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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( २७) ॥ दादा साहेब के स्तवन ॥ ॥ सदगुरुरायमोरी अरज सुणीजे. मोपर म. हिरकरीजे हेलो ॥ टेर ॥ रतनपुरीमें मंदिरतिहारो फुलरही गुल क्यारीहेलो॥सद ॥ १॥ श्रीजिनदत्तसूरिश्वरसोदे मुरती मोहन गारीहेलो ।। सद०॥ आसपास गुरु चरण विराजे दत्तकुशल गुरुदेवा हेलो ॥ सद० ॥३ ॥अद्जुत वेदी जालीकी छबि उपर कलश सोनेरी हेलो ॥ सद० ॥४॥ ज्ञानमारगुरुदेव कोथाप्पो रुपकुंवरने फूल हेलो ॥ सद. ॥५॥ रायकेशरीसिंहसुतसोहे तसुना-उमराव हेलो ॥ सद० ॥ ६ ॥ जेनरनारी कचितध्यावे. मनवंछितफलपावे हेलो॥सद०॥७॥ वृद्धिरतनको चरणचितवसियो जिममुक्ताफलहंस हेलो॥सद०॥ ॥ ॥ इति पदं संपूर्णम् ॥ ॥ कल्याण त्रिताल ॥ गुरु देवदयाला गुरु प्रतिपाला गुरु देवन कुंवन्दनारे ॥ दे० ॥ अग्यान रजनी गुरु ने मिटाई उदयोग्यान मयि चंदनारे॥दे० ॥१॥ मिथ्या बंधन बांधेकुगुरुने सतगुरु तौम सब फंदनारे ॥ दे०॥२॥ For Private and Personal Use Only
SR No.020916
Book TitleVruddhi Ratnamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVruddhiratnamuni
PublisherKeshrisinhji Saheb
Publication Year1915
Total Pages52
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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