१३७,१४१,१६४,१८० सरिस ( सदृश ) १ १ ४ ८ ३८; २।३१ से ३३ Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सरिसव-सविलेवण १०७१ ज ११४१,४६,२।१५,१६,३।३,३५,७६,११६, सरीरसंघातणाम (शरीरसंधारनामन्), २३१४४ १३५,१८८४१५२,१०६,१६३,१७२,१७४, सरीरसंघायणाम (शरीरगंघातनाम्न) २३१३८, १७७,२००,२०४,२१०,२१२,२२६७३१७८ मु १०११६२,१६।३१,३५,३८ उ १३१४८; । सरुव (स्वरूप) ज ५१४३ २०२२ सललिय (सलभित) चं ११ सरिसय (सदशक) ज ११४६ सलाइया (शलाकिका) ज ५१५ सरिसव (सर्षप) प ११४४१२,४५१२.११४७।२ सलामा (शलाका) ज ३.११७:५१५ ज २१३७ उ ३१३७,३८ सलिगसिद्ध (स्वलिङ्गसिद्ध) प १।१२ सरिसवय (मदृशवयम्) उ ३।३८ सलिगि (स्वलिङ्गिन) प २०१६१ सरिसवय (सर्वपक) उ ३१३८ सलिल (सलिल) ज ३७६,१०६:४१३,२५,६४ . सू३५१ सरिसवसमुग्ग (सर्षपसमुद्ग) ज ५१५५ सलिलबिल (सलिलबिल) ज २।१३१ सरिसवा (सदृश्वयम्) उ ३१३८,४०,४२ सलिला (सलिला) ज ३७६,११६४।३५,३७,४२. सरीणामय (सदग्नामक) ज ११४६ सरीर (शरीर) प १११३५,११४७।२,३,११४८१५३, ७१,७७,६०,६४,१७४,१८३,२६२,६१६३१, ६।१६ से २६ ५७; १११३०,३०१२,१२११:१४१५;१५११०,२३; सलिलावई (सलिलावती) ज ४।२१२,४।२१२।१ १६।२३।१७।१।१,२१।१११२११३८,४० से। सलील (सलील) ज २११५ ४२,४८,५३,५६,६१,६३ से ६६,६८ से ७१, सलेस (सलेश्य) प १८१६८:२८१२२,१२३ ७४,८४ से ६३,२८१११२,६८ से १०१। सलेस्स (सलेश्य) प ३१६६.१७।२८,५६ १०६६१,३६.५६,६६,७०,७४ ज २१४५,४७, सल्ल (दे०) प ११७६ ६०,३।८२,८५.१०६.१३८ सू २०१७ सल्लई (सल्लकी) प ११३५।१,११३७११ उ १११६,३५,४२,३।८,२६,३५,१२७,१४१; सहलगत्तण (शल्पकर्तन) ज ५१५८ ४।१२,१८ सवंतीकरण (सवर्णीकरण) उ ११४६ सरीरंगोवंगणाम (शरीराङ्गोपाङ्गनामन्) सवण (श्रवण) ज २११५,३३२२५, ७।११३११, ५ २३१३८,४२,६२ १२८.१३०,१३६,१३८,१४१,१४६.१५६ सरीरग (शरीक) ज १९६,१००,१०३,१०४, १०७,१०८ मु १०१ से ६,८,२०,२३,२८,५६,६३,७५, ७६,६३.१२०,१२,१३० से १३५; १५९ सरोरणाम (शरीरनामन् ) प २३।३८,४१,८६ से सवणता (थत्रण)२०२८ ६३,१४६,१७३,१७४ सरीरस्थ (शरीरस्थ) प ३६८५ सवथा (थयण) प २०११७,१८,२२,२५,२६, सरीरपज्जत्ति (शरीरपाप्ति) प २८।१४२,१४३ ३४,४५ उ १५१७.३६,४०,४२,४३ उ ३.१५,८४ सदहावित (शपथशास्ति) उ २५७,८२ सरीरबंधणणाम (शरीरबन्धननामन्) ५ २३।३८, सवालुइल्ल (सवालुक) ज ३११०६ ४३,६२ सविणय (सविय) ज ३१८१ सरीरबाओसिया (शरीरबाकु शिका) उ ४१२१,२२, सवियु (मवित ) ज ७१३०,१८६ २८ सवियादेवया (सवितृदेवता) सू१०८३ सरीरय (शरीरक) १२१२ से ५:२१।१,२११६२ सपिलेवण (सविलेपन) । ३६१८१ Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७२ सविसय-ससि सविसय (स्वविषय) प १११६७,६८,२८८१७,१८, ज ४।१०७:५३५,७ सू १६०२,१२,२६,२८ ६३,६४ ज ७४६ सव्वत्थ (सर्वत्र) प २१३२:२११३५,४२,२२।२५; सविसेस (सविशेष) ज २१६:४११५६७७,६६, ३६।४७ ज ३।१०६४।५७,१८३;७।३७,१९७ ६० सू १८१६ से १३ सू१८३७ उ १२२ सवेद (सवेद) २८११४० सव्वदरिसि (सर्वदशिन्) ज २७१५२१ सवेदग (भवेदक) प ३९७ सव्वपाणभूतजीवसत्तसुहावहा (सर्वप्राणभूतजीवसवेदय (गवेदक) १८१५६ सत्त्वसुखावहा) प २६४ सधेयग (सवेदक) प ३६७ सम्वप्पभा (सर्वप्रभा) ज ५११११ सव्य (सर्व), ११२ ज १७ चं ११२ सू १।१०।। सव्वबल (सर्वबल) ज ३।१२,७८,१८०,२०६; उ१९७० ५१२२,२६ सव्वओ (मर्वता) प १७११०६ से १११,२८।११, सध्वम्भंतराय (सर्वाभ्यंतरक) सू १११४ २८।२१,६७ ज १७,६,२३,३५४१३,२१०, सव्वभाव (सर्वभाव) ज २१७१ २१४,२४१,२४२ मु ३११ उ ५८ सव्वरयण (सर्वरत्न) ज ३.१६७,१७८ सत्वोभद्द (सर्वतोभद्र) ज ३.३२,५।४६६३ सव्वसिग्धगइ (सर्वशीघ्रगति) ज ७।१८० सध्वंग (मङ्गि)ज१५ उ ११२३,६१ सवसिग्घगइतराय (सर्वशीघ्रगतितरक) ज ७।१८० सवकज्जवड्ढाक्य (सर्वकार्यवर्धापक) उ ३।११ सव्वसिद्धा (सर्वसिद्धा) ज ७।१२१ १०६१ सव्व सामसमिद्ध (सकामसमृद्ध) ज ७११७६१ सम्वहेट्ठिम (सर्वाधस्तन) सू ६३ मु १०।८६१ सध्याउय (सर्वायुष्क) ज २१८८३।२२५ सव्वकालतित्त (सर्वकालतृप्त) प २१६४।२० सव्वामयणासिणी (सर्वामयनाशिनी) ज ३११३८ सव्वक्खरसंनिवाइ (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज २१७८ सविदिय (सन्द्रिय) ज २०१८ सव्वक्खरसंनिवाति (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज ११५ सव्वखुड्डाय (सर्वक्षुद्रक) सू १११४ सम्वोउय (सर्वर्तुक) ज २११२३१३०,३५,२२१:५१५ उ ५११६ सम्वग्ग (सर्वाग्र) ज ४।६,१४,१४६,२५६;७१६८, १६६,२०१,२०३,२०५,२०७ ।। सम्वोहि (सर्वावधि) प ३३।३१ से ३३ सध्वज्जुणसुव्वणमती (सार्जुनस्वर्णमयी) प २१६४ । ससंभम (ससम्भ्रम) ज ३१६:५।२१ राव (सर्वार्थ) ज ७।१२२ सू १०१८४।३ ससक्कर (सशर्कर) ज ३।१०६ सव्वट्ठसिद्ध (सर्वार्थकसिद्ध) ५६।११० ससग (शशक) प १.६६ ज २११३६ सव्वाद्ध (सर्वार्थ सिद्ध) प १११३८, २१६३; ससबिंदु (शश बिन्दु) प १४०।५ ६२६,६२,२०।६१२११७७ उ ५१४१ ससय (शशक) प ११२१ सव्वळसिद्ध ग (सर्वार्थसिद्धक) प ४।२६७ से ससरीरि (सशरीरिन्) प २८।१४१ २६६,६:४३, ७:३०;१५।६०,६३,१०१,१०६, ससरुहिर (शशरुधिर) प १७११२६ १०८,११४,११५,११७,१२०,१२१,१२३, ससि (शशिन्) ५ २१३१ ज २११५, ३१६,१७,२१, १२५,१२८,१२६,१३२,१३६,१४३,२०.४६% २८,३४,४१,४६,६३,१०६,१३६.१५७,१६३, २८१६७ १६७।१२.१७७,२२२,७।११२७१६८.१ सवण्णु (मत्रज्ञ) ज २०७१,५१२१ सू १०1७७,१२६।२१९।८।२,१६।२२।३,२३, मन्बतो (सर्वतस् ) प २१६४।१३:२८१२१,३३,६७, २६.२६,३१,२०१४ Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ससिया-सहस्सार १०७३ ससिया (शशिका) प ११२३ ५१,५६,६०,६८,९३,६६.१०६,११७,१२०, सस्स (शस्य) रा १०११२६४ १२२,१२६॥३;३३१३०,१३६,१४०,१४५, सस्तिरीय (सश्रीक) २३०,३१,४१,४८,४६, १४६,१६३,१७२,१७५,१८०,१८५,१८६, ५६,६३,६४ ज ११३१ ; २१६४,३१६,३५,११७, १८८,१८६,२०६,२१०,२१४,२१५,२१६, १८५,२०९,२२२,४।२७,४६,५।२८,५८ २२१:२२४;४।१,२७,३५,३७,४२,४५,५२, ५५.५७,६२.६४,७१ ७७,८१,८६,८८,६०,६१, सह (मह) प २३।१५६,१६०,१६४,१७५ ६४,६८.१०३,१०८,११०,११४,११६.१५१११. ज २२५०,१६४।४।१०६,२०५७/१३५।४ १६५,१६७,१६६,१७४,१७८,१८३,२००, उ ३.३८ २०५,२१३,२१५,२३४,२४०,२५७ से २५६, Vसह (सह ) महइ ज २१६७ २६२,५१२८,३२,४३,४८,४६६१,५०,५२११, सहगत (सहगत) प २२११७ ५३,५५,५.६६८।१.१६ से २६;७।१११,७८ सहमय (सहगत) प २२१८० से २५,३१,३३,३४,५४,६७ से ८४,६५,९६, सहजायय (सहजातक) उ ३१३८ १२७,१७०,१७८।१,२,१८३,१८८,१८६,२०७ सहपंसुकीलियय (महमांशुक्रीडितक) उ ३।३८ गु १५१४,२० से २२,२६,२७,२११,३,३११; सहरिस (सहर्प) ज ३८१ ४।३ से ५,१०,६११८।१६।३।१०।१३५,१६४; सहड्ढियय (सह्वधितक) उ ३१३८ १२१२ से ७,६;१८३१.४,२०,२१,२६,२८, महसम्मुइ (स्वसंस्मृति) प १११०१२ २६; १९३१।१,१६१४,५।३,७,८१३,१०,११११, सहस्स (सहस्र) २१२१ से २७,३० से ३६,४०१५, ३,४।१६।१४,१५११,३,४,१६।१८,१६, ४१ से ४३,४६,४६ से ५२,५५ से ५७,५६, १६।२१।२,४,५,७,१६।२।२८,३२,१९३० ५६.१.३,२१६३,६४,४११,३,४,६,२५,२७,२८, उ १६१४,१५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२६, ३०,३१,३३,३४,३६,३७,३६,४०,४२,४३, १३२,१३३,१३६,१३७,१४०,१४७,३७,६१, ४५,४६,४८,४६,२१,५२,५४,५६,५८,६२,६४, ११०,१११:४११६,१८५११७,३७ ६५,६७,६६,७१,७६,८१,८५,८७,८८,६०,६४, सहस्सक्ख (सहस्राक्ष) प १५० ज ५।८ १२५,१२७,१३४,१३६,१४३,१४५,१५२, सहस्सम्गतो (सहस्रानसस्) प १२०,२३,२६,२६, १५४,१६५,१६७,१६८,१७०,१७४,१७६, १८०,१८२,१८३,१८५,६१४०।१२।६१८२, सहस्तपत्त (सहस्रपत्र) प ११४६ ज ३८६४१३, ६,९,१२,१६,२०,२८,३२,३४,३५,४७,५०, २२,२५,३०,३४,५।५५ ५२,८५, २०१६३,२१।३८,४१,४३,४५,४७११, सहरूपत्तहत्थगय (हस्तप्तसहसपत्र) ज३१० २,२०६५.६७,८७,२३१६० से ६२,६४,६६, सहस्सपाग (सहस्रपाक) ज ५११४ ७८,५१,८४,६०.१११,१३३,१४७,१६७ से सहस्सरस्ति (सहस्ररशिम) उ ३१४८,५०,५५,६३, १६६.१७१ से १७३,१७५ से १७७,१८२, ६७,७०,७३,१०६,११८ २८।२५,४०,४३,६६,७४ से ८७,६७,३६६८, सहस्सवत्त (सहरूपत्र) ५११४८१४४ ८१ज १७१,१११६,१७,२०,२३,४६,४८; सहस्सार (सहस्रार) प १११३५; २०४६,५७.५८ २१४१३,२१६,१६,५२.५६,६५,७१,७७ से ८२, ५६।१,६३,३३३६,१८३;४/२५२ से २५४; ८८,१२६,१३०,१३४,१३८,१४०,१४६,१५४, ६६३४,५६,६५,८६,६२,१०६; १५।८८, १५६.१६१, ३।१४,१८,२२,३०,३१,३६,४३, २०१५६,६१:२११७०,६१:२८८२:३४११६,१८ Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७४ सहस्साग-साडय ज ५।