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स्थान
वीशण नावथी, पम्यो सरोवर मांहि ॥ पदी मरालतणी परें, निकलियो अवगाहि ॥ ३ ॥ नानूदय दुवो
जीस, सागर नमतो रान ॥ विरहें पीडयो नारीने, दुःख वेदे असमान ।। ४॥ मनमें चिंते एहवं, ॥११२॥ Nelsक दुःख नाव्यो पार ॥ बीजुं आव्युं तेटले, एवं कर्म अपार ॥ ५ ॥
॥ ढाल ३ जी॥ कोयलो पर्वत धूंधलो रे लो ।। ए देशी॥ कर्म शुनाशुन्न बांधियु रे लाल ॥ अन्यत्नवे जे जीव ॥ मोरा प्राणी ॥ न करी शके कोई अन्यया रे लाल ॥ यौवनवंत अतीव ॥ मोरा प्राणी रे ॥ कर्म ॥१॥ वजमय काया जेहनी रे लाल |
पुरुष शलाका जेह ॥ मोराण॥ कर्म विना नोगव्या श्रकी रे लाल ॥ मूकाणा नहि तेह ॥मोणाशsal REIक०॥ तो माहरो शो आशरो रे लाल ॥ई किणि ज्ञान गणाये । मो० ॥ पमती कमी
मूत्रमा रे लाल ॥ रेलामां वहि जाये॥ मो॥३॥ कण् ॥ रहेशे पण किणी परे रे लाल ॥ माहरे वियोगे नार ॥ मो॥ अशनीपात न खमी शके रे लाल ॥ कोमल कदलीसार ॥ मो० ॥ ४ ॥क ॥ अथवा आर्या में कही रे लाल ॥ते किम खोटी श्राय ॥ मो० ॥ सुख दुख बEI सङ प्राणी नणी रे लाल ॥ अणचिंतव्या लहाय ॥मो ॥५॥क ॥ श्म चिंतवी आर्यातणो रे ।
लाल ॥ अर्थ हश्यामें धार । मो० ॥ वृत्ति करे वृदने फले रे लाल ॥ पण वीसरे नहि नार ॥ मो salu६॥ कण ॥ तिहाथी आगल चालतो रे लाल ॥ पुण्योदयथी दीठ ॥ मो॥ प्रतिमाधर खेचर
मुनिरे लाल॥गण जेह मां अतीव॥मोणासागर मनि पाये नम्यो रे'लाल ॥दे बह सन्मान मो० ॥ मुनिवर पण ते आगले रे लाल ॥ धर्म कहे सुखधाम ॥ मो॥॥कणा नवमें नरन्नव दोहि लो रे लाल ॥ नत्तमकुल अवतार ॥ मो॥ तिहां वलि जिनधर्म दोहिलो रे लाल ॥ दोहिलो al
॥११शा धर्म विचार ॥ मोणाणाकण॥ वाङमय धर्म शरीरथी रे लाल ॥ वचनश्री मननो महंत ॥ मो॥
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