Book Title: Vicharsar Prakaranam Cha
Author(s): Pradyumnasuri, Manikyasagar
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 16
________________ होइ कयत्यो वोत्तुं संपयच्छेयं सुय सुयाणुगमो। सुत्तालावन्नासो नामाइन्नासविणिओगं ॥ (१००९) सुत्तप्फासियनिज्जुत्तिनिओगो सेसओ पयत्थाई । पाय सो च्चिय नेगमनयाइमयगोयरो होइ ॥ (१०१०) भावे तित्थं संघो सुयविहियं तारओ तहिं साहू । नाणाइतियं तरणं तरिया भवसमुद्दोऽयं ॥ (१०३२) इस्सरिय-रूव-सिरि-जस-धम्म-पयत्ता मया भगाभिक्खा । ते तेसिमसामण्णा संति नओ तेण भगवंते ॥ (१०४८) हेऊ अणुगम--वइरेगलक्खणो सज्झवत्थुपज्जाओ। आहरणं दिहतो कारणमुववत्तिमेत्तं तु ॥ (१०७७) नणु अत्योऽणभिलप्पो स कहं भासेइ न सहरूवो सो ? । सद्दम्मि तदुवयारो अत्थप्पञ्चायणफलम्मि ॥ (१९२०) " सुबहुं पि सुयमहीयं किं काही चरणविप्पहीणस्स । अंघस्स जह पलित्ता दीवसयसहस्सकोडीऽवि" ॥ (११५२ नि.) " अप्पं पि सुयमहीयं पगासयं होइ चरणजुत्तस्स । एको वि जह पईवो सचखुअस्सा पयासेइ ॥ (११५५ नि०) " हयं नाणं कियाहीणं हया अन्नाणओ किया। पासतो पंगुलो दड्ढो धावमाणो य अंधओ" ॥ (११५९ नि०) वीसुं न सबह चिय सिकतातेल्लं व साहणाभावो। देसोवगारिया जा सा समवायम्मि संपुण्णा ॥ (११६४) " नाणं पयासयं सोहओ तवो संजमो य गुत्तिकरो। तिहं पि समाओगे मोक्खो जिणसासणे भणिओ ॥ (११६९नि.) गंठि त्ति सुदुम्भेओ कक्खडधणरूढगूढगंठि ह । ( ११९५)

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