४६२ उ २०२२ २५५,२५७,२५८,२६०.२६१,२६३,२६४, सहस्सारग (सहस्रारक) प ६११२७।१५; २६६,२६,२६६,२७०,२७२,२७३,२७५, ३३।१६ २७६,२७८,२७६,२८१.२८२.२८४,२८५. सहस्सारथडेंसय (सहस्रारावतंसक) प १५७ २८७,२८८,२६०.६६१,६३२६४, १६, ताहि (सखि) ज २१२६,६६ २६७,२६६; १८१२,१६,१६,२४,२८,३१, सहित (ति) सू १६।२२।२५ ३६,४२,४४,४६,४६४६,६१,६६७४, राहिय (सहित) १ २६२१ ज २११५; ३।३१,६५, ७६,७६,८४,८५,९.१२.१९९२३१६० से १५६७११८६२ २०८,२०।८।२ ६६,६८,६६,७३८,८१, ६०,६२, तहोयर (सहोदर) उ ११६५ ६५ मे १६.१०१ १.४.१११ से ११४, खाइ (स्वाति) ज७१२८,१३४।२,१३५२,१३६, ११६ से ११८, १ ६ मे १३१,१३३ से १४०,१४६,१६५,१७५ १३५.१३८,१४०,१४२.१४३ १५१.१५३,१५५ साइम (वाद्य) उ ३.५०,५५,१०१,११०,१३४; से ११०, १६०,१६४.१६६ १६८,१७१ से साइयार (मातिचार) प ११२६ १७३.१७५ से १०१,८ ८ ,,१८०, साइरेग (सातिरेक) प १८१७६२३१६५ ज ११३५, १३० जरा! ,११,१२,१५४, १६०,१६३ सू२:११ १२६,१४०; ४०,११:२।१२८,१४८,४।६,१४२३,३१,३८, ३११५०,१६४,२०६ : ४० ४१,६५.६८,७३,६०,६१,११६,११६,१२२, १३६,१४६,१४७,२१६,२४२,७१२५,१६६, : स्मगार (गकार प:४१२६११६५,१६६ से २०७ सू८११;१८१३० २०१:२६।११:६४१५६२८ साउफल (स्वादुफल) ज २।१२ रागारपति कार वॉशन) ३०.१५ से १८, साएय (सात) प ११९३२ सागर (मागर) प २१६८।३,७६,७६,८१,१०५, सागारशारणला (स करवर्ग):३०१२७ ११६,१२६१४,१२८,१५१,१७०,१८५,१८८, सागारपाल (सः :रवीन) प ३०११,२,५,६, २०६,२२१,४१६२११,२३६:५१३२.५८ ज २६८,३३,७६,७६,८१.१०५,११६, सागाराणागारो उर (मामा सामोपत) १२६।४,१२८,१५१.१७०,१८५.१८८,२०६, २२१ ; ४११६२११,२३८५।३२,५८ सू १६१६१ मारोवस : स): ३।१०६.१७४; उ २०१२;५१० १३४REE९१६२१:३६।१२ सागरकड मानरमाट) ज1१६४ शामाकोषागाक... ग): २६१,२,५.६, सागरचित (सावित्री २३८ सागरचितकड (साम चिकट) ज ४२३६ मोनिकायमान बार सागरोवर (भागसेपर) ८११,३,४,६,७,६,१०, १२,१३,१५,१६,१८,१६,२१,२२,२४,२५,२७, साग (माटया) १०. १२५ ३१,३३,३७.६६.१०७,२०६,२१३.२१५, भाड मारा : १५२६७७ २२५,२२७,२३७.२३६,२४०,२४२,२४३, २४५,२४६,२४८ २४६.२५१.२५२.२५४ाथ ट न : Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सात-सारइयबलाहक १०७५ सात (सात) प ३५३१११,२,३५१८,६ सातावेदग (सातवेदक) ॥ ३३१७४ तातावेदणिज्ज (सातवेदनीय) प २३११५,२६, १४६,१५६ साताव्यणिज्ज (सातवेदनीर) प २३।१५,३०,६३, सातासात (मातासात) प ३५.८,९ सालासोक्ख (मातगोरु) सु २०१७ साति (गादि) प २३।४६ साति (स्वाति) सू १०१२ से ६,१७,२३,४८,६२, ७२,७५.८३.११३,१३१ से १३४१८७ साहिरेग (सातिरेक) प ४१३१,३३,३७,३६,१६८, २००,२०४,२०६,२२५,२२७,२२८,२३०, २३१२२३,२३४,२३६,२४०,२४२,७२,६, ११:१५६४११८११६,१६,३१,३६,४६,५४, ६१.७६,८५,८७,११३,११६:२११३८,४१, ६३,६६८७:२८१२५,७६,७८,३६।६८ सू२३६।३; १२०१५ सादि (सादि) प १५१३५ सादि (रवाति) सू १०।१२० सादिय (सादिक) प २०६४ सादीय (सादिक) प १८१७:१७,२६,५८,५६,६३, ६.७५ से ७७,७६,८२,८३,८८,६०,६२, १००.१०५,११२,११५,११८,१२१,१२४,१२७ साध (साध) साधेति सू१०११२० साधेति १०।१२० साभादिय (नामाविक) ज ३।२०६;५५६ साम (वा) प ११३७।४ राग (साग) उ १।३१ सामंत मन्त) उ १।३,३३२६ सामग या ) प ११४५।२ सामण गामान्य) सू १०७७ साहय श्रमण्य) उ २११२,३३१४,२१,१२०, १५०.१६१४।२४।५।२८,३६,४१,४३ सायण्णओपिणिवाइय (मामान्यतोविनिपातिक) सामण्णपरियाय (श्रामण्यपर्या) ज २१८८ ३२२५ सामल (शामल) ज ३११०६ सामलता (श्यामःलता) प ११३६१ सामलया (शामालता) ज २११ सामली (शाल्मली) ज ४१२०८ सामा (श्यामा) प२४०।६१०.१२४ सामाइय (सामयिक) प १११४.१२५ उ २११०, १२:३३१४,१५०,१६१,५२८,३६४१ सामाइयचरित्तपरिणाम ( सामिपरिणाम) प १३३१२ सामाण (समान) १ २१४६,४७,४००२ सामाणिय (साम निक) १३० मे ३३.३५; ४०॥५,४१,४३.४८ से १६ १४३१०; ४।१७,११३.१५० १५८ !?",६,१६,३६,४२ ४४,४५,४६,४६।२५०, १,५२२१,५३,५६, ६५,६७,७१५६,५६.१८५ : १८१२२; १९२४, २७ उ ३६,२५,६०,१०,१५६,१६६५ सामि (स्वामिन) ११४६८,१६,४३.६२,७०,७७, ८४,१००,१२६॥२,६४२,१६५,१८१,११२, ५।५५,५७:५८ च ६ ४ उ ११९,३६,४० ४२,४५,६९.१०३,१०,१०८,२१०११२, ११४,११६,१२८,१३६ .१. ११.२८, ८६१५५.१६८,४१४ सामित्त (स्वमित्व) २१३०,३१,४१,४६ ज १।४५,३।१८५,२०६,२२१:५११६ उ ५११० सामिय (बाक) ज३८१ सामुदानिय (नामुदानि १५७१७ सायं (सायं) सू २११ १२ १३६ सायावेदणिज्ज (रातवेदनीय) : २६११ सायावेयणिज्ज (जावेदनी ) प २३११४१ सार (मार) प ११७६ ज ११२६; २१६४,६६; ३।२,३,२४,३५ च ११३ उ ११०,२६,६६; ५११ सायर (सागर) मू १६।२२।२४ मारइयबलाहक (शारदिलाहक) प १७११२८ Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७६ सारंग (सारङ्ग) प १०५१ ज ३१३ सारकल्ला (सारण ) प १०४३।१ सारक्छ (र) सारखनिज २०४९, ५२, ५६ सारक्रिति ज २।१५६,१६१ सारवखमाण (संत) उ १५७,५०.८२, ८३ सारक्रिजमान (२०४२ सारविखत्ता ( संरक्ष्य ) ज २२४६ सारय ( शारद) ज ३।११७ सारस (सारस) १७६ २०१२ ५१५. सारहि (सारवि) ज ३०२५, १७८ सावि ( साध्य ) प २०६४।१० सारीर (शरीर ) प ३५१११३५१६,७ सारीरमानस (शारीरमानस ) प ३५६.७ साल (शाल ) प ११३५ १,११४३११, ११४८।१४,२४ २०/२०१८ सालवण ( सालम्बन) ज २९९ से १०१ सालभंजिया (सामना) सालवण ( शागवन ) ज २६ साला (दे० ) प १३५,३६,११४८।३३,३७ सालि (शालि ) प १२४५।१ ज २३३७३।११६६ ४११३७ १७८ सालिंगण (मन) यू २०१७ सालिपिट्टति (लिपि) १७१२८ सालिस च्छियामच्छ ( शालिसाक्षिकामत्स्य ) प १।५६ साय ( रासक) तू २०१७ १०३७५०३.२० १४३२१२० सामण ( श्रण) अ २१३६७।१०४.११४१२६ सू१०।१२४,१२६ ३४० साहरिज्जमाण (संहिता) व ४।१०७ हरितात्य ११५ सावइज्ज ( स्वापते ) ज २१२४,६४ साहस्तिय (सिक) तू १६।२३,२६ उ ३ ६१ 4 सावगम्भ (थादकधर्म) २४४५,७९, १०३. १०४६ साहस्ती २०३०३३,३५,४१,४२. ४० से ५६ ११४५ २९७४ से ७७.१०: ३।२२१४११७,१६,२०,११२,११२.१२६. १५०,१५११२.१५६:५१,५,६,१६,३६,४०, ४४४६४६५३,५६,६५.६७७५५, रावतेय (स्वपतेय) सावत्थी ( वस्ती) साक्य ( श्वापद) ज २१३६ सायय ( धावक ) अ ७२१४ साय (स्वाद) ११ सारंग-साहारणसरीर साविट्ठी (थाविष्ठी) ज ७१३७.१३८.१४१, १४७, १५०,१५४ १०७, ८, २०, २३, २५, २६ साविया (भाविका) ज ७२१४ सावंत (धावयत् ज ३११७८ सास (वास) २०४३ सास ( मस्य, शा ) ज ७ । ११२१४ साग (सत्यक, शस्यक ) प ११२०/२ सास (चाक) ज ३३३५ तासन (शासन) ज ३८१,१५१११२९ सासत ( शाश्वत) ३६ ९४ सास) २१६४,२३६४१२०, २२; ३६।६३. ६४,६४११ ज ११११,४७, ३।२२६; ४१२२,३४,५४,६४, १०२, १०७.११३.१५९. १६१७२०८ से २१० सिसमुहृत्य हस्तगत रागरागरा ज ३।११ सात ( शासत् ) ३।१७८ साह (साम) सा३१५१ साहट्टु (पहल) ज ३।१२३१।२२ (साहर (ह) स२६५३२६,३६६ २०६९ १६३५ ३२६ से ११,२१ ४७,१३३५।२१,५८ साहरति ज २६६; ५११५,७०,६८, ११० स ज २६५,६७, १०६५।१४,८९ साहूगहि ज २६६ १०५ १०५१०११४ से १७२१.२३ उ ३४९.१२,२५,६० १५६, १६९, ४१५: ५।१० ताहारण (सत्वार) ४६५४५४६० महारणशरीर (साधा १३२.४० Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साहारणसरीरणाम-सिझणया १०७७ २७४।६।१६ सिंधुआवत्तणकूड (सिंधुआवर्तनकूट) ज ४।३७ सिंधुकुंड (सिन्धुकुण्ड) ज ११५१,४११७४,१७५ सिंधुकूड (सिन्धुकूट) ज ४।४४ सिंधुगम (सिन्धुगम) ज ३।६४,१५१ सिंधुदेवी (सिन्धुदेवी) ज ३।५१,५२,२४,५६,५७, ५८ साहारणसरीरणाम (साधारणशरीरनामन्) प२३१३८,१२१ साहाविय (स्वाभाविक) ज ५१५५ साहि (कथय) साज्जिः प१७।१२६ साहिज्जति प १७४१२६ साहिज्जति प १७११२६ साहिय (साधिक) प ४।२४० ज २१६६३७९, ११६,११८,७११६४ साहीय (साधिक) प २१६४१८ साहु (साधु) चं ११२ साहेत्ता (साधला ) ३१५१ सिउंढि (दे०) प ११४८।१ सिंग (पृङ्ग) ज ३।१०६५/६३७१७८ सिंगरंग (शृंगाग्र) ज ३।२४ सिंगबेर (शृंगबर) प ११४८।२; १७६१३१ सिंगबेरचुण्य (शृंगवेरचूर्ण) प १११७६ १७.१३१ सिंगभूत (शृंगभूत) ज ३३१८६ सिंगभूय (शृंगभूत) ज ३१२१७ सिंगमाल (शृंगमाल) ज २१८ सिंगार (शृंगार) प ३४।१६,२१ ज २११५ सू२०१७ सिंगारागार (शृंगारागार) ज ३११३८ सिगिरिड (गिरीट) १५१११ सिंघाडग (शृंगाटक) प १४८।६ ज २१६५; ३॥१८५,२१२,२१३,५७२,७३ उ श६८ सिंघाडय (दे०) २०१२ राहु का नाम सिंघाण (सिंघाण किंधाण) प ११८४ सिंदुवार (सिन्दुवार) प १३४,११३८।१ ज २।