Book Title: Yuvayogi Jambukumar Diwakar Chitrakatha 015 Author(s): Rajendramuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 28
________________ युवायोगी जम्बूकुमार प्यास के मारे वह इधर-उधर पानी की तलाश उसने स्वप्न देखा, कि वह प्यास से पीड़ित करता हुआ एक विशाल वृक्ष के नीचे पहुँच हुआ कुओं, बावड़ी तालाब आदि पर घूमगया। घूमकर पानी पी रहा है। ANA Mosjay 1940 कितनी शान्ति महसूस हो रही है। ठण्डी हवा और शीतल छाया के कारण उसे नींद की झपकी लग गई। समूचा पानी पी लेने पर भी प्यास नहीं बुझ रही है। तभी नींद खुली, तो वह एक बावड़ी के भीतर उतरकर अंजुली में पानी भरने की कोशिश करने लगता। परन्तु बावड़ी में पानी की जगह कीचड़ था। कीचड़ उसके हाथों पर लग गया। कहानी सुनाकर जम्बूकुमार ने पम श्री की तरफ देखा बताओ; कुएं और तालाब के पानी से भी जिसकी प्यास नहीं बुझी हो। क्या कीचड़ से उसकी प्यास बुझ सकती है? Mahar MA नहीं ! यह सम्भव ही नहीं है। क ) वह जीभ से उसी कीचड़ को चाट कर प्यास बुझाने की चेष्टा करता रहा... 26 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.ialPage Navigation
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