Book Title: Yuvayogi Jambukumar Diwakar Chitrakatha 015 Author(s): Rajendramuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 14
________________ युवायोगी जम्बूकुमार जम्बूकुमार आठों पत्नियों के साथ उस भवन के मध्य बने विशाल कक्ष में पहुँचे। कक्ष के बीच में सुन्दर कला-कृतियों वाला एक भव्य सिंहासन रखा था तथा उसके दायें बायें अर्ध गोलाकार में आठ सिंहासन लगे हुए थे। जम्बूकुमार बीच के सिंहासन पर बैठते हुए बोले देवियों ! आप भी बैठिये ! आज की रात हमारे जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण रात है, क्यों है न? Company Jain Education International देवियों ! आपने यह तो ठीक कहा कि आज की रात हमारे जीवन की सबसे महत्त्वपूर्ण रात है, परन्तु क्यों है ....? THOKOYE आठों रमणियाँ जम्बूकुमार को घेर कर बैठ गईं। जम्बूकुमार बहुत ही शान्त तथा निर्विकार भाव से प्रसन्न दीख रहे थे। पत्नियों को सम्बोधित करते हुए बोले पति पत्नी परस्पर स्नेह एवं विश्वास के सूत्र में बँधते हैं.... इसलिए... हाँ, स्वामी, आप सत्य कह रहे हैं 000000 स्वामी, दाम्पत्य जीवन की यह मिलन रात्रि नारी के लिए अविस्मरणीय) ...होती है..... 12 For Private & Personal Use Only SMYYY Ga सभी रमणियाँ लजाती, हँसती जम्बू कुमार की तरफ देखने लगी। www.jainelibrary.orgPage Navigation
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