१०३१३५ सिंदुवारवरमल्लदाम (मिन्दुवारवरात्यदामन्) प १७:१२८ सिंदूर (सि दूर) ३१३५ सिंधु (सिन्धु) ज१८.२०,४८,२।१३१,१३६, १३४,३११,५१,५२. ५ ०७६,२८.९६६ १११,११३,१२८,४१३७.१६८,१०४ सिंधुदीप (सिन्धुद्वीप) ज ४।३७ सिंधुप्पवायकुंड (सिन्धुप्रपातकुण्ड) ज ४।३७ सिंधुसागरंत (सिन्धुसागरान्त) ज ३।८१ सिंधुसोवीर (सिन्धुसौवीर) प ११६३।४ सिभिय (ग्लैष्मिक) उ ३।११२,१२८ लिहल (सिंहल) प ११८६ सिंहलय (सिंहलक) ज ३८१ सिंहली (सिंहली) ज ३१११११ सिंहासण (सिंहासन) ज ११४४ सिक्खा (शिक्षः) प १११४६ उ श२० सिक्खिय (शिक्षित) ज ३११७८७१७८ भू २०१६॥३,५ सिग्घ (शीघ्र) ज ६०,३१२६,३६,४७,५६,६४, ७२,१०६,११३,१३३,१३८,१४५५१५,२८, ४४,४७,६७ म २३,१५१.३७; ११८ सिग्घगइ (शीघ्रगति) ज ७।१८० चं २।४४।२ सू १६।४,१८२ सिग्घमामि (शीघ्रगामिन्) ज ३।३५,१०० शिग्धया (शीघ्रता) ज ३.१०६ इसिस (सिध्) शिज्झइ प ३६५ सिभई १२।६७४२,३ सिझन प ६१५७,६७,११० जे ११२२,५०,२१५८,१२३.१२८,१४८; ४११०१,१७३ मिति प ३६३६२ सिज्मदिइ उ१५१४१:२१२०,३।१८।२६; १४३ सिमित ज २११५१,१५७ २२:४२ जाए २०१८ या किनार Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७८ सिणेहभाव-सिरिकंदलग सिणेहभाव (स्नेहभाव) ज २११४३ लित (सित) १२१३१ सित्त (लिस्ट) ज२१६५,३७,११६,५१५७ सिद्ध (सिद्ध) प ११११,१११३:२१६४,२१६४१२ से ४,६ से १२,१४,१६,१८,२० से २२:३१३७ से ३६.१८३,५॥३,६।४४,४६.५७,५६,६७,६६; १११३६,१२१७,१०,२०:१६।२५,३०,३२,३३, ३५.३७:१८१७:१६५२१२१८,२८११०७,११०, २१,११४.१२०,१२१,१२४.१२५.१३१, १३८,१३९.१८१,३११६,३२।६३६४६३,६४ ज२।१,२१८२,८८,८९,३२२५,४।१६२१, १७२५१,२०४।१,२१०३१,२६३११,२६६।१; ५।५७।११७ चं १२ नियहि (सिद्धावां कन्) ११८१६८,१०० सिद्धति (सिद्ध) ५६५ हित्य (सिद्धार्थ) उ ५।२६,२८ लिय (सहायक) ज ३१२०६५।५५,५६ सिबिया (शिबिका) ज २।१०१,१०२ सिब्भ (श्लेष्मन्) ज २११३३ सिय (स्यात) ५ ११४८,५१५,१०,२०.३०.३२, १०२,१२६.१३१,१३२,१३४,१६०,१७७, १६३,२१४,२२८,६११५,११६:१०१७ से १३,१७,१६,२०,३१,३२,३४,३६,३८,४०, ४२,४४,४६,४८,५०,५२,१११२,३,१२।६, २४,३२,३३,१५१५३,५४,६१,१२२,१२३; १७।१४,६५,१०२ से १०४,११६,१५०,१५२; २१४९५,९८ से १००:२२१२६,२९,३०,३२, ३३,३८ से ४०,४२,५० से ५२,६७ से ६६, ७१,७४,९१,६३,९७,६६२८१३१,१०६, १११,११५,११७,१२०,१२२.१२५.१२८, १२६:१३२,१४३,३६।१४,१७,१६,२२,२३, २५,२७,३३,३४,६२,६३,७७ ज ७/२०८,२०६ सिया (स्पात्) ज ५७ सियाल (शृगाल) प ११६६१११२१ ज २१३६, द्विपिया ( मियिका) प१७११३५ निर ) ११७ सू १७८६१ सिद्धायन (सिन्दा तनफट) ज १५३४ से ३६, ४१,४८४,४५,४८.७६.६६,१०५,१०६, १३६.१६६.१६६ १८६.१६५.१९८२१०, २११,२३५.२३७,२४२,२६३ तिहासिक ज ४१४७.१६३,१५० २१६,२१७:२२०,२३५.२३७.२४२ सिद्धाययण (मिद्धा तनकट) में ४।२१२,२७५ सिद्धालय (सिद्धा ) प २१६४ सिद्धि (सिदि) प २१५४,३६।८२ सिद्धिगइ (सिलिन) श२१ सिप्प (शिल्प) ल २१६४;३:१६७१७,५१५,७ शिकारियािर्म) प ११६२,६७ सिपिया (सिलिक) ६१।४२ लिप्पिसंदुर (सिंपुट) ११४६ सियाली (शृगाली) ८१११२३ सिर (शिरस) ज २११३३,१८०,२२१ सिरय (शिरस्क), २।४६ ज २।१५।६,१८, ९३,१८०,२२२ सिरसावत्त (शिरसावर्त) ज ३१५.६,८,१२,१६, २६,३६,४७,५३,५६.६२.६४,७०,७२,७४, ७७,८४,८८,९०,१००,११४,१२६,१३३, १३८,१४२,१४५.१५१,१५७,२६५,१८१, १८६,२०५,२०६,२०६,५१५,२१,४६,५८ उ ११३६,४५,५५,५८,८०,८३.६६,१०७, १०८,११६,११८,१२२:३।१०६,१३८,४११५; ५।१७ सिरसिज (शिरसिज) ज ३११३८ सिरि (श्री) ज २।८,९,१५, ४१२।१,४।१७ से २०, २२,५१११११,५॥३८७।२१३ सिरिकता (श्रीकान्ता) ज ४११५५२,२२४१ लिरिकंदलग (श्रीशन्दलक) ११६३ Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिरिकूड-मीमाविक्वंभ सिरिकूट (श्रीकट ) ज ४/४४ तिरिघर (श्रीह) ज ३।२२० सिरिचंदा (श्रीचन्द्रा) ज१५५,२२४१ सिरिजिलया (धीन या ज४१२२४.१ सिरियाम (श्रीदन) १६७ शिरिदेसि (धौलवीर उ ४.२४ शिरिदेवी (थीबी) उ ४१५ सिरिनिलया (श्री नया) ज ४१५५१२ तिरिमहिया (श्रीता ) ४११५५।२,२२४११ सिरिवडिरय ( वतसक) ४५ लिरिद य (मग उ४:२४ सिरिबस्छ (श्री स.) ज ३१३, २६,११६,१७८; ४॥२८ लिरियच्छ श्रीस:) 11४६।३ सिरिसंवा श्री गु!) ११२०१४ मू १०८८१ सिरिहिरिधिविजय (श्रीही तिकीति सिस्सिणीभिक्खा (शिष्याभिक्षा) उ ४।१६ सिहंडि (विखण्डन ) ज ३११७८ सिहर (शिखर) प २४८ ज ११३७, ३१२४; ४१४६५१४३ उ ५५ सिहरतल (शिखरतन) ज ११३२,३३,४१२४१ सिहरि ( ख ) प २११:१६।३० ज ३११८६, २१७:४।२७१,२७३,२७४,२७७ सिकिड (शिखरिकूट) ज ४।२७५ सिहरिसंठाणसंठिय (चिखरि संस्थान रिया) ज ४१२७६ सिहि (शिखिन) जे २०१३७ सीउण्ह (शीतोष्ण) ज २१३३,३११३८ सीओदयवायकुंड (पीतादापातकुण्ड) ज ४१६२ सीओ (शीतादा) ज ४१९३,६४ सीओदाकूड (शीतांदाकूट) ज ८१६६ सीत (गीत) प ११५,७ से ६५७,२११,२१२, २१४,२१५,२१८,२२० से २२६६।१ से ११; २८।१०५३४११६३५।११ तीतजोणिय शांतनिक) ६।१२ तोतल (शीन) २०१२ सोवा (सीता) २१६४ सू २३ किरीस ( १६६ तिरीब 24t सिलागि २ १ २२८,६४, सातोदय (सीतादया) । १२३ सोलन ३१,२६८०११० सीतोदा (सीतादा) ज ४१६१,६२,६५,५१०११, २१२२१५,२२६ रा २३१६।२२ सातोपामुह सिंडीतापामुखममण्ड) ज ४२१२ सोसजोगिय (मीण नि:) : १२ सिव २०,२१४१ १६८।१२, सीतोलप (शीतोष्ण) प ६१११३५१ से ३ २०६५ २१,५८११४१. १०१२८१ सोय (सीधु) उ ११३८,४६,७४ १४१४४३।११,१५१ खीभर (शीर) ६G सिसिर ११.१ १०१२८१ सीकर (लोक) २५६,६० सदेवधर (पीकर) १९६० सिस्सि .१६ तिमि .. .. Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८० सीय (शीत ) प ११४ से ६,५१५, १२६, १५४, २१०,२१३ से २१५, २१७ से २१६,२२१; ११५६,६०,१७।१३८ २८।२०,३२,६६, १०५;३५।२, ३ ज २ १३१,१३४ उ ३।१२८ सोयर (दे० ) प ११३७३ सोल (शीतल) ज २१२०,४१३,२५ सीमा ( शिक्षिका ) ज २११२,३३,६४,६५,१०३, १०४ उ ३।११० १११,४११६, १८ सीया (सीता) ज १११६,४।११०, १४१, १४३, १६२।१,१६७,१६६, १७२, १७४, १७७, १७८, १८०, ११,१८३ से १८५,१८७,१८६ से १६१,१६३,१६६,१६७, १६६ से २०२,२१२, २१५,२२६,२२७,२३२,२३३, २६२,२६३ १; ५११०११,६।२२,७२२ सहाण (शीतामहानदी ) ज ४।२०० सीयाहवण (शीताखवन ) ज ४ १६६ से २०२ सीयालीस ( सप्तचत्वारिंशत) ज ७।२० यू ४।१० सोयोया (शीगोदा) ज ४१२०६, २०७, २०८,२१२, २२८ सोया (शीतमुख) ज ४।२१२ सोल (शी) २०११७, १८, ३४ ज ३१३; ५५८ सोण्डी (श्रीपण ) प १।३५।३ सोस (शीर्ष) उ ११६७; ३ | ११४४।२१ सोर पहेलियंग (ओपेनहेलिकाङ्ग ) २२४ पहेलिया (श्री) २४८११ सोस (सीक) प १३२०१ सोवा (शिक्षा) प ११३५८३ सोया (शीपवेदना ) २२४३ साखंड ( सीसखण्ड ) ५११।७४ सोसिणिभिक्खा ( शिष्या भिक्षा) उ३।११२ सीह (सिंह) १८६६ : २१३०, ४६; ६१८०११ ; १११२१ ज २११५,३६,१३६ उ १।३३२२८ ५।१३,१५ सोह (शोध) ज २३३६, १३६, ३१२६,३६,४७,५६, ६४,७२,११३,१३३,१३८, १४५,५१५,४४,४७, ६७ सीय - सुइभूय सोहकण्ण ( सिंहकर्ण ) प १८६ सोहकण्णी ( सिंहकर्णी ) प १२१४८।१ सीहगड ( शीघ्रगति) ज ७।१६८१२ सीहघोस (मिघोष) ज २११६ सीहणाद ( सिंहनाद) सू १६ २३ सोहणाय ( सिंहनाद) ज ३१२२,३१,३६,७८,६३, १६,१०६,१६३,१८०५१२, ५७७१५५,१७८ उ १११३८ सोहणिसाइ ( सिंहनिपादिन् ) ज ७।१३३।३ सोहणीसाइठिय ( सिंहनिपादिसंस्थित) सू १० १५४ सोहनाय ( सिंहनाद) उ १११३८ सीहपुरा ( सिंहपुरा ) ज ४१२१२,२१२१२ सोहमुह ( सिंहमुख ) प १८६ सोहरूवधारि (सिंहरूपधारिन् ) ज ७११७८ सू १८ । १४ से १७ सोहस्सर ( सिंहस्वर ) ज २।१६ सीहसीया (मिस्रोता, शीघ्रस्रोता ) ज ४।२१२ सीहा सण ( सिंहासन ) ज ३१३,६,१२,२६,२८,३६, ४१,४७,४६,५८,६६,७४, १३३,१४५ १४७, १७८, १८८, १६७, २०४, २१४,९१६,२२२; ४१५०, ५३, ५६,११२, ११६, १२३, १३५, १४७, १५४,२२३।१,२२४११,२४५, २५० से २५२; ५११३,१४,१८,२१,३६,३० से ४१,४७,५०, ५५,६० सू १८/२३ ११४१३१६,२५,६०, ६१,१३६,१५६४१५ सोहापहत्थाय ( हस्तगतसिहासन ) ज ३।११ सोही (सिंह) प ११।२३ सु (सु) ज ११९३, ३७, २२६, १२, १५:३६, १२,२८, ३५,४१,४६,५८,६६,७४, ११७,११६,१३८, १७८,२२२,४११३,१०२,१२८,१४६,१५७, १७८, १८०, १८१,१६२,२०२,२०४,२११; ५५, ७, ६,५३,७१२० सुइ ( शुचि) २२१५३|१,२२२;४१२६; ५।५७ सुइग ( शुचिक) ज २२६५;३।७ सुइभूय ( शुचीभूत) ज ३३८२३३५१,५६ १. वनस्पति कोश में सिंहपर्णी शब्द मिलता है । Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुईभूय-मुजाय १०६१ सुईभूय (शुचीभूत) उ ४११६ सुउत्तार (सूत्तार) ज ४१३,२५ सुंकलितण (शकरीतण) ५११४२१२ सुंगा (शौङ्का') ज ७१३२॥३ सुंगायण (शौकायन) स १०।११४ सुंठ (शुण्ठी) प ११४२।२,११४८।४६ सुंदर (सुन्दर) ज २१५; ३३१३८,७।१७८ सुंदरी (सुन्दरी) ज २१५,७५ सुंब (सुम्ब) प१४१।१ संसुमार (झुंशुमार,शिशुमार) प ११५५,६० सुकच्छ (सुकच्छ) ज ४१७८,१८१ से १८३ सुकण्ह (सुकृष्ण) उ १७ सुकत (सुकृत) प २३१,४१ सुकय (सुकृत) ५ २१३१,४१ ज ११३७, ३।७,६, १८,२४,३५,६३,१०६,१७९,१८०,२२२; ७.१७८ सुकरण (सुकरण) ज ३१३५ सुकाल (सुकाल) १७,१४६,१४७,२३१८,१६ सुकाली (सुकाली) उ १११४५,१४६; २।१७,१८ सुकुमाल (सुकुमार) ज २१५, ३।३,६,१०६, २०६,२११,२२२ उ १६१४६ सुकुल (सुकुल) ज ३.१०६ सुकुसल (सूकुशल) ज ३१११६ सुक्क (शुक्र) १८४,१३५:२१४८,६३ सू२०१८, २०१८।४ उ ३।२।१,६।२५,८३,८६ सुक्क (मुका) १३१६ सुक्क (शुल्क) उ ३३१२८ सुकरु (शुष्क) उ ३।३५ से ३७,४०,४३ सुक्कपक्ख (शुक्ल क्ष) ज ७।११५,१२५ मू १६।२२।१८ सुक्कछिवाडिया (दे०) प १७।१२८ सुकलेस (शुक्ल लश्य) प १७१५८,१०४,१६८%) २३।२०० सुक्कलेसट्ठाण (शुक्रलेश्यास्थान) प १७६१४६ सुक्कलेसा (शुक्ल ने का) प १७१४७,१३६ १. शौङ्कायन गोत्रस्य संक्षिप्त रूपम् । सुक्कलेस्स (शुक्ललेश्य) प ३९६१३११८,२०, १७:३५,५६,५८,६३ से ६६,७१,७३,७६ से ८१,८३,८४,८६,८६,१०४,११३,१६७; १८७४,२३१२०१२८।१२३ सुक्कलेस्सट्ठाण (शुक्ललेश्यास्थान) प १७।१४६ सुक्कलेस्सा (शुक्ललेश्या) प १६।४६,५०, १७१३५, ३६,३८,४१,४३,५४,११४,११७ से १२२, १२६,१३५,१३७,१४० से १४५,१४७,१५३ से १६१ सुक्कलेस्सापरिणाम (शुवललेश्यापरिणाम) प १३१६ सुक्कडिसय (शुक्रावतंसक) उ ३१२५,५३ सुक्किल (शुक्ल) प २४ से ६५।५,७,२०५; ११३५३,५४,१३।२६:२३।४७,१०१,१०६ १०६; २०१६,७,२६,३२,५३,६६ ज १११३, २१७,१६४,३।२४,३१,४१२६,११४ सू २०१२ सुक्किलपत्त (शुक्लपत्र) १११५१ सुक्किलमत्तिया (शुक्लमृत्तिका) प ११६ सुक्किलसुत्तय (शुक्लसूत्रक) प १७११६ सुक्किलय (शुक्लक) प १७१२६ सू २०१२ सुक्किल्ल (शुक्ल) प २८1५२ सुग (शुक) प १७६ सुगइगामि (सुगतिगामिन्) प १७११३८ सुगंध (सुगन्ध) प २१३०,३१,४१ ज २।१५,६५; ३७,१२,८८,२११:५७,५५ सू २०१७ उ ३।१३१ सुगंधि (सुगन्धिन् ) ज २१२ सुगंधिय (सुगन्धिक) प ११४६ सुगपत्त (शुकपत्र) ज ३।१०६ सुगूढ (सुगूढ) ज २०१५ सुघोसा (सुधोषा) ज ५।२२,२३,२४,४६ सुचक्क (सुचक्र) ज ३।३५ सुचरिय (सुचरित) ज २१७१ सुचिषण (सुचीर्ण) ज १११३,३०,३३,३६४१२ सुजाणु (सुजानु) ज २११५ सुजाय (सुजात) ज २।१४,१५,३११०६४।३,२५, १५७,७११७८ Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८.२ सुजाया-सूपुट सुजाया (सुजाता) ज ४११५७।२ सदसण (सुदर्शन) प १६४, ३।३०,४१४६, सुजोइय (सुयोजित) ज ७१७८ १४७,१५०,१५७,१५६,२०८,२६०११ सुज्ञ (दे०) ४१३,२५ ७१२१३ ज २१६४; ३३०४१४७,१५०, सुठ्ठिय (सुस्थित) ज ७।१७८ १५६,२०८,२६०११७२१३ सू५१ उ ४७ सुम (शृ) सुणंतु ज ३।२४.१,२,३११३१।१,२ सुणह प २१६४।१८ सुणेइ प ११३६ सुदंसणभद्दसालवण (दर्शनभद्रशालवन) ज ५१५५ सुति प १५१३६,४० सुदंसणा ( दर्शन:) ज ४११५७।१,२ सुजग (शुनक) प११६६ ज २१३६,१३६ सुदिट्ठ (दृष्ट) ११०११३ सुगक्खत्ता (मुनक्षत्रा) ज ७११२०११ मू १०८८११ सुदुल्लह (सुदलं न) ज ३।११७११ सुममिय (सुनत) ज ७।१७८ सुणय (शुनक) प १११२१ सुद्ध (शुद्ध) प १७.११४१,१७।११६ सू २०१७ सुणिम्मिय (सुनिमित) ज २।१५ सुद्धदंत (शुद्धदन्त) ५ ११८६ सुणिरिक्खण (सुनिरीक्षण) ज ७४१७८ सुद्धप्पावेस (शुद्ध प्रवेशद्वात्मवेश,शुद्धप्रावेश्य) सुणिया (शुनिका) प ११:२३ ज ३८५ सू२०१७ उ १११६ सुणिवेसिय (सुनिवेशित) ज २०१२ सुद्धवाय (अनात) ५११२६ सुण्हा (स्नुषा) ज २२२७,६६ सुद्धागणि (शुद्धाग्नि) प १।२६ सुत (णाण) (श्रुतज्ञान) ५ २६।१६ सुद्धोदय (शुद्धोदक) ६ ११२३ ज ३।६,२२२ सुतअण्णाण (श्रुताज्ञान) प ५७,१२,२०,५६; सुधम्म (धर्म) ज ४।१४०३१ २६१६,१२,१७,१६,२० सुतअण्णाणि (श्रुताज्ञानिन्) प ३।१०२,१०३; सुधम्मा (धर्या) ४.१३१ सू १८/२३ सुनिउण ( पुण) ५८०,११७:३०/२३ , सुतणाण (श्रुतज्ञान) प ५७,२०,२४,४१,४६,६७, सुपा ( ४३,५५ सू १०।१२४११ १११:२६११७,२१,३०६,११ सुतणाणि (श्रुतज्ञानिन्) ५३।१०१,१०३; ५१४३, सुबइ यतिष्ठ. . .१५६.?? ८०,६५.११३,२८४१३६ सुपा दिसतष्ठिा) २११४,४।१४६; सुतिक्षण (सुतीक्ष्ण) ज २१६११ १४६ सुतोवउत्त (श्रुतोपयुक्त) १ २३।१६५,१६६ से २०१ सु स ) १२८ सुत्त (सूत्र) प १५१०११६,२११३५ सुत्त (सुप्त) ज ३।१७४ सुपरपात ( सालः) ज १११३,३०,३३,३६; सुत्त (श्रुत) प १:१०१६ ४॥२ सुत (रुइ) (सूत्ररुचि) प ११०१११ सुपरिनिठ्यि ( निप्ठित) उ ३१२५ सुत्तग (नुत्रक) ज ३१३६,१०६ सुपरइय (प्रजित) उ ३।८०,८१ सुत्तत्तय (सूत्रत्र) प ४१५५ सपसत्य (प्रशस्त) ज ३।११७ सुत्तरुइ (मूत्ररुचि) पश१०१६ सुपिकताछोयरस (पक सोदर) प १७११३४ सुत्तत्रेयालिय (शुक्रवत्रारिक) प १६६ सपोप ( १९२११ १०१८४३ सुत्तीनई (शुक्तिाती प११९३४ Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुप्पण्णा-सुरभि सुपणा (सुप्रकीर्णा ) ज ५। ६११ सुप्पबुद्धा ( सुप्रबुद्धा) ज ४। १५७ १ ५ ६१ सुभा (सुप्रभा) ज ७३१७८ सुप्पमाण (प्रमाण) ज २११५ सुप्पमाणतर (प्रमाणतर ) ज ४११०२ सुफुल्ल (सफुल्ल ) ज ३।१०६ सुबद्ध (गुबद्ध) ज २११५६७ १७८ सुबहु (सुबह) उ ३३५०, ५५ सुभि ( २ ) प १३।२७, ३१; २३।१०६ सुभिगंध ( सुगन्ध ) प ११४ से ६,५४५, ७, २०५ ११।५६,१७।१३७:२८।२६,३२,६६ शुभ (शुभ) प २८ । १०५ ज ११३,३०,३३,३६; ३/२२३,४/२ सुभ (शुभ) सोभति सू १६ । ११ सोभिनु सू १६३५ सोभिस्संति सू १९११ सोर्भेति । १६।१ सोनु तु १९।१ सोभांति सू १६३८ सुभंकर ( शुभंकर ) ज ३१८८ सुभग (शुभग) १४८ ४४,१५० ज ४५३, २५; ५६८ ७ १७८ सू २०१४ सुभगणाम ( शुभगनामन् ) प २३।३८,१२४ सुभगत (शुभत्व ) प ३४१२० सुभगा (शुभगा ) प १४०१२ ज ४११६४,५३१११ सुभणाम ( शुभनामन् ) प २३।१६,३८,१२३ सुभद्द (सुभद्र) उर सुभद्दा ( सुभद्रा ) ज २७७३ ११३८४११५७।२ उ ३६७, ८, १०१ मे १२०, १४९, ४१२२ सुभय ( शुभग) प ११४६ सुभय ( शुभक) उ५३५ सुभा (शुभा ) ज ४।२०२/२ सुभोगा ( सुभोगा ) ज ४।१६४; ५। १ । १ सुमनदाम (सुमनोदामन् ) ज ३।२११५ ५५, ५८ सुमनसा ( गुमनस् ) प १३४०१३ मालतीपुष्यता सुरणा (शुमान्) ज४ । १५७१२,२०३ सुमहग्घ ( सुमहाध्यं ) ज३६,२२२ सुनहर (धुर) उ ३६८ सुमिण ( स्वप्न ) उ ११३३, २१८, ५१३,२५,३१ १०८३ सुमिणपाठ (स्वप्नपाठक) उ१।३३ सुमेहा (सुमेधा ) ज४।२३८,५४६ १ सू ( श्रुत) प १ १ २,३,१११०१।६,१३।१० चं १।३ सुय ( शुक ) प १७|१२४ सुख (शुक ) प १४२११ बालतृण सुयअण्णाण ( श्रुतज्ञान) १५१५,१०,१४,१६,१८, ६३; २६१२,६,२१,३०२,६,६,११,१६,२१ सुअण्णाण परिणाम ( श्रुतज्ञानपरिणाम ) प १३३१० सुयअण्णाणि ( श्रुताज्ञानिन् ) प ५२६५, ६६, १३ १४, १६,१७,१८८३; २८१३७; ३०११६ सुयक्बंध ( श्रुतस्कन्ध) उ५१४५ सुयणाण ( श्रुतज्ञान ) प १२१०१८ ५३५,७८,९३; १७ ११२,११३; २०११७, १८, ३४; २६२, ६, १२,३०१२,२१ सुयमाणारि ( श्रुतज्ञानार्य ) प ११६६ सुयणाणि ( श्रुतज्ञानिन् ) प ३११०१, १०३ १३ १४, १७; १८८० ३०११६,२३ सुयतोंड ( शुकतोण्ड ) ज ३।३५ सुयनाणपरिणाम ( श्रुतज्ञान१रिणाम ) प १३६ सुधम्म ( श्रुतधर्म ) प १।१०१।१२ स्यपुच्छ ( शुकपिच्छ ) प १७।१२४ सुमुह ( शुकमुख) ज ३।१८८ सुर्यावट ( शुक्रवृन्त ) प १०५० सुर्याविसिया ( श्रुतविशिष्टता) ज २३।२१ सुविहगया ( श्रुतविहीनता) ज २३।२२ सुयात ( सुजात ) ज ३११०६ सुर (सुर ) प २२६४/१५; ३१।६।१ ज ३।११७ सुरइय (सुरचित ) प २०४१ सुरट्ठ (सौराष्ट्र ) प १४६३।३ सुरत (सुरक्त) ज ७ १७८ सुरपिय (सुरप्रिय) उ ५ ७, ८ सुरभि (सुरभि ) प २।३१,४१२३।४८ ज २।१२, १६,३७,६,३०, ८, १०६, २०६२११; ५।५, ७,१४,२१,५६,५८७ १७८ उ ३११३१ Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५४ मुरम्म-सुसाहय सुरम्म (सुरम्य) ज २११२,४।१३ सू २०१७ सवण्णजहिया (सुवर्णयथिका) ५१७११२७ सुरवर (सुरवर) ज ५७ पीलीजूही सुरवरिंद (सुरवरेन्द्र) ज ३।१०६ सुवण्णमय (स्वर्णमय) ज ४१२६,५३५५. सुरहि (सुरभि) प २३० ज ३।६,१२,३५,८८, सुवग्ण (वासा) (मुवर्ण वर्षा ) ज ५।