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मंदिर नगर विशाल के ॥ कु० ॥ विद्याधर केरो राजियो रे, वजवेग सबल नूपाल के ॥कुण्॥ ॥ वजवेगा तेहनी कामिनी रे, गुणवंती पुत्री तास के ॥कु० ॥ नामें शांतिमती वरार्थिनी रे, नैमित्तिक वचन प्रकाश के ॥ कुण् ॥ ॥ निज तात आदेश ले करी रे, इणी बीज नवने रही आश्रे॥ कु० ॥ पूजें नित जिनवर सोलमो रे, पूजु वली सरस्वती माय के ॥ कुण् ॥ ५॥ आज पूर्ण पुण्योदय मुज श्रयो रे, प्रश्नारति आज प्रसन्न के ॥ कुण् ॥ तुमे वर आप्यो मुजने शहां रे, आज दिवस श्रयो धन धन के ॥ कु० ॥ ६॥ विवाह सामग्री सदु ग्रही रे, मुजतात आदेश प्रात के ॥ कु० ॥ सांजली आगम तामारमो रे, हर्षित नल्लसित गात के ॥ कु० ॥७
सुत करुणानिधि तमो रे, मुझनपर करिय पसाय के ॥ कु० ॥ एक रात तिहां वास Nalवसो रे, मुजने सुख द्यो महाराय के ॥ कु० ॥ ७॥ जागी पारथ एहवो रे, मनमांहे खुशी
यो ताम के ॥ कु० ॥ वांगित औषध वैये कयुं रे, विण श्रम सीधां मुज काम के ॥ कुण्॥NEl Nalचंपक माला कंठे ग्वी रे, प्रीति जिम वाहाली नार के ॥ कु० ॥ हश्मामांहे हर्षित भयो रे, ते सारal Balलहे किरतार के ॥ कु० ॥ १० ॥ निजनामांकित मुझी रे, मुकी नृपसुत गुणगेह के ॥ कु० ॥
धात्रीहाथें कन्यान्नणी, नीशानी परम सनेह के ॥ कुण् ॥ ११ ॥ वज्रवेग नृप तिहां आवियोरे,
दीगे नृपसुतने प्रात के ॥ ॥ निज नगरमांहेला गयो रे, नयणे यो अमृतपात के ॥ ० San १२ ॥ परणावी कुमरनणी सुता रे, करि नत्सव प्रेम अपार के ॥ कु० ॥ करमोचन राजा
आपियोरे, लक्ष्मीसुं राजनंमार के॥ कु० ॥१३॥ नाट्योन्मत्त खेचर तिण समे रे, उष्टाचार अपSalवित्र के ॥ कुण् ॥ हितकारी सुविचारी तिवं रे, हो सुमतिकुमरनो मित्र के ॥ कुण् ॥ १४ ॥ Ralप्रज्ञप्ति विद्या आणिने रे, दीधो मित्र कुमरने ताम के ॥ कु० ॥ पुण्यवंतनगी चिर नव रहे रे,
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