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युवायोगी जम्बूकुमार
रात का अन्धकार गहराने पर एक साथ ५०० चोरों ने सेठ ऋषभदत्त के भवन पर धावा बोल दिया। चोरों के सरदार प्रभव ने अवस्वापिनी विद्या का प्रयोग किया, भवन में पहरेदार आदि जो व्यक्ति जाग रहे थे सभी गहरी नींद में सो गये। फिर हाथ उठाकर तालोद्घाटिनी विद्या का प्रयोग किया
अरे ! वाह यहाँ तो हीरे-मोती जवाहरात अन की तरह बिखरे पड़े हैं।
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सभी बंद ताले तड़ातड़ खुल गये।
देखा, सोने की मोहरों के ढेर लगे
हुए
हैं।
बको मत, चुपचाप गठरियाँ बाँधों...
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५०० चोर दहेज में आये धन की गठरियाँ बाँधने में जुट गये।
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