Book Title: Vartaman Chovisi Pooja Vidhan
Author(s): Vrundavandas
Publisher: Jinvani Pracharak Karyalaya

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Page 173
________________ - 大文はたくさまは、おおおおおおおおきさささささささささささささ शुकलद वैशाखदिवस अरि, घात चतुक छयकरना । केवललहि भवि भवसरतारे, जजों चरन सुख भरना ॥ मो०॥॥ ॐ हीं वैशाखशुक्ल दशम्यो जनकल्याणप्राप्ताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ नि० कातिक श्याम अमावस शिवत्रिय, पावापुरतें परना। गनफनिबृद जजे तित बहुविधि, मैं पूजों भयहरना ॥ मो० ॥५॥ ॐ ह्रीं कार्तिककृष्णामावस्यायां मोक्षमङ्गलमण्डिताय श्रीमहावीरजिनेन्द्राय अर्घ नि0 जयमाला। ___छंद हरिगीता २८ मात्रा। गनधर असनिधर, चक्रधर, हरधर गदाधर वरवदा । अरु चापधर विद्यासुधर, तिरसूलधर सेवहिं सदा ॥ दुखहरन आनंदभरन तारन, तरन चरन रसाल है । सुकुमाल गुनमनिमाल उन्नत, भालकी जयमाल हैं ॥१॥ घत्तानन्द--जय त्रिशलानंदन, हरिकृतचंदन, जगदानंद, चंदवरं। भवतापनिकंदन तनकनमंदन, हरितसपंदन, नयन धरं ॥२॥ ___ छंद तोटक । जय केवलभानुकलासदनं । भविकोकविकाशनकंदवनं ॥ जगजीत महारिपु मोहहरं । रजशानद्गा बर चूरकरं ॥ १॥ गर्भादिकमंगलमण्डित हो ॥ जगमाहिं तुमी सत 达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达达 880-10-20

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