Book Title: Agam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Nirayavaliao Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवंगसुत्ताणि [ खण्ड २] , चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निस्यावलियाओ, कप्पवाडिसिया, पुप्फयाओं, पु FOREENEEEEE वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी वहिदाओ संपादक युवाचार्य महाप्रज्ञ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रज्ञापर्व वर्ष के उपलक्ष्य में निग्गंथं पावयणं उवंगसुत्ताणि (खण्ड २) पण्णवण्णा • जंबुद्दीवपण्णत्ती • चंदपण्णत्ती. सूरपण्णत्ती • उवंगा निरयावलियाओ • कप्पडिसियाओ • पुफियाओ. पुफिचूलियाओ • वहिदसाओ वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी सम्पादक युवाचार्य महाप्रज्ञ प्रकाशक जैन विश्व भारती लाडनूं [राजस्थान Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रकाशक: जैन विश्व भारती लाडनूं [राजस्थान] प्रबन्ध-सम्पादक: श्रीचंद रामपुरिया अर्थ सौजन्य : श्री रामलाल हंसराज गोलछा विराटनगर (नेपाल) प्रकाशन तिथि: विक्रम सम्वत् २०४५ (मर्यादा महोत्सव) ईस्वी सन् १९८६ पृष्ठांक : ११७० : जैन विश्व भारती मूल्य ६००/ मुद्रक : मित्र परिषद, कलकत्ता के आर्थिक सौजन्य से स्थापित जैन विश्व भारती प्रेस, लाडनूं (राजस्थान) Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ On the occasion of Pragyapray Year Niggantham Pāvayanam UVANGA SUTTĀNI IV (PART II) PAŅŅAVAŅĀ . JAMBUDDĪVAPAŅŅATTI. CANDAPANNATTT . SURAPAŅŅATTI. NIRAYĀVALIYO, KAPPAVADIMSIYÃO, PUPPHIYAO. PUPPHACŪLIYÃO. VANHIDASÃO (Original Text Critically Edited) Vâcana-pramukha : ĀCĀRYA TULSI Editor! YUVĀCĀRYA MAHĀPRAJNA Publisher : JAIN VISHVA BHARATI LADNUN (RAJASTHAN) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Publisher: JAIN VISHVA BHARATI. Ladnun-341 306 Managing Editor: Shrichand Rampuria, By Munificence: Shri Ramlal Hansraj Golchha Viratnagar (Nepal) Year of Publication: Vikram Sadhvat 2045 (Maryada Mahotsava) 1989 A.D. Pages: 1170 जैन विश्व भारती मूल्य ६००/ Printers i JAIN VISHVA BHARATI PRESS, [Established through the financial co-operation of Mitra Parishad, Calcutta) Ladnun (Rajasthan) Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अन्तस्तोष अन्तस्तोष अनिर्वचनीय होता है उस माली का जो अपने हाथों से उप्त और सिंचित द्रुमनिकुंज को पल्लवित, पुष्पित और फलित हुआ देखता है, उस कलाकार का जो अपनी तूलिका से निराकार को साकार हुआ देखता है और उस कल्पनाकार का जो अपनी कल्पना को अपने प्रयत्नों से प्राणवान् बना देखता है। चिरकाल से मेरा मन इस कल्पना से भरा था कि जैन आगमों का शोधपूर्ण सम्पादन हो और मेरे जीवन के बहश्रमी क्षण उसमें लगे । संकल्प फलवान् बना और वैसा ही हुआ। मुझे केन्द्र मान मेरा धर्म-परिवार उस कार्य में संलग्न हो गया। अत: मेरे इस अन्तस्तोष में मैं उन सबको समभागी बनाना चाहता हूं, जो इस प्रवृत्ति में संविभागी रहें हैं ! संक्षेप में वह संविभाग इस प्रकार हैसंपादक : युवाचार्य महाप्रज्ञ पाठ-संशोधन सहयोगी : मुनि सुदर्शन ___ मुनि हीरालाल शब्दकोश ___ मुनि श्रीचन्द्र 'कमल' संविभाग हमारा धर्म है। जिन-जिनने इस गुरुतर प्रवृत्ति में उन्मुक्त भाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूं और कामना करता है कि उनका भविष्य इस महान् कार्य का भविष्य बने । आचार्य तुलसी Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समर्पण पुट्ठो वि पण्णा-पुरिसो सुदक्खो, आणा पहाणो जणि जस्स निन्चं । सच्चप्पओगे पवरासयस्स, भिक्खुस्स तस्स पणिहाणपुव्वं ॥ आगमदुद्धमेव, विलोडिय लद्धं सुलद्धं णवणीय मच्छं । सज्झाय-सज्झाण-रयल्स निच्चं, जयस्स तल्स पणिहाणपुब्वं ॥ पवाहिया जेण सुयस्स धारा, गणे समत्थे मम माणसे वि । जो हेउभूओ स्स पचायणस्स, कालुस्स तस्स पणिहाणपुव्वं ॥ जिसका प्रज्ञा-पुरुष पुष्ट पटु होकर भी आगम-प्रधान था । सत्य योग में प्रवर चित्त था, उसी भिक्षु को विमल भाव से | जिसने आगम-दोहन कर कर, पाया प्रवर प्रचुर नवनीत | श्रुत-सद्ध्यान लीन चिर चिन्तन, जयाचार्य को विमल भाव से । जिसने श्रुत की धार बहाई, सकल संघ में मेरे मन में । हेतुभूत श्रुत-सम्पादन में, कालुगणी को विमल भाव से । Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रस्तुत ग्रन्थ उवांगसुत्ताणि ४ का द्वितीय खण्ड है । इस में नौ आगम समाहित हैं- १. पण्णवणा २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पवाडसियाओ ७ पुष्फियाओ ८ पुष्कचूलियाओ है वहिदसाओ । आगम संपादन एवं प्रकाशन की योजना इस प्रकार है १. आगम-सुत्त ग्रन्थमाला - मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का प्रस्तुती करण । २. आगम - अनुसंधान ग्रन्थमाला -- मूलपाठ, संस्कृत छाया, अनुवाद, पद्यानुक्रम, सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण ! ३. आगम-अनुशीलन ग्रंथमाला --- आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण । ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला --- आगमों से संबंधित कथाओं का संकलन और अनुवाद | ५. वर्गीकृत आगम ग्रन्थमाला - आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण । ६. आगमों के केवल हिंदी अनुवाद के संस्करण । प्रकाशकीय प्रथम आगम-सुत्त ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं' ( १ ) अंगसुत्ताणि ( १ ) - इसमें आयारो, सुयगडो, ठाणं, समवाओ ये चार अंग समाहित हैं । ( २ ) अंगसुताणि ( २ ) - इसमें पंचम अंग भगवई प्रकाशित है । (३) अंगसुत्ताणि ( ३ ) - इसमें नायाधम्मकहाओ, उवासगदसाओ, अंतगडदसाओ, अणुत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुथं-ये ६ अंग हैं । (४) उवंगसुत्ताणि ( ४ ) ( खं० १ ) ) – इसमें (१) ओवाइयं ( २ ) रायपसेणियं और ( ३ ) जीवाजीवाभिगमे ये तीन आगम ग्रन्थ हैं । (५) उवंगसुत्ताणि ( ४ ) ( खण्ड २ ) - प्रस्तुत ग्रन्थ । इसमें पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरयावलियाओ, कप्पवडिसियाओ तुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, साओ प्रकाशित हो रहे हैं । (६) नवसुत्ताणि ( ५ ) - इसमें आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्भयपाणि, नंदी, अणुओगदाराई, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहज्भयणं-ये नौ आगम ग्रन्थ हैं। द्वितीय आगम अनुसंधान ग्रन्थमाला में निम्न ग्रन्थ प्रकाशित हो चुके हैं— (१) दसवेलियं - १. इस ग्रंथमाला के अर्न्तगत ( १ ) दसवेआलियं सह उत्तरज्भयणाणि, (२) आयरो तह आयारचूला, (३) निसीहज्झणं, (४) ओवाइयं, (५) समवाओ ये ग्रंथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा भी प्रकाशित हुए थे । Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) उत्तरज्झयणाणि (भाग १ और २) (३) ठाणं (४) समवाओ (५) सुयगडो (भाग १ और भाग २) उक्त में से द्वितीय ग्रंथ जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा, कलकत्ता द्वारा प्रकाशित हुआ है। तीसरी आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला में निम्न दो ग्रन्थ निकल चुके हैं..... (१) दशवकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन । (२) उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन । चौथी आगम-कथा ग्रन्थमाला में अभी तक कोई ग्रन्थ प्रकाशित नहीं हो पाया है। पांचवीं वर्गीकृत-आगम ग्रन्थमाला में दो ग्रन्थ निकल चुके हैं। (१) दसवैकालिक वर्गीकृत (धर्म प्रज्ञत्ति खं०१) (२) उत्तराध्ययन वर्गीकृत (धर्मप्रज्ञप्ति खं० २) छठी केवल आगम हिंदी अनुवाद ग्रन्थमाला में एक 'दशवकालिक और उत्तराध्ययन' ग्रन्थ का प्रकाशन हुआ है। उक्त प्रकाशनों के अतिरिक्त दसर्वकालिक एवं उत्तराध्ययन (मूल पाठ मात्र) गुटकों के रूप में प्रकाशित किए जा चुके हैं। उक्त विवरण से पाठकों को विदित होगा कि भूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित ३२ आगम ग्रंथ आगमसुत्त ग्रंथमाला के अर्न्तगत प्रकाशित हो चुके हैं। ३२ आगमों का इस प्रकार का आलोचनात्मक प्रकाशन आगम प्रकाशन के इतिहास में प्रथम बार ही सम्मुख आया है। आगम प्रकाशन कार्य की योजना में निम्न महानुभावों का सहयोग रहा --- (१) सरावगी चेरिटेबल फण्ड, कलकत्ता (ट्रस्टी रामकुमारजी सरावगी, गोविदालालजी सरावगी एवं कमलनयनजी सरावगी)। (२) रामलालजी हंसराजजी गोलछा, विराटनगर । (३) स्व० जयचंदलालजी गोठी, सरदारशहर। (४) रामपुरिया चेरिटेबल ट्रस्ट, कलकत्ता। (५) बेगराज भंवरलाल चोरडिया चेरिटेबल ट्रस्ट । यह ग्रन्थ जैन विश्व भारती के निजी मुद्रणालय में मुद्रित होकर प्रकाशित हो रहा है । मुद्रणालय के स्थापना में मित्र-परिषद्, कलकत्ता के आर्थिक सहयोग का सौजन्य रहा, जिसके लिए उक्त संस्था को अनेक धन्यवाद । आगम-संपादन के विविध आयामों के वाचना-प्रमुख हैं आचार्य श्री तुलसी और प्रधान संपादक तथा विवेचक हैं यूवाचार्यश्री महाप्रज्ञजी। इस कार्य में अनेक साधु-साध्वी सहयोगी रहे हैं। Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११ इस तरह अथक परिश्रम के द्वारा प्रस्तुत इस ग्रन्थ के प्रकाशन का सुयोग पाकर जैन विश्व भारती अत्यंत कृतज्ञ है। जैन विश्व भारती २६-६-८७ लाडनूं (राज.) श्रीचंद रामपुरिया कुलपति Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्पादकीय प्रस्तुत ग्रन्थ में नौ उपांग हैं-- १. पण्णवणा २. जंबुद्दीवपण्णत्ती ३. चंदपण्णत्ती ४. सूरपण्णत्ती ५. निरयावलियाओ ६. कप्पडिसियाओ ७. पुफियाओ ८. पुष्फचलियाओ ६. वण्हिदसाओ। उपांग बारह हैं । उवंगसुत्ताणि भाग ४ खण्ड १ में तीन उपांग प्रकाशित हैं। प्रस्तुत ग्रन्थ में शेष नौ उपांगों का मूल-पाठ पाठान्तरसहित सम्मिलित है। अंगसुत्ताणि की शब्दसूची एक स्वतन्त्र पुस्तक (आगम शब्दकोश) में मुद्रित है। पाठक और शोधकर्ताओं की सुविधा की दृष्टि से इस खण्ड में उपर्युक्त नौ आगमों की संयुक्त शब्दसूची संलग्न है। प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन के साथ बत्तीस आगमों के प्रकाशन का कार्य सम्पन्न हो जाता है। इस आगम सुत्त ग्रन्थमाला के सात ग्रन्थ सम्पन्न हो रहे हैं:१. अंगसुत्ताणि भाग-१ आयारो, सूयगडो, ठाणं, समवाओ। २. अंगसुत्ताणि भाग-२ भगवई। ३. अंगसुत्ताणि भाग-३ नायाधम्मकहाओ, उवासमदसाओ, अंतगडदसाओ, अणत्तरोववाइयदसाओ, पण्हावागरणाई, विवागसुयं । ४. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड १ ओदाइयं, रायपसेणियं, जीवाजीवाभिगमे । ५. उवंगसुत्ताणि भाग-४, खण्ड २ पण्णवणा, जंबुद्दीवपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, निरियावलियाओ, कप्पवडिसियाओ, पुफियाओ, पुप्फचूलियाओ, वहिदसाओ । ६. नवसुत्ताणि भाग-५ आवस्सयं, दसवेआलियं, उत्तरज्झयणाणि, नंदी, अणुओगदाराइं, दसाओ, कप्पो, ववहारो, निसीहझयणं । ७. आगम शब्दकोश (अंगसुत्ताणि शब्दसूची) इस मूलपाठ की ग्रन्थमाला के अन्तर्गत अन्य ग्रन्धों के सम्पादन का कार्य अभी चल रहा है। उनमें प्रकीर्णक, नियुक्ति और भाष्य सम्भावित हैं। विक्रम संवत् २०१२ (सन् १९५५) महावीर जयन्ती के दिन आचार्य श्री ने आगम-सम्पादन की घोषणा की। सम्पादन का कार्य उसी वर्ष चतुर्मास में प्रारम्भ हुआ । शुद्ध पाठ के बिना सम्पादनकार्य में अवरोध आए । तब पाठ-शोधन की ओर ध्यान गया। पाठ-शोधन का कार्य वि० सं० Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २०१४ (सन् १९५७) में प्रारम्भ हुआ। यह कार्य वि० सं० २०३७ (सन् १९८०) में सम्पन्न हुआ। इसका विवरण इस प्रकार है: .... दसवेआलियं उत्तरज्झयणाणि नंदी, अनुओगदाराई ओवाइय, रायपसेणियं ठाणं समवाओ सूयगडो नायाधम्मकहाओ आयारो, आयारचूला उवासगदसाओ, अंतगडदसामो अनुत्तरोववाइयदसाओ विपाक पण्हावागरणाई निरयावलियाओ भगवई पपणवणा दसाओ, पज्जोसवणाकप्पो कप्पो ववहारो जीवाजीवाभिगमे जंबूद्दीवपण्णत्ती निसीहज्झयणं चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती वि० सं० २०१४ वि० सं० २०१६ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१८ वि० सं० २०१६ वि० सं० २०२० वि० सं० २०२२ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०२८ वि० सं० २०२८ वि० सं० २०२६ वि० सं० २०३० वि० सं० २०३१ वि० सं० २०३२ वि० सं० २०३३ वि० सं० २०३३ वि० सं० २०३४ वि० सं० २०३५ वि० सं० २०३५ वि० सं० २०३७ सम्पादन का कार्य सरल नहीं है-यह उन्हें सुविदित है, जिन्होंने इस दिशा में कोई प्रयत्न किया है । दो-ढाई हजार वर्ष पुराने ग्रन्थों के सम्पादन का कार्य और भी जटिल है, जिनकी भाषा और भाव-धारा आज की भाषा और भाव-धारा से बहुत व्यवधान पा चुकी है। इतिहास की यह अपवाद-शून्य गति है कि जो विचार या आचार जिस आकार में आरब्ध होता है, वह उसी आकार में स्थिर नहीं रहता। या तो वह बड़ा हो जाता है या छोटा । यह ह्रास और विकास की कहानी ही परिवर्तन की कहानी है। और कोई भी आकार ऐसा नहीं है, जो कृत है और परिवर्तनशील नहीं है । परिवर्तनशील घटनाओं, तथ्यों, विचारों और आचारों के प्रति अपरिवर्तनशीलता का आग्रह मनुष्य को असत्य की ओर ले जाता है। सत्य का केन्द्र-बिन्दु यह है कि जो कृत है, वह सब परिवर्तनशील है । कृत या शाश्वत भी ऐसा क्या है जहां परिवर्तन का स्पर्श न हो। इस विश्व में जो है, वह वही है जिसकी सत्ता शाश्वत और परिवर्तन की धारा से सर्वथा विभक्त नहीं है। Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शब्द की परिधि में बंधने वाला कोई भी सत्य क्या ऐसा हो सकता है जो तीनों कालों में समान रूप से प्रकाशित रह सके ? शब्द के अर्थ का उत्कर्ष या अपकर्ष होता है भाषा शास्त्र के इस नियम को जानने वाला यह आग्रह नहीं रख सकता कि दो हजार वर्ष पुराने शब्द का आज वही अर्थ सही है, जो आज प्रचलित है। 'पाषण्ड' शब्द का जो अर्थ आगमनाथों और अशोक के शिलालेखों में है, वह आज के श्रमण-साहित्य में नहीं है । आज उसका अपकर्ष हो चुका है । आगम साहित्य के सैंकड़ों शब्दों की यही कहानी है कि वे आज अपने मौलिक अर्थ का प्रकाश नहीं दे रहे हैं । इस स्थिति में हर चिन्तनशील व्यक्ति अनुभव कर सकता है कि प्राचीन साहित्य के सम्पादन का काम कितना दुरूह है। १५ मनुष्य अपनी शक्ति में विश्वास करता है और अपने पौरुष से खेलता है, अत: वह किसी भी कार्य को इसलिए नहीं छोड़ देता कि वह दुरूह है । यदि यह पलायन की प्रवृत्ति होती तो प्राप्य की सम्भावना नष्ट ही नहीं हो जाती किन्तु आज जो प्राप्त है, वह अतीत के किसी भी क्षण में विलुप्त हो जाता । आज से हजार वर्ष पहले नवांगी टीकाकार ( अभयदेव सूरि ) के सामने अनेक कठिनाइयां थीं। उन्होंने उनकी चर्चा करते हुए लिखा है १. सतु सम्प्रदाय (अर्थबोध की सम्यक् गुरु-परम्परा) प्राप्त नहीं है। २. सत् ऊह (अर्थ की आलोचनात्मक कृति या स्थिति) प्राप्त नहीं है। ३. अनेक वाचनाएं (आगमिक अध्यापन की पद्धतियां ) हैं । ४. पुस्तकें अशुद्ध हैं । ५. कृतियां सूत्रात्मक होने के कारण बहुत गंभीर हैं । ६. अर्थ विषयक मतभेद भी हैं । इन सारी कठिनाइयों के उपरान्त भी उन्होंने अपना प्रयत्न नहीं छोड़ा और वे कुछ कर गए। कठिनाइयां आज भी कम नहीं हैं। किन्तु उनके होते हुए भी आचार्यश्री तुलसी ने आगम सम्पादन के कार्य को अपने हाथों में ले लिया । उनके शक्तिशाली हाथों का स्पर्श पाकर निष्प्राण भी प्राणवान् बन जाता है तो भला आगम साहित्य जो स्वयं प्राणवान् है, उसमें प्राण-संचार करना क्या बडी बात है ? बडी बात यह है कि आचार्यश्री ने उसमें प्राण-संचार मेरी और मेरे सहयोगी साधु-साध्वियों की असमर्थ अंगुलियों द्वारा कराने का प्रयत्न किया है। संपादन कार्य में हमें आचार्यश्री का आशीर्वाद ही प्राप्त नहीं है किन्तु मार्ग-दर्शन और सक्रिय योग भी प्राप्त है । आचार्यवर ने इस कार्य को प्राथमिकता दी है और इसकी परिपूर्णता के लिए अपना पर्याप्त समय दिया है। उनके मार्ग-दर्शन, चिन्तन और प्रोत्साहन का संबल पर हम अनेक दुस्तर धाराओं का पार पाने में समर्थ हुए हैं । पाठ सम्पादन पद्धति पण्णवणा प्रज्ञापना के पाठ-शोधन में चार हस्त लिखित आदर्श काम में लिए गए । आचार्य मलयगिरि की वृत्ति का भी उसमें उपयोग किया गया। मुनि पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित प्रज्ञापना भी हमारे सामने रही । किन्तु हम किसी एक प्रति को आधार मानकर नहीं चलते। टीका की व्याख्या, अन्य आगम तथा शब्दों का अर्थ ये सब पाठ-शोधन के महत्त्वपूर्ण आधार बिन्दु रहे हैं। इसलिए हमारे सम्पादन में पाठ-शुद्धि के अनेक विशेष विमर्श उपलब्ध हैं । उदाहरण के लिए गण्ठी शब्द प्रस्तुत है: "वत्थुल कच्छुल सेवाल गण्ठी"। यहां 'गण्ठी' पद अशुद्ध है । शुद्ध पाठ है 'गत्थी' । पाठ-शोधन Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६ में प्रयुक्त हस्तलिखित आदर्शों तथा मुनिश्री पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित आगमों में 'गण्ठी' पाठ ही उपलब्ध है। इस पाठ का शोधन जीवीजीवाभिगम और जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति के आधार पर किया गया है। इसके लिए प्रस्तुत आगम का ११३८ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य है। दुसरा उदाहरण है-.-'तिट्टाणवडिते' । इसके स्थान पर कुछ आदशों में 'चउट्ठाणवडिते' पाठ मिलता है। मुनिश्री पुण्यविजयजी ने भी 'चउट्ठाणवडिते' पाठ स्वीकार किया है। किन्तु हमने 'तिट्ठाणवडिते' पाठ वृत्ति के आधार पर मान्य किया है। इसका समर्थन पण्णवणा ५११५, ११६, की वृत्ति से होता है। प्रज्ञापनावृत्ति पत्र १९५-१९६ तथा पण्णवणा ५॥११५ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य है। जम्बद्वीपप्रज्ञप्ति इसके पाठ-शोधन में सात प्रतियों और तीन टीकाओं का उपयोग किया गया है। उपाध्याय शान्तिचन्द्र की वृत्ति तथा हीरविजय वृत्ति में अनेक पाठान्तर और उनकी टिषणियां मिलती हैं । देखें ---४११५६ का पाद-टिप्पण। यह पाठान्तर-बहुल आगम है। उपाध्याय शान्तिचन्द्र ने वाचना-भेद की विस्तृत चर्चा की है। उदाहरण के लिए ११२ का पाद-टिप्पण द्रष्टव्य हैं। कहीं-कहीं अशुद्ध पाठ के कारण व्याख्या भी अशुद्ध हुई है। देखें---४।४६ का पाद-टिप्पण । चन्द्रप्राप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति इनके पाठ-शोधन में पांच हस्तलिखित आदशों तथा चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूर्यप्रज्ञप्ति की वृत्तियों का उपयोग किया गया है। एक आदर्श का क्वचित् प्रयोग किया गया है। चन्द्रप्रज्ञप्ति का पूर्ण रूप उपलब्ध नहीं है। उसका सूर्यप्रज्ञप्ति से जो भेद है वह एक परिशिष्ट में दिया गया है। कुछ हस्तलिखित आदर्श चन्द्रप्रज्ञप्ति के नाम से उपलब्ध हैं। उनके पाठ-भेद सूर्यप्रज्ञप्ति के पाद-टिप्पण में दिए हुए हैं। निरयावलिका निरयावलिका आदि पांच वर्गों के पाठ-शोधन में तीन हस्तलिखित आदशों तथा श्रीचन्द्रसूरिकृत वृत्ति का प्रयोग किया गया है। १. शान्तिचन्द्रीयवृत्ति पत्र ६७ : पाठान्तरं-वाचनाभेदस्तगतपरिमाणान्तरमाह-मूले द्वादश योजनानि विष्कम्भेन मध्येऽष्ट योजनानि विष्कम्भेन उपरि चत्वारि योजनानि विष्कम्भेन, अत्रापि विष्कम्भायामतः साधिकत्रिगुणं मूलमध्यान्तपरिधिमानं सूत्रोक्तं सुबोधं । अत्राह परः- एकस्य वस्तुनो विष्कम्भाविपरिमाणे द्वैरुप्यासम्भवेन प्रस्तुतग्रन्थस्य च सातिशयस्थविरप्रणीतत्वेन कथं नान्यतरनिर्णयः ? यदेव स्यापि ऋषभकटपर्वतस्य मूलादावष्टादियोजनविस्तृतत्वादि पुनस्तत्रैवास्य द्वादशादियोजनविस्तृतत्वादीति, सत्यं, जिनभट्टारकरणां सर्वेषां क्षायिकज्ञानवतामेकमेव मतं मूलतः पश्चात्तु कालान्तरेण विस्मृत्यादिनाऽयं वाचनाभेदः, यदुक्तं श्रीमलयगिरिसूरिभिज्योतिष्करण्डकवृत्तौ - "इह स्कन्दिलाचार्य प्रवृ (तिप) तौ दुषमानुभावतो दुभिक्षप्रवृत्त्या साधूनां पठनगुणनादिकं सर्वमप्यनेशत्, ततो दुभिक्षातिकमे सुभिक्षप्रवृत्तौ द्वयोः संघमेलापकोऽभवत्, तद्यथा---एको वलभ्यामेको मथुरायां, तत्र च सूत्रार्थसंघटने परस्परं वाचनाभेदो जातः, विस्मृतयोहि सूत्रार्थयोः स्मृत्वा संघटने भवत्यवश्यं वाचनाभेद" इत्यादि, ततोऽत्रापि दुष्करोऽन्यतरनिर्णयः द्वयोः पक्षयोरुपस्थितयोरनतिशायिज्ञानिभिरनभिनिविष्ट मतिभिः प्रवचनाशातनाभीरुभिः पुण्यपुरुरिति न काचिदनुपपत्तिः । Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १ । १४ १११४ ११२३ ११२६ ११३५ ११३८ ११४८१४७ १६३१४ २१० २११३ २४० ३।१ ३/७ ३।१०२ ३।१२७ ३।१७४ ३।१८२ ३।१८३ ४। २५५ ४/२७५ ५।५ ५।५ ५५ _५:७ ५१०१ ५१७६ ५।२४२ ६।४६ दाद १११६ ११।२१ ११।२५ ११।३० ११/३७ बेंद्रिय तेंदिय ओसा वायमंडलिया अंकोल्ल कोरंटय बलिमोडओ वीइभयं पडीण तडागेसु चो विसेसाहिया दाहिणे विभंगणाणीण अहेलोए अस्साता जहा सकसाई एगुणवीसं पणुवीसं जदि महुर अम्भहिए 'afडिए मणुस्से वढिज्जति एएणेणं अभिलावो ओसण्ण 'अणमणी १७ शब्दान्तर और रूपान्तर वगे सयण सरीरपवा वोयड अश्वोयडा पण्णवणा बेइन्दिय तेइन्दिय उस्सा वाउ मंडलिया अंकुल्ल कोरिय ( क ); कोरेंट पलिमोडओ वीयभयं पयोण ( क ) ; पण तलागेसु चो विसेसाधिया दक्खिणं विहंगणाणीण अहोलोए ( ग ) ; अधेलोए असाता जधा सकसादी एकूणवीसं (क, घ); एक्कूणवीस पंचवीस ( खघ); पणवीसं जइ ( ख, ग, घ ) ; जति मधुर अभइए ( क ) ; अब्भतिए "पडिए मणूसे वुड्ढज्जति एट्ठेणं अहिलावो उस्सण्ण 'आणवणी बिगे सतणं सरीरप्पभवा बोगड अव्बोगडा (क,स्व) (ख) (क,ग) (क) (क, घ) (क, घ) ( ख, ग, घ ) (क) (क) (घ, पु) (क, ख, घ) (क,ग,ध) (घ) ( ख, ग ) (ख, घ) (क) (ख) (14) ( क, ख ) (पु) (क) (क, ख, घ) (क,ग,घ) ( क, ख ) (ख, घ) (क) ( ख, ग, घ ) (क, ख, ग, घ ) (क) (क, ख, ग, घ ) (55) Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८ ११३७ ११२७२ ११७५ १८४ ११५८८ ११३८८ १२२७ १२१७ १५१३५ आणमणी परिवड्ढमाणाई कदलीथं भाण णिसरति बिति भासज्जायं बद्धेल्लया मुक्केल्लया ओसप्पिणीहि अणागारो णग्गोह सादी पेहमाणे पेहति 'थिम्गले °ओवचए अहवेगे पच्चथिमिल्लं आयरियं सेयंसि माउलंगाण तिदुयाण इणछे समभिलोएमाणे PEO. १५१५० १५।५३ १५१५८ १६३१५ १६३३४ याणमणी परिवड्ढे माणाई (ख,घ) कदलीखंभाण णिस्सरति (ख); णिस्सिरति (ग); निसरति (घ) बीयं भासजाय बद्धिल्लया मुक्किल्लया (क,ख,ग,घ) अवसप्पिणीहि (म) अणायारो णिग्गोह साती पेहेमाणे पेहेति "थिग्गिले ओवचते (ख,ष) अहवेते पच्छिमिल्लं आयरितं से इंसि (क,ग) मातुलिंगाण तिडुयाण इणमढे (क); तिणठे (ख,घ) समभिलोतेमाणे (क,ध) हलहर (क,ग,घ) कयरसारए (ख,ग); कतरसारए बालेंदगोये बलाहते अपक्काणं (क,ख,घ) आगारभावमायाए (क,ग) वेए (क,ग); देते वयजोगी (ख,घ,पु) सकसादी (क); सकसाती सवणयाते (क,घ) धणुहपुहत्तं समाति (क,घ); सयाई (ग) (ग) कण्ह १६१५१ १६३५४ १६१५५ १६.५५ १७।२४ १७।१०६ १७१११६ १७।१२४ १७११२५ १७११२६ १७१२८ १७११३२ १७११५० १८१ १८.५६ १८१६४ २०१२८ २१२५ २११४७ २११६२ हलधर काइरसारे बालिदगोवे 'बलाहए अपिक्काणं आगारभावमाताए वेदे वइजोगी सकसाई सवणताए धणुपुहत्तं सगाई Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णियच्छति कडस्स णीयागोयस्स (ख,ग) (क,घ) खवए २३।३ २३३१३ २३२२२ २३३१६१ २८।४४ ३३११ ३३।१७ ३४।१ ३४।६ ३४/१५ अफासाइज्ज अपडिवाई सगाई परियाइयणया जाणंति सपरियारा निगच्छति (क,घ) निग्गच्छति कतस्स (क,घ); कयस्स णीतागोतस्स खमए अप्फासाइज्ज अपडिवादी सताई (क,घ) सयाति परियादिणया (ख); परियायणया याणंति सपरिचारा जंबुद्दीवपण्णत्ती (क,घ) (क,घ) (ख) (क,ख,ग,घ) (ख,ग) (अ,ख) श८ १११८ ११२३ श२६ श२८ ११४८ विच्छिण्णा °णउय घणुपट्टे पडोयारे पासिं दुहा विस्थिण्णा °णोत° धणुवढें (अ); धणुपुळं पडोगारे पस्सिं दुधा हिस्स उडू (त्रि); उऊ पडोकारे (त्रि,ब) (अ,त्रि,ब) (ख,स) (क,ख) (प) २१४ २।४ मेतिणि वेइगा यत्थ (अ,ब); एस्थ कधक २११४ २।१५ २२२० २।२० २१३२ २१७० २१७८ २।१३१ २११३३ २११३३ पडोयारे मेइणि वेइया इत्थ कहग 'हास वाकरेमाणाणं हाहाभूए वलीविगय टोलाकिति (त्रि,ब) (अ,ब) (क,ख,स) (अ,ख,ब) (म,ख,ब) (प) (अ,क,ख,ब,स) वागरमाणाणं हाहाब्भूते पलीविगय डोलाकिति (अ); डोलागिति टोलागित्ति (त्रि, स); टोलागति सीय उण्ह सीउण्ह २११३३ ३।३ जूय (प) (क,ख,त्रि,ब,स) (क,ख,प,स) (क,ख,प,स) (अ,ब) (अ,ब) ३।११ ३।११ पउसियाओ बब्बरी बहलि व उसीयाओ पप्परी पहलि Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २० कडिच्छुय (ख); °कडेच्छुय (अ,ब,स) °कडुच्छ्य दुखहइ बंभयारी (अ,त्रि,ब) दुरुढे ३।११ ३३२० ३१२० ३३२१ ३१२२ ३१२३ ३१२४ ३३२६ ३३३५ ३१३५ ३२३५ बोल 'बालचंद (स) (क,प,स) (क,ख) अंतवाले ° पट्टसंगहिय खिखिणी अयोझ पम्हचारी रूढे (अ); द्रुढे पोल °बालयंद 'तोंड अंतपाले (अ,त्रि,ब); अंतेवाले वसंगहिय किकिणी अजोझ (अ,ब); अओझं अवोझ सोतामणि (क); सोदामणि प्पकासं विस्सुतं (क,ख,स) (क,ख,प,म); (त्रि) (ख,स) (अ,क,ख,त्रि,ब,स) (क,स) ३१३५ ३३३५ ३१३५ ३१७७ ३.११७ ३।११७ ३।१३८ सोयामणि प्पगासं वीसुतं चिधपट्टे সিংহ चिंधवट्टे उऊण हिदय मरीई (त्रि) उदूण (अ,ख,ब); रिदूण (क ,स) हियय (अत्रि,प,ब); हितय' (क,स); हदय निहितो (अ,त्रि,ब); °निहओ (ख,स) अभिसेयपेढं गंठिम (त्रि,प) तिसोमाण (अ,ब) काकिणि (अ); कागिणि” (व); काकणि° (स) (अ,ब) पुवकड ३११७८ ३२१६४ ३।२११ ३।२१४ ३१२२० ३१२२१ ३।२२३ ४१३६ ४१५४ ४१५५ ४१७७ ४१८५ ४१८६ ४१८७ ४।६१ ४१४३ निहिओ अभिसेयपीढं गंथिम तिसोवाण कागणि पुवकय° ईहापोह बावट्टि हस्सतराए दक्खिणेणं हरिवासं संखतल' बायाले णिसहस्स सीतोदा विउत्तरे (त्रि) ईहापुह (अ,क,ख,स); ईहावूह (पुर्व) बासद्धि हस्सतराए दाहिणेणं हरिवस्सं (अ,प,ब) संखदल° (प,शाव,पुवृपा) पायाले (अ,ब) बायालीसे (त्रि) णिसअस्स सीओता (अ,ब); सीओदा (त्रि); सीओआ (प) पिउत्तरे Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४६६ ४।१०२ णिसढ हेमवय-हेरण्णवय दह ४११०३ ४।१०६ ४।१४० ४११४० ४११४२ ४११५७ ४।१८० ४२१० ४॥२३१ श२५ णीलवंतस्स सणिच्चारी उववायसभाए जमगाओ दस णियया परुप्परति सयज्जल पलासो घंटापडेसुया णिसभ° (अ,ब); णिसह (क,ख,स) हेमवएरण्णवय (क,ख,ब,स); हेमवय एरण्णवय (त्रि) णेलवंतस्स (अ,क,ख,ब,स) सणिच्चारी ओतावसभाए (क) जवगाओ (अ,ब); जमिगाओ (अ,क,ख,ब,स) णितिया (अ,क,ख,त्रि,ब,स) परोप्परति (अ,त्रि,ब) सयंजल (त्रि) वलास घंटापर्डेसुका (अ,ब); घंटापडिसुका (क,ख); घंटापडिस्सुया (त्रि); घंटापडंसुया गत्ताई (क,ख); गताई (ब) जाणु उड्ढंमुह (अ,ब); उद्धीमुह (क,ख,प) भावियाया अभिजिदाइया (अ,ब); अभिजादिया (क,स); अभिजादीया समणे (अ,ब) मगसिर अभिती (अ,ब,स); अभिवी (क,ख) पहस्सती (अ,ब); वहप्फई कत्तिकी (अ); कित्तिकी (ख,ब); कित्तिगी (स) आसिणी लांगूलाणं १५८ १५८ ७.३१ ७.१२२ ७:१२६ गायाई जण्णु उड्ढीमुह भावियप्पा अभिजियाइया ७।१२८ ७.१२८ ७।१२६ ७/१३० ७:१५५ ७।१५६ ७.१७८ सवणो मियसर अभिई वहस्सई कत्तिगी अस्सिणी गंगूला सूरपण्णतो (ग,घ) (ट) इहगतस्स चउरुत्तरे पिहला पोग्गला ओयसंठिती ओयाए रयणिखेत्तस्स इदगतस्स चउत्तरे पिधुला (क); पुहुलो पुग्गला तोतसंठिती ओताए रतणिखेत्तस्स (क,ग,प); रातिखेत्तस्स (ट,व) (ट) Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २२ १०१२ १०१५ १०१७ १०१० १०७७ १०७८ १०७६ १०८७ १०1८६ १०११३६ १०११४७ १०.१७३ १४१२ १॥३१ १८१३४ २०११ २०१२ सदा वयं....वदामो सवणे सायं आसोई अमोइण्णं आदिच्चेहि बम्ह सवणे बितिया दुविहा तिही पातो उवाइणावेत्ता सयावि कहं अहियं मेहणवत्तियं अहे वइयरिए सता (ग,घ,ट,) वतं....वतामो (ब) समणो (ग,घ) साग अस्सोती अस्सोदिपण आतिच्चे हि (व) बंभ (क,ग,घ) समणे (ट,व) बिदिया दुविधा तिधी पादो (क,घ,व) उवादिणावेत्ता (क,ग,घ); उवातिणावेत्ता (ट,व) सताधि (क,ग,घ,ब); सदावि (ग) कधं (क,ग,घ) अधियं (क,ग,घ); अहितं मेधुणवत्तियं (क) वतिचरिए अधो निरयावलियाओ अण्णया जणवदं ऊसए पिइसोएणं पट्टे अंदोलावेइ निच्छुहावेद लेच्छा सुब्धयाओ (ग) ११४२ ११६६ ११७२ १९९१ श६७ १९६७ १२११७ १११२७ ३।११५ ३११३४ ४१६ ४१२१ ५२६ ५११० (क) अण्णदा (क); अण्णता जणवयं ऊसवे पितसोएण प्पिळे (क); पुढे अंदोडावेइ निच्छुभावेइ लेच्छती सुब्वदाओ जुवलं (ख); जुगलं तिट्ठा "पाओसिया सव्वोय आधेवच्चं (क) जुयल इट्ठा (ग) 'बाओसिया सव्वोउय आहेबच्च (क,ग) (क,ग) Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २३ पण्णवणा प्रति-परिचय (क) पण्णवणा मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति पूनमचन्दजी बुधमलजी दूघोड़िया 'छापर' के संग्रहालय की है। इसकी पत्र संख्या ३०२ है ! इसकी लम्बाई १० इन्च व चौड़ाई ४॥ इन्च है। लगभग प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ३३ से ४१ अक्षर हैं। प्रति सुन्दरतम व शुद्ध है। यह प्रति लगभग १५ वीं शताब्दी की लिखी हई है। प्रति के अन्त में केवल ग्रन्थान ७७८७ लिखा हआ है। (ख) पण्णवणा टब्बा (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रंथालय, लाडनूं की है। इसमें मूल पाठ तथा स्तबक लिखा हआ है । इसकी पत्र संख्या ४६५ है। इसकी लम्बाई ॥ इंच तथा चौड़ाई ४ इंच है। प्रत्येक पत्र में भूल पाठ की पंक्तियां ७ व प्रत्येक पंक्ति में ३५ से ३६ अक्षर हैं । प्रति अति सुन्दर लिखी हई है। प्रति के अन्त में प्रत्यक्षरगणनया अनुष्ठपच्छंद: समानमिदं ग्रन्थानं ७७८७ प्रमाण' लिखा हुआ है । आगे स्तबककर के ६ श्लोक हैं । संवत् १७७८ वर्षे फाल्गुन मासे शुक्ल पक्षे प्रतिपदा तिथी रविवारे पंडित ईश्वरेण लिपी चके श्री वेन्नातट नगर मध्ये..... श्री रस्तु कल्याणमस्तु: शुभ भूयाल्लेषक पाठकयोः । (ग) पण्णवणा त्रिपाठी (हस्तलिखित) मलपाठ सहित वृत्ति ___ यह प्रति हमारे संघीय हस्तलिखित ग्रंथ-भंडार 'लाडनूं' की है। इसमें मध्य में मूल पाठ व ऊपर नीचे वृत्ति लिखी हुई है। इसकी पत्र संख्या ४४८ है। इसकी लम्बाई ६।। इंच तथा चौड़ाई ४॥ इंच है। प्रत्येक पत्र में मूल पाठ की पंक्तियां १ से १६ तक है। कुछ पत्रों में केवल वृत्ति ही है। प्रत्येक पंक्ति में ३७ से ४५ तक अक्षर हैं । ग्रंथान मूल पाठ ७७८७ तथा वृत्ति का ग्रन्याय १६००० । प्रति सुन्दर व शुद्ध है । लगभग १७ वीं शताब्दी की प्रति होनी चाहिए। (घ) पण्णवणा मूलपाठ (हस्तलिखित) ___ यह प्रति श्रीचन्दजी गणेशदास जी गधैया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। इसकी पत्र संख्या १३८ है। इसकी लम्बाई १३॥ इंच तथा चौड़ाई ५ इंच है। प्रत्येक पत्र में बीच में तथा हासिए के बाहर चित्र सा किया हुआ है। प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ६० से ६५ के लगभग अक्षर है । प्रति सुन्दर तथा शुद्ध है । यह १६ वीं शताब्दी की लिखी हुई प्रतीत होती है । ग्रंथानं ७७८७ के सिवाय अन्त में कुछ लिखा हुआ नहीं है। (गव) 'ग' संकेतित प्रति में लिखित वृत्ति के पाठान्तर (व) हस्तलिखित वृत्ति यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधया 'सरदारशहर' की है। इसकी पत्र संख्या १५६ । लिपि संवत् १५७७ । वैशाख शुक्ला १० । (मवृ) मलयगिरि वृत्ति --प्रकाशक आगमोदय समिति (मवृपा) मलयगिरि द्वारा गृहीत पाठान्तर (हव) श्री हरिभद्र सूरि सूत्रित प्रदेश व्याख्या संकलितं प्रकाशक श्री ऋषभदेव केशरीमलजी रतलाम पूर्व भाग पद ११! Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २४ जंबद्दीवपण्णत्ती प्रति-परिचय (अ) जंबुद्दीवपण्णत्ती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार की ताडपत्रीय (फोटोप्रिंट) मदनचन्द जी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र १६४ और पृष्ठ ३२८ हैं। प्रत्येक पत्र में २ से ६ तक पंक्तियां है। कहीं-कहीं पंक्तियां अधूरी लिखी हुई हैं। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३० से ३५ तक हैं। अन्त में ग्रंथान ४१४६ इतना ही लिखा हुआ है । इसके साथवाली प्रति के आधार पर यह प्रति १४ वीं शती की होनी चाहिए। (ब) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) __यह प्रति जेसलमेर भंडार ताडपत्रीय (फोटोप्रिन्ट) मदनचन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ६७ व पृष्ठ १६४ हैं। प्रत्येक पत्र में २ से ६ तक पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में ४७ से ५० तक अक्षर हैं। लिपि सं० १३७८ लिखा हुआ है। (स) जंबुद्दोवपण्णत्ती मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार पत्राकार (फोटोप्रिन्ट) मदन चन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ४६ व पृ. ६२ हैं। प्रत्येक पत्र में २० पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में ७० से ७४ तक अक्षर हैं। लिपि सं. १६४६ लिखा हुआ है। प्रति बहत महीन लिखी हुई है। (क) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) पत्र संख्या ७३ श्रीचंद गणेशदास गधया संग्रहालय (सरदारशहर) (ख) जंबुद्दीवपण्णत्तो मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रंथालय 'लाडनूं' की है। इसके पत्र १०१ व पृष्ठ २०२ हैं। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ५० से ५५ तक अक्षर हैं। प्रति प्राचीन व सुंदर लिखी हुई है। लिपि संवत् नहीं है । (ग) जंबुद्दोवपण्णत्ती त्रिपाठी, मूलपाठ व वृत्ति (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रन्थालय 'लाइन' की है। इसके पत्र ३५८ व पृष्ठ ७१६ है। प्रति के मध्य में मूलपाठ व ऊपर नीचे टीका लिखी हुई है। लिपि संवत् १९१३ अंकित है । प्रति सुंदर लिखी हुई है। इसके ६६-७० दो पत्र प्राप्त नहीं हैं। (होवृ) हीरविजयसूरि विरचित वृत्ति त्रिपाठी (हस्तलिखित) (हीवृपा) हीरविजय सूरि द्वारा गृहीत पाठान्तर यह प्रति शासन ग्रंथ भंडार 'लाडनू' की है। इसकी पत्र संख्या ५८२ है । बीच में मूलपाठ व ऊपर नीचे वृत्ति लिखी हुई है । लिपि संवत् १६१६ । (पुव) खरतरगच्छीय जिनहंसगणि शिष्य महोपाध्याय पुण्यसागर विरचित वृत्ति (हस्तलिखित) (पुवृपा) पुण्यसागर द्वारा गृहीत पाठान्तर यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधैया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र २४३ व पृष्ठ Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २५ ४८६ हैं । लिपि सं. १५७५ । प्रति सुन्दर लिखी हुई है। (शाव) तपागच्छीय होरविजयसूरि परशिष्य शान्त्याचार्य विरचित वृत्ति (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधैया संग्रहालय 'सरदारशहर' की है। लिपि सं. १५५१ (शावृपा) शान्त्याचाय द्वारा गृहीत पाठान्तर सूरपण्णत्तो प्रति-परिचय (क) सूरपण्णत्ती मूल यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदाबाद' की है। इसकी क्रमांक डा. २-५७ है। इसकी लम्बाई-चौड़ाई १२ 11 x ५ इंच है। इसकी पत्र संख्या ६२ है । प्रथम पत्र नहीं है। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्ति के प्रत्येक पंक्ति में ४८ से ७० तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर व सुवाच्य है। प्रति के बीच में हरी व लाल स्याही से चित्र-चित्रण किया हुआ है। लिपि संवत नहीं दिया है। परन्तु प्रति प्राचीन है लगभग १७ वीं शताब्दी की होनी चाहिए। प्रति के अन्त में प्रशस्ति के २५ श्लोक प्राकृत में लिखे हुए हैं। (ग) सूरपण्णत्ती मूल नंबर ६० (हस्तलिखित) यह प्रति भी पूर्व उल्लिखित 'अहमदाबाद' की है। इसकी पत्र संख्या ८७ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १०॥४४इंच है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३३ से ४१ तक है । प्रति की लिपि सुन्दर है पर अशुद्धि बहुल प्रति है । लिपि सं. १५७० । (घ) सूरपण्णत्ती मूल नम्बर ६०७ (हस्तलिखित) यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदावाद' की है। इसकी पत्र संख्या ६६ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १०४४ इंच है। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां है। प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ३४ से ४२ तक हैं । प्रति की लिपि सुंदर पर अशुद्धि बहुल है। लिपि सं. १६७३ है। ___ उपर्युक्त तीनों प्रतियों के बीच में बावड़ी है। (सूवृ) सूरपण्णत्तो टोका नं. ४८ यह प्रति लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर, 'अहमदावाद' की है। इसकी लम्बाई चौडाई १२॥१४५ इंच है। पत्र संख्या २२४ है। प्रत्येक पत्र में १३ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ४४-६० अक्षर हैं। प्रति सुन्दर व स्पष्ट लिखी हुई है। लिपि संम्बत् १५७४ है। चन्द्रप्रज्ञप्ति प्रति-परिचय (क) चंदपण्णत्ती मूल नं. ६०० (हस्तलिखित) यह प्रति भी लालभाई दलपतभाई भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर 'अहमदावाद' की है। इसकी पत्र संख्या ६८ व इसकी लम्बाई चौड़ाई १०1४ ४ । इंच है। प्रत्येक पत्र में ११ पंक्तियां व प्रत्येक पंक्ति में ३२ से ४१ तक अक्षर है । यह प्रति भी सुन्दर है पर अशुद्धि बहुल है। इसमें पत्र के बीच में बावडी है। लिपि संवत् १५७० है। Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( चंवृ) चंदपण्णत्ती टीका (हस्तलिखित) यह प्रति हमारे संघीय हस्तलिखित भण्डार 'लाइन' की है इसकी पत्र संख्या १७६ है । इसकी लम्बाई-चौड़ाई १०x४ ॥ इच की है । प्रत्येक पत्र में पंक्ति ६ व प्रत्येक पंक्ति में अक्षर ५० करीब है | प्रति सुन्दर है । लिपि संवत् १७६२ । (ट) चंदपण्णत्तो टब्बा (हस्तलिखित ) जैन विश्व भारती लाडनूं हस्तलिखित ग्रंथालय । पत्र ५७ । निरयावलियाओ प्रति- परिचय २६ (क) निरयावलियाओ मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति जेसलमेर मंडार की ताडपत्रीय ( फोटोप्रिन्ट) मदनचन्दजी गोठी 'सरदारशहर' द्वारा प्राप्त है । इसके पत्र २५ व पृष्ठ ५० हैं । फोटो प्रिंट के पत्र है है । एक पत्र में ६ पृष्ठों के फोटो है। किसी में न्यूनाधिक भी है । प्रत्येक पत्र १२ इंच लम्बा व 3 इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ में पाठ की पांच पंक्तियां हैं, किसी पत्र में दो-दो तीन-तीन पंक्तियां भी हैं । कहीं-कहीं पंक्तियां अधूरी भी हैं । प्रत्येक पंक्ति में करीब ४५ से ५० तक अक्षर है। प्रति के अंत में प्रशस्ति नहीं है । (ख) निश्यावलियाओ मूलपाठ (हस्तलिखित) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधेया पुस्तकालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र १६ तथा पृष्ठ ३८ हैं । प्रति १३३ इंच लम्बी व ५ इंच चौड़ी है । प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तिया तथा प्रत्येक पंक्ति में करीब ७१ से ७५ तक अक्षर हैं। प्रति काली स्याही से लिखी हुई है। प्रति के मध्य भाग में बावड़ी व उसके बीच में लाल स्याही का टीका लगा हुआ है । लेखन संवत् नहीं है । परन्तु उसके साथ की प्रति के आधार पर अनुमानित १६ वीं शताब्दी की है । प्रति सुंदर, स्पष्ट तथा शुद्ध लिखी हुई है । (ग) निरयावलियाओ टब्बा (हस्तलिखित) यह प्रति जैन विश्व भारती हस्तलिखित ग्रन्थालय, लाडनूं की है । इसके पत्र ६३ तथा पृष्ठ १२६ है । प्रत्येक पत्र पाठ की ७ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में अक्षर करीब ३५ से ४५ तक हैं । यह प्रति १०३ इंच लम्बी तथा ४३ इंच चौड़ी है । लिपि सं० १८३३ । (a) निरयावलियाओ वृत्ति (हस्तलिखित ) यह प्रति श्रीचन्द गणेशदास गधेया पुस्तकालय 'सरदारशहर' की है। इसके पत्र ८ हैं । यह १३३ इंच लंबी ५ इंच चौड़ी है । लिपि संम्वत् १५७५ है ! ( मुवृ) मुद्रित वृत्ति ए. एस. गोपाणी एण्ड वी. जे. चोकसी। प्रकाशित - शंभूभाईजगसीशाह, गुर्जर ग्रन्थरस्न कार्यालय, गांधी रोड़ अहमदाबाद प्रकाशन १९३४ सहयोगानुभूति जैन परम्परा में वाचना का इतिहास बहुत प्राचीन है। आज से १५०० वर्ष पूर्व तक आगम Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २७ की चार वाचनाएं हो चुकी हैं । देवद्धि गणि के बाद कोई सुनियोजित आगम-वाचना नहीं हुई। अनेक वाचना-काल में जो आगम लिखे गए थे, वे इस लम्बी अवधि में बहुत ही अव्यवस्थित हो गए हैं। उनकी पुनर्व्यवस्था के लिए आज फिर एक सुनियोजित वाचना की अपेक्षा थी। आचार्य श्री तुलसी ने सुनियोजित सामूहिक बाचना के लिए प्रयत्न भी किया था। परंतु वह पूर्ण नहीं हो सका । अन्तत हम उसी निष्कर्ष पर पहुंचे कि हमारी वाचना अनुसंधानपूर्ण, गवेषणापूर्ण, तटस्थ दृष्टि-समन्वित तथा सपरिश्रम होगी तो वह अपने आप सामूहिक हो जाएगी। इसी निर्णय के आधार पर हमारा यह आगमवाचना का कार्य आरंभ हुआ। हमारी इस वाचना के प्रमुख आचार्य श्री तुलसी हैं। वाचना का अर्थ अध्यापन है। हमारी इस प्रवृत्ति में अध्यापन कर्म के अनेक अंग हैं .. पाठ का अनुसंधान, भाषान्तर, समीक्षात्मक अध्ययन, तुलनात्मक अध्ययन आदि-आदि। इन सभी प्रवृत्तियों में हमें आचार्य श्री का सक्रिय योग, मार्ग-दर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त है। यही हमारा गुरुतर कार्य में प्रवृत होने का शक्ति-बीज है । मैं आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापन कर भार मुक्त होऊ, उसकी अपेक्षा अच्छा है कि अग्रिम कार्य के लिए उनके आशीर्वाद का शक्ति-संबल पा और अधिक भारी बनूं । प्रस्तुत पुस्तक के अन्तर्गत नौ उपांगो के पाठ-शोधन में मुनि सुदर्शनजी, मुनि हीरालालजी, का पर्याप्त योग रहा है। पण्णवणा में मुनि बालचंदजी, निरयावलियाओ में मुनि मधुकरजी का भी योग रहा है। प्रतिलिपि शोधन में स्व. मन्नालालाजी बोरड़ भी इसमें सहयोगी रहे हैं। पष्णवणा की शब्दसूची मुनि श्रीचन्द जी, जंबुद्दीवपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती, चंदपण्णत्ती की मुनि सुदर्शन जी तथा निरयावलियाओ की मुनि हीरालालजी ने तैयार की है। इस ग्रन्थ के प्रथम परिशिष्ट व इसका ग्रन्थ परिमाण मुनि हीरालाल जी ने तैयार किया है। पण्णवणा व जंबुद्दीवपण्णत्ती की शब्दसूची में क्रमश: साध्वी जिनप्रभाजी व साध्वी चन्दनबालाजी का भी योग रहा है। प्रूफ निरीक्षण में मुनि सुदर्शनजी, मुनि हीरालालजी. मुनि दुलहराजजी तथा समणी कुसुमप्रज्ञा संलग्न रही है। कहीं मुनि विमलकुमारजी, मुनि सम्पतमलजी भी सहयोगी रहे हैं । पाठ के पुननिरीक्षण के समय मुनि हीरालालजी विशेषतः संलग्न रहे हैं । __ आगम बत्तीसी के पाठ-सम्पादन कार्य में नामोल्लेख के अतिरिक्त जिनका यत्किञ्चित् योग रहा है, उन सबके प्रति हम कृतज्ञता वा भाव व्यक्त करते हैं। सम्पादन कार्य में संघीयभंडार के अतिरिक्त एल० डी० इन्स्टीट्यूट अहमदाबाद, श्रीचंद गणेशदास गधैया पुस्तक भंडार सरदाशहर, तेरापंथी सभा सरदारशहर, पूनमचंद बुद्ध मल दूधोडिया छापर, घेवर पुस्तकालय सुजानगढ़, जैन विश्व भारती ग्रंथालय लाडनूं , जेसलमेर भंडार, इन सब संस्थानों से प्राप्त हस्तलिखित आदर्शों का हमने प्रयोग किया। मुनिश्री पुण्यविजयजी ने 'नन्दी' की संशोषित प्रति भी हमें उपलब्ध कराई थी। इन सबका योग हमारे कार्य में मूल्यवान बना। आचार्य श्री के वाचना-प्रमुखत्व में आगम-वाचना का जो कार्य प्रारंभ हुआ था उसका एक पर्व संशोधित पाठयुक्त आगम बत्तीसी के साथ सम्पन्न हो रहा है । बत्तीस आगमों का संशोधित पाठ पहली बार विद्वान् पाठकों के लिए सुलभ हो रहा है । यह हमारे लिए उल्लास का विषय है। Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २९ वि. सं. २०१२ उज्जैन में आगम-सम्पादन का कार्य प्रारंभ हुआ। उसी वर्ष प्रायः बत्तीस आगमों की शब्द सूचियां तैयार हो गई। इस कार्य में अनेक साधु और साध्वियां संलग्न हुए । चारचार या तीन-तीन साधु-साध्वियों के वर्ग बने और उन्होंने इस कार्य को शीघ्रता से सम्पन्न किया । मुनि चौथमलजी, सोहनलालजी (चूरू) जैसे प्रौढ़ सन्त इस कार्य में लगे, वहां उनके सहयोगी के रूप में छोटे-छोटे साधु भी जुट गए। एक अभियान जैसा कार्य चला और सब में एक नयी भावना जागृत हो गई । पहले पाठ-शोधन नहीं हुआ था इसलिए उनका पूरा उपयोग नहीं हो सका। शब्द-सूचियां फिर से बनानी पड़ी, किन्तु जो काम हुआ वह अत्यंत श्लाघनीय है। इस सम्पादन की एक उल्लेखनीय बात यह है कि यह सारा कार्य साधु-साध्वियों के द्वारा ही सम्पादित हुआ, किसी गृहस्थ विद्वान् का इसमें योग नहीं रहा । आचार्यश्री का नेतृत्व और तेरापंथ धर्मसंघ का संगठन ही इसके लिए श्रेयोभागी बनता है। आगमविद् और संपादन के कार्य में सहयोगी स्व. श्री मदनचंदजी गोठी को इस अवसर पर विस्मृत नहीं किया जा सकता । यदि वे आज होते तो इस कार्य पर उन्हें परम हर्ष होता। आगम के प्रबन्ध सम्पादक श्री श्रीचन्दजी रामपुरिया (कुलपति, जैन विश्व भारती) प्रारंभ से ही आगम कार्य में संलग्न रहे हैं। आगम साहित्य को जन-जन तक पहुंचाने के लिए वे कृत-संकल्प और प्रयत्नशील हैं। अपने सुव्यवस्थित वकालात कार्य से पूर्ण निवृत्त होकर वे अपना अधिकांश समय आगम-सेवा में लगा रहे हैं। जैन विश्व भारती के अध्यक्ष खेमचंदजी सेठिया और मंत्री श्रीचंद बैंगानी का भी इस कार्य में योग रहा है। संपादकीय और भूमिका का अंग्रेजी अनुवाद डा. नथमल टाटिया ने तैयार किया है। एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की सम प्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारपूर्ति मात्र है। वास्तव में यह हम सबका पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है। अणुव्रत भवन (दिल्ली) २२ अक्टूबर, १९८७ युवाचार्य महाप्रज्ञ Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भूमिका पण्णवणा नाम-बोध प्रस्तुत ग्रन्थ में नौ उपांग हैं। उसमें पहला है पण्णवणा (प्रज्ञापना)। इसमें जीव और अजीव इन दो तत्त्वों का विस्तार से प्रज्ञापन किया गया है। इसके प्रथम पद का नाम प्रज्ञापना है। संभवतः इस आदि पद के कारण ही इसका नाम प्रज्ञापना रखा गया है। प्रज्ञापना का एक कार्य प्रश्नोत्तर के माध्यम से तत्त्व का प्रतिपादन करना है। प्रस्तुत आगम में प्रश्नोत्तर के द्वारा तत्त्व का प्रतिपादन किया गया है। इसलिए भी इसका नाम प्रज्ञापना हो सकता है। प्रारंभिक गाथाओं में इस आगम को "अध्ययन" भी कहा गया है। इससे प्रतीत होता है कि इसका एक नाम 'अध्ययन" रहा है। इसका संबंध दृष्टिवाद (बारहवें अंग) से है इसलिए इसे दृष्टिवाद का नि:स्यन्द या सार कहा गया है। विषयवस्तु प्रस्तुत आगम के ३६ पद हैं। उनमें जीव और अजीव के विभिन्न पर्यायों का प्रतिपादन किया गया है । यह तत्त्व-विद्या का अर्णव-ग्रन्थ है । इसके अध्ययन से भारतीय तत्त्व-विद्या के गहन स्वरूप को समझा जा सकता है । प्रथम पद में वनस्पति जीवों के दो वर्गीकरण उपलब्ध हैं:--प्रत्येकशरीरी और साधारणशरीरी ।' साधारणशरीरी का चित्र समाजवाद का ऐसा अनूठा चित्र है जिसकी मनुष्यसमाज में कल्पना नहीं की जा सकती। इसमें आर्य और म्लेच्छ का विशद वर्णन है।। प्रस्तुत आगम तत्त्व-ज्ञान का आकर-ग्रन्थ है। भगवती अंगप्रविष्ट आगम है और यह उपांग कोटि का आगम है। ये दोनों तत्त्व-ज्ञान की दृष्टि से परस्पर जुड़े हुए हैं। देवधिगणी ने भगवती में प्रज्ञापना के अधिकांश भाग का समावेश किया है। वहां बार-बार "जहा पण्णवणाए" का उल्लेख है। प्रस्तुत आगम के प्रत्येक पद में गूढ़ तत्त्वों की एक व्यूह-रचना सी उपलब्ध है। इसमें लेश्या और कर्म के विषय में अनेक महत्त्वपूर्ण सूत्र मिलते हैं। नन्दीसूत्र में आगमों के दो वर्गीकरण किए गए हैं ...अंगप्रविष्ट और अंगबाह्य । अंगबाह्य के दो प्रकार हैं .- आवश्यक और आवश्यकव्यतिरिक्त । आवश्यकव्यतिरिक्त के फिर दो प्रकार बतलाए गए है -कालिक और उत्कालिक । प्रस्तुत आगम अंगबाह्य, आवश्यकव्यतिरिक्त और उत्कालिक है।' नंदी में अंग और अंगबाह्य के संबंध की कोई चर्चा नहीं है । आगम-व्यवस्था के उत्तरकाल में अंग और १. पण्णवणा, गा०२ २. वही, , ३ ३. वही, ११३२ ४. नन्दी, ७३-७७ Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३० अंगबाह्य की संबंध-योजना निर्धारित की गई। उसके अनुसार प्रज्ञापना समवायांग का उपांग है। यह सम्बन्ध-योजना किस आधार पर की गई, यह अन्वेषण का विषय है । यदि प्रज्ञापना को "भगवती" का उपांग माना जाता तो अधिक बुद्धिगम्य होता। रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत आगम "दृष्टिवाद" का निःस्यन्द है, इस उक्ति से यह अनुमान किया जा सकता है कि इसका विषय "दृष्टिवाद" से संग्रहीत किया गया है। इसके रचनाकार आर्य श्याम हैं। वे सुधर्मास्वामी के तेवीसवें पद्रधर थे। वे वाचकवंश की परंपरा के शक्तिशाली वाचक थे। उनका अस्तित्वकाल वीर-निर्वाण की चौथी शताब्दी है। प्रस्तुत आगम का रचनाकाल वीर-निर्वाण के ३३५ से ३७५ के बीच का संभव है। नंदी में महाप्रज्ञापना का उल्लेख किया गया है । वह अभी अनुपलब्ध है। महाप्रज्ञापना और प्रज्ञापना दोनों स्वतंत्र हैं। प्रज्ञापना महाप्रज्ञापना का अवतरण है अथवा इसमें कोई नया विषय है, यह निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता । बारह उपांगों में प्रज्ञापना का एक विशिष्ट स्थान है। इससे प्रतीत होता है कि इसका रचनाकाल वह है जब पूर्वो की विस्मति हो रही थी और उसके अवशिष्ट अंशों को स्मति शेष थी। वैसे ही समय में “षट्खण्डागम" की रचना हुई थी। शेष उपांग प्रज्ञापना की रचना के उत्तरकाल में लिखे गए थे। उनकी विषयवस्तु के आधार पर यह संभावना की जा सकती है। उमास्वाति का अस्तित्व-काल वीर निर्वाण की पांचवी शताब्दी है । उन्होंने तत्वार्थसूत्र में "आर्या म्लेच्छाश्च" सूत्र लिया है। उसका आधार प्रज्ञापना का पहला पद हो सकता है। वहां जो आर्य और म्लेच्छ की स्पष्ट अवधारणा एवं परिभाषा है वह अन्यत्र उपलब्ध नहीं है। इस आधार पर इसका रचनाकाल उमास्वाति से पूर्ववर्ती है। व्याख्या-ग्रंथ प्रस्तुत आगम के व्याख्या-ग्रंथ अनेक हैं। सबसे पहला ग्रन्थ हरिभद्रसूरि का है ! व्याख्या-ग्रन्थ की तालिका इस प्रकार है:व्याख्या-ग्रंथ ग्रन्थान ग्रन्थकर्ता समय (वि० सं०) १. प्रदेशव्याख्या ३७२८ हरिभद्रसूरि ८ वीं शताब्दी २. तृतीय पद संग्रहणी १३३ अभयदेवसूरि १२ वीं शताब्दी का पूर्वाध ३. विवृति १४५०० मलयगिरि १३ वीं शताब्दी ४. अभयदेवसूरि कृत तृतीयपद कुलमण्डनगणी १८ वीं शताब्दी संग्रहणी अवचूणि ५. बृत्ति সকান १. प्रज्ञापना, वृ०प० ४७-१. आर्यश्यामो यदेव ग्रन्थान्तरेष आसालिगा प्रतिपादकं गौतमप्रश्न भगवन्निर्वचनरूपं सूत्रमस्ति तदेवागम बहुमानतः पठति । प्रज्ञापना, ३० प०७२–भगवान् आर्यश्यामोऽपि इत्थमेव सूत्रं रचयति ।" २. तस्वार्थ सूत्र ३।३६ Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१ ६. वनस्पति सप्ततिका अथवा मुनिचन्द्र १२ वीं शताब्दी वनस्पति विचार ७. अवचूरी पद्मसूरि ८. बालावबोध धनविमल अनुमानित १७ वीं शताब्दी १. बालावबोध जीवविजय १७८४ १०. स्तबक परमानन्द १८७६ ११. पण्णवणानी जोड़ जयाचार्य १८७८ इनके अतिरिक्त प्रज्ञापना से संबद्ध कुछ लघुकाय ग्रन्थों का विवरण मिलता है। मुनि पुण्यविजयजी ने हर्ष कूलगणी द्वारा विरचित "बीजक" का उल्लेख किया है। मुनिपुण्यविजयजी द्वारा लिखित प्रज्ञापना की प्रस्तावना तथा "जिन रत्नकोश" में "पर्याय" का भी उल्लेख मिलता है। "जिनरत्नकोश" में 'प्रज्ञापना सूत्र सारोद्धार' का भी उल्लेख मिलता है। ____ आचार्य मलयगिरि ने अपनी विवति में णि और 'वृद्धव्याख्या' का उल्लेख किया है। चणि अभी अनुपलब्ध है। उपलब्ध व्याख्याओं में सबसे बड़ी व्याख्या आचार्य मलयगिरि की है। मौलिक और आधारभूत व्याख्या आचार्य हरिभद्रसूरि की है। जंबुद्दीवपण्णत्ती नाम-बोध प्रस्तुत आगम का नाम जंबुद्दीवपण्णत्ती (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति) है। प्राप्ति का अर्थ है व्याकरण, उत्तर या निरूपण । इसमें जम्बूद्वीप का व्याकरण है इसलिए इसका नाम जंबूद्वीपप्रज्ञप्ति है। स्थानांग में चार अंगबाह्य प्रज्ञप्तियों का उल्लेख है, १. चन्द्रप्रज्ञप्ति, २. सूरमज्ञप्ति, ३. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति ४. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति ।' 'कसायपाहुड' में प्रज्ञप्तियों को 'दृष्टिवाद' के प्रथम भेद 'परिकम' के पांच अर्थाधिकार माना गया है----१. चन्द्रप्रज्ञप्ति, २. सूरप्रज्ञप्ति, ३. जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति, ४. द्वीपसागरप्रज्ञप्ति ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति। नंदी में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति को कालिक आगम के वर्गीकरण में रखा गया है।" १. पण्णवणा सुतं, भाग २, प्रस्तावना पृ० १५८ २. वृत्ति प० २६६ -आह च चूणिकृत् । वृ०प० २७१ - आह च चूणिकृतोऽपि । वृ० प० २७२ - यत आह चूणिकृत् । वृ०प० २७७ -- आह च चूणिकृत् । व० ५० ५१७ -'प्रज्ञापनायाश्चूणौ। वृ०प०६००-तत्रैवं वृद्धव्याख्या। ३. ठाणं, ४११८६ ४. कसायपाहड़, प्रथम अधिकार —पेज्जदोसविहत्ती, पृ० १३७---- "परियम्मे पंच अस्थाहियारा-चंदपण्णत्ती सुरपण्णत्ती जंबुद्दीवपण्णत्ती दीवसायरपण्णत्ती वियाहपण्णत्ती चेदि।" ५. नन्वी, ७८ . Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ विषय-वस्तु - इसका मुख्य प्रतिपाद्य जम्बुद्वीप है। पारिपार्श्विक विषयों की सूची बहत लंबी है। भगवान ऋषभ, कुलकर, भरत चक्रवर्ती, कालचक्र, सौरमण्डल आदि अनेक विषय इसमें प्रतिपादित हैं। इनमें भरत चक्रवर्ती का वर्णन अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। चक्रवर्ती के चौदह रत्नों और नौ निधियों का वर्णन बहुत ही सजीव है। कालचक्र के वर्णन में वर्तमान अवसर्पिणी के छठे अर का जो वर्णन है वह बहुत रोमाञ्चक है । प्रलय की जितनी भविष्य वाणियां उपलब्ध हैं, उनमें यह सर्वाधिक ध्यानाकर्षण करने वाली है। इसे पढ़ते-पढ़ते अणुयुद्ध की विभीषिका सामने आ जाती है। भगवान् ऋषभ और भगवान् महावीर में बहुत एकरूपता रही है। भगवान् ऋषभ को आदिकाश्यप और भगवान् महावीर को अन्त्यकाश्यप कहा जाता है। भगवान् ऋषभ और भगवान् महावीर दोनों ने पंच महाव्रत धर्म का प्रतिपादन किया था। भगवान महावीर की भांति भगवान् ऋषभ भी एक वर्ष से कुछ अधिक समय तब सवस्त्र रहे. फिर अचेल हो गए। भरत चक्रवर्ती काच के महल में बैठे थे। वे काच में अपना प्रतिबिंब देख रहे थे । देखते-देखते उन्हें कैवल्य प्राप्त हो गया। उत्तरवर्ती ग्रन्थों में इस कथा का विकास हुआ है। अंगुली की अंगूठी गिर जाने पर सौन्दर्य की कमी का अनुभव हुआ और उस चितन की गहराई में गए, अन्तत: केवली हो गए। योगलिक व्यवस्था की समाप्ति, समाज और राज्य-व्यवस्था के प्रारंभ का सुन्दर चित्र प्रस्तुत आगम में उपलब्ध है। भगवान् ऋषभ के सर्वतोमुखी व्यक्तित्व को समझने के लिए यह बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसका "श्रीमद्भागवत" में वणित ऋषभ के साथ तुलनात्मक अध्ययन करना बहुत महत्त्वपूर्ण प्रस्तुत आगम सात अध्यायों में विभक्त है । इन अध्यायों को "वक्खारो" या "वक्षस्कार" कहा गया है। उनके विषय इस प्रकार हैं---- १. जम्बूद्वीप २. कालचक्र और ऋषभ-चरित ३. भरत-चरित १. जंबुद्दीवपण्णत्ती, २११३०-१३७ २. धनञ्जय नाममाला, ११४, पृ० ५७ वर्षीयान् वृषभो ज्यायान् पुनराधः प्रजापतिः । ऐक्ष्वाकुः काश्यपो ब्रह्मा गौतमो नाभिजोऽग्रजः ॥ धनञ्जय नाम माला, ११५, पृ० ५८ सन्मतिमहती:रो महावीरोऽन्त्यकाश्यपः । नाथान्वयो वर्षमानो यत्तीर्थमिह साम्प्रतम् ।। ३. जंबुद्दीवपण्णत्ती, २१६६ ४. वही, ३१२१२, २२२ ५. आवश्यक चूणि, पृ० २२७ Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३३ ४. जम्बूद्वीप का विस्तृत वर्णन ५. तीर्थकर का जन्माभिषेक ६. जम्बूद्वीप की भौगोलिक स्थिति ७. ज्योतिश्चक्र रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत आगम उपांग के वर्गीकरण का ग्रन्थ है। इससे यह स्पष्ट है कि इसकी रचना भगवान् महावीर के निर्वाणोत्तर काल में हुई है । इसके रचनाकार कोई स्थविर थे । उनका नाम अज्ञात है। रचना का काल भी ज्ञात नहीं है। जीवाजीवाभिगम स्थविरों द्वारा कृत है। उसमें कल्पवृक्षों का विस्तृत वर्णन है। इसमें उनका संक्षिप्त रूप उपलब्ध है । विस्तार की सूचना 'जाव' पद के द्वारा दी गई है। ____ इससे प्रतीत होता है कि यह जीवाजीवाभिगम के उत्तरकाल की रचना है। संभवतः श्वेताम्बर और दिगम्बर का स्पष्ट भेद होने के पूर्व काल की रचना है । जंबुद्वीप के विषय में दोनों परंपराओं में प्रायः ऐकमत्य है। इस आधार पर इसका रचनाकाल वीर निर्वाण की चौथी-पांच वीं शताब्दी के आस-पास अनुमित किया जा सकता है। व्याख्या-ग्रन्थ प्रस्तुत आगम पर नो व्याख्याएं उपलब्ध हैं। उनमें केवल शांतिचन्द्रीयवृत्ति मुद्रित है, शेष अप्रकाशित हैं । शान्तिचन्द्र ने यह उल्लेख किया है कि मलयगिरि की टीका काल-दोष से विच्छिन्न हो गई है। किन्तु आधुनिक विद्वानों ने उसे खोज निकाला है। वह जैसलमेर के भण्डार में उपलब्ध है। शान्तिचन्द्रीय और पुण्यसागरीय वृत्ति में चणि का भी उल्लेख है।' इन व्याख्या-ग्रन्थों की तालिका इस प्रकार है-- ग्रन्थ সথায় कर्ता रचनाकाल १. चूणि अज्ञातकर्तृक २. टीका (प्राकृतभाषा) हरिभद्रसूरि ३. टीका मलयगिरि ४. वृत्ति १४२५२ हीरविजयसूरि वि० सं० १६३६ ५. वृत्ति १३२७५ पुण्यसागर ६. टीका (प्रमेयरत्नमञ्जूषा) १८००० शान्तिचन्द्र १. शान्ति चन्द्रोया वृत्ति पत्र २ --तत्र प्रस्तुतोपाङ्गस्य वृत्तिः श्रीमलयगिरिकृताऽपि संप्रति काल दोषेण व्यवच्छिन्ना। २. द्रष्टव्य, जैन रत्नकोश, पृ० १३० ३. शान्तिचन्द्रीया वृत्ति, पत्र १६, परिध्यानयनोपायस्त्वयं चणिकारोक्तः । वृ० ५० ५३, २५२, २७८ । पुण्यसागरीयवृत्ति, पत्र १२२-.-."एतच्चू! च।" Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७. टीका १५००० ब्रह्ममुनि ८. वृत्ति १८३५२ धर्मसागर और वानरऋषि " १६३६ ६. वृत्ति अज्ञातकर्तृक __गुजराती भाषा में धर्मसीमुनि ने इस पर स्तबक (टब्बा या बालावबोध) भी लिखा है। इन व्याख्या-ग्रन्थों की अधिकता से प्रतीत होता है कि प्रस्तुत आगम बहुत पठनीय रहा है। चन्दपण्णत्ती और सूरपण्णत्ती नाम बोध स्थानांग में चार अंगबाह्य प्रज्ञप्तियां बतलाई गई हैं। उनमें प्रथम प्रज्ञप्ति का नाम चन्द्रप्रज्ञप्ति और दूसरी का सूरप्रज्ञप्ति है । कषायपाहुड में भी इसी क्रम से नामोल्लेख मिलता है। प्रथम प्रज्ञप्ति में चन्द्र की वक्तव्यता है, इसलिए उसका नाम चन्द्रप्रज्ञप्ति है और द्वितीय प्रज्ञप्ति में सूर्य की वक्तव्यता है, इसलिए उसका नाम सूरप्रज्ञप्ति है। विषय-वस्तु आगम की प्राचीन सूचियों से पता चलता है कि चन्द्रप्रज्ञप्ति और सुरप्रज्ञप्ति दो आगम हैं। 'नन्दी' की आगम सूची में चन्द्रप्रज्ञप्ति को कालिक और सूरप्रज्ञप्ति को उत्कालिक बतलाया गया है।' इस भेद का हेतु क्या है, यह अभी अन्वेषणीय है । चन्द्रप्रज्ञप्ति वर्तमान में प्राय: उपलब्ध नहीं है। उसका थोड़ा-सा प्रारंभिक भाग मिलता है । यद्यपि कुछ हस्तलिखित आदर्श 'चन्द्रप्रज्ञप्ति' के नाम से उपलब्ध होते हैं और कुछ आदर्श सूर्यप्रज्ञप्ति के नाम से मिलते हैं, किन्तु प्रारंभिक सूत्र को छोड़कर इनका पाठ एक जैसा है । आचार्य मलयगिरि ने इन दोनों की व्याख्याएं लिखी हैं, उनमें भी प्रायः समानता है। वर्तमान धारणा के अनुसार चन्द्रप्रज्ञप्ति आज उपलब्ध नहीं है । जो उपलब्ध है, वह सूरप्रज्ञप्ति है । डा. वाल्टर शुकिंग ने एक प्रकल्पना प्रस्तुत की है--सूरप्रज्ञप्ति के १० वें पाहड़ से आगे सूर्य की अपेक्षा चन्द्र और ताराओं को अधिक महत्त्व दिया गया है अतः हम यह अनुमान करते हैं कि दसवे पाहुड़' से चन्द्रप्रज्ञप्ति का प्रारम्भ हुआ है।" किन्तु चन्द्रप्रज्ञप्ति की समग्र विषयवस्तु की जानकारी के अभाव में शुब्रिग के निष्कर्ष को सहसा निर्णायक नहीं माना जा सकता । फिर भी उसमें विचार के लिए अवकाश है। व्याख्या-ग्रंथ चन्द्रप्रज्ञप्ति और सूरप्रज्ञप्ति दोनों पर मलयगिरि-कृत टीकाएं उपलब्ध हैं। दोनों टीकाएं प्राय: समान हैं। उनमें जो अन्तर है, वह परिशिष्ट में दिया हुआ है। जिनरत्नकोश' के अनुसार चन्द्रप्रज्ञप्ति की टीका का ग्रन्थाग्र ६५००" तथा सूरप्रज्ञप्ति की टीका का ग्रन्थाग्र ६००० है। भद्रबाह-कृत १. ठाणं, ४११८६ २. कषायपाहुड़, प्रथम अधिकार, पेज्जदोसविहत्ती, पृ० १३७ ३. नंदी, ७७, ७८ ४. Doctrine of the Jains P. 102 ५. जिनरत्नकोश, पृ० ११८ ६. वही पृ० ४५२ Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नियुक्तियों में सूरप्रज्ञप्ति की नियुक्ति का उल्लेख है। किन्तु वह मलयगिरि के समय में अनुपलब्ध थी। उन्होंने अपनी टीका में पूर्वाचार्यों के मत का भी उल्लेख किया है।' निरयावलियाओ नाम-बोध प्रस्तुत आगम एक श्रुतस्कन्ध है । इस का प्राचीनतम नाम उपांग प्रतीत होता है । जम्बूस्वामी ने उपांग का क्या अर्थ है, यह प्रश्न पूछा । सुधर्मा स्वामी ने इसके उत्तर में कहा-उपांग के पांच वर्ग हैं -निरयावलिका, कल्पावतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका, वृष्णिदशा ।। 'उपांग' शब्द का बहुवचन में प्रयोग किया गया है। उपांग पांच वर्गों का एक श्रुतस्कन्ध है। इसलिए संभवत: बहुवचन का प्रयोग किया गया है। इसका मूल अंग कौन-सा है, इसके बारे में कोई जानकारी प्राप्त नहीं है । वर्तमान में प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध के लिए "उपांग' शब्द प्रचलित नहीं है। अभी 'उपांग' शब्द के द्वारा बारह आगमों का संग्रहण है। 'नन्दी' सूत्र की आगमसूची में 'उपांग' शब्द का उल्लेख नहीं है। वहां 'निरयावलिया' आदि पांचों स्वतंत्र आगम के रूप में उल्लिखित हैं । अनुमान किया जा सकता है कि 'नन्दी' सूत्र की रचना के उत्तरकाल में पांचों आगमों की एक श्रुतस्कन्ध के रूप में व्यवस्था की गई और श्रुतस्कन्ध का नाम 'उपांग' रखा गया। प्रो. विन्टरनित्ज के अनुसार ये पांचों आगम निरयावलिका के नाम से प्रसिद्ध थे। अंग और उपांग की व्यवस्था के समय से वे अलग-अलग गिने जाने लगे। 'निरयावलिया' का दूसरा नाम ‘कल्पिका' मिलता है। नंदी के कुछ आदर्शों में वह उपलब्ध है । आचार्य हरिभद्रसूरि और आचार्य मलयगिरि ने नंदी की वृत्ति में 'कल्पिका' का ही उल्लेख किया है।' यह संभावना की जा सकती है कि 'उदंगा' के प्रथम वर्ग का नाम 'कल्पिका' था, किन्तु नरक-परिणाम वाले कमों का वर्णन होने के कारण इसका दूसरा नाम 'निरयावलिका' रख दिया गया । इस प्रकार प्रथम वर्ग के दो नाम हो गए--निरयावलिका और कल्पिका। विषय-वस्तु निरयावलिका श्रुतस्कन्ध का प्रतिपाद्य विषय है—शुभ-अशुभ आचरण, शुभ-अशुभ कर्म और उनका विपाक । १. आवश्यक नियुक्ति, गाथा ८५ २. सूर्यप्रज्ञप्ति, वृत्ति पत्र, १, गाथा ५ अस्या नियुक्तिरभूत् पूर्व श्रीभद्रबाहुसूरिकृता। कलिदोषात् साऽनेशद्, व्याचक्षे केवलं सूत्रम् ॥ ३. सूर्यप्रज्ञप्ति, व. प०१६८.-."तदेवं यथा पूर्वाचायरिदमेव पर्वसूत्रमवलम्ब्य पर्वविषयं व्याख्यानं कृतं तथा मया विनेयजनानुग्रहाय स्वमत्यनुसारेणोपदशितम ।" ४. निरयावलियाओ १४, ५ ५. History of Indian Literature, Second edition, Vol II PP. 457-458 ६. नन्दी, सूत्र ७८ Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रथम वर्ग में चेटक और कोणिक के भयंकर युद्ध का वर्णन है। इसका उल्लेख भगवती और आवश्यक चणि' में भी मिलता है। बौद्ध साहित्य में भी इस युद्ध का उल्लेख मिलता है। यह आश्चर्य का विषय है कि इतिहास में इस युद्ध का कोई उल्लेख नहीं है। युद्ध आत्मरक्षा से लिए अनिवार्य हो सकता है ! उस हिंसा को एक गृहस्थ के लिए आवश्यक कहा जा सकता है। फिर भी हिंसा हिंसा है, उसे अहिंसा नहीं माना जा सकता । प्रस्तुत वर्ग में यह युद्धविरोधी स्वर उभरकर सामने आया है और वह युद्ध को धार्मिक रूप देने के प्रतिपक्ष में एक सशक्त उद्घोष है। दूसरे वर्ग में धर्म की आराधना करने वाले श्रेणिक के दस पौत्रों की सद्गति का वर्णन है। तीसरे वर्ग में संयम और सम्यक्त्व की आराधना और विराधना का प्रतिपादन है। चौथे वर्ग में पार्श्वनाथ की दश शिष्याओं का निरूपण है। पांचवें वर्ग में वृष्णि-वंश के बारह राजकुमारों की चारित्र-आराधना और 'सर्वार्थसिद्धि' में उत्पत्ति का निरूपण है। इस प्रकार इस लघुकाय उपांग या निरयावलिका श्रुतस्कन्ध में अनेक रुचिपूर्ण एवं महत्त्वपूर्ण विषयों का प्रतिपादन हुआ है। रचनाकार और रचनाकाल प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध के रचनाकार और रचनाकाल के बारे में कोई निश्चित जानकारी प्राप्त नहीं है। यह अंगबाह्य श्रुतस्कन्ध है। इससे यह निश्चित है कि यह किसी स्थविर की रचना है। इसमें भगवती, ज्ञाता, उपासकदशा, औपपातिक और राजप्रश्नीय से संबंधित विषयों की चर्चा मिलती है। किन्तु इस आधार पर रचनाकाल का निर्णय नहीं किया जा सकता। आगमसूत्रों के व्यवस्थाकाल में पूर्ववर्ती आगमों में उत्तरवर्ती आगमों के नाम उल्लिखित किए गए हैं, अतः वे रचनाकाल के पौर्वापर्य के निर्णायक नहीं बनते । व्याख्या-ग्रन्थ प्रस्तुत श्रुतस्कन्ध पर एक संस्कृत व्याख्या उपलब्ध है । विक्रम संवत् १२२८ में श्री चन्द्र सूरि ने इसकी व्याख्या लिखी थी। वह बहत संक्षिप्त है। मुनि धर्मसी (धर्मसिंह) ने इस पर गुजराती में एक टब्बा (स्तबक) लिखा था। कार्य-संपूर्ति प्रस्तुत ग्रन्थ के संपादन का बहुत कुछ श्रेय युवाचार्य महाप्रज्ञ को है, क्योंकि इस कार्य में अहनिश वे जिस मनोयोग से लगे हैं, उसी से यह कार्य संपन्न हो सका है, अन्यथा यह गुरुतर कार्य बड़ा दुरूह होता । इनकी वृत्ति मूलत: योगनिष्ठ होने से मन की एकाग्रता सहज बनी रहती है। सहज ही आगम का कार्य करते-करते अन्तर्रहस्य पकड़ने में इनकी मेधा काफी पैनी हो गई है। विनयशीलता, श्रमपरायणता, और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण-भाव ने इनकी प्रगति में बड़ा सहयोग दिया है। यह वृत्ति इनकी बचपन से ही है। जब से मेरे पास आए, मैंने इनकी इस वत्ति में क्रमशः वर्धमानता ही पाई है। इनकी कार्यक्षमता और कर्तव्यपरता ने मुझे बहुत संतोष दिया है। १. भगवती, ७.१७३, २१० २. आवश्यकचूणि, भाग २, पृ० १७४ Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मैंने अपने संघ के ऐसे शिष्य साधु-साध्वियों के बलबूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया था। प्रस्तुत आगमों के पाठ-संशोधन में अनेक मुनियों का योग रहा । उन सबको मैं आशीर्वाद देता हं कि उनकी कार्यजा शक्ति और अधिक विकसित हो। यह बृहत् कार्य सम्यग् रूप से सम्पन्न हो सका, इसका मुझे परम हर्ष है। -आचार्य तुलसी अणुव्रत भवन (नई दिल्ली) २२ अक्टूबर, १९८७ Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Editorial The present volume consists of nine āgamas :- 1. Pappavanā, 2. Jambuddivapannatti, 3. Candapannatti, 4. Sūrapannatti, 5. Nirayāyaliyão, 6. Kappavadim. siyão. 7. Pupphiyao, 8. Pupphacūliyão, and 9. Vanhidasão. The upäřgas are twelve in number. Three upāngas have already been included in the 'Uvangasuttăņi', Part 4, Volume 1. The original text of the remaining nine upangas, with variant readings, has been incorporated in the present volume. "The word index of Angasuttani has already been published as a separate book (Agama śabda-kośa). To provide convenience to readers as well as the research scholars a joint word index of the above-mentioned nine āgamas is appended in this volume. With the publication of this volume, the publication work of all the 32 canons is now over. This Agama-sūtra series at present contains seven volumes as under :-- 1. Angasutiāni, Part I: Āyāro, Süyagado, Thāṇam, Samavão. 2. Angasultāņi, Part II : Bhagaval. 3. Angasultäni, Part III : Näyādhammakahão, Uvasagadasão, Antagadadasão, Anuttarovaväiyadasão, Pannāvāgaraņāim, Vivāgasuyam. 4. Uvařgasuttaņi, Part IV, Volume I: Ovāiyam, Räyapaseniyam, Jiväjiväbhigame. 5. Uvangasuttani, Part IV, Volume II : Pannavaņā, Jambuddivapaņņatti, Candapannatti, Särapannatti, Niraya. valiyão, Kappavadimsiyão, Pupphiyão, Pupphacūliyão, Vanhidasão. 6. Nayasuttăni, Part V: Avassayam, Dasaveāliyam, Uttarajjhayaņāņi, Nandi, Aņuogadārāim, Dasão, Kappo, Vavahāro, Nisihajjhayanam. 7. Agama Sabda Kosa (Angasuttāņi Sabdasüci). Under this series of original texts, the work of editing the other canons too is in progress. They are likely to contain prakirnaka, niryukti and bhâsya. On Mahāvīra Jayanti of 2012 Vikram Samvat (1955 A.D.), Acāryasri Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ declared his intention to edit the agamas, and the assignment was taken up in the caturmasa of the same year. Many obstacles were faced in the work of editing for want of the correct versions. Consequently we thought of correcting the text to begin with. The work was actually started in 2014 V.S. (1957 A D.) and brought to completion in 2037 V.S. (1980 A D.) as follows: Vikram Samvat Dasave liyam Uttarajjhayapāņ! Nandi, Apuogadáráim Ovaiyam, Rayapaseniyam Thanam Samavão Süyagado Näyädhammakahão Ayaro, Ayāracula Uvasagadasão, Antagadadasão Anuttarovaväiyadação Vipäka Panhavägaraṇāim Nirayavaliyão Bhagavai Pannavaṇā Dasão, Pajjosavapäkappo Kappo Vavaharo JIvājlvabhigame Jambuddiva pannattl Nisthajjhayapam Candapappatti, Surapappatti 33 33 19 23 97 "3 37 33 35 33 53 39 33 33 2014 2016 2018 2018 2018 2018 2019 2020 2022 2026 2026 2028 2028 2029 2030 2031 2032 2033 2033 2034 2035 It is well known to all working in this field that editing is the most difficult job, specially when the texts to be edited are separated by a gap of several millennia in respect of language, style and thought. It is unexceptionally true that a thought or a custom does not continue in its original shape through the ages. It invariably expands or contracts. The story of expansion and contraction is the story of change. 'What is made up' is necessarily amenable to change. The insistence on the eternality of events, facts, thoughts and customs that are subject to change leads one to untruth and false imagination. The truth is 'what is made up' is necessarily transient. Whether 'made up' or 'eternal', it must needs be susceptible of change. Whatever there is must be of a nature that is not absolutely divorced from the stream of eternity and change. It is possible that an idea or truth expressed by a particular word is capable 2035 2037 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ of being expressed with its original connotation at all times? The semantic change is a necessary phenomenon and so no one with a knowledge of linguistics will insist that a word continues to have the same connotation through a period of two thousand years. For example, the expression păşanda has not the same meaning in modern śrumanic literature as it had in the times of the Agamas and Ashoka's inscriptions. It has acquired a derogatory nuance. Hundreds of words in the ancient Agama literature have shared the same fate. Under the circumstances, any thoughtful person will appreciate the difficulties in the task of an editor of ancient literature. Self confidence is an innate virtue of human beings who take great pride in the exercise of their courage, and do not shirk from responsibility however ardous. Were escapism a human virtue, not only the achievement of any enduring value would have been impossible, but whatever had been achieved in the past would have been lost at any time. About a millennium ago, Abhayadevasūri, the great commentator of the nine Angas was confronted with a great many obstacles which he had detailed as follows: (i) Absence of authentic tradition (sampradāya, about the meaning of the texts). (ii) Lack of authentic ratiocination (üha). (iii) Conflictiog modes of recitation (vācana). (iv) Vitiated manuscripts. (v) Unfathomable depth of the sutras. (vi) Differences of opinion (about the readings and the meaning). In spite of all these difficulties and hurdles, he did not draw back from the Herculean task, but on the contrary achieved something that was of a permanent value. Even today the difficulties are not fewer, but as the work of editing has been taken up by Acaryasri Tulsī himself, the task has acquired a new dimension. Any programme that is undertaken by him opens up new vistas, what to speak of the editing of the canonical literature which is by itself full of new possibilities. What is most conspicuous is that Ācāryasri has infused life in the programme through me and my colleagues, monks and puns, who were quite tyros in the field. Not only are his inarticulate blessings with us but also his concrete guidance and active co-operation are always available to us. He has given priority to the work and devoted plenty of time to it. Under his direction, deliberative counsel and encouragement, we could solve the problemas, however formidable, that cropped up from time to time in the course of our dificult enterprise. Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Procedure adopted in editing the text Pannavana In editing the text of Prajñāpana, four Ms. ādarśas were consulted, Ācārya Malayagiri's Vitti was also used for this purpose. Muni Punyavijaya's edition was also before us. But we do not take for granted a single particular edition or manuscript for our work. The important basic points for us are the critical exposition of the commentary, other parallel ägamic texts and the meanings of words. Accordingly, the reader will find many a deliberation in our edition for the purpose of arriving at correct readings. For example, take the word "ganthi" in 'vatthula kacchula sevāla ganthi'. Here 'ganthi' is incorrect. The correct version should be 'gatthi'. We have come across the reading 'ganthi' alone in all the available manuscripts as also in the agamas edited by Muni Punyavjjayaji. This reading has been revised on the basis of Jivājivābhigama and Jambūdvipaprajñapti. Please refer to the footnote of 1/38 of this ăgama. Another instance is 'titthāpavadite', in place of which some adarśas contain the reading as "cau(thānavadite", and Muni Punyavijayaji too has accepted the latter reading. But on the basis of the Vstti, we have preferred 'titthāņavaçite', which is endorsed by the vsiti of Paņpavaņā, 5/115,116. Please refer to Prajñāpanā Vịtti patra 195-196 as also the footnote of Pannavaņā, 5/115. Jambūdvipaprajñapti Seven different texts and three commentaries were consulted in the revision of the text. We find many variant readings and notes thereon in the vșttis of Upadhyāya Sānticandra and Hiravijaya. Please refer to the footnote of 4/159. This agama abounds in variant readings. Upadhyāya Sänticandra has described in detail the variant readings, as is evident from the footnote of 2/12. At other 1. Sánticandi iyavşti, patra 87: Variation of text-vacanābbedastadgatapariņāmāptaramāha--müe dvadasa yojanāni viskambhena madhye'stayojanāni viskambheda upari catvári yojanādi viskambhepa, atrāpi viskambhāyāmatan sădhikatriguņam mūlamadhyāntaparidhimādam sūtroktam subodham. atráha parah-ekasya vastuno viskambhādiparimāne dvairupyāsambhavena prastutagranthasya ca sàtisayasthavirapranitatvena katham Dânyataranirnayah ? yadekasyäpi Isabhakütaparvatarya müladavaştādiyojaoavistftatvadi punastraivāsya dvădaśädiyojanaviststatvaditi, satyam jidabhattarakanām sarvesäm ksāyikajnänavatāmekameva matam mülatah paścăttu käläotarena vismftyādida'ya vāca ābhedah, yaduktam śrimalayagirisüribhirjyotiskarandakavsttau--"'ha skandilācārya pravi (tipa tau dussamădubhávato durbhikṣapravsityā sādhūnām pathanagunanadikam sarvamapyanesat, tato durbhiksātikrame subhiksapravsttau dvayoh sanghamelåpako' bhavat, ladyatha-eko valabhyameko mathurāyām, tatra ca sütrarthasamghatane parasparero vācanăbhedo jätab, vismstayorhi sūtrarthayoh smrtvà sanghagane bhavatyavaśyam väcană. bheda" ityădi, tato trapi duşkaro'ayataranis payah dvayoh pakşayorupasthitayoranatisãy jõāpibhiranabbiniviştamatibhih pravacanăśátanābhirubhiḥ punyapuruşairiti na kācidanupa. pattih. Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ places we come across incorrect explanation due to faulty text, as is given in footnote 4:49. Cundraprajñapti and Suryaprajñapri In order to revise the text, we consulted five manuscripts and the vșttis of these agamas. We rarely depended on a particular ādarśa. The complete text of Candraprajñapti is not available. Its variation from Suryaprajñapti has been given in an Appendix. We come across some manuscripts which have passed for Candraprajñapti. Their variant readings are contained in the footnotes of Süryaprajñapti. Nirayavalikā Three manuscripts and the Vitti by Sricandra sūri have been consulted in revising the text of the five chapters of Nirayávaliki. Transformation of Words and Metamorphosis PAŅŅAVAŅĀ 1/14 bendiya beindiya (ka, kha) 1/14 tendiyao teindiya (kha) 1/23 os ussa (ka, ga) 1/29 vāyamandaliya vāumandaliya (ka) 1/35 aikolla aokulla (gha) 1/38 koranțaya korinţaya (ka) korenţa (gha) 1/48/47 balimodao palimodao (ka, gha) 11934 viibhayari viyabhayam (ka, gha) 2/10 padiņa payīņa (ka) paina (kha, ga, gha) 2/13 tadāgesu talāgesu (ka) covathin cosatthim visesahiya visesadhiya (gha, pu) 317 dāhinena dakkhipenam (ka, kha, gha) 3102 vibhangaạånina vibanganāņiņa (ka, ga, gha) 3/127 aheloe aholoe (ga) adheioe (gha) 31174 asātā (kha, ga) 3/182 jaha jadhā (kha, gha) 3/183 sakasai sakasādi (ka) 4255 egunavisam ekūņavisam (ka, gha) ekkūnavisam (kha) 4/275 panuvīsam pancavisam (kha, gha) 2/40 3/1 assātā Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5/5 panavisam jai jadi gati 5/5 315 mahurao abbhanie 5/7 5/101 3/179 5/242 6/46 818 11/6 11/21 11/25 11/30 11/37 11/37 11/72 11/75 11/84 ovadie matusse vaddhijjanti eenatthenam abhilāvo osanna Panamani vage sayanam sarirapahavā voyada avvoyadā anamani parivaddhamāņāim kadalithambhana Disarati madhuro abbhaie abbhatie padie maņuse vuddhijjanti enasthenam ahilão ussanna Pāņavani vige satanam satirappabhavā vogada avvogadā yānamaņi parivado hemāņāim kadalikhambhāpa pissarati nissirati nisarati biyam bhāsajāya baddhillayā mukkillaya (ga) (kha, ga, gha) (pu) (ka, kha) (ka) (pu) (ka) (ka, kha, gha) (ka, ga, gha) (ka, kha) (kha, gha) (ka) (kha, ga, gha) (ka, kha, ga, gha) (ka) (ka, kha, ga, gha) (ka) (gha) (kha, gha) (ga) (kha) (ga) (gha) (ka, ga) 11/88 11/88 12/7 (ga) (ka, kha, ga, gha) 12/7 1318 15/35 15/35 15/50 15/53 15,58 16/15 16/34 16/51 16/54 16/55 16/55 1724 bitiyam bhāsajjāyam baddhellaya mukkellayā osappiņīhi aņāgaroo paggohao sadi pehamăge pehati othiggale ovacaye ahavege paccatthimillam ayariyam seyansi māulungāņa tinduyāna inatthe avasappinihi aņāyāroo Diggohao sāti pehemāne peheti 'thiggile ovacate ahavete pacchimillam ayaritam seinsi mātulingana tiņduyāna . ipamatthe (ga) (ka, kba) (ga) (pu) (ga) (kha) (kha, gha) (ka, kha) (pu) (ka) (ka, ga) (ga) (ga) (ka) Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 17/106 17/119 17/124 17/125 17/126 17/128 17/132 17/150 18/1 18/56 18/64 suio 20/28 21/25 21/47 21/92 (kha, gha) (ka) (ka, gha) (ka, ga, gha) (kha, ga) (gha) (ga) (gha) (ka, kha, gha) (ka, ga) (ka, ga) (kha, gha) (kha, gha, pu) (ka) (gha) (kha) (ka, gha) (kha) (ka, gha) (ga) (ka, gha) (ka) (ka, gha) (kha, ga) (ka, gha) (kha) (ka, gha) (ka, gha) (ka, gha) (kha) (kha) (ka, ga) (ka, kha, ga, gha) (kha, ga) tinaţthe samabhiloemäņe samabhilotemäße kisha kapha haladharao halahara kairasāre kayarasārae katarasärae bālindagove bålendagope balāhae "balahate apikkānam apakkāņam agarabhāvamätze āgārabhävamayac vede vee vete vaijogi vayajogi sakasai saka sādi sakasāti savanate savapayāte sūyio dhapupuhattam dhanuha puhattam sagāim sagāti sayāim niyacchati nigacchati niggacchati kadassa katassa kayassa niyāgoyassa nitāgotassa khavae khamae aphāsāijja apphāsäijja apadivai apadivādi sagāim sataim sayātim pariyāiyanayā pariyādiņayā pariyâyanaya jāņanti yāṇanti sapariyātā saparicārā JAMBUDDIVAPAŅŅATTI vicchinnä vitthiņņā onauya naotao dhapupaţtham dhapuvattham dhanuputtham 'padoyāre 'padogāre pāsim passim duhā dudhā 2313 23/13 23/22 23/191 28/44 33/1 33/17 34/1 3416 34/15 1/8 1/18 1/23 (a, kha) (a, ka, ba) (a) (kha) (tri, ba) (a, tri, ba) (kha, sa) 1/26 1/28 1/48 Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 214 hatthassa udú (ka, kha) (tri) 2/4 (pa) 2/14 2/15 2/20 padoyāre meini ittha 2/32 2/70 2/78 2/131 2/133 2/133 (ba) (tri, ba) (a, ba) (ka, kha, sa) (a, kha, ba) (a, kha, ba) (pa) (a, ka, kha, ba, sa) kahaga 'hāsa väkaremāņānam hähàbhüe valīvigaya tolākiti (a) (ka, kha) (tri, sa) (pa) siunha juva 2/133 3/3 3/11 3/11 3/11 3/11 pausiyão babbari bahali kaducchuyao hitthassa udú ūu paçokāre metini yattha ettha kadhaka hassa vāgaramāņāņam hāhābbhūte palivigaya dolākiti dolāgiti tolāgitti rolagati siyaunha jūya vausīyāo pappar! pahali okadicchuya kadecchuya druhai pamhacări rūdhe drudhe pola obālayanda 'tondam antapäle antevāle ovațiasangahiya kinkiņio ajojjham aojjham avojjham sotamani sodāmaņi 'ppakäsam vissuttam 3/20 3/20 3/21 duruhai bambhayāri durúdhe 3/22 3/23 3/24 3/26 bola bālacanda otundam antavāle (ka, kha, tri, ba, sa) (ka, kha, pa, sa) (ka, kha, pa, sa) (a, ba) (a, ba) (kha) (a, ba, sa) (a, ba) (a, tri, ba) (a) (ba) (a, ba) (sa) (ka, pa, sa) (a, tri, ba) (ka, kha) (a, ba) (ka, kha, sa) (a, ba) (ka, kha, pa, sa) (tri) (ka) (kha, sa) (a, ka, kha, tri. ba, sa) (ka, sa) 3/35 3/35 3/35 Spaţtasangahiya okhinkhinio ayojjham 3/35 soyāmaņi 3/35 3/35 oppagāsamo visutam Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 3/77 3/117 3/117 3/138 3/178 3/194 3/211 3/214 3/220 3/221 3/223 4/36 4/54 4155 4177 4185 4/86 cindhapatte cindhavatte (ba) mirii omariio (tri) uupa udūņa (a, kha, ba) riduna (ka, sa) "hidayao "hiyaya (a, tri, pa, ba) "hitaya (ka, sa) "hadaya (kha) nihic onihito (a, tri, ba) Onihao (kha, sa) abhiseyapidham abhiseyapedham (a, ba) ganthim ganthim (tri, pa) tisována tisomāna (a, ba) kāgani kákinio (a) käginio (b) kākanio (sa) puvvakaya puvvakaçao (ka, sa) ihāpoha ihăpüha (a, ka, kha, sa) ihāvūha (pu, vī) bāvafthim băsatthim (pa) hrassatarãe hassatare (pa) dakkhinenam dähinepam (tri) harivåsam harivassam (a, pa, ba) sankhatalao sankhadalao (pa, śāvs, puvspā) bāyale pāyāle (a, ba) bāyālise (tri) pisahassa nisaassa (a, ba) sitodā slotā (a, ba) (tri) sioa (pa) viuttare piuttare (ba) nisadbao nisabha (a, ba) nisahao (ka, kha, sa) hemavaya-herannavaya hemavaerannavaya (ka, kha, ba, sa) hemavaya era pavaya (tri) silavantassa nelavantassa (a, ka, kha, ba, sa) saniccari saņímccări (pa) uvavayasabhãe otāvasabhãe jamagão javagão (a, ba) jamigão (kha) dasa daha (a, ka, kha, ba, sa) niyaya pitiya (a, ka, kha, tri, ba, sa) 4187 4191 siodā 4/93 4196 4/102 4/103 4/109 4/140 4/140 (ka) 4/142 4/157 Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 4/180 4/210 4/231 5/25 5/58 5/58 7/31 7/122 7/126 7/128 8/128 7/129 7/130 7/155 7/159 7/178 2/3 2/3 4/3 6/1 6/1 6/1 6/1 8/1 9/3 10/2 10/5 parupparanti sayajjala palaso ghanțapadensuya gāyāim jannu uddhlmuha bhaviyappa abhijiyājyä savano miyasara" abhil vahassai kattigi assini nangülāņam ihagatassa cauruttare pihula poggala oyasanthit! oyãe rayanikhettassa sada vayam...vadāmo savaņe sayam ૪૬ paropparanti sayañjala valāsa ghanţapadensuka" ghantapadinsuk4" ghanṭāpaḍissuya ghanṭāpaḍansuyā gattaim gatäim jāņu uddham muha uddhĭmuha bhāviyāyā abhijidaiya abhijadiya abhijādīyä samane magasira abhiti abivl pahassati vahapphal kattiki kittikl kittigi ǎsini läégül pam SŪRAPANNATTI idagatassa cauttare pidhulä puhulo puggala totasanthit! otãe ratanikhettassa rätikhettassa satā vatam...vatamo samano sågam (a, tri, ba) (tri) (ba) (a, ba) (ka, kha) (tri) (sa) (ka, kha) (ba) (tri) (a, ba) (ka, kha, pa) (kha) (a, ba) (ka, sa) (kha) (a, ba) (ba) (a, ba, sa) (ka, kha) (a, ba) (tri) (a) (kha, ba) (sa) (ba) (pa) (ga, gha) (ta) (ka) (ta) (ka, ga, gha) (ta, va) (a) (ka, ga, gha) (a)) (ga, gha, ta, va) (va) (ga, gha) (va) Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10/7 10/10 10/77 10/78 10/79 10/87 10,89 10/136 10/147 10/173 14/2 15/31 18/34 20/1 20/2 1/42 1/66 1/72 1/91 1/97 1/97 1/117 1/127 3/115 3/134 4/19 4/21 5/6 5/10 (*) ǎsol asoinnam ādiccehim bamba savage bitiya duvihā tihi päto uvaipävettä sayavi Place kaham ahiyam mehupavattiyam ahe vaiyarie apnaya janavadam úsae piisoenam patthe andolávei nicchuhāvei lecchai suvvayão juyalarh itthä *baosiya savvouya ahevaccam ४६ assoti assodiņņam äticcehim bambha samaņe bidiya duvidha tidhi pado uvadiņävettä uvätiņävettä satävi sadāvi kadham adhiyam ahitam medhunavattiyam adho vaticarie NIRAYAVALIYÃO annada appata janavayam ūsave pitasoetam ppitthe putthe andodávei nicchubhāvei lecchati suvvadão juvalam jugalam titthå pãosiya savvoduya adhevaccam PANNAVANA Text (manuscript) (va) (ga, gha) (va) (ka, ga, gha) DESCRIPTION OF MANUSCRIPTS AND PRINTED VERSIONS PANNAVANA (ta, va) (ka, gha) (ka) (ka, gha, va) (ka, ga, gha) (ta, ba) (ka, ga, gha, va) (ga) (ka, ga, gha) (ka, ga, gha) (ta) (ka, ga, gha) (ka) (ta) (ka) (kha) (kha) (kha) (kha) (ka) (ga) (ka) (ka) (ka) (ka) (kha) (ga) (ka) (ka, ga) (ka, ga) (kha) Punamchand Budhmal Dudhoria, Chhapar. Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (v) (1) (B) Size No. of folios Lines per page No. of letters per line Script Special information Place Size No. of folios PANNAVANA Tabbá (Manuscript) Lines per page No. of letters per line Script Colophon Place Size No. of folios Lines per page No. of letters per line Special Information ५० 101 x 41" 302 patras 11 33 to 41 Most beautiful and correct. It belongs to 15th century approximately. It ends only with the mention of granthagra 7787. Special Information Ms. PANNAVAṆA TRIPATHI with Text and Vetti Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun. 9" x 4" 465 patras 7 35 to 39 Beautiful Size "Pratyakaşaragananaya anuṣṭhapacchandaḥ samânamidath granthägram 7787 pramanam". Six verses of stabaka :-- "Samvat 1778 varse phalguna mise śuklapakṣe pratipada tithau ravivare pandita Ivarepa lipi cakre śri vennätata nagara madhyerirastu kalyāṇamastu: subham bhüyällekhakapāthakayob." It contains the text and stabaka. Order's Ms. Grantha Bhandara, Ladnun, 93' x 41 448 patras 1 to 16 PANNAVANA Text (Manuscript) 37 to 45 Text is given in the middle, with vṛtti up and down. Some pages have vṛtti alone. Granthagra of text is 7787 and that of vrtti is 16000. The Ms. is beautiful and faultless. It must belong to 17th cen. approximately. Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. 13" x 5" Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ No. of folios 138 patras. Lines per page 15 No. of letters per line 60 to 65 Script Beautiful and correct. Special Information Every patra is illustrated in the middle and out of the margin too. It appears to belong to 16th cen. Nothing else is mentioned at the end except 'grantbågram 7787). (a) Variations of Výtti written in Ms. bearing sign. (a) Vğiti (Manuscript) Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of folios 159 patras. Special Information Manuscript, Scribing year 1977, Vai. sākha Sukla 10 (99) Variation as approved by Malayagiri. (6) Compliled with 'Pradeśa' commentary by Haribhadra süri'. Publisher --Shri Rşabhadeva Kesarimal, Ratlam, Part I; verses 11 JAMBUDDIVAPAŅŅATTI (3) Jambuddivapaņgatti Text (Manuscript) Place Palm-leaf (photoprint) Ms. of Jaisalmer. Bhandāra, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 164, 328 Lines per page 2 to 6 No. of letters per line 30 to 35 Special Information Some of the lines are incomplete. The Ms. ends only with the mention of Granthāgra 4146. It must be belonging to 14th century in view of its accompany. ing ms. Jambuddivapaņpatti Text (Manuscript) Place Palm-leaf (Photoprint) Ms. belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 97 and 194 Lines per page 2 to 6 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३२ Letters per line 47 to 50 Script year Samvat 1378 Jambuddivapaņpatti Text (Manuscript) Place Paim-leaf (Photoprint) of Jaisalmer Bhandāra, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshahar. No. of folios & pages 46 & 92 Lines per page 20 Letters per lines 70 to 74 Script year Samvat 1646 Special Information The size of letters is very small. Jambuddivapanpatti Text (Manuscript) Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of patras 73 Jambuddïvapanpatti Text (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun No. of folios & pages 101 & 202 Lines per page 13 Letters per line 50 to 55 Special Information Ms. is antiquated and beautifully scribed. Script year is not mentioned. Jambuddivapanpatti Tripathi, Text and Vftti (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnun. No. of folios & pages 358 & 716 Pages 69-70 missing. Scribing year Samvat 1913 Special Information Original text scribed in the middle, with commentary at top and bottom margin. Script beautifully written. (a ) Vrtti Tripățhi by Hiravijaya Sūri (Manuscript) (tag) Variant readings as approved by Hiravijaya Sūri Place Order's Library, Ladnun. No. of patras 582 Scribing year Samvat 1919 Sepecial Information Original text scribed in the middle and Vịtti at top and bottom margin (a) Vrtti by Mahopädbyāya Punyasāgara, the disciple of Jinahansagani of Kharataragaccha (Manuscript). Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Place (999) Variant readings as approved by Punyasāgara. Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. No. of folios & pages 243 and 486 Scribing year Samvat 1575 Special Information Beautifully scribed. ( a) Vrtti by Säntyācārya, the disciple of Hiravijaya Sūri of 'Tapāgaccha Order (Manuscript). Place Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library Sardarshanar. Scribing year Sarvat 1551 (straf) Variant readings as approved by Santyacārya. SORAPANNATTI 13 Ink sūrapanpatti Text Place L D. Institute of Indology, Ahmedabad. Serial No. of Ms. Dā 2/57 Size 121" x 50 No. of folios 62 [The first leaf is missing). Lines in each page Letters in each line 48 to 70 Picture drawing in Green and Red ink in the centre of each page. Scribing year Not mentioned. Special Information It is beautiful and easily legible. It is a very antiquated Ms. belonging to about 17th century. It ends with 25 verses in Prakrit language. Sūrapannatti, Original, No. 60 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 101" x 4.1 No. of patras 87 Line in each page Letters in each line 33 to 41 Scribing year Samvat 1570 Special Information Script is beautiful, but abounds in mis takes. Sūrapannatti, Original, No. 607 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 10" x 4" No. of patras (T) 66 Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Place 11 Lines per page 13 Letters per line 34 to 42 Scribing year Samvat 1673 Special Information Beautiful script but abounds in mistakes. (9) Sürapannatti, Commentary, No. 48. L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 125" x 5 No. of patras 224 Lines per page 13 Letters per line 44 to 60 Scribing year Samvat 1574 Special Information Script beautiful and distinct. CANDRAPRAJN APTI Candapannatti Original No. 600 (Manuscript) Place L.D. Institute of Indology, Ahmedabad. Size 101" x 17" No. of patras 68 Lines per page Letters per line 32 to 41 Scribing year Samvat 1570 Special Information Beautiful script, but abounds in errors. A bävadi in the middle of the page. (a) Candapannatti Commentary (Manuscript) Place Order's Ms. Library, Ladnun. Size 10" X 4' No. of patras 179 Lines per page Letters per line about 50 Scribing year Samvat 1762 Special Information Script beautiful Caadapannatti Țabbá (Manuscript) Place Ms. Section, JVB Library, Ladnu. No. of patras NIRAYĀVALIYÃO Nirayāvaliyão Text (Manuscript) Place Palin-leaf (Photoprint) copy of Jaisalmer Bhandara, belonging to Madanchand Gauti, Sardarshanar. Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (#) (=) (1) (मुब्) No. of folios & pages Size Lines per page Place Letters per line Special Information Nirayavaliyão Text (Manuscript) Size No. of folios & pages Lines per page Letters per line Ink Scribing year Special Information Place No. of folios & pages Lines per page Letters per line Size Scribing year Nirayavaliyão Vrtti Place Not mentioned It should belong to 16th cen. approximately on the basis of the copy accompanying it. Nirayavaliyão Tabba (Manuscript) No. of patras Size ५५ 25 & 50. Nine patras are photoprinted. Each page contains photos of six pages. Somewhere it is less or more. 12" x Scribing year Printed Vitti Editors Publisher 5 lines of the text. Some patra contains 2 or 3 lines also. Some lines are even incomplete. 45 to 50 No colophon at the end. Year of publication Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar. 13 x 5 19 & 38 15 71 to 75 Black colour. A bävad in the middle. portion and a 2 in Red ink in its centre. Ms. Section, JVB Library, Ladnun. 63 and 126 7 35 to 45 10" x 4" Samvat 1833 (Manuscript) Srichand Ganeshdass Gadhaiya Library, Sardarshahar 8 13" x 5" Sathvat 1575 A.S. Gopani & V.J. Choksi Shambubhai J. Shah, Gurjar Granthratna Karyalaya, Gandhi Road, Ahmedabad. 1934 A.D. Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Acknowledgement of Collaboration The tradition of councils in Jainism is very old. As many as four councils had been held before the period that ended ere a millennium and a half from now. After the time of Devardhigani no well-organised council was held. The Agamas committed to writing in his time were disorganised to a very great extent in this long interval. A fresh council was therefore a desideratum. Ācārya Sri Tulsi made an attempt at holding a Comprehensive Consentaneous Council, but could not succeed. Ultimately we arrived at the view that our Council will serve the same purpose, if it was based on impartial research and complete dedication to the cause of truth. We started our work in accordance with this resolution. The chief inspiration to this council is the Acarya Sri. The council is a deliberative assembly headed by an eminent personality who combines in him. self a variety of functions, the chief among them being teaching and instruction, translation, investigation, critical study, sorting out correct reading and so on. We enjoyed the active cooperation, guidance and encouragement in all these activities from the Acārya Sri. This indeed was our strength and support for undertaking such an arduous task Instead of feeling relieved of the burden by expressing my gratitude to the Acārya Sri, it would be better for me to feel more burdened by the support of his blessing for the future work and responsibility. In editing the text of the nine upãngas in the present volume I received sufficient cooperation from Muni Sudarshanji and Muni Hiralalji. In the work of ascertaining the readings in Pannavanā and Nirayāvaliyão, Muni Balchandji and Muni Madhukarji respectively offered assistance. In preparing the press copy, Late Mannala lji Borad also proved helpful. The work index of Pannavaņā has been prepared by Muni Srichandji, of Jambuddivapannatti, Sūrapannaiti and Candapannatti by Muni Sudarshanji and of Nirayāvaliyão by Muni Hiralalji. The first Appendix and the extent of the text was determined by Muni Hiralalji. In preparing the word indexes of Pannavanā and Jambuddivapaņgatti, Sadhvi Jinaprabhā and Sadhvi Chandanbālā respectively contributed a lot. In proof-reading Muni Sudarshanji, Muni Hiralalji, Muni Dulaharajji and Samaņi Kusumprajña actively cooperated. At certain stages Muni Vimalkumarji and Muni Sampatmalji also proved helpful. Muni Hiralalji was specially engaged in revising the text again. I express sentiments of gratitude for all those, in addition to the names already mentioned, who contributed whatever little they could in editing the text of the 32 agamas. In this task we utilised the muss. belonging to the institutions such as L. D. Institute of Indology, Ahmedabad, Shrichand Ganeshdass Gadhaiya Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५७ Pustak Bhandara, Sardarshahar, Terapantha Sabha, Sardarshahar, Punamchand Buddhamai Dudhoriya, Chhapar, Ghewar Pustakalaya, Sujangarh, Jain Vishva Bharti, Ladnun and Jaisalmer Bhandara, in addition to Order's Bhandara. The text of Nandl revised by Muni Punyavijayaji was also made available to us. this proved a valuable assistance to us. An important stage of the publication of the revised text of 32 agamas, which began under the able stewardship of Acarya Sri Tulsi as Vacana-pramukha, is completing today. For the first time the revised and authorised version of the 32 agamas is being made available to the scholars. It is a matter of ineffable joy for us. The work of the editing of agamas first started in V.S. 2012 at Ujjain. In that year the word indexes of almost all the 32 agamas had been prepared. Several monks and nuns were actively engaged in it. Groups, each containing three or four monks or nuns, were formed and they finished the assignment without any loss of time. On the one hand the aged monks like Muni Chauthmalji, Muni Sohanlalji (Churu) etc. were actively engaged in it while on the other hand the younger monks too devoted themselves wholeheartedly to this job, which was like a campaign and every participant was full of the awakening of a new spirit. The text was unrevised so far, so it could not be utilised fully well. Word-indexes had got to be prepared anew, but whatever line of action was chalked out, was quite commendable. One special and worth-mentioning characteristic of this editing is that everything was done by the monks themselves and no external help from any scholar-householder was required. The whole credit goes to the leadership of Acarya Srl as also to the Terapanth Religious Order. I cannot afford to forget on this occasion the services rendered by the late Madanchandji Gothi who had a very sound knowledge of agamas and was exceedingly helpful in revising the text of agamas. Had he been alive, he would have felt satisfied on the publication of this volume. The Managing Director of the Agama series, Sri Srichand Rampuria (Vice-Chancellor, Jain Vishva Bharti) has been taking interest in this work since its inception. He is ever devoted to the task of popularising the Agamic lore. After retiring completely from his well-established profession, he has been devoting a major part of his time to the service of Agama literature. Sri Khemchand Sethia and Sri Srichand Bengani, the President and the Secretary respectively of Jain Vishva Bharti have cooperated a lot towards the successful completion of this task. The English rendering of 'Editorial' and 'Introduction' has been made by Dr. Nathmal Tatia. The mention of the cooperation of the co-workers in a common enterprise is only a formality. In fact it was a sacred duty of all of us and that we have fulfilled. Anuvrata Bhawan, Delhi. -Yuvacārya Mahaprajña 22nd Oct., 1987. Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ The present volume consists of nine agamas -uvangas-Pantavaņā, Jambuddivapagbatt, Candapappatti, Sarapannatti, Nirayavaliyão (five in number). PANNAVANA The canon under review is Paṛṇavaṇā (Prajñāpanā). It treats extensively the two substances-sentient being (jiva) and insentient being (ajiva). The term used in the beginning is prajñāpana', hence the whole canon bears the name 'Prajñāpanā". One of its aims is to interpret the Reality through QuestionAnswer method, and the same thing has been done in this canonical text. That also justifies its nomenclature as Prajñāpona. In the opening gathās, this agama has been named as 'Adhyayana' which shows that one of its names is 'Adhyayana" also. It relates to Drstivada, the twelfth anga, so it has been called as the essence or niḥsyanda of Drstivada. Subject-Matter It contains 36 topics (padas) which discuss the various aspects (paryayas) of soul (jiva) and non-soul (ajiva). It is like an ocean of the Science of Reality (tativa vidya) through which the deeper meaning of Indian Science of Reality can be appreciated. The first topic (pada) provides two classifications of vegetable-bodied beings-the individual-bodied (pratyekaśarlrl) and commonbodied (sadharanasariri). The common-bodied presents such a unique picture of Socialism which cannot even be imagined in human society. It deals in greater details with the dryas and the mlecchas. This canon is the source book of the Science of Truth (tattvajñāna). Whereas the Bhagavar is an anga-pravista canon, the Pannavana is an Upanga. Both these Agamas are inter-related on account of their common theme of the Science of Truth. Most of the Prajñāpana has been included in Bhagavat! by Devarddhigani, as is evident from the use of Jaha pannavande time and again. Its every pada is like the embodiment of abstruse metaphysical problems. It contains various important sutras about lesya and karma. Nandisutra gives us the two classifications of Agamas-angapravista and 1. Pannavana, gatha 2 21 2. 3 3. 1/32 Introduction " " " Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६० angabahya. The former is again twofold-Avasyaka and Avasyaka-vyatirikta. The latter is again classified as kālika and utkálika. Thus Pannṇavaṇā is Angobahya, Avatyaka-vyatirikta and Utkäliku. Nandi does not contain any reference to Anga and Angubahya. In the latter part of the Agama age the interrelation between Anga and Angabahya was determined. Accordingly, Prajñāpana turns to be the upanga of Samaväyänga. On what basis this interrelationship was determined is a matter of research. It would have been all the more intelligible if Prajñāpand had been recognised as Upäriga of Bhagavati. Author and the Period of Composition Pannavand is the sum and substance (nibsyanda) of Drşivdda. We can thus infer that its subject-matter has been derived from Drapivada. Its author is Arya Syama 2 He was the 23rd in lineage from Acarya Sudharmasvami He was a powerful vacaka in the tradition of the lineage of vacakas. He flourished in the 4th century of Vira-nirvana. The date of composition of Punnavand is probably between the year 335 and 375 of Vira-nirvana. Nandi mentions the 'Mahaprajñāpand" which is now extinct. Both Mahaprajñāpand and Prajñāpană are independent works. It cannot be said definitely whether the former is the progenitor of the latter or the latter contains any new topic. Among the twelve updñgas, Prajñāpand holds a unique position. We can guess from this that it was composed at the period when the Purvas were passing into oblivion and their remaining portions alone were in memory Şatkhaṇḍagama too came into existence at such a period. The remaining upangas were composed in the period subsequent to the composition of Prajñapand. All this conjecture has been made on the basis of their subjectmatter. Umāsvāti flourished in 5th century of Vira-nirvana. His Tattvärthasūtra mentions the sutra "äryä mlecchaśca", which must be based on the first 'pada' of Prajñapand. The clearcut idea and definition of 'årya' and 'mleccha' appearing there is net to be found elsewhere. On this basis Pannavaṇā precedes the period of Umåsväti. Commentaries Many commentaries of Pannavana are available. They are as follows:Commentaries Author Haribhadrasūri Abhayadevasūri 1. Pradeśa-commentary 2 Triya-pada-Sangrahant Granthågra 3728 133 1. Nandi, 73-77 2. Prajñāpana Vr, patra, 471, äryasyamo yadeva granthantareşu asaliga pratipädakam gautamapraśnabhagavannirvacanarupam sūtramasti tadevāgama bahumānataḥ pathati. Prajñapana Vr. Patra, 72; bhagavan āryasyamo'pi itthameva sütram racayati. 3. Tattvärthasutra, 3/36 Date 8th Cen. First half of 12th Cen. Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Tavāna 3. Vivsti 14500 Malayagiri 13th Cen. 4. Abhayadeva's Titium-pada-sangrahoni avacūmi Kulamandariagani 15th Cen. 5. Vyti Anonymous 6. Vanaspoti-siplikā or Vanaspati.' icara Municandra 1/?th Ce: 7 Avucuri Padmasuri S. Bulanabodha . Dhanavimala 17th Cen Jivavijaya Year 1785 10. Stahaka Parmānanda ► 1876 11. Pannuruna ni Joda 550 Jayācārya 1978 In additioa to this, we also find some smaller commentaries of Pannavana. Muni Punyavijaya has meitioned the commentary named “Bījaka' by Harsakulagani'.! In Muni Punyavijaya's "Introduction to Prajñāpana" and in Jinaratnakośa' we find mention of 'puryāya'. "Prajñāpanā-sútra-sároddhara" is also mentioned in Jiniratnakośa'. Acarya Malayagiri mentio:as cūrņi and Vyddhayrakhya in his Vrtti? Cúrņi is untraceable at present. Malayagiri's commentary is the most elaborate among all the available commentariesĀcārya Haribhadra Sūri's commentary is the most origiual and basic too. JAMBUDDIYAPANNATTI Nomenclature This canon is known as Jambuddivapannatti (Jambūdvipaprajñapri). Prajñāpti means exposition, information or treatment. It contains the cxposition of Jambūdvīpa, hence it is called Jambūdvipap ajñapti. Sthānanga sutra mentions four ungabāhya prajñapris---(1) Candraprajñupti, (2) Süryaprajñapti, (3) Jumbidvípaprajñapti, and (4) Drīpasāgaraprajñupti.' In Kasāyopõhudu, projñaptis have been classified as the five arthadhikaras of 'parikarma' which is the first division of Drsțivada-(i) Candraprajñapti, (2) Suryaprajñapti, (3) Jambūdvipuprajñapti, (4) Dvipasāgara prajñapti and (5) Vyākhyāprujñapti.* In Nandi, Jumbūdvipaprujñapti 1. Pannavana Sattam, Part II, Introduction, p. 158 1. Vrati patra, 269: aha ca cürnikt. * 271 : äha ca cürnikrlo'pi. " " 272: yadah cūrniks!. > " 277: aha ca cürnikri. " S7:prajiāpanāyāốcũrno. ” ” 600 : tatrāivam vrddhavyakhya. 1. Thanam, 4/189 2. Kasayepähudla, Adhikara I, pejjadosavihalti, p. 137; parivamme pañca atthähirarā-randapannalla sarapannalli jamhuddivapannatti divasāyarapannarri viyahapannatti cedi. Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ has been categorised as Kālika āgama. Subject matter Its main theme is Jambūdvipa. The list of peripheral and incidental topics is very long. Lord Rşabha, Kulakara, Bharata Cakravarti, Kālacakra, Sauramandala, and many others are the subjects dealt with in it. The description about Bharata Cakravarti's fourteen jewels and nine treasures has been described here in a lively manner. Under the 'wheel of eternity' (kalacakra), thrilling account has been given about the sixth spoke of the present descending cycle. Of all the available forecasts about the universal annihilation, it invites our attention most effect ively. By going through it one is confronted with the horrors of the atomic warfare. Both Lord Rşabha and Lord Mahavira have similarity in various respects. The former is called Adi Kāśyapa while the latter is called Antyakāśyapa. Both propounded the path of five Great Vows. Like Lord Mahavira, Lord Rşabha also put on garment for more than a year, followed by absolute nudity.. Bharata Cakravarti was seated in his palace of glass. While he was looking at his reflection in the mirror, he attained liberation. In later literature this incident is developed in a number of ways. At the loss of his finger-ring he felt the diminution of his beauty, which led him to deeper thought culminating into the attainment of a kevalihood. The canon gives us a beautiful picture of the termination of the 'yaugalika' state, and the beginning of social life and political administration, It is a very important document to get a clear idea of the multifaceted personality of Lord Rşabha. A comparative study of the delineation of Rşabha in the present text with that in the Srimadbhagavata is bound to be very fruitful. The canon is divided into seven chapters which are called 'vakkhäro' or ‘vakşaskāra'. Some of the topics are :-- 1. Jambůdvipa 2. Kālacakra & Rşabha-carita 3. Bharata-Carita 4. Jambūdvipa : detailed description 1. Nandi, 78 2. Jambuddivapannatli, 2/130-137 3. Dhananjaya-namamala, 114, page 57 : vharsiyan vrşabho jyäyän punaradyah prajapatih / aik svakuh kasyapo brahma gautamo nabhijo'grajah // Ibid, 115, p. 58: sarmalirmahatirviro mahaviro'ntyakaśyapah/ nathanvayo vardhamano yatirthamika sampratam // 4. Jambuddivapannatti, 2/66 5. Ibid, 3/221,222 6. Avasyakacūrni, p. 227 Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 5 Birth Celebration of Tirtharkara 6. Geographical condition of 7. Syotiścakra. Jambūdvipa Author and Date This canon has been categorised as Upanga which shows that it was composed at a later period after Lord Mahavira's nirvana. Its author must be some anonymous elderly monk. The date of composition too is unknown. Jivājīvābhigame, containing detailed accounts of the Kalpavrkşas, was also composed by the elders. Jambúdvipaprojñupti gives only a brief account of them indicating the details through jāva'. This shows that Jambūdvīpaprajñapti was composed at a later period than that of Jivājīvābhigume. Possibly we may ascribe it to an earlier date than the emergence of a clear-cut distinction between Svetāmbara and Digambara schools which are mostly unanimous about the contents of Jambūdvīpaprajnapti. On this basis we can guess it to belong to the 4th-5th century of Vīranirvana. Commentaries About nine commentaries are available on this canon. Out of them, the V i by Sānticandra alone, has been printed; the remaining ones are unpublished. Sānticandra has mentioned that Malayagiri's commentary was lost with the passage of time, but noderii scholars have traced it out in the Jaisalmer Bhandāra. The Vrttis by Sánticandra and Punyasagara bear the mention of Cūrni. These Commentaries are as follows:--- SN. Canon Granthāgra Author Date 1. Cūrni Anonymous 2. Țikā (in Prakrit) Haribhadrasuri 3. Malayagiri - 4. Vrati 14252 Hiravijayasuri 1639 (Vikram Sam, 5. Vrati 13275 Punyasagara 1645 6. Tika 18000 Sánticandra 1660 (Prumeyaratnamañjūşa) 7. Țikā I 5000 Brahma Muni 8. Vrtti 18352 Dharmasagara and 1639 Vānara Rşi 9. Vriti Anonymous 1. Sänticandra : Vrtti patra 2: "latra prastuto'pārgasya vittih frimalayagirikytapi sampratikāla doseņu vyavacchinna." 2 Sce, Jinaratnakośa, p. 130. 3. (a) Sänticandra. Vrtti patra, 19 : "paridhyānayanopayastyayam cürnikaroktah." (b) Vr. p. 53,252,278. (c) Punyasagari vrtti, patra, 122: "etaccūrno ca." Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Muni Dharmasi has composed stubaka (labbā or bālavabodha) on it ul Gujarati. The abundance of commentaries reveals that this ca.101 was síudied very frequently CANDAPANNATTI AND SŪRAPANNATTI Nomenclature Shānanga mentions four angababya prajñaptis, of which the first is Candraprajñapri and the second is Súrraprujnapti. Kusayapähuda also mentions them in the same order. As the name comiotes, the first prajñapti deals with the moon while the second one deals with the sun, so they are named as Candruprajiapti and Sūryoprajñupti respectively, Subject Matter The list of ūgumes contains both these águmas--Candraprajñupti and Süryaprajñpti. Nandi's Agama-list too tells of Candraprajñapri as Kalika and Süryapruji-pri as Uikalika.