५७ २२१,२२२ सुवर्णमिप्पि' (गुवर्णशुक्ति) प १७१२७ सुरा (सरा) उ ११३४,४६,७४ सुण्णिद (सपणे द्र) २१३८ सुरादेवी (सुरादेवी) ज ४।४४,२७५,५।१०।१ सुवप्प (गुरप्र) ज ४।२१२,२१२२३ उ४१२।१ सुवयण (सुवचन) उ १।१७ सुरिंद (गुरेन्द्र) प २५० ज २६१, ३।३५:५।१८, सुविण (स्वप्न) उ ११३३५१२५ २१,४८,५२ सविभत्त (मविभक्त) ज ११३७, २।१४,१५, ३।३ सुरूया (सरूपा) ज ५:१३ सू २०१७ सुरूव (गुरूप) प २।३०,३१,४१,४५,४५११,४८ सुविरइय (सविरचित) ज २११५, ३१२४,४।१३ ज ३।१०६,१३८,४१२६ सू२०१४ उ ११२, सू २०१७ १३,३१,५३,७८,६५,५२५,२२ सुव्वत (मुद्रत) सू २०१८ सुलद्ध (सुलब्ध) उ १।३४;३।६८,१०१,१३१ सुब्वय (सूबत) सू २०१८।८ सुलस (मुलस) ज ४१६४,२०७ सुन्वया (मुक्ता) उ ३१६६,१००,१०६ से १०८, सुलित्त (मलिप्त) उ ३११३०,१३१,१३४ १११ से ११३,११५,११६,११५.१३२,१३३, सुवरगु (सुवल्गु) उ ४१२१२,२१२।३ १३६,१४१ से १४३,१४५,१४६,१४८,१५० सुवच्छ (मुवत्स) प २।४७।२ ज ४।२०२।१ सुसंगोविय (सुसङ्गोपित) उ ३।१२८ सुवच्छा (सुयत्सा) ज ४।२०४,२३८:५।६।१ सुसंठिय (मुसंस्थित) ज ७१७८ सवण्ण (मपर्ण) प २१३०११,४०1१,८,१०:५१३ ससंपरिहिय (संपरिहित) उ ३.१२८ ज ३।२४।१,२,१३०१,२ सुसंवुय (मुगवृत) ज ३६,२२२ सुक्ष्ण (सवर्ण) प १२०११ ज २।२४,६४,६६; सुसज्ज (सज्ज) ज ५४३ ३।६,२०,३३,५४,६३,७१,८४,९५,१०६, सुसद्द (शब्द) ज ७१७८ ११७,१३७,१४३,१५६,१६७/८,१८२,१८४, सुसमण (नशमन) ज २१५३,१६२ २२२:४१३,२५,२६,५१३८,५२,५५,६७,६८ सुसमदुस्समा (मुपमदुप्पा ) ज २।२,३,६,७,५४,५६ उ ३।४० सुसमससमा (गुषमापना) ज २२,३,६,७,५२ सुवण्णकुमार (भुषणकुमार) ५ १११३१,२।३७ से १६१,१६३,१६४,४।१०६ ४०,४१४६६१८ सुसमा (मुषमा) जरा२,३,६,५१,५२,१६०,१६१ सुवण्णकुमारराय (सुपर्णकुमारराज) प २।३७ से ४१८३ ३६ सुसमाहिय (मसमाहित) ज ३१३५ सुवण्णकुमारिद (सुपर्णकुमारेन्द्र) प २१३७,३६ सुसवण (सुश्रवण) ज २११५ सुवण्णकुमारी (मार्णकुमारी) प ४।५२ सुसारखिय (सुसंरक्षित) उ ३.१२८ सुवष्णकूड (मृवर्ण कूट) ज ४।२७५ सुसाहय (समहन] ज२१५ सुवष्णकूला (सुवर्णकला) ज ४१२७२,२७४,२७५; । ६२० १ हे० २११३८ सिणि (शुक्ति) Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुसिणिद्ध-सूर १०८५ सुसिणिद्ध (मस्निग्ध) ज २।१५ सुहम (सूक्ष्म) १२॥३,६,६,१२,१५,३१,३।११२, सुसिलिट्ठ (सुश्लिष्ट) ज ११३७,३१६,१२,१७८, ६१ से ७१.५५ से ६५,१११,१८३,४।५६ से २२२:४।१२८,५४४३,७११७८ ६१,६८,७५,८२,८३,६१,६१८३,१०२, सुसीमा (मसीमा) ज४।२०२।२ १५।४३,४५,१८।१।२,३७ से ३६,११६, सुसीस (सुशिष्य) ज ३३१०६ २१४,५,२३ से २७,४०,४१,५०,२३।१२१; सुसेण (सुषेण) ज ३७६.७७,७८,८०,८२ से ११, ३६७६,८१,६२ च ११३ ज २०६७।१७८ १०६ से १११,१२८,१५१ से १५७,१७०,१७१ ११.१२८१५१ से १५०.००.०१ सुहुमआउक्काइय (सूक्ष्मअप्काक), ११२१,२२ सुस्सर (सुस्वर) ज २११५,५१५२,५३ सुहुमणाम (सूक्ष्मनामन् ) प २३१३८,११८,१२० सुस्सूसमाण (शुश्रषमाण) ज १६२।६०, ३१२०५, सुहुमतेउक्काइय (मूक्ष्मतजस्कायिक) प १२४,२५ २०६:५१५८ उ ११६ सुहुमवणस्सकाइय (सूक्ष्मवनस्पतिकायिक) सुह (सुख) प २।४८,२।६४११५,१६,२०;३५।१२२, प १६३०,३१ ३५१०,११:३६।१४।१ ज २११२,२०,७१, सुहमवाउक्काइय (सूक्ष्मवायुकारिक) प १५२७,२८ ३।६,८१,६६,१००,१०१,११७११,१२१,२२२; सुहुमसपराय (सूक्ष्मनाराय) प १११२,११३, ४१२७,४८,१७७; ५।२६,२८ सू १६।२२११३ १२४,१२८, २३।१६१ उ ११११०,१२६,१३३ सुहमसंपरायचरित्तपरिणाम (सूक्ष्मपरायचरित्रसुह (शुभ) प २१४६ ज २।१२,२०:३। परिणाम) प १३३१२ सुहंसुह (सुखसुख) ज २११४६:३११२१,१२७, सुहोतार (सुखावतार) ज ४॥३,२५ २२४;५।६७ उ ११२.५०,७५ सुहोदय (सुखोदक, शुभोदक) ज ३१६ २२२ सुहणामा (शुभनामा) ज ७.१२१ सू १०१६१ सुहोवभोग (सुखोपभोग) ज २११४५,१४६ सुहता (सुखता) प २३।१५ सूइ (शुचि) ज ४१२६ सुहत्त (सुखत्य) प २८२४,२६ सूईमुह (सूचीमुख) प ११४६ सुहत्थि (सुहस्तिन) ज ४१२२२१,२२८ सुई (सूची) १५।२६:२१।२५ सुहफास (सुख पर्श, शुभल्पशं) ज १२८ सूणा (मुना) उ १६४४,४५ सुहम्मा (सुधर्मा) ज २।१२०,४।१२०,१२१,१२६, सूमाल (सुकुमार) ज ३।२११:५१५६७११७८ १३८।५।१८,२२,२३,५०,७१८४,१८५ उ १११ से १३,३० से ३२,५३,७८,६५, सू १८।२२,२३ उ ३६,६०,१५६,१६६; १४५,२।५,७,१६,३१६७,४१८,५१२ ४।५; ५११५.१६ सूमाला (सुकुमारा) ज ३१२२१:५१५८ सुहया (सुखतः) २३१३० सूय (पु) ज ३।१७८,१८६,१८८,२०६,२१०, सुहलेसा (शुभतेश्या) ज ७५८ २१६,२१६,२२१ सुहलेस्सा (शुभमेश्या) सू१६।२२।३० सूयलि (दे०) प १८९ सुहावह (सुखावह ) में ४१२१२ सूर (यूर) प १११३३; २१२० से २७,४८%) सुहासण (सुखासन) ज ३१२८,४१,४६,५८,६६, १५५५५।३ ज ११२४, २१६८, ३१३५,६५, ____७४,१३६.१४७.१८७,२१८ ११७,१५६,१६७।१२,१८८,२०७,२१२; सुहि (सुखिन्) प २१६४१२०, ३६१६४।१ ज २१२६ ५१५६, ७१०२,१३५.१,४,१७७।२.१७८।१, सुहिरणियाकुलुम (सुहिरण्यिकाकुसुम) १८०,१८१ मु १०।३,१२३,१३४,१४३ से प१७।१२७ १४७,१५० से १६१,१६६ से १६९,१७२, Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८६ १७३,१११२ से ६,१२११६ से २८, १५११, ५, ७,११,१२,१३, १५, १८, २१, २४,२७,३०,३३, ३६; १८११,१८,१६,३४, ३७; १६ १११, १६२२१४, १०, १५, २१, २३, २४, २७ से ३०, ३२:१६१३५; २०१२,३,५,६ उ २।१२; ३१२११,२१,४८,५५,६३,६७,७०,७३,१०६, ११८ सूर ( शूर ) ज ३११०३; ४|१४ सूरकंत ( सूरकान्त ) प १।२०१४ सूरकतमणिणिस्सिय (पुरकान्तमणिनिश्रित ) प १२६ सूरणकंद (सूरणकन्द, शूरणकंद) प १२४८२७ सूरत्थमण (सुरतरुयन ) ज २।१३४ सूरपणति ( गुरप्रज्ञप्ति ) ज ७ १०१ सूरपव्यय ( सुरपर्वत) ज ४२१२ सूरख्पमा ( सूरप्रभा ) सू १८१२४ सूरमंडल ( सूरमण्डल) ज ७१२ से १६,१७७ सूरलेस्सा (सूरलेखा ) सू १६३३, ४ सूरवस (सूरावतंसक ) सू १८/२४ सुरवर ( सुरवर ) सू १९३५ सूरवरोभास ( सूरवरावभास) सू १९१३५,३६ सूरवल्ली (गुरवल्ली ) प १४० ३ सुरविमरण (सुरविमान ) प ४।१८३ से १८८ ज ७।१७३,१७४,१७६,१८६,१६० सू १८१, ८,१०,१४,२३,३० सूरसेण (शूरसेन ) प १६३३५ सूरादेवीकूड (मुरादेवीकूट) ज ४१४४ सूराभिमु (गुराभिमुख ) उ ३३५० सूरिय (सूर्य) २४८ से ५१,६३ ज २।१३१; ७१.१३,२० से ३१,३५ से ३६,५४,५८,६६, १०१,१५६ से १६८, १८०,१८१,१६७ चं २१२, ५ सू ११६१२, ५, ११११,१२,१४,१६ मे २४,२७,२११ से ३, ३१,२,४३१, २, ४, ७, ६, १०५।१६।१ ; ७११; ८।१९।१ से ३,१०।६३ मे ७४,१३२,१३४,१७१,१५।१.३ : १७ १; १८१२,३,१८,१६,३७,१६४१, ५२, १६ ११, सूर-सेणावइ १५१२,१६,२११६, १६१२२/२३, २६, २०१११७ उ ५/४१ सूरियगत ( सूर्यगत) सू ११६ सूरियपडिहि (सूर्य प्रतिधि ) सु ९1३ सूरियाभ (सुभि ) ज ५३५५ उ ३७, ६० से ६२, १५६५।२३ सूरियाभगम (सुभगम ) ज ५१४० सूरियावत्त (सूर्याज ४२६०१२ सू५११ सुरियावरण (सूर्या) ज ४२६०।२५।१ सूरुग्गमण (मुरोद्गम ) २११३४ सुरोद (सुरोद ) गु १६१३५ सूल ( शूल) ज ३1३१, १७८ सूलपाणि ( शूलपाणि) प २१५१ ज २२६१:५३४८, ६० सुसर ( सुस्वर ) ज २।१६; ५ २२,२६ सुसरणाम (सुस्वरनामन् ) प २३१३८,१२५ सुसरणिःघोष (सुस्वरनिर्घोष ) ज २११६ सूसरा ( सुस्वरा) उ३।७,६१ से (दे० ) प १1१० उ १११५; ३।३३ सेउ (सेतु) ज २।१२ सेज्जंस ( श्रेयांस) ज २७६ सु १०।२४११ सेज्जभंड ( गय्याभाण्ड ) उ ३।५१।१ सेज्जा ( शय्या) प ३६।६१ उ ३३६६४।२१ सेट्ठि (श्रेष्ठिन ) प १६ ४१ ज २२५; ३६,१०, ७७,८६,१७८, १८६, १८८, २०६२१०,२१६, २१६,२२१,२२२ उ १६२३।११,१३,१०१ सेडिय (दे० ) प ११४२११ सेडी (३० ) प १।७६ लोमपक्षी विशेष सेठ (णि) २३१:१२१८,१२,१६,२७,३१, ३२,३६ से ३८,२१।६३ ज २।१३३,२२०; ४११७२,२००,५१३२,६।६।१,१५ गठित (सेनक पृष्ठसंस्थित) मू४।३ सेणा ( सेना ) ज ३३१५.१७,२१,३१,३४,७७,७८, ८८,१०६,१५६,१७३, १७५,१७७, १८0, १६६ उ ११२३, १२७, १२८५११८ सेणा ( सेनापति ) प १६।४१ ज २११५;३१६, Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेणावइरयण-सेस १०८७ १०,७६ से ७८,८० से ६१,१०६ मे १११, १२८ १२८,१२६.१५१ से १५७,१७०,१७८,१८६, सेयणगसंठित (सेचनकर्म स्थित) गु ४।३ १५८,२०६,२१०,२१६.२१६.२२१,२२२ सेयणय (सेचनक) उ १६६ से १६,१०३,१११, उ ११६२,३।११,१००५१० सेणावइयण (सेना विर) ३५१७८,१८६, सेयता (श्वेततः) सू ४१ १८८,२०६,२१०,२१६२२०.२२६५।१६। सेयबंधुजीवय (श्वेत बन्धुजीवक) प १७।१२८ सेणारयणत (ना ) ५ २०१५८ सेयमाल (श्वेतमाल) ज २१८ सेणादच्च (। त्य) : २।