Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatith.org
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(२९) समकित सुरमो मारे नयन में, सारयो देवजिनंदनारे॥दे ॥३॥ एसे सदगुरु सहायकरो मेरे, बाहमदेविके नंदनारे॥ ॥॥श्री सदगुरुके चरण कमल में, रामकी होजो नित्यवंदनारे ॥दे० ॥५॥ इति पदं संपूर्णम् ॥ ॥ राग जंगला ताल केरवा ॥
गुरु चरणपे चामो माला फूलकीजी। गुरुके गुंहली करोनी तंदूलकीजी । श्रावे नर नारी के साथ । पुजे जोमी दोन हाथ ॥ गुरुदेवाबो जगपति नाथ। गुरुपादुकावनी अमोलकीजी ।। गुरु०॥ १ ॥ गरु राजेशेर जेसाणे।थांने सारी दुनिया जाणे॥थुम्न राजत है अमराणे । एतो झेकी शोना मेरु चूलसी जी॥ गुरु० ॥॥ गुरु में देख्यो दर्श तिहारो॥ तब से प्रगट्यो पुन्य हजारो॥अब तो खुलियो नाग्य हमारो। में बलीहारी जावु गुरुपम धूलकीजी ॥ गुरु ॥३॥ मेरी वंदना आप स्वीकारो । मोंको जेसे वणे तेसे तारो। विरुद है तारण तर्ण तिहारो। राममांगे ले माफी जूलकीजी ॥ गुरु० ॥॥ इति पदं संपूर्णम् ॥
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52