Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb

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Page 29
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (२७) वाई। बुंटीनांत लांतनिकसाई रुपियासवालदलगवाई। रतनजम वाईअंगीया॥वा० ॥१॥ मस्तकबि. चमुगटमनमोहे । कुमलकानांमे हदसोवे। हीमकी. हीरवाजुबंधवांई। प्रजुगुणपारनपावेकोये । रतनजावाईअंगिया ॥ वा ॥ २ ॥ मुखमु अधिकुं पुनम चंद आवे । जात्रु तणा बहुवृन्दपुजतपावे।मन श्राणंद काटो सेवकनाकर्म फंद। रतनजम्बाई अंगिया ॥ बा० ॥ ३ ॥ इति पदं संपूर्णम् ॥ ॥देशी पीयापर घरमति० ताल केरवा॥ चंप्रनु तारोतो सहीरी ॥ चॅ०॥तुमशरणागत्त आयो चं प्रजु ॥ ता० ॥ रतलामनग्रमेंसोहतारी । लक्ष्मणानंद जिनराज। निरखीमनहरखित जयोरी। चन्द्रवदनसुखकाज ॥ चं० ॥१॥ तख्त्नशीनजिन चंप्रचुरी शोजावरणीनजाय । घससुकमप्रनुशंगकोरी चरचुं चित्तलगाय ॥ चं॥२॥ दधिसुता अरुकमलरिपुरी तासुनामप्रचुदाश । युगकरजोमी विनवे तुम टारोनवः खफास ॥ चं० ॥३॥ इति पदं संपूर्णम्॥ For Private and Personal Use Only

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