SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 219
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चित्त-चुलसीइ ४२,१०८, ३११३६,५१२० चिलाइ (किराती) ज ३१११११ चित्त (चित्र) प १२१२३२१३०,३१,४१,४८,५० चिलाइया (किरातिका) ज ३१८७ ज ३१२४१३,३७१,४५३१,७६,११६,१२४, चिलाय (किरात) ज ३११०३ से १०५,१०७, १३१॥३,१४५,१७८,७११७८ ११५,१२५ से १२७ चित्त (चैत्र) सू १०.१२४ चिलायविसयवासि (किरातविषयवासिन) चित्तंतरलेस (चित्रान्तरलेश्य) ज ७/५८ सू १६२६ प१८६ चित्तंतरलेस्साग (चित्रान्तरलेश्याक) चिल्लम (दे०) प २१४१ सू १६२२३० चिल्लल (दे०) प १३८६; २।४,१३,१६ से १९,२८ चित्तकणगा (चित्रकनका) ज ५३१२ चिल्ललग (दे०) प ११॥२२ चित्तकूड (चित्रकूट) ज ४११६६,१६६,१७२,१७३, चिल्ललय (दे०) प ११।२१,२४ १७६,१७८ से १८१,१८५,१६१,१६७,२००, चिल्ललिया (दे०) प १११२३ २०६,२०७,६६१० चिल्लाय (किरात) प १८६ चित्तग (चित्रक) प ११६६ चिल्लियतल (दे०) सू २०७ देदीप्यमान तल चित्तगुत्ता (चित्रगुप्ता) ज ५।६।१ चीण (चीन) १८६ चित्तपक्ख (चित्रपक्ष) प ११५१ चीणपिठरासि (चीनषिष्ट राशि) ५१७११२६ चित्तगहुल (चित्रकबहुल) ज २।६४ चीवरघारि (चीवरधारिन् ) ज श६६ चित्तय (चित्रक) प ११।२१ चुचुण (चुञ्चुण) प १।६४।१ चित्तलंगमंग (चित्रलाङ्गाङ्ग) ज २११३३ चुचुय (चुञ्चुक) प ८६ चित्तलग (चित्रलक) प ११६६ ज २११३६ चुच्चु (दे०) प १३७।२ चित्तलि (चित्रल,चित्रलिन् ) प १७१ चुण्ण (चूर्ण) प ११४८।३८ ज २१६५, ३।११,१२, चित्तविचितकूड (चित्रविचित्रकूट) ज ४१६४ ८८ सू २०१७ चित्ता (चित्रा) ज ५१२,७४१२८,१२६,१३६, चुण्णग (चूर्णक) उ ३।११४ १४०,१४६,१६४,१६५ सू१०१२ से ६,१६, चुण्णवास (चूर्णवास) ज ५१५७ २३,४७,६२,७१,७२,७५,८३,११२,१२०, चुण्णविहि (चूर्गविधि) ज ५१५७ १३१ से १३३,१५४,१२१३० चुण्णिया (चूणिका) प १११७६ ज ७।२१,२५,६५, चित्तामूलय (चित्तामूलक) प १७६१३१ ६८,६६,७१,७२,७४ सू २।३,१०११५२ से चितार (चित्रकार) प १९९७ १६०,१६२,१६३,१११२ से ६,१२१७,८,१६ चित्तिया (चित्रिका) प १११२३ से २८ चिय (चित) प २३।१३ से २३ ज ३१२१७ चष्णियाभाग (चणिकाभाग) ज ७.२१,६६,७४,७५ चिय (एक) सू १०।१३६ चणियाभाय (चूर्णिकाभाग) ज ७२५,६५,६८, चियगा (चितका) ज २।९५,९६,१०३,१०४,११४ ७१,७२,७५,७७,७८ चियत्तदेह (क्तदेह) ज २१६७ चुणियाभेद (चूपिकाभेद) प १११७६,७६ चिर (चिरम् ) ज ३।१२६६१,२ चण्णियामेय (चूणिकाभेद) प १११७३,७६ चिरंजीव (चिरंजीव) ज ३।१२६ चुय (च्युत) ज २१८५७१५६,५६ चिराईय (चिरातीत) चं ७ उ ५७ चुलसीइ (चतुरशीति) १२१३४ ज २०७४ च ४।२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003575
Book TitleAgam 19 Upang 08 Niryavalika Sutra Nirayavaliao Terapanth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages415
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_nirayavalika
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy