Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb

View full book text
Previous | Next

Page 13
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ( ११ ) दिवसे वृद्धिचंद गुण गावे ॥ श्री आदि० ॥ ४ ॥ इति लावणी सम्पूर्णम् || ॥ राग सोरव मल्हार ॥ क्या हठ की नोरी सहीयां नेमी कीनो गुमान ॥ क्या ० ॥ १ ॥ विन अवगुण क्युं तजीरे सांवरा जैसे पाको पान । अष्ट भवन की प्रिती हमारी नव मेरोसन आण || क्या इ० ॥ २ ॥ पशु छोमाय चले रथ फेरी दीनो संवत्सरी दान || सहसा बन में संयम लिनो धरयो तुम निश्चल ध्यान || क्या ह० ॥ ३ ॥ मेरे मन पतु ध्यान तुम्हारो छाब कटु देवो दान | वृद्धिचंद कहे धन २ राजुल प्रभुजी दीनो सन्मान || क्या हठ कीनोरी सदीयां नेमी की नो गुमान ॥ क्या० ॥ ४ ॥ इति पदं संपूर्णम् ॥ || देशी वधावेरी ॥ याज दीवस रलीयांमणो धन्यघमी धन्यजाग सजनी मेरीए ॥ श्राज० ॥ १ ॥ प्रथम जिनेश्वर पुजसां यदि नाथ अरिहंत || सज० ॥ नाजिराय घर चांदलो मोरादेवी मात सुजाण ॥ सज०॥ याज ॥ २ ॥ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52