Book Title: Vruddhi Ratnamala Author(s): Vruddhiratnamuni Publisher: Keshrisinhji Saheb View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४ ) मोहे || प्रभु शांति जिणंद सुखदाई निरखंतां पाति क जाई ॥ ९ ॥ संखवाल गोत्र मेंरा जे खेतो वीदो संघवी छाजे ॥ थाप्याजिनबिंब रसाल आठ सोने चार विशाल ॥ १० ॥ गणि सत्य विनय गुरुराया मुनिअगरचंद मन जाया ॥ एतो वृद्धिचंद गुण गावे कर जोमी शीशनुमा ॥ ११ ॥ ॥ ढाल तीसरी ॥ || देशी गणगोरकी ॥ संजव जिनवर सेवी ये जिनबिंब छसो चारदेलो ॥ चवदेसे सतियासीये एतो करी प्रतिष्टा सारदेलो ( संज० ) || १ || श्री जिन नद्रसूरिश्वरू जिनथाप्योज्ञान जंडारहेलो || पांचेसाने परचोदीयो जिएली धोलक्ष्मीनो लावो हेलो (संज० ) ||२|| शीतल जिन बंदोसदा मूल नायक शांति विराजे देखो । संकट दरण संकटदनवमापार्श्वबाजे हे लो ॥ शीतल ०|| ३ || पंदरेने यावे समे बिंबथाप्या चारसोती सहेलो ॥ मागा गोत्र में दीपता सा लुंग मुंणने धन्न हेलो ॥ शीतल ०॥४॥ वीसविदमानवंदिये तीनपाट नंदी श्वरराजे हेलो | सिद्धगिरि पाटसुदामणो तेने बंदू वे कर जोमी हेलो || विस०॥२॥ पार्श्व प्रभु प्रणमुंसदा एतो For Private and Personal Use OnlyPage Navigation
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