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वीश
॥४॥
तास वचन प्रेर। थकी, लेइ सहु शृंगार ॥ जाएवा नत्सुक था, शोक्य संघाते त्यार ॥ ३ ॥ पुर वाहिर गइ वे जली, केमे चाल्यो नाह ॥ जिम ते स्त्री जागे नहीं, मन अचरिज नत्साह ॥ ४ ॥ बे नारी यांबे चमी, शेठे कौतुकी ताम ॥ श्राम्र मूलसुं बांधीयो, वस्त्रे अभिराम ॥ ५ ॥ ॥ ढाल ५ मी ॥ लाबन दे मात मल्हार बहुगुएारयणभंडार ॥ एर्देश | ॥
मंत्रे मंत्री तास, श्राम्र चल्यो आकाश ॥ आज हो नारीरे वे चाली, अचरिज जोयवारे लो || धन देह वलग्यो जाए, मनमें विस्मय थाए | आज हो सुकृतरे लेई जाए, के लामो होएवा रे लो ? थाये जय जयकार, पुण्यें जगशिरदार ॥ श्राजहो पुण्यें रे, अणचिंतवी आवे संपदा रे लो ॥ पुण्यें पूगे यश, पुण्यें लीलविलास ॥ आज हो पुण्यें रे, टली जाए आपदा रे लो ॥ २ ॥ पुण्यें लहीयें जोग, पुण्यें सुखसंयोग । आजहो पुण्यैरे, धन ध्रुवनाके मंदिर मालियारे लो ॥ पुण्यें पुत्र विनीत, पुण्यें सहुसुं प्रीत || आज हो पुण्यें रे गुणवंती नारी सुकुमालिका रे लो ॥ ३ ॥ वचन कह्युं माहे, दक्षिणोदधि अवगाहे । आज हो पहुतो रे रत्नदीपें रत्नपुरे जइरेलो ॥ श्राम्र नद्याने मेलि, बे नारी गजगेलि | आजहो सुंदर रे सजी सोलें पुरमांदे गइ रे लो ॥ ४ ॥ ते पण नारीलार, आव्यो नगर मोकार || आजही तेली वेलाए पाणीग्रहणीतलो रे लो ॥ थाए महोत्सवसुत वसुदेवकेरो पुत ॥ आज हो श्रीदत्तरे इनामें कुमर सोहामणो रे लो ||५|| श्री पुजशेठ सुधाम, पुत्री श्रीमति नाम ॥ आज हो तेहसुं रे परोवा के लगनवेला थइरे लो ॥ वाजे वाजित्र कोम, बे घरे होमा होम | आजदो जोवारे नर नारी के तिदां मिलीयां केइ रे लो ॥६॥ धनदेव विस्मय पामि, | उत्सव देखण ताम । आजहो तेहने घरद्वारे के जइननो रह्योरे लो ॥ श्रीदत्त थर अस्वार, साथै बहु परिवार || प्राज हो जेटलें रे नमाह्यो के वर तोरणे गयोरे लो ॥ ७॥ पापोदय संजोग, तेटलें
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स्थान०
॥न्छ।
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