Book Title: Vartaman Chovisi Pooja Vidhan
Author(s): Vrundavandas
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

View full book text
Previous | Next

Page 162
________________ Notetottotstotstet.tteletetst-tstitutatiststatititatitsaas. ॐ ह्रीं श्रावणशुक्लपष्ठयां तपकल्याणकप्राप्ताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अधं नि० सित आसिन एकम चूरे। चारों घाती अति कूरे॥ लहि केवल महिमा सारा । हम पूजै अष्टप्रकारा ॥४॥ ॐ हीं आश्विन शुक्लप्रतिपदि केवलज्ञानप्राप्ताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अर्घ नि० सितषाढ़ अष्टमी चूरे। चारों अघातिया कूरे। शिव उर्जयंततें पाई। हम पूजै ध्यान लगाई ॥५॥ ॐ हीं आषाढशुक्लाष्टम्यां मोक्षमंगल प्राप्ताय श्रीनेमिनाथजिनेन्द्राय अर्घं नि० जयमाला दोहा---श्याम छबी तन चाप दश, उन्नत गुननिधिधाम । शंख चिह्नपदमें निरखि, पुनि पुनि करों प्रनाम ॥१॥ पद्धरी छंद (१६ मात्रा लण्वन्त)। 'जै जै जे नेमि जिनिंद चंद । पितु समुद देन आनंदकंद ॥ शिवमात कुमुदमनमोददाय । भविवृन्द चकोर सुखी कराय ॥२॥ जय देव अपूरव मारतंड । तुम कीन ब्रह्मसुत सहस BI खंड ॥ शिवतियमुखजलजविकाशनेश । नहिं रही सृष्टिमे तम अशेश ॥३॥भचि भीत कोक ॥ कीनो अशोक । शिवमग दरशायो शर्मथोक ॥ जै जै जै जै तुम गुनगंभीर। तुम आगम

Loading...

Page Navigation
1 ... 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170 171 172 173 174 175 176 177