Book Title: Vruddhi Ratnamala
Author(s): Vruddhiratnamuni
Publisher: Keshrisinhji Saheb
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( ११ )
दिवसे वृद्धिचंद गुण गावे ॥ श्री आदि० ॥ ४ ॥ इति लावणी सम्पूर्णम् ||
॥ राग सोरव मल्हार ॥
क्या हठ की नोरी सहीयां नेमी कीनो गुमान ॥ क्या ० ॥ १ ॥ विन अवगुण क्युं तजीरे सांवरा जैसे पाको पान । अष्ट भवन की प्रिती हमारी नव मेरोसन आण || क्या इ० ॥ २ ॥ पशु छोमाय चले रथ फेरी दीनो संवत्सरी दान || सहसा बन में संयम लिनो धरयो तुम निश्चल ध्यान || क्या ह० ॥ ३ ॥ मेरे मन पतु ध्यान तुम्हारो छाब कटु देवो दान | वृद्धिचंद कहे धन २ राजुल प्रभुजी दीनो सन्मान || क्या हठ कीनोरी सदीयां नेमी की नो गुमान ॥ क्या० ॥ ४ ॥ इति पदं संपूर्णम् ॥
|| देशी वधावेरी ॥
याज दीवस रलीयांमणो धन्यघमी धन्यजाग सजनी मेरीए ॥ श्राज० ॥ १ ॥ प्रथम जिनेश्वर पुजसां यदि नाथ अरिहंत || सज० ॥ नाजिराय घर चांदलो मोरादेवी मात सुजाण ॥ सज०॥ याज ॥ २ ॥
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