Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb
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(४२ ) गुरुवर श्री जिनदत्त दयालके, गुणमहिमा समुन जहाज। जिन०॥३॥ जीयोके गुरुवर जिनचं सरि प्रताप सो लिटवट परमणीप्रकाश ॥ जिना० ॥३॥ जीयो० गुरुवर दिल्लीमाणकचोकमे, नितसबकीपूरतश्रास ॥ जिनाचा॥॥ जीयो गुरुवर स्थान करायो बादशाह, जहां पूजे छतीसो पान॥ जिनश्राचा ॥६॥ जीयो गुरुवर जितोश्चमापो चढरयो, सबलेरड्मुसलमान। जिनयाचा ॥॥ जीयो गुरुवर श्रीजिनकुशल कृपालको समरो सब वारं वार ॥ जिन. || जीयो गुरुवरचोथा श्रीजिन चंजसूरि सम फिर न भये अवतार ॥ जिन ॥णा जीयो गुरुवर प्रवल पूजावतपादका नक्तन- की सुणत पुकार ॥ जिनाचा० ॥१॥ जीयो गुरुवर ज्ञान नंमारकरा. वियो वृद्धिचंदजी यती मुनिराज ॥ जिनाचा. ॥१९॥ जियो गुरुवर अहाईमहोत्सव याद रयो शुजझान भक्ति के काज ॥ जिनाचा० ॥१॥ जियो गुरुवर गुरांसा उपदेश देकरप्रथम उचारी वात ॥ जिनाचा० ॥ १३ ॥ जियो गुरवरशुद्ध चित्त बोल्याचोधरी, जबकलम शिरेमलहाथ ॥ जिन. ॥१४॥ जियो गुरुवर श्रीसंघ सामिल प्रेरणाकर टीपणीयांक जराय। जिनाचा० ॥१५॥ जियो
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