Book Title: Vissthanakno Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek,
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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लोग सामग्री प्राय ॥ तिहाथी चाल्या आगले, आरति चित्त न लाय ॥६॥ चोथे दिवसे बोलिया सुहृद्नृपात्मज आज ॥ अमने नोजन आप तुं, सुख साधक महाराज ॥७॥ वचन सहूनां सांभली मौन राजसुत लीध ॥ नोजन आणेवा नणी, नपक्रम को न कीध ॥ ॥
॥ ढाल ३ जी॥बारे गरबमो॥ एदेशी ॥ ___धर्मे सर्वत्र जय होवे रे, एहवं कही पुर बाहिरनारे गुण बमा जगमांह।सुख निशएसुश्रह्यो रे Raअशोक तरुनी गंहि ॥ १॥ गुण मोटो संसारमें रे, आप आपणी गम ॥ना॥ पुण्य सरीखो
को नहीं रे, पुण्ये सीके काम ना ॥॥पुण्ये हय गय पामीयें रे, पुण्ये राज नंमारनाणापुल्ये परीघल संपदारे, पुण्ये जस विस्तार ॥ ना ॥ ३॥ पुण्ये नारी सुलकणी रे, पुष्ये पुत्र विनीत Nanना ॥ पुण्ये सहु आशा फले रे, सबल पुण्य अजीत ॥ भा० ॥४॥ तिणहीज दिवसे तिणे
घडी रे, दैवतणे संयोग ॥ना ॥ मूओ राय अपुत्रीयो रे, श्रया अराजकलोक ॥ना ॥५॥ रत्नचूड Silपुण्योदयें रे, पंचरत्न आव्यां ताम ॥ना ॥ नमता सहु आव्या तिहां रे, राज्य दीयणने काम salना ॥ ६॥ मंत्री प्रजा मिली आपीयुं रे, रत्नचूमने राज्य ॥ ना ॥ सुकृत होय सखाश्यो रे,
तो श्यां अवरां काज ॥ ना || ॥राजा सहु आवी नम्यारे, रत्नचूमना पाय ॥ना ॥ सुमति नणी मंत्री कीयो रे, राज्य धुरंधर थाय ॥ ना॥७॥ सारथवाहना सुतन्नणी रे, कोषाधिप पद ।। दीध ॥ ना ॥ शेठतणा सुतने वली रे, शेठ नगरनो कीध ॥ना ॥ए॥ श्लोकतणो मित्रे तिहां रे अर्थ सत्यतातीत ॥ना || पुण्य नत्तम ने लोकमें रे, पुण्यसुं राखे प्रीत ॥ ना ॥१०॥ सकल Sal वस्तुमें पुण्य वॉरे, पुण्ये वांगित होय ॥ ना ॥ रत्नादिक मले पुण्यथी रे, पुण्य समुं नहीं कोय॥ ना ॥११॥ निजसंपत्ति पामी करी रे, परने जे नपगार ॥ ना ॥ ते नर देव थकी कह्या रे, मोटा
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