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चत्यं अयणं
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उत्ताणसेज्जएहिं जाव' अप्पेगइएहिं मुत्तमाणेहिं दुज्जाएहिं दुज्जम्मएहिं हयविप्पहयभग्गे हिं एगप्पहारपडिएहिं जेणं मुत्त-पुरीस वमिय- सुलित्तोवलित्ता जाव' परमदुग्गंधा' नो संचाएमि
कूडेणं सद्धि विजलाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए, तं धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव' सुलद्धे णं तासि अम्मयाणं मणुए जम्मजीवियफले जाओ णं वंझाओ अवियाउरियाओ' जाणुकोप्परमायाओ सुरभिसुगंधगंधियाओ विउलाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणीओ विहरति, अहं णं अधण्णा अपुष्णा अकयपुण्णा नो संचाएमिरकूडेणं सद्धि विजलाई "माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजमाणी विहरित्तए || सोमागिहे अज्जागमण-पदं
१३२.
. तेणं कालेणं तेणं समएणं सुव्वयाओ नाम अज्जाओ इरियासमियाओ जाव' बहुपरिवाराओ पुष्वापुव्वि चरमाणीओ गामाणुगामं दृइज्जमाणीओ जेणेव विभेले" सणिवेसे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं ओग्गहं" "ओगिव्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणीओ विहरति ॥
१३३. तए णं तासि सुव्वयाणं अज्जाणं एगे संघाडए विभेले सण्णिवेसे उच्च-नीय"• मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे रट्ठकूडस्स हिं अपविट्ठे ||
सू० १४१ पडिनिक्खमइ उवागच्छइ वंदइ नमं- पडिनिक्खमिस्स इ उवागच्छिहि वंदिस्स इ सइ पज्जुवासइ नमसिस्सइ पज्जुवासिहिइ १४२ परिकहेंति
परिकहिति
,, १४३ पडिवज्ज्ञइ बंदइ नमसइ पाउन्भूया पडिवज्जिहिइ वं दिस्सइ न मंसिस्सइ पाउन्भविस्सइ पडिगया
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भविस्सइ विहरिस्सइ पडिनिक्खमिस्संति विहरिस्संति विहरिस्संति
वं दिस्सर नमसिस्सइ पव्वइस्सामि
" १४४ जाया विहरइ
" १४५ पडिनिक्खमंति विहरति
, १४६ विहति
" १४७ वंदइ नमसइ पव्वयामि
१४८. वंदइ नमसइ पडिनिक्खमइ उवाग- वंदिस्सइ न मंसिस्सइ पडिनिक्खमिस्सइ उवागच्छि
च्छइ आपुच्छइ
हि आपुच्छिरसइ
भविस्सइ
अहिज्जिस्सइ
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72
१४९ जाया
१५० अहिज्जइ
१३. उ० ३११३० ।
१. उ० ३।१३०
२. उ० ३।१३०
३. दुब्भगंधा ( ख ) !
४. सं० पा०--सद्धि जाव मुंजमाणी ।
५. उ० ११३४ 1
६. अवियाउरीओ ( क ) 1
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७. सुगंधसुगंधियाओ ( ख ) 1
८. सं० पा०-विउलाई जाव विहरित्तए । ६. उ० ३।६६ ।
१०. वेभेले (क, ख ) ; वेभले ( ग ) ।
११. सं० पा० - ओम्यहं जाव विहति ।
१२. सं० पा०नीय जाव अडमाणे ।
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