“ 'The cause of this distinction demands investigation. The former is not available at prese it but for a very small portion of its beginning. We come across some manuscripts entitled Candrup ajñapri and Süryoprojñapti but their text throughout is identical except the initial sutra. Acārya Maluyagiri has composed cominentaries on both of them did they are almost identical "The general impressio, prevailing at present is that Cundruprujñopri is not at all available these days. Whatever is available is Süryaprajñupti alonc. Dr. Walter Schubring has put forward a conjectureSuryaprajñapti, from its 71 puhuda Ojiwards, ascribes more importance to the moon and ihe stars, so we imagine thui! Candraprajñupri begins from the 10th pāludu.' But in the absence of the whole subject matter of Candruprojiupti, Schubring's conclusions cannot be taken as authoritative outright. Even then there is much toom for consideration. Commentaries Malayagiri's commentaries are availabic On boin-Cund aprajñopli and Süty prujñopii. The commentaries are identical and whatever iheir difference is has been noted in the Appendix. According to Jinaratnak ośu, the granthägra of the commentaries of these agamus is 9300 and 9000% respectively. Bhadrabāhu's Nirvukiis mention the Niryukti on Sú paprajñop i,? which was, liowever, 1101 1. Thunani, 41189. 2 Kasayapāhida, Chapter 1-"pejjuulosa rihatti". p. 137 3. Nandi, 77,78 4. Schutring : The Doctrine of the Juina, p. 102 5. Jinaratnakosa, p. 118 6 Ibid, P 452 7. Avasyaka-niryukti, gatha, 85 Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५ traceable in Malayagiri's period. He has mentioned the views of his foregoing acāryas also in his commentary. Nomenclature This agama is a frutaskandhu- Its oldest name seems to be upanga Jambusvami enquired of Sudharmäsvami the meaning of upånga, whereon the latter replied "Upanga is fivefold-Nirayavalika, Kolpavatamšikā, Puspikā, Puspacalika, Vrspidasā. NIRAYAVALIYÃO The term 'upanga is here used in plural number. It is a śrutaskandha consisting of five sections. The plural number is probably used on this. reason. We do not know about its original änga. The term 'upangu' is not in vogue at present for the text. Upanga stands for the 'collection of twelve agamas.' Nandi's list of canons does not mention the term 'upanga', but only *Nirayavallyão' etc. are mentioned as five independent aganas. It may be supposed that the five canons were regarded as a śrutaskundha in later times after the composition of the Nandi, and the śrutaskandha was named as upangu. According to Prof. Winternitz, these five agamas were earlier known as 'Nirayavalika'. They were regarded as separate entities when the contents of angas and upangas were determined.4 Nirayavaliyão is also known as kalpika, as we find this in some manuscripts of Nandi. The same term has been used in the vṛtti of Nandi by Acarya Haribhadrasuri and Acarya Malayagiri It is just possible that the first group of the 'uranga was named as "kulpikä, but as it related to the karmas leading to heli, it was given the second name Nirāyāvalikā. In this way, the two names viz. 'Nirayavalika' and 'kalpika originated. Subject-matter The main theme of the Niruyavalika frutaskandha is the auspicious and inauspicious conduct and karma. and their vipäku. In the first section we find the description of fierce battle between Cetaka 1. Vrtti p. 1, gathā 5 usya niryuktirabhatpurvam śribhadrabähusűrikṛtā | kaliloşat sa nesada vyacakse kevalam sütram || 2. Suryaprajñāpti, Vrutip 168: tadevam yathā pūrvácâryairidumeva purvasütramavalamibya purvavişayam vyakhyānam krtam tatha maya vineyajanānugrahāya s.amatyanusarenopadarsitam || 3. Nirayúvaliyão, 1/4,5 4. History of Indian Literature, II Edn, Vol. II, pp. 457-458 5. Nandi, 78 Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ and Srenika, which has been referred to not only in the Bhagavarii and the Avaśyaka cūrņi", but in the Buddhist literature too. It is surprising that history does not record this battle. Battle may be indispensable for self-protection, and the consequent violence may be regarded as inevitable for a householder. Even then none can deny that violence is, for all purposes, but violence and it can never masquerade as nonviolence. In the section under review, this anti-war attitude has come to the forefront, and it is a spiritual edict against the religious justification of holy wars. The second section contains the description of the salvation of Sreņika's ten grandchildren, who adopted the path of religious austerities. The third section propounds the obscrvance and non-observance of restraint and equanimity. The fourth section contains the description of the ten nuns (disciples) of Parśvanātha. We find the description of the observance of conduct by the twelve princes of Vţşņi dynasty and their birth in 'Survärthasiddhi' in the fifth section. Thus various interesting and important topics have been propounded in this small-sized upanga, that is, Nirayavalikā śrutaskandha. Author and Date of Composition No definite information is available about the author and the date of composition of this angahāhya śrutaskandha. It is, however, certain that some elderly monk composed it. It deals with the topics related with Bhagavari, jñātā, Upāsakudasā, Aupapātiku and Rajapraśniya, but this is 110t a sufficient ground to determine the date of its composition. When the Āgamas were analysed, it was found that thc earlier agamas contain the names of the later āgamas, so they cannot determine which agamas were composed carlier and which at a later date. Commentaries A Sanskrit commentary is available on this śrutuskandha. Sricandrasuri wrote its commentary, a very abridged piece of composition, in the Vikram era 1228. A fabbá (stabaka) was composed on it in Gujarati by Muni Dharmasi (Dharmasingh). Completion of the Assignment The overall credit of its editing goes to Yuväcărya Mahaprajña. The work has come to successful completion due to the single-mindedness with which he applied himself to the task day and night, without which this gigantic task would have been insurmountable Being a yogi basically, he is able to ever maintain concentration of mind. Engaged as he has been in the cditing of the agamas for a 1. Bhagavati, 7/173,210 2. Avašyaka cúrni, part II, p. 174 Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ very long period, he is eminently endowed with the power to penetrate into the deeper mysteries of the canonical texts. Modesty, perseverance and complete dedication to the guru have contributed to the development of these merits in him. Such merits were inherent in him since childhood. Since the time he came to me, I have found gradual intensification of these merits. I have derived utmost satisfaction from his capability and wholehearted devotion to duty. Many other mo: ks also contributed towards the editing of the text of these canons 1 bless them all with the wish that their working capacity may be all the more developed. I had embarked upon this Herculean work of agamas, having complete faith in my disciples--the monks and nuts of the Order. I feel highly satisfied that this gigantic task has been accomplished successfully in a right way. Anuvrata Bhawan, New Delhi, - Acharya Tulsi 22nd October, 1987 Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवंगा निरयावलियाओ पढम अज्झयणं सू०१ से १४२ पृ०७१५ से ७३६ उक्खेव-पदं १, कालीए चिता-पदं १२, भगवओ महावीरस्स समवसरण-पदं १६, कालीए पुच्छापदं २१, भगवओ उत्तर-पदं २२, कालीए मुच्छा-पदं २३ कालीए पडिगमण-पदं २४ कालकुमारस्स निरय-उववत्ति-पदं २५ चेल्लणाए दोहद-पदं २०, दोहद-संपन्नता-पदं ४२, गभसाडणचितणा-पदं ५०, पत्तफ्सव-पदं ५२, पुत्तस्स उक्कुरुडियाए उज्झणा-पदं ५४ सेणिएण पुत्तस्स परिचरिया-पदं ५६, पूत्तस्स कूणिएत्ति नाम-पदं ६३ कूणिएण सेणियस्स निगह पदं ६५, चेलगाए पडिबोह-पदं ७०, कूणियस्स निवेद-पदं ८८, सेणियस्स अपघाय-पदं ८६ कूपियस्स बिलावकरण-गद ६२, कूणिएण रायहाणी परिवतण-पदं ६३ वेहल्लस्स गंधहत्यिकीला-पदं १४, हार-गंधहत्थि-विवाद-पदं १८, वेहल्लस्स चेडग-सरणपदं १०५, कूणिएण दूय-पेसण-पदं १०७, कूणियस्स जुद्धसज्जा-पदं ११५, चेडगस्स जुद्धसज्जा-पदं १२७, Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रहमुसल-संगाम-पदं १३४, कालकुमारस्स मरण-पदं १४० निक्खेव-पदं १४२. २-१० अज्झयणाणि सू० १४३ से १४८ पृ० ७४० Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवंगा-- निरयावलियाओ कप्पडिसियाओ पुफियाओ पुप्फचूलियाओ वहिदसाओ Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमो वग्गो निरयावलियाओ पढमं अज्मयणं काले उक्खेव-पदं १. लेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था रिद्ध-स्थिमिय-समिद्धे । 'गुणसिलए चेइए'२. वण्णओ' 1 असोगवरपायवे । पुढविसिलापट्टए । २. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स' अंतेवासी अज्जसुहम्मे नामं अणगारे जाइसंपण्णे जहा केसी जाव' पंचहि अणगारसएहिं सद्धि संपरिबुडे पुव्वाणपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव रायगिहे नयरे जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागच्छइ, रायगिह-नयरस्स बहिया गुणसिलए चेइए° अहापडिरूवं ओग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं' 'तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। परिसा निग्गया। धम्मो कहिओ। परिसा पडिगया। ३. तेणं कालेणं तेणं समएणं अज्जसुहम्मस्स अणगारस्स अंतेवासी जंबू नामं अणगारे 'कासवगोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए जाव" संखित्तविउलतेयलेस्से अज्जसहम्मस्स अणगारस्स अदूरसामंते उड्ढंजाणू" अहोसिरे झाणकोट्टोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे° विहरइ॥ ४. तए णं से भगवं जंबू जायसड्ढे जावर पज्जुवासमाणे एवं क्यासी-उवंगाणं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं के अठे पण्णत्ते ।। ५. एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव" संपत्तेणं उबंगाणं पंच वग्गा १. पू०... ओ० सू० १ । नयरे जाव अहापडिरूबं । २. उत्तरपुरथिमे दिसिभाए गुणसिलए नाम चेइए ८. सं० पा०-सजमेणं जाव विहरइ । ___ होत्था (वृ)। ६.x(क,ख,म)। ३. ओ० सू० २-७ । १०. ओ० सू० ८२ । ४. पू०. .. ओ० सू० ८-१२ । ११. सं० पा० . -उड्ढेजाणू जाव विहरइ। ५. पू.-ओ० सू० १३।। १२. ओ० सू० ८३। ६. राय० सू० ६८६ । १३,१४. ना. २७ । ७. सं० पा०- चरमाणे जाव जेणेव रायगिहे ७१५ Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१६ निरयावलियाओ पण्णत्ता, तं जहा - निरयावलियाओ कप्पवडिसियाओ पुष्फियाओ पुप्फचूलियाओ' साओ ! ६. जइ णं भंते ! समणेण भगवया महावीरेण जाय संपत्तेणं उबंगाणं पंच वग्गा पण्णत्ता, तं जहा निरयावलियाओ' जाव' वहिदसाओ । पढमस्स णं भंते ! वग्गस्स उवंगाणं निरयावलियाणं समणेणं भगवया महावीरेण जाव संपत्ते कइ अज्झयणा पण्णत्ता ? ७. एवं खलु जंबू ! समणेण भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेण उवंगाणं पढमस्स वग्गस्स निरयावलियाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, तं जहा पिउसेणकण्हे नवमे, दसमे महासेणकण्हे उ' || ८. जइ णं भंते ! समणेण भगवया महावीरेणं जाव" संपत्तेण उवंगाणं पढमस्स arita निरावलियाणं दस अज्झयणा पण्णत्ता, पढमस्स णं भंते ! अज्झयणस्स निरयाबलियाणं समणेण भगवया महावीरेणं जाव" संपत्ते के अटठे पण्णत्ते ? ६. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे चंपा नामं नयरी होत्था रिद्ध-त्थिमिय- समिद्धे । पुण्णभद्दे चेरइ || काले सुकाले महाकाले, कण्हे सुकण्हे तहा" महाकण्हे । वीरकण्हे य बोद्धव्वे, रामकण्हे तहेव य ॥ १०. तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रण्णो पुत्ते वेल्लणाए देवीए अत्तए कूणिए नाम राया होत्था महाहिमवंत-महंत मलय-मंदर-महिंदसारे" ।। * ११. तस्स णं कूणियस्स रण्णो पउमावई नामं देवी होत्था सूमालपाणिपाया जाव माणुस्सर कामभोगे पच्चणुभवमाणी विहरइ || कालीए चिता-पद १२. सत्य णं चंपाए नयऐए सेणियम्स रण्णी भज्जा कुणि रण्णो चुल्लमाउया काली नाम देवी होत्था समालपाणिपाया जाव" सुरूदा !! १३. तीसे णं कालीए देवीए पुत्ते काले नाम कुमारे होत्या सुमालपाणिपाए जाव" सुरूवे ॥ १४. तए णं से काले कुमारे अण्णा कबाइ तिहिं दंतिसहस्सेहि तिहिं आससहस्से हिं तिहि रहसहस्सेहि तिहिं मणुयकोडीहि गरुलवू हे" एक्कारसमेण खंडेणं" कूणिएणं रण्णा १. पुष्कचूलाओ (क,ग) 1 २. ना० १११७ । ३. निरियावलिताओ (क) ४. उ० ११४ । ५, ६. ना० १११७ ७. रयियावलिताणं (7) 1 ८. X ( क, ख ) 1 (क); निरावलियाणं ६. ६ (क); x ( ग ) । १०, ११. ना० १११०७ । १२. पू० ओ० सू० १४ । १३. ओ० सू० १५ । १४. ओ० सू० १५ । १५. ओ० सू० १४३ । १६. गरुलवू हे ( ग ) । १७. खंधेणं ( क ) । Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयणं सद्धि रहमुसलं संगामं ओयाए । १५. तए णं तीसे कालीए देवीए अण्णया कयाइ कुडुंबजागरियं जागरमाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था . एवं खलु मम पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहि तिहि आससहस्सेहिं तिहि रहसहस्सेहिं तिहिं मणुयकोडीहि गरुलब्बूहे एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रण्णा सद्धिं रहमुसलं संगाम ओयाए.... से मण्णे किं जइस्सइ ? नो जइस्सइ ? जीविस्सइ? नो जीविस्सइ ? पराजिणिस्सइ ? नो पराजिणिस्सइ ? कालं णं कुमारं अहं जीवमाणं पासिज्जा ? ओहयमण "संकप्पा करयलपल्हत्थमुही अट्टज्झाणोवगया ओमंथियवयणनयणकमला दीणविवष्णवयणा' झियाइ।। भगवओ महावीरस्स समवसर-पवं १६. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए। परिसा निग्गया ।। १७. तए णं तीसे कालीए देवीए इमीसे कहाए लट्ठाए समाणीए अयमेयारूवे अज्झथिए जाव' समुप्पज्जित्था एवं खलु समणे भगवं महाबीरे पुवाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागते जाव' विहरइ, तं महाफलं खलु तहारूवाणं 'अरहंताणं भगवंताणं णामगोपस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-णमंसण-पडिपुच्छणपज्जुवासणयाए ? एगस्स वि आरियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण' विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वदामि णमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि। इमं च णं एयारूवं वागरणं पुच्छिस्सामित्तिकटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कोडंवियपुरिसे सद्दावेद, सद्दावेत्ता एवं वयासी... खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! घम्मियं जाणप्पवरं जुत्तमेव उवट्ठवेह, उवट्टवेत्ता •एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ॥ १८. तए णं ते कोडुबियपुरिसा तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।। १६. तए णं सा काली देवी हाया कयबलिकम्मा" •कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगलाई वत्थाई पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहि खज्जाहिं जाव' महत्तरगवंदपरि विखत्ता अंतेउराओ निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता नियगपरियालसंपरिवुडा चंपं नरि मज्झं मज्झेणं निग्गच्छइ, १. सं० पा०-- अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था। ७. ओ० स० ५२। २. सं० पाल... दंतिसहस्सेहिं जाव ओयाए । ८. सं० पा०-- तहारूवाणं जाव विउलस्स । ३. न वेत्येवम्-- वृत्तौ इति सम्बन्धयोजना ६. सं० पा० ... भगवं जाव पज्जुवासामि । __कृतास्ति। १०. सं. पा.- उववेत्ता जाव पच्चपिणंति । ४. सं० पा०-ओहह्यभण जाव झियाइ । ११. स. पा.... क्रयबलिकम्मा जाव अप्प० । ५. ल ठे (क,ग)। १२. ओ० सू० ७०1 ६. उ०१।१५। १३. विद° (ग)। Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७१८ निरयावलियाओ निग्गच्छित्ता जेणेव पुण्ण भद्दे चेा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए' तित्थयरातिसए पासइ, पासित्ता धम्मियं जाणप्पवरं ठवेइ, ठवेत्ता धम्मियाओ जाणप्पवराओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता बहूहिं खुज्जाहिं जाव महत्तरगवंदपरिक्खित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ठिया' चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमसमाणी अभिमूहा विणएणं पंजलिउडा पज्जवासइ॥ २० तए णं समणे भगवं महावीरे कालीए देवीए तीसे य महइमहालियाए इसिपरिसाए 'धम्म परिकहेइ" जाव एयस्स धम्मस्स सिक्खाए उवदिए समणोवासए वा समणोवासिया वा विहरमाणे आणाए आराहए भवइ । कालीए पुच्छा-पदं २१. तए णं सा काली देवी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा निसम्म' 'हतूटु-चित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-विसप्पमाणहियया समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो' 'आयाहिण-पयाहिणं करेति, करेत्ता वंदति णमंसति, वंदित्ता णमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु भंते ! मम पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहि तिहि आससहस्सेहिं तिहि रहसहस्सेहिं तिहि मणुयकोडीहि गरुलब्बूहे एक्कारसमेणं खंडेणं कूणिएणं रण्णा सद्धि रहमुसलं संगाम ओयाए.- से णं भंते ! किं जइस्सइ ? नो जइस्सई ? •जी विस्सइ ? नो जीविस्सइ ? पराजिणिस्सइ ? नो पराजिहिस्सइ° ? कालं पं कुमारं अहं जीवमाणं पासेज्जा ? भगवओ उत्तर-पदं २२. कालीइ ! समणे भगवं महावीरे कालि देवि एवं वयासी--एवं खलु काली ! तव पुत्ते काले कुमारे तिहिं दंतिसहस्सेहिं जाव" कूणिएणं रण्णा सद्धिं रहमुसलं संगाम संगामेमाणे हयमहिय-पवरवीरघाइय-निवड़ियचिंधज्झयपडागे २ निरालोयाओ दिसाओ करेमाणे चेडगस्स रणो सपक्खं सपडिदिसिं रहेण पडिरहं हव्वमागए। तए णं से चेडए राया कालं कुमार एज्जमाणं पासइ, पासित्ता आसुरुत्ते रुठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निलाडे साहट्ट धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसुं परामुसइ, परामुसित्ता वइसाहं ठाणं ठाइ, ठिच्चा आयय-कण्णाययं उसु करेइ, करेत्ता कालं कुमार एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवेइ । तं कालगए" णं काली ! काले कुमारे, नो चेव १. सं० पा०. -छतादीए जाव धम्मियं । २. ठितिया (क,ख)। ३. जाव (क,ख,ग)। ४. पू०.... ओ० सू० ७१-७७ । ५. धम्मकहा भाणियन्वा (क,ख,म) । ६. सं० पा०--निसम्म जाव हियया । ७. सं० पा०... तिक्खुत्तो जाव एवं । ८. सं० पा०--दंतिसहस्सेहिं आव रहमुसलं । ६. सं० पास...-जइस्सइ जाव कालं । १०. पासेमित्ती (क); पासित्ता (ग)। ११. उ० १११४। १२. विपडितचिंधंधया० (क) । १३. सं० पा० . आसुरुत्ते जाब मिसिमिसेमाणे धणुं । १४. कालं गए (क)। Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं बज्झयणं णं तुमं कालं कुमारं जीवमाणं पासिहिसि ॥ कालीए मुच्छा-पर्द २३. तए णं सा काली देवी समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं एयमट्ठे सोच्चा निसम्म महया पुत्तसोएण' अष्फुण्णा समाणी परसुनियत्ता' विव चंपगलया वसत्ति धरणीयलंसि सव्वं हि संनिवडिया || कालीए पfsगमण-पदं २४. तए णं सा काली देवी मुहुत्तंतरेणं आसत्था समाणी उट्टाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - एवमेयं भंते ! तह - मेयं भंते ! अवितहमेयं भंते! असंदिद्धमेयं भंते! सच्चे णं ! एसमट्ठे से जहेयं तुब्भे वदत्ति कट्टु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ, दुरुहित्ता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया || कालकुमारस्स निरय - उववत्ति-पदं २५. भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदिता नमसित्ता एवं वयासी -- काले णं भंते! कुमारे तिहि दंतिसहस्सेहिं जाव' रहमुसलं संगामं संगामे - माणे चेडणं रण्णा एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोविए समाणे कालमासे कालं किच्चा कहि गए ? कहि उववणे ? || २६. गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी एवं खलु गोयमा ! काले कुमारे तिहि दंतिसहस्सेहिं जाव' रहमुसलं संगामं संगामेमाणे चेडएणं रण्णा एगाहच्चं कूडाहच्वं जीवियाओ ववरोविए समाणे कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमाभे नरगे दससागरोवमट्टिइएस नेरइएस नेरइयत्ताए उववण्णे || २७. काले णं भंते! कुमारे केरिसएहि आरंभेहि केरिसएहि आरंभ-समारंभेहि केरिसएहिं भोगेहि केरिसएहिं भोग संभोगेहिं केरिसेण वा असुभकडकम्मपब्भारेणं कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए जाव' नेरइयत्ताए उववण्णे ? चेल्लाए दोहद-पदं ७१६ २८. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्थारिद्ध त्थिमिय- समिद्धे ॥ २६. तत्थ णं रायगिहे नयरे सेणिए नाम राया होत्था - महयाहिमवंत-महंत मलयमंदर-महिंदसारे ॥ ३०. तस्स णं सेणियस्स रण्णो नंदा नामं देवी होत्था - सुमालपाणिपाया जाव विहरइ || ३१. तस्स णं सेणियस्स रण्णो पुत्ते नंदाए देवीए अत्तए अभए नामं कुमारे होत्था१. पासिहसि ( क ) 1 २. सोए ( ग ) । ३. परिसु० ( क ) | ४. उ० १।१४ । ५. उ० १1१४ । ६. उ० ११२६ । ७. ओ० सू० १५ । Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२० निरयावलियामो सूमालपाणिपाए जाव' सुरूवे, साम-दंड-भेय-उवप्पयाण-अत्थसत्थ-ईहामइ-विसारए जहा चित्तो जाव' रज्जधुराए चितए यावि होत्था ।। ३२. तस्स णं सेणियस्स रण्णो चेल्लणा नामं देवी होत्था-सूमालपाणिपाया जाव' विहरइ ।। ३३. तए णं सा चेल्लणा देवी अण्णया कयाइ तंसि तारिसगंसि वासघरंसि जाव" सीहं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा जहा पभावई जाव' सुमिणपाढगा पडिविसज्जिया जाव' चेल्लणा' से वयणं पडिच्छित्ता जेणेव सए भवणे तेणेव अणुपविट्ठा ॥ ३४. तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए अण्णया कयाइ तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए--धण्णाओ गं ताओ अम्मयाओ", "संपुण्याओ णं ताओ अम्मयाओ, कयत्थाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयपुण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ, कयलक्खणाओ गं ताओ अम्मयाओ, कयविहवाओ णं ताओ अम्मयाओ, सुलद्धे णं तासि अम्मयाणं माणुस्सए जम्मजीवियफले', जाओ णं सेणियस्स रण्णो उयरवलिमसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च •महुं च मेरगं च जाई च सीधुं च° पसण्णं च आसाएमाणीओ “विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुजेमाणीओ दोहलं विणेति ।। ३५. तए णं सा चेल्लणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का भुक्खा निम्मंसा ओलुग्गा ओलुग्गसरीरा नित्तेया दीणविमणवयणा पंडुलइयमुही ओमंथियनयणवयणकमला जहोचियं पुप्फ-वत्थ-गंधमल्लालंकारं अपरि जमाणी करयलमलियब्ब कमलमाला ओहयमणसंकप्पा जाव' झियाइ । ३६. तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए अंगपडियारियाओ चेल्लणं देवि सुक्क भुक्खं जाव" झियायमाणिपासंति, पासित्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल •परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु सेणियं रायं एवं वयासी–एवं खलु सामी! चेल्लणा देवी न याणामो केणइ कारणेणं सुक्का भुक्खा जाव झियाइ॥ ३७. तए णं से सेणिए राया तासिं अंगपडियारियाणं अंतिए एयमटठं सोच्चा निसम्म तहेव संभंते समाणे जेणेव चेल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चेल्लणं देवि १. ओ० सू० १४३ 1 १०. सं० पा.-सुरं च जाव पसण्णं । २. राय० सू० ६७५ । ११. सं० पा०—आसाएमाणीओ जाव परिभाए३. ओ० सू०१५। माणीओ। ४. भग० ११११३३ १२. पविणेति (ख); विणंजंति (ग)। ५. भग० ११११३४-१४३ । १३. पाण्डुकियमुखी (व)। ६. भग० ११११४३,१४४ । १४. उ० १११५ । ७. चिल्लणा (ग)। १५. उ० १।३५ । ८. सं० पा.- अम्मयाओ जाव जम्म० । १६. झियायमाणं (क)। ६. °फलं (क)। १७. सं० पा०—करयल० । Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयणं ७२१ सुक्क भुक्खं जाव' झियायमाणि पासित्ता एवं वयासी- किं णं तुम देवाणुप्पिए ! सुक्का भुक्खा जाव झियासि ?॥ ३८. तए णं सा चेल्लणा देवी सेणियस्स रणो एयमठें नो आढाइ नो परिजाणइ तुसिणीया संचिट्ठइ॥ ३६. तए णं से सेणिए राया चेल्लणं देवि दोच्चंपि तच्चपि एवं वयासि-किं णं अहं देवाणुप्पिए ! एयमट्ठस्स नो अरिहे सवणयाए, जं णं तुम एयमढें रहस्सीक रेसि ?? ४०. तए णं सा चेल्लणा देवी सेणि एणं रण्णा दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्ता समाणी सेणियं रायं एवं बयासी नत्थि णं सामी! से केइ अटठे जस्स णं तब्भे अणरिहा सवणयाए, नो चेव णं इमस्स अट्ठस्स सवणयाए। एवं खलु सामी ! ममं तस्स ओरालस्स जाव' महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए.धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव जाओ णं तुब्भं उयरवलिमसेहिं सोल्लएहि य जाव दोहलं विणेति। तए णं अहं सामी ! तंसि दोहलंसि' अविणिज्जमाणंसि' सुक्का भुक्खा जाव झियामि ॥ ४१. तए णं से सेणिए राया चेल्लणं देवि एवं वयासी --मा गं तुम देवाणुप्पिए ! ओहयमणसंकप्पा जाव झियाहि । अहं णं तहा घत्तिहामि जहा णं तव दोहलस्स संपत्ती भविस्सइत्तिकट्ट चेल्लणं देवि ताहिं इट्टाहि कंताहि पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं ओरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहिं धण्णाहिं मंगल्लाहि मितमहुरसस्सिरीयाहिं वग्गूहिं समासासेइ, समासासेत्ता चेल्लणाए देवीए अंतियाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयइ, निसीयित्ता तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहूहिं 'आएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाए य वेणइयाए य 'कम्मियाए य पारिणामियाए" य परिणामेमाणे-परिणामेमाणे तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिई वा अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव झियाइ ।। दोहद-संपन्नता-पदं ४२. इमं च णं अभए कुमारे पहाए जाव" अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेणियं रायं ओहयमणसंकप्पं जाव५ झियायमाणं १. उ० ॥३५ । २. °करेहि (क)। ३. उ० १३३ । ४. उ० १२३४॥ ५. उ० ११३४ । ६. दोहलयंसि (क)। ७. अणवणिज्जमाणंसि (क,ख) । ८. उ० १॥३५॥ ६. उ० ११५। १०. झियासि (ख,ग)। ११. बत्तिहामि (क्व); जत्तिहामि (क्व) ! १२. आएहिं (क,ख,ग) 1 १३. कम्मियाहि य पारिणामियाहि (क) । १४. उ० १११६ । १५. उ० १११५ । Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२२ निरयावलियाओ पासइ, पासित्ता एवं वयासी—अण्णया' णं ताओ ! तुब्भे ममं पासित्ता हट्ट' 'तुटु-चित्तमाणंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवस-विसप्पमाण हियया भवह, कि णं ताओ! अज्ज तुब्भे ओहयमणसंकप्पा जाव झियाह' ? तं जइ णं अहं ताओ! एयमझुस्स अरिहे सवणयाए तो णं तुब्भे मम एयमठें जहाभूयमवितहं असंदिद्धं परिकहेह, जहाणं अहं तस्स अट्रस्स अंतगमणं करेमि ।। ४३. तए णं से सेणिए राया अभयं कुमारं एवं वयासी- नत्थि णं पुत्ता ! से केइ अट्टे जस्स णं तुमं अणरिहे सवणयाए । एवं खलु पुत्ता ! तव चुल्लमाउयाए चेल्लणाए देवीए तस्स ओरालस्स जाव' महासुमिणस्स तिण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भूए-धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ जाव' जाओ णं मम उदरवलिमंसेहि सोल्लेहि य जाव दोहलं विणेति । तए णं सा चेल्लणा देवी तंसि दोहलंसि अविणिज्जमाणंसि सुक्का जाव' झियाइ । तए णं अहं पुत्ता! तस्स दोहलस्स संपत्तिनिमित्तं बहहि आएहि य उवाएहि य उप्पत्तियाए य वेणइयाए य कम्मियाए य पारिणामियाए य परिणामेमाणे-परिणामेमाणे तस्स दोहलस्स आयं वा उवायं वा ठिई वा अविंदमाणे ओहयमणसंकप्पे जाव' झियामि ॥ ४४. तए णं से अभए कुमारे सेणियं रायं एवं वयासी-मा णं ताओ ! तुब्भे ओहयमणसंकप्पा जाव" झियाह" । अहं णं तहा घत्तिहामि" जहा णं मम चुल्लमाउयाए वेलणाए देवीए तस्स दोहलस्स संपत्ती भविस्सइत्ति कटु सेणियं रायं ताहि इट्टाहि" कताहि पियाहिं मणुण्णाहिं मणामाहिं ओरालाहि कल्लाणाहिं सिवाहि धण्णाहिं मंगल्लाहिं मितमहरसस्सिरीयाहि वग्गूहि समासासेइ, समासासेत्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अभिंतरए रहस्सियए ठाणिज्जे पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- गच्छह णं तूब्भे देवाणुप्पिया! सूणाओ अल्लं मंसं सरुहिरं वत्थिपुडगं च गिण्हह, मम उवणेह॥ ४५. तए णं ते ठाणिज्जा पुरिसा अभएणं कुमारेणं एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा करयल" •परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं सामि ! त्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता अभयस्स कुमारस्स अंतियाओ पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सूणा तेणेव उवागच्छंति, अल्लं मंसं सरुहिरं वत्थिपुडगं च गिण्हंति, गिण्हिता जेणेव अभए कुमारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल. परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए १. अण्णदा (क); अण्णता (ख)। ६. सं० पा...... आएहि जाव ठिइं। २. सं० पा०--हद जाव हिथया। १०. उ० ११५ । ३. झियायह (ख)। ११. उ० १११५। ४. जा (क)। १२. झियाअह (ख) । ५. उ० ११३३। १३. वत्तिहामि (ख); बत्तिसामि (ग) । ६. उ० २३४ । १४. सं० पा०-- इट्टाहि जाव वग्गूहि । ७. उ० ११३४ । १५. सं० पा०... करयल जाव पडिसुणेत्ता। ८. उ० ११३५। १६. सं० पाo.--करयल० । Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयणं अंजलि कट्टु तं अल्लं मंसं सरुहिरं वत्थिपुडगं च उवर्णेति ॥ ४६. तए गं से अभए कुमारे तं अल्लं मंसं सरुहिरं अप्पकप्पियं' करेइ, करेत्ता जेणेव सेणिए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता सेणियं रायं रहस्सियगंसि' सयणिज्जंसि उत्ताणयं निवज्जावेइ, निवज्जावेत्ता सेणियस्स उयरवलीसु तं अल्लं मंसं सरुहिरं विरवेइ', विरवेत्तावत्थिgsएणं' वेढेइ, वेढेत्ता सवंतीकरणेणं' करेइ, करेत्ता चेल्लणं देवि उप्पि पासाए उल्लोयणवरगयं ठवावेइ, ठवावेत्ता चेल्लणाए देवीए अहे सपविखं सपडिदिसि सेणियं राय सयणिज्जंसि उत्ताणगं निवज्जावेइ, सेणियस्स रण्णो उयरवलिमंसाई कप्पणि- कप्पियाई करेइ, करेत्ता सेयभायणंसि पक्खिवइ || ४७. तए णं से सेणिए राया अलियमुच्छ्यिं करेइ, करेत्ता मुहुत्तंतरेणं अण्णमणेण सद्धि संलवमाणे चिट्ठइ ॥ ४८. तए से अभए कुमारे सेणियस्स रण्णो उपरवलिमंसाई गिण्हेइ, गिण्हेत्ता जेणेव वेल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चेल्लणाए देवीए उवणेइ || ४६. तए णं सा चेल्लणा देवी सेणियस्स रण्णो तेहि उयरवलिमंसेहिं सोल्लेहि य' "तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाई च सीधुं च पसण्णं च आसाएमाणी विसाएमाणी परिभाएमाणी परिभुंजे माणी दोहलं विणेइ ॥ गभसाडण- चितणा-पदं ५०. तए णं सा चेल्लणा देवी संपुण्णदोहला सम्माणियदोहला वोच्छिष्णदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहइ ॥ ५१. तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमर्थसि अयमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो 'उयरवलिमसाई खाइयाई", तं सेयं खलु मे" एयं गन्धं 'सातिए वा पात्तिए वा गालित्तए" वा विद्वंसित्तए वा -- एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता तं गन्भं बहू गभसाडणेहि य गब्भपाडणेहि य गव्भगालणेहिय गब्भविद्धंसणेहि य इच्छइ तं भं सात्तिए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्वंसित्तए वा, नो चेव णं से गब्भे सडइ वा पडइ वा गलइ वा विद्धसइ वा ॥ पुत्तपसव-पवं ५२. तए णं सा चेल्लणा देवी तं गब्भं जाहे नो संचाएइ बहूहि गब्भसाडणेहि य जाव" गब्भविद्धंसणेहि य साडित्तए वा जाव" विद्वंसित्तए वा ताहे संता तंता परितंता १. कप्पणिकप्पियं ( क, ख, ग ) । २. रहस्यं ( क ) । २. विरचेइ ( ख ) । ४. वत्थपुडागेण ( क ) 1 ५. सवण्णीकरण (क ) ; सर्वनीकरण ( ख ) । ६. सं० पा० - सोल्लेहि य जाव दोहलं । ७. एवं संमाणियदोहला ( क, ख, ग ) । ७२३ ८. सं० पा०-- अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । ९. मंसाणि खाइयाणि ( ख, ग ) 1 १०. ममं ( ख, ग ) 1 ११. साडेतए वा पाडेत्तए वा गालेत्तए ( क ) 1 १२. उ० १५१ । १३. उ० १५१ । Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२४ निरयावलियाओ निविण्णा समाणी अकामिया अवसवसा अहवसट्टा' तं गब्भं परिवहइ ।। ५३. तए णं सा चेल्लणा देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण राइंदियाणं वीइक्कंताणं सूमालं सुरूवं दारगं पयाया ।। पुत्तस्स उक्कुरुडियाए उज्झणा-पवं ५४. तए णं तीसे चेल्लणाए देवीए इमे एयारूवे 'अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुपज्जित्था... -जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उयरवलिमसाई खाइयाई, तं न नज्जइ णं एस दारए संवड्डमाणे अम्हं कुलस्स अंतकरे भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं एयं दारगं एगते उक्कुरुडियाए उज्झावित्तए---एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता दासवेडि सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी---- गच्छ णं तुम देवाणुप्पिए ! एयं दारगं एगते उक्कुरुडियाए" उज्झाहि ।। ५५. तए णं सा दासचेडी चेल्लणाए देवीए एवं वुत्ता समाणी करयल परिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि' कटु चेल्लणाए देवीए एयमट्ठ विणएणं पडिसुणेइ, पडिसूणेत्ता तं दारगं करयलपुडेणं गिण्हइ, गिण्हित्ता जेणेव असोगवणिया तेणेव उबागच्छ इ, उबागच्छित्ता तं दारगं एगते उक्कुरुड़ियाए उज्झइ ।। ५६. तए णं तेणं दारएणं एगते उक्कुरुडियाए उज्झितेणं समाणेणं सा असोगवणिया उज्जोविया यावि होत्था ।। सेणिएण पुत्तस्स पुणराणयण-पदं ५७. तए णं से सेणिए राया इमीसे कहाए लद्धठे समाणे जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं दारगं एगते उक्कुरुडियाए उज्झियं पासेइ, पासेत्ता आसुरुत्ते जाव' मिसिमिसेमाणे तं दारगं करयलपुडेणं गिण्हइ, गिहित्ता जेणेव चेल्लणा देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चेल्लणं देवि उच्चावयाहिं आओसणाहिं आओसइ, उच्चावयाहिं 'निभंछणाहिं निभंछेइ, उच्चावयाहि उद्धंसणाहिं उद्धंसेइ, उद्धंसेत्ता एवं क्यासी - कीस णं तुमं मम पुत्तं एगते उक्कुरुडियाए उज्झावेसि ? त्ति कटु चेल्लणं देवि उच्चावयसवहसावितं करेइ, करेत्ता एवं वयासी --तुमं णं देवाणुप्पिए ! एयं दारगं अणपूवेणं सारक्खमाणी* संगोवेमाणी" संवड्ढेहि ॥ ५८. तए णं सा चेल्लणा देवी सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणी लज्जिया विलिया विड्डा करयल" 'परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु सेणियस्स रण्णो १. अट्टवसट्टदुहट्टा (ख,ग,वृ)। २. सं० पा० ....बहुपडिपुण्णाणं जाब सूमाल । ३. सं० पा० - एयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । ४. गच्छह (क) । ५. उकरुडियाए (ख) । ६. सं० पा० - करयल जाब कटु । ७. उज्झाति (ख,ग)। ८. उ० ११२२ । १. आउसरणाई (क)। १०. निव्भच्छणाहि निभच्छेइ (ख,ग)। ११. एवं (क,ख,ग)। १२. उच्चावयाहिं० (ग)। १३. संरक्खमाणी (ख)। १४. संगोयभाणी (क)। १५. सं० पा०—करयल०। Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम अज्झयणं ७२५ 'एयमठें विणएणं" पडिसुणे इ, पडिसुणेत्ता तं दारगं अणुपुव्वेणं सारतखमाणी संगोवेमाणी संवड्ढेइ ।। सेणिएण पुत्तस्स परिचरिया-पदं ५६. तए णं तस्स दारगस्स एगते उक्कुरुडियाए उज्झिज्जमाणस्स अपगंगुलिया कुक्कुडिपिच्छएणं' दूमिया वि होत्था, अभिक्खणं-अभिक्खणं पूयं च सोणियं च अभिनिस्संवेइ॥ ६०. तए णं से दारए वेयणाभिभूए समाणे महया-महया सद्देणं आरसइ ।। ६१. तए णं से सेगिए राया तस्स दारगस्स आरसियसई सोच्चा निगममा जेणेव से दारए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता तं दारगं करयलपुडेणं गिण्हइ, गिहित्ता तं अगं. गुलियं आसयंसि पक्खिवइ, पक्खिवित्ता पूर्य च सोगियं च आसएणं आमुसइ । ताए णं से दारए निव्वुए निव्वेयणे तुसिणीए संचिट्ठइ ।। ६२. जाहे वि य णं से दाए वेगणाए अभिभूए समाणे महपा-महया सद्देणं आरसइ, ताहे वि य णं सेणिए गया जेणेव से दारए तेणेव उवागच्छद, उवागच्छित्ता तं दारगं करयलपुडेणं गिम्हइ, "गिण्हित्ता तं अग्गंगुलियं आसयंसि पक्खिवइ, पश्खिवित्ता पूर्य च सोणियं च आसएणं आमुराइ । तए णं से दारए निव्वुए निव्वेयणे तुसिणीए संचिट्ठः ॥ पुत्तस्स कणिएत्ति नाम-पदं ६३. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो 'पढमे दिवसे ठितिपडियं करेंति, वितिए दिवसे जागरियं करेंति, ततिए दिवसे चंदसूरदसणियं" करेंति, एवामेव निवत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते बारसाहे" जाव' अयमेयारूवं गुणनिप्फण्णं नाभधेज्जं करेंति - जम्हा णं अम्हं इमस्स दारगरा एगते उक्कुरुडियाए उज्झिज्जमाणस्स अग्गंगुलिया कुक्कुडिपिच्छएणं दूमिया, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं कूणिए-कूणिए। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करेंति कूणिए त्ति ।। ६४. 'तए णं से कुणिए कुमारे पंचधाईपरिग्गहिए जाव' उप्पि पासायवरगए" विहरइ" ! १. विणएणं एयमट्ठ (क,ख,ग)। २. अग्गंगुलियाए (क)। ३. "पिछिएणं (ख); कुक्कुडपिच्छएणं (ग)। ४. सं० पा० तं चेव जाव निव्वेयणे । ५. 'दसणं (ग)। ६. तइए दिबसे चंदमूरदंगणियं करेंति जाव संपत्ते बारसाहदिवसे (क,ख); 'वारसमे दिवसे (ग); एतदर्थ द्रष्टव्यम् -ओवाइय (१४४) सूत्रस्य तथा नाया० (११११८१) 'बारसाहे' पदस्य पादटिप्पणम् । ७. ना० १११०१। ८. पिछएणं (ख,ग)। ६. ना० ११११८२-६३ । १०. पू० ना० ११११९३ । ११. तए णं तस्स कूणियस्स अगुव्वेणं ठिइडियं च जहा भहस्स जोर प्पि पासायवरगए बिहरइ, अट्ठओ दाओ (क,ख,ग)। ६३ सूत्रे प्रतिपादितविषयस्य उपर्युल्लिखितपाठे पुनरावर्तनमस्ति तथा नाभकरणानंतर ठियडिय' इत्यादिपाठस्य नोपयोगित्वम् । तेनामौ पाठः पाठान्तरत्वेन स्वीकृतः । Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२६ निरयावलियाओ कणिएण सेणियस्स निग्गह-पदं ६५. तए णं तस्स कूणियस्स कुमारस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्ता'वरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था -एवं खलु अहं सेणियस्स रण्णो वाघाएणं नो संचाएमि सयमेव रज्जसिरि करेमाणे पालेमाणे विहरित्तए, तं सेयं खलु मम सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता अप्पाणं मया-महया रायाभिसेएणं अभिसिंचावित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ, संपेहेता सेणियस्स रण्णो अंतराणि य छिद्दाणि य विरहाणि य पडिजागरमाणे-पडिजागरमाणे विहरह। ६६. तए णं से कूणिए कुमारे सेणियस्स रण्णो अंतरं वा छिदं वा विरहं वा” मम्म वा अलभमाणे अण्णया कयाइ कालाईए दस कुमारे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया! अम्हे सेणियस्स रणो वाघाएणं नो संचाएमो सयमेव रज्जसिरि करेमाणा पालेमाणा विहरित्तए, तं सेयं खलु देवाण प्पिया! अम्हं सेणियं रायं नियलबंधणं करेत्ता रज्जं च रट्टं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागार च जणवदं च एक्कारसभाए विरिचित्ता सयमेव रज्ज सिरिं करेमाणाणं पालेभाणाणं विहरित्तए । ६७. तए णं ते कालाईया दस कुमारा कूणियस्स कुमारस्स एयमठें विणएणं पडिसुर्णेति ॥ तरा से कणिए कमारे अण्णया कयाइ सेणियस्स रणो अंतरं जाणइ. जाणित्ता सेणियं रायं नियलबंधणं करेइ, करेत्ता अप्पाणं महया-महया रायाभिसेएण अभिसिंचावेइ ।। ६६. तए णं से कूणिए कुमारे राया जाए · महयाहिमवंत-महंत-मलय-मंदरमहिंदसारे ॥ चेल्लणाए पडिबोह-पदं ७०. तए णं से कुणिए राया अण्णया कयाइ पहाए' 'कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए' चेल्लणाए देवीए पायवंदए हव्वमागच्छइ ।। ७१. तए णं से कुणिए राया चेल्लणं देवि ओहयमणसंकप्पं जाव' झियायमाणि पासइ, पासित्ता चेल्लणाए देवीए पायगहणं करेइ, करेत्ता चेल्लणं देवि एवं वयासी किं णं अम्मो! तुम्हें न तुट्री वा न ऊसए वा न हरिसे वा न आणंदे वा, जंण अहं सयमेव रज्जसिरि 'करेमाणे पालेमाणे विहरामि ?| ७२. तए णं सा चेल्लणा देवी कूणियं रायं एवं वयासी .. कहं णं पुत्ता ! ममं तुट्ठी वा ऊसए वा हरिसे वा आणंदे वा भविस्सइ? जं णं तुम सेणियं रायं पियं देवयं गुरुजणं अच्चंतनेहाणुरागरत्तं नियलबंधणं करेत्ता अप्पाणं महया-महया रायाभिसेणं अभिसिंचावेसि ?॥ १. सं० पा.-.-पुव्वरत्ता जाव समुप्पज्जित्था। २. सं० पा०--अंतरं वा जाव मम्मं । ३. जणवयं (ख)। ४. सं० पा०..-हाए जाव सव्वालंकार । ५. सव्वालंकारभूसिए (क)। ६. उ० १११५ । ७. सं० पा०..-रज्जसिरिं जाव विहरामि । ८. ऊसवे (ख)। ६. अभिसिंचावेहि (क,ग)। Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढ म अझयणं ७२७ ७३. तए णं से कुणिए राया चेल्लणं देवि एवं वयासी -घाएउकामे णं अम्मो ! ममं सेणिए राया, "मारेउकामे णं अम्मो ! ममं सेणिए राया, बंधेउकामे णं अम्मो! मम सेणिए राया,' निच्छुभिउकामे णं अम्मो ! ममं सेणिए राया, तं कहं णं अम्मो ! मम सेणिए राया अच्चंतनेहाणुरागरत्ते ?।। ७४. तए णं सा चेल्लणा देवी कूणियं रायं' एवं वयासी एवं खलु पुत्ता ! तुमंसि ममं गन्भे आभूए समाणे तिष्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं ममं अयमेयारूवे दोहले पाउन्भए... धण्णाओ णं ताओ अम्मयाओ "जाव" जाओ णं सेणियस्स रष्णो उयरवलिमसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिएहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाई च सीधं च पसण्णं च आसाएमाणीओ विसाएमाणीओ परिभाएमाणीओ परिभुजेमाणीओ दोहलं विणेति जाव अहं सेणियस्स रपणो तेहिं उयरवलिमसेहिं सोल्लेहि य तलिएहि य भज्जिहि य सुरं च महुं च मेरगं च जाइं च सीधुं च पसणं च आसाएमाणी विसाएमाणी परिभाएमाणी परिभुजेमाणी दोहलं विणेमि ॥ ७५. तए णं अहं संपुण्णदोहला सम्माणियदोहला वोच्छिण्णदोहला तं गब्भं सुहंसुहेणं परिवहामि ॥ ७६. तए णं ममं अण्णया कयाइ पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था--जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उयरवलिमसाई खाइयाई, तं सेयं खलु मे एयं गब्भं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा एवं संपेहेमि, संपेहेत्ता तं गब्भं बहूहि गन्भसाडणेहि य गब्भपाडणेहि य गब्भगालणेहि य गब्भविद्धंसणेहि य इच्छामि तं गब्भं साडित्तए वा पाडित्तए वा गालित्तए वा विद्धंसित्तए वा, नो चेव णं से गब्भे सडइ वा पडइ वा गलइ वा विद्धंसइ वा ॥ ७७. तए णं अहं तं गब्भं जाहे नो संचाएमि बहूहि गब्भसाडणेहि य जाव' गब्भविद्धसणेहि य साडित्तए वा जाव" विद्धंसित्तए वा ताहे संता तंता परितंता निविण्णा समाणी अकामिया अवसवसा अट्टदुहट्टवसट्टा तं गब्भं परिवहामि ।। ७८- तए णं अहं नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण राइंदियाणं वीइक्कंताणं सूमालं सुरूवं दारगं पयामि ।। ७६. तए णं ममं इमे एयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था ---जइ ताव इमेणं दारएणं गब्भगएणं चेव पिउणो उयरवलि मसाई खाइयाई, तं न नज्ज इ णं एस दारए संबड्डमाणे अम्हं कुलस्स अंतकरे भविस्सइ, तं सेयं खलु अम्हं एयं दारगं एगते उक्कुरुडियाए उज्झावित्तए-एवं संपेहेमि, संपेहेत्ता दासचेडि सद्दावेमि, १. सं० पा० .--एवं मारेउ बंधेउ । २. कुमारं (ख,ग)। ३. सं० पा०. --अम्मयाओ जाव अंगपडिचारि- याओ निरवसेसं भाणियब्वं जाव जाहे वि य णं तुमं वेयणाए अभिभूए महया जाव तुसिणीए। ४. उ०२३४॥ ५. उ० ११३५-४८ । ६. उ० ११५१ । ७. उ० ११५१ । Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७२८ निरयावलियाओ सद्दावेत्ता एवं वयामि-गच्छ णं तुम देवाणुप्पिए ! एयं दारगं एगते उक्कुरुडियाए उज्झाहि। ८० तए णं सा दासचेडी ममं एवं वुत्ता समाणी करयलपरिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ममं एयमझें विणएणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता तुमं करयलपुडेणं गिण्हइ, गिण्हित्ता जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुम एगते उक्कुरुडियाए उज्झइ ।। ८१. तए गं तुमे एगते उक्कुरुडियाए उज्झितेणं समाणेणं सा असोगवणिया उज्जोविया यावि होत्था ॥ ८२. तए णं से सेणिए राया इभीसे कहाए लद्धठे समाणे जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुम एगते उक्कुरुडियाए उज्झियं पासेइ, पासेत्ता आसुरुत्ते जाव' मिसिमिसेमाणे तुमं करयलपुडेणं गिण्हड, गिण्हित्ता जेणेव अहं तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं उच्चावयाहिं आओसणाहिं आओसइ, उच्चादयाहि निभंछणाहिं निभंछेइ, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसे इ, उद्धंसेत्ता एवं क्यासी कीस णं तुमं ममं पुत्तं एगते उक्कुरुडियाए उज्झावेसि ? त्ति कटु ममं उच्चावयसबहसावितं करेइ, करेत्ता एवं वयासी-तुमं णं देवाणुप्पिए ! एयं दारगं अणुपुवेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी संवड्ढेहि ! ८३. तए णं अहं सेणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणी लज्जिया विलिया विड्डा करयलपरिगहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु सेणियस्स रण्णो एयमझें विणएणं पडिसुणेमि, पडिसुणेत्ता तुमं अणु पुग्वेणं सारक्खमाणी संगोवेमाणी संवड्ढेमि ।। ८४. तए णं तुम्हं एगते उक्कुरुडियाए उज्झिज्जमाणस्स अग्गंगुलिया कुक्कुडिपिच्छएणं दुमिया वि होत्था, अभिक्खणं-अभिक्खणं पूर्य च सोणियं च अभिनिस्सवेइ ॥ ८५. तए णं तुमं वेयणाभिभूए समाणे महया-महया सद्देणं आरससि ॥ ८६. तए णं सेणिए राया तुम्हं आरसियसई सोच्चा निसम्म जेणेव तुमं तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुमं करयलपुडेणं गिण्हइ, गिहित्ता तं अग्गंगुलियं आसयंसि पक्खिवइ, पक्खिवित्ता पूयं च सोणियं च आसएणं आमुसइ । तए णं तुमं निब्वुए निव्वेयणे तुसिणीए संचिट्ठसि ।। ८७. जाहे वि य णं तुम वेयणाए अभिभूए समाणे महया-मया सद्देणं आरससि, ताहे वि य णं सेणिए राया जेणेव तुमं तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुमं करयलपुडेणं गिण्हइ, गिण्हित्ता तं अग्गंगुलियं आसयंसि पक्खिवइ, पक्खिवित्ता पूयं च सोणियं च आसएणं आमुसइ । तए णं तुम निव्वुए निव्वेयणे° तुसिणीए संचिट्ठसि -- एवं खलु तव पुत्ता! सेणिए राया अच्चंतनेहाणुरागरत्ते ।। कूणियस्स निवेद-पदं ८८. तए णं से कणिए राया चेल्लणाए देवीए अंतिए एयमझें सोच्चा निसम्म चेल्लणं देवि एवं वयासी-दुठ्ठ णं अम्मो ! मए कयं सेणियं रायं पियं देवयं गुरुजणगं अच्चंत१. उ०११२२ । २. उसम्मा (क)। Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयण ७२६ हाणुरागरत्तं नियलबंधणं करतेणं, तं गच्छामि णं सेणियस्स रण्णो सयमेव नियलाणि छिदामित्तिकट्टु परसुहत्थगए जेणेव चारगसाला तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ सेणियस्स अप्पधाय-पदं ८. तए णं सेणिए राया कूणियं रायं परसुहत्थगयं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता एवं वयासी एस णं कूणिए राया' अपत्थियपत्थए' दुरंत-पंत-लक्खणे हीणपुण्णचाउसिए सिरि-हिरि - धिइ - कित्ति - परिवज्जिए परसुहत्थगए इह' हव्वमागच्छइ, तं न नज्जइ णं ममं केणइ कुमारेणं मारिस्सइत्तिकट्टु भीए' 'तत्थे तसिए उब्बिग्गे संजायभए तालपुडगं विसं आसगंसि पक्खिवइ || १०. तए णं से सेणिए राया ' तालपुडगविसंसि आसगंसि" पक्खित्ते समाणे मुहत्तंतरेण परिणममाणंसि निप्पाणे निच्चिट्ठे जीवविप्पजढे ओइण्णे || ६१. तए गं से कूणिए राया' जेणेव चारगसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सेणियं रायं निप्पाणं निच्चिट्ठ जीवविप्पजढं ओइण्णं पासइ, पासित्ता 'महया पिइसोएणं" अप्फुण्णे समाणे परसुनियते विव चंपगवरपायवे धसत्ति धरणीयलंसि सव्वंगे हिं संनिवडिए । कूणियस्स विलायकरण-पदं ६२. तणं से कूणिए राया" मुहुत्तंतरेण आसत्थे समाणे रोयमाणे कंदमाणे सोय माणे विलवाणे एवं क्यासी अहो णं मए अधण्णेणं अपुण्णेणं अकयपुण्णेणं दुट्टु कयं सेणियं रायंपियं देवयं गुरुजणगं अच्चंतनेहाणुरागत्तं नियलबंधणं करतेणं, मम मुलागं चैव सेणिए राया काल गएत्तिकट्टु ईसर तलवर" - माइंबिय कोडुंबिय इब्भ-सेट्ठि- सेणावइसत्थवाह-दूय'-संधिवालसद्धि संपरिवडे रोयमाणे कंदमाणे सोयमाणे विलवमाणे महा इड्डीसक्कारसमुदएण सेणियस्स रण्णो नीहरणं करेइ, बहूई लोइयाइं मयकिच्चाई करेइ ॥ कणिएण रायहाणीपरिवत्तण-पदं ६३. तए णं से कूणिए राया एएणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे अण्णा कयाइ अंतउरपरियाल संपरिवुडे" सभंडमत्तोवगरणमायाए रायगिहाओ पडिनिक्खमइ, पडनिमित्ता जेणेव चंपा नयरी तेणेव उवागच्छइ, 'तत्थ वि य" णं विउलभोगसमिइस मण्णागए कालेणं अप्पसोए जाए यावि होत्या || १. कुमारं ( ख, ग ) । २. कुमारे ( ख, ग ) । ३. सं० पा०-- अपत्थियपत्थर जाव परिवज्जिए ; पत्थर ( क ) | ४. इहं ( ख ) । ५. सं० पा० भीए जाब संजाय भए । ६. °विसं आसगं ( क ) 1 ७. माणं (क) ८. कुमारे (ख,ग) 1 ६. महया मया पितसोएणं ( ख ) । १०. कुमारे (ख. ग ) । ११. सं० पा० तलवर जाव संधिवाल" । १२. तेणं ( क ) । १३. परिवुडे (क, ख, ग ) । १४. तत्थ विणं ( क ) ; तत्थ ( ग ) | Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३० निरयावलियाओ वेहल्लस्स गंधहत्यिकोला-पदं ६४. ताए णं से कूणिए राया अण्णया कयाइ कालाईए दस कुमारे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता रज्जं च 'रठं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठागारं च जणवयं च एक्कारसभाए विरिचइ, विरिचित्ता सयमेव रज्जसिरि करेमाणे पालेमाणे विहरइ ।। ६.५. तत्थ ण चंपाए नयरीए सेणियस्स रणो पुत्ते चेल्लणाए देवोए अत्तए कुणियस्स रणो सहोयरे कणीयसे भाया वेहल्ले नाम कुमारे होत्था सूमाले जाव' सुरूवे ।। ६६. तए णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स सेणिएणं रण्णा जीवंतएणं चेव सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके हारे य पुव्वदिण्णे ॥ ७. तए णं से वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरपरियालसंपरिबुडे चंप नरि मज्झं मज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता अभिक्खणं-अभिक्खणं गंग महाणई मज्जणयं ओवरद । तए णं सेयणा' गंधहत्थी देवीओ सोंडाए गिण्हाइ, गिमिहत्ता अप्पेगयाओ पटठे ठवेइ, अप्पेगइयाओ खंधे ठवेइ, अप्पेगइयाओ कुंभे ठवेइ, अप्पेगइयाओ सीसे ठवेइ, अप्पेगइयाओ दंतमूसले ठवेइ, अप्पेगइयाओ सोंडाए गहाय उड्ढं वेहासं उबिहइ, अप्पेगइयाओ सोंडागयाओ अंदोलावेइ', अप्पेगइयाओ दंतंतरेसु नीणे इ, अप्पेगइयाओ 'सीभरेणं ण्हाणे इ", अप्पेगइयाओ अणेगेहिं कीलावहिं कीलावेइ ।। हार-गंधहित्थ-विवाद-पदं ८. तए णं चंपाए नयरीए सिंघाडग-तिग-च उक्क-चच्चर-[चउम्मुह?] महापहपहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ. 'एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं° परूवेइ- - एवं खलु देवाणुप्पिया! वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा अंतेउरपरियालसंपरिवुडे 'जाव" १. सं० पाo.--रज्जं च जाव जणवयं । णापि केवलं वेहल्लकुमारस्यैव नामोल्लेख: २. हल्लविहल्ले (क); महाराजश्रेणिकेन गन्ध- कृत:- .. हस्ती हारश्च वेहल्लकुमाराय समर्पितो। खोटो भाई कोणक ने सहोदर, नामें बेहल्लकुमार। आग मस्य मुलपाठे एव परम्परा दृश्यते । तिणनें श्रेणक जीवतां दीया, वृत्तौ भिन्ना परम्परा उल्लिखितास्ति ताहे एक हाथी ने बंकसर हार ॥११॥ अभएण रज्जं दिज्जमाण न इच्छियं ति पच्छा (भिक्षु ग्रन्थ रत्नाकर, द्वितीय खण्ड, पृष्ठ ७२) । सेणियो चितेई 'कोणियस्स दिज्जिहि' त्ति ३. ओ० सू० १४३ । हल्लस्स हत्थी दिन्नो सेयणगो, विहल्लस्स ४. सेतणए (फ,ख)। देवदिन्नो हारो। अभएण वि पव्वयंतेण ५. मोंडाओ (क) । सुनंदाए खोमजुयलं कुंडलजुयलं च हल्ल- ६. प्पिळे (क); पुछे (ग)। विहल्लाणं दिण्णाणि । मया विहवेण अभओ ७. अंदोडावेइ (क) नियजणणीसमेओ पव्वइओ। सेणियस्य ८. सीकरणं ण्हाएइ (ख); सीतरेणं° (ग) । चेलणादेवी अंगसमुभूया तिन्नि पुत्ता. . ६. एतत् पदं प्रायः सूत्रेषु लभ्यते । कूणिओ हल्लविहल्लाय! १०. सं० पा० - एकमाइक्खइ जाव परुवेइ । आगमस्य परम्परायां केवलं वेहल्लस्यैव नामो- ११. उ० १६६७ । ल्लेखो दृश्यते । आगममर्मज्ञेन आचार्य भिक्ष Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम अज्झयणं अणेगेहि" कोलावणएहिं कीलावेइ, तं एस णं वेहल्ले कुमारे रज्जसिरिफलं पच्चणुभवमाणे विहरइ, नो कुणिए राया ॥ ६. तए णं तीसे पउमावईए देवीए इमीसे कहाए लढाए समाणीए अयमेयारूवे' 'अज्झस्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे' समुप्पज्जित्था एवं खलु वेहल्ले कुमारे सेयणएणं गंधहत्थिणा जाव' अणेगेहिं कीलावणएहिं कोलावेइ, तं एस णं वेहल्ले कुमारे रज्जसिरिफलं पच्चणुभवमाणे विहरइ, नो कुणिए राया, तं किणं अम्हं रज्जेण वा •रलेण वा बलेण वा वाहणेण वा कोसेण वा कोदागारेण वा जणवएण वा, जइ णं अम्हं सेयणगे गंधहत्थी नत्थि ? तं सेयं खलु ममं कूणियं रायं एयमठें विष्णवित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव कुणिए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु कूणियं रायं एवं वयासी एवं खलु सामी! वेहल्ले कुमारे सेयण एणं गंधहत्थिणा जाव अणेगेहिं कीलावणएहिं कीलावेइ, तं किण्णं सामी अम्हं रज्जेण वा जाव जणवएण वा, जइ णं अम्हं सेयणए गंधहत्थी नत्थि ?|| १००. तए णं से कूणिए राया पउमावईए देवोए एयमझें नो आढाइ नो परिजाणाइ तुसिणीए संचिट्ठइ॥ १०१. तए णं सा पउमावई देवी अभिक्खणं-अभिक्खणं कूणियं रायं एयमलैं विण्णवेइ ।। १०२. तए णं से कूणिए राया पउमावईए देवीए अभिक्खणं-अभिक्खणं एयमट्ठ विण्णविज्जमाणे अण्णया कयाइ वेहल्लं कुमारं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं जाय इ॥ १०३. तए णं से वेहल्ले कुमारे कूणियं रायं एवं वयासी-एवं खलु सामी ! सेणिएणं रण्णा जीवंतएणं चेव सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे दिण्णे, तं जइ णं सामी ! तुब्भे ममं रज्जस्स य जाव' जणवयस्स य अद्धं दलयह तो णं अहं तुभं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं दलयामि ॥ १०४. तए णं से कूणिए राया वेहल्लस्स कुमारस्स एयम8 नो आढाइ नो परिजाणइ अभिक्खणं-अभिक्खणं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं जायइ ।। वेहल्लस्स चेडग-सरण-पदं १०५. तए णं तस्स वेहल्लस्स कुमारस्स कृणिएणं रण्णा अभिक्खणं-अभिक्खण सेयणग गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं [जाइज्जमाणस्स अयमेयारूबे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे सम्मुप्पज्जित्था -? ] एवं अक्खिवि उकामे णं गिहिउकामे णं उद्दालेउकामे णं ममं कूणिए राया सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसवंकं च हारं तं जाव न अक्खिवइ १. तं चेव जाव थेगेहि (क) 1 ६. सं० पा० -करयल जाव एवं । २. सं० पा० --अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था। ७. उ०१६६६ । ३. उ० ११९७ । ८. अन आदर्शषु किंचित् त्रुटित: पाठोस्ति, तत्४. किण्हं (क,ख,ग)। संबंधयोजनाय कोष्ठकान्तर्वर्ती पाठः ५. सं० पा० -रज्जेण वा जाव जणवएण । उल्लिखितः । प्रकरणवशादसो संगतः प्रतीयते । Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३२ निरयावलियाओ न गिण्हइ न उद्दालेइ ममं कूणिए राया ताव" सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं महाय अंते उरपरियाल संपरिवुडस्स सभंडमत्तोवगरणमायाए चंपाओ नयरीओ पडिनिक्खमित्ता वेसालीए नयरीए अज्जगं चेडयं रायं उवसंपज्जित्ताणं विहरित्तए एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कूणियस्स रण्णो अंतराणि य छिद्दाणि य विरहाणि य° पडिजागरमाणे- पडिजागरमाणे विहरइ ॥ १०६. तए णं से वेहल्ले कुमारे अण्णया कयाइ कूणियस्स रण्णो अंतरं जाणइ, सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं गहाय अंतेउरपरियाल संपरिवुडे सभंडमत्तोवगरमायाए चंपाओ नयरीओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव वैसाली नयरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेसालीए नयरीए अज्जगं वेडयं रायं उवसंपिज्जित्ता गं विहरइ || कूणिएण दूय- पेसण-पदं १०७. तए णं से कुणिए राया इमीसे कहाए लट्ठे समाणे एवं खलु वेहल्ले कुमारे ममं 'असंविदिते णं" सेयणगं गंधहत्यि अट्ठारसवंकं त्र हारं गहाय अंतेउरपरियालसंपरिवुडे जाव' अज्जगं चेडयं रायं उवसंपज्जित्ता णं विहरद, तं सेयं खलु ममं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं आणेउं दूयं पेसित्तए एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता दूयं सद्दावेइ, सहावेत्ता एवं वयासी - गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! वेसालि नयरिं । तत्थ णं तुमं ममं अज्जगं चेडगं रायं करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जएणं विजएणं वृद्धावेहि,' वृद्धावेत्ता एवं वयाहि' - एवं खलु सामी ! कूणिए राया विष्णवे - एस णं वेहल्ले कुमारे कूणियस्त रण्णो असंविदितेणं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं गहाय इहं हव्वमा गए, तं णं तुब्भे सामी ! कूणियं रायं अणुगिण्हमाणा सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवकं च हारं कूणियस्स रण्णो पच्चप्पिणह, वेहल्लं कुमारं च पेसेह ॥ १०८. 'तए गं" से दूए कूणिएण "रण्णा एवं वृत्ते समाणे हट्टतुट्ठे करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं सामि । त्ति आणाए विणणं वयणं पडिसुपडणेत्ता जेणेव सए" गिहे तेणेव उवागच्छइ, उनागच्छित्ता जहा चित्तो जाव" वृद्धावेत्ता एवं वयासी एवं खलु सामी ! कूणिए राया विण्णवेइ एस णं वेहल्ले कुमारे कूणियस्सरण्णो असंविदिते णं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवकं च हारं महाय इहं हब्वमागए, तं णं तुभे सामी ! कूणियं रायं अणुगिण्हमाणा सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवकं च ど १. तं जात्र ताव मम कूणिए राया (कख) २. सं० पा०-- अंतराणि जाव पडिजागरमाणे । ३. हाय ( ख ) । ४. असं विदे णं ( क ) ; असंप्रति ( वृ ) । ५. उ० ११०६ ॥ ६. विसज्जए ( क ) 1 ७. गच्छह (क,ग) । ८. सं० पा०करयल । ६. वदासी ( क ) 1 १०. ततो (क,ख ) । ११. सं० पा० कूणिएण करयल जाव पडणेत्ता । १२. स ( ख ) । १३. राय० सू० ६८१-६८३ । १४. सं० पा० तहेव भाणिवव्वं जाव बेहल्लं । Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयण ७३३ हारं कणियस्स रण्णो पच्चप्पिणह, वेहल्लं कुमारं च पेसेह ।। १०६. तए णं से चेडए राया तं दूयं एवं वयासी- जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्स रष्णो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए ममं नत्तुए, तहेव णं वेहल्लेवि कुमारे सेणिय स्स रपणो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए ममं नत्तुए, सेणिएणं रण्णा जीवंतेणं चेव वेहल्लस्स कुमारस्स सेयणगे गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे पुव्व दिण्णे तं जइ णं कृणिए राया वेहल्लस्स रज्जस्स य' जणवयस्स य अद्धं दलयइ तो णं अहं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रण्णो पच्चप्पिणामि, वेहल्लं च कुमारं पेसेमि, न अण्णहार - तं दूयं सक्कारेइ सम्माणेइ पडिविसज्जेइ ।।। ११०. तए णं से दूए चेडएणं रणा पडिविसज्जिए समाणे जेणेव चाउघंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउघंटं आसरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता वेसालि नयरि मज्झंमज्झेणं निगच्छइ, निग्गच्छित्ता सुहेहि वसही- पायरासेहिं नाइविकिठेहि अंतरावासेहि वसमाण-वसमाणे जेणेव चंपा नगरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता जाव' कणियं रायं जएणं विजएणं वद्धावेइ, बद्धावेत्ता एवं वयासी- 'एवं खलु सामी! चेडए राया आवेइ जह चेव णं कुणिए राया सेणियस्त रणो पुत्ते चेल्लमाए देवीए अत्तए मम नत्तुए तहेव णं वेहल्लेवि कुमारे सेणियस्स रण्णो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए ममं नतुए, सेणिएणं रण्णा जीवंतेणं चेव वेहल्लस्स कुमारस्स सेयणगे गंधहत्थी अट्ठारसवंके य हारे पुवदिण्णे, तं जइ णं कूणिए राया वेहल्लस्स रज्जस्स य' जणवयस्स य अद्धं दलय इ तो णं अहं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रण्णो पच्चप्पिणामि, वेहल्लं च कुमारं पेसेमि । तं न देइ णं सामो! चेडए राया सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसर्वकं च हारं, वेहल्लं च नो पेसेइ ।। १११. तए णं से कूणिए राया दोच्चपि दूयं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं बयासी. - गच्छ णं तुम देवाणुप्पिया ! वेसालि नरि । तत्थ णं तुम मम अज्जगं चेडगं रायं जाव एवं वयाहि - एवं खलु सामी कुणिए राया विण्णवेइ --जाणि काणि वि" रयणाणि समुप्पज्जति सव्वाणि ताणि रायकुलगामोणि । सेणियस्स रण्णो रज्जसिरिं करेमाणस्स पालेमाणस्स दुवे रयणा समुप्पण्णा, तं जहा सेयणए गंधहत्थी अट्ठारसवंके हारे । तं गं तुब्भे सामी ! रायकुलपरंपरागयं पीति" अलोवेमाणा सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं कणियस्स रण्णो पच्चप्पिणह, वेहल्लं कुमारं च पेसेह ।। १. पू०-उ० श६६। २. ४ (क,ख,म); असौ पाठो वृत्त्याधारेण स्वीकृत:। ३. ४ (क,ख,ग)। ४. सुभेहिं (क,ख,ग)। ५. सं० पा०-वसही जाव बद्धावेत्ता। वासेहिं (राय० सू० ६८३) । ६. राय० सू० ६८३ । ७. ४ (ख) ८. सं० पा० -तं चेव भाणियब्वं जाव वेहल्लं । ६. पू०--उ० ११६६ । १०. उ० २१०७ । ११. य (ख)। १२. पीईयं (ग); ठिइयं (क्व०)। १३. अलोवेमाणे (क,ग)। Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निरयावलियाओ ११२. तए णं से दूए तहेव जाव' वद्धावेत्ता एवं व्यासी- एवं खल सामी ! कूणिए राया विष्णवे - जाणि काणि वि रयणाणि समुप्पज्जेति सव्वाणि ताणि रायकुलगामीणि । सेणियस्सरण्णो रज्ज सिरि करेमाणस्स पालेमाणरस दुवे रयणा समुप्पण्णा, तं जहा सेयणए गंधहत्थी अट्ठारस के हारे । तं णं तुम्भे सामी ! रायकुलपरंपरागयं पीति अलोवेमाणा सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रण्णो पञ्चप्पिणह", वेहल्लं कुमारं च पेसेह || ७३४ ११३. तए णं से चेडए राया तं दूयं एवं वयासी- जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्सरण्णो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए' " ममं नत्तुए तहेव णं वेहल्लेवि कुमारे सेणियस रण्णो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए ममं नत्तुए, सेणिएणं रण्णा जीवंतपणं चेव वेहल्लस्स कुमारस्स सेयणगे गंधहत्थी अट्ठारसवके य हारे पुव्वदिण्णे, तं जइ णं कूणिए या हल्लस रज्जस्स य जणवयस्स य अद्धं दलयइ तो णं अहं सेयणमं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रण्णो पच्चप्पिणामि, वेहल्लं च कुमारं पेसेमि, न अण्णा'--तं यं सक्कारे सम्माणेइ पडिविसज्जेइ || ११४. तए णं से दूए जाव' कूणियस्स रण्णो वढावेत्ता एवं वयासी- 'चेडए राया आणवेइ" -- जह चेव णं देवाणुप्पिया ! कूणिए राया सेणियस्स रण्णो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए' 'ममं नत्तुए तहेव णं वेहल्लेवि कुमारे सेणियस्स रण्णो पुत्ते चेल्लणाए देवीए अत्तए ममं नत्तुए, सेणिएणं रण्णा जीवंतेणं चेव वेहल्लस्स कुमारस्स सेयणगे गंधहत्थी अट्ठारसवके य हारे पुन्वदिण्णे, तं जइ णं कूणिए राया बेहल्लस्स रज्जस्स य' जणवयस्स य अद्धं दलयइ तो णं अहं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंक च हारं कूणियस्स रण्णो पच्चप्पणामि, वेल्लं च कुमारं पेसेमि । तं न देइ णं सामी ! चेडए राया सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवकं च हार, वेहल्लं च कुमारं नो पेसेइ ॥ कूणियस्स जुद्धसज्जा-पदं ११५. तणं से कूणिए राया तस्स दूयस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते जाव" मिसिमिसेमाणे तच्च द्वयं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- गच्छ" णं तुमं देवाणुप्पिया ! वेसालीए नयरीए चेडगस्स रण्णो वामेण पाएणं पादपीठं अक्कमाहि, अक्कमित्ता कुंग्गेणं लेहं पणावेहि", पणावेत्ता आसुरुते जाव मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निलाडे साहट्टु चेडगं रायं एवं वयाहि- हंभो चेडगराया अपत्थियपत्थगा"! दुरंत"-पंत-लक्खणा ! (क, ख, ग ) ; १. कूणियस्स रण्णो तहेव जाव उ० १११०८ २. सं० पा० काणि जाव वेहलं । ३. सं० पा० - जहा पढमं जाव वेहल्लं । ४. पू० उ० ११६६ । ५. X ( क,ख,ग ) ; स्वीकृत: । ६. उ० ११११० । ७. X ( क, ख ) 1 ८. सं० पा० - अत्तए जाव वेहल्लं । ६. पू० उ० १।६६ । १०.३० ११२२ । ११. गंतूणं ( क ) ; गच्छह ( ख, ग ) । असौ पाठो वृत्त्याधारेण १२. पणामेहि ( क ) । १३. पत्थिया ( क ) | १४. सं० पा० - दुरंत जाव परिवज्जिया । Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढम अझयणं ७३५ हीणपुण्णचाउद्दसिया ! सिरि-हिरि-घिइ-कित्ति -परिवज्जिया ! एस णं कूणिए राया आणवेइ.-- पच्चप्पिणाहि णं कूणियस्स रण्णो सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं, वेहल्लं च कुमारं पेसेहि अहवा जुद्धसज्जे चिट्ठाहि । एस णं कूणिए राया सबले सवाहणे सखंधावारे णं जुद्धसज्जे इह हव्वमागच्छइ ।। ११६. तए णं से दूए करयलपरिग्गहियं दसनह सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु तहेव जाव' जेणेव चेडए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ', वद्धावेत्ता एवं वयासी- एस णं सामी ! ममं विणयपडिवत्ती, इमा कूणियस्स रणो आणत्ती चेडगस्स रपणो बामेणं पाएणं पायपीढं अक्कमइ, अक्कमित्ता आसुरुत्ते कुतग्गेण लेहं पणावेई', "पणावेत्ता चेडगं रायं एवं वयासी -हंभो चेडगराया ! अपत्थियपत्थगा! दुरंत-पंत-लक्खणा ! हीणपुण्णचाउइसिया ! सिरि-हिरि-धिइ-कित्ति-परिवज्जिया ! एस णं कूणिए राया आणवेइ-- पच्चप्पिणाहि णं कूणियस्स रणो सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं, वेहल्लं च कुमार पेसेहि अहवा जुद्धसज्जे चिट्ठाहिं । एस णं कणिए राया सबले सवाहणे° सखंधावारे गं इह हव्वमागच्छइ ।। ११७. तए णं से चेडए राया तस्स दूयस्स अंतिए एयमठे सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते जाव तिवलियं भिउडि निलाडे साहटु एवं क्यासी न अप्पिणामि णं कुणियस्स रण्णो सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं, वेहल्लं च कुमारं नो पेसेमि । एस णं जुद्धसज्जे चिट्ठामि । तं दूयं 'असक्कारिय असम्माणिय अवद्दारेणं निच्छुहावेइ । ११८. [तए णं से दुए चेडएणं रण्णा असक्कारिय असम्माणिय अवहारेणं निच्छढे समाणे जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता कुणियं रायं एवं वयासी-चेडए राया न अप्पिणइ सेयणगं गंधहत्थि जाव अवद्दारेणं निच्छुहावेइ" ? ] ॥ ११६. तए णं से कूणिए राया तस्स दूयस्स अंतिए एयमद्रु सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते'२ कालादीए" दस कुमारे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! वेहल्ले कुमारे ममं असंविदिते ण सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंक हारं अंतेउरं सभंडं च १. उ० १११०८; राय० सू० ६८१-६८३ । २. सं० पा०... करयल जाव वद्धावेत्ता । ३. इयाणि (ग)। ४. पू०-- उ० ११२२॥ ५. पणामेइ (क)। ६. सं० पा०- तं चेव सखंधावारे । ७. उ० १।२२। ८. असक्कारितं असम्माणित (क,ख,ग) । ६. निच्छुभावेइ (क) । १०. उ० ११११७ । ११. ११६ सूत्रे 'तस्स दूयस्स अंतिए एयमलैं सोच्चा इति पाठोस्ति, किन्तु दूतस्य पुनरागमनस्य चेटकस्याज्ञप्तेनिवेदनस्य अभिधायक सूत्र केनापि कारणेन विलुप्तमस्ति । तत् 'नायाधम्मकहाओ' १११६।२४६ सूत्रस्य तथा प्रस्तुतागमस्य ११११७ सूत्रस्याधारेण प्रकल्पितमस्ति । 'नायाधम्मकहाओ' ११८।१६० सूत्रे णापि अस्य समर्थनं जायते । १२. पू०-उ० ११२२ । १३. कालातीए (क)। Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निरयावलियाओ गहाय चंपाओ निक्खमइ, निक्खभित्ता वेसालि अज्जगं' •चेडयं रायं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ । तए णं भए सेयणगस्स गंधहत्थिस्स अट्ठारसवंकस्स हारस्स अट्ठाए दूया पेसिया । ते य चेडएण रण्णा इमेणं कारणेणं पडिसेहित्ता अदुत्तरं च णं ममं तच्चे दूए असक्कारिए असम्माणिए अवदारेणं निच्छुहाविए', तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं चेडगस्स रण्णो जुत्तं गिण्हित्तए ।। १२०. तए णं ते कालादीया दस कुमारा कूणियस्स रण्णो एयमझें विणएणं पडिसुणेति ॥ १२१. तए णं से कूणिए राया ते कालादीए दस कुमारे एवं वयासी- गच्छह णं तुम्भे देवाणुप्पिया ! सएसु-सएसु रज्जेसु, पत्तेयं-पत्तेयं ण्हाया' •कयवलिकम्मा कयकोउयमंगल°-पायच्छित्ता हत्थिखंधवरगया पत्तेयं-पत्तेयं तिहिं दंतिसहस्सेहि 'तिहिं आससहस्सेहि तिहिं रहसहस्सेहि तिहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धि संपरिवुडा सबिड्ढीए जाव दुंदुहि-णिग्धोसणाइयरवेणं सएहितो-सएहितो नयरेहितो पडिनिक्खमह, पडिनिक्खमित्ता ममं अंतियं पाउब्भवह।। १२२. तए णं ते कालादीया दस कुमारा कूणिग्रस्स रण्णो एयमठे सोच्चा सएसुसएसु रज्जेसु पत्तेयं-पत्तेयं व्हाया जाव' तिहिं मणुस्सकोडीहिं सद्धि संपरिवडा सव्विड्डीए जाव दुंदुहि-णिग्धोसणाइयरवेणं सएहितो-सएहितो नयरेहितो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव अंगा-जणवए जेणेव चंपा नयरी जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागया करयल•परिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं° वद्धावेंति ॥ १२३. तए णं से कुणिए राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासीखिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अभिसेक्कं हत्थिरयणं पडिकप्पेह", हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेह, ममं एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति ॥ १२४. तए णं से कणिए राया जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ जाव पडिनिग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जाव* गयवई नरवई दुरूढे । १२५. तए णं से कूणिए राया तिहि दंतिसहस्सेहिं जाव" दुंदुहि-णिग्घोसणाइयरवेणं चंपं नयरि मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कालादीया दस कुमारा तेणेब उवागच्छ इ, उवागच्छित्ता कालादीएहिं दसहिं कुमारेहिं सद्धिं 'एगतओ मिलायइ५॥ १२६. तए णं से कूणिए राया तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहिं तेत्तीसाए आससहस्सेहिं तेत्तीसाए १. सं० पा०.-अज्जगं जाव उवसंपज्जित्ता। ८. ओ० सू० ६७ । २. निच्छुहावेइ (क,ग)। ६. अंग (ग) ! ३. सं. पा.... हाया जाव पायच्छित्ता। १०. सं० पा० करयल जाव बद्धाति । ४. दंतिसहस्सेहिं एवं (क,ख,ग) । ११. उवट्ठवेह (व.) ; पडिकप्पेह (वृपा) । ५. तिहिं यसहस्सेहि (क); तिहि रहसहस्सेहि १२,१३. ओ० सू० ६३ । तिहिं आससहस्सेहिं (ग)। १४. उ० १६१२१ । ६. ओ० सू० ६७ । १५. एगओ मिलायंति (ग)। ७. उ० १११२१। Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पढमं अज्झयणं ७३७ रहसहस्सेहि तेत्तीसाए मार सकोडीहि सद्धि संपरिवडे सविड्डीए जाव' दुंदुहि-णिग्घोसणाइयरवेणं सुहेहि वसही-पायरासेहि नाइविगिठेहि अंतरावासेहि वसमाणे-बसमाणे अंगाजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव विदेहे जणवए जेणेव वेसाली नयरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए। चेडगस्स जुद्धसज्जा -पदं १२७. तए णं से चेडए राया इमीसे कहाए लद्धठे समाणे नवमल्लई नव लेच्छई' कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - एवं खल देवाणप्पिया ! वेहल्ले कुमारे कूणियस्स रण्णो असंविदिए णं सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं गहाय इहं हब्ब मागए । तए णं कूणिएणं सेयणगस्स गंधहत्थिस्स अट्ठारसवंकस्स य हारस्स अट्ठाए तओ या पेसिया । ते य मए इमेणं कारणेणं पडिसेहिया। तए णं से कुणिए ममं एयमठें अपडिसुणमाणे चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे जुज्झसज्जे इहं हव्वमागच्छइ, तं किं णं देवाणुप्पिया ! सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं कूणियस्स रणो पच्चप्पिणामो? वेहल्लं कुमार पेसेमो? उदाहु जुज्झित्था ? १२८. तए णं नव गल्लई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो चेडगं रायं एवं वयासी नो एयं सामी ! जुत्तं वा पत्तं वा रायसरिसं वा, जंण सेयणगं गंधहत्थि अट्ठारसवंकं च हारं कुणियरस रण्णो पच्चप्पिणिज्ज इ, वेहल्ले य कुमारे सरणागए पेसिज्जइ । तं जइ णं कूणिए राया चाउरंगिणीए सेणाए सद्धिं संपरिवूडे जुज्झसज्जे इह हब्वमागच्छइ तए णं अम्हे कूणिएणं रण्णा सद्धि जुज्झामो॥ १२६. तए णं से चेडए राया ते नव मल्लई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो एवं वयासी - जइ णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे कुणिएणं रण्णा सद्धि जुज्झह, तं गच्छह णं देवाणुप्पिया ! सएसु-सएसु रज्जेसु, पत्तेयं-पत्तेयं व्हाया" 'जाव" मम अंतियं पाउब्भवह ॥ १३०. तए णं ते नव मल्लई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो जाव जेणेव वेसाली नयरी जेणेव चेडए राया तेणेव उवागया जाव०० जएणं विजएणं वद्धाति ।। १३१. तए णं से चेडए राया कोडुवियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया! अभिसेक्कं हत्थि रयणं पडिकप्पेह जहा कूणिए जाव" गयवई नरवई दुरूढे ।। १३२. तए णं से चेडए राया तिहिं दंतिसहस्सेहि जहा कूणिए जाव" वेसालि नरि १. ओ० सू० ६७ । ७. सं०पा०- हाया जहा कालादीया जाव जएणं । २. सुभेहिं (क,ख,ग) । ८. उ० १११२१। ३. लेच्छती (क)। ९. उ० १११२२। ४. हुभित्था (क)। १०. उ० १११२२ । ५. लेच्छी (क); लच्छई (ग)। ११. उ० १११२३,१२४ । ६. °सिरीसं (क,ग)। १२. उ०१।१२५ । Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३८ निरयावलियाओ मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव ते नव मल्लई नव लेच्छई कासीकोसलगा अट्ठारसवि गणरायाणो तेणेव उवागच्छइ ।। १३३. तए णं से चेडए राया सत्तावण्णाए दंतिसहस्सेहि सत्तावण्णाए आससहस्सेहि सत्तावण्णाए रहसहस्सेहिं सत्तावण्णाए मणुस्सकोडीएहिं सद्धि संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव' दुंदुहि-णिग्धोसणाइयरवेणं सुहेहिं वसही-पायरासेहिं नाइविगिठेहि अंतरावासेहि वसमाणेवसमाणे विदेहं जणवयं मज्झंमज्झेणं जेणेव देसपते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खंधावारनिवेसं करेइ, करेत्ता कुणियं रायं पडिवालेमाणे जुज्झसज्जे चिट्ठइ ।। रहमुसल-संगाम-पदं १३४. तए णं से कूणिए राया सव्विड्डीए जाव दंदुहि-णिग्घोसणाइयरवेणं जेणेव देसपंते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चेडयस्स रण्णो जोयणंतरियं खंधावारनिवेसं करेइ । १३५. तए णं ते दोण्णिवि रायाणो रणभूमि सज्जावेंति, सज्जावेत्ता रणभूमि जयंति ॥ १३६. तए णं से कूणिए राया तेत्तीसाए दंतिसहस्सेहि तेत्तीसाए आससहस्सेहि तेत्तीसाए रहसहस्सेहि तेत्तीसाए° मणुस्सकोडीहिं गरुलव्वूह रएइ, रएत्ता गरुलव्हेणं रहमुसलं संगामं ओयाए । १३७. तए णं से चेडगे राया सत्तावण्णाए दंतिसहस्सेहिं 'सत्तावण्णाए आससहस्सेहिं सत्तावण्णाए रहसहस्सेहिं सत्तावण्णाए मणुस्सकोडीहि सगडवूहं रएइ, रएत्ता सगडवूहेणं रहमुसलं संगाम ओयाए । - १३८. तए णं ते दोण्हवि राईणं अणीया" सण्णद्ध९. बद्ध-वम्मिय-कवया उप्पीलियसरासण-पट्टिया पिणद्ध-विज्जा आविद्ध-विमल-वरचिंध-पट्टा गहियाउहरे-पहरणा मगइतेहि फलएहि निक्कट्ठाहिं असीहि अंसागएहिं तोणेहि सजीवेहिं धहि समुक्खित्तेहिं सरेहि समुल्लालियाहि डावाहि ओसारियाहिं ऊरुघंटाहि" छिप्पतूरेणं वज्जमाणेणं महया उक्किट्ठसीहनाय"-बोलकलकलरवेणं समुद्दरवभूयं पिव करेमाणा सव्विड्डीए जाव दुंदुहिणिग्घोसणाइयरवेणं हयगया हयगएहिं गयगया गयगएहिं रहगया रहगएहिं 'पायत्तिया १. ओ० सू० ६७ । ११. सं० पा०--सण्णद्ध जाव गहियाउह । २. सुभेहि (क,ख,ग)। १२. गहिया उय (क) । ३. अंतरेहि च (क); अंतरेहिं (ख,ग) १३. मगंतितेहि (क); मगहिंतेहिं (ग); मगइ४. ओ० सू० ६७ । एहिं (वि० ११३१४२) । ५. सं० घा०--दंतिसहस्सेहिं जाव मणुस्स- १४. समुल्लासिताहि (ख)। ___ कोडीहिं। १५. ओरुघंटाहि (क)। ६. गरुलवूहं (ख,ग)। १६. किप्पतरहिं (क); छिप्पत्तू रेणं (ख); ७. उवायाए (क,ख,ग)। छिप्पत्तरेणं (ग)। ८. सं० पा०-दंतिसहस्सेहिं जाव सत्तावणाए। १७. उक्किट्ठी० (क)। ६. उवायाते (ख) १८. भूतं (क,ख)। १०. अणिया (क)। १६. ओ० सू० ६७ 1 Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७३६ पढमं अज्झयणं पायत्तिएहि" अण्णमण्णेहि सद्धि संपलग्गा यावि होत्था ।। १३६. तए णं ते दोण्हवि राईणं' अणीया' नियगसामीसासणाणुरत्ता महया जणक्खयं जणवहं जणप्पमई जणसंवट्टकप्प' नच्चंतकबंधकरभीम रुहिरकद्दमं करेमाणा अण्णमण्णेणं सद्धि जुज्झंति ।। कालकुमारस्स मरण-पदं १४०. तए णं से काले कुमारे तिहि दंतिसहस्सेहिं जाव' तिहिं मणस्स कोडीहिं गरुलव्हेणं एक्कारसमेणं खंधेणं कणिएणं रण्णा सद्धि रहमुसलं संगाम संगामेमाणे हयमहियपवरवीरघाइय-निवडियचिधज्झयपडागे "निरालोयाओ दिसाओ करेमाणे चेडगस्स रण्णो सपक्खं सपडिदिसि रहेण पडिरहं हव्वमागए । तए णं से चेडए राया कालं कुमारं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता आसुरुत्ते रुठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमागे तिवलियं भिउडि निलाडे साहट्ट धणुं परामुसइ, परामुसित्ता उसु परामुसइ, परामुसित्ता वइसाहं ठाणं ठाइ, ठिच्चा आययकण्णाययं उसु करेइ, करेत्ता कालं कुमारं एगाहच्चं कूडाहच्च जीवियाओ ववरोवेइ । तं एयं खलू गोयमा ! काले कुमारे एरिसएहिं आरंभेहि •एरिसएहिं आरंभसमारंभेहि एरिसएहिं भोगेहिं एरिसएहिं भोग-संभोगेहिं एरिसएणं असुभकडकम्मपब्भारेणं कालमासे काल किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए हेमाभे नरए दससागरोवमट्टिइएसु नेरइएसुनेर इयत्ताए उववण्णे ॥ १४१. काले णं भंते ! कुमारे च उत्थीओ पुढवीओ अणंतरं उन्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिइ ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे जाइं कुलाइं भवंति अड्डाइं जहा दढपइण्णो जाव" सिज्झिहिइ बुज्झिहिइ 'मुच्चिहिइ परिणिवाहिइ सव्वदुक्खाण मंतं काहिइ॥ निक्खेव-पदं १४२. तं एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमठे पण्णते -त्ति बेमि ॥ १. पयाइय पयाइहिएहि (क) । २. रायीणं (क)। ३. अणिया (क,ख)। ४. संघटकप्पं (क)। ५. कारभीभं (क,ग)! ६. उ० १३१४ । ७. सं० पाo--जहा भगवया कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियाओ ववरोविए। ८. सं० पा० आरंभेहिं जाव एरिसएणं । ६. सं० पा० . . नरए जाव नेरइयत्ताए। १०. ओ० सू० १४१-१५४ । ११. सं० पा०.-बुझिहिइ जाव अंतं । १२. ना० १२७ । Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७४० निरयावलियाओ २-१० अज्झयणाणि १४३. जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव' संपत्तेणं निरयावलियाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमठे पणत्ते, दोच्चरस णं भंते ! अज्झयणस्स निरयावलियाणं समणेण भगवया महावीरेण जाव' संपत्तेणं के अठे पण्णत्ते? १४४. एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी होत्था। पुण्णभद्दे चेइए । कूणिए राया। पउमावई देवी ।। १४५. तत्थ णं चंपाए नयरीए सेणियस्स रण्णो भज्जा कूणियस्स रण्णो चुल्लमाउया सुकाली नामं देवी होत्था-सूमाला ।। १४६. तीसे णं सुकालीए देवीए पुत्ते सुकाले नाम कुमारे होत्था--- सुकुमाले ।। १४७. तए णं से सुकाले कुमारे अण्णया कयाइ तिहिं दंतिसहस्सेहिं जहा कालो कुमारो निरक्सेसं तं चेव भाणियव्वं जाव' महाविदेहे वासे अंतं काहिइ।।। १४८. एवं सेसावि अट्ठ अज्झयणा नेयव्वा पढमसरिसा, नवरं मायाओ सरिसनामाओ निरयावलियाओ समत्ताओ । निक्खेको 'सव्वासिं भाणियब्वो" ।। ४. सव्वेसि भाणियन्वो तहा (ग) । . १,२. ना० ११७ । ३. उ० १२१४-१४१ । Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट-१ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति आधार-स्थल पूसं-स्थल ३०१२७,२८ १७११३० १७११२५ २३१६८,७४ ३०.२६ पूर्ति मापार-स्थल ३०१२८ १७११२३ १७११२३ २३६० ३०१२५ संक्षिप्त-पाठ अणागारहिं जाव पासति अणितरिया चेव जाव अमणामतरिया अणिटुतरिया जाव अमणामतरिया अबाहा जाव णिसेगो आगारेहिं जाव जं आभिणिबोहियणाण एवं जहेव कण्हलेस्साणं तहेव भाणियव्वं जाव चाहिं इट्तरिया चेव जाव मणामतरिया उट्टे जाव एलए उदएणं जाव अविहे उववेया जाव फासेणं एत्तो जाव अमणामतरिया एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे भणियं तहा भाणियब्वं जाव से तेणठेणं एवं जहा नेरइयाणं एवं मणूसाण वि कंता जाव मणामा कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुतोवउत्ता कम्मभूमगपलिभागी वा जाव सुतोवउत्ते कालं जाव खेत्तओ खेत्तं जाव पासति जाव इत्तरिय गोयमा जाव णण्णत्थ गोयमा जाव रोएज्जा जहा पंचेंदियतिरिक्खजोगिएस जाव जेणं १७:११३ १७:१२६,१२७,१३४ १११७,१६,२० २३।२१,२२ १७.१३४ १७११३१,१३२ १७१११२ १७।१३८ ११०१६ २३१३ १७११३३ १७४१२३ ३४११२ २८१३६ ३४१६ २८.१०५ २३।२०० २३॥२०१ १८१११७ १७।१०७ ११११६,२० २०१३४ २०१८ १०४६ २८१२२ ३४॥ . २८२४ २३३१६६ २३३१६६ १८२६ १७११०६ १११११ २०१७ २०१७ Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २८॥३३ १५.४७ १२५१ १७।१०६ १७।१०६ १७११५१ १५१५२ ३४११५ ३४|१८ २३॥१३ २३.१५ ३०१२६ १७११३२ १७।१०८ अहा भासुद्देसए जाव पियमा २८११२.१६ जहेव नेरइया तहेव २८.३५ जाणंति जाव अत्येगइया ११४६ जावतियं तं चेव ११५१ रइए जाव पासति १७११०७ रइए तं चेव जाव इत्तरिय १७११०७ तं चेव १७१५४ तं चेव जाव चिट्ठति १२५२ तं चेव जाव णो ३४३१६ तं चेव जाव मणपरियारणा ३४११८ तहेव पुच्छा २३.१६ तहेव पुच्छा उत्तरं च, णवरं-अमणुण्णा सद्दा जाव कायदुहता २३३१६ तेणठेणं जाव णो ३०१२६ पसत्येणं जाव फासेणं जाव एत्तो १७.१३३ पासइ जाव विसुद्धतरागं १७४११० पुच्छा १५.१७,१८,२०-२३,२६-३६,३६, ४२-४४,४६,४६-५१,५७,६२,६३, ६५,६६,६८,७०-७५,७७,७८,८०, १२,८४,८५,८७-६०,६३,९४,९७, ६८,१००-१११,११३,११४,११६, ११७,११६,१२०,१२२,१२३,१२५१२७ २११४० २३।१६,२१,२३ पुच्छा २३२२८,३०,४० पुच्छा २४१११ २८.४१,४३,४८ पुच्छा । गोयमा ! एवं चेव, णवरं---अणिद्रा सद्दा जाव होणस्सरता दोणस्सरता अणिदुस्सरता अकंतस्सरता 5 वेदेते सेसं तं वेब जाव चोद्दसविहे २३३२० पुच्छा । गोयमा! एवं चेव, णवरं—जातिविहीणया जाव इस्सरियविहीणय २३२२२ बस्स जाव कतिविहे २३३१७ पुच्छा पुच्छा १८११ २११३८ २३३१३ २३३२५ २४१४ २८।२४ पुच्छा २३.१६ २३१२१ २३६१३ Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९ २३३१४,१५ २०१३ बद्धस्स जाव पोग्गलपरिणाम मणुस्सा एवं चेव, णवरं-आभोगणिन्वत्तिए जहष्णेणं अंतोमुहुत्तस्स उक्कोसेणं अट्ठमभत्तस्स आहारट्टे समुपज्जति २८१४६-७१ २८१४-१६,३२,२१, २२,४०,४३-४५ ३६.१० ३६६८० २३३६६ मणसस्स अतीता वि पुरेक्खडा वि जहा रइयस्स पुरेक्खडा माहिड्ढीए जाव महासोक्खे वाससताइं जाव णिसेगो सपज्जवसिए जाव अवड्ठं समझें एत्तो जाव अमणामतरिया सम्मुच्छिमसामण्णपुच्छाकायव्वा सिझति जाव अंतं सीलं वा जाव पडिवज्जित्तए सेसं जहा नेरइयाणं जाव आहच्च ३६९ २०३० २३३६० १९५६ १७११२३ १७६१२४ ४११३४ ३६१६२ २०१३४ २८/३२,३३ ३६६८५ २०१७ २८।२०,२१ जंबुद्दोवपण्णत्ती २०६८ अंचेइ जाव पणाम ३११२ अंचेता जाव करयलपरिग्गहियं ५।५८ अंतलिक्खपडिवण्णे जाव उत्तरपुरस्थिमं ३३१३० अंतलिक्खपडिवण्णे जाव पूरेते ३४३ अंतवाले जाव पडिच्छइ ३६१३३,१३४ अकोहे जाव अलोहे अच्छरगणसंघसंविकिण्णा जाव पडिरूवा अणंते जाव समुप्पन्ने २१८५ अणुपविसइ जाव णमि ३११३७ अणुसज्जिस्संति जाव सणिचारी २।१६३ अणेगखंभसयसण्णि विठे जाव सुहसंकमे ३११०० अणेगखंभसयसण्णिविठेहि जाव सुहसंकमेहि ३१०१ अणेगरायवरसहस्साणुयायमग्गे जाव समुद्दरव ३११८० अदंडकोदंडिम जाव सपूरजणजाणवयं ३१२१२ अपत्थियपत्थगा जाव परिवज्जिया ३।१२४ अयमेयारूवे जाव संकप्पे अवक्कमित्ता जाव अब्भवद्दलए विउन्वंति २ जाव तं णिहयरयं १७ अहोरत्तंसि जाव चारं ७.२७ ३१६ ५२२१ ३१४३ ३१३० ३१२६,२७ पज्जो० ७८ पण्ण० २३० पज्जो० ८१ ३।२० २।४६ ३६६ ३६६ ३१२२ ३३१२ ५१२२ ५२२० राय० स० १२ ७१२६ Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६२ ३।४३ राय० सू०४० ३११५,१६ २१४१ ३७ आउहघरमालाओ तहेब जाव उत्तरपुरत्थिमं आपुरेमाणा जाव अतीव आभिसेक्कं जाव पच्चप्पिणंति आयामेणं जाव वासं आसत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ आसयंति जाव भुंजमाणा आसयंति जाव विहरति आसोए जाव आसाढे इट्टत्तराए चेव जाव आसाए इत्तरिया चेब जाव मणामतरिया इटाहि जहा पविसंतस्स भणिया जाव विहराहित्तिकट्ट इट्ठाहिं जाव जयजयसई इड्ढी एवं चेव जाव अभिसमण्णागए इत्थिरयणेणं जाव णाडगसहस्से हिं इमं जाव विणमी इमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था इव जाव ससिव्व ईरियासमिए जाव पारिद्रावणियासमिए ईसर जाव पभितयो उक्करं जाव मागह उक्किट्ठाए जाव अट्टाहियं जाव पच्चप्पिणति उक्किट्ठाए जाव उत्तरेणं उक्किट्ठाए जाव एवं उक्किट्ठाए जाव तिरियमसंखेज्जाणं उक्किट्ठाए जाव देवगईए उक्किट्ठाए जाव वीईवयमाणे उक्किट्ठाए जाव सक्कारेइ सम्माणेइ, २ ता पडिविसज्जेइ जाव भोयणमंडवे, तहेव महामहिमा कयमालस्स पच्चप्पिणंति उक्किट्ठिसीहणाय जाव करेमाणे उत्तरेणं जाव चउणवई उप्पलहत्थ गया जाव अप्पेगइया उल्ला जाब पीइदाणं से, णवरं चुडामणि च दिवं उरत्थगे विज्जग सोणियसुत्तगं कडगाणि य .... तुडियाणि य जाव दाहिणिल्ले अंतवाले जाव अद्राहियं ३२६० ५॥३८ ३०१७३,१७४ २२१४४,१४५ ३.८८ ११३३ ४१२ ७।१०३ २।१८ २०१६ ३१२०६ श५८ ३३१२६ ३३२१४ ३११३८ ३१८८ ३२६,१७ २१६८ १११३ १११३ भ० १८१२१६ जी. ३५६६ जी० ३३२७६ ३१८५ ३११८५; शाव ३६१२६ ३२२०४ ३१२६ ३१२६ ओ० सू० ६३ पज्जो०७८ ओ० सू० ५२ ३११२ ३२८ ३१६४-६७ ३११३३ ३६५६ २।१० २५,४४ ५१४७ ३।२६ ३१२६ जी० ३४४३ ३।२६ ३।२६ ३१७२-७५ ३२९६ ४१८६ ३११० ३।२२ १३२० शाव ३१३७-४२ ३१२३-२६ Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३१४५-५० ३१२१६ ७८४ ३१२३-२६ ३१८६ ७१७८ २५ ४१ उल्ला जाव पौइदागं से, णवरं माल मडि मुत्ताजालं हेमजालं कडगाणि य तुडयाणि य आभरणाणि य सरं च णामाहा पभासतित्थोदगं च गिण्हइ २ ता जाव पच्चत्थिमेणं पभासतिस्थमेराए अहण्णं देवाणुप्पियाणं विसयवासी जाव पच्चत्थि मिल्ले अंतवाले, सेसं तहेब जाव अट्ठा हिया निव्वत्ता उवट्ठाणसाला जाव सीहासणवरगए उवाएणं जाव संकममाणे उवागच्छित्ता जाव आगायमाणीओ उवायच्छित्ता जाव ससिव्व एज्जमाणा जाव निव्वु इक रेणं एयारूवाए जाव अभिसमण्णागए एवं ओववाइयगमेणं जाव तस्स एवं पच्चथिमिल्लाए जाव पच्चथिमिल्लं कटु जाव पडिसुणेइ कडगाणि य जाव आभरणाणि कडगाणि य जाव मागह कडगाणि य जाव सो चेव गमो जाव पडिविसज्जेइ कत्तिइण्णं जाव वत्तव्वं करयल जाव अंजलि करयल जाव एवं करयल जाव कटु करयल जाव जएणं करयल जाव मत्थए करयलपरिम्गहियं जाव अंजलि करयलपरिग्गहियं जाव मत्थए करेइ अवसिझें तं चेव जाव निहिरयणाणं करेत्ता जाव गट्टविहिं करेत्ता जाव वेयड्ढगिरिकुमारस्स करेता जाव सिंधूए कामगमाणं जाव मणोरमाणं किण्हचामरझया जाव सुक्किल' केणठेणं जाव सासए कोटुपुडाण वा जाव पीसिज्जमामाण कोडीए जाव दोहिवि पुढे ३१२२२ ३६ ५।३८ रायः सू० ४० ३२१२२ ३१२६ ३३१७८,१७६ शाव, हीवृ, ओ० सू० ६४ ४११०८ ३१८४ ३११६ ३२७२ ३१२६ ३२२६ २२६ ३१५६,५७ ३२६,२७ ७१४२ ७१४१ ३६,२०४ ሃ ५॥४६ ३२५ ओ० सू० २० ओ० सू० २० ३८८ ३१५१ ३२११४,१२६,५१५८ ३६१६४-१६६ ३३१८-२० ५१५८ शा ३६१८-२० ३१५२-५४ ३।१८-२० ७११७५ ७११७५ ४१२६ जी० ३१२८८ ४१३४ ४१२२, पुत्र, हीव ४११०७ जी० ३२२८३ ४११७२ ४११०८ ३२५ ३१५ ३१५ ३२५ ३.५ Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७९४ कोहे वा जाव लोहे २०६६ पज्जो०७४ गच्छंति जाव नियमा ७१४०-४८ भ० ११२५८-२६६, शावृ गयवई जाव दुरुढे ३१२१५ ३१७ मामाइ वा जाव सण्णिवेसाइ २१२१ ठाणं ॥३६० गाहावइकुडप्पमाणं जाव मंगलावत्त ४।१६५ ४११८३; ही गुणेत्ता जाव तं चेत्र ७.३३ ७१३१ घडमुहपवत्तिएणं जाव साइरेग' ४११०,६१ ४॥२३ घाइय जाव दिसोदिसिं ३३११० ३३१०८ चंदिम जाव तारारूवा ७१५८ ७१५५ चंदे जाव संकममाणे ७७५,७८ ७१६६ चक्करयणदेसियमम्गे जाव खंडगप्पवायगुहाओ ३।१६३ ३३९३ चच्चर जाव महापह ३३२१२ ३॥१८५ चरइ जाव केवइयं ७.८० ७७६ चेव जाव गंधे ४११०७ जी० ३२८१ छत्तपडामा जाव संपट्ठिया ३३१७८ ओ० सू० ६४ जा पढममज्झिमेसु वत्तब्धया ओसिप्पिणीए सा भाणियन्वा २०१५८ २१५५ जुगमुसलमुट्टि जाव वासं ३।१२२ ३१११५ जुगमुसलमुट्ठि जाव सत्तरत्त २११४२ २११४१ जोएइ जाव कुलोबकुलं ७.१३६ ७.१३६ जोयणंतरिएहिं जाव जोयणज्जोयकरेहि ३६६ ३१६५ णरवई जाव सव्वे ३१३१ ३।२४ णवजोयणविच्छिण्णं जाव कयमालस्स ३१६६-७१ ३११८-२० णवजोयणविच्छिण्णं जाव खंधावारणिवेसं ३११८० ३११८ णवजोयणविच्छिण्णं जाब विजयखंधावारणिसं ३११६४ ३।१८ णवरं पम्हलसूमालाए जाव मउड ३२११ जी० ३।४४६ णाणामणिपंच जाव कित्तिमेहि २।१२७ २१५७ णिक्खममाणस्सवि जाव अप्पडिव ज्झमाणे ३।२०४ ३३१८६ णिरयगामी जाव अंत ११५१ ११२२ णिरयगामी जाव अप्पेगइया २११४८,४११०१ ११२२ णिरयगामी जाव देवगामी २२१२३ १।२२ णिरयगामी जाव सव्वदुक्खाणमंत २११२८ १२२२ णेया वेढो भरहस्स ३१७७ णो चेव णं तेसि मणुयाणं आबाहं वाबाहं वा जाव पगइभद्दया २१४१ २०३६ तयणतराओ जाव संकममाणे ७१६६ तलवर जाब सत्यवाह ३।१७८,१८८,२१६,२२१ ३।१० तहेव पविसंतो मंडलाई आलिहइ ३।१५८-१६० ३१६४-६६ तहेव सेसं जाव विजयखंधावार' ३११८ ७१८१ Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्य गरचियगं जाव अणगारचियग तित्थगरचियग जाव णिव्वाति तित्थगरचियगाए जाव अणगारचियगाए तित्थगरचियगाए जाव विउव्वं ति तिस्थगरसरीरगं जाव अणगारसरीरमाणि तित्थयरस्स जाव फुट्टिहीतिकटु तिसोवाणपडिरूवएणं जाव पज्जुवासंति तुरग जाव वणलयभत्तिचित्ताओ तुरियाए जाव उद्ध् याए तुरियाए जाव वीतिवयमाणा तेणेव जाव पच्चप्पिणं ति तेरसहिं जाव छेत्ता तोरणेणं जाव पवूढा दंडणायग जाव दूय दंडणायग जाव सद्धि दिब्बतुडिय जाव आपूरेते दिव्वा वा जाव पडिलोमा दुरंतपंतलक्खणे जाव परिवज्जिए दुरंतपंतलक्खणे जाव हिरिसिरि दुरुहिता जाव सीहासणंसि दुरुहित्ता तहेव जाव णिसीयंति दुस्समदुस्समाकाले जाव सुसमसुसमाकाले देवराया जाव पच्चप्पिणइ देवाणुप्पिया जाव अम्हे देवा य जाव विहरति देविड़ित जाव उवदंसेमाणे देविड़िढ जाव दिव्वं देवेण वा जाव अग्गिपओमेण वा जाव उद्दवित्तए नाणेणं जाव चरितणं पउंजित्ता जाव पम्हसूमालाए पउमवरवेइयाए जाव संपरिक्खित्ता पंड्यए जाव संखे पकरेंति जाव जहणणं पगिण्हित्ता जाव अट्ठम भतं पच्चत्यिमाभिमुहे जाव समप्पेइ पच्चथिमिल्लाए जाव पुढा २११११ २१११२ २।१०५-१०७, १०६ २।१०८ २०१०८ ५७३ श२०६ २।१०१ ३११३८ ३।११३ ५७० ७८०,८१,५३ ४१७७ ३९ ३१७७ ३।१७२ २६७ ३।१२२ ३३११४ ५१४१ ५४२ २।३ ५७१ ३११३८ ११३६ ५१४४ २६५ २११११ २९५ २।१०७ २।१०७ ५७२ ३१२०५ ११३७ ३।२६ ३।२६ ३।१३ ७.७६ ४१३५ शा ३६ ३।१४ पज्जो०७७ ३१२६ ३३५ राय० सू० ४७ ५२४२ २२ ३।१३ ३१२६ १.१३ राय. सू० ५६ राय० सू० ५६ ३।११५ पज्जो० ८१ शाव, जी० ३१४६६ ४१३ ३।१६७ ७५६,५७ ३३२० ६।२४ ४१ ३।१२५ २०७१ ५।५८ ४१२४२ ३११७८ ७।५६,६० ३।१८२ ६२४ ४१५५ Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६६ ११४८ ३३३३,३४ ३१२०० १०२० ३१२०,२१ पच्चत्थिमिल्लाए जाव पुढे पच्चप्पिणइ सेसं तहेव जाव मज्जणघराओ पच्चप्पिणह जाव पच्चप्पिणंति . पच्चुवसमंति एवं पुप्फवद्दलगंसि पुप्फवासं वासंति, वासित्ता जाव कालागुरुपवर जाव सुरवराभिगमणजोग्गं पडिणिक्खमित्ता जाव उत्तरपुरस्थिमं पडिणिक्खमित्ता जाव गंगाए पडिणिक्खमित्ता जाव दाहिणं पडिणिक्खमित्ता जाव पूरते पडिसाहरेमाणे जाव जेणेव पण्णत्ते सयणिज्जवण्णओ भाणियव्यो पतणतणाइस्सइ जाव खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ जाव वासं पत्तेयं जाव अंजलि परामुसइ वेढो जाव छत्तरयणस्स परिगरणियरियमझो जाव तए परिभुज्जमाणाण वा जाव ओराला पवरवाहण जाव सेणाए "पवरवीर जाव दिसोदिसिं पाईणपडीणायया जाव पच्चस्थिमिल्लाए पाउप्पभाए जाव जलते पारेत्ता जाव सीहासणवरगए पासाईयाओ जाब पडिरूवाओ पामादीया जाव पडिरूवा पिंडिम जाव पासादीयाओ पीइमणे जाव अंजलि पुष्फारुहणं जाव वत्थारुहणं पुरथिम जाव पुढे पेच्छिज्जमाणे एवं जाव णिग्गच्छइ जहा ओववाइए जाव आउलबोल बहुलं ५७ राय० सू०१२ ३११४० ३।४३ ३।१४६ ३१४३ ३।१३६ ३१४३ ३३५१ ३४३ राय० सू०५६ ४१३ जी० ३.४०७; शावृ २११४२ २१४१ २११४३ २११४१ ३३२०६ जी० ३।४४६ ३२११६ ३६२ ३।१३१ ३।२४ ४११०७ जी० ३।२८१ ३२२१ ३३१७ ३।१०६ ३११०५ ४११ १।१२० ३११८८ ओ० सू० २२ ३१५८ ३।२८ २।१५ १८ २।१४ २।१२ ओ० सू०७ ३।१६ ३॥८८ ३।१२ ४११८ श २०६५ पोसहसालाए जाव अट्ठमभत्तिए पोसहसालाए जाव णमि पोमहसालाए जाव णिहिरयणे पभिइओ तेवि तह चेव णवरं दाहिणिल्लेणं फामपज्जवेहिं जाव परिहायमाणे वंभयारी जाव अट्ठमभत्तिए ३१६३ ३११३७ ३११६६ ३१२०६ २।१३० ३२८४,८५ ओ० सू० ६६ वाचनान्तर; वृतित्रय ३१५४ ३१५४ ३१५४ ३।२०५ २१५१ ३२०,२१ Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ७६७ ३१२० २।११४ ३३१७८ ३।६७ ११२२ बंभयारी जाव कयमालगं ३७१ बंभयारी जाव दन्भसंथारोवगए बहवे जाव करेंति २।११५ बहवे जाव सत्यवाह ३३१० बहुमझदेसभाए जाव उम्मुग्ग ३११६१ बहुसंघयणा जाव अप्पेगइया ११५० बहसमरमणिज्जे जाव भविस्सइ, मणयाणं जा चेव ओसप्पिणीए पच्छिमे तिभागे वत्तन्वया सा भाणियव्वा, कुलगरवज्जा उसभमामिवज्जा २११५६,१५७ भगिणी में जाव संगथसंथुया २०६६ भवण जाव वेमाणिएहिं ४१२४८ भवणवइ जाव अट्ठाहियाओ २।१२० भवणवइ जाव जे ५७३ भत्रणव इ जाव तित्थगर जाव भारग्गसो २१११० भवणवइ जाव देवेहि ४।२५२ भवणवइ जाव भारहगा ४१२५० भवणवइ जाव वेमाणिए २।१०१,१०६,११४ भवणवइ जाव वेमाणिया २।६६,१००,१०२,१०४,११३,११६ मंसाहारा जाव कहि २११३७ मग्गे जाव समुद्दरवभूयं ३।१०६ मडंब जाव जोयणंतरियाहिं ३११८० मणगुत्ते जाव गुत्तबंभयारी ३।६८ मणुण्णा जाव गंधा ४११०७ महज्जुईए जाव पलिओवमट्ठिईए ३१२५६ महज्जुईए जाव महासोक्खे ३१११५ महज्जुईया जाद महासोक्खा महया जाव आहेवच्चं पोरेवच्चं जाव विहराहित्तिक? ३११८५ महया जाव भुजमाणे ३।१८७ महाणईओ सहेव णवरं पच्चथिमिल्लाओ ३।१६१ महामेहणिग्गए जाव मज्जणघराओ ३।२१ महिड्ढीए जाव णो ३।१२५ महिड्ढीयं जाव उद्दवित्तए ३।१२४ माडंबिय जाव सत्थवाह ३८६ य जाव छेत्ता ७.८२ रयणकुच्छिधारिए एवं जहा दिसाकुमारीओ जाव धण्णासि ०४६ २२५७,५८ सू० २१११५१; शावृ ४१२४६ २.११६ ५७२ ११०६ ४१२४८ ४।२४८ २०६५ २०६५ ११३५ ३।२२ ३११८ पज्जो० ७८ जी० ३२८१ ११२४ १०२४ श२४ शाव ३१८२ ३१६ ३।११५ ३।११५ ३.१० ७७६ Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४१३८ ३१८६ २११५७ ३१३२ ३३१९८ ३।१३६ ३६१७३ रा० सू० १२ ४१२५ ३६१० २।१२८ ३।१३ ३११३ ३२७ ३३३१ ३३१३३ ३।२६ ५१४३ (राय० सू० ५४, शावृ रयणाणं जाव संवट्टगवाए रययाम यकूले जाव पासाईए जाव पडिरूवे राईसर जाव सत्यवाह रायधम्मे जाव धम्मचरणे राया जाव तमाणत्तियं राया जाव पच्चप्पिणंति राया जाव पडिविसज्जेइ राया जाव पास इ रुटठे जाव पीइदाणं सम्वोसहि च मालं गोसीसचंदणं कडगाणि जाव दहोदगं रूवेहिं जाव णिओगेहिं रोहिया णं जहा रोहियंसा पवहे य मुहे य भाणियब्वा जाव संपरिक्खित्ता लवणं जाव समप्पेइ लुहेता एवं जाव कप्परक्खगं लोगपालेहिं जाव चउहि वंदणघडसुकय जाव गंधुद्ध याभिरामं वंदेज्ज वा जाव पज्जुवासेज्ज वणसंडेणं जाव संपरिक्खित्ते वणसंडेहि जाव संपरिक्खित्ते वण्णपज्जवेहिं जाव अणंतगुण' वण्णपज्जवेहिं जाव परिवढेमाणे वण्णपज्जवेहि तहेव जाव अणंतेहिं उढाणकम्म जाव परिहायमाणे वण्णपज्जवेहिं तहेव जाव परिहाणीए वण्णेणुववेए जाव फासेणुववेए वाइय जाव दिब्वाई वाइय जाव मुंजमाणा वाइय जाव भोगभोगाई वालग्गे एवं हेमवयएरण्णवयाणं मणुस्साणं पुवविदेह अवरविदेहाणं मणुस्साणं वित्थडा तं चेव जाव तीसे विमलदंडं जाव अहाणुपुब्बीए विसयवासी जाव अहण्णं विसुद्धरुक्खमूलाई जाव चिठ्ठति ४१७२ ४१३७ ५।५८ रा. ३१७ २०६७ ४१७६ ४१५६ २१५४,१३८,१४०,१५३ २।१४६ ४१४३ ४१३५ शाव, जी० ३।४४६ ॥१६ ओ० सू० ५५ शाव ४॥३१ ४१३१ २२५१ २२५१ २२१२१ २।१२६ २०१८ ७१८२ ७।५८ २१५१ २१५१ जी० ३१५६६ ५।१८ ५।१८ ११८ २१६ ७१३३ ३११७८ ३१३३ २२६ ७१३१ ओ० सू० ६४ ३३२६ Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ २।८८ ३११८८ ३।१६२ ३१२११ २०६७ ३८८ ३२८४ ३६ ५२२२ ३३९८ ५।२१ ५।२६ ३३१३८ ३।१४१-१४८ २१८६ ३३१८८ ३।१६२ जी० ३१४४६ शा ३.१२ ३१२० ओ० सू० ६३ श२० ३१६८ श२० ५१२२ ३३२६ ३।५२-५६ वीइक्कते जाव सव्वदुक्खप्पहीणे बीरिय जाव केवलकप्पे वेउब्विय जाव समोहण्णंति वेढिम जाव विभूसियं वेत्तेण वा जाव कसेण वेरुलियविमलदंडं जाव धूवं संथरइ जाव कयमालस्स सकोरंट जाव चाउचामर सक्कस्स जाव अंतियं सक्करा वा जाव मणुस्से सक्के जाव आसणं सक्के तं चेव जाव अंतियं सखिखिणीयाइं जाव जएणं सच्चेव सब्बा सिंधुवत्तव्वया जाव णवरं कुभट्ठसहस्सं रयणचित्तं णाणामणिकणगरयण भत्तिचित्ताणि य दुवे कणगसीहासणाई सेसं तं चेव जाव महिमत्ति सपणद्धबद्धवम्मियकवया जाव गहियाउह सद्दावेत्ता जाव अट्ठाहियाए महामहिमाए सहावेत्ता जाव पोसहसालं समचउरसे जाव तिक्खुत्तो आदाहिणपयाहिणं करेइ वंदति वंदित्ता जाव एवं समाणीए जाव पच्चत्थिमं समाणे जाव सरसगोसीस समाणे सेसं तहेव सम्माणेता जाव पुरोहियरयणं सयंति जाव फलवित्तिविसेसं सव्वज्जुईए जाव णिग्योसणाइयरवेणं सव्वबलेणं जाव निग्घोसनाइएणं सहइ जाव अहियासेइ सहस्सा जाव समति सासया जाव णिच्चा सिंगारागार जाव जुत्तोवयारकुसलं सिंघाडग जाव एवं सिंघाडग जाव महापह सिझंति जाव अंतं सिझति जाव सव्वदुक्खाणमंतं ३।१२४ ३३५८,५६ ३११८०-१५२ ३१७७ ३२८,२६ ३११८-२० ११५,६ ३२६८ ३८२ ३३३६ ३२२१६ ११३० ३११८० ३१७८ २०६७ ६।२६ १२११ ३११३८ ५७३ ३।१८५,५७२ ४११०१ १२५०,२१५८ भ० ११६,१० ३१४३ शा ३२२२ ३।१८६ १४१३ ३३१२ ३१० पज्जो०७७ ६१२६ ११४७ २०१५ ५१७२ ओ० सू० ५२ १।२२ १।२२ Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८.० ५३५ ३।८८ ३११७८ ४१२८ ३।११६ २।२०६ २१६६ २११५६-१६१ २११६२,१६३ ३।२०५ २।९०,१५८ ७१५५ ३१०८,२१० ३१२०६,२१५ राय० सू०१२ ३३१२ ३११२ जी० ३२८७ ३७६ जी० ३१४४४ सू० २।११५० २।५०-५२ २१५०,७ ७१५५ ३।१७८ ३।१८८ सिया जाब तहेव जं सिरिवच्छ जाव कयग्गह सिरिवच्छ जाव दप्पण सिरिवच्छ जाव पडिरूवा सिरिवच्छसरिसरूवं वेढो भणियन्वो जाव दुवालस सुरभिवरवारिपडिपुण्णेहिं जाव महया सुवणं मे जाव उवगरणं सुसमा तहेव सुसमासुसमा तहेव सुस्सूसमाणा जाव पज्जुवासंति सुस्सूसमाणे जाव पज्जुवासइ सूरिय जाव तारारूवा सेणावइरयणे जाव पुरोहियरयणे सेणावइरयणे जाव सत्थवाह. सेणिपसेणिसद्दावणया जाब णिहिर यणाण अट्ठाहियं महामहिमं करेइ हट्ट करयल जाव एवं हट्ठ जाव सोमणस्सिए इट्ठतुटुचित्तमाणदिए जाव करयल' हतचित्तमाणदिए जाब विणएणं हदतचित्तमाणंदिया जाव हियया हट्टतुट्ट जाव कोडुबिय हट्ठतुट्ठ जाव पोसहसालाओ हट्टतुटु जाव हियए हट्टतुटु जाव हियया हत्थिखंधवरगया जाव घोसंति हयगय जाव सण्णाहेत्ता हयगयरह तहेव अंजणगिरि हयगयरहपवर जाव चाउरंगिणि यमहिय जाव पडिसेहिया हरिय जाव सुहोवभोगे हारोत्थयसुकयरइयवच्छे जाव अमरवइ° सूरपण्णत्ती सव्वम्भंतराए जाव परिक्खेवेणं एवं एग दीवं एग समुई अण्णमण्यास्स अंतरंकट्ट ३६ ३८ ३३५ ३।१६८,१६६ ३१५८,५६ ३१८ ३३५; ओ० सू० ५६ ३५ ३३७७,८४ ३.१०० ३११६ ३।११४ ३।३१,१७३ ३.१६६ ३१५ ३१५ ३१५ ५।२७ ३३५ ३१२१३ ३२२१२ ३३१६६ ३३१५ ३।१७५-१७७ ३१५-१७ ३१७७ ३११५ ३११११ ३।१०८ २।१४६ २११४५ ६।६३,१८० ३।१८ १११४ १०२० जं० ११७ १२० Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ राइदिए तहेव सीसे सब जान सव्यवाहरिया उहीमुहका पुष्कसंटिता तहेव जान बाहिरिया से तहेव अणुपरियद्विता जाव विगतजोई गह जाव तारारूत्रा वाइव जाव रवेणं सन्जाब चिति समचत्रकवालसंटिते जाव णो सव्वतो जाव चिट्ठति समचक्कवाल जाव णो अंतरं वा जाव मम्म अंतराणि जाव पडिजागरमाणे अतिए जाव पडिवज्जइ अगाराओ जाव पचइत्तए अज्जयं जाव उव संपत्ति अवाणं जान पवदत्तए अभरिए अमथिए जाव समुपज्जित्था अत्थियं जाव वियाणित्ता अनगारे जाव अप्पाणं ८०१ उवंगा अत्तए जाव वेहल्लं अपत्यपत्थर जान परिवज्जए अम्माओ जाव अंगपडिचारियाओं निरवसेसं भाणियन्त्र जाव जाहे वि य णं तुमं वेयणाए अभिभूए महया जाव तुसिणीए अम्मयाओ जाव एतो अम्मयाओ जाव जम्म अयमेव वेजाव ममुपज्जिस्था असण जाव सम्माणेत्ता अहं जाव पव्वइत्तए अहsरूवं जाव विहरति आएहि जान ठि १।२४ ४४ ४६,७ ४७ १५।१४ १६।२६ १६।२६ १६।२८ १६१२६ १६।३२ १९:३३ १११०५ ३।१०४ ३।१०६ ११११६ ३।१०६,१३० ३२६ १।१५ ३।४८,५०१५ ५१३५ ५। ३७ ५३२ १।११४ १२८१. १।६६ १।७४-८७ ३१०१ १/३४ १५१, ११: ३।१०६ ३०५० ४१४ ५२६ १२४३ ११२४ ४३ ४१३,४ ४|४ १५।१० ११।२३ १६।२३ ર १६/३ १६२ १६।३ १।६५ १।६५ ३११०३ ३ ११८ १.१०६ ३ १०६ १।१५ राय० सू० ६ १।१५. भ० १।५१ १।११० उवा० २।२२ १।३४-६२ ३६८ ना० ११:३३ १११५ ना० १।७।६ ३।१२८ ३६६ १।४१ Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०२ वृत्ति २।३ आघवित्तए वा जाव विण्णवित्तए ३१०६ ३३१०६ आरंभेहि जाव एरिसरण १।१४० ११२७ आलोएहि जाव पायच्छित्तं ३१११५ ठाणं ३१३३८ आसाएमाणीओ जाव परिमाएभाणीओ ११३४ वि० ११।२६ आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे धण ११२२ आहारपज्जत्तीए जाव भासमणपज्जत्तीए ३११५ राय० सू० ७६७ आहेवच्च जाब विहरइ ५११० ना० १६५६ इच्छिए जाव अभिरुइए ३३१३ ना० १११।१०२ इट्ठाहिं जाव वगृहिं १४४ ११४१ इमेयारूवे जाव संकप्पे ३।६८ १३१५ उखेवओ ३८८,१५४,१६७ ३२२० उक्खेवओ ४।३।५।३ उक्खेवओ जाव दस ४११,२ २१,२ उक्खेवओ भाणियचो ३१२३,२४ ३।२०,२१ उड्ढे जाणू जाव विहरइ ओ० सू०८२ उबट्टवेत्ता जाब पच्चप्पिणंति १।१७,१८ राय० सू० ६६०,६९१ उवट्ठवेत्ता जाव पच्चप्पिणह ४।१६ १११७ एयारूवे जाव समुपज्जित्था ११५४ १५१५ एवं मारेउ बंधेउ २७३ एवमाइक्खइ जाब परुवेइ १९९८ ओ० सू० ५२ ओग्गहं जाव विहरंति ३११३२ ३११ ओहय जाव झियाइ ३१६८ १४१५ ओहयमण जाव झियाइ १११५ वृत्ति कंता जाव भंड ३०१२८ ना० ११०२०६ कयवलिकम्मा जाव अप्प० श१६ ओ० सू० २० करयल० ११३६:५८ ; ३१०६१३८, ५११६ करयल० १६४५,४।१५ १४५ करयल० १५१०७ ओ० सू० २० करयल जाव एवं १६६ करयल जाव कटु करयल जाव पडिसुणेता ११४५ ओ० सू० ५६ करयल जाव बद्धावेंति ११२२ १।१०७ करयल जाव वद्धावेत्ता श११६ १२१०७ काणि जाव वेहल्लं १६११२ १११११ कुणिएणं करयल जाव पडिसुणेत्ता ११४५ गामागर जाव सविणवेसाई ३।१०१ ओ० सू० ८६ चउत्थ जाव अप्पाण ५।२८ २०१० १७३ वृत्ति १२१०८ Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०३ २०१० राय० सू० ६८६ ३।४८ २०१० ५१३६ २११० ११० ना० ११११२०१ ४११८ १११५ १११०६ भग० १२०५-२२१ चउत्थ जाव भावेमाणे ३.१४ चरमाणे जेणेव रायगिहे नयरे जाव अहापडिरूवं श२ चिण्णाई जाव जुवा ३१५० छ? ४/२४ टुट्ठम जाव मासद्ध ३।८३ हम जाव विचित्तेहि छट्टम जाव विहर २११० छत्तादीए जाव धम्मियं १६ जइस्सइ जाव कालं श२१ जहा पढम जाव वेहल्लं ११११३ जहा पण्णत्तीए । सामिलो निग्गओ खंडियविहणो जाव एवं वयासी.-- जता ते भंते ! जवणिज्जं च ते भंते ! पुच्छा । सरिसवया मासा कुलत्था एगे भवं जाव संबुद्धे ३।२६-४५ जहा भगवया कालीए देवीए परिकहियं जाव जीवियाओ ववरोविए १।१४० जहा सिवो जाव गंगाओ ३१५६ व्हाए जाव सव्वालंकार' १२७० व्हायं जाव पायच्छित्तं ३३११० पहाया जहा कालादीया जाव जएण' १२१२६,१३० व्हाया जाव पायच्छित्ता १।१२१,५११६ तं चेव जाव कट्ठमुद्दाए ३२५५ तं चेव जाव निवेयणे तं चेव भाणियव्व जाव वेहल्लं ११११० त चेव सखंधावारे ११११६ तं चेव सव्व भाणियब्वं जाव आहारं अहारेइ, नवरं इमं नाणत्तं -दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्यियं अभिरक्खउ सोमिलं महापरिसिं, जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव अणुजाणउ त्ति कट्ट दाहिणं दिसि पसरइ। एवं पच्चत्थिमेणं वरुणे महाराया जाव पच्चत्थिमं दिसि पसरइ । उत्तरेणं वेसमणे महाराया जाव उत्तरं दिसिं पसरइ। पुवदिसागमेणं चत्तारि वि दिसाओ भाणियब्वाओ जाव आहार आहारेइ ३१५३, ५४ तलवर जाव संधिवाल श६२ तलवर जाव सत्यवाह ३।१०१ तवसा जाब विहरंति ३२९६ ११२२ ३३५१, भग० १११६४ ओ० सू०७० ११७० ११२१,१२२ ११७० ३।५५ ११६१ १।१०६ १२११५ ३१५१ ओ० सू० ६३ ११६२ Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८०४ ओ० सू० ५२ १०७ ओ० सू० ८१ ११८ तहारूवाणं जाब विउलस्स १११७ तहेव भाणियब्वं जाव बेहल्लं १।१०८ तिक्खुत्तो जाव एवं ११२१ ते जाव पच्चप्पिणंति ४.१७ दंतिसहस्सेहिं जाव ओयाए १।१५ दंतिसहस्सेहि जाव मणुस्सकोडीहि १११३६ दंतिसहस्सेहिं जाव रहमुसलं ११२१ दंतिसहस्सेहिं जाव सत्तावण्णाए १।१३७ दिव्या जाव अभिसमण्णगया ३१८५ दुज्जाएहि जाव नो संचाएमि विहरित्तए ३११३४ दुरंत जाव परिवज्जिया ११११५ देवसयणिज्जसि जाव ओगाहणाए ३८३,४१२४ देवसयणिज्जसि जाव भासमणपज्जत्तीए ३११६११६२ देविड्दी जाव अभिसमग्णामया ३३१२२ देवी जाव कहि ४१२६ देवे जाव एवं ३७५,७६ नमसंति जाव पज्जुवासंति ५।३६ नरए जाव नेर इयत्ताए ११४० नाइ जाव रवेणं ४।१८ निवखेवओ ३८७,१६६ १७०४।२७ ; ५१४३ निसम्म जाव हियया १२२१ नीय जाव अडमाणे ३।१३३ पढम भणइ तहेव ३७७ परिजाणइ जाव तुसिणीए ३॥६१ पवर जाव पच्चप्पिणति ५११८ पासादीए जाव पडिरूवे पुप्फ जाव दरिसणिज्जे पुधरत्ता जाव समुप्पज्जित्था ११६५ पुल्वाणपुचि जाव अंबसालवणे विहरइ ३।२६ बहुपडिपुण्णाणं जाव सूमालं ११५३ बहण नगरनिगम जहा आणंदो ६।११ बुज्झिहिइ जाव अतं १।१४१ बुझिहिइ जाब सव्व ५.४३ भगवं जाव पज्जुवासामि १२१७ भवित्ता जाव पब्बयाइ ३।११२ भवित्ता जाव पब्धयाहि ३।१३६ श१४ २१४ १११४ राय० सू० ७६७ ३।१३१ ११८६ ३२१२० ३१८३,८४ ३१८४ ३.१२५ ३१५७,५८ ओ० सू० ५२ १२६ ३११११ ३३१६ ओ० सू० ८१ ३११०० ३१५६ ३१५६ १११२३ ना०११५२४ ११५१ ओ० सू० ५२ ओ० सू० १४३ उवा० १।१३ ओ० सू० १५४ ओ० सू० १५४ ओ० सू० ५२ ३११०६ Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भीए जाव संजायभए भीया जाव देवापियाण भोगभोगाई जाव विहरामि मज्जणघरे जाव दुरूढे मुंडा जाव पठाइ मुंडा जावयामि मुंडा जाव पववाहि मुंडे जाव पव्वइत्तए मुच्छिया जाव अन्ोववण्णा मुच्छिया जाव अमंगणं रज्जं च जाव जणवयं रज्जसिरि जाव विहरामि जेण वा जाव जणवएन राईमर जाय मरवाह लोह जाव गहाय मुंडे जाव पन्त्रइए लोह जाव घडावेत्ता जाय उसवेत्ता लोह काय दिसापविवय" वसही जाव वद्धावेता वाणारसीए जाव पुप्फारामा य जाव रोविया विउलाई जाव विहरामि विउलाई जाव वित्तिए संकाइय जाव कट्ठमुद्दाए संजमेणं जाव विहर सण जाव गहियाउह० सद्द जाव विहरइ सद्धि जाव भुजमाणी समाणी जाव पन्त्रइत्तए समाणे जाव भासमणपज्जत्तीए सीयं जाव विविहा सुरं च जाव पसण्णं मोल्लेहि य जाव दोहलं हट्टु जाव हियवा हीलिज्जमाणीए जाव अभिक्खणं ८०५ शह ४१६ ३ १०६ ५११६ ४११६ ३।१३६ ३।१०७,१३६ ५३२ ३।११४,११५ ३।११६ १।१४ १।७१ ११६६ ५।२० ३।५५ ३।५५ ३५० १।११० ३।५५ ३।१०६ ३।१३१ ३०६२ ११२ ११३८ ५।२० ३।१३१ ३।१०८ ३।८४ ३।१२८ ११२४ ११४६ ११४२ ३११२८ ३।११८ ना० १।१।१६० ३।११२ शहद १।१२४ ३।१०६ ३|१०६ ३।१०६ ३।१०६ ना० १११६१२८ ३।११४ ११६६ ११६५ १/६६ ११६२ ३।५० ३३५० ३१५० राय० सू० ६८३ ३।४८ २३२२८ ३।१३१ ३१७३ राय० सू० ६८६ राय० सू० ६६४ ओ० सू० १५ ३१३० २०१०६ २३।१५ ना० १।१।२०६ वि० १२:२६ १।३४ ओ० ० २० ३।११७ Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिशिष्ट ३ Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ प्रमाणविधि • अव्यय, सर्वनाम का साक्ष्य-स्थल का निर्देश प्राय: एक बार दिया है। • रूट (1) अंकित शब्द धातुएं हैं । उनके रूप भी दिए गए हैं । ० शब्द के बाद साक्ष्यस्थल .. पण्णवणा पहला प्रमाण पद का, दूसरा सूत्र का और तीसरा श्लोक का परिचायक है। जंबुद्दीवपणती... पहला प्रमाण वक्खार का, दूसरा सूत्र का, तीसरा श्लोक का परिचायक चंदपण्णत्ती, सूरपण्णत्ती -पहला प्रमाण पाहुड का, दूसरा सूत्र का, तीसरा प्रलोक का परिचायक है। उवंग अंक १ निरयावलियाओ, अंक २ कापडिसियाओ, अंक ३ पुपियाओ, अंक ४ पुष्फलियाओ, अंक ५ वण्हिदसाओ का परिचायक है। दूसरा सूत्र का प्रमाण, तीसरा श्लोक का है। अध्ययन (पद, वखार) आदि के परिवर्तन का संकेत (B) सेमिकोलन है। जहां एक सूत्र में अनेक श्लोक आ गए हैं वहां आगे के सूत्र की संख्या से पहले अध्ययन की संख्या भी दी गई है। जैसे उप्पल (उत्पल) पा० ११४६, १४४८१४४. १२६२ । शब्द पहले सूत्र में आया फिर उसी सूत्र के श्लोकों में आया तो उसके दोनों प्रमाण दिए हैं, जैसे --अइकाय (अतिकाय) प० २।४५, २०४५।२। Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अ अ (अ) प ११।६७ अइ (अपि) प २६४१७ अइ (अयि ) उ ११२६; ५।४० अइकंत ( अतिकान्त ) ज २।१५ अकाय ( अतिकाय ) प २२४५२१४५२ अगच्छमाण (अतिगच्छत् ) ज ३।२१७ अइगय ( अतिगत ) ज ३१८१ अइछत्त ( अतिछत्र ) प २४८ अइतेया (अतितेजा ) ज ७ १२०१२ अइदूर ( अतिदूर) ज २।१० ३१२०५, २०६; ५। ५८ अपडागा ( अतिपताका) ज ३१७ अत (अतिमुक्तक) प १५१४ अमुत्त ( अतिमुक्तक) १ ११४०1३ अइमुत्तय (लता) ( अतिमुक्तकलता ) प १ ३६१ अइरत ( अतिरात्र ) सू १२/१७३१ अइरित ( अतिरिक्त) उ५।४५ अइरेक (अतिरेक ) ज २११५ अइवइत्ताण ( अतिव्रज्य ) प ३४११६ अविट्ठि (अतित्रिकृष्ट) उ १।११० अविगिट्ठ (अतिविकट) उ१।१२६,१३३ अइसीय (अतिशीत) ज ७।११२११ ( अइ (अति- इ) अईइ ज ३।१५७, १८६ अईव (अतीव) ज २२८,६; ७।२१३ उ ३।४६ अउज्झ (अयोध्य ) प २।३०, ३१, ४१ अउणतीस ( एकोनत्रिंशत् ) सू २/३ अउत्तर ( एकोनसप्तति) ज ६११० अणरि ( एकोनसप्तति) ज ७८२ अणपणास ( एकोनपञ्चाशत् ) सू० १६०२११२ अणाउति ( एकोननवति) सू १/२७ अणाणउति ( एकोननवति) सू १६।१४,१५११ अउणाणवई ( एकोननवति) ज ७ ७३ अापण ( एकोनपञ्चाशत् ) ज ४।२४० सू० १० १६३ अणावीस ( एकोनविंशति ) सू २/३ अणासी ( एकोनाशीति) ज ११७ १ अउणासीत ( एकोनाशीति) सू १८२७ अणासीति ( एकोनाशीति) सू २१२३ अणासीय ( एकोनाशीति) ज ४।२३४; ७|१६ अण्णापण ( एकोनपञ्चाशत् ) प २१६४ अजय (अयुत) ज २४; ७२१७८ अयंग (अयुतांग ) ज २२४ अउल (अतुल ) ज ३।१५,१५६ अओज्झ (अयोध्य ) ज ३।११७; ४२१२ अंक (अंक) प १ २०१३; २१३०,४८,४६; १७।१२८ ज २११५ ४।२१२,२५५ ५३५ अंकमय ( अंकमय ) ज ७।१७८ अंकमुहसंठित ( अंकमुखसंस्थित) ज ७।३१, ३३ सू ४:३,४,६,७ अंकfafa ( अंकलिपि ) प १६८ अंकवडेंस (अंकावतंसक ) प २०५१,५६ अंकावई (अंकावती) ज ४१२०२१२,२११; ७।१७८ अंकिय ( अंकित ) प २।३० अंकुर (अंकुर ) प ३६४६४ ज २।१३१,१४४ से १४६ अंकुस (अंकुश ) ज २।१५; ३३३; ५२३८; ७। १७८ अंकेल्लण (दे० ) ज ३१०६ अंकोल्ल (अंकोल, अंकोठ, अंकोट ) प १३५ १, १/३७१५ अंग ( अंग ) प ११९३।१,१११०१।६,८ ज २ १४; ३६, ३५, १०६, २२१,२२२ उ १११२२,१२६; २११०; १२; ३।१४, १५०,१६१, १६६ ; ५२८,३६,४१ अंग ( अंगजित्) उ ३३१०,११,१३,१४,२१ अंगण ( अंगन) १११।२५ ज २६६ ५:५७ Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंगद-अंतरगत अंगद (अंगद) प २१३०,४६ १८३,२०१,२१४ अंगपडियारिया (अंगपरिचारिका) उ ११३६,३७ अंजणा (अजना) ज ४:१५५।२,२२३३१ अंगमंग (अंगांग) ज २१६,११३ अंजणागिरि (अजनगिरि) ज ४१२२५२१ अंगय (अंगद) प २।३१,४१ ज ३१६,२११, अंजलि (अञ्जलि ) ज २१६५, ३३५,६,८,१२, २२२ १६,२६,३६,४७,५३,५६,६२,६४,७०,७२, अंगलोय (अंगलोक) ज ३८१ ७७,८१,८४,८८,६०,१००:११४,१२६,१३३, अंगा (अंग) उ १:१२२ १३८,१४२,१४५,१५१,१५७,१६५,१८१, अंगारग (अंगारक) प १४८ १८६, १८६,२०४ से २०६,२०६; ५१५, अंगुढ़ (अंगुष्ट) ज ३३१०६ २१,४६,५८ उ ११३६,४५,५५,५८,८०,८३, अंगुल (अंगुल) प ११७४,७५,८४, २०६४, १६,१०७,१०८,११६,११८,१२२; ३।१०६, २१६४।८; १२:१२,१६,२७,३१,३२,३७,३८%; १३८, ४११५, ५/१७ १५७ से ६,२२,४० से ४२; १८।४१,४३,६५, अंजलिपुट (अलिपुट) ज ३८१ ११७, २११३८,४० से ४३, ४८,६३ से ७१,८४, अंडग (अण्डज) ज ५।३२ ८६,६० से १२; ३३.१२,१३,१६,१७; अंत (अन्त) प ६.११०; २०१८; २११६०; ३६।६६,७०,७२ से ७४,८१ ज १७, २१६ ३६।८८,६२ जे श२२,२७,५०; २१५८, सू १।१४; १०।६३ से ७३; १६२२१७. ८४,१२३,१२८,१५१,१५७; ४११०१,१०३, उ ३८३,१२०,१६१, ४।२४ १७१,१७८,२०० सू ४।४,७, २०१२,७ अंगुलपुहत्तिय (अंगुलपृथक्विक) प १९७५ उ ११४२,१४१,१४७; ११३; ३१२१, अंगुलि (अंगुलि) प २।३०,३१,४१ ज २।१५; ८६,१५२,१६५, ५१४३ ३।६,१८४,१८६,२०४,२२२ अंतकड (अन्तकृत) ज २१८८,८६ अंगुलिज्जग (अंगुलीयक) ज ३।६,२२२ अंतकम्म (अन्त कर्मन्) ज ५१५८ अंगुलितल (अंगुलितल) ज ३१७,८८ अंतकर (अन्तकर) उ ११५४,७६ अंतकिरिया (अन्तक्रिया) प ११११५; २०११।१, अंगुलिय (अंगुलिक) ज ५५८ अंच (कृष्) अंचेइ ज ३१६ २००१ से ४,६ से १३,४०,४४,४६,४८ अंचिय (अञ्चित) ज ५१५७ अंतक्खरिया (अन्त्याक्षरिका) प ११६८ अंचेता (कृष्ट्वा ) ज ३१६ अंतगड (अन्तकृत) ज ३१२२५ अंज (अङ्ग्) अंजेइ उ ३३११४ अंतगमण (अन्तगमन) उ ११४२ अंतर (अन्तर) ५ २१३०,३१,४१, ११७० अंजण (अजन) प १०२०१२; १३१, १७।१२३ ज १:१७, ३१३,३५,२२१, ४।२७,४६, ज ४२०२; ५१५,२१ सू २०१२ उ ३.११४ १४०१२; ७।६,६५,८६,१६८,१७८,१८२ अंजणई (अजनकी) प ११४०१५ च ३११ मू० ११७।१,१५१६,२०,२१,२४,२७; अंजणकेसियाकुसुम (अजनकेशिकाकुसुम) १२, ११, १८।२०; १६।२२२८ प १७११२४ उ ११२४,४७,६५,६६,६८,९०,६२,१०५, अंजणग (अञ्जनक) ज २१११७,११६,१२० अंजणगिरि (अजनगिरि) ज ३११७ अंतरकंद (अन्तरकन्द) ५१४८६४२ अंजणगिरिकूड (अञ्जन गिरिकूट) ज ३।६१,१७७, अंतरगत (अन्तर्गत) सू ५११; ७।१ Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंतरणई-अंतोमुहुत्त ८११ चं १० सू ११५ उ ११२,३; ५।२०,४०,४१ अंतरणई (अन्तर्नदी) ज ४।२१२; ५१५५ अंतरदीव (अन्तर्वीप) ११२६ ६।१४ अंतरदीवग (अन्तपिज, द्वीपक) प १८५,८६; ६७२, ८१,६७,१०८; १७१७२, २११७२ अंतरदीवय (अन्तर्वीपज, 'द्वीपक) प ११८४,८६; ६७६; १७११६२, २११५४ अंतरवीहिय (अन्तर्वाथिक) ज ३१७ अंतराइय (आन्तरायिक) प २२॥२८; २३३१, ८,१२,२३,२४,५९,१३३,१५४,१५६,१६३, १६६,१७५ १५६,१६०,२०२; २४११; २५॥१, ३; २६११,७; २७।१,४ अंतरापह (अन्तरापथ) प १६।२२ अंतराय (अन्तराय) प २४११५ अंतरावास (अन्तरावास) उ १३१००,१२६,१३३ अंतरिय (अन्तरित) ज ३३१८,३१६५,९६,१५६, १६०,१८० उ १११३४; ३३१४,८३,१२०, १६१, ४१२४ अंतरिया (अन्तरिका) सू १६२२।३० अंतलिक्ख (अन्तरिक्ष) ज ३११४,२६,३०,३६, ४३,४७,५१,५६,६०,६४,६८,७२,११३,१३६, १३८,१४०,१४५ १४६,१७२ उ ३१६६ अंतवाल (अन्तपाल) ज ३१२६,३६,४७,११३ अंतिय (अन्तिक) प ३४११६,२१ ज ३६,८,१३, ७७,८४,६१,१०७,११३ से ११५,१२५, १३८,१५३,१६६ ५१२२,२३,२६ से २८७३ उ १२१,२३,३७,४१,४५,८८,११५ ११७, ११६,१२१,१२६; २११०,१२; ३।१३,१४, २६,५०,५५,५७,६५,६९,७२,७५,७६,१०३, १०४,१०६ से १०८,११२,११८,१३४,१३६, १३८,१३६,१४८,१५०,१६१,१६६; ४११४, १६,२०,२८, ५१२८,३२,३६,४१,४३ अंतियाओ (अन्तिकतस्) उ ३।११० अंतेउर (अन्तःपुर) ज २१६४; ३।२२४; १५, ७ उ १।१६,६३,९७,६८,१०५ से १०७,११६ अंतेवासि (अन्तेवासिन्) ज ११५, २।८२,८३ अंतो (अन्तर् ) प ११७४,९४; २१७,२० से २७, २६ से ३५,४१,४८; २३।११,१२६,१७७, १८२,१८६,१६०; ३३१२७ से २६ ज १।१३,१४,३१,३६, ३६८; ४११,४६, ५०,११४,११७,१३१,२३४,२४०; ५।३२; ७।३१,३३,५५,१६८११ सू ४३,४,६,७, १६।२२।१५,२१, १९२३२०१७ अंतोमुहत्त (अन्तमहत) प ४२,३,५,६,८,९,११, १२,१४,१५,१७,१८,२०,२१,२३,२४,२६, २७,२६,३०,३२,३३,३५,३६,३८,३६,४१,४२, ४४,४५,४७,४८,५०,५१,५३,५४,५६ से ६७, ६६ से १६४,१६६,१६७,१६६,१७०,१७२, १७३,१७५,१७६,१७८,१७६,१८१,१८२, १-४१८५,१८७,१८८,१६०,१६१,१६३, १६४,१६६,१६७,१६६,२००,२०२,२०३, २०५,२०६,२०८,२०६,२११,२१२,२१४, २१५,२१७,२१८,२२०,२२१,२२३,२२४, २२६,२२७,२२६,२३०,२३२,२३३,२३५, २३६,२३८,२३६,२४१,२४२,२४४,२४५, २४७,२४०,२५०,२५१.२५३,२५४,२५६, २५७,२५६,२६०,२६२,२६३,२६५,२६६, २६८,२६६,२७१,२७२,२७४,२७५,२७१, २७८,२८०,२८१,२८३,२८४,२८६,२८७, २८६,२६०,२६२,२६३,२६५,२६६,२६८, २६६६२०,२१:१८।३,४,८,९,१०,१२, १४ से १६.१८ से २४,२६ से २८,३० से ३६,४१ से ५४,५६,५७,५६,६१,६३ से ६७, ६६ से ७४,७६ से ७६,८३,८५,६०,६१,६३, ६६,१०३ से १०५,१०७,१०८,११०,११३, ११४,११६,११७,११६,१२०,२०१६३; २३३६०,६२,६५,६७,७२,७८,७६,१३३,१४७, १५८,१६२,१६५,१६६,१७०,१३६,१८४; २८१४७,५०, ३६०६१,७६ जं २१८४,१२३, १२८,१४८,१५१; ४११०१ Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१२ अंतोमुत्तग-अकिरिय अंतोमुहत्तग (अन्तर्मुहूर्तक) य १११७१ अंतोमुहुत्तद्धाउय (अन्तर्मुहूर्ताद्धायुष्फ) प ११७४ अंतोमुहुत्ताउय (अन्तर्मुहूर्तायुष्क) ५ ११८४ अंतोमुहुत्तिय (आन्तर्मुहूर्तिक) प १५।६१; २८१४,३:; ३६।२,८४,६२ अंतोवाहिणी (अन्तर्वाहिनी) ज ४।२१२ 'अंदोलाव (आन्दोलय) अंदोलावेइ उ ११६७ अंधकार (अन्धकार) ज ३६३,६५,१५७,१५६, १६३ सू १४१५ से ८; १६६५,६ अंधकारपक्ख (अन्धका रपक्ष) सू १३:१; १४१२, ३,५ से ८ अंधयार (अन्धकार) प २०२० मे २७ ज ११२४; अकंत (अकान्त) ज २११३३ अकंततरिया (अकान्ततरका) प १७११२३ से १२५, १३० से १३२ अकंतत्त (अकान्तत्व) प २८।२४ अकं तस्सर (अकान्तस्वर) ज २।१३३ अकंतस्सरता (अकान्तस्वरता) प २३१२० अकंप (अरम्प) ज २१६८,३७६.६ से १०१ अज्ज (अकार्य) ज २१३३ अकण्ण (अकर्ण) प ११८६ अकतिम (अकृत्रिम) ज २११२२,१२७, ४११००, १७० अकम्मभूमग (अकर्म भूमज) प ११८५,८७; ६७२ ८१८४,६५,६७,१०८,२१:५४,७२ अकम्मभूमय (अकर्मभूमज) १६७६; १७११६२, अकम्मभूमि (अकर्मभूमि) प ११८४,२१२६ अकयपुण्य (अकृतघुण्य) उ १११२३३१८,१०१ अंधयारसंठिति (अन्धकारसंस्थिति) ज ७।३३, से ३५ सू ४।६,७,६ अंधिया (अन्धिक!) प ११५१११ अंब (आम्र) प १३३५११; १६॥५५; १७:१३२, १३३ ज ३।११६ अंबट (अम्बष्ठ) प ११६४११ अंबर (अम्बर) ज ७१७८ अंबरतल (अम्बरतल) ज ३।१४,३०,४३,५१,६० ६८,१३०,१३६,१४०,१४६,१७२ अंबसालदण (अम्रशालवन) उ ३।२६,६,९५ अंबाडग (आम्रातक) प ११३६६१,१६।५५; १७११३२ अंबाराम (आम्राराम) उ ३४८ से ५०,५५ अंबिल (अम्ल) प १४ से ६,५१५,७,२०५; २८१२६,३२,६६ ज २।१४५ अंबिलसाय (अम्लशाक) ५११४४०२ अंबिलिया (अस्तिका) ज ३१११६ अंबिलोदय (अम्लोदकः) प ११२३ अंबुभक्खि (अम्बुर्भाक्षन् ) उ ३.५० अंस (अंस) उ १११३८ अंसु (अश्रु) ज २१६०, १०३,१०६,१०८ अकंटय (अकण्टक) ज २११२ अकरंडुय (अकर"डक) ज २२१५ अफरणया (अकारणता) उ ३.११५ अकविल (अकपिल) ज २११५ अकसाइ (स्क्रपायिन्) प ३१६८; १३.१६; १८१६७२८११३८ अकसायसमुग्धाय (अकषायसमुद्घात) १ ३६:४८ अकसायि (अकपायिन्) प ३९८ अकाइय (अकायिक) प ३१५०; १८२६ अकामय (अकामक) उ ३।१०६ अकामिय (अकामित) उ १४५२,७७ अकाल (अकाल) ज ३.१०४,१०५ अकालतालु (अकालतालु) ज ३।१०६ अकालपरिहीण (अकालपरिहीन) जं ५१२२,२६ से २८ अकित्तिम (अकृत्रिम) जं ११२१,२६,४६; २६५७, १४७,१५०,१५६ अकिरिय (अक्रिय) प १७१२५, २२।७,८,२६,३० Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अकुडिल-अम्गमहिसी ८१३ ३२ से ३४,३६,३७,४५ अक्खीण (अक्षीण) प ३६.८२ अकुडिल (अकुटिल) ज २०१५ अक्खोड (अक्षोट) प १६:५५ अकुश्वमाण (अकुर्वत्) मू २०१७ अक्खोस्य (अक्षोटक) प १७११३२ अकेसर (अकेसर) प २४८।४६ अक्खोभ (अक्षोभ) ज ३१३ अकोह (अक्रोध) ज २१६ अगंतूण (अगत्वा) प ३६।८३१२ अक्क (अर्क) प ११३७।३ अगंथ (अग्रन्थ) ज २१७० अक्कबोंदी (दे०) प ११४०१५ अगक्छमाण (अगच्छत्) सू २।२ V अक्कम (आ- अम्) अक्कमइ उ १।११६ अग (दे०) ५२१४,१३.१६ से १६,२८,१११७७ अक्कमाहि उ ११११५ ज २३१ अक्कमित्ता (आरम्य) उ ११११५ अगणि (अग्नि) प ११४८१५६; २०२० से २५ अक्किज्ज (अक्रेय) ज ३।