Book Title: Vartaman Chovisi Pooja Vidhan
Author(s): Vrundavandas
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

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Page 167
________________ %3 totttttttttttituttitutetiteletetatatetetikote बाह्य आभ्यन्तरें छन्द लक्ष्मीधरा । जैति सर्वज्ञ मैं पादसेवा करा ॥ ____ॐ ह्री चैत्रकृष्णचतुर्थ्या केवलज्ञानमडलप्राप्ताय श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अर्घ नि० सप्तमीशुद्ध शोभै महासावनी । तादिना मोच्छपायो महापावनी ॥ शैलसम्मेदतें सिद्धराजा भये । आपकों पूजते सिद्धकाजा ठये ॥ ॐ ह्रीं श्रावणशुक्लसप्तम्यां मोक्षमङ्गलपण्डिताय श्रीपार्श्वनाथजिनेन्द्राय अर्धं नि० जयमाला। दोहा-पाशपर्म गुनराश है, पाशकर्म हरतार । पाशशर्म निजवास यो, पाशधर्म धरतार ॥ १॥ नगरबनारसि जन्मलिय, वंश इख्याक महान । आयु वरण शततुंग तन, हस्त सुनौ परमान ॥२॥ जय श्रीधर श्रीकर श्रीजिनेश । तुव गुन गन फणिगावत अशेश ॥ जय जय जय आनंदकंद चंद । जय जय भविपंकजको दिनंद ॥३॥ जय जय शिवतियवल्लम महेश । जय ब्रह्मा शिवशंकर गनेश ॥ जय खच्छचिदंग अनंगजीत । तुव ध्यावत मुनिगन सुहृदमीत ॥४॥ जय गरभागममंडित महंत । जगजनमनमोदन परम संत ॥ जय जनममहोच्छव सुखधार । seketetitittetstostotstotetotoststote.ketetitstetots.sitsto.s.tot

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