Book Title: Yuvayogi Jambukumar Diwakar Chitrakatha 015 Author(s): Rajendramuni, Shreechand Surana Publisher: Diwakar PrakashanPage 18
________________ युवायोगी जम्बूकुमार रात का अन्धकार गहराने पर एक साथ ५०० चोरों ने सेठ ऋषभदत्त के भवन पर धावा बोल दिया। चोरों के सरदार प्रभव ने अवस्वापिनी विद्या का प्रयोग किया, भवन में पहरेदार आदि जो व्यक्ति जाग रहे थे सभी गहरी नींद में सो गये। फिर हाथ उठाकर तालोद्घाटिनी विद्या का प्रयोग किया अरे ! वाह यहाँ तो हीरे-मोती जवाहरात अन की तरह बिखरे पड़े हैं। Jain Education International EXE xxxxxxxxx 23 सभी बंद ताले तड़ातड़ खुल गये। देखा, सोने की मोहरों के ढेर लगे हुए हैं। बको मत, चुपचाप गठरियाँ बाँधों... 16 For Private & Personal Use Only ५०० चोर दहेज में आये धन की गठरियाँ बाँधने में जुट गये। www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38