Book Title: Yuvayogi Jambukumar Diwakar Chitrakatha 015 Author(s): Rajendramuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 17
________________ युवायोगी जम्बूकुमार 500000000000000000000000000 जम्बूकुमार का पत्नियों के साथ यह वार्तालाप चल रहा था। उस समय महल के नीचे के सभी कक्ष बन्द हो चुके थे। नौकर-चाकर भी सो चुके थे। इसी प्रकार मैंने भी गणधर सुधर्मा स्वामी का उपदेश सुनकर यह मान लिया है कि संसारविषयभोग में लिप्त होने वाला प्राणी पापकर्म करके नरक आदि दुर्गति में घोर कष्ट पाता है। मैं जानबूझ कर इस दल-दल में क्यों फँसू? namnnar YEAR उन दिनों मगध में प्रभव नाम के तस्कर सम्राट का भारी आतंक छाया हुआ था। पहाड़ियों के बीच उसके गुप्त अड्डे थे। एक दिन गुप्तचरों ने प्रभव को सूचना दी सरदार ! राजगृह के सबसे धनाढ्य सेठ ऋषभदत्त के इकलौते पुत्र जम्बू का आज आठ बड़े सेठियों की आठ कन्याओं के साथ विवाह होगा, सुना है।९९ करोड़ का दहेज आने वाला है। वाह, हमारे भी वारे न्यारे हो जायेंगे। Aaon WANA प्रभव ने सभी को तैयार होने का आदेश दिया। 15 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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