३०,३१,४१,४६ सेयविया (श्वेतविका) प ११६३१६ १४: ; ३1१८५,२०६२२१५११८५०१० सेया (श्वेततः) चं ६ भू ११६११ सेणि (श्रेणि) :- ३.१२,१३,२८,२९,४१,४२,४६, सेयाल (एतकाल) प २८१२२,३४,३६,६८ ५.०,५८,५६,६६,६७,४,७५,१४७,१४८, सेयासोय (श्वेताशोक) प १७१२८ १६८,१६६,१७८,१८६,१८८,२०३.२१६, सेरियय (मैरे क) प ११३८११ २१६,२२१ सेरिया (सेरिका) ज २११०ः४।१६६ सेषिय (णि) ११०,१२,२६१ ३२,३४, सेरुतालवण (सेहतालवन) ज २१६ ३६ ४४,४३ से ४६,५७,५८,६१,३२,६५, सेल (शैल) प २११:१११२५ ६६,६८,७२ ७३,८२,८३,८६ से ६२,६५, सेलसिहर (शैव शिखर) ज २१८८ १६.१०३,१०६ से ११४,१४५,२६५,१७,२२, सेलु (शेलु) प ११३५११ ३१४,२१,२४,८६,१५५,१६८,४६४ सेलेसि (शैलेशी) प ३६१९२ सेण्ण (संख्य) ज ३।१५.२१,३१,३४,७७,७८,६१, सेलेसिपडिवण्णग (शैलेशीप्रतिपन्नक) प १११३६%3 ६५,१५६,१७३,१८५,१६६ २२१८ सेण्हा (श्लदण) १३५।३ सेल्लार (दे० कुन्तकार) प ११६७ भाला बनाने सेत (श्वेत): २४७१३,२१६४ ज ३११२,८८ वाला सेत (थे ) १०१८४४१ सेवणा (सेवना) ५१५१०१११३ सेक्सप्प ( प) १२० सेवाल (शवाल) प १३८१२,११४६,११४८११, सेय (श्वे) १४६१।१६,३८, ३.१८,३१. १६२ ज २०१० ३५,६३,१८२ ; ४१०.८१,११५,१२१ १२५. सेवालभक्खि (शवालभक्षिन) उ ३५० सेस (शेष) ५१।१०११११२१३२,३४,३६ से ४०, ५१ से ५४,५८,६०,६२,३।१८२,५१६४, सेवा ). १६४ १५२,१५४,२०५,२४४,६८१,८३,८४; सेय (य ): ३ १३:३८१ १२२११ १०।१४।६,१२१३८,१३।१५ से १८:१५।१८, उ ११. १४,६६.८६७६,६,१७,११६) १६,३४,७५,८२१७४२३,२५,२७,२६,३४, ३४८,५०,५५.१०६,११८ ३५,२०१८,५६,६०; २२१४५,५५,८०; सेयंकर ( २०१८,२०१८ २३१५६,१५६,१५६,१६३,१६१,१६३,१६६; सेयंस ( 1) ज ७:१४१ २४/८,६; २५।४:२८।२६,३८,८६,७४,१०१, सेपदणीर (बेशकीर १२८ १२३,१४५, ३०।१४:३२६।१:३४१२२ से मेया (सेचनक) १६६.१०२ से ११६.१२७; २४;३५१॥२,३६।३३,६७ से ६६,७१,७३ Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८५ सेसय-सोमणस्सिय ज ११४६ ; २१५२,८८,१६१ ; ३.१५०,१५३, १५७,१६१,१८३,४१३७,४१,५३,७०,६३, १०६,१४१,१४७,१५३,१५५,१५६,१६५, १७२,१७७,१८४,१८५,१८७ से १६१,२०३; ५१८,५१,७१३५३१ सू ८।१६।३१०१२५, १५२ से १६१,१११२ से ६:१२११६ से २८; १८२४:१६।२२२२ उ ११४८,२१६,२२; ३।७,४१२२,२८,५११६,४५ सेसय (शेषक) ॥ २३॥१६० सेसवई (शेषरती) ज ५।९।१ सेसिय (ोपित) ज ७।१४६ सेह (दे०) प १७६ सोइंदिय (श्रोत्रन्द्रिय) प १५॥१,२,७,८,११ से १८, ४०१५।५८ से ६७,६६,७०,१३३,१३४; २८७१ उ ३३३३ सोइंदियत्त (श्रोत्रेन्द्रियत्व) प २८१२४;३४.२० सोइंदियपरिणाम (थोत्रेन्द्रियपरिणाम) ५ १३१४ सोंड (शौण्ड) ज ७११७८ सोंडमगर (शौण्डमकर) प ११५६ सोंडा (शुण्डा) उ १६७ सोक्ख (सौरूम) प २१६४।१४,१८.२२ सोक्खुप्पाय (सौख्योत्पाद) सू २०१६।६ सोग (शाक) प २३।३६,७७.१४५ ज २।१५,७०%; ३।१०५ सोगंधिय (सौगन्धिक) १२०१४,११४८१४४ ज ३।१०,४६३,२५,५१५ सोच्चा (श्रुत्वा) ज ३१६ उ ११२१,३।१३; ४।१४:५२२० सोणि (श्रोणि) ज २०१५ सोणिय (शोणित) प ११८४ ज ३१३६ उ १५६, ६१,६२,८४,८६८७ सोणीक (श्रोणिक) ज ३।१०६१ सोत्त (थोत्र) १५७७ सोत्तिय (शौनिक) प ११४६ सोत्तिय (सौत्रिक) प १६६ सोस्थिय (स्वस्तिक) प २।६४ ज २१५; ३।३, ३२,१७८,४।२८,५१३२ सू २०१८,२०६६ सोत्थियसाय (स्वस्तिकशाक) प ११४४।२ सोदामिणी (सौदामिनी) ज ५११२ सोभ (शुभ) सोभति ज ७।१ सोभते ज २११५; ३।२४।३,३७१,४५॥१,१३११३ सोभिमु ज ७।१ सोभिरांति ज ७१ सू १६१ सोति सू १६०१ सोभेमु सू १६१ सोभंत (शोभमान) ज २११५ सोभग्ग (सौभाग्य) ज ५४६८,७० सोभण (शोभन) ज ३।२०६ सोभमाण (शोभमान) ज ३।२४।३,३७४१,४५।१, १०६,१३११३ सोभयंत (शोभमान) ज ७।१७८ सोभा (शोभा) ज १ सोभावेत (शोभयमान) ज ३११७८ सोभिय (शोभित) ज ३।३५,२२१७।१७८ सोभेत (शोभमान) ज ३।१७८ सोम (सोम) ज ४।२०३,७१३०,१८६२ सू २०१८,२०८१२ उ ३।५१,१५१,१५२ सोम (सौम्य) ज २११५ सू २०१४ उ ५१५,२२ सोमंगलक (सौमङ्गलक) ११४६ सोम (काइय) (सोयायिक) ज १।३१ सोमणस (सौमन रा) ज ४।२०३,२०४११,२०५, २०८,२१५।५।४६१३,५५,७११७२ सू १०८६।२ सोमणसवक्खार (सौमनस वक्षस्कार) ज ४।२०५ सोमणसवण (सौमनसवन ) ज ४।२१४,२४०, २४१,२४३ सोमणसा (सौमनस्या) ज ४।१५७।१७१२०६१ सू १०१८८१ सोमणस्सिय (सौमनस्पित, सौमनस्यिक) ज ३१५, ६,८,१५,१६,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१, १०७,११४,१४२,१६५,१७३,१८१,१८६, १६६,२१३,४।२०३:५१२१,२७ उ १२१,४२, ३११२६ Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोमदंसण-हंभो १०८६ सोवस्थिय (सौवस्तिक) ज ४।२१०११,५३२ सू २०१८,२०१८६ सोवाण (सोपान) ज ३११६५,२०४ से २०६, २१४ से २१६:४१४,५,२६,२७,८६,११८, १२८,१४४,२४६:५१३०,४१,४२ सोस (शोष) ज २१४३ सोहंत (शोभमान) प २१ सोहग (सौभाग्य) प ३४१२० ज २१६५;३।१८६, सोमदंसण (सौम्यदर्शन) ज २१६८ सोमदेवया (सोमदेवता) सू१०१८३ सोमया (सोमता) ज ३३ सोमरूव (सौम्य रूप) उ ५२२ सोमा (सोमा) उ ३.१२६ से १३१,१३४ से १४४, १४७,१४८,१५० सोमाण (सोवान) ज ५१४१,४२,४४,४५ सोमिल (सोमिल) उ ३।२८ से ३२,३५ से ४५, ४७,४८,५० से ६५,६७ से ८३ सोय (श्रोतस) ज २११३४ सोय (शोक) उ ११२३,९१,९३ सोयमाण (शोचत) ७११६२ सोयविष्णाणावरण (अंत्रविज्ञानावरण) य २३।१३ सोयामणी (सौदामिनी) ज ३१३५ सोयावरण (श्रोत्रावर.पा) प २३११३ सोरिक (सौरिक) प ११६३।२ सोल (पोडश) प १०११४।४ से ६ ज ४.१४२ सोल (षोडशन् ) सू १९३१६ सोलस (पोडशन्) प २।२५ ज १७ मू १११४ उ ३३१२,१२६,५१० सोलसअंगुलजंघाक (पोडशांगुलजङ्घाक) ___ ज ३११०६ सोलसग (षोडशक) प २१२७११,२ सोलसम (घोडश) सू १२११७ मोलसमंडलचारि (पोडशमण्डलचारिन्) सू १३१५ सोलसविह (षोडशविध) प ११।८६,२३।३५ सोला (षोडशन्) सू १९१६ सोल्ल (दे० चक्य) उ ११३४,४०,४६,७४ सोल्लिय (दे० पक्व) उ ३१५० सोवक्कमाउय (सोगमायुष्क) १६११५,११६ सोचिय (सोपचित) ज २१७१ सोवच्छिय (सौवस्तिक) प ११५० मोवणिय (सौवणिक) ज ३११३५,२०६:४११३; सोहम्म (सौधर्म) प १११३५, २६४६ से ५२,५८, ६३,३।२६,१८३,४।२१३ से २२४;६।५६,६५, ८५,६५,१११:१०१२,३,१५१८७;२०१६१; २११६१,७०,६०,२८७५,३०।२६,३४११६, १८ ज ५।१८,२४,२५,४४ उ २।१२,२२, ३।६०,१२०,१५६,१६१:४१५,२४,२८,५१४१ सोहम्मकाप (सौधर्मकल्प) प६।२७ सोहम्मकल्पवइ (सौधर्मकल्पपति) ज ५।२६ सोहम्मकप्पवासि (सौधर्मकल्पवासिन) ज १९० ५।१६,२६,४३ सोहम्मग (सौधर्मज) प २१५०,५१,७८,१५१६, १०८,११२,१२५,२०।४६,३३११६,२४ ज १४६ सोहम्मगकप्पवासि (सौधर्मककल्पवासिन) ५ २१५० सोहम्मवडेंसय (सौधर्मावतंसक) प २१५६ सोहम्मव.सय (सौधर्मावतंसक) प २१५०,५४ ज ५१८ सोहा (शोभा) ज ३१६,२२२ सोहिय (शोभित) ज २२१२ हंत (हन्त) ज २२२४.२७,२६,३४ से ३७,४१,६४, ६६४१२७३,५४६८ से ७०७३६,३७,१०१ हंता (हन्त) ५ ११११,१५१४३:१७।१६६,२०११०, २२,२८३ उ ५५३२ हंदि (दे०) ज ३।२४।११,३१११,५।२७,७२,७३ हंभो (दे०) उ१।११५,११६, ३१५८,६०,३६,७६ Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६० हंस-हरिकंतदीव हस्थिणिया (हस्तिनिका) प ११०२३ हत्यितावस (हरिततापस) 3 ३१५० हत्थिमुह (हस्तिमुख) प १।८६ हत्थिरयण (हस्तिरल) ज ३।१५,१७,२०,३१,३३, ५४.६३,७१,७७,६१,६२,१४३,१५१,१६६. १७३,१७५,१७७,१७८,१८२,१८३,१८६, १६६,२०२,२०४,२१४,२१७,२२० उ १११२३, हंस (हंस) प १२००४,७६ ज २।१२,१५ उ ५५ हंसगम्भ (हंसगर्भ) ज ५५ हंसलक्खण (हंसलक्षण) ज २१६६ हंसस्सर (हंसस्वर) ज २।१६,५२५२ हक्कार (हाकार) ज २१६० हिक्कार (आ+कारय) हक्कारेंति ज ५१५७ हठ (हृप्ट) ज॥४,१४६;३।५,६,८,१३,१५,१६, २६,३१,४२,५०,५२,५३,५६,६१,६२,६७, ६६,७०,७५,८४,६१,१००,११४,१३७,१४१, १४२,१४८,१५०,१६५.१६६,१७३,१८१, । १८६,१६२,१६६,२०८,२१३,५१५,१५,२१, २३,२७ से २६,४१,५५,५७,७० उ ११२१, ४२,४५,१०८,३।१३,१०१,१०३,११३,१३४, १३६,१४७,१६०४।११,१४,२०:५।१५,३८ हडप्परगाह (हडप्प ग्राह) ज ३।१७८ हद (हठ) प ११४६,११४८.६,१२६२ हणमाण (घ्नत्) ३३१३० हणुगा (हनुका) ज २०१५ हत्थ (हस्त) प २१३०,३१,४१,४६ ज २१६५; ३१६,२४१४,३७४२,४५२,१०६,१३११४,१८६, २०४:५।२१:७/१२८,१२६२१,१३३।२,१३६, १४०,१४६,१६४ सू१०।२ से ६,१६,२३, ४६,६२,७१,७५,८३,१११,१२०,१३१,१३२, १५४१२२४ उ १८८,८६३५१,५६,९८% ४।२१ से २३ हत्थग (हस्तक) ज ४१३०,५१५ हत्थगय (हस्तगत) ज ३१९,२१,३४,८५ से ८७; ५१८ से ११,५७ हस्थसंठिय (हस्तसंस्थित) सू १०॥