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फेरि शिविकासुःचढ़ि गहन निजसोधियो॥ घाति चौघातिया ज्ञान केवल भयो। ____ समवसरनादि धनदेव तव निरमयो॥ ४॥ एक है इन्द्रनीली शिला रत्नकी। _____ गोल साडेदशै जोजने जलकी॥ चारदिशपैडिका वीस हज्जार है।
रनके चूरका कोट निरधार है ॥५॥ कोट चहुंओर चहुँद्वार तोरन खचे। ___ तास आगे चहूं मानथंभा रचे॥ मान मानी तर्जे जासढिग जायकैं।
नम्रताधार सेचैं तुम्हें आयकै ॥६॥
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