१६७११३ अगणिकाय (अग्निकाय) ज २११०५ से १०८ अक्किट्ठ (अक्लिष्ट) ज २०४६ अगस्थि (अगस्ति) प १३८१२ ज २११० सू अक्कुस्समाण (आक्रोशत्) उ ३:१३० २०१८,२०८।४ अक्कोप्प (अकोप्य) ज २।१५ अगलहुय (अगुरुलघुक) प १५१५७ ज २।५१,५४, अक्कोसमाण (आक्रोशत्) उ ३१३० १२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४९,१५४,१६०, अवख (अक्ष) ज २६,१३४ ।। अक्खय (अक्षय) ज ११११,४७ ; ३।१६७,२२६; अगस्यलहुयपज्जव (अगुरुलघुकपर्यव) ज २११४६, ४१२२,५४,६४,१०२,१५६; २१ ७२१० उ ३४३,४४ अगरुयलहुयपरिणाम (अगुरुलघुकपरिणाम) अक्खर (अक्षर) ज २१६,१३४ प १३१२१,३० अक्खरपुठिया (अक्षरपुष्टिका, "पृष्टिका) १९८ " _ अगार (अगार) प २०११७,१८ ज २१६५,६७,८५, अक्खाइया (आख्यायिका) प १११३४११ ८७ उ ३।१३,१०६ से १०८, ११२,११८, अक्खाइयाणिस्सिया (आख्याधिकानिश्रिता) १३६,१३८,१३६,४१४,१६, ५॥३२,४३ प११३४ अगारवास (अगारवास) ज २१८७ ; ३।२२५ अक्खात (आख्यात) प ११४६,६६,७५,८१ उ ३।११८ २।२१ से २६,३०,३२ से ३६,४१,४३,४६, अगुरु (अगुरु) ज २११०६,११० ४० से ५२,५५ से ५७.६० ये ६२ सू अगरलघुअणाम (अगुरुलघुक नामन्) १ २३५१ ३२१,१३३२ अगुरुलहुणाम (अगुरु लघुनामन् ) प २३।३८,११ अक्खाय (आख्यात) प ११५०,५१,६०,७६; अग्ग (अग्र) प २।३१ ज ११३७ , २०१२०,३३१२, २२०,३१,५०,५६ ज , १२६; ४१२१; १८,२२,३१,७६,८८,१०७,१२५ से १२८, ६.१०,११,१४,१५,१८ से २२,२६४,६३ १५१,१५२,१५६,१८० ८७ सू१०।१२७ अग्गंगुलिया (अग्रांगुलिका) उ ११५६,६१ से ६३ अक्खिव (आ-+-क्षिप्) अक्खिक्इ उ १५१०५ ८४,८६,८७ अक्खिविउकाम (आक्षेप्तुकाम) उ १६१०५ अग्गभाव (अग्रभाव) ज ७।१३२११. सू १०६४ १. टीका में अक्षस्प्टिका है। अग्गमहिसी (अ महिपी) प २।३० से ३३,३५, Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१४ अग्गर-अच्चुय ४१, ४३,४८ से ५२ ज ११४५; २१६०, अचरित्ति (अचरित्रिन्) प १३३१४,१८,१६ ४.१५१; ५:१६,३६,४१,४४,५०,५२,५३; अचरिम (अचरम) प १११०३,१०६,१०७ १०६ ७।१६८१२,१८३,१८६ सू १८२१,२३,२४, ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२, २०१६ १२३,३।१२३,१०।२ से १३,२१,२६ से ५३; अग्गर (दे०) प ११८६ १८११२७ अग्गल (अर्गल) सू २०१८ अचरिमंत (अचरमान्त) प १०।२ से ५,२१,२६,से अग्गसाला अग्रशाला) ज २।१०।४।१६६ अग्गसिहर (अग्रशिखर) ज ११३७ अचल (अचल) ज ३१६ से १०१,५१२१ अग्गहत्य (अग्रहस्त) ज २०१५ अचवल (अचपल) ज ५१५,७ अग्गाणीय (अग्रणीक) ज ३३१०७ से १०६ अचित्त (अचित्त) प ६१३ से १७,१६ ज २१६६ अन्गि (अग्नि) प २।३०।१,२।४०।२,६,११; अचित्तजोणीय (अचित्तयोनिक) प ६।१६ ३६।६४ ज २१६ ; ३।३,६५,११५,१२४,१२५ अचित्ताहार (अचित्ताहार) १२८।१,२ १५६; ५॥१६,५२,७१३०,१८६।३ उ ३४८, अचिरयत्त विवाह (अचिरवृत्तविवाह) सू २०१७ ५०,५१,६४ अचेलय (अचेलक) ज २०६६ अग्गिकुमार (अग्निकुमार) प १४१३१; १३ अचोक्ख (दे०) ज ५१५ ६.१८ ज २११०५,१०६ अच्च (अर्च ) अच्चे इ उ ५।अच्चेति ज० २११२० अग्मिदेवया (अग्निदेवता) सू १०१८३ अच्चंत (अत्यन्त) उ ११७२,७३,८७,८८,६२, अग्गिमाणव (अग्लिमानव) प २१४०१७ ३।४८,५०,५५ अग्गिमेह (अग्निमेघ) ज २।१३१ अञ्चणिज्ज (अर्चनीय) ज ७११८५ सू० १८१२३ अग्गिल (अग्निल) सू २०१८।५ अच्चणिया (अनिका) ज ४११४०११ अग्गिवेस (अग्निवेश्मन्) ज ७१११७,१२२१३, अच्चसण (अत्यशन) ज ७.११७१२ सू १०।८६४२ १३२।३ सू १०८४।३,१०।८६।३ अच्चासण्ण (अत्यामन्त्र) ज २१६०३।२०५,२०६, अग्गिसीह (अग्निसिंह) प २१४०१६ ५५८ अग्गिहोत्त (अग्निहोत्र) उ ३।५५,६३,७०,७३ अच्चासन्न (अत्यासन्न) ज ११६ अग्गिहोम (अग्निहोम) ज ५११६ अग्धा (आना )-अग्याति प १५।३८,४२ अच्चि (अचिस्) प १।२६२१३०,३१,४१,४६ अच्चिणेत्ता (अर्चयित्वा) ज ३८८ अग्घाडग (दे० अपामार्ग) प १।३७१४ अच्चिमालि (अचिर्मालिन् ) प २१५०,५४,५८ से६० अचंचल (अचञ्चल) ज ३।१०६ अचंडपाडिय (अचण्डपातित) ज ३।१०६ ज ७१८३ सू १८।२१,२४,२०१६ अच्चिसहस्तमालणीय (अचिस्सहस्रमालनीक) अचक्खदसण (अचक्षुर्दशन) प ५१५,७,१०,१२, ज४।२७,५२८ १४,१६,१८,२०,२१,४५,५३,५६,५६,६३, अच्च इंद (अच्युतेन्द्र) ज ५१५८ ६८,७१,७४,७८,६३,६७,२६।३,७.१०, १३,१४,१७,१६ से २१ अच्चुण्ह (अत्युषण) ज ७११२।१ सू१०।१२६।१ अचक्खुदंसणावरण (अचक्षुदर्शनावरण) प २३।१४ । अच्चुत (अच्युत) प १४१३५२१४६,५६,६०,३११८३ अचक्खुदंसमि (अचक्षदर्श निन् ) प ३।१०४; अच्चुतव.सय (अच्युतावतंसक) प २६५६ ५१४७,६५,८०,६६,११७,१८१८६ अच्चुय (अच्युत) प २१४६,५६,५६२,६३,४१२६४ Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अच्चुयग-अजीवपज्जव से २६६,६३८,५६,६६,८५,८६,६८,७१६; १८८, २०१६१,२११६१,७०,६१,६२२६ ३०/२६,३३।१६,२४,३४।१६, १८ ज २१६४; ५३४६, ५४,५६,५८,५६ उ २२२५.४१ अच्चुग (अच्युतक) ज ५१४६ अच्चेत्ता (अर्चयित्वा ) ज २।१२० अच्छ ( रुक्ष ) प १६६,११।२१ ज २१३६, १३३ अच्छ (अच्छ) प १९३१४२२३०,३१,४१,४६,५० ५.२,५८,५६,६३,६४ ज १८ से १०,२३,३१, ३५,५१:३।१२,८८,१६,१६४४११, ३, ७.१२, १५, २४, २५, २८ से ३१,३० से ४१,४५,५७, ६२,६४,६६ से ६८,७४ से ३६,८६,८८, ११ से ९३,१०३, ११०,११४,११८,१४३, १५६ १७८, २०३,२०६,२१३,२१८,२४२२४५ २५१,२५२,२६०१२,५३५६, ३१५५ म् 21१; १६।२३ √ अच्छ (आम्) अच्छेज्ज व २२६४।१६ अच्छत्तय (अछत्रक) उ५।४३ अच्छरगण ( अप्सरोगण ) प २१३०,३१,४१ ज १।३१ अच्छरसातंडुल (अप्सनस्तण्डुल ) ज ३११२,८८ ५।५८ अच्छरा (दे० ) प ३६८१ अच्छरा ( अप्सरम् ) प २४|११ से २४ उ ५ ५ अच्छि (अक्षि ) प १४६१४७, १११२५ चं १३१ ज २२४३;३११७८७।१७८ उ० ३१११४ अच्छिण्ण (अच्छिन्न ) प १५।४० से ४२ अच्छि ( अछिद्र ) ज २११५ अच्छिरोड ( अक्षिरोट ) प ११५.१ अच्छिवेह ( अक्षिवेध ) प ११५१ अच्छी (ऋक्षी ) प १११२३ अच्छेरग (आश्चर्य ) ज २११५ अजर ( अजर ) प २१६४२१ १ अच्छो रसो येषां ते अच्छरमाः प्रत्यासन्नवस्तु प्रतिविम्वाधारभूता इवातिनिर्मला इतिभाव: टीका पत्र १६२ अजसो कित्तिणाम (अयश: कीर्तिनामन् ) प २३३८, १२८ अजहरण ( अजघन्य ) प २३।१६१ से १९३ ज २११५ अहमreate ( अजघन्यानुत्कर्ष ) प ४।२६७, २६६, ५४२,४६, ६४,७६, ११२, ११६,२४४; ७३०, १८११०२२/२३६३२८१६७ मक्कोसगुण ( अजघन्यामुत्कर्वगुण) ८१५ ५३८,६०,७५,२०,१०८,१२१,१६४,२०१, २०४,२०८,२१२,२१५,२१६,२२२,२२५,२४३ अजहण्णमणुक्कोसट्ठितिय (अजघन्यानुत्कर्षस्थितिक ) प ५१३५,५७,७२,८७,१०५, १७५, १७८,१८२, १८५,१६८,२४० अजहणमणुक्कसपदेसिय (अजघन्यामुत्कर्पप्रदेशिक) प २३१,२३२ अजहण्णमणुक कोसमति ( अजघन्यात्कमति ) ५१६४ अजहण मणक्को सो गाहणम (अजघन्यानुत्कर्षावगाहनक) प ५११७१,१७२,२३६,२३७ अजहष्णमणुककोसोगाहणय ( अजघन्यानुत्कपवगाहनक ) प ५५०,५४,६६, ८४, १०२, १५२, १५८ १६०,१६४,१६७,१७२,२३७ अजष्णुक्कोस ( अजघन्योत्कर्ष ) प ५४,६८ अज हृणुक्को सो गाहणग ( अजघन्योत्कर्षोवगाह्नक ) प ५३१,३२ अजहष्णुकोसोगाहणय ( अजघन्योत्कपीवगाहनक ) प ५३२,१६१ अजाइय (अयाचित ) उ० ३।३८ अजावणिज्ज ( अयापनीय ) ज२११३१ अजिण ( अजिन ) ज ७६ अम्हि (अजिह्म) ज २।१५ अजिय ( अजित ) ज० ३।१८५,२०६ अजीरग ( अजीरक) ज २२४३ अजीव (अजीव ) प १११०१।२१५।५७ ज २१७१ सू २०११ ३।१४४ : ५/३४ अजीवपज्जव ( अजीवपर्यव ) प ५।१,१२३ से १२५, २४४ Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अजीवषण्णवणा-अट्ट अजीवपण्णवणा (अजीवप्रज्ञापना) प ११ ४,९ अजीवपरिणाम (अजीवपरिणाम) प १३।१,२१,३१ अजीवमिस्सिया (अजीव मिथिता) ५११६३६ अजोगया (अयोगता) ३६६२ अजोगि (अयोगिन् ) प ३।६६:१३।१६,१८५८; २८११३८ अजोगिकेवली (अयोगिकेवलिन ) प १५१०८,११०, अजोगिभवत्थकेवलि (अयोगिभवस्थकेवलिन) प१८११०१:१०३ अजोणि (अयोनि) प ६१६ अजोणिय (अयोनिक) प ६१२,१६,२५ अज्ज (अद्य) ज २११४६ सू १०।१६२ से १६६ अज्ज (आय) ज ३।१२४७।२१४ अज्जग (अर्जक) ज ५७२,७३ अज्जग (आर्यक) उ १।१०५ से १०७,११६ अज्जम (अर्थमन्) ज ७.१३०,१८६।४ अज्जमदेवता (अर्यमदेवता) मू १०१८३ अज्जय (अर्जक) प ११४४१३ अज्जल (आर्यल) प ११८६ अज्जव (आर्जव) ज २०७१ अज्जसुहुम्म (आर्य सुधमन् ) उ ११२,३ अज्जा (आर्या) उ ३१६६ से १०४,१०६ से १०८, १११ से १२०, १३२ से १३६,१४१,१४२ १४३,१४५,१४६,१४८ से १५०,४।२१ से २४ अज्जिय (अजित) ॐ ३।१७५ अज्जिया (आयिका) ज २१७५,८२ उ ३.१२ अज्जुण (अर्जुन) प ११३६१३,४२११ ज ३१११७ अज्झत्थवयण (अध्यात्मवचन) प १११८६ अज्झस्थिय (आध्यात्मिक) ज ३।२६,३६,४७,५६, १२२,१२३,१३३,१४५,१८८:५२२ उ ११५ १७.५१,५४,६५,७६,७६,६६,१०५,३१२६ ४८,५०,५५,६८,१०६,११८,१३१:५।३६,३७ अज्झयण (अध्ययन) प शश३ ज ७११४ च ५१२ मु ११३।२।१०।७८ उ ११६ से ८, १४२,१४३, १४८; १ मे ३,१४,१५,२१:३।२,३,१६,२०, २२,२३,८७,८८,१५३,१५४,१६६,१६७,१७०, ४१ से ३,२७,५२,३,४४,४५ अज्झवसाण (अध्यवयान) प ३४११११,३४।१३ ज ३२२२३ अज्झावस (अधि: आ. वम् )-अज्झावमइ ज २६४ अज्झावसमाण (अध्यावमत्) ज ६४ अज्झावसित्ता (अध्योप्य) जश६४ अज्झोववण्ण (अध्यापपन्न) उ ३१११४,११५,११६ अझुसिर (अशुषिर) ज ३।३ अट्ट (आत ) उ ११५२,७७ अट्टइ (दे०) १०११३७३ अदृज्झाण (आर्तध्यान) ज ३।१०५ उ १।१५:३।१८ अट्टालग (अट्टालक) ज २१२० अट्टालय (अट्टालक) ५ २१३०,३१,४१ अट्ठ (अष्टन ) प १५० ज शांचं ३२ अठ्ठ (अर्थ) प ५६३,५,७,१०,१२,१४,१६,१८,२०, २४,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६, ५.६,६३,६८,७१,७४,७८,८३,८६,८६,६३,६७, १०१,१०४,१०७,१११,११५,११६,१२७,१२६, १३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७, १५०,१५४,१५,१६३,१६६,१६६,१७२,१७४, १७७,१८१,१८४,१८७,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४२; १११३,११ से २०,३६,४१,१५१४४,४८,४६; १७।१ से ६,८ से १७,२०,२२,२४,२५,२७, १०७,१०६,१११,११६,११६,१२३ से १२८, १३० से १३२,१३५,१५०,१५२,१५५:२०१२ ३,१४ से १७,१६ से २५,२७ से ३०,३३,३४, ३६ से ४८,५० से ५२,५५,५६,२२१८,७६, ८०,८२,६२,६४,६५:२८१४,२५,२७,२६,३८, ४७,५०,७३ से ७५,८७,२६१३,१६ से २१; ३०११६,१६,२१,२३,२५,२६,२८:३४.१२. Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अट्ठअसीय-अदृहत्तर १६,१८,३५११८, २०,२३, ३६१८०,८१,८३, ८८ ६२,६४, ज १।११,४५,४७, ५१; २१७, १८, २१ से २३, २५, २६, ३० से ३३, ३५ से ४०,४२,४३,५२,५६,१५६.१६१:३।१ ६,६१,६८,१०६. १०७, ११३, ११४,१८, १६६,२०६,२२६, ४१६, २२,३४,३७,४१,५१, ५३, ५४,६०,६१,६४,७०, ७६,७६, ८१, ८५, ८६,८६,६०,६३,६७,१०२,१०७,१०८, ११०, ११३,१४१,१४२,१४६,१५१,१५६,१६१, १६६, १७७,१८०, १८४, १८६, १८८, ११३, ११६, १६६,२००,२०३,२०५,२०६, २०६ से २११,२६१, २६४,२६६,२७०,२७२,२७३, २७६, २७७, ५।२७,७११६६, १८४, १८५, २०६, २१३,२१४ सू १६ २,४,६,१८।२२ उ ११४, ८,१७,२३, २४, ३७ से ४०, ४२, ४३, ५५, ५७, ५८,६७,८०, ८२, ८३,८८,६६, १००, १०२, १०४,१०७, ११५, ११७,११६,१२०, १२२, १२७,१४२,१४३; २।१, ३, १४, १५,२१,३३१, ३,१३,१६,२०,२२,२३,२६,३८,४०,४२,४४, ५६,६१,७७,८७,८८,१०२,१०७,११६ से ११८,१२३, १४०, १४७, १५३, १५४, १६०, १६६,१६७,१७०,४१,११,२७,५१, ३, १५, ३८,४३,४४ अट्ठअसीय ( अष्टाशीति) सू १८ । १ अट्ठक( अटक) सू १३५,६ अट्ठण्णय ( अष्टकणिक) ज ३२६४, १३५, १५८ अट्ठछत्ताल (अष्टचत्वारिंशत् ) सू १०।१४६ अजोयfणय ( अष्टयोजनिक ) प २०६४ अट्ठतरि (अष्टमप्तति ) सू ४५ अट्ठतीस ( अटत्रिंशत् ) प २३८ ज ११२० सू. १०/१५२ उ ३।१२ अट्ठपंचासत (अष्टपञ्चाशीति) सू १२१३ अपदेसिय ( अप्टप्रदेशिक ) प १०।१३,१४ अट्ठपिट्ठनिट्ठिया ( अटपिटनिष्ठिता) प१७११३४ ८१७ अट्ठभाग (अष्टभाग ) प ४११७१,१७३, १७४, १७६,२०१,२०३,२०४,२०६, ज २२५६; ४१२१५;७।१६५,१६६ सू १८/२५, २६,३४,३६ अट्टम (अष्टम ) प ३६८५,८७ २२७१४२११ ५।१०; ७ ६७ मृ १० ७७१२।१७,१३८ उ २११०,२२, ३११४, ८३.१५०, १६१,४१२४; ५१२८,३६,४३ अट्ठमंगलग (अष्टमंगलक ) ज ३।१७८, २०२, २१७,४१२८, ११५, १३८, १५८, ५३४३, ५८ अट्ठमंगलय (अष्टमंगलक) ज ३३१२,८८, ४।१२५ अट्टमभक्त (अष्टमभक्त ) प २८।५० ज ३१२०, २१,२८,३३,३४,४१,४६,५४,५५,५८,६३, ६४,६६,७१,७२,७४,८४,८५,१११, ११२, ११३,१३१, १३७ से १३६, १४३, १४४, १४७, १६६,१६८, १८२, १८३, १८७, १६१, २१८ अट्ठमभत्तिय (अष्टमभक्तिक) ज ३१५४,६३,७१, १११,११३,१३७,१४३, १६७,१६० अट्ठमी (अष्टमी) ज ७ । १२५ अट्ठया (अर्थ) भू १७११;२०११ उ ३४४ अट्ठवह (अष्टविध ) प ११४,१३२,१३ २६; २१।५५२२/२१ से २३,२८,८३,८४,८६,८७ ६०,२३।१५,१६,२१,२२,३०,३१,५०,५८, २४।२ से १० से १३; २५०४, ५,२६१२ से ६, ८ से १०,२७१२,३, २६१२ सू ६१५ अट्ठावीस (अष्टविंशति ) प २१५६।१ अट्ठसय (अष्टशतक ) ज २०६४ अट्ठट्ठ (अटपटि ) ज ७ ३१ सू ४|४ अट्ठसट्ठि (अष्टषष्टि) ज ६।१५ अट्ठसमय (अष्टसामयिक ) प ३६३३,८५ अट्ठयमंगुलमायत (अष्टशताङ्गुलायत) ज ३।१०६ असुवण (अष्टसुवर्ण) ज ३६५, १५६ असोवण्य (अष्टयोर्वाणिक) ज ३१६४, १५८ अठहत्तर ( अष्टसप्तति ) प २।२१ Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८१८ अठहत्तर (अष्टसप्तति ) ज ७१३२,३४ अट्ठा ( अप्टा) ज २१६५ अट्ठाणउइ (अष्टनवति) ज ७६८ अट्ठानउति (अष्टनवति ) सू १०।१६५ अट्ठाण (अष्टनवति) सू १०११७३ अट्ठार (अष्टादशन् ) प १०।१४१४ से ६ ज ४।६२ अट्ठारस (अष्टादशन् ) प २१२४ जं १।४८ सू १११३ १११०४ अट्ठारसक ( अष्टादशवक्र) उ १६६, १०२ से ११७, ११६, १२७,१२८ अट्ठारस विह (अष्टादशविध ) प १३६८ अट्ठावण्ण (अष्टपञ्चाशत ) ज ४३१४२ अट्ठावय (अष्टापद ) ज २।१५,८८, ६०, ३१२२४ अट्ठावीस (अष्टाविंशति ) प २१२३ ज ११७ सू ११४ अवभाग (अष्टाविंशतिभाग) सू १०।१४२ अट्ठावीस (अविशतिविध ) ज ७ । ११३ सू १०।१३० अट्ठावीसतिभाग (अष्टविंशतिभाग ) प २३१०२ से १०४,१५२ सू १२/३० अट्ठावीसतिविह (अष्टाविंशतिविध ) प ११८६ २१४८ अट्ठावीसविमाणसयसहस्साहिवद (अष्टाविंशतिविमानशतसहस्राधिपति) ज २२६१ अटासीइ (अष्टाशीति ) सू २०१८६ अट्ठासीति (अष्टाशीति) सू १८१४, २०१८ अट्ठासीय (अष्टाशीति) ज १।२३ सू १० १४१ अट्ठाहिय ( अष्टाहिक ) ज २।११७ से १२०, ३।१२ से १४,२८,३०, ४१, ४२,४३,४१ से ५१.५८ से ६०, ६६ से ६८,७४ से ७६,१३६,१३६,१४७ से १५१,१६८ से १७० ५२७४ २८१११,२८१३, २५, २८, ३७, अट्ठ (अर्थिन् ) ४६, ज ३११०६ अट्ठकच्छभ ( अस्थिकच्छप ) प ११५७ अयि ( अस्थित ) प ११८० से ८ ३ अयि (अस्थित ) प ११।४७ अट्ठहत्तर- अनंत अड (दे० ) प ११७६ अडड ( अटट) ज २३४ अडडंग (अटटाङ्ग ) ज २१४ अडतालीस (अष्टचत्वारिंशत् ) सू १।२३ अडमाण ( अटत् ) उ ३।१००, १३३ अडयाल' (दे० ) प २३० अडयाल (अष्टचत्वारिंशत् ) ज ११२० सू १३२४ अडयालीस (अप्टचत्वारिंशत् ) ज २२६ सू ११२४ अडवीबहुल (अटवीबहुल ) ज १११८ अडसठ (अष्टषष्टि) सू १५/२ अडिल ( अटिल ) प १७८ अड्ढ (आय) ज ३११०३ उ १ । १४१३ १०,२१ २८,६६,१५८, ४/७ अढाइज्ज (अर्धतृतीय) प १ ३४,८४,२७,२६; १८४५, २१।६६,६७,३३१५,६ ११३८,४३१ ४।१०,१२,४३,४५,५७,७२,७८, ११०, १४७, १८३,२१५,२२१,२४५, २४८, ५१५२सू २।२३ १८/१ अनंगसेणा ( अनङ्गसेना) उ ५ | १०,१७ अनंत (अनन्त) प१1१३,४८१४८७, ८, १० से १६,३० से ३३, ३५ से ४२,५०,५२,५७,५८, ६०,२६४।१०,११,१३, १५, १६,५३२ से ७, ६ से २०, २३, २४, २७ से ३४,३६,३७,४०, ४१,४४,४५,४८,४६, ५२, ५३, ५५, ५६, ५८, ५६, ६२,६३,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७७, ८२, ८३ ८५,८८,६२,६६,१००,१०१, १०३,१०६,११० ११४,११८,११६,१२६ से १३०,१३३,१३५, १३७,१३६, १४२,१४४, १४६, १४९ से १५४ १५६,१६२,१६५,१६८, १७१, १७३, १७६, १८०,१८३,१८६, १८६,१६२,१६६, १६६, २०२ २०६,२१०,२१३,२१७,२२०, २२३, २२७, २२६,२३१,२३३, २३८, २४१,६६३; १०।१६, १८ से २०,१२।७ से ११,२०,१५।१४, १५, २७,३२,५७,८३,८४,८७,८६ से ९६, १०३, १०४,१०६,११२,११५,११८,११६,१२१, १ अडयाल शब्दो देशीवचनत्वात् प्रशंसावाची Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अनंतक अणच १२२,१२६,१२,१३०,१३५ से १३७, १३ से १४२:१६।३७१७१४२१८१३, १४, २७,४५,५९,६४,७७,८२,६०,१०८३६८, १२,१४,१६,१८ से २६ ३२ से ३४,४४ से ४७,८३१२ ज २१६,५१,५४,७१,८५,१२१ १२६,१३०,१३८,१४०.१४६. १५४,१६०, १६३:३।२२३:५०२१,५० अनंतक (अनन्तक) ज ३।२११ अततो (अनन्तकृत्स्) ज ७।२१२ अनंतगुण (अनन्तगुण) प २०६४१५३।३८ से ४२ ४६ से ५२,६० से ६३, ७१ से ७४,६४ से ८७,६५ से १०२,१०५ से ११५.११८,१२२, से १२४,१७५, १७७ से १७६, १८२.१०३ ५०५.१२१,१५१.१५२.२०१२.१६, २५, १००४, ५.२६, २०११५४,५६,५८,६०,६१,७२,७६, १०:१२॥७,१०,२०,१५११३,१६,२६,२८,३१, २२.१७१५६,५९,६६,१४४, १४६ २१०१०४; २८१७.१०, ११.४१, ४४, ५३, ५६,५७,७०; २६।३५४० २१५१,५४, १४९, १५४, १६०, १६३ सू २०१७ अनंतनाणि (अनन्तज्ञानिन् ) २०४१३ अनंतपएसिप (अनन्तप्रदेशिक ) प ५३१३७,१३८, १६८,१६,१७१,१७२,१८७,२०२, २०३, २०६,२०७,२२४;१०११४,१७,२०,२४,२६, ३०,११।४६; १५।११,२४,१६।४३ अणतपदेखिय (अनन्तप्रदेशिक ) प ३२१७१ ५।१२७,१७२,१८६,२०७,२२३,२२४,१०११७, २५,१६३६; १७।१४० २८१५,२१,३०१२६, २८ अनंतभाग (अनन्तभाग ) १ ५१५, १२६,१२०७, १०, २०:१५।५७,२८।२२,३४,३६,६८ अनंतमिस्सिया ( अनन्तमिश्रिता ) प ११३६ अनंतय (अनन्तक ) प ११४८५२ अणंतर ( अनन्तर ) प २६४:६६६, १०१, १०३, १०५, ११० १११६६।१, २०११११:२०१६ से १५ ८१९ १७ से २५२७,२६,३२,३४, ३५ से ४०, ४५ ५२:३४।१।१:३४११ से २ २६६२३१७८ २११,४।३६,७२,७०,१५,१०३, १४३, १७८, २००,२०२,२१२:५।४३, ७१६, १०, १२,१३,१५ १६,१८ से ३० ४२,५०,६८,६१,७१,७२,७४ ७१,७७,७८,८०,८३,८४,सू १११४,१६,१७, २१,२४,२७,२२,३, ६।१, ८।१, ६।१:१३० १४; १९।२२२५११४१३४९२,१२५,४१२६, २८,३०,४३ अतरपच्छाकट (अनन्तरपश्चात्कृत) सू १ ११२ से ६ अनंतरपुरक्खड (अनन्त पुरस्कृत) सू८११ ११०२ से ६ अतरसिद्ध (अनन्तर सिद्ध ) प ११११,१२; १६०३५,३६ अनंतशेवगाढ (अनन्तरावगाढ) प ११ ६३,६४; २८।१३, १४,५१,६० अनंतवण्णग (अनन्त रोपपन्नक) प १५।४६; ३४।१२ अर्णतसमयसिद्ध (अनन्तगमयसिद्ध ) प ११३ अतानुबंध (अनन्तानुबन्धिन् ) प १४७; १६।१; २३।३५ अणसुपाति (अनपातिन् ) ज २०१०९ अणगार (अनगार) १५:११ १५४३ : ३६।७१ ज ११५ २४६५,६७३८५,८७, ८,६५,१६,१०० से १०२,१०४,११४, चं १० सू १५ ४ १०२.३२९ से १२:३०१३. १४, १६१,५०२१,२२,२७,२८,३२,३५ से ४१ ४३ अणगारचियगा (अनगारचितका ) जं २।१०५ से ११२ अणदारिया (अनगारित) प २०१७१८ ३।१३,१०६ से १०८,११२,११८,१३६. १३८, १३९ : ४१४, १९ : ५३२,४३ अणघ (दे०अक्षत) ज० ३१८१ Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२० अणगघाइज्जमाण-अगाहारग अणागार (अनाकार) प २१६४।१२।२६।११; ३०१२६ से २८ अणागारपस्सि (अनाकरदर्शिन् ) प ३०।१५ से१८ २०,२२,२३ अणागारपासणता (अनाकार दर्शन, पश्यत्ता) प३०१७ अणागारपासणया (अनाकारदर्शन, पश्यत्ता) ५३०११,३,५,७,१२,१३ अणागारोवउत्त (अनाकारोपयुक्त) प ३३१०६, १७४; १३।१४; १८१६३, २६१६ से २१ अणागारोवओग (अनाकारोपयोग) १ १३१८,२६११ ३,५,७,८,१०,१३,१४ अणाघाइज्जमाण (अनाघ्रायमाण) प २८१४४,७० अणाढाइज्जमाण (अनाद्रियमाण) उ ३१६२ अणाढायमाण (अनाद्रियमाण) उ ३.५६,६१,७७, अणग्घाइज्जमाण (अनाघ्रायमाण) प २८॥४३, ४४,६६,७० अणग्घिय (अनधित) ज ३।६२,११६ अणतिवर (अनतिवर) ज ३.११६ अणदभवाह (अदभ्रवाह) ज ३११०६ अणभिम्गहिय (अनभिग हीत) प ११०१११ अणभिग्गहिया (अनभिगहीता) प ११३७।२ अणरिह (अनह) उ १४०,४३ अणव (ऋणवत्) ज ७।१२२।३ सू१०८४१३ अणवकंखमाण (अनवकाङ्क्षत् ) ज ३।२२४ उ० २।११ अणवगल्ल (अनवकल्प) ज २।४।१ अणवति (अनवस्थित) सू ६।१०८११०; १३।१७,१६३२२।१०,२७ अणवठ्यि (अनवस्थित) प ३३.३५,३६ ज ७१३१,३३ सू ४३ से ७ अणवष्णिद (अणपन्निकेंद्र) प २१४६ अणवणिय (अणपलिक) प २१४१,४६ अणवण्णियकुमारराय (अणपन्निककुमारराज) प २०४६ अणवन्निय (अणपन्त्रिक) १२१४६,४७११ अणवरय (अनवरत) ज २१६४; ३।१८५,२०६ अणसम (अनशन) उस१२,३३१४,८३,१२०, १५०,१६१,५२८,३६,४१,४३ अणस्साइज्जमाण (अनास्वाद्यमान) प २८१४३,४४ ६६,७० अणह (अनघ) सू२०१७ अणह (दे० अक्षत) ज ३१८१ अणाईय (अनादिक) प १८११३,१०५ अणाएज्जणाम (अनादेयनामन्) प २३५१२६ अणागतद्धा (अनागताध्वन्) २०६४,३६।६३ अणागय (अनागत)ज १६०, ३१२६,३६,४७, ५६,१३३,१३८,१४५; ५॥३,२२, ७।३६,५२ अणागयद्धा (अनागताध्वन ) प ३६।६४ अणागयवयण (अनागतवचन) प १११८६ अणाढिय (अनादत) ज ४।१५०,१५६,१६०; ७.२१३ उ ३१२,१७१ अणाणत्त (अनानात्व) प २१३,६,६,१२,१५ अणाणुगामिय (अनानुगामिक) प ३३१३५ अणाणुयुव्य (अनानुपूर्व्य) ज ७४७ अणाणपुल्वी (अनानुपूर्वी) प ११४६८,२८1१८, ६४ अणादि (अनादि) सू११६,१२१ अणादीय (अनादिक) प १८।२५,५५,५६,६४,६८ ७७,८३,८६,६०,१११,१२२,१२३,१२६, १२७ अणादेज्ज (अनादेय) ज २११३३ अणादेज्जणाम (अनादेयनामन्) प २३३३८ अणाभोगणिवत्तिय (अनाभोगनिर्वतित) ५१४।९% २८१४,५०, ३४१५ अणारिय (अनार्य) ज २१४३ अणालोइय (अनालोचित) उ ३१८३१२०, ४१२४ अणाबुटिठबहुल (अनावृष्टिबहुल) ज १२१८ अणासाइज्जमाण (अनास्वाद्यमान) ५२८१४०, अणाहारग (अनाहारक) ५३।१०७, २८।१०८ Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणाहारय-अणुत्तर से ११०,११२,११४ से ११६,११८ ११६, १२१,१२३ मे १२५,१३०,१३१,१३६ से १३६,१४१, १४२ अाहारय (अनाहारक ) प १८।६७ से १०३; २८।१०६ से १०८,१११, ११३, ११७,११६, १२०,१२२, १२५,१२७ से १२६,१३२,१४३ अदि ( अनिन्द्र ) प २१६०,६३ अणदिय ( अनिन्द्रिय) प ३।४०; १३ १६ १८ ।१७ अणदिया (अनिन्दितः ) ज ११ १ अणि वित्त ( अनिक्षिप्त) उ० ३१५० अणिगण (अनग्न ) ज २।१३ अणिच्चजागरिया (अनित्यजागरिका) उ० ३।५५ अणिच्छियत्त (अनिष्टत्व ) प २८/२४ अणिज्जिण (अनिर्जीर्णे ) प ३६८२ अणिट्ठ ( अनिष्ट ) प २३।२० ज २।१३३ अणितरिया ( अनिष्टतरका ) प १७।१२३ से १२५,१३० से १३२ अणिट्ठत्त (अनिष्टत्व) १२८१२ अणिट्ठस्सर ( अनिष्टस्वर ) ज २११३३ अणिट्ठस्सरता (अनिष्टस्वरता ) प २३।२० अणिडिट (अनद्धि ) प ६६८ २१।७२ अणिढिपत्तारिय (अनद्विप्राप्तायं ) प १६०,६२, १२६ अत्थित्थ (अनित्यस्थ ) प २२६४/६ अणिदा (दे० ) प ३५।१।१; ३५।१६ अणदाया (दे० ) प ३५।१७ मे २०,२२,२३ अणिमिस ( अनिमेष ) ज ५।६७ अणिय ( अनीक ) प २३० मे ३३,३५,४१,४३,४८ से ५१ ज १२४५ ; २१६० ; ३११२५: ५११, १६, ४३, ४४, ५०, ५६, सू १८१२३ अणिय ( अनिवृत्ति ) सू २०१८,२०1८15 अणियत (अनियत ) सू २१२६ अणियय ( अनियत ) प १७२० अणियाधिवति ( अनीकाधिपति) प २३० से ३३ ४१,४३,४८ से ५१ अणियाहिव ( अनीकाधिप ) ज ४।१५१।२ अणियाहिवs ( अनीकाधिपति) ज १।४५ ; २६० ४। १६,१५१ ५ १,१६,३६,४३,४८,५०,५२, ५३, ५६ सू १८।२३ अणियाविति ( अनीकाधिपति) प २३० अणिल (अनिल) ज २०६८ अणिवारिय ( अनिवारित) उ ३|११६४।२२ अणीय ( अनीक ) उ १।१४६; १४७ अणु (अणु) प ११६४,६५,६६।१ २८।१४,१५, ६०,६१ ज ७१४३,५०,१६८ सु ६।१२; १७१ : १८२, ३; १६/२१ ८२१ अणु (अनृतु) सु १०।१२६॥३ अणुतनुक (दे०) ज ३११०६ अणुगंतव्य ( अनुगन्तव्य ) प १/४८ २०४० : १५।५५ ज ७ १३४ ~ अणुगच्छ ( अनु + गम् ) अणुगच्छइ ज ३१६ ; ५।२१ उ ३।१०१ अणुगच्छति ज ३ १०,११,५१,८६,८७ अणुगच्छति प १६४८ अगच्छमाण (अनुगच्छत् ) ज ३।१८,३१,१८० अणुगच्छित्ता (अनुगम्य ) ज ३३६ उ ३११०१ अम्माण (अनुगम्यमान ) उ३।१३० अणु हिमाण ( अनुगृण्हान ) उ १।१०७,१०८ ~ अणुचर ( अनु + चर् ) अणुचरति १६।२२।११ अणुचरंत ( अनुचरत् ) सू १९२२।११ अणुचरिय ( अनुचरित) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७, १६८,२१२,२१३ अणुजाण ( अनु --- ज्ञा ) अणुजाण ३१५१ अणुजाय (अनुयात) ज ३।२२,३५,३६ अणुडिया ( अनुतटिका ) प १११७७ अणुतडियाभेद (अनुतटिकाभेद ) प ११३७,७६ अणुर्ताsयाय (अनुतटिका मेद ) प ११।७३ अणु (अणुत्व) ज ७ १६६ सू १८/३ अणुत्तर ( अनुत्तर) प २२७, २७४ २१४६,६३; Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२२ अणुत्तरविमाण-अणुलित २११५५, ३४।२३,२४ ज २०७१,८५, ३।२२३ अणुत्तरविमाण (अनुत्तरविमान) प २१६२।१; १०१२,३०।२६ अणुत्तरोववाइय (अनुतरोपपातिक) प १११३६, १३८, २।४६.६३ ; ३११८३, ६१४६,६६,६६, २८,११३ ; २०१५.७:२११५५,७१,८३,६३, ९४,३३११८,२६,३४।१६,१८ ज०२।८१ अणुत्तरोववातिय (अनुत्तरोपपातिक) ५२०५६; २११६२ अणुदु (अनृतु) ज ७.११२।३ अणुद्धय (अनुद्धृत) जं ३।१२,२८,४१,४६,५८ ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ ; ५५ अणुपरियट्ट (अनु--परि + वृत) अगुपरिट्टइ ज ७.१५६ से १६७ सू१०१६७ अणुपरियति ज ७१५५ सू १६।२३ अणुपरियट्टति सू १०५ अणुपरियट्टित्ता (अनुपरिवृत्य) सू १०५ अणुपरिट्टित्ताणं (अनुपरिवृत्य) प ३६८१ अणुपरिवाडीय (अनुपरिपाटीक) ज ७१३० अणुपविट्ठ (अनुप्रविष्ट) ज ३३८१ उ १।३३, ३८,१००,१३३ अणुपविस (अनु -प्र+विश्) अणुपविसइ ज ३१६,१७,२०,२१,२८,३१ से ३४,४१,४६,५४,६३,७१,७७,६५,१३७,१३६, १४३,१५६,१६६,१७७,१८२,२०१,२०४, २१८,२२२ सू२।१ अनुपविसंति ज ३१२०५, २०६ अणुपविमति ज ३.१८३,१८४ अणुपविसह उ ३।१०१ अणुपविसमाण (अनुप्रविशत) ज ३११८४,१८५ अणुपविसित्ता (अनुप्रविश्य) ज ३।६ मू २।१ अणुपुत्व (अनुपूर्व) ज २११५, ४१३।२५,३५ सू ६.१ उ ११५७,५८,८२,८३:३१४६ अणुप्पत्त (अनुप्राप्त) उ ३११२७,१२८,५१४३ अणुप्पयाहिणीकरेमाण (अनुप्रदक्षिणीकुर्वत्) ज ३१२०४ से २०६,२०८,५१४१ अणुप्पवाएमाण (अनुप्रवाचयत्) ज ३१२६,३६, ४७,१४३ अणुप्पवाय (अनु-प्र- वाचय) अणुप्पवाएइ ज ३।२६,३६,४७,१३३ अणुबंध (अनुवन्ध) ज २४२ अणुबद्धचारि (अनुवद्ध चारिन् ) सू २०१२ अणुब्भड (अनुभट) ज २११५ अणुभाव (अनुभाव) प २३५१३१,२३।१३ से २३ ज ४१८३ च १५ १६६१५१६२२११६,२० अणभावणामणिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुष्क) प६।११८ अणुभावणामनिहत्ताउय (अनुभावनामनिधत्तायुक) ५६।११६,१२२ अणुभावनिहत्ताउय (अनुभावनिधत्तायुप्क) १६१२३ अणुमण्ण (अनु। मन्) अणुमण्णित्थ; उ ३३१०६ अणुमय (अनुमत) प १११३०३१,२ ज २०१५ उ ३.१२८ अणुमाण (अनुमान) सू ।३ अणुमाणइत्ता (अनुमान्य) उ ३५५ अणुयाय (अनुयात) ज ३१६३,९६,१०६,१६३, १७५,१८० अणुरंगिणी (अनुरङ्गिनी) सू १०१७४ अणुरंजिएल्लिय (अनुरञ्जित) ज ३१११७ अणुरत्त (अनुरक्त) सू २०१७ उ १५१३६ अणुराग (अनुराग) प २१४०।११ उ ११७२,७३, ८७,८८,६२ अणुराधा (अनुराधा) सू १०१२ से ३, १८ अणुराहा (अनुराधा) ज ७.१२८,१२६,१३६।१, १४०,१४६,१५२,१६६, सू १०१२ से ६,१८, २३,५०,६२,७३,७५,८३,११५,१२०,१३१, अणुलिप (अनु ।-लिप) अलिपइ ज २१९९%3B ३॥१२ अणुलिपति ज २१००३।१२,२११, ५१५८ अणुलिपित्ता (अनुलिप्प) ज २NEE अणुलित्त (अनुलिप्त ) प २।३१ ज ३१६,२२२ Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अणुलिह-अण्णतरठितिय ८२३ अणुलिह (अनु + लिह) अणुलिहंति ज ३१७८५४३ अणुलिहंत (अनुलिहत्) उ ५१५ अणुलिहमाण (अनुलिखत्) प २०४८ अणुलेवण (अनुलेपन) प २१२० से २७,३०,३१, ४१,४६ ज २७० अणुलोम (अनुलोम) ज २।१६,६७ अणुलोमच्छाया (अनुलोमछाया) सू ६।४ अणवत्त (अनुपयुक्त) प १५१४८,४६ ; ३४११२ अणुवत्तमाण (अनुवर्तमान) ज ५।२७ अणुवम (अनुपम) प ३०१२७,२८ अणुवरयकाइया (अनुपरतकायिकी) प २२१२ अणुक्वेत (अनुपेत) प १७।१३२ अणुवसंत (अनुपशान्त) प १४।६ अणुवसंपज्जमाणगति (अनुपसंपद्यमान गति) प १६१३८,४२ अणुवसंपज्जित्ताणं (अनुपसंपद्य) प १६४२ अणुवाय (अनुवाद) ज ४१०१ अणुवायगइ (अनुपातगति) सू १:१४ अणुवासिय (अनुवासित) ज ५।५ अणविद्ध (अनुविद्ध) ज ३.१२,८८५.५८ अणुव्वय (अणुव्रत) उ ३८१,८२ अणुसज्जमाण (अनुसजत् ) ज ४१२०५ अणुसज्ज (अनु | पंज) अणुसज्जित्था ज २१५० अणुमजिस्म ति ज २११६२, १६४ अणुसमवयणोववत्तीय (अनुसमवदनोपपत्तिक) ज ३।१६७।१२ अणुसमय (अनुसमय) प ६।१६,६२,६३ ; १११७०; २८१४,२६.५० अणुसार (अनुमार) प २११८० ज० ५१५७ उ ५.४५ अणुहर (अनु+ह) __ अणुहरंति ज ३११३८ अणुहो (अनु ! भु) अणुहोति प २१६४।२२ अणूण (अनून) सू १९०२११८, १९४२२०२८ अणेग (अनेक) प १३८३३,११४८१६,४७:११०११ ७; २।४१,६४ ज ११३७,२।१२,११३,१४६; ३१३,६,१२,२२,२४,२८,३१,३६,४१,४६,५८, ६६,७४,७७,६३,६६से१०१,१०६,१११,११६, १२०,१४७,१६३,१६८,१६३,२१२, २१३, २२२, ४।३,६,२५,३३,१२०,१४७,२१६, २४२; ५।३,४,२८,३२,३३,४३ उ श६७ से १६; ३।४३,४४,५१०,१७ अणेगजीविय (अनेकजीवित जीवक) प १३५,३६ अणेगविह (अनेकविध) प १।१३,२०,२३,२६,२६, ३५ से ५१,५६,६३ से ६६,७०,७१,७५,७६, ७८,७६.८६,६६,१६।३०,३७ अणेगसिद्ध (अनेकसिद्ध) पश१२,१६॥३६ अगिदिय (अनेकेन्द्रिय) प १११३८ अणेरइय (अनैरयिक) प१७१६०,६१ अणेसणिज्ज (अनेषणीय) उ ३।३८ अणोगाढ (अनवगाढ) प १११६२,२८।१२,५८ अणोवम (अनुपम ) ज ३१६२,१०६,११६ अणोवमा (अनुपम!) प २१६४११८,१७।१३५ अणोवमा (दे०) ज २।१७ अणोवाहणय (अनुपानत्क) उ ५१४३ अणोहद्रिय (दे०) उ ३३११९४१२३ अण्ण (अन्य) प १२०,२३,२६,२६,३५ से ३७,३६ से ४७,४८१७.१० से २६% ११४८ से ५१,५६, ६०,७८,६६,६७,२२३० से ३३,४८ से ५५; १०२१ से २५, ३६.६४ ज ११४५,४६; २।२०,७१,६०,३८१,१८६,१८८,२०६, २१०,२१६,२२१; ४११३,१४,५२,११४,१४६, १५६,१६५,२०६,२१६,२१६,२२१; ५:१,५, १६,२४,३८,४७,५०,६७, ७।५६,५६,१८३, १८५ सू ६.१:१०।१६२ से १६४,१६६; १७११,१८१२१,२३,१६६११,२४, २०११ उ ५।१०,१७ अण्णतर (अन्यतर) मू ६३१ अण्णतरठितिय (अन्यत रस्थितिक) प २८१५०,५१ Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२४ अण्णत्थ ( अन्यत्र ) प ११।११ से २०,४६ १०१४, १७,१०११३६ २०१७ अण्णमण्ण (अन्योन्य ) प १६।३६, ४२ ज २२३९, ४१,१४६; ३।१०५,१०७,११३ से १३८ ५३,२७,३८१११८ से २१ उ १४७,६८, १३८, १३६ अण्णयर (अन्यतर ) प २२।६१ से ६५ : २३।१६१ १६२ ज २६६ अण्णया ( अन्यदा) ज ३१४,८३,१०४,१३०, १५४, १७२, १८८, २२२ १।१४; २२८ ३१४६ ६ ४।२१५।१३ अलगसिद्ध (अन्यलिङ्गसिद्ध ) प १|१२ अण्णा ( अन्यथा ) प १११०११३, ५ उ १११०६ अण्णाण ( अज्ञान ) प ५२४, २८, ३०, ३२, ३४, ३७, ४३,४५,४६,५३,५६,६८,७१,७४,८०,८३,८४ ८६८७८६,६७,६६,१०१, १०२, १०४, १०५, १०७,११७ अण्णाण परिणाम (अज्ञानपरिणाम ) प १३।१४,१६ १७,१६, अण्णाणि ( अज्ञानिन् ) प ११७४,८४,५६४,१८८३ २३।२००,२८/१३७ अण्णाणुपुथ्वी (अनानुपूर्वी ) प २८११८,६४ स् २६ अण्णोष्ण (अन्योन्य ) प २६४११० ज ७ ५८ सू १६/२६ अव्हाण ( अस्नानक ) उ५।४३ अतसी (अतसी ) प ११३७ २ अतिक्कम ( अतिक्रम ) ज २।१३३ अतितेया ( अतितेजा ) सू १०८८२ अतित्थगरसिद्ध ( ( अतीर्थंकरसिद्ध ) प १११२ अतित्थसिद्ध ( अतीर्थ सिद्ध ) प ११२ अतिदूर ( अतिदूर ) ज ११६ अतिभाग (अतिभाग) सू ४६ अतिमास (अतिमास ) सू १५३३७ अतिराउल (दे० ) प ११।१४,१६ अतिरेग ( अतिरेक ) ज ३१३५,२११५५८ अण्णत्थ-अतिथ अतिवतित्ताणं ( अतिव्रज्य ) प २८ । १०५ : ३४।१६ अतिसीत ( अतिशीत) सू १०/१२६ । १ अतिहि (अतिथि ) उ ३१४८, ५०, ५१ अति ( अति :- इ ) अतीति ज ३४६३,६५ अतीत (अतीत ) प १५८३,८४,८९ से १७,६६ से १०१,१०३ से १०६,१०६,११०,११२ से ११७,११६, १२०,१२२,१२३,१२५ से १३२,१३५,१३६,१४०, १४१, १४३ : ३६८ से २६, ३० से ३४,४४ से ४७ अतीय ( अतीत ) प १५४१०८, ११८; ३६।३४ अतीव ( अतीव ) ज ५।३८ अतुरिय ( अत्वरित ) ज ५१५,७ अतुल ( अतुल ) प २६४२० अत (आत्मन् ) प १५। ५० ज ३।२२२३३८३, १२०, १५० ५२८,४३ अत्तय (आत्मज) उ १।१०,३१,६५,१०९, ११०, ११३,११४; २१६ अत्तया (आत्मजा ) उ४६ अथ (अत्र ) ज ४।१४२,३ सू २।१३ ३११५१ अत्थ ( अर्थ ) ज ५।२६ १३ सू २०१७ उ ३ ४० अत्थ (अस्त्र ) ज ३७७, १०६ अत्थओ (अर्थतस् ) प १३१०११८ अत्यजुत्त (अर्थयुक्त) ज ५५८ अत्थणिर (अर्थ निकुर ) अ २१२४ अत्थणिउरंग (अर्थनिकुराङ्ग) ज २२४ अस्थि (अर्थार्थिन् ) सू २०१७ अथत्थिय (अर्थार्थिक ) ज ३।१८५ अत्थमंत ( अस्तवत् ) ज ३११६ अस्थमण ( अस्तमयन) ज ७।३६ से ३८ चे ४११ यू ११५१२१३ : ६२ अत्थसत्य (अर्थशास्त्र ) उ १।३१ अत्यसिद्ध (अर्थसिद्ध) ज ७|११७/२ सू २०१८६२ अत्थाम (अस्थामन् ) ज ३।१११ अस्थि (अस्ति ) प ११७५ २२६४।१४५४८०, ६६; ६।११०३१२।६, १५४५,४७ मे ४६, Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अस्थिकायधम्म-अद्धजोयण ८२५ ६०,६२,६३,६५,६६,८७,६४ में १०१,१०३ १४१,१८०; १५,७ उ ११३, ३१२६५६ से १०६,१०८,११२ से ११४,११६,१३८, अदेवीय (अदेवीक) प ३४११५,१६ १४१,१७४१३,३५; १८।११२, २०११,४,१७ अद्द (आर्द्र) प २।३१ १८,२२,२५,२८,२६,३४,३८,३६,४६,५०,५३, अद्दरूसग (अटरूपक,आटरूषक) प ११३७१४ ५८२११८ मे १००,१०३,२२१६,११,१२, अद्दा (आर्द्रा) ज ७/१२८,१२६११,१३४ से १३६, १४,१६,१८,५८,५६,७७,७६,८१,८२, २३१६ १३६।१,१४०,१४६,१६१, स १०।३ से ६, २८११२३,१३६,१४१,१४५,३४१७ में ६,११, १३,२४,३६,६२,६८,७५,५३,१०४,१२०, १२,१५,१६,२०, ३६८ से ११,१७ से २३, १३१ से १३४१२,१३५२,१६० २५,२६,२६ से ३२,३४,४४ ज ११४७, अद्दाय (दे०) प १५.१११५१५० सू ११३६१ उ ३।१०१४।५५१२६ अट्टारिठ्य (आर्द्रारिष्टक) प १७।१२३ अस्थिकायधम्म (अस्तिकायधर्म) प १।१०१११२ अद्ध (अर्ध) ज १११६,३।१०६।४।२०८,५२३८ अस्थिय (अस्थिक) प ११३६।१।३।१।२ ७.१७६,१७७१३ सू २।२ ।३ उ१११०३, अत्थोगह (अर्थावग्रह) प १५६८,७० से ७२,७४, १०६,११०,११३,११४ अद्धअउणछि (अर्दुकोनषष्टि) स ६।३ अथिरणाम (अस्थिरनामन्) प २३१३८,१२२ अद्धअट्ठारस (अर्धाष्टादश) सू १८।१ अद (अदस्) म् १६४ अद्धएकोणवीस (अर्धकोनविंशाति) स १८.१ अदंड (अदण्ड) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६,७४ ।। अद्धएकवीस (अर्धेकविंशति) सू १८१ १४७,१६८,२१२,२१३ अद्धएकारस (अधैंकादश) सू १८१ अदंतवणय (दे० अदन्तधावनक) उ ५५४३ अद्धंगुल (अर्धाङगुल) प ३६८१ ज १११७; अदि (अयि) उ ५१४१ ३।१०६७।२०७ सू १।५४ अद्धकविठग (अकपित्थक) प २१४८ सू १८१८ अदिइ (अदीति) ज ७।१८६३ अद्ध कुंभिक (अर्द्धकुम्भिक) ज ५।३८ अदिज्ज (अदेय) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, अद्धकोस (अद्धकोश) ज ११३७,४२,५१,४९, ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अदिट्ठ (अदृष्ट) सू ५११७११ १५,२४,३३,३६,११४,११८,१२८,१४७, १५४,१५५,२४२, सू १८।१२,१३ अदिद्वैत (अदृष्टान्त) ५३०।२७,२८ अद्धगाउय (अर्द्धगव्यूत) ५ ३३।२,६ ज ७।१० अदिण्णादाण (अदत्तादान) प २२।१४,१५,८० अद्धचउवीस (अर्द्ध चतुर्विंशति) सू १८१ अदिति (अदिति) ज ७३१३० अद्ध चंद (अर्द्धचन्द्र) प अदितिदेवया (अदितिदेवता) सू १०८३ ४८,५०,५६, ज ११२०; अदुक्खममुह (अदुःखासुख) प ३५॥१॥२,३५।१० ३१२४,७६,११६ ; ४।४६,१०८,२४५ अद्धचंदसंठाणसंठित (अर्द्धचंद्रसंस्थानसंस्थित पश५८ अदुत्तर (दे०) ज २।४७,१३१; ३1२२६; ४।२२, अद्धचोद्दस (अर्धचतुर्दश) सू १८११ ३४,५४,६४,१०२,१०५,११३,१५६.१६१, अद्ध छट्ट (अर्द्धषष्ठ) सू १८।१ १६६,२०८,२१०,२६१ उ ११११६ अद्धछव्वीस (अर्द्धषड्विंशति) सू १८११ अदुवा (दे०) ज ७।२१२ अद्धछन्वीसतिविह (अर्द्धषड्विंशतिविध) प ११६३ अदूरसामंत (अदूरसामन्त) प ३४१२२,२३ अद्धजोयण (अर्द्धयोजन) ज १७१, ११६,१०,१७, ज १५,३।१८,३१,५२,६६,१३१, २३,२५, ४१६,७,१४,२४,३६,४२,४६,५९,७१, १२ Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८२६ अद्धट्रम अधिपति ७४,७८,११२,११४,१११,११६,१२३, अद्धमंडलसंठिति (अर्द्धमण्डलसंस्थिति) सू १७।१, १२६,१२७,१४६ सू १८११.२० १.१५ से १७ अट्ठम (अष्टिम) ज २१७८,४।११०,११६, अद्धमागहा (अर्द्धमागधी) प ६८ १२८ सू१८।१ उ १३५३,७८ अद्धमास (अर्द्धमास) प ६।१२; २३७१,१८४ अट्ठारस (अप्टिादश) प २३।१०४ __ सू १३।४,५,११ अद्धणवम (अर्द्धनकम) सू १८१ अद्धमासिया (अर्द्धमासिकी) उ ३३१४,८३,१२० अद्धणाराय (अर्द्धनाराच) प २३।४५,६७ अद्धवीस (अर्द्धविंशति) सू १८१ अद्धतिवण्ण (अत्रिपञ्चाशत् ) पश२७।३ अद्धसत्तम (अर्द्धसप्तम) स १८।१ अद्ध तेरस (अर्द्ध त्रयोदश) प ११६०,८११; अद्धमत्तरस (अर्द्धसप्तदश) सू १८।१ २३।१०२ ज ४१३६,४३,६६,७२,११४,१२०, अद्ध सीतालीस (अर्द्धसप्तचत्वारिश) सू श२३ १२२ स १८१ अद्धसोलस (अर्द्धषोडश) ज ४।११६ सू १८।१ अद्धतेवट्ठि (अर्द्ध त्रिषप्टि) ज ४।२४०३७ अद्धहार (अर्धहार) ज ३।६,२११,२२२:५॥३८ अद्धतेवण्ण (अद्धं त्रिपञ्चाशत् ) प २।२७ अद्धतेवीस (अर्द्ध त्रयोविंगति) प६३१ स. १८।१।। अद्धा (अद्धा, अध्वन्) प १६४।१५,१६,१५। अद्धदसम (अर्द्धदश) सू १८१ ५८।१:१५॥६३,६४; १८.१,१२५; ३६।१२, अद्धद्धमिस्सिया (अद्धि मिथिता) प १२३६ ६४, मू१११,१२,२७ से ३१; रा२; ६३; अद्ध पंचम (अर्द्धपञ्चम) ५४३४,३६,४०,४२ १२।२ से ६,१० से १२ सू १८१ अद्धामिस्सिया (अर्द्धमिश्रिता) ५ १११३६ अद्धपण्णवीस (अर्द्धपञ्चविंशति) म १८१ अद्धासमय ('अद्धा'समय) प १५३,३।११४,११५, अद्धपण्णरस (अर्द्धपञ्चदशन ) स १८१ १२१,१२२,१२४; ५।१२४,१५५३ से ५५, अद्धपलिओवम (अर्द्धपल्योपम) प ४११६८,१७०, ५७,१८।१२५ १७४,१७६,१८०,१८२,१८६,१८८,१६२, अद्भुट्ठ (दे०) प ३३३३,४ ज ४११६ सू ११२३, १६४,१६५,१६७ ज ७।१८८,१६०,१६२, ३।१; १८११ उ ५।१० १६३ सू १८।२६,२८,३०,३२,३३ अधरण (अधन्य) उ ११६२, ३।९८,१०१,१३१ अद्धपलियंकसंठित (अपर्यक संस्थित) स १०॥४४ ।। अधमस्थिकाय (अधर्मास्तिकाय) प ११३ ; ३१११४, अद्धपोरिसी (अर्द्धपौमषी) सू ।३ ११५, ११७.१२२, ५११२४; १५१५३,५४ अद्धबारस (अर्द्रद्वादश) सू १८।१ अधर (अधर) ज २११५ अद्धबयालीस अर्द्धवाचत्वारिंश) स ११२३ अधरिम (अधरिम) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, अद्ध बाबण्ण (अर्द्धद्विपञ्चाशत् ) सू ११२३ ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अद्धबावीस (अद्वंद्वाविशति) स १८।१ अधाजोग (यथायोग) सू १५:१० अद्धभरह (अदभरत) ज ३१६५ अधाजोय (यथायोग) मू १५१३ अद्धभाग (अर्धभाग) ज १।२३,४८, ४।१,६२,८१ अधातच्च (यथातथ्य) सू १२११३ अधारणिज्ज (अधारणीय) ज ३११११ अद्धमंडल (अर्द्ध मडल) च ३३१ सू १६१८; १३१७ अधिगय (अधिगत) प १३१०११२ से ११,१४ से १६:१५।२६ से ३१ अधिपति (अधिपति) ज ३१२५,४६ Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अधिय-अपत्थियपत्थग अधिय (अधिक) सू १३।११,१४ १८३,४२,५,८,११,१४,१७,२०,२३,२६,२६, अधिवति (अधिपति) प २१५०,५१ ३२,३५,३८,४१,४४,४७,५०,५३,५७,६०,६३, अधेसत्तमा (अधःसप्तमी) प ३।१८३ ६६,६८,७०,७३,७५,७७,८०,८३,१०२,१०५, अनिल (अनिल) ज २६८,१३१ १०८,१११,११४,११७,१२०,१२३,१२६, अपइट्ठाण (अप्रतिष्ठान ) प २२७ १२६,१३२,१३५,१३८,१४१,१४४,१४७, अपच्चक्खाण (अप्रत्याख्यान) प १४।७,२३।३५ १५०,१५३,१५६,१५६,१६३,१६६,१६६, अपच्चक्खाणकिरिया (अप्रत्याख्यानक्रिया) १:३२,१७५,१७८,१८१,१८४,१८७,१६०, प १७११,२२,२३,२५; २२१६०,६४,६६, १६३,१६६,१६६,२०२,२०५,२०८,२११,२१४, ७२,७४,६८,६६ २१७,२२०,२२३,२२६,२२६,२३२,२३५, अपच्चक्खाणि (अप्रत्याख्यानिन्) प २२१६४ २७१;६७१,७२,७६,८३,८४,९७,१०२; अपच्चक्खाय (अप्रत्याख्यात) प १११८६ १११३१,३५,३६१८१८,१८,३०,३६,११४; अपज्जत्त (अपर्याप्त) प १।१७,२२,३१,४६ २११४०,४२, २३११६३; २८/१४३ से १४५; से ५१,६०,६६,७५,७६,८१,२।१७,२० ३६।५२ से ३६,४१ से ४३,४८ से ६३ : ३१४३ से ४६, अपज्जत्ति (अपर्याप्ति) प २८.१४३ ५३ से ६०,६४ से ७१.७५ से ८४,८८ से १५, अपज्जवसित (अपर्यवसित) १६४ ११०,१७४ ; ४१५५,८६,८६,६१,६३,६६,६६, अपज्जवसिय (अपर्यवसित) प १८७,१३,१७, २३८,२४१,२४४,२४७,२५०,२५३,२५६, २५,२६,५५,५८,५.६,६३,६४,६७,६८,७५ २५६,२६२,२६५,२६८,२७४,२७७,२८०, से ७७,७६,८२,८३,८६,८८,९०,६२,१००, २८३,२८६,२८६,२६२,२६५,२६८, २११६, १०५,१११,११२,११५,११८,१२१,१२३, १६,१८,२३ से ३२,३६,४०,४१,४८,५०,५३, १२४,१२७ अपज्जुवासणया (अपर्युपामना) उ ३।४७ अपडिक्कत (अप्रतिक्रान्त) उ ३१८३,१२०,४२४ अपज्जत्तग (अपर्याप्तक) प १२०,२३,२५,२६,२८ अपडिबद्ध (अप्रतिबद्ध) जरा७० २६,४८१६०; १९४८ मे ५१,५३,८४, १३१ अपडिबद्धगामि (अप्रतिबदगामिन्) जश६८ से १३३,१३५,१३७,१३८,२१२,३,५, अपडिबुज्झमाण (अप्रति बुध्यमान) ज २०६५ ६,८,६,११,१२,१४ से १६३४१,८३ से ४६,५१,५३ से ६०,६२,६४ से ७१,७३,७५ अपडिवाइ (अप्रतिपातिन) प ३३।१११,३३३३५ से ८४,८६,८८,६१,६३ से ६५,११०,१४२, अपडिवाति (अप्रतिपातिन) प११११४ १४८,१५१,१८३,६७१,७२,८३,१०२; अपडिसुणमाण (अप्रतिशृण्वत्) उ १११२७ १११३६,४१,१५१४६१८१४८,२११५,१०, अपडिहय (अप्रतिहत ) प १११८६ १३,२०,३३,३४,३६,४१,५२ से ५५,७२, अपडोयार (अप्रत्यवतार) प ३०।२७,२८ ३४.१२ अपढ़म (अप्रथम) प १३१३,१०३,१०६,१०७, अपज्जतगणाम (अपर्याप्तकनामन् ) २३१३८,१२० १०६,११०,११३,११४.११६,११६,१२०, अपज्जत्तय (अपर्याप्तक) प ११२६,३१६२,६६ १ २२,१२३ ;१६।३७ से ६८,८६,८६,६०,६२,६३,६५,१४५,१५४, अपत्थियपत्थग (अप्राथितप्रार्थक) ज ३।१२४ १५७,१६०,१६३,१६६,१६९,१७२,१७४, उ १।११५.११६ ५५ Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५२८ अपत्थियपत्थय-अप्प अपस्थियपत्थय (अप्रार्थितप्राथंक) ज ३।२६,३६, ४७,१०७,११४,१२२,१३३ उ शाह अपदेसठ्या (अप्रदेशार्थ) प ३११७६,१८१ अपमत्त (अप्रमत्त) १७३३,२१७२ अपमत्तसंजत (अप्रमत्तसंयन) प ६१६८ अपमत्तसंजय (अप्रमत्तसंयत) प ६।१८,१७१२५, २२१६३ अपमाण (अप्रभाण) प ३०।२७,२८ अपराइय (अपराजित) ज ३।३ अपराइया (अपराजिता) ज ४१२१२ अपराजित (अपराजित) प १११३८ ; २१६३; ६।५६ ; ७।२६ ज ११५ अपराजिता (अपराजिता) ज ४२०२; ७१८६ अपराजिय (अपराजित) प ४।२६४ से २६६; ६.४२,१५१८६,६२,१००,१०५,१०८,१०६, ११४,११६,१२०,१२१,१२३,१२५,१२६, १३१,१३६,२८।६६ अपराजियत्त (अपराजितत्व) प १५३११३ अपराजिया (अपराजितः) ज ४।२१२।४५८१ ७.१२००२ सू १०१८८।२ अपरिग्गहिय (अपरिगृहीत) प ४।२२२ से २२४, २३४, से २३६, अपरिजाणमाण (अपरिजानत्) उ ३१५६,६१,७७, अपरिसे सिय (अपरिशेषित) प २८१२३ अपविठ्ठ (अप्रविष्ट) प १५॥३६, ४१ अपसत्थ (अप्रशस्त) प १७।११४११, २३६५६, १०६,११७,१२८ अपाणय (अपानक) ज २१६५,७१,८८, ३३२२५ अपि (अपि) ज ११२२ उ १९७; ३१६०; ५११७ अपिक्क (अपक्व) प १७:१३२ अपुठ्ठ (अस्पृष्ट) प १११६१, १५१३६ से ३८,४१; २२१५६; २८१११,५७ ज ७४४०,५३ अपुणरावित्ति (अपुनरावृत्ति) ज ५।२१ अपुणरुत्त (अपुनरुक्त) ज १६४; ५१५८ अपुण्ण (अपुण्य) उ ११६२; ३१६८,१०१,१३१ अयुरिसक्कार (अपुरुपकार) ज ३१११ अपुरोहिय (अपुरोहित) प २१६०,६३ अपुष्व (अपूर्व) १२८१२०,३२,६६ अपुवकरण (अपूर्वकरण) ज ३।२२३ अपोह (अपोह) ज ३।२२३ अप्प (आत्मन्) ५० ११४०१४, २२१४ से ६ ज ११५; २१७१, ८३; ३।१८८; ५:५७ सू१।१६; १३३१२,१४ से १७,१८१८; २०१४ उ ११२,३,४६,६५,६८,७२, २११०,१२, ३११४,२६,५०,५१,५३,५४,८३,६६,१३२, १४४,१६१, ४।२४,२८, २६, २८,३२,३६, अपरिताविय (अपरितापित) ज २०४६ अपरित्त (अपरीत) ५ ३।१०६; १८।१०६ अपरि जमाण (अपरिभजत ) उ ११३५ अपरिभूय (अपरिभूत) ज ३११०३ उ ३.१०, २८ अपरिमिय (अपरिमित) ज ३।१६७ अपरियाग (अपरिपाक, अपर्याय) प १७११३२ अपरियार (अपरिवार) प ३४११५,१६ अपरियारग (अपरिचारक) प ३४।१८,२५ अपरिसेस (अपरिशेष) प २८/४०, ६६ ज ४।८३, अप्प (अल्प) प ३३८ से ११६, ११७.१,११८ से १२०,१२२ से १२४,१७४,१७६ से १८३; ६।१२३; ८1५,७,६,११; ६।१२,१६,२५; १०३ से ५,२६ से २६; १११७६,६0; १५।१३,१६,२६,२८,३१,३३,६४; १७१५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से १३,१४४ से १४६; २०६४; २१११०४,१०५; २२११०१, २८१४१, ४४,७०, ३४।२५; ३६१३५ से ४१,४८,४६ ज १२५०; २१५८,८३,१२३,१२८,१४८,१५१, १५७; ३३१०,११,८५,८७,११७११,१८४; ४११०१, ५१५२७,५७७.११२१४,१६८,१६७ सु १०।१२६।४; १५१, १८।१८,३७; १४ Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अप्प-अबाहा ८२६ २३,२६; २०१७ उ १११६,४२,६३, ३।२६, १४१; ४।१२ अप्प (अल्प) जवासा प १४०।४ अप्पकप्पिय (आत्मकल्पित) उ ११४६ अप्पकम्मतराग (अल्पकर्मतरक) प १७१३,१६ अप्पच्चदखाण (अप्रत्याख्यान) प १४७ अपच्चक्खाणकिरिया (अप्रत्याख्यान क्रिया) प २२१६४,६६,७४,६७,१०१ अप्पच्चक्खाणवत्तिया (अप्रत्याख्यानप्रत्यया) प२२०६४ अप्पडिबुज्झमाण (अप्रतिबुध्यमान) ज ३१२०४ अप्पडिय (अप्रतिहत) ज ३८१,८८,१०६,१५१; ५२१ अप्पणया (आत्मन् ) प २८।२०,३२,६६ अप्पतराय (अल्पतरक) १७१२,२५ अप्पतिट्ठिय (अप्रतिष्ठित) प १४१३ अप्पत्त (अप्राप्त) सू१९२२१७ अप्पत्थियपत्थय (अप्रार्थितप्रार्थक) ज ३१०७ अप्पबहु (अल्पबहु) प १७४११४।१; २१।१।१; ३४१११२ ज ७११६८२ अप्पमेय (अप्रमेय) ज ५१५८ अप्पवस (आत्मवश) उ ३।११८ अप्पवेदणतराग (अल्पवेदनतरक) प १७१६,२७ अप्पसत्थ (अप्रशस्त) प १७११३८२३।११६, १३२, ३४।१३ अप्पसरीर (अल्पशरीर) प १७।२,२५ अप्पसोय (अल्पशोक) उ ११६३ अप्पयगति (अप्रहतगति) ज २१६८ अप्पाबहु (अल्पबहु) प६।१२३; १५।११ अप्पाबहुग (अल्पबहुक) प १७।६६,७० अप्पाबहुय (अल्पबहुक) प०१०।२५; १९८० १५.१८,१६, १५।५८११, १७७७ अप्पिच्छ (अल्पेच्छ) ज २०१६ अप्पिढिय (अल्पद्धिक) प १७१८४ से ८७,८६ ज० ७.१८१ मू १८१६ अप्पिण (अर्पय्) अप्पिणइ उ० १।११८ अप्पिणामि उ० ११११७ अप्पिणित्ता (अपयित्वा) ज ३।८१ अप्पिय (अप्रिय) ज २११३३ अप्पियतरिया (अप्रियतरका) प १७.१२३ से १२५, १३० से १३२ अप्पियत्त (अप्रियत्व) प० २८।१४ अप्पियस्सर (अप्रियस्वर) ज २११३३ अप्पुस्सुय (अल्पौत्सुक्य) ज ३।२६,३६,४७,१३३ अप्पेस्स (अप्रेष्य) ५०२१६०,६३ अप्फुण्ण (दे) उ ११२३,६१ अप्फोड (आ+स्फोटय)--अफोर्डेति ज ५७ अप्कोडिय (आस्फोटित) ज ३१३१; ७१७८ अप्फोया (आस्फोता) मल्लिका, अपराजिता प १॥४०॥३ अफासाइज्जमाण (अस्पृश्यमान) प २८।४०,४१, ४३,४४,६९,७० अफुण्ण (दे०) प ३६५६,६०,६६ से ६८,७०,७१, ७३ से ७५ अफुसमाण (अस्पृशत् ) प १३।२३ अफुसमाणगति (अस्पृशद्गति) प १६।३८,४०; ३६६२ अफुसित्ता (अस्पृष्ट्वा ) प १६:४० अबंधग (अबन्धक) प ३११७४; २२।८४; २६६ अबंधय (अबन्धक) प २२१८३,८४,८६; २६.८ से अबल (अबल) ज ३११११ अबहुस्सुय (अबहुश्रुत) सू २०१६।२ अबाधा (अवाधा) सू२८।२० अबाहा (अबाधा) प २१६४, २३१६० से ६४,६६, ६८,६६,७३ से ७७,८१,८३,८५ से १०,६२, ६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१७६,१७७, १८२,१६३,१८७,१६० ज ११७, ३.१; ४।११०,११६,१४१,१४२,२०६.२०७; १५, Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अबाहूणिया-अभवसिद्धिय ६,८ से १३,६४,६५,६७ से ७२,८८,८६,६१, ७४,८४; २३५८,७६,१६६; २६२१ ६२,१६८८१,१७१ से १७४,१८२ सू १८१५,६ ज ३११८,६३,१८०; ७१८७ से १६० अबाहूणिया (अबाधोनिका) प २३१६० से ६४,६६ सू १८१२५ से ३० उ ३३१६ ६८,६६,७३ से ७७,८१,८३,८५, से ६०,९२, अदिभतर (आभ्यन्तर) प १३५५३३०१ ६५ से १६,१०१ से १०४,१११ से ११४, जे १७, २११२, ४,२१, ५।३६सू १११४, ११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३,१७६, १६,२१,२४,२७ से २६,३१; २१३; ४।६; १७७,१८२,१८३,१८७,१६० ६११; ८।१, १६।२१।१ अबीय (अद्वितीय) ज ३१२०,३३,८४,१८२ अभिंतरओ (अभ्यन्तरतस् ) ज ३।२४।२,१३१२ अभइय (अभ्यधिक) प १८:४ उश अभंग (अभि । अञ्ज ) अब्भंगेइ उ ३१११४ अभिंतरग (आभ्यन्तरक) प ११४८।४५ ___ अभंगेति ज ५११४ अभिंतरय (आभ्यंत रक) उ ११४४ अभंगण (अभ्यञ्जन) उ ३।११४,११५,११६ अभिंतरिय (आभ्यंतरक) ज ४।१६ अभंगेत्ता (अभ्यज्य) ज ५११४ अब्भुक्ख (अभि+ उक्ष ) अब्भुक्खेइ ज ३११२, अभंतर (आभ्यन्तर) प ३६८१ ज ३।१८४; ८८ उ०४।२१ ४।१५२, ७।५,८,९,१०,१३ से १६,१६ से अब्भुक्खेत्ता (अभ्युक्ष्य) ज ३।१२ २२,२५ से २७,३०,३१,३३,६४,६७ से ६६, अन्भुग्गय (अभ्युदगत) प ४।४८ ज ११४२, २।१५; ७२ से ७५,७८ से ८१,८४,८८,६१,६३,६५, ४.४६, २२१, ७.१७६,१७८ सू १८१८ १७५ सू १११,१२,१४,१६,१७,२१,२४, अब्भुट्ठ (अभि-1-उत्-+-ष्ठा) अब्भुद ठेइ २७,३०; २।३; ३११,२; ४१७; ६.१ ६२; ज ३१६,२६,३६,४७,१३३, २१४; ५१२१ १०११३२; १३।१३, १९४१, १६।२२।१२ उ ३६१०१--अब्भुट्ठमि उ ३११३६, ४११४ -~-अभुळेहि उ ३।११५ अभंतर पुरक्खरद्ध (आभ्यन्तर पुस्करार्द्ध) सू ८१ अब्भुठ्ठिय (अभ्युत्थित) ज २१७० १६.१६ स १६ अब्भुठेत्ता (अभ्युत्थाय) ज ३१६ उ ३३१०१, अभंतरिय (आभ्यन्तरिक) सू ४१३,४,६,७ अभंतरिल्ल (आभ्यंतरिक) ज ७।१७५ सू१८१७ अब्भुण्णय (अभ्युन्नत) ज २११५, ७११७८ अब्भक्खाण (अभ्याख्यान) प २२०२० अब्भुवगम (अभ्युपगम) प ३५।११ अभणुण्णाय (अभ्यनुज्ञात) उ ३३१०६,१०८,१३८; अन्भोरुह (अभ्यवरुह) प ११४४०१ ४।११ अन्भोवगमिया (आभ्युपगमिकी) प ३५।१२,१३ अभपडल (अध्रपटल) प १।२०।२; ११७५ अभंगय (अभङ्गक) प २६९; २८११६ अब्भवद्दलय (अभ्रवादलक) ज ५१७ अभवखेय (अभक्ष्य) उ ३१३७ से ४० अब्भवग्लुया (अभ्रवालुका) प १।२०।२ अभड (अभट) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, अन्भहिय (अभ्यधिक) प ४११७१,१७३,१७४,१७६, १४७,१६८,२१२,२१३ १७७,१७६,१८०,१८२,१८३,१८५,१८६, अभय (अभय) उ १३१,४२ से ४६,४८ १८८; ५१५,१०,२०,३०,३२,७२,८१,१०२, अभयदय (अभयदय) ज ५।२१ १२६,१३१,१३२,१३४,१६०,१७७,१६३, अभवसिद्धिय (अभवसिद्धिक) प ३.११३,१८३; २१४,२२८; १७॥६३; १८२८,४७,६०,६६ से १२७,२०; १८११२३, २८।११२ Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अभव्व जण-अभिरूव अभव्वजण (अभव्यजन) सू २०६१ अभायण (अभाजन) सू २०६।३ अभाव (अभाव) प ३६१२१ अभासग (अभाषक) १ ३।१०८; १११३८ से ४१, अभिणंद (अभिनणद् ) अभिणंदति ज २१६४ अभिणंद (अभिनन्द) सू १०११२४११ अभिणंदत (अभिनन्दत्) ज २१६४; ३।१८५, २०६ अभिणंदिज्जमाण (अभिनन्द्यमान) ज २०६५ अभिणंदिय (अभिनन्दित) ज ७११४।१ अभिणय (अभिनय) ज ५१५७ अभिणिसढ (अभिनिमृत) सू ६।१,३ अभिणिस्तव (अभि+नि । स्र ) अभिणिस्पति ज ४११०७ अभिणिस्सित (अभिनिथित) सू ६३ अभिणी (अभिणी ) अभिणेति ज ५१५७ अभिष्ण (अभिन्न) प ११।७२ अमिथुण (अभि : प्टु) ___ अभिथुणंति ज २१६४ ; ३।२१० अभिथुणंत (अभिष्टु वत्) ज २१६४ ; ३।१८५,२०६ अभिथुब्वमाण (अभिष्टयमान) ज २१६५, ३१८६ २०४ अभासय (अभाषक) १०१८।१०५ अभिइ (अभिजित् ) ज ७।११३।१, १२८ से १३१, १३३,१३४११, १३५,१३६,१३८,१४१,१४६, १५६,१७५ सू १०।१ से ६,८,२०,२३,२७,५५, ६३,७५,७८,६२,१२०,१२२,१२३,१३० से १३६; १२।१६; १५।८,११; १८७; अभिओग (अभियोग) उ ३६१ अभिक्ख (अभीक्षण) ज २११३१ अभिक्खण (अभीक्ष्ण) ११७१२,२५, २८।२१,३३, ६७ ज०१।१८, २११३१,१३३; ३।१०४, १०५ उ ११५६,८४,६७, ३।११७; ४१२१ अभिगम (अभिगम) प ३४।१२ अभिगमण (अभिगमन) ज ५७,४१ सू० १३११७ उ १।१७; ३७ अभिगय (अभिगत) उ ३३१४४; ५।३४ Vअभिगिण्ह (अभि+ ग्रह )अभिगिण्हइ उ ३।५५ अभिगिहिस्सामि उ ३१५० अभिगिण्हेत्ता (अभिगृ ह्य) उ ३१५० अभिग्गह (अभिग्रह) प १११३७१२ उ० ३१५० अभिचंद (अभिचन्द्र) ज २१५६, ६१; ७/१२२११ सू १०१८४।१ अभिजात (अभिजात) सू१०1८६४२ अभिआय (अभिजात) ज ३१३; ७१११७.२ अभिजिणमाण (अभिजयत् ) ज ३१८,३१,१८० अभिजिय (अभिजित) ज ३।३६,३६,४७,५६,६४, ७२, १२६१४, १३३,१३८,१४५,१८८) ७/१२६ अभिजेतुं (अभिजेतुम् ) ज ३१६५ अभिज्झियत्त (अभिध्यातत्व) प २८।२४,२६ अभिनिविट्ठ (अभिनि विष्ट) प २०१३६ अभिनिस्सब (अभि-नि+स.) अभिनिस्सवेइ उ १४५६ अभिभूय (अभिभूत) ज २११३३ उ ११६०,६२,८५, ८७,६३ अभिमुह ((अभिमुख) ज ११६; २६०३.१४, १५,२२,३०,३१,३६,४३,४४,५१,५२,६० ६१,६८,६६,१३०,१३१,१३६,१३७,१४०, १४११४५,१४६,१५०,१७२,१७३,२०५,२०६, ४।१,३७,३८,६५,७१,७३,६०,६१,६४; ५।५८,६।२३ से २६ उ १।१६३४३ अभिरक्ख (अभिरक्ष ) अभिरकरवउ उ ३३५१ अभिरममाण (अभिरममाण) ज २११४६ : ५१६७ अभिराम (अभिराम) प २१३०,३१,४१ ज ३.१, ७,६,१७,२१,३४,८८,१०६,१७७,२२२; ४१२७,५७,२८,४३ सू २०१७ उ ५५ अभिरुइय (अभिरुचित) उ ३११३८ अभिरूव (अभिरूप) प २१३०,३१,४१,४८,४६, Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३२ अभिलंघमाण-अमणुण्ण ५६,६३,६४ ज ११८,२३,३१,४२; २।१२,१४, अभिसिचाव (अभि+सेचय) अभिसिचावेइ १५, ४१३,६,१३,२५,२७,२६,३३,४६,१४६; उ ११६८ अभिसिंचावेसि उ १।७२ ५६२ सु०१११ उ०५।४ से ६ अभिसिंचावित्तए (अभिपिञ्चयितुम) ज ३११८८ अभिलंघमाण (अभिलङ्घमान) ज ४१४६ उ० ११६५ अभिलाव (अभिलाप) ५४।५५; ६।४६.५६,६९,७८ अभिसिचित्ता (अभिपिच्य) ज २१६४ १११,१२३,१११८३ १५३३८,५०; १७८८, अभिसिंचिय (अभिषिञ्चित) ज ३।२१२ ६१,६६,११७,१४५,१४६२११५५; २२१५८; अभिसित्त (अभिषिक्त) ज ३१२१४ २३६१६१ ; ३६६६५ ज ३१२११ : ४।२३८; अभिसेक (अभिषेक) ज ३।२०४,२१४,२१७, ४।१४० ७.१५५ सू ५।१ ; ६।१; ७११ ; ६१२,३ ; १०।२३, १४८,१५०; १५१६; १८।११६१,३१, २०१२ अभिसेवक (अभिषेक्य) उ १११२३,१३१ अभिवंदिऊण (अभिवन्द्य) प १११ अभिसेय (अभिषेक) ज २०१५, ३१२०६; ४११४०११ अभिवढि (अभिवृद्धि) ज ७।१३० १६०,२४४,२४८, ५१५७,५८,६१,६५ अभिवडिढत (अभिवधिन) सू १०।१२८,१२६% अभिसेयपीढ (अभिषेकपीठ) ज ३११९४ से १९६, ११११,१२१,६,१२,१५।२६से २८ २०४ से २०६,२१४ से २१६ पनि अभिनय ११ अभिसेयमंडव (अभिषेकमण्डप) ज ३१६१,१६३, से ६,१२१६ १६४,१६८,२०४ से २०६,२०८,२१४ अभिवडिढत्ता (अभिवयं ) सू ६।१ अभिसेयसभा (अभिषेकसभा) ज ४११४० अभिवढिदेवया (अभिवृद्धिदेवता) सू०१०१८३ अभिसेयसिला (अभिषेकशिला) ज ४१२४४,५१४७ अभिवढिय (अभिवधित) ज ७१०५,११० से अभिसेयसिहासण (अभिषेकसिंहासन) ज ४१२४८%3 ११२।५ सू १०१२७,१२६।५ ५.४७ अभिवढियसंवच्छर (अभिवधितसंवत्सर) सू अभिहण (अभि+ हन्) १०1१२७ ___अभिहणंति प ३६।६२,७७ अभिवता (अभिवयं ) ज ७।२७ सू६।१ अभिहणमाण (अभिघ्नत् ) ज ३११०६ अभिवड्ढेमाण (अभिवर्धमान) ज ७.१०, अभिहिय (अभिहित) प १११०१।१२ १६,२२,२५,२७,३०, ६६,७५,८१, सू१२०, अभीइ (अभिजित् ) ज २१८५,८८,१३८,७११३६।१ २१,२७,६।१६२ सू १६।२२१२७ अभिवुड्ढ (अभि + वृध) अभिवुड्ढइ सू ६१ अभीय (अभीत) ज २०६४ अभिवुढिड्त्ता (अभिवयं) सू ११४ अभेज्ज (अभेद्य) ज ३७६,६६ से १०१,११६, अभिवुड्ढेमाण (अभिवर्धमान) सू १११४ ; २१३; हा२ अमेल (अभेल) ज ३।१०९ अभिसमण्णागय (अभिसमन्वागत) प २०१३६ मू अमच्च (अमात्य) ज ३१,६,७७,२२२ ३।२६,३६,४७,१२२,१२६,१३३ उ ३.८५, अमणाम (दे०) ज २।१३३ १४,१२२,१६३,५।३१।। अमणामतरिया ('अमणाम' तरका) प १७११२३ अभिसरमाण (अभिसरत् ) उ ३६८ से १२५,१३० से १३२ अभिसिंच (अभि ।-सिंच) अभिसिंचइ ज २१६४ अमणामत्त ('अमणाम' त्व) प २८२४ अभिसिंचंति ज ३।२१० ; ४१२४८,२५० से अमणुण्ण (अमनोज्ञ) प २३।१६,३१॥ २१३१, २५२:५।५६ अभिसिंचति ज ३१२०६५६० १ ३३ Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अमणुष्णतरिया-अरतिरति अमगुण्णतरिया ( अमनोज्ञतरका ) प १७११२३ से १२५,१३० से १३२ अमणत ( अमनोज्ञत्व ) प २८१२४ अमणूस ( अमनुष्य ) प २११७२ अमम (अमम ) ज २५०,१६४;४।१०६ २०५, ७/१२२३ १०६४।३ अमयमेह ( अमृतमेध ) ज २।१४४, १४५ अमर ( अमर ) प २३०, ३१, ४१ २।६४।२१ ; ज २७१ ३।३५, १०६,१३८ अमरपति ( अमरपति) ज ३१३१ अमरवइ ( अमरपति ) प २०४५।२ ज ३१३,१८, ६३,१८० अमल ( अमल ) ज ४२६ अमाइसम्म हिउववण्णग (अमाथिसम्यक् दृष्टयुपपन्नक) प १७३२७,२६ अमाइसम्मद्दिट्ठी (अमायिसम्यक दृष्टि ) प १५/४६; ३४।१२; ३५।३ अमाइसम्मद्दिट्ठी उबवण्णग (अमाथि सम्यकदृष्ट् युप पन्नक) प १७।२७ अमाण ( अमान) ज २२६६ अमाय ( अमाय) ज २२६८ अमावासा (अमावास्या) ज ७।१२५, १३७, १४७, १४८.१५०,१५१,१५४, १५५, सू १०७, २३ से २६,१३६,१३७,१४८ से १५१,१५७ से १६१; १३१ नं ३, ६, अमिज्ज ( अमेय ) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, ७४, १४७, १६८ २१२,२१३ अमित्त ( अमित्र ) . ज ३।२२१ अमिय (अमृत) प २१६४१६ अमिय (अमित) प २२४०७ ज ७१७८ अमियवाहण ( अमितवाहन ) प २२४०१७ अमिलाय ( अम्लान) ज ३११२,२८,४१,४६,५८, ६६,७४, १४७,१६८,२१२,२१३ अमिलाव (अमिलाप ) ज ४।२३८ अमूढदिट्ठि (अमूढदृष्टि ) १ १ १०१।१४ अमोहा ( अमोहा) ज ४। १५७।१ अम्मता ( अम्बा ) उ ४।११ ८३३ अम्मया ( अम्बा ) उ १।३४, ४०, ४३, ७४ ३३६८, १०१,१३१ अम्मा (अम्बा ) प ११।१३,१८ उ ११७१,७३,८८ अम्मापि ( अम्बापित ) उश अम्मापयर ( अम्बापित ) उ१।६३ ३११२६,१२८ ४।११,१४,१५,१६; ५।२७,३८ अम्ह ( अस्मत् ) प १|१|३ ज ५।३ सू ११२० उ १।१५ अय (अज) १/६४; ११।१६ से २० ज २१३४, ३५७/१८६।३ अ ( अयस् ) प १ २०११ ज १७ अवकरय ( अजकरक) ज ७ १८६१२ सू २०१८,८२ अखंड (अखण्ड ) प ११।७४ अयगर ( अजगर ) प १६८,७२ ज २२४१ अयगोल ( अयोगोल ) ११४८।५६ अयण ( अयन ) ज २२४,६६,७११२६, १२७ सू ६१८११; १३७, ६, १२ से १४ अयदेवया (अजदेवता ) सू १०/८५२ अयमाण ( अयमान ) ज ७ २०, २३, २६, २८ सू ११४,१६,२१,२४,२७; २।३६।१; १३१; १४/३, ७ अल (अचल ) ज ३१७६,११६ अतिकुसुम ( अतसीकुसुम ) प १७।१२४ अयसी (अतसी) प१।४५१२; २२३१ ज २२३७ अयात (अजानत् ) प १।१०१५ अयोज्झ ( अयोध्य) ज ३१३५ अयोमुह ( अयोमुख ) प १८६ अर (अर) ज ३१३५ अरइ (अरति) प २३।७७ जं २२७० अरजा (अरजा ) ज ४२१२ अरणि ( अरणि) ज ५।१६ उ०३।५१ अरण्ण (अरण्य ) ज २२६६,१३१ अरति (अरति) प २३।३६,१४५ अरतिरति ( अरतिरति ) प २२२० Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अरत्त-अवज्झा अरत (अरक्त) प २१७० ६४,७२,७८,१५०,१८०,२०६,२२४;५।१४, अरय (अरक) ज ३।३० २२,३६,४१,४३ उ ११३५,७०,३१५०,११०, अरय (अरजस्) सू २०१८१७ ११३; ४११८,२०, ५।१७ अरयंबर (अरजोम्बर) प १५० से ५३,५४ अलंकारिय (अलंकारिक) ज ४।१४० ज २१६१ अलंकित (अलङ्कृत) सू २०१७ अरयंबरवत्थधर (अरजोम्बरवस्त्रधर) ज ५१८, अलंकिय (अलङ्कृत) प २१४८ ज ३१६,८५,२११, ४५ २२२,४१४६,५१५८ उ १।१६,४२,३३२६, अरया (अरजा) ज ४।२१२१२ १४१ ; ४.१२ अरबाक (अरबक) प ११८६ अलंबुसा (अलम्बुसा) ज ५१११११ अरविंद (अरविन्द) प ११४६.११४८।४४ अलकापुरी (अलकापुरी) ज ३।१ ज ३११७ अलत्तग (अलक्तक) उ ३३११४, अरसमेघ (अरसमेघ) ज २।१३१ अलद्ध (अलब्ध) उ ३.३८ अरह (अर्हत्) ज २१६३ से ६७,७३ से १०; अलभमाण (अलभमान) उ ११६६ ५३५८,६५ उ ३।१२,१४,२९,४६,७६,४।१०, अलसंडविसयवासी (अलसण्ड विपयवासिन) ११,१३,१४,१६,२०,५।१४,२०,३२,३३,३६, ज३८१ ३७,३६ से ४१ अलाय (अलात) ५११२६ अरहंत (अर्हत्) प ११६१ ६।२६ ज ११:५।२१ अलिय (अलीक) उ ११४७ सू० २०१९४४ उ १६१७ अलेस्स (अलेश्य) प ३१६६,१३।१६, १७१५६, अरहंतवंस (अर्ह वंश) ज २११२४ ५८,१८७५, २८११२४ अरि (अरि) ज २।२८ अलोग (अलोक) प १०१२,४,५; १५:१२ अरिट्ठ (अरिष्ट) ५१३५।२ अलोय (अलोक) प २१६४१३,१५।५७,३३३१३ अरिठ्ठनेमि (अरिष्टनेमि) उ ५११४,२०,३२,३३, अलोवेमाण (अलोपयत् ) उ १११११,११२ ३६,३७,३६, से ४१ अमोह (अलोभ) ज २१६८ अरिस (अर्शस ) ज २१४३ अल्ल (आद्र) उ ११४४ से ४६ अरिह (अह) ज १२ उ ११३६,४२ अल्लइकुसुम (आद्र कीकुसुम) प २७।१२७ अरुण (अरुण) ज ४।८४,८५ सू २०१८,८१५ अल्लग (आद्रक) ज ३१११६ अरुणवर (अरुणवर) प १५।५५।१ सू १६६३१ अल्लोण (आलीन) ज २११५,१६, ७।१७८ अरुणवरोभास (अरुणवरावभास) सू १९३१ अवक्कम (अव- क्रम्) अवक्कमइ उ ३।११३, अरुणोभास (अरुणावभास) ज ४१८५ अवक्कमति ज ३११११,११५.१६२,२०८; अरुणाभ (अरुणाभ) सू २०१२ ५५,७,५५ अवक्कमह ज ३१२४,४१२० अरुणोद (अरुणोद) सू १६३१ अवक्कमित्ता (अवक्रम्य) ज ३।१११, उ ३१११३; अरुय (अरुज) ज ५।२१ ४१२० अरूवि (अरूपिन् ) प ११२,३,५।१२,३,१२४ अवगाह (अवगाह) प १७१११४।१ अरुह (अह.) अवचिज्ज (अव: चि) अवचिज्जति अरुहत ज ३११२६ प २११६७ अलंकार (अलङ्कार) ज २१६५,६६,१००,३।१२ अवज्झा (अवध्या) ज ४१२१२,२१२१४ Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवद्वित-अवाय ५३५ अवठित (अवस्थित) ६.१,१६२२॥११ ५५,५७,६५,६८,७२,७५,७६,९८,१०६,१३१, अवत्तिा (अवस्थाय) यू १६।२२।२२ अवठिय (अवस्थित) प ३३१२५ ज १।११,४७, अवर विदेह (अपरविदेह) प १६।३०।१७।१६१ ३।६२,११६,२२६,४१२२,५४,६४,१०२,१५६, जे रा६४/६४,६६,२१३,२६३।१ २१२ ; ७।३१,३३,१०१,१०२,२१० सू ४१३ अबरविदेहकूड (अपरविदेहकूट) ज ४१६६ ४,६,७,८१ उ ३।४३,४४ अवरयेयालि (अपर'वेयाली') प १६।४५ . अवड्ढ (अपाधं) प १८५६,६४,७७.८३,६०,१०८ अबराइया (अपराजिता) ज ४।२०२।२,२१२, सू ११२२;६।३ २१२।२ अवड्ढखेत्त (अपार्धक्षेत्र) १०।४,५ अवलद्ध (अपलब्ध) ५१४३ अवडढगोलगोलच्छाया (अपार्धगोलगोलछाया) अवव (अवव) ज २१४ सू ६५ अववंग (अववाङ्ग) ज २।४ अवडढगोलच्छाया (अपाधंगोलच्छाया) ६।५ अवस (अवश) उ १५२,७७ अवडढमोलपुंजच्छाया (अपाधंगोल पुजछाया) अवसण (अवसन) ज ३११११,११३ मू ६५ अवसाण (अवसान) प ८१३ ज ३।६,२१७,२२२ अवडढगोलावलिच्छाया (अपार्धगोलावलिछाया) अवसिठ्ठ (अवशिष्ट) प २३३१७५ ज ४११६२ से १६४,२०४,२०८,२१०, अवड्ढभाग (अपार्धभाग) सू १२॥५ २६२,२७१,२७४ ,५१४६,५० अवडढवाविसंठिय (अपार्द्धवापीसस्थित) सू १०.३१ अवसेय (अवशेष) प २५४; ३३१८२५१३७,३६, अवणीयउवणीयवयण (अपनीततोपनीतवचन) ७४, ८६,१०७,१४६,१५६,१६०,१६३,१६७, प१११८६ २००,२०३,२०५,२०७,२२४,२४२१७।१७, अवणीयवयण (अपनीतवचन) प ११३८६ २०१२३,२२१२४; २४११:२६।४,८,२७१२; अवण्ण (अवर्ण) प ३०।२७,२८ २८११२५,१३३,१३६,१३७,१४१ से १४३; अवतंस (अवतंस) सू ५१ ३०१२४,३६१२० ज २१४६,५६,६२,६५,६६, अवतव्बय (अवक्तव्यक) प १०१६ मे १३ १०१,१०२,११३,११४; ४।५३,१४०,१६५, अवदाल (अवन दलय) अवदालेति प ३६।८१ २६५,२६८,५।४२,४५,७१३४१४,१३५१४, अवदालेत्ता (अवदल्य) प ३६८१ १५३ सू १०१२२:१३११, २०१३ अवद्दार (अपद्वार) उ ११११७ मे ११६ अवहाय (अपहाय) ज २१६ अवमंस (दे० अमावास्या) ज ७।१२७१,१६७१। अवहार (अपहार ) प १२॥३२ अवय (अवका) प ११४६,११४८११,११६२ शैवाल अवहिय (अपहृत) ५१२४,३३ अवर (अपर) प १११६,११४८१४,८११६१ ज अवहीर (अप । ह) अवहीरंति प १२।७,८,१०, ४११७; १३७,१५१,५३६ च ५२ सू ।। १२,१६,२०,२४,२७,३२ अवहीरति २.१,३।११०१५,१२७,१३१५,१७,१८१, १२।२७,३२ अवहीरमाण (अपह्रियमाण) प १२।२४,३३ अवरक (अप-क) म १३११२ अवाउक्काइय (अवायुकायिक) प २१:५० अवरत्त (अपरात्र) उ १५१,६५,७६, ३।४८, १० अवाय (अवाय) प १५१५८।२१५।६६ Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३६ अवि (अपि) प १ १ ३ ज ४ |२०० सू १।२५;५११ उ १।३१ ; ३१११ ; ४ । ६ ; ५ ४५ अदिमाण (अविन्दान) उ १४१, ४३ अविग्गह ( अविग्रह ) प ३६।१२ अविग्ध ( अविघ्न ) ज २६४ अविणिज्माण ( अदिनीयमान) उ११३५, ४०,४३ अविणीय (अविनीत) ज ३१०६ सू २०१६६ अहि ( अवितथ ) ज २७८ उ ११२४,४२ ३|१०३ अवियारिया (दे० अविजनयित्री) उ३।१३१ अवियाजरी (दे० अविजनयित्री) उ ३३६७ अविरत ( अविरत ) प ३।१८३ अविरत ( अविरक्त) सू २०१७ अविर ( अविरत ) प ११८६ अविरल (अविरल) ज २११५ अविरहिय ( अविरहित ) प ६।१६,६२.६३; ११ । ७०,२८१४, २६, ५० सू १० ७७ १६।२२।१७ अविराहियसंजम ( अविराधितसंयम ) प २०१६१ अविराहियसंजमासंजम ( अविराधितसंयमासंयम ) प २०१६१ अविसय ( अविषय ) प १११६७, २८३१७,६३ ज ७ ४६ अविसार ( अविशारद) प० १११०१।११ अविसुद्ध (अविशुद्ध ) प १७/१३८ अविसुद्ध लेस्सतराग ( अविशुद्धलेश्यतरक ) प १७७ अविसुद्धवण्णतराग (अविशुद्धवर्णतरक ) प १७/६, १७ अविसेस (अविशेष ) प २३, ६, ६, १२, १५ अविसेलिय (अविशेषित) ज ११५.१ अविराम ( अविश्राम ) प २४८ अवरिय (अवीर्य ) ज ३३१११ ( अवे ( अप --- इ) अवेति प २८११०५ ; ३४।१६ अवेद (अवेद ) प २।६४।१ अवेद (अवेदक ) प ३६७१३१६ अवि-असंखेज्ज अवेदणा ( अवेदना ) प २२६४ । १ अवेदय ( अवेदक ) प १८ १६३२८१४० अवेदिय (अवेदित ) प ३६८२ अव्यय (अव्यय) ज ११११,४७,३३१६७,२२६; ४।२२,५४,६४,१०२७।२१० उ ३१४३, ४४ अन्वहिय ( अव्यथित) ज २१४६ अव्वाबाह (अन्याबाध ) प २२६४११४, २०, २२; ३६।६४।१ ज ५१२१ उ ३३०,३५ अवोच्छिण ( अव्यवच्छिन्न) ज ३१३ अन्योच्छित्तिणय ( अव्यवच्छित्तिनय) सू १७११; २०११ अन्वोयड ( अव्याकृत ) प ११।३७/२ अस (अस्) अस्थि प १२७५, ८०,५६६; १२/६, १५३६५,६६,१७३३,२८।१२३,१३६, १४१,१४२, १४५ ज ११४७ आसि ज ११४७ आसी प २२६४।५ सिया सू १०।२५ असइ (असकृत् ) ज ७१२१२ असं किलिट्ठ (असंक्लिष्ट ) प २।३११७११३८ असंख (असंख्य ) प १२४६ ६० असंखभाग (असंख्य भाग ) प ११४८६० असंखिज्जइभाग (असंख्येयभाग ) प २३|१०१, १५१,१५७ असं खिज्जगुण ( असंख्येयगुण) व १८२६३, २८३१४० असं खिज्जतिभाग ( असंख्येयभाग ) प २४८ असंखिज्जसमइय ( असंख्येयसामयिक ) प १५६१ असंखेज्ज ( असंख्येय) प १११३,२०,२३, २६, २६, ४८,११४८१८,४०,५६,२/१०,११,४१ से ४३, ४६,४८ ५०, ५६, ३११८०,५२, ३, ५, १२६, १२७, १४४, १४५, १५१,६४२, ६० से ६४,६८, १०।१६,१८ से २०,२३,२५,२८,३०,११०५०, ७०, ७२, १२१७, ८, १२, १६,२०,२४,२७,३१, ३२,१५ १२,२५,५८३१, १५१८३, ८४,८७,६१, ६२, ६४ से ६६, १०३, १०४, ११८, १२० से १२३, १२५ से १२८,१३५ से १३७,१४० से १४२; १७११४१,१४३, १८१३,२६,२७,३७ Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असंखेज्जइभाग-असंविदित ८३७ ३८,४१,४३,६५,१०७,११७,२८1५,५१:३३॥ २८१२२,३४,३६,६८,३३३१२,१३,१६,१७, १०,१२,१३,१६,१७,३४११३:३६।८,१३ से ३६।६६,७०,७३,७४ १५,१७ से २०,२२,२३,२५,२६,३३,३४,४४, असंखेज्जपएसिय (असंख्येयप्रदेशिक) प ५१३५, ६६,६८,६२ ज ११४६:२१४,५८,८४,९०,१५७; १३६,१६५,१६६,१८३,१८४,१६६,२००, १३४१६५४ ३३३;४।५२,१६५:५।४४ सू १३१२,१४।४,८%; २२०,२२१,१०१७,२२,२७,१११४६ १८.१,१६।२२।११६१३४,३५,३७,३८ असंखेज्जपदेसिय (असंख्येयप्रदेशिक) ३३१७६; असंखेज्जइभाग (असंख्येयभाग) प १७४,८४; ५११२७,१८४,१०,१७,१६,२३,२८ २२१,२,४,५,७,८,१३,१६ से ३२,३४ ३५,३७. असंखेज्जभाग (असंख्येयभाग) प ५१५,१०,२०,३०, ३८,४१ से ४३,४६,४६,५०,५२,५८ से ६०; ३२,१०२,१२६ ४११४६,१५१,१५७:१५।२२,१८।२७,७० से असंखेज्जवासाउय (असंख्येयवर्षायुष्क) प ६७१, ७२,६५,११७,२०६३,२११३८,४० से ४२, ७२,७६,८१,६४,९५,६७,१०७,१०८,११६; ४८,६३ से ६७,७०,७१,८४,८६,६० से १२ २११५३,५४,७२ २३१६१,६४,६६,६८,७३,७५ से ७७,८३ से असंखेज्जसमइय (असंख्येयसामयिक) १९७१ ८६,८८ से १०,६२,६५ से १६,१०२ से १०४, २८१४,३८,३६१२,८४,९२ १११ से ११४,११७,११८,१३४,१३५,१३८, असंखेज्जसमयट्ठितिय (असंख्येयसमयस्थितिक) १४०,१४२,१४३,१५१ से १५३,१५५,१५६, प ५१४८,११:५१ १६०,१६१,१६४,१६६ से १६६,१७१ से असंखेज्जसमयठितीय (असंख्येयसमयस्थितिक) १७३,२८।४०,६६ उ ३।८३,१२०,१६१; प३१८१ ४।२४ असंखप्पद्धपविठ (असंक्षेप्याध्वप्रविष्ट) असंखेज्जग (असंख्येयक) ५ १२१७ प २३।१६३ असंग (असम) प २१६४११,२१ असंखेज्जगुण (असंख्येयगुण) प २०६४।११,३।१०।। असंजत (असंयत) प ३३१०५, ६१६७,६८ से २३,२६,२६ से ३६,३८,३६,४५ से ५२,५६ असंजय (असंयत) प ३।१०५; १७।२३,२५,३०; से ६३,७१ से ६६,१०१,१०३ से १०५,१०७, १८६०; २०१६०; २१७२३२११ से ४,६ १११,११६,११७,११६,१२०,१२२,१२५ से। असंजयभबियदव्वदेव (असंयतभविकद्रव्यदेव) १२६,१३१ से १७३,१७५ से १७७,१८२, प २०६१ १८३,५१५,१०,२०,३२,१२६,१५१;६।१२, असंठाण (असंस्थान) ५३०४२७,२८ १९,२५,१०।३ से ५:११४६०:१५।१३, असंत (असत्) प २१६४।१७ १७०५७,६०,६३,६४,६७,६८,७१,७३,७४,७६, असंतप्यमाण (असंतप्यमान स 12 ७६ से ८३,१४४ से १४६,२०१६४,२१।१०४, ' असंदिद्ध (असंदिग्ध) उ० १२४,४२ १०५,२८७,५३;३४।२५,३६।३५ से ४१,५२, , " असंपत्त (असंप्राप्त) प १४२०,२३,२६,२६,४८% ६२ २३१,१६।२२ ज ४।४२,७१,७७,९४,२६२, असंखेज्जजीविय (असंख्येयजीविक) प ११३५,३६ __५१५,३८,४४ सू१०।१४२,१४७,१२।३० असंखेज्जतिभाग (असंख्येयभाग) प २१५१,६१,६३, असंभंत (असम्भ्रान्त) ज ५१५,७ ६४ ; ४११५५,१२१८,१२,१६,२४,२७,३१, असंविदित (असंविदित) उ ११०७,१०८,११६, १५७,८,४०,४२:१८१३,४१,४३,२३१५१, Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८३८ असंसारसमावण्या-असुरकुमार असंसारसमावण्ण (असंसारसमापन्न) प ११० से । असाढय (अपाढक) ११४२११ असात (असात) प ३५।११२; ३५।८,६ असंसारसमावण्णग (असंसारसमापन्नक) असातवेदग (असातवेदक) ५ ३.१७४ प११:३६, २२।८ असातावेयणिज्ज (असातवेदनीय) प २३१२६,१८० असकण्णी (अश्वकर्णी) प ११४८।१ असामण्णक (असामान्यक) सू १३१५,६,१२,१३,१७ असककारिय (असत्कारित) उ १२११७ से ११६ असाय (असात) १ २२१५ असच्चामोसभासग (असत्यमृषाभाषक) ५१११९० असायावेदणिज्ज (असातवेदनीय) प२३१६ असच्चामोसमण (असत्यमृषामनस) प १६६१,७ असायावेयणिज्ज (असातवेदनीय) प २३।१६,६४, असच्चामोसमणजोग (असत्यमृषामनोयोग) ५३६३८६ असासय (अशाश्वत) ज ७२०८,२०६ असच्चामोसवइ (असत्यमृषावाक्) १ १६३३,६,१३ असाहुदंसण (असाधुदर्शन) उ ३.४७,७६ असच्चामोसवइजोग (असत्यमृषावारयोग) असि (असि) प २१४१:१५।१।२१५५० प३६।६० ज २।२३,३१,१७८ ; ३३१७८; उ ११३८ असच्चामोसा (असत्यमृषा) प १११२,३,३५,३७, असिय (असित) प २१३१ ४२ से ४६,८३ से ८५,८८,८६ असिरयण (असिरल) ज ३३१०६१७८, २२० असण (अशन) प ११३५१३ उ ३१५०,५५,१०१, असिरयणत्त (असि रत्नत्व) प २०१६० ११०,१३४,१४६ असिलेस (अश्लेष) ज ७:१२६११,१६२ असणि (अशनि) प १२६ मू २०११ असोइ (अशीति) प २५६।३ असणिमेह (अशनिमेघ) ज २२१३१ असीइमंगुलमूसिय (अशीत्य गुलोच्छित) ज ३।१०६ असण्णि (असंज्ञिन्) प १८४; ३१११२; १७:२०; असीति (अशीति) प० २०५१ सू ११२२; १२१५,१२ १८।१२०:२०१६१,६३, २३३१६७,१७१; असुइ (अशुचि) प २२० से २७ ज २।१३३,५५ २८.११७ से ११६३१११ से ३,५,६,६३१ उ ११६३,३।१२६,१३० ३५०२० असुइजायकम्मकरण (अशुचिजातकर्मकरण) असपिणआउय (असंजयापुष्क) प २०१६२ उ० ११६३ ; ३११२६ असण्णिभूत (असंज्ञिभूत) प ३५।२० असुइय (अशुचिक) प ११८४ असण्णिभूय (असंज्ञिभूत) प ११४८:१७183 असुभ (अशुभ) प २२० से २७, २२६४ ३५१८ असुभणाम (अशुभनामन्) प २३१३८,१२३ असणिहि (असन्निधि) ज २११६ असुभत्त (अशुभत्व) प २८१२४ उ १२७,१४० असण्णिभूय (असं जिभूत) प १७।२० असुर (असुर) १०२१३०१,२१४०।१,५,१०, असत्य (अशस्त्र) ज ३।६२, ११६ उ ३३३८,४० ५।३,३६१४६ ज २६४; ३।२४।१,२, असमोहत (असमवहत) प ३।१७४ १३१६१,२,३२१८५,२०६५५२; चं ११२ असमोहय (अममवहत) प ३.१७४,३६॥३५ से ४१,४८ से ५१ असुरकुमार (असुरकुमार) प १११३१; ॥३१ से असम्माणिय (असम्मानित) उ० १११७ से ११६ ३३,४०1८४१३७ से ३९५६ से ८,४८ से असरीर (अशरीर) २०६४।१२,३६।६३,६४ ५०,१२१, ६।१७,५२,६१,८१,८५,६३,१०१, असरीरि (अशरीरिन् ) प २८११४१ १०६,१११,११२,११४, ७।२८।३६३; Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असुरकुमारत्त-अहवणं ८३६ १५,१०,१११४४; १२२,१५,१६,३१; १३।१५,२०१५।१६,३५,७१,७८,८४,८७, १०२,१३६,१३८; १६:३,११,१६,१७:१४ से १७,२६,३०,३३,३४,६३,६८,६६,१०१, १०२,१०५,१६१; २०१३,५,६,११,१२,१५, २० से २४,२७,३५,३७,४४,६०, २११५५, ६१,७०,६०%, २२।२३,३७,४५,२८.१,२५, ७४,१०६ ; ३१।२; ३३।१०,२०, ३४।२,४,५, ३५१३,३६५,८,१६,२०,२३,२४,२६,३७, ४१,५०,५५,६९,७२ उ २०१७ असुरकुमारत्त (अमुरकुमारत्व) प १५१६५,६७, ११६,१४१३६।१८,२०, २२ से २४ असुरकुमारराय (असुरकुमारराज) प २।३१,३२ ज २११३,५१५०,५१ असुरकुमारिद (असुर कुमारेन्द्र) प २१३१,३२ असुरकुमारी (असुरकुभारी) प ४१४० से ४२; २०१२ असुरिंद (असुरेन्द्र) ज २१११३,५१५० से ५२ सू २०१७ असुह (अशुभ) प २२० से २७ असेलेसिपडिवण्णग (अशैलेशीप्रतिपन्नक) प १११३६, २२१८ असेस (अशेष) ज ७।१३५३२ असोग (अशोक) प० ११३५३ ज २१६५, ३।१२, ३५,८८,१८८,४।२१२१२,५०५८ सू २०१८, २०१८१७ उ १२१, ३६५६,६४,६६,६८,७६ असोग (लता) (अशोकलता) प ११३६१ असोगवडेंसय (अशोकावतंस) प २।५०,५२ असोगवणिया (अशोकवनिका) उ ११५५ से ५७, ८० से ८२ असोगवण (अशोकवन) ज ४११६ असोगा (अशोका) ज ४१२१२ अस्प्त (अश्व) प ११६३ अस्संजत (असंयत) प ३२०६१ अस्संजय (असंयत) प ११८६; २८।१२६% ३२।६।१ अस्संजयभवियदव्वदेव (असंयतभविकद्रव्यदेव) प२०६१ अस्सण्णि (असं जिन्) प ११७४६।८०१ अस्सतर (अश्वतर) प ११६३ अस्सदेवया (अश्वदेवता) सू १०८३ । अस्सपुरा (अश्वपुरा) प ४।२११ अस्सरह (अश्व रथ) प ३१२१,२२,३४ अस्मातावेदग (असातवेदक) प ३११७४ अस्सातावेदणिज्ज (असातवेदनीय) प २३१६ अस्सातावेयणिज्ज (असातवेदनीय) प २३११६ अस्साय (आ-!- स्वादय) अस्साएइ प १५।३.८ अस्साएंति प २८१२२,३६,६८ अस्सायण (आश्वायन) ज ७१३२ सू० १०६६ अस्सायावेदणिज्ज (असातवेदनीय) प २३।३१।। अस्सिणी (अश्विनी) ज ७।११३११,१२८,१२६, १३६,१४३,१४६,१५५,१५८,१५६, सू१०११ से ६,१०,२२,२३,३४,६२,६५,६६,७५,८३, ६६,१२०,१३१ से १३३,१५४ अस्सेसा (अश्लेषा) ज ७/१२८,१३४,१३६,१४०, १४७,१५० सू १०१ से ६,१४,२३,२५,४२, ६२,६६,७५,८३,१०७,१२०,१३१ से १३४।२, १५७ अस्सोई (आश्वयुजी) ज ७।१४०,१४३,१४६ सू १०१२३ अस्सोय (आश्वयुज) सू १०।१२४ अह (अथ) प ५१५ उ० ३१२६ अह (अधस्) ज ३११८८ अहक्खाय (यथाख्यात) प १३१२४,१२६ अहक्खायचरित्तपरिणाम (यथाख्यातचरित्रपरिणाम) प०१३।१२ अहत (अहत) ज २११००; ३1३५,२११,५१५८ अहत्ता (अधस्ता) प० २८१२४,२६ अहमिद (अहमिन्द्र) प २०६०,६१,६२।१,६३ अहय (अहत) ज ३१६,११७.१२,२२ अहर (अधर) प २१३१ अहवणं (अथवा) प० १२११२ Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४० अहवा-अहोसिर अहवा (अथवा) प १११०३ ज २।६६ सू १०।१२० बांधे जानेकला उ ११११५ अहिवइ (अधिपति) ज ३१२६,३६,१५६,५१८,४६ अहाछंद (यथाछन्द) उ ३३१२० अहिसलाग (दे०) प ११७१ अहाछंदविहारि (यथाछंदविहारिन् ) उ ३।१२० । अहीण (अहीन) उ ५१४५ अहापडिरूव (यथाप्रतिरूप) उ ११२, ३।२६,६६, अहीय (अधीत) उ ३।४८,५० १३२,५।२६ अहणोववण्ण (अधुनोपपन्न) उ ३११५,८४,१२१, अहाणुपुम्वी (यथानुपूर्वी) ज ३११७८,१७६,२०२, १६२ २१७:५१४३ अहे (अधस्) प २।२० से २७,२७१३,२।३०,३१, अहाबायर (यथाबादर) ज ३.१९२,५१५,७ ४१,११६६५,६६,६६१,१६:५५, २११८७, अहामालिय (यथामालिक) ज ३१६ ६०,६१,२८।१५,१६,६१,६२, ३३।१६ अहारिह (यथाह) उ ३।११५ ज २१६५,७१,७१५४,१६८।१ सू २:१; अहासुह (यथासुख) उ ३११०३,११२,१३६,१४७, ४।१०,१६:२२, २०११,२ उ ११४६, ३१५६, १४८,४।११,१४,१५,१६ ६४,६८,७१,७४ अहासुहम (यथासूक्ष्म) ज ३१६२ अहे (अथ) उ ३१५११ अहि (अहि) प श६८,६६,७१ ज० २।४१ अहेतु (अहेतु) प ३०१२७,२६ अहिंग (अधिक) सू ११२७; १५२४,२५ अहेदिसा (अधोदिशा) ५ ३।१७६,१७८ अहिगम (रुइ) (अधिगमरुचि) प १११०१११ अहेलोइय (अधोलौकिक) प २११६२,६३ अहिगमरुइ (अधिगमरुचि) प १५१०११८ अहेलोय (अधोलोक) ५० ३।१२५ से १७३,१७५, अहिगरणिया (आधिकरणिकी) ५२२६१,३,४८, १७७ ५३ से ५६,५८,५६ अहेसत्तमा (अध:सप्तमी) प ३।१७,१८,४॥२२ से अहिगरणिसंठिय (अधिकरणीसंस्थित) ज ३.९४, २४६.१६,५१,६०,८०,८८,६१,६२,१००, १३५,१५८ १०६१०२,३,१६२६,२०७,४३,५७%, अहिगरणी (अधिकरणी) प २२१४८ २११५२,५६,६७,८७,३०१२६,३३१६,१७ अहेसत्तमापुढवि (अध:सप्तमीपृथ्विी) १० २०१५२ अहिछत्ता (अहिछत्रा) प ११९३२ अहिज्ज (अधि- इ) अहिज्जइ उ २०१० अहो (अहो) ज ३११२६ उ ११६२,५१२२ अहोरत्त (अहोरात्र) ज २१४,६६; ७२० से २४, ३३१४:५२८ २६ से २६,१२२,१२६,१२७,१३४११, अहिज्जंत (अधीयान) प ११०१०६ १३५२१ से ४,१५६,१५७,१६० सू १११४, अहिज्जित्ता (अधीत्य) उ २६१०३।१४; ५॥३६ १६,२१,२४,२७,२२३; ६:१; ८।१,१०१३,६३ अहिय (अधिक) प २१२७१२,१३।२२।२,२३।१४७, से ७४,८४,१३४,१२।२ से ५,१२,१५१११, १५८,१६२,१६५ ज २११३१३१३६,७६,११७, १२,२६ से ३१,३४ २२२,४१४६७२७,२९,३० सू १११४,१६, अहोलोग (अधोलोक) ज ५१ से ३,५ २१,२४,६।११।२८,३१,३२:१६।११.१ अहोलोय (अधोलोक) प २१,४,१०,१६ से १६,२८ अहियास (अधि+सह, आस्) अहियासिज्जति अहोवाय (अधोवात) प १२६ उ ५१४३ अहिया सेइ ज २१६७ अहोसिर (अध:शिरस्) ज १५; १८३ उ०१३ अहिलाण (दे०) ज ३।१०६,१७८ घोड़े के मुंह पर Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आइ आउच रसाला आ आइ (आदि ) प ५२४, १४३,२१८२५४ ज २।२१५।२७,४०,५५, ५७; ७ ४५,५० उ २१२२५८४५ V आइक्ख ( आ + ख्या) आइवखइ ज ७ २१४ उ ११६८ आइखग (आख्यायक) ज २२६४ आइगर (आदिकर ) ज ५।११ उ ३।१२:५।१४ आइन्च (आदित्य) ज ३३७२५,२०,१११, ११२१४५ सू १९१३: १०११२८, १२६४, ५ आइच्चचार ( आदित्यचार ) चं ५/३ आइग (आजिनक) ज ४५१३ आइण्ण (आकीर्ण ) ज २ १३४; ३।१०३,१७८ आइय (आदिक ) प ११५०,५१,६०,७५,७६,८१ २४१८ २३५६४, १४४ ३१०५ ४१२४८, २५१ ५ ३८,५७७१२६ २१०, १२:३०१४, १६१,२५०५ २८,३१,४१ आइय (आचित ) प १७ ११६ आइल्ल ( आदिम ) प ५ १०२ २२१३५,५१,५४ आइल्लिंग ( आदिम ) प १७३० आइल्लिय (आदिम ) प २२७३,७४ आईजग (आजिनक) सू २०१७ आय (आदिक ) प १४।१० २६।११६ उ १४६६,६७,९४४:१३ आउ (दे० अ ) प ६।१०२,१०४,११५६ ६२४; ११:२६ से २०१३ १६:१७३३:१८२६, ३२.२०१६,२२,२८ २१।०५ २२०२४२६१२३ आउ (आयुष) ज १२२,२७,५०,२२४१,५१,५२, ५४,५८,१३३ से १३५,१६१; ३।३ ७/१३०, १८६४, २११ आउ (काइय) (दे० अष्कायिक ) प १७११४० आजकादय (अकाधिक ) प २०१५ ३५० से ५२, ५५, ६० से ६३,६९,७१ से ७४, ७७,८४ से ८७,६०,६५,१५६ से १६१,१८३४।६५ से आउकाइयत (अकायिकत्व) ज ७।२१२ ८४१ ७०:५३,११,१२,६ ११,१०२ १५ १३७१ आक्काइ (अष्कायिक) १।२१:२४ से ६ ३।३६।८६,१२।२२; १५ २६, ६५; १७१६०, १६, १०२, १८१३८, ४०, ४२, ५० २०११३,२४, २६,४४;२१।२४,४०; २२ ३१ आउकाय (अकाय ) सू २११ आउक्खय (आयुः क्षय) उ० २ १३; ३३१८,८६, १२५,१५२:४१२६५१३०, ४३३ आउजीकरण (आवर्जीकरण) प ३६४ (आउट्ट ( आ + वृत्) आउट्टज्जा ज २२६७ आउट्टि (आवृत्ति) सू १२१८ से २८ / आउड ( आ + कुट् ) आउडेइ ज ३१८८, १३५, १५५ आउडिय (आकुटित) ३८६,१५६ आउत (आयुक्त) प १११८६ ज ३२१७८ आउदेवया (अदेवता) सू १०१८३ आउपज्जव ( आयुष पर्यव) ज २५१,५४, १२१, १२६,१३०,१३८, १४०, १४९, १५४, १६०,१६३ आउय ( आयुष्क ) प ३११७४; २०१६१,६३, २२/२८२३११,१२,१८,३७,१४६,१६६.१८५ १९१,१३,१९७ से २०१६ २४ १४:२६ ११: २७५३६८२,८३११,१२ ज २२४१, ५८, १२३, १२८,१४८,१५१,१५७ ३१२२५; ४११०१ आयबंध (आयुष्कबन्ध ) प ६२११५, ११९ आयबंधा (आयुष्कन्धाध्वन्) प २३।१९३ आउल ( आकुल ) प० २।४१ ज० २।६५ सू २०१७ आउस (आयुष्मत् ) प २३,६,१,१२,१५,२० से २७, ६० से ६३ २०३६ १५४४२,४५२६७६ ८१ ज २।१६.१६ से २१,२२,२४,२६,२६, ३० से ३६,३ से ४३, ४०, ४१,५१,५४,१२१. १२६,१३०,१३२,१३८, १४०, १४९, १५४, १५६, १६०,१६२७/१०१.१०२,१२६, १० २०१७ आउह (आयुध) ज ३७७, १०७, १२४ उ ११३८ आउघराला (आयुधगृहशाला ) ज ३२४, ५, ६, १२, Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४२ आउपरिय-आणंदकड १४,३०,४३,५१,६०,६८,१३०,१३६,१४०, ___ आगायमाण (आगायत्) ज ५१५,७ से १२,१७ १४६,१७२,२२० उ० ३।११४ आउधरिय (आयुधगृहिक) ज ३१५,६ आगार (आकार) ५११३८१३; ३३।१६,२४ आएज्जणाम (आदेयनामन्) प २३।१२६ आगार (आगार) प ३०.२५,२६ आएस (आदेश) ज ३।१६७।६ आगारभाव (आकारभाव) ज १७,२१,२६,२७, आओग (आयोग) ज ३११०३ २६,३३,४६,५०; २५.१४,१५,२०,५२,५६ से आओजित (आयोजित) प २२२५७ ५८,६५,१२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३३, आओजिय (आयोजित) प २२१५८ १३६,१४७,१४८,१५०,१५१,१५६,१५७,१५६ /आओस (आ+ क्रुश्) आओसइ उ ११५७ १६१,१६४,४१५६,८२,१००,१०१,१०६,१७०, आओसणा (आक्रोशना) उ १६५७,८२ १७१ आकासिया (आकाशिका) ज २११७ आगारभावमाता (आकारभावमात्रा) प १७:१५०, आकुल (आकुल) ज ३१६,२२२ १५२,१५५ आकोसायंत (आक्रोशायमान ) ज २०१५ आगरिस (आकर्ष) प६।१।१६।१२०,१२१,१२३ आगइ (गति) ज २०७१ आगास (आकाश) प २१६४११६१५१५३,५४, आगच्छ (आ। गम् ) आगज्छइ ज २१२४, ५७ ज ३३१०४,१०५,१०७,२११,५१५८ ३.१०७,११४;७/२० से २५,७६,८२ सू २०३ सू २१६ उ १७० आगच्छति प१११७२,२८/४०, आगासस्थिकाय (आकाशास्तिकाय) प ११३; ४३.६६ ज २१३४,३५,३७,१०१,७१०१, ३१११४,११५.११८,१२२,५१२४; १५:५३, १०२,२०२,२०४,२०६ सू ८।१ आगच्छति ५४,५७ सू २३ आगच्छेज्ज प ३६१६१ आगच्छेज्जा आगासथिग्गल (आकाशथिग्गल) प १५।५३,५६ प३६।८१ ज २२६ १४।१२३ आगासफलोवम (आकाशफलोपम) ज २१७ आगच्छमाण (आगच्छत् ) सू २०१२ आगासफालिओवमा (दे०) प १७११३५ आगत (आगत) प२०१६,१० आघवणा (आख्यान) उ ३।१०६ /आगम (आ+ गम् ) आगमेसि ज २८१ आघवित्तए (आख्यातुम् ) उ ३३१०६ आगमण (आगमन) उ ३.१६६ आचिट्ठ (आ- स्था) आचिट्ठामो ज ३१११३ आगमेस्स (आगमिष्यत्) ज २११३८,१६१ आजीविय (आजीविक) ५ २०६१ आगम्म (आगम्य) ज ५१५५ उ ५७ आजोजित (आयोजित) प २२२५७ आगय (आगत) प २०१६ से १,११ से १३; आडोव (आटोप) ज ७१७८ ३४।१।१ ज ३१८२ सू २०१७ उ० १२१७,२२, आढई (आढकी) १६३७११ १०७,१०८,१२७,१२८,१३८,१४०, ३१७,२१, आढत्त (आरब्ध) प १७११४८ २५,२६,६१ आढा (आ--द) आढाइ उ ११३८, ३१५६ आगर (आकर) प १।५४ ज २१२२,१३१; आति उ ३११८ ३।१८,३१,८१,१६७।२,८,३११८०,१८५,२०६, आणद (आनन्द) ज ७/१२२।२ सु १०।८४१२ २२१ उ० ३।१०१:५३३६ उ १७१,७२,२१२१ आगरपति (आकरपति) ज ३१८१ आणंदकड (आनन्दकूट) ज ४।१०५ Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आणंदा-आदरिस ८४३ आणंदा (आनन्दा) ज ५।८।१ आणा (आज्ञा) प ११०१।५ ज ११४५,३१८, आणंदिय (आनन्दित) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१, १६,५३,६२,७०,७७,८४,१००,१४२,१६५, ५२,५३,६१,६२,६६,७०,७७,८४,६१,१००, १८१,१८५,१६२,२०६,२२१:५।१६,२३,७३ १३४,१३७,१४१,१४२,१५०,१६५.१७३, उश२०,४५,१०८ १८१,१८६,१६६,२१३,५१५,१५,२१,२३,२७, आणाईसर (आज्ञेश्वर) प२१३०,३१,४१,४९ २८,२६,४१,५५,५७,७० उ ११२१,४२; उ ५.१० ३११३६ आणापाणु (आनप्राण, आनापान) सू ८११:२०१५ आणण (आनन) ५२१४६ ज ३।६,१८,६३,१८०, आणापाणुचरिम (आनप्राणचरम, आनापानचरम) २२२ प१०।४०,४१ आणत (आनत) प १११३५ आणापाणुपज्जत्ति (आनप्राणपर्याप्ति, आनापानआिणत्त (अन्यत्व) प १५।४४,४५ पर्याप्ति) प २८।१४२ आणत्ति (आज्ञप्ति) ज ३।२६,३६,४७,५६,६४, आणामिय (आनमित) ज २०१५ ७२,१३३,१३८,१४५५६६१ उ १११६ आणारुड (आज्ञारुचि) प ११०१११,५ आणत्तिया (आज्ञप्तिका) ज २१०५,३७,६,१२, आणु (आन) प ११४८।५३ १३,१५,१८,१६,२८,२६,३१,३२,४१,४२, आणुगामिय (आनुगामिक) प ३३१३५,३६ ४७,४६,५०,५२,५३,५८,५६,६१,६२,६४, आणुपाण (आनप्राण, आनापान) प ११४८।५५ ६६,६७,६६,७०,७४ से ७६,८३,६६,१००, आणुपुटिवणाम (आनुपूर्वीनामन्) प २३।५४,१११, १२८,१४१,१४२,१४५,१४७,१४८,१५१, ११३,११४,१४६ १५४,१६४,१६५,१६८ से १७१,१७३,१७५, आणुपुवी (आनुपूर्वी) प ४४७।३।११।६८,६६, १८०,१८१,१६१,१६८,१६६,२१२,२१३,५।३, ६६।१२३३११२,११५,१७५,१६०; २८.१८, २८,६८,६६ से ७३ उ १।१७,१८,१२३,३।७; १६,६४,६५ ज ७४७,५० सू २०१८ उ २।१२, ४।१६,१७,५१८ २२:५॥३६ आणपाणपज्जत्ति (आनप्राणपर्याप्ति, आनापान आणुपुत्वीणाम (आनुपूर्वीनामन ) प २३१३८ पर्याप्ति) उ ३११५८४ | आणे (आतुम्) उ ११०७ आणपाणु (आन प्राण, आनापान) प १०५३।१ आणेत्ता (आनीय) उ ४११६ आणम (आ+ नम ) आणमंति, ७४१ से ४,६ आणेयव्य (आनेतव्य) ज २६४ आयपत्त (आतपत्र) ज ३।३ आणमणी (आज्ञापनी) प १११६,६,२७,३७१ आतरक्ख (आत्म-क्ष) प २१३१,४३ आणय (आनत) ५२१४६.५८,५६,५६।२,६३,३।१५३; आतव (आतप) ज २।१३४,३।११७ सू १६॥३,४ ४१२५५ से २५७, ६।३५,५६,६६,८६,६६, आतवा (आतपा) सू१८१२४ ११३;७१६:१५।८८,२११७०,६२:२८१८३; आतीय (आदिक) उ ४।१८ ३३।१६३४११६,१८ ज ४।२४६,५१४६; आस (आदर्श) ज ३१११,५१८ ७.१७८ आदंसघर (आदर्शगृह) ज ३१२२२,२२४ आणव (आज्ञापय ) आदसिया (दे०) प १७११३५ ज २०१७ आणवेइ ज ५।२२,२६ उ ११११० आदरिस (आदर्श) ज २१६८ Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४४ आदाण-आभिणिबोहियणाणि से ६ आदाण (आदान) सू१२।१५ आपुच्छित्ता (आपृच्छ्य ) उ २०११; ३१५०,५॥३८ आदाय (आदाय) ज २०६५ आपूरेत (आपूरयत्) ज ३३१४,१७२ आदि (आदि) प ११६४,७६,८९२५,४६,१३१, आपूरेमाण (आपूर्यमाण) ज ४।३५,४२,६४,१७४, १३४,१३६,१४०,१४७,१६३,१६६,१६६, २६२,५१३८ १७२,१७४,१७७,१८१,१८४,१८७,१६३, आबाहा (आबाधा) ज २३०,३६,४१ १६७,२००,२०३,२०५,२२१,२२४,२३०,२३२, आभकर (आभङ्कर) सू २०१८,२०८७ २३४,२३७,२३६,१०।२:११६६,६७,६६।१; । आभरण (आभरण) प २१३०,३१,४१,४६% २०१२५,२३।१०८:२४१८; २६१६; २८११२, ११।२५,१५१५५।२ ज २१६५, ३।६,११,१२, २८.१६,१७,६२,६३,१२३,१३३,१३६,१३७, २६,३६,४७,५६,६४,७२,७८,८१,८५,१३३, १४०३६।२०,४६ ज २।६।१,२१७१,१३१, १४५,१८४,२२२,२२४; सू २०१७ उ १११६ १४५ च १३ सू११६।३।५।११०१५,११२२ ४२,३।२६,११३,१४१,४११२,२० आभरण (वासा) (आभरणवर्षा) ज ५१५७ आदिच्च (आदित्य) सू १।१३,१४,१६,१७,२१, आभरणयिहि (आभरणविधि) ज ३११६७४ २४,२७, २०३६।११०५,१०,११,७७, आभरणारहण (आभरणारोहण आभरणारोपण) ज३।१२ १२।१,५,१० से १२,१३१५:१५।२३ से २५; आभासिय (आभाषिक) प ११८६,८६ १६।२२१४,७,८,२२, २०१५ आभिओग (आभियोग) प २०१६१ ज २१२६,६७, आदिच्चचार (आदित्यचार) सू १०।१२१,१२३ आदिपदेस (आदिप्रदेश) सू १३१६ ९८५११४,१५,५३,६१,७२,७३ उ ३१३७,६१ आभिओगसेढी (आभियोगश्रेणी) ज ४।१७२ आदिय (आदिक) प ११४६,६६,२८१४५ आभिओगिय (आभियोगिक) प २०१६१ ज ५।३, सू १०११,१३१, २०१५ ४,२८,४३,५० आदिल्ल (आदिम) प ५१०५, २२१५१ आमिओग्ग (आभियोग्य) ज १११३,३।१६१, सू१६।२२।२५ आदिल्लिय (आदिम) प १७१९७ १६२,१६६,२०७,२०८५१२८,५४,५५ आभिओग्गसेढी (आभियोग्यश्रेणी) ज १२२८ से आदीय (आदिक) प ६१२३,१११३०,२२१४५; ३२, ६६५ २४।९ से ११२६१८,२८.१२३,१२६,१३७, आभिणिबोहिय (आभिनिबोधिक) प १७।११२, १४०,१४५,३६।२० उ १११६,११६ से १२२, १२५, ३।३१,४० आभिणिबोहियणाण (आभिनिबोधिकज्ञान) प ५१५, आदेज्ज (आदेय) ज २०१५ ७,२०,२४,४१,४२,४६,७८,६३,६७,१११, आदेज्जणाम (आदेयनामन्) प २३१३८ ११२,१७।११२,११३,२०।१७,१८,३४; आदेस (आदेश) प १८१६० २६२,१२,१७,१६,२१ आधाव (आ+धाव) आधाति ज ५१५७ आमिणिबोहियणाणारिय (आभिनिबोधिकज्ञानार्य) आपडिपुच्छमाण (आप्रतिपृच्छत् ) ज २१६५ प१९९६ आपुच्छ (आ+प्रच्छ) आपुच्छइ उ ३११४८% आभिणिबोहियणाणावरणिज्ज (आभिनिबोधिक ४१५ आपुच्छामि उ ३३१३६, ४।४५।२७ ज्ञानावरणीय) प २३।२५ आपुच्छणा (आप्रच्छना) उ २६ आभिणिबोहियणाणि (आभिणिबोधिकज्ञानिन) आपुच्छणिज्ज (आप्रच्छनीय) उ ३६११ प ३.१०१,१०३,५१४० से ४२,७७ से ७६, Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आभिणिबोहियनाणपरिणाम-आयाम ५४५ ६२ से १४,६६,१०० से ११२,११७:१३३१४, १७,१६,१८१८०; २८११३६ आभिणिबोहियनाणपरिणाम (आभिनि बोधिज्ञान परिणाम) प० १३६ आभियोगसेढी (आभियोगश्रेणी) ज ४१२०० आभिसेक्क (आभिषेक्य) ज ३।१५,१७,२०,३१, ३३,५४,६३,६४,७१,७७,६१,१४३,१५१,१६६, १७३,१७५,१७७,१७८,१५२,१८३,१८५, १६६,२०२,२०४,२१४,२१७,४११४० उ ५:१८ आभिसेय (आभिषेक) ज ३।१०६ आभूय (आभूत) उ १७४ आभोएत्ता (आभोग्य) ज २१६० आभोएमाण (आभोगयत्) उ ३७,६१ आभोग (आभोग) प १४११८१ आभोगणिबत्तिय (आभोगनिवर्तित) प १४१६% २८१४,२५,२७,३७,४७,५०,७३ से ७५; ३४१५ आभोय (आ+ भोगय) आभोएइ ज २१६०,६३; ३१५६,१४५,५२१ आभोएंति ज३।११३; आयंक (आतङ्क) ज २१४३,५१५ उ ३।३५,११२, १२८ आयंत (आचान्त) ज ३८२ उ ३१५१,५६ आयंस (आदर्श) ज २।१५,५१५५ आयंसमुह (आदर्शमुख) प ११८६ आयंसलिवि (आदर्श लिपि) प १०६८ आयत (आयत) प ११४ से ६२२५० से ५२,५७, ५८,६१,६२,१०११५ से २५,२७ से ३०; १५१५२ ज ३।२४,१०६,१३१,१३८।१ आयय (आतत) १७,२॥३१,५३ से ५६,५६, ६०१०।२६:१३।२४ ज १।१८,२०,२३,२५, २८,३२,४८,४।८१,६८,१०३,१०८,१७२, १६१,२०३,२०५,२१४,२४५,२५१,२५२, २६८ उ ११२२,१४० आयर (आदर) ज ३११२,७८,१८०,२०६:५।२२, २६ आयरक्ख (आत्मरक्ष) प २१३० से ३३,३५:४०।५; २०४१,४८ से ५६ ज २४५२।१०४२०, ११२,१५११२२११५६११,१६,४०,४६ से ५१,५२।२,५३,५६ सू १८।२३ आयरिय (आचार्य) प१६५१ ज ३१३५ च १२ उ ५१२६,२८ आयव (आतप) ज ७/१२२।३ सू १०८४१३ आयवणाम (आतपनामन्) प २३।३८,११५ आयसरीर (आत्मशरीर) १२८१२०,३२,६६ आयाए (आदाय) उ १६३ आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमित (आदानभाण्डामत्रनिक्षेपणासमित) उ ३.66 आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिय (आदानभाण्डामत्रनिक्षेपणासमित) ज ३१६८ आयाम (आयाम) ५२१५०,५.६,६४, २११८४,८६, ५७,६० से १३,३६१६६,६८,७०,७२ से ७४, ८१ ज १७,२०,२३ से २५,२८,३२,३७,४०, ४३,४८,५१, २१६,१५,१४१ से १४५:३११, १८,३१,५२,६१,६६,६५,६६,१३१,१३७, १३८,१४१,१५६,१६०,१६४,१८०४११,३, आमोयण (आभोगन) प ३४।१।१ आमंत (आ+ मंत्रय) आमतेइ उ ३।११० ४.१६ आमंतणी (आमन्त्रणी) प १११३७११ आमंतेत्ता (आमन्त्र्य) उ ३१५०, ४११६ आमलग (आमलक) प ११३६।१ आमलगसारिय (आमलकसारिक) सू १०।१२० ५ आमुस (आ - मृश्) आमुसइ उ १६१ आमुह (आमुख) सू१६१२३ आमेल (आपीड) प २१४१ ।। आमेलग (आमेलक) ज २११५:)३.१०६ आय (दे०) प १।४७ आय (आत्मन्) प १४१३ ; १४।१८१ आय (आय) उ १४१,४३ Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४६ ६, ७, ६, १२, १४, १५, १६, २४, २५,३१,३३,३६ से ४१,४७, ५२ से ५४,५७,५६,६२,६४,६६ से ६८,७०,७४ से ७६,८०,८१,८६,८८,८६,६१ से ९३,६८,१०२,१०३,१०८, ११०,११२, ११४, ११६,११० से १२०,१२२ से १२७,१३२, १३६,१४०,१४३,१४५ से १४७, १५३ से १५६, १६५,१६७,१६६, १७२, १७४, १७६,१७८, २००,२१५,२१६,२१८,२१६,२२१,२४२, २४५,२४८; ५।३५;७७, १४, १६,३१,३२३१, ३३,३४,६६,७३ से ७८,६०,६३,६४,१०७, २०७१।१४,२६,२७:४१३, ५ से ८१८६ से १३, १६ २०,३०३५/४ आयारभाव ( आकारभाव) ज १।२२ आघावण ( आतापन) उ३१५० आयावणभूमी (आतापनभूमी) उ ३१५०,५१,५३ आयामाण (आतापयत् ) उ ३१५० आयाहिण (आदक्षिण) ज ११६ ; २१६; ३१५; ५१५,४४,४६ उ १।१६,२१३ ११३४॥१३ आरंभ (आरम्भ ) उ १।२७, १४० आरंभिया (आरम्भिक ) प १७ ११, २२, २३, २५; २२/६०,६१,६६ से ६६,७६,६१,६८,१०१ आरंभिया किरिया (आरम्भिकी क्रिया ) प २२ ६७ से ६६ आरण (आरण ) प १।१३५ २४६,५६,५६१२, ६०,६३,३।१८३,४१२६१ से २६३, ६/३७,५६, ६६,७११८, १५।८८ २१ ७०, ९२,२८८५; ३३/१६; ३४/१६, १८ ज ५२४६ आरद्ध (आरब्ध ) प २०१६० आरबक ( अरब ) ज ३१८१ आरबी (आरवी) ज ३१११।२ आरम्भ (आरब्ध ) प १७।३२ आरभड (आरभट ) ज ५१५७ / आरस (आ+रस् ) आरसइ उ ११६० आरससि उ १६८५ आरसिया (आरमित) उ ११६१, ८६ आराम (आराम ) ज २२६५:५५ ७ ३ ३३३६,३६ आयारभाव - आलोअंत / आराह (आ· - राध) आराहेहिति उ ५ ४३ अ राहणविराहणी (आराधनविराधनी) १ ११३ आराहणी ( आराधनी ) प ११३८ आराहय ( आराधक ) प ११८६ उ १२० आराहेत्ता ( आराध्य ) ३५१४३ आरिय (आर्य ) प १३८८,६०,६३६, १११२६ उ १११७ आरूढ ( आरूढ ) ज ३।३५, १२१ आरुभित्ता (आरुह्य ) सू ६१४ / आरुह ( आ :- रुह ) आरुहेति ज २।१०३, १०४ आरुहेत्ता (आरुह्य ) ज २।१०३ आरोग्य (आरोग्य) ज ३१९२, ११६ आरोहग (आरोहक ) ज ३११७८ आलइय (आलगित ) प २१५० ज ५११८ आलंकारिय ( आलंकारिक) ज ३११५० आलंबन (आलम्बन) ज ४२६ आलंबणभूय (आलम्वनभूत) उ३१११ आलय (आलय) ज २०७१ आलावग (आलापक) प १७ । १६७ से १७२; २११३१ सू८।१ लिंगट्टिय (आलिङ्गनवर्तिक) ज ४|१३ सू २०१७ आलिंगgक्खर (अलिङ्गपुष्कर ) ज १११३,२१,२६, ३३,३६,३६,४६, २७, ३८,५२,५७,११२, १२७, १४७, १५०,१५६,१६१,१६४,३।१६२, ४१२, ८, ११५।३२ आलित्त (आदीप्त) उ ३।११३ आलिसंद (दे० ) प ११४५१ आलिसंदग (दे० ) ज २३७ / आलिह (आ -: लिख ) आलिहइ ज ३११२,८८ ५।५८ आहिमाण ( अलिखत् ) ज ३।६५, १५६ आलिहिज्जमाण (आलिख्यमान) ज ३१६६,१६० आलिहिता (आलिख्य ) ज ३।१२ आलुग ( आलुक ) प ११४८।२ आलोअंत (आलोकमान ) ज ३ । १७८ Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आलोइय-आसय ८४७ आवास (आवास) ५१५२५५।३ ज ३११८,५२,६१, ६६,७७,८४,१४१,१५३,१६४,१६७।१३,१८० उ ५।४१ आविद्ध (आविद्ध) ज ३१९,७७,१०७,१०६,१२४, २२२; ५५६ उ १११३८ आविद्धकंठ (आविद्धकण्ठ) ज ३।२०६ आवीकम्म (आविष्कर्मन्) ज २०७१ आवेढिय (आवेष्टित) प १५३५१ आस (अश्व) प २१४०।१०।११।२१ ज २।३५ ३।६८,१६७१४,१७८,१७६,२२१,७४१३, १८६।३ उ १३१४,१५,२१,१२१,१२६,१३३, आलोइय (आलोचित) उ०१२;३।१५०,१६१, ५२८,३६,४१ आलोगभूय (आलोकभूत) ज ३९६,१६० आलोय (आलोक) ज ३१६,१२,१८,७७,८८,६३, ६५,१५६,१७८,१८०,२२२, ५१४३,४६ आलोय (आ+ लोच ) आलोएहि उ ३.११५; ४।२२ आवकहिय (यावत्कथिक) प १११२५ आवज्ज (आ+पद) आवज्जति प १११७२ आवड (आवर्त) ज ५१३२ आवडिय (आपतित) ज ५।२५ आवण (आपण) ज ३१३२ आवणगिह (आपणगृह) ज ३।१६७२ आवत्त (आवतं) प ११६३ ज ३१३,४१२३,३५, ३७,४२,७१,७७,६४,१८८ से १६१,२६२; ७।५५ सू१६।२२११०,११,१६१२३ आवत्तकूड (आवर्तकूट) ज ४।१६२ आवत्तग (आवर्तक) ज ३।१०६ आवरण (आवरण) ज ३१३५,११६,१६७।६,१७८ आवरित्ता (आवृत्य) सू २०१२ आवरिस (आ+वष ) आवरिसेज्जा ज ५७ आवरेत्ता (आवृत्य) सू २०१२ आवरेमाण (आवृन्वत्) सू २०१३ आवलि (आवलि) ज ५१२८ आवलिया (आवलिका) प १२।२७,१८१३,२७ ज २।४ चं ५११ सू १।९।१८११ २०१५ आवलियाणिवात (आवलिकानिपात) सू१०१ आवस (आ । वस्) आवसामि उ ३।११८ आवसह (आवसथ) ज ३११६,३१,३२।२,५३,६२, ७०,१४२,१६५,१८१ आवसित्ता (ओस्य) ज ३१२२५ आवस्सग (आवश्यक) उ ३१३१ आवाग (आपाक) प २३११३ से २३ आवाड (आपात) ज ३३१०३ से १०५,१०७ से ११५,१२५ से १२७ आस (आस्य) प २।४०११० आस (आम्) आसि ११४७ आसकरण (अश्वकर्ण) प १८६ आसक्खंधसंठिय (अश्वस्कन्धसंस्थित) सू१०॥३४, आसखंध (अश्वस्कन्ध) ज ४११७८ आसखंधग (अश्वस्कन्धक) ज ७।१३३।१ आसग (आस्यक) उ १८६,६० आसण (आसन) प १११२५ ज २८६,६०,६२, ६३; ३,५५,५६,६४,७२,१०३,११२,११३, १४४,१४५; १२,३,७,२०,२१ सू २०१४ उ ३।१०१,१३४ आसत्त (आसक्त) प २।३०,३१,४१ ज २१७,३०, ३५,८८ आसत्थ (आश्वस्त)उ १२४,६२ आसधर (अश्वघर) ज० ३।१७६ आसपुरा (अश्वपुरा) ज ४१२१२२२ आसम (आश्रम) प १७४ ज २।२२,१३१; ३१८,३१,३२,१८०,१८५,२०६ उ ३१५५,१०१ आसमुह (अश्वमुख) प ११८६ आसय (आस्यक) उ ११६१,६२,८६,८७ आसय (आस्) आसयंति ज १११३,३०,३३,३६; २।७,४१२,६४,८७,१०४,१७६,१८५,१६१, १९७,२००,२०१,२०६,२१४,२३४,२४०, २४१,२४७ Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८४८ आसरयण ( अश्व रत्न ) ज ३४१०६,२२० आसरयणत्त ( अश्व रत्नत्व) प २०१५६ आसरह (अश्वरथ) ज ३।३४ से ३६ उ १।११० ; ५१३८ आसल (दे० ) प १७|१३४ आसव (आश्रव ) प १११०१।२; १७ १३४ आसा (आशा) उ३।१५६ आसाएमाण (आस्वादयत् ) उ ११३४,४६,७४ आसाढ (आपाढ) ज २२६५७ १०४, ११३, ११४, १२६ सू १०।१२४,१२६ उ ३१४० आसाढा ( आषाढा) सू १०।७५, १२०, १५५, १५६; ११२ से ६; १२/२४ से २८ आसाढी ( आषाढी) ज ७ १३७, १४०,१४६, १४६, १५३,१५५ सू १०१७,१६,२४,२५,२६ आसाय (आस्वाद ) प १७।१३० से १३५ ज २२१७,१८ आसाय ( आ + स्वाद ) आसाएंति प २८१२२, ३४,६८ आसायणिज्ज (आस्वादनीय ) प १७।१३४ ज २०१८ आसालिय (आशालिक, आसालिंग ) प १२६८,७३, ७४ आसासग ( अश्वास्यक ) प २१४० १० आसासण ( आश्वसन ) ज ७ १८६२ सू २०१८, २०१८ार आसिय (आसिक्त) ज २२६५; ३७, १८४ ५७ आसीत (आशीत ) प २२७ १ आसरयण आहारगसरीर सू १०११२६ २,५ आहच्च (दे० ) प १७ २,२५६२८।२१,३३,३८,६७ आहत (आहत ) प २३०, ३१, ४१, ४६ सू १६२३, २६ आय ( आहत ) ज ११४५; ३१२६,८२,१३३; ५०१, १६७१५५, ५८ सू १८१२३ ( आहर ( आ + हृ ) आहरेइ उ ३।५१ आहार ( आ + ह् ) आहारिस्सइ ज २९१४६ आहारिस्संति ज २११३४, १४६ आहारेइ उ ३५० आहारति प १५।४६ से ४६; १७१२, २५; २८।५ से ७, ६ से २३, ३० से ३५, ३६, ४०,५१,५२, ५३, ५५ से ६६,६८ से १०१ ; ३४१६ से १,११,१२ आहारेमि प ११।१२, १७ आहार (आहार) प १ । १ ७, ११४८३५५ ३|१|१; १०१५३।१११।१२; १५३१११ ; १७।१११ ; १७१५; १८११११ ; २८|१|१२८१३ से ५, २०,२७ से ३०,३२,३७,३८, ४०, ४७, ४६ से ५१,६६,६६,७३ से ७५,६७,१०६।१; ३४।१११,३४११ से ३, ५ ३६।१।१ ज २।१६, १६,५२,५६,१४६,१५६,१६१ उ ३१५१,५३,५४ आहार (आधार) उ ३।११ आहारग (आहारक ) प ३।१०७:१२।१३,२८, ३६; २१।१०४,१०५ : २३१४२,६१,६२,१४६, १७४; २८ १०८ से ११०, ११२,११४ से ११६, ११८,११६,१२१,१२३, १२४, १३०, १३१, १३६, १३७,१४१,१४२ आसीत्तय (दे० ) सू १०११२० सीविस (आशीविष ) प ११७० ज ४।२१२ आसुरत (आशुरक्त) ज ३।२६,३६,४७,१०७, १०६,१३३ उ ११२२,५७,८२,११५ से ११७, ११६,१४० आसोइ (आश्वयुजी ) ज ७ १३७ सू १०१७,१०,२२, २३, २६ आसोत्थ ( अश्वत्थ ) प १३३६।१ आहारगसमुग्धात (आहारकसमुद्घात ) प ३६ ३३ आहारगसमुग्धाय (आहारकसमुद्घात ) प ३६ १ २,७,९,१०,१३,१४,३०, ३५, ५३, ५८, ७४ आसोय (आश्वयुज) ज ७।१०४ उ ३।४० (आह (ब) आहंसु सु १३२० आज ७ ११२२२, ५ आहारगसरीर ( आहारकशरीर ) प १२/१३,२१, आहारगमीसगसरीर ( आहारकमिश्रकशरीर ) प १६।१५ आहारगमीससरीर (आहारक मिश्रशरीर ) प १६ १, १०,१५,३६१८७ आहारगमीसासरीर (आहा रकमिथकशरीर ) प १६ १०, १५; ३६/८७ Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आहारगसरीरय-इंदियपरिणाम ८४६ ३४१६११,१०,१५, २१।७२ से ७४,९६,६६, इंगाल (अङ्गार) प १।२६ उ ३।५० १०१,१०२,१०४,१०५; २३।१८६३६१८७ इंगालभूय (अंगारभूत) ज २११३२,१४१ आहारगसरीरय (आरारकशरीरक) प १२१६ इंगालय (अंगारक)ज ७४१८६६१ स २०१८,२०११ आहारगसरीरि (आहारकशरीरिन् ) प २८।१४१ इंगिय (इङिगत) ज ३.८७ आहारचरिम (आहारचरम) प १०।४२,४३ इंद (इन्द्र) प २।४०,४५,४७३१ ज २।९४३।२४१३, आहारत्त (आहारत्व) प २८१२२ से २४,३४ से ३७११,४२११३१।३,१८५,२०६५४६, ३६,३६,४०,४२,४५,४८,६८,६६,७१,३४१६ ५२,५७,७१५६,५७,५६,६०,१३०,१८६१४ आहारपज्जत्ति (आहारपर्याप्ति) प २८.१४२,१४३, सू १६।२४,२७ उ ३।१५,८४ इंदगोवय (इन्द्रगोपक) प १५० आहारपय (आहारपद) ज ७५० इंदग्गह (इन्द्रग्रह) ज २०४३ आहारभूय (आधारभूत) उ ३१११ इंदग्गि (इन्द्राग्नि) ज ७।१३०,१८६।२,४ आहारय (आहारक) प १२११,५,२५; १८।१४ से सू २०१८,२०१४ ६७,२१११; २८।१०६ से १०८,१११,११३, इंदगिदेवया (इन्द्राग्निदेवता) म १०८३ ११७,११६,१२०,१२२,१२५.१२७ से १२६, इंदज्य (इन्द्रध्वज) ज ३।३ १३२,१४३ इंदाण } इन्द्रस्थान) सू १६१२५ आहारयसरीर (आहारकशरीर) प १२।१७ इंदणील (इन्द्रनील) ज ३१३५ आहारसण्णा (आहारसंज्ञा) प ८१ से ११ इंददेवया (इन्द्रदेवता) सू१०८३ आहारेता (आहार्य) ज २११६ इंदधणु (इन्द्रधनुष्) ज ३।२४ आहारेमाण (आहारयत्) प ११।१२,१७ इंदनील (इन्द्रनील) प १२००३ ज ३.१०६ आहिंड (आ-+- हिण्ड) आहिडह उ ३.१०१ इंदभूइ (इन्द्रभूति) ज ११५ आहित (आस्यात) सू १।१०,११,१५ से १८,२०, इंदभूति (इन्द्र भूति) चं ११४,१० सू ११५ २२,२३,२५; १६॥२२॥३ इंदभूय (इन्द्रभूत) सू २०१७ आहिय (आख्यात) प ३४.१११ ज २।४।२; इंदमह (इन्द्रमह) ज २६३१ ७.३१,३३ चं २।३,५ सू १६३,५ इंदमुदधाभिसित्त (इन्द्र मुर्धाभिषिक्त) ज ७।११७।२ हिवच्च (आधिपत्य) ज ३।१६७।१३ सु १०८६२ आहुछि (दे०,अर्ध चतुर्थ) सू १६१ इंदिओवउत्त (इन्द्रियोपयुक्त) प ३।१७४ आहुणिय (आधुनिक) ज ३१९८५१५७११८६।१ इंदिकाइय (द०) १५० आहूय (आहूत) उ ३।४८:५० सू २०१८,२०८११ इौदय (इन्द्रिय) प १११।५।३।१।११३।१७; आहेबच्च (आधिपत्य) प २१३० से ३३,३५,३६, २५६१,१७,१६,२०,३०,३४,५८।१,१५१५८ से ४१,४३, ४८ से ५१,५७,२६ ज ११४५,१८५, ६०,६२,६३,६५,६६,६७,७५,७६,१३४,१४३, २०६,२२१, ५११६ उ ५।१० १७।१३४; १८1१।१, २८।१०१ इंदिय उवउत्त (इन्द्रियोपयुक्त) प ३११७४ इंदियजवणिज्ज (इन्द्रिययापनीय) उ ३.३२,३३ इ (इति) प ११४८१२ ज ११२६ मू ११८ इंदियपज्जत्ति (इन्द्रियपर्याप्ति) प २८.१४२ इ (चित् ) उ ११३६,३१११ उ ३११५,८४ इइ (इति) सू २०१६ इंदियपरिणाम (इन्द्रियपरिणाम) ५० १३१२,१४ Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५० इंदीवर-इत्थी १६,१७,१६ इट्ठतरिय (इष्टतरक) प १७१२६ से १२८,१३३ इंदीवर (इन्दीवर) प १४४४१३ से १४५ ज २०१७ इक्क (एक) ज ११२० सू १९२५ इठ्ठत्त (इष्टत्व) प ३४.२० इक्कड (इक्कड) सरकंडा, पानी का पौधा इट्ठस्सरता (इष्टस्वरता) प २३.१६ प ११४८/४६ इड्ढि (ऋद्धि) प २।३०,३१,४१,४६,६६८%; इश्कवीस (एकविंशति) ज २१३४ १७१८६२११७२ ज २२५,३११२,१८,३१, इक्कारम (एकादशन्) ज ४।२७५ ७८,८८,६३,१२६,१८०,१८६,२०६,२१६; इवकारसम (एकादश) सू १०७७ ४११४०,२२,२६,२७,४३,४४,४६,४७,५६, इक्कारसी (एकादशी) ज २७१ ६७ उ ११६२,१२१,१२२,१२६,१३३,१३४, इक्कावण्ण (एकपञ्चाशत्) सू ११२१ १३८,३।४६,५०,१११,१२२:४।१८:५।१७, इक्किक्क (एकक) ज ७.१७८१२ १६,२३,३१ इक्खाग (इक्ष्वाकु) प ११६५ इड्ढिपत्तारिय (ऋद्धिप्राप्तार्य ) प १६०,६१ इक्खु (इक्षु) प १।४१११,११४८।४६ इड्ढिमंत (ऋद्धिमत्) ज ७।१६८।२ इक्खुवाडिया (इक्षु वाटिका) प ११४८।४६ इदिसिय (दे०) ज ३।१८५ इक्खुवाडी (इक्षुवाटी) प ११४१६१ इणं (एतत्) प १११३ ज २२१७ सू १८।२२ इगतालीस (एकचत्वारिंशत् ) ज ७७५ सू १११३ । इतर (इतर) सू १२५; २१२,४१२ इगुणापण्ण (एकोनपञ्चाशत्) ज ७१७५ इति (इति) प ११७५ ज १२२६३।३२११ इगुणालीस (एकोनचत्वारिंशत् ) ज ७.२४ सू १०।१० उ १११७ इच्छ (इषु ) इच्छइ उ श५१ इच्छंति इत्तरिय (इत्वरिक) प १११२५; १७४१०६,१०७ प १६१४६ इच्छसि सू १६।२२१२६ इत्तो (इतस्) प २६४।१८ ज ३।१२४ इच्छामि उ १८७६,३।१०६४।११ इत्थ (अत्र) प १३१ ज ४११४७ इच्छामो प २८।१०५,३४११६,२१ से २४ इत्थं (अत्र) ज २२० इच्छा (इच्छा) ज ७.१२०१२ सू १०८।२ इस्थि (स्त्री) प ११६०,६६,७५,७६,८१,६७६, इच्छाणुलोम (इच्छानुलोम) प ११॥३७१ ८०८०१२१११५ से १०,२३,२६ से २८% इच्छामण (इच्छामनस) प २८।१०५,३४।१६,२१ १७११६६ से १७२ ज ३१२२१ से २४ इत्थिरयण (स्त्रीरत्न) प ६२६ ज ३।७२,१३८, इच्छिय (इष्ट, ईत्सित) ज ३८८,१३८; १७८,१८६,२०४,२१४,२२० उ ३११३८ इत्थिरयणत्त (स्त्रीरत्नत्व) प २०१५८ इच्छियत्त (इष्टत्व) प २८।२६ इस्थिवयण (स्त्रीवचन) प १११२६,८६ इच्छियव्व (एष्ट व्य, एषितव्य) ज ३८१ इत्थिवेद (स्त्रीवेद) ५१८१६०; २३१७३ ; २८।१४० इट्ठ (इप्ट) ५ २३।१६२८।१०५ ज २१६४; इस्थिवेदग (स्त्रीवेदक) प १३३१४,१६ ३१२४,८२,१८५,१८७,२०६,२१८,५१५८ इत्थिवेय (स्त्रीवेद) प २३।३६,१४१ सू २०१७ उ ११४१,४४,३।११२,१२८,४।१६; इथिवेयपरिणाम (स्त्रीवेदपरिणाम) प १३:१३ ५।२२,२५ इत्थिवेयग (स्त्रीवेदक) प १३३१५ इतर (इष्टतर) ज २११८४११०७ इत्थी (स्त्री) उ ३१३६,४२ Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ इत्थीलिंगसिंद्ध-उउ ८५१ इत्थीलिंगसिद्ध (स्त्रीलिंगसिद्ध) प ११२ ईसर (ईश्वर) प २।४७।२:१६.४१ ज २१२५; इत्थीवेदग (स्त्रीवेदक) प ३।६७१३।१८ ३११२६:३;५।१६ उ ११२।१० इम (इभ्य) ११६।४१ ज २२५,३१०,८६, ईसर (ऐश्वर्य) ज ११४५,३।१०,१८५,२०६,२२१ १७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६,२१६, ईसाण (ईशान) प ११३५२१४६,५१,५३,६३; २२१ उ ११६२,३१११,१०१,५१० ३१३०,१८३,४।२२५ से २३६,६।२८,५६,६५, इन्भजाति (इभ्यजाति) ५११९४१ ८५,१११,१५११३८:२०१६०;२८१७६:३४।१६, इम (इदम्) प ११४८ सू १४१५ उ २१५२६ १८ ज २९१ से ६३,११३,११६;४।१७२, इय (इति) प श६४।१८ ज १७ सू११६ २००,२२१,२२४११,२३५,२४०,२४२,२४३; इयर (इतर) प २११३५ ५।४८,५६,६०,७१२२११ सू १०१८४।१ इयाणि (इदानीम् ) सू १६२४ उ ३१५५ उ १२०,२२,५१४१ इरियावहियबंधग (ईर्यापथिकबन्धक) प २३।६३ ईसाणकप्पवासि (ईशानकल्पवासिन) प २१५१ इरियावहियबंधय (ईपिथिकबन्धक) प २३.१७६ ईसाणग (ईशानज) प २१५१,६।६५७१६१५१८७% इरियासमिय (ईर्यासमित) उ २९३३१३,६६, २११७०,६०,३३.१६ ज ५१४६ १०२,११३,११५,१३२,१४६,४१२२,५१३८,४३ ईसाणवडेंसग (ईशानावतंसक) प २२५५,५७ इलादेवी (इलादेवी) ज ५११०११ उ ४।२।१ ईसाणवडेंसय (ईशानावतंसक) प २१५१ इलादेवीकूड (इलादेवीकूट) ४१४४,२७५ ईसि (ईषत् ) प २।३१,६४,१७।१३४,२३३१६५ इव (इव) ५ २।४८ उ ३११२८ ज ३११०६,१७८,४१५४,५१५,२१,३८,५८; इसि (ऋषि) प २१४७२ ज ३।१०६ उ १२० ७/१७८ इसिपाल (ऋषिपाल) प २१४७१२ ईसिउच्छंग (ईषदुत्सङ्ग) ज ३११७८ इसिवाइय (ऋषिवादिक) प २।४१,२।४७११ ईसिणिया (ईशानिका) ज ३।११०१ इसीपब्भारा (ईषत्प्रागभारा) २६१,२१४९० ईसितुंग (ईषत्तुङ्ग) ज ३।१७८ इस्सरियविसिठ्ठया (ऐश्वर्यविशिष्टता)प २३२१, ईसिदंत (ईषदान्त) ज ३।१७८ ईसिमत्त (ईषन्मत्त) ज ३११७८ इस्सरियविहीणया (ऐश्वर्यविहीनता) प २३१२२, ईसीपमारा (ईषत्प्रागभारा) प २१६४:१०.१,२; २११६०,३०।२६,२८ इह (इह) ज २।६६ उ १९ ईसीहस्सपंचक्खरुच्चारणद्धा (ईषद हस्वपञ्चाक्षरोइहं (इह) प १७५ उ ११७ च्चारणाध्वन् ) प ३६.९२ इहगय (इहगत) ज ५१२१,७४२०,२२ से २५,७६, ईहा (ईहा) ११५१५८।२,१५१६७ ज ३१२२३ ईहामइ (ईहामति) उ ११३१ ईहामिग (ईहामृग) ज २१३७,१०१:४।२७ ईतिबहुल (ईतिबहुल) ज ११८ ईताल (एकचत्वारिंशत् ) सू १९८१ ईतालीस (एकचत्वारिंशत् ) सू १३।१४ ईतालीसक (एकचत्वारिंशत्क) सू १३११७ ईरियासमिय (ईर्यासमित) ज २११६५ उ (तु) प १४४८१६ ज ११४७ सू ११७ उ ११७ उईर (उदीरण) प १४।१८।१ उउ (ऋतु) ज २१६६३१११७१७।१११,११२१५, १२६, १२७ उ ५४२५ Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५२ उउय-उक्कोसपय उउय (ऋतुक) प २१४१ उंबर (उदुम्बर) प ११३६१ उ ३७४,७६ उंबेभरिया (दे०) प १।३५१२ उक्कड (उत्कट) प १५० ज ३।३१ उक्कर (उत्कर) ज ३।१२, १३,२८,४१,४६,५८, ६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उक्करिया (उत्करिका) प ११७८,१३१२५ उक्करियाभेद (उत्करिकाभेद) १ १११७८,७६ उक्तरियामेय (उत्करिकाभेद) प १११७३ उक्कलिया (उत्कलिका) ५११५० उक्कलियावाय (उत्कलिकावात) प ११२६ उक्का (उल्का) प २६ उक्कामुह (उल्कामुख) प १८६ उक्कालिय (उत्कालिक) ज७ उक्किट्ठ (उत्कृष्ट) ज २६०३।१२,२६,२८,३६, ४१,४७,४६,५६,५८,६४,६६,७२,७४,११३, १३८,१४५,१४७,१६८,२१२,२१३;५।५,४४, ४७,६७,७१५५ उ ११३८,३।१२७ उक्किट्ठि (उत्कृष्टि) ज ३१२२,३६,७८,६३,९६, १०६,१३३,१६३,१८० उक्किण्ण (उत्कीर्ण) प २।३०,३१,४१ ज ३१८२ उक्कित्तिता (उत्कीर्तिता) मू २०१६।१ उक्किरिज्जमाण (उत्कीर्यमाण) ज ४।१०७ उक्कुट्ठ (उत्कृष्ट ) स. १६।२३ उक्कुडुठ्ठिय (उत्कुट कस्थित') ज २।१३३ उक्कुरुडिया (दे०) उ १५४ से ५७,५६,६३,७६ से १७/१४५,१४६;१८२ से ४,६,८ से १०,१२, १४ से १६,१८ से २४,२६ से २८,३० से ३६, ४१ से ५४,५६,५७,५६ मे ६७.६६ से ७४, ७६ से ७६,८१,८३ से ५,८७,८६ से ११, ६३,६५,६६,६८,१०३ से १०५, १०७,१०८, ११०,११३,११४.११६,११७,११६,१२०, २०१६ से १३,६१,६३,२११३८,४० से ४४, ४६ से ४८,६३ से७१,७४,८४,८६,८७,६० से ६३,२३।६० मे ७६,८१,८३ से १२,६५ से ६६, १०१ से १०४,१११ से ११४,११६ मे ११८,१२७,१२६ से १३१,१३३ से १३५, १३८,१४०.१४२,१४३,१४७१५१ से १५५, १५७,१५८,१६० मे १६२,१६४ से १६६, १०१ से १७३,१७६,१७,१८२,१८३,१८६, १८७,१६०,२८२,२७,८७,५०,७३ से १६; ३३१२ से १३,१५ से १७:३६१८ से १०,१७, १८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८,७०,७२,७४, ७६ ज १६,४८,४५,५८.१२३,१२८,१३३, १४८,१५१,१५७४।१०१,७१५७,६०,१८२, १८७ से १६६,२०६ सू १८१२०,२५,३६; १६२५ उ २२०,२२,३६१३० उक्कोसकालठिईय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३१२०० उक्कोसकालठितीय (उत्कर्षकालस्थितिक) प२३।१६४ से १९६,१६८ मे २०१ उक्कोसग (उत्कर्षक) प १७११४५,१४६; २३।१८४ उक्कोसगुण (उत्कर्ष गुण) प ५।३८,६०,७५,६०, १०८,१६१,१६४,१६८,२०१,२०४,२०८, २१२,२१५,२१६,२२२.२२५,२४३ उक्कोसटिईय (उत्कर्षस्थितिक) १८५ उक्कोसद्वितीय (उत्कर्षस्थितिक) प ५१३५,५७, ७२,८३.१०५.१७५,१७८,१२२,१८८,२४० उक्कोसपएसिय (उत्कर्षप्रदेशिक) ५ ५।२२६,२३० उकोसयद (उत्कर्षपद) प १२॥३२ उक्कोसपय (उत्कर्षपद) ज ७१६८,१९६,२०२, उक्कुला (उत्कूला) सू १०१६ उक्कूवमाण (उत्क्रूजत्) उ ३११३० उक्कोस (उत्कर्प) प ११७४ ; रा६८।६ ४११ से ६७,६६ से २९६,२६८,५१४२,४६, ७६,६४, १८,११२,११६६१ से १८,२० से ४५,६०, ६१.६४,६६ से ६८,१२०,१२१,१२३,२,३, ६ से २६११।७०,७१:१२२९१५:४० से ४२; १. अस्थिक इत्यपि भवति विकल्पेन । Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उक्कोसमति-उच्छोल ८५३ उक्कोसमति (उत्कर्यमति) प ५६४ ५७,५६,६२,८०,८४,८६,६६,१०१,१०३, उक्कोसमदपत्त (उत्कर्षमदप्राप्त) १ १७।१३४ ११०,११२,११४,११५.११६ से १२२,१२५, उक्कोसय (उत्कर्षक) प १५६४२११०५ १२८,१३६,१४२,१४६,१४७,१४६,१५५, जे ७।२६ सू१११६,१७,२१,२२,२४,२७,२।३; १५६,१६३ से १६५,१७२,१७५,१७८,२०३, ३१२:६।१८११, ६।२, २०१३ २१२,२१६,२१७,२१६,२२१,२२६,२४२; उक्कोसा (उत्कधक) प १७:१४६ ११३८,४६,७२,७३:३७,३८,२०७२१५ उक्कोसिया (उत्कपिका) ज २१७४ से ८०,७१२८ सू १६५९१२,३,१८१ सू११४,२१,३,४।६६.१ उच्चत्तच्छाया (उच्चत्वछाया) मू ६।४ उक्कोसोगाहग (उत्कर्षावगाहनक) प ५।३० उच्चत्तपज्जव (उच्चत्वपर्यव) ज २५१,५४,१२१, उक्कोसोगाहणय (उत्पविगाहनक) प ५२९, १२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०, ३०,५०,५४,६६,८४,१०२,१५५,१५८,१६०, १६४,१६७,१७०,२३५ उच्चत्तुद्देस (उच्चत्वोदेश) मू हार उक्खित्त (उत्क्षिप्त) ज ५१५७ उच्चागोय (उच्चगोत्र) प २३१२१,५७,५८, उक्खेव (उत्क्षेप) ज ५१४६,६०,६ १३१,१५३,१८८ उग्ग (उम्र) प ११६५ ज २,१६५ उच्चार (उच्चार) प ११८४ उम्गच्छ (उद्गत्य) ज ७।१०१,१०२ मू८११ (उच्चार (उन्:-चारय) उच्चारेइ उ ३.७६ उम्गतव (उग्रतपम् ) जे १५ उच्चारपासवणखेलजल्लसिंघापपरिवणियासमिय उग्गमण (उद्गमन) ज १३६ से ३८ सू २।३; (उच्चारप्रस्रवणश्वेल 'जल्ल' 'सिंघाण' परिष्ठापनिकासमित) ज २१६८ उग्गममाण (उद्गच्छन्) प १८८५२ उच्चारपासवणखेलसिंघागजल्लपरिट्ठावणियासमिय उग्गय (उद्गन) १३७३१२४,४१२७,५१२८ (उच्चारप्रस्रवणश्वेल 'सिंघाण' 'जल्ल' परिष्ठाउग्गवई (उपवती) ज १२१ मू १०६१ पनिकासमित) 3 ३६६ उग्गविस (उनविए) प ११७० उग्गसेण (उनमेन) उ ५१० उच्चारतव्व (उच्चारयितव्य) मू१०११३५ उग्गह (अवग्रह) ११५१६८,७१,७२ उच्चारेयव्व (उच्चारयितव्य) ज ७११६८ उग्गा (दे०) २१७ सू१०।१३४ उग्घोस (उद्घोप) ज २१६५ उच्चावय (उच्चावच) ५३४।२३,२४ उ ११५७, उग्घोसेमाण (उद्घोषयन्) ३।२१२,२१३; ८२,५४३ ५३२२,२६ उच्चाविय (उच्च कृत्वा) प १७।१११ उच्च (उच्च) उ ३११००,१३३ उच्छंग (उत्सङ्ग) उ ३६८,११४ उच्चंतय (उच्चंतग) प? १२४ उच्छण्णा (उत्सन्न) ज २१८,६ उच्चत्त (उच्चत्व) ॥ २१॥८॥२ ज ११८ उच्छण्णणाणि (उत्सन्नज्ञानिन्) प २३।१३ से १०,१६,२२ से २४,२,३५,३७,३८,४०, उच्छप गदसणि (उत्सन्नदर्श निन् ) प २३।१४ ४२,४६,५१:२६,१५,४५,५१,५४,५६,५८, उच्छाह (उत्माह) सू २०१६।३,५ ८६,१२३,१२८,१३८,१४०,१४८,१५१,१५७, उच्छूढसरीर (उत्क्षिप्तशरीर) ज ११५ १५६४११,६,१०,१४,३३,४५,४७ से ४६,५४, उच्छोल (दे० उतक्षालय) उच्छोलेंति Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५४ ज ५।५७ उजुसेद (ऋजुश्रेणि ) प ३६।१२ उज्जय ( उद्यत ) ज २११३३ उज्जल ( उज्ज्वल ) ज ११३७ ७ १७८ उज्जाण ( उद्यान) ज २।६५,७१,५१५,७३१३६; __५१६,७,२४,२६,३७ उज्जाणसंठित (उद्यानसंस्थित) सू ४ ३ / उज्जाल ( उत् + ज्वालय् ) उज्जालंति ज ५।१६ उज्जालेइ उ ३१५१ उज्जालेंति ज २।१०५ उज्जालेह ज २११०७ उज्जालिता ( उज्ज्वल्य ) ज ५११६ उज्जालेत्ता ( उज्ज्वाल्य ) उ३।५१ उज्जु (ऋजु ) प २ ३१ ज २११५ ज ११८, ३१, ३१६३, १२१,५/३२ V उज्जोय ( उद् - - द्योतय् ) उज्जोए ति सू १६ १ उज्जोएति सू १६११ उज्जोकर (उद्योतकर ) ज ३६५,६६, १५६,१६० उज्जोयणाम (उद्योतनामन् ) प २३३३८ उज्जोयभूय (उद्योत भूत) ज ३/६६,१६० उज्जोव ( उत् । द्युत्) उज्जोवेइ ज ४।२११ उज्जोर्वेति ज ७५१, ५८ सू ३।१ उज्जोवेति सू ३।२ उज्जोवणाम (उद्योतनामन् ) प २३।११५ उज्जोविय ( उद्योतित ) ज २।१६ उ १५६,६१ उज्जोवेमाण ( उद्योतयत् ) प २३०,३१,४१,४६ / उज्झ (उज्झ ) उज्झइ उ ११५५ उज्झाहि उ ११५४ उज्झर (उज्झर ) प २४,१३,१६ से १६,२८ उ ५८५ उजुसे दि-उ उज्झरबहुल (निर्भर बहुल ) ज १।१८ / उज्झाव ( उज्झय् ) उज्झावेसि उ ११५७ उज्मावित्तए ( उज्झयितुम् ) उ ११५४,५६ उज्जमाण ( उज्भ्यमान ) उ ११५६,६३,८४ उज्झित ( उज्झित) उ ११५६,८१ उज्झिय ( उज्झित) उ ११५७,८२ उट्ट (उष्ट्र ) प १६४; ११।१६ से २० ज २१३५ ( उट्ठा ( उत् + ष्ठा) उठेइ उ ११२४ उट्ठेति ज ३।११४,१२६ उट्ठेति ज ११६ उट्ठा (उत्था ) उ ११२४ उट्ठाण ( उत्थान ) प २३।१६, २० ज २१५१,५४, उज्जय ( ऋजुक) ज २०१५ उज्जसुय ( ऋजुसूत्र ) प १६४६ उज्जोइय ( उद्योतित ) प २१४६ ज ३१६,१८, ६३, उट्ठेत ( उत्तिष्ठत् ) ज ३१३५ १८०,२२२ उट्ठेत्ता (उत्थाय ) ज ११६ उ ११२४ उज्जोत (उद्योत ) प० २२४१,५६,६६ उडय ( उटज) उ ३३५१, ५३ उज्जोय ( उद्योत ) प २ ३०, ३१,४६,५६,६३ उडिय (दे०) ज ७ १७८ उडु (ऋतु) सू ६११ ८ १ १०८१२८, १२६, १२१, ४, ११, १२, १४, १५; १५/२० से २२ उडु ( उडु) सू १०।१२६।१,५ उडुकल्लाणिया ( ऋतुकल्याणिका) ज ३।१७८, १२१,१२६,१३०,१३५, १३८, १४०, १४६, १५४,१६०,१६३ सू २०११, ७, ६२३, ५ उट्ठाय ( उत्थाय ) ज १६ उट्ठिय ( उत्थित ) ज ३११८८६ उ ३२४८, ५०, ५५, ६३, ६५, ७०, ७४,१०६,११८ १८६,२०४, २१४,२२१ उडुपण ( उडान ) प १५।१।२१५१५० उड्ड (उड़ ) प १८e उड्ढ (ऊर्ध्व ) प २१४, ४८ से ५३,६०,६३,६४; ११/६५,६६,११।६६।१६ १५ ५२ २१३८७, ६० से ६३; २८।१५,१६,६१,६२,३३११६, १७; ३६१६२ ज १८ से १०,२५,२८,३२, ३५,३७,३८, ४०, ४२,५१, २२६,५६,८६,१२३, १२८,१४८;३।१३१, १३२,४१,६,१०,२३, ४५,४७,५७,५६,६२,८६,१०१, १०३, ११०, ११२,११४,११५,११६ से १२२,१२८,१३६, १. उडु (जलम् ) आप्टे पृ० ४०१ Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उड्डजाणु-उत्तरडकच्छ ८५५ १४२,१४६,१४७,१५५,१५६,१६३ से १६५, १७५,१७८,२०३,२१२,२१६,२१७,२१६, २२१,२२६,२३४,२४० से २४२५१६४; ७१४४,५४,१६८११,२०७ सू २११४११०; ६१३;१८।१:१६२२११२,१६१२३ उ १९७; २।१२,३१५०:५१४१ उड्ढजाणु (ऊर्ध्वजानु) ज ११५,२१८३ उ ११३ उड्ढत्त (ऊर्ध्वत्व) प २८१२४,२६ उड्ढदिसा (ऊर्ध्व दिशा) प ३६१७६,१७८ उड्ढमुह (ऊर्ध्वमुख) ज ३।३; १७:१६८ उड्ढलोग (ऊर्वलोक) ज ५१६,६७ उड्ढलोय (ऊर्ध्व लोक) १ २११,४,१०,१३,१६ से १६,२८,३११२५,१२७ से १७३,१७५,१७७ उड्ढवाय (ऊध्वंवात) पश२६ उड्ढामुहकलंबुयापुप्फसंठाणसंठित ('उद्धी'मुखकलम्बुकपुष्पसंस्थानसंस्थित) सू १६।२३ उड्ढीमुहकलयापुप्फसंठित ('उद्धी'मुखकलम्बुक पुष्पसंस्थित) ज ७३३१,३३,३५ सू४।३,४,६, ७,६ उड्ढोबवण्णग (ऊवोपपत्रग) ज ७५५५ सू १६।२३, उत्तमपुरिस (उत्तमपुरु) प६।२६ उत्तमा (उत्तमा) ज ७।१२०११ सू ५११,१०८८१ उत्तर (उत्तर) प २।२१ से २७, २७११,२,२१३० से ३६,४४,४८,५१,६०,६१,६२।१२।६३; ३१ से ३७,१७६,१७८,१५१८५१८१६० ज १११८,२०,२३,४८,३११,८२,१२६।४,१३१, १३३,१३८,१५१,४।१,१७,३८,५५,६२,७३, ७६,८१,९६,६१,६३,६८,१०३,१०८,११४, १२६,१४१ से १४३,१५०,१५६,१६०,१६५, १६७,१६६,१७२,१७३,१७५,१७७,१७८, १८०,१८१,१८४,१८५,१८७,१६०,१६१, १६३,१६६,१६७,१६६ से २०३,२०५,२०८, २०६,२१३,२२६,२३१,२३४,२३७,२३८, २४६,२५२,२६२,२६५,२६८,२६६,२७१, २७२,२७४,२७५,५।११,३६,४२,६।११, १४,२४७१५,१५,१७,२४,२५,६४,७४,७६, ७८,८३,८४,८८,६४,१२७,१२६,१३४।३, १३५।३,१७४,१७८,२०१,२०४ सू१।१५ से १७,२४,२६ से ३१,१३,१०७५,१३५, १२।१२,१३१६,१०,१८।१४ से १७:१६८१, ११।१२०१२ उ ३.५४,५५,६३,६७,७०,७३, ४।१६,५१४१ उत्तर (उत्+तु) उत्तरइ ज ३११०१,१२६ उत्तरओ (उत्तरतस्) ५२१४०१४ ज १११८ उत्तरकुरा (उत्तरकुरु) ज ४।६६,१०३,१०८ से ११०,१४१,१४३,१६१,१६२,२०५,२१३ उत्तरकुरु (उत्तरकुरु) प १८७१६३०१७३१६४ ज २१६,४११४२१३.१६११२,१६२,२०७, २६२,५२५५ उत्तरकुरुकूड (उत्तरकुरुकूट) ज ४११०५,१६३ उत्तरकूल (उत्तरकूल) उ ३५० उत्तरगुण (उत्तरगुण) प १११४६ उत्तरड्ढ (उत्तरार्द्ध) प २१५१,८।१ उत्तरड्ढकच्छ (उत्तरार्द्धकच्छ) ज ४११६८,१७२, १७३ से १७६ उण्णं दिज्जमाण (उन्नन्द्यमान) ज ३३१८६,२०४ उग्णय (उन्नत) ज २।१५ ३1१०६,१३८,४।१३; ७।१७८ सू २०१७ उण्णाय (उन्नाक) उ ५।४३ उण्ह (उष्ण) प १७।११४११,१७।१३८,२८१२६ उ ३३१२८ उतालीस (एकोनचत्वारिंशत् ) सू १२१२० उत्तत्त (उत्तप्त) प २।४०६ उत्तम (उत्तम) प २१४६ ज २०१५, ३१३,१२, १२५,४१२६०।१५।५८ सू ५१ । उत्तमकठ्ठपत्त (उत्तमकाष्ठाप्राप्त) ज २१७,५२, । १३१,१६१,१६४,७।२६,२८ सू ११४,१६, १७,२१,२२,२४,२७, २।३,३१२,४८,९; ६।१६२ Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५६ उत्तरढभरह (उत्तरार्द्धभरत) ज १११६,४७ से ५१,३।१०२,११३ ; ४१३५ उत्तरड्ढभरहकूड (उत्तरार्द्ध भरतकूट ) ज ११३४ उत्तरलवणसमुद्द (उत्तरलवणसमुद्र ) ज ४।२७७ उत्तरढलोकाहिवइ (उत्तरार्द्ध लोकाधिपति) ज ५४८ उत्तरण ( उत्तरण ) ज ३१७६,११६ उत्तरदारिया (उत्तरद्वारिका ) सू १०।३१ उत्तरदाहिण ( उत्तरदक्षिण ) ज १।२४; ४११०६, १६४,१६७,१६६,१७८, १८०, १८१,१८५, १८७,१६१,१६६ से २०१,२०३, २०६,२१५, २४५,२४८, २५१, २५२ सू८११ उत्तरदाहिणाया (उत्तरदक्षिणायता) ज १।२४; ४११०३,१६२,१६७,१६६,१७८, १८१, १८७ १६१,२००,२०३, २४५, २५१ उत्तर (उत्तरार्द्ध) ज २९१ उत्तरभरह (उत्तरा भरत ) ज १।२३ उत्तरपच्चस्थिम ( उत्तरपाश्चात्य ) प ३११७६,१७८ ज ३।४३,४४;४११०३,१०६,१५०,२२४,२३१, २३२सू२११,२०१२ उत्तरपतत्थिमिल्ल ( उत्तरपाश्चात्य ) ज ४२३८ स १ १६ २११,२०२ उत्तरपाई (उत्तरप्राची) ज ३।१२६ उत्तरपुर स्थिम ( उत्तरपौरस्त्य ) प ३।१७६, १७८ ज १।३;३।६०,६१,१३०,१३१,१४०,१४१, १९१,१६२,२०४,२०८, ४११७,१२०, १३६, १३६,१५०,१५४,१६२ से १६४,२२१,२२६, २३३,२३६,५/५,७,३६,४४,५५ चं ७ सू ११२ २०१२ उ ३।११३; ४ २०; ५१५ उत्तरपुरथिमिल्ल ( उत्तरपौरस्त्य ) ज ४।१५६, २३७,२३८५/४८,४६ सू १।१६ उत्तरपोट्ट्वया (उत्तरप्रोष्ठपदा) ज ३।२०६ सू १०/६४ उत्तरगुणी (उत्तरफल्गुनी) ज ७ १२८,१२६, १३६ उत्तरढभरह उत्तरिल्ल उत्तरभवया ( उत्तरभद्रपदा) ज ७११२८, १२६, १३६,१३६,१४२ उत्तरवेउब्विय ( उत्तरवैकयिक ) प १५/१८,१६; २११५८,५६,६१,६५ से ६७,७० ; ३४ १६,२१ से २३ ज ३।२०६ ; ५२४१ उत्तरवेयड्ढ (उत्तरताढ्य ) ज ३३८१ उत्तरा (उत्तर) सू १०/३२,४५,६०,६२,१२०, १५३,१५५,१५६,१५८११२,४ से ६ १२/२४ से २८ ज ७१११३ ३।५५,६३,६५, ६७,७०,७४ उत्तरापोवा (उत्तरप्रोष्ठपदा) सू १०५, ६,२१, २३,६५,७५,८३,६७, १३१ से १३५ उत्तराफग्गुणी (उत्तरफल्गुनी) ज ७।१४०, १४८, १५१,१६३,१६४ सू १०।२ से ६,१५,२३,७०, ७१,७५,८३,११०,१३१ से १३३ उत्तराभवया (उत्तरभद्रपदा ) ज ७ १४६, १५७, १५८ १०२ से ६,१३१ उत्तराभिमुह (उत्तराभिमुख ) ३३२५५,६३,६७, ७०,७३ उत्तरासंग (उत्तरासङ्ग) ज ३१६६५२१ उत्तरासाढा (उत्तरापाढा ) ज २१७१८५३ ७ १२८, १३०,१३६,१४०,१४६, १५६, १६७ १०११ से ६,१६,२३, ५४,६२,६३,७४,८३,११६, १२२,१२३,१३० से १३५; १५५६, १२ उत्तरिज्ज (उत्तरीय) ज ३१६,२२२ उत्तरित्त (उत्तीर्थ ) ज १११८१ उत्तरिय ( औतरिक ) प ३६१२१, २२, २४, २६, २७, ४६ उत्तरिल्ल ( औदीच्य ) प २३३,३६,३६,४०, ४४, ४७ ; १६।३४ ज ११२६; २।११६; ३३१०२, १०६,१३३,१३७,१५४ से १५७,२०५,२१५, २२०, ४१३८, ४२,७३,७७, ९१, ९४, १७२, १६ से २०२,२०६,२०७,२१२,२३२, २३३, २३८,२४८,२५१,५३११,१४,४४,४५,४६, ५२, ७।१७८ उ ३६१ Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उत्तरोट्ठ-उद्धय उत्तरोठ (उत्तरौष्ठ) ज २।१५ उत्ताण ( उत्तान ) उ३।१३० उत्ताणग ( उत्तानक) ज ३११११, ११३ उ १४६ उत्तणय ( उत्तानक ) प २०६४१।४६ उत्ताणसेज्ज ( उत्तानशय ) उ३।१३०,१३१,१३४ उत्तासण ( उत्त्रासन ) प २।२० से २६ उत्तासणय ( उत्त्रासनक ) प २०२७ उत्तिण ( उत्तीर्ण) ज ३१८१ उत्तिमंग ( उत्तमाङ्ग ) ज २११५ उदग (उदक) २।१३१,३१२६,३६,४७,१०६, १३३,२२१:५१५५. उदगधारा (उदकधारा) ज ३८ उदय (उदय) प २३१३,१३ से २३ सू ११६१२, ११८३१ उदय (उदक ) प ११४११२, ११४६,१०११७१ १६।५४ ज ३१६, २०६,५११४,५६,७१११२/१, २ चं २।२४।१, ३ सू १०।१२६।१,२ उदयसंठिति ( उदयसंस्थिति ) सू १ १६ २, ११८११,३ उदर (उदर) उ ११४३ उहि (उदधि ) प २३०१, २२४०१२,८,१०; १५ ११२ ज २११५; ५१५२ उदहिकुमार (उदधिकुमार ) प ११३१,५३,६१८ उदार (उदार ) ज ३१२४,१३१ उदाहु ( उताहो ) प २०१६,१५१४६,४७,३४१६ उ १११२७ उदिष्ण ( उदीर्ण ) प २०१३६,२३३, १३ से २३ उदीण ( उदीचीन ) प २११०,५० से ५२,५४,५६, ५८ से ६० ज ११८,२०,२३,२५,२८,३२, ४८, ३११,४११, ३,५५६२,८६,८८, १०८,१७२,२०५,२१४,२५२, २६२,२६८; ७११०१,१०२ ८१ उदीर्णदाहिनायता ( उदीच्यदक्षिणायता ) सू १११६, २१:१० ११४२.१४३,१२/३० उदीर्णवाय ( उदीचीनबात ) प ११२६ ( उदोर (उद् ईर् ) उदीरति प १४/१५ उदीरिस्सति प १४|१८ उदीरेति उ ३।३४ ८५७ उदीरें १४।१८ उदीरेति प २२१५ उदीरण ( उदीरण ) ज २।१३१ उदीरिज्माण ( उदीर्यमाण ) प २३।१३ से २३ उदीरिय ( उदीरित) प २३।१३ से २३ उदु (ऋतु) ज २२४७१११२।१ उद्दंडग (उद्दण्डक ) उ ३१५० उडिय ( उद्दण्ड ) ज ३१३२ उद्दव ( उ ) उद्दति प ३६/६२,०७ उवित्त (द्रवयितुं ) ज ३।११५ उद्दात्ता (उद्भुत्य ) ज ६६४ उद्दाल ( उद्दाल) जरा उद्दाल (अवदाल ) ज ४११३ सू २०१७ उद्दाल' (आ छिन् ) उदा उ १।१०५ उहाले काम (काम) उ ११०५ उद्दि (दे० ) सू १६४२२१२५ उद्दिस ( उत् + दिश् ) उद्दिसंति उ ५ ४५ उद्दिस्यि (उद्दिश्य ) प १६।५१ उद्दिपविभत्तगति ( उद्दिश्यप्रविभक्तगति) १६६३८,२१ उद्देश ( उद्देश ) ज ७ १०१,१०२ उद्देग (देशक) १४५ उद्देश्य (क ) प १७/१४ उद्देहिया (३०) प ११५० उद्ध (ऊ) ३३२४ ज १११६, २३, २४; २१६, ५८,६५,१५७ ११५७,८२ उस (उन् वृष) उस उ १५७ उणा (उद्धर्पणा) उद्धसेत्ता (उद्वयं) ११५७ उद्धत (उद्धत ) ज २६५ उद्धिय (उद्धृत) ज ३१२२१ उद्भुत ( उ ) २४८ उद्धय (उद्धृत ) प २३०, ३१, ४१ ज २६०, ३७; २४१३,२६,३७११, ३६.४५।१,४७,५६,६४, ७२,८८,११३,१३११३,१३८, १४५,१७८; १. हेम ४११२५ Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८५८ ४१४६; ५१५, ७,४३, ४४, ४७, ६७ सू २०१७ उद्धर (उडर) ज ५५; ७२१७८ उद्धवमाण ( उद्भूयमान) ज ३११८,३१,६३,१८० उ ५ १६ √ उपगच्छ (उप + गम् ) उपगच्छंति ज ३।१६७।१४ उपचयंकर ( उपचयङ्कर ) ज ३।१६७ उपरिल्ल ( उपरितन ) सू १८७ उपसंत ( उपशान्त ) प २०३६ उप्पइत्ता ( उत्पत्य ) प २४५ से ६३ ज ११२५ सू २1१; १८ ।१ उत्पज्ज ( उत् + षद्) उप्पज्जइ सू ६।१ उप्पज्जेति ज २२६७ उपज्जेत ( उत्पद्यमान) ज ३।१६७३५ उपज्जय ( उत्पद्यक) ज ३१३ उप्पड ( उत्पट) प ११५० उत्पण्णमिस्सिया ( उत्पन्नमिश्रिता ) प ११।३६ उत्पण्णबिगमिस्सिया ( उत्पन्नविगतमिश्रिता ) प ११।३६ उत्पत्ति (उत्पत्ति ) प ११६३३६१४|५; ३६।६४ ज ३११६७१३, ६, ८,६,१० उत्पत्तिया (औत्पत्तिकी) उ ११४१, ४३ उत्पन्न ( उत्पन्न ) ज ३१२६,३६,४७, ५६, १३३, १३८, १४५, १७५; ५1३, २२ उत्पन्नको हल्ल ( उत्पन्नकुतूहल ) ज १।६ उत्पन्नसंसय (उत्पन्नसंशय) ज ११६ उत्पन्नसड्ढ ( उत्पन्नश्रद्धा) ज ११६ उपनिव ( उत्पातनिपात ) ज ५१५७ √ उपय ( उत् + पत्) उप्पयंति ज ५ ५७,६४ उप्पल ( उत्पल ) प ११४६,११४८।४४,११६२; १५/५५१२ ज १।५१ २२४, १६:३१३,८६, १८८, २०६४।३,२२,२५,३०,३४,६०,११३, २६६,२७२,५१५५,५६,७११७८ उप्पलंग ( उत्पलाङ्ग ) ज २१४ उप्पलहत्यगय ( हस्तगतोत्पल) ज ३।१० उपला (उत्पला ) ज ४११५५।१,२२२ उद्धर- उम्मुग्गजला उप्पलिणीकंद (उत्पलिनीकन्द ) प ११४८१४२ उत्पल गुम्मा (उत्पलगुल्मा ) ज ४।११५ १,२२२ उप्पलुज्जला ( उत्पलोज्वला ) ज ४।११५।१,२२२ उत्पाइय ( औत्पातिक) ज ३।१०४, १०५, १०६ उप्पाएता ( उत्पाद्य ) प २८१२०,३२,६६ / उप्पाड ( उत् + पादय् ) उप्पाडेज्जा प २०११७, १८,३२ से ३४,४७ उपाय ( उत्पाद ) प ११५० / उप्पाय ( उत् + पादय् ) उप्पाएंति ज २१३६,४१ उप्प ( उपरि ) प २५२ से ६२ ज १११०, १२, १४,१६ १२ ३०:१८१२,३ उ १/४६; २१६; ५।१३,२०,२७,३१ उप्पीलिय ( उत्पीडित) ज ३।७७, १०७, १२४ उ १।१३८ उफिडिय ( उ फिट्य ) प १६४४ उफेस (दे० ) प २।३० उब्बहिया (उद्वाह्य ) प १६ ५४ उभड ( उद्भट ) ज २।१३३ उब्लिज्जमाण ( उद्भिद्यमान) ज ४११०७ उभओ (उभयतस् ) ज ११२३,२५,२८,३२, ३०१७९,४१,१३,३६,४३,६२,७२,७६,८६, ६५,६८,१०३, ११०,१८३,२००, २०१,२०६ ; ५।४६,६०,६६,७१३१,३३४१३,४,६ ; २०१७ उभय (उभय ) ज ३।३ उभयभाग (उभयभाग ) सू २०१४,५ उम्मज्जग ( उन्मज्जक) उ ३१५० उम्मत्तजला (उन्मत्तजला ) ज ४।२०२ उम्माण ( उन्मान ) ज ३।६५, १३८, १५६, १६७/३ उम्ममालिनी ( ऊर्मिमालिनी) ज ४।२१२ उम्मिलिय (उन्मीलित ) प २०४८ ज ३१८८ ४४६ उम्मुक्क (उन्मुक्त ) प २।६४।२१ ज ३१२०,३३, ५४,६३,७१,८४,१३७, १४३, १६७, १८२ उम्मुरगजला ( उन्मुक्तजला ) ज ३३६७ से १०१, १६१ Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उपर-उबट्टत्ता ८५६ उयर (उदर) उ ११३४,४०,४६,४८,४६,५१,५४, उवंग (उपाङ्ग) उ ११४ से ८,२।१३।१,२, ७४,७६,७६ ४।१,३,५॥१,३,४५ उर (उरस्) ज ५५ उ ३।११४ उवकुल (उपकुल) ज ७/१३६.१,१४१,१४३ से उरग (उरग) प६१८०१ ज ३.२४ १४६,१५० से १५३ सू १०१६,२० से २२,२५ उरत्थ (उरःस्थ) ज ३१३६ उवक्खड (उपस्कारय् ) उवक्खडावेइ उ ३३११०; उरपरिसप्प (उर:परिसर्प) प ११६७,६८,७५; ४।१३१ से १३६,६७१, २०१४ से १६,३५, उवक्खडावेत्ता (उपस्कार्य) उ ३१५० ४५,६० उवगच्छ (उप-+-गम् ) उवगच्छइ ज ३१४१ उरम्भरुहिर (उरभ्ररुधिर) प १७.१२६ उवगच्छित्ता (उपगम्य) ज ३१४१ उराल (उदार) १११४४१३ गुलू नामक वृक्ष उवगय (उपगत) प २१६४।१४,२० ज ३१२०,३३, उराल (दे०) ज ५॥३८ ५४,५६,८४,१०५,१०८ से १११,११३,१३७; उरु (उरु) ज २११५,१६:५१५; ७१७८ ५६५,७ उ १२१५,२५,३१६८,१०६:५।३५ उरुलुंचग (दे०) प १५० उबगरण (उपकरण) ज २१६६ सू २०१४ उ ११९३, उलंघ (उत् + लङ्घ) उलंघेज्ज प ३६।६१ १०५,१०६,३।५५,६३,७०,७३ उल्ल (आर्द्र) ज ३।२२,३६,४४,१२५,१२६ उवगिज्जमाण (उवगीयममान) ज ३८२,१८७, उल्लाल (उत् + लालय) उल्लालेइ ज ५२३ १८८ उ ५२५ उल्लालिय (उल्लाल्य) ज २४ उवग्गच्छाया (उपाग्रछाया) सू ६४ उल्लालेमाण (उल्ललायत्) ज ५१२२ उवधाइय (उपधातिक) ५० १११३४।१ उल्लोइय (उल्लोचित) प २१३०,३१,४१ ज ११३७; उवणाय । उवग्गहिय (औपग्रहिक) प २३१६ ३।७,१८४ उवघायणाम (उपघातनामन् ) प २३।३८,५२,११० उल्लोय (उल्लोच) ज ४।११६५।३४,६७ उवधायणिस्सिया (उपघातनिधिता) प १११३४ सू २०१७ उवचय (उपचय) प १५:५८१११५२५८,५६ उल्लोयण (उल्लोचन) उ १२४६ उपचय (उप-|-चि) उवचयंति प ६।२६ उवइय (उपचित) ज ४।२७ उचिण (उप-चि) उवचिण प १४।१८।१ उवउज्जिऊण (उपयुज्य) ५१६२०, २२१४५ उवचिज्जति प १४।१८११२१९९७ ३६.३२ उवचिणंति प१४।१५ उवउत्त (उपयुक्त) प २२६४।१२,१३,८।४ से ११; उवचिणिसु प १४११४ उवचिणिस्संति १५।४८,४६,२६१७,१६,२०,३४११२ प१४११६ ज ५२६ उवचित (उपचित) प २१३१,४१ उवएसरुद्द (उपदेशरुचि) पश१०१।१,४ उचिय (उपचित) १२।३०,२३३१३ से २३ उवओग (उपयोग) १५१७३।१११,१५१५८।१; ज।१४५,१४६,३७,४१३,२५,२७,७१७८ १५१६३,६४१८।१।१२८११०६।१:२६।१५, उवज्जिय (उपार्जित) ज ३१८५,२०६ ८,११,१५ उवज्झाय (उपाध्याय) प १६:५१ च ११२ उपओगपरिणाम (उपयोगपरिणाम) प १३१२,१४, उवट्ट (उद्+वृत्) उवट्ठति ज ५।