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(२९) समकित सुरमो मारे नयन में, सारयो देवजिनंदनारे॥दे ॥३॥ एसे सदगुरु सहायकरो मेरे, बाहमदेविके नंदनारे॥ ॥॥श्री सदगुरुके चरण कमल में, रामकी होजो नित्यवंदनारे ॥दे० ॥५॥ इति पदं संपूर्णम् ॥ ॥ राग जंगला ताल केरवा ॥
गुरु चरणपे चामो माला फूलकीजी। गुरुके गुंहली करोनी तंदूलकीजी । श्रावे नर नारी के साथ । पुजे जोमी दोन हाथ ॥ गुरुदेवाबो जगपति नाथ। गुरुपादुकावनी अमोलकीजी ।। गुरु०॥ १ ॥ गरु राजेशेर जेसाणे।थांने सारी दुनिया जाणे॥थुम्न राजत है अमराणे । एतो झेकी शोना मेरु चूलसी जी॥ गुरु० ॥॥ गुरु में देख्यो दर्श तिहारो॥ तब से प्रगट्यो पुन्य हजारो॥अब तो खुलियो नाग्य हमारो। में बलीहारी जावु गुरुपम धूलकीजी ॥ गुरु ॥३॥ मेरी वंदना आप स्वीकारो । मोंको जेसे वणे तेसे तारो। विरुद है तारण तर्ण तिहारो। राममांगे ले माफी जूलकीजी ॥ गुरु० ॥॥ इति पदं संपूर्णम् ॥
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