Book Title: Yuvayogi Jambukumar Diwakar Chitrakatha 015 Author(s): Rajendramuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 34
________________ पत्नी ii: ॐ विशेष ज्ञातव्य जम्बूकुमार का जीव पूर्व भव में विद्युन्माली नामक समृद्धिशाली देव था। भगवान महावीर के निर्वाण से १६ वर्ष पूर्व उसने राजगृह में भगवान की वन्दना की। तब सम्राट श्रेणिक के प्रश्न के उत्तर में भगवान ने बताया-यह देव आज से 6वें दिन स्वर्ग से च्यवकर श्रेष्ठी ऋषभदत्त की धारिणीदेवी की कुक्षि से पुत्र रूप में उत्पन्न होगा। जम्बूकुमार नाम से यह प्रसिद्ध होगा। भरत क्षेत्र में अन्तिम केवली होगा। इस घटना से तथा आचार्य हेमचन्द्र आदि के कथनानुसार भगवान महावीर के निर्वाण के १६ वर्ष पूर्व जम्बूकुमार का जन्म हुआ! तथा निर्वाण के कुछ ही दिनों बाद आर्य सुधर्मा के पास १६ वर्ष की | आयु में दीक्षा ग्रहण की। जम्बूकुमार की आठ पत्नियाँ व उनके माता-पिता के नाम इस प्रकार है पिता माता समुद्रश्री समुद्रप्रिय पभावती पम श्री . समुद्रदत्त कमलमाला पभसेना सागरदत्त विजयश्री कनक सेना कुबेरदत्त जयश्री जयसेना कुबेरसेन कमलावती कनकश्री श्रमणदत्त सुषेणा कनकवती वसुषेण वीरमती - जयश्री वसुपालित जयसेना जम्बूकुमार सहित दीक्षित होने वाले व्यक्तियों के नाम१ जम्बूकुमार ५०० प्रभव और साथी ८ पत्नियाँ १६ पत्नियों के माता-पिता र जम्बूकुमार के माता-पिता _= ५२७ कुल • दिगम्बर परम्परा के ग्रन्थों में प्रभव के स्थान पर विधुच्चोर का नाम उल्लेख है। आर्य जम्बू स्वामी का समयजन्म : वीर निर्वाण के १६ वर्ष पूर्व दीक्षा : वीर निर्वाण के प्रथम वर्ष आचार्यपद: वीर निर्वाण संवत् २०वीं की समाप्ति पर केवलज्ञान : वीर निर्वाण के २० वर्ष बाद (आर्य सुधर्मा के निर्वाण पश्चात) निर्वाण : वीर निर्वाण के ६४ वर्ष पश्चात् ४६२ ईस्वी पूर्व (८0 वर्ष की आयु में) जम्बू स्वामी के निर्वाण के साथ ही 90 विशिष्ट आध्यात्मिक शक्तियों का विच्छेद हुआ। 9. मनःपर्यव ज्ञान २. परमावधि ज्ञान . ३. पुलाक लब्धि ४. आहारक शरीर ५. क्षपक श्रेणी ६. उपशम श्रेणी जिनकल्प ८. तीन प्रकार के विशिष्ट चारित्र ९. केवल ज्ञान 90. मुक्ति मगन (32) For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.orgPage Navigation
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