१४ उवदे॒त्ता (उद्वत्य) ज ५११४ Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० V उद्भव ( प | स्थापय् ) उवदुर्वेति ज ३२२०८, ५५ उतिज ३११२० उबटुबेह १५४३।२०७ उ १।१७ उववेत्ता (उपस्थाप्य) : १।१७ उद्या (उपस्थायिन् ) उवासाला (उपस्थानशाला ) ३५,१२,१७, २१,२०,२४,४१,४६,५८,६६,७४,७७, १३५, १४७.१५१,१७७,१८,२१६३ १११६.४१, ४२,१२६,४११२:१६ ३।३२।१ उवयि ( उपस्थित ) उ ११२० उचकी (उप + णी) उवणे व १२६,३६,४०, १८७,५६,६४,०२,१३३, १४५,१५१ उवर्णेति न ३३८१,१२६,५१६१ ३ ११४५ उवणेह ११४४ अवयवयण ( उपनीतापनीत वचन ) प १११८६ उवणीयवयण ( उपनीतवचन ) प ११८६ उवत्ता (उपनी ) ३११२६ उत्थापया (उपस्थानिका) १२६,३६,४७, ५६.१३६,१३८५.१४५३११२३ जव (न्) उदम ५५३,५८ १२१४० ११२३ उवति) ज ५१५७ राति सू २०१२ उयण (दर्शन) वा उपसित (उपदर्शयितुम् )२१११२ पतिता (उदर) ३१२१४१५ उदय (उपदति ) प १११२ उवदा (उपदश्यं ) प ५५८ स्वयंसेमाण ( उपदर्शयत् ) प ३४४२२ ज ५३४४ सू २०१३ उठिदिष्ट ) प १०१०११४ च ११३ उदिम (उप दिश्) उदिगइ प २२६४ उबदिसिता (उपदिश्य ) प ६४ उपाय ( उपद्रव) ज २१४०३।१०५ उवपयाण ( उपप्रदान) १।३१ १४१०१११४ ( उद्वव उवला लिज्जमाण उबभोग ( उपभोग ) ज २११४६ उवभोगंतराय (उपभोगान्तराय) प २३।२३ उमा ( उपमा ) प २।६४।१७:३५।२५,२६ ज ३२४८४३७२, ४५२, १३११४ उ ३६८ उवयार (उपचार) प २/३०,३१,४१ ज २ १०, १५,६५,३७,१२,८८,१३८४११६६,५७, ५८,७१३३११ सू २०१७ उवयारियालयण ( उपकारिकालयत) ज ४|११८ उवर क्खिय ( उपरक्षित ) प २२३०,३१,४१ उवरि (उपरि ) प १२१ से २७,३० से ३६,४१ मे ४३,४६,१२/३२ ज १४३५, ४ । १५६।१, २१३,२१६ उवरितल ( उपरितल) ज ४१४२११,२,४१२१३ उवरिम ( उपरितन ) प २२७३,६२११ उवरिमरिमगवेज्जग ( उपरितनोपरितनग्रैवेयक ) १।१३७,४१२६१ से २६३७२८ २८६५ उवरिमगवेज्जग (उपरितनग्रैवेयक) २६२; ३११८३,६/४१,५६,२०१६१३३।१७ उafरमवेज्जय ( उपरितनग्रैवेयक ) प २०१६१ उवरिममज्झिम (उपरितनमध्यम ) प २८३६४ उवरिममज्झिमगेवेज्जग ( उपरितन मध्यम वेयक ) प ११३७४२८८ से २६०७।२७ उवरिमठिम (उपरितनाधस्तन) १२८३९३ उवरि महेट्ठिमगेवेज्जग ( उपरितनाधस्तन ग्रैवे. क ) १११३७,४।२८५ मे २८७९७१२६ उवरिल्ल ( उपरितन ) प २०६४ : ५११३९,१३४, १३६,१४०, १४३, १६६,१६,१८१,१८४, १६३,१६७,२००,२२८, २३४,१६।३४; २२/५१,७०,७१,७४ ज २१११३,४१२५३, २५६, २५६,७१७३ से १७५ १८१ उवरिलय ( उपरितन ) प २८३१४३ उवल (उपल) प १३२०१ ज ४।२५४ उवलद्ध (उपलब्ध) प १११०१।६ उ ३।१०१ उवलालिज्जमाण ( उपलालयमान) ज ३१८२,१८७, २१८ Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उबलित्त उवागच्छ उवलित्त (उपलिप्त ) ज ३३१८४५।५७ ३ ३ १३०, १३१.१३४ उपलेषण (उपलेपन) २०५१,५६,७१,७९ 1 उववज्ज ( उप -- पद् ) उववज्जड़ ग १७।६५ उबजेति ६४७ मे २६,६० मे २४,६६ ७० से ७२.७८ ११०.११०,११३ २१४९ यू १७१ उबवण्जति १६५०:१७९०, १२, २४,९५,११ से १०४ जिहि १०१४१ उ ३४१८६४०२६ उज्जित २१३५ से १३७ उज्जमाण ( उपपद्यमान ) प २०१६१ उज्जावे (उपपदविव्य) ६६२,९४ उवण ( उपपन्न) ज ७५६, २४, २१२ १६ २२/२१.१६२४१४२५ मे २०१४० २०१२, २०१४,०८३, १००, १६२, ४००८,२०५८ ३०, ४०, ४१ उष्ण ( उपपन्नक) १३०३६ १५०४२: ३४।१२ ३५।२३ उववणपुत्र ( उपपन्नपूर्व) ज ७।२१२ उवन्नग ( उपपन्नक) प १५१४६; ३४।१२ उवाय ( औपपातिक ) प ६ । ७३ उवदाएयय (उपपादवितव्य ) प ६२७३,७४ उवात ( उपपत ) प २०१६० चं १५. स. १।६।५१७|१ उववातगति (उपपातगति ) प १६।३७ उववातसभा (उपपातगभा) उ३|१४ (उपपासप २०१,२,४,५,७,८,१०,११. १३,१४,१६ से ३०,४६६१ ४,१० से २३,२७,४३,५६,६३,६१,८०१२,६५१,५३, ८१,१२,१००, १०२१०७ १०८२०१६१. ज २२७१ : ४। १४० ११,१६०६७१५७,६० उ २१२०,२२, ३३१६६ उपवायगति (उपपातगति) १६३१७,२४ से ३५ उवासभा (उपपातसभा) ज ४।१४० उ ३१८३; १२०,१६१ : ४।२४ उववास (उपवास) ज० २।१३५ उववेत (उपेत ) प १७।१३३ उववेय (उपेत ) प १७३१३४ २२१४,१८ उ ५।५ उवसंकम (उपक्रम) सू. १।१७ उपसंकमित्ता (उपगतम्) १०.१.२९ सू १।११:१४ उबसंत (उपशान्त) प १४२२०२ ६८६ ५५७. उ ३।३५ उवसंतकसाय (उपशान्तकपाय ) प ११००१०३. ११५, ११६ उवसंपज्जनागगति (उप) १६।३८४१ ८६१ उवसंपज्जिथं () (49 ज ७५५६५. १६२४४०५२ ू उवसग्ग ( उपसर्ग ) ज २२६४,६७६ ३१६२.११५, ११६,१२५ उवसम (उपगम ) ज ७ ११७,१२२/२. १०६४/२६६२ उवसाय (उपशामक) ५२३।१२१,१६२ उसोभय (उप) १४१३,२१,२६,२९, २३,४६ २४७,५७,१२०.१२७.१४७.१५०, १५, १६४३११७८११२४१२६.६३६२३ ५।३२,३८,७१७म उपसोमशण (उपमान) उसोभमान)६३६ ७१२१३ उसोहि उप उदयय (उपाध्य) उहाण (उपधान) ज ४४१२ उवहि (उपधि ) प १४५ उहित (उप) सू २४ उपादाता (पातिक सू१०११३८ ~ उवागच्छ (उप आ गम्) बागच्छ ११६ २०१० ३१५.९.१२.१७, १८.४१ ३११११११८.१४१४१२२ Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ उवागच्छित्ता-उस्सासणाम उ ११२३१२६४।११।५।१६ - उवागच्छति उव्वेहलिया (दे०) प ११४८५० प ३४१२२,२३. ज २१११६. उ १।४५५।१७ उसभ (ऋषभ) प २।४६ ज० ११३७,५१, २।१५, -उबागच्छति. ज २।१६५, ३१२८,३२,४१, ५६,६२,६४ से ६७,७३ से ८६,१०१, ४६,२१६ उवागच्छसि. उ ३७६ ४६७, ५।२८ उवागच्छित्ता (उपागत्य उपागम्य) प३४१२२, उसभकूट (ऋषभकूट) ज० १:५१३।१३५; ज ११६. उ० ११६, ३१२६, ४१११:५११६ ४।१७४,१७५, ६.१६ उवागय (उपागत) उ १।१२२,१३०, ३७१,७६, उसभणाराय (ऋषभनाराच) प २३:४५,६५ ६६,१०६,१३८,४।१५,१८,१६ ५।२६ उसभसेण (ऋषभसेन ) ज० २।७४ उवाय (उपाय) प० १११७१, ३६६२ ज १०, उसह (ऋषभ) ज २६३,६०४।२७ १३,१६,१६,२२ से २५,२७,३०,६९,७२,७५, उसहक ड (ऋषभकूट) ज० ११५१,१३५,४।१७५, ७८,८१,८४ सू १११४,१६,१७,२१,२४,२७, उसहच्छाया (ऋषभछाया) ११६४७ २१३, ६।१।१०।१४१,१४६,१४८,१५० उसहसंधयण (ऋषभसंहनन) ज ३।३ उ १४१,४३ उसिण (उष्ण) प ११४ से ६५१५,७,१२६,१५४, उवागय (उपागत) ज २१६५,७१,८८, ३१२२५ २११,२१४,२१८,२२१,२२६६१ से ११ उवे (उप-1 इ) उवेइ प १३१२२२२. उ ३११११ ११।५६,६०, २८।३२,६६,१०५, ३४११६ उति ज २१६, ३।१२६ उवेह ज' ३.१२५ ३५१ से ३ उन्वट्ट (उद्+वृत्) उव्वति प ६१५८,६८ उसिणजोणिय (उष्णयोनिक) प १२ उव्वट्टति प १७६१,६२,६४,६५,१००,१०२ उसिणोदय (उष्णोदक) प १२३ से १०४ उन्वटे इ उ०३।११४ उसीरपुड (उशीरपुट) ज ४।१०७ उव्वट्ट (उद्वर्त) प २०११ उसु (इषु) ज ३१२४,३७,४५,१३१ उ ११२२, उव्वट्टण (उद्वर्तन) प ६१.१. उ० ३१११४ १४० उन्वट्टणया (उद्वर्तन) प ६१६,७ उसुय (इषुक) उ ३।११४ उव्वट्टणा (उद्वर्तना) १६८,६,४५,४६,५६,६६, उस्सक (उत्+वष्क) उस्सक्कति १००,१०२,१०३,१०७,१०८ प १७।१५०,१५२ उव्वट्टिता (उद्वर्त्य) १६६६ उ १११४१ उस्सण्हसहिया (उत्श्लक्षणश्लक्षिणका) ज २१६ उव्विग्ग (उद्विग्न) प २।२० से २७ ज ३।१११, उस्सप्पिणी (उत्सपिणी) प १२१७,८,१०,१२, १२५ उ ११८६; ३१११२; ४११६ १६,२०,२७,३२,१८१३,२६,२७,३७,३८,४१, उम्बिद्ध (उद्विद्ध) ज २६५,३।३१,५१२८ ४३,४५,५६,६४,७७,८३,६०,९५,१०७, जिविह (उद्-व्यध्) उबिहइ उ ११६१ १०८. ज २११,३,६,१३८,१६१,१६४; उब्वेह (उदवेध) ज० ११२३,५१,४११,३,६,१४; ७१०१ सू ६५१८।१६।२; १७१;२०१५ २५,३६,४०,४३,५४,५७,६२,६४,६७,७२, उस्सास (उच्छ्वास) प १२११४१७११११ ७८,८०,८४,८६,८८,६०,६५,१०३,११०, उ ५१४३ १२८,१४६,१५४,१५६,१७२,१७८.१८३, उस्सासणाम (उच्छ्वासनामन्) प २३॥३८,५५, २०३,२१३,२२१,२२६७२०७ Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उस्सासखाएक्कहत्तर ८६३ उस्सासद्धा (उच्छ्वास अद्धा') ज १४ उस्सासविस (उच्छ्वासविष) प १७० उस्सिय (उच्छ्रित) ज ३११८४. सू १८१३ उस्सीसग (उच्छीर्षक) ज ५१६७ उस्सुक्क (उच्छुल्क) ज ३११२,१३,२८,४१,४६, ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ उस्सेह (उत्सेध) ज ११४०,३।१२,८८,१६७।११; ४।१०३,१७८,५१५७,५८ च १० उ १३; ३।१२ उस्सेहंगुल (उत्सेधाङ्गुल) ज २१६ ८८,६०,६२,१०४,११७,११५,१३४,१३५, १३८,१४०,१४२,१४३,१५१,१५३,१५५, १५७,१६०,१६१,१६४,१६६ से १६८,१७१ से १७३ ज २।६,१२६,१२४ ऊताल (एकोनचत्वारिंशत्) सू१९१४ ऊतालीस (एकोन चत्वारिंशत्) सू २३ ऊर (ऊरु) उ ११३८,३।११४ ऊस (ऊष) प ११२०१ ऊसय (उत्सव) उ १९७१,७२ ऊसविय (उच्छित) ज ५२१ सू १८१८ ऊसस (उत् +-श्वस्) ऊससंति प ७१ रो३; १७४२२८।२१,३३,६७ ऊसास (उच्छवास) प११४८।५३ ज० २।४।१ ऊसिय (उच्छित) प २१४८,१५१५२ ज ११४२; २११५,१६,५२,१६१,३७,३५,१०६,१७८; ४१६,१४,३१,४१,४६,६८,७६,६३,२२१; ५१४३;७।१६६,१७६,१७८ सू १८८. उ०३७ ऊण (ऊन) १२२६,२७१४,२१६४।७,४।३,६,६, १२,१५,१८,२१,२४,२७,३०,३३,३६,३६, ४२,४३,४५,४६,४८,४६,५१,५२,५४,५८,६४, ६७,७१,७४,७८,८१,८७,६०,६४,६७,१००, १०३,१०६,१०६,११२,११५,११८,१२१, १२४,१२७,१३०,१३३,१३६,१४२,१४५, १४८,१५१,१५४,१५७,१६०,१६४,१६७, १७०,१७३,१७६,१७६,१८२,१८५,१८८, १९१,१६४,१६७,२००,२०३,२०६,२०६, २१२,२१५,२१८,२२१,२२४,२२७,२३०, २३३,२३६,२३६,२४२,२४५,२४८,२५१, २५४,२५७,२६०,२६३,२६६,२६६,२७२, २७५,२७८,२८१,२८४,२८७,२६०,२६३, २६६,२६६।१२।१०।१५१५७,१८१६,१०,१२, ५६,६४,७७,८१,८३,८४,८९ से ११,६५, ६६,१०८,२११७४:२३।७६,१५६ ज १११७६१,२१८८४१५५,६२,७४२७,२६, ३० सू १११४,१६,२१,२३,२४;६:१:१५।१८, १६,२९,३४ ऊणक (ऊनक) सू १३।२।। ऊणग (ऊनक) प २३१६६,८१,८३ से ८६,८६, ६५ से १६,१०१ से १०३,१११ से ११४, १५२ ज ३१२२५,१५१२७ ऊणय (ऊनक) प २३१६१,६४,६८,७३,७५,७७, एकादसम (एकादश) सू १०११२४१२ एकावलि (एकावलि) ज ३१२११ एकासीइ (एकाशीति) ज ४।११० एकणवीसतिम (एकोनविंशतितम) सू० १२।१६ एक्क (एक) प ११४८1५४ ज १।३२ सू १०।१५७ एक्कग (एक) ज ७१३१४१ एक्कड (इक्कट) प ११४११ एक तरह का सरकंडा जिसकी चटाई बनाई जाती है। एक्कतीस (एकत्रिशत्) प ४२९१ ज ४।११३ सू २।३ एक्कतीसधा (एकत्रिंशद्धा) सू १३।१४,१६,१७ एक्कमेक्क (एकक) ज ५१ एक्कवीस (एकविंशति) १७१६. ज २६ सू २१३. उ ५:१० एक्कवीस (एकविंशतितम) प १०११४।४ एक्कहत्तर (एकसप्तति) ज ११४८ Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६४ एक्काणउति-एगवउ एगगुण (एकमुण) प ३११८२,५११४६,१५०; १११५.४.५६,५८,६०:२८७,१०,५३,५६ एगग्ग (एकात्र) ज ५१२५ एगजडि (एक टिन्) सू २०१८ एगजोक (एकव) प२४७।१ एकजीविय (एकत्रीविका) प१४७।१ एगट्ठ (एकार्थ) सू १६६२,४,६ एगट्ठिभाग (एक टिनम) सू १११४,१६,२०, एक्काणउति (गकनवनि) सू १११६ एककार (एकादश) व १०।१४१३ एक्कार (एकादशन) सू १८१६ एक्कारस (कादान्) ११.१ ज ११४८. सू १२१६. र १६६ एक्कारस (एकादश) ५ १०११४१२ एक्कारसग (एकादश) ज ७११३१२ एकारसम (एकादश) प१०।१४।१ ज ७१६७ सू १०१७७१३।१० उ १११४,१५,२१,१४०; ३११२६ एक्कारसविह (एकादशयि) प १६१३,२० एक्कारसी (एकादशी) १.५ एक्कावण (करना) : ७१६ सू ११२७ एक्कासी (एक शीति) सू १६१८ एक्कासीइ (एकाशीति) ज ४११४३ एक्कासीत (एकाशीति) सू १६५ एक्कासीतिविह (काशीतिविध) ५० १७४१३६ एकिक्किय (एककक) सू १६।२२।८ एक्कणवीसइम (एकोनविंशतितम) प ११४८१६२ एक्केक्क (एकैक) प ११४८१५८ ज ७१७८।१.२. सू८।१:१६।२२।४ से ६ एग (एक) प १२० ज १७. सू १।१४ उ १११७ एगइय (एकक) प १७५:११४५,४७ से ४६; १७१३,२०६१,४,१७,१८.२२,२५,२८,२६, ३४,३८,३६,४६,५०,५३,५८,२२१५६,२३६; ३४१७ से ६,११,१२,१५,१६ १२२,५०, २२५८,८३,१२३,१२८,१४८,१५१,१५७; ३३१०,११,८६,८७,१४४,४।१०१,१८४; ५।२७,५७,६१४ उ ११६७३।११४,१३०, १३१,१३४,१५१:५।१७,२६ एगओवत्त (एकतोवत्त) प ११४६ एगत (एकान्त) ज ३१९८५१५,२६. सू २०१७. उ ११५४ मे ५७,५६,९३,७१ से १८४ एगखर (एकखुर) प ११६२,६३ एगठ्ठिय (एकास्थिक) प ११३४,३५ एगठिहा (एकपष्टिधा) सू२१३ एगणासा (एकनासा) ज ५११०।१ एगतओ (एकततम् ) 3 १{१२५ एमतारा (एकताग) सू १०१६२ एगतिय (एकक) प ६।११० सू । एमतीस (एकत्रिशत् ) ज ४।६२ सू १३।११ एगतोनिसहसंठिय (एकतानिषधसं स्थित) सू ४१३ एगत्त (एकत्य) प ११८३,८५,२२।२५,२८; २३१८,१२,२४।६।२५१४;२७।२;२८१२४; १३०,१३१,१३६,१४३,१४५ एगदिसि (एकदिश) ज ७४८ एगपएसिय (एकप्रदेशिक) प १११४६ एगमेग (पकैक) प १०१५१५।८३,८४,८६,६४ स ६७,१००,१०३ से १०६,१०६,११४,११५, ११७,१३५,१४१,३६१८ से ११,१८ से २२, ३०,३१,४४,४६ ज २१४:४१६४,११५,२६२, ६।१४,१६,२१,२२,७१३,१६,१६ से २५, ६६,७२,७५,७८ से ८२,८४,९५,९६,९८ से १००,११४ से ११६,११६,१७० सू ११८, २०,२१,२३,२४,२७,२६३, ६।११०।८४,८५, ८७,६०,६१,१२४:१५।२ से ४,२६ से ३४; १८।४,२१ एगयओ (एकततस्) ज ३.१११ एगराइय (एकररात्रिक) प २१७० एगलक्खण (गकलक्षण) सू १६।२,४,६ एगवउ (एकवचस्) प ११२१ Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एगवयण- एत graण ( एकवचन ) प ११३८६,८७ एगविह ( एकविध ) प २२३,६,६,१२,१५,२२८३, ८४,८६,२४।१० से १२:२६१२, ४, ६, ८ से १० एगबीस ( एकविंशति ) प ४/२,६१ सू २/३ एसट्ठि ( एकषष्टि) ज ७ ७ एसट्ठिभाग ( एकषष्टिभाग) ज ७ २७,२६,३०, ६६,७२, ७५ एसट्ठिनाथ (एकषष्टिभाग ) ज ७१६५,६६,७१, ७२,७५,७७ एसट्ठिा ( एकपष्टधा ) ज० ७ २१, २२, २४, २५ एगसत्तर (एकसप्तति ) ज ४।१६६ सू १२ १२ एग समय ( एकसामायिक ) प ३६/६०,६७,६८, ७१,७५ एगसमइयट्ठितीय ( एकसमयस्थितिक ) प ५।१४६, १४७, ११ ४१ एगसमयठतीय ( एकसमयस्थितिक ) प ३१३८१ एगसाडिय (एकशा टिक) ज ३०६ : ५३२१ एगसिद्ध ( एगसिद्ध ) प १११२ एग सेल (एकल) ज ४ १६६,१६७ एगसेलकूड (एकलकूट) ज ४१६८ गागार ( एकाकार ) प ११६०,७२,७३,८०,८१, ८४; १३ २०; २१।७२, २३।५१ से ५३, ५५,५६, ज ४।२५६ एगारस ( एकादशन् ) ज ३।१ गावण्ण ( एकपञ्चाशत् ) ज ७ २० गावलि ( एकावलि) ज ७ १३३ गावलिसंठिया ( एकावलिसंस्थित) सु १०/५० एगासीति ( एकाशीति) ज ३३२ एगाहच (एगाहत्य) उ ११२२,२५,२६,१४० गाहिय ( एकाहिक ) ज २१६,४३,७५२५ सू २१३ एगिदिय (एकेन्द्रिय) प १११४, ४८ ३४० से ४२, ४४, ४६,१४१ से १४३,१८३,६७१,८३,८६,६२, १००, १०२, १०७,११२; १० ३६ ११ ३६, ४१,८०,८४,१३११६,१५११०३; १६।२७, १७/३६,५६,६०,६२,८७,१८।१४,२०; २०१३५२१२ से ५, २२ से २५, ३६, ४०४६, ८६५ ५०,५७,६४, ७५,७६,७६,८०, ८५, ९४; २२।२५, ८२ २३/४०, ८५, १३४, १३५,१३७ से १४०, १४२, १४३,१५०,१५६,१५६; २४।१३:२६ ४, ५, ६, २८।११२; २८,६६, १०२,१०६,११२,११५, ११६, १२३, १२६, १२७,१२६,१३२,१३३,१३७ से १४१,१४३; ३४५,१४:३५।७,३६।५६,६६ ज ३।१६७१५, १७८ offरण (एकेन्द्रियरत्न) ज ३११७८, २२०; ७/२०५, २०६ एगुणणउड ( एकोननवति) ज ७ १४ एगूणण उति ( एकोनवति) ज २१८८ सू ११२७ एगूणतालीस ( एकोनचत्वारिंशत् ) सू २१३ एगूणतीस ( एकोनत्रिंशत् ) प ४१२८५ सू २३ एगुणपण्ण ( एकोनपञ्चाशत् ) ज २।४६ सू २३ एगुणवण्ण ( एकोनपञ्चाशत् ) प ४६८ एगुणवीस ( एकोनविंशति ) प ४ । २५७ ज ७१४ सू १।१० errates ( एकोनविंशति) ज १।१८ गुणवीसइभाग ( एकोनविंशतिभाग) ज १।२३; ४१८१, ६०, ६८, १६६ एगूणवीस भाय ( एकोनविंशतिभाग ) ज १।१८, २०, ४८, ४६८, २००,२०१ एगुणवसति ( एकोनविंशति ) जरा एगूणसट्ठि ( एकोनषष्टि) सू १२/६ एगूणासts ( एकोनाशीति) ज २२५६ एगेंद (एकेन्द्रिय) प १ १५; ३।४६ एगोरु ( एकोरुक) प १९८६ एज्ज माण (एजमान) ज ३।१०७ एज्जमाण ( आयत् ) उ १२२,८६,१४० एज्जेमाण (आयत्) ज ४१३५, ४२,७१,७७, ९४ √ एड (एड् ) एडेइ ज ३६८ एडेंति ज ५।५ एडेला (एलित्वा एडित्व) ज ५१५ एणी (एणी) ज ३।१०६ एत ( एतद् ) प १२० Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एतारूब-ओगाहणठ्या एतारूव (एतद्रूप) प १७१२३ से १२५,१२७, १२८,१३० मे १३२,१३४,१३५ एतार (एतावत् ) ज २।४ एतादत (एतावत) सू१३३१०,१३ से १६ एत्तो (इतर) प १७११३५ उ ३।१०१ एत्थ (अत्र) प ११७४ ज १३ चं ७ मू ११२ उ ३१४५ एमेव (एवमेव) प ११०११३ एय (एतद् ) प ११२६ ज ३१०७ चं २१५ सू ११६ उ१११७ एयारूव (एतद्रूप) १ १७१२६ ज ११११, २।१७,१८,३२६,२७,३६,४०,४७,४८,५६, ५७,६४,६५,७२,७३,११२,१२२,१२३,१३३, १३४,१३८,१३६,१४५,१४६,१५८,१६५, १६७,४७,१५,२६,१०७,१४६,५।१३,२२ उ १।१५,१७,३४,४०,४३,५१,५४,६३,६५, ७४,७६,७६,६६,१०५,३।२६,४८,५०,५५, १८,१०६,११८,१२६,१३१:५२३,३१,३६, एलय (एलक) प १११६ से २० एलवालु (दे०) प ११४८१४८ एलवालुंको (दे०) प ११४०।१ एलापुड (एलापुट) ज ४।१०७ एलावच्चा (एलापत्या) ज ७१२० सू १०८८१ एक (एव) ज १११६ स १६३११ उ ११२ एवई (एतावत् ) ५ ३६१६० एवइय (एतावत् ) प ३६१५६,६६,७४ एवं (एवं) प १४६०११६ चं २।५ सू ११५ उ११४ एवंकरणया (एवंकरण) ज ३११२६ एवंभाग (एवंभाग) सू१९१०४ एवंभूय (एवंभूत) प १६:४६ एवति (इयत्, एतावत् ) प ३६६७,७१,७५ एवतिय (एतावत्, इयत्) प ३६१६६,६८,७०,७३ सू २१२,१६।२२।२,३ एवमेव (एकमेव) प ३४११६ एवामेव (एवमेव) प २८।१०५ ज ११२६ सू ३११; १०११२७११६३ एसणासमिय (एषणास मित) ज २१६८ उ ३६६ एसणिज्ज (एषणीय) उ ३१३६,३८ ३७ ओ एरंड (एरण्ड) प ११४२१२; ११४८१४६ एरंडबीय (एरण्डबीज) प ११७८ एरणवय (ऐरण्यवत) प १७।१६३ ज १६ एरवत (ऐरवत) प १८८ एरवय (ऐरवत) प १६:३०:१७१६० ज ४।१०२ ५५५५, ६१६,१३,१६,२० सू ११८,१६ एरदयकूड (ऐरवतकूट) ज ४।२७५ एरावण (ऐरावण) ज ४११४२१३,२०७,२६२; ५।१८ एरावणवाहण (ऐरावणवाहन) प २१५० एरावतिय (ऐरावतिक) सू १।१६ एराक्य (ऐरावत) जा२७४,२८७ एरात्रयग (ऐरावतक) ज ४।२५२ एरिसय (ईदशक) प २३११६५,१६६,२०० सू २०१७ उ श१४० एरिसिय (ईदृशक) प २३१२०१ एलग (एलक) ५ ११६४ ज २।३४,३५ .. ओअवण (दे० साधन, स्वायत्तीकरण) ज ४॥२७७ ओइण्ण (अवतीर्ण) उ १६०,६१ ओगाढ (अवगाढ) प३।१८०,१८२,५११३६ से १४५:१०.१८ से ३०,१११५०,६२ से ६४, ६६।१:१५३१११,१५११२,२५,१७११४१; २८१५,१२,१३,२०,३२,५१,५८,५६,६६ * ७१४१,४२,५०,५८ ओगाह (अव । गाह) ओगाहइ ज ३१२२,२६ चं ३१२ सू १।७२ उ ३१५१ ओगाहई ५ ११०१।६ ओगाहेइ ज ३।४४ ओगाहणठ्ठया (अवगाहनार्थ) प ५१५,७,१०,१२, १४,१६,१८,२०,२४,२५,२८,३०,३२,३४, ३७.४१,४५,४६.२३,५६,५६,६३,६८,७१, Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओगाहणसंठाण-ओय विय ८६७ ७४,७८,८३,८४,८६,८६,६३,६७,१०१,१०२, १०४.१०५,१०७,१११,११५,११६,११७, ११६,१२६,१३१,१३२,१३४,१३६,१३८, १४०,१४३,१४५,१४७,१५०,१५४,१६०, १६३,१६६,१६६,१७२,१७४,१७७,१७९, १८१,१८४,१८७,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१४,२१८,२२१,२२४, २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४३; १५।१३,२६,३१ ओगाहणसंठाण (अवगाहनासंस्थान ) प १।११६ ओगाहणा (अवगाहना) १७४,८४, २१६४१४, ६ से १५१६६,१३२,१६५,११।७२, १५।१३,२६,३०,३१,५८।२,६५,२१।१।१, २१॥३८,४० से ४२,४८,६३ से ६६,६८ से ७१,७४,८४ से ६४,१०५ उ ३।८३,१२०, १६१,४१२४ ओगाहणाणामणिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प ६।११८ ओगाहणाणामनिहत्ताउय (अवगाहनानामनिधत्ता युष्क) प६।११२ ओगाहणानामनिहनाउय (अवगाहनानामनिधत्ता- युष्क) प६।११६ ओगाहिऊण (अवगाह्य) ज ४।२४० ओगाहित्ता (अवगाह्य) प २२१,२२,२४ से २७, ३० से ३२,४१ से ४३; १५१४३,४५,५२ ज ११४६, ४।२२१; सू ११२२ उ ३१५१ ओगाहेत्ता (अवगाह्य) २।२३,३३,३५,३६ ओगिहित्ता (अवगृह्य) उ ११२,३१२६, ५१२६ ओगुंडिय (अवगुण्डित) २११३३ ओग्गह (अवग्रह) ११२:३१२६,६६,१३२; ५.२६ ओघ (ओघ) ज ५२२ से २४ ओघमेघ (ओधमेघ) २११४१,१४२,१४५; ३१११५.११६,१२२,१२४ ओघसण्णा (ओषसंज्ञा) प ८.१,२,३ ओघस्सर (ओघस्वर) ज ५१५२,५६ ओचूलग (अवचूलक) ज ३११२५,१२६,१७८; ७१७८ ओच्छपण (अवच्छन्न) ज २११२,१३,३।१२१ ओट्ठ (ओष्ठ) प २।३१,३२ ज २१४३,७१७८ उ ३१११४ ओठावलं विणी (ओष्ठावलम्बिनी) प १७११३४ ओणय (अवनत) ज २१६० ओत्थय (अवस्तृत) ज ३।६,१८,६३,१८०,२२२ ओभंजलिया (दे०) १५१ ओभास (अव-भास्) ओभासइ ज ४।२१० चं २११ सू १९६।१ ओभासंति सू०३।१ ओभासति सू ३१२ ओभासें ति ज ७।४६,५८ ओभास (अवभास) ज ११२३,२११२:४।२०१, २१४,२४०,२६४,२७० सू २०१८,२०८१६ ओम (अवम) सू ६३ ओमंथिय (दे० अवमस्तिक) उ १२१५,३५, ३।६८ ओमज्जायण (अव मज्जायन) ज ७१३२११; सू १०११०६ ओमत्त (अनमत्व) १५४४,४५ ओमरत्त (अवमरात्र) सू १२११६,१७११ ओमइत्ता (अवमुच्य) ज २१६५ उ ३।११३ Vओमुय (अव + मुच् ) ओमुयइ ज २१६५,२२४; ५१२१ ३ ३१११३,४१२० ओमोय (दे०) ज ३१६ ओम्मिमालिणी (मिमालिनी) ज ४२११ ओय (ओजस्) चं ।२ सू १।६।२;६।१;६३ ओयमि (ओजस्विन) ज ३७७,१०६ 1 ओधर (अब ' त) ओयरइ उ १६७ ओयव (द०) ओयवेइ ज ३११७५ ओयवेहि ज ३१७६,१२८,१५१,१७० ओयवण (दे०, साधन, स्वायत्तीकरण) ज ३।१२६;४११७७ ओयविता (दे० अधीनीकृत्य) ज ३१७१ ओयविय (दे० परिकर्मित) प २।३१ ज ४.१३ स् २०१५ Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ ओयवेऊण-ओहद्रिय ओयवेऊण (दे० स्वायत्तीकर्तु) ज ३८१ ओयवेत्ता (दे० अधीनीकृत्य) ज ३७६ ओयसंठिति (ओजस स्थिति) सू १०६६१; हार ओयाय (उपयात) उ १११४,१५,२१,१३६,१३७ ओयाहार (ओज आहार) प २८५१०४,१०५ ओराल (दे०, उदार) प ३४११६,२१,२२ ज ११५; २१६४,३।१८५,४११०७ सू २०१७ उ ११४०, ४१,४३,४४, २०११ ओरालिय (औदारिक) प १२।१,३ से ५,८,९, ११ से १३,१५ से १७,२१,२३,२७ से २६, ३२,३३,३५,३६,२१११,३६,८०,८२,१०२, १०४,१०५;२३०४१ से ४४,८६,९२,३६।१२ ओरालियामीसगसरीर (औदारिकमिश्रकशरीर) प१६।१५,३६.८॥ ओरालियमीससरीर (औदारिकमिधशरीर) प१६।१,४ से ७ ओरालियमीसासरीर (औदारिकमिश्रकशरीर) क १६।१२ से १५, ३६८७ ओरालियसरीर (औदारिकशरीर) प१२।२३,२७, ३२,१६।१,४ से ७,१२ से १५,२११२ से ५, १६ से २५,२८ से ३२,३६,३८,४० से ४२, ४८,७६,७७,६५,९८ से १००,१०४,१०५; २२।३७,४४,४५,२८११०४,१४१,३६१८७ ओरालियसरीरग (औदारिकशरीरक) प १२० ओरालियसरीरय (औदारिकशरीरक) प १२७ ओरालियसरीरि (औदारिकशरीरिन) प २८१२,१४१ ओरोह (अवरोध) ज ५२२,२६ ओलंग (अवलम्ब) ज ७१७८ ओलुग्ग (अवरुग्ण) उ ११३५ ओवइय (दे०) प ११५० ओवक्कमिया (औपक्रमिकी] प ३५।१११:३५।१२, ओवम्म (औपम्य) प २१६४।१८ ओवम्मसच्च (औपम्यसत्य) १ ११।३३।१, ११३३ ओवय (अव पत्) आव यंति ज ५१५७ ओयवमाण (अवपतत्) ज ५१४४ ओववाइय (औपपातिक) ज २१८३,५१५७ ओवाय (अवपात) ज २६३८ ओवासंतर (अवकाशान्तर) प १५.५१ ओविय (दे०) ज ३१६,२४, ५१२१,२८ ओसक्क (अव-प्वप्क) आसक्कति प १७१५२,१५५ ओसक्कइत्ता (अवष्वष्क्य) सू१०।१४८ ओसण्ण (अवसन्न) प८।४,६,८,१०,२८१२०, २६,३२,६६ ज २।१३३,१३५ से १३७ उ ३।१२० ओसण्णविहारि (अबसन्न विहारिन् ) उ ३।१२० ओसत्त (अवसक्त) प २१३०,३१,४१ ज ३७,८८ ओसधि (ओषधि) प ११३३।१,१।४५ ज २११३१, १४४ से १४६,३।१३३,२०६,२११:५।५५, ५६ ओसप्पिणी (अवसर्पिणी) प १२१७,८,१०,१२,१६, २०,२७,३२,१८।३,२६,२७,३७,३८,४१,४३, ४५,५६,६४,७७,८३,६०,६५,१०७,१०८ ज २११,२,६,७,५२,५६,१३५३१ सू ८.१६२% १७११, २०१५ ओसरित्ता (अपसत्य) ज ५१५८ ओसह (ओषध) उ ३।१०१ ओसही (ओषधी) ज ४।२००३१ नगरी का नाम ओसा (दे०) प ११२३ ओसारिय (उत्सारित) उ ११३८ ओसोवणी (अवस्वापिनी) ज ५।४६,६७ ओहय (उपहत,अवहत) ज ३११०५,१०६,२२१ उश१५,३५,४१ से ४४,७१,३१६८ ओहस्सर (ओघस्वर) ज २११६,५१५१ ओहडिय (अवघटित) ज ११२४ ओवमिय (औपमिक) ज २१४,५ Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ओहारिणी-कंतरिय ८६६ ओहारिणी (अवधारिणी) प ११११ से ३ ओहि (अवधिप ११७१७।१०६ से १०८, ११०; ३३।१।१; ३३.१ से १३,१५ से १६, २६,२७,३५ ज २१६०,६३, ३।१२,५६,८८, ११३,१४५, ५.३,७।२१,५८ उ ३७,६१ ओहिणाण (अवधिज्ञान) प ५१५,७,२४,४१,४६, ६७,११५,१७१११२,११३, २०१७,१८,३४; २८.१३६,२६२,६,१७,१६,३०।२,६ ओहिणाणारिय (अवधिज्ञानार्य) प १९६ ओहिणाणि (अवधिज्ञानिन्) प ३।१०१,१०३; ५६४३,६६ मे १६,११४ से ११७; १३।१४; १८१८०२८।१३६, ३०1१६ ज २१७६ ओहिदसण (अवधिदर्शन) प ५१५,७,४५,६७; २६॥३,७,१७,१६,३०१३,७ ओहिदसणावरण (अवधिदर्शनावरण) प २३।१४ ओहिदंसणि (अवधिदशं निन्) प ३.१०४:५।४७, ६६,११७,१८१८७,३०१६ ओहिनाणपरिणाम (अवधिज्ञानपरिणाम) प १३१६ ओहिनिगर (अवधिनिकर) ज ३३१२,८८ ओहिय (औधिक) प २।३४,३७,४२,४३,५०%; ४।५५,६८,७५,६१,६७३,७४;१११८२,८३; १२२६,२८,२६,३२ से ३४,३६:१५.१८, १६,३०; १७।२८ से ३०,३२,३३,३५,५८, ६०,६२,६३,२११३१,३६,४२,४४ से ४७, ६१,७०:२२१२४,२३।१७६,१८१,१६५,१६०, २६१५ कओ (कुतस्) प ६८२,६३,१११३०११ ज ७।३१ कंक (कक) प १७६ ज २११३७ कंकरगहणी (कङ्कग्रणी) ज २०१६ कंकडग (कंकटक) ज ३1३५,१७८ कंकण (कडकण) उ ३।११४ कंकावंस (दे०) प ११४११२ कंग (कङ्गु ) प ११४५१२ ज २१३७,३।११६ कंगुया (कंग) प ११४०१२ कंचण (काञ्चन) ज ११३७२११५,७०,३११२, २४,३५,८८,१०६.११७:५१५८,७१७८ कंचणकूट (काञ्चनकूट) ज ४।२०४११ कंचणकोसी (काञ्चनकोशी) ज ३१७८ कंचणग (काञ्चनक) ज ४।१४२२१ कंचणगपव्यय (काञ्चनकपर्वत) ज ४।१४२ ६१० कंचणपुर (काञ्चनपुर) प ११६३१ कंटक (कण्टक) ज ४।२७७ कंटकबहुल (कण्टकबहुल) ज ११८ कंटग (कण्टक) ज २६३६ कंटय (कण्टक) ज ३१२२१ कंठ (कण्ठ) ज ५।५६७।१७८ कंठाणुवादिणी (कण्ठानुवादिनी) सू ११४ कंड (काण्ड) प २६४१ से ४३,४६ कंडावेलु (कण्डावेणु) प ११४१।२ कंडुइय (कण्डू यित) ज १११३३ कंडक्क (कंडुक) प ११४८१५०,६२ भिलावा, तमाल कंडुरिया (कंडुर) प ११४८१२ एक तरह का सरकंडा कंत (कान्त) प २१४१,२८।१०५ ज २।१५,६४, ६५;३।६२,११६,१८५,२०६:५।२८,५८ सू २०१४ उ ११४१,४४,३।११२,१२८,५२२ कंततर (कान्ततर) ज २११८,४।१०७ कंततरिय (कान्ततरक) प १७११२६,१२७,१३३ ___ से १३५ ज २११७ कंतत्त (कान्तत्व) प ३४।२० कंतयरिय (कान्ततरक) प १७१२८ क क (किम् ) प ११ ज ११४५ सू ११६ उ ११४ कइ (कति) प १५१५३,१५।१४१,२२।४०,४१, ६०,२५१४ ज ११३४,४१२१४ चं ११.३ सू ११६।१,३ उ ११६; २।१,४।१ कइविह (कविविध) प १६११:२११७,१३,३०२ __ ज २।५७११०४,१०५,१११ से ११३ कइरसार (करीरसार) प १७११२५ Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७० कंतस्तरता (कान्तस्वरता ) प २३|१६ कंति ( कान्ति) ज २२६५३।१८६,२०४ कंद ( द ) प ११३५,३३,४८१७,११,२१,३१,३५, ६१,१११०१,१२८ ज ४।७ उ ३१५०,५१,५३ कंद ( कन्दर्प ) प २०४१ कंदपि ( कान्दर्पिक) प २०१६१ ज ३।१७८ कंदमाण ( ऋन्दत् ) उ १।६२३११३० कंदमूल (कन्दमूल ) प ११४८३८,६१ कंदर (कन्दर ) ज २१६५; ३१३५ कंदल (कन्दल ) ज ३।३५ कंदलग (कन्दलक ) प १३६३ कंदल ( कन्दली ) प ११३७ २, ११४३११ कंदली (कंद) ( कन्दलीकन्द ) प ११४८।४३ कंदलीथंभ (कन्दली स्तम्भ ) प १११७५ कंदाहार ( कन्दाहार) उ३१५० कंदित ( ऋन्दित ) प २४१ कंदिय ( ऋन्दित) प २२४७ १ कंदु (कन्दु) उ ३१५० कंटुक्क (कंदुक) व ११४८५० कंपण (कम्पन ) ज ३।३५ कंपिल्ल ( काम्पिल्य ) प ११६३/२ कंबल (कम्बल) प १५१११२,१५५१ कंबु (कम्बु ) प ११४८३ कंस (कांस्य) प १११२५ २२४,६६ सू २०१८ कंसणाभ (कंसनाभ ) सू २०१६ २०१८१३ कंसताल (कांस्यताल ) ज ३१२१ कंसवण्णाम (कांस्यवर्णाभ) सू २०१८ कंसोय ( कंसीय ) प १११२५ ककुह ( ककुद) ज ७।१७८ Tara ( कर्कश ) ३६८ क्यण (कर्तन ) ज ३१३५,१०६ aratee (कर्कोटकी ) प ११४०१२ Era ( कक्ष) ज० २।१५ ३० ३।६८ कक्वंतर ( कक्षान्तर ) उ४१२१ कक्खड (कक्खट ) प ११४ से ६; २।२० से २७ ; ३१८२५१५, ७,२०६ से २०८; १३२६; कंतस्सरता कट्ट् १५११४,१६, २७, २८, ३२, ३३, २३१५०; २८१६, १०,२०,३२,५५,५६,६६ कच्चायण ( कात्यायन ) ज ७११३२|४ सू १०।११७ कच्छ ( कक्ष) ज ४१२४८ कच्छ (कच्छ) ज ३१८१,४१६२११, १६७,१७२/१, १७७,१७८, १८१,१८४, १८७, १६०, २००; ७१७८ कच्छकूड (कच्छकूट) ज ४ १६३,१६४,१८० कच्छगाव ( कच्छकावती) ज ४।१८५ से १८६ कच्छगावइकूट (कच्छ्रकावतीकूट) ज ४।१८७ कच्छ्गावती ( कच्छकावती) ज ४११८७ कच्छभ ( कच्छप ) प ११५५, ५७ ज २११३४; ४१३,२५ सू २०१२ कच्छभी ( कच्छभी ) ३।३१ कच्छविजय ( कच्छविजय ) ज ४।१६३,१६६,१९६ कच्छा (कक्षा ) वराही नामक पौधा, भींगुर प ११४६, ११४८१६२ कच्छु (कच्छू) ज २११३३ कच्छुल ( कच्छु ) प ११३८।२ कच्छुरी ( कच्छुरा ) प ११३७/१ कज्ज (कृ) कज्जइ प २२१०,१५,१६,१८,४८, ५०,५२,६७ से ६६,७२,८२,१३,६८, ६६७१५२, ५३ कज्जति प १७१११, २२, २३,२५,२२/५१,७१,७३,७४ कच्चति प १७२५२२।६, ११ से १४,१७,१६,४८ से ५०, ५२ से ५६,६१ से ६५,६७ से ६६,७१ से ७४,७६ से ७६,८१,६१,६४,६७ से ६६ कज ( कार्य ) सू १०/१२० उ ३।११,५१,५६ कज्जल ( कज्जल ) प १७।१२३ कज्जलध्यमा ( कज्जलप्रभा ) ज ४।१५५/२, २२३॥१ कज्जोय ( कार्योग) ज ७।१८६२ सू २०१८; २०१८१२ कट्टु ( कृत्वा ) प १११७० २१६४ सू ११२०, २१ उ १।१७ Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कट्ठ-कण्णपाउरण ८७१ कट्ठ (काष्ठ) प १६४८।३० से ३७ ज २१६५, ६६,९८,१३१,३१६८,५५,१४ से १६ उ ३१५०,५१ कठ्ठपाउयार (काप्ठपादुकाकार) प १६७ कट्ठमुद्दा (काष्ठमुद्रा) उ ३।५५,५६,६३,६४,६७, ६८,७०,७१,७३,७४,७६ कट्ठसेज्जा (काप्ठशय्या) उ ५।४३ कट्ठा (काष्टा) सू १४६३११६१ से ३ कट्ठाहार (काष्ठाहार) प ११५० कड (कृत) २०१३९;२३।१३ से २३ ज १११३, ३०,३३,३६,२७१,४।२ सू १२१२ से ६,१० से १२ उ ११२७,१४० कडक्ख (कटाक्ष) ज ७१७८ कडग (कटक) प २१३० ज ३१६,६,१७,२६,२६, ४७,५६,६४,७२,६७,१०६,१३३,१३५,१३८, १४५,१५०.१६१,२११,२२२२५२१,५८ उ ५१५ कडय (कटक) पश३१,४१,४६ ज ११६,३१६५, १५६,४१६ कडाह (कटाह) प ११४८४६ कटावक्ष कडि (कटि) ज ३।१७८७११७८ उ ३३११४ कडिसुत्त (कटिसूत्र) ज ३।६,२२२ कडुमतुंबी (कटुकतुम्बी) १७१३० कडुगलंबीफल (कट कतुम्बीफल) प १७।१३० कडुच्छुग (दे०) ब १२४०,४११३६,२४२ कडुच्छ्य (दे०) ज ३१११,१२,८८,४१२१६; ५।५५,५७,५८ उ ३१५०,५५ कडय (कटक) प १४ से ६५५,७,२०५; २८१२०,३२,६६, ज २११४५,७।११२१२ सू १०११२६।२ कढिण (कठिन) उ ३३५० कण (कण) सू २०१८ कणहर (करवीर) प १३८१ ज २०१० कणिकार का पेड कणकण (कणकण) ज ५२४ कणकणय (कणकणक) सू२०१८ कणग (दे०) ज ३.३५ बाण कणग (कनक) प १५१, २१४०1८,६२१४८ ज ११५,१६,३८, २११५,६४,६८,६६; ३६, २४,३५,५६,८१,१४५,१७८,२११,२२२; ४११०,११५, ४।२१०११,२१७; १५८, ७.१७८ कणगमय (कनक मय) ज ३.१६७४१२ कणगरयणदंड (कनकरत्नदण्ड) ज ३।१०६ कणगसणाम (कनकसनामन्) ज ७।१८६? सू २०११ कणगामई (कनकावती) ४.७,१५,२४५ कणगामय (कनकमय) ज ११४६,३३१०६,१६७ ४।१,११०,१५६ कणगावलि (कनकावलि) ज ३१२११ कणय (कनक) प ११४११२ पलाश, धतूरा कण्दय (दे०) ज ३३१ । कणय (दे०) सू २०१८ एक ग्रह का नाम कणयदंडियार (कनकदण्डिकार) ज ३।३५ कणयमय (कनकमय) ज ११४६।१ कविताणय (कनकवितानक) सू २०१८ ग्रह का नाम कणसंताणय (कन कसंतानक) सू२०१८ ग्रह का नाम कणवीर (करवीर')ज २११५,३३१२,८८,५।५८ कणिक्कामच्छ (कणिका मत्स्य) प ११५६ कणीयस (कनीयम) उ ११६५ कण्ण (कर्ण) ज २१४३,६४,५१२६,३८,७१७८ उ३।१०२ कण्णकला (कर्णकला) सू १।८।१२१२ कण्णगा (कन्यका) उ ५१३,२५ कण्णत्तिय (दे०) प १९७८ कण्णपाउरण (कर्णप्रावरण) प ११८६ १. हे० ११२५३ Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७२ कण्णपीढ ( कर्णपीठ ) प २३०,३१,४१,४६ कणमूल (कर्णमूल ) ज ५११६ कण्णा (कन्या) ज ३१३२ कण्णायत ( कर्णायत ) ज ३।२४,१३१ कण्णा ( कर्णायत) उ ११२२, १४० कण्णिा (कणिका) ज ४७ कण्णिया ( कणिका ) प ११४८१४५ ज ३१११७; ४१८,१५,१६ कणियारकुसुम (कणिकारकुसुम ) प १७ १२७ कण्णलायण (कणिलायन) सू १०/६५ कण्णिल्ल (कणिल ) ज ७ १३२११ कह (कृष्ण) प ११४४१३, १६४८१७, ११६३३६; २/२०१७ २६,५६ से ६६,७१ से ७६,८१ से ८७,६४,१०० से १०४,१०६, १०९, ११२. १६६,१६७,१६९ से १७२ उ १७; ५१६,१५, १७ से १६ कण्ह (वल्ली ) ( कृष्णवल्ली ) प १|४०|३ hupia (कृष्णकंदक ) प १७ १३० कण्हकडबु (दे० ) प ११४८ । ३ कण्हलेस (कृष्णलेश्य ) प १३३१५, १७८३,६२, ६४,६५,१०३,१०४, १०७, १०८, १२१,१२६, १७०,१७२, १८१६६,२३११९५,२०० कण्हलेस ट्ठाण (कृष्णले श्यास्थान ) प १७ । १४६ कण्हलेसा ( कृष्णलेश्या ) प १७|१२१:२८ ११२३ कण्हलेस (कृष्णलेश्य ) प १३ १४, १६ कण्हलेस्सट्ठाण (कृष्णलेश्यास्थान ) प १७।१४६ कण्हलेस्सा (कृष्णलेश्या ) प १३ १४, १६, १६/४६, ५०,१७२३६,३८,३६,४१,४३,४७,५०,८२, ११४ से ११६,११८,१२१,१२३,१३०,१३६ से १४५,१४७ से १५०,१५६ से १६४ कण्हलेस्सापरिणाम (कृष्णलेश्यापरिणाम ) प १३६ कसप ( कृष्णसर्प ) प १७० सू २०१२ कत (कृत ) प २८ १०५ ३४।१६ सू २०१७ कतर (कतर ) प ३१३८ से ४८, ५० से १२०,१२२ से १२४,१७४, १७६ से १८२, ६ १२३, ८५, कण्णपीढ कतिविह ७,६,११,६।१२,१६,२५,१०१३ से ५, २६, २८,२६,११७६,६०,१५१३,१६,२६,२८, ३१,३३,६४,१७/५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से ८३, १४५, १४६, २०१६४, २१३१०४, १०५; २८१४१,४४,७०,३४१२५ ३६ ३५ से ३७,३६ से ४१,४८,४६ सू १३४६, ८, १०, १३, १८७, ३७ कति ( कति ) प ६ १२०, १२१८११ से ३,१०११ ,१५,११।३०११; ११।४२,८८१२३१ से ५; १४१ से ३, ५, ११ से १४, १७, १५।१।१, १५११, १२,१७,१६,२०,२५, ३०,५४,५६, ५७,७७ से ८०,१३३,१३४; १७/३६ से ४०,११२ से ११४,१२६,१३६,१३७, १४७, १५६,१५७,१५६ से १६१,१६३, २१।१,६५,६६,२२११, २१ से २३,२६,२७, २६,३०,३२ से ३६, ४२ से ४७,५७,६६,८३, ८४,८६,८७,८६,६०,२३।१।१,२३१,२,६,७, २४,२४११ से ५,१० से १५:२५ १,२,५; २६३१ से ४, ८, ६, २७११ से ३,५,६,२८/३१; ३६।१,४ से ७,४२,४३,५३,५४,५८,६२ से ६४,७७, ७८ ज १।१५,४।२६० चं २।३,५ सू १ ६ ३, १६।१ से ३:१०८ से १६,६३ से ७४,७६,१२।१,१३१४, ५, १५ से ३७ १८३१४ से १७,१६११ कतिपएसिया ( कतिप्रदेशिक ) प १५११, २४ कतिपदेसिय ( कतिप्रदेशिक ) प १७ १४० कतिपगार ( कतिप्रकार ) प ११।३०११ कतिभाग ( कतिभाग ) प २८।१।१,२८।२२,३४,३६ ६८ कति भागावसे साउथ ( कति भागावशेषायुष्क) प ६।११४ से ११६ कतिविध ( कतिविध ) प ६।११८, १७११३६ कतिविह ( कतिविध ) प ५।१,१२३ से १२५; ६१११६,६१,१३,२०,२६,११।३१ से ३७, ७३, ८६,१३।१ से १३,२१ से ३१, १४७, ६, १५/५८ से ६०,६२,६३,६५ से ७४,७६, Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कतिसमइय कब्बडय १६१२,३,१७,१६,२०,२०६२ २१।२ से ६, मे १२, १४, १५, १६,२०,४६,७२, ७५ से ७७,६४,२२१२ से ६; २३३१११,२३।१३ से २३, २५ से ४७,४७ से ५६; २६।१ से ३, ५ से ७,६,१०,१२,१३,३०१, ३, ५ से ११,१३; ३३।१,३४।१७:३५ १,४,६,८,१०,१२,१६ ज २१ से ३४।२५४,२५५ सू १०।१२६; २०१३ कतिसमय ( कतिसामयिक ) प १५१६१ : ३६२, ३,८४,८५ कतो ( कुतस् ) प० ६।७० सू ४/४ कत्तिई (कार्तिकी) ज ७ १४०,१४४,१४६ सू १०/२६ कत्तिगी (कार्तिकी) ज ७।१३७,१५५ कत्तिम (कृत्रिम) ज २।१२२, १२७, ४११००, १७० कत्तिय (कार्तिक) ज ७।१०४,११३११,१३७ उ ३१३,४० कतिया ( कृत्तिका ) ज० ७ १२८, १२६,१३६, १४०,१४४,१४६,१५,१६० सू १०।१ से ६, ११,२३,३६,६२,६६,६७,७५,८३,१०१,१२०, १२४,१३१ से १३३,१२/२८ कत्तिया ( कार्तिकी) सू १०1७,११,२३,२६ कत्तो ( कुतस् ) प ६।१।१६।७५,७८,८०,८१,८७, ६०,६४,६६ ज ३।१२७ कत्थ (कुत्र ) प २१६४२ कत्थइ ( कुत्रचित् ) ज २ ६६ सू २०१७ कत्थुल ( कस्तुल) ज २।१० कवलीथंभ (कदलीस्तंभ ) प ११।७५ कद्दम ( कर्दम ) ज० ३।१०६ उ ११३६ कदुइया (दे० ) प ११४०१२ ai ( कथं ) सू १९ । २४ कथ्य ( कल्प ) प ० २११,४,१०,१३,५० से ५६, ५६१२२३६०,६३,३।२६ से ३६, १८३४।२१३ से २४०, २४३, २४६, २५८, २६४,६२८,६५, ६८,१०६,२०१६१,२११७०, ६१,६२,३०।२६; ८७३ ३४/१६,१८ ज ५।१८, २४ मे २६, ४४, ४६ उ २२०, २२ : ३१६०, १२०, १५६, १६१,४/५, २४.२८ v कप्प ( कृप् ) – कप्पइ उ ३।५०,४१२२कप्पेंति ज ५ १३,१८,२४,२५ Veer ( कल्पय् ) कप्पेह उ५११८ कप्पकार (कल्पकार ) ज ३१११७ कपणा (कल्पना) ज ३१३५ कप्पणी (कल्पनी) ज ३१३१ कप्पणिrयि (कल्पनीकल्पित) उ ११४६ कपरुक्ख (कल्पवृक्ष,कल्परूक्ष ) ज ३६, २११,२२२ कप्परुषखग (कल्परूक्षक ) ज ५।५८ पडसिया (कल्पातंसिका ) उ ११५ : २११ से ३,१४,१५,२१,३११ कपाईय (कल्पातीत ) प १।१३८ कप्पातीत (कल्पातीत ) प १।१३४; २१ ५५,७१ कप्पातीतग (कल्पातीतक ) प ६६५,६२ कप्पातीय (कल्पातीत ) प १११३६, २१।६२ कपाससमजिया (कार्पासास्थिसमज्जिका) प ११५० कप्पासिय ( कार्पासिक ) प १६६ कप्पिद ( कल्पेन्द्र ) प १५५५।२ कप्पिय (कल्पित ) ज ३३६,२२२ कप्पूरपुड ( कर्पूरपुट) ज ४११०७ कप्पेत्ता ( कल्पयित्वा ) ज ५।१२ कप्पेमाण ( कल्पमान) ज १।१३४ कप्पोवग ( कल्पोपग ) प १।१३४, १३५ ६८५ ८६, ६५; २१।५५ कप्पोववण्णग (कल्पोपपन्नक) ज ७ ५५ सू १६१२३ २६ बंध (कवन्ध ) उ १११३६ कब्बड (कर्बट) प १।७४ ज २१२२,१३१,३११८, ३१, १८०,१८५,२०६,२२१ उ ३१०१ कब्बडय ( कर्बटक) ज ७ १८६२सू२०१८, २०१८/२ Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कम- कयपुण्ण कम (क्रम ) ज ३१३१, १०६, २१७ ४१२०२७ १३० कम्मपनडि ( कर्मप्रकृति ) ११४|११ से १४,१७; २२२१ से २३.२३८४८६०७० १०:२३१ से ५.२४:२४।१ से ५.१० से १५: २५।१.२.४५२६०१ से ४८ १:२७१ से २, ८७४ स १६१२२/१४ / कम ( क्रम् ) कमइ २६ ४ २०२७ । १३० कमंडलु (कमण्डलु ) ज २०१५ ३।५१११ कमल ( कमल) ज २११५,३३३,६,१८५, २०६ २१०५२१,५६१३२५, ३५३१e कमलमाला (कमलनाला ) उ ११३५ कमलागर ( कमलाकर) ३१८८ कमलामे ( कमला मेल) ज ३१०६ कम्म (कर्म) १०१०६ ९१६४०२१६२११७४६ १९८६ १७ १८१६ १७ १८:२०३३६; २१११०२२२१२६, २७, २३३,६,७,६ मे ११, १३ से २३,२५,२६.२२ से ४१,४७,४८,५७ से ६४,६६,६८,६६,७३७७,८१,८३,८५ मे १०,१२,१३,९५ मे १९.१०१ से १०४, १११ से ११४,११६ से ११८,१२७.२३०, १३१.१३ से १३५.१२७.१३८, १४२, १४३, १५५,१६१, १६५. १६७.१७१.१७६, १७७, १८२,१०३, १८७.१९१ से २०१:२४१२ से ४, ११.१२, १४:२५४२,४,५,२६१२ से ४.८६ २७२२.६३६४८२,८३११.३६११२ ११६. ३०,३२,३६,२१५१.५४.६४.७०, १२१.१२६. १२०.१३८,१४०, १४९, २५४.१६०,१६३ ३४३२१२,३५,१२५,१६७७. १७८,२११,२२३ ४१२७११२३ १०:१२९।६, २०११.२, २०६२३५१२७, १४० कम्स (कमी ) प ३६८२,१२ कम्मकर (कर्मकर) २१७८ कम्नबंध ( कर्मस्कन्ध ) प ३६।१२ कम्म (कर्मक) १२११४.२१,५६,२२३ २१/६६, १०५:२६०४१,४२,४४,३६।१२ कम्मगर (कर्मकर) ज ५४५७ कम्मरी (कर्मकशरीर) १२२४१०६१६११५. १८,२१:२११६४.१०० १०३ से १०९:३६।८७ कम्मर (कर्मकरी) २०१४१ ५.६ कम्सबी (कर्मवीज ) प ३६।९४ कम्मभूम (कर्मभूमिक) १४८५८८१२९६ ६।३२.६४ ६७.६८.११३,२११५४,७२ कम्मभूमग (कर्मभूमि) २३२०० कम्मभूमगपविभागि (कर्मभूमिकपरिभागिन् ) २३।११६,१६६ स २०१ कम्मभूमय (कर्मभूमज ) प ६४७६१७१५६,१६१, १७१२३।१६६.१९६ कम्मभूमि ( कर्मभूमि ) प १७४८४२७२ कम्मभूमि ( कर्मभूमि ) प २२२०१ कम्मय (कर्मक) प १२१५,३५,२६२१११ कम्मवेदय (कर्मवेदक ) प १०१०६ कम्मशरीर (कर्मशरीर ) प १२० कम्मर (कर्मक) प १२।२५.२१।१०२ कम्मार ( कर्मार) ज २१२६ कम्मार ( कम ) ५१०२२,२६ कम्मासरीर (कर्मकशरीर ) प १६०१ से ८-१० से १५.१६ कमिया (कार्मिक) १४४१,४३ कम्हा (कस्मात् ) ज ७२ कम ( कृत) २३०,३१,४१ ज ३६,१८,५८, ६६.७२.७७७६१.६२.०५.१२,१३, ११० १.११६१२१.१२५.१४७, १६० २२१. २२२.२२९, ५२६, ५६ उ १११६,७०,८८, ६२.१२१३४५, ५०, ५१.५६.११०:५।१७ nia ( कदम्ब ) प ११३६।३ कयकज्ज ( कृतकार्य ) सू २०१७ फग्गह (ग्रह) ३४१२८०५०५० कयत्य ( कृतार्थ ) ज ५१५,४६ उ ११३४ कयपुण्ण ( कृतपुण्य ) उ ११३४ Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कयमाल करीर कमाल ( कृतमाल ) ज २२८ ३।७१ से ७४,७६, ८४ कमालक ( कृतमालक) ज ३२७१, १५० रुपमालय ( कृतमालक) ज ११२४,४६३६११६ कबर (कतर ) प ३१४६ १७ १४४ २२१०१३ ३६।३८ ज ७।१२६,१७५, १८०, १८१,१६७ सू १०१२ से ४,७५,७७,१३३ से १२१ १८११८, १६ कलक्खण ( कृतलक्षण) उ १।३४ कयलोखंभ (कदलीस्तंभ ) ज २११५ कयलीहर (कदलीगृह ) ५१४ कयलीहरग (कदलीगृहक) ज ५११२ कयवर (कवर) ज २४३६६५४५ कवि ( कृतविभव) उ११३४ कया (कदा ) ज ७ १२५ २१४ सू ११६ |४; १४११ कयाs (कदाचित् ) ज १२४७३४४,८३.१०४, १५४, १७२, १००, २२२, २२६४/२२,५४, १०२३ १११४ ३१४६ ४ २१ ; ५११३ कमाई (कदाचित् ) उद कर (कृ) अकासी ज २२८४ करवाणि ज ३।३२।१ करिस्सामि ज २६ ५/४६ करिस्सामो ज २३५,७ क प १७४१६८१६ २३६५.२०३३५.६.१२.१० १९.३१.३२१२, ४६.५२, ५३ ४१,६२६६.७०८८६५.१००, १३१,१३७.१४११४२.१५९.१६४.१६५, १८०,१६१.२२४ ५०२१, २२, ४४, ४६४८ २१११।१९३।२१:४१३ कति १३८४६।११०,२०१६ से ८२४१६,२१ से २४ ज ११२२,२७,५०३ २०१०.५८, १००, ११५.११६.११८,१२०, १२३, १२८ ३११२, २८.४२,४७,५०५६,६७.७५.१२.११९,१३६. १४० १६.१०४, २११, ४११०१,१६६,१७१: ५४५.७.१४,१६,४६.५७,६०,३६,७४ २११६३ का २०११ से ४,१८, ४०,४४,४६, ४८ ज ५७ करेति प ११७१ १६।५० ३६८२११३६१८५,१२ ज २२६६, ११७ करेमि ज २।१० ३४२६.३६,४७, ५६ १३३,१४५ ५।२२ ११४२ कमी ज ३।११२, ११५,१३८६४०३ करेसिउ ३४७६ करेस्सामी उ ३२६ करेह ज २११४; ३७, १२,२०,४१,४६,५८,६१,६६.७४,१४७, १६८ करेहि ३१०.१९.३१,५२.६९.६६.१४१. १९४,१८० सू ३।१०३ करेहिद उ ३२१ करेहिंति ज २३१५१.१५७ उ ३।१२६ काहिइ उ १४१३८६ कीरइ उ ५ ४३ कर (कर) ज २।१५,७१३२३,१२८१।१३९ करंज ( करञ्ज ) प १३५११ कंजा जिसके फल आदि दवा के काम आते हैं कडग (करण्डक) उ३११२८ करंग (दे०) ज २०१६ करंत ( कुर्वत्) उ११८८,१२ करकर (करकर, अकरकरा ) प १२४२१२:११४६१४६ अकरकरा करकरय ( करकरक) सू २०१८/६ करकरिय ( करकरिक) सू २०१८ ८७५ करण (करण) ज १११३८, ३१३२१२६,२०६ ५।५७१२३ से १२६ करतल ( करतल ) ज ३१२०६ करघाण ( करध्मान ) ३१३१ करम ( करमर्द) प १३७।४ कदा, आंवला कर (करक) प ११२३ करयल ( करतल) ३१५.६.८,१२,१९,२६,३६, ४७, ५३.५६, ६२६४,७०,७२,७७,८४,८८, १०,१००, १०५, ११४,१२६,१३३,१३८ १४२, १४५, १५१.१५७१६२,१०१.१०९,२०५, २०६५५७.२१.४६,५६१।१५,३५, ३६, ४५.५५.५७,१८,६१,६२,००,०२,८३ ८६,८७,२६,१०७, १०, ११, ११८, १२२/ ३।१८,१०६, ११४, १३८, १४५ ४४१५६ ५।१७ करयलपुर ( करतलपुट) ज ५११४,१७,६०६६ करिय ( कृत्वा) ज ५५० Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ करित्तए-कसरि करित्तए (कर्तुम् ) प २८।१०५ ज ५१२२ ७८,८८,६१,१४७,१६८,१७३,१७५,१८४, करीर (करीर) प ११३७/४ करील १६६,२१२,२१३, ४।२७,४६ १६६५७ करेंत (कुर्वत्) ज २१६५ २८,४३ सू २०१७ उ १२१२३,५१८ करेत्तए (कर्तम् ) प ३४।१६,२१ से २४ ज २१६० कलुय (कलुक) प ११४६ उ३१११५ कलुस (कलुष) ज २।१३१ करेत्ता (कृत्वा) प ३६१६२ ज ११६ सू २११ कलेवर (कलेवर) प १३८४ सू २०११ उ ११९३७, ४११३ कल्ल (कल्य) ज ३.१८८ उ ३।४८,५०,५५,६३, करेमाण (कुर्वत्) ज २६५,७८ ; ३।२२,२८,३१, ६७,७०,७३,१०६,११८ ३२,३४ से ३६,५४,७८,८६,६३,६६.१०२ कल्लाण (कल्यानी) प १५४१२ जंगली ३३८ १०६,१११.११३,१३७,१४३,१५६,१६२, कल्लाण (कल्याण) ज १११३,३०,३३,३६; १६३,१८०,२०४ से २०६,२०८.२०६,२२३ २११८,६४,६७,४१२ सू १८।२३ उ १।१७, उ १२२,६५,६६,७१,६४,१११,११२,१३८, ४१,४४,५।३६ १४०, ३१५० कल्लाणग (कल्याणक) प २।३०,३१,४१,४६ कल (कल) प ११४५११ ज १३७ सालवृक्ष ज ३१६,२२२ कलंकलीभाव (कलंकलीभाव) परा६४ कल्हार (कल्हार) प ११४६ सफेद कोइ, एक पुष्प कलंबुया (कदम्बक) प ११४६; १५:२.१८ सू ४१३, कवड (कपट) ज २११३३ ४,६,७,६१६॥२२१२,१५,१६।२३ कवय (कवच) प २१६४।२१ ज ११३७, ३१३१, कलकल (कलकल) ज २१६५, ३।२२,३६,७८,६३, ७७.७६,६६,१००,१०१,१०७,११६,१२४ ६६.१०६,१६३.१८०, ७१५५,१७८ सू १६।२३ उ ११३८ उ १११३८ कलकुसुम (कलकुसुम) प १७११२५ कवाड (कपाट) प २१८,३०,३१,४१ ज २२४; कलताल (कलताल) ज ३१३१ ३।८३,८५,८८ से १०,१०२,१५४ से १५७, कलस (कलश) प२३०,३१४१ ज २।१५) १६२,१६७।१२ ३११७८,२०६४१२८,५१५६ से ५८ कविजल (कपिञ्जल) प १७६ उ ३१५१,५६ कविट्ठ (कपित्थ) प ११३६३१, १६:५५१७११३२ कलह (कलह) प २।४१२२।२० ज २१४२.१३३ ज ३।११६; १७६ कथ कलहंस (कलहंस) प १७६ ज २०१२ कविट्ठाराम (कपित्थाराम) उ ३१४८,५५ कला (कला) ज २१६४७१३४११ सू१०।१४२, कक्लि (कपिल) ज २।१२,६५,१३३ १४७,१२।३० उ ५११३ कविलय (कपिलक) सू २०१२ राहु का नाम कलाव (कलाप) प २१३०,३१,४१:१५२६% कविसीसग (कपिशीर्षक) ज ३११४।११४ २११२५ ज ३७,८८.११७ कविसीसय (कपिशीर्षक ) ज ४१११४ कलिंग (कलिङ्ग) प १।६३११ कवीय (कपोत) प १७६ ज २१६ कलिद (कलिन्द) पश६४.१ कवोल (कपोल) ज २०१५ कलिय (कलित ) प २१३०,३१४१,४८ ज ३।१०, कव्व (काव्य) ज ३।१६७।१० १५.६५, ३१७ १२,१५,२१,२२,२८,३१, कस (कष) ज २१६७, ३११०६ ३२।२,,३४ से ३६,४१ ४६,५८,६६,७४,७७, कसरि (दे०) सू १०।१२० Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कसाय-कामभोग ८७७ कसाय (कषाय) १११११५,११४ से ६३.११ काउलेसट्ठाण (कापोतलेश्यास्थान) प १६।१४६ ५१५,७,२०५;१४।१,२,१८।१।१,२३।६८, काउलेसा (कापोतलेश्या) प १७६१२१२८११२३ १४०,१८३,१८४; २८१३२.६६,१०६।१; काउलेस्स )कापोतलेश्य) प ३९६१३११४; ३६।११ ज २११४५ १६।४६:१७१३२,५६,५७,५६ से ६१,६३,६४, कसायपरिणाम (कषायपरिणाम) प १३१२,५,१४ ६६ से ६४,७१ से ७४,७६,८१ से ८५,८७, १४,१००,१०२,१०३,१११,१६७,१८७१ कसायवेयणिज्ज (कषायवेदनीय) व २३:१७,३४, काउलेस्सट्ठाण (कापोतले श्यास्थान) प १७४१४६ ३५ काउलेस्सा (कापोतलेश्या) प १६६४६१७३६, कसायसमुग्घात (कषायस मुद्घात) प ३६६५ । ३७,११७,११८,१२१,१२२,१२५,१२६,१३२, कसायसमुग्घाय (कवायसमुद्घात) प ३६११४,५, १३६,१४४,१४५,१५१ से १५३ ६,७,२१,२२२८,३५ से ४३,४६,५३ से ५८ काउलेस्सापरिणाम (कापोतलेश्यापरिणाम) कसाहिया (दे०) प १७१ प १३।६ कसिण (कृष्ण) प २१३१ ज २२१५ काऊ (कागोती) प २१२० से २५ कसिणपुग्गल (कृष्णपुद्गल) सू २०१२ काऊण (कृत्वा) ज ३।१२ कसेरुया (कशेरुक) प ११४६ एक तरह का घास काओदर (काकोदर) प १७० कह (कथं) प २३।१११ काओली (काकोली) ११४८१५ एक वनौषधि जो किह (कथय ) कहेइ उ २०१२ अष्टवर्ग के अन्तर्गत है, जीवंती कहं (कथं) ज ७५६ चं २१४ सू ११६ उ १७२, काकंदी (काकन्दी) उ ३।१७१ ३७८ काकंध (काकन्ध) सू २०१८,२०८१३ कहग (कथक) ज २१३२ काग (काक) प १७६ कहा (कथा) उ १।१७,५७,८२,६६,१०७,१२७; कागणि (काकिणी) प १४४०१५ ज ३१६५,१५६ ३।१३,२६,१४७,१६०,४।११५१५,३८ कागणिरयण (काकिणीरत्न) ज ३।६४,१३५,१५८, कहि (क्व) प १७४ जे १७ १७८,२२० कहि (क्व) प ६९६ ज २११५ च २।२ सू १४६।२ कगणिरयणत्त (काकिणीरत्नत्व) १२0१६० काणण (कानन) ज २१६५ कहिचि (कुत्रचित्) उ ३३१०१ कातन्य (कर्तव्य) ५ ५।१६१,१७६६५६,६६, कहिय (कथित) ज ११४ च ६सू ११४ उ ११२ ७४ से ७८,८०,१११ काइय (कायिक) ज २१७१ कामंजुग (कामयुग) प ११७६ काइया (कायिकी) प २२।१ २,२२१४६ से ५०,५३ कामकाम (कामकाम) प २१४१ कामकामि (कामकामिन् ) ज २११६ काउ (कापोत) प १३१६,१७१२२ कामगम (कामगम) ज ५।४६।३;७१७८ काउं (कृत्वा) उ ३।१११४१६ कामगामि (कामकामिन्) ज २१२२ काउंबरी (काकोदुम्बरिका) १ ११३६।२ कामगुणित (कामगुणित) प २।६४।१६ काउलेस (कापोतलेश्य) प १७६२,६४,६५,१०३, कामस्थिय (कामाथिक) ज ३११८५ ११०,१११,१६८ कामभोग (कामभोग) ज ३१८२,१८७,२१८ Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८७८ सू २०१७ उ ११११ कामभोग (कामभोग) ३५२५ कामरुव (कामरूप ) प २०४१ काय (काक ) प २०४७ काय ( कार्य ) प १८६३११११; १५१५३,५४,५६, ५७,१६३१ से ८, १० से १५,१८,१६,२१, ५४; १८११२३३१५,१६,२०,२१,३४१११२ ज २२६७,६।१६७ १० १७४; २०१८ २०१८१३ कायपरित (फायअपरीत) प १८१०९, ११० कायगुल ( कायगुप्त ) २६३९९ कायजोग ( काययोग ) प ३६८६ से ८८,६१,६२ कायजोगपरिणाम ( काययोगपरिणाम ) प १३७ कायजोगि (काययोगिन् ) प ३६६ १३ १४, १६: १८५३२८१२८ कायfor ( कार्यस्थिति ) प १११।५, १८१११२ कायपरित ( कायपरीत ) प १८३१०६,१०७ कायपरियार (कायपरचार ) प ३४।१२ कायपरियार (काय परिचारक) १३४११६,१६, २१,२५ कापरियारणा ( कायपरिचारणा ) प ३४ । १७ से १६ कायमाई ( काकमाची ) प १३७१२ मकोय काययोग (काययोगिन् ) प १३०१७ काव्य (कर्तव्य) प ५।१३२,२२६६१४६.११० : १३११७,१५।३४, ३८, ७५, १०६१ २८।११२ ज ४।१७२ कायसत्रिय (कामत) २१० कारंडव ( कारण्ट ) ज २०१२ कारण (कारण) प ८४,६,८,१०२२०२६, ३२,६६ ज ७।२१४ १ ३६,११६, १२७; ३।११,२६ कारभरिय (कारनारिक) ३१०५ कारव (कार) कारर्खेति ज ३११३ कारवेह ज ३॥७ कारवेत्ता ( कारयित्वा ) ज ३१७ कामभोय-काल कारियल (कारवल्ली ) प ११४०२ करेना कारिया (दे०) प १२७१५. कारिल्लय (दे० ) सु १० । १२० कारेमाण ( कान्यत् ) प २१३०,३१,४१,४६,५७ ज १/४५:३११८५,२०५,२०६,२११:५।१६ उ ५।१० कारोडिय (कारोटिक) ज ३।१८५ काल ( काल ) प ११४ से ६,३४,८४२१२० से २७, ३१ से ३३,४०१८ २१४२ ४३ ४५११ २०४६,४७, ६४४११ से ४६,५६ से ५८,६५,७२,७६,८८, १५,६८,१०१,१०४, ११३,१३१,१४०, १४६. १५८,१६५,१६५,१७१,१७४,१८३,२०७, २१०,२१३, २९४, २६७, २६६,५५,७,३७,३८, ७४, १०७,१२६,१५०,१५२,१५४,१६०,१६२, १६७,२००,२०३, २४२२४४६।१ से २३, २७,४२ से ४५७११ से ४,६ से ३०११५२, ५४; १२१२४,३२,३३,१३२६:१६५०; १८३, १४, १५, २६, २७, ३७,३८,४१,४३,४५, ५७, ५६,६२,६४,७७,८३,६०,६५,१०५. १०७, १०८, ११०,११६,११७,१२० २३:४७, ६० से ६२,१०५,१६३ से १९६,१६० से २०१ २६१४, ६, ७,२०,२१,३२,३८, ५०, ५२, ५३, ६६:३६१६०,६१,६७/७१,७२,७५,७६,६३, १४ व ११२,४,५, २१ से २,६,४४,४६,५१, ५४,६६,७१,८८,८६,६१,१२१,१२६,१३०, १३१,१३३ ते १४१, १४९,१५४,१६०,१६३३ ३०३,२४,३१,३२,१२,१५,१०३,१११,१३८११, १५६, १६७१,७,१७८२२४५१.६ से १३,१८,४८,५० से ५२७१५७,६०,१०१, १०२,१८७, २१० ६.१,१०१११,४,५ २२; ८११७११:१८२५ से ३४:१६ २५ २०१७ उ ११ से ३, ७, ९,१३ से १६,२१.२२, २५ से २८,५१,६५ से ६७,७६,१३,६४,११९ से १२२, १२५,१४०, १४१, १४४, १४७,२०४, ६, ७,६,११,१६,२२,३१४ से ६,९,१२,१४,१६, २१,२४,२५,२७,४०,४८,५०,५५ से ५७,६४, Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ काल-किंपुरिस ७६ ६५,६८,६६,७१,७२,७४,७५,७६,८३,८६, कालिंग (कालिङ्ग) प ११४८।४८ ज ३।११६ ६०,६५,६८,६६,१०६,१२०,१२४,१३१,१३२, कालिंगी (कालिङ्गी) प ११४०।१ १५०,१५५ से १५७,१५६,१६१,१६४,१६८, काली (काली) १११२,१३,१५,१७,१६ गे २४; १६६,४१४ से ६,१०,१६,२४:५१४,१४.२१, १५,६ २४,२५,२६ २८,३६,४०,४१ कारोदधि (कालोद) सू १६।११।१ काल (काल) सू २०१७२०८१५ कालोदहि (कालोदधि १११।२,४ काल (दे० कृष्ण) म १६।२२११६,१८,२० काय कालो) ५ १५१५५,५५५१ सू॥१ कालओ (कालतस्) प १११४८,५१,१२।७.८,१०, कागोषसमुह (कालोदामुद्र) प १६३० १०.१०.२०.०७.२२:१८। ११०,१२ १७, कादिसाय (कापिसाचनः प१७१३४ १६ से ३६,४१ से ४७४६ मे ५१, ५४ से। कास (काश, कास) प ११३७१४ सहिजन का पेड, ५६,६१ से १०,६३ मे १११,११३,११४, एक घास ११६,११७.११६,१२०.१२२.१२३,१२५ से कास (कास), २४३ १२७:३५।४ ज २६६ काम (काश) सू२०१८:२०८।४ कालग (कालक) ३३१८२,१३७,५६,८८,८६, कासपात कामपकाश) ३३५ १०७,५४६,१५०.१६०,१६३,१६,२०० कासव (काश्यप) ७।१३।३ कालगय (कालगत) अ २१८८,८६,३।२२५ कासवगोत (काश्यपगोत्र) उ ११३ उश२२,६२,२।१२,५।३६,४० कासित्ता (कातित्वा) ज २०४६ कालण्णाण (कालज्ञान) ज ३११६७१७ कासी (काशी) १ १९३१ उ १११२७ से १३०, कालनाण (कालज्ञान) ज ३१३२ १३२ कालतो (कालतस्) प १२।२०१८१३,१८,४१, काह (कथय) काहिइ उ २११३,१४३ ४३,६०,६५,२८।५,५१ काहार (दे०) ज७१३३११ कालमास (कालमास) ज २१४६,१३५ से १३७ काहारसंठिय 'काहार'सस्थित) सू१०।२७ उ ११२५ से २७,१४०।३।१४,८३,१२०,१५०, कि (किम) ५११ ज १७चं ॥ १११६ १६१,४१२४।५।२८,४०,४१ कालमुह (काल मुख) ज ३८? फि.कर (विकर) प २१३०,३१,४१ व ३१२६,३६, कालय (कालक) प ३३१८२,५१३६ से ३८,५८ से ४७,५६,६४,९२,१३३,१३८,१४५,१७८ ६०,७३ से ७५,८६,९०,१०६ से १०८,१५०, किचि (किञ्चित् ) २६४।१८ ज १७ १५१,१८१ मे १६४,१६६ से २०४,२४१ से। सू१३१४,२०,२७ २४३,१७११२६ सू २०१२ किंचिविसेशण (किचितविक्षपोन) ११४८; काललोहिय (काललोहित) ३१७४१२६ ४।१,४०,५५,६७,१६७,१६६ सू ११२७; कालहेसि (कालहेपिन्) १५१६६४,५६१,१११६७,८१ काला (काला) १३३ किथुग्ध (किंस्तुध्न) ज ७।१२३ से १२५ कालागरु (कालागुरु) ५ ६१३०,३१,४१ ज २६५; किपज्जवसिय (पर्यवसित) ष १११३० ३।१२:५७,५८ किंपहव (शिप्रभव) प ११।३० कालागुरु (कालागुरु) ज ३३७,८८ सू २०१७ किंपुरिस (frपुरुष) प १११३२,४१,४५, कालायस (कालायस) ज ३।१०६,१७८ ४५।२ ज ३१११५,१२४,१२५ Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ म८० किसठिय-कीलंत किसठिय (सिंस्थित) १११३० किण्हा (कृष्णा) ज ११२३,२११२ किसुय (किंशुक) ज ३।१८८ किण्हासोय (कृष्णाशोक) प १७४१२३ किसुयपुप्फ (किंशुकपुष्प) ५१७४१२६ किण्होमास (कृष्णावभास) ज ४१२१५ उ ३.४६ किच्च (कृत्य) उ १।६२ कित्ति (कोति) ज ३,१७,१८,२१,३१,६३,१७७, किच्चा (कृत्वा ) ज २१४६ उ १२२५, ३.१४; १८० उ ४।२।१ ४।२४,५२८ कित्ति (कूड) (कीतिकूट) ज ४२६३३१ किच्छ (कृच्छ) ज ३११०८ से १११ कित्तिम (कृत्रिम) ज ११२१,२६,४६, २१५७,१४७, किटिभ (किटिभ) ज २११३३ १५०,१५६ किट्टि (किट्टी) प ११४८।४ कित्तिय (कीर्तित) प १४४८१६३ किट्ठीय (किट्टिया) प ११४८।२ किन्नर (किन्नर) प १११३२,०४१ किढिण (किठिण) उ ३१५१,५३,५५,५६,६३,६४, किन्नरछाया (किन्नरछाया) प १६:४७ ६७,६८,७०,७१,७३,७४,७६ किब्बिसिय (किल्विषिक) प २०१६१ ज ३।१८५ किणा (कथं) प १५१५३ किमंग (किमङ्ग) उ १११७; ३।१०२ किण्णं (किंनं) ज ३११२४ उ १६६ किमिरागकंबल (कृमिरायकम्बल) प १७६१२६ किण्णर (किन्नर) प २।४५,४५१२ ज ११३७; किमिरासि (कृमिराशि) प ११४८६ २१०१३३११५,१२४,१२५,४।२७,५२८ ।। किर (किल) ज २१६ सू २०१६।४ किण्णा (कथं) उ ५२२३ फिरण (किरण) ज २०१५३।२४ किण्ह (कृष्ण) प०४८१६ कालीमीर्च, करौदा किरिया (क्रिया) प १३१६:१७:११,२२,२३, किण्ह (कृष्ण) प २२१ से २७ ज २१३,१४, २५,३०,३३,२२११ से ५,६ से १६,२६,२७, २१७,१२,२३,१६४,४१२६,११४,११६,१२६, २६,३०,३२ से ५०,५२ से ६३,६५ से ६६, २०१,२१५,२४०,२४१ सू १६।२२।१७ ७१ से ७४,७६,६१ से १४,६७ से ८६,१०१; २०१२ उ ३१४६ २६६१०,३६।६२ से ६४,६७,६८,७१,७७,७८ किण्हकणवीरय (कृष्णकरवीरक) प १७११२३ ज ७१५२ किण्णकेसर (कृष्णकेशर) प १७११२३ किरिया (रुइ) (क्रियारुचि) प ११०१११,१० किण्हपत्त (कृष्णपत्र) प ११५१ किरियारइ (क्रियारुचि) प १११०१११० किण्हबंधुजीवय (कृष्ण बन्धुजीवक) प १७:१२३ किलकिलाइय (किलकिलायित) ज ७।१७६ किण्हब्भ (कृष्णाभ्र) ज २१५ इकिलाव (क्लम्) किलावेंति प ३६.६२ किण्हमत्तिया (कृष्णमृत्तिका) १११६ किवणबहुल (कृपणबहुल) ज ११८ किण्हय (कृष्णक) प ११४८।६२ किलेस (क्लेश) चं १।२ सू २०६६ किण्हलेसा (कृष्णलेश्या) प १७:२१ किसलय (किसलय) प ११४८।५२ किण्हलेस्स (कृष्णलेश्य) प ३९६,१७३१,८४; किसि (कृषि) ज २३ २३।१६६ कोड (कीट) प १३५११ किण्हलेस्सा (कृष्णलेश्या) प १७।३७,११६,१२०, 1 कोड (क्रीड्) कीडंति ज ११३०,३३ १२२,१२३,१३६ Vकील (क्रीड्) कोलंति ज १११३४१२ किण्हसुत्तय (कृष्णसूत्रक) प १७/११६ कोलंत (क्रीडत्) ज ३१७८ Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कीलग-कुप्पर कीलग (कोलक) ज ५। ३२ कीलण ( क्रीडन ) प २२४१ कीलावण ( क्रीडन) उ ?183 से ६६ कीस (स्मात् ) ११५७८२ कीमत) २८०४,३६,४२,४५, ३१; ३४१२० कुंभी (कुम्भी) ज ३१९२ कुक्कुड (कुक्कुट ) प ११५१११;१।७६ कुक्कुडि ( कुक्कुटी ) उ ११५६,३३,८४ कुक्कुह (दे० ) प ११५११ कुच्च (कचं ) प १३७५ 1 कुच्छ (कु) कुच्छ्रेज्जा ज २१६ कुच्छि (कुक्षि ) ( ११७५ कुंकुन (कुकुर) ३।३५ कुंकुमलुङ (कुंकुमपुट ) ४ १०७ उ ३६५३० कुंजर (कुञ्चर) त्र १३३७:२११०१ ३१३ ४४२७ कुच्छि ( कुक्षि ) : २१४३ अडतालीस आंगुल का मान कुच्छिमय (कुक्षिकृमिक ) प २०४९ कुत्तिय (कुक्षिथक्त्व ) प १३७५ कुज्जय (कुब्ज ) प १।३८११ कुजाय) ज १० ५.१२= कुंड (कुण्ड ) प १११२५ ज ४१२५,४०,६७,६८, ७१,७५,६०,६२,१३४ ते २७६,१८२,१८३, १८८, १८६,१६४८३१८ कुंडल ( कुण्डल) २१३०,३१,४१,४६.५०; 29122128:8.5,2.25,55,£3,250, २११,२२२,४१२०२५११८,२१.६७ सू १६।३१ कुंडलवर ( कुंडलवर ) सू १६।३१ कुंडलवरोद (कुंडलवरोद ) सू १६।३१ कुंडलवरोभास (कुंडलवरावास ) सू १६०३१,३२ कुंडलोद (कुण्डलोद) सु १६३१ कुंल ( कुत्त ) प १४१ ज ३।१७८ कुंलग्ग (कु) २०११५,११६ कुंतगाह (कुताह) ज ३।१७८ कुंथु (कु) १५० कुंद (कुन्द) प १३= ३६ २२३१,१११२८ ज २११०.१५६३१३.१२.३५६ ५५ कुंद (लता) (वृन्दलता ) प १३६११ कुंदरुव (कुद) १६५, और उनका फर की कुंदुरुक्क (कुरु) ३०,३६,०१ ज ३०.१२०५६ २०१७ कुंभ (कु) ३.४६.१२०.१४५,७१७८ उ ११६७ कुंभम्गल (मानमम् ) ११०२.११० कुंभिक्क (भिमा) ज ५३८ एक बनती है ८८१ २६,६३ २०२ (त) ज ३१६,२२२ कुट्ठायारण ( कुस्थानामन) २।१३३ कुडगछल्ली ( कुटज छल्ली ) १ १७/१३० कुडगyoफरासि (कुप्पराशि ) प १७ १२८ कुडगफल (कुट फल ) १७११३० कुडगाणि (फाणित ) प १३१३० कुडभी ( कुडमी) अ ११४३ कुडय (कुट ) प ११३६१३, ११४११२:१७ १३० ज ३१३५ कुटुंब ( कुटुम्ब ) न ३१११.१३,५०,५५ कुटुंबावरिया (कुटुम्बजार) उ १।१५ १४८७६६६.१०६,१३१ कुडाय ( ) ( कुस्तुम्) ११४८४३ कुक (कु) प १४३ कुमाल (कुणाला ) प ११९३५ कृमि (दे० कुणप ) ज २९१४६ कृमिहार ( 'कृषि महार) ज २१३५ ते १३७ कुत्र ( कुस्कुम्भरी) ११३६१२,३७१२ कुल (दर्शन) १११०१।१३ (कुदृष्टि ) प १ । १०१।११ कुपमा ( कुप्रमाण ) ज २:१३३ कुप्पर (र) ज २२,३५,३६,४४ Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८२ कुबेर-कुसील कुबेर (कुवेर) ज ३३१८६,२१७ कुभोइ (कुभोजिन् ) ज २११३३ कुमार (कुमार) उ १११३ से १५,२१,२२,२५ से २७,३१,४२ से ४६,४८,६४ से ६६,६४ से १६,१०२ से ११७,११६ से १२२,१२५, १२७,१२८,१४०,१४१,१४६,१४७,२१६,७, ६,१८,१६,३।११४,१२०५।१०,२०,२२, २३,२७,३१,३२,३४ से ३८ कुमार (कुमार) उ १८६ कुमारग्गह (कुमारग्रह) ज २१४३ कुमारावास (कुमारावास) ज २१६४,८७, ३।२२५ कुमारिया (कुमारिका) उ ३।११४,१३० कुमुद (कुमुद) प ११४६ ज ३।११७,४।१५४, १५५,२१२,२२५११,२३० कुमुददल (कुमुददल) प १४६१२८ कुमुदप्पभा (कुमुदप्रभा) ज ४।२२१११ कुमुदप्पहा (कुमुदप्रभा) ज ४।१५५११ कुमुदा (कुमुद) ज ४।१५५।१,२२१ कमय (कुमुद) ज २१५,४१३,२५,२१०१ कुमुयहत्थगय (हस्तगत कुमुद) ज ३११० कम्म (कम) ज २।१४,१५,६८,३१३;७।१७८ कुम्मुण्णया (कर्मोन्नता) प २६ कुरंग (कुरङ्ग) प ११६४ ज २।३५ कुरज्ज (कुराज्य) ज ३१२२१ कुरय (कुरब) प ११४७ लालफूलवाली कटसरैया कुरल (कुरल) प १७६ कुरा (कुरु) ज ४।१०८,१४१,१४३,२०५,२०७ ३४८,५०,५५,१००,१३३५५ कुल कोडि (कुलकोटि) ५११४६ से ५१,६०,६६, ७५,७६,८१,८१।१ कुलक्ख (कुलाक्ष) १८६ कुलक्षय (कुलक्षय) ज २१४३ कुलगर (कुलकर) ज २१५६ से ६३ कुलत्थ (कुलत्थ) प ११४५११ ज २१३७, ३.११६ उ ३३४१,४२ कुलत्था (कुलस्था) उ ३.४२ कुलदेव (कुलदेव) ज ३।११३ कुलदेवया (कुलदेवता) ज ३।१११,११३ कुलधुया (कुलदुहित) उ ३१४२ कुलमाउया (कुलमातृका) ल ३।४२ कुलरोग (कुल रोग) ज २१४३ कुलवधुया (कुलवधु) उ ३६४२ कुलविसिट्ठिया (कुल विशिष्टता) प २३।२१ कुलविहीणया (कुलविहीनता) प २३।२२ कुलारिय (कुलार्य) प १६५ कुलोवकुल (कुलोपकुल) ज ७११३६,१४१ से १४६,१५० से १५३ सू १०१६,२० से २२,२५ कुवधा (दे०) प १२४०।२ कुवलय (कुवलय) चं १५१ कुविदवल्ली (कुविन्दवल्ली) प ११४०१३ कुविय (कुपित) ज ३१२६,३६,४७,१०७,१०६, १३३ उ ११२२,१४० कुथुट्ठिबहुल (कुवृष्टिबहुल) ज ११८ कुव्वमाण (कुर्वत्) प २।३३,५०,५१,५६ कुव्वर (कूबर) ज ३।३५ कुस (कुश) प ११४२११ ज २८.६उ ३१५१,५६ फुसंधयण (कुसंहनन) ज २११३३ कुसंठिय (कुसंस्थित) ज २११३३ कुसट्ट (कुशावर्त) प ११६३१२ कुसल (कुशल) ज २१३ ३३३२,७७,८७,१०६, ११६,१३८,१७८,५३५ सू २०१७ कुसील (कुशील) उ ३।१२० २०८ कुरु (कुरु) प ११६३।२; १५१५५।३ कुरुर्विद (कुरुविन्द) प १४२।२ कुरूव (कुरूप) ज २११३३ कुल (कुल) ज ३१३,६,१७,२१,२४,३४,१०६, १७७,४।२१२,५१५,४६,५५७१२७१, १३६।१,१४१ से १४६.१५० से १५३, १६७४१ च ५।१ सू ११६१:१०६,२०,२१, २२,२५,२०६४ उ११५४,७६,१४१; Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कुसीलविहारी केवइय ८८३ कुसीलविहारी (कुशीलविहारिन्) उ ३।१२० १४३,२०६,२११ कुसुंभ (कुसुम्भ) प ११४५।२ ज २०३७ कूलधमा (कूलमायक) उ ३१५० कुसुम (कुसुम) प २१३१,४१ ज २११०,५३,६५, कूवग्गह (कूपग्राह) ज ३११७८ १६२, ३११२,३०,३५,८८,२२१,४।१६६; कूवमाण (कुप्यत्) उ ३३१३० ५।५,७,२१,५८ सू२०१७ केइ (केचित्) प ११४८१४१ ज २११३ कुसुम (कुसुम्) कुसुमेति ज २।१०४।१६६ केउबहुल (केतुबहुल) ज २०१२ कुसुमसंभव (कुसुमसंभव) ज ७११४१२ केउभूय (केतुभूत) ज २०१२ सू १०११२४१२ केऊर (केयूर) ज ३१६:५।२१ कुसुमासव (कुसुमासव) ज २।१२ केषकय (केकय) प ११८६ कुसुमिय (कुसुमित) ज २।११;७१२१३ केणइ (केनचित्) पू १३३५ कुसेज्जा (कुशय्या) ज २६१३३ केतकि.पुड (केतकीपुट) ज ४११०७ कुहंड (कुष्माण्ड) ज २०४१,४७।१ केतु (केतु) प २।४८ कुहंडियाकुसुम (कुष्माण्डिकाकुसुम) प १७।२७ केमहालय (नियत्महत) ज ११७;७।२६ से ३० कुहण (कुण) प १।३३।१,११४७ केमहालिय (वियत्महत ) प २११३८,४० से ४२, कुहर (कुहर) ज २६५ ४८,६३ से ६६,६६ से ७१,७४,८४ से ६३ कूड (कट) प २।११५१५५।३ ज ११३४,३५,४१, केयइ (केतकी) प ११३७१५,११४३।१ ४६।१२।१३३;४।४४ से ४६,४८,५३,७६, केयइअद्ध (केकयार्द्ध) प ११६३६ ६६,६७,१०५,१०६,१५६११,१६२ से १६५, केयूर (केयूर) ज ३।२११ १६७,१६६,१७२।१,१८०,१८६,१६२,१६८, केरिस (कीदश) सू २०१७ २०४,२१०,२१२,२३६ से २४०,२६३,२६६, केरिसिय (कीदृशक) प २३।१६५,१६६,१६६ से २७५,२७६,५।१६ से ८,१३,६१६:१,६।११, २०१ ज ११२१,२२,२६,२७,२६,३३,४६,५०% १६;७५८ सू १९२६ २।७,१४,१५,१७,१८,२०,५२,५६ से ५८, कासामली (कूटशाल्मली) ज ४१२०८ १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३३,१३६, कूडसामलोपेढ (कूटशाल्मलीपीठ) ज ४१२०८ १४७,१४८,१५०,१५१,१५६,१५७,१५६, कूडागार (कूटागार) ज २१२० १६१,१६४,४१५६,१००,१०१,१०६,१७०, कूडागारसाला (कूटानारशाला) उ ३१८,२६,६३, १७१ उ १२७ केरिसिय (कीदृशक) प १७११२३ से १२८,१३०, कूडाहच्च (कूटाहत्य) उ ११२२,२५,२६,१४० कूणिय (कणिक) उ ११० से १२,१४,१५,२१, केलास (कैलाश) ज ३११८६,२१७ २२,६३ से ७४,८८,८६,६१ से १५,६८ से केलास (कैलाश) सू २०१२ राहु का नाम १२६,१३१,१३४,१३६,१४०,१४४,१४५;२।४, केलि (केलि) प २१४१ ५,६,१६,१७,५११६ केवइ (क्रियत्) प ७।६।३६१६०,६१,७५ कूर (कर) उ ३११३० केवइय (वियत्) प ५८२,६१३,१२।११,१२, कूल (कल) ज ३।१४,१५.१८,५१,५२,६६,१४६, १५।३२,२०१११, ३६।४४ ज १११७:२२४, १५०,१६१,१६४,४१३,२५,६४,८८,११०. ४४,४५,४।२५७, ६७,८,१०,११,१५ से Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८४ १८.२३ से २५:७११.३ से २५,३२,५४,५७, ६०,६२ ६४ से ७३,७६,७६ से ८२,८६ से १६ मे १००.१२७.१७० से १७२,१७४, १०२. १८७.१९०, ११९,२०१ से २०७ चं २११६३१२ ग् ११६।११।७।२३।१६, १२४,१६४ केवरि (चिरं) १८२ १०,१२ ३७ प से मे ४१ से ४७,४६ ५१,५४ मे ८२,८४ से ६०. २३ मे १११, ११३.११४,११६.११७.११६, १२०.१२२,१२३,१२५ मे १२७ ७२१० केवनि (कियत् ) प ७१ से ४,६ से ८,१० से ३० २६/१११,२८४४,२९.३८५०३६१६७.७१.७२, ७६ केय (कियत्) व ४१ में ४६,५६ मे १८,६५, ७२.७६,६८,१२,१८,१०१, १०४, ११६,१३१. १४०, १४७, १५८,१६२.१६८१७१.१७४, १८३,२०७,२१०, २१३, २६४,२६७,२६६, ५०४,६,६,११,१७,२३,२७,२६,३१,३३,३६, ४०, ४४, ४८, ५२,०२,६२,१००,१०३,१०६, ११०,११४,११८,१२८, २३१,२४१६११.२. ४ से २३,२७,४३ से ४५,६० से ६४,६७,६८ १२१७ से १०,१३,१५,१६,२०,२१,२२,२७, ३१.३२ १५३७, ८, १४, १५,२२,२३,२७,४०, ४१,८३ से ६५,८१,६१,६४ से १०, १००. १०३ से १०६,१०८,१०,११३ से १२०, १२३,१२६,१२७, १२६,१३१,१३२,१३५, १३९ से १४१,१४३ १७११०६, १०२, ११०, १४२, १४३, २०१६, १०, १२, १३:२३०६० से ६२,३३१२,३,१०,१२,१३१५ से १८ ३४।१३:३६।६ मे २२.३० से ३४,४४ से ४७,५६,६६,७०,७३,७४७१७३ १०२०,२२,२३,२६,२६ से ३१२३ ३२१,४,५,६,१०,१२१२ मे १८०४८ १५२ से ७१८।४ मे ६,९,१०,१२,१३,२०, २५ से ३४ १२४,५.७.८, १०, ११, १४, १५. १६ मे २१.२५,३०,३१,३८,३५,३७,३ चिर- केवलसमुयाय केवल केवल (के) प २०१७.१०२२.३४ २ २४७१. २५ ३२२३७१३५१.१०५ १८१२३ (के) १२६.२६ ४०.४६.८४, ७०, १३२.१२०, १४५. १७५. १८५,१८८, २०६,२११३३१७,६१ केवल (पा) के ज्ञान) १२२१७ ज्ञान ) २६४४१६५४२४, केवलवाण १०२,१०७.११० १११३ २०१२८, ३१ २६२३०१२ haant (ज्ञाना) १६६ केवलावा रणिज्ज (केवलज्ञानावरणी ) १२३।२५ वाणि (केज्ञानिन् ) प ३११०१.१०३ ५१.११६.११६६१३४१२१८६२ २८१३६, १४०३०११६, १७ सण (केवलदर्शन) १५०२४.१२.१०२. १०७,११६, २०१३, १७६३०१३, १७ सणावरण (केदार) २३|१४ केवलसणावरणिजकेनी) " प २३।२८ केवलसणि (केवल दर्शन ) प ३२१०४ : ५१२० १६३० १६ केवल २४६४१२ केवलमाण (केवलज्ञान ) प ५ १०५ केवलनाणपरिणाम (के ज्ञानपरिणाम ) प १३१६ वाणि ज्ञानिन् २।११२ heatre (cोधि ) उ५१४३ केवल (केन्) १०१०४,१०० १२१,१२६६ १८६८,६६,६७,६६२०१७,१८,२२,२५,२० २६,३४,४५ २०१५५ से २०२६६२,६२, ८३१२ ज ६३,०१, ३२२४, २२५. १०२,१३४.१४२ केवरिया (के) ३२२५ केज (कै) ३६।१।१ केला (वनीसमुद्घात) १ ३६ १३७ ११.१५ मे १७,३१,२४२५४१०२.८५ Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ केस-कोडिग ८८५ कोट्ट्य (कोष्ठक) उ ३१६,१२ फोठ्ठसमुग्ग (कोठसमृद्ग) ज ३।१११३ कोट्ठसमुग्गयहत्यगय (हस्तगतकोप्टममुद गक) ज ३।११ कोट्ठागार (कोप्ठागार) ज २१६४ उ ११६६,६४, केस (केश) प १३१ ज २११३३,३।२६,३६,४७, १२,११६ केसवठिअणह (केशापस्थितनख) ज ६।१३८ केस (कीदृश) ३।१२२ केसर (केस) प ११४८।४५,४६ ज ३।२४:४१३, ७,२५७१७८ केसरिइह (केसरिद्रह) ज ४२६२ केगलोय (केश-नोच) ३५४३ केसि (केशि) उशना२९ केसुय (fid.) ३१५ कोइल (काल) १५:३।३५ 3 ५५ कोइलच्छदकुसुम (पिछदकुसुम) प १७१२५ कोइला (विला) १७६ होउय ( क) MIR,3,८२,८५,१२५,१२६, ०२२७१।१६०,१२१३।११।१७ कोउहल कौतुहल ज १३२ कोऊहल ( ह) ग ५१२६ कोऊहरूवत्तिय (कौतुहल प्रत्य) ज २७ कोणग (कोकण) पश८६ कोंच (क्रौञ्च) प ११७६,८६ उ ५५ कोंचारव (क्रौञ्चारब) ज ३८६,१०२,१५६,१६२ घोंचस्तर (क्रौञ्चस्वर) ज २।१६,५।५२ कोंडलग (कुण्ड रक) २०१२ कोत (कुन्त) १३,३५ कोतिय (दे०) ज २१३६ लोमड़ी कोणद (कोकनद) प ११४६,११४८१४४ फोकासिय (दविकसित) ज ३११०६ कोकुइय (कांकुचिक) ज ३१७८ कोक लिय (द) ११६६,११५२१,२३ कोज्जय (कुमक) ३।१२,८८,२१५८ कोटेज्जमाण (कुटन) ज ४।१०७ कोट्टणी (दे०) ३१३२ कोट्ठ (कोष्ठ)ज ३।३२ कोट्ठग (कोष्ठक) प २३०,३१,४१ कोयुड (कोप्ठगुट) ज ४११०७ १. हे ० १।२६ कोडाोडि (काटिकाटि) प २१४६,५०,५२,५३, ५५,५६,६३ ; १२२७,३२,१८१४२,४४,४६, २३१६० से ६४,६६,६८,६६,७३ से ७७, ८१,८३,८५ से १२,६५ से १६,१०१ मे १०४,१११ से ११४,११६ से ११८, १२७,१२६ से १३१,१३३,१७६,१७७, १८२,१८३,१८६,१८७,१६० ज १६, ५१,५४,१२१,१२६,१५४,१६०,१६३,७११, १७० कोडि (कोटि) प २३०,४६,५०,५२,६२,६३,६४ ज ११२०,२३,४८,०६, ३।२४,१७८,२२१; ४११,२१,५५,६२,८१,८६,६८,१०८.१७२, ५६८ से ७०६८।१७।१। १ १।१४,१५, २१,१२१,१२२,१२६,१३३,१३६,१३७,१४०; ५११० कोडिकोडि (कोटिकोटि) यू १८१४१६६१११,५१३, ८।३,१११४,१५१४,१६।१६,२११५,८, १६।२२।३.१६।३१,३५,३८ कोडिगार (कोटिकार) प १९७ कोडो (टि) सु १६५१४,१५।१,१८,२११२ फोडीवरिस (कोटिव) ५११६३१५ कोबिय (नट म्बिक) प १६४१ उ १।१७,१८, ६२,१२३,१३१,३१११,१०१४।१६,१७, ५।१०,१५,१६,१८ होतुक (कौतुक) मू २०१७ कोत्तिय (दे०) उ ३.५० कोत्थंभरि (कुस्तुम्बरी) ज ३१११६ कोत्यलवाहग (दे०) १५५० कोदंडिम (कुदण्डिम) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८, Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८८६ ६६,७४, १४७, १६८,२१२,२१३ कोसा ( कोरदूष ? ) प ११४५॥२ कोव ( कोद्रव ) प ११४५।२ ज २१३७३।११६ कोद्दाल (दे० ) ज २८ कोमल (कोमल) ज २ १५; ३३१०६,२८८ उ ३शह कोमुई ( कौमुदी ) ज २०१५ कोरंट (कोरण्ट ) ज ३४१७८५१५८ कोरंट ( कोरण्टक ) प ११३८ । १ ज २।१०; ३।१२,८८ कोरग (कोरक) ज २११२ कोरव्व (कौरव्य ) प १।६५ कोरेंटमल्लदाम (कोरण्टमाल्यदामन् ) प १७११२७ कोलट्ठिय ( कौलास्थिक) सू १०।१२० कोलव (कौलव) ज ७।१२३ से १२५ कोलसुण ( कोलशुनक ) प ११६६ ज २३६,१३६ कोलसुणय ( कोलशुनक ) प १११२१ कोलसुनिया ( कोलशुनिका ) प ११।२३ कोलालिय ( कौलालक ) प ११६६ कोलाह (कोलाभ ) प १७० कोलाहल ( कोलाहल ) प २०४१ ज २।१३१ कोस (क्रोश ) प ३६१८१ ज १७,३५,३७,४२, ५१; ४७,६,१४,१५,२४,३१,३३,३६,३६,४१,४३, ४६,५६,६६,६८,७०,७२,७६, ६३, ११२, ११४, ११५,११६,१२०, १२२, १३४, १३७, १४७, १५३ से १५५, २४२, ७/१७७१३, २०७ सू १:१४; १८ ११,१२ कोस ( कोष) ज २२६४, ३१३,१७५ ४६६ ७ १७७ उ १६६,६४,६८ atia ( कोशाम्र ) प ११३५।१ कोसंबी (कौशाम्बी ) प ११६३।३ कोसल ( कौशल ) प १६३२ कोसलग ( कौशलक) उ १११२७ से १३०,१३२ कोसलिय ( कौशलिक) ज २/६३ से ६७,७३ से ८२,८६ से ६० कोसा-खंडाभेद कोसागार ( कोशागर ) ज ३१५१ कोसिया (कौशिक) ज ७ १३२१३ सू १०११११ कोसेज्ज ( कौशेय ) ज ३१२४१३,३७३१,४५३१ १३१।३ कोह (क्रोध) प ११ ३४११, १४३,५,७,९,११ से १५,१७,२२१२०, २३६,३५,७० से ७२,१८४ ज २।१६,६६, १३३ उ ३/३४ कोहसा (क्रोधान् ) प ३६८, १३१४, १६; १८/६५ २८।१३३ कोहसाय (कोधकपाय ) प १४५१,२ कोहसा परिणाम ( क्रोधकषा परिणाम ) प १३।५ कोहका (कोषान् ) प ३६८ कोहणिस्सिया (क्रोधनिश्रिता ) प ११:३४ कोहसंजलना ( क्रोधसंज्वलन ) १२३।६६, १४० कोहसण्णा ( क्रोधसंज्ञा ) प ८१,२ कोहसमुग्धाय ( क्रोधसमुद्घात ) प ३६।४२, ४४ से ५१ ख खरसार ( खदिरसारक ) प १७।१२५ खओवसमय (कायोपशमिक ) प ३३|१ खंजण ( खञ्जन ) प १७।१२३ खंजण (दे० ) सू २०१२ राहु का नाम खंजणवण्णाभ ( खञ्जनवर्णाभ) सू २०१२ खंड (खण्ड ) प १३।२५; १७/१३५; ३३।१३ ज २।१७, ६।६।१,६३७ उ ११४,१५,२१ खंड (खण्डक) ज ४११७२११६६॥७ खंडवा (खण्डपातगुफा) ज ३११५४, १६१ से १६३ खंडप्पवायकूड (खण्डप्रपातकूट ) ज ११४१ खंडवाया (खण्डप्रपातगुफा) ज १।२४; ३।१४६,१५०,१५५ से १५७,१५६ से १६१; ४१३५; ६।१६ satकूड (खण्डप्रपात गुहाकूट ) ज १३४ खंड (खण्डक) प १११७४ खंडाभेद ( खण्डभेद ) प ११७६ Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खंडाभेय-खाइम खंडामेय (खण्डभेद) प १११७३,७४ खंडिय (खण्डित) ज ७४१३४।१ खंति (क्षान्ति) ज २१६४,७१:३।१०६ खंतुं (क्षन्तुम् ) ज ३११२६ खंद (स्कन्द) ज २१३१ खंदग्गह (स्कन्दग्रह) ज २०४३ खंध (स्कन्ध) प ११४,३५,३६,४७११,११४८३१२, २२,३२,३६,३।१७६; १२५,१२७,१३४, १३६,१३८,१५४,१६६,१६६,१७२,१८१,२२७ से २३२,१०७ से १४,१०११४१५.६; १३१२२।१,१६५३६,४३ : ३०।२६,२८ ज ३११८,७८,९३,२१२,२१३ ; ४११४६,५५५ ७१७८ उ १६७,१२१,१४०,३१११४ खंधावार (स्कन्धावार) ५११७४ ज ३।१८,२८, ३१,३२१२,४१,४६,५२,६१,६६,८१,८८,६५, १०१,११५ से ११७,११६,१२१११,१२२, १२४,१३१,१३५,१३७,१४१,१५१,१५६, १६४,१६७।२,१७२,१८० उ ११११५,११६, १३३,१३४ खंभ (स्तम्भ) ज ११३७, ३१६६ से १०१,१६३; ४।६,२६,२७,३३,१२०,१४७,२१६,२४२; ५३३,४,२८,३२ सू २०१४ खंभच्छाया (स्तम्भछाया) सू ६।४ खग्ग (खड्ग) पश६५,२२४६ ज ३।३१ ४१२००१ खम्गपुरा (खड्गपुरा) ज ४।२१२,२१२।४ खग्गरयण (खड्गरत्न) ३.१०६ खचिय (खचित) ज २३७, ३१२११५१५८ खज्जग (खाद्यक) उ ३.१३० खज्जलग (दे०) उ ३१११४ खज्जूरसारय (खजूरसारक) प १७।१३४ खज्जरी (खरी) प ११४३१३ खज्जूरीवण (खजूरीवन) ज २६ खट्टोदय ('खट्ट' उदक) प ११२३ खड्डाबहुल ('खड्डा' बहुल) ज ११८ खण (क्षण) ज ७/११२ सू १०११२६५ इखण (खन्) खणंति ज ५११३ खणित्ता (खनित्वा) ज ५१३ खतय (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खत्तमेघ ('खत्त'मेघ) उ २११३१ खत्तिय (क्षत्रिय) ज २१६५, ५१५,४६ खिम (क्षम्) खमई ज २१६७ खमंतु ज ३।१२६ खामेमु ज ३११२६ खम (क्षम) ज २१६४ खमा (क्षमा) ज ३११०६ खय (क्षय) प ३३१११ ज ३११२३ उ १११३६ खयकर (क्षयकर) ज ३।११७ खर (खर) प २१८,२०,१११६ से २० ज २११३३ खरमुही (स्वरमुखी) ज ३।१२,३१,७८,१८०,२०६ खरय (दे०) सू २०१२ राहु का नाम खरोट्ठी (खरोष्ट्रिका) प ११९८ खल (खल) ज २१६६ खलंत (स्खलत्) ज २११३३ खलु (खलु) प ११४८।५२,६१८०।११७४१५०, १५२,१५५;२३।३,६,३६८२ ज १४६ सू१।१२ उ १५, १२,३।२४।२,५२ खल्लू ड (खल्लूट) प११४८७ खव (क्षपय्) खवेइ सू १६१२२ खवइत्ता (क्षपयित्वा) प ३६।१२ खवय (क्षपय्) खवयति प ३६१६२ खवेइ सू १६।२२।१८ खवेति प ३६४१२ खवय (क्षपक) प २३११६१,१६२ खवल्लमच्छ (दे०) ५ ११५६ खवेता (क्षपयित्वा) प ३६६६२ खस (खस) प ११८६ खसर खसर) ज २११३३ खहचर (खेचर) प ११५४,७७,६१३१८३; ४।१४६ से १५७, ६७१,७६,७८,६४,२११८, १७,३५,४७,५३,६० ज २११३१ खाइम (खाद्य) उ ३.५०,५५,१०१,११०,१३४; ४१६ Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ खाइय ( खादित) उ ११५१,५४,७६,७२ खाण ( स्थाणु) ज २१३६६४१२७७ खाबहुल (स्थावल ) १११८ खात (खात) प २१३० खाय ( खात) प २१३१,४१ ज ३।३२ खार (क्षार) १७६ खारतउसी (क्षारत्रगुणी ) प १७३१३० खारतजसीफल ( क्षात्रपुपीकल ) प १७।१३० खारमेघ (क्षारमेघ) ज २२४२, १३१ खारोदय ( श्रारोदक) ११२३ खासीय (खाशिक ) प ११८६ खिखिणी ( किंकणी ) ज ३१३५ खिल (खि) खिसति उ ३।११७ विज्जिया (विस्यमान) उ २।११८,१२३ खियामेव ( चिप्रमेव ) २८१०५ ३४११६,२१, २४ ज २१६५,६७, १०१, १०५, १४०७, १०६, १११११४,११५,१४१ से १४५; ३७,१२, १५,१८.१६,२१,२५,२८,३१,३२,३८,३८, ३०४६,४६,५२,५३,५८,६१,६२,६६,६६, ७०, ७४, ७७,८०.८३,९१.६६.०६.१००. ११५.११८.१२१.१२४,१२८.१३२.१४१, १४२१४७,१६० से १६४.१६८, १७३, १७५, १८०, १८१.१८३,१६१.१६६.२०७.९२२ २१३, ५१३,७,१४,१५२२,२८,५४,६८ रो ७०,७२.७३ खीन (क्षीण ) २६ ३१२२५ atraara (क्षीणपाय ) प १।१०२,१०८ से ११०,११५.११७ से १२३ खोर (खीर) प १४२३१ लीकी खीर (धीर) प १५ । ५५।१६ १७ ११६,१२८ सू १०।१२० उ ३।११८,१३० खोरकाओ (क्षीरकाकोली ) ११४८ खीरपुर (सीपुर ) प १७३१२८ खीरमेह (श्री मेघ) १४२,१४३ खोवर (ब) सू १६३१ खरिणी (ओरिणी ) प १३२ खीरोद ( श्रीराद) ज ६,६८ खीरोग (क्षीरोदक) ज २०१७ से १००,१११, खाइय-खेत्त ११२:५१५५ खीरोदय (श्रीगोदक ) ग ११२३ ज ५१५५. खोरोदा (क्षीरोदा ) ज ४।२१२ खीरोया (क्षीरोदश ) ज ४।२१२ खोलग ( कीलक ) ज ७।१३३१३ खील संठिया ( कीलक्स स्थित ) सू १०/४८ खोलच्छाया (कीलछायः) सूबाट खोलिया (कीलिका) प २३१४५.६८ खु ( खलु ) ३।२४ ३१ १७४१६०,८३,११३ खुज्ज ( कुटज) प १५/३५२३।४६ ज ३।११।१,८७ खुज्जा ( कुब्जा ) १०१६ खुड्ड (क्षुद्र) खुड्डग (क्षुद्रक) ज ४।१३६ खुड्डार (शुद्रतर) ज ४१५४ खुड्डाग (क्षुद्रक ) प १९५ खुड्डा (शुद्रक) सू २०१४ खुड्डिया (क्षुद्रिका) ज ४१६०,८३,११३ खुभिय (क्षुभित ) २६५ खुर (र) ३३०, १७८ ज खुरप ( प्र ) प शर० से २७१५५ ज ३।३० खुल्ला (क्षुल्लक) पाट खुहा (क्षुत्रा) (२२१११ १२ खेड (खेट) प ११३४ ज २२२१३१३११८,३१, ८१,१०,१८५,२०६,९२१ ३ १०१ खेडग (खटक) २०३५ खेड (खेटक ) ज ३१३१ खेड्डकारग ( खलकारक ) ज ३१७८ खेत (क्षेत्र) २२६४३११२६१२३२८१४१५ १४११८११; १५५२,१७/१०६ से १९१; २८।२०,३२,६६,३३१२,३,१०,१२,१३,१५ से १८, ३६।५६,६०,६६ से ६८,७० से ७४ जरा६६३३७१२० से २५, २६, ५२,५४, ७६ से २,६५,६६ सू १|१४; २३३|१: Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ खेत्तओ-गंध ८८६ ६.१; ६।१:१०१४,५,१७३; १९२२॥२५. प६.११८ खेत्तओ (क्षेत्रतस्) १११।४८,५०,१२१७,८,१०, गइपरिणाम (गनिरिणाम) प १३१२३ १२,१६,२०,२७,३२; १८१३,२६,२७,३७,३८, गइप्पवाय (गतिप्रपान) '१६।१७,५५ ४१,४३,४५,५६,६४,७७,८३,१०८,११७; गइरइय (गति रतिक) ज ५५,५८ २८१५,५१, ३५१४ ज २६६ गंगदत्त (गङ्गदत्त) उ ३।१३,१६० खेत्ततो (क्षत्रतस्) प १८।१०,६२,६५ गंगष्यवायकुंड (गंगाप्रगानण्ड) ज ४।२५,२६,३१, खेत्ताणुवाय (क्षेत्रानुपात) प ३।१२५ से १७३, १७५,१७७ गंगा (गंगा) ज १११८,२०,४८,२१६१,१३३, खेत्तारिय (क्षेत्रार्य) प ६६२,६३ १३०, ३११,१४,१५,१८,१४१,१४३ से १५१, खेत्तोववातगति (क्षेत्रोपपानगति) प १६१२५ खेत्तोववायगति (क्षेत्रोपपातगति) प १६१२४ ३६,१६७,१७,२७४; ५५५६।१६ से ३०३२ सू २०१७ उ १९७३०५१,५६,६८ खेम (क्षम) प २१३०,३१,४१ गंगाकुंड (गंगाकुण्ड) ज ११५१४।१७५१७६ खेमकर (क्षेमकर) जरा५६,६० सू२०१८,२०१८७ गंगाकड (गंगाक्ट) ज ४।४४ खेमंधर (क्षमंधर) २१५६,६१ गंगाकूल (गंगाकूल) उ ३.५० खेमपुरा (क्षमपुरा) ज ४।१८१,२००।१ गंगादीव (गंगाद्वीप) ज ४१३१,३२ खेमा (क्षमा) ज ४।१७७,२००१ गंगादेवी (गंगादवी) ज ३।१४०,१४१,१४३,१४५, खेल (श्वेल) प १८४ खेल्लणग (खेलनक) उ ३।११४ गंगावत्त (गंगावतं) ज २११५ खेल्लणय (खेलनक) उ ३।१३० गंगावत्तणकूड (गङ्गावर्तनकूट) ज ४।२३ खेवणी (शेपणी) ३३१ गंज (गजा) ११॥३७५ खोत (क्षोद) प १५१५५११ गंठि (प्रन्थि) प ११४१३८ ईख खोतोदय (क्षोदोदक) प ११२३ खोदवर (क्षोदवर) सू १६६३१ गंड (गण्ड) प १६५:२२५० ज ४।१३,५१६७; खोदोद (क्षोदाद) सू १६।३१ 15८ खोद्दाहार (क्षौद्राहार) ज १३५ से १३७ गंडतल (गण्डतल) ५२१३०,४६ खोम (क्षीम) ज ४।१३; ५१६७ सू २०१७ गंडयल (मण्डतल) प २३१४१ खोमिय (क्षौमिक) सु २०१७ गंडलेहा (गण्डरखा) २०१५ गंडीपद (गगडीपद) प ११६२ गंडीपय (गण्डीपद) प ११६५ गइ (गति) ए ४८ ज ११५,७१,१३३,३३, गंडूयलग (गण्डमदर) प १४६ १३८,१७८,५१२१, १२१,२५,५५,५८,८१, गंता (गत्वा) ग ११७२३६।३२ ज ३।२५.३८, १७५,१७८ च ४११ सू११६,१।८।१; १६२२१२२ गंतूण (गत्वा) प २१६४।२,३ गइकल्याण (गति वाल्याण) १८१ गंध (गन्ध्र) ध ११४ ३ ०१,४१,४६; गइनामणिहताउय (गतिनामनिधत्तायुष्क) ३११८२७५११०,१२.१४.१६.१८,२०,२४,२८, Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६० गंधओनाच्छ ३०,३२,३४,३७,३६,४१,४५,५३,५६ ५६, ६१.६३,६८,७१,७४,७६,७८,८३,८६,८६, ९१ ९३,६७,१०१,१०४,१०७.१०६,१११, ११५,११६,१२६,१३८,१५०,१५२,१५४, १६०,२०७,२११,२१४,२२८.२४२,२४४; १०॥५३।११११५५,१५३८,४२,१५१५५१२ १७१११४११,१७:१३२ से १३४; २३।१५ १६. १६,२०,१६०,२८१२०,३२,६६,३६८०,८१ ज ११३,२१७,१६,१८,१२०,१४२१६४, २११:३१३,७.६.११.१२,२१,३४.७८,८२, ८५,८८.१०६,१८०,१८७,२०६,२११,२१८, २२२,४।८२,१०७,१०६:५।५,७,२२,२६, ३२,५५,५८,७।२०६ सू २०१७ उ ११३५; ३१५०,११०।५।२५ गंधओ (गन्धतस्) प१५ से६१११५६२८१८, २०,२६.३२,५४,५६ गंधकासाइय (गन्धकासायिक) ज ३।६,२११,२२२; ५५८ गंधचरिम (गन्धचरम) प १०१४८४६ गंधट्टय (गन्धाट्टक) ज ५११४ गंधणाम (गन्धनामन्) प २३॥३८,४८,१०६,१०७ गंधतो (गन्धतस्) प १७ सेह गंधदेवो (गन्धदेवी) उ ४।२१ गंधदधुणि (गन्धध्राणि) ज २११२ गंधपज्जब (गन्धपर्यव) ज २१५१.५४,१२१,१२६, १३०,१३८,१४०,१४६,१५४,१६०,१६३ गंधपरिणाम (गन्धपरिणाम) प १३१२१,२७ गंधमंत (गन्धवत् ) प १११५.२,५५,२८१५,५१ गंधमायण (गन्धमादन) ज ४।१०२,१०४ से १०८, १६२,२०४,२१५ गंधमायणकूड (गन्धमादनकूट) ज ४११०५ गंधवट्टिभूत (गन्धवर्तिभूत) प २।३०,३१,४१ ज ३७,८८,१८४,१६३,५५७ सू २०१७ गंधवाट्टिभूय (गन्धवतिभूत) ज ५७ गंध (वासा) (गन्धर्षा) ज ५१५७ गंधव (गन्धर्व) प १११३२,२१४१,४५,६१८५ ज ३।११५.१२४,१२५७।१२२।३ सू१०१८४१३ गंधव्वछाया (गन्धर्वछाया) प १६१४७ गंधवलिवि (गन्धर्व लिपि) प १९८ गंधव्वाणीय (गन्धर्वानीक) ज ५१४१,४४ गंधहत्थि (गन्धहस्तिन) उ ११९६ से १६,१०२ से २ १११२१ गंधादेस (गन्धादेश) प ११२०,२३,२६ २६,४८ गंधावइ (गन्धापातिन) ज ४२६६ गंधावइवट्टवेयड्ढपव्वय (गन्धापातिवृत्तवैतादय पर्वत) ज ४।२६२ गंधावति (गन्धापातिन् ) प १६।३० गंधाहारग (गन्धारक) प १३८६ गंधिल (गन्धिल) ज ४।२१२,२१२।३ गंधिय (गन्धिक) प २।३०,३१,४१ ज ३१७,१२, ८८,२११,२२१,४।२६,५१७,५८ उ ३।१३१ गंधिलाबई (गन्धिलावती) ज ४११०३,२१२, २१२१३ गधिलायइकर (गन्धिलावतीकूट) ज ४।१०५ गंधोदग (गन्धोदक) ज ५७ गंधोदय (गन्धोदक) ज ३१६,२२२ गंभीर (गम्भीर) प ११५१:२१२० से २७,३०,३१, ४१ ज २०१५,६८,३१३५,१३८।१,४।३,१३, २५:०२२ से २४७।१७८ सू २०१७ गंभीरमालिणी (गम्भीरमालिनी) ज ४।२१२ गगण (गगन) ल ११२६,२।६८,३।१७८,४।४६ गगनतल (गगनतल) प २१४८ ज ३३१७८,५१४३ गग्गर (गद्गद) ज १७८ गच्छ (गम् ) गच्छ ज ३१८३,१७० उ ११५४ गच्छइ ज ४।२६८ २७४; १२२,२६,७।२० से २५,७६ से ८४,९५६८ से १००,१३५; ७।१३५११ च ११ सू ११६११ गच्छं ज ३।१५४,१७० गच्छति प ६१६६.१०५, ११०,३६३८३ ज २१४६,७१३६ से ४८ गच्छति प १६३४,४१,४२,४४,४५,४७,५१, ५४,३६.८२,८३।१ सू २१२ Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गच्छमाण गव्भवक्कंतिय गच्छह ज ३।१२५, १२७ उ १।४४ गच्छामि ज २१०३२६,३६,४७, ५६. १३३.१४५; ५।२२ उ १।१७;३।२६ गच्छामो ज ३।१३८; ५२३ गच्छाहि ज ३।७६, १२७, १२८, १५१ गच्छदि १९४१: ३।१८४।२६:५१४३ गच्छहिति ज २११३५ से १३७ गच्छेज्ज ३६६१ गच्छमाण (गच्छत् ) सू २२२०/२ गच्छित्ता ( गत्वा ) ज ५ १४ ~ गज्ज (गर्ज ) गज्जंति ज ५१७ गज्जिय (मंजित) ज ३२१०४, १०५ ७२१७८ गड (ग) ज २१३८१३१३२६६३३५.५. मढिय ( ग्रथित) उ ३१११४,११५,११६ गण ( गण ) प २०३०,३१,४१,४८,३० से ६३ २६४/१५ ज १३१ २२८,१२,१३,२०,३६, ४१,६४,४३,२५१६४२२१०, २१:२०६२४ उ ४।११५१५ गणग ( गणक) ज ३४९,७७,२२२ गणणा (गणना) चं ११३ गणधम्म ( गणधर्म ) २०१२६ गणनाय ( गणनायक ) ज ३१६,७७,२२२ गणराय ( गणराज ) उ १।१२७ से १३०,१३२ गणहर ( गणधर ) प १६१५१ ज २७३,६५,६६, १०० से १०२,१०४ सू २०१२/४ गणहचिया ( गदधरचिता) २०१०५ से ११२,११४ गावच्छेय (गणावच्छेदक ) प १६।५१ वणि गणिन् ) प १६।५१ ज ३३५, १६७ चं १।३ गणिमाण ( गण्यमान) १२३ से ६,१५ गणितलिवि (गणितलिपि ) प ११६८ गणिय ( गणित ) ज २२४,६४, ३ । १६७३३,६७,८ पणिय ( गणितपद) ज ६८१ गणिया (गणिका) ज ३११२,२८,४१,४९,४८, ६६.७४, १४७, १६८,२१२.२१३५.१०. १७ ८६१ गत (गत ) प २३०, ३१.६३ १७२१०७,१५१. १५४२११५२,५५,७७३४२०३६०३२, ३६६६६८ सू २२३,६१३१३७,९,१२,१४ से १६:२०१७ गति (गति) प ३|१|१,३२३८, २९१०१५३०१ १६३६,४०,४३,४६,५५१७११४।१० १८|१|१:२३३१३ से २३३६।८३१२ सू २१३,१५।१,३७,१८1८ गतिचरिम (गतिचरम ) प १० ३१ से ३३ गतिणाम (गतिनामन् ) प २३1३८,३६,८१ से ८४, १४६, १४८, १४९,१७१,१७२ गतिणामनिहाय (गतिनामनिधातावुष्क) ६११६, १२२ गतिपरिणाम (गतिपरिणाम ) प १३१२, ३, १४,१६ से २१,२३ गतिमाता ( गतिमात्रा) सू १५/५ से ७ गतिरतिय ( गतिरतिक) सू १६:२३, २६ गतिसमावण्ण ( गतिसमापन्न ) सू १०।१७०; १५ ।५ से १२ गतिसमावण्णय ( गतिसमापन्नक) सू १२ २३,२६ गत ( गात्र ) प २०३१३१६,२२२०४१२६ ५५७१७८ गम (गर्दभ ) प १६३ गन्भ (गर्भ) प २६; १७ १६६, १६७,१६९ से १७२ ज २१८५३१३ उ ११५० से ५२, ५४,७४,७६,७७,७९ गम्भवतिय (गर्भावान्तिक) १२६०.६६. ७५,७६,८१,८२,८४,८५,१२६; ३१८३; ४११० से ११२,११९ से १२१,१२८ से १३०,१३७ से १३९,१४६ से १४५, १५५ से १५७,१६२ से १६४६२२,२४,६५,६६, ७१,७२,८४,१७,६८,१०८, ११३६७, १०, १७,२३; १६।२८, १७१४३, ४७,६३,६४,६६, ६७,८१३२१९,१०,१२,१२,१५ से २०, ३१, ३४,३६,४३ से ४०, ५३, ५४,७२ Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६२ गमवसहि-गवेसित्ता 21१६ गयवति (गपति) ज ३।१२६।२ गयवर (बर) जा६१ गयविक्कम (गनविक्रम) १३३।३ गयविकामसंठिय (जविक्रमथित) सु १०१५३ गरह (गई.) रति उ ३३११७ गरहेहि उ३।११५ गरहिज्जमाण (गई यमान) उ ३१११८ गराइ (गर) ज १२३ मे १२५ गरुय (गुरुक) प ११४ से ६:३।१८२:५॥५,७, २०६१५।१४,१६,२७,२८,३२,३३,२८४२०, गब्भवसहि (गर्भवमति) प २१६४ गभिणी (गभिगी) ज ३।३२ गम (गम) प १५१४३,२३।१६७ ज २५६, १५६:३१३,१८३,२०३,२१७४११३६, १४०११,१६७,२४३,५१४० मू का? गमण (गमन) ज ३१६,३५,८५.१८३ उ ११४२, ८८,१२६:३।१२७,१२८ गमणिज्ज (गमनीय) ज २६४,३११८५,२०६ ५॥५८ गमय (गमक) प ५११७६१७1८,३५. गमित्तए (गन्तुम्) उ ४३११ गय (गज) प १३० ज १५.६५,३११५,१७, २१,२२,३१,३४ से ३६,७७,७८,६१,१७३, १७५,१७७,१७८,१६६ उ१११२३,१३८, ५११८ गय (गत) १६४१:१७।१०६,१११:२११५५ ज २१५३१८,१३८७।१३३१३,१३५ चं १।१,२ उ ११२५,४६,५१,५४,६४,७६,७६ ८८,८६,६१,१११.११२,१२१,१३८, ३.१५,३५,५१,५६,८४,१२१,१६२:४।२४; ५.१३,२०,२७,३१,४० गयंद (गजेन्द्र) चं १११ गयकण्ण (गवाण) प १९८६ गयकलभ (गजकलभ) प १३।१२३ गयछाया (गजछाया) ११६१४७ गयण (गगन) ज ३१३ गयणलल (गगनतल) ज ५।४३ गयतालुय (गमतालुक) प १७४१२६ गयदंत (गजदन्त) ज ३।३५,४११०३,७।१३३।३ गजदतठय (मजदतगस्थित) सू १०५१ गयपुर (गपुर) प १९३२ गयमारिणी (जमारिणी) प ११३७५ गयरूवारि (नजरूपधारिन् ) ज १७८ म् १८।१४ गयव३ ( पति) प २१४६ ज ६।१७,१२६१२, १७७,१८३,२०१,२१८७१११२४,१३१; गरुयत्त (गुरुकरका) प १५३४४,४५ गरुयलहुयपज्जव (गुरुक रघु पयंत्र) ज २१५१, ५४,१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४, १६०,१६३ गरुल (रुड) प २।३०,३१ ज ३।१०६४१२०८ च १२ गरुलम्वूह (माटव्यूह) उ १।१४,१५,२१,१३६, गल (पल) ज २११५७१७८ गल (गत्) चं १११ गिल (ल) इ उ १५१ गलय () ज १७८ गललाय (गालात) ज ३११७८,१७८ गल्ल (गल्ल) ज ५१% गवक्ख (वाक्ष) जे १९२०४१६ गवय (गबय) प ११६४ ज २१३५ गवल (गवल) प २१३१,१७।१२३ ज ३१२४ गवलवलय (गवलवलय) प १७११२३ गवेलग ( वेलक) ज ३११०३ गवेलय (विलक) ज २११३१ गवेस (वेम्) वेसइ उ ३६११४ गवेसग (गवेपक) ज ३११०६ गयेसणा (वेपणा) ज ३१२२३ सु २०१७ गवेसित्ता (वेपयित्वा) उ ३३११४ Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गविष-गाहेता गव्विय (वित्त) ज ७।१७८ यह (ग्रह) १०१३३:२२ मे २७,४८ से ५१. ६३ ज ११२४, ७ १७७३ १८०, १६१, १८६, ११७ १०।१७१ से १७३१५१.१०.१३ १८१४१८१२३७१९४१,५१२८१२, १६।२२१३.६, ९, १०, २१,२०,२६,३१:२०१८ ग्रहगण (प) ४३०१,१७,२१,३४,१०७,२२२; ७१५५, ५८, १८०, १८१.१६७, सू १८१८ १६।२२, २३, २६:२०३५ २०१२५४१ गहण ( मन ) प १।४८।५३ से ५५ ११०५३, ५५, ५७. ५२, ७१: १६१६५२२१५.०० १७१ महणया ( ग्रहण) उ १०१७ महत (त्व) २८३ शहर (दे० ) प ११७e मदिरा (मान) १६ मे १९४ ज ७।१७८११, १६१,१६२ ३१,३२ हाय (गृहीत्वा ) प ३६८११२६७ ३१५० गहिण (हत्या) ज ३०२४ गहित ( गृहीत ) सू २०१२, ६२३३१५५ महिष (गृहीत) १८८, ११, १५, २४१६१२४७१७२३३१२, ७७,८८ १०७, १२४ ४७,३८ ११३८ ३१६३,७०,७३ गहिर ( गंभीर ) प २१४ *()*XX* गाउय (ब्यून ) प १३५२१६४२१४२,४४,४६, ४७११.२०२४८२३२६.४५ J ४१६६१०३, ११०,१४३, १३०.२०३,२२६, ७६०, १८२ गाउयपुत्तिय (व्यूत पृथवित्वा) १७५ गागर (दे ) प ११५६२३ गात (३४२११, २०१८ गाम (न) ११७४१६१२२२११९२.६३ २१२२.६६७०.१३१.२०१६.३१.३२.०१. १६७२, १८०.१८५,२०६, २२१३३।१०१. ५१३६ गामकंटय (कण्टर) ५१४३ गामिण (समणिमण' ) प ८४ गाममारी (ग्राममारी) ज २१४३ ग्रामरोग (ग्राम)२४३ गाय (गो) १२१४ गामाणुयाम (गानुम) १४२१७३२६,६६, १३२:५/३६ ८६३ नाम (१।१११.११२ गाय (गो) प ११४ गाय (धन) १७०१३४ २०१५, १८२८२. २११५५३५० गायंत (यत्) ३०१७ गारव (ग) ३५३ गारविय (गौरव) सू २०१६१२ गालण ( गालन ) उ ११५१, ७६ लिए) उ ११५२.७६.७७ यामाण ( गालगत ) उ५।२५ गावी (यो ) ज २१३४ गाह (ग्रह) प ११५५.५८ गाह (ह) माहिति ) ज २०१६४ गाहा (गाया ) प १४० २०४० १५०५५ १०१७, १६.२५ गाहाव (गृहपति) ज ४११८१,१०३, १८४,१८६, १९५३।१०,११.१३,२१.१५८,१६०,१६६० ४१७ से १,१६,१८ हाइकुण्ड (पछि ६४१८२१९४ गाहायइणी (गृहपत्नी) उ४ गावइदीप (गृहपतिद्वीप) ४।१८२ गाहारयण (बृहपतिरत्न ) ज ३११, १२०, १७८,१६,१५५१०६, २१०, २१६, २१६, २२० गाहावइरयणत ( गृहपतिः) २०५८ गार्हता (ग्राहयित्वा ) ज २२१३४ Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ५६४ गिण्ह-गुत्ति गिण्ह (ग्रह.) गिण्हइ ज ५१६०,६६ उ ११५७ किण्हति ज ५।१४,१७,५५ उ ११४५ गिण्हह उ ११४४ गिगहेइ उ ११४८ गिण्हउकाम (ग्रहीतुकाम) उ १११०५ गिण्हमाण (गह णत् ) प १११७० गिण्हित्तए (ग्रहीतुम्) उ ११११६ गिरिहत्ता (गृहीत्वा) ज ५११४ सू २००२ उ ११४५ गिण्हेऊणं (गृहीत्वा) उ ३६८ गिण्हेत्ता (गहीत्वा) उ ११४८ गिम्ह (ग्रीम) ज २१६४,७०,७११६४,१६७ सू८।११०।७१ से ७४;१२।१४ उ ५।२५ गिरिकुमार (गिरिकुमार) ज ३११३३,१३६ गिरा (गिरा,गिर्) ज २०१५ गिरि (गिरि) ज २.१५,६५,१३१,१३३,१३४; ३।३२,७६,७७,१०६,१२६.४,१२८,१३८, १५१,१७०,१८५,२०६,२२१,४।२३४,२४० गिरिकण्णइ (गिरिकर्णी) प ११४०१५ अपराजिता गिरिदरी (गिरिदरी) ज ३।१०६ गिरिराय (गिरिराज) ज ४२६०।१सू ५१ गिरिवर (गिरिवर) ज २१६५,३।३,८८ गिल्लि (दे०) ज २१३३ गिह (गृह) ज ३।३२,१८३,१८६ उ ११४२,४४, १०८,३१२६,१००,१०१,१३१,१४१,१४८; ४११२,१३ गिहिलिगसिद्ध (गहलिङ्गसिद्ध) प १११२ गीत (गीत) प २१३०,३१,४१ सू १८१२३; १६१२३,२६ गीतजस (गीतयशस्) प २१४५,४५।२ गीतरति (गीतरति) प २१४५ गीय (गीत) ५ २१४१,४६ ज ११४५,२०६५; ३.८२,१८५.१८७,२०४,२०६,२१८,५१, १६.७५५,५८,१८४ गीयरइ (गीतरति) प२४२ गोवा (ग्रीवा) ज २०१५ गुंजत (गुञ्जत् ) ज २११२ गुंजद्ध (गुजार्ध) ज ३।३५,१८८ गुंजद्धराम (गुजार्ध राग) प १७।१२६ गुंजालिया (गुजालिका) प २।४,१३,१६ से १६, २८,१११७७ गुंजावल्ली (गुञ्जावल्ली) प १।४०१४ चूंघची गुंजावाय (गुञ्जावात) प १।२६ गुच्छ (गुच्छ)प १३३।१,३७१।४८१६,६१ ज २।१२,१३१,१४४,१४६ उ ५१५ गुच्छवहुल (गुच्छबहुल) ज ११८ गुज्म (गुह्म) उ ३११ गुझंतर (गुह्यान्तर) ज ४१२१ गुण (गुण) ५२१६४११३,१७,५१३६ से ३८,५८ से ६०,७३ से ७५,८८ से १०,१०६ से १०८, १४६,१५०,१५१४ से १६,२७,२८,३२,३३, ५७,२०१७,१८,३४,२८१२०,२६,३२,६६, ३४/२० ज २०१५,६५,३।३,३२,११७११, ११६,१८६,२०४,२०६५५६,६८,७० ‘गुणड (गुणाढ्य) ज ३३२।१ गुणनिष्फपण (गुणनिष्पन्न) उ १२६३ गुणरयण (गुणरत्न) ज ५१५८ गुणसिलय (गुणशिलक) उ १११,२,३१४,२१,२४, ८६,१५५,१६८,४।४,६,१३,१८ गुणसेढि (गुणश्रेणि) १ ३६१६२ गुणसेढीय (गुणश्रेणिक) प ३६१६२ गुणहर (गुणधर) ज ३११२६.१ गुणित (गुणित) सू १६।२२।२६ गुणिय (गुणित) ज २६ गुणेत्ता (गुणयित्वा) ज ७।३१ सू ४।४,७ गुणोववेय (गुणोपेत) ज २।१४ गुत्त (गुप्त) प १३०,३१,४१ ज २१६८, ३२३५ गुत्तबंभयारि (गुप्तब्रह्मचारिन् ) ज २१६८ उ २१६%3 ३३१३,८६,१०२,११३,११५,१४६,१६०; ४१२०,२२; ५।२७,३८,४३ गुत्ति (गुप्ति) प ११० १११० ज २०७१ Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गुत्तिदिय-गोयम ८९५ गुत्तिदिय (गुप्तेन्द्रिय) ज २१६८ उ ३६६ गुमगुमंत (गुमगुमायमान) ज २।१२ गुम्म (गुल्म) प ११३३।११।३८१३,११४८१६१ ज २।१०,१२,१३१,१४४ मे १४६,३।२२१; ४।१६६ उ ५५ गुम्मबहुल (गुल्मबहुल) ज ११८ गुरु (गुरु) प १११११ २११३३ गुरुजण (गुरुजन) उ १७२ गुरुजणग (गुरुजनक) उ १८८,६२ गुल (गुड) प १७।१३५ ज २०१७ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज २१६५,३।३१; ५१५७ गुलिया (गुलिका) प २१३१ ज ७१७८ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज ७।१३८ गुहा (गुफा) ज १।२४,३।३२ गूढदंत (गूढदन्त ) प १८६ गूढछिराग (गूढशिराक) प ११४८१३६ गण्ह (ग्रह ) गेण्हइ प १११७१ ज २१११३; ३१२६,३६,४७,५६,६४,७२,१३३,१३८, १४५,५।५५ उ ३।५१ गेहंति प ११८१ २८१२२ से २४,३४ से ३६,३६,४०,४२,४५, ६८,६६,७१,३४।६ ज २।११३,५१५५ गेण्हति प १११४७ से ७०,८०,८१,८३,८५ सू २०१२ गेण्हमाण (गह णत) सू २०१२ गेण्हित्ता (गृहीत्वा) ३१२६,३६ उ ३१५१ गेय (गेय) ज ५१५७ गेरुय (गरिक) प ११२०१४ गेविज्ज (वेय) उ ११३८ गविज्जग (वेयक) ज ३१६,३६,२२२ गेविज्जविमाण (ग्रेवेयकविमान) 3 ५।४१ गेवज्ज (ग्रेवेय) प २१४६,६३,३४।१६,१८ ज ३१७७,१०७.१२४,७११७८ गेवेज्जग (वेयक) ११३६,१३७२।४६,६० से ६२,६।६६,९८,१५।८८,६१,६६,१०४,१०८, ११२,११५,११६,१२२,१२५,१२७,१२६, १३६२११५५,६२,७१,९३,३३१२५ गेवेज्जगविमाण (वेयकविमान) पश६०, ३०१२६ गेह (गेह) ज ६६ र ४।२,३ गेहावण (गेहायतन') ज २१२१ गेहावणसंठित (गेहापणसंस्थित) सू ४।२ गो (गो) ज ३११०३ गोकण्ण (गोकर्ण) प ११६४,८६ ज २१३५ गोक्खीर (गोक्षीर) प २०६४ गोखीर (गोक्षीर) १ २।३१ ज ४११२५:५१६२; ७।१७८ गोजलोय (गोजलौका) प१४६ गोड (गोड) प १८६ गोण (गौण) प ११६४,११११६ से २० ज २१३५ गोणस (गोनस) प १७१ गोतम (गौतम) प ३६।१२,८१ च ११४ गोत्त (मोत्र) प ३६३६२ ज ११५,७१२७११, १३२।४,१६७१ च ५।३,१० सू १६५६१४; १०६२ से ११६; १९४२२१३ गोत्तफुसिया (गोत्रस्पर्शिका) प ११४०१५ मोध (गोध) प ११८६ गोधूम (गोधूम) प ११४५।१ गोपुच्छ (गोपुच्छ) ज १:१८,३५,५१:२।१५; ४१४५,११०,२१३, २४२ गोपुर (गोपुर) ज २२० सू ४।२ गोमयकीडग (गोमयकीटक) प ११५१ गोमाणसिया (दे०) ज ४११३० मोमुह (गोमुख) प १८६ गोमेज्जय (गोमेदक) प १५२०१३ गोम्ही (दे०) प ११५० गोय (गोत्र) ५ २२१२८,२३.१,२,५७,२४११५; २६।११:२७१५,३६१५२ ज ३१२२५ उ १११७ , गोयम (गौतम) प ११७४,८४,२११ से ३६,४१ से १.गेहेषु आपतनानि वा उपभोगार्थमागमनानि । Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ EES ४४,४६, ४८ से ६४,३३० १२०,१२२ से १२४, १७४,१७२ से १२४११ से ५४, ५६.६२ ७४.१०.२ २६६ ५।१ से ७.६ से २०,२१,२४,२७ से ३४,३६,२७,४०,८१,४८,४५, ८०, ८६,५२, ४३.५१.५६.५८.५२.६२.९३.६.६,३०, ७१,७३,७४,७७,७८२३८५,८६,८८, १.६२,१३,६६,२७.१००१०१.१०३.२०८, १०६,१०७.११०,१११.११४.११५, ११८, १११,१२३ मे १३१,१३३ से १४०,१४२ मे १४७, १४६, १५०, १५३,१५४,१५६.१५७. १५९,१२,१६३.१६५.१९६,१६०.१६६, १०१ १७४,१७९,१७७१८०१०१.१६२, १८४,१०,१८३.१८६,१०,११२,१६३, १६,१७,१६,२००,२०२, २०३,२०६ २००,२१०, २११,२१३,२१४,२१७,२१८. २२०,२२१,२२३,२२४,२२७ से २३४, २३६२३६२४१२४१६३१ से ४५. ४७ मे ५५,५७,५५,६० से ६४,६७,६८,७० से ७२.७४ से ६५५ ६१,६३,९४,९६ से १०३,१०५ ते ११०,११२,११४ से ११६, ११८ से १०१,१२३७०१ से ४.६ से ३० ११:२१ से ४ से १६.१६ ४ २२. २५,२६१०११ से ५,७ से १३,१५ से २४, २६ से २८,३१ से ५३१२०२४४,४६, ७३,७६०१२११२.१५, २६.२०,२१,२२,२४,२७,३१२३१३०१ मे १३,२१ से ३१,१४११ से ३.५,७,६११ से १५.१७१५१ २०२०३२३ से ५४, ५७ से ७४,७६ से ८४,५६,६१ से १८,१००, १०२ से १०६.१०८१०२,११३ से ११८, १२६,१२,१३२ से १३५,१४०,१४१:१६०१ से ४,६ से ८, १० से १३,१५,१७,१६ से २१:१७११ से ६ से १७१६ मे २२.२४, २५,२७,२६,३३,३६ से ६१,६३ से ६६,७१ गोयम से ७९.७ मे ८,६० मे १२,६४,६५,१००, १०२ से १०४,१०६ से ११६,९१ से १३७, १३ मे १८७,९४६ मे १५२.१५४ मे १६४, १९६.१६७१६ मे १७२:११ मे १०.१२ मे ३७,३९,४१ ४७.४९ मे २०१२ ने १२७१६१ ३,५,२०७१ से ४,६,७,६ मे २५, २७ मे ३०.३२ मे ३४,३८ से ५४,६१ से ९४,२१।१ से १५.१२ से २५,२३ मे ३२. ३५ से ३८४० से ४२४ मे १८३ से २४.१० से १०१.१०३ से १०५२२१ से ११.१३, १५, १७.११.२१ से २३.२६,२७. २६,३०,३२ से ५०,५२,५३,५७,५२ से ६१. ७८.७६८२ से ६४,६,७,९ से १५,६७ मे २६,१०१२१७२ से १२,१३ से ५०,५० से ६२,६५,६६७६८१८३ मे ८६,०९,१०,१५,१६,१६,१०१ मे १०४, १०६,१११ से ११८,१२८,१२,१३१ से १३५,१३७ से १४०,१५४, १५५,१५७,१६०, १६१,१६४,१६७,१७१,१७३, १७६,१७७, ११ मे १९६,१९८ से २०१३२४११ से ६,८, १० से १५:२५।१,२,४,५:२६।१ से ४,६८ से १०,२७।१ से ३,५.६ २०१२ मे ७,१० से १६,२१ से २४,२९,३१,३१ से ३७.३२ से ४२,४४,४५,४६ से ५३,५५ से ६५,६७ से ३१,७६ से ९२,१०२,१०४,१०६ से १२०, १२२,१२३.१२५,१२७ से १२६,१३२२९।१ से ३,५ से १३,१६ मे २१:३०११ से ३,५ मे १३,१५ से २३,२५ से २८,३१।१ से ३,६६३२०१ से ४,६:३३०१ से ३.७ से १०, १२,१३,१५ से २६,३१ से ३३,३५,३६, ३४१ से ३५ से ६,११ से १८,२०,२५; ३५१ से १३,१६ से २०,२२,२३३६११ से २२.३० से ५१.५३ से ६४,६६,६७,७०,७१, ७४ मे १०,१२,६४११५ मे ७,१५ से १५,२० से २३,२६,२०,२६,१३ मे २५,४१, Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोयम-घणघणाइय ६७ गोवल्ल (गोवल) ज ७/१३२१३ गोवल्लायण (गोवलायन) सू१०११०६ गोवल्ली (दे०) प १४०१४ गोसीस (गोशीर्ष) प १३०,३१,४१ ज २१६५, ६६,६६,१००,३७,६,१२,८२,८८,१३३, १८४,२११,२२२:५११४ से १६,५५,५८ गोसीसावलि (मोशीर्षावलि) ज ७।१३३११ गोसीसावलिसंठिय (गोशीविलिसंस्थित) सू१०।२७ मोहा (गोधा) १७६ गोहूम (गोधूम) ज २।३७:३।११६ ४५ से ५१;२११ मे ४,७,१४,१५,१७ से २३, २५,४२,४४ से ४८,५०,५२,५६ से ५८, १२२,१२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३६, १४७,१५०,१५१,१५६,१५७,१५६,१६१, १६४:३११,६८,२०८४४१,२२,३४,४४,४५, ४८,५१,५२,५४ मे १६० से ३२,६४,७६, मे ८२,८४ से ८६,८६,६६ से ६८,१०० से १०० से १०३,१०५ से ११०,११३,११४,१४१,१४३, १५६ से १६७.१६६ से १७८,१८० से १८२, १८४,१८५,१८७,१८८,१६० से १९४,१६६, १६७,१६६,२००,२०२ से २१०,२१२ से २१४,२२५,२२६.२३४,२३६,२३७,२३६, २४१,२४५,२४६,२५१ से २७.१,६२,४,७ से २६१ से ३,३८ में ४८, २ ते ५७,, ५६ से १६८,१११ से १४४,१४७,१४८, १५०,१५४ से १६,१७० से १७८,१८० से १८५,१८७,१६७ से १६६,२०१ से २१३, च १० सू० ११५,१०११०२ उ ११२५,२६,२८, १४०,१४१:२११२.१३,३१८,६,१६ से १८, २६,२७,८५,८६,६३,६५,१२२ से १२५,१५२, १५७,१६३ से १६५,४१६,२५,२६ गोयम (गौतम) ज ७४१३२१२ गोयर (गोचर) ज २११३२ गोर (गौर) पु २४०१८,२१४६ ज १५ गोरक्खर (गौरखर) प १६३ गदर्भ की एक जाति गोलगोलच्छाया (गोलगोलच्छाया) सू ६।५ गोलच्छाया (गोलच्छाया) सू ६४,५ गोलपुंजच्छाया (गोलपुआच्छाया) सू ६३५ गोलवट्टसमुग्गय (मालवृत्तममृद्ग) २०१२०, ७।१८५ गोलवायण (गौलव्यायन) ज ७१३२।४ मू १०।११५ गोलावलिच्छाया (गोलाबलिच्छाया) सू ६५ गोलोम (गोलोमन) ५११४६ गोवग (गोपक) ज ३१३५ घओदय (घतोदक) प ११२३ घंटा (धण्टा) ब ११३७,३।३५,१७८४१३०%; ५।२२ से २६,२८,४८ से ५३७१७८ उ १।१३८,३७,६१ घंटिया (घण्टिका) ज २१६४,७११७८ घंटियाजाल (घण्टिकाजाल) ज ३१२४,३०,१०६; २८ घट्टणया (घनता) प१६१५३ घछ (प्ट) प|३०,३१,४१,४६,५६,६३,६४ ज १८,२३,३१ सू २०१७ घड (घट) ५२।३०,३१,४१ ज ३७,४१२३,३८, ६५,७३,६०,६१ घड (घटय घडति ज ५११६ घडावेता (घटयित्वा) उ ३.५० घड़िया (घटिका) ज ४११२६ घडेत्ता (घटयित्वा) ज ५११६ घण (घन) प १।४८।३८२१३०,३१,४१,४६%) १२।१२,३८; ज ११२४,४५,६५,३१३,२४, ८२,१६७,१८५,१८७,२०६,२१८,२२४; ४।१२५,५।१,५,१६,५७,६२,७१५५,५८, १७८,१८४ सू १८।२३;१६।२३,२६ घणघण (घनघन) ज २१६५ घणघणाइय (घनघनायित) ज० ५१५५७ Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ८६८ घणघणेत-चउक्कय घणघणेत (धनघनायमान) ज ३।३१ घणदंत (घनदन्त) प १८६ घणवाय (धनवात) प १।२६२११० घणवायवलय (घनवातवलय) १ २११० घणसंमद्द (धनसंमर्द } सू १२।२६ घणोदधि (धनोदधि) १ २१२४ घणोदधिवलय (घनोदधिवलय) प २१४ घणोदहि (घनोदधि) प २०१३ घणोदहिवलय (घनोदधिवलय) प २११३ घत (घृत) प १५।५५।१ सू १०।१२० घतवर (घृतवर) सू १६३१ घतोद (घतोद) सू १९१३१ चित्त (ग्रह ) घत्तामोज ३।१०७ घतिहामि उ१४१ धत्तेह ज ३।११४ पत्थ (ग्रस्त) सू २०१२ घय (घृत) ज २०१०६११० उ ३३५१ घयमेह (धृतमेघ) ज २११४३,१४४ घर (गृह) सू२०१७ उ ३.१०० घरग (गृहक) ज १११३ घरधरग (घरघरक) ज ७.१७८ अनुकरणशब्द । घरोइला (गृहकोकिला) प १७६ घाइय (घातित) ज ३३१०८ से १११ उ श२२; १४० घाएउकाम (हन्तुकाम) उ१७२ घाडिय (घाटिक) ज २१२६ घाण (घ्राण) प १५७७,८१,८२, ३६८१ ज ४।१०७ घाणविण्णाणवरण (घ्राणविज्ञानावरण) प २३३१३ घाणावरण (घाणावरण) प २३३१३ घाणिदिय (प्राणेन्द्रिय) प १३।४,१५११,४,८, १३,१६,४२,५८,६४,६९,७०,२८.४५,४६, ७१ उ ३।३३ घाणिदियत्त (घाणेन्द्रियत्व) प ३४१२० घाणिदियपरिणाम (घ्राणेन्द्रियपरिणाम) प १३१४ घाणेदिय (ध्राणेन्द्रिय) प १५॥३४ घायय (घातक) ज २।२८ घुल्ला (दे०) ११:४६ घेत्तूण (गृहीत्वा) ज ३८१ घोडग (घोटक) ५ १६३ घोडय (घोटक) ५ ११११६ से २० घोणा (घोणा) ज ३।१०६ घोर (घोर) ज ११५ घोरगुण (घोरगुण) ज ११५ घोरतवस्सि (घोरतपस्विन्) ज ११५ घोरबंभचेरवासि (घोरब्रह्मर्यवासिन ) ज १२५ घोलंत (घोलत) ज ३१६; २१ घोस (घोष) प० २१४०१६ ज २१६५,३१३५, १८६,२०४ घोस (घोषय) घोसंति ल ३१२१३ घोमेंति ज ५७३ घोसेह ज ३१२१२,५१७२,७३ घोसणा (घोषणा) ज ५१२६,७२,७३ घोसाडइफल (कोशातकीफल) ११७।१३० घोसाडई (कोशातकी) प ११४०१ घोसडय (कोशातक) प ११४८१४८ घोसाडिय (कोशातकी) प १७१३० घोसेत्ता (घोषयित्या) ज ३१२१२ च (च) प ११ ज १७ सू १७ उ १७, ३१७; ४११० चइत्ता (त्यक्त्वा ) प २०१४६ ज २१६४ उ ३३१८, १२५,१५२,४१२६,२८:१३०,४३ चइत्ता (च्यत्वा) ज २८५ चउ (चतुर) प १११३ ज ११८ चं ४।३ सु ११८ उ २।२२ चउक्क (चतुप्क) प २१।१६:२३।२६,२८,६२, १३४,१७८ ज २१६५,३११८५,२१२,२१३: ५१७२,७३,७।१३१२२ उ १११८ चउक्कग (चतुष्क) ज ७१३१२ चउक्कय (चतुष्क) प६८३:२३१२८ Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चउगुण-चउम्मुह चगुण (चतुर्गुण ) प २१५६ ५।५१ चउग्गुण (चतुर्गुण ) प २२४०१५ ५१४६, ५२३१ सु १६१२२/२३ चउजमलपय (चतुर्य मलपद ) प १२३२ चाणवडित ( चतु. स्थानपतित ) प ५।१२,१४, १६,१८,२४,२८,३४, ३५, ३७,४१,४५,४६, ५०,५४,५६,५६,६३,६६,७१,७४, ७८,८६, ८७,८६,६३,६४,६७, १०२, १०४, १०५, १०७, १११, ११२,११६,११६,१३१, १३४,१३६, १३८, १४०, १४३, १४५, १४७, १४८, १५०, १५१,१५४,१६६,१६७,१६९, १७२, १७५, १७८,१८२,१६४, १८५, १८७,१८८, १६०,१६३, १६७,२००, २०३, २०७, २११,२१४,२१८, २२१,२२४,२२,२३०,२३२,२३४, २३७, २३६,२४०,२४६ चउट्ठाणवडिय ( चतुःस्थानपतित ) प ५७, २५, ८४, १६३ चरणउत (चतुर्नवति) सु १६ । १४ १५ १ चरणउति (चतुर्नवति) सू ४|४ चउणय ( चतुर्नवति) ज ४।२४१ चरणवs (चतुर्नवति) ज ४१८६ चउतीस ( चतुत्रिंशत् ) सू १२० चउत्तीस ( चतुत्रिंशत् ) ११२२ चत्य (चतुर्थ) प ३।२०,१८३,६८०११; १०११४१४,५,६,११३,४२,८८; १५।१४३; १७।१४८, ३३।१६, ३६।८५,८७ ज ४।१८०, २०२, ७११०६,१५६,१६३१०१३०,७४, ७७, १२७ ११ ५,६, १२०५, १७,२७,१३३८, १६ उ २।१०,१२,३११४,५४,३१,८३,८ १५३,१५४.१६१, ४१, ३,२४,५१,२८,३६,४३ चउत्थभत्त (चतुर्थभक्त ) २८१२५ ज २२५६,१५६ चउत्था ( चतुर्थी) सू १२२२ उत्थाहिय ( चतुर्थाहिक) ज २१४३ चउत्थी (चतुर्थी) ज ७११२५ उ ११२६,२७, १४०, १४१ चउदस ( चतुर्दशन् ) ज ३।२२१ चउदसपुव्वि ( चतुर्दशपूर्विन् ) ज २७८ उद्दस ( चतुर्दशन् ) ज ७ । १५६ सू८१ चपुवि ( चतुर्दशपूर्विन्) ज २७८ चउदसम ( चतुर्दश) सू १० ७७१३८ चउसी ( चतुर्दशी ) ज ७ । १२५ उद्दिस (चतुर्दिश्) ज ४/४,२०,११८,१२६, १४४, १४७,१५१।२,२१६, २३५, २४६; ५/४०,६१ ८६६ चउनाणोवगय (चतुर्ज्ञानोपगत) ज ११५ चउपसिथ ( चतुःप्रदेशिक ) प ५।१५६, १० ह चउपण्ण (चतु पञ्चाशत् ) ज २७७ चपण्णग (चतु. पञ्चाशत्क ) सू १३।१७ चपुरिसपविभक्तगति (चतुः पुरुषप्रविभक्तगति) प १६३८,५२ चउप्पएसिया ( चतुप्रदेशिक ) प ५।१६० चप्पगार ( चतुःप्रकार ) प ११।३०/२ चउप्पण्ण (चतुःपञ्चाशत् ) ज ४१२३४ चउपदेस (चतुःप्रदेशिक ) प १०८१४१२ चप्पय ( चतुष्पद) प १६१,६२,६६, ४१२२ से १३०,६७१,७७,२१३११ से १३,३५,४४, ५३,६० ज २११३१, ७ १२३ से १२५ चपाइया (चतुष्पादिका ) प १२७६ चभाग (चतुर्भाग) ज ७।१६० से १६५ सू १११६,१०११४२, १४७, १२ ३०१८।२७ से ३५ चभंग (चतुर्भङ्ग ) प १६ १०:२६ ६, ६ चउभंगि (चतुर्भङ्गिन् ) प १०३६ चउभाग (चतुर्भाग) प ४ १७७, १७६, १८०, १८२, १८३,१८५,१८६,१८८, १८६,१६१,१६२, १६४, १६५, १६७,१६८,२००,२०१,२०३ ज ७ १८७,१८८ सू १।१६,२१,६१३; १०।४७,१२।३०;१३४; १५।१७ से १६, २४ २५ म्ह (चतुर्मुख) ३३१८५,२१२,२१३; ५।७२.७३ उ ११६८ Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०० चउरंगुल (चतुरङ्गुल) सू १०1६३; १६।२२ चउरंगुलकष्णाक (चतुरङ्गुलकर्णक) ज ३।१०६ चरं गुलजण्णूक (चतुरङ्गुलजानुक ) ज ३।१०६ चरंगुलमूसियखुर ( चतुरङ्गुलोच्छ्रितपुर ) ज ३११०६ चरंस (चतुरस्र ) प ११४ से ६,२१२० से २७, ३१ से ३५, ४११ ०११५, २६,२११६२ ज १।३१;२।१५;३।ε५, १५६,४।११४ चउरासोइ (चतुरशीति ) प २१४६ ज २२४ चउरासीति (चतुरशीति ) प २१२० ज २।७३ चरदिय (चतुरिन्द्रिय) प ११४,५१, २०१८ ३।६,४० से ४२,४७, ४६,१५० से १५२, १८३४१०१ से १०३, ५१३,८१,६।२०,६५, ७१,८३,१००, १०२, १०४, ११५; ६१४, १६, २२:११।४५; १२१३, ३०,१३।१७,१५।३४, ७५, ८२,८६,१३७,१६१६,१३:१७ २२,४०,६२, ८८,६६, १०३ १८११५,२३,२०१८,१६,२३, २५,२८,३३,४७,२११६,२८,४२,७६,८०, ८६, २२१३१,७३,२३२८८,१५१,१६४२८१४३, ४६,१०१,१२५, १३६,२६।१४, २१:३०।१२, १३,२२,२३:३११३, ३२१२, ३४, ३, ७, ३५।१३, २०,३६।६,३६ चरदियत्त (चतुरिन्द्रियत्व ) प १५६७,१४२ चउरेंदिय (चतुरिन्द्रिय) प ६ ८६; १६ ३ उत्तर ( चतुःसप्तति) ज ४२५५ चवीस ( चतुविशति ) प ६ । १ । १ ज २२६ सू ४१७ चवीस तम ( चतुर्विंशतितम) सू १२।१७ चवीस ( चतुर्विंशति) सू १८१६ व्हि (चतुर्विध ) प ११४,५२,६२,६८,७७, १०११३, १३०५।१२५; १३१३, ५, १४७, ६; १५/६६,७५,१६१६,२६,३१,५३,१७ १३; २०१६२,२१।७७,२३।१८, २८, ३७, ३९, ५४; २५४,५२६३,१२,३०१६,३५१४ ज २१५३, ६६,१६२,३।१६७३१०, २११,४६६,२५४, २५५५।५७ उव्वीस ( चतुर्विंशति) प ६ । १०२/१ चउरंगुल-चंद चउव्वीस (चतुर्विंशतितम) प १० | १४ | ३ चउसट्ठि (चतुःषष्टि ) प २३२ ज २१५२ चउसमय ( चतु:सामयिक ) प ३६१६७,६८ चहा (चतुर्धा ) प १६ १ चकमिय ( चंक्रम्य ) ज ७११७८ चंगेरी ( चंगेरी) ज ३।११,५१७, ५५ चंचल ( चञ्चल ) प २२४१, ५० ज ३१०६,१७८ ५।१८७।१७८ चंचलायमाण ( चंचलायमान ) ज ३१२४१३,३७१, ४५।१,१३१।३ चंचुच्चिय (दे० ) ज ३।१७८७ १७८ कुटिलगमन चंचुमलइय (दे० ) ज ५।२१ खंड ( चण्ड) २६०, १३१ चंडिक्य (दे० ) अत्यधिक कुपित ज ३।२६,३६, ४७,१०७,१०६,१३३ उ १।२२,१४० चंडी ( चण्डा ) प ११४८४ चंद (चन्द्र) प ११३३,२१२० से २७,४८, १५३, ४,२१,५५।३; १७ १२८२१।२३,८० ११२४:२/१५,६८,१३१,३३,२४४,३२/१, ३५,३७१२,४२,४५२,७६, ८५, ६५, १३१४, १५६, १८५, २०६४।१४२,२११:७/१,७२, ७५,७८ से ८२,८४,६८,१०५,१११, ११२२,१२६,१२७११,१२६,१३४१, ४, १६७१,१७०, १७७।१,१७८१,१८०,१८१, १८३ से १८५, २०७, २१२,२६२ सू १०२, ५,७५,१२२,१२७ से १२६१२,१३२,१३३, १३६,१३८ से १४२,१४८, १४९,१५२ से १६५,१७०,१७२, १७३ ११।१ से ६, १२३, १५,१७११,१६ से २८,३०,१३१,३ से १७: १४।३,७,१५।१,२,५,६,८ से १०,१४,१७ से २०,२६,२९,३२,३५; १८१४,१८,१६,२१ से २४,३७६ १६ १ १,५२,८,१११२, १५/२, १६,२१।३,६,१६१२२१४,७,१०,१५ से २५, २७,२८,३०;१९३१,३५,३८, २०१२,३,४,६ उ १६३३।२।१,३६,१४ से १८,२१,२५ Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चंदचार-चक्कट्टि १०१ चंदिम (चन्द्रमम) प ०४८ से ५१,६३ ज ७1५५, ५८,१६८,१८०,१८१,१६७ सू ३११;६१ १५.१:१७११,१८,२,३,१८,१६,३७, १९४१, २६ , २०११,७ उ २११२,५१४१ चंदिमसूरियसंठिति (चन्द्रमरसूर्यमंस्थिति) सू ४।१,२ चंदिमा (चन्द्रिका) ज ७१०२ चंदोतारायण (चन्द्रावताराचन) उ ३।१५७ चंप (चम्पक) प १७:२७ चंपकवण (चम्पकवन) ज ४।११६ चंपग (चम्पक) ज २१०,३३१२,८८ उ ११२३, चंदचार (चंद्रचार) सू१०।१२१,१२२ चंदण (चन्दन) प १२००४:२३६।३,११४६; २१३०,३१,४१ ज २१७०,६५,६६,९६,१००; ३१६,१२,८२,८८,१३३,२०६,२११,२२१, २२२:५११४ से १६,५५,५६,५८ चंदणकयचच्चाय (चन्दन कृतचर्चाक) ज ३।२०६ चंदणपुड (चन्दनपुट) ज ४।१०७ चंदणा (चन्दना) उ ३।१७१ चंदद्दह (चन्द्रद्रह) ज ४।१४२।३,२६२ चंदपण्णत्ति (चन्द्रप्रज्ञप्ति) ज ७।१०२ चंदपव्वय (चन्द्रपर्वत) ज ४१२२२ चंदप्पभ (चन्द्रप्रभ) प ११२०।४ ज २११३; ३११२,८८,५१५८ चंदप्पमा (चंद्रप्रभा) प १७।१३४ ज ७/१८३ सू१८१२१,२०६ चंदमंडल (चन्द्रमण्डल) ज ३।६५,११७,१५६, १७८,७६१ से ७३,७६,७८,६७,१७७ सू १०७६,७७ चंदमाग (चन्द्रमार्ग) च ५२ सू १।६२; १०७५ चंदमस (चन्द्रमा) चं १४ ; सू १९६८४ १३३१,१७ चंदमा (चन्द्रम) ११६,१३।१,१७ चंदमास (चन्द्रमास) सू १२।१० से १२ चंदलेस्सा (चन्द्रले ) सू १६६१,२ चंदवडिसय (चन्द्रावतंसक) सू १८१२२,२३ उ ३६,१४ चंदविभाग (चन्द्रविमान) प ४११७७ से १८२; ६१८५ ज ७१७३,१७४,१७६ से १७८,१८८ सू १८।१,८,९,१४,२७,२८ चंदसंवच्छर (चन्द्र वित्सर) ज ७१०६,१०७ सू १०११२७:११।२ से ६,१२।१,३,१० से चंपगजाति (चम्पकजाति) प १३८।३ चंपकवडेसंय (चम्पकावतंसक) प २२५०,५२ चंपछल्ली (चम्परछल्ली) प १७:१२७ चंपभेद (चम्पकभेद) प १७१२७ चंपयकुसुम (चम्पककुसुम) प १७.१२७ चंपयलता (चम्पकलता) प ११३६।१ चंपा (चम्पा) प १०६३।११७।१२७ उ ११६,१०, १२,१६,६३,९५,६७,६८,१०५,१०६,११०, ११६,१२२,१२५,१४४,१४५, २।४,५,१६,१७ चंपापुड (चम्पापुट) ज ४। ०७ चक्क (चक्र) ज २११५:३।३,३५,६५,१५६, १६७।११,१२ सू ३२ चक्कद्धचक्कवालसंठित (चक्रार्धचक्रवालसंस्थित) सू ११२५,४१२ चकरपुरा (चक्रपुरा) ज ४१२१२,२१२१४ चक्करयण (चक्ररत्न) ज ३१४ से ६,६,१२,१४, १५,१८,२२,३०,३१,३६,४३,४४,५१,५२, ६०,६१,६८,६६,६३,६६,१०६,१३०,१३१, १३६,१३७,१४०,१४१,१४६,१५०,१६३, १७२,१७३,१७५,१७८,१८०,२२० चक्करयणत्त (चक्ररत्नत्व) प २०१६० चक्कट्टि (चक्रवर्तिन्) पश७४,६१,६२६ ज २।१८,६३,१२५,१५३,३१२,३,२६,३६, चंदाभ (चन्द्राभ) ज २१५.६,६२ चंदायण (चन्द्रायण) सू १३।१०,१३ Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०२ चक्कट्टित्त-चर ४७,५६,७६,६५,११५.११६,१२४,१३३, चक्षुहर (चक्षुहर) ज ३१२११:५१५८ १३५॥१,१३६,१३८,१४५,१५६,१६७।५,१४; चच्चपुड (चर्चपुट) ज ३३१०६ ४।६४,१६२,२७७,५।२१,५८,७११६६,२०० चच्चय (पर्चक) ज ३१८८ चक्कवट्टित्त (चक्रवर्तित्व) १२०१५०,५२ चच्चर (चत्वर) ज २१६५,३३१८५,२१२,२१३; चक्कट्टिवंस (चक्रवर्तिवंश) ज २२१२४,१५२ ५७२,७३ उ १६८ चक्कट्टिविजय (चक्रातिविजय) ज ४।१६६, चच्चा (दे०) ज ५१५६ २६२,५१,५८,६११४,१६ चच्चिय (चचित) ज ३१२११ चक्कयाग (चक्रवाक) उ ५५ चडकर (दे०) ज १६५ चकवाय (चक्रात) ज २१२ चड़गर (दे०) ज ३१७,२१,२२,३६,७८,१७७ चक्कवाल (चक्रवाल) ज ११६५,४१२३४,२४०, चणग (चणक) ज ३१११६ २४१ सू १६४,७,१४,१८,३०,३४,३७ चत्ताल (चत्वारिंशत् ) ज ४।५५ सू१।२१ उ ३११२,१४१,४.१२,१३ चत्तालीस (चत्वारिंशत् ) प २३६ ज ५।४६ चक्काग (चक्रवाक) प ११४८१३८,१७६ सू १०।१५७ चक्कि (चक्रिन्) प ११६३१६,२०१११ चमर (चमर) प ११६४, २१३१,३२,४०१६ चक्किय (चक्रिक) ज २६४ ज ११३७,२१३५,१०१,११३,११६,३११८५, चक्किया (शक्नुयात् ) ज ३१८५ २०६।४।२७; ५।२८,५० चविखदिय (चक्षुरिन्द्रि) प १५॥१,३,८,१३,१६, चमरचंचा (चमरचञ्चा ) ज ४।१६५,२१०२५२५० ३४,४१,५८,६४,७०,२८।४६,७१ उ ३३३ चमरोगंड (चमरगण्ड) ज ३।१७८ चविखदियत्त (चक्षुरिन्द्रित्व) ५३४२० चम्म (चर्मन् ) ज ५।३२ चक्खिदियपरिणाम (चक्षुरिन्द्रियपरिणाम) चम्मपक्खि (चर्मपक्षिन् ) प ७७,७८ प १३४ चम्मरयण (चर्मरल) ज ३१७८ से ८१,११६, चक्खु (चक्षुप) ज २५,४६ ११७,१२१,१५१,१७८,२२० चक्खुदंसण (चक्षुर्दर्शन) प ५१५,७,२१,४५,८१, चम्नरयणत (चर्मरत्नत्व) प२०६० ६३,६७,२६४३,७,१४,१७,१६,२१,३०१३,७, चम्मेछग (चर्मेप्टक) ज चय (चय, च्यव) प २०१४६ ३ ३।१८,१२५,१५२; ४।२६,२८,५१३०,४३ चक्खदंसबाबरण (चक्षुर्दशनाबरण) १२३६१४ चय (श.) चाइ प २१६४।१७ चक्खुदंसणावरणिज्ज (चक्षुर्दर्शनावरणीय) चय (च्यव) चयंति प६.१११६।२६,१७१६६ प२३३२८ सू १७१ चयति सू १६।२४ चक्खुदंसणि (चक्षुर्द शिन्) ५ ३११०४ चयंत (त्यजत् ) प २०६४१५ चक्खुदय (चक्षुर्द) ज ५१२१ चयण (च्यवन) प ६.४६,५६,६६, १७६१,१०५ चक्लुप्फास (चक्षुःस्पर्श) ज २० से २५,७६,८१ चं २१५ सू ११६।५ : १७६१ धक्खुफास (चक्षुःस्परां) सू २।३ चयोवचय (चयापचय) सू१।१४ चक्खूभूय (चक्षुर्भूत) उ ३।११ चर (चर) चरइ ज ७१०,१३,१६,१६ से ३०, चक्खुन (चक्षुष्मत् ) ज २५६,६१ २५,६६,७२,७५.७८ से ८२,८४,६५,६६,६८ चक्खुल्लोयणलेत (चक्षुर्लोकनलेश) ज ४।२७; ५।२८ से १००,१७१,१७३,१७५ सू १।११ चरंति Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चर-चामरहत्यगव प१७५, २०४८ ज ३.९५,१२५,७११ च ३११ चल (चल) ज ३।१७५, ७११७८ सू १७११:१६६१,१११२,१५।२,२१॥३,६ चल (चल्) चलइ ज २१६२,३१५५,६४,७२, चरति सू १३१५, १६।२२१२,१७ चरिति १४४,१२० चलंति ज ३।२,१११,११२,५२,७ सू १६८ चरिंसु ज ३३६५७।१ सू १६१ चलंत (चलत् ज ३।३१,७१७८ चरिस्संति ज ३१६५७१ सू १६१ चरेंति चलचवल (चलचपल) प २१४१ सू १६६११ चलण (चरण) ज २११४,१५,३।३५,१०६७।१७८ चर (चर) ज ७।१२४,१२५ चलणीबहुल (चलनी' बहुल) ज २११३२ चरग (चरक) प २०१६१ ज ३.१०६ चलिय (चलित) ज २१८६,६०,६३, ३१५६,११३, चरण (चरण) ज ३१३,१३८ १४५, ५६३,२१,२८ चरम (चरम) सू ७।११०१५६ , २०१३ चवल (चपल) ज २६०,३३६,२६,३५,३६,४७, चरमाण (चरत्) उ ११२,१७,३।२६,६६,१३२, ५६,६४,७२,१०६,११३,१३८,१४५,१७८; १४६,१५६,४।११:५१३६ ५।५,२१,२६,४४,४७,६७,७११७८ चरित्त (चरित्र) प १।१०१११० ज २०७१ चवलायंत (चपलायमान) ज २११५ चरित्तधम्म (चरित्रधर्म) प १११०१।१२ चविया (चव्य) प १७:१३१ चरित्तपरिणाम (चरित्रपरिणाम) १३।२,१२, चाउग्घंट (चतुर्घण्ट) ज ३।२१,२२,३४ से ३६ १४,१८,१६ उ ५१३८ चरितमोहणिज्ज (चरित्रमोहनीय) प २३१३२,३४ चाउघंट (चतुर्घण्ट) उ १।११० चरित्ताचरिति (चरित्राचरित्रिन्) प १३११४,१८, चाउरंगिणी (चतुरङ्गिणी) ज ३।१५,२१,३१,३४, ७८,६१,१७३,१७५,१६६ उ १११२३ १२७, चरितारिय (चरित्रार्य) पश६२,१११ से १२६ १२८,५११८ चरित्ति (चरित्रिन) प १३।१४,१८,१६ चाउरंत (चतुरन्त) ज २।१८३।२,२६,३६,४७, चरिम (चरम) प १११४,१०३,१०६,१०७,१०६, ५६,११५,१२४,१३३,१३८,१४५,५१२१,५८ ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२,१२३, चाउस्सालग (चतुःशालक) ज ५१३ २०६४।५।३।१।२,३।१२३:१०१२ से १३, चाउस्सालय (चतु:शालक) ज ५११३,१४ २१ से २४,२६ से २६, ३१ से ५३; चाडुकारग (चाटुकारक) ज ३।७८ १५१४३;१८।११२,१८११२६; २३१६३, चामर (चामर) प १११२५ ज २०१५,३६,१८, ३६.७६ ज ४११४३;७।१५६ से १६७ सू ५१; २४,३१,३५,६३,१०६,१७८,१८०,२२२; १०१६३ से ७४,१३८,१४२,१४३,१४७ से ४।२६,३०,५१११,४३,४६,५५,५७,६०,६६, १५१,१५६,१६१,१११५,६,१२१२४ से २८, ७/१७८ ३०,१३।१ उ ५।४३ चामरग्गाह (चामरग्राह) ज ३११७८ चामरच्छाय (चामरच्छायन) ज ७१३२१३ चरिमंत (नरमान्त) प २१६४,१०१२ से ५,२१, चामरच्छायण (नामरच्छायन) सू १०११३ २६,२७ से २६; १६।३४, २१।१०३३।१६, चामरहत्थगय (हस्तमतचामर) ज ३१११ १७ ज ४११०,१४१,२०६,२०७,२५२ चरिमभव (चरमभव) १ २१६४।४ चरु (चरु) उ ३१५१,६४ १ चलनप्रमाण कर्दम: चलनीत्युच्यते Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९०४ चामीकर-चित्त चामीकर (चामीकर) ज ३११ चार (चार) प २१४८,१६:५५ ज ७११,१०,१३, १६, १६ से ३१, ३५, ६६,७२,७५,७८ से ८२,८४,६५,६६,९८ से १००,१७१,१७३ से १७५ सू श६,११,१४,१६,१७,१६ से २४, २७:२२२,३,३१२:४।४,७,६६।१६।२ १०।१२१,१२२,१३।५ से १०,१२,१३,१७; १५१२ से ४,१८१,५,७,१६.१,५,८,११,१५, १६,२१,१६३२२१२,१३,२२,१६।२३ चारगसाला (चारकशाला) उ १८८,६१ चारद्विइय (चारस्थितिक) ज ७५५,५८ चारद्वितिय (चारस्थितिक) सू १९३२३,२६ चारण (चारण) प १९१ चारि (चारिन् ) प २०४८ चारिय (चारिक) प १७६३१ चारियत्व (चारयितव्य) प १७:३१,६७ चार (चारु) प २।४१,५० ज २११४,१५,३११०६, ११६,१३८,५१८ चारुभासि (चारुभासिन् ) ज ३७७,१०६ चारेयव्व (चारयितव्य) प २१।१०२; २२१७० चारोवग (चारोपण) सू १६॥२२२२१ चारोववष्णग (चारोपपन्नक) ज ७१५५,५८ सू १६१२३,३६ चाव (चाप) ज २।१५,३।३१,१७८ चावग्गाह (चापग्राह) ज ३।१७८ चाववंस (दे०) प ११४१२२ चास (चाष) प ११७६१७४१२४ चासपिच्छ (चाषपिच्छ) प १७।१२४ चि (चि) चिज्जति १२११९५,९६ चिउर (चिकुर) प १७११२७ चिउरराग (चिकुरराग) प १७१२७ चिचाराम (चिञ्चाराम) उ ३।४८,५५ चित (चित्) चितेमि प ११११ चितय (चिन्तक) उ ११३१ चिता (चिन्ता) ज ३१०५ उ २।११ चितिय (चिन्तित) ज ३१२६,३६,४७,५६,८७, १२२,१३३,१४५,१८८,५१२२ उ १११५,५१, ५४,६५,७६,७६,६६,१०५:३३२६,४८,५०, ५५,९८,१०६,११८,१३१,५१३६,३७ चितेमाण (चिन्तयत्) ज ३११८८ चिध (चिह्न) प २१३०,३१,४१,४८,४६ ज' ३३२४,३१,७७,१०७ से १११,११७,१२४, १७८ उ १।१२,१४० चिक्खिल्ल (दे०) प १२० से २७ चिट्ठ (स्था) चिट्टइ उ १।४७ चिट्ठई ज ११६, ४०,४७,३१५४,६३,७२,१३७,१४३,१६७, २२२,४११४०,१६८,२३४,२४०,२४१,५१६७, ६८ चिट्ठति प० २१६४;२।६४१२०१५।४३, ४५,२८.१०५:३४।१६,२२ से २४,३६,७६, ८१,६३,६४।१ ज १११३,३०,२१७ से ६,१३, ६० से ६२, ३।१११,११३;४१२,१२६,१३७; ५१५,७ से १२,३८,५७,६०,६७७।१८५,२१३ सू १८१२३ उ ३.४६ चिट्ठति प १५२५१,५२ सू १६२ चिट्ठह ।।११३ चिट्ठामि उ १.११७ चिट्ठाहि उ १।११५ चिट्ठज्ज प ३६१६१ चिठ्ठित (स्थित) सु २०१७ चिठ्ठिय (चेष्टित) ज २।१५, ३११३८ चिडग (चटक) प १७९ चिणण (चयन) प २१११११ *चिण (चि) चिण १४॥१८१ चिति प१४५१२ पिणियु, १४१११ चिणिस्संति प १४।१३ चिण्ण (चीर्ण) चं ३।१ सू १७,१८,१६,१३३१२, १४ से १७ उ ३३४८,५.०,५५ चित्त (चित्त) २८१ ज ६५,६,८,१५,१६,३१,५२, ५३,६१,६२,६६.७०,७७,८४,६१,१००,१०६, ११४,१३७,१४१,१४२,१५०,१६५,१७३, १८१,१६६,२०८,२१३,५१५,१५.१८,२१, २६,२७,२६,४१,५५,५७,७० उ ११२१,३१, Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चित्त-चुलसीइ ४२,१०८, ३११३६,५१२० चिलाइ (किराती) ज ३१११११ चित्त (चित्र) प १२१२३२१३०,३१,४१,४८,५० चिलाइया (किरातिका) ज ३१८७ ज ३१२४१३,३७१,४५३१,७६,११६,१२४, चिलाय (किरात) ज ३११०३ से १०५,१०७, १३१॥३,१४५,१७८,७११७८ ११५,१२५ से १२७ चित्त (चैत्र) सू १०.१२४ चिलायविसयवासि (किरातविषयवासिन) चित्तंतरलेस (चित्रान्तरलेश्य) ज ७/५८ सू १६२६ प१८६ चित्तंतरलेस्साग (चित्रान्तरलेश्याक) चिल्लम (दे०) प २१४१ सू १६२२३० चिल्लल (दे०) प १३८६; २।४,१३,१६ से १९,२८ चित्तकणगा (चित्रकनका) ज ५३१२ चिल्ललग (दे०) प ११॥२२ चित्तकूड (चित्रकूट) ज ४११६६,१६६,१७२,१७३, चिल्ललय (दे०) प ११।२१,२४ १७६,१७८ से १८१,१८५,१६१,१६७,२००, चिल्ललिया (दे०) प १११२३ २०६,२०७,६६१० चिल्लाय (किरात) प १८६ चित्तग (चित्रक) प ११६६ चिल्लियतल (दे०) सू २०७ देदीप्यमान तल चित्तगुत्ता (चित्रगुप्ता) ज ५।६।१ चीण (चीन) १८६ चित्तपक्ख (चित्रपक्ष) प ११५१ चीणपिठरासि (चीनषिष्ट राशि) ५१७११२६ चित्तगहुल (चित्रकबहुल) ज २।६४ चीवरघारि (चीवरधारिन् ) ज श६६ चित्तय (चित्रक) प ११।२१ चुचुण (चुञ्चुण) प १।६४।१ चित्तलंगमंग (चित्रलाङ्गाङ्ग) ज २११३३ चुचुय (चुञ्चुक) प ८६ चित्तलग (चित्रलक) प ११६६ ज २११३६ चुच्चु (दे०) प १३७।२ चित्तलि (चित्रल,चित्रलिन् ) प १७१ चुण्ण (चूर्ण) प ११४८।३८ ज २१६५, ३।११,१२, चित्तविचितकूड (चित्रविचित्रकूट) ज ४१६४ ८८ सू २०१७ चित्ता (चित्रा) ज ५१२,७४१२८,१२६,१३६, चुण्णग (चूर्णक) उ ३।११४ १४०,१४६,१६४,१६५ सू१०१२ से ६,१६, चुण्णवास (चूर्णवास) ज ५१५७ २३,४७,६२,७१,७२,७५,८३,११२,१२०, चुण्णविहि (चूर्गविधि) ज ५१५७ १३१ से १३३,१५४,१२१३० चुण्णिया (चूणिका) प १११७६ ज ७।२१,२५,६५, चित्तामूलय (चित्तामूलक) प १७६१३१ ६८,६६,७१,७२,७४ सू २।३,१०११५२ से चितार (चित्रकार) प १९९७ १६०,१६२,१६३,१११२ से ६,१२१७,८,१६ चित्तिया (चित्रिका) प १११२३ से २८ चिय (चित) प २३।१३ से २३ ज ३१२१७ चष्णियाभाग (चणिकाभाग) ज ७.२१,६६,७४,७५ चिय (एक) सू १०।१३६ चणियाभाय (चूर्णिकाभाग) ज ७२५,६५,६८, चियगा (चितका) ज २।९५,९६,१०३,१०४,११४ ७१,७२,७५,७७,७८ चियत्तदेह (क्तदेह) ज २१६७ चुणियाभेद (चूपिकाभेद) प १११७६,७६ चिर (चिरम् ) ज ३।१२६६१,२ चण्णियामेय (चूणिकाभेद) प १११७३,७६ चिरंजीव (चिरंजीव) ज ३।१२६ चुय (च्युत) ज २१८५७१५६,५६ चिराईय (चिरातीत) चं ७ उ ५७ चुलसीइ (चतुरशीति) १२१३४ ज २०७४ च ४।२ Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६०६ चुलसीति ( चतुरशीति ) प २१४० १ सू २३ चुलसीय (चतुरशीति) सू १।१२ चेडरूव (चेटरूप) उ ३।११४ चेडिया ( चेटिका ) उ ३।१४१ चुल्लमाया ( क्षुल्लमातृका ) उ१।१२,४३,४४, चेडी (चेटी) ३ ११५४,५५,७६,८०,४११२,१३ चेतियखंभ ( चैत्यस्तम्भ ) सू १८३ १४५, २१५, १७ चुल्लहिमवंत ( क्षुल्ल हिभवत् ) प १६।३० ज ११४८; चेत्त (चैत्र) ज ७ १०४३६४० चेती ( चैत्री) ज ७|१३७,१४०,१४६,१५५ सू १०७,१६,२३,३६ ४।४८ चुल्लहिमवंतकूड (चुल्लहिमवत्कूट) ज ४१४४,४५, ४८,५१,५२, ७६, ६६,२२६ चुल्लहिमवंतगिरिकुमार ( क्षुल्ल हिमवगिरिकुमार ) ज ३ १३१ से १३४, १३६,४५२ चूचुय (चूचुक ( ज २।१५ चूडामणि (चूडामणि ) प २।३० ३१ ज ३१३६, २११ चूतलता ( चूतलता ) प ११३६६१ चूयमंजरी ( चूतमञ्जरी) ज ३११२,८८ ५५८ चूयवण ( चूतवन) ज ४। ११६ चूयवडेंस ( चूतावतंसक ) प २५०,५२ चूलासोइ ( चतुरशीति ) सू ११८/२ चूलियंग ( चूलिकाङ्ग) ज २१४ चूलिय ( चूलिक) ज २१४; ४।२४२ चेइय ( चैत्य ) ज १३:२।३१,६७,७१२२४ चं ७,६ सू ११२, ४, १८/२३ उ १११.२,६,१७,१६, १४४; २।४, १६ : ३१४, ६, २१, २४,२६,४६,६६, ६५,१५५,१५७,१६८, १७१,४४,६,१३,१८, २८,५/३६ चेइमखंभ (चैत्यस्तम्भ ) जे २।१२०, ४। १३३; ७१८५ चेयभ (चैत्यस्तूप) ज २२११४,११५ चेइरुक्ख (चैत्य रूक्ष, चैत्यवृक्ष ) ज ४ १२६, १२७ चेट्ठा ( चेष्टा ) ज २१३३ चेड (चेट) ज ३६,७७,२२२ चेडग (चेटक ) उ ११२२,१०७,१११, ११५,११६, ११६,१२८, १३७, १४० चेड (चेटक ) उ ११२२,२५,२६,१०५ से १०७, १०६,११०,११३,११४,११६ से ११६,१२७, १२ से १३४,१४० चुलसीति चोरग चेदि (चेदि ) प १३६३४ v चेय ( त्यज्) एइ उ० ४।२१ चेएसि उ ४।२२ चेलपेला (पेटा) उ ३११२८ चेल्लणा ( चलना) उ १११०,३२ से ४१, ४३, ४४, ४६,४८ से ५५,५७,५८,७० से ७४,८८, ६५, १०६, ११०, ११३, ११४ वेव (चैव ) प ११११७ चोsयम (चोदितमति) ज ३४१३८ चोक्ख ( चोक्ष) ज ३८२,१०६३।५१,५६ चौताल ( चत्वारिंशत् ) सू १२ १२:१६ । १५१२ चोत्तालीस ( चत्वारिंशत् ) सू १०।१३६ चोत्तीस ( चतु: त्रिशत् ) प २३६ ज ४।११० सू १।२२ चोट्स ( चतुर्दशन् ) प २२६६ ज १४८ सू ३|१,१०१६३ चोपुयि (चतुर्दशपूवि) ज ११५ चोदम ( चतुर्दश) ज सरणीसर ( चतुर्दशरत्नेश्वर ) ज ३११२६३ चोसहि ( चतुर्दशविध ) प २३१६,२० चोपाल (दे० ) ज ४,१३७ आयुधशाला चोप्पालंग (दे०) ज २१२० वरण्ड चोय (दे०) ज ३१११।३ चोयड ( 'चोय' पुट) ज ४११०७ चोयाल (चतुश्चत्वारिंशत् ) प २१४०३३ ज ७७६ सू १।१८ चोयालीस (चतुश्चत्वारिंशत् ) प २३५ ज ७८ चोयासव (चोयासव ) प १७ । १३४ चोर (चोर) प १७/१३२ ३०१२८ चोरग (चोर) प ११४४१३ असबरक, एक बढ़िया Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ चोवटि-छप्पण्ण घास जो रेशम रंगने के काम आता है २१६,२२१,२२२,२२४,२२५,२२८,२३०, चोवछि (चतुष्षष्टि) प२३१ २३२,२३४,२३७,२३६,२४२ से २४४ चोवत्तर (चतुस्सप्तति) ज ७८० छट्ठाणवडिय (षट् स्थानपतित) प ५१५.७।११५, चोवीस (चतुर्विशति) ज ७१०६ चोसट्ठि (चतुष्पष्टि) ज २।६४ छठ्ठी (षष्ठी) प २१२७१२ ज ७।१२५ छण्ण (छन्न) ज ३।३ छण्णउइ (षण्णवति) प २।४०।१,१२।३२ ज २।६; छ (षष् ) प १४६४.१ ज १११८ च ३३३ सू १७ ३.१७८ उ ५२५ छउमस्थ (छामस्थ) ५ १११०१।४,१११०४ से १०७, छण्णउत (षण्णवति) सू १६२१ छण्णउति (षष्णवति) सू २१३ ११७ से १२०,१२६; ३३१८३:१५।४४,४५; छण्णउय (षण्णवति) सू १६।११३२११७ १८।६४,९५,६७,६८,३६१८०,८१ छत्त (छत्र) ५ २६४८,६४,१११२५ ज २११५,२०, छउमत्थपरियाय (छद्मस्थपर्याय) ज २१८५ छक्कग (षट्क) ज ७१३१११ ३.३,६,१८,३१,३५,७७,७८,९३,१७८,१८०, छवखुत्तो (षट कृत्वस्) सू १२११० २२२,५।४३,५५,५७ सू १२।२६ उ १।१६; ४।१३,१८ छगल (छगल) प २१४६ छज्ज (राज्') छज्जइ ज ३१२४१४,३७४२,४५।२, छत्तहत्थगय (हस्तगतछत्र) ज ३।११ छत्तछाया (छत्रछाया) प १६।४७ १३१॥४ छठ्ठ (षष्ठ) प ३३१८,१८३,६१८०।२,१०।१४।४ छत्तरयण (छत्ररत्न) ज ३।११७।१,११८,११६, से ६,१२।३२; १७९६५ ; ३३।१६, ३६८५,८७ १२१,१७९,२२० ज २६५,८५७६७,११७१ सू १०७७, छत्तरयगत्त (छत्र रत्नत्व) प २०१६० १३।८ उ २।१०,२२, ३,१४,५०,५५,८३,१५० छत्तल (पट्तल) ज ३१६३,१३५,१५८ १६१.१६७,१७०।४।२४।५।२८,३६,४३ छत्ताइच्छत्त (छत्रातिच्छत्र) ज ४।३०,४६,५१४३ छट्टक्खमण (षष्टक्षपण) उ३१५० से ५४ छतागारसंठित (छत्राकारसंस्थित) सू ११२५,४।२ छट्ठभत्त (षष्ठभक्त) प २८१४७ ज २१५२,१६१ ।। छत्तातिच्छत्त (छत्रातिच्छत्र) सू १२।२६,३० छठाणवडित (षट्थानपतित) प ५१५,७,१०,१२ छत्ताय (छत्राक) प ११४७ कुकुरमुत्ता, धनिया, १४,१६,१८,२०,२४,२५,२८,३०,३२,३४, सोया, जाल बवूर का वृक्ष ३७,३८,४१,४२,४५,४६,४६,५३,५६,५६, छत्तार (छत्रकार) प १९६७ ६०,६३,६४,६८,७१,७४,७५,७८,७६,८३, छत्तालीस (षट्चत्वारिंशत्) सू १२।२५ ८४,८६,८६,६०,६३,६४,६७,१०१,१०२, छत्तीस (पत्रिंशत्) १ २१४०।४ ज ३१३ १०४,१०५,१०७,१०८,१११,११२,११६,१२६, सू १०.१६६ १३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७, छत्तोह (छत्रौघ) प ११३६।३ १५०,१५१,१५४,१६३,१६६,१६६,१७२, छप्पएसिय (षट् प्रदेशिक) प १०।११ १७४१७७,१८१,१८४,१८७,१६०,१६१, छप्पण्ण (षट्पञ्चाशत् ) प ११८४ ज ४१८६ १६३,१६४,१६७,१६८,२००,२०१,२०३,२०४, २०७,२०८,२११,२१२,२१४,२१५,२१८, छप्पण्ण (दे० षट्प्राज्ञक) ज २११६ Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ०८ छप्पय ( षट्पद) ज २।१२ छन्भंग ( षट्भङ्ग ) प २८ ।११६, १२३, १२५, १३३, १३६,१४३ से १४५ भाग ( षभाग ) प २१६४ ज १२१८६०३२।१ छमास ( पण्मास ) सू १ १६ छम्मास ( पण्मास ) ज २२४६, ७।२३, २५, २८, ३०, ५७,६०१२१३,१४,१७,२१,२४,२७२ ३; ६११,१६।२५,२७ छम्मासावसेसाउय (छण्मासावशेषायुष्क ) प ६।११४ छल (षष्) ज ७ २०१ १२।१२ छलंस ( षडस्र ) ज ३१६२,११६ छलसीय ( षडशीति) ज ४/४५, ७।३१ सू ४/४; १५।२६ छल्ली ( छल्ली ) प ११४८ ३० से ३७,६३ छवि (छवि) ज २११६,३६,४१,१३३३/१०६ छविच्छेय (छविच्छेद) ज २१३६, ४१ छविधर ( छविवर ) ज ७ १७८ छविहर ( छविधर) ज ७११७८ छविध ( षड्विध ) प ६३११८ छविय (दे० ) प ११६७ कट आदि बनाने वाला छविह ( षड्विध ) प ११९१,६४,६५,६ ११६; १३।६; १५ ३५,७०,२१२६,३१,३२,३४,३६; २२१८३, ८४, ८६, २३१४५,४६, २४१२, ४, ८, १० से १२:२६ २, ४, ६, ८ से १०:२११६; ३०१२ ज २२,३, ५०, ५८, १२३, १२८, १४८, १५१,१५७, १६४,४११०१,१७१ छब्बीस ( पविशति ) प २।२३ ज ७।१०८ सू १।२१ छाउद्देस ( छायोद्देश) सू २ छाउमत्थिय (छाद्मस्थिक ) प ३६।५३ से ५६,५८ छाणविच्छु (छगणवृश्चिक ) प १।५१ छायच्छाय ( छायाछाया ) सू २४ छाया (छाया) प २।३०,३१,४१,४६; १६१४८ ज ११८,२३,३१,२।१६,२०,१४६; ३३,११७१ १२७५/३२७।१५६ से १६७।१ सू ६३४; १०१६३ से ७४ १६५,६ छायागति ( छायामति ) प १६३८, ४७ छप्पय छेत्तुं छायामाणसाण ( छायानुमानप्रमाण ) सू ३ छायाणवादिणी ( छायानुवादिनी) सू ६४ छायावायत ( छायानुपातमति ) प १६३८,४८ छायाल] ( षट्चत्वारिंशत् ) प २।४०।४ ज ४८६ छायालीस (पट्चत्वारिंशत् ) सू १४।७ छायादिकंप ( छायाविकम्प ) सू ६१४ छारियभूय ( क्षारिकभूत ) ज २११३२,१४१ छावट्ठ ( पट्पष्टि ) ज ७।