४६ हत्थि (हस्तिन ) प ११६५; ११:२१ ज २।३५, ६५,३१३१,६८,१६७,१७८,५१५७ उ ११२१, १३१,५११८ हत्थिखंध (हरितस्कन्ध) ज ३।१८,७८,६३,१८०, २१२,२१३ हत्यिणपुर (हस्तिनापुर) उ ३६१७१ हत्थिणाउर (हस्तिनापुर) उ ३७१ हत्थिरयणत्त (हरितरत्नत्व) प २०१५६ हस्थिसोंड (हस्तिशौण्ड) म ११५० हदमाण (हदमान) उ ३।१३० हम्ममाण (हन्यमान) उ १११३० हम्मिय (हर्म्य) ज २१२० हम्मियतलसंटित (हयतलसंस्थित) सू ४१२ हृय (य) प २१३०,४६ ज २।६५,३१३,१५,१७, २१,२२,३१,३४,३६,७७,७८,६१,१०८ से १११,१७३,१७५,१७७,१८५,१८७१६६, २०६,२१८ उ १।१२३,१३८,५११,७,१८ ह्य (हत) ज २१६० से ६२,३।२२१७११८४ उ ११२२,१४०,३११२३,१२६ यकण्ण (ह कर्ण) प ११८६ हयच्छाया (हयच्छाया) प १६१४७ हयपोसण (ह्यपोषण) ज ३३ हयरूवधारि (ह्यरूपधारिन्) ज ७११७८ हयलाला (यलाला) ज ३१२११,५१५८ हयवति (हयपति) ज ३।१२६२ यहेसिय (यहेसिन) ज ३1३१५१५७,७।१७८ हिर (ह) हरेज्जा ज २६ हरओ (हरतस्) ज ४११४० हरडय (हरीतकः) ११॥३५॥२ हरतणुय (हरतनुक) प ११२३,११४८१६ हरि (हरित्) ज ३।३५,४१८४,६०,६२१ सू२०१८,२०१८४ हरिकंत (हरिकान्त) प २१४०१६ हरिकंतदीव (हरिकान्तदी।) ज ४।७६ Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हरिकंतप्पवाय कुंड - हालिद्दय हरित वायकुंड (हरिकान्तापातकुण्ड ) ज ४।७५, हलीमुह (हलीमुख) ज ३ | ३५ हलीसागर (हलीसागर ) प १०५० ७६,७७ √ हव (भू) हवइ प २४७ २३६४६४ हरिकंता (हरिकान्ता ) ज ४।७३ से ७५,७७,७८, ८४,६०,२६२,२६८,६३२१ हरिकताकूड (हरिकान्ता कूट) ज ४७६ हरिकूड ( हरिकूट ) ज ४।६६,२१०।१ हरिगमसि (हरिर्नंगमेपिन् ) ज ५१२२,२३,४ε हरितग ( हरितक ) प १४४|१ ज ७।१३२१४,१७७१३ सू १६२२६ हति प ११३८१३, ११४८ ५८ ५६ ज ७ १७८ १,२ चं ३१३ सु १।७।३; १२।७१,१६३१।१, १६२२८,२१ हवति प १।३७ ३ ३५ | १११ ; ३६।६४ हवेज्ज प २२६४१४ हवेज्जा ५२१६४११६ हरिता (हरितक) ज २।१४४,१४५ हरिमेला (हरिमेला) ज ३११७८७ १७८ हरिय (हरित ) प १।२४।१ ज ३१२४ उ ३३५१,५३ हरियग (हरितक) उ ३०४६ हरिया (हरितक ) प १।३३११, ११४४ ज २ १४५, १४६ हरियाल (हरिताल ) प १।२०१२१७११२७ ज ३१११ हरियाल गुलिया ( हरितालगुलिका ) प १७।१२७ हरियालभेद ( हरितालभेद ) प १७।१२७ हरियालिया (हरितालिका) ज ५।१३ हरिवास (हरिवर्ष ) प १८७१६।३०१७ १६४ ज २६,४१६२,७७,८१ से ८६,१०२,२६५; ६६,२१ हरिवासकूड (हरिकूट ) ज ४७६, ६६ हरिस (हर्प ) प २२० से २७ ज ३३५,६,८,१५, १२,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४, १४२,१६५, १७३, १८१, १८६, १६६, २१३, ५२१ २७,४१३ १।२१,४२,७१, ७२३ । १३१; ५।२२ हरिसह (हरिसह ) २२४० १७ ज ४११६२१, १६५, २१० हरि सहकूड ( हरिसहकूट) ज ४ १६५, २३६ हलउलेमाण (दे०) ३।११४ हलधरवसण ( हलधरसन ) प १७१२४ हलिपत्त (हरिद्रापत्र ) प १ ५१ हलिहा ( हरिद्रा ) प ११४८/२ हलिद्दी (हरिद्रा ) ज ३१११६ हलिमच्छ ( हलिमत्स्य ) प ११५६ हल्व (अर्वाच् ) प ३६।८१ ११२२,७०,८०, १०७, १०८,११५ से ११७,११६,१२७,१२८ ( हव्य ) ज २६, २४,३४,३५,३७,३।१०७, ११४७/२० से २५,७६,८२, २०२,२०४, २०६ सू २३; २०१७ ह १०६१ V हस (हस् ) हसति ज २१७ हसंत ( हसत् ) ज ३।१७८ हसमाण ( हसत् ) उ ३११३० हसित ( हसित) सू २०७ हसिय ( हसित ) प २१४१ ज २१५,३११३८ हस ( ह्रस्व ) प २६४|४; १३१२३ हस्ततर (हस्त्रतर ) ज ४|५४ हाण (मल्लिप्राण) ज ३।१०६ हायमाणय ( हीयमानक) प ३३१३५ हार ( हार ) १ २ ३०,३१,४१,४६,६४ ज ३६, ६, १८,२६,३५,६३,१८०,२११,२२२, ४/२३, ३८, ६५.७३, ६०, ६१; ५।२१,३८,६७ १६,१०२ से ११७,११६ हारितग ( हारितक) ज ३।११६ हारोस (दे० हारोष ) प ११८६ हालाहल ( हालाहल ) प १।५० हालिद्द ( हारिद्र ) प १२४ से ६३५१५, ७, २०५; ११ ५३; २३११०२,२८/२६,३२,६६ ज ४२६ सू २०१२ हालिगुलिया (हारिद्रगुलिका ) प १७।१२७ हालिद्दमत्तिया ( हारिद्रमृत्तिका ) प १११६ हालय (हारिद्रक ) प १७ १२६ Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ हालिद्दवण्णाभ-हु हालिद्दवण्णाभ (हारिद्रवर्णाभ) सू २०१२ हालिद्दसुत्तय (हारिद्रसूत्रक) प १७६११६ हालिद्दा (हरिद्रा) ११७१२७ हालिद्दाभेद (हरिद्राभेद) १ १७:१२७ हास (हास) प २४१,२१४७१३,१११३४।१% २३१३६,७६,१४४ ज २१६६,७० हासकारग (हासकारक) ज ३।१७८ हासणिस्सिया (हासनिधिता) प ११३४ हासरइ (हास रति) ५ २१४७३ हासा (हासा) ज ५।११११ हाहाभूय (हाहाभूत) ज २।१३१.१३६ हिगुरुक्ख (हिंगुरूक्ष) प ११४३१२ हिंगुलय (हिंगुलक) प ११२०१२ ज ३।११ हिंगुलुग (हिंगुलुक) ज ३३५ हिट्टिम (अधस्तन) प २०२७।१ हिट्ठ (अधम्) प १२४ से २७ रू १८.२,३, १६२२०१७ हिट्ठि (अधम्) ज ७.१६८०१ हिट्ठिल (अधस्तन) ज ७।१७५ हिट्ठिलग (अधस्तन) ज ७।१७५ हिल्लि (अधस्तन) सू १८७ हितकर (हितकर) ज ३१८८ हिदय (हृदय) ज ३।१३८ हिमय (हिमक) प ११२३ हिमवंत (हिमवत्) ज ११२६,३१२,३५,४।१७७ उ१।१०,२६,६६५१११ हिमवयकूड (हिमपत्कूट) ज ४।२३६ हिमसीतल (हिमशीतल) सू २०१२ हिय (हित) ज २१६४,७१,३१८८,५।२६ हिथईसर (हृदयेश्वर) ज ३६१२६३ हियकर (हितकर) ज ३।१६७ हियकारग (हितकारक) ज ५१५,४६ हियय (हृदय) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१,३५, ५३,६२,७०,७७,८४,०१,१००,११४,१४२, १६५,१७३,११,१८५.१८६,१८६,१६६, २१३:५।२१,२७,४१,५८ गु २०१६।१ उ १।२१,४२,३।१३१ यियगणिज्ज (हृद गमनीय) ज २१६४;३।१८५, २०६५१५८ हिययपल्हायणिज्ज (हृदयप्रह्लादनीय) ज २।६४ ३.१८५,२०६:५११८ हिययमाला (हृदयमाला) ज २६५,३११८६,२०४ हिययसूल (हृदयशूल) ज २१४३ हिरण्ण (हिरण्य) ज १२४,६४,६६,४१२७३ ५।६८ से ७० हिरण्णवय (हैरण्यवत) प १८७ हिरण्णवास (हिरण्यवास) अ ३।१८४,५१५७ हिरण्णविहि (हिरण्यविधि) ज ५१५७ हिरि ('ह्री) ज ४१६४५११११ उ ४१११ हिरिकूड (ह्रीकूट) ज ४७६ हिरिसिरिधीकित्तिधारक (ह्वीश्रीधीकीतिधारक) ज ३११२६।१ हिरिसिरिपरिवज्जिय (ह्रीश्रीपरिजित) ज ३।२६, ३६,४७,१०७,११४,१२२,१२४,१३३ हिलियमाण (अभिलीयमान) ज ३।१०६ हिल्लिय (दे०) प ११५० हीण (हीन) २१६४।४५।५,१०,२०,३०,३२, १०२.१२६,१३१,१३२,१३४,१६०,१७७, १६३,२१४२२८ होणपुण्णचाउद्दस (हीनपुण चातुर्दश) ज ३।२६, ३६,४७,१०७,११४,१२२,१२४,१३३ हीणपुण्णचाउद्दसिय (हीनपु:चातुर्द शिक) उ १८६, हीणस्सरता (हीनस्वरता) ॥ २६॥२० होनस्सर (हीनरवर) ज २१३३ हीर (हीर) प १४४८।२० से २६ हीरमाण (ह्रियमाण) ज ७।३१,३३ सू ४१४,७ केहील (हेलय) हीति उ ३.११७ होलिज्जमाण (हेल्यमान) उ ३१११८ हु (भू) हुति ज १११७,४।१४२।१७।१३४।१,४; १७२। १ ४१३ मु ११८१३,१६।२२।४,५,१५, Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हुंड-होरभा १०६३ २०,२३,२७,३१ हुंड (हुण्ड) प १५।१८,३०,३५,२११२५ से ३३, ३५ से ३७,५८,५६, २३।४६ हुंबउट (दे०) उ ३१५० हुडुक्क (हुडुक्क) ज ३।२०६ । हुण (हु) हुणड उ ३.५१ हुत (हुत) उ ३।४८,५० हुतवह (हुतवह) ज ३।१०६ हुयवह (हुतवह) ज २१३१ हुहुय (हुहुक) ज २१४ हुहुयंग (हुहुकाङ्ग) ज २१४ हूण (हूण) प ११८६ हेउ (हेतु) प १११०१।५ उ ३६ हेट्ठ (अधम् ) प २।२१ से २३,३० से ३६,४१ से ४३,४६,१२१३२३६१६१ ज ३११८३, ४११३४ हेट्ठा (अधस्) सू १२।३०; १७।१२०१६ हेट्ठिम (अधस्तन) १ २१६२।१; ३३१६ हेटिठमउरिम (अधस्तन उपरितन) प २८1८६ हेटिठमउवरिमगेवेज्जग (अधस्तन उपरितनग्नवयक) प १११३७,४१२७३ से २७५, ७।२२ हेमिग (अधस्तन) ज ७:१३६।१ हेटिठमगेवेज्ज (अधस्तनग्न वेय) प ६३६ हेटिठमगेवेज्जग (अधस्तन वेयक) ५ रा६० से ६२,३।१८३,६५६ हेछिममज्झिम (अधस्तनमध्यम) प ४१२७१; २८1८८ हेठिममज्झिमगेवेज्जग (अधस्तनमध्यम वेय.) ___ ११३७ ; ४१२७०,२७२,७१ हेटिठमहेमि (अधस्तनाधल्तन) प ८१२६८,२६६ हेटिठमहेटिठमगज्जग (अधस्तनाधस्तन बरक) प ११३७,४।२६७,७१२०,२८८७ हेटिठल्ल (अधस्तन) प १६६३४२११९०:३३।१६, १७ ज २११३, ४१२५३,२५४,२५७,७१७४, २५५ सू १८१ हेतु (हेतु) ३०।२५,२६ सू १११४,१६,२१,२४, २७,२।३,४१४,७, ६११ हेम (हेम) प २१५० ज ४१६१:५११८ हेमंत (हमन्त) ज २०७०,८८,७४१६० रा १६३ सू ८।११०१६७ से ७०,१२११४ उ १२५ हेमंती (हेमन्ती) सू १२।२४ से २८ हेमंतीय (हैभन्तीक) स १२१८ हेमजाल (हेमजाल) ज ३१४७ हेमव (हेगवन्) ७.११४११ सू१०।१२४१२ हेमवय (हैमवत) ११८७, १६।३०।१७।१६३ ज ३११७५,४१,४२,५३,५५,५६,५७.६१,६२, ७१,७६,१०२,२३८,२७१६९,२० हेमवयकूड (मतकूट) ४१४८,७६ हेमाभ (हेमाम) उ १।