Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb

View full book text
Previous | Next

Page 45
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ४३ ) गुरुवरयुग अषाढवद अष्टमी रवीपूजा शुरुकराय॥ जिनाचा० ॥१६॥ जियो गुरुवर धुर पूजा पंच ज्ञानकी नक्ती हितकर रिख वेस । जिनाचा० ॥१७॥ जियो गुरुवर पुजी नवपद नाथकी, सिद्धाचल तृतीय विशेष ॥ जिनाचा ॥१॥ जियो गुरुवर चोथीबाबू राजकी,फिर सहस्र कूट आनंद ।। जिनश्राचा० ॥१॥ गुरुवर ही शिखरजी उपरे वीसांगएमोजिणंद ॥ जिनाचा० ॥२० ॥ गुरुवर सतरजेदकी सातमें अरुपंच प्रमेष्टी था। जिनाचा० ॥२१॥ गुरुवर दादाजीको देखियो नवमे दिन फुगणोठाह॥जिनाचा ॥२२॥ गुरुवर दिनपूजा निशि नावना, नविक मन अधिक उमंग। जिनाचा० ॥ २३॥ गुरुवररवरतरगच्छउपासर, गोमीपावरटतश्रीसंघ ॥ जिनाचा ॥२॥ गुरुवरतेजकवि कथतान नितको गाय लगावतरंग । जिनाचा ॥२५॥ इति पदं संपूर्णम् ॥ ॥ देशीनारनोलके ख्यालकी ॥ खूपत्र पुरकल्पवृक्ष आलोचढ्यो, सबके मन जायोजी ॥ खूव पुरकल्पवृक्षाछोचढ्यो ॥ टेक॥ इंदोर सेतीवणकरायो । खूऽवपुरके मांय । मारा प्रजुजी खूद्रवपुर के मांय । पांच सहस्र For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52