२७ छावट्ठि ( पट्पष्टि ) प १८७६११२० सू १।११,१२१३ छावत्तर ( षट्सप्तति) ज ७११ सू१६११११, ११३ छावतार ( षट्सप्तति ) प २२४०१२ छिंद (छिद्) छिदंति ज ५५७ छिमि १८८ हिज्ज (छेद्य) ३।११४ छिष्ण (छिन्न) ज ८८८६३१२२५ छिण्णरुहा (छिन्नरुहा) १ ११४८१३ गुडूची छिद्द ( छिद्र ) प २११० उ १।६५,६६,१०५ छिण्णलेसा (छिन्न लेश्या) सू 1१ छिन्नसोय (छिन्नस्रोतस छिन्नशोक ) ज २२६८ छिप्पर ( क्षिप्रतूर्य ) उ १।१३८ छिपा (दे०) ज २।६७ छीइत्ता ( क्षुत्वा ) ज ४६ छोरविरालिया (क्षीरविडालिका ) प १७६ छोरविराली (क्षीरविदारी ) प ११४० ४; ११४८२ सफेद और अधिक दूध वाली विदारी छुरघरगठिया (क्षुरगृहकसंस्थित) सू १०1३६ छुरघरय (क्षुरगृहक) ज ७११३३|१ छुहा ( क्षुधा ) प २२६४।१६ छेत्ता ( छित्त्वा ) उ ३११५०५१२८, ४१ छेज्ज (छेद्य) ज ३१३२ छेत्ता ( छित्त्वा ) ज ७२२ सू १।१६ छेत्तुं (छेत्तुम् ) २२६६।१ Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ छेद-जभग १०६ छेद (छिद् ) छेदेइ उ ३।८३ छेदेहिइ उ ५।४३ छेदित्ता (छित्वा) उ २०१२;३।१४ छेदेत्ता (छित्त्वा) उ ३१८३ । छेदोवठावणिय (छेदोपस्थापनीय) प१।१२४, १२६ छेदोवठावणियचरिस्परिणाम (दोपस्थानीय चरित्रपरिणाम) प १३११२ छेय (छेद) ज २३६,४१,६०,३११७८,५१५ छेय (छिद्) छेएइ उ ५१३६ छयणगदाइ (छेदनकदायिन्) प १२।३२ छेरमाण (रिच्यमान) उ ३।१३० छेलिय (दे०) ज ३।३१ छेवट (सेवार्त) ५२३१४५,९६,१०५,१०७.१०६, छोड़े (क्षिप्त्वा ) सू ६३ ज (यत्) प १४ ज १२६ सू ११४ उ ११२,३३१; ५।३६ जइ (यदा) प १२ जइ (यदि) प २६४।१६ सू १११३ उ १६; २।१,३३१,४:१;५१ जइ (यत्र) प२३.१६० जइण (जविन्) ज २।१०३।२,३५,३६,४७,६४, ७२,१०६,११३,१३८,१४५,५१५,२८,४४,४७, ६७७१७८ जइया (यावत् ) ज ७।१३१ जंगम (जङ्गम) ज ३।१०६ जंगल (जग) प ११६३।२ जंघा (जङ्घा) २११५ उ ३१११४ जंत (यंत्र) १२१३०,३१,८१ ज ३१३२,७६,१०६, ११६,१७८,४१२:७,५।२८ जंतु (जन्तु) ज २१४।१ जंपमाण (जल्पत्) ज ३१८१ जंबु (जन्तु, जम्बू) प १।३३।१।१३१ उ १३ से १. हे० ४।१४३ क्षिप्-छुह ५,७,९,१४२,१४४,२।२,४,१४,१६,२१,३१२, ४,१६,२१,२२,२४,८७,८६,१५३,१५५,१६६, १६८,१७०,४।२,४,२७,५२,४,४४ जंबुद्दीव (जम्बूद्वीप) प २३२,३३,३५,३६,४३,५०, ५१,१५१५४,५५१,१६।३०,३६।८१ ज १७, १५,१६,१७।१,१८,२०,२३,३४,३५,४६,४८, ५१,२।१,७,१६,५२,५६,६०,१६१,१६४,३३२६, ३६,४७,५६,११३,१३३,१३८,१४५,४।१,६, ५२,५५,६२,८१,८६,६८,११४,१५६,१६०, १६५,१६७,१६६,१७२ से १७४,१७८,१८१, १८२,२०१ से २०३,२०६,२१३,२६२,२६५, २६८,२७१,२१७४,२७७,२३,२२,२६,६३१,५,७ से २६;७१,४,८ से १४,३१,३३,३६ से ३६, ५२,५४,६२६३,६७ से ७२,८६,८७,६१,६२, १०१,१०२,१७५,१८२,१९८ से २०८,२१० से २१३ सू १११४,१६,१७,१६,२१,२२,२४, २७:२।१,३,३११,२,४।३,४,७,१०,६।१८११; १०।१३२,१४२,१४७,१२१३०,१८७,२०, १६।१,२,१६।२२।२३ उ ११९३७,६१,१२५, १५७:५।२४,४३ जंबुद्दीवपण्णत्ति (जम्बूद्वीपज्ञप्ति) ज ७।१०१,१०२, २१४ सू ३११ जंबू (जम्बू) ज ४।१४६ से १५०; १५१।१,२,१५.२ से १५४,१५६,१५७१२,१५८,१५६,२०८% ७२१३ जंबूणय (जाम्बूनद) ज ३।३०,३५ जंबणयामय (जाम्बूनदमय) ज ११५१,४१७,१३, ११८,१४३,२५६ जंबूपेढ (जम्बूपीठ) ज ४।१४३ से १४५ जंबूफल (जम्बूफल) प १७.१२३ जंबूफलकालिया (जम्बूफलकालिका) प १७:१३४ जंबूरुषख (जंक्ष) ज ७२१३ जंबूवण (जम्बूवन) ज ७।२१३ जंबूवणसंड (जम्बूक्नषण्ड) ज ७।२१३ जंभग (जुम्भक) ज २६६ Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१० जंभय-जम्म जंभय (जम्भक) ज ५७० १८६,२०४,२१४.२२१ जंभाइत्ता (जम्भयित्वा) ज २०४६ अणवयविहार (जनपदविहार) उ ३.४६,१४५,५१३३ जक्ख (यक्ष) प १११३२,२२४१.४५,१५१५५।३ जणक्यसच्च (जनपदसत्य) प १११३३ ज २१३१,३३१४,१८,३०,३१,४३,५१.६०,६८, जणिय (जनित) उ ३।४८,५० ६३,१३०.१३६,१४०,१४६.१७२,१८० जग्ण (यज्ञ) ज २१३० उ ३१४८,५० सू १६३८ उ ५।७,२४,२६ जण्णइ (यज्ञकिन् ) उ ३१५० जक्खग्गह (यक्ष ग्रह) ज २१४३ जण्णु (जानु) ज ३।१२.८८,५७,५८ जक्खाययण (यक्षायतन) उ ५७,८,२४,२६ जण्हवी (जाह्नवी) ज ३।१६७१११ जक्खोद (यक्षोद) सू १९३८ जत (यत) प २१३०,४१ जग (जगत्) ज ५५,४६ जति (यदा) प ५१२०५१३४ सू १९४२२१२६ जगई (जगती) ज १७ से ६.१२,१४,४।६,३५, जति (यत्र) प २३११६७ ३७,४२,४५,७१.७७,६०,९४,२६२ जतिविह (यतिविध) प १६४२० जगईसमिया (जगतीस मिका) ज १११० जत्ता (यात्रा) उ ३।३०,३१ जगती (जगती) सू ३।१ जत्तिय (यावत्) प १५।६६,१०३; २३११७५ जगप्पईवदाइय (जगत्प्रदीपदायिका) ज ५१५,४६ ज ७१२०० जघण (जधन) ज ३११३८ जत्थ (यत्र) ज ३१७६ उ ३।५५; ४१२१; ५३६ जच्च (जात्य) ज २१५,३३१०६,१७८ जदा (यदा) ज ७१२० जच्चकणग (जात्यकनक) ज २१६८ जदि (यदि) प ५१५ जठ्ठ (इष्ट) उ ३।४८,५० जप्पभिइ (यत्प्रभृति) ज २।६७ उ ३।११८ जडि (जटिन्) ज ३११७८ जम (यम) ज ७१३०,१८६।३ उ ३१५३ जडियाइलय (जटिकादिलक) सु २०१८१५ जम (काइय) (यमकायिक) ज ११३१ जडियायलय (दे० जटिकायिलक) सू २०१८।५ जमग (यमक) ज ४।११२ से ११५.११७,१२०, जढिलय (जटिलक) सू २०१२ १४०।२,१४१,१६५ जद (त्यक्त) ज ३।१२७ जमगपव्वय (यमकपर्वत) ज४।१११,११३,२०६, Vजण (जन्) जगइस्सइ ज २११४२,१४३,१४५ २६२, ६।१० जणेज्जा प १७१६६,१६७.१६६ से १७२ जमगवण्णाभ (यमकवर्णाभ) ज ४।११३ जण (जन) प १।१२ ज ११२६, २०६५,३।१,६५, जमगसंठाणसंठिय (यमकसंस्थानसं स्थित) ज४११० १०६ ११६,१३८,१५६ सू१११।६८, जमगसगम (दे०) ज ३११२.३१,७८,१०६,१८० १३६; ३।११४,११५,११६:५७,२०,२७ २०६:५१२४ जणक्खय (जनक्षय) ज २०४३ जमदेवया (वमदेवता) सू१०८३ जणणी (जननी) ज ५१५,४६ जमय (यमक) ज ४।११६ जणवद (जनपद) उ १५६६ जमल (कमल) ज १।२४, २११५,४१२७:५३५,२८ जणवय (जनपद) प ११।३३११ ज २११३१,३८१, जमालि (जमालि) ४११५; ५।२०,२७,३८ १८६,२०४,२२१ उ ११६४,६६,१०३ १०६, जमिगा (मिका) ज ४।१६० ११०,११३,११४,१२२,१२६,१३३ जम्म (जन्मन्) ५३६।१४ ज २०१०३,,१०४ जणवयकल्लाणिया (जनपदकल्याणिका) ज ३११७८, उ ११३४,३१६८,१०१,१३१ Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जम्मण-जसंसि जम्मण (जन्मन् ) ज ५१३,५,७.१७,२२,२६,४४, ४६,६७ से ७०,७२ से ७४ उ २।३.११२; ४।१६५२५ जम्हा (स्मात् ) उ १।६३,२।६ जय (त) प २१३१ जय (ज) ज २११५.६४.६५, ३।५,६.१८,२६,३६. ४७,५६,६४,७२.७७.६०,६३ ११४,१३३, १३८,१४५,१५१.१५७.१७८,१८०,१८५, २०५,२०६,२२२, ५१५८, ७।११८ उ ११०७, ११०.११६,११८,१२२.१३०,५।१७ जिय (जि) जइस्स इ उ १।१५ जयंति उ ११३५ जयंत (जान्त) प १११३८ । २०६३,४।२६४ से २६६।६।४२,५६;७।२६, १५८६,६२,१००, १०२.१०५,१०८,१०९.११३,११४,११६, १२०,१२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६; २८९६ ज ११५,४१६४ जयंती (जबन्ती) ज ४१२१२, २१२।४।५1८1१; ७।१२०१२,१८६ सू १०८।२ जयणा (यतना) उ ३३३१ जयहर (जधर) ज ३११२६११ जया (यदा) ज ५१ सू ११११ उ ३३११८ जया (जया) सू १०६०,१७०,१७२ जर (जरा) प १११११; ३६।८३।२ सू २०१६।६।। जर (ज्वर) ज २१४३ जरा (जरा) प २१६४,२०६४।६,२२,३६।१४।१ ज २८८,८६.१०३,१०४,१३३,३।२२५ जरुला (दे० प १५१ जल (गल) प ११७५ ज २११३४३६३२,८१,६८, १५१:४१३,२५ उ ३१५५ जिल (ज्वल ) जल ति ज ५७ जलंत (ज्वलत) ज ३११८८,४।६.१४,३१,४१,६८, ७६.६३ उ ३।४८,५०,५५६३,.६७.७०,७३, १०६,११८ जलकंत (जलकान्त ) प १५२०।४।२।४७१६ जलकिड्डा (जलक्रीडा) उ ३॥५.१,५६ जलचारिया (जलचारिका) प ११५१ जलट्ठाण (जलस्थान) प २१४,१३,१६ से १६.२८ जलण (ज्वलन) ज ३१३५ जलपह (जलपथ) प १६।४५ जलप्पह (जलप्रभ) प २१४०1७ जलमज्जण (जलमज्जन) उ ३१५१,५६ जलय (जलज) प ११४८।४० ज ४२६५७ जलय (जलग) ज ३।३२ जलयर (जलचर) प ११५४,५५,६०,३।१८३; ४।११३ से १२१,६७१.७८,८३,२१८ से १०,३२ से ३४,४३,५३.६० सू १०।१२० जलरुह (जरूरुह) प १।३३१,११४६ जलवासि (जनवासिन्) उ ३.५० जलविच्छ्य (जलवृश्चिक) ५ ११५१ जलाभिसेय (जलाभिषेक) र ३१५०,५१,५६ जलासय (जलाशय) प २।४,१३,१६ से १६,२८ जलिय (ज्वलित) ज ३१३५ जलोउय (जलोतुक) प ११४६ जलोया (जलौका) प ११४६,७८ जल्ल (दे०) ज २१३२ जल्लेस (यत्लेश्य) प १७१६२,१०२ जल्ललेस्स (गत्लेश्य) प १७१६२,१०२ जव (यव) प ११४५।१ ज २११५,३७, ३३११६ जवजव (यवयव) प ११४५।१ ज २।३७ जवण (पवन) प ११८६ जवणदीव (यवनद्वीप) ज ३।८१ जवणाणिया (यवनानिका) प ११८ जवणालिया (वनालिका) प ३३।२६ जवणिज्ज (यापनीय) ज ३।३०,३२,३४ जवमज्श (यवमध्य) ज २१६ जवसय (यवासक) प११३७।३ जवासा नामक पौधा, एक तरह का खदिर जवासाकुसुम (यवासककुसुम) प १७।१२५ जस (यशस् ) ज ३।३५,७७,१०६,१२६,१२६, १६७,१८५,२०६ जसंसि (यशस्विन्) ज ३१३,१२६१३ Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जसधर-जहाणोगाहणग जसधर (यशोधर) ज ७११७।१ ७३ से १६,३३१२ से १३,१५ से १७:३६।८ जसभद्द (यशोभद्र) ज ७।११७।१ सू १०८६।१ से १०,१७,१८,२०,३०,३४,४४,६१,६६,६८, जसम (यशस्वत्) ज २१५६,६१ ७०७२ से ७४,७६,६२ ज २१४४,४५,५८, जसवई (यशस्वती) ज ७६१२१ सू१०।६१ १२३,१२८,१४८,१५१,१५७,४११०१,७२८, जसोकित्ति (यशःकीर्ति) ५ २३.१६,२०,१५३ ५७,६०,१८२,१८७ से १९६,२०६ सू १।१४; जसोकित्तिणाम (यश:कीर्तिनामन्) २३१३८, १८।२०,२५ से ३४,१६१२,२०१३ १२७,१८८ जहण्णग (जघन्यक) १७११४४,१४६,२३५१५२, जसोधर (यशोधर) सू १०८६१,८८।१ १८४ जशोहरा (यशोधरा) ज ४।१५७।१:५६।१; जहण्णगुण (जघन्यगुण) १ ५१३६,३७,५८,५६,७३, ७/१२०११ ७४,८८,८६,१०६,१०७,१८६,१६०,१६२, जस्संठित (यत्संस्थित) सू ४१३ १६३,१६६,१६७,१६६,२००,२०२,२०३, जह (यथा) प ११११३ उ १.१०६ २०६,२०७,२१०,२११,२१३,२१४,२१७, जहण (जघन) ज २१५ २१८,२२०,२२१,२२३,२२४,२४१,२४२ जहण्ण द्वितीय (जधान स्थितिक) प ५१२३,३४,५५, जहण्ण (जघन्य) प १७४, २१६४१८,४१ से ५४, ५६,७०,७१,८५,८६,१०३,१०४,१७३,१७४, ५६ से ६७,६६ से ८६,६१ से १३३,१३५ से १७६,१७७,१८०,१८१,१८३,१८४,१८६, २६६,२६८,५१४०,४१,४४,४५,७७,७८,६२, १८७,२३५,२३६ ६३.९६,६७,११०,१११,११४,११५,१५३, जहण्णठितीय (जघन्य स्थितिक) प ५१५६ १५४,१५६,१५७,१५६,१६२,१६३,१६५,१६६, १६८,१६६६.१ से १८,२० से ४५,६०,६१, जहण्णपएसिय (जघन्यप्रदेशिक) प ५२२८ ६४,६६ से६८,१२०,१२१,१२३ ;७४२,३,६ से जहण्णपदेशित (जघन्यप्रदेशिक) १५॥२२८ २९,१११७०,७१:१२१६,१३१२२१२,१५१४० से जहण्णपदासय (जघन्यप्रदाशक) प ५१२२७ ४२,१७१४६:१८०२ से ४,६,८ से १०,१२,१४ जहण्णपय (जघन्यपद) ज ७।१६८,१६६,२०२, से १६,१८ से २४,२६ से २८.३० से ३६,४१ २०४,२०६:१२१३२ से ५४,५६,५७,५६ से ६७,६६ से ७४,७६ से जहण्णमति (जघन्यभति) प ५१६२,६३ ८१,८३ से ८५,८७,८६ से ६१,६३,६५,६६, जहण्णय (जघन्यक) प १५२६४,१७।१४४; १८,१०३,१०४,१०५,१०७.१०८,११०,११३, २१११०५:२३।१६३ ज ७।२६ सू श१४,१६, ११४,११६,११७,११६,१२०,२०१६ से १३, १७,१६,२१,२२,२४,२७२।३।३।२:४१७,६; ६१,६३,२११३८,४० से ४२,४८,६३ से ७१, ६।१८।१;६२ ७४,८४,८६,८७,६० से ६३;२३१६० से ७६, जहण्णुक्कोसग (जघन्योत्कर्षक) प १७।१४६ ८१,८३ से ६२,६५ से ६६,१०१ से १०४, जहण्णुक्कोसय (जघन्योत्कर्षक) प १५।६४; १११ से ११४,११६ से ११८,१२७,१२६, २१४१०५ १३१,१३३ से १३५,१३८,१४०,१४२,१४३; जहण्णोगाहणग (जधन्यावगाहनक) प ५।२७:२८, १४७,१५१ से १५३,१५५,१५७,१५८,१६० ४८,४६,५२,५३,६७,६८,८२,८३,१००,१०१, से १६२,१६४ से १७३,१७६,१७७,१८२,१८३ १५३,१५४,१६२ १६३,१६५,१६६,१६८. १८६ से १८८,१६० से १९३,२८१२५,४७,५०, १६९,२३३,२३४ Page #227 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जहण्णोगाहणय-जातरूववडेंसग जहण्णोगाहणय (जघन्यावगाहनक) प ५२८,४६, जाउकणिया (जातुकणिका) सू १०१६६ ५३,६८,६६.८३,१००,१५४,१५६,१५६, जाउलग (जातुक) प ११३७१५ जागर (जागर) प ३।१७४२३।१६५,१६६ से जहन्न (जघन्य) प४।१०,१३४ जहा (यथा) प ११ ज १११ सू १।१२ उ १।२; २ १०२ जागरमाण (जाग्रत् ) उ ११५,३१४८,५०,५५,८७, २०२३१२४१२.५ ६८,१०६,१३१, ५१३६ जहाणाम (यथानामन्) सू २०१७ जागरिया (जागरिका) उ ११६३ जहाणामय (यथानामक) १६५२,५४; जाण (ज्ञा) जाण प ११४८१५६ ज ७।११२१५ १३१०७,१०६,१११,११६,११६,१२३ से जाणइ प १११११,१७।१०८ से ११०:२३११३ १२८,१३० से १३५:२८।१०५,३४।१६; ३०।२७,२८ ज २१७१:७१११२ उ १६८ ३६।१४ ज १।१३,२१,२६,३३,३८,४६२।७, जाणंति प २१६४।१३१५४६ से ४६,३३।२ १७.१८,३८,५२,५७,१२२,१२.७,१४७,१५०, से १३,१५ से १८,३४११११,३४१६ से ६,११, १५६,१६१,१६४; ३।१६२:४२,८,११,१०७; १२ जाणति प ११११२ से २०११४४,४५; ५१५.७.३२ १७४१०६ से १०८,११०,१११;३०।२५ से जहाभूय (यथाभुत) 3 १४२ २८,३६८०,८१ जाणाहि सू १०।२२६ जहारिह (यथाई) ज २१११३:३८१ जाण (यान) ज २।१२,३३:३।१०३ ३ १२१७,१६, जहाविभव (यथा विभव) उ ५११७,२५ २४,४११२,१३,१५ जहिच्छिय (यथेष्ट) ज २१६,२२ जाणमाण (जानत्) ज २१७१ जहेव (यथव) सू१७१३ ३१२१ जाणय (ज्ञ) ज ३१३२ जहोचिय (यथोचित) उ १३५ जाणवय (जानपद) ज १२२६;३।१,१२,४१,४६, जा (या) जति प ६१८०१ ज ७१३५।४ ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२ से २१४ जाइ (जाति) प ११३८२ छोटा आंवला. चमेली, सू ११ जायफल जाणविमाण (पानविमान) ज ५१३,५,२२,२६,२८, जाइ (जाति) प ११४६,६०,६६,७५,७६११९ ३०,३२,४४,४५ उ ३७,६१ ज २।८८,८६,२२५,३१३,१०६५१५,४६ जाणविमाणकारि (मानविमानकारिन) ज ५१४६ सू१।१६।१२।१५ १०,१२ से १७:१४।३७ । जाणिउकाम (ज्ञातुकाम) प २३।१३ उ१२,३४,४६,४:३।१५१५२६ जाणिता (ज्ञात्वा) प २३।१३ ज ३११२३ उ श६८%; जाइज्जमाण ( च्यमान) १३१०५ ५४० जाहणाम (जातिनामन } ५२३।३८,४०,८५,८७ जाणियत्व (ज्ञातव्य) प १५।१४३;१६।१५।२३।१३ मे ८६,१५० जाणु (आनु) ३६,१२,८८,५१२१,५८ जाइनामनिहलाउय (नातिनाम निश्चत्तायुक) जाणुकोपरमाया (जानुकूपरमात, लानुकूपरगाव) ६.१२१ उ ३९७,१३१,३।१०५,१३१ जाइय (याचिन) ३१३८ जात (यात) प ११७५ जाइविटिया (जातिविशिष्टता) १ २३।५८ जात (जात) ज २११४६३१३ जाहहिंगुलय (जातिशिल मादक प १७॥१२६ जातकस्म (जातकर्मन्) उ १।६३,३।१२६ जाउकषण (नाक) १३२।१ जातरूवब.सग (जातरूपावतंसक) प ५१ Page #228 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११४ जाति-जिणवर जाति (जाति) प ११५०,५१,८१,८१११:२०६४, जालघरग (जालगृहक) ज २११३ २६४१२२:११।८ से १०,३६१६४।१ ज २११०; जाला (ज्वाला) प ११२६ ५१५ जाव (गवत् ) प ११३, २०३२ से ४०,४२ से जातिआरिय (जात्यार्य) प ११६२,६४ ४६,४८,५० से ६३,४।५५७१६ से ३०; जातिणाम (जातिनामन् ) प २३१८६,१५०,१५१ ८३,४,६ से ११;६॥२२:१०।१६ मे २५,२७ जातिणामणिहत्ताउय (जातिनामनिधत्तायुष्क) से ३०,३२ मे ४३,४५ से ५३; २०१५२,५६, __ प ६.११८,१२०,१२३ ६०,६३,६४ ज ११६ च १० सू११ उ १२; जातिनामनिहत्ताउय (जातिनामनिधत्तायुष्क) २१;३।१,४११:५१ - प ६१११६,१२३ जावइ (यावी) प ११३७१५ जातिपुड (जातिपुट) ज ४।१०७ जावइय (यावत् ) ज २१६४।१४०१२ जातिविसिठ्ठया (जातिविशिष्टता) प २३१२१ जावज्जीव (बावज्जीय) उ ३१५० जातिविहीणया (जातिविहीनता) प २३।२२.५८ जावति (यावी) प ११४३११ जातीय (जातीय) ज ३।१०६ जावतिय (कावत्) प १५१५१,५२ मू ६।३१३३२ जाधे (यदा) सू १६।२४ जावय (ज्ञापक) ज ५१२१ जाय (जात) ज ११६,२७१,५५,१२८,१४६; जावेत (मापयत् ) ज ३११७८ ३१८०,६५,६६,१०३ उ ११६६,६३,२१६; जासुमण (जपासुमनस्) प १।३७.१ ज ३।३५ ३।१३,४६,१०५,११३,१४४,१४६४१२१, जासुमणकुसुम (जपासुमनस्कुसुम) प १७११२६ २७,३४,३८ जासुवण (जपासुमनस्) प १४०६३ जाय (जन) जायइ ज ३।६२,११६ जायंति जाहा (जाहक) प १९७६ ज ३१६२,११६ जाहिं (बत्र) प २४९ ‘जाय (याच) जायेइ उ १।१०२ जाहे (यदा) ज ७५६ सू १६।२७ उ ११५२; जायकोउहरूल (जातकौतूहल) ज ११६ ३।१०६ जायणी (शचनी) प १११३७११ इजि (जि) जयति च ११ जायतेय (जाततेजस्) जे २।१२६,१५८ जिण (जिन) प ११६३१६,१११०१।३,४,१२; जायय (जातक) उ ३।३८ ३६०८३३२ ज ११४०२६३,७१,७८,८०, जायरूव (जातरूप) ज २१६८,४१२५५,५१५ ५१५,२१,४६, सू१६।२२११ जायरूवखंड (जात रूपखण्ड) प ११७४ इजिण (जि) जिणाहि ज ३।१८५ जायरूपवमय (जात रूपावतंसक) ५ २०५६ जिणसकधा (जिन सकधा') सू १८।२३ जायसंश्य (जातसंशय) ज ११६ जिणसकहा (जिन 'सकहा') ज २।१२०,४।१३४; जायसढ (जातश्रद्ध) ज ११६ उ ११४५२२ ७.१८५ जार (जार) ज ५१३२ जिणघर (जिनगृह) ज ४।१३६ जारु (चारु) प ११४८२ जिणपडिमा (जिनप्रतिमा) ज ११४०,४६४७,१२६, जाल (जाल) प ११११५ ज ३।६,१७,२१,३४,३५, १३६,१४७,२१६ १७७,१२२,१७८,५।२८ जिणभत्ति (जिनभक्ति) ज २।११३ जालंतर (जालान्तर) प २१४८ जिणवर (जिनवर) प ११२ चं ११४ Page #229 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जिणवरिंद-जीविय ६१५ जिणवरिद (जिणवरेन्द्र) प ११ ज ५१५८ जिणिद (मिनेन्द्र) प ५१४१ जिन्भगार (जिह्वाकार) प १६७ जिभिदिय (जिह्वन्द्रिय) प १५१,२,६,१३,१६, ३० से ३३,४२,५८,६४,६६,७०,८०:२८।४२, जिभिदियपरिणाम (मिनियपरिणाम) प १३।४ जिभिया (जिटिका) ज ४।२४,३६,६६,७४,६०, जिमिय (जिमित) ज ३१८२ उ ४११६ जिय (जित) ज ३११३५१२,१८५,२०६ जियंतय (जीवन्तक) प ११४४।२ जीवंत शाक जियंति (जीवन्ती) प ११४०।४ अन्न, वृक्षों पर रहकर फैलने वाली लता जियनिद्द (जितनिद्र) ज ३।१०६ जियपरीसह (जितपरीषह) ज ३।१०६ जियसत्तु (जितशत्रु) ज ११३ च ८ सू ११३ उ ४१६ जीमूय (जीमूत) प १७१५२३ जीय (जीत) ज २१६०.११३; ३१२६.३६.४७,५६, १३३,१३८,१४५,५।३,२२,२७ जीव (जीव) प १४७१,१।४८१७ से ४३,४५, ४७,४६ से ५१.५५ रो ५६,१८४,१०११२ २१६४,३।११२,३।१,६६ मे ११३.१२३ से १२५.१४१ १४३.१५० से १५२,१७४, १८३,६।१२०,१२३, ६।१२,१६,२५.२६, १०।३१,११।३०,३८.३६,४३.४६,४७.७० मे ७२,८० से ८२,८४,८५,६०;१२।१०।। १४।११ से १५.१७,१८,१६१२.१०,१६. २१,२३:१७।५६ ८४.८६,११२,११३; । १८।१।१,१८:११६५१, २०११,६३, २११८४; २२१७ से १०.१२ से २२.२४ मे २७,२६ से ४०;४२ से ४५,४८ से ५०,५२ से ५६,५८, ५६,६७ से ६६७५ से ८६.८८ से १४,६६, ६.७.१००; २३:१।१.२३।३.५ से ७,६ से ११, १३ से २३,१३४ १३५,१३७ से १३६,१५५, १५७.१६०,१६१,१६४.१६७,१७१,१७६. १६३; २४१२ से ४,६ से ११,१३ से १५%; २५।२,३,५; २६।२से ४,८,९,२७१२,३,६; २८।१०६,१०८,१०६,१११ से ११८,१२० से १२६,१२८ से १३३,१३६ से १४५,२६४, १६,१७,२२,३०१४,१४ से १६,२४,३१११,४; ३२१.६.१ : ३५।६; ३६११११,३६।३०,३२, ३५,४६ से ४८,५२,५६.६२ से ६६,६९,७०,७२, ७३,७४,७७,७८,६४ ज २१६८,७१,५१५,४६, ६।४;७२११,२१२ उ ११६०,६१,३।१४२, १४४; ५।३४ जीव (जीव) जीव ज ३।१२६६२ जीविस्सइ उ१११५ जीवंजीव (जीवंजीव) प ११७८ जीवंजीदग (जीवंजीवक) ज २।१२ जीवंत (जीवत्) उ १११०६,११०,११४ जीवंतय (जीवत्क) उ ११६६,१०३,१३३ जीवधण (जीवधन) प १६४११२३६।६३,६४ जीवणिकाय (जीवनिकाय) प २२११०,७८ ज २०७२ जीवस्थिकाय (जीवास्ति काय) ५३१११४,११५, ११६,१२२ जीवदय (जीवदय) ज ५१२१ जीवपज्जब (जीवपर्यव) प ५१ से ३,१२२ जीवपण्णवणा (जीवप्रज्ञापना) प १११,१० से १५, ४६ से ५२,१३८ जीवपरिणाम (जीवपरिणाम) प १३११,२,२० जीवमाण (जीवत् ) उ १।१५.२१,२२ जीवमिस्सिया (जीवमिश्रिता) प १११३६ जीवलोक (जीवलोक) ज २१६५;३१३१,१२४ जीवा (जीया) ज १२०,२३,४८, ३१२४,४।५५, ६२,८१,९६,६८,१०८,१७२,२६२,२६५,२७१, २७४ सू १११६२।१,१०११४२,१४७:१२।३०; २०११ उ १११३८ जीवाजीवमिस्सिया (जीवाजीवमिथिता) प १११३६ जीवाभिगम (जीवाभिगम) ज ११११,५४६,५१ जीविय (जीति) प ११४८५,४१:२२१६ ज २०७० २११२२,२५,२६,३४,१४०:३१६८,१०१, Page #230 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१६ जीवियंत करण-जोइस १३१,१५६ जुद्धसज्ज (युद्धसज्ज) उ १११५ से ११७ जीवियंतकरण (जीवितान्तकरण) ज ३१२४ जुम्ह (युष्मत्) सू १।६ उ ११२२,३।२६; ४१११ जीवियारिह (जीविताह) ज ३.६ जुय (युग) ज ७११० जीहा (जिह्वा) प २१३१,१५१७७,८१,८२ जुयणद्ध (युगनद्ध) सू १२।१२६ ज २११५,३११०६; ७१७८ जुयल (युगल) ज १५२४२११५,१००,३१२११: जुइ (धुति) प २६३१ ज ३११२,७८,८८,६२,११६, ४।२७,३०,५१५,२८,५८,६७,७१७८ १२६,१८०५.२२,२६ उ ३।१३४ जिंज (युज) जुजइ प ३६.८६,८७,८६,६० जुयलग (युगलक) ज २०४६ उ ३.१२६ जजति ५३६८६ से १० सु १५।१०।। जुवराय (युवराज) प १६:४१ ज २१२५ मुंजमाण (युञ्जान ) प ३६.८७,८६ से ११ जुवलय (मुगलक) प २१४०।२ जुजिता (युक्त्वा) सू१५।१० जुवाण (युवन् } ज ५१५ जुग (युग) ज २१४,६,१४१ से १४५; ३।३,११५, जुब्वण (यौवन) ज ३।१३८ ११६,१२२,१२४;७१२७ सू६.१८.१, जूय (यूप) ज २०१५ १०११२२,१२३,१२७:१२१६१३१३,१५१३५ जया (यूका) प १५० ज २६,४० जूव (यूप) ज ३१३ उ ३१४८,५०,५५ जुगंतकरभूमि (युगान्तकरभूमि) ज २१८४ जूस (यूष) सू १०.१२० जुगप्पत्त (युगप्राप्त) सू १२१८ जहिया (यूथिका) प १३८।२ ज २।१०।३ जुगमच्छ (युगमत्स्य) प ११५६ जहियापुड (यूथिकापुट) ज ४११०७ जुगव (युगपत्) १ ३६१६२ ज ५१५ जेठ्ठ (ज्येष्ठ) ज १२५,३११०६ चं १० ११५ जुगसंवच्छर (युगसंवत्सर) ज ७।१०३,१०५,११०। जेठ्ठपुत्त (ज्येष्ठपुत्र) उ ३.१३,५०,५५ सू१०।१२५,१२७ जेट्ठा (ज्येष्ठा) ज ७१२८,१२६,१३४१२, जुग्ग (युग्य) ज २।१२,३३ १३५।२,१३६,१४०,१४६,१५२,१६६ सू १०२ जुज्झसज्ज (युद्ध सज्ज) उ १३१२७,१२८,१३३ से ६,१८,२३,५१,६२,७३,७५,८३,११६,१२०, जुज्झ (युध) जुज्झति उ १५१३६ जुज्झह उ १।१२६ जुज्झामो उ१११२८ जुज्झित्था उ १११२७ जेठामूल (ज्येष्ठामूल) ज ७।१०४,१४६,१४६, जुण्णकुमारी (जीर्णकुमारी) उ ४ाह १५५ सू १०११२४ उ ३१४० जुण्णा (जी) उ ४६ जेट्ठामूली (ज्येष्ठामूली) ज ७१३७,१४० जुति (द्युति) प २१३०,३१,४१,४६ ज ५५२०९ सू १०१७,१८,२२,२३,२६ । जुत्त (युक्त) ज २११५:३।३,३५,७७,६५,१०६, जेणामेव (यव) प ३४।२२ ज ३१५ १३८,१५६,२११,४१२७,५॥२८,५८,७११४१ जो (द्योत) सू१२२७ से १४४,१५० से १५२,१७८ सू १०२० से जोइ (ज्योतिष) सू १४१८,६,११ से १३ २२,२५,१७२,१७३;१६।२२७,२०७ जोइस (ज्योतिस्,ज्योतिष) प २१४८:३४६१८ उ १११७,११६,१२८ ज ११२४; २१६४ से ६६,१००,१०२,१०४, जुत्ति (युक्ति) ज ३१२०६ १०६,११०,११३ से ११७:५।४७,६७,७२ से जुत्ति (युक्ति,धुति) उ ५१२।१ ७४,७१७१ से १७४ च ५।४ सू १।६।४; जुद्धणोइ (युद्धनीति) ज ३११६७।६,१७८ १९४२२१२ Page #231 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जो इस गणरायपण्णत्त-जोय जोइसगणरायपण्णत्ति ( ज्योतिर्गणराजप्रज्ञप्ति ) चं १।३ जोइसपह ( ज्योति: पथ ) प २१२०, २४, २५, २७ ज ११२४ जोइसव्ह ( ज्योतिः पथ ) प २।२२, २३, २६ जोइसराय ( ज्योतीराज ) ज ७।१८३ से १८५ जोइसरायपण्णत्त ( ज्योतीराजप्रज्ञप्ति) चं ११४ जोइसिंद ( ज्योतिरिन्द्र ) प २१४८ ज ७।१८३ से १८५३१६, १५ से १८ जोइसिंदत्त ( ज्योतिरिन्द्रत्व) उ ३११४ जोइसिणी (ज्योतिपी ) प ३११३८, १८३४११७४ से १७६१७।५३,७८,८२,८३,२०१३ जोइसिय ( ज्यौतिधिक ) प १।१३०, १३३ २ ४८; ३२८, १३७, १८३,४।१७१ से १७३ ५ ३, २६,१२२;६।२६,४६,५६,५६,६५,६६, ८५,६४, १०६,१११,११७;७३६;६।११, १८, २४, १५:३५, ४८,८७,६६,१२४; १६।१६ १७ २७, ३०,५३, ७८,८१,८३,६६,१०५,२०१३,१६,२५,३०, ४८,५४,६०,२१।५५,६१,७०,६० २२/३१, ३६,८८, १००, २८१७३, ११७२६।१५;३११५; ३३।१५,३०,३५।१५, २२, २३ ज २६४ ४२४८, २५० से २५२ ५। ५३, ५६, ७२ से ७४ ; ७१८५ जोइसियत्त ( ज्योतिषिकत्व ) प १५ १२६ जोइसियराय ( ज्योतीराज ) प २२४८ जोईरस ( ज्योतीरस) ज ५१५ जोएअव्व ( योजयितव्य ) प १०३२६ जोएत्ता ( युक्त्वा ) सू १०२५; १५८६ जोएमाण (युज्जत् ) ज ७ १४१ से १४५, १५०, १५१ जोग (योग) प ३|१|१|११|३३|११८११११; २८।१०६११:३६।१२ ज २२६५, ७१,८८, ६५; ३।१५६,२२५७।१, ११२१२, १२७।१,१२६, १३०,१३४।१,४,१३५,१३८ से १४०,१६७ १ चं २३५३१ ११६१३, १६।११०११, ५, १७२, ६१७ १७३; १२ २६; १५११०१६।२२।१० उ ३।३१ जोगपरिणाम (योगपरिणाम ) प १३२, १४,१६, १७,१६ जोगसच्च (योगसत्य ) प ११1३३ जोगि ( योगिन् ) प ३६६२ जोग (योग्य) ज ३|१०६,५७,४१ उ ३ ७ जोणय ( जोनक ) ज ३१८१ म्लेच्छ जोणि (योनि) प ११२४, १३४८२६३, २२६४;६१ से ४, ६ से ११,१३ से १७,१६ से २३,२६ ज २ १३५ से १३७;३।३ जोणिमुह (योनिप्रमुख ) प १२०, २३, २६,२६, ४८,५०,५१,६०,६६,७५,८१ जोणिन्भूय (योनिभूत ) प ११४८५१ जोणिय ( योनिक) ज ३।११३१ जोणिसूल ( योनिशूल ) ज २१४३ जोणीपमुह (योनिप्रमुख ) प ११४६,७६ जोन्ह ( ज्योत्स्न) सु १०1१३१; १८११,५,६; १२२१६,२०१६ ३१ जोतिस (ज्योतिष) प २।४८३१।६।१३४।१६ सु १०११३१,१८ । १, ५, ६,१९:३१ जोतिसराय ( ज्योतीराज ) सू १८।२१ से २४; २०१४, ६, ७, ६९।१ जोतिसिद ( ज्यौतिरिन्द्र, ज्यौतिषेन्द्र ) सू १८/२१ से २४,२०१४,६,७ जोतिसिपी ( ज्यौतिषी) मू १८३२६ जोतिसिय ( ज्योतिषिक ) ११२१६, ३७, १३३२०; १५।१०४, १०७ १६१६; १७/३३, ३४,६१; १६१४, २०१३५, ३७; २२ ७५; २६१२२:३२१५; ३३।२३, ३४,३७,३४ ४, १०, ३५ २३,३६/२६, ४१,७२ १८१२३, २५,१६।२२ जोतिसियत्त ( ज्योतिषिकत्व ) प १५।१११,३६२२ जोत्तम (योक्त्रक) ज ७।१७८ जोय (योग) ज ३|१७८७ १२६ १० २,३,५, ७५,१२२,१२३,१२६ १,१३२ से १३४, १३६, १६२ से १६६:१२।२६,३०१५८,११,१२, १३, १६१, ५, ८, १५, १६, २१, १६२२ २१ Page #232 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६१८ जोय-असणा जोय (युज) जोइंति ज ७/१२६ जोइंसु जोयणसहस्सहत्तिय (योजनसहस्रपृथक्रिक) ज ७११२६ जोइस्संति ज ७१२६ मू १६१ प ११७५ जोएइ ज ७/१२६ जोएंति ज ७।१,११२१२ जोवण (यौवन) प २।३१,३४१२० ज २११५; सू १०१५,१२६।१,२ जोएंसु ज ७।१ सू१०।७५ ३।६२,११६,१३८,५६८,७० सू २०१७ जोएति सू १०१२० जोएस्संति ज ७१ उ३।१२७ सु १०७५ जोयंति ज ७/११२११ जोव्वणग (यौवनक) २३१२७ १२८,५१४३ जोयण (योजन) प १७४,७५,८४,२।२१ से २७, जोह (योध) ज ३।१५,२१,२२.३१,३४,३६,७७, २६ से ३६,३८,४१ से ४३,४६,४८ से ५५, ७८,६१,६८,१६७।६,१७३,१७५,१६६ ५६,६३,६४,१११७२,१२१२७,३६,१५१४० से उ १११२३ ; ५११८ ४२,२११३८,४१ से ४३,४५,४७.१,२,२११६३, ६८ से ७०,८७,३३।१०,११:३६१६६.६८, . झंझावाय (भ.झावात) प १२६ ७०,७२,७४८१ ज ११७,८,१२,१४,१६, झय (ध्वज) ज ११३७,२।१५,२०,३१७,३१,३५, १७।१,१८,२०,२३,२८,३२,३५,४६,४८,५१; २१६३११,१८,२५,३१,३८,४६,५२,६१,६६, १७८,१७६ ७६,८१,६५,६६,१११,११६,११८,१३१,१३२, झया (ध्वजा) उ १२२,१४० झल्लरि (भल्लरी) प ३३।२३ ज ३।१२,७८, १३७,१४१,१५६,१६०,१६४,१८०,१६२; १८०,२०६ ४।१,३,६,७,१४,२३ से २५,३१,३६,३८ से ४३,४५,४७,४६,५२,५५,५७,५६,६२,६४ से झस (झस) ज ३३ ६८,७२ से ७८,८१,८६,८८,६० से १५,६८, झिा (ध्य) भियाइ र १४१५३९८ झिामि १०३,१०८,११०,११२,११४ से ११६,११८ उ ११४० झियासि उ ११३७ मिह उ २४२ से १२८,१३२,१३६ से १४१ १४२११,१४३, झिाहि उ ११४१ १४५,१४६,१५३,१५४,१५६.१६३ से १६५, झाण (ध्यान) उ३१३१ १६६,१७४ से १७६.१७८,१८३,२००,२०१, झाणंतरिया (ध्यानातरिका) ज २१७१ २०३:२०५ से २०७,२१३,२१५ से २१९, झाणकोट्टोवगय (ध्यानकाप्टोपगत) ज ११५; २२१,२२६,२३४,२४० से २४३,२४५,२५७ १८३ उ ११३ से २५६,२६२,५।३,५,७,२२ से २४,२८.३५, झिाम (दह ) भामेति ज २।१०८ झामेह ज १०७ ४३,४४,४६,५०,५३, ६६.१,६८,७।३ से झिगिर (दे०) ५ ११५० २५,३१ से ३४,५८,६२ से ८४,८६,८८,८६, झिगिरिड (दे०) ५ १५० ११ से १६,१७१ से १७४,१८२,२०७ ‘झिया (ध्य,ध्मा) झियायंति ज ३।१०५ सू १११४,२० से २४,२६ से ३१:११,३, झियायमाण (ध्यायत) उ ११३६,३७,४२,७१ ४।३ से ५,७,८,१०,१८११,५,६,६ से ११,२०, झिल्लिया (झिल्लिका) ११५५० १६४,७,१०,१४,१८,२०,२२।२८,२६, झिल्ली (झिल्ली) प ११४८१४२ १६।२३,२६,३०,३४,३७, उ १५१३४३७, झुसिर (शुषिर) ज ५।५७ २०११ ६१:५४ झूस (शोपय् ) भूसेइ उ ३१८३ महिइ जोयणपुहत्तिय (योजनपृथक्त्विक) प ११७५ उ ५१४३ जोयणसत्तपुहत्तिय (योजनशतपृथक्त्विक) प १७५ असणा (जोषणा) ज ३१२२४ Page #233 -------------------------------------------------------------------------- ________________ असित्ता-ठिति ६१६ झूसित्ता (शोपवित्वा) ११८ झूसिय (जुष्ट) ज ३।२२४ झूसेत्ता (शोषयित्ता) उ ३.८३,५१४३ झोसेत्ता (शोपयित्वा) उ २११२३।१० ठिइ (स्थिति) प ११११४:४१५:५१५,८४,११५, १४८,२१४,२३।१६३ ज २१५६,७१,१५६; ७।१६८।२,१८७ उ १४१,४३,२११२,२२; ३।१६,८५,१२४,१५०,१६४,१६६,१७१; ४१२५:१२६,४२ ठिइकल्लाण (स्थितिकल्याण) ज १८१ ठिइक्खय (स्थितिक्षय) उ३११८,१२५,१५२,४।२६ टंक (टङ्क) प १११ टिट्टिय (दे०) ज ५१६ टोलकिति (दे०) ज २१३३ TER Vठव (स्थापय ) ठवइ ज २१६५ ठविस्मति ज २११४६ ठवेइ ज २१६५ उ १११६,३।५१; ४११८ ठवें तिज २।१०४ ठवेसि उ ३७६ ठवेहि प ११४८।५८,५६ ठवणा (स्थापना) प ११:३३३१ ठवणासच्च (स्थापनासत्य) प १११३३ ठिवाव (स्थापय ) ठवावेइ उ ११४६ ठयाविता (स्थापयित्वा) उ०४६ ठवेत्ता (स्थापयित्वा) उ १.१६ ठविय (स्थापित) ज ३१८१ ठवेत्ता (स्थापयित्वा) १६५ ठा (प्ठा) ठाइ उ ११२२ ठाईऊण (स्थित्वा) ज ३।२४ ठाण (स्थान) ११५४,८४, २१ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ५२,५४ से ६४, ६।११०, १४१५,११ से १५,१७; १७/११४११,१७११४३ स १८५२३।११२३१६,७,१६० ज ३२४, ८६,१०२,१५६,१६२,५१२१,७५६ से ६० सू १०।१३८ से १४१,१४३ से १४६,१४८ से १५१:१६२४,२७ उ ११२२,१४०,३१५१।१ ३१८३,११५,१२०४।२१,२२,२४ ठाणठित (स्थानस्थित) सू१६।२६ ठाणमम्गण (स्थान मार्गण) प २८६,५२ ठाभिज्ज (स्थानी ) उ ११४४,४५ 'ठाव (स्थापय ) ठावेगि उ ३३१३ ठावेत्ता (स्थापयित्वा) उ ३५० ठिइय (स्थितिक) उ १२६,१४०:२०२० ठिईय (स्थितिक) ज ११२४,३१,४६,४७,२१४४; ३१२२५,४।२२,३४,५४,६०,६१,६४,८०,८५, ८६,६७,१०२,१४१,१४२,१६१,१६७,१७७, १८६,१६६,२०८,२६१,२७०,२७२:७५५, ५८,२१३ ठिच्चा (स्थित्वा) प १७४१०७,३४१२२,२३ उ ११२०,३१२६ ठितलेस्स (स्थितलेश्य) प २०४८ ठिति (स्थिति) प ४१ मे ४,६ से ४६,५६ से ५८, ६५,७१,७६,८८,६५,६८,१०१,१०४,११३, १३१,१४०,१४६,१५८,१६५,१६८,१७१, १७४,१८३,२०७,२१०,२१३,२६४,२६७, २६६,५७,१०,१२,१४,१६,१८,२०,२४ से २६,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६,५०,५३, ५६,५६,६३,६८,७१,७२,७४,७८,८३,८६,८६, ६३,६४,९७,१०१,१०२,१०४,१०५,१०७, १११,११२,११६,१२२,१२६,१३१,१३४, १३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७,१४८, १५०,१५४,१६३,१६६,१६६,१७०,१७२, १७४,१७५.१७७,१७८,१८१,१८२,१८४, १८५,१८७.१८८,१६०,१६३,१६७,२००, २०३,२०७,२११,२१८,२२१,२२४,२२८, २३०,२३२,२३४,२३५,२३७,२३६,२४०, २४२,१००५३।१:२३३१३ से २३,६० से ६४, ६६,६८,६६,७२ से ७७,८०,५१,८३,८५ से ६०,६२,९३,९५ से १६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३, Page #234 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२० ठितिपडिया-पक ख १७६,१७७,१७६,१८१,१८२,१८३,१८५, पई (नदी) ज ४१२००,२०२,२१२ १८७,१६० से १६३;२८१५,३६५८२११,८३१ । णउति (नवति) १८१ गु १८।२५,२६ से ३४ णउय (नवति) ज ११८ ; ४१२५६१८७८२, ठितिणामनिहत्ताउय (स्थितिनामनिधत्ताश्रूष्क) प ६.१२२ णउल (नकुल) प ११७६ ठितिनामणिहत्ताउय (स्थितिनामनिधत्तायुक) णं (दे०) प ११२० ज ११३ सू ११२ उ ११५; २११; प६११८ ३११,४११:५।१ ठितिपडिया (स्थितिपतिता) उ ११६३ जंगल (लाङ्गल) ज ।३ ठितीचरिम (स्थितिचरम) प १०॥३४,३५ णंगलई (लाङ्गलिकी) प४८१६ ठितीणामणिहत्ताउय (स्थितिनामनिधत्तायुक) गंगलिय (लाङ्गलिक) ज १६४६४१८५ प६.११६ गंगूल (लाल) ज ७११७८ ठिय (स्थित) प १११४७,४८,८० से ८३ गंगोलि (लागुलिन्) १११८६ ज ३१६२,११६,१३८,५३,२८,७५८ सू१११७ द (नन्द) ७११८ उ १११६ गंदणवण (नन्दनवन) ज २१६५,६६४१२१४, २३४,२३६,२३७,२३६,२४०,५१५५ णंदणवणकड (नन्दनवनकट) ज ४१२,३६ डंस (दश) ज २।४० णंदणवणविवरचारिणी (नन्दनवनविवरचारिणी) डब्भ (दर्भ) प ११४२१ डमर (डमर) ज २१४२ ज २१५ णंदा (नन्दा) ४१८०५।८।१,६८:४११८ डमरबहुल (उमरबहुल) ज १३१८ सू१०१६० डिह (दह) डहेज्जा ज २६ डाव (दे०)उ ११३८ गंदापुक्खरिणी (न-दापुका शी) ४१२२१ डिब (डिम्ब) ज २१४२ गंदावत्त (नन्दावत्त ) प १७१११ ज ३।३,३२ डिबबहुल (डिम्बबहुल) ज १६१८ णं दिघोष (नन्दिपंग) २.१६३१३०,५१५२ डिभय (लिम्भक) उ ३१६२,११४,१२३,१३० णंदिपुर (नईन्दपुर) प ११६६।३ हिभिया (डिम्भिका) उ ३।६२,११४,१२३,१३०, शंदिय (नन्दित) २१ णंदियावत्त (नन्द्यावत) ५ ११४६ ३।१७८; डोंगरू (दे०) ज २।१३१ ४।२८,५१४६३ डोंब (दे०) प १८६ णंदिरुक्ख (नन्दिरूक्ष) प १।३६।२ डोंबिलग (दे०) प १८६ दिबद्धणा (नन्दिवर्धना) ५.८१ कंदिस्सर (नंदिस्वर)) २११६:४८८,५२,७४ सू१९६३१ ढंक (ध्वाक्ष) प १७६ ज २१४०,१३७ णंदुतरा (नन्दोत्तरा) २८१ ढिकुण (दे०) प ११५१११ ज २।४० पका (नन्ह) प १५६ णक्क (ना) ११८६ ण (न) प १।१०१।३ ज १६ मु१३१४१०१२६ णक्ख (नख) १५,१६३१७८ Page #235 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्सत्त-णसगवयण ६२१ णक्खत्त (नक्षत्र) प १२० से २२,४६,५१, ज १२६,४११७२ १५१५५।३ ज १५२४२१६५,७१,५८,१३८; णग्गोह (न्यग्रोध) प ११३६१२ ज २०७१ ३।२०६,२२५७।१,५५,५८,६५,६६,१००, गरगोहपरिमंडल (न्यग्रोधपरिमण्डल) प १५१३५; १०३,१०४,१११,११२।१,२,११३,१२६, २३।४६ ज ७१६७ सू १०७४ १२८,१२६१,१३० से १३३,१३४।२,३,४, पणच्च (नत) पच्चंति ज ३।१०४,१०५:५।५७ १३५४४,१३८ से १४५,१४७,१४८,१५०, णच्चण (नर्तन) प २१४१ १५१,१५२,१५६ से १६७,१७०,१७५, णिज्ज (ज्ञा) णज्जइ ज ३११०५ १७७१३,१७८१२,१८०,१८१,१६७ च ५।४ पट्ट (नाट्य) प ६३१,४१ ज २१३२,३८२, सू १०११ से ५,८ से २५,२७ से ३१,३३ से १६७।१०,१८५,१८७,२०६,२१८,५१,१६, ४२,४४,४६ से ५६,६१ से ७५,७७ से ८३, ५७,७१५५,५८,१८४ सू १८१२३:१६४२३,२६ १२ से १०७,१०६ से १२०,१२२,१२३,१२८, णमुमालग (नाट्यमालक) ज ३११५०,१५१ १२६।१,२,१३० से १३५,१५२ से १६६, णमालय (नाट्यमालक) ज १५२४,४६, ६.१६ १७१ से १७३,१११२ से ६१२।१६ से २८, मद्रमाल (नाट्यमाल) ज २।८ ३०; १३।११,१४,१५.१,२,४,६ से ६,११, णट्रविहि (नाट्यविधि) ज ३।१६७।१०,५१५७,५८ १२,१४ से १६,१६ २२,२५,२८,३४,३७, णट्टाणीय (नाट्यानीक) ज ५१४१,४४ १८१४,७,१८,१६,३७, १६।१।१,५२,८१२, गट्ठरय (नष्टरजस्) ज ५७ ११४३,१५॥३,१६,१६४२१४,७,२२।३,२२,३१, णडपेच्छा (नटप्रेक्षा) ज २१३२ १६२३,२६,२०१७ उ ५।४१, णत (नत) सू २०१७,२०।६।६ णक्खत्तमंडल (नक्षत्रमण्डल) ज ७९८५ से ६४,६७, णतंभाग (नक्तंभाग) सू १०१४,५ ११३ सू १०।१२६,१३० पत्तु (नप्त) ज २११३३ णक्खत्तमास (नक्षत्रमास) म १२।२,१२ णत्थि (नास्ति) ५ १७५,८०,२६५२,६४।१८, णक्खत्तविजय (नक्षत्रविजय) सू १।६।४; १०११३२, ५१४३,६६,८०,६६,१८०,१२१६,११,२१,२८; १७३ १३।१६१५२८७,६४ से १०१,१०३ से १०६, णक्खतविमाण (नक्षत्रविमान) प ४।१६५ से २०० १०८ से ११०,११२ से ११७,११६ से १२३, ज७।१६३,१६४ मू १८१८,१२,१६,३३,३४ १२५,१२६,१२८ से १३२,१३८ से १४१, णक्खत्तसंठिति (नक्षत्रसंस्थिति) म १०१२७ १४३,१७७०,२११६२ से १०१, २२॥४२; णक्खत्तसंवच्छर (नक्षत्रसंवत्सर) ज ७।१०३,१०४ २३११३७,१३६२८११४२,१४५:३०।१७; सू १०११२५,१२६,१२६,१२।२ ३६.८ से ११,१५ से २३,२५,२६,२८,३०, णख (नख) सू २०१२ ३१,३३,३४,४४ सू १११३,१४,१०।२२,२५ णखीमंस (नखीमांस) सू१०।१२० कथारी की जड णगर (नगर) प ६४१ मे ४३,२२६४।१७; दि (नद्) गदति ज ५१५७ णदी (नदी) प ११७७ ज २१३१ ज १२६:२।२२,६६,७०,१३१,३।१८,३१,५२, णदीबहुल (नदीबहुल) ज ११८ ६१,६६,८१,१३१,१३७,१४१,१६४,१६७१२, १८०,१८५,२०६;५१५,४४ णपुंसग (नपुंसक) प ११६६,७६११६५ से १०,२५ गरणिमण (नगर गिद्धमण') प १।८४ से २८ णगरावास (नगरावास) प २।४१,४२,४६ णपुंसगवयण (नपुंसकवचन) ५ ११२६,८६ Page #236 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १२२ णसगवेद-णक्य णपुंसगवेद (नपुंसकवेद) प १८१६२; २३१३६,८२, णरवइ (नरपति) ज ३।६,१७,१८,२१,२४१४, १४३,१४८,१५० ३।२८,३०,३४,३५,३७४२,४१,४५।२,४६,८८, णपुंसगवेदग (नपुसकवेदक) १३।१४,१५,१८ ६१ से ६३,१०६,१३१४,१३६,१४१,१७७, णपुंसगवेदय (नपुंसकवेदक) प २८१४० १८०,१८३,२०१,२१४,२२२ णपुंसगवेय (नपुसकवेद) प २३११४५ परवति (नरपति) ज ३११२६२ नपुंसगवेयपरिणाम (नपुंसकवेदपरिणाम) प १३.१३ परवरिद (नरवरेन्द्र ) ३।१३५१२ पपुंसय (नपुंसक) प ३३१८३ गरसभ (नरवपन) ज ३१८,६३,१८० णभ (नभ) ज २१६५ सू २०१२ णरसीह (नरसिंह) ज ३।१८,६३,१८० णभसूरय (नभःशूक) मू २०१२ रिद (नरेन्द्र) ज ३१६.६,१८,३२।१,२,६३,११७, णमंस (नमस्य) नमसइ ज ६०५।२१,५८,६८ १२६।१,१८०,२२१,२२२ णमंसति उ ११२१ णमंसामि उ १११७ णल (नल) प १४११ णमंसण (नभस्यन) उ १।१७ णल (नड,नल) प ११४१।१,१४८१४६; ११७५ णमंसमाण (नमस्यत्) ज ११६,२१६०,३।२०५, णलिण (नलिन) ज२४;४।३,२५,२१२,२१२।१ च ११ २०६:५४५८ णलिणंग (नलिनांम) ज २४ णमंसित्ता (नमस्यित्वा) में २१६० उ ११२१ पलिणकड (नलिनबाट) ज ४।१६० से १६३ णमि (नमि) ज ३११३७ से १३६ पमिय (नत) ज २११५ णलिणा (नलिना) ज ४१५५।१,२२२।१ गव (नवन ) प ११५१ ज १।२० सू १०१२ णमो (नमस्) ज १।१३।२४।१,१३१ अमोत्थु (नमोस्तु) ज ५१५,२१,४६,५८,६५ णव (नव) प २१५० ज ५।१८ चं ११ गवई (नवनि ) ज ४२१३ णय (नय) प १६।४६ णय (नत) ज ४.१३ णवग (नवक) प १८१ पयगति (नवगति) प १६।३८,४६ णवणउइमंगुलपरिणाह (नबनवतत्यङ्-गुलपरिणाह) ज३११०६ जयठ्ठया (नयार्थता) सू १११३ णवणवति (नबनर्वाल) ज ४२१३ णयण (नयन) पश३१ ज २११३,६०,१०३,१०६, वजहदति (नवनिविपति) ज ३१२६२,१७५ १०८,१३३,३१३,६,६५,१०६,१३८,५२१ णवगोड्या (ननीतिका) प ११३८।३ ज २०१० णयणमाला (नयनमाला) जश६५,३३१८६,२०४ जयर (नगर) ज ५७०,७२ र ३।१०१ णवणीत (नवनीत) मू१०।१२०,२०१७ णयरी (नगरी) ११६३।६ ज श२,३,७१२१४ णवणीय (नवनीत) प १११२५ ज ४.१३ णयविहि (न विधि) प १११०१६ णवम (नवम) प १७१६६ ज ७।११४१२ सू १०७७, जर (नर) ज ११३७; ११०१,१३३,३१६२,११६, १२४।२।१३।१० १७८,१८६,२०४४१२७,५२८ णवमालिया (नवमालिका) ज ३११२,८८,१०६ णरकता (नरकान्ता) ज ४२६६,२६८,२६६३२; ५५८ ६१२१ णमिव (नवमीपक्ष ) ज २६६४ परः २) ११९० से २७ ज २१३५ से १३७ मियामका ज ५११००१ परगाव, काना) प २२६ पवमी (नवबी) ल १९११. णरदाय णय नरदापनि) ११६६ गवयपदक प२४०,८३,४४ Page #237 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नवरं णाणावरण वरं (दे० ) प २०४५, ५२ से ५६,६१५।२१,२६, ३५, ३८,४३,५७,६०,६६,७२,७५,००,०१,८४, १०,१४,१०२.११६.१५१.१६०,१६१,१६४, १६१, १६५, २०१६६६, ६५, ६८, १०४,११३; १०१३० १११८५ १२०२६,३१,२६ से ३५३ १३१६ से १८,२०१५।१८,१६,२६,३०,३४, ३५, ३८, ४९, ५५,६३,६५,६७,७५,८५,८६,६१० ६७,६८,१०२,१०३, ११५.१२१, १२२,१२५. १२६,१३६,१३७.१२५, १४०, १४१, १४२ १६/४, १२, १७:२१,२५,२७,२१,३०,३२,३२, ३५,५८,६०,६३,७०,६१,६३,६६,१०५, २४५, १७२; १६८० २०१४ ३२,५४५५ ५७.५८ २१।३५,६१,७०,७१.१२:२२ ४१, ४२, ४४. ७६,८०८२,६०२३।१०,१२,५६,५८,१५६, १६६,१६७,१७०, १७२, १७५, १८८, १६० २४१३,११,२६१९; २८१२७, ३१, ३८, ४३,४७, ७३,७४, १०९,११५.१३३.१३८ २९।१४, २१: २३०१७३२३।१६,३४०३, ५.१४, ३५०७ : २६१६, ७,११,१३,१५,२४,२६,२८ से ३४,३८,४६, ५२,५६,६५,६६,६६,७२,७३२१५२ १११७१०१२५; १८२४ वरि (दे०) ज ३३५० नवविह ( नवविध ) प ११६२,१३७ : २११५.५; २३।१४ ३६ ह ( नख ) ज २।१५,४३,१३३, ३१६२,११६,१४५ पहिया (नखिका ) प ११४७ ही (नखी ) प ११४८५ जाइ (न) ज ३११२६ पाइ (शांति) ज ३२१८७ पाय (नादित) ११२१,१२२.१२५,१२६, १३३,१३४,१३८३०१११.४११०४३१९ गाउं (शाम) सू १९।२२।२६ नाग (नाग) प २।४०११, ८ ५१३, १५१५५।३; ज २।३१३।२४।१.२.१६१०१,२,१७९ ४१२१२:५५२७।१२३ से १२५ १६।२८ नागकुमार (नागकुमार ) प २०३४ से ३६,३८,३२ ७१३,५२०१७२३३१११,१४:३६०२० ज ३।१११ से ३१५.१२४ से १२६ ४।१४१ नागकुमारत (नागकुमार ) प ३६।२० जागकुमारराय (नायकुमार ) प २२३४,३५ नागकुमारि (नागकुमारेन्द्र ) ए २१३४ से ३६ नागधर (नागधर) ज ३।१७९ णागड (नागस्फटा ) प २३० नागपुरक (नागपुष्य) ज ३४३ नागरुक्ख (नागरूक्ष ) प १।३५।३ णागलया (नागलता ) प ११४० ३ नागोद (नागोद) यू १६ २८ नाइज (नाटकी) व ३११२,२८,४१,४६,५८, ६६.१४७, १६, २१२,२१३,२२१ नाग (नाटक) ज ३३१७५,२०४,२१४,२२१ णागविहि (नाटक विधि) ज ३२१६७|१० पाय (नाटक) ३०२, १०६. १०७,२१८ ५१२२,२६ ε२३ णा (ज्ञान) प १।१०१।१० ३।१११.३११.२८,३०, ३२, ३४, ३७.४३,४५,१८,६१,७२,७४,८०, ८३, ६४,८७,८१,१४,११,१०१, १०२.१०१, १०७. ११२,११७१७।११२, ११३. १८०१०१ २८।१०६।१:३०१२६२८ २०६४, ५. गाणत ( नानात्व) प २०४५ ६६८ १५४४, ४५; २३।११०: २६०१४, १५ ज २४५२,५६,१५९, १६१४१३६, १४१.१६२,२६२५४८ से ५०: ७/३५,५८ गाणपरिणाम (ज्ञानपरिणाम ) प १३३२,९,१४,१६. १७,१६ जाणा (नाना) व २२४६ १५१६,११,२२,२१:२१, २२,२७,५६,६०,६१,७८,७६३३१२१: ज १०३७३।१२.३०,५६,१०१.१४५, २२२: ४१३,५,७,१२,२५ से २७,४९,६२,११४; ५१६.३८.६७३११७८ णाणारिय (ज्ञानायं ) प ११६२,६६ गणावरण (ज्ञानावरण) प २८००६,११ Page #238 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णाणावरणिज्ज-णास णाणावरणिज्ज (ज्ञानावरणीय) प २२२२६,२७, २६८,२७२,२७४,२७७ : ५११८,२८,४६,५७; २३३१,३,६,७,६ से १३,२४,२५,६०,१३४, ७।११४,२१३,२१४ चं ११४ सू १०।१२४; १३६,१५४,१५५,१६०,१६४,१६७,१७६, १२।२६; १९३२,६,६,१२,१६, २२॥३,२८,३६ १७८,१८६,१६१,१६४ से १६६,२०२,२४।१ से ५,८,१५:२५।१,२,२६।१ से ४,७,१२, णामक (नामक) ज ३।२६,३६,४७,१३३,१३५ २७।१ से ३ णामग (नामक) ज ४।२०० जाणाविध (नानाविध) ज २१७:३।१८६ से १६२ पास गज णाणाविह (नानाविध) प ११४७११,२।४१ २२६,४१२२,३४,५४,६४,१०२,१०७,११३, ज १११३,२१,२६,३३,३७,४६,२।१२,५७, १५७/२,१७७.२६०७/११४,११७.१२० १२२,१२७,१४७,१५०,१५६,१६४३।७, सू १०१८६,८८,१२४;२०१२ १०६,१८४,१६२,४१६३,५।३२ णामधेय (नामधेय) ज ५२१ गाणि (ज्ञानिन्) प १८१७६; २३।२००; २८.१३५ णामय (नामक) ज १२४६२११७४११०६,१६३, २०४,२१०,२११ णाणोव उत्त (ज्ञानोपयुक्त) प ३६।६३,६४ णामसच्च (नामसत्य) प १११३३ णात (ज्ञात) ११६५ णामसूरय (दे०) सु २०१२ णाम (नाम) ज २०१५ णामाहयक (नामाहतक) ज ३१२६,३६,४७,१३३ णाभि (नाभि) ज २।५६,६२,६३, ४१२६०११:५११३ णायग (ज्ञायक) ज ५५५,४६ णाभिणाल (नाभिनाल) ज ५११३ णायय (ज्ञातक) ज २६ णाम (नामन्) ११०१०१।१०,२१४८,५० से ५२ णायव (ज्ञातव्य) प १३१०११३,६,७,६,११ ५४ से ५७,५६,६०,६२ से ६४,६४।१७,११३, १८।१।२३५।११ १११३३११, २२१२८:२३।१,१२,३८,२४।१५ णारग (नारक) प १२६,२४।१०,११:२६।८६ २६.११:२७।५३६।२,६२ ज ११२,३,५,१६, णाराय (नाराच) प २३१४५,४६ ज ३१३,३१ १८ से २०,२३,३५,४१,४५,४६,४८,५१,०८, पारिकता (नारीकान्ता) ज ४।२६२,६१२१ १३,५१,५४,६० से ६३,१२१,१२६,१३०, णारी (नारी) ज ३।१८६,२०४ १४१ से १४५,१४६,१५४,१६०,१६३; ३११, णारीकंता (नारीकान्ता) ज ४१२१६६ २,२६,३०,३५,३६,४७.५६,६७,१०३,१०६, णारीकूड (नारीकूट) ज ४२६३।१ १११,११५:१३३,१४५,१६१,१६७।३,२२५, णाल (नाल) ज ४७ ४११,३,२५,३१,३४,४०,४१,४५,४८,४६,५१, णालबद्ध (नालबद्ध) प १४८१४० ५२,५५,५१,६२,६४,६७,६८,७५,७६,८१,८४, णालिएरीवण (नालिकेरीवन) ज राक्ष ८६,८८,६२,६८,१०३,१०६,१०८,११०,१४१, णालिया (नालिका) ज २१६ १४३,१५६ से १६५,१६७ से १६६,१७२ से णालिया (नालिका, नाडीका) ५ १२४०।१ १७८,१८० से १८२,१८४,१८५,१८७,१८८ णाबा (नौ) प १६:४५ ज ३१८०,८१,१५१, १६०,१६१,१६३,१६४,१६६,१६७,१६० से ७१३३।१ सू १०१३३ २०३,२०५ से २०६,२१०११,२१२,२१३, गावागति (नौगति) प १६।३८,४५ २१४,२२६,२३४,२३७,२३६ से २४२.२४५, पावासंठिय (नीलपित) १०३३ २४६,२५१,२५२,२६१,२६२,२६५,२६६, मास (ना) णासेंति ज ३१६५ १५६ Page #239 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णासा-णिज्जुत्त ६२५ णासा (नासा) प १३१ ज २।१५.१३३ णिगोद (निगोद) प ३१६२,८६,१८१३८ णिइय (नित्य) ज ७२१० णिगोय (निगोद) प १८४४५,५३ ज २।१३३ णिउण (निपुण) ज २।१५:३१६,२४,८७,१३८, णिगंथी (निर्ग्रन्थी) ज २०७२ २२२,५१५,२१,२८ र २०१७ णिग्गय (निर्गत) ज ११४; ३१६,१७,२१,३१,३४, णिओग (नियोग) ज २११३३,५१४३ १७७,२२२ णिओय (निगोद) प ३१६१.६३ णिग्गुंडी (निर्गुण्डी) प १३७।३ इणिद (निन्द् ) णिदेहि उ ३।११५ णिग्गुण (निर्गुण) ज २११३५ णिब (निम्ब) ११॥३५१:१७।१३० णिग्याय (निर्धात) प १।२६ णिबछल्ली (निम्बछल्ली) प १७.१३० णिग्घायण (निर्घातन) ज २१७० णिबफाणिय (निम्बफाणित) १ १७।१३० पिग्घोस (निर्घोष) ज ३१८८,१८०,१८३,३५, णिबसार (निम्बसार) प १७११३० २६,४६,४७,५६,६७ उ १।१२१,१२२ १२५, णिकुरंब (निकुरम्ब) ज २०१० १२६,१३३,१३४,१३८,३।१११४१८% णिक्कंकड (निष्ककट) ज १८,२३,३१ ५।१६ निक्कंकडछाया (निकट छाया) प २।३१४१ णिचिय (निचित) ज ३।३; ५१५७११७८ णिक्खमंत (निष्कामत ) म १९२२११४ णिच्च (नित्य) प २१२० से २७ ज ११११,२४, णिक्खमण (निष्क्रमण) ज ४१२७७ मू १३११७ । ४७, २।११,६७,१३३, ३।२२६,४।२२,५४, णिक्खममाण (निष्कामत्) ज ३।२०३;७।१०,१६, ६१,६४,१०२,१६६,१६७,१७७,२०३,२१०, २० से २२,२६,२७,६६,७५,८१ च ४१२ २६४,२७३,५।२६;७।२१०,२१३ सू १३३६,१२ सू १६।२२।१७ मिक्खित्त (निक्षिप्त) ज ३१२०,३३,५४,६३,७१, णिच्चमंडिया (नित्यमण्डिता) ज ४११५७११ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२ णिच्चालोय नित्यालोक) सू २०१८ ‘णिक्खिय (नि-क्षिप्) णिविखवइ ज ३१६२; णिच्चुजोत (नित्योद्योत) सू २०१८ ५।६७ णिच्चुज्जोय (नित्योद्योत) सू २०६८।६ णिक्कुड (दे०, निष्कुट) प २६१० ज ३७६,७७, णिच्छिण्ण (निश्छिन्न) प १६४।२२३६।१४।१ १०६,१२८.१५१,१७० , ५२२५ णिच्छीर (निःक्षीर) प ११४८१३६ इणिगच्छ (नि : गम् ) णिगच्छइ ज २१६५ : ३३१४, णिच्छुभ (नि-क्षिप) णिच्छुभइ प ३६।७३,७४ १७२.२०४,२२६ णिगच्छति ज ५१६३ णिच्छुमति प ३६।५६६१,६६,७०,७६ णिगच्छित्ता (निर्गत्य) ज २१६५ णिच्छद (निक्षिप्त) प ३६।६२,७७ णिगम (निगम) ज २१२२ उ ३३१०१ णिजुत्त (नियुक्त) प २४१ णिगर (निकर) ज ३।१२,३५,८८,६५,१५६; णिज्जरा (निर्जरा) प १५१४३ से ४७,४६; ३६७६ ४११२५,५१५८ से ८१ णिगरिय (निकरित निगडित) ज ३।२४।३, णिज्जाणभूमि (निर्याणभूमि) ज ५१४६ ३७।१,४५।१.१३१३ णिज्जाणमग (निर्याणमार्ग) ज ५१४६ vणिगिण्ह (नि । ग्रह ) णिगिरहइ) ज ३२८ णिज्जिय (निजित) ज ३।१७५,२२१ णिगिरिहत्ता (निगृह्य) ज ३।२८ णिज्जुत्त (निर्युक्त) ज ३।१५८ Page #240 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२६ णिज्भर बहुल (निर्भर बहुल) ज १।१८ निट्ठियट्ठ ( निष्टितार्थ ) प ३६/६३, ९४ णिडाल ( ललाट) ज २।१५,३।३६, ३६.४७, १३३ णिण्ग ( निन्नग ) प १८६ णिण्णथल ( निम्नस्थल ) ज ७ । ११२१५ निष्णथलय ( निम्नस्थलक) सु १०।१२९५ णिण्णुष्णय ( निम्नोन्नत) ज २११३१ णिण्हझ्या (निह्नविका ) प ११६८ नितंब ( नितम्ब ) ज १।५१३।६१,१३७; ४ १७४, १७२१७६.१८२,१८८ णित्यारण ( निस्तारण ) ज ३३१०६ गिदा (दे० ) प ३५ | १११,३५११६ णिदाया (दे० ) प ३५११७,१८,२०,२२,२३ विवाह ( निदाघ ) सु १०।१२४१२ निद्दा ( निद्रा ) प २३१४, २६, २७,१३४१५५, १७७, १८० णिप्पंक (निष्पंक) ज ११८, २३ णिप्वच्चक्खाणपोसहोववास (निष्प्रत्याख्यानपौषधोपवास) ज २२१३५ फिज्म (निर्+ पद्) गिप्फज्जइ ज २६ जिम्फत्ति (निष्पत्ति) ज ३११६७/६ णिष्फाइय (निष्पादित ) ज ३११२० णिकायय (निष्पादक) ज ३।११६ रिफाaa (निष्पावक) ज २।३७ जिन्भय (निर्भय) ज ३११२६६५।५८ गिभिज्ज माण (निर्भिद्यमान) ज ४।१०७ णिभ ( निभ) ज ३।३०,१७८ णिज्झरबहुल-गिरड ~णिमज्जाव ( नि | मज्जय् ) णिमज्जावेइ ज ३६८ णिमुग्गजला ( निमग्नजला ) ज ३।६७ से १०१, णिद्दाणिद्दा ( निद्रानिद्रा ) प २३|१४ गिद्ध (स्निग्ध ) प १६:२/३१ ५ १५४,२११; १११५६,६०; १३/२२१,२२८/२६,३२,६६ ज २११५;३१३,२४,३५७ १७८ द्धिंत ( निर्मात ) प २।३१ पिया (स्निग्धता ) प १३।२२११ गिद्ध इत्ता (निर्धाव्य ) ज २।१३४ Nfद्धाव ( निर् - - - धाव् ) णिउाइांति ज २ १३४, १४६ १६१ णिम्मम ( निर्मम ) ज २१७०; ५१५,४६,५८ णिम्मल ( निर्मल ) प २१३०,३१ ज ११८,२३,३१६ २११५; ४।१२५; ५६२; ७ १७८ निम्माणणाम (निर्माणनामन् ) प २३३८,१२८ जिम्माय ( निर्मात ) ज ३११ णिम्मिय ( निर्मित) ज ३।३५ जिम्मेर ( निर्मर्याद) ज २११३५ पियंस ( नि :- वस् ) नियंसंति ज २१०० णियंसेइज २६ नियंत्रण ( निवसन ) प २४१ / नियंसाव ( नि |- वासय् ) नियंसावेंति ज ३१२११ नियंसावेता ( निवास्य) ज ३।२११ नियंसेत्ता (न्युष्य ) ज २६६ जियग (निजक) ज २१६४; ३१३, १८७,१८८ सू २०/७ / णिच्छ ( निर् + दा) नियच्छति प २३१३ नियत (नियत) ज ३८१ णियतिया ( नैयतिकी) प १७।११,२२,२३ णियत्थ (दे० ) ज ३।१२५,१२६ नियम (नियम) प १२०, २३, २६, २६; ६ ११४, ११६,१०।२:१११५३, ५७, ५६, ६६,६६३१ ; २११६६,६६,१००, १०३; २२४८, ५१,६८, ६६,७१ से ७४; २३।१०,१२:२४/१४२५१२, ४:२७।६;२८११६,३८,६५,६८ से १०१,३६।५६ ज ७ ५०, ५३, १६६ सू १८।३ णियमा ( नियमा) ज ७१३२ ।१ सू २०१६ णियय (नियत) ज ११११,४७३।२२६ ४१२२, ५४,६४,१०२, १५६, ५२२,२६ णियय ( निजक) सू १९।२२।१४ णियया ( नियता) ज ४३१५७।१ णियर ( निकर ) ज २११५ णिरह (निर्ऋति) ज ७।१२०,१३०,१८६३४ सू १०१८३ Page #241 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णि रइदेवता-णिव्वाणमा १२७ णिरइदेवता (निऋतिदेवता) म १०८३ णिल्लेव (निर्लेप) ज २१६ णिरइयार (निरतिचार) प ११२६ णिवद्दय (निपतित) ज ३१२६,३६ णिरंतर (निरन्तर) प १०३२ से ३४,४०,१११४१५ णिवढेता (निवृधा) ज ७।३० ७१:२०१२५,२१,५९; २२११३,१५,१७,१६ से लिवड्ढेमाण (निवर्धमान) ज ७४१३,१६,२२,७२, २१३६८, ज २०१५ णिरय (निन्य) प २१,१०, २।३६,८१.१११, णिवण (निपण्ण) ज ७.१७८ १४६,१०१ णिवतित (निपतित) ज २११४२ से १४५ णिरय (निरन) ज २६१३१ णिवत्त (निवृत्त) 3 ३.१२६ णिरयगतिपरिणाम (निन्यगतिपरिणाम) प १३१३ इणिवय (नि-- पत्) णिवयंति ज ५१६४ णिरयगतिय (नित्यगतिक ) १३१४ णिवह (निवह) ज ३.१०६ णिरयगामि (निरयगामिन ) १२२,५०,२१५८, णिवात (निपात) प ३६८१ ज २६१३१ १२३,१२८,१४८,१५१,१५७,४।१०१ णिवाय (निपात) ज ३।३५,१०६ णिरयावास (निरयावास) प १२० से २४ णि विट्ठ (निविष्ट) प २०१३६ जिरवसेस (निरवदोप) प ६६२:१०।२८:१७१२८%; इणवुड्ढि (निवृद्धि) सू १३।१७ २१३९४,३४।२४:३६॥२८,४६,६५,६६,७२। णिवुड्ढेत्ता (निवयं ) सू ६१ णिरहंकार (निरहुकार) ३२७० णिवुड्ढेमाण (निवर्धमान) सु ६०२ णिराणंद (निरानन्द) ज २।६०१०३,१०६,१०८ णिवेइत्ता (निवेद्य) ज ३८१ हिरातंक (निरातङ्क) ज २।१६ ििणवेद (नि+वेदय) णिवेएइ ज ३१८१५०५८ णिरालय (निरालय) ज २०६८ णिवेदम ज ३१५ णिवेदेमो ज ३४९० णिरालोय (निरालोक) ज २।१३१ णिवेस (निवेश) प १७४ ज ३।२८,३१,४१,४६, णिरावरण (निरावरण) ज २१७१,८५ ५२,११५,१३५,१४१,१५१,१६४,१६७२,१८० इणिरंभ ( निरुध)-णिरु भइ प ३६१६२ इणिवेस (नि ! वेगय) णिवेरोइ ज ५।२१,५८ णिरु भति ५ ३६।१२। णिवेसेत्ता (निवेश्य ) ज ५१२१ णिरुंभित्ता (निरुथ्य) प ३६४१२ णिध्यण (निवण) ज ११५,३११७७,७१७८ णिरुद्ध (निरुद्ध) प २३।१६३ णिवत्त (निर्। वृत्) णि रोइ म २ णिवत्तेति प २३.१६१ गू ? णिरुवकिट्ठ (निरपश्लिष्ट) ज २।४.? थिव्वत (निवृत्त) ज ३।३०,४३,५१.६०,६८,७६, णिरुच्छाह (निम्त्याह)ल।१६३ हिरवलेव (निशा नेप) ३ १३६,१५१,१७०,१७८,२१६ णिरुबय (निरुपात) ज २१५ णिध्वत्तपया (नियंर्तन) १३४१२,३ णि रुविय नितिन) १९१६ णिध्वत्तणा (निवंतना) प १५१५८.१,११६१ जिल्हा (नीरुहा) प ११४८।३ णिव्वत्तिय (निर्वतित) प २३११३ से २३ गिरेयण (निरेजन) प ३६॥६३,६४ णि व्वय (निर्वत) ज २१३५ णिरोगय (नीरोगक) ज २।१२ णिव्वाघाय (निव्याघात) प १६६५५; २११९५; णिरोह (निरोध) ५३६९२ २८।३१ ज १७१,८५ मिल्लज्ज (निर्लज्ज) ज २०३३ णिव्वाण मग (निर्वाणमार्ग) ज १७१ Page #242 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६२८ Vव्वाण ( निर्वापय् ) णिव्वाविस्सति ज २।१४१ णिव्वाहि ज ५।२८ णिव्दावेंति ज २।११२ णिव्वादेह ज २११११ freasee (निर्वृतिकर ) ज २०६४ ३ ३ ३ ४ ११४६ frogsकरण (निर्वृतिकरण ) प १३१२ freafter ( निर्वृतिकर) ज ४।१०७ निसंत ( निशान्त) ज ५१२६ सिमा ( निसर्ग ) ११।१०११२ पिसठ (निःसृष्ट) ज ३२५, ३८,४६,४७,१३२ सिट ( निपध ) प १६।३० ज ४।१६ णिसढकूड ( नियधकूट) ज ४।६६ सिण (निषण्ण ) ज २१८८३१६,८१,२२२ णिसम्म ( निशम्य ) ज ३१६ जिसह (निषेध) ज ४१८१, ८६,८७,६७, ६८, २०१ से २०३, २०६, २०७,२०६,२३८,२६२ पिसहकूड (निषधकूट) ज ४।२३६ सिहद्दह (निषधद्रह ) ज ४३ २०७ / सिर ( नि + सृज् ) णिसिरइ ज ३।२४,२६, ३७,३६,४५,४७,१३१,१३३ णिसिरंति ३११६२ ४१५, ७; ५५,७ णिसिरति ११७१,७२,८४,८५ णिसिरण ( निसृजन ) प १११७१ णिसिरमाण ( निसृजत् ) प ११।७१ जिसीइता (निषद्य ) ज ३०४६ णिसीय ( नि + षद्) णिसीएज्ज प ३६।६१ णिसीयइ ज ३८, ४१, ४६, ५८, ६६,७४, १४७, २१५,२२२ णिसीयंति ज १।१३,३०,३३, २२७४१२५४२ णिसीयति ज ३।१८८ / निसीयाव ( नि + पादय् ) निसीयावेंति ज ५।१४,१७ णिसोयवेत्ता (निषाद्य) ज५।१४ णिसेग (निषेक) प २३/६० से ६४,६६,६८,६६, ७३,७५ से ७७, ८१, ८३, ८५ से ६०,६२,६५, से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४,११६ से ११८, १२७,१३०,१३१,१३३,१७६, १७७, १८२,१८३,१८७ णिस्संग (निःसङ्ग ) ज ५५८ freerees ( निसर्गरुचि) प १११०११३ पिस्सा ( निश्रा ) प ११२०,२३,२६,२६,४८ मिस्साय ( निश्राय) ज ३११०६ णिस्सील ( निःशील ) ज २११३५ जिस्सेस ( निःश्रेयस् ) ज २१७१ free (निहृत्य ) ज ३।६ √ णिण ( नि + हन् ) हिणंति ज ५।१३ हिणित्ता ( निहत्य ) ज ५।१३ हियरय ( निहत रजस् ) ज ५१७ हि (निधि) प १५१५५।२ ज ३।१६७|१३,१४, निवाण णीलय १६८ मिहिय ( निहित ) ज ३।११६,२२१ णि हिरयण ( निधिरत्न) ज ३ १६७, १७०,७१२०१, २०२ हिय ( स्निहूक ) प ११४८४१ √णी (नी) इ ज ७ १५६,१५७, १६१,१६५, १६६; ३।१६३ णेति ज ७ १५६ सू १०१६३ ति सु १०/६३ / णी ( गम् ) णीति ज ३।१०६ णीइ (नीति) ज ३।१६७ गोणिया (नीनिका) प ११५१ णीम ( नीप ) प १।३६।३ णीय (नीत ) प १५ १०२ णीयतर ( नीचतर ) ज ४।५४ णीयागोय ( नीचगोत्र ) प २३/२२,५७,५८,१३२ गोर (नीरजस् ) प २ ३०,३१,६३,३६/६३,६४ ज १११८,२३,३१; २।६ ; ५५८ पीरागदोस (नीरागदोष) ज ५२५८ पील (नील ) प १६ से ८ २१३१,२२४०१११; ५।५, ७ ; १३१६; १७ ६४; २३११०४; २८/३२, ६६ ज ३१३१; ४।२६४ सू २०१२, ८, २०१८/३ ] गोलकणवीर (नीलकरवीरक) प १७।१२४ पोलकूड (नीलकूट) ज ४।२६३।१ बंधुजीवय (नीलबन्धुजीवक ) प १७११२४ नील (नीलक) प १७ १२६ सू २०१२ Page #243 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गील लेस इय गीललेस (तील ) १७३३,६२,६४,६५, १०२,१०३.१०८ १९८९ १८७० बोललेला (नीललेयास्थान ) प १७ १४६ पीला (दोलखा) १७।१२१.१२४; २८।१२३ जीवलेस ( ) प ३६६ १३ १४ १७/३१, ४६,५७,५६,६१६४,६६६६७१ से ७४, ७६.८१ से ८१,८३१००१०३,१०० से १११, १६७ णीललेस्ट्ठाण (नील लेश्यास्थान ) प १७।१४६ बोललेस्सा (नीलश्था ) प १६/४६; १७३६, ११५ से १२८१२८,१२६,१३१,१३६, १४४, १४५,१४८ से १५२ परवा (वीलापरिणाम ) प १३१६ (न) १६३०४८१०३, १०८ ११०,१४२२२,१०९ से १४३,१६२,१६५, १६७,१७३ से १७६,१७,१०० से १८२, १८४,१८५,१५७, १८८, ११०,१६१,१९३, १२४,१६६, १६७,१६२,२००,२२५११, २२७, २६२ से २६५ गोलसुत्तय (नीलसूत्र ) प १७११६ गीली (नीवी) ३२४ गोलुप्पल (नीलोत्पल) णीसंद (निष्यन्द) १७ १२४ ११:३ चं ११ णीसल्ल ( निःकल्प ) ४५८ पोल्स (निर् ) संदिप १७१२,२५, ? २८१२१,३३,३८,६७ णीसास (नि) २२११६ मोहम्ममाण (३१३१ पोहारिण (वि) - २१२ पीहु (सिंह) ? पूर्ण (ननं) 2212:१४,२५,६६ से १०४, ११५.९०३.१९२१५०१४६१४६, १५१,१५४; ३६८१ उर (दे० ) प ११४. णेग (नंक ) प २८१४०, ४३,६६ ज ३१३,३२ गम (नंगम ) प १६।४६ व ( नेतव्य) सू६ १८११२३३१०/२३, २५; १५/६ १८३१; १६ १,३५,२०१८ तु (नेतृ) सू १०/६३ त (नेत्र) प १५७७,८२ ६२६ तविण्णाणावरण (नेत्रविज्ञानावरण ) प २३|१३ ऐतावरण (नेत्रावरण) प २३१३ हर (दे० नेहुर ) प १८६ प्रेम (नेम) ज १|११ णेमि ( नेमि ) ज ३।३०,६५,१५६,१७८ मिपास ( नेमिपा ) ज ३१२२ म्म (नेम) ४१२६ णे (जे) प २११५३ ज ३१७७, १०६,१२६, ७११२७।१,१६७।१ चं ५१२ १६१२ नेयतिया ( नैयतिकी) प १७१२५ यद (नेतव्य) ४।५५ ५ १६१८१३ ११३८१; १५११०२,१०८, १४३, १७/६८ २१।५२; २२७६, ३६।२२,२६,३२,४६ ज १११२ से १४,२५,४६,२४,६,४६,५६,६४, १३६, १५६; ३।६४,१५०,१५१,२१७; ४११०, ४७,५३,५६, ६०,६४, ७६,६४,६०,६२,६६,१०६,१४१, १४७,१६०,१६३ से १६५,१७३, १७४, १६७, २०७,२१०,२३८,२४३, २६२.२६८,२७४, २७७५/५३६६३५ ७१३५, ५०, ५८ १३०, १३१.१३५.१५५,१७६ सू ७ १,६२; १०१२२ णे (तृ) सू 18 रइअत्त (नैस: कत्व) प १५६४ रय ( चैरधिक) २२०,२१:३१६,२२; ४३; १०।३२ वे ३८, ४० से ४२, ४४ से ५२; १११४४, ८०; १२/२,११ से १३,१५,३६, १३/१४,१६ से १६ १४२, ३, ५, ७, ६, ११ से १४,१८१५ १७,१८,३५,४६,४८,५६,६२, ६३.६१,६६,७१,७५,७८, ८२, ८३,६१,६४ से ६:१,१००,१०२,१०७,१०८, ११८ से १२०३ Page #244 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३० १२४,१३४,१३५,१३८, १४०, १४१; १६ ३, ६, ११,१४,२०,२५,२६,३१,३२,१७।१ से ६, ८ से १४,१७,१८,२३,२५,२८,२६,३२,३७, ४०,४२,४६,५७,८५,६० से ६२,१००,१०६ से १११,१८२, ५, ८,६,११,१२१, २०११/१ २०११ से ३,६,७,६,१०,१४, १५, १७ से २०, २३ से २५, २७, ३२, ३४, ३५, ३५ से ४२,४६, ५२,२११५१, ५२,५८,५६,६५,६६,७७,८१, ८७ २२।११.१३,१५,१७,१६ से २१,२३, २४,२६.२७,३०,३१,३३,३५,३७ से ४५,४७, ५३,५७,६६,७३,७५,७६,७६,८२,८७,८८, १०,६८,१००, २३१२, ४, ६, ७, १०, १८,३७,५४, ७८८०.१४६, १६४ से १६६, १६८, २४११, ३, ५. ८, १४, १५, २५१,२,४,२६११,३:२७११,६; २८।१,३ से ५, २१ से २६,३०३८,९८, १०१, १०२,१०४,१०,११७,११९.१३३,१४३ से १४५, २६।५ से ७,१५,१८,१६,२२३०१५ से ७,१४,१७,२४:३११२, ४,६११, ३२१२, ५; ३३।१ से ७,१६,२७,३०,३१,३४,३५,३७, ३४११,३,५,६,१०, १३, १४,३५१२, ५, ७, ६, ११, १३,१५,१७,१८,२१,३६१४,८,६,११ से १३, १५,२८,२० से २२, २४, ३० से ३४,३६,४३ से ४७,४६,५४,६५,६८,६६,७२ ज २७१ अणिजय (नैरयिकासंज्ञ यात्रुष्) प २०१६२,६४ इयत्त (नरक) १५१०३, १०४, १०६, १११, ११५, ११८, १२२,१२६,१२६, १४१, ३६।१८,१६,२१,२३,२५,२६,३० से ३४,४६, ૪૭ राज्य (नैराष्) प २३११८,३७,७८, ८०, १४५, १६, १७० णेरतिय (नैरयिक) प १०३६ वच्छ (नेपथ्य ) प २१४१ वस्थ (नेपथ्य ) ज ५१४३,७११०१ वाण (निर्वाण ) प २६४२० इस णिआय-गोहुमणोवादर सप्प (सर्प) ज ३।१६७१२,१७८ को (नो) प ११।६८ ज २१६ सु ८१ गोअपरित (नोअपरीत ) १८ ।११२ असंजय (नोअसंत ) प १८६२ पोअसण ( नोअसंज्ञिन् ) प ३११२,६ गोइंदिय (नोइन्द्रि ) प १५७० कसायवेयणिज्ज (नोकषावेदनी) १२३३१७, ३४.३६ नोपज्जत्तयणोअपज्ज सय (नोपर्याप्तकनो अपर्याप्तक) १८११५ पोपरित (नोपरीत ) प १८ ।११२ जोभवसिद्धियणो अभवसिद्धिय (नोभवसिद्धिन अभयसिद्धिक) प १८ ।१२४; २८।११३,११४ गोभवोवातगति (नभिपपातमति ) प १६१३७ गोभवोववायगति (नोभवोपपातगति ) प १६२४, ३३ से ३७ गोमालिया ( नवमालिका) प ११३८ ।११६ ४१६६ पोमालियाड (नवमालिकापुट ) ज ४।१०७ गोसंजतणोअसंजतणोसंजया संजय (नमंत्रनोअसं तनोसंयतासंयत ) प ३२/१,२ णोसंजतणो असंजयणोसंजलासंजय (नोनोअसं तनोतात ) प ३२१४ गोसंजय (नोगत) प १८६२ गोसंजयण असंजयणोसंजयासंजय (नोसं तनोअसंयतनो संवतासंगत ) प २८।१३१,३२३,६ गोसंजय संजय (नोगतात ) प १८६२ गोणिनोअल (नोसंजिना असंज्ञित् ) प १८१२१६२८११२०,१२१,१३४,१३६: ३१।१ से ३,५,६ णोसुहमणोवादर ( नोनुक्ष्मनोवादर ) प १८ ।११८ Page #245 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ण्हाण-तटु Vव्हाण (प्णा) रहाणे इ उ १९७ ण्हाणेति ज २११०० पहाणति २०६६ ण्हाणपीढ (स्नानपीठ) ज ३१६,२२२ व्हाणमंडव (स्थानमण्डप) ३१९,२२२ व्हाणमल्लियापुड (स्नानलिकापुट) ज ४।१०७ व्हाणेता (स्नात्वा) जERE हा (स्नात) सु २०१७ हाय (स्नात) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२,८५, १२५,१२६,१४३,१५३ ३ १।१६,४२,७७, १२१,१२२,१२६ ; ३।२६,११०,१४१,४।१२, १८,५१७ व्हारु (स्ना) ज २११३६, ३।२४ पहाव (स्नापय ,स्नपय ) पहावेद ३३।११४ व्हावेता (स्ना , स्मापयिता) ज २११०० त (तत्) प ११ सू११ १११ तइय (तती?) १३१२१,81८०।११५३१४३ ज।१३५।१।४।५६,९७,१४२॥३,७१०८, १५८ च ४१३ सू १८।३ उ १२२७३६६८ ४१ तइया (तृतीया) ज ७।१२५ १०११४८,१५० तइविह (ततिविध) प १५५६ उखंड (पुखण्ड) प ११७४ तउय (पुनः) प १२०।१ तउस (अपुस) प ११४८१४८ ॥ ३१११६ खीरा तउत्तमिजिया (चसमितिका) प ११५० उसी (पुत्री) ११.१ खीरा की लता तए (ततस् ) - १४, २।८।३।११:५३१३ तओ (तता) ३४१ से ३,३६१७७,६२ 3३५१.५३,५४,८६,१०७,११०,१३६; ४१२१ तंजहा (तदया १२ तंडव (ताहर) ५१५७ तंडुल (ताल) १।१२,८८,२१५८ उ ३१५१ नंत (तान्त) उ १५. तंतवा (तान्त्रवक) प ११५१ तंती (तन्त्री) प २१३०,३१,४१,४६ ज ११४५; २।६५:३१८२,१८५ से १८७,२०४,२०६, २१८,५१,१६७।५५,५८,१८४ सू१८।२३; १६।२३,२६ तंतु (तन्तु) ज ३।१०६ तंतुवाय (तन्तुवाय) प ११६७ तंदुल (तण्डुल) उ ३३५१ तंदुलमच्छ (तण्डुल मत्स्य) प १३५६ तंदुलेज्जग (तन्दुलीय) प ११४४।१ वायविडंग, ___चोलाई का साग तंब (ताम्रप १२०।१२।३१:१७११२५ ज२११५:३११३८।१ तंबकरोडय (ताम्र करोडय') प १७/१२५ तंबखंड (ताम्रखण्ड) प १११७४ तंबच्छिकरण (ताम्राक्षिक रण) प१७१३४ तंबछिवाडिया (ताम्र छिवाडिया') ११७६१२५ तंबिय (ताम्रिक) उ ३३५०,५५ तंस (त्र्यस्त्र) प ११४ से ६१०१५,१६ तक (तकत्) ज ३१६५,१५६ तक्करबहुल (तस्करबहुल) ज १११८ तक्कलि (तकिल) प १।४३११ चक्रमर्द वृक्ष, चकवड तगरमेला (तगरमेला)ज ३।११०३ तगरपुड (तगरपुट) ज ४११०७ तच्च (तृतीय) प ३११८३,२१६०,३३।१६:३६।९६२ ज ७।१६२ सू ११४,१६,१७,२१ उ ११३६, ४०,११५,११६, ३१,२,२३,५४,६०,६१,७७, ७८,८७,१८,१०८ तच्चा (तृतीया) सू १२०२१ तच्छण (तक्षण) ज २१७० तट्ट (दे०, स्थल) परा८ त? (स्त) ज ७/१२२।२ सू १०१८४१२ तदेवया (त्वष्ट्रदेवता) सू १०८३ तठ्ठ (त्वष्ट्र) ज ७११३०,१८६६४ Page #246 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६.३२ नड-तयणंतर तड (तट) ज ३३१०६ उ ५१ तडाग (तटाक) प २०१३ तडित (तडित् ) ज ३।२४ तण (नण) प ११३३११,११४२,४४११,१।४।४६; ३८६१ ज ११३,२१,२६,२६,३३,४६:२१७, २६.५७,१२२,१२७,१४४ से १४७,१५०, १५६,१६४,३३९८,१६२,४१६३,८२५१५ तणमूल (तृणमूल) प ११४८१८ तणय (तृणक) ज २।३६ तणवणस्सइकाइय (तण वनस्पतिकायिक) ज २२१३१ तविटिय (तुणवन्तक) प ११५० तणविहूण (तणविहीन) ज १।१४ तणसोल्लिया (दे०मल्लिका) ज ३१३५ हणाहार (तृणाहार) प ११५० तणु (तनु) प २१६४ ज ११५१,२।१५,१३३; ४१४५,१५६,७११७८ तणुक (तनुक) ज ३।१०६ तणुतणु (तनुतनु) प २०६४ तणुय (तनुक) ज ११८,३५,५१,२।१५; ३११३८।१४:४५,११०,११४,१५६,२१३, २४२ तणुयतर (तनुकतर) प ११४८१३४ से ३७ तनुयरी (तनुतरी) प २२६४ तणुवाय (तनुवात) प ११२६; २०१० तणुवायवलय (तनुवातवलय) प २०१० तण्हा (तृष्णा) प २।६४११६ ज ३११२१।१ तत (तत) ज ५१५७ ततगति (ततगति) प १६१७,२२ तति (तति) प १५।१३४ ततिय (ततीय) प १०।१४।१ से ३,१११४२,८८, १२॥३२,३८,३६।८५,८७ सू १०१६५,६६,७३, ७७,१२।१६:१३३१० उ १२६३ ततिविह (ततिविध) प १६:२० तते (ततस) ज ११६ ततो (ततस्) प ३४।१,३,३६१८५ ज ३।३५ तत्त (तप्त) प ११४८१५६,२१३१,४८ ज ३१११७ तत्तकवेल्लुयभूय (तप्त कावेल्लुय'भूत) ज २११३२, १४१ ततजला (तप्तजला) ज ४।२०२ तत्ततव (तप्ततपस्) ज ११५ तत्तसमजोइभूय (तप्तसमज्योतिर्भत) ज २११३२, १४१ तत्तिय (तावत्) ५ १५३१०३ ज ७२०० सू १०६५,६६,७३,७७,१२२१६:१३।१० तत्तो (ततस् ) प १३१७,११४८११२१६४१४; २११४७।१,२,३४११,२ तत्थ (तत्र) प ११२० ज १२१३ सू१।१४ उ ११० तत्थ (त्रस्त) प २२० से २७ ज ३।१११.१२५ उ १८६ तत्थगय (तत्रगत) ज ५।२१ तदणुरूव (तदनुरूप) ज २।१४१ से १४५ तदुभय (तदुभय) प १४।३,२२१४ से ६; २३:१३ से २३ तप्प (तप्र) प ३३११६ तप्पभिइ (तत्प्रभृति) ज २१६७ उ ३।११८ तप्पाउग्य (तत्प्रायोग्य) प २३१२००,२०१ तम (तमस) ज २१३१ तमतमप्पभा (तमस्तमःप्रभा) प ११५३,२१,२०, १०११ तमतमा (तमस्तमा) प २।२७,२।२७१३ तमप्पभा (तमःप्रभा) प ११५३; २१,२०,२६ ३।१६,४१६ से २१:१०।१ तमस (तमम् ) प २१२० से २७ तमा (तमा) प ३.१५,१६,१८३, ६.१५,७८,६१, २०१४२२११६७,३३१८,१६ तमाल (तमाल) प ११४३।१ तय (त्वच) उ ३१५०,५१,५३ तयणंतर (तदनन्तर) ज ४।२१३ Page #247 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तयणुरूव-तह पगार तवणुरूव (तदनुरूप) ५११७४ तव (तम्) तवइंति सू १६१ तवामु ज ७।१ तया (त्वच् ) प १।३५,३६,११४८।१३,२३,६३; सू १६१ तवइस्सति सू १६१ तवंति ११४८ ज २२६७,१४५,१४६ ज १५७ तवयंति ज ७५४ सू ४।१० तया (तदा) सू १११४१०१२६ उ ३१६२ तविसु सू १६१ तविस्संति ज २११३१ तयाणंतर (तदनन्तर) सू १।१४,१६,२१,२४,२७, सु १०११३२ तवति ज ७१ यु ३१वेंसु म १६ तवेति सू ३१२ तयावरणिज्ज (तदावरणीय) ज ३१२२३ तवणिज्ज (तपनीय) प ११४८१५६२।३१,४८ तयाविस (त्वगविष) प ११७० ज ३१२४,३५,१०६,११७,४१४६,५३८,६७, तयाहार (त्वगाहार) उ ३१५० ७।१७८ तरंग (तरङ्ग) २३१५,१३३: ५।३२ तवणिज्जमय (तपनीयमय) ज ४७,१३,८६,२०६, तरच्छ (तरक्ष) प १४६६११०२१ ज २३६,१३६ २५१,२५२,५१३४ तरच्छी (तरक्षी) प ११२३ तवविसिठ्ठया (तपोविशिष्टता) प २३१२१ तरमल्लिहायण (तरोमल्लिहायन) ज ७१७८ तवविहीणया (तपोविहीनता) प २३३२२ तरण (तरुण) ज २१५, ३१३,२४,३०,१७८; तविय (तप्त) ज ३१३५,१०६७।११२१५ सू१०१२६।५ तरुणी (तरुणी) ज ३१८२,१८७,२१८ तवोकम्म (तपःकर्मन) उ२।१०,३।१४,५०, तल (तल) परा२० से २७,३०,३१,४१,४६ ४१२४:५।२८,३६,४३ ज ११४५,२१६५,३।७,८२,१७८,१८४,१८६, तबोवहाण (तपउपधान) उ ३.८३ १५७,२०४,२०६,२१८,४।३,२५,४६,६७,६२, तध्वरित (तद्व्यतिरिक्त) प २३।१६१,१६३ ८५,१२५,१४२,५।१,५,१६,६२;७।५५,५८, तव्यतिरित्त (नव्यतिरिक्त) प २३।१६२ १७४,१७८,१८४ सू१८१२३,१६०२३,२६ तसकाइय (त्रसकायिक) ५ ३१५० से ५२,५६,६०, तलऊडा (त्रपुटी) प ११३७१३ छोटी इलायची ७२ मे ७४,८३ से ८७,६५,१७१ से १७३; तलभंगय (तलभङ्गक) प २।३१ १८१२८,३०,३६,४७,५४ तलवर (तलवर) प १६।४१ ज २२५; ३१६,१०, तसकाय (सकाय) प १५।५३,५४ ७७,८६,१७८,१८६,१८८,२०६,२१०,२१६, तसणाम (वसनामन्) प २३।३८,११७ २१६,२२१,२२२ उ १६२,३१११,१०१; तसरेणु (त्रसरेणु) ज २१६ ५१० तसित (तृषित) प २।२३ तलाग (तडाग) १११७७ ज २।३१ तसिय (तृषित) ५ २०२० से २२,२४ से २७ तलाय (तडाग) प २१४,१६ से १६,२८ उ १८६ तलिण (तलिन) ज २११५ तह (तथा) प १११३ ज ३३११ चं ४।१ गू श८ तलिय (तलित) उ ११३४,४६,७४ उ ३७६ तल्लेस (तल्लेश्य) प १७।६२,१०२ से १०४ तह (तथ्य) उ १।२४,३११०३ तव (तपस्) प ११०१।१० ज ११५,२।७१,८३, तस्संठित (तत्संस्थित) ज ४१३ ३।३२११,११७,२२१:७११६६ उ ११२,३; तहत्ति (तथेति) ज ३१५३,१०० ३।२६,३१,६६,१३२,५२६,३२ तहप्पगार (तथाप्रकार) प ११२०,२३,२६,२६, Page #248 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६३४ ३५ से ३७,३८ से ५१,५६,६०,६३ से ६६, ७०,७१,७५,७६,७८,६६,६६,११।२१ से २५ तहा ( तथा ) प १।३५।३ ज ३३१०७ सु ८१ उ ११७ तहारूव ( तथारूप ) उ १।१७:२०१० १२:३०१४, १६१, ५१३६, ४१, ४३ ताविह ( तथाविध) ए ११४८७ १० से ३७,४१, ४३ तहिं ( तत्र ) प २६४५ तहेब (तथैव ) प १६४८२ १०५१ १।१७ उ १८७ ता (तावत्) नू ११० ताओ ( ततस् ) ज १२० उ २।१३,३१८ तागंधत्त (तद्गन्धत्व ) प १६/४६; १७।११५, ११६, ११८, १४८, १४९ तादिज्नमाण (मान) २३ ताण (त्राण) ज ५।२१ साफासल (तत्स्पर्शत्व ) प १६।४९ १७११५. ११६.११८, १४८, १४९ तामरस (दे० ) प ११४६ तामलित्ति (ताम्रलिप्ति ) प १।२३।१ ताय (टात) उ ११४२ से ४४ लायतीसा (त्रयस्त्रिंशत् ) प २०३२,१२,३५,५०,५१ ज २६० तार (तार) प ११।२५ तारंतर (तारान्तर) ज ७ १६८६६२ तारयण ( तारका) चं ५२ १११२ तारग (तारक) सू १९।२२।११ तारग्ग ( ताराग्र) ज ७।१२७/१,१३११२,१६७।१ १०१५५; १६२२/२,२६ तारया ( तारका ) प २४८ ५।२१ यू १०.५५१९ २२ तारसत ( तदसत्व) प १६ ४६ १७ ११५,११६, ११८,१४८, १४९ पगार वालियंट तारा (तारा) प ११२३७६,११,१५, २०६७१३१,१७७२१६२१०१५५. ५६,५७,५६,६१,६२०१५११८१४, १५, १६, ३७३१६४२२११,१६१२२,३१ तारायण (तारागण ३६,१७,२१,२४,१७७, २२२७११६१,१७० सू १८१४६१२११, ५१३, ८०३, ११०४, १५८,१६,२११५,६,१९२२।३२, १९०३१,२४,३० तारापिण्ड (ताश पिण्ड ) १९१२२११ तारास्व ( तारारूप ) १२/४२ से ४१.६३ ज ४।२७७२५४.५०, १६०,१७२,१७४, १७८/२,१७६ से १८२,१६७ सू १५ १६ १८३२ से २१ से २०,२७,१६२३,२६: २०१७ २।१२५४१ ताराविमा (सत्यपि ४०१ २०६ ६८५७११९५,११६१०१,८,१२, १७,३५,३६ तारिस ( तादृश ) १०।१६४; २०१७ तारिसग ( तादृशक) ५।१३,१५,३१ २०७१।३३२२८, २०६ (रूपत्व) प १६४४६ १७ ११५, ११६० ११० से १२८,१४८ से १५२,१५४,१५५ ताल (ताल) प ११४७११; १३०,३१,४१,४६ १९४५ २६५३१०२, १८६, २०४, २०६६ २१८,२२२५११, १९७५५,५८,१६४ सू १६।१३, १६०२३,२६ ताल (ताड ) प २०४६४१ ताल (ताड) २१६ उ ५।१५ ताल (सावन) ज ७११७८ तालपुव (ताल) १२०१९० तातावार ( तालाकर) २६.७४, १४७, १६०.११९.२१३ ३३१२,२८,४१,४६,५८ तात्रय (तारित) ५१७ तालियंट (ताजयुक्त) ३०११५१०५५ Page #249 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तालु - तित्यगरत्त तालु (तालु) प २।३१ ज २११५; ३।३५, १०६, ७१७८ ताब ( तायत् ) प २४७ उ ११५१ ताब (ताप) ज ७ ३२ ३५० तावइय ( तावत् ) ज १११६,३८४११२१,१४२, २१७ तावकखेत्त (तापक्षेत्र ) सू २ ३ ४ ५ ६ ११ १६।२२।१४,१६१२३,२६ तापह (तापक्षेत्र ) सू १६।२२५ तावण्णत ( तद्वर्णत्व ) प १६/४६ १७ ११५, तिगिछद्दह ( तिच्छिद्रह) ज ४८५ से ६१ तिगिच्छकूड (तिगिच्छकूट) ज ४।२७५ तिमिच्छायण ( चिकित्सायन ) सू १०।११६ तिगुण ( त्रिगुण) व २२६ ७ ७,६६, ६०, ११८, १२१, सू १०६०,६१,१८६ से १३ तिगुणित ( त्रिगुणित ) सू १९१२२/२३,२५ तावखेत्त (तापक्षेत्र ) ज ७१३२,५५, ५८, १६८,२१२, तिजमलपय ( त्रियमलपद ) प १२१३२ २१३ तावक्खेतसंठिति (तापक्षेत्रसंस्थिति) ज ७१३१,३५, सू ४१,३,४,६ तिट्ठाणचडित ( त्रिस्थानपतित ) प ५ १२, १४,१६, २०,२६,५३,५७,१६,६३,६८,७२,७४,७८,८३, ११६११८, १४८, १४९ तावतिय ( तावत् ) प १५५१,५२, ६२ ज ४।१० तावत्तीस ( त्रयत्रिंश) ज ५।५० तावती (नाशिक ) प २१३२,३३,३५,४६ से ५१ ५ १६ तावतीसय ( त्रयस्त्रिंशक ) ज २० ताबत्तीसा (त्रयस्त्रिंशक ) प २१३० से ३२ तावस ( तापस ) प २०१६१ ३१५०, ५५. तावसत ( तापसल) उ ३1५०, ५५ ताहि (तत्र ) प २४६ ताहे ( तदा) ज ७५६ उ ११५२३।१२३ ति (त्रि ) प १११३ ज ११७ चं ३।३ सू ११७ उ १।१४ तिउड (द०) ज ४।२०२ दु (तन्दु) १।३६।१ ( निन्दु) (तिन्दुक) fara ( तीक्ष्ण) ज २१३३७ १३८ तिक्खम्ग ( तीक्ष्णाग्र) ज ७११७८ तिक्खधार ( तीक्ष्णधार) ज २।१३१; ३३१०६ तिक्तो (त्रि ) ज ११६ २०३१५,८८,८६, ६८,१३१,१३५, १५५,१५६:५५, २१ से २४, १६३५५ १४८४८ ६३५ ४४,४६,५६ उ १ १६,२१:३११०३, ११३; ४११३,१६ तिग (त्रिक) ज २२६५; ३।१८५,२१२,२१३ ५/७२,७३७११३१।१ उ ११६८ ६४,६७,१०१,११२,११५,११६,१२२ दिट्ठाणवडिय (विस्थानपतित ) प ५।१८ तिणिस (तिनिश) ज ३।३५,१७८ तिष्ण (तीर्ण ) ज ५।२१ तितिषख ( तितिक्ष ) तितिक्खइ ज २६७ तित्त (तृप्त ) प २६४११६ तित (क्ति) प १४ से ६,५१५,७,२०५१११५८, १३/२८:२३१४६, २०१२०,३२,६६ ज २२१४५ तित्तिर ( तित्तिरि ) प १।७६ सू १०११२० तितोस ( त्रयस्त्रिंशत् ) ज ४।६८ तित्थ (तीर्थ) ज ३११४, १५, १८, २०, २२,३०,३१; ४१३,२५,५५५,६।६, १२ से १४ तित्थकर ( तीर्थकर ) ज २/६३,१२५ तित्थगर (तीर्थकर ) प २०।१।१ ज २६०, ६५, १०१ से १०३, ११३ ११४,११६,१५३; ५७,२२, ७०, ७३ तित्थगरचियता ( तीर्थकरचितका ) ज २ १०५ से ११२ वित्rगरणाम ( तीर्थकरनामन् ) प २३३८,५६, १२६, १४६, १७४, १८६ गिरणागोय (तीर्थकर नामगोत्र ) प २०१३६ वियगरत ( तीर्थंकरत्व ) प २०१३८ से ४०, ४५. ४६,५१ Page #250 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तित्वगरव-तिरिक्खजाणिवत्त तित्थगरवंस (नीर्थकरवंश) ज २।१२४,१५२ ८३,८५८८६,६३,६५ ले ९० १०२, तित्थगरलरीरग (तीर्थकरशरीरक) ज २१६६ १०६,१५५:४।३७.१७२।१.१७८,६।१६ तित्थगरसिद्ध (तीर्थकरसिद्ध) प १३१२ तिमिसगुहाकड (निभिसागुहाट) । ११३४ तित्ययर (तीर्थकर) ज ४१२४८,२५० से २५२, लिय (वि:) १६११५ ७१३१११ ११.३.५,८ से १४,१६,१७,२१.२२,४४,४६: लिय (इदिय) प्रीमियम १७१६६ ६०,६२,६४,६६ से ६६.७२,७३,७११६८ सियभंग (विभः) ५२४७,१३,२६,६; तिस्थयरमाउ (तीर्थक रमात) ज ५९ से १२ २८।११२,११६,११६,१२१,१२३,१२५,१२६, तित्ययरमायरा (तीर्थकरमात) ५५,१४,१७ १२८,१२६,१२,१३६,४३६ से १४५ तित्थयरमाया (तीर्थकरमात) ज ५॥७,८,४६,६७ तिरिक्ख (तिच) ॥ १७॥३३,२१७ तित्थयराइसय (तीर्थक रातिशय) उ४।१३ लिरिक्खजोनिधी (पर्याय) प३।६८,१२८, तित्थयरातिसय (तीर्थकराशिय) उ १।१६,४१८ १८३:१७166,:.६ ,९१८।४,१०; तित्थयराभिसेय (तीर्थकराभिषेक) ज ५०५४ से ५६ २०११३:२३।१६४,१०६.१६८ तित्यप्तिद्ध (तीर्थ सिद्ध) ५ १:१२,१६॥३६ हिरिजोणिय लिया ११५२,६४,५५., सिधा (त्रिधा) ज ११८ ६० से ६२, ६ ७ ,७,८१२।२८, तिपएसिय (त्रिप्रदेशिक) प ५११३१,१५६;१०८ २४,३५,२६१२७,१८६ ४.१०४ से १५७; तिपडोयार (त्रिप्रत्यवतार,त्रिपदावतार) सू १९१३५ ५.३,२२,२२,८३,८५.८६,८८,८६,६२,६३, तिपदेस (त्रिप्रदेशिक) प १०६१४३१ ६६.६७६२१,२०४८,५८,६५,७०,७१,७८, तिभाग (त्रिभाग) प २१६४१४,६,७,९;६.११६; ८१,८२,८३,८८,८६,९२,६६,६६ से १०३, २११६१,२३१७८,७६,१४७,१६२,१६६, १०५,१०,११:.११६, ८६,६१६,७,१६: जे १२०,४८,२१५८,१२६,१५५,९५७,१५६, १७,२२,२६, ११:४६,१२१४.२१:१६।१८; ३११,७१३२,३४ सू ११२३,४१५८६३ १५॥३.५,५६,६७,१०,१२,१३८,१६७,१४, तिभागतिभाग (त्रिभागत्रिभाग) ५६।११६ २५,२७; ११२९५,३८,८१ से ४३,५८, तिभातिभागतिभागावसेसाउय ६३ से ६६८ ७,८६,६७.१०४:१८।३,१० (विभागत्रिभागत्रिभागावशेपा बुक) ५६।११५, १९१४,२०११३,१३,२६,२५,२६,३४,३५,४८, २११८ स १८,६ स ३२,४३,५३,६०,६८, तिभागतिभागावसेसाउय (विभागत्रिभागावशेषायुक) ७७,८२,८८२३१,०८,८७.९८२७६, प६।११५ १६४,१०६,१६८,१६६२४७२८१४७,४८, तिभागावसेसाउय (त्रिभागावशेपायुक) प ६.११५, ११६,१३०,१३,१६७,१४४,२६१५,२२, ३११४;३२११, २२११,१२,२१,२८,३२,३६ तिभागूण (त्रिभागान) परा६४१७ सू १२३ ३४।३,८,६५४१८,२१ १७.४०,५१,५७, तिभाय (विभाग) ज २१५५ से ५७,५६,१५६,१५८ ७२.७३ ज 2,१३५ से १३७ तिमि (तिमि) प ११५६ तिरिक्खजो गयअस आज्य हिर्शमगिल (तिमिङ्गिल) ५ ११५६ (तिर्यनिवासया ५) ५६१६४ तिमिर (तिमिर) पश४१।१ ज ३१६५,१५६ तिरिक्खजोषियत्त (तियंग्यौनिकत्व) १५११७, तिमिसगुहा (तिमिस्रागुहा) ११२४३१६८,६६, Page #251 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तिरिक्खजोणिया उय तुच्छ तिरिक्खजो जियाजय ( तिर्यग्योनिकायुष्) प २०१६३२३७६, १४७, १५८,१६२,१६५, १७० तिरिच्छ ( तिर्यच् ) सू १।६।१ तिरिच्छगति ( तिर्यग्गति) सू २१ चं २११ तिरिय ( तिर्यच् ) प २१४१ से ४३,४६,४८, ११।६५,६६,१५।५२,२०१५३,२१८७, ६० से ६३,२३३३६,८२,११२, ११५, १४८,२८११५, १६,६१,६२,३११६३१, ३२६।१, ३३११६,१७ ज २१४६, ७१, ६०, १३७, ३७६.११६,११८; ४१५२,५१५,४४,७ ४४ ५४ सू २ १ ४ १०; १८/१; १६१२२/१२ तिरियगति ( तिर्यग्गति ) प ६।२.७, २३।१७२ तिरियगतिपरिणाम ( तिर्यग्गतिपरिणाम ) प १३:३ तिरियगतिय ( तिर्यग्गतिक ) प १३।१६ से १८ तिरियगामि ( तिर्यग्गामिन् ) ज १।२२, ५०, २५८, १२३, १२८.१४८, १५११५७,४।१०१ तिरियलोग ( तिर्यक्लोक ) प २११८६ तिरियलोय ( तिर्यक्लोक ) प २१.४,८,१०,१३, १६ से १६.२८ ३१२५ से १७३, १७५, १७७ तिरियवाय ( तिर्यग्वात ) प ११२६ तिरियाज्य ( तिर्यगाप् ) प २३|१८ तिरोड ( किरीट ) प २।४१ ज ३।३१ तिल (तिल) प ११४५।१,१३४७१३ ज २२३७, ११६ तिलक (तिलक) ज ३१०६ तिलग (तिलक) ज ३११२,८८, १७२५१५८; ७। १७८ तिलचुष्ण (तिलचूर्ण) प ११/७६ तिलतंदुल ( तिलतण्डुलक) सू १०।१२० तिलपपडया ( तिलपटिका ) प ११४७३३ तिलयुरफवण्ण ( तिलपुष्पवर्ण) सू २०१८. २०|८३ तिलय (तिलक) प १।३६।३२।४८; १५।५५१२ तिवण्ण (त्रिवर्ण) प ७३१७८ तिवलि ( त्रिवलि) ज ३११३८३१ तिवलियलिय (त्रिलिकवलित) ज २।१५ तिवलिया ( त्रिवलिका) ज ३१२६,३६,४७ उ ११२२, ११५, ११७, १४० तिविह (त्रिविध ) प १ १ १ १ ५४,६०.६६,७५, ७६,८१,८५,६१,६,१३, २०, २६, १३७, १०, ११, १३, १५३७५; १६१४, २४; १७११,२५, ३०,१३६, १८/५६,६४,७७६०, १०५, २१1८; २२।४ से ६,२३।३३,४२,२६७,३०१३; ३५ १,६, ८ से १० चं ११४ उ ३३८, ४२ तिब्व (तीव्र) प २२७,२६ तिसत्तखुत्तो (त्रिसप्तकृत्वस् ) प ३६ ८ १ तिसमइय (त्रिसामयिक ) प ३६ | ६०, ६७ से ६६, ७१,७५ तिसरय ( त्रिसरक) ज ३६,२२२ तिहा ( त्रिधा ) ज १।२०; २२५५; १५५ तिहि ( तिथि ) ज ३।२०६७ ११८, १२१ १६ तीत (अतीत ) ज ७ ३६ तीतवयण ( अतीत वचन ) प ११८६ तीय ( अनीत ) प १५१५८१२ ज २२६०३।२६,३९, ४७,५६,१३३,१३८, १४५ ; ५३, २२; ७१५२ तीर (तीर) ज ४१३,२५,६७ तीस ( त्रिशत् ) प १८४ ज ११२० सू १।१८ उ ३।१४ तीसइ (त्रिंशत् ) सू १०४ तीसति (त्रिशत् ) सू १० ३५ तीसतिविह (त्रिंशद्विध ) प ११८७ ६३७ तु (तु) सु १६।२२ तुंग (तुङ्ग ) प २३१, ४८ ज २११५; ३१८१, १५१, ४/४६; ५।४३ उ ५ ५ ज ४१४६ उ ३।११४ तिलसिंगा ( तिल' सिंगा' ) प १९७८ तिल की फली तुंबी (तुम्बी ) प १२४० १ तिवई (त्रिपदी) ज ३।१७८ ५५७ तुच्छ (तुच्छ) ज ७।११८ तुंड (तुण्ड ) ज ३१२४ तुंब (तुम्ब ) प ११४६८१४८ उ ३।३०,३५,११६ Page #252 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तुच्छत्त-तूली तुच्छत्त (तुच्छत्व) प १५६४४,४५ तुच्छा (तुच्छा) पू १०६० तुट्ठ (तुष्ट) ज २१४६,३१२,६.८,१५,१६,२६, ३१,४२,१०,५२,५३,५६,६१,६२,६७,६६, ७०,७५,७७,८४,६१,१००,११४,१३७,१४१, १४२,१४८,१५०,१६५,१६६.१७३,१८१, १८६.१६२,१६६,२०८,२१३,५१५,१५,२१, २३,२७ से २६,४१,५५,५७,७० उ १२१, ४२,४५,१०८, ३.१३,१०१,१०३,११३,१३६, १६०,४१११,१४,२०,५१५,३८ तुठ्ठि (तुप्टि) ज २१७१ उ ११७१,७२ तुडित (तूर्य) प २।३०,३१,४६ तुडित (त्रुटिक) ज ११३१,३।२६ तुडित (त्रुटि) प २१३०,३१ तुडिय (त्रुटित) प २३०,३१,४१ ज ३६,६,२६, ३६,४७,५६,६४,७२,१३३,१३८,१४५,२११, २२१:५२१,५८ तुडिय (दे० त्रुटित ) ज २१४ संख्। विशेष तुडिय (तुर्ष) प २।३०,३१,४१,४६ ज १११४५; स६५, ३३१४,३०,४३,५१,६०,६८,८२,१३०, १३६,१४७,१४६,१७२,१८०,१८५,१८६, १८3,२०४,२१८५११,१६,२२,२६७।५५, ५८,१८४ सुडिय (३०) ज७१६८१२ सु१८१२३ अन्तःपुर तुाडयंग (दे० अटिनांग) ज १४ दुड़ियंग ( ङ्गि) ज ३११६७६१० तुण्णाग (तुम्नाय) ५ १९७ तुयट्ट (ताद : वृत्) यट्ट ति ज १।१३,३०, ___३३:२१७४१२ तुटेज प ३६।६१ तुरग (तुग्ग) ज ११३७,२३१०१,३३,२३,२८, ३५,३७,४१,४५,६७,४६,१७८,४।२७,५१२८ तुरगरूवर (तु गरूपधारिन्) म १८१४ से १७ पुरय (नग) ज ३११३१,१३५ सुरिय (ब) १२७८ तुरिय (नि) ६५,६०३१६,२६,३६ ४७, ५.६,६४,७२,७८,११३,१३३,१३८,१४५,१८०, २०६५३५,२१,२६,२८,४४,४७,६७ तुरुक (तुरु) प २१३०,३१,४१ ज २६५,१०६, ११०; ३७.१२,८८,५७,५८ - २०१७ तुल (नुना) ज ७.१३३१२ तुलसी (दुमली) ११३७॥१,२१४४१३ तुलासंठिय (तुमाथित) १०४० तुल्ल (गुरु) प ३३८ से १२०,१२२ से १२४, १७४,१७६,१७८ स १८२:५५,७,१०,१२,१६, १८,२०,२४,२८,३०,३२,३४,३७,४१,४५,४६, ५३,५६,५६,६३,६८.७१,७४,७८,८३,८६, ८६,९३,६७,१०१,१०२,१०४,१०७,१११, ११५.११६,१२६१३१,१३४,१३६,१३८, १४०,१४३,१४,१४७,१५०,१५४,१६३, १६६,१६,१७०,१७२,१७४,१७७,१८४, १८७,१६०,१६३,१६७,२००,२०३,२०७, २११,२१४,२१८,२२१,२२४,२२८,२३४, २३५,२३७,२३६,२४२, ६।१२३,८१५,७,६, ११; ६।१२,१६,२५२१०१३ से ५,२६ से २९ ११७६,६०,१५११२,१६,२६,२८,३१,३३, ६४; १७५६ से ६६,७१ ते ७६,७८ से १३, १४४ मे १४६:०६४, २१११०४,१०५; २२११०१,२८।४१,४४,७०,६४।२५,२६.३५ से ४१,४८,८६,८३.१ ज ३।३,३५,७।१६८,१६७ मु १८।२,३,३७ तुल्लत्त (तुल) ज १६८ १८१३ तुवर (तुर) ज ३।२०३५५५,२६ तुवरी (तुयी) - १०।१२० तुसार (तुपार) परा६४ तुसिणीय (नुग्णी) ज २१६० उ ११३८,६१,६२, ५६,८७,२००, १२.६.५६.६१,६४,६८,७१, सूली मी) ज ४१३ Page #253 -------------------------------------------------------------------------- ________________ तूवरी- तेया तुवरी ( तुवरी ) प १३७ ३ तेइंदिय ( त्रीन्द्रिय) प ११५० २७ ३८४० से ४२,४६,४९,१४७ से १४६, १८३ ४ ६८ से १००५३,२१,८१६।२०, ६५, ७१,८३,८६, १०४,११५; ६ |४; १११४५ १५३४,७५,८१, ८६, १३७, १७४०,६२,१०३, १८११५, २२; २०१८,२३,२८,३३,४७२१६, २८, ४२; २२३१,२३८७,१५१,१६०,१६१ २८ ।४५ से ४७,१०१,१२५,१३६; २६।१३;३०।११, २१,३१३,३४/६ तेईदियत्त (त्रीन्द्रियत्व ) प १५६७.१४२ तेज (तेजस् ) प ६८६,६२,१०४, ११५; १३३६, १६; १७/४०, ६६; १८१२६, २०१८.२३,२८, ५७,२११८५, २२१२४ तेउकाइय (तेजस्कायिक) प १।१५२।७ से ६; ३ ५० से ५२,५६,६० से ६३,६७,७१ से ७४,७८, ८४ से ८७,६१,६५,१६२ से १६४, १८३,४१७२,७५ से ७७५/३,१३,१४,६ १६,१०२ तेउका इयत्त ( तेजस्कायिकत्व) ज ७१२१२ तेइ (तेजस्कायिक ) प ११२४, २०७१ ३४, १६४,१८३६१५; १२१२२; १५१२६,८५,१३७; १७६१ से ६३,१०३, १८१३,३८, ४०, ५१ ; २०२७,२६,३१,४५, २११२५, ४०, २२/३१ तेउलेस (तेजोलेश्य ) प १३।१५; १७६५, ६, १०२,१६८ तेउलेसट्ठाण (तेजोलेश्यास्थान ) प १७ १४६ तेउलेसा (तेजोलेश्या ) प १७५५,१२१,१४६ तेउलेक्स (तेजोलेश्य ) प ३१६६; १३ १६, २०; १७३३,५६,५६,६०,६२,६४,६६ से ६८, ७१ से ७६,७ से ८४,८७,८६,६५,२१०१,१०२, १६७१८७२ २८/१२३ तेउलेस्तट्ठाण (तेजोलेश्यास्थान ) प १७ १४६ तेउलेस्सा (तेजा ) प १६१४६; १७३४ से ३६,३६,५०,५३,५४, १३, १६, ११७, ११८, १२१,१२२,१२६,१२६,१३३, १३७.१४४, ६३६ १५३,१६२ से १६४; २८।१२३ तेउलेस्सापरिणाम (तेजोलेश्यापरिणाम ) प १३१६ तेंदिय ( त्रीन्द्रिय) प १२१४,५०३२४२, ४६,४६ तेंदुय ( तिन्दुक ) प १७/१३२,१३३ तेंदूस ( विन्दुस ) प ११४८४८ तेगिच्छायण ( चिकित्सायन) ज ७ १३२२४ बहुल ( स्तेनवहुल) ज १।१८ तेण ( तेन ) सू ६।१ तेणउति ( त्रिनवति) सु १२/१२ ते उय ( त्रिनवति) ज ४६२ तेणामेव ( तत्रैव ) प ३४१२२ ज ३१५ तेतलि (तेजस्त लिन्, तेतलिन् ) ज २१५०, १६४; ४११०६, २०५ तेतालीस ( त्रिचत्वारिंशत् ) सू ११/६ तेत्तीस ( त्रयत्रिंशत् ) प २०६४।६ ज ४१६८ सू १२० उ ११२६ तेदुरणमज्जिया (दे० ) प १५० तेपण (त्रिपञ्चाशत् ) सू १२/२० तेय ( तेजस् ) प २१२०,३१,४१.४६,२८।१४१ ज २११३३,३३,१८,६३,१८०,१८८७ ११२१५ सू १०८८, १२६१५ उ ३४८, ५०, ५५,६३, ६७,७०,७३, १०६,११८ तेयंसि ( तेजस्विन् ) ज ३१७७, १०६ तेग ( तैजस ) प २१।७६६३६।३२ तेयगसमुग्धाय ( तैजससमुद्घात ) प ३६/८,१२,२६, ३२, ३५, ३७, ४१, ५३, ५५,५७,५८,७३ तेयगसरीर ( तैजसारीर ) प २१ ७५ से ८१,८३, ६०.६४,१००, १०२, १०४ तेयगसरीरय ( तैजसशरीरक ) प १२११० ते (तेजस ) प १२१ से ५:२१११,३६।१।१ तेयलि (दे० ) प १३४३३१ तेयलेस्स (तेजोलेश्य ) ज ११५ तेयसि (स्थिन् ) २२६८,१३८ तेया (नैनस ) प १२।१४,१८,२१.२४.२६.२६,३५. २११६६, १०२.१०४,१०५२३१९२१३६।६२ Page #254 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४० तेया-णियकुमार तेया (तेजा) ज ७।१२०१२ १०८८।२ तेहिय (व्याहिक) ज २१६ तेयाल (त्रिचत्वारिंशत्) ज ११२३ तो (ततस् ) प २१२७३ तेयालीस (त्रिचत्वारिंशत् ) सू १०१५६ तो (दे०) प १५१ तेयासमुग्धाय (जससमुद्धात) प ३६.१,५,७,४० तोण (तुण) प ३१३१,३५,१७८ ज ३।३१,३५ तेयासरीर (तंजसशरीर) प २११८४ से ६३ १७८३११३८ तेयाहिय (त्र्याहिक) ज २०४३ तोमर (तोमर) ज ३।३५,१७८ तेरस (त्रयोदशन) ५ ३६।८१ ज १७ सू १११४ ।। तोयधारा (तोयधारा) ज ५।१५१,६३,६४ तेरसक (त्रयोदशक) सू १३११२,१३,१७ तोरण (तोरण) प २११,३०,३१,४१ ज ११३७, तेरसम (त्रयोदश) प१०।१४।३ सु १०।७७; २।१५,२०७३।७,१७८,१६५,४।५,२३,२७ से १३।१० ३०, ३५,३७,३८,४०,४२,६५,६७,७१,७३, तेरसविह (त्रयोदश विध) प १६७ ७५,७७,६० से २,९४,११८,१२८,१४४, तेरसी (त्रयोदशी) ज २८८७११२५ १७४,१८३,१८६,१६५,२२१,२४६ : ५३१ तेरिच्छिय (तैरश्चिक) प २०६१ ज ३।६२,११६ ति (इति) प ११ च ११४ तेलापूय (तैलापूप) ५ ३६८१ ज १७ सू ११४ स्थिभग (स्तिभक) प ११४८।१ तेलोवक (त्रैलोक्य) प ११११:३।१२५ से १७३, स्थिमिय (स्तिमित) ज ११२,२६,३।१,३,१८,३१, १७५,१७७ १८०चं ६ सू११ उ १११,६,२८, ३१५७; तेल्ल (नल) पश१०११७:१५शि२:१५।५० ५२४ __ ज ३।११।३,५११४ उ ३३१३० स्थिहु (स्तिभु) प ११४८।१ तेल्लकेला (तल केला) उ ३३१२८ थ तेल्लसमुग्य (नलसमुदग) ज ५१५५ तेल्लसमृग्गहत्थगय (हस्तगततैलसमुद्ग) ज ३१११ थंभणया (स्तम्भन) प १६१५३ तल्लोक (अलोक्य) उ ५५ थंभिय (स्तम्भित) प २१३०,३१,४१,४६ ज ३३६, तेवट्ठ (त्रिषष्टि) ज ७।२० मृ २।३ २२२,५१२१,२८ तेवछि (त्रिषष्टि) ज २६४ थिक्कार (दे०) थक्कारेंति ज ५१५७ तेवण्ण (त्रिपञ्चाशत् ) ५ ४११३४ ज ४१६२ यण (स्तन) २११५:३३१३८ उ ३।६८,१३०; सू ११३ तेवार (त्रिसप्तति) ज २।४ थणगंतर (स्तनकान्तर) उ ४३२१ तेवीस (त्रिविशति) प २१४६ ज २।१२५ सू२।३ थणपाय (स्त पाय) उ३।१३० तेवीस (त्रिविशतितम) प १०१४।३ थणमूल (स्ता मूल) उ ३१६८ तेवीसइम (त्रिविशतितम) प १०1१४१२ थणित (स्तनित) सू २०११ तेवीसतिम (त्रिविशतितम) सू १२।१६ थणिय (स्तलित) प२३०११,६४०।२,८,१० तेसट्ठि (त्रिषष्टि) ज ७३३ ज ५।२२ तेसीइ (त्र्यशीनि) ज २१६४ थणियकुमार (स्तनितकुमार) प १११३१,४१५५; तेसीत (त्र्यशीति) सू १२३ ५१३,८,५१,६।१८,५२,६१,८१,८५,१०२,१०६, तेसीति (यशीति) सू ११२३ ११४;७।३,८१३,६३,१५:१११४४,१२१२, तेसोय (न्यशीनि) मू१।१४ १६,१३।१५।१५।१६,७१,७८,८४,१३६; ४।६ Page #255 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थणियकुमारत्त-दंडपति ६४१ १६३,१११७११७,६३,१०१:१६।१२००८, थम (स्तूप) प १११२५ ज २११५,२०,३१; १२,२१,२३,२४,२७,३५;२११५.५,६१,७०,६० ४ १२५,१२६ २२।२३,३०,३६,७३,६८,२४४५,२८।२७,६८, थूभियग्ग (स्तूपिकान) प २६४ ११६,२६७,१६,३०७,१७:३११२; ३३११, थूभिया (स्तूपिका) प १११६,३७,४।१०,४६ २०,२७,३१,३५:३४।२,३५।१८ ; ३६१५,२४, थभियाग (स्तृपिका) प ४८ ज ११३८,४११०, ३७,७२ ११५,२१७,२२६ थणियकुमारत्त (स्तनिल कुमारत्व) प १५२९५,१४१; से थेज्ज (स्थैर्य) उ ३३१२८ ३६१२२,२५ थेर (स्थविर) प १६१५१ सू २०।६।४ उ २।१०, थद्ध (स्तब्ध) ज ३।१०६ सू २०४।२ १२;३११४,१५६,१६१,१६७,५१३६४१,४३ थल (स्थल) प १७५ ज २११३१,१३४:३३३२,६८ थेरग (स्थविरक) ज २११३३ उ ३१५५ थोव (स्तोक) प ३।१ से १७,२४ से १२०,१२२ थलय (स्थलज) प ११४८१४० से १८१,१८३,६१२३,७२,३,८।५,७,६,११, थलय (स्थलक) ज ५।७ ६।१२,१६.२५:१०।३ से ५,२६,२७,१११७६, थलयर (स्थलचर) प ११५४,६१,६२,६६ से ६८ ६०,१५३१३,१६,२६,२८,३१,३३,३४.६४; ७६,३११८३;४।१२२ से १४८:६।७१,७८; १७९५६ से ५६,६१.६४,६६ से ६८,७१ से २११८,११ से १६,३५,४४,५३,६० ७४,७६,७८ से ८३,१४४ से १४६,२०१६४; थवईरयण (स्थपति रत्न) ज ३१३२११ २१।१०४,१०५,२२।१०१:२८१४१,४४,७०; थाल (स्थाल) १११।२५ ज २०१५,३३११५५५ ३४।२५,३६१३५ से ४१,४८ से ५१,८२ थालइ (स्थालकिन्) उ ३१५० ज२।४।२,६६ सु ८।१२०१५ थारुकिणिया (थारुकिनिका) ज ३।११११ थोवतराग (स्तोकत रक) ५३२२ थालीपाक (स्थालीपाक) म् २०१७ थोवूण (स्तोकोन) ज २०१५ थालीपाग (स्थालीपाक) ज २।३० थावरणाम (स्थावरनामन्) ५ २३।३८,११७ थासग (स्थासक) ज ३३१०६,१७८%,७१७८ दओदर (दकोदर) ज २१४३ थिग्गल (दे०) प १२११२ दंड (दण्ड) प २१३०,३१,४१,३६१८५ ज २१६, थिबुग (स्तिबुक) ११५१२६२११२४ ६० से ६२,३१३,१२,८८,११७,१७८,१६२; थिर (थर) ज ७।१२४,१२५,१७८ ४१२६,५।५,७,५८,७।१७८ उ १६३१ थिरणाम (स्थिरगामन्) प २३१३८,१२२ दंडग (दण्डक) ६६१२३१४८३,८५,१४१६,८, थिरीकरण (स्थिरीकरण) प १।१०१।१४ १०,१८,२०१५,२२१२०,२५,२८,४५,५६,५८ थिल्ली (दे०) ज २।३३ ७६,२३१८,१२,२८.१४५,३६८,१२,२०,२६ थी (स्त्री) प १८४ से ३१,३३,३४,४४,४५ थीणद्धि (स्त्यानद्धि) प २३११४,२७ दंडणायग (दण्डनायक) ज ३१६,७७,२२२ थीविलोयण (त्रीविलोचन) ज ७।१२३ से १२५ दंडणीइ (दण्डनीति) ज २१६० से ६२,३।१६७६ थुरय (दे०) प १४४२१२ दंडदारु (दण्डदारु) उ ३१५१०१ थूणा (स्थूणा) प १५॥१॥२.१५:५२ दंडपति (दण्डपति) ज ३३१०६ Page #256 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४२ दंडय ददुर दंडय (दण्डक) प १११८०,८२ से ८४,१४१३४; सणावरणिज्ज (दर्शनावरणीय) प २३।१,३,८, १५॥१०२.१४०,१७१८६,२२१३३,३५,४१.५४ दंडरयण (दण्ड रत्न) ज ३१८८,८६,१५५,१५६, दक्ख (दक्ष) ज ५१५,५२ १७८,२२० दक्षिण (दक्षिण) ज ११८६,४१५२,५५,८१,८६, दंडरधमत्त (दण्ड रत्नम) प २०१६० ६८,१०८,१४३,१५१।१,१५६,१६४,१६५, दंडि (दण्डिन ) ज ३११७८ ।। १८५,१६३,१६७,१६६,२००,२०४,२०६ दंडिया (दण्डिका) ज १३५ से २०८,२१३,२२७,२३०,२३७,२३८,२४६, दंत (द-1} प २।३१ ज २।४३,१३३,१३४; २६२,२६५,२६८,२७१,२७७,५१४८,६१२३; ३३१०६,१७८७।१७८ ७।१२६ दंतंतर (दन्तान्तर) उ १३९७ दक्षिण कूल (दक्षिणकूल) उ ३५० दंतरंग (दन्तान) ज ७।१७८ दक्खिणा (दक्षिणा) उ ३१४८,५० दंतमाल (दन्तमाल) जरा दक्खिणिल्ल (दाक्षिणात्य) ज ११२६, ३५१६३; दंतमूसल (दन्त मुगल) उ ११९७ ४१३५,६५,७१,६०,११०,१४१,२०२,२१२, दंतार (दन्तकार) प १९७ २२८,२२६,२३८,५१४६७११७८ दंति (दन्तिन) प ११४८।४ ज ३१२२१ उ १११४, दग (दक) प१७११२८ ज ३३१२५७, १५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२५,१२६,१३२, ७११२।४ १०११२६४,२०1८,२०८।३ १३३,१३६,१३७,१४०,१४७ दगकलसग (दककलशक) ज ५७ दंतक्खलिय (दन्त'उक्खलि।') उ ३।५० दगभग (दककुम्भक) ज ५७ दंस (दंश) 3 ३११२८ दगथालग (दकस्थालक) ज ५७ दंसण (दर्शन) प ११०१११०, २०६४।१२, दगपणदण्ण (दकपंचवर्ण) २०1८,२०१८३ ३।१।१५।२१,२४,२८,३०,३२,३४,३७,४१, दगपिप्पली (दक पिप्पली) प ११४४१२ ४६,८०,८३,८४,८६,८७,८६,६४,६६,१०१, दगरय (दकरजस्) प २।३१,६४,१७४१२८ १०२,१०४,१०५,१०७,१११,११२,११५, ज २११५ ११७,१३.१६१८११११,२०६६१, २३।२६, दमवण्ण (दकवर्ण) सू २०१८ २८,६२,१३४,१७८,३०१२६,२८ ज १७१, दगवारग (दकवारक) ज ५७ ८५; ३११७८,२२३,५।४३ उ ३१४४,५।१३, दठच्व (द्रष्टव्य) प १५२६ दड्ढ (दग्ध) प ३६।१४ दसण (उपउत्त) (दर्शनोपयुक्त) प ३६।६३,६४ दढ (दृढ) ज ३१२४;५१५;७।१७८ दसणधर (दर्शनवर) ज २१ दढपइण्ण (दृढप्रतिज्ञ) उ १११४१२।१३ दसणपरिणाम (दर्शनपरिणाम) प १३१२,१४,१६, दढरह (दृढरथ) उ ५१२११ १५,१६ दत्त (दत्त) उ ३।२।१,३।१७१ दसणमोहणिज्ज (दर्शनमोहनीय) प २३१३,३२,३३ दद्दर (दे०) प २।३०,३१,४१ ज ३७,२४,१८४, दसणवत्तिय (दर्शन प्रत्यय) ज ५।२७ २२१,५५५ दसणारिय (दर्शनार्य) प ११९२,१०० से ११० ददु (दद्रु) ज २।१३३ दसणावरण (दर्शनावरण) प २४१६ ददुर (दर्दुर) सू २००२ प २१४६ २००२ Page #257 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दधि-दव्वीकर दधि ( द ) ४११२५:४६२१०।१२० २१८ पण (दर्पण) व ३१२१७६४१२८ २३५८ दप्पणिज्ज (दर्पणी ) प १७ १३४ दप्पिय ( दर्पित) ज ३१२४; ७१३८ दम्भ (दर्भ ) ज ७११३२२ २१५१५६ ११.०० पुष्क (द) संचार (स्वर) २२०३३,५४,६३, ७१.८४, १३७,१६७,१०२३४४४३ दभसंधारण (दस्तारक) व ३१२०,३३,५४, ६२,०१,६४,१३७.१४१,१९६ भयाण (दान) १०१११२ दरग (द) १४४४३५२ दावृक्ष शेणलता दमणगड (क) दमण (द) १ दमिल (वि) प दमिली (वि) ज ३।१११२ दरि (दर) २३८३१८१०१ ४१०७ दरित (दविहुल) ११६ दरिय] (दुष्त ) २ १२:३०३४ परिणावरण (प) २२४२०६ २३।१४,२६२६४७२७४ दरिसणिज्ज (दर्शनी : २१३०,३१,४१,४८, ४९, ५६.६३.६४ ९४.२३.३६ ४२.२।१२. १४, १५:३१९७८४३२.१३,२५.२७,२६, ३३,४१,११६,१२८४३.६२ ११५४ से ६ दरी (दरी) उ ३१५९ बल (दाल) २०१५ ११०२१०१ दलइत्ता ( दत्वा ) ज ४१२६ १६४९१.५४४६ १११०२.२०११४ दल ि५५० ६लयह ११०२११०३:३।११२ दलयानो उ ४|१ दलयित्ता ( दत्वा ) ३८८ दलिय ( दलिक) ज ३०३५ (च) २२४१ दवार (द्रवकारक ) ज ३।१७८ Exa द (द्रव्य ) प १११०११६ : ३२१२४, १७७, १७८ १०१५: १११४७,५३,५५,४७,५६,७० से ७३,७६ से ८५, १५०५७,१६।५०,२१११।१,२१।२२: २२।१३,१५,१७,११,८०८२२८१५ ३५।१।१ उ ११४० दव्यओ (व्यतम् ) १ ११०४०, ४११२७,१०: २६१५,५१३५१४, ५ ज २२६६ दबजाय (जस) ज २२६१ बच्चड (द्रव्यार्थ ) प ३११६ से १२०,१२२, १७६ से १८२; १०३ से ५,२६ से २६; १७।१४४ से १४६:२१०१०४ दव्यता (द्रव्यार्थ ) प ३।११६ ग्रे ११८ दव्या (व्या) प ३३११४,११६.१२०,१२२, १७९ मे १८२५५, ७, १२, १४, १६, १८, २०, २४, २८, ३०, ३२, ३४,३७,४१,४५, ४९, ५३, ५६,५६,६३,६८,७१,७४,७८,८३,८६,८१, १३,६७,१०१, १०४, १०७,१११, ११५, ११६, १२९,१३१,१३४,१३६,१३८, १४०, १४३, १४५० १४७, १५०,१५४,१६३, १६६,१६६,१७२. १७४, १७७,१८१,१०४, १०७, ११०, १९३, १६७,२००,२०३, २०७, २११,२१४,२१८, २२१,२२४,२२६,२३०,२३२,२३४, २३७, २३६,२४२; १०१३ से ५,२६ से २६, १७।१४४ से १४६ ; २१।१०४ ज ७।२०६ ३ ३१४४ हरिया (हलिका) प १४७ बिपि १५५० २,१५७६ से ८४,८६,११,६४ से १७,१००, १०४ से १०६. १०८,१०६,११४,११५,११७ से १२०,१२३, १३१,१३२. १४०, १४२, १४३ दवी (दार्थी ) प ११४४२ दारुहरिया दल्लीकर (दवकर ) प १२६६,७० Page #258 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १४४ दब्वेंदिय-दार दव्य दिय (द्रव्येन्द्रिय) प १५.१०३,१२६,१२६, दहफुल्लइ (दे०) प ११४०।५ १४३ दहबहुल (द्रहबहुल) ज १५१८ दस (दशन्) प ११६६ ज ११२३ सू १।२४ दहावई (दहावती) ज ४।१८८,,१८६ उ११७ दहावईकूड (दहावतीकूट) ज ४।१८८ दस (दशम) प १०।१४३ दहावती (द्रहावती) ज ४।१८७,१६० दसगुण (दशगुण) प ५११५१,२८॥७,५३ दहि (दधि) प १०२५:१७।१२८ ज २०१५ दसण (दशन) ज २११५,३।३५,१३८,५।२१ ७११७८ दसणह (दशनख) ज ३।२६,३६,४७,५६,६४,७२, दहित्ता (दग्ध्वा) ज ३१२ ७७ १३३,१८५,५।२१ दहियण (दधिधन) ज २।३११७१२८ दसण्ण (दशार्ण) प ११६३।४ दहिमुह (दधिमुख) ज २।११६ दहिमुहपदवय (दधिमुखपर्वत) ज २१११८,११६ दसवण्ण (दशार्धवर्ण) ज २११०,३६१२,८८; दहिवण्ण (दधिपर्ण) प१॥३६॥३ ४११६६,५७,५८ पदा (दा) दिति सू १०।१२६ देइ ज ७११२१४ दसघणु (दशधनुष्) उ ५:२२१ सू१०।१२६ उ ११११०देंति ज ७।११।३3B दसपएसिय (दशप्रदेशिक) प ५।१३०,१६१,१७६, उ ३1४८ १६५,२१६ दाइज्जमाण (दर्शयमान) ज ३।१८६,२०४ दसपदेसिय (दशप्रदेशिक) प ५१२७,१७६ दाइय (दायिक) ज २१६४ दसम (दशम) प १०११४१२,११२३३११,१११३४११ दाऊण (दत्वा) ज ५२५८ ज ७४६७,१०२,११४।२ च २४ सू ११६; दाडिम (दाडिम) प०३६।१ ज २११५ १०१७७.१२४/२०१२।२६,१३१८ उ १७; दाढा (दंष्ट्रा) ज ७१७८ २।१०,२२,३३१४,८३,१५०,१६१,४।२४; दाण (दान) ज ३११९७१ ५।२८,३६,४३ दाणंतराइय (दानान्तरायिक) ब २३१५६ दसमी (दशमी) ज ७१११८,१२५ सू १०१६० दाणंतराय (दानान्तराय) प २३।२३ दसरह (दशरथ) उ ५२२१ दाणकम्म (दानकर्मन्) ज ३।३२ दसविध (दशविध) सू १२।२६ दागव (दानव) ज ३।११५,१२४,१२५ दसविह (दशविध) प १३,१०१,१३१:५।१२४; दाम (दामन्) प २१४८ ज ३.१६७,४१४६,१२६% ११।३३,३४,३६,१३।२,२१,२३।१३ ५.३८ दससमयदिईय (दडसमयस्थितिक) प ५११४८ दामणिसंठिय (दामनीसंस्थित) सू १०।४६ दसहा (दशधा) प २।३०१ दामणी (दामनी) ज७।१३३।३ सू १०1४६ दसार (दसार) उ ५१५,१०,१७,१६ दामिणी (दामिनी) ज २।१५ दसारवंस (दसारवंश) ज २११२४,१५२ दामिली (द्राविडी) प ११६८ दह (द्रह) प २१४,१३,१६ से १६,२८,१११७७; दाय (दाय) ज २०६४ उ २०६५।१३,२५,५२ १५॥५५॥२ ज २१३१,३२१३३,४।३,६४,८८, दायव्य (दातव्य) सू २०६५ १४०।२,१४१,१४२,२०७,२६८,२७४।५।५५; । दार (द्वार) प २६१ ज १:१५ से १७,३८; ६१६१ ३।१०६,१६३, ४११०,६४,११५,१२१,१२२, दिह (दह.) दहइ ज ३।१२ १४७.२१७,२६२ च ५।४ भू ११६०४१०११३१ Page #259 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दार-दाहिणिल्ल ९४५ दार (दार) ३३१४८,५० २०१२ उ ३१५१,५३,६२ दारग (दारक) 3 ११५३ से ५५,५७ से ५६,६१ दाहिणअवर (दक्षिणापर) ज ३८१ से ६३,७८,८६,८२,२२६३३६२.६८.१०१, दाहिण उत्तराय। (दक्षिणोत्तरायता) ज ४।१४१ १०६,१३०,१३१ दाहिणओ (दक्षिणनस्) प २१४०१३ दारगरूव (दातरूप) 3३३१२६.१३४ दाहिण ड्ढ (दक्षिणार्ध) १२।५० सू २११,८११ दारय (दार) ५.५७ उ ११५१.५४,५६,६० दाहिण ड्ढच्छ (दक्षिणार्धकच्छ) ज ४.१६८ से से ६२.७६ ७६;२६.१०,३११४.१२३.१२४ १७४ दारियत्त (दानिकात्व) उ३।१२५ बाहिणड्ढभरह (दक्षिणार्धभरन) ज १११६,२१ से दारिया (दारिका) 3 ३६२,१८,१०१.१०६ ११४, २३ ४५ से ४७,३।१,२०८,४।३५ उ ५।१० १२३,१२६.१२८,१३०:४।५,६,११ से १६,१८, दाहिणभरहकड (दक्षिणाई भरनकूट) ज ११३४, १६,२० ४१,४५,४६ दारु (दारु) ज ३1३२ दाहिण दारिया (दक्षिणद्रारिका) सु १०।१३१ दारुग (दारुक) ज ३१७८ वाहिण द्धभरह (दक्षिणाईभरत) ज ११२० दालयित्ता (या वित्या) ज ४।३५ दाहिए पदमि (दक्षिणपाश्चात्य) १ ३११७६, दालित्ताणं (दलयित्वा) ए १७४ १७८ ज ३१३०,३१,१७२,१७३,४११६,१६३, दालिम (दाडिम) प १६।५५; १७।१३२ २०८.२०६.२२३,२२६.२३०,५१३६,४६ सू २०१२ दास (दास) ज २।२६३।१०३ उ ११५४,५५.७६, दाहिण पच्चस्थिमिल्ल (दक्षिणपाश्चात्य) ८० ज ४१२३८ दासी (दासी) प ११३७५ काकजंघा, नीलाम्ला, नीलभिटी दाहिण गडीण (दक्षिणापाचीन) सु १११६ दाहिणपुरस्थिम (दक्षिणपौरस्त्य) प ३११७६,१७८ दासी (दासी) ज ३।१०३ ज ४।१६,१०६.२०३,२२२,२२७,२२८,३६, दाह (दाह) ज २१४३ ४६ सू २१,२०।२ दाहिण (दक्षिण) प २११०,३२.३३.३५,४३.५.० दाहिण पुरथिमिल्ल (दक्षिणपौरत) ज ४।२३८%; से ५२.५४,५६५८से ६०३१ से ३०,१७६, १७८ ज ११८,२०,२३.२५.२८,३२,४६,४८, ५।४४,४६ सू १११६२।१,१२१३० ५.१,२।६५.११३,३।१६.१२,३६ १३६,१३७, दाहिणभुयंत (दक्षिणभुज न्त) सू २०१२ १४६.१५०,१८६.२०४।४।१,३,१६.२३,२६, हिमाय (दक्षिणवत) प ११२६ ३७,५१,२,६५.८१,८६.८६,८६,६०,६८. दाहिणव्यालि (दक्षिण वेयाली') प १६.४५ १०३.१०६,१०८.१२६,१६२,१६७ मे १६६ दाहिफिल (दाक्षिणात्य) प १३२,३३,३५,३६, १७२ ले १७४.१७,१७८ १८० १८१,१८३, ३८,४३,४४,४७,३।१८ से २३:१६६३४ १८७,१८६ मे १६१,१६४,१९६ २०१ मे ज ११२६,५१:२।११६,३११४ ज १२२६,५१, २०३, ०५.२१०,२१४,२२० २३८,२६२, २।११९३३१४,१५,१८,३६,५१,५०,६१,८३, २६८.२९१, २ ३ .२१.३६.६:८; ८५.८८ से १०,६२,६३,१२६,१६२,२०६,२१६; ७।१०१.१०२.१६६ १७८६, १५१५ मे १७, ४।१७४ से १७६,१८२,१८३,१८८,१६५, १६:२१:८११:१०।1:१३15,८,१८।१४: २०१.२०२,२१२,२४८,२५१:५११४,४२,४५, Page #260 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४६ दिगिदलय-दिसाणुवाय ५२ सू१०११४२,१४७ २१,२२,२४,२७,२१३,३१२,४१८,६;६.१; दिगिदलय (दे०) उ ३.११४ ८।१६।२,३,१०१५,६३ से ७४,८६।३.१२६५ दिठ्ठ (दृष्ट) प ११०१।३,८ ज ३३१२६ १६॥२२॥१८ उ १२६३,३१६४,६८,७१,७४, दिह्रत (दृष्टान्त) प १७११४८; उ ३१८,२६,६३ ७६,१२६,५।१३,४५ दिळंतिय (दार्टान्तिक) ज ५।५७ दिवसखेत्त (दिवसक्षेत्र) ज ७२७,३० दिट्ठाभट्ठ (दृष्टाभापित) उ ३१५५ दिवसतिहि (दिवसतिथि) सू१०1८६,६० दिछि (दप्टि) प २८.१०६।१ ज ३.१०५:५१६७ दिवा (दिवा) ज ७१२५ दिठिवाय (दृष्टिवाद) १११११३,१११०१।८ दिव (दिव्य) प २३०,३१,४१,४६ ज ११३१, विट्ठीविस (दृष्टिविष) प ११७० ४५,२२६७,६०,१००३१४,५,१२,१४,१५,१८, दिणकर (दिनकर) सू १६११२,१६३२१२३, २६,३०,३१,३६,४३,४४,४७,५१,५२,५६, १६।२२।१२,१३ ६०.६१,६४,६८,६६,७२,७६,८८,६२,६५, दियर (दिनकर) ज ३१८८ सू१६।२२।३० १०६,११३,११६,११७,११६,१२२,१२३,१२६, उ ३४८,५०,५५,६३,६७,७०,७३,१०६,११२ १३०,१३१,१३३,१३६ से १३८,१४०,१४१, दिण्ण (दत्त) प २१३०,३१ ज ३७,१८४,५२६ १४५,१४६,१५०,१५६,१७२,१७३,१७८, उ १६६,१०३,१०६,११०,११३,११४; १८०,२०६,२११:५।१,३,५,७,१६,२२,२६, ३४८,५० २८,३०,४१,४३ से ४५,४७,५५,५७,५८, दित्त (दीप्त) १ २१४६ ज ३६,१८,६३,१०३, ६७,७।५५,५८,१८४,१८५ सू १८।२२,२३; १८०,२२२,७।१७५ सू १६।११।२,२११३, १६।२६ उ ३११७,८५,६४,१२२,१२३,१६३; १६॥२२॥३० ४।२५ दित्त (दप्त) ज ३११०३ दिव्वा (दिव्याक) प १७१ दित्ततव (दीप्ततपस्) ज ११५ दिसा (दिशा) प २।३०,३१,२।४०।२,८,१०, दित्तसिरय (दीप्तशिरस्क) ज ३१६,१५ २१४१,४६ ज ११३८, २।१३१, ३.१४,१५, दिन्न (दत्त) प २१४१ २२,३०,३१,४३,४४,५१,५२,६०,६१,६८,६६, दिपंत (दीप्यमान) ज ३१६,१७,२१,३४,१७७, १०० से १११,१२५,१३०,१३१,१३६,१३७, २२२ १४०,१४१,१४६,१५०,१७२,१७३,१६५, दिप्पमाण (दीप्यमान) ज ३१८,६३,१८० २११:४।१०,१२१,१५३,१६३,२१२,२१७, दिली (दे०) प ११५८ २३८; ५१५२,७४; ७।१७८ सू ११४५१ दिवड (द्वयर्धद्वयपाध) १ २३१७३,८३,१३५, उ ११२२,१४०,३१५१,५३,५५,६३,६७,७०, १५२,१७२;३३१७८ ज ६०८।१सू ३३२,६।३; दिसाकुमार (दिशाकुमार) प १११३१, ५।३; दिवड्ढखेत्त (द्वयपार्धक्षेत्र) सू १०१४,५ ६१८ दिवस (दिवस) प २८१२७,७३ से ७६ ज २१६४; दिसाकुमारी (दिशाकुमारी) ज ५१ से ३,५ से ३७६,६५,६६,११६,१२०,१३६,१६०,२०६; १०,१२ से १७ ७१२६ से ३०,११२१५,११७,११८,१२६,१५६ दिसाचक्कवाल (दिशाचक्रवाल) ३.५० से १६७ च ५।३ सू श६।३,१।१३,१४,१६, दिसाणु वाय (दिशानुपात) प ३।१ से १७,२४ से १८.१ Page #261 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिसादि-दुक्ख ६४७ ३७,१७६,१७८ १०२.१७५,१८२.१६८ से २०८,२१० से २१३ दिसादि (दिशादि) ज ४२६०१२ मेरुपर्वत सु १३१४,१६,१७,१६ से २२,२४,२७, २१, दिशापोक्खि (दिशाप्रोक्षिन) उ ३५० ३,३११.२:४।३.४,७,१०।६।१८।१:१०११३२, दिसापोक्खिय (दिशाप्रोक्षिक) उ ३१५०,५५ १४२,१४७; १२।३०:१८१७,२०; १९३१.२,६, दिसापोक्खिय (तावस) (दिशाप्रोक्षिकतःपन) ७८।३,६,१२ मे १४,१५१३,१६१६,१६२२, उ ३२५० २४,१६१२८,३१ से ३४३ ११९३७,६१, दिसाहत्यिकूड (दिशाहस्तिकूट) ज ४।२२५ से २३३ १२५,१५७; ५१२४.४३ दिसि (दिश) प १२७,२३०११:२०६३,३।११, दीवकुमार (दीपकुमार) प१११३१,५३,६१८ १११६६,६६।१२१६५,६६,२८१६,३१.६५ दीवग (ढीपिक) सू १०।१२० ३६।५६,६६,६८,७०,७२ से ७४ ज ४२०४, दीवणिज्ज (दीपनीय) प १७।१३४ ज २०१८ दीवणिजबीपी २१०,२१६,२२०:५।३०,७१४८,५०,५२,५३ दीविग (द्वीपिक) ज २१३६ उ११२४३।५१,५३,६२,८१,१४३,१५६ दोबिय (दीपिक) प ११६६११।२१ ज ३।१३६; दिसौभाग (दिग्भाग) ज ३।२०८:५।५,४४,४५ उ ३।११३:४२० दोवियगाह (दीपिकमाह) ३।१७८ दिसोभाय (दिग्भाग) ज १।३३।१६२,२०४, दीपिया (दीपिका) प १११२३ २०८,४।१२०,१३६,५१५,७ चं सू ११२ दीवियाहत्यगय (हरतगतदीपिका) ज ५११२ उ ५५ दीस (दश) दीनति प ११४८१५७ ज ७।३६,३८ दोण (दीन) उ १५१५,३५, ३१६८ दोह (दीन) प २१६४१४; १३।२३ ज २११५,६६; दोणस्सर (दीनस्वर) ज २११३३ ३३१०६.१६७।११ दीणस्सरता (दीनरवरता) प २३१२० दोहार (दीर्घदर) ज ४८० दीव (द्वीप) प १५४,७५,८०,८१,८४;२।१,४,७, दोहदेयड्ढ (दीर्घवैत ढ्य) ज ६१० १३,१६ से १६,२८,२६,३०।१,२१३२,३३,३५, दोहिया (दीधिकः) प २१४,१३,१६ से १६,२८; ३६,४०१२,६,११,२१४३,५०,५१,१५११२, ११103 ज २।१२।। १५।५४,५५,१६।३०,३३।१० से १२,१५ से दु (दि) प ११३ सू१।१४ १७ ; ३६।८१ ज १७,१५ से १८,२०,२३, दुइय (द्वितीय) प ३१२२ ३४,३५,४६.४८,५१,२।१,७,५२,५६,६०,११६, दुंदुभय (दुल्दुधक) ज ७११८६।२ मू २०१८ १६१,१६४,३१६,३६,४७,५६,११६,१३३, हय (दुन्दुभकः) सू २०१८२ १३८,४११,३१,२२,३४,४१,५२,५१,६२,६८, दहि दिन्द्रमि) अ ३११२,७८,१८०,२०६५।५, ६६,७६,८१,८६,६०,६३,१८,११४,१५६, २२८६,४६,४७.५६,६७ उ १।१२१,१२२, १६०,१६५,१६७,१६६,१७२ से १७४,१७८, १२५ १२६,१३३.१३४,१३८,३११११,४११८; १८१,१८२,२०१ से २०३,२०६.२१३,२६२. ५१६ २६५,२६८,२.१.२७४,२७८ : ५।३,२१,२२, दुक्कालदहुल (दुरकालबहुल) ज १११८ २६.४४,५२,७४,६१ से ५ से २६७12 दुक्त (दुःख) १ २१६४।२२:६१११०,२०११८; ३.४,८ से १४,३१,३३,३६ से ३६.५२.५४, १६१,२,३५११०,११,३६४८८,६२,६४१ ६२,६३,६७ से ७२,८६,८७.६१,१२,१०१. ज १॥२२,२७.५०:२१५८,७१,८८,८६,१२३, Page #262 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६४८ १२५, १५१,१५७ ३७७,६२,१०६. ११६, १२१।१,१२५ ४११०१,१७१ १६ २२।१३ ११६३, १४१,३१८६५/४३ दुक्ख ( दुःखत्व ) प २८।२४ दुक्खभागि ( दुःखभागिन् ) ज २।१३३ दुक्तो ( द्विम् ) सू १११२ खुर (द्विखुर ) प १६२,६४ दुग ( द्विक) ज ७ | १३११२ दुछा (जुगुप्सा ) प २३१३६,७७, १४५ दुगुण ( द्विगुण) सू १६२२/२३ दुगुणिय ( द्विगुणित ) ज २१२५ दुगूल ( दुकूल ) सू २०७ दुग्ग (दुर्ग) ३१५५ दुग्गइगामि ( दुर्गतिगामिन् ) प १७ १३८ दुगंध ( दुर्गन्ध ) ज २१३३ ३ ३ १३०,१३१,१३४ दुग्गम (दुर्गम) ज ३१७७, १०६ दुग्गबहुल ( दुर्गबहुल) ज १११८ दुग्गुल ( दुकूल ) ज ४११३ घण (द्रुधरण) ज ५।५ दुfs (द्विजटिन् ) सू २०15 दुज्जमथ (दुर्जन्मक) उ ३१३१,१३४ दुज्जाय (दुर्जात ) उ ३ १३१,१३४ दुट्ठाणवति ( द्विस्थानपतित ) प ५ १३४, १४३, १४८,१५१,१६३,१६४,१८१,१६७,२१८ दुट्ठ (दुष्ट) उ ११८८, ६२ दुतीस ( द्वात्रिंशत् ) ज ४१६४ दुत ( दुर्दान्त) उ५।१० दुसणिज्ज ( दुर्दर्शनीय ) ज २।१३३ बुद्ध (दुग्ध) प ११।२५ उ ३१६८ दुधा ( द्विधा ) सू १९१६ दुन्निकम्म ( दुनिष्क्रम) ज २१३२ दुपएसिया ( द्विप्रदेशिक ) प ५।१५३,१५४,१५७, १५६,१६०,१७६,१७७, १६२,१६३,२१३, २१४; १०।७१११४६; ३०१२६ दुपदेस ( द्विप्रादेशिक ) प १०।१४।१ दुवखत्त-दुरुव दुपदेसिय (विप्रदेशिक ) प ५।१२७,१३०, १३१; १६।३६ दुष्पउत्तकाइया (दुष्प्रयुक्तमयिकी) प २२२ दुष्पव्य ( दुप्प्रवजित ) ३३५८,६०,७६ से ७६ दुप्पवेस (दुष्प्रवेश ) ज ११२४ दुकास (दुम्पर्ग ) ज २११३३ दुबत्तीस ( द्विद्वात्रिंशत् ) सू १०११३८ से १४१, १४८, १५२,१२/२२ दुब्बल (दुर्बल) ज २१३३ दुभि (दुर् ) प १३/२७,३१,२३।१०७ दुभिक्खबहुल (दुर्भिक्षवहुल) ज १1१८ दुगंध ( दुर्गन्ध ) प १।४ से ६ : २।२० से २७; ५१५, ७,२०५१११५६ : १७।१३६ २८१२०, ३२,६६ ज ३५ दुभूय (दुर्भूत) ज २१४३ भागमंडल (द्विभागमण्डल) सू १५।३७ दुम (द्रुम) ज २१८, १३,२०,५४५० दु (द्रुत ) ज ५।५७ अभिनय का प्रकार दुरंतपन्तलक्खण ( दुरन्तप्रान्तलक्षण) ज ३१२६, ३६,४७,१०७,११४,१२२,१२४,१३३ उ १८६, ११५, ११६ दुरभि ( दुरभि ) प २३१४८ दुरस (दूरस ) ज २।१३३ दुरहियास ( दुरध्यास, दुरधिसह ) प २।२० से २७ दुरुढ (ढ) ज ३|१७,२१,२२,३५,३६,७७, ६१,१७७,१७८, १८३,२०१,२०२,२१४,२१७; ५/२२,२६,४३ / दुरुह (आ - रुह ) दुरुहइ ज ३।२०,३३,५४,६३, ७१,८१,८४,१०६,११७, १३७, १४३, १६६, २०४,२२४,५०४१,४२११९ दुरुहति ज ३।१११; ; ४।५ ५३५ दुरुहति प १७।१०६, १११ दुरुहिता (आरुह्य ) प १७११०६ ज ३।२० उ १११६ दुरूट (आरूढ ) ११२४,१३१; ४ । १२:५११४ दुरूव (दुरूप) ज २।१३३ Page #263 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दुरुह-दूसमदूसमा दुरूह (आ--रुह) दुरूहइ उ ११११०,४।१५ १४,१६,१८,२३ ज २११,५,६,५॥१६७।११४ दुरूहेइ उ ४।१८ सू १०८६,१२१,१२४,१८१२०,२०१३ दुरूहित्ता (आरुह य) उ ११११०,४।१५ उ ३१३१,३८,४०,४२,४४ दुरूहेत्ता (आरह य) उ ४११८ दुन्विसय (दुर्विपत्र) ज २।३१ दुल्लह (दुर्लभ) ज३।११७ सू २०६१ दुसमइय (द्विसामयिक) प १११७१:३६।६०,६७, दुव (द्वि) ज ११२५ च ४.३ सु ११८१३ उ १११११ ६८,७१,७५ दुवयण (द्विवचन) प ११८६ दुसमयद्वितीय (द्विसमयस्थितिक) प १११५१ दुवण्ण (दुर्वण) ज २११५,१३३ दुसमसुसमा (दुप्पमसुपमा) ज २१४६ दुवार (द्वार) ज ३०८३,८५,८८ से ६०,६३,१०३, दुस्समदुस्समा (दुप्पमदुप्पमा) ज २।२,३,६ १५४,१५७,१६२.१८६ दुस्समसुसमा (दुप्पमसुसमा) ज २२२,३,६,४६ दुवालस (द्वादशन ) प २१६४ ज १२० सू १११३ दुस्समा (दुष्पमा) ज २१२,३,६ उ२११० दुहओ (द्वितस्,द्वय) ज ४१६१ सू १०।१३६,२०१७ दुवालसंसिय (द्वादशासिक) ज ३१९४,१३५,१५८ दुहओवत्त (द्वितआवर्त) प ११४६ दुवालसक्खुसो (द्वादशकृत्वस्) ग १२।२ स ६,११ दुहणाम (दुःखनामन्) प २३१२० दुवालसमा (द्वादशी) सू १०।१४१,१४६,१४८,१५५, दुहट्ट (दुधाट्ट) उ १४५२,७७ दुहता (दुःखता) १ २३११६ दुवालसमी (द्वादशी) १०११४८,१५० दुहतो (द्वितम् द्वय) सू १०.१७३ दुवालसविह (द्वादविध) प ११३४; १२१३७ दहतोनिसहसंठिय (द्वितोनिषधसंस्थित) सू ४।३ ज ७१०४ सू १०।१२६ उ ३१७६,१४३ दुहत्त (दुःखत्व) प २८।२६ दुविध (द्विविध) सू ४१ दुहया (दुःखता) प २३१३१ दुविह (द्विविध) प१।१,२,४,१०,११,१६ ने १८ दुहा (द्विधा) ज १११६,२०,२३,४११,४२,६२,६४, २० से ३२,३४,४८ से ५१,५३,५७,५६ से १०८,१७२ ६१,६६,६७,६६,७५,७६,८१,८२,८८,९०, दूइज्जमाण (यमाण) ज ३.१०६ उ१२,१७, १००.१०२ से १२३.१२५ मे १२६,१३१ से ३।२६,६६,१३२,५:३६ १३८,५१,१२३,६।११५,११६:१११३१,३२, भगणाम (दुर्भगनामन्) प २३1३८,१२४ ३५,३६,४१,१२७ से १३,१६ स १८,२०, दूमिय (दे० धवलित) सू २०१७ २१,२३,२४,२७.३१ से ३३,१३११,८,२२ दूमिय (दून) उ १।५६,६३,८४ २३.२७.३१:१५॥१८,१६,४८.४६,६८,७१, दूय (दूत) ज ३१६,७७,२२२ उ ११९२,१०७ से ७२,७५,७६,१६३५,२८,३३,३५,१७४२.४,६, ११६,१२७ ६.१६,२३,२५.२७,१८११३,२५,५५.६३,६७ ६८,७६.७६,८६.६४.६७,६६१०१.१०६. दूर (दूर) प २१४६,५०,५२,५३,६३,१७११०६ १०६.१११,१२७,२११४ से ७,६ से २०,४६, ज ७।३६,३८ सु।।१ ५५.५८,५६,६१.६५,६६,७०।२२।२,३.८; दूरतराग (दूरतरक) प १७।१०८,११० २३१६,२६,२६,३२,३४,४८,५६,५७:२८१४, दूस (दुष्य) ज २१२४,६५,६९,३१९,२२२ ४०,५०,३६, २६३१.५,८,६,११,१४,३०१,५, दूसमदूसमा (दुष्षमदुष्षमा) ज २११३०,१३५, ७,११,१२७३३३१,३४११२,३५।११२,३१२, १३६ Page #264 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५० दूसमसमा (दुष्षमसुसमा ) ज २११२१ दुसमा ( दुष्षमा ) ज २११२६, १४० दूसरणाम ( दुःस्वरनामन् ) प २३।३८, १२५ fe (दुष्य ) प १७ । ११६ देय (देय) सू २०१२ देड (दे० दृतिकार ) प ११६७ देव (देव) प १५२, १३०,१३८; २१३० से ३६, ४१ से ४३,४६, ४७।१,४८ से ६३,२०६४ १४; ३।२६ से ३६,३८,३६,१३१,१३३, १३५, १३७, १३६,१८३,४१२५ से २७,३१ से ३३,३७ से ३६, ४३ से ४५,४६,५५,१६५ से १६७,१७१, १७७ से १७६, १८३ से १८५, १०६ से १६१, १६५ से १६७,२०१ से २०३,२०७,२१३ से २१५,२२५ से २२७,२३७ से २४३,२४६, २४६,२५२,२५५ से २६६,६३२७ से ३८, ४१ से ४३,५०,५२,५६,६५,७०,८१,८२,८५ से ८७,८६,६०,६२,६३,६५,६६,६८,६६, १०१, १०२,१०५, १०६, ११०,११२, ११३,७१८ से ३०,८१०, ११, ११, १२१४५, ५५।३,८७ से ६३,१०८,१०६,११४,११५, ११७, १२५,१२६, १३२,१३६,१४३, १६१२५,२६,३१,१७१४६, ५१, ५२,७१,७३,७४,७६,७ से ८१,८३,८६, १८१५,११:२०४६,२११५१,५५,६१,६२,७०, ७१,७७,८३,६१ से १३,२२/४१,४२,४५,७६, २३१३६, ५४,८४,११४,१४६,१७२,१६४, १६६,१६८,२६।६७,१०२,१०५,१३३,१४३ से १४५,३३३१,१६ से १८,२४,२५,३४।१५, १६,१५ से २५, ३६।५०,८१ ज १११३,२४, ३०,३१,३३,३६,४५ से ४७,५१, २३६४,६०, ६५ से ६६,१०० से १०२,१०४ से ११६, १२०,३२०,२४११,२,२५ से २८,३०,३२२, ३३,३८ से ४१,४३,४६ से ४६,५१,६३ से ६५,६८,७१ से ७४,७६,८४,६२,१११ से ११५,११६,१२३ से१२५,१३१।१,२,१३२ से १३४,१३६,१५०,१५१, १६७।१३, १७८, १८४, दुसमदुसमा देवगतिपरिणाम से १८६,१८८, १८६, १६१, १२, १६८, १६६, २०७ से २१०,२१६,२२१,२२४,२२६,४२, १३,१६,२०,५१ से ५४,६०,६१,८०,८४,८५, ६७,१०२, १०६, १०७, ११२.११३,११४,१२०, १४१,१४२,१५०,१५६ से १६१,१६३,१६५, १६६,१७७, १८०,१८४, १८६, १८७, १६३, १६६ से २००,२०३, २०४,२०८ से २१२, २१५,२२६ से २३४, २३६, २४७, २४८, २५० से २५२,२६१,२६४,२६६, २६७, २७०, २७२, २७३, २७६, २७७, ५१, ३ से ५,१४, १५, १६, २२,२३,२६ से २६,३६,४२, ४३, ४५, ४७, ४६, ५०,५३ से ५६,६१,६७,६६ से ७४ ६ १६; ७ ५५,५,६,५६,१६६,१७८११, १८५, १८७, १८६,१६१,१३,१९५, २१३,२१४ ६१; १३।१७१७ ११८।२ से ४,१४ से १७,२१, २३,२५,२७,२९,३१,३३,३५,१६२३, २४, २६,२७,२०११,२,४,७ ३ २११३:३१५१,५६ से ६२,६५,६६,६६,७२,७५ से ६१,१५१, १५२,१५६,१६२ से १६५: ५।५, २६, ३०, ४२, ४३ देव (देव) सू १९३६,३८ देव नामक द्वीप देव - णिआजय (देवाज्ञायुष ) प २०१६२,६४ देवउल ( देवकुल ) ज ५१५,७ (कहकहक ) व ५।५७ देव देवकुमार (देवकुमार ) उ३३६२ देवकुमारिया (देवकुमारिका) उ ३१६२ देवकुरा (देवकुरु) ज ४६४, १६, २०३, २०६ से २०८.२१३ देवकुरु (देवकुरु) प १८७१६।३०१७ १६४ ज २२६,४१२०४११,२०७,२०८,२१०।१ देवकुल (देवकुल) ज २०६५ उ ३३६ देवगड ( देवगति ) ज २६०, ३१२६,३६,४७,५६, ६४,७२,११३,१३३, १४५, ५१५, ४४, ४७, ६७ देवrse ( देवगतिक ) प १३/२० देवगति ( देवति ) प ६ ४, ६ देवगतिपरिणाम ( देवगतिपरिणाम ) प १३।३ Page #265 -------------------------------------------------------------------------- ________________ देवगतिय-देविंद १५० देवगतिय (देवगतिक) प १३।१५ देवगामि (देवगामिन्) ज १।२२,५०,२१५८,१२३, १२८,१४८,१५१,१५७,४११०१ देवच्छंदग (देवच्छंदक) ज ४२१६ देवच्छंदय (देवच्छंदक) ज ११४०,४।१३६,१४७, २१६ देवजुइ (देवद्युति) ज ३।२६,३६,४७,१२२,१२६, देवजुति (देवद्युति) ज ५।४४ उ ३.८५,१२२ देवज्जुइ (देवद्युति) उ ३।१२३ देवड्ढि (देवद्धि) ज ३१२६,३६,४७,१२२,१३३ ।। देवता (देवता) च ५२ सू हार देवत्त (देवत्व) प १५६६ से १०१,१०४ से १०६, १०८,११२,११४ से ११७,११६ से १२३, १२५,१२७ से १२६,१३१,१३२,१४३, उ २११२;३।१५०,१६१,५२८,४१ देवदारु (देवदारु) प ११४०।२ देवदाली (देवदाली) प ११३६१२,१७११३० देवदालिपुप्फ (देवदालीपुष्प) प १७.१३० देवदुहदुहग (देवदुहदुहक) ज ५१५७ देवदूस (देवदुप्य) ज २६५,१००,२११,५१५८ उ ३।१४,८३,१२०,१६१,४।२४ देवपव्वय (देवपर्वत) ज ४२१२ देवमइ (देवमति) ज ३।१०६ देवय (देवता) प १४८ ज ७/१२७११,१६७११ देवय (दैवत) ज २१६७,३१८१ सू १८१२३, उ १११७,७२,८८,६२,५।३६ देवया (देवता) ज ३३२,१०४,१०५,४१५३, १०६,२०४,२१०,७३० सू १०७८ से ८३ देवराय (देवराज प २१५० से ५६ ज १३१; १८६ से ६३,६५,६७,६६,१०१,१०३,१०५, १०७,१०६,१११,११३,११४,११७ से ११६, १८६,२१७,४१२२१,५।१८,२० से २३,२६ से २६,३६ से ४१,४३ से ४८,५४,५६,६०, ६१,६२,६५ से ६८,७१ से ७३ उ ३३१२२, देवलोग (देवलोक) प २०१६१ ज २०४६,१५६; ३।१ उ २।१३;३।१८,८६,१२५,१५२,१६५; ४।२६:५।३०,४३ देवलोय (देवलोक) ज २।४६ उ ५१४ देवसंघाय (देवसंघात) ज ७१७६ देवसयणिज्ज (देवशयनीय) उ ३१४,८३,१२०, १६१,४।२४ देवसयसहस्सीसर (देवशतसहस्रेश्वर) ज ३११२६।३ देवसिरि (देवश्री) उ ३११७१ देवाउय (देवायुषक) प २०१६३,२३३१८,३७,८०, १४६,१७० देवाणंदा (देवानन्दा) ज ७/१२० सू१०८८।३ उ ३.११३; ४१२० देवाणुप्पिय (देवानुप्रिय) ज ६५,६७,१०१, १०५,१०७,१०६,१११,११४,१४६, ३३५,७, १२,१५,१८,२१,२६,२८,३१,३४,३६,४१, ४७,४६,५२,५६,५८,६१,६४,६६,६६,७२, ७४,७६,७७,८३,६०,६१,६६,१०५,१०७, ११३,११४,१२५,१२६१४,१२८,१३३,१३८, १४१,१४५,१४७,१५१,१५४,१५७,१६४, १६८,१७०,१७३,१७५,१८०,१८३,१८८, १६१,१६६,२०७,२१२:५॥३,५,७,१४,२२, २६,२८,४६,५४,६८,६६,७२,७३ उ १११७, ३७,३६,४१,४४,५४,५७,६६,७६,८८,६८, १०७,१०६,१११,११३,११५,११६,१२१, १२३,१२७,१२६,१३१,३११३,७८ से ८१, १०२,१०३,१०६,१०८,११२,११५,१३६, १३८,१३६,१४८,४।११,१४ से १६,१६,२२, ५।१५,१८,२७,३२,४० देवाणुभाग (देवानुभाग) ज ३११२६ देवाणभाव (देवानुभाव) ज ३१२६,३६,४७,१२२, १३३,५१४४ उ ३.८५,१२२,१२३ देवाहिव (देवाधिप) ज ५१५४ देविंद (देवेन्द्र) परा५० से ५६ ज ११३१२१८६ से ६५,६७,६६,१०१,१०३,१०५,१०७,१०६, Page #266 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९५२ देविडि-दोणमुह १११,११३,११४,११८,११६४।२२१५१८, २० से २३,२६ से २६,३६,४०,४३ से ४८, ५४,५६,६० से ६२,६५ से ६८,७१ से ७३ उ ३१२३,१५० देविढि (देवद्धि) ज ५।४४ उ ३।१७,८५,६४, १२२,१२३,१६३, ४१२५ देवित्त (देवीत्व) उ ३११२० देवी (देवी) प २।३० से ३३,३५,४१,४३,४८ से ५१,३।३६,१३२,१३४,१३६,१३८,१४०, १८३,४१२८ से ३०,३४ से ३६,४० से ४२, ४६ से ४८,५२,५५,१६८ से १७०,१७४,१८० से १८२,१८६ से १८८,१६२ से १६४,१६८ से २००,२०४ से २०६,२१० से २१२,२१६ से २२४,२२८ से २३६:१७१५०,७२,७३,७५, ७६,७८,८०,८२,८३,१८।६,८,१२:२३॥ १६४,१६६,१६८ ज २३,१३,३०,३३,३६, ४५:२।१०,३१५२ से ५८,६०,१४०,१४१, १४३ से १४७,१४६,४१२,१७ से २०,२२,३३, ३४,५३,६४,८६,१५६,१६४,२०३,२३७, २३८,२४८,२५० से २५२,५१,५,१६,२६ से । २८,४२,४३,४५,४७,६७,७२,७३७१८३, १८५,१८८,१६०,१६२,१६४,१६६,२१४ चं ८ सू ११३;१८।२१,२३,२६,२८ ३०,३२, ३४,३६,२०६४ उ ११० से १३,१५,१७,१६ से २४,३० से ४१,४३,४४,४६,४८ से ५५, ५७,५८,७० से ७४,८८,६५,९७,६६ १०२, १०६,११०,११३,११४,१४६ से १४६,२।४ से ६,१६,१७,१६,२०,३६०,६२,९४,१२१ से १२५, ४१२५,२६,५।१०,१२,१३,१७,२५,३०, ६१,६६,१०८,२१।७४,२२१५५,५६,५८,७६ ज ११३०,३३,२२४:४१२२,३४,८३,११३, ११४,१६६,५१२६,७२१३ सू१।१६६.१; है।३।१०।१३८ से १५१,१६२ से १६६; १२।३०:१३।२ देसपंत (देशप्रान्त) उ १११३३,१३४ देसभाग (देशभाग) प २०१६.१७,३०,३१,४१,५०, ५२ ज २०१२,६५:३१३,११७,५।३५ सू ३९८ देसभाय (देशभास) प ११८.१६,२८,५१,५६,६४ ज ३।७,५१३३,३८ देसमाण (दिशत्) ज २०७२ देसि (देशिन्) प २१४१ देसिय (देशित) ज ३१२२,३६,६३,६६१०६,१६३, १८० देसूण (देशोन) ११२,१४,१७,२३,३५,३७,५१; २६४४,४५,४१११४ देसुणग (देशोनक) ज ३१२२५४।६,३३,१४७, १५५,२४२ देसोहि (देशावधि) प ३३।१।१,३३।३१ से ३३ देह (देह) ज ३।१०६ देहधारि (देहधारिन ) प ४१ ज ३१३ देहमाण (दे० पश्यत्) - ३१२२२, ५१६७ दो (दि) प२०१५६ १७.१११४ उ १११३५ दोच्च (द्वितीय ६८०१३३।१६,३६१६२ ३।१२८,१५१.१६२३.२५,२८ से ३०,१५७.१६१,१६५.१७० सू १११३.१४, १६.१७.२१.२४,२७,९१३, ६११; १०१६४.६८, १२७.१३६.१४०,१८४.१४५,१५८,१११२ से ४,१२१३,२०,२५; १३।१,१२,१३ उ ११३६, ४०.१११,१४३, २११,१५.२१,३३१,२०,२२ २३.५१.५३ ६०,६१.७७,७८.१०८ दोच्चा (द्वितीया) प३।१८३ दोणमुह (द्रोण मुख) प १७४ ज २२,१३१; ३११८,३१,३२,१६७१२,१८०:१८५.२०६, २२१ उ ३११०१ देवलिया (देवोत्कलिका) ज ५१५७ देवोद (देवोद) सू १६:३८ देस (देश) प ११३,४,२१६४।११,४१४३,४५,४६, ४८,४६,५१,५२,५४,५३१२४,१२५,१५३५३; ५४,५७,१८१५६,६४,७७,८१,८३,८४,५६ से Page #267 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दोला-धम्मवर ६५३ दोला (दे०) १५१ २३,२४,३५,३७,६५,१३१,१५६,१६०,१७८; दोवारिय (दौवारिक) ज ३।६,७७,२२२ ४।१०,१२,५५,६२,८१,८६,६८,१०१,१०८, दोस (दोष) प ११॥३४१, २२१२०, २३१६ ११०,११४,१४७, ५४,२४८,२६२,२६५, ज ३१३२,११७ सू २२, २०।६।६ उ ३१३५ २६८,२७१,२७४ ७.१८२,२०७ सू १११४; दोसपिस्सिया (दोषनिधिता) प १११३४ १८।१३,२० उ १२२,१३८,१४० दोसपुरिया (दोषपूरिका) प ११६८ धणुगह (धनुर्ग्रह) ज २१४३ दोसिणा (दे० ज्योत्ना ) चं २।४ सू ११६।४; धणुप्पट्ठ (धनुष्पृष्ठ) ज १।१८,२०,२३,४८, १४।१ से ४,१६॥१,२ ४।१,१७२ जापाव (दोसिडाप्रल - 319.9818 से धणु हत्तिय (धनुःपृथकिवक) ५७५ धणु वर (धनुर्वर) ज २१६६,३७६,११६,११६, दोसिणाभा ('दोसिणा'आभा) ज ७१८३ १२०,१६७।३,१८५,२०६ सू १८१२१,२०१६ धणुह (धनु) ज ३१३१ दोसिणलक्खण (दोसिणा'लक्षण) चं ॥४ धण्ण (धान्य) प ११०२६ से २८ ज २१६६;३७६, सू १६४ ११६,११६,१२०,१६७।३,१८५,२०६ दोसिणालक्खण (दोगिणा'लक्षण) सू १६१ उ ३१४०५१४ धण्ण (धन्य) ज ५१५,४६,५८ उ ११३४,४०,४१, दोस्सिय (दौगिक) प ११६६ ४३,४४,७४,३।६८,१०१,१३१:५।३६ दोहाग (दीर्भाग्य ) ज २०१५ धन्न (धन्य) ज २१६४ उ ३१३८ दोहल (दोहद) उ ११३४,३५,४०,४१,४३,४४, धमाससार (धमाससार) प १७।१२५ धम्म (धर्म) प २०१७,१८:२२,२५,२८,२६,३४, ४५ ज ११४,२०६४,७२,११३,१३३ च ६ सू ११४ धंत (ध्मात) प ११४८१५६ ज २४ उ १२,२०,२१,३।१३,१०२,१०३,१३४ से धंतधोयरुप्पपट्ट (ध्मात धोतरूप पट्ट) प १७:१२८ १३६,१३८,१४२,१४७, ४.१४:५१२०,२७ धण (धन) २६६४,६६,३३१०३, १६७११४ धम्मत (ध्मा मान) जे ३३११७ धणंजय (धनञ्जय) ज ११७॥२.१३२॥१ धम्मकहा (धर्मकथा) उ ३७१ सू १०८६।२६७ धम्मचरण (धमंचरण) ज २१२६,१५८ घणवइ (घ. पति) ज ३१३,१८,६१,६३,१८० धम्मजामरिया (धर्मजागरिका) उ २।११,५१३६ धम्मणायग (धर्मनायक) ज ५।२१ धणिट्ठा (धनिष्ठा) ज ७११३।१,१२८ से १३०, भर धम्मस्थिकाय (धारितकाब) प ११३,३३११४ से १३६,१३८,१४१,१४६,१५६,१५७ सू १०११ ११६,१२२,५११२४,१५१५३,५४,५७; से ६,८,२०,२३,२६,५७,६३,६४,७५,८०,६४, १८.१२५ १२०,१३१ से १३३,१५२ धम्मदय (धर्मदय) ज ५।२१ घणु (धनुप) प ११७५२१६४।६।२१।४६,४७, धम्मदेसय (धर्मदेशक) ज ५२१ ४७।१,२,२११६५ से ६७,३६८१ ज १७,६, धम्मरुइ (धर्मरुचि) प १११०१।१,१२ १०,२३,२५,३८,४०,४३:२।६,१६,५२,५६, धम्मरक्ख (धर्मरूक्ष) प १६४३।१ ५८,८६,१२३,१५१,१५७,१५६,१६१, ३१३, धम्मवर (धर्मवर) ज २१६३:५।२१,२८ Page #268 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धम्मसरहि-धोव धम्मसारहि (धर्मसारथि) ज ५।२१, धम्मिय (धार्मिक) उ १४१७,१६,२४:४।१२,१३, धय (ध्वज) उ ३३१०८,१८४ धर (घर) प २१३०,३१,४०११०,२१४१,४६ से ५४ 1धर (५) धरेइ ज ५१४६,६०,६६ धरण (धरण) ज २३४,३५,४०६ ज ३।१८५, २०६५५२ धरणि (धरणि) ज २०१३२ धरणिखील (धरणिकील) सू ५१ धरणितल (धरणितल) ११७१०७,१०६,१११ ज ३।६।१२,३५,१०६ ; ४१२१३,२१५, ५।२१, ५८ धरणिसिंग (धरणिशृंग) सू ५।१ धरणीयल (धरणीतल) ज ३।१०६,११७५।५,४४ उ ११२३,६१ धरिज्जमाण (ध्रियमाण) ज ३।६,१८,७७,७८,६३, १८०,२२२ घरेत (धरत्) ज ३६२ धब (धव) प १३६।३ धवल (धवल) प २१३१ ज ११३७,२०१५३३६, १७,२१,३१,३४,३५,११७,१७७,१७८,२११, २२२,५१५८,७१७८ धवलक्सभ (धवलवृषभ) ज ५.६२,६३ धस (दे०) उ ११२३,६१ धाइकम्म (धातृकर्म) उ ३१११५ धाई (धातृ) उ १६४ धाय (धात) प २१४७१२ धायइसंड (धातकीषण्ड) प १५३५५१६३३०; १७।१६५ सू ८.१,१६।७,८११,२,१६४९% १६।२२।२५ धायई (धातकी) प ११३५१२,१५१५५११ धायईसंड (धातकीषण्ड) सू १६।२२।२३,२४ Vधार (धारय्) धारे ज ३।१२६।१ धारणा (धारणा) ज ३१३ धारणिज्ज (धारणीय) प २२११५,८० धारा (धारा) ज २११४१ से १४५३।१२,११५; ११६,१२२,१२४ धाराहय (धाराहत) ज ५१२१ धारि (धारिन् ) प २१३०,३१,४१,४६ धारिणी (धारिणी) ज ११३, २०१५ चं ८ सू ११३ धारिणी धारेयव्व (धर्तव्य) सू २०६५ धावण (धावन) ज ३।१७८,७११७८ धिइ (धृति) ज ४१८६ उ ४१२११ धिइकूड (धृतिकूट) ज ४१६६ धिक्कार (धिक्कार) ज २६२ धिति (धृति) सू २०६१३,५ धुर (धुर) सू २०१८ धुरय (धुरक) सू २०१८।५ धुरा (धूर) ज ३।३५,१७८,१८८ धुव (ध्रुव) ज ११११,४७,३।१६७,२२६, ४।२२, ५४,६४,१०२,१५६, ७४२१० धुवराहु (ध्रुवराहु) सू २०१३ धूमकेउ (धूमकेतु) प २।४८ सू २०१८।४ धूमकेतु (धूमकेतु) सू २०१८ धूमप्पभा (धूमप्रभा) प १।५३,२।१,२०,२५; ३११५,१६,२०,१८३;४।१६ से १५; ६३१४,७७,७८,१०११; २०१७,४१, २१४६७; ३३१७,१६ धूमट्टि (धूमवति) ज ३।१२,८८,५२५८ धूमाय (धूमाय) धूमाहिति) ज २११३१ धूया (दुहित) ज २।२७,६६ उ ३।११४,४१८,१६ धूलि (धुलि} ज २१३१,१३२ धूव (धूप) प २३०,३१,४१ ज २४०,२६५ ३१७.६.११,१२,२१,३४,८५,८८,४।१३०, १३६,२१८,२४२,५७,५७,५८ सू २०१७ उ ३१५०,११० धोत (धौत) ज ३।११७ धोय (धौत) प २१३१ ज ३१२४ धोरण (दे०) ज ३३१७८,७।१७८ Vधोय (धाव) धोवइ उ ४१२१ धोवसि उ ४१२२ Page #269 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धोवन लिणिगुम्म योग्य (दे० ) ज ३ | १६७/६ त न (न) उ ११३७ नजय (नयुत) ज २४ नउयंग ( नयुताङ्ग) ज २४ नंद (नन्द) ज २६४३।१८५,२०६ नंदण (नन्दन) उ २२१ नंदणवण ( नन्दनवन) उ५।६, ७,३६३७ नंदा (नन्दा ) उ १ ३०, ३१ नंदि ( नन्दि ) प १५ ५५।१ नंदिघोस ( नन्दिघोष ) ज ३२१७८ नंदिय (नन्दित ) ज ३१५,६,८,१५,१६३१, ५३, ६२,७०,७७,८४,६१.१००, ११४,१४२, १६५, १७३, १८१,१८६,११६.२१३,५।२७ नंदीमुह ( नन्दिमुख) ज २।१२ नंदीसरवर ( नन्दीश्वरवर ) ज २।११६ नखत (नक्षत्र) प १।१३३ २ २३ से २७,४८,५०, ६३ उ २११२ नगर ( नगर ) प १९७४ ज २७१ ३२६,७७, २२२ नगरावास ( नगरावास ) प २२४३ नगरी (नगरी) उ ११११० नग्गभाव (नग्नभाव ) उ ५ ४३ नवंत ( नृत्यत्) ज ३११७८ उ ११३९ नज्ज (ज्ञा ) नज्जइ उ १।५४ नट्ट (नाट्य ) प २१३०, ३१, ४६ ज १४५ नट्टविहि (नाट्यविधि) उ३१७,२१,२५,६२,१५६, १६६; ४/५ नट्ठ ( नष्ट ) ज २।१३३ नती (नत्री) उ३।११४,११५,११६ नतु ( नप्तृ ) ज २२६६२१२२ नतुय ( नप्तृक) उ १।१०६.११०, ११३, ११४; ३।११४ नत्थि ( नास्ति ) प १८१५।१५५; ३६।३३ नदी (नदी) प २१४, १३.१६ से १६,२८; १५।५५।२ नपुंसकलिगसिद्ध (नपुंसकलिङ्गसिद्ध ) प १1१२ नपुंसंग (नपुंसक ) प १३४६ से ५१,६०,७५,७६, ८ १:११।२७ नपुंगवेद (नपुंसकवेद ) प १८१६२ : २३१७५ नपुंगवेद (नपुंसक वेदक ) प ३६७१३।१६ नपुंसय (नपुंसक ) प ६७६ नभ ( नभस् ) ज २२६५ (नमंस ( नमस्य् ) नमसइ ज ११६,५१५८ उ १।१६; ३१८१४ । १३:५।२० नमसंति उ ४।१६,५१३६ नमसीहामि उ ३।२६ नमसेज्ज ज २।६७ नमसमाण (नमस्यत्) उ १११६ नमंसित्ता ( नमस्थित्वा ) ज ११६ उ १३१६६ ३१८१ ४१४५ २० नमिऊण ( नत्वा ) चं ११२ ५५ नय ( नय ) सु १।२५; २१२४१२ उ ११३८, ४०, ४२ नयण (नयन) उ १।१५,३५,३।६८ नयर (नगर) उ १११२,२८,२६.१२१,१२२,३१४, २१, २४, ८६, १५५, १६८, १७१, ४१४,६.७,१३, १५,१८,२८५१२४ से २६, ४३ नयरी (नगरी) चं ६,७,८ सू ११ से ३ उ ११६, १०.१२.१६ ९३,६५६७, ६८, १०५ से १०७, ११०,१११, ११५, १२२, १२५, १२६,१३०. १३२,१४४.१४५,२२४, ५, १६, १७,३१६, ११, २१२७ से २६,४६, ४८, ५०, ५५, ६५, ६६,६६, १००,१११,१५७, १५८, १६६,१७१,५४४, ५, ६, ११,१६,३०, ३३ नर (नर) ज २६५, ७१ नरग (नरक) प २।२२ से २७,२१२७१३,४ उ ११२६ नरच्छाया (नरच्छाया ) प १६१४७ नरय (नरक) प २।२३६।८०१२ १।१४० नरवइ ( नरपति) उ १।१२४, १३१,५।१६ नलिण ( नलिन ) प १।४६, ११४८१४४ ननिहत्थग ( हस्तगतनलिन) ज ३|१० नलिणिशुम्म ( नलिनीगुल्म) उ२।२।१ Page #270 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५६ नव (नवन्) उ १।५३ नव ( नवम ) प १०।१४।३ नवणउति ( नवनवति) सू १।२१ नवणय ( नवनवति) सू ११२६ नवणवति ( नवनवति) सू ११२१ नवति (नवति) सू २३ १८११ ज ३।१०६ सू ११४ नतम (नव) प १०१४१२१७२२२ नयर (दे० ) प २०४०,४४,६२,५४४२,४३,४६. ५०,५४,६४,८७,६८.१०२.१२०५, १०८, ११२, ११७,१२२, १३२. १४०, १५१,१६७, १७०. १७५, १७८,१७९, १०२, १०५ १८० १४, १६८,२०४,२०५,२०८.२१३,२१५.२१६. २१६,२२२,२२५, २३५, २४०, २४३६/४६, ५६, ७४ से ७८.८०,८१,८३,८४,८६,८६,६२, १४,१००, १०७, १०८११२१११८२,८३; १२।३१:१३।१५; १५६०,६२,६६,१७,१४३ १७१६९६२६६ १२२११४८२१२० ३७,१३४१५३ ५।१३ नवविह ( नवविध ) प १७३१३६ वह (नस) उ १३६,५५,५०,००,८३,६९,११६ ११८, ३१०६,१३८:५८१७ नाइ (जाति) नाइय (नादित) ज ३३७८ ५२२ नाग (काम) प ३०११,२१४० १० ज ३११८५, २०६ ३(४२,११०,१११,४११६,१८ नागकुमार (कागकुमार ) प ११२१:२०३४४४३ से ४५.