Book Title: Vissthanakno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek, 
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 182
________________ वीठा ॥६॥ San सु०॥ २२॥ तीने सरखी कामिनीजी, मांदोमांहि बहु प्रीत ॥ जय लागो बहु शेग्नेजी, अयो दास्थान चकित चलचित्त ॥ सु ॥ २३ ॥ बंधव ते धनदेव ढुंजी, में कहि माहरी वात ॥ कहे जिनहर्ष विटंSalबना जी, पामी ने बहु नात ॥ सु ॥ २५ ॥ सर्वगाथा ॥ १५ ॥ ॥दोहा॥ एहवी नारी मुजमिली, कर्मतणे संजोग । चलती हलती आपदा, चलतां हलतां रोग ॥१॥isal गेमी न शकुं नारीने, बीडं निशदीश ॥ नाहरथी जेम बाकरी, बीहे वीसवावीश ॥२॥ तुं दुख मनमां मत धरे, आरति चित्त म आण ॥ कुण कुण नारी न बेतर्या, राय राणां सुलतान ॥३॥ स्त्रीमन कुटील नदीपरें, चंचल चपल तुरंग ॥ नारी नदीने विश्वसें, ते लहशे दुःख अन्नंग ॥usal नारीनो विश्वासमो, मत को करो सुजाण ॥नोजन्नणी थोमो कीयो, मुंज मुकाव्यां प्राण ॥ ॥Nal __ढाल मी॥ बीबी दुर पमीरहे लोकां नरम धरेगा ॥ एदेशी॥ मदन वचन तेहना सुणीने, चिंते एम मनमांहि॥धन धनते नर ण जगमांहे, जे राखे मनमाहि VE१॥ ममताजाल दूरेतजीजें समतामांहि रहीजें ॥धन धन ते नर ण जगमांहे, जे राखे मनमांहे stalurधीरज रहे नहीं नारीपागल, बल गेडे बलवंता॥नपशमथी चुकावे अबला, आपे अबती चिंता ॥ म ॥२॥ आंखतणे मटके मन मोहे, मुखमटके चित्त चोरे ॥ वयणे सुरनरने वश आणे, ए सहुमांहे जोरे ॥म ॥ ३ ॥ नारीनी ममता जे मूके, तेहतणी बलिहारी ॥ जंबु वयर कपिल थया बलीया, ते वश न पडया नारी ॥म० ॥ ॥ इम वैराग्य धरी ॥६॥ निजमनमें, गेमी ममता घरनी ॥ दीक्षा लीधी श्रीगुरुपाले, करणी समज्या नरनी ॥मर ५ ॥ मुनिपतिने वंदन नृप आव्यो, देखी बे मुनि पासे ॥ एसाथे दीदा किम लीधी, राजा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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