Book Title: Vicharsar Prakaranam Cha
Author(s): Pradyumnasuri, Manikyasagar
Publisher: Agamoday Samiti

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Page 14
________________ जह सिक्खियं सनामं तह तं पि तहा ठियाइ नामसमं । गुरुभणियघोससरिसं गहियमुदत्तादो ते य ॥ ८५२ ॥ न विहीणक्खरमहियक्खरं च वोचत्थरयणमाल व । वाइडक्खरमेयं वचासियवण्णविण्णास ॥८५३ ॥ न खलियमुवलहलं पिव अमिलियमसरूवधण्णमेलो छ । वोचत्यगंत्थमहवा अमिलियपय-वक्कविच्छेयं ॥ ८५४ ॥ न य विविहसत्यपल्लवविमिस्समट्ठाणछिन्नगहियं वा । विचामेलिय कोलियपायसमिव भेरिकंथ व ॥ ८५५ ॥ मत्ताइनिययमाणं पडिपुण्णं छंदसाऽहवत्थेणं । नाकंखाइसदोसं पुण्णमुदत्ताइघोसेहिं ।। ८५६ ॥ कंठोडविप्पमुकं नाबत्तं बाल-मूयभणियं व। गुरुवायणोवयातं न चोरिय पोत्थयाओ वा ॥ ८५७ ॥ उवउत्तस्स उ खलियाइयं पि मुद्धस्स भावओ सुत्तं । साहइ तह किरियाओ सबाओ निज्जरफलाओ ॥ (८६०) समणेणं सावरण य अवस्सकायवयं हवइ जम्हा । अंतोअहो-निसिस्स उ तम्हा आवस्सयं नाम ॥ (८७३) मुय-सुत्त-गंय-सिद्धंत-सासणे आण-वयण उवएसो। पण्णवण आगमोऽवि य एगट्ठा पज्जया सुत्ते ॥ (८९४) सावज्जजोगविरई उकित्तण गुणवो य पडिवत्ती। खलियस्स निंदणा वणतिगिच्छ गुणधारणा चेव ॥ (९०२) संबंधोवकमओ समीपमाणीय नत्यनिक्खेवं । सत्यं तओऽणुगम्मइ नएहिं नाणाविहाणेहिं ॥ ( ९१६) सीसो गुरुणो भावं जमुवकमए सुयं पसत्यमणो।

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