५५५०६।१०.६१ नागकुमारस (नागकुमार) १३६१२४ नागकुमारराव (नागकुमारराज ) प २३६ नागकुमारी (नागकुमारी ) प ४४६ से ४८ नागपव्यय ( नागपर्वत ) ज ४।२१२ नागमाल (नापमान) २८ नागलता (नाला) प १०३२०१ नाइज्ज ( नाटकी) ज ३।७४ नव- निक्कट्ठ नाण ( ज्ञान ) प २६४११२५ ४३,८७,१०२,१०५, ११५ ज २१७१, ८५, ३।२२३५।२१ उ ३।४४ नास (नाना ) प २०४० नाणा ( ४।१३ नाणाविह ( नानाविध ) उ ५ ३५ नावित (नादित) ज ३१२०६ नाम (नामन् ) प १।१०१५ २२३०११, २०५८, ६१: २३|१५१ ज ११४६; ३।२४, ४२६२ चं ६,७, १० सू १०१ मे ३, ५, ६ १३१ से ३,९ से १३.२० से ३२.९५. १४४ से १४६. १४८ २४ से ७:१६ से २०,२२:३४,६१०,२१. २७,२८,४८,५०,५५,८६,९५ से १७,१३२. १५५. १५० १५० १७१४१७ से १.२५ ५।२।१४ से ७.६.११ से १३,२१,२४ से २६, ४०, ४१ नामधिज्ज ( नामधेय ) प २६४ नामपेज (नामधेय) ज ३।१३५१ १०८४ उ १ ६३, २६, ३।१२६ नामय ( नामक ) चं ५२ सू ११६२ नायव्य (ज्ञात) प १२४०१२. १०१०१ ४, १२ सू १।२५:२०२ नारी (वारी) ज २६५ नालिएरी (नालिकेरी ) प ११४३१२, ११४७११ नालिया (नालिकाबद्ध ) प १२४६३४१ नासा (नासा) ज ३१२११:५५० निउण (पुण) प २२४१५७ निलोय (नियोग) ज ३१७८ निय (निन्द) निति २०११६ निदिज्जमाण (निन्द्यमान) उ३।११८ निकर (निम्वकरज) प १०३५३ निकुरंब (निकुरम्ब) उ३।४६ निक्कंकड (निष्कङ्कट ) ज ११३१ निवकंकडछाया (निष्क) २३०४९. ५१,६३,६४ (1 निक्कयि (निष्काङ्क्षित) प ११०१।१४ निक्कट्ठे ( निकृष्ट) उ ११३८ Page #271 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निक्खंत-निन्भच्छणा ६५७ निक्खंत (निष्क्रान्त) उ ३.१७०४।२८,५।२७ निच्छय (निश्चय) उ ३३११ निक्खम (निर्-। क्रम्) निक्खमइ उ १११६ निच्छुहाव (नि ! क्षेपय ) निच्छहावेइ उ ११११७ निक्खमण (निष्क्रमण) ज ४११७७ उ ३३१०६; निच्छुहाश्यि (निक्षेपित) उ ११११६ निच्छूद्ध (निक्षिप्त) उ१।११८ निक्खममाण (निष्कामत् ) सू १।८।२,१११२ १४, निज्जर (दिर : ज़) निज्जरंति प १४।१८ १६,१८,१६,२१ २४,२७, २।३:६११ निजरिसु प १४.१८ जिनिस्संनि निक्खमित्ता (निष्क्रम्य) उ १२११६ प १४११८ निज्जरेंसु प १४६१८ निक्खित्त (निक्षिप्त) उ ३।४८.५०,५५ निज्जरा (निर्जग) प १४।१८१ निक्खेव (निक्षेप) उ १११४८ निज्जाणसंठिय (निर्याणसं स्थित) सू ४१३ निगम (निगम) प ११७४ ज ३६,७७,२२२ निज्जाणभूमि (निर्याणभूमि) ज ५१४८ निगर (निकर) ज ३।१२,८८; १५८ निज्जाणमग (निर्माणमार्ग) ज ५१४४ उ ३१६१ निगिण्ह (नि-+ग्रह ) निनिम्हइ ज ३१२३,३७, निज्जुत्त (नियुक्त) प २।३० निज्झर (निर्भर) ज २।४,१३ १६ से १६,२८ निगिहित्ता (निगृह य) ज ३१२३ निट्टियट्ठ (निष्टिताथं) ५३६९४ निगोद (निगोद) प ३६१ से ६३.७० से ७४,५२, निण्ण (निम्न) ज ३१७७,१०६ ८४ से ८७,६४,६५,१८३;१८।४६ नितंब (नितम्ब) ज ४।१६४ निगोय (निगोद) प ११४८।५६ से ५८,३१८७ नित्तेय (निस्तेजम्) उ १६३५ निग्गंथ (निन्थ) ज २१७२ उ ३१३८,४०,४२, निदाया (दे०) ३५१८,१६ १०३,१३६,४।१४।५।२० निदाह (निदाघ) ज ७१११४१२ निम्गंथी (निर्ग्रन्थी) ज ३।१०२,११५,११७,११८; निद्दा (निद्रा) प २३६१ ४१२२ उ ३११०२,११५,११७.११८,४१२२ । निद्दायमाण (निद्रायमान) उ ३।१३० निग्गच्छ (मिर-गम्) निगच्छइ उ १११६; निद्ध (स्निग्ध) प१४ से ६.५,७,१२६.२१४, ३।१३; ४.१३,५।१६ २१८,२२१,२२६; १३३२२; १७११३८ निग्गच्छित्ता (निर्गत्य) उ ११६,३।२६,४।१३ __ ज ३।१०६ निग्गय (निर्गत) चं ६ सू ११४ उ ११२,१६२।६; निन्न (निम्न) उ ३१५५ निष्पंक (निप्पङ्क) प २।३०,३१,४६,५६,६३, ३१५,१२,२४,८६.१४७१५५,१५६,४१४,१०; ५।१४,२६,२७,३७,३८ ६४ ज १३१ निष्पपसिणशागरण (निःस्टप्रश्नव्याकरण) निग्घोस (निर्घोष) ज ३११२,७८ उ ३.२६ निघस (निकष) ज ११५ निप्पाण (निष्प्राण) उ १२६० ६१ निचिय (निचित) ज ५५ Vनिष्फज्ज (निर्- पद्) निष्फज्जए ज ७।११२।४ निच्च (नित्य) परा२४,२६,२७ सू१०।१२६१४ निष्फज्जति पहा२६ निच्चच्छणय (नित्यासः क, नित्यक्षणक) उ ५५ निष्फन्न (निष्पन्न) ज २११८ निच्चालोय (लित लोक) सू २०८१६ निम्फाव (निप्पाव) प ११४५३१ ज ३।११६ सेम निच्चिट्ठ (निश्चेष्ट) 3 १।१०.६१ निम्भंछ (निर| भत्सं ) निभच्छेइ उ ११५७ निच्छुभिउकाम (निक्षेप्नुकाम) उ १११३ निभच्छणा (निर्भर्सना) उ ११५७,८२ Page #272 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६५८ निभ ( निभ ) ज ३|१०६ निमज्जग (निमज्जक) उ३१५० निमित्त ( निमित्त ) उ ११४१, ४३ निम्मंस ( निर्मास ) उ ११३५ निम्मम ( निर्मम ) प २१६४।१ निम्मल ( निर्मल ) प २१३१,४१,४६,५६.६३,६४ ज ७ १७८ नियम (निजक) ज २३६३ उ १११६,१३६, ३५०, ६८.११०,१११,१२८४११३,१६,१८ निलाड (लाट) उ १।२२, ११५, ११७,१४० निवइय ( निपतित ) ज ३।२५,३८,४६ / निवज्जाव ( ति | सादय्) निवज्जावेइ उ ११४६ निवज्जावेत्ता ( निपद्य ) उ १/४६ निवडिय ( निपतित ) उ ११२२, १४० निवड्ढेत्ता (निवर्ध्य ) ज ७१२७ नियत ( निकृत्त) उ १।२३,६१ नियत्थ (दे०निवसित) उ ३१५१, ५३, ५५,६३,६७, निवडढेमाण ( निवर्धयत् ) ज ७ २५,२७,३० ७०,७३ नियम (नियम) प ६।११६; १० ६,२१; ११ ५५ ; २११०३; २२१५० से ५२,६७६ २७ २ उ ३।३१ नियमसो ( नियमशस् ) प २१६४१११ नियमा ( नियमा) ज ७४८ नियल ( निगड ) उ ११६५,६६, ६८,७२,८८, ६२ निरंगण ( निरङ्गण ) प १११२५ निरंजण ( निरञ्जन ) ज २१६८ निरंतर ( निरन्तर ) प ६।४७ से ५८, १०६,११०; १०।३५ से ३६,४१ से ५३, ११।७०, २०११६, ४४,६०; २२ ११,२७,५३ ; ३६।२४ ज ५।५, ७ निरय ( निरय) प २१,१० ज २११३३ निरयगति ( निरयगति ) प ६ १,६ निभ- निव्विट्ट निरुवक्कमाज्य ( निरुपक्रमायुष्क ) प ६ । ११५, ११६ निरुवलेव ( निरुपलेप ) ज २१६८ निरुar ( निरुपहत) उ ३१३२ निरोदर ( निरुदर ) ज २०१५ उ १११४७ निरालंबण ( निरालम्बन) ज २२६८ निरालोय (निरालोक) उ ११२२,१४० निरावरण ( तिरावरण) ज ३१२२३ सू ११२० निवत्त (निवृत्त) उ १६३ निवयउप्पथ ( निपातोत्पात) ज ५५७ निवह (निवह) ज २२६५;३।६३,१५७,१६३ /निवार ( नि + वारय् ) निवारेंति उ ३।११७ निवारिज्जमाण (निवार्यमाण) उ३।११८ निवुत्ता ( निवर्ध्य ) सू १११४ निवुड्ढेत्ता (निवध्यं ) सू ६।१ निवुड्ढेमाण (निवर्धमान ) स १ १४,२१,२७,२/३; ६।१ निरयपत्थड (निरयप्रस्तर ) प २1१ निरावलिया ( निरयावलिका ) प २११,१० उ ११५ निव्वरुणया (निर्वर्तन ) प ३४११,२,३ से ८, १४२, १४३, १४८; २१; ५४५ निवेदण (निवेदन) ज २३० निवेस ( निवेश ) प १।७४ ज ३।१८,६१,६६, १३१,१३७ उ १।१३३,१३४ निवेसिय ( निवेशित) उ ३६८ निव्वत्त (निर्वृत्त) प २२६७३१ ज ३११४,४३,१४६ निरयावास ( निरयावास ) प २।२५ निरवख ( निरवकाङक्ष ) ज २७० निरवयव ( निरवयव ) उ ३२७६ निवृत्ति (निर्वृत्ति) प ११४८५३ निरवसेस ( निरवशेष ) प ३४।२१ ज ४ १६०, २७७ निव्वाघाइय (निर्व्याघातिक ) ज ७ १८२ निवघातिम (निर्वाघातिन्, निर्व्याघातिम) निव्यत्तणा (निर्वर्तना) प १५१६०,६५ वित्तणाहिकरणिया (निर्वर्तनाधिकरणिकी) प२२।३ सू १८/२० निवाघाय ( निर्व्याघात) ज २१७ ज ३।२२३ निविट्ठ (निविष्ट) ज ३।३२ १,२२१ Page #273 -------------------------------------------------------------------------- ________________ निविट्टकाइय-नोइंदियउवउत्त निविठकाइय (निविष्टकायिक) प १११२७ निविण्ण (निर्विण) उ ११५२,७७ निम्वितिगिच्छा (निविचिकित्सा) प११०१११४ निविसमाण (निविशमान) प ११२७ निव्वुइकर (निर्वृतिकर) ज ५१३८ निवडढ़ ( निर्धय) निबुड्ढेइ सू ६.१ नित्य (निर्वत) उ १।६१,६२,८६,८७ निवेड्ढ (निर्+ वेष्टय) निवेड्ढे इ सू २।२ निव्वेढेति सू २।२ निव्वेयण (निर्बेदन) 3 १६१,६२,८६,८७ निसंत (निशान्त) उ ३११३८ निसढ (निषध) ज ४१९४ उ ५।२६१,५।१३,२०, २२,२३,३१,३२,३४ से ४३ निसम्म (निशम्य) ज ३।६१ उ १२१:३११३; ४११४:५/३० निसामत्तए (निशमितुं) उ ३३१०२,१३४ निसास (निःश्वास) ज ३।२२१ उ ५६४३ निसीय ( निषद्) निसीयइ उ ११४१ निसीयित्ता (निषद्य) उ ११४१ निसीहिया (निषाधिका,नषेधिकी) उ ४॥२१ से २३ निसेग (निषेक) प २३।७४ निस्संकिय (नि:शंकित) प११०१।१४ निस्सग्ग (निसर्ग) प ११०१११ निस्सासविस (निःश्वासविष) ५ १७० निहाण (निधान) प १।११२ निहिरयण (निधि रत्न) ज ३।१६६ से १६८ इनीण (ती) नीणेइ उ ११६७ नीय (नीच) उ३११००,१३३ नीरय (नीरजस) प १४१,४६,५६,६३,६४ नील (नील) प ११४ से ६; ५।२०५:१११५३; २८।२० ज ४२६ नीलपत्त (नीलपत्र) प ११५१ नीलमत्तिया (नीलमत्तिका) प १११६ नोललेस्स (नीललेश्य) प १७१६४ नोललेस्सा (नीललेश्या) प १७३७ नीलवंत (नीलवत्) ज ४११४२।३,१७८,१८०,२०७ २२७ नीलासोय (नीलाशोक) १७।१२४ नोली (नीली) प ११३७।१ नील नीव (नीप) ज ५।२१ इनीसस (निरन श्वस्) नीससंति प ७१ से ४, १ से ३०; १७१२५ नीसा (निश्रा) ज २।१३३ नीसास (नि:श्वास) प ११४८८५३ ज २१४१; ५८ नीहरण (निर्हरण) उ १६२ नूणं (नूनम् ) उ ३।३८ ने उर (नुपूर) ज ११२६ नेमि (नेमि) ज ३।३५ नेयत्व (नेतन्य) प २।४७१३, ३६.२७ ज ४।७५ सू २।२४।२ उ ११४८, २।२२,५१४५ नेरइय (नरयिक) प ११५२,५३,२।२० से २७; ३।१० से २३ ३८,३६,१२६,१८३,४।१,.. से २४,५२३ से ५,८,२२,२७ से ३४,३६,३७, ४०,४१,४४,४५,६।१० से १६,४५,४६.५१, ५८,६०,६५,६८,७०,७३ से ७८,८०८:, ८७,८८,६० से ६३,६६,६६,१०१ से १०३, १०५,१०६,११०,११४,११७,११६,१२१ ७१,८१२,४,५,६२,१४,२१,२४,१०१ : ५१; १११४०,४१,१५१६०,६१,८८; ११::: १७१६,१०१,१८१२,२०१६३;२०१३ २८।१०६,३६१२२ उ १।२६,१४० नेरइयअसपिणआउय (नरयिकासंज्ञयानक प २०१६४ नेरइयत्त (नरयिकत्व) उ ११२६,२७,१० नेवत्थ (नेपथ्य) ज ३३१७८ नेसप्प (नंसर्प) ज ३।१६७१ नेह (स्नेह) उ ११७२,७३,८७,८८.६२ नो (नो) पश२ सू १११८ उ १।१५८ ४१२२ नोइंदियउवउत्त (नोइन्द्रियोपयुक्त) ५ ३।१७० Page #274 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नोइंदियजवणिज्ज-पउस. नोइंदियजवणिज्ज (नाइन्द्रिययापनीय)3३।३२, ३०,६०,६४,८४,१५४,१५५,२६६,२७२; ५।५५ ५६७।१७८ उ२१२,६ से १३ नोजुग (नोयुग) सू १२१७ पउम (कंद) (पद्मकन्द) ५११४८।४२ नोपज्जत्तगनोअपज्जत्लग (नोप निकनोअपर्याप्तक) पउमंग (पद्गाङ्ग) जरा४ प३।११० पउमगुम्म (पद्मगुल्म) उ २१२११ नोपज्जत्तनोअपज्जत (नाप प्तिनो पर्याप्त) पउमद्दह (पद्मद्रह) ज ४।३,४,६,२२,२३.३७, प३१११० ३८,६४.८६,१४१,५४५५ नोपरिर नोअपरित (नोपरीतनो अपरीत) प३।१०६ पउमपरा (पद्मपत्र) ज ५१३२ नोभवसिद्धियोअभवसिद्रिय यमप्पभा (पत्रमा) ज ४।१५४,१५५।१,२२१ (नोम सिद्धिकनोभवमिडिक) प ३।११३ पउमभद्द (पद्मभद्र) २२.१ नोसंजतनोअसंजतनोसंजतासंजत पउमलता (पद्मलता) प ११३६१ (नोनयननो संयतनो दामन) प३।१०५ पउमलया (पदमलता) ज १३७,२।११,१०१; ४।०७।२८,३२३४;७।१७८ नोसंजयनोअसंजयनोसंजतासंजत पउमबरोइया (पद् गवरवेदिका) ज ११० से १२, (ोतं तनातनोगयतागयत) प ३३१०५ १४,२३,२५,२८,३२,३५,५१:४३१,३,२५,३१, नोसणि नोअसष्णि (नोगंज्ञिनोसंजिन) प ३१११२ २६,४३,४५,५७,६२,६८,७२,७६.७८,८६, नोसुहुमनोबादर (नोसूक्ष्मनोबादर) ५ ३।१११ ६५,१०३,११०,११८,१४१,१४३,१४८,१४६, १७८,१८३,२००,२०१,२१३,२१५,२३४,२४० पइठ्ठ (प्रतिष्ठ) ज ७/११४।१ से २४२ पइट्ठा (प्रतिष्ठा) ज ५१२१ पउमसेण (पद्मसेन) उ २।२।१ पइट्ठाण (तिष्ठान) ज ३।१६७।११,३।२०६, पउमा (पद्मा) प ११४८४ ज ४११५५११,२२१ २१०।४।२६:५१५६ पउमहत्थगय (हस्नगतपद्म) ज३।१० पइति ( : तिष्ठित) प २६४१२ पउमावई (पदमावती) ज ५।१०११उ ११११, पइट्टिय (अतिटित) १२१६४।३ ; १४१८।१ १६ से १.२,१४४२।४,७ से १,१६:५।२५ पइण्ण (कीर्ण ) ज ३।१२० पउमुत्तर (पदमोत्तर) प १७।१३५ ज ४१२२५॥१, पइण्णग (प्रकीर्णक) प १११०१।८ पिउंज ( गुज) पउंजइज २१६०,६३,३१५६, १४५५॥२१,५८ पउंज ति ज २११८३।११३; पउनुपलपिधाण (पद्मोत्पल पिधान) ज ३।२०६ १८५,२०६३ पउय (प्रयुत)ज २१४ पउंजमाण (प्रमुजान) ज ३।१७८ पउयंग (प्रताङ्ग) ज २१४ पउंजिता (प्रयुज्य) ज २०१० पउर (प्रचुर) ज २३१३१,३११०३ उ ५५ पउट्ठ (कोष्ठ) ज ७११५८ पउरजंघा (प्रचुरजंघा) ज २१५३,१६२ पउम (पद्म) प ११४६,११४८१४१,४४,६२, पउरजण (पौरजन) ज २१६५ २।४६११।२५ ज ११५१,२१४,१५,१६,३१३, पउल (दे०) प ११४८।६ १०,१०६:२०६;४१६,७,१४,१५,१७ से २२, पउस (पओम) पर Page #275 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पउसीया-पंचवीस ९६१ पउसिया (बकुसिका) ज ३।११०१ पंचगुमितल (पंचांगुलितल) ज ३१५६ पएस (प्रदेश) प १४,११४८१५८,५९२१६४, पंचोलिया (पञ्चाङ्गुलिका) प १४०।१ २०६४।११:३।१८०।५।१३२,१३६ से १४५, पंचगि ((गच्चाग्नि) उ ३०५० १६०,१६१,१७६ १६५,२१४,२१६:१०१२ से पंदण उय (पञ्चनवति) ज ४।११८ १,१८ से २४,२६ से ३०,१११५०; १५।१११; पंचतीत (पञ्चविंशत् ) सू १३१२५ १५॥१२,२५,५४ ; १५११४१ ; २०१।१; पंचपएसिय (पञ्चप्रदेशिक) प १०१० २२१५६,३६८२ ज २१५:३।११७,५१३८%, पंचम (पञ्चमी पंचम (पञ्चय) प ३।१६,१८३,६८०१; ६६१,३,७१७८ १०११४।३;१२१३२:१७१६५; २२१४१,४२, पएसठ्ठया (प्रदेशार्थ) प ३।१२२,१८०,५१२४, ३३११८:३६१८५,८७ ज १८८,४११०६; २८,६८,७८,८६,११५,१३६,१३८,१४०,१४३, ७।१०१ से ११०,१३११ सू१०७७.१२७; १४७,१५०,१५४,१६३,१६६,१६३,१६७ ६३३१११२,६,१२१६,१३१० उ २।२२, २००,२१४,२१८,२२१,२३०,२४२:१०॥३,२७ 1७४,७६,१५४,१६६,१६७,५११,३,४५ से २६:१५॥१३,२६,३१,१७१४४ से १४६, पंचमी (पटनमी) ज ३१२४१४ १२:४५२,११८, २११०४ उ ३१४४ १२५,१२११४ सु १०।६०; १२१२८ पओग (प्रयोग) प ११११५,१६११ से १८ पंचमठिय (परमप्टिक) ज ३।२२४ उ ३।११३ __ ज ३।१०३,११५,१२४,१२५ पंचय (पञ्चक) प २३।२६,२७,६१ पओगगति (प्रयोगगति) प १६।१७ से २१ । पंचराइय (पञ्चरात्रिक) ज २७० पओगि (प्रयोगिन् ) १६१० से १५ पंचलइया (चलतिकर) ज ३१८८ पओय (प्रयोग) उ ३।१०१ पंचम (चवर्ण) ज १।१३,२१,२६,३३,३७, पंक (पङ्क) प १६।५.४ ३६,२७,५७,१२२,१२७,१४७,१५०,१५.६, पंकगति (पङ्कगति) प १६१३८,५४ १६४:३१,७,२६,३६,४७,५६,६४,७२,८८, पंकरपभा (पङ्कप्रभा) प १५३,२१,२०,२४; ११३,१३३,१३८,१४५,१६२,४१६३,११४; ३.१४,२०,२१,१८३:४११३ से १५६१३, ५१३२,४३ सू २०१२ ७६,७७,१०११;२०१६,१०,४०,२१६७:३३१६, if पंच पिणय (पंचणिक) ज ३।११७ काज १६ उ ११२६,२७,१४० पंचध (पञ्चविध) सू २०१७ पंकबहुत (पङ्कवहुल) ज २११३२ पंचविह (पञ्चविध) प १४,१४,१५,५५,५८,६६, पंकय (पङ्कज) ज ३।३५ १२४,१३३,१३८,१११७३;१३१४,६,१२,२४ पंकावई (पावती) ज४।१९३ से १६६ से २६,२८; १५॥१८ से ६०,६२,६३,६.५ से पंकावती (पावती) ज ४१६५ ६७; १६।५,१७,२५,२७,२११२,३,५५,७५,७६, पंच (पञ्नन्) प ११७४१९ च ३।३ सू १० १४:२३।१७,२३,२५,२७,४०,४१,४३,४४,४६, उ १२ ५६३४।१७,१८ ज २२१४५:३१८२,१८७, पंच (पंचम) प १०१४।४ से ६ २१८,७।१०५,१११,११२ सू १०।१२७ से पंचक (पञ्चक) प २३।१.४ १२६:१६।२२।२१ उ ३३१५,८४,१२१,१६२ः पंचग (पञ्चक) प २३११५५,१३७,१८० ४१२४:५१२५ ज७१३१२ पंचवीस (पञ्चविंशति) सू ११२१ Page #276 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ε६२ पंचसय ( पञ्चशतिक) ज ४११६२, १६८, २०४, २१०,२३७,२६३,२६६, २७५ पंचस्तर (पञ्चसप्तति ) सू १९।२२।३२ पंचसत्तर ( पञ्जसप्तति ) सू १८२४ पंचाणुत्वइय ( पञ्चानुव्रतिक) उ ३७६ पंचाल (पाञ्चाल ) प ११६३३२ पंचावण्ण (दे० पञ्चपञ्चाशत् ) ज ७१८१, ८४ पंचासी (पञ्चाशीति ) ज ७१२५ पंचासीत ( पञ्चाशीति) सू १३११ पंचासीति ( पञ्चाशीति ) सू २३ पंचिदिय (पञ्चेन्द्रिय) प ११५२,५४,५५,६६, १३८ २३१६, २८, ३११५३ से १५५.१८३ ४।१०५;५।३;६।१०७;१२।५; १३ १४; १५१३५; १७।२३, २०१३४, ३५; २११४३, ७०; २२१३१; २३।१६५ ज ३।१६७/५ पंचिदियरयण (पञ्चेन्द्रियरत्न ) ज ३१२२०; ७१२०३, २०४ पंचेंद्रिय (पञ्चेन्द्रिय) प १।१४,६० से ६२,६६ से ६८,७६,७७,८१; ३।२४,४० से ४२,४८,४६, १८३४।१०४,१०६ से १५७, ५२२, ८२, ८३, ८५,८६,८८,८६,६२,६३,६६,६७६२१,२२, ५४,६५,७१,७८,८३,८७,८६, १२, १००, १०२, १०५, १०७, ११६; ६६,७,१६,१७,२२,२३, ११।४६; १२।३१; १३०१८,१६,१५११७,४६, ८७,६७, १०२, १०३, १०६,१२१,१३८, १६२७, १४,२७,१७।३३,३५,४१ से ४३,६३ से ६८, ८६,६७,१०४, १८११६,१८,२४; १६४; २०११३,१७,२३,२५,२६,३४,४८,२११२,७ से १६,१६,२०,२६ से ३२,३६,४६, ५१ से ५५, ५८ से ६२,६५,६८,६६,७१,७७,८२,८८,६४, २२/७४, ८७, ६६, २३१४०, ८६, १५०, १६७, १७१,१७६, १७७, १९६, १९६ से २०१; २४७; २८।४७,४८,६८,११६,१३०, १३६, १३७, १४२,१४४; २६।१५,२२:३११४३२१३,३३११, १२,२१,२८,३२,३६,३४१३,८,३५११४, २१: पंचसइय-पक्कणी ३६७,४०,५१,५७,७२,७३, ६२ पंजर ( पञ्जर ) प २।४८ ज ३१११७४|४ पंजलिउड (प्राञ्जलिपुट) ज ३।१२५, १२६; ५/५७ उ १११६ पंजलियड (प्राञ्जलिपुट ) ज १३६ : २६० ३।२०५, २०६५।५८ पंडग (पण्डक) उ ३१३६ पंडगवण (पण्डकवन ) प २१८७३।२०८; ४२१४,२४१,२४२, २४४, २४५, २४६,२५१, २५२,५१४७,५५ पंडर (पाण्डुर ) प २३१४०१८ पंडिय (पण्डित) ज ३१३२ पंडुकंबलसिला ( पाण्डुकम्बल शिला) ज ४१२४४, २४६ पंडुमत्तिया (पाण्डुमुत्तिका) व ११६ पंडु (पाण्डुक) ज ३।१६७३ पंडुयय ( पाण्डुक ) ज ३।१६७|१,१७८ पंडुर ( पाण्डुर ) ज ३ | ११७,१८८ पंडुरोग ( पाण्डुरोग) ज २१४३ पंडुलइयमही ( पाण्डुरकित मुखी) उ ११३५ पंडुसिला (पाण्डुशिला ) ज ४।२४४ से २४७ पंति (पङ्क्ति) ज २२६५;३।२०४;४।११६ सू १६१२२७, ८, ६ पंतिया (पङ्क्तिका) उ ३१११४ पं (पांशु, पांसु) ज २११३३;३।१०६ सुकीलियय ( प्रांशुक्रीडितक ) उ३१३८ ( पकड्ढ ( प्र + कृष् ) पकड्ढइ ज ५१४६ पकड्ढिज्जमाण ( प्रकृष्यमाण) ज५।४४ / पकर ( प्र + कृ ) पक रेंति प ६ । ११४ से ११६; २०१६ से १३ ज ७५६ सू १६ २४ पकरेति प २०१६३ पकरेमाण ( प्रकुर्वत् ) प ६।१२३, २०१६३ पक्क (पक्व ) प १६।५५ पक्कणिय (दे० ) प ११८६ पक्कणी (दे० ) ज ३१११ २ Page #277 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पक्कमंत-पच्चत्थिम पक्कमंत (प्रकामत् ) ज ३।१०६ पगास ( प्रकाश) पगासइ ज ४१६१,२७३, पक्किमृगसंठाणसंठित (पक्वेष्टकसंस्थानसंस्थित) ७.१७८ पगासेति मू ३.१ पगासेति सू ३१२ सू १६.२६ पगिझिय (प्रगृह्य) उ ३।४२ पक्किट्टगसंठाणसंठिय (पक्वेष्टकसंस्थानसंस्थित) पगिण्ह (प्र+गह ) पगिण्हइ ज ३।२०,३३,५४, ज ७:५८ ६३,७१,८४,१३१,१३७,१४३,१६६,१८२ पक्कोलिय (प्रकीडित) ज ३११,१२,२८,४१,४६, पगिण्हं ति ज ३।१११ ५८,६६,७४,१४७,१६८,२१२,२१३ पगिरिहत्ता (प्रगृह्य) ज ३।२० पक्ख (पक्ष) प ७२,७ से ३० ज २०४,६४,६६, पग्गहेत्तु (प्रगृह्य) ज ३।१२,८८,५१५८ ८८,७११५,११६,११८,११६,१२६,१२७ पघसिय (प्रर्षित) ज ३१३५ सू६।१८।१:१०८५,२७,६०,६१ पच्चक्ख (प्रत्यक्ष) ज ३११,२४१३,३७११,४५११, पक्खच्छाया (पक्षच्छाया) सू ६।४ १३११३ उ ५४४ पिक्खल (प्र+स्खल) पक्खलेज्ज उ ३।५५ पच्चक्खयाविणीय (प्रत्यक्षविनीत) ज ३१०६ पक्खि (पक्षिन) ५६१८०।१११४, २११४७।१ पच्चक्खवयण (प्रत्यक्षवचन) प ११८६ . ज २११३१ सू २०१२ पच्चक्खाण (प्रत्याख्यान) ५ २०१७,१८,३४ पक्खित्त (प्रक्षिप्त) प १२।३२ उ १५६० पच्चक्खाणावरण (प्रत्याख्यानावरण) प १४७; पविखप्प (प्रक्षिप) पक्खिप्पई ज ३११८ पिक्खिव (प्र+क्षिप) पक्खिवइ उ ११४६३३५१ २३।३५ पच्चक्खाणी (प्रत्याख्यानिनी) प १११३७।१ पक्खिवंति ज २।१२०५।१६ पक्खिवेज्जाहि पच्चणुभवमाण (प्रत्यनुभवत्) प २१२० से २७ सू २०१६।३ पक्खिवित्ता (प्रक्षिप्य) ज २।१२० उ ११६१; पच्चणुभवमाण (प्रत्यनुभवत्) ज १:१३,३०,३६; ३१४१ ३।१२६,४।२ सू२०१७ उ ११११,९८,६९; पक्खिविराली (पक्षिविराली) प ११७८ ३१११४,११५,११६ पक्खुभिय (प्रक्षुभित) ज ३।२२,३६,७८,६३,६६, पच्चत्थाभिमुहि (पश्चिमाभिमुखिन्) ज ४।४२,७७, १०६,१६३,१८० २६२ पक्खेवाहार (प्रक्षेपाहार) प २८१४०,६६,१०२,१०३ पच्चस्थिम (पाश्चात्य) प ३.१ से ३७,१७६ १७८, पक्खेवाहारत्त (प्रक्षेपाहारत्व) प २८१४०,६६ ज १११६,१८,२०,२३,२४,३५,४१,४६,४८, पक्खोलणय (प्रस्खलत्) उ ३।१३० ५१,३१,४४,६८,६६,६७,१२८,४।१,१६, पगइ (प्रकृति) ज २११६,३१३,११७,७।१८० २६,३७,४२,४५,४८,५५,५७,६२,७७,८१,८४, उ ५१४०,४१ ८६,६४,६८,१०३,१०८,१२६,१३५,१४३, पगइभद्द (प्रकृतिभद्र) ज ११४१:२।३६,४१ १५१०२,१६२,१६७,१६६,१७२ से १७८,१८१, पगडि (प्रकृति) प २३३१०१ १८२,१८४,१८५,१६०,१६१,१६३,१६४, पगय (प्रगत) उ ५२।१ १६६.१६७,१९८,२०० से २०३,२०५,२०६, पगरेमाण (प्रकुर्वत्) प ६११२३ २०८,२०६,२१३,२१५,२२६,२३२,२३८, पगार (प्रकार) ज ३१८१ २५१,२६२,२६५,२६६,२७१,२७२,२७४, पगास (प्रकाश) पश३१ ज २१५,३१३५.११७, ५।१०,३६, ६.१६ से २४,२६,७।१७८ १८८,४११२५,५१६२७१७८ उ ५१६ सू २।१८।१:१३३३२,१४,१६,१८११४; Page #278 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ૨૬૪ २०१२ ३३५४ पच्चत्थिम लवणसमुह (पाश्वात्यलवणसमुद्र ) ज ४।२६८, २७७ पच्चरिथमिल्ल ( पाश्चात्य ) प १६०३४ ज ११२०, २३,४८२।११६,३२४७,७६, ६५, १४६. १५०, १५६,१६१,१६४; ४१३७,५५,६२,८१,८६.६८, १०८,१७२,२१२,२१३,२३०.२३१,२३८; ७१७८ २ ११०११४२ १३ १४,१६ पच्चत्य ( प्रत्यवस्तृत) ज ३१११७ / पच्चष्पिण ( प्रति + अर्पय् ) पच्चलिइ ज ३।३२,१७१ ५।७१ पच्चष्पिणंति ज ३८, १३,१६,२६,४२,५०,५६,६७, ७५, १४८, १६६, १७४,१७६,१६८,२००, २१३,५१७०, ७३ पच्चपिणति ज ३।१६,५३,६२,७०,१४२, १६५,१८१ ५५ पच्चपिणह ज २१०५ ; ३७,१२,१५,४१,४६,५८,६६,७४, १३०, १४७, १६८, १७३, १७५. १६१, १६६,२१२; १५१६६ ७२ उ १।१७, ४११६,५११८ मच्च पिणामि उ १११०६ पच्चपिणामो उ १११२७ पच्चपिणाहि ज ३११८,३१,४२,६१.६९,७६, ८३,६८,१२८,१४१,१५१,१५४, १६४, १७०, १८०५/२८, ६८ उ १।११५ पच्चपिणिज्जद उ ११२८ पच्चपिज्जा प ३६६१ ६४ पच्चय (प्रत्यय) ज ३११०६ पच्चामित (प्रत्यमित्र ) ज २२८ पचाया ( प्रति + आन जन्) पच्चाति पञ्चायति ज २६४ पच्चाबाहिर उ ५१४३ पच्चयात ( प्रत्याजात) ज २।१३३ पच्चावड ( प्रत्यावर्त) ज ५। ३२ पच्चावरह (प्रत्यपराण्ह) उ ३१५६,६४,६८,७१, ७४, ७६ पच्चट्ठित्तर (प्रत्युत्थातुम् ) उ३१५५ पण ( प्रति + उत् णम् ) पच्चण्णभइ ज ५१२१,५८ पण मत्ता (प्रत्युन्नम्य ) ५१२१ पच्चत्थिम लवणसमुद्द- पच्छिमदारिया / पच्चुत्तर ( प्रति + उत् + तु ) पच्चुत्तरई ज २३२८, ४१,४६ उ ३।५१ पच्चुतरिता ( प्रत्युत्तीयं ) ज ३२८ उ ३१५१ परचुप्पण्ण (प्रत्युत्पन्न ) ज २६० ३।२६,३६,४७, ५६,१३३,१३८, १४५, ५१३, २२ पच्चुवसम (प्रति 1 उप - धम्) पच्चुवसमंति ज ५६७ पच्चुवसमित्ता (प्रत्युपशम्य ) ज ५७ / पच्चुवेक्ख ( प्रति + उप :- ईक्ष ) पच्चुवेक्खइ ज ३११८७ पच्चुवेक्खित्ता (प्रत्युप्रेक्ष्य ) ज ३।१८७ पच्चोयड (दे० ) ज ४३,२५ पच्चभित्ता (प्रत्यवरुह्य ) ज ४११३ ( पच्चोव्ह (प्रति अब 1 रुह ) पच्चोरुहइ ज ३१६,२०,३३,५४,६३,७१, १४३, १५१,१६६, १८२,१८६,२०४,२१४५।२१,४४ उ १११६, ३१५१ पच्चरुति ३१२१५५, १५,४५ पच्चरुहृतिज ३२८, ४१ पच्चीरुहेइ ज ३ । १११६४।१८ पहिला (प्रत्यवरुह्य ) ज २२६५ उ १११६, ३१५१,४।१५ /पन्चोक ( प्रति - अब व्यक) पच्चोसक्कइ उ ३११२,८८,१५५ पच्चीसक्कति मु २०१२ पच्चीस विकत्था ज ३१६१, १०२, १५६, १६२ पच्चीस विकता ( प्रत्यवकप्क्य ) ज ३।१२ भाग (पश्चाद्भाग) सू १०४, ५ पच्छा (पश्चात् ) प ३४११,२३६८५८सू १०१५ उ ३१७,५१,५३,५४,६१,१०७,११८,१३६; ४।२१ पच्छाकड (पश्चात्कृत ) सू८ । १ पच्छिम (पश्चिम) ज २२५५, ५७ से ५६,६४,१२६, १५५,१५६, ३११३५।१ परमकं भाओवगता ( पश्चिम कण्ठभागोपगता ) सू २२४ पच्छिमदारिया ( पश्चिमद्वारिका ) सू १०११३१ Page #279 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पच्छिमग-बज्जुवट्ठिय पच्छिमग (पश्चिमक) प १७७० १३६,१४२,१४५,१४८,१५१,१५४,१५७, पच्छिमड्ड (पश्चिमाध) प १६।३० १६०,१६४,१६७,१७०,१७३,१७६,१७६, पच्छिमद्ध (पश्चिमार्ध) प १६।३०,१७११६५ १८२,१८५,१८८,१६१,१६४,१६७,२००, पिच्छोल (प्र+क्षालय) पछोलेंति ज ५१५७ २०३,२०६,२०६,२१२,२१५,२१८,२२१,२२४, पच्छोववण्णग (पश्चादुपपन्नक) प १७१४,६,१६,१७ २२७,२३०,२३३,२३६,६७१,७२,७६,८३, पजंपिय (प्रजल्पित) उ ३।६८ ६७,६८,१०२,१११३१ से ३४,१८१६ से १२, पज्जत्त (पर्याप्त) प १४१७,२२.३१,४८१६०, १६ से २४,३१ से ३६,४०,४६ से ५१,५३. ११४६ से ५१,६०,६६,७५,७६,८१२।१६ से ५४,११३,२११४०,४२,४४,४५,२३११६६, ३६,४१ से ४३,४८ से ६३; ३१११२,४३ से १६६ से २०१२८११४२,३६।१२ ४६,५३ से ६०,६४ से ७१.७५ से ८४,८८ पज्जत्ति (पर्याप्ति) प २८४,२३।१९५,१६६, से ६५,११०,१७४,४१५५,७८,८७,६०,६१, १६६ से २०१२८११०६।१,२८।१४२ ६४,६७,१००,२३६,२४२,२४५,२४८,२५१, उ ३.१५,८४,१२१,१६२,४।२४ ।। २५४,२५७,२६०.२६३,२६६,२६६,२७२, पज्जव (पर्यव) १३।१२४,५११ से ७,६ से २०, २७५,२७८,२८१,२८४,२८७,२६०,२६३, २३,२४,२७ से ३४,३६ से ३८,४० से ४२, २६६,२६६।६।६८,१८११२२११६,१६,१८, ४४,४५,४८,४६,५२,५३,५५,५६,५८,५६, २३ से ३४,३६,४०,४१,४४,४८,५०,५३,५५; ६२,६३,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७७,७८, २३।१६३,१६५ ८२,८३,८५,८८,८६,६२,६३,६६,६७,१०० पज्जत्तग (पर्याप्तक) प ११२०,२३,२५,२६,२८, से १०७,११० से ११२,११४,११५,११८, २६,४८ मे ५१,५३,१३१ से १३३,१३५, ११६,१२८ से १३०,१३३ १३७ से १३६, १३७,१३८,२१ से १६, ३४२ से ४६,५२ से . १४४,१४६,१४६,१५०,१५४,१५६,१६३, ६०,६३ से ७१,७४ से ८४,८७ से ८६,६१,६२, १६०,१६३,१६७,२००,२०३,२०५,२०७, ६४,६५.११०,१४३,१४६,१८३; ६७१,७२, २११,२१४,२१८,२२१,२२४,२२८,२३० से ८३,६७.१०२,११३,१११३६,४१:१५।४९; २३२,२३७,२३६.२४१,२४२,२४४,१०१५ २११५,१०,१३,२०,४१,५२ से ५५,७२; ज २।५१,५४,७१,१२१,१२६,१३०,१३८, ३४।१२; ३६१६२ १४०,१४६,१५४,१६०,१६३,७१२०६ पज्जत्तगणाम (पर्याप्तकनामन ) प २३१३८,१२० उ ३।४७ पज्जत्तभाव (पर्याप्तभाव) उ ३।१५,८४,१२१, पज्जवसाण (पर्यवसान) प ११४६६,६७,१४११८; १६२,४१२४ २८.१६,१७,६२,६३,३६.२० ज २१६४,५२५६; पज्जत्तय (पर्याप्तक) प ३७४,८७,८६,६०,६२, ७।२३,२५,२८,३०,४५ सू २१४,१६,१७, ६३,६५,१४६,१५२,१५५,१५८,१६१,१६४, २१,२४,२७,२।३,६।११०।१,१११२ से ६ १६७.१७०,१७३,१७४,१८३,४।३,६,६,१२, उ ३१४० १५,१:-,२१,२४,२७,३०,३३,३६,३६,४२, पज्जवसित (पर्यवसित) सू १११२ से ६ ४५,४८,५१,५४,५८,६१,६४,६७,६८,७१,७४, पज्जवसिय (पर्यवसित) प ११:३० ७५.८१,८४,१०३,१०६,१०६,११२,११५, पज्जुण्ण (प्रद्युम्न) प ५१० ११८,१२१,१२४,१२७,१३०,१३३,१३६, पज्जुवट्ठिय (प्रत्युपस्थित) ५ १६।५२ Page #280 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पज्जुवास-पडिणिक्खम पिज्जुवास (परि+उप+आस्) पज्जुवासइ ५७ ज ३१३५,१०८ से १११,१७६४|४९%3 ज २१६०,६३,५१४८,५०,५८,६५ उ १११६; ५।४३,७१३३१२,१८४ उ ११२२,१४० ३३१३:४:१३:५११६ पज्जुवासंति ज ३।२०५, पडागाइपडागा (पताकातिपताका) ज ३१७,१८४; २०६:५४६ उ ५।३६ पज्जुवासामि उ १११७ ४१३० पज्जुवासिज्जा उ ५१३६ पज्जुवासीहामि पडागातिपडागा (पताकातिपताका) १३५६ उ ३।२६ पज्जुवासेज्ज ज २१६७ पडिसुया (प्रतिश्रुत्) ज २१६५ पज्जुवासणया (पर्युपासन) उ १।१७ पिडिकल्प (प्रति+कृप) पडिकप्पेइ ज ३११५, २१,३३ पडिकप्पेह ज ३।२१,३४,७७,६१, पज्जुवासणिज्ज (पर्युपासनीय) ज ७:१८५ सू १८।२३ १७३,१७५,१६६उ १११२३ पष्टिकंत (प्रतिक्रान्त) उ २११२३३१५०,१६१; पज्जुवासमाण (पर्युपासीन) ज १६ चं १० ५।२८,३६,४१ उ ११४,५२२ पिडिक्कम (प्रति+क्रम्) पडिक्कमेहि उ ३३११५ पज्झंझमाण (प्रमझमान) ज ५१३८ पडिगय (प्रतिगत) ज १४;३।१२५:५७४ च ६ पट्ट (पट्ट) ज ३१२४,३५,७७,१०७,११७,१२४; सू ११४ उ ११२,२४;३।७,२१,२५,४५,६२, ___४।१३ सू २०१७ उ १११३८ ६६,६६,७२,८१,१४३,१५६:४१५५१२० पट्टगार (पट्टकार) प १६७ पडिचर (प्रति+चर्) पडिचरइ सू १११८ पट्टण (पत्तन) प ११७४ ज २१२२,१३१, ३।१८, पडिचरंति सू १११८ पडिचरति सू१३।१२ ३१,३२,८१.१६७४२,१८०,१५५,२०६,२२१ । पिडिच्छ (प्रति--इष्) पडिच्छइ ज ३१४०,४८, उ३।१०१ ५७,६५,७३,१३४,१३६,१४६,१५१,१५२ पट्टणपति (पत्तनपति) ज ३१८१ पडिच्छति ज ५११५ पडिच्छंतु ज ३१२६,३६, पट्टिया (पट्टिका) ज ३७७,१०७,१२४ उ ११३८ । ४७,५६,६४,७२,१३३,१३८,१४५ उ ३१११२, पट्ठ (पृष्ट) ज २११५;३।१०६।११७ उ ११९७ ४१६ पडिच्छाहि ज ३७६,१२८,१५१ पछविय (प्रस्थापित) प २०३६ पडिच्छण्ण (प्रतिच्छन्न) ज २१८,६,१३ पछित (प्रस्थित) प १६:५२ पडिच्छमाण (प्रतीच्छत्) ज २।६५,३।१८,३१, पठिय (प्रस्थित) प १६५२ १८०,१८६,२०४ पड (पट) ज ३।६,८१,१२५,१२६,२२२ पडिच्छायण (प्रतिच्छादन) ज ४।१३ सू २०१७ पिड (पत्) पडइ उ ११५१ पडिच्छित्ता (प्रतीष्य) ज ३७६ उ १३३ पडमंडव (पटमण्डप) ज ३१८१ पडिच्छिय (प्रतीष्ट) उ ३११३८ पडल (पटल) ज २६१३१, ३३११,४१३,२५ पडिजागरमाण (प्रति जाग्रत् ) ज ३१२०,३३,८४, पडलग (पटलक) ज ५।५५ १८२,१६० उ११६५१०५ पडलहत्थग (पटलहस्तक) ज ३।११ पडसाडय (पटशाटक) ज २६६ पडिण (प्रतीचीन) सू १११६ पडह (पटह) ३३.२२ ज३।१२,७८,१८०,२०६ पडिणिकास (प्रति निकाश) ज ३२९५,१५६ पडाग (पताका) परा४१,४८ ज ११३७ २०१५, पिडिणिक्खम (प्रति+निर्+क्रम) पडिरिएक्समाइ ३१३,३१ ज ३१५,१२,१४,१७,२१,२८,३०,३४,४१,४३, पडागसंठिय (पताकासंस्थित) सू १०१४२ ४६,५१,५८,६०,६६,६८,७४,७७,८४,८५, पडागा (पताका) प ११५६,७१,१५१२६२१०२६, १३६,१३६,१४०,१४७,१४६,१६८,१७२, Page #281 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडिणिक्खमित्ता-पडिवज्जितए १७७,१८७,१८८, १६६,२१४,२१८, २१६, २२२, २२४५।२३ पडिणिक्खमंति ज ३२८, १५३५१७३ पडिणिक्खमेंति ज ३|१३ पडिणिक्खमित्ता (प्रतिनिष्क्रम्य ) ज ३।५ पडिणिक्खमेत्ता (प्रतिनिष्क्रम्य ) ज ३११३ पडिणियत (प्रतिनियत) ज ३१५१ पडिणिड (प्रतिनिवृत ) ज २२६६ परिणीय ( प्रत्यनीक) ज २२८२०१६१२ पडिदिसि (प्रतिदिश्) सू २०/२ पsिदुवार (प्रतिद्वार ) प २१३०, ३१, ४१ ज ३१७, १८३ डिनिक्खम ( प्रति + निर् + क्रम् ) पडिनिक्खमइ उ १।४२; ३१४६४।१२ पडिनिक्खमंति उ १४५;३।१४५ पडिनिक्खमति उ ३।२६ पडिनिक्खमह उ १।१२१ पक्खिमिता (प्रतिनिष्क्रम्य ) उ ११४२ : ३१२६; ४१२ पडिनिग्ग च्छित्ता ( प्रति निर्गत्य ) उ १।१२४; ५१६ / पडिनियत्त ( प्रति + नि + वृत् ) पडिनियत्तति प ३६।८८ पडिनियत्तित्ता (प्रतिनिवृत्य ) प ३६३८८ परिपाति (प्रतिपातिन् ) प २३/१३४,१३५, १३८, १४०,१४२,१४३,१५१ मे १५५, १५७,१६०, १६१,१६४,१६६ से १६८,१७१ से १७३ पडिपाद ( प्रतिपाद) ज ४।१३ पडिपुच्छण ( प्रतिप्रच्छन) उ १।१७ पडिपुच्छणिज्ज ( प्रतिप्रच्छनीय ) उ ३।११ पडिपुष्ण ( प्रतिपूर्ण ) प २१।७४ ज २।१५,७१, ८५; ३।११७,१६७/१२,२०६,२२३,२२५; ५१५६, ७/१७८ परिपुण्णचंद ( प्रतिपूर्णचन्द्र ) प २१५४,६०,३६८१ ज ११७ सू १।१४ परिबंध ( प्रतिबन्ध ) ज २२६६ उ ३।१०३,११२, १३६,१४८४१११ परिबुद्ध ( प्रतिबुद्ध) उ ११३३; २१८५/१३ ६६७ पडिबोहण (प्रतिबोधन ) ज ५।२६ पडिमंजरी (प्रतिमंजरी) ज ७१२१३ पडिमोयण ( प्रतिमोचन ) ज २११२ पडिय ( पतित ) उ ३।१३१,१३४४।६ पडियाsक्खिय ( प्रत्याख्यात) ज ३१२२४ / पडिय गच्छ ( प्रति + आ + गम् ) पडियागच्छइ सू २११ पडियागच्छित्ता (प्रत्यागत्य ) सू २०१ परिह (प्रतिरथ) उ ११२२, १४० पडिव (प्रतिरूप ) प २१३० से ३२,३४,३५,३७, ३८,४१ से ४३,४५,४५१,२,४६, ४८ से ५२, ५८ से ६१,६३,६४ ज १८ से १०,२३, २४, २६. ३१,३५,४२,५१, २।१२, १४, १५ : ३११. १६५४१, ३, ६, १३, २५, २७ से ३०,३३,४६, १४६.१७८, २०३५।३१,३३,३४,६२ सू ११: १८५१४ से ६ परूिवग ( प्रतिरूपक) ज ३।१६५४१४,५, २६, २७,८६,११८, १४४, २४६ ५ ३०, ३१,४६,६७ पडिरूवय ( प्रतिरूपक) ज ३।१६५,२०४ से २०६, २१४,२१६:५/४१,४२,४४,४५ परुिविय ( प्रतिरूपित ) ज ३११२० / पडिलाम ( प्रति + लाभय् ) पडिलाइ उ ३।१३४ पडिलाता ( प्रतिलाभ्य) उ३।१०१ / पडिलेह ( प्रति + लिख) पडिलेइ ज ३१२२४ पडिलेहिता (प्रतिलिख्य ) ज ३।२२४ पडिलोम ( प्रतिलोम ) ज २२६,६७ पडिलोमच्छाया ( प्रतिलोमच्छाया) सु १/४ पक्खि ( प्रतिपक्ष ) प ५।२२६ / पडिदज्ज ( प्रति + पद्) पडिवज्जइ प ३६४९२ उ ३ । १०४५।२० पडिवज्जति सू८ ।१ पडिवज्जाहि उ ३३११५ पडिवज्जिसु ज २१५१,५४,१२१ पडिवज्जिस्सइ ज २११२६,१३०,१३८, १४०,१४६,१५४, १६०, १६३;३।१३४ पडि वज्जित्तए ( प्रतिप्रत्तुम् ) प २०१७,१८,३४ उ ३।१११ Page #282 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ पडिवज्जित्ता ( प्रतिपद्य ) ३।४५, १०४, १४३,५।२० पडिवतिसम्मकि ( प्रतिपतितम्नदृष्टि ) ३।१८२ पडिवण्ण ( प्रतिपन्न ) प ३६।१२ ज ३११४,२६, ३०,३६,४३,४७,५१,५६,६०,६४,६८,७२, ११३,१३०,१३६, १३८, १४०, १४५, १४६, १७२ सू८ ।१ उ ३१६६,७९ पडिवति ( प्रतिपत्ति) चं १ सू १७१३, ११८ १,२, ३,११२० से २३, २५, २६, २१ से ३,३१,४२, ३,५३१,६११,७३१; ८ १६३१ से ३,१०११, १३१,१७।१,१८१११६११, २०११,२ उ १।११६ परिवया ( प्रतिपत्) ज २११३८ परिवर ( प्रतिपत्) ज ७११२५ २०/२५ / पडिसेह ( प्रति + सेध्) पडिसेहेइ ज ३।११० पडिसेति ज ३|१०८ डिसेहित्तए ( प्रतिषेद्धम् ) ज ३।११५,१२४, १२५ परिसेहिता ( प्रतिषिध) उ ११११६ पडिसेहिय ( प्रतिषिद्ध) ज ३२६५, १०६, १११,१५६ उ ११२७ परिवाद (प्रतिपातिन् ) प ३३३१११,३३१३५ पडियाति ( प्रतिपातिन् ) प ११११४ पडिस्इ ( प्रतिश्रुति) ज २१५६,६० परिवादिवस ( प्रतिपत्दिवस ) ज ७।११६ से १०१८५ पडिसेहेयव्व (प्रतिषेधव्य ) प ६६८; १०१६ से पडिवारा ( प्रतिपात्रि ) ज ७।११६ परिवारात (प्रतिपत्ात्रि ) सू १०/८७ पंडिवाले माण ( प्रतिपालयत् ) उ १।१३३ √ पडिक्सिज्ज ( प्रति + वि + सजय्) पंडिविसज्जइ उ ३ । १०४ पडिविसज्जेइ ज ३१६, २, ७,४०, ४८,५७,६५,७३,१२७, १३४, १३६,१४६,१५२, १७१,१५६,२१६ उ १।१०६, ३११३७ पडिविसज्जिय ( प्रतिविसर्जित) ज ३।१७१ पहिण ( प्रति + हुन् ) पडिहमति सू ५।१ पsिहत (प्रतिहत ) प २६४२, ३ ज ४१२५ पडिहता ( प्रतिहता) सू ९१४ पहिय ( प्रतिहत ) चं २ मू १०६ : ५ । १ पडोण (प्रतीचीन ) प २१०, ५० से ६२ ज १११८, २०,२४,३११:४११,३,८६,८८,६८,१०३,१०८, १४१,१६२,१६७,१६६, १७८, १८५, १८७, १६१,२००,२०३, २४५,२५१७ १०१ सु १ १६ २।१ उ १३३,११० डिसिज्जेत्ता ( प्रतिविसर्ज्य ) ज ३।६ परिमाण (प्रतिसंक्षिपमाण ) ज ५२४४ Vusसंवेद (प्रति + सं + वेद् ) पडिसंवेदेति प १५३८ पडिसत्तु ( प्रतिशत्रु) ज ३ १३५।१ पडसाहर ( प्रति + संह) पडिसाहरइ ज ५२६७ परिसाहरति ज ३।१२५ पडिसाहरति प ३६।८५ साहरिता ( प्रतिसंहृत्य ) प ३६८५ ज ३११२५ पडिसाहरेमाण ( प्रतिसंहरत् ) ज ५२४४. पडिपज्जिता बु √ पडिसुण ( प्रति + श्रु) पडिसुगंति ज ५२७३ पडणे ज ३३१६,५३,६२,७०,७७,८४, १००,१४२,१६५, १८१,५३२३,६६ उ ११५५; ३।१४० डिसुर्णेति ज ३१८, १३, १०७,११३ १८६,१६२ १६४५ पडिसुणेमि उ ११८३ परिणेत्ता (प्रतिश्रुत्य ) ज ३१८ उ १४५ परिसेविय ( प्रतिसेवित ) ज २|७१ ( परिसेह ( प्रतिषेध ) प ६१७४ से ७८,८०, ११०; पडोणउदीण (प्रतीचीनोदीचीन ) सू८ । १ पडोणवाय ( प्रतीचीनवात ) प ११२६ पडीणा ( प्रतीची ) ज १११८,२०,२३,२५, २८,३२,४८,३१,४११, ३, ५५,६२,८१,८६,८८, १८,१०३,१०८, १७२,२०५.२१४,२४६, २५२.२६२,३६८ पड़ (पट ) प २१३०,३१,४१,४१ ज १२४५; ३८२, १८५, १८७, २०६.२१८; ५।१,१६; ७ ५: ५८, १८४ सू १८ २३:१६; १९/२३,२६ Page #283 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पडुच्च-पणिवय पडुच्च (प्रतीग) प १७४।२।७६।६३,८।४,६, पण (पञ्चन्) सू १०१५७ ८,१०,१११४६,५३,५.१,१७,५६१४१५ पणगजीव (पनकजीव) ५ ३६१६२ १८.१,२१६५२३१६३,१७६२८१६,६,२० पणगमत्तिया (पन कमृत्तिका) ५ ११६ २६,३१,५२.५५.९ से १०१ ज ४१५४ पिणच्च (प्र- नृत्) पणच्चति जे ५१५७ पणट्ठ (प्रनष्ट) प११४८१३६ पडताच्च (पती मा प११॥३३,११।३३३१ पणतालीस (पञ्चचत्वारिंशत) पश८४ पडप्रपण ( पन) प १२२१२,३२,३८ सू १६०२० ज'३६,५२ १२७ पणतीस (पञ्चत्रिंशत्) सू १।२० पडप्प भाव (मला पन्नभाव) प२८/१८ से १०१ पणतीसतिभाग (पत्रिशतभाग) प २३१८६,८८, पडुप्पण्मानयण ( पनवचन) ५ १११८६ ६५ से १८:११८,१५१ पपया (प्रतिथन) ज ५१२५ पणपण्ण (दे० पञ्चपञ्चाशत् ) प ४१२८ ज ४११७२ पडोयार (प्रावतार) ५ ३०।२५,२६ ज १७,२१, सु १२१७ २२,२६,२७,२६,३३,४६,५०,२।७,१४,१५, पणय (दे०) प ११४६,१४८११,११६५ ज २११३३ २०,५२,५६,५८,१२२,१२३,१२७,१२८,१३१, पणय (प्रणत) ज ३८१,१०६ १३२,१३३,१३,१४७,१४८,१५०,१५१, पणयबहुल ('पन"बहुल) ज २।१३२ १५.६,११७.१५६,१६४:४१५६,८२,६६ से पणयाल (पञ्चचत्वारिंशत् ) ज ७१३४ सु ११२१ १०१,१०६.१७०,१७१ पणयालीस (पञ्चचत्वारिंशत्) ज ११६ मू ४१३ पडोल (पटोल) प १।३१२,११४०।१,११४८।४८ उ २८ पढम (प्रथम) १५१०३,१०६,१०७.१०६,११०, पणव (प्रणव) ज ३।१२,७८,१८०,२०६५१५ ११३,११४,११६,११६,१२०.१२२,१२३; पणवण्ण (पञ्चपञ्चाशत् ) ज ४१५५ २।३१,६८०११;१०।१४।१ से ३,१२११२, पणण्णिय (पणपनिक) प २१४१ १६,३१,३२:२३३,४१,३६८५,८७,६२ पणवन्निय (पणपन्निक) प|४७१ ज २१५५,५६,६३,६४,१३८,१५५ से १५५%; पणवीस (पञ्चविंशति) प २२२ ज १२३ ३१३०,१३५,२१७, ४११४२६३,१५३,१५४, सू११२१ १८०; १८,२०,२३,२६,२८,६७,१०१,१०६, पणवीसतिविध (पञ्चविंशतिविध) सू ६४ १५६,१६०,१६४ च ३३ सू १७,१३,१४, पणाम (प्रणाम) ज ३१५,६,१२,८८ १६,२१,२४,२७, २१३,६१८६११०।६३, पिणाव (प्र- नामय्) पणावेइ उ ११११६ ६७,७७,१७,१३८,१३६,१४३,१४४,१४८, पणावेहि उ ११११५ १५०,१५:११२.३,१२,१६,२०,२४, पणावेत्ता (प्रणाम्य) उ १२११५ १३३१,७६,०; १४॥३,७ उ १६ से ८,६३, । पणासित (प्रणाशित) सू २०१७ १४२,१४३,१८८११,३,१४,१५,२२,३१३, पणिधाय (प्रणिधान) प १७१११ सू ६३१ १६.२०५०,१ ३,२७५॥३,४४ पणिय (पगिन) ज २१२३ पढनणरीसर (प्रथम नरेश्वर) ज ३।१२६।३ पणिवस्य (प्रणिपतित) ज ३।१२५ पहमला (प्रथम) T21४८५१ पणिवय (प्रणि पत) पणिवयामि ज ३।२४।१, पदमया (प्रथम) १२११:४१८०,५१५८ १३११ १. पनक: प्रतलः कदमः-टीका Page #284 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७० ३७ पणिहाय ( प्रणिधाप ) प १७।१०६ से १११ ज ४५४,८०७२७,३० ११४, २४ पणवीस (पञ्चविशति ) प ४१२७३ पणुवीसइम (पंचविंशतितम ) प १०३१४१३ पण्णट्ठ (प्रणष्ट) ज ३३ पण (पञ्चषष्टि) ज ७।१५,१६ पण्णठि (पपष्टि ) ४।१६५ पण्णत्त (प्रज्ञप्त ) प १११ ज १७ से पण्णत्तर (पञ्चसप्तति) ज ४१४५ पण तर सप्तति) ज ४१४२ पण्णसि (प्रज्ञप्ति ) सू २०१२।१२।१६० पण्णर ( पञ्चदशन् ) प १०।१४१४,५ पण्णरस (पञ्चदशन् ) प १६७४ ज १।२३ पण रसद (पञ्चदवान्) १९।२२।११ पण्णरसति ( पञ्चदशन् ) सु २०१३ पणरसम (पञ्चदश) ज ७ ६७ सू १०१७७; १२ ६ १३।१,१०१ १४३.७११।२२, २०१३ परसविह (पञ्चदशविध ) १८८१६१,२ ८,१८,१६ पारसी (पञ्चदशी) सू २०६० १३०१ : १४१३,७ पण्णरसीविवस (पञ्चदशीदिवस) ज ७११६ १०।१५२ १।१४ उ ११४ यू १०/६५ पण्णरसीराइ (पञ्चदशीरात्रि ) ज ७।११६ पण्णरसीराति (पञ्चदशरात्रि) १०।०७ पण्णव (प्र + ज्ञापय् ) पण्णवेइ ज ७ २१४ १८ पण्णवेहिति सू १६।२२।३ पण्णवणा (प्रज्ञापना) प ११११२, ४,४६, १३८; २८६८ से १०१ उ ३।१०६ पण्णवणी (प्रज्ञापनी ) प ११०४ से १०,२६ से २६, ३७१,८७ पण वित्त (प्रज्ञप्तुम् ) उ३१०९ पणवीस (पञ्चविंशति ) प २२७१४ पणा (दे० ) प २४०१३ ज ५४९ पण्णा (प्र + ज्ञा) पण्णायए ज ७ १६९ पण्णावन ( प्रशापक) ज ३०२५.१५९ १०१३ पणिहाय-पत्तिय पण्णास (पञ्चाशत ) प २०५११२३ १२३, उ ५।१३ पण्य (प्रस्तन ) ३६८ पतणतण ( प्र + तनतनाथ ) तणतणाइस्सइ ज २०१४१.१४५ ततानि ३४११५: ५।७ पतणतणता ( प्रतनतनाय ) २११४१ पतर ( प्रतर) १२११२,१३ १. पतत्र ( प्र - तर ) पतति ५१५७ पता (प्रताप) पताति ११ पतिट्ठिय (प्रतिष्ठित ) प १४१३ पतिसम ( प्रतिराम ) ज २९२,१११ पत्त ( प्राप्त ) प २६४।२०,६६६ ११७२२३११३ से २३३३६।९४९१ ज २६५११२६,१६,४, १२२,१२६,१३३४३२०५६ १०१। १२२,१५०,१६१४१२५२१६३,२६,२१,३६, ४१ पत्त ( पत्र ) प १३५, ३६, ४७१, ११४८६,१६,२६, ३१,४५, ४७,४६,५१,६३२२८, ९, १२.१५. ६८, १४५, १४६ ३०११२३३१२,०६,१६, १०६४१३,२५५१५२६७१७८ उ ३३५०, ५.१, ५५ पत्त ( प्राप्त पात्र) १।१२८ पतर ( पत्तूर ) प १३७३ पत्तकयर (पत्रकार) २३२ पत्तण (पान) पठ (दे०) ज ५५ २०१२ पतपुर (पत्रपुट) ज ४१०७ पत्तल (पत्र) २।१५ ३१०९७ १७८ नं ११ पल (वासा) (वर्षा) ज ५५७ पत्तविष (पद) ११५१ पत्तामोड (पत्रामोट) उ ३१५१ पतासव (पत्रासव ) प १७।१३४ पताहार (पाहार ) प १०५० २०५० पक्षिय (पत्रित) ३४ Page #285 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पत्तिय-पभंकरा ९७१ /पत्तिय (प्रति !-इ) पत्तिएज्जा प २०१७, १८०,१८२,५१२४,१२५,१३१,१६१,१७७, १८,३४ पचिवामि ३ ३३१०३ १७६,१६३,२१६,२१८,१०१२,४,५,१८,१६, पत्तेय (प्रत्ये) : १८८161,४७,४६,६०,२१४८%, २१ से २३,२५,२६,१२।३०,५३,५७; ६।१८।४।१०।१४,१६३१५ ज ११४६; १७१११४।१।२२।५८,७६:२८१५,५१ ज २१६५ ३।२०६:४१५,२७,११०,११४,११६,११८, ४।१४३ सू १९०२६ १२२,१२५,१२८,१३६, ५१ से ३,५,७,३१, पदेसघण (प्रदेशघन) प २१६४१५ ४२,५६ उ १११२१,१२२,१२६ पदेसठ्ठता (प्रदेशार्थ) प ३.११६ से १२०,१२२ पत्तेयजिय (प्रत्ये। जीव) प १२४८६ पदेसठ्ठया (प्रदेशार्थ)प ३।११५,११६,१२०,१२२, पत्तेयजीविय (प्रत्येकजीवित) ५११३५,३६ १७६ से १८२,५१५,७,१०,१४,१६,१८,२०,३० पत्तेयबुद्ध सिद्ध (प्रत्येकबुद्धसिद्ध) ॥ १।१२ ३२,३४,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६,६३,७१, पत्तयसरीर (प्रत्येक शरीर) ११२३२,३३,४७; ७४,८३,८६,६३,६७,१०१,१०४,१०७,१११, ४७।२,३,३७२ से ७४,५१,८४ से ८७,६५, ११६,१२६,१३१,१३४,१४५,१६६,१७२, १८३,१८१४४,५२ १७४,१७७,१८१,१८४,१८७,१६०,२०३, पत्यसरीरणाम (प्रायकवारीरनामन् ) प २३:३८, २०७,२११,२२४,२२८,२३२,२३४,२३७, २३६१०१३,४,५.२६,२७,१७११४४,१४६; पत्थ (थ्य) ज ४।३,२५ २१११०४ पत्थड (प्रस्तट) प २।१,४,१०,१३,४८,६० से ६२ पदेसणामणिहत्ताउय (प्रदेशनामनिधत्तायुष्क) ज४१४६ प६.११८ पदेसणामनिहत्ताउय (प्रदेशनामनिधत्तायुष्क) पत्थाइत्तए (प्रस्थातुम् ) उ ३३५ ५६.११६,१२२ पत्थाण (प्रस्थान) उ ३१५१,५३.५५ पिधार (प्र-धु) पधारेइ ज ५७२,७३ पस्थिज्जमाण (प्रायमान) ज २१६:३।१८६,२०४ पधारेति प २२।४ पस्थिय (प्रार्थित) ३१२६,४७,५६,८७,१२२, पपोत (प्रधौत) ज ३।१०६ १२३,१३३,१४५,१८८,५१२२ उ १११५,५१, पन्नरस (पञ्चदशन् ) प १८४ ५४,६५,७६,७६,६६,१०५,३१२६,४८,५०, पन्नरसविह (पञ्चदशविध) प १४१२,१६:३६ ५५,१८,१०६.११८,१३१:५।३६,३७ पप्प (प्राप्य) प १६१४६ १७/११५ से १२२, पस्थिय (प्रस्थित) उ ३१५१,५३,५५ १४८,१५४,२३३१३ से २३,२८।१०५% पत्थिव (पार्थिव) ज १३ ३४।१६ पद (पद) ५१११०१७,१२१३२१८१२; पप्पडमोदय (पर्पटमोदक) प १७४१३५ २८1१४५,३६७२ ज ३:३२ सू १०।६३ से ७४ पप्पडमोयय (पर्पटमोदक) ज २०१७ पदाहिण (प्रदक्षिण) सू १६।२२।१०,११,१६२३ पफ्फुल (प्रफुल्ल) ज ४१३,२५ ‘पदीस ( दश) पदीसई प ११४८.१० से पन्भट्ठ (प्रभ्रष्ट) ज ३११२,८८,५७,५८ १७,१६ से २३ पदीसए प १४४८।११ से १३ पब्भार (प्रागभार) प२।१ ज ३१८५,१०९ प्रदीसति प ११४८१२५ से २६ पदीसती उश२७,१४०,५१५ प ११४८।१८,२४ पभंकर (प्रभङ्कर) सू २०१८,२०८७ पदेस (प्रदेश) प ११३,४२१६४।१,११,३११२४, पभंकरा (प्रभङ्करा) ज ४।२०२,७११८३ Page #286 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७२ पभजण-पम्हगंध सू १८२१,२४,२०१६ पमज्जित्ता (प्रमृज्य) ज ३।१२ पभंजण (प्रभञ्जन) प २१४०१७ पमत्त (प्रमत्त) प १७६३३२१७२ ज २६ पणिय (प्रभणित) उ ३९८ पमत्तसंजत (प्रमत्तगयन):६१६८ पमत्तसंजय (प्रमत्तमयत) प ६१९८१७२५२२१६१ पभव (प्रभव) प १११३०१२ पमद्द (प्रमदं) ज ७११२६ १०७५ उ १११३६ पिभव (प्रभू) भवति ११३०११ पमद्दण (प्रमर्दन) ज ५१५ पभा (प्रभा) प २१३०,३१,४०।१०,२१४१,४६ पमाण (प्रमाण) प ११०१।९।१२।१२,८; ज ३१३५,२११:४१२२,३४,६०,२७२,५।१८, १५.१०,२३,२१।११,२१८४,८६,८७,६० से ६३;३०।२५,२६:३३।१३,३६।५६,६६,७०, पभाव (प्रभाव) ज ३१६५,१५६,२२१ ७४ ज ११३२,३५,४१:२१४,६१,१५,१३३, पभावई (प्रभावती) उ १६३३ १३८,१४१ से १४५,३११०६,११७,१३८, पभावणा (प्रभावना) प ११०१।१४ १६७।३;४११,६,२५,६४,७०,७६,८६,६०, पभास (प्रभास) ज ४१२७२९६.१२ से १४ १०६.१२३,१३३,१३६,१४०१२,१३४ से १६०, पिभास (प्र-भाष) पभासइ ज ४१२११ १६२ से १६५,१७४,१७५,१६४,२०२,२२२११, पभास (प्र+भास्) पभासंति ज ७१ २३५,२३६,२४६,२७.०,२५.१,५४४६,४६; पभासिसु ज ७१ सू १९१६ पभासिस्नति ७।३५,१६८१२,१७८ १।२७, २१३४16 ज ७१ सू १९६१ पभासे ति ज ७५१,५८ उ १।१३८,३१११ सू. १९६१ पभासेंसू सू १६।१ पमासेति मू १९०१ पमाणभूय (प्रमाणभूत) उ ३३११ पभासंत (प्रभासमान) सू१६।१२ पमाणमित्त (प्रमाणाव) ३१६५,११५,११६, पभासतित्य (प्रभासतीर्थ) ज ३१४३,४४,४६ १५६।३८ पभासतित्थाधिपति (प्रभासतीर्थाधिपति) ज ३४६ पमाणमेत्त (प्रमाणमात्र) ज ११४०,२११३३,१३४, पभासतित्थाहिवइ (प्रभासतीर्थाधिपनि) ज ३१४७ १४१ से १४५:३११,८८,६२,११६,११६, पभासतित्थकुमार (प्रभासतीर्थकुमार) ज ३१४७ से १२२,१२४,४।१०,213,५८,६७ ४६,५१ पमाणसंवच्छर (प्रमाण-पत्रार) ज ७।१०३,१११ पभासेमाण (प्रभासमान) प २१३० से ३३,३५,३६, १०१२५,१२८ ४१,४८ से ५२,५८ पमुइय (प्रमुदिन) २६४१, ११२६,२१६५:३११, पभिद (प्रभति) ज २।१४६,३१८६.१७८,१८६, १२,२८,४१,४६,५८,६६,७४,१४७,१६८, १८८,१८६,२००,२१०,२१६,२१६,२२१ २१२,२१३ २ ११ उ ३।१०१,५१०,१७,१६,३६ पमुह (प्रमुख) ज ७।१७८ २०१८,२०/८१५ पभिति (प्रभूति) ज ३३१० सू १६२।२५ पमोय (प्रमोद) ज ३१२१२,२१३,२१६ पभु (प्रभु) ज ५५,४६,७।१८३,१८४,१८५ पम्ह (१क्ष्मन्) ॥ २॥४६,४१२०९,२१०,२१२ सू१५ से २३ उ ५।३२ २१२११ पभूय (प्रभूत) ज ३१८१,१०३,१६७।१४; ५१७ पम्ह (पदग) ज १५,२५१ पिमज्ज (प्र+मज) पमज्जइ ज ३११२,२०,३३, पम्हकूड (पक्ष्मकूट) ज ४।१८४ से १८७,२१० ५४,६३,७१,८८,१३७,१४३,१६६ पम्हगंध (पद्मगंध) ज २२५०,१:४:४११०६,२०५ Page #287 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पम्हगावई-परक्कम ६७३ पम्हगावई (पक्षमावती)ज ४१२१२,२१२।१ पम्हल (क्ष्मल) ज ३१६,२११,२१२:१५८ पम्हलेस (पदमलेशस) १७१६८ पम्हलेसट्ठाण (पद् लेन्यास्थान) १७.१४६ पम्हलेसा (पद्मश्रा) : १७:१२१ पम्हलेस्स (पद्मले ), ३६६१३।२०:१६६४६; १७३५,५६,६४,६६ से ६८,७१.७३,७६ से ८१,८३,८४,११२,१६७,१८१७३:२८११२३ पम्हलेस्सट्ठाण (पद्मलेश्यास्थान) १७.१४६ पम्हलेस्सा (दमा ) प१६।४६,१७।३५,३६, ५४,११७,११८,१२१,२२५,१२७,१२६,१३४, १३७,१४४,१५३ से १५५ पम्हलेस्सापरिणाम (पदमप्यारिणाम) १३१६ पम्हावई (पक्षमावती) ज ४२०२१२,२१२ पय (पद) प १।१०११३,२२१४५; २३।१४६; २८।१।२,२८११२३,३६१६६,७२ ज ३१६,१२, ८८,१५५,१६७७,२१,५८,७११५६ से १६७ उ ३।१०१,१३४ पयंग (पतङ्ग) प १:५११ पयग (पतग, पदक) ज २०४१,२१४७११ पयडि (प्रकृति) ५ २३।१।१ पयणु (प्रानु) ज २१६ पयत (पतग,पदग) ८ २२४१३ पयत (प्रत) ३.१२८८11८ पयत्त (प्रवृत्त) ज ५।२४,५७ पययपद (पलगपति,पदगपनि ) प ६४७३ पयर (प्रसर) प ११४८।६० : १२१८,२७,३६,३७ पयरग (प्रत ) ३.१०६१३८,६७ पयरय (प्रतरक) प ११७५ पपराभेद (प्रारद) प१११७५,७६ पयराभेय (प्रारद) ११५७३ पयला (प्रचला) प२३।१४ पयलाइय (दे०) व १९७६ पयलापयला (च पच५ २३।१४ पर्यालय (प्रचलित प्रगनित) ३६, ५३२१ पयल्ल (प्रकल्प) मू २०१८,२०१८४५ पया (प्रजा) ज २१६४,३११८५,२०६ पिया (प्र-जन ) पाएज्जा उ ३११०१ पामि उ१७८३१६८ पयाहिइ उ ३।१३६ पयात (प्रयात) ज ३११४,१५,३१,४३,४४,५१, ५२,६०,६१,६१,६६,१३०,१३१,१३६, १३७,१४०,१४१,१४६,१५०,१७३ पयाय (प्रगत) ज ३१३०,१४६,१६७,१७२ फ्याय (प्रजात) उ ११५३ ; ३३१३४ पयायमाण (प्रजनयत्) उ ३।१२६ पयार (प्रचार) ज २।१३१ पयालवण' (प्रालवन) ज २६ पयावइ (प्रजापति) ज ७।१३०,१८६३ पयावइदेवया (प्रजापतिदेवता) मू१०८३ पयाहिण (प्रदक्षिण) ज ११६; २१६०; ३१५, ५१५, ४४,४६ उ १।१६,२१, ३१११३; ४।१३ पयाहिणावत्त (प्रदक्षिणावर्त) ज २।१५; ७।५५ पयोहर (पयोधर) ज २११५ पर (पर) प १११०११४, २०६३,३१३६,६८०१२; १४१३;२२१४ से ६:२३११३ से २३ सु ११६; ६६१:१३३१२, १४ मे १७ पर (पर) प ११८१ परंगण्य (पर्यङ्गत्) उ ३।१३० परंपर (परम्पर) प २०१६ से ८ ज ७१४२ परंपरगत (परम्परगत) प २६४।२१ परंपरसिद्ध (परम्परसिद्ध) प १।११,१३,१६।३५, परंपरा (परम्परा) उ श१११,११२ परंपराघाय (परम्पराघात) प ३६१६४,७८ परंपरोगाढ (परम्पर वगाढ) प १११६३ परंपरोबवण्णग (परम्परोपपन्नक) प १५:४६; ३४१२ परक्कम (पराक्रम) प २३११६,२० ज २१५१,५४, १२१,१२६,१३०,१३८,१४०.१४६,१५४, १. पिकालवण इति कल्पनापि जाते। Page #288 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७४ परक्कममाण-परिग्गहिय १६०,१६३,३१३,७७,१०६,१११,१२६,१२६, १८८,७११७८ सू २०११ परावत्तेत्ता (परावृत्य) ज ३१२८ परकाममाण (पराक्रममाण) उ ३११३० पिरिकह (परि कथम्) परिकहेइ उ ११२०:४।१४ परधर (परगृह) उ ५१४३ परिकति उ ३११३५ परिकहेमो उ ३११०२ परट्ठाण (परस्थान) प ६।६३,१५।१२१,३६१२०, परिकहेह उ११४२ २४,२७,४७ परिकण (परिकथन ) उ ५।१३ परपरिवाय (परपरिवाद) प २२२२० परिकहेउं (परिकार तुम) २१६४।१७ परपुछ (परपुष्ट) प १७११२३ परिकिष्ण (परिकीर्ण) उ ३३१४१,४३१२,१३ परभवियाउय (परभविकायुक) प ६।१११,११४ ।। परिक्खित्त (परिक्षिप्त) ज ३१२२,२४,३०,३६,७६, से ११६ ७८,१७८, ४१११०,११६,११८,५१२८,४४ परम (परम) प २१२० से २७; २३।१६६ ज २।४, उ १११६:५१७ ६६,७१,१३३, ३३,५,६,८,१५,१६,३१,५३, परिवखेव (परिक्षेप) प २१५०,५६,६४, ३६८१ ६२,७०,७७,८१,८२,८४,६१,१००,११४, १४२,१६५,१७३,१८१.१८६,१९६,२१३, ज १७,१०,१२,१४,२०,२३,३५,४८,५१; २।६,४।१,२१,२५,३१४०,४१,४५,४८,५३ ५२१,२७ उश२१,४२,३१५१,५६,१३०, से ५५,५७,६२,६७,६८,७५,७६.८०,८१,८४, १३१,१३४,१४४ परमत्य (परमार्थ) ५११०१।१३ ८६,६२,६३,६६,६८,१०८,११०,११४,११८, १४३,१६५,२१३,२२६,२४१,२४२,७१७,१४ परमाणु (परमाणु) प १०११४११ ज २।६।३ से १६,३१,३३,६६,७३ से ७८,१०,६३,६४, परमाणुपोगग्ल (परमाणुपुद्गल) प ११४; ३।१७६, १८ से १००,२०७१।१४,१६,१७,१६,२१, १८२,५११२५,१२७ से १२६,१७३,१७४,१८६, २४,२६,२७,२१३;३।१,४४,७,६:११०११३२; १६०,२०२,२१०,२११,२२६; १०१६;१६।३४, १५॥२ से ४,१८१६१६१,४,५११,७,१०,१४, ३६,४३,३०१२६,२८ १८,२०,३०.३१,३४,३५,३७ परलोय (परलोक) ज २१७० परिगय (परिगत) ज ३।३०,११७:४।२७,५।२८ परवस (परवश) उ ३३१२६ परसु (परशु) उ ११२३,८८,८६,६१ परिगर (परिकर) ज ३१२४६३,३१,३७१,४५१, परस्सर (पराशर) प ११६६,१११२१ ज २।१३६ । परस्सरी (पराशरी) प १११२३ १३१३३ परहुय (परभृत) ज ३।२४ परिगायमाण (परिगागन ) ज ५१५,७ से १२,१७ पराघायणाम (पराघातनामन्) प २३।३८,५३,११० उ ३१११४ पिराजय (परा : जि) पराजिणिस्सइ उ १११५ परिग्गह (परिग्रह) प २२।१५,१६ ज २०४६ परामुठ्ठ (परामृष्ट) ज ३।७६,८०,११६,११८ परिग्गहसण्णा (परिग्रहसंज्ञा) प ८।१,२,४ से ११ पिरामुस (परा+मृश) परामुसइ ज ३११२,२३, परिग्गहिय (परिगृहीत) ५ ४।२१६ से २२१,२३१ ३७,४५,७८,८८,६४,११६,११७,११६,१३१, से २३३ ज २।१५६,३१५,६,८,१२,१६,२६, १३५ उ १२२ ३६,४७,५३,५६,६२,६४,७०,७२,७७,८४,८८, परामुसित्ता (परामृश्य) ज ३।१२ उ ११२२ ६०,१००,११४,१२६,१२७,१३३,१३८,१४२, पिरावत (परा+वृत्) परावत्तेइ ज ३१२८,४१, १४५,१५१,१५७.१६५,१७८,१८१,१८६, Page #289 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिग्गहिया-परियच्छिय ६७५ २०५,२०६,२०६,५१५,२१,४६,५८ उ ११३६, परिणित्वा (परि+नि |-वा) परिणिव्वंति ४५,५५,५८,६४,८०,८३,६६,१०७,१०८, ज ११२२,५०,२१५८,१२३,१२८,४११०१ ११६,११८,१२२:३।१०६,१३८,१४८,४।१५; परिणिताइप ३६८८ परिणिवायंति १६.११० परिणिव्वाति प ३६१६२ परिग्गहिया (पारिग्रहिकी) प १७११,२२,२३, परिणिवाहिति ज २।१५१,१५७ २५,२२१६०,६२,६७,७०,७६,६२,१०१ परिणिव्वाण (परिनिर्वाण) ज २१११६ परिघट्ट (परिवृष्ट) ज ४।१२८:५१४३ ।। परिणिव्वुड (परिनिर्वृत ) ज २१६८;३।२२५ परिछण्ण (परिच्छन्न) ज २०१२ परिणिव्वुय (परिनिर्वृत) ज २१८५,६० परिजाण (परि-+ज्ञा) परिजाणइ उ ११३८; परितंत (परितान्त) उ ११५५,७७ ३१५८ पनिजाणाइ उ १११०० परिजाणेति परित्त (परीत) १६४८।२० से २६,३४ से ३७, उ ३।११८ ४३,५२,५६ ; ३३११२,१०६,१८१०२.१०६; परिज्जय (दे०) सू २०१२ मू १३१२,१४।४,८ परिणत (परिणत)१४ से ६,११४८५६ परित्तमिस्सिया (परीतमिश्रिता) ११११३६ पिरिणम मरि-णम् ) पिणमति २८।२४ परित्तास (परित्रास) ज २१७० से २६,३६,४२,४५,४६,७१,७४,१०५:३४।२०, परिधान रियाद) परिधाति ज ५१५७ २२ से २४ ज ७१११२।१,३,५ १०११२६१, परिनिव्वा (परि+निवा) परिनिवाहिद ३,५ परिणमति प १६।४६,१७।११५ से १२२, उ ५॥४३ १३६,१४८ से १५२,१५४,१५५ परिनिव्वुड (परिनिर्वृत) ज २१८८,८६ परिपीलइत्ता (परिपीड्य) प २८१२०,३२,६६ परिणममाण (परिणमल ) ज ३।२१,३४,५५,६४, परिपीलिय (परिपीडित) ज २११३३ ५२,८५,११२,१३८,१४४.१६८,१८३,१६१ परिपुछणा (परिप्रच्छन) ज ७११७८ उ ११६० परिभट्ठ (परिभ्रष्ट) ज २११३३ परिणय (परिणत) प १४,६ से १ ज २।१६५१५ परिभाएत्ता (परिभाज्य) ज २०६४ उ ३।३८,४०,१२७,१२८; ५।४३ परिभाएमाण (परिभाजपत्) उ १४३४,४६,७४ परिणयन्द (रिणन्तब्य) ज २११३३ परिभाग (परिभाग) सू १०११७३ परिणाम (परिणाम) + १५११५१३।१:१७.११४११, परिभंजेमाण (परिभुजान) उ ११३४,४६,७४ १३९; २३३१३ से २३,१६५,१६६ मे २०१ परिभुज्जमाण (रिभुजामान) ज ४११०७ २८.११ ज २।१६,१३१, ३।२२३,७।१३६.१, परिभोगत्त (परिभोगत्व) ज २१२४,३४,३५,३७; ७।२०२,२०४,२०७ परिणाम (परि-नमय) परिणामें ति । १७.२ परिमंडल (परिमण्डल) प ११४ रो६१०।१५ से २८१२१,३३,६७ २४,२६ से ३०; ११:२५:१३।२४ ज ५१५,७, परिणामणया (परिणामन) ५ ३४.१ से ३ २२ से २४ परिणामिय (f णामित) २३३१३ से २३ परिमंडिय (परिमण्डित) ज ११३७, ३११,३५, परिणामेमाण (रिणमयत ) उ ११४१,४३ १०६,११७.११८,१७८:५२४३,७।१७८ परिणाह (परिणाह) ज ४११०२ परिमाण (परिमाण) ज २१६४।१६८,२४३ परिणिट्ठिय (परिनिष्ठित) ज ३।३५ परियच्छिय (परिकक्षित) ज ५१४३ २११ Page #290 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९७६ परिषण-परिवुडि परियण (परिजन) ज ३।१८५ सू १६४२२११८ रिवद्भिज्जति प ५११६१ परियर (रि ! चर) गरिमारइ च ३३१ परिषड्ढमाण (रिवधान) १२७२ ज ४१३६, सू १७१ ४३,३२,७८,९५,१०३,१७८ उ ३१४६ परियाइत्ता (यादाय) १६।२० परिवडिट (परिवद्धि) ज११३८,१४०.१४६, परियाइयणया (पदिान) ३४।१ से ३ १५४.१६०.१६१ परियाग ( य) २११२, ३३१४,८३,१२०, परिवढेमाण (पबिधमान) ज २।१६८,१४०, १५०,१६१; ४।२४; ५१२८,३६,४१,४३ १४६.१५८.१६६ १६३ परियागय (पांगत) १६६५५ परिचय बनपन्विति ५१५७ परियाण (गरि- ज्ञा) परिणइ उ ३।१०८ परिवस (... ग) परिवगइ प २।३८ पिरियादि (गरि : आ. दा) परियादियंति ज ११४५.४७:३।१२१४१५१.५४.६०.६१,' ज ३११६२ ६४८०८६.६७.१०२ १०७.१६१,१६६, परियादित्ता (पदा) ज ३६१६२ १८६.१३३.१६६,१६६.२०३,२०८,२१०, परियाय (पर्याय) ज २८३,८४,४१२७२ उ २।२२, २६१.२६४.२६६,२६७,२७०,२७२.२७३, ३।१६६ परियायतकरभूमि (पीयान्तकरभूमि) ज २१८४ २७६; २१३ उ ३१२८ परिवमई उ ३।१५८%; ४७ परिवति । १२० मे २७,३० से ३६. परियायसंगइय (व साङ्गतिक) ३ ३।५५ ४१ मे ४३.४८,४६,५१ से६४ ज ११२४,२६, परियारणया (परिचारण) प ३४१ से ३ परियारणा (परिचारणा) १ ३४१२, ३४।१ से ३, ३१:३११०३,४११०२ परिवसति प २१३२,३३, १७,१८ ३५.३६.३६,४४,५१,५३ से ५५,५७ से ५६ परियारणिढि (परिचारणद्धि) सू १८.२३ परिवगह ज ३।१२७ परिवसामो ज ३११२६१४ परियारिड्ढि (परिचारद्धि) ज ७।१८५ परिवसण (परिवमन) ज २०१६ परिमारिय (रिवारित) प २।३१ १. परिवह (रि चर) परिवहइ उ १५० परियारेमाण (परिचार पत्) सू २०१२ परिवहति ज १७८: सु ११४ परिवहति परियाल (रिवार) ज २११३३;५।२२,२६ शु १८६१६ गरि हामि उ १६७५ उ १६१९,६३,९७,६८,१०५ से १०७ परिवाडी (सिटी) ६१५१५५,२३.१०८ परियाव (परि-तापय्) परिवेंति प ३६।६२ परिवायणी (रिवाउनी) ३३१ परियावण्य (पर्यापन्न) ६१७।१३३ परिवार (परिवर) ज २।६३,९४,५५६ परियावण्णग (पपिन्नक) प २१३.६,६,१२,१५ ७।१८८.१.१७०.१८३ सू १८१४,२१.२३; परिरय (परिरय) ज४।१४२१२,१५६।१,२३४, १६२२३१.६२ उ १११६; ४१५.१३ २४०७.१६,१६,७५,७८ सू ११२७,१८१६ से परिवारणारिवारणा) ज ४१४०११ १३, १९०८।१,११११,१५१,२११२ परिवारिय (रिकारित) २३०,४१ परिलित (परिलीयमान) ज २१२ परिविक्षस (- वि.! ध्वंस) परिविद्धसेज्जा परिली (दे०) १११३७१५ ।। परिवदिय (परिवन्दित) चं शर परिविद्धंसइत्ता (परिविध्यस्य) ५२८।२०,३२ परिवज्जिय (परिवजित) उ ४६ परिवड (पवित)ज ५१४४ उ ४१११,१३ “परिवड्ढ़ (परि + वृध्) परिवति परिवुड्ढि (रिद्धि ) । ५।१३२,१६१,१७६, Page #291 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिवेदिय पलिओवम १६५, २१६११।७२,१३११७; १५।३४,७५ ज ४११०३,१७८ परिवेदिय (रिवेष्टित ) १५५१ ज २।१३३ परिव्वाय ( परिवाजक) ५ २०१६१ ज ३४१०६ परिसडिय (परिशटित ) ज ३।१३३ उ ३।५० परिसप्प (परिसर्प ) प २६१,६७,७६; ६ ७१; २१।११,१४,५३,६० परिसा (परिषत् ) प २।३० से ३३,३५,४१,४३, ४८ से ५१ ज ११४,४५ ; २६४६०४१६; ५११६,३६,४६ से ५१.५६, ७ ५५, ५८ चं ६ सू ११४:१८/२३३११/२३,२६ उ ११२,१६, २०:२६; ३१५,१२,२४,२८,८६,१५५, १५६; ४१४, १०, १४; ५८१४,२६,३७ परिसाड (गरियाट) १८४ / परिसाउ (परि + शादय् ) परिसाउँति ज ३११६२५१५,७ परिसाडइत्ता (परिशाट्य ) २८१२०,३२,६६ परिसाडेत्ता ( परिशाट्य ) ज ३११६२५५ परिहत्थ (दे० ) ज ४१३,२५ गरिवेति सू २१२ परिहव ( परि + परिहा (रिखा) परिहा ( परि--हा) परिहायति सू १६।२२११४ २३३०,३१,४१ ज ३१३२ परिहाण (परिधान ) प २४० परिहाणि (परिहाणि ) प २६४ ज २५१,५४, १२१,१२६,१३०, ४११०३, १४३ सु १६।२२।१६,२० परिहायमाण (रिहीयमाण ) १२६४ ज २१५१, ५४, १२१,१२६,१३० ४।१०३,१४३, २००, २१०,२१३ उ ३१४७ परिहारविसुद्धिय (परिहारविशुद्धिक) १।१२४, १२७ परिहारविसुद्धियचरित परिणाम (परिहारविशुद्धिकचरित्रपरिणाम ) प १३।१२ परिहावेत (परिहारयितव्य ) सू८ ।१ परिहित (परिहित ) सू २०१७ परिहिय ( परिहित ) प २१३१, ४१, ४६ ज ३३२६, ३६.४७,५६,६४,७२,८५,११३,१३३,१३८, १४५ उ १।१६ परिहोण (परिहीण ) २२६४६; ३६/६२ ज ५।२२,२६ से २८ सू १६८११ ; २०१६१४ परीसह ( परीषह ) ज २६४ ६७७ परुप्पर (परस्पर) ज ४ । १८० परूढ (प्ररूढ ) ज २१६,१३३,१४५,१४६ √ परुव ( प्र + रूपय् ) परूवेइ ज ७ २१४ उ १६८ पवण (प्ररूपण ) ज २६ परेंत (दे० पर्यन्त ) ज ३।१२६ परोक्खवयण (परोक्षवचन ) प ११८६,८७ परोप्पर (परस्पर) प २२१५१, ७३ ७४ ज ११४६ ( लंघ ( प्र + लङ्घ्) पलंघेज्ज प ३६।९१ पलं'डु (कन्द ) ( पलाण्डुकन्द ) प ११४८१४३ लंब ( प्रलम्ब) प २०३०, ३१, ४१, ४६ ज २११५; |३|१७८५११८७ १७८ सू २०१८ लंबमाण ( प्रलम्बमान) ज ३१६, ६.२२२५१२१, ३८ पलवमाण ( प्रलपत्) उ ३।१३० पलास (पाश) प १।३५।१ ज ४।२२५।१ पलिओम (पल्योपम ) प ११२४, ४१३०, ३४,३६. ४०,४२,४३,४५,४६,४८,४६, ५१, ५२, ५४, १०४,१०६, ११०,११२, १२४, १४६, १५१, १५५,१५७.१५८,१६०,१६२, १६४, १६५, १६७,१७१,१७३, १७७, १७६,१८०, १८२, १८३.१८५,१८६,१८८, १८६, १६१,१६२, १६४,१६५, १६७, १९८, २००, २०१,२०३, २०४,२०६,२०७, २०६, २१०, २१२,२१३, २१५,२१६,२१८, २१६,२२१,२२२, २२४, २२५, २२७.२२८,२३०,२३१,२३३, २३४, २३६,६।४३; १२।२४; १८४, ६, १०, १२,६०, ७० से ७२ २०६३ २३/६१,६४,६६.६८,७३, ७५ से ७७,७६,८१,८३ से ५६८८ से १०, ६२, ६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११७,११८,१३४,१३५, १३८, १४०,१४२. Page #292 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६७८ पलिभाग-पविज्जुयाइत्ता १४३,१५१ से १५३,१५५ से १५७,१६०, ४०,५५ पवत्तति प १६१४३ १६१,१६४,१६६ से १६६,१७१ से १७३ पवत्त (प्रवृत्त) ज ३।११५,१२३ ज ११२४,३१,४५ से ४७, २१५,६,४४,५२, पत्ति (प्रवनिन्) प १६६५१ ५६,५६,१५६,१६१, ३.१६७,२२६;४।२२, पवत्ति (प्रवृत्ति) ज ४१२३,३८,६५,७३,६०,६१ ३४,५४,६०,६१,६४,८०.८५,८६,६७,१०२, पवयण (प्रवचन) प १।१०१५५,११ सू २०१६।४ १४२,१६१,१६६,१६७१३,१७७,१८६,१६६, पवर (प्रवर) | २३०,३१,४१,४६ ज ३७,६, २०८,२६१,२६६,२७०,२७२,७१८७ से १६६ १२,१५,१७,२१,२२,२४,२६,३१.३२,३४ मू ६।१८११८१२५ से ३६ उ ३.१६,८५, से ३६,३६,४७,५६,६४,७२,७७,७८,८१, १२४,४।२५ ८५.८८,६१,१०८ से १११.११३,१३३,१३८, पलिभाग (प्रतिभाग) प १२।२७,३६,३७,१५३५० १४५,१६७।५,१७३,१७५, १७७,१७८,१६६, ज २६५ २२२, ५३५,७,४६,५८ सू २०७२ ११७, पलिभागभाव (प्रतिभागभाव) प १७१५०,१५२ १६,२२,२४,१२३,१४०।४।१२,१३,१५; पलिमंथ (परिमन्थ') प ११४५११ ५११८ पलिय (पलित) ज २११५,१३३ पवह (प्रवह) ज ४।३६,४३,७२,७८,६०,६५, पलियंक (पर्यङ्क) ज ११८,४८,४।५५,६२,६८, १७४,१८३,२६२, ६।१८ १६७,१६६,७१३३१२ पवा (प्रपा) ज २१६५,५१५७3 ३१३६ पलुम (पलुआ) प १४४८१६ सन की जाति का एक पवाइत (प्रवादित) प २१३१,४६ पौधा पल्ल (पल्य) ज २६ पवाइय (प्रवादित) प २१३०,३१,४१ ज ११४५, पल्लग (पल्यक) प ३३।२० ज ४१५७ ३.१२,७८,५२,१८०,१८५,१८७,२०६,२१८; पल्लल (पल्वल) २१४,१३,१६ से १६,२८ ५।१,५१६७१५५,५८,१८४ सू १८६१३, पल्हत्थ (पर्यस्त) ज ३३१०५ १६।२३.२६ पल्हत्थमुह (पर्यस्तमुख) उ १११५, ३१६८ पवात (प्रपात) उ ५५ पल्हव (पल्हव) प ११८६ पवादित (प्रवादित) ज ३.२०६ पल्हविया (पल्हविका) ज ३।११।१ पवाय (प्रभात) ज २।३८,३१८८४२३,३८,४२. पल्हायणिज्ज (प्रह्न दनीय) १७११३४ ज २।१८, ६५.६७,६८,७१,७३,६० से १४ १८५ पवायबहुल (प्रपातबहुल) ज १११८ पवंच (प्रपञ्च) प २१६४ पवाल (प्रवालय ११२०१२,११३५,३६:११४८।१५, पवग (प्लवक) ज २१३२ २५,६३; २१३१ ज २१२४,६४,६६,१३१,१४४, पिवड (प्र-+पन्) पवडइ ज ४।२३ से २५,३८ १४५,१४६,३।३५,११७,१६७।८ से ४०,६५ से ६७,७३ से ७५९९० से १२ पवालंकुर (प्रवालाकुर) प १७.१२६ पवडेज्ज उ ३१५५ पवालि (प्रवालिन) ज ७।११३ सू १०११२६।३ पवडणया (प्रपतन) प १६:५३ पविचरिय (प्रविचरित) ज ४१३ पवण (पवन) प २।३०।१ ज ३।३५ १०६; २५ पिविज्जुय (प्र- विद्युत्) पविजुयाइस्सइ पिवत्त ( प्रयतंय्) पवत्तड १६८,१६५३६ ज ११४१ से १४५ पविजुयायंलि ज ३।११५ १. वनस्पतिकोश में हरिमन्थ शब्द मिलना है। पविजुयाइत्ता (प्रविद्युत्य) ज २११४१ Page #293 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पविज्जुयायित्ता-पसत्य पविज्जुयायित्ता ( प्र विद्युत्य ) ज ३।११५ पविट्ठ ( प्रविष्ट ) प १५११११, १५१३६, ४०.४२ ज ३।१०५,१७८.२२३७।१७८ पविट्ठित्ता ( प्रविश्य) सू १०।१३६,१३।५,६ / पवित्थर ( प्र + वि - स्तु ) पवित्थरइ ज ३७६, ११६,११८ पविभत ( प्रविभक्त) ज १११८, २०, ४८, ४११६७. २१५ पविभत्ति (प्रविभक्ति) सू १५/३७ पवियरय ( प्रविचरित) ज ४१३, २५ पवियारण ( प्रविचारण) प १|१|७ पविरल ( प्रविरल ) ज २।१३३,५१७ ( पविस ( प्र + विश् ) पविसंति ज ३।१८३ परिसंत ( प्रविशत् ) चं ४२ से १८१२; १६२२४ परिमाण ( प्रविशत् ) ज ३१२०३७।१३,१६,२३ से २५, २८ से ३०,७२,७८, ८४ सू ११२, १४, १६,१८,१६,२१.२४, २७:२१३ ६ १ १३/६ से १०,१४ से १६ √ पवच्च ( प्र | वच् ) पवुच्चइ सू ५।१ पवूढ ( प्रव्यूढ ) ज ३६७, १६१,४१२३, ३५, ३८,४२, ६५,७१,७३,७७,६०,६१,६४,१७४, १८३, १९५,२६२ पस ( प्रवेश ) ज १११६,३८,३०१२,४१,४६,५८, ६६,७४,७७, १०६, १४७, १६८,२१२,२१३; ४१०, ११५, १२१,२१७ उ५१४३ पव्व (पर्व) प ११४८|४७ ११।२५ ज ७ १०६ से ११० सू १०।१२७:१२।१६, १७, १३ । १,२ पवत्त ( प्रवजितम् ) प २०१७,१८ उ ३१५०; ५३२ rease ( प्रव्रजित ) ज २२६५.६७,८५,८७ उ २६; ३११३,२१,५०,५५, ५८,६०,७६,७७,७९, ११३, ११८, ५३८ पव्वंस (दे० ) उ ५ २५ गिशिर ऋतु par (पर्वक ) प १०३३३१,११४१,१।४८।४६ ज २११४४ से १४६; ३।३१ √ पव्वज्ज] ( प्र + व्रज्) पज्जहि उ५।४३ पव्वज्जा ( प्रव्रज्या ) उ ३११६६ पव्वत (पर्वत) २३२,३६,५०,५११७११११ ज ११४६; ३ । २२४ सू ५।१; १६ २६ पव्वतराय ( पर्वतराज ) सू १६ २३ पति ( पर्वतेन्द्र ) सू ५। १ पव्यय ( पर्वक ) प ११४२११ पव्यय (पर्वत) प ३३, ३५, ४३, ४४; १६।३०; १७/१०६ ज १/१६,१९,२०,२३ से २५,२८, ३२, ३३,४६।१,४७,४८,५१, २१३१, ६०, ११७, ११८,११६,१३१,१३३,३।१,६१,८१,१३०, १३१,१३५ से १३७, २२४,४१२३, ३८,४८, ५७,५८,६०,६५,७१,७३, ८४, ६०, ६१,६४, १०३,१०६, ११०,१११,११३,११४,१४२, १६०,१६२,१६३,१६७,१६८, १७२,१७२, १७५,१७६,२००,२०५ से २०६,२१२ से २१६,२२०,२२१, २२५,२२६,२३४, २३५, २३७,२३९ से २४१, २५३, २५४, २५७, २५६, २६० से २६२, ५/४४,४७, ४८, ४९, ५५; ६।६।१; ६१०,१६,२३, २४,७१८ से १३,३१,३३,५५, ५८,६७ से ७२,९१,९२,१७१ ४१४, ७, ७ १; ८११८५ उ ३३५५,५५,६ √ पव्वय ( प्र + व्रज् ) पव्वयाइ उ ३।११२ पव्वयामि उ ३।१३;४।१४ पब्वयाहि उ ३।१०७ पoar (पर्वतक ) ज १११३ पत्रबहुल (पर्वतबहुल ) ज १०१८ पव्वयराय ( पर्वतराज ) ज ७।५५ सू ५।१७ १ पव्वयसमिया (पर्वतस मिका) ज ११२३, २५, २८ पत्रयाउय ( एर्वायुष्) ज ५।१६ राहु ( पर्व राहु ) सू २०१३ पसंत (प्रशान्त ) ज २१६८५/७०२६ दिल ( प्रशिथिल ) प २४६ & पसण्णा (प्रसन्ना ) उ १।३४,४६,७४ पत्त (प्रसक्त) ज ५१२६ पत्थ ( प्रशस्त ) प १७ १३३,१३४,१३८, २३५६, १०६,११६, ३४।१३ ज ११३७ २ १५; ३/३, ६ Page #294 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८० पसय- उन्भूय १८,३५,६३,१०६,१८०,२२२,२२३;७११७८ पसय (दे०) प ११६४ ज २१३५ पसर (प्र स) पसरइ उ ३.५१ पसरई १११०१७ पसरित्ता (प्रमृत्य) उ २५१ पिसव (प्र+स) पसवंति ज २०४६ पसार (प्रसारय) पसारेइ उ ३६२ पसासेमाण (प्रशासयत्) ज ३१२ उ ५१६,११ पसिण (प्रश्न) ज ७।२१४ उ ३१२९ पसिय (प्रमृत) ज ३१३५ पसु (पशु) प १११४ उ ३१३६,४८,५० पसूय (प्रसूत) ज ३१०६ उ ३।४८,५०,५५ पसेढी (प्रश्रेणी) ज ५।३२ पसेणइ (प्रसेनजित्) ज २१५६,६२ पसेणी (प्रश्रेणी) ज ३.१२,१३,२८,२६,४१,४२, ४६,५०,५८,५६,६६,६७,७४,७५,१४७,१४८, १६८,१६६,१७८,१८६,१८८,२०६,२१०, २१६,२१६,२२१ पह (पथ) ज ३१८५,१८८,२१२,२१३,५७२, ७३ सू १६।२२।१५ उ १६८ पहंकरा (प्रभङ्करा) ज ४।२०२।२ पहकर (दे०) ज २११२६५,३।१७,२१,१७७ पहगर (दे०) ज ३१२२,३६,७८ पहत (प्रहत) ज २११३१ पहरण (प्रहरण) ज ३३३१,३५,७७,१०७,१२४, १६७१६,१७८,४।१३७ उ १११३८ पहरणरयण (प्रहरणरत्न) ज ३३५ पहराइया (प्रभाराजिका, प्रहारातिगा) प ११८ पहव (प्रभव) ५ १११३० पद्दसिय (प्रहसित) प २१४८ ज ११४२,४१४६, २२१ : ७६१७६ सू १८८ पहा (प्रभा) प २१३१ ज ११२४ पहाण (प्रधान) ज २।१५,६४,१३३,३१३,३२, ११७६१,१३८,१७५७।१७८ पहार (प्रहार) ज ३।१०६ उ ३।१३१,१३४ पहार (प्र. धारय) पहारेत्थ ज २६३18, १८३ उ १८८ पहारेमाण (प्रधारयत्) प ३४०२४ पहाविय (प्रधावित) ज १६५ पहिय (प्रथित) ज ३११७,१८,२१.३१,६३,१७७. १८० पहीण (पहीण) ज २१८८,८६,३१२२५ पहु (प्रभु) ज ७११६८१२ पाई (पाची) प ११४४।१ एकलता, मरकतपत्री पाइक्क (दे०) ज २०६५ पाईण (प्राचीन) प २१०,५० से ५२,५४ से ६२ ज ११२०,२३ से २५,२८,३२,४८,३११, १२६।४।४।१,३,५५,६२,८१,८६,८८,६८, १०३.१०८,१४१,१६२.१६७.१६६,१७२, १७८,१८५,१८३,१६१,२००,०३,०५, २१५,२४५,२४६,२५१,२६२,६८,१११०१, १०२ सू८।१ पाईणपडिणायता (प्राचीनापाचीनायता) सू१।१९; २।११०११४२,१४७,१२१३० पाईणपडीणायता (प्राचीगापाचीनायता) प २।५० से ६२ ज ११२० । पाईणपडीणायया (प्राचीनापाचीनायता)ज ११२०% ३.१:४।१,३,८६,८८,९८,१०८ पाईणवाय (प्राचीनवात) प २६ पाउण (प्र+आप) पाउणइ उ ३११४,५।३६ पाउणति प ३६.९२ पाउणि सई उ ५।४३ पाउणित्ता (प्राय) प३६९२ ज २१८८,३१२२५ उ २।१२३।१४,४१२४:५१२ पाउप्पभाय (प्रादुष्प्रभात) ज ३।१८८३३१४८, ५०५५,६३,६७,७०.७३,१०६,११८ पाउब्भव (प्रादुन्। भू) पाउभभंति ज ५१२७ पाउन्भवह ज ५२२,२६ उ १११२१ पाउभवामि उ ३।२६ पाउमविस्था ज ३.१०४ पाउभविस्थाइ ज २११४१ मे १४५ पाउभवमाण (प्रादुर्भवत्) ज ५१२८ पाउन्भूय (प्रादुर्भत) ज ३११०५.११३,१२५; Page #295 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पाउभवित-पादुभ ५/७४ स ११४ उ १।२४,३४, ४०, ४३,७४, ३१५७,६२,६५,६९,७२,७५,८१,१४३, १५६ पाउभवित (दुर्भवितुम् ) ३१११३ पाया (पादुका) ज ३१६, १७६६ ५।२१ पाउस (प्रा) ज ७।१२६ । १२११४ उ५।२५ पाओ (२१ पाओग (प्रा) उ २।११ पाओसिया ( प्रादोपिकी) १२२२४६, ५६ पागड (प्र:ट) ज ३।३ चं १।३ पागभाव (कटभाव) ज २२६८ पागडिय ( प्रकटित) : २२४८, ४६ पाटि (प्राकर्षिन् ) ज ५१५,४६ पागल ( शकृत) १६ २२ ३ पागल (पान) १ २५० ज ५११८ पवार (कार) १२१३०,३१,४१ ज ३११; ४। ११४,११६६७।१३३।२ पागारच्छाया (प्राकारच्छाया) सू ६१४ पाचारसंठिय(माका- संस्थित) सू १०|४३ पाड (पातय् ) पाडेइ उ ३१५१ पाडेंति ज ५११६ पाडण (कन ) उ ११५१,८६ पाडल (पाटल) ज ३१२,८८,५५८ (ट) १३७५ पाहलिवुड (पाटलिपुट) ज ४।१०७ (क) ३३६१८ ४ २२ पडिलए (म्) उ ११५१,७६,७७ पारतिय (प्रात्यन्तिक) २३५७ पाडिया (अ) सू २०१३ पाडिहारिय (प्रानिहारिक ) प ३६।९१ पाडेता ( पानयित्वा ) ज ५।१६ उ ३।५१ पाढा (ठा) ११४८४१७।१३१ पाण (ण) ; ३६/६२,७७ ज २।१३१ ३११० से १११२१२ पाण (प्राण) ज २२४११, २ पाण (पान) उ ३१५०, ५५,१०१,११०, ११४,१३४; ४११६ ६८१ पाणक्य ( प्राणक्षय) ज २१४३ पाणत ( प्राणत ) १ १ १३५ / पाणम ( प्र + अन्) पाणमंति प ७/१ से ४,६ पाणय ( प्राणत ) १२२४६, ५८, ५६, ५६२, ६३; ३।१८३४१२५८ से २६०६।३६,५६,६६; ७ १७१५८८ २१ ७० २६१८४३३३१६; ३४ १६,१८ ज ५२४६२१२२ पाणय ( पानक) उ३।११४;४।२१ पाणयग ( प्राणतज ) ज ५२४६ पाणयवडेंस (प्राणतावतंसक ) प २२५८ पाणावात किरिया ( प्राणातिपातक्रिया ) प २२ १ पाणाइवाय ( प्राणातिपात ) प २२६ से ११,२१ से २३ पाणावाय किरिया ( प्राणातिपातक्रिया ) प २२६, ४६,४७,५०,५२,५७,५६ पाणाइवायविरत ( प्राणातिपात विरत ) २२८३, ८४, ६१ से ४,६६ वायरमन (प्राणातिशतविरमण ) २२२७७ से ७६ पाणातिवास किरिया ( प्राणातितक्रिया ) प २२/६ पाणि (प्राणिन् ) ज ३११७८ पाणि (पाणि) ज ५/५ उ १।११ से १३,३०,३२; २७,४१८५११२,२५ पाणिग्गहण ( पाणिग्रहण ) उ५।१३ पाणिय ( पानीय) उ३।१३० पाणियग ( शनीयक) ज २११३१ पाणिलेहा (पाणिरेखा) ज २२१५ पाणी (पाणि) प १/४०/४ पात (प्रातस् ) सू १०1५, १३६ पाती (पात्री) ज ३३११;५१५ पाद (पाद) १७।१११ ज ४।१३ पादपीठ (पादपीठ) ज ३।१७८ उ१।११५ पादणपडणाया (प्राचीनावाचीनायता ) ज १।१८ (प्रा :- दुर् । भू) यति ६ ३४।१६, २१ Page #296 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८२ पादो-पास पादो (प्रातस) सू २१ पारगामि (पारगामिन् ) ज ३७० पादोसिया (प्रादोषिकी) प २२॥१,४,५६ पारणग (पारणक) उ ३१५१,५३,५४ पामोक्ख (प्रमुख,प्रमुख्य) ज ११२६; २१७४,७७; पारस (नारस) प २८६ ४११३७ उ ५११०,१७,१६। पारसी (पारसी) ज ३३१०२ पाय (पाद) ज ३११२५,१२६,२२०,२२४:५१५,७।। पारिणामिया (पारिणामिकी) उ ११४१,४३ सू २०१६१६ उ १.११,१३,३० से ३२,७१, पारिप्पन (पारिप्लक) ५११७६ १४:४।८.२१:५।१२ पारियावणिया (पारितापनिकी) प २२११,५,५०, पाय (प्रातस्) सू १०।१३६ । ५२,५६ पायचारविहार (पादचारविहार) ज २१३३ पारेत्ता (पारयित्वा) ज ३१२८ पायच्छित (प्रायश्चित्त) ज ३७७,८१,८२,८५, पारेवत (पारापत) ११६५५, १७१३२ १२५,१२६ सू २०१७ उ १११६,७०,१२१ पारेवय (पारापत) ६११५९ ज ३३५ ३।११०,११५,५११७ पारेवयगोवा (पारापतग्रीवा), १७।१२४ पायत्त (पादात) ज ३।१७८ पाल (पालय) पानयाहि ज ३।१८५ पालेंति पायताणीय (पादातानीक,पादात्यनीक) ज ३११७८ ज १२२,५०,५८,१२३,१२८:४११०१ पायत्ताणीयाहिवई (पादातानीकाधिपति, पाले हिति ज २११४८ पादात्यनीकाधिपति)ज २२,२३,२६,४८ पालइत्ता (पालयित्वा) ज १८८ से ५२,५३ पालंब (प्रालम्ब) ज ३१६,६,२२२:५।२१ पायत्तिय (पादातिक) उ १११३८ पालक्का (पालका) प ११४४११ पायददरय (पाददर्द रक) ज ५१५७ पालण (पालन) ज ३१८५,२०६ पायपीढ (पादपीठ) ज ३१६५२१ उ १५११५ पालय (पालक) ज ५।२८,२६,४६३ पायमूल (पादमूल) उ ३।१२५ पालियायकुसुम (पारिजातकुमुम) १७१२६ पायरास (प्रातराश) उ १११०,१२६,१३३ पालेत्ता (पालयित्वा) ज १।२२ पायव (पादप) ज २।६५,७१, ३।१०४,१०५ पालेमाण (पालयत् ) ए २१३०,३१,४१,४६ उ १११,६१,३१५६,६४,६६,६८,७१,७४,७६ ज श४५,३।१८५,२०६,२२१:५११६ पायवंदय (पादवन्दक) उ १७०४।११ उ १६५,६६,७१,६४,१११,११२,५।१० पायविहारचार (पादविहारचार) उ ३।२६ पाव (प्र+आप) पाये प २१६४।१५ पायसीस (पादशीर्ष) ज ४११३ पाव (पाप) म १११०११२,१११८६ पायहंस (पादहंस) प १७६ पास्यण (प्रवचन) उ ३३१०३,१३६,४।१४।५।२० पायाल (पाताल) ५२११,४,१०,१३ पाववल्ली (पावकवल्ली) ८ ११४०१२ पायावच्च (प्राजापत्य) ज ७/१२२१२ सू १०१८४१२ पावा (पावा) प ११६३३५ पायीण (प्राचीन) ज २१५३ कपास (दश) पासइ ११७१०८ से ११०, पायोवगय (प्रायोपगत) ज ३१२२४ ३०१२८ ज २१७१,६०,६३,३३५,१५,२६,३१, पार (पारय) पारेइ ज ३१२८,४१,४६,५८,६६, ३६,४४,४७,५२,५.६,६१,१०६,११६.१३१, ७४,१३६,१४७,१८७ १३७,१४१.१७३,५१३,२१,२८,६३ उ १११६; पारगत (पारगत) प २१६४१२१ ३।७,४११३,५१२२ पासउ ज २१ मंति Page #297 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पास-पिंगायण १८३ प २१६४।१३,१५१४६ से ४६,३३.२ से १३, २४३,५११,६,२५ उ ११४६,६४,२१६५।१३, १५ से १८,३४१६ से ६,११,१२ ज ३११०५, २०,२७,३१ ११३ उ १५३६ पासति र १२३७,४१,४४, पासायव.सय (प्रासादावतंसक) ज ४।१०२,११६, ४५,१७१०६ से १११:२३।१४;३०।२५ से । २२१,२२२,२२३११,२२४।१।। २८,३६१८०,८१ पासह ज ३।१२४ पासि (पाव) ज २३,२५,२८,३२,३।१७६; पासिज्जा उ ११५ पासिहिति ज २।१४६ ४.१,४३,६२,७२,७८,८६,६५,६६,१०३,१७८, पासिहिसि उ ११२२ पासे इ उ ११५७ पासेज्जा १८३,२००,२०१:५१४६,६०,६६ उ १२१ पासिङ (द्रष्टुम्) १ ११४८।५७ पास (पास) १८६ पासिउकाम (द्रष्टुकाम) प २३।१४ पास (पाश्च) ज २।१५,३१३२,४।१४२,२०२,२१२, पासित्ता (दृष्ट्वा ) १२३३१४ ज २०६० उ ११६ ५।१७,४३,४६,६०,६६, ७१३१,३३ सू ४।३,४ ३३१०१,४११३:५११३ २०१२ उ ३।१२,१४,२१,२८,९६,४६,५१,७६; पासित्ताणं (दृष्ट्वा ) उ ११३३,२१८ ४११०,११,१३,१५,१६,२०,२८ पासियत्व (द्रष्टव्य) प २३।१४ पाश (पाश) ज ३.१०६ पासेत्ता (दृष्ट्वा ) उ ११५७ पासंडबहुल (पापण्डबहुल) ज १११८ पाहाण (पाषाण') ज ५११६ पासंडधम्म (पापण्डधर्म) ज २११२६ पाहुड (प्राभूत) ज ३८१ च ३१२,३,५१४ सु ११७; पासग (पाशक) ज ७१७८ ___६१४,२५,१०।१७३ पासग्गाह (पाशग्राह) ज ३।१७८ पाहुडत्थ (प्राभृतस्थ) सू २०६ पासणया (दर्शन,पश्यत्ता) प १११।७,३०।१,५,८,१० पाहुडपाहुड (प्राभृतप्राभूत) च ५।४ स ११६ पासथविहारि (पाश्चस्थविहारिन्) उ ३११२० पाहुणिय (प्राधुनिक) ज ७१८६।१ सू २०१८ पासमण (श्यत्) ज २१७१ पाहुय (प्राभूत) प १२५० पासवण (प्रस्रवण) : १८४ पि (अपि) उ ३३० पासाईय (प्रासादीय प्रासादिक) प २१३१,४८,५६, पिड़ (पितृ) उ १६१,५४३ ६३ १२३,४१,२।१५:४३,६,१३,२५,२६, पिइदेवया (पिलदेवता) सू१०।८३ ३३,४६,१४६; १६२ उ ५१६ पिउ (पितृ) ज ७१३०,१८६।४ उ ११५२,५४, पासाण (पाषाण) ज ३।१०६४।३,२५,७४१७८ पासाद (पासाद) १६५ पिउसेणकण्ह (त्रिसेनकृष्ण) उ ११७ पासादच्छाया (प्रसादच्छाया) मू ६४ पिंगल (पिङ्गल) ज ३१६,१६७१४,२२२ पासासठित (प्रासादसंस्थित) सू४१२ पिंगलक्ख (गिलाक्ष) ज ७।१७८ पासादीय (प्रासादीय,प्रासादिक) प २।३०,४१,४६, पिंगलक्खग (पिंगलाक्षक) ज २।१२ ६४ ज ११८,३१,२।१२,१४,४।२७ मू १११ पिंगलग (चिंगल क) ज ३।१६७ उ५४,५ पिंगलय (सिंगलक) ज ३३१६७४१,१७८ सू २०१२, पासाय (प्रासाद) ज ११४२,४३ ; २।२०,६५,३।३२, ८,२०१८४ ८२,१८७,२१८,२१६,४१३,४६,५०,५३,५६, पिंगायण ( गायन) ज ७१३२।३ सू १०११०८ १०६,११२,११६,११६१२०,१४७,१५५,१५६। २२१ से २२४,२२६,२३५,२३७,२३५,२४०, १.दे ११२६२ Page #298 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६८४ विजय ( पिण्डक) ज ६।६।१ पिंडवाय ( निण्डपात) उ५/४३ पिडित ( ण्डित ) प २२६४।१५,१६ पिंडिस (पिण्डिम ) ज २११२५१५ पिक्क (पत्र) प १७११३३ पिक्खुर (दे० ) ज ३१८१ पिच्छय ( विच्छक) उ १ ५६, ६३, ८४ पिच्छि ( पिच्छिन्) ज ३११७८ पिट्ट (दे० ) उ ३।११४ पिट्ठओ ( पृष्ठतम् ) ज ३ १०,११,८६,८७,१७६; ५१४६,६०,६६ पिट्ठओउदग्गा ( पृष्ठत उदग्रा ) सू ६२४ पिटत ( पृष्ठान्त) उ ३१३ पितर ( पृष्ठान्तर ) उ २०१६;५।५ पिट्ठीय ( पृष्ठ ) उ ३१११४ पिट्ठिकरंडक (पृष्ठकरण्डक) ज २११६ पिट्ठिकरंड ( पृष्ठकरंडक ) ज २०४८, १५६ पिट्ठिकरंडक (पृष्ठकरण्डक) ज २१५२,१६१ पिट्ठिकरंडुय ( पृष्ठकरण्डक) ज २१५६ पिडग (क) सू १६ २२२४, ५, ६ पिड (क) सू १६।२२ ४, ५ पिषद्ध (विद्ध) ज ३६,७७,१०७, १२४,२२२ उ ११३८ विद्ध ( प | नह) द्धेति ज ३।२११ / पिणाव (नाय्, पि+नि+धाय्) पणद्धावेइ ज ५१५८ पणद्धावित्ता ( पिनाह्य विनिधाप्य) ज ५१५८ पित्ता (ना) ज ३।२११ पितिपिंड (पितृपिण्ड ) ज २१३० पित्त (पित्त) प १८४ वित्तिय ( पैत्तिक) उ ३।३५,११२,१२८ पिप्पर (वली ) प १।३६३२ पिपलचण (पलचूर्ण ) प ११।७६ १७ १३१ पिप्पलिया (पलिका) प ११३७ २ पिप्पली ( दिप्पली ) प १७ १३१ पिप्पलीमूलय ( पिप्पलीमूलक) १७।१३१ पिंडय - गीइदाण पिप्पीलिया ( पिपीलिका) व ११५० पिय (प्रिय ) प २१४१ ; २८।१०५ ज २२६४; ३०५, ६०,१५७, १८५, २०६५३५८ उ १२४१, ४४; ३।१२८५।२२ √ पिय (पा) पियंति उ ३६८ पिय (पितृ) उ १७२,८८,१२४१२८ पियंगाल (दे० ) १।५१ पियंगु ( प्रियङ्गु ) प २४०१६ पियट्ट्या ( प्रियार्थ ) ज ३१५, ११५, १२५ पियतर ( प्रियतर ) ज २११८ ४ १०७ पितरिया ( प्रियतरका ) प १७।१२६ से १२८, १३३ से १३५ ज २२१७ पियदंसण ( प्रियदर्शन ) ज ३१६,१७,२१,२८,३४, ४१,४६,१३६, १७७,२२२ सू २०१४ उ ५ ५,२२ पियर ( पितृ) प ११।१३, १८ पियस्सरता (प्रिवस्वरता ) प २३।१६ पिया ( पितृ) ज २२७ पिया (प्रिया) ज २२६६३४६, ६ पियाल ( प्रियाल ) ज ११३५२ पिरिली (पिरिली) ज ३।३१ पिलंग (पिलक) ज २।१३७ पिक्खक्ख (प्लक्षरूक्ष ) १/३६/२ पिल्लण ( प्रेरण ) ज ३११०६९ पिव ( इव) ज ३१२२१११३८३।५० पिवासा ( पिपासा) उ ३।११४,११५, ११६,१२८ पिसाय ( पिशाच ) १।१३२ २१४१ से ४३,४५ ४६; ६८५ पिसायइंद (पिश चेन्द्र) १२१४२ से ४४ पिसायराय (पिशाचराज ) प २१४२ से ४४ पिसुय ( विशुक) प ११५० ज २१४० पिधान ( विधान ) ज ५।५६ पिहजण ( पृथक्जन) १ २६ पिहुल ( पृथुल ) ज २११५७१३१,३३ सू ४३,४, ६,७ पोइगम ( प्रीतिगम ) ज ५|४|३७|१७८ पोइदाण (प्रीतिदान) ज ३६, २६, २७, ३६, ४०, Page #299 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पीइमण-पूच्छा ४७,४८,५६,५७,६४,६५,७२,७३,१३३,१३४, ३६८१ ज १७ सू १११४ १३८,१३६,१४५,१४६ पुक्खरद्ध (पुष्करार्ध) प १५२५५:१७११६५ पीइमण (प्रीतिमनस्) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१,५३, सू१६२०२,५ ६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४,१४२,१६५, पुक्खरवर (पुष्करवर)सू १९१२ से १६:२११३,२८ १७३,१८१.१८६,१९६,२१३,५।२१,२७ पुक्खरवरदीवड्ढ (पुष्करवरद्वीपार्ध) ५ १६।३० उ ११२१,४२,३।१३६ म १६०२१ पीइवद्धण (प्रीतिवर्धन) ज ७.११४।१ पुक्खरवरोद (पुष्करबरोद) सू १६०२८ से ३१ पीढ (पीठ) १३६६१ उ ३१३६ पुक्खरसारिया (पुष्करसारिका) प १६८ पीढग्गाह (पीठग्राह) ज ३.१७८ पुषखरिणी (पुष्करिणी) प २।४,१३,१६ से १६, पीढमद्द (पीठमद) ज ३१९,७७ २८,१११७७;२११८७ ज १।१३,३३,२११२; पीण (प्रीणय ) पीणेति ज ५१५७ ४।१४०,१५४,२२१ से २२४,२३५,२४३ पीण (पीन) ज २०१५ पुवखरोद (पुष्करोद) ज ५।५५ सू १६।२८ से ३१ पीणणिज्ज (प्रीणनीय) १ १७११३४ पुक्खल (पुष्कल) ज ४११६६ पीणित (प्रीणित) सू १२।२६ पीतय (पीतक) सू २०१२ पुक्खलकूड (पुष्कलकूट) ज ४११६८ पीति (प्रीति) उ १११११,११२ पुक्खलचक्कट्टिविजय (पुष्कलचक्रवति विजय) ज४।१६४,१६५ पीतिदाण (प्रीतिदान) ज ३।१५० पुक्खल विजय (पुष्कलविजय) ज ४११६७ पोतिवद्धण (प्रीति वर्धन) सू १०।१२४११ पीय (पीत) ज ३१२४,३१ पुक्खलसंवट्टय (पुष्कलसंवर्तक) ज २।१४१,१४२ पीयकणवीरय (पीतकरवीर) प १७११२७ पुक्खलावइचक्कवट्टीविजय (पुष्कलावतीचक्रवर्ति पीयबंधुजीवय (पीतबन्धुजीवक) ५ १७११२७ विजय) ज ४।२०० पीयासोग (पीताशोक) र १७११२७ पुखलाई (पुष्कलावती) ज ४१६६ पीलु (पीलु) 4 ११३५११ पुक्खलावईकूड (पुष्कलावतीकूट) ज ४११६६ पीवर (पीपर) ज २१५७.१०८ पुग्गल (पुद्गल) ५ २८॥३५ पीसिज्जमाण (विष्यमाण) ज ४११०७ पुच्छ (प्रच्छ) पुच्छड चं ११४ उ २०१२ पोहगपाय ('पोहग'पान) उ ३।१३० पुच्छिज्जति सू १०।६२ पूच्छित्सामि उ १११७,३२६ पुंख (पुख) ज ३।२४ पुंज (पुञ्ज) प २।३०,३१,४१ ज २।१०:३७,८८ पुच्छणी (प्रच्छनी) ५१११३७।१ ४।१६६:५७ पुच्छा (पृच्छा) प २१४४,४१५० से ५४,५४ से ६४, पुंडरीका (पुण्डरीका) ज ५१११११ ६६,६७,६६,७०,७१,७३,७४,७६,७७,८०,८१ पुंडरोगिणी (पुण्डरीकिणी) ज ४०२००११ से ८७.८६,६०,६२ से ६४,६६,६७,६६,१००, पंडरीय (पुण्डरीक) ५ २१४८ ज ३।१०:४१४६,२७४ १०२.१०३,१०५ से ११२,११४ से १३०, पुक्कार (पुक्का रय) पुक्कारेंति ज ५१५७ १३२ से १३६,१४१ से १४८,१५० से १५७, पुक्खर (पुष्कर) ५ १५६५५३१ ज २१६८ १५६ से १६४,१६६,१६७,१६६,१७०,१७२, सू १६२१३१ १७३,१७५ से १८२,१८४ से २०६,२०८, पुक्खरकणिया (पुष्करकणिका) परा३०,३१,४१, २०६,२११,२१२,२१४ से २६३,२९५,२६६, Page #300 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १८६ २१८५।१३,१५,१६,५५,५६,६२,६७,७०, ७३,८६,९९,१३०,१३२.१३५, १३७,१३२, १४२, १४४, १४६, १४६,१५२, १५६,१५९. १६२,१६५,१६,१७१.१७२,१७६,१००, १८३, १८६, १८६,१६२,११६,१६६,२०२, २०६, २१०, २१३,२१७, २२०, २२३, २२७,२२६, २३३,२३६,२३८,६२४ से २६,२० से ४२, ७४,७६,७७, ११०, ११२:२२; १०७ से १२, २२ से २४; १२१२४, ३३ १४ १५ १५१४ से ६, ६,१०,४२,५७,६१,६२,०५,०६,१२,६३ १६.४,६ से १७११४, १७, २८,२९,३३,४१ से ५५,१५,१०२,१०४,१३१ से १३४,१५८, १६२,१६४; १६१२२.१२.११२.११८,१२१. १२२,१२४,१२७;१६१२,३,२, २०१४, ७, १६. ३०,३५,४१ से ४४,४६ से ४८,५३,५४ २१/३७,६७, २२१६८,६६,६५,६६, २३४८ से ५०,६५,६१ से ७६,८१,८३ से ६६०० से १०,१५,१८, ६६,१०१ से १०४,१०६,१११ से ११८,१२८,१२६,१३१ से १३३,१५४,१७२ २४१६,८,२६६,१०; २८ ७६ से ६७,६६, १०६,११०,१२६,१४५ २२१८, १९, २०, २१: ३०११२,१८,२०,२२,३११२,३,६६३२१३,४,६, ३३१७ से २० से २६,२८,२६,३२,३३,३६० ३४७ से ६,११,३५०३.११.१९,२२:३६८३४, ५०,५१,५५ से ५७ न ४।२०४,२१०, २५०, २५६,७।६३ ७४,७७,८३,८४,१०८, १४२ से १४४ २ ३ १० १५१: १८/१० से १३,३५, ३६:११०५.६,११.१५,१२,२१,३१,३५,३८ उ २।१३:३१८,२१,२६,१४, १५६,१६९ ४।५ ५१२३ (प्र) ३।१२१ पुति १११६२,६२,८५१०३० २११६१२।११५, ११७ज्जति २०३१४५ पुट्ठे ( स्पृष्ट) ए २६४११०,१११११६१.६२. पुच्छिन्न- युडविच्काइव .६६ १,१५।१।१, १५:३६ से ४०, ४५, २०१३६; २२४५६:२३।१३ से २३:२८१११,१२,५७,५८ ज १११८,२०,२३,४८३३५४११,५५,६२, ८१,८६,९८,१०८,१७२६११.२३७१४०, ५०, ५३ पुड (ट) ज ५१४,१७ १३५५,५७,६१,६२, ८०.८२,०६,८७३।११४ पुढवि (पृथ्वी) प १२०६१.१०४६३८ ११५३. २११.२० से २७.३० से ३७,४१ से ४३,४६, ४८ से ५१,६३,६४३३२१ से २३.१०३४९४ से २४:६।१० से १६, ४५.५१,७३७८,८० ८०११,२६१८६,११,१२,१००,१०६,१०११ से ३,११।२६ मे २०१५।५५।२१६।२६ १७१३३; १८२१०७,११६.२०१६ से १०,३८ से ४२, ४९, ५६, २११५२, ५६,६६, ८५, ८७, १०:२२ २४ २८११२३३०३२५ से २८, ३३३ से ५,१६,१७ २०१६,१७,६८, ३१२२४; ४।२५४७२११२१४, २११,२१२ म १०/१२६१४ पुढविकाइय (पृथ्वीका ) प १११५.१६:२०१ से ३:३३२,५० से ५२,५४,६० से ६२.६५ ७१ से ७४,७६,८४७८६९५.१५६ से १०.१०३४।५८ से ६४,६६,५३,६,१०, ५२,५३,५५,५६,५८,४६,६२,६३६।१२,५३, ६२,०२,८३,०६,८१,१०२.१०३, ११५ ७२४६२३ ९६४ १६:१२१२०.२१,२३, २५, २६, १३।१६:१५।२० से २८,४३,५४,७२ से ७४, ७६. १२७१६ १२:१७।६५. १०२.२०१२४; २२/३७६२८१२८, २६२० ज २२७२ सू २१ पुढविकाइयत (पृथ्वीका क) १५२६:३६।२२ ज ७।२१२ पुढविकाय ( पृथ्वीकाधिक ) प १२३, २४; १५५७८५ १६१४ १७१८ से २२,४०,६०, ८७,६४,२५,६७, १०२.१६१२६, १२.३८,४०, पुढविकाय ( पृथ्वी काय ) सू २११ Page #301 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुढविक्काइयत्त-पुष्फबद्दलय १८७ ४२,५०।१६।२:२०६१३,२२,२४ से २६,२८, १४२ च ५१ सू १।६।११०२१ ३२,३५, २११३ से ५,२३,४०,७६,८० पुण्णा (पूर्णा) सू १०१६० २२॥३१,७३,२४१६:२८१२६.३० ३३ से ३६, पुण्णाग (पुन्नाग) ११॥३५१३ ज ३।१२,८८,५८ ३८,६६२६८ से १०,२०:३०।८,६,१८,१६ पुण्णिमा (पूर्णिमा) ज ७:१२५,१२७११,१३७ से ३११३,३४।३;३५१६.२०,३६१६,२५.२६, १४५,१५४,१५५,१६७।१ सु १०१६ से १७, १६ से २२,२६ पुढविक्काइयत्त (पृथ्वीकाविकत्व) प १५३१४१; पुण्णिमासी (पौर्णमासी) ज ७४१३८,१४१ च ५१ ३६१२६ सू१०७,८,१८,२०,२२,१२६२,१३६ से पुढविसिलापट्टक (पृथ्वीशिलापट्टक) उ ५।८ । १५६,१३।१ से ३,६ पूढविसिलापट्टग (पृथ्वीशिलापट्टक) ज ३।२२३ पुत (पुत) उ ४६ पुढविसिलापट्टय (पृथ्वीशिलापट्टक) उ ११ पुत्त (पुत्र) ज २१२७,६४,६६,१३३ उ ११०,१३, पुढविसिलावट्टय (पृथ्वीशिलापट्टक) ज १११३ १५,२१ से २३,३१,४३,९७,७२,७४,८२,८७, पुढवी (पृथ्वी) सू २।१,६१३,१८११ उ ११२६,२७, ६५,१०६,११०,११३,११४,१४६२१६,६,१८, १४०,१४१ २२,३१४८,५०,५५,११४ पुण (पुनर्) प६१८०।१ सू ११२० उ ११७ पुत्तंजीवय (पुत्रजीवक) प ११३५१२ पुणं (पुनर्) उ ३।१०२ पुत्तत्त (पुत्रत्व) उ ५३०,४३ पुणब्भव (पुनर्भव) प २०६४ पुष्फ (पुष्प) प १३५,३६:१।४८।१७,२७,४०,४१, पुणरवि (पुनरपि) प ३६१६४ ज २१६,३१८१; ४७,६३,२।३०,३१,४०।१०,४१,१५।२ ज २१८ ७११८,१२१ सू२।१ से १०,१२,१५ से १८,६५,१४५,१४६ ; ३।७, पुणव्वसु (पुनर्वसु) ज ७/१२८,१२६१३४ से ११,१२,२१,३४,७८,८५,८८,१०६,१८०, १३६,१४०,१४६,१६१ सू१०२ से ६.१३, २०६४।१६६,५७,२२,२६,४८,४६,५५% २४,४०,६२,६८,७५,८३,१०५,१२०,१३१ ७।३१,३३,३५,५५,११२१३,४ सू ४।३,४,६, से १३३,१५५,१६१,१११२ से ४ ७,६१०२०,१२६६३,४;१६।२२।२,१५; पुणो (पुनर्) ज ३।१०६ सू १६।२२ उ ३१६८ १६।२३,२०1८।६ उ ११३५,३१५०,५१,५३, ११०,११४:५६ पुण्ण (पूर्ण) प १४०१६ ज २१६०,१०३,१०६, पुष्फ (पुष्प) पुप्फति ज ३११०४,१०५ १०८,१७८,३१६,२२२, ४।३,२५,१७२११ १४६७४१७८ पुष्फकेतु (पुष्पकेतु) सू २०१८ पुण्ण (पुण) प ११०१२ ज ३१११७१५५,४६ पुष्फचंगरी (पुष्प 'चंगेरी') ३३१२५ ज ३।११; पुण्णकलस (पुर्णकलश) प २।३० ज २४३ ५७,५५ पुण्णचंद (पूर्णचन्द्र ) ज ३।३,११७ पुष्फचूला (पुष्पचूला) उ ४।२०,२२,२८ पुण्ण (भद्द) (पूर्णभद्र) उ ३१२११ पुप्फलिया (पुप्पलिका) उ ११५४।१ से ३, पुण्णभद्द (पूर्णभद्र) ए २१४५.४५।१ ज ४११६२११, २७,५१ १६५ उ १६.१६,१४४; २।१४,१६:३।१५६, पुष्फछज्जिया (पुष्पछादिका) ज ५१७ १५८,१६० से १६५.१६९.१७१,५१८ पुप्फपटलहत्थगय (हस्तगतपुष्पपटल) ज ३।११ पुषणभद्दकूड (पूर्णभद्रकूट) ज ११३४,४६:४।१६५ पुष्फपडलग (पुष्पपटलक) ज ५७ पुण्णमासी (पौर्णमासी पूर्णमासी) ज ७११२।२, पुष्फबद्दलय (पुष्पवादलक) ज २७ Page #302 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४।१ ८१ ६८८ पुष्फमाला-पुरिस पुष्फमाला (पुष्पमाला) ज ५१।१ ज १११६,१८,२०,२३,२४,३५,४१,४६,४८, पुप्फय (पुष्पक) ज ५१४६।३ ५१,३११,१४,१५,२२,२६,५१,५२,१६१,४११, पुप्फ (वासा) (पुष्पवर्षा) ज ५१५७ १८,२६,३५,४५,५५,५७,६२,७१,८१,८४,८६, पुष्फविटिय (पुष्पवृन्तक) प ११५० ६०,१०३,१०६,१०८,१२६,१५१११,१५३, युएफाराम (पुष्पाराम) उ ३।४८ से ५०,५५ १६२,१६७,१६६.१७२,१७८,१८१,१८२, पुप्फारुहा (पुष्पारोहण पुष्पारोपण) ज ३११२,८८ १८४,१८५,१६०,१६१,१६३,१६४,१६६, पुरफासव (पुष्पासव) प १७६१३४ १६७,१९६ से २०३.२०५,२०६,२०८,२०६, पुप्फाहार (पुष्पाहार) उ ३५० २१३,२१५,२१६,२२८,२३३,२३५,२३८, पुफिय (पुष्पित) उ ३१४६ २४३,२४५,२६२,२६५,२६६,२७१,२७२, पुफिया (पुष्पिका) उ ११५:३११ से ३,१६,२०, २७४,२७७,५८.१०,३६,४७,६।१६ से २४; २२,२३,८७,८८,१५३,१५४,१६६,१६७,१७०; ७.१७८ सू२।१८।१:१३।१२,१५,१५।८ से १३:१८११४ से १७, २०१२ उ ३१५१ पुप्फुत्तर (पुष्पोत्तर) प १७११३५ पुरस्थिमपच्चत्थिम (पौरस्त्यपाश्चाल) सू २१ पुरफुत्तरा (पुष्पोत्तरा) ज २११७ शक्कर की जाति पुष्फोदय (पुष्पोदक) ज ३१६,२२२% पुरस्थिमलवणसमुह (पौरस्त्यलवणसमुद्र) ज ४।२६८ पुष्फोवयार (पुष्षोपचार) ज ७१३३११ पुरथिमिल्ल (पौरस्तर) प १६१३४ ज ११२०,२३, पुष्फोवयारसंठिय (पुष्पोपचारसंस्थित) सू १०११३० ४८,२।११७,३।२६.६५,६७,६६,१३५,१५१, पुम (पुंस्) प १११५ से १०,२४,२६ से २८ १५६.१७०,२०४,२१४,४।१,२३.५५,६२,८१, पुमवयण (पुंस्वचन) प ११।२६,८६ ८६,९८.१०८,१४३.१४७,१५६.१७२,२२६, पुर (पुर) ज २१६४ २२७,२३७,२३८,२६२,५।१४,४४,७११७८ पुरओ (पुरतस्) ज ३।१२,८८,१७८,१७६,२०२, सू २।११०।१४७:१३।१३ २१७,४।५,२७,१२२,१२४,१२७,५१३१,४३, पुरवर (पुवर) ज ३१३२.३५,२२१ ४४,४६,५७,५८,६०,६६ उ ३१५०,११२:४११६ पुरा (पुरा) ॥ १।१३,३०,३३,३७,४१२ पुरओउदग्गा (पूरत उदगा) सू६।४ पुराण (पुराण) ज ३।१६७ पुरंदर (पुरन्दर) प २१५० ज ५:१८ परिभकंठमाओवगता (पूर्वकण्ठगापमता) सूहा४ पुरक्खड (पुरस्कृत) स ८१ पुरिमड्ढ (पूर्वाद्धं) प १६।३० पुरजण (पुरजन) ज ३११२,२८,४१,४६,५८,६६, पुरिमाल (पुरिमताल) ज २७१ ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ पुरिमद्ध (पूर्वाद्ध ) प १६:३०;१७।१६५ पुरतो (पुरतम्) सू २।२ पुरिस (पुरुष) पश६०,६६,७५,७६,८१,८४; पुरत्याभिमुह (पौरस्त्याभिमुख) ज ३१६,१२,२८, २१६४११६,३।१८३,६७६;१६४८,५२,५४; ४१,४६,५८,६६,७४,१४७,१८८,२०४,२१६ १७.१०८,१०६,१११ ज ३१७,८,१५,१६,२१, २२२,५।२१,४१,४७,६० उ१।४१,३१६१ ३१,३४,३५,७,८१,१२५,१६७६४,१७३, पुरस्थाभिमुहि (पौरस्त्याभिमुखिन् ) ज ४।२३,३५, १७६,१७८,१८३,१६६,२००,२१२,२१३ चं ४। २ ८।२,२०७ उ १११७,१८,४४, पुरस्थिम (पौरस्त्य,पूर्व) प ३१ से ३७,१७६,१७८ ४५,१२३,१३१,३११०,१११।४।१६ से १८; Page #303 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परिसकर-पुव्ववेयाली ५१५,१५ से १८ पुरिसकार (पुरुषकार) गु २०६।३ पुरिसक्कार (पुरुपकार) ५ २३११६,२० ज २०५१, ५४,१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६,१५४, १६०,२६३,३।१२६,१८८,७१७८ म २०११ पुरिसच्छाया (पुरुपच्छाया) ज २२,२५ मु २।३ पुरिसजुग (युरुपयुग) ज २८४ परिसवरगंधहस्थि (पुरुषवरगन्ध हस्तिन ) ज १२१ पुरिसवरपुंडरीय (पुरुष रपुण्डरीक) ज ५१२१ । परिसलिगसिद्ध (पुरुषङ्गिनिद्ध) ५१११२ पुरिसवेद ( पुरुषवेद) प १८१६१,२३३१४२,१८७; २८।१४० परिसवेदग (पुरुषवेदक) प ३३९७:१३।१४,१८,१६ पुरिसवेय (पुरुषवेद) प २३:१६,७४,८४,१४४ पुरिसबेयग (पुरुषवेदक) T१३।१५ पुरिसवेयपरिणाम (पुरुषवेदपरिणाम) प १३.१३ पुरिससीह (पुरुषसिंह) ज ५।२१ पुरिसादाणीय (पुरुषादानीय) उ ३।१२,२६,७६ ४।१०,११,१३,१४,१६ परिसोत्तम (पुरुषोत्तम) ज ५२१ पुरोष (पुनीप) उ ३३१३०,१३१,१३४ पुरेक्खड़ (पुरस्कृत) प १५८३ से ८५,८७,८६ से १०१,१०३ से १०६,१०८ से ११०,११२ से १२३,१२५ से १३२,१६५ से १४३,३६८ से पुव (पूर्व) प १६।२१:३६१६२ ज २१४,१६१; ३११८५,२०६,२२१,४।१३५,२३८७१३८, २१२ च ११३ सू ३।१:८।११८।१,२१ उ ११६६,१०६,११०,११३,११४ पुत्वंग (पूर्वाङ्ग) ज २४,७११७१ सु८११; १०१८६१ पुचंभाग (पूर्वभाग) गु १०१४,५ पुवकोडाकोडि (पूर्वकोटिकोटि) ज ३११८५,२०६ पव्वकोडि (पूर्वकोटि) प ४११७७,१०६,११३.११५, ११६,११८,११६,१२१,१३१,१३३,१३७,१३६, १४०,१४२,१४६.१४८:१८।४,६०,८१,८४, ८६.६६:२३७८,७६,१४७,१५८,१६२,१६५, १६६ ज २।१२३,१५१:३।१८५,२०६४।१०१ पुब्बग (पूर्वक) ११।४६ पुचितिय (पूरचिन्तित) उ ३१७६ पुषण्णस्थ (पूर्वन्यस्त) ज ५१४२ पुवण्ह (पूर्वह्नि) ज २०७१,८८ पुव्वदारिया (पूर्वद्वारिका) सू१०।१३१ पुब्बपडिवण्ण (पूर्वप्रतिपन्न) उ ३.८१,८२ पुब्बपोट्ठवया (पूर्वप्रीष्ठादा) मू १०।६४ पुब्बफग्गुणी (पूर्वफल्गुनी) ज ७१२८,१२६,१३६ पुदभद्दवया (पूर्वभाद्रपदा) ज ७।१२८, १२६,१३६, १३६,१४२ सू १०१६ पुत्वभव (पूर्वभव) उ ३१६,२१,२६,१४६,१५६, १६६,१७१४।५,२८ पुब्वभाव (पूर्व भाव) प २८१६८ से १०१ पुब्दरहतगुणसेढीय (पूर्वरचितगुणश्रेणिक) प ३६।६२ पुस्थरत (पूर्वर.) उ ११५१,६५,७६,३१४८,५०, ५५,५७.६६,७२,७५,७६,६८,१०६,१३१ पुववण्णिय (पूर्ववणित) ज २।५२,१६१,३११७१; ४।६६,१०१,१०६,१६०,२३७,२४३,५६,७; ७।३५,१६७ पुनविदेह (पूर्वविदेह) प १६।३०१७३१६१ __ज २१६, ४।६६,६६,२१३,२६३११ पुन्ववेयाली (पूर्व 'वेयाली') प १६१४५ पुरेडिय (पुरस्कृतक) प १५३५८१२ पुरोहियरयण (राहिसार) ज ३३१७८,१८६, १८८,२०६,२१०,२१६,२१६,२२० पुरोहियरयणत (पुरोहितल) २०५८ पुलग (दुलक) ११५८ ज १५:१५ पुलय (पुलक) : १।२०।४ ज ३.३५ पुलाकिमिया (दे०) प १४६ पुलिद (जिन्द) ११८६ पलिदी (हिन्दी) ज ३३१११२ पुलिण (पुलिन) ज ४।१३ । २०१७ पुलिय (पुलित) ज ३।१७८,७।१७८ Page #304 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १६० पुवसंगइय-पेच्छाघरमंडव पुब्वसंगइय (पूर्वसांगतिक) उ ३१५५ ६०,६१,११३,११६; २११४४ से ४७,४७११, पुश्वसयसहस्स (पूर्वशतसहस्र) ज २१६४,८७,८८; २,६.२११६८,२४।१४,१५, २५२,४,२७१२,६; ३।१८५,२२५ २८।२७,७३ से ७६,१२१,१२४,१२७ से पृन्दाण पूवी (पूर्वानुपूर्वी) उ ११२,१७,३।२६,६६, १३२,१३६,१४३,१४५.;३६११७,३४ १३२,१४६,१५६; ४।११,५१३६ पुहत्तय (पार्थक्त्विक) घ १११८५ पुवा (पूर्व) सू १०१५,१२०,१११३;१२२२३ पुहवी (पृथ्वी) ज ३१३,३५, ५११०११ पुवापोट्ठवता (पूर्वप्रौष्ठपदा) सू १०॥५६ पूअफलीवण (पम्फलीवन) ज २६ पुवापोवया (पूर्वग्रीष्ठपदा) सू १०१४,५,६,२१, पूइ (पोई) प ११३५४३ २३,३१,८२,६६,१३१,१३२ पूइत्त (पुतित्व) ज २१६ पुवाफग्गुणी (पूर्व फल्गुनी) ज ७.१४०,१४८, पूइय (पूर्जित) ज ३।८१५१५ १५१,१६३ सु १०।२ से ६,१५,२३,४४,६२, पूजित (पूजित)उ ३१४८,५० ७०,७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५२; पूय (पूर्व) प १८४;२२० से २७ ज ३१२० १२।२३ उ ११५६,६१,६२८४,८६,८७ पुटवाभद्दक्या (पूर्व भद्र'दा) ज ७१४६,१५७ पूयथय (दे०) १११६५ सू१०।२,३,५,७५,१३१,१३३ पूयणवत्तिय (पूजनप्रत्यय) ज ५१२७ पुव्वामेव (पूर्व मेव) प ३६६२ उ ४।२१ पूणिज्ज (पूजनीय) सू १८१२३ पुवावर (पूर्वापर) ज १।२६,४१२१,१४२,२५६; पूयफली (पूगफली) ५ ११४३।२ ६।१०.११,१४,१५,१८ से २२,२६,७१४,६३, पूया (पूजा) उ ३१५१ ८७,११०,१८३ कपूर (पूरय्) पूरयंते ज ३१३१ पूरेड प ३६१८५ ज ७।११२१५ पुरेति ज ५११३ पूरेति पुत्वासाढा (पूर्वाषाढा) ज ७।१२८,१३६,१४०, मु १०1१२६५ १४६,१६७ सू १०।२ से ६,१६,२३,५३,६२, पूरग (पूरक) ज ३१८८ ७४,८३,११८,१३१ से १३५ पूरयंत (पूरयत्) ज २१६५,३१३१ पुटिव (पूर्वम् ) उ ३१११८ पूरिम (परिम,पूर्य) ज ३।२११ पुबिल्ल (पूर्वीय) ज ५।४१ पूरेत (रयत) ज ३१३०,४३,५१,६०,६८,१३०, पुयोववण्णग (पूर्वोपपन्नक) ६१७४४,६,१६,१७ १३८ से १४०,१४६,७११७८ पुस (पुष्प) ज ७।१२६।१ पूरेता (पूरयित्वा) ज ५।१३ पुस्स (पुष्य) ज ११३६,१४०,१४६,१६१,१६२ पूस (पुरुष) ज७।१२८.१३०,१८६।३ यु १०१४; सु १०।२,३,५,६,१३,२४,४१,६२,६८,६६, १२११६ से २३,२६ ७५,८३,१०६,१२०,१३१ से १३३,१५६; पूसफली (पुरुफली) ५११४०११ १११६१६।२२।१७ पूसमाणय (पुष्यमाणव) ज ३११८५ पुस्सदेवया (पुष्यदेवता) सू १०८३ पूसमाणव (पुष्यमाणव) २१६४,५३२ पुस्सफल (पुष्यफल) प १।४८४८ पेच्छणिज्ज (प्रेक्षणी) ज २०१५ पुस्सायण (पुप्यायण) ज ७/१३२१२ सू १०११८ पेच्छा (प्रेक्षा) ज २१२०,३२ पुहत्त (पृथक्त्व) प ७१३,६ से १११८१,८३,८४, पेच्छाघरसंठित (प्रेक्षागृहसं स्थित) मु४१२ १२।६१५।६,१८१४,१६,२४,३१,३६,४९,५४, पेच्छाघरमंडव (प्रेक्षागृहमण्डप) ज ३।१६३; Page #305 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पेच्छिज्जमाह-पोलिंदो ९६१ ४।१२३,१२४;५।३३ १६:३३,३४,१७।२,२५, २१:१।१,६५,६६; पेच्छिज्जमाण (प्रेक्ष्यमान) ज २१६५:३।१८६,२०४ २३।१३ से २३:२८।२०,२२ से २४,३२,३४, पेज्ज (प्रेम) प १११३४।१।२२।२० ३६,३६ से ४२,४४,४५,४८,६६,६८ से ७१. पेज्जणिस्सिया (प्रयोनिधिता) १११३४ १०५,३४११११,३४१६.१६,२०,३६।५६,६१, पेढ (पीठ) ज ४११४३,२०८; ५१३ ६२,६६.७०,७३,७४,७६,७७.७६ से ८१; पेम्म (मेमन्) ज २१२७ ज १६, ३१६२,५२१,७,७।२११ सू ५।१; पेरंत (पर्यन्त) ज ११६ ; ३११२६।४।४।१४३, ७१,६१,२०१२ २४५,२४६,२५१७१७८ पोग्गलगति (पूद्गन्दगति) प १६१३८,४३ पेलव (पे१५) ज ३१२११:५।५८ पोग्गल स्थिकाय (पुद्गलास्तिका) ५३१११४ पेस (प्रेः) ज २२६ ११५,१२०,१२२ पेस (प्र. इ) पेसिज्ज इ उ ११२८ पेसेइ पोग्गलपरियट (पुदगल परिवर्त) प १८१३,२७,४५, उ १।११० पेसेमि उ १।१०६ पेसेमो ५६,६४.७७,८३,६०,१०८ उ ११२७ पसेह उ १११०७ पेमेहि उ ११११५ पोच्चइ (दे०) उ ३.१३० पेसल (पेशल) प १७११३४ पोट्ट (दे०) २४३ पेसित्तए (पितुम्) १।१०७ पोलिया (पोट्टालिका) ज ५११६ पेसिय (प्रेपित) उ १३११६,१२७ पोवई (प्रौष्ठादी) ज ७४१३६,१४२,१४८,१५१, १५५ पेसुग्ण (पशुन्य) प २२१२० पोवती (प्रौष्ठपदी) सू १०७,६,२१,२३,२६ / पेह (प्र- ईक्ष् ) पेहति प १५५० पोट्टक्य (प्रौष्ठपद) मू १०१५,१२०,१५३ पेहमाण (प्रेक्षमाण ) प १५:५० पोडइल (पोटगल) प ११४२११ तल तृण पेहुणमिजिया (पेहुण' मजिका) १७.१२८ पोतिया (दे०) ११५११ पोंडरीय (पौण्डरीक) प ११४६,७६ ज ४।३,२५ पोत्तिय (पौत्रिक) उ ३१५० पोंडरीयदल (पौण्डरीकदल) प १७।१२८ पोत्थगग्गाह (पुस्तकग्राह) ज ३।१७८ पोक्ख (प्र-+उक्ष) पोखेद उ ३५१ पोत्थयरयण (पुस्तकरत्न) ज ४।१४० पोक्खरस्थिभय (पुष्करास्थिभार) ज ४७ पोत्थार (पुस्तकार) प ११६७ पोक्खरपत्त (पुस्करपत्र) ज ३।१०६ पोरग (पोर) ११४४।१ इक्षु पोक्खरवर (पुष्करवर) सू१९६१५३१,२ पोराण (पुराण) प २८१२०,२६,३२,६६ पोक्खरवरदीव (पुष्करवरद्वीप) सू १६११५ ज १११३,३०,३३,३६,४२ पोक्खल (पुष्कर) प ११४६ पोरिसिच्छाया (ौरुषीच्छाया)म् ११६। ३१ से ३ पोक्खलस्थिभय (पुष्करास्थिभाग) प ११४६ पोरिसी (पौरुषी) ज ७११५६ से १६७ मु १०।६४ पोक्खलावतीचक्करदिविजय से ७४ (पुष्कलावतीचक्रवति विजय) ज ४११६७ पोरिसीच्छाया (पौरुषीच्छाया) चं २३ पोग्गल (पदगल) १९८४:३।११२,१२४,१७५, पोरेवच्च (पौरपत्र पौरोवत्य) प २।३० से ३३, १७६,१८० से १८२,५३१४०,१४३,१४५, ३५,४१,४८ से ५१ ज १।४५; ३।१८५.२०६. १४७.१५०.१५४.२३३,२३४,२३६ से २३६, २२१,५।१६ उ ५।१० २४१,२४२,६२६१५१४० से ४७.४६: पोलिंदी (पोलिन्दी) ५ १६८ Page #306 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६२ पोस-फासचरिम पोस (पौष) ज २१६७१०४ सु १०१२४ फलंगरगाह (फलकग्राह) ज ३११७८ उ ३.४० फलय (फलक) ज ४१२६ उ १।१३८ पोसह (पौषध) ज २११३५ फल (वासा) (फलवर्षा) ज ५१५७ पोसहधर (पौषधगृह) ज ३१३२ फलविटिय (फलवृन्तक) प १५० पोसहसाला (पौषधशाला) जे ३१८ से २१,३१, फलहसेज्जा (फलकशमा) उ ५१४३ ३३,३४,५२ से ५४५८,६१,६३,६६,६६,७०, फलासव (फलासब)६ १७११३४ ७१,७४,८४,८५,१३७,१३६.१४१ से १४३, फलाहार (फलाहार) उ ३५० १४७,१६४ से १६८,१८० से १८३,१६०, फलिय (फलित) उ ३६४६ १६६ उ ५१३५ फलिहकूड (स्फटिककूट) घ २।५१,५६ पोसहिय (पौषधिक) ज ३।२०,३३,३५,५४,६३, 'फलिहामय (स्फटिकमय) मु १८१८ ७१,८४,१३७,१४३,१६७,१८२ फाणिय (फाणित)।१५।११२,१५१५० पोसहोववास (पौषधोपवास) २०११७,१८,३४, फालिय (स्फटिक) ज ४१३,२५ पोसी (पौषी) ज ७१३७,१४०,१४६,१४६,१५५, फालियामय (स्फटिकमय) प २१४८ ज ७।१७६, नु १०।७,१३,२२,२३,२६ १७८ पोहत (पृथक्त्व) प १५.१।१,१५.१८ से १०,२३, फास (स्पर्श) प ११४ से ६२।२० से २७,३०,३१, ३०.१४०,२४६ ४१,४८,४६३।१८२,५१५,७,१०,१२,१४,१६, पोहत्तिय (पार्थक्त्विक) प २२।२५,२८,२३१८,१२ १८,२०,२४,२८,३०,३२,३४,३७ ३६,४१,४५, ५३,५६,५६,६१,६३,६८,७१,७४,७६,७८, ८३,८६,८६,६१,६३,६७,१०१,१०४,१०७, फग्गुण (फाल्गुन) ज १७१,७१०४ सू१०।१२४ १०६,१११,११५,११६,१२६,१३१,१३४, १३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७,१५०, फग्गुणी (फल्गुनी) ज ७११३७,१४०,१४६,१५३, १५२,१५४,१६३,१६६,१६६,१७२,१७४, १५५,१०११२०;१२२३ नु १०७,१५,२३, १७७,१८१,१८४,१८७,१६०,१६३,१६७, २५,२६,१२०,१५३,१५८,१२।२३ । २००,२०७,२११,२१४,२१८,२२६,२२४, फणस (पनस) ५२३६११:१६।५५;१७।१३२ २२८,२३०,२३२,२३४,२३७,२३६,२४२, फणिज्जय (फणिज्झक) १ १४४१३ मरुआ २४४;१०।५३११,१११५६; १५१३८,७७,८१, फरिस (स) ज ३१८२,१८७,२११,२१८,५१५८ ८२,१७११३२ से १३४,२३।१३ से २३,१०६, गू २०१७ उ ५।२५ २८१६,१०,२०,३२,५५,५६,६६,३४१२; फरुस (रुप) ज २१३१,१३३ ३६१८०,८१ ज १११३:२१७,१८,६८,१४२; फल (फल)११३५,३६,१६४८।६,१८,२८,६३; ३।१३८,४।२७,४६,८२,५।३२:७।२०६ २३.१३ से २३ ज १११३,३०,३३,३६,२८, सू २०१७,८,२०१८,४ ६,१२,१६,१७,१८,७१,१४५,१४६, ३।११७, फासओ (स्पर्श तम्) प १२५ से १११६०; २२१:४।२;७३११२६३,४ रु १०।१२०, २८१०,२०,२६,५६ १२६॥३,४ उ १५३४,६८,६६३५०,५३,९८, फासचरिम (स्पर्शचरम) प १०५२,५३ १०१,१३१,५१६ फलग (फलक) ५ ३६।६१ ज ३।३१ उ ३१३६ १३० १११६७ Page #307 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फासणाम - बंधणविमोयणगति फासणाम ( स्पर्शनामन् ) प २३३८,५० फासतो ( स्पर्शनस् ) प ११६ से ९; २८१३२,६६ फासपज्जव ( स्पर्शपयंव) ज २१५१,५४,१२१, १२६, १३०,१३८, १४०, १४६, १५४, १६०, १६३; ७/२०६ फासपरिणाम (स्पर्शपरिणाम ) ५१३२१, २६ फासपरियार (स्पर्शपरिवार ) प ३४।२१ फासपरियार (स्पर्श रिचारक) ५३४।२८, २१, २५ फासपरियारणा (स्पर्शपरिचारणा ) १ ३४।१७, २१ फासत (स्पर्शवत् ) प ११५२,५६,२८५,६, ५१; ५५ फासविण्णाणावरण (स्पर्श विज्ञानावरण) प २३|१३ फासादेस ( स्पर्शादेश ) प ११२०, २३, २६,२६,४६ फासावरण (स्वरण ) प २३|१३ फासिदिय ( स्वन्द्रिय ) ११५१,६,७,१० से १८, २० से २७,३०,३१,३५,४२, ५८ से ६४,६९,७०, ७३,७४,८०, ८५, १३३,२८१४२,४५,४६,७१ उ ३१३३ फासत्ति ( स्पर्श द्रियत्व ) १२८१२४, २६, ३४१२० फासिदियपरिणाम ( स्पर्शेन्द्रियपरिणाम ) प १३१४ फासु ( प्रासु ) उ ३ | ३६ फाय (प्राक, स्पर्शक) उ३।११४ फायविहार ( प्रासुकविहार) उ ३१३०,३६ फार्सेदिय ( स्पर्शेन्द्रिय) १ १५/१६, २८, ३१ से ३३, ६४ से ६७,७६,१३४; २८१३६ फुट्ट (दे०) ज २२१३३ √ फुट्ट ( फुट) फुट्टउ उ ५१७२ फुट्टिहि ज ५।७३ फुट्टमाण (स्फुटत्) ज ३८२,१८७,२१८ फुड ( स्पृष्ट ) प १५।५३ से ५७, ३६१५६,६०,६६ से ६८,७०,७१,७४,७५,८१ चं ११३ फुडिता (स्फुटित्वा ) प ११७८ फुडिय (स्फुटित ) प २।१३३ फुल्ल ( फुल्ल ) ज ३।१८८ फुलावलि (फुलावलि) ज ५१३२ / फुस ( स्पृश् ) फुसइ ज ३।१३१ फुसई प २६४|११ फुसंति प ११।७२ ५।१ फुतु ज ३।११२ ६६३ फुसमाण ( स्पृशत् ) प १३१२३ सम्गणगति ( स्पृशद्गति ) प १६३८, ३६ फुसिता ( स्पृष्ट्वा ) प १५:५१, १६ । ३६, ३६ । ७६, ८१ ज ३ १३१ फुसिय ( स्पृष्ट) ज ५.१७ फेण (फेन) ज ३१३५४११२५ ५/६ २७ १७८ फेणमालिनी ( फेनमालिनी) ज ४१२१२ ब बडल ( बकुल ) प ११३५।१ बस (कुश ) प १३८६ बंध (बन्ध ) १ ३३११२; १३१२२।१,२,१४११८|१; २६।१२ ज २११३३ / बंध (बन्धु) बंध २३३,१९८ २४।१३ से १५ ३५५ बंधति १४:१८, २२०२२, २३, ८६,६०,२३।५, ७,१३४, १३५,१३७ से १४०, १४२,१४३,१४६,१४७, १५१ से १५८,१६० से १६२,१६४,१६६,१६७, १६६,१७१ से १७४,१७६, १७७, १८१,१८५, १८६,११० ; २४०४, ५, १० से १२, १५:२६१४, ६ ज ५।१३ बंधति प २२२१,८३,८६,८७,२३११११, २३४,६,१९४ से १६६,१६ से २०१,२४५२, ३,१०,१५,२६।२, ३, बंधिसु प १४१७ बंधिस्त १४३१८ बंधेसु प १४११८ बंधेसि उ ३७६ बंध (बन्धक ) प ३ | १७४, २२१२२,२३,८४,२०; २३६३; २४१४ से ८, १० से १३,२६१४ से ६, ८ से १०; २७५ बंध ( बन्धन) २२६४४२२; १६१५५,३६८२११, ८३११,६४१ ज २१२७,२६,८६,८६,१३३; ३।२२५ उ १/६६,६६,७२,८६,६२ बंधछेद गति ( बन्धनछेदन गति ) प १६ १७,२३ बंध परिणाम ( बन्धनपरिणाम ) प १३ ।२१,२२ बंधनविमोयणगति ( बंधन विमोचन गति ) १६३८,५५ Page #308 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ९६४ बंधगाण-बल विसिट ठया बंधमाण (बध्नत् ) प २२२६,२७:२४।२ से ५,६ बत्तीसमंगुलमूसियसिर (द्वात्रिंशदङ्गलोच्छित शिरस्क) से १५:२५।२,४,५ ज ३३१०६ बंधय (बन्धक) प १३१६२,२२१२१ ८३.८६,८७, बत्तीसविह (द्वात्रिशविध) ज ३।१५६ २३।१।१,२३.१६१ से १९३,२४१२,३,७,८, बदर (बदरा) प ११३७।२ कपास का पौधा १०,१२:२६।२ से ४,६,८ से १० बद्ध (बद) प १५१५८१२;२०३६, २३।१३ से २३ बंधिता (बद्वा) ज ५११३ उ ३।५५ ज ३१२४,३५,७७,८२,१०७.१२४,१७८,१८६, बंधुजीदग (वन्धुजीवक) १ ११३८।१ ज २६१०, १८७,२०४,२१४,२१८,२२१४१३.२५ ३१३५ उ ११३८ बंधेउकाम (बद्धकाम) उ ११७३ बद्धग (दे०) ज ७!१७८ एक आभूषण बंधेत्ता (बद्ध्वा ) ज ५।१६ उ ३७६ बद्धेल्लग (दे०) प १२२८ से १३,१६,२०,२१,२३, बंभ (ब्रह्मन्) प २१५४,१५१८८ ज ७१२२।१ २४,२७,२८.३१ से ३३,१५१८३ से ८६,८६ गू १०१८४१ से ६३,६५ से ६७,६६ से १०६,१०८ से १२३, बंभचेर (ब्रह्मचर्य) ज ७११६६ गु १८१३ १२५ से १३२,१३५,१३६ से १४१,१४३ बंभचेरवास (ब्रह्मचर्यवास) उ ५।४३ बद्धेल्लय (दे०) प १२१७,८,१२,२०; १५१९४ बंभग्णय (ब्राह्मण्यक) उ ३।२८,३८,४०,४२ बंभयारि (ब्रह्मचारिन् ) ज ३१२०,३३,५४,६३,७१, बब्बर (वर्वर) प ११८६३८१ बब्बरी (बर्बरी) अ ३।११।१ ८४,१३७.१४३,१६७,१८२ बम्ह (ब्रह्मन्) ब ७।१३०,१७६,१८६१३ बंभलोग (ब्रह्मलोक) प २२४६,५४,५५,६०,७११२; बम्हदेवया (ब्रहादेवता) १०७८ ३३.१६,३४११६ बरग (दे०) ज ३।११६ शालि विशेष बंभलोय (ब्रह्मलोक) म १११३५,२।४६,५४ से ५७, ६३,३।३३,१८३,४१२४३ से २४५,६।३१,५६, बरहिण (वहिन) प १७६ ६५; २०१६१;२११७०,२८१७६; ३४।१८ बल (बल) प २०११६१,२३।१६,२० ज २।५१,५४, 3२।२२५२८ ६४,७१.१२१,१२६,१३०,१३८,१४०,१४६, बंभलोयग (ब्रह्मलोकज) ज ५/४६ १५४,१६०,१६३; ३३३,१२,३१,७७,७८,८१, बंभलीयडिसय (ब्रह्मलोकावतंसक) ५ २१५४ १०१.१०३,१०६,११७.१२६,१२६,१५१, बंभी (ब्राह्मी) ६११६८ ज २७५ १८०,१८८,२०६४।२३६ ५।५,२२, बकुल (बकुल) ज ३।१२,८८,५१५८ २६,७१७८ २०११,७,६१३,५ उ १२६६, बग (बक) १७६ ६६,११५.११६३।२।१,१७१ बज्झ (बंध) बज्झति उ ३.१४२ बलफर (वलकर) ज ३११३८ बत्तीस (द्वात्रिशन्) ।२२ गुरा३ ड ३११२६; यलफूड विलकूट) ४१२३६,२३६ बलदेव (ब ) प ११७४,६१, ६।२६ ज २११२५, बत्तीसइ (द्वात्रिशन) ज ३११८६,२०४ १५३; १२०० उ ५१० से १२.३० बत्तीस इविह (द्वात्रिशविध) ज ५१५७ उ ३११५६ बलदेवत्त (बलदेव) प२०१५५ बत्तीसग (द्वात्रिंशन्) ज ७।१३१११ बलव (बलवन्) ज ५१५७।१२२६१ रु १०।८४११ बत्तीसजणवयसहस्सराय (द्वात्रिशद जनपदसहस्र- बलवग (बल क) उ:१५ राजन्) ३।१२६२ बलविसिठ्ठया (वलविशिष्टता) प २३।२१ Page #309 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बलविहीणया-बहुबीया ९६५ बलविहीणया (वलविहीनता) प २३.२२ ६१,६३,६४,३।१८३६।२६११२२२,१७ बलाग (बलाक) ज ३।३५ १३६,२२२१०१,३६८२ ज ११४५; बलागा (बलाका) प १७६ २१११,१२,५८,६५,८३,८८,६०,१२३, बलावलोय (बलावलोक) ज ३१८१ १२८१३३,१३४,१४५,१४८,१५१,१५७; बलाहगा (बलाहका) ज ५।६३१ ३१६,११.२४,३२।१,८१,८७,१०३,१०४ बलाहया (बलाहका) ज ४।२१०.२३८ १०५,११७,१७८,१८५,१८६.१८८,२०४, बलि (बलि) प २१३१,३३,४०७ ज २११३, २०६.२१६,२१६.२२१,२२२.२२५,४१२,३, ११६; ५।५१ उ ३१५१,५६,६४ २५,२८ से ३०,३४,६०,१४०,१५६,२४८, बलिकम्म (बलिकर्मन्) ज ३१५८,६६,७४,७७,८२, २५०,२५१,२५२,५३१.५,१६,४३,४६,४७, ८५,१२५,१२६,१४७ सू २०१७ २१११६, ६७,७/११२१,२,७१६८,१८५,१६७,२१३, ७०,१२१ : ३।११०,५३१७ २१४ चं २।४ सू १२६१४,२६११०।१२६।१, बलिपेढ़ (बलिपीठ) ज ४।१४० २,१४।१ से ८:१८२३; १९१६, २०१७ बलिमोडय (दे०) प ११४८:४७ उ१।१६,४१,४३,५१,५२.७६.७७,६३,९८; बव (वब) ज ७१२३ मे १२५ २।१०,१२,३।११,१४.२८,५५,८३,१०१,१०६, बहल (बहल) ज ३११०६ १०६,११४,११५,११६,१२०.१३० से १३२, बहलतर (बहलतर) प ११४८१३० से ३३ १३४,१५०,१६१,१६६४।२४:५७.१० बहलिय (बहलीक) ११८६ बहुआउपज्जव (वह वायुःपर्यव) ज १।२२,२७,५० बहली (बहली) ज ३१११ बहुउच्चत्तपज्जव (बहुच्चत्वपर्यव) ज ११२२,२७,५० बहव (बहु) ज १।१३,३१,२७,१०,२०,६५,१०१, बहुम (बहुक) प २।४६,५०,५२,५३,५५,६३ १०२,१०४,१०६,११४ से ११६,१२०,३।१०, बहुजण (बहुजन) ज ३।१०३ ८६,१०३,१७८,१८५,२०६,२१०,४१२२,८३, बहुणाय (बहुज्ञात) उ ३३१०१ ६७,११३,१३७,१६६,२०३,२६६,२७६,५।२६, बहुतराग (बहुत रक) प १७।१०८ से १११ ७२ से ३४ म् १८।२३ उ ३१४८ से ५०,५५, बहुतराय (बहुतरक) प १७.२,२५ ६२,१२३ , ५।१७ बहुपडिपुण्ण (बहुप्रतिपूर्ण) ज २१८८, ३१२२५ बहस्सइ (बृहस्पति) सु २०१८,२०।८।४ उ १३४,४०,४३,५३,७४,७८,२।१२:५।२८, बहस्सइदेवया (बृहस्पतिदेवता) १०८३ ३६,४१ बहस्सति (बृहस्पति) प २।४८ बहुपदिय (बहुपठित) उ ३३१०१ बहस्सतिमहग्गह (बृहस्पतिमहाग्रह) सू १०।१२६ बहुपरियार (बहुपरिचार) उ ३१६६,१५६५१२६ बहिं (बहिर) प २।४८ बहुपरिवार (बहुपरिवार) उ ३.१३२ बहिता (बहिस्तात्,बहिम्) सू १६१२२।२७ बहुपुत्तिय (बहुपुत्रिक) उ ३६०,१२० बहिया (बहि-तात,बहिस्) ज ११३ २१७१७।५८ वहुपुत्तिया (बहुपुत्रिका) उ ३१२११,६०,६२,६४, सू १।२६।१.३,१९४२२२१ उ २२; ३१२६, १२०,१२५,४१५ ४६,४८.५०.५५,१४५, ५१५,३३ बहुप्पयार (बहुप्रकार) ज २।१३१ बहु (बहु) प १।४८॥५४, २१२० से २७,३० से ३५, बहुबीयग (बहुबीजक) प ११३४,३६ ३७ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ५५,५८ से बहुबीया (बहुबीजक) प १३६ Page #310 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बहुमज्झदेसभाग-बारवती बहमनदेसभाग (बहुमध्यदेशभाग) ज ११३७, ११७,११८,१३१,१६६,१७०,१७९,२३४,२४० ४१३५ सू १६६१६ से २४२,२४७,२४८,२५०:५१३२,३५ र २११ बहुमज्झदेसभाय (बहुमध्यदेशभाग) ज १२१०,१६, १३;१८.१,२०१७ ४०,४२,४३,३११,६७,१६१,१६३,१६४,१६७; बहुस्सुय (बहुश्रुत) उ ३६६,१५६,५१२६ ४।३,६,६,१२,३१,३३,४१,४७,४६,५७,५६, बाउच्चा (वाकुची) प १।३७१२ ६४,६८,७०,७६,८४,८८.६३,६८,११२,११८, बाण (वाण) ५११३८१२ वाण का फल ११६,१३६,१४१,१४३,१४५ से १४७,१५६, बाणउति (द्वानवति) म १११६१:१६११५१ १६८,१७७,२०७,२०८,२१३,२१८,२२१,२४२, बाणउय (द्वानवति) ज ११४८ २४८,२५०,२५२,२६६,२७२,५११३ बाणकुसुम (वाणकुसुम) प १७११२४ बहुमय (बहुमत) उ ३११२८ बाताल (द्वि चत्वारिंशत्) गु १३३१ बाय (बहक) प११४७१३,११४८।५४,३।३८ से १२०। बातालीस (द्विचत्वारिंशत) ग १६१:२११२ १२२ से १२४,१७४,१७६ से १८२,६१२३; बादर (बादर) प २.१,२,४,५.७,८,१०,११.१३, ८.५.७,६,११,९।१२,१६,२५,१०।३ से ५,२६ १४; ३७२ से १५,१११,१८३,४६२ से ६४, से २६१११७६,६०१५।१३,१६.२६,२८,३१, ६६,७०,७६.७७,८५ ८७,६२ से १४,६८३, ३३,६४,१७।५६ से ६६,७१ से ७६.७८ से १०२, १११६४१८१४१ से ४४,४६,४७,४६, ८३,१०६,१०७,१४४ से १४६,२०६४; ५०,५४,११७, २११४,५,२५.४०,४१ ५०; २१।१०४,१०५:२८:४१,४४,७०,३४१२५; २८।१४,१५,६०,६१ सू २०११ ३६।३५ से ४१,४८,४६ सू १८१३७ बादरआउक्काइय (बादरअप्कायिक) पश२१,२३ बहुल (बहुल) प २१४१ ज २।१२,६४,६५,७१, बादरकाय (बादरकाय) प ११२०१२ ८८,१३३,१३४,१३८,४।२७७,७।१२६ बादरणाम (बादरनामन्) प २३१३८,११६ बहुलपक्ख (बहुलपक्ष) ज ७११५,१२५ सू २०१३ बादरतेउक्काइय (बादरतेजस्कायिक) प १।२४,२६ बहुवत्तव (बहुवक्ता) प १३१४ बादरवणस्सइकाइय (बादरवनस्पतिकायिक) बह्वयण (बहुवचन) प ११५९६ प११३०,३२,३३,४७,४८ बहुविह (बहुविध) प २०६४।१७,१७३१३६ बादरवाउकाइय (बादरवायुकायिक) प ११२७,२६ ज ३१६,२२२ बादरसंपराय (बादरसंपराय) प १।११४ बहुसंघयण (बहुसंहनन) ज १२२२,२७,५० बायर (वादर) प ६१०२११।६५,६६।१,१८१५२; बहुसंठाण (बहुसंस्थान) ज श२२,२७,५० बहुसच्च (बहुसत्य) ज ७१२२।१ मू १०1८४१ २१।२३,२४,२६,२७ ज ७१४३ बायरसंपराय (बादरसम्पराय) ५११११२:२३३१६२ बहुसम (बहुसम) प २।४८ से ५१,६३,३३३६; १७११०७,१०६,१११ ज १११३,२१,२५,२६, बस्याल (द्वि चरिशत्) ज ४।८६,१०८ सू ३.१ बायालीस (द्विचत्वारिंशत् ) प २१६४ ज २६ २८,२६,३२,३३,३६,३७,३६,४०,४२,४६% २१७,१०,३८,५२,५६,५७,१२२,१२७,१४७, सू ३.१ उ ५ बायालीसदिह (द्विचत्वारिंशतविध) प २३।३८ १५०,१५६,१५६.१६१,१६४,३१८१,१६२, १६३,१६६,१६७,४२,३,८,६,११,१२,१६, बार (दादा) प १०।१४१३ ३२,४६,४७,४६,५०,५६,५८,५६,६३,६६,७०, बारबई (द्वारवती) उ ५।४,५,६,११,१६,३०,३३ ८२,८७,८८,१००,१०४,१०६,१११,११२, बारवती (द्वारवती) प ११६३.३ Page #311 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बारस-बिइय बारस (द्वादशन् ) प ११७४ ज ११८ सू ३११ २४८,२५७,२५८,२५६,५१३५७७.६६,९० उ ५२४५ १७७।१,२,३ सू ११२६,२७:१८११,६ से १३ बारस (द्वादश) ज ७३११४।२ र १०1१२४१२ बाहा (बाहु) ज ११२३,४८,२११५,३।६६ से १०१, बारसग (द्वादशक) प २३२६८,१४०,१८३,१८४ ४।१,२६,५५,६२,८१,८६,६८,११५,१७२; बारसम (द्वादश) प १०११४.२ मू १०७७; ५।१४,१७,७१३१,३३,१६८११,१७८ सू ४।३, १२।१७,१३८ ४,६,७ उ ३३५० बाहाओ (बाहुतस्) सू४१३,४,६,७ बारसविह (द्वादशविध) प१:१३५, २११५५ बाहि (बहिस्) प २२० से २७,३० से ३६,४१ बारसाह (द्वादशाह) उ ११६३, ३३१२६ से ४३,३३२७ से २६ ज १२१२,३१,४।४६, बारसी (द्वादशी) ज७१२५ ११४,२३४,२४०,७१३१,३३,१६८।१सू ४१३, बाल (बाल) ज २१६५,३१२४,७।१७८ ४,६,७:१६।२२११५,१६ बालग (बालक) ज ११३७ बालचंद (बालचन्द्र) उ ३।२४ बाहिर (बाह्य) १ ११४८१४५; १।१०११६; बालदिवागर (वालदिवाकर) प १७४१२६ १५।५५३३।११ ज २२१२,४७.२१:५।३६% बालभाव (बालभाव) उ ३।१२७,१२८, ५१४३ ७।१० से १३.१६,१८.१६,२२,२५.२७ से बालब (बालक) ज २११३८,७।१२३ से १२६ ३०,३५,५५,५८,६६ से ७२,७५,७७,७८,८१, बालिदगोव (बालेन्द्रगोप) प १७:१२६ से ८४,६६,१२६।१,१७५ सु ११११,१२,१४, बालुया (वालुका) ज ४.१३ १६,१७,२१,२२.२४,२७ से ३१,२३३१२, बावट्ठ (द्वाषष्टि) ज ४१४७ ४।६; ६१,६१,२,१०७५;१३।१३ से १६; बावछि (द्विषष्टि) प २१४६७ सू १०।१३७ १६॥२२११२; १६२३,२६,२०१७ बावण्ण (द्विपञ्चाशत् ) ज १।१७ सू १।२१ बाहिरओ (बाह्यतस ) ज ३१२४११,१३१११; बावत्तर (द्वासप्तति) ज ४११० ७।१२६ बावत्तरि (द्वासप्तति) ५।३० ज २०६४ सू २।३; बाहिरपुक्खरद्ध (बाह्यपुष्करार्द्ध) सू १९१६ १६११:२११३ बाहिरय (बाहिरक, वाह्यक) । १।७५.८०,८१ बावीस (द्वाविंशति) प ४.१६ ज २१८१ च १४ ज ७५,१७,६४,७६,८८ २ १।१२ बाहिरिया (बाहिरिका) ज ३१५,७,१२,१७,२१, बावीसइम (द्वाविंशतितम) प १०३१४१५ २८,३४,४१,४६,५८,६६.७४,७७,१३५,१४७, बावीसग (द्वाविंशतितम) प १०।१४।४ १५१,१७७,१८४,१८८,२१६:४।१६;७।३१, बासीत (द्वयशीति) सु१।१२ ३३ सू ४३,४,६,७ उ १११६,४१,४२,१२४, ४.१२,५।१६ बाहल्ल (वाहल्य) प १७४;२।२१ से २७,३० से ३६,४१ से ४३,४६,४८,६४,१५,११,१५७, बाहिरिल्ल (बाह्य) प २१११० सू१८७ २२.३०,२११८४,८६,८७,६० से ६३,३६.५६, बाहु (बाहु) ज ३।१२७,५१५ ६६.७०,७४ ज ११४३:२।१४१ से १४५; वि (द्वितीय) प १०।१४।४ से ६ सू॥२६ ४६,७,१२,१४,१५,२४,३६,६६,७४,६१, बि (द्वि) ज ४।६३,६५१४ सू १२६ ११४,११८,१२३,१२४,१२६ से १२८,१३२, बिइंदिय (द्वीन्द्रिय) प १७।६६ १३६,१४०,१४३,१४५,१४७.२१७,२४५, बिइय (द्वितीय) प २१३१,३६।८५ ज ३१३; सू १६ Page #312 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६६८ बिइया-वेइंदिय ७१०७ उ २१२२,३१६४ बीयय (वीजक) प १३८१ बिजौरानीवु बिइया (द्विनीया) ज ७४११७,१२५ सू १०११४८, बीयरुइ (दीजरुचि) १ १११०१११,७ १५० बीयरुह (जीजरुह) प १।४८१३ बिइयादिवस (द्विनी दिवस) ज ७११६ बीय (वासा) (बीज र्षा) ज ५१५७ विदु (विन्दु) प ११०१७,१२६,२१२४ बीविटिय (वीजतन्तक) प ११५० ___ ज ३।१०६;७१३३।२ बीयाहार (वीजाहार) 3 ३५० बिंब (विम्ब) प २१३१,३२ बुक्कार (दे०) वुक्का ति ज ५।५७ बिबफल (बिम्बफल) प २।३१ ज ३१३५ बुज्झ (बुध) बुज्झइ प ३६८८ बुज्झति बिहणिज्ज (बंदणीय) ज २०१८ ६.११० ज ११२२,५०, २०५८,१२३,१२८% बिगुण (द्विगुण) ज २।४ । ४११०१ युज्झति प ३६१६१ बिडाल (विडाल) प ११६६ ज २६३६ बुज्झिहिइ उ १११४१,३८६,५१४३ बितिय (द्वितीय) १११४२,८८,१२११२,३८% बुझिहिति ज २१५१,१५७ बुज्झज्जा २२१३३,४१,३६१८७ ज ३१६५, ४११४२२३ प २०।१७,१८,२६,३४ सू १०७२,७७,८५,८७,१३।१,८,१४१३,७ बुज्झित्ता (बुवा) उ ५१४३ उ १२६३ बुद्ध (बुद्ध) प २६४।२१ ज २१८८,८६,३३२२५; बितियादिवस (द्वितीनदिवस) मू १०८५ ५।५,२१,४६,५८ बितियाराति (द्वितीयरात्रि) सू १०१८७ बुद्धंत (बुध्नान्स) सू २०१२ बिब्बोयण (दे०) ज ४।१३ बुद्धबोहिय (बुद्धबोधित) प १३१०५,१०७,१०८, बिभेलय (विभीनक) पश३५२ १२० बिराल (विंडल) ज २११३६ बुद्धबोहियसिद्ध (बुद्ध बोधितसिद्ध ) प १११२ बिल (विल) प २१४,१३,१६ से १६,२८ बुद्धि (बुद्धि) ज ३१३,३२,४१२६६।१३ ४।२।१ ज २१३४,१४६ बुध (बुध) सू २०१६ बिलतिया (क्लिपडितका) प २४,१३,१६ से। ‘बुय (ब्रू) वुयापि प ११।११,१६ १६,२८ ज ४१६०,११३ बुयमाण (ब्रुवाण) प १११११.१६ चिलवासि (विलवासिन्) ज २१३३ उ ३.५० बुह (बुध) प २१४८ सू २०।८।४ बिल्ल (बिल्ब) प ११३६११,१६५५१७१३२ ब (ब) वेमि सू १०।१७३ उ १६१४२२।१४; गु१०।१२० ३।१६२४४ बिल्लाराम (दे०) उ ३।४८,५५ बूर (दे०) २०१७ बिल्ली (चिल्ली) प ११३७१२ एकसण, वथुया बे (द्वि) प १२।३७ सू १३१६ बिल्ली (विल्पी) प११४४।१ बेइंदिय (द्वीन्द्रिय) प ११४६; २।१६:३७,४० से बीभच्छ (शीभत्स) उ ३।१३० ४२,४५,४६,१४४,१४५,१८३,४।६५ से १५ बीय (बीज) ११४५।२,११४८।१६,२६,५१,६३ ; ५१३,१६,२०,६७,६८,७०,७१,७३,७४,७८% ३६१६४ ज२।१०,१३३,३२१६७।३ उ ३१५१, ६।२०,५४,६४,७१,८३,८६,१०२.१०४,११५; ९।४,२२,१११४५:१२।२७,१३।१७.१५।३० से बीय (द्वितीय) प १२।१२ भु १०७७ ३३,७५,८०,८६,१३७:१६।६,१३,१७१८०,६२, Page #313 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बेइंदियत्त-भंत ९९९ १०३,१८१५,२१,१६।३;२०१८,२३,२८,३२, ४७:२११६,२८,४२,८६.८८,२२१३१:२३१८६, १५१,१५५ से १५७,१६३,१६,१६७.१७५ २८१३७ से ४०,४२,१००,१०३.११६,१२५, १३६,२६१११ से १३,२१,३०११० से १२, २०,२१:३१॥३:३६१३६,६२ बेइंदियत्त (द्वीन्द्रित्व) प १५१९७,१४२ बॅटट्ठाइ (वृन्तस्थायिन् ) ज ५७ बॅदिय (द्वीन्द्रिय) प १११४,४६,३१४२,४५,४६, १४६,५१५७,६।७१ बेतेयालसतविह (द्वित्रिचत्वारिंशत्शत विध) प १७:१३६ बेयाहिय (दव्याहिक) ज २१४३ बेहिय (दू याहिक) ज २६ बोंडइ (दे०) प ११३७११ बौदि (दे०) प २१३०,३१,४१,४६,६४।२,३ ज ५११८ बोद्धव्व (बोद्धव्य) प १०।१४।२,३४११०२ ज ४।१५६६१,१६२।१,२०४:१,२१०।१; ७।११७।२,१२०।१,१३२।१,१६७।१, १७७३१,२,१८६।४ १०८६,८८,२०1८1८ उ १११७, ३।२।१,४१२६१ बोधव (बोद्धव्य) प १।२०।४,३३३१,३५।२, ३६१२,३७४३,४२१२,४३१२,४८१८,४०, ११८१।१; २१६४।६,७,६१८०१२,१०५३।१; ११३७।२,१७१।१२८।१११ २०१८1७ बोर (बदर) प १६१५५,१७:१३२ बोल (दे०) प २४१ ज २१४२,६५,३।२२,३६, ७८,६३,६६,१०६,१६३,१८०५।२६,७१५५, १७८ सू १६२३ उ १११३८ बोहग (बोधक) ज ५१५,४६ बोहय (बोधक) ज ३।१८८,५।२१ बोहि (बोधि) प २०११७,१८,२६,३४ बोहिदय (बोधिदय) ज ५१२१ बोहिय (बोधित) ज २६१५३१३ भइज्ज (भज) भइज्जति प २०७४ भइन्जति प २२४७३ भइत्ता (भक्त्वा ) सू१।१० से १२ भइत्त (भक्त) प २०६४।१६ भंग (भङ्ग) प ११४८1१० से २०१०१६ से १; १४।२१६१६१०,१५,२१:२२।२५,८४,८६; २४१५,८,१२,२६।४,६,६,१०,२८६११८ भंगुर (भङगुर) ज २१५ भंगी (भृङ्गी) १४८१५,१७।१३१ भंगी (भनी) प १९३५ भंगीरय (भृङ्गिरजम् ) प १७।१३१ भंड (भाण्ड) ज ३।७२,१५०,४।१०७.१४० सू २०१४ उ ११६३,१०५,१०६,११६:३१५०, ५५,६३,७०,७३,१२८ भंडग (भाण्डक) उ ३१५०,५५ भंडवेयालिय (भाण्डवैचारिक) प १११६ भंडार (भाण्डकार) प १९७ भंडी (भण्डी) प १३७।५ शिरीष का पेड़ भंत (भदन्त) प ११७४,८४,२११ से ३६,४१ से ४३,४६,४८ से ६४३।३८ से १२०,१२२ से १२४,१७४,१७६ से १८३,४।१ से ४६,५२, ५६ से ५८,६५,७२,७६,८८,६५,६८,१०१, १०४,११३,१३१,१४०,१४६,१५८,१६५, १६८ से १७१,१७४,१७७,१७८,१८०,१८१, १०३,२०७,२१०,२१३,२६४,२९७५१ से ७,६ से १२,१४,१६ से १८,२०,२३,२४,२७ से ३४,३६,३७,४०,४१,४४,४५.४८,४६,५२, ५३,५५,५६,५८,५६.६२,६३,६७,६८,७०,७१, ७७,७८,८२,८३,८५,८६,८८,८६,६२,६३, ६६,६७,१००,१०१.१०३,१०४,१०६,१०७, ११०,१११,११४,११५,११८,११६,१२३ से १२६,१३१,१३४,१३६,१३८,१४०,१४३, १४५,१४७,१५०,१५३,१५४,१५६,१५७, १६२,१६३,१६५,१६६,१६८,१६६,१७१, Page #314 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 000 १७३.१००, १९२, ११६, ११६,२०२, २०३, २१०,२१७,२२७,२२६,२३१,२३२,२३६, २३८,२४१३६।१ से २३,२७,४३ से ४५, ४७ से ५५,५७,५८,६० से ६४,६७,६८,७०,७५, ७८,८०८२,८७,६०,६३,१४,६६,६६, १०१.१०३,१०४, ११०,११४ से ११६,११८ से १२१,१२३७३१ से ४,६ से ३००१ से ११:२१ से ४६ से १६,१६ से २१,२५,२६० १०।१ से १३,१५ से २४,२६ से ५३; ११ १ से ४४,४६ से ४८,६१ से ७३,७६ से ९०; १२।१ से ५,७ से १२,१५,१६,२०,२१, २३,२७,३१ से ३३:१३।१ से ३१; १४०१ से ३,५,७,६,११ से १५,१७३१५१ से ३,७,८,११ से २८, ३० से ३३,३६ से ४१.४३ से ५४,५६ से ७४,७६ से ८०,८३,८४,८६, ६१,६४ से ६७,१००,१०३ से १०६,१०६, ११४,११५, ११७.११० से १२०,१२३,१२६, १२६,१३२ से १३५, १४०, १४१; १६।१ से ३,१० से १३,१५,१७.१२ से २११७।१ से ६८ से १६,१६ से २१,२४,२८,२९,२३,३६ से ४०,५१,५६ से ६६७१ से ७६७५ से ७ ६० से ६२,६४,६५,६६ से १०४,१०६ से ११६.११० से १२०,१२२ से १३०,१३५ से १३७,१३ से १५२.१५४ से १५७,१५९ से १६१, १६६, १६७,१६९ से १७२१८११ से १०, १२ से ३७, ३६, ४१ से ४७,४६ से ५१, ५४ से २,६४ से १०,१३ से १११,११३. ११४,११६ से १२०,१२२.१२३.१२५ से १२७ १९०१ २०११ से ३,६.७६ से १५.१७ से २५,२७ से २९.३२ से ३४,३५ से ४०, ४५.४६ से ५१,६१ से ६४; २११ से १५, १६ से २५,२८ से ३२.३६,३८,४० से ४२, ४८, ४९, ५६ से ६६.६६ से ८१, ८३ से १६,१० मे १०१.१०३ से १०५ २२११ से ११,२१ से २३,२६,२७,२६,३०, ३२ से ५०,५२ से ६६,७६ से ७६,८१ से अंत ८४,८६,७,८ से ६४,६७ से ६६,१०१; २३१ से ७,९,११,१३ से ४०, ५७ से १२, ८१,१०,१३४,१३५,१३७ से १४०,१५४, १५५,१५७, ११०,१६१, १६४, १६७,१७१. १७६,१७७,१११ से १६६,१६८ से २०१ २४१ से ५,६,११,१२,१४:२५ १,२, ४,५२६११ से ४,८,१२७१ से ३,६ २८११,३ से ५,११ से १६,२१ से २५,२८ से ३१,३३ से ४२,४४,४५, ४८ से ५०, ५१,५७ से ६०,६२ से ६४,६७ से ७१, १८,१०२,१०४,१०६ से १०८,१११ से १२०, १२२,१२३.१२५, १२७,१२८,१३२/ २९।१ से ३५ से ७,६,१०,१२,१३,१६ से १६,३०२१ से ३,५ से ११.१३, १५ से १७, १९,२१.२५ से २०३११:३२१,२,४३३१ से ३,५,६,१२ से १८,२०,२२,१५०१,२,४ से १३.१६ से १८,२०,२३,३६११ से २२,३० से ४२,५३,५४,५८ से ६७,७०,७१,७२ से ८८,६२,६४ ज १७, १५ से १८,२० से २३, २६,२७,२६,३३ से ३५,४१,४५ से ५१:२११, ४,७, १४, १५, १७,४३,५२,५६,५७,५८,१२२. १२३,१२७,१२८,१३१ से १३७,१३९, १४७, १४८, १२०, १५१,१५६, १५७, १६१,१६४, ३।१,६८४।१,२२,३४,४४,४५,४८,५१, ५२, ५४. ५५,५६,५७,६०,६२,७६ से ८२,८४ से ८६,९६ से ९८५१०० से १०३,१०६ से ११०, ११३,११४,१४१,१४३.१५९ से १६७, १६६ से १७८,१५० से १५२,१०४, १०५, १८७, १८८११० से ११४,११६, १६७,१६६ से २०३,२०५ से २०६,२११ से २१५,२२५, २२६,२३४,२३६,२३७,२३२ से २४१,२४४, २४५, २४६, २५१ से २५५, २५७, २६० से २७७६४१,२,४,७ से २६७१ ४०, ५०, ५२७३७६.७८ से १०७,१११ से १४५. १४७ से १५१.१५४ से १६७१६९ से १७८, १८० से १५५, १८७, १६७ से १९६,२०१ से Page #315 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अंतसंभंत-भद्द २१३ उ ११४,६,८,२१,२४,२५,१४१,१४३; भट्टिदारय (भर्तदारक) ५ १११५,२० २।१,३,१३,१५,३।१,३,८,१६,१८,२०२३, भट्ठरय (भ्रष्ट रजस्) ज ५१७ २६,३० से ३२,३५ से ४१,४४,८६,८८,६३, भट्ठि (दे०) ज २६१३१ ६४,१२३ से १२५,१५२,१५४.१६४,१६५, भड (भट) ज ३१७,२१,२२,३६,७८,१७७ १६७,४१,३,१४,२६,५१,३,२०,२२,२३, भडग (भटक) प १६ ३२,४०,४३ भिण (भण्) भणइ उ ३१६६ भणंति प १७८९ भंतसंभंत (भ्रान्तसम्भ्रान्त) ज ५।५७ मणित (भणित) प ११४८१६,४७,श६३।६, २१४०%; मंभा (दे०) ज ३१३१ ३॥१८२, ५१२४४;६।५६,६६,८३,८६,६२, भंभाभूय (भंभाभूत)ज २१३१,१३६ १००१५५५, २१७७ सू १०.१४८, २०१७ मक्खेय (भक्ष्य) उ ३३३७ से ४२ मणितम्व (भणितव्य) सू ८१११०१४८,१५०%; मग (भग) ज ७।१३०,१३३,१८६।४ सू १०६३५ १५ भगंदर (भगंदर) ज २१४३ मणिय (भणित) प ११४८१५२:२।२७१३,४७; भगदेवया (भगदेवता) सू १०८३ ६४।४६.८,५१५२,११५८०१२।१३,१५, भगव (भगवत्) प ११॥३,३६८१ ज ११५,६; २१,१५।१८,३०,१४०,१६३१८,१७७,६७; २१६८,७०,७२,९०,६३,६५,६६,१०१ से । २०१२६,३५,२११७६,६४:२२।५४:२३११००, १०३,११३,११४; ५५३,५,७ से १४,२१,२२, १०८,१५६,१७६,१८१,१८५,१६०२४१८,६; २६,४४,४६,५८.६०,६२,६४,६७ से ७०,७२ २९१५,३६।२०,२४,४६ ज २०४१३,२११५; से ७४७।२१४ च १० सू ११५ २०६६ ३।१०६,१३८,१६७।३,४,४१२०० चं ४।३ उ १२,४ से ८,१६,१७,१६ से २६,१४२, सू१८१३,१०।१५०,१६।२२।१,२। १४३;२।१ से ३,१० से १२,१४,१५,२१,३३१ भिण्ण (भण्) भण्णइ प ५२२६ ज ७।१४६ से ३,७,८,१६,२०,२२,२३,२६,८७,५८,६०, भण्णति प ५।२०५ भण्णाति प ५।२०५,२११; ६३,१५३,१५४,१५६,१६१,१६६,१६७,१७०%; ३६६८ ४।१ से ३,२७; ५।१ से ३,४४ भत (भक्त) ज २२६५,७१,८८,३२२५ उ २।१२; भगवंत (भगवत् ) प २।६४ ज २१६६.७१,८३ ३.१४,१२०,१५०,१६१,१६६५२८,३६,४१, ५१.२१ उ १.१७ भत्तपाण (भक्तपान) ज ३१०३,२२४ भगवती (भगवती) सू २०६१ भगसंठिय (भगसंस्थित) सू १०३५ भत्तसाला (भक्तशाला) ज ३1३२ भत्ति (भक्ति) ज ३।१६७/६ भगिणी (भगिनी) ज २।२७,६६ भत्तिचित्त (भक्तिचित्र) प २।४८ ज ११३७, भग्ग (भग्न) ५११४८१० से २६ उ ३६१३१,१३४ भग्गवेस (भार्ग वेश) ज ७१३२।२ सू १०११०० २।१०१,३।३६,१२,५६.८८,१०६,११७, भज्जमाण (भज्यमान) प ११४८।३८ १४५,२२२,४१२७,४६५१६,२८,३२,३४, मज्जा (भार्या) ज २१२७,६६ उ १११२,१४५; ५६ सू१८१८१६२२।१,२ २१५,१७ भत्तिय' (दे०) प १।४२११ भज्जिय (भजित) उ ११३४,४६,७४ भद्द (भद्र) प २१३१ ज २१६४८१:३१३,१२,५६, भट्टित्त (भर्तृत्व) प २१३०,३१,४१,४६ ज ११४५; ८८,११७,१३८,१८५,२०६४।४६,५।२८; ३।१८५,२०६,२२१; ५।१६ उ ५।१० १. वनस्पति कोष में भूतीक शब्द मिलता है। Page #316 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००२ ७१११८ उ २१२; ३१६६ से १८,१००,१०१ ७५,८३,१००,१२०,१३१ से १३४१८१७ १०६ से ११२ भरह (भरत) प १३८८,१६।