SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 209
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गुत्तिदिय-गोयम ८९५ गुत्तिदिय (गुप्तेन्द्रिय) ज २१६८ उ ३६६ गुमगुमंत (गुमगुमायमान) ज २।१२ गुम्म (गुल्म) प ११३३।११।३८१३,११४८१६१ ज २।१०,१२,१३१,१४४ मे १४६,३।२२१; ४।१६६ उ ५५ गुम्मबहुल (गुल्मबहुल) ज ११८ गुरु (गुरु) प १११११ २११३३ गुरुजण (गुरुजन) उ १७२ गुरुजणग (गुरुजनक) उ १८८,६२ गुल (गुड) प १७।१३५ ज २०१७ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज २१६५,३।३१; ५१५७ गुलिया (गुलिका) प २१३१ ज ७१७८ गुलगुलाइय (गुलगुलायित) ज ७।१३८ गुहा (गुफा) ज १।२४,३।३२ गूढदंत (गूढदन्त ) प १८६ गूढछिराग (गूढशिराक) प ११४८१३६ गण्ह (ग्रह ) गेण्हइ प १११७१ ज २१११३; ३१२६,३६,४७,५६,६४,७२,१३३,१३८, १४५,५।५५ उ ३।५१ गेहंति प ११८१ २८१२२ से २४,३४ से ३६,३६,४०,४२,४५, ६८,६६,७१,३४।६ ज २।११३,५१५५ गेण्हति प १११४७ से ७०,८०,८१,८३,८५ सू २०१२ गेण्हमाण (गह णत) सू २०१२ गेण्हित्ता (गृहीत्वा) ३१२६,३६ उ ३१५१ गेय (गेय) ज ५१५७ गेरुय (गरिक) प ११२०१४ गेविज्ज (वेय) उ ११३८ गविज्जग (वेयक) ज ३१६,३६,२२२ गेविज्जविमाण (ग्रेवेयकविमान) 3 ५।४१ गेवज्ज (ग्रेवेय) प २१४६,६३,३४।१६,१८ ज ३१७७,१०७.१२४,७११७८ गेवेज्जग (वेयक) ११३६,१३७२।४६,६० से ६२,६।६६,९८,१५।८८,६१,६६,१०४,१०८, ११२,११५,११६,१२२,१२५,१२७,१२६, १३६२११५५,६२,७१,९३,३३१२५ गेवेज्जगविमाण (वेयकविमान) पश६०, ३०१२६ गेह (गेह) ज ६६ र ४।२,३ गेहावण (गेहायतन') ज २१२१ गेहावणसंठित (गेहापणसंस्थित) सू ४।२ गो (गो) ज ३११०३ गोकण्ण (गोकर्ण) प ११६४,८६ ज २१३५ गोक्खीर (गोक्षीर) प २०६४ गोखीर (गोक्षीर) १ २।३१ ज ४११२५:५१६२; ७।१७८ गोजलोय (गोजलौका) प१४६ गोड (गोड) प १८६ गोण (गौण) प ११६४,११११६ से २० ज २१३५ गोणस (गोनस) प १७१ गोतम (गौतम) प ३६।१२,८१ च ११४ गोत्त (मोत्र) प ३६३६२ ज ११५,७१२७११, १३२।४,१६७१ च ५।३,१० सू १६५६१४; १०६२ से ११६; १९४२२१३ गोत्तफुसिया (गोत्रस्पर्शिका) प ११४०१५ मोध (गोध) प ११८६ गोधूम (गोधूम) प ११४५।१ गोपुच्छ (गोपुच्छ) ज १:१८,३५,५१:२।१५; ४१४५,११०,२१३, २४२ गोपुर (गोपुर) ज २२० सू ४।२ गोमयकीडग (गोमयकीटक) प ११५१ गोमाणसिया (दे०) ज ४११३० मोमुह (गोमुख) प १८६ गोमेज्जय (गोमेदक) प १५२०१३ गोम्ही (दे०) प ११५० गोय (गोत्र) ५ २२१२८,२३.१,२,५७,२४११५; २६।११:२७१५,३६१५२ ज ३१२२५ उ १११७ , गोयम (गौतम) प ११७४,८४,२११ से ३६,४१ से १.गेहेषु आपतनानि वा उपभोगार्थमागमनानि । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003575
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Nirayavaliao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages415
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nirayavalika
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy