Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb
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(१६)
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में सहीयां हरख वधावो नेमकुंवर श्रवासीहेलो॥ इति पदं सम्पूर्णम् ॥ ॥ देशी गोपीचंद रे ख्यालरी ॥
अजितजिणंदा मोरी अरजसुणि जो पुरोमनमारी आसहेलो ॥अजि० ॥१॥आपवसो प्रजुमोक्ष नगरमें।में श्णजरत मकारहलो॥अजि० ॥२॥ काल अनंत रोएकंजी तरु साधारण पामीहेलो॥अजित ॥३॥ सुरनर तिरिवली नरकतणीगत । पाभीढुंपण हारयोहेलो ॥ अजितः ॥३॥ तुसमरथेप्रजुसुरतरुसरिखो। जिणसुतुऊनेजाच्योहेलो ॥ अजित० ॥५॥ वृद्धिचंद करेअनुविनती दीजो सुखनोवासहेलो ॥ अजित जिणदामोरी अरजसुणीजो। पुरोमनमारी थासहेलो ॥६॥ इति पदम संपूर्णम् ॥
॥ देशी फुलमनी रे गीतरी॥ श्रीजिनभेटिये जीहोके नविजनभेटो चित लगायके ज्युं सरसी सघला काज॥श्रीजिन ॥ नवि० मामदेशके मध्यमें एतोजेशलमेरु सुथान ॥श्रीजिन॥ ॥१॥ नवि० संघवीसेठ बहुफणा शुज पटवादेशे प्र. सिझ॥श्रीजिना जवि रतनपुरी रलीयामणीएतो
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