Book Title: Yuvayogi Jambukumar Diwakar Chitrakatha 015
Author(s): Rajendramuni, Shreechand Surana
Publisher: Diwakar Prakashan

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Page 23
________________ युवायोगी मम्बूकुमार मम्बूकुमार वापस महलों में आ गये और पत्नियों से बातचीत करने बैठ गये। पमश्री नाम की दूसरी पत्नी ने कहा जम्बूकुमार हँसकर बोल।। वानर को कैसे पछताना पड़ा? बताओ तो सही! प्राणनाथ ! आपको इस जन्म में सब सुख सुविधाएँ मिली हैं। इन्हें यूँ ही छोड़कर अगले जन्म के सुखों के लिए लालायित हो रहे हैं.... कहीं उस वानर की तरह आपको भी हाथ मल-मल कर पछताना न पड़ें...? ADIVOD mmoG पम्मश्री ने कहानी सुनाते हुए कहा-किसी जंगल में एक इच्छापूरण द्रह (सरोवर) था उसके किनारे पर एक बड़ा वृक्ष था जिस पर कोई बन्दर बन्दरिया बैठे थे। बन्दर ने एक डाली से दूसरी डाली पर छलाँग लगाई... WWW M 21 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International

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