Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb
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( ४३ ) गुरुवरयुग अषाढवद अष्टमी रवीपूजा शुरुकराय॥ जिनाचा० ॥१६॥ जियो गुरुवर धुर पूजा पंच ज्ञानकी नक्ती हितकर रिख वेस । जिनाचा० ॥१७॥ जियो गुरुवर पुजी नवपद नाथकी, सिद्धाचल तृतीय विशेष ॥ जिनाचा ॥१॥ जियो गुरुवर चोथीबाबू राजकी,फिर सहस्र कूट आनंद ।। जिनश्राचा० ॥१॥ गुरुवर ही शिखरजी उपरे वीसांगएमोजिणंद ॥ जिनाचा० ॥२० ॥ गुरुवर सतरजेदकी सातमें अरुपंच प्रमेष्टी था। जिनाचा० ॥२१॥ गुरुवर दादाजीको देखियो नवमे दिन फुगणोठाह॥जिनाचा ॥२२॥ गुरुवर दिनपूजा निशि नावना, नविक मन अधिक उमंग। जिनाचा० ॥ २३॥ गुरुवररवरतरगच्छउपासर, गोमीपावरटतश्रीसंघ ॥ जिनाचा ॥२॥ गुरुवरतेजकवि कथतान नितको गाय लगावतरंग । जिनाचा ॥२५॥ इति पदं संपूर्णम् ॥ ॥ देशीनारनोलके ख्यालकी ॥
खूपत्र पुरकल्पवृक्ष आलोचढ्यो, सबके मन जायोजी ॥ खूव पुरकल्पवृक्षाछोचढ्यो ॥ टेक॥ इंदोर सेतीवणकरायो । खूऽवपुरके मांय । मारा प्रजुजी खूद्रवपुर के मांय । पांच सहस्र
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