Book Title: Yuvayogi Jambukumar Diwakar Chitrakatha 015
Author(s): Rajendramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 3
________________ युवायोगी जम्बूकुमार मगध की राजधानी राजगृह में ऋषभदत्त नाम का एक धनाढ्य और सम्मानित व्यापारी रहता था। उसकी सेठानी धारिणीदेवी बड़ी शीलवती और सेवा परायण थी। सेठ ऋषभदत्त के घर में सोने-चाँदी के अम्बार लगे थे। किन्तु जैसे चाँद के बिना तारों से झिलमिलाता आसमान भी सूना लगता है, वैसे ही पुत्र के बिना सेठानी धारिणी का आंगन सूना-सूना सा था। एक दिन सेठ आरामशाला में बैठे सेठानी से कह रहे थे SOLAN धारिणीदेवी, अवश्य ही हमारे पूर्व-जन्म के पुण्यों में कुछ कमी है। जिससे सब कुछ होते हुए भी तुम्हारी गोद अभी तक खाली है। TAGS SODEMAL साय 195 सेठानी ने उदासी छुपाते हुए कहा स्वामी, जो नहीं है, उसकी चिन्ता करके अपना मन दुःखी मत करो.. भाग्य में पुत्र का मुँह देखना लिखा है, तो कभी न कभी आशा जरूर फलेगी.. TILIT र000 PLAY PROGROCEDOS ROO HURINA ARKA BCAA Jain Education International For Private & Personal Use Only relibrary.org

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