३०,१७११६० भङ्ग (भद्रक) ज २०१६ ज १११८ से २०,२३,४६,४७,५१, २७ से भद्दमुत्था (भद्रमुस्ता) ज १:४८६६ १५,२१ मे ४५,५०,५२,५६,५७,५८,६०,१२२, भद्दय (भद्रक) ज ३।१०६ उ ५१४०,४१ १२३,१२७,१२८,१३१,१३२,१३३,१३६, भद्दवत (भाद्रपद) सू१०।१२४ १४१ से १४७,१५०,१५६,१५७,१५६,१६१, भद्दवय (भाद्रपद) ज ७१०४,११३११,११४ १६४,३।१ से १३,१५,१७,१६ से २३, सू १०।१२६ उ ३१४० २५ मे ३४,३६ से ४२,४४ से ५०,५२ से ५६, भट्टसालवण (भद्रशालवन) ज ४१६४,२१४,२१५, ६१ से ६७,६६,७७,८३,८४,६० से १४,६६, २१६,२२०,२२१,२२५,२२६,२३४,२६२ ६६,१००,१०१,१०३,१०६ से १०६,११५ से भद्दसेण (भद्रसेन ) ज ५१५२ १२६,१३१ से १३५।१,१३७,१३८,१३६,१४१ भद्दा (भद्रा) ज ५।१०।१५।६८,७।११८ सू १०२, से १४८,१५० से १५४,१५७,१५८.१६०, १६३ से १७०,१७३.१७५,१७७.१७८,१७६, भद्दासण (भद्रासन) ज ३१३,५६,१७८,४/२८, १८१ से १६२,१६८,१६६,२०१,२०२,२०४ ११२:५।३६,४२ से २२६,४।१,४८,५३,१०२,१७२,१७४,१७७, भद्दिलपुर (भद्दिलपुर) प ११६३३३ २७७,५१५५,६७,६,१२,१६ भमंत (भ्रमत, भ्रम्यत्) ज ४।३,२५ भरहकूड (भरतकूट) ज ४।४४,४८ भमर (भ्रमर) प ११५१,१७४१२३ ज २।१२;३१२४ भरहवास (भरतवर्ष) ज २।१५,४।३५ भमराक्ली (भमरावली) ११७११२३ भरहवासपढमवति (भरतवर्षप्रथमपति) भमास (दे०) ५११४१११,११४८।४६ ज ३११२६१२ भय (भय) ५ ११११,२१२० से २७:१११३४।१; भरहाहिब (भरताधिप) ज ३।१८,८१,६३,१२१११, २३१३६,७७,१४५ ज २१६६,७०,३१६२,१११, १३५॥२,१६७।१४,१८०,२२१ ११६,१२१११,१२५,१२७ उ १८६३।११२, भरिय (भत) ज २६३३१७८ १५६४।१६ भरिलो (भरिली) प ११५१ भयंकर (भयङ्कर) ज २१३१ भरु (भरु) प १८६ भयग (भूतक) ज २।२६ भरेत्ता (भृत्वा) उ ३३५१ भयणा (भजना) प ११४८५० भल्लाय (भल्लात) प ११३५१२ भणिस्सिया (भयनिश्रिता) प १११३४ भल्ली (भल्ली) ५११४०१४ भयभेरव (भयभैरव) ज २६४ भव (भव) प २१६४।५,६; ३१११२१०१५३११; भयव (भगवत्) प १।१।२ ज २१६०,५१३,१४, १८।११२,१८१६५; २३।१३ से २३ ज ३।२४, १६,१७,२१,६६ भयसण्णा (भयसंज्ञा) प ८.१,२,४,५,७,६,११ भव (भवत्) ३ ३.४३ भिर (भृ) भरेइ उ ३१५१ भिव (भू) भवइ ज ११४.४% २१६६ सू १:१३ भरणी (भरणी) ज ७१११३११,१२८,१२६,१३४१२, उ ११२० भदउ ज २१६४,१५७ भवंति १३५१२,१३६,१४०,१४४,१४६,१५६, प११४६ से ५१,६०,८०,८१,५१४३:१६११५; १७५ सू१०११ से६,११,२३,३५,६२,६६, २११८४:२३११५२,३६।२०,८२,६३ Page #317 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 'भवंत-भाणितव्य '००३ ज ४.१५१११ सू ३११ उ १५१४१,३।५० भवधारणिज्ज (भवधारणीय) प १५१८,१६; भवति ५१४।५ २८,३२,६६,६४७१३; • २११५८,५६,६१,६२.६५ से ६७,७०,७१ १५५८११,३६।११ ज ११२६ सू श१३ भवपच्चइय (मवप्रत्ययिक) ३३१ भवतु ज २१६४ भवह उ १६४२ भविस्सइ भवसिद्धिय (भवसिद्धिक) प ३११३,१८३; ज ११४७,१२७, २०७१,१३१ उ ११४१,५१४३ १८/१२२,२८।१११,११२ भविरसंति ज २११३३ भवे प ११४८३० से भवित्ता (भूत्वा) प २०११७ ज २१६५ उ ३.१३ ३८ ज २१६ सू १६११:५१३,१५.१,४, ४११४:५॥३२ १६॥२२॥१३,१५,२११४,५ भवेज्जा उ ३.८१ भविय (भविक) प ११२,२८1१०६।१ भवंत (भवत् ) ज ३१२४६१,२,१३१३१,२ भविय (भव्य) ज ५।५८ उ ३१४३,४४ भवक्खय (भवक्षय) प २१६४।१० उ ३३१८,१२५, भवोवग्गह (भवोपग्रह) प ३६१८३११ १५२,४।२६:५।३०,४३ भवोववायगति (भवोपघातगति) प १६१२४,३१, भवचरिम (भवचरम) प १०॥३६,३७ ३२ भवण (भवन) प २।१,४,१०,१३,३० से ४०, भन्द (भव्य) प १६१५५; १७१३२ कमरख, ४०३,४,२१४२,४३,१११२५ ज १।३१,५१; करेला २।१५,२०,६५,१२०, ३१३,२५,२६,३२१२, भवपुरा (भव्यपुरा) ज ३११६७७ ३८,३६,४६,४७,५१,५२,१०३,१४०,१४१, भसोल (दे०) ज ५१५७ १८३,१८६,२०४:४।६,१०,११,३३,४१,७०, भाइणज्ज (भागिनेय) उ ३३१२८ ६०,६३,१४७,१५३,१५६,१७४,१८२,२३८, भाइयत्व (भेतव्य) ज ५१५,७ से १०,१२,१३,४६ २४३,५१,५ से ७,१७,४४,६७,७० उश३३ भाइल्लय (दे०) ज २२२६ भवणपति (भवनपति) ज ३.१८६,२०४ भाग (भाग) प २११०,११:२३।१६०,१६४,१६७,. भवणपत्थड (भवन प्रस्तट) प २११ १७५, २८५४०,४३,६६ ज २१६४ च ५११ सू१११६,२४.२६,२७,२६,३०२।१३,३३२ भवणवइ (भवनपति) प १६।२६,२०१५४ ज २६५, ४१४,५,७,१०,६.१,६।३:१०।२,१३३,१३५, ९६ १०० से १०२,१०४,१०६,११०,११३ से १३८ से १४२,१४४ से १६३,१११२ से ६; ११६,१२०४।२४८,२५०,२५१:५१४७,५६, १२।२,३.६ से ६,१२.१३,१६ से २८,३०; ६७,७२ से ७४ १३.१,३,४,७ से १२,१४ से १७१४१३,७; भवणवति (भवनपति) प६१०६,३४११६,१८ १५।२ से २०,२२ से २६३१,३२,३४,१८१६, भवणवासि (भवनवासिन्) प १।१३०,१३१,२१३०, १०,२५,२६,१६॥२२॥१६,२०१३ ३०११,२।३२, ३।२६,१३३,१८३,४।३१ से भागसय (भागशत) ज ७८१,८४,६८,६६,१०० ३३,६५८५१७।५१,७४,७६,७७,८१,८३; भागसहस्स (भागसहस्र) ज ७१८१,६५,६६ २०१६१:२११५५,६१,७० ज २१६४; ५।५२ भाणितब्व (भणितव्य) प २।३२,४०,४२,५०; सू२०१७ ३.१८२,४।६८,५१२२.३६,४३,६१,७६,६६, भवणवासिणी (भवनवासिनी) १३.१३४,१८३; १०६,११७,१२२.१५२,२०६,२२६,२४४; ४१३४ से ३६:१७५.१,७५,७६,८२,८३ ६:४६,५६.६६,८१,८३,८६,८६,६२,९५, भवणावास (भवनावास) प २१३० से ३६ १००.१०२.१०३ १०७,१०८,१०११४,१६।२० भवत्थकेवलि (नवस्थकेवलिन् ) प १८१६६,१०१ सू१२१४,२२,२५ Page #318 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००४ भाणिय-भावेमाण ५१२४ भाणिय (भणित) ज ३१२४,१३१ भायण (भाजन) ज ३।३२ उ ११४६ भाणियव्य (भणितव्य) प १४३,४५,४७,६२; भारंडपक्खि (भारण्डपक्षिन) प १७८ ५।६१,११७,१२०,२०५,६६६१,१२३,६३४; भारग्गस (भाराग्रशस्) ज २११०६,११० १०१२८११:४१,४६,८३,८५,१२१८ से १३. भारद्दाय (भारद्वाज) ज ७.१३२२ सू १०।१०३ १५ से १७,२१,२५,१५।३०,५६,६२,८४, भारह (भारत) ज २३४,३५,२।१३।१३५२२ १०२,१०३,१२१,१३४,१३८,१४०।१६।१८, सू११८,१६,४१३ उ १२६,३२१२५,१५७; २१,३२,१७७,२८,२६,३३,३५,६५,७०,७७, ८६,६७,१०२,१०३,१०५,१४६,१४८,१६५, भारहग (भारतक) ज ४१२५० १६७,२०१२५,२६,२११३५,४३,७७,८०,९४; भारहय (भारतक) सू ११६ २२२०,२५,२८,३३,३५,४१,४५,५४,५८, मारियत्त (भार्यत्व) उ ३११२८ ५३,८४,८६२३३१००,१०८,१५२,१५६, भारिया (भार्या) ज २१६३ सू २०१७ उ ३६७, १६०,१६४,१६७,१७५,१७६,१६०,१६१; ११२,१२८,४१८ भाव (भाव) प १३१२,१०१॥३,४,६,२१६४।१३; ५,२८।१०,२५,५६,८७,१०२,१४५:२६।१५, १११३३।१ ज २२६६,७१ उ ३१४३,४४ ३४।२१,३६।२०,२४,२६ से ३०,३२,३४,४६, भावओ (भावनस्) प १११४८,५२,५३,५५; ४७,६५ ज १५१६,२३,२६,४४,४६,२१७, २८।५,६,६,५१,५२,५५,३५४४,५ ज २१६६ ७२,६३,३।१२६,१५५,१७१४१३,४,२५,३१, भावकेउ (भावकेतु) ज ७१८६ भावकेतु (भावकेतु) उ २०१८,२०1८18 ३६,४१,५२,५७,७०,७६,८२,८४,६०,६३, भावचरिम (भादचरम) प १०।४४,४५५३११ १०६,११०,११२,११६,११८,१२८,१६५, १७५,१७७,१८४,१६३,१६६,२०१,२०२, भावणा (भावना) ज २१७१ २०४,२०८,२१२,२१५,२१७,२२० से भावणागम' (भावनागम) ज २१७२ २२२,२२६,२३७,२४०,२४८,२४६.२६२, भावतो (भावतस्) प ११:५७,५६ २६५,२७१,५३,७,१३,३२,४६,५५,५६६५; भावरुई (भावरुचि) प ११०१११८ ६१३;७।१८६ सू ४।६१८११,१५१११; भावसच्च (भावसत्य) ज १११३३ २०१६ उ १११४७,१४८;२।२२:४१२८; भाविअप्प (भावितात्मन् ) प १५१४३ ५।१७,२५ भाविदिय (भावेन्द्रिय) प १५४५८१२,१५७६,१३३ भाणी (दे०) प ११४६,११४८१६२ से १३५,१४०,१४१,१४३ भाय (भाज) भाएंति ज ५।५७ मावित्ता (भावयित्वा) उ ३।१६१ भाय (भाग) ज ११८,४८,३११,१३५४१,४१, भाविय (भावित) प १७1८८ २३,३८,५५,६२,६५,८१,८६,९१,९८,१०३, भावियप्प (भावितात्मन्) प ३६७६ ज ७/१२२१२ १०८,११०,१४१,१६७,१७८,२००,२०५,२०७, सू१०।८४१२ २१२,२१४,२४०,७७,९,१०,१२,१३,१५, भावेमाण (भावयत्) ज १५,२१७१,८३ उ ११२, १६,१८ से २५,३१,३३,५४,६५,६६.६८,६६, ३;२११०३३१४,२६,८३,६६,१३२,१४४,१५०% ७१,७२,७६,१३४,१७७३१,२ उ १६६६,६४ ४१२४; ५२६,२८,३२,३६,४३ भाय (भ्रातृ) ज २।२७.६६ उ ११९५ १. आयारचला पञ्चदशाध्ययनानुसारी Page #319 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भावेयम्व-मुज्जो १००५ भावेयव (भावयितव्य) प २२।४५ भिगार (भृङ्गार) प११।२५ ज ३१३,११,१७८%, भास (भाष) भासइ ज ७२१४ उ ११८ ५१६,४३,५५ भासंति प ११०४३ से ४६ भासती भिगारग (भृङ्गारक) ज २११२ प१११३०११,२ भासिति प १९८ भिडिमाल (भिण्डिमाल, भिन्दिपाल) भास (भस्मन्) म २०१८,२०।८।८ ज ३।३१,१७९ भिक्खायरिया (भिक्षाचर्या) उ ३३१००,१३३ भासंत (भाषमाण) ५ १११८६ भासग (भापक) प ३३११२,१०८१११३८ से ४१% भिज्जमाण (भिद्यमान) प ११७९ १८ गा २ भिण्ण (भिन्न) प ११७२ सू २०१२ भासज्जात (भाषाजात) ५११६४२ भित्तिकडग (भित्तिकटक) ज ३१७ भासज्जाय (भाषाजात) प ११३८८,८६ भित्तुं (भेत्तुम्) ज २१६११ भासत्त (भाषात्व) १ १११४७,७० से ७२,८० से । भिभिसमाण (बाभाष्यमाण) ज ४।२७।५।२८ मिस (विस) प ११४६,११४८१४२ ज २०१७; भासमणपज्जति (भाषामनःपर्याप्ति) उ ३।१५,८४ ४१३,२५ १२१:४१२४ भिसंत (दे० भासमान) ज ३११७८७।१७९ भिसकंद (विषकंद) प १७।१३५ भासमाण (भाषमाण) प ११1८६ भिसमाण (दे०) ज ४।२७,५१२८ भासय (भाषक) प १८।१०४ भासरासि (भस्मराशि) प २१५०,५६,६० सू २०१८ भीत (भीत) प २०२० से २७ भीम (भीम) प २०२० से २७,४५,४५११ भासरासिप्पा (भस्मराशिप्रभ) प २१५४,५८ उ१११३६ भासरासिवण्णाभ (भस्मराशिवर्णाभ) सू २०१२ भीय (भीत) ज २१६०,३।१११,१२५ उ १८६; भासा (भाषा) प १३१५,१६८;२।३१; __ ३११२,४।१६ १०५३।१:१०१ से १०,२६ से ३०,३०११, मंज (भज) भंजइज ३.३ भंजए ज ४।१७७ २,१११३१ से ३७,३७।१,२,१११४३ से ४६, भुंजाहि उ ३११०७ ८२,८३,८७,८६,२८।१४२,१४४,१४५ भुंजमाण (भुजान) प २।३० से ३२,४१,४६ ज ३७७.१०६ ज ११३३,४५:२।६१,१२०, ३१८२,१७१, भासाचरिम (भाषाचरम) प १०३८,३६ १८५,१८७,२०६,२१८४११३,५५१,१६; भासारिय (भाषायं) प १६२,६८ ७।५५,५८,१८४,१५५ सू १८।२२,२३, भासासमिय (भापासमित) ज २१६८ उ ३६६ १६२६ उ ३१६०,६८,१०१,१०६,१२६ से भासुर (भानुर) प २१३०,३१,४१,४६ ज ५७.१८ १३१,१३४,५२२५ भिउडि (भृकुटि) ज ३१२६,३६,४७,१३३ vमुंजाव (भोजय) भुजावेइ उ ३१११४ उ ११२२,११५,११७,१४० भुकंड (दे०) भुकडे ति ज ३१२११ भिंग (भृङ्ग) ५ १७४१२४ भुक्खा (दे० बुभुक्षा) उ ११३५ से ३७,४० भिगनिभा (भृङ्गनिभा) ज ४२२३३१ भुजंग (भुजङ्ग) ज २११५ भिगपत्त (भृङ्गपत्र) प १७।१२४ भुज्जो (भूयस्) १६.४६,१७११५ से १२२, भिगप्पा (भृङ्गप्रभा) ज ४११५५।२ १५४,२८।२४ से २६,३६,४२,४५,४६,७१, भिगा (भृङ्गा) ज ४११५५।२,२२३११ ७४,३४१२०,२२ से २४ ज ३।१२६७।२१४ Page #320 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भुत्त (भुक्त) ज २१७१३१८२ सू २०१७ उ ४११६ भुत्तभोइ (भुक्तभोगिन् ) उ ३.१०७,१३६ भुमगा (भू) ज २।१५ भुयग (भुजग) प २२४६ चं ११२ भुयगवड़ (भुजगपति) प २१४१ भयपरिसप्प (भजपरिसप) १६७,७६,४११४० से १४८,६७१.७५ २०१४,१६,३५,४६,६० भुयमोयग (भुजमोचक) १ १२००३ भुयय (भुजग) प २११४७.१ भुयस्वख (भूतवृक्ष) प ११४३।२ भुया (भुजा) प २१३०,३१,४१,४६ ज २१,५८, उ ३६२ भुस (बुश) ५ १६४२११ भू (भू) मू २।१ भूत (भूत) प॥६४ सू१९३८ भूतिकम्म (भूतिकमन्) ज ५११६ भूतोद (भूतोद) सू १६३८ भूमि (भूमि) प ११७४ ज १।२६ भूमिगय (भूमिगत) ज ३।१०५ भूमिचवेडा (भूमिचपेटा) ज ५१७ भूमितल (भूमितल) ज ५१५ भूमिभाग (भूमिभाग) प २।४८ से ५१,६३; १७११०७,१०६,१११ ज १३१३,२१,२५,२६, २८,२६,३२,३३,३६,२७,३६,४०,४२,४६; २१७,१०,३८,५.२,५६,५७,१२२,१२७,१४१, १४.७,१५०,१५६,१५६,१६१,१६४ ; ३१८१, १६२,१६३,१६६,१६७,४१२,३,८,९,११,१२, १६,३२,४६,४७,४६,५०,५६.५८,५६,६३,६६, ७०,८२,८७,८८,९३,१००,१०४,१०६,१११, ११२,११७,११८,११६,१२२,१२३,१३१, १६६,१७०,१७६,२१७,२३४,२४० से २४२, २४७,२४८,२५०,५१३२,३३,३५,७३३ सू २।१६।३।१८।१:२०१७ भूमिया (भूमिका) ज ३१३२ भूमी (भूमि) ज ११२।१३२,१४२,१४३,४।११६ भूय (भूत) प १११३२,२१४१,४५,६४,१५१५५:३; ३६.६२,७७ उ २।१०,३१,१३१,३११,६,२२, ३६,७८,८०,८१,६२,६३,६५,६६,११६,१२१, १५१,१५६,१०,१६३,१८०,२२२७४२१२ उ ११३८,३१४३.४४,४६,५१४ भूय (भूयर) ज ३१ भूयग्गह (भूतग्रह) ज २१४३ भूयणय (भूतृणक) प ११४४१३ भूयस्थ (भूतार्थ) प ११०१२ भूयवाइय (भूतादिक) १ २१४१,२।४७११ भूया (भूता) र ४४६,११ से १६,१८ से २४ भूयाणंद (भूतानंद) प २१३४,३६,४०।७ भूसण (भूपण) प २३०,३१,४१ ज ३८१,१८८; ७१७८ भूसणधर (भूपरणधर) ज ३।६,२२१,५।२१ भूसिय (भूषित) ज ३१३०,३५,१७८ भे (भोस् ) उ ३।३८,४०,४२,४४ भेद (भेद) प १४८१३८,६८३;११।७४,७६ से ७८%3; १५१५३,२१११६,४०,४३,४४,५२,५५,७६,७७, ६४,२२२०३३१११ भेदल (भेदक) ज ३११०६ भेदपरिणाम (भेदपरिणाम) प १३३२१,२५ भेय (भेद) प १११७२,७३,७५,१६।३२,२११७७ उ ११३१ भेयघाय (भेदघात) चं ४।१,३ सू श८।१,३, २२ भेयपरिणाम (भदपरिणाम) प १३१२५ भेरि (भरि) ज ३।१२,७८,१८०,२०० भेरी (भरी) उ१५ से १७ भेरुतालवण (भेरुतालवन) ज २१६ भेसज्ज (भैषज्य) उ ३३१०१ भेसण (भीषण) ज २।१३३ भो (भोस्) ज २१६५,६७,१०१,१०५,१०७,१०६, १११,११४:३।७,१२,२६,३६,४७,४६,५२, ५६,६१,६६,८३,६१,६६,११३,११५,१२२, १२४,१२७,१२८,१३३,१४१,१४७,१५१, १५४,१६८,१७०,१७५,१८०,१६६,२०७, Page #321 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भोग-मंजसा १००७ : २१२:५१३,१४,२२,२६,५४,६८,६६,७२ २२१,२२२:५११८,२१ उ २१७,१२३,१३१:४।१६:५।१५,१८ मउय (मृदुक) प २४ से ६३.१८२,५।५७,२०६; भोग (भोग) प १६५ ज २१६५;३1३ भू १८१२२, १५।१५,१६,२७,२८,३२,३३,२८१२६,३२,६६ २३:१६।२६ उ ११२७,६३,१४०:३६८,१०१, ज२।१५३१३५५,७,१७८ १०६,१०७,१२६ से १३११३४,१३६ मउल (मुकुट) प २१४१ भोगकरा (भोगङ्करा) ज ४।१०६,५५११ मउल (मुकुल) ज २।१५,३३१७८,७१७८ भोगतराय (भोगान्तराय) प २३।२३ मउलि (मुकुलिन्) प ११६६.७१ भोगस्थिय (भोगाथिक) ज ३११८५ मउलि (मौलि) प २१३०,३१,४१,४६' भोगभोग (भोपभोग) ५ २।३०,३१,४१,४६ मउलिय (मुकुलित) ज ३१६; ५।२१ ज २६१,१२०:३११७१,१८५,२०६५.१,१६; मंकुणहत्थि (मत्कुणहस्तिन् ) प १६५ ७।५५,५८,१८४,१८५ मंख (मङ्ख) ज २१६४,३३१८५ भोगमालिणी (भोगमालिनी) ज ४।१६४:५११११ मंगल (मंगल) ज २१६७,३१६,१२,१८,७७,८२, भोगवइया (भोग तिका) प ११९८ ८५,८८,६३,१२५,१२६,१८०,२२२:५१५,४६ भोगवई (भोवती) ज ४।१०६:५।।१७।१२१ सू१८१२३,२०1७ उ १२१७,१६७०.१२१, सू १०१६१ ३१११०:५।१७,३६ भोगविस (भोगविष) प १७० मंगलग (मंगलक) ज ३११७८,४।१५८,५१५८ भोच्चा (भुक्त्वा) सू १०।१२० उ ५११६ भोत्तूण (भुक्त्वा ) प २१६४।१६ मंगलावई (मंगलावती) ज ४।१६१,२०२।२,२०३ भोम (भौम) ज ७४१२२१३ गु १०१८४१३ मंगलावईफूड (मंगलावतीकूट) ज ४।२०४११ भोमेज्ज (भौमेय) प २।४१,४३ ज ३१२०६; मंगलावत्त (मंगलावर्त) ज ४।१६३.१६५ मंगलावत्तकूड (मङ्गलावतंकूट) ज ४११६२ भोमेज्जग (भौमयक) परा४१,४३,४६ मंगल्ल (गांगल्य) ज २६४,३१८५,१८५,२०६; भोमेज्जा (भौमेयक) प २२४१,४२ ५।५८ उ ११४१,४४ भोयण (भोजन) पश६४।१६ ज २०१८ च ५।३ मंगुस (दे०) ११७६ सू ११९१३१०।१२०,२०१७ उ ३१११०,११४ मंच (मऊ) सू १२२६ भोयण जाय (भोजनजात) ज २११८ मंचाइमंच (ञ्चातिमञ्च) ज ३७,१८४ भोयणभंडर (भाजनमण्डप) ज ३१२८,४१,४६, मंचातिमंच (मञ्चातिमञ्च) सू ११२६ ५८,६६,७४,१३६१४७,१४६,१८७,२१८ मंजरिका (मञ्जरिका) ज ५१७२,७३ मंजिठ्ठावण्णाभ (मञ्जिष्ठावर्णाभ) सू २०१२ मइ (मति) ज ३।३२ मंजु (मञ्जु) ज २१६५; ३.१८६,२०४ मइअण्णाणि (मत्य ज्ञानिन् ) प ३।१०२,१०३; मंजुघोसा (मंजुघोषा) ज १५२,५३ १८८३२८।१३७ मंजुपाउयार (मजुपादुकाकार) प ११६७ मइल (दे० गलिन) ज २।१३१ उ ३३१३० मंजुल (मजुल) उ ३।१८ मउड (मुकुट) प २१३०,४८ से ५०,५.१८ मंजुस्सर (मंजुम्वर) ज ५।५२,५३ ज ३।३,६,६,१८,२६,३१,४७,६३,१८०,२११, मंजूसा (मञ्जूषा) ज ३।१६७,४१२००।१ Page #322 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १००८ मंडण-मगदंतिया मंडण (मण्डन) ज ३११०६ मंद (मन्द) ज २१६५:५१३८,५७,७१५८ सू २१३; मंडल (मण्डल) ज ३।३०,३५,६५,६६,१०६,१५६, १८१८ १६०२७।२,१०,१३,१६,१६ से ३१,३५,५५, मंदकुमारय (मन्दकुमारक) प १११११ से १५ ५६,७२,७५,७८ से ८४,६५,६६,९८,६६, मंदकुमारिया (मन्दकुमारिका) प ११।११ से १५ १००,१०४,१२६१ च ११,३१२९ ११६३१मंदगइ (मन्दगति) चं ४२ सू शका२ १७।२,१३११,१२,१४,१८ से २५,२७,२११ ।। मंदर (मन्दर) ५२१३२,३३,३५,३६,४३,४४,५०, से ३,३१२,४१४,७,६६।१६।२१०७५, ५११५॥५५१३:१६६३० ज १११६,२६,४६,५१; १३८ से १५१,१७३।१२।३०:१३१४,५,१३; २६८,३२,४१६४,१०३,१०६,१०८,११४, १५।२ से ४,१४ से ३६,१६।२२११० से १२, १४३,१६०.१६२,१६३,२०३,२०५,२०८, १६०२३ २०६,२१२ से २१६,२१६ से २२२,२२५, मंडलगइ (मण्डलगति) प २।४८ २३३ से २३५.२३७ से २४१,२५३.२५४, मंडलम्ग (मण्डलान) ज ३३५ २५७,२५६,२६०।१,२६१,२६२,५०४७ से ५०, मंडलपति (मण्डलपति) ज ३।८१ ५.३;६।१०,२३,२४,७३८ से १३,३१,३३,६७ मंडलरोग (मण्डल रोग) ज २०४३ से ७२,६१,६२,१६८।१,१७१ सू ४।४,७; मंडलवत (मण्डलवत्) सू ११२५ से ३१ ५११७१८११,१८१५ उ ११०,२६.६६ मंडलसंठिति (मण्डलसंस्थिति) सू ११२५ मंदरकूड (मन्दरकूट) ज ४१२३६,६१११ मंडलि (मण्डलिन् ) प १७१ मंदरचूलिया (मन्दरचूलिका) ज ४।२४१,२४२, मंडलिय (माण्डलिक) प १।७४,२०११ २४३,२४५,२४६,२५१,२५२ मंडलियत्त (मण्डलिकत्व) प २०५७ मंदरपब्वय (मन्दरपर्वत) प १६।३० सू ४।४,७ मंडलियराय (माण्डलिकराज) ज ३१२२५ मंदलेस (मन्दलेश्य) सू १९२२१३०,१९२६ मंडलियावाय (मण्डलिकावात) प १२६ मंदायवलेस (मन्दातपलेश्य) ज ७५८ सू १६।२६ मंडव (मण्डप) ज ३१८१५१३५ मंदिर (मन्दिर) सू ७१ मंडवग (मण्डपक) ज १११३,२३१२ मंस (मांस) प ११४८/४६२।२० से २७ मंडव्वायण (माण्डव्यायन) ज ७।१३२।३ सू१०।१२० उ११३४,४०,४३ से ४६,४८, मू १०।१०७ ४६,५१,५४,७४,७६,७६ मंडित (मण्डित) प २१३१ ज ३।१८४ मंसकच्छभ (मांसकच्छप) प ११५७ मंडिय (मण्डित) प २।३१ ज ३१७,१८,३१,१८०; मंसल (मांसल) ज २११५;७।१७८ ५।२१,३८ मंसाहार (मांसाहार) ज २११३५ से १३७ मंडुक्को (मण्डूकी) प ११४४२ मंसु (श्मश्रु) ज २११३३ मंडूकपुत्त (मण्डूकपुत्र) सू १२।२६ मक्कार (माकार) ज रा६१ मंड्य (मण्डूक) प १६॥४४ मगइत (दे०) उ १११३८ मंडूयगति (मण्डूकगति) ५ १६:३८,४४ मगइय (दे०) ज ३।३१ मंत (मन्त्र) ज ३.११५,१२४,१२५ उ ३३११,१०१ मगत (दे०) उ १११३८ मंति (मन्त्रिन ) ज ३६,७७,२२२ मगवंतिया (मदयंतिका) प ११३८।२ ज २११० मंथ (मन्थ) प ३६१८५ मेंहदी Page #323 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मगर-मज्झिमउवरिम १००६ मगर (कर) ११५५,५६,२।३० ज ११३७; २११०१,४१२४,२७,३६,६६,६१,५५३२ सु २००२ मगरंडग (रकराण्डका) ज ५।३२ मगरज्मय (मकरध्वज) ज २०१५ मारमुहविउट्टसंठाणसंठिय (मकरमुखनिवृतसंस्थान गरिधत) ज ४१२४,७४ मगसिरी (मार्गगिरी) सू१०१७,१२ मगसीसावलिसंटिय (मगशीविनिमंस्थित) सू१०३८ मगह (मगध) प १६३।१ मगूस (दे०) प ११७८ मग्ग (मार्ग) ज १६४:३१२२,३६,६३,६६,१०६, १६३,१७५,१८० मगओ (दे० पृष्ठत ) ज ५१४३ मगण (गर्गण) ज ३१२२३ सग्गदय (मार्गदय) ज ५।२१ मग्गदेसिय (मार्गदेशिक) ज ५१५,४६ मम्गमाण (मार्ग:त्) उ ३११३० मगरिमच्छ (मकरीपत्स्य) प ११५६ मांगसिर (मार्गशी) ज ७।१०४,१४५,१४६ सू १०।१२४ उ ३१४० मग्गसिर (मृगशिरस) ज ७१४०,१४५,१४६ मग्गसिरी (मागं शिरी) ज ७।१३७,१४०,१४५, १४६,१५२,१५५ सू१०१७,१२,२३,२५,२६ मग्गिज्ज (मार्गय) मज्जिद ५ १२।३२ मघमत (दे० प्रसरत् ) ॥ २॥३०,३१.४१ ज ३७, ८८,५७ २०१७ मघव (मघवन् ) प २१५० ज ५११८ मघा (मघा) ज ७१२८,१२६,१३६,१४० सू १०१५,६२ मच्छ (मराय) प ११५५.५६:६।८०।२ ज २१५, १३४,३१७८४१३,२५,२८५४३२,५८ सू २०१२ मच्छंडग (मत्स्याण्डवः) ५।३२ मच्छडिया (मत्सण्डिका) ५ १७४१३५२११७ मच्छाहार (मत्स्याहार) ज २।१३५ से १३७ मच्छिय (मक्षिका) प १५०१ मच्छियपत्त (मक्षिकापत्र) प २१६४ मज्जण (मज्जन) ज ३१९,२२२ मज्जणघर (मज्जनगह) ज ३।६,१७,२१,२८,३१, ३४,४१,४६,५८,६६,७४,७७,५५,१३६,१४७, १५३,१६८,१७७,१८७,१८८,२०१,२१८, २१९,२२२ उ १।१२४;५१६ मज्जणय (मज्जनक) उ १६७ मज्जणविहि (मज्जन विधि) ज ३१९,२२२ मज्जाया (मर्यादा) ज २११३३ मज्जार (मार्जार) प१४४।१ चित्रक मिज्जाव (मज्जय ) मज्जावेंति ज ५११४ मज्जावेत्ता (मज्जयित्वा) ज ५११४ मज्जिय (ज्जित) ज ३२६,२२२ मज्झ (मध्य) प ११४८१६३, २०२१ से २७,२७।३, २०३० से ३६,३८,४१ से ४३,४६,५० से ५६, ६४,१११६६,६७,२८1१६,१७,६२,६३ ज १८,३५,४६,४७१,५१,३१६,१७,२१, २४१३,३४,३७११,४५११,१०६,१३११३,१७७, १८५,२०६,२२२,२२४,२२५,४।१३,४५, ११०,११४,१२३,१४२।१,२,१५५,१५६.१, २१३,२२२,२४२,२६०११,५३१४,१५,१७,३३, ३८,७४५,२२२११ सू १२।३०,२०१७ मझमज्झ (मध्यमध्य) ज २१६५,६०,३११४, १७२,१८३,१८४,१८५,२०४,२२४;॥४४ सू २०१२ उ १२१६,६७,११०,१२५,१२६, १३२,१३३,३।२६,१११,१४१,४।१३,१५, १८५१६ मज्झंतिय (मध्यान्तिक) ज ७.३६,३७,३८ मज्झगय (मध्यगत) ज ७१२१४ मज्झयार (दे० मध्य) ज ७।३२११ मज्झिम (मध्यम) प २०६४।७:२३३१६५ ज २१५५, ५६,१५५,१५.६४/१६,२१,५।१३,१६,३६ सू २१३ उ ३.१००,१३३ मज्झिमउवरिम (मध्यम उपरितन ) प २८६२ Page #324 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मझिमउवरिमगेवेज्जग-मणि मज्झिमउवरिमगेवेज्जग (मध्यमउपस्तिन देयक) १७६११२,११३,२०१८,३२,४७,२६२ प११३७,४।२८२ से २८४,७१२५ ३०१२ मज्झिमग (मध्यमक) प २०६१ मणपज्जवणाणारिय (मन:पर्यवज्ञानार्य) ५ १६६ मज्झिमगेवेज्ज (मध्यमवेयक) प ६१४० मणपज्जवणाणि (मन.पर्यवज्ञानिन ) प ३१०१, मज्झिमगेवेज्जग (मध्यमवेयक) प २।६१,६२, १०३,५३११७:१८।८१२८४१३६,३०११६,१७ ३५१८३;६१५६३३३१६ मणपज्जवनाण (मनःपर्यवज्ञान) प २०१३३ मज्झिममज्झिम (मध्यमाध्यम) प १८१६१ मणपज्जवनाणपरिणाम (मन पर्यज्ञानपरिणाम) मज्झिममज्झिमगेवेज्जग (मध्यपमध्यमवेयक) १३ प १११३७,४१२७६ से २८१,७१२४ मणपरियारग (मन:परिचारक) प ३४११८,२४,२५ मज्झिमय (मध्यमक) १ २०६२।१ मणपरियारणा (मनःपरिचारणा) प ३४११७,१८, मज्झिमहेट्ठिम (मध्यमाधस्तन) प२८१६०० २४ मज्झिमहेटिठमगेवेज्जय (मामाधस्तनप्रवेषक) मणभक्खण (मनोभक्षण) प २८.१०५ प१:१३७,४१२७६ से २७८;७।२३ मणभक्खत्त (मनोभक्षत्व) प २१०५ मझिमिल्ल (मध्यम) ज ४।२५३,२५५,२५८ मणभक्खि (मनोभक्षिन) प२८११२,२८।१०४, मज्झिय (मध्यक) ज २०१५ मझिल्ल (मध्यम) ज ३।१ मणसमिय (मनःसमित) ज १६८ मट्टिया (मृत्तिका) ज ३१२०६:५१५५,५६ मणसाइय (मनःस्वादित) ज ३।११३ मठ्ठ (मृष्ट) प २।३०,३१,४१,४६,५६,६३,६४ मणसीकत (मनीकृत) प २८।१०५ ज ११८,२३,३१,२।१५,४११२८:५॥४३ मणसीकय (मनीकृत) प ३४।१६,२१ से २४ सू २००७ मणसीकरेमाण (मनीकुर्वत्) ज ३१५४,६३,७१, मट्ठमगर (मृष्टमकर) प १२५६ १११,११३,१३७,१४३,१६७ मडंब (मडम्ब) प १७४ ज २।२२,१३१,३११८, मणहर (मनोहर) ज २१२,६५,३११३८,१८६, ३१,८१,१६७।२,१८०,१८५,२०६,२२१ २०४:४।१०७५1५,२८,३८,७/१७८ उ ३।१०१ मणाभिराम (मनोभिराम) ज ३।१०६ मण (मनस्) प २२१४:२३११५,१६, ३४१११२, मणाम (दे० 'मन' आप) ५२८1१०५ ज २१६४; ३४१२४ ज २१६४,७१,३।३,३५,१०५,१०६% ३११८५,२०६५।५८ उ ११४१,४४,३।१२८; ४११०७,१४६,५।३८,७२,७३ सू २०१७ ५१२२ उ ११५,३५,४१ से ४४,७१,३।१८ मणामतर (मन:आपतर) ज २१८,४।१०७ मणगुत्त (मनोगुप्त) ज २०६८ उ ३९E मणामतरिय ('मन' आपतरक) प १७११२६ से मणजोग (मनोयोग) प ३६।८६,८८,८६,६२ १२८,१३३ से १३५ ज २।१७ मणजोगपरिणाम (मनोयोगपरिणाम) प १३७ मणामत्त ('मन' आपल) प २८१२६,३४१२० मणजोगि (मनोयोगिन् ) ३९६:१३.१४,१६ मणि (गणि) प ११२०१२,२।३१।४१,४८,१५।११२, १८१५६,२८११३८ १५।५० ज १११३,२१,२६,३३,४६:२।७,२४, मणपज्जत्ति (मनःपर्याप्ति) प २८।१४२,१४४,१४५ ५७,६४,६६,१२२,१२७,१४७,१५०,१५६, मण (पज्जवणाण) (गन:पर्यवज्ञान) प २६:१७ १६४,३।१,६,२०,२४,३०,३३,३५,५४,५६, मणपज्जवणाण (मनःपर्यवज्ञान) प ५१२४,११५, १. भिक्षुशब्दानुशासन पास१६ अरुभनश्चक्षु.. Page #325 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मणिकंचण मणुस्सलोय ६३, ७१,८१,८४,६५, १०६,११७, १३७, १४३, १४५.१५६, १६७/८. १२,१७८,१८२,१६२, २२२,४१३.१६,२५,४६,६३,८२, ११४:५११६. ३२.३८ सू २०१७,१८ मणिकंचण (मणिकाञ्चन) ज ४।२६६।१ मणिदत्त ( मणिदत्त ) ५१२४,२६ मणिपेडिया ( मणिपीठिका) ज ११४३, ४४, ४१२, १३,३३,१२३,१२४,१२६.१२७,१३२,१३३, १३६,१३६, १४५, १४६, १४७,२१८,२१६; ५/३५ मणिमय ( मणिन्य ) प २२४८ ज ११४३, ३।२०६; ४१५, ७, १२, १३,२६,२७,४६, ११४,१२३, १२४, ५। ३५.५५ मणिरयण ( मणिरत्न) ज ३१६,१२,२४,३०,८८, ६२,६३,११६.१२१,१७८, २२०, २२२, ४११६, ४२,६७५।२८,५८७११७८ मणिरयणक ( मणिरत्नक) ज ११३७३।६३ मणिरयणत्त ( मणिरत्नत्य) प २०६० मणिवइया ( मणिमती ) उ३।१५०,१५८ मणिवई ( मणिमती) उ ३।१६६ मणिवर ( मणिवर ) ज ३१६२,११६ मणिसिलागा ( मणिशलाका ) प १७|१३४ मणई ( मनुजी ) ज २११५ मण्ण ( मनोज्ञ ) प २३।१५,३०,२८ । १०५ ३४:११, २१ ज २१६४३२८५,२००; ४। १०७ ४१३८.५८ सू २०१७ उ ११४१, ४४; ३११२८५१२२ मण्णतर ( मनोज्ञतर ) ज २ (१८ ; ४|१०७ मण्णतरिय ( मनोज्ञतरक ) प १७ १२६ से १२८, १३३ से १३५ ज २१७ मणुष्णत्त (मनोज्ञत्व ) प ३४।२० मगुणस्तरता (मनोज्ञस्वरता ) प २३|१६ मय (मनुज ) प ६३८०१२,६८१, २०१५३, २३/३९,८३.११३,१४६, १७२, २८३१४४, १४५: ३१।६।१, ३२।६।१ ज ११२२.२७, ५०; २११४, १६, १६, २१ से २६, २८ से ३७,४१ से १०११ ४९,५६,५८,६४,१२३, १२८,१३३,१३४, १३५,१४६, १४८, १५१,१५७, १५६, ४१८५, १०१,१७१ उ १११४,१५,२१,३१६८,१०१, १३१,५१२३,३१ मणुयअस णिआउय (मनुजासंज्ञयायुष्क ) प २०१६४ मणुयगति ( मनुजगति ) प ६३,८ मनुयगतिय ( मनुजगतिक ) प १३११९ मणुयगामि (मनुजगामिन् ) ज ११२२,५०,२११२३, १२८,१४८, १५१,१५७,४११०१ मणुयगतिपरिणाम ( मनुजगतिपरिणाम ) प १३३ मणुयरयण ( मनुज रत्न) ज ३१२२० मणुयलोग ( मनुजलोक ) सू १६२१1८ मणुघलोय ( मनुजलोक ) सू १६१२२३१, ३ से है मणुयवइ ( मनुजपति) ज ३१३ मणुयाज्य (मनुजायुष्क ) प २०१६३, २३।१८,१५८ मणुस्स ( मनुष्य ) प ११५२,८२ से ८५.१२६; २१२६, ३।२५,३८,३६,१२६, १८३ ४११५८ से १६४;५३३,२३,२४,१००, १०१, १०३,१०४, १०६,१०७,११०,१११, ११४, ११५, ११८ से १२०,६१२३, २४,४६,५५,६५,६६,७०,७२, ७६,८१,८२,८४,६०,६२,६४,६६, ६७,६६ से १०४. १०८, ११०,११३, ११६; ७१४; ८८, ६; ८ से १०,१६,१७,२२,२३,११।२१,२२, २४,२६,१२१५, ३२, १३३१६; १५ । १२२; १७।४५,४६,१२६.१६४,१७११६/४; २१७, ४८:२२१३६, २३।१६४, १६८ ; २६ १५ ३४ ३ ; ३६।१।१,३६१४१, ५२ ज २२६,७,५०, ५३,१६२,१६४;३।६८, १७८, २२१ सू २/३; १६।२२।१३:२०१२ उ १११२१,१२२, १२६, १३३,१३६,१३७,१४० मणुवित्त ( मनुष्यक्षेत्र ) प १९७४ मसखेत्त (मनुष्यक्षेत्र ) प ११८४ २१७, २६ सू १६१२२१२१ मस्सगामि (मनुष्पगामिन् ) ज २१५८ महिर ( मनुष्य रुधिर ) प १७११२६ मसलोय ( मनुष्यलोक) सू २०१२ Page #326 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१२ मस्सा ( मनुष्याक ) प २३११४७, १६२,१६५, मणोणुकूल (मनोनुकूल ) सु. २०१७ मणमा सय ( मनोमानसिक) उ ११९३ मणोरम ( मनोरम ) प ३४।१६,२१,२२ १७० मणुस्सी ( मानुषी ) प ३१३६, १३०, १८३ १११२३; १७१४८, १६०२३।१६४,१६८,२०१ ज २२७ माणूस (मनुष्य) प ६८४,८७,१५१३५,४४,४५, ४७ मे ५० ८७,६१,९८, १०३ से १०६,११५, १२१ १२३, १२६,१३८ १६१८, १५.२५.२८; १७।२४, २५,३०,३३,३५,४७, ७०, ६७, १०४, १५७,१५० से १६३, १६६, १६७.१७०, १७२; १८२४,१०; २०१४, १३१८, २५, ३०, ३२.३५, ३६, ४८ २१११६, २०, ३६,५४,६०,६६,७२, ७७,८२,८६,२२१३१,४५, ७५, ७६८०,८३ से ८५,८८,६०,६६, १००, २३११०, १२,७६, १६६,२००, २४३,८,१०,१२,२५०४, ५, २६।३,४,६,८,१०,२७२,३२८१२,४६ से ५१,६७ से ६६,७१,१०३,११६ से १२१, १२४,१२८,१३०,१३६ से १३८,१४१ से १४३; २६।२२; ३०११४, २४, ३१ ४ ३२१४; ३३१,१३,२१,२६,३३,३६,३४०, ३५ १४, २१,३६१७, १०, ११,१३ से १५, १७,२६,३०, ३१,३३,३४,५८,७२,८०,८१ ज ४।१०२; ७/२० से २५,७६,८२ सू २१३ मणूसखेत्त ( मनुष्यक्षेत्र ) प २१६२, ६३ मणूसत्त (मनुष्यत्व ) प १५६८,१०४, ११०,११५, १२६,१३०:३६।२२,२६ ३०,३१,३३,३४ मणूसाजय (मनुयुष्क ) प २३।७१ मणूसी ( मनुष्यणी ) प २७१५८, १५६,१६१ से १६४१८।४,१० ; २०११३; २३।१६६,२०१ मणोगम (मनोगम) ज ७ १७८ मणोगय ( मनोगत) ज ३।२६,३६,४७, ५६, १२२, १२३,१३३, १४५, १८८५१२२ उ १।१५,५१, ५४,६५,७६,७६,६६,१०५, ३३२६,४८,५०, ५५,६८,१०६,११८,१३१,५/३६,३७ मोलिया (गुलिका) ज ४११२६ मणोज्ज (मनोज) प १०३८।१ ज २११० ज ४२६०११,५३४६३७१७८५११ उ ५१२८ मणोरह ( मनोरथ ) ज ३१८८, २२१ मनोहरमाला (मनोरथमाला) ज २२६५३११८६, २०४ मणस्साउय-मत्थय मोसिला (मनःशिला ) प ११२०१२ ज ३।११।३ मनोहर ( मनोहर ) प ३४११६,२१ ज २।१२; ७ ११७/१ सू १०१८६११ √ मण्ण (मन् ) मण्णामि प ११।१ मण्णे १।१५; ३६८ मति (मति ) प १३|१० ज २११ मतिअण्णाण ( मत्यज्ञान ) प ४१५, ७, १०, १२,१४, १६,१८,२०,५६,६३,२१/२,६,६,१२,१७,१६ से २१ मतिअण्णाण परिणाम (मत्यज्ञानपरिणाम ) प १३३१० मतिअण्णाणि ( मत्यज्ञानिन् ) प ३११०३, ५१८०,६६, ११७,१३ १४,१६,१७,१८८३ मतिणाण ( मतिज्ञान ) प २६/६ मत्त (मत्त ) ज २।१२ मत्त (अभत्र ) सू २०१४ उ १।६३, १०५, १०६ मत्तंग (मत्ताङ्ग ) ज २।१३ मत्तजला (मत्तजला ) ज ४१२०२ मत्तियावई ( मृत्तिकावती ) प १९३४ मत्थगसूल ( मस्तकशूल ) ज २१४३ मत्थय (मस्तक) ज ३१५,६,८,१२,१६,२६,३६, ४७,५३,५६,६२,६४,७०,७७,८१,८२,८४, ८८,६०,१००, ११४,१२६,१३३,१३८, १४२, १४५,१५१,१५७,१६५, १८१, १८७, १८६, २०५, २०६,२०६,२१८,५१५,२१,४६,५८ उ १।३६,४५, ५५,५८,८०,८३,६६.१०७, १०८,११६,११८,१२२, ३११०६,१३८, ४११५ ५/१७ Page #327 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मदणसलागा-महंत मदणसलागा (देनशलाका) प १७६ मदणसाला (मदन शाला) उ ५१५५ मद्दम (दे०) १ ११३७६४ मद्दव (मार्दव) ज २०१६,७१ मदुग (मद्गुक) ज २।१३७ मधु (मधु) प १७४१३४ ज २।१०६,११० मधुर (मधुर) ज ३।१८६,२०४ मिन्न (मन्) मन्ने ज ३।१०५ मम्म (मर्मन) उ १६६ मम्मण (मन्मन) उ ३६८ मय (पद) च ११ मयकिच्च (मृतकृत्य) उ ११६२ मयणिज्ज (मदनीय) प १७:१३४ ज २०१८ मयूर (भयर) प १७६ ज २११५ उ ५।५५ मरगय (मरकत) ११२०१३ ज ३११०६ मरण (मरण) प १४११२१६४;२१६४१६,२२; ३६।१।१,३६१८३१२,६४।१ ज २७०,८८, ८६,१०३,१०४,३१२२५ सू २०६६ उ ३३११२,१५६;४।१६ मरीइ (मरीचि) ज ११३७ मरीइया (मरीचिका) ज १३२ मरुदेव (मरुदेव) ज २१५६.६२ मरदेवा (मरुदेवा) ज २६३ मरुय (मरुक) प १८६ मरुयग (रुबक) प ११४४।३ मरुआ मरयरायवसभरुप्प (मरुद राजवृपभकल्प) ज ३११८,६३,१८० मरुयापुड (मरुबकपुट) ज ४११०७ मलय (मलय) प ११८६,१।६३१३ ज ११२६,३।२) २११:५१५५ उ १११०,२६.६६५११ मलयगिरि (लागिरि) ज ३१२४ मलिण (मलिन) ज २११३३ भलिय (मदित) ज ३१२२१ उ ११३५,३१५०, ११०,११३:४२० मल्ल (माल) ५२१३०,३१,४१,४६ ज २११२०: ३१६,११,१२,२१,३४,५५५,५७ उ ११३५; ३१५०,११० मल्ल (मल्ल) ज २१३२,३७८,८५,८८,१८०, २०६,२११,२२१,५।२२,२६ मल्लई (मल्लवि) उ ११२७ से १३०,१३२ मल्लदाम (माल्यदामन ) प २१३०,३१,४१ ज ३७,६,१२,१८,२८,३०,३५,४१,४६,५८) ६६,७४,७७,७८,८८,६३,११७.११६,१४७, १६८,१७८,१८०,२१२,२१३,२२२ मल्ल (वासा) (माल्यवर्षा) ज १५७ मल्लि (मल्लि) ज ३।१०६ मल्लिया (मालिका) ५ ११३८२ ज २।१०; ३.१२,८८,१७८,५१५,५८,७४१७८ महिलयापुड (पल्लिकापुट) ज ४।१०७ मविज्जमाण (माप्यमान) प ११४८।५६ मवेज्जमाण (माप्यमान) प ११४८।५८ मसग (मशक) प ११५११ ज ६४० उ ३१२८ मसारगल्ल (दे०) प ११२०१३ ज ३।१०६५ मसि (मसि, मपि) ज २१२३ मसूर (मसूर) ११४५।१,१७६१५१३,२१; २११२३,८० ज २।३७ मह (महत) प २१३०,३१,४१,४६,६२,२३११९३ ३६.८१ ज १।१२,१४,३७,४०,४२,४३; २३१,३।२४,१६१,१६३,१६४,१६७,४१३, ६,६,१२,१३,२४,२५,३१,३३,३६ से ४१,४७, ४६,५६,६६ से ६८,७०,७४,७५,७६,८८,६३, १५६,२१६,२१८,२२१,२३५,२४३,२५०; ५।५,,३५ से ३८,५४,६७,७१५० मह (स्थ) पहिति ज ५११६ महेइ उ ३१५१ महाल (महाश्व) ३१७६ महइ (महती) प २१२७ ज १११०; २१११४,११५; महइमहालिय (महती हत) ११२०:४।१४ महंत हा प २३।१३३१६,२६, ३२ ११०,२६.६६; १११ Page #328 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१४ महंततर-महाणई ५।२२,२६,५६,५७,५८,७२,७३,७५५,५८, १७८,१८४ सू १६२३,२६ उ १।१०,२३, २६,६०,६२,६५,६८,६६,७२,८५,८७,६१ से ६३,१३८,१३६,५८,११,१६,२०,२७ महरिह (महाह) ज ३१६८१,११७,२०७,२०८, २२२:५१५४ महव्यय (महाव्रत) ज २०७२ महा (मधा) ज ७११४७,१५०,१६२,१६३ स् १०११ से ४,६,१४,२३,६६,७०,७५,८३.१२०,१३१ महंततर (महत्तर) ज ४१८०,१०२ महग्गय (महाग्रह) ज ७।११३ महगह (महाग्रह) ज ७१,१०४,१७० सू १०१३० ,१६५,८; १११३,१५।३,१६, २११४,७,१६।२२१६.१३; २०१८ उ ३१२५, ८४ से ८६ महम्गहत्त (महाग्रहत्व) उ ३८३ महग्ध (महार्घ) ज ३१८५,२०७,२०८,२२२; १५४ सू २०१७ उ १११६,४२, ३१२६,१४१:४।१२ महज्जुइ (महाद्युति) ज ११२४,३१:३।११५,१२४, १२५,२२६; ४।१६५,५११८ महज्जुइय (महाद्युतिक) ५२१४६ महज्जुतीय (महाद्युतिक) प १३०,४१,३६८१ महड्ढिय (महद्धि क) ५ २१४६ महड्ढीय (महद्धिक) ज ४।१७७ महण (मथन) ज ३१२२१ महत (महत्) सू १८।२३ महति (महती) ज ३१३१ महतिमहालय (महतीमहत ) प २०६३ महत्तरग (महत्तरक) उ १११६ महत्तरगत्त (महत्तरकत्व) प २।३०,३१,४१,४६ ज ३।१८५,२०६,२२१,५।१६ उ ५:१० महत्तरिया (महत्तरिका) ज ४।१८५।१ से ३,५ से १०,१२ से १७ उ ३६०, ४१५ महत्थ (महार्थ) ज ३२२०७,२०८:५१५४,५५ महदंडय (महादण्डक) प ३।११२ महद्दह (महाद्रह) ज ५५५, ६१७ महत्पत्थाण (महाप्रस्थान) उ ३१५५ महप्प (महात्मन्) ज ३।७७,१०६ महाबल (महाबल) प २।३०,३१, ३६८१ उ ५१२५ महया (महत् ) ज १।२६,४५,२।१२,६५,३१२,१२, २२,३६,७८,८२,८८,८६,६३,६६,१०२,१०६, १५५,१५६,१८०,१८५,१८७,२१२,२१३, २१४,२१८,४।२३,३८,६५,७३,६०,६१,१७७; महाओहस्सर (महौघस्वर) ज १५१ महाकदिय (महा क्रन्दित) प २।४१,४२,४७११ महाकण्ह (महाकृष्ण) उ ११७ महाकच्छ (महाकच्छ) ज ४११८२ से १८५ महाकच्छकूड (महाकच्छकट) ज ४।१८६ महाकम्मतराग (महाकमतरक) प १७१४,१६ महाकाय (महाकाय) प २।४१,४५,४५२ महाकाल (महाकाल) प २१२७,४४,४५,४५११, २१४६,४७ ज ३११६७४१,८,१७८ सु २०१८, २०८१५ उ १७ महाघोस (महाघोष) प १४०१७ ज ५१४८,४६ महाचाव (महाचाप) ३१२४१४,३७१२,४५१२, १३११४ महाजस (महायशस्) स १७११, २०११,२ महाजाई (महाजाति) प ११३८।३ ज २।१० महाजुतिय (महाद्युतिक) प १७१:२०११,२ महाजुतीय (महाद्युतिक) ५ २१३४ महाजुद्ध (महागुद्ध) ज २१४२ महाणई (महानदी) ज १५१६,१८,२०,४८,२।१३३; १३४,३११,१४,१५,१८,५१,५२,७६.७८,८१, ६७ से १०१,१११,११३,१२८,१४६ से १५१, १६१,१६४,१७०,४।२३,२४,२५,३५,३६,३८ से ४०,४२,५७,६५ से ६७,७१,७३,७४,७७, ७८,८४,६० से ६२,६४,९५,११०,१४१,१४३, १६७,१६६,१७४,१७७,१७८,१८१,१८३ से १८५,१८७,१८६,१६०,२००,२०१,२०२, Page #329 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महाणक्खत्त महावीर २०६,२०८,२१२,२१५.२३२,२६२; ५ १५५; ६।१ से २२ उ १।६७,३१५१,५६,५८ महाणखत (महानक्षत्र ) स १० २५,४३,१०८ महानदी ( महानदी ) ज ४ । १६५,२६८ महाणिरय ( महानिरय) प २।२७ महाणिहि ( महानिधि ) ज ३।१७८, १८३,२२०, २२१ महाणुभाग ( महानुभाग ) प २३०, ३१, ४१, ४६; ३६१८१ ज ११२४, ३१, ३१११५, १२४, १२५, २२६; ४।६०;५।१८ १७११ २०११, २ महाणुभाव ( महानुभाव ) सू १७/१ २०११, २ महातव ( महातपस्) ज ११५ महादंडय ( महादण्डक ) प ३३१८३ महाद्दुम ( महाद्रुम ) ज ५१५१ महाधनु ( महाबनुप् ) उ५१२११ महानिहि ( महानिधि ) ज ३।१६७११,१० महानील ( महानील) प २०३१ से ३३ महापउम (हापद्म) २।१६७१,६,१७८ उ २१२,२० महापमद्दह (महापद्मद्रह् ) ज ४१६४, ६५, ७३,८६ महावउमा ( महापद्मा ) उ २११६, २० महापम्ह ( महापक्ष ) ४२१२,२१२।१ महापह ( महापथ) ज ३११८५ २१२,२१३, ५।७२, ७३ उ ११६८ महापाताल ( महापाताल ) प २१६१ महापुंडरी ( महापुण्डरीक ) ज ४१२६८ महापुंडरीमहत्यय ( हस्तगत महापुंडरीक ) ज ३३१० महापुरा ( महापुरा ) ज ४।२१२२ महापुरिस ( महापुरुप ) प २२४५२२४५२ महापुरिसपडण ( महापुरुषपतन ) ज २२४२ महापोंडरीय (महारौण्डरीक ) प ११४६ ज ४१३,२५ महाफल ( महाफल) उ १११७ महाबल ( महाबल ) प २१३१, ४१, ४६ ज ११२४, ३१३७७, १०, ११५, १२४, १२५, १२६, २२६:५१ १७११, २०११.२ उ २६ ५/१३,२५ १०१५ महाभीम ( महाभीम ) प २१४५ २०४५।१ महामंडलिय (महामाण्डलिक ) प १२७४ महामंति ( महामन्त्रिन्) ज ३१६,७७,२२२ महामहिम ( महामहिमन् ) ज २१११७, ११८, ३।१२,१३,१४,२८,३०,४१,४२,४६ से ५१, ५८ से ६०,६६ से ६८, ७४ से ७६ १३६,१३६, १४७ से १५१,१६८, १६६,१७० ५।७४ महामेह ( महामेघ) ज २११०,१४१,१४२,१४५ ; ३६, १७,२१,३१,३४,३५,१७७,२२२३।४६ महास ( महायशस् ) प २/३०,३१,४१,४६, ३६।५१ ज १।२४,३१,३१११५, १२४, १२५, २२६;५।१८ महारह ( महारथ ) ज ३१३५ महाराय (महाराज) ३१२०७,२०८, २२५ उ ३१५१, ५३,५४ महारावास ( महाराजवास) ज २१६४ महारुधिरपडण (महारुचिरपतन ) ज २२४२ महारोष्य (महारोरुक ) प २२७ महालय (महत्, महालय ) प २२२७,६३ ज २।११४,११५;५१४३ महावच्छ (महावत्स ) ज ४/२०२।१,२०३ महाव ( महाव) ज ४।२१२,२१२१३ महाविजय ( महाविजय ) ज २।१७ महावित्त ( महावृत्त) ज ५. । ५८ महाविदेह (महाविदेह ) प १७४८८२१७ ज ४८६,६८ से १०३,१०८,१६२,१६७, १६६,१७२ से १७४, १७८. १८१,१८२, १८४, १८५, १८७,१८८, १६०,१६१,१६३,१६४, १६६, १६७,१६६,२०० से २०३, २०५,२०६, २१३,२६२,६१६,१४,२२ उ १११४१, १४७; २११३,२२,३।१८,२१,८६,१५२.१६५, १६६, ४२६, २८; ५१४३ महाविमाण ( महाविधान ) प २६४ महावीर (महावीर ) प १११११११५,६,७३२१४ चं १० सू २५ ७ ११२.४८,१६,१७,१६ से २६,१४२,१४३,२११ से ३,१० से १२,१४, Page #330 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१६ ईमहावेदणतराग-महेसर १५,२१,३११ से ३,७,८,१२,१९.२०,२२, महिंदज्झय (महेन्द्रध्वज) ज ४११२८,१३३,१३६; २३.२६,८७,८८,६१,६३,१५३,१५४,१६६, ५।४३,४४,४६,५०,५२,५३ उ ३।७ १६७,१७०४१ से ३,२७,५११ से ३,४४ महिड्ढीय (महद्धिक) परा३०,३४.३५ से ३७, महावेदणतराग (महावेदनतरक) प १७६,२७ ३६,४१,४६,४६,५०,५८ महासंगाम (महासंग्राम) ज २।४२ महित्ता (मथित्वा) ज ५:१६ महासत्थपडण (महाशस्त्रपतन) ज २१४२ महित्य (दे०) प ११३७६४ महासमुह (महासमुद्र) ज ३२२,३६,७८,६३,६६, महिमा (महिमन) ५ २१६१,६०,११६,५३,७,२२, १०६,१६३,१८० ४६,७४ ज २।३१,६०,११६,५३,७,२२,४६, महासरीर (महाशरीर) प १७.२,२५ महासुक्क (महाशुक्र) प २१४६,५६,५७, ३१३५, महिय (महित) प २३०,३१,४१ ज ११३७,३७, १८३ ; ४।२४६ से २५१,६।३३,५६, ७।१४; । १०८ से १११ २११७०; २८।८१, ३३।१६३४११६,१८ महिय (मथित) उ ११२२,१४० उ २।२२ मह्यिा (महिका) प ११२३ महासुक्कग (महाशुक्रज) ज ५।४६ महिला (महिला) ज ११५,६४; ३११३८,१६७४ महासुक्कवडेंसय (महाशुक्रावतंसक) प २१५६ महिलिया (महिलिका) ज३।१२६।३ महासुमिण (महास्वप्न) उ१४० ४३ महिवड (महीपति) ज ३।११७ महासेणकण्ह (महासेनकृष्ण) उ ११७ महिस (हिष) प ११६४; २।४६,१११२१ महासेत (महाश्वेत) प २१४७१३ ज ३।२४,१०३ महासोक्ख (महासौख्य) प १३०,३१,४१,४६; महिती (महिषी) प १०२३ ज २।३४,७।१६८१२ ३६८१ ज १।२४.३१, ३।११५,१२४,१२५, महु (मधु) ज ७।१७८ उ १३४,४६,७४; ३।५१ २२६; ५११८ सू १७।१,२०११ महु (मधुः) प ११४८३ महाहिमवंत (महाहिमवत् ) प १६३३० ज ४१५४, महुयरी (मधुकरी) ज २०१२ १५,६१ से ६३,७६ से ८१,२६८ महुर (मधुर) प ११४ से ६ ५,७,२०५; महिड्ढिय (महद्धिक) परा३१,३७,३६.४२,४३, १११५८,१३१२८२३६४६,१०८, २८।२६, ४८,५०,५२; १७८४ से ८७,८६, ३६१८१ ३२,६६ ज २।१२,१५.६५,१४५,४।३,२५; ज ११२४,३१,४५,४७,५१,३१११५,१२४, ५२८,७१७८१४१,४४,३१६८ १२५,२२६; ४१२२,३४,५१,५४,६०,६१,६४, महुरतण (धुरतृण) प ११४२।२ ८०,८४,८५,६७,१०२,१०७,११३,१५६, महुरयर (मधुरतर) ज ५१२२ से २४ १६१,१६५,१६६,१७७,१८०,१८४,१८६, महुररस (मधुर रस) प ११४८१४ १९६,१६८,२०३,२११,२६१,२६४,२६६, महुरा (मथुरा) प ११६३५ २७२,५१८,७१८१,२१३ सू १७।१; मसिंगी (मधुशृङ्गी) प १४८३ १८।१६,२०११,२ महुस्सर (मधुस्वर) प ५१५२ महिंद (महेन्द्र) ज १२६,३१२ उ ११०,२६,६६; महेत्ता (मथित्वा) उ ३१५१ महेसर (महेश्वर) प २।४७।२ Page #331 -------------------------------------------------------------------------- ________________ महोरग-मायणि १०१७ महोरग (पहोरग) प ११६८,७५,१३२, २१४५ ज ३३११५.१२४,१२५ माणकसाई (मानकपायिन्) प ३१६८:२८।१३३ महोरगच्छाया (महोरगच्छाया) घ १६१४७ माणकलाय (मानकपाय) प १४।१ मा (मा) उ ११४१३।१०३,११२ ; ४।११ भाणकतायपरिणाम (मानकषायपरिणाम) प १३१५ माइ (मात) उ ११४८, २२,४१२८; ५।४३ माणसायि (पानकपायिन्) प ३९८ माइमिच्छद्दिदिठ (मायिथ्यावृष्टि) ११५१४६; माणणिस्तिया (माननिश्रिता) ११११३४ १७२२; ३४६१२; ३५।२३ मामूरण (मानभजन') ज ५१५८ माइमिच्छहिटिउवद गहरा भाणवग (माणवक) ज २०१२०,३११६७११,६, (मायिमिथ्यादष्ट्युपपन्नक) प १७.२७,२६ ३३१७८,४।१३५ सू २०१८ माइमिच्छद्दिट्ठीउववष्णग माणवय (मानवक) ज ४११३३७१८५ (मागिमिथ्यादृष्ट युपपन्नक) प १७१२७ सू १८१२३, २०१८४ माइय (मात्रिक) ज २११५ माणस (मानस) ३५.११२,३५१६,७ ज ५१२६ माईवाह (मातवाह) प ११४६ माणसंजलणा (भानसंज्वलना) प २३१७० माउय (मातक) ज ५६ से १२,१७,४६,७२,७३ मागसपणा (भानसंज्ञा) प८१,२ माउलिंग (पातुनिङ्ग) प ११३६११ माण सभुग्धाय (भान समुद्घात) प ३६४४२,४६, ४८ से ५२ मालिगाराम (मातुलिगाराम) उ ३४८,५५ माणि (मानिन्) ज ४११७२।१ सू २०१२ माउलिंगी (मातुलिङ्गी) प ११३७१ माउलुंग (मालुलिङ्ग) ५१६१५५१७।१३२ माणिक्क (माणिक्य) ज ३।१०६ माणिभद्द (माणिभद्र) प २।४५,२१४५१ ज ११३; मागह (मागध) ज ५१५५;६।१२ से १४ ७।२१४ चं ७,६ सू ११२,४ उ ३।२।१,३।१६६ मागहकुमार (मागधकुमार) ज ३।१६१ माणिभड्कड (माणिभद्र कूट) ज १२३४,४६ मागहतित्य (मागधतीर्थ ) ज ३११४,१५,१८,२२, माणस (मानुष) प २०६४।१४ ज २।१५,६७, २६:५५५ ३१६२,११६,४११७७ सू १९२२।२२०१२ मागहतित्थकुमार (गवतीर्थकुमार) ३।२०, माणुसमेत मानुषक्षेत्र) - १६।२१।१,२,१६०२६ २६,२७,२८.३० मागहतित्थाधिपति (मारघतीर्थाधिपति) १२५. माणुग (मानुष) १९२२५२७,२६ SAVध (मानुपलोकः) सु १६२११६,२०१२ मागहतित्याहिवाई (मागधतीर्थाधिपति) ३१२६ माघी (माघी) ज ७१४० मासुत्तर (बानुषोत्तर) अ ७।५५,५८ सु १६३१६ माडंबिय (माउम्बिक) प १६४१ ज २२५,३६, ___मास्लग (मनुष्य) उ ३।१३७ १०,७७,८६,१७८,१८६,१२८,२०६,२१०, माणुसब (मनुष्य) ज ३८२,१८७,२१८, २२१:४११७७ २८ २०१७ उ १।११,३४,५२२५ २१६,२१६,२२१,२२२१६२३१११, माता (जात्रा) प १६४ १०१,५११० माढरी (नाठरी) प ११४८।४ माय (मा) माजा परा६४।१६ माढी (माठी) ज ३।३१ भायंजन (पाताञ्जन ज ४।२०२ माण (मान) प ११४३४११:१४१४,६,८,१०१४; मायापायिन) १३१६८,१८१६५ मायण (भादनि) उपा२१ २२।२०,२३१६,३५,१८४ ज २११६,६६,१३३; ३१६५,१३८,१५६,१६७१३,२२१ सू१२।१७।१ १.० ४।१०६ Page #332 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०१८ माया-माह माया (माया) प ११३४।१।१४।४,६,१० से १४:२२।१०२३।६,३५,१८४ ज २१६,६६, १३३ ३ ३।३४ माया (मात) जरा२७,६९५५,७ से १०,१२, १४,१७,४६.६७ उ १।१४८ माया (मात्रा) ज ४१३६,४३,७२,७८,६५,१०३, १४३,१७८,२००,२१३ मायाकसाइ (मायाकपायिन्) ५ २८१३३ मायाकसाय (मायाकपाय) १४११ मायाकसायपरिणाम (मायाकपायपरिणाम) १३१५ मायानिस्सिया (मायानिश्रिता) ११३४ मायामोस (मायामषा) प २२१२०,८० मायामोसविरय (मायामपाविरत) प २२१८५,६६ मायावत्तिया (मायाप्रत्यया) प १७।११,२२,२३, २५, २२२६०,६३,६८,७१,६३,६६,१०१ मायासंजलण (मायासंज्वलन) प २३७१ मायासण्णा (मायासंज्ञा) प ८।१,२ मायासमुग्घात (मायासमुद्घात) प ३६।४६ मायासमुग्घाय (मायासमुद्घात) ५ ३६१४२,४८ से ५१ मारणंसियसमुग्घाय (मारणःन्तिकममुद्घात) प १५१४३; २११८४ से ६३३६१,४,७,२७, २६,३५ से ४१.४६,५३ से ५८,६६ मार (मार) ज ५१३२ मार (मारय) मारिस्सइ उ १८६ मारिबहुल (मारिबहुल) ज ११८ मारुय (मारुत) ज ५१५ मारेउकाम (मारयितुकाम) उ १०३ माल (मालक) ५११३७।५ नीम माल (माला) प २१५० ज ५१८ मालक (मालव) प १८६ मालवंत (माल्यवत) ज ४/१०८,१४२१३,१४३, १६२११,१६३ से १६७,१६६,१७२ से १७४, २०३,२०७,२०६,२१०,२१५,२६२ मालवंतकड (माल्यवत्कट) ज ४११६३ मालवंतद्दह (माल्यवद्रह) ज ४२६२ मालवंतपरियाय (माल्यवतपर्याय) प १६।३० ज ४।२७२ माला (माला) प २।३०,३१,४१,४६ ज ३१६,२०, ३३,४७,५४,६३,७१,८४,११३,१३७,१४३, १६७,१८२,१८६,२०४,२२२ मालागार (मालाकार) ज ५१७ मालि (मा लिन ) प ११७१ सांग विशेष मालिया (मालिका) ज ७१७८ मालुय (मालुक) प ११३५.१ मालुया (मालुका) प ११४०।५,११५० मास (मास) घ ४११०१,१०३, ६१५,१३ से १६, ३५,३६,४४:१८१२३ ; २३१६६,७०,१६५, १८४ ज २१४,६४,६६,८३,८८,३।११६; ७११४१२,११५,१२६,१२७,१३६३१,१५६ से १६७ च ५।३ सू १३६६.१ ८.१; १०१६३ से ७४,१२४,१२।३ से ६,१० से १२,१५; १३१३,१४,१७,१५.१४ से २८, २०१३ उ १६३६,४०,४३,५३,७४,७८,३१४० मास (माष) प ११४५१ ज २१३७, ३।११६ उ ३१३६.४० मासखमण (मासक्षपण) उ२।१०।३।१४,८३; ४।२४५।२८,३६,४३ मासचुण्ण (माषचूर्ण) प १११७६ मासद्ध (मासा) उ २११०३.१४ ८३,४।२४; ५।२८,३६,४३ मासपण्णी (मापपर्णी) प ११४८१५ मासपुरी (मासपुरी) प १६६३।५ मासल (मांराल) प १७।१३४ माससिंगा (मास 'सिंगा') प ११७८ उडद की फली मासवल्ली (मापवल्ली) प १४०१४ मासिय (मासिक) ज ३१२२५ मासिया (मासिकी) उ२।१२:३१५०,१६१,१६६ ५२८,४३ माह (गाघ) ज २।८८,७।१०४ सू १०।१२४ Page #333 -------------------------------------------------------------------------- ________________ माहण - मिसिमित माहण ( माहन) उ ३।२८,२६,४५,४७,४८,५०, ५.५, ५८, ६०, ७५, ७६.७६ माहणकुल (महनकुल) उ ३११२५ मारिसी ( मानषि ) उ ३।५१ से ५७,६२,८२ माहणी ( माहनी ) उ३।१२६ से १३१,१३४ से १४४,१४७, १४८ माहिंद ( माहेन्द्र ) प १११३५, २०४९, ५३, ५४,६३; ३।३२,१८३,४१२४० से २४२,६१३०,५६.६५, १५८८२११७० २८१७८ ३४११६, १० ज ५४२; ७११२२१ सू १०२८४।१२।२२ माहिद (माहेन्द्र ) प २१५३, ७१११, ३३|१६ मादिवडेंस ( माहेन्द्रावतंसक ) प २०५३ माही ( माघी) ज ७।१३७, १४६, १५३,१५४ सू १०१७.१४,२३,२५,२६ माहेरी ( माहेश्वरी ) प १६८ मिउ (मृदु ) ज २।१६:३।११७३७ १७८ मिजा ( मज्जा ) प ११४८०४५,४६ मिग (मृग ) प २४६ सू १०।१२० मिसिरा ( मृगशिरा ) ज ७ १३६, १६०,१६१ सू १०१२ से ५,१२,२३,३८ मिगसीसावलि ( मृगशीर्षावलि) ज ७ १३३११ मिच्छत्त ( मिथ्यात्व ) प २३।३ उ ३।४७ मिच्छत्तवेदणिज्ज ( मिथ्यात्ववेदनीय ) प २३१६८, १८२ मिच्छतवेय णिज्ज ( मिथ्यात्ववेदनीय ) प २३११७. ३३,६६,१३८, १५७,१६१, १६६ मिच्छत्ताभिगम (मिथ्यात्वाभिगनिन् ) प ३४१४ मिच्छद्दि (मिध्यादृष्टि ) प १७४,८४ ३२१००, १८३:६।६७, १३।१४,१६,१७, १७।११,२३,२५; १८ ७७; १६।१ से ५ ; २१/७२,२३।१६६,२००, २६।१२६ मिच्छादंसणपरिणाम ( मिथ्यादर्शनपरिणाम ) प १३।११ मिच्छावं स णवत्तिया ( मिथ्यादर्शनप्रत्यया) प १७ ११,२२,२३, २५, २२६०,६५,६६, १०१६ ६६,७२ से ७४,६४,६५,६७ से ६६.१०१ मिच्छादंसणसल्ल ( मिथ्यादर्शन शल्य ) प २२।२०, २५ मिच्छादंसण सल्लविरय ( मिथ्यादर्शनशल्यविरत ) २२८६,८७,६६, ६०, ६७ से ६६ मिच्छादंसण सल्लवेरमण ( मिथ्यादर्शन शल्यविरमण ) प२१८१,८२ मिच्छादंसण ( मिथ्यादर्शनिन् ) प २२१६५ मिच्छादिठि ( निथ्यादृष्टि ) प २३।१६५ मिज्जमाण ( सीयमान ) सु १२२ मित (मित) उ ११४१, ४४ मित्त (मित्र) ज २ २६ ३११८७ ७ १२२११, १३०.१८६१४ सू १०३८४११ उ ३१३८, ५०, ११०,१११,४।१६,१८ मित्तदेवया ( मित्रदेवत । ) सू १०/६३ मिय (मृग ) प १६४,१११४ ज २।३५ उ ५ ५ मिय ( मित) ज २।१५ मियंक (मृगाङ) सु २०१४ मियगंध ( मृगगन्ध ) ज २५०, १६४, ४११०६, २०५ मियलुद्ध ( मृगलुब्ध) उ ३१५० मियालुंकी (मृगवालुकी ) प १२४८|४; १७११३० मियालुंकीफल ( मृगवा लुकीफल ) प १७ १३० मिरिय (मरिच ) प १७।१३१ मिरियण्ण (मरिचचूर्ण) प ११ ७६; १७।१३१ मिसिर (मृगशीर्ष) ज ७।१२८ मिरी ( मरीचि ) ज ३१११७ मिरीचि ( मरीचि ) सू २१ मिरीया ( मरीचि ) सू २०१ मिलक्खु ( म्लेच्छ ) प ११८८८१ ज ३३७७,१०६ मिलाइता (मिलित्वा ) ज ५।६४ मिलाय ( मिलय् ) मिलाइ ११२५ मिलायंति ज ३।१११ मिलता (वा) ज ३११११ मिलिय (मिलित ) प १६।१५ २२८४ मितिसित (दे० ) ज ३११०६५।२१ मिसिमित (दे० ) ज ३१६,२४,२२२, ५१२८ Page #334 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२० मिसिमिसेमाण-मुद्दा मिसिमिसेमाण (दे०) ज ३१२६,३६,४७,१०७, १०६,१३३ उ ११२२,५७,८२,११५,१४० मिस्स (मिथ) प १४४७१२ मिस्सकेसी (मिश्रकेशी) ज ५१११११ मिस्तार (मिथाकूर) सू १०२० मिहिला (मिथिला) पश६३१३ ज ११२,३; ७२१४ च ६ से ८ सू १।१ से ३ उ ३११७१ मिहुण (मिथुन) ज २११२; ४१३,२५ उ ५१५ मीसग (मिथक) ५ ३२१६१ मौसजोणि (मिथयोनि) प ६१६ मौसजोणिय (मिश्रोनिक) प ६।१६ मोसय (मिश्रक) ज २१६५,६६ मीसाहार (मिश्राहार) प २८।१.२ मीसिय (मिश्रित) प ६३१३ से १७ मुइंग (मृदंग) प २१३०,३१,४१,४६,३३।२४ ज ११४५;३.१२,२८,४१,४६,५८,६६,७४, ७८,८२,१४७,१६८,१८०,१८५,१८७,२०६, २१२,२१३,२१८,५१,५,१६, ७५५,५८, १८४ सू१८।२३,१६१२३,२६ मुइंगपुक्खर (मृदंगपुष्कर) ज २६१२७ मुंच (मुच्) कोच्छिहिति ज २११३१ मुंजपाउयार (मुजपादुककार) प श६७ मुंड (मुण्ड) प २०११७,१८ ज २१६५,६७,८५,८७ उ ३३१३,१०६ से १०८,११२,११८,१३६, १३८,१३६,४।१४,१९:५३२ मुंडभाव (मुण्टभाव) उ२२४३ मुंडि (मुण्डिन् ) ज ३३१७८ मुक्क (मुक्त) प २१३०,३१,४१ ज २११०,१५; ३७,८८,४११६६५७ मुक्केलम (दे०) प १२१८ से १३.१६,२०,२१, २३,२४,२७,२८,३१ से ३३ मुक्केलय (दे०) प १२।७ से १०,१६,२०,२४,२७, २८,३६ मुगुंद (मुकुन्द) ३।३१ मुग्ग (मुद्ग) प ११४५३१ ज २१३७,३१११६ मुग्गचुण्ण (मुद्गचूर्ण) प ११७६ मुग्गपण्णी (मुद्गपर्णी) प १:४८५ मुग्गसिंगा (मुद्ग सिंगा') प १११७८ मूग की फली मुग्गसूव (मुद् गसूप) सू १०११२० मुच्च (मुच्) मुच्चइ प ३६.८८ मुच्चंति प६११० ज ११२२,५०,२१५८,१२३,१२८; ४११०१ उ ३११४२ मुच्चति प ३६।११ मुच्चिहिइ उ १११४१,३।४६:५१४३ मुच्चिहिति २।१५१ गुच्चेज्जा प २०१८ मुच्छिय (मूच्छित) ज ५१२६ उ ११४७,३।११४ ११५,११६ मुछि (मुष्टि) ज २११४१ से १४५,३।११५, ११६,१२२,१२४ मुठ्ठिय (मौष्टिम,मुप्टिक) ज २।३२; ५,५ मुणाल (मृणाल) प ११४६,११४८।४२,२०६४ ल ३११०६४३,२५ मुणालिया (मृणालिका) प २।३१ मुणेयव (ज्ञात य) प १३८१३,२१४०१६,११; १५६१४३ ज ४।१४२।३,७४१३४१४ सू१६२२१११,२२ मुत्त (मुक्त) २१८८,८६,३७६,११६,११७,२२५ १५,२१,४६ मुत्त (मूत्र) उ ३३१३०.१३१,१३४ मुत्तजाल (मुक्तजाल) ज ३३१७७ मुत्तमाण (मुद्रयत्) उ ३।१३०,१३१,१३४ मुता (मुक्ता) ज ४।२७ मुत्ताजाल (मुक्ताजाल) ज ३।३०,४७,२२२ सुतादास (मुक्तादामन्) ज ५१३८ मुत्तालय (मुक्तालय) प २१६४ मुत्तालि (मुक्तावनि) ज ३।२११,४१२३,३८, ६५,७३,६०,६१ मुत्ति (मुक्ति) प २१६४ ज २०७१ मुत्तियाजालय (मौक्तिकजालक) ज ३।१०६ मुत्तिसुह (मुक्तिमुख) प २१६४११५ मुत्तोली (दे०) ज ३११०६ मुद्दा (मुद्रा) प २१३१ Page #335 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुद्दिया-मेंढमुह १०२१ मुद्दिया (मृद्वीका) प ११४०१४ ६५,९६,६८ से १००,१२२,१२६,१२७, मुद्दिया (मुद्रिका) ज ३१६,२११,२२२ १३४।१,२,३,१३५१ से ४ च ३३१४११:५।२ मुद्दियासारय (मृद वोरासारक) प १७१३४ सू१।७।१,११८।१,११६२,११०,१३,१४,१६ मुद्ध (मुर्धन् ) ज ५१२१,५८,६४,७२,७३,७१७८ से १८,२१,२२,२४,२७,२१३,३१२,४८,९; मुद्धत (मूर्द्धान्त) सु २०१२ ६।१८:१; ६।२;१०।२ से ५,८४,१३३,१३४, मुद्धय (दे०) प ११५८ १५२ से १६५,१११२ से६१२१२ से ६, मुद्धागय (मूर्द्धगत) ज ३९२,११६ १२,१३,१६ से २८,१३॥१.३,१४१३,७; १५२ मुम्मुर (मुर्मुर) प ११२६ से ४,८,६,११,१२,३७:१७.१ उ श२४,४७, मुम्मुरभूय (मुर्मुरभूत) ज २११३२,१४१ ९०,६२ मुय (मुच्) मु ति कु २०१२ मुहत्तगइ (मुहूर्त गति) चं ४।३ मुयंत (मुञ्चन्) ज २:१२ मुहत्तरंग (मुहूर्ताग्र) च ५११ सू १।६।११०१२; मुरव (मुरज) ज ३।१२,७८,१८०,२०६ १२॥२ से । मुरुंड (मुरुण्ड) प ११८६ मूल (मूल) प १३५,३६,११४८।१०,२०,३०,३४, मुरुंडी (मुरुण्डी) ज ३।१११२ ५१ ज १८,३५,५१,२१६३१२२२०,४७,१५, मुसल (मुसल) प २१३०,३१.४१ ज २१६,१४१, ४३,४५,७२,७८,६०,६५,११०,११४:१२०, १४५, ३१३,२०,३३.५४,६३,७१८४,११५, १४२११,१४६,१५६।१,१७४,२१३,२४२; ११६,१२२,१२४,१३७,१४३,१६७,१८२; ५६७,७१३६,३८,६२४११,१२८,१२६, ७.१७८ १३२।४,१३६,१४०,१४६,१५२,१६६,१६७, मुसावाय (मृषावाद) प २२।१२,१३,८० १७५ सू१०।२ से ६,१८,२३,५२,६२,७३ से मुसावायविरय (मषावादविरत) प २२१८५ ७५,८३,११७,१२०,१३१ से १३३,१२।२७; मुसंढी (दे०) प ११४८।१२।३०,३१,४१ १८१७ 3 ३१५०,५१,५३ मुह (मुख) ज २०७१,१३३,३।१०५,१०६, यूलग (मूलक) प ११४४।२,११४५१२ ज ३१११६ १६७१११४१२३,३६,३८,३६,४३,६५,६६, मूलांग (मूलाग्र) प ११४८१६३ ७२,७३,७८,६०,६१,६५,१८३.२६२७।१७८ मूलपासायव.सय (मुरुप्रासादावतंसक) ज ४।१२० उ ३१५५,५६,६३,६४,६७,६८,७०,७१,७३, भूलय (मूलक) प १।४८।२ ७४,७६, ४।२१ मूलाग (मूलक) उ १९६२ मुहफुल्लय (मुखफुल्लक) ज ७१३३१२ मूलाषण्ण (मूतकपर्ण) १०११२० मुहफुल्लसंठिय (मुख'फुल्ल'स स्थित) सू१०४७ मूलाबीय (मुलना वीज) ज २१३७ मुहभंडग (मुखभाण्डम.) ज ३११७८ मूलाहार (मूलाहार) उ ३५० मुहमंगलिय (मुखमाङ्गलिक) ज २१६४;३३१८५ मुसग (मुषक) प ११७८ मुहमंडव (मुखमण्डप) ज ४.१२२ मूसा (भूषक) प १७६ मुहुत्त (मुहूर्त) ६१ से ४,६ से १०,१७,१८,२२ मेइणी (मेदिनी) ज २११५ से ३०,४५७१३,६ से ६२३१६३,१२७,१३१, मेइणीय (मेदिनीक) ज ३११८,३१,१८० १८८ ज २१४१२,३,२१६६,१३४,३३३२१२, मेंढक (मेंढक) सू १०।१२० मेढानिंगी लता २०६७।२० से ३०,३६ से ३८,७६ से ८२, मेंढमुह (मेंढमुख) प ११८६ Page #336 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२२ मेघ-या मेहा (मेघा) ज ३३ मेहाणीय (मेघानीक) ज ३।११५,१२४,१२५ मेहावि (मेधाविन्) ज ३।१०६ मेहुण (मथन) २८१६,१७,८० मेहुणवक्तिय (मशनर) ज ७११८५ १८।२३, २४;२०१६ मेहुणसण्णा (मथुनसंज्ञा) प ८११ से ५,७ से १,११ मोढ (दे०) ३ ११८६ मोक्ख (मोक्ष) ज २।७१ मोगली (गली) एक जंगली पेड । १४०।५ मोग्गर (मुद्गर) ११३८१२; २१४१ ज २।१० मोग्गलयण (मौद्गलायन) ज ७।१३२२१ सू १०१६२ मोत्ति (मौक्तिक) ज ३११६७।८ मोत्तिय (मौक्तिक) २४६ ज २।२४,६४,६६) मेघ (मेघ) ज ३।२२४ मेघमालिनी (मेघमालिनी) ज ४१२३८ मेघस्सर (मेघस्वर) ज ५१५२ मेच्छ (म्लेच्छ) प २१६४१७ मेच्छजाइ (म्लेच्छजाति) ज ३१८१ मेढी (मेढी) उ ३।११ मेढीभूय (मेढीभूत) उ ३१११ मेत्त (मात्र) प ११४८६०,११७४,८४; १२११२, २४,३८,१५१०,२३,२११८४,८६,८७,६० से ६३,३३३१३,३६।५६,६६,७०,७४ ज २।१३४ उ ३।८३,१२०,१२१,१२७,१२८,१६१; ४१२४;५१२३ मेद (मेदस्) प २।२० से २७ मेधावि (मेधाविन्) ज ५१५ मेय (मेद) १८६ मेरग (मैरेय) उ ११३४,४९,७४ मेरय (मैरेय) प १७:१३४ मेरा (मर्यादा) ज ३१२६,३६,४७,७६,१३२,१३३, १३८,१५१,१८८ सू २०१६।४ मेराग (मर्यादाक) ज ३।१२८,१५१,१७०,१८५, २०६,२२१ उ ५.१० मेरु (मेरु) ज ४१२६०।१७।३२११,७१५५ सू ५।१; ७।१:१६२२११०,११,१६१२३ मेरुतालवण (मेरुतालवन) ज राह मेलिमिद (दे०) ५११७० मेसर (दे०) प १७९ मेह (मेघ) ज २१३१, ३१७.६३,१०६,१२५, १७,१६३,५१२२ से २४ उ ११ मेहंकरा (मेघकरा) ज ४।२३७,५०६१ मेहकुमार (मेषकुमार) उ २११११,११२ मेहमालिणी (मेघमालिनी) ज ५१६१ मेहमुह (मेघमुख) २ १८६ ज ३१११ से ११५ १२४ से १२६ मेहबई (मेघवती) ज ४२३८; ५।६।१ मेहवण्ण (मेघवर्ण) उ ५१२४,२६ मोद्दाल (दे०) ज २१८ मोयई (मोची) १३५१ हिलमोचिका साग मोयग (मोचक) ज ५।२१ मोरगीवा (मयू रग्रीवा) प १७६१३४ मोसभासग (मपाभाषक) प ११०१० मोसमण (मृपामनम् ) प १६:१,७ मोसमणजोग (मृपामनोयोग) प ३६१८६ मोसवइजोग (मपावाक्योग) ५ ३६.६० मोसा (मृपा) ११११२ से १०२६ से २६,३२, ३४,४२,४३,४५,४६,८२,८४,८५,८७ से ८६ मोह (मोह) प २३११६१ ज २१२३३ मोह (माहय् ) मोह ति ज ११३ मोहणिज्ज (मोहनीय) प २२१२८,२३११,१२, १७,३२,१६२, २४।१३:२६।१२, २७१६ मोहरिय (मौखरिक) ज ३११७८ य (च) ५१।१० ज १७ सू १७ उ १७, ३।२।१४।२। १ २।१ या (च) उ ३१२११ Page #337 -------------------------------------------------------------------------- ________________ याण-रत्या १०२३ याण (ज्ञा) याणंति प १५।४६,४८,४६% रठ्ठ (राष्ट्र) उ ११६६,६४,६६ ३४.११.१२ याणति प २३११३ याणामो रट्ठकूड (राष्ट्र कूट) उ ३३१२८ से १३१.१३३, उ १।३६ १३६,१३८ से १४०,१४७,१४६ याव (यावत्) प ११२०,२३,२६,२६,३६.३७,३६ रणभूमि (रणभूमि) उ १११३५ से ४७,११४८७.१० से ३७,४१,४३,१४४८ से रतण (रत्न) ५२१४८ ५१,५६,६०.६० से६६,७०,७१,७५,७६,७८, रतणप्पभा (रत्नप्रभा) प २१४८,४६३३१८३; रतणम्पमा रत्नप्रभा) ६६.६७ ६।६११०१२,३ रतणबडेंसय (ग्लावतंसक) १२१५१ रतणामय (रत्नमक) २०४६ रई (रति) १४१ ज ५१२६ रति (रति) २३६३६,७६,१४४ रइकरग (रतिकर क) ज ५१४८,४६ रतिणाम (रतिनामन्) प २३१६४ रइकरगपन्वय (रनिकर कपर्वत) उ ५१४४ रतिपसत्त (रतिप्रसक्त) सू २०१७ रइत (रचित) ए ३६१६२ रत्त (रक्त) प २१३१,२१४०।१० ज ३७,२४,२५, रइत्त (रतिद) ज ३१३५ १८४,१८८७१७८ सू १३.१,२०१३,७ रइय (रचित) १ २।३०,३१,४१ ज ११३७,२१५, उ१९७२,७३,८७,८८,६२ ३१६,६,१८,२४,३५,६३,१०६,११७,१७८, रत्त (रात्र) ज २६.१,२।१४१ से १४५,३३११५, १८०,२२१,२२२,५१४३०१५५ ११६,१२१,१२२,१२४ रइय (रतिक) प २१४८ रत्तंसुय (रक्तांशुक) ज ४११३ सू २०१७ रइय (रतिद) ज २११५ रत्तकंबलसिला (रक्तकम्बल शिला) ज ४१२४४, रइयामय (रजत मय) ज ४११३ २५२ रउस्सल (रजस्वल) ज २।१३१ रएत्ता (रचयित्वा) उ१।१३७, ३१५१ रत्तकणवीरय (रक्तकरवीरक) प १७१२६ रंग (रङ्ग) ज ३।१६७१६ रत्तचंदण (रक्तचन्दन) प २१३०,३१,४१ रक्खस (राक्षस) ५ १५१३२, २१४१,४५ ज ७१२२ रत्तबंधुजीवय (रक्तवन्धुजीवक) प१७११२६ रत्तरयण (रक्तरत्न) ज २१२४,६४,६६,३।१६७ रक्खा (रक्षा) ज ५११६ रत्तवई (रक्तवती) ज ४१२७४।६।१६ रज्ज (राज्य) ज २१६४;३१२,१७५,१८८ उश६६. रत्तवईकूड (रक्तवतीकुट) ज ४।२७५ १४,६६,१०३,१०६,११०,११३,११४,१२१, रत्तसिला (रक्तशिला) ज ४१२४४,२५१ १२२,१२६,५९,११ रत्ता (रक्ता) ज ४१२७४; ६.१६ रिज्ज (रञ्ज) रज्जति सु १३३१ रत्ताकूड (रत्ताकूट) ज ४।२७५ रज्जधुरा (राजधूर्) उ १।३१ रत्ताभ (रक्ताभ) प २१४६ रज्जवास (राज वास) ज २१८७ रत्तासोग (रक्ताशोक) ११७६१२६ रज्जसिरि (राज्यश्री) उ ११६५,६६,७१,६४,९८, रत्ति (त्रि) ज ३१६५,१५६ ६९,१११,११२ रस्तुप्पल (रक्तोत्पल) प १७:१२६ ज २।१५; रज्जु (रज्जु) ज ३३१०६७।१७८ ७११७८ रज्जुच्छाया (रज्जुच्छाया) गू६१४ रत्था (रथ्या) ज ३७ सू १०८४१३ Page #338 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२४ रम-रयणी रिम (रम् ) रमंति ज १११३,३०,३३,३७ ; ४१२ ११२,१२३,१३१ रमंत (रममाण) ज ३।१७८ रयणकरंड (रस्नकरण्ड) ज ३१११ रमण (रमण) ज ३।१३८ रयणकरंग (रकार गडक) ज ५१५५ उ ३।१२८ रमणिज्ज (रमणी) प २।३१,४८ से ५१.६३ रयकुन्छिधारिय (त्निकुक्षिधान्बिा ) ज ५।५,४६ १७४१०७,१०६ १११ ज १११३.२१,२५,२६, रयणचित्त (मानचित्र) ज ३४५६,१४५ २८,२६,३२,३३.३६.३७,३६.४०,४२,४६) रयप्पभा (नप्रभा) ए ११५३; २।१२०,२१, २।७,१०,१५,३८,५२,५६,५७,१२२,१२७, ३० से ४६,४१ से ४३,४६,५०,५१,६३; १४७,१५०,१५६,१५६,१६१,१६४,३१६,८१, ३.११.२१,४१८ से;६।१०,४५,५.१,७३, १६२,१६३,१६६,१६७,२२२,४१२,३,८,९,११, ८८,६१,१०६:१०।१ से ३,२८,३०,१६१२६; १२.१६,३२,४६,४६,४०,४६,५०,५६,५८,५६, २०१६,६,२८.३६.४६,५०,५९,२११५२,५६, ६३,६९,७०,८२,८७,६८,१००,१०४,१०६, ६६३०।२५ से २८:३३१३,१६ र २११; १११,११२,११७,११८,१३१.१६६,१७०, ६।३,१८१ १७६,२०२३१,२३४,२४० से २४२,२४७, रयणप्यमा पुरविणेरइय (रत्नाभा प्रथित्रीनरक) २४८,२५०,२६७, ५१३२,३५,७१७८ मू२।१६।३,१८१ रयणर. य (बावतंसः) २१५६ रम्म (रम्य) ज २१०,१२, ३१८१; ४।२०२१ रयण (वासा) (रत्नवर्ण) ज ५१५७ उ ३।४६;५.६ रयणमय (रनमा) ! २।३०,३१,४१ से ४३, रम्मग (रम्बक) ज ४।१०२,२०२ ४६,५० से ५२,५.८ से ६०,६३ ज २९१०, रम्मगकूड (रम्यककूट) ज ४१२६३।१,२६६११ ३१,३५,४०,४६।१,२१११४,११५,३१६६, रम्मगवास (रम्पकवर्ष) प ११८७:१६।३० १००,१०१ ; ४१२८,३०,४१,४५,५७,६२,७४, ज ४१०२,१६२,२६६ से २६८,६१६,२१ ७६,१०३,११४,१३६,१७८,२१२,२१७,२७६; रम्मय (रम्यक) प १७११६४ ज ४।२०२।१,२६५ ५.३७ से २६७ रयणसंचया (रत्नांचया) ज ४१२०२।२ रम्मयवास (रम्यकवर्ष) ज २६ रयणाली (रत्नावली) ज ३१२११ रय (रजस्) ज ३।२२३, ५७ राण (नि) १७५२१६४७,८,२११६६.६७, रिय (रच्य) रएइ उ १११३७,३१५१ रएंति ७०,७१३४ ज २११३३ याट जोह - ३१११४ रयाण (रनि), ११४,६११ रयण (रत्न) प १११२,११३,४८, २१३०,३१,४१, राषिकर (रजनिकर) ज ३।१०६ गु १६१२२११२, ४८,१११२५; १५३५५१२,२०१११ ज ६४, ६६, ३।६,१२,१८,२४,३०,३१,३२॥१,३५, रवणिलेत (रजक्षेत्र) ज ७४२७,३० ५६.६४,७६,७७,८१,११७,१२५ से १२८, रयजिगर (जनिकर) ज ३।११७ १३८,१४५,१५.१,१५२,१६७४१,५,१२,१४, रणिपुहतिय (थिक्त्यिक) प १७५ ३।१६८,१७५,१७८,१८०,१८४,१६२,२११, रणिय (रनिः ) ४।१० २२१,२२२४१४६,१३७; ५।५,७,१३,१६, रणियर (रजनिवार) ज २११५,३१११७ ३८,५८,७११७८ सू १८/८२०१७ उ१११११, रयणी (ररिन) १६,१२८,१३३,१४८ Page #339 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रयणी - रहवर रयणी (रजनी) ज २१२८, १३३,३६१८८, ७ १२० सू १०८८१३ उ ३२४८, ५०, ५५,६३,६७,७०, ७२,१०६,११८ रयणुच्चय ( रत्तोच्चय ) सू५४१ रयणोच्चय ( रत्नोच्चय ) ज ४२६०११ रत्ताण ( रजस्त्राण ) ज ४११३ सू २०१७ रयमत्त ( रतमत्त) ज २।१२ रथ (रजत) ज ३ | १०३,४१२५, १२५, १४६; १६२१,२३८,२५.५ ५१५,६२; ७११७८ रययकूड (रजतकूट ) ज ४।१६४,२३६ रखंड ( रजतखण्ड ) ११/७४ वालुवा (रजतवालुका) ज ४१३ रययामय ( रजतमय ) ज १२३ ३ १२,८८४३ १३,२५,६४,८८,२०३५१५८ ७ १७८ रव (ख) २३०,३१,४१,४६ ज ११४५ २२६५ ३१२२,३६,७८,८३,६३,६६,१६३, १८०, १८३, १८५, १८७, २०४,२०६,२१३,२१६,५११, ५, ६,२२,२६,४४,४६, ४७,५६,६७, ७१५५,५८, १७८१८४ १८१२३; १९ २३, २६ उ १।१२१,१२२, १२५, १२६,१३३,१३४,१३८; ३।१११, ४११८५ १६ रवभूय ( रवभूत) ज ३११०६ रवि (रवि) ज २०१५; ३१३,३०,७११२७।१,१६७ सू १०९७७ १६८।२:२२/३ रविकिरण ( रविकिरण ) ज २२१५ रस (रस) प ११४ से ६ ३ १८२५१५,७,१०,१२, १४,१६,१८,२०,२४,२८,३०, ३२, ३४, ३७, ३६, ४१,४५,५३,५६,५६,६१,६३,६८, ७१.७४, ७६,७८.८३,८६,८६,६१,६३,९७,१०१, १०४, १०७.१०६,१११,११५, ११६,१२६,१३८, १५०,१५२, १५४,१६०, २०५, २०७, २११. २१४,२२८,२४२,२४४, १० १५३११:११ ५७, १८१५/३८; १७३११४।१, २३११५,१६,१९, २०,१०८ २६१२०,३२.६६; ३६/८०, ८१ २११८,४५, १४२, ३३८२,१८७,२१८; १०२५ ७ ११२२४, २०६ सू १०/१२६२४; २०१७ उ ५।२५ सओ (रस) प ११५ से ६,२८।२६,३२,६६ रसचरिम (रराचरम ) प १०३५०, ५१ रणाम (रसनामन् ) प २३३३८,४६ रसतो ( सतस् ) प १६, ६, ६ ११५८२८८, २०, ५४ रसदेवी ( रसदेवी ) उ ४२१ रसपज्जव ( रसपर्यव) ज २१५१,५४, १२१, १२६, १३०,१३८, १४०,१४६,१५४, १६०,१६३ रसपरिणाम ( रसपरिणाम ) प १३।२१,२८ रसभेय (द) प १।४८।५ समंत (वत्) प १११५२,५७२८१५,५१ रमेह (घ) ज २१४५ रसविण्णाणावरण (सविज्ञान ) प २३।१३ रसादेस (रसादेश ) प ११२०,२३,२६,२६,४८ रसावरण ( रसावरण ) प २३१३ सिदिय (सेन्द्रियत्व ) प ३४१२० रशिय (सित ) ज ३।३५: ५। २२ से २४, २६ रोदय ( रसोदक ) प १२३ रसि (२) ज ३१३,१८८ रह ( 25 ) ज १२६,२।१२,३३,६५,१३४,३३, १४,१७,२१ से २३,२८,३१,३६,३७,४१,४५, ४६,७७,७८,६१,६८,१०६, १३१,१३५, १७३, १७५,१७७ से १७६,१६६,२२१५।५७ उ १११४,१५,२१,२२,१२१,१२६,१३३,१३६ से १३८४११५: ५११८ रहचक्कवाल ( रथचक्रवाल ) प ३६।८१ ज १७ सू ११४ रहच्छाया (रथच्छाया ) प १६/४७ रहनेउ रचक्कवाल (रथनूपुरचक्रवाल) ज १९।२६ रह (रथाथ ) ज २११३४ रहमुसल ( रथमुसल) उ १११४, १५, २१, २२, २५, २६,१३६, १३७,१४० रहरेणु (रथरेणु) ज २१६ रहवर ( रथवर ) ज २।१५; ३।२२.३६,४४ Page #340 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२६ रहसिर (रथशिरस् ) ज ३ । १३१,१३५ रहस्स (रहस्य) उ३।११ रहस्सियाग ( राहसिक ) उ ११४६ रहस्सियय ( राहसिक ) उ ११४४ हरसीकर (रहस्यो कृ ) रहस्सीकसि उ ११३६ रहिय ( रहित ) प ३२|६| १३५।११२ ज २११५, १३३ सु २०१६।६ रहोकम्म (रहःकर्मन् ) ज २७१ राइ ( रात्रि ) ज २११५; ३ | ११७,७१२६ से ३०, १२०,१२१ चं ५।२ सु १६३; २१, ३, १६।११।१ राइ ( राजन् ) उ५११० राइदिय (रात्रिदिव) प ६१३० १८।३३,५१; २३।१६२ ज २१४६, ५२, ५६, १५६, १६१; ७१२७,३०,१५८, १६१ से १६७ सू १/११, १४,२२ से २४,२७; २/३ ; ६।१; ८११; १०।१६६ से १६६६१२।२ से ६, १३, १५; १५/३२,३४,३७ उ ११५३,७८ इंदिया (रात्रिदिवान ) सू १।११,१२।२ से ६, १५. राइष्ण ( राजन्य ) प १।६५ ज २१६५ राईसर ( राजेश्वर ) ज ३३६,७७,८६,१७८, १८६, १०८,२०६,२१०,२१६,२१६,२२१,२२२ उ ३।११,१०१:५।१०,१७,३६ राग (राम) २१४१; १७१११६६२३/६ ज २१२६; ३१७,३५,१०४,१८८ १३/२ राति (रात्रि ) सू १।१३, १४, १६, २१, २२, २४, २७; २३;३१२,४१६, ६, ६ १ ८ १ ६२; १० ५, ८८३ रातिदिय (रात्रिदिव) प ४७२,७४,७६,७८,६८, १००६।११,२६,३१ से ३४; १८/२२ रातीतिहि (रात्रितिथि) मू १०८६,६१ राम (राम) ११३६ रामकन्ह ( रामकृष्ण) उ ११७ राय ( राजन् ) प १६ ४१ ज १३३,२६६२।१६, २५, ६३:३२ से ७, ६ से १३, १५, १७ से २४, २६ रहसर - रायहंस से २६, ३१ से ३४, ३६ से ४२, ४४ से ५०, ५२ से ५.६,६१ मे ६७,६६ से ७४,७६, ८३, ८८, ६० से ९४,६६,६६ से १०१,१०६ से १०६, ११२ से १२०, १२१।१,१२२ से १२५; १२६११,१२७,१२८, १३१ से १३४,१३५११, १३७ से १३६,१४१,१४३,१४५ से १४७. १५० से १५४,१५७ से १६०,१६३ से १६७, १७०,१७३, १७५,१७७,१८१ से १८३, १८५ से १९२, १६८, १६६, २०१,२०२, २०४ से २१२,२१४,२१५,२१८,२१६,२२१ से २२३; ४।१७७,१८१,२००५१५, ७८ सू ११३,४ उ १।१० से १२,१४, १५, २१, २२,२५,२६,२६ से ३२, ३४, ३६ से ४४, ४६,४६,५७,५८,६१, ६२,६१,६६,६५ से ७४,८२, ८३,८६ से ९६, ६ से ११६,१२१,१२७,१२६ से १४५ ; २४,५,१६,१७,३०४,१४ से १८,२१,२४,८६, १५५,१६८, ४१४,६:५६, ११ से १३,२५,३० रायकुल ( राजकुल) उ १।१११, ११२,५१४३ यहि (राजगृह ) प १६३।११।१,२,२८,२६, ६३, ३१४, २१, २४, ८६, १५५, १६८ ४४,६,७, १३,१५,१८ रायग्गल ( राजार्गल ) यू २०१८ २०१८| रायत ( राजत) ज ३।११७ रायतेय (राजतेजस्) ज ३११८,६३,१८०, १८७ रायधम्म (राजधर्म ) ज २११२६,१५८ पवर ( राजप्रवर) ३३६५,६६,१५६ रायप्प सेणइज्ज (राजप्रतीय) ज ४१११५: ५/३२ रायबहुल ( राजबहुल) ज १११८ रायममा ( राजमार्ग ) ज २२६५ रायलच्छी (राजलक्ष्मी) ज ३१११७ रावण ( राजवर्णक ) ज ११२६६३३३ रायवर ( राजवर ) ३५२,३६,६३,६६,१०६, १६३,१७५,१७८,१०,१८८२१६,२२४ रायवल्ली ( राजवल्ली ) ११२४८१४ रायसरिस ( राजसदृश ) उ१।१२८ रायहंस (राजहंस) १७६ Page #341 -------------------------------------------------------------------------- ________________ रायहाणी-रुहिर १०२७ रायहाणी (राजधानी) प ११७४ ज १११६,४५, ७१७८ ४६,५१, २।२२,६५, ३१,२,७,८,१४,१७२. द (दे०) ज ७४३२१ १७३,१८०,१८२ से १८५,१६१,१६२,२०४, रुक्ख (रूक्ष) प १।३३।१,११३४,३६,४७१; २०८,२०६,२१२,२२०,२२१,२२४;४।५२, १७।१११ ज १२०,३१,१३१,१४४ से १४६) ५३,६०,८४,६६,१०६,११४ से ११७,१५६, ३१३२,१०६,१२६ उ ५।५ १६०,१६३ से १६५,१७४,१७५,१७७ १८०, रुक्खगहालय (रूक्षगेहालय) ज २।१६,२१ १८१,१६२,२००,२०२,२०४,२०६,२०७, रुक्खमूल (रूक्षमूल) प ११४८६१ ज १८,६ २०८,२१०,२१२,२२६ से २३३,२३७ से रुक्खबहुल (रूक्षबहुल) ज २१८ २३६,२६३,२६६,२६६.२७२,२७५,५१५०; रुक्खमूलिय (रूक्षमूलिक) उ ३३५० ६.१६,७१८४,१८५ उ ३३१०१ रु (रुष्ट) ज ३।२६,३६,४७,१०७,१०६,१३३ रायाभिसेय (राज्याभिषेक) ज १८५,३११८८, उ ११२२,१४० २०६,२१२,२१४ उ ११६५,६८,७२ रुद्द (रुद्र) ज ७१३०,१८६।३ रायारिह (राजाह) ज ३१८१ रुद्ददेवया (रुद्रदेवता) सु १०।८३ रालग (रालक) प ११४५१२ ज २।३७,३।११६ रुप्प (रूप्य) प ११२०१ ज ३.१६७/८ उ ३।४० दक्षिण भारत के जंगलों में मिलने वाला एक रुप्पकला (रूप्यकला) ज ४१२६८,२६६।१,२७२, सदावहार पेड़ ६२० राव (रावय्) राति ज ५।५७ रुप्पपट्ट (रूप्यपट्ट) ज ४।२६,२७० रावेत (रावयत्) ज ३११७८ रुप्पमणिमय (रूप्यमणिमय) ज ५१५५ रासि (राशि) प २१६४११६,१२१३२१७४१२६ रुप्पमय (रूप्यमय) ज ४२६,५१५५ राहु (राहु) प २।४८ सू २०१२,८,२०1८।४ रुप्पामय (रूप्यमय) ज ३।२०६४।२७० राहुकम्म (राहुकर्म) सू २०१२ रुप्पि (रुक्मिन्) प १६॥३० ज ४।२६५,२६८, राहुदेव (राहुदेव) सू २०१२ २६६१,२७०,२७१ सू २०१८,२०८१३ राहुविमाण (राहुविमान) सू १६।२२३१७२०१२ । रुप्पिणी (रुक्मिणी) उ ५।१० रिउम्य (ऋजुर्वेद) उ ३१२८ रुप्पोभास (रूप्यावभास) सू २०१८ रिक्ख (ऋक्ष) ज ३१६,१७,२१,३४,१७७,२२२ रुयग (रुचक) प २१३१ ज ११२३,२।१५,३।३२; सू ११३७, १६।२२२६ ४११,६२,८६,२३८; १८ से १७ सू १९३५ रिगिसिगि (दे०) ज ३।३१ वाद्य विशेष रुयगकूड (रुचककूट) ज ४१६६,२३६ रिठ्ठ (रिष्ट) ज ३१६२,५।५,७,२१ रुयगवर (रुचकवर) सू १९३५ रिठ्ठपुरा (रिष्टपुरा) ज ४१२००१ रुयगवरोद (रुचकवरोद) म १९३५ रिट्ठा (रिष्टा) ज ४१२००१ रुयगवरोभास (रुचकवरावभास) सू १६।३५ रिट्ठामय (रिष्टमय) ज ४।७,२६ रुयय (रुचक) ११।२०।३ सू' १६३२ से ३४ रिद्ध (ऋद्ध) ज श२,२६,३।१ च ६ सु १११ रुरु (रुरु) प ११४८१२ ज ११३७,२६३५,१०१, उ ११,६,२८,३३१५७,५।२४ ४२७५२८ रिसह (नाभ) ज ७/१२२।३ सु १०1८४१३ रुहिर (रुधिर) प १२० से २७ ज ३१३१ रुइल (रुचिर) प २।४८ ज २११५:३।३५:४।४६ उ ११४४ से ४६ Page #342 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०२८ रुहि रकम-रोहियंसा रुहिरकद्दम (रुधिरकर्दम) उ ११३६ रेवयग (रेवतक) उ ५१६ रुहिरबिंदु (रुधिर विन्दु) ज ७:१३३१२ रोइंदग (ोविन्दक) ज ५१५७ रुहिरबिंदुसंठिय (रुधिरबिन्दुसंस्थित) सू १०।३६ रोग (रो:) ज २१४३,१३१ उ १३५,११२ रूत (रूत) ज ४।१३ सू २०१७ रोगबहुल ( बहुल) ज १११८ रूयंता (रूपांशा) ज ५११३ रोज्झ (दे०) प१६६४ रूयगावई (रूपकावती) ज ५११३ रोद्द (रौद्र) ज ७।१२२।१,१२६ १०१८४।१ ख्या (रूपा) ज ५।१३ रोग (रोमन्) १११८६ ज २१५,१३३ रूव (रूप) ११॥२५,३३।१:१२।३२,१५।३७, रोमक (रोम) ज ३१८१ ४१:२२।१७,८०; २३।१५,१६,१६,२०, रोमकूद (रोगका) ज २२१ ३४।१,२,३४।२० से २२ ज २।१५,१३३; रोमग ( क) र ११८६ ३१३,६,७६,८२,१०३,१०६,११६,११७,११६, रोमराइ (रोमराजि) ज २११५ १३८,१७८,१८६,१८७,२०४,२१८,२२२; रोय (रुच) रोएइ १११०११२ रोएज्जा ४।२७,४६,५१२८,४१,४३,५७,६८,७० २०११७१८,२४ सेयर : १।१०११५ सू २०१७ उ ३।१२७,५१२५ रोय (रोचय) रोएमि उ ३३१०३ रूवग (रूपक) ज ४१२७,५२८,७११७८ रोय (रोग) उ ३।१२८ रूवपरियारग (रूपपरिचारक) प ३४५१८,२२,२५ रोयणागिरि (ोवनगिरि) : ४३२२५३१,२३३ रूवपरियारणा (रूपपरिचारणा) ५३४११७,२२ रोयमाण (रुदत) उ १९२३११३० रूवविसिठ्या (रूपविशिष्टता) प २३१२१ रोख्य (रोहक,नैः) २२७ रूवविहीणया (रूपविहीनता) प२३१२२ रोबाव (रोय) शेवग्वेइ उ ३१४८ रोजावित्तए (योगनितुम्) उ ३१४८ रूबसच्च (रूपसत्य) ११.३३ रोवाविय (रोहित) उ ३१५०,५५ रूवि (रूपिन ) प ११२.४,६ ; ५:१२३.१२५,१४४ रोह (रुह) रोहति ज ३७६,११६ सू १३११७ रोहिणिय (रोहिणीक): १५० रूवी (रूपिका) पश३७४१ सफेद आक का वृक्ष रूसमाण (रुष्यत्) उ ३।१३० रोहिणी (रोहिणी) ज ७११३।१,१२८,१२६, रेणु (रेणु) ज २१६,६५,१३१:५७ १३४१३,१३५३,१३६,१४०,१४५,१४६,१६० रेणु बहुल (रेणुवहुल) ज २।१३२ सू १०.२ ६.१२,२३,३७,६२.६७,७५,८३, रेणया (रेणकः) पश४८.५ रेणका, संभाल के बीज १०२,१२०,१३१ से १३३ रेरिज्जमाण (र: राज्यमान) उ ३।४६ रोहियंस (रोहितांज) १६८२१ एक प्रकार का रेवई (रेवती) ज ७१११३११,१२८,१२६,१३६, तण १४०,१४३,१४६,१५८ सू १०.१ उ ५।१२, रोहियं तकूड (रोहिताशकूट) ज ४१४४ रोहियं सदीर (रोहितांशही ) अ ४१४१ रेवतय (रैक्तक) उ ५।५ रोहियं सप्पयायकुंड (रोहितांशाप्रपात कुण्ड) रेवती (रेवती) सू १०।२ से ६,१०,२२,२३,३३, ज ४।४० से ४२ ६१,६५,७५,८३,९८,१२०,१३१ से १३३; रोहियंसा (रोहितांशा) ४।३८ मे ४०,४२,४३, १२।२२ ५७,१८२,२७०६।२० Page #343 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६।२० रोहियकूड-लयाबहुल १०२६ रोहियकूड (रोहितकूट) ज ४७९ लक्खणसंवच्छर (लक्षणसंवत्सर) ज ७१०३,११२ रोहियदीव (रोहितद्वी7) ज ४१६८,६६ सू १०११२५,१२६ रोहियप्पवायकुंड (रोहितप्रातकुंड) ज ४१६७,६८, । लक्खणसहस्सधारक (लक्षणसहस्रधारक) ज ३।१२६।१ रोहियमच्छ (रोहितमत्स्य) ? ११५६ लक्खारस (नाक्षारस) प १७११२६ रोहिया (रोहिता) ज ४१६५ से ६७,७१,७२,२६८; लख (लक्ष) ज ३।३१ लच्छिकड़ (लक्ष्मीकूट) ज ४।२७५ रोहीडय (रोहितक) उ ५।२४ से २६ लच्छिमई (लक्ष्मीमती) जह? लच्छी (लक्ष्मी ) ज ३११८,६३,१८० उ ४१२११ लज्जिय (लज्जित) ज २१६० उ०५८,८३ लउड (लकुट) ज ३१११ लठ्ठ (लष्ट) ज ११३७,२।१५, ३१६,३५,११७, लउय (नकुच) प ११३६।३ २२२,४।१२८,२४३,७११७८ लउल (लकुट) ज ३११७८ लउस (लकुश) प ८६ लठ्ठदंत (लष्टदंत) १८६ लउसिया (कुशिकी) ज ३११११२ लठ्ठि (यष्टि) ज २०१५ लेख (लख) ज २१६४,३।१८५ लग्गिाह (यष्टिग्राह) ज ३११७८ लंघण (लङ्घन) ज ३३१०६,१७८; १५,७१७८ ।। लडह (दे०) ज २०१५ लंतग (लान्तक) २१४६.५५,६३, ६।३२,५६, लव्ह (श्लक्षण) ५२१३०,३१,४१,४६,५६.६३,६४ ६५:७।१३,१५३८८,२११७०३३।१६,३४।१६, ज १८,२३,३१,४११ १८ ज ५४६ लता (लता) प ११३३१ लंतगवडेंसय (लान्तकावतंसक) २५५ लद्ध (लब्ध) ज ३१२६,३६,४७,१०३,११७,१२२, लंतय (लान्तक) र १११३५२२५५,५६, ३।३४, १२६,१३३,१८५,२०६ उ १११७.५७,८२,६६, १८३; ४१२४६ से २४८; २०१६१; २८१८० १०७,१२७,३।१३,२६,३८,८५,१२२.१४७. उ २१२२ १६०४।११,२५,५११५,२३,३१,३८,४२ लंबिय (लम्बित) ज ७१७८ लट्ठ (लब्धार्थ) सू २०१७ लंबूसग (लम्सा ) ज ५१३८,६७ लद्धि (लब्धि) प ११४६:१५१५८1१,१५१६२ लंभ (लभ) लभंनिज ३१३५ लिब्भ (लभ) लभइ ज ७१४३ लंभणमच्छ (लम्भनम स्य) प ११५६ लिभ (लम्) लभइ ज ७।१५१ लभति गु १०।५ लक्ख (लक्ष) १८११ ज ३।१०३ लभज्जा प २०१७,१८,२२२५,२८,२९,३४, लक्खण (लक्षण) २४८५५,२६४११२ ३८,३६,४१ से ४३,४५,४६ से ५२,५४,५५, ज २११४,१५,१६,३१३,३५,७७,१०६,१३८, १६७।१२,७११७८ च २।४ सू ११६:४१६॥२, लय (लता) ७१७८ ४,६ उ ११३४ लया (लता) प ११३६ ज २।११,६७,१३१,१४४ लक्खणधर (लक्षणधर) ज २१५ मे १४६,३।१०६ उ ११२३,५१५ लक्खणधारि (लक्षणधारिन् ) ज २११५ लयाबहुल (लताबहुल) ज १११८ Page #344 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लयावण्ण-लूहेता लयावण्ण (लतावर्ग) ज २६११ लाउयवण्णाभ (अलाबुकवर्णाभ) सू २०१२ लिल (लल,लड्) ललंति ज १११३,३०,३२, २७ लाघव (लाधव) ज २७१ ललंत (ललत्) ज ३११७८,७११७८ लाढ (लाढ) प ११६३३५ ललाड (ललाट) ज ७११७८ लाभ (ला) ज ३११७८,७।१७८ ललित (ललित) ज ३१९,२२ लाभंतराय (लाभान्तराय) प २३१२३ ललिय (ललित) ज ३१६,१७८,२२२,७११७८ लाभत्थिय (लाभार्थिक) ज ३।१८५ ललियबाहा ('ललितबाहु) ज २११५ लाभविसिठ्ठया (लाभविशिष्टता) प २३१२१ लव (लव) २२४१२,२१६६७७११२१५ सू ८।१; लाभविहीणया (लाभविहीनता) प २३।२२ १०।१२६५ लायण्णत्त (लावण्यत्व) प ३४१२० लिव (लप) लवति सू २०११ लाला (लाल!) ज ७१७८ लबंगरुक्ख (लवङ्गरूक्ष) प ११४३३२ लालाविस (लालाविष) प ११७० लवण (लवण) प १५२५५१ ज ६११,२,४,७४, लावग (लाक्क) प १७६ ३२।१,६३,८७ मू ८.१,१६३२,३,५, लावणग (लावणिक) म १९४२२१२३ १६३२२।२३ लावण्ण (लावध) प २३११६,२० ज २१५, लवणजल (लवणजल) सू १९।५।३ श६८,७० उ ३३१२७ लवणतोय (लवणतोय) सू १६१५१२:१६४२२१२४ लास (लासय) लासेंति ज ५१५७ लवणसमह (लवणसमुद्र) ५ १५१५५ १६॥३० लासग (लासक) ज २१३२ ज १११६,१८,२०,२३,३५.४८,४६, ३.१,२२, लासिया (लासिका,ल्हासिका) ज ३११११२ २८,३६,४१,४४,४६ ; ४११,३५,३७,४२,४५, लिक्खा (लिक्षा) ज २१६,४० ५५,६२,७१.७७,८१.८६,६०,६४,६८,२००, लित्त (लिप्त) प २१२० से २७ २०१,२६२,२६५,२७१,२७४,६३,५,१६ से लिवि (लिपि) प ११६८ २६,७।३१,३३,८७ सू श२२,४१४,७, ८.१; लिहिय (लिखित) ज ७/१७८ १६१३ से ६ लीला (लीला) ज ५१३,२८ लवणोदधि (लवणोदधि) सू १९५१ लुक्ख (रूक्ष) प १४ से ६; १५,७,१२६,१५२, लवणोदय (लवणोदक) प ११२३ १५४,२११,२१८,२२१,२२६,२४४,११५६ लह (लघु) ज ३२३५,४८,४६७।१७८ से ६१:१३।२२।२,१३१२२,२६,१७११३८%; लहुपरक्कम (लघुपराक्रम) ज ५१४८,४६ २३।५०; २८१६ से ११,२०,३२,५५ से ५७,६६ लहुभूय (लघुभूत) ज २२७० लुक्खत्तण (रूक्षत्व) प १३१२२११ लहुय (लघुक) प ११४ से ६,३११८२; ५१५,७, लुक्खया (रूक्षता) प १३।२२११ ज २११३१ २०६१५३१५ से १७,२८,३२,३३,२८।२६, लुद्धग (लुब्धक) उ ३६८ लूह (मृज्,रूक्षय्) लू हेइ ज ५१५८ लूहेति लहुयत्त (लघुकत्व) ५ १५१४४,४५ ज ३१२११ लाइय (दे०) प २।३०,३१,४१ ज ११३७,३।७,१८४ लूहिय (मृष्ट,रूक्षित) ज ३।६,२२२ लाउय (अलाबुक) ज ३१११६ लहेत्ता (मृष्ट्वा,मार्जयित्वा, रूक्षयित्वा) ज ३१२११; १. टीका में 'ललिनो बाहु' है। Page #345 -------------------------------------------------------------------------- ________________ लेक्ख-लोभसमुग्धात १०३१ लेक्ख (लेख्य) १६८ ५८ से ६१.६३,१०।२,३,५,१२१७,१०,२०; लेच्छइ (लिच्छवि,च्छवि) उ १११२७ से १३०, १५६११२,१५१४३,४५,५६:१६१३४,१८१३, २६,२७,३७,३८, ३६७६,८१,८५ ज २।६५, लेछु (लेष्टु) ज २१७०,७१, ३।३५,६५ ७१;३।३५,६५,१५६,१६७,४१२६०।१ लेप्पार (लेप्यकार) प १६७ सू १६२२ लेस (लिश) लेभेलिप ३६१६२ लोगंत (लोकान्त) ५२२६४२१११३०,२११८४,८६, लेसणया (श्लेषण) ५ १६१५३ ८६ ज ७।१,६८,१६८।१,१७२ लेसा (लेश्या) १११५१३०,३१,४६,३३११ लोगणाली (लोकनाली, लोकनाडी) प ३३११८ १७।४३ से ४५,४७,६६,६७,११४,१४७,१५६ लोगणाह (लोकनाथ) ज ५१५,२१,४६ से १५८,१६१,१७२ च २२ ज ३१६५,१५६, लोगपईव (गोकप्रदीर) ज ५२१ २२३,७।३८,५८ स् ११६।२,१७११६।१ से लोगपज्जोयगर (लोकप्रद्योतकर) ज ५१२१ ३,१६३२६,२०१२,३ लोगपाल (लोकपाल) प २१३० से ३३,३५,४६ से लेसागति (लेश्यागति) ५ १६।३८ ५१ ज ६०,११८,११६:५।१६,५०,५६ लेसापडियाय (लेश्याप्रतिघात) ज ७१३८ लोगमज्झ (लोकमध्य) ज ४२६० लेसापरिणाम (लेश्यापरिणाम) प १३१२ लोगमज्यावसाणिय (लोकमध्यावसानिक) ज ५१५७ लेसाहिताव (लेश्याभिताप) ज ७१३८ लोगसष्णा (लोकसंज्ञा)प ८.१,२ लेसुद्देस (लेसोद्देश) सू ६२ लोगहिय (लोकहित) ज ५२२१ लेस्सा (लेश्या) २६४१;१६१५.०,१७११११,१७१७, लोगागास (लोकाकाश) प ११४८१५८% २०१० १७,१८,३०,३६ से ४१,८८,६७,११४,१२६, लोगाधिवति (लोकाधिपति) प २५०,५१ १३६,१३७,१४७,१५६,१५७,१५६,१६० से लोगालोग (लोकालोक) प १०१५ १६३,१८५१११२८।१०६१ लोगाहिवइ (लोकाधिपति) ज २१६१५१८,४८ लोगुत्तम (लोकोत्तम) ज ५॥५.२१,४६ लेस्सागति (लेश्यागति) व १६।४६ लेस्साणुवायगति (लेमानुपातगति) प १६:३८,५० लोण (लवण) प ११२०११ लेस्सापरिणाम (लेश्यापरिणाम) प १३६,१४,१६, लोद्ध (लोध्र) प ११३६१३ १८ से २० लोभ (लोभ) प १११३४।११४।४,६,८,१० से लेह (लेख) ज २६४ उ ११११५.११६ १५,१७, २२।२०,२३३६,३५,१८४ ज २११६, लेहठ (रेखास्थ) ज ७१५८,१६१,१६४,१६७ १३३ उ ३१३४ __ सू १०१६५,६८,७१,७४ लोभकसाई (लोभकषागिन) 4 ३११८१३।१४; लोअण (लोचन) ज २२१५ १८६६,२८१३३ लोइय (लौकिक) ज ७११४ सू१०।१२४ लोभकसाय (लोभकषाय) ५ १४१,२,३६१४६ उ ११६२ लोभकसायपरिणाम (लोभकषायपरिणाम) प १३१५ लोउत्तरिय (लोकोत्तरिक) ज ७.११४ सू १०११२४ लोभणिस्सिया (लोभनिश्रिता) प १११३४ लोक (लोक) ज ३११०६,१६७ लोभसंजलणा (लोभसंज्वलना) २३७२,१४० लोग (लोक) प ११४८१६०:२११०,१६,३०,३२. लोभसण्णा (लोभसंज्ञा) प ८१,२ ३४,३५,३७,३६,४१ से ४३,४८,५० से ५२, लोभसमुग्धात (लोभसमुद्घात) प ३६१४७ Page #346 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३२ लोभसमुग्घाय-वइर(वासा) लोभसमुग्धाय (लोमस मुद्यात) प ३६.४२,४४ से लोहित (लोहित) प ५१२०५ सू २०१२ लोहितक्ख (लोहिताक्ष) ज७।१८६१ सू २०१८ लोम (लोमन) १ २०२० से २७ ज ३१३,१०६; लोहिय (लोहित) प ११४ से ६५1५,७,१११५३; ७.१७८ १७.१२६; २३।१०३:२८।३२,६६ ज ४।२६ लोमपक्खि (जोमपक्षिन् ) प ११७७,७६ सू २०१२ लोमहत्थ (लामहस्त) ज ३८८ लोहियक्ख (लोहिताक्ष) ११२०१३,२१३१,३२ लोमहत्यम (लोमहस्तक) ज ३.१२ ज ४११०६,५।५ सू २०१८।१ लोमहत्यगपटलहत्यगय (हस्तगत लोमहातकपटत) लोहियक्खकूड (लोहिताक्षकूट) ज ४।१०५ ज ३।११ लोहियक्खमणि (लोहिताक्षमणि) प १७:१२६ लोमाहार (लोमाहार) प २८।१।२,२८१४०,६६, लोहियक्खमय (लोहिताक्षम4) ज ४१२६ १०२,१०३ लोहियक्खामय (लोहिताक्षमय) ज ३।३० लोमाहारत्त (लोमाहारत्व) प २८16०,६६ लोहियपत्त (लोहितपत्र) प १३५१ लोय (लोक) १४४८१५८,५६,२१ से ३१,४६, लोहियमत्तिया (लोहितमृत्तिका) प ११६ ४६;३३।१३ सू २।१।१६।१,२१ उ ३६१३ लोहियसुत्तय (लोहितसूत्रक) प १७।११६ लोय (लोच) ज २१६५, ३१२२४ उ ३३११३ ल्हसणकंद (लगुनकन्द) प ११४८१४३ लोयंत (लोकान्त) प २६४११०,११६७२ सू २०१० ल्हसिय (तहासिक,लासिक) प ११८६ १८।६ लोयग्ग (लोकाग्र) प श६४,२१६४।३ लोयग्गथूमिया (लोकास्तूपिक:) प २६४ व (वा) प ११०१।६ ज ३१११३ – २११ सू १६ लोयग्गपडि बुज्झणा (लोक अप्रतिबोधना) ५ २०६४ वई (वाच) प १६६१,७:२३।१५,१६ ज २१६८ लोयण (कोन) ज ७:१७८ वइउल (दे० व्याल) प १७१ लोयणाभि (लोकनाभि) सू ५१ वइगुत्त (वारगुप्त) ज २१६८ लोयमज्झ (ोकमध्य) सू ५११ वइजोग (वाम्योग) प २का१३८,३६।८६,८८,६०, लोयाणों (दे०) प ११४८१६ ६२ लोल (लोल) ज २०१२ वइजोगपरिणाम (वाम्भोगपरिणाम) प १३१७ लोह (लोभ) ज २१६६ वइजोगि (सम्बोगिन) प ३९६:१३।१४,१८१५६; लोह (लोह) ज ३।३,३५,१६७८ २८।१३८ लोहकडाह (लोहाटाह) उ ३१५०,५५ वइत्ता (वदित्वा) ज २३ लोहकसाइ (लोभकपायिन) प ३९८ वइयरिय (व्यतिचरित) सु २०१२ लोहदंडग (लोहृदण्डक) ज ३.१०६ वइयोगि (वाग्योगिन्) प १३३१७ लोहबद्ध (नोहवर्ध) ज ३।३:: वहर (वन) ५ ११२०६१ ; २३३० ज ३।१२,१८, लोहयक्खमय (लोहिताक्षम।) ज ४।१३ २४,३५,८८,१०६,१८४,२१६४१३,२५,४६, लोहि (लोह) प ११४८।१ सफेद सुहागा ६७,२३८,२५४,५।५,१३,२८,५८,७११७८ लोहिच्च (लौहित्य) ज ७१३३।२ वइरउसह (वज्रऋषभ) ज ३१३ लोहिच्चायण (लोहित्यामग) सू१०।१०४ वइरकूड (वज्रकूट) ज ४।२३६ १. लोचनी-बड़ी गोरखमुण्डी। बइर (वासा) ( व र्षा ) ज ५१५७ Page #347 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वइरवेड्या वग्ग वइरवेडया (वज्रवेदिका) ज १।३७ ४ १२७५।२८ वइरसारमइया (वज्रसारमतिका) ज ३८८ वइरसेणा ( वज्रसेना ) ज ४।२३८ वइराड (वैराट ) प १६३१४ वइरामय ( वज्रमय ) ज १७,८,११,२४; २११२० ३।३०,४१३,७,१३,१५,२४ से २६, २९, ३१, ३६,६६,६८,७४,६१,६३,१२८, १४६ ६ ५ ३८, ४३, ७ १७८,१८५ सू १८/२३ वइरोयणराय ( वैरोचनराज ) प २२३३ ज २।११३ वरोर्याणिव (वैरोचनेन्द्र ) प २।३३ ज २।११३ वह रोभणाराय ( वज्रऋषभनाराच ) प २३/४५, ४ ज २४६ समय ( वाक्समित ) ज २२६८ इसाह (वैशाख) ज ३।२४७ १०४, १४६, १५५ सु १०११२४ उ ११२२,१४०, ३१४० बसाही ( वैशाखी) ज ७ । १३७ सू १० ७,१७,२३, २६ इस्सदेव (वैश्वदेव) उ ३।५१,५६,६४ (वाच् ) प ११५, ८, २१ से २६ वंक (व) ज २।१३३ गति (गति, वक्रगति ) प १६१३८, ५३ बंग (वज) प ११६३|१ ज २।१५ वंजण ( व्यञ्जन ) ज २११४ सू २०१७ वंजणोग्गह (व्यञ्जनावग्रह ) प १५५८२ १५।६८,६६, ७१ से ७३,७५ वंजुल ( वञ्जुलक ) प १७६ वा (वन्ध्या) उ ३६७,१३१ वंत (वान्त ) प १८४ २०१२ / बंद (वन्द ) वंदइ ज ११६ : २२६० ५।२१,६५ उ १११६; ३२८१४।१३; ५१२० वंदति उ ४ १६,५/३६ वंदामि प १|१|१ ज ५।२१ सू २०१६१६ उ ११७ दिज्जा उ ५।३६ वंदीहामि उ ३१२६ वंदेज्ज ज २२६७ बंद (बृन्द ) ज ३१२२,३६,७८ उ १११६ वंदण ( वन्दन) उ १११७ १०३३ वंदणकलस (वन्दनकलश) ज ३२७,८७,५।५५ वंद कल सहत्य ( हस्तगतवन्दनकलश) ज ३।११ वंदणवत्तिय ( वन्दनप्रत्यय) ज ५१२७ बंदणिज्ज ( वन्दनीय ) सू १८१२३ दिऊण ( वन्दित्वा ) चं ११४ वंदित्ता ( वन्दित्वा ) ज १।६ उ १।१६; ३८१; ४११४;५।२० वंदिया ( वन्दिका ) उ ४।११ बंस (वंश) १ ११४१२ बांस वंस (वंश) प ११।७५ ज २।१२४, १५२३/३१, १०६ उ५१४३ समूल (वंशमूल ) प ११४८८ वंसी (वंशी ) प १४७ वंसीपत्त (वंशीपत्र ) प २६ समुह (वंशी मुख ) प १४६ वक्कंत (अवक्रान्त ) प १२४८१५३ ज २२८५ वक्कंति (अवक्रान्ति) प१ । ११४ / वक्कम (अव + क्रम् ) वक्कमइ प ११४८१५१ वक्कमंत १२०, २३, २६,२६,४८,६१२६ वक्कमति सु १६।२२।१६ are ( वल्कल ) उ ३।५१।१ arcarfi ( वल्कवासिन् ) उ ३३५० ara ( वक्षस् ) ज २११५ खार ( वक्षस्कार ) प २३११५५५ । २ ज ४।२१२; ६१० वक्खारकूड ( वक्षस्कारकूट ) ज ४।२०२६।११ वक्खारपव्वय (वक्षस्कारपर्वत) ज ४१६४, १०३ से १०८,१४३,१६२,१६३,१६६,१६७,१६६, १७२ से १७४, १७६,१७८ से १८१,१८४, १८५.१६०,१६१, १६६, १६७, १६६,२००, २०२ से २०५,२०८ से २१२,२१५, २६२; ५१५५६।१० वग ( क ) प ११।२१ ज २।१३६ वगी ( वृकी ) प ११।२३ वर (वर्ग) २६४११५, १६, १२११०,३२,३६, ३७ उ १५ से ८ २ १३ १, २, ४ ११, ३, ५ १, Page #348 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वग्ग-वट्टमाण ११७ १२६१६:३२,१७१५८२०५६ से ५८; विग्ग (कल्प) वग्गति ज ५१५५ २२१२५,२३।१६१,१६७; २४।१३, २५।३; वग्गण (वल्गन) ज ३।१७८ २६।४२८११२,१२३,१२६,१२७,१२६, वग्गणा (वर्गणा) प १११७२१७१११४११,१४२ १३२,१३३,१३७ से १४१,१४३ ज २१७०, वग्गमूल (वर्गमूल) ॥ १२॥१२,१६,२७,३१,३२,३८ १३१,३।६,४।१७७,२१०,२४०,२४८,५।१३, वग्गु (वल्गु) प २६४।१५ ज २१६४,३११८५, ४६,५११ २०६४१२१२,४१२१२।३ : ५।५८ वज्ज (वाद्य) ज ५२५७ वग्गु (वाच) उ ११४१,४४ वज्जकंदय (बज्रकंदक) व १७११३० वग्गुरा (वागुरा) उ ५।१७ वज्जण (वर्जन) प ११०११३ वग्गुलि (वल्गुलि ) प १७८ वज्जणिज्ज (वर्जनीय) ज २११४६ वग्ध (व्याघ्र) ११६६:१११२१ ज २१३६,१३६ वज्जपाणि (बज्रपाणि) १२५० ज ५।१८,४६,६६ वग्घमुह (माघ्रमुख) प ११८६ वज्जमाण (वाद्यमान) उ १११३८ वग्धारिम (दे०) ज ३1८८ बज्जरिसभणाराय (वज्रऋषभनाराच) ज ११५; वग्धारिय (दे०) प २१३०,३१,४६ ज २१७,८८, २१४६ वज्जरिसहणाराय (वजऋषभनाराच) ज २।१६,८६ वग्धावच्च (व्याघ्रापत्य) ज ७/१३२१४ सु १०।११६ बरिसनाराय (बज्रऋषभनाराच) सु ११५ वग्घी (व्याघ्री) प १११२३ वज्जसंठिय (बज्रसंस्थित) प १११३० विच्च (वच्) वच्चंति ज ७।१३५२,३ वज्जसूलपाणि (वज्रशूलपाणि) ज ५।५७ विच्च (वज्) वच्चइ सू १६ बज्जिऊण (वर्जयित्वा) प १२७।३ वच्छ (वक्षम् ) प १३०,३१,४१,४६ ज ३1३,६, वज्जित्ता (बर्जयित्वा) प २१२२,३२,३४ ज ४।१३४ १,१८,१३,१८०,२२१,२२२:५।२१ ।। वज्जिय (वर्जित) प १०।१४।६ ज ५।५२ सू २०१७ बच्छ (वत्स) प ११६३१४ ज ४/२०१,२०२।१,२४८ वज्जेता (वर्जस्त्विा ) प२।२१,२३ से २७,३०, वच्छगावई (वत्सकावती) ज ४।२०२।१ ३१,३३,३५,३६,४१ से ४३,४६ वच्छमित्ता (वत्समित्रा) ज ४।२०४,२३८,५६ वज्झ (वा) ज ३६२,११६ वच्छल (वत्सल) प ३११२५; १।५,४६ वज्झार (वर्धकार) प ११६७ वच्छल्ल (वात्सल्प) प १।१०१।१४ वज्झियायण (ध्यान) ज ७१३२।४ सू १०१११८ वच्छाणी (वत्सादनी) प ११४०।४ सू १०११२० विट्ट (वृत्) वट्ट ति उ ३।३३ वट्टति प १६१२२ गजपीपल, गुडूची वट्ट (वृत्त) १११४ से ६,११६३।१२।२० से २७, वच्छावई (वत्सावती) ज ४२०२ ३० से ३६,४१ से ४३,१०।१५,२६,३६१५१ वज्ज (वन)५११४८७ वनकंद, कोकिलाक्षवृक्ष, ज १७,३१:२११५:३७,८८,११७,४१३,२५, तालमखाना ६७,११४,१२८,२३४,२४०,२४१:५।५,४३; । बज्ज (वर्जय) बज्जेज्ज प १०११४।४ ७।३१,३३,१६७,१७८ सू१।१४:४१३ से ७; बज्ज (वज्र) ज २०१५ १०७४,१६८२,६,६,१२,१६,२८,३२,३६ वज्ज (वयं ) प २१४०।५,२१५२,६१४६,५६,६६, बट्टग (वर्तक) प११७६ ज ५।१६ ८६,६४,६५,१०२,१०४,१०१३६,१११४१,८०, वट्टगमंस (वर्नकमांस)-१०१२० कमलकंद ८४१२१३,१३।२२।२,१५४९८,११५,१२१, वट्टमाण (वर्तमान) १ २१३१ ज २१७१३।१३८, Page #349 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वट्टवेयड्ड-वणस्सई ५१५७ वट्टवेयड्ढ (वृत्तवैताद य) प १६।३० ज ४४२, ५७,५८,६०,७१,७७,८४,२६६,२७२, ५९५५; ६।१० बट्टि (वर्ति) प ११४७।२ वट्टिय (वर्तित) ज २११५,७१७८ वट्टिया (वर्तिका) प ११४७१२ वड (क्ट) ५ ११३६११ उ ३७१ वड (दे०) प ११५६ मत्स्य विशेष वडगर (दे०) प ११५६ मत्स्य विशेष वडभी (वडभी) ज ३।११।१ डिसग (अवतंसक) प २१५४,५८ वडिय (पतित) ज ३।१२५,१२६ वडेंस (अवतंस) ज ४।२२५,२३२,२६०११ व.सग (अवतंसक) प २।५०,५२,५५ से ५६ ज ११४३,३।१७८,१८३;४१५०,१०६,११२, ११६,१५५,१५६,२३७,२३८,२४०,२४३ बडेंसगधर (अवतंसकधर) ज ७१२१३ वडेंसय (अवतंसक) प २५० से ५३,५६ ज ११४२:३११८६,४१४६,५६,१०२,११६, १२०,१४७,२२१ से २२४,२३७,५१,६,१८, ७१८४,१८५ विड्ड (वृध्) वड्डति सू १६१२२।१६,२० वडते म् १९।२२।१४ वड्डिजति प १७६, बड्ढेत्ता (वर्धयित्वा) उ ३१५१ वड्ढोवुड्ढि (वृद्ध यपवृद्धि) च ३३१ सू ११७१, ११०,१४,१३१ वण (वन) ज ४१२००,२०१,२१२,२१४,२१५, २३४,२३६,२३७,२४०,२४१,२४४,२४५, २४६,२५१,२५२,५१५५,५७, ७.११४ वणप्फइ (वनस्पति) प १८।१४,१०५,११०,१२०; २०१२२ बणप्फइकाइय (वनस्पतिकायिक) ५६।१६,८३; १२।२६:१३,१६,१५२६,५३,५५,७४;१४०; १६१४१७९६२,६६,१०२,१८।३८,१६२, २०११३,२६,४६,२११३,२७,७६,८५,२२।२४; २८१३६,१२३,२६१०,२०,३०१९३६।१३ से १६,३४,३८ वणप्फइकाइयत्त (वनस्पतिकायिकत्व) ५ १५९६ वणप्फतिकाइय (वनस्पतिकायिक) १६१२; १७/४० वणमाला (वनमाला) प ३०,३१,४१,४६ ज ११३८,४।१०,१२१,१४७,२१७, १८ वणयर (वनचर) ३११६१ वणराइ (वन राजि) प १७:१२४ ज २०१२ वणलय (वनलता) प २३६१ वणलया (वनलता) ज ११३७,२६१०१,४।२७; ५२८ वणविरोह (वनविरोध) ज ७।११४१२ वणविरोहि (वनविरोधिन् ) सू १०।१२४१२ वणसंड (वनषण्ड) ज श१२ से १४,२३,२५,२८, ३२,३५,४।१,३,२५,३१,३६,४३,४५.५७,६२, ६८,७२,७६,७८,८६६०,६३,६५,१०३,११०, ११६,११८,१४१,१४३,१५२ १५३,१५४, १५६,१७४,१७६,१७८,१८३,२००,२१२, २१३,२१५,२२१,२३४,२४०,२४१,२४२, २४५;७१२१३ उ ५८ वणस्सइ (वनस्पति) प६१०४,१७६३३ १८१५७,६२,२०१२८ बिड्ढ (वर्धय) वड्ढे इ उ ३।५१ वड्ढे सि उ ३.७६ बड्ढइरयण (वर्द्धकिरत्न) ज ३११८,१६,३१,५२, ५३,६१,६२,६६,७०,६६,१००,१४१,१४२, १६४,१६५,१७८,१८०,१८१,१८६,१८८, २०६,२१०,२१६,२१६,२२० वढइरयणत्त (वर्द्धकिरत्नत्व) प २०१५८ वड्ढमाणय (वर्धमानक) प ३३१३५ वड्ढावय (वर्धापक) उ ३३११ बढियय (वधितक) उ ३३८ Page #350 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वणस्स इकाइय-वग्णिय वणस्सइकाइय (वनस्पति कापि) प १।१५,३०; १३५,१६६,२६६,२७२,५॥३२,५८,७१७८ २११३ से १५,३१६,५० से ५२,५८,६० से ६३' वण्णओ (वर्णतस) ८ ११५ से ६१११५४,२८७, ६६,७१ से ७४,८०८१,८४ से ८७,६३,६५. २०,२६,५३ १६८ से १७०,१८३,४८८,६० से ६४;५६३, वण्णम (दे०वर्णक) उ ३।११४ १७,१८,६६,६।५३,८६,१०२,११५,६।२१ वण्णग (वर्णक) ज ११३२,३६,२०,३३,५४,६३, १५.८५,१२१.१३७,१८१२७,३५,४०,४३, ७१,८४,१३७,१४३,१६७,१८२,१६३,१६७, ४४,५२,२०1८,२११५,४१,२२।३१,३६६३३ २२२,४।१,११७,५११३७।५५ ज २।१३१.१४४ वण्णचरिम (वर्णचरम) प १०।४६,४७ बणस्सइकाइयत्त (वनस्पतिकायिकत्व) ज ७२१२ वण्णणाम (वर्णनामन्) प २३२३८,४७,१०१ से वणस्सति (वनस्पति) प६।१०२,६।४ १०६,१०६ वणस्सतिकाइय (वनस्पतिकारिक) प ३३५०,५१, वण्णतो (वर्णतस) प ११८,६,२८१३२,६६ ६०,६३,६५,१८३,४।८६,५३१८,६१६३,८३; वपणनाम (वर्णना मन्) प २३११०१ १५७६, २४१६,३०।१६ वण्णपज्जव (वर्णपर्यव) ज २१५१,५४,१२१,१२६, वणिज (वणिज) ज ७/१२३ से १२५ करण नाम १३०.१४०,१४६,१५४,१६०,१६३,७२०६ बणिय (वणिज्) ज २।२३ वण्णपरिणाम (वर्णरिणाम) प १३१२१,२६ वणीमगबहुल (वनीपकबहुल) ज १११८ वण्णमंत (वर्णवत्) प १११५२,५३,२८१५,६,५१, विण्ण (वर्णय) वण्णइस्सामि प १।१।३ वण्ण (वर्ण) प ११४ से २० से २७.३०,३१, वण्णय (वर्णक) प २३२,४२,४३ ज ११२,३,१२, ४०,४०1९२१४१,४८,४६,६४,३।१८२,५२५, १६,२३,२५,२८,३१,३५,३८, ११,८३; ७,१०,१२,१४,१६.१८,२०,२४.२५,२८,३०, ४।३,२५,३१,३६,४०,४७.५७,६७,७६,११०, ३२,३४,३७ से ३६,४१,४५,४६,५३,५६,५६, ११२,११५ से १२०,१२६,१२८,१३५,१३६, ६१,६३,६८,७१,७४.७६,७८,८३,८६,८६,६१, १४१ से १४४,१४७ से १४६,१५३ से १५६, ६३,६७,१०१,१०४,१०७,१०६,१११,११५, १७८,१८३,२००,२०१,२१३,२१५,२१६, ११६,१२६,१३१,१३४,१३६,१३८,१४०, २२१,२३४,२४०,२४५,२४६,२४८,५३, १४३,१४५,१४७,१५.०,१५२,१५४,१६३, २६ से ३३,३५ से ३७ च ६,७,८ सू १।२,३ १६६,१६६,१७२,१७४,१७७,१८१,१५४, उ १५१, ३।६१,४।१०।५।१४ १८७,१६०,१६३,१९७,२००,२०३,२०७, वण्णय (दे०वर्ण इ.) उ ३।११४ २११,२१४,२१८,२२१,२२४,२२८,२३०, वण (वासा) (वर्णवर्षा) ज ५१५७ २३२,२३४,२३७,२३६,२४२,२४४; वण्णादेस (वर्णादेश) पश२०,२३,२६,२६,४८ १०१५३.१,१११५३:१७।१११,१७१७,१७,१८% ११४११,१२३ से १२६,१३२ से १३४; वण्णाभ (वर्णाभ) १ २०२० से २५,५०,५६,६० २३।१०८,१६०,२८६,७,२०,२६,३२,५२, ज ४।२२,३४,६०,६४,८४,११३,२६६,२७२ ५३,६६, ३०१२५,२६:३६८०,८१ ज १११३, वण्णावास (वर्णमास) ज ११११,४६,३।१६५, २६; २७,१८,१३३,१४२, ३।३,११,१२,८८, १६७:४१४,७,१५,२६,८४,१४६ ; ५।१३ २११४१२२,३४,३६,६०,८२.८४,८६,६४, वणिय (वर्णित) प ११११३१६१२१ Page #351 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दिसाव वहिदा ( वृष्णिवणा) /वत्त ( वर्तय) वत्तदस्सा ३६६२ ११५,६:५१ से ३ ३१८३ वत्तमंडल (वृत्त) ३१७० वत्तत्व ( वक्त:) ज ४।२६६,७११४१ से १४५, १५० से १५२, १४, १०६ १०२० से २२ २५. त्वया ( वक्तव्यता ) १ २ ४०, ४४५११५२, २०५, २४४; १११८०१५१ ज ३१५०. १६१,२७७४१५.३,६४,७५,७६,८३,८१,६०, ६२,१०६,११५,१२६,२००,२०५,२०७,२०८, २४०,२४६,२६२,२६८, २७७ ७११०२ वत्थ (स्त्र ) प २३०,३१,४१,४६ से ५४; १५५५१२ १७ ११६ ३६,११,१२,२६, ३६.४७,५६,६४,७२,७००१०५.११२,१३२, १३८, १४५, १६७६,१६०, २२१ २०१७, उ १।१६,३५ ३१५१.५३,६३,६७,७०, ७३.११० वत्थधर (वस्त्रधर) ज २२६१५६४६ atra ( वास्तव्य ) ज ५।१ से ३, ५ से ७ areroon ( वस्त्रारोहण, वस्त्रारोपण) ज ३३१२,८८ वत्थि ( वस्ति) ज २(१५; ३१११७ किम् (कर्मन् २१०१ वत्थिपुडग (दे० ) उ ११४४ से ४६ वत्थभाग ( वस्तिभाग) ज ३१११६ वत्थु ( वस्तु ) प १४१५ ज ३।३२७।१०१.१०२ सू १०१११५।१,३७ परिछा (परीक्षा) ज ३५३२ वत्थुष्पएस (वस्तुप्रदेश) ज ३३२ वल (वस्तु) प ११३७२,३८१२,४४११ ज २११० () ३७७ वदंति सू २०१२ वह ज ३।११६५७२७१।२४ वदामो ५१ वदिति ज २११४६ वदेज्जा स ६।१२ १०३७ वदित्ता ( उदित्वा ) ज ३।१२५ (व) ज ३।२५ माण ( वर्धमान ) प २०३० ज ३३२ बद्धमाणा ( वर्धमानक) ज २२६४,३३,१२,१७८; ४१२८, ५३२७१३२२२०१८ २०१६ माणगठिया (वमानकरां स्थित ) सू १० ४१ वद्धमाणय ( वर्धमानक) ज ३।१८५ वद्धाव (वर्धय्) वावे ज ३१५,२६,३६,४७, ५६,६४,७२,१०,१३३, १४५, १५१.१५७ १११० तिज ३।११४,१२६,१३८, २०५,२०६१।१२२:५।१७ बाहि उ १।१०७ बावेला (वर्धा) ३३५ उ ११०७ वध ( वध ) उ ३१४८, ५० प्प ( वत्र ) ज ४१३,२५,२१२,२१२/३, २५१ arriad ( वावती) ज ४।२१२।३ बचावई (प्रावती) ज ४२११ पण (दे०) २४,१३,१६ से १६,२० दमण (वमन) उ ३१०१ वममाण (मत् ) उ ३११३० वमिय ( वमित, वान्त) उ ३।१३०,१३१,१३४ वम् धर्म) ३३१ प्रिय (दमित) ज ३७७.१०७.१२४ ४ ११३८ वय (च्) वुच्चइ चं २।१ बोच्छं प २२६४|१८ चं १३३ (द) या ज ७।३१ १०।१०यंति ज २२६११,६४ वयह उ ३३१०३ : ४।१४ व मि उ १०७६ मोसू १।२० व्यासी ज १२६० २१६४,९०,६५,६७,१०१, १०५, १०७, १०१. १११, ११४:३१५, ७, १२.१०,२१,२६.२८,३१ से २४,३९,४१,४७,४६,५२,१६,५८,६१,६४, ६६.६१,७२७४,७६,७७,०३,१०,११,९९, १०५.१०७,११३ से ११५१२४, १२५, १२७. १२८, १३३,१३०, १४१.१४५.११.१५४, १५७,१६४,१६८,१७०,१७३, १७५, १८०, १८५, Page #352 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०३८ वय-वरुण १८८,१६१,१६६,२०६:५२३,५,१४,२१,२२,२६ वरगंधघर (वरगन्धधर) सू १७१ २८,४६,५४,६६,७२ चं १० सू ११५ उ ११४; वरगंधित (वरगन्धिक) सू २०१७ ३।२६४११४,५१५ वयाहि ज १२२ वरगय (वरगत) ज ३१६,१२,१८,२८,४१,४६, उ १११०७ ५८,६६,७४,७८,८२,६३,१३६,१४७,१८०, वय (जयस) ज २।३१ १८७,१८८,२१२,२१३,२१८,२१६,२२२, वय (व्रत) प २०।१७,१८,३४ उ ३१४८,५०,५५ ५१४७,६० वयंस (बस्य) ज २१२६ वरचंपग (वरचम्पक) ज ३१३ राजचंपक वयगुत्त (वचोगुप्त) उ ३६६ वरण (वरण) प १६३।४ वयण (वचन) प १११८६ ज २११३३, ३।३,८, वरदत्त (वरदत्त) उ ५१२१,२२,२४,३१,४०,४१,४३ १३.१६,२४,३२१२,५३,६२,७०,७७,८४, वरदाम (बरदामन्) ज ३।३०,३१,३३,३६,३६,४१, १००,१३१,१४२,१६५,१८१.१६२,२१३; ६।१२ से १४ ५।१५,२३,२६,२७,६९,७३ उ ११३३,४५,१०८ वरदामतित्थकूमार (बरदामतीर्थ कुमार) ज ३१३३, वयण (वदा) ज २।१५,१६,३६,५१२१ ३६ से ४१,४३ उ १:१५,३५,३१६० वरदामतित्थाधिपति (वरदामतीर्थ धिपति) ज ३१३८ क्यणमाला (वदनमाला) ज २१६५३।१८६,२०४ बरपसण्णा (वरपसन्ना) प १७४१३४ वयमाण (बदत्) प १११२६,८७ वरपुरिसवसण (वरपुरुषवसन) प १७११२७ वर (वर) १ २।४०1८,२१४६,३६१८३१२ वरबोंदिधर (वर बोंदि'धर) सू १७.१,२०११ ज ११६,३७,३८,२।१५,२०,६५,७१,८५, वरमल्लधर (वरमाल्यधर) सू १७:१;२०११,२ ६५,६६,१००,१२०, ३।३,६,७,१२,१८,२२, वरवत्थधर (वरवस्त्रधर) सू १७।१:२०११,२ २४,२८,३१,३२,३५,४१,४६,५२,५८,६१, वरवारुणी (वरवारुणी) प१७४१३४ ६६,६६,७४,७६,७७,७८,८२,८८,६३,१०७, वरसीधु (वरसीधु)प १७११३४ १०६,१२४,१२५,१२८,१३१,१३७,१३५, वराडा (वराटक) व १४६ १४१,१४७,१५१,१५२,१६३,१६४,१६८; बराभरणधर (वराभरणधर) सू१७११ १७५,१७८,१८३,१८६,१८७,२०६,२१०, दराभरणधारि (वराभरणधारिन्) सू २०११,२ २१३,२१८,२२१,२२३, ४११०,११५,२१७; वराह (वराह) प ११६४२।४६ उ २१३५ ५७,२१,४३,५६,५८,७१७८ सू १६।११।१ वराहमंस (वराहमांस) सू १०।१२० वाराहीकंद उ ११,४१,४६,६४,६१,१२१,१३८,२।६; बराहरुधिर (वराहरुधिर) प १७१२६ ३।५६,६४,६६,६८,७६,८१,५१५,१३,१६, वरिठ्ठ (वरिष्ठ) ज ३१८१,५१२१ २०,२५,२७,३१ बरिस (वर्ष) ज ३११७५ वर (चरक)प १६४५२ तण धान्य, चीनाधान वरिसारत्त (वर्षरात्र) सू १२११४ उ ५१२५ वर (वरय) वरति सू १६२२॥१६ वरयंति वरुट्र (वरुड) प ११९७ पिच्छिकार, बेंत का काम चं २।२ मू ११६२ वरयति सू ७/१ करने वाला वरकणगणिहस (परकनकनिकष) प १७:१२७ वरुण (वरुण) प १५१५५१ ज ७११३०,१८६६३ वरग (वरक) ज २।३७ तृणधान्य उ ३.५४ वरम (वरक) उ ४६ वरगंध (वरगन्ध) प २१३०,३१,४१ १. अतोऽनेकस्वरात् इति इक प्रत्ययः । Page #353 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वरुण-वहिय १०३६ वरुण (काइय) (वरुणकायिक) ज ११३१ ७७,८४,६१,१००,११४,१४२,१६५, वरुणदेवया (वरुणदेवता) मु १०।८१ १६७।१४,१७३,१८१,१८६,१९६,२१३; वरुणवर (वरुणवर) सू १६३१ ५२१,२७,४१ उ ११२१,४२, ३।३३,१३६ वरुणोद (वरुणोद) सू १६३१ वसंत (बसन्त) प ७।१४४।२ सू १२११४ उ ५.२५ वरेल्लग (दे०) १७६ वसंतमास (बसन्तगास) सू१०।१२४।२ वलभीधर (वलभीगृह) ज २१२० वसंतलय (बामन्तीलता) ज ५१३२ वलभीसंठित (वलभीसंस्थित) म ४१२ वसट्ट (वसात) उ १२५२,७७ वलय (वलय) प ११३३।१,११४३ ज ३।६,२२२ वसण (दमन) ५ २।४०।१०,११ ज ३१७,१८४ उ ३११३० वलयाकारसंठाणसंठिय (वलयाकारसंथानमंस्थित) ज ४१२३४,२४०,२४१ वसणभूय (बसनभूत) ज २।४३ वलयागार (वलयाकार) सू१६२,६,६,१२,१६, वसभर्मस (वृषभमांस) सू १०।१२० २८,३२,३६ वसभवाहण (वृषभ वाहन) प २१५१ ज २१६१;; वलवा (वडवा) ५ १११२३ ५१४८ वलि (वलि) ज २११५,१३३ उ १।३४,४०,४३, वसभाणुजात (वृषभानुजात) सू १२।२६ ४६,४८,४६,५१,५४,७४,७६,७६ वसमाण (वसत्) प ३३१८,३१,१८० उ ११११०, बलिय (वलित) ज २११५, ३११०६; २५ १२६,१३३ वल्लभ (वल्लभ) ज ११२६ वसह (वृषभ) ज २६१,७१७८ च १४ बल्लि (वल्ली) ज २११३१,१४४ से १४६:३३२ वसहरूवधारि (बषभरूपधारिन् ) ज ७११७८ सू१८।१४ वल्ली (वल्ली) प ११३३११ ११४०,११४८१६१ वसहि (वसति) ज २।१६,३।१८,३१,१४० वल्लीबहुल (वल्लीबहुल) ज १११८ उ १११०,१२६,१३३,३३३६ ववगय (व्यपगत) प १११।१२।२० से २७ वसा (सा) परा२० से २७:१५३११२,१५१५० ज ११२४ ; २।१५,२३,२५,२६,२८,३० से ३२, बसिट्ठक ड (वाशिष्ठकूट) ज ४१२०४११ ३६,४०,४२,४३,७०,३१२०,३३,५४,६३,७१, बसु (वसु) ज ७।१३०,१८६।३ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२ वसुंधरा (वसुन्धरा) जाला? Vबवरोव (कि- अप-1 रोपय ) ववरोवेइ प २२१६ वसुदेवया (वसुदेवता) सू १०८० उ ११२२ वसुहर (सुधर) ज ३११२६।१ ववरोविय (व्यपरोपित) उ ११२५,२६ वसुहा (वसुधा) ज ३११८,३१,१८० ववसाय (व्यवसाय) ज ४।१४०।१ वह (वध्) बहंति ज ७।१६८।२ बवसायसभा (व्यवसायसभा) ब ४११४० यह (बध) उ १११३६, ३।४८,५० ववहार (वहार) प ११।३३।१:१६।४६ उ ३१११ वह (व्यथ) उ ५२।१ ववहारसच्च (व्यवहारसत्य) प ११३३३ ।। वह (वह) उ ५।२।१ विस (वस्) वसइ ज ३।१२२ बसाहि वय (वधक) ज २८ ज ३११८५ वहस्सइ (बृहस्पति) : ७/१३०,११।३ वस (वश) ज ३१५,६,८,१५,१६,३१,५३,६२,७०, बाह्य (व्यथिन) ज ३११११,१२५ Page #354 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४० वा-वाणमंतरी वा (वा) ११११८७ ज २१३९ सू१।१४ उ ११२७; वाउभक्खि (वायुभक्षिन्) उ ३.५० ३।१०१ वाउल (व्याकुल) ज २११३१ वा (वा) वाहिति ज रा१३१ वाकरेमाण (व्यागणत्) ज १७८ वाइ (वादिन्) ज १८० वागरा (वि+आ-कृ) वागरेहिति उ ३१२६ बागरेहिती उ ३।२६ वाइंगण (दे० वातिकुण) प १।३७११ बैंगन का गाछ वागरण (व्याकरण) ज ७२१४ सू३ उ १६१७, वाइंगणिकुसुम ('वाइंगणि'कुसुम) प १७१२५ ३२६ वाइत (वादित) प २।३०,३१,४६ बागल (वाल्कल) उ ३१५१,५३,५५,६३,६६,७०, वाइय (वादित) प २१४१ वाइय (वाद्य) ज ११४५,२१६५,३८२,१५५, बागली (दे०) प १४०२ बागुची, एक औषधि १८६,१८७,२०४,२०६,२१८,५११,१६,७१५५, वाघाइय (व्याघातिक) ज ७१८२ ५८,१८४ सू १८१२३;१९२३,२६ वाघात (व्याघात) प ११७४; २११६५ वाइय (वातिक) उ ३३११२,१२८ वाघातिम ('व्याधातिम,व्याघातिन् ) सू १८२० वाउ (वायु) प६८६,१०४,११५६।४१३।१६, वाघाय (व्याध.त) प २१७२८।३१ उ ११६५,६६ १७१४०,६६, २०१८,२३,२८,५७; २११८५; वाण (वाण) प ११३७६४ २२।२४ ज २१६३११७८,४१४६५१४३,५२; वाणपत्थ (दानप्रस्थ) उ ३१५० ७१२२११,१३०,१८६१४ सू १०१८४११ वाणमंतर (वानव्यन्तर) ११२१३०,१३१:२।४१, वाउकाइय (वायुकायिक) ११५:२।१० से १२; ४३; ३।२७,१३५,१८३;४।१६५ से १६७%, ३।५,५० से ५२,५७,६० से ६३,६८,७१ से ५१३,२५,१२१,६।२५,५६,६५,८५,६३,१०६, ७४,७६,८४ से ८७,६२,६५,१६५ से १६७, १११,११७,७१५,६११,१८,२४;१२२६,३६; १८३,४७६,८०,८२,८३,८५ से ८७,५१३, १३।२०१५॥३५,४५,८७,६६,१०४,१०७, १५,१६,६।१६,६२,६२,१०२ १११,१२४;१६१६,१६,१७।२६,३०,३२,३४, ५२,७७,८१,८३,६८,१०५,१६।४।२०।१३, वाउकाय (वायुकाय) सू २०११ १६,२५,३०,३५,३७,४८,५४,६१,२११५५,६१, वाउकुमार (वायकुमार) प १११३१,२।४०१, ७७,६०,२२।३१,३६,७५,८८,१००,२४१८; ६,११:५१३;६।१८ ज २।१०७.१०८ २८1७२,११७,११६; २६।१५,२२,३११४; वाउक्क लिया (बातोत्कलिका) प श२६ ३२॥५३३३१४,२२,३०,३४,३७, ३४।४,१०, वाउक्काइय (वायुकायिक) प १।२७; २।११; १६,१८३५१५,२१:३६।२५,४१.७२ १२॥३,४,२३; १५२६,८५,१३७,१६१५,१२; ज १११३,३०,३३,३६ ; २।६४,६५,६६,१०० १७।६१,१०३,१८।२६,३४,३८,४०.४२,५२; से १०२,१०४,१०६,११०,११३ से ११६, २०१३१,४५,२११२६,४०,५०,५७,६४,२२।३१; १२०,४१२,२४८,२५० से २५२, ५।४७, ३४१३; ३६१६,३८,५६,७२.७५ ५३,५६,६७,७२ से ७४ सू २०१७ वाउकाइयत्त (वायुकायिकत्व) ज ७।२१२ वाणमंतरत्त (बानव्यन्तरत्व) ३६।२२,२६ वाउक्काय (आयुकाय) ज २११०७,१०८ बाणमंतरी (वानव्यन्तरी) प ३३१३६,१८३, वाउन्भाम (वातोद्भाम) प ११२६ १. भावादिमः इति सूत्रेण इमः , Page #355 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाणारसी-वास १०४१ ४।१६८ से १७० १७१५२,८२,८३, २०१३ वाणारसी ( गणसी) प ११९३।१ उ ३।२७ से २६४६,४८,५०,५१,६५,६६,६६,१००,१११ वाणिज्ज (वाणिज्य) ज २२३ वातिय (पातिक) उ ३।३५ बाध (व्यावाध) ज २१३६,४१ वाम (काम) ज २११३, ३१६.१२.२४।४,३७१२, ४५२,८८,११७,१३११४५२१.५८ उ१११५,११६ ; ३१६२ तामण (बामन) १ १५:३५; २३।४६ वामणी (वा पनी) ज ३१११११ वामभुयंत (समभुजान्त) सू २०१२ वामेय (मामे) प २१३१ वाय (कान) २४८ ज २१६.१०,१३१,१३३, ३१११,२४।३,३७।१,४५॥१,११७,१३१।३, २११४।१६६,५१३८,५८ ‘वाय (वाचथ्) बाएंति ज ५।५७ वायंत (वाद न्) ज ३।१७८ वायकरग (व:तक रक) ज ३१११; ५।५५ वायमंडलिया (वातमण्डलिका) प ११२६ वायस (वायस) प ११७६ वायुदेवया (वायुदेवता) सू १०.८३ वारि (शरि) ज ३२२०६:५२५६ वारिसेणा (नारिषणा) ज ४१२१०५६१ वारुण (आरुण) ज ७.१२२२ सु १०१८४।२ वारुणी (वारुणी) ज ५१११११ वारुणोदय (वारुणोदक) १ ११२३ वाल (व्याल) ज ३१२२२ उ ३.१२८ वाल (बल) ज ७१७८ वालग (व्यान) ज ११३७, २१४१,१०१, ३१२०; ४।२७।५।२८ बालग्ग (वालाग्र) जश६,७१७८ वालग्गपोइया (दे०) ज २१२० वालगपोतियासंठित ('वालाग्रपोतिका'संस्थित) वालपुच्छ (व्यालपुच्छ) ज ७।१७८ वालिघाण (वालधान) ज ७।१७८ वालिहर (वालिधर) ज ७१७८ वाली (पाली) ज ३३० वालुंक (वालुक) प ११४८४८ कपिप्थ की छाल वालुयप्पभा (वालुकाप्रभा) प ११५३, २११,२०, २३,३११३,२१,२२,१८३४।१० से १२; ६।१२,७५,७६,१०११;२०१६,३६,२११६७; ३३१५ वालुया (बालुका) प ११२०११, २१४८ ज ३११११, ११३, ४११३,२५,४६ सू २०१७ उ ३१५१,५६ वावण (व्यापन्न) व १२१०१।१३ वावण्णम (व्यापन्नक) प २०१६१ वावहारिय (व्यावहारिक.) ज २१६ वादिय (व्यापित) ज ३७६.११६ वावी (वापी) ५२।४,१३,१६ से १६.२८,१११७७ ज ११३३,२।१२,१५, ४१६०,११३,७११३३११ वास (वर्ष) प ११४६; २२१,४११,३,४,६,२५,२७, २८,३०,३१,३३,३४,३६,३७,३६,४०,४२, ४३,४५,४६,४८,४६,५१५२,५४,५६,५८, ६२,६४,६५,६७,६६,७१,७६,८१,८५,८७, ८८,६०,६४,१२५,१२७,१३४,१३६,१४३, १४५,१५२,१५४,१६५,१६७,१६८,१७०, १७१,१७३,१७४,१७६,१७७,१७६,१८०, १८२,१८३,१८५,१८६,१८८६.३७ से ४१; १६।३०।१८२,६,६,१२,२०,२१,२८,३२, ३४,३५,४७,५०,५२,२०१६३;२३।६० से ६४, ६६.६८,६६,७३ से ७८,८१,८३,८५ से १०, ६२,६५ से ६६,१०१ से १०४,१११ से ११४, ११६ से ११८,१२७,१३०,१३१,१३३,१४७, १५८,१६६,१७६,१७७,१८२,१८३,१८७, २८/२५,७४ से ८७,९७ ज १११८ से २३, ३४,३५,४७ से ५१२।१,४,६ से १५,२१ से ४५,५०,५२,५६ से ५८,६५,७१,८८,६०, १२२,१२३,१२६ से १२८,१३० से १३४, Page #356 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४२ १३८ से १५०,१५४, १५६, १५७, १५६, १६१, १६४३०१, ३,२६,३२,३६.४७,५६,६४,७२, ७७,७६, १०३, १०६,११३.१२४,१२६,१३३, १३५।२, १४५,१६७.१७५, १८५.१८८, २०६, २२१,२२५,२२६, ४११,३५,४२, ५५,५६,६१, ६२,७१,७७,८१ से ८३,५६,१४,१८, २६ से १०३,१०८१६२,१६७७, १६९ १७२ से १७४,१७८,१८१, १८२.१८५, १८७, ११२. १९४,१६,१६ से २०३,२०५,२०,२१३, २६२,२६५, २६६,२७१ से २७३, २७७ ५०५५ ६६।१,६६,१२,१३,१४,१९७१५६ से १५६,१५७ से १२० ४ ३ ६ १ १० ६३ से ६६ ११८/२५ से ३०:२०१७ ११६ १४१, १४७, २०१२,१३,२२३।१४,१६,१८, २१,८३,८६,१०४, ११८, १२५, १५०, १५२, १५७,१६१,१६५,१६९, ४२४,२६,२८ ५।२४,२८,३६,४१,४३ वास (वर्ष) वर्षा ज ३१११५, ११६५७; ७११२३४ १०।१२६।३.४ ( यास (वृष) वासंति ज २१८४ ५७,५७ वासति सू १०।१२६३ वासह ज ३११२४ वासिस्स ज २१४१ से १४५ वासिहित ज २११३१ वासंतिष ( वासन्तिक) ज २।१० वासंतिला वासन्तीलता) ११३६।१ वासंती ( वासन्ती ) प १३८३२२।१५ वासचर (कामगृह ) ज ३।३२ सू २०१७ १३३ २१२५ वासपुड ( वासपुट) ज ४।१०७ वासमा (वत्) ज ३।११६ वासयंत ( वासवत् ) ज २२६५ वासरेणु ( वासरेणु) ज २२६५ बाहर (वर्षवर ) प १५५५१२ ज २४६५ : ३।१३१ ४११०२, १०८, ११०,१४३, १६२.१६७.१८१. १०२, १८४,१६०, २००६ १०.१६ वासहरकूड (वर्षधरकूट ) ज ६१११ वासहरपव्यय (घ) २०११६३० ११८,४८,२१:२०१३१:४११ २ ४४, ४५. ४८, ५४,५५,६१ से ३,७२१.६,८७, १६ से १०.१०२.१०२.१००, ११०,१४३, १६२,१९,१७३ मे १७६.१७,१५०.१०४. १९०,२०० से २०६२०२१२६२ २६४ २६० से २७०,२७२ से २७६५।१४.१५: ६.१०,१८ वासावास ( वर्षावास ) ज २१५० वासि (तुम) २०११५ वासिकी ( वार्षिकी) सू १२/१८ से २३ वासिड (वाशिष्ठ) ७१३२२ १०११४. वासिता (वर्षवित्वा) २७ वासी (बागी) ज २७० वासुदेव ( वासुदेव ) प ११५४, ९१, ९२६, २०११११ ४२.१५, १७ से ज २।१२५ १५३७२०० १६ वास-विउल वासुदेव ( वासुदेवस्य ) ६२०१५६ वाण (वान) ज २६४३।१७,२१,३१,३२, ८१, १०३, १०२, १७७.२०१५,२२,२६ १३६६,६४,६९,११५,११६ वाहि ( व्याधि) ज २०१५.१११,१२३ वाहिनी (वाहिनी) उ ३।११०१४११६,१८ वि (अपि) प १३५ ज १।१६ १६ उ १११७ विक्कत (शिकान्त ) २२७११६८१४० √ विजयकम (वि उन् ! क्रम) विउक्कमंति I ६१२६ विट्ट (विवृत) २०११५ उट्ट (निस) विजल (वि) ४१३०,६६,६१ २०२०२१४१११५ २२६४,६५.११.१२०.२०२,६७.१०३१८५, २०६५।२६, ५४७१७६११७.२३ २२११३०७,५०,४,५,९१.१८.१०१.१०६ १०७.११०.१२९,१३१.१३४,१३६.१४६ ४११६ Page #357 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विउलमइ-विग्गह १०४३ विउलमइ (विपुलमति) ज १८० विउ (वि - कृ) विउव्य इ ज ५१४१,४६,६०, ६६३।१२ विउब्बति प ३४.१६ २१ से २३ ज २११०२,१०६,१०८,३१११५,१६२,१६४, १६५,१६७,१९८५१५५,५७ विउवह ज २११०१,१०५:१३ विउब्वाहि ज ५१२८ विउब्वेह ज ३३१६१ विउव्वणगिडिढपत्त (विकिद्धिप्राप्त) सू१३:१७ विउवणया (विकरण) उ ३४१ से ३ विउदणा (विकारणा) उ ३१७ विउव्वमाण (विकुर्बाण) सू २०१२ विउवित्तए (किर्तम) ज ७१८३ मू १८।२१ विउव्वित्ता (दिकृत्य) प ३४।१६,२१ से २३ १२३ विउविय (विकृत) प २१४१ विउब्वेत्ता (विकृत्य) ज ३।१६१ विउसमण (व्यवशमन) सू २०१७ विझगिरि (विन्ध्यगिरि) उ ३३१२५ विंट (वृन्त) प ११४८१४६ विहणिज्ज (बृहणीय) प १७४१३४ /विकंप (वि-+कम्प ) त्रिकंपइ च ३।२ सू १७२ विकंपइत्ता (विकम्प्य) सू१२४ विकंपमाण (विकम्पमान) सू ११२४ विकप्प (विकल्प) ज ३१३२ विकप्पिय (विकलित) ज ३११०९ विकल (विकल) ज २११३३ विकिण्ठ (विकीर्ण) ज ७।१७८ विकिय पूय (विकृत भूत) ज ५१५७ रिगर (निकिरणकर) ज ३।२२३ विकिरिज्जमाण (विकीर्यमाण) ज ४११०७ विकुस (विकुरा) ज २१८,६ विक्कत (विक्रांत) ज ३।१०३ विक्कम (का) ज ३।३:७११७८ च १११ विक्खंभ (विष्कम्म) प १७४, २१५०,५६,६४; २१८४,८६,८७,६० से ६३,३६.५६,६६, ७०,७४,८१ ज १७ से १०,१२,१४,१६,१८, २०,२३ से २५,२८,३२,३५,३७,३८,४०,४२, ४३,४८,५१,२१६,१४१ से १४५,३३६५,९६, १५६,१६०.१६७:४११.३,६,७,९,१०,१२,१४, २४,२५,३१,३२,३६,३६ से ४१,४३,४५,४७, ४८,५६,५२ से ५५,५७,५६,६२,६४,६६ से ६६,७२,७४,७५,७६,७८,८०,८१,८४ से ६६, ८८,८६,६१ से १३,६५,६६,६८,१०२,१०३, १०८,११०,११४ से ११६,११८ से १२७, १३२,१३६,१४०,१४३,१४५ से १४७,१५४ से १५६,१६२,१६५,१६७११,१६६,१७२ १७४,१७६,१७८,१८३,२००,२०१,२०५, २१३,२१५ से २१६.२२१,२२६,२३४,२४० से २४२,२४५,२४८; १६५७७,१४ से १६, ६६,७३ से ७८,६०,६३,६४,१७७,२०७ चं ३१२ मू १७२१।१४,२६,२७,१८१६ से १३; १९६४,७,१०,१४,१८,२०,२१५१,३०, ३१,३४,३५,३७ विक्खंभसइ (विष्कम्भः ) १२११२,१६,२७, विक्खय (विक्षत) ज २११३३ विवखुर (दे०) प ७१७८ विग (वृक) ज २१३६ विगत (विगत) प १८४ विगतजोइ (विगतज्योतिस्) म १४११०,१५१८ से विगय (विकृत) ज २११३३ विगयमिस्सिया (विगतमिश्रिता) प १११३६ विलिदिय (निकलेन्द्रिय) ११८३ से ८५; १५५१०३, २०१३५:२२।८२:२८११११,१२७, १३८,३११६।१,३४११४;३५।११२,३५१७; ३६।५६ विगलेदिय (विकलेन्द्रिय) प १११८२ विगोवइत्ता (विगोप्य) ज २६४ विगह (विग्रह) । ३६१६०,६७ से ६६,७१,७५ ज़ ५॥४४ उ ३३६१ Page #358 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४४ विचारि (विचारिन् ) सु १६११ विचित (विचित्र ) प २३०, ३१, ४१, ४६ ज २११२; ३६.१०६,२२२,७३१७८ मु २०६७ उ २११०; ३११४, ८३, १०२, १३५,१४२ ४१२४,५२८, ३६,४३ विचित्तकूड (विचित्रकूट) उ ६।१० fafarera ( विचित्रपक्ष ) प ११५१ विचित्ता (विचित्रा ) ज ५११११ विच्छड्डति (विच्छ् ) २१६४ विच्छडिय ( विच्छादित ) ज ३११०३ विष्णि ( विस्तीर्ण) १२३५१, ५२, ५४,५६,६० ज ११८.१८, २०, २३, २५,३२,३५,४८,५१; २२१५,३१,१८,३१,३५,५२,६१,६६,१०३, १०६,१३१, १३७, १३८१,१४१ १६४,१८०; ४१,३,४५,५५,६२,८६,८८,६८,१०३.१०८, ११०,११४,१४१,१५६,१६२.१६७.१६६, १७२, १७८, १८५, १८७, १६१.२००,२०३, २०५,२१३,२१५, २४२, २४५,२४६, २५१, २४.२,२६२,२६८ ५१३,२८,४६,७११७७ १,२ उ ३१३७ विच्छिण्णतर (दितीनंतर ) ज ४११०२ पण (विस्पृश्यमान' ) ज २१६५६ ३१८६, २०४ विच्छुत (वृश्चिक) प ११५१ विच्छुअल ( वृश्चिकाल ) ज ७२१३३।३ विच्छुगोलसंठिय ( वृश्चिक लांगूलस्थित ) सू १०१५२ विजडि ( द्विजटिन् ) सू २०१८, २०१६८ विजय ( विजय ) प १११३८, २११,४८.६३; ४१२६४ से २६६,६३४२,५६७२६६ १५५५१२, १५८६,६२,१००,१०५, १०८ १०६,११३,११४,११६,१२०, १२१,१२३, १२५,१२६,१३१,१३६ २८९६ ज १।१५, १६,४६,५१६२११७ ३१५, १६, २४१४,२६, १. हे० ४।२५७ ३१,३५,३७१२,३६,४५१२,४७,५२,५६,६१, ६४,६६,७२,८१,१०,११४ से ११६,१२२, १२४,१२६, १३११४,१३३.१३५,१३०,१३८ १४१, १४५,१५१,१५७, १६४, १७२, १३८, १८०,२०५,२०६,२०८, २०६४१४६५२, १०३,१६२,१६७ से १७०,१८१ मे १८४, १८७ से १६१,१३,१४.१६७,१६३ विचार-विज्जुष्णभगृह २०३,२०६,२१२,२६२,५१४३, ५५, ४२७,५८१ ६।६।१७।१९४,१२२१२५१४ १०१८४४ २१२४१११११०७, ११०, ११६,११८, १२२,१३०,५११७ विजय (विजय) C विजयबंधवार (f) ३१७२ विजय () विजयपुरा (नियम) विजयवेजइया (विजय) ३।१२,२८. ४१,४६,५६.६६,७८४७१६८ विजया (विया) व ४२२२२१२२४१६१ ४११७२१६।१५ विज्जु (विद्यु) १२१२ ७/१२०१२,१५६ विजह (वि: हा) व १८ √विज्ज (वि) विज्ज ३११२२११ विज्जल (दे०, विज) ४३ विज्जा (विद्या) ३३९०१ विज्जाहर ( विद्याधर ) ११६२,२११९३ ज ३११३७ से १३६,२६००:४१७१७२३५१५ विज्जाहरसेठी (विद्या मेथी) व ११२५ से २८ १२६ २६११, २४०६, ११ ज ४।२१०११ सू ११ विज्जुकुमार (कु.) १११३१६५३; ६।१८ विज्जुकुमार (कु) सम्पर विबंध (द्युत) भन्द age (fr) ते २१० fugees (४२१० विज्जुपभद्दह (विद्युत) ४४ Page #359 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विज्जुपविद्ध हि (वि) ज ४।२१५ रज्जुप्पहार (युत्प्रभवक्षस्कार ) ज ४।२०५ विज्ह (विमुख ) प १८६ विषेश (वि) ज २१३१,४ । २११ ; शर दिज्जु ( () विज्जुयाति ज ५७ विज्gare (विद्युत्यत्वा ) ज ५७ विज्झडिय (३०, मिश्रित ) ज २।१३३ विज्झिडियमच्छ (सिडिय मत्स्य ) प १।५६ विद्धि (विष्टि ) ५११२३ से १२५ fastu (f) ७२१७८ विडिय (२० प ) २४६ ४१४६ विमिंदर (६०, पिटपान्तर ) ज २०१६ दिड्डा (त्रीडा) ११५८,८३ विण (निप्ट) ज २११०३.१०४ विर्णामि (निमि) ३११३७,१३८,१३६ विजय (विनय ) प १११०१।१० ज ११६, २२६०, ६०,१३३, ३१८,१३,१९५३,६२७०,७७,८४, १००,१४२.१४७,१६५, १८१,१८६,१९२ २०५,२०६२१३५११५,२३,५८,६६,७३ यू २०१६ उ १११६,४५,५५,५६.६७ ८०,०३,१०८.११६,१२०,३११२० विणास (नाम) प १७४ विभासण (विजन ३८८१०९५७ विनियमं (विच्छा) ३११०६ विणित (त्) ११३७३।१२, ६८४१५८ वणी (वणी) वि२०४६ वर्णेति उ ११३४ निमि १।७४ विणीला ( विनीतः) ज ३११८२ विणीय (त्रित) उ५१४०, ४१ footer (२/१६,६५,३११२७,८, १४,८७,८५,१०६,१७२, १७३, १८०, १८३ से ܬܘ &o3 ex Po,> ?, ?, . ܔܔ २१२२२०२६१२४११०० विore (विशक) २०१२७, १२७३५४४३ √ विष्णव (वि + ज्ञपय् ) विष्णवे उ ११०१ बिष्णवणा (विज्ञान) उ ३३१०६ विगविज्जना (विज्ञप्यमान ) उ१।१०२ विवि (विज्ञपयितुम् ) उ १६६ विve (विष्णु) ज ७।१३०,१८६१३ faughar (foदेवता ) सू १०१७९ वितत (वि) ज ५३२, ५७ तिपक्खि (तितपक्षिन् ) प १७७,८१ वित्त ( वितृप्त ) सू २०१८,२०1८1८ वितत्य ( वित्रस्त ) सू २०१८, २०१८ तिथि ( वितरित) ज २१६ वितिमिर (वितिभिः ) प २/६३३६६३,९४ वितिरितराग (वितिमिरतरक) ५१७ १०८, ११० वित्त (वित्त) ज ३११०३, ५५८ वित्त (वेव) ज ३ | १०६ विति (वृत्ति) ज १११३.३०,३३,३६,२११३४; ४२ वित्थड (विस्तृत) ज ३।११७,७१३०,३१,३३ मु ४५३, ४, ६, ७,१६/२२११५ वित्थय (विस्तृत) ज ३१३२,१०६ विस्थर ( विस्तर) ज २।१३४ fararves (विताररुचि ) प १।१०१।१,६ वित्थिष्ण (ती) प २२५०,४६,५८ ज ११२४, २८ ३१२१,५१४ विदिशा (विदिशा ) ज ४११०६,१५५,२०४,२१०, २१२.२३५.२३७५।१२ विदिसि (विदिश् ) प ३६।७०,७२ ज ५।१२ विसिवाय (विदित) ५१।२६ विदेह (देह) प ११६३३,६४१११।१२६, १३३ विदेहजंबू (विदेहजम्बू) ज ४११५७।१ विदुम (वि) ज ३।३५ वि (विद्ध) ज ३।२५ (ध्वंस) १०४५ : विद्धरोहित सरदर १११७२२८१४०,४३,६६ २११५१ Page #360 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४६ विद्धंसइत्ता-विमाण .११६ विद्धंसइत्ता (विध्वस्य) प २८।६६ विभत (विभक्त) ज २११५,१३३ विद्धंसण (विध्वंसन) उ ११५१,५२,७६,७७ विभयमाण (विभजमान,रिभजत्) ज १११६,४७, विद्धंसित्तए (रिध्वंसितुम् ) उ ११५१,५२.७६,७७ ४१४२,७१,७७,६४,१६८,१८३,१८६,१६५, विद्धि (वृद्धि) ज ७:१८६१३ २६२ सू १६:१६ विधाउ (विधान) ५ २।४७१२ विभाग (विभाग) ज ३१३२ विधुय (विधुत) ज २११०,४।१६६ विभावणा (विभावना) २८१११२ विपुल (निपुल) ज १६६३८८,१०६ विभास ( विभाष ) विभासिज्जा ज ५१५५ विपुलतर (विपुलतः) ज ४११०२ विभासेज्जा ज १५७ विष्पजढ़ (विहीण) उ ११६०,६१ विभासियत्व (विभापितव्य) ज ५१४०,५७ ‘विप्पजह (वि । प्रहा ) विप्पजहति प ३६१६२ विभु (विभु) ज ५१५,४६ सू १५८ विभूइ (विभूति) ज ३।१२,७८,१८०,५१२२,२६ विष्पजहण (पिहाण) + ३६४१२ विभूति (विभूति) ज ३।२०६ विप्पजहिता (विप्रहाय) प ३६।१२ विभूसा (विभूषा) ज ३.१२,७८,१८०,२०६; विप्पडिवण (विप्रतिपन्न) उ ३।४७ ५।२२,२६ विभूसिय (विभुषित) ज २१६६,१००,३१६,३५, विष्पमुक्क (विषमुक्त) प २१६४११,६,१६३१५ ७८,१०६,२११,२२०;५११४,४१,४३,५८; ३६१८३१२ ज ३१२,८८,६२,११६:५७, ७/१७८ उ १७०७३।११०,४।१८:०१७ ५८ उ ३।१५६ विभेल (विभेल) उ ३३१२५,१३२,१३३,१४१,१४५ विष्परिणामइत्ता ( परिणम्) ग २८१२०,३२,६६ विमण (विमन) ज २६०,१०३,१०६,१०८ विष्पलायमाण (प्रलापयत् ) उ ३.१३० उ ११३५ विष्पासित (विप्रोपित) सू २०१७ विमय (दे०) प ११४१।२ विष्पहय (वि.महत) उ ३३१३१,१३४ विमल (विमल) प २।३१,६४ ज ११३७, २०१५; विबुद्ध (विबुद्ध) ज ३।३।। ३६,१२,१८,७७,८१,८८,१०७,११७,१२४, विजोयण (३०) गु२०१७ उपधान १५१,१७८,२२२; ४१३,२५,१२५,२०४११ विभल (विह्वल) ज २११३३ ५१५,४६१३,५८,६२७१७८ २०८1८ विभंगअण्णाणपरिणाम (विभंग ज्ञानपरिणाम) उ १११३८ प १३.१० विमलवाहण (विमलवाहन) ज २१५६,६१ विभंगणाण (विभङ्गज्ञान) प ५१५.७, २६२,६, विमाण (विमान) ६ २११,४,१०,१३,४८ से ५२, १७,१६,३०१६ ५६।२,२०५१ से ६३;७१२६१२२५:२११६२, विभंगणाणि (विभंगज्ञानिन्) १३।१०२,१०३; ६३,३३,१६,१७ ज २।१२०,३१३,११७; ५९९,१०७; १३११४,१७,१८१८४,२८११३७, ४।११५:५१३,५,१८,२२,२५,२६,२८,३०,३२, ३०।१६ ४१,४३ से ४५,४६,५०,५२,५३,७१७८।१, विभंगनाण (विभंगज्ञान) प ३०२ १७६,१८४ से १९६ सूह।१,१८।२२ से २४; विभंगु (दे०) १।४२१२ २०१२ से ४ उ ३।६,७,१४,२५,८३,६०,१२०, विभज (दि--भज्) विभज्जइ ज २६५५ १५६,१६१,१६६,१७१४।५,२४,२८,५।२८, विभजिस्सइ ज २११५५ पमण (वि ४१ Page #361 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विमाणकारि-विव १०४७ विमाणकारि (विमानकारिन) ज ५।४८ से ५०,५३ विरल्लिय (तत') प १५१५१ विमाणास (विमानवास) ज ३.११७ विरव (वि+रचय) विरवेइ उ ११४६ विमाणावलिया (विधानावलिका) प २११,४,१०,१३ बिरवेत्ता (विरच्य) उ २४६ विमाणावात (विभागास) प २१४८ से ६३ विरसमेह (विरसमेघ) ज २१३१ ज ५।१८,१६,२४,४८ विरह (विरह) उ १६५,६६,१०५ विमाणोववण्णग (विमानोपपन्नक) सू१९४२३,२६ विरहित (विरहित) प६५ से ७,४३ सू १६४२५ विमक्क (विमत) प २६४११०,१६,२२, ३६१६४।१ विरहिय (विरहित) १६.१ मे ४,८ से २३,२७, विमोक्खण (विमोक्षण) ज २७१ ४४,४५ ज २१४०,७१५७,६० सू १०७७ वियछउम (विवृत्तछद्मन्) ज ५१२१ विराइय (विराजित) प २।३०,३१,४१,४६ दियड (विकट) प ६१२० से २३ ज २०१५ च ११३ ज २११५:३१११७,७१७८ सू २०१८,२०१८ विराग (विराग) सू१३१२ वियडजोणिय (निकटयोनिक) पहा२५ विरायंत (विराजमान,विराजत्) ज ३१६,५१२१ वियडावइ (विकटानातिन् ) ज ४।७७,८४,२६६ विराल (विडाल) प १११२१ वियडावति (टापातिन् । १६।३० विराली (विडाली) प १११२३ वियस्थि (वितस्ति) प ११७५ विराय (वि-गवय) विरावेहिंति ज ११३१ वियस्थिपुत्तिय (तस्तिपृथक्त्विक) प १७५ विराहणी (विशाधनी) प ११०३ इवियर ( विन) बियरह ज ३१८८ विराहय (विराधक) प ११८६ वियरग (दे०) ज ५११३ विराहिय (विराधित) उ ३.१४,२१,८३ वियरिय (चिरिन) ज १२ दिराहियसंजम (विराधितसंगम) प २०६१ वियल (किल) प २४१७ विराहियसंजमासंजम (विरावितसंयमासंयम) वियसंत (विकारात्प रा४१ प२०६१ विसिय (कि.मिन) ६।३१,४८ ज ३।६; चिरिच (वि-1-भज) चिरिचइ उ १६४ 61८६; ५२१ विरिचित्ता (विभज.) उ११६६,६४ जिया (1 ) विमाणाहि ॥ ११४८।३८,३६ विरिय (वीर्य) प २३११६,२० ज ३११०७,११४ वियाणंत (विमानत) १ २१६४।१७ विरेयण (विरेचन) उ ३३१०१ चियाणय (जिन्ना) ३।३२,७७,१०६ विलंब (विलम्ब) प २१४०१६ वियाणित्ता (ज्ञा.) उ ५१३७ विलवमाण (विरूपत्) उश६२,३११३० दियाणिय (विज्ञ त) ज ३१८७ विलास (गिलास) ज २१५,३।१३८ र २०१७ वियालय (जिमाल) ज ७११८६११ सू २०८१ विलिय (वीडित) ज २१६० उ ११५८,८३ विरइय (रिचित) ज ३३,६,२२२ विलिहिज्जमाण (विलिख्यमान) प २१५० विरज्ज (दि: ज्) बिरज्जति सू १३।१ विरत (पिरत) : २६।१० पिरति (निरनि) २००४१ विलेवण (विलेपन) ज ३१६,२०,३३,५४,६३,७१, विरत (विरत.) म १३११:२०१३ ८४,१३७,१४३,१६७,१८२,२२२ बिरय (रज- २०१८,२०१८१७ पिन (इ) श३८,६८ उश२३,३।१२८ विरयाविरति (विरताविरति) ६ २०१४२ १. हे० ४।१३७ Page #362 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०४८ विवंचि-विसुद्धतर विवंचि (विपञ्ची) ज ३१३१ सू ११२५,४१२,१६॥३,६,१३,१७,२६,३३,३६ विवज्जिय (विजित) उ ३.३६ विसमचारि (विषमचारिन्) ज ७११२।२ विवडिय (निपतित) ज ३११०८ से १११ सू १०६१२६२ विषड्ढ (वि-- वृध) विवड्दति ज ३१६५,१५६ विसमबहुल (विषमबहुल) १११८ विवड्ढेत (विवर्धमान) प ११४८१५२ विसमाउय (विषमायुप्क) प १७:१३ विवण (विवर्ण) उ १२१५,३३९८ विसमेह (विषमेघ) ज २११३१ विवत्थ (विवस्त्र) सू २०१८ विसमोववण्णग (विषमोपपन्नक) प १७/१३ विदर (विवर) ज २१६५ उ ५१५ विसय (विषय) ५२।४८,१२६६११,१५।१११, विवरीत (विपरीत) म २०१६।२ १५१४०,४१,३३११।१ ज २१४;३।१०४,१०५, विवरीय (विपरीत) ज ३।११७११ १०७,११४,१२६।४,५१४६७।१७८ सू१८११ विवाग (विपाक) २३।१३ से २३ विसय (विशद) ज २।४,६५,१२६ विवाह (विवाह) सू २०१७ विसयवासि (विषयासिन्) ज ३।२४।२,३।२६, विविह (विविध) प २।४१,४८ ज ३१२४,११७, ३६,४७,५६,६४,७२,१३११२,१३३.१३८,१४५ १६७।१२,४२७,४६,५॥३८,६७,७११७८ विसयाणपुव्वी (विषयानुदूर्वी) ज ७५० मू १८८ उ ३६३५,११२,१२८ विसह (विषय) जरा६८ विस (विष) उ १८६,६० विसहरण (विषहरण) ज ३।६५,१५६ विसंधि (विसन्धि) २०१८1५ विसाएमाण (निस्वादयत् ) उ ११३४,४६,७४ विसंधिकप्प (विसन्धिकल्प) सु २०१८ विसायणिज्ज (स्विादनी) ज १८ विसज्जिय (विजित) ज ३१८१ विसारय (विशारद) ज ३१७७,१०६ उ १३१ विसम्पमाण (विसर्पत) ज २११५, ३.५,६,८,१५, विसाल (विशाल) प २१४७२ ज २११५; ३११७८%; १६,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४, ४११५७।२,७१७८ सू२०१८,२०८।८ १४२,१६५,१७३,१८१,१८६,१६६,२१३; विसाहा (विशाखा) ज १२८,१२६,१३४१३, ५।२१,२७,४१ उ ११२१,४२,३।१३६ १३५३३,१३६,१४०,१४६,१६५,१६६ विसम (चिपा) प १३१२२।२:१६:५२:३६८२११ सु १०।२ से ६,१७,२३,८६,६२,७२,७३,७५, ज २।३८,१३६,१३३,३१७६,८८,१०६,१२८, ८३,११४,१२०,१३१ से १६३,१२१२१ १५.१,१७०७।११।३ सू१०११२६।३ विसाही (वैशाखी) ज७१४० उ ३१५५ विसिठ (विशिष्ट) ५२।४७७ ज ११३७, २०१५, विसमचउक्कोणसंठित (विषमचतुष्कोणसं स्थित) २०३१६,३५,१०६,११७ २२१,२२२:५४३; सू श२५:४१२ ७१७८ विसमचउरंससंठाणसंठित (विषमचतुरस्रसंस्थान विसिट्ठतर (विशिष्टतर) सू२०१७ संस्थित) सु ११२५ विसुज्झमाद (विशुधमान) ११३,१२८; विसमचउरंससंठित (विषभचतुरस्रस स्थित) सू ४१२ २३१२००,२०१ ज ३१२२३ विसमचकावालसंठाणसंठित (विषमचक्रवालसंस्थान- विसुद्ध (विशुद्ध) ८ २१६३; १७४१३८,३६६६३,६४ संस्थित) सू १६६ ज २१८,६३१३,१०६५५८ उ ५१४३ विसमचक्कवालसंठित (विषमचक्रवालसंस्थित) विसुद्धतर (विशुद्धतर) ज २०७१ Page #363 -------------------------------------------------------------------------- ________________ विसुद्धतराग-वीइक्कत १०४६ विसुद्धतराग (विशुद्धतरक) ११७।१०८ से १११ विसुद्धलेस्सतराग (विशुद्धलेश्यातरक) १ १७१७ विसुद्धवष्णतरग (विशुद्ध र्णतरक) प १७१६,१७ विसेस (विशेष) प ११११४२१६४११८,१२६३१ १५।२६,३०; १७१३०,१४६ ज २१३,३० ३३,३६,२।४५,१४५,३१३२,४१२,२५ सू २।२,४१४,७; १५५ से ७:१९८२२११३ विसेसाहिय (विशेषाधिक) पश६४,३११ से ६, २४ से ३२,३७ से १२०,१२२ से १२५,१२७, १४१ से १४३,१५६ से १७०,१७४ से १८३, ६।१२३,८५,७,६,११६१२,१६,२५,१०१३ से ५,२६ से २६११७६,६०,१५।१३,१६, । २६ से २८,३१,३३,१५।५८/१,१५।६४; १७१५६ से ६६,७१ से ७६,७८ से ८३,१४४ से १४६; २०६४, २११०४,१०५; २२११०१२८।४१,४४,७०:३४।२५,३६६३५ से ४१,४८,४६,५१,८१ ज १७,२०,४१४५, ५७,६२,६८,११०,१४३,२१३,२३४,२४१; ७१४,१६,७३ से ७५.६३,१६७,२०७।। मु१६१४,२७,१८३७:१६६१० विसोह (वि-!-शोधय) विसाहेहर३।११५ विस्स (विश्व) ज ७।१३०, ८।४ विस्संभर (विश्वम्भर) ५१७६ विस्तदेवया (विश्वदेवता) १..३ विस्सुत (विश्रुत) ज ३।३५ विस्सुथ (विश्रुत) ज ३१७७,१०६,१२६,१६७ दिहंगु (दे०) प ११४८९४६ विहग (हिग) ११३७, २१६८,१०१,४।२७; २८ विहाफइ (बृहस्पति) ज ७१०४ विहर (वि-ह) विहरइ प १५० से ५३ ज१५,४५,२।७० ६१,३१२,२०,२३,३३, ८२,८४,१५३,१७१,१८२,१८६,२१८,२१६, २२४; ४११५६,१६ उ ११२,२७,३१६, ४।११:५१६ विहरति प १२० से २७,३० से ३७,३६ से ४२,४६,४८ से ५२,५४,५५,५७ से ५६ ज १११३,३०,३३,२।८३,१२०,४।२, ११३; ५११,३,८ से १३,६८, ७५६,५६ सू १९२४ उ ३.५०, ५१२६ विहरति प २।३२,३३,३५,३६,४३ से ४५,४८,५१ ५३ से ५६ ज २१७२; ३।१२६; १८ से १३ सु २०१७ विहरसि उ ३८१ विहरामि उ ११७१, ३१३६ विहराहि ज ३३१८५,२०६ विहरिस्संति ज ११३४,१४६ विहरेज्जा सू २०१७ उ ५१३६ विहरमाण (विहरत्) ज २१७१ उ ११२,२० विहरित्तए (विहर्तम) ज ७।१८४,१८५ सु १८।२२ उ ११६५,३१५० विहरिय (विहत) उ ३१५५ विहव (विभव) ज २४३ विहाड (वि-घटय) विहाडेइ ज ३३९०.१५७ विहाडेहि ज ३।८३,१५४ बिहाडिय (विघटित) ज ३।६० विहाडेता (विघटा) ज ३१८३ विहाण (विधान) पश२०१२,११२०,२३.२६,२६, ४८,६८ विहाणमग्गण (विधानमाण) ५२८१६,६,५२,५५ विहायगति (बिहायोगति) ५१६१७,३८,५५ विहायगतिणाम (विहानगतिमान) प २३।३८, ५.६,११६,११७,११६,१२८,१३२ विहार (बिहार) ज २१७१ विहि (विधि) प २१४५; २१।११ ज ३१२४२, म १९४२२ विहिण्णु (विधिज्ञ) ज ३१३२ विहूण (विहीन) प १०।१४१५ ज ४१६४,८६,१३६, २०८ दिहूसण (विभूषण) ज ४।१४०।१ वीइ (वीचि) ज ३।१५१ वीइक्कंत (व्यतिक्रान्त) ज २१५१,५४,७१,८८, ८६,१२१,१२६,१३०,१४६,१५४,१६०,१६३; ३२२२५ उ ११५३,७८,३११२६ Page #364 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीइभय-वच्छ वीइभय (बीतिभय) पशE३४ बीरियंतराइय (वीर्यान्तरायिक) प २३६५६ वीइय (बीजित) ज ३।६,२२२ बीरियंतराय (धीर्यान्तराय) प २३।२३ बीइवइत्ता (व्यतिब्रज।) ज१११६,४६,४१५२ वीवाह (विवाह) ज २।१३० उ५१४१ वीस (चित्र) प २१२० से २७ वीईवयमाण (व्यतित्रजत) ज २१६०३१२६,३६, वीस (विशति) प२।२४ ज ११२३ मू ७१ ४७,५६ ६४,७२,१३३,१४५,५१४४,४७,६७ उ ५।२८ वोचि (वीचि) ज २१५:३१८१ वीस (विशतितम) १०.१४१४ वीणग्गाह (वीणानाह) ज ३११.७५ वीसइ (विंगति) ज ३।१०६ च ६५ सू ११६१५ बीतराग (जीनाम) प१:१०७ से ११०,११५, वीसइअंगुलवाहाक (विशव्यंगुलबाहुक) ज ३।१०६ ११७ से १२३ वीपति (विशति) प २३७५ योत्तरागसंजय (वीरागत) ११७४२५ वीसतिम (विंशतितम) सू १२:१७ वोतसोग (वीतशोक) २०१८ वीसधा (विशतिधा) सू १२२३० वोतिमिर (वितिभिर) । २०६३ बीससा (सिमा) १६.५५; २३३१३ से २३ वोतिययभाण (व्यतित्) ज ३।११३; ५१४४ चीससेण (विश्वसेन) ज ७१२२२२ सू १०१८४२ 1वीतीवय (वि:-अति-व्रज्) वीतिकथति वीसहा (विशतिधा) सू १०११४२,१४७ भू २००२ वीसायणिज्ज (विस्वादनी) प १७।१३४ वीसुत (विश्रुत) ज ३।३५,११६ वीतीवतित्ता (अतिव्रज:) प २१६३ वीहि (बीहि) प ११४५।१ ज २।३७ वीयणी (बीजनी) ज ३१३ विच्च (वच ) बुच्चइ प ५१७,३४,१०१,११६,१६९; वीयराग (नराग) प ११००,१०४ से १०७, ११॥३,४१,१७१२,१३,२०,२७,११६,११६, १०६ से १११,११५,११६.११८,१२१ से १२३ १५२,१५५,२०१३६ ज ११४५,४७, २।४।१; वीयराय (बीतराग) प ११०२ से १०४,११६, ३।१,६८,२२६४।२२,३४,५१,५४,६०,६१, ११७,११६,१२०.१२२ ८०,८५,८६,६७,१०२,१०७,११३,१५६,१६१, वीयसोय (तांक) ज ४२१२,२१२१२ १६६,१७७,२०८,२११,२६१,२६४,२७०, सू२०६७ २७३,२७६,७१६६,१८५,२०६,२१३,२२६ वीर (धीर) ३१९,१०३,१०८ से १११,२२२ उ ३।३८ दुच्चंति प २२१४५,३०११७ बुच्चति चं११ उश२२,१४०,21५,१० प ५३,५,७,१०,१२,१४,१६,१८,२०,२४, वीरंगय (बीगङ्गद) उ ५।२५,२७ से ३० २८,३०,३२,३७,४१,४५,४६,५३,५६,५६, वीरकण्ह (हर कृष्ण) उ ५.१० ६३,६८,७१,७४,७२,८३,८६,८६,६३,६७, वीरण (वीरण) प १४४११ १०४,१०,१११,११५,१२७,१२६,१३१, वीरवर (वीरवार) सू २०६।६ १३४,१३६,१३८,१४०,१४३,१४५,१४७, वीरसेण (ओरसेन) उ ५.१० १५०,१५४,१५७,१६३,१६६,२०३,२४२; वीरिय (वीर्य), २३।६ ज २५१,५४,७१,१२१, १०॥३:१११३,३६,४१,१५१४५,४८,९८; १२६,१३०,१३८,१४०,१४६.१५४,१६०, १७१२,४,६,६,११,१६,१७,२०,१०७,१०६, १६३,३।३,१२६,१८८७१७८ २०११, १११,११६,११६.१५०,१५५, २०।३६,५१, २०६३,५ २२१८,४५, २३।१६०; २६.१७,१६ से २१ ; Page #365 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बुट्टि-वेद १०५१ ३०.१६,१६,२१,२३,२६,२८,३४!१२,१६, ३६८७ १८३५॥१८,२०,२३,३६२८,८१,६४ वेउब्वियसरीरग (वक्रिपशरीरक) प १२।३६ बुठि (वृष्टि) ज ३।११७ बेउब्वियसरीरय (वैक्रिशरीरक) प१२१८,२१.३१ वृड्ढकुमारी (वृद्धकुमारी) उ ४६ देउब्वियसरीरि (4 क्रियशरीरिन् ) प २८।१४१ वृड्ढय (वृद्धक) ज २१६५ वेंट (वन्त) ५१४४८४५ बुड्ढा (वृद्धा) उ ४६ वेटबद्ध (वन्तबद्ध) प १४४८।४० बुढि (वृद्धि) प ३३।१।१ ज ७१,१०,१३,१६, बेग (वेग) प २०२१ से २७,३० ज २११६ १६,६६,७२,७५,७८ चं २।४ सू ११६४,१२२७; वेगच्छिग (वैकक्षिक) ज ७।१७८ १३३१७ वेच्च (दे०,व्युत,ब्यूत) ज ४११३ वृत्त (उका) ज ३१८,१३,१६,२६,४२,५०,५३,५६, वैजयत (वजयन्त) प १११३८, २।६३,४१२६४ से ६२,६८,७०,७५,७७,८४,१००,१२५,१२६, २६६।६।४२,५६;७।२६:१५२८६,९२,१००, १४२.१४८,१६५,१६६,१८१,१८६,१६२; १०५,१०८,१०६,११३,११४,११६,१२०, ५१५,२२,२६,७० च २१४,५,५२ १२१,१२३,१२५,१२६,१३१,१३६२८६६ सू १।६।४,१६।३ उ १६४०,४५,५५,५८,८०, ज १११५ ८२,१०८,३७८,८२,११३; ४१२० बेजयंती (वैजयन्ती) प २४८ ज ३।३१,१७८%; ४१४६,२१२,५१८११,५४३ ; ७१२०१२,१८६ वेिज (वि+इ) वेअति सू ६१ ज्झ (वेध्य) ज ३।३२ वेइगा (वेदिका) ज ४११२८ वेड्ड (दे० वीडित) ज २१६० वेइया (वेदिका) प २।१२११९० ज २१२०, ४१३, बेढ (वेष्ट) ज २११३६ २५,३६,५७,६३,११०,१४८,१५६,२२१.२४५ बेढ (वेष्ट ) वेढइ उ ११४६ वेवि (वैऋिषिन) प २१४६ वेढय (वेष्टक) ज २११३६ वेउध्विय (क्रियक) प १२२१,२,४.५,८,१४,१८, वेढल (दे०) प ११५८ २४,२८,३३,३६:१६।५,२१।१,८३,१०४. वेढिम (वेष्टिम) ज ३।१११ १०५:२३१४२,६०,६२,१४६,१७३,३६।११, वेढिय (वेष्टित) ज ३१३२ ३६।३२ ज २१८०, १४०,५६७१५५,५८ ।। वेढेत्ता (वेष्टित्या) उ ११४६ गु१६२३ २६ वेणइया (वैनयिकी,वैण किया) प १९८ उ ११४१, वेदिवयमीससरीर (वैक्रियमिश्रशरीर) प १६३१, ३,७,१० वेणुदालि (वेणुदालि) प २।३७,३६,४०।७ देउब्वियमीसासरीर (वैक्रिमिश्रकशरीर) वेणुदेव (वेणुदेव) प २।३७,३८,४०१६ ज ४।२०८ ५१६।११,१२,१५,३६८७ वेणुयाणुजात (वेणुकानुजात) मू१२।२६ वेउब्वियसमुग्घाय (वै कि समुद्घात) प ३६११,४ ।। वेत्त (वेत्र) प ११४१।१:१११७५ ज २१६७ से ७,२८,३५ से ३८,४०,४१,५३ से ५८,७० वेद (वेदय ) वेदेइ प २३११११, २५१४ वेदेति ७३ ज ३१११५,१६२,२०८१५,७,२६,५५ प१७।२०,२३।११:२५१४,५,२७।२,३,३५१२, बेउब्वियसरीर (वैक्रियशरीर) प १२११२,१६; ३,५,७,६,११,१३,१४,१७ से २०,२२,२३ १६।१,३,७,१२,१५, २११४६ से ६५,६८ से वेदेति प २३१६,१०,१२ से २३:२५२,२७१२, ७१,७७,८१,६६,६८,१०१,१०४,१०५; Page #366 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५२ वेद-वेयणा वेद (वेद) पश१६,३।११।१८११ ८,१०,११,१४,१५, २५४१,२,४,२६.१,३,४, २८.१०६।१ उ ३।४८,५० ८,६; २७।१.२,६; २८१,७४,१०१.१०२, वेदग (वेदक) प ११९४११:२५२७।३ १०५.१०६,१०६,१११,११५ से ११७,१२२, वेदणा (वेदना) प २।२३,२६,१७११७.२०,२७, १२७,१३२,२६।१५,२२,३०।१४,२४; २६,३२,३३,२२१५,३५३१११,३५.१ से ७,६, ३११५,६११३२।५३३१३०,३४,३७; ११ से १४,१६ से २०,२२,२३ ज २।१३१ ३४।४,५,११ से १४,३५६३,५,७,६,१११५, वेदणासभुग्घाय (बेदनासघात ) ५ ३६।१,२,४ २३; ३६१७ से १,११ से १३,१५,२०, से ८,१२,१८ से २०,३२,३६ से ४१,४६,५३ . . २६,२७,३०,३२ से ३४,४१,४३ से ४५,४७, से ५६,६५ ५०,६५,६६,१२,७३ ज ११९०,९५,६६, वेदणिज्ज (वेदनीय) प २३११,१२:२४११२:२५१५: १००,१०१,१०२.१०४,१०६,११०,११३ से २६.६.११:२७५,३६६८२,६२ ११६,१२०,४१२४८,२५० से २५.२,५।१६, वेदपरिणाम (वेदपरिणाम ). १३।२,१४,१५,१८, २६,२८,४७,६७,७२,७३.७४ वेमाणियत्त (वैमानिकत्व) प ३६.१८,२०,२२,२४, वेदय (वेदक) ! २२ २६,२७,३० से ३४,४६,४७ वेदि (देदि) उ ३५१,५६,६४,६८,७१,७४,७६ वेमायत्त ( वित्रत्व) प २८।३६,४२,४५,४६,७१ वेदिया (वेदिका) ज १।१४ बेमाया (विमाना) प ७/४; १३।२२।१२८१३८ वेदमाण (दद त्) प २६१२ से ४,८,६,१२,२७२, वय (विद्) वइसु प १४।१८ वइस्सति प १४११८ वेएइ प २३।१५,१६,१८ से २० वेमापिणी वानिकी) प३।१४०४।२१० से वेएंति ५१४११८ २१२; १७५५,८०,८२,८३, २०१३ बेय (वेत्र) ५११४२।१ वेय (वेद) १४।१८।१ वेमाणिय (वैमानि), १११३०,१३४,१३८; वेधग (वेदक) प २७५ २४६ से १३:१३६,४।२०७ से २०६; वेयड्ढ (बंता) ११५ से २०,२३ से २५, ५॥३,२६,१२२:६।४६.५६,६६,८५,८६,६२, २८,३२,३३,४६।१,४७,४८% २११३३ ; ३३१, ६५.१०६,१११.११७,११६,१२१,७७; ६१.१३७.२२०७४।१६७ से १६९,१७२।१, ८।३६।११,१८,२४,१०३२ से ५३,१११४६, ८०,८१,८४,१२२६.३६, १३१२०,१४१२,३, यड्डकड (वैताड्ट ) ज ११३४,४६,६।११ ५,७,६,११ से १५,१८,१५१३५,४६,५६ से वेयगिरि (वता गिरि) ज २१३१,३१२२० ६३.६५ से ६७,७५,८२,१३४; १६।६,१६, उ५।१० २०,२१.२६१७२७,२८,३०,३४,३५,५४,७६ वेयडढगिरिकुमार (वैतादयगिरिकुमार) ज ११४७; से ८१,८३,८६ ६१.६६.१०५; १९६४; ३१६३ से ६६,६८,७२ २०६१,४,५,१३,१६.२५,३०,३५,३३,५४,५६; वेयड्ढपध्वय (ताड़यविन) ज ११३४,३५,४१, २११५५,६२,७१, २२११ १३,१५,१७,१६, ३१६०,६१,१३६,१३७,४१३५,३७,१६७,१७४ २०,२६,२७ ३५,३५,३७.३६.४१,४२,४४, देयणा (वेदना) प ११११७:२।२० से २२,२४,२५, ४७,५३ से ५८.६६,७५.७६,७६,८२,८८, २०३५८,१०,२०२६।१। १ २।४३ ६०,१००; २३१२,४ से ७,१०,११,२४११,३, उ११६०,६२,८५,८७ Page #367 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेयणासमुग्धाय-स १०५३ वेयणासमुग्धाय (वेदनासमुद्घात) प ३६१३५,३७, बेसासिय (श्वासिक) उ ३।१२८ वेहल्ल (मेल) ९५ से १६,१०२ से ११७, वेयणिज्ज (वेदनी) प २२१२८२३१२६२४११०, ११६,११५.१२८ राया श्रमिक का एक पुत्र । ११,२५॥३,४,२६८; ३६८२ ज ३।२२५ बेहास (भास में ३।१३१,१३२:५१६४ वेयय (वेद) प२५१४ १९७ वेयवेयय (वेदवेदक) प ११११६ बेहातवाडच्या मिहा स्वाहा ।) सू ६४ वेर (वै) ज २४२,१३३ वोका दि० प ११८६ वेरमण (विरण) प २०११७,१८,३४ वोच्छ ( अच्छ.जि ७१३५१ वेराण बंध (वैर नुबन्ध) ज २०४२ सू १६१३१ बोच्छिद (F: : अ- छिद) बोच्छिजिस्सइ वेराणुमय (वैरानुगय) ज २१२८ वेरिय (वैगिक) ज २०२८ ज २२१२६.१५८ वेरुलिय (वैडय) प ११२०१४ ज ११३७,३११२, वोच्छिण्ण (न्य च्छिग सू ८१३ ३१३४ ८८,६२,११६,१६७१२,१७८; ४।२४२, वोच्छिा मोह नच्छिन्नदोहद) ११५०,७५ २६४:५५,१५८,31१3८ बोयडाड (व्यवच्छेद की। ए १७१३४ योज्य ( मािति ३४ वेरुलिया (यकट) ४७९ योज्य (उह्य) ज ३१२१११५८ वेरुलियमणि (वैडमणि) प १७।११६,१४८ वोडाप (दे०) प ११४४११ वेरुलियमय (वैड्यंत) ज ३३१२,८८,४१७,२६, वोयड (व्य.वृत) ५ १११३७।२ ओलीण (') गु २०१६।४ १६२,२४२,२६४,५१५८ बोरछकाय (जस्यष्टकाय) ज २१६७ वेलंबग (विडम्बक) ज २।३२ वैसाह (वैशाख) ज ७११०४ वेलंबय (विडम्बक) ज २६३२ व्व (इ.) प११०१७; २१४८ ज २११५; वेला (ला) प २११ 3 ३१११० ३२४३,३७११,४५१,१३१।३ उ १३५ वेलु (वेणु) प ११४११२ वेलुय (वेणुक) प ११४८१६१ वेस (वय) प२०४१ ज २।१५, ३११३८,१५८ स (ब) प २१३०,३१,४१४६,५०,५८ ज १११६; सू २० २११२०३१२.१७८ १०७४ उ ३२६, वेसमण (वंशाण ज ३१८,२१,९३,१८०; ४११७॥१५३६८ से ७१७११२सार भाग) T१४८१४९; २३०,३१.३२,४१,४६,५६, सू १०८४१२ ३६१५४ ६३,६६ ज १८,१६,२३,२६.३१,३५२१६४, देसमण भाइय) (वंशः णकाधिक) ज ११३१ ७५,७२,५७ से २२,१६,१७,१८,२१,२८, वेसमणकर ( वै ट ) ज ११३४,४६,४।४४, ३०,३५,४१,४६,५८,६६,४४,७६,८१,१०१, ११६ से ११८,१२८,१४७,१५१,१६७,१६८, वेशाणिय (वैवाणिक) प १८६ १८०,२१२,२१३.२२०; ४३.१३.२१,२५, वेसाली (वैशाली) उ १.१०५ से १०७,११०,१११, . ३६,४०,८१,५०,५१,५९,२,१२,११४, ११५.११६,१२६,१३०,१३२ Page #368 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५४ ११६,१३५, १४७, १५५,१५६,२२१ से २२४, २५६,२७७,५१,२१,३२.४१, ४३, ५०, ५८; ६११०, ११, १४, १५,१८,१६,२१,२२,२६; ७१४,४६,६३,६६,८७,६०,११०, ११४, १३२, १६७, १८३,१६४ सू १८।२१:२०१२, ७ ११२६.४४ से ४६, ६३, १०५, १०६, ११५, ११६.११६,१३८, १४८४१५५१२८ अंतर ( सान्तर ) प ६ | १|१ लई ( सकृत् ) सू १११२,१४ सइंदिय (सेन्द्रिय ) प ३१४० से ४३, ४६; १८११३, १८,१६ सइय ( शतिक) ज ४११६२,१६८, २०४, २१०, २३६,२६६,२७५ सण ( शकुन) ज २।१२:४३३, २५ सउणस्य ( शत्रुनरुत) ज २१६४ सउणि ( शकुनि ) ज २।१६६७ १२३ से १२५, १३३।१ सउणिपली गठिय (शकुनिप्रलीन कसं स्थित ) सू १०/२६ संकड (संकट) ज ३।२११ संकष्प (संकल्प) ज ३१२६, ३९, ४७,५६,१०५, १२२,१२३,१३३,१४५, १८८ ४११४० ११ ; ५१२२१११५, ३५, ४१ से ४४,५१,५४,६५, ७१,७६,७६, ६६.१०५; ३१२६,४८,५०,५५, ६,१०६,११८,१३१,५१३६, ३७ संकम (संक्रम) प १०३० ज ३।६६ से १०१,१६१ १६१२२/१२ / संक्रम ( + क्रम ) संकमति सू २१२ संमण ( संक्रमण) गु १६१२२।१२ संकममाण (संक्रामत्) ज ७११०,१३,१६,१६,२२, २५,२७,३०,६६,७२,७५,७८, ८१, ८४ सू १।१४,१६,१७, २१, २४, २७, २१२,३,६११ संकला ( श्रृंखला) ज ३१३ संकाय (दे०) ३३५१,५३,५५,५६,६३,६४,६७,६८, ७१,७३,७४,७६ अंतर-मुखेज्ज संकाइयग (दे० ) उ ३१५१ संकास ( संकाश ) प १।४८।५६ ज २७८ ३११ संकिलिट्ठ ( संक्लिष्ट ) १७ ११४ १,१३८० २३/१६५ संकि लिस्समाण ( संक्लिदयमान ) १११११३, १२८ संकिलेसब हुल ( संक्लेशबहुल) ज १११८ संकुचियपसारिय (संकुचितप्रसारित) ज ५२५७ संकुड (दे० संकुच ) सू १६२२/१५ संकुडिय (दे० संकुचित ) ज २११३३ संकुय (संकुच ) ज ७।३१,३३४१३,४,६,७ संकुल ( संकुल ) ज २१६५३।१७, २१, १७७३ ५।२५ संख (शंख) प ११४६ : २३११७ १२८ ज २११५, २४,६४,६८,६६, ३१३,१२,७८, १६७११,१०, १७८.१८०,२०६, ४१६५, १२५.२१२,२१२३१; ५/६२७।१७८ मू २०१६, २०१८२ संखणग (शंखनक ) प १४६ संखणाम ( शङ्खनाभ ) सू २०१८ संखदल (शङ्खदल ) प २०६४ संघमा (शंखध्मायक ) उ३१५० संखमाल (शङ्खमाल) ज २८ संखवण्णाभ ( शङ्खवर्णाभ ) सु २०६ संखसणाम ( शंखसनामन् ) ज ७।१८६।२ संखायण (शंखायन ) ज ७ १३२ ।१ मु १०१६३ संखार (शंखकार ) प १६७ संखावत ( शंखावर्त ) प ६२६ संखिज्ज ( संख्येय) ज ३ । १६२५१५ संखित ( संक्षिप्त ) ज ११८, ३५, ५१, ४१४५, ११०, ११४,१५६,२१३,२४२ संखित्तविजलतेयस ( संक्षिप्त विपुलतेजोलेश्य ) ज ११५, उ १।३ संखिय (शांखिक) ज २६४; ३१३१,१८५ संखेज्ज ( संख्येय) प १११३, २०, २३, २६, २६, ४०, ४८,११४८१८,४०,५७,३११८०५१२, ३, ५,१२६, १२७,१४२,१४३; ६/३५ से ४१,६०,६१,६४, ६६,६८,१०११६,१८ से २७,२६,११ ५०, ७२/१२/३२,३३,३६:१५८३,८४,८७, Page #369 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संखेज्जइभाग-संघयणपज्जव ६२, ६३ से ६६,१०३, १०४,११०,११२,१२२, १२३,१३० से १३२,१३५ से १३७,१३६, १४२,१४३; १८११५,२० से २३,२८,३२ से ३५,४७,५० से ५२, ३३।११,१५,३६१८, १४, १७ से २०, २२, २३, २५.३३,४४,७०,७२,७४ २१४,५८,१५७; ५७ १६१३०,३१ संखेज्जइभाग (संख्येयभाव ) प ६१४३; २१।६५ से ७०,३६।७२ संखेज्जगुण (संरुयेयगुण ) प ३३४ २५,३७,३६,४३, ४४,४६,५३ से ५८,६०,६४ से ७१,८८ से ६५,६३,६६,१०६, ११०,१२८ से १४०,१४४ से १५५,१७१ से १७४, १७७, १७६ से १८३; ५१५,१०,२०,३२,१२६,१३४,१५१:६११२३; ८१५, ७, ९, ११, १०१२६,२७१५।१३,३१; १७।५६,६३,६४,६६ से ६८,७१ से ७३,७६, ७८,८० से ८३,२१११०५,२८१७,५३; ३४।२५;३६।३५ से ४१, ४८ से ५१ ज ७११६७ म १८२३७ संसेज्जजीविय ( संख्येयजीवित ) प ११४८|४१ संखेज्जतिभाग (संख्येयभाग ) प १२।१६,१५२४१ संखेज्जपएसिय ( संख्येयप्रदेशिक ) प ५। १३४,१६२, १६३,१८१,१६६, १६७, २१७,२१८, १०११४, १७,२६,२६ संखेज्जपदेसिय ( संख्येयप्रदेशिक ) प ३१७६; ५।१२७,१३३,१८०.१८१,१०११८,२१,२६ संखेज्जभाग (संख्येयभाग ) प ५१५,१०,२०,३०, ३२,१२६,१३४ संखेज्जवासाजग ( संख्यवक ) प ६।७१ संखेज्जवासाज्य (संख्येयवक ) प ६१७१,७२. ७६,६७,६८,११३, ११६,२११५३,५४,७२ संखेज्जसमपट्ठितीय (संख्येयसमयस्थितिक ) प ३।१८१५।१४८ संखेज्जसमय वितीय ( संख्येयस्थितिक ) प ३।१८१ संखेव (संक्षेप ) प ११०१ १ संखेवरुचि (संक्षेपरुचि ) प १११०१ / ११ संखोबल (क्ष भवहुल) ज १११८ संग (राङ्ग) ज २७० संगइय (साङ्गतिक ) ज २१२६ संगंथ (मंग्रन्थ) ज २६६ १०५५ संगत ( सङ्गत) सू २०१७ संग (मङ्गल) ज २१४,१५; ३।१०६,१३८५ ७ १७८ संग्रह (संग्रह) प १६ ४६ संगणिगाहा (संग्रहणीगाथा ) प २२४७:२११४७ संग्रहणी ( संग्रहणी) ज १११७,६६ १,७३१६७ गु १६ १ ३।१७१ ४ २८५२४५ संग्रहणीगाहा (संग्रहणीगाथा ) प १०५३ संगहिय ( संगृहीत) ज ३।३५ संग्राम (संग्राम ) ज ३।१२.११६ १११४, १५, २१,२२,२५,२६,१२६, १३७,१४० संगामेमाण (सङ्ग्रामत्) उ ११२२, २५, २६.१४० संगेल्लि (दे० ) ज ३|१७६ / संगोव (गुप्) संगवेति ज २२४६,५६ संगीवस्संति ज २।१५६ संगो विज्ञमाण ( संगोप्यमान ) ३४ संगोवेत्ता (संगोप्य ) ज २२४६ संगोमाण (संपयत् ) उ ११५७,५८,६२,६३ संघ (सङ्घ) प २३०, ३१, ४१ ज ११३१२११३१ उ ५। ५. √ संघट्ट ( सं . ] घट ) पंघट्टेति प ३६।६२ संघट्टा (संघट्टा ) प ११४००३ इस नाम की ला संघबाहिर (संघ) २०१६१४ संघयण ( संहनन ) प २१३०,३१,४१,४६,२३६८, १०५,१०७,१६० ११५, २११६,४६,२६,८६, १२३,१२६,१२८, १४८, १५१, १५७, ४११०१, १७१ नु ११५ संघणणाम ( हननामन् ) प २३१३८, ४५ ६४ ये ६७,६६,१०० संघयणपज्जव ( संहननपर्यंत्र) ११,१४,१२१. १२६,१३०,१३८,१४०, १४६, १५४, १६०,१६३ Page #370 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५६ संघरिलसमुट्ठिय ( संघर्ष समुत्थित ) प १२६ संघाइम ( संघातिम) ज ३१२११ संघाड (संघाट ) प ११४८६२ संघाय (संघाटक ) उ ३३१००,१३३ / संघात ( सं ! - घातय् ) संघातेंति सू १।१८ संघाय (धात) प ११४७।२, ३ ज ७ १७८ / संघाय ( सं घाय् ) संघाएंति प ३६।६२ संचय (मंत्र) ज २११६; ३११६७११४ संचाय (क) संचाए उ ११५२३।१०६ २०।१७.१८,३४ संचाएमि !. उ १६५३।१३१ संचाएमा उ १९६६ संचाहि उ ३।१३० संचारिम (मंत्रा) ३।११७ v संचिट्ठ ( सं ! ष्ठा) चिट्ठइ उ ११३८, ३३५६ विषि १८:३७६ संचि ( सञ्चित ) प २३।१३ से २३ ज ३।२२१ संछष्ण ( संछन्न) ज ४१३, २५ संजत (संत) ३|१०५; ६।६७, १८, २१।७२; ३२।६।१ संजता संजत (संयतासंयत ) प ६ ९८ २१ ७२; ३२/१,३ संजता संजय ( संपतासंयत ) प ३२|४ संजम (संयम ) प १|११७ ज ११५२२८३३।३२११ उ ११२, ३, ३२६,३१,६६, १३२ ५।२६ संजय (यव) प ३२१११,१०५६ ६८ १७ २५, ३०,३३; १८ १११, १८१८६२१।७२; २६११०६।१, २८११२८ ३२।१ से ४,६६१ संजया संजय ( संयतासंयत ) प ३।१०५; ६१६७; १७।२३,२५,३०,१८१६१,२१।७२:२२।६२; २८११३०३२।१,२,६ संजण ( पंज्वलन ) प १४ ७ २३ ३५ संजणा ( संज्वलना) प २३|१८४ संजा (जत) व ३।१११,१२५ ११८६ संजाय उहहत ( संजातकौतूहल ) ज ११६ संजाय संसय ( संजात संशय ) ज ११६ संघ रिसस मुट्ठिय-संठित संजायसढ (मंजातश्रद्ध) ज १६ संजुत्त (संयुक्त) प १५ ५७ संजोग (संप्रग) प २१।१।१ ज ५।५७७ । १३४१२,३ संजोय ( संयोग ) प ११८४; १६२१५ संजोयणाहिकरणिया (संयोजनाधिकरणिकी) प २२/३ संझन्भराग ( सन्ध्याराग ) प १७ १२६ संझा ( सन्ध्या ) प २।४०।११ संठाण ( संस्थान ) प ११४ से ६, ४७।१२१२० से २७,३०,३१,४१,४८ से ५०,५४,५८ से ६०, ६४,६४११,४,५,६,१०।१५ से २४,२६ से ३०,१५/१३१,१५।२ से ६,१८,१६,२१,२६, ३०,३५,२१।१।१,२१।२१ से ३७.५६ से ६२, ७३,७८ से ८०, १४; २३ । १००, १६०, ३०१२५, २६; ३३।१११,३३१२१ से २३,३६१८१ ज ११५, ७, ८, १८, २०,२३,३५,५१,२११६,२०,४७, ८६,१२३,१२८,१४८, १५१,१५७, ३१३,६५, १५६,४११,३६,४५, ५५, ५७,६२,६६,७४,८४, ८६,६१,६७,६८,१०१, १०२, १०३, १०८, ११०, १६७,१७८, २१३, २४२, २४५ ७ ३१,३२/१, ३३,३५,५५,१२७११, १२६११,१३३३३.१६७११; १६८२,१७६ चं ३१२ सू ११७/२,१११४; १०१६ १३।१७ १८१८ उ ११३ संठाणओ ( संस्थान तत् ) प १५ से ६ संठाणतो ( संस्थागतस् ) प ११७ से 8 संठाणणाम ( संस्थाननामन् ) प २३३८, ४६ संठाणपज्जव ( संस्थानपर्यव) ज २२५१,५४, १२१, १२६,१३०,१३८, १४०, १४६, १५४,१६०,१६३ संoाणपरिणाम ( संस्थानः रिणाम ) प १३ २१,२४ संठाणा (दे०) सू १०१६,६२,६७,६८,७५,८३, १०३,१२०,१३१ से १३३१२/२० मृगशिरा नक्षत्र संठि ( संस्थिति) ज ७।३१,३३,३५ चं २ १३ १, ५।१११६११,१।७११, ११६३१ संठित (संस्थित) प २२० से २७,३०,३१,४१,.. Page #371 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संठिति-संपण्ण १०५७ संथरिता (संस्तृत्य, संस्तीय) ज ३१२० संथरेता (संस्तृत्य, संस्तीर्य) ज ३।१११ संथव (संस्तव) प ११०२३ संथार (संस्तार) ज ३।११३ संयारग (संस्तारक) ज ३११११ संथारय (संस्तारक) ज ३।१११ सिंथुण (सं+स्तु) संथगइ ज ५१५८ संथुणित्ता (संस्तुत्य) ज ५१५८ संथुय (संस्तुत) ज २१६६ संथुव्वमाण (संस्तूयमान) ज ३११८,६३,१८० संदमाणिया (स्यन्दमानिका) ज २।१२,३३ संधि (सन्धि) ५२४८३६ ज २६१५,१३३,४।१३, ४८ से ५०,५४,५६,६०,६४ सू११२५३१२, ४.२ से ४,६,७,६,३३,३६,१०।२७ से ३१, ३३,३४ से ४४,४६ से ५४:१८।८।१६।२,३, ६.६,१२,१३,१६,१७,२२१२,१५ संठिति (संस्थिति) ज २१४६ सू १।१५,१६,१७, २५;४१ से ४,६,७,६६.१११ २ १३३१७ संठिय (मंस्थित) प २१४८,६४, १५२ से ६.१८, १६,२१,२६,३०,३५, २१०२१ से ३७,५६ से ६२.७३,७८ से ८१,८३३३।१६ से २६; ३६।८१ ज १५,७,८,१८,२०,२३,३५,३७, ४८,५१, २।१५,१६,२०.४७,८६,३।६,६४, ६५,१३३,१३५,१५८,१५६,१६७.२२२,४१, २३,३८,३६,४५,५५,५७.६२,६५,६६,७३७४, ८६,६०,६१,६७,६८,१०३,१०८,११०,१२८; १६७१११.१६६,१७८,२१३,२४२,२४५, ५१४३,७१३१ से ३३,३५,५५,१३३,१६७, १७६,१७८ सू११५.१४,४१६ उ ११३ संड (षण्ड) ज ३१११७,१८८ संडिल्ल (शाण्डिल्य) प ११६३।३ संणय (सन्नत) ज ३११०६ संत (सत्) १११४७१३ ज २१६४,६९ सू २०१२ संत (शान्त) ज २६८ संत (श्रान्त) उ १३५२,७७ संतइभाव (संततिभाव) १८१४,६ संततिभाव (सन्ततिभाव) प ८८,१० संतप्प (सं:-तप) संतप्पंति सू ।१ संतपमाण (पंतप्यमान) सू !१ संतय (सन्तत) प ७१ संतर (सान्तर) प ६४७ से ५८,१११७०,७१ संताणय (सन्तानक) सु २०१८ संताव (मं : तापय् ) संत.वेति सू ।१ संतिकर (शान्निकर) ज ३८८ सिंथर (मं स्न) संथरइ ज ३१२०,३३,५४,६३, ७१,६४,१३७,१४३,१६६ संथति ज ३।१११ संधिकम्म (सन्धिकर्मन) ज ३१३५ संधिवाल (सन्धिपाल) ज ३१६,७७,२२२ उ श६२ सिंधुक्क (सं+-धुक्ष्) संधुक्के इ उ ३३५१ संधुक्केत्ता (संधुक्ष्य) उ ३५१ सिंधुक्ख (सं+ धुक्ष्) संधुक्खंति ज ५११६ संधुक्खित्ता (संधुदय) ज ५१६ संनिक्खित्त (सन्निक्षिप्त) ज ११४० संनिचित (सन्निचित) उ ५१५ संनिवडिय (संनिपतित) उ १२३,६१ संनिविट्ठ (संनिविष्ट) ज ४२७, १४ संनिसण्ण (संनिषण्ण) उ ३६१ संपउत्त (संप्रयुक्त) ज ३1३५,८२,१०३,१७८, १८७,२१८ संपक्खालग (सम्प्रक्षालक) उ ३१५० संपग्गहिय (सम्प्रगृहीत) ज ३१३५,१७८ संपठित (सम्प्रस्थित) प १६।२२ संपटिठय (सम्प्रस्थित) ज ३३१७८,१७६,२०२, २१७,५४४३ संपणदित्त (संप्रणदित) प १३०,४१ संपण दिय (संप्रणदित) प १३१ संपणादित (संप्रणादित) ज ११३१ संवण (संपन्न) उ ११२३।१५६:५२२६ Page #372 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५९ संपत्त-संलाव संपत्त (सम्प्राप्त) ज २१ सू २१३ उ ११४ से संपुष्णदोहल (सम्पूर्णदोहद) उ ११५०.७५ ८,६३,६३,१४२,१४३, ११ से ३,१४,१५, सिंह (सं+प्र-1ईक्ष ) संपेहेइ ज ३१२६,३६,४७ २१:३।१ से ३,२०,२३,२६,८८,१२६,१५३, उश१७, ३१२६ संपेहेति ज ३।१८८ १५४,१६६,१६७,१७०,४१ से ३,२७,५११, संपेहेमि उ १७६ संपेहेत्ता (सम्प्रेक्ष्य) ज ३२६ उ १११७:३१२६ संपत्ति (सम्प्राप्ति) उ १२४१,४३,४४ संब (शम्ब) उ ५:१० संपत्थिय (सम्प्रस्थित) उ ३१६३,६७,७०,७३ संबंधि (सम्बन्धिन) ज ३।१८७ उ ३१५०,११०, संपन्न (सम्पन्न) ज २०१६ १११;४।१६,१८ सिंपमज्ज (सं+-प्र--मृज) संपमज्जेज्जा ज ५५, संबद्ध (संबद्ध) ज २२० से २७ ७५ से ७६ संबद्धलेसाग (संबद्ध लेश्याक) सू १६।१११२ संपया (संपदा) ज २।७४ । संबररुहिर (शम्बररुधिर), १७१२६ संपराइयबंधग (साम्परायिकबन्धक) प २३१६३ संबाह (सम्बाध) ज २१२२:३।१८,३१,१८०,२२१ संपराइयबंधय (साम्परायिक बन्धक) प २३६१७६ संपराय (सम्पराघ) ज ३।१०३ संबुद्ध (सम्बुद्ध) उ ३१४५ संपरिक्खित्त (सम्परिक्षिप्त) ज १७,६,२३,२५, संमंत (सम्भ्रान्त) उ ११३७ २८,३२,३५,४११,३,६,१४,२५,३१,३६,४३, संभम (सम्भ्रम) ज ३।२०६५।२२,२६ ४५,५७,६२,६८,७२,७६,७८,८६,६०,६५, संभव (सम्भव) ज ७.११४ १०३,१४१,१४३,१४८,१४६,१५२,१७४, संभिन्न (सम्भिन्न ) प ३३.१८ १७६,१७८,१८३,२००,२१३,२१५,२३४, संभिय (श्लेष्मिक) उ ३१३५ २४०,२४१,२४२,२४५,५।३८ सू ३।१:१६२, संभूयग (सम्भूतक) उ ३९८ १२,२८,३२,३६ उ ५१८ संभोग (सम्भोग) उ १२२७,१४० संपरिवुड (सम्परिवत) ज २१८८,६०३१६,१४, संमज्जग (सम्मज्जक) उ ३१५० १८,२२,३०,३१,३६,४३,५१,६०,६८,७७, संमज्जण (सम्मार्जन) उ३१५१,५६,७१,७६ ७८,९३,१३०,१३६,१४०,१४६,१७२,१८०, राजिया सम्मानित) ज २६५ : 3310.१८४: १८६,२०४,२१४,२२१,२२२,२२४; ५।१,५, ५।५७ २२,४६,४७,५६,६७ उ ११२,१६,६२,६३,६७, संमठ (सम्मृष्ट) ज २१६; ३७,५१५७ ६८,१०५ से १०७.१२१,१२२,१२६ से १२८, संमुच्छ (+ मुर्छ, ) समुच्छंति सू ६।१ संमुच्छति १३३, ३११११; ४११८५१६ गु२०११ संपलग्ग (सम्प्रलग्न) ज ३।१०७,१०६ उ १११३८ समुच्छित्ता (सम्मूर्छ य) सु २०६१ संपलियंक (संपर्यडू) ज २८८ संमुच्छिय (सम्मूच्छित ) सू ६१ संपाविउकाम (सम्प्राप्तुकाम) जे ५।२१ सम्माण (स गानय्) सम्माण इ उ १।१०६; संपिडिय (सम्पिण्डित) प १६४१५ ज १२ ३१११० सम्माणति उ ५१३६ सम्मामि संपिणद्ध (संमिनद्ध) ज २११३३,३।२४ उ १११७ संपुच्छण (सम्प्रच्छन) ज ५१५ संलवमाण (संलगत् ) उ ११४७ संपुण्ण (सम्पूर्ण) ज ३१२२१ उ ११३४ संलाव (संलाप) ज २११५:३।१३८ सू २०१७ Page #373 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संलेहणा-सवकरप्पभा संलेहणा (संलेखना ) ज ३।२२४ उ २११२:३।१४, ८३, १२०, १५०, १६१, १६६५१२८,४३ संवच्छर ( संवत्सर ) प ४१६५, ६७ २३।७४, १८७ ज २४,६६,६६,७१२०, २५, २६,३७,१०३, १०४,११२/२,३,११३,११४,१२६ चं २१३५३ सू १।६।३; १६, १३, १४,१६, १७,२१,२४,२७,२१३ ; ६ | १ ; ६११; १०।१२४ से १२७,१२६१२,३,१३०,१३८ से १६१, ११।१ से ६; १२1१ से ६,१० से १३,१६ से २८,३०; १३२,२०१३ ३ ३ १२६,१३४ संवच्छरण (संवत्सरण) सू ११६१३ संच्छरय (सांवत्सरिक ज २२४३।२१२,२१३, २१६,७१११०,१२७ सु १०/१२२,१२३ (विकीर्ण ) प २०४१ ज ११३१ संविगण ( संविकीर्ण ) प २०३०, ३१ सविषद्ध (भविन ) ज ३१३१ संवुक्क (दे० ) प ११४६ संवुड (संवृत ) प ६२० से २३ सू २०१७ संजोग (संवृत योनिक ) प ६ । २५ संबुडवियड (संवृतविवृत ) प ६।२० से २३ संवुडवियडजोणिय (संवृतविवृतयोनिक ) प ह २५ संकल्प (संवर्तकल्प) उ ११३६ संग (संवर्तक) ज २११३१ संगवाय ( संवर्तकवात ) प ११२६ ज ५।५ √संवड्ढ (सं+वृध्) संवड्ढे इ उ ११५८ संवढे मि सकथा (कथा ) उ ३।५१११ उ १८३ संवढे हि उ १।५७ संवढमाण ( संवर्धमान ) उ ११५४ संवदिज्जमाण (संवध्यमान) उ ३ | ४६ संवत्त (संवृत्त) ज ३|१०६ संवद्धिय (संवद्धित ) ज ३१३५ संवर (शंकर) प ९६४ मृग की जाति संबर (संबर) प १।१०१।२ संवाह ( संवाह ) प १।७४ ज २।२२ संfafe संवृत्त (संवृत्त) ज ४११३ संवय (वृत्त) ज ३।२२२ संसयकरणी (संशयकरणी ) प ११।३७।२ संसत्त (संसक्त) उ ३११२० संसत्तविहारि ( मंसक्तविहारिन् ) उ३।१२० संसार (संसार) प २२६४,६४।१ ज २७० उ ३।११२ संसार अपरित (संसारापरीत) प १८१०६,१११ संसारत्य ( संसारस्य ) प ३११८३ संसारपरित (संसारपरीत ) प १८२१०६, १०८ संसारपारगामि (संसारपारगामिन् ) ज २७० संसारसमावण्ण (संसारसमापन्नक ) प ११०,१४, १५,४१ से ५२,१३८ संसारसमावण्णग (संसारसमापन्नक) प ११ ३९; २२८ संसिय (संश्रित) ज ३३८१ उ ३३५५ संहित ( संहित ) प १२४७३ संहिय ( संहित ) ज २११५ १०५६ सकसाई ( सकषायिन् ) प ३६८, १८३; १८२६४; २८।१३२ सकहा (दे० ) ज २।११३ सकाइ ( सकायिक ) प ३।५० से ५३,६०१८ २५; ३०,३१ सकिरिय (सक्रिय) प २२७,८ सकोरंट ( सकोरण्ट ) ज ३१६,१८,७७, ७८, १३, १८०,२२२ सक्क ( शक्य ) प ११४८१५७ ज २२६ १ सक्क (श) प २५०, ५१ ज ११३१; २२८६,६०, ६३,६५,६७,६६,१०१, १०३, १०५, १०७, १०६, १११,११३,११८, ३१११५, १२४, १२५; ४।१७२, २२२,२२३ १,२३५, २४०,२४३; ५।१८,२० से २३,२७ से २६,३६,४१,४३, ४५ से ५०,६१,६२,६५ से ६६,७२,७३ उ ३।१२३, १५० सक्करप्पभा (शर्कराप्रभा ) प १५३, २११,२०,२२; ३।१२,२२,२३,१८३,४७, ८, ६, ६ ११, ७४, ७५:१०११; २०१५१, ५४:२११६७ ; ३३१४, १६ Page #374 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सक्करपभ पुढविणे रइय-सट्टाण सक्करपभापुढविणेरइय (शर्कराप्रभा पृथिवीनं रयिक) सचित्तजोणिय ( सचित्तयोनिक) प ६१६ प २०१५२,५५ सचित्ताहार (सचित्ताहार ) प २८११,२ सक्करा (शर्करा ) प १।२०११ ; १७३१३५ ज २१७,६८४१२५.४ १०६० सकार ( सत्कार ) ज २१२५; ३।२१७ उ १३६२; ५।१७ ( शक्कार ( सरकार) सक्कारेइ ज ३१६, २७, ४०, ४८,५३,५७,६५,७३, ६१, १२७,१३४, १३६, १४६,१५१,१५२,१८६,२१६३ १११०६; ३।११० सक्कारेति उ ५ ३६ सक्कारेज्ज ज २२६७ सक्कारेमि उ १११७ सक्कारणिज्ज (सत्कारणीय) सू १८/२३ सक्कारवत्तिय ( सत्कारप्रत्यय) ज ५१२७ सक्कारिय (सारित) ज ३१८१ सक्कारेत्ता (सत्कार्य ) ज ३।६ उ ३३५० सक्कुलिकण ( शष्कुलिकर्ण ) प ११८६ सक्कोत ( सक्रोश ) ज १।२३,३५ सखिखणी ( सकिकिणी) ज ३१२६, ३०, ३६,४७, ५६,६४,७२,११३,१३३, १३८, १४५, १७८ सग (स्वक ) प २११६२,९३; ३३।१६, १७ ज २१२०,३८१, ८६,१०२,१५६,१६२ सग (शक) १८ समय ( सग्रन्थ) ज २६६ सगड ( शकट) ज २११२,३३,७१७/३१ सगडवूह ( दाकव्यूह ) उ १।१३७ सगबुद्धिसंठिय (कट 'उद्धि' संस्थित) सु १०२३७ सगड़ी (शकट 'उद्धि') ज ७ १३३।१ समुहसंठि ( शकट 'उद्धि' मुखसंस्थित) ज ७।३१,३३ सगडुद्धीठिय ( शकट' उद्धि' संस्थित) ज ७|३२|१ सगल ( कल ) प ११४७ २ २ ३१ ज ७ १७८ सू८११ १३३ सगोत (सगोत्र ) सू १०।६२ से ११६ सचित्त (सचित) ११३ से १७ ज २२६६ सचित्तकम् (सचितकर्मन्) मू २०१७ उ २८ सचित्तजोणि (सचित्तयोनि ) प ६।१६ (सत्य) प ११०१११० उ १।२४ समास (सत्यभाषक ) प ११६० समण ( सत्यमनस् ) प १६।१ से ३, ७, ८, १०, ११,१५,१८ से २१ सणजोग (सत्यमनोयोग ) प ३६३८६ सच्चवइजोग (सत्यवाक्योग ) प ३६।१० सवा (सत्य) प ११ २, ३, ३२, ३३, ४२ से ४६, ८२, ८४,८५,८८,८६ सच्चामोस ( सत्यामृषा ) प १११२,३,३५,३६,४२, ४३,४५,४६,८२,८४,८५,८८,८६ सच्चामोस भाग (सत्यामृषाभाषक ) प ११।१० सच्चामोसमण (सत्यान् ) प १६ १७ सच्चामोसमणजोग (सत्यामृषामनोयोग ) प ३६८६ समोसवजोग (सत्यामृषावाक्योग ) प ३६६० सच्चित्त (सचित्त ) प २८।१।१ सच्छंद ( स्वच्छन्द ) प २०४१ सच्छंदमइ ( स्वच्छन्दमति) उ३।११६; ४१२२ सच्छीर ( सक्षीर ) प ११४८।३६ सजोगि (सयोगिन् ) प ३३६६,१८३१८५५ २८११३८३६१६२ सजोगिbafलि (सयोगिकेदलिन् ) प १३१०८, १०६, १२१,१२२ सजोगिभवत्थ केवलि (सोभवस्थ के बलिन् ) प १८१०१, १०२ सज्ज ( सज्ज ) ज ३ । १७८ सज्जा ( सर्जक ) प ११४८६४६ पीत शालवृक्ष सज्जाव ( सञ्जय्) सज्जार्वेति उ १।१३५ सज्जा वेत्ता ( सञ्जयित्वा ) उ १११३५ सज्झाय ( स्वाध्याय) उ ३।३१ सठ ( पठ) ज ३११७८ ११२१ सट्ठाण (स्वस्थान ) प २०१, २, ४, ५, ७, ८, १०, ११, १३,१४,१६ से ३१,४६ ५४३५, ४२,४६, ५४, ५७,६०,६४,६६,७५,७६,६०,६४,६८,१०८, Page #375 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सद्विग-सग्णिसीय १०६१ ११२,११६,१२२,१५१,१६४,१६७,१६१, सण्णवणा (संज्ञपना) उ ३।१०९ १६४,१६८,२०१,२०४,२०८,२१२,२१५: इसण्णवित्तए (संज्ञपयितुम् ) उ ३.१०६ २१६,२२२,२२५,२४३,२४४,६१६३; सण्णा (संज्ञा) प ११११४८।१३ ज १२१३३ १५.१०२.१२१,१२२,१२७,३६।२०,२४,२६, सण्णासण्णि (संज्ञामंजिन) प ३११६।१ २७.४७ सिण्णाह (मंनाहय्) सणाहेह ज ३।१५,२१ सछि (पष्टि) प १३३ ज ११२६ उ २०१२ ३१,३४,७७,६१,१७३,१७५,१६६ उ १११२३; सठिग (पष्टिक) ज ३१११६ ५२१८ सटिठभाग (पष्टिभाग) ज ७१२१,२२,२५ मू ११० सण्णि (संजिन) प १४१७,३११२,११२,१११११ सट्ठिभाय (पष्टिभाग) ज ७।२४ से २०१८।१।२,१८।११६२३।१७६,१७७, सट्ठिय (पष्टिक) गु १२१८ १६५,१६६.१६६ से २०१:२८.१०६६१, सिड (शट) सइइ उ ११५१ २८१११५,११६,३१११ से ३,५,६,६११; सड्ढई (धाद्ध किन्) उ ३३५० ३६१६२ सण (शण,सण) प ११३७६४,११४५।२ ज २।३७; सण्णिकास (सन्निकाश) ज ३१२२३,४१८५ ३.७६,११६ सण्णिक्खित्त (संनिक्षिप्त) ज ७/१८५ सणंकुमार (सनत्कुमार) प १११३५,२१४६,५२ से सण्णिचिय (सन्निचित) ज २६ ५८.६३, ३।३१,१८३, ४१२३७ से २३६% सणिणाद (संनिनाद) ज ३।३०,३१,४३,५१,६०, ६।२६,५६,६५ ८५.११२,७।१०।१५।८८, ६८,७८,१३०,१३६,१४०,१४६ १३८,२१४७०,६१,२८७७,३३।१६,३४११६, सणिणाय (सन्निनाद) ज ३।१२,१४,१७२,१८०, १८२१२ २०६,२२४;५।२२,२६,७११२७।१ सर्णकुमारग (सनत्कुमारज) ६१६५ ज ५१४६ सण्णिम (सन्निभ) ज ३।३,१७,१८,३१,८१,६१, सणंकुमारवडेंसय (सनत्कुम्हारावतंसक) प २२५२ ६३,१७७,१८०,१८३,२०१,२१४ समाफद (सनख द) प ११६२,६६ सण्णिभूय (सं शिभूत) ५१५।४८;१७१६,३५११८ सणिक्रमण (सनिष्क्रमण) ज ४।२७७ सपिणवाइय (सन्निपातिक) उ ३.११२,१२८ समिक्खिर जनिक्षिप्त) ज ७१८५ सू १८।२३ सण्णिवात (सन्निपात) सू १०१२६ सनियरसंबछर (मनैश्चरसंवत्सर) ज ७४१३३ सपिणवाय (सन्निपात) चं ५.१ सू१६१ सणिच्दरि (शनरचारिन् ) ज १५०,१६४; सणिविट्ठ (सन्निविष्ट) ज ११३७,३१६६ से ४।१०६,२०५ १०१,१६३,४१६,३३,१२०,१४७,२१६,२४२, ५।३,२८,३३ समिच्छर (शनैश्चर) परा४८ ज ७१८६।१ सण्णिवेस (सन्निवेश) प १६१२२ ज २१२२ मु १०१३०, २०१८।१ ३१३२,१८५,२०६ उ ३११०१,१२५,१३२, सणिच्छरसंवच्छर (शनैश्चरसंवत्सर) ज ७।१०३, १३३,१४१,१४५,५३६ ११३ सु १०।१२५.१३० सण्णिवेसमारी (सन्निवेशमारी) ज२४३ सणिय (सनस) ज ३१२२४ सण्णिसम्ण (सन्निषण्ण) ज ३।६,२०४; ५।२१, सपणज्रिउं (सन्नद्ध) ज ३११२३ ४१,४७,६० सपण मला) ३.१०७.१२४ उ १११३८ सिण्णिसीय (सं! नि पद) सणितीयह सम्मय (सन्नत) ज ७।१७८ ज ३११२ Page #376 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ सणि सीयित्ता (संनिषद्य ) ज ३११२ सणिहिय ( सन्निहित ) प २२४७१२ सह ( श्लक्ष्ण ) प ११८, १६:२३०, ३१, ४१, ४८, ४६, ५६, ६३, ६४ ज ११८,२३,३१,३५,५१; ३।१२,८८, १६४; ४१२४, २५, २६.४६, ६७, ८८, ११०,१७८,२१३ ४ १० ५१५८ सहमच्छ ( श्लक्ष्णमत्स्य ) प ११५६ सहसहिय ( श्लक्ष्णलक्ष्णिक) ज २२६ सत (सत् ) सू १३/२ सत (शत ) प २।४१ से ४३,४६, ४८ से ५२,५८ से ६४; ४११८६, १८८; ६।३४,३६,६७१ १८११६,२४,४६,५४,६०,६१,११६,२०।१३; २१/६७,६८२३१६३,६८,६६,७३,७५ से ७७,८१,८३,८५,८७, ६०, ६२,६६, ६७, ११२, ११४,११६,१२७,१६४,१६६, ३६/१७,३४, ४१ सू १।१८ से २०,२४:२|३;३|१;६।१; १३;१०।१२७,१६५ १२/२ से ६, १२, १३, ३०;१३।१ से ३,१४।७, १५८२ से ४, १७ से १६,२२,२५ से २६,३१,३२,३४ से ३७, १८११,४ से ६,१७,२०; १६११, ४, ५१३, १६१७, ८,१०,१५।१,२,४,१६१८ से २०; २११४; १६।२२।३२ सतक्कतु ( शतक्रतु) प २५० सतक्खुत्तो ( शतकृत्वस् ) सू० १२।१२ सतत ( सतत ) प ७३१ सतपोरग ( शतपोरक ) प १४४१३१ सतभित ( शतभिषग् ) सू १०/६४ सतभिराय ( शतभिषग्) सू २०१२ से ६, ६,२१,२३, ३०,५८,७५,८१,६५,१२०,१३१ से १३५; १२/२५ सतरा ( सप्तति ) मू १६।११।१ सतवच्छ ( शतवत्स ) प १७६ सतवत्त ( शतपत्र ) प ११४८४४ सतवाइया (तपादिका ) प ११५० सतसहस्स ( शतसहस्र ) प ११२०,४६,५०,७५,७६, ८१; २२० से २७,२७१२,२६ से ३३, ३६ से सण्णिसीयित्ता-सत्तर ३६; ४०१२, २/४१ से ४३,४८ से ५३, ५४, ५६१, २६३,६४,४१७१,१७३, १७७, १७६; ६/४१,२१।६३,६६,७० सू १५/२,१८/२५; १६२५१, ३, १६६८१,३,१६२१११,८, १६२२६ सतहा ( सप्तधा ) ज ५।७२,७३ सता (सदा ) सू १९१११ सती (दे० ) प ११४५।१ सतेरा ( शतेश) ज ५।१२ सत्त (सप्तन् ) प १४२ ज १।२० चं ३।३ सू ११७ उ ३।१०१ सत्त (सत्त्व ) प २२६४; ३६।६२,७७ ज २११३२; ३३७।२१२ ११३,३१५१ सतंग ( सप्ताङ्ग ) उ ३१५१ सतग (सप्तक) ज ७ १३११२ सत्तठि (सप्तषष्टि) सु १०/२ सत्तट्ठिया (सप्तषष्टिधा ) यु १०।१५२ से १६०, १६२,१६३,११।२ से ६; १२७, ८, १६ से २८ सत्ता (सप्तपष्टिधा ) सु ११/२ सत्तणउत्ति (सप्तनवति ) मू १८११ सततरि ( सप्तसप्तति ) ज ३।२२५ सततीस ( सप्तत्रिंशत् ) ज ४१५५ सत्तत्तीस ( सप्तत्रिंशत् ) ज ४ । १४२।२ सत्तणु (सप्तधनुष्) उ ५ २११ सत्तपएसिय ( सप्त प्रदेशिक ) प १०/१२ सतपदेस ( सप्तप्रदेशिक ) प १०।१४१५ सत्तभाग (सप्तभाग) प २३/६१,६४,६८,७३,७५ से ७७,८१,८३ से ५५,८६,६०,६२,६६, १०१,१११ से ११४,११७,१२१,१२२,१३०, १३४,१३५,१४०, १४२, १४३, १५२, १५३, १५५,१६०,१६४,१६७,१७१ से १७३ सत्तम (लप्तम ) प ६८०१२ १०११४१३ ३६८५, ८६ ज ७६७ १०१७७ १२।१६ १३।१० उ २१२२ सत्तमी ( सप्तमी ) ज ७।१२५ सत्तर (सप्तदशन् ) प १० १४१४ से ६ ज ७।२०२ Page #377 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सत्तरस-सद्दाव सत्तरस ( सप्तदशन् ) प ४।१६ ज ३७६ सू८१ सत्तरसविह (सप्तदशविध ) प १६।३८ सतरि ( सप्तति ) प २।५३ ज ५१४६ १६ १४ सत्तविह ( सप्तविध ) प ११६,५३, १६ । २६,३२; २२।२१ से २३,८३,८४,८६,८७,६०; २४२ से ८,१० से १३,२५१४,५,२६१२ से ६, ८ से १०,२७१२,३,३६।७ सत्तसठ (सप्तपष्टि ) ज ४१६८ सत्तसठि (सापटि ) सू १०/२२ सत्तसिक्खावइय ( सप्तशिक्षाव्रतिक) उ३।७६ सतहत्तर (सप्तसप्तति ) ज २१४१२ सत्ता (सप्तधा ) ज ७६५,६८,६६,७१,७२,७४, ७५, ७७.७८५१७२.७३ सत्ताइ ( नवनि) २०४६ सत्ताणउत ( सप्तनवति ) प २१४८ सत्ताणज्य ( सप्तनवति) ज ७।१८ १।२७ सत्तातीस ( सप्तत्रिंशत् ) प ४१२७६ उत्तालीस ( राष्नुचत्वारिंशत् ) म १०।१५१ सतावण्ण (सप्तपञ्चाशत् ) ज ४।६२,७।२१; २३ उ १।१३ सत्तावीस ( सप्तविंशति ) प ४।२७६ ज १।७ सू १|१० सत्तावीसतिविह (सप्तशतिविध ) प १७/१३६ सतासीय ( सप्ताशीति) ज ७ ७७ सति (शक्ति) प २२४१ ज ३३५, १९७८ सत्तिवण्ण (सप्तवर्ण ) प १।३६।३३१६४ सत्तिवण्णवर्डेय (सप्तपर्णावतंसक ) प २५०, ५२ सत्तिवण्णवण (सप्तपर्णवन ) ज २६४|११६ सतु (शत्रु) ज ३१३,३५,८८, १०६,१७५,२२१ सत्तुस्सेह (सप्तोत्सेध) ज ११५ ११५ सत्य ( शस्त्र ) ज २१६।१, ३१२०, ३३, ५४,६३,७१, ७७,८४,१०६,११५ १२४, १२५, १३७.१४३, १६७,१५२ उ३।३८,४० सत्य ( शास्त्र ) उ ३३२८ वाह (मावा) १६/४१ ज २५:३६, १०,७७,८६,१७८, १८६१८८, १८६, २०६, १०६३ २१०, २१६,२१६,२२१,२२२३ १/६२; ३१११,६६,६८,१००,१०१, १०६ से ११२; ५११०,१७,१६,३६ सत्यवाही (सार्थवाही) उ३।६८, १०९ से १०५, १०७.१०८, ११० से ११३ सत्थीमुहसंठित (स्वस्तिमुखसंस्थित) सू ४ ३, ४,६,७ सदा (सदा ) प २ ३०,३१,४१ सदेवीय ( सदेवीक ) प २०१२ : ३४/१५, १६ सद्द (शब्द) प २।३०,३१,४१,१५१३६,३६,४०; १६१४६; २३।१५,१६,१६,२०,३०,३१, ३४।११२,३४।२३ ज १११३,२६,३१,२७, १२.६५;३६, १२,१४,१८,३० से ३२,४३, ५१,६०,६८,७७,७८,८२,८८,८६,६३,१३०, १३६ १४०, १४६, १५५, १५६, १७२, १७८, १८०, १८५,१८७,२०६,२१२,२१३,२१८, २२२; ४१३,२५,८२,५२२,२६,३८,५७,५८,७२,७३, ७ १७८ सू २०१७ उ १।६० से ६२,८५ से ८७; ५।१६,१७,२०,२५, २७ सहपरिणाम ( शब्दपरिणाम ) प १३२१,३१ सपरियार (शब्दपरिचारक) ५३४११८,२३, २५ सहपरियारणा ( शब्दपरिचारणा ) प ३४।१७, २३ सव्वया (सद्रव्यता ) ज ३ | ३ सद्दह ( श्रत् --- धा) सह प १।१०१४, १२ सद्दहाई प १११०१।३ सहामि उ ३११०३: ४१४५१२० सद्दहेज्जा प २०१७,१८,३४ सहणा ( श्रद्धान) प १।१०१।१३ सद्दाव (शब्दय् ) सद्दाविस्तंति ज २९१४६ सद्दावेइ ज २१६७,१८५,१०७,१११,३७, १२,१५,१८,२१,२८,३१,३४,४१,४६, ५.२, ५८,६१,६६,६६,७४,७६,७७,८३,६१,६६, १७०,१७३,१७५, १८०, १८३,१८८, १६१, १६६,२०७,२१२, ५।२२,२८,५४,६१,६८,६६, ७२,१२८,१४१,१४७,१५१.१५४, १६४, १६८ उ १।१७,३१६१;४।१६, ५११५ सहावेति ३।१०५,१०७,११३,५१३,१४ सद्दाम उ ११७६ Page #378 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६४ सद्दावइ (शब्दापातिन्) ज ४।४२,५७,५८,६०,७१, ૪ सद्दावति ( शब्दापातिन् ) प १६३० सावित्ता ( शब्दयित्वा ) ज २२१४६ सावेत्ता ( शब्दयित्वा ) ज २।६७ उ १।१७:३।७; ४११६;५।१५ सबदुण्णइय (शब्दोन्नतिक ) ज २।१२४१३, २५ सद्ध (श्राद्ध) ज २३० सद्धा (श्रद्धा) सू २०१३ सद्धि ( सार्धम् ) प ३४।१६, २१ से २४ ज २२६५, ८८,६०,३६,२२, ३६,७७, ७८, १८६, २०४, २२२,२२४;५।१,५, ४१, ४४, ४६, ४७, ५६, ६७, १३४,७१३५, १८४ सु १०।२ उ ११२: ३१६८४१८५११६ उ ११२३६८४११८; ५।१६ सन्नद्ध ( सन्नद्ध ) ज ३१७७ सन्निकास ( सन्निकाश) ज ३१२४ सन्निभ (सन्निभ ) प २।३१ सन्निवाइय ( सान्निपातिक) उ३।३५ सन्निहिय ( सन्निहित ) प २२४६, ४७ पक्ख ( स्वपक्ष) उ १।२२,१४० पक्खि ( स्वपक्षिन् ) उ ११४६ सक्ख ( सपक्षम् ) प २५२ से ५६,६११६।३० सपज्जवसिय ( सपर्यवसित ) प १५११३,२५,५५, ५६,६३,६४,६७,६८,७६,७७,७६, ८३,८६, ६०,१०५,१११,१२२,१२६ सपडिदिसि ( प्रतिदिश् ) प २१५२ से ५६, ६१; १६।३० उ १२२,४६, १४० सपरिनिव्वाण ( सपरिनिर्वाण ) ज ४।२७७ सपरियार ( सपरिचार) ३४:१५, १६ सपरिवार ( सपरिवार ) प २/३२,३३,३५,४३, ४८ से ५१ ज ११४४, ४५, २१६०, ४१५०,५६, १०२,११२,१३५, १४७, १५५,२२१,२२२. २२३०१,२२४११,५१,१६,४१,५०.५८ सपुव्वावर (सपूर्वापर ) ज ४१२१, २५६ सू ३/१; सावइ- समकम्म १०११२७,१८११,२१ सप्प (सर्प) ज ७ १३०, १८६३३ सप्प देवया ( सर्पदेवता ) सू १०१८३ सप्प (सप्रभ ) प २३१,४१,४६,५६,६३,६६ ११८, २३ ५।३२ सप्पसुगंधा (सर्प सुगन्धा ) प ११४८ | ३ धवलवरुआ सव्ह (सप्रभ ) प २३० ज ११२१ पुरिस ( सत्पुरुष ) प २४५,४५।२ सफाय (दे० ) प ११४८५० सबर ( शबर ) प ११८६ सबरी ( शबरी) ज ३।१११२ सन्भितर ( साभ्यन्तर) ज ३।७, १८४ सभा (सभा) ज २२६५, १२० ४ १२०, १२१,१२६, १३१,१४०, ५ ५, ७, १८, २२, २३, ५०, ७११८४, १८५ १८ २२,२३ उ ३१६,३६,६०,१५६, १६६, ४१५; ५।१५,१६ सभाव (स्वभाव) ज २११५ सभावणग ( सभावनाक) ज २७२ सम (सम ) प ११४८११० से १६१३/२२११,२; १७|१|१; २१ १०२, २२१६६,७०,२३११६७; २६।६, ६; ३६८२।१ ज २१७१३।३५,१३८, १५१,१७०,२११४१३.२५, ५७.६७,१८०; १८३ ५।१८,४३,७१३७,३८, १३५।१,४,१६८, १७८ समइक्कत ( समतिक्रान्त) प २३३१ समइच्छमाण (समतिक्रामत् ) ज २२६५, ३।१८६, २०४ समंतओ (समन्ततस् ) ज २२६५ समता ( समन्तात् ) प १७३१०६ से १११ ज ११७, ६,२३,३२,३५,२०१३१,४३,६,१४,२०,२१, २५,३१,४५,४७,५७,६८,७६, ८६, १०३, १०७, १३१,१४३,१४८, १४९, १५२,२११, २१३, २१५,२३४,२४० से २४२, २४५ ५१५,७,३८, ५७७।५८ सू ३।१उ८ समम्म (समकर्मन् ) प १७१३, ४, १५, १६ Page #379 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समकिरिय-समय समकिरिय (समक्रिय ) प १७ १ १,१७११०, ११,२१ समक्खेत ( समक्षेत्र ) सू १०४,५ समग ( समक) प १६।५२ ज ११२३, २५, ३२; ३७८७ ११२२ सू १०।१२६११, २ समय (समग्र) ज ३१२२१,४१३५,३७,४२,७१, ७७,६०,६४,१७४,१८३, २६२,६।१९ से २२; म २०१७ समचक्कोणसंठित (समचतुष्कोणसंस्थित) सृ ११२५, ४२ समचउरंस (समचतुरस्र ) प २१३०; १५११६, ३५; २११२६,३१,३२,३६,६१,७३,२३१४६ ज ११५ ; २११६,४७,८६,७११६७ उ ११३ समचरं संठाणसंठिया ( समचतुरस्रसंस्थान संस्थित) सू ११५, २५ समचउरंससंठित ( समचतुरस्रसंस्थित) सु४।२; १०१७४ समचक्कवालसंठित (समचक्रवालसंस्थित) सू १।२५,४१२; १६१३,१३,१७,१६,२३ समजस ( समयशस् ) प २६० समजोगि ( समयोगिन् ) ज ५२५६ समज्जुतीय (समद्युतिक ) प २६० समट्ठे (समर्थ) प ११।११ से २०; १५/४४; १७११,३, ५.८, १०, १२, १४, १५, २४, १२३ से १२८,१३० से १३२,१३४,१३५, २०१२,३, १४ से १७,१६ से २५, २७ से ३०,३३,३४,४० से ४८, ५२, ५३, ५६,६०,२२७६,८०,८२,६२, ६४,६५;३०१२५;३६१८०,८१,८३,८८, ६२ ज २११७, १८, २१ से २३,२५,२८,३० से ३३, ३५ से ४०, ४२,४३,४९१०७ ७ १८४ सू १८/२२ समण (श्रमण ) प २३,६,६,१२,१५,२० से २७,६० से ६३;३।३६; १५।४३,४५,३६/७६,८१ ज ११५, ६, २ १६, १९ मे २१,२३, २५, २६, २८, ३० से ३३,३६.३० से ४३,४८,४६,५१, ५४,५६,६८,७२,७४,८२, १२१, १२६,१३०, १३८, १४०, १४६,१५४, १५६,१६०,१६३; ५५८७।१०१, १०२, १२६, २१४ च १० सू ११५८ ।१ २०१७ उ ११२, ४ से ८,१६, १७,१९ से २६,१४२, १४३, २११ से ३.१०, १२,१४,१५,२१,३११ से ३,७,८,१२,१६,२०, २२,२३,२६,३८,४०,४४,८७,८८,६१,६३, १५३, १५४, १६६ १६७,१७० ४ १ से ३,२७, ५१ से ३,३७,४४ समणी ( श्रमणी ) ज ७।२१४ उ ३ १०२, ११५, ११७,११८४।२२ १०६५ समणुगम्ममाण (समनुगम्यमान ) ज २१६४ समणोवास ( श्रमणोपासक ) ज २७६ उ ३८३ समणीवालय ( श्रमणोपासक ) उ ११२० १ ५ ३४ समवासिया ( श्रमणोपासिका) ज २७७ उ १।२०; ३१०५, १०६,१४४ समण्णाय ( समन्वागत ) ज ५१५ उ ११९३ समतल ( समतल ) ज ३३६५,१५६ समतिक्कत ( समतिक्रान्त ) प २२६७ समत्त ( समस्त ) प २।६४।१५ ज ३२१७५ उ ३1९१ समत (समाप्त) ज ३।१६७,४१२०० ५।५८; ७ १०१, १०२ १३ १०,१३,१४ से १६ उ १।१४८३।६१ समत्य (समर्थ) ज ३।१०६५।५ सू २०१७ सम्पज्जबसिय ( समपर्यवसित) सू १२११० से १२ समप्प (मं + अर्पय् ) समप्पेइ ज ३।१३८ : ४।३५, ३७,४२,७१,७७,६०,१७४, १८३, १८६, २६२; ६।२१ से २४ समप्पेंति ज ३६७,१६१; ६११६,२५,२६,४।६४ सू १०१५ समप्पेति सू १०१५ समबल ( समबल) प २६०,६३ समभिरूढ ( समभिरूढ ) प १६१४६ ज ३|१०६ समभिलोएमाण ( समभिलोकमान ) प १७३१०६ से १११ / समभिलोय ( सं -+ अभि + लोक् ) समभिलज्जा प १७ १०७,१०६,१११ समय (समय) प १।१३, १०३, १०६.१०७, १०६, Page #380 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समय-समासतो ११०,११३,११४,११६,११६,१२०,१२२, १२३,२१६४।५।६।११,६५१ से १८,२० से ४५,६० से ६४,६७,६८,१०।३०११,२, १०७०,७१,१२२४,३३,१५१५८११,१६।३४, ३७,१८१५६,६०,६२,६३,६७,८०,८१,८४, ८७,८६,६५,६८,१०२.१०४, २०।१।१,२०१६ से १३; २२१५४,५६.५८,५६,७६:२३।६३, १६३,३०।२५,२६,३६.८५,८७,६२ ज ११२, ४,५,१४,१४,७१,८८,८६६१,१३१,१३४, १३८,१४१,३११०३,५१,६,८,९ से १३,१८, ४८,५० से ५२७।५७,६०,११२।१ च ६१६, १०१।१,४,५,६११:८1१६१२,१०११५२ से १६११११२ से ६,१६ से २८,३०; १३.१,२७१७११,१६।२५, २०१३,५,७ उ ११ से ३,६,१६,२८,५१,६५,७६,१४४; २१४,१७,३१४ से ६,६,१२,२१,२४,२५,२७, ४८,५०,५५ से ५७,६४,६८,७१,७४,७६,८६, ६०,६५,६८,६६,१०६,१३१,१३२,१५५ से १५७.१५६,१६८,१६६४१४ से ६,१०,५१४, १४,२१,२४,२६,३६,४०,४१ समय (समक) ज १।१४ । समयक्खेत्त (समयक्षेत्र) सू १६२०,२१ समयखेत (समयक्षेत्र) प २११८६ समर (समर) ज ३।३,३५.१०३ समवण्ण (समवर्ण) प १७४५,६,१७ समवेदण (समवेदन) १७११११,१७१८,६,१६,२० समसरीर (समशीर) प १७:१,२,२८,२६ समसोक्ख (समसौख्य) १६०,६३ समा (समा) जरा७ से १५,२१ से ४५,५० से ५६,८८,१२१ से १३३,१३८ से १४०,१४७ से १५०,१५२ से १६४,३११३५६१,४।१८०, १८३,७३७ सू ६।४।१८।२,३ समाउय (सम्मानुष्य) प १७११११,१७।१२,१३ समागम (सागः:) ज २४, समाण (सत् ) प १५१५१,५२,१७।११६ 2. २८.१०५,३४११६,२१ से २४,३६१६२,७७ ज २०६० से ६२,७१,१४२ से १४५,३३,., १३,१४,१६,२२,२५,२६,३०,३६,३८,४२, ४३,४६,५०,५१,५३,५९,६०,६२,६७,६८, ७०,७५,७७,८०,८२,८४,८६,६७,१००, १११,११८,१२५,१२६,१३२.१३६,१४२, १४८,१४६,१५६,१६१,१६५,१६६,१७८, १५१,१८६,१९२,२०२,२०८,२१२ से २१४, २१७,२१६,४।२३,२५,३५,३७,३८,४२,६५, ७१,७३,७७,६०,६१,६४,१७४,१८३,१८६, १६५,२६२:५११५,२२,२४,२६,२६,४३.७० सू ६।१ उ १११७,२३ से २६,३७,४०,४५, ५२,५५ से ५८,६०,६२,७४,७७,८० से ५३, ८५,६० से १३,६६,१०७.१०८,११०,११८, १२७, ३.१३,१५,२६,५०,५५,७८,८२,८४, १०६,१०८,११२,१२१,१४७,१६०,१६२; ४|११,२०,५।१५,१७,३८ समाण (समान) ज ३।११७ सू २०१७ उ ३।१२८ सिमाण (सं--आप्) समाणे इ ज ७१०४ सू १०।१३० समातिम् १०११२६ समाणीत (समानीत) उ ३१४८,५० समाणु भाव (समानुभाव) २१६०,६३ ज २११३१; ४१५६ सिमादह (मं+आ-!-धा) समादहे उ ३१५१ समादीय (समादिक) सू १२।१० से १२ समायरित्तए (समाचरितुम् ) उ ३।१०२ समारंभ (समारम्भ) उ १।२७,१४० समारूढ (समारूढ) ज ३११२१ समालभ (सं+आ--लम्) समालभइ उ३।११४ समावण्णग (समापन्नक) ज ७१५५,५८ समास (समास) प ३३८,३६ ज ७.१०१,१०२ सू १६।२।१ समासओ (समासतस्) प ११४८१५४:११४८ ... ज २१६६ समासतो (समासतस्) प ११४,२०,२३,२६,२६, Page #381 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समासाद-समुष्पण १०६७ समन्याय समु५५ समुद्घात) प १।११७२।१,२,४,५,७,८, १०,११,१३,१४,१६ से २०,२२ से ३१,४६; ३६।१,४ से ७,४७,५३ से ५८,८२,८३,८३११ २,३६६८६,८८ समुज्जाय (समुद्रात) ज १८८,८६,३१२२५ समुट्ठ (सं+उत् । ष्ठा) समुछेति प ११७४ समुत्त (समुक्त) ज ३।६,१७,२१,३४,१७७,२२२ समुत्तिण्ण (समुत्तीर्ण) ज ३।८१ समुदय (समुदय) ज २१४,६,३१३,१२,३१,७८, १८०,२०६:५२२,२६,३८,६७ उ ११६२ ४६ से ५१,५३,६०,६६,७५,७६,८१,८६, १३१ से १३३,१३५,१३७,१३८ सिमासाद (सं+आ+सादय्) समासादेति सू ११८ समासादेत्ता (समासाद्य) सू१५१८ से १३ समासादेमाण (समासादयत् ) सू २१३ सिमासास (सं+आ+श्वासय्) __ समासासेइ उ ११४१ समासासेता (समाश्वास्य) उ ११४१ समाय (समाहत) ज ५१५ समाहार (समाहार) १७.१,२,१४,२४,२५,२८, २६ समाहारा (समाहारा) ज ५।६।१७।१२०१२ सू१०1८८२ समाहि (समाधि) उ ३.१५०,१६१,५।२८,३६,४१ समाहिय (समाहित) ज ५१५८ समिइ (समिति) प १११०१११० ज २१४,६:३१२२१ उ १६३ समिडिढय (सद्धिक) प २१६०,६३ समित (समित) मू ६१ समिद्ध (समृद्ध)ज १२,२६, २११२,३।१,८१, १६७१४,१७५ चं ६ सू ११ उ १३१,६,२८%; ३६१५७; ५१६,२४ समिरीय (समरीचिक) प २३०,३१,४१.४६,५६, ६३,६६ ज ११८,२३,३१ समिहा (समिध्) ज ५.१६ ।। समिहाकट्ठ (समिकाष्ठ) उ ३५१ समीकर (समी+कृ) समीकरहिंति ज २११३१ समीकरण (समीकरण) ज ३१८८ समीकरणया (समीकरण) प ३६१८२११ समुइय (समुदित) ज २।१४५,१४६ समुक्खित्त (समुत्क्षिप्त) उ १११३८ समुग्गपक्खि (समुद्गपक्षिन्) प १७७,८० समुग्गय (समुद्गत) प ३६१८१ समुग्गयभूय (समुद्गतभूत) ज ३११२१ समुग्धात (समुद्धात) प २१२१ समुदाण (समुदान) उ ३३१००,१३३ समुदीरेमाण (समुदीरयत्) प ३४१२३ समुद्द (समुद्र) प १३८४; २॥१,४७,१३,१६ से १६, २८,२६; १५१५५,२१८७,६०,६१:३३१० से १२,१५ से १७:३६.८१ ज १७,४६,४८; २११०,६७,६८,३।१,३६,४१५२,५१४४.५५; ६।१,२,४,७१४,६३,८७ सू १११४,१६,१७, १६ से २२,२४,२७,२६३,३११,४१४,७,६।१; ८।१:१०।१३२,१६०१ से ३,५,६ से १२; १९२२।२६:१६।२८,२६ से ३२,३५,३६,३० उ १११३८ समुद्दय (समुद्रक) प १७५,८०,८१ समुद्दलिक्खा (समुद्रलिक्षा) प ११४६ समुद्दवायस (समुद्रवास) प १७८ समुद्दविजय (समुद्रविजय) उ ५॥१०,१७,१६ सिमुप्पज्ज (सं+उत् + पद्) समुपज्जइ प २८/७५,१०५:३४११९,२१ से २४ ज २।२७; २६,५६:४११७७,१८१ समुप्पज्जति ज ५१ उ १११११ समुप्पज्जति प २८१४,२५,२७,२६, ३८,४७,५०,७३,७४,६७,३४।२३ समुप्पज्जित्था ज २१५६,६३,१२४,१२५; ३१२,४,२६,३६,४७,५६,१२२,१३३,१४५, १८५५२२ समुपज्जिस्सइ ज २१५६ समुप्पज्जिस्सं तिज २११५,२१,५३ समुप्पण्ण (समुत्पन्न) ज ३।१२३,२१६ Page #382 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ समुप्पन्न ( समुत्पन्न ) ज २२७१, ८५ ३५ उ १।१११, ११२ समुत्पन्न होउहल्ल (समुत्पन्न कौतुहल ) ज १६ उ ११११,११२ समुत्पन्नसंसय (समुत्पन्नसंशव) ज १६ समुत्पन्नसड्ढ (समुत्पन्नश्रद्ध) ज १।६ समुब्भव ( समुद्भव) ज ५१५, ४६ समुल्ललिय (समुल्लालित) उ ११३८ समुल्लावग (समुल्लापक) उ३१६८ समुल्लावय (समुल्लापक) उ३२६८ समुवगूढ (समुपगूढ ) ज ४ ६१,२७३ समुसासणिस्तास ( समुच्छ्वासनिःश्वास ) प १७ १, २,२८,२६ समुल्लासणीसास (समुच्छ्वासनिःश्वास ) प १७३२ समूहिय ( समुच्छ्रित) ज ३।१७८५।४३ समोगाढ (समवगाढ) प २६४|१० सू १६।२६ समोच्हण ( सभवच्छन्न) ज ३११२१ समोप्पा ( समर्पणा ) ज ३१११७ समोर ( सं + अ + तृ) समोवरंति ज ७६७ सजवण्णग ( समोपपन्नक) ५१७।१३ समोढ (समत) ज ११४ चं ६ सू ११४ उ ३५,१२,२१,२४,२८,२६,८६,१५६, ४/४ ; ५१३७ / समोसर (+) समोसरइ ज ५।५० समोसरांति ज ५/४६ समोसरण (समवसरण ) ज ५१५३३३।२१;४।१० समोरिय (सव मृत) ज ५४ उ १११६२/६३ ३।१५५,१६८ ; ५।१४ समोहणित्ता (समवहृत्य ) प ३६१५६,६६,७०,७३, ७४ ज ३१११५ समोहण (अ - हन् ) समोहणंति प ३६१५३ ज ३।११५,१६२,२०८५१५,७ समोहति प ३६८२ समोहत ( ) प ३।१७४ समोह (समवहत ) प ३ | १७४१५१४३; २१८४ समुप्पन्न सम्मामिच्छत्तवेय णिज्ज से ९३; ३६।३५ से ४१, ४८ से ५२,५६,६५, ६६,७०,७३,७४,७६ सम्म (सम्यक् ) सु १०११२६१४ सम्म (सम्यक् ) ज २१६७ ३३१८५, १८६, २०६; ७११२१३,४ सम्मट्ठरत्थंतरावणवीहिय (मृष्टरध्यान्न रापणवीथिक ) ज ५१५७ सम्मत ( सम्मत ) प ११।३३।१ सम्मत सच्च ( सम्मत सत्य ) प १११३३ सम्मत्त (सम्यक्त्व ) प १११५, ११०१ ६, ७, १३ ३।१११, १८|१|१२०/३९; २३ १७४; ३४।१।२ ज २।१३३ उ ३/४७,८३ सम्मत्तवेदणिज्ज ( सम्यक्त्ववेदनीय ) प २३३१८१ सम्मत्तवणिज्ज ( सम्यक्त्ववेदनीय ) प २३|१७,३३, ६५, १३७ सम्मत्ताभिगम (सम्यक्त्वाभिगमिन् ) प ३४।१४ सम्म सण परिणाम ( सम्यक दर्शनपरिणाम ) १३।११ सम्मद्दिट्ठि (सम्यक दृष्टि ) प ३११००६।६७,६८; १३ १४,१७,१७।११,२३, २५, १८७६; १६ १ से ५२१।७२; २३१२००, २०१,२८।१२५,१३५ सम्मय ( सम्पत) उ ३११२८ सम्मा (सम्यक् ) प १३।११ सम्माण (मं - मानय् ) सम्माणेइ ज ३१६, २७, ४०, ४८,५७,६५,७३,६१,१२७, १३३,१३६, १४६, १५२,१८६,२१६ सम्माणेज्ज ज २२६७ सम्माणणिज्ज ( सम्माननीय ) सू १८१२३ सम्मानवत्तिय ( सम्मानप्रत्यय) ज ५१२७ सम्माणियदोहद ( समानीत दोहद ) उ ११५०,७५ सम्माता ( सम्मान्य) ज ३१६ उ ३१५० सम्म मिच्छत (सम्यक्मथ्या व ) प २३|१७४ सम्मामिच्छतवेदणिज्ज ( सम्यक मिध्यात्ववेदनीय ) प २३१६७,१८१ सम्मामिचत्तवेयज्जि (राम्यक मिध्यात्ववेदती प ) प २३/१७,३३,१३६ Page #383 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सम्मामिच्छताभिगमि-सयणिज्ज १०६६ सम्मामिच्छत्ताभिगमि (सम्यकमि वाभिगमिन ) २४१,२४५,२४८;५।३,४,२८,३३,५२,५३,५८%; प३४।१४ ६७.६.११,१४,१५, ७१।१,७१२ से ४,१०, सम्मामिच्छद्दिटिठ (सम्मिथ्यादृष्टि) प ६।६७; १२,१४ से २५,२७,३०,३२,३४,५४,६२ से १३।१४,१७,१७.११,२३,२५,१८१७८१६१ ६४,६७ से ८१,८४,८६,८७,८८,६१ से १६,९८ से ५,२११७२,२८११२७,१३८ से १०२,११०,१२७,१३१११,१७१ से १७४, सम्मामिच्छादं सणपरिणाम १६०,२०१ से २०७ सू ११८१२.१५१० से १२, (गम्यमितादर्शनपरिणाम) प १३।११ १४,१६ से २४,२६ से ३१:२११,३,४१४,५, सम्मामिच्छादिदिठ (मा, मिथ्याष्टि) प ३३१०० ७,८,१०,६१,८११:१०११३८ से १५१, Vसम्मुच्छ (+- मुच्छ) सम्मुच्छंति प १८४ १६२ से १६४,१६६ से १६६१२।२,५; सम्मुच्छति प १३:४ १३।४।१४।३।१८।१,१३,३०,१६५२, सम्मुच्छिम (संमूच्छिम् ) प २४६ से ५१,६०,६६, १६००।१,२,१६।२११५,१६१२-१६,६३ ११२; ७५,७६,८१ से ८४;३।१८३,४।१०७ से ३।५५,६२,५१२८,४१ १०६,११६ से ११८,१२५ से १२७,१३४ से सय (स्वक) ज ३७७,८४,१०२,१५३,१६२, १३६,१४३ से १४५,१५२ से १५४,१६१; १७८,१८३.१८६.२२४५।१,६,८,१०,१३, ६.२१,२३,६५,७१,७२,७४,८४,६४,९७,१००, २२.२६,४३,५६ उ १।३३.४२,४४,१०८, १०२,१०८।९।६:१६,२२:१६।२८; १७१४२, १२१,१२२,१२६, ३।११,४३,५३,१४८,४।१५ ४६,६३ से ६५,६७,८६२११६,१०,१२,१३, सय (शी,स्वप् ) सयंति ज १११३,३०,३३, २१७; १५ से १६.३०,३३,३५,३७,४३ से ४७; ४१२,८७,२१५,२४७,६१८ २११४७१२,२११४८,५३,५४,७२ सयं (स्वयं) प १५१०११३,२३।१३ से २३ सम्मुति (सन्मति) ज २१५६,६० सू १६।११।३ सय (शत) ५ २०४१ से ४३,४६,५५,५८,५६।२, सयंजय (शतञ्जय) ज ७.११७१२ सू १०१८६२ ६२।१२।६३,२१६४।६।१२।३६,३७,१८१३१, सयंपन (स्वयंप्रभ) ज ४१२६०११ सू ५।१२०१८, ३६,६०,११३,२१४६५,२२।४५,२३७४,८६, २०1८६ ८८,८६,९५,६८,६६,१०१ से १०४,१११, सयंबुद्ध (स्वयंवुद्ध) प १६१०५,१०६,११८,११६ ११३,११७,११८,१३०,१३१,१६४,१८३,१८७ सयंबुद्धसिद्ध (कम बुद्ध गिढ़) ॥ १।१२ ज १७,९,१०,१८,२०,२३,२६,३७,३८,४०, सयंभुरमण (वभूरमण) 4 २११८७,६०.६१ ४८; २१४१३.१६,४८,५२,६४,७५,७७.७८, सयंकरमण (स्वयम्भूरण) १५१५५,५५।३ ८०,८६,१२८,१४८,१५,१६१,३।१,१८.३१, १६।३८ ३५,६३,६५,९६ से १०१,१०४,१०५,१०६, सयंसंबुद्ध (स्वयंभवुद्ध) ५।२१ १२६,१५६.१७८,१८०,१६३,२०६,२१०, सयकाउ (शतक्रनु) ज ५'८ २१६,२२१.२२२,४।६,१०,१२.१३,२३,२५, सयग्घी (दे०) प २१३०,३१,४१ ३२,४६,५५,५७,६२,६५,६७,७२,७३,७५, सयज्जल (शतज्वल) ज ४१२१०११; ७६,८१,८६,६०,६१,६३,६५,६८,१०३,११०, सयण (शयन) प १११२५ ज ३११०३ सू २००४,७ १२०,१४१,१४२११,२,१४३,१४७,१५४,१६३ उ ३३५०,११०,१११।४।१६,१८ से १६५,१६७,१६६,१७८,१८३,२००,२०५ से सयण (स्वजन) ज २१६६ २०७,२१३ से २१६,२२१,२२६,२३४,२४०, सयणिज्ज (शयनीय) ज ४।१३,३३,७६,९३,१३५, Page #384 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७० सयधणु-सरिस १३६,१४०,१४७,१५३,५।१७ सू २०१७ उ १६४६,५।१३,२५,३१ सयधणु (शतधनुष्) उ ५२।१ सयपत्त (शतपत्र) प १२४६ ज ४१३,२५ सयपत्तहत्थगय (हस्तगतशतपत्र) ज ३३१० सयपाग (शतपाक) ज ५।१४ सयपुष्फा (शतपुष्पा) प ११४४१३ सौंफ सयभिसया (शतभिषग्) ज ७११३।१,१२८; १३४१२:१३५२.१३६.१३६,१४२,१४६,१५७ सयमेव (रव मेव) प १११०११३ ज २१६५; ३३१०२,१६२,२२४ सू १३।५,६,१२,१३,१७ उ १२६५,६६,७१,८८,६४,३८१,८२,११३; ४४२० सयरिसह (शतवृषभ) सू १०।०४।३ सयरी (शतावरी) प ११३६१२ सयल (सकल) ज ३।३१ सू१६।२११६ सयवत्त (शतपत्र) प २१३१,४८ ज ४।४६ सयवसह (शतवृषभ) ज ७/१२२६३ सयसहस्स (शतसहस्र) प १५२३,२६,२६,४८,४६, ५१,६०,६६,८४,२।२२,२५,२१२७१४,२३०, ३३ से ३५,४०।३,४,२१४६,४६,१५१४१; ३६.८१ ज १७,२१४,१८,६४,८७.८८% ३।१७८,१८५,२०६,२२१,२२५,४।२५६,२६२, ५५१८,२४,२५,२८,४४,४८,४६२,६८।१, २० से २६,७।१।१,७१४ से १६,७३,७४, ७८,६३,६४,६८ से १००,१८७,२०७ सू १।१४,२१,२७,२१३,३।१६।१८।१; १०.१६५,१७३;१२।६।१८।२७;१६।११, १६४,८,११,१४,१५१४,१८,२०,२१११,५ उ ३।१६ सयसाहस्सिय (शतसाहसिक) सु १६२६ सयसाहस्सी (शतसाहस्री) ज ४।२१,६८,७९५८ सया (मदा) ज ७/१२६,१७० १०७५,७७, १३६,१७३, १६।१,११,२१,२०१२ मयावरण (सदावरण) ज ३११०६ मसहरी सर (शर) प ११४१११ ज ३।२४।१,२,३१२५,२६, ३१,३५,३८,३६,४६,४७,१३१११,२,१३२, १३३,१३५,१७८ उ १११३८ सर (सरस्) १ २।४,१३,१६ से १६,२८; १११७७ सर (स्वर) ज २।१२,१३३, ३१३,४१३,२५,५१२८% ७.१७८ सरंत (दे०) १७६ सरग (शरक) ज ५११६ उ ३१५६ सरड (सरट) प १७६ सरण (शरण) ज ३११२५,१२६,५२२१ सरणदय (शरणदय) ज ५१२१ सरणागय (शरणागत) ज ३१८१ उ १११२८ सरद (शरद्) सू १२।१४ सरपंतिया (सर:पंक्तिका) प २१४,१३,१६ से १६, २८,१११७७ सरभ (शरभ) प ११६४ ज ११३७,२६३५,१०१; ४१२७,२८ सरय (शरक) उ ३१५१ सरय (शरद्) उ ५१२५ सरल (सरल) प ११४३३१,११४७११ सरलवण (सरलवन) ज २१९ सरस (सरस) प २३०,३१,४१ ज १९५,९६,६६, १००:३।७,६,१२,८२,८८,१८४,२११,२२२; ५१४,१५,५५,५८ सरसर (मरःसरस्) ज ३।१०२,१५६,१६२ सरसरपंतिया (सर.सरपंक्तिका) ५२१४,१३,१६ से १६,२८,१११७७ सराग (सराग) प १११००,१०१,१११ से ११४; १७.३३ सरागसंजय (स रागसंयत) प १७१२५ सरासण (गरासन) ज ३१७७.१०७,१२४ उ ११३८ सरि (सदक) ज ३११६७।१३ उ ३।१७१:४१२८ सरिच्छ (सदग) ज ३।१८,५२,६१,६६,१३१, १३६,१३७,१४१,१६४,१८० सरिस (सदृश) प ११४८।३८, २।३१ से ३३ Page #385 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सरिसव-सविलेवण १०७१ ज ११४१,४६,२।१५,१६,३।३,३५,७६,११६, सरीरसंघातणाम (शरीरसंधारनामन्), २३१४४ १३५,१८८४१५२,१०६,१६३,१७२,१७४, सरीरसंघायणाम (शरीरगंघातनाम्न) २३१३८, १७७,२००,२०४,२१०,२१२,२२६७३१७८ मु १०११६२,१६।३१,३५,३८ उ १३१४८; । सरुव (स्वरूप) ज ५१४३ २०२२ सललिय (सलभित) चं ११ सरिसय (सदशक) ज ११४६ सलाइया (शलाकिका) ज ५१५ सरिसव (सर्षप) प ११४४१२,४५१२.११४७।२ सलामा (शलाका) ज ३.११७:५१५ ज २१३७ उ ३१३७,३८ सलिगसिद्ध (स्वलिङ्गसिद्ध) प १।१२ सरिसवय (मदृशवयम्) उ ३।३८ सलिगि (स्वलिङ्गिन) प २०१६१ सरिसवय (सर्वपक) उ ३१३८ सलिल (सलिल) ज ३७६,१०६:४१३,२५,६४ . सू३५१ सरिसवसमुग्ग (सर्षपसमुद्ग) ज ५१५५ सलिलबिल (सलिलबिल) ज २।१३१ सरिसवा (सदृश्वयम्) उ ३१३८,४०,४२ सलिला (सलिला) ज ३७६,११६४।३५,३७,४२. सरीणामय (सदग्नामक) ज ११४६ सरीर (शरीर) प १११३५,११४७।२,३,११४८१५३, ७१,७७,६०,६४,१७४,१८३,२६२,६१६३१, ६।१६ से २६ ५७; १११३०,३०१२,१२११:१४१५;१५११०,२३; सलिलावई (सलिलावती) ज ४।२१२,४।२१२।१ १६।२३।१७।१।१,२१।१११२११३८,४० से। सलील (सलील) ज २११५ ४२,४८,५३,५६,६१,६३ से ६६,६८ से ७१, सलेस (सलेश्य) प १८१६८:२८१२२,१२३ ७४,८४ से ६३,२८१११२,६८ से १०१। सलेस्स (सलेश्य) प ३१६६.१७।२८,५६ १०६६१,३६.५६,६६,७०,७४ ज २१४५,४७, सल्ल (दे०) प ११७६ ६०,३।८२,८५.१०६.१३८ सू २०१७ सल्लई (सल्लकी) प ११३५।१,११३७११ उ १११६,३५,४२,३।८,२६,३५,१२७,१४१; सहलगत्तण (शल्पकर्तन) ज ५१५८ ४।१२,१८ सवंतीकरण (सवर्णीकरण) उ ११४६ सरीरंगोवंगणाम (शरीराङ्गोपाङ्गनामन्) सवण (श्रवण) ज २११५,३३२२५, ७।११३११, ५ २३१३८,४२,६२ १२८.१३०,१३६,१३८,१४१,१४६.१५६ सरीरग (शरीक) ज १९६,१००,१०३,१०४, १०७,१०८ मु १०१ से ६,८,२०,२३,२८,५६,६३,७५, ७६,६३.१२०,१२,१३० से १३५; १५९ सरोरणाम (शरीरनामन् ) प २३।३८,४१,८६ से सवणता (थत्रण)२०२८ ६३,१४६,१७३,१७४ सरीरस्थ (शरीरस्थ) प ३६८५ सवथा (थयण) प २०११७,१८,२२,२५,२६, सरीरपज्जत्ति (शरीरपाप्ति) प २८।१४२,१४३ ३४,४५ उ १५१७.३६,४०,४२,४३ उ ३.१५,८४ सदहावित (शपथशास्ति) उ २५७,८२ सरीरबंधणणाम (शरीरबन्धननामन्) ५ २३।३८, सवालुइल्ल (सवालुक) ज ३११०६ ४३,६२ सविणय (सविय) ज ३१८१ सरीरबाओसिया (शरीरबाकु शिका) उ ४१२१,२२, सवियु (मवित ) ज ७१३०,१८६ २८ सवियादेवया (सवितृदेवता) सू१०८३ सरीरय (शरीरक) १२१२ से ५:२१।१,२११६२ सपिलेवण (सविलेपन) । ३६१८१ Page #386 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७२ सविसय-ससि सविसय (स्वविषय) प १११६७,६८,२८८१७,१८, ज ४।१०७:५३५,७ सू १६०२,१२,२६,२८ ६३,६४ ज ७४६ सव्वत्थ (सर्वत्र) प २१३२:२११३५,४२,२२।२५; सविसेस (सविशेष) ज २१६:४११५६७७,६६, ३६।४७ ज ३।१०६४।५७,१८३;७।३७,१९७ ६० सू १८१६ से १३ सू१८३७ उ १२२ सवेद (सवेद) २८११४० सव्वदरिसि (सर्वदशिन्) ज २७१५२१ सवेदग (भवेदक) प ३९७ सव्वपाणभूतजीवसत्तसुहावहा (सर्वप्राणभूतजीवसवेदय (गवेदक) १८१५६ सत्त्वसुखावहा) प २६४ सधेयग (सवेदक) प ३६७ सम्वप्पभा (सर्वप्रभा) ज ५११११ सव्य (सर्व), ११२ ज १७ चं ११२ सू १।१०।। सव्वबल (सर्वबल) ज ३।१२,७८,१८०,२०६; उ१९७० ५१२२,२६ सव्वओ (मर्वता) प १७११०६ से १११,२८।११, सध्वम्भंतराय (सर्वाभ्यंतरक) सू १११४ २८।२१,६७ ज १७,६,२३,३५४१३,२१०, सव्वभाव (सर्वभाव) ज २१७१ २१४,२४१,२४२ मु ३११ उ ५८ सव्वरयण (सर्वरत्न) ज ३.१६७,१७८ सत्वोभद्द (सर्वतोभद्र) ज ३.३२,५।४६६३ सव्वसिग्धगइ (सर्वशीघ्रगति) ज ७।१८० सध्वंग (मङ्गि)ज१५ उ ११२३,६१ सवसिग्घगइतराय (सर्वशीघ्रगतितरक) ज ७।१८० सवकज्जवड्ढाक्य (सर्वकार्यवर्धापक) उ ३।११ सव्वसिद्धा (सर्वसिद्धा) ज ७।१२१ १०६१ सव्व सामसमिद्ध (सकामसमृद्ध) ज ७११७६१ सम्वहेट्ठिम (सर्वाधस्तन) सू ६३ मु १०।८६१ सध्याउय (सर्वायुष्क) ज २१८८३।२२५ सव्वकालतित्त (सर्वकालतृप्त) प २१६४।२० सव्वामयणासिणी (सर्वामयनाशिनी) ज ३११३८ सव्वक्खरसंनिवाइ (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज २१७८ सविदिय (सन्द्रिय) ज २०१८ सव्वक्खरसंनिवाति (सर्वाक्षरसन्निपातिन्) ज ११५ सव्वखुड्डाय (सर्वक्षुद्रक) सू १११४ सम्वोउय (सर्वर्तुक) ज २११२३१३०,३५,२२१:५१५ उ ५११६ सम्वग्ग (सर्वाग्र) ज ४।६,१४,१४६,२५६;७१६८, १६६,२०१,२०३,२०५,२०७ ।। सम्वोहि (सर्वावधि) प ३३।३१ से ३३ सध्वज्जुणसुव्वणमती (सार्जुनस्वर्णमयी) प २१६४ । ससंभम (ससम्भ्रम) ज ३१६:५।२१ राव (सर्वार्थ) ज ७।१२२ सू १०१८४।३ ससक्कर (सशर्कर) ज ३।१०६ सव्वट्ठसिद्ध (सर्वार्थकसिद्ध) ५६।११० ससग (शशक) प १.६६ ज २११३६ सव्वाद्ध (सर्वार्थ सिद्ध) प १११३८, २१६३; ससबिंदु (शश बिन्दु) प १४०।५ ६२६,६२,२०।६१२११७७ उ ५१४१ ससय (शशक) प ११२१ सव्वळसिद्ध ग (सर्वार्थसिद्धक) प ४।२६७ से ससरीरि (सशरीरिन्) प २८।१४१ २६६,६:४३, ७:३०;१५।६०,६३,१०१,१०६, ससरुहिर (शशरुधिर) प १७११२६ १०८,११४,११५,११७,१२०,१२१,१२३, ससि (शशिन्) ५ २१३१ ज २११५, ३१६,१७,२१, १२५,१२८,१२६,१३२,१३६,१४३,२०.४६% २८,३४,४१,४६,६३,१०६,१३६.१५७,१६३, २८१६७ १६७।१२.१७७,२२२,७।११२७१६८.१ सवण्णु (मत्रज्ञ) ज २०७१,५१२१ सू १०1७७,१२६।२१९।८।२,१६।२२।३,२३, मन्बतो (सर्वतस् ) प २१६४।१३:२८१२१,३३,६७, २६.२६,३१,२०१४ Page #387 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ससिया-सहस्सार १०७३ ससिया (शशिका) प ११२३ ५१,५६,६०,६८,९३,६६.१०६,११७,१२०, सस्स (शस्य) रा १०११२६४ १२२,१२६॥३;३३१३०,१३६,१४०,१४५, सस्तिरीय (सश्रीक) २३०,३१,४१,४८,४६, १४६,१६३,१७२,१७५,१८०,१८५,१८६, ५६,६३,६४ ज ११३१ ; २१६४,३१६,३५,११७, १८८,१८६,२०६,२१०,२१४,२१५,२१६, १८५,२०९,२२२,४।२७,४६,५।२८,५८ २२१:२२४;४।१,२७,३५,३७,४२,४५,५२, ५५.५७,६२.६४,७१ ७७,८१,८६,८८,६०,६१, सह (मह) प २३।१५६,१६०,१६४,१७५ ६४,६८.१०३,१०८,११०,११४,११६.१५१११. ज २२५०,१६४।४।१०६,२०५७/१३५।४ १६५,१६७,१६६,१७४,१७८,१८३,२००, उ ३.३८ २०५,२१३,२१५,२३४,२४०,२५७ से २५६, Vसह (सह ) महइ ज २१६७ २६२,५१२८,३२,४३,४८,४६६१,५०,५२११, सहगत (सहगत) प २२११७ ५३,५५,५.६६८।१.१६ से २६;७।१११,७८ सहमय (सहगत) प २२१८० से २५,३१,३३,३४,५४,६७ से ८४,६५,९६, सहजायय (सहजातक) उ ३१३८ १२७,१७०,१७८।१,२,१८३,१८८,१८६,२०७ सहपंसुकीलियय (महमांशुक्रीडितक) उ ३।३८ गु १५१४,२० से २२,२६,२७,२११,३,३११; सहरिस (सहर्प) ज ३८१ ४।३ से ५,१०,६११८।१६।३।१०।१३५,१६४; सहड्ढियय (सह्वधितक) उ ३१३८ १२१२ से ७,६;१८३१.४,२०,२१,२६,२८, महसम्मुइ (स्वसंस्मृति) प १११०१२ २६; १९३१।१,१६१४,५।३,७,८१३,१०,११११, सहस्स (सहस्र) २१२१ से २७,३० से ३६,४०१५, ३,४।१६।१४,१५११,३,४,१६।१८,१६, ४१ से ४३,४६,४६ से ५२,५५ से ५७,५६, १६।२१।२,४,५,७,१६।२।२८,३२,१९३० ५६.१.३,२१६३,६४,४११,३,४,६,२५,२७,२८, उ १६१४,१५,२१,२२,२५,२६,१२१,१२६, ३०,३१,३३,३४,३६,३७,३६,४०,४२,४३, १३२,१३३,१३६,१३७,१४०,१४७,३७,६१, ४५,४६,४८,४६,२१,५२,५४,५६,५८,६२,६४, ११०,१११:४११६,१८५११७,३७ ६५,६७,६६,७१,७६,८१,८५,८७,८८,६०,६४, सहस्सक्ख (सहस्राक्ष) प १५० ज ५।८ १२५,१२७,१३४,१३६,१४३,१४५,१५२, सहस्सम्गतो (सहस्रानसस्) प १२०,२३,२६,२६, १५४,१६५,१६७,१६८,१७०,१७४,१७६, १८०,१८२,१८३,१८५,६१४०।१२।६१८२, सहस्तपत्त (सहस्रपत्र) प ११४६ ज ३८६४१३, ६,९,१२,१६,२०,२८,३२,३४,३५,४७,५०, २२,२५,३०,३४,५।५५ ५२,८५, २०१६३,२१।३८,४१,४३,४५,४७११, सहरूपत्तहत्थगय (हस्तप्तसहसपत्र) ज३१० २,२०६५.६७,८७,२३१६० से ६२,६४,६६, सहस्सपाग (सहस्रपाक) ज ५११४ ७८,५१,८४,६०.१११,१३३,१४७,१६७ से सहस्सरस्ति (सहस्ररशिम) उ ३१४८,५०,५५,६३, १६६.१७१ से १७३,१७५ से १७७,१८२, ६७,७०,७३,१०६,११८ २८।२५,४०,४३,६६,७४ से ८७,६७,३६६८, सहस्सवत्त (सहरूपत्र) ५११४८१४४ ८१ज १७१,१११६,१७,२०,२३,४६,४८; सहस्सार (सहस्रार) प १११३५; २०४६,५७.५८ २१४१३,२१६,१६,५२.५६,६५,७१,७७ से ८२, ५६।१,६३,३३३६,१८३;४/२५२ से २५४; ८८,१२६,१३०,१३४,१३८,१४०,१४६,१५४, ६६३४,५६,६५,८६,६२,१०६; १५।८८, १५६.१६१, ३।१४,१८,२२,३०,३१,३६,४३, २०१५६,६१:२११७०,६१:२८८२:३४११६,१८ Page #388 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७४ सहस्साग-साडय ज ५।४६२ उ २०२२ २५५,२५७,२५८,२६०.२६१,२६३,२६४, सहस्सारग (सहस्रारक) प ६११२७।१५; २६६,२६,२६६,२७०,२७२,२७३,२७५, ३३।१६ २७६,२७८,२७६,२८१.२८२.२८४,२८५. सहस्सारथडेंसय (सहस्रारावतंसक) प १५७ २८७,२८८,२६०.६६१,६३२६४, १६, ताहि (सखि) ज २१२६,६६ २६७,२६६; १८१२,१६,१६,२४,२८,३१, सहित (ति) सू १६।२२।२५ ३६,४२,४४,४६,४६४६,६१,६६७४, राहिय (सहित) १ २६२१ ज २११५; ३।३१,६५, ७६,७६,८४,८५,९.१२.१९९२३१६० से १५६७११८६२ २०८,२०।८।२ ६६,६८,६६,७३८,८१, ६०,६२, तहोयर (सहोदर) उ ११६५ ६५ मे १६.१०१ १.४.१११ से ११४, खाइ (स्वाति) ज७१२८,१३४।२,१३५२,१३६, ११६ से ११८, १ ६ मे १३१,१३३ से १४०,१४६,१६५,१७५ १३५.१३८,१४०,१४२.१४३ १५१.१५३,१५५ साइम (वाद्य) उ ३.५०,५५,१०१,११०,१३४; से ११०, १६०,१६४.१६६ १६८,१७१ से साइयार (मातिचार) प ११२६ १७३.१७५ से १०१,८ ८ ,,१८०, साइरेग (सातिरेक) प १८१७६२३१६५ ज ११३५, १३० जरा! ,११,१२,१५४, १६०,१६३ सू२:११ १२६,१४०; ४०,११:२।१२८,१४८,४।६,१४२३,३१,३८, ३११५०,१६४,२०६ : ४० ४१,६५.६८,७३,६०,६१,११६,११६,१२२, १३६,१४६,१४७,२१६,२४२,७१२५,१६६, : स्मगार (गकार प:४१२६११६५,१६६ से २०७ सू८११;१८१३० २०१:२६।११:६४१५६२८ साउफल (स्वादुफल) ज २।१२ रागारपति कार वॉशन) ३०.१५ से १८, साएय (सात) प ११९३२ सागर (मागर) प २१६८।३,७६,७६,८१,१०५, सागारशारणला (स करवर्ग):३०१२७ ११६,१२६१४,१२८,१५१,१७०,१८५,१८८, सागारपाल (सः :रवीन) प ३०११,२,५,६, २०६,२२१,४१६२११,२३६:५१३२.५८ ज २६८,३३,७६,७६,८१.१०५,११६, सागाराणागारो उर (मामा सामोपत) १२६।४,१२८,१५१.१७०,१८५.१८८,२०६, २२१ ; ४११६२११,२३८५।३२,५८ सू १६१६१ मारोवस : स): ३।१०६.१७४; उ २०१२;५१० १३४REE९१६२१:३६।१२ सागरकड मानरमाट) ज1१६४ शामाकोषागाक... ग): २६१,२,५.६, सागरचित (सावित्री २३८ सागरचितकड (साम चिकट) ज ४२३६ मोनिकायमान बार सागरोवर (भागसेपर) ८११,३,४,६,७,६,१०, १२,१३,१५,१६,१८,१६,२१,२२,२४,२५,२७, साग (माटया) १०. १२५ ३१,३३,३७.६६.१०७,२०६,२१३.२१५, भाड मारा : १५२६७७ २२५,२२७,२३७.२३६,२४०,२४२,२४३, २४५,२४६,२४८ २४६.२५१.२५२.२५४ाथ ट न : Page #389 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सात-सारइयबलाहक १०७५ सात (सात) प ३५३१११,२,३५१८,६ सातावेदग (सातवेदक) ॥ ३३१७४ तातावेदणिज्ज (सातवेदनीय) प २३११५,२६, १४६,१५६ साताव्यणिज्ज (सातवेदनीर) प २३।१५,३०,६३, सातासात (मातासात) प ३५.८,९ सालासोक्ख (मातगोरु) सु २०१७ साति (गादि) प २३।४६ साति (स्वाति) सू १०१२ से ६,१७,२३,४८,६२, ७२,७५.८३.११३,१३१ से १३४१८७ साहिरेग (सातिरेक) प ४१३१,३३,३७,३६,१६८, २००,२०४,२०६,२२५,२२७,२२८,२३०, २३१२२३,२३४,२३६,२४०,२४२,७२,६, ११:१५६४११८११६,१६,३१,३६,४६,५४, ६१.७६,८५,८७,११३,११६:२११३८,४१, ६३,६६८७:२८१२५,७६,७८,३६।६८ सू२३६।३; १२०१५ सादि (सादि) प १५१३५ सादि (रवाति) सू १०।१२० सादिय (सादिक) प २०६४ सादीय (सादिक) प १८१७:१७,२६,५८,५६,६३, ६.७५ से ७७,७६,८२,८३,८८,६०,६२, १००.१०५,११२,११५,११८,१२१,१२४,१२७ साध (साध) साधेति सू१०११२० साधेति १०।१२० साभादिय (नामाविक) ज ३।२०६;५५६ साम (वा) प ११३७।४ राग (साग) उ १।३१ सामंत मन्त) उ १।३,३३२६ सामग या ) प ११४५।२ सामण गामान्य) सू १०७७ साहय श्रमण्य) उ २११२,३३१४,२१,१२०, १५०.१६१४।२४।५।२८,३६,४१,४३ सायण्णओपिणिवाइय (मामान्यतोविनिपातिक) सामण्णपरियाय (श्रामण्यपर्या) ज २१८८ ३२२५ सामल (शामल) ज ३११०६ सामलता (श्यामःलता) प ११३६१ सामलया (शामालता) ज २११ सामली (शाल्मली) ज ४१२०८ सामा (श्यामा) प२४०।६१०.१२४ सामाइय (सामयिक) प १११४.१२५ उ २११०, १२:३३१४,१५०,१६१,५२८,३६४१ सामाइयचरित्तपरिणाम ( सामिपरिणाम) प १३३१२ सामाण (समान) १ २१४६,४७,४००२ सामाणिय (साम निक) १३० मे ३३.३५; ४०॥५,४१,४३.४८ से १६ १४३१०; ४।१७,११३.१५० १५८ !?",६,१६,३६,४२ ४४,४५,४६,४६।२५०, १,५२२१,५३,५६, ६५,६७,७१५६,५६.१८५ : १८१२२; १९२४, २७ उ ३६,२५,६०,१०,१५६,१६६५ सामि (स्वामिन) ११४६८,१६,४३.६२,७०,७७, ८४,१००,१२६॥२,६४२,१६५,१८१,११२, ५।५५,५७:५८ च ६ ४ उ ११९,३६,४० ४२,४५,६९.१०३,१०,१०८,२१०११२, ११४,११६,१२८,१३६ .१. ११.२८, ८६१५५.१६८,४१४ सामित्त (स्वमित्व) २१३०,३१,४१,४६ ज १।४५,३।१८५,२०६,२२१:५११६ उ ५११० सामिय (बाक) ज३८१ सामुदानिय (नामुदानि १५७१७ सायं (सायं) सू २११ १२ १३६ सायावेदणिज्ज (रातवेदनीय) : २६११ सायावेयणिज्ज (जावेदनी ) प २३११४१ सार (मार) प ११७६ ज ११२६; २१६४,६६; ३।२,३,२४,३५ च ११३ उ ११०,२६,६६; ५११ सायर (सागर) मू १६।२२।२४ मारइयबलाहक (शारदिलाहक) प १७११२८ Page #390 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सारंग-साहारणसरीर सारंग (सारङ्ग) प ११५१ ज ३३३ साविट्ठी (धाविष्ठी) ज ७।१३७,१३८,१४१, सारकल्लाण (सारकल्याण) प २४३।१ १४७,१५०,१५४ सू १०७,८,२०,२३,२५,२६ सारक्ख (स-रक्ष) सारक्यति ज २१४६,५२, साविया (श्राविका) ज ७२१४ ५६ सारक्खिस्मति ज २११५६,१६१ सावत (धावयत ) ज ३११७८ सारक्खमाण (संरक्षत्) उ १५७,५८.८२,८३ सास (श्वास) ज २१४३ सारक्खिज्जमाण (मरथ्यमान) उ ३।४६ सास (मस्य,शम्) ज ७११२१४ सारक्खित्ता (मरक्ष्य) ज २४६ सासग (सत्यक,शरयक) प १२०१२ सारय (शारद) ज ३।११७ सासग (शामक) ज ३१३५ सारस (सारस) प ११७६ ज २।१२ उ ५१५. सासण (शासन) ज ३.८१,१५१ उ ११३६ सारहि (सारथि) ज ३१३५,१७८ सासत (शाश्वत) ३६१६४ सारिक्ख (सादृश्य) प २१६४।१८ सासय (शादत) ५ २१६४,२१६४।२०,२२; सारीर (शारीर) प ३५३१११,३२६,७ ३६।६३.६४,६४१ ज १११,४७,३।२२६; सारीरमाणस (शारीरमानस) प ३५१६,७ ४।२२,३४,५४,६४,१०२,१०७,११३,१५६, साल (शाल) ५ ११३५॥१,११४३।१,११४८११४,२४ १६१ ७२०८ से २१० सू २०१८,२०१८१८ सासवसमुग्गयहत्थगय (हस्तगत सर्षगसमुदात) सालंबण (सालम्बन) ज ३९ से १०१ ज ३१११ सालभंजिया (सरलभजिका) ज ११३७,५।३,२८ सासेंत (शासत्) - ३।१७८ सालवण (शामवन) ज २६ साह (साधय) साहेइ ३१५१ साला (दे०) १ ११३५,३६,११४८।३३,३७ साहटु (पहर) जे ३।१२ उ ११२२ सालि (शालि) प ११४५११ ज २१३७,३.११६; सिाहर (मं है) साइज २९५,३१२६,३६, ४।१३,७।१७८ ४७,१३३;५।२१,५८ साहरंति ज २१६६; सालिंगण (सागिन) र २०१७ ५।१५,७०,६८,११० साह ज २१६५,६७, सालिपिरासि (शालि पिप्टराशि) प १७११२८ १०६५।१४.८६ सागहि ज ५१६८ सालिसच्छियामच्छ (शालिसाक्षिकामत्स्य) प १५६ साहरिज्जमाण (गंल्लियाण) ४१०७ सालिरुय (सदृशक) सू २०१७ शाहरित्ता (हृत्य) जना सावइज्ज (रवापते ) ज २१२४,६४ साहस्तिय (सिक) तू १६०२३,२६ उ ३६१ सावगधम्म (श्रावकधर्म) उ ३१४५,७६,१०३.१०४; साहस्ती (जारनी प६० से ३३,३५,४१,४३, १४३,५:२० ४८ से ५६ ज ११४५२१४ से ७७,६०, सारण (याःण) ज २११३८,७४१०४.११४ १२६ ३१२२१,४।१७,१६,२०,११२,११३,१२६, सू १०।१२४,१२६ उ ३।४० १५०,१५१ १५६:११,५,६,१६,३६,४०, सारतेय (स्व:पतेय) ज २१६६ ४४८६,४६ से १३,१६,६५.६७, ७५५, सावत्थी (था यस्ती) प १६३।५७३।६ से ११,२१ ।। १३८,१८५ सू१८१४ से १७,२१,२३ सावय (श्वापद) ज २१३६ उ ३६,१२,२५,६० १५६,१६६:४१५,५।१० सावय (श्रावक) ज ७१२१४ साहारण (सारण) T११४६।५४,५५,६० सावयबहल (स्वापदवः, न) ज १११८ माहारणहरीर (साधारणारीर) ११:३२,४८ Page #391 -------------------------------------------------------------------------- ________________ साहारणसरीरणाम - सिज्झणया साहारण सरीरणाम ( साधारणदारीनामन् ) २३१३८, १२१ साहाविय (स्वाभाविक ) ज ५५५ / साहि ( कथय ) साहिज्ज ११७।१२६ साहिज्जति प १७११२६ साहिज्जति प१७३१२६ साहिय ( साधिक ) प ४।२४० ज २१६६६३ ७६, ११६,११८,७११६४ साहीय ( साधिक ) प ६४८ साहु (साधु) चं १२ साहेता (साधना) ३१५१ सिउंढि (दे० ) प ११४८१ सिंग ( श्रृङ्ग) ज ३।१०६; ५६३ ७ १७८ सिंगरग ( श्रृंगण ) ज ३ २४ सिंगबेर (शृंगबेर ) प ११४८।२; १७११३१ सिंगबेरचुण्ण (श्रृंगवेरचूर्ण ) प ११।७६; १७३१३१ सिंगभूत (शृंगभूत ) ज ३११८६ सिंगभूय (शृंगभूत ) ज ३३२१७ सिंगमाल (श्रृंगमाल) ज श सिंगार (शृंगार ) प ३४।१६,२१ ज २११५ सू २०१७ सिंगारागार (शृंगारागार ) ज ३११३८ सिगिरिड (शृंगिरीट) १ ११५१११ सिंघाडग (शृंगाटक ) प ११४८६ २४६५; ३१८५,२१२,२१३, ५७२,७३३ १६८ सिंघाडय (दे०) २०१२ राहु का नाम विघाण (सिंघाण शिघाण ) प १८४ सिदार (सिन्दुवार ) प ११३७ ४,११३८ ।१ ज २।१० ३।३५ सिदुवारवर मल्लदाम (सिन्दुवार वरमाल्यदामन् ) प १७१२८ सिंदूर ( सिन्दूर) fing ( सिन्धु) ज १११८,२०,४८,२११३१,१३६, २३५ १३४,३११,५१,५२५४०७६०८.६६ १११,११३, १२८४१३७.१६७१७४९७६४ १०७७ २७४६।१६ सिंधुआवत्तणकूड (सिंधुआवर्तनकूट ) ज ४१३७ सिंधुकुंड (सिन्धुकुण्ड ) ज ११५१,४३१७४, १७५ सिंधुकूड (सिन्धुकूट ) ज ४।४४ सिंधुगम (सिन्धुम ) ज ३६४,१५१ सिंधुदेवी (सिन्धुदेवी) ज ३१५१, ५२, ५४,५६,५७, ५८ सिंधुद्दीप (सिन्धुद्वीप) ज ४१३७ सिंधुपवायकुंड (सिन्धुप्रपात कुण्ड ) ज ४।३७ सिंधुसागरं (सिन्धुसागरान्त) ज ३२८१ सिंधुसोवीर (सिन्धुसौवीर ) प ११६३१४ सिभिय ( ग्लैष्मिक ) उ ३।११२,१२८ सिंहल ( सिंहल ) प ११८६ सिंहलय ( सिंहलक) ज ३१८१ सिंहली (मिली ) ज ३१११।१ सिंहासन ( सिंहासन ) ज ११४४ सिक्खा (शिक्षा) प ११।४६ उ ११२० सिक्खिय ( शिक्षित ) ज ३११७८७११७८ भु २०१६१३,५ सिग्ध ( शीघ्र ) ज २६०, ३१२६, ३९, ४७,५६,६४, ७२,१०६,११३,१३३,१३८, १४५,५१५, २८, ४४,४७,६७ म २।३; १५।१.३७ ११८ सिग्घगइ (शीघ्रगति) ज ७१८० चं २०४२ सू ११६/४,१।८।२ सिन्धामि (शीघ्रगामिन् ) ज ३।३५, १०६ शिया (शीघ्रता ) ज ३।१०६ सिस (सिध् ) सिज्झइ प ३६८ सिजभाई २६७/२, ३ सिज्भति प ६१५७,६७,११० ११२२, ५०, २१५८, १२३.१२८, १४८, ४११०१,१७३ मिम्भति प ३६३६२ सिज्झटिइ ११२४१२१२०, ३१८४१२६६ २४३ सिझिटिति ज २३१५१,१५७ उस१९४२मज्जा ए २०११८ सिखाया (धन) ६४४ Page #392 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०७८ सिणेहभाव-सिरिकंदलग सिणेहभाव (स्नेहभाव) ज २११४३ लित (सित) १२१३१ सित्त (लिस्ट) ज२१६५,३७,११६,५१५७ सिद्ध (सिद्ध) प ११११,१११३:२१६४,२१६४१२ से ४,६ से १२,१४,१६,१८,२० से २२:३१३७ से ३६.१८३,५॥३,६।४४,४६.५७,५६,६७,६६; १११३६,१२१७,१०,२०:१६।२५,३०,३२,३३, ३५.३७:१८१७:१६५२१२१८,२८११०७,११०, २१,११४.१२०,१२१,१२४.१२५.१३१, १३८,१३९.१८१,३११६,३२।६३६४६३,६४ ज२।१,२१८२,८८,८९,३२२५,४।१६२१, १७२५१,२०४।१,२१०३१,२६३११,२६६।१; ५।५७।११७ चं १२ नियहि (सिद्धावां कन्) ११८१६८,१०० सिद्धति (सिद्ध) ५६५ हित्य (सिद्धार्थ) उ ५।२६,२८ लिय (सहायक) ज ३१२०६५।५५,५६ सिबिया (शिबिका) ज २।१०१,१०२ सिब्भ (श्लेष्मन्) ज २११३३ सिय (स्यात) ५ ११४८,५१५,१०,२०.३०.३२, १०२,१२६.१३१,१३२,१३४,१६०,१७७, १६३,२१४,२२८,६११५,११६:१०१७ से १३,१७,१६,२०,३१,३२,३४,३६,३८,४०, ४२,४४,४६,४८,५०,५२,१११२,३,१२।६, २४,३२,३३,१५१५३,५४,६१,१२२,१२३; १७।१४,६५,१०२ से १०४,११६,१५०,१५२; २१४९५,९८ से १००:२२१२६,२९,३०,३२, ३३,३८ से ४०,४२,५० से ५२,६७ से ६६, ७१,७४,९१,६३,९७,६६२८१३१,१०६, १११,११५,११७,१२०,१२२.१२५.१२८, १२६:१३२,१४३,३६।१४,१७,१६,२२,२३, २५,२७,३३,३४,६२,६३,७७ ज ७/२०८,२०६ सिया (स्पात्) ज ५७ सियाल (शृगाल) प ११६६१११२१ ज २१३६, द्विपिया ( मियिका) प१७११३५ निर ) ११७ सू १७८६१ सिद्धायन (सिन्दा तनफट) ज १५३४ से ३६, ४१,४८४,४५,४८.७६.६६,१०५,१०६, १३६.१६६.१६६ १८६.१६५.१९८२१०, २११,२३५.२३७,२४२,२६३ तिहासिक ज ४१४७.१६३,१५० २१६,२१७:२२०,२३५.२३७.२४२ सिद्धाययण (मिद्धा तनकट) में ४।२१२,२७५ सिद्धालय (सिद्धा ) प २१६४ सिद्धि (सिदि) प २१५४,३६।८२ सिद्धिगइ (सिलिन) श२१ सिप्प (शिल्प) ल २१६४;३:१६७१७,५१५,७ शिकारियािर्म) प ११६२,६७ सिपिया (सिलिक) ६१।४२ लिप्पिसंदुर (सिंपुट) ११४६ सियाली (शृगाली) ८१११२३ सिर (शिरस) ज २११३३,१८०,२२१ सिरय (शिरस्क), २।४६ ज २।१५।६,१८, ९३,१८०,२२२ सिरसावत्त (शिरसावर्त) ज ३१५.६,८,१२,१६, २६,३६,४७,५३,५६.६२.६४,७०,७२,७४, ७७,८४,८८,९०,१००,११४,१२६,१३३, १३८,१४२,१४५.१५१,१५७,२६५,१८१, १८६,२०५,२०६,२०६,५१५,२१,४६,५८ उ ११३६,४५,५५,५८,८०,८३.६६,१०७, १०८,११६,११८,१२२:३।१०६,१३८,४११५; ५।१७ सिरसिज (शिरसिज) ज ३११३८ सिरि (श्री) ज २।८,९,१५, ४१२।१,४।१७ से २०, २२,५१११११,५॥३८७।२१३ सिरिकता (श्रीकान्ता) ज ४११५५२,२२४१ लिरिकंदलग (श्रीशन्दलक) ११६३ Page #393 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सिरिकूड-मीमाविक्वंभ सिरिकूट (श्रीकट ) ज ४/४४ तिरिघर (श्रीह) ज ३।२२० सिरिचंदा (श्रीचन्द्रा) ज१५५,२२४१ सिरिजिलया (धीन या ज४१२२४.१ सिरियाम (श्रीदन) १६७ शिरिदेसि (धौलवीर उ ४.२४ शिरिदेवी (थीबी) उ ४१५ सिरिनिलया (श्री नया) ज ४१५५१२ तिरिमहिया (श्रीता ) ४११५५।२,२२४११ सिरिवडिरय ( वतसक) ४५ लिरिद य (मग उ४:२४ सिरिबस्छ (श्री स.) ज ३१३, २६,११६,१७८; ४॥२८ लिरियच्छ श्रीस:) 11४६।३ सिरिसंवा श्री गु!) ११२०१४ मू १०८८१ सिरिहिरिधिविजय (श्रीही तिकीति सिस्सिणीभिक्खा (शिष्याभिक्षा) उ ४।१६ सिहंडि (विखण्डन ) ज ३११७८ सिहर (शिखर) प २४८ ज ११३७, ३१२४; ४१४६५१४३ उ ५५ सिहरतल (शिखरतन) ज ११३२,३३,४१२४१ सिहरि ( ख ) प २११:१६।३० ज ३११८६, २१७:४।२७१,२७३,२७४,२७७ सिकिड (शिखरिकूट) ज ४।२७५ सिहरिसंठाणसंठिय (चिखरि संस्थान रिया) ज ४१२७६ सिहि (शिखिन) जे २०१३७ सीउण्ह (शीतोष्ण) ज २१३३,३११३८ सीओदयवायकुंड (पीतादापातकुण्ड) ज ४१६२ सीओ (शीतादा) ज ४१९३,६४ सीओदाकूड (शीतांदाकूट) ज ८१६६ सीत (गीत) प ११५,७ से ६५७,२११,२१२, २१४,२१५,२१८,२२० से २२६६।१ से ११; २८।१०५३४११६३५।११ तीतजोणिय शांतनिक) ६।१२ तोतल (शीन) २०१२ सोवा (सीता) २१६४ सू २३ किरीस ( १६६ तिरीब 24t सिलागि २ १ २२८,६४, सातोदय (सीतादया) । १२३ सोलन ३१,२६८०११० सीतोदा (सीतादा) ज ४१६१,६२,६५,५१०११, २१२२१५,२२६ रा २३१६।२२ सातोपामुह सिंडीतापामुखममण्ड) ज ४२१२ सोसजोगिय (मीण नि:) : १२ सिव २०,२१४१ १६८।१२, सीतोलप (शीतोष्ण) प ६१११३५१ से ३ २०६५ २१,५८११४१. १०१२८१ सोय (सीधु) उ ११३८,४६,७४ १४१४४३।११,१५१ खीभर (शीर) ६G सिसिर ११.१ १०१२८१ सीकर (लोक) २५६,६० सदेवधर (पीकर) १९६० सिस्सि .१६ तिमि .. .. Page #394 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८० सीय-सुइभूय सोहकण (सिंहकर्ण) प १८६ सोहकण्णी (सिंहकर्णी ) प ११४८।१ सीहगइ (शीघ्रगति) ज ७४१६८२ सोहघोस (सिंहघोष) ज २१६ सीहणाद (सिंहनाद) सू १६।२३ सीहणाय (सिंहनाद) ज ३१२२,३१,३६,७८,६३, ६६,१०६,१६३,१८०,५२,५७,७१५५,१७८ सीय (गीत) प१४ से ६५१५,१२६,१५४, २१०,२१३ से २१५,२१७ से २१६,२२१; १११५६,६०१७।१३८, २८।२०,३२,६६, १०५,३५१२,३ ज २११३१,१३४ उ ३११२८ सोयउरय (दे०) प ११३७५३ सीयल (शीतल) ज २२०;४१३,२५ सीया (शिक्षिका) ज २११२,३३,६४,६५,१०३,१०४ उ ३.११०१११:४११६,१८ सीया (सीता) ज १।१६४१११०,१४१,१४३, १६२२१,१६७,१६६.१७२,१७४,१७७,१७८, १८०,१८१,१८३ से १८५,१८७,१८६ से १६१,१६३,१९६,१६७,१६६ से २०२,२१२, २१५,२२६,२२७,२३२,२३३,२६२,२६३११; ५.१०११६।२२,७।२२ सीयामहाणई (शीतामहानदी) ज ४२०० सीयामुहवण (शीतामुखवन) ज ४११६६ से २०२ सीयालोस (सप्तचत्वारिंशत) ज ७.२० मू ४।१० सीयोया (गीदा ) ज ४१२०६,२०७,२०८,२१२, २२८ सीयोयाग्रह (सीतादामुख) ज ४।२१२ सोल (शी १२०१७,१८,३४ ज ३1३; ५:५८ सीवली (श्रीपणी) प ११३५।३ सीस (सी) उर३।११४,४।२१ सीस.पहेलियंग (भीर्यनलिकाङ्ग) ज २।४ सीसपहेलिया (शीय प्रहेलिका) ज २१४ सू ८१ सीसय (सीरक) प १३२०११ सोसवा (शिवाका) प ११३५६३ सोदिया (शोमवेदना) ज २।४३ सोसाखंड (सीसखण्ड)११/७४ सीसिणिभिक्खा (शिष्याभिक्षा) उ ३।११२ सीह (सिंह) १९६६२१३०,४६,६८०११; १११२१ ज २११५,३६,१३६ उ ११३३,२१८ ५११३,१५ सीह (शोध) ज २१३६,१३६,३१२६,३६,४७,५६, ६४,७२,११३,१३३,१३८,१४५:५१५,४४,४७, ६७ सोहणिसाइ (सिहनिषादिन) ज ७।१३३३३ सीहणीसाइसंठिय (सिहनिपादिसंस्थित) सू १०१५४ सोहनाय (सिंहनाद) उ १११३८ सीहपुरा (सिंहपुरा) ज ४१२१२,२१२२ सोहमुह (सिंहमुख) प १८६ सीहरूवधारि (मिहरूपधारिन् ) ज ७११७८ सू१८।१४ से १७ सोहस्सर (सिंहस्वर) ज २०१६ सीहसीया (मिहस्रोता,शीघ्रस्रोता) ज ४।२१२ सीहासण (सिंहासन) ज ३१३,६,१२,२६,२८,३६, ४१,४७,४६,५८.६६,७४,१३३,१४५ १४७, १७८,१८८,१९७,२०४,२१४,२१६,२२२, ४१५०,५३,५६,११२,११६,१२३,१३५,१४७, १५५,२२३।१,२२४११,२४८,२५० से २५२; ५:१३,१४,१८,२१,३६,३६ से ४१,४७,५०, ५५,६० सू १८।२३ उ ११४९,३१६,२५,६०, ११,१३६,१५६:४१५ सीहासपहस्थगय (हस्ता तसिंहासन) ज ३।११ सोही (सिही) प १११२३ सु (सु) ज १११३,३७,२।६,१२,१५,३१६,१२,२८, ३५,४१,४६,५८,६६,७४,११७,११६,१३८, १७८,२२२,४।१३,१०२,१२८,१४६,१५७, १७८,१८०,१८१,१८२,२०२,२०४,२११; ५।५,७,६,५३,७:१२० सुइ (शुचि) ११५,३।६,२२२१२६:५२५७ सुइग (शुचिक) ज २६५,३।७ सुइभूय (शुचीभूत) ज ३.८२ उ ३१५१,५६ १. वनस्पति कोश में सिंहपर्णी शब्द मिलता है। Page #395 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुईभूय-मुजाय १०६१ सुईभूय (शुचीभूत) उ ४११६ सुउत्तार (सूत्तार) ज ४१३,२५ सुंकलितण (शकरीतण) ५११४२१२ सुंगा (शौङ्का') ज ७१३२॥३ सुंगायण (शौकायन) स १०।११४ सुंठ (शुण्ठी) प ११४२।२,११४८।४६ सुंदर (सुन्दर) ज २१५; ३३१३८,७।१७८ सुंदरी (सुन्दरी) ज २१५,७५ सुंब (सुम्ब) प१४१।१ संसुमार (झुंशुमार,शिशुमार) प ११५५,६० सुकच्छ (सुकच्छ) ज ४१७८,१८१ से १८३ सुकण्ह (सुकृष्ण) उ १७ सुकत (सुकृत) प २३१,४१ सुकय (सुकृत) ५ २१३१,४१ ज ११३७, ३।७,६, १८,२४,३५,६३,१०६,१७९,१८०,२२२; ७.१७८ सुकरण (सुकरण) ज ३१३५ सुकाल (सुकाल) १७,१४६,१४७,२३१८,१६ सुकाली (सुकाली) उ १११४५,१४६; २।१७,१८ सुकुमाल (सुकुमार) ज २१५, ३।३,६,१०६, २०६,२११,२२२ उ १६१४६ सुकुल (सुकुल) ज ३.१०६ सुकुसल (सूकुशल) ज ३१११६ सुक्क (शुक्र) १८४,१३५:२१४८,६३ सू२०१८, २०१८।४ उ ३।२।१,६।२५,८३,८६ सुक्क (मुका) १३१६ सुक्क (शुल्क) उ ३३१२८ सुकरु (शुष्क) उ ३।३५ से ३७,४०,४३ सुक्कपक्ख (शुक्ल क्ष) ज ७।११५,१२५ मू १६।२२।१८ सुक्कछिवाडिया (दे०) प १७।१२८ सुकलेस (शुक्ल लश्य) प १७१५८,१०४,१६८%) २३।२०० सुक्कलेसट्ठाण (शुक्रलेश्यास्थान) प १७६१४६ सुक्कलेसा (शुक्ल ने का) प १७१४७,१३६ १. शौङ्कायन गोत्रस्य संक्षिप्त रूपम् । सुक्कलेस्स (शुक्ललेश्य) प ३९६१३११८,२०, १७:३५,५६,५८,६३ से ६६,७१,७३,७६ से ८१,८३,८४,८६,८६,१०४,११३,१६७; १८७४,२३१२०१२८।१२३ सुक्कलेस्सट्ठाण (शुक्ललेश्यास्थान) प १७।१४६ सुक्कलेस्सा (शुक्ललेश्या) प १६।४६,५०, १७१३५, ३६,३८,४१,४३,५४,११४,११७ से १२२, १२६,१३५,१३७,१४० से १४५,१४७,१५३ से १६१ सुक्कलेस्सापरिणाम (शुवललेश्यापरिणाम) प १३१६ सुक्कडिसय (शुक्रावतंसक) उ ३१२५,५३ सुक्किल (शुक्ल) प २४ से ६५।५,७,२०५; ११३५३,५४,१३।२६:२३।४७,१०१,१०६ १०६; २०१६,७,२६,३२,५३,६६ ज १११३, २१७,१६४,३।२४,३१,४१२६,११४ सू २०१२ सुक्किलपत्त (शुक्लपत्र) १११५१ सुक्किलमत्तिया (शुक्लमृत्तिका) प ११६ सुक्किलसुत्तय (शुक्लसूत्रक) प १७११६ सुक्किलय (शुक्लक) प १७१२६ सू २०१२ सुक्किल्ल (शुक्ल) प २८1५२ सुग (शुक) प १७६ सुगइगामि (सुगतिगामिन्) प १७११३८ सुगंध (सुगन्ध) प २१३०,३१,४१ ज २।१५,६५; ३७,१२,८८,२११:५७,५५ सू २०१७ उ ३।१३१ सुगंधि (सुगन्धिन् ) ज २१२ सुगंधिय (सुगन्धिक) प ११४६ सुगपत्त (शुकपत्र) ज ३।१०६ सुगूढ (सुगूढ) ज २०१५ सुघोसा (सुधोषा) ज ५।२२,२३,२४,४६ सुचक्क (सुचक्र) ज ३।३५ सुचरिय (सुचरित) ज २१७१ सुचिषण (सुचीर्ण) ज १११३,३०,३३,३६४१२ सुजाणु (सुजानु) ज २११५ सुजाय (सुजात) ज २।१४,१५,३११०६४।३,२५, १५७,७११७८ Page #396 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८.२ सुजाया-सूपुट सुजाया (सुजाता) ज ४११५७।२ सदसण (सुदर्शन) प १६४, ३।३०,४१४६, सुजोइय (सुयोजित) ज ७१७८ १४७,१५०,१५७,१५६,२०८,२६०११ सुज्ञ (दे०) ४१३,२५ ७१२१३ ज २१६४; ३३०४१४७,१५०, सुठ्ठिय (सुस्थित) ज ७।१७८ १५६,२०८,२६०११७२१३ सू५१ उ ४७ सुम (शृ) सुणंतु ज ३।२४.१,२,३११३१।१,२ सुणह प २१६४।१८ सुणेइ प ११३६ सुदंसणभद्दसालवण (दर्शनभद्रशालवन) ज ५१५५ सुति प १५१३६,४० सुदंसणा ( दर्शन:) ज ४११५७।१,२ सुजग (शुनक) प११६६ ज २१३६,१३६ सुदिट्ठ (दृष्ट) ११०११३ सुगक्खत्ता (मुनक्षत्रा) ज ७११२०११ मू १०८८११ सुदुल्लह (सुदलं न) ज ३।११७११ सुममिय (सुनत) ज ७।१७८ सुणय (शुनक) प १११२१ सुद्ध (शुद्ध) प १७.११४१,१७।११६ सू २०१७ सुणिम्मिय (सुनिमित) ज २।१५ सुद्धदंत (शुद्धदन्त) ५ ११८६ सुणिरिक्खण (सुनिरीक्षण) ज ७४१७८ सुद्धप्पावेस (शुद्ध प्रवेशद्वात्मवेश,शुद्धप्रावेश्य) सुणिया (शुनिका) प ११:२३ ज ३८५ सू२०१७ उ १११६ सुणिवेसिय (सुनिवेशित) ज २०१२ सुद्धवाय (अनात) ५११२६ सुण्हा (स्नुषा) ज २२२७,६६ सुद्धागणि (शुद्धाग्नि) प १।२६ सुत (णाण) (श्रुतज्ञान) ५ २६।१६ सुद्धोदय (शुद्धोदक) ६ ११२३ ज ३।६,२२२ सुतअण्णाण (श्रुताज्ञान) प ५७,१२,२०,५६; सुधम्म (धर्म) ज ४।१४०३१ २६१६,१२,१७,१६,२० सुतअण्णाणि (श्रुताज्ञानिन्) प ३।१०२,१०३; सुधम्मा (धर्या) ४.१३१ सू १८/२३ सुनिउण ( पुण) ५८०,११७:३०/२३ , सुतणाण (श्रुतज्ञान) प ५७,२०,२४,४१,४६,६७, सुपा ( ४३,५५ सू १०।१२४११ १११:२६११७,२१,३०६,११ सुतणाणि (श्रुतज्ञानिन्) ५३।१०१,१०३; ५१४३, सुबइ यतिष्ठ. . .१५६.?? ८०,६५.११३,२८४१३६ सुपा दिसतष्ठिा) २११४,४।१४६; सुतिक्षण (सुतीक्ष्ण) ज २१६११ १४६ सुतोवउत्त (श्रुतोपयुक्त) १ २३।१६५,१६६ से २०१ सु स ) १२८ सुत्त (सूत्र) प १५१०११६,२११३५ सुत्त (सुप्त) ज ३।१७४ सुपरपात ( सालः) ज १११३,३०,३३,३६; सुत्त (श्रुत) प १:१०१६ ४॥२ सुत (रुइ) (सूत्ररुचि) प ११०१११ सुपरिनिठ्यि ( निप्ठित) उ ३१२५ सुत्तग (नुत्रक) ज ३१३६,१०६ सुपरइय (प्रजित) उ ३।८०,८१ सुत्तत्तय (सूत्रत्र) प ४१५५ सपसत्य (प्रशस्त) ज ३।११७ सुत्तरुइ (मूत्ररुचि) पश१०१६ सुपिकताछोयरस (पक सोदर) प १७११३४ सुत्तत्रेयालिय (शुक्रवत्रारिक) प १६६ सपोप ( १९२११ १०१८४३ सुत्तीनई (शुक्तिाती प११९३४ Page #397 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुप्पइण्णा-मुरभि १०८३ सुप्पइण्णा (सुप्रकीर्णा) ज ५१ सुमिणपाठग (स्वप्नपाठक) उ ११३३ सुप्पबुद्धा (यूप्रवुद्धा) ज ४१५७११;५६१ सुमेहा (सुमेघा) ज४।२३८,६१ सुप्पभा (सुप्रभा) ज ७११७८ सुय (श्रुत) प ११११२,३,१५१०११६:१३।१० सुप्पमाण (नुप्रमाण) ज २०१५ चं १३ सुप्पमाणतर (प्रमाणतर) ज ४११०२ सुय (शुक) प १७।१२४ सुफुल्ल (फुल्ल) ज ३३१०० सुय (शुक) १ ११४२११ बालतण सुबद्ध (गुबद्ध) ज ११५, ७।१७८ सुयअण्णाण (श्रुत!ज्ञान) प ५१५,१०,१४,१६,१८, सुबहु (सुवहु) उ ३१५०,५५ ६३:२६।२,६,२१, ३०१२,६,६,११,१६,२१ सुभि (१) प १३।२७,३१; २३।१०६ सुयअण्णाणपरिणाम (श्रुताज्ञानपरिणाम) प १३३१० सुभिगंध (सुगन्ध) प ११४ से ६५५,७,२०५; सयअण्णाणि (श्रुताज्ञानिन्) प ५१६५,६६१३।१४, ११।५६,१७।१३७,२८।२६,३२,६६ १६,१७,१८।८३२८।१३७,३०११६ सुभ (शुभ) प २८११०५ ज १११३,३०,३३,३६; सुयक्खंध (श्रुतस्कन्ध) उ ५१४५ ३१२२३,४।२ सुयणाण (श्रुतज्ञान) प १२१०१८,५५,७८,६३; सिभ (शुभ) सोभंति सू१६।११ सोभिमुसु १६५ १७.११२,११३, २०१७,१८,३४,२६२,६, सोभिस्संति सू १९१ सोभेति ।। १६१ १२:३०१२,२१ सीभेनु सू १९११ सोभेस्संति सू १६॥३८ सुयमाणारिय (श्रुतज्ञानार्य) प ११६६ सुभंकर (शुभंकर) ज ३1८८ सुयणाणि (श्रुतज्ञानिन् ) प ३३१०१,१०३; १३।१४, सुभग (शुभग) ॥ १।४८१४४,११५० ज ४।३,२५; १७; १८।८० ; ३०११६,२३ ५६८,७१७८ सू २००४ सुयतोंड (शुकतोण्ड) ज ३३५ सुभगणाम (शुभगनामन्) प २३।३८,१२४ सुयनाणपरिणाम (श्रुतज्ञानपरिणाम) प १३16 सुभयत्त (शुभ त्व) प ३४१२० सुयधम्म (श्रुतधर्म) ५ १।१०१।१२ सुभगा (सुभगा) प १४४०१२ ज ४११६४,५३१११ सभणाम (शुमनामन्) प २३११६,३८,१२३ स्यपुच्छ (शुकपिच्छ) प १७।१२४ सुभद्द (अभद्र) उ १२ सुयाह (शुकमुख) ज ३।१८८ सुभद्दा (सुभद्रा) ज २१७७,३११३८,४१५७२ सुविट (शुभवृन्त) प ११५० उ ३६७,९८,१०१ से १२०,१४९२२ सुधिसिठ्ठया (श्रुतविशिष्टता) ज २३१२१ सुभय (शुभग) प ११४६ सविहीणया (श्रुतविहीनता) ज २३१२२ सुभय (शुभक) उ ५१५ सुयात (सुजात) ज ३११०६ सुभा (शुभा) ज ४।२०२२ सुर (सुर) ५ २०६४।१५, ३११६१ ज ३।११७ सुभोगा (मुभोगा) ज ४११६४५.११ सुरइय (सुरचित) प २१४१ सुमणवाम (रामनोदामन्) ज ३।२११,५२५५,५८ सुरट्ठ (सौराष्ट्र ) प ११६३।३ सुमणसा (गुमनस्) प ११४०१३ मालतीपुष्पलता सुरत्त (सुरक्त) ज ७१७८ सुमणा (गमनन्) ज ४११५७१२,२०३ सुरप्पिय (मुरप्रिय) उ ५७,८ सुमहग्ध (मभहाध्य) ज ३१६,२२२ सरभि (सुरभि) प २।३१,४१,२३।४८ ज २।१२, सुमहुर (धुर) उ ३१६८ १६,३७,६,३०,८,१०६,२०६,२११,५१५, सुमिण (स्वप्न) उ १८३३,२१८,५११३,२५,३१ ७,१४,२१,५६,५८,७१७८ उ३११३१ Page #398 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०५४ मुरम्म-सुसाहय सुरम्म (सुरम्य) ज २११२,४।१३ सू २०१७ सवण्णजहिया (सुवर्णयथिका) ५१७११२७ सुरवर (सुरवर) ज ५७ पीलीजूही सुरवरिंद (सुरवरेन्द्र) ज ३।१०६ सुवण्णमय (स्वर्णमय) ज ४१२६,५३५५. सुरहि (सुरभि) प २३० ज ३।६,१२,३५,८८, सुवग्ण (वासा) (मुवर्ण वर्षा ) ज ५।५७ २२१,२२२ सुवर्णमिप्पि' (गुवर्णशुक्ति) प १७१२७ सुरा (सरा) उ ११३४,४६,७४ सुण्णिद (सपणे द्र) २१३८ सुरादेवी (सुरादेवी) ज ४।४४,२७५,५।१०।१ सुवप्प (गुरप्र) ज ४।२१२,२१२२३ उ४१२।१ सुवयण (सुवचन) उ १।१७ सुरिंद (गुरेन्द्र) प २५० ज २६१, ३।३५:५।१८, सुविण (स्वप्न) उ ११३३५१२५ २१,४८,५२ सविभत्त (मविभक्त) ज ११३७, २।१४,१५, ३।३ सुरूया (सरूपा) ज ५:१३ सू २०१७ सुरूव (गुरूप) प २।३०,३१,४१,४५,४५११,४८ सुविरइय (सविरचित) ज २११५, ३१२४,४।१३ ज ३।१०६,१३८,४१२६ सू२०१४ उ ११२, सू २०१७ १३,३१,५३,७८,६५,५२५,२२ सुव्वत (मुद्रत) सू २०१८ सुलद्ध (सुलब्ध) उ १।३४;३।६८,१०१,१३१ सुब्वय (सूबत) सू २०१८।८ सुलस (मुलस) ज ४१६४,२०७ सुन्वया (मुक्ता) उ ३१६६,१००,१०६ से १०८, सुलित्त (मलिप्त) उ ३११३०,१३१,१३४ १११ से ११३,११५,११६,११५.१३२,१३३, सुवरगु (सुवल्गु) उ ४१२१२,२१२।३ १३६,१४१ से १४३,१४५,१४६,१४८,१५० सुवच्छ (मुवत्स) प २।४७।२ ज ४।२०२।१ सुसंगोविय (सुसङ्गोपित) उ ३।१२८ सुवच्छा (सुयत्सा) ज ४।२०४,२३८:५।६।१ सुसंठिय (मुसंस्थित) ज ७१७८ सवण्ण (मपर्ण) प २१३०११,४०1१,८,१०:५१३ ससंपरिहिय (संपरिहित) उ ३.१२८ ज ३।२४।१,२,१३०१,२ सुसंवुय (मुगवृत) ज ३६,२२२ सुक्ष्ण (सवर्ण) प १२०११ ज २।२४,६४,६६; सुसज्ज (सज्ज) ज ५४३ ३।६,२०,३३,५४,६३,७१,८४,९५,१०६, सुसद्द (शब्द) ज ७१७८ ११७,१३७,१४३,१५६,१६७/८,१८२,१८४, सुसमण (नशमन) ज २१५३,१६२ २२२:४१३,२५,२६,५१३८,५२,५५,६७,६८ सुसमदुस्समा (मुपमदुप्पा ) ज २।२,३,६,७,५४,५६ उ ३।४० सुसमससमा (गुषमापना) ज २२,३,६,७,५२ सुवण्णकुमार (भुषणकुमार) ५ १११३१,२।३७ से १६१,१६३,१६४,४।१०६ ४०,४१४६६१८ सुसमा (मुषमा) जरा२,३,६,५१,५२,१६०,१६१ सुवण्णकुमारराय (सुपर्णकुमारराज) प २।३७ से ४१८३ ३६ सुसमाहिय (मसमाहित) ज ३१३५ सुवण्णकुमारिद (सुपर्णकुमारेन्द्र) प २१३७,३६ सुसवण (सुश्रवण) ज २११५ सुवण्णकुमारी (मार्णकुमारी) प ४।५२ सुसारखिय (सुसंरक्षित) उ ३.१२८ सुवष्णकूड (मृवर्ण कूट) ज ४।२७५ सुसाहय (समहन] ज२१५ सुवष्णकूला (सुवर्णकला) ज ४१२७२,२७४,२७५; । ६२० १ हे० २११३८ सिणि (शुक्ति) Page #399 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुसिणिद्ध-सूर १०८५ सुसिणिद्ध (मस्निग्ध) ज २।१५ सुहम (सूक्ष्म) १२॥३,६,६,१२,१५,३१,३।११२, सुसिलिट्ठ (सुश्लिष्ट) ज ११३७,३१६,१२,१७८, ६१ से ७१.५५ से ६५,१११,१८३,४।५६ से २२२:४।१२८,५४४३,७११७८ ६१,६८,७५,८२,८३,६१,६१८३,१०२, सुसीमा (मसीमा) ज४।२०२।२ १५।४३,४५,१८।१।२,३७ से ३६,११६, सुसीस (सुशिष्य) ज ३३१०६ २१४,५,२३ से २७,४०,४१,५०,२३।१२१; सुसेण (सुषेण) ज ३७६.७७,७८,८०,८२ से ११, ३६७६,८१,६२ च ११३ ज २०६७।१७८ १०६ से १११,१२८,१५१ से १५७,१७०,१७१ ११.१२८१५१ से १५०.००.०१ सुहुमआउक्काइय (सूक्ष्मअप्काक), ११२१,२२ सुस्सर (सुस्वर) ज २११५,५१५२,५३ सुहुमणाम (सूक्ष्मनामन् ) प २३१३८,११८,१२० सुस्सूसमाण (शुश्रषमाण) ज १६२।६०, ३१२०५, सुहुमतेउक्काइय (मूक्ष्मतजस्कायिक) प १२४,२५ २०६:५१५८ उ ११६ सुहुमवणस्सकाइय (सूक्ष्मवनस्पतिकायिक) सुह (सुख) प २।४८,२।६४११५,१६,२०;३५।१२२, प १६३०,३१ ३५१०,११:३६।१४।१ ज २११२,२०,७१, सुहमवाउक्काइय (सूक्ष्मवायुकारिक) प १५२७,२८ ३।६,८१,६६,१००,१०१,११७११,१२१,२२२; सुहुमसपराय (सूक्ष्मनाराय) प १११२,११३, ४१२७,४८,१७७; ५।२६,२८ सू १६।२२११३ १२४,१२८, २३।१६१ उ ११११०,१२६,१३३ सुहमसंपरायचरित्तपरिणाम (सूक्ष्मपरायचरित्रसुह (शुभ) प २१४६ ज २।१२,२०:३। परिणाम) प १३३१२ सुहंसुह (सुखसुख) ज २११४६:३११२१,१२७, सुहोतार (सुखावतार) ज ४॥३,२५ २२४;५।६७ उ ११२.५०,७५ सुहोदय (सुखोदक, शुभोदक) ज ३१६ २२२ सुहणामा (शुभनामा) ज ७.१२१ सू १०१६१ सुहोवभोग (सुखोपभोग) ज २११४५,१४६ सुहता (सुखता) प २३।१५ सूइ (शुचि) ज ४१२६ सुहत्त (सुखत्य) प २८२४,२६ सूईमुह (सूचीमुख) प ११४६ सुहत्थि (सुहस्तिन) ज ४१२२२१,२२८ सुई (सूची) १५।२६:२१।२५ सुहफास (सुख पर्श, शुभल्पशं) ज १२८ सूणा (मुना) उ १६४४,४५ सुहम्मा (सुधर्मा) ज २।१२०,४।१२०,१२१,१२६, सूमाल (सुकुमार) ज ३।२११:५१५६७११७८ १३८।५।१८,२२,२३,५०,७१८४,१८५ उ १११ से १३,३० से ३२,५३,७८,६५, सू १८।२२,२३ उ ३६,६०,१५६,१६६; १४५,२।५,७,१६,३१६७,४१८,५१२ ४।५; ५११५.१६ सूमाला (सुकुमारा) ज ३१२२१:५१५८ सुहया (सुखतः) २३१३० सूय (पु) ज ३।१७८,१८६,१८८,२०६,२१०, सुहलेसा (शुभतेश्या) ज ७५८ २१६,२१६,२२१ सुहलेस्सा (शुभमेश्या) सू१६।२२।३० सूयलि (दे०) प १८९ सुहावह (सुखावह ) में ४१२१२ सूर (यूर) प १११३३; २१२० से २७,४८%) सुहासण (सुखासन) ज ३१२८,४१,४६,५८,६६, १५५५५।३ ज ११२४, २१६८, ३१३५,६५, ____७४,१३६.१४७.१८७,२१८ ११७,१५६,१६७।१२,१८८,२०७,२१२; सुहि (सुखिन्) प २१६४१२०, ३६१६४।१ ज २१२६ ५१५६, ७१०२,१३५.१,४,१७७।२.१७८।१, सुहिरणियाकुलुम (सुहिरण्यिकाकुसुम) १८०,१८१ मु १०।३,१२३,१३४,१४३ से प१७।१२७ १४७,१५० से १६१,१६६ से १६९,१७२, Page #400 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८६ १७३,१११२ से ६,१२११६ से २८, १५११, ५, ७,११,१२,१३, १५, १८, २१, २४,२७,३०,३३, ३६; १८११,१८,१६,३४, ३७; १६ १११, १६२२१४, १०, १५, २१, २३, २४, २७ से ३०, ३२:१६१३५; २०१२,३,५,६ उ २।१२; ३१२११,२१,४८,५५,६३,६७,७०,७३,१०६, ११८ सूर ( शूर ) ज ३११०३; ४|१४ सूरकंत ( सूरकान्त ) प १।२०१४ सूरकतमणिणिस्सिय (पुरकान्तमणिनिश्रित ) प १२६ सूरणकंद (सूरणकन्द, शूरणकंद) प १२४८२७ सूरत्थमण (सुरतरुयन ) ज २।१३४ सूरपणति ( गुरप्रज्ञप्ति ) ज ७ १०१ सूरपव्यय ( सुरपर्वत) ज ४२१२ सूरख्पमा ( सूरप्रभा ) सू १८१२४ सूरमंडल ( सूरमण्डल) ज ७१२ से १६,१७७ सूरलेस्सा (सूरलेखा ) सू १६३३, ४ सूरवस (सूरावतंसक ) सू १८/२४ सुरवर ( सुरवर ) सू १९३५ सूरवरोभास ( सूरवरावभास) सू १९१३५,३६ सूरवल्ली (गुरवल्ली ) प १४० ३ सुरविमरण (सुरविमान ) प ४।१८३ से १८८ ज ७।१७३,१७४,१७६,१८६,१६० सू १८१, ८,१०,१४,२३,३० सूरसेण (शूरसेन ) प १६३३५ सूरादेवीकूड (मुरादेवीकूट) ज ४१४४ सूराभिमु (गुराभिमुख ) उ ३३५० सूरिय (सूर्य) २४८ से ५१,६३ ज २।१३१; ७१.१३,२० से ३१,३५ से ३६,५४,५८,६६, १०१,१५६ से १६८, १८०,१८१,१६७ चं २१२, ५ सू ११६१२, ५, ११११,१२,१४,१६ मे २४,२७,२११ से ३, ३१,२,४३१, २, ४, ७, ६, १०५।१६।१ ; ७११; ८।१९।१ से ३,१०।६३ मे ७४,१३२,१३४,१७१,१५।१.३ : १७ १; १८१२,३,१८,१६,३७,१६४१, ५२, १६ ११, सूर-सेणावइ १५१२,१६,२११६, १६१२२/२३, २६, २०१११७ उ ५/४१ सूरियगत ( सूर्यगत) सू ११६ सूरियपडिहि (सूर्य प्रतिधि ) सु ९1३ सूरियाभ (सुभि ) ज ५३५५ उ ३७, ६० से ६२, १५६५।२३ सूरियाभगम (सुभगम ) ज ५१४० सूरियावत्त (सूर्याज ४२६०१२ सू५११ सुरियावरण (सूर्या) ज ४२६०।२५।१ सूरुग्गमण (मुरोद्गम ) २११३४ सुरोद (सुरोद ) गु १६१३५ सूल ( शूल) ज ३1३१, १७८ सूलपाणि ( शूलपाणि) प २१५१ ज २२६१:५३४८, ६० सुसर ( सुस्वर ) ज २।१६; ५ २२,२६ सुसरणाम (सुस्वरनामन् ) प २३१३८,१२५ सुसरणिःघोष (सुस्वरनिर्घोष ) ज २११६ सूसरा ( सुस्वरा) उ३।७,६१ से (दे० ) प १1१० उ १११५; ३।३३ सेउ (सेतु) ज २।१२ सेज्जंस ( श्रेयांस) ज २७६ सु १०।२४११ सेज्जभंड ( गय्याभाण्ड ) उ ३।५१।१ सेज्जा ( शय्या) प ३६।६१ उ ३३६६४।२१ सेट्ठि (श्रेष्ठिन ) प १६ ४१ ज २२५; ३६,१०, ७७,८६,१७८, १८६, १८८, २०६२१०,२१६, २१६,२२१,२२२ उ १६२३।११,१३,१०१ सेडिय (दे० ) प ११४२११ सेडी (३० ) प १।७६ लोमपक्षी विशेष सेठ (णि) २३१:१२१८,१२,१६,२७,३१, ३२,३६ से ३८,२१।६३ ज २।१३३,२२०; ४११७२,२००,५१३२,६।६।१,१५ गठित (सेनक पृष्ठसंस्थित) मू४।३ सेणा ( सेना ) ज ३३१५.१७,२१,३१,३४,७७,७८, ८८,१०६,१५६,१७३, १७५,१७७, १८0, १६६ उ ११२३, १२७, १२८५११८ सेणा ( सेनापति ) प १६।४१ ज २११५;३१६, Page #401 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सेणावइरयण-सेस १०८७ १०,७६ से ७८,८० से ६१,१०६ मे १११, १२८ १२८,१२६.१५१ से १५७,१७०,१७८,१८६, सेयणगसंठित (सेचनकर्म स्थित) गु ४।३ १५८,२०६,२१०,२१६.२१६.२२१,२२२ सेयणय (सेचनक) उ १६६ से १६,१०३,१११, उ ११६२,३।११,१००५१० सेणावइयण (सेना विर) ३५१७८,१८६, सेयता (श्वेततः) सू ४१ १८८,२०६,२१०,२१६२२०.२२६५।१६। सेयबंधुजीवय (श्वेत बन्धुजीवक) प १७।१२८ सेणारयणत (ना ) ५ २०१५८ सेयमाल (श्वेतमाल) ज २१८ सेणादच्च (। त्य) : २।३०,३१,४१,४६ सेयविया (श्वेतविका) प ११६३१६ १४: ; ३1१८५,२०६२२१५११८५०१० सेया (श्वेततः) चं ६ भू ११६११ सेणि (श्रेणि) :- ३.१२,१३,२८,२९,४१,४२,४६, सेयाल (एतकाल) प २८१२२,३४,३६,६८ ५.०,५८,५६,६६,६७,४,७५,१४७,१४८, सेयासोय (श्वेताशोक) प १७१२८ १६८,१६६,१७८,१८६,१८८,२०३.२१६, सेरियय (मैरे क) प ११३८११ २१६,२२१ सेरिया (सेरिका) ज २११०ः४।१६६ सेषिय (णि) ११०,१२,२६१ ३२,३४, सेरुतालवण (सेहतालवन) ज २१६ ३६ ४४,४३ से ४६,५७,५८,६१,३२,६५, सेल (शैल) प २११:१११२५ ६६,६८,७२ ७३,८२,८३,८६ से ६२,६५, सेलसिहर (शैव शिखर) ज २१८८ १६.१०३,१०६ से ११४,१४५,२६५,१७,२२, सेलु (शेलु) प ११३५११ ३१४,२१,२४,८६,१५५,१६८,४६४ सेलेसि (शैलेशी) प ३६१९२ सेण्ण (संख्य) ज ३।१५.२१,३१,३४,७७,७८,६१, सेलेसिपडिवण्णग (शैलेशीप्रतिपन्नक) प १११३६%3 ६५,१५६,१७३,१८५,१६६ २२१८ सेण्हा (श्लदण) १३५।३ सेल्लार (दे० कुन्तकार) प ११६७ भाला बनाने सेत (श्वेत): २४७१३,२१६४ ज ३११२,८८ वाला सेत (थे ) १०१८४४१ सेवणा (सेवना) ५१५१०१११३ सेक्सप्प ( प) १२० सेवाल (शवाल) प १३८१२,११४६,११४८११, सेय (श्वे) १४६१।१६,३८, ३.१८,३१. १६२ ज २०१० ३५,६३,१८२ ; ४१०.८१,११५,१२१ १२५. सेवालभक्खि (शवालभक्षिन) उ ३५० सेस (शेष) ५१।१०११११२१३२,३४,३६ से ४०, ५१ से ५४,५८,६०,६२,३।१८२,५१६४, सेवा ). १६४ १५२,१५४,२०५,२४४,६८१,८३,८४; सेय (य ): ३ १३:३८१ १२२११ १०।१४।६,१२१३८,१३।१५ से १८:१५।१८, उ ११. १४,६६.८६७६,६,१७,११६) १६,३४,७५,८२१७४२३,२५,२७,२६,३४, ३४८,५०,५५.१०६,११८ ३५,२०१८,५६,६०; २२१४५,५५,८०; सेयंकर ( २०१८,२०१८ २३१५६,१५६,१५६,१६३,१६१,१६३,१६६; सेयंस ( 1) ज ७:१४१ २४/८,६; २५।४:२८।२६,३८,८६,७४,१०१, सेपदणीर (बेशकीर १२८ १२३,१४५, ३०।१४:३२६।१:३४१२२ से मेया (सेचनक) १६६.१०२ से ११६.१२७; २४;३५१॥२,३६।३३,६७ से ६६,७१,७३ Page #402 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०८५ सेसय-सोमणस्सिय ज ११४६ ; २१५२,८८,१६१ ; ३.१५०,१५३, १५७,१६१,१८३,४१३७,४१,५३,७०,६३, १०६,१४१,१४७,१५३,१५५,१५६,१६५, १७२,१७७,१८४,१८५,१८७ से १६१,२०३; ५१८,५१,७१३५३१ सू ८।१६।३१०१२५, १५२ से १६१,१११२ से ६:१२११६ से २८; १८२४:१६।२२२२ उ ११४८,२१६,२२; ३।७,४१२२,२८,५११६,४५ सेसय (शेषक) ॥ २३॥१६० सेसवई (शेषरती) ज ५।९।१ सेसिय (ोपित) ज ७।१४६ सेह (दे०) प १७६ सोइंदिय (श्रोत्रन्द्रिय) प १५॥१,२,७,८,११ से १८, ४०१५।५८ से ६७,६६,७०,१३३,१३४; २८७१ उ ३३३३ सोइंदियत्त (श्रोत्रेन्द्रियत्व) प २८१२४;३४.२० सोइंदियपरिणाम (थोत्रेन्द्रियपरिणाम) ५ १३१४ सोंड (शौण्ड) ज ७११७८ सोंडमगर (शौण्डमकर) प ११५६ सोंडा (शुण्डा) उ १६७ सोक्ख (सौरूम) प २१६४।१४,१८.२२ सोक्खुप्पाय (सौख्योत्पाद) सू २०१६।६ सोग (शाक) प २३।३६,७७.१४५ ज २।१५,७०%; ३।१०५ सोगंधिय (सौगन्धिक) १२०१४,११४८१४४ ज ३।१०,४६३,२५,५१५ सोच्चा (श्रुत्वा) ज ३१६ उ ११२१,३।१३; ४।१४:५२२० सोणि (श्रोणि) ज २०१५ सोणिय (शोणित) प ११८४ ज ३१३६ उ १५६, ६१,६२,८४,८६८७ सोणीक (श्रोणिक) ज ३।१०६१ सोत्त (थोत्र) १५७७ सोत्तिय (शौनिक) प ११४६ सोत्तिय (सौत्रिक) प १६६ सोस्थिय (स्वस्तिक) प २।६४ ज २१५; ३।३, ३२,१७८,४।२८,५१३२ सू २०१८,२०६६ सोत्थियसाय (स्वस्तिकशाक) प ११४४।२ सोदामिणी (सौदामिनी) ज ५११२ सोभ (शुभ) सोभति ज ७।१ सोभते ज २११५; ३।२४।३,३७१,४५॥१,१३११३ सोभिमु ज ७।१ सोभिरांति ज ७१ सू १६१ सोति सू १६०१ सोभेमु सू १६१ सोभंत (शोभमान) ज २११५ सोभग्ग (सौभाग्य) ज ५४६८,७० सोभण (शोभन) ज ३।२०६ सोभमाण (शोभमान) ज ३।२४।३,३७४१,४५।१, १०६,१३११३ सोभयंत (शोभमान) ज ७।१७८ सोभा (शोभा) ज १ सोभावेत (शोभयमान) ज ३११७८ सोभिय (शोभित) ज ३।३५,२२१७।१७८ सोभेत (शोभमान) ज ३।१७८ सोम (सोम) ज ४।२०३,७१३०,१८६२ सू २०१८,२०८१२ उ ३।५१,१५१,१५२ सोम (सौम्य) ज २११५ सू २०१४ उ ५१५,२२ सोमंगलक (सौमङ्गलक) ११४६ सोम (काइय) (सोयायिक) ज १।३१ सोमणस (सौमन रा) ज ४।२०३,२०४११,२०५, २०८,२१५।५।४६१३,५५,७११७२ सू १०८६।२ सोमणसवक्खार (सौमनस वक्षस्कार) ज ४।२०५ सोमणसवण (सौमनसवन ) ज ४।२१४,२४०, २४१,२४३ सोमणसा (सौमनस्या) ज ४।१५७।१७१२०६१ सू १०१८८१ सोमणस्सिय (सौमनस्पित, सौमनस्यिक) ज ३१५, ६,८,१५,१६,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१, १०७,११४,१४२,१६५,१७३,१८१,१८६, १६६,२१३,४।२०३:५१२१,२७ उ १२१,४२, ३११२६ Page #403 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सोमदंसण-हंभो १०८६ सोवस्थिय (सौवस्तिक) ज ४।२१०११,५३२ सू २०१८,२०१८६ सोवाण (सोपान) ज ३११६५,२०४ से २०६, २१४ से २१६:४१४,५,२६,२७,८६,११८, १२८,१४४,२४६:५१३०,४१,४२ सोस (शोष) ज २१४३ सोहंत (शोभमान) प २१ सोहग (सौभाग्य) प ३४१२० ज २१६५;३।१८६, सोमदंसण (सौम्यदर्शन) ज २१६८ सोमदेवया (सोमदेवता) सू१०१८३ सोमया (सोमता) ज ३३ सोमरूव (सौम्य रूप) उ ५२२ सोमा (सोमा) उ ३.१२६ से १३१,१३४ से १४४, १४७,१४८,१५० सोमाण (सोवान) ज ५१४१,४२,४४,४५ सोमिल (सोमिल) उ ३।२८ से ३२,३५ से ४५, ४७,४८,५० से ६५,६७ से ८३ सोय (श्रोतस) ज २११३४ सोय (शोक) उ ११२३,९१,९३ सोयमाण (शोचत) ७११६२ सोयविष्णाणावरण (अंत्रविज्ञानावरण) य २३।१३ सोयामणी (सौदामिनी) ज ३१३५ सोयावरण (श्रोत्रावर.पा) प २३११३ सोरिक (सौरिक) प ११६३।२ सोल (पोडश) प १०११४।४ से ६ ज ४.१४२ सोल (षोडशन् ) सू १९३१६ सोलस (पोडशन्) प २।२५ ज १७ मू १११४ उ ३३१२,१२६,५१० सोलसअंगुलजंघाक (पोडशांगुलजङ्घाक) ___ ज ३११०६ सोलसग (षोडशक) प २१२७११,२ सोलसम (घोडश) सू १२११७ मोलसमंडलचारि (पोडशमण्डलचारिन्) सू १३१५ सोलसविह (षोडशविध) प ११।८६,२३।३५ सोला (षोडशन्) सू १९१६ सोल्ल (दे० चक्य) उ ११३४,४०,४६,७४ सोल्लिय (दे० पक्व) उ ३१५० सोवक्कमाउय (सोगमायुष्क) १६११५,११६ सोचिय (सोपचित) ज २१७१ सोवच्छिय (सौवस्तिक) प ११५० मोवणिय (सौवणिक) ज ३११३५,२०६:४११३; सोहम्म (सौधर्म) प १११३५, २६४६ से ५२,५८, ६३,३।२६,१८३,४।२१३ से २२४;६।५६,६५, ८५,६५,१११:१०१२,३,१५१८७;२०१६१; २११६१,७०,६०,२८७५,३०।२६,३४११६, १८ ज ५।१८,२४,२५,४४ उ २।१२,२२, ३।६०,१२०,१५६,१६१:४१५,२४,२८,५१४१ सोहम्मकाप (सौधर्मकल्प) प६।२७ सोहम्मकल्पवइ (सौधर्मकल्पपति) ज ५।२६ सोहम्मकप्पवासि (सौधर्मकल्पवासिन) ज १९० ५।१६,२६,४३ सोहम्मग (सौधर्मज) प २१५०,५१,७८,१५१६, १०८,११२,१२५,२०।४६,३३११६,२४ ज १४६ सोहम्मगकप्पवासि (सौधर्मककल्पवासिन) ५ २१५० सोहम्मवडेंसय (सौधर्मावतंसक) प २१५६ सोहम्मव.सय (सौधर्मावतंसक) प २१५०,५४ ज ५१८ सोहा (शोभा) ज ३१६,२२२ सोहिय (शोभित) ज २२१२ हंत (हन्त) ज २२२४.२७,२६,३४ से ३७,४१,६४, ६६४१२७३,५४६८ से ७०७३६,३७,१०१ हंता (हन्त) ५ ११११,१५१४३:१७।१६६,२०११०, २२,२८३ उ ५५३२ हंदि (दे०) ज ३।२४।११,३१११,५।२७,७२,७३ हंभो (दे०) उ१।११५,११६, ३१५८,६०,३६,७६ Page #404 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६० हंस-हरिकंतदीव हस्थिणिया (हस्तिनिका) प ११०२३ हत्यितावस (हरिततापस) 3 ३१५० हत्थिमुह (हस्तिमुख) प १।८६ हत्थिरयण (हस्तिरल) ज ३।१५,१७,२०,३१,३३, ५४.६३,७१,७७,६१,६२,१४३,१५१,१६६. १७३,१७५,१७७,१७८,१८२,१८३,१८६, १६६,२०२,२०४,२१४,२१७,२२० उ १११२३, हंस (हंस) प १२००४,७६ ज २।१२,१५ उ ५५ हंसगम्भ (हंसगर्भ) ज ५५ हंसलक्खण (हंसलक्षण) ज २१६६ हंसस्सर (हंसस्वर) ज २।१६,५२५२ हक्कार (हाकार) ज २१६० हिक्कार (आ+कारय) हक्कारेंति ज ५१५७ हठ (हृप्ट) ज॥४,१४६;३।५,६,८,१३,१५,१६, २६,३१,४२,५०,५२,५३,५६,६१,६२,६७, ६६,७०,७५,८४,६१,१००,११४,१३७,१४१, १४२,१४८,१५०,१६५.१६६,१७३,१८१, । १८६,१६२,१६६,२०८,२१३,५१५,१५,२१, २३,२७ से २६,४१,५५,५७,७० उ ११२१, ४२,४५,१०८,३।१३,१०१,१०३,११३,१३४, १३६,१४७,१६०४।११,१४,२०:५।१५,३८ हडप्परगाह (हडप्प ग्राह) ज ३।१७८ हद (हठ) प ११४६,११४८.६,१२६२ हणमाण (घ्नत्) ३३१३० हणुगा (हनुका) ज २०१५ हत्थ (हस्त) प २१३०,३१,४१,४६ ज २१६५; ३१६,२४१४,३७४२,४५२,१०६,१३११४,१८६, २०४:५।२१:७/१२८,१२६२१,१३३।२,१३६, १४०,१४६,१६४ सू१०।२ से ६,१६,२३, ४६,६२,७१,७५,८३,१११,१२०,१३१,१३२, १५४१२२४ उ १८८,८६३५१,५६,९८% ४।२१ से २३ हत्थग (हस्तक) ज ४१३०,५१५ हत्थगय (हस्तगत) ज ३१९,२१,३४,८५ से ८७; ५१८ से ११,५७ हस्थसंठिय (हस्तसंस्थित) सू १०॥४६ हत्थि (हस्तिन ) प ११६५; ११:२१ ज २।३५, ६५,३१३१,६८,१६७,१७८,५१५७ उ ११२१, १३१,५११८ हत्थिखंध (हरितस्कन्ध) ज ३।१८,७८,६३,१८०, २१२,२१३ हत्यिणपुर (हस्तिनापुर) उ ३६१७१ हत्थिणाउर (हस्तिनापुर) उ ३७१ हत्थिरयणत्त (हरितरत्नत्व) प २०१५६ हस्थिसोंड (हस्तिशौण्ड) म ११५० हदमाण (हदमान) उ ३।१३० हम्ममाण (हन्यमान) उ १११३० हम्मिय (हर्म्य) ज २१२० हम्मियतलसंटित (हयतलसंस्थित) सू ४१२ हृय (य) प २१३०,४६ ज २।६५,३१३,१५,१७, २१,२२,३१,३४,३६,७७,७८,६१,१०८ से १११,१७३,१७५,१७७,१८५,१८७१६६, २०६,२१८ उ १।१२३,१३८,५११,७,१८ ह्य (हत) ज २१६० से ६२,३।२२१७११८४ उ ११२२,१४०,३११२३,१२६ यकण्ण (ह कर्ण) प ११८६ हयच्छाया (हयच्छाया) प १६१४७ हयपोसण (ह्यपोषण) ज ३३ हयरूवधारि (ह्यरूपधारिन्) ज ७११७८ हयलाला (यलाला) ज ३१२११,५१५८ हयवति (हयपति) ज ३।१२६२ यहेसिय (यहेसिन) ज ३1३१५१५७,७।१७८ हिर (ह) हरेज्जा ज २६ हरओ (हरतस्) ज ४११४० हरडय (हरीतकः) ११॥३५॥२ हरतणुय (हरतनुक) प ११२३,११४८१६ हरि (हरित्) ज ३।३५,४१८४,६०,६२१ सू२०१८,२०१८४ हरिकंत (हरिकान्त) प २१४०१६ हरिकंतदीव (हरिकान्तदी।) ज ४।७६ Page #405 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हरिकंतष्पवायकुंड-हालिद्दय हरिकंतप्पवायकुंड (हरिकान्ताप्रपातकुण्ड) ज ४१७५, हलीमुह (हलीमुख) ज ३।३५ ७६,७७ हलीसागर (हलीसागर) १११५० हरिकंता (हरिकान्ता) ज ४।७३ से ७५,७७,७८, हव (भू) हवाइ प २।४७।२,३६।६४ ८४,९०,२६२,२६८,६१२१ ज ७।१३२१४,१७७१३ सू१६०२रा हवंति हरिकताकूड (हरिकान्ताकूट) ज ४।७६ प ११३८॥३,११४८१५८,५६ ज ७१७८१,२ हरिकूड (हरिकूट) ज ४१६६,२१०।१ चं ३१३ १७३;१२२७११६११, हरिणेगमसि (हरिनगमेपिन ) ज ५१२२,२३,४६ १६२२१८,२१ हवति प ११३७।३,३५।१११ हरितग (हरितक) ११४४।१ ३६।६४ हवेज्ज प २०६४।४ हवेज्जा हरिता (हरितक) ज २१४४,१४५ ५ २।६४११६ हरिमेला (हरिमेल:) ज ३.१७८७।१७८ हव्व (अर्वाच) प ३६८१ उ १२२,७०,८६,१०७, हरिय (हरित) प ११९४१ ज ३१२४ उ ३१५१,५३ १०५,११५ से ११७,११६,१२७,१२८ हरियग (हरितक) उ ३.४६ हव (व्य) ज २१६,२४,३४,३५,३७,३।१०७, हरिया (हरितक) ५११३३११,११४४ ज २१४५, ११४७१२० से २५,७६,८२,२०२,२०४,२०६ सू २१३,२०१७ हरियाल (हरिताल) प ११२०१२,१७:१२७ Vहस (हस्) हसंति ज २१५ जे ३३११ हसंत (हसत) ज ३।१७८ हरियालगुलिया (हरितालगुलिका) प १७११२७ हसमाण (हसत्) उ ३.१३० हरियालभेद (हरितालभेद) प १७६१२७ हसित (हसित) सू २०१७ हरियालिया (हरितालिका) ज ५।१३ हसिय (हसित) प २१४१ ज २१५,३११३८ हरिबास (हरिवषं) '११८७;१६।३०:१७११६४ । हस्स (ह्रस्व) प २०६४।४; १३१२३ ज २१६:४१६२,७७,८१ से ८६,१०२,२६५; हस्सतर (ह्रस्वतर) ज ४१५४ ६१६,२१ हाण (मल्लिनाण) ज ३।१०६ हरिवासकूड (ह िवर्ष कूट) ज ४.७६,६६ हायमाणय (हीयमानक) प ३३१३५ हरिस (हर्ष) प २२० से २७ ज ३१५,६,८,१५, हार (हार) १२१३०,३१,४१,४६,६४ ज ३१६,६, १६,३१,५३,६२,७०,७७,८४,६१,१००,११४, १५,२६,३५,६३,१८०,२११,२२२,४।२३, १४२,१६५,१७३,१८१,१८६,१६६,२१३,५०२१ ३८,६५.७३,६०,६१,५।२१,३८,६७ २७,४१३ ११२१,४२,७१,७२, ३।१३१,५।२२ उ १६६,१०२ से ११७,११६ हरिस्सह (हरिसह) २४०७ ज ४.१६२११,१६५, हारितग (हारितक) ज ३१११६ हारोस (दे० हारोष) प १८६ हरिस्सहकूड (हरिसहकट) ज ४।१६५.२३६ हालाहल (हालाहल) प १५० हलउलेमाण (दे०) उ ३।११४ ।। हालिद्द (हारिद्र) ५२४ से ६१५,७,२०५; हलधरवसण (हलधरसन) प१७१२४ ११३५३;२३.१०२,२५२६,३२,६६ ज ४।२६ हलिहपत्त (हरिद्रापत्र) प ११५१ सू २०१२ हलिद्दा (द्रिा ) प ११४८।२ हालिद्दगुलिया (हारिद्रगुलिका) प १७११२७ हलिद्दी (हरिद्रा) ज ३।११६ हालिहमत्तिया (हारिद्रमृत्तिका) ११६ हलिमच्छ (हलिमत्स्य) प ११५६ हालिद्दय (हारिद्रक) ५ १७१२६ २१० Page #406 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६२ हालिवण्णाभ (हारिद्रवर्णाभ) सू २०१२ हात्ति (हारिद्रसुत्रक) प १७ ११९ हालिद्दा (हरिद्रा ) ११७ १२७ हालिद्दाभेद (हरिद्राभेद ) प १७११२७ हास ( हास ) प २४१, २२४७ ३; १११३४११ ; २३१३६,७६,१४४ ज २२६६,७० हासकार (हासकारक ) ज ३।१७८ हासपिस्सिया (हासनिश्रिता ) प ११।३४ हासरइ ( हासरति ) प २२४७३ हासा (हासा) ज ५।११११ हाहाभूय (हाहाभूत) ज २।१३१,१३६ हिंगुरुक्ख ( हिंगुरूक्ष ) प ११४३१२ हिंगुल ( हिंगुलक ) प १।२०१२ ज ३।११ हिंगुलुग ( हिंगुलुक) ज ३।३५ हिट्टिम (अधस्तन ) प २।२७।१ हिट्ठ (अधस् ) प २२४ से २७ रू १८१२,३; १६२२११७ हिटि (अधस् ) ज ७ १६८१ हिट्ठिल ( अधस्तन ) ज ७ । १७५ हिलिग (अधस्तन ) ज ७।१७५ हिल्लि (अवरतन ) सू १८/७ हितकर ( हितकर ) ज ३१८८ ह्रिदय (हृदय) ज ३|१३८ हिमय (हिमक) १२३ हिमवंत (हिमवत्) ज ११२६, ३१२,३५,४।१७७ ३१ १०,२६,६६, ५1११ हिमकूड (हिमकूट) ज ४।२३६ हिमसीतल (हिमशीतल) सू २०१२ हिप (हित) ज २६४,७१३१८८५।२६ हिसर (हृदयेश्वर) ज ३११२६।३ हियकर ( हितकर ) ज ३ । १६७ ferntra ( हितकारक ) ज ५१५, ४६ हिय (हृदय) ज ३५,६,८,१५,१६,३१,३५, ५३,६२,७०,७७,८४,२१,१००, ११४, १४२, १६५,१७३, १८१,१८५, १६, १८६१६६, २१३:५।२१,२७,४१,५८ गु २०६१ हालिद्दवण्णाभ हु उ १।२१, ४२; ३।१३१ हियगमणिज्ज (हृद गमनीय ) ज २२६४, ३।१८५, २०६३५३५८ हिपल्हाणिज्ज (हृदयप्रह्लादनीय) ज २२६४ ३११८५, २०६५१८ हिययमाला (हृदयमाला) ज २२६५, ३११८६, २०४ हिययसूल ( हृदयशूल ) ज २१४३ हिरण्ण (हिरण्य) ज २१२४,६४,६६,४१२७३; ५।६० से ७० हिरण्णवय (हैरण्यवत ) १८७ हिरण्णवास (हिरण्यवास ) अ ३।१८४३५१५७ हिरण्णविहि (हिरण्यविधि) ज ५५७ हिरि (ही) ज ४६४; ५१११।१ उ ४१२/१ हिरिकूड ( ह्रीकूट ) ज ४ उ हिरिसिरिधकित्तिधारक (ह्रीश्रीश्रीकीर्तिधारक ) ज ३११२६।१ हिरिसिरिपरिवज्जिय ( ह्रीश्रीपरिवजन ) ज ३।२६, ३६,४७,१०७,११४,१२२,१२४,१३३ हिलियमाण (अभिलीयमान ) ज ३।१०६ हिल्लिय (दे० ) प ११५० हीण ( हीन) २२६४ ४, ५५, १०, २०, ३०,३२, १०२. १२६,१३१,१३२,१३४,१६०,१७७, १६३,२१४,२२८ होणपुण्णचाउद्दस ( हीनपुर चातुर्दश) ज ३२६, ३६,४७, १०७, ११४,१२२,१२४,१३३ हीणपुण्णचाउसिय ( हीनपुर : चतुर्दशिक ) १८६, ११५,११६ हीणस्सरता (हीनस्वरता ) प २३२० होनस्तर ( हीनरवर ) ज २११३३ हीर (हीर ) प ११४८।२० से २६ हीरमाण (ह्रियमाण ) ज ७।३१, ३३ सू ४ ४, ७ √ हील (हेलय् ) हीति उ ३।११७ होलिज्माण (हेल्यमान ) ३३१११८ √हु (भू) तिज १ १७,४।१४२११७।१३४।१,४; १७२ १ चं ४३ सु ११८१३,१६१२२२४,५,१५, Page #407 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हुंड-होरभा १०६३ २०,२३,२७,३१ हुंड (हुण्ड) प १५।१८,३०,३५,२११२५ से ३३, ३५ से ३७,५८,५६, २३।४६ हुंबउट (दे०) उ ३१५० हुडुक्क (हुडुक्क) ज ३।२०६ । हुण (हु) हुणड उ ३.५१ हुत (हुत) उ ३।४८,५० हुतवह (हुतवह) ज ३।१०६ हुयवह (हुतवह) ज २१३१ हुहुय (हुहुक) ज २१४ हुहुयंग (हुहुकाङ्ग) ज २१४ हूण (हूण) प ११८६ हेउ (हेतु) प १११०१।५ उ ३६ हेट्ठ (अधम् ) प २।२१ से २३,३० से ३६,४१ से ४३,४६,१२१३२३६१६१ ज ३११८३, ४११३४ हेट्ठा (अधस्) सू १२।३०; १७।१२०१६ हेट्ठिम (अधस्तन) १ २१६२।१; ३३१६ हेटिठमउरिम (अधस्तन उपरितन) प २८1८६ हेटिठमउवरिमगेवेज्जग (अधस्तन उपरितनग्नवयक) प १११३७,४१२७३ से २७५, ७।२२ हेमिग (अधस्तन) ज ७:१३६।१ हेटिठमगेवेज्ज (अधस्तनग्न वेय) प ६३६ हेटिठमगेवेज्जग (अधस्तन वेयक) ५ रा६० से ६२,३।१८३,६५६ हेछिममज्झिम (अधस्तनमध्यम) प ४१२७१; २८1८८ हेठिममज्झिमगेवेज्जग (अधस्तनमध्यम वेय.) ___ ११३७ ; ४१२७०,२७२,७१ हेटिठमहेमि (अधस्तनाधल्तन) प ८१२६८,२६६ हेटिठमहेटिठमगज्जग (अधस्तनाधस्तन बरक) प ११३७,४।२६७,७१२०,२८८७ हेटिठल्ल (अधस्तन) प १६६३४२११९०:३३।१६, १७ ज २११३, ४१२५३,२५४,२५७,७१७४, २५५ सू १८१ हेतु (हेतु) ३०।२५,२६ सू १११४,१६,२१,२४, २७,२।३,४१४,७, ६११ हेम (हेम) प २१५० ज ४१६१:५११८ हेमंत (हमन्त) ज २०७०,८८,७४१६० रा १६३ सू ८।११०१६७ से ७०,१२११४ उ १२५ हेमंती (हेमन्ती) सू १२।२४ से २८ हेमंतीय (हैभन्तीक) स १२१८ हेमजाल (हेमजाल) ज ३१४७ हेमव (हेगवन्) ७.११४११ सू१०।१२४१२ हेमवय (हैमवत) ११८७, १६।३०।१७।१६३ ज ३११७५,४१,४२,५३,५५,५६,५७.६१,६२, ७१,७६,१०२,२३८,२७१६९,२० हेमवयकूड (मतकूट) ४१४८,७६ हेमाभ (हेमाम) उ १।२६,१४० हेरगणवय (हरण्यवत) १६३० ४११०२, २६४।१,२६८,२७१ से २७४,६१६,२० हेरण्णवयकूड (हैरण्य-कूट) ज ४२६६,२७५ हो (भू) हाइ ११४८१५२,१८१ से १०,१२ से ३७,३६,४१ से १.१,५४ से ५६,६१६०, ६२ से ११४,११६,११७,११६,१२०.१२२, १२३,१२५ से १२७११६७।४,८,३१६, ११६४।१४२१२७११२११,१८२१२, १५११२,१७७।१,२ सु १६।२२६६,७,१७,२८, २६;२०१८1८ उ ४।०१ हाई १ १५१०११८ २।२७१ होउ उ ११६३राह हानि ११४७२,११४८१४७,४६,१।७५७, ६१।१२।२७१३,२१४०१८ से ११ २०६४।६; २।२५ ज १११६:४११५.११२,७४११३।१, १७२१ सू१०।१२।२,५,२०८।३,२०१६ उ रा२२ होज । २१०।२८१०६ होज्जा ११६.१०,११,१३,१५,९१,१७११२२२१२३ २४१४,५,८,११,१२,२५१५२६।४,६,६,१०, २७३ हादिप ११४३१२,१।४।२६,५०; २१४०।१,२१६४।६,१०११४१११२।२२११ १८।१०२,१८१५६ ४ ७1१1१७२११, सुहा२११६ हान्था १२:२१६६ चं६ गू११ उ १।१२।४।६।६४।८।४ होतए (तिम्) 3 ८२२ । होत्तिय (हानिक ५११४२११३ ३१५०... होमाण (भवत्) ५ १७१११२,११३ होरंभा (होरम्भा) ज ३।३१ Page #408 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शुध्दि पत्र १४२ १५४ 9 १७४ १६६ १७६ १८० अशुद्ध पण्णवणा संठाओ कोलोभामा परमममुह अभिः गब्भक्कं० बण्णादि देवेहतो सोतोसिणा पडूच्च परिमंडलस्य ओसपप्पि पडुप्पणं वाणमंतरणं एणणं पुविक्क० पुच्छए बधेलग० जस्सस्थि बा ०सरीकाय ०मीससरीर० आहाग. मीसारीर० पुरिस होज्चा ur . x x ० ० ० 91 Wo ० ० ० ० ० ० or or ० ० ० / १८२ संठाणओ कालोभासा परमभसुह आभि० गब्भवक्कं० वण्णादि ० देवेहितो सीतोसिणा पडुच्च परिमंडलस्स ओसप्पि पडुप्पण वाणमंतराणं एणठेणं पुढविक्क० দ্যায় बधेल्लग जस्सत्थि वा सरीरकाय० ० मीसासरीर० आहारग० मीसासरीर० पुरिसे होज्जा २२६ Page #409 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६५ २३१ २३२ २४३ २५६ २५६ २८१ भवेतारूवे पोंडरीय इथिवेदे तिरिक्खजोणिय० गबभवक्क० छवि० जहा २८५ २८६ २६२ २६७ भवेतारुवे पोंडरिय० इत्थवेदे तिरिक्ख० गठभक्क० छहन्वि० जाव पण्णत्ते द सागरोव० सागारोव सरीरा सरीर० समुग्घया ० उवण्णगा जंबुद्दीव पह्मगोरे महावीस्स ३२४ ३४१ ३४१ ३४२ ३४३ सागरोवम सागारोव० सारीरा सारीर. समुग्घाया ०उववण्णगा ३५६ ३५६ ०पम्हगोरे महावीरस्स ३६६ ३७६ ०कुडे मत्तंगाणाणं मणम० वोवाह मत्तंगाणाम मणाम ur"० ०० mmmmmm SY वीवाह ना अंतिम ३६५ ३६६ ४०८ ४१२ ४१३ इणट्टे अज्झावसत्ता दूसमणाम अभिरमाणा निग्घोषणा मिसिमिस खिप्पमेव महाहिम खिप्पमेव ० इंदणी० अणुप्पबाए अटटारस वा इण? अज्झावसित्ता दूसमाणाम अभिरममाणा निग्घोसणा० मिसिमिसे खिप्पामेव महामहिम खिप्पामेव ०इंदणील० अणुप्रवाए अटठारस ४१४ AMRG WWी ४१५ ४२० Page #410 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६६ ४२२ ४२२ ४२३ ४२३ ४२३ ४२३ ४२५ ४३६ ४४२ ४४५ ४८५ ४४५ ४६० ४६३ ४६३ ४६६ ४६८ ५.६८ ५७० ६१५ ६५९ ६६८ ६८६ ६६४ ६६७ ६६७ ७२३ ७२३ ७३४ ७८० ७८१ 102X १७ २१ १० ११ अन्तिम ३७ पा० ४ पा० २ ४ ८ २३ पा० ६ * ६ ε १० १ ८ w 9 vom 9 ७ १२ १३ ५. पा० ५ पं १९ ७ 910 ब्वासिष्णो पोइदिणं उत्सवक पुरंत पव्वयभि० यस्तो हरि० (स) नं ० मपट्टिय तणं सद्धावेत्ता ०पोर्ट ० परिवह० धव ० धण० जंब विष्फद पणताओ सूरपण्णत्त जोयय० मुहुता वावट्टि० समुदं वराभण० ० विताए धुम० उवंगा गर्वगीकरणेणं वणीकरण (क ) ०क० पुडिबुढा पायणं ०पारियास ०वासिणी पीइदाण उस्सुक्कं पूत पव्ययाभि० यत्रो हिरि० ( स ) ० अत्थमंतमेत्त (शावृपा) जं० संपट्टिय तए गं सहावेत्ता पोटं ० फलिह० धूव० धण जंबू विफई पण्णत्ताओ जोयण ० मुहता वावद्वि० समुर्द वराभरण० ० विताए ०धूम सवण्णीकरणं सवंतीकरणेणं (ग) व्यंक परिबहा पावयणं परिया Page #411 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शब्दकोश कमांक स्थल अशुद्ध अंगपरियारिया * अगरुयलहुयपज्जव अट्ठावग्ण * अपज्जुवासणया अप अओज्झ (अंगप्रतिचारिका) अगच्छमाण ज २१६३ (अष्टपञ्चाशत् ) अधम्मस्थिकाय (अपर्युपासन) अप्पा (अल्पा) अप्पिण (आ+स्फोट्य) अिभंग अभंतरपुक्खरद्ध अब्भुक्ख ॥ अष्फोड अउज्झ (अंगपरिचारिका) अगक्छमाण ज २११६३ (अष्टपञ्चाशत) अधमथिकाय (अपर्युपासना) अप्प (अल्प) जवासा अप्पिण (आ+स्फोट्य) अभंग अब्भतरपुरक्खरद्ध अब्भुक्ख अब्भुट्ठ अभिणंद अभिवुड्ढ (आकाश थिग्गल) (आरारकशरीरक) (इच्छामनस) (निर्झरबहुल) (उत्तमपुरु) उत्पन्न (उपदर्शयितुभ) (ओधमेघ) ओलंग कक्खंत्तर (कछभी) अन्भुटु १७. १८, १६. २०. आगासथिग्गल आहारगसरीरय ভূমিকা उज्झरबहुल उत्तमपुरिस अभिणंद अभिवुड्ढ (आकाश थिग्गल') (आहारकशरीरक) (इच्छामनस्) (उज्झरबहुल) (उत्तमपुरुष) उप्पन्न (उपदर्शयितुम्) (ओघमेघ) ओलंब कक्खंतर (कच्छपी) उवदंसित्तए ओघमेघ २४. २६. २७. कच्छभी Page #412 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६८ २८. कलंबुया कल (कल) (कदम्बक) कहिचि कहिय कालहेसि (कालहेसिन्) (कौंम्भिक) (कलम) (कलम्बुका) कहिंचि कहिय ३१. कुंभिक्क Mr mmmmm mr mr r m कुमुदा गरह गवेस गा गाह गिण्ह गुणड्ढ़ चउपएसिय (कौम्भिक) (कुमुदा) गिरह ‘गवेस केगा गाह गिह गुणड्ढ -गेवेज्ज (चतुःप्रदेशिक) चिय चिय चिर इचि चित (क्षुल्लहिमवत्) छज्ज (छायाच्छाया) छिद (छिन्नस्रोतस) छेद गेवज्ज चातु प्रदेशिक चय चय चर ४३ ४४. XK चुल्लहिमवंत चित (चुल्लहिमवत्) छज्ज (छायाछाया) छिद (छिन्नस्रोतस) छायाछाया छिन्नसोय छेद ८ XCCCCC जटियायलय छेय (दे० जटिकायिलक) जा जाणियत्व जोयणसत्तपुहत्तिय (निवऱ्या) (निवृत्त) णिन्वाण (नरयिकासंजयायुष) (त्रपुसीमिजिका) ५६. ६०. णिवुड्ढत्ता णिवत्त (दे० जटिकायलक) जा जाणियव्व जोयणसतपुहत्तिय (निवृध्य) (निवृत्त) णिव्वाय (नेरयिकासंज्ञयायुष्क) (त्रपुसीमज्जिका) नीती जेरइयअसण्णिआउय तउसी मिजिया Page #413 -------------------------------------------------------------------------- ________________ १०६६ ६५. तिंडव (त्वष्टदेवता) (त्वष्ट) ६७. ६८. तंडव तदेवया (त्वष्ट्रदेवता) तठ्ठ (त्वष्ट्र) तित्तीस (प्रयस्त्रिशत्) ज० ४११८ तिरिक्खजोणियअसण्णिआउय (तिर्यगयोनिकासंज्ञयायुष) तिरियाज्य (तिर्यगायुष) दलयित्ता (दत्वा) दाऊण (दत्वा ) ६६. ७०. (तिर्यग्योनिकासंज्ञयायुप्क) (तिर्यगायुष्क) (दत्त्वा ) (दत्त्वा ) दु? ७३. ७४, ७५. दुरभि दुहट्ट देवअसण्णिाज्य पंचसतर पच्चोसक्कित्ता पडि सेहित्तए ७८. ८०. u r 9 9 9 9 9 9 9 9 9 90155555550 0 0 0 0 0 0 0 0 ८ पल्हायणिज्ज (दुरभि) (दुधाट्ट) (देवासंघ्यायुष्) पञ्जसप्तति प्रत्यवकष्क्य प्रतिषेध्दु (पद्म) २५१ परिणित्वा परियाण परिवय परिहा (प्रहृलदनीय) पिट्ठीय पुक्खलाई (पुष्पपटलक) पुस्वरत्त पूजित 'पेहण' मञ्जिका प्रौष्टपदी प्रोष्ठपदी प १३.१ से ३१ प१४१४७ ज० ३३६५५६ (भवोवपघातगति) प३२१२,........१०८ ज ५७ iਚਰਚn tia} (दुर्घट्ट) (देवासंघ्यायुष्क) पञ्चसप्तति प्रत्यवष्वक्य प्रतिषेद्धम् (पद्म) ४।२५१ परिणिव्वा परियाण पिरिचय अपरिहा (प्रहृलादनीय) पिट्टि पुक्खलावई (पुष्पपटलक) पुत्ररत्त पूजित पेहुणमज्जिका प्रोष्ठपदी प्रोष्ठपदी प १३।१ से १३,२१ से ३१ प०११४८४१ ज० ३१३,६,५५५ (भवोक्पपातगति) प ३३१२,१०८ जा५७ पुप्फपडलग पूइय पेहुणमिजिया पोट्ठवई पोवती १५. भणित भत्तिचित्त भवोववायगति भासम भूमिचवेउ मंहलवता ६७. Page #414 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ११०० १०१. १०२. १०३. १०४. १०५. माणवग मालवंतपरियाय मेहुणसण्णा रयण (वासा) रयणिय रिसह लोम ० १०७. १०८. वरदामतित्थाधिपति ० (माणवक) (माल्यवत्पर्याय) मथुन संज्ञा (रत्नवर्षा) (रन्निक) (वृपभ) (लोमन) वरगंधघर (वरदामतीर्थधिपति) वालिघाण कपिथ्य (संवृत्त) सगोत सत्तण उत्ति सम्माणियदोहद सय (सिलीन्ध्र) (सुदर्लभ) स्यपुच्छ सुसमससमा बालुंक संवत्त ११०. १११. ११२. ११३. ११४. ११५. ११६. ११७. ११८. ११६. (मानवक) (माल्यवत्पर्याय) मैथुन संज्ञा (रत्नवर्षा) (रलिक) (वृषभ) (लोमन्) वरगंधधर (वरदामतीर्थाधिपति) वालिधाम कपित्थ (संवर्त) सगोत्त सत्तणउति सम्माणियदोहल सिय (सिलीन्ध्र) (सुदुर्लभ) सुयपुच्छ सुसमसुसमा अट्टरूसग (अटरूषक) प२३७४४ एरावा (ऐरावत) प ११३७६४ प११४८1५० सिलिंध सुदुल्लह १२१ केहण णल (नड) १० ११४१।१ पोवलइ (दे०)" १९४८१३ वेणु (वेणु) प १४१४६ Page #415 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Fon Private & Personal use only