२६,१४० हेरगणवय (हरण्यवत) १६३० ४११०२, २६४।१,२६८,२७१ से २७४,६१६,२० हेरण्णवयकूड (हैरण्य-कूट) ज ४२६६,२७५ हो (भू) हाइ ११४८१५२,१८१ से १०,१२ से ३७,३६,४१ से १.१,५४ से ५६,६१६०, ६२ से ११४,११६,११७,११६,१२०.१२२, १२३,१२५ से १२७११६७।४,८,३१६, ११६४।१४२१२७११२११,१८२१२, १५११२,१७७।१,२ सु १६।२२६६,७,१७,२८, २६;२०१८1८ उ ४।०१ हाई १ १५१०११८ २।२७१ होउ उ ११६३राह हानि ११४७२,११४८१४७,४६,१।७५७, ६१।१२।२७१३,२१४०१८ से ११ २०६४।६; २।२५ ज १११६:४११५.११२,७४११३।१, १७२१ सू१०।१२।२,५,२०८।३,२०१६ उ रा२२ होज । २१०।२८१०६ होज्जा ११६.१०,११,१३,१५,९१,१७११२२२१२३ २४१४,५,८,११,१२,२५१५२६।४,६,६,१०, २७३ हादिप ११४३१२,१।४।२६,५०; २१४०।१,२१६४।६,१०११४१११२।२२११ १८।१०२,१८१५६ ४ ७1१1१७२११, सुहा२११६ हान्था १२:२१६६ चं६ गू११ उ १।१२।४।६।६४।८।४ होतए (तिम्) 3 ८२२ । होत्तिय (हानिक ५११४२११३ ३१५०... होमाण (भवत्) ५ १७१११२,११३ होरंभा (होरम्भा) ज ३।३१ Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुध्दि पत्र १४२ १५४ 9 १७४ १६६ १७६ १८० अशुद्ध पण्णवणा संठाओ कोलोभामा परमममुह अभिः गब्भक्कं० बण्णादि देवेहतो सोतोसिणा पडूच्च परिमंडलस्य ओसपप्पि पडुप्पणं वाणमंतरणं एणणं पुविक्क० पुच्छए बधेलग० जस्सस्थि बा ०सरीकाय ०मीससरीर० आहाग. मीसारीर० पुरिस होज्चा ur . x x ० ० ० 91 Wo ० ० ० ० ० ० or or ० ० ० / १८२ संठाणओ कालोभासा परमभसुह आभि० गब्भवक्कं० वण्णादि ० देवेहितो सीतोसिणा पडुच्च परिमंडलस्स ओसप्पि पडुप्पण वाणमंतराणं एणठेणं पुढविक्क० দ্যায় बधेल्लग जस्सत्थि वा सरीरकाय० ० मीसासरीर० आहारग० मीसासरीर० पुरिसे होज्जा २२६ Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३१ २३२ २४३ २५ε २५६ २८१ २८५ २८६ २६२ २६७ ३२४ ३४१ २४१ ३४२ ३४३ ३५६ ३५१ ३६६ ३६६ ३७६ ३७८ ३८० ३८० ३८० ३८५ ३६५ ३१६ ४०५ ४१२ ४१३ ४१४ ४१५ ४१६ ४१८ ४२० पा० ४ पं० २० १७ २ ३ १५. १३ २३ २४ १३ on or a १ १२ १६ २ १० १२ १६ २० ६ १५ १६ २० २४ १० १७ अंतिम X W & ~ A 2 x m १४ १८ २८ २ २२ १७ १५ भवेतारुवे पडरिय० इत्थवेदे तिरिक्ख० गव्भक्क ० छह जाव पण्णत्ते व ०सागरोव० सागारोव सरीरा सरीर० ० समुग्धया • उवण्णगा जंबुद्दीव ०पगोरे महावीरस ०कुठे ० कुठे मत्तंगाणाणं मणम० वोवाह ना इणट्टे अज्झावसत्ता ० दुसमणाम अभिरमाणा ० निग्घोषणा ० मिसिमिस खिष्पमेव महाहिमं खियमेव ० इंदणी० अणुप्पबाए अटटारस भवेताख्वे पोंडरीय० इथिवेदे तिविखजोणिय० गभवक्क० छवि० जहा X य ० सागरोवम० ० सागारोव० सारीरा सारीर० १०१५ समुग्धाया ० उबवण्णगा म्हगोरे महावीरस्स ० कूडे ० कूटे मत्तंगाणामं मणाम० वीवाह वा इणट्ठे अझावसिता ०दूस माणामं अभिरममाणा ०निग्पोसणा मिसिमिसे खिप्पामेव महामहिमं खिप्पाभेव ० इंदणील० अणुपवाए अटकारस Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ل ४२२ ४२२ ا २१ वासिणी पीइदाणं उस्सुक्क ار ا वासिण्णो पीइदिणं उस्स पुरंत पवयभि० णेयववो हरि० पुरेत س بل अन्तिम پر ४३६ पा०४ (म) ४४२ पा०२ पव्वयाभि० यम्बो हिरि० (म) अस्थमंतमेत्त (शा व पा) जं० संपट्ठियं तए णं सद्दावेत्ता ०पीठं फलिहा धूव० मपंद्वियं तणं २ सदधावेत्ता ४४५ ४४५ ४४५ ४६० ४६३ ४६३ ४६६ ४६८ ०पीढ़ धणु फहिलह धव० धण जंव विहफइ पणत्ताओ जंबू विहप्फई पण्णत्ताओ ५७० सुरपण्णत्ति जोयय० मुहुता oXWWW जोयण मुहुत्ता वावट्ठि समुद वराभरण विताए ०धूम बावट्टि ससुदं वराभण० विताए धुम० उवंगा मवंतीकरणेणं सवण्णीकरण (क) ०वंक० पुडिबुद्धा पाबयणं पारिया पा० ५ ७२३ ७३४ ७८० ७८१ १८४ सवण्णीकरण सवंतीकरणेणं (ग) ०वकं पडिबद्धा पावयणं परिया Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शब्दकोश कमांक स्थल अशुद्ध अंगपरियारिया * अगरुयलहुयपज्जव अट्ठावग्ण * अपज्जुवासणया अप अओज्झ (अंगप्रतिचारिका) अगच्छमाण ज २१६३ (अष्टपञ्चाशत् ) अधम्मस्थिकाय (अपर्युपासन) अप्पा (अल्पा) अप्पिण (आ+स्फोट्य) अिभंग अभंतरपुक्खरद्ध अब्भुक्ख ॥ अष्फोड अउज्झ (अंगपरिचारिका) अगक्छमाण ज २११६३ (अष्टपञ्चाशत) अधमथिकाय (अपर्युपासना) अप्प (अल्प) जवासा अप्पिण (आ+स्फोट्य) अभंग अब्भतरपुरक्खरद्ध अब्भुक्ख अब्भुट्ठ अभिणंद अभिवुड्ढ (आकाश थिग्गल) (आरारकशरीरक) (इच्छामनस) (निर्झरबहुल) (उत्तमपुरु) उत्पन्न (उपदर्शयितुभ) (ओधमेघ) ओलंग कक्खंत्तर (कछभी) अन्भुटु १७. १८, १६. २०. आगासथिग्गल आहारगसरीरय ভূমিকা उज्झरबहुल उत्तमपुरिस अभिणंद अभिवुड्ढ (आकाश थिग्गल') (आहारकशरीरक) (इच्छामनस्) (उज्झरबहुल) (उत्तमपुरुष) उप्पन्न (उपदर्शयितुम्) (ओघमेघ) ओलंब कक्खंतर (कच्छपी) उवदंसित्तए ओघमेघ २४. २६. २७. कच्छभी Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ २८. कलंबुया कल (कल) (कदम्बक) कहिचि कहिय कालहेसि (कालहेसिन्) (कौंम्भिक) (कलम) (कलम्बुका) कहिंचि कहिय ३१. कुंभिक्क Mr mmmmm mr mr r m कुमुदा गरह गवेस गा गाह गिण्ह गुणड्ढ़ चउपएसिय (कौम्भिक) (कुमुदा) गिरह ‘गवेस केगा गाह गिह गुणड्ढ -गेवेज्ज (चतुःप्रदेशिक) चिय चिय चिर इचि चित (क्षुल्लहिमवत्) छज्ज (छायाच्छाया) छिद (छिन्नस्रोतस) छेद गेवज्ज चातु प्रदेशिक चय चय चर ४३ ४४. XK चुल्लहिमवंत चित (चुल्लहिमवत्) छज्ज (छायाछाया) छिद (छिन्नस्रोतस) छायाछाया छिन्नसोय छेद ८ XCCCCC जटियायलय छेय (दे० जटिकायिलक) जा जाणियत्व जोयणसत्तपुहत्तिय (निवऱ्या) (निवृत्त) णिन्वाण (नरयिकासंजयायुष) (त्रपुसीमिजिका) ५६. ६०. णिवुड्ढत्ता णिवत्त (दे० जटिकायलक) जा जाणियव्व जोयणसतपुहत्तिय (निवृध्य) (निवृत्त) णिव्वाय (नेरयिकासंज्ञयायुष्क) (त्रपुसीमज्जिका) नीती जेरइयअसण्णिआउय तउसी मिजिया Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६६ ६५. तिंडव (त्वष्टदेवता) (त्वष्ट) ६७. ६८. तंडव तदेवया (त्वष्ट्रदेवता) तठ्ठ (त्वष्ट्र) तित्तीस (प्रयस्त्रिशत्) ज० ४११८ तिरिक्खजोणियअसण्णिआउय (तिर्यगयोनिकासंज्ञयायुष) तिरियाज्य (तिर्यगायुष) दलयित्ता (दत्वा) दाऊण (दत्वा ) ६६. ७०. (तिर्यग्योनिकासंज्ञयायुप्क) (तिर्यगायुष्क) (दत्त्वा ) (दत्त्वा ) दु? ७३. ७४, ७५. दुरभि दुहट्ट देवअसण्णिाज्य पंचसतर पच्चोसक्कित्ता पडि सेहित्तए ७८. ८०. u r 9 9 9 9 9 9 9 9 9 90155555550 0 0 0 0 0 0 0 0 ८ पल्हायणिज्ज (दुरभि) (दुधाट्ट) (देवासंघ्यायुष्) पञ्जसप्तति प्रत्यवकष्क्य प्रतिषेध्दु (पद्म) २५१ परिणित्वा परियाण परिवय परिहा (प्रहृलदनीय) पिट्ठीय पुक्खलाई (पुष्पपटलक) पुस्वरत्त पूजित 'पेहण' मञ्जिका प्रौष्टपदी प्रोष्ठपदी प १३.१ से ३१ प१४१४७ ज० ३३६५५६ (भवोवपघातगति) प३२१२,........१०८ ज ५७ iਚਰਚn tia} (दुर्घट्ट) (देवासंघ्यायुष्क) पञ्चसप्तति प्रत्यवष्वक्य प्रतिषेद्धम् (पद्म) ४।२५१ परिणिव्वा परियाण पिरिचय अपरिहा (प्रहृलादनीय) पिट्टि पुक्खलावई (पुष्पपटलक) पुत्ररत्त पूजित पेहुणमज्जिका प्रोष्ठपदी प्रोष्ठपदी प १३।१ से १३,२१ से ३१ प०११४८४१ ज० ३१३,६,५५५ (भवोक्पपातगति) प ३३१२,१०८ जा५७ पुप्फपडलग पूइय पेहुणमिजिया पोट्ठवई पोवती १५. भणित भत्तिचित्त भवोववायगति भासम भूमिचवेउ मंहलवता ६७. Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०० १०१. १०२. १०३. १०४. १०५. माणवग मालवंतपरियाय मेहुणसण्णा रयण (वासा) रयणिय रिसह लोम ० १०७. १०८. वरदामतित्थाधिपति ० (माणवक) (माल्यवत्पर्याय) मथुन संज्ञा (रत्नवर्षा) (रन्निक) (वृपभ) (लोमन) वरगंधघर (वरदामतीर्थधिपति) वालिघाण कपिथ्य (संवृत्त) सगोत सत्तण उत्ति सम्माणियदोहद सय (सिलीन्ध्र) (सुदर्लभ) स्यपुच्छ सुसमससमा बालुंक संवत्त ११०. १११. ११२. ११३. ११४. ११५. ११६. ११७. ११८. ११६. (मानवक) (माल्यवत्पर्याय) मैथुन संज्ञा (रत्नवर्षा) (रलिक) (वृषभ) (लोमन्) वरगंधधर (वरदामतीर्थाधिपति) वालिधाम कपित्थ (संवर्त) सगोत्त सत्तणउति सम्माणियदोहल सिय (सिलीन्ध्र) (सुदुर्लभ) सुयपुच्छ सुसमसुसमा अट्टरूसग (अटरूषक) प२३७४४ एरावा (ऐरावत) प ११३७६४ प११४८1५० सिलिंध सुदुल्लह १२१ केहण णल (नड) १० ११४१।१ पोवलइ (दे०)" १९४८१३ वेणु (वेणु) प १४१४६ Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Fon Private & Personal use only